PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 5 योग

Punjab State Board PSEB 7th Class Physical Education Book Solutions Chapter 5 योग Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Physical Education Chapter 5 योग

PSEB 7th Class Physical Education Guide योग Textbook Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
‘योग’ शब्द से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
योग शब्द संस्कृत के ‘युज’ शब्द से बना है जिसका अर्थ है मिलाना। साधारण शब्दों में योग का अर्थ मनुष्य को परमात्मा से मिलाना है अर्थात् वह विज्ञान जो हमें परमात्मा से मिलने का मार्ग दिखाता है उसे योग कहते हैं।

प्रश्न 2.
ऋषि पतंजली के अनुसार योग क्या है ?
उत्तर-
योग का उद्देश्य एकता, मिलाप और प्रेम है। मनुष्य का मन चंचल होने के कारण हर समय भटकता रहता है जो कभी रुक नहीं सकता। योग की मदद से मन को नियंत्रित कर सकते हैं। महर्षि पतंजली के अनुसार मन की वृत्तियों को रोकना ही योग है।
विभिन्न विद्वानों ने ‘योग’ को इस प्रकार परिभाषित किया है—
डॉ० राधाकृष्ण के अनुसार, “योग वह मार्ग है जो व्यक्ति को अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाता है।”
श्री रामचरण के अनुसार, “योग व्यक्ति के तन को स्वास्थ्य, मन को शान्ति व आत्मा को चैन प्रदान करता है।”

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 5 योग

प्रश्न 3.
योग की कोई एक परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
डॉ० राधाकृष्ण के अनुसार, “योग वह मार्ग है जो व्यक्ति को अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाता है।”

प्रश्न 4.
‘आसन’ शब्द से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
आसन प्राचीन यौगिक अभ्यास है जिससे प्राणायाम, ध्यान और समाधि का आधार तैयार होता है। आसन’ शब्द संस्कृत भाषा के शब्द ‘अस’ से लिया गया है जिसका मतलब है बैठने की कला। ऋषि पतंजली द्वारा “योग सूत्र में आसन का अर्थ व्यक्ति की उस स्थिति से है जिसमें वह अधिक-से-अधिक समय आसानी से बैठ सके।”

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प्रश्न 5.
आसन कितने प्रकार के होते हैं। विस्तारपूर्वक लिखिए।
उत्तर-

  1. उपचार के लिए आसन-इन आसनों में मांसपेशियों में खिंचाव उत्पन्न होता है और अनेक कुरूपताओं का उपचार किया जा सकता है।
  2. साधना के लिए आसन-इन आसनों में शरीर को एक स्थिति में रख कर लम्बे समय तक बैठकर ध्यान केन्द्रित किया जाता है।
  3. आराम के लिए आसन-इन आसनों का मुख्य उद्देश्य शरीर को आराम देना होता है और लेटकर किए जाते हैं। इन आसनों से शारीरिक व मानसिक थकावट दूर होती है।

प्रश्न 6.
योग सिर्फ एक ईलाज की विधि है-इस धारणा के बारे में अपने विचार लिखिए।
उत्तर-
1. क्या योग एक विशेष धर्म से सम्बन्धित है-भारत में योग प्राचीन समय में ऋषि-मुनियों द्वारा आरम्भ किया गया है। इसलिए आम लोग इसे हिन्दू धर्म सम्बन्धित मानते हैं और योग केवल हिन्दुओं के लिए है। यह धारणा बिल्कुल गलत है। योग को किसी भी धर्म को मानने वाला अपना सकता है क्योंकि योग तो एक किस्म का शारीरिक व्यायाम है जिसका किसी धर्म से लेना-देना नहीं।

2. क्या योग केवल पुरुषों के लिए है-कुछ लोग मानते हैं कि योग करने वाले व्यक्ति को कठिन नियमों का पालन करना पड़ता है और योग केवल पुरुष ही कर सकते हैं। योग स्त्रियों के लिए नहीं है। सच्चाई यह है कि योग के लिए कोई कठोर नियम नहीं है और योग स्त्रियों के लिए भी उतना लाभदायक है जितना पुरुषों के लिए लाभदायक है।

3. क्या योग केवल रोगियों के लिए है-योग से कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। इसलिए कई लोग यह सोचते हैं कि योग केवल इलाज के लिए है और रोगियों के लिए है। यह धारणा गलत है क्योंकि कोई भी स्वस्थ मनुष्य योग कर सकता है और शरीर को बीमारियों से बचा सकता है।

4. क्या योग सिर्फ संन्यासियों के लिए है-ऋषि मुनि प्राचीन काल में योग का अभ्यास जंगलों में रह कर किया करते थे। आज भी कुछ लोग सोचते हैं योग करने के लिए मनुष्य को घर छोड़ना पड़ता है। एक गृहस्थी के लिए योग करना ठीक नहीं जोकि बिल्कुल गलत है। सच्चाई तो यह है कि योग घर में रहकर भी कर सकते हैं।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 5 योग

Physical Education Guide for Class 7 PSEB योग Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
योग के बारे में अपने शब्दों में लिखें ।
उत्तर-
योग शब्द संस्कृत के ‘युज’ शब्द से बना है जिसका अर्थ है मिलाना, मिलाप और प्रेम। योग के द्वारा व्यक्ति का परमात्मा से मेल।

प्रश्न 2.
महर्षि पतंजली के अनुसार योग के बारे में लिखें।
उत्तर-
महर्षि पतंजली के अनुसार मन की वृत्तियों को रोकना अथवा उनको नियंत्रित करना ही योग है।

प्रश्न 3.
योग सम्बन्धी कोई एक भ्रामक धारणा लिखें।
उत्तर-
योग किसी विशेष धर्म से सम्बन्धित नहीं है।

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प्रश्न 4.
आसन क्या है ?
उत्तर-
ऋषि पतंजली के अनुसार आसन का अर्थ व्यक्ति की उस स्थिति से है जिसमें वह अधिक-से-अधिक समय आसानी से बैठ सके।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न-
आसनों के कोई तीन सिद्धान्त लिखें।
उत्तर-

  1. आसन करने के लिए आयु व लिंग का ध्यान रखना ज़रूरी है। बच्चों को अधिक कठोर आसन नहीं करने चाहिए, जिनसे उनकी शारीरिक वृद्धि प्रभावित हो।
  2. आसन करते समय अधिक ज़ोर नहीं लगाना चाहिए। आसन करते समय शरीर सहज, स्थिर व आरामदायक स्थिति में रहना चाहिए।
  3. आसन का अभ्यास करते समय शरीर को धीरे-धीरे मोड़ना चाहिए। आसन करते समय एक दम झटका नहीं देना चाहिए।

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बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न-
आसन के सिद्धान्त विस्तार से लिखें।
उत्तर-
आसन करने वाले व्यक्ति को कुछ सिद्धान्तों का पालन करना पड़ता है। इन सिद्धान्तों का पालन करने से हम आसनों से पूरा लाभ ले सकते हैं। ये सिद्धान्त इस प्रकार हैं

  1. आसन करते समय मांसपेशियों में तनाव पैदा होना ज़रूरी है। तनाव से लचक पैदा होती है।
  2. आसन करते समय आयु और लिंग का ध्यान रखना आवश्यक है। बच्चों को कठोर आसन नहीं करने चाहिए जिससे उनके शरीर की वृद्धि में रुकावट न आ जाए। लड़कियों को मयूरासन अधिक नहीं करना चाहिए।
  3. आसन करते समय अधिक ज़ोर नहीं लगाना चाहिए। आसन करते समय शरीर सहज, स्थिर व आरामदायक स्थिति में रहना चाहिए।
  4. आसन का अभ्यास करते समय शरीर को धीरे-धीरे मोड़ना चाहिए। आसन करते समय जरक अथवा झटका नहीं लगाना चाहिए।
  5. आसन हमेशा प्रगति के सिद्धान्त के अनुसार करने चाहिए। पहले आसान आसन करने चाहिए। उसके पश्चात् कठिन आसनों का अभ्यास करना चाहिए।
  6. गर्भवती महिलाओं को और हृदय रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को कठिन आसन नहीं करने चाहिए।
  7. आसन करने वाला स्थान साफ और शांत होना चाहिए। सुबह का समय आसन करने के लिए सबसे उच्च माना जाता है।
  8. आसन खाना खाने के चार घण्टे बाद या निराहार रह कर करने चाहिए।

प्रश्न 4.
आसन क्या है ?
उत्तर-
ऋषि पतंजली के अनुसार आसन का अर्थ व्यक्ति की उस स्थिति से है जिसमें वह अधिक-से-अधिक समय आसानी से बैठ सके।

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छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न-
आसनों के कोई तीन सिद्धान्त लिखें।
उत्तर-

  1. आसन करने के लिए आयु व लिंग का ध्यान रखना ज़रूरी है। बच्चों को अधिक कठोर आसन नहीं करने चाहिए, जिनसे उनकी शारीरिक वृद्धि प्रभावित हो।
  2. आसन करते समय अधिक ज़ोर नहीं लगाना चाहिए। आसन करते समय शरीर सहज, स्थिर व आरामदायक स्थिति में रहना चाहिए।
  3. आसन का अभ्यास करते समय शरीर को धीरे-धीरे मोड़ना चाहिए। आसन करते समय एक दम झटका नहीं देना चाहिए।

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बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न-
आसन के सिद्धान्त विस्तार से लिखें।
उत्तर-
आसन करने वाले व्यक्ति को कुछ सिद्धान्तों का पालन करना पड़ता है। इन सिद्धान्तों का पालन करने से हम आसनों से पूरा लाभ ले सकते हैं। ये सिद्धान्त इस प्रकार

  1. आसन करते समय मांसपेशियों में तनाव पैदा होना ज़रूरी है। तनाव से लचक पैदा होती है।
  2. आसन करते समय आयु और लिंग का ध्यान रखना आवश्यक है। बच्चों को कठोर आसन नहीं करने चाहिए जिससे उनके शरीर की वृद्धि में रुकावट न आ जाए। लड़कियों को मयूरासन अधिक नहीं करना चाहिए।
  3. आसन करते समय अधिक ज़ोर नहीं लगाना चाहिए। आसन करते समय शरीर सहज, स्थिर व आरामदायक स्थिति में रहना चाहिए।
  4. आसन का अभ्यास करते समय शरीर को धीरे-धीरे मोड़ना चाहिए। आसन करते समय जरक अथवा झटका नहीं लगाना चाहिए।
  5. आसन हमेशा प्रगति के सिद्धान्त के अनुसार करने चाहिए। पहले आसान आसन करने चाहिए। उसके पश्चात् कठिन आसनों का अभ्यास करना चाहिए।
  6. गर्भवती महिलाओं को और हृदय रोगों से पीड़ित व्यक्तियों को कठिन आसन नहीं करने चाहिए।
  7. आसन करने वाला स्थान साफ और शांत होना चाहिए। सुबह का समय आसन करने के लिए सबसे उच्च माना जाता है।
  8. आसन खाना खाने के चार घण्टे बाद या निराहार रह कर करने चाहिए।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 4 खेल में लगने वाली चोटें व उनका इलाज

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PSEB Solutions for Class 7 Physical Education Chapter 4 खेल में लगने वाली चोटें व उनका इलाज

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अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
खेलों में लगने वाली चोटों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
ब्राजील में सन 2014 में विश्व कप फुटबाल में ब्राजील विश्व कप जीतने का मुख्य दावेदार था। ब्राजील की टीम पूरे जोश के साथ सभी विरोधी टीमों को पराजित करती हुई विश्व चैम्पियनशिप जीतने की ओर बढ़ रही थी कि अचानक एक मैच में ब्राजील के होनहार खिलाड़ी ‘नेमार’ की रीढ़ की हड्डी में चोट लग गई जिसके कारण नेमार अगले मैचों में खेल नहीं सका और आने वाले दोनों मैच ब्रा हार गया। इस प्रकार ब्राजील विश्व कप विजेता होने से चूक गया।

कोई भी कार्य करते समय मनुष्य के जीवन में चोट लगने का भय बना रहता है। थोड़ी-सी असावधानी से चोट लग सकती है। इस तरह खिलाड़ियों को भी खेल के मैदान में चोटें लगती रहती हैं। खिलाड़ी जितनी मर्जी सावधानी का प्रयोग करे पर उस को चोट लग ही जाती है। खेल के मैदान में लगने वाली चोटें, कामकाज में लगने वाली चोटों से भिन्न होती हैं। यदि खिलाड़ी तैयारी और सावधानी से खेल के मैदान में उतरता है तो उसे दूसरे खिलाड़ियों की उपेक्षा कम चोटें लगती हैं। प्रत्येक खिलाड़ी के खेल जीवन में कोई-नकोई चोट अवश्य लगती है। साधारण चोट लगने पर एक-दो दिन में ठीक हो जाता है परन्तु गम्भीर चोट लगने पर खिलाड़ी कई दिन मैदान से दूर रहता है और खेल पाने में अमसर्थ होता है। कई चोटों के कारण खेलने योग्य भी नहीं रहता। खेल के मैदान में खिलाड़ियों को लगने वाली चोटें खेल चोटें (Sports Injuries) कहलाती हैं।

प्रश्न 2.
प्रत्यक्ष चोटें क्या होती हैं?
उत्तर-
प्रत्यक्ष चोटें (Exposed Injuries)-इस प्रकार की चोटें खिलाड़ियों को आम लगती रहती हैं। इस प्रकार की चोटें शरीर के किसी बाहर के भाग पर लगती हैं और इन्हें देखा जा सकता है। खेलते समय गिरने या किसी बाहर की वस्तु से टकराने के कारण चोट लगती है। इन चोटों को कई भागों में बांटा जा सकता है।

1. रगड़ (Abrasion)-इस प्रकार की चोट में त्वचा का ऊपरी अथवा भीतरी भाग छिल जाता है। खेल मैदान में खिलाड़ी के गिरने के कारण लगती है। इस प्रकार की चोट से त्वचा का बाहरी भाग छिल जाता है और रक्त बहने लगता है। रगड़ लगने वाले स्थान पर मिट्टी आदि पड़ने के कारण संक्रमण हो सकता है। इस प्रकार की चोट के घाव को अच्छी तरह साफ करके उस पर मरहम पट्टी कर देनी चाहिए।

2. त्वचा का फटना (Incision)-कई बार खेल में खिलाड़ी अपने विरोधी से टकरा जाते हैं। खिलाड़ी को कुहनी, घुटना या कोई तीखा भाग टकराने से खिलाड़ी की त्वचा फट जाती है। खिलाड़ी को इस प्रकार की चोट किसी कठोर वस्तु के टकराने से लगती है। खिलाड़ी की त्वचा कट जाती है और उससे रक्त बहने लगता है। कट गहरा होने के कारण रक्त तेज़ी से बहता है। इसके उपचार के लिए घाव को साफ करके पट्टी करनी चाहिए।

3. गहरा घाव (Punctured Wound)-खेल में यह चोट गंभीर होती है। यह चोट खेल के समय किसी नोकीली वस्तु के लगने के कारण होती है जैसे जैवेलिन या कीलों वाले स्पाइक्स की कीलें लगने के कारण होती है। इस चोट में खिलाड़ी को गहरा घाव लगता है और रक्त अधिक मात्रा में निकलने लगता है। इस प्रकार की चोट लगने के कारण शीघ्र खिलाड़ी को डाक्टर के पास ले जाना चाहिए।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 4 खेल में लगने वाली चोटें व उनका इलाज

प्रश्न 3.
अप्रत्यक्ष चोटें किन्हें कहते हैं ?
उत्तर-
अप्रत्यक्ष (परोक्ष) चोटें (Unexposed Injuries) इस प्रकार की चोटें शरीर के बाहरी भाग में दिखाई नहीं देतीं। इन्हें भीतरी चोटें भी कहा जा सकता है। इस प्रकार की चोटें मांसपेशियों अथवा जोड़ों पर लगती हैं। इनका मुख्य कारण मांसपेशियों व जोड़ों पर अधिक दबाव या तनाव होता है। इस प्रकार की चोट में खिलाड़ी को तीव्र दर्द होता है और ठीक होने में समय लग जाता है।

प्रश्न 4.
जोड़ का उत्तरना तथा हड्डी के टूटने में क्या अन्तर है?
उत्तर-
इस चोट में जोड़ के ऊपर अधिक दबाव पड़ने के कारण अथवा झटका लगने के कारण हड्डी जोड़ से बाहर आ जाती है जिससे जोड़ गति करना बंद कर देता है और खिलाड़ी खेलने में असमर्थ हो जाता है। किसी पोल, मेज से टकराने अथवा गिरते समय जोड़ के अधिक मुड़ जाने के कारण यह चोट लग सकती है।

जब चोट लगने के कारण हड्डी के दो टुकड़े हो जाते हैं, उसे हड्डी का टूटना कहते हैं। हड्डी का टूटना गम्भीर चोट है। इसमें खिलाड़ी को बहुत दर्द होता है और ठीक होने में भी काफी समय लगता है। हड्डी टूटने के बहुत प्रकार हैं-इनमें कुछ साधारण व कुछ गम्भीर प्रकार की टूटन है। खेल के मैदान में सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल न करने के कारण ये चोटें लग सकती हैं।

जोड़ का उत्तरना हड्डी का टूटना
(1) जोड़ का आकार बदल जाता है। (1) हड्डी का आकार बदल जाता है।
(2) अंग की गतिशीलता बंद हो जाती है। (2) हड्डी टूटने वाले स्थान पर तेज़ दर्द होने लगता है।
(3) चोट वाले स्थान पर तीव्र दर्द लगती है। (3) हड्डी के हिलाने पर आवाज़ आने होता है।
(4) जोड़ पर सूजन आ जाती है। (4) हड्डी टूटने वाला अंग कार्य करना बन्द कर देता है।

 

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 4 खेल में लगने वाली चोटें व उनका इलाज

प्रश्न 5.
मोच क्या है ? इसके कारण, लक्षण तथा ईलाज के बारे में लिखिए।
उत्तर-
मोच जोड़ों की चोट है। इस चोट में जोड़ों को बांधने वाले तन्तु टूट जाते हैं या फट जाते हैं। खेल के मैदान में दौड़ते समय खिलाड़ी का संतुलन बिगड़ने के कारण अथवा जोड़ों के अधिक मुड़ने के कारण खिलाड़ी के जोड़ों पर दबाव पड़ जाता है और जोड़ के तन्तुओं में खिंचाव आ जाता है। इसे मोच कहते हैं।
लक्षण-

  1. चोट वाले स्थान पर तीव्र दर्द होता है।
  2. चोट वाले जोड़ पर सूजन आ जाती है।
  3. चोट वाले स्थान का रंग लाल हो जाता है।
  4. चोट वाले जोड़ को हिलाने से खिलाड़ी को तीव्र दर्द होता है।

उपचार-चोट लगने के स्थान पर शीघ्र बर्फ लगनी चाहिए। इससे जोड़ में बह रहा रक्त बंद हो जाता है। बर्फ मलने से चोट वाले स्थान पर सूजन कम हो जाती है। चोट लगने के पश्चात् 24 घण्टे बर्फ की टकोर करनी चाहिए और चोट पर मालिश नहीं करनी चाहिए। न ही गर्म सेक देना चाहिए। जोड़ को सहारा देने के लिए पट्टी बांध लेनी चाहिए। चोट ठीक होने के पश्चात् जोड़ को हल्का व्यायाम करना चाहिए। इससे चोट ठीक होने में काफी समय लग सकता है।

प्रश्न 6.
खेलों में लगने वाली चोटों के मुख्य कारण कौन से हैं ?
उत्तर-

  1. अपर्याप्त जानकारी
  2. उचित प्रशिक्षण का अभाव
  3. असावधानी
  4. ठीक तरह से शरीर न गर्माने के कारण
  5. खेल मैदान का सही न होना।।

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Physical Education Guide for Class 7 PSEB खेल में लगने वाली चोटें व उनका इलाज Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खेल के मैदान में क्या नहीं होना चाहिए ?
उत्तर-
कंकर, कांच के टुकड़े और पत्थर आदि।

प्रश्न 2.
मैदान की सीमा रेखा के निकट क्या नहीं होना चाहिए ?
उत्तर-
तार अथवा दीवार।

प्रश्न 3.
खेलों का सामान कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-
अन्तर्राष्ट्रीय स्टैण्डर्ड का बहुत बढ़िया।

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प्रश्न 4.
कौन-सी भावना से खेल नहीं खेलना चाहिए ?
उत्तर-
बदले की।

प्रश्न 5.
खेल का मैदान कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-
समतल।

प्रश्न 6.
खेलों में चोट लगने के दो कारण लिखें।
उत्तर-

  1. अपर्याप्त जानकारी
  2. उचित प्रशिक्षण का अभाव।

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प्रश्न 7.
खेल चोटें कितने प्रकार की होती हैं ?
उत्तर-
खेल चोटें दो प्रकार की होती हैं—

  1. प्रत्यक्ष चोटें
  2. अप्रत्यक्ष चोटें।

प्रश्न 8.
मोच क्या है ?
उत्तर-
मोच में जोड़ों को बांधने वाले तन्तु टूट जाते हैं।

प्रश्न 9.
खिंचाव क्या है ?
उत्तर-
यह चोट शरीर की भारी मांसपेशियों पर लगती है और मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है।

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प्रश्न 10.
हड्डी का उतरना क्या है ?
उत्तर-
जोड़ के ऊपर अधिक दबाव पड़ने के कारण हड्डी जोड़ से बाहर आ जाती है।

प्रश्न 11.
हड्डी का टूटना क्या है ?
उत्तर-
चोट लगने के कारण हड्डी के दो टुकड़े हो जाने को हड्डी का टूटना कहा जाता

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हड्डी के उतरने के लक्षण लिखें।
उत्तर-

  1. जोड़ का आकार बदल जाता है।
  2. अंग की गतिशीलता बंद हो जाती है।
  3. चोट वाले स्थान पर तीव्र दर्द होता है।
  4. जोड़ पर सूजन आ जाती है।

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प्रश्न 2.
हड्डी के टूटने के लक्षण लिखें।
उत्तर-

  1. हड्डी का आकार बदल जाता है।
  2. हड्डी टूटने वाले स्थान पर तेज़ दर्द होने लगता है।
  3. हड्डी के हिलाने पर आवाज़ आने लगती है।
  4. हड्डी टूटने वाला अंग कार्य करना बन्द कर देता है।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खेल में लगने वाली चोटों के भिन्न-भिन्न कारण लिखो।
उत्तर-
खेलों में खिलाड़ियों के चोट लगने के कई कारण हो सकते हैं जो इस प्रकार—
1. अपर्याप्त जानकारी-खेलों के नियम, खेल सामग्री के बारे में खिलाड़ी को पूरी जानकारी होनी चाहिए। कई बार खिलाड़ी को खेल सामग्री की जानकारी नहीं होती जिससे उसे चोट लग सकती है।

2. उचित प्रशिक्षण का अभाव-खेलों में बढ़िया प्रदर्शन के लिए अच्छा प्रशिक्षण ज़रूरी है। यदि प्रशिक्षण के बिना खिलाड़ी खेलता है तो उसके शरीर में शक्ति, गति व लचक की कमी के कारण चोट लग सकती है।

3. असावधानी-“सावधानी हटी और दुर्घटना घटी” खेल के मैदान में थोडी-सी लापरवाही से चोट लग सकती है। यदि खिलाड़ी खेल नियमों का पालन नहीं करता तो भी चोटें लग सकती हैं।

4. ठीक तरह से शरीर न गर्माने के कारण-खेल के अनुसार गर्माना ज़रूरी है जिससे खिलाड़ी की मांसपेशियां खेल के दबाव को सहन कर सकें। यदि खिलाड़ी शरीर को पूर्ण रूप से गर्माता नहीं तो उसकी मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है।

5. खेल के मैदान का सही न होना-खेलते समय मैदान समतल होना आवश्यक है। मैदान में गड्ढे, तीखी चीजें, कांच, कील बिखरे होने के कारण खिलाड़ी को चोट लग सकती है। अतः खेलने से पहले खेल मैदान की जांच कर लेनी चाहिए।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 4 खेल में लगने वाली चोटें व उनका इलाज

प्रश्न 2.
खिंचाव क्या होता है ? उसके लक्षण और उपचार लिखो।
उत्तर-
यह मांसपेशियों की चोट है और शरीर की भारी मांसपेशियों पर लगती है। इसमें खिलाड़ियों की मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है जिससे वहां तेज दर्द होने लगता है। खिलाड़ी चलने, फिरने, दौड़ने में अमसर्थ हो जाता है। इस चोट के कई कारण हो सकते हैं। थकावट, शरीर को अच्छी तरह से गर्माना, मांसपेशियों पर अधिक तनाव।
लक्षण-

  1. चोट वाले स्थान पर तीव्र पीड़ा होती है।
  2. खिलाड़ी को दौड़ने, चलने में कठिनाई होती है।
  3. चोट वाले स्थान पर सूजन आ जाती है।
  4. खिलाड़ी की मुद्रा (Posture) में बदलाव आ जाता है।

उपचार-चोट के पश्चात् खिलाड़ी को अति शीघ्र मैदान से बाहर कर देना चाहिए और आराम से लिटा देना चाहिए। चोट वाले स्थान पर बर्फ लगानी चाहिए और 48 घण्टे तक बर्फ लगाते रहना चाहिए। तीसरे दिन गुनगुने पानी की टकोर करनी चाहिए। उसके पश्चात् ठण्डे पानी की टकोर करनी चाहिए। चौथे और पांचवें दिन तक इस प्रक्रिया को दोहराते रहना चाहिए। जब तक चोट पूर्ण रूप से ठीक न हो खेलना नहीं चाहिए।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 4 खेल में लगने वाली चोटें व उनका इलाज

प्रश्न 3.
हड्डी का टूटना (Fracture) क्या होता है ? उसके लक्षण और उपचार बताएं।
उत्तर-
जब चोट लगने के कारण हड्डी के दो टुकड़े हो जाते हैं, उसे हड्डी का टूटना कहते हैं।
हड्डी का टूटना गम्भीर चोट है। इसमें खिलाड़ी को बहुत दर्द होता है और ठीक होने में भी काफी समय लगता है। हड्डी टूटने के बहुत प्रकार हैं-इनमें कुछ साधारण व कुछ गम्भीर प्रकार की टूटन है। खेल के मैदान में सुरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल न करने के कारण ये चोटें लग सकती हैं।
लक्षण-

  1. जहां हड्डी टूटी हो उसका आकार बदल जाता है।
  2. टूटी हड्डी के स्थान पर तीव्र दर्द होता है।
  3. हड्डी के हिलाने पर ‘चर-चर’ की आवाज़ आती है।
  4. चोटिल अंग कार्य नहीं कर सकता।

उपचार–हड्डी टूटी होने पर खिलाड़ी को चोट वाले स्थान पर हड्डी को लकड़ी अथवा लोहे की पट्टियों द्वारा सहारा देना चाहिए। जहां चोट लगी हो उसे हिलाना नहीं चाहिए। रक्त बहने पर रक्त रोकना चाहिए। खिलाड़ी को शीघ्र डाक्टरी सहायता दिलानी चाहिए। जिसे एक्सरे करके चोट द्वारा टूटी हड्डी का पता लगाया जा सके। डाक्टरी परामर्श के अनुसार इलाज करना चाहिए और पूरी तरह ठीक होने तक खिलाड़ी पूर्ण रूप से आराम करते रहना चाहिए।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 3 शारीरिक ढांचा और इसकी कुरूपताएं

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PSEB Solutions for Class 7 Physical Education Chapter 3 शारीरिक ढांचा और इसकी कुरूपताएं

PSEB 7th Class Physical Education Guide शारीरिक ढांचा और इसकी कुरूपताएं Textbook Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर

प्रश्न 1.
शारीरिक ढांचे से क्या अभिप्राय है ? हमारा शरीर दोनों टांगों पर कैसे सीधा खड़ा रहता है ?
उत्तर-
शारीरिक ढांचे (Posture) शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों की एक-दूसरे से सम्बद्ध स्थिति को बढ़िया सन्तुलित शारीरिक ढांचा कहा जा सकता है। अच्छे शारीरिक ढांचे वाले व्यक्ति के खड़े होने, बैठने, चलने और पढ़ने में स्वाभाविकता और सुन्दरता झलकती है। जब शरीर के ऊपरी अंगों का भार समान रूप से निचले अंगों पर ठीक सीधे पड़ रहा हो तो हमारा पोस्चर ठीक होगा। इससे अभिप्राय हमारे शरीर की बनावट है। यदि शरीर की बनावट देखने में सुन्दर, सीधी और स्वाभाविक लगे और इसका भार ऊपर वाले अंगों से निचले अंगों पर ठीक तरह आ जाए तो शारीरिक ढांचा ठीक होता है। परन्तु यदि उठने-बैठने, चलने और पढ़ने के समय शरीर टेढ़ा-मेढ़ा और दुखदायी प्रतीत हो तो शारीरिक ढांचा खराब होता है।
PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 3 शारीरिक ढांचा और इसकी कुरूपताएं 1
हमारे शरीर के आगे-पीछे आवश्यकतानुसार मांसपेशियां होती हैं। ये हड्डियों को उचित स्थान पर स्थिर रखती हैं। पांवों की मांसपेशियां पांवों की शक्ल को ठीक रखती हैं और शरीर को सीधा खड़ा रखने में उचित आधार प्रदान करती हैं। टांग के अगले और पिछले भाग की मांसपेशियां टांगों को पांवों पर सीधा खड़ा रखने में सहायता करती हैं। इसी प्रकार कमर के आस-पास की मांसपेशियां शरीर के ऊपरी भाग को पीछे की ओर खींचकर रखती हैं। पेट और छाती की मांसपेशियां धड़ और सिर को अधिक पीछे नहीं जाने देतीं। इसलिए हमारा शारीरिक ढांचा मांसपेशियों की सहायता से ठीक ढंग से सीधा और स्वाभाविक रूप में रहता है।

प्रश्न 2.
बढिया शारीरिक ढांचा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
शरीर के अंगों की एक-दूसरे के सम्बन्ध में उचित स्थिति को बढ़िया शारीरिक ढांचा कहा जाता है। जब शरीर के ऊपरी अंगों का भार समान रूप में निचले अंगों पर ठीक सीधे पड़ रहा हो तो उसे हम संतुलित पोस्चर कह सकते हैं। ऊपर चित्र में बढ़िया शारीरिक ढांचा दिखाया गया है। ऐसे ढांचे में शरीर के ऊपरी अंगों का भार ठीक तरह से नीचे वाले अंगों पर पड़ रहा है। ऐसा ढांचा बैठने-उठने, सोने में सुविधाजनक और चुस्त रहता है।

प्रश्न 3.
अच्छे शारीरिक ढांचे के हमें क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
अच्छा शारीरिक ढांचा (Balanced Posture)-संतुलित शारीरिक ढांचे के मुख्य लाभ इस प्रकार हैं—

  1. अच्छा पोस्चर होने से हमें कोई शारीरिक काम करते समय कम-से-कम शक्ति लगानी पड़ती है।
  2. अच्छा पोस्चर होने से शरीर में हिलजुल आसान हो जाती है।
  3. अच्छे पोस्चर वाला व्यक्ति दूसरों को बहुत प्रभावित करता है।
  4. अच्छे पोस्चर व्यक्ति में आत्म-विश्वास पैदा करता है।
  5. अच्छा पोस्चर वाला व्यक्ति प्रत्येक काम में चुस्त और फुर्तीला होता है।

अच्छा शारीरिक ढांचा देखने में सुन्दर लगता है। हमें बैठने-उठने, दौड़ने और पढ़ने आदि में सुविधा और चुस्ती महसूस होती है। बढ़िया ढांचे में स्वास्थ्य ठीक रहता है। बढ़िया शारीरिक ढांचे में दिल, फेफड़ों और गुर्दो आदि के काम में कोई रुकावट नहीं पड़ती। अच्छे शारीरिक ढांचे की मांसपेशियों को कम ज़ोर लगाना पड़ता है।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 3 शारीरिक ढांचा और इसकी कुरूपताएं

प्रश्न 4.
शारीरिक ढांचा कैसे कुरूप हो जाता है ? इसकी मुख्य कुरूपताओं (Deformities) के नाम लिखो।
उत्तर-
जब मांसपेशियों में परस्पर तालमेल और सन्तुलन ठीक न रहे तो हमारा शरीर आगे या पीछे की ओर झुक जाता है। मांसपेशियों की कमजोरी के कारण तथा हड्डियों के टेढ़ा-मेढ़ा होने के कारण शारीरिक ढांचे में कई तरह के दोष उत्पन्न हो जाते हैं। यदि बच्चों की आदतों की ओर विशेष ध्यान न दिया जाए तो भी शारीरिक ढांचा कुरूप हो जाता है। बड़ी आयु में किसी विशेष आदत के कारण शारीरिक ढांचा कुरूप हो सकता है। बच्चों की खुराक की ओर यदि ध्यान न दिया जाए तो भी शारीरिक ढांचा कुरूप हो जाता है। शारीरिक ढांचे की मुख्य कुरूपताएं निम्नलिखित हैं—

  1. कूबड़ का निकलना (Kyphosis)
  2. कूल्हों का आगे की ओर निकलना (Lordosis)
  3. रीढ़ की हड्डी का टेढ़ा हो जाना (Spinal Curvature)
  4. कूबड़ सहित कूल्हों का आगे निकलना (Sclerosis)
  5. घुटनों का भिड़ना (Knee Locking)
  6. पांवों का चपटे होना (Flat Foot)
  7. दबी हुई छाती (Depressed Chest)
  8. कबूतर की तरह छाती अथवा चपटी छाती (Flat Chest)
  9. टेढ़ी गर्दन (Sliding Neck)

शरीर की इन कुरूपताओं को दूर करने के लिए भिन्न-भिन्न व्यायाम करने पड़ते हैं।

प्रश्न 5.
हमारी रीढ़ की हड्डी में कुब (Kyphosis) कैसे पड़ जाता है ? इसको ठीक करने के लिए कौन-कौन से व्यायाम करने चाहिएं ?
उत्तर-
जब गर्दन और पीठ की मांसपेशियां ढीली होकर लम्बी हो जाती हैं और छाती की मांसपेशियां सिकुड़ कर छोटी हो जाती हैं तो रीढ़ की हड्डी में कूबड़ आ जाता है। इस दशा में गर्दन आगे की ओर निकल जाती है तथा सिर आगे की ओर झुका हुआ दिखाई देता है। रीढ़ की हड्डी पीछे की ओर निकल जाती है तथा कूल्हे आगे को घूम जाते हैं।
PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 3 शारीरिक ढांचा और इसकी कुरूपताएं 2
कूबड़पन निम्नलिखित कारणों से उत्पन्न होता है (Causes of Kyphosis)—

  1. नज़र का कमज़ोर होना या ऊंचा सुनाई देना।
  2. कम रोशनी में आगे झुक कर पढ़ना।
  3. बैठने के लिए खराब किस्म का एवं निकम्मा फर्नीचर होना।
  4. कसरत न करने से मांसपेशियों का कमजोर हो जाना।
  5. तंग और गलत ढंग के कपड़े पहनना।
  6. शरीर का तेजी से बढ़ना।
  7. लड़कियों का जवान होने पर शरमा कर आगे को झुक कर चलना।
  8. आवश्यकता से अधिक झुक कर काम करने की आदत।
  9. कई धन्धों जैसे बढ़ई का आरा खींचना, माली का क्यारियों की गुड़ाई करना, दफ्तरों में फाइलों पर आंखें टिकाये रखना और दर्जी का कपड़े सीना आदि।
  10. बीमारी या दुर्घटना आदि के कारण।

कूबड़पन दूर करने की विधियां (Methods of Rectify Deformities)—
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  1. उठते-बैठते और चलते समय ठोडी थोड़ी-सी ऊपर की ओर, छाती और सिर को सीधा रखो।
  2. कुर्सी पर बैठकर पीठ बैक के साथ लगाकर तथा सिर पीछे की ओर रखकर ऊपर देखना। हाथों को पीछे पकड़ लेना चाहिए।
  3. पीठ के नीचे तकिया रखकर लेटना।
  4. दीवार से लगी सीढ़ी से लटकना, इस समय पीठ सीढ़ी की ओर होनी चाहिए।
  5. पेट के बल लेटना, हाथों पर भार डाल कर सिर और धड़ के अगले भाग को ऊपर की ओर उठाना।
  6. प्रतिदिन सांस खींचने वाली कसरतों को करना या लम्बे सांस लेना।
  7. डंड निकालना, तैरना तथा छाती के लिए अन्य कसरतें करना।
  8. एक कोने में खड़े होकर दोनों दीवारों पर एक-एक हाथ लगा कर शरीर के भार से बारी-बारी एक बाजू को कोहनी से झुकाना और सीधा करना।

इन कसरतों के अतिरिक्त शारीरिक ढांचे को ठीक रखने वाली स्वस्थ बातों को भी ध्यान में रखना चाहिए।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 3 शारीरिक ढांचा और इसकी कुरूपताएं

प्रश्न 6.
हमारी कमर के अधिक आगे निकल जाने के कारण बताओ। इस कुरूपता को दूर करने के लिए कुछ कसरतें लिखो।
उत्तर-
कई बार कूल्हों की मांसपेशियां छोटी हो जाती हैं और पेट की मांसपेशियां ढीली पड़कर लम्बी हो जाती हैं। रीढ़ की हड्डी का नीचे वाला मोड़ अधिक आगे हो जाने के कारण पेट आगे निकल जाता है। इससे सांस लेने की क्रिया में काफी बदलाव आ जाता है। इसके निम्नलिखित कारण होते हैं—

  1. छोटे बच्चों में पेट आगे निकल कर चलने की आदत
  2. छोटी उम्र में बच्चों को सन्तुलित भोजन का न मिलना।
  3. कसरत न करना।
  4. ज़रूरत से ज्यादा भोजन करना।
  5. स्त्रियों का ज्यादा बच्चे पैदा करना।

पीछे लिखे कारणों के कारण कमर आगे निकल जाती है। इस कुरूपता को दूर करने के लिए आगे लिखी कसरतें करनी चाहिएं—
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  1. सीधे खड़े होकर शरीर का ऊपरी भाग आगे झुकाना और सीधा करना चाहिए।
  2. पीठ के बल लेट कर उठना और फिर लेटना।
  3. पीठ के बल लेटकर शरीर के सिर वाले और टांगों वाले भागों को बारी-बारी ऊपर उठाना।।
  4. पीठ के बल लेटकर टांगों को धीरे-धीरे 45° तक ऊपर को उठाना तथा फिर नीचे लाना।
  5. सावधान अवस्था में खड़े होकर बार-बार पैरों को स्पर्श करना।
  6. सांस की कसरतों का अभ्यास करना।
  7. हल आसन का अभ्यास करना।

यदि ऊपर लिखी कसरतों को लगातार किया जाए तो बाहर निकली कमर ठीक हो जाती है।

प्रश्न 7.
हमारे पांव चपटे कैसे हो जाते हैं ? चपटे पांव की परख बताते हुए इसको दूर करने की कसरतें भी लिखो।
उत्तर-
चपटे पांव (Flat Foot)—जब पांवों की मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं तो डाटें सीधी हो जाती हैं और पांव चपटा हो जाता है। इसके अतिरिक्त यदि शरीर ज्यादा भारी हो, कसरत न की जाए, गलत बनावट के जूते पहने जाएं तो भी पांव चपटे हो जाते हैं। अगर हर रोज़ लगातार काफ़ी समय तक खड़े होना पड़े या शारीरिक ढांचे सम्बन्धी ग़लत आदतें हों तो भी पांव चपटे हो जाते हैं।
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(क) ठीक पांव
(ख) चपटा पांव

चपटे पांवों की परख-थोड़ी-सी नर्म और गीली मिट्टी लो। इसे धरती पर समतल बिछा दो। इस पर पांव रखते हुए आगे की ओर चलो। यदि पांव ठीक हो तो इसके तल का निशान चित्र नं०

  1. में दिखाए गए चित्र के अनुरूप होगा परन्तु यदि पांव चपटा हो तो इसका निशान चित्र नं०
  2. के अनुरूप होगा।

व्यायाम-चपटे पांव को ठीक करने के लिए निम्नलिखित कसरतें करनी चाहिएं—
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  1. एड़ियों के भार चलना और धीरे-धीरे दौड़ना।
  2. पंजों के बल चलना और दौड़ना।।
  3. पंजों के बल साइकिल चलाना।
  4. डंडेदार सीढ़ियों पर चढ़ना-उतरना।
  5. पांव को इकट्ठा करके एड़ी और उंगलियों के सहारे चलना।
  6. नाचना।
  7. लकड़ी के तिकोने फट्टे की ढलान पर पांव रखकर चलना।

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प्रश्न 8.
छाती की हड्डियों में कौन-कौन सी कुरूपताएं आ जाती हैं ? इनको कैसे ठीक किया जा सकता है ?
उत्तर-
छाती की हड्डियों में तीन प्रकार की कुरूपताएं आ जाती हैं। इनका वर्णन इस प्रकार है—

  1. दबी हुई छाती (Depressed Chest)—इस प्रकार की छाती अन्दर की ओर दबी हुई होती है।
  2. कबूतर जैसी छाती (Pigeon type Chest)-इस प्रकार की छाती की हड्डी ऊपर की ओर उभरी हुई होती है।
  3. चपटी छाती (Flat Chest)-इस प्रकार की छाती में पसलियां अधिक इधर-उधर उभरने की बजाय छाती की हड्डी के लगभग समतल होती हैं।

छाती की हड्डियों में कुरूपता के कारण—

  1. कसरत की कमी।
  2. भोजन में कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन ‘डी’ की कमी।
  3. भयानक बीमारियां।
  4. अत्यधिक आगे को झुक कर बैठना, खड़े होना या चलना आदि।

व्यायाम—

  1. डंड निकालना।
  2. प्रतिदिन सांस की कसरतों का अभ्यास करना।
  3. भुजाओं और धड़ की कसरतों का अभ्यास करना।
  4. चारा काटने वाली मशीन को हाथ से चलाकर चारा काटना।
  5. किसी चीज़ से लटक कर डंड निकालना।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित कुरूपताओं के कारण बताते हुए इनको ठीक करने वाली कसरतें भी लिखो—
(क) टेढ़ी गर्दन,
(ख) घुटनों का भिड़ना,
(ग) चपटी छाती।
उत्तर-
(क) टेढ़ी-गर्दन (Sliding Neck)-कई बार गर्दन के एक तरफ की मांसपेशियां ढीली होकर लम्बी हो जाती हैं। दूसरी ओर की मांसपेशियां सिकुड़ जाने के कारण छोटी हो जाती हैं। गर्दन एक ओर झुकी रहती है। इससे गर्दन टेढ़ी हो जाती है।
कारण (Causes) गर्दन टेढ़ी होने के निम्नलिखित मुख्य कारण होते हैं—

  1. बच्चों को छोटी उम्र में एक ओर ही लेटे रहने देना।
  2. बच्चों को प्रतिदिन एक ओर ही उठाना और कन्धे से लगाए रखना।
  3. पढ़ने का गलत ढंग अपनाना।
  4. एक ओर गर्दन झुकाकर देखने की आदत।
  5. एक आंख की नज़र का कमज़ोर होना।

दोष ठीक करने के उपाय (Remedies)—

  1. सीधी गर्दन रखकर चलने और पढ़ने की आदत डालनी चाहिए।
  2. प्रतिदिन गर्दन की कसरत करनी चाहिए।

(ख) घुटनों का भिड़ना (Knee Loebing)-छोटे बच्चों के भोजन में कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन ‘डी’ की कमी के कारण उनकी हड्डियां कमज़ोर होकर टेढ़ी हो जाती हैं। उनकी टांगें शरीर का भार न सहन कर सकने के कारण घुटनों से अन्दर की ओर टेढ़ी हो जाती हैं। इस कारण बच्चों के घुटने भिड़ने लग जाते हैं। बच्चा सावधान अवस्था में खड़ा नहीं हो सकता। ऐसा बच्चा भली-भान्ति दौड़ नहीं सकता।

दोष ठीक करने के उपाय (Remedies)-इस दोष को दूर करने के लिए बच्चे को निम्नलिखित कसरतें करवानी चाहिएं—

  1. बच्चे से साइकिल चलवाना चाहिए।
  2. बच्चे को प्रतिदिन सैर करवानी चाहिए।
  3. बच्चे को सीमेण्ट या लकड़ी के घोड़े पर प्रतिदिन बिठाया जाए।

(ग) चपटी छाती (Flat Chest) चपटी छाती में पसलियां अधिक उभरने की बजाय समतल फैल जाती हैं। इस दोष के कारण श्वास-क्रिया में रुकावट आती है।
कारण (Causes)-चपटी छाती होने के निम्नलिखित कारण हैं—

  1. भोजन में कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन ‘डी’ की कमी।
  2. कसरत न करना।
  3. शारीरिक ढांचे की गन्दी आदतें, जैसे-अधिक आगे की ओर झुक कर बैठना, खड़े होना या चलना।
  4. भयानक बीमारियां।

ठीक करने के उपाय (Remedies)–यदि चपटी छाती हो तो निम्नलिखित कसरतें करनी चाहिएं—

  1. प्रतिदिन सांस की कसरतों का अभ्यास करना।
  2. डंड पेलना।
  3. चारा काटने वाली मशीन चलाना।
  4. किसी चीज़ से लटक कर डंड निकालना।
  5. भुजाओं और धड़ की कसरतों का अभ्यास आदि करना।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 3 शारीरिक ढांचा और इसकी कुरूपताएं

प्रश्न 10.
शारीरिक ढांचे को अच्छा बनाने के लिए कुछ सेहतमन्द आदतों का वर्णन करो।
उत्तर-
शारीरिक ढांचे को अच्छा बनाने के लिए निम्नलिखित आदतें अपनानी चाहिएं—

  1. भोजन में बच्चों को आवश्यकतानुसार कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन ‘डी’ देना चाहिए।
  2. सप्ताह में एक दो बार बच्चों को नंगे शरीर धूप में बिठाकर मालिश करनी चाहिए।
  3. पढ़ते समय अच्छी रोशनी और अच्छे फर्नीचर का प्रयोग करना चाहिए।
  4. कभी-कभी बच्चों की नज़र टैस्ट करवा लेनी चाहिए।
  5. बच्चों को बैठने, उठने, चलने और पढ़ने के लिए अच्छे ढंग सिखलाने चाहिएं।
  6. पांवों के बल अधिक देर तक खड़ा नहीं होना चाहिए।
  7. प्रतिदिन सांस की कसरत का अभ्यास करना चाहिए।
  8. तंग जूते और तंग कपड़े नहीं पहनने चाहिएं।
  9. प्रतिदिन कसरत करनी चाहिए।
  10. बैठने के लिए अच्छे फर्नीचर का प्रयोग करना चाहिए।

पीछे की ओर कूबड़ को ठीक करने के व्यायाम (Exercises Related to Kyphosis)—
1. चित्त अवस्था अर्थात् पीठ के बल लेट जाएं, घुटनों को ऊपर की ओर उठाएं, ताकि पैरों के तलवे ज़मीन पर स्पर्श कर सकें। फिर दोनों हाथों को कंधों के बराबर खोलें। हथेलियां ऊपर की ओर होनी चाहिए। अपने हाथों को सिर की ओर ले जायें और हथेलियां एक-दूसरे की ओर हों। कुछ देर इस स्थिति में रहें। उसके बाद अपने हाथों को कंधों के बराबर ले आएं। इस क्रिया को आठ या दस बार दोहराएं।

2. छाती के बल लेट जायें। अपने हाथों को अपनी पीठ पर रखें। फिर अपने धड़ को ज़मीन से कुछ ऊपर उठायें। इस क्रिया को करते समय आपकी ठोड़ी अंदर की ओर हो। इस अवस्था में रुक कर इस क्रिया को आठ या दस बार करें।

3. एक छड़ी को लेकर सिर के ऊपर दोनों हाथों को काफी खुला रखते हुए हॉरीजोन्टल पोजीशन में बैठ जायें। उसके बाद छड़ी सहित दोनों, सिर व कंधों को पीछे की ओर करते हुए धीरे से नीचे की ओर ले जायें और फिर ऊपर करें। इस क्रिया को करते हुए सिर या धड़ को सीधा रखें और इस क्रिया को आठ या दस बार करें।

आगे की ओर रीढ़ की अस्थि को ठीक करने के व्यायाम (Exercises Related to Lordosis)—
1. छाती के बल लेट जायें। दोनों हाथ पीठ पर रखें। फिर कूल्हों तथा कंधों की ओर रखें। पेट पर हाथों से ऊपर की ओर जोर डालें। पीठ के नीचे के भाग को ऊपर उठाने का प्रयास करें।

2. घुटनों को आगे की ओर मोड़ें ताकि कूल्हे पीछे मुड़ सकें। इस अवस्था में कमर सीधी रखें। घुटने पैरों की दशा में ही रहने चाहिए। फिर नीचे की ओर जायें जब तक पट (Thies) ठीक समानान्तर न हो जायें। फिर सीधे खड़े हो जायें, तब इस प्रक्रिया को दोहराएं।

3. आगे की ओर लम्बा डग (style) करें। पिछले पैर का घुटना ज़मीन पर लगायें। अगला पैर घुटने के आगे रहना चाहिए। दोनों हाथ अगले वाले घुटनों पर रखें। पिछली टांग के कूल्हे आगे की ओर ले जाकर कूल्हे को सीधा रखें। इस स्थिति में कुछ समय रुकें। यह क्रिया टांग बदलकर भी करें।

4. कर्सी पर पैर चौडे करके बैठ जायें और आगे की ओर झुकें। कंधे दोनों घुटनों के बीच तक ले जायें। हाथों को नीचे से कुर्सी की पीठ के नीचे तक ले जायें। कुछ देर इस स्थिति में रहें।

5. फर्श पर पीठ के बल लेट जायें। अपने कंधों की चौड़ाई के अनुसार अपने दोनों हाथों की हथेलियां फर्श पर रखें और फिर पैलविस को फर्श पर रखते हुए धड़ को ऊपर की ओर ले जायें। कुछ समय तक इस स्थिति में रहें।

6. घुटने फैलाकर बैठ जायें। दोनों पैर आपस में मिले होने चाहिए। उसके बाद आगे की ओर झुककर उंगलियों से पैरों के अंगूठों को पकड़ें। इसी अवस्था में कुछ देर फिर वापस आकर इसी प्रक्रिया को दोहराएं।

रीढ़ की अस्थि के एक ओर झुकाव को ठीक करने के व्यायाम (Exercises Related to Scoliosis)
1. छाती के बल लेट जायें। दायें बाजू को ऊपर करें फिर बायें बाजू को ऊपर करें। उसके बाद दायें बाजू को सिर के ऊपर बायीं ओर ले जायें। बायें हाथ से उसे दबाएं। बायें कूल्हे को थोड़ा-सा ऊपर की ओर ले जायें।

2. पैरों की आपसी दूरी के बराबर खड़े हो जायें। उसके पश्चात् बायीं एड़ी और कूल्हों को ऊपर उठायें। दायें बाजू को चाप के रूप में सिर के ऊपर फिर बायीं ओर ले जायें। बायें हाथ से दायें ओर वाली पसली को दबाएँ।

3. पैरों के बीच कुछ इंच की दूरी रखते हुए सीधे खड़े हो जायें। बायें हाथ की उंगलियों के पोरों को बायें कंधे पर रखें तथा शरीर के ऊपर के भाग को दायीं ओर झुकायें।
शारीरिक ढांचा और इसकी कुरूपताएं यदि रीढ़ की हड्डी का कर्व (Curve) ‘C’ के विपरीत हो। यदि ‘C’ की स्थिति के बीच न हो। यदि वक्र ‘C’ की स्थिति में हो तो दायें हाथ की उंगलियों के पोरों को दायें कंधे पर रखकर शरीर के ऊपरी भाग को दाईं ओर झुकाएं। ‘C’ वक्र की स्थिति के अनुसार इस क्रिया को कुछ समय दोहराएं।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 3 शारीरिक ढांचा और इसकी कुरूपताएं

Physical Education Guide for Class 7 PSEB शारीरिक ढांचा और इसकी कुरूपताएं Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य ने दो टांगों पर खड़े होने का ढांचा कितने समय में अपनाया ?
उत्तर-
लाखों सालों में।

प्रश्न 2.
हड्डियों के आगे-पीछे आवश्यकतानुसार क्या लगा होता है ?
उत्तर-
मांसपेशियां।

प्रश्न 3.
यदि मांसपेशि का परस्पर तालमेल और सन्तुलन ठीक न रहे तो क्या होता है ?
उत्तर-
शरीर झुक जाता है।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 3 शारीरिक ढांचा और इसकी कुरूपताएं

प्रश्न 4.
सीधा शरीर देखने में कैसे लगता है ?
उत्तर-सुन्दर।

प्रश्न 5. शारीरिक ढांचा कितनी आयु तक अच्छा या खराब हो सकता है ?
उत्तर-
20 वर्ष तक।

प्रश्न 6.
शरीर को ठीक रखने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
कसरत।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 3 शारीरिक ढांचा और इसकी कुरूपताएं

प्रश्न 7.
कैसे पांव शरीर के भार को अच्छी प्रकार नहीं सम्भाल सकते ?
उत्तर-
चपटे पांव।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
शारीरिक ढांचे की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
शारीरिक ढांचे की परिभाषा के बारे में सभी विद्वानों की एक राय नहीं है। यदि शरीर का पिंजर देखने में सुन्दर लगे और इसके ऊपर के अंगों का भार निचले अंगों पर ठीक सीधे पड़ता हो तो उसे सन्तुलित अथवा अच्छा पोस्चर कहते हैं। इस तरह के शारीरिक ढांचे की अच्छी या गन्दी स्थिति को उसके काम द्वारा ही बनाया जा सकता है।

PSEB 7th Class Physical Education Solutions Chapter 3 शारीरिक ढांचा और इसकी कुरूपताएं

प्रश्न 2.
छाती की हड्डियों में कौन-कौन सी कुरूपताएं आ जाती हैं ?
उत्तर-

  1. दबी हुई छाती (Depressed Chest)
  2. कबूतर जैसी छाती (Pigeon Type Chest)
  3. चपटी छाती (Flat Chest)

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 12 स्मारक निर्माण कला

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions History Chapter 12 स्मारक निर्माण कला Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 12 स्मारक निर्माण कला

SST Guide for Class 7 PSEB स्मारक निर्माण कला Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
उत्तरी भारत के प्रमुख मन्दिर कौन-से थे?
उत्तर-
800 से 1200 ई० तक उत्तरी भारत में अनेक मन्दिर बने। इनमें से प्रमुख मंदिर थे –
जगन्नाथ पुरी का विष्णु मन्दिर, भुवनेश्वर का लिंगराज मन्दिर, कोणार्क का सूर्य मन्दिर तथा माऊंट आबू का तेजपाल मन्दिर।

प्रश्न 2.
भारतीय-मुस्लिम भवन निर्माण कला की प्रमुख विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
भवन-निर्माण कला भारतीय-मुस्लिम शैली की प्रमुख विशेषताएं नीचे दी गई हैं –

  1. यह शैली तुर्क, अफ़गान तथा भारतीय शैलियों का मिश्रण थी।
  2. इस शैली में अनेक मस्जिदें तथा मकबरे बनवाये गए। नुकीले मेहराब, मीनार तथा गुम्बद इस शैली की मुख्य विशेषताएं हैं।
  3. इन भवनों की दीवारों पर पवित्र कुरान की आयतें लिखी हुई है।
  4. अलाउद्दीन खिलजी के काल में बने अलाई दरवाज़े में लाल पत्थर तथा सफ़ेद संगमरमर का प्रयोग किया गया।
  5. कई इमारतों में स्तम्भों का प्रयोग भी किया गया है।

प्रश्न 3.
दक्षिण भारत के मंदिर कौन-से थे? नाम लिखें।
उत्तर-

  1. चोल शासक राजराजा द्वारा बना राजराजेश्वर मन्दिर।
  2. राजेन्द्र प्रथम चोल द्वारा बना गंगईकोंड चोलपुरम् का मन्दिर।
  3. एलोरा में राष्ट्रकूट शासकों द्वारा बना कैलाश मन्दिर।
  4. तंजौर में स्थित बृहदेश्वर का मन्दिर।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 12 स्मारक निर्माण कला

प्रश्न 4.
दिल्ली सल्तनत काल में बनाए गए स्मारकों की सूची बनाओ।
उत्तर-
दिल्ली के सुल्तानों ने अनेक स्मारक बनवाये। इनमें से मुख्य स्मारकों का वर्णन इस प्रकार है –
1. दास शासकों द्वारा बने स्मारक-कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली में कुवत-उल-इस्लाम नाम की एक मस्जिद बनवाई। इसकी दीवारों पर कुरान की पवित्र आयतें अंकित हैं। उसने अजमेर में ‘अढ़ाई-दिन-का-झोंपड़ा’ नामक मस्जिद का निर्माण करवाया। उसने दिल्ली के समीप महरौली में कुतुबमीनार का निर्माण कार्य आरम्भ किया। परन्तु उसकी मृत्यु हो जाने के कारण यह निर्माण कार्य पूरा न हो सका। बाद में उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने इस काम को पूरा करवाया। 70 मीटर ऊंची इस इमारत की पांच मंज़िलें हैं।

2. अलाउद्दीन खिलजी के काल में बने स्मारक-अलाउद्दीन खिलजी के राज्य-काल में भवन-निर्माण कला का बहुत अधिक विकास हुआ। उसके द्वारा बनवाई गई इमारतों में से ‘अलाई दरवाज़ा’ सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह दरवाजा लाल पत्थर और सफ़ेद संगमरमर का बना हुआ है। अलाउद्दीन खिलजी ने हज़ार स्तम्भों वाला महल, एक हौज़-ए-खास तथा जमायत-खाना नामक मस्जिद भी बनवाई थी।

3. तुग़लक शासकों द्वारा बने स्मारक-(1) गियासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली में तुगलकाबाद नाम का एक नगर बनवाया। (2) मुहम्मद-बिन-तुगलक ने जहांपनाह नाम के एक नये नगर का निर्माण करवाया। (3) फिरोजशाह तुग़लक ने भी कई नये नगर बसाए। इन नगरों में फिरोजाबाद, हिसार फिरोजा तथा जौनपुर प्रमुख हैं। उसने बहुत-सी मस्जिदें, स्कूल और पुल भी बनवाए।

4. लोधी तथा सैय्यद शासकों द्वारा बने भवन-लोधी और सैय्यद सुलतानों ने मुबारक शाह और मुहम्मदशाह के मकबरे बनवाए। सिकन्दर लोधी का मकबरा, बाड़ा, गुम्बद आदि स्मारक लोधी काल में बनवाए गए थे।

प्रश्न 5.
मुग़ल बादशाह शाहजहां को भवन निर्माताओं का शहजादा क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
शाहजहां को भवन बनवाने का बड़ा चाव था। उसके द्वारा बनवाए गए सभी भवन कला और सुन्दरता की दृष्टि से विशेष स्थान रखते हैं। उसने आगरा में जहांगीर महल, रानी जोधाबाई का महल, लाल किले की मोती मस्जिद तथा ताजमहल आदि बनवाए। ताजमहल संसार के सबसे सुन्दर भवनों में से एक है। दिल्ली में यमुना तट पर उसने लाल किला बनवाया। किले में उसने दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, मोती मस्जिद तथा अन्य कई भवन बनवाए। उसने अपने बैठने के लिए हीरे-मोती से जड़ित एक सिंहासन बनवाया जिसे तख्ते-ताऊस कहते हैं। शाहजहां की इन्हीं कृतियों के कारण उसे ‘भवन निर्माण कला का राजकुमार’ कहा जाता है।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 12 स्मारक निर्माण कला

(ख) निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

  1. ………… में बृहदेश्वर मन्दिर स्थित है।
  2. ………… द्वारा कुतुबमीनार का निर्माण किया गया था।
  3. मुग़ल बादशाह अकबर ने ………… को अपनी राजधानी बनाया।
  4. बुलन्द दरवाज़ा ………… में स्थित है।
  5. ताजमहल ………… द्वारा ……….. की याद में बनवाया गया था।
  6. ………… का निर्माण जहांगीर ने करवाया था।

उत्तर-

  1. तंजौर
  2. कुतुबुद्दीन ऐबक-इल्तुतमिश
  3. फतेहपुर सीकरी
  4. फतेहपुर सीकरी
  5. शाहजहाँ, अपनी बेग़म मुमताज़
  6. सिकन्दरा में अकबर के मकबरे।

(ग) निम्नलिखित प्रत्येक कथन के आगे ठीक (✓) अथवा गलत (✗) का चिन्ह लगाएं

  1. भारत में तुर्कों और अफ़गानों द्वारा भवन निर्माण कला की नई विधियों तथा नमूनों (प्रारूप) को तैयार किया गया था।
  2. चन्देल शासकों द्वारा खजुराहो में मन्दिरों का निर्माण करवाया गया था।
  3. अलाउद्दीन खिलजी ने सीरी को अपनी नई राजधानी बनाया था।
  4. मुहम्मद तुग़लक ने तुग़लकाबाद नगर को बसाया था।
  5. चोल शासकों द्वारा बनाए गए मन्दिरों में भवन निर्माण कला के द्रविड़ शैली नमूनों का प्रयोग किया। गया था।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✓)
  3. (✗)
  4. (✗)
  5. (✓)

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 12 स्मारक निर्माण कला

(घ) सही जोड़े बनाएं

नोट-पाठ्य-पुस्तक में दिए इस प्रश्न से सही मिलान नहीं किया जा सकता। इसलिए इस प्रश्न में थोड़ा-बहुत परिवर्तन किया है।

(क) – (ख)

  1. लिंगराज मन्दिर – भुवनेश्वर
  2. वृहदेश्वर मन्दिर – दिल्ली
  3. ढाई-दिन-का-झोंपड़ा – दिल्ली
  4. अदीना मस्जिद – आगरा
  5. हुमायूं का मकबरा – मालदा
  6. मोती मस्जिद – आगरा
  7. लाल किला – तंजौर
  8. ताज़ महल – अजमेर

उत्तर-

  1. लिंगराज मन्दिर – भुवनेश्वर
  2. वृहदेश्वर मन्दिर – तंजौर
  3. ढाई-दिन-का-झोंपड़ा – अजमेर
  4. अदीना मस्जिद – मालदा
  5. हुमायूं का मकबरा – दिल्ली
  6. मोती मस्जिद – आगरा
  7. लाल किला – दिल्ली
  8. ताजमहल – आगरा।

PSEB 7th Class Social Science Guide स्मारक निर्माण कला Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
संसार की सबसे बड़ी मूर्ति कौन-सी है ?
उत्तर-
कर्नाटक में श्रवणबेलगोला में स्थित गोमतेश्वर की मूर्ति संसार की सबसे बड़ी मूर्ति है।

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प्रश्न 2.
800-1200 ई० में उत्तर भारत में बने मन्दिरों की सूची बनाओ।
उत्तर-

  1. जगन्नाथ पुरी का विष्णु मन्दिर
  2. भुवनेश्वर का लिंगराज मन्दिर
  3. कोणार्क का सूर्य मन्दिर तथा माऊंट आबू का तेजपाल मन्दिर आदि।

प्रश्न 3.
तंजौर के बृहदेश्वर मन्दिर की संक्षिप्त जानकारी दीजिए। .
उत्तर-
तंजौर में स्थित बृहदेश्वर का मन्दिर दक्षिण भारत में मन्दिर निर्माण कला का एक शानदार नमूना है। भगवान् शिवजी को समर्पित यह मन्दिर राजराजा प्रथम द्वारा बनवाया गया था। इस मन्दिर के मुख्य द्वार को गोपुरम् कहा जाता है। इसकी ऊँचाई लगभग 94 मीटर है।

प्रश्न 4.
एलोरा के कैलाश मन्दिर पर संक्षिप्त नोट लिखो।
उत्तर-
एलोरा का कैलाश मन्दिर राष्ट्रकूट शासकों की भवन-निर्माण कला का एक सुन्दर नमूना है। यह राष्ट्रकूट राजा कृष्ण प्रथम द्वारा बनवाया गया था। इस मन्दिर का निर्माण चट्टानों को काटकर किया गया है। यह मन्दिर संसार के निर्माण-कला आश्चर्यों में से एक माना जाता है।

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प्रश्न 5.
मुग़ल बादशाह जहांगीर द्वारा बनवाए गए दो भवनों के नाम बताओ।
उत्तर-
मुग़ल बादशाह जहांगीर ने सिकन्दरा में अकबर का और आगरा में इतमाद-उद्-दौला का मकबरा बनवाया।

प्रश्न 6.
भवन निर्माण कला में प्रदेशिक (क्षेत्रीय) राजाओं का क्या योगदान था ?
उत्तर-
क्षेत्रीय राज्यों में बहमनी तथा विजयनगर राज्यों के नाम लिए जा सकते हैं।

  1. बहमनी शासकों ने जामा मस्जिद, चार मीनार, महमूद गवा का मदरसा आदि भवन बनवाए थे। गुलबर्गा में फिरोजशाह का मकबरा, भवन निर्माण कला का बहुत ही सुन्दर नमूना है।
  2. विजयनगर के राजाओं ने हजारा राम और विट्ठल स्वामी मन्दिर बनवाए थे।
  3. बहमनी तथा विजयनगर के शासकों के अतिरिक्त जौनपुर के शर्की शासकों ने भी महत्त्वपूर्ण स्मारक बनवाए। उनके द्वारा बनी अटाला मस्जिद बहुत ही विख्यात है।

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प्रश्न 7.
निम्न पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
(क) अकबर द्वारा बनवाये गये स्मारकों का वर्णन करें।
(ख) दक्षिणी भारत के मन्दिरों के नाम लिखें।
(ग) ताजमहल।
उत्तर-
(क) अकबर द्वारा बनवाई गई इमारतें (भवन)-अकबर को भवन निर्माण कला से बहुत ही प्रेम था। उसने बहुत-से किलें और इमारतें बनवाईं जिनमें लाल पत्थर का प्रयोग किया गया है। अकबर द्वारा बनवाई गई इमारतों में जामा मस्जिद, पंच महल, दीवान-ए-खास और दीवान-ए-आम बहुत ही प्रसिद्ध हैं। अकबर ने गुजरात विजय के समय एक बुलन्द दरवाज़ा बनवाया। उसकी इमारतें ईरानी और हिन्दू भवन निर्माण कला के नमूनों पर बनी हैं।

(ख) दक्षिणी भारत के मन्दिरों के नाम-अभ्यास का प्रश्न 3 पढ़ें।

(ग) ताजमहल-ताजमहल मुग़ल सम्राट शाहजहां द्वारा बनवाई गई सबसे सुन्दर इमारत है। यह आगरा में यमुना नदी के तट पर बनी है। इसे शाहजहां ने अपनी प्रिय बेग़म मुमताज की याद में बनवाया था। ताजमहल का निर्माण करने के लिए लगभग 20,000 कारीगरों ने 22 साल तक काम किया था और इस पर तीन करोड़ रुपये खर्च आये थे।

ताजमहल अनेक भवन-निर्माण कलाओं का सुन्दर मिश्रण है। यह सफ़ेद संगमरमर का बना हुआ है। इसे अन्य देशों से मंगवाए गए लगभग 20 प्रकार के कीमती पत्थरों से सजाया गया है। इसकी सुन्दरता के कारण इसकी गणना संसार के सात आश्चर्यों में की जाती है।

प्रश्न 8.
शाहजहां ने ताजमहल के अतिरिक्त अन्य भी कई भवन बनवाये। उनकी संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
शाहजहां ने ताजमहल के अतिरिक्त निम्नलिखित भवन बनवाए –
1. लाल किला-लाल किला शाहजहां द्वारा 1639 ई० में दिल्ली में, यमुना के किनारे बनवाया गया। यह लाल पत्थर का बना हुआ है। इस किले में रंग महल, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, शाह बुर्ज, ख्वाब-गाह आदि कई सुन्दर इमारतें स्थित हैं। इसे कीमती पत्थरों, हीरों, सोने और चांदी की वस्तुओं से सजाया गया।

2. मोती मस्जिद-मोती मस्जिद शाहजहां द्वारा आगरा के लाल किले में बनवाई गई थी। इसे बनाने में लगभग तीन लाख रुपये का व्यय हुआ था। यह मस्जिद संगमरमर की बनी हुई है।

3. मुस्समन बुर्ज़- यह बुर्ज़ भी संगमरमर का बना हुआ है। यह बहुत ही सुन्दर है। यहां से ताजमहल स्पष्ट दिखाई देता है।

4. शाहजहानाबाद-1639 ई० में शाहजहां ने शाहजहानाबाद नामक नगर की नींव रखी। इस नगर को बनाने के लिए दूर-दूर से कुशल कारीगर तथा मजदूर बुलाये गये थे।

5. जामा मस्जिद-यह भारत की बड़ी मस्जिदों में से एक है। इसे बनाने में लगभग 10 साल का समय लगा था।

6. जहांगीर का मकबरा-शाहजहां ने यह मकबरा शाहदरा (पाकिस्तान) में बनवाया था। इसे संगमरमर से सजाया गया है।

7. शाहजहां का मोर-मुकुट-यह दीवान-ए-खास में रखा हुआ है। इसे तख्ते ताऊस भी कहते हैं। यह संगमरमर का बना हुआ है। इसे बनाने में सात साल लगे थे और इस पर एक करोड़ रुपये खर्च आया था। 1739 ई० में नादिरशाह इसे अपने साथ ईरान ले गया था।
शाहजहां बाग लगवाने में भी बहुत रुचि रखता था। उसने बहुत से बाग लगवाए थे। इनमें से दिल्ली का शालीमार बाग और काश्मीर का वज़ीर बाग बहुत प्रसिद्ध हैं। कुछ बाग ताजमहल और लाल किले में भी लगाए गए थे।

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सही उत्तर चुनिए :

प्रश्न 1.
गौमतेश्वर की विश्व विख्यात मूर्ति श्रवण बेलगोला में स्थित है। बताइए यह किस राज्य में है?
(i) कर्नाटक
(ii) तमिलनाडु
(iii) आंध्र प्रदेश।
उत्तर-
(i) कर्नाटक।

प्रश्न 2.
हजार राम तथा विट्ठल स्वामी मंदिर किन शासकों ने बनवाए?
(i) विजयनगर के शासकों ने
(ii) चोल शासकों ने
(iii) राष्ट्रकूट शासकों ने।
उत्तर-
(i) विजयनगर के शासकों ने।

प्रश्न 3.
चित्र में फतेहपुर सीकरी में स्थित एक प्रसिद्ध भवन दिखाया गया है जिसे अकबर ने बनवाया था? यह किस नाम से प्रसिद्ध है?
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 12 स्मारक निर्माण कला 1
(i) चारमीनार
(ii) जामा मस्जिद
(iii) बुलंद दरबाज़ा।
उत्तर-
(iii) बुलंद दरवाज़ा।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 12 स्मारक निर्माण कला

स्मारक निर्माण कला PSEB 7th Class Social Science Notes

  • 800 ई० से 1200 ई० तक बने स्मारक – 800 ई० से 1200 ई० तक अनेक सुन्दर मन्दिर बने। आबू पर्वत का तेजपाल मन्दिर, खजुराहो का महादेव मन्दिर तथा कोणार्क का सूर्य मन्दिर दर्शनीय हैं। मन्दिरों की दीवारों, छतों, स्तम्भों तथा दरवाज़ों को सुन्दर मूर्तियों से सजाया जाता था।
  • दक्षिण भारत के मन्दिर – 800 से 1200 ई० के बीच दक्षिण भारत के मन्दिरों में सबसे महत्त्वपूर्ण मन्दिर बृहदेश्वर मन्दिर है। इसका निर्माण चोल शासक राज राजा प्रथम ने कराया था। चोल शासक राजेन्द्र प्रथम का गंगईकोण्डचोलपुरम् का मन्दिर भी बहुत प्रसिद्ध है। पल्लव वंश द्वारा बनाए गए मन्दिर अपनी अनूठी सुन्दरता के लिए विख्यात हैं। ये मन्दिर चट्टान को काट कर बनाए गए हैं। इन मन्दिरों में महाबलिपुरम् का मन्दिर बहुत ही प्रसिद्ध है। पल्लव शासकों द्वारा बनवाया गया सबसे बड़ा मन्दिर कैलाशनाथ मन्दिर है।
  • सुल्तानों की भवन-निर्माण कला – तुर्क तथा अफ़गान अपने साथ भवन-निर्माण कला के नए नमूने लेकर आए थे। उनकी भवन निर्माण कला तथा भारतीय भवन-निर्माण कला के मेल से एक नई कला-शैली का आरम्भ हुआ। इस शैली में अनेक मेहराबों, गुम्बदों तथा मीनार वाली इमारतों का निर्माण हुआ। मस्जिदों, महलों, मकबरों तथा अन्य इमारतों में मेहराब, गुम्बद और मीनारों का प्रयोग किया गया।
  • सुल्तानों के भवन – दिल्ली के सुल्तानों में से कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली और अजमेर में मस्जिदें बनवाई। इल्तुतमिश ने कुतुबमीनार को पूरा करवाया। यह मीनार भारत में सबसे ऊंचा मीनार है। अलाउद्दीन खिलजी ने हज़रत निजामुद्दीन औलिया की मजार पर दिल्ली के समीप एक मस्जिद बनाई। उसने कुतुबमीनार के निकट इलाही दरवाज़ा भी बनवाया। तुग़लक वंश के समय में बनी इमारतों में से तुग़लकशाह का मकबरा बड़ी प्रसिद्ध इमारत है।
  • मुगलों के भवन – मुग़ल सम्राटों को भवन बनवाने का बड़ा चाव था। उन्होंने अनेक सुन्दर भवनों का निर्माण करवाया। अकबर के समय के भवनों में आगरे के किले में जहांगीर महल’ तथा फतेहपुर सीकरी की इमारतें विशेष प्रसिद्ध हैं। शाहजहाँ द्वारा बनवाया गया ताजमहल विश्व-भर में अपनी सुन्दरता के लिए जाना जाता है। इसके अतिरिक्त उसने आगरा में मोती मस्जिद तथा दिल्ली में जामा मस्जिद और लाल किले का निर्माण करवाया।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 1 हरित क्रांति

Punjab State Board PSEB 7th Class Agriculture Book Solutions Chapter 1 हरित क्रांति Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Agriculture Chapter 1 हरित क्रांति

PSEB 7th Class Agriculture Guide हरित क्रांति Textbook Questions and Answers

(क) एक-दो शब्दों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
हरित क्रांति किस दशक में आई ?
उत्तर-
1960 के दशक दौरान।

प्रश्न 2.
हरित क्रांति के समय गेहूँ की फसल के कद में क्या परिवर्तन आया ?
उत्तर-
कद बौना हो गया।

प्रश्न 3.
किसानों को उन्नत बीज प्रदान करने के लिए स्थापित की गई संस्थाओं के नाम बताओ।
उत्तर-
पंजाब राज बीज निगम, राष्ट्रीय बीज निगम।।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 1 हरित क्रांति

प्रश्न 4.
हरित क्रांति के दौरान किस प्रकार के उर्वरकों का प्रयोग होने लगा ?
उत्तर-
रासायनिक उर्वरकों का।

प्रश्न 5.
हरित क्रांति के दौरान कौन-कौन सी फसलों की पैदावार में वृद्धि हुई ?
उत्तर-
गेहूँ तथा धान की पैदावार में।

प्रश्न 6.
हरित क्रांति में किस कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने प्रमुख योगदान दिया ?
उत्तर-
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 1 हरित क्रांति

प्रश्न 7.
क्या धान पंजाब की परंपरागत फसल है ?
उत्तर-
जी नहीं।

प्रश्न 8.
हरित क्रांति कौन-कौन सी फसलों तक मुख्य रूप से सीमित रही ?
उत्तर-
गेहूँ, धान।

प्रश्न 9.
हरित क्रांति के प्रभावस्वरूप खेती विविधता घटी है या बढ़ी है ?
उत्तर-
कम हुई है।

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प्रश्न 10.
केंद्रीय अन्न भंडार में कौन-सा राज्य सबसे अधिक योगदान देता है ?
उत्तर-
पंजाब।

(ख) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
हरित क्रांति किन कारणों से संभव हो सकी ?’
उत्तर-
समुचित मंडीकरण, उन्नत किस्मों के बीज, सिंचाई सुविधाएं, रासायनिक उर्वरक, मेहनती किसान तथा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण सुविधाओं में हुई वृद्धि के कारण हरित क्रांति संभव हो सकी।

प्रश्न 2.
हरित क्रांति के दौरान वैज्ञानिकों ने किस तरह के बीज विकसित किए ?
उत्तर-
वैज्ञानिकों ने विश्व स्तरीय शोधकर्ताओं के साथ मिलकर नए उन्नत बीज विकसित किए।

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प्रश्न 3.
हरित क्रांति के समय पंजाब की खेती के लिए सिंचाई सुविधाओं में क्या परिवर्तन आए ?
उत्तर-
हरित क्रांति के समय पंजाब में नहरी एवं ट्यूबवैल सिंचाई की सुविधाओं में वृद्धि हुई।

प्रश्न 4.
सरकार द्वारा अनाज के मंडीकरण के लिए क्या उपाय किए गए ?
उत्तर-
सरकार द्वारा बिक्री केंद्र तथा नियमित मंडियों का प्रबंध किया गया। केंद्रीय तथा राज्य गोदाम निगमों की स्थापना तथा अनाज के कम-से-कम समर्थन मूल्य की व्यवस्था की गई है।

प्रश्न 5.
किसान को कैसे ऋण अदा करने मुश्किल होते हैं ?
उत्तर-
कृषि लागत बढ़ने के कारण, किसान कई बार गैर-सरकारी स्रोतों से महंगे ब्याज पर ऋण को वापिस अदा नहीं कर पाते हैं। इसलिए ऐसे ऋण किसानों को अदा करने मुश्किल लगते हैं।

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प्रश्न 6.
छोटे किसानों द्वारा कम पूंजी से शरू होने वाले व्यवसाय कौन-से हैं ?
उत्तर-
कम पूंजी से शुरू होने वाले व्यवसाय हैं-मशरूम की कृषि, मधुमक्खी पालन, बीज उत्पादन, फलों, सब्जियों की कृषि आदि।

प्रश्न 7.
वर्तमान समय में किसानों को कौन-कौन सी फसलों के लिए खेती अधीन क्षेत्र बढ़ाने की आवश्यकता है ?
उत्तर-
किसानों को गैर-अनाजी फसलों; जैसे-कपास, मक्की, दालें, तेल बीज, फल, सब्जियों आदि के अधीन क्षेत्रफल बढ़ाने की आवश्यकता है।

प्रश्न 8.
पंजाब के अनाज की केंद्रीय भंडार में निरंतर जरूरत क्यों कम हो रही
उत्तर-
अनाज की अधिक पैदावार के कारण केंद्रीय अनाज भंडार में पहले ही बहुत अनाज के भंडार लगे हुए हैं। इसलिए और अनाज की आवश्यकता कम हो रही है।

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प्रश्न 9.
गेहूँ और धान के मंडीकरण के लिए कौन-सी नीतियाँ बनाई गईं ?
उत्तर-
इसके लिए बिक्री केंद्र तथा नियमित मंडियां बनाई गई हैं। केंद्रीय तथा राज्य गोदाम निगम बनाए गए तथा-फसलों के कम-से-कम समर्थन मूल्य की व्यवस्था की गई है। गेहूं तथा धान के मंडीकरण को यकीनी बनाया गया।

प्रश्न 10.
पंजाब में खेती की मानसून पर निर्भरता कैसे कम हुई ?
उत्तर-
हरित क्रांति के समय पंजाब में नहरी तथा ट्यूबवैल सिंचाई की सुविधाओं में वृद्धि हुई जिससे खेती की मानसून पर निर्भरता कम हो गई।

(ग) पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर दें:

प्रश्न 1.
हरित क्रांति से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
देश आज़ाद होने के बाद लगभग 1960 के दशक तक देश में अनाज की कमी रहती थी तथा अनाज को अन्य देशों से आयात करना पड़ता था परंतु 1960 के दशक में गेहूँ तथा धान की पैदावार इतनी बढ़ गई कि अनाज को संभालना मुश्किल हो गया। खेती अनाज उत्पादन में हुई वृद्धि को हरित क्रांति का नाम दिया गया। हरित क्रांति के समय पंजाब देश का अग्रणी राज्य रहा। हरित क्रांति का पंजाब की खुशहाली में बहुत योगदान रहा।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 1 हरित क्रांति

प्रश्न 2.
हरित क्रांति के दौरान हुए नए बीजे की खोज के बारे में बताएं।
उत्तर-
हरित क्रांति के दौरान पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के वैज्ञानिकों ने विश्वस्तरीय शोधकर्ताओं से मिल कर नई प्रकार के उन्नत बीज विकसित किए। इन बीजों में गेहूँ, मक्की, बाजरा, धान आदि मुख्य हैं। इन उन्नत किस्मों के कारण प्रति एकड़ पैदावार में वृद्धि हुई। गेहूँ की नई उन्नत किस्मों का कद बौना तथा उत्पादन बढ़ गया। धान पंजाब की पारंपरिक फसल नहीं थी परंतु इसकी उन्नत किस्में होने के कारण इसकी कृषि अधिक क्षेत्रफल पर होने लगी।

प्रश्न 3.
हरित क्रांति के कारण पंजाब में किस प्रकार के परिवर्तन आए ?
उत्तर-
हरित क्रांति के कारण पंजाब में अनाज उत्पादन एकाएक बढ़ गया जिससे पंजाब में आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक स्तर पर परिवर्तन आए। ये परिवर्तन अच्छे तथा बुरे दोनों प्रकार के थे।

  1. किसानों में आर्थिक पक्ष से खुशहाली आई तथा उनका जीवन स्तर भी ऊंचा हुआ।
  2. अधिक भूमि वाले किसानों को छोटे किसानों से अधिक आर्थिक लाभ हुआ जिस कारण सामाजिक तथा आर्थिक भेद बढ़ गए।
  3. कृषि आधारित उद्योगों में उन्नति हुई तथा कृषि मज़दूरों पर बुरा प्रभाव पड़ा।
  4. पश्चिमी सभ्याचार के अच्छे-बुरे प्रभाव पंजाब में महसूस किए जाने लगे।
  5. कृषि विभिन्नता में कमी आई।
  6. कृषि पैदावार में कमी हुई है तथा लागत बढ़ी है। इससे किसानों की शुद्ध आय में कमी हुई है।

प्रश्न 4.
कृषि आधारित व्यवसाय क्या होते हैं तथा यह किसानों के लिए अपनाने क्यों आवश्यक हैं ?
उत्तर-
आज के समय में कृषि पैदावार की दर में कमी आ गई है तथा कृषि लागत बढ़ गई है जिससे किसानों की शुद्ध आय में कमी आई है। कई बार किसान गैर-सरकारी स्रोतों से ऋण ले लेते हैं जोकि महंगे ब्याज पर होते हैं तथा ऐसे ऋण किसान को अदा करने मुश्किल लगते हैं।

छोटे तथा मध्यम किसान की कम हो रही आय को रोकने के लिए कृषि आधारित व्यवसाय अपनाने चाहिएं। ये व्यवसाय कम पूंजी से शुरू किए जा सकते हैं; जैसे-मशरूम की कृषि, मधुमक्खी पालन, बीज उत्पादन, सब्जियों की काश्त आदि को आसानी से अपनाया जा सकता है परंतु इन व्यवसायों से अच्छी आय हो जाती है।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 1 हरित क्रांति

प्रश्न 5.
पंजाब में सदाबहार क्रांति लाने के लिए क्या कुछ करना चाहिए ? .
उत्तर-
पंजाब ने हरित क्रांति के दौरान देश में अनाज भंडार में भरपूर योगदान डाला। किसानों ने गेहूँ तथा धान के फ़सली चक्र में पड़ कर अनाज उत्पादन तो बहुत बढ़ा दिया परंतु इससे पंजाब की भूमि का स्वास्थ्य खराब होता जा रहा है तथा भूमिगत जल का स्तर भी और नीचे चला गया है। अब समय की मांग है कि गैर-अनाजी फसलों की काश्त की तरफ ध्यान दिया जाए। जैसे कि दालें, तेल बीज, मक्की, कपास, फल, सब्जियां आदि फसलों की कृषि के अधीन क्षेत्रफल बढ़ाना चाहिए। कई अन्य कृषि आधारित व्यवसाय अपनाने की भी आवश्यकता है। इसलिए राज्य को खुशहाल करने के लिए सदाबहार क्रांति लाने की आवश्यकता है। कृषि विभिन्नता लाने की आवश्यकता है। कम पूंजी वाले कृषि आधारित व्यवसाय अपनाने की भी आवश्यकता है।

Agriculture Guide for Class 7 PSEB हरित क्रांति Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
1960 दशक के दौरान कृषि क्षेत्र में अन्न उत्पादन में हुई वृद्धि को क्या नाम दिया गया ?
उत्तर-
हरित क्रांति।

प्रश्न 2.
वर्ष 1965-66 में पंजाब का कृषि उत्पादन कितना था ?
उत्तर-
34 लाख टन।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 1 हरित क्रांति

प्रश्न 3.
वर्ष 1971-72 में पंजाब का कृषि उत्पादन कितना हो गया ?
उत्तर-
119 लाख टन।।

प्रश्न 4.
पंजाब में अनाज उत्पादन बढ़ने का क्या कारण था ?
उत्तर-
गेहूँ, धान के उत्पादन में वृद्धि।

प्रश्न 5.
पंजाब में हरित क्रांति के कोई दो कारण बताओ।
उत्तर-
उपयुक्त मंडीकरण, सुधरी किस्मों के बीज।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 1 हरित क्रांति

प्रश्न 6.
वर्ष 1967-68 में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कितना था ?
उत्तर-
10 लाख टन।

प्रश्न 7.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना की स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
वर्ष 1962 में।

प्रश्न 8.
गैर-अनाजी फसलों का उदाहरण दें।
उत्तर-
कपास, दालें, तेल बीज फसलें आदि।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 1 हरित क्रांति

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हरित क्रांति के दौरान अनाज उत्पादन कितना बढ़ गया ?
उत्तर-
वर्ष 1965-66 में 34 लाख टन से 1971-72 में 119 लाख टन हो गया जो कि पांच वर्षों में तीन गुणा बढ़ गया।

प्रश्न 2.
वर्ष 1967-68 में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कितना था तथा बढ़ कर कितना हो गया ?
उत्तर-
वर्ष 1967-68 में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग 10 लाख टन था जोकि 20वीं शताब्दी के अंत तक 13 गुणा बढ़ गया।

प्रश्न 3.
हरित क्रांति के कारण सामाजिक तथा आर्थिक भेद क्यों बढ़ गया ?
उत्तर-
बड़े किसानों को हरित क्रांति के कारण अधिक लाभ हुआ तथा छोटे तथा मध्यम किसानों को कम लाभ हुआ जिससे सामाजिक तथा आर्थिक भेद बढ़ गया।

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 1 हरित क्रांति

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
हरित क्रांति के संबंध में सिंचाई सुविधाओं तथा उर्वरकों के बारे में बताओ।
उत्तर-
सिंचाई सुविधाएं-हरित क्रांति के दौरान कृषि पैदावार में सिंचाई की एक मुख्य भूमिका रही। इस समय पंजाब में नहरों तथा ट्यूबवैल सिंचाई की सुविधा में वृद्धि हुई। इस तरह कृषि की मानसून पर निर्भरता कम हो गई तथा कृषि के अधीन क्षेत्रफल में वृद्धि हुई।

उर्वरक-सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि के कारण, कृषि के अधीन क्षेत्रफल बढ़ गया तथा अधिक पैदावार वाले बीज विकसित होने के कारण रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग बढ़ गया। जहां 1967-68 में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग 10 लाख टन था वो 20वीं शताब्दी के अन्त तक 13 गुणा हो गया। रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से भूमि में नाइट्रोजन तथा फास्फोरस की कमी को पूरा किया गया। इस प्रकार गेहूँ तथा अन्य फसलों की पैदावार में वृद्धि हुई।

प्रश्न 2.
हरित क्रांति के कारणों की चित्र द्वारा दर्शाएँ ।
उत्तर-
PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 1 हरित क्रांति 1

PSEB 7th Class Agriculture Solutions Chapter 1 हरित क्रांति

हरित क्रांति PSEB 7th Class Agriculture Notes

  • पंजाब की आर्थिक समृद्धि में हरित क्रांति का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
  • हरित क्रांति के समय पंजाब में नहरों द्वारा तथा ट्यूबवैल द्वारा सिंचाई की सुविधा में वृद्धि हुई।
  • 1960 के दशक में कृषि क्षेत्र में अनाज उत्पादन की वृद्धि को हरित क्रांति का नाम दिया गया है।
  • पंजाब में वर्ष 1965-66 में अनाज उत्पादन 34 लाख टन था जो बढ़कर वर्ष 1971-72 में 119 लाख टन हो गया।
  • उत्पादन बढ़ने का मुख्य कारण गेहूं तथा धान के उत्पादन का अधिक होना था।
  • पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के वैज्ञानिकों ने विश्व स्तरीय शोधकर्ताओं के साथ मिल कर कई उन्नत किस्म के बीज विकसित किए हैं।
  • उन्नत बीजों के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादन में वृद्धि हुई है।
  • धान की उन्नत किस्मों के कारण धान की कृषि के अधीन क्षेत्रफल बढ़ा है।
  • कृषि पैदावार में सिंचाई का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
  • वर्ष 1967-68 में रासायनिक खादों का प्रयोग 10 लाख टन था जोकि बढ़ कर बीसवीं शताब्दी के अन्त तक 13 गुणा हो गया था।
  • रासायनिक उर्वरकों (खादों) ने पंजाब की भूमि में नाइट्रोजन तथा फास्फोरस की कमी को पूरा करने में बहुत योगदान दिया।
  • हरित क्रांति में पंजाब के किसानों का तथा वैज्ञानिकों का भरपूर योगदान रहा।
  • फसलों को कीटों तथा खरपतवार से बचाव के लिए रासायनिक विधियों को विकसित किया गया।
  • पंजाब में आवश्यकता से अधिक अनाज पैदा होने के कारण, केन्द्रीय तथा राज्य गोदाम निगम स्थापित किए गए।
  • सरकार द्वारा गेहूँ तथा धान की उपज के मण्डीकरण को यकीनी बनाया गया।
  • पंजाब कृषि विश्वविद्यालय तथा कृषि विभाग द्वारा किसानों को कृषि की विकसित तकनीकों का प्रशिक्षण देने का प्रबंध किया जाता है।
  • पंजाब राज बीज निगम, राष्ट्रीय बीज निगम तथा अन्य बीज संस्थानों की स्थापना की गई ताकि किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध करवाया जा सके।
  • पंजाब में धान तथा गेहूँ की अधिक कृषि के कारण भूमि का स्वास्थ्य तथा भूमि के नीचे पानी का स्तर नीचे जा रहा है।
  • पंजाब में गैर-अनाजी फसलों; जैसे-दालें, तेल बीज, फल, सब्जियां, कपास आदि की कृषि को बढ़ाने के प्रयत्न किए जा रहे हैं।
  • नई तकनीकों, जैसे- बायोटैक्नॉलोजी, नैनोटेक्नॉलोजी, टिशु कल्चर आदि की नई किस्में विकसित करने के लिए प्रयोग किया जा रहा है।
  • कम पूंजी से कृषि आधारित व्यवसाय, जैसे-मशरूम की कृषि, बीज-उत्पादन, ” सब्जियों की खेती आदि को आसानी से शुरू किया जा सकता है।

PSEB 7th Class Home Science Practical बच्चों के बूट

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Practical बच्चों के बूट Notes.

PSEB 7th Class Home Science Practical बच्चों के बूट

बूट बनाना
एक 10 नम्बर की सलाई पर 40 कुंडे डालते हैं। एक कुंडा सीधा तथा एक उल्टा डालकर सारी सलाई बनाते हैं। इसी तरह 3 या 5 सलाइयाँ और बुन लेते हैं। आखिरी सलाई में एक कुंडा बढ़ा लेते हैं। (41)
बुनाई-

  • 3 सीधे, 2 उल्टे,
  • 2 सीधे, 2 उल्टे,
  • से लेकर अन्त तक इसी तरह बुनते हैं।

इस तरह 25 सलाइयां और बुनते हैं।
छिद्रों वाली पंक्ति-1 सीधा, धागा आगे, 1 सीधा जोड़ा, इसी तरह पूरी सलाई बुनते हैं, आखिरी 2 कुंडे सीधे बुनते हैं।
PSEB 7th Class Home Science Practical बच्चों के बूट 1
चित्र 7.II.1. बूट
बुनाई की 3 और सलाइयां चढ़ाते हैं। ऊन तोड़ देते हैं। पैर के ऊपर का भाग बनाने के लिए कुंडों को इस तरह बाँटते हैं- पहले तथा आखिरी 14 कुंडे सलाई से उतार कर बक्सूए या फालतू सलाइयों पर चढ़ा लेते हैं। सीधा किनारा सामने रखकर ऊन को बीच के कुंडों से जोड़ते हैं तथा इन 13 कुंडों पर 28 सलाइयाँ बुनाई की डालते हैं। ऊन तोड़ देते हैं। सीधा किनारा सामने रखते हैं। पहली फालतू सलाई के 14 कुंडे बुनते हैं, फिर पैर के ऊपर के भाग की ओर 14 कुंडे उठाते हैं। पैर के ऊपर वाले भाग में 13 कुंडे बुनते हैं, दूसरी ओर से फिर 14 कुंडे उठाते हैं तथा फिर दूसरी सलाई के 14 कुंडे बुनते हैं । (कुल—69)

PSEB 7th Class Home Science Practical बच्चों के बूट

11 सलाइयाँ सीधी बुनते हैं।
एडी तथा पंजा की गोलार्ड बनाना
पहली सलाई-1 सीधा, 1 जोड़ा, 26 सीधे, 1 जोड़ा, 5 सीधे, 1 जोड़ा, 26 सीधे, 1 जोड़ा, 2 सीधे।
दूसरी सिलाई-1 सीधा, 1 जोड़ा, 26 सीधे, (अगली 12 सलाइयों में हर सलाई पर इस जगह पर 2 कुंडे घटाते जाते हैं) जैसे 25 फिर (23-21) 1 जोड़ा, 5 सीधे, 1 जोड़ा, 23 सीधे (यहाँ भी हर सलाई पर 2-2 कुंडे घटाते जाते हैं। 1 जोड़ा, 1 सीधा।) अन्तिम 2 सलाइयों को 6 बार और बुनते हैं, प्रत्येक बार ऊपर बनाए स्थान पर 2-2 कुंडे घटाते जाते हैं ताकि अन्त में कुल 37 कुंडे रह जाएं। सभी कुंडे बंद कर देते हैं।
दूसरा बूट भी इसी तरह बनाते हैं।

पूरा करना-किसी मेज़ पर एक कंबल तथा उसके ऊपर चादर बिछाकर बूटों को उल्टा करके रखते हैं तथा ऊपर हल्की गर्म प्रैस करते हैं। टाँग और पैर के नीचे वाले भाग की सलाई करते हैं। तखने के पास जो छिद्र बनाए थे उनमें रिबन डाल देते हैं।

PSEB 7th Class Home Science Practical सादा बुनाई

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Practical सादा बुनाई Notes.

PSEB 7th Class Home Science Practical सादा बुनाई

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
घर पर बुनाई करने से क्या लाभ होता है?
उत्तर-
वस्त्र अधिक सुन्दर, मज़बूत व कम कीमत पर बनते हैं।

प्रश्न 2.
फंदों के खिंचाव में किस बात का महत्त्व है?
उत्तर-
फंदों के खिंचाव में सलाई के नम्बर का बहुत महत्त्व है।

प्रश्न 3.
बुनाई में सबसे पहला कार्य क्या होता है ?
उत्तर-
फंदे डालना।

PSEB 7th Class Home Science Practical सादा बुनाई

प्रश्न 4.
बुनाई करते समय ऊन को अधिक कसकर पकड़ने से क्या हानि होती
उत्तर-
बुनाई कस जाती है तथा ऊन की स्वाभाविकता नष्ट हो जाती है।

प्रश्न 5.
फंदे कितने प्रकार से डाले जाते हैं?
उत्तर-
फंदे दो प्रकार से डाले जाते हैं-

  1. एक सलाई द्वारा हाथ की सहायता से तथा
  2. दो सलाई द्वारा।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सादी बुनाई की विधि बताइए।
उत्तर-
पहले सलाई पर आवश्यकतानुसार फंदे डाल लेने चाहिएं। पहली पंक्ति में सव फंदे सीधी बुनाई के बुनने चाहिएं। दूसरी पंक्ति में पहला फंदा सीधा फिर सब उल्टे और आखिरी फंटा फिर सीधा बुनना चाहिए। इसी तरह जितना चौड़ा बुनना हो उतना इन्हीं दो तरह की पंक्ति को बार-बार बुनकर बना सादी बुनाई लेना चाहिए।
PSEB 7th Class Home Science Practical सादा बुनाई 1
चित्र 7.1.1.

PSEB 7th Class Home Science Practical सादा बुनाई

प्रश्न 2.
मोतीदाने या साबूदाने की बुनाई की विधि बताएं।
उत्तर-
आवश्यकतानुसार फंदे सलाई पर डाल लेने के बाद पहली पंक्ति (सलाई) में एक सीधा, एक उल्टा, एक सीधा, एक उल्टा बुनते हुए इसी प्रकार सलाई बुन डालो।

दूसरी पंक्ति में जो फंदा उल्टा हो, उस पर सीधा व सीधे पर उल्टा फंदा बुनना चाहिए। इस प्रकार दूसरी पंक्ति सीधे से शुरू न होकर एक उल्टा दो सीधे के क्रम से बुनी जाएगी। इस बुनाई को धनिए या छोटी गांठ की बुनाई भी कहते हैं।

बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
बुनाई करते समय कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिएं?
उत्तर-
बुनाई करते समय निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिएं

  1. फंदों के खिंचाव में सलाई के नम्बर का बहुत बड़ा हाथ होता है, इसलिए सदैव ठीक नम्बर की सलाइयों का प्रयोग करना चाहिए।
  2. मोटी ऊन के लिए मोटी सलाइयों तथा बारीक ऊन के लिए पतली सलाइयों का प्रयोग करना चाहिए।
  3. हाथ गीले न हों तथा फुर्ती और सफ़ाई के साथ चलाने चाहिएं।
  4. ऊन को इस प्रकार पकड़ना चाहिए कि हर जगह खिंचाव एक-सा रहे। यदि ऊन का खिंचाव अधिक रखा जाएगा तो कपड़े का स्वाभाविक लचीलापन कुछ सीमा तक समाप्त हो जाएगा।
  5. पंक्ति अधूरी छोड़कर बुनाई बन्द नहीं करनी चाहिए।
  6. जोड़ किसी पंक्ति के सिरे पर ही लगाना चाहिए, बीच में नहीं।
  7. वस्त्रों को नाम के अनुसार ही बुनना चाहिए। आस्तीनों व अगले पिछले भाग की लम्बाई मिलाने के लिए पंक्तियाँ ही गिननी चाहिएं।
  8. वस्त्र की सिलाई सावधानीपूर्वक करनी चाहिए।

PSEB 7th Class Home Science Practical सादा बुनाई

प्रश्न 2.
फंदे कितने प्रकार के डाले जा सकते हैं ? विधिपूर्वक लिखो।
उत्तर-
फंदे दो प्रकार से डाले जा सकते हैं

  1. सलाई की सहायता से,
  2. हाथ से।

1. सलाई की सहायता से (दो सलाई के फंदे)-ऊन के सिरे के पास एक लूप (सरफंदा) बनाकर सलाई पर चढ़ा लो। इस सलाई को बाएँ हाथ में पकड़ो। दूसरी सलाई व गोले की तरफ की ऊन दाहिने हाथ में लेकर दाहिनी तरफ की ऊन इस नोंक पर लपेटो और उसको फंदे से बाहर निकालो तो दाहिनी सलाई पर भी एक फंदा बन जाएगा। इस फंदे को बाईं सलाई पर चढ़ा लो। इसी प्रकार जितने फंदे डालने की ज़रूरत हो, डाले जा सकते हैं।
PSEB 7th Class Home Science Practical सादा बुनाई 2
चित्र 7.1.2. दो सलाई की सहायता से फंदे डालना

2. हाथ से (एक सलाई द्वारा फंदे डालना)-जितने फंदे डालने हों उनके काफ़ी ऊन सिरे से लेकर छोड़ देनी चाहिए। बाएँ हाथ के अंगूठे व पहली उंगली के बीच में सिरा नीचे छोड़ कर ऊन पकड़ो, फिर दाहिने हाथ से ऊन बाएँ हाथ की दो उंगलियों पर लपेटकर फिर अंगूठा व पहली उंगली के बीच लगाकर पहले धागे के ऊपर से लेकर पीछे छोड़ दो। इससे धागे की एक अंगूठी-सी बन जाएगी।
PSEB 7th Class Home Science Practical सादा बुनाई 3
चित्र 7.1.3. एक सलाई द्वारा फंदे डालना।
इस धागे की अंगूठी के अन्दर से एक सलाई डालो और पीछे हुए धागे की गोलाई में से निकाल लो। इसके बाद हल्के हाथ से दोनों ओर के धागे को खींचकर सलाई पर फंदा जमा लो। सलाई और ऊन (गोले की ओर का) दाहिने हाथ में पकड़ने चाहिएं। बाएँ हाथ से खाली सिरा पकड़ना चाहिए। इस सिरे को अंगूठे पर लपेटकर फंदा-सा बना लो। इस फंदे के नीचे से सलाई की नोक अन्दर डालो। अब दाहिने हाथ से ऊन सलाई के पीछे से सामने को ले जाओ। इस धागे को बाएँ अंगूठे से अन्दर से बाहर निकालो और बाएँ हाथ से धीरे से खींचकर धागा कस देना चाहिए। इसी प्रकार जितने फंदे डालने हों सलाई पर जमा देने चाहिएं।

PSEB 7th Class Home Science Practical सादा बुनाई

प्रश्न 3.
सीधे और उल्टे फंदे बुनने की विधि बताइएं।
उत्तर-
सीधे फन्दे बुनना (सीधी बुनाई)-सीधी बुनाई के किनारे बहुत ही साफ़ व टिकाऊ बनते हैं। सीधा बुनने के लिए आवश्यकतानुसार फंदे डालो।
PSEB 7th Class Home Science Practical सादा बुनाई 4
चित्र 7.1.4. सीधी बुनाई
पहली पंक्ति-फंदे वाली सलाई बाएँ हाथ में लो। दाहिनी सलाई पहले फंदे में । बाईं ओर से दाहिनी ओर डालो। इसकी नोंक पर ऊन का धागा चढ़ाओ और इसे उस फंदे में से निकाल लो। इस फंदे को दाहिनी ही सलाई पर रहने दो और बाईं सलाई के उस फंदे को जिसमें से इसको निकाला था, सलाई पर से नीचे गिरा लो। इसी प्रकार हर फंदे में से बुनते जाना चाहिए। जब बाईं सलाई से सब फंदे बुनकर दाहिनी सलाई पर आ जाएँ, तब खाली सलाई को दाहिने हाथ में बदलकर उसी प्रकार आगे की पंक्ति बुनी जाएगी, जैसे पहली पंक्ति में बुनी गई थी। पहली पंक्ति के बाद हर पंक्ति में पहला फंदा बिना बुना ही उतार लेने से बुनाई में किनारों पर सलाई आती है।
उल्टे फंदे बुनना (उल्टी बुनाई)-उल्टी बुनाई के लिए भी पहले अपनी आवश्यकतानुसार फंदे डाल लेने चाहिएं।
PSEB 7th Class Home Science Practical सादा बुनाई 5
चित्र 7.1.5. उल्टी बुनाई
पहली पंक्ति-ऊन सामने लाकर दाहिनी सलाई पहले फंदे में दाहिनी ओर से बाईं ओर को डालो। उस पर से ऊन एक बार लपेट कर फंदे में से निकाल लो। इसी प्रकार सब फंदों की बुनाई की जाएगी। पहली हर पंक्ति उल्टी ही बुनी जाए तो वैसा ही नमूना बनेगा जैसा कि हर पंक्ति को सीधी बुनाई से बुनने पर बनना है। सीधे ओर उल्टे फंदे मिलाकर बुनने से बहुत सुन्दर नमूने बन सकते हैं।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 11 मुग़ल साम्राज्य

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions History Chapter 11 मुग़ल साम्राज्य Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 11 मुग़ल साम्राज्य

SST Guide for Class 7 PSEB मुग़ल साम्राज्य Textbook Questions and Answers

(क) निम्न प्रश्नों के उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
दौलत खां लोधी तथा राणा सांगा ने बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमन्त्रण क्यों दिया था ?
उत्तर-
दिल्ली के अंतिम सुल्तान इब्राहिम लोधी ने पंजाब के सूबेदार दौलत खां लोधी के साथ बुरा व्यवहार किया था और उसके पुत्र का अपमान किया था। इस कारण दौलत खां लोधी और मेवाड़ का शासक राणा सांगा मिलकर लोधी राज्य का अन्त करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने काबुल के शासक बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए आमन्त्रित किया।

प्रश्न 2.
बाबर की विजयों के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
बाबर मुग़ल साम्राज्य का प्रथम शासक था। वह दौलत खां लोधी और राणा सांगा के बुलाने पर मध्य एशिया से भारत आया था।
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 11 मुग़ल साम्राज्य 1

बाबर की विजयें :

  1. 1526 ई० में बाबर ने इब्राहिम लोधी को पानीपत की प्रथम लड़ाई में पराजित करके दिल्ली और आगरा पर अधिकार कर लिया।
  2. बाबर द्वारा ऐसा करने पर राणा सांगा बाबर से नाराज़ हो गया। उसने बाबर के विरुद्ध एक विशाल सेना भेजी। बाबर ने राणा सांगा को 1527 ई० में कन्वाहा की लड़ाई में हरा दिया। इस प्रकार बाबर ने उत्तर भारत पर अधिकार कर लिया।
  3. उसने घाघरा की लड़ाई में अफ़गानों को भी बुरी तरह से हराया।
    इन विजयों के कारण बाबर की भारत में स्थिति काफ़ी मज़बूत हो गई।

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प्रश्न 3.
मनसबदारी प्रणाली से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
‘मनसब’ शब्द का अर्थ पद है। मनसबदारी प्रणाली के अनुसार मुग़ल कर्मचारियों का पद, आय और दरबार में स्थान निश्चित किये जाते थे। मनसबदार देश के सिविल और सैनिक विभागों से सम्बन्ध रखते थे।

मुग़ल बादशाह मीर बख्शी की सिफ़ारिश पर मनसबदारों की योग्यता अनुसार नियुक्ति करता था। मनसबदार निचले पद से उच्च पद तक तरक्की पाता था। परन्तु बादशाह ठीक काम न करने वाले मनसबदार का पद कम भी कर सकता था या उसे पद से हटा सकता था।

अकबर के राज्यकाल में मनसबदारों की 33 श्रेणियां थीं। सबसे छोटे मनसबदार के अधीन 10 सिपाही और सबसे बड़े मनसबदार के अधीन 10,000 सिपाही होते थे।

बादशाह मनसबदारों को किसी भी काम पर लगा सकता था। उनको शासन प्रबन्ध के किसी भी विभाग में या दरबार में उपस्थित रहने के लिए कहा जा सकता था।

मनसबदारों को वेतन उनकी श्रेणी के पद के अनुसार दिया जाता था। वेतन में वृद्धि या कटौती भी की जा सकती थी।

प्रश्न 4.
अकबर की विजयों का वर्णन करो।
उत्तर-
अकबर ने राजगद्दी पर बैठने के शीघ्र बाद दिल्ली और आगरा पर पुनः अधिकार करने का निर्णय लिया। बैरम खां के नेतृत्व में मुग़ल सेना ने दिल्ली की ओर कूच किया। 1556 ई० में उनका अफ़गान सेनापति हेमू के साथ – पानीपत के मैदान में मुकाबला हुआ। अकबर इस लड़ाई में जीत गया और हेमू की मौत हो गई। परिणामस्वरूप अकबर ने दिल्ली और आगरा पर पुनः अधिकार कर लिया।

1560 ई० में अकबर ने बैरम खां को हटाकर शासन की बागडोर स्वयं सम्भाल ली। इसके बाद अकबर की मुख्य विजयों का वर्णन इस प्रकार है :–
(क) उत्तरी भारत की विजय-अकबर ने आरम्भ में अफ़गानिस्तान में स्थित काबुल, कन्धार के क्षेत्र तथा पंजाब से दिल्ली तक का मैदानी प्रदेश जीता। ये विजयें उसने बैरम खां के अधीन प्राप्त की थीं। उसने 1560 ई० में शासन प्रबन्ध अपने हाथों में ले लिया और निम्नलिखित विजयें प्राप्त की –
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  1. राजपूताना की विजय-1562 ई० में अकबर ने राजपूताना पर आक्रमण कर दिया। अम्बर के राजा बिहारी मल ने शीघ्र ही अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली तथा अपनी बेटी का विवाह भी अकबर से कर दिया। इसके अतिरिक्त कई अन्य राजपूत शासकों ने भी अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली, जैसे-कालिंजर, मारवाड़, जैसलमेर, बीकानेर आदि।
  2. मेवाड़ का संघर्ष- मेवाड़ का शासक महाराणा प्रताप अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं करना चाहता था। 1569 ई० में अकबर ने मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ पर अधिकार कर लिया। फिर भी महाराणा प्रताप ने उसकी अधीनता स्वीकार नहीं की। वह अन्त तक मुग़लों से संघर्ष करता रहा।
  3. गुजरात पर विजय-1572-73 ई० में अकबर ने गुजरात पर विजय प्राप्त कर ली।
  4. बिहार-बंगाल की विजय-1574-76 ई० में अकबर ने अफ़गानों को पराजित करके बिहार तथा बंगाल पर भी विजय प्राप्त कर ली।
  5. अन्य विजयें-अकबर ने धीरे-धीरे कश्मीर, सिन्ध, उड़ीसा, बलोचिस्तान तथा कन्धार को भी विजय कर लिया।

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(ख) दक्षिणी भारत की विजयें-उत्तरी भारत में अपनी शक्ति संगठित करके अकबर ने दक्षिणी भारत की ओर ध्यान दिया। फिर दक्षिण में उसने निम्नलिखित विजयें प्राप्त की –

  1. बीजापुर तथा गोलकुण्डा की विजय-1591 ई० में अकबर ने बीजापुर तथा गोलकुण्डा पर विजय प्राप्त कर ली।
  2. खानदेश पर विजय-1601 ई० में खानदेश के सुल्तान अली खाँ ने अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली।
  3. अहमद नगर पर अधिकार-1601 ई० में अकबर की सेनाओं ने अहमद नगर की संरक्षिका चाँद बीबी को पराजित कर दिया तथा अहमद नगर पर अधिकार कर लिया।
  4.  बरार पर अधिकार-अकबर ने दक्षिणी भारत के बरार प्रदेश पर भी अधिकार कर लिया।

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प्रश्न 5.
मुग़लों की भूमि लगान प्रणाली से क्या भाव है?
उत्तर-
भूमि का लगान मुग़ल साम्राज्य की आय का मुख्य स्रोत था। अकबर ने लगान मंत्री राजा टोडर मल की सहायता से लगान विभाग में बहुत सुधार किये। इन सुधारों के मुख्य पक्ष निम्नलिखित थे : –
1. भूमि का माप- भूमि का बीघों में माप किया गया।
2. भूमि की दर्जा बन्दी-अकबर ने सारी भूमि को आगे लिखे चार भागों में बांटा :–
(क) पोलज़ भूमि-यह बहुत ही उपजाऊ भूमि थी। इसमें किसी भी समय कोई भी फसल बोई जा सकती थी।
(ख) परौती भूमि-इस भूमि में एक या दो सालों बाद फसल बोई जाती थी।
(ग) छच्छर भूमि-इस भूमि में तीन या चार साल बाद फसल बोई जाती थी।
(घ) बंजर भूमि-इस भूमि में पांच या छः सालों बाद फसल बोई जाती थी।

3. भूमि-कर-पोलज़ और परौती प्रकार की भूमि से सरकार उपज का 1/3 भाग लगान के रूप में लेती थी। छच्छर और बंजर भूमि से उपज का बहुत कम भाग लगान के रूप में लिया जाता था। भूमि कर की मुख्य प्रणालियां निम्नलिखित थीं –

(क) कनकूत प्रणाली-कनकूत प्रणाली के अनुसार सरकार खड़ी फसल का अनुमान लगाकर लगान निश्चित कर देती थी।

(ख) बटाई प्रणाली-इस प्रणाली के अनुसार जब फसल काट ली जाती थी, तो उसे तीन भागों में बांट दिया जाता था। एक भाग सरकार लगान के रूप में ले लेती थी और शेष दो भाग किसानों को मिल जाते थे।

(ग) नसक प्रणाली-इस प्रणाली के अनुसार सारे गांव की फसल का इकट्ठा अनुमान लगाकर लगान निश्चित किया जाता था।
मुग़ल सरकार ने किसानों को अधिक-से-अधिक भूमि को कृषि-योग्य बनाने के लिए कर्जे दिये। सूखा पड़ने पर या उपज नष्ट हो जाने की स्थिति में उनका लगान माफ कर दिया जाता था।

(ख) निम्नलिखित रिक्त स्थान की पूर्ति करो

  1. तुज़क-ए-बाबरी …………………….. की आत्म जीवनी है।
  2. कन्वाहा की लड़ाई बाबर तथा ……………………… के बीच लड़ी गई थी।
  3. अकबर ने हेमू को …. …… में पराजित किया था।
  4. बाबर ने ……………………. लिखा था।
  5. 5. अबुल फ़ज़ल ने ………… …. लिखा था।

उत्तर-

  1. बाबर
  2. राणा सांगा
  3. 1556 ई० में पानीपत के मैदान
  4. बाबरनामा (तुज़क-ए-बाबरी)
  5. अकबरनामा।

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(ग) निम्नलिखित प्रत्येक कथन के आगे ठीक (✓) अथवा गलत (✗) का चिह्न लगाएं

  1. मुग़ल भारत में 1525 ई० में आये।
  2. दौलत खां लोधी तथा राणा सांगा ने बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए निमन्त्रण दिया।
  3. शेरशाह सूरी एक मुग़ल शासक था।
  4. औरंगजेब के शासनकाल में राजपूतों से अच्छा व्यवहार किया गया।
  5. औरंगज़ेब की दक्षिण नीति ने मुग़ल साम्राज्य को मज़बूत किया।
    उत्तर-1. (✓), 2. (✓), 3. (✗), 4. (✗), 5. (✗)

PSEB 7th Class Social Science Guide मुग़ल साम्राज्य Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
पानीपत की पहली लड़ाई कब और किस-किस के बीच हुई ? इसमें किसकी पराजय हुई ?
उत्तर-
पानीपत की पहली लड़ाई 1526 ई० में बाबर तथा इब्राहिम लोधी के बीच हुई। इसमें इब्राहिम लोधी की पराजय हुई।

प्रश्न 2.
बाबर के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक स्थिति का वर्णन करो।
उत्तर-
बाबर के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक दशा बड़ी शोचनीय थी। देश छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था। ये राज्य सदा एक-दूसरे से ही लड़ते-झगड़ते रहते थे। देश में कोई केन्द्रीय सत्ता नहीं थी।

  1. दिल्ली सल्तनत का वैभव समाप्त हो चुका था। इसका विस्तार अब दिल्ली के आस-पास के प्रदेशों तक ही सीमित था।
  2. मेवाड़ में राणा सांगा काफ़ी शक्तिशाली हो रहा था।
  3. पंजाब में दौलत खां लोधी दिल्ली के सुल्तान से बदला लेने की सोच रहा था।
  4. बंगाल तथा बिहार के शासक भी कम शक्तिशाली नहीं थे।
  5. दक्षिण भारत में भी कई राज्य थे। इनमें से विजय नगर राज्य प्रमुख था। बहमनी राज्य कई भागों में बंट चुका था।

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प्रश्न 3.
हुमायूं को कब और किसने भारत से बाहर निकाला ? उसने पुनः अपना राज्य कब प्राप्त किया ?
उत्तर-
हुमायूं को 1540 ई० में शेरशाह सूरी ने भारत से निकाला। परन्तु 1555 ई० में हुमायूं ने शेरशाह सूरी के उत्तराधिकारी सिकन्दर सूरी को हराकर पुनः दिल्ली पर अधिकार कर लिया। 1556 ई० में हुमायूं की मृत्यु हो गई।

प्रश्न 4.
शेरशाह सूरी ( 1540-1545 ई०) कौन था ? उसने भारत का शासन किस प्रकार प्राप्त किया ?
उत्तर-
शेरशाह सूरी बिहार के जागीरदार हुसैन खां का पुत्र था। उसका असली नाम फरीद खां था। परन्तु एक शेर को मार देने पर उसे शेर खां की उपाधि दी गई। वह बिहार में अफ़गान सरदारों का नेता बन गया और जल्दी ही बिहार का शासक बन गया। उसने मुग़ल सम्राट् हुमायूं को चौसा और कन्नौज में हराया। 1540 ई० में उसने दिल्ली पर अधिकार कर लिया। उसने 1540 ई० से 1545 ई० तक शासन किया। 1545 ई० में उसकी मृत्यु हो गई।

प्रश्न 5.
शेरशाह सूरी के शासन-प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर-

  1. शेरशाह सूरी ने अपने राज्य को 66 सरकारों में बांटा हुआ था। सरकारों को आगे परगनों में बांटा गया था। सरकारों के समान परगनों के भी दो प्रमुख अधिकारी होते थे।
  2. शेरशाह सूरी ने वाणिज्य-व्यापार के विकास के लिए हर ढंग अपनाया। उसने रूपा (रुपया) नाम के चांदी के सिक्के चलाए।
  3. शेरशाह सूरी ने देश में बहुत-सी महत्त्वपूर्ण सड़कें बनवाईं। उनमें से शेरशाह सूरी मार्ग (जी० टी० रोड) अति महत्त्वपूर्ण थी। सड़कों के दोनों ओर छायादार वृक्ष लगाए गए। यात्रियों के लिए आराम घर बनाए गये।
  4. वह निर्धनों, विधवाओं, शिक्षण संस्थाओं और विद्वानों को दान देता था।

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प्रश्न 6.
अकबर को राजगद्दी पर कब और किसने बिठाया ?
उत्तर-
अकबर को 1556 ई० में बैरम खां ने राजगद्दी पर बिठाया।

प्रश्न 7.
बैरम खां कौन था ? अकबर ने उसे पद से कब हटाया ?
उत्तर-
बैरम खां अकबर का संरक्षक था। अकबर ने उसे 1560 ई० में पद से हटाया।

प्रश्न 8.
व्याख्या करो कि अकबरनामा तथा आईने-अकबरी इतिहास रचने में किस प्रकार सहायक हैं ?
उत्तर-
अकबरनामा और आइन-ए-अकबरी अबुल फ़ज़ल द्वारा लिखी गई दो प्रसिद्ध रचनाएं हैं। इनसे हमें अकबर के दरबार, विजयों, शासन-प्रबन्ध, सामाजिक-आर्थिक-धार्मिक नीति, कला और भवन निर्माण के क्षेत्रों में हुए विकास के बारे में जानकारी मिलती है।

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प्रश्न 9.
अकबर की राजपूत नीति की मुख्य विशेषताएं बताइए।
उत्तर-
अकबर राजपूतों के साथ मित्रतापूर्ण सम्बन्ध बनाना चाहता था। अतः उसने राजपूत राजकुमारियों से विवाह किये। इन वैवाहिक सम्बन्धों ने उसकी स्थिति को मज़बूत बनाया। उसने अपने शासन में राजपूतों को उच्च पद दिये। कई राजपूत उसके महत्त्वपूर्ण और विश्वस्त अधिकारी थे, जैसे राजा मान सिंह। परन्तु वह उन राजपूतों के विरुद्ध लड़ा भी, जिन्होंने उसका विरोध किया, जैसे मेवाड़ के राणा प्रताप सिंह।

प्रश्न 10.
निम्न पर नोट लिखिए –
(i) हुमायूं
(ii) जहांगीर
(iii) शाहजहां।
उत्तर-
(i) हुमायूं-हुमायूं बाबर का सबसे बड़ा पुत्र था। वह अपने पिता की मृत्यु के बाद 1530 ई० में राजगद्दी पर बैठा। उसे अपने जीवन काल में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उसका सबसे कड़ा संघर्ष अफ़गान नेता शेरशाह सूरी से हुआ। वह 1540 ई० में चौसा तथा कन्नौज के युद्धों में शेरशाह के हाथों पराजित हुआ। फलस्वरूप उसे भारत छोड़ना पड़ा। उसने लगभग 15 साल फ़ारस में व्यतीत किये। 1555 ई० में वह अपनी राजगद्दी पुनः प्राप्त करने में सफल रहा। परन्तु अगले ही वर्ष उसकी मृत्यु हो गई।

(ii) जहांगीर-जहांगीर अकबर का पुत्र था। अकबर की मृत्यु के पश्चात् वह 1605 ई० में राजगद्दी पर बैठा। उसने महाराणा प्रताप के पुत्र राणा अमर सिंह के विरुद्ध एक सैनिक अभियान भेजा। परन्तु बाद में बहुत ही उदार शर्तों पर उसने उसके साथ सन्धि कर ली। इस प्रकार मुग़लों और मेवाड़ के बीच चले आ रहे लम्बे संघर्ष का अन्त हो गया।
उसके शासनकाल की अन्य मुख्य घटनाएं निम्नलिखित हैं –

  1. राजगद्दी पर बैठते ही जहांगीर को अपने पुत्र खुसरो के विद्रोह का सामना करना पड़ा। जहांगीर ने इस विद्रोह का दमन कर दिया।
  2. जहांगीर ने गुरु अर्जुन देव जी को एक झूठे आरोप में मृत्यु दण्ड दिया। उन्हें पांच दिन तक यातना देकर 1606 ई० में शहीद करवा दिया गया।
  3. जहांगीर के शासनकाल की एक अन्य महत्त्वपूर्ण घटना नूरजहां से उसका विवाह था, नूरजहां को उसने ‘नूर महल’ (महल का प्रकाश) की उपाधि दी। .
  4. जहांगीर के दरबार में इंग्लैण्ड के दो राजदूत कैप्टन हॉकिन्स तथा सर टॉमस रो आए। ये दूत भारत में व्यापारिक सुविधाएं प्राप्त करने के उद्देश्य से आये थे।

(iii) शाहजहां-शाहजहां मुग़ल सम्राट जहांगीर का पुत्र था। उसका वास्तविक नाम खुर्रम था। वह 1628 ई० में जहांगीर की मृत्यु के बाद राजगद्दी पर बैठा। उसने लगभग 31 वर्ष तक शासन किया। उसके शासन काल की कुछ मुख्य घटनाएं अग्रलिखित हैं –

  1. शाहजहां के गद्दी पर बैठते ही पहाड़ी प्रदेश के बुन्देलों ने विद्रोह कर दिया। इस विद्रोह को कुचलने के लिए शाहजहां ने एक विशाल सेना भेजी और जुझार सिंह को मुग़लों के साथ सन्धि करने पर विवश कर दिया।
  2. 1628 ई० में शाहजहां ने नौरोज का मेला मनाया। इस अवसर पर मुग़ल सम्राट ने एक विशाल भोज का आयोजन किया।
  3. अपनी पत्नी मुमताज महल से शाहजहां को बहुत प्रेम था। 7 जून, 1631 ई० को उसकी पत्नी की मृत्यु हो गई। शाहजहां को उसकी मृत्यु से भारी दुःख पहुंचा।
    शाहजहां का शासनकाल ताजमहल, मयूर सिंहासन तथा कोहिनूर हीरे के लिए याद किया जाता है।

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प्रश्न 11.
अकबर अथवा मुगलों के केन्द्रीय शासन-प्रबन्ध के बारे में लिखो।
उत्तर-
अकबर अथवा मुग़लों के केन्द्रीय शासन-प्रबन्ध का वर्णन इस प्रकार है :–

  1. राजा-राजा शासन प्रबन्ध का प्रमुख था। उसकी सहायता के लिए अनेक मन्त्री होते थे। उनमें प्रमुख मन्त्री वकील, दीवान-ए-आला, मीर बख्शी, सदर-उस-सदूर, काज़ी-उल-कज़ात और मीर समन थे।
  2. वकील-वह राज्य का प्रधानमन्त्री था। वह बादशाह को देश में होने वाली सभी घटनाओं की जानकारी देता था और बादशाह के आदेशों का पालन कराता था।
  3. दीवान-ए-आला-वह वित्त मन्त्री होता था। वह राज्य के आय-व्यय का हिसाब रखता था। वह कर संग्रह सम्बन्धी नियम भी बनाता था।
  4. मीर-बख्शी-मीर बख्शी मनसबदारों का रिकार्ड रखता था। वह उनको वेतन बांटता था और सैनिक संस्थाओं की देखभाल करता था।
  5. सदर-उस-सदूर-वह धार्मिक विभाग का प्रमुख था। वह पीरों-फकीरों, सन्तों-महात्माओं और. शिक्षणसंस्थाओं का हिसाब रखता था।
  6. काज़ी-उल-कज़ात-वह इस्लामी कानूनों के अनुसार न्याय बारे बादशाह को सलाह देता था।
  7. खान-ए-सामा-वह शाही परिवार और कारखानों की देखभाल करता था।

प्रश्न 12.
अकबर अथवा मुग़लों के प्रान्तीय शासन प्रबन्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
अकबर ने अपने प्रशासन को ठीक ढंग से चलाने के लिए साम्राज्य को 15 प्रान्तों या सूबों में बांटा हुआ था। प्रान्तों के मुख्य अधिकारी निम्नलिखित थे :–

  1. सूबेदार-सूबेदार प्रान्त का सबसे बड़ा अधिकारी था। उसका प्रमुख कार्य प्रान्त में शान्ति स्थापित करना और कानून व्यवस्था बनाये रखना था।
  2. दीवान-वह प्रान्त के वित्त विभाग का प्रमुख था। वह प्रान्त के आय व्यय का हिसाब रखता था।
  3. बख्शी-वह प्रान्त के सैनिक प्रबन्ध की देखभाल करता था। वह घोड़ों को दागने का प्रबन्ध भी करता था।
  4. सदर-वह प्रान्त के सन्तों, महात्माओं और पीरों-फ़कीरों का ब्योरा तैयार करता था।
  5. वाक्या नवीस-वह जासूसी विभाग का प्रमुख था। वह प्रान्त में होने वाली घटनाओं का ब्योरा रखता था।
  6. कोतवाल-वह पुलिस अधिकारी था। उसका मुख्य कार्य शहर में शान्ति स्थापित करना और शहर की पहरेदारी करना था।

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प्रश्न 13.
अकबर अथवा मुग़लों के स्थानीय प्रबन्ध पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
अकबर ने मुग़ल साम्राज्य के स्थानीय प्रबन्ध को सुचारू रूप से चलाने के लिए प्रान्तों को सरकारों या ज़िलों, परगनों और ग्रामों में बांटा हुआ था –
(I) सरकार का प्रबन्ध –
1. फ़ौजदार-फ़ौजदार सरकार या ज़िलों का मुख्य प्रबन्धक था। उसका मुख्य कार्य सरकार या जिले में शान्ति स्थापित करना था। वह बादशाह के आदेशों का पालन भी करवाता था।
2. आमिल-गुजार-उसका मुख्य कार्य कर इकट्ठा करना था।
3. बितिक्ची और खजांची-ये दोनों अधिकारी आमिल गुज़ार की सहायता करते थे।

(II) परगने का प्रबन्ध –
1. शिकदार-उसका मुख्य कार्य परगने में शान्ति स्थापित करना था।
2. आमिल-वह भूमि का लगान इकट्ठा करता था।
3. पोतदार और कानूनगो-ये दोनों अधिकारी आमिल की सहायता करते थे।

(III) ग्रामों का प्रबन्ध-ग्रामों का प्रबन्ध पंचायतों द्वारा किया जाता था। वे ग्रामों का विकास करती थीं और गांव में आम झगड़ों का निपटारा करती थीं। उनकी सहायता के लिए चौधरी, मुकद्दम और पटवारी होते थे।

प्रश्न 14.
शाहजहां तथा जहांगीर के राज्य का वर्णन करो।
उत्तर-
I. शाहजहां ( 1628-1657 ई०)
शाहजहां 1628 ई० में अपने पिता जहांगीर की मृत्यु के बाद राजसिंहासन पर बैठा।
1. उसे बुन्देलखण्ड में और दक्षिण में बहुत से विद्रोहों का सामना करना पड़ा। 1628 ई० में बुन्देलखण्ड के शासक राजा ार सिंह ने शाहजहां के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। परन्तु वह हार गया। उसने 1635 ई० में पुनः विद्रोह कर दिया और मुग़लों के हाथों मारा गया।

2. 1633 ई० में शाहजहां ने दक्षिण पर आक्रमण कर दिया और अहमद नगर को मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया। बीजापुर और गोलकुण्डा के स्वतन्त्र राज्यों ने भी मुग़लों की अधीनता स्वीकार कर ली।

3. शाहजहां ने अपने पुत्र औरंगज़ेब को दक्षिणी भारत का वायसराय नियुक्त किया परन्तु औरंगज़ेब बीजापुर और गोलकुण्डा राज्यों को अपने साम्राज्य में मिलाने में असफल रहा।

4. शाहजहां ने दक्षिण में अपनी स्थिति मज़बूत करने के बाद मध्य एशिया में बलख़ और बदख़शां पर अधिकार करने के लिए अपनी सेना भेजी, परन्तु वह सफल न हो सका।

5. वह ईरानियों से कन्धार छीनने में भी सफल न हो सका।

6. शाहजहां पुर्तगालियों से भी बहुत दुःखी था, क्योंकि उन्होंने हुगली में अपनी बस्ती स्थापित कर ली थी। वे इसका प्रयोग बंगाल की खाड़ी में समुद्री डकैती करने के लिए करते थे। अतः मुग़ल सेना ने उन्हें हुगली से बाहर निकाल दिया था। इसके बाद सेना उत्तर-पूर्व दिशा में बढ़ी और उसने कामरूप के क्षेत्रों पर अपना अधिकार कर लिया।

7. शाहजहां ने आगरा में ताजमहल बनवाया। उसने शाहजहांनाबाद नामक एक नया शहर भी स्थापित किया और उसे अपनी राजधानी बनाया। 1657 ई० में शाहजहां बीमार पड़ गया और उसके पुत्रों में राजगद्दी के लिए संघर्ष आरम्भ हो गया। औरंगज़ेब ने शाहजहां को आगरे के किले में कैद कर लिया और स्वयं बादशाह बन बैठा।

II. जहांगीर (1605-1627 ई०)
जहांगीर अकबर का पुत्र था। वह 1605 ई० में अकबर की मृत्यु के बाद मुग़ल सिंहासन पर बैठा।
1. जहांगीर ने मुग़ल साम्राज्य को शक्तिशाली बनाने के लिए सबसे पहले अपने पुत्र खुसरो के विद्रोह का दमन किया। इसके बाद उसने बंगाल और अवध को अपने अधिकार में लिया।

2. 1614 ई० में उसने मेवाड़ के शासक राणा अमर सिंह को हराया। परन्तु उसने राणा अमर सिंह को इस शर्त पर अपने क्षेत्रों पर राज्य करने का अधिकार दिया कि वह मुग़ल बादशाह के प्रति वफादार रहेगा।

3. 1620 ई० में जहांगीर ने कांगड़ा पर अधिकार कर लिया। .

4. जहांगीर ने दक्षिण भारत में मुग़लों के प्रभाव का विस्तार करने के लिए अहमदनगर के किले को जीत लिया। परन्तु अहमदनगर के सेनापति मलिक अम्बर ने मुग़लों का जबरदस्त विरोध किया। । ।

5. अफ़गानिस्तान में ईरानियों ने कन्धार का प्रदेश जहांगीर से छीन लिया। इससे मुग़ल साम्राज्य को बहुत क्षति पहंची, क्योंकि पश्चिमी एशिया से भारत के व्यापार के लिए कन्धार शहर बहुत महत्त्वपूर्ण था।

6. जहांगीर के शासनकाल में कई यूरोपीय भी भारत आये।

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प्रश्न 15.
नूरजहां पर एक संक्षिप्त नोट लिखो।
उत्तर-
नूरजहां मुग़ल सम्राट जहांगीर की पत्नी थी। जहांगीर ने 1611 ई० में उससे विवाह किया। वह बहुत ही सुन्दर और बुद्धिमती महिला थी। वह बड़ी महत्त्वाकांक्षी थी और राज्य के शासन-प्रबन्ध में बहुत रुचि लेती थी। जहांगीर महत्त्वपूर्ण राज्य कार्यों में उसकी सलाह लेता था। एक बार जहांगीर लम्बे समय के लिए बीमार हो गया, तो राज्य का शासन प्रबन्ध नूरजहां ने ही चलाया था। उसके नाम से शाही आदेश जारी किये गए। यहां तक कि जहांगीर और नूरजहां के नाम के साझे सिक्के भी चलाए गए।

प्रश्न 16.
औरंगजेब ( 1658-1707 ई०) का राज्यकाल संकटों से भरा था। उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
औरंगज़ेब मुग़ल साम्राज्य का अन्तिम प्रसिद्ध शासक था। उसने 1658 ई० से 1707 ई० तक शासन किया। उसके साम्राज्य में लगभग सारा भारत सम्मिलित था। परन्तु उसका राज्यकाल संकटों से भरा हुआ था।

  1. 1669 ई० में मथुरा के जाटों ने औरंगज़ेब के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। उसने विद्रोह को तो कुचल दिया, परन्तु । जाटों ने मुग़लों के विरुद्ध लड़ाई जारी रखी।
  2. नारनौल और मेवाड़ में सतनामी हिन्दू साधुओं का एक सम्प्रदाय रहता था। मुग़ल अत्याचारों ने सतनामियों को मुग़लों के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए विवश कर दिया। परन्तु मुग़लों ने उनके विद्रोह को कुचल दिया।
  3. औरंगजेब की कठोर भूमि-सुधार नीति के कारण बुन्देलों ने बुन्देलखण्ड में विद्रोह कर दिया। औरंगज़ेब ने इस विद्रोह को भी कुचल दिया।
  4. औरंगजेब के विरुद्ध राजपूतों, मराठों और सिखों ने शक्तिशाली विद्रोह किये, जिन्हें कुचलने में बहुत समय लगा।

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प्रश्न 17.
औरंगजेब के शासनकाल तथा बाद में मुग़लों के विरुद्ध सिखों के संघर्ष का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
गुरु तेग बहादुर जी का संघर्ष- श्री गुरु हरि कृष्ण जी के बाद श्री गुरु तेग बहादुर जी सिखों के नवम् गुरु बने। उन्होंने औरंगजेब की हिन्दू-विरोधी नीति का विरोध किया। इस कारण औरंगज़ेब गुरु जी के साथ नाराज़ हो गया। गुरु जी ने औरंगजेब द्वारा गुरुद्वारों के विनाश करने और उनके लिए दसवंध और भेटें एकत्रित करने वाले श्रद्धालुओं को शहरों से बाहर निकालने का विरोध किया। गुरु जी को दिल्ली लाया गया और मुसलमान बन जाने के लिए कहा गया। उन्होंने ऐसा करने से इन्कार कर दिया। इस कारण उन्हें बहुत कष्ट दिये गए और 1675 ई० में उन्हें दिल्ली के चांदनी चौक में शहीद करवा दिया गया।

श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी का संघर्ष- श्री गुरु तेग बहादुर जी के बाद उनके पुत्र गुरु गोबिन्द सिंह जी सिखों के दसवें गुरु बने। उन्होंने भी मुग़ल अत्याचारों के विरुद्ध अपना संघर्ष जारी रखा। 1699 ई० में श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने ‘खालसा’ की स्थापना की। इस कारण सिखों और मुग़लों में युद्ध आरम्भ हो गया। इस भयानक युद्ध में गुरु जी के दो पुत्र साहिबज़ादा अजीत सिंह और साहिबज़ादा जुझार सिंह जी शहीद हो गए। गुरु साहिब के अन्य दो पुत्र साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह जी को अत्याचारियों ने जीवित ही सरहिन्द में दीवार में चिनवा दिया।

औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद सिखों का संघर्ष-1707 ई० में औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारी बहादुर शाह ने सिखों के साथ मित्रतापूर्ण सम्बन्ध स्थापित किये। परन्तु सरहिन्द के फ़ौजदार वज़ीर खां के कहने पर एक पठान ने गुरु जी के पेट में छुरा घोंप दिया, जिस कारण 1708 ई० में गुरु जी ज्योति जोत समा गए। गुरु साहिब के बाद बन्दा बहादुर ने मुग़लों के विरुद्ध संघर्ष जारी रखा।

प्रश्न 18.
औरंगजेब की दक्कन नीति पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
औरंगज़ेब ने अपने जीवन के लगभग 25 साल दक्षिण में व्यतीत किए। वह सुन्नी मुसलमान था। इस कारण वह दक्षिण के बीजापुर और गोलकुण्डा के स्वतन्त्र शिया राज्यों को कुचलना चाहता था। ये राज्य मुग़लों के विरुद्ध मराठों को सहयोग देते थे। वह दक्षिण में मराठों की शक्ति का भी दमन करना चाहता था।

1686 ई० में औरंगज़ेब ने बीजापुर और 1687 ई० में गोलकुण्डा पर अधिकार कर लिया। इस समय तक भले ही शिवा जी की मृत्यु हो चुकी थी, तो भी मराठों ने मुग़लों के विरोध में अपना संघर्ष जारी रखा। औरंगजेब मराठों का दमन करने में असफल रहा। 1707 ई० में उसकी मृत्यु हो गई।

प्रश्न 19.
औरंगज़ेब के उत्तराधिकारियों की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
अथवा
मुग़ल साम्राज्य का पतन किस प्रकार हुआ ?
उत्तर-
औरंगज़ेब के उत्तराधिकारी शासन प्रबन्ध चलाने के लिए अयोग्य और शक्तिहीन थे। परिणामस्वरूप 1739 ई० में ईरान के शासक नादिर शाह ने भारत पर आक्रमण कर दिया। यह आक्रमण मुग़लों के लिए बहुत घातक सिद्ध हुआ। इसके बाद अफ़गानिस्तान के अहमद शाह अब्दाली ने भी भारत पर आक्रमण किया। इन आक्रमणों से मुग़ल साम्राज्य का पतन हो गया।

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प्रश्न 20.
भारत में यूरोपीयों के आगमन के बारे में लिखो।
उत्तर-
जहांगीर के राज्यकाल में बहुत से यूरोपीय व्यापारी भारत में आए। उनमें से विलियम हॉकिन्ज़ और सर टॉमस रो प्रमुख थे। विलियम हॉकिन्ज़ भारत में तीन साल (1608-1611 ई०) तक रहा। 1612 ई० में ब्रिटिश सरकार ने भारत में सूरत में एक फैक्टरी लगाई।

सर टॉमस रो इंग्लैण्ड के राजा का राजदूत था। वह 1615 ई० में जहांगीर के दरबार में आया। वह ब्रिटिश व्यापारियों के लिए भारत से व्यापार करने सम्बन्धी सुविधाएं प्राप्त करने में सफल रहा।

(क) सही जोड़े बनाइए :

  1. सिक्खों के नौवें गुरु – श्री गुरु गोबिंद सिंह जी
  2. खालसा पंथ की स्थापना – बंदा बहादुर
  3. मुग़लों के विरुद्ध संघर्ष – श्री गुरु तेग़ बहादुर जी
  4. आगरा के किले में कैद – शाहजहां

उत्तर-

  1. सिक्खों के नौवें गुरु – श्री गुरु तेग़ बहादुर जी
  2. खालसा पंथ की स्थापना – श्री गुरु गोबिंद सिंह जी
  3. मुग़लों के विरुद्ध संघर्ष – बंदा बहादुर
  4. आगरा के किले में कैद – शाहजहां।

(ख) सही उत्तर चुनिए :

प्रश्न 1.
मुग़ल साम्राज्य के प्रथम शासक ने कनवाहा की लड़ाई में राणा सांगा को हराया था? यह लड़ाई कब हुई थी?
(i) 1527 ई०
(ii) 1529 ई०
(iii) 1556 ई।
उत्तर-
(i) 1527 ई०।

प्रश्न 2.
राजा मानसिंह किस मुग़ल शासक का वफ़ादार अधिकारी था?
(i) बाबर
(ii) हुमायूं
(iii) अकबर।
उत्तर-
(iii) अकबर।

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प्रश्न 3.
चित्र में दिखाए गए मुग़ल शासक को उसके पुत्र ने आगरे के किले में कैद कर दिया था। उसके पुत्र का क्या नाम था?
PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 11 मुग़ल साम्राज्य 5
(i) शाहजहां
(ii) औरंगजेब
(iii) जहांगीर।
उत्तर-
(ii) औरंगज़ेब।

मुग़ल साम्राज्य PSEB 7th Class Social Science Notes

  • मुग़ल साम्राज्य की स्थापना – 1526 ई० में पानीपत की पहली लड़ाई में बाबर ने इब्राहिम लोधी को हराया और भारत में मुग़ल साम्राज्य की नींव रखी।
  • हुमायूं – मुग़ल बादशाह हुमायूं शेरशाह द्वारा पराजित हुआ और उत्तर भारत का राज्य उसके हाथ से निकल गया। परन्तु शेरशाह की मृत्यु के पश्चात् 1555 ई० में हुमायूं ने अपने खोए हुए राज्य पर पुनः अधिकार कर लिया।
  • शेरशाह सूरी – शेरशाह सूरी एक योग्य सेनापति और शासन प्रबन्धक था। उसने प्रजा के कल्याण के लिए कई सड़कें एवं सरायें बनवाईं। उसे अकबर का अग्रगामी भी कहा जाता है।
  • अकबर – अकबर हुमायूं का पुत्र था। हुमायूं की मृत्यु के बाद 1556 ई० में बैरम खां ने उसकी ताजपोशी की। उसने बैरम खां की सहायता से विजय अभियान आरम्भ किया और एक शक्तिशाली मुग़ल साम्राज्य की नींव रखी।
  • जहांगीर – अकबर की मृत्यु के बाद जहांगीर मुग़ल राजगद्दी पर बैठा। परन्तु शासन की वास्तविक बागडोर उसकी पत्नी नूरजहां के हाथ में रही।
  • औरंगजेब – वह मुग़ल वंश का अन्तिम महान् सम्राट् था। उसकी मृत्यु के पश्चात् मुग़ल साम्राज्य का पतन हो गया।
  • ताजमहल – शाहजहां की वास्तुकला के क्षेत्र में अनूठी देन। यह इमारत आज भी विश्व विख्यात है।
  • अबुलफज़ल – अकबरनामा तथा आइन-ए-अकबरी के लेखक का नाम।

PSEB 7th Class Home Science Practical एल्यूमीनियम, स्टील, पीतल और शीशे की सफाई

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Practical एल्यूमीनियम, स्टील, पीतल और शीशे की सफाई Notes.

PSEB 7th Class Home Science Practical एल्यूमीनियम, स्टील, पीतल और शीशे की सफाई

1. एल्यूमीनियम के बर्तनों की सफ़ाई

आवश्यक सामग्री-पानी, साबुन, नींबू का रस, सिरका, स्टील वूल।
सफ़ाई की विधियां-

  1. एल्यूमीनियम के बर्तन सस्ते होते हैं। इनकी सफ़ाई के लिए गर्म पानी व साबुन का प्रयोग किया जाना चाहिए।
  2. बर्तन में यदि धब्बे हों तो धब्बों पर नींबू का रस लगाएँ और फिर साफ़ गर्म पानी से धोकर मुलायम कपड़े से पोंछ लें।
  3. यदि बर्तन का रंग खराब हो जाए तो उबलते पानी में सिरका डालकर उसमें बर्तन डाल दें। बर्तन चमक जायेंगे।
  4. इनमें चमक लाने के लिए स्टील वूल (steel wool) का प्रयोग भी कर सकते हैं।

नोट-

  1. एल्यूमीनियम के बर्तनों को साफ़ करने के लिए किसी भी अम्ल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  2. इनके लिए सोडे का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे धातु काली पड़ जाती है।

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2. स्टेनलेस स्टील के बर्तनों की सफाई

आवश्यक सामग्री-पानी, साबुन, विम जैसा पाउडर, झाड़न सफ़ाई की विधियां-

  1. इन्हें पानी और साबुन के घोल से साफ़ किया जाता है।
  2. इनकी सफ़ाई के लिए बाज़ार में विम जैसे पाउडर उपलब्ध हैं। ये पाउडर इन बर्तनों की सफाई के लिए बहुत अच्छे रहते हैं।
  3. धोने के बाद इन्हें एक सूखे स्वच्छ कपड़े से पोंछकर ही रखना चाहिए।

नोट-

  1. स्टेनलेस स्टील के बर्तनों की सफ़ाई राख आदि से नहीं करनी चाहिए क्योंकि इनमें खरोंचें पड़ जाती हैं।
  2. स्टेनलेस स्टील के बर्तनों को स्वच्छ व मुलायम कपड़े से अच्छी प्रकार रगड़ने से उनमें चमक आ जाती है।

3. पीतल के बर्तनों की सफाई

आवश्यक सामग्री-राख, मिट्टी, इमली, नींबू या आम की खटाई, पानी, साबुन, सिरका, नमक, ब्रासो।
सफ़ाई की विधियां-

  1. घर के रोज उपयोग किए जाने वाले बर्तनों को राख व मिट्टी से माँज कर साफ़ किया जा सकता है।
  2. अधिक गन्दे बर्तनों की सफाई के लिए इमली, नींबू या आम की खटाई का प्रयोग करना उचित रहता है।
  3. पीतल की सजावटी वस्तुओं को साफ़ करने के लिए निम्न विधि अपनाते हैं,
    • वस्तु को गर्म साबुन के घोल में डालें।
    • छोटे ब्रुश या पुराने टूथ ब्रुश से अच्छी प्रकार साफ़ करें जिससे कोनों तथा डिज़ाइन आदि में घुसी गन्दगी भी साफ़ हो जाये।
    • इसे अब साफ़ पानी में धोएँ।
    • सूखे कपड़े से पोंछकर सुखाएँ।
    • बाज़ार मे उपलब्ध ब्रासो (Brasso) नामक पॉलिश लगाकर रगड़ें ताकि यह
      चमक जाये।
  4. पीतल की वस्तुओं पर यदि दाग-धब्बे लगे हों तो पॉलिश करने से पहले सिरका तथा नमक का प्रयोग करें।

PSEB 7th Class Home Science Practical एल्यूमीनियम, स्टील, पीतल और शीशे की सफाई

4. काँच, चीनी मिट्टी और शीशे की वस्तुओं की सफाई

आवश्यक सामग्री-साबुन का घोल, कपड़ा (मुलायम), नमक, सिरका, चाय की पत्ती, अख़बार, ब्रुश, स्प्रिट, चूने का पाउडर।
सफ़ाई की विधियां-

  1. साबुन का घोल लेकर कपड़े से काँच की वस्तु या बर्तन को धीरे-धीरे रगड़ें। ऐसा करने से गन्दगी छूट जायेगी। अब साफ़ गुनगुने पानी में से खंगालकर मुलायम कपड़े से पोंछने पर बर्तन चमक जाते हैं।
  2. यदि बर्तन अधिक चिकना है तो नमक, सिरका, चाय की पत्ती या अख़बार के टुकड़े या स्याही सोखता इनमें से कोई भी एक उस बर्तन में भरकर रगड़ें। ऐसा करने से बर्तन से गन्दगी छूट जायेगी। इसके बाद इस बर्तन को फिर साबुन के घोल या विम के घोल में साफ़ करें। अब इसे साफ़ गुनगुने पानी में खंगालें। इसके बाद साफ़ मुलायम कपड़े से पोंछे।
  3. डिज़ाइनर बर्तनों को साफ़ करने के लिए मुलायम ब्रुश का प्रयोग करें।
  4. खिड़कियों तथा दरवाजों के शीशों की सफ़ाई के लिए कपड़े में स्प्रिट लगाकर रगड़ें। इन्हें चूने का पाउडर तथा अमोनिया के गाढ़े घोल से रगड़कर भी साफ़ किया जा सकता है।

PSEB 7th Class Home Science Practical कृत्रिम कपड़ों की धुलाई

Punjab State Board PSEB 7th Class Home Science Book Solutions Practical कृत्रिम कपड़ों की धुलाई Notes.

PSEB 7th Class Home Science Practical कृत्रिम कपड़ों की धुलाई

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
नाइलॉन की साड़ी कैसे धोते हैं ?
उत्तर-
नाइलॉन की साड़ी को साबुन वाले गुनगुने पानी में हल्के दबाव से धोते हैं। फाल वाला हिस्सा ज़मीन के साथ लगा रहता है, इसलिए ज्यादा गन्दा हो जाता है, उसको साबुन की झाग लगाकर हाथों में रगड़कर साफ़ करते हैं।

प्रश्न 2.
नाइलॉन की साड़ी पर प्रैस कैसे करना चाहिए?
उत्तर-

  1. साड़ी को खोलकर उल्टी तरफ से फाल को हल्की गर्म प्रैस से प्रैस करना चाहिए।
  2. साड़ी के पहले लम्बाई की तरफ से दोहरी और फिर चार तह लगाकर प्रैस करना चाहिए।
  3. साड़ी को दो बार और तह लगाना चाहिए ताकि सोलह तह हो जाए। इसके बाद हैंगर में लटका देना चाहिए या चौड़ाई की तरफ से दोहरी करके रख देना चाहिए।

PSEB 7th Class Home Science Practical कृत्रिम कपड़ों की धुलाई

बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
रेयॉन (करेप) के ब्लाऊज़ किस प्रकार धोए जाते हैं ? विस्तारपूर्वक लिखिए।
उत्तर-
धोने से पहले तैयारी-ब्लाऊज़ को खोलकर देखना चाहिए। अगर कहीं फटा हुआ हो तो मुरम्मत कर लेनी चाहिए। अगर कोई दाग लगा हो तो उसको साफ़ कर लेना चाहिए। अगर कोई बटन लगे हों तो धुलने पर खराब हो सकते हों तो उन्हें उतार लेना चाहिए।

धोने का तरीका–एक चिलमची में गुनगुना पानी डालकर साबुन का घोल तैयार करना चाहिए। उसमें ब्लाऊज़ को डाल देना चाहिए। गले पर अगर मैल लगा हो तो उस हिस्से को बाएं हाथ की हथेली पर रखकर दाएँ हाथ से थोड़ी झाग डालकर धीरे-धीरे मलना चाहिए। जब साफ़ हो जाए तो गुनगुने पानी में दो-तीन बार खंगालना चाहिए। इसमें न नील लगाने की ज़रूरत पड़ती है न माया लगाने की।

निचोड़ना-एक तौलिए में ब्लाऊज़ को रखकर लपेट लेना चाहिए और थोड़ा-सा हाथों से दबाना चाहिए। इस तरह तौलिया पानी सोख लेता है।
सुखाना-खाट पर तौलिया बिछाकर ब्लाऊज़ को हाथ से सीधा करके छाया में फैला देते हैं। 15 मिनट बाद उसका दूसरा हिस्सा सामने कर देते हैं ताकि दोनों तरफ से अच्छी तरह सूख जाए।
प्रैस करना-

  1. एक मेज़ पर कंबल या खेस की तह लगाकर बिछा देते हैं। उसके बाद उस पर एक सफ़ेद चादर भी बिछा देते हैं।
  2. प्रैस को हल्की गर्म करते हैं।
  3. ब्लाऊज़ को उल्टा करके सिलाई वाले हिस्से और दोहरे हिस्से पर प्रैस करते हैं। हुकों पर प्रैस नहीं करते हैं।
  4. बाजू को स्लीव बोर्ड में डालकर प्रैस करते हैं। अगर स्लीव बोर्ड न हो तो अख़बार या तौलिए को रोल करके बाजू में डालकर प्रैस करते हैं।
    PSEB 7th Class Home Science Practical कृत्रिम कपड़ों की धुलाई 1
    चित्र 2.1 ब्लाऊज़ प्रैस करना
  5. ब्लाऊज़ के बारीक हिस्से को सीधी तरफ से प्रैस करते हैं।
  6. बाजुओं को धीरे से अगली तरफ मोड़ देते हैं।
  7. ब्लाऊज़ को तह करने के बाद प्रैस नहीं करते हैं।

PSEB 7th Class Home Science Practical कृत्रिम कपड़ों की धुलाई

प्रश्न 2.
टेरीलीन की कमीज़ किस प्रकार धोई जाती है ? विस्तारपूर्वक लिखिए।
उत्तर-
धोने से पहले की तैयारी-कमीज़ों की जेबें अच्छी तरह देख लेनी चाहिएं। अगर कुछ पैसे, पेन या कागज़ हो तो निकाल लेना चाहिए। अगर कोई दाग लगा हो तो साफ़ कर लेना चाहिए। कहीं कमीज़ फटी हुई हो तो मुरम्मत कर लेनी चाहिए।

धोने का तरीका-साबुन वाले गुनगुने पानी में हाथों से मलकर धोना चाहिए। अगर कालर और कफ साफ़ न हो तो प्लास्टिक के ब्रुश से थोड़ा-सा रगड़ना चाहिए।

खंगालना-कमीज़ को गुनगुने पानी में दो-तीन बार खंगालना चाहिए। निचोड़ना और सुखाना-हाथों से थोड़ा-सा दबाकर पानी निचोड़ लेना चाहिए और हैंगर में लटकाकर तार पर टाँग देना चाहिए। हाथ से कालर और कफ ठीक कर लेना चाहिए।
PSEB 7th Class Home Science Practical कृत्रिम कपड़ों की धुलाई 2
चित्र 2.2 कमीज़ को निचोड़ना और सुखाना
प्रैस करना-

  1. सबसे पहले हल्की गर्म प्रैस से कालर और योक को प्रैस करनी चाहिए।
    PSEB 7th Class Home Science Practical कृत्रिम कपड़ों की धुलाई 3
    चित्र 2.3 कमीज़ पर प्रैस करना
  2. बाजुओं को प्रैस करना चाहिए।
  3. अगला और पिछला भाग प्रैस करके कमीज़ की तह लगा देना चाहिए।

PSEB 7th Class Home Science Practical कृत्रिम कपड़ों की धुलाई

कृत्रिम कपड़ों की धुलाई PSEB 7th Class Home Science Notes

  • सफ़ेद रेयॉन फटने तक सफ़ेद रहती है। इसलिए नील लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ती और न ही इसको माया लगानी पड़ती है।
  • रेयॉन के ब्लाऊज़ को तह करने के बाद प्रैस नहीं करना चाहिए।
  • नाइलॉन, जारजट या वूली की साड़ी को साबुन वाले गुनगुने पानी में हल्के दबाव से धोना चाहिए।
  • नाइलॉन, जारजट या वूली की साड़ी को खोलकर उल्टी तरफ से फाल को हल्की प्रैस से प्रेस करना चाहिए।
  • नाइलॉन, जारजट या वूली की साड़ी को पहले लम्बाई की तरफ से दोहरी और फिर चार तह लगाकर प्रैस करना चाहिए।
  • टेरीलीन की कमीज़ को साबुन वाले गुनगुने पानी में हाथों से मलकर धोना चाहिए।