PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 23 बहू की विदा

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 23 बहू की विदा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 23 बहू की विदा

Hindi Guide for Class 7 PSEB बहू की विदा Textbook Questions and Answers

(क) भाषा-बोध

1. शब्दार्थ:

एकांकी = एक अंक का नाटक
समाधान = हल
सराहनीय = तारीफ के लायक, प्रशंसनीय
अवथा = आयु
द्वार = दरवाज़ा
समृद्धि = खुशहाली, धन वैभव की अधिकता, सम्पन्नता
चिह्न = निशान
विनम्र = विनीत, झुका हुआ
निराशाजन्य = निराशा से पैदा हुआ
करुण = दूसरों के दुःख से दुखी होने का भाव
बदतमीजी = बेअदबी
अपमान = निरादार
तिलमिलाना = अचानक मिले कष्ट से पीड़ित होना
दर्द-मिश्रित = दर्द से मिला
आवेश – जोश, उत्साह
जिद्द = हठ
विनती = प्रार्थना, निवेदन
प्रस्थान = जाना
निर्णय = फैसला
सामर्थ्य = शक्ति, हिम्मत
नाता = रिश्ता
ख़ातिर = स्वागत, सेवा
शान = इज्जत, सम्मान
ठेस = दुःख
चेष्टा = कोशिश
सरासर = बिलकुल
अन्याय = अनुचित, गलत
सुख-सुहाग – पति से मिलने वाला सुख
सौगन्ध = कसम
कामना = इच्छा
पूर्ति = पूरा करना
कीमत = मूल्य
चिन्ता = फिक्र
अखरेगी = बुरा लगेगा
उपक्रम = कोशिश, प्रयत्न
कुशल-क्षेम = खैरियत, हालचाल
मूर्तिवत = मूर्ति के समान
राह देखना = प्रतीक्षा करना
मन्दगति = धीमी चाल
नाक वाले = प्रतिष्ठित, इज्ज़तदार
नेपथ्य = पर्दे के पीछे से
हतप्रभ-सी = निराश होकर, उत्साहहीन होकर, शोभा से रहित होकर
कम्पन = काँपना
शराफ़त = भले मानसी, भद्रता
इन्सानियत = मानवता
अनसुनी = सुने को न सुनना
निःश्वास = साँस
ओट = आड़
यवनिका = पर्दा

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 23 बहू की विदा

2. निम्नलिखित मुहावरों/लोकोक्ति को अपने वाक्यों में प्रयोग करें :

सपना देखना ____________ _________________________
हृदय टूटना _________________ __________________________
झोंपड़ी में रहकर महल से नाता जोड़ना __________________ ____________________
ठेस पहुँचाना ______________ _______________________
धूप में बाल सफ़ेद होना __________________ _________________________
दाँतों तले अंगुली दबाना _________________ _________________________
पानी से पत्थर नहीं पिघलता ___________________ ______________________
नाक भौंह सिकोड़ना ___________ ___________________________
कलेजे में घाव होना ___________________ __________________________
मुँह ताकना __________________ _______________________
धब्बा लगना _________________ __________________________
हँसी होना ________________ ________________________
सपनों का खून होना _______________ _______________________
तराजू में तौलना _____________ __________________________
नाक होना ____________________ ________________________
मुँह से सीधी बात न निकालना _______________ ______________________
हाथ मलना _____________ ___________________________
उत्तर:
सपना देखना (कल्पना करना) – सफलता केवल सपना देखने से नहीं मिलती, मेहनत करनी पड़ती है।
हृदय टूटना (दुःख होना) – पुत्र की अचानक मौत से माँ का हृदय टूट गया।
झोंपड़ी में रहकर महल से नाता जोड़ना (गरीब का अमीर से रिश्ता होना)मज़दूर सुशान्त अपनी बहन की शादी ज़मींदार के बेटे से करने की सोच रहा है जो अगर सच हो गया तो झोपड़ी में रहकर महल से नाता जोड़ने जैसा काम होगा।
ठेस पहुँचाना (दुःख देना) – महमूद ने शराब पीकर अपने माता-पिता को बहुत ठेस पहुँचाई।
धूप में बाल सफ़ेद होना (बूढ़े होने पर भी अनुभव नहीं होना) – बाबा भारती ने खड्ग सिंह की चापलूसी भरी बातें सुन कर उसे कहा कि उन्होंने कोई धूप में बाल सफेद नहीं किए जो वह उन्हें ठग लेगा।
दाँतों तले अंगुली दबाना (हैरान होना) – जादूगर के खेलों को देखकर बच्चों ने दाँतों तले अंगुली दबा ली।
पानी से पत्थर नहीं पिघलता (कठोर व्यक्ति आँसुओं से नहीं बहलते) – ठेकेदार की ज्यादतियों के खिलाफ अपने साथी मज़दूर को ठेकेदार के सामने गिड़गिड़ाते तथा रोते देख कर उसके साथी ने उसे समझाते हुए कहा कि शान्त हो जाओ क्यों कि पानी से पत्थर नहीं पिघलता।
नाक भौंह सिकोड़ना (नखरे करना) – सुशीला के घर की गन्दगी देखकर हरभजन कौर नाक भौंह सिकोड़ने लगी।
कलेजे में घाव होना (बहुत दुःख होना) – अध्यापक जी की कठोर बातें सुनकर सुरेश के कलेजे में घाव हो गया।
मुँह ताकना (लाचारी से देखना) – मेरा मुँह ताकना बन्द करो और अपना काम पूरा करो।
धब्बा लगना (बदनाम होना) – पुत्र के जेल जाने पर उस के खानदान पर उसके अपराधी होने का धब्बा लग गया।
हँसी होना (मज़ाक उड़ना, बदनामी करना) – बारातियों के ठीक से स्वागत-सत्कार नहीं होने पर सब में सेठी खानदान की हँसी हो गई।
सपनों का खून होना (कल्पना पूरी नहीं होना)-जवान पुत्र की मृत्यु ने माँ-बाप के सपनों का खून कर दिया।
तराजू में तौलना (बराबर समझना, सच्ची बात करना) – मुझे तुमसे उलझना नहीं है इसीलिए मैं तो जो कहता हूँ तराजू में तौल कर कहता हूँ।
नाक होना (इज्जत होना) – लाला फकीर चन्द की अपनी बिरादरी में बड़ी नाक
मुँह से सीधी बात न निकलना (इधर-उधर की बातें करना) – श्याम गुरु जी से मेरी शिकायत करने गया था परन्तु उसके मुँह से सीधी बात न निकल सकी।
हाथ मलना (दु:ख होना) – हाथ आया अवसर निकल जाने पर हाथ मलते रह जाना पड़ता है।

3. लिंग बदलो :

माँ = ……………….
पति = ……………..
पुत्र = ………………..
भाई = ……………..
सास = ………………
देवर = ……………….
जेठ = …………….
ननद = …………….
बहन = ……………..
समधि = ……………
बाबू = …………………
मालिक = ………………
उत्तर:
माँ = बाप
जेठ = जेठानी
पति = पत्नी
ननद = ननदोई
पुत्र = पुत्री
बहन = बहनोई
भाई = भावज
समधि = समधन
सास = ससुर
बाबू = बबुआईन
देवर = देवरानी
मालिक = मालकिन

4. भाववाचक संज्ञा बनाओ:

अपना = ………………….
बच्चा = ……………….
पराया = ……………..
भारी = ………………….
मुस्कराना = …………………
घबराना = ………………….
सजाना = …………………
लिखना = ………………
उत्तर:
अपना = अपनापन
मुस्कराना = मुस्कराहट
बच्चा = बचपन
घबराना = घबराहट
पराया = परायापन
सजाना = सजावट
भारी = भारीपन
लिखना = लिखावट

5. विराम चिह्न लगाएं:

प्रश्न 1.
तो वह क्या कर लेता
उत्तर:
तो वह क्या कर लेता ?

प्रश्न 2.
बहू और बेटी बेटी और बहू अजीब उलझनें हैं कुछ समझ में नहीं आता
उत्तर:
बहू और बेटी ! बेटी और बहू ! अजीब उलझनें हैं। कुछ समझ में नहीं आता।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 23 बहू की विदा

प्रश्न 3.
बहुत अच्छा स्वभाव है उसका हर समय हँसती हँसाती रहती है
उत्तर:
बहुत अच्छा स्वभाव है उसका, हर समय हँसती-हँसाती रहती है।

प्रश्न 4.
सच विदा न होने का मुझे ज़रा भी दुःख न होगा
उत्तर:
सच, विदा न होने का मुझे ज़रा भी दुःख न होगा।

प्रश्न 5.
हाँ विदा के लिए क्या कहा उन्होंने
उत्तर:
हाँ, विदा के लिए क्या कहा उन्होंने ?

6. इन वाक्यों को शुद्ध करें:

प्रश्न 1.
मैं आपको केवल पाँच सौ रुपये मात्र ही दे सकता हूँ।
उत्तर:
मैं आप को केवल पाँच सौ रुपये ही दे सकता हूँ।

प्रश्न 2.
उसने अपनी बात सप्रमाण सहित कही।
उत्तर:
उसने अपनी बात सप्रमाण कही।

प्रश्न 3.
हम सब यहाँ सकुशलतापूर्वक हैं।
उत्तर:
हम सब यहाँ सकुशल हैं।

प्रश्न 4.
मकान लगभग कोई सात-आठ हज़ार में बिक जायेगा।
उत्तर:
मकान लगभग सात-आठ हज़ार में बिक जायेगा।

7. प्रयोगात्मक व्याकरण

  1. जीवन लाल खिड़की के समीप खड़े हुए दिखाई दिया।
  2. कमरे के बीच में सोफा सेट है।
  3. हर लड़की पहला सावन अपनी सखी-सहेलियों के साथ हँस-खेलकर बिताने का सपना देखती है।
  4. मेरे सामने मुँह खोलने की हिम्मत किसी में नहीं है।
  5. हम अपनी बेटी के लिए आए हैं।
  6. हमने अपने सामर्थ्य के अनुसार तो दे दिया।
  7. क्या गालियों के अलावा कभी सीधी बात नहीं निकलती मुँह से।
  8. वह प्रमोद के पास जाकर खड़ी हो जाती है।

उपर्युक्त वाक्यों में के समीप, के बीच, के साथ, सामने, के लिए, के अनुसार, के अलावा, के पास शब्द संज्ञा तथा सर्वनाम शब्दों के साथ आकर उनका सम्बन्ध वाक्य में दूसरे शब्दों के साथ बता रहे हैं। अतः सम्बन्ध बोधक हैं। अतएव जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ जुड़कर उनका सम्बन्ध वाक्य के दूसरे शब्दों से बताते हैं, उन्हें सम्बन्ध बोधक कहते हैं। यदि इन सम्बन्ध बोधक अविकारी शब्दों को वाक्य में से निकाल दिया जाए तो वाक्य का कोई अर्थ नहीं रह जाता।

अन्य सम्बन्ध बोधक शब्द-पहले, बाद, आगे, पीछे, बाहर, भीतर, ऊपर, नीचे, अनुसार, तरह, बिना, समान, निकट, बगैर, रहित, सिवाय, अतिरिक्त, तक, भर, संग। सम्बन्धबोधक का प्रयोग दो प्रकार से होता है :

1. विभक्तियों के साथ
2. विभक्तियों के बिना

(1) विभक्तियों के साथ सम्बन्धबोधक का प्रयोग
* वह माँ के साथ बाजार गया है।
** वह प्रमोद के पास जाकर खड़ी हो गयी।

(2) विभक्तियों के बिना सम्बन्धबोधक का प्रयोग
* मैं बिना विदा कराए ही जा रहा हूँ।
* * ज्ञान बिना जीवन बेकार है।
*** हमने जीवन भर की कमाई दे दी।

8. उपयुक्त योजक भर कर वाक्य पूरे करें:

1. जीवन लाल सोफे पर बैठकर जम्हाई लेते हैं ………….. प्रमोद की बातों से ऊब रहे हों (मानो, अतः)
2. …………. माँ-बहन का इतना ही ख्याल था ………. दहेज पूरा क्यों नहीं दिया (चाहे.. फिर भी, अगर ..तो) .
3. उन्होंने इतना दहेज दिया ………….. देखने वालों के दाँतों तले उँगली दबा ली (कि, और)
4. ………….. बेटी वाले अपना घर-द्वार बेचकर दे दें ………….. बेटे वालों की नाक-भौंह सिकुड़ी ही रहती है (यद्यपि.. तथापि, चाहे… फिर भी)
5. मुझे तो ऐसा लगता है ………….. सब एक ही धातु के बने हैं (या, कि)
6. मेरे लिए ………….. रमेश ………….. ही तुम (जैसा, वैसे, यदि… तो)
7. ………….. मैं उतावली होकर गौरी की राह देख रही हूँ ………….. तुम्हारी माँ भी कमला की राह देख रही होगी (जिस तरह…. उसी तरह, यदि …. नहीं तो)
उत्तर:
1.जीवन लाल सोफे पर बैठकर जम्हाई लेते हैं मानो प्रमोद की बातों से ऊब रहे हों।
2. अगर माँ-बहन का इतना ही ख्याल था तो दहेज पूरा क्यों नहीं दिया।
3. उन्होंने इतना दहेज दिया कि देखने वालों ने दाँतों तले उँगली दबा ली।
4. चाहे बेटी वाले अपना घर-द्वार बेचकर दे दें फिर भी बेटे वालों की नाकभौंह सिकुड़ी ही रहती है।
5. मुझे तो ऐसा लगता है कि सब एक ही धातु के बने हैं।
6. मेरे लिए जैसा रमेश वैसे ही तुम।
7. जिस तरह मैं उतावली होकर गौरी की राह देख रही हूँ उसी तरह तुम्हारी माँ भी कमला की राह देख रही होगी।

(ख) विचार-बोध

(क) इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें:

प्रश्न 1.
जीवन लाल अपनी बहू कमला की विदाई क्यों नहीं कर रहे थे ?
उत्तर:
जीवन लाल अपनी बहू कमला की विदाई इसलिए नहीं कर रहे थे क्योंकि उन्हें दहेज कम मिला था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 23 बहू की विदा

प्रश्न 2.
प्रमोद को जीवन लाल ने किस बात पर बदतमीज और आवारा छोकरा कहा ?
उत्तर:
जब प्रमोद ने जीवन लाल को यह कहा कि वे बिना पैसे लिए कमला को विदा न करके अन्याय कर रहे हैं तथा उसे विदा न करके कोई बदला ले रहे हैं तथा यदि रमेश बाबू होते’ इस पर जीवन लाल ने उसे बदतमीज़ और आवारा छोकरा कहा था।

प्रश्न 3.
प्रमोद अपनी बहन कमला को लेने क्यों आया ?
उत्तर:
प्रमोद अपनी बहन कमला को उस के विवाह के बाद के पहले सावन पर ससुराल से विदा करा के मायके ले जाने आया है।

प्रश्न 4.
जीवन लाल कितने रुपये लेकर बहू को विदा करने को तैयार थे ?
उत्तर:
जीवन लाल पाँच हजार रुपए लेकर विदा करने को तैयार हैं।

प्रश्न 5.
जीवन लाल की बेटी क्यों नहीं आई ?
उत्तर:
जीवन लाल की बेटी इसलिए नहीं आई क्योंकि उसने अपनी बेटी के विवाह पर दहेज पूरा नहीं दिया था।

प्रश्न 6.
इस एकांकी में किस प्रमुख सामाजिक समस्या को उठाया गया है?
उत्तर:
इस एकांकी में दहेज की समस्या को प्रमुख रूप से उठाया गया है।

प्रश्न 7.
दहेज की समस्या का समाधान लेखक ने राजेश्वरी के शब्दों में प्रस्तुत किया है। उस वाक्य को ढूंढकर लिखें।
उत्तर:
जो व्यवहार अपनी बेटी के लिए तुम दूसरों से चाहते हो, वही दूसरों की बेटी को भी दो। जब तक बहू और बेटी को एक-सा नहीं समझोगे न तुम्हें सुख मिलेगा और न शान्ति।

प्रश्न 8.
इन मोतियों का मूल्य समझने वाला यहाँ कोई नहीं है। इस वाक्य को स्पष्ट करें।
उत्तर:
इस वाक्य से तात्पर्य यह है कि कमला की ससुराल में उस के आँसुओं अथवा रोने से किसी को कोई अन्तर नहीं पड़ता। उस के दुःख कोई नहीं समझ सकता।

(ख) इन प्रश्नों के उत्तर चार या पांच वाक्यों में लिखें:

प्रश्न 1.
‘आज के युग में पैसा ही नाक और मूंछ है।’ इस वाक्य से जीवन लाल के चरित्र पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
इस कथन से यह ज्ञात होता है कि जीवन लाल पैसे को बहुत महत्त्व देता है। उसके लिए पैसे से ही मनुष्य का सम्मान होता है और वह समाज में आदर-मान पाता है। दहेज में पाँच हजार रुपए कम मिलने के कारण ही वह अपनी बहू को विदा नहीं कराने दे रहा तथा बहू के भाई को बुरा-भला भी कहता है। उसे अपने अमीर होने का बहुत घमण्ड भी है। उसके लिए पैसा ही सब कुछ है।

प्रश्न 2.
प्रमोद और कमला में हुई बातचीत को अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
कमला जब प्रमोद से मिलती है तो सिसकने लगती है। प्रमोद उसे शान्त करता है और पाँच हजार रुपए उसके ससुर को देकर उसे विदा करा ले जाने की बात कहता है। इन रुपयों का प्रबन्ध वह अपना मकान बेच कर करेगा। कमला उसे घर नहीं बेचने की कसम देती है। वह अपने स्वार्थ के लिए घर नहीं बिकवाना चाहती। वह अपनी ननद के साथ सावन मना लेगी तथा उसे सहेलियों की कमी भी महसूस नहीं होगी। वह धीरे-धीरे सब कुछ ठीक हो जाने के लिए भी प्रमोद को कहती है।

प्रश्न 3.
‘जो व्यवहार अपनी बेटी के लिए तुम दूसरों से चाहते हो वहीं दूसरे की बेटी को भी दो।’ राजेश्वरी के इस कथन से माँ की ममता किस प्रकार झलकती है ?
उत्तर:
इस कथन से स्पष्ट है कि राजेश्वरी बहू और बेटी को एक समान समझती है। उसके मन में दोनों के प्रति बहुत ममता है। इसलिए बहू की विदाई न होने पर उसके भाई प्रमोद को अपने पास से पाँच हज़ार रुपए देकर अपने पति को देने के लिए कहती है जिससे वह अपनी बहन को विदा करा के ले जा सके।

प्रश्न 4.
‘मेरी चोट का इलाज बेटी के ससुराल वालों ने दूसरी चोट से कर दिया है। इस कथन का क्या आशय है ?
उत्तर:
इस कथन का यह आशय है कि जब गौरी को उसके ससुराल वालों ने उचित दहेज नहीं देने के कारण उसके भाई रमेश के साथ विदा नहीं किया तो जीवन लाल को लगा कि उसने जैसा व्यवहार अपनी बहू के भाई प्रमोद से किया था वैसा ही उसकी बेटी-बेटे के साथ हुआ तो उसे लगा कि उसने जो बुरा व्यवहार प्रमोद से किया उसका उसे तुरन्त बदला मिल गया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 23 बहू की विदा

रचना-बोध :

प्रश्न 1.
‘दहेज की समस्या स्त्रियों के लिए अभिशाप है और समाज के लिए कलंक’ विषय पर निबन्ध लिखने के लिए कहें।
उत्तर:
दहेज की शुरुआत विवाह के अवसर पर कन्या पक्ष की ओर से उसे तथा उसके ससुराल वालों को दिए जाने वाले स्नेह-उपहारों से हुई थी। आज इसने विकराल रूप धारण कर लिया है। वर-पक्ष वाले मुँह फाड़ कर दहेज माँगते हैं तथा माँग पूरी नहीं होने पर बहू को जलाने, मारने, पीटने आदि के घिनौने कार्य करते हैं। नारी ही नारी की शत्रु बन कर सास, ननद के रूप में अपनी बहू-भाभी को सताती है। पैसे की भूख मनुष्य को राक्षस बनाकर अपनी बेटी समान बहू को सताने-जलाने से भी शर्म नहीं करता। इससे स्त्रियां तो अभिशप्त हैं ही समाज भी दहेज के कलंक से मुक्त नहीं हो सकता। कन्या के शील, सौन्दर्य से अधिक उस के विवाह पर मिलने वाला दहेज प्रमुख हो गया है। इसके लिए युवा वर्ग को आगे आ कर इस कुप्रथा का विरोध करना चाहिए तथा स्त्रियों को स्वावलम्बी बन कर आर्थिक दृष्टि से अपने पैरों पर खड़े हो कर पुरुषों की बराबरी करनी चाहिए, तभी वे दहेज के अभिशाप से मुक्त हो कर समाज को भी इस बुराई से बचा सकती है।

प्रश्न 2.
इस एकांकी का स्कूल के वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह पर अभिनय करें।
उत्तर:
विद्यार्थी अपने शिक्षक शिक्षिका के सहयोग से करें।

PSEB 7th Class Hindi Guide बहू की विदा Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
‘बहु की विदा’ किस प्रकार की विधा है ?
(क) कहानी
(ख) नाटक
(ग) एकांकी
(घ) रेखाचित्र
उत्तर:
(ग) एकांकी

प्रश्न 2.
‘बहू की विदा’ एकांकी के रचनाकार कौन हैं ?
(क) प्रमोद रस्तोगी
(ख) विनोद रस्तोगी
(ग) अनिल कुमार
(घ) प्रेमचंद
उत्तर:
(ख) विनोद रस्तोगी

प्रश्न 3.
जीवन लाल की आयु कितनी थी ?
(क) चालीस वर्ष
(ख) तीस वर्ष
(ग) पचास वर्ष
(घ) साठ वर्ष
उत्तर:
(ग) पचास वर्ष

प्रश्न 4.
जीवन लाल की बहू का क्या नाम था ?
(क) कमला
(ख) सावन
(ग) प्रमोद
(घ) राधिका
उत्तर:
(क) कमला

प्रश्न 5.
कमला के भाई का क्या नाम था ?
(क) विनोद
(ख) प्रमोद
(ग) सुभाष
(घ) वैभव
उत्तर:
(ख) प्रमोद

2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित विकल्पों से कीजिए

प्रश्न 1.
कमला की ननद का नाम …………. था।
(क) गीता
(ख) सीता
(ग) रजनी
(घ) गौरी
उत्तर:
(घ) गौरी

प्रश्न 2.
कमला ने अपनी सास ………….. की प्रशंसा की।
(क) राजेश्वरी
(ख) महेश्वरी
(ग) भारती
(घ) आरती
उत्तर:
(क) राजेश्वरी

प्रश्न 3.
जीवनलाल ने कहा ……….. आ गई है।
(क) गीता
(ख) राजेश्वरी
(ग) गौरी
(घ) भारती
उत्तर:
(ग) गौरी

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 23 बहू की विदा

प्रश्न 4.
गौरी के भाई का नाम
(क) सोहन
(ख) मोहन
(ग) महेश
(घ) रमेश
उत्तर:
(घ) रमेश

प्रश्न 5.
प्रमोद कमला की विदाई के लिए अपना ………. तक बेचने को तैयार था।
(क) घर
(ख) कार
(ग) जीप
(घ) साइकिल
उत्तर:
(क) घर

3. दिए गए शब्द का सही अर्थ से मिलान कीजिए

प्रश्न 1.
प्रथा:
प्रेरणा
परम्परा
परिवार
उत्तर:
परम्परा

प्रश्न 2.
शेष:
बची हुई
आगे की
शेषनाग
उत्तर:
बची हुई

प्रश्न 3.
अखरेगी:
अकड़ अच्छा
लगना
बुरा लगना
उत्तर:
बुरा लगना

प्रश्न 4.
यवनिका:
यवन
यौवन
पर्दा
उत्तर:
पर्दा

बहू की विदा Summary

बहू की विदा पाठ का सार

‘बहू की विदा’ विनोद रस्तोगी द्वारा रचित एक एकांकी है जो दहेज-प्रथा पर आधारित है। जीवन लाल पचास वर्षीय धनी व्यापारी था। उनकी बहू कमला का भाई प्रमोद पहले सावन के अवसर पर अपनी बहन को विदा कराने आया था परन्तु जीवन लाल उसे तब तक विदा करने के लिए तैयार नहीं था जब तक उन्हें दहेज की शेष राशि पाँच हजार रुपए नकद न मिल जाते। प्रमोद ने उस समय बहन की विदाई के लिए प्रार्थना की तथा गौने में उनकी सभी माँगें पूरी करने की बात कही परन्तु वे नहीं माने और अपनी बेटी गौरी के धूमधाम से किए विवाह की बात कहते हुए उसे स्पष्ट कह दिया कि अभी विदा नहीं हो सकती। प्रमोद ने उनसे बहन से मिलने की आज्ञा मांगी तो उसने और पत्नी से प्रमोद की बहन को उस से मिलने के लिए भेजने के लिए कहा स्वयं वहाँ से चला गया।

कमला अपने भाई प्रमोद से मिलकर सिसकने लगी। प्रमोद ने उसे समझाया और कहा कि वह उसके ससुर को पाँच हज़ार रुपए देकर उसे विदा करा के ले जाएगा। इस कार्य के लिए वह अपना घर तक बेचने के लिए तैयार था। कमला ने उसे इस के लिए मना किया है और कहा है कि उस की ननद गौरी आ रही है, इसलिए उस का ससुराल में ही मन लग जाएगा और वह यहीं सावन मना लेगी। उसे अपनी सखियों की कमी भी नहीं खलेगी। कमला ने अपनी सास राजेश्वरी की प्रशंसा और कहा कि वह उसके ससुर के समान नहीं थी। वे बहुत अच्छी थी। तभी राजेश्वरी वहाँ आई और अपने पास से प्रमोद को रुपए देकर कमला के ससुर को देने के लिए कहा, जिससे वह अपनी बहन को विदा करा के ले जा सके।

प्रमोद इसके लिए तैयार हुआ। तभी जीवन लाल ने आ कर गौरी के आगमन पर उसके स्वागत की तैयारी करने के लिए कहा। बाहर से कार के हार्न की आवाज़ सुनकर जीवनलाल ने कहा कि गौरी आ गई है, उसके लिए मिठाई का थाल लाओ। गौरी का भाई रमेश आया और बताया कि गौरी को उसके ससुराल वालों ने विदा नहीं किया क्योंकि उन्होंने दहेज पूरा नहीं दिया था। इस पर राजेश्वरी ने उसे बुरा-भला कहा और कहा कि बहू-बेटी में अन्तर करने का यही नतीजा होता है। प्रमोद जाने लगा तो जीवनलाल ने उसे बहन को विदा कराने के ले जाने की आज्ञा दे दी तथा पत्नी को बहू को विदा करने की तैयारियाँ करने के लिए कहा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 22 हार की जीत

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 22 हार की जीत Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 22 हार की जीत

Hindi Guide for Class 7 PSEB हार की जीत Textbook Questions and Answers

(क) भाषा-बोध

1. शब्दार्थ:

आनन्द = प्रसन्नता, सुख
बलवान् = ताकतवर
खरहरा करना = खाज आदि करने के लिए हाथ या ब्रश फेरना
कठिन = मुश्किल
कीर्ति = बड़ाई, यश
अधीर = बेचैन
भगवद् भजन = ईश्वर की भक्ति
अर्पण = भेंट
वेदना = पीड़ा
असह्य = सह न सकने वाली
विचित्र = अनोखा
प्रशंसा = तारीफ
छवि = शोभा
अंकित = चिह्नित
अस्तबल = घोड़ों को बाँधने का स्थान
सहस्रों = हज़ारों
बाँका = सुन्दर
अधीरता = बेचैनी
वायु वेग = वायु की रफ्तार
अधिकार = हक
बाहुबल = भुजाओं की शक्ति
प्रतिक्षण = हर समय
स्वप्न = सपना
न्याई = तरह
मिथ्या = झूठ
करुणा = दया
कष्ट = तकलीफ
स्वयं = आप
सहसा = अचानक
विस्मय = हैरानी
निराशा = न उम्मीद
अस्वीकार = नामंजूर
दास = नौकर
घटना = वारदात
प्रकट = सामने
प्रयोजन = उद्देश्य
सिद्ध = पूरा
पश्चात्ताप = पछतावा
अपाहिज = अंगहीन
तन कर = अकड़ कर
विषय में = बारे में
भाव = विचार
सावधानी = चतुराई, होशियारी
नेकी = सज्जनता, भलाई
सहायता = मदद
अभिलाषा = इच्छा

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 22 हार की जीत

2. इन मुहावरों का इस प्रकार प्रयोग करें कि उनके अर्थ स्पष्ट हो जायें:

लटू होना _______________ ______________________________
अधीर हो उठना ______________ ___________________________
पीठ पर हाथ फेरना _________________ _________________________
हृदय पर साँप लोटना ________________ _________________________
आँखों में चमक होना _________________ ______________________
फूले न समाना ________________ ____________________
दिल टूट जाना ____________________ _______________________
खिल जाना _______________ ___________________________
उत्तर:
लटू होना (मोहित होना) – कार के इस नए मॉडल को देखकर सब का मन इस पर लटटू होने होने लगेगा।
अधीर हो उठना (बेचैन होना) – मोहन अपने बीमार भाई से मिलने के लिए अधीर हो गया।
पीठ पर हाथ फेरना (शाबासी देना) – गुरु जी ने राकेश की पीठ पर हाथ फेर कर आशीर्वाद दिया।
हृदय पर साँप लोटना (ईर्ष्या से जलना) – लता की सफलता पर सुधा के हृदय पर साँप लोटने लगा।
आँखों में चमक होना (खुश होना) – पिता जी को अपने सामने पाकर नेहा की आँखों में चमक आ गई।
फूले न समाना (प्रसन्न होना) – एशिया कप की जीत पर हमारी हॉकी टीम फूली न समा रही थी।
दिल टूट जाना (निराश होना) – परीक्षा में फेल होने से रमेश का दिल टूट गया।
खिल जाना (प्रसन्न होना) – पिता जी के घर आने पर देव खिल जाता है।

3. उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित शब्द किस प्रकार के क्रिया विशेषण हैं ?

चौथा पहर आरम्भ होते ही बाबा भारती ने अपनी कुटिया से बाहर निकल कर ठंडे जल से स्नान किया। उसके पश्चात् इस प्रकार जैसे कोई स्वप्न में चल रहा हो, उनके पाँव अस्तबल की ओर बढ़े। (संकेत-समय, स्थान, रीति, दिशा)
उत्तर:
चौथा पहर आरम्भ होते ही बाबा भारती ने अपनी कुटिया से बाहर निकल कर ठंडे जल से स्नान किया। उसके पश्चात् इस प्रकार जैसे कोई स्वप्न में चल रहा हो, उनके पाँव अस्तबल की ओर बढ़े। (संकेत-समय, स्थान, रीति, दिशा)

4. इन शब्दों के विशेषण बनाएं:

अंक = ……………….
हृदय = ………………
विस्मय = ………………..
भय = ………………….
निश्चय = ………………….
उत्तर:
शब्द विशेषण
अंक = अंकित
हृदय = हार्दिक
विस्मय = विस्मित
भय = भयानक
निश्चय = निश्चित

5. विपरीतार्थक शब्द लिखें:

उपस्थित = ……………….
धीर = ………………….
स्वीकार = …………………
प्रकट = ………………
प्रसन्न = ………………….
सहय = ……………….
आज्ञा = …………………
गरीब = ……………….
मिथ्या = ……………..
प्रशंसा = ……………….
निराशा = ……………….
भय = ……………….
निश्चय = …………………..
भाग्य = ………………….
उत्तर:
शब्द विपरीत शब्द
उपस्थित = अनुपस्थित
धीर = अधीर
स्वीकार = अस्वीकार
प्रकट = गुप्त
प्रसन्न = अप्रसन्न
सह्य = असह्य
आज्ञा = अवज्ञा
गरीब = अमीर
मिथ्या = सत्य
प्रशंसा = निंदा
निराशा = आशा
भय = निर्भय
निश्चय = अनिश्चय
भाग्य = दुर्भाग्य

6. अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द लिखें:

जिसे सहन न किया जा सके = ………………….
घोड़े बाँधने का स्थान = …………………..
उत्तर:
जिसे सहन न किया जा सके = असहनीय
घोड़े बाँधने का स्थान = अस्तबल

7. विराम चिह्न लगाएं:

बाबा जी आज्ञा कीजिए मैं आपका दास हूँ केवल यह घोड़ा न दूंगा वहाँ तुम्हारा कौन है
ओ बाबा इस कंगले का बात भी सुनते जाना
उत्तर:
“बाबा जी, आज्ञा कीजिए। मैं आपका दास हूँ, केवल यह घोड़ा न दूँगा।”
“वहाँ तुम्हारा कौन है ?” “ओ बाबा! इस कंगले की बात भी सुनते जाना।”

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 22 हार की जीत

8. शब्द के पहले ‘सु’ तथा ‘अ’ उपसर्ग का प्रयोग कर शब्द बनाना सीखें :

(क) सु-उपसर्ग (ख) अ-उपसर्ग
परिचित – सुपरिचित गम – अगम
विदित – सुविदित भाव – अभाव
पुत्र – सुपुत्र सह्य – असह्य
लक्षणा – सुलक्षणा (अच्छे गुणों वाली) टूट – अटूट (गहरा, पक्का )
कर्म – सुकर्म (पुण्य-अच्छे व नेक काम) धीर -अधीर
जन – सुजन बोध – अबोध (नादान)
गम – सुगम (आसान) धर्म – अधर्म
शिक्षित – सुशिक्षित छूत – अछूत
गति – सुगति ज्ञान – अज्ञान
व्यय – अव्यय

9. प्रयोगात्मक व्याकरण

भगवत् + भजन = भगवद्भजन (त् को द)
त् के बाद पवर्ग का तीसरा अक्षर भ होने से त् को द् हो गया।
अन्य उदाहरण :

सत + भावना = सद्भावना (त् को द्)
भगवत् + भक्ति = भगवद्भक्ति (त् को द्)
सत् + भाव = सद्भाव (त् को द)
जगत् + ईश = जगदीश (त् को द् + ई = दी)
सत् + उपयोग = सदुपयोग (त् को द् + उ = दु)
अतएव त के बाद ग्, ध, द् ब, भ (कवर्ग, तवर्ग, पवर्ग का तीसरा और चौथा व्यंजन) या प, र ल, व या कोई स्वर हो तो उसके स्थान पर द हो जाता है।

(ख) विचार-बोध

1. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

प्रश्न 1.
बाबा भारती के घोड़े का क्या नाम था ?
उत्तर:
बाबा भारती के घोड़े का नाम सुलतान था।

प्रश्न 2.
खड्ग सिंह कौन था ?
उत्तर:
खड्ग सिंह इलाके का कुख्यात डाकू था।

प्रश्न 3.
खड्ग सिंह बाबा भारती से क्या चाहता था ?
उत्तर:
खड्ग सिंह बाबा भारती से उनका घोड़ा लेना चाहता था।

प्रश्न 4.
अपाहिज कौन था ?
उत्तर:
अपाहिज बना हुआ व्यक्ति खड्ग सिंह था।

प्रश्न 5.
बाबा भारती ने खड्ग सिंह से क्या प्रार्थना की ?
उत्तर:
बाबा भारती ने खड्ग सिंह से कहा कि इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना कि तुमने घोड़ा कैसे लिया था।

प्रश्न 6.
इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना बाबा भारती ने ऐसा क्यों कहा ?
उत्तर:
बाबा भारती ने ऐसा इसलिए कहा था कि इस घटना को सुन कर लोग गरीबों पर विश्वास करना छोड़ देंगे।

प्रश्न 7.
जब खड्ग सिंह घोड़े को लौटा गया तो बाबा भारती ने क्या कहा ?
उत्तर:
बाबा भारती ने कहा कि अब कोई गरीबों की सहायता से मुँह नहीं मोड़ेगा।

2. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें:

प्रश्न 1.
सुलतान को पाने के लिए खड्ग सिंह ने कौन-सी चाल चली ?
उत्तर:
सुलतान को पाने के लिए खड्ग सिंह एक अपाहिज बन कर रास्ते में एक पेड़ की छाया में कराहते हुए बाबा भारती को उसे रामांवाला तक घोड़े पर बैठा कर पहुँचा दें तो उनका भला होगा। उसने स्वयं को दुर्गा दत्त वैद्य का सौतेला भाई बताया। बाबा भारती को उस पर दया आ गई और स्वयं घोड़े से उतर कर उसे घोड़े पर बैठा दिया। घोड़े पर बैठते ही वह उस पर तन कर बैठ गया और झटके से बाबा भारती के हाथ से लगाम छीन कर घोड़े को ले भागा।

प्रश्न 2.
कैसे पता चलता है कि बाबा भारती अपने घोड़े को बहुत प्यार करते थे?
उत्तर:
बाबा भारती अपने घोड़े को देखकर वैसे ही प्रसन्न होते थे जैसे माँ अपने बेटे, साहूकार अपने देनदार और किसान अपने लहलहाते खेतों को देखकर होता है। वे अपने घोड़े को स्वयं खरहरा करते और खुद दाना खिला कर खुश होते थे। वे उसकी चाल पर लटू थे। जब खड्ग सिंह ने उनके घोड़े को उनसे लेने की बात कही तो उन्हें रात में नींद नहीं आती थी। वे सारी रात अस्तबल में घोड़े की रखवाली करते थे। इस से स्पष्ट है कि वे अपने घोड़े से बहुत प्यार करते थे। __

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प्रश्न 3.
खड्ग सिंह ने घोड़े व उसकी चाल को देखकर मन में क्या सोचा?
उत्तर:
बाबा भारती ने जब खड्ग सिंह को अपने घोड़े सुलतान की चाल दिखाई तो उस घोड़े की चाल देखकर खड्ग सिंह की छाती पर साँप लोट गया। वह उस घोड़े को बाहुबल अथवा रुपए के बल प्राप्त करना चाहता था। उसने जाते-जाते बाबा भारती को कह दिया कि अब यह घोड़ा वह उनके पास नहीं रहने देगा।

प्रश्न 4.
इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना।” बाबा भारती ने खड्ग सिंह से ऐसा क्यों कहा ?
उत्तर:
जब खड्ग सिंह ने लाचार अपाहिज बन कर बाबा भारती से उन का घोड़ा छीन लिया तो उन्होंने इस घटना को किसी अन्य के सामने बताने से खड्ग सिंह को इसलिए मना किया था क्योंकि इस धोखेबाज़ी की घटना को सुन कर लोग गरीबों पर विश्वास करना छोड़ देंगे तथा उन्हें मुसीबत में देखकर भी उनकी सहायता नहीं करेंगे।

प्रश्न 5.
बाबा भारती का ऐसा कौन-सा वाक्य था जिस ने खड्ग सिंह को घोड़ा वापस देने पर मजबूर कर दिया।
उत्तर:
बाबा भारती के जाने के बाद खड्ग सिंह जब सुलतान घोड़े को लेकर चला तो सोचने लगा कि बाबा भारती तो सुलतान से बहुत प्रेम करते थे। वे कहते थे कि इसके बिना वे जिंदा नहीं रहेंगे। इसकी रखवाली में वे कई रात सोए तक नहीं थे परन्तु आज जब उसने उन से छल से सुलतान ले लिया तो उनके मुख पर शिकन तक नहीं थी। उन्हें सिर्फ यही ख्याल था कि कहीं लोग गरीब पर विश्वास करना न छोड़ दें। यही सोचसोचकर खड्ग सिंह ने बाबा भारती का घोड़ा वापस कर दिया था।

प्रश्न 6.
बाबा हारकर भी जीत गए और खड्ग सिंह जीतकर भी हार गया कैसे?
उत्तर:
खड्ग सिंह छल पूर्व बाबा भारती का घोड़ा ले जाता है और इसे अपनी जीत मानता है क्योंकि उसने बाबा भारती को कहा था कि वह यह घोडा उन के पास नहीं रहने देगा परन्तु जब बाबा उसे अपने छल की बात किसी को नहीं बताने के लिए कहते हैं क्योंकि उन्हें भय है कि कहीं यह सुन कर कोई गरीब पर विश्वास ही नहीं करेगा तथा मुसीबत में भी उसे सहायता नहीं मिलेगी तो उसे बाबा मनुष्य नहीं देवता लगते हैं और वह उन का घोड़ा उनके अस्तबल में छोड़ आता है। इस प्रकार बाबा की जीत हुई। इस से स्पष्ट है कि बाबा भारती हार कर भी जीत गए और खड़ग सिंह जीत कर भी हार गया।

3. यह वाक्य किसने, किससे कहा :

प्रश्न 1.
यह घोड़ा, आपके पास नहीं रहने दूंगा।
उत्तर:
खड्ग सिंह ने बाबा भारती से कहा है।

प्रश्न 2.
क्यों, तुम्हें क्या कष्ट है ?
उत्तर:
बाबा भारती ने अपाहिज बने खड्ग सिंह से कहा है।

प्रश्न 3.
इस कंगले की बात भी सुनते जाना।
उत्तर:
अपाहिज बने खड्ग सिंह ने बाबा भारती से कहा है।

प्रश्न 4.
इसकी चाल न देखी तो क्या देखा?
उत्तर:
खड्ग सिंह ने बाबा भारती को कहा है।

प्रश्न 5.
विचित्र जानवर है, देखोगे तो प्रसन्न हो जाओगे।
उत्तर:
बाबा भारती ने खड्ग सिंह से कहा है।

(ग) रचना-बोध

1. कहानी का सार अपने शब्दों में दें।
2. आपके पड़ोस में चोरी हो गयी है, इस घटना की प्राथमिक सूचना अपने स्थानीय पुलिस चौकी में पत्र के माध्यम से लिखें।
उत्तर:
1. कहानी का सार पाठ के प्रारंभ में दिया गया है।

2. चोरी की सूचना का पत्र
नवजोत सिंह सराभा
52-आदर्श नगर,
लुधियाना।
दिनांक 25 मई, 20…
सेवा में
चौकी अधिकारी,
पुलिस चौकी,
आदर्श नगर, लुधियाना।
महोदय,
निवेदन यह है कि हमारे पड़ोस के मकान नम्बर 51 में गत रात चोरी हो गई है। इस मकान में हरकिशन सिंह बजाज अपने परिवार के साथ रहता है, जो कल परिवार सहित किसी विवाह में अमृतसर गया हुआ था। हमने सुबह देखा तो उस के घर के दरवाजे खुले हुए थे तथा सामान इधर-उधर बिखरा पड़ा है। आप से प्रार्थना है कि इस चोरी की प्राथमिक सूचना दर्ज करके शीघ्र उचित कार्यवाही करें, जिससे अपराधियों को सज़ा मिले तथा इस इलाके के लोग शांति से रह सकें।
धन्यवाद,
भवदीय,
नवजोत सिंह सराभा

PSEB 7th Class Hindi Guide हार की जीत Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
घोड़े का क्या नाम था ?
(क) सुल्तान
(ख) चेतक
(ग) टॉमी
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(क) सुलतान

प्रश्न 2.
घोड़ा सुलतान किसके पास था ?
(क) पुलिस
(ख) सजा
(ग) खड्ग सिंह
(घ) बाबा भारती
उत्तर:
(घ) बाबा भारती

प्रश्न 3.
‘हार की जीत’ किस प्रकार की कहानी है ?
(क) हृदय परिवर्तन
(ख) खेल-कूद
(ग) व्यंग्यात्मक
(घ) चित्रात्मक
उत्तर:
(क) हृदय परिवर्तन

प्रश्न 4.
खड्ग सिंह कौन था ?
(क) ऋषि
(ख) डाकू
(ग) संत
(घ) सेवक
उत्तर:
(ख) डाकू

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 22 हार की जीत

प्रश्न 5.
‘हार की जीत’ कहानी के रचनाकार कौन थे ?
(क) प्रेमचंद
(ख) राकेश शर्मा
(ग) सुदर्शन
(घ) जयशंकर प्रसाद
उत्तर:
(ग) सुदर्शन

2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित विकल्पों से कीजिए

प्रश्न 1.
एक दिन …………. बाबा भारती घूमने जा रहे थे।
(क) सुबह
(ख) संध्या समय
(ग) रात को
(घ) दोपहर
उत्तर:
(ख) संध्या समय

प्रश्न 2.
बाबा भारती ने ……….. को घोड़े पर चढ़ा लिया।
(क) सैनिक
(ख) राजा
(ग) राजकुमार
(घ) अपाहिज
उत्तर:
(घ) अपाहिज

प्रश्न 3.
अपाहिज के वेश में …………….. था।
(क) खड्ग सिंह
(ख) बाबा भारती
(ग) लेखक
(घ) राजकुमार
उत्तर:
(ग) खड्ग सिंह

प्रश्न 4.
बाबा भारती सुलतान पर बैठकर कितने चक्कर लगाते थे ?
(क) पाँच मील
(ख) आठ-दस मील
(ग) बीस मील
(घ) एक मील
उत्तर:
(ख) आठ-दस मील

प्रश्न 5.
बाबा भारती ने बोला अब कोई गरीबों की ………. से मुंह न मोड़ेगा।
(क) सहायता
(ख) दुश्मनी
(ग) मज़ाक
(घ) अत्याचार
उत्तर:
(क) सहायता

3. दिए गए शब्द का सही अर्थ से मिलान कीजिए

प्रश्न 1.
मशहूरी:
प्रसिद्धि
मशूरी
मोर
उत्तर:
प्रसिद्धि

प्रश्न 2.
लट्टू होना:
मोहित होना
लड्डू खाना
लटू चलाना
उत्तर:
मोहित होना

प्रश्न 3.
मिथ्या:
मित्र
सच
उत्तर:
झूठ

प्रश्न 4.
कराहना:
पीड़ा से तड़पना
खुश होना
नाराज़ होना
उत्तर:
पीड़ा से तड़पना

हार की जीत Summary

हार की जीत पाठ का सार

श्री सुदर्शन द्वारा लिखित कहानी ‘हार की जीत’ में एक डाक के हृदय परिवर्तन की घटना का वर्णन किया गया है। बाबा भारती के पास एक बहुत सुन्दर घोड़ा था। उसकी मशहूरी दूर-दूर तक फैल गई थी। बाबा भारती सब कुछ छोड़कर साधु बन गये थे, परन्तु घोड़े को छोड़ना उनके वश में न था। वे उसे ‘सुलतान’ कह कर पुकारते थे। संध्या के समय वे सुलतान पर चढ़कर आठ दस मील का चक्कर लगा लेते थे। उस इलाके के मशहूर डाकू खड्ग सिंह के कानों में भी सुलतान की चर्चा पहुँची। वह उसे देखने के लिए बेचैन हो उठा और एक दिन दोपहर के समय बाबा भारती के पास पहुँचा। उन्हें नमस्कार करके बैठ गया। बाबा भारती ने उससे पूछा कि कहो खड्ग सिंह क्या हाल है ? इधर कैसे आना हुआ। खड्ग सिंह ने कहा, कि आपकी कृपा है। सुलतान को देखने की चाह मुझे यहाँ खींच लाई। इस पर बाबा भारती ने उत्तर दिया कि सचमुच घोड़ा बाँका है। उन्होंने खड्ग सिंह को अस्तबल में ले जाकर घोड़ा दिखाया। खड्ग सिंह उस पर लटू हो गया। वह मन ही मन सोचने लगा कि ऐसा घोड़ा तो उसके पास होना चाहिए था। वहाँ से जातेजाते वह बोला कि बाबा जी! मैं यह घोड़ा आपके पास न रहने दूंगा। यह सुन कर बाबा भारती को डर के मारे अब नींद न पड़ती। वे सारी रात अस्तबल में घोड़े की रखवाली में बिताते।

एक दिन संध्या के समय बाबा भारती घोड़े पर सवार होकर घूमने जा रहे थे। अचानक उन्हें एक आवाज़ सुनाई दी- “ओ बाबा!” इस कंगले की बात सुनते जाना।” उन्होंने देखा एक अपाहिज वृक्ष के नीचे बैठा कराह रहा है। बाबा भारती ने पूछा, तुम्हें क्या तकलीफ है। वह बोला, मैं दुखी हूँ। मुझे पास के रामांवाला गाँव जाना है। मैं दुर्गादत्त वैद्य का सौतेला भाई हूँ। मुझे घोड़े पर चढ़ा लो।”

बाबा भारती ने उस अपाहिज को घोड़े पर चढ़ा लिया और स्वयं लगाम पकड़ कर चलने लगा। अचानक लगाम को झटका लगा और लगाम उनके हाथ से छूट गई। अपाहिज घोड़े पर तन कर बैठ गया। अपाहिज के वेश में वह खड्ग सिंह था। बाबा भारती के मुँह से चीख निकल गई। बाबा भारती थोड़ी देर चुप रहने के बाद चिल्लाकर बोले, “खड्ग सिंह मेरी बात सुनते जाओ।” वह कहने लगा, “बाबा जी अब घोड़ा न दूँगा।

बाबा भारती बोले- “घोड़े की बात छोड़ो। अब मैं घोड़े के बारे में कुछ न कहूँगा। मेरी एक प्रार्थना है कि इस घटना के बारे में किसी से कुछ न कहना, क्योंकि लोगों को यदि इस घटना का पता चल गया तो वे किसी दीन-हीन गरीब पर विश्वास न करेंगे।” बाबा भारती सुलतान की ओर से मुँह मोड़ कर ऐसे चले गए मानो उसके साथ उनका कोई सम्बन्ध न था।

बाबा जी के उक्त शब्द खड्ग सिंह के कानों में गूंजते रहे। एक रात खड्ग सिंह घोड़ा लेकर बाबा भारती के मन्दिर में पहुँचा, चारों ओर खामोशी थी। अस्तबल का फाटक खुला था। उसने सुलतान को वहाँ बाँध दिया और फाटक बन्द करके चल दिया। उसकी आँखों से पश्चाताप के आँसू बह रहे थे। रात के आखिरी पहर में बाबा भारती स्नान आदि के बाद अचानक ही अस्तबल की ओर चल दिए पर फाटक पर पहुँच कर उन्हें वहाँ सुलतान के न होने की बात याद आई तो उनके पैर स्वयं रुक गए। तभी उन्हें अस्तबल से सुलतान के हिनहिनाने की आवाज़ सुनाई दी। वे प्रसन्नता से दौड़ते हुए अन्दर आए और सुलतान से ऐसे लिपट गए जैसे कोई पिता अपने बिछुड़े हुए पुत्र से मिल रहा हो और बोले कि अब कोई गरीबों की सहायता से मुँह नहीं मोड़ेगा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 21 जिन्दगी-एक रिक्शा

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 21 जिन्दगी-एक रिक्शा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 21 जिन्दगी-एक रिक्शा

Hindi Guide for Class 7 PSEB जिन्दगी-एक रिक्शा Textbook Questions and Answers

(क) भाषा-बोध

1. शब्दार्थ:

सरलार्थों के साथ दे दिए गए हैं।
वचन = खींचकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाना
चाह = इच्छा
संतुलन = बराबर होना
स्थिति = हालत
गृहस्थी = परिवार

2. वचन बदलें:-

सवारियाँ = ………………….
भूखा = ………………..
थाली = ………………
वह = ………………..
गाड़ी = ……………….
नाली = ……………….
उत्तर:
सवारियाँ = सवारी
भूखा = भूखे
थाली = थालियाँ
वह = वे
गाड़ी = गाड़ियाँ
नाली = नालियाँ

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 21 जिन्दगी-एक रिक्शा

3. विपरीत शब्द लिखें:-

निराशा = …………………
संतुलन = ………………..
जिंदगी = ………………..
खोना = …………………
उत्तर:
निराशा = आशा,
संतुलन = असंतुलन
जिंदगी = मौत
खोना = पाना

4. भाववाचक संज्ञा बनाएं:-

भूखा = …………………
अकेला = …………………
कमाना = ……………….
अपना = ………………….
बिखरना = ……………….
मज़बूत = …………………….
उत्तर:
भूखा = भूख
अकेला = अकेलापन
कमाना = कमाई
अपना = आपा
बिखरना = बिखराव
मज़बूत = मज़बूती

(ख) विचार-बोध

1. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

प्रश्न 1.
प्रस्तुत कविता में कवि ने जिंदगी को किसके साथ जोड़ा है ?
उत्तर:
कवि ने जिंदगी को रिक्शा के साथ जोड़ा है।

प्रश्न 2.
रिक्शे की हालत किस पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
रिक्शे की हालत रिक्शेवाले पर निर्भर करती है।

प्रश्न 3.
कवि के अनुसार अधिक कमाने की चाह में चालक का क्या नुकसान हो सकता है ?
उत्तर:
अधिक कमाने की चाह में चालक का संतुलन बिगड़ सकता है।

प्रश्न 4.
रिक्शा चालक अपनी स्थिति किस प्रकार मज़बूत कर सकता है ?
उत्तर:
रिक्शाचालक अपनी रिक्शा की ब्रेक, पुर्जे, टायर आदि ठीक-ठाक रख कर तथा जितनी सवारियाँ वह ढो सकता है उतनी ढोकर अपनी स्थिति मज़बूत कर सकता है।

प्रश्न 5.
प्रस्तुत कविता में कवि ने हमें क्या संदेश दिया है ?
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में कवि हमें यह संदेश देता है कि यदि मनुष्य अपना परिवार छोटा रखेगा तथा अपनी हैसियत के अनुसार चलेगा तो उसकी ज़िन्दगी सदा सुखी रहेगी।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 21 जिन्दगी-एक रिक्शा

(ग) भाव-बोध

1. निम्न पंक्तियों का प्रसंग सहित व्याख्या करें:

चाह में
अधिकाधिक कमाने की
कहीं खो न दे
वह अपना संतुलन
और बिखर जाए
उसका तन-मन
गृहस्थी की इस गाड़ी में।
उत्तर:
सरलार्थ देखिए।

(घ) रचना-बोध

प्रश्न 1.
‘छोटा परिवार सुखी परिवार’ विषय पर एक संक्षिप्त निबंध लिखें।
उत्तर:
हमारे देश की बढ़ती हुई जनसंख्या से जहाँ सरकार चिन्तित है, वहीं प्रत्येक घर परिवार के मुखिया को भी बढ़ते हुए परिवार की समस्याओं ने परेशान कर रखा है। महँगाई के इस युग में सुखी जीवन जीने के लिए छोटे परिवार की आवश्यकता है। अनेक सरकारी योजनाएँ परिवारों को छोटा रखने में नाकाम रही हैं, इसलिए हमें अपनी आमदनी और खर्चे का ध्यान रखते हुए अपना परिवार उतना रखना चाहिए, जितने से हम परिवार के प्रत्येक सदस्य का पालन, पोषण, शिक्षा आदि उचित रूप से कर सकें। छोटे परिवार का मुखिया अपना, अपनी पत्नी और बच्चों का अधिक अच्छी प्रकार से ख्याल रख सकता है। वे सब मिलजुल कर सब कार्य करते हुए एक-दूसरे की भावनाओं को समझ-समझा सकते हैं। बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर उन का उज्ज्वल भविष्य बना सकते हैं। छोटा परिवार सदा सुखी रहता है, इसलिए हमें छोटा परिवार रखना चाहिए।

PSEB 7th Class Hindi Guide जिन्दगी-एक रिक्शा Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
‘जिंदगी एक रिक्शा’ कविता के रचनाकार कौन हैं ?
(क) डॉ० राकेश कुमार बब्बर
(ख) शिव मंगल सिंह सुमन
(ग) विनोद पाण्डेय
(घ) धर्मवीर भारती
उत्तर:
(क) डॉ० राकेश कुमार बब्बर

प्रश्न 2.
कविता में कवि ने रिक्शे वाले को क्या कहा है ?
(क) कुम्हार
(ख) मज़दूर
(ग) बोझ
(घ) परिवार का मुखिया
उत्तर:
(घ) परिवार का मुखिया

प्रश्न 3.
कवि के अनुसार जिंदगी किसके समान है ?
(क) साइकिल
(ख) कार
(ग) जीप
(घ) रिक्शे
उत्तर:
(घ) रिक्शे

प्रश्न 4.
मनुष्य को अपना परिवार कैसा बनाना चाहिए ?
(क) छोटा
(ख) बीस लोगों का
(ग) बड़ा
(घ) अपनी हैसियत के अनुसार।
उत्तर:
(घ) अपनी हैसियत के अनुसार

प्रश्न 5.
मनुष्य सुखी जीवन कैसे व्यतीत कर सकता है ?
(क) सीमित परिवार रखकर
(ख) वैर-विरोध से
(ग) अलग नीति से
(घ) झगड़े से
उत्तर:
(क) सीमित परिवार रखकर

2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित विकल्पों से कीजिए

प्रश्न 1.
अधिक कमाने की चाह में मनुष्य अपना ………….. खो देता है।
(क) संतुलन
(ख) घर
(ग) धन
(घ) नाम
उत्तर:
(क) संतुलन

प्रश्न 2.
संतुलन खोकर व्यक्ति ………… पर भटक जाता है।
(क) धन
(ख) प्रसिद्धि
(ग) लोकाचार
(घ) गलत रास्तों
उत्तर:
(घ) गलत रास्तों

प्रश्न 3.
अनेक सरकारी योजनाएँ परिवारों को छोटा रखने में ………… रही है।
(क) प्रभावी
(ख) सफल
(ग) नाकाम
(घ) ठीक-ठीक
उत्तर:
(ग) नाकाम

प्रश्न 4.
रिक्शे की हालत …………… पर निर्भर करती है।
(क) रिक्शे वाले
(ख) पुलिस वाले
(ग) सैनिक
(घ) छात्रों
उत्तर:
(क) रिक्शे वाले

प्रश्न 5.
……… के लालच में वह अपना संतुलन बिगाड़ देता है।
(क) कम कमाई
(ख) अधिक कमाई
(ग) घर
(घ) दुकान
उत्तर:
(ख) अधिक कमाई

3. दिए गए शब्द का सही अर्थ से मिलान कीजिए.

प्रश्न 1.
व्यतीत:
व्यय करना
बिताना
हटाना
उत्तर:
बिताना।

प्रश्न 2.
वहन करना:
ढो सकना
वाहन
वाहिनी
उत्तर
ढो सकना

प्रश्न 3.
थामना:
पकड़ना
थम
उत्तर:
पकड़ना

प्रश्न 4.
गृहस्थी:
आराम
गृह का आसन
परिवार
उत्तर:
परिवार

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 21 जिन्दगी-एक रिक्शा

सप्रसंग सरलार्थ

1. जिंदगी एक रिक्शा है
जिसे
हर कोई चलाता रहता है
कोई घसीट कर
कोई दौड़ा कर
कोई अकेले
कोई कई को लादकर

प्रसंग:
यह पद्यांश डॉ० राकेश कुमार बब्बर की कविता ‘ज़िन्दगी-एक रिक्शा’ से लिया गया है। इसमें कवि ने मनुष्य की ज़िन्दगी को एक रिक्शा से जोड़ा है।

सरलार्थ:
कवि कहता है कि मनुष्य का जीवन एक रिक्शा के समान है। जैसे रिक्शे को चलाता तो हर आदमी है परन्तु कोई उसे घसीट कर. कोई दौडाकर तथा कोई एक सवारी बैठा कर तो कोई कई सवारियाँ लाद कर रिक्शा चलाता है। इसी प्रकार से
व्यक्ति भी अपनी ज़िन्दगी को घसीट कर, दौड़ाकर, सीमित परिवार अथवा बहुत बड़े परिवार के साथ चला रहा है।

भावार्थ:
ज़िन्दगी रिक्शे के समान है जिसे कोई आराम से तो कोई कठिनाई से चला रहा है।

2. रिक्शे की हालत
है निर्भर
चलाने वाले पर
चाहे तो
खटारा बना दे
चाहे रखे टिप-टाप
सवारियां उतनी
वहन कर पाए जितनी
पहुँचा सके
उन्हें मंजिल तक
बिना रुके
बना थके।

शब्दार्थ:
हालत = दशा। निर्भर = टिकी हुई, आश्रित। खटारा = बेकार । टिप-टाप = साफ-सुथरी। वहन = खींच सकना, ढो सकना।

प्रसंग:
यह पद्यांश डॉ० राकेश कुमार बब्बर द्वारा लिखित कविता ‘ज़िन्दगी-एक रिक्शा’ से लिया गया है। इसमें कवि ने मनुष्य की ज़िन्दगी की तुलना एक रिक्शा से की है।

सरलार्थ:
कवि कहता है कि रिक्शे की दशा उसे चलाने वाले पर होती है। वह चाहे तो उसे खटारा बना दे या साफ-सुथरा रखे। वह उतनी ही सवारियाँ अपनी रिक्शा पर : बैठाए, जितनी का बोझ वह सहन कर सकता है और उन्हें उन के ठिकाने तक बिना रुके, बिना थके सही सलामत पहुँचा सकता है।

भावार्थ:
मनुष्य को अपना परिवार उतना ही सीमित रखना चाहिए जिस का वह सही-सही भरण-पोषण कर सके।

3. चाह में
अधिकाधिक कमाने की
कहीं खो न दे
वह अपना संतुलन
और
बिखर जाए
उसका तन-मन
गृहस्थी की इस गाड़ी में।
गिर पड़े वह
निराशा की गंदी नाली में
पेट रह जाए भूखा
और
कुछ न बचा हो
भोजन की सूनी थाली में।

शब्दार्थ”:
चाह = इच्छा। अधिकाधिक = ज्यादा से ज्यादा। संतुलन = बराबर होना। गृहस्थी = परिवार।

प्रसंग:
यह पद्यांश डॉ० राकेश कुमार बब्बर द्वारा लिखित कविता ‘ज़िन्दगी-एक रिक्शा’ से लिया गया है। इसमें कवि ने मानव जीवन को एक रिक्शा के समान माना है। – सरलार्थ-कवि कहता है कि कहीं अधिक कमाने की चाहना से वह अपने होश न खो बैठे और अपनी गृहस्थी की गाड़ी खींचते-खींचते उस का तन-मन ही न टूट जाए। वह जीवन से निराश होकर गलत रास्तों पर न चलने लगे और उस का परिवार भूखा रह जाए तथा उनके खाने की थाली में कुछ भी खाने के लिए न हो।

भावार्थ:
अधिक कमाने की चाह में मनुष्य अपना संतुलन खो कर गलत रास्तों पर भटक जाता है, जिससे उसे निराशा हाथ लगती है और भुगतना उस के परिवार को पड़ता इसलिए है

4. इसलिए है जरूरत
कि वह
एक-एक पुर्जा
रिक्शे का ठीक रखे,
ब्रेक कसवा कर
टायरों को थामे
सीट पर हो सवार
ले उतनी जिम्मेदारी
जिससे
वह अपनी
और सवारियों की
स्थिति मजबूत रखे।

शब्दार्थ:
स्थिति = दशा।

प्रसंग:
यह पद्यांश डॉ० राकेश कुमार बब्बर के द्वारा रचित कविता ‘ज़िन्दगी-एक रिक्शा’ से लिया गया है। इसमें कवि ने मनुष्य की ज़िन्दगी की तुलना एक रिक्शा से की है।

सरलार्थ:
कवि कहता है कि इसीलिए ज़रूरी है कि रिक्शा वाला उसके एक-एक पुर्जे, ब्रेक, टायर आदि ठीक रख कर अपनी सीट संभाले। वह सही सलामत उनके ठिकानों तक सवारियों को पहुँचाने की ज़िम्मेदारी ले। इसी से वह सभी सवारियों की स्थिति को मज़बूत रख सकेगा।

भावार्थ:
मनुष्य को अपनी ज़िन्दगी ठीक से जीने के लिए सभी ज़िम्मेदारियां ठीक प्रकार से निभानी चाहिए।

ज़िन्दगी-एक रिक्शा Summary

ज़िन्दगी-एक रिक्शा कविता का सार

“ज़िन्दगी-एक रिक्शा’ कविता में कवि डॉ० राकेश कुमार बब्बर ने ज़िन्दगी को रिक्शा के साथ जोड़कर यह संदेश दिया है कि जिस प्रकार रिक्शा में दो सवारियों को बैठा कर रिक्शावाला रिक्शा आराम से चलाता है तथा अपनी रिक्शा को भी ठीक-ठाक रखता है, वैसे . ही मनुष्य अपने जीवन को सीमित परिवार में रखकर सुखी ज़िन्दगी व्यतीत कर सकता है। – कवि कहता है कि जिंदगी एक रिक्शे के समान है जिसे हर कोई चला तो रहा है परन्तु कोई घसीट कर, कोई दौड़ा कर, कोई अकेले तो कोई कइयों को लादकर चलता है। यदि रिक्शा ठीक-ठाक रखनी है तो वह उतनी ही सवारियां बैठाता है, जितनी वह सहन कर सकता है। अधिक कमाई करने के लालच में वह अपना संतुलन बिगाड़ देता है और अपनी : ………………. हैसियत से अधिक परिवार बनाने पर व्यक्ति की ज़िन्दगी की दशा खराब हो जाती है। इसलिए जैसे रिक्शावाला अपनी रिक्शा को ठीक-ठाक रखने के लिए उसकी ब्रेक, पुर्जे, टायर आदि ठीक रखता है और उतनी सवारियां बैठाता है जिन्हें वह आसानी से ले जा सकता हैं वैसे ही मनुष्य को भी अपना परिवार अपनी हैसियत के अनुसार बनाना चाहिए।

PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1

Punjab State Board PSEB 7th Class Maths Book Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Maths Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1

1. Match the two dimensional figure with the names.
PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1 1
Answer:
(i) (e)
(ii) (d)
(iii) (a)
(iv) (b)
(v) (c)

PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1

2. Match the three dimension shapes with the names.
PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1 2
Answer:
(i) (d)
(ii) (e)
(iii) (a)
(iv) (c)
(v) (b)

3. Identify the nets which can be used to make cubes (cut out copies of the nets and try it).
PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1 3
PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1 4
Answer:
(i), (iv)

PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1

4. Draw the net for a square pyramid with base as square of sides 5 cm and slant edges 7 cm.
Answer:
PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1 5

5. Draw a net for the following cylinder.
PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1 6
Answer:
PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1 7

6. Draw the net of the solid given in figure.
PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1 8
Answer:
PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1 9

PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1

7. Dice are cubes with dots on each face opposite faces of a die always have a total of seven dots on them following are two nets to make dice (cuber) the number inserted in each square indicate the number of dots in that box insert suitable number in the blank squares.
PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1 10
PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1 11
Solution:
PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1 12
PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1 13

8. Which solid will be obtained by folding the following net ?
PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1 14
Solution:
PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1 15

PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1

9. Complete the following table.
PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1 16
PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1 17
Solution:
(i) Faces : 6.
(ii) Edges : 2. vertices : NIL,
(iii) Faces : 7. Edges : 15.
(iv) faces : 5, vertices : 5.

10. Multiple Choice questions :

Question (i).
Out of following which is 3-D figure ?
(a) Square
(b) Triangle
(c) Sphere
(d) Circle
Answer:
(c) Sphere

Question (ii).
Total number of faces a cylinder has :
(a) 0
(b) 2
(c) 1
(d) 3
Answer:
(d) 3

PSEB 7th Class Maths Solutions Chapter 15 Visualising Solid Shapes Ex 15.1

Question (iii).
How many edges are there in a square pyramid ?
(a) 5
(b) 8
(c) 1
(d) 4
Answer:
(b) 8

Question (iv).
Sum of number on the opposite faces of a die is :
(a) 8
(b) 7
(c) 9
(d) 6
Answer:
(b) 7

Question (v).
Which is not a solid figure ?
(a) Cuboid
(b) Sphere
(c) Quadrilateral
(d) Pyramid
Answer:
(c) Quadrilateral

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran MCQ Questions

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Vyakaran MCQ Questions and Answers.

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran MCQ Questions

पारिभाषिक व्याकरण

उचित विकल्प छांटकर उत्तर लिखिए

प्रश्न 1.
‘शक्ति’ का बहुवचन होगा
(क) शक्तियाँ
(ख) शकतियाँ
(ग) शक्ति
(घ) शकतीयाँ।
उत्तर:
(क) शक्तियाँ।

प्रश्न 2.
‘दवाई’ का बहुवचन होगा
(क) दवाईयाँ
(ख) दवाइयाँ
(ग) दवाईयायाँ
(घ) दवायाँ
उत्तर:
(ख) दवाइयाँ।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran MCQ Questions

प्रश्न 3.
‘चुहिया’ का बहुवचन होगा
(क) चूहिया
(ख) चूहियाँ
(ग) चुहियाँ
(घ) चुहियान।
उत्तर:
(ग) चुहियाँ।

प्रश्न 4.
‘धातु’ का बहुवचन होगा
(क) धातुन
(ख) धातूएँ
(ग) धातूए
(घ) धातुएँ।
उत्तर:
(घ) धातुएँ।

प्रश्न 5.
“विद्या’ का बहुवचन होगा
(क) विद्याएँ
(ख) विधाएं
(ग) विद्यायाएं
(घ) विधयायें।
उत्तर:
(क) विद्याएँ।

प्रश्न 6.
‘रीति’ शब्द का बहुवचन होगा
(क) रितियाँ
(ख) रीतियाँ
(ग) रितीयाँ
(घ) रीतीयाँ।
उत्तर:
(ख) रीतियाँ।

प्रश्न 7.
‘बन्धु’ शब्द का बहुवचन होगा
(क) बन्धूओ
(ख) बन्धूओं
(ग) बन्धुओं
(घ) बुन्धु।
उत्तर:
(ग) बन्धुओं।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran MCQ Questions

प्रश्न 8.
‘कॉपी’ शब्द का बहुवचन ……… है।
उत्तर:
कापियाँ।

प्रश्न 9.
‘पक्षी’ शब्द का बहुवचन ……….. है।
उत्तर:
पक्षीवृंद।

प्रश्न 10.
‘अमीर’ शब्द का बहुवचन ………. है।
उत्तर:
अमीर लोग।

प्रश्न 11.
‘सुत’ का विपरीत लिंग है
(क) सुता
(ख) सूता
(ग) सुतन
(घ) सूति।
उत्तर:
(ख) सुता।

प्रश्न 12.
‘विदुषी’ का विपरीत लिंग है
(क) विदुष
(ख) विदूषक
(ग) विद्वान
(घ) विदुश।
उत्तर:
(ख) विदूषक।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran MCQ Questions

प्रश्न 13.
‘कवि’ का विपरीत लिंग है
(क) कवत्री
(ख) कवयित्री
(ग) कवयीत्री
(घ) कवियत्री
उत्तर:
(ख) कवयित्री।

प्रश्न 14.
‘वर’ का विपरीत लिंग है
(क) वधू
(ख) वधु
(ग) वध
(घ) वुध।
उत्तर:
(क) वधू

प्रश्न 15.
‘स्वामी’ का विपरीत लिंग है
(क) स्वामनी
(ख) स्वामिनी
(ग) स्वामीनी
(घ) स्विामनी
उत्तर:
(ख) स्वामिनी।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran MCQ Questions

प्रश्न 16.
‘तपस्वी’ का विपरीत लिंग है
(क) तपस्विनि
(ख) तपस्वनी
(ग) तपस्विनी
(घ) तपस्नी।
उत्तर:
(ग) तपस्विनी।

प्रश्न 17.
‘सम्राट’ का विपरीत लिंग है
(क) सम्राज्ञी
(ख) सामज्ञी
(ग) सामराज्ञी
(घ) साम्राज्ञी।
उत्तर:
(घ) साम्राज्ञी।

प्रश्न 18.
‘नर’ का विपरीत लिंग ………. है।
उत्तर:
नारी।

व्यावहारिक व्याकरण

निर्देशानुसार उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘अपव्यय’ शब्द में से उपसर्ग छांटिए
(क) अपव्य
(ख) अप
(ग) अपः
(घ) अपो।
उत्तर:
(ख) अप।

प्रश्न 2.
‘निश्चल’ शब्द में से उपसर्ग छांटिए
(क) निश
(ख) निश
(ग) निस्
(घ) निस।
उत्तर:
(ग) निस्।

प्रश्न 3.
‘संकल्प’ शब्द में से उपसर्ग छांटिए
(क) सम्
(ख) संक
(ग) संकल
(घ) समक।
उत्तर:
(क) सम्।

प्रश्न 4.
‘पुनरुत्थान’ शब्द में से उपसर्ग छांटिए
(क) पुन
(ख) पुनः
(ग) पुनरु
(घ) पुनर्।
उत्तर:
(घ) पुनर्।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran MCQ Questions

प्रश्न 5.
‘सहानुभूति’ शब्द में से उपसर्ग छांटिए
(क) सहा
(ख) सह
(ग) सहानु
(घ) सहनु।
उत्तर:
(ख) सह।

प्रश्न 6.
‘बिलालिहाज’ शब्द में से उपसर्ग छांटिए
(क) बिला
(ख) बिलाली
(ग) बिल
(घ) बेली।
उत्तर:
(क) बिला।

प्रश्न 7.
‘इत्यादि’ शब्द में से उपसर्ग छांटिए
(क) इत
(ख) इति
(ग) इतः
(घ) इतय।
उत्तर:
(ख) इति।

प्रश्न 8.
‘प्राग’ उपसर्ग से बना शब्द चुनिए
(क) प्रागैतिहासिक
(ख) प्राककर्म
(ग) प्राग्तैहासिक
(घ) कोई नहीं।
उत्तर:
(क) प्रागैतिहासिक।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran MCQ Questions

निर्देशानुसार उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘धार्मिक’ शब्द में कौन-सा प्रत्यय है ?
(क) इक
(ख) मिक
(ग) मिर्क
(घ) धर्म।
उत्तर:
(क) इक।

प्रश्न 2.
‘ईर्ष्यालु’ शब्द में से प्रत्यय छाँटिए
(क) आलू
(ख) आलु
(ग) यालु
(घ) याल।
उत्तर:
(ख) आलु।

प्रश्न 3.
‘पंकिल’ शब्द में से प्रत्यय छाँटिए
(क) ल
(ख) किल
(ग) इल
(घ) कल।
उत्तर:
(ग) इल।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran MCQ Questions

प्रश्न 4.
‘खुटिया’ शब्द में से प्रत्यय छांटिए
(क) टया
(ख) ईया
(ग) या
(घ) इया।
उत्तर:
(घ) इया।

प्रश्न 5.
‘हिंसक’ शब्द में से प्रत्यय छांटिए-
(क) सका
(ख) अक
(ग) सक
(घ) क।
उत्तर:
(घ) क।

प्रश्न 6.
‘थकावट’ शब्द में से प्रत्यय छाँटिए
(क) आवट
(ख) आट
(ग) आव
(घ) आवत्।
उत्तर:
(क) आवट।

प्रश्न 7.
‘भुलक्कड़’ शब्द में से प्रत्यय छाँटिए
(क) आकड़
(ख) आक्ड़
(ग) अक्कड़
(घ) अकड़।
उत्तर:
(ग) अक्कड़।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran MCQ Questions

प्रश्न 8.
‘ईला’ प्रत्यय से बना शब्द चुनिए
(क) पतिला
(ख) दामलि
(ग) हठला
(घ) हठीला।
उत्तर:
(घ) हठीला।

निम्नलिखित में से सही विकल्प को चुनकर उत्तर लिखिए

प्रश्न 1.
‘रेखांकित’ शब्द का संधि विच्छेद कीजिए।
(क) रेखा + अंकित
(ख) रेख + आंकित
(ग) रेखो + कित
(घ) रख + आंकित।
उत्तर:
(क) रेखा + अंकित।

प्रश्न 2.
‘उन्नति’ शब्द का संधि विच्छेद कीजिए।
(क) उन + नति
(ख) उत् + नति
(ग) उन् + ति
(घ) उत् + अवनति।
उत्तर:
(ख) उत् + नति।

प्रश्न 3.
‘आशीर्वाद’ शब्द का संधि विच्छेद कीजिए।
(क) आशिर + वाद
(ख) आश + वाद
(ग) आशीः + वाद
(घ) आशा + वाद।
उत्तर:
(ग) आशी: + वाद।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran MCQ Questions

प्रश्न 4.
‘तल्लीन’ शब्द का संधि विच्छेद कीजिए।
(क) तल + लीन
(ख) तल् + लीन
(ग) तलील + इन
(घ) तत् + लीन।
उत्तर:
(घ) तत् + लीन।

प्रश्न 5.
‘लघु + उत्तर’ की संधि कीजिए।
(क) लघूत्तर
(ख) लघेत्तर
(ग) लघु + तर
(घ) लघु + उतेर।
उत्तर:
(क) लघूत्तर।

प्रश्न 6.
‘अति + अंत’ की संधि कीजिए।
(क) अतोंत
(ख) अत्यंत
(ग) अतियंत
(घ) अतितंत।
उत्तर:
(ख) अत्यंत।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran MCQ Questions

प्रश्न 7.
“उत् + ज्वल’ की संधि कीजिए।
(क) उतज्वल
(ख) उजजवल
(ग) उज्ज्व ल
(घ) उजज्वल।
उत्तर:
(ग) उज्ज्व ल।

प्रश्न 8.
‘मनः + रथ’ की संधि कीजिए।
(क) मनोरथः
(ख) मनोरथा
(ग) मनरथ
(घ) मनोरथ
उत्तर:
(घ) मनोरथ।

निर्देशानुसार उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘अजात शत्रु’ समस्त पद का उचित समास विग्रह चुनिए।
(क) जिसका शत्रु न हो
(ख) जिसके शत्रु की जात न हो
(ग) जिसका शत्रु ज्ञात न हो
(घ) जिसका शत्रु पैदा न हुआ हो।
उत्तर:
(क) जिसका शत्रु न हो।

प्रश्न 2.
‘अंशुमाली’ समस्त पद का उचित समास विग्रह चुनिए।
(क) अंशु और माला
(ख) अंशु है माला जिसकी
(ग) अंशु की माला
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) अंशु है माला जिसकी।

प्रश्न 3.
‘प्रत्येक’ समस्त पद का उचित समास विग्रह चुनिए।
(क) प्रति इक
(ख) सब लोग
(ग) एक-एक
(घ) हर कोई।
उत्तर:
(ग) एक-एक।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran MCQ Questions

प्रश्न 4.
‘पाप-पुण्य’ समस्त पद का उचित समास विग्रह चुनिए।
(क) पाप का पुण्य
(ख) पाप से पुण्य
(ग) पाप ही पुण्य
(घ) पाप और पुण्य।
उत्तर:
(घ) पाप और पुण्य।

प्रश्न 5.
‘घोड़ों की दौड़’ का समस्त पद चुनिए।
(क) घुड़दौड़
(ख) घोड़े दौड़ते
(ग) घोड़ा दौड़ा
(घ) घोड़े और दौड़े ।
उत्तर:
(क) घुड़दौड़।

प्रश्न 6.
‘नौ रत्नों का समूह’ का समस्त पद चुनिए।
(क) नौ सौ रत्न
(ख) नवरत्न
(ग) नौ का रत्न
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) नवरत्न।

प्रश्न 7.
‘घन के समान श्याम’ का समस्त पद चुनिए।
(क) घन ही श्याम
(ख) क और ग दोनों
(ग) घन के श्याम
(घ) घनश्याम।
उत्तर:
(घ) घनश्याम।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran MCQ Questions

प्रश्न 8.
‘नीलकंठ’ किस प्रकार का समास है ?
(क) तत्पुरुष समास
(ख) द्विगु समास
(ग) द्वंद्व समास
(घ) बहुव्रीहि समास।
उत्तर:
(घ) बहुव्रीहि समास।

प्रयोगात्मक व्याकरण

बहुविकल्पीय प्रश्न निर्देशानुसार उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द ‘सरस्वती’ का पर्यायवाची है ?
(क) देवी
(ख) माँ
(ग) सारस्वत
(घ) भारती।
उत्तर:
(घ) भारती।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द ‘आभूषण’ का पर्यायवाची है ?
(क) अलंकार
(ख) जठर
(ग) उद्भूत
(घ) निशांत
उत्तर:
(क) अलंकार।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran MCQ Questions

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द ‘मधुप’ का पर्यायवाची है ?
(क) अलि
(ख) मद
(ग) मनोरथ
(घ) आम्र।
उत्तर:
(क) अलि।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द ‘धनुष’ का पर्यायवाची है ?
(क) मंजरी
(ख) कोदंड
(ग) वारिद
(घ) तनय।
उत्तर:
(ख) कोदंड।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द ‘आहलाद’ का पर्यायवाची है ?
(क) असि
(ख) धेनु
(ग) पिक
(घ) मोद।
उत्तर:
(घ) मोद।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द ‘किरण’ का पर्यायवाची नहीं है ?
(क) निदाघ
(ख) रश्मि
(ग) मयूख
(घ) कर।
उत्तर:
(क) निदाघ।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran MCQ Questions

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द गंगा का पर्यायवाची नहीं है ?
(क) मंदाकिनी
(ख) केतु
(ग) नदीश्वरी
(घ) भागीरथी।
उत्तर:
(ख) केतु।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द ‘कामदेव’ का पर्यायवाची है
(क) मदन
(ख) दुर्जन
(ग) सलिल
(घ) वास।
उत्तर:
(क) मदन।

PSEB 7th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Nibandh Lekhan निबंध-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

1. महात्मा गांधी/मेरा प्रिय नेता

महात्मा गांधी भारत के महान् नेताओं में से एक थे। उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह के बल से अंग्रेज़ों को भारत छोड़ने पर विवश कर दिया। दुनिया के इतिहास में उनका नाम हमेशा अमर रहेगा।

2 अक्तूबर, सन् 1869 को पोरबन्दर (गुजरात) में आपका जन्म हुआ। आप मोहनदास कर्मचन्द गांधी के नाम से प्रख्यात हुए। आपके पिता राजकोट के दीवान थे। माता पुतली बाई बहुत धार्मिक प्रवृत्ति की एवं सती-साध्वी स्त्री थीं, जिनका प्रभाव गांधी जी पर आजीवन रहा। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर में हुई। मैट्रिक तक की शिक्षा आपने स्थानीय स्कूलों में ही प्राप्त की। तेरह वर्ष की आयु में कस्तूरबा के साथ आपका विवाह हुआ। आप कानून पढ़ने विलायत गए। वहाँ से बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे। मुम्बई में आकर वकालत का कार्य आरम्भ किया। किसी विशेष मुकद्दमे की पैरवी करने के लिए ये दक्षिणी अफ्रीका गए। वहाँ भारतीयों के साथ अंग्रेजों का दुर्व्यवहार देखकर इनमें राष्ट्रीय भावना जागृत हुई।

जब सन् 1915 में भारत वापस लौट आए तो अंग्रेज़ों का दमन-चक्र ज़ोरों पर था। रोल्ट एक्ट जैसे काले कानून लागू थे, सन् 1919 का जलियांवाला बाग की नरसंहारी दुर्घटनाओं से देश बेचैन था। गांधी जी ने देश की बागडोर अपने हाथ में लेते ही इतिहास का एक नया अध्याय आरम्भ किया। सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन चलाया, इसके बाद सन् 1928 में जब ‘साइमन कमीशन’ भारत आया तो गांधी जी ने उसका पूर्ण रूप से बहिष्कार किया। देश का सही नेतृत्व किया। सन् 1930 में नमक आन्दोलन तथा डांडी यात्रा का श्रीगणेश किया।

सन् 1942 के अन्त में द्वितीय महायुद्ध के साथ ‘अंग्रेज़ो भारत छोड़ो’ आन्दोलन का बिगुल बजाया और कहा, “यह मेरी अन्तिम लड़ाई है।” वे अपने अनुयायियों के साथ गिरफ्तार हुए। इस प्रकार अन्त में अंग्रेज़ 15 अगस्त, सन् 1947 को यहाँ से विदा हुए। स्वतन्त्रता का पुजारी बापू गांधी 30 जनवरी, सन् 1948 को नाथूराम विनायक गोडसे की गोली का शिकार हुए। गांधी जी मरकर भी अमर हैं।

PSEB 7th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

2. परिश्रम सफलता की कुंजी है/श्रम का महत्त्व

श्रम का अर्थ है-मेहनत। श्रम ही मनुष्य-जीवन की गाड़ी को खींचता है। चींटी से लेकर हाथी तक सभी जीव बिना श्रम के जीवित नहीं रह सकते। फिर मनुष्य तो अन्य सभी प्राणियों से श्रेष्ठ है। संसार की उन्नति-प्रगति मनुष्य के श्रम पर निर्भर करती है। श्रम करने की आदत बचपन में ही डाली जाए तो अच्छा है।

परिश्रम के अभाव में जीवन की गाड़ी नहीं चल ही सकती। यहां तक कि स्वयं का उठना-बैठना, खाना-पीना भी संभव नहीं हो सकता फिर उन्नति और विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज संसार में जो राष्ट्र सर्वाधिक उन्नत हैं, वे परिश्रम के बल पर ही इस उन्नत दशा को प्राप्त हुए हैं। जिस देश के लोग परिश्रमहीन एवं साहसहीन होंगे, वह प्रगति नहीं कर सकता। परिश्रमी मिट्टी से सोना बना लेते हैं।

यदि छात्र परिश्रम न करें तो परीक्षा में कैसे सफल हों। मजदूर भी मेहनत का पसीना बहाकर सड़कों, भवनों, बांधों, मशीनों तथा संसार के लिए उपयोगी वस्तुओं का निर्माण करते हैं। मूर्तिकार, चित्रकार अद्भुत कलाओं का निर्माण करते हैं। कवि और लेखक सब परिश्रम द्वारा ही अपनी रचनाओं से संसार को लाभ पहुंचाते हैं। कालिदास, तुलसीदास, टैगोर, शैक्सपीयर आदि परिश्रम के बल पर ही अमर हो गए हैं। परिश्रम के बल पर ही वे अपनी रचनाओं के रूप में अमर हैं।

आज हमारे देश में अनेक समस्याएँ हैं। उन सबसे समाधान का साधन परिश्रम है। परिश्रम के द्वारा ही बेकारी की, खाद्य की और अर्थ की समस्या का अंत किया जा सकता है। परिश्रमी व्यक्ति स्वावलंबी, ईमानदार, सत्यवादी, चरित्रवान् और सेवा भाव से युक्त होता है। परिश्रम करने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। परिश्रम के द्वारा ही मनुष्य अपनी, परिवार की, जाति की तथा राष्ट्र की उन्नति में सहयोग दे सकता है। अतः मनुष्य को परिश्रम करने की प्रवृत्ति विद्यार्थी जीवन में ग्रहण करनी चाहिए।

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3. नैतिक शिक्षा

नैतिक शिक्षा से अभिप्राय उन मूल्यों, गुणों और आस्थाओं की शिक्षा से है. जिन पर मानव की निजी और समाज की सर्वश्रेष्ठ समृद्धि निर्भर करती है। नैतिक शिक्षा व्यक्ति के आंतरिक सद्गुणों को विकसित एवं संपुष्ट करती है, क्योंकि व्यक्ति समष्टि का ही एक अंश है, इसलिए उसके सद्गुणों के विकास का अर्थ है-“समग्र समाज का सुसभ्य एवं सुसंस्कृत होना।”

नैतिक शिक्षा और नैतिकता में कोई अंतर नहीं है अर्थात् नैतिक शिक्षा को ही नैतिकता माना जाता है। समाज जिसे ठीक मानता है, वह नैतिक है और जिसे ठीक नहीं मानता वह अनैतिक है। कर्त्तव्य की आंतरिक भावना नैतिकता है, जो उचित एवं अनुचित पर बल देती है। महात्मा गाँधी नैतिक कार्य उसे मानते थे, जिसमें सदैव सार्वजनिक कल्याण की भावना निहित हो। स्वेच्छा से शुभ कर्मों का आचरण ही नैतिकता है।

नैतिक शिक्षा वस्तुतः मानवीय सद्वृत्तियों को उजागर करती है। यदि यह कहा जाए कि नैतिक शिक्षा ही मानवता का मूल है तो असंगत न होगा। नैतिक शिक्षा के अभाव में मानवता पनप ही नहीं सकती। क्योंकि मानव की कुत्सित वृत्तियाँ विश्व के लिए अभिशाप हैं। इन्हें केवल नैतिक शिक्षा से ही नियंत्रित किया जा सकता है। इसी के माध्यम से उसमें नव-चेतना का संचार हो सकता है। नैतिक शिक्षा ही व्यक्ति को उसके परम आदर्श की प्रेरणा दे सकती है और उसे श्रेष्ठ मनुष्य बनाती है।

नैतिक शिक्षा का संबंध छात्र-छात्राओं की आंतरिक वृत्तियों से है। नैतिक शिक्षा उनके चरित्र-निर्माण का एक माध्यम है क्योंकि चरित्र ही जीवन का मूल आधार है। इसलिए चरित्र की रक्षा करना नैतिक शिक्षा का मूल उद्देश्य है। नैतिकता को आचरण में स्वीकार किए बिना मनुष्य जीवन में वास्तविक सफलता नहीं प्राप्त कर सकता। छात्रछात्राओं के चरित्र को विकसित एवं संवद्धित करने के लिए नैतिक शिक्षा अनिवार्य है। शिष्टाचार, सदाचार, अनुशासन, आत्म संयम, विनम्रता, करुणा, परोपकार, साहस, मानवप्रेम, देशभक्ति, परिश्रम, धैर्यशीलता आदि नैतिक गुण हैं। इनका उत्तरोत्तर विकास नितांत आवश्यक है। यह कार्य नैतिक शिक्षा के द्वारा ही परिपूर्ण हो सकता है।

नैतिक शिक्षा से ही छात्र-छात्राओं में देश-भक्ति के अटूट भाव पल्लवित हो सकते हैं। वैयक्तिक स्वार्थों से ऊपर उठकर उनमें देश के हित को प्राथमिकता प्रदान करने के विचार पनप सकते हैं। नैतिक शिक्षा से छात्र देश के प्रति सदैव जागरूक रहते हैं। इसी शिक्षा से उन में विश्व बंधुत्व की भावना को जागृत किया जा सकता है। जब उन में यह भाव विकसित होगा कि मानव उस विराट पुरुष की कृति है तो उनके समक्ष “वसुधैव कुटुंबकम्’ का महान् आदर्श साकार हो सकता है। यह तभी हो सकता है, जब उन्हें नैतिक शिक्षा दी गई हो।

महात्मा गाँधी जी कहा करते थे-” स्कूल या कॉलेज पवित्रता का मंदिर होना चाहिए, जहाँ कुछ भी अपवित्र या निकृष्ट न हो। स्कूल-कॉलेज तो चरित्र निर्माण की शालाएँ हैं।” इस कथन का सारांश यही है कि नैतिक शिक्षा छात्र-छात्राओं के लिए अनिवार्य है।

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4. लाला लाजपत राय

भारत के इतिहास में ऐसे वीर पुरुषों की कमी नहीं है, जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया। ऐसे वीर शहीदों में पंजाब केसरी लाला लाजपत राय का नाम हमेशा याद किया जाएगा। लाला जी का जन्म जगराओं के निकट ढुढीके गाँव में सन् 1865 में हुआ। इनके पिता लाला राधाकृष्ण वहाँ अध्यापक थे। लाला लाजपत राय ने मैट्रिक परीक्षा में छात्रवृत्ति ली। फिर गवर्नमैंट कॉलेज में दाखिल हुए। वहाँ उन्होंने एफ०ए० की परीक्षा पास की, फिर मुख्त्यारी और इसके बाद वकालत पास की।

वकालत पास करके पहले वे जगराओं में रहे। फिर हिसार आकर काम करने लगे। वहाँ पर तीन वर्ष तक म्यूनिसिपल कमेटी के सेक्रेटरी रहे। इसके बाद लाला जी लाहौर चले गए। वहाँ उनको आर्य समाज की सेवा करने का मौका मिला। लाला जी ने डी०ए०वी० कॉलेज की बड़ी सेवा की। गुरुदत्त और महात्मा हंसराज इनके साथ थे। पहले इनका कार्यक्षेत्र आर्य समाज था। बाद में ये राष्ट्रीय कार्यों में भाग लेने लगे। रावलपिंडी केस में लाला जी ने वहाँ के लोगों की पैरवी की। इसी प्रकार नहरी पानी के टैक्स पर किसानों में जब उत्तेजना फैली तो उन्होंने उनका नेतृत्व किया।

लाला जी सरकार की आँखों में खटकने लगे। परिणामस्वरूप सरकार उन्हें पकड़ने का बहाना सोचने लगी। उन्हीं दिनों लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक से प्रभावित क्रांतिकारी लोग उत्तेजना फैला रहे थे। बंग-भंग के आन्दोलन के समय पंजाब में भी लोगों में असन्तोष फैलने लगा। बस, सरकार को अच्छा मौका मिल गया। उसने लाला जी को पकड़कर मांडले जेल भेज दिया। वहाँ से छुटकर लाला जी ने यूरोप और अमेरिका की यात्रा की।

सन् 1928 ई० में साइमन कमीशन लाहौर आने वाला था। लाला जी उनके विरुद्ध बॉयकाट प्रदर्शन के लीडर थे। गोरी सरकार ने बौखलाकर जुलूस पर लाठियाँ बरसानी आरम्भ कर दीं। कम्बख्त असिस्टैंट पुलिस सुपरिण्टैंडेंट ने लाला जी पर लाठियाँ बरसाईं। इन घावों के कारण लाला जी 17 नवम्बर, सन् 1928 को प्रात:काल समूचे भारत को बिलखता छोड़कर इस संसार से चल बसे। शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले। वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा।

5. अमर शहीद सरदार भगत सिंह

सरदार भगत सिंह पंजाब के महान् सपूत थे। उन्होंने देश को आजाद करवाने के लिए क्रान्तिकारी रास्ता अपनाया। देश की खातिर हँसते-हँसते फाँसी के तख्ते पर झूल गए। उनकी कुर्बानी रंग लाई और आज़ादी के लिए तड़प पैदा की। सरदार भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर, सन् 1907 को एक देशभक्त, रूढ़ि-मुक्त और इन्कलाबी परिवार में हुआ था। यह परिवार जालन्धर जिला के खटकड़ कलाँ गाँव से लायलपुर के एक गाँव में बस गया था। वहीं बार के इलाके में सरदार भगत सिंह का जन्म हुआ। इनके पिता सरदार किशन सिंह और चाचा सरदार अजीत सिंह कट्टर देशभक्त थे। क्रान्तिकारी कार्यवाहियों के कारण सरदार अजीत सिंह को माण्डले जेल में बन्दी बनाया गया था। सरदार भगत सिंह ने प्राइमरी शिक्षा गाँव में ही पाई। बाद में इन्हें लाहौर के डी० ए० वी० स्कूल में दाखिल कराया गया।

बाल्यावस्था में ही उनमें देशभक्ति और क्रान्ति के संस्कार उभर आए थे। अब वे पढ़ते कम और नवयुवकों और साथियों के संगठन में अधिक समय लगाते थे। सन् 1919 में सारे भारत में रौलेट-एक्ट का विरोध हुआ था। भगत सिंह सातवीं में पढ़ते थे, जब जलियाँवाला बाग का हत्याकाण्ड हुआ था। सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ। भगत सिंह पढ़ाई छोड़कर कांग्रेस के स्वयं सेवकों में भर्ती हो गए। इन्होंने अपना जीवन देश को अर्पण करने की प्रतिज्ञा ली। सन् 1926 में ‘नौजवान भारत सभा’ की स्थापना हुई। भगत सिंह उसके जनरल सैक्रेटरी बने। इस सभा का उद्देश्य क्रान्तिकारी आन्दोलन को बढ़ावा देना था।

अक्तूबर, सन् 1927 में लाहौर में दशहरे के अवसर पर किसी ने बम फेंका। पुलिस ने सरदार भगत सिंह को गिरफ्तार कर लिया। वे दो सप्ताह हवालात में रहे। 30 अक्तूबर, सन् 1928 को ‘साइमन कमीशन’ लाहौर पहुँचा तो इसके विरोध का नेतृत्व “नौजवान भारत सभा” ने अपने हाथ में लिया। कांग्रेसी नेता लाला लाजपत राय साइमन कमीशन के विरुद्ध निकाले गए जुलूस में सबसे आगे थे। वे पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज से बुरी तरह घायल हो गए। कुछ दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई। भगत सिंह ने अपने प्यारे नेता की हत्या का बदला सांडर्स की जान लेकर किया। वे पुलिस की आँखों में धूल झोंक कर बच निकले।

8 अप्रैल, सन् 1929 को केन्द्रीय विधानसभा में एक काला कानून बनाया जा रहा था। सरदार भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त ने अपना रोष प्रकट करने के लिए केन्द्रीय विधानसभा में बम फेंका। उन्होंने ‘इन्कलाब ज़िन्दाबाद’ के नारे लगाते हुए अपने आपको गिरफ्तारी के लिए पेश किया। उन पर मुकद्दमा चला। 17 अक्तूबर, सन् 1930 को उन्हें फाँसी की सजा हुई।

23 मार्च, सन् 1931 को अंग्रेज़ सरकार ने सरदार भगत सिंह तथा उनके दो साथियों सुखदेव और राजगुरु को फाँसी के तख्ते पर चढ़ा दिया। यदि सरदार भगत सिंह अंग्रेज़ सरकार से माफी माँग लेते तो वे रिहा हो सकते थे, परन्तु भारत के इस सपूत ने जुल्म के आगे सिर झुकाना नहीं सीखा था। सरदार भगत सिंह अपनी शहादत से भारतीय नौजवानों के सामने एक महान् आदर्श कायम कर गए। सदियों तक भारत की आने वाली पीढ़ियाँ भगत सिंह और उनके साथियों की कुर्बानी से प्रेरणा लेती रहेंगी।

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6. श्री गुरु नानक देव जी

भारत महापुरुषों और अवतारों का जन्मस्थान है। यहाँ अनेक ऋषि, मुनि, सन्त और नेता पैदा हुए हैं। गुरु नानक देव जी का नाम सन्तों में सबसे पहले लिया जाता है। उन्होंने अपने ज्ञान के प्रकाश से संसार को अज्ञान के अन्धेरे से निकाला।

गुरु नानक देव जी का जन्म जिला शेखूपुरा के तलवण्डी नामक ग्राम में सन् 1469 ई० में हुआ था। इनके पिता का नाम मेहता कालू राय जी और माता का नाम तृप्ता जी था। गुरु नानक देव जी जब 7 वर्ष के हुए तो इनको पढ़ने के लिए स्कूल में दाखिल करवाया गया। लेकिन इनका मन तो सदा भक्ति में ही लीन रहता था। पिता जी ने सोचा कि पुत्र ईश्वरभक्ति में रहा और कुछ कमाना न सीखा तो आगे चलकर क्या करेगा। उन्होंने नानक को व्यापार में डाला। पिता ने एक बार कुछ रुपए देकर सच्चा सौदा करने को कहा। वह चल पड़े। मार्ग में उन्हें कुछ साधु मिले। इन्होंने सोचा, इनकी सेवा करना ही सच्चा सौदा है। इन्होंने गाँव में सब रुपयों का आटा-दाल और सामान लाकर साधुओं को भेंट कर दिया।

14 वर्ष की आयु में गुरु नानक देव जी का विवाह मूलचन्द की पुत्री सुलक्षणी देवी से हुआ। इनके दो पुत्र हुए-श्रीचन्द और लक्ष्मीदास। वे लोगों को ‘सत्य’ का रास्ता बताने के लिए यात्रा में निकल पड़े। इन्होंने देश विदेश की यात्राएं कीं और लोगों को अपना उपदेश दिया। गुरु नानक देव जी ने ईश्वर को निराकार बताया और कहा कि धर्म के नाम पर झगड़ना अच्छा नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अच्छे कामों से ही ईश्वर मिलता है, बुरे कामों से नहीं। हिन्दू और मुसलमान सभी उनका आदर करते थे।

ऐसे महान् पुरुषों का जीवन धन्य है जो मूल्य आदर्शों द्वारा हमारी बुराइयों को दूर करते हैं। गुरु नानक देव जी का नाम सदा अमर रहेगा। गुरु जी की वाणी आदि ग्रन्थ ‘गुरु ग्रन्थ साहिब’ में संगृहीत है। करतारपुर (पाकिस्तान) में गुरु जी ज्योति-ज्योत समा गए। वहाँ विशाल गुरुद्वारा बना हुआ है।

7. श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी

श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी सिक्खों के दसवें गुरु थे। वे एक महान् शूरवीर और तेजस्वी नेता थे। इनका जन्म 22 दिसम्बर, सन् 1666 ई० को पटना में हुआ। इनका बचपन का नाम गोबिन्द राय रखा गया। इनके पिता नौंवें गुरु श्री गुरु तेग़ बहादुर जी कुछ समय बाद पंजाब लौट आए थे। परन्तु यह अपनी माता गुजरी जी के साथ आठ साल तक पटना में ही रहे। गोबिन्द राय बचपन से ही स्वाभिमानी और शूरवीर थे। घुड़सवारी करना, हथियार चलाना, साथियों की दो टोलियां बनाकर युद्ध करना तथा शत्रु को जीतने के खेल खेलते थे। वे खेल में अपने साथियों का नेतृत्व करते थे। उनकी बुद्धि बहुत तेज़ थी। उन्होंने आसानी से हिन्दी, संस्कृति और फ़ारसी भाषा का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था।

उन दिनों औरंगजेब के अत्याचार जोरों पर थे। वह तलवार के ज़ोर से हिन्दुओं को मुसलमान बना रहा था। भयभीत कश्मीरी ब्राह्मण गुरु तेग़ बहादुर जी के पास आए। उन्होंने गुरु जी से हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए प्रार्थना की। गुरु तेग़ बहादुर जी ने कहा कि इस समय किसी महापुरुष के बलिदान की आवश्यकता है। पास बैठे बालक गोबिन्द राय ने कहा”पिता जी, आप से बढ़कर महापुरुष और कौन हो सकता है।” तब गुरु तेग़ बहादुर जी ने बलिदान देने का निश्चय कर लिया। वे हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए दिल्ली पहुंच गए
और वहाँ उन्होंने अपनी शहीदी दी।

पिता जी की शहीदी के बाद गोबिन्द राय 11 नवम्बर, सन् 1675 ई० को गुरु गद्दी पर बैठे। उन्होंने औरंगज़ेब के अत्याचारों के विरुद्ध आवाज़ उठाई और हिन्दू धर्म की रक्षा का बीड़ा उठाया। वे अपने शिष्यों को सैनिक-शिक्षा देते थे। सन् 1699 में वैशाखी के दिन गुरु गोबिन्द राय जी ने आनन्दपुर साहब में दरबार सजाया। भरी सभा में उन्होंने बलिदान के लिए पाँच सिरों की मांग की। एक-एक करके पाँच व्यक्ति अपना बलिदान देने के लिए आगे आए। गुरु जी ने उन्हें अमृत छकाया और स्वयं भी उनसे अमृत छका। इस तरह उन्होंने अन्याय और अत्याचार का विरोध करने के लिए खालसा पँथ की स्थापना की। उन्होंने अपना नाम गोबिन्द राय से गोबिन्द सिंह रख लिया।

गुरु जी की बढ़ती हुई सैनिक शक्ति को देखकर कई पहाड़ी राजे उनके शत्रु बन गए। पाऊंटा दुर्ग के पास भंगानी के स्थान पर फतेह शाह ने गुरु जी पर आक्रमण कर दिया। सिक्ख बड़ी वीरता से लड़े। अन्त में गुरु जी विजयी रहे।

औरंगज़ेब ने गुरु जी की शक्ति समाप्त करने का निश्चय किया। उन्हें लाहौर और सरहिन्द के सूबेदारों को गुरु जी पर आक्रमण करने का हुक्म दिया। पहाड़ी राजा मुग़लों के साथ मिल गए। उन सबने कई महीनों तक आनन्दपुर को घेरे रखा। मुग़ल सेना से लड़ते-लड़ते गुरु जी चमकौर जा पहुँचे। चमकौर के युद्ध में गुरु जी के दोनों बड़े साहिबजादे अजीत सिंह और जुझार सिंह शत्रुओं से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। उनके छोटे दोनों साहिबजादों जोरावर सिंह और फ़तेह सिंह को सरहिन्द के सूबेदार ने पकड़ कर जीवित ही दीवार में चिनवा दिया।

नंदेड़ में गुल खां नाम का एक पठान रहता था। उसकी गुरु जी से पुरानी शत्रुता थी। एक दिन उसने छुरे से गुरु जी पर हमला कर दिया। गुरु जी ने कृपाण के एक वार से उसे सदा की नींद सुला दिया। गुरु जी का घाव काफ़ी गहरा था। कई दिनों के बाद गुरु जी 7 अक्तूबर, सन् 1708 ई० को ज्योति-जोत समा गए।

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8. महाराजा रणजीत सिंह

महाराजा रणजीत सिंह एक महान् वीर सपूत थे। इतिहास में उनका नाम शेरे पंजाब के नाम से मशहूर था। महाराजा रणजीत सिंह ने एक मज़बूत सिक्ख राज्य की स्थापना की थी। उन्होंने अफ़गानों की माँद में पहुँचकर उन्हें ललकारा था। इसके साथ ही रणजीत सिंह ने अंग्रेज़ों और मराठों पर भी अपनी बहादुरी की धाक जमाई थी। रणजीत सिंह का जन्म 2 नवम्बर, सन् 1780 को गुजराँवाला में हुआ। आपके पिता सरदार महा सिंह सुकरचकिया मिसल के मुखिया थे। आपकी माता राज कौर जींद की फुलकिया मिसल के सरदार की बेटी थी। आपका बचपन का नाम बुध सिंह था। सरदार महासिंह ने जम्मू को जीतने की खुशी में बुध सिंह की जगह अपने बेटे का नाम रणजीत सिंह रख दिया।

महाराजा रणजीत सिंह को वीरता विरासत में मिली थी। उन्होंने दस साल की उम्र में गुजरात के भंगी मिसल के सरदार साहिब को लड़ाई में कड़ी हार दी थी। उस समय रणजीत सिंह के पिता महासिंह अचानक बीमार हो गए थे। इस कारण सेना की बागडोर रणजीत सिंह ने सम्भाली थी।

महाराजा रणजीत सिंह के पिता की मौत इनकी छोटी उम्र में ही हो गई थी। इस कारण ग्यारह साल की उम्र में ही उन्हें राजगद्दी सम्भालनी पड़ी। पन्द्रह साल की उम्र में महाराजा रणजीत सिंह का विवाह कन्हैया मिसल के सरदार गुरबख्श सिंह की बेटी महताब कौर से हुआ। इन्होंने दूसरा विवाह नकई मिसल के सरदार की बहन से किया।

महाराजा रणजीत सिंह ने बड़ी चतुराई से सभी मिसलों को इकट्ठा किया और हुकूमत अपने हाथ में ले ली। 19 साल की उम्र में आपने लाहौर पर अधिकार कर लिया और उसे अपनी राजधानी बनाया। धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर, अमृतसर, मुलतान, पेशावर आदि सब इलाके अपने अधीन करके एक विशाल राज्य की स्थापना की। आपने सतलुज की सीमा तक सिक्ख राज्य की जड़ें पक्की कर दी।

पठानों पर हमला करने के लिए महाराजा रणजीत सिंह आगे बढ़े। रास्ते में अटक नदी बड़ी तेज़ी से बह रही थी। सरदारों ने कहा-महाराज ! इस नदी को पार करना बहुत कठिन है, परन्तु महाराजा रणजीत सिंह ने कहा-जिसके मन में अटक है, उसे ही अटक नदी रोक सकती है। उन्होंने अपने घोड़े को एड़ी लगाई। घोड़ा नदी में कूद पड़ा। महाराजा देखते ही देखते नदी के पार पहुंच गए। उनके साथी सैनिक भी साहस, पाकर नदी के पार आ गए।

‘महाराजा अनेक गुणों के मालिक थे। वे जितने बड़े बहादुर थे, उतने ही बड़े दानी और दयालु भी थे। छोटे बच्चों से उन्हें बहुत प्यार था। उनका स्वभाव बड़ा नम्र था। चेचक के कारण उनकी एक आँख खराब हो गई थी। इन पर भी उनके चेहरे पर तेज़ था। वे प्रजापालक थे।

महाराजा रणजीत सिंह की अच्छाइयाँ आज भी हमारे दिलों में उत्साह भर रही हैं। उनमें एक आदर्श प्रशासक के गुण थे, जो आज के प्रशासक को रोशनी दिखा सकते हैं।

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9. गुरु रविदास जी

आचार्य पृथ्वी सिंह आज़ाद के अनुसार भक्तिकाल के महान् संत कवि रविदास (रैदास) जी का जन्म विक्रमी सवंत् 1433 में माघ मास की पूर्णिमा को रविवार के दिन बनारस के निकट मंडरगढ़ नामक गाँव में हुआ। इस गाँव का पुराना नाम ‘मेंडुआ डीह’ था।

गुरु जी बचपन से ही संत स्वभाव के थे। उनका अधिकांश समय साधु संगति और ईश्वर भक्ति में व्यतीत होता था। गुरु जी जाति-पाति या ऊँच-नीच में विश्वास नहीं रखते थे। उन्होंने अहंकार के त्याग, दूसरों के प्रति दया भाव रखना तथा नम्रता का व्यवहार करने का उपदेश दिया। उन्होंने लोभ, मोह को त्याग कर सच्चे हृदय से ईश्वर भक्ति करने की सलाह दी। गुरु जी की वाणी में ऐसी शक्ति थी कि लोग उनके उपदेश सुनकर सहज ही उनके अनुयायी बन जाते थे। उनके अनुयायियों में महारानी झाला बाई और कृष्ण भक्त कवयित्री मीरा बाई का नाम उल्लेखनीय है। गुरु जी की वाणी के 40 पद आदि ग्रन्थ श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में संकलित हैं जो समाज कल्याण के लिए आज भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। रहती दुनिया तक गुरु जी की अमृतवाणी लोगों का मार्गदर्शन करती रहेगी।

10. काला धन : एक सामाजिक कलंक

मनुष्य की इच्छाएँ अनन्त हैं। अपनी इन इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए वह धन का आश्रय लेता है। समाज की व्यवस्था और राजनीति के दाँव-पेंच कुछ ऐसे होते हैं जो मनुष्य की इन इच्छाओं को बढ़ाते हैं। इनकी पूर्ति के लिए मनुष्य को अपनी वास्तविक आय से अधिक धन की आवश्यकता पड़ती है। इससे वह अनुचित तरीके से आय के स्रोत ढूँढता है। इन स्रोतों से उसे जो आय होती है वह काला धन कहलाता है। हमारे देश में काला धन राजनीतिक आचार-व्यवहार को बदलने वाला तथा आर्थिक नियोजन को निरर्थक बनाने वाला है। इससे देश का अर्थतन्त्र डगमगा जाता है। देश की कर-नीति इसी काले धन के कारण असफल होती है। आधुनिक युग में भारतीय जन-जीवन का नैतिक और चारित्रिक पतन इसी कारण से हुआ है।

किसी भी व्यापार के लिए कर-चोरी से बचाया गया धन तथा किसी भी नौकरी करने वाले के लिए ऊपरी आय से प्राप्त धन ‘काला धन’ कहलाता है। काला धन तथा रिश्वत का घनिष्ठ सम्बन्ध है। ये दोनों भ्रष्टाचार को बढ़ाते हैं। काला धन देश की कार्य-प्रणाली में भ्रष्टाचार को प्रश्रय देकर उसे विषाक्त बनाता है। रिश्वत देने पर सरकारी कार्यालय में लाल फीताशाही की फ़ाइल तुरन्त हरकत में आ जाती है। अन्यथा कर्मचारी की कार्यक्षमता में कमी आ जाती है। काला धन विभिन्न रूपों में दृष्टिगोचर होता है, जैसे बैंकों के लॉकरों में, व्यक्तिगत तिजोरियों में, पेटियों में, तहखानों तथा कभी चाँदी की सिल्लियों के रूप में तो कभी सोने के बिस्कुटों के रूप में और कभी हीरे-जवाहरात के रूप में।

आधुनिक युग में काला धन जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विद्यमान है। उसकी किसी भी प्रकार से उपेक्षा नहीं की जा सकती। यदि ज़मीन या जायदाद खरीदनी हो अथवा देश की उन्नति के लिए कोई व्यापारिक संस्थान बनाना हो, सभी कार्यों के लिए काला धन चाहिए क्योंकि वास्तविक आय में कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा को पूर्ण नहीं कर सकता। इसी प्रकार मकान की रजिस्ट्री वास्तविक मूल्य के आधे में होती है और दुकान या संस्थान की पगड़ी का तो कोई हिसाब ही नहीं है। यह राशि लाखों और करोड़ों रुपये तक सम्भव है। इसी प्रकार सामाजिक क्षेत्र में जब कोई व्यक्ति अपनी लड़की की शादी करता है तो वास्तविक खर्च करने में असमर्थ होता है और फिर काले धन से ही लड़के वालों की माँग पूरी करता है जो दहेज के दानव के रूप में उसे नष्ट कर डालती है। इस प्रकार लड़के की कीमत ‘काला धन’ ही अदा करता है।

काले धन का सर्वाधिक उपयोग ऐशो-आराम के लिए होता है। इसके परिणामस्वरूप विलास की सामग्रियों की माँग बढ़ती जाती है, जिससे उन सामग्रियों के मूल्य में वृद्धि होती जाती है। इससे विलास की सामग्रियों का उत्पादन करने वालों को लाभ का सुअवसर प्राप्त होता है। इसका परिणाम यह होता है कि अन्य आवश्यक वस्तुओं की तुलना में, विलास की सामग्रियों के उत्पादन में पूँजी लगाना लोग अधिक पसन्द करते हैं। इस प्रकार पूँजी विनियोग की प्राथमिकता बदल जाती है। पूँजी-विनियोग की यह विकृति काले धन का सीधा परिणाम है। धीरे-धीरे यह एक स्थायी विकृति बनने लगती है। इसी कारण भारत जैसे विकासशील देश में एयरकंडीशनर और टेलीविज़न जैसी वस्तुओं का निर्माण करने वाली कम्पनियाँ उत्पादन-व्यय करने में कोई रुचि नहीं लेतीं।

काले धन की उत्पत्ति के तीन प्रमुख स्रोत-कराधन की ऊँची दर, आयात लाइसेंसों की चोरबाज़ारी और तस्करी है। यदि इन कारणों का समूल नष्ट कर दिया जाए तो काले धन में वृद्धि नहीं होगी। भारत में आय-कर की दर बहुत ऊँची है। ऐसी स्थिति में व्यापारी काले धन का आश्रय लेता है। इसके लिए छोटे व्यापारियों को करों के बोझ से मुक्त करना चाहिए तथा बड़े व्यापारियों का आय-कर प्रतिशत कम करना चाहिए।

विदेशों से तस्करी भी भारतीय अर्थव्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने के लिए काले धन का सशक्त आधार है। भारतीय बाजारों में विदेशी वस्त्र, विदेशी घड़ी, टेलीविज़न तथा जीवनोपयोगी वस्तुएँ बहुत अधिक मात्रा में मिलती हैं। इनमें से अधिकांश माल तस्करी का होता है। यह तस्करी अधिकतर समुद्री मार्ग से होती है। इन्हें सहज ही रोका जा सकता है। आज का आर्थिक व्यापार काले धन के बल पर ही चल रहा है। आज के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक जीवन पर काले धन से बड़ा ही अनिष्टकारी प्रभाव डाला है। इसका सबसे भयंकर दुष्परिणाम यह है कि इससे सरकार की समस्त नीतियाँ निष्फल हो रही हैं।

काला धन आसानी से कमाया जा सकता है और इसे आसानी से छिपाया जा सकता है। इसका परिणाम यह होता है कि एक ओर बचत घट रही है तो दूसरी ओर उत्पादन की कमी हो रही है। धन का चक्र संकुचित होता जाता है, उसका उपयोग सीमित हो जाता है जिससे देश की बहुत क्षति हो रही है। इस पर कर भी नहीं देना पड़ता है। काले धन के लिए सरकार की नीतियाँ और कार्य-पद्धति ही मुख्य रूप से ज़िम्मेदार है। सफ़ेद धन वाले का धन कर के नाम पर छीन लेना तथा काले धन को हाथ भी न लगा सकना कितनी असमर्थता की स्थिति है। सरकारी नियम ऐसे हैं कि आदमी को अनाज, चीनी जैसी आवश्यक वस्तुओं के लिए सरकारी परमिट की आवश्यकता पड़ती है, जिसे प्राप्त करने के लिए रिश्वत देना अनिवार्य हो जाता है। इसी कारण काला धन अपना क्षेत्र बढ़ाने में असमर्थ होता है। ऐसी स्थिति में सरकार को उचित कदम उठाना चाहिए।

सरकार का यह कर्त्तव्य है कि देश की आर्थिक स्थिति को अच्छी तरह समझकर नियम बनाए और नियन्त्रण करें, जिससे काले धन को पनपने का अवसर न मिले । कई बार सरकार जल्दबाजी में कदम उठाकर स्थिति को और भी उलझा देती है। इस दिशा में सतर्कता से काम लेना चाहिए। यदि ऐसा न हुआ तो सफ़ेद धन धीरे-धीरे काला बन जाएगा और फिर कभी सफ़ेद नहीं बन सकेगा। इस प्रकार राष्ट्रीय क्षति बढ़ती जाएगी।

आज का काला धन देश की अर्थव्यवस्था पर हावी होकर उसे पंगु बना रहा है तथा देश के विकास कार्य को अवरुद्ध कर रहा है। इससे देश को प्रगति में बाधा आ रही है। देश, जीवन के अनिवार्य पदार्थों के उत्पन्नता को बढ़ाने में असमर्थ हो रहा है।

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11. मेरा पंजाब

पौराणिक ग्रन्थों में पंजाब का पुराना नाम ‘पंचनद’ मिलता है। मुस्लिम शासन के आगमन पर इसका नाम पंजाब अर्थात् पाँच नदियों की धरती पड़ गया। किन्तु देश के विभाजन के पश्चात् अब रावी, व्यास और सतलुज तीन ही नदियाँ पंजाब में रह गई हैं। 15 अग्रस्त, सन् 1947 को इसे पूर्वी पंजाब की संज्ञा दी गई। 1 नवम्बर 1966 को इसमें से हिमाचल प्रदेश और हरियाणा प्रदेश अलग कर दिए गए किन्तु फिर से इस प्रदेश को पंजाब पुकारा जाने लगा। आज के पंजाब का क्षेत्रफल 50, 362 वर्ग किलोमीटर तथा सन् 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी जनसंख्या 2.77 करोड़ है।

पंजाब के लोग बड़े मेहनती हैं। यही कारण है कि कृषि के क्षेत्र में यह प्रदेश सबसे आगे है। औद्योगिक क्षेत्र में भी यह प्रदेश किसी से पीछे नहीं है। पंजाब प्रदेश का प्रत्येक जिला अपनी अलग विशेषता रखता है। अमृतसर यदि कम्बल और शाल के लिए विख्यात है तो जालन्धर खेलों की सामग्री के लिए विश्वविख्यात है। लुधियाना ने हौजरी की वस्तुओं के लिए अपना नाम कमाया है। खेतीबाड़ी के क्षेत्र में भी पंजाब समस्त भारत का नेतृत्व करता है। पंजाब का प्रत्येक गाँव पक्की सड़कों से जुड़ा है। शिक्षा के क्षेत्र में भी पंजाब देश में दूसरे नंबर पर है। यहाँ छ: विश्वविद्यालय हैं। गुरुओं, पीरों, वीरों की यह धरती उन्नति के नए शिखरों को छ रही है।

12. विद्यार्थी जीवन
अथवा
आदर्श विद्यार्थी

महात्मा गांधी जी कहा करते थे, “शिक्षा ही जीवन है।” इसके सामने सभी धन फीके हैं। विद्या के बिना मनुष्य कंगाल बन जाता है, क्योंकि विद्या का ही प्रकाश जीवन को आलोकित करता है। पढ़ने का समय बाल्यकाल से आरम्भ होकर युवावस्था तक रहता है।

भारतीय धर्मशास्त्रों ने मानव जीवन को चार आश्रमों में बाँटा है-ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। मनुष्य की उन्नति के लिए विद्यार्थी जीवन एक महत्त्वपूर्ण अवस्था है। इस काल में वे जो कुछ सीख पाते हैं, वह जीवन-पर्यन्त उनकी सहायता करता है। यह वह अवस्था है जिसमें अच्छे नागरिकों का निर्माण होता है।

विद्यार्थी जीवन की सफलता पर ही आगे के तीनों जीवन आश्रित हैं। विद्यार्थी का सबसे प्रमुख कर्त्तव्य पढ़ना, लिखना और सीखना है। इस जीवन में उसे शारीरिक सुख का कोई भी ध्यान नहीं करना चाहिए। विद्या चाहने वालों को शारीरिक सुख नहीं मिलता और शारीरिक सुख चाहने वालों को विद्या प्राप्त नहीं होती। माता-पिता तथा गुरु की आज्ञा मानने को ही विद्यार्थी का कर्तव्य माना जाता है। जो विद्यार्थी अपने माता-पिता तथा गुरु की आज्ञा का पालन नहीं करते वे कभी भी विद्या प्राप्त नहीं कर सकते।

शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थी की शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक तथा आध्यात्मिक शक्तियों का समुचित विकास है। शिक्षा से विद्यार्थियों के अन्दर सामाजिकता के सुन्दर भाव उत्पन्न हो जाते हैं। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ आत्मा निवास करती है। अतएव आवश्यक है कि विद्यार्थी अपने अंगों का समुचित विकास करें। खेल-कूद, दौड़, व्यायाम आदि के द्वारा शरीर भी बलिष्ठ होता है और मनोरंजन के द्वारा मानसिक श्रम का बोझ भी उतर जाता है। खेल के नियम में स्वभाव और मानसिक प्रवृत्तियाँ भी सध जाती हैं।

आज भारत के विद्यार्थी का स्तर गिर चुका है। उसके पास न सदाचार है न आत्मबल। इसका कारण विदेशियों द्वारा प्रचारित अनुपयोगी शिक्षा प्रणाली है। अभी तक भी उसी की अन्धा-धुन्ध नकल चल रही है। जब तक यह सड़ा-गला विदेशी शिक्षा पद्धति का ढांचा उखाड़ नहीं फेंका जाता, तब तक न तो विद्यार्थी का जीवन ही आदर्श बन सकता है और न ही शिक्षा सर्वांगपूर्ण हो सकती है। इसलिए देश के भाग्य-विधाताओं को इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

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13. विज्ञान वरदान या अभिशाप ?
अथवा
विज्ञान के चमत्कार

गत दो सौ वर्षों में विज्ञान निरन्तर उन्नति ही करता गया है। यद्यपि इससे बहुत पूर्व रामायण और महाभारत काल में भी अनेक वैज्ञानिक आविष्कारों का उल्लेख मिलता है, परन्तु उनका कोई चिह्न आज उपलब्ध नहीं हो रहा। इसलिए 19वीं और 20वीं शताब्दी से विज्ञान का एक नया रूप देखने को मिलता है।

आधुनिक विज्ञान में असीम शक्ति है। इसने मानव जीवन में क्रान्तिकारी परिवर्तन कर दिया है। भाप, बिजली और अणु-शक्ति को वश में करके मनुष्य ने मानव-समाज को वैभव की चरम सीमा तक पहुँचा दिया है। तेज़ चलने वाले वाहन, समुद्र की छाती को रौंदने वाले जहाज़, असीम आकाश में वायु वेग से उड़ने वाले विमान और नक्षत्र लोक तक पहुँचने वाले राकेट प्रकृति का मानव की विजय के उज्ज्वल उदाहरण हैं।

ई० मेल, टेलीफोन, मोबाइल फोन, रेडियो, टेलीविज़न, सिनेमा और ग्रामोफोन आदि ने हमारे जीवन में ऐसी सुविधाएँ प्रस्तुत कर दी हैं जिनकी कल्पना भी पुराने लोगों के लिए कठिन होती है। पहले मनुष्य का समय अन्न और वस्त्र इकट्ठा करते-करते बीत जाता था। दिन भर कठोर श्रम के बाद भी उसकी आवश्यकताएँ पूर्ण नहीं हो पाती थीं, परन्तु अब मशीनों की सहायता से वह अपनी इन आवश्यकताओं को बहुत थोड़े समय काम करके पूर्ण कर सकता है। विज्ञान एक अद्भुत वरदान के रूप में मनुष्य को प्राप्त हुआ है।

प्रत्येक वैज्ञानिक आविष्कार का उपयोग मानव-हित के लिए उतना नहीं किया गया जितना मानव-जाति के अहित के लिए। वैज्ञानिक उन्नति से पूर्व भी मनुष्य लड़ा करते थे, परन्तु उस समय के युद्ध आजकल के युद्धों की तुलना में बच्चों के खिलौनों जैसे प्रतीत होते हैं। प्रत्येक नए वैज्ञानिक आविष्कार के साथ युद्धों की भयंकरता बढ़ती गई और उसकी भयानकता हिरोशिमा और नागासाकी में प्रकट हुई। जहाँ एक अणु बम के विस्फोट के कारण लाखों व्यक्ति मारे गए।

प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध में जन और धन का जितना विनाश हुआ उतना शायद विज्ञान हमें सौ वर्षों में भी न दे सकेगा और यह विनाश केवल विज्ञान के कारण ही हुआ है। यह तो निश्चित है कि विज्ञान का उपयोग मनुष्य को करना है। विज्ञान वरदान सिद्ध होगा या अभिशाप, यह पूर्ण रूप से मानव-समाज की मनोवृत्ति पर निर्भर है। विज्ञान तो मनुष्य का दास बन गया है। मनुष्य उसका स्वामी है। वह जैसा आदेश देगा विज्ञान उसका पालन करेगा। यदि मानव-मानव रहा तो विज्ञान वरदान सिद्ध होगा और मानव दानव बन गया तो विज्ञान भी अभिशाप ही बनकर रहेगा।

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14. सिनेमा के लाभ तथा हानियाँ

बीसवीं सदी के वैज्ञानिक आविष्कारों में सिनेमा भी एक है। इसका प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र में पड़ा है। नगर से लेकर ग्राम तक सभी बाल-वृद्ध सिनेमा देखने को उत्सुक रहते हैं। इसके गीतों का प्रभाव तो और भी अधिक है। इसका आविष्कार सन् 1860 ई० में अमेरिका के एडीसन नामक व्यक्ति ने किया था। भारत में सिनेमा का प्रवेश कराने वाले दादा साहिब ‘फालके’ कहे जाते हैं। सन् 1913 में उन्होंने प्रथम भारतीय फिल्म तैयार की। उस समय मूक चित्र दिखाए जाते थे। बोलने वाले चित्रों का दर्शन सन् 1928 में आरम्भ हुआ।

सिनेमा मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय साधन है। शहरों की बात तो अलग रही, आजकल कस्बों तक में सिनेमा घर खुल गए हैं। मुम्बई और कोलकाता जैसे बड़े शहरों में तो सिनेमा घरों का जाल-सा बिछ गया है। सिनेमा मनोरंजन का साधन होने के साथसाथ शिक्षा प्रसार का भी प्रबल साधन है। विदेशों में शिक्षा प्रसार के लिए इसका माध्यम अत्यन्त लाभकारी सिद्ध हुआ है। शिक्षा-प्रसार की दशा में सबसे अधिक इसी माध्यम का सहारा लिया जाता है। भारत में भी इस ओर कदम उठाया जा रहा है। समाज सुधार में भी सिनेमा को ऊँचा स्थान दिया गया है। व्यवसाय के विज्ञापन और प्रचार के लिए भी सिनेमा एक अत्युत्तम साधन है। प्रत्येक सिनेमा-गृह में हमें अनेक विज्ञापन देखने को मिलते हैं। हज़ारों दर्शकों की दृष्टि उन पर पड़ती है।

किन्तु सिनेमा में जहाँ अनेक गुण हैं, वहाँ कुछ दोष भी हैं। सबसे पहला दोष तो यह है कि इसका आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, चरित्र की हानि होती है। गन्दे और अश्लील चित्र इस आग में घी का काम करते हैं।

यद्यपि सिनेमा में अनेक दोष देखने को मिलेंगे, फिर भी ये ऐसे दोष नहीं जो दूर न किए जा सकते हों। इन दोषों को दूर करने के लिए भारत सरकार और फिल्म-निर्माता पूरी कोशिश कर रहे हैं। इससे भारतीय सिनेमा उद्योग का भविष्य उज्ज्वल प्रतीत हो रहा है।

15. समाचार-पत्र
अथवा
समाचार-पत्र और उसके लाभ

आज समाचार-पत्र जीवन का एक आवश्यक अंग बन गया है। समाचार-पत्रों की शक्ति असीम है। आज की वैज्ञानिक शक्तियाँ इसके बहुत पीछे रह गई हैं। प्रजातन्त्र शासन में तो इसका और भी अधिक महत्त्व है। देश की उन्नति और अवनति समाचार-पत्रों पर ही निर्भर करती है। भारत के स्वतन्त्रता-संघर्ष में समाचार-पत्रों एवं उनके सम्पादकों का विशेष योगदान रहा है। इसको किसी ने ‘जनता की सदा चलती रहने वाली पार्लियामेंट’ कहा है।

आजकल समाचार-पत्र जनता के विचारों के प्रसार का सबसे बड़ा साधन है। वह धनिकों की वस्तु न होकर जनता की वाणी है। वह पीड़ितों और दुःखियों की पुकार है। आज वह जनता का माता-पिता, स्कूल-कॉलेज, शिक्षक, थियेटर, आदर्श परामर्शदाता और साथी सब कुछ है। वह सच्चे अर्थों में जनता के विचारों का प्रतिनिधित्व करता है।

डेढ़ दो रुपए के समाचार-पत्र में क्या नहीं होता। कान, देश-भर के महत्त्वपूर्ण और मनोरंजक समाचार, सम्पादकीय लेख, विद्वानों के लेख, नेताओं के भाषणों की रिपोर्ट, व्यापार और मेलों की सूचनाएँ और विशेष संस्करणों में स्त्रियों और बच्चों के उपयोग की सामग्री, पुस्तकों की आलोचना, नाटक, कहानी, धारावाहिक, उपन्यास, हास्य-व्यंग्यात्मक लेख आदि विशेष सामग्री रहती है।

समाचार-पत्र सामाजिक कुरीतियाँ दूर करने के लिए बड़े सहायक हैं। समाचार-पत्रों की खबरें बड़े-बड़ों के मिजाज़ ठीक कर देती हैं। सरकारी नीति के प्रकाश और उसके खण्डन का समाचार-पत्र सुन्दर साधन हैं। इनके द्वारा शासन में सुधार भी किया जा सकता है।

समाचार-पत्र व्यापार का सर्व सुलभ साधन है। विक्रय करने वाले और कार्य करने वाले दोनों ही समाचार-पत्रों को अपनी सूचना का माध्यम बनाते हैं। इससे जितना लाभ साधारण जनता को होता है, उतना ही व्यापारियों को। बाज़ार का उतार-चढ़ाव इन्हीं समाचार-पत्रों की सूचनाओं पर चलता है।

विज्ञापन आज के युग में बड़े महत्त्वपूर्ण हो रहे हैं। प्रायः लोग विज्ञापनों वाले पृष्ठों को अवश्य पढ़ते हैं, क्योंकि इसी के सहारे वे अपनी जीवन यात्रा का प्रबन्ध करते हैं। इन विज्ञापनों में नौकरी की मांगें, वैवाहिक विज्ञापन, व्यक्तिगत सूचनाएँ और व्यापारिक विज्ञापन आदि होते हैं। चित्रपट जगत् के विज्ञापनों के लिए भी विशेष पृष्ठ होते हैं।

अन्त में यह कहना आवश्यक है कि समाचार-पत्र का बड़ा महत्त्व है, पर उसका उत्तरदायित्व भी है कि उसके समाचार निष्पक्ष हों, किसी विशेष पार्टी या पूँजीपति के स्वार्थ का साधन न बनें। आजकल के भारतीय समाचार-पत्रों में यह बड़ी कमी है। जनता की वाणी का ऐसा दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। पत्र के सम्पादकों को अपना दायित्व भली प्रकार समझना चाहिए।

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16. देशभक्ति (स्वदेश प्रेम)

भूमिका-देशभक्ति का अर्थ है अपने देश से प्यार अथवा अपने देश के प्रति श्रद्धा । जो मनुष्य जिस देश में पैदा होता है, उसका अन्न-जल खा-पीकर बड़ा होता है, उसकी मिट्टी में खेलकर हृष्ट-पुष्ट होता है, वहीं पढ़-लिखकर विद्वान् बनता है, वही उसकी जन्म-भूमि है।

प्रत्येक मनुष्य, प्रत्येक प्राणी अपने देश से प्यार करता है। वह कहीं भी चला जाए, संसार भर की खुशियों तथा महलों के बीच में क्यों न विचरण कर रहा हो उसे अपना देश, अपना स्थान ही प्रिय लगता है, जैसा कि पंजाबी में कहा गया है

“जो सुख छज्जू दे चबारे,
न बलख न बुखारे।”

देश-भक्त सदा ही अपने देश की उन्नति के बारे में सोचता है। हमारा इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब-जब देश पर विपत्ति के बादल मंडराए, जब-जब हमारी आज़ादी को खतरा रहा, तब-तब हमारे देश-भक्तों ने अपनी भक्ति-भावना दिखाई। सच्चे देश-भक्त अपने सिर पर लाठियाँ खाते हैं, जेलों में जाते हैं, बार-बार अपमानित किए जाते हैं तथा हँसते-हँसते फाँसी के फंदे चूम जाते हैं। जंगलों में स्वयं तो भूख से भटकते हैं साथ ही अपने बच्चों को भी बिलखते देखते हैं।

महाराणा प्रताप का नाम कौन भूल सकता है जो अपने देश की आज़ादी के लिए दरदर भटकते रहे, परन्तु शत्रु के आगे सिर नहीं झुकाया। महात्मा गांधी, जवाहर लाल, सुभाष, पटेल, राजेन्द्र प्रसाद, तिलक, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आज़ाद, लाला लाजपत राय, मालवीय जी आदि अनेक देश-भक्तों ने आजादी प्राप्त करने के लिए अपना सच्चा देश-प्रेम दिखलाया। वे देश के लिए मर मिटे, पर शत्रु के आगे झुके नहीं। उन्होंने यह निश्चय किया था कि

‘सर कटा देंगे मगर,
सर झुकाएंगे नहीं।’

आज जो कुछ हमने प्राप्त किया है तथा जो कुछ हम बन पाए हैं उन सब के लिए हम देश-भक्त वीरों के ही ऋणी हैं। इन्हीं के त्याग के परिणामस्वरूप हम स्वतन्त्रता में साँस ले रहे हैं। इसलिए इन वीरों से प्रेरणा लेकर हमें भी नि:स्वार्थ भाव से अपने देश की सेवा करने का प्रण करना चाहिए तथा अपने देश की सभ्यता, संस्कृति, रीति-रिवाज, भाषा, धर्म तथा मान-मर्यादा की रक्षा करनी चाहिए।

17. व्यायाम के लाभ

अच्छा स्वास्थ्य श्रेष्ठ धन है। इसके बिना जीवन नीरस है। शास्त्रों में कहा गया है, ‘शरीर ही धर्म का प्रधान साधन है।’ अतएव शरीर को स्वस्थ रखना व्यक्ति का प्रथम कर्तव्य है। स्वस्थ व्यक्ति ही सभी प्रकार की उन्नति कर सकता है। शरीर को स्वस्थ रखने का साधन व्यायाम है।

शरीर को एक विशेष ढंग से गति देना व्यायाम कहलाता है। यह कई प्रकार से किया जा सकता है। व्यायाम करने से शरीर में पसीना आता है जिससे अन्दर का मल दूर हो जाता है। इससे शरीर निरोग एवं फुर्तीला बनता है। आयु बढ़ती है। व्यायाम करने वाला व्यक्ति बड़े-से-बड़ा काम करने से भी नहीं घबराता। व्यायाम के अनेक प्रकार हैं। कुश्ती करना, दण्ड पेलना, बैठकें निकालना, दौडना, तैरना, घुड़सवारी, नौका चलाना, खो-खो खेलना, कबड्डी खेलना आदि पुराने ढंग के व्यायाम हैं। पहाड़ पर चढ़ना भी एक व्यायाम है। इनके अतिरिक्त आज अंग्रेज़ी ढंग के व्यायामों का भी प्रचार बढ़ रहा है। फुटबाल, वॉलीबाल, क्रिकेट, हॉकी, बैडमिंटन, टेनिस आदि आज के नए ढंग के व्यायाम हैं। इनके द्वारा खेल-खेल में ही व्यायाम हो जाता है।

अब उत्तरोत्तर दुनिया भर में व्यायाम का महत्त्व बढ़ रहा है। भारत में भी इस ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। स्कूलों में प्रत्येक विद्यार्थी को व्यायाम में भाग लेना ज़रूरी हो गया है। खेलों को अनिवार्य विषय बना दिया गया है। शारीरिक शिक्षा भी पुस्तकों की पढ़ाई का एक आवश्यक अंग बन गई है।

भारत में प्राचीन काल से योगासन चले आ रहे हैं। गुरुकुलों और ऋषि कुलों में इनकी शिक्षा दी जाती थी। स्कूल-कॉलेजों में भी इनका प्रचलन हो रहा है। योगासन और प्राणायाम करने से आयु बढ़ती है। मुख पर तेज आता है, आलस्य दूर भागता है। प्रत्येक महापुरुष व्यायाम या श्रम को अपनाता रहा। पं० जवाहरलाल नेहरू प्रतिदिन शीर्षासन किया करते थे। महात्मा गांधी नियमित रूप से प्रातः भ्रमण करते थे। वे जीवन भर क्रियाशील रहे।

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18. लोहड़ी

लोहड़ी का त्योहार विक्रमी संवत् के पौष मास के अन्तिम दिन अर्थात् मकर संक्रान्ति से एक दिन पहले मनाया जाता है। अंग्रेज़ी महीने के अनुसार यह दिन प्राय: 13 जनवरी को पड़ता है। इस दिन सामूहिक तौर पर या व्यक्तिगत रूप में घरों में आग जलाई जाती है और उसमें मूंगफली, रेवड़ी और फूल-मखाने की आहूतियाँ डाली जाती हैं। लोग एकदूसरे को तिल, गुड़ और मूंगफली बाँटते हैं। पता नहीं कब और कैसे इस त्योहार को लड़के के जन्म के साथ जोड़ दिया गया। प्रायः उन घरों में लोहड़ी विशेष रूप से मनाई जाती है जिस घर में लड़का हुआ हो। किन्तु पिछले वर्ष से कुछ जागरूक और समझदार लोगों ने लड़की होने पर भी लोहड़ी मनाना शुरू कर दिया है।

लोहड़ी, अन्य त्योहारों की तरह ही पंजाबी संस्कृति के सांझेपन का, प्रेम और भाईचारे का त्योहार है। खेद का विषय है कि आज हमारे घरों में ‘दे माई लोहड़ी-तेरी जीवे जोड़ी’ या सुन्दर मुन्दरियों हो, तेरा कौन बेचारा’ जैसे गीत कम ही सुनने को मिलते हैं। लोग लोहड़ी का त्योहार भी होटलों में मनाने लगे हैं जिससे इस त्योहार की सारी गरिमा ही समाप्त होकर रह गई है।

19. दशहरा

हमारे त्योहारों का किसी-न-किसी ऋतु के साथ सम्बन्ध रहता है। दशहरा शरद् ऋतु के प्रधान त्योहारों में से एक है। यह आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन श्रीराम ने लंकापति रावण पर विजय पाई थी, इसलिए इसको विजया दशमी कहते हैं।

भगवान् राम के वनवास के दिनों में रावण छल से सीता को हर कर ले गया था। राम ने हनुमान और सुग्रीव आदि मित्रों की सहायता से लंका पर आक्रमण किया तथा रावण को मार कर लंका पर विजय पाई। तभी से यह त्योहार मनाया जाता है।

विजयादशमी का त्योहार पाप पर पुण्य की, अधर्म पर धर्म की, असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है। भगवान् राम ने अत्याचारी और दुराचारी रावण का नाश कर भारतीय संस्कृति और उसकी महान् परम्पराओं की पुनः प्रतिष्ठा की थी।

दशहरा रामलीला का अन्तिम दिन होता है। भिन्न-भिन्न स्थानों पर अलग-अलग प्रकार से यह दिन मनाया जाता है। बड़े-बड़े नगरों में रामायण के पात्रों की झांकियाँ निकाली जाती हैं। दशहरे के दिन रावण, कुम्भकर्ण तथा मेघनाद के कागज़ के पुतले बनाए जाते हैं। सायँकाल के समय राम और रावण के दलों में बनावटी लड़ाई होती है। राम रावण को मार देते हैं। रावण आदि के पुतले जलाए जाते हैं। पटाखे आदि छोड़े जाते हैं। लोग मिठाइयां तथा खिलौने लेकर घरों को लौटते हैं। कुल्लू का दशहरा बहुत प्रसिद्ध है। वहाँ देवताओं की शोभायात्रा निकाली जाती है।

इस दिन कुछ असभ्य लोग शराब पीते हैं और लड़ते हैं, यह ठीक नहीं है। यदि ठीक ढंग से इस त्योहार को मनाया जाए तो बहुत लाभ हो सकता है। स्थान-स्थान पर भाषणों का प्रबन्ध होना चाहिए जहाँ विद्वान् लोग राम के जीवन पर प्रकाश डालें।

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20. दीवाली

भारतीय त्योहारों में दीपमाला का विशेष स्थान है। दीपमाला शब्द का अर्थ है-दीपों की पंक्ति या माला। इस पर्व के दिन लोग रात को अपनी प्रसन्नता प्रकट करने के लिए दीपों की पंक्तियाँ जलाते हैं और प्रकाश करते हैं। नगर और गाँव दीप-पंक्तियों से जगमगाने लगते हैं। इसी कारण इसका नाम दीपावली पड़ा।

भगवान् राम लंकापति रावण को मार कर तथा वनवास के चौदह वर्ष समाप्त कर अयोध्या लौटे तो अयोध्यावासियों ने उनके आगमन पर हर्षोल्लास प्रकट किया और उनके स्वागत में रात को दीपक जलाए। उसी दिन की पावन स्मृति में यह दिन बड़े समारोह से मनाया जाता है।

इसी दिन जैनियों के तीर्थंकर महावीर स्वामी ने निर्वाण प्राप्त किया था। स्वामी दयानन्द तथा स्वामी रामतीर्थ भी इसी दिन निर्वाण को प्राप्त हुए थे। सिक्ख भाई भी दीवाली को बड़े उत्साह से मनाते हैं। इस प्रकार यह दिन धार्मिक दृष्टि से बड़ा पवित्र है।

दीवाली से कई दिन पूर्व तैयारी आरम्भ हो जाती है। लोग शरद् ऋतु के आरम्भ में घरों की लिपाई-पुताई करवाते हैं और कमरों को चित्रों से सजाते हैं। इससे मक्खी, मच्छर दूर हो जाते हैं। इससे कुछ दिन पूर्व अहोई माता का पूजन किया जाता है। धन त्रयोदशी के दिन पुराने बर्तनों को लोग बेचते हैं और नए खरीदते हैं। चतुर्दशी को घरों का कूड़ा-कर्कट निकालते हैं। अमावस्या को दीपमाला की जाती है।

इस दिन लोग अपने इष्ट-बन्धुओं तथा मित्रों को बधाई देते हैं और नव वर्ष में सुखसमृद्धि की कामना करते हैं। बालक-बालिकाएँ नए वस्त्र धारण कर मिठाई बाँटते हैं। रात को आतिशबाजी चलाते हैं। लोग रात को लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं। कहीं-कहीं दुर्गा सप्तशति का पाठ किया जाता है।

दीवाली हमारा धार्मिक त्योहार है। इसे यथोचित रीति से मनाना चाहिए। इस दिन विद्वान् लोग व्याख्यान देकर जन-साधारण को शुभ मार्ग पर चला सकते हैं। जुआ और शराब का सेवन बहुत बुरा है। इससे बचना चाहिए। आतिशबाज़ी पर अधिक खर्च नहीं करना चाहिए।

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21. होली

मुसलमानों के लिए ईद का, ईसाइयों के लिए क्रिसमस का जो, स्थान है, वही स्थान हिन्दू त्योहारों में होली का है। यह बसन्त का उल्लासमय पर्व है। इसे ‘बसन्त का यौवन’ कहा जाता है। होली के उत्सव को आपसी प्रेम का प्रतीक माना है। होली प्रकृति की सहचरी है। बसन्त में जब प्रकृति के अंग-अंग में यौवन फूट पड़ता है, तो होली का त्योहार उसका श्रृंगार करने आता है। होली ऋतु-सम्बन्धी त्योहार है। शीत की समाप्ति पर किसान आनन्द-विभोर हो जाते हैं। खेती पक कर तैयार होने लगती है। इसी कारण सभी मिलकर हर्षोल्लास में खो जाते हैं।

होली मनुष्य मात्र के हृदय में आशा और विश्वास को जन्म देती है। नस-नस में नया रक्त प्रवाहित हो उठता है। बाल, वृद्ध सब में नई उमंगें भर जाती हैं। निराशा दूर हो जाती है। धनी-निर्धन सभी एक साथ मिलकर होली खेलते हैं।

कहते हैं कि भक्त प्रह्लाद भगवान् का नाम लेता था। उसका पिता हिरण्यकश्यप ईश्वर को नहीं मानता था। वह प्रहलाद को ईश्वर का नाम लेने से रोकता था। प्रह्लाद इसे किसी भी रूप में स्वीकार करने को तैयार न था। प्रहलाद को अनेक दण्ड दिए गए, परन्तु भगवान् की कृपा से उसका कुछ भी न बिगड़ा। हिरण्यकश्यप की बहिन का नाम होलिका था। उसे वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती। वह अपने भाई के आदेश पर प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर चिता में बैठ गई। भगवान् की महिमा से होलिका उस चिता में जलकर राख हो गई। प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। यही कारण है कि आज होलिका जलाई जाती है।

आज कुछ लोगों ने होली का रूप बिगाड़ कर रख दिया है। सुन्दर एवं कच्चे रंगों के स्थान पर कुछ लोग स्याही और तवे की कालिमा का प्रयोग करते हैं। कुछ मूढ़ व्यक्ति एक-दूसरे पर गन्दगी फेंकते हैं। प्रेम और आनन्द के त्योहार को घृणा और दुश्मनी का त्योहार बना दिया जाता है। इन बुराइयों को समाप्त करने का प्रयत्न किया जाना चाहिए।

होली के पवित्र अवसर पर हमें ईर्ष्या, द्वेष, कलह आदि बुराइयों को दूर भगाना चाहिए। समता और भाईचारे का प्रचार करना चाहिए। छोटे-बड़ों को गले मिलकर एकता का उदाहरण पेश करना चाहिए।

22. बसंत ऋतु

बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। यह ऋतु विक्रमी संवत के महीने के चैत्र और वैशाख महीने में आती है। इस ऋतु के आगमन की सूचना हमें कोयल की कूहूकूहू की आवाज़ से मिल जाती है। वृक्षों पर, लताओं पर नई कोंपलें आनी शुरू हो जाती हैं। प्रकृति भी सरसों के फूले खेतों में पीली चुनरिया ओढ़े प्रतीत होती हैं। इसी ऋतु में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है जो पूर्ण मासी तक कौमदी महोत्सव तक मनाया जाता है। इस त्योहार में लोग पीले वस्त्र पहनते हैं। घरों में पीला हलवा या पीले चावल बनाया जाता है। कुछ लोग बसंत पंचमी वाले दिन व्रत भी रखते हैं।

पुराने जमाने में पटियाला और कपूरथला की रियासतों में यह दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था। पतंग बाजी के मुकाबले होते थे। कुश्तियों और शास्त्रीय संगीत का आयोजन किया जाता था। पुराना मुहावरा था कि ‘आई बसंत तो पाला उड़त’ किन्तु पर्यावरण दूषित होने के कारण अब तो पाला बसंत के बाद ही पड़ता है। पंजाबियों को ही नहीं समूचे भारतवासियों को अमर शहीद सरदार भगत सिंह का ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ इस दिन की सदा याद दिलाता रहेगा।

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23. वैशाखी

मेले हमारी संस्कृति का अंग हैं। इन से विकास की प्रेरणा मिलती है। ये सद्गुणों को उजागर करते हैं। ये पर्व सहयोग और साहचर्य की भावना को जन्म देते हैं। वैशाखी का उत्सव हर वर्ष एक नवीन उत्साह व उमंग लेकर आता है। वैशाखी का पर्व सारे भारत में मनाया जाता है। ईस्वी वर्ष के 13 अप्रैल के दिन यह मेला मनाया जाता है। इस दिन लोगों में नई चेतना, एक नई स्फूर्ति और नया उत्साह दिखाई देता है। हिन्दू, सिक्ख, मुसलमान, ईसाई सभी धर्मों के लोग यह पर्व बड़ी खुशी से मनाते हैं।

सूर्य के गिर्द वर्ष भर का चक्कर काट कर पृथ्वी जब दूसरा चक्कर शुरू करती है तो इसी दिन वैशाखी होती है। इसलिए यह सौर वर्ष का पहला दिन माना जाता है। इस दिन लोग नदी पर नहाने के लिए जाते हैं और आते समय गेहूँ के पके हुए सिट्टे लेकर आते हैं। वैशाखी पर किसानों में तो एक नई खुशी भर जाती है। उनकी वर्ष भर की मेहनत रंग लाती है। खेतों में गेहूं की स्वर्णिम डालियाँ लहलहाती देखकर उनका सीना तन जाता है। उनके पांव में एक विचित्र-सी हलचल होने लगती है, जो भंगड़े के रूप में ताल देने लगती है।

वैशाखी के दिन लोग घरों में अन्न दान करते हैं। इष्ट मित्रों में मिठाई बाँटते हैं। प्रत्येक को नए वर्ष की बधाई देते हैं। कई स्थानों पर इस मेले की विशेष चहल-पहल होती है। प्रात:काल ही मन्दिरों और गुरुद्वारों में लोग इकट्ठे हो जाते हैं। ईश्वर के दरबार में लोग नतमस्तक हो जाते हैं। झूलों पर बच्चों का जमघट देखते ही बनता है। हलवाइयों की दुकानों, रेहड़ी-छाबड़ी वालों के पास भीड़ जमी रहती है। अमृतसर का वैशाखी मेला देखने योग्य होता है।

प्रत्येक व्यक्ति वैशाखी का यह त्योहार हर्ष और उल्लास से मनाता है। इस दिन नए काम आरम्भ किये जाते हैं। पुराने कामों का लेखा-जोखा किया जाता है। स्कूलों का सत्र वैशाखी से आरम्भ होता है। सभी चाहते हैं कि यह त्योहार उनके लिए हर्ष का सन्देश लाए। समृद्धि का बोलबाला हो।

24. गणतन्त्र दिवस

ऐसे उत्सव जिनका सम्बन्ध सारे राष्ट्र तथा उसमें निवास करने वाले जन-जीवन से होता है, राष्ट्रीय उत्सवों के नाम से प्रसिद्ध हैं। 26 जनवरी इन्हीं में से एक है। यह हमारा गणतन्त्र दिवस है। 26 जनवरी राष्ट्रीय उत्सवों में विशेष स्थान रखता है, क्योंकि भारतीय गणतन्त्रात्मक लोक राज्य का अपना बनाया संविधान इसी पुण्य तिथि को लागू हुआ था। इसी दिन से भारत में गवर्नर-जनरल के पद की समाप्ति हो गई और शासन का मुखिया राष्ट्रपति हो गया।

सन् 1929 में जब लाहौर में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ तो उसमें कांग्रेस के अध्यक्ष श्री जवाहल लाल नेहरू बने थे। उन्होंने यह घोषणा की थी कि 26 जनवरी के दिन प्रत्येक भारतवासी राष्ट्रीय झण्डे के नीचे खड़ा होकर प्रतिज्ञा करे कि हम भारत के लिए स्वाधीनता की मांग करेंगे और उसके लिए अन्तिम दम तक संघर्ष करेंगे। तब से प्रति वर्ष 26 जनवरी का पर्व मनाने की परम्परा चल पड़ी। आजादी के बाद 26 जनवरी, सन् 1950 को प्रथम एवम् अन्तिम गवर्नर-जनरल श्री राजगोपालाचार्य ने नव-निर्वाचित राष्ट्र पति डॉ० राजेन्द्र प्रसाद को कार्य भार सौंपा था।

यद्यपि यह पर्व देश के प्रत्येक ओर-छोर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है तथापि भारत की राजधानी दिल्ली में इसकी शोभा देखते ही बनती है। मुख्य समारोह सलामी, पुरस्कार वितरण आदि तो इण्डिया गेट पर ही होता है, पर शोभा यात्रा नई दिल्ली की प्रायः सभी सड़कों पर घूमती है। विभिन्न प्रान्तीय दल के लोग लोक नृत्य तथा शिल्प आदि का प्रदर्शन करते हैं। कई ऐतिहासिक महत्त्व की वस्तुएँ भी उपस्थित की जाती है। छात्र-छात्राएँ भी इसमें भाग लेते हैं और अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।

26 जनवरी के उत्सव को साधारण जन समाज का पर्व बनाने के लिए इसमें प्रत्येक भारतवासी को अवश्य भाग लेना चाहिए। इस दिन राष्ट्रवासियों को आत्म-निरीक्षण भी करना चाहिएँ और सोचना चाहिए कि हमने क्या खोया तथा क्या पाया है। अपनी निश्चित की गई योजनाओं को हमें कहाँ तक सफलता प्राप्त हुई है। देश को ऊँचा उठाने का पक्का इरादा करना चाहिए।

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25. 15 अगस्त-स्वतन्त्रता दिवस

15 अगस्त, सन् 1947 भारतीय इतिहास में एक चिरस्मरणीय दिवस रहेगा। इस दिन सदियों से भारत माता की गुलामी के बन्धन टूक-टूक हुए थे। सबने शान्ति एवं सुख की साँस ली थी। स्वतन्त्रता दिवस हमारा सबसे महत्त्वपूर्ण तथा प्रसन्नता का त्योहार है। इस दिन के साथ गुंथी हुई बलिदानियों की अनेक गाथाएँ हमारे हृदय में स्फूर्ति और उत्साह भर देती है। लोकमान्य तिलक का यह उद्घोष “स्वतन्त्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है” हमारे हृदय में गुदगुदी उत्पन्न कर देता है। पंजाब केसरी लाला लाजपत राय ने अपने रक्त से स्वतन्त्रता की देवी को तिलक किया था। “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।” का नारा लगाने वाले नेता भी सुभाषचन्द्र बोस की याद इसी स्वतन्त्रता दिवस पर सजीव हो उठती है।

महात्मा गांधी जी के बलिदान का तो एक अलग ही अध्याय है। उन्होंने विदेशियों के साथ अहिंसा के शस्त्र से मुकाबला किया और देश में बिना रक्तपात के क्रान्ति उत्पन्न कर दी। महात्मा गांधी के अहिंसा, सत्य एवं त्याग के सामने अत्याचारी अंग्रेजों को पराजय देखनी पड़ी। 15 अगस्त, सन् 1947 के दिन उन्हें भारत से बोरिया-बिस्तर गोल करना पड़ा। नेहरू परिवार ने इस स्वतन्त्रता यज्ञ में जो आहुति डाली वह इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखी हुई मिलती है। पं० जवाहर लाल नेहरू ने सन् 1929 को लाहौर में रावी के किनारे भारत को पूर्ण स्वतन्त्रता प्रदान करने की प्रथम ऐतिहासिक घोषणा की थी। ये 18 वर्ष तक स्वतन्त्रता संघर्ष में लगे रहे, तब कहीं 15 अगस्त का यह शुभ दिन आया।

स्वतन्त्रता दिवस भारत के प्रत्येक नगर-नगर ग्राम-ग्राम में बड़े उत्साह तथा प्रसन्नता से मनाया जाता है। इसे भिन्न भिन्न संस्थाएँ अपनी ओर से मनाती हैं। सरकारी स्तर पर भी यह समारोह मनाया जाता है। अब तो विदेशों में रहने वाले भारतीय भी इस राष्ट्रीय पर्व को धूम-धाम से मनाते हैं। दिल्ली में लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराया जाता है। 15 अगस्त के दिन देश के भाग्य-विधाता आत्म निरीक्षण करें और देश की जनता को अटूट देशभक्ति की प्रेरणा दें, तभी 15 अगस्त का त्योहार लक्ष्य पूर्ति में सहायक सिद्ध हो सकता है।

26. फुटबाल मैच
अथवा
आँखों देखा कोई मैच

पिछले महीने की बात है कि डी० ए० वी० हाई स्कल और सनातन धर्म हाई स्कल की फुटबाल टीमों का मैच डी० ए० वी० हाई स्कूल के मैदान में निश्चित हुआ। दोनों टीमें ऊँचे स्तर की थीं। इर्द-गिर्द के इलाके के लोग इस मैच को देखने के लिए इकट्ठे हुए थे। दोनों टीमों की प्रशंसा सबके मुख पर थी।

अलग-अलग रंगों की वर्दी पहन कर दोनों टीमें मैदान में उतरीं। सब दर्शकों ने तालियाँ बजाईं। रेफरी ने हिसल बजाई और खेल आरम्भ हो गया। पहली चोट सनातन धर्म स्कूल के खिलाड़ी ने की । उसके साथियों ने झट फुटबाल को सम्भाल लिया और दूसरे दल के खिलाड़ियों से बचाते हुए उनके गोल की ओर ले गए। गोल के समीप देर तक फुटबाल जमी रही। सबका अनुमान था कि सनातन धर्म स्कूल की ओर से गोल होकर रहेगा परन्तु यह अनुमान गलत सिद्ध हुआ।

दोनों स्कूलों के समर्थक अपने-अपने स्कूल का नाम लेकर जिन्दाबाद के नारे लगा रहे थे। चारों ओर तालियों से सारा क्रीडा क्षेत्र गूंज रहा था। इतने में सनातन धर्म स्कूल के खिलाड़ियों को भी जोश आ गया। बिजली की तरह दौड़ते हुए सनातन धर्म स्कूल के बैक और गोलकीपर आगे बढ़े, दोनों बहुत अच्छे खिलाड़ी थे। उन दोनों ने गोल को बचाकर रखा। उन्होंने अनेक हमलों को नाकाम बना दिया। गेंद आगे चली गई। निर्णय होना सम्भव प्रतीत न होता था। दोनों टीमों के खिलाड़ी विवश हो गए। इतने में रेफरी ने हाफ टाइम सूचित करने के लिए लम्बी ह्विसल दी। खेल कुछ मिनट के लिए रुक गया।

थोड़ी देर विश्राम करने के पश्चात् खेल फिर से आरम्भ हुआ। दर्शकों का मैच देखने का कौतूहल बहुत बढ़ गया था। खेल का मैदान चारों और दर्शकों से भरा हुआ था। प्रतिष्ठित सज्जन बालकों का उत्साह बढ़ा रहे थे। अच्छा खेलने वालों को बिना किसी भेदभाव के शाबाशी दी जा रही थी। इस बार भी हार-जीत का निर्णय न हो सका। समय समाप्त हो गया। रेफरी ने समय समाप्त होने की सूचना लम्बी ह्विसल बजाकर दी।

दोनों पक्षों के लोगों ने अपने खिलाड़ियों को कन्धों पर उठा लिया। उन्हें अच्छा खेलने के लिए शाबाशी दी। इस प्रकार यह मैच हार-जीत का निर्णय हुए बिना ही अगले दिन तक के लिए समाप्त हो गया।

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27. खेलों का महत्त्व

विद्यार्थी जीवन में खेलों का बड़ा महत्त्व है। पुस्तकों में उलझकर थका-मांदा विद्यार्थी जब खेल के मैदान में आता है तो उसकी थकावट तुरन्त गायब हो जाती है। विद्यार्थी अपने-आप में चुस्ती और ताज़गी अनुभव करता है। मानव-जीवन में सफलता के लिए मानसिक, शारीरिक और आत्मिक शक्तियों के विकास से जीवन सम्पूर्ण बनता है।

स्वस्थ, प्रसन्न, चुस्त और फुर्तीला रहने के लिए शारीरिक शक्ति का विकास ज़रूरी है। इस पर ही मानसिक तथा आत्मिक विकास सम्भव है। शरीर का विकास खेल-कूद पर निर्भर करता है। सारा दिन काम करने और खेल के मैदान का दर्शन न करने से होशियार विद्यार्थी भी मूर्ख बन जाते हैं। यदि हम सारा दिन कार्य करते रहें तो शरीर में घबराहट, चिड़चिड़ापन या सुस्ती छा जाती है। ज़रा खेल के मैदान में जाइये, फिर देखिए, घबराहट चिड़चिड़ापन या सुस्ती कैसे दूर भागते हैं। शरीर हल्का और साहसी बन जाता है। मन में और अधिक कार्य की लगन पैदा होती है।

खेल दो प्रकार के होते हैं। एक वे जो घर पर बैठकर खेले जा सकते हैं। इनमें व्यायाम कम तथा मनोरंजन ज्यादा होता है, जैसे शतरंज, ताश, कैरमबोर्ड आदि। दूसरे प्रकार के खेल मैदान में खेले जाते हैं, जैसे-क्रिकेट, फुटबाल, वॉलीबाल, बॉस्केट बाल, कबड्डी आदि। इन खेलों से व्यायाम के साथ-साथ मनोरंजन भी होता है।

खेलों में भाग लेने से विद्यार्थी खेल मैदान में से अनेक शिक्षाएँ ग्रहण करता है। खेल संघर्ष द्वारा विजय प्राप्त करने की भावना पैदा करते हैं। खेलें हँसते-हँसते अनेक कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करना सिखा देती हैं। खेल के मैदान में से विद्यार्थी के अन्दर अनुशासन में रहने की भावना पैदा होती है। सहयोग करने तथा भ्रातृभाव की आदत बनती है। खेलकूद से विद्यार्थी में तन्मयता से कार्य करने की प्रवृत्ति पैदा होती है।

आजकल विद्यार्थियों में खेल-कूद को प्राथमिकता नहीं दी जाती। केवल वही विद्यार्थी खेल के मैदान में छाएँ रहते हैं जो कि टीमों के सदस्य होते हैं। शेष विद्यार्थी किसी भी खेल में भाग नहीं ले पाते । प्रत्येक विद्यालय में ऐसे खेलों का प्रबन्ध होना चाहिए जिनमें प्रत्येक विद्यार्थी भाग लेकर अपना शारीरिक तथा मानसिक विकास कर सके।

28. प्रातःकाल का भ्रमण

मनुष्य का शरीर स्वस्थ होना बहुत आवश्यक है। स्वस्थ मनुष्य ही हर काम भलीभान्ति कर सकता है। शरीर को स्वस्थ रखने का साधन व्यायाम है। व्यायामों में भ्रमण सबसे सरल और लाभदायक व्यायाम है। भ्रमण का सर्वश्रेष्ठ समय प्रात:काल माना गया है।

प्रात:काल को हमारे शास्त्रों में ब्रह्ममुहूर्त का नाम दिया गया है। यह शुभ समय माना गया है। इस समय हर काम आसानी से किया जा सकता है। प्रातःकाल का पढ़ा शीघ्र याद हो जाता है। व्यायाम के लिए भी प्रात:काल का समय उत्तम है। प्रात:काल भ्रमण मनुष्य को दीर्घायु बनाता है।

प्रात:काल भ्रमण के अनेक लाभ हैं। सर्वप्रथम, हमारा स्वास्थ्य उत्तम होगा। हमारे पुढे दृढ़ होंगे। आँखों को ठण्डक मिलने से ज्योति बढ़ेगी। शरीर में रक्त -संचार तथा स्फूर्ति आएगी। प्रात:काल की वायु अत्यन्त शुद्ध तथा स्वास्थ्य निर्माण के लिए उपयुक्त होती है। यह शुद्ध वायु हमारे फेफड़ों के अन्दर जाकर रक्त शुद्ध करेगी। प्रात:काल की वायु धूलरहित तथा सुगन्धित होती है, जिससे मानसिक तथा शारीरिक बल बढ़ता है। प्रात:काल के समय प्रकृति अत्यन्त शान्त होती है और अपने सुन्दर स्वरूप से मन को मुग्ध करती है।

यदि प्रात:काल किसी उपवन में निकल जाएँ तो वहाँ के पक्षियों तथा फूलों, वृक्षों लताओं को देखकर आप आनन्द विभोर हो उठेंगे। प्रात:काल भ्रमण करते समय तेज़ी से चलना चाहिए। साँस नाक के द्वारा लम्बे-लम्बे खींचना चाहिए। प्रात:काल घास के क्षेत्रों में ओस पर भ्रमण करने से विशेष आनन्द मिलता है। प्रात:काल का भ्रमण यदि नियमपूर्वक किया जाए तो छोटे-मोटे रोग पास भी नहीं फटकते।

बड़े-बड़े नगरों के कार्य-व्यस्त मनुष्य जब रुग्ण हो जाते हैं अथवा मंदाग्नि के शिकार हो जाते हैं, तो उनको डॉक्टरों प्रातः भ्रमण की सलाह देते हैं। प्रात:काल का भ्रमण 4-5 किलोमीटर से कम नहीं होना चाहिए। भ्रमण करते समय छाती सीधी और भुजाएँ भी खूब हिलाते रहना चाहिए। कई लोगों के मत में प्रायः भ्रमण का आने तथा जाने का मार्ग भिन्नभिन्न होना चाहिए।

आज प्रात:काल के भ्रमण की प्रथा बहुत कम है, जिससे भान्ति-भान्ति की व्याधियों से पीडित मनुष्य स्वास्थ्य खो बैठे हैं। पुरुषों की अपेक्षा अस्सी प्रतिशत स्त्रियों के रुग्ण होने का मुख्य कारण तो यही है। वे घर की गन्दी वायु से बाहर नहीं निकलतीं। प्रातःकाल के भ्रमण में धन व्यय नहीं होता। अतएव हर व्यक्ति को प्रात:काल भ्रमण की आदत डालनी चाहिए।

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29. टेलीविज़न के लाभ-हानियाँ

टेलीविज़न का आविष्कार सन् 1926 ई० में स्काटलैण्ड के इंजीनियर जॉन एल० बेयर्ड ने किया। भारत में इसका प्रवेश सन् 1964 में हुआ। दिल्ली में एशियाई खेलों के अवसर टेलीविज़न रंगदार हो गया। टेलीविज़न को आधुनिक युग का मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन

माना जाता है। केवल नेटवर्क के आने पर इस में क्रान्तिकारी परिवर्तन हो गया है। आज देश भर में दूरदर्शन के अतिरिक्त तीन सौ से अधिक चैनलों द्वारा कार्यक्रम प्रसारित किए जा रहे हैं। इनमें कुछ चैनल तो केवल समाचार, संगीत या नाटक ही प्रसारित करते हैं।

टेलीविज़न के आने पर हम दुनिया के किसी भी कोने में होने वाले मैच का सीधा प्रसारण देख सकते हैं। आज व्यापारी वर्ग अपने उत्पाद की बिक्री बढ़ाने के लिए टेलीविज़न पर प्रसारित होने वाले विज्ञापनों का सहारा ले रहे हैं। ये विज्ञापन टेलीविज़न चैनलों की आय का स्रोत भी हैं। शिक्षा के प्रचार-प्रसार में टेलीविज़न का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

टेलीविज़न की कई हानियाँ भी हैं। सबसे बड़ी हानि छात्र वर्ग को हुई है। टेलीविज़न उन्हें खेल के मैदान से तो दूर ले जाता ही है अतिरिक्त पढ़ाई में भी रुचि कम कर रहा है। टेलीविज़न अधिक देखना छात्रों की नेत्र ज्योति को भी प्रभावित कर रहा है। हमें चाहिए कि टेलीविज़न के गुणों को ही ध्यान में रखें इसे बीमारी न बनने दें।

30. पर्यावरण प्रदूषण

मानव सभ्यता को आज सबसे बड़ा खतरा पर्यावरण प्रदूषण से है। मनुष्य के आसपास का समस्त वातावरण, उसके प्रयोग में आने वाला समूचा जल भण्डार, उसके साँस लेने के लिए वायु, अन्न पैदा करने वाली धरती और यहाँ तक कि अन्तरिक्ष का सारा विस्तार भी स्वयं मनुष्य द्वारा दुषित कर दिया गया है। मनुष्य अपने आनन्द और उल्लास के लिए प्राकृतिक साधनों का पूर्णतया दोहन कर लेना चाहता है। यही कारण है कि आज पर्यावरण प्रदूषण समस्या विकराल रूप में खड़ी हुई है।

औद्योगीकरण की इस अन्धी दौड़ में संसार का कोई भी राष्ट्र पीछे नहीं रहना चाहता। विलास के साधनों का उत्पादन खूब बढ़ाया जा रहा है। धरती की सारी सम्पदा को उसके गर्भ से उलीच कर बाहर लाया जा रहा है। वह दिन भी आएगा जब हम सृष्टि की सारी प्राकृतिक सम्पदाओं से हाथ धो चुके होंगे। अब स्थिति इतनी गम्भीर हो गई है कि न शुद्ध जल और न वायु। पृथ्वी भी दूषित हो रही है। ध्वनि प्रदूषण लोगों के कान बहरे करने लगा है।

गैसीय वायुमण्डल से गुज़र कर आने वाली वर्षा भी विषैली बन जाती है। धुएँ के बादल उगलने वाली मिलों का रासायनिक कचरा, पानी के द्वारा सीधे तौर पर हमारे शरीर में प्रवेश कर रहा है। इसके अतिरिक्त भारी उद्योगों द्वारा छोड़े गए विषैले तत्व सब्जियों, फलों और अनाजों द्वारा हमारे रक्त में अनेक असाध्य रोग घुल रहे हैं। कागज़ की मिलें, चमड़ा बनाने के कारखाने, शक्कर बनाने के उद्योग, रायायनिक पदार्थ तैयार करने वाले संयन्त्र तथा ऐसे ही अनेक उद्योग प्रतिदिन करोड़ों लीटर दूषित पानी नदियों में बहते रहते हैं और हज़ारों टन हानिकारक गैसें वायुमण्डल में छोड़ते हैं। परिणाम हम देख ही रहे हैं। कैंसर बढ़ रहा है, अनेक प्रकार के हृदय रोग बढ़ रहे हैं, ब्रॉन्काइटस और दमे का रोग वृद्धि पर है, अपचन और अतिसार भी फैल रहा है। कुष्ठ रोग अपने नाना रूपों में प्रकट हो रहा है। इसके अतिरिक्त आज आए दिन नए रोग पैदा हो रहे हैं।

आधुनिक युग में जंगलों की अन्धाधुन्ध कटाई से प्रदूषण की समस्या और भी गम्भीर हो गई है। पेड़-पौधे हमारे बहुत उपयोगी संगी-साथी हैं, क्योंकि ये विषैली गैसों को पचाकर लाभदायक गैस छोड़ते हैं। जंगल हमारे लिए प्रभु का वरदान हैं, परन्तु थोड़े समय के लाभ के लिए हम इस वरदान को अभिशाप में बदल रहे हैं। वृक्ष विष पीकर हमें अमृत देते हैं। ये वायुमण्डल से कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषित करते हैं और अन्य हानिकारक गैस कणों को भी चूसते हैं। इनकी पत्तियों में पाए जाने वाले रन्ध्र इस कार्य में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आज विश्व में व्यापक रूप से पनपने वाल नये-नये उद्योगों ने इन वृक्षों के जीवन को भी खतरे में डाल दिया है।

वृक्ष प्रदूषण की रोकथाम में महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं। वे वायुमण्डल में गैसों के अनुपात को समान रखते हैं। बाढ़, भू-स्खलन, भू-क्षरण, रेगिस्तानों के विस्तार, जल-स्रोतों के सूखने तथा वायु-प्रदूषण के रूप में होने वाली तबाही से भी जीवों की रक्षा करते हैं। इसलिए उनकी रक्षा करना मानव का परम धर्म है।

आज पर्यावरण को प्रदूषण से बचना बहुत ही आवश्यक है। शुद्ध जल, शुद्ध वायु एवं स्वच्छ भोजन तथा शान्त वातावरण मानव-जीवन की सुरक्षा के लिए अनिवार्य तत्व हैं। हमें प्रदूषण की रोकथाम के लिए कटिबद्ध हो जाना चाहिए। इस समस्या को समाप्त करके ही हम प्राणिमात्र के दीर्घ जीवन को सुरक्षित रख सकते हैं।

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31. मेरी पर्वतीय यात्रा

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। एक स्थान पर रहते-रहते मनुष्य का मन ऊब जाता है। वह इधर-उधर घूम कर अन्य प्रदेशों के रीति-रिवाजों आदि से परिचित होना चाहता है और इस प्रकार अपना ज्ञान बढ़ाता है।

दशहरे की छुट्टियां आने वाली थीं। मेरे मित्र सुरेंद्र ने आकर शिमला चलने की बात कही। माता जी से परामर्श करने के पश्चात् बात पक्की हो गई। अगले दिन प्रात:काल ही हम दोनों मित्र रेलगाड़ी में जा बैठे। मैदान तो मैंने देखे ही थे पर जब पर्वतीय क्षेत्र आया तो मैं देख रहा था कि नदियां कलकल ध्वनि के साथ इठलाती बहुत सुंदर लग रही थीं। रास्ते का दृश्य बड़ा मनोहारी था।

हम प्रसन्न मुद्रा में शिमला पहुंचे। शिमला हिमाचल प्रदेश की राजधानी है। अधिकतर मकान आधुनिक ढंग से बने हुए हैं। शहर के अंदर आधुनिक ढंग के कई होटल तथा सिनेमा गृह हैं जो कि वहां की सुंदरता को चार चांद लगाते हैं।

मुझे स्केटिंग रिंक बहुत सुंदर लगा। सुरेंद्र के पिता जी ने मुझे बताया कि शरद् ऋतु में युवक तथा युवतियां इस ऋतु का आनंद लूटने के लिये यहां पर आते हैं। सुरेंद्र को यह सब सुनने में कोई आनंद नहीं आ रहा था। वह तो राजभवन देखने का इच्छुक था। अतः कुछ समय के पश्चात् हम लोग विशाल भवन के सम्मुख थे। इस दो दिवसीय यात्रा से हमने इस विशाल नगरी का प्रत्येक ऐतिहासिक स्थान देख लिया।

दो दिवसीय यात्रा के पश्चात् हम सब वहां से चल पड़े। मैं और सुरेंद्र तो वहां से चलना नहीं चाहते थे। कारण कि हमें पर्वतीय छटा ने अत्यधिक आकृष्ट कर लिया था। वहां का शांत एवं सुंदर वातावरण मुझे अधिक प्रिय लग रहा था। पर सुरेंद्र के पिता केवल चार दिन का अवकाश लकर ही चले थे। अत: मन को मार कर हम सब वापस लौट पड़े। यह यात्रा सदा स्मरण होगी।

32. आँखों देखी प्रदर्शनी

हमारे देश में हर साल अनेक प्रदर्शनियां आयोजित होती हैं। लाखों लोग इनसे मनोरंजन प्राप्त करते हैं। प्रदर्शनियां देख कर व्यक्ति का ज्ञान भी बढ़ता है। दिल्ली में लगी उद्योग प्रदर्शनी मुझे कभी नहीं भूल सकती। मेरे मन-मस्तिष्क पर इस की छाप आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है। इस अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी का विवरण इस प्रकार है

विगत मास दिल्ली में एक अंतर्राष्ट्रीय उद्योग प्रदर्शनी आयोजित की गई थी। यह प्रदर्शनी एक विशाल उद्योग मेला ही था। क्योंकि इसमें विश्व के लगभग साठ विकसित और विकासशील देशों ने भाग लिया था। तीन किलोमीटर की परिधि में फैली इस महान् एवं आकर्षक प्रदर्शनी में प्रत्येक देश ने अपने मंडप सजाए थे, जिनमें अपने देश की औद्योगिक झांकी प्रदर्शित की थी। मुख्य द्वार पर प्रदर्शनी में भाग लेने वाले देशों के झंडे फहरा रहे थे। जिधर भी नज़र उठती दूर तक मंडप ही दिखाई देते। इतनी बड़ी प्रदर्शनी को कुछ समय में देखना असंभव था।

छात्रों को यह प्रदर्शनी दिखाने की विशेष व्यवस्था की गई थी। सब से पहले हमारी टोली भारतीय मंडप में पहुँची। यह मंडप क्या था मानो एक विशाल भारत का लघु रूप था। देश में तैयार होने वाले छोटे-से-छोटे पुर्जे से लेकर युद्ध पोत तक का प्रदर्शन किया गया था। कहीं आधुनिक राडार युक्त तोपें थीं। कहीं नेट-जेट विमान और कहीं टैंक। वहां स्वदेश निर्मित साइकिलों, स्कूटरों, विभिन्न तरह की कारों, बसों का मॉडल देखकर आश्चर्य होने लगा था।

अमेरिका, रूस, इंग्लैंड, पश्चिमी जर्मनी, जापान आदि विकसित देशों में मंडप देखकर हमारी टोली का प्रत्येक सदस्य चकित रह गया। एक से बढ़िया इलैक्ट्रानिक उपकरण। हर काम मिनटों-सैकिंडों में करने वाली मशीनें मनुष्य की दास बनी प्रतीत हुईं। मिनटों में मैले कपड़े धुल कर प्रैस होकर और तह लगकर आपके सामने लाने वाली धुलाई मशीनें। धड़कते दिल का साफ चित्र लेने वाले श्रेष्ठतम उपकरण चिकित्सा क्षेत्र में एक नई उपलब्धि है।

दिन भर हमारी टोली औद्योगिक प्रदर्शनी का कोना-कोना झांकती रही। इधर से उधर घूमते-घूमते हमारी टांगें जवाब देने लगी थीं, परंतु दिल नहीं भरे थे। आँखें हर नई चीज़ देखने को तरस रही थीं। शाम तक बहुत कुछ देखा, बहुत कुछ सुना। ज्ञान के नये चूंट पीने को मिले। इसलिये यह अंतर्राष्ट्रीय औद्योगिक प्रदर्शनी सदा याद रहेगी।

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33. इंटरनेट-सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में क्रान्ति

सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इंटरनेट एक अद्भुत क्रान्ति है जो पूरे विश्व में बहुत तेज़ी से लोकप्रिय हुई है। यह एक अनूठा माध्यम है जिसमें पुस्तक, रेडियो, टेलीविज़न, सिनेमा और प्रिन्ट मीडिया के सभी गुण एक साथ समाहित हैं। इसकी पहुँच विश्वव्यापी है और कुछ ही पलों में दुनिया के किसी भी कोने में अति तीव्र गति से सामग्री को पहुँचा सकने की क्षमता रखता है। इसके द्वारा संसार के किसी भी कोने में छपने वाले पत्र-पत्रिका या अख़बार को पढ़ ही नहीं सकते बल्कि विश्वव्यापी जाल के भीतर जमा करोड़ों पृष्ठों में से अपने लिए उपयोगी सामग्री की खोज कर उसका उपयोग भी कर सकते हैं।

इंटरनेट एक अन्तर क्रियात्मक माध्यम है जो दूर-दूर बैठे लोगों के बीच आमने-सामने बैठे लोगों की तरह बातचीत करा सकता है। इसने शोधकर्ताओं और पढ़ने-लिखने वालों के बीच नई संभावनाएं जगा दी हैं और इस विशाल विश्व को विश्वग्राम बना दिया है। इसने सूचना प्रौद्योगिकी और संचार प्रौद्योगिकी के बीच संगम स्थापित कर दिया है। जिसके परिणामस्वरूप यह सारी धरती सिमट गई है। एक समय था जब किसी पत्र को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने के लिए लम्बा समय लग जाता है पर अब इंटरनेट ने दूर-दराज के क्षेत्रों में बैठे लोगों को बौद्धिक रूप से बिल्कुल निकट ला खड़ा कर है। इसी के कारण मानवीय सम्बन्ध नई आशाओं से भर जाते हैं।

इंटरनेट के विशाल तन्त्र की सीमाएँ असीम हैं। इसके लिए कोई बन्धन नहीं है। कोई सरहदें नहीं हैं। यह व्यवस्था लाखों-करोड़ों कम्प्यूटरों का संजाल बनकर सूचनाओं के आदान-प्रदान को सुलभ बना देता है। संसार के किसी भी कोने में बैठा कोई भी व्यक्ति इसके माध्यम से अपने कम्प्यूटर से इंटरनेट जोड़कर सूचनाओं का सम्राट् बनने का अधिकारी बन जाता है। वास्तव में इसके जन्म का आरम्भ 1960 के दशक में तब हुआ था जब अमेरिकी सरकार ने सोवियत संघ के परमाणु आक्रमण से चिंतित होकर एक ऐसी व्यवस्था करनी चाही थी जिससे उसकी शक्ति किसी एक स्थान पर केन्द्रित न रहे। इसी प्रयास से अंतर-नेटिंग परियोजना बनी थी जो इंटरनेट के नाम से आज विश्वभर में अपने पाँव पसार चुकी है। इसकी लोकप्रियता इसकी विभिन्न प्रणालियों और सेवाओं के कारण से है। इसका विश्वव्यापी सम्पर्कों को व्यापकता सरलता से प्रदान करना है और प्रयोग करने वालों को बहुरंगी सेवाएं प्रदान करना है। यह इलेक्ट्रॉनिक डाक की सुविधा देता है जो लोगों में सबसे अधिक प्रचलित है। यह अति तीव्रता से बहुत कम खर्च पर डाक भेजने का साधन है। इंटरनेट से जुड़कर नेटवर्क पर समाचार बुलेटिन प्राप्त हो सकते हैं। यह नेट न्यूज़ उपलब्ध कराता है।

इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य बाज़ार से सम्बन्धित सभी गतिविधियों को संचालित कराता है। इसके माध्यम से उत्पादों के विपणन खरीद-बिक्री का लेखा-जोखा और सेवा को प्राप्त किया जा सकता है। इसके द्वारा व्यापार भौगोलिक सीमाओं को पार करके तेज़ी से बढ़ता है। इंटरनेट फ़ाइलों के बोझ को परे रखने का साधन है। किसी भी कार्यालय की फाइलों के ढेरों और उसके स्टोरों की अब आवश्यकता नहीं रह गई है। इंटरनेट के माध्यम से विश्व के किसी भी देश में छपी हुई पुस्तक या पत्र-पत्रिका पलभर में आप पढ़ सकते हैं। किसी घटना की सचित्र जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। कोई भी फ़िल्म देख सकते हैं। विज्ञान ने तो इंटरनेट के माध्यम से पूरे संसार को आपकी कम्प्यूटर टेबल पर उपस्थित करवा दिया है। कम्प्यूटर टेबल ही क्या-अब तो आप अपने मोबाइल के माध्यम से इंटरनेट से जुड़कर विश्व के किसी भी कोने से जुड़ सकते हैं। आप यह कह सकते हैं कि अब तो दुनिया की सारी जानकारी आपकी जेब में है जिसे आप जब चाहे इस्तेमाल कर सकते हैं।

इंटरनेट ने जहाँ सुविधाओं के भण्डार हमें सौंप दिए हैं वहाँ इससे कुछ खतरे भी हैं। इसके माध्यम से अश्लील पन्नों को बटोर कर बच्चे गलत राह की ओर मुड़ सकते हैं। इंटरनेट ने केवल जागरुकता ही प्रदान नहीं अपितु कुछ नकारात्मक प्रभाव भी प्रस्तुत किए हैं। आवश्यकता केवल इस बात की है कि एक सजग पाठक, दर्शक और श्रोता के रूप में हम अपनी आँखें, कान और दिमाग को खुला रखकर इसका उपयोग करें।

PSEB 7th Class Hindi रचना निबंध-लेखन

34. मोबाइल फ़ोन-सुख या दुःख का कारण

एक समय था जब टेलीफ़ोन पर किसी दूसरे से बात करने के लिए देर तक प्रतीक्षा करनी पड़ती थी। किसी दूसरे नगर या देश में रहने वालों से बातचीत टेलीफ़ोन एक्सचेंज के माध्यम से कई-कई घण्टों के इन्तजार के बाद संभव हो पाती थी किन्तु अब मोबाइल के माध्यम से कहीं भी कभी भी सैकिंडों में बात की जा सकती है। सेटेलाइट मोबाइल फ़ोन के लिए यह कार्य और भी अधिक आसानी से सम्भव हो जाता है। तुरन्त बात करने और सन्देश पहुँचाने को इससे सुगम उपाय सामान्य लोगों के पास अब तक और कोई नहीं है। विज्ञान के इस अद्भुत करिश्मे की पहुंच इतनी सरल, सस्ती और विश्वसनीय है कि आज यह छोटे-बड़े, अमीर-ग़रीब, बच्चे-बूढ़े सभी के पास दिखाई देता है।

मोबाइल फ़ोन दुनिया को वैज्ञानिकों की ऐसी अद्भुत देन है जिसने समय की बचत कर दी है, धन को बचाया है और दूरियाँ कम कर दी हैं। व्यक्ति हर अवस्था में अपनों से जुड़ा-सा रहता है। कोई भी पल-पल की जानकारी दे सकता है, ले सकता है और इसी कारण यह हर व्यक्ति के लिए उसकी सम्पत्ति-सा बन गया है, जिसे वह सोतेजागते अपने पास ही रखना चाहता है। कार में, बस में, रेलगाड़ी में, पैदल चलते हुए, रसोई में, शौचालय में, बाज़ार में मोबाइल फ़ोन का साथ तो अनिवार्य-सा हो गया है। व्यापारियों और शेयर मार्किट से सम्बन्धित लोगों के लिए तो प्राण वायु ही बन चुका है। दफ्तरों, संस्थाओं और सभी प्रतिष्ठिानों में इसकी रिंग टोन सुनाई देती रहती है।

मोबाइल फ़ोन की उपयोगिता पर तो प्रश्न ही नहीं किया जा सकता। देश-विदेश में किसी से भी बात करने के अतिरिक्त यह लिखित संदेश, शुभकामना संदेश, निमन्त्रण आदि मिनटों में पहुँचा देता है। एसएमएस के द्वारा रंग-बिरंगी तस्वीरों के साथ संदेश पहुँचाए जा सकते हैं। अब तो मोबाइल फ़ोन चलते-फिरते कम्प्यूटर ही बन चुके हैं। जिनके माध्यम से आप अपने टी०वी० के चैनल भी देख-सुन सकते हैं। यह संचार का अच्छा माध्यम तो है ही, साथ ही साथ वीडियो गेम्स का भण्डार भी है। यह टॉर्च, घड़ी, संगणक, संस्मारक, रेडियो आदि की विशेषताओं से युक्त है। इससे उच्च कोटि की फोटोग्राफ़ी की जा सकती है। वीडियोग्राफ़ी का काम भी इससे लिया जा सकता है। इससे आवाज़ रिकॉर्ड की जा सकती है और उसे कहीं भी, कभी भी सुनाया जा सकता है। एक तरह से यह छोटा-सा उपकरण अलादीन का चिराग ही तो है।

मोबाइल फ़ोन केवल सुखों का आधार ही नहीं है बल्कि कई तरह की असुविधाओं और मुसीबतों का कारण भी है। बार-बार बजने वाली इसकी घंटी परेशानी का बड़ा कारण बनती है। जब व्यक्ति गहरी नींद में डूबा हो तो इसकी घंटी कर्कश प्रतीत होती है। मन में खीझ-सी उत्पन्न होती है। अनचाही गुमनाम कॉल आने से असुविधा का होना स्वाभाविक ही है। मोबाइल फ़ोन से जहाँ रिश्तों में प्रगाढ़ता बढ़ी है वहाँ इससे छात्रछात्राओं की दिशा में भटकाव भी आया है।

फ़ोन-मित्रों की संख्या बढ़ी है जिससे उनका वह समय जो पढ़ने-लिखने में लगना चाहिए था वह गप्पें लगाने में बीत जाता है। इससे धन भी व्यर्थ खर्च होता है। अधिकांश युवा वाहन चलाते समय भी मोबाइल फ़ोन से चिपके ही रहते हैं और ध्यान बँट जाने के कारण बहुत बार दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। मोबाइल फ़ोन अपराधी तत्वों के लिए सहायक बनकर बड़े-बड़े अपराधों के संचालन में सहायक बना हुआ है। जेल में बंद अपराधी भी चोरी-छिपे इसके माध्यम से अपने साथियों की दिशा-निर्देश देकर अपराध, फिरौती और अपहरण का कारण बनते हैं।

मोबाइल फ़ोन अदृश्य तरंगों से ध्वनि संकेतों का प्रेषण करते हैं जो मानव-समाज के लिए ही नहीं अपितु अन्य जीव-जन्तुओं के लिए भी हानिकारक होती हैं। ये मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं। कानों पर बुरा प्रभाव डालती हैं और दृश्य के तारतम्य को बिगाड़ती हैं। यही कारण है कि चिकित्सकों द्वारा पेसमेकर प्रयोग करने वाले रोगियों को मोबाइल फ़ोन प्रयोग न करने का परामर्श दिया जाता है।

वैज्ञानिकों ने प्रमाणित कर दिया है कि भविष्य में नगरों में रहने वाली चिड़ियों की अनेक प्रजातियाँ अदृश्य तरंगों के प्रभाव से वहाँ नहीं रह पाएँगी। वे वहाँ से कहीं दूर चली जाएँगी या मर जाएँगी। जिससे खाद्य श्रृंखला भी प्रभावित होगी। प्रत्येक सुख के साथ दु:ख किसी-न-किसी प्रकार से जुड़ा रहता है। मोबाइल फ़ोन के द्वारा दिए गए सुखों और सुविधाओं के साथ कष्ट भी जुड़े हुए हैं।

PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Rachana Prarthana Patr / Patr Lekhan प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन

1. अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को बीमारी के कारण अवकाश लेने के लिए एक प्रार्थना-पत्र लिखो।

सेवा में
मुख्याध्यापक,
सनातन धर्म उच्च विद्यालय,
जालन्धर।
मान्यवर,

सविनय निवेदन यह है कि मुझे कल शाम से बुखार है, डॉक्टर ने दवा देने के साथ मुझे आराम करने के लिए कहा है इसी कारण मैं कक्षा में उपस्थित नहीं हो सकता। इसलिए मुझे दो दिन का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें।

धन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
धीरज कुमार,
कक्षा सातवीं ‘ए’
तिथि 10 अगस्त, 20..

PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन

2. अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक जी को किसी आवश्यक कार्य के लिए अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखो।

सेवा में
मुख्याध्यापक,
श्री पार्वती जैन उच्च विद्यालय,
नकोदर।
मान्यवर,

निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय में सातवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। आज मुझे घर पर बहत ही आवश्यक कार्य पड गया है, जिस कारण मैं विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकता। कृपया मुझे एक दिन का अवकाश प्रदान करें।

धन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
रवि शर्मा
कक्षा सातवीं ‘क’
तिथि 5 दिसम्बर, 20…..

3. अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक जी को अपने भाई के विवाह के कारण अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखो।

सेवा में
मुख्याध्यापक,
साईं दास ए० एस० उच्च विद्यालय,
होशियारपुर।
मान्यवर,

सविनय प्रार्थना है कि मेरे बड़े भाई का विवाह 16 जुलाई को होना निश्चित हुआ है। मेरा उसमें सम्मिलित होना अत्यन्त आवश्यक है। बारात करनाल जा रही है। इसलिए मैं चार दिन विद्यालय से अनुपस्थित रहूँगा। अतः आप मुझे चार दिन का अवकाश देने की कृपा करें। इस हेतु आपका अतिशय धन्यवाद ।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
राजीव कुमार,
सातवीं ‘बी’
तिथि 14 जुलाई, 20…

PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन

4. अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को विद्यालय छोड़ने का प्रमाण-पत्र लेने के लिए प्रार्थना-पत्र लिखो।

सेवा में
मुख्याध्यापक,
खालसा उच्च विद्यालय,
लुधियाना।
महोदय,

सविनय निवेदन यह है कि मेरे पिता जी का स्थानांतरण फिरोज़पुर हो गया है। इसलिए हम सब यहाँ से जा रहे हैं। मेरा अकेला यहाँ रहना मुश्किल है। अतः मेरा आपसे निवेदन है कि मुझे विद्यालय छोड़ने का प्रमाण पत्र देने की कृपा करें जिससे स्थान परिवर्तन होने के कारण मुझे अपनी पढ़ाई जारी रखने में असुविधा न हो। मैं आपका बहुत आभारी हूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
ललित मोहन,
सातवीं ‘बी’
तिथि 15 सितम्बर, 20….

5. अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को एक प्रार्थना-पत्र लिखो जिसमें शिक्षा शुल्क माफ़ करने की प्रार्थना करो।

सेवा में
मुख्याध्यापिका,
शिव देवी कन्या उच्च विद्यालय,
अमृतसर।
महोदया,

विनम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में सातवीं कक्षा की छात्रा हूँ। मेरे पिता जी एक छोटे-से दुकानदार हैं। उनकी मासिक आय बहुत ही कम है जिससे घर का निर्वाह होना बहुत मुश्किल है। अत: मेरे पिता जी मेरी फीस देने में असमर्थ हैं, लेकिन मुझे पढ़ने का बहुत शौक है। मैं अपनी कक्षा में प्रथम आती हूँ। खेलने में भी मेरी रुचि है। अतः आप मेरी फीस माफ़ कर मुझे कृतार्थ करें। मैं आपकी इस सहायता के लिए बहुत आभारी हूँगी।

                             सधन्यवाद,

आपकी आज्ञाकारी शिष्या,
अनुराधा कुमारी,
सातवीं ‘ए’
तिथि 16 जुलाई, 20 …..

PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन

6. अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को जुर्माना माफ़ करवाने के लिए प्रार्थनापत्र लिखो।

सेवा में
प्रधानाचार्य जी,
आदर्श शिक्षा केन्द्र,
जालन्धर ।
मान्यवर,

सविनय निवेदन यह है कि सोमवार को हमारे गणित के अध्यापक ने टैस्ट लिया था। मेरी माता जी उस दिन बहुत बीमार थीं। घर में मेरे अतिरिक्त उनकी देखभाल करने वाला अन्य कोई नहीं था। इसलिए मैं टैस्ट देने के लिए उस दिन स्कूल में उपस्थित न हो सका। मेरे कक्षा अध्यापक ने मुझे दस रुपये जुर्माना लगा दिया है। मेरे पिता जी एक ग़रीब आदमी हैं। वे यह जुर्माना नहीं दे सकते। मैं गणित में सदैव अच्छे अंक लेता रहा हूँ। अतः आपसे अनुरोध है कि आप मेरी मजबूरी को सामने रखते हुए मेरा जुर्माना माफ़ कर दें।

सधन्यवाद,

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
राकेश कुमार शर्मा,
कक्षा सातवीं ‘ए’
तिथि 19 नवम्बर, 20..

7. अपने पिता जी को एक पत्र लिखो, जिसमें अपने विद्यालय का वर्णन हो।

विजय नगर,
अमृतसर।
17 मई, 20…..
पूज्य पिता जी,
सादर प्रणाम।

आपने अपने पिछले पत्र में मुझसे मेरे विद्यालय के विषय में जानकारी चाही थी, इसलिए आपकी इच्छा के अनुसार मैं इस पत्र में अपने विद्यालय के बारे में कुछ पंक्तियाँ लिख रहा हूँ। मेरे विद्यालय का नाम डी० ए० वी० उच्च विद्यालय है। यह अपने नगर के सभी विद्यालय में सबसे अच्छा विद्यालय है। यहाँ पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का बहुत ही अच्छा प्रबन्ध है। प्रत्येक छात्र किसी-न-किसी खेल में अवश्य भाग लेता है। इसका भवन बहुत बड़ा है। इसमें लगभग 1500 छात्र पढ़ते हैं तथा 50 अध्यापक पढ़ाते हैं। इसके चारों ओर सुन्दर बाग हैं, जिसमें कई प्रकार के फूल खिले रहते हैं। हमारे अध्यापक बहुत ही सदाचारी तथा मेहनती हैं। मुख्याध्यापक तो बहुत ही योग्य, शान्त तथा अनुशासन-प्रिय व्यक्ति हैं। सभी विद्यार्थी इस विद्यालय में प्रवेश के लिए उत्सुक रहते हैं। मुझे भी अपने विद्यालय पर गर्व है।

आपका सुपुत्र,
गुरदेव सिंह

PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन

8. अपने चाचा जी को जन्म दिवस की भेंट पर धन्यवाद प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।

405, बसन्त निवास,
कादियां।
11 जुलाई, 20…..
पूज्य चाचा जी,
सादर प्रणाम।

अपने जन्म दिन पर मैं अपने मित्रों के साथ आपके आने की प्रतीक्षा कर रहा था, लेकिन आप तो नहीं आए मगर आपके द्वारा भेजा हुआ पार्सल प्राप्त हुआ। जब मैंने इस पार्सल को खोला तो उसमें एक सुन्दर घड़ी देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। कई वर्षों से इसका अभाव मुझे खटक रहा था।

मुझे कई बार विद्यालय जाने में भी देर हो जाती थी। नि:सन्देह अब मैं अपने आपको नियमित बनाने का प्रयत्न करूँगा। इसको पाकर मुझे अतीव प्रसन्नता हुई। इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। पूज्य चाची जी को चरणवन्दना। रमेश को नमस्ते। मुझे शैली बहुत याद आती है। उसे मेरी प्यार भरी चपत लगाइए। सब को यथा योग्य नमस्ते।

आपका भतीजा,
प्रेम सिंह

9. मुहल्ले की सफ़ाई के लिए स्वास्थ्याधिकारी (हैल्थ आफिसर) को प्रार्थना-पत्र लिखो।

सेवा में
स्वास्थ्याधिकारी,
नगर निगम,
जालन्धर।
महोदय,

सविनय निवेदन यह है कि हमारे किला मुहल्ला में नगर निगम की ओर से सफ़ाई के लिए राम प्रकाश नामक जो कर्मचारी नियुक्त किया हुआ है वह अपना काम ठीक ढंग से नहीं करता। न तो वह गली की सफ़ाई ही अच्छी तरह से करता है और न ही नालियों को साफ़ करता है। गन्दे पानी से मुहल्ले की सभी नालियाँ भरी पड़ी हैं। जगहजगह गन्दगी के ढेर लगे रहते हैं। हमने उसे कई बार ठीक तरह से काम करने के लिए कहा है, परन्तु उस पर मेरे कहने का ज़रा भी असर नहीं पड़ता। यदि सफ़ाई की कुछ यही दशा रही तो कोई-न-कोई भयानक रोग अवश्य फूट पड़ेगा। इसलिए आप से यह प्रार्थना है कि आप या तो उसे बदल दीजिए या ठीक प्रकार से काम करने के लिए सावधान कर दीजिए।

धन्यवाद,

भवदीय,
शामलाल शर्मा
तिथि 4 जून, 20….

10. पोस्ट मास्टर को डाकिये की लापरवाही के विरुद्ध शिकायती पत्र लिखो।

109, रेलवे कालोनी,
बठिण्डा।
30 जुलाई, 20
सेवा में,
पोस्ट मास्टर,
बठिण्डा।
महोदय,

निवेदन है कि हमारे मुहल्ले का डाकिया सुन्दर सिंह बहुत आलसी और लापरवाह है। वह ठीक समय पर पत्र नहीं पहुँचाता। कभी-कभी तो हमें पत्रों का उत्तर देने से भी वंचित रहना पड़ता है। इसके अतिरिक्त वह बच्चों के हाथ पत्र देकर चला जाता है। उसे वे इधर-उधर फेंक देते हैं। कल ही रामनाथ का पत्र नाली में गिरा हुआ पाया गया। हमने उसे कई बार सावधान किया है पर वह आदत से मजबूर है।

अत: आपसे सनम्र प्रार्थना है कि या तो इसे आगे के लिए समझा दें या कोई और डाकिया नियुक्त कर दें ताकि हमें और हानि न उठानी पड़े।

भवदीय,
चांद सिंह

PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन

11. मित्र की माता जी के निधन (मृत्यु) पर संवेदना का पत्र।

201, माडल टाऊन,
लुधियाना।
20 मई, 20…..
प्रिय युद्धवीर,

अभी-अभी तुम्हारा पत्र मिला। पूज्य माता जी की मृत्यु की दुःखदायी खबर पाकर आँखों के आगे अन्धेरा सा-छा गया। पैरों तेल ज़मीन खिसक गई। बार-बार सोचता हूँ कि कहीं यह स्वप्न तो नहीं। अभी कुछ दिन की ही तो बात है, जब मैं उन्हें कोलकाता मेल पर चढ़ाकर आया था। न कोई दुःख न कोई कष्ट। उनका हँसता हुआ चेहरा अभी तक मेरे सामने मंडरा रहा है। उनके आशीर्वाद कानों में गूंज रहे हैं। उनकी मधुर वाणी समुद्र के समान गम्भीर और शान्त स्वभाव, सबके साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार सदा स्मरण रहेगा।

प्रिय मित्र, भाग्य लेख मिटाई नहीं जा सकती। मनुष्य सोचता कुछ है, होता कुछ और है। ईश्वरीय कार्यों में कौन दखल दे सकता है। इसलिए धैर्य के सिवा और कोई चारा नहीं। मेरी यही प्रार्थना है कि अब शोक को छोड़कर कर्त्तव्य की चिन्ता करो। रोनेधोने से कुछ नहीं बनेगा। इससे तो स्वास्थ्य ही बिगड़ता है। अनिल और नलिनी को सान्त्वना दो। अन्त में मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करें, तथा आप सभी को यह अपार दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

तुम्हारा अपना,
सुखदेव

12. पिता जी को रुपए मँगवाने के लिए पत्र।

चोपड़ा निवास,
बांसां बाज़ार,
फगवाड़ा।
25 जनवरी, 20…..
पूज्य पिता जी,
सादर प्रणाम।

आपको यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता होगी कि मैं सातवीं श्रेणी में 800 में से 685 अंक लेकर अपनी श्रेणी में प्रथम आया हूँ। अब मुझे आठवीं श्रेणी की पुस्तकें तथा कापियाँ लेनी हैं। इधर मेरे सभी मित्रों ने मुझे बधाई देते हुए पार्टी की मांग भी की है। मैं भी चाहता हूँ कि एक छोटी चाय-पार्टी उन्हें दे ही दूँ। इसलिए पत्र मिलते ही आप मुझे 500 रुपए मनीआर्डर द्वारा भेज दें।

                          माता जी को सादर प्रणाम। गीता को प्यार।

आपका पुत्र,
रमेश चोपड़ा

13. अपनी सखी को अपने भाई के विवाह में शामिल होने के लिए निमन्त्रण-पत्र लिखो।

आदर्श विद्यालय,
फिरोज़पुर।
16 सितम्बर, 20….
प्रिय अनु,
सप्रेम नमस्ते।

आपको यह जानकर बहुत प्रसन्नता होगी कि मेरे बड़े भाई विजय कुमार का शुभ विवाह दिल्ली में सेठ राम लाल की सुपुत्री सीमा से इसी मास की 25 तारीख को होना निश्चित हुआ है। इस शुभ विवाह में आप जैसे सभी इष्ट-मित्र तथा बन्धुओं का शामिल होना अत्यावश्यक है। अतः आपको भाई साहब की बारात में चलना पड़ेगा। विवाहोत्सव का प्रोग्राम नीचे दिया जा रहा है।

23 तारीख             दोपहर        1 बजे प्रीति भोज
24 तारीख             सायँ           6 बजे घोड़ी चढ़ी ,
25 तारीख             प्रातः           5 बजे बारात का दिल्ली प्रस्थान

आशा है, आप 22 तारीख को पहुँच जाओगी। मीना और मंजू भी 22 तारीख को यहाँ पहुँच जाएँगी।

तुम्हारी अनन्य सखी
सुमन

PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन

14. मित्र को पास होने पर बधाई पत्र लिखो।

208, प्रेम नगर,
लुधियाना।
11 अप्रैल, 20…..
प्रिय मित्र सुरेश,

कुल ही तुम्हारा पत्र मिला। यह पढ़कर बहुत खुशी हुई कि तुम सातवीं कक्षा में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गए हो। मेरी ओर से अपनी इस शानदार सफलता पर हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मैं कामना करता हूँ कि तुम अगली परीक्षा में भी इसी प्रकार सफलता प्राप्त करोगे। मैं एक बार फिर तुम्हें बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना।

तुम्हारा मित्र,
अशोक

15. अपने छोटे भाई को पत्र लिखो जिसमें प्रातः भ्रमण (सुबह की सैर) के लाभ बताये गये हों।

208, कृष्ण नगर,
लुधियाना।
11 जुलाई, 20…..
प्रिय भाई नरेश,
चिरंजीव रहो

कल माता जी का पत्र मिला। पढ़कर पता चला कि तुम बीमार रहने के कारण बहुत कमज़ोर हो गए हो। तुम सुबह देर तक सोए रहते हो। प्यारे भाई ! प्रातः उठकर सैर करनी चाहिए। सुबह की सैर से स्वास्थ्य उत्तम होता है। प्रातः भ्रमण से शरीर चुस्त रहता है। कोई बीमारी पास नहीं फटकती। मांसपेशियों में नए रक्त का संचार होता है। फेफड़ों को साफ़ वायु मिलती है। ओस पड़ी घास पर नंगे पाँव चलने से बल, बुद्धि और आँखों की रोशनी बढ़ती है। दिमाग को शक्ति मिलती है। इसलिए प्रात: घूमने अवश्य जाया करो।

आशा है कि तुम मेरे आदेश का पालन करोगे। पूज्य माता जी को प्रणाम। अनु को प्यार।

तुम्हारा बड़ा भाई,
प्रदीप कुमार

PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन

16. अपने छोटे भाई को पढ़ाई में ध्यान देने के लिए पत्र।

195,फतेहपुरा,
जालन्धर।
16 जनवरी, 20….
प्रिय राजीव,
सदा प्रसन्न रहो।

अभी-अभी तुम्हारे मित्र संदीप का पत्र मिला है उससे मुझे मालूम हुआ है कि तुम पढ़ाई में ध्यान नहीं देते। सारा दिन तुम आवारागर्दी करते हो। तुम्हारे मासिक परीक्षा में नम्बर बहुत कम आए हैं। प्रिय राजीव, याद रखो, यह विद्यार्थी जीवन पढ़ाई के लिए ही होता है, क्योंकि यदि बचपन में ठीक से नहीं पढ़ोगे तो शेष सारा जीवन ही दुःखों में बीतता है।

तुम्हारी इस असफलता से मुझे बड़ा दुःख हुआ है। मुझे आशा नहीं थी कि तुम मेरे यहाँ से चले जाने के बाद इतने निकम्मे और लापरवाह हो जाएंगे। खेलना बुरा नहीं, परन्तु खेलने के समय खेलो और पढ़ने के समय पढ़ो। पढ़ाई की कमी को पूरा करने के लिए यदि कोई आवश्यकता हो तो मुझे लिखो।

तुम्हारा हितैषी,
राम प्रकाश

17. अपने मित्र को पत्र लिखो जिसमें किसी आँखों देखे मेले का वर्णन हो।

परीक्षा भवन,
………. नगर।
15 अप्रैल, 20…..
प्रिय मित्र रमेश,
सप्रेम नमस्ते।

मुझे पिछले बुधवार को आपके पास आना था, पर मालूम हुआ कि वीरवार को अमृतसर में वैशाखी का मेला लगेगा। इसलिए मैंने अपने चार सहपाठियों के साथ मेला देखने का कार्यक्रम बना लिया।
हम पाँचों साथी बुधवार को सवेरे ही घर से चलकर पहली बस में बैठकर अमृतसर पहुँच गए। वहाँ जाकर देखा कि जैसे पुरुषों और स्त्रियों का समुद्र-सा उमड़ आया हो। ज्यों-ज्यों दिन चढ़ता गया, मेले में आने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ती गई। वीरवार को तो यह संख्या दो लाख से भी ज्यादा हो गई।

दरबार साहिब के क्षेत्र में तो तिल धरने की भी जगह नहीं थी। हलवाइयों और होटल वालों की पौ-बारह थी। चाहे पुलिस ने कड़े प्रबन्ध कर रखे थे, फिर भी जेबकतरों ने बहुत-से लोगों की जेबें काट ली थीं। पुलिस ने कुछ गुंडों की पिटाई भी की।

एक स्थान पर नौजवानों की एक टोली “जट्टा आई वैसाखी” की तान के साथ भंगड़ा डाल रही थी। उनके पाँवों की थिरकन के साथ ही वहाँ इकट्ठी हुई भीड़ के दिल भी मचल रहे थे। एक नया जोश था। सबके मुँह पर नई उमंगें नाच रही थीं।

यह एक यादगारी मेला था। अगर तुम भी होते तो बड़ा मजा आता। पूज्य माता जी और पिता जी को चरणवन्दना।

तुम्हारा मित्र,
हर्ष देव

PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन

18. अपने किसी मित्र को पत्र लिख, उससे पूछो कि तम गर्मियों की छद्रियाँ कहाँ और कैसे बिताओगे। अपना विचार भी उसे बताओ।

राष्ट्रीय विद्यालय,
फिरोज़पुर।
18 जून, 20…..
प्रिय विनोद,
सप्रेम नमस्ते।

चिरकाल से आपका पत्र नहीं आया। क्या कारण है ? स्वास्थ्य तो ठीक है ? आपको याद होगा कि जब इस बार शिशिर के अवकाश में मैं आपके पास आया था, तो आपने ग्रीष्मावकाश एक साथ यहाँ बिताने का वचन दिया था। अब उस वचन को पूरा करने का समय आ गया है।

यहाँ मेरे पास अलग दो कमरे हैं। स्थान बिल्कुल एकान्त है। बिजली तथा पंखा लगा हुआ है। साथ ही खेलने के लिए अलग एक छोटा-सा क्रीडांगन है। यहाँ शाम को टेनिस खेला करेंगे और प्रातः काल दौड़ा करेंगे, जिससे हमारा शरीर बलिष्ठ और सुन्दर बनेगा।

मेरे अभिन्न मित्र राकेश ने भी साथ देने का वचन दिया है। उसके पिता जी जहां एक स्कूल के प्रधानाध्यापक हैं। उनसे भी समय-समय पर सहायता ली जा सकेगी। इस विषय में मैंने उनसे बात कर ली है। उन्होंने सहर्ष सहायता देना स्वीकार कर लिया है।

मेरे पिता जी तथा माता जी का भी आपको यहाँ बुलाने का आग्रह है। आशा है कि हमारा कार्यक्रम बहुत सुन्दर और रुचिकर होगा।

आप कब आने का कष्ट कर रहे हैं, लिखें। माता जी को प्रणाम ।

तुम्हारा मित्र,
राजीव

19. अपने मित्र को एक पत्र लिखो कि वह किताबी कीड़ा न बनकर खेलों में भाग लिया करे।

मल्होत्रा निवास,
जी० टी० रोड।
करतारपुर
17 मार्च, 20 ………
प्रिय कृष्ण,
सप्रेम नमस्ते,

परीक्षा में आपकी शानदार सफलता ने मेरा मन प्रसन्नता से भर दिया पर यह जानकर मुझे दुःख भी हुआ कि यह सफलता तुम्हें सेहत गँवाकर मिली है। मुझे पता लगा है कि तुम आगे से भी अधिक किताबी कीड़ा बन गए हो। न तुम खेलों में भाग लेते हो और न बाहर भ्रमण के लिए ही जाते हो ?

मेरी यह अभिलाषा है कि तुम बड़े विद्वान् बनो पर साथ ही मैं यह भी चाहता हूँ कि तुम शरीर से भी पूर्ण स्वस्थ रहो। यह बात सच है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। इसलिए तुम्हें पढ़ने के साथ-साथ खेलों में भाग लेना चाहिए। यह तुम्हारे उज्जवल भविष्य के लिए बहुत ज़रूरी है।

आशा है कि तुम पढ़ने के साथ-साथ खेलों में भी अवश्य भाग लोगे।

आपका प्रिय मित्र,
सिमरनजीत सिंह

PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन

20. पुस्तकें मंगवाने के लिए पुस्तक विक्रेता को प्रार्थना-पत्र।

सेवा में
प्रबन्धक,
मल्होत्रा बुक डिपो।
रेलवे रोड,
जालन्धर।
प्रिय महोदय,

निवेदन है कि आप निम्नलिखित पुस्तकें वी० पी० पी० द्वारा शीघ्र ही नीचे लिखे पते पर भेज दें। पुस्तकें भेजते समय इस बात का ध्यान रखें कि कोई पुस्तक मैली और फटी हुई न हो। सभी पुस्तकें सातवीं श्रेणी के लिए तथा नए संस्करण की हों। आपकी अति कृपा होगी।

1. ऐम० बी० डी० हिन्दी गाइड (प्रथम भाषा)             10 प्रतियाँ
2. ऐम० बी० डी० इंग्लिश गाइड                             10 प्रतियाँ
3. ऐम० बी० डी० पंजाबी गाइड                              8 प्रतियाँ

भवदीय
मनोहर लाल
आर्य हाई स्कूल,
नवांशहर।
तिथि 15 मई, 20…

21. रक्षाबन्धन के पुनीत अवसर पर अपने छोटे भाई को आशीर्वाद देते हुए पत्र लिखिए।

28, नेशनल पार्क,
कोलकाता।
19 दिसम्बर, 20….
प्रिय अनुज प्रतीक,

चिंरजीव रहो। तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि तुमने मासिक परीक्षा में अपनी श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है। अगले सप्ताह रक्षाबन्धन का त्योहार है। मैं इस पत्र के साथ राखी भेज रही हूँ। प्रिय अनुज, इन राखी के धागों में बड़ी शक्ति और प्रेरणा का भाव है। इस दिन भाई अपनी बहन की मान-मर्यादा की रक्षा का संकल्प करता है और बहन भी भाई की सर्वांगीण प्रगति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है। मैं इस बार रक्षाबन्धन के अवसर पर तुम्हारे कोमल हाथों में राखी बाँधने के लिए उपस्थित न हो सकूँगी। मेरा प्यार, मेरा आशीर्वाद तथा मेरी शुभ कामना इन राखी के धागों में गुंथी हुई है।

माता-पिता को प्रणाम।

तुम्हारी बड़ी बहन,
रानी मुखर्जी।

PSEB 7th Class Hindi रचना प्रार्थना-पत्र / पत्र-लेखन

22. छात्रावास जीवन पर टिप्पणी करते हुए अपने बड़े भाई के नाम पर एक पत्र लिखिए।

512, टैगोर भवन,
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय
कुरुक्षेत्र-136119
दिनांक : 20 जुलाई, 20…..
पूज्य भाई साहब
नमस्कार।

आशा है कि आप सब सकुशल हैं। मुझे यहां प्रवेश मिल गया है तथा टैगोर भवन छात्रावास में कमरा भी मिल गया है। यहां के सभी साथी बहुत ही मिलनसार तथा हँसमुख हैं। हमारे छात्रावास में खेलों तथा मनोरंजन के साधनों में दूरदर्शन, कम्प्यूटर आदि उपलब्ध हैं। यहाँ के भोजनालय में भोजन अत्यन्त पौष्टिक तथा स्वास्थ्यवर्धक प्राप्त होता है। स्नानागार आदि भी स्वच्छ तथा हवादार हैं। कमरे में पंखा लगा हुआ है तथा कमरे के बाहर छज्जे में से प्राकृतिक दृश्य बहुत सुन्दर दिखाई देते हैं।

आप माता जी एवं पिताजी को समझा दें कि मैं यहाँ पर सुखपूर्वक हूँ तथा मन लगाकर पढ़ रहा हूँ। समय पर खा-पी लेता हूँ तथा व्यायाम भी करता हूँ। उन्हें नमस्कार कहें तथा रुचि को स्नेह दें।

आपका अनुज
तरुण कुमार।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Muhavare मुहावरे Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 7th Class Hindi Grammar मुहावरे

मुहावरे

अंग-अंग ढीला होना (थक जाना) – आज सुबह से मैंने इतना काम किया है कि मेरा अंग-अंग ढीला हो गया है।
अंगूठा दिखाना (विश्वास दिलाकर मौके पर इन्कार कर देना) – नेता लोग चुनाव के दिनों में बीसियों वायदे करते हैं, परन्तु बाद में अंगूठा दिखा देते हैं।
अगर-मगर करना (टाल-मटोल करना) – जब मैंने मोहन से दस रुपये उधार माँगे तो वह अगर-मगर करने लगा।
अंगुली उठाना (दोष लगाना, निन्दा करना) – कर्त्तव्यपरायण व्यक्ति पर कोई अंगुली नहीं उठा सकता।
अन्धे की लकड़ी (एक मात्र सहारा) – श्रवण अपने माता-पिता की अन्धे की लकड़ी था।
अन्धेरे घर का उजाला (इकलौता बेटा) – रमन अन्धेरे घर का उजाला है, इसका ध्यान रखो।
अपनी खिचड़ी अलग पकाना (सबसे अलग रहना) – सब के साथ मिलकर रहना चाहिए, अपनी खिचड़ी अलग पकाने से कोई लाभ नहीं होता।
अपना उल्लू सीधा करना (स्वार्थ निकालना) – आजकल हर कोई अपना उल्लू सीधा करना चाहता है।
आँख उठाना (बुरी नज़र से देखना) – मेरे जीते जी तुम्हारी तरफ़ कोई आँख उठाकर नहीं देख सकता।
आँखें दिखाना (क्रोध से घूरना) – मैं इनसे नहीं डरता, ये आँखें किसी अन्य को दिखाओ।
आँख का तारा (बहुत प्यारा) – श्री राम चन्द्र जी राजा दशरथ की आँखों के तारे थे।
आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना) – चोर सिपाहियों की आँखों में धूल झोंककर भाग गया।
आँख फेर लेना (बदल जाना) – अक्सर लोग काम निकल जाने पर आँखें फेर लेते हैं।
आँख मारना (इशारा करना) – सुरेश ने जब राजेश से पुस्तक माँगी तो सुरेश ने राजेश को पुस्तक न देने के लिए आँख मार दी।
आकाश से बातें करना (बहुत ऊँचे होना) – कुतुबमीनार आकाश से बातें करती है।
आकाश-पाताल एक करना (बहुत प्रयत्न करना) – उसने परीक्षा में सफल होने के लिए आकाश-पाताल एक कर दिया परन्तु सफ़ल न हो सका।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

आसमान सिर पर उठाना (बहुत शोर करना) – अध्यापक के कक्षा छोड़ने पर लड़कों ने आसमान सिर पर उठा लिया।
उधर-उधर की हाँकना (व्यर्थ गप्पें मारना) – राम सदैव इधर-उधर की हाँकता रहता है।
ईंट से ईंट बजाना (बिल्कुल नष्ट कर देना) – घर की फूट ने लंका की ईंट से ईंट बजा दी।
ईद का चाँद होना (बहुत दिनों के बाद दिखाई पड़ना) – अरे सुरेश, आजकल कहाँ रहते हो, तुम तो ईद का चाँद हो गए हो।
अंगली उठाना (निन्दा करना) – विरोधी भी गांधी जी पर अंगली उठाने की हिम्मत नहीं करते थे।
उल्लू बनाना (मूर्ख सिद्ध करना) – सोहन के दोस्तों ने उसे ऐसा उल्लू बनाया कि उसका सारा धन उससे छीन कर ले गए।
उल्टी गंगा बहाना (उल्टी बातें करना) – बाप ने बेटे से क्षमा माँग कर उल्टी गंगा बहा दी।
एक आँख से देखना (बराबर कर बर्ताव) – माता-पिता अपने सभी बच्चों को एक आँख से देखते हैं।
एड़ी चोटी का जोर लगाना (पूरा जोर लगाना) – सुदेश ने परीक्षा में पास होने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया, फिर भी वह असफल रही।
कमर कसना (तैयार होना) – गरीबी को दूर करने के लिए सबको कमर कसनी चाहिए।
कमर टूटना (निराश हो जाना) – नौजवान बेटे की मृत्यु ने बूढ़े बाप की कमर तोड़ दी।
काम आना (युद्ध में मारे जाना) – भारत – पाक युद्ध में अनेक भारतीय सैनिक काम आए।
कफ़न सिर पर बाँधना (मरने के लिए तैयार रहना) – भारत की रक्षा के लिए वीर सैनिक सदैव सिर पर कफ़न बाँधे फिरते हैं।
काला अक्षर भैंस बराबर (अनपढ़ व्यक्ति) – अनपढ़ व्यक्ति के लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है।
कुत्ते की मौत मरना (बुरी हालत में मरना) – शराबी व्यक्ति सदैव कुत्ते की मौत मरते
कलेजे पर साँप लोटना (ईर्ष्या से जलना) – मोहन की सफलता पर उसके पड़ोसी के कलेजे पर साँप लोटने लगा।
कोल्हू का बैल (दिन-रात कार्य करने वाला) – आजकल कोल्हू का बैल बनने पर भी बड़ी कठिनता से निर्वाह होता है।
कोरा जवाब देना (साफ़ इन्कार करना) – जब उसने सुरेन्द्र से पुस्तक मांगी तो उसने कोरा जवाब दे दिया।
खाला जी का घर (आसान काम) – मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करना खाला जी का घर नहीं है।
खून का प्यासा (कट्टर शत्रु) – आजकल तो भाई, भाई के खून का प्यासा बन गया है।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

खून का बूंट पीना (क्रोध को दिल में दबाए रखना) – हरगोपाल की पुत्र वधु उसकी गालियाँ सुनकर खून का चूंट पीये रहती है।
खरी-खरी सुनाना (सच्ची बात कहना) – अंगद ने जब रावण को खरी-खरी सुनाई तो वह अंगारे उगलने लगा।
गुदड़ी का लाल (छुपा रुस्तम) – हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री गुदड़ी के लाल थे।
गप्पें हाँकना (व्यर्थ की बातें करना) – मुकेश सदैव गप्पें हाँकता रहता है। पढ़ाई की ओर बिल्कुल ध्यान नहीं देता।
गुड़ गोबर करना (बनी बनाई बात बिगाड़ देना) – काम तो बन गया था, परन्तु तुमने बीच में बोलकर गुड़ गोबर कर दिया।
घर में गंगा (सहज प्राप्ति) – अरे सुरेश! तुम्हें पढ़ाई की क्या चिन्ता ? तुम्हारा भाई अध्यापक है, तुम्हारे घर में गंगा बहती है।
घर सिर पर उठाना (बहुत शोर करना) – छुट्टी के दिन बच्चे घर सिर पर उठा लेते
घाव पर नमक छिड़कना (दु:खी को और दुखाना) – बेचारी उमा विवाह होते ही विधवा हो गई, अब उसकी सास हरदम बुरा-भला कहकर उसके घाव पर नमक छिड़कती. है।
घी के दिये जलाना (प्रसन्न होना) – जब श्री रामचन्द्र जी अयोध्या वापस लौट तो लोगों ने घी के दीये जलाये।
चकमा देना (धोखा देना) – चोर पुलिस को चकमा देकर भाग गया।
चल बसना (मर जाना) – श्याम के पिता दो वर्ष की लम्बी बीमारी के बाद कल चल बसे।
चलती गाड़ी में रोड़ा अटकाना (बनते काम में रुकावट डालना) – तुम तो व्यर्थ ही चलती गाड़ी में रोड़ा अटकाते हो।
चाल में आना (धोखे में फँसना) – तुम्हें राम की चाल में नहीं आना चाहिए, वह ठग
चम्पत होना (खिसक जाना) – सिपाही का ध्यान जैसे ही दूसरी तरफ हुआ कि चोर चम्पत हो गया।
चादर से बाहर पैर पसारना (आमदनी से बढ़कर खर्च करना) – चादर से बाहर पैर पसारने वाले लोग बाद में पछताते हैं।
छक्के छुड़ाना (बुरी तरह हराना) – भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना के छक्के छुड़ा दिए।
छोटा मुँह बड़ी बात (बढ़ा – चढ़ा कर कहना) – कई लोगों को छोटा मुँह बड़ी बात कहने की आदत होती है।
जूतियाँ चाटना (खुशामद करना) – स्वार्थी आदमी अपने काम के लिए अफसरों की जूतियाँ चाटते फिरते हैं।
जान पर खेलना (प्राणों की परवाह न करना) – लाला लाजपतराय जैसे देश भक्त भारत की स्वतन्त्रता के लिए जान पर खेल गए।
जान हथेली पर रखना (मरने की बिल्कुल परवाह न करना) – रण क्षेत्र में भारत के वीर सदैव जान हथेली पर रखकर लड़ते हैं।
जहर का चूंट पीना (क्रोध को दबाना) – अपनी सास की जली-कटी बातें सुनकर भी शीला जहर का चूंट पीये रही।
जी चुराना (परिश्रम से भागना) – पढ़ाई में जी चुराने वाले विद्यार्थी कभी परीक्षा में सफ़ल नहीं होते।
ज़मीन आसमान एक करना (बहुत प्रयत्न करना) – रमेश ने नौकरी पाने के लिए ज़मीन आसमान एक कर दिया, लेकिन असफल रहा।
टका-सा जवाब देना (कोरा जवाब देना) – जब मैंने सुरेश से पुस्तक माँगी तो उसने मुझे टका-सा जवाब दे दिया।
टाँग अड़ाना (व्यर्थ दखल देना, रुकावट डालना) – मोहन, तुम क्यों दूसरों के कार्य में टाँग अड़ाते हो।
टेडी खीर (कठिन कार्य) – बोर्ड की परीक्षा में प्रथम आना टेढ़ी खीर है।
ठोकरें खाना (धक्के खाना) – आजकल तो एम० ए० पास भी नौकरी के लिए ठोकरें खाते फिरते हैं।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

डींग मारना (शेखी मारना) – राकेश डींगें तो मारता है, लेकिन वैसे पाई-पाई के लिए मरता
डंका बजना (प्रभाव होना, अधिकार होना, विजय पाना) – आज विश्व भर में भारत की शक्ति का डंका बज रहा है।
डूबते को तिनके का सहारा (संकट में थोड़ी-सी सहायता मिलना) – इस विपत्ति में तुम्हारे पाँच रुपये भी मेरे लिए डूबते को तिनके का सहारा सिद्ध होंगे।
तूती बोलना (प्रभाव होना, बात का माना जाना) – आजकल हर जगह धनिकों की ही तूती बोलती है।
तलवे चाटना (चापलूसी करना) – मुनीश दूसरों के तलवे चाटकर काम निकालने में बहुत निपुण है।
ताक में रहना (अवसर देखते रहना) – चोर सदैव चोरी करने की ताक में रहते हैं।
दम घुटना (श्वास लेने में कठिनाई होना) – आजकल यातायात के समय इतनी भीड़ का सामना करना पड़ता है कि कई बार दम घुटने लगता है।
दंग रह जाना (हैरान रह जाना) – अनिल के द्वारा चोरी किए जाने का समाचार सुनकर उसके पिता जी दंग रह गए।
दिन फिरना (अच्छे दिन आना) – निराश मत हो, सभी के दिन फिरते हैं।
दाँतों तले अंगली दबाना (आश्चर्य प्रकट करना) – महान् तपस्वी भी रावण की कठिन तपस्या देखकर दाँतों तले अंगली दबाते थे।
दाहिना हाथ (बहुत सहायक) – जवान पुत्र अपने पिता के लिए दाहिना हाथ सिद्ध होता
दिन में तारे नज़र आना (कोई अनहोनी घटना होने से घबरा जाना) – जंगल में शेर को अपनी ओर लपकते देखकर प्रमोद को दिन में तारे नज़र आ गए।
दाँत खट्टे करना (हारना) – महाराणा प्रताप ने युद्ध में कई बार मुग़लों के दाँत खट्टे किए।
दिन दुगुनी रात चौगुनी (अत्यधिक) – भारत आजकल दिन दुगुनी रात चौगुनी उन्नति कर रहा है।
धज्जियाँ उड़ाना (पूरी तरह खंडित करना) – महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के अत्याचारों की धज्जियाँ उड़ा दीं।
नाकों चने चबाना (खूब तंग करना) – भारतीय सैनिकों ने शत्रु को नाकों चने चबा दिये।
नाक में दम करना (बहुत तंग करना) – तुमने तो मेरा नाक में दम कर रखा है।
नाम कमाना (प्रसिद्ध होना) – घर बैठे-बैठे नाम नहीं कमाया जा सकता।
नमक-मिर्च लगाना (छोटी-सी बात को बढ़ा चढ़ा कर कहना) – हरीश के स्कूल से भागने पर सुरेश ने मुख्याध्यापक के सम्मुख खूब नमक-मिर्च लगाकर उसकी शिकायत की।
नीचा दिखाना (हराना, घमंड तोड़ना) – पाकिस्तान सदैव भारत को नीचा दिखाने की ताक में रहता है।
पानी-पानी होना (बहुत लज्जित होना) – चोरी पकड़े जाने पर सुरेश पानी-पानी हो गया।)
पीठ दिखाना (युद्ध से भाग जाना) – युद्ध में पीठ दिखाना कायरों का काम है, वीरों का नहीं।
पगड़ी उछालना (अपमान करना) – बड़ों की पगड़ी उछालना सज्जन पुरुषों को शोभा नहीं देता।
पत्थर की लकीर (अटल बात) – श्री जयप्रकाश नारायण का कथन पत्थर की लकीर सिद्ध हुआ।
पापड़ बेलना (कड़ी मेहनत करना) – महेश ने नौकरी प्राप्त करने के लिए कई पापड़ बेले, फिर भी असफल रहा।
पसीना-पसीना होना (घबरा जाना) – कठिन पर्चा देखकर गीता पसीना-पसीना हो गई।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

फूला न समाना (बहुत प्रसन्न होना) – परीक्षा में प्रथम आने का समाचार सुनकर आशा फूली नहीं समाई।
फूट-फूट कर रोना (बहुत अधिक रोना) – पिता के मरने का समाचार सुनकर रमा फूट-फूट कर रोने लगी।
बगुला भक्त (कपटी) – मोहन को अपनी कोई बात न बताना, वह बगुला भक्त है। बायें हाथ का खेल (आसान काम) – दसवीं की परीक्षा पास करना बायें हाथ का खेल नहीं है।
बाल बाँका न करना (हानि न पहुँचा पाना) – मेरे होते हुए कोई तुम्हारा बाल बाँका नहीं कर सकता।
बाल-बाल बच जाना (साफ़-साफ़ बच जाना) – आज ट्रक और बस की दुर्घटना में यात्री बाल-बाल बच गए।
भंडा फोड़ना (भेद प्रकट करना) – प्रवीण के वास्तविक बात न बतलाने पर राजेश ने उसका भंडा फोड़ दिया।
भाड़े का टटू (किराये का आदमी) – आजकल सच्चा देशभक्त मिलना कठिन है। सभी भाड़े के टटू हैं।
भीगी बिल्ली बनना (भय के कारण दब जाना) – सौतेली माता होने के कारण बेचारी वीणा हर समय भीगी बिल्ली बनी रहती है।
मिट्टी का माधो (निरा मूर्ख) – सभी विद्यार्थी रमेश को मिट्टी का माधो समझते थे, लेकिन वह बहुत चालाक निकला।
मुँह की खाना (बुरी तरह हारना) – 1971 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को मुँह की खानी पड़ी थी।
मैदान मारना (जीतना) – भारतीय फ़ौज ने देखते-ही-देखते छम्ब क्षेत्र में मैदान मार लिया।
रंगा सियार (धोखेबाज) – तुम्हें सतीश की बातों में नहीं आना चाहिए, वह तो निरा रंगा सियार है।
रफू-चक्कर होना (भाग जाना) – जेब काटकर जेबकतरा रफू-चक्कर हो गया।
रंग में भंग पड़ना (मजा किरकिरा होना) – जलसा शुरू ही हुआ था कि तेज वर्षा होने लगी और रंग में भंग पड़ गया।
लाल-पीला होना (क्रुद्ध होना) – पहले बातें तो सुन लो, व्यर्थ में क्यों लाल-पीले हो रहे हो ?
लोहा मानना (शक्ति मानना) – सारा यूरोप नेपोलियन का लोहा मानता था।
लेने के देने पड़ जाना (लाभ के बदले हानि होना) – भारत पर आक्रमण करके पाकिस्तान को लेने के देने पड़ गए। क्योंकि युद्ध में वह पूर्वी पाकिस्तान गँवा बैठा।
लोहे के चने चबाना (अति कठिन काम) – भारत पर आक्रमण करके चीन को लोहे के चने चबाने पड़े।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

लहू पसीना एक करना (बहुत परिश्रम करना) – आजकल लहू पसीना एक करने पर भी अच्छी तरह से जीवन निर्वाह नहीं हो पाता।
सिर पर आसमान उठाना (बहुत शोर मचाना) – अध्यापक महोदय के कक्षा से निकलते ही छात्रों ने सिर पर आसमान उठा लिया।
सिर पर भूत सवार होना (अत्यधिक क्रोध में आना) – अरे सुरेश, राम के सिर पर तो भूत सवार हो गया है, वह तुम्हारी एक न मानेगा।
सिर नीचा होना (इज्जत बिगड़ना) – नकल करते हुए पकड़े जाने पर प्रभा का सिर नीचा हो गया।
हवा से बातें करना (तेज़ भागना) – शीघ्र ही हमारी गाड़ी हवा से बातें करने लगी।
हक्का-बक्का रह जाना (हैरान रह जाना) – वरिष्ठ नेता जगजीवन राम के कांग्रेस छोड़ने पर श्रीमती इंदिरा गांधी हक्का-बक्का रह गई थीं।
हाथों के तोते उड़ जाना (बुरा समाचार सुनकर डर जाना) – कारखाने में आग लगने की खबर सुनकर सेठ हरिदत्त के हाथों के तोते उड़ गए।
हाथ तंग होना (पैसे का अभाव होना) – हमारा आजकल हाथ बहुत तंग है, कृपया नकद रुपया दें।
हाथ मलना (पछताना) – बिना सोचे-समझे काम करने वाले मनुष्य अन्त में हाथ मलते रह जाते हैं।
हाथ धो बैठना (खो देना, छिन जाना) – पाकिस्तान युद्ध में कई पोतों तथा पनडुब्बियों से हाथ धो बैठा।
हाथ-पैर मारना (प्रयत्न करना) – डूबते बच्चे को बचाने के लिए लोगों ने खूब हाथपैर मारे, परन्तु सफल न हो सके।
हथियार डाल देना (हार मान लेना) – कारगिल के युद्ध में पाकिस्तान ने अन्ततः हथियार डाल दिये।

अभ्यास के प्रश्न

काला अक्षर भैंस बराबर – अनपढ़ व्यक्ति-रोहन के लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है।
छाती पर मूंग दलना – परेशान करना-रमेश ने चौधरी साहिब की दुकान के सामने अपनी दुकान खोल कर उसकी छाती पर मूंग दलने का काम किया है।
फाँसी का फंदा चूमना – हँसते-हुए फाँसी लेना-भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने हँसते-हँसते फाँसी का फंदा चूम लिया है।
कान पकड़ना – तौबा करना-पुलिस की मार खाकर सुदर्शन ने चोरी करने को कान पकड़ लिए।
मैदान में कूद पड़ना – जंग के लिए उतर आना-नौजवान भगत सिंह आज़ादी के लिए मैदान में कूद पड़े।
राग अलापना – अपनी ही बात करना-कक्षा में सब बच्चे अपना-अपना ही राग अलापने लगे।
नमक खाना – हजूर मैंने आपका नमक खाया है मैं आपसे गद्दारी नहीं कर सकता।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

अपना सा मुँह लेकर रह जाना – शर्मिंदा होना-बार-बार उछलने पर भी लोमड़ी .अंगूर न पा सकी तो अपना सा मुँह लेकर रह गई।
जान के पीछे पड़ना – सेठ तो नौकर की जान के पीछे ही पड़ गए।
फूले न समाना – अपने जन्मदिन पर उपहार में मिली घड़ी देखकर सुनीता तो फूले नहीं समा रही।
मुँह की खाना – युद्ध में पाकिस्तान को हर बार भारत से मुँह की खानी पड़ी।
सीधे मुँह बात न करना – कक्षा में प्रथम क्या आ गया मोहन तो किसी से सीधे मुँह बात ही नहीं करता।
उंगलियों पर नचाना – महेश की पत्नी तो उसे अपनी उगलियों पर नचाती है।
चीं की भांति चककर लगाना – शराब पीने का आदी सुरेश जब देखो शराब के ठेके के आसपास चर्बी की भांति चक्कर लगाता रहा है।
पत्थर के देवता – अरे हरिया, क्या सेठ जी के पैर पकड़ते हो । ये पत्थर के देवता है ये नहीं पिघलेंगे।
न पसीजना – भिखारी का क्रन्दन सुनकर भी सेठ का दिल नहीं पसीजा। हाथ धोना-व्यापारी अपने सामान से हाथ थो बैठा। मैदान मार लेना-भारत में न्यूजीलैंड को हरा कर मैदान मार लिया।
डूबते को तिनके का सहारा – इस विपत्ति में तुम्हारे ये पचास रुपए उस दुखियारी के लिए डूबते को तिनका का सहारा है।
हड्डी पसली का पता न लगना – जहाज़ इतनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ कि किसी भी हड्डी पसली का पता न चला।
फूला न समाना – अपने जन्मदिन पर घड़ी पाकर सोहन तो फूला नहीं समा रहा।
गुदड़ी का लाल – कथाकार मुंशी प्रेमचन्द तो गुदड़ी का लाल निकले।
बाग-बाग होना – कश्मीर का सौन्दर्य देखकर मेरा तो दिल बाग-बाग हो गया।

PSEB 7th Class Hindi Vyakaran मुहावरे

जहाँ चाह वहाँ-राह – अगर बढ़ने का इरादा तुम्हारा पक्का है तो कोई बाधा तुम्हें रोक नहीं सकती। तुम तो जानते हो, जहाँ चाह वहाँ राह।
अनहोनी को होनी – प्रभु सर्वशक्तिमान है वह अनहोनी को होनी कर सकते हैं।
गले लगाना – माँ ने बेटे को गले से लगा लिया।
कोरा जवाब देना – मैंने श्याम से कापी माँगी तो उसने कोरा जबाव दे दिया।
खून पसीने की कमाई – यह मेरी खून-पसीने की कमाई है।
इसे नष्ट न करना। राख हो जाना – सुनीता ईर्ष्या से जलभुन कर राख हो गई।
फूट-फूट कर रोना – बूढ़ा अपने बेटे की मृत्यु का समाचार पाकर फूट-फूट कर रोने लगा।
नश्वर देह त्यागना – कल रात महात्मा जी ने अपना नश्वर देह त्याग दिया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 श्री गुरु अर्जुन देव जी

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 20 श्री गुरु अर्जुन देव जी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 20 श्री गुरु अर्जुन देव जी

Hindi Guide for Class 7 PSEB श्री गुरु अर्जुन देव जी Textbook Questions and Answers

(क) भाषा-बोध

1. शब्दार्थ:

परलोकवास = स्वर्गवास
विख्यात = प्रसिद्ध
दीन = गरी
हीन = नीचा
पावन-स्थल = पवित्र स्थान
निर्माण = बनाना
निवारण = दूर करना, समाधान करना
शंकाओं = संदेहों
अनमोल = कीमती
मालिया = लगान
महसूस = अनुभव
तृप्त = संतुष्ट
शीतल = ठण्डा
वृद्ध = बूढ़े
ख्याति = प्रसिद्धि
लांछन = आरोप, दोष
यातनाएँ = कष्ट
अंततः = अन्त में
दृढ़ता = मज़बूती
अत्यंत = अधिक

2. वाक्यों में प्रयोग करें:

दसवंध _________________ _________________
षड्यंत्र ______________ _________________
निवारण ___________ _____________________
उत्तर:
अपनी नेक कमाई का दसवंध दान करना चाहिए।
दुश्मनों ने भारत के विरुद्ध षड्यन्त्र रचे हुए हैं।
हे प्रभु! हमारे कष्टों का निवारण कीजिए।

3. विपरीत शब्द लिखें:

मान = ……………..
अपराध = ……………….
एक = ………………..
ईमानदारी = ……………….
इच्छा = ……………….
तृप्त = ……………….
विरोध = ………………
उत्तर:
शब्द विपरीत शब्द
मान = अपमान
अपराध = निरपराध
एक = अनेक
ईमानदारी = बेईमानी
इच्छा = अनिच्छा
तृप्त = अतृप्त
विरोध = समर्थन

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 श्री गुरु अर्जुन देव जी

4. नए शब्द बनायें:

सु + पुत्री = सुपुत्री
दशम + अंश = ……………….
श्रद्धा = आलु = ……………….
गुरु + द्वारा = ……………..
महान + ता = …………………
उप + लक्ष्य = ………………
उत्तर:
सु + पुत्री = सुपुत्री
दशम + अंश = दशमांश
श्रद्धा = आलु = श्रद्धालु
गुरु + द्वारा = गुरुद्वारा
महान + ता = महानता
उप + लक्ष्य = उपलक्ष्य

5. इन मुहावरों को इस तरह वाक्यों में प्रयोग करें कि अर्थ स्पष्ट हो जाएं

जान का दुश्मन ____________ _______________________
फूटी आँख न भाना __________________ _______________________
कान भरना ________________ ______________________
ज्योति जोत समाना ______________ ___________________
परलोक सिधारना _____________ ____________________
दो टूक कहना __________________ _________________
मामले को उछालना _________________ _____________________
उत्तर:
जान का दुश्मन (पक्का दुश्मन) – रमेश ने पुलिस से झगड़ा करके उसे अपनी जान का दुश्मन बना लिया है।
फूटी आँखों न भाना (बिलकुल अच्छा न लगना) – कक्षा में समय पर नहीं आने वाले विद्यार्थी मुझे फूटी आँख नहीं भाते।
कान भरना (चुगली करना) – ऐसे लोगों से बच कर रहो, जो दूसरों के खिलाफ़ तुम्हारे कान भरते हैं।
ज्योति जोत समाना (परलोक सिधारना) – श्री गुरु अर्जुन देव जी लाहौर में रावी नदी के तट पर ज्योति जोत समा गए।
परलोक सिधारना (मृत्यु को प्राप्त होना) – हरिसिंह के पिता जी कल परलोक सिधार गए।
दो टूक कहना (स्पष्ट वक्ता, सही और सत्य बोलना) – सुमन ने सुषमा से एक हजार रुपए उधार माँगे पर उसने दो टूक मना कर दिया।
मामले को उछालना (झगड़ा बढ़ाना, बात फैलाना) – कुछ न होते हुए भी नेताजी ने विरोधी पक्ष के मामले को उछालना शुरू कर दिया।

प्रयोगात्मक व्याकरण

6. निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग अलग करके लिखें:

प्रदान = ______________
आमंत्रित = _____________
निवारण = ______________
अनमोल = _______________
प्रभावित = _______________
प्रबन्ध = ______________
आनन्द = ___________
विभोर = ____________
संकलित = ____________
संग्रह = ______________
सुशोभित = _____________
उत्तर:
प्र, आ, नि, अन, प्र, प्र, आ, वि, सम्, सम्, सु।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 श्री गुरु अर्जुन देव जी

7. निम्नलिखित समास शब्दों का विग्रह करें

समस्त पद विग्रह
गुरुद्वारा = ………………..
परलोकवास = ……………….
गुरु-गद्दी = ………………..
गुरु-परम्परा = …………………
ग्रंथी-परम्परा = ………………
उत्तर:
समस्त पद विग्रह
गुरुद्वारा = गुरु का द्वारा
परलोकवास = परलोक में वास
गुरु-गद्दी = गुरु की गद्दी
गुरु-परम्परा = गुरु की परम्परा
ग्रंथी-परम्परा = ग्रंथी की परम्परा

8. (क)
1. ने + अन = नयन
ए + अ = अय

2. गै + अक = गायक
ऐ + अ = आय
अतएव अब ए ऐ के बाद यदि कोई दूसरा स्वर आ जाए तब इनके स्थान पर क्रमशः अय आय हो जाता है। यह स्वर संधि की अयादि संधि है। अन्य उदाहरण :- नै + अक ‘= नायक, नै + इका = नायिका।

(ख)
1. पो + अन = पवन
ओ + अ = अव

2. पौ + अन = पावन
औ + अ = आव
अतएव जब ओ औ के बाद दूसरा स्वर आ जाए तो इनके स्थान पर क्रमश: अव आव हो जाता है। यह स्वर संधि की अयादि संधि है। अन्य उदाहरण
भो + अन = भवन
नौ + इक – नाविक
भौ + उक = भावुक

9. रेखांकित पदों के कारक बतायें:

  1. गुरु जी ने सिक्ख धर्म के प्रचार और दीन हीन की सहायता के लिए ‘दसवंध मर्यादा’ का आरम्भ किया।
  2. यह अमृतसर नगर में विद्यमान है।
  3. गुरु जी अपने माता-पिता की तीसरी संतान थे।
  4. चंदू शाह अपने अपमान का बदला चुकाना चाहता था।
  5. हर साल गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी दिवस संसार भर में मनाया जाता है।

उत्तर:

  1. संप्रदान तत्पुरुष
  2. द्वंद्व समास
  3. अधिकरण तत्पुरुष
  4. कर्ता तत्पुरुष
  5. संबंध तत्पुरुष

(ख) विचार-बोध

1. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें:

प्रश्न 1.
दसवंध मर्यादा से क्या भाव है ?
उत्तर:
दसवंध मर्यादा का अर्थ सिक्ख धर्म के अनुयायियों का अपनी आमदनी का दसवाँ भाग दान में से है।

प्रश्न 2.
गुरु अर्जुन देव जी ने सम्राट अकबर से क्या मांगा ?
उत्तर:
गुरु अर्जुन देव जी ने सम्राट अकबर से कहा कि हरमन्दिर साहिब के आस-पास के गाँवों का लगान माफ़ कर दिया जाए।

प्रश्न 3.
श्री गुरु ग्रन्थ साहिब’ में किन-किन की वाणी संकलित है ?
उत्तर:
श्री गुरु ग्रंथ साहिब में गुरु नानक देव जी, भक्त कबीर जी, गुरु अर्जुन देव जी तथा अन्य गुरुओं और अनेक सन्तों की वाणी संकलित है।

प्रश्न 4.
चन्दू शाह गुरु अर्जुन देव जी का दुश्मन क्यों बना ?
उत्तर:
चन्दू शाह अपनी पुत्री का विवाह गुरु अर्जुन देव जी के बड़े बेटे श्री हर गोबिन्द जी से करना चाहता था। गुरु जी इसके लिए तैयार नहीं थे। इसलिए चन्दू शाह गुरु जी का दुश्मन बन गया।

प्रश्न 5.
गुरु अर्जुन देव जी को गुरु गद्दी कब प्रदान की गई ?
उत्तर:
गुरु अर्जुन देव जी को गुरु गद्दी सन् 1581 ई० में प्रदान की गई।

प्रश्न 6.
दस गुरुओं के क्रमशः नाम लिखें। उत्तर-सिक्ख धर्म के दस गुरुओं के नाम इस प्रकार हैं

  1. गुरु नानक देव जी
  2. गुरु अंगद देव जी
  3. गुरु अमरदास जी
  4. गुरु रामदास जी
  5. गुरु अर्जुन देव जी
  6. गुरु हरगोबिन्द जी
  7. गुरु हरिराय जी
  8. गुरु हरिकृष्ण जी
  9. गुरु तेग़ बहादुर जी
  10. गुरु गोबिन्द सिंह जी

3. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें:

प्रश्न 1.
गुरु अर्जुन देव जी के चरित्र की दो विशेषताओं को स्पष्ट करें। संकेत-उदारता, दया, सेवाभाव, भक्ति, दृढ़ता, कष्ट सहिष्णुता, निर्भयता।
उत्तर:

  1. उदारता-गुरु अर्जुन देव जी बड़े उदार विचारों के थे। उन्होंने अपने समय के प्रसिद्ध मुस्लिम फकीर साईं मियां मीर को आमन्त्रित करके श्री हरमन्दिर साहिब की नींव रखवाई थी। दरबार साहिब के नाम से भी विख्यात यह गुरुद्वारा साहिब सिक्ख धर्म का महान् तीर्थ स्थान माना जाता है।
  2. दया-गुरु जी ने अकबर से गरीब किसानों का लगान माफ करवाया।
  3. सेवाभाव-गुरुद्वारे में आने वाले श्रद्धालुओं को वे स्वयं भोजन परोसा करते थे। गुरु जी की सिक्ख धर्म को सबसे बड़ी देन है-गुरु ग्रन्थ साहिब का प्रकाश।
  4. निर्भयता-गुरु जी बड़े-से बड़े संकट से घबराते नहीं थे। दीन-हीन और निःसहायों को आश्रय देना वे अपना धर्म मानते थे।

प्रश्न 2.
जहाँगीर ने गुरु अर्जुन देव जी को क्यों दण्डित किया ?
उत्तर:
गुरु अर्जुन देव जी के विरोधियों तथा चन्दू शाह ने उनके विरुद्ध अनेक तरह के लांछन लगाकर मुग़ल बादशाह जहाँगीर के कान भरे। गुरु साहिब बड़े दयालु थे। उन्होंने जहाँगीर के बेटे शहज़ादा खुसरो की मुसीबत के समय सहायता की थी। पिता से बिगड़े पुत्र खुसरो की मदद के इस मामले को भी गुरु साहिब के विरोधियों ने खूब उछाला। ऐसे षड्यंत्रों में फंसा कर बादशाह जहाँगीर ने गुरु अर्जुन देव जी को लाहौर बुलवा कर नौ लाख रुपए दण्ड भरने का आदेश दे दिया और दण्ड न देने पर उन्हें कैद करवाया।

प्रश्न 3.
गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी दिवस कब और कैसे मनाया जाता है ?
उत्तर:
गुरु अर्जुन देव जी 30 मई, सन् 1606 ई० को शहीद हुए। इसी की स्मृति में हर साल गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी दिवस संसार भर में मनाया जाता है। शहीदी गुरु पर्व के सिलसिले में प्रभात फेरियाँ और नगर कीर्तन निकलते हैं। गर्मी का मौसम होने के कारण मीठे शीतल जल की छबीलें लगाकर शान्ति प्रिय गुरुदेव का स्मरण किया जाता है। इसी उपलक्ष्य में गुरुद्वारे में दीवान भी सजते हैं।

(ग) रचना-बोध

अपनी सहेली को पत्र में अमृतसर के दर्शनीय स्थलों का विवरण दें

92 – मॉडल कॉलोनी,
अमृतसर।
दिनांक 22 दिसम्बर, 20….
प्रिय सखी प्रीतम,
स्नेह भरी नमस्ते।
तुम्हारा पत्र मिला। घर के काम-काज में व्यस्त रहने के कारण तुरन्त उत्तर नहीं दे सकी, क्षमा चाहती हूँ। तुमने अमृतसर के दर्शनीय स्थलों का विवरण पूछा है, संक्षेप में दे रही हूँ।

जिस के कारण अमृतसर दुनिया भर में प्रसिद्ध है, वह है सिक्खों का पावन-तीर्थ श्री दरबार साहिब। यह महान् गुरुद्वारा दुनिया भर के सिक्खों का सबसे बड़ा श्रद्धा का केन्द्र है। इसका पावन सरोवर निर्मल एवं शुद्ध जल से पूर्ण है। इस में लोग श्रद्धा से स्नान करते हैं । दरबार साहिब में रात-दिन भीड़ लगी रहती है। श्रद्धालुओं के लिए गुरु का अटूट लंगर दिन-रात चलता रहता है। गुरुद्वारे में शबद कीर्तन निरन्तर होता रहता है।

श्री दरबार साहिब के निकट ही जलियाँवाला बाग है। यह देश-भक्तों का अमर स्मारक है। दुर्याना मन्दिर भी अमृतसर का एक परम पावन तीर्थ स्थल है। इसके अतिरिक्त शहर के बाग भी अद्भुत छटा बिखेरते हैं। वस्तुतः ये स्थान स्वयं आँखों से देखकर अपनी विशेषताएँ साकार करते हैं। इसलिए आगामी छुट्टियों में तुम अमृतसर आकर अपनी आँखों से सब कुछ देखो।
पूज्य माता और पिता जी को सादर नमस्कार कहना और हैप्पी को प्यार देना।
तुम्हारी प्रिय सखी,
नन्दिनी शर्मा।

(घ) सिक्ख धर्म के पावन ग्रंथ गुरु ‘ग्रंथ साहिब’ में से किसी श्लोक को याद करें और उसके अर्थ जानें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Guide श्री गुरु अर्जुन देव जी Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
‘पंचम पातशाह’ किसे कहते हैं ?
(क) गुरु नानक देव
(ख) गुरु अर्जुन देव
(ग) गुरु गोबिंद सिंह
(घ) क और ग
उत्तर:
(ख) गुरु अर्जुन देव

प्रश्न 2.
गुरु अर्जुन देव जी का जन्म कहां हुआ था ?
(क) कराची
(ख) लाहौर
(ग) दिल्ली
(घ) गोइंदवाल
उत्तर:
(घ) गोइंदवाल

प्रश्न 3.
चौथे सिक्ख गुरु कौन थे ?
(क) गुरु रामदास जी
(ख) गुरु गोबिंद सिंह जी
(ग) गुरु अर्जुन देव जी
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(क) गुरु रामदास जी

प्रश्न 4.
गुरु अर्जुन देव जी ने कौन-सी मर्यादा का आरम्भ किया था ?
(क) पंचवंध
(ख) दसवंध
(ग) सप्तवंध
(घ) बीसवंध
उत्तर:
(ख) दसवंध

प्रश्न 5.
गुरु जी की सबसे बड़ी देन क्या है ?
(क) उपदेश
(ख) लंगरसेवा
(ग) दसवंध
(घ) गुरु ग्रंथ साहिब
उत्तर:
(घ) गुरु ग्रंथ साहिब

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 20 श्री गुरु अर्जुन देव जी

2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित विकल्पों से कीजिए

प्रश्न 1.
हरमन्दिर साहिब को सिक्ख धर्म का …………… माना जाता है।
(क) तीर्थ
(ख) गुरुद्वारा
(ग) मंदिर
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(क) तीर्थ

प्रश्न 2.
दीवान ………….. ने गुरु जी को कैद में डाल दिया था ।
(क) मन्दूशाह
(ख) चन्दूशाह
(ग) राम सेवक
(घ) श्यामचंद्र
उत्तर:
(ख) चन्दूशाह

प्रश्न 3.
जहाँगीर के पुत्र का नाम ………….. था।
(क) मीर जाफ़र
(ख) रामशेर
(ग) अल्लाफ़
(घ) खुसरो
उत्तर:
(घ) खुसरो

प्रश्न 4.
हरमन्दिर साहिब की यात्रा मुगल सम्राट ………….. ने की थी।
(क) अकबर
(ख) जहाँगीर
(ग) शाहजहाँ
(घ) बाबर
उत्तर:
(क) अकबर

प्रश्न 5.
गुरु ग्रंथ साहिब में गुरु जी के …………. श्लोक तथा शब्द हैं।
(क) 2 सौ
(ख) 21 सौ
(ग) 22 सौ
(घ) 23 सौ
उत्तर:
(ग) 22 सौ

3. दिए गए शब्द का सही अर्थ से मिलान कीजिए

प्रश्न 1.
विख्यात:
प्रसिद्ध
विज्ञान
विचार
उत्तर:
प्रसिद्ध

प्रश्न 2.
आमंत्रित करना :
मंत्र देना
बुलाना
भेजना
उत्तर:
बुलाना

प्रश्न 3.
स्मरण:
याद करना
भुला देना
घूमना
उत्तर:
याद करना

प्रश्न 4.
श्रद्धालु:
श्राद् का आलू
श्रद्धा करने वाले
श्रद्धा
उत्तर:
श्रद्धा करने वाले

श्री गुरु अर्जुन देव जी Summary

श्री गुरु अर्जुन देव जी पाठ का सार

‘श्री गुरु अर्जुन देव जी’ पाठ में ‘पंचम पातशाह जी’ के नाम से सिक्ख परंपरा में विख्यात श्री गुरु अर्जुन देव जी के जीवन चरित्र का वर्णन किया गया है। श्री गुरु अर्जुन देव जी का जन्म 15 अप्रैल, सन् 1563 को गोइंदवाल में हुआ था। आप के पिता श्री गुरु रामदास जी चौथे सिक्ख गुरु थे। आपकी माता जी का नाम बीबी भानी जी था। वे तीसरे सिख गुरु श्री गुरु अमरदास जी की सुपुत्री थी। इस प्रकार गुरु अमरदास जी श्री गुरु अर्जुन देव जी के नाना हुए। गुरु अर्जुन देव जी अपने माता-पिता की तीसरी सन्तान थे। सोलह वर्ष की आयु में गुरु अर्जुन देव जी का विवाह मउ गाँव के श्रीकृष्ण चन्द की बेटी गंगा जी के साथ हुआ था। आप सन् 1581 ई० में गुरुगद्दी पर बैठे और ‘पंचम पातशाह जी’ के नाम से विख्यात हुए।

श्री गुरु अर्जुन देव जी ने ‘दसवंध मर्यादा’ का आरम्भ किया। गुरु जी ने मुस्लिम फकीर साईं.मियां मीर जी को आमंत्रित करके श्री हरमन्दिर साहिब की नींव रखवाई थी। दरबार साहिब के नाम से प्रसिद्ध यह सिक्ख धर्म का महान् तीर्थ माना जाता है। मुग़ल सम्राट अकबर भी इसकी यात्रा करने आया था और उसने गुरु जी के दर्शन किये थे।

श्री गुरु अर्जुन देव जी गुरुद्वारे में आने वाले श्रद्धालुओं को स्वयं भोजन परोसा करते थे। वे थके-मांदे की सेवा करते थे। गुरु जी की सबसे बड़ी देन ‘श्री गुरु ग्रन्थ साहिब’ है। उन्होंने बाबा बुड्डा जी को दरबार साहिब में ग्रन्थी बनाकर ग्रन्थी परम्परा शुरू की थी। श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में गुरु जी के 22 सौ ‘श्लोक’ तथा ‘शबद’ हैं। अकबर की मृत्यु के बाद गुरु जी के विरोधियों ने मुग़ल सम्राट् जहाँगीर के कान भरे क्योंकि उन्होंने जहाँगीर के पुत्र खुसरो की मुसीबत में सहायता की थी। दीवान चन्दू शाह ने गुरु जी को कैद में डाल दिया था। वह उन्हें अनेक यातनाएँ देता था। वे 30 मई, सन् 1606 ई० को शहीद हो गए। गुरु जी का शहीदी दिवस हर साल संसार भर में मनाया जाता है और ‘पंचम पातशाह जी’ के नाम से उनको स्मरण किया जाता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 एण्ड्रोक्लीज़ और शेर

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 19 एण्ड्रोक्लीज़ और शेर Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 19 एण्ड्रोक्लीज़ और शेर

Hindi Guide for Class 7 PSEB एण्ड्रोक्लीज़ और शेर Textbook Questions and Answers

(क) भाषा-बोध

1. शब्दार्थ:

रिवाज़ = रीति, परम्परा
हक = अधिकार
बरताव = व्यवहार
बेरहम = निर्दयी
बेहतर = अच्छा, श्रेष्ठ
बियाबान = सुनसान
खोह = गुफा
गौर से = ध्यान से
उकता गया = तंग हो गया
अजीब = विचित्र
यकायक = अचानक
सन्नाटा = खामोशी
किस्सा = कहानी
निर्वाह = निबाहना, निभाना

2. निम्न शब्दों/मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग करें:

पीठ थपथपाना _____________ _____________________
टूट पड़ना _____________ ____________________
बात ही बात में _____________ _________________
हड़बड़ा कर ______________ ______________________
आँख लगना ________________ ____________________
दुम हिलाना ___________ _____________________
सिर पैरों पर रखना ________________ ___________________
दंग रह जाना _____________ ____________________
उत्तर:
पीठ थपथपाना (शाबाशी देना) – राघव के कक्षा में प्रथम आने पर सब ने उसकी पीठ थपथपा कर उसे बधाई दी।
टूट पड़ना (आक्रमण करना) – भारतीय सैनिक भूखे भेड़ियों की तरह शत्रु पर टूट पड़े।
बात ही बात में (क्षण भर में) – बात ही बात में दोनों यात्री आपस में उलझ पड़े। हड़बड़ा कर (घबरा कर) – शेर की दहाड़ सुन शिकारी हड़बड़ा कर जाग उठा।
आँख लगना (नींद आना) – मुसाफिर थक गया था, लेटते ही उसकी आँख लग गई।
दुम हिलाना (प्रसन्नतापूर्वक अधीनता स्वीकार करना) – एण्ड्रोक्लीज़ को दंगल के मैदान में देखते ही शेर उसके पास जाकर दुम हिलाने लगा।
सिर पैरों पर रखना (क्षमा माँगना) – नौकर ने अपनी गलती मान कर अपना सिर उसके पैरों पर रख दिया।
दंग रह जाना (हैरान/चकित रह जाना) – जादूगर के कमाल देखकर सभी दंग रह गए।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 एण्ड्रोक्लीज़ और शेर

3. विपरीत शब्द लिखें:

बादशाह = …………………
बेरहम = ……………….
कृतज्ञ = ………………
गुलाम = ……………….
उपकार = ……………..
उत्तर:
शब्द विपरीत शब्द
बादशाह = फकीर
बेरहम = रहम
कृतज्ञ = कृतध्न
गुलाम = मालिक
उपकार = अपकार

4. कई बार एक ही शब्द को दो बार प्रयोग किया जाता है। ऐसे शब्दों को पुनरुक्त शब्द कहते हैं। इस पाठ में कुछ ऐसे शब्द प्रयुक्त हुए हैं जैसे :- भटकते-भटकते इसी प्रकार अन्य शब्द ढूंढें और लिखें।
उत्तर:
खड़ा-खड़ा, बार-बार, लँगड़ाता-लँगड़ाता, आगे-आगे, साथ-साथ, बड़ेबड़े।

5. बेरहम शब्द में बे उपसर्ग लगा है। इसी प्रकार बे उपसर्ग से नए शब्द बनाएं:

बे + कार = ………………..
बे + चैन = …………….
बे + शक = ……………..
बे + रोक = ………………
बे + जान = …………………
उत्तर:
बे + कार = बेकार
बे + चैन = बेचैन
बे + शक = बेशक
बे + रोक = बेरोक
बे + जान = बेजान

6. प्रयोगात्मक व्याकरण

(1) एक दिन रात को वह घर से निकल भागा और समुद्र के किनारे की तरफ चल दिया।
(2) मालिक एण्ड्रोक्लीज़ से बहुत रात बीतने तक काम लेता मगर न पहनने को कपड़े देता, न पेट भर खाना।
(3) उसे भूख लगी थी इसलिए शेर ने उसके पास एक मरा हुआ खरगोश लाकर डाल दिया।
(4) ऐसा लगा मानो उसके पंजे में कोई तकलीफ है।
(5) एण्ड्रोक्लीज़ मालिक के कब्जे से भाग गया था। इस कारण उसे मौत की सज़ा दी गयी।
(6) उसने समझ लिया कि अब मौत आ गयी।
(7) वह थक हार कर खोह में लोट गया ताकि आराम कर सके।
(8) चाहे वह अपराधी था फिर भी बादशाह ने उसे छोड़ दिया।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘और’, ‘मगर’, ‘इसलिए’, ‘मानो’, ‘इस कारण कि’, ‘ताकि’, ‘चाहे’ फिर भी शब्द दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ रहे हैं। इन शब्दों को योजक या समुच्चयबोधक शब्द कहते हैं।
अतएव दो शब्दों, वाक्यों के अंशों और वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों को योजक या समुच्चयबोधक कहते हैं।
अन्य योजक शब्द-एवं, तथा, अथवा, या, नहीं तो, अतः, यद्यपि… तथापि, चूंकि, क्योंकि, जिससे कि, यदि तो।

(ख) विचार-बोध

1. उपयुक्त शब्द भरकर वाक्य पूरे करें :

  1. एण्ड्रोक्लीज़ ………….. का एक गुलाम था।
  2. मालिक गुलाम को ………….. बेच सकता है।
  3. उसका मालिक उसे ………….. ले गया।
  4. वह रास्ता भूल गया …….. जंगल में जा पहुंचा।
  5. शेर बुरी तरह ………….. हुआ आगे बढ़ा।
    (दहाड़ता, भेड़-बकरियों की तरह, और बियाबान, अफ्रीका, रोम)

उत्तर:

  1. रोम
  2. भेड़-बकरियों की तरह
  3. अफ्रीका
  4. और बियाबान
  5. दहाड़ता

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 एण्ड्रोक्लीज़ और शेर

2. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें:

प्रश्न 1.
गुलामी प्रथा से क्या भाव है ?
उत्तर:
गुलामी प्रथा में लोग किसी भी व्यक्ति को खरीद सकते हैं और उसका मालिक अपने गुलाम को भेड़-बकरियों की तरह किसी को भी बेच सकता है।

प्रश्न 2.
एण्ड्रोक्लीज़ भाग कर कहाँ पहुँचा ?
उत्तर:
एण्ड्रोक्लीज़ अफ्रीका से भाग कर एक पहाड़ की खोह में पहुंचा।

प्रश्न 3.
एण्ड्रोक्लीज़ को मौत की सज़ा क्यों दी गई ?
उत्तर:
एण्ड्रोक्लीज़ एक गुलाम था। उसका अपने मालिक को छोड़ कर भाग जाना कानूनी अपराध था। इसलिए उसे मौत की सज़ा दी गई।

प्रश्न 4.
उन दिनों मौत की सज़ा कैसे दी जाती थी ?
उत्तर:
उन दिनों अपराधी को भूखे शेर के साथ भिड़ना पड़ता था। उसे दंगल में एक भाला देकर भेज दिया जाता। फिर भूखे शेर को पिंजरे से निकाल कर उस दंगल में छोड़ दिया जाता। भूखा शेर दहाड़ मारता हुआ उस पर टूट पड़ता और उसे चीर-फाड़ कर खा जाता था।

प्रश्न 5.
इस कहानी का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर:
‘एण्ड्रोक्लीज़ और शेर’ कहानी का मुख्य उद्देश्य यह है कि उपकार करने का फल अवश्य मिलता है।

3. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें:

प्रश्न 1.
एण्ड्रोक्लीज़ अपने मालिक के पास किस रूप में रहता था और वहाँ से क्यों भाग गया ?
उत्तर:
एण्ड्रोक्लीज़ अपने मालिक के पास एक गुलाम के रूप में रहता था। उसे दिन-रात काम करना पड़ता था। एण्ड्रोक्लीज़ को न पहनने के पूरे कपड़े मिलते थे, न ही उसे भरपेट भोजन मिलता था, इस कारण वह बहुत दुखी रहता। इस दशा में उसने वहाँ से भाग जाना ही ठीक समझा।

प्रश्न 2.
एण्ड्रोक्लीज़ की शेर के साथ दोस्ती किस प्रकार हुई और उसके पश्चात् दोनों किस प्रकार रहे ?
उत्तर:
एण्डोक्लीज़ मालिक के बुरे बर्ताव से तंग आकर भाग निकला। वह रात भर भटकता-भटकता रास्ता भूल गया। वह रोम जाना चाहता था परन्तु वह एक पहाड़ की खोह में जा पहुँचा। जहाँ वह सो गया। इतने में शेर दहाड़ता हुआ आया। एण्ड्रोक्लीज़ ने देखा शेर के पंजे में काँटा चुभा हुआ है। उसने झट से काँटा निकाल दिया और एण्ड्रोक्लीज और शेर मित्र बन कर वहाँ रहने लगे।

प्रश्न 3.
मौत के कटघरे में एण्ड्रोक्लीज़ और शेर के व्यवहार का वर्णन करें।
उत्तर:
मौत के कटघरे में एण्ड्रोक्लीज़ को एक भाला देकर भेजा गया। थोड़ी देर बाद पिंजरे से एक भूखे शेर को वहाँ छोड़ दिया गया। शेर दहाड़ता हुआ आगे बढ़ने ही वाला था कि एकदम रुक गया ! शेर एण्ड्रोक्लीज़ के पास पहुँचकर कुत्ते की तरह दुम हिलाने लगा। एण्ड्रोक्लीज़ ने शेर की पीठ थपथपाई। दोनों ओर से प्यार छलक रहा था। सभी देखने वाले दंग थे।

(ग) भाव-बोध (प्रश्न) इन पंक्तियों का भाव स्पष्ट करें

प्रश्न 1.
गुलामी से मौत बेहतर है।
उत्तर:
गुलामी एक अभिशाप है। गुलाम का जीवन अपने मालिक की दया पर निर्भर करता है। वह भेड़-बकरी के समान होता है। न उसे पहनने के पूरे कपड़े मिलते हैं और न खाने को भरपेट भोजन। ऐसी गुलामी से मौत बेहतर है।

प्रश्न 2.
पशु भी कृतज्ञ और सच्चे मित्र होते हैं।
उत्तर:
पशुओं के साथ भी मनुष्य को अच्छा बर्ताव करना चाहिए। उनमें भी विचारशक्ति होती है। वे भी समय पड़ने पर कृतज्ञ और सच्चे मित्र सिद्ध होते हैं। यहाँ तक कि हिंसक पशु भी उपकार नहीं भूलते।

योग्यता विस्तार

(1) मानव स्वतन्त्रता और गुलामी प्रथा विषय पर अपनी कक्षा में भाषण प्रतियोगिता रखो।
(2) वन्य जन्तुओं के आचरण और व्यवहार से सम्बन्धित पुस्तकें पढ़ो।
(3) किसी भारतीय अभ्यारण्य में जाकर जन्तुओं का निरीक्षण करो।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Guide एण्ड्रोक्लीज़ और शेर Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
एण्ड्रोक्लीज़ के साथ शेर कैसे रहता था ?
(क) दोस्त
(ख) भाई
(ग) पालतू कुत्ते
(घ) दुश्मन
उत्तर:
(ग) पालतू कुत्ते

प्रश्न 2.
एण्ड्रोक्लीज़ ने किसे भूनकर खा लिया था ?
(क) हिरन
(ख) साँप
(ग) मेंढ़क
(घ) खरगोश
उत्तर:
(घ) खरगोश

प्रश्न 3.
एण्ड्रोक्लीज़ को कौन-सी सजा सुनाई गई ?
(क) उम्रकैद
(ख) दस साल की
(ग) फाँसी की
(घ) मुर्गा बनने की
उत्तर:
(ग) फाँसी की

प्रश्न 4.
एण्ड्रोक्लीज़ कौन था ?
(क) व्यापारी
(ख) रोम का गुलाम
(ग) क्रांतिकारी
(घ) नौकर शाह
उत्तर:
(ख) रोम का गुलाम

प्रश्न5.
एण्ड्रोक्लीज़ कहाँ का वासी था ?
(क) रोम
(ख) भारत
(ग) इग्लैण्ड
(घ) अमेरिका
उत्तर:
(क) रोम

2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित विकल्पों से कीजिए

प्रश्न 1.
एण्ड्रोक्लीज़ को उसका मालिक ………….. ले गया।
(क) रोम
(ख) अमेरिका
(ग) फ्रांस
(घ) अफ्रीका
उत्तर:
(घ) अफ्रीका

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 19 एण्ड्रोक्लीज़ और शेर

प्रश्न 2.
रोम में …………… की प्रथा थी।
(क) व्यापारी
(ख) गुलाम
(ग) बुर्का
(घ) पर्दा
उत्तर:
(ख) गुलाम

प्रश्न 3.
शेर …………… हुआ वहाँ से चला गया।
(क) लंगड़ाता
(ख) चिघाड़ता
(ग) रोता
(घ) हँसता
उत्तर:
(क) लंगड़ाता

प्रश्न 4.
…………….. ने एण्ड्रोक्लीज़ को अपने पास बुलाया।
(क) मालिक
(ख) बादशाह
(ग) जल्लाद
(घ) जेलर
उत्तर:
(ख) बादशाह

प्रश्न 5.
शेर ने एण्ड्रोक्लीज़ के सामने ……….. डाल दिया।
(क) मरा खरगोश
(ख) हिरन
(ग) भालू
(घ) बछड़ा
उत्तर:
(क) मरा खरगोश

3. दिए गए शब्द का सही अर्थ से मिलान कीजिए

प्रश्न 1.
बर्ताव:
व्यवहार
बर्तन
बर्फ
उत्तर:
व्यवहार

प्रश्न 2.
किस्सा
कविता
कहानी
केश
उत्तर:
कहानी

प्रश्न 3.
निर्वाह
निरवाह
निबाहना
निवरहा
उत्तर:
निबाहना

प्रश्न 4.
उकताना
तंग आना
रंग जाना
हट जाना
उत्तर:
तंग आना

एण्ड्रोक्लीज़ और शेर Summary

एण्ड्रोक्लीज़ और शेर पाठ का सार

‘एण्ड्रोक्लीज़ और शेर’ कहानी में लेखक ने गुलामी को एक अभिशाप बताते हुए यह भी स्पष्ट किया है कि किए हुए उपकार का फल अवश्य मिलता है। पशु भी उन पर किए गए अहसान को कभी नहीं भूलते हैं। इस कहानी में रोम में गुलामी की प्रथा का वर्णन किया गया है।

एण्ड्रोक्लीज़ रोम का एक गुलाम था। उसका मालिक उसे रोम से अफ्रीका ले गया। वहाँ उससे खूब काम लिया जाता था, परन्तु एण्ड्रोक्लीज़ को न पहनने को पूरे कपड़े मिलते और न ही पेट भर भोजन। वह मालिक के बर्ताव से बहुत तंग आ चुका था। एक दिन वह घर से भाग निकला। वह अंधेरे में रास्ता भूल गया और भटकते-भटकते पहाड़ की खोह में जाकर लेट गया, जहाँ वह सो गया। एक दिल दहलाने वाली दहाड़ सुन कर वह जाग उठा। उसने देखा कि एक शेर रास्ते रोके खड़ा था। उसने देखा शेर बारबार अपना पंजा चाट रहा था। उसके पंजे से खून बह रहा था। पंजे में एक बड़ा काँटा चुभा हुआ था। एण्ड्रोक्लीज़ ने शेर के पंजे से काँटा निकाल दिया। थोड़ी देर में पंजे से खून बहना बन्द हो गया।

शेर लंगड़ाता हुआ वहाँ से चला गया। थोड़ी देर बाद शेर ने एक मरा हुआ खरगोश लाकर वहाँ डाल दिया। एण्ड्रोक्लीज़ ने खरगोश को भूनकर खा लिया। दोनों दोस्त बनकर खोह में रहने लगे। एण्ड्रोक्लीज़ को वहाँ कई महीने बीत गए। जंगल के जीवन से तंग आकर एक दिन वह वहाँ से चल दिया। कुछ दिनों बाद एण्ड्रोक्लीज़ को सिपाहियों ने पकड़ लिया। उसे कानून के अनुसार मौत की सज़ा सुनाई गई। भूखे शेर को पिंजरे से निकालकर कर दंगल के मैदान में छोड़ दिया गया। एण्ड्रोक्लीज़ को दंगल के मैदान में लाया गया। शेर दहाड़ता हुआ आगे बढ़ा, पर एण्ड्रोक्लीज़ को देखकर एकाएक रुक गया। शेर एण्ड्रोक्लीज़ के सामने पालतू कुत्ते के समान दुम हिलाने लगा। यह वही शेर था जिसके साथ वह खोह में रहा था। उसने शेर की पीठ थपथपाई।

बादशाह ने एण्ड्रोक्लीज़ को अपने पास बुलाया। उसने बादशाह को सारा किस्सा सुनाया। बादशाह सुनकर दंग रह गया। उसने सोचा पशु भी अपने ऊपर किये उपकार को नहीं भूलते। उसने एण्ड्रोक्लीज़ को आज़ाद कर दिया। शेर भी उसे सौंप दिया गया। शेर उसके साथ पालतू कुत्ते की तरह रहता था।