PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 13 साक्षरता अभियान (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB साक्षरता अभियान Textbook Questions and Answers

साक्षरता अभियान अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) साक्षरता का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
अक्षरों को पढकर ज्ञान अर्जित करना साक्षरता कहलाता है।

(ख) चिड़िया अपना घोंसला बनाने के लिए क्या करती है ?
उत्तर :
चिड़िया अपना घोंसला बनाने के लिए दूर जंगल से तिनका चुनकर लाती है और उन तिनको को जोड़कर अपना घोंसला बनाती है।

(ग) हम अपनी मंजिल को कैसे पा सकते हैं ?
उत्तर :
हम अपने अंदर हिम्मत और विश्वास जगाकर अपनी मंजिल को प्राप्त कर सकते हैं।

(घ) हम ज्ञानी कैसे बन सकते हैं ?
उत्तर :
हम प्रतिपल यदि अक्षरों को सीखें तथा दूसरों को सिखाएँ तो इससे हमारा शब्द ज्ञान बढ़ेगा और भाषा पर हमारा अधिकार स्थापित होगा तब हम ज्ञानी बन सकते हैं।

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4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) कवयित्री ने साक्षरता अभियान को समझाने के लिए कौन-कौन से उदाहरण दिये हैं ?
उत्तर :
कवयित्री ने साक्षरता को समझाने के लिए निम्नलिखित उदाहरण दिए हैं।

  • एक – एक बूंद से घड़ा भर जाता है।
  • एक – एक पैसा जोड़ने से काफ़ी धन जुड़ जाता है।
  • एक – एक तिनका जोड़ने से घोंसला बन जाता है।
  • एक – एक शब्द सीखने से व्यक्ति विद्वान् बन जाता है।

(ख) साक्षर बनने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर :
साक्षर बनने के लिए हमें एक – एक शब्द याद करना चाहिए जिससे हमारा शब्द भण्डार बढ़ जाएगा। इससे हमारे ज्ञान की वृद्धि होगी। तब सही अर्थों में हम साक्षर कहलाएँगे जब हम अपने ज्ञान का प्रसार करके औरों को ज्ञान बाँटेंगे।

5. अर्थ लिखते हुए वाक्य बनायें :

  1. राहगीर __________ ____________________________
  2. नीड़ __________ ____________________________
  3. मंजिल __________ ____________________________
  4. अभियान __________ ____________________________
  5. कृतार्थ __________ ____________________________

उत्तर :

  1. राहगीर = मुसाफिर
    वाक्य – राहगीर थककर पेड़ के नीचे बैठ गया।
  2. नीड़ = घोंसला
    वाक्य – चिड़िया एक – एक तिनका जोड़कर अपना नीड़ बनाती है।
  3. मंजिल = लक्ष्य, मुकाम
    वाक्य – दृढ़ निश्चय और साहस के साथ ही मंजिल पर पहुँचा जा सकता है।
  4. अभियान = आंदोलन
    वाक्य – साक्षरता अभियान में सभी को बढ़ – चढ़ कर भाग लेना चाहिए।
  5. कृतार्थ = धन्य
    वाक्य – महापुरुषों के दर्शन हर कर व्यक्ति स्वयं को कृतार्थ समझता है।

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6. निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट करें :

  1. जल की छोटी-छोटी बूंदें
    टपक टपक घट भर देती
  2. रोज़ बचाएँ यदि इक पैसा
    धन एकत्रित कर सकते हैं।
  3. शब्द ज्ञान बढ़ाएँ अपना
    भाषा पर अधिकार जमाएँ।
  4. श्रम करना है धर्म हमारा
    कभी नहीं घबरायेंगे।

उत्तर :

  1. उक्त पंक्तियों के माध्यम से कवयित्री कहना चाहती है कि पानी की छोटी छोटी बूंदें टपक – टपक कर एक घड़ा भर देती हैं भाव यह है कि एक साक्षर व्यक्ति अपने प्रयास से अनेक अनपढ़ व्यक्तियों साक्षर बना सकता है। थोड़ा – थोड़ा पढ़कर ज्ञानवान बना जा सकता है।
  2. इन पंक्तियों से कवयित्री कहना चाहती है कि यदि हम लोग प्रतिदिन एक – एक पैसा बचाएँ तो धन इकट्ठा कर सकते हैं भाव यह है कि छोटी बचत से ही बड़ी बचत की जा सकती है।
  3. इन पंक्तियों में कवयित्री कहती है कि अपने शब्द ज्ञान को बढ़ाएँ और भाषा पर अधिकार जमाएँ। भाव यह है कि हर पल हमें कुछ न कुछ पढ़ना और सीखना चाहिए इससे हमारे शब्द ज्ञान में वृद्धि होगी और भाषा को अच्छी तरह पढ़ और सीख सकेंगे। अतः हम साक्षरता का अभियान चलाकर हम अच्छे विद्वान् बन सकते हैं।
  4. इन पंक्तियों के माध्यम से कवयित्री कहती है कि हमारा धर्म मेहनत करना है। मेहनत करने से हम कभी घबराएँगे नहीं। भाव यह है कि हम मेहनत से पढ़ लिखकर अपने ज्ञान – कौशल को बढ़ाएँगे।

7. पर्यायवाची शब्द लिखें :

  1. जंगल = ________, ________
  2. नीड़ = ________, ________
  3. पग = ________, ________
  4. घट = ________, ________
  5. राहगीर = ________, ________
  6. श्रम = ________, ________

उत्तर :

  1. जंगल = वन, कानन, विपिन
  2. नीड़ = घोंसला, घरौंदा, आश्रय
  3. पग = पाँव, पैर, चरण
  4. घट = शरीर, घड़ा, मिट्टी का कलसा
  5. राहगीर = मुसाफिर, पथिक, यात्री
  6. श्रम = मेहनत, परिश्रम, आयास

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8. बहुवचन रूप लिखें :

  1. चिड़िया = ______________
  2. पैसा = ______________
  3. तिनका = ______________
  4. भाषा = ______________
  5. बूंद = ______________
  6. मंज़िल = ______________

उत्तर :

  1. चिड़िया = चिड़ियाँ
  2. पैसा = पैसे
  3. तिनका = तिनके
  4. भाषा = भाषाएँ
  5. बूंद = बूंदें
  6. मंजिल = मंज़िलें

9. इन अक्षरों को जोड़कर शब्द लिखें :

  1. अक्षर = अ + क् + ष + र + अ
  2. —- = च् + इ + इ + य + आ
  3. —- = स्+ आ + क् + ष + र् + अ + त् + आ
  4. —- = अ + भ् + इ + य + आ + न् + अ

उत्तर :

  1. अक्षर
  2. चिड़िया
  3. साक्षरता
  4. अभियान

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10. देश को साक्षर बनाने के लिए आप क्या योगदान दे सकते हैं ? पाँच वाक्य लिखें।
उत्तर :
देश को साक्षर बनाने के लिए हम अग्रलिखित योगदान दे सकते हैं

  • देश में शिक्षा के लिए जन जागृति ला सकते हैं।
  • आपने आस – पड़ोस में अशिक्षित लोगों को शिक्षित कर सकते हैं।
  • अशिक्षित लोगों में शिक्षा के प्रति रुचि उत्पन्न कर सकते हैं।
  • देश के लोगों में सभ्यता और शिष्टाचार की भावना बढ़ा कर।
  • गरीब बच्चों का मुफ्त पढ़ाकर।

11. यदि देश के सभी नागरिक पढ़े-लिखे होंगे तो देश को क्या लाभ होगा?
उत्तर :
यदि देश के नागरिक पढ़े – लिखे होंगे तो देश का चहुँमुखी विकास हो सकेगा। देश दिन दुगुनी और रात चौगुनी उन्नति करेगा। देश में कोई भी व्यक्ति अनपढ़ता का शिकार नहीं होगा। सभी सभ्य और सामाजिक कहलाएँगे। किसी को किसी अन्य के ज्ञान पर आश्रित नहीं रहना पड़ेगा। एक अच्छी शिक्षा मानव में नैतिकता का संचार कर उसे एक अच्छा नागरिक बनाने में सहायक होती है। एक पढ़ा – लिखा व्यक्ति अपने देश के विकास में सदैव सहायक हो सकता है। वह देश की नीतियों को अच्छे से समाप्त कर उनका अनुपालन कर सकता है।

जानिये:-
1. हमें भविष्य के लिए सदैव कुछ धन बचाकर रखना चाहिए। प्रतिदिन बचाया गया थोड़ा-थोड़ा पैसा हमें जीवन में एकदम आने वाली कठिनाइयों से बचा सकता है।
2. यह भी याद रखें कि जीवन में पैसा बहुत कुछ है, पर सब कुछ नहीं। जीवन में बहुत कुछ ऐसा होता है, जिसे धन-दौलत देकर भी नहीं खरीदा जा सकता। हमें अच्छे व सच्चे मित्र, प्यार करने वाले माँ-बाप भाई बहन, और ऐसी बहुत सारी चीज़ों के मूल्यों को भी समझना चाहिए।
3. ज्ञान बढ़ाओ और बाँटो। इससे आप किसी के और कोई आपका मित्र बन जायेगा।

साक्षरता अभियान Summary in Hindi

साक्षरता अभियान कविता का सार

‘साक्षरता अभियान’ डॉ. कमलेश बंसल द्वारा रचित एक प्रसिद्ध कविता है। कवयित्री का मानना है कि स्वयं पढ़कर तथा अनपढ़ लोगों को पढ़ाकर अज्ञानता को दूर किया जा सकता है, जिससे देश उन्नति करेगा। साक्षर बनने के लिए हमें एक – एक शब्द याद करना चाहिए। अपना शब्द भण्डार बढ़ाना चाहिए।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान

कवयित्री ने अपनी इस कविता में साक्षरता अभियान के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि चिड़िया कहीं दूर जंगल से तिनका चुनकर लाती है और उन तिनकों को जोड़ जोड़ कर अपना एक छोटा – सा घोंसला बना लेती है। मुसाफ़िर एक – एक कदम बढ़ाकर अपने रास्ते पर चलते रहते हैं। वे अपने अन्दर हिम्मत और विश्वास जगाकर अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेते हैं। पानी की छोटी – छोटी बूंदें टपक – टपक कर घड़ा भर देती हैं।

यदि घड़े में छेद हो जाए तो पानी बूंद – बूंद कर के बह जाता है तथा घड़ा खाली हो जाता है। हम प्रतिदिन पढ़कर ज्ञानवान बन सकते हैं और इसी प्रकार एक – एक पैसा इकट्ठा कर के हम धन भी इकट्ठा कर सकते हैं। यदि हम हर पल अक्षरों को सीखें तथा दूसरों को सीखाएं तो हम पूर्ण ज्ञाता बन सकते हैं।

मेहनत से धन तथा यश की प्राप्ति होती है। हम सब भारत देश के बच्चे हैं। हम आगे ही आगे बढ़ते जाएंगे। मेहनत करना हमारा धर्म है। हम कभी घबराएंगे नहीं। हम पढ़ – लिख कर अपने ज्ञान का विस्तार करेंगे। हम सभी को साथ लेकर चलेंगे। हम समाज में ऊँच – नीच के भेद – भाव को समाप्त करके अपने जीवन को धन्य बनाएंगे।

साक्षरता अभियान काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. दूर कहीं जंगल से तिनका,
चिड़िया बीन – बीन कर लाती।
जोड़ – जोड़ इन तिनकों को
लघु अपना वह नीड़ रचाती।
राहगीर पग बढ़ा बढ़ा कर
निज पथ पर चलते रहते हैं।
हिम्मत और विश्वास जगा कर,
मंज़िल को पा जाते हैं।

शब्दार्थ :

  • बीन – बीन = इकट्ठा करना, चुन – चुन कर, चुगना।
  • लघु = छोटा।
  • नीड़ = घोंसला।
  • पग = कदम।
  • निज पथ = अपना रास्ता।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित डॉ० कमलेश बंसल की ‘साक्षरता अभियान’ शीर्षक कविता में से लिया गया है। इस कविता में कवयित्री ने साक्षरता अभियान एवं उसके महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

सरलार्थ – कवयित्री कहती है कि चिड़िया कहीं दूर जंगल से तिनका चुन कर लाती है और उन तिनकों को जोड़ – जोड़ कर अपना एक छोटा – सा घोंसला बना लेती है। मुसाफ़िर एक – एक कदम बढ़ाकर अपने रास्ते पर चलते रहते हैं। वे अपने अन्दर हिम्मत और विश्वास जगाकर अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेते हैं। भाव यह है कि लगातार प्रयत्न करने से सफलता प्राप्त हो जाती है।

विशेष –

  • कवयित्री ने प्रयास को सफलता की कुंजी माना है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

2. जल की छोटी – छोटी बूंदें
टपक – टपक घट भर देती।
छेद एक यदि उस में कर दें
बूंदें घट खाली कर देतीं।
थोड़ा – थोड़ा प्रतिदिन पढ़कर
हम ज्ञानी बन सकते हैं,
रोज बचाएं यदि एक पैसा,
धन एकत्रित कर सकते हैं।

शब्दार्थ :

  • घट = घड़ा।
  • छेद = सुराख।
  • प्रतिदिन = हर रोज़।
  • ज्ञानी = ज्ञानवान्।
  • एकत्रित = इकट्ठा।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० कमलेश बंसल की कविता ‘साक्षरता अभियान’ से लिया गया है। इस कविता में उन्होंने शिक्षा के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

सरलार्थ – कवयित्री कहती है कि पानी की छोटी – छोटी बूंदें टपक – टपक कर घड़ा भर देती हैं। यदि घड़े में छिद्र हो जाए तो पानी बूंद – बूंद कर बह जाता है और घड़ा खाली हो जाता है। हम हर रोज़ थोड़ा – थोड़ा पढ़ कर ज्ञानवान बन सकते हैं। यदि हम रोज़ एक एक पैसा बचाएँ तो धन इकट्ठा कर सकते हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान

विशेष –

  • कवयित्री ने प्रति दिन पढ़ने की आदत बनाने तथा धन संचय करने पर बल दिया है।
  • भाषा भावानुकूल है।

3. एक एक अक्षर भी हर पल
सीखें और सिखाते जाएँ।
शब्द ज्ञान बढ़ाएँ अपना
भाषा पर अधिकार जमाएँ।
रखें निरन्तर यह क्रम जारी,
मेहनत लाती है धन मान
साक्षरता अभियान चलाएँ
बन जाएँ भारी विद्वान्।

शब्दार्थ :

  • शब्द – ज्ञान = शब्दों का ज्ञान।
  • निरन्तर = लगातार।
  • क्रम – सिलसिला।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० कमलेश बंसल की कविता साक्षरता अभियान’ से लिया गया है। इस कविता में उन्होंने शिक्षा के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

सरलार्थ – कवयित्री कहती है कि हम हर एक – एक अक्षर सीखें और दूसरों को सिखाते जाएँ। अपने शब्दों के ज्ञान बढ़ाएँ और भाषा पर अधिकार जमाएँ, भाषा के पूर्ण ज्ञाता बनें। यह क्रम लगातार जारी रखें। मेहनत से ही धन और यश प्राप्त होता है। हम साक्षरता का अभियान चलाएँ और अच्छे विद्वान् बन जाएँ।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान

विशेष –

  • कवयित्री ने सीखने और सिखाने की नीति पर बल दिया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

4. देश भारत के हम सब बालक,
आगे बढ़ते जाएँगे।
श्रम करना है धर्म हमान,
कभी नहीं घबराएँगे।
पढ़ लिख अपना ज्ञान बढ़ाएँ
लेकर सबको साथ चलेंगे।
ऊँच नीच का भेद मिटाकर,
जीवन अपना कृतार्थ करेंगे।

शब्दार्थ :

  • श्राम = मेहनत।
  • कृतार्थ = धन्य

प्रसंग – प्रस्तुत पांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलिन डॉ. कमलेश बंसल जी की किस अभियान से लिया गया है। इसविता में होने सि के महत्व पर प्रकाश टाला है।

सरलार्थ – कर्वायत्री कहती है कि हम सब भारत देश के बच्चे हैं। आगे ही आगे सदले जाही मेहनत करना हमारा धर्म है। हम कभी भी घबराएंगे नहीं। पढ़ लिख कर कम उप जान को बढ़ाएँगे। हम सबको साथ लेकर चलेंगे। ऊँच – नीच का भेद – भाव खत्म कर हम सबने गेसन को अन्य बनाएँगे।

विशेष –

  • कवयत्री ने शिक्षा के बल पर देश की उन्नति होने की बात कही है।
  • भाषा तत्सम, तद्भव शब्दों से युक्त है। 15 भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB अशोक का शस्त्र-त्याग Textbook Questions and Answers

अशोक का शस्त्र-त्याग अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

2. निहत्था नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन शब्दों/मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. मंत्रमुग्ध होना ____________ _____________________________
  2. लोहा लेना ____________ _____________________________
  3. सदा के लिए आँखें बंद कर लेना ____________ _____________________________
  4. पूर्णाहुति ____________ _____________________________
  5. तलवार फेंक देना ____________ _____________________________
  6. सिर काटना ____________ _____________________________
  7. सिर न झुकना ____________ _____________________________
  8. सदावर्त ____________ _____________________________
  9. साक्षात् चंडी-सी दिखाई देना ____________ _____________________________
  10. मृत्यु की गोद में सो जाना ____________ _____________________________
  11. मुख पर चिंता की छाया होना ____________ _____________________________

उत्तर :

  1. मन्त्रमुग्ध होना – पूरी तरह मुग्ध होना।
    वाक्य – सभी श्रोता गायक का गीत सुनकर मन्त्रमुग्ध हो गए।
  2. लोहा लेना – युद्ध करना, मुकाबला करना।
    वाक्य – भारतीय सेना किसी भी शत्र से लोहा लेने को तैयार है।
  3. सदा के लिए आँखें बन्द कर लेना मर जाना।
    वाक्य – वैभव के दादा जी नब्बे वर्ष के थे कि अचानक दिल का दौरा पड़ने से उन्होंने सदा के लिए अपनी आँखें बन्द कर लीं।
  4. पूर्णाहुति – यज्ञ की अन्तिम आहुति।
    वाक्य – कल यज्ञ की पूर्णाहुति पड़ेगी।
  5. तलवार फेंक देना – पराजय स्वीकार करना।
    वाक्य – महाराज अशोक ने तलवार फेंक दी और बौद्ध धर्म अपना लिया।
  6. सिर काटना – मार देना।
    वाक्य – भगवान कृष्ण ने अत्याचारी राक्षस का सिर काटना उचित समझा।
  7. सिर न झुकना – हार न मानना।
    वाक्य – रानी लक्ष्मी बाई ने अंग्रेज़ों के आगे सिर न झुकाया।
  8. सदावर्त – अखंड भोज।
    वाक्य – महेश्वर ने घर में सदावर्त लगा रखा है।
  9. साक्षात चण्डी – सी दिखाई देना–निश्चित मृत्यु प्रदान करने वाली वीरांगना।
    वाक्य – युद्ध में लक्ष्मीबाई साक्षात् चण्डी जैसी दिखाई देती थी।
  10. मृत्यु की गोद में सो जाना – मर जाना।
    वाक्य – वृद्ध रोगी मृत्यु की गोद में सो गया।
  11. मुख पर चिंता की छाया होना – परेशान होना।
    वाक्य – पुत्र की बीमारी के कारण पिता के मुख पर चिंता की छाया साफ दिख रही थी।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

4. सिर काटना सिर न झुकना सदावर्त साक्षात् चंडी-सी दिखाई देना मृत्यु की गोद में सो जाना मुख पर चिंता की छाया होना उपयुक्त शब्द से रिक्त स्थान भरें :

(क) अशोक ने स्वयं सेना का …………………………… करने का निश्चय किया। (नेतृत्व, संचालन, स्वामित्व)।
(ख) कलिंग से युद्ध …………………………… चलता रहा। (तीन, पाँच, चार वर्ष)
(ग) कलिंग के महाराजा के मरने का समाचार पाकर अशोक …………………………… हुए। (प्रसन्न, विस्मित, स्तब्ध)
(घ) कलिंग के फाटक बंद हैं, यह समाचार सुनकर अशोक …………………………… हुए। (लज्जित, दुःखी, उत्तेजित, क्रोधित)
(ङ) पद्मा के सम्मुख अशोक तलवार फेंक देता है क्योंकि वह ……………………………। (डर, निराश, नारी वध नहीं करना चाहता था, आत्मग्लानि)
उत्तर :
(क) संचालन
(ख) चार वर्ष
(ग) प्रसन्न
(घ) उत्तेजित
(ङ) नारी वध नहीं करना चाहता था।

5. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) अशोक अपने शिविर में परेशान क्यों है?
उत्तर :
भयंकर नरसंहार तथा कलिंग को न जीत पाने के कारण अशोक अपने शिविर में परेशान थे।

(ख) संवाददाता ने अशोक को क्या समाचार दिया?
उत्तर :
संवाददाता ने सम्राट अशोक को कलिंग के महाराजा का युद्ध में मारे जाने का समाचार सुनाया।

(ग) मगध की विजय हुई है, पूछने पर संवाददाता चुप क्यों रह जाता है?
उत्तर :
सम्राट अशोक के यह पूछने पर कि क्या मगध की विजय हई थी? संवाददाता इसलिए चुप हो जाता है क्योंकि कलिंग दुर्ग के फाटक अभी भी बन्द था। फिर किस मुँह से वह कहता कि कलिंग जीत लिया गया है।

(घ) अशोक ने सेना-संचालन का भार अपने ऊपर क्यों लिया?
उत्तर :
कलिंग दुर्ग के फाटक खुलवाने के लिए सम्राट अशोक ने सेना संचालन का भार अपने ऊपर ले लिया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

(ङ) अशोक पद्मा के युद्ध के लिए ललकारने पर तलवार क्यों फेंक देता है ?
उत्तर :
पद्मा द्वारा युद्ध के लिए ललकारने पर भी अशोक तलवार इसलिए फेंक देता है। क्योंकि वह कहता है कि मैं स्त्री – वध नहीं करूँगा।

(च) बदला लेने का अवसर मिलने पर भी पद्मा अशोक को युद्धभूमि से सुरक्षित क्यों जाने देती है?
उत्तर :
सम्राट अशोक ने पदमा के समक्ष सिर झुका कर कहा कि काट दो इस सिर को। मैं अपराधी हूँ। पद्मा ने कहा जाइए महाराज ! स्त्रियाँ भी निहत्यों पर वार नहीं करेंगी।

6. इन प्रश्नों के उत्तर-चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म क्यों अपनाया?
उत्तर :
सम्राट अशोक ने कलिंग पर विजय प्राप्त करने के लिए उस पर आक्रमण कर दिया। भीषण युद्ध हुआ। लाखों लोग मारे गए। कलिंग के महाराजा भी मारे गए। फिर भी कलिंग के दुर्ग का फाटक बंद था। भीषण रक्तपात ने सम्राट अशोक के मन को बदल दिया। इस बदलाव के कारण सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया।

(ख) सम्राट अशोक ने बौद्ध भिक्षु के सामने क्या-क्या प्रतिज्ञाएँ की?
उत्तर :
सम्राट अशोक ने बौद्ध भिक्षु के सामने निम्नलिखित प्रतिज्ञाएँ की

  • जब तक मेरे शरीर में प्राण हैं, अहिंसा ही मेरा धर्म होगा।
  • मैं सबसे प्रेम करूँगा और मेरी करूणा का सदाव्रत आप सबको मिलेगा।
  • मैं आजीवन अपनी प्रजा की भलाई करूँगा।
  • सब धर्मों को समान दृष्टि
  • सब प्राणियों को सुख और शान्ति पहुँचाने का प्रयत्न करूँगा।

7. लिंग बदलें :

  1. सम्राट = सम्राज्ञी
  2. देवी = ………………………..
  3. महाराज = ………………………..
  4. परुष = ………………………..
  5. प्रति = ………………………..

उत्तर :

  1. सम्राट = सम्राज्ञी
  2. देवी = देवता
  3. महाराज = महारानी
  4. पुरुष = स्त्री
  5. पति = पत्नी।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

8. समुचित विराम चिह्नन लगायें :

यह कौन है क्या साक्षात् दुर्गा कलिंग की रक्षा करने के लिए युद्ध भूमि में उतर आई है शेष सैनिक भी सभी स्त्रियाँ हैं क्या स्त्रियों से युद्ध करना होगा क्या अशोक को स्त्रियों का भी वध करना होगा ना ना मैं स्त्री वध नहीं करूँगा मुझे विजय नहीं चाहिए मैं यह पाप नहीं करूंगा मैं शस्त्र नहीं चलाऊँगा।

चिन्तन
(1) बुद्धं शरणं गच्छामि।
अर्थात् बुद्ध की शरण में जाता हूँ।
(2) संघं शरणं गच्छामि।
अर्थात् संघ (संस्था) की शरण में जाता हूँ।
(3) धर्मं शरणं गच्छामि।
अर्थात् धर्म की शरण में जाता हूँ।

मनन : सर्वप्रथम गुरु की शरण, फिर संस्था, फिर धर्म। गुरु एक व्यक्ति है: व्यक्ति से बड़ी संस्था है, सब से ऊपर धर्म है। यहाँ संस्था का अर्थ संगठन, जमात, मत है। और धर्म का अर्थ मूल सिद्धांतसत्य, अहिंसा आदि हैं : जिसका स्थान सबसे ऊँचा है।

तुम प्रण करो कि जननी जन्मभूमि को पराधीन होते देखने से पहले तुम सदा के लिए अपनी आँखें बंद कर लोगी।

नारी (पदमा) की यह घोषणा देश प्रेम का ज्वलंत उदाहरण है। नारियों में वीरता, त्याग व बलिदान की भावना मनुष्यों से कम नहीं, उपरोक्त कथन पर मनन करें। देश प्रेम का व्रत लें। पद्मा जैसी हठव्रती, त्यागमयी, वीर नारी ने ही हिंसक अशोक को अहिंसक और करुणामय बना दिया। इतिहास को नयी दिशा दी।

उन नारियों के नाम पता करो जिन्होंने पद्मा के समान देश के लिए अपने-आप को पूर्ण रूप से समर्पण किया। ऐसी पुस्तकें पुस्तकालय से लेकर पढ़ें और उनकी जीवन से प्रेरणा लें।

प्रयोगात्मक व्याकरण

  • कलिंग के फाटक आज बंद हैं।
  • महाराज! आप यहाँ बैठिए।
  • सैनिक ने अपनी तलवार झटपट संभाल ली।
  • अधिक मत बोलो।

उपर्युक्त पहले वाक्य में ‘आज’ शब्द क्रिया के काल, दूसरे वाक्य में ‘यहाँ’ शब्द क्रिया के स्थान, तीसरे वाक्य में ‘झटपट’ शब्द क्रिया की रीति तथा चौथे वाक्य में ‘अधिक’ शब्द क्रिया की मात्रा संबंधी विशेषता बता रहे हैं अत: ये क्रिया विशेषण हैं।

अतएव क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्दों को क्रियाविशेषण कहते हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

1. -मैं युद्ध कल करूंगा।
इस वाक्य में ‘कल’ शब्द से क्रिया के काल (समय) का पता लग रहा है। अतः यह कालवाचक क्रियाविशेषण है।

अतएव जो शब्द क्रिया के काल (समय) संबंधी विशेषता बताये, उसे कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

अन्य कालवाचक शब्द:-रोज़, प्रातः, परसों, अभी, सुबह, शाम, रात, कभी, अब, तब, आजकल आदि।

2. सब आश्चर्य से उधर देखने लगते हैं। इस वाक्य में ‘उधर’ शब्द से क्रिया के स्थान का पता चल रहा है। अत: यह स्थानवाचक क्रियाविशेषण है।

अतएव जो शब्द क्रिया की स्थान संबंधी विशेषता बताये, उसे स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।

अन्य स्थानवाचक क्रियाविशेषण : यहाँ, वहाँ, इधर, ऊपर, नीचे, भीतर, बाहर, दूर, आगे, पीछे, चारों तरफ आदि।

3. वह बहुत बोलता है।

इस वाक्य में बहुत’ शब्द से क्रिया की मात्रा या परिमाण का पता चल रहा है। अत: यह परिमाणवाचक क्रिया विशेषण है।

अतएव जो शब्द क्रिया की परिमाण संबंधी विशेषता बताये, उसे परिमाणवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। अन्य परिमाणवाचक शब्द: थोड़ा, ज्यादा, कम, पर्याप्त, तनिक, इतना, उतना, न्यून, लगभग, काफी आदि।

4. संवाददाता महाराज से धीरे-से बोला।

इस वाक्य में ‘धीरे-से’ शब्द से क्रिया की रीति (ढंग) का पता चल रहा है अतः यह रीतिवाचक क्रिया विशेषण है।

अतएव जो शब्द क्रिया की रीति संबंधी विशेषता बताये, उसे रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।

अन्य रीतिवाचक क्रियाविशेषण : ऐसे, कैसे, जैसे, तैसे, वैसे, जल्दी-जल्दी, अकस्मात, अचानक, सहसा, सामान्यतः, साधारणतः आदि।

अशोक का शस्त्र-त्याग Summary in Hindi

अशोक का शस्त्र त्याग एकांकी का सार

इस एकांकी में सम्राट अशोक का शास्त्र त्याग तथा बौद्ध धर्म में दीक्षा लेने का वर्णन किया गया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

पिछले चार वर्ष से सम्राट अशोक की सेना कलिंग से लड़ रही थी। दोनों ओर के लाखों लोग मारे जा चुके थे, लाखों घायल हो चुके थे। फिर भी सम्राट अशोक कलिंग पर विजय नहीं पा सके थे। तभी संवाददाता खबर लाया कि कलिंग नरेश मारे गए। सम्राट अशोक ने समझा कि युद्ध में मेरी विजय हो गई पर पता चला है कि कलिंग दुर्ग के फाटक अभी भी बन्द थे। सम्राट अशोक ने उत्तेजित होकर निर्णय लिया कि कल वे स्वयं युद्ध का संचालन करेंगे या तो कलिंग जीत लेंगे या फिर मगध की सेना वापस चली जाएगी।

अगले दिन सम्राट अशोक ने सेना की कमान खुद सँभाली और अपने सैनिकों को उत्साहित करते हुए या तो कलिंग जीत लेने या फिर मौत के मुँह में सो जाने का आह्वान किया। तभी सहसा कलिंग के दुर्ग का फाटक खुला तथा कलिंग नरेश की लड़की पद्मा वीरांगना के वेश में स्त्रियों की सेना के साथ बाहर आई। उसने भी अपनी सेना को हत्यारे अशोक के विरुद्ध जी – जान से लड़ने का आह्वान किया।

स्त्रियों की सेना सम्मुख देख अशोक उन पर शस्त्र नहीं उठा सके। पद्मा ने पूछने पर बताया कि वह अपने पिता के हत्यारे अशोक से लड़ने आई थी। सम्राट अशोक अपराधी की भाँति पद्मा के सामने खड़ा हो गया कि वह स्त्रियों पर शस्त्र नहीं उठाएगा क्योंकि यह शास्त्र की आज्ञा थी। पद्मा ने पूछा कि निरपराधियों की हत्या करना किस शास्त्र में लिखा था? लज्जित होकर सम्राट अशोक सदा के लिए तलवार फेंक दी तथा पद्मा के सामने नतमस्तक होकर उससे अपना बदला चुका लेने के लिए कहा। पद्मा ने भी निहत्थे पर वार नहीं किया और वापिस दुर्ग में अपनी सेना के साथ चली गई।

सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया और आजीवन युद्ध न करने और अहिंसा का पालन करने की शपथ ली।

अशोक का शस्त्र-त्याग कठिन शब्दों के अर्थ

  • शिविर = छावनी।
  • पताका = झण्डा।
  • सम्राट् = राजा।
  • संध्या = सायं।
  • स्वतः = अपने आप।
  • असफल = सफल न होना।
  • संवाददाता = सन्देश लाने – ले जाने वाला।
  • प्रसन्नतापूर्वक = खुशी से।
  • विजय = जीत।
  • कलिंग दुर्ग = कलिंग का किला।
  • उत्तेजित = गुस्से में आना।
  • संचालन = चलाना।
  • शस्त्र सुज्जित = हथियारों से लैस।
  • आत्मसमर्पण = अपने आपको सौंपना।
  • शपथ = सौगन्ध।
  • अधिकार = हक।
  • सहसा = अचानक।
  • वीरांगना = बहादुर स्त्री।
  • चकित = हैरान।
  • हत्या = मारना।
  • जननी = माता।
  • पराधीन = परतन्त्र दूसरे के अधीन।
  • वध = हत्या।
  • द्वन्द्व युद्ध = अकेले से अकेले की लड़ाई।
  • भीषण = भयंकर।
  • पूर्णाहुति = अन्तिम आहुति।
  • आक्रमण = हमला।
  • अटल = न टलने वाली।
  • अहिंसा = हिंसा न करना।
  • करुणा = दया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

अशोक का शस्त्र-त्याग गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. मेरे वीर सैनिको ! आज चार साल से युद्ध हो रहा है, फिर भी हम कलिंग को जीत नहीं पाये हैं। उसके किसी दुर्ग पर मगध की पताका नहीं फहरा रही है। कलिंग के महाराज मारे गये हैं। उनके सेनापति पहले ही कैद हो चुके हैं, फिर भी कलिंग आत्मसमर्पण नहीं कर रहा है। आओ, आज हम अपनी मातृभूमि की शपथ लेकर प्रण करें कि या तो हम कलिंग के दुर्ग पर अधिकार कर लेंगे या सदा के लिए मृत्यु की गोद में सो जायेंगे।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित एकांकी ‘अशोक का शस्त्र – त्याग’ से लिया गया है। लेखक ने यहाँ सम्राट अशोक के द्वारा कलिंग पर किए गए आक्रमण एवं उसके परिणाम का सजीव चित्रण किया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि कलिंग के दुर्ग पर अधिकार जमाने के लिए सम्राट अशोक अपने वीर सैनिकों से कहता है कि आज चार वर्ष से कलिंग से उनका युद्ध चल रहा है लेकिन अभी तक वे कलिंग को जीत नहीं पाए हैं। कलिंग के किसी भी किले पर मगध की विजय पताका नहीं फहरा रही है। कलिंग नरेश को तो हमने मार दिया है। उसके सेनापति को हमने पहले ही अपनी कैद में कर रखा है, लेकिन फिर भी जाने क्यों कलिंग की जनता एवं सैनिक आत्मसमर्पण नहीं कर रहे हैं। वे हथियार नहीं डाल रहे हैं। इसलिए ये मगध के वीर सैनिक आज हम अपनी मातृभूमि की कसम खाते हुए प्रतिज्ञा करते हैं कि या तो हम कलिंग के किले पर मगध की विजय पताका फहरा देंगे या फिर अपने प्राणों की आहुति दे देंगे।

विशेष –

  • सम्राट अशोक द्वारा अपने वीर सैनिकों का उत्साह बढ़ाने का चित्रण किया गया है।
  • भाषा शैली प्रवाहमयी है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

2. सहसा दुर्ग का फाटक खुल जाता है। सब आश्चर्य से उधर देखने लगते हैं। उनकी तलवारें खिंची की खींची रह जाती हैं। शस्त्र – सज्जित स्त्रियों की विशाल सेना फाटक के बाहर निकलने लगती है। सेना के आगे पुरुष भेष में एक वीरांगना है, जो सैनिक भेष में साक्षात् चंडी – सी दिखाई देती है। यह कलिंग महाराज की लड़की पदमा है। स्त्रियों की सेना अशोक की सेना से कुछ दूरी पर रुक जाती है। अशोक के सिपाही मन्त्रमुग्ध से देखते रह जाते हैं। अशोक भी चकित रह जाते हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित एकांकी ‘अशोक का शस्त्र – त्याग’ नामक शीर्षक से लिया गया है। लेखक ने यहाँ कलिंग युद्ध में हुए भीषण संहार का सजीव चित्रण किया है। यहाँ लेखक ने कलिंग नरेश पुत्री पद्मा को रणक्षेत्र में स्त्री सैनिकों के साथ रणक्षेत्र में आते हुए दिखाया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि सम्राट अशोक और उसकी सेना अभी कलिंग के किले पर अधिकार जमाने की सोच रहे थे कि अचानक कलिंग के किले का फाटक खुल जाता है। सभी मगध सैनिक हैरानी से इधर – उधर देखने लगते हैं। मगध सैनिकों की तलवारें उनकी मयानों से खींची की खींची रह जाती हैं। वे देखते हैं कि अस्त्र – शस्त्र लिए कलिंग की विशाल स्त्री – सेना किले के बाहर आ रही है।

सेना के आगे – आगे पुरुष का वेष धारण किए हए एक वीरांगना चल रही थी जो देखने में साक्षात माँ दुर्गा लग रही थी। वह वीरांगना कोई और न होकर कलिंग नरेश की पुत्री पद्मा थी। किले के द्वार से बाहर आकर पद्मा की स्त्री – सेना सम्राट अशोक की सेना से कुछ दूर पहले ही रुक जाती है। मगध के वीर सैनिक कलिंग की स्त्री सेना को मन्त्रमुग्ध से देखते रह जाते हैं। सम्राट अशोक भी इस प्रकार सुसज्जित स्त्री सेना को देखकर हैरान थे।

विशेष –

  • लेखक ने कलिंग के रणक्षेत्र में पद्मा तथा उसकी वीरांगनाओं का चित्रण किया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

3. बहनो ! तुम वीर कन्या, वीर – भगिनी, और वीर – पत्नी हो ! मुझे तुमसे कुछ नहीं कहना। जिस सेना ने तुम्हारे पिता, भाई, पुत्र और पति की हत्या की है, वह तुम्हारे सामने खड़ी है। आज उसी से तुम्हें लोहा लेना है। तुम प्रण करो कि जननी जन्म – भूमि को पराधीन होते देखने से पहले तुम सदा के लिए अपनी आँखें बंद कर लोगी।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित एकांकी ‘अशोक का शस्त्र त्याग’ से अवतरित है। लेखक ने यहाँ कलिंग नरेश पुत्री पद्मा द्वारा वीर कन्याओं को अपनी जन्म – भूमि के लिए न्योछावर हो जाने के लिए प्रेरित करते हुए दिखाया है। –

व्याख्या – लेखक कहता है कि कलिंग नरेश की पुत्री पदमा स्त्रियों के अन्दर उत्साह का संचार करते हुए कहती है कि हे बहनो ! तुम वीर पिता की पुत्री हो, वीर भाइयों की बहनें हो और पति की पत्नी हो। तुमसे तुम्हारी इस राजकुमारी पद्मा को ज्यादा कुछ नहीं कहना है। बस इतना ही कहना है कि जिस सेना ने तुम्हारे पिता, भाई, पत्र तथा पति की हत्या की है, वह सेना तुम्हारे सामने खड़ी है। आज तुम्हें उनसे मुकाबला करना है। तुम सभी प्रतिज्ञा करो कि अपनी मातृभूमि को दासता की जंजीरों में देखने से पहले तुम सभी अपने देश की रक्षा में अपने प्राणों को न्योछावर कर देगी।

विशेष –

  • लेखक ने राजकुमारी पद्मा के देश प्रेम तथा नेतृत्व करने की क्षमता को दर्शाया है।
  • वाक्य – विन्यास सटीक है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

4. मैं कलिंग महाराज की कन्या हूँ। मैं हत्यारे अशोक की सेना से लड़ने आई हूँ, जब तक मैं हूँ मेरी ये वीरागनाएँ हैं, कलिंग के भीतर कोई पैर नहीं रख सकता। कहाँ हैं अशोक, कहाँ हैं मेरे पिता का हत्यारा ? मैं द्वन्द्व – युद्ध करना चाहती हूँ।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित एकांकी ‘अशोक का शस्त्र त्याग’ से अवतरित है। लेखक ने अपने इस लेख में कलिंग युद्ध का चित्रण किया है। यहाँ लेखक ने वीरांगना पद्मा की वीरता एवं साहस को दर्शाया है।

व्याख्या – लेखक कलिंग नरेश की पुत्री पद्मा की वीरता एवं साहस का परिचय देते हुए कहता है कि राजकुमारी पद्मा पुरुष वेष में सम्राट अशोक सेना पर साक्षात् दुर्गा बनकर टूट पड़ती है वह अपना परिचय देते हुए कहती है कि वह कलिंग के महाराज की पुत्री पद्मा है। वह अपने पिता के हत्यारे अशोक और उसकी सेना से युद्ध करने के लिए आई है।

वह अशोक और उसकी सेवा को चुनौती देते हुए कहती है कि जब तक उसके प्राणों में प्राण हैं और कलिंग की वीरांगनाएं हैं तब तक मगध का कोई भी सैनिक कलिंग के अन्दर प्रवेश नहीं कर सकता। वह सम्राट अशोक पुकारती है और पूछती है कि उसके पिता कलिंग नरेश का हत्यारा अशोक कहाँ है। वह उसके साथ आमने – सामने का युद्ध करना चाहती है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

विशेष –

  • लेखक ने राजकुमारी पद्मा की वीरता एवं अदम्य साहस का परिचय कराया है।
  • भाषा प्रवाहमयी है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 11 धीरा की होशियारी (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB धीरा की होशियारी Textbook Questions and Answers

धीरा की होशियारी अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) धीरा स्कूल के बाद कहाँ और क्या काम करता था?
उत्तर :
धीरा स्कूल के बाद एक सिनेमा हॉल के निकट बैठकर जूते पॉलिश – करने का काम करता था।

(ख) धीरा ने राहगीर से क्या सुना?
उत्तर :
धीरा ने राहगीर से सुना कि, “एक चोर जौहरी की दुकान से चोरी करके भाग गया है।”

(ग) ग्राहक की वेशभूषा कैसी थी?
उत्तर :
ग्राहक देखने में अमीर लग रहा था। उसने पतलून, कमीज़ तथा लाल टाई बाँध रखी थी।

(घ) धीरा को कौन-से पैर के जूते में से कुछ बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया?
उत्तर :
दाएँ पैर के जूते में से धीरा को कुछ बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया।

(ङ) धीरा ने चोर के जूतों के फीते कैसे बाँधे?
उत्तर :
जब ग्राहक धीरा को देने के लिए रेज़गारी निकाल रहा था, तब धीरा ने चुपके से उसके जूतों की फीते बाँध दिए।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

(च) चोर कौन था?
उत्तर :
जूते पर पॉलिश कराने वाला ग्राहक ही चोर था।

(छ) धीरा को किस-किसने इनाम दिया?
उत्तर :
धीरा को पुलिस और जौहरी दोनों ने इनाम दिया। उसके स्कूल ने भी उसकी होशियारी पर उसे एक पदक प्रदान किया।

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) धीरा ने चोर को कैसे पकडवाया? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर :
धीरा बहुत ही होशियार लड़का था। जब वह ग्राहक/चोर का दायाँ जूता पॉलिश कर रहा था, तब उसने ग्राहक/चोर के पैर में किसी चीज़ को देखा। ध्यान से देखने पर उसे पता चल गया कि वस्तु सोने का कण्ठा थी। उस समय उसने बड़ी चालाकी के साथ चोर के दोनों जूतों के फीते आपस में बाँध दिए और जल्दी ही पुलिस वालों को बुलाकर ले आया। चोर ने जब भागने की कोशिश की तो वह मुँह के बल ज़मीन पर गिर गया और पुलिस वालों ने उसे अपनी हिरासत में ले लिया। इस प्रकार चोर पकड़ा गया।

(ख) ‘धीरा एक मेहनती लड़का था।’ कहानी के आधार पर लिखें।
उत्तर :
धीरा एक गरीब परिवार का बेटा था। उसके सिर पर पिता का हाथ नहीं था। जब वह छोटा था तभी उसके पिता का देहांत हो गया था। अब उसके कंधों पर अपना और अपनी माँ तथा बहन का पेट पालने की जिम्मेवारी थी। वह स्कूल में पढ़ने के बाद जूते पॉलिश करने का काम करता था तथा अपनी आजीविका कमाता था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

5. इन शब्दों/मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्य बनायें :

  1. गुनगुनाना ________ _________________________
  2. मिज़ाज गरम होना ________ _________________________
  3. मुँह के बल गिरना ________ _________________________

उत्तर :

  1. गुनगुनाना = हल्की आवाज़ में कुछ गाना
    वाक्य – रमेश जब भी खाली होता है वह देशभक्ति के गीत गुनगुनाने लगता है।
  2. मिज़ाज गरम होना = गुस्से में होना
    वाक्य – राकेश जब देर शाम को खेल कर घर आया तो उसने देखा कि उसके पिता जी का मिजाज गरम है।
  3. मुँह के बल गिरना = चोट खाना
    वाक्य – जो लोग सड़क पर नीचे देखकर नहीं चलते वे अक्सर मुँह के बल ही गिरते हैं।

6. पर्यायवाची शब्द लिखें :

  1. स्वर्गवास = ……………………….
  2. राहगीर = ……………………….
  3. आदमी = ……………………….
  4. हिरासत = ……………………….

उत्तर :

  1. स्वर्गवास = देहांत, मृत्यु, मौत
  2. राहगीर = पथिक, यात्री, मुसाफिर
  3. आदमी = पुरुष, आदम, नर
  4. हिरासत = पकड़ना, बंदी बनाना

7. विपरीत अर्थ वाले शब्द लिखें :

  1. गर्मी = ……………………….
  2. दायाँ = ……………………….
  3. छाया = ……………………….
  4. नकली = ……………………….
  5. अमीर = ……………………….
  6. इनाम = ……………………….

उत्तर :

  1. गर्मी = सर्दी
  2. दायाँ = बायँ
  3. छाया = धूप
  4. नकली = असली
  5. अमीर = गरीब
  6. इनाम = दण्ड

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

8. बहुवचन रूप लिखें :

  1. सिपाही = ……………………….
  2. आदमी = ……………………….
  3. झुग्गी = ……………………….
  4. चोरी = ……………………….
  5. जौहरी = ……………………….
  6. घड़ी = ……………………….

उत्तर :

  1. सिपाही = सिपाहियों
  2. आदमी = आदमियों
  3. झुग्गी = झुग्गियाँ
  4. चोरी = चोरियाँ
  5. जौहरी = जौहरियों
  6. घड़ी = घड़ियाँ

9. अन्तर समझें और वाक्यों में प्रयोग करें :

(क) धुन = गीत की लय _________________________
धुन = निश्चय, दृढ़ _________________________
(ख) सोना = एक धातु,जिसके गहने बनाये जाते हैं। _________________________
सोना – सोने की क्रिया, नींद में लेटकर सो जाना _________________________
(ग) ध्यान = तल्लीन होकर काम करना _________________________
ध्यान – परमात्मा की ओर मन लगाना _________________________
उत्तर :
(क) धुन = गीत की लय
वाक्य = आद्या देशभक्ति के गीतों की धुन पर नाच उठती है।

धुन = निश्चय, दृढ़
वाक्य = सुरेश ने परीक्षा में प्रथम आने की धुन ठान ली है।।

(ख) सोना = एक धातु जिसके गहने बनाये जाते हैं।
वाक्य = आजकल सोने के आभूषण बहुत महंगे हो गए हैं।

सोना = सोने की क्रिया, नींद में लेटकर सो जाना
वाक्य = आदर्श पाँच घण्टे सोने के बाद फिर से सो गया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

(ग) ध्यान = तल्लीन होकर काम करना
वाक्य = परीक्षा में अच्छे अंक पाने के लिए विद्यार्थी को खूब ध्यान लगाकर पढ़ना चाहिए।

ध्यान = परमात्मा की ओर मन लगाना
वाक्य = सीता माता अशोक वाटिका में भगवान श्री राम के ध्यान में बैठी रहती थी।

10. धीरा ने अपनी होशियारी से चोर को पकड़वाया। मान लो आप अपनी बहन/माँ के साथ बाजार जा रहे हैं। किसी ने आपकी बहन/माँ का पर्स छीन लिया। ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे? अपने विचार लिखें।
उत्तर :
ऐसी स्थिति में सबसे पहले उस चोर को पकड़ने का प्रयास करूँगा. जो पर्स छीन कर भागा था। चोर को पकड़ने के बाद कानून अपने हाथों में न लेकर उसे पुलिस के हवाले कर दूंगा, ताकि पुलिस कानून के हिसाब से उसे उसके अपराध का उचित दण्ड दे।

11. इन वाक्यों में क्रिया अकर्मक है अथवा सकर्मक है ? लिखें।

(क) धीरा जूते पॉलिश करता था। सकर्मक
(ख) धीरा घबरा गया। ______________
(ग) वह लपक कर सिपाहियों के पास पहुँचा। ______________
(घ) दो सिपाही आ रहे हैं। ______________
(ङ) वह एक लोकप्रिय धुन गुनगुना रहा था। ______________
(च) धीरा बहुत मेहनती लड़का था। ______________
(छ) धीरा ने चुपचाप उसके दोनों जूतों के फीते एक दूसरे से बाँध दिये। ______________
उत्तर :
(क) सकर्मक
(ख) अकर्मक
(ग) सकर्मक
(घ) अकर्मक
(ङ) सकर्मक
(च) अकर्मक
(छ) सकर्मक

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

प्रयोगात्मक व्याकरण

  • धीरा जूते पॉलिश करता था।
  • धीरा द्वारा जूते पॉलिश किये जाते थे।
  • धीरा से रहा नहीं गया।

उपर्युक्त पहले वाक्य में क्रिया कर्ता (धीरा) के अनुसार है, दूसरे वाक्य में क्रिया कर्म (जूते) के अनुसार है तथा तीसरे वाक्य में कर्म नहीं है अर्थात यहाँ भावों (रहा नहीं गया) की ही प्रधानता है।

अतएव क्रिया के जिस रूप से यह जाना जाये कि क्रिया कर्ता के अनुसार है या कर्म के अनुसार है या भाव के अनुसार है, उस रूपको वाच्य कहते हैं।

इस तरह वाच्य तीन प्रकार के होते हैं :

  • कर्तृवाच्य
  • कर्मवाच्य
  • भाववाच्य

(i) धीराधुन गुनगुना रहा था।
(ii) धीरा द्वारा धुन गुनगुनायी जा रही थी।

पहले वाक्य में कर्ता (धीरा) प्रधान है और क्रिया का लिंग, (गुनगुना रहा था) एवं वचन उसी कर्ता के अनुसार है।

अतएव क्रिया के जिस रूप में कर्ता प्रधान हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं।

दुसरे वाक्य में क्रिया (गुनगुनायी जा रही थी) का लिंग एवं वचन कर्ता (धीरा) के अनुसार न होकर कर्म (धुन) के अनुसार है, यहाँ क्रिया कर्म वाच्य है। अतएव क्रिया के जिस रूप में कर्म प्रधान हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं।

(iii) धीरा से रहा नहीं गया। तीसरे वाक्य में रहा नहीं गया’ क्रिया का भाव ही मुख्य है। क्रिया अकर्मक है जो अन्य पुरुष, पुल्लिग, एकवचन में है।

अतएव क्रिया के जिस रूप में क्रिया के भाव की प्रधानता के कारण अकर्मक क्रिया का प्रयोग हो और जो सदैव अन्य पुरुष, पुल्लिग तथा एकवचन में हो, उसे भाव वाच्य कहते हैं।

धीरा की होशियारी Summary in Hindi

धीरा की होशियारी पाठ का सार

‘धीरा की होशियारी’ लेखक की एक श्रेष्ठ रचना है। यह एक शिक्षाप्रद कहानी है। लेखक इस कहानी के माध्यम से बच्चों तथा युवाओं के मन में ईमानदारी, साहस, वीरता परिश्रम, कर्त्तव्य परायणता आदि के गुणों का समावेश करना चाहता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी 5

धीरा एक गरीब परिवार का मेहनती लड़का था। जब वह बहुत छोटा था तो उसके पिता का स्वर्गवास हो गया था। अब वह अपनी माँ और बहन के साथ एक पुरानी झुग्गी में रह रहा था। अपना तथा अपने परिवार का पेट पालने के लिए वह स्कूल बंद होने के बाद एक सिनेमा हॉल के निकट बैठकर जूते पॉलिश करने का काम करता था। एक दिन धीरा पेड़ की छाया में बैठकर अपनी दिन भर की कमाई गिनते हुए एक लोकप्रिय धुन गुनगुना रहा था, तभी उसने एक राहगीर को कहते सुना – “एक चोर जौहरी की दुकान से चोरी करके भाग गया है” धीरा की उत्सुकता बढ़ी और उसने गिनती बंद कर उस व्यक्ति से घटना के बारे में जानना चाहा।

राहगीर ने धीरा को बताया कि चोर सोने का एक कण्ठा चुरा कर भागा है तथा उसकी दाढ़ी भी है। धीरा घटना की पूर्ण जानकारी लेने हेतु जौहरी की दुकान पर जाना चाहता था लेकिन उसी समय जूते पर पॉलिश करवाने के लिए एक ग्राहक आ गया। ग्राहक देखने में अमीर लग रहा था। उसने गले में लाल टाई बाँधी हुई थी तथा पतलून कमीज़ पहनी हुई थी। उसने धीरा से कहा उसे कोई जल्दी नहीं वह आराम से जूते पॉलिश करे।

धीरा जूता तो पॉलिश कर रहा था लेकिन उसका मन चोरी घटना की ओर ही लगा था। धीरा ने पहले ग्राहक के बाएँ जूते को पॉलिश करके चमका दिया। तभी धीरा ने कनखियों से दो सिपाहियों को अपनी ओर आते देखा, वह उनसे चोरी की घटना के बारे में पूछना चाहता था, लेकिन ग्राहक के गर्म मिजाज को देखकर रुक गया। उसे इस बात का भी भय था कि ये कोई बड़ा आदमी है कहीं वह उसकी शिकायत ही पुलिस वालों से न कर दे इसलिए वह पूरे मन से जूते पॉलिश करने में लग गया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

जब धीरा ने बायाँ जूता पॉलिश कर दिया तो उसने ग्राहक को दायाँ पैर आगे करने को कहा तो वह धीरा से बोला लड़के जल्दी कर। शो समाप्त होने में दो मिनट बाकी थे। धीरा सोचने लगा कैसा आदमी था – पहले इसे जल्दी नहीं थी पर अब इसे जल्दी है। तब धीरा ने जूते की धूल साफ करके उस पर पॉलिश लगाई और जूते चमकाने लगा। उसने जूते के अंदर से कुछ बाहर निकलते देखा। जब धीरा ने जूते में अच्छे से झाँक कर देखा तो वह हैरान रह गया।

उसके मुँह से जो शब्द निकले वे थे–’बाप रे…’ ग्राहक धीरा को जूते पॉलिश करने का मेहनताना देने के लिए अपने बटुए में से रेजगारी निकालने लगा। धीरा ने चुपके से ग्राहक के दोनों जूतों के फीते एक – दूसरे से बाँध दिए और उससे पैसे भी नहीं लिए। कुछ ही पल में धीरा सिपाहियों के पास जा पहुँचा। वह आदमी धीरा पर चिल्ला रहा था कि रुक बदमाश।

ही आदमी ने भागना चाहा वह मुँह के बल धड़ाम से गिर पड़ा, तभी धीरा सिपाहियों को लेकर आ गया। सिपाहियों ने उस व्यक्ति को पकड़ लिया। वह आदमी चोर था। धीरा ने उसके पैर में जो चीज़ देखी थी वह जौहरी की दुकान से चुराया हुआ सोने का कण्ठा था। पुलिस वालों ने उसकी जेब से नकली दाढ़ी तथा सोने का कण्ठा उसके जूते से निकाल लिया। सभी ने धीरा की होशियारी की खूब प्रशंसा की। पुलिस और जौहरी दोनों ने धीरा को ईनाम दिया। धीरा के विद्यालय ने भी उसकी होशियारी पर उसे एक पदक दिया।

धीरा की होशियारी कठिन शब्दों के अर्थ

  • स्वर्गवास = देहांत।
  • राहगीर = रास्ते पर चलने वाला।
  • रास्ता लिया = चला गया।
  • पतलन = पैंट।
  • कनखियों = तिरछी नज़रों से।
  • मिज़ाज = स्वभाव।
  • हुजूर = साहब।
  • बटुआ = पर्स।
  • रेजगारी = सिक्के।
  • लपक कर = झट से।
  • हिरासत में लेना = पकड़ना, हथकड़ी लगाना।

धीरा की होशियारी गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. ग्राहक ने अपनी कलाई घड़ी की ओर देखते हुए धीरा से कहा, “अरे लड़के, ज़रा जूता अच्छी तरह से पॉलिश कर दो। मुझे कोई जल्दी नहीं है।” ग्राहक ने पतलून – कमीज़ पहनी हुई थी और लाल टाई बाँध रखी थी। देखने में वह एक अमीर आदमी लगता था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘धीरा की होशियारी’ नामक कहानी से अवतरित है। इस कहानी में लेखक ने धीरा की होशियारी और बुद्धिमानी का चित्रण किया है। यहाँ लेखक ने धीरा के मेहनती स्वरूप को उजागर किया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि एक ग्राहक ने धीरा की ओर अपनी कलाई की घड़ी देखते हुए धीरा से कहा कि लड़के इस जूते को अच्छे ढंग से पॉलिश कर दो। उसे किसी प्रकार की कोई जल्दबाजी नहीं है। लेखक बताता है कि ग्राहक ने पैंट – कमीज पहनी हुई थी और गले में लाल टाई पहनी हुई थी। उसे देखने पर लगता था कि जैसे वह कोई अमीर आदमी हो।

विशेष –

  • लेखक ने ग्राहक के रूप में आए चोर की वेश – भूषा का चित्रण किया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

2. ग्राहक ने पहले बायाँ पैर स्टैंड पर रखा। पीला कपडा लेकर धीरा ने जते की धूल पोंछ फिर एक टिन खोलकर पॉलिश निकाली और ब्रुश से जूते पर फैला दी। फिर वह जल्दी – जल्दी उसे चमकाने लगा। थोड़ी देर में जूता चमक उठा।।

तभी धीरा ने कनखियों से देखा कि दो सिपाही आ रहे हैं। उनसे वह चोरी के बारे में पूछना चाहता था लेकिन ग्राहक का मिज़ाज गरम हो रहा था।

प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में संकलित धीरा की होशियारी’ नामक कहानी से लिया गया है। लेखक ने यहाँ धीरा के मेहनती स्वरूप का चित्रण करते हुए उसके मन में व्याप्त जिज्ञासा को दर्शाया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि ग्राहक ने अपने जूते पर पॉलिश करवाने के लिए सबसे पहले अपने बाएँ पाँव को स्टैण्ड पर रखा। तब धीरा ने एक पीले कपड़े के साथ जूते पर पड़ी धूल को पोंछा और एक टिन की डिब्बी खोलकर पॉलिश निकाली और ब्रुश के साथ उसे पूरे जूते पर फैला दिया।

इसके बाद धीरा जूते को अच्छे से चमकाने में लग गया। कुछ ही देर में ग्राहक का जूता अच्छे से चमक गया। उसी समय धीरा ने अपनी तिरछी नज़रों से दो – सिंपाहियों को अपनी ओर आते देखा। वह उनसे चोरी की घटना के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहता था। लेकिन ग्राहक के स्वभाव का गर्म देखते हुए उसकी हिम्मत पूछने की न हुई।

विशेष –

  • लेखक ने धीरा के मन में व्याप्त जिज्ञासा को प्रकट किया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

3. वह लपक कर सिपाहियों के पास पहुँचा। पीछे से उसने आदमी को चिल्लाते सुना, “ओ बदमाश, जरा ठहर।” लेकिन आदमी ने जब चलना चाहा तो मुँह के बल गिर पड़ा। अभी वह उठने की कोशिश कर रहा था कि धीरा सिपाहियों को लेकर आ गया। उन्होंने उस आदमी को हिरासत में ले लिया।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘धीरा की होशियारी’ नामक कहानी से लिया गया है। लेखक ने इस कहानी में धीरा की होशियारी एवं ईमानदारी को दिखा कर समाज को शिक्षा दी है कि हमें धीरा के समान होशियार एवं ईमानदार बनना चाहिए।

व्याख्या – लेखक कहता है कि जब धीरा ने अपनी बुद्धिमानी एवं होशियारी से चोर का सारा सच जान लिया तो वह झट से पुलिस वालों के पास पहुँच गया। जब वह पुलिस वालों के पास जा रहा था तो उसने पीछे से ग्राहक के भेष में चोर को चिल्लाते सुना अरे! बदमाश रुक जा।

लेकिन जब उस आदमी ने अपने कदम आगे बढ़ाने चाहे तो वह मुँह के बल नीचे गिर गया। वह अभी उठने का प्रयास कर रहा था कि इतने में धीरा सिपाहियों को लेकर वहाँ पहुँच गया। उसी समय पुलिस वालों ने ग्राहक के वेश में छिपे चोर को अपने कब्जे में ले लिया।

विशेष –

  • लेखक ने धीरा की होशियारी का परिचय दिया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB बढ़े चलो, बढ़े चलो Textbook Questions and Answers

बढ़े चलो, बढ़े चलो अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें:

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें:

(क) कवि किन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है? कोष्ठक में दिए संकेतों पर निशान लगाइए। (बालकों को, युवाओं को, देशवासियों को, स्वतंत्रता सेनानियों को)
उत्तर :
स्वतन्त्रता सेनानियों को।

(ख) कवि अस्त्र-शस्त्र के बिना लड़ने का सुझाव क्यों देता है ?
उत्तर :
कवि गांधीवादी विचारों का समर्थक है। अत: वह बिना अस्त्र – शस्त्रों के लड़ने का सुझाव देता है। सत्य, अहिंसा और प्रेम गांधी जी के शस्त्र थे।

(ग) यह कविता देश के आजाद होने से पहले लिखी गयी थी अथवा बाद में ?
उत्तर :
‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’ कविता देश के आजाद होने से पहले लिखी गई थी।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें:

(क) कवि अपने पाठकों को मशाल बन कर जलने की प्रेरणा क्यों देता है?
उत्तर :
कवि स्वतन्त्रता सेनानियों को मशाल बनकर जलने की प्रेरणा इसलिए देता है ताकि आजादी के रास्ते का अन्धकार दूर हो सके। देश के अन्य लोग भी कदम से कदम मिला कर आगे बढ़ सकें। मशाल बन कर जलने वाला सबकी प्रेरणा का स्रोत बन जाता है।

(ख) जियो चलो, मरे चलो,-कवि जीवन और मृत्यु को साथ लेकर चलता है क्यों?
उत्तर :
स्वतन्त्रता प्राप्त करने का मार्ग बड़ा कठिन होता है। इस रास्ते पर जीवन भी है और मरण भी। आज़ादी प्राप्त होना जीवन है और आज़ादी के लिए कुर्बान हो जाना मरण है। संघर्ष मार्ग पर बढ़ता हुआ वीर जीवन – मरण की परवाह नहीं करता। वह जीता भी है, मरता भी है।

(ग) कविता का सार लिखें।
उत्तर :
‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’ कविता श्री सोहन लाल द्विवेदी की देश की स्वतन्त्रता से पूर्व की रचना है। यह कविता देश – भक्ति से ओत – प्रोत है। इसमें स्वतन्त्रता सेनानियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी गई है। कवि कहता है चाहे तुम्हारे पास कोई शस्त्र नहीं है और खाने को भी कुछ नहीं फिर भी आज़ादी के मार्ग पर बढ़ते चलो। तुम अपने मार्ग की बड़ी से – बड़ी बाधा को भी चीर कर आगे बढ़ो। झुकने का नाम न लो। इसके लिए तुम अपने रक्त की एक – एक बूंद बहा दो। युगों की परतन्त्रता को समाप्त कर दो। कभी भी भयभीत नहीं होना चाहिए। व्यक्ति को सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए।

5. इन शब्दों के अर्थ लिखते हुए वाक्यों में प्रयोग करें:

  1. समक्ष __________ _____________________________
  2. कालकूट __________ _____________________________
  3. सुधा __________ _____________________________
  4. फाग __________ _____________________________
  5. अशेष __________ _____________________________

उत्तर :

  1. समक्ष = सामने – व्यक्ति को हमेशा अपने समक्ष ऊँचा आदर्श रखना चाहिए।
  2. कालकूट = तेज़ ज़हर – आज़ादी पाने के लिए व्यक्ति को कालकूट भी पीना पड़ता है।
  3. सुधा = अमृत – स्वतन्त्रता सेनानी बलिदान को सुधा समझकर पी जाते हैं।
  4. फाग = होली – सैनिकों का काम ही रक्त से फाग खेलना है।
  5. अशेष = सम्पूर्ण – आज़ादी के लिए अपना अशेष रक्त अर्पित कर दो।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो

6. विपरीतार्थक शब्द लि:

  1. स्वतंत्रता = _____________
  2. मरण = _____________
  3. कालकूट = _____________

उत्तर :

  1. स्वतन्त्रता = परतन्त्रता
  2. मरण = जीवन
  3. कालकूट = सुधा

7. संज्ञा शब्द बनायें:

  1. रुकना = _____________
  2. झुकना = _____________
  3. जलना = _____________
  4. निखरना = _____________
  5. बिखरना = _____________

उत्तर :

  1. रुकना = रुकावट
  2. झुकना = झुकाव
  3. जलना = जलन
  4. निखरना = निखार
  5. बिखरना = बिखराव

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो

8. इन शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखें:

  1. वस्त्र = _________, _________
  2. शिखर = _________, _________
  3. अटूट = _________, _________
  4. राग = _________, _________
  5. मशाल = _________, _________
  6. मिसाल = _________, _________
  7. नीर = _________, _________

उत्तर :

  1. वस्त्र = कपड़ा, चीर, पट,
  2. शिखर = चोटी, शृंग
  3. अटूट = मज़बूत, अभंगुर
  4. राग = सुर, प्रेम
  5. मशाल = मुराड़ा, लौ
  6. मिसाल = उदाहरण, नमूना
  7. नीर = जल, पानी, वारी

बढ़े चलो, बढ़े चलो Summary in Hindi

बढ़े चलो, बढ़े चलो कविता का सार

‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’ कविता श्री सोहन लाल द्विवेदी की देश की स्वतन्त्रता से पूर्व की रचना है। यह कविता देश – भक्ति से ओत – प्रोत है। इसमें स्वतन्त्रता सेनानियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी गई है। कवि कहता है चाहे तुम्हारे पास कोई शस्त्र नहीं है और खाने को भी कुछ नहीं फिर भी आज़ादी के मार्ग पर बढ़ते चलो। तुम अपने मार्ग की बड़ी – से बड़ी बाधा को भी चीर कर आगे बढ़ो। झुकने का नाम न लो। इसके लिए तुम अपने रक्त की एक – एक बूंद बहा दो। युगों की परतन्त्रता को समाप्त कर दो। कभी भी भयभीत नहीं होना चाहिए। व्यक्ति को सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए।

बढ़े चलो, बढ़े चलो काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. न हाथ एक शस्त्र हो,
न हाथ एक अस्त्र हो,
न अन्न नीर वस्त्र हो,
हटो नहीं, डटो वहीं।
बढ़े चलो, बढ़े चलो।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो

शब्दार्थ :

  • शस्त्र = हाथ में पकड़ा हुआ निकट से चलाया जाने वाला हथियार जैसे तलवार, भाला, डंडा आदि।
  • अस्त्र = दूर से चलाया जाने वाला हथियार जैसे – तीर, गोला, मिसाइल आदि।
  • अन्न = अनाज।
  • नीर = पानी।
  • वस्त्र = कपड़ा।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित श्री सोहन लाल द्विवेदी द्वारा रचित ‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’ नामक कविता से लिया गया है। इस कविता में कवि ने देश की आज़ादी के लिए स्वतन्त्रता सेनानियों को पथ पर निरन्तर आगे बढ़ने का आह्वान किया है।

व्याख्या – कवि स्वतन्त्रता सेनानियों को सम्बोधित करते हुए कहता है – यदि तुम्हारे हाथ में एक भी अस्त्र – शस्त्र नहीं है और न ही तुम्हारे पास भोजन, जल और कपड़ा है। फिर भी तुम अपने रास्ते से न हटो। वहीं पर डट जाओ और आगे ही आगे बढ़ते चलो।

विशेष –

  • कवि ने देशवासियों को देश की आजादी के लिए आगे बढ़ने का आह्वान किया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

2. रहे समक्ष हिम शिखर,
तुम्हारा प्रण उठे निखर,
भले ही जाये तन बिखर,
रुको नहीं, झुको नहीं।
बढ़े चलो, बढ़े चलो।

शब्दार्थ :

  • समक्ष = सामने।
  • हिम शिखर = बर्फ की चोटी।
  • निखर = चमक।
  • तन = शरीर।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश सोहन लाल द्विवेदी द्वारा रचित कविता ‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’ से लिया गया है। इस कविता में कवि ने देश की आजादी के लिए स्वतन्त्रता सेनानियों को पथ पर निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या – कवि वीरों को स्वतन्त्रता की बलि वेदी पर अपना बलिदान देने की प्रेरणा देता हुआ कहता है – चाहे तुम्हारे रास्ते में बर्फ की चोटी भी आ जाए, तुम्हारे रास्ते में हिमालय भी आकर क्यों न खड़ा हो जाए, कितनी भी कठिनाइयों का सामना क्यों न करना पड़े फिर भी तुम्हें घबराना नहीं चाहिए।

तुम्हें साहस से काम लेना चाहिए। उसे देखकर तुम्हारी प्रतिज्ञा निखर उठे। चाहे तुम्हारा शरीर टुकड़े – टुकड़े हो जाए पर तुम्हें रुकना नहीं चाहिए और न ही झुकना चाहिए। तुम्हें निरन्तर बढ़ते रहना चाहिए।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो

विशेष :

  • कवि ने स्वतन्त्रता सेनानियों से मार्ग में आने वाली बाधाओं से न डरने का आह्वान किया है।
  • भाषा भावों के अनुरूप है।

3. घटा घिरी अटूट हो,
अधर पै कालकूट हो,
वही सुधा का चूंट हो,
जिये चलो मरे चलो।
बढ़े चलो, बढ़े चलो।

शब्दार्थ :

  • अटूट = बिना टूटे, लगातार।
  • अधर = होंठ।
  • कालकूट = ज़हर।
  • सुधा = अमृत।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश सोहन लाल द्विवेदी द्वारा रचित कविता ‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’ से लिया गया है। इस कविता में कवि ने देश की आजादी के लिए स्वतन्त्रता सेनानियों को. पथ पर निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या – कवि वीरों से कहता है कि चाहे तुम्हारे रास्ते पर दुःख की अखण्ड घटाएँ घिर आई हों, तुम्हारे होठों पर भयंकर विष लगा हो, परन्तु तुम्हें उसे अमृत का चूंट समझ कर पी लेना चाहिए। जीते हुए और मरते भी तुम आगे की तरफ बढ़ते जाओ।

विशेष –

  • कवि ने वीरों को बाधाओं का सामना करने का संदेश दिया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा सरस है।

4. गगन उगलता आग हो,
छिड़ा मरण का राग हो,
लहू का अपना फाग हो,
अड़ो वहीं, गड़ो वहीं।
बढ़े चलो, बढ़े चलो।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो

शब्दार्थ :

  • गगन = आकाश।
  • लहू = खून।
  • फाग = होली का रंग खेलना।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश सोहन लाल द्विवेदी द्वारा रचित कविता ‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’ से लिया गया है। इस कविता में कवि ने देश की आज़ादी के लिए स्वतन्त्रता सेनानियों को पथ पर निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या – कवि वीरों से स्वतन्त्रता के पथ पर निरन्तर आगे बढ़ने का आह्वान करते हुए कहता है कि चाहे तुम्हारे रास्ते में आकाश आग उगल रहा हो या मृत्यु का गीत शुरू हो गया हो, मृत्यु तुम्हारे सामने खडी हो, फिर भी तुम्हें अपना लहू बहाते हए वहीं पर अड़ जाना चाहिए और बलिदान हो जाना चाहिए। अपने रास्ते पर आगे ही आगे बढ़ते चलो।

विशेष –

  • कवि ने देश की स्वतन्त्रता के लिए वीरों को बलिदान देने के लिए प्रेरित किया है।
  • भाषा भावानुकूल है।

5. चलो, नयी मिसाल हो,
जलो, नयी मशाल हो,
बढ़ो, नया कमाल हो,
झुको नहीं, रुको नहीं।
बढ़े चलो, बढ़े चलो।

शब्दार्थ :

  • मिसाल = नमूना, उदाहरण।
  • कमाल = चमत्कार।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश सोहन लाल द्विवेदी द्वारा रचित कविता ‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’ से लिया गया है। इस कविता में कवि ने निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या – कवि वीरों को कहता है कि हे वीरो! तुम आगे इस प्रकार बढ़ो कि एक नया उदाहरण कायम हो जाए और एक नई मशाल की तरह जलते हुए देश को रास्ता दिखाओ। तुम अपने पथ पर इस प्रकार आगे बढ़ो जिससे कि एक नया चमत्कार हो जाए। तुम शत्रु के सामने झुको नहीं और आगे बढ़ने से रुको नहीं बस आगे ही बढ़ते चलो।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो

विशेष –

  • कवि ने वीरों से नया कीर्तिमान स्थापित करने के लिए कहा है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानकल है।

6. अशेष रक्त तोल दो,
स्वतन्त्रता का मोल दो,
कड़ी युगों की खोल दो,
डरो नहीं, मरो वहीं।
बढ़े चलो, बढ़े चलो।

शब्दार्थ :

  • अशेष रक्त = सारा खून।
  • स्वतन्त्रता = आज़ादी।
  • कड़ी = बन्धन।
  • युगों की = सदियों की।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश सोहन लाल द्विवेदी द्वारा रचित कविता ‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’ से लिया गया है। इस कविता में कवि ने निरन्तर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या – कवि वीरों को स्वतन्त्रता की बलिवेदी पर अपने प्राण न्योछावर करने का आह्वान करते हुए कहता है – हे वीरो अपने शरीर का सारा रक्त तुम देश पर न्योछावर कर दो। इस प्रकार आज़ादी की कीमत चुका दो। तुम सदियों से पड़ी गुलामी की जंजीरों को तोड़ दो। तुम्हें डरना नहीं चाहिए और वहीं बलिदान हो जाओ। इस प्रकार तुम्हें आगे बढ़ते रहना चाहिए।

विशेष –

  • कवि ने देशवासियों से देश हित के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की बात कही है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 9 स्वराज्य की नींव (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB स्वराज्य की नींव Textbook Questions and Answers

स्वराज्य की नींव अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिन्दी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) अंग्रेज़ों की नीति क्या थी?
उत्तर :
अंग्रेजों की नीति ‘फूट डालो और राज करो’ की थी।

(ख) जूही ने रानी को क्या समाचार सुनाया?
उत्तर :
जूही ने रानी को समाचार सुनाया कि अंग्रेजों ने झाँसी को अपने राज में मिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और यह भी सुना है कि वे आपको पाँच हज़ार रुपए पेंशन भी देंगे।

(ग) महारानी के सम्मुख कौन-सी दो मुख्य चुनौतियाँ थीं?
उत्तर :
महारानी के सम्मुख पहली समस्या अंग्रेजों का सामना करना था, जो उस समय पूरी ताकत में थे। दूसरी समस्या देशद्रोही और गद्दारों की थी जो अंग्रेजों से जा मिले थे।

(घ) जूही और मोतीबाई क्या-क्या कहकर रानी का हौसला बढ़ाती हैं ?
उत्तर :
जूही कहती है कि – अरे ! दुर्गा की अवतार हैं हम ! दुष्टों पर जब छायेगी, छटी का दूध याद करायेंगी। मोतीबाई भी रानी का हौसला बढ़ाते हुए कहती है कि प्रजा स्वराज्य चाहती है। वीर – वीरांगनाओं की भुजाएं अंग्रेजों से युद्ध को फड़फड़ा रही हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव

(ङ) रघुनाथ के पूछने पर कि क्या आप दुश्मन के बच्चों को पनाह देंगी तो रानी क्या उत्तर देती है ?
उत्तर :
रघुनाथ के प्रश्न का उत्तर देते हुए रानी कहती है कि हमारा युद्ध अंग्रेजों से है, निरपराध बच्चों और स्त्रियों से नहीं। शरणागत की रक्षा हमारी संस्कृति है।

(च) पाठ में आस्तीन के साँप किसे कहा गया है ?
उत्तर :
पाठ में आस्तीन के साँप देशद्रोहियों और स्वार्थी गद्दारों को कहा गया है।

(छ) रानी ने अपने सैनिकों से क्या कहा?
उत्तर :
रानी ने अपने सैनिकों से झलकारी और अन्य बहादुर शेरों के शहीद होने की बात बताते हुए कहा कि जब तक हमारी जान में जान है स्वराज्य के लिए लड़ेंगे। हमारा एक एक बहादुर सौ – सौ गोरों पर भारी पड़ रहा है। फिरंगी भयभीत हैं। हाँ ध्यान रहे अंग्रेज़ मेरी देह को छूने न पाएँ।

(ज) झलकारी स्वराज्य के लिए किस प्रकार समर्पण करना चाहती है?
उत्तर :
झलकारी रानी और अन्य सरदारों को सुरक्षा के साथ बाहर निकालने के लिए स्वयं रानी का वेश बनाकर अंग्रेजों को अटकाएगी यदि वह स्वराज्य के लिए भेट चढ़ गई तो स्वयं को धन्य समझेगी।।

(झ) घायल होने पर रानी अपने सिपाहियों से क्या कहती है ?
उत्तर :
घायल होने पर रानी अपने सिपाहियों से कहती है कि अंग्रेज़ सैनिक उसकी देह को न छू पाएँ।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव

(ञ) जब सिपाही रानी को संन्यासी की कुटिया में ले जाते हैं, तब संन्यासी ने क्या कहकर रानी को संबोधित किया?
उत्तर :
रानी को देखते हो संन्यासी ने कहा – मेरे अहो भाग्य साक्षात देवी के दर्शन हो गए।

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) आप कैसे कह सकते हैं कि महारानी लक्ष्मीबाई का बलिदान स्वराज्य की नींव बना?
उत्तर :
महारानी लक्ष्मीबाई एक वीरांगना थी। देश की रक्षा के लिए उन्होंने लड़ते – लड़ते अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। वह साक्षात् दुर्गा का अवतार थी। उसे शिवाजी की कहानियाँ जवानी याद थीं। राज्य की स्त्रियाँ रानी को अपना आदर्श मानती थीं। वे लक्ष्मीबाई के एक इशारे पर लड़ने मरने को तैयार थीं। अंग्रेजों के असमय आक्रमण करने पर रानी अपने वीर सैनिकों के साथ रण भूमि में आ गई। उसने वीरता से युद्ध करके अंग्रेजों को हरा दिया।

देश के सभी राजा महाराजा उसका आदर करते थे। दुबारा अंग्रेजों से युद्ध करते हुए रानी तेईस वर्ष की छोटी – सी आयु में स्वर्ग सिधार गई और रानी स्वराज्य रूपी नारी के रूप में हमें शिक्षा दे गई कि देश की रक्षा करते अपने प्राणों को भी न्योछावर कर दो। अत: कहा जा सकता है कि लक्ष्मी बाई का बलिदान स्वराज्य की नींव बना।

(ख) हमें किस घटना से पता चलता है कि रानी एक वीरांगना होते हुए भी ममतामयी माँ थी?
उत्तर :
हाँ महारानी लक्ष्मी बाई एक वीरांगना होते हुए एक ममतामयी माँ भी थी। उनके इस रूप का पता हमें तब चलता है जब गलमहम्मद रानी को बताता है कि विद्रोही सैनिकों ने अंग्रेज़ सैनिकों पर धावा बोल दिया है और अंग्रेज़ सैनिक अपने बाल – बच्चों के लिए शरण माँग रहे हैं। इस पर रानी ने तुरन्त अंग्रेज़ सैनिकों के बच्चों तथा स्त्रियों को शरण देने के लिए कहा जो रानी के ममतामयी माँ के स्वरूप का दर्शन कराता है।

5. इन मुहावरों को अर्थ लिखते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. आस्तीन का साँप = ____________________
  2. छठी का दूध याद आना = ____________________
  3. बाल भी बाँका न होने देना = ____________________

उत्तर :

  1. आस्तीन का साँप – कपटी मित्र
    वाक्य – उससे सावधान रहना। वह तो आस्तीन का साँप है।
  2. छटी का दूध याद आना – बहुत घबरा जाना
    वाक्य – भारतीय वायु सेना के आक्रमण ने पाकिस्तानियों को छटी का दूध याद दिला दिया।
  3. बाल भी बाँका न होना – तनिक भी चोट न पहुँचना
    वाक्य – जिसके ऊपर ईश्वर की कृपा है उसका कोई बाल भी बाँका नहीं कर सकता।

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6. नये शब्द बनायें :

  1. स्व + राज्य = स्वराज्य
  2. गुप्त + चर = _________________
  3. देश + द्रोही = _________________
  4. आक्रमण + कारी = _________________
  5. अ + समय = _________________

उत्तर :

  1. स्व + राज्य = स्वराज्य
  2. गुप्त + चर = गुप्तचर
  3. देश + द्रोही = देशद्रोही
  4. आक्रमण + कारी = आक्रमणकारी
  5. अ + समय = असमय

7. पर्यायवाची शब्द लिखें :

  1. तलवार = _________________
  2. हाथ = _________________
  3. रक्त = _________________
  4. स्वतंत्रता = _________________
  5. शहीद = _________________
  6. घोड़ा = _________________
  7. इमारत = _________________
  8. प्रणाम = _________________
  9. पत्थर = _________________

उत्तर :

  1. तलवार – खड्ग, कृपाण, करवाल।
  2. हाथ – हस्त, कर, पाणि।
  3. रक्त – खून, लहू, शोणित।
  4. स्वतंत्रता – आजादी, मुक्ति।
  5. शहीद – बलिदानी, हत, कुर्बान।
  6. घोड़ा – अश्व, तुरंग, हय।
  7. इमारत – भवन, मकान।
  8. प्रणाम – नमः, नमस्ते, नमस्कार।
  9. पत्थर – पाषाण, वज्र, शिला।

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8. लिंग जानें :

वीर = वीरांगना
साधु = साध्वी
दास = दासी
रानी = राजा
उत्तर :
विद्यार्थी पढ़कर समझने का प्रयास करें।

9. विपरीत शब्द लिखें :

  1. अचेत = _____________
  2. प्रातः = _____________
  3. स्वतंत्रता = _____________
  4. गुप्त = _____________
  5. अंधेरा = _____________
  6. युद्ध = _____________

उत्तर :

  1. अचेत = सचेत
  2. स्वतन्त्रता = पराधीनता
  3. अन्धेरा = उजाला
  4. प्रातः = सायं
  5. गुप्त = प्रकट
  6. युद्ध = शान्ति।

10. इन वाक्यों में आए सर्वनाम शब्द को रेखांकित करें तथा उसका भेद बतायें :

वाक्य – भेद
(क) उन्होंने शेरनी के मुँह में हाथ डालने की कोशिश की है। पुरुषवाचक सर्वनाम
(ख) मैं पेंशन नहीं लूँगी।
(ग) आपको पाँच हज़ार रुपये पेंशन दी जायेगी।
(घ) कोई भी बचने नहीं पाये।
(ङ) बेटा! कौन आया है?
(च) यह रानी का महल है।
उत्तर :
(ख) मैं – निजवाचक सर्वनाम
(ग) आपको – मध्यम पुरुष वाचक सर्वनाम
(घ) कोई – अनिश्चय वाचक सर्वनाम
(ङ) कौन – प्रश्नवाचक सर्वनाम
(च) यह – निश्चयवाचक सर्वनाम।

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11. (क) महारानी लक्ष्मीबाई की जीवनी पुस्तकालय से लेकर पढ़ें।
(ख) श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखित कविता ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी’ पढ़ें और याद करें।
(ग) जिस प्रकार महारानी लक्ष्मीबाई ने देश के लिए बलिदान दिया। इसी प्रकार अन्य बलिदान होने वाले वीर-वीरांगनाओं की सूची बनाओ।
(घ) ‘भारत के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम’ के बारे में जानकारी प्राप्त करो।
(ङ) वीरों के बलिदान से हमें स्वतंत्रता मिली है। इस स्वतंत्रता की रक्षा करना हम सबका कर्तव्य है। आप अपने देश की क्या सेवा कर सकते हैं ? सोचिये और लिखिये।
उत्तर :
(क) विद्यार्थी स्वयं पढ़ने का प्रयास करें।
(ख) विद्यार्थी स्वयं पढ़ कर याद करें।
(ग) जिस प्रकार महारानी लक्ष्मीबाई ने देश के लिए बलिदान दिया। इसी प्रकार अन्य बलिदान होने वाले वीर वीरांगनाओं की सूची निम्नलिखित प्रकार से है –

  • वीर – वीरांगनाएँ
  • नाना साहिब – जीजाबाई
  • वीर शिवाजी – रजिया सुलताना
  • ताँत्या टोपे – अहल्या बाई
  • नाना धुंधूपंत – कर्मवती।

(घ) भारत का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम सन् 1857 में लड़ा गया था। उस समय सारा देश गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए तैयार था। अंग्रेज़ भारतीयों पर खूब अत्याचार कर रहे थे। जो भी देश में आजादी की लहर पैदा करने का प्रयास करता था उसे मौत के घाट उतार दिया जाता था। उस समय स्त्री, पुरुष, बच्चे और वृद्ध सभी अपने देश को स्वतन्त्र कराने के लिए आत्म बलिदान देने को तैयार थे।

अंग्रेजों ने फूट डालकर शासन करने की जो नीति अपनाई थी, उसका प्रभाव भी धीरे – धीरे कम होता जा रहा था। उस समय कुछ स्त्रियाँ भी देश के स्वाधीनता संग्राम में बढ़चढ़ कर भाग ले रही थीं। संग्राम को शुरू करने का श्रेय मंगल पाण्डे को जाता है लेकिन एकजुटता के अभाव तथा देश द्रोहियों एवं गद्दारों के कारण यह आन्दोलन पूरी तरह सफल न हो पाया था।

(ङ) प्रत्येक मनुष्य अपने देश को प्यार करता है। वह कहीं भी चला जाए। संसार भर की खुशियों के बीच में वह क्यों न विचरण कर रहा हो लेकिन उसे अपना देश, अपना स्थान ही प्रिय लगता है। ठीक उसी प्रकार मुझे भी अपना देश भारत अच्छा लगता है। प्रत्येक देशभक्त की भाँति मैं भी अपने देश भारत की उन्नति के बारे में सोचता हूँ।

आज जो कुछ हमने प्राप्त किया है तथा जो कुछ हम बन पाए हैं उन सबके लिए हम देश भक्त वीरों के ही ऋणी हैं। इन वीरों से प्रेरणा लेकर मैंने अपने देश की नि: स्वार्थ भाव से सेवा करने का प्रण लिया है तथा अपने देश की सभ्यता, संस्कृति, रीति – रिवाज, भाषा, धर्म तथा मान – मर्यादा की रक्षा करना तथा उसे बनाए रखना अपने जीवन का ध्येय बनाया है।

स्वराज्य की नींव Summary in Hindi

स्वराज्य की नींव पाठ का सार

‘स्वराज्य की नींव’ एक ऐतिहासिक एकांकी है। यह शिव शंकर द्वारा रचित एक श्रेष्ठ – एकांकी है। यह कृति चार दृश्यों में समाप्त होने वाली ऐतिहासिक कथा है। नाटककार शिव शंकर ने अपनी भावुकता और कल्पना के मिश्रण से इसे रसमय बना दिया है। ‘स्वराज्य की नींव’ चार दृश्यों का एकांकी है। इसका घटनास्थल भी बहुत कम है। एकांकी झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई के दरबार से शुरू होता है और उसकी मृत्यु पर समाप्त हो जाता है।

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PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव

नाटककार ने लक्ष्मीबाई की सभा से लेकर उसके बलिदान तक का विवरण अत्यंत मनोरम एवं रोचक ढंग से किया है। रंग मंच की सुविधा की दृष्टि से समस्त कथा वस्तु को चार दृश्यों में विभाजित किया है। इस एकांकी के प्रमुख पात्रों के बारे में जानना आवश्यक है जो निम्न प्रकार से हैं –

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दृश्य एक
झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई अपने सभा सदों से अंग्रेज़ों की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति पर विचार कर रही थी कि तभी सभा में जूही का प्रवेश होता है। रानी जूही से पूछती है कि बताओ क्या समाचार है? जूही रानी से कहती है कि समाचार शुभ नहीं है। महारानी अंग्रेजों ने झाँसी को अपने अधिकार में लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। समाचार सुनते ही रानी ने कहा कि इन अंग्रेजों को इनके अंजाम तक पहुँचाना ही होगा।

जूही रानी को अंग्रेजों द्वारा दी जाने वाली पाँच हज़ार रुपए की पेंशन की भी बात बताती है, जिसे रानी तुरन्त मना कर देती है। रानी के सैनिक सरदार रघुनाथ जी रानी को धीरज से काम लेने की सलाह देते हैं। तात्या टोपे रानी को समझाते हुए कहते हैं कि वह शत्रु की शक्ति परख कर, अपनी गुप्त तैयारी करेंगे। रानी तात्या टोपे की बात से सहमत हो जाती है और जूही और मोती बाई को गुप्तचर बन अंग्रेज़ छावनी में जाने को कहती है।

दृश्य दो
इस दृश्य में मोतीबाई का प्रवेश रानी के महल में होता है जहाँ महारानी मोतीबाई से कहती है कि स्वराज्य संग्राम में सभी बराबर हैं। अत: महारानी न कहकर वह उन्हें सखी कहे। मोती बाई रानी से अंग्रेजों के अत्याचार की कहानी सुनाती है और बताती है कि प्रजा स्वराज्य चाहती है। राज्य के वीर – वीरांगनाओं की भुजाएँ दुश्मन से लोहा लेने के लिए तड़प रही हैं।

रानी मोती बाई से प्रजा में जोश भरने को कहती है ताकि समय आने पर शत्रु का सामना किया जा सके। उस समय तुम्हारी रानी लक्ष्मीबाई स्वयं स्वराज्य का झंडा लहराएगी। ताँत्या, जूही, रघुनाथ तथा गुलमुहम्मद भारतीय वीरांगनाओं पर गर्व जताते हुए अंग्रेजों को छटी का दूध याद दिलाने की बात कहते हैं।

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दृश्य तीन
दृश्य के प्रारम्भ में गुल का प्रवेश होता है। वह तात्या टोपे को बताता है कि विद्रोही सैनिक किले में प्रवेश कर गए हैं। उन्होंने अंग्रेज़ सैनिकों पर धावा बोल दिया है। अंग्रेज़ अपने बाल – बच्चों के लिए शरण मांग रहे हैं। रानी अंग्रेज़ सैनिकों के स्त्रियों और बच्चों को महल में शरण देने को कहती है। जब रघुनाथ इस बात पर आश्चर्य प्रकट करते हैं तो रानी कहती है कि उनका युद्ध अंग्रेजों से है; निरपराध बच्चों और स्त्रियों से नहीं।

शरणागत की रक्षा करना हमारी संस्कृति है। रानी ने युद्ध में अंग्रेजों को परास्त कर दिया, लेकिन कुछ ही समय बाद कुछ गद्दारों की सहायता से अंग्रेजों ने पुनः हमला कर दिया। रानी रघुनाथ से सेना को तैयार करने की बात कहती है। वह यह आदेश देती है कि यदि वह युद्ध में वीर गति को प्राप्त हो जाए तो शत्रु उसके शरीर को हाथ न लगाने पाएँ। रघुनाथ रानी से कालपी चलने को कहते हैं।

झलकारी अंग्रेजों का ध्यान बंटाने के लिए रानी का वेश धारण कर लेती है। तब रानी दोनों हाथों में तलवार लेकर चल पड़ती है। रानी अपने वीर सरदारों को एक शोक समाचार सुनाती है कि झलकार और उसकी सेना के कुछ अन्य बहादुर स्वराज्य के लिए शहीद हो गए हैं। रानी सेना में मनोबल भरते हुए कहती है कि अब भी हमारा एक – एक बहादुर सौ – सौ गोरों पर भारी पड़ रहा है।

रानी चण्डी. का रूप बनाए, मुँह में लगाम दबाए, दोनों हाथों से तलवार चलाती हुई दुश्मन को मारती जा रही थी कि तभी एक अंग्रेज़ सैनिक ने उनके शरीर में संगीन घोंप दी। रानी तब लड़ती ही रही। सहसा एक गोली रानी की जाँघ पर आ लगती है और रानी घोड़े से गिरने लगती है। रानी गिरते – गिरते अपनी देह गोरों के हाथ न लगने की बात कहती है। गुल मुहम्मद और रघुनाथ रानी को लेकर जंगल में भाग जाते हैं।

दृश्य चार
इस दृश्य में रानी के सैनिक रानी को लेकर एक संन्यासी की कुटिया में पहुँचते हैं जहाँ संन्यासी रानी के दर्शन पा कर कहता है कि अहो भाग्य उसके कि उसने देवी के दर्शन कर लिए। साधु रानी के मुँह में गंगा जल डालता है। रानी एक बार पुन: उसकी देह अंग्रेज़ों को न छूने देने के लिए कहती है। बाबा रानी से कहते हैं कि स्वराज्य अवश्य मिलेगा।

वह रानी से कहते हैं कि रानी का बलिदान स्वराज्य की नींव का पत्थर बनेगा रानी स्वराज्य कहते हुए अचेत हो जाती है। सैनिक रानी की मृत्यु पर कहते हैं कि घोर अन्धकार छा गया तब बाबा कहते हैं कि नहीं प्रात: कि किरण के साथ क्रान्ति रूपी सूर्य उदय होगा। तब स्वराज्य चमचमाएगा। इसके साथ परदा गिर जाता है और नाटक समाप्त हो जाता है।

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स्वराज्य की नींव गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या

1. महारानी धीरज से काम लें। एक तो अंग्रेज़ ताकत में हैं और दूसरे देशद्रोही उनके साथ हैं। ध्यान रहे मनुष्य के साहस और बुद्धि की परीक्षा विपरीत स्थिति में ही होती है।

तो क्या मैं उन फिरंगियों से हार मान लूँ ?

कदाचित नहीं …….. स्वराज्य की ज्वाला को सुलगने दो, अवसर आने पर विस्फोट करेंगे। अभी उनकी शक्ति परखते हैं और गुप्त तैयारी करेंगे।

ठीक है जूही तुम और मोतीबाई गुप्तचर बन अंग्रेज़ सिपाहियों से जानकारी हासिल करो।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित एकांकी ‘स्वराज्य की नींव’ से लिया गया है जिसके रचयिता शिव शंकर हैं। लेखक ने यहाँ अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ रही लक्ष्मीबाई की वीरता एवं साहसा का चित्रण किया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि महारानी लक्ष्मी को समझाते हुए रघुनाथ उनसे कहते हैं कि वे धैर्य से काम लें क्योंकि अंग्रेज़ अपनी पूरी ताकत में हैं और राज्य में विद्रोह करने वाले देशद्रोही उनके साथ हैं। रघुनाथ रानी से कहता है कि महारानी व्यक्ति के साहस और वुद्धि की वास्तविक परीक्षा कठिन समय आने पर ही होती है। रघुनाथ की बाते सुनने के बाद रानी कहती है कि क्या वह इन अंग्रेजों से हार मान ले।

तब ताँत्या टोपे रानी को बीच में टोकते हुए कहते हैं नहीं बिल्कुल नहीं हम अंग्रेजों से बदला लेंगे। लेकिन अभी स्वराज्य की आग को धीरे – धीरे सुलगने दो। समय आने पर हम विस्फोट करेंगे। अभी हम उनकी शक्ति को अच्छे जान और समझ लेते हैं और उसी के अनुसार हम अपनी खुफिया तैयारी करेंगे। तात्या टोपे की बात पर सहमती जताते हुए रानी लक्ष्मीबाई जूही और मोती – बाई को अंग्रेजों की छावनी में गुप्तचर बनकर जाने को कहती है।

विशेष –

  • लेखक ने महारानी लक्ष्मीबाई के सरदारों की सूझ – बूझ का चित्रण किया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

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2. वीर सरदारो! झलकारी व अन्य बहादुर शेर स्वराज्य के लिए शहीद हो गए। जब तक हमारी जान में जान है स्वराज्य के लिए लड़ेंगे। हमारा एक – एक बहादुर सौ – सौ गोरों पर भारी पड़ रहा है। फिरंगी भयभीत हैं। हाँ, ध्यान रहे अंग्रेज़ मेरी देह न छूने पायें।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित एकांकी ‘स्वराज्य की नींव’ से लिया गया है जिसके लेखक शिव शंकर हैं। लेखक ने यहाँ लक्ष्मीबाई की वीरता एवं साहस का परिचय दिया।

व्याख्या – लेखक कहता है कि महारानी लक्ष्मी बाई अपने बहादुर सरदारों को युद्ध में लड़ने के लिए उनका हौसला बढ़ाते हुए कहती है कि झलकारी और कुछ अन्य बहादुर शेर स्वराज्य की जंग में लड़ते हुए शहीद हो गए हैं। वीर बाँकुरो जब तक हमारे प्राणों में प्राण हैं तब तक हम देश के स्वराज्य के लिए इन अंग्रेजों से लड़ते रहेंगे। रानी अपने वीरों का उत्साह बढ़ाते हुए कहती है कि रानी का एक – एक वीर सिपाही सौ – सौ अंग्रेज़ सिपाहियों पर भारी पड़ रहा है। अंग्रेज़ पूरी तरह से डरे हुए हैं। लेकिन वीरो एक बात का ध्यान रखना, अगर युद्ध में तुम्हारी इस रानी को कुछ हो जाए तो अंग्रेज़ उसके शरीर को छूने न पाएँ।

विशेष –

  • लेखक ने महारानी लक्ष्मी बाई के अदम्य साहस एवं वीरता के साथ साथ एक नेतृत्व करने की क्षमता को उजागर किया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

3. चलो आक्रमण करो (रानी रणचण्डी बन जाती है। मुँह में लगाम दबाये दोनों हाथों से युद्ध करती है। सबकी तलवारें कहर बरसा रही हैं। तभी एक अंग्रेज़ रानी के संगीन घोंप देता है।)

(घाव की परवाह न करते हुए) शाबाश वीरो, शाबाश ! विजय हमारी है, हमारे खून का एक – एक कतरा। स्वराज्य की नींव का पत्थर होगा।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में ‘स्वराज्य की नींव’ नामक शीर्षक एकांकी से लिया गया है इसके लेखक शिव शंकर हैं। यहाँ लेखक ने लक्ष्मीबाई की वीरता का सजीव चित्रण किया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि लक्ष्मी बाई अपने बहादुर सैनिकों से कहती है कि चलो वीरो दुश्मन पर आक्रमण करो। महारानी लक्ष्मी बाई दुर्गा का रूप लिए, मुँह में अपने घोडे की लगाम दबाए अपने दोनों हाथों में तलवार लेकर यद्ध करती है। सभी की तलवारें चारों ओर मौत ही मौत बरसा रही थीं कि इसी बीच एक अंग्रेज़ ने रानी को अपनी संगीन से घायल कर दिया। रानी अपने घाव की तनिक भी परवाह न करते हुए लड़ती रही।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव

वह अपनी सेना का युद्ध भूमि में हौंसला बढ़ाती रही और कहती रही कि विजय उन्हीं की होगी। रानी ने यह भी कहा कि उनके खून की एक – एक बूंद स्वराज्य की नींव का पत्थर बनने में सहायक होगी। उनका खून अवश्य रंग लाएगा।

विशेष –

  • लेखक ने स्वराज्य हेतु रानी और उसके वीर सैनिकों को युद्ध में लड़ते हुए दिखाया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

4. स्वराज्य की देवी को मेरा शत – शत नमन।

बाबा स्वराज्य कब मिलेगा, कैसे…………… ?

बलिदान से। तुम्हारा बलिदान स्वराज्य की नींव का पत्थर है। इन वीर – वीरांगनाओं का रक्त इस नींव को पूरा करेगा। जिस पर स्वराज्य की इमारत चमचमाएगी। सच बाबा (फिर ) स्वराज्य की इमारत चमचमाएगी………स्वराज्य का परचम लहराएगा (रानी अचेत हो जाती है।)

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित एकांकी ‘स्वराज्य की नींव’ से लिया गया है। इसके लेखक शिव शंकर हैं। लेखक ने यहाँ वीरांगना लक्ष्मी बाई के महान् त्याग और समर्पण को देश में लुटाते हुए दिखाया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि जब सैनिक घायल अवस्था में रानी लक्ष्मीबाई को लेकर एक संन्यासी की कुटिया में आए तो संन्यासी ने रानी को देखते ही कहा कि स्वराज्य की देवी को उनका सैंकड़ों बार नमस्कार। रानी ने बाबा से कहा कि बाबा स्वराज्य कब और कैसे मिलेगा। बाबा ने रानी के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि स्वराज्य बलिदान से मिलेगा। रानी तुम्हारा बलिदान इस स्वराज्य की नींव का पत्थर बनेगा।

तुम्हारे इन वीर वीरांगनाओं का रक्त इस नींव को सींच कर मज़बूत करेगा। जिस पर स्वराज्य की चमचमाती हुई इमारत तैयार होगी। बाबा की बाते सुनने की बाद रानी ने बुदबुदाते हुए स्वरों में कहा कि सच बाबा स्वराज्य आएगा। स्वराज्य का ध्वज लहराएगा आदि शब्द कहते हुए रानी सबको छोड़ कर स्वराज्य की वेदी पर शहीद हो जाती है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव

विशेष –

  • लेखक ने रानी के अमर बलिदान की गाथा का वर्णन किया है।
  • भाषा विचारानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 8 विजय दिवस Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 8 विजय दिवस (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB विजय दिवस Textbook Questions and Answers

विजय दिवस अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) हार्दिक अपनी माँ के साथ पूना से चंडीगढ़ क्यों जा रहा था?
उत्तर :
हार्दिक अपनी माँ के साथ पूना में अपने नाना जी के पास रहता था, लेकिन नाना जी की मृत्यु के बाद अब वह अपनी माँ के साथ पूना से चंडीगढ़ जा रहा था।

(ख) हार्दिक को चंडीगढ़ जाना अच्छा क्यों नहीं लग रहा था?
उत्तर :
हार्दिक को चंडीगढ़ जाना इसलिए अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि अब उसे अपना शहर पूना, स्कूल तथा अपने मित्र छोड़ने पड़ रहे थे।

(ग) ट्रेन से उतरते ही दादा जी को देखकर हार्दिक क्यों हैरान हो गया?
उत्तर :
ट्रेन से उतरते ही हार्दिक ने दादा जी को विभिन्न मैडलों से सजी वर्दी में कई पुलिस कर्मियों के साथ देखा तो वह हैरान रह गया। यह उसके लिए आश्चर्य ही था क्योंकि दादा जी पूना में हमेशा साधारण कपड़ों में एक आम आदमी की तरह ही आते थे।

(घ) कक्षा के सभी विद्यार्थी हार्दिक से क्यों तंग रहते थे?
उत्तर :
कक्षा के सभी विद्यार्थी हार्दिक से उसकी शरारतों तथा घमण्डी स्वभाव के कारण तंग थे।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

(ङ) विजय दिवस क्यों मनाया जाता है?
उत्तर :
विजय दिवस किसी व्यक्ति के पराक्रम, साहस, वीरता आदि के गुणों को याद करके उसके सम्मान में मनाया जाता है।

(च) स्कूल का नाम हार्दिक के पिता के नाम पर क्यों रखा गया?
उत्तर :
स्कूल का नाम हार्दिक के पिता के नाम पर इसलिए रखा गया था क्योंकि उन्होंने कारगिल युद्ध में देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। पूरे शहर और देश को उन पर गर्व था, इसलिए उनके नाम पर स्कूल का नाम रखा जा रहा था।

(छ) हार्दिक ग्लानि और पश्चाताप से क्यों भर गया?
उत्तर :
बलिदान और दादा जी की ईमानदारी के बीच स्वयं को कहीं पर भी खड़ा हुआ नहीं देख रहा था। वह स्वयं को बोना अनुभव कर रहा था। इसलिए उसका हृदय ग्लानि और पश्चाताप से भर गया।

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) हार्दिक के हृदय में एकाएक परिवर्तन कैसे हो गया? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर :
हार्दिक जब चंडीगढ़ आया था तो अपने दादा जी के रौब और रुतबे के कारण उसमें घमण्ड का भाव आ गया था, लेकिन जब वह ‘विजय दिवस’ कार्यक्रम में पहुँचा और वहाँ अपने पिता शहीद कैप्टन शुक्ला की बहादुरी तथा अपने दादा जी की कर्त्तव्य परायणता, ईमानदारी और मेहनत की प्रशंसा सुनी तो उसके दिल में एक हलचल-सी होने लगी। यह हलचल तब और अधिक बढ़ गई जब मंच संचालक ने यह कहा कि-“अब भविष्य में इनके पोते हार्दिक शुक्ला से उम्मीद है कि वह अपने पिता जी और दादा जी के पदचिह्नों पर चलेगा और इस शहर और देश का नाम रोशन करेगा।” बात सुनकर हार्दिक के हृदय में एकाएक परिवर्तन हो गया।

(ख) ‘विजय दिवस’ पाठ के नाम की सार्थकता पर प्रकाश डालें।
उत्तर :
‘विजय दिवस’ पाठ शीर्षक से हम पूर्ण रूप से सहमत हैं। आज के युग में लोभ-मोह आदि को प्रधान शक्ति मानना ठीक नहीं है। समाज में अभी भी सच्चाई, ईमानदार, त्याग, बलिदान तथा सेवाभाव समाप्त नहीं हुई है। कैप्टन शुक्ला और उनके पिता जी इसका जीता जागता उदाहरण हैं। कैप्टन शुक्ला ने अपने अमर बलिदान से जहाँ कारगिल युद्ध विजय कर हमें विजय दिवस मनाने का अवसर दिया वहीं हार्दिक के दिल में भी विजय की एक झनकार बजी जिसने उसके जीवन को बदल दिया अत: ‘विजय दिवस’ शीर्षक सर्वथा उचित एवं सार्थक है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

5. वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. घमंड _________ – ___________________________
  2. रक्तदान _________ – ___________________________
  3. उद्घाटन _________ – ___________________________
  4. महान _________ – ___________________________
  5. नामकरण _________ – ___________________________
  6. अचरज _________ – ___________________________
  7. गर्व _________ – ___________________________
  8. पश्चाताप _________ – ___________________________
  9. सम्मानित _________ – ___________________________

उत्तर :

  1. घमंड-व्यक्ति को कभी घमंड नहीं करना चाहिए।
  2. रक्तदान-रक्तदान सभी दानों में सर्वश्रेष्ठ है।
  3. उद्घाटन-हार्दिक के दादा जी ने रक्तदान शिविर का उद्घाटन किया।
  4. महान-सरदार पटेल महान् स्वतंत्रता सेनानी थे।
  5. नामकरण-कल मेरी पुत्री का नामकरण है।
  6. अचरज-रमेश के पिता जी को जब एक सिपाही ने सैल्यूट मारा तो वह अचरज से उछल पड़ा।
  7. गर्व-मुझे अपने देश भारत पर गर्व है।
  8. पश्चाताप-पश्चाताप के आँसू हमारी बुराइयों को धो डालते हैं।
  9. सम्मानित-राकेश को उसकी बहादुरी के लिए कल विद्यालय में सम्मानित किया गया।

6. इन मुहावरों के वाक्य बनायें :

  1. छक्के छुड़ाना _________ – ___________________________
  2. जान देना _________ – ___________________________
  3. सिर ऊँचा करना _________ – ___________________________
  4. कान खड़े होना _________ – ___________________________
  5. नाम रोशन करना _________ – ___________________________
  6. सिर उठाना _________ – ___________________________
  7. दबदबा होना _________ – ___________________________

उत्तर :

  1. छक्के छुड़ाना – बुरी तरह पराजित करना।
    वाक्य – भारत – पाक युद्ध में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए।
  2. जान देना = देश के लिए मरना।
    वाक्य – शहीद भगत सिंह ने देश के लिए अपनी जान दे दी।
  3. सिर ऊँचा करना = यश एवं कीर्ति बढ़ाना।
    वाक्य – अपनी वीरता एवं साहस से भारतीय सैनिकों ने देश का सिर विश्व के सामने ऊँचा कर दिया है।
  4. कान खड़े होना = आश्चर्य से सुनने के लिए उत्सुक होना।
    वाक्य – नेता जी के मंच पर आते ही उनका भाषण सुनने के लिए सबके कान खड़े हो गए।
  5. नाम रोशन करना = सम्मान बढ़ाना।
    वाक्य – दसवीं की परीक्षा में प्रथम आकर सुरेश ने अपने माँ – बाप का नाम रोशन कर दिया।
  6. सिर उठाना = विरोध में उठना।
    वाक्य – डाकू शेरसिंह ने अपने साथियों को चेतावनी देते हुए कहा यदि किसी ने सिर उठाया तो उसे कुचल दूंगा।
  7. दबदबा होना = डर एवं दहशत जमाना।
    वाक्य – डाकू मंगल सिंह ने पूरे इलाके में अपने आतंक का दबदबा बना रखा था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

7. विपरीत शब्द लिखें :

  1. साधारण = _____________________
  2. विश्वास = _____________________
  3. मित्र = _____________________
  4. जीवन = _____________________
  5. विजय = _____________________
  6. प्रशंसा = _____________________
  7. अपराधी = _____________________

उत्तर :

  1. साधारण = विशिष्ट
  2. विश्वास = अविश्वास
  3. मित्र = शत्रु
  4. जीवन = मृत्यु
  5. विजय = पराजय
  6. प्रशंसा = निंदा
  7. अपराधी = निरपराधी।

8. पर्यायवाची शब्द लिखें :

  1. युद्ध = ___________, __________
  2. कपड़ा = ___________, __________
  3. कान = ___________, __________
  4. बगीचा = ___________, __________
  5. दिन = ___________, __________
  6. घर = ___________, __________
  7. माँ = ___________, __________
  8. चरण = ___________, __________

उत्तर :

  1. युद्ध = संग्राम, लड़ाई, समर
  2. कपड़ा = वस्त्र, पट, परिधान
  3. कान = कर्ण, श्रोत्र, श्रवण
  4. बगीचा = बाग, उपवन, वाटिका
  5. दिन = दिवस, वार, वासर
  6. घर = गृह, भवन, सदन
  7. माँ = माता, मैया, जननी
  8. चरण = पैर, पाँव, पाद

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

9. भाववाचक संज्ञा बनायें :

  1. वीर = _____________________
  2. मित्र  = _____________________
  3. ऊँचा  = _____________________
  4. लड़का = _____________________
  5. महान = _____________________
  6. अच्छा = _____________________

उत्तर :

  1. वीर = वीरता
  2. मित्र = मित्रता
  3. लड़का = लड़कपन
  4. ऊँचा = ऊँचाई
  5. महान् = महानता
  6. अच्छा = अच्छाई

10. शुद्ध करें:

  1. चढीगड़ = _____________________
  2. युध = _____________________
  3. सैलयूट = _____________________
  4. आप्रेरशन = _____________________
  5. प्रसंशा = _____________________
  6. मालुम = _____________________
  7. इमानदारी = _____________________
  8. प्रन = _____________________

उत्तर :

  1. चण्डीगड़ = चंडीगढ़
  2. युध = युद्ध
  3. सैलयूट = सैल्यूट
  4. आप्रेरशन = ऑपरेशन
  5. प्रसंशा = प्रशंसा
  6. मालुम = मालूम
  7. इमानदारी = ईमानदारी
  8. प्रन = प्रण

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

11. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखें :

  1. देश के लिए प्राण न्यौछावर करना = _____________________
  2. चार रास्तों का समूह = _____________________
  3. जो अपराध न करे = _____________________
  4. खून दान करना = _____________________
  5. संकोच करने वाला = _____________________
  6. मन की स्थिति = _____________________

उत्तर :

  1. देश के लिए प्राण न्यौछावर करना = शहीद होना
  2. चार रास्तों का समूह = चौराहा
  3. जो अपराध न करे = निरपराधी
  4. खून दान करना = रक्तदान
  5. संकोच करने वाला = संकोची
  6. मन की स्थिति = मनःस्थिति/मनोस्थिति

विजय दिवस Summary in Hindi

विजय दिवस कहानी का सार

‘विजय दिवस’ डॉ० मीनाक्षी द्वारा रचित एक श्रेष्ठ कहानी है। लेखिका ने इस में देश के लिए अपना बलिदान देने वाले देश भक्त शहीद कैप्टन वैभव शुक्ला की प्रशंसा की है। इस रचना के माध्यम से लेखिका ने शहीद के पुत्र हार्दिक के मन में इस बात को डालना चाहा है कि एक नागरिक के रूप में जहाँ हमारे अधिकार हैं वहाँ कुछ कर्त्तव्य भी हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस 5

हार्दिक जब दो वर्ष का था तब उसके पिता कैप्टन शुक्ला कारगिल युद्ध में देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे। तब से वह अपनी माँ के साथ पूना में नाना जी के पास ही रह रहा था। उसके दादा – दादी चंडीगढ़ में रहते थे, जो उससे मिलने साल में दो – तीन बार आ जाते थे। लेकिन हार्दिक कभी चंडीगढ़ नहीं गया था। नाना जी की मृत्यु के बाद हार्दिक के दादा – दादी ने हार्दिक और उसकी माँ को रहने के लिए बुला लिया था।

हार्दिक इस समय बारह वर्ष का था। उसे अपना स्कूल और मित्र छोड़ते हुए अच्छा नहीं लग रहा था। माँ ने पुत्र की मनोस्थिति समझते हुए उससे कहा था कि – “देखो हार्दिक, अब हम दोनों पूना में अकेले तो नहीं रह सकते थे…रही बात आपके स्कूल और मित्रों की….दादा जी ने चंडीगढ़ के बहुत अच्छे स्कूल में आपके दाखिले की बात कर ली है और अच्छे मित्र भी आपके बन ही जाएँगे।”

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

माँ ने सहसा हार्दिक को झकझोरते हुए कहा कि चलो बेटा, ट्रेन रुक गई, दादा जी उन्हें लेने आये होंगे। रेल से उतरते ही दादा जी को विभिन्न मैडलों से सजी वर्दी तथा उनके साथ कई पुलिस वालों को देखकर वह आश्चर्य चकित रह गया। उसे पता नहीं था कि उसके दादा जी का शहर में इतना रौब था।

सहसा वह दादा जी के चरण स्पर्श कर उन से लिपट गया। रास्ते में जब पुलिस वाले गाड़ी को देखकर सैल्यूट करते थे तो हार्दिक मारे खुशी के उछल पड़ता था। वह अपनी दादी से बड़े प्यार से मिला। उसे दादा जी का घर देखने की बड़ी उत्सुकता थी। वह जल्दी से सारा घर देख आया।

तब वह चुपके से अपनी माँ के कानों में आकर कहने लगा कि दादा जी का घर बहुत बड़ा था। माँ ने पुत्र को समझाते हुए कहा कि उसके दादा जी पुलिस विभाग में एस०एस०पी० थे। दो दिन के बाद दादा जी हार्दिक को लेकर एक स्कूल में दाखिला करवाने गए। हार्दिक दादा जी के साथ जाते हुए अपनी पुलिस – शान समझ रहा था। अब उसके मन में घमंड ने अपना स्थान कर लिया था।

उसकी इसी मनोवृत्ति के कारण कक्षा में उसका कोई मित्र नहीं बन सका। हार्दिक को स्कूल में आए हुए अभी दो ही महीने हुए थे, लेकिन सभी छात्र उससे परेशान थे। जो उसका रौब मानते थे वे उसकी शरारतों से बचे हुए थे और जो सिर उठाते थे उनका वह नुकसान कर देता था। एक दिन उसने रियाज़ की घड़ी तोड़ दी, उसी दिन पलाश की पुस्तक फाड़ दी। अनुराग के बैठने का बैंच खींच लिया तो वह बेचारा गिरते – गिरते बचा।

विजय दिवस गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. वह केवल दो वर्ष का था जब उसके पिता कैप्टन वैभव शुक्ला कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे तब से वह अपनी माँ के साथ पूना में नाना जी के पास ही रह रहा था। चंडीगढ़ से दादा – दादी साल भर में दो तीन बार उसे मिलने आ जाते थे किन्तु वह कभी भी चंडीगढ़ नहीं आया था। अब नाना जी की मृत्यु के बाद हार्दिक और उसके माता जी को दादा – दादी जी ने अपने पास रहने के लिए बुला लिया था लेकिन हार्दिक को पूना शहर, अपना स्कूल और मित्र छोड़ते हुए अच्छा नहीं लग रहा था।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘विजय दिवस’ से अवतरित है जिसकी लेखिका मीनाक्षी वर्मा है। लेखिका ने इस पाठ में देश की रक्षा करने वाले कैप्टन वैभव शुक्ला की वीरता की प्रशंसा की है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि कैप्टन शुक्ला का बेटा अभी दो साल का ही था जब कैप्टन देश की रक्षा करते हुए कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे। उस समय से वह अपनी माँ के साथ नाना जी के घर पूना में रह रहा था। उसके दादा – दादी चंडीगढ़ में रहते थे जो साल में दो या तीन बार उससे मिलने आ जाते थे। लेकिन हार्दिक कभी चंडीगढ़ नहीं गया था। अब उसके नाना के देहांत के बाद हार्दिक और उसकी माँ को उसके दादा – दादी ने अपने पास चंडीगढ़ में रहने के लिए बुला लिया था। हार्दिक बचपन से पूना में रह रहा था। इसलिए उसे अपना शहर तथा मित्रों को छोड़ते हुए बड़ा ही कष्ट हो रहा था। उसे जाना अच्छा नहीं लग रहा था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

विशेष –

  • लेखिका ने शहीद कैप्टन शुक्ला और उसके पूरे परिवार का परिचय दिया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

2. उसे स्कूल में आए दो महीने हो गए थे हालाँकि किसी अध्यापक को उसकी पढ़ाई से शिकायत नहीं थी लेकिन कक्षा के सभी छात्र उससे तंग थे। उन सब पर हार्दिक का दबदबा था कोई जल्दी – जल्दी उससे उलझता नहीं था जो बच्चे उसका रौब मानते वे तो हार्दिक की शरारतों से बचे हुए थे जो ज़रा भी उसके सामने सिर उठाते वह उनका नुकसान कर देता। एक दिन उसने रियाज़ की घड़ी तोड़ दी….तो उसी दिन पलाश की किताब फाड़ दी……।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में वर्णित पाठ ‘विजय दिवस’ से लिया गया है। इसकी लेखिका डॉ० मीनाक्षी वर्मा है। लेखिका ने यहाँ हार्दिक की कक्षा में अन्य बालकों पर ज़ोर जबरदस्ती तथा उन्हें तंग करने का दृश्य वर्णित किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि हार्दिक को पूना से चंडीगढ़ के स्कूल में आए भी दो ही महीने हुए थे लेकिन कक्षा के सभी छात्र उससे परेशान थे। किसी अध्यापक को उसकी पढ़ाई से कोई परेशानी नहीं थी। कक्षा में हार्दिक ने सभी पर अपना रौब जमा रखा था। कक्षा का कोई भी छात्र जल्दी से उससे आमना – सामना नहीं करता था। जो बच्चे हार्दिक का रौब मान लेते थे वे उसकी शरारतों से बचे रहते थे जो उसके सामने अकड़ने या फिर विरोध के लिए उठ खड़े होते थे वह उनकी कोई न कोई हानि कर देता था। इसी प्रकार एक दिन हार्दिक ने अपने कक्षा के रियाज नामक लड़के की घड़ी को तोड़ डाला तथा उसी दिन उसने पलाश की पुस्तक भी फाड़ दी।

विशेष –

  • लेखिका ने कक्षा में हार्दिक की बढ़ती शरारतों तथा दादा जी के नाम के आड़े अपना रौब बनाने की बात कही है।
  • भाषा भावानुकूल है।

3. हार्दिक एक ओर अपने पिता के बलिदान और दूसरी ओर दादा जी की ईमानदारी के बीच स्वयं को तोल रहा था। वह इन दो आदर्शों में स्वयं को कहीं भी नहीं पा रहा था और खुद को बौना अनुभव कर रहा था। उसका हृदय ग्लानि और पश्चाताप से भर गया।।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में वर्णित ‘विजय दिवस’ नामक पाठ से अवतरित है जिसकी लेखिका डॉ० मीनाक्षी वर्मा है। लेखिका ने यहाँ हार्दिक को ग्लानि तथा पश्चाताप से भरा हुआ दिखाया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि विजय दिवस समारोह में मंच संचालक की बातों को सुनकर हार्दिक अपने आप को अपने शहीद पिता के बलिदान तथा दादा जी के ईमानदारी के बीच स्वयं को रखकर देख रहा था क्या वह इन दोनों महान् व्यक्तियों के बीच कहीं ठहर सकता है। हार्दिक अपने आपको दोनों के आदर्शों के बीच कहीं भी नहीं पाया। वह स्वयं को दोनों के समक्ष एकदम छोटा महसूस कर रहा था। इसी कारण हार्दिक का हृदय और ग्लानि और पश्चाताप से भर गया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

विशेष –

  • लेखिका ने हार्दिक के हृदय में आए पश्चाताप को दर्शाया है।
  • भाषा विषयानुकूल है।

4. उसने वहीं बैठे – बैठे प्रण किया कि वह कल स्कूल जाकर कक्षा के सभी लड़कों से माफी माँगेगा और उन्हें अपना मित्र बनाएगा। अपनी पॉकेटमनी से कैंटीन वाले को कर्ज चुकाएगा। साथ ही पिता जी व दादा जी के आदर्शों पर चल कर जीवन में कुछ कर दिखलाएगा।

इसी दृढ़ निश्चय और विश्वास के साथ वह अगले दिन स्कूल जाने की प्रतीक्षा में था। आज सचमुच ही ‘विजय दिवस’ के अवसर पर हार्दिक ने अपने घमंड पर विजय प्राप्त कर ली थी।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में वर्णित ‘विजय दिवस’ नामक पाठ से अवतरित है जिसकी लेखिका डॉ० मीनाक्षी वर्मा है। लेखिका ने यहाँ हार्दिक के हृदय में आए परिवर्तन का उल्लेख किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि हार्दिक ने सभागार में बैठे – बैठे ही यह प्रतिज्ञा कर ली थी कि वह कल विद्यालय में जाकर कक्षा के सभी विद्यार्थियों से क्षमा माँग लेगा। वह उन सभी को अपना मित्र बनाने का प्रयास करेगा। उसने यह भी तय किया कि वह अपनी जेब खर्ची से कैंटीन वाले का भी कर्ज चुकाएगा जहाँ से उसने दादा जी के नाम की आड़ लेकर काफी कुछ मुफ्त में खाया था।

इसके साथ – साथ उसने यह भी प्रतिज्ञा ली कि वह अपने पुस्तकीय भाग शहीद पिता और ईमानदार दादा जी के पचिह्नों पर चलकर जीवन में कुछ बनकर दिखाएगा। इसी दृढ़ संकल्प और विश्वास के साथ हार्दिक अगले दिन विद्यालय जाने की प्रतीक्षा करने लगा। वास्तव में ‘विजय दिवस समारोह में हार्दिक ने सही अर्थों में अपने घमंड पर विजय पा ली थी।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

विशेष –

  • लेखिका ने हार्दिक के हृदय में आए परिवर्तन का उल्लेख किया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 7 आ री बरखा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 7 आ री बरखा (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB आ री बरखा Textbook Questions and Answers

आ री बरखा अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) वर्षा ऋतु से पूर्व कौन-सी ऋतु होती है ?
उत्तर :
वर्षा ऋतु से पहले ग्रीष्म ऋतु आती है।

(ख) गर्मी के कारण प्रकृति कैसी दिखाई देती है ?
उत्तर :
गर्मी के कारण प्रकृति अत्यंत दुःखी एवं पीड़ित दिखाई देती है। पेड़ दूंठ हो जाते हैं, मुरझा जाते हैं तथा धरती भयंकर ताप से तपने लगती है।

(ग) नदियों में सूखे पत्थर क्यों दिखाई देने लगे हैं ?
उत्तर :
भयंकर गर्मी पड़ने के कारण तथा वर्षा न होने के कारण नदियों का जल सूख जाता है और इसी कारण नदियों के तल में पड़े पत्थर सूखे हुए दिखाई देते हैं।

(घ) सागर की दुर्बलता का क्या कारण था?
उत्तर :
नदियों के जल का सागर में न मिल पाना ही सागर की दुर्बलता का कारण था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा

(ङ) बच्चे वर्षा की प्रतीक्षा क्यों करते हैं ?
उत्तर :
बच्चे वर्षा के जल में अपनी किश्तियां तैराने के लिए तथा उसमें स्नान करने के लिए वर्षा की प्रतीक्षा करते हैं।

(च) किसान वर्षा से क्या माँग रहे हैं ?
उत्तर :
किसान वर्षा से उम्मीद-भरी नज़रों से अपनी खाली पड़ी कोठरियों में अनाज के दाने भरने के लिए उससे बरसने की माँग कर रहे हैं।

4. इन पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें :

जहाँ कभी बहती थी नदियाँ
सूखे पत्थर दिख रहे,
सिंधु दुर्बल हो चला
वियोग तेरा कैसे सहे।
उत्तर :
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कविता ‘आ री बरखा’ नामक कविता में से ली गई हैं जिसके रचयिता डॉ० राकेश कुमार बब्बर हैं। कवि ने यहाँ वर्षा के अभाव में सागर और नदी का मिलन न हो पाने की बात कही

व्याख्या-कवि वर्षा के अभाव में तड़पती हुई पृथ्वी को देखकर कहता है कि जहाँ कभी नदियाँ बहती थीं वहाँ वर्षा के अभाव में वे नदियाँ सूख गई हैं और वहाँ अब मात्र सूखे पत्थर ही दिखाई दे रहे हैं। नदियों का सागर में न मिल पाने के कारण अब सागर उसके वियोग में कमजोर हो गया है। सागर को समझ नहीं आ रहा कि वह नदी का वियोग कैसे सहे।

5. पर्यायवाची शब्द लिखें :

  1. बरखा = ……………………………….
  2. धरा = ……………………………….
  3. पेड़ = ……………………………….
  4. जल = ……………………………….
  5. पंछी = ……………………………….
  6. पुष्प = ……………………………….
  7. बादल = ……………………………….
  8. नदी = ……………………………….
  9. सिंधु = ……………………………….
  10. पत्थर = ……………………………….
  11. किश्ती = ……………………………….

उत्तर :

  1. बरखा – वर्षा, बारिश, वृष्टि
  2. धरा – धरती, पृथ्वी, धरणी
  3. पेड़ – वृक्ष, तरू, पादप
  4. जल – पानी, नीर, वारी, आब
  5. पंछी – पक्षी, खग, नभचर
  6. पुष्प – फूल, सुमन, कुसुम
  7. बादल – मेघ, जलद, नीरद
  8. नदी – नद, सरिता, जलमाता
  9. सिंधु – सागर, समुद्र, रत्नाकर
  10. पत्थर – पाषाण, शिला, वज्र
  11. किश्ती – नौका, नाव, तरिणी

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा

6. विपरीत शब्द लिखें :

  1. शीतल = ……………………………….
  2. कुम्हलाना = ……………………………….
  3. बिखराना = ……………………………….
  4. दुर्बल = ……………………………….
  5. वियोग = ……………………………….
  6. मिलन = ……………………………….

उत्तर :

  1. शीतल – उष्ण
  2. कुम्हलाना – खिलना
  3. बिखराना – संभालना, बटोरना
  4. दुर्बल – ताकतवर
  5. वियोग – संयोग
  6. मिलन – बिछोह

7. नीचे दिये गए बॉक्स में बरखा’ के समानार्थक शब्द दिये गये हैं, उन्हें ढूंढ़िए और लिखिये।

  1. मेह
  2. ……………………..
  3. ……………………..
  4. ……………………..
  5. ……………………..
  6. ……………………..
  7. ……………………..
  8. ……………………..
  9. ……………………..
  10. ……………………..

उत्तर :

  1. मेंह
  2. बूंदाबांदी
  3. बारिश
  4. पावस
  5. बरखा
  6. वर्षा
  7. जल
  8. जल वृष्टि
  9. झड़ी
  10. मेह

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा

8. (क) वर्षा ऋतु का प्रकृति और मानव पर क्या प्रभाव पड़ता है।दस वाक्यों में लिखें।
उत्तर :
(क) वर्षा ऋतु का प्रकृति और मानव पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। जब वर्षा का आगमन होता है तो चारों ओर हरियाली छा जाती है। वर्षा आषाढ़ मास में शुरू हो जाती है। इस ऋतु में किसानों की उम्मीदें लहलहा उठती हैं। नई-नई सब्जियाँ एवं फल बाज़ार में आ जाते हैं। लहलहाते धान के खेत हृदय को आनन्द प्रदान करते हैं। नदियों, सरोवरों एवं नालों के सूखे हृदय प्रसन्नता के जल से भर जाते हैं। वर्षा ऋतु में प्रकृति मोहक रूप धारण कर लेती है। इस ऋतु में मोर नाचते हैं। औषधियाँ-वनस्पतियाँ लहलहा उठती हैं। खेती हरी-भरी हो जाती है। किसान खुशी से झूमने लग जाते हैं। पशु-पक्षी आनन्द मग्न हो उठते हैं। वर्षा प्रत्येक प्राणी के लिए जीवन लेकर आती है। वर्षा की पहली बूंदों का स्वागत होता है। स्त्री-पुरुष वर्षा के आगमन पर खुश हो जाते हैं। बच्चे किलकारियाँ मारते हुए इधर से उधर दौड़ते-भागते हैं।

(ख) वर्षा ऋतु पर कोई गीत लिखने का प्रयास करें।
उत्तर :

वर्षा रानी
छम छम करती वर्षा आती
संग अपने ये खुशियाँ लाती
खेत हरे-भरे हो जाते हैं
दुःख सबके मिट जाते हैं
खलिहानों में छाई खुशहाली
चारों ओर फैली हरियाली
रंग बिरंगे फूल खिले हैं
देख जिन्हें सब दौड़ पड़े हैं।
खुशबू है छाई सारे जग में
लोग हैं खुश अपने मन में
ऐसा यह वातावरण है छाया।
जिसे देख दिल ये हरषाया।
हर दिल में एक कली खिली है
बाहर बरखा की झड़ी लगी है।
छम-छम करती अनन्या मेरी
बूंदों में है लगाती फेरी
खेल अनेक वह जो करती
जिसे देख माँ भी है हँसती
किश्ती कभी है वह चलाती
तो कभी पों-पी गाड़ी चलाती
बूंदों को वह मोती समझे
नन्हें हाथों में पल-पल पकड़े
वर्षा का यूँ ही चले आना
उसे लगता है बड़ा सुहाना
जब-जब वर्षा आती है
खिल-सी वह जाती है
खेल खिलौने छोड़ वह अपने
वर्षा में है, भीग-सी जाती
छम-छम करती वर्षा आती
संग अपने ये खुशियाँ लाती। (विनोद पाण्डेय)

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा

(ग) कविता को पढ़कर वर्षा से संबंधित चित्र बनायें।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

(घ) आप कभी वर्षा में नहाये हैं ? यदि हाँ तो अपने अनुभव को पाँच वाक्यों में लिखें।
उत्तर :
गर्मी का मौसम था। सभी पशु-पक्षी तथा मानव गर्मी से बेहाल थे तभी अचानक वर्षा होने लगी। हमारी खुशी का ठिकाना न रहा। हम वर्षा के जल में नहाने सरपट दौड़े। दौड़ते हुए पैर फिसलने से मैं ज़मीन पर धड़ाम से गिरा। फिर झट से उठकर बारिश में खूब नहाया। हम सभी बच्चे हाथ पकड़ कर गोल-गोल घूमने लगे तथा कहने लगे ‘पानी दे गुड़गानी दे’। इस तरह हम लगभग एक घण्टे तक बारिश के पानी में नहाते रहे। घर वाले हमें बुलाते रहे लेकिन हमें तो नहाने में और किसी का ध्यान ही नहीं था।

9. (क) जानिये : छः ऋतुओं की सूची
क्रम – ऋतु – महीना
1. – बसंत ऋतु – (चैत्र -वैशाख)
2. – ग्रीष्म ऋतु – (ज्येष्ठ -आषाढ़)
3. – वर्षा ऋतु – (श्रावण-भाद्रपद)
4. – शरद ऋतु – (आश्विन -कार्तिक)
5. – हेमंत ऋतु – (मार्गशीर्ष -पौष)
6. – शिशिर ऋतु – (माघ -फाल्गुन)

(ख) वर्षा के सम्बन्ध में यह भी जानिये :
वर्षा काल – बहार, मानसून, सावन का महीना, सावन भादो
वर्षा हीनता – अकाल, अनावृष्टि, सूखा
अनवरत (लगातार) वर्षा झड़ी, मूसलाधार
तीव्र वर्षा – धुआँधार वर्षा, घनघोर वर्षा
प्रथम वर्षा दिन – आषाढ़ का प्रथम दिवस
ओला वर्षा – ओलावृष्टि
हिम वर्षा – हिम पात
क्षीण वर्षा – फुहार, रिमझिम, बूंदाबांदी

आ री बरखा Summary in Hindi

आ री बरखा! कविता का सार

‘आ री बरखा’ नामक कविता में कवि डॉ० राकेश कुमार बब्बर ने वर्षा का आह्वान करते हुए उसे धरती पर जल बरसाने के लिए कहा है। जो धरती सूर्य की भयंकर गर्मी से तप रही है, उसे वर्षा के जल से ठण्डक मिले। सूर्य की भयंकर गर्मी से सभी पेड़ों से पत्ते झड़ गए हैं और वे दूंठ बन गए हैं। पक्षी चहचहाना भूल गए हैं। गर्मी की अधिकता के कारण फूल मुरझा गए हैं। हे बरखा रानी, तुम काले बादलों को आकाश में बिखरा दो।

Maharashtra Board Class 5 Maths Solutions Chapter 5 Fractions Problem Set 21 1

कवि वर्षा से इस सौन्दर्य-विहीन प्रकृति का श्रृंगार बनने के लिए कहता है और बार-बार वर्षा के आने का आह्वान करता है। कवि कहता है कि जहाँ कभी नदियां बहती थीं वहाँ सूखे के कारण सूखे पत्थर दिखाई दे रहे हैं। बिना नदियों के सागर भी कमजोर पड़ गया है। उससे अब नदियों का वियोग सहा नहीं जाता। इसलिए बरखा रानी तू अपने प्रिय के जीवन के लिए मिलन के गीत गा और इस तपती हुई धरती पर अपना शीतल जल बरसा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा

छोटे-छोटे बच्चों की उम्मीदें तुमसे हैं। उनके द्वारा बनाई गई कागज़ की किश्तियाँ बारिश के जल में तैरने के लिए प्रतीक्षा में हैं। किसान भी उम्मीद-भरी दृष्टि से तुम्हें ही देख रहे हैं। हे वर्षा रानी! अब तू उनके खाली कोठरियों में अनाज भर दे। तू अब इस तपती धरती पर अपना शीतल जल बरसा, जिससे सबको जीवन प्रदान हो। तुम अपने जल से संसार को आनन्द प्रदान कर दो।

आ री बरखा काव्यांशों की सप्रसंग सरलार्थ

1. आ री बरखा !
आ री बरखा !
इस तपती धरा पर
अपना शीतल जल बरसा।
पेड़ सब दूँठ भए,
पंछी चहकना भूल गए।
कुम्लाह गए हैं पुष्प सारे,
बिखरा दो तुम बादल कारे।
सौंदर्य रहित इस प्रकृति का
श्रृंगार बन के तू आ,
आ री बरखा! आ री बरखा!
इस तपती धरा पर
अपना शीतल जल बरसा।

शब्दार्थ :

  • आ री = आ जा।
  • बरखा = वर्षा।
  • तपती = सूर्य की गर्मी से तपी हुई।
  • धरा = धरती।
  • शीतल = ठण्डी।
  • ट्रॅठ = बिना पत्तों के।
  • पंछी = पक्षी।
  • चहकना = चहचहाना।
  • कुम्लाह गए = मुरझा गए।
  • पुष्प = फूल।
  • कांटे = काले।।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कविता ‘आ री बरखा’ से लिया गया है, जिसके कवि डॉ० राकेश कुमार बब्बर हैं। कवि ने यहाँ वर्षा के अभाव में तपती धरती तथा सौन्दर्य-रहित प्रकृति का वर्णन करते हुए वर्षा का आह्वान किया है।

सरलार्थ-कवि वर्षा का आह्वान करते हुए कहता है कि हे वर्षा ! तू आ जा। हे वर्षा ! तू आ जा। सूर्य की भयंकर गर्मी से तपती हुई इस धरती पर तू अपना ठंडा पानी बरसा दे। बिना वर्षा के सभी पेड़ पत्तों एवं फलों के बिना लूंठ हो गए हैं। पक्षी जो कभी मधुर आवाज़ में चहचहाते थे वे भी अपना चहचहाना भूल गए हैं। बिन वर्षा के सभी फूल मुरझा गए हैं।

इसलिए हे वर्षा रानी! तुम काले बादलों को आकाशों में बिखरा दो जिनसे वर्षा हो सके। तुम्हारे बिना इस प्रकृति का श्रृंगार अधूरा है अतः तुम प्रकृति का श्रृंगार बनकर आ जाओ और भयंकर गर्मी से तपती हुई इस धरती पर अपना ठंडा जल बरसा दो। हे वर्षा ! तुम आ जाओ।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा

विशेष-

  • कवि ने वर्षा के अभाव में सौन्दर्य-रहित प्रकृति का वर्णन किया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

2. जहाँ कभी बहती थी नदियाँ
सूखे पत्थर दिख रहे
सिंधु दुर्बल हो चला
वियोग तेरा कैसे सहे।
अपने प्रिय के जीवन-हेत
गीत मिलन के तू गा,
आ री बरखा !
आ री बरखा !
इस तपती धरा पर
अपना शीतल जल बरसा।

शब्दार्थ :

  • सिंधु = सागर।
  • दुर्बल = कमज़ोर।
  • वियोग = बिछोह,
  • तपती = भयंकर गर्मी से तपी हुई।
  • शीतल = ठंडा।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कविता ‘आ री बरखा’ से ली गई हैं जिसके कवि डॉ. राकेश कुमार बब्बर हैं। कवि ने यहाँ वर्षा के अभाव में सारी प्रकृति को दुःखी एवं पीड़ित दिखाते हुए उस के आगमन का आह्वान किया है।

सरलार्थ- कवि वर्षा के अभाव में पीड़ित प्रकृति की दशा का चित्रण करते हुए कहता है कि जिन स्थानों पर कभी नदियाँ बहती थीं वहाँ अब मात्र सूखे पत्थर ही दिखाई दे रहे हैं। अब तो नदियों का समुद्र में मिलन न हो पाने से वह भी कमज़ोर पड़ गया है। उससे अब नदियों का वियोग सहा नहीं जाता।

इसलिए हे वर्षा रानी! तू अपने प्रिय समुद्र से मिलने के लिए मिलन के गीत गा और जल की बूंदों के रूप में बरस कर इस तपती हुई धरती को शीतल कर दो जिससे चारों ओर भयंकर गर्मी के स्थान पर शीतलता छा जाए।

विशेष –

  • कवि ने नदियों का जल सूख जाने के कारण उसके वियोग में समुद्र को दुर्बल बताया है।
  • भाषा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा

3. कश्तियाँ सब बच्चों की
तैरने को हैं खड़ी हुईं
उधर किसानों की भी आँखें
बस तुझ पर ही हैं गड़ी हुईं
खाली पड़ी कोठरियों में
अन्न के दाने तू भर जा,
आ री बरखा !
आ री बरखा !
इस तपती धरा पर
अपना शीतल जल बरसा।

शब्दार्थ :

  • कश्तियाँ = नौकाएँ।
  • गड़ी हुई = टिकी हुई।
  • कोठरियों में = गोदामों में।
  • अन्न = अनाज।
  • बरखा = वर्षा।
  • शीतल = ठंडा।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कविता ‘आ री बरखा’ से लिया गया है, जिसके कवि डॉ० राकेश कुमार बब्बर हैं। कवि ने यहाँ वर्षा के अभाव में सम्पूर्ण पृथ्वीवासियों को परेशान दिखाया है।

सरलार्थ-कवि वर्षा को सम्बोधित करते हुए कहता है कि बालकों द्वारा बनाई गईं छोटी-छोटी किश्तियाँ तुम्हारे आने की प्रतीक्षा में तैरने के लिए खड़ी हुई हैं। दूसरी ओर किसान भी तेरी तरफ उम्मीद-भरी आँखों से देख रहे हैं। उनके घर के कमरे अनाज के दानों के बिना खाली हैं। इसलिए हे वर्षा रानी! तू आ जा और किसानों के इन खाली कमरों में अनाज भर जा।

हे वर्षा रानी! जब तुम आओगी तो किसानों की फसलें फिर से लहलहा उठेंगी, उनके खाली गोदाम और कमरे पुन: अनाज से भर जाएँगे। इसलिए हे वर्षा रानी! तुम अपना शीतल जल इस तपती हुई धरती पर बरसा कर इसे ठण्डक दो। इसकी गर्मी को शान्त कर इसे नवजीवन दो।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा

विशेष-

  • कवि ने वर्षा से धरती पर बरसने की प्रार्थना की है।
  • भाषा सरल और सरस है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB राष्ट्र के गौरव प्रतीक Textbook Questions and Answers

राष्ट्र के गौरव प्रतीक अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिन्दी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) राष्ट्रीय प्रतीक किसे कहते हैं?
उत्तर :
प्रत्येक राष्ट्र अपने आत्म सम्मान, एकता, गौरव एवं स्वाभिमान के लिए जो प्रतीक निश्चित करता है उसे राष्ट्रीय प्रतीक कहते हैं।

(ख) हमारे देश के झंडे को क्या कहते हैं?
उत्तर :
हमारा देश भारत है और इसके झंडे को तिरंगा कहते हैं।

(ग) राष्ट्रीय गान के रचयिता का नाम लिखें।
उत्तर :
राष्ट्रीय गान के रचयिता रवीन्द्रनाथ टैगोर हैं।

(घ) राष्ट्रीय गीत कौन-सा है?
उत्तर :
हमारा राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् है।

(ङ) राष्ट्रीय चिह्न कौन-सा है?
उत्तर :
हमारा राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तम्भ है, जिसके शीर्ष पर चार सिंह बने हैं जो कि शक्ति, साहस एवं आत्मविश्वास के सूचक हैं।

(च) राष्ट्रीय फल आम किस लिए मशहूर है?
उत्तर :
राष्ट्रीय फल आम अपने स्वाद एवं आत्मविश्वास के सूचक हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

(छ) गंगा नदी की क्या विशेषता है?
उत्तर :
गंगा नदी भारत की एक पवित्र नदी है। हिंदुओं की आस्था इससे जुड़ी हुई है। इस नदी में स्नान करना हिंदू अपने लिए बहुत बड़ा पुण्य समझते हैं।

(ज) भारत सरकार ने किस पशु और पक्षी के शिकार पर रोक लगायी हुई है? और क्यों?
उत्तर :
भारत सरकार ने राष्ट्रीय पशु बाघ और राष्ट्रीय पक्षी मोर के शिकार पर रोक लगाई हुई है क्योंकि इनकी संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। इसे न रोका गया तो कहीं ये जातियाँ लुप्त न हो जाएँ।

(झ) हॉकी को राष्ट्रीय खेल के रूप में क्यों स्वीकार किया गया है?
उत्तर :
हॉकी के खेल में खिलाड़ियों ने सन् 1928 से लेकर सन् 1956 तक भारत को छः ओलम्पिक स्वर्ण पदक दिलवाए। इस बीच उन्होंने इस बीच उन्होंने चौबीस मैच खेले और सभी के सभी जीते, इसलिए हॉकी को हमारा राष्ट्रीय खेल निश्चय किया गया।

(ञ) बरगद का वृक्ष हमें क्या संदेश देता है?
उत्तर :
बरगद का पेड़ हमें अपनी संस्कृति एवं विरासत से जुड़े रहने का संदेश देता है।

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें:

(क) राष्ट्रीय झंडे के बारे में आप क्या जानते हो?
उत्तर :
हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में सबसे ऊपर भगवा रंग, फिर सफेद रंग तथा सबसे नीचे हरे रंग की पटियाँ हैं। सफेद पट्टी के बीच में सम्राट अशोक के सारनाथ स्तंभ पर अंकित चक्र को स्थान दिया गया है। भगवा रंग त्याग और साहस का, सफेद रंग शांति और सत्य का तथा हरा रंग हरी-भरी फ़सलों और खुशहाली का प्रतीक है। सफेद पट्टी के बीच में अंकित चक्र हमारी गतिशीलता तथा प्रगति के पथ पर निरंतर बढ़ने के संकल्प का प्रतीक है। ध्वज की लंबाई और चौड़ाई में 3 और 2 का अनुपात होता है। स्वाधीनता के बाद झण्डे में चरखे के बाद चक्र लिया गया।

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(ख) राष्ट्रीय चिह्न का प्रयोग कहाँ-कहाँ पर होता है? पता करके लिखें।
उत्तर :
भारत का राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तम्भ है। यह भारत सरकार के अधिकारिक लेटरहेड का भाग है। यह राष्ट्रपति और राज्यपालों की सरकारी मोहर है। यह सभी भारतीय मुद्राओं पर अंकित होता है। यह भारत गणराज्य के राजनयिक, पासपोर्ट, पहचान पत्र आदि पर भी छपा होता है। देश की रक्षा करने वाले वीर जवान और पुलिस वाले इसे अपनी टोपी पर लगाते हैं। यह राष्ट्रीय चिह्न स्वतंत्र भारत की पहचान तथा सम्प्रभुता का प्रतीक है।

5. नये शब्द बनायें:

  1. राष्ट्र + ईय = …………………….
  2. भारत + ईय = …………………….
  3. मानव + ईय = …………………….
  4. सम्पादक + ईय = …………………….
  5. सराहना + ईय = …………………….
  6. देश + ईय = …………………….

उत्तर :

  1. राष्ट्रीय
  2. भारतीय
  3. मानवीय
  4. सम्पादकीय
  5. सराहनीय
  6. देशीय।

6. पाठ में आये सभी चिन/प्रतीकों के चित्र इकट्ठे करें और उन्हें अपनी कॉपी पर चिपका कर प्रत्येक चिह्न पर पाँच-पाँच वाक्य लिखें।
उत्तर :
पाठ में आए सभी चिह्नों का परिचय निम्न प्रकार से है –

राष्ट्र ध्वज-

  • भारत के राष्ट्र ध्वज में तीन रंग हैं, इस लिए इसे तिरंगा कहा जाता है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 5
  • इसे सभी पर्यों और विशेष अवसरों पर फहराया जाता है।
  • राष्ट्र ध्वज की लंबाई चौड़ाई 3 अनुपात 2 है।
  • सफेद पट्टी में बना नीला चक्र अशोक स्तम्भ से लिया गया है।
  • राष्ट्र ध्वज के तीनों रंग ध्वज में समान अनुपात में हैं।

राष्ट्रगान-

  1. राष्ट्रगान के रचयिता रवीन्द्रनाथ टैगोर हैं।
  2. राष्ट्रगान की रचना 27 दिसम्बर, सन् 1911 में हुई थी।
  3. राष्ट्रगान को 24 जनवरी, सन् 1950 में स्वीकार कर लिया गया।
  4. राष्ट्रगान को गाते समय सावधान की दशा में खड़ा होना होता है।
  5. राष्ट्रगान गाने का अधिकतम समय 52 सैकण्ड है।

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राष्ट्रगान :

जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत-भाग्य विधाता।
पंजाब-सिंध-गुजरात-मराठा
द्राविड़ उत्कल बंग,
विंध्य-हिमाचल-यमुना-गंगा
उच्छल-जलधि-तरंग।
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मांगे,
गाहे तव जय गाथा।
जन-गण-मंगलदायक जय हे,
भारत-भाग्य विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे॥ – रवीन्द्रनाथ टैगोर

राष्ट्रगीत-

  • ‘वन्दे मातरम्’ हामारा राष्ट्रीय गीत है।
  • सन् 1886 में इसे पहली बार गाया गया था।
  • इसके रचनाकार बंकिमचन्द्र चटर्जी हैं।
  • ‘वंदे मातरम्’ गीत की रचना सन् 1875 में हुई थी।
  • इस गीत की पहली सात पंक्तियों को ही राष्ट्रीय के रूप में स्वीकार किया गया है।

राष्ट्रगीत :

वन्दे मातरम् !
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज-शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम् !
शुभ्रज्योत्सना, पुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्
सुखदाम्, वरदाम्, मातरम् ! – बंकिमचन्द्र चटर्जी

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राष्ट्रीय चिह्न-

  • आशोक स्तम्भ हमारा राष्ट्रीय चिह्न है।
  • यह सम्राट अशोक द्वारा बनवाए गए 70 फुट ऊँचे सिंह स्तम्भ के ऊपरी भाग का नमूना है।
  • सामने से इसके तीन सिंह दिखाई देते हैं चौथा सिंह पीछे ओर में छिपा है।
  • इसके नीचे ‘सत्यमेव जयते’ लिखा है।
  • यह भारत सरकार के आधिकारिक लेटरहेड का भाग है।
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राष्ट्रीय मुद्रा-

  • ‘१’ हमारी राष्ट्रीय मुद्रा है।
  • इसे 15 जुलाई, सन् 2010 को आधिकारिक रूप में मान्य किया गया।
  • इसे तैयार करने का श्रेय आई०आई०टी० गुवाहटी के प्रोफैसर डी० उदय कुमार को जाता है।
  • इसमें देवनागरी लिपि के र और रोमन लिपि के आर दोनों की छवि मिलती है।
  • इसमें R बिना डंडे के है।
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राष्ट्रपिता-

  • हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी हैं।
  • इनका जन्म 2 अक्तूबर, सन् 1869 को गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था।
  • इन्हें बापू कहकर भी पुकारा जाता है।
  • इनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है।
  • इन्होंने सत्याग्रह, भारत छोड़ो आदि आंदोलन चलाकर अंग्रेजी शासन की नींव उखाड़ दी।
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राष्ट्रीय खेल-

  • हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है।
  • इसने सन् 1928 से लेकर सन् 1956 तक भारत को छहः ओलम्पिक स्वर्ण पदक दिलवाए।
  • ध्यानचंद राष्ट्रीय खेल हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी थे।
  • छ: ओलम्पिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद उन्होंने चौबिस मैच खेले और सभी के सभी जीते। इसलिए इसे हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी निश्चित किया गया।
  • हॉकी के खेल में ग्यारह खिलाड़ी होते हैं।
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राष्ट्रीय पक्षी-

  • मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है।
  • 31 जनवरी, सन् 1963 को मोर की राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया था।
  • मोर साँप तथा कीड़े-मकोड़ों को खा जाता है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 10
  • मोर का शिकार करना दंडनीय अपराध है।
  • यह अपनी सुंदरता के लिए विदेशों में भी चर्चित है।

राष्ट्रीय पशु-

  • बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है।
  • बाघ का शिकार करना दंडनीय अपराध है।
  • यह वीरता, दृढ़ता एवं साहस का प्रतीक है।
  • इसकी दहाड़ बड़ी डरावनी है।
  • अपनी चुस्ती एवं फुर्ती के लिए यह जग प्रसिद्ध है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 11
    राष्ट्रीय पशु बाघ (पैन्थर)

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राष्ट्रीय वृक्ष-

  • भारत का राष्ट्रीय वृक्ष बरगद है।
  • यह वृक्ष हमें अपनी संस्कृति एवं विरासत से जुड़े रहने का संदेश देता है।
  • यह हमें एक होकर रहने का संदेश देता है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 12
  • इसकी टहनियाँ लिपटकर तने को मजबूती देती हैं।
  • यह हमें सभी को साथ लेकर चलने को कहता है।

राष्ट्रीय कैलेंडर-

  • शक संवत् भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर है।
  • इसे 22 मार्च, सन् 1957 को अपनाया गया था।
  • शक सम्वत् कैलेंडर में 365 दिन एक वर्ष में तथा 12 देसी महीने चैत्र से फाल्गुन तक होते हैं।
  • इस कैलेंडर का ग्रेगोरियन कैलेंडर से सटीक मिलान किया होता है।
  • इससे पहले भारत में ईसा सम्वत् कैलेंडर का उपयोग होता था।

राष्ट्रीय पुष्प-

  • भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल है।
  • इस के पत्ते चौड़े तथा पंखुड़ियाँ चमकदार होती हैं।
  • इसका जन्म पानी में होता है।
  • अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है जो कीचड़ में खिलता है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 13
  • यह सफेद, गुलाबी तथा नीले रंग का होता है।

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राष्ट्रीय नदी-

  • गंगा हमारी राष्ट्रीय नदी है।
  • हिन्दू इसमें स्नान करना अपना सौभाग्य समझते हैं।
  • वे इसे पापों का नाश करने वाली पवित्र-पावन नदी मानते हैं।
  • भारत के लोग गंगा नदी को माँ कहकर पुकारते हैं।
  • यह अपनी निर्मलता एवं पवित्रता के लिए प्रसिद्ध है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 14

राष्ट्रीय फल-

  • आम भारत का राष्ट्रीय फल है।
  • इसके अनेक रूप भारत में पाए जाते हैं।
  • यह अपनी मिठास एवं स्वाद के लिए जग ज़ाहिर है।
  • आम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।
  • दशहरी आम खाने में सबसे अच्छा माना जाता है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 15

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7. राष्ट्रीय-गान, राष्ट्रीय-गीत, जुबानी याद करें।
उत्तर :
राष्ट्रीय गान

जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत-भाग्य विधाता
पंजाब-सिंध-गुजरात-मराठा
द्राविड़ उत्कल बंग
विन्धय-हिमाचल-यमुना गंगा
उच्छल जलधि-तरंग
तव शुभ नामे जागे
तव शुभ आशिष माँगे
गाहे तव जय गाथा
जन-गण-मंगलदायक जय हे
भारत-भाग्य विधाता
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे।

राष्ट्रीय गीत

वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
शस्य श्यामलां मातरम्
शुभ्र ज्योत्स्न पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्
सुहासिनी सुमधुर भाषिनीम
सुखदां वरदां मातरम्
वन्दे मातरम्

ऊपर लिखित राष्ट्रीय गान एवं राष्ट्रीय गीत को विद्यार्थी स्वयं जुबानी याद करें।

8. राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय गीत को सुलेख के रूप में चार्ट पर लिखकर कक्षा की दीवार पर लटकायें।
उत्तर :
पहले लिखे हुए प्रश्न की सहायता से विद्यार्थी स्वयं करें।

राष्ट्र के गौरव प्रतीक Summary in Hindi

राष्ट्र के गौरव प्रतीक पाठ का सार

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 16

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

प्रस्तुत पाठ ‘राष्ट्र के गौरव प्रतीक’ सुधा जैन ‘सुदीप’ द्वारा लिखा एक श्रेष्ठ निबंध है। इसमें उन्होंने हमारे राष्ट्र ध्वज, राष्ट्रीय गान, राष्ट्रीय गीत, राष्ट्र चिह्न, राष्ट्रीय मुद्रा, राष्ट्र पिता, राष्ट्र पशु, राष्ट्र पक्षी, राष्ट्र पुष्प, राष्ट्र फल, राष्ट्रीय नदी, राष्ट्रीय खेल, राष्ट्रीय वृक्ष आदि पर प्रकाश डाला है। इसमें उन्होंने इनके विकास के विभिन्न चरणों पर रोचक ढंग से रोशनी डाली है।

अध्यापक ने कक्षा में सभी छात्रों को बताया कि आज वह उन सभी को विद्यालय के प्रांगण में लगी राष्ट्र-गौरव की प्रदर्शनी दिखाएंगे और उस के बारे में बताएंगे। उन्होंने बताया कि प्रत्येक स्वतन्त्र देश अपनी अलग पहचान स्थापित करने के लिए अपने कुछ प्रतीक निश्चित करता है। ये प्रतीक उसकी सभ्यता, संस्कृति, आदर्शों तथा गौरवमयी परम्पराओं को प्रकट करते हैं। इन्हें ही राष्ट्र प्रतीक कहा जाता है।

राष्ट्रीय झण्डा किसी भी देश की स्वतन्त्रता, एकता, प्रभुसत्ता और उसके अस्तित्व का प्रतीक होता है। इससे राष्ट्र का गौरव झलकता है। इसके सम्मान में ही प्रत्येक नागरिक का सम्मान छिपा है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग की पट्टियां हैं इसलिए इसे तिरंगा भी कहते हैं। इसे सभी राष्ट्रीय पर्यों और विशेष अवसरों पर सरकारी कार्यालयों के मुख्य भवनों, स्कूल, महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालयों पर इसे लहराया ही जाता है लेकिन 23 जनवरी, सन् 2004 से संविधान ने भारत के सभी नागरिकों को उनके घर, पार्क आदि में इसे फहराने का अधिकार दे दिया है।

प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त को स्वतन्त्रता दिवस के शुभ अवसर पर भारत के प्रधानमन्त्री इसे लालकिले पर तथा 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस पर राष्ट्रपति इसे राज पथ पर फहराते हैं। ‘जन-गण-मन’ हमारा राष्ट्रीय गान है जिसे प्रसिद्ध कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था। इन्होंने 27 दिसम्बर, सन् 1911 में इसकी रचना की थी और 24 जनवरी, सन् 1950 को इसे राष्ट्र गान के रूप में स्वीकार किया गया। इसे गाने का अधिकतम समय 52 सैकण्ड निर्धारित किया गया है। ‘वन्दे मातरम्’ हमारा राष्ट्रीय गीत है। इसकी रचना सन् 1874 में प्रसिद्ध उपन्यासकार श्री बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने की थी।

यह गीत बांग्ला-संस्कृत भाषा को मिलाकर 26 पंक्तियों में लिखा गया है। किन्तु इसकी पहली सात पंक्तियाँ ही राष्ट्रीय गीत के रूप में स्वीकार की गई हैं। हमारा राष्ट्रीय चिह्न अशोक-स्तम्भ है। यह स्तम्भ सारनाथ (वाराणसी) में सम्राट अशोक के द्वारा बनवाए गए 70 फुट ऊंचे स्तम्भ के ऊपरी भाग का एक नमूना है। इसके शीर्ष पर चार सिंह बने हैं जो शक्ति, साहस एवं आत्मविश्वास के सूचक हैं। स्तम्भ के नीचे अशोक का धर्म चक्र है जो हमारे तिरंगे में भी है।

इसके नीचे ‘सत्यमेव जयते’ लिखा है जिसका अर्थ है- सत्य की सदैव जीत होती है। राष्ट्रीय चिह्न राष्ट्रपति और राज्यपालों की सरकारी मोहर है। यह पासपोर्ट पर भी छपा रहता है।” हमारी राष्ट्रीय मुद्रा है। इसे 15 जुलाई, सन् 2010 को आधिकारिक रूप में मान्य किया गया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

इसे तैयार करने का श्रेय आई०आई०टी० गुवाहाटी के प्रोफेसर डी० उदय कुमार को जाता है। इसमें देवनागरी लिपि के ‘र’ और रोमन लिपि के ‘आर’ दोनों की छवि मिलती है। महात्मा गांधी की तस्वीर की ओर संकेत करते हुए अध्यापक ने बच्चों को बताया है कि ये हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हैं। इन्हें लोग प्यार से बापू भी कहते हैं। इन्होंने अंग्रेजी शासन की नींव उखाड़ कर भारत को आजादी दिलाई और नए भारत का निर्माण किया।

इनका जन्म 2 अक्तूबर, सन् 1869 को गुजरात के पोरबन्दर शहर में हुआ था। इनके जन्म दिवस 2 अक्तूबर को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। हमारा राष्ट्रीय फल आम है। गंगा हमारी राष्ट्रीय नदी है तथा कमल हमारा राष्ट्रीय फूल है। ये सभी क्रमशः अपने स्वाद, मिठास, निर्मलता, पवित्रता एवं सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध हैं। मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है जो अपनी सुन्दरता के लिए न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी चर्चित है।

बाघ की ओर इशारा करते हुए अध्यापक बताता है कि बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है। यह साहस एवं दृढ़ता का प्रतीक है। भारत सरकार ने मोर और दोनों को मारने और पकड़ने पर प्रतिबन्ध लगाया हुआ है। हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है। हॉकी में भारत को सन् 1928 से लेकर 1956 तक छ: ओलम्पिक स्वर्ण पदक मिले हैं। शक सम्वत् हमारा राष्ट्रीय कैलण्डर है। जिसे 22 मार्च, सन् 1957 को अपनाया गया था।

इससे पहले भारत में ईसा सम्वत् कैलेंडर का उपयोग होता था। बरगद हमारा राष्ट्रीय वृक्ष है। यह वृक्ष हमें अपनी संस्कृति एवं विरासत से जुड़े रहने का सन्देश देता है। हम सभी भारतीय नागरिकों का यह परम कर्तव्य बनता है कि हम अपने राष्ट्रीय प्रतीकों की रक्षा एवं सम्मान के लिए सदैव तत्पर रहें।

राष्ट्र के गौरव प्रतीक कठिन शब्दों के अर्थ

  • प्रांगण = आंगन।
  • स्वतन्त्रता = आज़ादी।
  • रचयिता = रचनाकार।
  • पग = पाँव।
  • ध्वज = झण्डा।
  • शीर्ष = चोटी।
  • सिंह = शेर।
  • सार्वजनिक = जहाँ सभी जा सकें।
  • ओर = तरफ।
  • संरक्षक = रक्षा करने वाला।
  • सरपट = तेज़।
  • सत्यमेव जयते = सत्य की हमेशा जीत होती है।
  • अंकित = छपा हुआ।
  • संप्रभुता = प्रभुसत्ता सम्पन्न।
  • डिजाइन = रूपरेखा।
  • छवि = रूप।
  • बहिष्कार = त्यागना, छोड़ना।
  • स्वाधीनता = आजादी।
  • मशहूर = प्रसिद्ध।
  • उत्सुक = बेचैन।
  • धीरज = धैर्य।
  • चर्चित = विख्यात।
  • बाघ = चीता।
  • प्रतिबन्ध = रोक।
  • बरगद = वृक्ष का नाम।
  • विरासत = पूर्वजों से मिला हुआ।
  • चैत = हिन्दी महीना शक संवत् का।
  • अनुसरण = पीछे चलना या कहे पर चलना।
  • तत्पर = तैयार। अनोखा = अद्भुत।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

राष्ट्र के गौरव प्रतीक गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. चौथा सिंह ओट में हैं। इनके ठीक नीचे सम्राट अशोक का वही धर्म चक्र है जो तिरंगे में भी है। चक्र के साथ चारों दिशाओं के संरक्षक के रूप में : पूर्व दिशा में हाथी, पश्चिम दिशा में बैल, उत्तर दिशा में सिंह और दक्षिण देश में सरपट दौड़ता घोड़ा चिह्नित है। इन्हीं के बीच एक कमल का फूल बना है। इसके नीचे ‘सत्यमेव जयते’ आदर्श वाक्य लिखा है। जिसका अर्थ है- सत्य की हमेशा जीत होती है।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित निबन्ध ‘राष्ट्र के गौरव प्रतीक’ से लिया गया है, जिसकी लेखिका सुधा जैन ‘सुदीप’ हैं। लेखिका ने अपने इस निबन्ध में राष्ट्र के प्रतीकों के बारे में हमें अवगत कराया है। यहाँ लेखिका ने अशोक स्तम्भ का उल्लेख किया है।

व्याख्या-लेखिका भारत के राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तम्भ का उल्लेख करते हुए कहती है कि इसे सारनाथ के स्तम्भ से लिया गया था। इसमें चार शेर हैं। तीन शेर हमें दिखाई देते हैं और चौथा शेर ओट में छिपा होने के कारण हमें दिखाई नहीं देता। इन शेरों के नीचे धर्मचक्र है जो हमारे तिरंगे में भी है। चक्र के साथ-साथ चारों दिशाओं की रक्षा हेतु चार पशु बने हैं। पूर्व दिशा में हाथी, पश्चिम दिशा में बैल, उत्तर दिशा में सिंह तथा दक्षिण दिशा में तेज़ दौड़ने वाला घोड़ा है जो प्रतीक रूप में बने हैं। इन्हीं संरक्षक पशुओं के बीच एक कमल का फूल बना है जिसके नीचे लिखा है ‘सत्यमेव जयते’ इसका अर्थ है सत्य की हमेशा जीत होती है।

विशेष-

  • लेखिका ने राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तम्भ का परिचय कराया है।
  • भाषा प्रवाहमयी है।

2. यह हमारा राष्ट्रीय कैलेण्डर : शक सम्वत् है। जिसे 22 मार्च 1957 को अपनाया गया था। इससे पहले भारत में ईसा सम्वत् कैलेण्डर का उपयोग होता था। शक सम्वत् कैलेण्डर में एक वर्ष में 365 दिन और 12 देसी महीने चैत्र से फाल्गुन तक होते हैं। चैत्र की प्रथम तिथि यानि देसी वर्ष का आरम्भ सामान्य वर्ष में 22 मार्च और लीप वर्ष में 21 मार्च को होता है। इस कैलेण्डर का ग्रेगोरियन कैलेण्डर से सटीक मिलान किया होता है।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित लेख ‘राष्ट्र के गौरव प्रतीक’ से लिया गया है, जिसकी रचयिता सुधा जैन ‘सुदीप’ हैं। लेखिका ने इस पाठ में राष्ट्र के प्रतीकों के बारे में बताया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

व्याख्या-लेखिका कहती है कि अध्यापक बच्चों को समझाते हुए कहते हैं कि हमारा राष्ट्रीय कैलेण्डर शक सम्वत है। इस शक सम्वत कैलेण्डर को भारत ने 22 मार्च सन 1957 को राष्ट्रीय कैलेण्डर के रूप में अपना लिया था। इससे पहले भारत में ईसा सम्वत् कैलेण्डर का प्रयोग किया जाता था। भारत द्वारा अपनाए गए शक संवत् कैलेण्डर में एक साल में 365 दिन तथा बारह देसी महीने होते हैं जिसका प्रारम्भ मास चैत्र तथा अंतिम मास फाल्गुन होता है। चैत्र मास की पहली दिनांक से देसी वर्ष का प्रारम्भ माना जाता है जो आम वर्ष में 22 मार्च को तथा लीप वर्ष में 21 मार्च को शुरू होता है। इस कैलेण्डर का सटीक मिलान ग्रेगोरियन कैलेण्डर से होता है।

विशेष-

  • शक संवत् को राष्ट्रीय कैलेण्डर बताया है।
  • भाषा शैली सरल तथा सहज है।।

3. महात्मा गांधी ने भारत को जगाया। अपना काम स्वयं करने, विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने की राह दिखाई। सत्याग्रह और असहयोग जैसे आन्दोलन चलाकर अंग्रेज़ी शासन की नींव उखाड़ दी। भारत माता को आजादी दिलाई तथा नये राष्ट्र का निर्माण किया। इसलिए हम उन्हें राष्ट्रपिता और बापू कहते हैं। साथ ही तुम्हें बता दूं कि बापू के जन्मदिन (2 अक्तूबर) को गांधी जयंति यानि राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित लेख ‘राष्ट्र के गौरव प्रतीक’ से अवतरित है जिसकी लेखिका सुधा जैन ‘सुदीप’ हैं। लेखिका ने अपने इस लेख में राष्ट्र के प्रतीकों का बड़ा सुन्दर वर्णन किया है।

व्याख्या-लेखिका कहती है कि अध्यापक बच्चों को बताते हैं कि महात्मा गांधी ने भारत को देश की स्वतन्त्रता के लिए गुलामी की गहरी नींद से जगाया था। उन्होंने देशवासियों को अपना काम अपने आप करने तथा विदेशी वस्तुओं को पूर्णत: त्यागने की राह दिखाई थी। इन्होंने देश की आजादी के लिए सत्याग्रह तथा असहयोग आन्दोलन चलाए थे, जिनसे अंग्रेजी शासन की नींव उखड़ गई।

गांधी जी ने अपने भरसक प्रयत्नों से भारत को आजादी दिलाई और एक नए भारत का निर्माण किया। गांधी जी के इन्हीं कामों के कारण उन्हें राष्ट्र-पिता और बापू भी कहते हैं। अध्यापक बच्चों को कहते हुए कहता है कि गांधी जी के जन्मदिन को दो अक्तूबर को गांधी जयंती के रूप में राष्ट्रीय पर्व की तरह मनाया जाता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

विशेष-

  • लेखिका ने भारत की आज़ादी में महात्मा गाँधी के योगदान का उल्लेख किया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 5 हार की जीत Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 हार की जीत (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB हार की जीत Textbook Questions and Answers

हार की जीत अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) बाबा भारती के घोड़े का क्या नाम था?
उत्तर :
बाबा भारती के घोड़े का नाम ‘सुलतान’ था।

(ख) खड्गसिंह कौन था?
उत्तर :
खड्ग सिंह इलाके का एक प्रसिद्ध डाकू था। लोग उसका नाम सुनकर काँपते।

(ग) बाबा भारती अपने घोड़े को देखकर खुश क्यों होते थे?
उत्तर :
बाबा भारती का घोड़ा बहुत ही सुन्दर और बलवान् था। इसलिए बाबा भारती उसे देखकर खुश होते थे और उसे ‘सुलतान’ कहकर पुकारते थे।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

(घ) “बाबा जी यह घोड़ा अब न दूँगा।” यह वाक्य किसने कहा और किसे कहा?
उत्तर :
“बाबा जी यह घोड़ा अब न दूंगा।” यह वाक्य खड्ग सिंह ने बाबा भारती से कहा था।

(ङ) “इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना” यह वाक्य किसने कहा, किसे और कब कहा?
उत्तर :
“इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना” वाक्य बाबा भारती ने खड्ग सिंह ने कहा था जब वह बाबा भारती को घोड़ा न देकर उसे बलपूर्वक ले जा रहा था।

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) बाबा भारती को अपना घोड़ा क्यों प्रिय था?
उत्तर :
बाबा भारती को अपना घोड़ा उसी प्रकार प्रिय था जिस प्रकार माँ को अपनी संतान तथा किसान अपने लहलहाते खेत देखकर प्रसन्न होता है, उसी प्रकार बाबा भारती को अपना घोड़ा प्रिय था। वह घोड़ा सुन्दर तथा बलवान था। बाबा भारती उसे ‘सुलतान’ कहकर पुकारते थे। वे स्वयं घोड़े को दाना खिलाते थे और उसे देख – देख कर प्रसन्न होते थे।

(ख) खड्गसिंह ने घोड़े को प्राप्त करने के लिए क्या चाल चली?
उत्तर :
खड्ग सिंह ने बाबा भारती के घोड़े को प्राप्त करने के लिए अपाहिज का वेश बनाया और बाबा भारती के मार्ग में जा खड़ा हुआ। अपाहिज बनकर उसने बाबा भारती से प्रार्थना की, “बाबा, मैं दुखी हूँ। मुझ पर दया करो। रामावाला यहाँ से तीन मील है, मुझे वहाँ जाना है। घोड़े पर चढ़ा लो परमात्मा भला करेगा।” तब बाबा भारती ने दया करके अपाहिज को घोड़े पर बिठा दिया। वह अपाहिज और कोई नहीं बल्कि डाकू खड्ग सिंह था जिसने घोड़ा प्राप्त करने के लिए चाल चली थी।

(ग) बाबा भारती ने खड्ग सिंह से क्या प्रार्थना की?
उत्तर :
जब खड्ग सिंह अपाहिज बनकर घोड़े पर बैठ गया और कुछ देर बाद जब बाबा भारती को पता चला कि वह डाकू खड्ग सिंह है तो उन्होंने डाकू से कहा कि “यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है। मैं तुमसे इसे वापिस करने के लिए नहीं कहूँगा परन्तु खड्ग सिंह, केवल एक प्रार्थना करता हैं उसे अस्वीकार न करना नहीं तो मेरा दिल टूट जाएगा।” तम इस घटना का नाम किसी से न लेना नहीं तो लोग गरीब पर विश्वास न करेंगे।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

(घ) खड्गसिंह ने घोड़ा क्यों लौटा दिया?
उत्तर :
बाबा भारती के चले जाने के बाद खड्ग सिंह के कानों में बाबा भारती के शब्द उसी प्रकार गूंज रहे। वह सोच रहा था कि बाबा भारती के विचार कितने ऊँचे हैं। उनका भाव कितना पवित्र है। वे मनुष्य नहीं देवता हैं। उसे उनका घोड़ा नहीं लेना चाहिए था। इस समय खड्ग सिंह का हृदय परिवर्तित हो चुका था। उसकी आँखों में नेकी के आँसू थे। अतः इसी भाव से खड्ग सिंह ने बाबा भारती को घोड़ा लौटा दिया।

(ङ) इस कहानी की महत्वपूर्ण पंक्ति ढूँढकर लिखें, जिसने डाकू का हृदय परिवर्तित कर दिया।
उत्तर :
कहानी में डाकू के हृदय को परिवर्तित कर देने वाली पंक्तियाँ निम्न प्रकार से
(i) “अब घोड़े का नाम न लो। मैं तुम्हें इसके विषय में कुछ न कहूँगा। मेरी प्रार्थना यह है कि इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना।”
(ii) “लोगों को यदि इस घटना का पता चल गया तो वे किसी गरीब पर विश्वास न करेंगे।”
उक्त पंक्तियों ने डाकू खड्ग सिंह के हृदय में परिवर्तन ला कर रख दिया।

5. इन मुहावरों के अर्थ लिखकर उनको वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. हृदय अधीर होना …………… ……………………………………………..
  2. शब्द कानों में गूंजना …………… ……………………………………………..
  3. हृदय पर साँप लोटना …………… ……………………………………………..
  4. हाथ से छूटना …………… ……………………………………………..
  5. गले लिपटकर रोना …………… ……………………………………………..
  6. दिल टूटना …………… ……………………………………………..
  7. नेकी के आँसू बहना …………… ……………………………………………..
  8. मुँह मोड़ना …………… ……………………………………………..
  9. पीठ पर हाथ फेरना …………… ……………………………………………..
  10. मन मोह लेना …………… ……………………………………………..
  11. कीर्ति कानों तक पहुँचना …………… ……………………………………………..
  12. चाह खींच लाना …………… ……………………………………………..
  13. हृदय पर छवि अंकित हो जाना …………… ……………………………………………..
  14. हृदय में हलचल होना …………… ……………………………………………..
  15. वायु वेग से उड़ना …………… ……………………………………………..
  16. आश्चर्य का ठिकाना न रहना …………… ……………………………………………..
  17. तन कर बैठना …………… ……………………………………………..

उत्तर :

  1. हृदय अधीर होना = दिल बेचैन होना।
    वाक्य – शीला को जब पता चला कि सुबह परीक्षा का परिणाम आएगा तो उसका हृदय अधीर हो गया।
  2. शब्द कानों में गूंजना = बार – बार किसी की बातें याद आना।
    वाक्य – बाबा भारती द्वारा कहे गए शब्द रात भर खड्ग सिंह के कानों में गूंजते रहे।
  3. हृदय पर साँप लोटना = बहुत ईर्ष्या होना।
    वाक्य – सेठ जी की ऊँची हवेली देखकर फकीर चंद के हृदय पर
  4. हाथ से छूटना = गंवा बैठना, किसी वस्तु से वंचित होना।
    वाक्य – सहसा बाबा भारती को एक झटका लगा और लगाम उनके हाथ से छूट गई।
  5. गले लिपटकर रोना = प्यार उमड़ कर आना।
    वाक्य – अस्तबल में घोड़े को देखकर आश्चर्य और प्रसन्नता से बाबा भारती अपने घोड़े के गले से लिपटकर रोने लगे मानो कोई पिता पुत्र से मिल रहा है।
  6. दिल टूटना = हताश होना।
    वाक्य – इकलौते पुत्र की मृत्यु से राम गोपाल का दिल टूट गया।
  7. नेकी के आँसू बहना = पश्चाताप करना।
    वाक्य – बाबा भारती के वचनों को सुनकर डाकू खड्ग सिंह नेकी के आँसू बहाने लगा।
  8. मुँह मोड़ना = रूठ जाना। प्रफर कार चदक हृदय पर साप लोटने लगा।
    वाक्य – मैंने उसे बुरे लड़कों की संगति में रहने से मना किया तो वह मुझ से ही मुँह मोड़ बैठा।
  9. पीठ पर हाथ फेरना = शाबाशी देना।
    वाक्य – गुरु जी ने मोहन की पीठ पर हाथ फेर कर आशीर्वाद दिया।
  10. मन मोह लेना = मन को आकर्षित करना।
    वाक्य – शिमला के प्राकृतिक सौन्दर्य ने हम सबका मन मोह लिया।
  11. कीर्ति कानों तक पहुँचना = किसी के यश को सुनना।
    वाक्य – अच्छे लोगों की कीर्ति शीघ्र ही लोगों के कानों तक
  12. चाह खींच लाना = इच्छा से प्रभावित होना।
    वाक्य – मुझे तो आज तुम तक मेरे हृदय की चाह खींच लाई है।
  13. हृदय पर छवि अंकित हो जाना = मन में बस जाना।
    वाक्य – रमेश के सुन्दर व्यक्तित्व की छवि मेरे हृदय पर सदा के लिए अंकित हो चुकी है।
  14. हृदय में हलचल होना = उत्सुक होना, अस्थिर होना।
    वाक्य – नृत्य करती हुई राधिका को लड़खड़ाते देखकर सब के हृदय में हलचल होने लगी।
  15. वायु वेग से उड़ना = तेज दौड़ना।
    वाक्य – बाबा भारती का घोड़ा जब दौड़ता था तो ऐसा लगता था मानो वह वायु वेग से उड़ रहा हो।
  16. आश्चर्य का ठिकाना न रहना = हैरान रह जाना।
    वाक्य – वर्षों से खो चुके पुत्र को वापस आया देख माँ के आश्चर्य का ठिकाना न रहा।
  17. तन पर बैठना = अकड़ कर बैठना।।
    वाक्य – नेता जी सभा में तन कर बैठे थे।

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6. लिंग बदलें :

  1. घोड़ा = घोड़ी
  2. बालिका = …………………………
  3. बेटा = …………………………
  4. पुत्री = …………………………
  5. दास = …………………………
  6. बकरा = …………………………
  7. पिता = …………………………
  8. देवी = …………………………

उत्तर :

  1. घोड़ा = घोड़ी
  2. बेटा = बेटी
  3. बालिका = बालक
  4. दास = दासी
  5. पुत्री = पुत्र
  6. बकरा = बकरी
  7. पिता = माता
  8. देवी = देव।

7. विपरीत शब्द लिखें :

  1. सावधान = असावधान
  2. गरीब = अमीर
  3. भय = …………………….
  4. सुख = …………………….
  5. विश्वास = …………………….
  6. संध्या = …………………….
  7. संतोष = …………………….
  8. छाया = …………………….
  9. स्वीकार = …………………….
  10. भला = …………………….

उत्तर :

  1. सावधान = असावधान
  2. गरीब = अमीर
  3. भय = निर्भयसख
  4. सुख = दुःख
  5. विश्वास = अविश्वास
  6. संध्या = प्रातः, सवेरा
  7. संतोष = असंतोष
  8. छाया = धूप
  9. स्वीकार = अस्वीकार
  10. भला = बुरा

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8. शुद्ध रूप लिखें :

  1. आननद = आनंद
  2. प्रमात्मा = …………………….
  3. नमष्कार = …………………….
  4. परसन्न = …………………….
  5. हिरद्य = …………………….
  6. कीरती = …………………….

उत्तर :

  1. आननद = आनंद
  2. नमष्कार = नमस्कार
  3. प्रमात्मा = परमात्मा
  4. हिरदय = हदय
  5. परसन्न = प्रसन्न
  6. कीरती = कीर्ति

9. इन शब्दों में ‘र’ पूरा है या आधा, लिखें :

  1. प्रकट = …………………….
  2. आश्चर्य = …………………….
  3. कीर्ति = …………………….

उत्तर :

  1. प्रकट – ‘र’ आधा
  2. आश्चर्य – ‘र’ आधा
  3. कीर्ति – ‘र’ आधा

10. इन अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द लिखें :

  1. जहाँ पर घोड़े रखे जाते हैं = …………………….
  2. जिसका कोई अंग ठीक न हो = …………………….

उत्तर :

  1. अस्तबल
  2. अपाहिज

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11. इन वाक्यों में विशेषण शब्दों को ढूँढ़कर लिखें :

(क) वह घोड़ा सुंदर तथा बड़ा बलवान था। – सुंदर – बड़ा बलवान
(ख) खड्ग सिंह उस इलाके का प्रसिद्ध डाकू था। ______ – _______
(ग) बाबा, मैं दुःखी हूँ। ______ – _______
(घ) मैं उनका सौतेला भाई हूँ। ______ – _______
(ङ) चौथा पहर आरंभ होते ही बाबा भारती ने अपनी कुटिया से बाहर निकल, ठंडे जल से स्नान किया। ______ – _______
उत्तर :
(ख) इलाके प्रसिद्ध
(ग) दुःखी
(घ) सौतेला
(ङ) चौथा पहर ठंडे

12. इन वाक्यों में रेखांकित पदों के कारक बतायें :

(क) वे गाँव से बाहर एक छोटे से मंदिर में रहते थे।
(ख) उसके हृदय में हलचल होने लगी।
(ग) उसकी चाल देखकर खड्गसिंह के हृदय पर साँप लोट गया।
(घ) बाबा ने घोड़े को रोक लिया।
(ङ) उनके हाथ से लगाम छूट गई।
(च) वह धीरे-धीरे अस्पताल के फाटक पर पहुंचा।
(छ) वे घोड़े को खोलकर बाहर ले गये।
उत्तर :
(क) गाँव से – करण तत्पुरुष कारक
मन्दिर में – अधिकरण तत्पुरुष कारक
(ख) उसके हृदय में – अधिकरण तत्पुरुष कारक
(ग) खड्ग सिंह – संबंध तत्पुरुष कारक
हृदय पर – अधिकरण तत्पुरुष कारक
(घ) बाबा ने – कर्ता तत्पुरुष कारक
(ङ) उनके – संबंध तत्पुरुष
हाथ से – अपादान तत्पुरुष कारक
(च) अस्पताल के – संबंध तत्पुरुष
फाटक पर – अधिकरण तत्पुरुष कारक
(छ) घोड़े को – कर्म तत्पुरुष कारक

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योग्यता विस्तार

  • इस कहानी में बाबा भारती और खड्गसिंह के संवाद कहानी को चरम सीमा तक पहुँचाने में सहायक हुए हैं। कक्षा में अध्यापक उन संवादों को उचित भाव-भंगिमा तथा तान-अनुतान के साथ बच्चों को बुलवाये।
  • कई बार किसी व्यक्ति के मुख से निकले वचन किसी के जीवन की दिशा बदल देते हैं। बाबा भारती के उन वाक्यों को लिखो जिन्होंने डाकू खड्गसिंह का हृदय परिवर्तित कर दिया।
  • इसी भाव को लेकर लिखी गई एक कहानी है ‘अंगुलिमाल’ । उस कहानी को पढ़ो।

प्रयोगात्मक व्याकरण

(क) घोड़ा हिनहिनाया।
(ख) घोड़ा हिनहिना रहा है।
(ग) घोड़ा हिनहिनायेगा।

उपर्युक्त वाक्यों में ध्यान से क्रिया को पहचानिए। ध्यान दीजिए कि पहले वाक्य में क्रिया हो गयी है (हिनहिनाया) दूसरे वाक्य में क्रिया हो रही है- (हिनहिना रहा है) तथा तीसरे वाक्य में क्रिया आने वाले समय में अभी होगी (हिनहिनायेगा)। दरअसल क्रिया से यह भी पता चलता है कि काम कब हुआ अर्थात् क्रिया होने का समय। इसे ही क्रिया का काल कहते हैं।

अतएव क्रिया के जिस रूप से उसके होने के समय का ज्ञान हो उसे ‘काल’ कहते हैं।
(क) बाबा ने घोड़े को रोका।
(ख) खड्ग सिंह उस इलाके का प्रसिद्ध डाकू था।
(ग) बाबा भारती सुलतान की पीठ पर सवार होकर घूमने जा रहे थे।

इन वाक्यों में ‘रोका’, था’ तथा ‘ जा रहे थे’ क्रियाएँ हैं। इनमें क्रिया का करना या होना बीते हुए समय में हुआ है।अतः बीते समय को भूतकाल कहते हैं।
(क) अपाहिज घोड़े को दौड़ाए जा रहा है।
(ख) अपाहिज घोड़े को दौड़ाता है।
(ग) अपाहिज घोड़े को दौड़ाता होगा।

इन वाक्यों में दौड़ाए जा रहा है’, ‘दौड़ाता है’, तथा दौड़ाता होगा’ क्रियाएँ हैं। इनमें क्रिया चल रहे समय अर्थात् वर्तमान काल में हो रही है अतः चल रहे समय को वर्तमान काल कहते हैं।
(क) बाबा जी, यह घोड़ा आपके पास न रहने दूंगा।
(ख) उसकी चाल तुम्हारा मन मोह लेगी।

उपर्यक्त वाक्यों में रहने दूंगा’ तथा ‘मोह लेगी’ क्रियाएँ हैं। इन क्रियाओं से भविष्य में कार्य के होने का पता चलता है अर्थात् अभी कार्य हुआ नहीं है। अत: जब क्रिया का करना या होना आने वाले समय में पाया जाता है, उसे भविष्यत काल कहते हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

याद रखें :
कामका करना या होना-यह बतलाये क्रिया हमें
भूत, वर्तमान है भविष्य-यह बतलाये काल हमें

हार की जीत Summary in Hindi

हार की जीत कहानी का सार

बाबा भारती का घोड़ा बहुत सुन्दर था। सारे इलाके में ऐसा कोई घोड़ा न था। बाबा भारती उससे बहुत प्यार करते थे। वे घोड़े को ‘सुलतान’ कह कर पुकारते थे।

डाकू खड्ग सिंह का हृद्य घोड़ा देखने को अधीर हो उठा। एक दिन दोपहर को वह बाबा भारती के पास पहुँच गया। बाबा भारती और खड्ग सिंह दोनों अस्तबल में पहुंचे। खड्ग सिंह ने घोड़े की चाल देखी तो वह उस पर लटू हो गया। जाते हुए उसने कहा, ‘बाबा जी, मैं यह घोड़ा आपके पास न रहने दूंगा।’

बाबा जी रातें अस्तबल की रखवाली में काटने लगे। महीनों बीत गए। मगर खड्ग सिंह नहीं आया। अब बाबा भारती का डर जाता रहा। एक दिन बाबा भारती जी घोड़े पर सवार होकर कहीं जा रहे थे। उन्हें एक आवाज़ आई, “ओ बाबा ! मैं अपाहिज हूँ। रामावाला गाँव तक जाना चाहता हूँ दया करके मुझे घोड़े पर चढ़ा लोग।”

बाबा भारती उस अपाहिज को घोड़े पर चढ़ा कर स्वयं उसकी लगाम थाम कर साथ चलने लगे। अचानक झटका लगा और लगाम हाथ से छूट गई। अपाहिज डाकू खड्ग सिंह था। वह घोड़े को दौड़ाए लिए जा रहा था।

बाबा भारती ने खड्ग सिंह से कहा – एक बात सुनते जाओ। उसने घोड़ा रोक लिया। बाबा भारती ने पास जाकर कहा कि यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका। मैं इसे वापस करने को नहीं कहूँगा केवल एक बात का वायदा करो कि तुम इस घटना को किसी से न कहोगे क्योंकि लोगों को यदि इस घटना का पता लग गया तो वे किसी गरीब पर विश्वास न करेंगे। बाबा भारती घोड़े से मुंह मोड़ कर अपनी कुटिया में आ गए।

खड्ग सिंह के कानों में बाबा भारती जी के उक्त शब्द गूंज रहे थे। उसने सोचा, “बाबा भारती मनुष्य नहीं देवता है।” एक रात खड्ग सिंह चुपचाप घोड़े को बाबा भारती जी के अस्तबल में छोड़ आया। बाबा भारती ने जब सुबह उठ कर देखा तो उनकी आँखों से आनन्द के आँसू बह निकले।

हार की जीत कठिन शब्दों के अर्थ

  • भगवद् भजन = ईश्वर का स्मरण।
  • वेदना = पीड़ा।
  • असहाय = बेसहारा।
  • कीर्ति = यश।
  • अधीर = बेचैन।
  • विचित्र = अनोखा।
  • प्रशंसा = बड़ाई, तारीफ।
  • छवि = शोभा।
  • अभिलाषा = इच्छा।
  • अस्तबल = घोड़ों को बाँधने का स्थान।
  • सहस्त्रों = हज़ारों।
  • बांका = सुन्दर।
  • भाग्य = किस्मत।
  • वायु वेग = हवा की चाल।
  • अधिकार = हक।
  • बाहुबल = भुजाओं की शक्ति।
  • प्रतिक्षण = हर समय।
  • मिथ्या = झूठ।
  • फूला न समाना = बहुत खुश होना।
  • अपाहिज = अपंग।
  • विस्मय = हैरानी।
  • अस्वीकार = नामंजूर।
  • दास = नौकर।
  • प्रयोजन = मतलब।
  • अन्धकार = अन्धेरा।
  • पश्चात्ताप = पछताना।
  • बलवान = ताकतवर।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

हार की जीत गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. बाबा जी भी मनुष्य ही थे। अपनी वस्तु की प्रशंसा दूसरे के मुख से सुनने के लिए उनका हृदय अधीर हो गया। घोड़े को खोलकर बाहर ले गए। घोड़ा वायु – वेग से उड़ने लगा। उसकी चाल देखकर खड्ग सिंह के हृदय पर साँप लोट गया। वह डाकू था जो वस्तु उसे पसन्द आ जाए, उस पर वह अपना अधिकार समझता था। जाते – जाते उसने कहा, “बाबा जी यह घोड़ा आपके पास न रहने दूंगा।”

प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘हार की जीत’ से अवतरित है, जिसके लेखक सुदर्शन हैं। लेखक ने डाकू खड्ग सिंह द्वारा बाबा भारती के घोड़े की प्रशंसा करने का तथा उस पर मन्त्रमुग्ध होने का सुन्दर वर्णन किया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 5

व्याख्या – लेखक कहता है कि इस संसार में ऐसा कोई मानव नहीं जिसे अपनी या अपनी वस्तु की प्रशंसा सुनना अच्छा न लगता हो। बाबा भारती भी इसी प्रकार के व्यक्ति थे। वे भी अपने घोड़े की प्रशंसा सुनना चाहते थे। घोड़े की प्रशंसा सुनने के लिए उनका दिल बेचैन हो उठा। अपनी इसी बेचैनी को दूर करने के लिए वे घोड़ा खोलकर बाहर खड्ग सिंह के समक्ष ले आए। शीघ्र ही घोड़ा तीव्र गति से दौड़ने लगा।

घोड़े की गति और चाल देखकर डाकू खड्ग सिंह को ईर्ष्या होने लगी। खड्ग सिंह तो एक डाकू थां, उसे जो वस्तु पसन्द आ जाती थी, फिर वह उसे अपना ही समझता था। फिर चाहे उसे वह चीज़ बलपूर्वक ही क्यों न लेनी पड़े। बाबा भारती के अस्तबल से जाते समय वह बाबा से कह गया कि वह बाबा के पास उनके घोड़े सुलतान को अधिक समय तक नहीं रहने देगा। वह उसे अवश्य लेकर चला जाएगा।

विशेष –

  • लेखक ने डाकू खड्ग सिंह के मन में बाबा भारती के घोड़े के प्रति ईर्ष्या में लालच के भाव को दिखाया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

2. बाबा भारती ने घोड़े से उतर कर अपाहिज को घोड़े पर सवार किया और स्वयं उसकी लगाम पकड़कर धीरे – धीरे चलने लगे। सहसा उन्हें एक झटका – सा लगा और लगाम उनके हाथ से छूट गई। उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उन्होंने देखा कि अपाहिज घोड़े की पीठ पर तन कर बैठा है और घोड़े को दौड़ाए जा रहा है। वह खड्ग सिंह था।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘हार की जीत’ से लिया गया है, जिसके रचनाकार सुदर्शन हैं। लेखक ने यहाँ घोड़ा पाने की चाह में खड्ग सिंह की कुटिल चाल को दिखाया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि बाबा भारती एक नेक दिल व्यक्ति थे। उनके हृदय में गरीबी के प्रति अनन्य सेवा – भाव एवं प्रेम था। इस सेवा – भाव के कारण बाबा भारती स्वयं घोड़े से नीचे उतर गए और अपाहिज को घोड़े पर बैठा दिया और घोड़े की लगाम को पकड़ कर वे स्वयं धीरे चलने लगे।

अचानक बाबा भारती को एक झटका लगा और लगाम उनके हाथ से छूट गई। उनका दिल यह देखकर बेचैन हो उठा कि जो अपाहिज अभी तक दया के लिए गिड़गिड़ा रहा था, वह अब अकड़ कर घोड़ की पीठ पर बैठा हुआ, घोड़े को तेजी से दौड़ा रहा था। वह व्यक्ति अपाहिज का वेश लिए कोई और न होकर डाकू खड़ग सिंह था।

विशेष –

  • लेखक ने बाबा भारती की उदारता एवं खड्ग सिंह की कुटिलता को दर्शाया है।
  • भाषा सहज स्वाभाविक है।

3. घोड़े ने अपने स्वामी के पाँवों की चाप को पहचान लिया और ज़ोर से हिनहिनाया। अब बाबा भारती आश्चर्य और प्रसन्नता से दौड़ते हुए अन्दर घुसे और अपने घोड़े के गले से लिपट कर इस प्रकार रोने लगे मानो कोई पिता बहुत दिन के बिछुड़े हुए पुत्र से मिल रहा हो। बार – बार उसकी पीठ पर हाथ फेरते, बार – बार उसके मुँह पर थपकियाँ देते।

फिर से संतोष से बोले, “अब कोई ग़रीबों की सहायता से मुँह नहीं मोड़ेगा।”

प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘हार की जीत’ से अवतरित है, जिसके रचनाकार सुदर्शन हैं। लेखक ने अपनी इस कहानी में अच्छाई की बुराई पर जीत दिखाई है। यहाँ लेखक ने बाबा भारती के पशु प्रेम को उजागर किया

व्याख्या – लेखक कहता है कि जब बाबा भारती घटना की रात के बाद सुबह स्नान करने बाद अस्तबल के फाटक के पास पहुंचे तो उनके घोड़े सुलतान ने बाबा भारती के कदमों की आवाज़ को सुनकर पहचान लिया और ज़ोर – ज़ोर से हिनहिनाने लगा। घोड़े के हिनहिनाने की आवाज़ सुनकर बाबा भारती बड़ी ही हैरानी एवं खुशी से अस्तबल के अन्दर पहुँचे और अपने घोड़े सुलतान को गले लगाकर फूट – फूट कर रोने लगे।

उस सयम ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई पिता अपने बिछुड़े पुत्र को गले से लगाकर रो रहा हो। यह प्यार ऐसा लगा रहा था मानो ये दोनों पिता – पुत्र हो। बाबा भारती बार – बार सुलतान की पीठ पर प्यार से हाथ फेर रहे थे और उसे थपकियाँ दे रहे थे। कुछ देर बाद बाबा भारती सन्तोष भरे स्वरों में बोले की अभी समय इतना खराब नहीं हुआ है। अभी लोग गरीबों पर भरोसा करेगे। उनकी मदद करेंगे।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

विशेष –

  • लेखक ने बाबा भारती का घोड़े के प्रति असीम प्यार दर्शाया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

4. माँ को अपने बेटे और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनन्द आता है, वही आनन्द बाबा भारती को अपना घोड़ा देख कर आता था। वह घोड़ा सुन्दर तथा बड़ा बलवान था। बाबा भारती उसे ‘सुलतान’ कहकर पुकारते, खुद दाना खिलाते और देख – देख कर प्रसन्न होते थे। वे गाँव से बाहर एक छोटे – से मन्दिर में रहते और भगवान का भजन करते थे। सुलतान के बिना जीना उनके लिए बहुत ही कठिन था।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘हार की जीत’ नामक शीर्षक से लिया गया है, जिसके लेखक सुदर्शन हैं। यहाँ लेखक ने बाबा भारती के घोड़े की विशेषताएँ एवं बाबा भारती का घोड़े के प्रति प्रेम दिखाया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि जिस प्रकार कोई माँ अपने पुत्र से प्रेम करती है, किसान अपने हरे – भरे लहलहाते हुए खेतों से प्यार करता है और उसे आनन्द आता है ठीक उसी प्रकार बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आनन्द आता था। उनका घोड़ा बहुत ही सुन्दर तथा ताकतवर था। बाबा भारती अपने घोड़े को प्यार से ‘सुलतान’ कहकर पुकारते थे।

वे उसे स्वयं दाना खिलाते थे। वे अपने घोड़े सुलतान को देखकर खूब आनन्दमग्न होते थे। बाबा भारती गाँव के बाहर बने एक मन्दिर रहते थे जहाँ वे भगवान के भजन गया करते थे। अपने घोड़े सुलतान से असीम प्रेम के कारण उसके बिना बाबा भारती अपने जीवन को अत्यंत कठिन मानते थे।

विशेष –

  • लेखक ने घोड़े के प्रति बाबा भारती के असीम प्रेम को उजागर किया है।
  • भाषा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 4 फूल और काँटा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4 फूल और काँटा (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB फूल और काँटा Textbook Questions and Answers

फूल और काँटा अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 2
उत्तर :
विद्यार्थी अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 4
उत्तर :
विद्यार्थी अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) फूल और काँटा कहाँ जन्म लेते हैं ?
उत्तर :
फूल और काँटा एक ही स्थान पर एक ही पौधे पर जन्म लेते हैं।

(ख) काँटे की क्या विशेषता होती है ?
उत्तर :
काँटा अपनी कठोरता और तीक्ष्णता के कारण किसी को अच्छा नहीं लगता। वह पीड़ा देने के अतिरिक्त और कुछ नहीं करता।

(ग) फूल की क्या विशेषता होती है?
उत्तर :
फूल अपनी कोमलता और सुगंध के कारण सबको अच्छा लगता है। वह देवताओं के सिर पर चढ़ाया जाता है।

(घ) फूल और काँटा किस का प्रतीक हैं ?
उत्तर :
फूल सुख का प्रतीक है।
काँटा दुःख का प्रतीक है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) फूल और काँटे को कौन-कौन सी समान परिस्थितियाँ प्राप्त होती हैं ?
उत्तर :
फल और काँटा दोनों एक ही स्थान से उत्पन्न होते हैं। उनका विकास भी एक ही साथ होता है। उन्हें एक ही समान सूर्य की धूप मिलती है। वायु का स्पर्श भी दोनों को समान रूप से मिलता है। वर्षा भी दोनों पर एक समान रूप में ही गिरती है। एक समान वायु, धूप और वर्षा को झेलते हुए फूल और काँटा दोनों विकसित होते हैं।

(ख) फूल और काँटे में स्वभावगत क्या अंतर है?
उत्तर :
फूल और काँटे का विकास समान रूप से होता है लेकिन दोनों का स्वभाव बहुत भिन्न है। एक ओर फूल अपनी खुशबू चारों ओर फैलाकर अपनी अच्छाई दिखाता है वहीं दूसरी ओर काँटा सभी के हाथों को छेदता हुआ उन्हें पीड़ा एवं कष्ट पहुँचाता है। वह सबके कपड़े फाड़ देता है। वह फूलों पर बैठने वाली तितलियों तथा भँवरों को भी छेद देता है।

(ग) आपकी दृष्टि में कुलवान व्यक्ति महान/बड़ा होता है या गुणवान। अपने विचार लिखें।
उत्तर :
हमारी दृष्टि कुलवान की अपेक्षा गुणवान व्यक्ति भला एवं महान् होता है। वह अपने गुणों एवं अच्छे स्वभाव से सभी का मन जीत लेता है। वह कभी किसी को कष्ट नहीं पहुँचाता है। वह सदैव दूसरों की भलाई के बारे में सोचता रहता है। वह कुल की बजाय अपने गुणों के कारण सम्मान प्राप्त करता है।

(घ) ‘किस—-बड़प्पन की कसर’ काव्य-पंक्ति की सप्रसंग व्याख्या करें।
उत्तर :
प्रसंग – प्रस्तत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी की पाठय – पस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित कविता ‘फूल और काँटा’ से ली गई हैं जिसके कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ हैं। कवि ने इस कविता में फूल और काँटे के माध्यम से अच्छे और बुरे लोगों
के व्यवहार पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या – कवि कहता है कि खानदान की बड़ाई किस काम की अगर अपने में बड़प्पन की कमी हो अर्थात् कांटे का जन्म सुन्दर पौधे पर हुआ परन्तु उसमें अपना बड़प्पन पुस्तकीय भाग नहीं होता। इसलिए बुरा समझा जाता है। भाव है कि आदमी ऊँचे कुल में जन्म लेने पर बड़ा नहीं बनता बल्कि अपने गुणों के कारण महान् बनता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

5. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर उनके वाक्य बनायें :

  1. प्यार में डूबना _____________________
  2. पर कतरने _____________________
  3. जी खिल उठना _____________________
  4. आँखों में खटकना _____________________
  5. कसर होना _____________________
  6. गोद बिठाना _____________________
  7. सीस (सिर) पर सोहना _____________________

उत्तर :

  1. प्यार में डूबना – प्यार करना, प्यार होना।
    वाक्य – राधा कृष्ण के प्यार में डूब गई थी।
  2. पर कतरने – अधिकार कम करना।
    वाक्य – बहत ऊँचा उड रहे हो, तम्हारे पर कतरने ही पड़ेंगे।
  3. जी खिल उठना – मन खुश उठना।
    वाक्य – अपने जन्मदिन पर मिली घड़ी देखकर विनोद का जी खिल उठा।
  4. आँखों में खटकना – बुरा लगना।
    वाक्य – झूठा व्यक्ति सबकी आँखों में खटकता है।
  5. कसर होना – कमी होना।
    वाक्य – विश्वास करो अब मेरे काम में कोई कसर नहीं रहेगी।
  6. गोद बिठाना – शरण में लेना।
    वाक्य – रोते हुए बच्चे को माँ ने गोद में बिठा लिया।
  7. सीस (सिर) पर सोहना – सिर पर अच्छा लगन।
    वाक्य – कृष्ण के सीस पर मोर पंख सोह रहा था।

6. इन शब्दों के समानार्थक शब्द लिखें :

  1. फूल = पुष्प, प्रसून
  2. मेह = ______________
  3. चाँद = ______________
  4. हवा = ______________
  5. चाँदनी = ______________
  6. भौंरा = ______________

उत्तर :

  1. फूल = पुष्प, प्रसून
  2. मेघ = बादल, जलद।
  3. चाँद = चन्द्रमा, इन्दु, राकेश, शशि, चंद्र।
  4. हवा = वायु, समीर, पवन।
  5. चाँदनी = मरीची, ज्योत्सना।
  6. भौंरा = भ्रमर, अष्टपाद, भंवरा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

7. बच्चो! कुछ शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं। नीचे दिए गए अनेकार्थक शब्दों के अर्थ समझते हुए उन्हें वाक्यों में प्रयोग करें :

शब्द – अर्थ – वाक्य

  1. कुल – पूरा, सब, सारा ___________________
  2. कुल – खानदान, वंश ___________________
  3. सदा – हर समय ___________________
  4. सदा – आवाज़, पुकार ___________________
  5. वर – उत्तम, श्रेष्ठ ___________________
  6. वर – देवता से प्रसाद रूप में कुछ माँगना ___________________
  7. वर – नव विवाहिता स्त्री का पति ___________________
  8. पर – पराया ___________________
  9. पर – पंख ___________________
  10. खिलना – विकसित होना ___________________
  11. खिलना – प्रसन्न होना ___________________
  12. खिलाना – खाने में प्रवृत्त करना ___________________
  13. खिलाना – खेल खेलाना ___________________

उत्तर :

  1. कुल – पूरा, सब, सारा।
    वाक्य – परीक्षा में कुल पाँच छात्र पास हुए।
  2. कुल – खानदान, वंश।
    वाक्य – विवाह के समय व्यक्ति के कुल का ध्यान अवश्य रखा जाता है।
  3. सदा – हर समय।
    वाक्य – व्यक्ति को सदा सच बोलना चाहिए।
  4. सदा – आवाज़, पुकार।
    वाक्य – रमेश की दर्द भरी सदा ने मुझे जाने से रोक दिया।
  5. वर – उत्तम, श्रेष्ठ, देवता से प्रसाद रूप में कुछ माँगना।
    वाक्य – भगवान शिव ने अर्जुन को दो वर दिए।
  6. वर – नवविबाहित स्त्री का पति।
    वाक्य – सीमा ने अवनीश को वर के रूप में स्वीकार किया।
  7. पर – पराया।
    वाक्य – स्वार्थी से
  8. पर – उपकारी
    व्यक्ति श्रेष्ठ होता है
  9. पर – पंख।
    वाक्य – पक्षी अपने पर फड़फड़ा रहे हैं।
  10. खिलना – विकसित होना।
    वाक्य – बाग़ में बहुत – से सुन्दर पुष्प खिल गए हैं।
  11. खिलना – प्रसन्न होना।
    वाक्य – परीक्षा में प्रथम आने की बात सुनते ही आकाश का चेहरा खिल गया।
  12. खिलाना – खाने में प्रवृत्त करना
    वाक्य – माँ अपने बच्चे को सबसे बेहतर खाना खिलाती है।
  13. खिलाना – खेल खिलाना।
    वाक्य – आज खेल के मैदान में कोच ने हमें बहुत खिलाया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

फूल और काँटा Summary in Hindi

फूल और काँटा कविता का सार

‘फूल और काँटा’ नामक कविता में कवि ने फूल और काँटे का तुलनात्मक वर्णन करते हुए स्वभाव में भिन्नता प्रकट की है। उसके अनुसार फूल और काँटा एक स्थान से उत्पन्न होते हैं तथा बढ़ते हैं। एक जैसी हवा, बारिश, धूप उनको लगती है फिर भी दोनों का स्वभाव बहुत भिन्न है। एक अपनी बुराई दिखाता है तथा दूसरा अपनी अच्छाई प्रकट करता है।

काँटा सबके हाथों को छेदता है; वस्त्र फाड़ता है ; तितलियों तथा भँवरों के शरीर को बौंधता है परन्तु फूल सब को अपनी महक तथा सुगन्धि से प्रसन्न करता है। कवि यह कहना चाहता है कि अच्छे कुल में जन्म लेने का क्या लाभ अगर अपने आप में बड़प्पन्न नहीं है। अपने गुणों के कारण ही कोई सम्मान प्राप्त करता है, परिवार के कारण नहीं।

फूल और काँटा काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. हैं जन्म लेते जगह में एक ही,
एक ही पौधा उन्हें है पालता।
रात में उन पर चमकता चाँद भी,
एक ही सी चाँदनी है डालता॥

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 5

शब्दार्थ :

  • जन्म लेते = पैदा होते।
  • पौधा = छोटा पेड़।
  • पालता = पालन करता।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित ‘फूल और काँटा’ नामक कविता से लिया गया है। यह कविता अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित है। इस कविता में कवि ने फूल और काँटे का तुलनात्मक वर्णन करते हुए उनके स्वभाव में अन्तर को स्पष्ट किया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि फूल और काँटा दोनों एक ही जगह से जन्म लेते हैं। एक ही पौधा उन्हें पालता है अर्थात् एक ही पौधे पर दोनों पैदा होते हैं तथा बढ़ते हैं। रात में उन पर चमकता हुआ चन्द्रमा एक जैसी चाँदनी डालता है। दोनों को ही प्रकृति का प्रेम समान रूप से मिलता है।

विशेष –

  • कवि ने फूल और काँटे का तुलनात्मक वर्णन किया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

2. मेंह उन पर है बरसता एक – सा
एक – सी उन पर हवाएँ हैं बही।
पर सदा ही यह दिखाता है हमें,
ढंग उनके एक से होते नहीं॥

शब्दार्थ – मेंह = वर्षा, बारिश। ढंग = प्रणाली, पद्धति, तरीका, उपाय।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित कविता ‘फूल और काँटा’ से लिया गया है। इस कविता में कवि फूल और काँटे के परस्पर – विरोधी स्वभाव का चित्रण कर रहे हैं

सरलार्थ – कवि कहता है कि फूल और काँटे दोनों पर एक – जैसी बारिश होती है। बहती हुई हवा भी दोनों को एक समान मिलती है। अत: सब कुछ समान होते हुए भी दोनों के ढंग व्यवहार एक – से नहीं हैं। दोनों का स्वभाव एक – जैसा नहीं है बल्कि भिन्न है।

विशेष –

  • कवि ने फूल और काँटे के परस्पर विरोधी स्वभाव को स्पष्ट किया है।
  • भाषा सहज स्वाभाविक है।

3. छेद कर काँटा किसी की उंगलियाँ,
फाड़ देता है किसी का वर वसन।
प्यार डूबी तितलियों का पर कतर,
भौंर का है बेंध देता श्याम तन॥

शब्दार्थ :

  • छेद देता = चुभ जाता, फाड़ देता।
  • वर = सुन्दर।
  • वसन = कपड़ा।
  • कतरना = काटना।
  • भौंर = भँवरे।
  • श्याम तन = काला शरीर।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी द्वारा रचित कविता ‘फूल और काँटा’ में से लिया गया है। इस कविता में कवि ने फूल और काँटा के परस्पर – विरोधी स्वभाव का चित्रण किया है।

सरलार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में काँटे के स्वभाव के बारे में बताया गया है। काँटा हाथ लगाने वाले की अंगुली में चुभ जाता है तथा किसी का सुन्दर कपड़ा फाड़ देता है। प्यार में डूबी हुई, फूल पर बैठ कर रस चूसने वाली तितलियों के परों को काट देता है। भँवरे के काले शरीर को भी बींध डालता है।

विशेष –

  • कवि ने काँटे के स्वभाव का यथार्थ वर्णन किया है।
  • भाषा सहज स्वाभाविक है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

4. का फूल लेकर तितलियों को गोद में,
भौंर को अपना अनूठा रस पिला।
निज सुगन्धि और निराले रंग से,
है सदा देता कली का जी खिला॥

शब्दार्थ :

  • अनूठा = अनोखा।
  • भौंर = भँवरा।
  • निज = अपना।
  • जी = दिल।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी द्वारा रचित कविता ‘फूल और काँटा’ में से लिया गया है। इस कविता में कवि ने फूल और काँटा के परस्पर – विरोधी स्वभाव का चित्रण किया है।

सरलार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में फूल के स्वभाव का वर्णन किया गया है। फूल तितलियों को अपनी गोद में बिठाता है। भँवरों को अपना अनोखा रस पिलाता है फूल की कलियाँ अपनी खुशबू और अपने अनोखे रंग से हमेशा सबके दिल को खुश करती हैं। प्रत्येक व्यक्ति फूल की सुगन्धि और रंग से प्रसन्न हो जाता है।

विशेष –

  • कवि ने फूल के स्वभाव का सुंदर वर्णन किया है।
  • भाषा भावों के अनुरूप है।

5. है खटकता एक सब की आँख में,
दूसरा है सोहता सुर सीस पर।
किस तरह कुल की बड़ाई काम दे,
जो किसी में हो बड़प्पन की कसर॥

शब्दार्थ :

  • खटकना = बुरा लगना।
  • सोहता = अच्छा लगता।
  • सुर सीस = देवताओं के सिर पर।
  • बढ़ाई = बड़प्पन।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी द्वारा रचित कविता ‘फूल और काँटा’ में से लिया गया है। इस कविता में कवि ने फूल और काँटा के परस्पर – विरोधी स्वभाव का चित्रण किया है।

सरलार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में फूल और काँटे दोनों की तुलना की गई है। इनमें से काँटा सब की आँखों में खटकता है। बुरा लगता है पर फूल देवताओं के सिर पर शोभा पाता है। कवि कहता है कि खानदान की बड़ाई किस काम की अगर अपने में बड़प्पन की कमी हो। काँटे का जन्म सुन्दर पौधे पर हुआ परन्तु उसमें अपना बड़प्पन नहीं होता। इसलिए बुरा समझा जाता है। भाव यह है कि आदमी ऊँचे कुल में जन्म लेने पर बड़ा नहीं बनता बल्कि अपने गुणों के कारण महान् बनता है। इसलिए व्यक्ति को गुणों को ही अपनाना चाहिए तभी कुल का बड़प्पन होगा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

विशेष –

  • कवि ने फूल और काँटे की परस्पर तुलना की है।
  • भाषा सहज तथा स्वाभाविक है।