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PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 10 उत्पादक का सन्तुलन

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 10 उत्पादक का सन्तुलन Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 10 उत्पादक का सन्तुलन

PSEB 11th Class Economics उत्पादक का सन्तुलन Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
उत्पादक से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उत्पादक एक ऐसा व्यक्ति है जो लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री करने के लिए उनका उत्पादन करता है।

प्रश्न 2.
उत्पादक के सन्तुलन का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
एक उत्पादक अथवा फ़र्म सन्तुलन तब होता है जब उसको अधिकतम लाभ होता है अथवा न्यूनतम हानि होती है।

प्रश्न 3.
एक फ़र्म की साधारण सन्तुलन की शर्ते बताओ।
उत्तर-
फ़र्म के सन्तुलन की दो शर्ते होती हैं –

  • सीमान्त आय (MR) = सीमान्त लागत (MC)
  • सीमान्त लागत (MC) वक्र सीमान्त आय (MR) वक्र को नीचे से काटती हो।

प्रश्न 4.
सकल लाभ तथा शुद्ध लाभ में अन्तर बताओ।
उत्तर-
सकल लाभ कुल आय (TR) और कुल परिवर्तनशील लागत (AVC) का अन्तर होता है।
कुल लाभ = TR – AVC
शुद्ध लाभ, कुल आय (TR) और कुल लागत (TC) का अन्तर होता है।
शुद्ध लाभ = TR – TC

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 10 उत्पादक का सन्तुलन

प्रश्न 5.
सम विच्छेद बिन्दु अथवा उत्पादन बन्द करने वाला बिन्दु कब आता है ?
उत्तर-
सम विच्छेद बिन्दु (Break Even Point or Shut Down Point) –
TR = TC or AR = AC

प्रश्न 6.
पूर्ण प्रतियोगिता फर्म की दीर्घ काल के सन्तुलन की शर्ते बताएं।
उत्तर-
P = LMC = LAC

प्रश्न 7.
साधारण लाभ तब होता है जब MR = MC और ……. होती है।
उत्तर-
AR = AC होती है।

प्रश्न 8.
असाधारण लाभ तब होता है जब MR = MC और …… ।
उत्तर-
असाधारण लाभ तब होता है जब MR = MC और AR > AC होती है।

प्रश्न 9.
हानि तब होती है जब MR = MC और ……. ।
उत्तर-
हानि उस स्थिति को कहते हैं जब MR = MC और AR < AC होती है।

प्रश्न 10.
सीमान्त आय (MR) और सीमान्त लागत (MC) के समान होने पर क्या हमेशा अधिकतम लाभ होता है ?
उत्तर-
MR = MC सन्तुलन की एक शर्त होती है इस स्थिति में अनिवार्य नहीं कि फ़र्म को लाभ हो, बल्कि हानि भी हो सकती है।

प्रश्न 11.
वह स्थिति जिसमें उत्पादक का लाभ अधिकतम और हानि न्यूनतम होती है को ………… कहते हैं।
(a) उत्पादक का सन्तुलन
(b) उपभोक्ता का सन्तुलन
(c) दोनों ही
(d) इन में से कोई नहीं।
उत्तर-
(d) उत्पादक का सन्तुलन।

प्रश्न 12.
उत्पादक के सन्तुलन के लिए निम्नलिखित में कौन-सी शर्त उपयुक्त है।
(a) लाभ न्यूनतम होना चाहिए
(b) सीमान्त लागत, सीमान्त आय से कम होनी चाहिए।
(c) सीमान्त लागत वक्र, सीमान्त आय वक्र को नीचे से काटे।
(d) इन में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) सीमान्त लागत वक्र सीमान्त आय तक्र को नीचे से काटे।

प्रश्न 13.
क्या कुल उत्पादन कभी घट सकता है।
उत्तर-
कुल उत्पादन घट सकता है। जब सीमान्त लागत ऋणात्मक होती है।

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प्रश्न 14.
वह व्यक्ति जो अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करके उनकी बिक्री करता है को ……….. कहते हैं।
(a) उपभोक्ता
(b) खुद्रा व्यापारी
(c) उत्पादक
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) उत्पादक।

प्रश्न 15.
कुल उत्पादन कब अधिकतम होता है ?
उत्तर-
कुल उत्पादन उस समय अधिकतम होता है जब सीमान्त उत्पादन शून्य होता है।।

प्रश्न 16.
एक उत्पादक उस स्थिति में होता है जब उसको अधिकतम लाभ होता है अथवा न्यूनतम हानि होती
उत्तर-
सन्तुलन।

प्रश्न 17.
फ़र्म का सन्तुलन उस स्थिति में होता है जब …… होती है जब MC वक्र MR वक्र को नीचे से ऊपर को जाती हुई काटें।
उत्तर-
MR = MC.

प्रश्न 18.
जब MR = MC और AR = AC होती है तो ……. लाभ होता है।
उत्तर-
साधारण।

प्रश्न 19.
जब MR = MC और AR = AC होती है तो ………… लाभ होता है।
उत्तर-
साधारण।

प्रश्न 20.
जब सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक होती है तो कुल उत्पादन ………. लगता है।
उत्तर-
घटने।

प्रश्न 21.
जब सीमान्त उत्पादन शून्य हो जाता है तो कुल उत्पादन ……….. होता है।
उत्तर-
अधिकतम।

प्रश्न 22.
जब MR = MC और AR < AC होती है तो कार्य को ………. की स्थिति होती है।
उत्तर-
हानि।

प्रश्न 23.
जब MR = MC होती है तो फ़र्म सन्तुलन में होती है।
उत्तर-
ग़लत।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 10 उत्पादक का सन्तुलन

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
उत्पादक के सन्तुलन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उत्पादक का सन्तुलन उस समय होता है जब वह वर्तमान उत्पादन की मात्रा से सन्तुष्ट होता है और उत्पादन में परिवर्तन करने की उसमें कोई प्रवृत्ति नहीं होता। हम यह भी कह सकते हैं कि उत्पादक का सन्तुलन उस स्थिति में होता है जब उसको अधिकतम लाभ होता है अथवा न्यूनतम हानि होती है।

प्रश्न 2.
एक उत्पादक के सन्तुलन अथवा अधिकतम लाभ की दो शर्ते बताएं।
उत्तर-
एक प्रतियोगी फ़र्म के लिए उत्पादक के सन्तुलन के लिए दो शर्ते अनिवार्य होती हैं –

  • फ़र्म की सीमान्त आय और सीमान्त लागत बराबर हो (MR = MC)
  • फ़र्म की सीमान्त लागत, सीमान्त आय वक्र के नीचे से ऊपर को जाती हुई काटे अर्थात् MC बढ़ रही होती है।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
उत्पादक से क्या अभिप्राय है ? उत्पादक के सन्तुलन की शर्ते बताओ।
उत्तर-
उत्पादक एक उत्पादन का साधन है, जोकि वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करने के लिए उत्पादन के साधनों को एकत्रित करता है तथा इन वस्तुओं की बिक्री से अधिकतम लाभ प्राप्त करता है। उत्पादक अथवा फ़र्म का सन्तुलन उस स्थिति में होता है, जिसमें उसको अधिकतम लाभ अथवा न्यूनतम हानि होती है। उत्पादन के सन्तुलन की दो शर्तों होती हैं।

  • सीमान्त आय (MR) तथा सीमान्त आय MC समान होनी चाहिए है अथवा P = MC
  • सीमान्त लागत (MC) वक्र सीमान्त आय (MR) वक्र को नीचे से ऊपर की ओर जाती हुई काटकर गजरती हो।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 10 उत्पादक का सन्तुलन 1

रेखाचित्र 1 में प्रतियोगी फ़र्म का सन्तुलन दिखाया गया है। इसमें कीमत OP समान रहती है। इसलिए AR = MR सीधी रेखा बनती है। सीमान्त लागत (MC) रेखा सीमान्त आय (MR) को E बिन्दु पर नीचे से ऊपर की ओर जाती हुई काटकर गुजरती है। इसको सन्तुलन की स्थिति कहा जाता है। जहां कि कुल लाभ PEK प्राप्त होता है। कुल आय TR = OPEQ में कुल परिवर्तनशील लागत OKEQ घटा दी जाएं तो शेष PEK कुल लाभ है x जोकि अधिकतम है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 10 उत्पादक का सन्तुलन

प्रश्न 2.
पूर्ण प्रतियोगिता में दीर्घकाल में जहां फ़र्मों के प्रवेश तथा निकास की स्वतन्त्रता होती है, फ़र्मों को शून्य असाधारण लाभ क्यों होता है ?
उत्तर-
पूर्ण प्रतियोगिता में दीर्घकाल में सभी फ़र्मों को केवल साधारण लाभ प्राप्त होते हैं अथवा असाधारण लाभ शून्य होता है। इसका मुख्य कारण यह है कि दीर्घकाल के सन्तुलन से यदि फ़र्मों को असाधारण लाभ होते हैं तो दीर्घकाल होने के कारण तथा फ़र्मों के प्रवेश की स्वतन्त्रता के कारण नई फ़र्ने उद्योग में शामिल हो जाती हैं। वस्तुओं की पूर्ति बढ़ जाती है। इससे कीमत कम हो जाती है तथा सभी फ़र्मों को साधारण लाभ होने लगते हैं अथवा असाधारण लाभ शून्य हो जाता है।

यदि किसी समय कीमत निर्धारण इस प्रकार होती है कि कुछ फ़र्मों को असाधारण हानि होती है। यदि दीर्घकाल तक फ़र्मों को हानि होगी तो वह फ़र्ने उद्योग को छोड़ जाती है। इससे वस्तुओं की पूर्ति कम हो जाती है तथा कीमत बढ़ जाती है। इस प्रकार दीर्घकाल में सभी फ़र्मों को केवल साधारण लाभ प्राप्त होते हैं अथवा असाधारण लाभ शून्य होगा।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
उत्पादक के सन्तुलन से आपका क्या अभिप्राय है ? एक उत्पादक का सन्तुलन उस बिन्दु पर होता है, जहां सीमान्त आय समान सीमान्त लागत होती है। स्पष्ट करो।
(What is producer’s equilibrium ? A producer will be in equilibrium where his MR = MC, Explain.)
अथवा
एक फ़र्म के सन्तुलन को सीमान्त लागत तथा सीमान्त आय द्वारा स्पष्ट करें। (Explain the equilibrium of the firm with Marginal Cost and Marginal Revenue.)
उत्तर-
उत्पादन के सन्तुलन का अर्थ (Meaning of Producers Equilibrium)-एक उत्पादक को उस स्थिति में सन्तुलन में कहा जाता है, जिसमें उसको या तो अधिकतम लाभ प्राप्त होता है तथा या न्यूनतम हानि होती है। स्टोनियर तथा हेग के अनुसार, “एक उत्पादक सन्तुलन में होता है, जब उसको अधिकतम लाभ हों। परन्तु अधिकतम लाभ उस स्थिति में होता है, जहां सीमान्त आय तथा सीमान्त लागत समान होते हैं तथा MC वक्र MR को नीचे से ऊपर की ओर जाती हुई काटती है।”

उत्पादक के सन्तुलन की शर्ते-उत्पादक के सन्तुलन की दो शर्ते होती हैं –

  1. सीमान्त आय (MR) = सीमान्त लागत (MC) हों।
  2. सीमान्त लागत (MC) वक्र सीमान्त आय (MR) वक्र नीचे से ऊपर की ओर जाती हुई काटती हों। इन दो शर्तों को ध्यान में रखकर उत्पादक का सन्तुलन स्पष्ट करते हैं।

(A) पूर्ण प्रतियोगिता में उत्पादक का सन्तुलन (Producer’s Equilibrium Under Perfect Competition)-पूर्ण प्रतियोगिता के बाज़ार में कीमत MC उद्योग में मांग तथा पूर्ति द्वारा निर्धारण होती है। प्रत्येक उत्पादक अथवा फ़र्म उस कीमत को अपना लेती है, इसीलिए कीमत स्थिर रहती है अथवा औसत आय (AR) स्थिर रहता है तथा सीमान्त आय (MR) भी स्थिर रहेगा तथा औसत आय के समान होता है, जैसे कि रेखाचित्र 10.2 में कीमत OP दिखाई है, उत्पादक की AR = MR सीधी रेखा Ox के समान्तर हैं, क्योंकि कीमत समान रहती है। फ़र्म का लाभ अधिक से अधिक उस बिन्दु पर
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 10 उत्पादक का सन्तुलन 2
P= MC अथवा MR = MC

होगा जहां होता है, जिसको E बिन्दु द्वारा दिखाया है। फ़र्म OQ वस्तुओं का उत्पादन करेगी। फ़र्म का कुल लाभ (Gross Profit) = TR – TVC है अर्थात् कुल लाभ = शुद्ध लाभ + कुल स्थित लागत प्राप्त होता है। सीमान्त लागत (MC) के निम्न भाग OKEQ को कुल परिवर्तनशील लागत कहा जाता है तथा कुल आय OPEQ है। इस प्रकार कुल लाभ PEK है, जोकि अधिक से अधिक है। यदि यह फ़र्म OQ2 उत्पादन करती है तो इसको PABK लाभ प्राप्त होगा, जोकि पहले से EAB कम है, जिसको शेड़ किए क्षेत्र द्वारा दिखाया है। इसलिए OQ से कम उत्पादन नहीं करना चाहिए। यदि OQ, उत्पादन किया जाता है तो OQ उत्पादन से फ़र्म को PEK लाभ होता है, परन्तु QQ2 उत्पादन से ECD हानि होगी। इसलिए PEK में से EC घटाने से लाभ PEK से कम हो जाएंगा। इससे स्पष्ट है कि फ़र्म को अधिकतम लाभ की स्थिति में दो शर्तों अनिवार्य होती हैं।

  • MR = MC
  • MC must cut MR from below.

(B) एकाधिकारी तथा एकाधिकारी प्रतियोगिता में फ़र्म का सन्तुलन (Firm’s Equilibrium under Monopoly and Monopolistic Competition) एकाधिकारी तथा एकाधिकारी प्रतियोगिता में AR तथा MR घटती सीधी रेखाएं होती हैं। फ़र्म के सन्तुलन को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करते हैं। रेखाचित्र 3 में MR = MC द्वारा फ़र्म का सन्तुलन E बिन्दु पर स्थापित होता है। फ़र्म 00 उत्पादन करती है तथा इसको LEK लाभ प्राप्त होता है। यह कुल लाभ अधिकतम है। यदि यह फ़र्म OQ, उत्पादन करती है तो लाभ EAB कम प्राप्त होगा। यदि फ़र्म OQ2 उत्पादन करती है तो OQ तक LEK लाभ होता है, परन्तु OQ2 उत्पादन से ECD हानि होती है। इसलिए LEK में से ECD घटा दी जाए तो कुल लाभ LEK से कम हो AR जाएगा। इस प्रकार सन्तुलन की दो शर्ते पूरी होती है –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 10 उत्पादक का सन्तुलन 3

  • सीमान्त आय = सीमान्त लागत है।
  • सीमान्त लागत वक्र सीमान्त आय वक्र को नीचे से ऊपर की ओर जाती हुई काटती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 10 उत्पादक का सन्तुलन

(C) कुल आय तथा कुल लागत विधि द्वारा उत्पादक का सन्तुलन (Producers’s Equilibrium with Total Revenue & Total Cost Method)- उत्पादक का सन्तुलन कुल आय तथा कुल लागत विधि द्वारा भी माप सकते हैं। एक उत्पादक को अधिकतम लाभ तब प्राप्त होता है जब उसकी कुल आय अधिकतम तथा कुल लागत न्यूनतम हो।
Profit Maximum = TR Maximum – TCminimum
उत्पादक के सन्तुलन को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। रेखाचित्र 4 में कुल आय तथा कुल लागत रेखाएँ दिखाई गई हैं। TC रेखा के समान्तर रेखा AB खींचते हैं जोकि कुल आय (TR) रेखा को R बिन्दु पर काटती है। RC को मिलाते है। जोकि OX रेखा को K बिन्दु पर काटती है। OK उत्पादन करने पर कुल आय KR अधिक है और कुल लागत KC कम है।

इसलिये RC लाभ प्राप्त होता है जो कि अधिकतम है। यदि उत्पादन को बढ़ाया जाता है या कम किया जाता है तो कुल लाभ कम हो जाएगा। जैसा कि OK1 उत्पादन करने से लाभ R1C1 है और OK2 उत्पादन करने से लाभ R2C2 है जोकि RC से कम है। यदि लाभ E1C1 अथवा E2C2 होता तो RC के बराबर होना था क्योंकि यह समांतर रेखाओं का अन्तर है क्योंकि R1C1 लाभ E1C1 से कम है और R2C2 लाभ E2C2 से कम हैं इसलिये यह लाभ RC से भी कम है इसलिये उत्पादक को OK उत्पादन करना चाहिये यहां पर उसको RC अधिकतम लाभ प्राप्त होता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 10 उत्पादक का सन्तुलन 4

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 9 आय की धारणाएँ

PSEB 11th Class Economics आय की धारणाएँ Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
किसी फ़र्म द्वारा वस्तुओं की बिक्री से प्राप्त मौद्रिक आमदन को आय कहते हैं।

प्रश्न 2.
कुल आय से आप का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वस्तुओं की कुल मात्रा बेचने से जो कुल मुद्रा प्राप्त होती है उसको कुल आय कहा जाता है।

प्रश्न 3.
औसत आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
औसत आय से अभिप्राय प्रति इकाई वस्तु की आय से होता है। औसत आय को वस्तु की कीमत भी कहा जाता है। AR = \(\frac{\mathrm{TR}}{\mathrm{Q}}\) और AR= PRICE

प्रश्न 4.
सीमान्त आय से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
किसी वस्तु की एक अन्य इकाई बेचने से कुल आय में जो वृद्धि होती है उसको सीमान्त आय कहते हैं।
MR = TRn – TRn-1

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ

प्रश्न 5.
आय की कौन-सी धारणा को कीमत कहा जाता है ?
उत्तर-
औसत आय की धारणा को कीमत कहा जाता है।

प्रश्न 6.
कुल आय कीमत तथा बिक्री की मात्रा में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर-
कुल आय तथा बिक्री की मात्रा के अनुपात को कीमत कहते हैं।
Price = \(\frac{\text { T R }}{\text { Output }}\)

प्रश्न 7.
प्रतियोगिता वाली फ़र्म की कीमत और सीमान्त आय में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर-
प्रतियोगिता वाली फ़र्म की कीमत, सीमान्त आय के समान होती है।

प्रश्न 8.
प्रतियोगिता वाली फ़र्म की औसत आय तथा सीमान्त आय बराबर क्यों होती है ?
अथवा
पूर्ण प्रतियोगिता में औसत आय तथा सीमान्त आय का आकार कैसा होता है ?
उत्तर-
पूर्ण प्रतियोगिता में औसत आय तथा सीमान्त आय सदैव बराबर होती है क्योंकि कीमत एक-सार रहती है और यह OX के समानान्तर होती है।

प्रश्न 9.
एकाधिकार बाज़ार में औसत आय तथा सीमान्त आय का आकार कैसा होता है ?
उत्तर-
एकाधिकार बाज़ार में औसत आय (AR) घटती है तथा सीमान्त आय (MR) तीव्रता से घटती है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 1

प्रश्न 10.
औसत आय तथा सीमान्त आय में क्या सम्बन्ध होता है ?
उत्तर-

  • जब औसत आय बढ़ती है तो सीमान्त आय तीव्रता से बढ़ती है।
  • जब औसत आय समान रहती है तो सीमान्त आय उसके बराबर हो जाती है।
  • जब औसत आय घटती है तो सीमान्त आय तेजी से घटती है।

प्रश्न 11.
कीमत तथा सीमान्त आय में क्या सम्बन्ध होता है ?
उत्तर-

  1. पूर्ण बाज़ार में Price (AR) = MR
  2. अपूर्ण बाज़ार में Price (AR) > MR

प्रश्न 12.
यदि MR धनात्मक होता है तो TR की स्थिति क्या होती है ?
उत्तर-
R बढ़ता है।

प्रश्न 13.
यदि MR शून्य होता है तो TR की स्थिति क्या होती है ?
उत्तर-
TR अधिकतम होता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ

प्रश्न 14.
जब MR ऋणात्मक होता है तो TR की स्थिति क्या होती है ?
उत्तर-
TR घटता है।

प्रश्न 15.
औसत आय सदैव कीमत के समान होती है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 16.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करें।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 2
उत्तर|
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 3

प्रश्न 17.
एक वस्तु की प्रति इकाई बिक्री से प्राप्त होने वाली राशि को …….. कहते हैं।
उत्तर-
कीमत।

प्रश्न 18.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करें।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 4
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 5

प्रश्न 19.
जब सीमान्त आय कम हो रही होती है तो कुल आय ………….. से बढ़ती है।
उत्तर-
घटती दर।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करें।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 6
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 7

प्रश्न 21.
AR= ……………………… .
उत्तर-
AR = \(\frac{\mathrm{TR}}{\mathrm{Q}}\)

प्रश्न 22.
MR = …….
उत्तर-
MR = \(\frac{\Delta \mathrm{TR}}{\Delta \mathrm{Q}}\).

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ

प्रश्न 23.
MR = \(\frac{\text { TR }}{\mathbf{Q}}\) = ……………………. .
उत्तर-
AR अथवा Price.

प्रश्न 24.
किसी फ़र्म द्वारा वस्तु की बिक्री से प्राप्त आय को ……… कहा जाता है।
उत्तर-
आय (Revenue)।

प्रश्न 25.
जब औसत आय बढ़ती है तो सीमान्त आय …… है। सीमान्त आय घटती है।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 26.
जब औसत आय घटती है तो सीमान्त आय तेजी से घटती है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 27.
सीमान्त आय धनात्मक, शून्य अथवा ऋणात्मक हो सकती है परन्तु औसत आय सदैव धनात्मक रहती है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 28.
जब औसत आय स्थिर रहती है तो सीमान्त आय, औसत आय के बराबर हो जाती है।
उत्तर-
सही।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ

प्रश्न 29.
पूर्ण प्रतियोगिता के बाजार में औसत आय और सीमान्त आय पूर्ण लोचशील नहीं होती।
उत्तर-
ग़लत।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
एक फ़र्म अथवा उत्पादक के सन्तुलन से आपका क्या अभिप्राय है ? फ़र्म के सन्तुलन की शर्ते बताओ।
उत्तर-
एक फ़र्म अथवा उत्पादक सन्तुलन में होते हैं, जब उसको अधिकतम लाभ होता है अथवा न्यूनतम हानि होती है। फ़र्म के सन्तुलन की दो शर्ते हैं-

  • फ़र्म की सीमान्त आय (MR) = सीमान्त लागत (MC) होनी चाहिए।
  • सीमान्त लागत (MC) वक्र सीमान्त आय (MR) को नीचे से ऊपर की ओर जाती हुई काटकर गुजरती हों।

प्रश्न 2.
एक फ़र्म की साधारण सन्तुलन की शर्ते बताओ।
अथवा
एक प्रतियोगी फ़र्म के अधिकतम लाभ की क्या शर्त होती है ?
उत्तर-
देखो इसके लिए प्रश्न 9.1 देखें।

प्रश्न 3.
कुल लाभ तथा शुद्ध लाभ में अन्तर बताओ।
उत्तर-
यदि कुल आय (TR) में से कुल परिवर्तनशील लागत (TVC) घटा दी जाए तो इसको कुल लाभ कहा जाता है।
कुल लाभ = TR – TVC
अथवा
Net Profit + TFC
शुद्ध लाभ का अर्थ है कुल आय घटाओ कुल लागत
शुद्ध लाभ = कुल आय (TR) – कुल लागत (TC)
अथवा
Net Profit = TR – TVC – TFC |
शुद्ध लाभ = कुल लाभ – कुल स्थिर लागत।

प्रश्न 4.
साधारण लाभ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक फ़र्म को उसी समय साधारण लाभ प्राप्त होता है, जब उस फ़र्म का सन्तुलन इस प्रकार होता है।
MR = MC
&
AR = AC
औसत लागत में उत्पादक का अपनी मेहनत का ईवजाना भी शामिल होता है, जिसको शून्य असाधारण लाभ (zero abnormal profit) कहा जाता है। जैसेकि रेखाचित्र में OQ उत्पादन से साधारण लाभ होगा।

प्रश्न 5.
असाधारण लाभ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक फ़र्म को साधारण लाभ से अधिक लाभ प्राप्त होता है इसको असाधारण लाभ कहा जाता है।
जैसेकि रेखाचित्र 2 में OQ1 उत्पादन करने से E1C1 साधारण से अधिक लाभ होता है। इसको असाधारण लाभ कहा जाता है। उसी समय होती है।
TR > TC अथवा AR > AC |
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 8

प्रश्न 6.
समविच्छेद कीमत (Break-even Price) से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जिस बिन्दु पर औसत आय तथा औसत लागत एक दूसरे को काटती है, उसको समविच्छेद कीमत कहा जाता है। रेखाचित्र 3 AR = AC बिन्दु B पर समान हैं। OP कीमत को समविच्छेद कीमत कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 9

प्रश्न 7.
फ़र्म के बन्द होने के बिन्द से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक फ़र्म के बन्द होने का बिन्दु वह बिन्दु है जहां कि फ़र्म की कुल आय (TR) = कुल परिवर्तनशील लागत के समान होती है। यदि कीमत इस कीमत से थोड़ी-सी भी कम हो जाए तो फ़र्म कार्य बन्द कर देती है। इसीलिए इस बिन्दु को फ़र्म बन्द होने का बिन्दु कहा जाता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पूर्ण प्रतियोगिता अथवा एकाधिकारी में औसत आय तथा सीमान्त आय के सम्बन्ध को सूची पत्र द्वारा स्पष्ट करो।
अथवा
औसत आय तथा सीमान्त आय के सम्बन्ध को एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट करो।
अथवा
औसत आय तथा सीमान्त आय में क्या सम्बन्ध होता है ? .
उत्तर-

  • जब औसत आय समान होती है तो सीमान्त आय इसके समान होती है। यह स्थिति पूर्ण प्रतियोगिता में पाई जाती है।
  • जब औसत आय घटती है तो सीमान्त आय तीव्रता से घटती है। औसत आय हमेशा धनात्मक होती है परन्तु सीमान्त आय धनात्मक, शून्य अथवा ऋणात्मक हो सकता है, जैसे कि एकाधिकारी अथवा अपूर्ण प्रतियोगिता में होता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 10
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 11
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 12
सूची पत्र अनुसार-

  • पूर्ण प्रतियोगिता में औसत आय तथा सीमान्त आय समान होते हैं। जैसा कि रेखाचित्र 4 भाग-A में दिखाया गया है।
  • एकाधिकारी तथा अपूर्ण प्रतियोगिता में औसत आय घटती है तो सीमान्त आय तीव्रता से घटती है। 4 वस्तुएं उत्पादन करने से MR = 0 है तो पांचवीं तथा छठी वस्तु के उत्पादन से MR ऋणात्मक है। जैसा कि रेखाचित्र 5 भाग-B में दिखाया गया है।

प्रश्न 2.
सीमान्त आय तथा कुल आय के सम्बन्ध को स्पष्ट करो।
अथवा
रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करो कि सीमान्त आय शून्य होती है तो कुल आय अधिकतम होती है।
अथवा
सूची पत्र तथा रेखाचित्र द्वारा कुल आय, औसत आय तथा सीमान्त आय के सम्बन्ध को स्पष्ट करो।
उत्तर-
सीमान्त आय के योग से कुल आय प्राप्त की जाती है। इनके सम्बन्ध को सूची पत्र तथा रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करते हैं
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 13
रेखाचित्र 6 अनुसार …

  1. कुल आय में वृद्धि घटते अनुपात पर होती है क्योंकि MR घटता है।
  2. कुल आय ₹ 12, 12 समान है तो MR = 0 हो जाता है।
  3. कुल आय घटने लगती है तो MR = (-) ऋणात्मक हो जाता है।
  4. जब MR = 0 है तो कुल आय QM अधिकतम है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 14

प्रश्न 3.
सीमान्त आय की परिभाषा दीजिए, पूर्ण प्रतियोगिता तथा एकाधिकारी में औसत आय तथा सीमान्त आय के सम्बन्ध को रेखाचित्रों द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर-
सीमान्त आय (Marginal Revenue)-जब वस्तु की एक अन्य इकाई बेचने से कुल आय में जो वृद्धि होती है, उसको सीमान्त आय कहा जाता है।
1. पूर्ण प्रतियोगिता में औसत आय तथा सीमान्त आयपूर्ण प्रतियोगिता में वस्तु की कीमत एक समान होती है। इसलिए औसत आय समान होती है। जब औसत आय समान होती है तो सीमान्त आय भी इसके समान होती है। जैसा कि रेखाचित्र 7 में दिखाया गया है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 15
2. एकाधिकारी में औसत आय तथा सीमान्त आयएकाधिकारी में वस्तु की कीमत को घटाकर ही अधिक बिक्री की जा सकती है। इसलिए जब औसत आय घटती है तो सीमान्त आय तीव्रता से दोगुणी दर पर घटती है। जैसा कि रेखाचित्र 8 में दिखाया गया है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 16

प्रश्न 4.
औसत आय की धारणा को कीमत कहा जाता है।
उत्तर-
वस्तु की औसत आय को कीमत भी कहा जाता है। उदाहरण के लिए एक वस्तु की कीमत ₹ 5 प्रति वस्तु है उपभोगी 20 इकाइयों की खरीद करता है तो कुल आय = 20 x 5 = ₹ 100 है। औसत आय इस प्रकार प्राप्त की जाती है-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 17
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 18
सूची पत्र तथा रेखाचित्र 9 में कीमत ₹ 5 दिखाई गई है और औसत आय भी कीमत के सामान्य होती है रेखा- चित्र में भी कीमत = औसत आय है। इस प्रकार औसत आय का दूसरा नाम कीमत होता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आय की धारणाओं को स्पष्ट करो। इनके सम्बन्धों की व्याख्या करो। (Explain the concepts of Revenue. Explain their Relationship.)
अथवा
कुल आय, औसत आय तथा सीमान्त आय से क्या अभिप्राय है ? इनके परस्पर सम्बन्ध को स्पष्ट करो।
(What do you mean by Total Revenue, Average Revenue and Marginal Revenue ? Explain their mutual relationship.)
उत्तर-
एक फ़र्म वस्तुओं का उत्पादन करने के पश्चात् उनकी बिक्री से जो आय प्राप्त करती है, उसको आय (Revenue) कहते हैं। आय की मुख्य तीन धारणाएं हैं

  1. कुल आय (Total Revenue)
  2. औसत आय (Average Revenue)
  3. सीमान्त आय (Marginal Revenue)

आय की इन तीन धारणाओं को एक सूचीपत्र की सहायता से स्पष्ट कर सकते हैं-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 19
1. कुल आय (Total Revenue)-उत्पादन की बेची गई इकाइयों को कीमत पर गुणा करने से कुल आय प्राप्त की जाती है, जैसे कि 1 वस्तु बेचने से कुल आय 10 x 1 = ₹ 10 तथा दो वस्तुएं बेचने से ₹ 2×9 = 18 प्राप्त होती है।
कुल आय = कीमत x उत्पादन

2. औसत आय (Average Revenue)-कुल उत्पादन को उत्पादन पर विभाजित करने से औसत आय प्राप्त होती है। औसत आय तथा कीमत हमेशा स्थिर होती है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 20
3. सीमान्त आय (Marginal Revenue)-वस्तु की एक इकाई अन्य बेचने से जो कुल आय में वृद्धि होती है, उसको सीमान्त आय कहा जाता है। जैसे कि सूची पत्र में 1 वस्तु बेचने से कुल आय ₹ 10 तथा 2 वस्तुएं बेचने से ₹ 18 आय प्राप्त होती है तो कुल आय में वृद्धि ₹ 8 है। जिसको सीमान्त आय कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 21
कल आय, औसत आय तथा सीमान्त आय का सम्बन्ध – रेखाचित्र 10 में कुल औसत, औसत आय तथा सीमान्त आय के सम्बन्ध को स्पष्ट किया गया है। रेखाचित्र के भाग (A) में दिखाया है कि जब औसत आय घटती है तो सीमान्त आय तीव्रता से घटती है।

  • औसत आय (AR) कभी भी शून्य नहीं होती, क्योंकि प्रत्येक वस्तु की कुछ-न-कुछ कीमत आवश्यक होती है।
  • सीमान्त आय (MR) तीव्रता से घटती है, यह शून्य (0) भी हो सकती है तथा ऋणात्मक (-) भी हो सकती है।
  • भाग B में कुल आय दिखाई है, जोकि पहले बढ़ती रेखाचित्र 10 जाती है। जबकि सीमान्त आय (MR) = 0 हो जाती है तो कुल आय अधिकतम (Maximum) होती है तथा जब सीमान्त आय (MR) ऋणात्मक हो जाती है तो कुल आय घटने लगती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 22

विभिन्न बाजारों में आय रेखाओं का सम्बन्ध (Relationship between Revenue Curves in different Markets)-प्रतियोगिता के आधार पर बाज़ार को तीन भागों में विभाजित करते हैं-

  1. पूर्ण प्रतियोगिता का बाज़ार
  2. एकाधिकारी बाज़ार
  3. अपूर्ण प्रतियोगिता का बाज़ार इन तीन बाज़ार की स्थितियों में आय वक्र के सम्बन्धों को स्पष्ट किया जा सकता है

1. पूर्ण प्रतियोगिता में आय वक्र (Revenue Curves Under Perfect)-पूर्ण प्रतियोगिता के बाज़ार में कीमत उद्योग में मांग तथा कीमत द्वारा निर्धारण हो जाता है। प्रत्येक फ़र्म इस कीमत पर ही वस्तु की बिक्री करती है। उदाहरणस्वरूप
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 23
सूचीपत्र तथा रेखाचित्र 11 में औसत आय तथा सीमान्त आय ₹ 10, 10 समान हैं। इस स्थिति में AR = MR सीधी रेखा Ox के समान्तर बनती है, जिसको पूर्ण लोचशील वक्र कहा जाता है।

2. एकाधिकारी में आय वक्र (Revenue Curves Under Monopoly)-एकाधिकारी में वस्तु उत्पन्न करने वाला एक उत्पादन होता है। यदि वह कीमत में कमी करता है तो वस्तु की अधिक मात्रा बिकती है। औसत आय कम हो जाती है तो सीमान्त आय तीव्रता से घटती है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 24
सूचीपत्र में जब कीमत 10, 9, 8 घटती है तो सीमान्त आय 10, 8, 6 तीव्रता से घटती है। रेखाचित्र 12 में AR घटती है तथा MR तीव्रता से दोगुणी दर पर घटती है तथा मांग की लोच इकाई से कम (Ed < 1) होती है। 3. अपूर्ण प्रतियोगिता में आय वक्र (Revenue Curves Under Monopolistic Competition)-एकाधिकारी प्रतियोगिता के बाज़ार में फ़र्मे अपनी वस्तु को रजिस्टर्ड करवा लेती है, जैसे कि टैक्सला टी०वी० रजिस्टर्ड है। इससे कोई अन्य उत्पादन टी० वी० नहीं बना सकता। इसलिए फ़र्म का एकाधिकारी है, परन्तु बाज़ार में L.G., फिलिप्स इत्यादि अन्य टी० वी० भी हैं। इनमें प्रतियोगिता होती है।

इसीलिए इस बाज़ार को एकाधिकारी प्रतियोगिता अथवा अपूर्ण प्रतियोगिता का बाज़ार कहते हैं। इस बाज़ार में एकाधिकारी जैसे औसत MR आय AR घटती रेखा होती है तथा सीमान्त आय (MR) तीव्रता से घटती रेखा होती है। परन्तु इसकी औसत आय तथा सीमान्त आय अधिक लोचशील होती है, जैसे कि रेखाचित्र 13 में औसत आय तथा सीमान्त आय नीचे की ओर घटती सीधी रेखाएं हैं। परन्तु इनकी मांग की लोच इकाई से अधिक (Ed > 1) है, क्योंकि यदि कोका कोला ₹ 10 की जगह पर ₹ 9 हो जाए तथा पैप्सी कोक ₹ 10 का ही रहता है तो कोका कोला की मांग बहुत अधिक होगी।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 25

V. संख्यात्मक प्रश्न (Numericals)
आय की धारणाएं (Concepts Of Revenue)

प्रश्न 1.
एक फ़र्म की कुल आय अनुसूची दी गई है। इस फ़र्म की वस्तु कीमत कितनी है ?
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 26
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 27

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ

प्रश्न 2.
निम्न सूचीपत्र को पूरा करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 28
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 29

प्रश्न 3.
निम्न सूची पत्र को पूरा करो। वस्तुओं की बिक्री ।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 30
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 31

प्रश्न 4.
निम्नलिखित सूची पत्र को पूरा करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 32
उत्तर –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 33

प्रश्न 5.
निम्न सूची पत्र को पूरा करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 34
उत्तर –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 35

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ

प्रश्न 6.
एक प्रतियोगिता वाली फ़र्म को बाज़ार में ₹ 15 कीमत प्राप्त होती है।
(a) इस फ़र्म की कुल आय अनुसूची बताओ जब उत्पादन 0 से 10 तक वस्तुओं की इकाइयां किया जाता
(b) यदि बाज़ार में कीमत बढ़कर ₹ 17 हो जाए तो नई आय वक्र चपटी अथवा खड़वीं होगी ?
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 36
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 37
प्रतियोगिता वाले बाज़ार में जो कीमत ₹ 15 से बढ़कर ₹ 17 हो जाती है तो कुल आय वक्र खड़वी (Steeper) होगी, जैसे कि रेखाचित्र 14 में कीमत ₹ 15 है तो कुल आय की ढाल TR, है। जब कीमत बढ़कर ₹ 17 हो जाती है तो कुल आय की ढाल TRA है। TR अधिक खड़वी रेखा है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 38

प्रश्न 7.
निम्नलिखित सूचीपत्र को पूरा करो यदि वस्तु की एक इकाई 5 रुपए की बेची जा सकती है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 39
उत्तर–
प्रति इकाई वस्तु की कीमत = 5 रुपए
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 40

प्रश्न 8.
निम्नलिखित सूचीपत्र को पूरा करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 41
उत्तर
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 42

प्रश्न 9.
निम्नलिखित सूची पत्र को पूरा करो
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 43
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 44

प्रश्न 10.
निम्नलिखित सूचीपत्र को पूरा करो-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 45
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 46

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ

प्रश्न 11.
एक एकाधिकारी की मांग अनुसूची दी गई है। इससे कुल आय (TR), औसत आय (AR) तथा सीमान्त आय (MR) सूची बनाओ।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 47
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 48

प्रश्न 12.
एक एकाधिकारी फ़र्म की सीमान्त आय सूची दी हुई है। कुल आय तथा औसत आय सूची बनाओ।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 49
उत्तर –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 50

प्रश्न 13.
निम्नलिखित सूचीपत्र से कुल आय TR, औसत आय AR तथा सीमान्त आय ज्ञात करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 51
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 52

प्रश्न 14.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से औसत लागत और कुल लागत ज्ञात करें –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 53
उत्तर –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 54

प्रश्न 15.
निम्नलिखित आंकड़ों की सहायता से औसत लागत और कुल लागत ज्ञात करें –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 55
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 56

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ

प्रश्न 16.
निम्नलिखित अनुसूची आंकड़ों की सहायता से औसत लागत और सीमान्त लागत ज्ञात कीजिए।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 57
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 9 आय की धारणाएँ 58

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 8 लागत की धारणाएँ

PSEB 11th Class Economics लागत की धारणाएँ Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
लागत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक उत्पादक द्वारा उत्पादन के साधनों तथा गैर-साधनों पर किए गए व्यय को लागत कहा जाता है।

प्रश्न 2.
मुद्रा लागत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक वस्तु का उत्पादन करने के लिए एक उत्पादक को उत्पादन पर जो पैसे व्यय करने पड़ते हैं उसको मुद्रा लागत कहा जाता है।

प्रश्न 3.
वास्तविक लागत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक वस्तु का उत्पादन करने के लिए जो दिमागी तथा भौतिक कोशिश की जाती है उसको वास्तविक लागत कहते हैं।

प्रश्न 4.
अवसर लागत से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अवसर लागत किसी साधन के वैकल्पिक प्रयोग का मूल्य है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ

प्रश्न 5.
बाहरी लागतों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बाहरी लागतें वे लागतें हैं जिनका भुगतान उत्पादक द्वारा दूसरे साधनों को किया जाता है।

प्रश्न 6.
आन्तरिक लागतों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
आन्तरिक लागतें वे लागतें हैं जो कि उत्पादक के अपने साधनों पर व्यय होती हैं जैसा कि उत्पादक की अपनी पूँजी का ब्याज, मेहनत की मज़दूरी इत्यादि।

प्रश्न 7.
निजी लागत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निजी लागत वह लागत है जो कि उत्पादक को वस्तुओं के उत्पादन पर व्यय करनी पड़ती है।

प्रश्न 8.
सामाजिक लागत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सामाजिक लागत वह लागत है जो कि समाज को वस्तुओं के उत्पादन के लिए, समाज को होने वाली हानि के रूप में सहन करनी पड़ती है।

प्रश्न 9.
कुल लागत से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
कुल लागत वह लागत होती है जोकि उत्पादक को स्थिर तथा परिवर्तनशील साधनों पर व्यय करनी पड़ती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ

प्रश्न 10.
स्थिर लागत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
स्थिर अथवा बन्धी लागतों से अभिप्राय उन लागतों से है जो उत्पादन के बन्धे साधनों पर व्यय की जाती हैं।

प्रश्न 11.
परिवर्तनशील लागत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जो लागत उत्पादन के परिवर्तनशील साधनों पर व्यय की जाती है, उसको परिवर्तनशील लागतें कहा जाता है।

प्रश्न 12.
औसत लागत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वस्तु की प्रति इकाई लागत को औसत लागत कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 1

प्रश्न 13.
सीमान्त लागत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वस्तु की एक अन्य इकाई का उत्पादन करने से जितनी कुल लागत में वृद्धि होती है उसको सीमान्त लागत कहा जाता है।
MC = TCn – TCn-1

प्रश्न 14.
औसत लागत वक्र का अल्पकाल से साधारण आकार क्या होता है ?
अथवा
औसत लागत अल्पकाल में U आकार की क्यों होती है ?
उत्तर-
अल्पकाल में औसत लागत वक्र U आकार की होती है इसका कारण घटते-बढ़ते अनुपात का नियम है।

प्रश्न 15.
दीर्घकाल लागतों का आकार कैसा होता है ?
उत्तर-
दीर्घकाल लागत वक्र होते तो U आकार के हैं परन्तु यह चपटे आकार की होती हैं।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ

प्रश्न 16.
निम्नलिखित में स्थिर लागत तथा परिवर्तनशील लागतें बताएं
(i) शेड का किराया,
(ii) न्यूनतम टेलीफ़ोन बिल
(iii) कच्चे माल की लागत
(iv) स्थाई कर्मचारियों का वेतन
(v) पूँजी का ब्याज
(vi) सामान का परिवहन पर खर्च
(vii) न्यूनतम से ऊपर की टेलीफ़ोन बिल की राशि
(vii) दैनिक मज़दूरी।
उत्तर –

स्थिर लागत परिवर्तनशील लागत
(i) शेड का किराया (i) कच्चे माल की लागत
(ii) न्यूनतम टेलीफ़ोन का बिल (ii) सामान का परिवहन पर खर्च
(iii) स्थाई कर्मचारियों का वेतन (iii) न्यूनतम से ऊपर का टेलीफ़ोन का बिल
(iv) पूँजी का ब्याज (iv) दैनिक मज़दूरी।

प्रश्न 17.
जो लागतें उत्पादन के बदलने के साथ बदल जाती हैं को ……….. कहते हैं।
(a) मुख्य लागतें
(b) प्रत्यक्ष लागतें
(c) कुल परिवर्तनशील लागतें
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 18.
जो लागतें उत्पादन की मात्रा के परिवर्तन के कारण परिवर्तत नहीं होती उन लागतों को कहते हैं।
(a) पूरक लागतें
(b) अप्रत्यक्ष लागते
(c) स्थिर लागतें
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 19.
प्रति वस्तु लागत को ……… कहते हैं।
(a) कुल स्थिर लागत
(b) परिवर्तनशील लागत
(c) औसत लागत
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) औसत लागत।

प्रश्न 20.
उत्पादन में परिवर्तन करने से जो लागत परिवर्तित नहीं होती को ………..कहा जाता है।
(a) स्थिर लागत
(b) परिवर्तनशील लागत
(c) सामाजिक लागत
(d) अवसर लागत।
उत्तर-
(a) स्थिर लागत।

प्रश्न 21.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करें:
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 2
उत्तर –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 3

प्रश्न 22.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करो :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 4
उत्तर –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 5

प्रश्न 23.
उत्पादन के परिवर्तनशील साधन किये गए व्यय को ……… कहते हैं।
उत्तर-
परिवर्तनशील लागत।

प्रश्न 24.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करें।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 6
उत्तर –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 7

प्रश्न 25.
उत्पादन के स्थिर साधन पर किये गए व्यय को ………. कहते हैं।
उत्तर-
स्थिर लागत

प्रश्न 26.
वस्तु की प्रति इकाई लागत को ………. कहते हैं।
उत्तर-
औसत लागत।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ

प्रश्न 27. MC = …..
उत्तर-
MC = \(\frac{\Delta \mathrm{TC}}{\Delta \mathrm{Q}}\)

प्रश्न 28.
एक वस्तु का उत्पादन करने में जो पैसे व्यय करने पढ़ते उस को वास्तविक लागत कहते हैं।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 29.
अवसर लागत किसे साधन के वैकल्पिक का प्रयोग का मूल्य है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 30.
उत्पादन के स्थिर साधनों पर व्यय की गई लागत को स्थिर लागत अथवा पूरक लागत अथवा अप्रत्यक्ष लागत कहा जाता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 31.
अल्पकाल में लागत वक्र आकार के होते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 32.
इमारत का किराया, स्थाई मजदूरों की मजदूरी, पूँजी का ब्याज को स्थिर लागत कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 33.
AC = ……
उत्तर-
AC = \(\frac{\mathrm{TC}}{\mathrm{Q}}\)

प्रश्न 34.
दीर्घकाल में समुची लागते स्थिर लागतें बन जाती हैं।
उत्तर-
ग़लत।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
उत्पादन लागत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक उत्पादक जब उत्पादन करता है तो उसको उत्पादन के साधनों भूमि, श्रम, पूंजी, संगठन पर व्यय करना पड़ता है। इसके बिना कच्चे माल, बिजली, यातायात के साधनों इत्यादि पर व्यय किया जाता है। इस प्रकार के किए गए व्ययों को कुल लागत कहते हैं।

प्रश्न 2.
मुद्रा लागत तथा वास्तविक लागत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक वस्तु का उत्पादन करने के लिए एक उत्पादक को मुद्रा के रूप में जो पैसे व्यय करने पड़ते हैं, उसको मुद्रा लागत कहा जाता है, जबकि एक वस्तु का उत्पादन करने के लिए जो दिमागी तथा भौतिक कोशिश की जाती है, उसको वास्तविक लागत कहा जाता है।

प्रश्न 3.
बाहरी लागतों तथा आन्तरिक लागतों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बाहरी लागतें वह लागतें हैं, जिनका भुगतान उत्पादक द्वारा दूसरे साधनों को किया जाता है, जैसे कि मज़दूरी, लगान, ब्याज इत्यादि। इसको लेखे की लागत (Accounting Cost) भी कहा जाता है। आन्तरिक लागतें वह लागतें हैं, जोकि उत्पादक के अपने साधनों के प्रयोग पर व्यय होती हैं, जैसे कि उत्पादक की अपनी पूंजी का ब्याज, अपनी मेहनत की मजदूरी, अपनी भूमि का लगान।

प्रश्न 4.
अवसर लागत से आपका क्या अभिप्राय है ? उदाहरण सहित स्पष्ट करो।
उत्तर-
किसी साधन के दूसरे अच्छे विकल्पीय प्रयोग में लागत को अवसर लागत (Opportunity Cost) कहते हैं। यदि किसी साधन को कार्य A में ₹ 500 तथा कार्य B में से ₹ 400 प्राप्त होते हैं। वह साधन कार्य A में लग जाएगा तथा उसकी, अवसर लागत ₹ 400 हैं जो कार्य B में से प्राप्त होती है।

प्रश्न 5.
निजी लागत तथा सामाजिक लागत में अन्तर बताओ।
उत्तर-
निजी लागत (Private Cost)-निजी लागत वह लागत है जोकि निजी फ़र्मों को वस्तुओं के उत्पादन पर व्यय करना पड़ता है। एक मनुष्य द्वारा साधनों तथा कच्चे माल इत्यादि के व्यय को निजी लागत कहते हैं। सामाजिक लागत (Social Cost)-सामाजिक लागत वह लागत है जोकि एक समाज को वस्तु के उत्पादन के हानि के रूप में सहन करनी पड़ती हैं। जैसे कि फ़र्मों के उत्पादन करते समय जो धुआं फैक्टरियों में से निकलता है, उससे लोगों की सेहत पर बुरे प्रभाव को सामाजिक लागत कहते हैं।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ

प्रश्न 6.
स्थिर तथा परिवर्तनशील लागतों में अन्तर स्पष्ट करो।
अथवा
कुल लागत से आपका क्या अभिप्राय है ? इसमें कौन-कौन सी लागतों को शामिल किया जाता है ?
उत्तर-
कुल लागत (Total Cost)-किसी वस्तु का उत्पादन करने से जो कुल खर्च सहन करना पड़ता है उसको कुल लागत कहते हैं। इसमें दो प्रकार की लागतें होती हैं-

  • स्थिर लागत (Fixed Cost)-इसको वृद्धि करने वाली लागत (Supplementary Cost) भी कहा जाता है। यह वह लागतें हैं जो उत्पादन में परिवर्तन से परिवर्तित नहीं होती, जैसे कि भूमि अथवा इमारत का किराया, उधार के लिए पूंजी का ब्याज, पक्के कर्मचारियों का वेतन इत्यादि।
  • परिवर्तनशील लागत (Variable Cost)-इसको मुख्य लागत (Prime Cost)-  भी कहा जाता है, वह लागतें जो उत्पादन में वृद्धि करने से बढ़ जाती हैं तथा उत्पादन को घटाने से कम हो जाती हैं। इनको परिवर्तनशील लागतें कहते हैं, जैसे कि कच्चे माल का व्यय, यातायात के साधनों का व्यय, कच्चे कार्य पर लगे कर्मचारियों की मज़दूरी इत्यादि।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित लागतों का स्थिर लागतों तथा परिवर्तनशील लागतों में वर्गीकरण करो।
(a) शैड का किराया
(b) न्यूनतम टेलीफोन बिल
(c) कच्चे माल का व्यय
(d) पक्के कर्मचारियों की मजदूरी
(e) पूंजी का ब्याज
(f) वस्तुओं का यातायात पर व्यय
(g) न्यूनतम से अधिक टेलीफोन का व्यय
(h) रोज़ाना मज़दूरी।
उत्तर-
स्थिर लागतें (Fixed Costs)-
(a) शैड का किराया
(b) न्यूनतम टेलीफोन बिल
(d) पक्के कर्मचारियों की मजदूरी
(e) पूंजी का ब्याज।

परिवर्तनशील लागते (Variable Costs)-
(c) कच्चे माल का व्यय (
(f) वस्तुओं का यातायात पर व्यय
(g) न्यूनतम से अधिक टेलीफोन का व्यय
(h) रोज़ाना मज़दूरी।

प्रश्न 8.
अल्पकाल की सीमान्त लागत (MC) वक्र U आकार की क्यों होती है ?
उत्तर-
अल्पकाल में कुल सीमान्त लागत स्थिर होती है। जब उत्पादन में वृद्धि की जाती है तो इससे आरम्भ में बढ़ते प्रतिफल का नियम लागू होता है। इसलिए सीमान्त लागत तीव्रता से घटती है, परन्तु पश्चात् में घटते प्रतिफल का नियम लागू होने के कारण सीमान्त लागत बढ़ती है। इसीलिए अल्पकाल की सीमान्त लागत U आकार की होती है।

प्रश्न 9.
सीमान्त लागत से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वस्तु की एक इकाई का अन्य उत्पादन करने से जितनी कुल लागत में वृद्धि होती है, उसको सीमान्त लागत कहा जाता है। जैसे कि 10 वस्तुओं का उत्पादन करने से 100 रुपए लागत आती है। वस्तुओं से कुल लागत 109 हो । जाती है तो वो कुल लागत में वृद्धि 109 – 100 = ₹ 9 है, इसको सीमान्त लागत कहा जाता है।
MC = TUn – TUn-1

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
दीर्घकाल की लागत रेखाओं को स्पष्ट करो।।
उत्तर-
दीर्घकाल में स्थिर लागत तथा परिवर्तनशील लागत में अन्तर समाप्त हो जाता है। दीर्घकाल में सभी लागतें ही परिवर्तनशील हो जाती हैं। इसलिए दीर्घकाल में दीर्घकाल की औसत लागत (LAC) तथा दीर्घकाल की सीमान्त लागत (LMC) होती हैं। उत्पादन में वृद्धि करने से दीर्घकाल में पैमाने के प्रतिफल प्राप्त होते हैं।

  • पैमाने का बढ़ता प्रतिफल-इस कारण LAC घटती है।
  • पैमाने का समान प्रतिफल-इस कारण LAC समान रहती है।
  • पैमाने का घटता प्रतिफल-इस कारण LAC घटती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 8

रेखाचित्र 1 में पैमाने के प्रतिफल की तीन स्थितियों को दिखाया गया है। दीर्घकाल की लागत रेखाएं अंग्रेज़ी के अक्षर U जैसी होती हैं, परन्तु यह चपटी (Flattened) हैं।

प्रश्न 2.
रेखाचित्र द्वारा कुल लागत (TC), कुल स्थिर लागत (TFC) तथा कुल परिवर्तनशील लागत (TVC) के सम्बन्ध को स्पष्ट करो।
उत्तर-
कुल लागत (TC), कुल स्थिर लागत (TFC) तथा कुल परिवर्तनशील लागत (TVC) की सहायता से प्राप्त की जाती है।-

  1. कुल स्थिर लागत (TFC) स्थिर रहती है, जैसे कि इस स्थिति में ₹ 10 है। यह हमेशा OX रेखा के समान्तर होती है।
  2. कुल परिवर्तनशील लागत (TVC) शून्य से आरम्भ होती है। बदलवें अनुपातों के नियम अनुसार इसमें परिवर्तन होता है जोकि उल्टे आकार की बनती है।
  3. कुल लागत (TC) का निर्माण कुल स्थिर लागत (TFC) तथा कुल परिवर्तनशील लागत (TVC) के जोड़ से बनाई जाती हैं, क्योंकि कुल स्थिर लागत स्थिर रहती है। इसलिए कुल लागत (TC) कुल परिवर्तनशील लागत के समान्तर होती है। इनमें हमेशा अन्तर कुल स्थिर लागत के समान होता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 9

प्रश्न 3.
स्थिर लागत तथा परिवर्तन शील लागत में अंतर बताओ।
उत्तर-
स्थिर लागतें (Fixed Costs)-स्थिर लागतें वह लागते हैं, जोकि स्थिर साधनों पर व्यय की जाती हैं तथा उत्पादन किया जाएं अथवा न किया जाएं। यह लागतें स्थिर रहती हैं। यह कभी भी शून्य नहीं होतीं। जैसे कि

  • इमारत का किराया।
  • पक्के कर्मचारियों की मज़दूरी
  • उधार के लिए पूंजी का ब्याज,
  • बीमे की किस्त इत्यादि।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ

2. परिवर्तनशील लागतें (Variable Costs) परिवर्तनशील लागते वह लागतें होती हैं, जो किसी वस्तु के उत्पादन में परिवर्तन करने से परिवर्तित हो जाती हैं। उत्पादन में वृद्धि करने से अधिक हो जाती है तथा उत्पादन में कमी करने से कम हो जाती हैं। जैसे कि

  • कच्चे लगे मजदूरों की मज़दूरी
  • कच्चे माल का व्यय
  • बिजली का व्यय
  • यातायात के साधनों का व्यय इत्यादि।

प्रश्न 4.
कुल औसत लागत (TAC), औसत परिवर्तनशील लागत (AVC) तथा सीमान्त लागत (MC) के सम्बन्ध को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर-
कुल औस’ लागत (TAC), औसत परिवर्तनशील ATC (AVC) तथा सीमान्त लागत के सम्बन्ध को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट |5 किया जा सकता है। यह वक्र अंग्रेजी के अक्षर U जैसी हैं, क्योंकि परिवर्तनशील अनुपातों का नियम लागू होता है।

औसत परिवर्तनशील लागत (AVC) पहले घटती है फिर बढ़ती है। सीमान्त लागत (MC) AVC को E बिन्दु पर काटती है-

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 10

  • कुल औसत लागत (ATC) पहले घटती है फिर समान रहती है तथा अन्त में बढ़ती है। सीमान्त लागत इसको E, पर काटती है, जोकि न्यूनतम बिन्दु है तथा OQ, उत्पादन होता है।
  • सीमान्त लागत (MC) रेखा, औसत परिवर्तनशील लागत (AVC) तथा औसत कुल लागत (ATC) को न्यूनतम बिन्दुओं पर काटकर गुज़रती हैं।

प्रश्न 5.
सीमान्त लागत तथा औसत परिवर्तनशील लागत के सम्बन्ध को स्पष्ट करो।
उत्तर-
सीमान्त लागत तथा औसत परिवर्तनशील लागत के सम्बन्ध को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करते हैं।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 11
सूचीपत्र तथा रेखाचित्र 4 के अनुसार-

  1. जब उत्पादन में वृद्धि होती है तो आरम्भ में औसत परिवर्तनशील लागत (AVC) घटती है, जैसे कि 50, 45, 40, 35 तो सीमान्त लागत तीव्रता से घटती है। ₹ 50, 40, 30, 24 है।
  2. जब औसत परिवर्तनशील लागत (AVC) समान रहती है तो सीमान्त लागत, AVC के समान हो जाती है, जिसको E बिन्दु द्वारा दिखाया है।
  3. जब औसत परिवर्तनशील लागत बढ़ती है तो सीमान्त लागत तीव्रता से बढ़ती है।

प्रश्न 6.
स्पष्ट करो कि सीमान्त लागत वक्र का बढ़ता भाग, प्रतियोगिता वाली फ़र्म की पूर्ति वक्र होता है।
उत्तर-
एक प्रतियोगिता वाली फ़र्म का सन्तुलन उस MC स्थिति में होता है, जहां कि सीमान्त आय (MR) तथा सीमान्त लागत (MC) समान होती है। पूर्ण प्रतियोगिता में वस्तु की एक कीमत निर्धारण हो जाती है। इसलिए आय AR=MR वक्र AR = MR सीधी रेखा बनती हैं।

  • फ़र्म का सन्तुलन MR = MC द्वारा E1 पर होता है। कीमत OP1 निश्चित हो जाती है, उत्पादन OQ1 किया जाता है।
  • जब कीमत बढ़कर OP2 हो जाती है तो सन्तुलन E2 पर होता है तथा फ़र्म OQ2 वस्तुओं का उत्पादन
    करके पूर्ति करती है।
  • जब कीमत OP3 हो जाती है तो सन्तुलन E3 पर होता है। इससे फ़र्म OQ3 वस्तुओं का उत्पादन करती है तथा पूर्ति OQ3 हो जाती है। इससे ज्ञात होता है कि सीमान्त लागत का बढ़ता हिस्सा प्रतियोगिता वाली फ़र्म का पूर्ति वक्र होता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 12

प्रश्न 7.
औसत लागत तथा सीमान्त लागत के सम्बन्ध को स्पष्ट करो।
उत्तर-
औसत लागत तथा सीमान्त लागत के सम्बन्ध को रेखाचित्र 6 द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-

  • आरम्भ में उत्पादन में वृद्धि करने से औसत लागत (AC) घटती है तो सीमान्त लागत (MC) तीव्रता से घटती है, परन्तु सीमान्त लागत से औसत लागत अधिक होती है।
  • E बिन्दु पर जब OQ उत्पादन किया जाता है तो औसत लागत समान रहती है तो सीमान्त लागत इसके समान हो जाती है।
  • OQ से अधिक उत्पादन करने से औसत लागत बढ़ती है, परन्तु सीमान्त लागत तीव्रता से बढ़ती है। इस स्थिति में औसत लागत सीमान्त लागत से कम होती है।
  • औसत लागत को सीमान्त लागत न्यूनतम बिन्दु पर काटकर गुज़रती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 13

प्रश्न 8.
एक फ़र्म की कुल लागत का सूची पत्र निम्नलिखित अनुसार है –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 14

(a) इस फ़र्म की कुल स्थिर लागत कितनी है ?
(b) इस सूची से AFC, AVC, ATC तथा MC ज्ञात करो।
उत्तर-
(a) फ़र्म की कुल स्थिर लागत ₹ 40 है।
(b) AFC, AVC, ATC तथा MC का माप
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 15

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अल्पकाल की लागत रेखाओं को स्पष्ट करो।अल्पकाल की लागत रेखाएं U आकार की क्यों होती (Explain short run cost curves. Why are short period cost curves U shaped ?)
अथवा
अल्पकाल की निम्नलिखित धारणाओं को स्पष्ट करो।
(i) औसत स्थिर लागत (AFC)
(ii) औसत परिवर्तनशील लागत (AVC)
(iii) औसत कुल लागत (ATC)
(iv) सीमान्त लागत (MC)
उत्तर-
अल्पकाल इतना कम समय होता है, जिसमें स्थिर साधनों में परिवर्तन नहीं किया जा सकता। इस समय में लागतें दो प्रकार की होती हैं-स्थिर लागत तथा परिवर्तनशील लागत। अल्पकाल को निश्चित नहीं किया जा सकता। यह तो विभिन्न फ़र्मों पर निर्भर करता है कि अल्पकाल कितना होगा। यह समय कुछ महीनों अथवा कुछ वर्षों का भी हो सकता है, जैसे कि साइकिल का उद्योग स्थापित करने के लिए एक वर्ष का समय चाहिए है तो एक वर्ष के समय को कम समय कहा जाता है। हौजरी का कार्य तीन महीनों में आरम्भ किया जा सकता है तो तीन महीने का समय कम समय है। अल्पकाल की मुख्य लागतें इस प्रकार होती हैं

  • औसत स्थिर लागत (Average Fixed Cost)
  • औसत परिवर्तनशील लागत (Average Variable Cost)
  • औसत कुल लागत (Average Total Cost)
  • सीमान्त लागत (Marginal Cost)

अल्पकाल की लागत रेखाओं को एक सूचीपत्र द्वारा स्पष्ट करते हैं। (विद्यार्थियों के लिए नोट विद्यार्थी इस सूची को आसानी से याद कर सकते हैं।)

  1. कॉलम 1 में 1, 2, 3, 4 इत्यादि संख्याएं लिखो।
  2. कॉलम 2 में (FC), 100, 100, 100 लिखो।
  3. कॉलम 3 की आंकड़े कॉलम 2 : 1 से विभाजित कर AFC प्राप्त करो।
  4. इसके पश्चात् प्रथम कॉलम 5में (AVC) 0, 50, 45, 40, 35 अर्थात् 5,5 घटाओ तथा फिर इसको विपरीत करके लिखो 35, 40, 45, 50 लिखो।
  5. कॉलम 4 में AC की संख्याओं को कॉलम 5 x 1 द्वारा प्राप्त करो।
  6. AFC + AVC द्वारा कॉलम 6 में कुल लागत (Total Cost) प्राप्त करो।
  7. कुल लागत को उत्पादन पर विभाजित करके औसत कुल लागत (ATC) प्राप्त करो |
  8. कुल लागत (TC) कॉलम 6 में एक इकाई की वृद्धि से कुल लागत में वृद्धि द्वारा सीमान्त लागत का माप करो।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 16
(i) औसत स्थिर लागत (Average Fixed Cost)प्रो० डूली अनुसार, “कुल स्थिर लागत को उत्पादन की इकाइयों से विभाजित करने से औसत स्थिर लागत प्राप्त होती है।” (“Average Fixed cost may be derived by dividing fixed cost with output.”—Dooley)
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 17
यदि कॉलम 2 में 100,100 को उत्पादन की इकाइयों से विभाजित करते हैं तो AFC प्राप्त होती है। AFC घटती जाती है। जब उत्पादन में वृद्धि होती है, परन्तु AFC कभी शून्य नहीं होती।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 18
(ii) औसत परिवर्तनशील लागत (Average Variable Cost) कुल परिवर्तनशील लागत (TVC) को उत्पादन की इकाइयों पर विभाजित करने से औसत परिवर्तनशील लागत प्राप्त होती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 19
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 20
कुल परिवर्तनशील लागत को उत्पादन की इकाइयों से विभाजित करने से औसत परिवर्तनशील लागत 50, 45, 40, 35 पहले घटती है, फिर 35, 40, 45, 50 बढ़ती है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 21
(iii) औसत कुल लागत (Average Total Cost)-कुल लागत हम कुल स्थिर तथा कुल परिवर्तनशील लागत के योग से प्राप्त करते हैं।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 22
कुल लागत उत्पादन
औसत स्थिर लागत + औसत परिवर्तनशील लागत

(iv) सीमान्त लागत (Marginal Cost)-प्रो० डूली अनुसार, “उत्पादन में परिवर्तन से कुल लागत में जो परिवर्तन होता है, उसको सीमान्त लागत कहा जाता है।”
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 23
उत्पादित वस्तुओं की कुल लागत-उत्पादित वस्तुओं से एक कम वस्तु उत्पादन करने से कुल लागत जैसे कि 2 वस्तुओं का उत्पादन करने से कुल लागत ₹ 190 है। एक वस्तु उत्पादन करने से कुल लागत ₹ 150 तो दूसरी वस्तु की सीमान्त लागत ₹ 190 – 150 = ₹40 है। सीमान्त लागत पहले तीव्रता से घटती है, जैसे कि रेखाचित्र में दिखाया है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 24

अल्पकाल की लागत रेखाएं U आकार की होती हैं (Short Period Cost Curves are U Shaped)-अल्पकाल की लागत TY रेखाएं अंग्रेजी के अक्षर U जैसी होती हैं।
(i) AVC, ATC तथा MC पहले घटती है तथा फिर बढ़ती हैं।
(ii) AVC रेखा OQ तक घटती हैं तो MC इसके समान हो जाती हैं अर्थात् न्यूनतम बिन्दु पर काटती हैं।
(iii) ATC रेखा OQ, तक घटती है तो MC इसके समान हो जाती हैं, अर्थात् न्यूनतम बिन्दु पर काटती है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 25
अल्पकाल की लागत रेखाएं U आकार की क्यों होती हैं ?

  • घटते-बढ़ते प्रतिफल का नियम-अल्पकाल में लागत वक्र U आकार की होती है, क्योंकि अल्पकाल में घटते-बढ़ते प्रतिफल का नियम लागू होता है।
  • आन्तरिक तथा बाहरी बचतें तथा हानियां-उत्पादन को बढ़ाने से पहले आन्तरिक तथा बाहरी बचतें प्राप्त होती हैं। इसलिए लागत वक्र पहले घटती हैं। बाद में हानियाँ प्राप्त होती हैं। इसलिए लागत वक्र बढ़ने लगते हैं।
  • उत्पादन के साधनों का अविभाजन-साधनों का आकार बड़ा होता है तो अधिक प्रयोग से लागत घटती हैं, परन्तु अधिक प्रयोग से लागतें बढ़ने लगती हैं।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ

V. संरव्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
एक फ़र्म 20 इकाइयाँ उत्पादन करती है। उत्पादन के इस स्तर पर औसत कुल लागत (ATC) तथा औसत परिवर्तनशील लागत (AVC) ₹ 40 तथा ₹ 37 के समान है। फ़र्म की कुल स्थिर लागत पता करो।
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 26

प्रश्न 2.
निम्नलिखित सूचीपत्र को पूरा करें।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 27
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 28

प्रश्न 3.
निम्नलिखित सारणी से उत्पादन के दर्शाए स्तर पर औसत परिवर्तनशील लागत ज्ञात करें।

उत्पादन (इकाइयाँ) 1 2 3 4
सीमान्त लागत 40 30 35 39

उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 29

प्रश्न 4.
एक फ़र्म की उत्पादन लागत के आँकड़े निम्नलिखित हैं। इनकी सहायता से
(क) कुल परिवर्तनशील लागत
(ख) कुल स्थिर लागत
(ग) औसत परिवर्तनशील लागत
(घ) सीमान्त लागत ज्ञात करें।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 30
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 31

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ

प्रश्न 5.
एक फर्म की कुल लागत अनुसूची निम्नलिखित है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 32
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 33

प्रश्न 6.
एक फर्म की कुल लागत अनुसूची निम्नलिखित है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 34
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 35

प्रश्न 7.
एक फर्म की कुल लागत अनुसूची निम्नलिखित है। उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर औसत स्थिर लागत और सीमान्त लागत ज्ञात करें।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 36
उत्तर –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 37

प्रश्न 8.
निम्नलिखित सूची में औसत लागत (AC) ज्ञात करें।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 38
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 8 लागत की धारणाएँ 39

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

PSEB 11th Class Economics उत्पादन का अर्थ Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
उत्पादन फलन क्या होता है ?
उत्तर-
उत्पादन फलन एक तकनीकी संबंध है जो कि उत्पादन (Output) तथा आदानों (Inputs) के बीच भौतिक सम्बन्ध को दर्शाता है।

प्रश्न 2.
उत्पादन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उत्पादन वह प्रक्रिया है जो कि मूल्य वृद्धि को प्रकट करती है।

प्रश्न 3.
अल्पकालीन उत्पादन फलन को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
साधन के प्रतिफल।

प्रश्न 4.
दीर्घकालीन उत्पादन फलन को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
पैमाने के प्रतिफल।

प्रश्न 5.
सीमान्त उत्पाद से क्या अभिप्राय है ? .
अथवा
सीमान्त भौतिक उत्पाद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उत्पादन के साधन की परिवर्तनशील साधनों की एक और इकाई का प्रयोग करने से जो कुल भौतिक उत्पादन में परिवर्तन होता है उसको सीमान्त उत्पादन कहते हैं। (MP = TPn – TPn-1).

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 6.
उत्पादन के तीन आदानों के नाम लिखें।
उत्तर-
भूमि, श्रम, पूँजी।

प्रश्न 7.
भूमि से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
भूमि का अर्थ प्रकृति की मुफ्त देन, जिसमें भूमि की ऊपरी परत, भूमि की निचली परत, वायुमण्डल, धूप, हवा इत्यादि को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 8.
श्रम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
श्रम उत्पादन का चुस्त (Active) साधन है जोकि उत्पादन में महत्त्वपूर्ण योगदान डालता है।

प्रश्न 9.
पूँजी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उत्पादन के साधनों द्वारा संचित राशि जिसमें अन्य उत्पादन किया जाता है उसको पूँजी कहते हैं।

प्रश्न 10.
साधन के प्रतिफल से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
साधन के प्रतिफल से अभिप्राय एक परिवर्तनशील साधन में परिवर्तन से भौतिक उत्पादन में वृद्धि से होता है।

प्रश्न 11.
पैमाने के प्रतिफल से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पैमाने के प्रतिफल से अभिप्राय उत्पादन के सभी साधनों को एक अनुपात में बढ़ाने से, प्रतिफल में होने वाली वृद्धि से होता है।

प्रश्न 12.
उद्यमी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उद्यमी वह होता है जोकि वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करने के लिए साधनों को इकट्ठा करता है और लाभ तथा हानि के लिए जिम्मेदार होता है।

प्रश्न 13.
कुल उत्पादन की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
एक निश्चित समय में उत्पादित की गई वस्तुओं और सेवाओं की कुल मात्रा के योग को कुल उत्पादन कहा जाता है।

प्रश्न 14.
औसत उत्पादन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कुल उत्पादन को परिवर्तनशील साधन की कुल इकाइयों से भाग देने पर जो भागफल होता है, उसे औसत उत्पादन कहा जाता है।

प्रश्न 15.
कुल उत्पादन कब अधिकतम होता है ?
उत्तर-
जब सीमान्त उत्पादन शून्य (Zero) होता है तो कुल उत्पादन अधिकतम होता है।

प्रश्न 16.
जब कुल उत्पादन गिरने लगता है तो सीमान्त उत्पादन कैसा होता है ?
उत्तर-
सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक होता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 17.
यदि कुल उत्पादन स्थिर हो जाता है तो सीमान्त उत्पादन किस स्थिति में होता है ?
उत्तर-
सीमान्त उत्पादन शून्य (Zero) होता है।

प्रश्न 18.
यदि कुल उत्पादन में वृद्धि घटती दर पर होती है तो सीमान्त उत्पादन कैसा होता है ?
उत्तर-
सीमान्त उत्पादन घटता हुआ होता है।

प्रश्न 19.
क्या कुल उत्पादन तथा औसत उत्पादन शून्य या ऋणात्मक हो सकते हैं ?
उत्तर-
नहीं।

प्रश्न 20.
सीमान्त भौतिक उत्पाद तालिका से कुल भौतिक उत्पाद कैसे ज्ञात होता है ?
उत्तर-
सीमान्त भौतिक उत्पाद तालिका से कुल भौतिक उत्पाद सभी सीमान्त भौतिक उत्पादों को जोड़ने से ज्ञात होता है।

प्रश्न 21.
सीमान्त भौतिक उत्पाद वक्र का सामान्य आकार कैसा होता है ?
उत्तर-
MPP वक्र का आकार सामान्यता या उल्टे U आकार का होता है।

प्रश्न 22.
यदि उत्पाद सीमान्त भौतिक उत्पाद में वृद्धि घटती अनुपात से होती है तो कुल उत्पाद कैसा होता है?
उत्तर-
कुल उत्पाद में वृद्धि बढ़ती अनुपात से होगी।

प्रश्न 23.
APP वक्र का सामान्य आकार कैसा होता है ?
उत्तर-
APP वक्र का सामान्य आकार उल्टे U जैसा होता है।

प्रश्न 24.
परिवर्ती अनुपातों का नियम किसे कहते हैं ?
उत्तर-
स्थिर साधनों में परिवर्तनशील साधन की इकाइयाँ जोड़ने से दोनों प्रकार के साधनों का अनुपात परिवर्तित हो जाता है।

प्रश्न 25.
आन्तरिक बचतों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जो बचतें पूर्णतया फ़र्म के आकार व उसकी कार्य-क्षमता पर निर्भर करती है वह बचतें आन्तरिक बचतें कहलाती हैं।

प्रश्न 26.
बाहरी बचतें किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जो बचतें उद्योग के विकास और विस्तार के कारण मिलती हैं। वे बचतें बाहरी बचतें कहलाती हैं।

प्रश्न 27.
परिवर्तनशील और स्थिर साधनों का अन्तर किस काल तक सीमित होता है ?
उत्तर-
अल्पकाल तक।

प्रश्न 28.
दीर्घकाल में उत्पादन के साधनों की प्रकृति कैसी होती है ?
उत्तर-
सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं।

प्रश्न 29.
घटते प्रतिफल के नियम से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
घटते प्रतिफल के नियम अनुसार जब स्थिर साधन भूमि पर परिवर्तनशील साधन श्रम की इकाइयों में वृद्धि की जाती है तो सीमान्त प्रतिफल घटने लगता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 30.
आप सीमान्त भौतिक उत्पादन सम्बन्धी क्या कहोगे यदि एक साधन का कुल भौतिक उत्पादन घटता है ?
उत्तर-
जब कुल उत्पादन घटता है तो सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक होता है।

प्रश्न 31.
परिवर्तनशील अनुपात का नियम …… पर लागू होता।
(a) सरकार
(b) परिवार
(c) कृषि
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(c) कृषि।

प्रश्न 32.
जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ता है औसत लागत प्रति इकाई घटती जाती है इस कथन का सम्बन्ध ……….. से है।
(a) बढ़ती लागतों का नियम
(b) घटती लागतों का नियम
(c) स्थिर लागतों का नियम
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(b) घटती लागतों का नियम।

प्रश्न 33.
बढ़ते प्रतिफल का नियम ……….. पर लागू होता है।
(a) कृषि
(b) उद्योग
(c) व्यापार
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(b) उद्योग।

प्रश्न 34.
जब औसत उत्पादन बढ़ता है तो सीमान्त उत्पादन ………. है।
(a) बढ़ता
(b) घटता
(c) स्थिर रहता
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) स्थिर रहता।

प्रश्न 35.
जब कुल उत्पादन अधिकतम होता है तो सीमान्त उत्पादन ………. होता है।
(a) बढ़ता
(b) घटता
(c) शून्य
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) शून्य।

प्रश्न 36.
जब सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक होता है तो कुल उत्पादन …………. होता है।
(a) बढ़ता
(b) घटता
(c) समान
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) घटता।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 37.
जब औसत उत्पादन बढ़ता है तो सीमान्त उत्पादन तेज़ी से ……….. है।
(a) बढ़ता
(b) घटता
(c) समान रहता
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) बढ़ता।

प्रश्न 38.
जब औसत उत्पादन घटता है तो सीमान्त उत्पादन तेज़ी से ………… है।
(a) बढ़ता
(b) घटता
(c) समान रहता
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) घटता।

प्रश्न 39.
जब औसत उत्पादन समान रहता है तो सीमान्त उत्पादन ……….. होता है।
(a) इससे अधिक
(b) इससे कम
(c) इसके समान
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) इसके समान।

प्रश्न 40.
जब कुल उत्पादन घटता है तो सीमान्त उत्पादन …………. होता है।
(a) ऋणात्मक
(b) धनात्मक
(c) शून्य
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) ऋणात्मक।

प्रश्न 41.
निम्नलिखित समीकरण को पूरा करें : MP = TPn (-) ………………
उत्तर-
MP = TPn (-) TPn-1

प्रश्न 42.
अल्पकाल उत्पादन फलन को ………. कहा जाता है।
(a) साधन का प्रतिफल
(b) पैमाने का प्रतिफल
(c) परिवर्तनशील प्रतिफल
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) साधन का प्रतिफल।

प्रश्न 43.
दीर्घकाल उत्पादन फलन को ……… कहते हैं।
(a) साधन का प्रतिफल
(b) पैमाने का प्रतिफल
(c) परिवर्तनशील प्रतिफल
(d) स्थिर प्रतिफल।
उत्तर-
(b) पैमाने का प्रतिफल।

प्रश्न 44.
घटते प्रतिफल का नियम ………. पर लागू होता है।
(a) उद्योग
(b) कृषि
(c) सरकार
(d) उपरोक्त सभी पर।
उत्तर-
(b) कृषि।

प्रश्न 45.
घटते प्रतिफल का नियम कृषि पर अधिकांश लागू होता है क्योंकि।
(a) प्रकृति प्रभावशाली
(b) पेशे की किस्म
(c) भूमि सीमित है
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 46.
क्या कुल उत्पादन कभी कम हो सकता है ?
उत्तर-
हाँ जब सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक हो जाए।

प्रश्न 47.
क्या कुल उत्पादन शून्य हो सकता है ?
उत्तर-
नहीं।

प्रश्न 48.
कुल उत्पादन अधिकतम कब होता है ?
उत्तर-
जब सीमान्त उत्पादन शून्य होता है।

प्रश्न 49.
क्या परिवर्तनशील उत्पादन के नियम को स्थितगत किया जा सकता है ?
उत्तर-
नहीं।

प्रश्न 50.
परिवर्तनशील साधन के प्रति इकाई उत्पादन को ………. कहते हैं।
उत्तर-
औसत उत्पादन।

प्रश्न 51.
एक वस्तु की उपयोगिता बढ़ाने की प्रक्रिया जिससे वस्तु की कीमत में वृद्धि हो जाती हैं को …. कहते हैं।
उत्तर-
उत्पादन।

प्रश्न 52.
एक परिवर्तनशील साधन में परिवर्तन से भौतिक उत्पादन में साथ-साथ परिवर्तन को साधन का प्रतिफल कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 53.
जब सीमान्त उत्पादन शून्य (zero) होता है तो कुल उत्पादन भी शून्य होता है।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 54.
जब स्थिर साधन भूमि पर परिवर्तनशील साधनों की इकाइयों में वृद्धि की जाती है तो इससे सीमान्त प्रतिफल कम होता जाता है। इस को घटते प्रतिफल का नियम कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 55.
जब औसत उत्पादन बढ़ता है तो सीमान्त उत्पादन तेजी से बढ़ता है।
उत्तर-
सही ।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 56.
जब सीमान्त उत्पादन शून्य (zero) होता है तो कुल उत्पादन अधिकतम होता है।
उत्तर-
सही ।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
उत्पादन फलन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
एक वस्तु के भौतिक साधनों (Inputs) तथा भौतिक उत्पादन (Output) के क्रियात्मक सम्बन्ध को उत्पादन फलन कहा जाता है। प्रो० वाटसन के शब्दों में, “एक फ़र्म के भौतिक उत्पादन तथा उत्पादन के भौतिक साधनों के सम्बन्ध को उत्पादन फलन कहा जाता है।”

प्रश्न 2.
एक साधन के प्रतिफल से क्या अभिप्राय है? एक साधन का बढ़ता प्रतिफल क्यों प्राप्त होता है? स्पष्ट करो।
उत्तर-
एक साधन के प्रतिफल से अभिप्राय एक परिवर्तनशील साधन में परिवर्तन से भौतिक उत्पादन की वृद्धि से होता है, जब स्थिर साधन में कोई परिवर्तन नहीं होता। साधन का बढ़ता प्रतिफल इसलिए प्राप्त होता है, क्योंकि परिवर्तनशील साधन में वृद्धि से सीमान्त उत्पादन में वृद्धि की दर अधिक होती है, इसका मुख्य कारण आन्तरिक तथा बाहरी बचतें होती हैं।

प्रश्न 3.
पैमाने के प्रतिफल से क्या अभिप्राय है? .
उत्तर-
पैमाने के प्रतिफल से अभिप्राय, उत्पादन के सभी साधनों को एक ही अनुपात में बढ़ाने से, प्रतिफल में होने वाली वृद्धि से होता है। यह एक दीर्घकाल की धारणा है। जब सभी उत्पादन के साधनों में एक अनुपात में वृद्धि की जाती है तो इससे उत्पादन में जो परिवर्तन होता है, उसको पैमाने का प्रतिफल कहा जाता है।

प्रश्न 4.
सीमान्त उत्पादन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
परिवर्तनशील साधन की एक इकाई में परिवर्तन करने से कुल उत्पादन में जो परिवर्तन होता है, उस परिवर्तन को सीमान्त उत्पादन कहा जाता है। जैसे कि श्रम की एक इकाई बढ़ाने अथवा घटाने से कुल उत्पादन में जो वृद्धि अथवा कमी होती है, उसको सीमान्त उत्पादन कहा जाता है।
MP = TPn – TPn-1.

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 5.
एक साधन के समान प्रतिफल से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
एक साधन के समान प्रतिफल का अर्थ है कि जब स्थिर साधन पर परिवर्तनशील साधन की इकाइयों में वृद्धि की जाती है तो सीमान्त प्रतिफल (N.P.) समान हो जाता है। इस स्थिति को समान प्रतिफल का नियम भी कहा जाता है।

प्रश्न 6.
पैमाने के बढ़ते प्रतिफल के अर्थ बताओ।
उत्तर-
जब उत्पादन के सभी साधनों में एक अनुपात में वृद्धि की जाती है तो साधनों की प्रतिशत वृद्धि से उत्पादन में प्रतिशत वृद्धि अधिक होती है तो इसको पैमाने का बढ़ता प्रतिफल कहा जाता है, उदाहरणस्वरूप । श्रम इकाइयाँ | पूंजी इकाइयाँ उत्पादन इकाइयाँ । पैमाने का बढ़ता प्रतिफल उत्पादन में प्रतिशत वृद्धि 20 500 साधनों में प्रतिशत वृद्धि

प्रश्न 7.
आप सीमान्त भौतिक उत्पादन सम्बन्धी क्या कहेंगे, यदि एक साधन का कुल भौतिक उत्पादन घटता है।
उत्तर-
जब कुल उत्पादन घटता है तो सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक होता है।
श्रम इकाइयां । कुल उत्पादन सीमान्त उत्पादन

प्रश्न 8.
श्रम के विभाजन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
एक वस्तु के उत्पादन को छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर प्रत्येक भाग का निर्माण विशेष मज़दूरों द्वारा किया जाता है तो इस क्रिया को श्रम का विभाजन कहा जाता है। एडम स्मिथ ने कहा कि सुई पिन्न को 18 भागों में विभाजित कर उत्पादन किया गया तो उत्पादन 24 गुणा बढ़ गया।

प्रश्न 9.
आन्तरिक बचतें क्या हैं?
उत्तर-
आन्तरिक बचतें वह बचतें हैं जोकि एक फ़र्म को उसकी चार दीवारी के अंदर निजी प्रयत्नों के कारण प्राप्त होती हैं। यह बचतें हैं

  • प्रबन्धकी बचतें
  • वित्तीय बचतें
  • जोखिम सम्बन्धी बचतें
  • तकनीकी बचतें
  • खरीद-बेच सम्बन्धी बचतें।

प्रश्न 10.
बाहरी बचतें क्या हैं ?
उत्तर-
बाहरी बचतें वह बचतें हैं जो किसी उद्योगों के समूह को उत्पादन में वृद्धि करने के परिणामस्वरूप सभी फ़र्मों को ही प्राप्त होती है उदाहरणस्वरूप-

  1. स्थानीयकरण की बचतें
  2. सूचना की बचतें
  3. श्रम की विभाजन की बचतें।

प्रश्न 11.
उत्पादन के कोई तीन साधन बताओ।
उत्तर-
उत्पादन के मुख्य साधन हैं –

  • भूमि-भूमि का अर्थ प्रकृति की मुफ़्त देन से है। भूमि में भूमि की ऊपरी परत, भूमि की निचली तथा वायुमण्डल, धूप, हवा इत्यादि शामिल किया जाता है।
  • श्रम-श्रमं एक चुस्त (active) साधन है, जोकि उत्पादन में महत्त्वपूर्ण योगदान डालता है।
  • पूंजी-उत्पादन के साधनों द्वारा संचित राशि जिससे अन्य उत्पादन किया जाता है उसको पूंजी कहते हैं।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कुल उत्पादन, सीमान्त उत्पादन तथा औसत उत्पादन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उत्पादन की तीन महत्त्वपूर्ण धारणाएं कुल उत्पादन, सीमान्त उत्पादन तथा औसत उत्पादन हैं।
1. कुल उत्पादन (Total Product)-किसी विशेष समय में जो वस्तुओं तथा सेवाओं की कुल मात्रा का उत्पादन किया जाता है, उसको कुल उत्पादन कहते हैं। एक किसान ने एक खेत में 20 टन गेहूँ का उत्पादन एक वर्ष में किया। इसको कुल उत्पादन कहा जाता है।

2. सीमान्त उत्पादन (Marginal Product)-उत्पादन बढ़ाने के लिए परिवर्तनशील साधन की एक इकाई बढ़ाने अथवा घटाने से कुल उत्पादन में जो परिवर्तन होता है, उसको सीमान्त उत्पादन कहा जाता है, जैसे कि श्रम तथा पूंजी की एक इकाई से एक खेत में 20 टन गेहूं का उत्पादन होता है। दो इकाइयों से कुल उत्पादन 50 टन हो जाता है तो सीमान्त उत्पादन 50-20 = 30 टन होगा।
MP = TPn – TPn-1

3. औसत उत्पादन (Average Product)-परिवर्तनशील साधनों की प्रति इकाई उत्पादन शक्ति को औसत उत्पादन कहा जाता है। श्रम तथा पूंजी की दो इकाइयों से एक किसान 50 टन गेहूँ का उत्पादन करता है तो \(\mathrm{AP}=\frac{\mathrm{TP}}{\text { Units of Labour and Capital }}=\frac{50}{2}\) = 25 टन.

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 2.
कुल भौतिक उत्पादन TPP, औसत भौतिक उत्पादन (APP) तथा सीमान्त भौतिक उत्पादन (APP) में सम्बन्ध बताओ।
उत्तर-
परिवर्तनशील साधन की इकाइयों में वृद्धि करने से जितनी कुल उत्पादकता होती है उसको कुल भौतिक उत्पादन कहा जाता है। यदि परिवर्तनशील साधन की इकाई में वृद्धि की जाती है, तो कुल उत्पादन में वृद्धि को सीमान्त उत्पादन कहते हैं। इनके सम्बन्ध को सूचीपत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 1
(A) कुल उत्पादन (Total Product) तथा सीमान्त उत्पादन (Marginal Product) में सम्बन्ध –

  • जब कुल उत्पादन 4, 10, 18 बढ़ती अनुपात पर बढ़ता है, सीमान्त उत्पादन 4, 6, 8 बढ़ता है।
  • जब कुल उत्पादन 18, 24, 28, 30 घटती अनुपात पर बढ़ता है, तो सीमान्त उत्पादन घटने लगता है।
  • जब कुल उत्पादन अधिकतम होता है तो सीमान्त उत्पादन शून्य (0) हो जाता है।
  • जब अन्त में कुल उत्पादन 30, 28 घटता है तो सीमान्त उत्पादन -2 ऋणात्मक हो जाता है।

(B) औसत उत्पादन (Average Product) तथा सीमान्त उत्पादन (M.P.) में सम्बन्ध –

  • जब एक औसत उत्पादन (AP) 4, 5, 6 बढ़ता है। सीमान्त उत्पादन (M.P.) 4, 6, 8 तीव्रता से बढ़ता है।
  • जब औसत उत्पादन (AP) 6, 6 समान रहता है तो सीमान्त उत्पादन (MP) 6 इस के समान हो जाता है।
  • जब औसत उत्पादन (AP) घटता है तो सीमान्त उत्पादन (MP) तीव्रता से घटता है।
  • औसत उत्पादन (AP) हमेशा धनात्मक होता है, परन्तु सीमान्त उत्पादन (MP) ऋणात्मक हो जाता है।

(C) औसत उत्पादन (AP), सीमान्त उत्पादन (MP) तथा कुल उत्पादन (TP) में सम्बन्ध

  • आरम्भ में औसत उत्पादन, कुल उत्पादन तथा सीमान्त उत्पादन में वृद्धि होती है परन्तु सीमान्त उत्पादन औसत उत्पादन से अधिक होता है। MP > AP
  • जब कुल उत्पादन अधिकतम होता है तो सीमान्त उत्पादन 0 हो जाता है।
  • जब औसत उत्पादन तथा सीमान्त उत्पादन घटता है तो MP < AP होता है।
  • औसत उत्पादन तथा कुल उत्पादन हमेशा धनात्मक होते हैं, परन्तु सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक हो सकता है।

प्रश्न 3.
औसत उत्पादन तथा सीमान्त उत्पादन का सम्बन्ध रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर-
रेखाचित्र 1 अनुसार औसत उत्पादन तथा सीमान्त उत्पादन का सम्बन्ध इस प्रकार है :-

  • जब औसत उत्पादन (AP) बढ़ता है तो सीमान्त उत्पादन (MP) तीव्रता से बढ़ता है।
  • जबं औसत उत्पादन (AP) समान होती है तो सीमान्त = AP उत्पादन (MP) इसके समान हो जाता है, जैसे कि E बिन्दु द्वारा दिखाया है।
  • जब औसत उत्पादन (AP) घटता है तो सीमान्त उत्पादन (MP) तीव्रता से घटता है।
  • औसत उत्पादन हमेशा धनात्मक रहता है, परन्तु सीमान्त श्रम की इकाइयां उत्पादन ऋणात्मक हो सकता है, जैसे कि OY से अधिक उत्पादन करने से दिखाया गया है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 2

प्रश्न 4.
घटते सीमान्त प्रतिफल के नियम से क्या अभिप्राय है? रेखाचित्र 1
अथवा
एक साधन घटते प्रतिफल के नियम की व्याख्या करो। औसत उत्पादन/सीमान्त उत्पादन
अथवा
घटते सीमान्त प्रतिफल के नियम को स्पष्ट करो। दूसरे शब्दों में एक आगत की मात्रा में वृद्धि करने से इसका सीमान्त उत्पादन क्यों घटता है?
उत्तर-
एक साधन का घटता प्रतिफल |
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 3
सारणी तथा रेखाचित्र 2 में दिखाया है कि जब 1 हेक्टेयर भूमि पर श्रम तथा पूंजी की इकाइयाँ लगाई जाती है तो सीमान्त उत्पादन 3,2,1 कम होता जाता है जिसे रेखा चित्र में DR रेखा द्वारा दिखाया गया है। इस नियम को घटते प्रतिफल का नियम कहते हैं। सारणी तथा रेखाचित्र 3 में दिखाया है कि जैसे-जैसे श्रम तथा पूँजी की इकाइयाँ बढ़ाई जाती हैं औसत लागत ₹ 10, 12, 15 बढ़ती जाती है, जिस को रेखाचित्र में IC द्वारा दिखाया गया है। इस कारण इस नियम को बढ़ती लागत का नियम भी कहते हैं।

प्रश्न 5.
बदलवें अनुपातों के नियम से क्या अभिप्राय है?
अथवा
बदलवें अनुपातों के नियम को कुल उत्पादन तथा सीमान्त उत्पादन वक्रों द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर-
जब स्थिर साधन पर परिवर्तनशील साधन की मात्रा बढ़ाई जाती है तो आरम्भ में कुल उत्पादन बढ़ती अनुपात पर बढ़ता है। फिर कुल उत्पादन में वृद्धि घटती अनुपात पर होती है तथा अन्त में कुल उत्पादन घटने लगता है। इसको बदलवें अनुपातों का नियम कहा जाता है। इसको सूची-पत्र तथा रेखाचित्र 4 द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 5

  • सूचीपत्र में तीन इकाइयों तक बढ़ते प्रतिफल का नियम रेखाचित्र 4 लागू होता है, जिसको रेखाचित्र में 4 तक दिखाया गया है।
  • तीसरी इकाई से सातवीं इकाई तक घटते प्रतिफल का नियम लागू होता है, जिसको रेखाचित्र 4 में LK. द्वारा दिखाया गया है।
  • सातवीं इकाई के पश्चात् ऋणात्मक प्रतिफल का नियम लागू होता है, जिसको रेखाचित्र 4 में OK के पश्चात् दिखाया गया है। इसको बदलवें अनुपातों का नियम कहते हैं।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 6.
बढ़ते पैमाने के प्रतिफल से क्या अभिप्राय है? यह नियम क्यों लागू होता है?
उत्तर-
जब उत्पादन में प्रतिशत परिवर्तन सभी साधनों में प्रतिशत परिवर्तन से अधिक होता है वो इसको घटते पैमाने का प्रतिफल कहा जाता है। जब हम सभी साधनों में परिवर्तन करते हैं तो इससे उत्पादन में परिवर्तन होता है, यदि उत्पादन के साधनों में 10% वृद्धि की जाए, जिससे उत्पादन में 25% वृद्धि होती है तो इस स्थिति को बढ़ते पैमाने का प्रतिफल कहा जाता है।

श्रम पूंजी उत्पादन
20 20 100
40 40 300

सूचीपत्र में बढ़ते पैमाने के प्रतिफल को स्पष्ट किया गया है। नियम लागू होने के कारण-

  1. श्रम का विभाजन-बढ़ते पैमाने के प्रतिफल लागू होने का मुख्य कारण श्रम का विभाजन होता है। इससे उत्पादन शक्ति बढ़ जाती है।
  2. मशीनों का प्रयोग-मशीनों के प्रयोग के कारण उत्पादन में वृद्धि तीव्रता से होती है।
  3. तकनीकी विकास-तकनीकी विकास के कारण उत्पादन में वृद्धि का अनुपात बढ़ जाता है।
  4. बचतें-कच्चा माल खरीदने तथा तैयार माल बेचने सम्बन्धी बचतें होने के कारण उत्पादन में वृद्धि तीव्रता से होती है।
  5. प्रबन्धकी बचते-प्रबन्धकी बचतों के कारण उत्पादन में वृद्धि तीव्रता से होती है।

प्रश्न 7.
घटते पैमाने के प्रतिफल से क्या अभिप्राय है? यह नियम क्यों लागू होता है?
उत्तर-
जब उत्पादन में प्रतिशत परिवर्तन साधनों में प्रतिशत परिवर्तन से कम होता है तो इसको घटते पैमाने का प्रतिफल कहा जाता है। उदाहरणस्वरूप उत्पादन के साधनों में 100% वृद्धि की जाए, परन्तु उत्पादन में वृद्धि 50% हो तो इस स्थिति को घटते पैमाने का प्रतिफल कहा जाता है।

श्रम पूंजी उत्पादन
20 20 100
40 40 150

सूचीपत्र में श्रम तथा पूंजी की इकाइयों में वृद्धि दो गुणा दिखाई गई है अर्थात् 100% वृद्धि है, परन्तु उत्पादन में वृद्धि 100 से 150 होती है। यह वृद्धि 50% है। इसको घटते पैमाने का प्रतिफल कहते हैं।

नियम लागू होने के कारण-

  1. आन्तरिक हानियाँ-जब उत्पादन के पैमाने को बढ़ाया जाता है तो इससे आन्तरिक हानियां होती हैं। उत्पादन बढ़ाने से प्रबन्ध ठीक तरह नहीं होता। इसलिए उत्पादन बढ़ने की जगह पर घटने लगता है।
  2. बाहरी हानियाँ-जब एक स्थान पर बहुत-से उद्योग स्थापित हो जाते हैं तो वातावरण प्रदूषित हो जाता है। श्रम की उत्पादन शक्ति कम हो जाती है। उत्पादन लागत बढ़ जाती है। इसलिए घटते प्रतिफल का नियम लागू होता है।

प्रश्न 8.
साधन के प्रतिफल तथा पैमाने के प्रतिफल में अन्तर बताओ।
उत्तर-
साधन के प्रतिफल तथा पैमाने के प्रतिफल में मुख्य अन्तर इस प्रकार हैं-

अंतर का आधार साधन का प्रतिफल पैमाने का प्रतिफल
(1) समय साधन के प्रतिफल का अध्ययन लघुकाल में किया जाता है। पैमाने के प्रतिफल का अध्ययन दीर्घकाल में किया जाता है।
(2) साधन-अनुपात साधन प्रतिफल इस मान्यता पर आधारित है कि इसमें एक साधन में परिवर्तन होता है तथा शेष साधन स्थिर रहते हैं। पैमाने के प्रतिफल उसी समय लागू होता है, जब उत्पादन के सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं तथा एक अनुपात में बदलते हैं।

प्रश्न 9.
सारणी तथा चित्र की सहायता से घटती लागतों के नियम की व्याख्या करें।
अथवा
सारणी तथा चित्र की सहायता से बढ़ते प्रतिफल के नियम की व्याख्या करें।
उत्तर-
बढ़ते प्रतिफल के नियम को घटती लागतों का नियम भी कहा जाता है। जब ऋण और पूँजी की इकाइयों में वृद्धि की जाती है तो उत्पादन में वृद्धि करने से सीमान्त उत्पादन बढ़ता जाता है इसलिए इस नियम को बढ़ते प्रतिफल का नियम कहते हैं। दूसरी ओर उत्पादन की औसत लागत घटती जाती है जिस कारण इस नियम को घटती लागतों का नियम भी कहते हैं। इस नियम को सारणी तथा रेखाचित्र द्वारा भी स्पष्ट किया जा सकता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 7
रेखाचित्र 5 अनुसार उत्पादन में वृद्धि से सीमान्त उत्पादन बढ़ता जाता है। इस कारण इस नियम को बढ़ते प्रतिफल का नियम कहते हैं। रेखाचित्र 6 अनुसार उत्पादन में वृद्धि से औसत लागत घटती जाती है इसलिए इस नियम को घटती लागत का नियम कहते हैं।

प्रश्न 10.
चित्र तथा सारणी की सहायता से समान प्रतिफल के नियम की व्याख्या करो।
अथवा
चित्र तथा सारणी की सहायता से समान लागत के नियम की व्याख्या करो।
उत्तर-
उत्पादन के क्षेत्र में ऋण तथा पूँजी की इकाइयाँ लगाने से सीमान्त प्रतिफल समान रहता है तो इस नियम को समान प्रतिफल का नियम कहा जाता है। इस स्थिति में औसत लागत भी समान रहती है। इस कारण इस नियम को समान लागत का नियम भी कहा जाता है। इस नियम को सारणी तथा रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट किया जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 9
सारणी तथा रेखाचित्र 7 से स्पष्ट है कि ऋण तथा पूंजी लगाने से सीमान्त उत्पादन 2,2,2 बराबर है इसलिए इस नियम को समान प्रतिफल का नियम कहा जाता है। सारणी तथा रेखाचित्र 8 में स्पष्ट है कि ऋण तथा पूँजी की इकाइयाँ बढ़ाने से औसत लागत 5,5,5 समान है। इसलिए इस नियम को औसत लागत का नियम कहा जाता है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
साधन के प्रतिफल से क्या अभिप्राय है? इस सम्बन्ध में घटते बढ़ते प्रतिफल के नियम को स्पष्ट करो। इस नियम की तीन अवस्थाओं की व्याख्या करो।
(What is returns to a factors ? Explain the law of variable Proportions in this Contest. Discuss the three stages of the Law.)
उत्तर-
उत्पादन फलन साधन आगतों तथा उत्पादन के बीच सम्बन्ध स्थापित करने वाला तकनीकी सम्बन्ध है जब उत्पादन के एक साधन की मात्रा बढ़ा दी जाए तथा शेष साधनों की मात्रा स्थिर रखी जाए तो उत्पादन के साधनों की अनुपात में परिवर्तन आ जाता है, जोकि अल्पकाल (Short Period) में सम्भव होती है। मान लो भूमि स्थिर साधन है तथा श्रम परिवर्तनशील साधन है। यदि भूमि पर श्रम की इकाइयों में परिवर्तन किया जाता है तो इसको साधन का प्रतिफल (Returns to a Factor) कहा जाता है। उत्पादन के साधनों में परिवर्तन से उत्पादन की मात्रा में विभिन्न दरों से परिवर्तन होगा।

  • उत्पादन में वृद्धि बढ़ती दर पर होगी।
  • कुछ समय पश्चात् उत्पादन में वृद्धि समान दर पर होगी।
  • अन्त में वृद्धि घटती अनुपात पर होगी।

इन तीन स्थितियों को घटते-बढ़ते प्रतिफल का नियम (Law of Variable Proportions) कहा जाता है। नियम की व्याख्या (Explanation of the Law)-घटते-बढ़ते नियम को स्पष्ट करने के लिए हम मान लेते हैं कि एक हेक्टेयर भूमि है। इस पर श्रम की इकाइयों में वृद्धि की जाती है तो उत्पादन में वृद्धि तीन दरों से होती है, जिसको सूचीपत्र द्वारा स्पष्ट करते हैं :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 11
सूचीपत्र अनुसार एक हेक्टेयर भूमि पर जब श्रम की इकाइयों में वृद्धि होती है तो आरम्भ में सीमान्त उत्पादन (MP) 3, 4, 5 की दर पर बढ़ती है। इसके पश्चात् सीमान्त उत्पादन घटती दर पर बढ़ता है जैसे कि 5, 4, 3, 2, 1, 0 की दर पर बढ़ता है तथा अन्त में सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक (-1) हो जाता है, जैसे कि -1, -2 दिखाया गया है। इसको घटते-बढ़ते अनुपातों का नियम कहा जाता है। रेखाचित्र 9 अनुसार जब श्रम की इकाइयाँ OL तक बढ़ाई जाती हैं तो सीमान्त उत्पादन में वृद्धि बढ़ती अनुपात 3, 4, 5 क्विंटल होता है; कुल उत्पादन LP बढ़ता है। जब श्रम की 8 इकाइयाँ लगाते हैं जोकि OL1 दिखाई गई है तो सीमान्त उत्पादन शून्य (0) है। इस स्थिति में कुल उत्पादन L1M अधिकतम होता है। OL1 से अधिक श्रम लगाने से सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक हो जाती है तथा TP घटने लगता है|
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 12
उत्पादन की तीन अवस्थाएं (Three Stages Of Production)- घटने-बढ़ते अनुपात के नियम की सूची से स्पष्ट है कि प्रथम अवस्था के अन्त से ही द्वितीय अवस्था का आरम्भ हो जाता है तथा द्वितीय अवस्था के अन्त से ही तृतीय अवस्था का आरम्भ हो जाता है।
1. प्रथम अवस्था (First Stage)-उत्पादन की प्रथम अवस्था में जब एक साधन श्रम की मात्रा बढ़ाई जाती है तो सीमान्त आयु तीव्रता से बढ़ती है। इसको रेखाचित्र 9 में स्टेज I (Stage-I) द्वारा दिखाया गया है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

2. द्वितीय अवस्था (Second Stage)-द्वितीय अवस्था में जब श्रम की मात्रा LL1 बढ़ाई जाती है तो कुल उत्पादन में वृद्धि होती हैं, पर वृद्धि का अनुपात 5, 4, 3, 2, 10 घटता जाता है। कुल उत्पादन (TP) में वृद्धि घटते अनुपात पर होती है। जब सीमान्त उत्पादन 0 होता है तो कुल उत्पादन (TP) अधिकतम होता है।

3. तृतीय अवस्था (Third Stage)-तृतीय अवस्था में जब श्रम की मात्रा 8 मज़दूरों से बढ़ाई जाती है तो सीमान्त उत्पादन ऋणात्मक हो जाता है तो कुल उत्पादन (TP) घटने लगता है। इन अवस्थाओं से यह ज्ञात होता है कि न तो उत्पादन प्रथम अवस्था में रोका जाता है तथा न ही उत्पादन तृतीय अवस्था में किया जाता है। उत्पादन हमेशा द्वितीय अवस्था में किया जाता है।

नियम की मान्यताएं (Assumptions) –

  • एक साधन स्थिर रखकर दूसरे साधन की वृद्धि से उत्पादन में वृद्धि की जाती है।
  • परिवर्तनशील साधनों की इकाइयां समरूप हैं।
  • उत्पादन की तकनीक स्थिर रहती है।
  • यह नियम अल्पकाल में लागू होता है।
  • यह नियम उत्पादन के क्षेत्र में लागू होता है।

नियम लागू होने के कारण (Causes of the operation of the Law) –
एक साधन के बढ़ते प्रतिफल के कारण (Causes of Increasing Returns to a factor)

  1. साधनों का उत्तम संयोग-जब साधनों का उत्तम संयोग प्राप्त किया जाता है तो उत्पादन में वृद्धि होती है।
  2. स्थिर साधनों का पूर्ण प्रयोग-मशीनों तथा स्थिर साधनों का अल्प प्रयोग किया जाता है। श्रम बढ़ाने से साधनों का पूर्ण प्रयोग किया जाता है। इस कारण बढ़ता प्रतिफल प्राप्त होता है।
  3. परिवर्तनशील साधनों की कुशलता-परिवर्तनशील साधनों की मात्रा बढ़ाने से उनकी कुशलता बढ़ जाती है।
  4. विशिष्टीकरण-विशिष्टीकरण द्वारा उत्पादन में वृद्धि होती है।

एक साधन के घटते प्रतिफल के कारण (Causes of diminishing Returns of a factor) –

  • उत्तम संयोग से अधिक प्रयोग कारण उत्पादन घटने लगता है।
  • उत्पादन के साधनों में पूर्ण स्थानापन्न की कमी।
  • स्थिर साधन की मात्रा प्रति इकाई परिवर्तनशील साधनों के रूप में कम हो जाती है।

प्रश्न 2.
एक साधन के घटते सीमान्त प्रतिफल के नियम की व्याख्या करो। यह नियम कृषि पर क्यों लागू होता है?
(Explain the law of Diminishing Marginal Returns to a factor. Why does this law apply to Agriculture ?)
उत्तर-
यह नियम घटते-बढ़ते प्रतिफल के नियम का एक भाग है। इस नियम अनुसार जब एक साधन को स्थिर मानकर दूसरे साधन की इकाइयों में वृद्धि की जाती है तो इस स्थिति में कुल उत्पादन में वृद्धि तो होती है, परन्तु यह वृद्धि घटती हुई दर पर होती है। इस स्थिति में साधन की सीमान्त उत्पादकता घटती जाती है। इस नियम को एक साधन का घटता प्रतिफल (Diminishing Returns to a factor) अथवा घटते सीमान्त प्रतिफल का नियम (Law of Diminishing returns) कहा जाता है। इस नियम को एक उदहारण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है।

मान लें एक एकड़ भूमि का टुकड़ा है, जिस पर श्रम की इकाइयां लगाई जाती हैं। इससे कुल पैदावार में वृद्धि तो होती है, परन्तु जिस अनुपात अथवा दर पर कुल उत्पादन बढ़ता है, वह दर घटती जाती है। यदि श्रम की इकाइयाँ निरन्तर पढ़ाई जाती हैं तो उत्पादन घटने लगता है। इसका अर्थ है कि भूमि पर श्रम की मात्रा बढ़ाने से साधन की सीमान्त रकता (MP) घटती जाती है, जोकि अन्त में जाकर ऋणात्मक हो जाती है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 13
रेखाचित्र 10 सूचीपत्र तथा रेखाचित्र 10 श्रम के घटते सीमान्त प्रतिफल को स्पष्ट किया गया है। भूमि स्थिर साधन है, इस पर परिवर्तनशील साधन श्रम की मात्रा बढ़ाई जाती है तो सीमान्त उत्पादन (MP) घटता जाता है। जैसे कि 3, 2, 1 दिखाया गया है। श्रम की चौथी इकाई पर सीमान्त प्रतिफल शून्य (0) तथा 5 की इकाई पर (-1) अर्थात् ऋणात्मक हो जाता है। कुल उत्पादन 3, 5, 6 बढ़ता है परन्तु वृद्धि की दर पहले 2 तथा फिर 1 है। इस कारण इस नियम को एक साधन के घटते प्रतिफल का नियम कहा जाता है। रेखाचित्र में (MP) रेखा सीमान्त प्रतिफल को प्रकट करती है। श्रम की इकाइयों में वृद्धि करने से सीमान्त उत्पादन (MP) घटता जाता है। इस कारण इस नियम को घटते सीमान्त प्रतिफल का नियम कहते हैं। परन्तु यह नियम केवल तो ही लागू होता है, यदि उत्पादन की तकनीक स्थिर रहती है।

घटते प्रतिफल का नियम कृषि पर ही क्यों अधिक लागू होता है? (Why does the Law of Diminishing Returns apply to Agriculture)
घटते प्रतिफल का नियम अधिक कृषि में लागू होता है। इसके निम्नलिखित कारण हैं-
1. प्रकृति का हाथ (Nature Hand)-कृषि में प्रकृति अधिक प्रभावशाली योगदान डालती है, क्योंकि कृषि की ऊपज वर्षा, जलवायु इत्यादि पर निर्भर करती है। इस कारण यह नियम कृषि पर लागू होता है।

2. पेशे की किस्म (Nature of Occupation)-कृषि एक ऐसा पेशा है जिसमें कृषक को सारा वर्ष काम नहीं मिलता है जैसे कि खेत को पानी लगाने के कुछ दिन बाद इन्तजार करना पड़ता है तो ही काम किया जा सकता है। इस कारण कृषक 365 दिनों में 200 दिन काम कर सकता है। परिणामस्वरूप प्रतिफल घटने लगता है तथा औसत लागत बढ़ने लगती है।

3. देखभाल की किस्म (Nature of Supervision)-कृषि के काम में उपज की अच्छी तरह देखभाल नहीं की जा सकती। उद्योगों में हर एक वस्तु की परख की जा सकती है, परन्तु खेत दूर-दूर तक फैले होने के कारण प्रत्येक पौधे की परख नहीं की जा सकती तथा घटते प्रतिफल का नियम लागू होता है।

4. भूमि सीमित है (Land is Limited)-भूमि की मात्रा सीमित होने के कारण खेती उत्पादन के लिए श्रम तथा पूंजी की इकाइयों की सीमित मात्रा लगाई जा सकती है। इस कारण यह नियम कृषि पर लागू होता है।

5. भूमि सीमित है (Decrease in Fertility of Land)-भूमि पर लगातार कृषि करने से इसकी उपजाऊ शक्ति कम हो जाती है। इसलिए श्रम तथा पूंजी की इकाइयों में बढ़ोत्तरी करने से सीमान्त उत्पादन कम होने लगता.

6. भूमि की उपजाऊ शक्ति में अन्तर (Land differs in Productivity)-प्रकृति द्वारा भूमि के अलगअलग टुकड़ों में उपजाऊ शक्ति अलग-अलग प्रदान की हुई होती है जिसके कारण यह नियम कृषि पर लागू होता है।

7. श्रम का विभाजन कम (Less Division of Labour)-कृषि एक ऐसा उत्पादन का काम है जिसमें उद्योगों की तरह काम को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करके नहीं किया जा सकता। इसलिए इसमें श्रम के विभाजन के लाभों को प्राप्त नहीं किया जा सकता।

8. मशीनों का कम प्रयोग (Less use of Machines) कृषि में मशीनों से अधिक भूमि तथा श्रमिकों का महत्त्व अधिक होता है। इसलिए कृषि का आकार बड़ा होने पर भी मशीनों का प्रयोग करके उत्पादन की लागतों को बढ़ाया जा सकता है।

9. कम बचते (Less Economies )-कृषि के बड़े आकार में उतनी बचतें नहीं होती जितनी कि बड़े उद्योगों में होती हैं। इसके विपरीत कृषि में उत्पादन का पैमाना बड़ा करने से हानि होती है। इन कारणों से घटते प्रतिफल का नियम उत्पादन के दूसरे कामों से कृषि अधिक मात्रा में लागू होता है।

परन्तु आधुनिक अर्थशास्त्रियों के अनुसार यह नियम सर्वव्यापिक है अर्थात् प्रत्येक उद्योग में लागू होता है। श्रीमती जोन रोबिनसन अनुसार, “बढ़ते प्रतिफल के नियम किसी उद्योग में चाहें लागू हो अथवा न हो, परन्तु घटते प्रतिफल का नियम प्रत्येक स्थिति में लागू होता है।”
(“The law of increasing returns may or may not appear in any industry but the law of diminishing returns will have to appear in every case. -Mrs. J. Robinson)

प्रश्न 3.
पैमाने के प्रतिफल के नियम की व्याख्या करो। (Discuss the Law of returns to scale.)
अथवा
बढ़ते, समान तथा घटते पैमाने के प्रतिफल के नियम की रेखाचित्रों द्वारा व्याख्या करो। (Explain the law of increasing. Constant and diminishing returns to scale with diagrams.)
अथवा जब सभी साधनों में वृद्धि की जाती है तो उत्पादन पर क्या प्रभाव पड़ते हैं? (Explain the effects on output when all inputs are increased in same Proportions.)
उत्तर-
पैमाने के प्रतिफल का नियम (Law of Returns to scale) पैमाने के प्रतिफल के नियम का अर्थ-जब सभी साधनों (Inputs) में समान-अनुपात में परिवर्तन किया जाता है तो कुल उत्पादन पर क्या प्रभाव पड़ता है। इनके सम्बन्ध को पैमाने के प्रतिफल का नियम कहा जाता है। यह एक दीर्घकाल (Long Period) की धारणा है। जब एक साधन की जगह पर सभी साधनों में 10% अनुपात पर वृद्धि की जाती है तो उत्पादन में वृद्धि होगी परन्तु यह वृद्धि
(a) 10 प्रतिशत से अधिक अनुपात पर हो सकता है।
(b) 10 प्रतिशत से समान अनुपात पर हो सकता है।
(c) 10 प्रतिशत से कम अनुपात पर हो सकता है।
यह पैमाने के प्रतिफल की तीन स्थितियों को प्रकट करती हैं-इन स्थितियों को एक सूचीपत्र द्वारा स्पष्ट करते हैं
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 14
(A) पैमाने के बढ़ते प्रतिफल (Increasing Returns to Scale)-पैमाने के बढ़ते प्रतिफल, उत्पादन की उस स्थिति को प्रकट करते हैं, जहां उत्पादन के साधनों संयोग समान अनुपात में बढ़ते हैं, जैसे कि प्रथम संयोग में (1 एकड़ भूमि + 2 मजदूर) दूसरा संयोग (2 एकड़ भूमि + 4 मज़दूर) इत्यादि तो कुल उत्पादन में वृद्धि का अनुपात बढ़ता जाता है। प्रथम संयोग से उत्पादन में वृद्धि 10 इकाइयां तथा दूसरे में वृद्धि 12 इकाइयां हैं, क्योंकि कुल उत्पादन 22 इकाइयां हैं। तीसरे संयोग से कुल उत्पाद 36 इकाइयां हैं तो वृद्धि 14 इकाइयां किया जाता है। इस नियम को घटती लागत का नियम भी कहते हैं।

पैमाने के बढ़ते प्रतिफल के लागू होने के कारण (Causes)-पैमाने के बढ़ते प्रतिफल लागू होने के दो पैमाने के बढ़ते प्रतिफल कारण होते हैं –
(A) आन्तरिक बचतें (Internal Economies)आन्तरिक बचतें एक फ़र्म को उसकी चार दीवारी के अंदर प्राप्त होती हैं, जैसे कि
1. प्रबन्ध की बचतें-फ़र्म द्वारा कुशल प्रबन्धकों की नियुक्ति से उत्पादन में वृद्धि होती है।
2. श्रम बचतें-फ़र्म द्वारा श्रम का विभाजन किया जाता है तो उत्पादन में वृद्धि तीव्रता से होती है।
3. तकनीकी बचतें-नई मशीनों तथा उत्पादन के उत्पादन के साधन (संयोग) नए ढंगों के प्रयोग से उत्पादन में वृद्धि तीव्रता से होती है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 15
4. वित्तीय बचतें-फ़र्म को कम ब्याज की दर पर ऋण की सुविधा प्राप्त होती है।
5. खरीद तथा बेच सम्बन्धी बचतें-फ़र्म का आकार बडा होने से कच्चा माल खरीदने तथा तैयार माल बेचने में बचत होती है।

(B) बाहरी बचतें (External Economies)-ये बचतें एक उद्योग की सभी फ़र्मों को प्राप्त होती हैं, जब उद्योग का विस्तार होता है। मुख्य बाहरी बचतें इस प्रकार हैं

  • केन्द्रीय कर की बचतें-एक जगह पर बहुत-सी फ़र्मों की स्थापना से कच्चे माल यातायात, बिजली, पानी मज़दूरों की सिखलाई इत्यादि बचतें प्राप्त होती हैं।
  • सूचना सम्बन्धी बचतें-एक स्थान पर उद्योगों की स्थापना से प्रसार पर कम व्यय करना पड़ता है। कच्चा माल तथा मज़दूर आसानी से प्राप्त हो जाते हैं।
  • यातायात की बचतें-फ़र्मों को यातायात के साधनों पर व्यय नहीं करना पड़ता। बहुत-सी फ़ौ स्थापित हो जाती हैं जोकि यातायात की सुविधाएं प्रदान करती हैं।

2. पैमाने के समान प्रतिफल (Constant Returns to Scale)-पैमाने के समान प्रतिफल की स्थिति वह स्थिति है, जिसमें उत्पादन के साधनों (Inputs) में समान दर पर वृद्धि करने से कुल उत्पादन में वृद्धि समान दर पर होती है। तीसरे संयोग से चौथे संयोग तक कुल, उत्पादन 36 से बढ़कर 48 हो जाता है तथा पांचवे संयोग तक 60 हो जाता है। इस प्रकार कुल उत्पादन में वृद्धि 12, 12 समान दर पर होती है। रेखाचित्र 12 में कुल उत्पादन की वृद्धि 12, 12 इकाइयां पैमाने के समान प्रतिफल समान दर पर हो रही हैं, जब उत्पादन के साधनों की आगतें (Inputs) में समान दर पर वृद्धि की जाती हैं। इसको पैमाने के समान प्रतिफल की स्थिति कहा जाता है। इस नियम को समान लागत का नियम भी कहा जाता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

नियम के लागू होने के कारण (Causes)-पैमाने की आन्तरिक तथा बाहरी बचतें प्राप्त होनी बन्द हो जाती हैं, परन्तु आन्तरिक तथा बाहरी हानियाँ आरम्भ नहीं होती। इस बीच की स्थिति में यह नियम लागू होता है।

3. पैमाने के घटते प्रतिफल (Diminishing Returns उत्पादन के साधन (संयोग) of Scale)-यदि उत्पादन के साधनों (Inputs) में अन्य वृद्धि की जाती है, परन्तु उत्पादन में वृद्धि कम अनुपात पर होती है। सूचीपत्र में 6वीं तथा 7वीं इकाई लगाने से कुल उत्पादन 60 से बढ़कर 70 तथा 70 से बढ़कर 78 हो जाता पैमाने के घटते प्रतिफल है अर्थात् वृद्धि 10 तथा 8 इकाइयाँ होती हैं।

रेखाचित्र 13 दिखाया है कि जब उत्पादन के साधनों के संयोग 6वीं तथा 7वीं इकाई के रूप में लगाए जाते हैं तो कुल उत्पादन 60 से 70 अर्थात् 10 इकाइयां बढ़ता है तथा एक संयोग अन्य बढ़ाने से उत्पादन 70 से 78 अर्थात् 8 इकाइयां बढ़ जाता है। इस स्थिति को पैमाने के घटते प्रतिफल की स्थिति कहते हैं। इस नियम को बढ़ती लागत का नियम भी कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 16
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 17
नियम लागू होने के कारण (Causes)-इस नियम के लागू होने का मुख्य कारण पैमाने की आन्तरिक तथा बाहरी हानियाँ होती हैं –

  1. प्रबन्धकी बचतें, प्रबन्धकी हानि में परिवर्तित हो जाते हैं। फ़र्म का प्रबन्ध करना कठिन हो जाता है, जब आकार बढ़ा होता है।
  2. तकनीकी हानियां होती हैं, मशीनों का अति प्रयोग घिसावट की समस्या उत्पन्न करता है।
  3. उस क्षेत्र में प्रदूषण फैलने से कार्य कुशलता कम हो जाती है।
  4. मज़दूरों तथा कच्चे माल की लागत बढ़ जाती है।

V. संरव्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित कुल भौतिक उत्पादन सूची से औसत उत्पादन सूची तथा सीमान्त भौतिक उत्पादन की गणना करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 18
उत्तर-
औसत भौतिक उत्पादन (APP) तथा सीमान्त भौतिक उत्पादन (MPP) की गणना –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 19

प्रश्न 2.
निम्नलिखित सूचीपत्र में एक साधन की सीमान्त भौतिक उत्पादन दिया गया है। जब रोज़गार का स्तर 0 है तो कुल भौतिक उत्पादन शून्य है तो इस स्थिति में कुल भौतिक उत्पादन तथा औसत भौतिक उत्पादन का माप करो। |

रोज़गार का स्तर 1 2 3 4 5 6
सीमान्त भौतिक उत्पादन 20 22 18 16 14 6

उत्तर-
कुल भौतिक उत्पादन (TPP) तथा औसत भौतिक उत्पादन (APP) की गणना
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 21

प्रश्न 3.
निम्नलिखित सूची पत्र में कुल उत्पादन का स्तर दिया गया है। बदलवें अनुपातों के नियम की विभिन्न अवस्थाओं को स्पष्ट करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 22
उत्तर-
बदलवें अनुपातों के नियम की अवस्थाएँ :-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 23

प्रश्न 4.
निम्नलिखित सारणी से सीमान्त उत्पादन तथा औसत उत्पादन ज्ञात करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 24
सीमान्त उत्पादन तथा औसत उत्पादन की गणना –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 25

प्रश्न 5.
निम्नलिखित A तथा B सूचीपत्रों में दो प्रकार की तकनीक अथवा उत्पादन फलन दिया है। दो साधन अकुशल मज़दूर तथा कुशल मज़दूर हैं। दिखाओ कि सूचीपत्र A पैमाने के बढ़ते प्रतिफल तथा सूचीपत्र B पैमाने का घटते प्रतिफल को प्रकट करता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 26
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 27
उत्पादन में प्रतिशत वृद्धि > श्रमिकों में प्रतिशत वृद्धि
पैमाने के बढ़ते प्रतिफल को प्रकट करता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 28
उत्पादन में प्रतिशत वृद्धि < श्रम घण्टों में प्रतिशत वृद्धि
∴ पैमाने के बढ़ते प्रतिफल को प्रकट करता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 6.
निम्नलिखित सारणी से बदलवें अनुपातों के नियम की विभिन्न अवस्थाओं की पहचान करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 29
उत्तर-
बदलवें अनुपातों के नियम की अवस्थाएं
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 30

प्रश्न 7.
निम्नलिखित सारणी में बदलवें अनुपातों के नियम की तीन अवस्थाओं की पहचान करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 31
उत्तर-
बदलवें अनुपातों के नियम की अवस्थाएँ –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 32

प्रश्न 8.
निम्नलिखित सारणी से बदलवें अनुपातों के नियम की तीन अवस्थाओं को स्पष्ट करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 33
उत्तर-
बदलवें अनुपातों के नियम की अवस्थाएँ-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 34

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ

प्रश्न 9.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 35
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 36

प्रश्न 10.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 37
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 7 उत्पादन का अर्थ 38

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 6 कीमत मांग की लोच

PSEB 11th Class Economics कीमत मांग की लोच Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
माँग की कीमत लोच से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वस्तु की कीमत में परिवर्तन के फलस्वरूप उसकी माँग में आने वाले परिवर्तन के अनुपात को माँग की कीमत लोच कहते हैं।
अथवा
कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन तथा माँग में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के माप को माँग की कीमत लोच कहते हैं।

प्रश्न 2.
माँग की लोच से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
माँग को प्रभावित करने वाले संख्यात्मक तत्वों में परिवर्तन के फलस्वरूप माँग की मात्रा में आने वाले परिवर्तन के माप को माँग की लोच कहते हैं।

प्रश्न 3.
कीमत माँग की लोच इकाई के बराबर कब होती है ?
उत्तर-
जब माँग तथा कीमत में समान अनुपात से परिवर्तन होता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच

प्रश्न 4.
पूर्णतः लोचदार माँग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूर्णतः लोचदार माँग में प्रचलित कीमतों पर माँग अनन्त होती है।

प्रश्न 5.
पूर्णतः लोचदार माँग वक्र बनाएँ।
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 1

प्रश्न 6.
पूर्णतः बेलोचदार माँग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूर्णतः बेलोचदार माँग में कीमत में परिवर्तन होने पर माँग में कोई परिवर्तन नहीं होता।

प्रश्न 7.
पूर्णतः बेलोचदार माँग वक्र बनाएँ।
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 2

प्रश्न 8.
पूर्णतः लोचदार माँग कब होती है ?
उत्तर-
पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में एक फ़र्म की माँग पूर्णतः लोचदार होती है।

प्रश्न 9.
इकाई लोचदार माँग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के बराबर माँग में प्रतिशत परिवर्तन हो तो इस स्थिति को इकाई लोचदार माँग कहते हैं।

प्रश्न 10.
जिन वस्तुओं की हम को आदत पड़ जाती है, उन वस्तुओं की लोच कैसी होती है ?
उत्तर-
इन वस्तुओं की माँग की लोच इकाई से कम होती है।

प्रश्न 11.
माँग की कीमत लोच के माप के सूत्रों के नाम लिखो।
उत्तर-

  • आनुपातिक विधि
  • कुल व्यय विधि
  • ज्यामितिक विधि अथवा बिंदु लोच विधि।

प्रश्न 12.
आनुपातिक विधि का सूत्र लिखें।
उत्तर-
\(\Sigma d=(-) \frac{\mathrm{P}}{\mathrm{Q}} \times \frac{\Delta \mathrm{Q}}{\Delta \mathrm{P}}\)

प्रश्न 13.
किसी वस्तु की कीमत ₹ 10 से बढ़कर ₹ 20 हो जाती है, परन्तु उस वस्तु की माँग में कोई परिवर्तन नहीं होता, तो इस वस्तु की माँग की लोच किस प्रकार की है ?
उत्तर-
माँग की लोच इकाई से कम है (Σd < 1).

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच

प्रश्न 14.
कीमत मांग की लोच (ed) = ………..
उत्तर-
कीमत मांग की लोच (ed) = (-) \(\frac{\Delta D}{\Delta P} \times \frac{P}{D}\)

प्रश्न 15.
प्रतिशत विधि अनुसार कीमत मांग की लोच (ed) = ……
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 3

प्रश्न 16.
वस्तु की मांग तथा कीमत में होने वाले आनुपातिक परिवर्तन को आय मांग की लोच कहते हैं।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 17.
कीमत में परिवर्तन होने पर मांग में उन्नत परिवर्तन हो जाता है तो इस को ……………. कहते है।
(a) पूर्ण लोचदार मांग
(b) पूर्ण बेलोचदार मांग
(c) इकाई लोचदार मांग
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) पूर्ण लोचदार मांग।

प्रश्न 18.
कीमत में परिवर्तन होने से मांग में कोई परिवर्तन नहीं होता तो इसको ……… कहते हैं।
(a) पूर्ण लोचदार मांग
(b) पूर्ण बेलोचदार मांग
(c) इकाई से कम लोचदार मांग
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) पूर्ण बेलोचदार मांग।

प्रश्न 19.
कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के बराबर मांग में प्रतिशत परिवर्तन हो तो इस को …… कहते हैं।
(a) पूर्ण लोचदार मांग
(b) इकाई से अधिक लोचदार मांग
(c) इकाई से कम लोचदार मांग
(d) इकाई लोचदार मांग।
उत्तर-
(d) इकाई लोचदार मांग।

प्रश्न 20.
कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन की अपेक्षा मांग में प्रतिशत परिवर्तन अधिक होता है तो इसको …….. कहते हैं।
(a) इकाई से अधिक लोचदार मांग
(b) पूर्ण लोचदार मांग
(c) इकाई से कम लोचदार मांग
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) इकाई से अधिक लोचदार मांग।

प्रश्न 21.
कीमत में वृद्धि तथा कमी होने पर मांग में कोई परिवर्तन नहीं होता तो इसको शून्य मांग की कीमत लोच कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 22.
जब वस्तु की कीमत में थोड़ी सी वृद्धि होने पर उसकी मांग शून्य हो जाती है तो इसको इकाई मांग की लोच कहा जाता है।
उत्तर-
गलत।

प्रश्न 23.
वस्तु की कीमत लोच वह माप है जो वस्तु की कीमत में होने वाले % परिवर्तन के फलस्वरूप मांग में होने वाले % परिवर्तन को प्रकट करता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 24.
किसी वस्तु की मांग के विभिन्न तत्वों में से किसी में भी % परिवर्तन होने के फलस्वरूप वस्तु की मांग में होने वाले % परिवर्तन को कीमत मांग की लोच कहा जाता है।
उत्तर-
ग़लत।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच

प्रश्न 25.
किसी वस्तु की मांग के विभिन्न तत्वों में से किसी में भी प्रतिशत परिवर्तन होने के फलस्वरूप वस्तु की मांग में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन को मांग की लोच कहा जाता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 26.
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 4
उत्तर-
कीमत मांग की लोच। ।

प्रश्न 27.
किसी वस्तु की कीमत में 50% परिवर्तन होने से मांग में 25% परिवर्तन हो जाता है। कीमत मांग की लोच ज्ञात करें।
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 5
= \(\frac{25 \%}{50 \%}=\frac{1}{2}\)
∴ Ed < 1

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कीमत मांग की लोच का अर्थ बताओ।
उत्तर-
कीमत मांग की लोच, कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन तथा मांग में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन का अनुपात होता है। मांग की लोच में कीमत तथा मांग के बीच वाले सम्बन्ध का अध्ययन किया जाता है। जब किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन होता है तो मांग जिस दर पर परिवर्तित होती है, उस दर को मांग की लोच कहा जाता है।

प्रश्न 2.
पूर्ण लोचशील मांग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूर्ण लोचशील मांग-जब कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता, परन्तु मांग में परिवर्तन बहुत अधिक होता है अर्थात् मांग असीमित गुणा बढ़ जाती है अथवा कई गुणा कम हो जाती है तो इस स्थिति में मांग को पूर्ण लोचशील कहा जाता है। रेखाचित्र 3 में कीमत OP रहती है, जिस पर मांग शून्य की जाती है अथवा OM अथवा OM1 की जाती है अर्थात् इस कीमत पर मांग में कई गुणा (α) वृद्धि हो जाती है। इसको पूर्ण लोचशील मांग कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 6

प्रश्न 3.
अधिक लोचशील मांग का अर्थ स्पष्ट करो।
उत्तर-
किसी वस्तु की मांग को अधिक लोचशील कहा जाता है, जब कीमत में थोड़ा-सा परिवर्तन होता है, परन्तु मांग में परिवर्तन बहुत अधिक हो जाता है। जैसे कि कीमत में परिवर्तन 1% होता है तथा मांग में परिवर्तन 5% हो जाए तो इसको अधिक लोचशील मांग कहा जाता है। रेखाचित्र में इकाई के समान लोचशील मांग दिखाई गई है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 7

प्रश्न 4.
पूर्ण अलोचशील मांग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मांग की लोच को पूर्ण अलोचशील कहा जाता है, जब कीमत में परिवर्तन जितना मर्जी हो जाए, परन्तु मांग में कोई परिवर्तन न हो। जब कीमत शून्य (0) होती है तो भी मांग उतनी ही की जाती है तथा कीमत के बढ़ने से मांग समान रहती है। इसको पूर्ण अलोचशील मांग कहते हैं।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 8

प्रश्न 5.
प्रतिशत विधि द्वारा मांग की लोच का मापने का सूत्र बताएं।
उत्तर-
प्रतिशत विधि द्वारा मांग की लोच का निम्नलिखित सूत्र द्वारा माप किया जाता हैकीमत मांग की लोच (Ed) =- \(\left(\frac{\Delta Q}{\Delta P} \times \frac{P}{Q}\right)\)
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 9

प्रश्न 6.
एक उपभोगी ₹ 5 प्रति इकाई कीमत पर वस्तु की 20 इकाइयों की मांग करता है, जब कीमत में 50% कमी हो जाती है, तो मांग बढ़ कर 40 इकाइयां हो जाती हैं। कीमत मांग की लोच ज्ञात करें।
उत्तर-
मौलिक मांग = 20
इकाइयां कीमत कम होने पर मांग = 40 इकाइयां
कीमत कम होने पर मांग में परिवर्तन = 40 – 20 = 20 इकाइयां
20 इकाइयों पर वृद्धि = 20
1 इकाई पर वृद्धि = \(\frac{20}{20}\)
100 इकाइयों पर वृद्धि = \(\frac{20}{20} \times 100\) = 100%
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 10
Ed => 1.

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच

प्रश्न 7.
कीमत मांग की लोच 2 है कीमत में प्रतिशत परिवर्तन 10% है मांग की मात्रा में परिवर्तन ज्ञात करें।
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 11
∴ मांग में प्रतिशत परिवर्तन = 2 × = 10% = 20% उत्तर

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कीमत मांग की लोच के महत्त्व को स्पष्ट करो। (Explain the Importance of Elasticity of Demand.)
उत्तर-
कीमत मांग की लोच के महत्त्व को निम्नलिखित अनुसार स्पष्ट किया जा सकता है-

  1. कर नीति-वित्त मंत्री कर नीति निश्चित करते समय उस वस्तु की मांग की लोच को ध्यान में रखते हैं। जिस वस्तु की मांग की लोच इकाई से कम होगी, उस वस्तु पर कर की मात्रा कम लगाई जाती है।
  2. जनतक सेवाएं-जो वस्तुएं राष्ट्र के लोगों के लिए अनिवार्य होती हैं, उनकी मांग की लोच इकाई से कम होती है। जैसे कि पानी, बिजली, खाना बनाने वाली गैस इत्यादि वस्तुओं की कीमतें कम निश्चित की जाती हैं, क्योंकि यह वस्तुएं लोगों की भलाई में वृद्धि करती हैं। यदि जनतक सेवाओं की कीमत बहुत अधिक बढ़ा दी जाती है तो मांग में ज्यादा कमी नहीं होती।
  3. उत्पादन के साधनों का मेहनताना-मांग की लोच उत्पादन के साधनों को दिए जाने वाले मुआवजे की मात्रा निश्चित करने में भी सहायक होती है। यदि किसी उद्योग में मशीनों का प्रयोग नहीं किया जा सकता, ऐसी स्थिति में मज़दूरों का महत्त्व अधिक होगा। मजदूरों की मांग लोच इकाई से कम होगी, इस कारण उद्यमी मज़दूरों को अधिक मज़दूरी देने के लिए तैयार होंगे।
  4. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्त्व-मांग की लोच द्वारा विभिन्न राष्ट्रों के बीच अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की शर्ते निश्चित की जाती हैं, जैसे कि दुनिया में अरब के देशों में पेट्रोल प्राप्त होता है। यह देश-विदेशों को पेट्रोल अथवा मिट्टी का तेल निर्यात करते हैं। एकाधिकार होने के कारण तेल तथा पेट्रोल की मनमानी कीमत ली जाती है। इन वस्तुओं की मांग की लोच इकाई से कम होती है।

प्रश्न 2.
मांग की लोच का माप करने के लिए आनुपातिक विधि की व्याख्या करो।
उत्तर-
आनुपातिक विधि-मांग की लोच का माप करने के लिए इस विधि का निर्माण मार्शल (Marshal) द्वारा किया गया था। उन्होंने मांग की लोच का माप करने के लिए निम्नलिखित सूत्र दिया-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 12
यहां ΔQ = 1; Q = 4, ΔP = -2, P=4
E = Ed = \(\frac{\frac{-1}{4}}{\frac{-2}{4}}=\frac{-1}{4} \times \frac{4}{-2}=\frac{1}{2} \mathrm{Ed}<1\)
जहां जवाब एक से कम बचता है तो मांग की लोच इकाई से कम होती है। यदि जवाब एक बचता हो तो मांग की लोच इकाई के समान तथा यदि एक से अधिक बचता हो तो मांग की लोच इकाई से अधिक होगी।

प्रश्न 3.
रेखाचित्र की सहायता से मांग की मान्यताओं को स्पष्ट करो।
उत्तर-
रेखाचित्र 6 अनुसार, मांग की मान्यताएं निम्नलिखित हैं :
1. पूर्ण लोचशील मांग-मांग पूर्ण लोचशील होती है, जब कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता, परन्तु मांग बहुत अधिक अथवा कम हो जाती है। इस स्थिति में मांग की लोच (Ed = α) अनन्त होती है, जैसे DD1 द्वारा दिखाया है।
2. अधिक लोचशील मांग-कीमत में कम परिवर्तन होता है, परन्तु मांग में अधिक मात्रा में परिवर्तन हो जाता है तो इसको अधिक लोचशील मांग (Ed > 1) कहा जाता है, जैसे D2 द्वारा दिखाया है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 13
3. इकाई लोचशील मांग-कीमत में परिवर्तन तथा मांग में परिवर्तन एक समान होता है तो मांग की लोच इकाई के समान (Ed = 1) होती है, जैसे D3 द्वारा दिखाया है।
4. कम लोचशील मांग-कीमत में अधिक परिवर्तन होने के साथ-साथ मांग में कम दर पर परिवर्तन होता है तो मांग की लोच (Ed < 1) इकाई से कम होती है, जैसे D4 द्वारा दिखाया है।
5. पूर्ण अलोचशील मांग-कीमत में परिवर्तन होने के साथ मांग में कोई परिवर्तन न हो तो मांग पूर्ण बेलोचशील (Ed = 0) होती है। जैसे D5 द्वारा दिखाया है।

प्रश्न 4.
कीमत मांग की लोच
(a) शून्य (0)
(b) इकाई (1)
(c) अनन्त (α) को रेखाचित्रों द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 14

  • रेखाचित्र 7 (a) में मांग पूर्ण अलोचशील है। इसलिए Ed = 0
  • रेखाचित्र 7 (b) में मांग रैकटेंगुलर हाइपर बोला है। इसके प्रत्येक बिन्दु पर Ed = 1 होती है।
  • रेखाचित्र 7 (c) में मांग पूर्ण अलोचशील है, इसलिए मांग की लोच (Ed = α) अनन्त होगी।

प्रश्न 5.
जब दो मांग वक्र एक-दूसरे को काटते हैं तो काटने वाले बिन्दु पर जो मांग वक्र अधिक चपटी होगी, उतनी ही उस वक्र पर मांग की लोच अधिक होगी। रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर-
जब दो मांग वक्र D1D1 तथा D2D2 एक दूसरे को A बिन्दु पर काटते हैं तो OP कीमत पर मांग OQ हो जाती है। अब मान लो कीमत PP1 कम हो जाती है तो इस कीमत पर D1D1 द्वारा मांग OQ1 हो जाती है, जबकि D2D2 पर मांग OQ2 की जाती है :
D1D1 पर मांग की लोच –
Ed = \(\frac{\frac{\mathrm{QQ}_{1}}{\mathrm{OQ}}}{\frac{\mathrm{PP}_{1}}{\mathrm{OP}}}\)
D2D2 पर मांग की लोच
Ed = \(\frac{\frac{\mathrm{QQ}_{2}}{\mathrm{OQ}}}{\frac{\mathrm{PP}_{1}}{\mathrm{OP}}}\)
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 15
कीमत में परिवर्तन PP1 मौलिक कीमत OP1 मौलिक मांग OQ दोनों स्थितियों में समान है, परन्तु मांग में परिवर्तन QQ2 जोकि D2D 2 पर है, QQ1 के परिवर्तन से अधिक है। इसलिए D2D2, पर D1D1 से मांग की लोच अधिक है। स्पष्ट है कि जो मांग वक्र चपटी होगी, उस पर मांग की लोच अधिक होगी।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कीमत मांग की लोच से क्या अभिप्राय है ? कीमत मांग की लोच के माप की प्रतिशत विधि माप स्पष्ट करो ।
उत्तर-
कीमत मांग की लोच (Price Elasticity of Demand)-प्रो० मार्शल अनुसार, “कीमत मांग की लोच, कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन तथा मांग में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन की अनुपात होती है।” (“Price Elasticity of Demand is the ratio of percentage change in quantity demanded to a percentage change in Price.” – Marshall)

मांग की लोच से यह ज्ञात होता है कि वस्तु की प्रतिशत कीमत बढ़ने से मांग में कितने प्रतिशत कमी होगी। मांग की लोच से परिवर्तन की दर का पता चलता है, जबकि मांग का नियम कीमत तथा मांग की दिशा का ज्ञान होता है।
कीमत मांग की लोच का माप (Measurement of Price Elasticity of Demand)-मांग की लोच के माप की प्रतिशत विधि इस प्रकार है –
प्रतिशत विधि (Percentage Method)
अथवा
आनुपातिक विधि (Proportionate Method)-मांग की लोच का माप प्रतिशत अथवा आनुपातिक विधि द्वारा किया जा सकता है। इसको स्पष्ट करने के लिए मार्शल ने निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 16
= (-) \(\frac{\Delta \mathrm{Q}}{\mathrm{Q}} \times \frac{\mathrm{P}}{\Delta \mathrm{P}}=(-) \frac{\Delta \mathrm{Q}}{\Delta \mathrm{P}} \times \frac{\mathrm{P}}{\mathrm{Q}}\)
उदाहरणस्वरूप :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 17
इसमें
ΔQ = 4-3 = 1 Q = 4 .
ΔP = 4-8 = -4
P = 4
Ed = –\( \) ==
मांग की लोच इकाई से कम है।
आवश्यक नोट-मांग की लोच के सूत्र के आगे (-) चिह्न लगाया जाता है। इसका कारण यह होता है कि कीमत अथवा मांग में से एक मद ऋणात्मक होती है। जब आगे ऋणात्मक चिह्न लगाया जाता है तो मांग की लोच धनात्मक हो जाती है।

प्रश्न 2.
मांग की कीमत लोच का अर्थ बताओ। कीमत मांग की लोच की मात्राएं स्पष्ट करो।
(Explain the meaning of Elasticity of demand. Discuss the degrees of Elasticity of demand.)
उत्तर-
मांग की लोच (Elasticity of Demand) परिभाषाएं- प्रो० मार्शल के अनुसार, “कीमत मांग की लोच, कीमत में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन तथा मांग में होने वाले प्रतिशत परिवर्तन का अनुपात होता है।” (“Price Elasticity of Demand is the ratio or percentage change into quantity demanded to a percentage change in price.” – Marshall)

बोल्डिंग के अनुसार, “मांग की लोच वस्तु की कीमत में परिवर्तन के फलस्वरूप मांग में होने वाले परिवर्तन का अनुपात होता है।” इन परिभाषाओं के अध्ययन से हम यह कह सकते हैं कि कीमत मांग की लोच के अधीन कीमत तथा मांग में मात्रा वाले सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। कीमत में परिवर्तन के कारण मांग में जिस दर से परिवर्तन होता है, उस दर को कीमत मांग की लोच कहा जाता है।

कीमत मांग की लोच की मात्राएं (Degrees of Price Elasticity of Demand)-मांग की लोच की पूर्ण लोचशील मांग पाँच मात्राएं होती हैं :
1. पूर्ण लोचशील मांग-जब कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता, परन्तु मांग में परिवर्तन बहुत अधिक होता है अर्थात् मांग असीमित गुणा बढ़ जाती है अथवा कई गुणा कम हो जाती है तो इस स्थिति में मांग को पूर्ण लोचशील कहा जाता है।
रेखाचित्र 9 में कीमत OP रहती है, जिस पर मांग शून्य की जाती है अथवा OM अथवा OM1 की जाती है अर्थात् इस कीमत पर मांग में कई गुणा (α) वृद्धि हो जाती है। इसको पूर्ण लोचशील मांग कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 18

2. पूर्ण बेलोचशील मांग-मांग को पूर्ण बेलोचशील कहा जाता है, जब कीमत बहुत अधिक कम हो जाती है अथवा बहुत अधिक बढ़ जाती है, परन्तु वस्तु की मांग में कोई परिवर्तन नहीं होता। रेखाचित्र 10 में दिखाया है कि मांग रेखा DM पूर्ण बेलोचशील है अर्थात् जब कीमत OP से बढ़कर OP1 अथवा घटकर OP2 होती है तो मांग OM में कोई परिवर्तन नहीं होता। इस स्थिति को पूर्ण बेलोचशील मांग कहा जाता है तथा कीमत मांग की लोच शून्य (Zero) होती
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 19

3. अधिक लोचशील मांग-जब कीमत में थोड़ेसे परिवर्तन से मांग में परिवर्तन अधिक दर पर होता है तो इसको अधिक लोचशील मांग कहा जाता है। उदाहरण स्वरूप कीमत में परिवर्तन 10% होता है तथा मांग में परिवर्तन 50% हो जाए तो कीमत में परिवर्तन की दर से मांग में परिवर्तन की दर अधिक है। इसको अधिक लोचशील मांग कहा जाता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 21
रेखाचित्र 11 में दिखाया गया है कि जब कीमत में परिवर्तन PP1, 10% होता है तो मांग में परिवर्तन MM, 50% हो जाता है।
MM1 > PP1
मांग में परिवर्तन MM1 कीमत में परिवर्तन PP1 से अधिक है। इस स्थिति में मांग वक्र DD को अधिक लोचशील कहा जाता है।

4. समान लोचशील मांग-मांग की लोच इकाई के समान होती है, जब कीमत में परिवर्तन से मांग में परिवर्तन उसी दर पर हो जाता है, जैसे कि कीमत में 10% परिवर्तन होता है तथा मांग में भी 10% परिवर्तन हो जाता है तो इसको मांग की लोच इकाई के समान कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 22
E= \(\frac{10 \%}{10 \%}\) = 1
E = 1 रेखाचित्र 12 में दिखाया गया है कि कीमत में परिवर्तन PP, 10% मांग में परिवर्तन MM, के समान है तो इस स्थिति को मांग की लोच इकाई के समान कहा जाता है।
कम लोचशील मांग MM1 = PP1
मांग में परिवर्तन MM,, कीमत में परिवर्तन PP, के समान है। इसको मांग की लोच इकाई के समान कहा जाता है।

5. कम लोचशील मांग-जिस समय मांग में परिवर्तन की दर, कीमत में परिवर्तन से कम होती है, इसको कम लोचशील मांग कहा जाता है। उदाहरण स्वरूप कीमत में 50% कमी हो जाती है, परन्तु मांग में वृद्धि होती है। इसको इकाई से कम लोचशील मांग कहा जाता है। MM1 < PP1 रेखाचित्र 13 मांग में परिवर्तन MM1 कीमत में परिवर्तन PP1 से कम है। इसलिए मांग कम लोचशील हैं। जैसा कि रेखाचित्र 13 में दिखाया गया है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 23

6. रैकटेंगुलर हाइपरबोला-यह एक विशेष तरह की स्थिति होती है, जब मांग वक्र के सभी बिन्दुओं पर मांग की लोच इकाई के समान होती है। इस स्थिति में प्रत्येक बिन्दु पर चतुर्भुज का क्षेत्र एक-दूसरे के समान होता है। रेखाचित्र 14 में D1D1 मांग वक्र पर A, B, C, D बिन्दुओं पर सभी चतुर्भुजों का क्षेत्रफल एक-दूसरे के समान है। इसलिए D1D1 मांग वक्र के प्रत्येक बिन्दु पर मांग की लोच इकाई के समान है। इसलिए D1D1 वक्र को रैकटेंगुलर हाइपरबोला (Rectangular Hyperbola) कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 24

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच

प्रश्न 3.
कीमत मांग की लोच के निर्धारक तत्त्व बताओ। (Explain the determinants of Price Elasticity of Demand.)
अथवा
कीमत मांग की लोच को प्रभावित करने वाले तत्त्वों की व्याख्या करो। (Describe the factors affecting the magnitude of Price Elasticity of Demand.)
उत्तर-
मांग की लोच को प्रभावित करने वाले आर्थिक तथा अनआर्थिक तत्त्व होते हैं, परन्तु हम केवल आर्थिक तत्त्वों का ही अध्ययन करते हैं : –
1. वस्तु की प्रकृति-किसी वस्तु की मांग की लोच वस्तु की प्रकृति पर निर्भर करती है। अनिवार्य वस्तुओं की स्थिति की मांग की लोच इकाई से कम होगी। जैसे कि अनाज, कपड़ा, माचिस, अखबार इत्यादि अनिवार्य वस्तुओं की कीमत बहुत अधिक बढ़ जाए तो मांग में ज्यादा परिवर्तन नहीं होता। इसी तरह विलासिता वस्तुएं जैसे कि कार, हीरे, कीमती फर्नीचर इत्यादि वस्तुओं की स्थिति में भी मांग की लोच इकाई से कम होती है।

2. स्थानापन्न वस्तुओं का भाव-यदि वस्तु का स्थानापन्न हो तो वस्तु की मांग की लोच इकाई से अधिक होगी। इसके विपरीत यदि वस्तु का स्थानापन्न न हो तो मांग की लोच इकाई से कम होगी। जिन वस्तुओं का स्थानापन्न नहीं होता, जैसे कि पेट्रोल, शराब, अफीम, बिजली इत्यादि उन वस्तुओं की मांग कम लोचशील होती है।

3. वस्तु के कई प्रयोग-यदि वस्तु के एक से अधिक प्रयोग हों तो उस वस्तु की मांग की लोच इकाई से अधिक होगी। उदाहरणस्वरूप दूध के एक से अधिक प्रयोग हो सकते हैं। दूध की कीमत थोड़ी-सी घटने से इसकी मांग बहुत बढ़ जाती है। क्योंकि लोग दूध का प्रयोग दही, पनीर, मक्खन, खीर, मिठाई इत्यादि वस्तुओं के लिए करने लगते हैं।

4. उपभोग का स्थगन-कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं, जिनके उपभोग को स्थगित किया जा सकता है अर्थात् आगे पाया जा सकता है। जैसे कि घड़ी, टेलीविज़न, जूते इत्यादि। ऐसी वस्तुओं की स्थिति में मांग कम लोचशील होती है।

5. आदतें-कुछ वस्तुएं उपभोक्ता की आदत बन जाती हैं। उन वस्तुओं की मांग इकाई से कम लोचशील होती है। जैसे कि शराब, अफीम, चाय, सिगरेट इत्यादि वस्तुओं की स्थिति में मांग कम लोचशील होगी। यदि इन वस्तुओं की कीमत बहुत बढ़ जाती है तो मांग में अधिक कमी नहीं होती।

6. कीमत का स्तर-जिन वस्तुओं की कीमत बहुत ऊंची अथवा बहुत नीची होती है तो कीमत में परिवर्तन होने से मांग में परिवर्तन अधिक नहीं होता। जैसे कि हीरे की कीमत ₹ 1 करोड़ है। यदि हीरे की कीमत बढ़कर ₹ 2 करोड़ हो जाए तो मांग में बहुत कमी नहीं होती, क्योंकि हीरा सिर्फ अमीर लोगों द्वारा ही खरीदा जाता है।

7. आय-जिन वस्तुओं का प्रयोग अमीर मनुष्य करते हैं, उन वस्तुओं की कीमत घटने से मांग में अधिक परिवर्तन नहीं होता। यदि अमीर लोगों द्वारा खरीदी जाने वाली वस्तुओं की कीमत बहुत बढ़ जाती है तो मांग में अधिक कमी नहीं होती।

8. दिखावे की वस्तुएं-दिखावे की वस्तुओं की मांग की लोच इकाई से कम होती है, जैसे कि महंगी कार, महंगे कालीन, महंगे टेलीविज़न इत्यादि वस्तुओं की खरीद साधारण तौर पर अमीर ही करते हैं। यदि इन वस्तुओं की कीमत बढ़ जाए तो भी इन वस्तुओं की मांग में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होता।

9. समय-समय भी मांग की लोच को निर्धारित करता है। अल्पकाल में साधारण तौर पर वस्तुओं की मांग की लोच इकाई से कम होती है। इसके विपरीत दीर्घकाल में मांग की लोच इकाई से अधिक होती है। क्योंकि दीर्घकाल में उपभोग वस्तु के प्रति अपनी आदत को परिवर्तित कर लेता है तथा वस्तु का नया स्थानापन्न ढूंढ़ा जा सकता है।

10. संयुक्त मांग-जिन वस्तुओं की मांग दूसरी वस्तुओं की मांग से सम्बन्धित होती है, उन वस्तुओं की मांग लोच साधारण तौर पर इकाई से कम होती है, जैसे कि कार की कीमत घटने से कार की मांग में बहुत वृद्धि नहीं होगी, यदि पेट्रोल की कीमत में कोई परिवर्तन न हो।

V. संरव्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
प्रतिशत विधि द्वारा मांग की लोच का सूत्र लिखो। मांग की लोच इकाई से अधिक, समान तथा कम की उदाहरणे दीजिए।
उत्तर-
प्रतिशत विधि द्वारा मांग की लोच का सूत्र निम्नलिखित अनुसार है-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 25
= –\(\left\{\frac{\Delta Q}{\Delta P} \times \frac{P}{Q}\right\}\)
उदाहरण :
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 26

प्रश्न 2.
आरम्भ में वस्तु की कीमत ₹ 10 थी तथा 1000 वस्तुओं की मांग थी। वस्तु की कीमत बदलकर ₹ 14 की गई तो वस्तु की मांग घटकर 500 वस्तुएं ही रह गईं। कीमत मांग की लोच का माप करो।
उत्तर-
Ed = (-) \(\frac{\Delta Q}{\Delta P} \times \frac{P}{Q}\)
P = 10, Q = 1000, P1 = 14, Q1 = 500
ΔP = 14-10 = 4, ΔQ = 500-1000 = – 500
फार्मूले में रकमें भरने से Ed = (-) \(\frac{-500}{4} \times \frac{10}{1000}=-(-125) \times \frac{1}{100}=\frac{125}{100} \)
= 1.25 Ed > 1

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच

प्रश्न 3.
एक वस्तु की कीमत ₹8 प्रति इकाई पर मांग 600 इकाइयां की जाती हैं। इसकी कीमत 25% कम हो जाती है तथा मांग में वृद्धि 120 इकाइयां हो जाती है। मांग की लोच का माप करो।
उत्तर –
मौलिक कीमत = ₹8 (P = 8)
कीमत में कमी = 25%
∴ 8 x \(\frac{25}{100}\) = ₹ 2 (ΔP = -2)
नई कीमत = 8 – 2 = ₹ 6
मौलिक मांग = 600 इकाइयां (Q = 600)
मांग में परिवर्तन = 120 इकाइयां (ΔQ = 120)
Ed = –\(\frac{\Delta \mathrm{Q}}{\Delta \mathrm{P}} \times \frac{\mathrm{P}}{\mathrm{d}}\)
= – \(\frac{120}{-2} \times \frac{8}{600}\) = 0.8
∴ Ed <1

प्रश्न 4.
एक वस्तु की कीमत ₹ 15 प्रति वस्तु है तथा मांग 500 वस्तुओं की, की जाती है। जब कीमत 20% कम हो जाती है तो मांग 80 इकाइयां बढ़ जाती हैं। कीमत मांग की लोच का माप करो। क्या मांग कम लोचशील है ? उत्तर की पुष्टि करो।
उत्तर-
मांग की मात्रा में प्रतिशत परिवर्तन = \(\frac{80}{500}\) x 100 =16%
कीमत में प्रतिशत परिवर्तन = 20%
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 27
= \(\frac{16 \%}{20 \%}\) = 0.8
Ed < 1
उत्तर की पुष्टि- मांग की लोच को कम लोचशील कहा जाता है। यदि मांग की लोच इकाई (1) से कम होती है।

प्रश्न 5.
जब वस्तु की कीमत ₹ 20 प्रति इकाई से घटकर ₹ 16 प्रति इकाई हो जाती है तो इसकी मांग 1000 इकाइयों से बढ़कर 1160 इकाइयां हो जाती हैं। कीमत मांग की लोच का माप करो तथा उत्तर की पुष्टि करो।
उत्तर
Ed = (-) \(\frac{\Delta Q}{\Delta P} \times \frac{P}{Q}\)
ΔQ = 1160-1000 = 160 ; ΔP = 16 – 20 = -4; Q = 1000 ; P = 20.
Ed = (-) \(\frac{160}{-4} \times \frac{20}{1000}\) = 0.8
Ed <1
उत्तर की पुष्टि-मांग की लोच इकाई से कम है, क्योंकि मांग की लोच इकाई (1) से कम है। .

प्रश्न 6.
वस्तु की कीमत ₹ 5 है तथा उपभोक्ता वस्तु की 10 इकाइयों की खरीद करता है। कीमत मांग की लोच = 2 है। यदि वस्तु की कीमत ₹ 4 प्रति वस्तु रह जाती है तो उपभोक्ता एक कीमत पर वस्तु की कितनी इकाइयों की खरीद करेगा ?
उत्तर-
Ed = \(\frac{(-) \Delta Q}{\Delta P} \times \frac{P}{Q} \) अथवा \(\frac{Q_{1}-Q}{P_{1}-P} \times \frac{P}{Q}\)
दिया है : Ed = 2; Q1 = ? ; Q = 10 ; P = 5, P1 = 4
फार्मूले में मूल्य भरने पर :
2 = \(\frac{(-) Q_{1}-10}{4-5} \times \frac{5}{10}\)
2 = \(\frac{(-) Q_{1}-10}{-1} \times \frac{1}{2}=(-) \frac{Q_{1}-10}{2}\)
4 = – Q1 + 10
Q1 = 10 + 4 = 14 Units

प्रश्न 7.
कीमत मांग की लोच 2 है। कीमत में प्रतिशत परिवर्तन 5 है। मांग में प्रतिशत परिवर्तन का माप करो।
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 28

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच 29
मांग में प्रतिशत परिवर्तन = 2×5% = 10%

प्रश्न 8.
निम्नलिखित मांग वक्र पर कीमत मांग की लोच कितनी होगी?
(i) सीधी रेखा OX के समान्तर।
(ii) सीधी रेखा OY के समान्तर।
(iii) सीधी रेखा बाईं ओर से दाईं ओर नीचे की ओर जाती के मध्य बिन्दु पर।
उत्तर-
(i) Ed = α
(ii) Ed = 0
(iii) Ed = 1.

प्रश्न 9.
निम्नलिखित तालिका से कीमत मांग की लोच ज्ञात कीजिए।

प्रति इकाई कीमत (₹) मांगी गई मात्रा
10 200
8 150

उत्तर –

प्रति इकाई कीमत (₹) मांगी गई मात्रा कुल व्यय
8 200 1600
10 150 1500

∴ Ed>1 उत्तर

प्रश्न 10.
₹ 8 प्रति इकाई वस्तु की कीमत होने पर एक उपभोक्ता वस्तु की 40 इकाइयां क्रय करता है। मांग की कीमत लचक (-) 1 है । किस कीमत पर उपभोक्ता वस्तुओं की 60 इकाइयों का क्रय करेगा ?
हल P = 8, P1 = ? Q= 40, Q1 = 60, Ed = (-)।
Ed = \(\frac{\Delta Q}{\Delta P} \times \frac{P}{Q}\) (-)1
= \(\frac{\mathrm{Q}_{1}-\mathrm{Q}}{\mathrm{P}_{1}-\mathrm{P}} \times \frac{\mathrm{P}}{\mathrm{Q}}=-1\)
= \(\frac{60-40}{P_{1}-8} \times \frac{8}{40}=-1\)
= \(\frac{20}{P_{1}-8} \times \frac{8}{40}=-1\)
= \(\frac{4}{P_{1}-8}=-1\)
= 4 = -1 (P1-8)
= 4 = – P1+8
= 4 – 8 = -P1
= -4 = -P1
= P1 = 4

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 6 कीमत मांग की लोच

प्रश्न 11.
₹ 6 प्रति इकाई वस्तु की कीमत होने पर एक उपभोक्ता एक वस्तु की 50 इकाइयों का क्रय करता है। मांग की कीमत लोच (-) 2 है । किस कीमत पर उपभोक्ता वस्तुओं की 100 इकाइयों का क्रय करेगा ?
हल
P= 6 P1 = ? Q = 50 Q1 = 100 Ed = (-) 2
Ed = \(\frac{Q_{1}-Q}{P_{1}-P} \times \frac{P}{Q}\) = -2
= \(\frac{100-50}{P_{1}-6} \times \frac{6}{50}\) = -2
= \(\frac{50}{P_{1}-6} \times \frac{6}{50}\) = -2
= \(\frac{6}{P_{1}-6}\) = -2
= 6 = – 2(P1 -6)
= 6 = -2P1+12
= 6 -12 = -2P1
= 2P1 = 6
=P1 = 3 Ans.

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 5 मांग Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 5 मांग

PSEB 11th Class Economics उपभोगी का सन्तुलन Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
माँग का अर्थ बताएँ।
उत्तर-
किसी वस्तु की वह मात्रा जो निश्चित समय, निश्चित स्थान पर वस्तु की विशेष कीमत पर खरीदी जाती है, वह वस्तु की माँग होती है।

प्रश्न 2.
माँग के कोई दो निर्धारक तत्व बताएँ।
उत्तर-

  • वस्तु की कीमत
  • उपभोक्ता की आय।

प्रश्न 3.
माँग का नियम क्या है ?
उत्तर-
माँग का नियम वस्तु की कीमत तथा इसकी माँगी गई मात्रा के बीच विपरीत सम्बन्ध को व्यक्त करता है यदि अन्य बातें समान रहें।

प्रश्न 4.
माँग तालिका क्या होती है ?
उत्तर-
किसी निश्चित समय पर, किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर माँग की गई मात्रा की तालिका को माँग तालिका कहते हैं।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग

प्रश्न 5.
उपभोक्ता की आय तथा उसके द्वारा उपभोग की गई वस्तु में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर-
आय में वृद्धि की स्थिति में एक सामान्य वस्तु की माँग में वृद्धि होती है और आय में कमी से माँग में कमी होती है।

प्रश्न 6.
माँग वक्र की ढलान कैसी होती है ?
उत्तर-
माँग वक्र की ढलान ऋणात्मक होती है।

प्रश्न 7.
घटिया वस्तु की परिभाषा दें।
उत्तर-
उन वस्तुओं को घटिया वस्तु कहते हैं जिनकी माँग आय के बढ़ने पर घटती है।

प्रश्न 8.
सामान्य वस्तु की परिभाषा दें।
उत्तर-
उन वस्तुओं को सामान्य वस्तु कहते हैं जिनकी माँग आय के बढ़ने से बढ़ती है और आय के कम होने से घटती है।

प्रश्न 9.
माँग के विस्तार का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
अन्य बातें समान रहने पर किसी वस्तु की कीमत में कमी होने के कारण उसकी माँग बढ़ जाती है तो इसको माँग का विस्तार कहा जाता है।

प्रश्न 10.
माँग के संकुचन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अन्य बातें समान रहने पर किसी वस्तु की कीमत में वस्तु होने के कारण उसकी माँग कम हो जाती है तो इसको माँग में संकुचन कहा जाता है।

प्रश्न 11.
माँग में वृद्धि की परिभाषा दें।
उत्तर-
वर्तमान प्रचलित कीमत आय के बढ़ने से किसी वस्तु की अधिक मात्रा खरीदी जाती है तो इसको माँग में वृद्धि कहते हैं।

प्रश्न 12.
माँग में कमी की परिभाषा दें।
उत्तर-
वर्तमान प्रचलित कीमत पर आय की कमी के कारण किसी वस्तु की कम मात्रा खरीदी जाती है तो इसको माँग की कमी कहते हैं।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग

प्रश्न 13.
पूरक वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूरक वस्तुएँ वे वस्तुएँ हैं जोकि संयुक्त रूप से किसी आवश्यकता को सन्तुष्ट करती हैं जैसे कार और पेट्रोल।

प्रश्न 14.
स्थानापन्न वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जो वस्तुएँ एक-दूसरे के स्थान पर प्रयोग की जा सकती हैं, उसको स्थानापन्न वस्तुएँ कहा जाता है। जैसे कोका-कोला और पैप्सी कोला।

प्रश्न 15.
सम्बन्धित वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूरक तथा स्थानापन्न वस्तुओं को सम्बन्धित वस्तुएँ कहा जाता है।

प्रश्न 16.
किसी वस्तु की माँग का कीमत से अलग कोई एक निर्धारक तत्त्व बताएँ।
उत्तर-
उपभोक्ता की आय।

प्रश्न 17.
निश्चित कीमत पर एक उपभोक्ता वस्तु की अधिक मात्रा कब खरीदेंगे ?
उत्तर-
आय में वृद्धि होने पर।

प्रश्न 18.
निश्चित कीमत पर एक उपभोक्ता वस्तु की कम मात्रा कब खरीदेगा ?
उत्तर-
आय में कमी होने पर।

प्रश्न 19.
कोई दो कारण बताएं जिसमें वस्तु की कीमत बढ़ने पर एक उपभोक्ता वस्तु की अधिक मात्रा की खरीद करता है।
उत्तर-

  • क्रेताओं की संख्या में वृद्धि
  • उपभोक्ता की आय में वृद्धि।

प्रश्न 20.
यदि एक परिवार की आय में वृद्धि होने से x वस्तु की माँग कम हो जाती है तो वस्तु x किस प्रकार की वस्तु है ?
उत्तर-
घटिया वस्तु।

प्रश्न 21.
वस्तु X की कीमत में वृद्धि से यदि वस्तु Y की माँग बढ़ जाती है तो दोनों वस्तुओं में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर-
X तथा Y स्थानापन्न वस्तुएँ हैं।

प्रश्न 22.
किसी वस्तु की कीमत घटने/बढ़ने से उसकी स्थानापन्न वस्तु की माँग पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
किसी वस्तु की कीमत घटने/बढ़ने से स्थानापन्न वस्तु की माँग विपरीत दिशा में बदल जाती है।

प्रश्न 23.
काफी की कीमत बढ़ने का चाय की माँग पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
चाय की माँग बढ़ जाएगी।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग

प्रश्न 24.
पेन की कीमत में वृद्धि होने का स्याही की माँग पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
स्याही की माँग कम हो जाएगी।

प्रश्न 25.
माँग वक्र का खिसकाव क्या प्रकट करता है ?
उत्तर-
माँग में वृद्धि अथवा माँग में कमी।

प्रश्न 26.
माँग वक्र पर संचालन क्या प्रकट करता है ?
उत्तर-
माँग का विस्तार तथा माँग का. संकुचन।

प्रश्न 27.
बाज़ार माँग की परिभाषा दें।
उत्तर-
बाजार मांग किसी वस्तु की विभिन्न मात्राओं को दिखाती है, जिन्हें-बाज़ार में सभी उपभोक्ता एक निश्चित समय पर वस्तु की विभिन्न कीमतों पर खरीदने के लिए तैयार होते हैं।

प्रश्न 28.
व्यक्तिगत माँग तालिका से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
एक व्यक्ति किसी निश्चित समय पर, किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर उसकी जितनी मात्रा की माँग करता है, उसकी सूची को व्यक्तिगत माँग तालिका कहा जाता है।

प्रश्न 29.
व्यक्तिगत माँग वक्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वह वक्र जो किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर उपभोक्ता द्वारा की गई माँग को वक्र द्वारा प्रकट करता है, उसे व्यक्तिगत माँग वक्र कहा जाता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग

प्रश्न 30.
घटिया वस्तु तथा सामान्य वस्तु का माँग वक्र कैसा होता है ?
उत्तर-
घटिया वस्तु तथा सामान्य वस्तु का माँग वक्र ऋणात्मक ढलान वाला होता है।

प्रश्न 31.
गिफ्फन वस्तुओं की मांग वक्र का ढलान कैसा होता है ?
उत्तर-
धनात्मक ढलान।

प्रश्न 32.
वस्तुओं की मांग ………. पर निर्भर करती है।
(a) आय
(b) वस्तु की कीमत |
(c) सम्बन्धित वस्तुओं की कीमत
(d) उपरोक्त सभी पर।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी पर।

प्रश्न 33.
मांग सूची के रेखाचित्र को …… कहते हैं।
(a) व्यक्तिगत माँग
(b) माँग वक्र
(c) बाज़ार माँग
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) माँग वक्र।

प्रश्न 34.
माँग का नियम निम्नलिखित में से किस पर लागू होता है ?
(a) निम्न कोटि वस्तुएँ
(b) साधारण वस्तुएँ
(c) विलास वस्तुएँ
(d) उपरोक्त सभी पर ।
उत्तर-
(b) साधारण वस्तुएँ।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग

प्रश्न 35.
साधारण तौर पर माँग वक्र की ढलान कैसी होती है ?
(a) धनात्मक
(b) ऋणात्मक
(c) गोलाकार
(d) उपरोक्त सभी प्रकार की।
उत्तर-
(b) ऋणात्मक।

प्रश्न 36.
जो वस्तुएँ एक दूसरे के स्थान पर प्रयोग की जा सकती हैं उनको कहा जाता है –
(a) पूरक वस्तुएँ
(b) स्थानापन्न वस्तुएँ
(c) निम्न कोटि वस्तुएँ
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) स्थानापन्न वस्तुएँ।

प्रश्न 37.
पूरक वस्तु की कीमत कम होने से दूसरी पूरक वस्तु की मांग …. .
(a) बढ़ जाएगी।
(b) कम हो जाएगी
(c) सामान्य रहेगी
(d) इनमें कोई परिवर्तन नहीं होता।
उत्तर-
(a) बढ़ जाएगी।

प्रश्न 38.
अन्य बातें सामान्य रहने पर किसी वस्तु की कीमत में कमी होने पर जब वस्तु की मांग बढ़ जाती है तो इसको ………….. कहा जाता है।
(a) माँग में वृद्धि
(b) माँग का विस्तार
(c) मांग में कमी
(d) मांग में संकुचन।
उत्तर-
(b) माँग का विस्तार ।

प्रश्न 39.
जो वस्तुएं एक-दूसरे के बिना प्रयोग नहीं की जाती हैं उनको ……… कहते हैं।
(a) पूरक वस्तुएं
(b) स्थानापन्न वस्तुएं
(c) घटिया वस्तुएं
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) पूरक वस्तुएं।

प्रश्न 40.
यदि एक परिवार की आय में वृद्धि होने से वस्तु की मांग कम हो जाती है तो इस को घटिया वस्तु कहते हैं।
उत्तर-
सही।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग

प्रश्न 41.
किसी वस्तु की वह मात्रा जो निश्चित समय और निश्चित स्थान पर वस्तु की विशेष कीमत पर खरीदी जाती है उसको मांग कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 42.
वह वस्तु जिसकी मांग, आय में वृद्धि कम हो जाती है उसको निम्न कोटि (घटिया) वस्तु कहते
उत्तर-
सही।

प्रश्न 43.
वह वस्तु जो संयुक्त रूप में मांग की पूर्ति करती है उसको स्थानापन्न वस्तु कहते हैं।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 44.
जो वस्तु एक-दूसरे के स्थान पर प्रयोग की जाती है उसको स्थानापन्न वस्तु कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 45.
निम्न कोटि (घटिया) वस्तु वक्र वस्तु है जिसकी मांग, आय के बढ़ने से बढ़ जाती है। .
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 46.
घटिया वस्तु को गिफ्फन वस्तु क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
घटिया वस्तुओं की व्याख्या सबसे पहले प्रो० गिफ्फन ने की थी इसलिए बटिया वस्तुओं को गिफ्फन वस्तुएं भी कहा जाता है।

प्रश्न 47.
माँग का नियम ………….. दर्शाता है।
(a) उपयोगिता और कीमत में सम्बन्ध
(b) वस्तु की माँग की गई मात्रा और कीमत में विपरीत सम्बन्ध
(c) आय तथा माँग में विपरीत सम्बन्ध
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(b) वस्तु की माँग की गई मात्रा और कीमत में विपरीत सम्बन्ध ।

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II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मांग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मांग का अर्थ एक निश्चित समय निश्चित कीमत पर वस्तु की जो मात्रा खरीदी जाती है, उसको मांग कहा जाता है। मांग का सम्बन्ध वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा, इच्छा को पूरा करने के लिए धन का होना, धन व्यय करने के लिए तैयार होना, निश्चित कीमत पर निश्चित समय, जब वस्तु खरीदी जाती है तो इसको मांग कहा जाता है।

प्रश्न 2.
कीमत के बगैर मांग के तीन निर्धारक बताओ।
अथवा
वह तत्त्व बताओ जो मांग में परिवर्तन पैदा करते हैं।
उत्तर-
कीमत के बगैर मांग के मुख्य निर्धारक निम्नलिखित हैं-

  1. सम्बन्धित वस्तुओं की कीमतें (स्थानापन्न तथा पूरक वस्तुओं की कीमतें)
  2. उपभोगी का स्वाद, आदतें, फैशनं इत्यादि में परिवर्तन।
  3. उपभोगी की आय में परिवर्तन।

प्रश्न 3.
व्यक्तिगत मांग सूची का अर्थ बताओ।
उत्तर-
यदि एक सूची में एक मनुष्य द्वारा विभिन्न कीमतों पर खरीदी जाने वाली वस्तु की विभिन्न मात्रा को दिखाया जाता है तो इसको व्यक्तिगत मांग सूची कहा जाता है।

प्रश्न 4.
बाज़ार मांग सूची से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
बाज़ार में वस्तु की विभिन्न कीमत पर विभिन्न उपभोगियों द्वारा दी गई मांग की मात्रा के जोड़ को बाज़ार मांग सूची कहा जाता है। बाज़ार में वस्तु के बहुत से खरीददार होते हैं। यदि बाज़ार में सभी ग्राहकों.की मांग को जोड़कर मांग सूची बनाई जाए तो इसको बाज़ार मांग सूची कहा जाता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग

प्रश्न 5.
मांग का नियम क्या है ?
उत्तर-
मांग का नियम मनुष्य की मनोवैज्ञानिक स्थिति को प्रकट करता है। इस नियम के अनुसार, “शेष बातें समान रहती हैं, जब एक वस्तु की कीमत कम हो जाती है तो उस वस्तु की मांग में वृद्धि होती है।”

प्रश्न 6.
स्थानापन्न वस्तुओं तथा पूरक वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ? इनको उदाहरणों द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर-
स्थानापन्न वस्तुएं-स्थानापन्न वस्तुएं वह वस्तुएं हैं, जो एक-दूसरे की जगह पर प्रयोग हो सकती हैं। जैसे कि चाय तथा कॉफी, लस्सी तथा सकजवीं। पूरक वस्तुएं-पूरक वस्तुएं वह वस्तुएं हैं जो एक-दूसरे के बगैर प्रयोग नहीं की जा सकती। जैसे कि कार तथा पेट्रोल, पैन तथा स्याही।

प्रश्न 7.
साधारण वस्तुएं तथा घटिया अथवा गिफ्फन वस्तुओं से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
साधारण वस्तुएं-साधारण वस्तुएं वह वस्तुएं हैं, जिनकी मांग, आय के बढ़ने से बढ़ जाती है तथा आय के घटने से कम हो जाती है। जैसे कि गेहूँ, चावल, चीनी इत्यादि। घटिया अथवा गिफ्फन वस्तुएं-घटिया वस्तुओं को गिफ्फन वस्तुएं भी कहा जाता है। घटिया वस्तुएं वह हैं, जिनकी मांग आय के बढ़ने से कम हो जाती है। इसमें आय प्रभाव ऋणात्मक होता है। जैसे कि गले-सड़े केले, घुन लगा हुआ अनाज इत्यादि।

प्रश्न 8.
(i) जब स्थानापन्न वस्तु की कीमत कम हो जाती है तो वस्तु की मांग पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
(ii) जब पूरक वस्तु की कीमत कम हो जाती है तो वस्तु की मांग पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
(i) जब स्थानापन्न वस्तु की कीमत कम हो जाती है तो वस्तु की मांग कम हो जाएगी तथा मांग वक्र बाईं ओर खिसक जाता है।
(ii) जब पूरक वस्तु की कीमत कम हो जाती है तो वस्तु की मांग बढ़ जाएगी तथा मांग वक्र दाईं ओर खिसक जाता है।

प्रश्न 9.
जब एक मनुष्य की आय बढ़ जाती है तथा X वस्तु की मांग कम हो जाती है तो x वस्तु को क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
जब मनुष्य की आय बढ़ जाती है तथा X वस्तु की कम मांग की जाती है तो X वस्तु को गिफ्फन वस्तु अथवा घटिया वस्तु कहा जाता है।

प्रश्न 10.
मांग का फैलना तथा मांग का संकुचन क्या होता है ?
उत्तर-
मांग का फैलना-जब एक वस्तु की कीमत के घटने से मांग में वृद्धि होती है तो इसको मांग का फैलना कहा जाता है। मांग का संकुचन-जब एक वस्तु की कीमत के बढ़ने से मांग में कमी होती है तो इसको मांग का संकुचन कहा जाता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग

प्रश्न 11.
मांग की वृद्धि तथा मांग की कमी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मांग की वृद्धि-जब मांग में वृद्धि कीमत के बिना अन्य तत्त्वों के कारण होती है, जैसे कि-

  • सम्बन्धित वस्तुओं की कीमतें
  • उपभोगी की आय
  • स्वाद इत्यादि के कारण मांग बढ़ जाती है तो इसको मांग की वृद्धि कहा जाता है।

मांग की कमी-जब मांग में कमी कीमत के बिना अन्य तत्त्वों-

  • सम्बन्धित वस्तुओं की कीमतें
  • आय
  • स्वाद इत्यादि कारण होती है तो इसको मांग की कमी कहते हैं।

प्रश्न 12.
(i) एक मांग वक्र पर परिवर्तन से क्या अभिप्राय है ?
(ii) मांग वक्र में परिवर्तन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
(i) एक मांग वक्र पर परिवर्तन का अर्थ है मांग का विस्तार अथवा मांग का संकुचन।
(ii) मांग में परिवर्तन का अर्थ है मांग की वृद्धि अथवा मांग की कमी।

प्रश्न 13.
क्या मांग वक्र धनात्मक ढलान वाली हो सकती है ? |
उत्तर-
मांग वक्र की धनात्मक ढलान (Positive Slope of Demand Curve)-मांग के नियम के अपवादों के कारण मांग, मांग वक्र 1 की ढलान धनात्मक हो सकती है। इसके मुख्य अपवाद हैं-

  1. मान प्रतिष्ठा वाली वस्तुओं की स्थिति में।
  2. उपभोगी की अज्ञानता कारण।
  3. घटिया अथवा गिफ्फन वस्तुओं की स्थिति में मांग वक्र रेखाचित्र 1 की तरह ढलान धनात्मक हो सकती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 1

प्रश्न 14.
मांग के नियम के अपवाद बताइए।
उत्तर-
मांग के नियम के अपवाद इस प्रकार हैं-
1. घटिया वस्तुएं-यह नियम घटियाँ वस्तुओं पर लागू नहीं होता। जब घटिया वस्तु की कीमत घटती है तो इसकी मांग कम हो जाती है। (गले हुए केले)
2. मान प्रतिष्ठा वस्तुएं-हीरे-जवाहरात की कीमत बढ़ने से इनकी मांग बढ़ जाती है और नियम लागू नहीं होता। 3. उपभोक्ता की अज्ञानता- उपभोक्ता की अज्ञानता के कारण भी यह नियम लागू नहीं होता।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मांग की परिभाषा दीजिए, एक उपभोगी की मांग को प्रभावित करने वाले तत्त्व बताओ।
उत्तर-
मांग का अर्थ-

  • वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा
  • उस इच्छा को पूरा करने के लिए धन होना
  • धन व्यय करने के लिए तैयार होना होता है।
  • मांग का सम्बन्ध कीमत
  • तथा समय से भी होता है।

मांग को प्रभावित करने वाले तत्त्व (Factors Affecting Demand)-

  1. वस्तु की कीमत-वस्तु की कीमत तथा मांग का विपरीत सम्बन्ध होता है।
  2. सम्बन्धित वस्तुओं की कीमत-स्थानापन्न वस्तुएं जैसे कि चाय की कीमत बढ़ जाए तो कॉफी की मांग बढ़ जाती है तथा पूरक वस्तुएं जैसे कि कार की कीमत बढ़ जाए तो पेट्रोल की मांग घट जाती है। इसी तरह सम्बन्धित वस्तुओं की कीमत मांग को प्रभावित करती है।
  3. उपभोगी का स्वाद-किसी वस्तु के स्वाद में वृद्धि होने से मांग बढ़ जाती है।
  4. आय-आय में वृद्धि से साधारण वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है तथा घटिया वस्तुओं की मांग घट जाती है।
  5. सम्भावित कीमत- भविष्य में कीमत बढ़ने की सम्भावना हो तो वर्तमान में मांग बढ़ जाती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग

प्रश्न 2.
सम्बन्धित वस्तुओं की कीमत में परिवर्तन से वस्तु की मांग में परिवर्तन कैसे होता है ? रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करो।
अथवा
स्थानापन्न वस्तुओं तथा पूरक वस्तुओं में अन्तर बताओ। इनका मांग पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
अथवा
तिरछे कीमत प्रभाव से क्या अभिप्राय है ?
इसको स्पष्ट जब स्थानापन्न वस्तु (कॉफी) करने के लिए दो उदाहरणे दीजिए।
उत्तर-
सम्बन्धित वस्तुओं में स्थानापन्न तथा पूरक वस्तुओं को | शामिल किया जाता है। सम्बन्धित तथा पूरक वस्तुओं की कीमत में परिवर्तन से मांग में परिवर्तन को तिरछा कीमत प्रभाव कहते हैं।

स्थानापन्न वस्तुएं (Substitute Goods)-चाय तथा कॉफी को स्थानापन्न वस्तुएं कहा जाता है। जब स्थानापन्न वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तो वस्तु की मांग बढ़ जाएगी तथा मांग वक्र दाईं ओर खिसक जाता है। OP कीमत पर चाय की मांग OK है। यदि कॉफी की कीमत अधिक हो जाए तथा चाय की कीमत समान रहती रेखाचित्र 2 है तो चाय की मांग OK1 हो जाएगी तथा मांग वक्र DD से D1D1 पर चला जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 2

पूरक वस्तुएं (Complementary Goods)-कारें तथा पेट्रोल पूरक वस्तुएं हैं। यदि कार की कीमत बढ़ जाती है तो पेट्रोल | की कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता परन्तु इसकी मांग कम हो जाएगी। रेखाचित्र 3 में पेट्रोल की मांग DD पर OP कीमत पर OK है। जब कार की कीमत बढ़ जाती है परन्तु पेट्रोल की कीमत में परिवर्तन नहीं होता तो पेट्रोल की मांग OK से कम होकर OK1 हो जाएगी।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 3

प्रश्न 3.
स्पष्ट करो कि वस्तु की कीमत तथा मांग की गई मात्रा में विपरीत सम्बन्ध होता है।
अथवा
मांग अनुसूची तथा रेखाचित्र द्वारा मांग के नियम की व्याख्या करो।
उत्तर-

मांग का नियम (Law of Demand)-मांग का नियम यह बताता है कि वस्तु की कीमत तथा मांग में क्या सम्बन्ध है। वस्तु की कीमत में परिवर्तन आने से वस्तु की मांग में परिवर्तन हो जाता है। यदि दसरी बातें समान रहें तो कीमत घटने से मांग बढ़ जाती है तथा कीमत बढ़ने से मांग कम हो जाती है अर्थात् कीमत तथा मांग में विपरीत सम्बन्ध होता है। कीमत में परिवर्तन होना मुख्य कारण है। मांग में परिवर्तन होना प्रभाव (effect) है। इस कारण कीमत तथा मांग के विपरीत सम्बन्ध को स्पष्ट करने वाले नियम को मांग का नियम कहा जाता है।

परिभाषाएं (Definitions)- प्रो० मार्शल के अनुसार, “यदि बाकी बातें समान रहें तो कीमत घटने से मांग बढ़ती है तथा कीमत बढ़ने से मांग घटती है।” प्रो० सैम्यूलसन के अनुसार, “मांग का नियम यह बताता है कि बाकी बातें समान रहें तो लोग कम कीमत पर अधिक खरीदेंगे तथा अधिक कीमत पर कम खरीदेंगे।” (“The Law of Demand states that other things remaining the same, people will buy more at lower prices and buy less at higher price.” -Samuelson)

मान्यताएं (Assumptions)-मांग का नियम ‘बाकी बातें समान रहें’ की स्थिति में ही लागू होता है। बाकी बातों का अर्थ कीमत के बिना उन तत्त्वों से होता है जोकि मांग को प्रभावित करते हैं। इसलिए इन तत्त्वों में परिवर्तन नहीं होना चाहिए जिनको अर्थशास्त्री मांग के नियम की मान्यताएं कहते हैं। मांग के नियम की मुख्य मान्यताएं अनलिखित हैं-

  1. उपभोक्ता की आय में कोई परिवर्तन नहीं आता।
  2. आदतें, फैशन तथा रीति-रिवाज़ों में कोई परिवर्तन नहीं होता।
  3. स्थानापन्न वस्तुओं की कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता।
  4. पूरक वस्तुओं की कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता।
  5. भविष्य में वस्तु की कीमत में परिवर्तन की सम्भावना नहीं होती।
  6. वस्तु साधारण होनी चाहिए।

नियम की व्याख्या (Explanation of the Law)-मांग के नियम की व्याख्या एक उदाहरण द्वारा की जा सकती है। एक उपभोक्ता कुलफी खरीदना चाहता है।कुलफी की विभिन्न कीमत पर उपभोक्ता कुलफियों की कितनी-कितनी मात्रा की खरीद की जाती है। इसको मांग सूची द्वारा दिखाया जा सकता है
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 14
मांग सूची तथा मांग वक्र 14 द्वारा मांग के नियम को स्पष्ट किया गया है। जैसे-जैसे कीमत ₹ 5, 4, 3, 2, 1 घटती है, मांग 1, 2, 3, 4, 5 वस्तुओं की बढ़ती जाती है। इससे DD मांग वक्र बनती है, जोकि ऋणात्मक ढलान वाली है। यह नियम साधारण वस्तुओं (Normal Goods) पर लागू है।

नियम के अपवाद (Exceptions of the Law)-यह नियम निम्नलिखित स्थितियों में लागू नहीं होता-

  1. घटिया वस्तुएं (Inferior Goods)-घटिया वस्तु (गले हुए केले) की कीमत घटती है तो इनकी मांग कम हो जाती है।
  2. मान प्रतिष्ठा वस्तुएं (Articles of Distinction) हीरे-जवाहरात की कीमत बढ़ने से इनकी मांग बढ़ती है।
  3. उपभोक्ता की अज्ञानता (Ignorance of Consumer)-जब उपभोक्ता अज्ञानी होता है तो नियम लागू नहीं होता।

नियम का महत्त्व (Importance of the Law)-

  1. मानवीय व्यवहार का ज्ञान (Knowledge of human behaviour)-इस नियम द्वारा मानवीय व्यवहार सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त होता है कि वह बाज़ार में वस्तुओं की खरीद कैसे करता है।
  2. उत्पादक द्वारा कीमत निर्धारण (Price Determination by Producers)-इस नियम को ध्यान में रखकर उत्पादक वस्तु की कीमत निर्धारण करते हैं, जिससे उसको अधिकतम लाभ प्राप्त होता है।

प्रश्न 4.
मांग के नियम की मान्यताएं बताओ। मान्यताओं में परिवर्तन से मांग वक्र पर क्या प्रभाव पड़ता
उत्तर-
मांग के नियम की मान्यताएं (Assumptions)-

  1. आय-उपभोगी की आय में कोई परिवर्तन नहीं होता।
  2. सम्बन्धित वस्तुओं की कीमतें-सम्बन्धित वस्तुओं (स्थानापन्न वस्तुएं तथा पूरक वस्तुएं) की कीमतों में कोई परिवर्तन नहीं होता।
  3. सम्भावनाएं- भविष्य में वस्तु की कीमत के बढ़ने अथवा घटने की कोई सम्भावना नहीं है।
  4. स्वाद, फैशन, आदतें-उपभोगी की आदतें, फैशन, स्वाद तथा श्रेष्ठता में कोई परिवर्तन नहीं होता।
  5. साधारण वस्तु-वस्तु साधारण होनी चाहिए। घटिया वस्तुओं पर नियम लागू नहीं होता।

यदि इन मान्यताओं में परिवर्तन पैदा हो जाता है तो मांग वक्र आगे अथवा पीछे खिसक जाएगा। मांग वक्र आगे खिसकने का अर्थ है, समान कीमत पर अधिक मांग की जाएगी तथा पीछे खिसकने का अर्थ है, समान कीमत पर कम मांग की जाएगी।

प्रश्न 5.
‘मांग में परिवर्तन’ तथा ‘मांग की मात्रा में परिवर्तन’ में अन्तर स्पष्ट करो।
अथवा
मांग की वृद्धि तथा कमी तथा मांग के विस्तार तथा संकुचन में अन्तर बताओ।
उत्तर-
1. मांग में परिवर्तन (Change in Demand)- मांग में परिवर्तन का अर्थ है मांग में वृद्धि अथवा कमी (Increase or Decrease in Demand)। जब वस्तु की कीमत समान रहती है तथा उपभोगी की आय बढ़ जाती है तो मांग में वृद्धि होगी। यदि आय कम हो जाती है तो मांग में कमी होगी। इसको मांग में परिवर्तन कहा जाता है, जैसे कि रेखाचित्र 4 में दिखाया गया है। OA से OB तक मांग की वृद्धि है, जिस कारण मांग वक्र DD से बदलकर D1D1 बन जाता है तथा यदि मांग वक्र DD से D,D, बन जाता है तो मांग OA से OC तक कम हो जाती है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 4

2. मांग की मात्रा में परिवर्तन (Change in Quantity Demanded)-मांग की मात्रा में परिवर्तन रेखाचित्र 4 का अर्थ है मांग का विरार अथवा संकुचन (Extension or Contraction in Dernand) कहा जाता है। जब वस्तु की कीमत घटने से मांग बढ़ जाती है तो इसको मांग का विस्तार कहते हैं तथा कीमत के बढ़ने से मांग कम हो जाती है तो इसको मांग का संकुचन कहते हैं। रेखाचित्र 5 के अनुसार कीमत PP1 कम हो जाती है तो मांग बढ़ जाती है। इसलिए A तथा B तक मांग का विस्तार है तथा कीमत PP2 बढ़ जाती है तो मांग KK2 कम हो जाती है, इसको मांग का संकुचन कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 5

प्रश्न 6.
एक उपभोगी की आय में परिवर्तन से साधारण वस्तुओं तथा घटिया वस्तुओं अथवा गिफ्फन वस्तुओं पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
उपभोगी की आय में परिवर्तन का प्रभाव साधारण वस्तुओं तथा घटिया वस्तुओं पर भिन्न-भिन्न प्रभाव डालता है।
1. साधारण वस्तुएं (Normal Goods)-साधारण वस्तुएं जैसे कि दूध, घी, फल, सब्जियों इत्यादि की कीमत समान रहे, परन्तु उपभोगी की आय बढ़ जाए तो वस्तुओं की मांग बढ़ जाएगी। मांग वक्र DD से बदल कर D1D1 हो जाएगा। मांग में वृद्धि KK1 है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 6
2. घटिया वस्तुएं (Inferior Goods)-घटिया वस्तुओं को गिफ्फन वस्तुएं (Giffen Goods) भी कहा जाता है। जैसे कि बासी सब्जी, गले हुए फल, बहुत सस्ता कपड़ा इत्यादि वस्तुओं की कीमत समान रहे परन्तु उपभोगी की आय बढ़ जाती है तो वस्तुओं की मांग कम हो जाएगी। जैसे कि OP कीमत पर मांग OK थी। परन्तु आय बढ़ने के पश्चात् OK1 हो जाएगी। मांग वक्र DD से बदलकर D1D1 हो जाएगा।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 7

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग

प्रश्न 7.
व्यक्तिगत मांग वक्र तथा बाज़ार मांग वक्र में अन्तर स्पष्ट करो।
अथवा
व्यक्तिगत मांग वक्र द्वारा बाज़ार मांग वक्र का निर्माण कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
1. व्यक्तिगत मांग वक्र-एक उपभोगी वस्तु की कीमत के घटने से वस्तु की कितनी-कितनी मात्रा अधिक खरीदता है इससे प्राप्त मांग वक्र को व्यक्तिगत मांग वक्र कहते हैं जैसे कि मनुष्य A की मांग वक्र DDA को रेखाचित्र 8 में दिखाया गया है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 8
2. बाज़ार मांग वक्र-मान लो बाज़ार में A तथा B दो व्यक्ति हैं। इन दोनों की मांग के जोड़ को बाज़ार मांग वक्र कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 9
मनुष्य A तथा मनुष्य B की मांग के जोड़ से Dm Dm बाज़ार मांग वक्र बन जाता है। व्यक्ति मांग वक्र DDA, DDB के जोड़ से बाज़ार मांग वक्र Dm Dm बन जाता है। इस प्रकार व्यक्तिगत मांग वक्र द्वारा बाज़ार मांग वक्र का निर्माण किया जा सकता है।

प्रश्न 8.
स्पष्ट करो कि निम्नलिखित परिवर्तनों का खिसकना वस्तु की बाजार मांग वक्र पर क्या प्रभाव डालेगा ?
(a) झारखण्ड में एक नया स्टील प्लांट स्थापित होता है। जो लोग पहले बेरोज़गार थे, अब रोज़गार पर लग जाएंगे। इससे सफ़ेद तथा काले तथा रंगीन टेलीविज़नों की मांग पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
(b) गोआ में सैर-सपाटे को उत्साहित करने के लिए सरकार का सुझाव है कि बड़े चार नगरों चेन्नई, कोलकत्ता (कोलकाता), मुम्बई तथा नई दिल्ली से गोआ तक इंडियन एयरलाइन का किराया घटा दिया जाए। इससे गोआ को जाने वाली हवाई यात्रा की बाज़ार मांग पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
(c) दिल्ली तथा जयपुर के बीच रेल तथा बस यातायात सुविधा है, यदि रेल किराया घटा दिया जाए तो इसका मांग वक्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर-
(a) लोहा तथा स्टील के प्लांट स्थापित होने से लोगों की आय बढ़ जाएगी तथा बाज़ार मांग वक्र ऊपर की ओर खिसक (Shift) जाएगा तथा मांग की वृद्धि (Increase in demand) होगी।
(b) हवाई किराया घटने से गोआ जाने वाली मांग का विस्तार होगा। उसी मांग वक्र पर किराए घटने के कारण मांग फैल (Expansion) जाएगी।
(c) बस किराए की तुलना में रेल किराए घटने से, बस यात्रा पर बुरा प्रभाव पड़ेगा तथा मांग वक्र पीछे की ओर खिसक जाएगा। समान कीमत पर मांग कम हो जाएगी।

प्रश्न 9.
रेखाचित्र तथा सूची-पत्र द्वारा, मांग के विस्तार तथा मांग की वृद्धि में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर-
(A) मांग का विस्तार-वस्तु की कीमत घटने से मांग बढ़ जाती है तो इसको मांग का विस्तार कहा जाता है-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 10
कीमत ₹ 2 पर मांग पाँच वस्तुओं तथा एक रु० पर 10 वस्तुएं हैं। A से B तक मांग का विस्तार है। मांग की वृद्धि-वस्तु की कीमत समान रहती है, परन्तु आय के बढ़ने के कारण मांग बढ़ जाती है तो इसको मांग की वृद्धि कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 11
सूची-पत्र तथा रेखाचित्र 11 में ₹ 2 कीमत पर मांग 5 वस्तुओं की है। आय बढ़ने के कारण ₹ 2 कीमत पर मांग 10 वस्तुओं की जाती है। मांग वक्र DD से बदलकर D1D1 बन जाएगी। A से B तक वृद्धि को मांग की वृद्धि कहा जाता है।

प्रश्न 10.
मांग का संकुचन तथा मांग की कमी में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर-
मांग का संकुचन-शेष बातें समान रहें, जब वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तथा मांग कम हो जाती है तो इसको मांग का संकचन कहते हैं।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 12
कीमत ₹ 1 पर 10 वस्तुओं की मांग है तथा ₹ 2 पर 5 वस्तुओं की मांग है। इसको मांग का संकुचन कहते हैं, जिसको A तथा B तक दिखाया गया है। मांग की कमी-जब कीमत समान रहती है, परन्तु अन्य तत्त्वों आय, जनसंख्या, आदतें, स्वाद में परिवर्तन के कारण मांग कम हो जाती है तो इसको मांग की कमी कहते हैं।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 13
सूची-पत्र तथा रेखाचित्र 13 में कीमत ₹ 1. पर मांग 10 वस्तुओं की है। मनुष्य की आय घटने से मांग 5 वस्तुओं की रह जाती है तो इसको मांग की कमी कहते हैं, जिसको A से B तक दिखाया गया है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग

प्रश्न 11.
वह कारण बताओ जो वस्तु की मांग वक्र को दाईं ओर खिसका देते हैं ?
अथवा
मांग की वृद्धि से क्या अभिप्राय है ? मांग की वृद्धि कौन-से कारणों पर निर्भर करती है ?
उत्तर-
जब वस्तुओं की मांग प्रचलित कीमत पर अधिक की जाती है, जिसका मुख्य कारण आय, जनसंख्या इत्यादि में वृद्धि करना होता है तो इसको मांग की वृद्धि कहा जाता है।
मांग की वृद्धि के कारण-

  1. उपभोक्ता की आय में वृद्धि हो जाती है।
  2. देश में जनसंख्या पहले से बढ़ जाती है।
  3. भविष्य में वस्तु की कीमत बढ़ने की सम्भावना होती है।
  4. स्थानापन्न वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं।
  5. पूरक वस्तुओं की कीमतें कम हो जाती हैं।
  6. उपभोगी के स्वाद, फैशन, आदतें बदल जाती हैं।

प्रश्न 12.
वह कारण बताओ जो वस्तु की मांग वक्र को बाईं ओर धकेल देते हैं ?
अथवा
मांग की कमी से क्या अभिप्राय है ? मांग की कमी कौन-से कारणों पर निर्भर करती है ?
उत्तर-
जब वस्तु की मांग प्रचलित कीमत पर कम हो जाती है, जिसका कारण आय, जनसंख्या इत्यादि में कमी होती है तो इसको मांग की कमी कहा जाता है।
मांग की कमी के कारण-

  1. उपभोक्ता की आय कम हो जाती है।
  2. जनसंख्या कम हो जाती है।
  3. भविष्य में वस्तु की कीमत कम होने की सम्भावना है।
  4. स्थानापन्न वस्तुओं की कीमतें कम हो जाती हैं।
  5. पूरक वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं।
  6. उपभोक्ता के स्वाद, फैशन, आदतों में परिवर्तन हो जाता है।

प्रश्न 13.
मांग के संकुचन तथा विस्तार, वृद्धि तथा कमी में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
मांग के संकुचन तथा विस्तार, वृद्धि तथा कमी में अन्तर –

अन्तर का आधार मांग का संकुचन तथा विस्तार मांग की वृद्धि तथा कमी
(1) कीमत में परिवर्तन इसमें परिवर्तन का मुख्य कारण कीमत में परिवर्तन होता है। मांग में वृद्धि अथवा कमी का सम्बन्ध कीमत में परिवर्तन से नहीं होता।
(2) दूसरे तत्त्वों का प्रभाव इसमें दूसरे तत्त्वों जैसे कि आय, फैशन, स्वाद इत्यादि को स्थिर माना जाता है अर्थात् दूसरे तत्त्वों में कोई परिवर्तन नहीं होता। इसमें दूसरे तत्त्वों के प्रभाव के कारण ही मांग में वृद्धि अथवा कमी होती है अर्थात् आय, जनसंख्या, फैशन इत्यादि में परिवर्तन का मुख्य कारण होते हैं।
(3) मांग वक्र की स्थिति इसमें उस मांग रेखा पर उपभोक्ता रहता है और उपभोक्ता का चलन (movement) एक ही मांग रेखा पर होता है। इसमें मांग रेखा खिसक (shift) जाती है। मांग बढ़ने से मांग वक्र ऊपर चला जाता है तथा मांग घटने से मांग वक्र नीचे खिसक जाता है।

प्रश्न 14.
वस्तु की मांग पर आय के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
वस्तु की मांग पर आय का प्रभाव निम्नलिखित अनुसार होता है

  1. जब उपभोगी की आय बढ़ जाती है तो सामान्य वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है और आय कम होने से सामान्य वस्तुओं की मांग कम हो जाती है।
  2. जब उपभोगी की आय बढ़ जाती है तो घटिया वस्तुओं की मांग कम हो जाती है और आय कम होने से घटिया वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मांग के नियम को स्पष्ट करो। इस नियम के अपवाद तथा महत्त्व की व्याख्या करो। (Explain the Law of Demand. Discuss its Exceptions & Importance.)
उत्तर-
मांग का नियम (Law of Demand)-मांग का नियम यह बताता है कि वस्तु की कीमत तथा मांग में क्या सम्बन्ध है। वस्तु की कीमत में परिवर्तन आने से वस्तु की मांग में परिवर्तन हो जाता है। यदि दसरी बातें समान रहें तो कीमत घटने से मांग बढ़ जाती है तथा कीमत बढ़ने से मांग कम हो जाती है अर्थात् कीमत तथा मांग में विपरीत सम्बन्ध होता है। कीमत में परिवर्तन होना मुख्य कारण है। मांग में परिवर्तन होना प्रभाव (effect) है। इस कारण कीमत तथा मांग के विपरीत सम्बन्ध को स्पष्ट करने वाले नियम को मांग का नियम कहा जाता है।

परिभाषाएं (Definitions)- प्रो० मार्शल के अनुसार, “यदि बाकी बातें समान रहें तो कीमत घटने से मांग बढ़ती है तथा कीमत बढ़ने से मांग घटती है।” प्रो० सैम्यूलसन के अनुसार, “मांग का नियम यह बताता है कि बाकी बातें समान रहें तो लोग कम कीमत पर अधिक खरीदेंगे तथा अधिक कीमत पर कम खरीदेंगे।” (“The Law of Demand states that other things remaining the same, people will buy more at lower prices and buy less at higher price.” -Samuelson)

मान्यताएं (Assumptions)-मांग का नियम ‘बाकी बातें समान रहें’ की स्थिति में ही लागू होता है। बाकी बातों का अर्थ कीमत के बिना उन तत्त्वों से होता है जोकि मांग को प्रभावित करते हैं। इसलिए इन तत्त्वों में परिवर्तन नहीं होना चाहिए जिनको अर्थशास्त्री मांग के नियम की मान्यताएं कहते हैं। मांग के नियम की मुख्य मान्यताएं अनलिखित हैं-

  1. उपभोक्ता की आय में कोई परिवर्तन नहीं आता।
  2. आदतें, फैशन तथा रीति-रिवाज़ों में कोई परिवर्तन नहीं होता।
  3. स्थानापन्न वस्तुओं की कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता।
  4. पूरक वस्तुओं की कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता।
  5. भविष्य में वस्तु की कीमत में परिवर्तन की सम्भावना नहीं होती।
  6. वस्तु साधारण होनी चाहिए।

नियम की व्याख्या (Explanation of the Law)-मांग के नियम की व्याख्या एक उदाहरण द्वारा की जा सकती है। एक उपभोक्ता कुलफी खरीदना चाहता है।कुलफी की विभिन्न कीमत पर उपभोक्ता कुलफियों की कितनी-कितनी मात्रा की खरीद की जाती है। इसको मांग सूची द्वारा दिखाया जा सकता है
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 14
मांग सूची तथा मांग वक्र 14 द्वारा मांग के नियम को स्पष्ट किया गया है। जैसे-जैसे कीमत ₹ 5, 4, 3, 2, 1 घटती है, मांग 1, 2, 3, 4, 5 वस्तुओं की बढ़ती जाती है। इससे DD मांग वक्र बनती है, जोकि ऋणात्मक ढलान वाली है। यह नियम साधारण वस्तुओं (Normal Goods) पर लागू है।

नियम के अपवाद (Exceptions of the Law)-यह नियम निम्नलिखित स्थितियों में लागू नहीं होता-

  1. घटिया वस्तुएं (Inferior Goods)-घटिया वस्तु (गले हुए केले) की कीमत घटती है तो इनकी मांग कम हो जाती है।
  2. मान प्रतिष्ठा वस्तुएं (Articles of Distinction) हीरे-जवाहरात की कीमत बढ़ने से इनकी मांग बढ़ती है।
  3. उपभोक्ता की अज्ञानता (Ignorance of Consumer)-जब उपभोक्ता अज्ञानी होता है तो नियम लागू नहीं होता।

नियम का महत्त्व (Importance of the Law)-

  1. मानवीय व्यवहार का ज्ञान (Knowledge of human behaviour)-इस नियम द्वारा मानवीय व्यवहार सम्बन्धी ज्ञान प्राप्त होता है कि वह बाज़ार में वस्तुओं की खरीद कैसे करता है।
  2. उत्पादक द्वारा कीमत निर्धारण (Price Determination by Producers)-इस नियम को ध्यान में रखकर उत्पादक वस्तु की कीमत निर्धारण करते हैं, जिससे उसको अधिकतम लाभ प्राप्त होता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग

प्रश्न 2.
मांग वक्र का निर्माण मांग सूची से कैसे किया जाता है ? मांग के निर्धारक तत्त्वों की व्याख्या करो।
(How is Demand Curve Derived From Demand Schedule ? Explain the determinants of Demand.)
उत्तर-
मांग सूची का अर्थ (Meaning of Demand Schedule)-एक सूची जिसमें कीमत तथा मांग के सम्बन्ध को स्पष्ट किया जाता है, उसको मांग सूची कहा जाता है। यदि बाकी बातें समान रहें, वस्तु की कीमत घटने से मांग अधिक की जाती है तथा वस्तु की कीमत बढ़ने से मांग कम की जाती है। कीमत तथा मांग के परस्पर सम्बन्ध को प्रकट करने वाली सूची अथवा मांग सारणी कहा जाता है। प्रो० सैम्यूलसन के शब्दों में, “वह सूची जिसमें कीमत तथा खरीदी गई मात्रा का सम्बन्ध वर्णन किया जाए, मांग सूची कहलाती है।” (“A Table relating demand and price is called demand schedule.’ – Samuelson)

मांग सूची की किस्में (Types of Demand Schedule) मांग सूची मुख्य तौर पर दो प्रकार की होती है –
1. व्यक्तिगत मांग सूची तथा वक्र (Individual Demand Schedule & Curve)
2. बाज़ार मांग सूची तथा वक्र (Market Demand Schedule and Curve)

1. व्यक्तिगत मांग सूची (Individual Demand Schedule) यदि एक सूची में एक मनुष्य द्वारा विभिन्न कीमतों पर खरीदी जाने वाली वस्तु की विभिन्न मात्रा को दिखाया जाता है तो इसको व्यक्तिगत मांग सूची कहा जाता है। इसको उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। विभिन्न कीमत पर कुलफी की गई मांग की मात्रा को निम्नलिखित सूची-पत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 15
सूची-पत्र के अनुसार जब कुलफी की कीमत ₹ 5 है तो उपभोक्ता केवल एक कुलफी की मांग करता है। जैसेजैसे कुलफी की कीमत घटकर ₹ 4, 3, 2, 1 हो जाती है तो उपभोक्ता 2, 3, 4, 5 कुलफियों की मांग करता है। इस सूचीपत्र को व्यक्तिगत सूची-पत्र कहा जाता है। रेखाचित्र 15 में दिखाया है कि जैसे-जैसे कुलफियों की कीमत घटती है, मांग में वृद्धि होती है। इससे DD मांग वक्र बन जाती है, इसको व्यक्तिगत मांग वक्र कहा जाता है।

2. बाज़ार मांग सूची (Market Demand Schedule) – बाज़ार में वस्तु के बहुत से खरीददार होते हैं। यदि बाज़ार में सभी ग्राहकों की मांग को जोड़कर मांग सूची बनाई जाए तो इसको बाज़ार मांग सूची कहा जाता है। मान लो बाज़ार में लोग कुलफी की खरीद करते हैं, जिसकी विभिन्न कीमत पर मनुष्य A तथा मनुष्य B द्वारा की गई मांग इस प्रकार है-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 16
सूची-पत्र में A मनुष्य तथा मनुष्य B की मांग के जोड़ से बाज़ार मांग दिखाई गई है। इसको रेखाचित्र द्वारा भी स्पष्ट किया जा सकता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 17
रेखाचित्र 16 में DDA मनुष्य A की मांग वक्र है। जब कीमत ₹ 5 है तो मनुष्य A एक कुलफी की मांग करता है तथा एक रु० कीमत पर 5 कुलफियों की मांग की जाती है। DAD मनुष्य B की मांग वक्र है, ₹ 5 कीमत पर 2 कुलफियों की मांग तथा एक रु० कीमत पर 6 कुलफियों की मांग है। A + B द्वारा बाज़ार मांग वक्र बन जाती है। ₹5 कीमत पर 3 कुलफियों की मांग तथा एक रु० पर 11 कुलफियों की मांग है, इसको बाज़ार मांग वक्र Dm Dm द्वारा दिखाया है।

मांग के निर्धारक तत्व (Determinants of Demand)-

  1. वस्तु की कीमत-वस्तु की मांग उस वस्तु की अपनी कीमत द्वारा निर्धारण होती है। कीमत तथा मांग का विपरीत सम्बन्ध होता है।
  2. सम्बन्धित वस्तुओं की कीमत-स्थानापन्न वस्तुओं की स्थिति में जब स्थानापन्न वस्तुओं की कीमत कम हो जाती है तो इस वस्तु की मांग कम हो जाएगी। पूरक वस्तुओं की स्थिति में इस वस्तु की मांग कम हो जाएगी, यदि पूरक वस्तुओं की कीमत बढ़ जाती है।
  3. 3. आय-जब उपभोक्ता की आय बढ़ जाती है तो वस्तुओं की मांग बढ़ जाएगी।
  4. 4. स्वाद, आदतें, फैशन-जब उपभोक्ता के स्वाद, आदतें तथा फैशन में परिवर्तन होता है तो मांग में परिवर्तन हो जाता है।
  5. 5. जनसंख्या-जनसंख्या के आकार में वृद्धि हो जाए तो मांग में वृद्धि हो जाती है।
  6. 6. आय का वितरण-देश में समान आय का वितरण हो तो मांग बढ़ जाती है।

प्रश्न 3.
मांग वक्र की ढलान नीचे की ओर क्यों होती है ? क्या मांग वक्र की ढलान धनात्मक हो सकती (Why does Demand curves slopes downwards ? Can Demand Curve slope positively ?)
अथवा
मांग का नियम क्यों लागू होता है ? स्पष्ट करो। (Why does the Law of Demand operate ? Explain.)
उत्तर-
मांग के नियम में इस बात का अध्ययन किया जाता है कि कीमत बढ़ने से मांग कम हो जाती है तथा घटने से मांग में वृद्धि होती है अर्थात् कीमत तथा मांग में विपरीत सम्बन्ध होता है। ऐसे सम्बन्ध से ही मांग रेखा की ऋणात्मक ढलान होती है। कीमत तथा मांग में विपरीत सम्बन्ध के निम्नलिखित कारण होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप मांग वक्र 17 की ढलान बाएं से दाएं ओर नीचे की ओर चली जाती है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 18
1. घटते सीमान्त उपयोगिता का नियम (Law of Diminishing Marginal Utility)-मांग का नियम, घटते सीमान्त उपयोगिता के नियम पर निर्भर करता है। घटते सीमान्त उपयोगिता के नियम अनुसार, जैसे-जैसे एक उपभोगी वस्तु का अधिक उपभोग करता है, उसका सीमान्त उपयोगिता निरन्तर घटती जाती है। उपभोगी की अधिकसे-अधिक सन्तुष्टि उस स्थिति में होती है, जहां वस्तु की कीमत, उस वस्तु से प्राप्त होने वाले सीमान्त उपयोगिता के समान हो जाती है। वस्तु की अधिक मात्रा खरीदने से सीमान्त उपयोगिता घटती जाती है। इसलिए वस्तुओं की अधिक मात्रा तो ही खरीदी जाएगी, यदि कीमत कम हो जाती है। इसलिए घटते सीमान्त उपयोगिता का नियम स्पष्ट करता है कि कम कीमत पर वस्तु की अधिक मात्रा तथा अधिक वस्तु पर वस्तु की कम मात्रा क्यों खरीदी जाती है।

2. आय प्रभाव (Income Effect) – मांग का नियम लागू होने का दूसरा कारण आय प्रभाव है। किसी वस्तु . की कीमत घटने से उपभोगी की वास्तविक आय (Real Income) बढ़ जाती है। जब वास्तविक आय में वृद्धि होती है तो उस वस्तु की अधिक मात्रा की खरीद की जाएगी। उदाहरणस्वरूप दूध की कीमत ₹ 10 प्रति किलोग्राम है। परिवार में 10 किलोग्राम दूध का प्रयोग किया जाता है। इससे 10 x 10 = ₹ 100 व्यय किए जाते हैं। यदि दूध की कीमत ₹ 8 प्रति किलोग्राम हो जाए तथा उपभोगी पहले वाली मात्रा 10 किलोग्राम दूध की खरीद करता है तो उसको 8 x 10 = ₹ 80 व्यय करने पड़ेंगे। इस प्रकार उपभोगी की आय ₹ 20 बढ़ जाती है, जिस कारण दूध की अधिक मात्रा खरीदी जाती है।

3. स्थानापन्न प्रभाव (Substitution Effect)-स्थानापन्न वस्तुएं चाय तथा कॉफी हैं। यदि चाय की कीमत कम हो जाती है, परन्तु कॉफी की कीमत में कोई परिवर्तन नहीं होता तो लोग कॉफी की जगह पर चाय अधिक मात्रा में खरीदने लगते हैं। चाय की जितनी मात्रा अधिक खरीदी जाएगी. उसको स्थानापन्न प्रभाव कहा जाता है। इस प्रकार जब दो स्थानापन्न वस्तुओं में से किसी एक वस्तु की कीमत कम हो जाती है तथा उस वस्तु की अधिक मात्रा इस कारण की जाती है कि लोग दूसरी स्थानापन्न वस्तु की जगह पर तथा इस वस्तु की अधिक मांग करते हैं, जिसकी कीमत कम हो गई है। इस कारण मांग वक्र ऋणात्मक ढलान वाला बनता है तथा मांग का नियम लागू होता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग

4. नए उपभोगी (New Consumers)-जब एक वस्तु की कीमत कम हो जाती है जो उपभोगी इस वस्तु की पहले खरीद नहीं कर सकते हैं, अब इस वस्तु को खरीदने लग जाते हैं, जैसे कि मटरों की कीमत ₹ 40 प्रति किलो है तो बहुत कम लोग मटरों की खरीद करते हैं। जब मटरों की कीमत ₹ 10 प्रति किलोग्राम हो जाती है तो बहुत से नए उपभोगी मटर खरीदने लगते हैं तथा पुराने उपभोगी अधिक मात्रा खरीदने लग जाते हैं। इस कारण मांग में बहुत वृद्धि हो जाती है तथा मांग वक्र ऋणात्मक ढलान वाली बनती है।

5. विभिन्न प्रयोग (Different Uses)-बहुत-सी वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। दूध का प्रयोग चाय, दही, पनीर, मिठाई इत्यादि विभिन्न प्रयोगों में किया जा सकता है। यदि दूध की कीमत बहुत अधिक हो तो इसका प्रयोग केवल चाय के लिए किया जाता है। यदि दूध की कीमत कम हो जाती है तो दूध का प्रयोग दही, मक्खन, पनीर, खीर इत्यादि के लिए भी होने लगता है। इसीलिए ऐसी वस्तुओं की कीमत घटने से मांग में वृद्धि होती है तथा मांग वक्र की ढलान बाईं ओर से दाईं और नीचे की ओर झुकी होती है।

मांग वक्र की धनात्मक ढलान (Positive Slope of Demand Curve)-मांग के नियम के अपवादों के कारण मांग, मांग वक्र 18 की ढलान धनात्मक हो सकती है। इसके मुख्य अपवाद हैं-

  1. मान प्रतिष्ठा वाली वस्तुओं की स्थिति में जैसा कि हीरे आदि।
  2. उपभोगी की अज्ञानता कारण।
  3. घटिया अथवा गिफ्फन वस्तुओं की स्थिति में मांग वक्र 18 की तरह ढलान धनात्मक हो सकती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 19

प्रश्न 4.
मांगी गई मात्रा में परिवर्तन तथा मांग में परिवर्तन में अन्तर बताओ। (Explain the difference between change in quantity demanded and change in demand.)
अथवा
मांग की रेखा तथा संचालन तथा मांग की रेखा में परिवर्तन में अन्तर बताओ। (Explain the difference between movement along demand curve and shift in Demand Curve.)
अथवा
मांग के विस्तार तथा संकुचन तथा मांग में वृद्धि तथा कमी के अन्तर को स्पष्ट करो। (Distinguish between Extension and Contraction in Demand & Increase and decrease in demand.)
उत्तर-
मांग में परिवर्तन को मांग की रेखा द्वारा दो तरह से स्पष्ट किया जाता है-
1. एक ही मांग रेखा पर संचालन (Movement Alongwith a Demand)-जब किसी वस्तु की मांग में परिवर्तन केवल कीमत में परिवर्तन कारण होता है तो मांग में परिवर्तन को एक मांग रेखा पर प्रकट किया जाता है। इसको मांग की मात्रा में परिवर्तन कहा जाता है। एक वस्तु की कीमत में कमी होने से मांग में वृद्धि को मांग का विस्तार (Extension in Demand) कहा जाता है। इसके विपरीत जब कीमत में वृद्धि हो जाती है तथा मांग में कमी उत्पन्न होती है तो मांग में इस घाटे को मांग का संकुचन (Contraction in Demand) कहा जाता है। इसको मांगी गई मात्रा में परिवर्तन भी कहा जाता है।

2. मांग वक्र का खिसकना (Shifting in Demand Curve)-जब मांग में परिवर्तन कीमत में परिवर्तन कारण नहीं, बल्कि किसी अन्य तत्त्वों जैसे कि आय, फैशन, स्वाद, जनसंख्या इत्यादि कारण होता है तो इसको मांग का खिसकना कहा जाता है। इस स्थिति में मांग वक्र प्राथमिक मांग वक्र के ऊपर की ओर अथवा नीचे की ओर खिसक कर नई मांग वक्र बन जाती है। यदि मांग वक्र की ओर खिसक जाती है तो इसको मांग की वृद्धि (Increase in Demand) कहा जाता है तथा यदि मांग वक्र नीचे की ओर खिसक जाती है तो इसको मांग का घाटा (Decrease in Demand) कहा जाता है। इसको मांग में परिवर्तन भी कहा जाता है।
(i) मांग का विस्तार तथा संकुचन (Extension and Contraction in Demand)-मांग में परिवर्तन का मुख्य कारण केवल कीमत में परिवर्तन हो तो इसको मांग का विस्तार अथवा संकुचन भी कहा जाता है।
1. मांग का विस्तार (Extension in Demand)- बाकी बातें समान रहें, वस्तु की कीमत में कमी होने से मांग में वृद्धि हो जाती है। इसको मांग का विस्तार कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 20
सूची-पत्र में जब एक कुलफी की कीमत ₹ 5 दी है तो उपभोगी एक कुलफी की खरीद करता है, यदि कुलफी की कीमत घटकर एक रुपया हो जाती है तथा मांग 5 कुलफियों की जाती है तो इसको मांग का विस्तार कहा जाता है। रेखाचित्र 19 में मांग वक्र पर a बिन्दु से b बिन्दु तक परिवर्तन को मांग का विस्तार कहा जाता है।
(ii) मांग का संकुचन (Contraction in Demand) बाकी बातें समान रहें अर्थात् आय, फैशन, मौसम में कोई परिवर्तन न हो, वस्तु की कीमत बढ़ने से मांग घट जाती है तो इसको मांग का संकुचन कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 22
सूची-पत्र अनुसार जब कुलफी की कीमत एक रुपया है तो उपभोगी 5 कुलफियों की खरीद करता है। कीमत बढ़कर ₹ 5 प्रति कुलफी हो जाती है तो बाकी बातें समान रहें तो कुलफियों की मांग घटकर एक कुलफी रह जाएगी। इस मांग की कमी को मांग का संकुचन कहा जाता है। इसमें a से b तक परिवर्तन को मांग का संकुचन कहा जाता है।

2. मांग में वृद्धि तथा कमी (Increase and Decrease in Demand)-मांग में परिवर्तन, वस्तु की कीमत के बिना अन्य कारण आय, फैशन, स्वाद इत्यादि करके होती है तो मांग में इस परिवर्तन को मांग की वृद्धि अथवा कमी कहा जाता है। . .
(i) मांग की वृद्धि (Increase in Demand)-मांग की वृद्धि को दो तरह से स्पष्ट किया जा सकता है।
(क) समान कीमत पर अधिक मांग (Same Price More Demand) वस्तु की कीमत समान रहती है, परन्तु उपभोगी की आय ₹ 10,000 प्रति माह से बढ़कर ₹ 20,000 प्रति माह हो जाती है तो उपभोगी द्वारा वस्तु की अधिक मांग की जाएगी, इसको मांग की वृद्धि कहा जाता है।
(ख) अधिक कीमत पर समान मांग (More Price Same Demand) वस्तु की कीमत बढ़ जाती है, परन्तु उपभोगी पहले जितनी वस्तु की मांग करता है, क्योंकि उसकी आय में वृद्धि हो जाती है तो इसको भी मांग की वृद्धि कहा जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 24
सूची-पत्र अनुसार कीमत ₹ 5 समान रहती है, परन्तु आय बढ़ने के कारण मांग 2 कुलफियों की जगह पर 4 कुलफियों की हो जाती है तो इसको मांग की वृद्धि कहा जाता है।सूची-पत्र के भाग (2) में कीमत ₹ 5 से बढ़कर ₹ 7 हो जाती है, परन्तु मांग 2 कुलफियों की समान रहती है, क्योंकि उपभोगी की आय बढ़ गई है। इसको भी मांग की वृद्धि कहा जाता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग

2. मांग की कमी (Decrease in Demand)-मांग की कमी को भी दो तरह से स्पष्ट किया जा सकता है।

  • समान कीमत कम मांग (Same Price Less Demand)-वस्तु की मांग में कमी का मुख्य कारण कीमत से कम होकर ₹ 5,000 प्रति माह रह जाती है तो कीमत समान रहे तो भी मांग कम हो जाएगी, इसको मांग की कमी कहा जाएगा।
  • कम कीमत समान मांग (Less Price Same Demand)-मान लो उपभोगी की आय कम हो जाती है। वस्तु की कीमत में कमी आ जाने के कारण भी उपभोगी पहले जितनी वस्तु की खरीद करता है, इस स्थिति को मांग की कमी कहा जाता है।
    PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 26

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 27
सूची-पत्र अनुसार कीमत ₹ 5 समान रहती है, परन्तु मांग दो कुलफियों से कम होकर एक कुलफी ही रह जाती है अथवा कुलफी की कीमत ₹ 5 से कम होकर ₹ 3 रह जाती है तथा मांग 2 कुलफियों की समान रहती है तो इसको मांग की कमी कहा जाता है।

V. संरख्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
तीन उपभोक्ताओं राम, शाम तथा सोहन की मांग अनुसूची में दी हुई है। बाज़ार मांग अनुसूची का निर्माण कीजिए।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 28
उत्तर-
बाज़ार मांग अनुसूची कीमत –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 29

प्रश्न 2.
सूची-पत्र प्रश्न 1 में यदि सोहन को छोड़ दिया जाए तो नई बाज़ार अनुसूची क्या होगी ?
उत्तर –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 30

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग

प्रश्न 3.
मुस्कराहट (Smile) नाम के फल के चार उपभोगी हैं। यह उपभोगी ईशा, एफराह, ईला, ईबीमा हैं। मुस्कराहट फल की मांग सूची निम्नलिखित अनुसार है। बाजार मांग वक्र का निर्माण करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 31
उत्तर-
बाज़ार मांग सूची का निर्माण –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 32

प्रश्न 4.
निम्नलिखित अनुसूची में C मनुष्य की मांग अनुसूची ज्ञात करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 34
उत्तर-
मनुष्य C की मांग अनुसूची –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 5 मांग 35

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन

PSEB 11th Class Economics उपभोगी का सन्तुलन Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
कुल उपयोगिता की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
एक वस्तु की सभी इकाइयों का उपभोग करने से प्राप्त होने वाली उपयोगिता के जोड़ को कुल उपयोगिता कहते हैं।

प्रश्न 2.
सीमान्त उपयोगिता की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
एक वस्तु की एक और इकाई का उपयोग करने से प्राप्त होने वाली अतिरिक्त उपयोगिता को सीमान्त उपयोगिता कहते हैं।
अथवा
(MU = TUn TUn -1)

प्रश्न 3.
उपभोग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उपभोग वह प्रक्रिया है जिस द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रयोग से आवश्यकताओं की सन्तुष्टि की जाती है।

प्रश्न 4.
उपयोगिता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वस्तु या सेवा का वह गुण जिस द्वारा आवश्यकताएँ सन्तुष्ट होती हैं, उस गुण को उपयोगिता कहा जाता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन

प्रश्न 5.
सीमान्त उपयोगिता से कुल उपयोगिता का आंकलन कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
सीमान्त उपयोगिता के जोड़ से कुल उपयोगिता प्राप्त हो जाती है।

प्रश्न 6.
जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है तो सीमान्त उपयोगिता कितनी होती है ?
उत्तर-
जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है तो सीमान्त उपयोगिता शून्य (Zero) होती है।

प्रश्न 7.
जब सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक होती है तो कुल उपयोगिता पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
जब सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक होती है तो कुल उपयोगिता गिरना शुरू हो जाती है।

प्रश्न 8.
जब सीमान्त उपयोगिता शून्य होती है तो कुल उपयोगिता की क्या स्थिति होती है ?
उत्तर-
जब सीमान्त उपयोगिता शून्य होती है तो कुल उपयोगिता अधिकतम होती है।

प्रश्न 9.
उपभोक्ता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उपभोक्ता एक व्यक्ति, परिवार या सरकार हो सकती है जिस द्वारा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वस्तुओं तथा सेवाओं का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 10.
उपभोक्ता सन्तुलन क्या है ?
उत्तर-
उपभोक्ता सन्तुलन वह अवस्था है जब वह अपने व्यवहार को वर्तमान परिस्थितियों में सबसे अच्छा मानता है और उसमें कोई परिवर्तन नहीं करना चाहता।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन

प्रश्न 11.
घटती सीमान्त उपयोगिता के नियम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
घटती सीमान्त उपयोगिता के नियम अनुसार जब किसी वस्तु की इकाइयों का लगातार अधिक उपभोग किया जाता है तो प्रत्येक इकाई से प्राप्त होने वाली सीमान्त उपयोगिता घटती जाती है।

प्रश्न 12.
उपभोक्ता सन्तुलन की शर्त क्या होती है ?
उत्तर-
उपभोक्ता सन्तुलन = MUx = Price of X. MU of Money.

प्रश्न 13.
एक वस्तु के लिए उपभोक्ता सन्तुलन कैसे प्राप्त होता है ?
उत्तर–
प्राप्त उपयोगिता (MU) = त्यागी गई उपयोगिता (Price).

प्रश्न 14.
दो वस्तुओं के लिए उपभोक्ता सन्तुलन कैसे प्राप्त होता है ?
उत्तर-
X वस्तु की सीमान्त उपयोगिता (MU.) = Y वस्तु की सीमान्त उपयोगिता (MUy).

प्रश्न 15.
सीमान्त उपयोगिता (MU) = ………
उत्तर-
सीमान्त उपयोगिता (MU) = (TUn – TUn-1) Or \(\frac{\Delta \mathrm{TU}}{\Delta \mathrm{Q}}\)

प्रश्न 16.
MU1 + MU2 + MU3 = ……………….. + MUn = ……..
उत्तर-
Total Utility (T.U.)

प्रश्न 17.
जब कुल उपयोगिता अधिकतम होती है तो सीमान्त उपयोगिता ……. होती है।
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 0 (शून्य)
उत्तर-
(d) 0 (शून्य)।

प्रश्न 18.
एक वस्तु की स्थिति में उपभोगी का सन्तुलन तब होता है जब
(a) MUm
(b) MUr
(c) MUp
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) MUm

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन

प्रश्न 19.
दो वस्तुओं की खरीद में उपभोक्ता सन्तुलन उस समय होता है जब \(\frac{\mathbf{M U _ { x }}}{\mathbf{P}_{x}}=\frac{\mathbf{M U _ { y }}}{\mathbf{P}_{y}}\) ……………………… होती है।
(a) \(\frac{\mathrm{P}_{x}}{\mathrm{P}_{y}}\)
(b) \(\frac{P_{y}}{P_{x}}\)
(c) \(\frac{\mathrm{MU}_{x}}{\mathrm{MU}_{y}}\)
(d) MUm.
उत्तर-
(d) MUm.

प्रश्न 20.
किसी वस्तु की एक और इकाई का उपभोग करने से प्राप्त होने वाली अतिरिक्त उपयोगिता को …………….. कहते हैं।
उत्तर-
सीमान्त उपयोगिता।

प्रश्न 21.
जब सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक होती है तो कुल उपयोगिता अधिकतम होती है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 22.
एक वस्तु की स्थिति में उपभोगी को प्राप्त होने वाली सीमान्त उपयोगिता वस्तु की कीमत के बराबर हो जाती है तो इस को उपभोगी का सन्तुलन कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 23.
जब एक मनुष्य के वस्तु भण्डार में वृद्धि होती है तो प्रत्येक वृद्धि के साथ प्राप्त होने वाला अतिरिक्त लाभ घटता जाता है। इस को घटती सीमान्त उपयोगिता का नियम कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 24.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करें-

उपभोग की गई इकाइयाँ: 1 2 3 4 5 6 7
सीमान्त उपयोगिता : 8 10 8 6 4 2 0
कुल उपयोगिता :

उत्तर-

उपभोग की गई इकाइयाँ : 1 2 3 4 5 6 7
सीमान्त उपयोगिता : 8 10 8 6 4 2 0
कुल उपयोगिता : 8 18 26 32 36 38 38

प्रश्न 25.
घटती सीमान्त उपयोगिता का नियम ……. ने दिया।
(a) मार्शल
(b) एड्म स्मिथ
(c) गोसन
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(c) गोसन।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन

प्रश्न 26.
घटती सीमान्त उपयोगिता का नियम ………..से सम्बन्धित है।
(a) उपभोग
(b) विनिमय
(c) उत्पादन
(a) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(a) उपभोग।

प्रश्न 27.
घटती सीमान्त उपयोगिता के नियम को ……….. भी कहा जाता है।
(a) अधिकतम सन्तुष्टि का नियम
(b) सन्तुष्टि का नियम
(c) गोसन का पहला नियम
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(c) गोसन का पहला नियम।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
उपभोगी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उपभोगी उस व्यक्ति को कहा जाता है जोकि अपनी आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए वस्तुओं तथा सेवाओं का प्रयोग करता है। उपभोगी परिवार, सरकार अथवा फ़र्म भी हो सकती है। सरकार लोगों के लिए वस्तुओं तथा सेवाओं की खरीद करती है ताकि सामाजिक भलाई में वृद्धि हो सके।

प्रश्न 2.
उपभोगी के सन्तुलन से क्या अभिप्राय है ? ‘
उत्तर-
उपभोगी का सन्तुलन एक ऐसी अवस्था होती है, जब वह अपने वर्तमान व्यवहार को कुछ विशेष स्थितियों में सबसे अच्छा अनुभव करता है तथा उसमें कोई परिवर्तन नहीं करता, जब तक स्थितियों में कोई परिवर्तन नहीं होता।

प्रश्न 3.
उपयोगिता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
उपयोगिता का अर्थ वस्तु अथवा सेवा में उस गुण से होता है जिस द्वारा मानवीय आवश्यकताएं पूरी होती हैं अथवा हम यह कह सकते हैं कि किसी वस्तु में वह शक्ति जो आवश्यकताओं की पूर्ति करती है, उसको उपयोगिता कहा जाता है।(“’Utility is the want satisfying power of a good.”)

प्रश्न 4.
सीमान्त उपयोगिता को पारिभाषित करो।
उत्तर-
सीमान्त उपयोगिता किसी वस्तु की एक अन्य इकाई का उपभोग करने से जो अधिक तुष्टिगुण प्राप्त होता है उसको सीमान्त उपयोगिता कहा जाता है। उदाहरणस्वरूप एक वस्तु की पाँच इकाइयों का उपभोग करने से 100 युटिलज़ सन्तुष्टि प्राप्त होती है तथा छः इकाइयों का उपभोग करने से 110 युटिलज़ सन्तुष्टि मिलती है तो छठी इकाई का उपभोग करने से 110 – 100 = 10 युटिलज़ को सीमान्त उपयोगिता कहा जाता है।
MU = TUn – TUn-1) = 110 – 100 = 10 Utils.

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन

प्रश्न 5.
कुल उपयोगिता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
किसी वस्तु की सभी इकाइयों के उपभोग से प्राप्त होने वाली उपयोगिता को कुल उपयोगिता कहा जाता है। मान लो एक उपभोगी तीन सेबों का उपभोग करता है। प्रथम सेब से 10 युटिल, द्वितीय सेब से 8 युटिल तथा तीसरे सेब से 6 युटिल उपयोगिता प्राप्त होती है तो कुल उपयोगिता 10 + 8 + 6 = 24 युटिल प्राप्त होगी।

प्रश्न 6.
टेबल की सहायता से बताइए कि जब सीमान्त तुष्टिगुण शून्य होता है तो कुल तुष्टिगुण अधिकतम होता है ?
उत्तर-
जब सीमान्त तुष्टिगुण शून्य होता है तो कुल तुष्टिगुण अधिकतम होता है। जैसा कि निम्नलिखित टेबल से स्पष्ट है –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन 1
चार सेबों का उपभोग करने से सीमान्त तुष्टिगुण शून्य है और कुल तुष्टिगुण 12 अधिकतम है।

प्रश्न 7.
घटते सीमान्त तुष्टिगुण के नियम से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
घटते सीमान्त तुष्टिगुण का नियम प्रोफैसर मार्शल की देन है। उनके अनुसार, “यदि अन्य बातें समान रहें जब एक निश्चित समय में एक उपभोगी किसी वस्तु का अधिक उपभोग करता है उस वस्तु की सीमान्त उपयोगिता घटती जाती है।” इसको घटते सीमान्त तुष्टिगुण का नियम कहते हैं।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
घटते सीमान्त उपयोगिता के नियम का संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर-
गोसन पहले अर्थशास्त्री थे जिन्होंने यह नियम दिया। इसलिए इस नियम को गोसन का पहला नियम भी कहते हैं। यह नियम लोगों की व्यावहारिक तथा मनोवैज्ञानिक स्थिति को ध्यान में रखकर बनाया गया है। प्रो० मार्शल के अनुसार, “जब किसी मनुष्य के वस्तु के भण्डार में वृद्धि होती है तो प्रत्येक वृद्धि से प्राप्त होने वाला लाभ घटता जाता है।” (“The additional benefit which a person derives from an increase of a stock of a thing diminishes with every increase in the stock that he already has.”) इस नियम को उपभोग का आधारपूर्वक नियम (Fundamental Law of Consumption) अथवा आधारपूर्वक मनोवैज्ञानिक नियम (Fundamental Psychological Law) भी कहा जाता है।

इस नियम अनुसार जब एक मनुष्य एक वस्तु की अधिक इकाइयों का उपभोग करता है तो उसको वस्तु से प्राप्त होने वाली सीमान्त उपयोगिता घटती जाती है अथवा कुल उपयोगिता में वृद्धि तो होती है परन्तु जिस अनुपात पर वृद्धि होती है, वह अनुपात घटता जाता है। उदाहरण-एक उपभोगी सेबों का उपभोग करता है, उसको प्राप्त M.U. तथा T.U. इस प्रकार है-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन 2
सूची-पत्र में तथा रेखाचित्र 1 में-

  • सेबों का उपभोग करने से सीमान्त उपयोगिता 4, 3, 2, 1, 0 युटिलज़ घटता जाता है।
  • जब सीमान्त उपयोगिता शून्य है तो. कुल उपयोगिता अधिकतम है।
  • जब सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक है तो कुल उपयोगिता घटने लगता है, इसको घटते सीमान्त उपयोगिता का नियम कहते हैं।

प्रश्न 2.
उपयोगिता, सीमान्त उपयोगिता तथा कुल उपयोगिता के सम्बन्ध को स्पष्ट करें। कुल उपयोगिता तथा सीमान्त उपयोगिता के सम्बन्ध को स्पष्ट करें।
उत्तर-
उपयोगिता का अर्थ (Meaning of Utility)-अर्थशास्त्र में ‘उपयोगिता’ एक महत्त्वपूर्ण धारणा है। उपयोगिता का अर्थ किसी वस्तु या सेवा में उस गुण से होता है जो हमारी ज़रूरतों की पूर्ति करता है। इसीलिए किसी वस्तु में उस गुण या शक्ति को उपयोगिता कहा जाता है जिसके द्वारा मानवीय ज़रूरतों की सन्तुष्टि होती है। (Utility is the want satisfying power of a commodity.) उपयोगिता का माप संख्याओं 1, 2, 3, 4, 5 आदि द्वारा किया जाता है जिनको युटिल कहा जाता है।

सीमान्त उपयोगिता (Marginal Utility)-किसी वस्तु का एक बार और उपभोग करने से जिन कुल उपयोगिता में वृद्धि होती है उस वृद्धि को सीमान्त उपयोगिता कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर एक वस्तु की 5 इकाइयों का उपभोग करने के साथ 100 युटिल प्राप्त होती है और छठी इकाई का उपभोग करने के साथ कुल उपयोगिता में वृद्धि 110 युटिल हो जाती है। तो छठी इकाई के उपभोग के साथ 110 -100 = 10 युटिल उपयोगिता की वृद्धि हुई है। इसीलिए सीमान्त उपयोगिता 10 युटिल होगी। इसका माप निम्नलिखित अनुसार किया जाता है।
MU = TUn – TUn-1
= TU6th Unit – TU5th Unit (110 – 100 = 10 युटिलज़)
कल उपयोगिता (Total Utility) किसी वस्तु की सभी इकाइयों के उपभोग से प्राप्त होने वाले उपयोगिता को कुल उपयोगिता कहा जाता है। मान लो एक आदमी ने तीन सेबों का उपभोग किया। पहले सेब से 10 युटिल, दूसरे सेब से 8 युटिल और तीसरे सेब से 6 युटिल उपयोगिता प्राप्त हुआ तो कुल उपयोगिता 10 + 8 + 6 = 24 युटिलज़ हुआ।

कुल उपयोगिता और सीमान्त उपयोगिता का सम्बन्ध (Relationship Between T.U. & M.U.)-
कुल उपयोगिता (T.U.) और सीमान्त उपयोगिता (M.U.) के सम्बन्ध को सूची-पत्र और रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करते हैं –
कुल उपयोगिता तथा सीमान्त उपयोगिता का सम्बन्ध –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन 4
सूची-पत्र तथा रेखाचित्र 2 अनुसार –

  • जब सेबों की इकाइयों का अधिक प्रयोग किया जाता है तो सीमान्त तुष्टिकरण (M.U.) घटता जाता है तथा कुल उपयोगिता में वृद्धि घटती दर पर होती है।
  • जब सीमान्त उपयोगिता शून्य (zero) हो जाती है तो कुल उपयोगिता अधिकतम होती है, जैसे चौथे सेब के उपभोग में दिखाया गया है।
  • जब पांचवें सेब का उपभोग किया जाता है तो सीमान्त उपयोगिता ऋणात्मक हो जाती है तो कुल उपयोगिता घटने लगती है, जैसे Mu द्वारा दिखाया गया है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन 5

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
घटती सीमान्त उपयोगिता के नियम की व्याख्या करो। इस नियम के अपवाद तथा महत्त्व को स्पष्ट करो।
(Explain the Law of Diminishing Marginals Utility. Give its Exceptions and Importance.)
उत्तर-
घटती सीमान्त उपयोगिता का नियम, उपयोगिता विश्लेषण का आधारपूर्वक नियम है। इस नियम को सबसे पहले एच० एच० गोसन (H.H. Gossen) ने 1854 में दिया था, परन्तु इस नियम की ठीक रूप में व्याख्या प्रो० मार्शल ने 1890 में अपनी पुस्तक “अर्थशास्त्र के सिद्धान्त” में की। प्रो० मार्शल के शब्दों में, “मनुष्य के पास किसी वस्तु की जितनी मात्रा होती है, उस वस्तु की मात्रा में जैसे-जैसे वृद्धि होती है, उसकी सीमान्त उपयोगिता घटती जाती है।” (“The additional benefit which a person dervies from a given stock of a thing, diminishes, with every increase in the stock that he already has.”-Marshall)

प्रो० चैपमैन के अनुसार, “जितनी कोई वस्तु हमारे पास अधिक मात्रा में होती है, उतनी ही कम मात्रा में हम अन्य प्राप्त करना चाहते हैं।” (“The more we have of a thing the less we want additional increament of it.”-Chapman) -उदाहरणस्वरूप एक मनुष्य को प्यास लगी है। पानी का पहला गिलास उस मनुष्य को बहुत उपयोगिता देगा। परन्तु दूसरे तथा तीसरे गिलास से प्राप्त होने वाली उपयोगिता घटती जाएगी। अन्य पानी पीने से उसको तकलीफ भी हो सकती है, अर्थात् वस्तु की वृद्धि से उपयोगिता घटती जाती है, परन्तु एक सीमा के पश्चात् यह उपयोगिता शून्य अथवा ऋणात्मक हो जाती है। इसको घटती उपयोगिता का नियम कहा जाता है।

मान्यताएं (Assumptions) –

  1. उपयोगिता का गणनावाचक माप हो सकता है।
  2. मुद्रा की सीमान्त उपयोगिता स्थिर रहती है।
  3. वस्तुओं की इकाइयां समान आकार तथा गुण वाली हैं।
  4. वस्तु का उपभोग एक समय तथा निरन्तर किया जाता है।
  5. उपभोगी की आय दी हुई है तथा यह स्थिर रहती है।
  6. वस्तु की कीमत तथा स्थानान्तरण वस्तुओं की कीमत स्थिर रहती है।
  7. उपभोक्ता की रुचि, फैशन, आदतें, रीति-रिवाज इत्यादि में कोई परिवर्तन नहीं होता।

नियम की व्याख्या (Explanation of the Law)-
सीमान्त उपभोक्ता का नियम उपभोग का महत्त्वपूर्ण नियम है। एक मनुष्य के पास ₹ 7 हैं। इन पैसों से उपभोक्ता केले खरीदता है। जब यह पैसे केलों पर व्यय किए जाते हैं तो प्राप्त होने वाली सीमान्त उपयोगिता घटती जाती है। इसको सूचीपत्र तथा रेखाचित्र द्वारा दिखाया जा सकता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन 7
सूचीपत्र के अनुसार जब उपभोक्ता केलों पर व्यय करता है, तो प्राप्त होने वाली सीमान्त उपयोगिता 5, 4, 3, 2, 1 घटती जाती है। छठे केले से शून्य तथा सातवें केले से ऋणात्मक उपयोगिता प्राप्त होती है। रेखाचित्र 3 में दिखाया है कि उपभोक्ता को केलों से प्राप्त होने वाली सीमान्त उपयोगिता कम होती जाती है। छठी इकाई से शून्य तथा. सातवीं इकाई से ऋणात्मक उपयोगिता प्राप्त होती है। जिसको MU द्वारा दिखाया गया है। इसको घटती सीमान्त उपयोगिता का नियम कहा जाता है।

नियम के अपवाद (Exceptions of the Law)-घटती सीमान्त उपयोगिता का नियम निम्नलिखित स्थितियों में लागू नहीं होता है-

  1. दुर्लभ तथा अद्भुत वस्तुएं-दुर्लभ तथा अद्भुत वस्तुओं की मात्रा के बढ़ने से उपभोक्ता की उपयोगिता घटने की जगह पर बढ़ती जाती है।
  2. कंजूस मनुष्य-कंजूस मनुष्य के पास किसी वस्तु की मात्रा बढ़ने से वह मनुष्य उस वस्तु की अन्य मात्रा प्राप्त करना चाहता है।
  3. नशीले पदार्थ-यह नियम नशीले पदार्थों शराब, अफीम, तम्बाकू इत्यादि पर लागू नहीं होता। शराबी मनुष्य अधिक शराब पीकर अधिक उपयोगिता महसूस करता है।
  4. आरम्भिक इकाइयां-किसी वस्तु की आरम्भिक इकाइयों पर भी नियम लागू नहीं होता।
  5. अच्छी पुस्तकें-यह नियम अच्छी पुस्तकों, कविताओं, पुराने गानों के भण्डार पर भी लागू नहीं होता। .

नियम का महत्त्व (Importance of the Laws)-प्रो० टॉज़िग अनुसार, “घटती सीमान्त उपभोक्ता का नियम इतना व्यापक है कि इसको सर्वव्यापक कहना गलत नहीं होगा।” इसका महत्त्व इस प्रकार है –
1. नियमों का आधार-उपभोग के बहुत से नियम जैसे कि सम-सीमान्त उपयोगिता का नियम, मांग का नियम, उपभोक्ता की बचत का नियम इत्यादि इस नियम पर आधारित हैं।

2. उपभोक्ता के लिए लाभदायक-यह नियम उपभोक्ता के लिए महत्त्वपूर्ण है। एक उपभोक्ता अपनी सारी आय एक वस्तु पर ही व्यय नहीं करता; बल्कि विभिन्न प्रकार की वस्तुओं की खरीद करता है। इससे उस उपभोक्ता को अधिक उपभोक्ता प्राप्त होती है।

3. उत्पादकों के लिए लाभदायक-यह नियम उत्पादकों के लिए भी सहायक है। उत्पादक जब वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं तो एक प्रकार की वस्तुओं का ही उत्पादन नहीं किया जाता, बल्कि विभिन्न प्रकार की वस्तुएं विभिन्न वर्ग के लोगों के लिए बनाई जाती हैं। इससे उत्पादक को अधिकतम लाभ प्राप्त होता है।

4. मूल्य निर्धारण-यह नियम मूल्य निर्धारण में भी लाभदायक है। किसी वस्तु की मांग उस वस्तु से प्राप्त होने वाली सी :न्ति उपयोगिता पर निर्भर करती है, जब वस्तु की अधिक मात्रा की मांग की जाती है तो सीमान्त उपयोगिता कम होने के कारण वस्तु की कीमत कम दी जाती है। परन्तु कीमत के घटने से वस्तु की कम मात्रा बेची जाएगी। इसलिए कीमत निर्धारण उस बिन्दु पर होगा, जहां वस्तु की मांग, वस्तु की पूर्ति के समान होती है।

5. वित्त मंत्री के लिए लाभदायक-यह नियम वित्त मंत्री के लिए भी लाभदायक है। कर लगाते समय वित्त मंत्री इस नियम की सहायता लेता है। जब एक मनुष्य की आय बढ़ जाती है तो मुद्रा का सीमान्त उपयोगिता घटता जाता है, इस कारण अमीर मनुष्यों पर कर की अधिक मात्रा लगाई जाती है।

6. समाजवाद का आधार-समाजवाद वह आर्थिक प्रणाली है, जिसमें देश की सरकार आय तथा धन का समान विभाजन करना चाहती है, जबकि अमीर लोगों के पास अधिक धन होता है तो उन पर अधिक कर लगाया जाता है, जिससे समाजवाद आर्थिक प्रणाली जन्म लेती है। देश में साधनों का समान विभाजन होने के कारण प्रत्येक मनुष्य को लाभ प्राप्त होता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन

प्रश्न 2.
उपभोगी के सन्तुलन से क्या अभिप्राय है ?.एक वस्तु की स्थिति में उपभोगी सन्तुलन कैसे प्राप्त करता है ? (What is Consumer’s Equilibrium ? How does a consumer reach state of equilibrium in case of one commodity and two commodities ?)
उत्तर-
उपभोगी का सन्तुलन (Consumer’s Equilibrium)-उपभोगी का सन्तुलन उस स्थिति को कहा जाता है, जब एक उपभोगी अपनी आय तथा वस्तुओं की कीमतों अनुसार, अपना व्यय इस ढंग से करता है, जिससे उसको प्राप्त होने वाली सन्तुष्टि अधिक-से-अधिक होती है तथा इसमें वह कोई परिवर्तन नहीं करना चाहता, जब तक उपभोगी की आय, वस्तुओं की कीमतों, देश में फैशन, रीति-रिवाज इत्यादि में कोई परिवर्तन नहीं होता।

मान्यताएं (Assumptions) –

  1. विचारशील उपभोगी (Rational Consumer)-उपभोगी विचारशील है तथा अपनी आय से अधिक-सेअधिक सन्तुष्टि प्राप्त करना चाहता है।
  2. संख्यावाचक उपयोगिता (Cardinal Utility) -उपयोगिता का माप संख्यावाचक संख्याओं 1, 2, 3, 4 इत्यादि रूप में किया जा सकता है, जिनको युटिलज़ (Utils) कहा जाता है।
  3. मुद्रा का सीमान्त उपयोगिता स्थिर रहता है (Constant M.U. of money) – जब उपभोगी अपनी आय को व्यय करता है तो मुद्रा के सीमान्त उपयोगिता में कोई परिवर्तन नहीं होता।
  4. उपयोगिता स्वतन्त्र होती है (Utility is Independent)-वस्तु की उपयोगिता स्वतन्त्र होती है तथा अन्य वस्तुओं की उपयोगिता का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
  5. अन्य बातें समान रहती हैं (Other things being equal) – देश में फैशन, रीति-रिवाज, आदतें, दूसरी वस्तुओं की कीमतें स्थिर रहती हैं।

एक वस्तु की स्थिति में उपभोगी का सन्तुलन (Consumer’s Equilibrium in case of one Commodity)-मान लो एक उपभोगी ऐसी वस्तु की खरीद करता है, जिसका इस तरह से प्रयोग किया जा सकता है जब उपभोगी ऐसी वस्तु का उपभोग करता है तो घटते सीमान्त उपयोगिता का नियम (Law of Diminishing Marginal Utility) लागू होता है। इस नियम अनुसार जब एक उपभोगी एक वस्तु का निरन्तर उपभोग करता है तो अधिक उपभोग करने से प्राप्त होने वाली सीमान्त उपयोगिता घटती जाती है।

इसलिए विचारशील मनुष्य ऐसी वस्तु का उपभोग उस सीमा तक करेगा, जहां कि उस वस्तु की अन्तिम इकाई से प्राप्त सीमान्त उपयोगिता तथा उस इकाई के लिए दी जाने वाली कीमत के रूप में मुद्रा की उपयोगिता एक-दूसरे के समान हों अर्थात् उपभोगी का सन्तुलन निम्नलिखित स्थिति में होगा –
\(\frac{\mathrm{MU}_{x}}{\mathrm{MU}_{m}}=\mathrm{P}_{x}\)
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन 8
इसको सूची-पत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन 9
मान लो X वस्तु की कीमत 1 रुपया प्रति वस्तु दी हुई है। मुद्रा ₹ 1 की सीमान्त उपभोक्ता 10 युटिल के समान है (मुद्रा की सीमान्त उपभोक्ता का कोई विशेष मापदण्ड नहीं होता। यह तो लोगों की वस्तु सम्बन्धी पसन्द पर निर्भर करती है, जो स्थिर रहती है।) उपभोगी चार इकाइयों की खरीद करता है तो वस्तु की सीमान्त उपयोगिता तथा मुद्रा कीमत की सीमान्त उपयोगिता एक-दूसरे के समान है। इसको उपभोगी का सन्तुलन कहा जाता है।

रेखाचित्र 4 में दिखाया है कि जब उपभोगी X वस्तु की अधिक इकाइयों का उपभोग करता है तो वस्तु से प्राप्त सीमान्त उपयोगिता (M.U.) घटती जाती है। ₹ 1 वस्तु की कीमत समान रहती है। एक रुपए की सीमान्त उपयोगिता 10 युटिल मानी गई है। सन्तुलन E बिन्दु पर स्थापित होगा, जिसको सन्तुलन का बिन्दु कहा जाता है।
उपभोगी का सन्तुलन = वस्तु से प्राप्त उपयोगिता = वस्तु की कीमत के रूप में उपयोगिता का त्याग।
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V. संख्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
एक मनुष्य A की कुल उपयोगिता अनुसूची दी गई है। सीमान्त उपयोगिता अनुसूची ज्ञात करो।
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उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन 12

प्रश्न 2.
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन 13
उत्तर
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन 14

प्रश्न 3.
निम्नलिखित सारणी पूरी कीजिए :

प्रयोग की गई इकाइयां : 1 2 3 4
कुल उपयोगिता : 7 17 25 31
सीमान्त उपयोगिता :

उत्तर –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन 15

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन

प्रश्न 4.
निम्नलिखित सारणी पूरी कीजिए :

प्रयोग की गई इकाइयां : 1 2 3 4 5 6 7
कुल उपयोगिता 10 25 38 48 55 60 63
सीमान्त उपयोगिता :

उत्तर –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन 16

प्रश्न 5.
निम्नलिखित सारणी पूरी कीजिए :

प्रयोग की गई इकाइयां : 1 2 3 4 5 6 7
कुल उपयोगिता : 12 22 30 36 40 42 42
सीमान्त उपयोगिता :

उत्तर –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन 17

प्रश्न 6.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करें :

प्रयोग की गई इकाइयां : 0 1 2 3 4 5
कुल उपयोगिता : 1 15 30 42 52 61
सीमान्त उपयोगिता :

उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन 18

प्रश्न 7.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करें :

उपयोग की गई इकाइयां : 0 1 2 3 4 5
कुल उपयोगिता : 0 10 25 38 48 55
सीमान्त उपयोगिता :

उत्तर –
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन 19

प्रश्न 8.
निम्नलिखित सारणी को पूरा करें :

उपयोग की गई इकाइयां : 0 1 2 3 4 5
कुल उपयोगिता : 0 20 35 47 57 65
सीमान्त उपयोगिता :

उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन 20

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन

प्रश्न 9.
नीचे दिये हुए आंकड़ों से सीमान्त उपयोगिता मालूम करें :

उपभोग की गई इकाइयां: 1 2 3 4 5
कुल उपयोगिता : 10 25 38 48 55

उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 4 उपभोगी का सन्तुलन 21

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 3 अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 3 अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 3 अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ

PSEB 11th Class Economics अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
आर्थिक समस्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर–
साधन सीमित होने के कारण, दुर्लभता की स्थिति में चयन करना ही आर्थिक समस्या है।

प्रश्न 2.
सभी आर्थिक समस्याओं की जननी क्या है ?
उत्तर-
दुर्लभता।

प्रश्न 3.
आर्थिक समस्या क्यों उत्पन्न होती है ?
अथवा
चयन की समस्या क्यों उत्पन्न होती है ?
उत्तर-
आवश्यकताएँ असीमित हैं और साधन सीमित होने के कारण आर्थिक समस्या (चयन की समस्या) उत्पन्न होती है।

प्रश्न 4.
दुर्लभता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
दुर्लभता वह स्थिति है जिसमें साधनों की माँग, साधनों की पूर्ति से अधिक होती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 3 अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ

प्रश्न 5.
चुनाव से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
चुनाव से अभिप्राय है विभिन्न विकल्पों में से चयन की प्रक्रिया।

प्रश्न 6.
आर्थिक क्रिया से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
आर्थिक क्रिया से अभिप्राय उस क्रिया से है जिसमें दुर्लभ साधनों के प्रयोग के लिए कीमत देनी पड़ती है।

प्रश्न 7.
दुर्लभता के कारण कौन-सी मूल समस्या उत्पन्न होती है ?
उत्तर-
चयन की समस्या।

प्रश्न 8.
साधनों के आर्थिक प्रयोग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सीमित साधनों से अधिकतम उत्पादन को साधनों का आर्थिक प्रयोग कहते हैं।

प्रश्न 9.
साधनों के आर्थिक प्रयोग की आवश्यकता क्यों होती है ?
उत्तर-
आवश्यकताओं की तुलना में साधन सीमित हैं इसलिए साधनों के आर्थिक प्रयोग की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 10.
एक अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएं क्या हैं ?
उत्तर-
एक अर्थव्यवस्था की तीन केन्द्रीय समस्याएं हैं-

  • किन वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाए ?
  • उत्पादन किस प्रकार किया जाए ?
  • उत्पादन किसके लिए किया जाए ?

प्रश्न 11.
एक अर्थव्यवस्था में केन्द्रीय समस्याएँ क्यों उत्पन्न होती हैं ?
उत्तर-
असीमित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सीमित साधन हैं, जिनके वैकल्पिक प्रयोग हो सकते हैं, जिस कारण केन्द्रीय समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

प्रश्न 12.
एक अर्थव्यवस्था की किन्हीं दो समस्याओं का नाम लिखें।
उत्तर-

  • किन वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाए
  • उत्पादन किस प्रकार किया जाए, आर्थिक समस्याएँ हैं।

प्रश्न 13.
सभी आर्थिक समस्याओं के उत्पन्न होने का मूल कारण दुर्लभता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 14.
आर्थिक समस्याओं के विश्लेषण को सबसे पहले प्रो. सेम्यूलसन अर्थशास्त्री ने स्पष्ट किया।
उत्तर-
सही।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 3 अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ

प्रश्न 15.
(i) क्या उत्पादन किया जाए ?
(ii) कैसे उत्पादन किया जाए ?
(iii) किसी अर्थव्यवस्था की दो …….. समस्याएँ हैं।
उत्तर-
केंद्रीय।

प्रश्न 16.
आर्थिक समस्याओं की जननी कौन है ?
(a) चुनाव
(b) दुर्लभता
(c) असीमित आवश्यकताएँ
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) दुर्लभता।

प्रश्न 17.
दुर्लभता एक ऐसी स्थिति है जब साधनों की पूर्ति ……. हो।
(a) माँग के बराबर
(b) माँग से अधिक
(c) माँग से कम
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(c) माँग से कम।।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आर्थिक समस्या से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
आर्थिक समस्या से अभिप्राय मनुष्य की असीमित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सीमित होते हैं। इन साधनों का प्रयोग विभिन्न ढंगों से किया जाता है। इस प्रकार चयन की समस्या उत्पन्न होती है। चयन की समस्या को आर्थिक समस्या कहा जाता है। लैफ्टविच के अनुसार, “आर्थिक समस्या का सम्बन्ध मनुष्य की वैकल्पिक आवश्यकताओं के लिए सीमित साधनों का विभाजन तथा इन साधनों का अधिक-से-अधिक आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए प्रयोग करना होता है।”

प्रश्न 2.
आर्थिक समस्या उत्पन्न होने के कारण बताओ।
अथवा
आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होने के कारण कौन-कौन से हैं ? स्पष्ट करो।
उत्तर-
रॉबिन्ज़ के अनुसार, “आर्थिक समस्याओं के दो आधारपूर्वक कारण, असीमित आवश्यकताएं तथा साधनों की दुर्लभता है।”
1. असीमित आवश्यकताएँ-साधारण तौर पर मनुष्य की आवश्यकताएँ असीमित हैं। जब एक आवश्यकता पूरी हो जाती है तो दूसरी आवश्यकता उसका स्थान ले लेती है। बचपन से बुढ़ापे तक सुबह से शाम तक आवश्यकताओं का कभी अन्त नहीं होता।

2. साधनों की दुर्लभता-यदि साधन दुर्लभ न होते तो शायद कोई आर्थिक समस्या उत्पन्न न होती। इसलिए साधनों की मांग साधनों की पूर्ति से अधिक है। आर्थिक समस्याएँ इन दो कारणों से उत्पन्न होती है।

प्रश्न 3.
एक अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ लिखो।
उत्तर-
एक अर्थव्यवस्था की मुख्य केन्द्रीय समस्याएँ निम्नलिखित हैं –

  1. किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए तथा कितनी मात्रा में किया जाए।
  2. उत्पादन कैसे किया जाए।
  3. उत्पादन किन लोगों के लिए किया जाए।
  4. साधनों का पूर्ण प्रयोग कैसे किया जाए।
  5. आर्थिक उन्नति कैसे प्राप्त की जाए।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
दुर्लभता तथा चयन साथ-साथ कैसे चलते हैं ? स्पष्ट करो।
उत्तर-
मानवीय आवश्यकताएं असीमित हैं। आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए साधन सीमित होते हैं। इन साधनों को दुर्लभ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इनकी पूर्ति से मांग अधिक होती है। प्रत्येक साधन अथवा वस्तु के वैकल्पिक प्रयोग किए जा सकते हैं। इसलिए प्रत्येक मनुष्य तथा सारे समाज को चयन करना पड़ता है कि सीमित साधनों से कौन-सी आवश्यकताओं को पूरा किया जाए। उदाहरणस्वरूप भूमि पर अनाज की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए गेहूँ की पैदावार की जा सकती है अथवा रहने के लिए मकान बनाए जा सकते हैं अथवा भूमि पर फैक्टरी लगाकर उत्पादन किया जा सकता है। इसलिए चयन की समस्या उत्पन्न होती है। यदि साधन सीमित न होते तो चयन की कोई समस्या उत्पन्न न होती। इसीलिए दुर्लभता तथा चयन साथ-साथ चलते हैं।

प्रश्न 2.
“अर्थशास्त्र का सम्बन्ध दुर्लभित कारण चयन की समस्या से है।” स्पष्ट करो।
उत्तर-
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध मुख्य तौर पर कमी (Scarcity) से है। कमी का अर्थ है वस्तुओं तथा साधनों की प्राप्ति से इनकी .मांग अधिक है। यदि विश्व में वस्तुओं तथा साधनों की कमी न होती तो मनुष्य अपनी असीमित आवश्यकताओं की पूर्ति सरलता से कर लेता तथा चयन की समस्या का सामना न करना पड़ता। इस प्रकार विश्व में कोई समस्या न होती तथा अर्थशास्त्र के अभाव में आता। परन्तु साधनों की कमी है। इसलिए चयन की समस्या उत्पन्न होती है। अर्थशास्त्र में हम पढ़ते हैं कि सीमित साधनों से अधिक-से-अधिक आवश्यकताओं की पूर्ति कैसे की जा सकती है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 3 अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ

प्रश्न 3.
एक अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ क्या हैं तथा यह कैसे उत्पन्न होती हैं ?
उत्तर-
एक अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ (Central Problems of an Economy)-

  1. क्या उत्पादन किया जाए ? विभिन्न वस्तुओं में से कौन-सी वस्तुओं का उत्पादन किया जाए। इस कारण चयन की समस्या उत्पन्न होती है।
  2. उत्पादन कैसे किया जाए ? उत्पादन श्रम सघन अथवा पूंजी सघन तकनीक से किया जाए। इस कारण तकनीक का चयन करना पड़ता है।
  3. किन लोगों के लिए उत्पादन किया जाए ? उत्पादन किस प्रकार किया जाए ताकि उत्पादन का वितरण उचित ढंग से हो सके।

समस्याएँ क्यों उत्पन्न होती हैं ? (Why do they arise ?)

  • मानवीय आवश्यकताएं असीमित हैं; परन्तु इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए साधन कम हैं।
  • साधनों के विकल्प प्रयोग किए जा सकते हैं। इसलिए केन्द्रीय समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

प्रश्न 4.
किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए? केन्द्रीय समस्या को उदाहरण द्वारा अथवा उत्पादन सम्भावना वक्र द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर-
प्रत्येक अर्थव्यवस्था में साधनों की दुर्लभता पाई जाती है। प्रत्येक वस्तु का उत्पादन असीमित मात्रा में नहीं किया जा सकता। इसलिए यह समस्या उत्पन्न होती है कि कौन-सी वस्तुओं का उत्पादन किया जाए तथा कौन-सी वस्तुओं का उत्पादन न किया जाए। उदाहरण-एक देश में 10 करोड़ रुपए हैं; जिनसे गेहूँ तथा टेलीविज़न का उत्पादन करना है। दोनों वस्तुओं के उत्पादन की सम्भावनाएँ इस प्रकार हैं|
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 3 अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ 1

तालिका तथा रेखाचित्र अनुसार यदि सभी साधनों का प्रयोग गेहूँ की पैदावार के लिए किया जाता है तो 3 टन गेहूँ उत्पन्न की जा सकती है। दूसरी ओर यदि सभी साधनों का प्रयोग टेलीविज़न बनाने के लिए किया जाता है तो 6 टेलीविज़न बनाए जा सकते हैं। A, D रेखा को उत्पादन सम्भावना वक्र कहा जाता है, जो बताती है कि गेहूँ तथा टेलीविज़न का कितना उत्पादन किया जा सकता है। बिन्दु B पर 5 टेलीविज़न तथा एक टन गेहूँ, C बिन्दु पर 3 टेलीविज़न तथा 2 टन गेहूँ की पैदावार हो सकती है। इसलिए अर्थव्यवस्था की प्रथम समस्या यह है कि किस वस्तु का उत्पादन किया जाए तथा कितनी मात्रा में
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 3 अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ 2
उत्पादन किया जाए।

प्रश्न 5.
उत्पादन किन लोगों के लिए किया जाए? केन्द्रीय समस्या को उदाहरण द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर-
उत्पादन किन लोगों के लिए किया जाए ? यह समस्या वस्तुओं तथा सेवाओं के चयन से सम्बन्धित है। यदि एक देश निर्धन, जैसे कि भारत तो ऐसे देश में रोटी, कपड़ा तथा मकान से सम्बन्धित वस्तुओं का उत्पादन करना चाहिए। यह लोग अधिक कीमत वाली वस्तुएँ नहीं खरीद सकते। अमेरिका तथा इंग्लैंड जैसे देशों में लोग अमीर हैं। इसलिए कारें, फ्रिज, टेलीविज़न इत्यादि वस्तुओं का उत्पादन करना चाहिए। इसलिए किसी देश में अमीर अथवा निर्धन किस वर्ग के लोग अधिक हैं इसको ध्यान में रखकर वस्तुओं तथा सेवाओं से सम्बन्धित चयन की समस्या का हल किया जा सकता है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
एक अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं को स्पष्ट करो। यह क्यों उत्पन्न होती हैं ? (Explain the Central Problems of an Economy. Why do they arise ?)
उत्तर-
अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ (Central Problems of an Economy) अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं को पाँच भागों में विभाजित कर स्पष्ट करते हैं-

  1. किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए तथा कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए?
  2. कैसे उत्पादन किया जाए?
  3. उत्पादन किस लिए किया जाए?
  4. साधनों का पूर्ण प्रयोग कैसे हो?
  5. आर्थिक उन्नति कैसे प्राप्त की जाए?

अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याओं की विस्तारपूर्वक व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है-
1. किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए तथा कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए? (What to produce and how much to Produce ?)-प्रत्येक अर्थव्यवस्था में लोगों की आवश्यकताएं असीमित होती हैं परन्तु इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए साधन सीमित होते हैं। यह चयन की समस्या उत्पन्न होती है। यह निर्णय किया जाता है कि किन वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाए तथा कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 3 अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ

  • किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए ? प्रत्येक अर्थव्यवस्था में प्रथम समस्या यह होती है कि किन वस्तुओं तथा सेवाओं की पैदावार की जाए। देश में उपभोगी वस्तुएं (Consumers goods) जैसे कि गेहूँ, चावल, चीनी, फ्रिज, टी० वी० इत्यादि का उत्पादन किया जाए अथवा पूंजीगत वस्तुएँ (Capital goods) जैसे कि मशीनों, औज़ारों, इमारतों इत्यादि का उत्पादन किया जाए।
  • कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए? वस्तुएँ कितनी-कितनी मात्रा में उत्पन्न की जाएं? क्योंकि साधनों की कमी के कारण सभी वस्तुओं का उत्पादन आवश्यकताओं के अनुसार नहीं किया जा सकता। इसलिए अनिवार्य वस्तुओं, आरामदायक वस्तुओं तथा विलास वस्तुओं की मात्रा सम्बन्धी निर्णय किया जाता है।

2. कैसे उत्पादन किया जाए ? (How to Produce ?)-अर्थव्यवस्था की दूसरी महत्त्वपूर्ण समस्या यह है कि उत्पादकता कैसे की जाए? पैदावार के ढंग निश्चित करते समय इस बात को ध्यान में रखा जाता है कि उत्पादकता करने से कुल लागत कम-से-कम हो तथा कुल उत्पादन अधिक-से-अधिक हो। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए यह निर्णय लिया गया है कि तकनीकी क्या होनी चाहिए अर्थात् श्रम प्रधान तकनीक (Labour Intensive Technique) का प्रयोग किया जाए, जिसमें मजदूरों की मात्रा पूंजी से अधिक लगाई जाती है अथवा पूंजी प्रधान तकनीक (Capital Intensive Technique) का प्रयोग किया जाए जिसमें मजदूरों से अधिक मशीनों का प्रयोग किया जाए।

3. उत्पादन किन लोगों के लिए किया जाए? (For Whom to Produce ?)-अर्थव्यवस्था की तीसरी महत्त्वपूर्ण समस्या यह है कि उत्पादन किन लोगों के लिए किया जाए? इससे अभिप्राय है कि उत्पादन की वस्तुओं का विभाजन कैसे किया जाए। इस समस्या का दो पक्षों से अध्ययन किया जाता है। प्रथम पक्ष में व्यक्तिगत वितरण (Micro Distribution) का अध्ययन करते हैं। इसमें ज्ञात होता है कि समाज के विभिन्न मनुष्य तथा परिवार जब कार्य करते हैं तो कितना मेहनताना प्राप्त होता है।

दूसरा पक्ष कार्यकारी वितरण (Functional Distribution) है। इसमें ज्ञात किया जाता है कि उत्पादन के साधनों भूमि, श्रम, पूंजी तथा उद्यमी में उत्पादन का वितरण कितना-कितना होता है। प्रो० सेम्यूलसन ने पीछे दी गई तीन समस्याओं के वितरण (Allocation of Resources) की समस्या का नाम दिया था।

4. साधनों का पूर्ण प्रयोग कैसे हो ? (How to achieve full utilization of resources ?)-एक अर्थव्यवस्था की मुख्य आर्थिक समस्या देश के सभी साधनों का पूर्ण प्रयोग है। उत्पादन के साधनों का पूर्ण प्रयोग कैसे किया जाए? यह निर्णय देश में उत्पादन के साधनों की मात्रा तथा देश में साधनों को प्रयोग सम्बन्धी शक्ति पर निर्भर करता है। इसलिए साधनों का प्रयोग इस ढंग से करना चाहिए ताकि वर्तमान में पूर्ण रोज़गार (Full Employment) की स्थिति को प्राप्त किया जा सके।

5. आर्थिक विकास कैसे प्राप्त किया जाए ? (How to achieve Economic Growth ?)-आर्थिक समस्याओं में एक समस्या आर्थिक विकास की समस्या है। आर्थिक विकास का अर्थ देश में प्रति व्यक्ति वास्तव आय में वृद्धि से होता है। आर्थिक विकास प्राप्त करने के लिए यह निर्णय करना पड़ता है कि देश में पूंजी निर्माण की दर में वृद्धि कैसे की जाए। पूंजी निर्माण का अर्थ देश में नई फैक्टरियाँ, मशीनें, औज़ारों तथा मानवीय पूंजी में वृद्धि करने से होता है।

प्रश्न 2.
उत्पादन सम्भावना वक्र से क्या अभिप्राय है? उत्पादन सम्भावना वक्र को तालिका तथा रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करो। उत्पादन सम्भावना वक्र क्यों खिसक जाती है ?
(What is meant by Production Curve? Show Production Possibility Curve with the help of a schedule and diagram. Why does the Production Possibility Curve shift?)
उत्तर-
असीमित आवश्यकताओं तथा सीमित साधनों के कारण कमी की आर्थिक समस्या उत्पन्न होती है। वस्तुओं तथा सेवाओं की कमी के कारण हम सभी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकते। इसलिए वस्तुओं में चयन करना पड़ता है। इसलिए कमी तथा चयन की समस्या को उत्पादन सम्भावना वक्र द्वारा भी स्पष्ट किया जा सकता है।

उत्पादन सम्भावना वक्र का अर्थ (Meaning of Production Possibility Curve)-उत्पादन सम्भावना वक्र वह वक्र होता है, जो स्पष्ट करता है कि अर्थव्यवस्था में भूमि, श्रम, पूंजी की मात्रा तथा वर्तमान तकनीक से कितना उत्पादन किया जा सकता है। “उत्पादन सम्भावना वक्र की परिभाषा इस प्रकार की जा सकती है। उत्पादन सम्भावना वक्र दो वस्तुओं के उन संयोगों को दर्शाता है जोकि एक अर्थव्यवस्था में साधनों के पूर्ण प्रयोग से उत्पादन किए जा सकते हैं तथा तकनीक समान रहती है।” (“A Production Possibility Curve shows all the possible combinations of two different goods that can be produced by an economy when all its natural resources are fully employed and technique remains constant.”’)

उत्पादन सम्भावना वक्र का निर्माण (Formation of Production Possibility Curve)-उत्पादन सम्भावना वक्र के निर्माण के लिए एक उदाहरण लेते हैं। एक अर्थव्यवस्था में उपभोगी वस्तु (गेहूँ) तथा पूंजीगत वस्तु (टेलीविज़न) का उत्पादन किया जाता है। देश के साधनों के प्रयोग से इन दो वस्तुओं की उत्पादकता को उत्पादन निम्न तालिका द्वारा स्पष्ट करते हैं-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 3 अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ 3
तालिका में जब गेहूँ की पैदावार में A, B, C, D संयोगों में वृद्धि की जाती है तो गेहूँ की उत्पादकता 0, 1, 2, 3 टन दिखाई गई है। परन्तु इससे टेलीविज़न की मात्रा 6, 5, 3, 0 कम हो जाती है। इन संयोगों को रेखाचित्र 2 द्वारा दिखाया जा सकता है। रेखाचित्र 2 से ज्ञात होता है कि अर्थव्यवस्था में 6 टेलीविज़न बनाए जाएं तथा गेहूँ (0) टन उत्पन्न की जाए; जिसको बिन्दु A द्वारा दिखाया गया है। यदि गेहूँ 1 टन उत्पन्न की जाती है तो टेलीविज़न 5 बनाए जा सकते हैं जोकि B बिन्दु द्वारा पता चलता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 3 अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ

C बिन्दु पर 3 टेलीविज़न तथा 2 टन गेहूँ का उत्पादन होता है। D बिन्दु पर गेहूँ तीन टन तथा 0 टेलीविज़न का उत्पादन होता है। इस प्रकार A, B, C, D बिन्दुओं को मिलाने से उत्पादन सम्भावना वक्र (Production Possibility Curve) बन जाता है। जब टेलीविज़न की जगह पर अधिक गेहूँ उत्पन्न की जाती है तो पहले एक टेलीविज़न का त्याग करके एक टन गेहूँ पैदा की जाती है। फिर 2 टेलीविज़न का त्याग करके एक टन गेहूँ उत्पन्न की जाती है। बिन्दु रेखाचित्र 2 E यह बताता है कि साधनों का उचित प्रयोग नहीं किया जाता। बिन्दु F ऐसा संयोग है, जिसको प्राप्त नहीं किया जा सकता।
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उत्पादन सम्भावना वक्र का खिसकना (Shifting of Production Possibility Curve)-उत्पादन सम्भावना वक्र ऊपर की ओर अथवा नीचे की ओर खिसक सकता है। इसके मुख्य दो कारण होते हैं-
1. साधनों में परिवर्तन (Change in Resources)-साधनों के बढ़ने के कारण उत्पादन सम्भावना वक्र ऊपर की ओर तथा साधनों की कमी के कारण उत्पादन सम्भावना वक्र नीचे की ओर खिसक जाता है। रेखाचित्र 3 में दिखाया है कि यदि आरम्भ में उत्पादन सम्भावना वक्र P1P1 है तथा साधनों में वृद्धि हो जाती है तो PPC (उत्पादन सम्भावना वक्र) खिसक कर P2P2 हो जाएगी। साधनों की कमी हो जाए तो PPC (उत्पादन सम्भावना वक्र) P2P2 खिसककर P1P1 हो जाता है।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 3 अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ 5
2. तकनीक में परिवर्तन (Change in Technique)-यदि x वस्तु तथा Y वस्तु में से किसी एक वस्तु में कुशल तकनीक का प्रयोग रेखाचित्र 3 किया जाता है तो PPC (उत्पादन सम्भावना वक्र) में परिवर्तन हो जाता है।
(A) यदि वस्तु Y की तकनीक में कुशलता उत्पन्न हो जाती है तो PPC वक्र P1P1 से बदलकर P1P2 हो जैसे – रेखाचित्र 4 भाग A में दिखाया गया है।
(B) यदि वस्तु X में कुशल तकनीक का प्रयोग किया जाता है तो उत्पादन सम्भावना वक्र P1P1 से बदल कर P1P2 बन जाता है, जैसे रेखाचित्र 4 भाग B में दिखाया गया है।
(C) यदि वस्तु X तथा वस्तु Y दोनों वस्तुओं की तकनीक में कुशलता उत्पन्न हो जाती है तो PPC का आकार रेखाचित्र 4 जैसा होगा।
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V. संरव्यात्मक प्रश्न (Numericals)

प्रश्न 1.
एक अर्थव्यवस्था दो वस्तुएं कमीज़ों तथा सैलफोन का उत्पादन करती है। सूची पत्र में उत्पादन सम्भावनाएँ दिखाई गई हैं। इन संयोगों में कमीज़ों के लिए सीमान्त अवसर लागत ज्ञात करो।
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उत्तर-
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प्रश्न 2.
एक देश दो वस्तुओं गेहूँ तथा चीनी का उत्पादन करता है, उसका उत्पादन सम्भावना वक्र सूचीपत्र में दिखाया है। इसका उत्पादन सम्भावना वक्र बनाओ तथा सीमान्त अवसर लागत ज्ञात करो।
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 3 अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ 10
उत्तर-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 3 अर्थव्यवस्था की केन्द्रीय समस्याएँ 11
सीमान्त अवसर लागत का माप
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PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 2 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 2 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 2 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र

PSEB 11th Class Economics व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध किससे है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध दुर्लभता की स्थिति में चुनाव से होता है।

प्रश्न 2.
चुनाव की समस्या क्यों उत्पन्न होती है ?
उत्तर-
चुनाव की समस्या दुर्लभता के कारण उत्पन्न होती है।

प्रश्न 3.
दुर्लभता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
दुर्लभता वह स्थिति है जिसमें मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं होते।

प्रश्न 4.
पदार्थों की माँग जब पूर्ति से अधिक होती है तो इस स्थिति को क्या कहा जाता है ?
अथवा
सभी आर्थिक समस्याओं की जननी क्या है ?
उत्तर-
दुर्लभता।

प्रश्न 5.
व्यष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र एक गृहस्थी, एक फ़र्म तथा एक उद्योग से सम्बन्धित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 2 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र

प्रश्न 6.
समष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करता है।

प्रश्न 7.
आर्थिक समस्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सीमित साधनों के वैकल्पिक प्रयोगों में से चुनाव करने की समस्या को आर्थिक समस्या कहते हैं।

प्रश्न 8.
एक गृहस्थी की आर्थिक समस्याओं के अध्ययन को कौन-सा अर्थशास्त्र कहा जाता है ?
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र।

प्रश्न 9.
सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर चुनाव अथवा साधन के बंटवारे की समस्याओं का अध्ययन किस अर्थशास्त्र में किया जाता है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थ शास्त्र।

प्रश्न 10.
अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र मानवीय व्यवहार का विज्ञान है, जिसका सम्बन्ध दुर्लभता के कारण, चयन की समस्या से होता है, जिस द्वारा व्यक्तिगत तथा सामाजिक कल्याण को अधिकतम किया जा सके।

प्रश्न 11.
दुर्लभता तथा चयन साथ-साथ चलते हैं। कैसे ?
उत्तर-
साधनों की दुर्लभता के वैकल्पिक प्रयोगों के कारण प्रत्येक व्यक्ति तथा समाज को चयन करना पड़ता है, जिस द्वारा अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त की जा सके, इसलिए दुर्लभता तथा चयन साथ-साथ चलते हैं।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 2 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र

प्रश्न 12.
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है।

प्रश्न 13.
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला है ?
उत्तर-
दोनों है।

प्रश्न 14.
आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक कौन हैं ?
उत्तर-
आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक प्रो० एडम स्मिथ हैं।

प्रश्न 15.
व्यष्टि अर्थशास्त्र का दूसरा नाम क्या है ?
उत्तर-
कीमत सिद्धान्त।

प्रश्न 16.
समष्टि अर्थशास्त्र को और क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
रोज़गार सिद्धान्त।

प्रश्न 17.
पूंजीवाद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूंजीवाद वह आर्थिक प्रणाली है जिसमें उत्पादन के साधन निजी लोगों के हाथ में होते हैं और उत्पादन लाभ प्राप्ति के लिए किया जाता है।

प्रश्न 18.
समाजवाद अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
समाजवाद में उत्पादन के साधन सरकार के हाथ में होते हैं और उत्पादन सामाजिक भलाई के उद्देश्य से किया जाता है।

प्रश्न 19.
समष्टि आर्थिक चरों की उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
सकल उत्पादन, कुल निवेश, समग्र रोज़गार आदि समष्टि अर्थशास्त्र के चर हैं।

प्रश्न 20.
व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में भेद स्पष्ट करें।
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र, व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन करता है और समष्टि अर्थशास्त्र सामूहिक इकाइयों का अध्ययन करता है।

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प्रश्न 21.
सूती कपड़ा उद्योग का अध्ययन, समष्टि आर्थिक अध्ययन है या व्यष्टि आर्थिक अध्ययन है ?
उत्तर-
सूती कपड़ा उद्योग का अध्ययन व्यष्टि आर्थिक अध्ययन है।

प्रश्न 22.
समष्टि अर्थशास्त्र का चिन्तन कहां केन्द्रित रहता है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र का चिन्तन, आय तथा रोजगार निर्धारण पर केंन्द्रित रहता है।

प्रश्न 23.
समष्टि स्तरीय आर्थिक चिन्तन में अर्थशास्त्रियों की रुचि वास्तव में कब जागृत हुई है ?
उत्तर-
समष्टि स्तरीय आर्थिक चिन्तन में अर्थशास्त्रियों की रुचि वास्तव में केन्जीय क्रान्ति (Keynesian Revolution) के बाद ही जागृत हुई है।

प्रश्न 24.
आर्थिक सिद्धान्त का कौन-सा भाग राष्ट्रीय आय तथा रोजगार की समस्याओं से सम्बन्धित है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र।

प्रश्न 25.
जे० एम० केन्ज़ की महत्त्वपूर्ण पुस्तक का क्या नाम है ? वह कौन-से वर्ष में प्रकाशित हुई ?
उत्तर-
“जनरल थ्यौरी ऑफ एंपलायमैंट इंटरैस्ट एंड मनी” जोकि 1936 में प्रकाशित हुई।

प्रश्न 26.
विश्व में पहली महामंदी (Great Depression) कब आई थी ?
उत्तर-
पहली महामंदी 1929-30 में आई थी।

प्रश्न 27.
मानवीय आवश्यकताएँ ………… हैं।
(a) सीमित
(b) असीमित
(c) दुर्लभ
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(b) असीमित।

प्रश्न 28.
अर्थशास्त्र शब्द किस भाषा से लिया गया है ?
(a) फ्रेंच
(b) लैटिन
(c) ग्रीक
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) ग्रीक।

प्रश्न 29.
अर्थशास्त्र के पितामह कौन है ?
(a) मार्शल
(b) रोबिन्ज़
(c) एडम स्मिथ
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) एडम स्मिथ।

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प्रश्न 30.
अर्थशास्त्र प्रबन्ध का विज्ञान है ?
(a) सीमित साधन
(b) असीमित आवश्यकताओं
(c) विकल्प प्रयोगों
(d) ऊपर दिये हुए सभी का।
उत्तर-
(d) ऊपर दिये हुए सभी का।

प्रश्न 31.
अर्थशास्त्र का विषय ……………. है।
(a) विज्ञान
(b) कला
(c) विज्ञान और कला
(d) न विज्ञान और न कला।
उत्तर-
(c) विज्ञान और कला।

प्रश्न 32.
व्यष्टि अर्थशास्त्र को …………. भी कहा जाता है।
(a) कीमत सिद्धान्त
(b) रोज़गार सिद्धान्त
(c) आय सिद्धान्त
(d) कृषि सिद्धान्त।
उत्तर-
(a) कीमत सिद्धान्त।।

प्रश्न 33.
समष्टि अर्थशास्त्र को …….. भी कहा जाता है।
(a) कीमत सिद्धान्त
(b) आर्थिक विकास सिद्धान्त
(c) आय तथा रोजगार सिद्धान्त
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) आय तथा रोजगार सिद्धान्त।

प्रश्न 34.
एक व्यक्ति की आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करने को ………. कहा जाता है ।
(a) पारिवारिक अर्थशास्त्र
(b) समष्टि अर्थशास्त्र
(c) व्यष्टि अर्थशास्त्र
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) व्यष्टि अर्थशास्त्र।

प्रश्न 35.
सामूहिक अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित समस्याओं के अध्ययन को ………. अर्थशास्त्र कहा जाता है।
(a) व्यष्टि
(b) समष्टि
(c) अन्तर्राष्ट्रीय
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) समष्टि।

प्रश्न 36.
दुर्लभता से अभिप्राय उस अवस्था से होता है जब साधनों की पूर्ति माँग से कम होती है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 37.
समष्टि अर्थशास्त्र में एक व्यक्ति की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 38.
अर्थशास्त्र की वह शाखा जिसका सम्बन्ध राष्ट्रीय आय तथा रोजगार से होता है उसको समष्टि अर्थशास्त्र कहते हैं?
उत्तर-
सही।

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प्रश्न 39. अर्थशास्त्र केवल शुद्ध विज्ञान है ?
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 40.
व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र का नाम रैगनर फरिस्च ने दिया।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 41.
जिस क्रिया में मौद्रिक प्रवाह तथा वास्तविक प्रवाह दोनों होते हैं उसको आर्थिक क्रिया कहते
उत्तर-
सही।

प्रश्न 42.
दुर्लभता और चुनाव साथ-साथ चलते हैं; कैसे ?
उत्तर-
साधनों की दुर्लभता के वैकल्पिक प्रयोगों के कारण दुर्लभता और चुनाव साथ-साथ चलते हैं।

प्रश्न 43.
ग़रीबी तथा दुर्लभता में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
ग़रीबी का अर्थ है बहुत कम वस्तुओं का होना, दुर्लभता का अर्थ है वस्तुओं की मात्रा की तुलना में वस्तुओं की आवश्यकताओं का अधिक होना।

प्रश्न 44.
वह क्रिया जिसका सम्बन्ध दुर्लभ साधनों का प्रयोग करके मनुष्य की इच्छाओं की सन्तुष्टि करना होता है को ……… कहते हैं।
(a) आर्थिक क्रिया
(b) अनार्थिक क्रिया
(c) सोचने की क्रिया
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(a) आर्थिक क्रिया।।

प्रश्न 45.
वह क्रिया जिसका सम्बन्ध बस्तुओं की खरीद-बेच से होता है को …….. कहते हैं।
(a) उपभोग
(b) विनिमय
(c) उत्पादन
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(b) विनिमय।

प्रश्न 46.
वह अर्थव्यवस्था जिस ऊपर सरकार का लगभग पूर्ण नियन्त्रण होता है को ……..अर्थव्यवस्था कहते हैं।
उत्तर-
समाजवादी।

प्रश्न 47.
निम्नलिखित में से कौन-सा आर्थिक प्रणाली का रूप नहीं है ?
(a) लोकतन्त्र
(b) पूंजीवाद
(c) समाजवाद
(d) मिश्रित अर्थव्यवस्था।
उत्तर-
(a) लोकतन्त्र।

प्रश्न 48.
दुर्लभता से संबंधित अर्थशास्त्र की परिभाषा किसने दी ?
उत्तर-
राबिन्ज़।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध किससे है?
उत्तर-
साधारण लोगों में यह धारणा पाई जाती है कि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध रुपये-पैसे (Money) कमाने तथा उसका प्रबन्ध करने से होता है। परन्तु यह धारणा ग़लत है। अर्थशास्त्र का सम्बन्ध दुर्लभता की स्थिति में चुनाव से होता है। (Economics is about making choice due to scarcity.)

प्रश्न 2.
व्यष्टि अथवा व्यक्तिगत अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध आर्थिक समस्या की लघु इकाइयों से होता है, जब हम आर्थिक समस्या को छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर एक-एक भाग का अध्ययन करते हैं तो इस विधि को व्यष्टि आर्थिक विश्लेषण कहा जाता है।

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प्रश्न 3.
समष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र में अर्थव्यवस्था तथा उसके समूहों अथवा औसतों का अध्ययन किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय, रोजगार, साधारण कीमत स्तर, कुल उपभोग, कुल बचत इत्यादि सामूहिक समस्याओं का हल किया जाता है।

प्रश्न 4.
व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र में अन्तर बताओ।
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक समस्याओं को छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर एक-एक भाग का अध्ययन किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक समस्याओं के समुच्चयों तथा औसतों का विशेष तौर पर अध्ययन किया जाता है। अर्थशास्त्र के अध्ययन की दो विधियां हैं।

प्रश्न 5.
अर्थशास्त्र की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
अर्थशास्त्र मानवीय व्यवहार का विज्ञान है, जिसका सम्बन्ध कमी के कारण चयन की समस्या से होता है ताकि व्यक्तिगत तथा सामाजिक कल्याण को अधिकतम किया जा सके।

प्रश्न 6.
आर्थिक क्रिया से क्या अभिप्राय है ? आर्थिक क्रियाओं का वर्णन करें।
उत्तर-
जिस क्रिया का सम्बन्ध मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दुर्लभ साधनों के उपयोग से होता है उसको आर्थिक क्रिया कहते हैं। इस क्रिया में मुद्रा प्रवाह तथा सेवाओं का प्रवाह होता है। अर्थशास्त्र की मुख्य आर्थिक क्रियाएं हैं-

  1. उत्पादन (Production)
  2. उपभोग (Consumption)
  3. निवेश (Investment)
  4. विनिमय (Exchange)
  5. वितरण (Distribution)
  6. वित्त (Finance).

प्रश्न 7.
दुर्लभता और चुनाव अर्थशास्त्र के सार हैं। स्पष्ट करें।
अथवा
चुनाव की समस्या क्यों उत्पन्न होती है ?
उत्तर-
दुर्लभता के कारण चुनाव होता है। चुनाव से अभिप्राय है निर्णय लेने की प्रक्रिया जिसका सम्बन्ध सीमित साधनों का इस प्रकार से प्रयोग होता है जिससे उपभोगी को अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त हो, उत्पादक को अधिकतम लाभ तथा राष्ट्र का अधिकतम विकास हो। इसलिए दुर्लभता और चुनाव को अलग नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 8.
आर्थिक संगठन या प्रणालियों की किस्मों का वर्णन करो।
उत्तर-
आर्थिक संगठन या प्रणालियां तीन प्रकार की हैं –

  1. पूंजीवाद-इस प्रणाली में लोगों को उपभोग, उत्पादन, विनिमय करने की स्वतन्त्रता होती है। आर्थिक क्रियाओं का संचालन कीमत यंत्र द्वारा होता है।
  2. समाजवाद-इस प्रणाली में उपभोग उत्पादन, विनिमय का संचालन सरकार द्वारा किया जाता है। कीमत सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है।
  3. मिश्रित अर्थव्यवस्था-इस प्रणाली में कुछ आर्थिक क्रियाएं निजी लोगों द्वारा तथा कुछ आर्थिक क्रियाएं सरकार द्वारा संचालन की जाती हैं। इसमें निजी क्षेत्र तथा सरकारी क्षेत्र मिलकर काम करते हैं। भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था पाई जाती है।

प्रश्न 9.
अर्थशास्त्र की प्रकृति स्पष्ट करें।
अथवा
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र की प्रकृति से अभिप्राय है कि अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला है। अर्थशास्त्र वास्तविक तथा आदर्शात्मक विज्ञान है और कला भी है। अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है क्योंकि इसमें विज्ञान के नियम हैं। अर्थशास्त्र आदर्शात्मक विज्ञान है क्योंकि इसमें हम देखते हैं कि क्या होना चाहिए। अर्थशास्त्र कला है जो इस प्रकार के उपाय और साधन ढूंढता है जिनसे इच्छित लक्ष्य प्राप्त किये जा सकें। अर्थशास्त्र विज्ञान तथा कला दोनों ही है।

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III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में कोई चार अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर-
व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर को नीचे दिए सूची पत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –

अन्तर का आधार व्यक्तिगत अर्थशास्त्र, सामूहिक अर्थशास्त्र
(1) क्षेत्र (Scope) व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत आर्थिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। सामूहिक अर्थशास्त्र में अर्थव्यवस्था की सामूहिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।
(2) उद्देश्य (Objective) व्यक्तिगत अर्थशास्त्र का उद्देश्य वस्तुओं तथा साधनों की कीमत निर्धारण करना होता है। सामूहिक अर्थशास्त्र का उद्देश्य राष्ट्रीय आय तथा रोज़गार निर्धारण करना है।
(3) मान्यताएँ (Assumptions) व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में सामूहिक चरों जैसे कि उत्पादन तथा कीमत स्तर को स्थिर माना जाता समान माना जाता है। सामूहिक अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत चरों जैसे कि एक मनुष्य की आय तथा धन को है।
(4) प्रभाव  (Effects) व्यक्तिगत निर्णयों का प्रभाव सामूहिक स्तर पर पड़ता है, जैसे बचत का प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। सामूहिक निर्णयों का प्रभाव व्यक्तिगत निर्णयों पर पड़ता है, जैसे कि सरकार द्वारा लगाए कर, व्यक्ति उपभोग को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 2.
व्यष्टि अर्थशास्त्र के महत्त्व को स्पष्ट करो।
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व –

  1. अर्थव्यवस्था की कार्यशीलता-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रयोग यह समझाना है कि अर्थव्यवस्था कार्य करती है।
  2. आर्थिक नीतियों का निर्माण-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र आर्थिक नीतियों के निर्माण में भी सहायक होता है। साधनों के उचित विभाजन के लिए पूंजीवादी अर्थव्यवस्था महत्त्वपूर्ण योगदान डालती है।
  3. आर्थिक निर्णय-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र द्वारा आर्थिक निर्णय लिए जाते हैं; जैसे कि एक वस्तु की कीमत का निर्धारण, फ़र्म की लागत तथा लाभ का ज्ञान प्राप्त होता है।
  4. आर्थिक कल्याण-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र आर्थिक कल्याण का आधार है। इससे उपभोग तथा उत्पादन की स्थिति का ज्ञान प्राप्त होता है।
  5. भविष्यवाणी-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र द्वारा भविष्यवाणियां की जाती हैं, जैसे कि एक वस्तु की मांग बढ़ जाती है तो उस वस्तु की कीमत बढ़ जाएगी।

प्रश्न 3.
समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व बताओ।
उत्तर –

  • अर्थव्यवस्था का अध्ययन–समष्टि अर्थशास्त्र से समूची अर्थव्यवस्था का ज्ञान होता है।
  • आर्थिक विकास-समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा एक देश के आर्थिक विकास के निर्धारक तत्त्वों का ज्ञान प्राप्त होता
  • कीमत स्तर का अध्ययन-एक देश में कीमत स्थिरता प्राप्त करना प्रत्येक सरकार का एक उद्देश्य होता है। इसलिए मुद्रा स्फीति तथा अस्फीति को कैसे कन्ट्रोल में रखा जाए, इसकी जानकारी समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा होती है।
  • आर्थिक नीतियों का निर्माण-समष्टि अर्थशास्त्र की सहायता से आर्थिक नीतियों का निर्माण किया जाता है, जोकि देश में निर्धनता, बेरोज़गारी, आय का विभाजन इत्यादि समस्याओं के समाधान के लिए महत्त्वपूर्ण होती
  • भुगतान सन्तुलन-समष्टि अर्थशास्त्र उन तत्त्वों को स्पष्ट करता है, जोकि भुगतान सन्तुलन स्थापित करने में लाभदायक योगदान डालते हैं। इससे समूची अर्थव्यवस्था को सन्तुलन में रखने के लिए सहायता मिलती है।

प्रश्न 4.
समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र का वर्णन करें।
अथवा
समष्टि अर्थशास्त्र की मुख्य शाखाओं के नाम बताइए।
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र को निम्नलिखित भागों में बांट कर अध्ययन किया जाता है-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 2 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र 1
1. राष्ट्रीय आय का सिद्धान्त (Theory of National Income)-समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय, इसके माप तथा धारणाओं का अध्ययन किया जाता है।

2. रोज़गार का सिद्धान्त (Theory of Employment)-समष्टि अर्थशास्त्र में रोजगार निर्धारण तथा बेरोजगारी की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 2 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र

3. मुद्रा का सिद्धान्त (Theory of Money)-मुद्रा का अर्थ, मुद्रा के प्रभाव तथा कार्यों का अध्ययन किया जाता है। इसमें मुद्रा बाज़ार तथा पूँजी बाज़ार के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है।

4. आर्थिक विकास का सिद्धान्त (Theory of Economic Development) आर्थिक विकास का अर्थ किसी देश की प्रति व्यक्ति आय में होने वाली वृद्धि से होता है। यह भी समष्टि अर्थशास्त्र का एक भाग माना जाता है।

5. कीमत स्तर का सिद्धान्त (Theory of Price Level)-एक देश में कीमत स्तर बढ़ने के क्या कारण होते हैं तथा मुद्रा स्फीति को कैसे रोका जा सकता है, यह भी समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में शामिल है।

6. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का सिद्धान्त (Theory of International Trade)–विभिन्न देशों में होने वाले व्यापार का भी अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में आता है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र क्या है? इसका क्षेत्र स्पष्ट करो। (What is Economics ? Discuss its Scope.)
उत्तर-
अर्थशास्त्र क्या है ? (What is Economics ?)-अर्थशास्त्र दूसरे समाज शास्त्रों से एक नया विज्ञान है। एडम स्मिथ (Adam Smith) को अर्थशास्त्र का पिता माना जाता है; जिन्होंने 1776 में अपनी पुस्तक (Wealth of Nations) लिखी। इसमें उन्होंने कहा ‘अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है। परन्तु इस परिभाषा से अर्थशास्त्र बदनाम हो गया। प्रो० मार्शल (Marshall) ने कहा कि अर्थशास्त्र मनुष्यों का विज्ञान है, जिसमें मानवीय भलाई को अधिकतम करने का अध्ययन किया जाता है। प्रो० रोबिन्ज़ (Robbins) ने अर्थशास्त्र की वैज्ञानिक परिभाषा दी। उनके अनुसार, “अर्थशास्त्र वह विज्ञान है, जो मानवीय व्यवहार का अध्ययन करता है, जिसका सम्बन्ध अधिक आवश्यकताओं तथा वैकल्पिक प्रयोगों वाले सीमित साधनों से होता है। प्रो० सेम्यूलसन (Samuelson) के अनुसार, अर्थशास्त्र व्यक्तिगत सन्तुष्टि तथा सामाजिक कल्याण से सम्बन्धित है।

अर्थशास्त्र के सम्बन्ध में हम यह कह सकते हैं, “अर्थशास्त्र मानवीय व्यवहार का विज्ञान है, जिसका सम्बन्ध कमी के कारण चयन की समस्या से होता है ताकि व्यक्तिगत तथा सामाजिक कल्याण को अधिकतम किया जा सके।” (“Economics is a science of human behaviour which studies problems of choice arising out of scarcity, so the individuals and society can maximise their social welfare.”)

अर्थशास्त्र का क्षेत्र (Scope of Economics)-अर्थशास्त्र के क्षेत्र को दो भागों में विभाजित कर स्पष्ट किया जा सकता है –
1. अर्थशास्त्र की विषय सामग्री (Subject Matter of Economics)-अर्थशास्त्र की विषय सामग्री अर्थव्यवस्था की प्रकृति तथा व्यवहार की व्याख्या से सम्बन्धित है। देश में बेरोज़गारी, कीमत वृद्धि, निर्धनता, असमानता इत्यादि बहुत-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। इन समस्याओं को हल करने के लिए दो तरह की विधियों का प्रयोग किया जाता है। व्यक्तिगत आर्थिक विश्लेषण तथा सामूहिक आर्थिक विश्लेषण की सहायता से कीमत नीति, मौद्रिक नीति, राजकोषीय नीति तथा आर्थिक नियोजन आदि का अध्ययन किया जाता है। इसी तरह अर्थशास्त्र का मुख्य विषय आर्थिक समस्याओं की जांच पड़ताल करके इन समस्याओं के हल के लिए सुझाव देना है। __

2. अर्थशास्त्र की प्रकृति (Nature of Economics)-अर्थशास्त्र की प्रकृति में हम देखते हैं कि अर्थशास्त्र विज्ञान है अथवा कला।

अर्थशास्त्र विज्ञान है (Economics is a Science)-अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है, जबकि फिजिक्स, कैमिस्ट्री आदि प्राकृतिक विज्ञान हैं। अर्थशास्त्र का क्रमवार अध्ययन किया जाता है, इसके वैज्ञानिक नियम हैं तथा ये नियम सर्वव्यापी हैं। इस कारण अर्थशास्त्र विज्ञान है। विज्ञान दो प्रकार के होते हैं-

(a) वास्तविक विज्ञान (Positive Science)-वास्तविक विज्ञान का सम्बन्ध क्या है? (What is Positive Science) से होता है। मानवीय आवश्यकताएँ असीमित हैं। आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए साधन सीमित हैं। यह वास्तविक सच्चाई है कि साधनों के वैकल्पिक प्रयोग किए जा सकते हैं, जिस कारण चयन की समस्या उत्पन्न होती है। इसलिए अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है।

(b) आदर्शमय विज्ञान (Normative Science)-आदर्शमय विज्ञान वह विज्ञान होता है, जिसका सम्बन्ध “क्या होना चाहिए” (What ought to be) से होता है। अर्थशास्त्र आदर्शमय विज्ञान भी है, क्योंकि इसमें हम देखते हैं कि कीमत में स्थिरता होनी चाहिए। निर्धन लोगों पर कम कर लगाए जाएं। इसलिए अर्थशास्त्र आदर्शमय विज्ञान भी है।

अर्थशास्त्र कला है (Economics is an Art)-किसी विशेष उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सिद्धान्तिक ज्ञान के व्यावहारिक प्रयोग को कला कहा जाता है। भारत में कीमतें निरन्तर तीव्रता से बढ़ रही हैं। इन कीमतों की वृद्धि को रोकने के लिए सरकार आर्थिक नीति तथा राजकोषीय नीति का प्रयोग करके कीमतों को नियन्त्रण में रखने का प्रयत्न करती है।
इससे स्पष्ट है कि अर्थशास्त्र विज्ञान भी है और कला भी है।

प्रश्न 2.
व्यष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है? व्यष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व तथा सीमाएं बताएं। (What is Micro Economics ? Discuss the Importance and Limitations of Micro Economics.)
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र का अर्थ (Meaning of Micro Economics)-अंग्रेजी भाषा का शब्द माइक्रो (Micro) ग्रीक भाषा के शब्द माईक्रोज़ (Mikros) से लिया गया है, जिसका अर्थ है लघु (Small)। जब हम आर्थिक समस्याओं को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करके एक-एक हिस्से का अध्ययन करते हैं तो इसको व्यष्टि आर्थिक विश्लेषण कहा जाता है। प्रो० शेपीरो के अनुसार, “व्यष्टि अर्थशास्त्र का संबंध अर्थव्यवस्था के छोटे भागों से है।” (Micro Economics deals with the small parts of the economy-Shapiro) व्यष्टि अर्थशास्त्र को कीमत सिद्धान्त (Price Theory) भी कहा जाता है। व्यष्टि अर्थशास्त्र का क्षेत्र (Scope of Micro Economics)-व्यष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र को एक चार्ट द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 2 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र 2
1. मांग का सिद्धान्त (Theory of Demand)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में मांग के सिद्धान्त का अध्ययन किया जाता है। उपभोक्ता की मांग तथा उसकी अधिक-से-अधिक सन्तुष्टि से सम्बन्धित सिद्धान्त को मांग का सिद्धान्त कहा जाता है।

2. उत्पादन का सिद्धान्त (Theory of Production)-उपभोक्ता की मांग को पूरा करने के लिए एक फ़र्म उत्पादन करती है। उत्पादन से सम्बन्धित नियमों के अध्ययन को उत्पादन का सिद्धान्त कहा जाता है।

3. कीमत निर्धारण का सिद्धान्त (Theory of Price Determination)-उत्पादन की वस्तुओं को बाज़ार में बेचा जाता है। इन वस्तुओं की मांग तथा पूर्ति द्वारा वस्तुओं की कीमत निर्धारित होती है, इसको कीमत निर्धारण का सिद्धान्त कहा जाता है।

4. साधन कीमत का सिद्धान्त (Theory of Factor Pricing)-बाज़ार में वस्तुएँ बेचने से जो आय प्राप्त होती है, वह उत्पादन के साधनों में विभाजित की जाती है। इसको साधन कीमत सिद्धान्त कहा जाता है।

5. आर्थिक कल्याण का सिद्धान्त (Theory of Economic Welfare)-अर्थशास्त्र का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति तथा समाज के कल्याण में वृद्धि करना होता है। इसलिए व्यष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में आर्थिक कल्याण का अध्ययन किया जाता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 2 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र

व्यष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व (Importance of Micro Economics)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र के महत्त्व को निम्नलिखित अनुसार स्पष्ट किया जा सकता है-
1. अर्थव्यवस्था की कार्यशीलता (Functioning of an Economy)-प्रो० वाटसन ने ठीक कहा है, “व्यक्तिगत अर्थशास्त्र के कई प्रयोग हैं। इसका सबसे महत्त्वपूर्ण प्रयोग यह समझना है कि अर्थव्यवस्था कैसे कार्य करती है।” व्यष्टि अर्थशास्त्र द्वारा एक अर्थव्यवस्था की कार्य प्रणाली का ज्ञान प्राप्त होता है।

2. भविष्यवाणी का आधार (Basis of Prodictions)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र भविष्यवाणी का आधार है। उदाहरणस्वरूप किसी वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तो उस वस्तु की मांग कम हो जाएगी।

3. आर्थिक नीतियां (Economic Policies)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र द्वारा आर्थिक नीतियों का निर्माण किया जाता है। निजी क्षेत्र में उत्पादन अधिक होने के कारण सरकार निजी क्षेत्र को उत्साहित कर रही है।

4. आर्थिक निर्णय (Economic Decisions)-प्रत्येक फ़र्म वस्तुओं की लागत तथा मांग को देखकर उत्पादन करने सम्बन्धी निर्णय करती है।

5. आर्थिक कल्याण (Economic Welfare)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र का मुख्य उद्देश्य कल्याण में वृद्धि करना है। उपभोक्ता अधिक-से-अधिक सन्तुष्टि, उत्पादक अधिक-से-अधिक लाभ तथा समाज अधिक-से-अधिक आर्थिक कल्याण प्राप्त करने का प्रयत्न करता है।

व्यष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ (Limitations of Micro Economics)
1. अवास्तविक मान्यताएँ (Unrealistic Assumptions)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में पूर्ण प्रतियोगिता, पूर्ण रोजगार इत्यादि अवास्तविक मान्यताएँ लेकर विश्लेषण किया जाता है, जोकि व्यावहारिक नहीं है।

2. गतिहीन विश्लेषण (Static Analysis)–व्यक्तिगत विश्लेषण में बहुत से तत्त्वों को स्थिर मान कर व्याख्या की जाती है जिस कारण इसको गतिहीन विश्लेषण कहा जाता है।

3. ग़लत परिणाम (Wrong Results)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र के परिणाम कई बार ग़लत सिद्ध होते हैं। उदाहरणस्वरूप एक मनुष्य बचत करके अमीर बन सकता है। परन्तु यदि सारा देश बचत करने लगता है तो उनका उपभोग व्यय कम हो जाएगा। एक मनुष्य का व्यय दूसरे मनुष्यों की आय होता है। इसलिए आय कम हो जाएगी तथा राष्ट्र अमीर होने की जगह पर निर्धन हो जाएगा।

प्रश्न 3.
व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर स्पष्ट करो। (Explain the difference between Micro and Macro Economics.)
उत्तर-
व्यक्तिगत अर्थशास्त्र (Micro Economics)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र का सम्बन्ध व्यक्तिगत आर्थिक समस्याओं से होता है। जैसे कि एक मनुष्य, एक फ़र्म, एक उद्योग
अथवा
एक बाज़ार की समस्याएँ। सामूहिक अर्थशास्त्र (Macro Economics)-सामूहिक अर्थशास्त्र का सम्बन्ध अर्थव्यवस्था की आर्थिक समस्याओं से होता है। जैसे कि बेरोज़गारी, राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय उपभोग तथा साधारण कीमत स्तर का अध्ययन सामूहिक अर्थशास्त्र द्वारा किया जाता है। प्रो० शेपीरो के शब्दों में, “सामूहिक अर्थशास्त्र समूची अर्थव्यवस्था की कार्यशीलता से सम्बन्धित होता है।” (“Macro Economics deals with the functioning of the economy as a Whole.” -Shapiro)

व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर
(Difference between Micro & Macro Economics)
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 2 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र 3

व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर्निर्भरता (Inter-dependence of Micro and Macro Economics) –
चाहे व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत स्तर पर कमी तथा चयन की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में समूची अर्थव्यवस्था के स्तर पर इन समस्याओं सम्बन्धी अध्ययन करते हैं, परन्तु यह दोनों एकदूसरे पर अन्तर्निर्भर हैं।
1. व्यक्तिगत अर्थशास्त्र सामूहिक अर्थशास्त्र पर निर्भर है (Micro depends on Macro Economics)यदि हम व्यक्तिगत अर्थशास्त्र की किसी आर्थिक समस्या का हल करना चाहते हैं तो सामूहिक अर्थशास्त्र के बगैर यह संभव नहीं होता। जैसे कि एक फ़र्म द्वारा वस्तु की कीमत निर्धारण करते समय ध्यान में रखना पड़ेगा कि बाकी की वस्तुओं की कीमतों में कितना परिवर्तन हुआ है। यदि बाकी वस्तुओं की कीमतें दो गुणा बढ़ गई हैं तो फ़र्म अपनी वस्तु की कीमत दो गुणा कर देगी।

2. सामहिक अर्थशास्त्र व्यक्तिगत अर्थशास्त्र पर निर्भर है (Macro depends on Micro Economics)यदि हम राष्ट्रीय आय का माप करना चाहते हैं तो यह सामूहिक अर्थशास्त्र की समस्या है। इस उद्देश्य के लिए देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक की आय का पता किया जाएगा। जब एक मनुष्य की आय का अध्ययन करते हैं तो यह व्यक्तिगत अर्थशास्त्र की समस्या बन जाती है।

इस प्रकार यह दोनों विधियाँ एक-दूसरे पर निर्भर हैं। प्रो० सैम्यूलसन ने ठीक कहा है, “व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में कोई अंतर नहीं। दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं। आप पूरी तरह शिक्षित नहीं होंगे यदि आपको एक का ज्ञान है तथा दूसरी विधि सम्बन्धी अज्ञानी हों।”

प्रश्न 4.
अर्थशास्त्र के महत्त्व और आर्थिक प्रणाली की किस्मों का वर्णन कीजिये। (Describe the Importance of Economics and types of economic system.)
उत्तर-
अर्थशास्त्र का महत्त्व बहुत अधिक हो गया है। इसके महत्त्व को निम्नलिखित अनुसार स्पष्ट किया जा सकता है-
1. अर्थशास्त्र का अध्ययन-अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है जिसका सम्बन्ध एक अर्थवयवस्था में दुर्लभ संसाधनों का इस प्रकार बंटवारा करना है कि समाज को अधिकतम सामाजिक कल्याण पूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है।।

2. आर्थिक नीतियों का निर्माण-अर्थशास्त्र का महत्त्व आर्थिक नीतियों के निर्माण में भी देखा जा सकता है। देश में क्या उत्पादन किया जाए? कैसे उत्पादन किया जाए ? किसके लिये उत्पादन किया जाए ? वस्तुओं की कितनी कीमत होनी चाहिये। जोकि अर्थशास्त्र की सहायता से निर्माण को जाती हैं।

3. आर्थिक कल्याण में सहायक-अर्थशास्त्र का मुख्य उद्देश्य एक अर्थव्यवस्था में आर्थिक कल्याण में वृद्धि करने में सहायक होते हैं।

4. आर्थिक प्रबन्ध में सहायक-अर्थशास्त्र विभिन्न फ़र्मों के लिये आर्थिक प्रबन्ध में सहायक होता है। वस्तु की . लागत, बिक्री, कीमत आदि प्रबन्धक निर्णय लेने के लिए अर्थशास्त्र सहायक होता है।

5. भविष्यवाणियों में सहायक-अर्थशास्त्र का ज्ञान भविष्यवाणी करने के लिये भी सहायक होता है। देश का उत्पादन देश में ही प्रयोग किया जाए अथवा इसको विदेशों में बेचा जाए। विदेशों में बेचने से लाभ होगा अथवा हानि होगी। अर्थशास्त्र आर्थिक कल्याण के आदर्श की प्राप्ति के लिये भी महत्त्वपूर्ण होता है। . अर्थशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जिसका महत्त्व प्रत्येक क्षेत्र में नज़र आता है और यह प्रत्येक के लिये अनिवार्य है।

आर्थिक प्रणाली की किस्में (Types of Economic Systems) आर्थिक प्रणाली की मुख्य तीन किस्में हैं_-
1. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था (Capitalistic Economy) अर्थव्यवस्था वह प्रणाली है जिसमें उत्पादन के साधनभूमि, श्रम, पूँजी, संगठन-निजी लोगों के अधिकार में होते हैं और उत्पादन लाभ प्राप्ति के उद्देश्य से किया जाता है। इस अर्थव्यवस्था में सभी मुख्य आर्थिक निर्णय लोगों द्वारा लिए जाते हैं और जो बिना सरकारी हस्तक्षेप के बाज़ारी दशाओं द्वारा निर्धारित और नियन्त्रित किये जाते हैं। बाज़ारी दशाओं से हमारा अभिप्राय पदार्थों, सेवाओं की मांग व पूर्ति की दशाओं, उनकी कीमतों व उत्पादन लागतों, लाभ व हानि आदि से है। ये बाज़ारी दशाएं कीमत प्रणाली को जन्म . देती हैं जिनके संकेत पर पूँजीवादी अर्थव्यवस्था संचालित होती है।

2. समाजवादी अर्थवयवस्था (Socialistic Economy) समाजवाद से अभिप्राय है उत्पादन के साधनों पर सरकार का स्वामित्व, सरकार द्वारा नियोजन तथा आय का पुनर्वितरण। अर्थात् समाजवाद वह आर्थिक व्यवस्था है जिसमें उत्पादन के साथन समाज के अधिकार में होते हैं और जिसमें धन का उत्पादन, थोड़े से व्यक्तियों के निजी लाभ के लिए नहीं बल्कि सामाजिक भलाई के विचार से किया जाता है। बाज़ार में कीमतें सरकार द्वारा ही निर्धारित की जाती हैं।

3. मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy)-मिश्रित अर्थव्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था होती है जिसमें कुछ आर्थिक निर्णय पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की भांति लोगों द्वारा निजी लाभ के लिये जाते हैं और कुछ आर्थिक निर्णय समाजवादी अर्थव्यवस्था की भांति राज्य द्वारा लिए जाते हैं। इसमें पूँजीवादी तथा समाजवादी आर्थिक प्रणाली, दोनों प्रकार की अर्थव्यवस्था के लक्षण पाए जाते हैं। इस प्रकार इस अर्थव्यवस्था को पूँजीवाद और समाजवाद के बीच सुनहरी रास्ता (Mixed Mean) कहा जाता है।

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प्रश्न 5.
समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व बताएँ। (Explain the Importance of Macro Economics.)
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व (Importance of Macro Economics)-समष्टि अर्थशास्त्र का अध्ययन मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाता है-
1. अर्थव्यवस्था का अध्ययन (Study of Economy)-समष्टि अर्थशास्त्र से समूची अर्थव्यवस्था की कार्यप्रणाली का ज्ञान प्राप्त होता है।

2. राष्ट्रीय आय का अध्ययन (Study of National Income)-राष्ट्रीय आय से ही विभिन्न देशों की आर्थिक स्थितियों की तुलना की जा सकती है। इसलिए समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा राष्ट्रीय आय का अध्ययन करके विश्व में एक देश की आर्थिक प्रगति का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

3. आर्थिक नीतियों का निर्माण (Formulation of Economic Policies)-समष्टि अर्थशास्त्र की सहायता से आर्थिक नीतियों का निर्माण किया जाता है जोकि देश में निर्धनता, बेरोज़गारी, आय का विभाजन इत्यादि समस्याओं का हल करने के लिए महत्त्वपूर्ण होता है।

4. कीमत स्तर का अध्ययन (Study of Price Level)-एक देश में कीमत स्थिरता प्राप्त करना प्रत्येक सरकार का एक उद्देश्य होता है, इसलिए मुद्रा स्फीति तथा अस्फीति को कैसे कन्ट्रोल में रखा जाए, इसकी जानकारी समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा प्राप्त होती है।

5. भुगतान सन्तुलन (Balance of Payment) समष्टि अर्थशास्त्र उन तत्त्वों को स्पष्ट करता है जोकि भुगतान सन्तुलन स्थापित करने में लाभदायक योगदान डालते हैं।

6. व्यापार चक्रों का अध्ययन (Study of Trade Cycles) व्यापार चक्र अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव डालते हैं। इनका अध्ययन भी समष्टि अर्थशास्त्र में ही सम्भव है।

7. आर्थिक विकास (Economic Development) आर्थिक विकास प्राप्त करना प्रत्येक देश का मुख्य लक्ष्य बन गया है। इस महत्त्व के लिए आर्थिक नीतियों का निर्माण करके आर्थिक विकास तेजी से प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएं बताएं। (Explain the limitations of Macro Economics.)
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ(Limitations of Macro Economics)-समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ निम्नलिखित-
1. समष्टि विरोधाभास (Macro Paradoxes) समष्टि अर्थशास्त्र का सबसे बड़ा दोष यह है कि व्यक्तिगत निष्कर्ष जब समूहों में लागू किए जाते हैं तो वह गलत सिद्ध होते हैं। इसे ही समष्टि विरोधाभास कहते हैं। कीमतों में वृद्धि अमीर लोगों के लिए इतनी कष्टमय नहीं होती जितनी के गरीब लोगों के लिए होती है।

2. समष्टि अर्थशास्त्र की अवास्तविक मान्यताएँ (Unrealistic Assumptions of Macro Economics)समष्टि अर्थशास्त्र की पाँच मुख्य मान्यताएँ हैं-

  • अल्पकाल
  • बंद अर्थव्यवस्था
  • पूर्ण प्रतियोगिता
  • अल्परोज़गार सन्तुलन
  • मुद्रा संचय का कार्य भी करती है।

यह मान्यताएँ अर्थव्यवस्था के सभी समूहों पर लागू नहीं होतों क्योंकि अर्थव्यवस्था में सभी समूह एक समान होते और उनमें विभिन्नता भी पाई जाती है।

3. गलत नीतियाँ (Wrong Policies)-समष्टि अर्थव्यवस्था के अध्ययन से कई बार हम इस निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं कि अर्थव्यवस्था में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। इसलिए आर्थिक नीति में किसी परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार बहुत-सी नीतियाँ गलत बनाई जा सकती हैं।

4. माप में कठिनाई (Difficulty in Measurment)-समष्टि अर्थशास्त्र की एक सीमा यह भी है कि इसके चरों जैसा कि कुल उपभोग, कुल निवेश, कुल आय आदि का माप करना आसान नहीं होता।

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5. व्यक्तिगत इकाइयों पर निर्भर (Dependence on Individual Units)-समष्टि अर्थशास्त्र के बहुत-से नतीजे व्यक्तिगत इकाइयों पर आधारित होते हैं, परन्तु वह ठीक नहीं। जो नतीजे व्यक्तियों पर लागू होते हैं, ज़रूरी नहीं कि वह समूहों पर भी ठीक लागू हों। इसको संरचना का भुलेखा (Fallacy of Composition) भी कहा जाता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 1 अर्थशास्त्र क्या है?

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 1 अर्थशास्त्र क्या है? Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 1 अर्थशास्त्र क्या है?

PSEB 11th Class Economics अर्थशास्त्र क्या है? Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
एडम स्मिथ द्वारा दी गई अर्थशास्त्र की परिभाषा दो।
अथवा
अर्थशास्त्र की धन सम्बन्धी परिभाषा लिखो।
उत्तर-
एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का पितामह कहा जाता है। एडम स्मिथ के अनुसार, “अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है।” (“Economics is a Science of wealth.’Adam Smith)

प्रश्न 2.
मार्शल द्वारा दी गई अर्थशास्त्र की परिभाषा दें।
अथवा
अर्थशास्त्र की भौतिक कल्याण सम्बन्धी परिभाषा दें।
उत्तर-
डॉक्टर मार्शल के अनुसार, “अर्थशास्त्र जीवन के साधारण कारोबार में मानवीय जाति की क्रियाओं का अध्ययन है। यह इस बात की पूछताछ करता है कि वह अपनी आय कैसे प्राप्त करता है तथा कैसे खर्च करता है। ऐसे एक ओर तो यह धन का विज्ञान है तथा दूसरी ओर जो अधिक महत्त्वपूर्ण है यह मनुष्य के अध्ययन का विषय है।”

प्रश्न 3.
अर्थशास्त्र के पिता कौन है ?
(a) एडम स्मिथ
(b) मार्शल
(c) रोबिन्स
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) एडम स्मिथ।

प्रश्न 4.
अर्थशास्त्र शब्द किस भाषा में से लिया गया है ?
(a) फ्रैंच
(b) लैटिन
(c) ग्रीक
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) ग्रीक।

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प्रश्न 5.
एडम स्मिथ की परिभाषा को ………… से सम्बन्धित परिभाषा कहा जाता है।
उत्तर-
धन।

प्रश्न 6.
मार्शल की परिभाषा धन से सम्बन्धित परिभाषा है।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 7.
रॉबिन्स की परिभाषा दुर्लभता सम्बन्धी परिभाषा है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 8.
अर्थशास्त्र के अध्ययन की वह विधि जिसका सम्बन्ध परिवार तथा फ़र्म की समस्याओं के साथ होता है को …………… अर्थशास्त्र कहा जाता है।
उत्तर-
व्यष्टि।

प्रश्न 9.
अर्थशास्त्र के अध्ययन की वह विधि जिसका सम्बन्ध सामूहिक समस्याओं से होता है को …. अर्थशास्त्र कहा जाता है।
उत्तर-
समष्टि।

प्रश्न 10.
अर्थशास्त्र ……………….
(a) विज्ञान
(b) कला
(c) विज्ञान और कला
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) विज्ञान और कला।

प्रश्न 11.
अर्थशास्त्र में उपभोग, उत्पादन, विनिमय और वितरण के अध्ययन को अर्थशास्त्र की ….. कहा जाता है।
उत्तर-
विषय सामग्री।

प्रश्न 12.
आर्थिक क्रिया वह क्रिया है जिसका सम्बन्ध सभी प्रकार की वस्तुओं के उत्पादन, उपभोग तथा निवेश से होता है जो सीमित साधनों द्वारा असीमित आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए की जाती है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 13.
व्यष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र व्यक्तिगत अध्ययन से सम्बन्धित है।

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प्रश्न 14.
समष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
राष्ट्र की समूची आर्थिक समस्याओं के अध्ययन को समष्टि अर्थशास्त्र कहते हैं।

प्रश्न 15.
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध केवल धन से सम्बन्धित समस्याओं से होता है।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 16.
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध असीमित आवश्यकताओं और वैकलिप्क प्रयोग वाले सीमित साधनों से होता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 17.
अर्थशास्त्र विज्ञान भी है और कला भी है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 18.
शुद्ध विज्ञान से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
शुद्ध विज्ञान में कारण तथा परिणाम का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 19.
आदर्शमयी विज्ञान से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
आदर्शमयी विज्ञान यह बताता है कि क्या होना चाहिए।

प्रश्न 20.
कला से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कला से अभिप्राय सैद्धान्तिक ज्ञान को व्यावहारिक रूप देना होता है।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
व्यष्टिगत अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
व्यष्टिगत अर्थशास्त्र (Micro Economics)-व्यष्टिगत अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। जैसे व्यक्तिगत उपभोगी की मांग, उपभोगी का सन्तुलन, एक फ़र्म तथा उद्योग का सन्तुलन, एक वस्तु तथा साधन का मूल्य निर्धारण आदि समस्याओं का अध्ययन व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में किया जाता है। “Micro Economics deals with the parts of the problems.”

प्रश्न 2.
समष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
समष्टिगत अर्थशास्त्र (Macro Economics)-समष्टिगत अर्थशास्त्र में समूची अर्थ-व्यवस्था से सम्बन्धित आर्थिक क्रियाओं का सामूहिक रूप से अध्ययन किया जाता है। राष्ट्रीय आय, कुल रोज़गार, कुल उत्पादन को निर्धारित करने वाले तत्त्वों, कुल मांग, कुल पूर्ति, उपभोग, कुल बचत, कुल निवेश आदि का अध्ययन समष्टिगत अर्थशास्त्र में किया जाता है। “Macro Economics deals with the averages and aggregates of the problems.”

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 1 अर्थशास्त्र क्या है?

प्रश्न 3.
अर्थशास्त्र की धन सम्बन्धी परिभाषा लिखें।
उत्तर-
अठारहवीं शताब्दी से पहले अर्थशास्त्र का अध्ययन राजनीतिक अर्थव्यवस्था नामक विषय में होता था। एडम स्मिथ ने सर्वप्रथम ‘वैल्थ ऑफ नेशन्स’ नाम की पुस्तक में कहा कि अर्थशास्त्र धन का अध्ययन करता है। एडम स्मिथ ने कहा कि अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है। (Economics is a science of wealth.) इसलिए एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का पिता कहा जाता है।

प्रश्न 4.
मार्शल द्वारा दी गई अर्थशास्त्र की परिभाषा दें।
उत्तर-
अर्थशास्त्र को कटु आलोचनाओं से बचाने के लिए, मार्शल ने कहा कि अर्थशास्त्र के अध्ययन का विषय मनुष्य है न कि धन। मनुष्य प्रधान है तथा धन गौण । मार्शल ने अर्थशास्त्र की परिभाषा इस प्रकार दी, “अर्थशास्त्र जीवन के साधारण व्यवसाय के सम्बन्ध में मानव जाति का अध्ययन है। यह व्यक्तिगत तथा सामाजिक कार्यों के उस भाग का अध्ययन करता है जिसका घनिष्ठ सम्बन्ध कल्याण प्रदान करने वाले भौतिक पदार्थों की प्राप्ति तथा उनका उपयोग करने से है।”

प्रश्न 5.
रॉबिन्स द्वारा दी गई अर्थशास्त्र की परिभाषा दें।
उत्तर-
मार्शल की परिभाषा काफ़ी देर तक चलती रही परन्तु 1932 में प्रो० रॉबिन्स ने अपनी पुस्तक ‘Principles of Economics’ में मार्शल की परिभाषा की आलोचना करते हुए एक नई परिभाषा को जन्म दिया जो अग्रलिखित प्रकार से है – “अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो मानवीय व्यवहार का अध्ययन करता है जिसका सम्बन्ध असीम आवश्यकताओं तथा वैकल्पिक प्रयोग वाले सीमित साधनों से है।”

प्रश्न 6.
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है अथवा कला है ?
उत्तर-
1. अर्थशास्त्र विज्ञान है-विज्ञान किसी भी विषय के सिलसिलेवार अध्ययन को कहा जाता है। अर्थशास्त्र में हम उपभोग, उत्पादन, विनिमय तथा विभाजन का अध्ययन करते हैं जोकि एक सिलसिलेवार अध्ययन है इसलिए अर्थशास्त्र एक विज्ञान है। विज्ञान दो प्रकार का होता है
2. क्या अर्थशास्त्र कला है-कला का अर्थ है हम विज्ञान के नियमों को व्यावहारिक रूप दे सकें। अर्थशास्त्र के नियमों का प्रयोग जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए किया जा सकता है। इसलिए अर्थशास्त्र कला है।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र की विकास सम्बन्धी परिभाषा दो।
उत्तर-
प्रो० रॉबिन्स द्वारा दी गई परिभाषा को विज्ञान की उपाधि मिल गई थी इसलिए अर्थशास्त्र को विज्ञान कहा जाता है। किन्तु यह परिभाषा अर्थशास्त्र का स्वरूप प्रकट नहीं करती। इसलिए अर्थशास्त्र की परिभाषा में विकास सिद्धान्त, राष्ट्रीय आय और रोज़गार को प्रभावित करने वाले तत्त्वों की व्याख्या नहीं की गई। इसलिए बेनहम, जे० एम० केन्ज़ ने विकास से सम्बन्धित परिभाषा दी है। प्रो० जे० एम० केन्ज़ के अनुसार, “अर्थशास्त्र में दुर्लभ साधनों के प्रबन्ध के बारे में और रोज़गार व आय के निर्धारक तत्त्वों के सम्बन्ध में अध्ययन करते हैं।”
(“’In Economics we study.the administration of scarce resources and the determinants of employment and income.”—J.M. Keynes)

प्रश्न 2.
व्यष्टिगत अर्थशास्त्र तथा समष्टिगत अर्थशास्त्र पर नोट लिखें।
उत्तर-
आधुनिक अर्थशास्त्रियों ने अर्थशास्त्र के विषय-वस्तु से सम्बन्धित आर्थिक क्रियाओं को दो भागों में बांटा है-

  1. व्यष्टिगत अर्थशास्त्र (Micro Economics)-व्यष्टिगत अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। जैसे व्यक्तिगत उपभोगी की मांग, उपभोगी का सन्तुलन, एक फ़र्म तथा उद्योग का सन्तुलन, एक वस्तु तथा साधन का मूल्य निर्धारण आदि समस्याओं का अध्ययन व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में किया जाता है।
  2. समष्टिगत अर्थशास्त्र (Macro Economics)-समष्टिगत अर्थशास्त्र में समूची अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित आर्थिक क्रियाओं का सामूहिक रूप से अध्ययन किया जाता है। राष्ट्रीय आय, कुल रोज़गार, कुल उत्पादन को निर्धारित करने वाले तत्त्वों, कुल मांग, कुल पूर्ति, उपभोग, कुल बचत, कुल निवेश आदि का अध्ययन समष्टिगत अर्थशास्त्र में किया जाता है।

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IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र की धन सम्बन्धी परिभाषा की आलोचना सहित व्याख्या करें। (Critically examine wealth definition of Economics.)
उत्तर-
अठारहवीं शताब्दी से पहले अर्थशास्त्र का अध्ययन राजनीतिक अर्थव्यवस्था नामक विषय में होता था। एडम स्मिथ ने सर्वप्रथम वैल्थ ऑफ नेशन्स’ नाम की पुस्तक में कहा कि अर्थशास्त्र धन का अध्ययन करता है। एडम स्मिथ ने कहा कि अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है। (Economics is a science of wealth.) इसलिए एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का पिता कहा जाता है।

मुख्य तत्त्व (Main Features)-

  1. धन अर्थशास्त्र का केन्द्र बिन्दु है।
  2. आर्थिक मनुष्य की कल्पना।
  3. धन की क्रियाओं से सम्बन्धित मनुष्य का अध्ययन।
  4. धन को प्रथम स्थान दिया गया।

आलोचना (Criticism)-इस परिभाषा की कटु आलोचना की गई। लोगों ने धन प्राप्ति को अपना उद्देश्य मान लिया और धन ही उसका माध्य हो गया। धन की प्रधानता के कारण मनुष्य का स्थान गौण हो गया। धन प्राप्त करना ही एकमात्र लक्ष्य हो गया तथा इसके परिणामस्वरूप सारे समाज में निराशा तथा असन्तोष फैलने लगा। कार्लाइल तथा रस्किन आदि विद्वानों ने अर्थशास्त्र की कटु आलोचना की और इसे निकृष्ट व दुखदायी विज्ञान, कुबेर विज्ञान और सामाजिक अहित का विज्ञान कहा।

प्रश्न 2.
मार्शल की परिभाषा की समीक्षा कीजिए। (Evaluate Marshalls definition of Economics.)
उत्तर-
अर्थशास्त्र को कटु आलोचनाओं से बचाने के लिए, मार्शल ने कहा कि अर्थशास्त्र के अध्ययन का विषय मनुष्य है न कि धन। मनुष्य प्रधान है तथा धन गौण। मार्शल ने अर्थशास्त्र की परिभाषा इस प्रकार दी, “अर्थशास्त्र जीवन के साधारण व्यवसाय के सम्बन्ध में मानव जाति का अध्ययन है। यह व्यक्तिगत तथा सामाजिक कार्यों के उस भाग का अध्ययन करता है जिसका घनिष्ठ सम्बन्ध कल्याण प्रदान करने वाले भौतिक पदार्थों की प्राप्ति तथा उनका उपयोग करने से है।” (“‘Economics is a study of making in the ordinary business of life, it examines that part of the individual and social action which is most closely connected with the attainment and with the use of material requisites of well being.”-Marshall)

मुख्य विशेषताएं (Main Features)

  1. मनुष्य के अध्ययन को महत्त्व।
  2. सामाजिक मनुष्य का अध्ययन।
  3. जीवन के साधारण व्यवसाय का सम्बन्ध मनुष्य के आर्थिक कार्यों से है।
  4. अर्थशास्त्र में केवल उन्हीं साधनों का अध्ययन किया जाता है जिनसे मनुष्य के कल्याण में वृद्धि होती है।
  5. अर्थशास्त्र में मनुष्य के भौतिक वस्तुओं से सम्बन्धित कार्यों का अध्ययन किया जाता है।
  6. अर्थशास्त्र विज्ञान तथा कला दोनों है।
  7. इस शास्त्र में सिर्फ वास्तविक मनुष्य का अध्ययन किया जाता है।

आलोचना (Criticism)-प्रो० रॉबिन्स ने भौतिक कल्याण सम्बन्धी परिभाषा की कड़ी आलोचना की, जैसे –

  • अर्थशास्त्र एक शुद्ध विज्ञान है तथा कल्याण से कोई सम्बन्ध नहीं।
  • अर्थशास्त्र मानव विज्ञान है केवल समाज में रहने वाले मनुष्यों का अध्ययन नहीं।
  • कल्याण की धारणा अनिश्चित है।
  • यह परिभाषा वर्गकारिणी तथा दोषपूर्ण है।
  • इस परिभाषा ने अर्थशास्त्र का क्षेत्र सीमित कर दिया है।

प्रश्न 3.
रॉबिन्स की परिभाषा की आलोचनात्मक व्याख्या करें। (Critically discuss Robbins definition of Economics.)
उत्तर-
मार्शल की परिभाषा काफ़ी देर तक चलती रही परन्तु 1932 में प्रो० रॉबिन्स ने अपनी पुस्तक ‘Principles of Economics, में मार्शल की परिभाषा की आलोचना करते हुए एक नई परिभाषा को जन्म दिया जो निम्नलिखित प्रकार से है :
“अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो मानवीय व्यवहार का अध्ययन करता है जिसका सम्बन्ध असीम आवश्यकताओं तथा वैकल्पिक प्रयोग वाले सीमित साधनों से है।” (“Economics is a science which studies human behaviour as a relationship between ends and scarce means which have alternative uses.”-Robbins)

मुख्य विशेषताएं (Main Features)-

  1. असीमित आवश्यकताएं
  2. सीमित साधन
  3. साधनों के वैकल्पिक उपयोग
  4. निर्णय की समस्या।

यह परिभाषा वैज्ञानिक है। इससे अर्थशास्त्र का क्षेत्र व्यापक बन गया है। यह परिभाषा विश्लेषणात्मक मानी गई है। इस प्रकार रॉबिन्स की परिभाषा में बहुत गुण हैं।

आलोचना (Criticism)-

  • अर्थशास्त्र साधनों के साथ-साथ उद्देश्य से भी सम्बन्धित है।
  • अर्थशास्त्र केवल विज्ञान ही नहीं कला भी है।
  • यह परिभाषा जटिल है।
  • यह परिभाषा बेकारी, विकास, निर्धनता जैसी समस्याओं की ओर ध्यान नहीं देती।
  • इस परिभाषा से अर्थशास्त्र का क्षेत्र अनिश्चित बन गया है।
  • इसमें कल्याण तथा मानवीय तत्त्वों की कमी है।

प्रश्न 4.
अर्थशास्त्र के क्षेत्र को स्पष्ट करो। (Explain the scope of Economics.)
उत्तर-
अर्थशास्त्र के क्षेत्र को दो हिस्सों में बांट कर स्पष्ट किया जा सकता है:
(A) अर्थशास्त्र का विषय-वस्तु (Subject-Matter of Economics) – अर्थशास्त्र के विषय-वस्तु के बारे में अर्थशास्त्रियों के अलग-अलग विचार हैं। विचारधारा के मतभेद के आधार पर श्रीमती वूटन ने कहा है, “जहां छ: अर्थशास्त्री इकट्ठे होते हैं वहां सात विचारधाराएं होती हैं।” (“Whenever Six Economist gather, there are Seven opinion.”)
अर्थशास्त्र के विषय का अर्थ यह है कि इसके अध्ययन की सामग्री (Matter) क्या है? अर्थात् किन बातों का अध्ययन किया जाता है।
अर्थशास्त्र के पिता एडम स्मिथ (Adam Smith) के अनुसार, “अर्थशास्त्र का विषय-वस्तु धन से सम्बन्धित क्रियाओं से है।” अर्थात् धन की प्रकृति और कारणों की जांच से है।

डॉ० मार्शल (Dr. Marshall) और उनके समर्थकों के अनुसार अर्थशास्त्र में हम मनुष्य के भौतिक कल्याण (Material Welfare) का अध्ययन करते हैं। प्रो० रॉबिन्स (Prof. Robbins) के अनुसार, “हम अर्थशास्त्र में इस बात का अध्ययन करते हैं कि मनुष्य अपने सीमित साधनों से अपनी असीमित आवश्यकताओं को कैसे पूरा करता है।”

प्रो०-“बिन्स के अनुसार अर्थशास्त्र के विषय-वस्तु का सम्बन्ध मनुष्यों के उन यत्नों से है जो अपनी असीमित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए साधनों की प्राप्ति के लिए यत्न करते हैं। प्रो० चैपमैन के अनुसार, “अर्थशास्त्र का विषय वस्तु धन के उपभोग, उत्पादन, विनिमय और विभाजन का अध्ययन है।”
(“’Economics is that branch of knowledge which studies the consumption, production, exchange and distribution of wealth.”)
1. उपभोग (Consumption)-उपभोग का अर्थ आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रयोग से होता है। अर्थशास्त्र का वह भाग जिसमें आवश्यकताओं और उन्हें पूरा करने का यत्न किया जाता है, उपभोग कहलाता है। इसमें उपभोग और उससे सम्बन्धित नियमों का अध्ययन किया जाता है।

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2. उत्पादन (Production)-उत्पादन का अर्थ वस्तु या सेवा में तुष्टिगुण या मूल्य को पैदा करना है। इस भाग में उत्पादन के साधनों, भूमि, श्रम, पूंजी, उद्यमी तथा उत्पादन के नियमों का अध्ययन किया जाता है।

3. विनिमय (Exchange)-विनिमय का अर्थ वस्तुओं तथा सेवाओं द्वारा विनिमय (Barter Exchange) या इसका मुद्रा द्वारा विनिमय (Money Exchange) से है। इस भाग में बाज़ार की किस्में, अलग-अलग बाजार स्थितियों में कीमत निर्धारण, मुद्रा, बैंकिंग, साख, व्यापार आदि विषयों का अध्ययन किया जाता है।

4. विभाजन (Distribution)-उत्पादन, विभिन्न उत्पादन के साधनों के सुमेल का परिणाम है। इस प्रकार विभाजन है राष्ट्रीय आय का उत्पादन के साधनों में सेवाओं के बदले में दिया गया इनाम। इस भाग में भूमि के किराए, मज़दूरों की मज़दूरी, पूंजी का ब्याज, उद्यमी के लाभ के निर्धारण से सम्बन्धित नियमों का अध्ययन किया जाता है।

(B) अर्थशास्त्र की प्रकृति (Nature of Economics) –
अर्थशास्त्र की प्रकृति को स्पष्ट करने के लिए इस बात का अध्ययन किया जाता है कि अर्थशास्त्र विज्ञान है अथवा कला?
1. अर्थशास्त्र विज्ञान है-विज्ञान किसी भी विषय के सिलसिलेवार अध्ययन को कहा जाता है। अर्थशास्त्र में हम उपभोग, उत्पादन, विनिमय तथा विभाजन का अध्ययन करते हैं जोकि एक सिलसिलेवार अध्ययन है इसलिए अर्थशास्त्र एक विज्ञान है। विज्ञान दो प्रकार का होता है

  • वास्तविक विज्ञान (Positive Science)-अर्थशास्त्र के नियम शुद्ध विज्ञानों की तरह हैं जिनमें कारण तथा परिणाम का सम्बन्ध स्पष्ट किया जाता है जैसे किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है तो उसकी माँग कम हो जाती है, यह एक वैज्ञानिक नियम है। प्रो० रॉबिन्स के अनुसार, “अर्थशास्त्र का काम खोज करना और व्यवस्था करना है, समर्थन करना या आलोचना करना नहीं।”
  • अर्थशास्त्र आदर्शमयी विज्ञान है-आदर्शमयी विज्ञान के अधीन इस बात का अध्ययन किया जाता है कि क्या होना चाहिए ? (What ought to be ?) अर्थशास्त्र में हम केवल बेरोज़गारी, ग़रीबी, कीमतों आदि समस्याओं का अध्ययन ही नहीं करते। इस बात का अध्ययन भी करते हैं कि इन समस्याओं को कैसे हल किया जाना चाहिए। 2. क्या अर्थशास्त्र कला है-कला का अर्थ है हम विज्ञान के नियमों को व्यावहारिक रूप दे सकें। अर्थशास्त्र के नियमों का प्रयोग जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए किया जा सकता है। इसलिए अर्थशास्त्र कला है।

प्रश्न 5.
अर्थशास्त्र का महत्त्व स्पष्ट करें। (Explain the importance of Economics.)
उत्तर-
प्रत्येक व्यक्ति को आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ता है। सीमित साधनों द्वारा अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त करने के लिए अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों का पालन न केवल व्यक्ति कर के लिए एवं समाज के लिए भी लाभकारी होता है। अर्थशास्त्र से प्राप्त होने वाले लाभ इस प्रकार हैं –
1. उपभोगियों के लिए महत्त्व (Importance for Consumers)-प्रत्येक व्यक्ति वस्तुओं तथा सेवाओं की खरीद करते समय अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों का पालन करके अपनी सीमित आय द्वारा अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त कर सकता है। इसलिए अर्थशास्त्र का अध्ययन हर व्यक्ति तथा गृहस्थ के लिए ज़रूरी है।

2. उत्पादकों के लिए महत्त्व (Importance for Producers)-प्रत्येक उत्पादक अपने लाभ को अधिकतम करने की चेष्टा करता है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अर्थशास्त्र का ज्ञान आवश्यक है। अर्थशास्त्र के सिद्धान्त स्पष्ट करते हैं कि आय को अधिकतम करके तथा लागत को कैसे कम करके अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

3. व्यापार में महत्त्व (Importance in Trade)- अर्थशास्त्र का अध्ययन व्यापार के लिए भी महत्त्वपूर्ण होता है। अर्थशास्त्र के सिद्धान्त स्पष्ट करते हैं कि देश के अन्दर तथा विदेशों के साथ व्यापार करना किन हालतों में लाभदायक होता है। इस प्रकार अर्थशास्त्र विश्व के सारे देशों के लिए तुलनात्मक लागत लाभ के सिद्धान्त अनुसार उत्पादन करने के लिए प्रेरित करता है।

4. सरकार के लिए महत्त्व (Importance for the Government)-अर्थशास्त्र में ऐसे सिद्धान्त हैं जिन के द्वारा प्रत्येक देश की सरकार अपनी आय तथा व्यय को निर्धारण करती है। कर कैसे लगाए जाएं, करों से प्राप्त और किस प्रकार खर्च किया जाए जिस द्वारा सामाजिक कल्याण में वृद्धि हो। इस प्रकार अर्थशास्त्र देश की सरकार के लिए भी महत्त्वपूर्ण होता है।

5. कीमत निर्धारण में महत्त्व (Importance in Price Determination) – अर्थशास्त्र द्वारा प्रत्येक वस्तु की कीमत निर्धारण करने के लिए सिद्धान्त दिए गए हैं। वस्तु की माँग तथा पूर्ति द्वारा कीमत निर्धारण होती है। जब कभी वस्तु की माँग में वृद्धि होती है तो उस वस्तु की कीमत बढ़ जाती है। इस प्रकार वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमत निर्धारण में भी अर्थशास्त्र लाभकारी होता है।

6. अधिकतम कल्याण (Maximum Welfare) – अर्थशास्त्र का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति तथा समाज के कल्याण को अधिकतम करना होता है। प्रत्येक व्यक्ति तथा समाज सीमित साधनों का प्रयोग इस प्रकार करना चाहता है जिसके द्वारा अधिकतम सामाजिक कल्याण प्राप्त किया जा सके। इस प्रकार अर्थशास्त्र असीमित आवश्यकताओं को पूरा करने वाले, सीमित साधनों जिनके विभिन्न उपयोग होते हैं, के चुनाव का अध्ययन है।

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7. विद्यार्थियों के लिए महत्त्व (Importance for Students)-अर्थशास्त्र विद्यार्थियों के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। एक अर्थव्यवस्था में बहुत-सी आर्थिक समस्याएँ होती हैं जैसा कि बेरोज़गारी, निर्धनता तथा ग्रामीण क्षेत्र की समस्याएँ होती हैं। इन समस्याओं को समझ कर अर्थशास्त्र के विद्यार्थी उनका उचित हल देने में सफल हो जाते हैं। अर्थशास्त्र का अध्ययन व्यावहारिक जीवन में प्रत्येक व्यक्ति के लिए महत्त्वपूर्ण है।