PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 2 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 2 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 2 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र

PSEB 11th Class Economics व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध किससे है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध दुर्लभता की स्थिति में चुनाव से होता है।

प्रश्न 2.
चुनाव की समस्या क्यों उत्पन्न होती है ?
उत्तर-
चुनाव की समस्या दुर्लभता के कारण उत्पन्न होती है।

प्रश्न 3.
दुर्लभता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
दुर्लभता वह स्थिति है जिसमें मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं होते।

प्रश्न 4.
पदार्थों की माँग जब पूर्ति से अधिक होती है तो इस स्थिति को क्या कहा जाता है ?
अथवा
सभी आर्थिक समस्याओं की जननी क्या है ?
उत्तर-
दुर्लभता।

प्रश्न 5.
व्यष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र एक गृहस्थी, एक फ़र्म तथा एक उद्योग से सम्बन्धित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करता है।

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प्रश्न 6.
समष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करता है।

प्रश्न 7.
आर्थिक समस्या से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सीमित साधनों के वैकल्पिक प्रयोगों में से चुनाव करने की समस्या को आर्थिक समस्या कहते हैं।

प्रश्न 8.
एक गृहस्थी की आर्थिक समस्याओं के अध्ययन को कौन-सा अर्थशास्त्र कहा जाता है ?
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र।

प्रश्न 9.
सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के स्तर पर चुनाव अथवा साधन के बंटवारे की समस्याओं का अध्ययन किस अर्थशास्त्र में किया जाता है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थ शास्त्र।

प्रश्न 10.
अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र मानवीय व्यवहार का विज्ञान है, जिसका सम्बन्ध दुर्लभता के कारण, चयन की समस्या से होता है, जिस द्वारा व्यक्तिगत तथा सामाजिक कल्याण को अधिकतम किया जा सके।

प्रश्न 11.
दुर्लभता तथा चयन साथ-साथ चलते हैं। कैसे ?
उत्तर-
साधनों की दुर्लभता के वैकल्पिक प्रयोगों के कारण प्रत्येक व्यक्ति तथा समाज को चयन करना पड़ता है, जिस द्वारा अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त की जा सके, इसलिए दुर्लभता तथा चयन साथ-साथ चलते हैं।

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प्रश्न 12.
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है।

प्रश्न 13.
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला है ?
उत्तर-
दोनों है।

प्रश्न 14.
आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक कौन हैं ?
उत्तर-
आधुनिक अर्थशास्त्र के जनक प्रो० एडम स्मिथ हैं।

प्रश्न 15.
व्यष्टि अर्थशास्त्र का दूसरा नाम क्या है ?
उत्तर-
कीमत सिद्धान्त।

प्रश्न 16.
समष्टि अर्थशास्त्र को और क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
रोज़गार सिद्धान्त।

प्रश्न 17.
पूंजीवाद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
पूंजीवाद वह आर्थिक प्रणाली है जिसमें उत्पादन के साधन निजी लोगों के हाथ में होते हैं और उत्पादन लाभ प्राप्ति के लिए किया जाता है।

प्रश्न 18.
समाजवाद अर्थव्यवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
समाजवाद में उत्पादन के साधन सरकार के हाथ में होते हैं और उत्पादन सामाजिक भलाई के उद्देश्य से किया जाता है।

प्रश्न 19.
समष्टि आर्थिक चरों की उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
सकल उत्पादन, कुल निवेश, समग्र रोज़गार आदि समष्टि अर्थशास्त्र के चर हैं।

प्रश्न 20.
व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्र में भेद स्पष्ट करें।
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र, व्यक्तिगत इकाइयों का अध्ययन करता है और समष्टि अर्थशास्त्र सामूहिक इकाइयों का अध्ययन करता है।

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प्रश्न 21.
सूती कपड़ा उद्योग का अध्ययन, समष्टि आर्थिक अध्ययन है या व्यष्टि आर्थिक अध्ययन है ?
उत्तर-
सूती कपड़ा उद्योग का अध्ययन व्यष्टि आर्थिक अध्ययन है।

प्रश्न 22.
समष्टि अर्थशास्त्र का चिन्तन कहां केन्द्रित रहता है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र का चिन्तन, आय तथा रोजगार निर्धारण पर केंन्द्रित रहता है।

प्रश्न 23.
समष्टि स्तरीय आर्थिक चिन्तन में अर्थशास्त्रियों की रुचि वास्तव में कब जागृत हुई है ?
उत्तर-
समष्टि स्तरीय आर्थिक चिन्तन में अर्थशास्त्रियों की रुचि वास्तव में केन्जीय क्रान्ति (Keynesian Revolution) के बाद ही जागृत हुई है।

प्रश्न 24.
आर्थिक सिद्धान्त का कौन-सा भाग राष्ट्रीय आय तथा रोजगार की समस्याओं से सम्बन्धित है ?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र।

प्रश्न 25.
जे० एम० केन्ज़ की महत्त्वपूर्ण पुस्तक का क्या नाम है ? वह कौन-से वर्ष में प्रकाशित हुई ?
उत्तर-
“जनरल थ्यौरी ऑफ एंपलायमैंट इंटरैस्ट एंड मनी” जोकि 1936 में प्रकाशित हुई।

प्रश्न 26.
विश्व में पहली महामंदी (Great Depression) कब आई थी ?
उत्तर-
पहली महामंदी 1929-30 में आई थी।

प्रश्न 27.
मानवीय आवश्यकताएँ ………… हैं।
(a) सीमित
(b) असीमित
(c) दुर्लभ
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(b) असीमित।

प्रश्न 28.
अर्थशास्त्र शब्द किस भाषा से लिया गया है ?
(a) फ्रेंच
(b) लैटिन
(c) ग्रीक
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) ग्रीक।

प्रश्न 29.
अर्थशास्त्र के पितामह कौन है ?
(a) मार्शल
(b) रोबिन्ज़
(c) एडम स्मिथ
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) एडम स्मिथ।

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प्रश्न 30.
अर्थशास्त्र प्रबन्ध का विज्ञान है ?
(a) सीमित साधन
(b) असीमित आवश्यकताओं
(c) विकल्प प्रयोगों
(d) ऊपर दिये हुए सभी का।
उत्तर-
(d) ऊपर दिये हुए सभी का।

प्रश्न 31.
अर्थशास्त्र का विषय ……………. है।
(a) विज्ञान
(b) कला
(c) विज्ञान और कला
(d) न विज्ञान और न कला।
उत्तर-
(c) विज्ञान और कला।

प्रश्न 32.
व्यष्टि अर्थशास्त्र को …………. भी कहा जाता है।
(a) कीमत सिद्धान्त
(b) रोज़गार सिद्धान्त
(c) आय सिद्धान्त
(d) कृषि सिद्धान्त।
उत्तर-
(a) कीमत सिद्धान्त।।

प्रश्न 33.
समष्टि अर्थशास्त्र को …….. भी कहा जाता है।
(a) कीमत सिद्धान्त
(b) आर्थिक विकास सिद्धान्त
(c) आय तथा रोजगार सिद्धान्त
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) आय तथा रोजगार सिद्धान्त।

प्रश्न 34.
एक व्यक्ति की आर्थिक समस्याओं का अध्ययन करने को ………. कहा जाता है ।
(a) पारिवारिक अर्थशास्त्र
(b) समष्टि अर्थशास्त्र
(c) व्यष्टि अर्थशास्त्र
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) व्यष्टि अर्थशास्त्र।

प्रश्न 35.
सामूहिक अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित समस्याओं के अध्ययन को ………. अर्थशास्त्र कहा जाता है।
(a) व्यष्टि
(b) समष्टि
(c) अन्तर्राष्ट्रीय
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) समष्टि।

प्रश्न 36.
दुर्लभता से अभिप्राय उस अवस्था से होता है जब साधनों की पूर्ति माँग से कम होती है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 37.
समष्टि अर्थशास्त्र में एक व्यक्ति की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 38.
अर्थशास्त्र की वह शाखा जिसका सम्बन्ध राष्ट्रीय आय तथा रोजगार से होता है उसको समष्टि अर्थशास्त्र कहते हैं?
उत्तर-
सही।

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प्रश्न 39. अर्थशास्त्र केवल शुद्ध विज्ञान है ?
उत्तर-
ग़लत।

प्रश्न 40.
व्यष्टि अर्थशास्त्र तथा समष्टि अर्थशास्त्र का नाम रैगनर फरिस्च ने दिया।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 41.
जिस क्रिया में मौद्रिक प्रवाह तथा वास्तविक प्रवाह दोनों होते हैं उसको आर्थिक क्रिया कहते
उत्तर-
सही।

प्रश्न 42.
दुर्लभता और चुनाव साथ-साथ चलते हैं; कैसे ?
उत्तर-
साधनों की दुर्लभता के वैकल्पिक प्रयोगों के कारण दुर्लभता और चुनाव साथ-साथ चलते हैं।

प्रश्न 43.
ग़रीबी तथा दुर्लभता में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
ग़रीबी का अर्थ है बहुत कम वस्तुओं का होना, दुर्लभता का अर्थ है वस्तुओं की मात्रा की तुलना में वस्तुओं की आवश्यकताओं का अधिक होना।

प्रश्न 44.
वह क्रिया जिसका सम्बन्ध दुर्लभ साधनों का प्रयोग करके मनुष्य की इच्छाओं की सन्तुष्टि करना होता है को ……… कहते हैं।
(a) आर्थिक क्रिया
(b) अनार्थिक क्रिया
(c) सोचने की क्रिया
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(a) आर्थिक क्रिया।।

प्रश्न 45.
वह क्रिया जिसका सम्बन्ध बस्तुओं की खरीद-बेच से होता है को …….. कहते हैं।
(a) उपभोग
(b) विनिमय
(c) उत्पादन
(d) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(b) विनिमय।

प्रश्न 46.
वह अर्थव्यवस्था जिस ऊपर सरकार का लगभग पूर्ण नियन्त्रण होता है को ……..अर्थव्यवस्था कहते हैं।
उत्तर-
समाजवादी।

प्रश्न 47.
निम्नलिखित में से कौन-सा आर्थिक प्रणाली का रूप नहीं है ?
(a) लोकतन्त्र
(b) पूंजीवाद
(c) समाजवाद
(d) मिश्रित अर्थव्यवस्था।
उत्तर-
(a) लोकतन्त्र।

प्रश्न 48.
दुर्लभता से संबंधित अर्थशास्त्र की परिभाषा किसने दी ?
उत्तर-
राबिन्ज़।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध किससे है?
उत्तर-
साधारण लोगों में यह धारणा पाई जाती है कि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध रुपये-पैसे (Money) कमाने तथा उसका प्रबन्ध करने से होता है। परन्तु यह धारणा ग़लत है। अर्थशास्त्र का सम्बन्ध दुर्लभता की स्थिति में चुनाव से होता है। (Economics is about making choice due to scarcity.)

प्रश्न 2.
व्यष्टि अथवा व्यक्तिगत अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र का सम्बन्ध आर्थिक समस्या की लघु इकाइयों से होता है, जब हम आर्थिक समस्या को छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर एक-एक भाग का अध्ययन करते हैं तो इस विधि को व्यष्टि आर्थिक विश्लेषण कहा जाता है।

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प्रश्न 3.
समष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र में अर्थव्यवस्था तथा उसके समूहों अथवा औसतों का अध्ययन किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय, रोजगार, साधारण कीमत स्तर, कुल उपभोग, कुल बचत इत्यादि सामूहिक समस्याओं का हल किया जाता है।

प्रश्न 4.
व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र में अन्तर बताओ।
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक समस्याओं को छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर एक-एक भाग का अध्ययन किया जाता है। समष्टि अर्थशास्त्र में आर्थिक समस्याओं के समुच्चयों तथा औसतों का विशेष तौर पर अध्ययन किया जाता है। अर्थशास्त्र के अध्ययन की दो विधियां हैं।

प्रश्न 5.
अर्थशास्त्र की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
अर्थशास्त्र मानवीय व्यवहार का विज्ञान है, जिसका सम्बन्ध कमी के कारण चयन की समस्या से होता है ताकि व्यक्तिगत तथा सामाजिक कल्याण को अधिकतम किया जा सके।

प्रश्न 6.
आर्थिक क्रिया से क्या अभिप्राय है ? आर्थिक क्रियाओं का वर्णन करें।
उत्तर-
जिस क्रिया का सम्बन्ध मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दुर्लभ साधनों के उपयोग से होता है उसको आर्थिक क्रिया कहते हैं। इस क्रिया में मुद्रा प्रवाह तथा सेवाओं का प्रवाह होता है। अर्थशास्त्र की मुख्य आर्थिक क्रियाएं हैं-

  1. उत्पादन (Production)
  2. उपभोग (Consumption)
  3. निवेश (Investment)
  4. विनिमय (Exchange)
  5. वितरण (Distribution)
  6. वित्त (Finance).

प्रश्न 7.
दुर्लभता और चुनाव अर्थशास्त्र के सार हैं। स्पष्ट करें।
अथवा
चुनाव की समस्या क्यों उत्पन्न होती है ?
उत्तर-
दुर्लभता के कारण चुनाव होता है। चुनाव से अभिप्राय है निर्णय लेने की प्रक्रिया जिसका सम्बन्ध सीमित साधनों का इस प्रकार से प्रयोग होता है जिससे उपभोगी को अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त हो, उत्पादक को अधिकतम लाभ तथा राष्ट्र का अधिकतम विकास हो। इसलिए दुर्लभता और चुनाव को अलग नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 8.
आर्थिक संगठन या प्रणालियों की किस्मों का वर्णन करो।
उत्तर-
आर्थिक संगठन या प्रणालियां तीन प्रकार की हैं –

  1. पूंजीवाद-इस प्रणाली में लोगों को उपभोग, उत्पादन, विनिमय करने की स्वतन्त्रता होती है। आर्थिक क्रियाओं का संचालन कीमत यंत्र द्वारा होता है।
  2. समाजवाद-इस प्रणाली में उपभोग उत्पादन, विनिमय का संचालन सरकार द्वारा किया जाता है। कीमत सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है।
  3. मिश्रित अर्थव्यवस्था-इस प्रणाली में कुछ आर्थिक क्रियाएं निजी लोगों द्वारा तथा कुछ आर्थिक क्रियाएं सरकार द्वारा संचालन की जाती हैं। इसमें निजी क्षेत्र तथा सरकारी क्षेत्र मिलकर काम करते हैं। भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था पाई जाती है।

प्रश्न 9.
अर्थशास्त्र की प्रकृति स्पष्ट करें।
अथवा
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला है ?
उत्तर-
अर्थशास्त्र की प्रकृति से अभिप्राय है कि अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला है। अर्थशास्त्र वास्तविक तथा आदर्शात्मक विज्ञान है और कला भी है। अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है क्योंकि इसमें विज्ञान के नियम हैं। अर्थशास्त्र आदर्शात्मक विज्ञान है क्योंकि इसमें हम देखते हैं कि क्या होना चाहिए। अर्थशास्त्र कला है जो इस प्रकार के उपाय और साधन ढूंढता है जिनसे इच्छित लक्ष्य प्राप्त किये जा सकें। अर्थशास्त्र विज्ञान तथा कला दोनों ही है।

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III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में कोई चार अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर-
व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर को नीचे दिए सूची पत्र द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –

अन्तर का आधार व्यक्तिगत अर्थशास्त्र, सामूहिक अर्थशास्त्र
(1) क्षेत्र (Scope) व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत आर्थिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। सामूहिक अर्थशास्त्र में अर्थव्यवस्था की सामूहिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।
(2) उद्देश्य (Objective) व्यक्तिगत अर्थशास्त्र का उद्देश्य वस्तुओं तथा साधनों की कीमत निर्धारण करना होता है। सामूहिक अर्थशास्त्र का उद्देश्य राष्ट्रीय आय तथा रोज़गार निर्धारण करना है।
(3) मान्यताएँ (Assumptions) व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में सामूहिक चरों जैसे कि उत्पादन तथा कीमत स्तर को स्थिर माना जाता समान माना जाता है। सामूहिक अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत चरों जैसे कि एक मनुष्य की आय तथा धन को है।
(4) प्रभाव  (Effects) व्यक्तिगत निर्णयों का प्रभाव सामूहिक स्तर पर पड़ता है, जैसे बचत का प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। सामूहिक निर्णयों का प्रभाव व्यक्तिगत निर्णयों पर पड़ता है, जैसे कि सरकार द्वारा लगाए कर, व्यक्ति उपभोग को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 2.
व्यष्टि अर्थशास्त्र के महत्त्व को स्पष्ट करो।
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व –

  1. अर्थव्यवस्था की कार्यशीलता-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रयोग यह समझाना है कि अर्थव्यवस्था कार्य करती है।
  2. आर्थिक नीतियों का निर्माण-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र आर्थिक नीतियों के निर्माण में भी सहायक होता है। साधनों के उचित विभाजन के लिए पूंजीवादी अर्थव्यवस्था महत्त्वपूर्ण योगदान डालती है।
  3. आर्थिक निर्णय-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र द्वारा आर्थिक निर्णय लिए जाते हैं; जैसे कि एक वस्तु की कीमत का निर्धारण, फ़र्म की लागत तथा लाभ का ज्ञान प्राप्त होता है।
  4. आर्थिक कल्याण-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र आर्थिक कल्याण का आधार है। इससे उपभोग तथा उत्पादन की स्थिति का ज्ञान प्राप्त होता है।
  5. भविष्यवाणी-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र द्वारा भविष्यवाणियां की जाती हैं, जैसे कि एक वस्तु की मांग बढ़ जाती है तो उस वस्तु की कीमत बढ़ जाएगी।

प्रश्न 3.
समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व बताओ।
उत्तर –

  • अर्थव्यवस्था का अध्ययन–समष्टि अर्थशास्त्र से समूची अर्थव्यवस्था का ज्ञान होता है।
  • आर्थिक विकास-समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा एक देश के आर्थिक विकास के निर्धारक तत्त्वों का ज्ञान प्राप्त होता
  • कीमत स्तर का अध्ययन-एक देश में कीमत स्थिरता प्राप्त करना प्रत्येक सरकार का एक उद्देश्य होता है। इसलिए मुद्रा स्फीति तथा अस्फीति को कैसे कन्ट्रोल में रखा जाए, इसकी जानकारी समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा होती है।
  • आर्थिक नीतियों का निर्माण-समष्टि अर्थशास्त्र की सहायता से आर्थिक नीतियों का निर्माण किया जाता है, जोकि देश में निर्धनता, बेरोज़गारी, आय का विभाजन इत्यादि समस्याओं के समाधान के लिए महत्त्वपूर्ण होती
  • भुगतान सन्तुलन-समष्टि अर्थशास्त्र उन तत्त्वों को स्पष्ट करता है, जोकि भुगतान सन्तुलन स्थापित करने में लाभदायक योगदान डालते हैं। इससे समूची अर्थव्यवस्था को सन्तुलन में रखने के लिए सहायता मिलती है।

प्रश्न 4.
समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र का वर्णन करें।
अथवा
समष्टि अर्थशास्त्र की मुख्य शाखाओं के नाम बताइए।
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र को निम्नलिखित भागों में बांट कर अध्ययन किया जाता है-
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 2 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र 1
1. राष्ट्रीय आय का सिद्धान्त (Theory of National Income)-समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय, इसके माप तथा धारणाओं का अध्ययन किया जाता है।

2. रोज़गार का सिद्धान्त (Theory of Employment)-समष्टि अर्थशास्त्र में रोजगार निर्धारण तथा बेरोजगारी की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 2 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र

3. मुद्रा का सिद्धान्त (Theory of Money)-मुद्रा का अर्थ, मुद्रा के प्रभाव तथा कार्यों का अध्ययन किया जाता है। इसमें मुद्रा बाज़ार तथा पूँजी बाज़ार के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है।

4. आर्थिक विकास का सिद्धान्त (Theory of Economic Development) आर्थिक विकास का अर्थ किसी देश की प्रति व्यक्ति आय में होने वाली वृद्धि से होता है। यह भी समष्टि अर्थशास्त्र का एक भाग माना जाता है।

5. कीमत स्तर का सिद्धान्त (Theory of Price Level)-एक देश में कीमत स्तर बढ़ने के क्या कारण होते हैं तथा मुद्रा स्फीति को कैसे रोका जा सकता है, यह भी समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में शामिल है।

6. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का सिद्धान्त (Theory of International Trade)–विभिन्न देशों में होने वाले व्यापार का भी अध्ययन समष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में आता है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र क्या है? इसका क्षेत्र स्पष्ट करो। (What is Economics ? Discuss its Scope.)
उत्तर-
अर्थशास्त्र क्या है ? (What is Economics ?)-अर्थशास्त्र दूसरे समाज शास्त्रों से एक नया विज्ञान है। एडम स्मिथ (Adam Smith) को अर्थशास्त्र का पिता माना जाता है; जिन्होंने 1776 में अपनी पुस्तक (Wealth of Nations) लिखी। इसमें उन्होंने कहा ‘अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है। परन्तु इस परिभाषा से अर्थशास्त्र बदनाम हो गया। प्रो० मार्शल (Marshall) ने कहा कि अर्थशास्त्र मनुष्यों का विज्ञान है, जिसमें मानवीय भलाई को अधिकतम करने का अध्ययन किया जाता है। प्रो० रोबिन्ज़ (Robbins) ने अर्थशास्त्र की वैज्ञानिक परिभाषा दी। उनके अनुसार, “अर्थशास्त्र वह विज्ञान है, जो मानवीय व्यवहार का अध्ययन करता है, जिसका सम्बन्ध अधिक आवश्यकताओं तथा वैकल्पिक प्रयोगों वाले सीमित साधनों से होता है। प्रो० सेम्यूलसन (Samuelson) के अनुसार, अर्थशास्त्र व्यक्तिगत सन्तुष्टि तथा सामाजिक कल्याण से सम्बन्धित है।

अर्थशास्त्र के सम्बन्ध में हम यह कह सकते हैं, “अर्थशास्त्र मानवीय व्यवहार का विज्ञान है, जिसका सम्बन्ध कमी के कारण चयन की समस्या से होता है ताकि व्यक्तिगत तथा सामाजिक कल्याण को अधिकतम किया जा सके।” (“Economics is a science of human behaviour which studies problems of choice arising out of scarcity, so the individuals and society can maximise their social welfare.”)

अर्थशास्त्र का क्षेत्र (Scope of Economics)-अर्थशास्त्र के क्षेत्र को दो भागों में विभाजित कर स्पष्ट किया जा सकता है –
1. अर्थशास्त्र की विषय सामग्री (Subject Matter of Economics)-अर्थशास्त्र की विषय सामग्री अर्थव्यवस्था की प्रकृति तथा व्यवहार की व्याख्या से सम्बन्धित है। देश में बेरोज़गारी, कीमत वृद्धि, निर्धनता, असमानता इत्यादि बहुत-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। इन समस्याओं को हल करने के लिए दो तरह की विधियों का प्रयोग किया जाता है। व्यक्तिगत आर्थिक विश्लेषण तथा सामूहिक आर्थिक विश्लेषण की सहायता से कीमत नीति, मौद्रिक नीति, राजकोषीय नीति तथा आर्थिक नियोजन आदि का अध्ययन किया जाता है। इसी तरह अर्थशास्त्र का मुख्य विषय आर्थिक समस्याओं की जांच पड़ताल करके इन समस्याओं के हल के लिए सुझाव देना है। __

2. अर्थशास्त्र की प्रकृति (Nature of Economics)-अर्थशास्त्र की प्रकृति में हम देखते हैं कि अर्थशास्त्र विज्ञान है अथवा कला।

अर्थशास्त्र विज्ञान है (Economics is a Science)-अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है, जबकि फिजिक्स, कैमिस्ट्री आदि प्राकृतिक विज्ञान हैं। अर्थशास्त्र का क्रमवार अध्ययन किया जाता है, इसके वैज्ञानिक नियम हैं तथा ये नियम सर्वव्यापी हैं। इस कारण अर्थशास्त्र विज्ञान है। विज्ञान दो प्रकार के होते हैं-

(a) वास्तविक विज्ञान (Positive Science)-वास्तविक विज्ञान का सम्बन्ध क्या है? (What is Positive Science) से होता है। मानवीय आवश्यकताएँ असीमित हैं। आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए साधन सीमित हैं। यह वास्तविक सच्चाई है कि साधनों के वैकल्पिक प्रयोग किए जा सकते हैं, जिस कारण चयन की समस्या उत्पन्न होती है। इसलिए अर्थशास्त्र वास्तविक विज्ञान है।

(b) आदर्शमय विज्ञान (Normative Science)-आदर्शमय विज्ञान वह विज्ञान होता है, जिसका सम्बन्ध “क्या होना चाहिए” (What ought to be) से होता है। अर्थशास्त्र आदर्शमय विज्ञान भी है, क्योंकि इसमें हम देखते हैं कि कीमत में स्थिरता होनी चाहिए। निर्धन लोगों पर कम कर लगाए जाएं। इसलिए अर्थशास्त्र आदर्शमय विज्ञान भी है।

अर्थशास्त्र कला है (Economics is an Art)-किसी विशेष उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सिद्धान्तिक ज्ञान के व्यावहारिक प्रयोग को कला कहा जाता है। भारत में कीमतें निरन्तर तीव्रता से बढ़ रही हैं। इन कीमतों की वृद्धि को रोकने के लिए सरकार आर्थिक नीति तथा राजकोषीय नीति का प्रयोग करके कीमतों को नियन्त्रण में रखने का प्रयत्न करती है।
इससे स्पष्ट है कि अर्थशास्त्र विज्ञान भी है और कला भी है।

प्रश्न 2.
व्यष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है? व्यष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व तथा सीमाएं बताएं। (What is Micro Economics ? Discuss the Importance and Limitations of Micro Economics.)
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र का अर्थ (Meaning of Micro Economics)-अंग्रेजी भाषा का शब्द माइक्रो (Micro) ग्रीक भाषा के शब्द माईक्रोज़ (Mikros) से लिया गया है, जिसका अर्थ है लघु (Small)। जब हम आर्थिक समस्याओं को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करके एक-एक हिस्से का अध्ययन करते हैं तो इसको व्यष्टि आर्थिक विश्लेषण कहा जाता है। प्रो० शेपीरो के अनुसार, “व्यष्टि अर्थशास्त्र का संबंध अर्थव्यवस्था के छोटे भागों से है।” (Micro Economics deals with the small parts of the economy-Shapiro) व्यष्टि अर्थशास्त्र को कीमत सिद्धान्त (Price Theory) भी कहा जाता है। व्यष्टि अर्थशास्त्र का क्षेत्र (Scope of Micro Economics)-व्यष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र को एक चार्ट द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 2 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र 2
1. मांग का सिद्धान्त (Theory of Demand)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में मांग के सिद्धान्त का अध्ययन किया जाता है। उपभोक्ता की मांग तथा उसकी अधिक-से-अधिक सन्तुष्टि से सम्बन्धित सिद्धान्त को मांग का सिद्धान्त कहा जाता है।

2. उत्पादन का सिद्धान्त (Theory of Production)-उपभोक्ता की मांग को पूरा करने के लिए एक फ़र्म उत्पादन करती है। उत्पादन से सम्बन्धित नियमों के अध्ययन को उत्पादन का सिद्धान्त कहा जाता है।

3. कीमत निर्धारण का सिद्धान्त (Theory of Price Determination)-उत्पादन की वस्तुओं को बाज़ार में बेचा जाता है। इन वस्तुओं की मांग तथा पूर्ति द्वारा वस्तुओं की कीमत निर्धारित होती है, इसको कीमत निर्धारण का सिद्धान्त कहा जाता है।

4. साधन कीमत का सिद्धान्त (Theory of Factor Pricing)-बाज़ार में वस्तुएँ बेचने से जो आय प्राप्त होती है, वह उत्पादन के साधनों में विभाजित की जाती है। इसको साधन कीमत सिद्धान्त कहा जाता है।

5. आर्थिक कल्याण का सिद्धान्त (Theory of Economic Welfare)-अर्थशास्त्र का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति तथा समाज के कल्याण में वृद्धि करना होता है। इसलिए व्यष्टि अर्थशास्त्र के क्षेत्र में आर्थिक कल्याण का अध्ययन किया जाता है।

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व्यष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व (Importance of Micro Economics)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र के महत्त्व को निम्नलिखित अनुसार स्पष्ट किया जा सकता है-
1. अर्थव्यवस्था की कार्यशीलता (Functioning of an Economy)-प्रो० वाटसन ने ठीक कहा है, “व्यक्तिगत अर्थशास्त्र के कई प्रयोग हैं। इसका सबसे महत्त्वपूर्ण प्रयोग यह समझना है कि अर्थव्यवस्था कैसे कार्य करती है।” व्यष्टि अर्थशास्त्र द्वारा एक अर्थव्यवस्था की कार्य प्रणाली का ज्ञान प्राप्त होता है।

2. भविष्यवाणी का आधार (Basis of Prodictions)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र भविष्यवाणी का आधार है। उदाहरणस्वरूप किसी वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तो उस वस्तु की मांग कम हो जाएगी।

3. आर्थिक नीतियां (Economic Policies)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र द्वारा आर्थिक नीतियों का निर्माण किया जाता है। निजी क्षेत्र में उत्पादन अधिक होने के कारण सरकार निजी क्षेत्र को उत्साहित कर रही है।

4. आर्थिक निर्णय (Economic Decisions)-प्रत्येक फ़र्म वस्तुओं की लागत तथा मांग को देखकर उत्पादन करने सम्बन्धी निर्णय करती है।

5. आर्थिक कल्याण (Economic Welfare)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र का मुख्य उद्देश्य कल्याण में वृद्धि करना है। उपभोक्ता अधिक-से-अधिक सन्तुष्टि, उत्पादक अधिक-से-अधिक लाभ तथा समाज अधिक-से-अधिक आर्थिक कल्याण प्राप्त करने का प्रयत्न करता है।

व्यष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ (Limitations of Micro Economics)
1. अवास्तविक मान्यताएँ (Unrealistic Assumptions)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में पूर्ण प्रतियोगिता, पूर्ण रोजगार इत्यादि अवास्तविक मान्यताएँ लेकर विश्लेषण किया जाता है, जोकि व्यावहारिक नहीं है।

2. गतिहीन विश्लेषण (Static Analysis)–व्यक्तिगत विश्लेषण में बहुत से तत्त्वों को स्थिर मान कर व्याख्या की जाती है जिस कारण इसको गतिहीन विश्लेषण कहा जाता है।

3. ग़लत परिणाम (Wrong Results)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र के परिणाम कई बार ग़लत सिद्ध होते हैं। उदाहरणस्वरूप एक मनुष्य बचत करके अमीर बन सकता है। परन्तु यदि सारा देश बचत करने लगता है तो उनका उपभोग व्यय कम हो जाएगा। एक मनुष्य का व्यय दूसरे मनुष्यों की आय होता है। इसलिए आय कम हो जाएगी तथा राष्ट्र अमीर होने की जगह पर निर्धन हो जाएगा।

प्रश्न 3.
व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर स्पष्ट करो। (Explain the difference between Micro and Macro Economics.)
उत्तर-
व्यक्तिगत अर्थशास्त्र (Micro Economics)-व्यक्तिगत अर्थशास्त्र का सम्बन्ध व्यक्तिगत आर्थिक समस्याओं से होता है। जैसे कि एक मनुष्य, एक फ़र्म, एक उद्योग
अथवा
एक बाज़ार की समस्याएँ। सामूहिक अर्थशास्त्र (Macro Economics)-सामूहिक अर्थशास्त्र का सम्बन्ध अर्थव्यवस्था की आर्थिक समस्याओं से होता है। जैसे कि बेरोज़गारी, राष्ट्रीय आय, राष्ट्रीय उपभोग तथा साधारण कीमत स्तर का अध्ययन सामूहिक अर्थशास्त्र द्वारा किया जाता है। प्रो० शेपीरो के शब्दों में, “सामूहिक अर्थशास्त्र समूची अर्थव्यवस्था की कार्यशीलता से सम्बन्धित होता है।” (“Macro Economics deals with the functioning of the economy as a Whole.” -Shapiro)

व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर
(Difference between Micro & Macro Economics)
PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 2 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र 3

व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में अन्तर्निर्भरता (Inter-dependence of Micro and Macro Economics) –
चाहे व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत स्तर पर कमी तथा चयन की समस्याओं का अध्ययन किया जाता है तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में समूची अर्थव्यवस्था के स्तर पर इन समस्याओं सम्बन्धी अध्ययन करते हैं, परन्तु यह दोनों एकदूसरे पर अन्तर्निर्भर हैं।
1. व्यक्तिगत अर्थशास्त्र सामूहिक अर्थशास्त्र पर निर्भर है (Micro depends on Macro Economics)यदि हम व्यक्तिगत अर्थशास्त्र की किसी आर्थिक समस्या का हल करना चाहते हैं तो सामूहिक अर्थशास्त्र के बगैर यह संभव नहीं होता। जैसे कि एक फ़र्म द्वारा वस्तु की कीमत निर्धारण करते समय ध्यान में रखना पड़ेगा कि बाकी की वस्तुओं की कीमतों में कितना परिवर्तन हुआ है। यदि बाकी वस्तुओं की कीमतें दो गुणा बढ़ गई हैं तो फ़र्म अपनी वस्तु की कीमत दो गुणा कर देगी।

2. सामहिक अर्थशास्त्र व्यक्तिगत अर्थशास्त्र पर निर्भर है (Macro depends on Micro Economics)यदि हम राष्ट्रीय आय का माप करना चाहते हैं तो यह सामूहिक अर्थशास्त्र की समस्या है। इस उद्देश्य के लिए देश में रहने वाले प्रत्येक नागरिक की आय का पता किया जाएगा। जब एक मनुष्य की आय का अध्ययन करते हैं तो यह व्यक्तिगत अर्थशास्त्र की समस्या बन जाती है।

इस प्रकार यह दोनों विधियाँ एक-दूसरे पर निर्भर हैं। प्रो० सैम्यूलसन ने ठीक कहा है, “व्यक्तिगत तथा सामूहिक अर्थशास्त्र में कोई अंतर नहीं। दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं। आप पूरी तरह शिक्षित नहीं होंगे यदि आपको एक का ज्ञान है तथा दूसरी विधि सम्बन्धी अज्ञानी हों।”

प्रश्न 4.
अर्थशास्त्र के महत्त्व और आर्थिक प्रणाली की किस्मों का वर्णन कीजिये। (Describe the Importance of Economics and types of economic system.)
उत्तर-
अर्थशास्त्र का महत्त्व बहुत अधिक हो गया है। इसके महत्त्व को निम्नलिखित अनुसार स्पष्ट किया जा सकता है-
1. अर्थशास्त्र का अध्ययन-अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है जिसका सम्बन्ध एक अर्थवयवस्था में दुर्लभ संसाधनों का इस प्रकार बंटवारा करना है कि समाज को अधिकतम सामाजिक कल्याण पूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है।।

2. आर्थिक नीतियों का निर्माण-अर्थशास्त्र का महत्त्व आर्थिक नीतियों के निर्माण में भी देखा जा सकता है। देश में क्या उत्पादन किया जाए? कैसे उत्पादन किया जाए ? किसके लिये उत्पादन किया जाए ? वस्तुओं की कितनी कीमत होनी चाहिये। जोकि अर्थशास्त्र की सहायता से निर्माण को जाती हैं।

3. आर्थिक कल्याण में सहायक-अर्थशास्त्र का मुख्य उद्देश्य एक अर्थव्यवस्था में आर्थिक कल्याण में वृद्धि करने में सहायक होते हैं।

4. आर्थिक प्रबन्ध में सहायक-अर्थशास्त्र विभिन्न फ़र्मों के लिये आर्थिक प्रबन्ध में सहायक होता है। वस्तु की . लागत, बिक्री, कीमत आदि प्रबन्धक निर्णय लेने के लिए अर्थशास्त्र सहायक होता है।

5. भविष्यवाणियों में सहायक-अर्थशास्त्र का ज्ञान भविष्यवाणी करने के लिये भी सहायक होता है। देश का उत्पादन देश में ही प्रयोग किया जाए अथवा इसको विदेशों में बेचा जाए। विदेशों में बेचने से लाभ होगा अथवा हानि होगी। अर्थशास्त्र आर्थिक कल्याण के आदर्श की प्राप्ति के लिये भी महत्त्वपूर्ण होता है। . अर्थशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जिसका महत्त्व प्रत्येक क्षेत्र में नज़र आता है और यह प्रत्येक के लिये अनिवार्य है।

आर्थिक प्रणाली की किस्में (Types of Economic Systems) आर्थिक प्रणाली की मुख्य तीन किस्में हैं_-
1. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था (Capitalistic Economy) अर्थव्यवस्था वह प्रणाली है जिसमें उत्पादन के साधनभूमि, श्रम, पूँजी, संगठन-निजी लोगों के अधिकार में होते हैं और उत्पादन लाभ प्राप्ति के उद्देश्य से किया जाता है। इस अर्थव्यवस्था में सभी मुख्य आर्थिक निर्णय लोगों द्वारा लिए जाते हैं और जो बिना सरकारी हस्तक्षेप के बाज़ारी दशाओं द्वारा निर्धारित और नियन्त्रित किये जाते हैं। बाज़ारी दशाओं से हमारा अभिप्राय पदार्थों, सेवाओं की मांग व पूर्ति की दशाओं, उनकी कीमतों व उत्पादन लागतों, लाभ व हानि आदि से है। ये बाज़ारी दशाएं कीमत प्रणाली को जन्म . देती हैं जिनके संकेत पर पूँजीवादी अर्थव्यवस्था संचालित होती है।

2. समाजवादी अर्थवयवस्था (Socialistic Economy) समाजवाद से अभिप्राय है उत्पादन के साधनों पर सरकार का स्वामित्व, सरकार द्वारा नियोजन तथा आय का पुनर्वितरण। अर्थात् समाजवाद वह आर्थिक व्यवस्था है जिसमें उत्पादन के साथन समाज के अधिकार में होते हैं और जिसमें धन का उत्पादन, थोड़े से व्यक्तियों के निजी लाभ के लिए नहीं बल्कि सामाजिक भलाई के विचार से किया जाता है। बाज़ार में कीमतें सरकार द्वारा ही निर्धारित की जाती हैं।

3. मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy)-मिश्रित अर्थव्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था होती है जिसमें कुछ आर्थिक निर्णय पूंजीवादी अर्थव्यवस्था की भांति लोगों द्वारा निजी लाभ के लिये जाते हैं और कुछ आर्थिक निर्णय समाजवादी अर्थव्यवस्था की भांति राज्य द्वारा लिए जाते हैं। इसमें पूँजीवादी तथा समाजवादी आर्थिक प्रणाली, दोनों प्रकार की अर्थव्यवस्था के लक्षण पाए जाते हैं। इस प्रकार इस अर्थव्यवस्था को पूँजीवाद और समाजवाद के बीच सुनहरी रास्ता (Mixed Mean) कहा जाता है।

PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 2 व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र

प्रश्न 5.
समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व बताएँ। (Explain the Importance of Macro Economics.)
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र का महत्त्व (Importance of Macro Economics)-समष्टि अर्थशास्त्र का अध्ययन मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में किया जाता है-
1. अर्थव्यवस्था का अध्ययन (Study of Economy)-समष्टि अर्थशास्त्र से समूची अर्थव्यवस्था की कार्यप्रणाली का ज्ञान प्राप्त होता है।

2. राष्ट्रीय आय का अध्ययन (Study of National Income)-राष्ट्रीय आय से ही विभिन्न देशों की आर्थिक स्थितियों की तुलना की जा सकती है। इसलिए समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा राष्ट्रीय आय का अध्ययन करके विश्व में एक देश की आर्थिक प्रगति का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

3. आर्थिक नीतियों का निर्माण (Formulation of Economic Policies)-समष्टि अर्थशास्त्र की सहायता से आर्थिक नीतियों का निर्माण किया जाता है जोकि देश में निर्धनता, बेरोज़गारी, आय का विभाजन इत्यादि समस्याओं का हल करने के लिए महत्त्वपूर्ण होता है।

4. कीमत स्तर का अध्ययन (Study of Price Level)-एक देश में कीमत स्थिरता प्राप्त करना प्रत्येक सरकार का एक उद्देश्य होता है, इसलिए मुद्रा स्फीति तथा अस्फीति को कैसे कन्ट्रोल में रखा जाए, इसकी जानकारी समष्टि अर्थशास्त्र द्वारा प्राप्त होती है।

5. भुगतान सन्तुलन (Balance of Payment) समष्टि अर्थशास्त्र उन तत्त्वों को स्पष्ट करता है जोकि भुगतान सन्तुलन स्थापित करने में लाभदायक योगदान डालते हैं।

6. व्यापार चक्रों का अध्ययन (Study of Trade Cycles) व्यापार चक्र अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव डालते हैं। इनका अध्ययन भी समष्टि अर्थशास्त्र में ही सम्भव है।

7. आर्थिक विकास (Economic Development) आर्थिक विकास प्राप्त करना प्रत्येक देश का मुख्य लक्ष्य बन गया है। इस महत्त्व के लिए आर्थिक नीतियों का निर्माण करके आर्थिक विकास तेजी से प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएं बताएं। (Explain the limitations of Macro Economics.)
उत्तर-
समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ(Limitations of Macro Economics)-समष्टि अर्थशास्त्र की सीमाएँ निम्नलिखित-
1. समष्टि विरोधाभास (Macro Paradoxes) समष्टि अर्थशास्त्र का सबसे बड़ा दोष यह है कि व्यक्तिगत निष्कर्ष जब समूहों में लागू किए जाते हैं तो वह गलत सिद्ध होते हैं। इसे ही समष्टि विरोधाभास कहते हैं। कीमतों में वृद्धि अमीर लोगों के लिए इतनी कष्टमय नहीं होती जितनी के गरीब लोगों के लिए होती है।

2. समष्टि अर्थशास्त्र की अवास्तविक मान्यताएँ (Unrealistic Assumptions of Macro Economics)समष्टि अर्थशास्त्र की पाँच मुख्य मान्यताएँ हैं-

  • अल्पकाल
  • बंद अर्थव्यवस्था
  • पूर्ण प्रतियोगिता
  • अल्परोज़गार सन्तुलन
  • मुद्रा संचय का कार्य भी करती है।

यह मान्यताएँ अर्थव्यवस्था के सभी समूहों पर लागू नहीं होतों क्योंकि अर्थव्यवस्था में सभी समूह एक समान होते और उनमें विभिन्नता भी पाई जाती है।

3. गलत नीतियाँ (Wrong Policies)-समष्टि अर्थव्यवस्था के अध्ययन से कई बार हम इस निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं कि अर्थव्यवस्था में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। इसलिए आर्थिक नीति में किसी परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है। इस प्रकार बहुत-सी नीतियाँ गलत बनाई जा सकती हैं।

4. माप में कठिनाई (Difficulty in Measurment)-समष्टि अर्थशास्त्र की एक सीमा यह भी है कि इसके चरों जैसा कि कुल उपभोग, कुल निवेश, कुल आय आदि का माप करना आसान नहीं होता।

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5. व्यक्तिगत इकाइयों पर निर्भर (Dependence on Individual Units)-समष्टि अर्थशास्त्र के बहुत-से नतीजे व्यक्तिगत इकाइयों पर आधारित होते हैं, परन्तु वह ठीक नहीं। जो नतीजे व्यक्तियों पर लागू होते हैं, ज़रूरी नहीं कि वह समूहों पर भी ठीक लागू हों। इसको संरचना का भुलेखा (Fallacy of Composition) भी कहा जाता है।

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