PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

PSEB 10th Class Science Guide आनुवंशिकता एवं जैव विकास Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
मेंडल के एक प्रयोग में लंबे मटर के पौधे जिनके बैंगनी पुष्प थे, का संकरण बौने पौधों जिनके सफ़ेद पुष्प थे, से कराया गया। इनकी संतति के सभी पौधों में पुष्प बैंगनी रंग के थे। परंतु उनमें से लगभग आधे बौने थे। इससे कहा जा सकता है, लंबे जनक पौधों की आनुवंशिक रचना निम्न थी –
(a) TTWW
(b) TTww
(c) Tt ww
(c) Tt Ww.
उत्तर-
(c) TtWW.

प्रश्न 2.
समजात अंगों के उदाहरण हैं –
(a) हमारा हाथ तथा कुत्ते के अग्रपाद
(b) हमारे दाँत तथा हाथी के दाँत
(c) आलू एवं घास के उपरिभूस्तारी
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
विकासीय दृष्टिकोण से हमारी किससे अधिक समानता है
(a) चीन के विद्यार्थी
(b) चिम्पैंज़ी
(c) मकड़ी
(d) जीवाणु।
उत्तर-
(a) चीन के विद्यार्थी।

प्रश्न 4.
एक अध्ययन से पता चला कि हल्के रंग की आँखों वाले बच्चे के जनक ( माता-पिता) की आँखें भी हल्के रंग की होती हैं। इसके आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी ? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
सभी बच्चों में अपने माता-पिता के लक्षण प्रकट होते हैं। माता-पिता से हल्के रंग की आँखों का बच्चों में आ जाना सहज स्वाभाविक है। इस अवस्था में तो आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है पर इसे हर बच्चे की अवस्था में प्रभावी नहीं कह सकते। यह अप्रभावी भी हो सकता है।

प्रश्न 5.
जैव-विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन क्षेत्र परस्पर किस प्रकार संबंधित है ?
उत्तर-
जीवों में वर्गीकरण का अध्ययन उन में विद्यमान समानताओं और भेदों के आधार पर किया जाता है। उनमें समानता इसलिए प्रकट होती है कि वे किसी समान पूर्वज से उत्पन्न हुए हैं और उनमें भिन्नता विभिन्न प्रकार के पर्यावरणों में की जाने वाली अनुकूलता के कारण से है। उनमें बढ़ती जटिलता को जैव विकास के उत्तरोत्तर क्रमिक आधार पर स्थापित कर अंतर्संबंधों का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
समजात तथा समरूप अंगों को उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर-
समजात अंग-पौधों और प्राणियों के वे अंग जिनकी आधारभूत रचना एक समान होती है पर उनके कार्य भिन्न-भिन्न होते हैं, उन्हें समजात अंग कहते हैं। जैसे-पक्षियों के पंख, मनुष्य की भुजाएं, कुत्ते की अगली टांगें, मेंढक के अग्रपाद, गाय, घोड़े आदि के अग्रपाद। ये सभी अंग रचना के आधार पर एक समान हैं पर इनका जीवों में कार्य अलग-अलग है।
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चित्र-समजात अंग समरूप अंग-जीवों के वे अंग जो देखने में एक समान हों, पर उनकी रचना और कार्य भिन्न-भिन्न हों, उन्हें समरूप अंग कहते हैं; जैसे कीटों के पंख, पक्षियों के पंख, चमगादड़ के पंख। इन सभी जीवों में पंख देखने में एक-समान दिखाई देते हैं, परंतु उनकी रचना
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कीट के पंख और कार्य भिन्न हैं। मटर, अंगूर आदि पौधों में प्रतान चित्र-समरूप अंग भी इसी के उदाहरण हैं।

प्रश्न 7.
कुत्ते की खाल का प्रभावी रंग पीढ़ी ज्ञात करने के उद्देश्य से एक प्रोजेक्ट बनाइए।
उत्तर-
काले रंग के नर और सफ़ेद रंग की मादा के संयोग से उत्पन्न यदि सारे पिल्ले युग्मक काले रंग के हों तो कुत्ते की खाल का प्रभावी
रंग काला ही होगा। तीन कुत्ते काले और एक  सभी काली त्वचा वाले लक्षण कुत्ता सफेद होगा। यह दर्शाता है कि काला रंग प्रभावी रंग है।
कुत्तों के अलग-अलग रंगों का कारण अविकल्पी जीनों की आपसी क्रिया के कारण होता है जिसमें F2 अनुपात 12 : 3 : 1 होता है। इसलिए शुद्ध नस्लों के बीच संकरण कराए बिना किसी सही-सटीक निर्णय तक नहीं पहुंचा जा सकता।
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प्रश्न 8.
विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्म अति महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। युगों पहले जो जीव ऐसे वातावरण में चले गए थे जहां उनका पूरा अपघटन नहीं हुआ था तो उनके शरीर की छाप चट्टानों पर सुरक्षित रह गई। वे परिरक्षित जीवाश्म ही जीवाश्म कहलाते हैं। जब जीवाश्मों की खुदाई से प्राप्ति की जाती है तो उनकी प्राप्ति की गहराई से पता लग जाता है कि वह लगभग कितना पुराना है। ‘फॉसिल डेटिंग’ इस काम में सहायक सिद्ध होती चित्र-जीवाश्मों से विकासीय संबंध है।

जो जीवाश्म जितनी अधिक गहराई से प्राप्त होगा वह उतना ही पुराना होगा। लगभग 10 करोड़ वर्ष पहले समुद्र तल में अकशेरुकी जीवों के जो जीवाश्म प्राप्त होते हैं वे सबसे पुराने हैं। इसके कुछ मिलियन वर्ष बाद जब डायनोसॉर मरे तो उनके जीवाश्म अकशेरुकी जीवों के जीवाश्मों से ऊपरी सतह में बने। इसके कुछ मिलियन वर्ष बाद जब घोड़े के समान जीव जीवाश्मों में बदले तो उन्हें डायनोसॉरों के जीवाश्मों से ऊपर स्थान मिला। इसी से उनका विकासीय संबंध स्थापित होता है।
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प्रश्न 9.
किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है ?
उत्तर-
विभिन्न जातियों के विकासीय संबंधों का अध्ययन यही दर्शाता है कि जीवन की उत्पत्ति एक ही जाति से हुई है। एक ब्रिटिश वैज्ञानिक जे० बी० एस० हाल्डेन ने सबसे पहली बार सुझाव दिया था कि जीवों की उत्पत्ति उन अजैविक पदार्थों से हुई होगी जो पृथ्वी की उत्पत्ति के समय बने थे। सन् 1953 में स्टेनल एल० मिलर और हेराल्ड सी० डरे ने ऐसे कृत्रिम वातावरण का निर्माण किया था जो प्राचीन वातावरण के समान था। इस वातावरण में ऑक्सीजन नहीं थी। इसमें अमोनिया, मीथेन और हाइड्रोजन सल्फाइड थे। उसमें एक पात्र में जल भी था जिसका तापमान 100°C से कम रखा गया था। जब गैसों के मिश्रण से चिंगारियाँ उत्पन्न की गईं जो आकाशीय बिजलियों के समान थीं। मीथेन से 15% कार्बन सरल कार्बनिक यौगिक यौगिकों में बदल गए। इनमें एमीनो अम्ल भी संश्लेषित हुए जो प्रोटीन के अणुओं का निर्माण करते हैं। इसी आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है।

प्रश्न 10.
अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं, व्याख्या कीजिए। यह लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवों के विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है ?
उत्तर-
अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थाई होती हैं। अलैंगिक जनन एक ही जीव से होने के कारण केवल उसी के गण उसकी संतान में जाते हैं और वे बिना परिवर्तन हए पीढी दर पीढी समान ही रहते हैं। लैंगिक जनन नर और मादा के युग्मकों के संयोग से होता है जिनमें भिन्न-भिन्न जीन होने के कारण संकरण के समय विभिन्नता वाली संतान उत्पन्न होती है। उदाहरण के लिए सभी मानव युगों पहले अफ्रीका में उत्पन्न हुए थे पर जब उनमें से अनेक ने अफ्रीका छोड़ दिया और धीरे-धीरे सारे संसार में फैल गए तो लैंगिक जनन से उत्पन्न विभिन्नताओं के कारण उनकी त्वचा का रंग, कद, आकार आदि में परिवर्तन आ गया।

प्रभावित करने के कारण/आधार-
I. लैंगिक जनन में DNA की प्रतिकृति में हुई त्रुटियों के कारण विभिन्नताएं उत्पन्न हो जाती हैं।
II. नर और मादा के क्रॉसिंग ओवर के समय समजात गुणसूत्रों के समान भाग आपस में बदल जाते हैं।
III. संतान को अपने माता-पिता से बराबर आनुवंशिक पदार्थ प्राप्त होता है जिसमें जीन परस्पर क्रिया कर अनेक नए विकल्पों को जन्म दे सकती है।
IV. संतान के लिंग और विभिन्नताएं सदा इस संयोग पर निर्भर करती हैं कि माता-पिता का कौन-सा मादा युग्मक नर शुक्राणु के साथ संयोजित होगा।

प्रश्न 11.
संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है ?
उत्तर-
प्रत्येक कोशिका में गुणसूत्रों का एक जोड़ा होता है-एक नर से और दूसरा मादा से। जब युग्मक बनते हैं तो गुणसूत्रों के जोड़े से आधे-आधे गुणसूत्र उसे प्राप्त होते हैं। युग्मकों के संलयन से गुणसूत्र फिर से मिल जाते हैं। इसलिए संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवांशिक योगदान में बराबर की भागीदारी होती है। उदाहरणमनुष्य में 23 जोड़े अर्थात् 46 गुण सूत्र पाए जाते हैं। इनमें से 22 जोड़े अलिंगी गुण सूत्र और 23वां जोड़ा लिंगी गुण सूत्र कहलाता है। नर में XY गुण सूत्र और मादा में XX गुण सूत्र होते हैं। प्रजनन कोशिका के निरंतर विभाजन से ही जनन संभव हो पाता है। जब लैंगिक जनन की प्रक्रिया में संतति की रचना होती है तब नर और मादा उसे समान रूप से आनुवंशिक पदार्थ प्रदान करते हैं। इसी कारण संतति में नर और मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है।

प्रश्न 12.
केवल वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव (व्यष्टि) के लिए उपयोगी होती हैं, समष्टि में । अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं। क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? क्यों एवं क्यों नहीं ?
उत्तर-
हाँ, लैंगिक जनन के परिणामस्वरूप जीव में अनेक प्रकार की विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं लेकिन वे सारी विभिन्नताएँ अपना अस्तित्व बनाकर नहीं रख पातीं। जीव के सामाजिक व्यवहार के कारण उन विभिन्नताओं में अंतर आ जाता है। यह संभव है कि सामाजिक जीव चींटी के अस्तित्व को उसकी विभिन्नता प्रभावित करे और वह जीवित न रह पाए लेकिन बाघ जैसे प्राणी के अस्तित्व को संभवतः वह प्रभावित न करे और उसका अस्तित्व बना रहे।

Science Guide for Class 10 PSEB जीव जनन कैसे करते हैं InText Questions and Answers

प्रश्न 1.
यदि एक ‘लक्षण-A’ अलैंगिक प्रजनन वाली समष्टि के 10 प्रतिशत सदस्यों में पाया जाता है तथा ‘लक्षण-B’ उसी समष्टि में 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है, तो कौन-सा लक्षण पहले उत्पन्न होगा?
उत्तर-
लक्षण-B’ अलैंगिक प्रजनन वाली समष्टि में 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है जो ‘लक्षण-A’ प्रजनन वाली समष्टि से 50% अधिक है इसलिए ‘लक्षण-B’ पहले उत्पन्न हुआ होगा।

प्रश्न 2.
विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज़ का अस्तित्व किस प्रकार बढ़ जाता है ?
उत्तर-
विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज़ की उत्तरजीविता की संभावना बढ़ जाती है। प्राकृतिक चयन ही किसी स्पीशीज़ की उत्तरजीविता का आधार बनता है जो वातावरण में घटित होता है। समय के साथ उनमें जो प्रगति की प्रवृत्ति दिखाई देती है उसके साथ उन के शारीरिक अधिकल्प में जटिलता की वृद्धि भी हो जाती है। ऊष्णता को सहन करने की क्षमता वाले जीवाणुओं की अधिक गर्मी में बचने की संभावना अधिक होती है। पर्यावरण द्वारा उत्तम परिवर्तन का चयन जैव विकास प्रक्रम का आधार बनता है। विभिन्ताएँ प्राकृतिक वरण में सहायता देती हैं और विपरीत परिस्थितियों से जूझने में सहायक होती हैं। ये अनुकूलन को बढ़ावा देती हैं।

प्रश्न 3.
मेंडल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं ?
उत्तर-
जब मेंडल ने मटर के लंबे पौधे और बौने पौधे का संकरण कराया तो उसे प्रथम संतति पीढ़ी F, में सभी पौधे लंबे प्राप्त हुए थे। इसका अर्थ था कि दो लक्षणों में से केवल एक पैतृक लक्षण ही दिखाई दिया। उन दोनों का मिश्रित प्रमाण दिखाई नहीं दिया। उसने पैतृक पौधों और F2 पीढ़ी के पौधों को स्वपरागण से उगाया। इस दूसरी पीढ़ी F1 में सभी पौधे लंबे नहीं थे। इसमें एक चौथाई पौधे बौने थे। मेंडल ने लंबे पौधों के लक्षण को प्रभावी और बौने पौधों के लक्षण को अप्रभावी कहा।
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प्रश्न 4.
मेंडल के प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं ?
उत्तर-
मेंडल ने दो विभिन्न विकल्पों, लक्षणों वाले मटर के पौधों का चयन कर उनसे पौधे उगाए थे। लंबे पौधे तथा बौने पौधे का संकरण करा कर प्राप्त संतति में लंबे एवं बौने पौधों की गणना की। प्रथम संतति पीढ़ी (F1) में कोई पौधा बीच की ऊंचाई का नहीं था। सभी पौधे लंबे थे। दो लक्षणों में से केवल एक पैतृक लक्षण ही दिखाई दिया था लेकिन दूसरी पीढ़ी (F2) में सभी पौधे लंबे नहीं थे बल्कि उनमें से एक चौथाई बौने पौधे थे। इससे स्पष्ट हुआ कि किसी भी लक्षण के दो विकल्प लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न होने वाले जीवों में किसी भी लक्षण के दो विकल्प की स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होती है।

प्रश्न 5.
एक ‘A’- रुधिर वर्ग’ वाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुधिर वर्ग ‘0’ से विवाह करता है। उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग ‘0’ है। क्या यह सूचना पर्याप्त है यदि आप से कहा जाए कि कौन-सा विकल्प लक्षणरुधिर वर्ग ‘A’ अथवा ‘0’ प्रभावी लक्षण है ? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिए।
उत्तर-
रुधिर समूह ‘O’ प्रभावी लक्षण है क्योंकि वह F-I पीढ़ी में रुधिर समूह ‘O’ प्रकट हुआ है। यह सूचना प्रभावी और प्रभावी लक्षण को प्रकट करने के लिए पर्याप्त है। रुधिर वर्ग-A (प्रतिजन-A) के लिए जीन प्रभावी हैं और जीन प्रारूप IA IA या IAi है। स्त्री का रुधिर वर्ग ‘O’ है इसलिए उसका जीन प्रारूप ‘ii’ समयुग्मी है। पुत्री के रुधिर वर्ग ‘O’ को क्रास से इस प्रकार दिखाया जा सकता है-
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रुधिर वर्ग ‘O’ उसी स्थिति में होता है जब रक्त में प्रतिजन A और प्रतिजन B नहीं होता।

प्रश्न 6.
मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है ?
उत्तर-
मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण-मानवों में लिंग का निर्धारण विशेष लिंग गुण सूत्रों के आधार पर होता है। नर में XY गुण सूत्र होते हैं और मादा में XX गुण सूत्र विद्यमान होते हैं। इससे स्पष्ट है कि मादा के पास Y गुण सूत्र होता ही नहीं है। जब नर-मादा के संयोग से संतान उत्पन्न होती है तो मादा किसी भी अवस्था में नर शिशु को उत्पन्न करने में समर्थ हो ही नहीं सकती क्योंकि नर शिशु में XY गुण सूत्र होने चाहिएँ।
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निषेचन क्रिया में यदि पुरुष का X लिंग गुण सूत्र स्त्री के X लिंग गुणसूत्र से मिलता है तो इससे XX जोड़ा बनेगा अतः संतान लड़की के रूप में होगी लेकिन जब पुरुष का Y लिंग गुण सूत्र स्त्री के X लिंग गुण सूत्र से मिलकर निषेचन करेगा तो XY बनेगा। इससे लड़के का जन्म होगा। किसी भी परिवार में लड़के या लड़की का जन्म पुरुष के गुण सूत्रों पर निर्भर करता है क्योंकि Y गुण सूत्र तो केवल उसी के पास होता है।
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प्रश्न 7.
वे कौन-से विभिन्न तरीके हैं जिनके द्वारा विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है ?
उत्तर-
यदि जनसंख्या में परिवर्तन उत्पन्न होते हैं और वे परिवर्तन व्यष्टि की सुरक्षा एवं पोषण के प्रति अनुकूल प्राकृतिक अवस्थाएँ उपस्थित करते हैं तो विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है। प्राकृतिक प्रभेद चयन और आनुवंशिक अनुकूलता इस कार्य में विशेष सहयोग प्रदान करते हैं।

प्रश्न 8.
एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते। क्यों ?
उत्तर-
एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण उसकी जनन कोशिकाओं की जीन पर प्रभाव नहीं डालते इसलिए वे सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते।

प्रश्न 9.
बाघों की संख्या में कमी आनुवंशिकता के दृष्टिकोण से चिंता का विषय क्यों है ?
उत्तर-
बाघों में आनुवंशिक विभिन्नता लगभग नहीं के बराबर है। यदि अत्यंत तेजी से बदलती पर्यावरणीय स्थितियों में परिवर्तन नहीं आया तो वे सब नाटकीय रूप से समाप्त हो जाएंगे। उदाहरण के लिए-यदि किसी बाघ में किसी भयानक रोग का संक्रमण हो जाए तो सभी बाघ उसी से मर जाएँगे क्योंकि संक्रमण उनकी जीन की आवृत्ति को प्रभावित करेगा। बाघों की निरंतर घटती संख्या भी यही संकेत कर रही है कि पर्यावरण में आया परिवर्तन उनके लिए अनुकूल नहीं रहा है और वे शायद शीघ्र ही समाप्त हो जाएं।

प्रश्न 10.
वे कौन-से कारक हैं जो नई स्पीशीज़ के उद्भव में सहायक हैं ?
उत्तर-
नई स्पीशीज़ के उद्भव में निम्नलिखित कारक सहायक होते हैं –

  • आनुवंशिक अपवहन।
  • लिंगी प्रजनन के परिणामस्वरूप उत्पन्न उत्परिवर्तन।
  • दो उपसमष्टियों का एक-दूसरे से भौगोलिक पृथक्करण जिसके फलस्वरूप समिष्टियों के सदस्य परस्पर एकलिंगी प्रजनन नहीं कर पाते।
  • प्राकृतिक चयन।

प्रश्न 11.
क्या भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज़ के पौधों के जाति-उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है ? क्यों या क्यों नहीं ?
उत्तर-
हाँ। विभिन्न भौगोलिक स्थितियों के कारण विभिन्न पौधों में भी भिन्नताएँ होंगी। लक्षण दो प्रकार के होते हैं-जननकीय लक्षण और पर्यावरणीय लक्षण। स्वपरागित प्रजाति की जीन संरचना में कोई परिवर्तन न होने के कारण विभिन्नताएँ उत्पन्न नहीं होतीं पर पर्यावरणीय लक्षणों के कारण ये स्वयं को एक जाति के रूप में स्थापित कर लेती हैं।

प्रश्न 12.
क्या भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन वाले जीवों के जाति-उद्भव का प्रमुख कारक हो सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर-
नहीं। अलैंगिक जनन वाले जीवों में पीढ़ियों तक विभिन्नता उत्पन्न नहीं होती। भौगोलिक पृथक्करण से अनेक पीढ़ियों तक उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि अति न्यून विभिन्नताएँ स्पीशीज़ के लिए पर्याप्त नहीं होंगी।

प्रश्न 13.
उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दीजिए जिनका उपयोग हम दो स्पीशीज़ के विकासीय संबंध निर्धारण के लिए करते हैं ?
उत्तर-
पक्षी, मेंढक, छिपकली, घोड़ा और मानव में चार पाद हैं और उन सभी की आधारभूत संरचना एक समान है चाहे वे सब प्राणी इनसे अलग-अलग काम लेते हैं। ऐसे समजात अभिलक्षणों से भिन्न दिखाई देने वाली अलग-अलग स्पीशीज़ के बीच विकासीय संबंध का निर्धारण करते हैं।

प्रश्न 14.
क्या एक तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग कहा जा सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर-
तितली और चमगादड़ दोनों जीवों के पंख उड़ने का काम करते हैं पर इन्हें समजात अंग नहीं कहा जा सकता क्योंकि इनके पंखों की मूल रचना और उत्पत्ति एक समान नहीं होती चाहे इनके कार्य एक समान होते हैं। ये इनके समवृत्ति अंग हैं।

प्रश्न 15.
जीवाश्म क्या हैं ? वह जैव-विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं ?
उत्तर-
जीवाश्म- जीवों के चट्टानों में दबे अवशेषों को जीवाश्म कहते हैं। युगों पहले जिन जीवों का अपघटन नहीं हो सका था वे मिट्टी में मिल गए थे। उनके शरीर की छाप गीली मिट्टी पर रह गई थी और वह मिट्टी बाद में चट्टान में बदल गई थी। जीवाश्म पौधों या जंतुओं के अवशेष हैं।
इनसे निम्नलिखित जानकारियां प्राप्त होती हैं –
I. आज पाए जाने वाले जीवजंतुओं से पुरातन काल में पाए जाने वाले जीव-जंतु बहुत भिन्न थे।
II. पक्षियों का विकास सरीसृपों से हुआ।
III. टैरिडोफाइट और जिम्नोस्पर्म से ऐन्जियोस्पर्म विकसित हुए।
IV. सरल जीवों से ही जटिल जीवों का विकास हुआ।
V. विभिन्न पौधों और जंतुओं के वर्गों के विकास क्रम का पता चलता है।
VI. मानव विकास की प्रक्रिया का पता चलता है।

प्रश्न 16.
क्या कारण है कि आकृति, आकार, रंग-रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़ने वाले मानव एक ही स्पीशीज़ के सदस्य हैं ?
उत्तर-
विभिन्न स्थानों पर मिलने वाले मानवों की आकृति, आकार, रंग-रूप में भिन्नता वास्तव में आभासी है। इनकी भिन्नता का जैविक आधार तो है पर सभी मानव एक ही स्पीशीज़ के सदस्य हैं। उनमें किसी प्रकार का आनुवंशिक विचलन नहीं है। आनुवंशिक विचलन ही किसी स्पीशीज़ को दूसरे से भिन्न करता है।

प्रश्न 17.
विकास के आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि जीवाणु, मकड़ी, मछली तथा चिम्पैंजी में किसका शारीरिक अभिकल्प उत्तम है ? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
जब पृथ्वी पर जीवन का विकास हुआ था तब जीवाणु सबसे पहले बनने वाले जीव थे। युगों बाद वे अभी भी अपना अस्तित्व कायम रखे हुए हैं। उन्होंने पर्यावरण में आने वाले सभी परिवर्तनों को सफलतापूर्वक झेला है और उनके अनुसार अनुकूलन किया है इसलिए वे विस्तार के आधार पर पूर्ण रूप से सफ़ल और समर्थ हैं। इसी प्रकार मकड़ी, मछली तथा चिंपैंजी ने भी अपने-अपने जीवन को विपरीत परिस्थितियों में ढालने के लिए अनुकूलन किया है। इसलिए सभी का शारीरिक अधिकल्प उत्तम है। किसी को भी शारीरिक अधिकल्प निकृष्ट नहीं कहा जा सकता।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ

PSEB 10th Class Science Guide ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ Textbook Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਮਨੁੱਖ ਵਿਚ ਗੁਰਦੇ ਇੱਕ ਤੰਤਰ ਦਾ ਭਾਗ ਹਨ ਜੋ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹੈ :
(a) ਪੋਸ਼ਣ
(b) ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ
(c) ਮਲ-ਤਿਆਗ
(d) ਪਰਿਵਹਿਨ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਮਲ-ਤਿਆਗ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਜ਼ਾਈਲਮ ਦਾ ਕੰਮ ਹੈ :
(a) ਪਾਣੀ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ
(b) ਭੋਜਨ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ
(c) ਅਮੀਨੋ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ
(d) ਆਕਸੀਜਨ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਪਾਣੀ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ :
(a) ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਪਾਣੀ
(b) ਕਲੋਰੋਫਿਲ
(c) ਸੂਰਜ ਦਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼
(d) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(d) ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੇ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਪਾਇਰੂਵੇਟ ਦੇ ਵਿਖੰਡਨ ਨਾਲ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ, ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਤਾਪ ਊਰਜਾ ਦੇਣ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਵਾਪਰਦੀ ਹੈ :
(a) ਸਾਈਟੋਪਲਾਜ਼ਮ ਵਿੱਚ
(b) ਮਾਈਟੋਕਾਨਡਰੀਆ ਵਿੱਚ
(c) ਕਲੋਰੋਪਲਾਸਟ ਵਿੱਚ ।
(d) ਨਿਊਕਲੀਅਸ ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਮਾਈਟੋਕਾਨਡਰੀਆ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਫੈਟਸ (ਚਰਬੀ) ਦਾ ਪਾਚਨ ਕਿਵੇਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ? ਇਹ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਕਿੱਥੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਿਹਦੇ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਅਤੇ ਅੱਧਪਚੇ ਫੈਟਸ ਦਾ ਪਾਚਨ ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਭਾਗ ਜਿਗਰ ਤੋਂ ਪਿੱਤ ਰਸ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸਨੂੰ ਪੈਂਕਰਿਆਟਿਕ ਰਸ ਤੋਂ ਲਾਈਪੇਜ਼ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪੈਂਕਰਿਆਟਿਕ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਲਈ ਪਿੱਤ ਰਸ ਇਸ ਨੂੰ ਖਾਰੀ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਛੋਟੀ ਵਸਾ ਵਿਚ ਵਸਾ ਵੱਡੀਆਂ ਗੋਲੀਕਾਵਾਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਉਸ ਵਿੱਚ ਐਂਜਾਈਮ ਦਾ ਕੰਮ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਪਿੱਤ ਰਸ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਛੋਟੀਆਂ-ਛੋਟੀਆਂ ਗੋਲੀਕਾਵਾਂ ਵਿਚ ਤੋੜ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਜਿਸ ਨਾਲ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਦੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪੈਂਕਰੀਆਸ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਪੈਂਕਰਿਆਟਿਕ ਰਸ ਵਿੱਚ ਇਮਲਸੀਕ੍ਰਿਤ ਵਸਾ ਦਾ ਪਾਚਨ ਕਰਨ ਲਈ ਲਾਈਪੇਜ਼ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਦੀ ਭਿੱਤੀ ਵਿੱਚ ਗ੍ਰੰਥੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਆਂਦਰ ਰਸ ਦਾ ਰਿਸਾਓ ਕਰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਵਸਾ ਨੂੰ ਵਸਾ ਐਸਿਡ ਅਤੇ ਗਲਿਸਰਾਲ ਵਿਚ ਬਦਲ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਭੋਜਨ ਦੇ ਪਾਚਨ ਵਿੱਚ ਲਾਰ ਦੀ ਕੀ ਮਹੱਤਤਾ ਹੈ ? (ਮਾਂਡਲ ਪੇਪਰੇ)
ਉੱਤਰ-
ਲਾਰ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ-ਭੋਜਨ ਦੇ ਪਾਚਨ ਵਿੱਚ ਲਾਰ ਦੀ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਭੂਮਿਕਾ ਹੈ । ਲਾਰ ਇਕ ਰਸ ਹੈ ਜੋ ਤਿੰਨ ਜੋੜੀ ਲਾਰ ਗੰਥੀਆਂ ਤੋਂ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਲਾਰ ਵਿਚ ਅਮਾਈਲੋਜ਼ (Amylase) ਨਾਮ ਦਾ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਸਟਾਰਚ ਦੇ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਅਣੂ ਨੂੰ ਲਾਰ ਦੇ ਨਾਲ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮਿਲਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਲਾਰ ਦੇ ਮੁੱਖ ਕਾਰਜ ਹਨ-

  1. ਇਹ ਮੂੰਹ ਦੇ ਖੋਲ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਰੱਖਦੀ ਹੈ ।
  2. ਇਹ ਮੂੰਹ ਦੇ ਖੋਲ ਵਿਚ ਚਿਕਨਾਈ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਚਬਾਉਂਦੇ ਸਮੇਂ ਰਗੜ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  3. ਇਹ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਚੀਕਣਾ ਅਤੇ ਮੁਲਾਇਮ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ ।
  4. ਇਹ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਪਚਾਉਣ ਵਿਚ ਮੱਦਦ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਨ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਪਰਸਥਿਤੀਆਂ ਕਿਹੜੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਇਸਦੇ ਸਹਿ-ਉਪਜ ਕੀ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਨ ਦੇ ਲਈ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਹਰੇ ਪੌਦੇ ਸੂਰਜ ਦੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਕਲੋਰੋਫਿਲ ਨਾਮਕ ਵਰਣਕ ਤੋਂ O2 ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਦੁਆਰਾ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ਗੈਸ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲਦੀ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 1
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹਾਲਤਾਂ ਹਨ-ਸੂਰਜੀ ਪ੍ਰਸ਼, ਕਲੋਰੋਫਿਲ, ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ॥ ਇਸਦੇ ਉਤਪਾਦ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਆਕਸੀ-ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ ਅਤੇ ਅਣ-ਆਕਸੀ ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚਕਾਰ ਕੀ ਅੰਤਰ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਕਸੀ-ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ (Aerobic Respiration) ਅਤੇ ਅਣ-ਆਕਸੀ ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ (Anaerobic Respiration) ਵਿਚ ਅੰਤਰ

ਆਕਸੀ-ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ ਅਣ-ਆਕਸੀ ਸੁਆਸ ਕਿਰਿਆ
(1) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (1) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਗੈਰ-ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(2) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਸੈੱਲਾਂ ਦੇ ਜੀਵ ਤ੍ਰ ਅਤੇ ਮਾਈਟੋ-ਕਾਂਡਰੀਆ ਦੋਵਾਂ ਵਿਚ ਪੂਰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (2) ਇਹ ਕਿਰਿਆ ਸਿਰਫ਼ ਜੀਵ ਤ੍ਰ ਵਿਚ ਹੀ ਪੂਰੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(3) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਦਾ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਆਕਸੀਕਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । (3) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਦਾ ਅਪੂਰਣ ਆਕਸੀਕਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
(4) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ CO2 ਅਤੇ H2O ਬਣਦਾ ਹੈ । (4) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਐਲਕੋਹਲ ਅਤੇ CO2 ਬਣਦੀ ਹੈ ।
(5) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਲਕੋਜ਼ ਦੇ ਇਕ ਅਣ ਵਿਚ ਵਿਚ 38 ATP ਅਣੁ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (5) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਦੇ ਇਕ ਅਣੂ 2 ATP ਅਣੂ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(6) ਗਲੂਕੋਜ਼ ਦੇ ਇਕ ਅਣੂ ਦੇ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਆਕਸੀਕਰਨ ਤੋਂ 673 ਕਿਲੋ ਕੈਲੋਰੀ ਊਰਜਾ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (6) ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਦੇ ਅਣੁ ਅਧੂਰੇ ਆਕਸੀਕਰਨ ਨਾਲ 21 ਕਿਲੋ ਕੈਲੋਰੀ ਊਰਜਾ ਮੁਕਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(7) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸਮੀਕਰਨ ਦੁਆਰਾ ਦਿਖਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ- C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O + 673 Kcal (7) ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਸਮੀਕਰਨ ਦੁਆਰਾ ਦਿਖਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ- C6H12O6 → 2C2H5OH +2CO2 + 21 Kcal

ਕੁਝ ਜੀਵ ਹਵਾ ਦੀ ਗੈਰ-ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿਚ ਸਾਹ ਲੈਂਦੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂ-ਯੀਸਟ (Yeast) ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਗੈਸਾਂ ਦੇ ਵਧੇਰੇ ਵਟਾਂਦਰੇ ਲਈ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਦੀ ਬਣਤਰ ਕਿਵੇਂ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਹ ਤੰਤਰ ਵਿਚ ਫੇਫੜੇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਕਈ ਛੋਟੀਆਂ-ਛੋਟੀਆਂ ਨਲੀਆਂ ਦਾ ਵਿਭਾਜਿਤ ਰੂਪ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਅੰਤ ਵਿਚ ਗੁਬਾਰਿਆਂ ਵਰਗੀ ਰਚਨਾ ਵਿਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਐਲਵਿਓਲਾਈ (Alveoli) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਇਕ ਸਤਹਿ ਉਪਲੱਬਧ ਕਰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਗੈਸਾਂ ਦਾ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਹੋ ਸਕੇ । ਜੇ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਦੀ ਸਤਹਿ ਨੂੰ ਫੈਲਾਅ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਇਹ ਲਗਭਗ 80 ਵਰਗ ਮੀਟਰ ਖੇਤਰ ਨੂੰ ਢੱਕ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ । ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਦੀ ਭਿੱਤੀ ਵਿਚ ਲਹੂ ਵਹਿਕਾਵਾਂ ਦਾ ਬਹੁਤ ਫੈਲਿਆ ਜਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਸਾਹ ਅੰਦਰ ਲੈਂਦੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਪਸਲੀਆਂ ਉੱਪਰ ਉੱਠ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਸਾਡਾ ਡਾਇਆਫਰਾਮ ਚਪਟਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਛਾਤੀ ਗੁਹਾ ਵੱਡੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਹਵਾ ਫੇਫੜੇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਸੋਖ ਲਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਲਹੁ ਸਰੀਰ ਵਿਚੋਂ ਲਿਆਂਦੀ ਗਈ CO2 ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਨੂੰ ਦੇ ਦਿੰਦਾ ਹੈ | ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਲਹੁ ਵਾਹਿਕਾ ਵਿਚੋਂ ਆਕਸੀਜਨ ਲੈ ਕੇ ਸਰੀਰ ਦੀਆਂ ਸਾਰੇ ਸੈੱਲਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਹੀਮੋਗਲੋਬਿਨ ਦੀ ਘਾਟ ਦੇ ਕੀ ਸਿੱਟੇ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਹੀਮੋਗਲੋਬੀਨ ਦੀ ਕਮੀ ਨਾਲ ਲਹੂ ਦੀ ਕਮੀ (anaemia) ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਸਾਨੂੰ ਸਾਹ ਲਈ ਲੋੜੀਂਦੀ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗੀ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਅਸੀਂ ਜਲਦੀ ਥੱਕ ਜਾਵਾਂਗੇ | ਸਾਡਾ ਭਾਰ ਘੱਟ ਜਾਵੇਗਾ । ਰੰਗ ਪੀਲਾ ਪੈ ਜਾਵੇਗਾ । ਸਾਨੂੰ ਕਮਜ਼ੋਰੀ ਦਾ ਅਹਿਸਾਸ ਹੋਵੇਗਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਮਨੁੱਖ ਵਿੱਚ ਲਹੂ ਗੇੜ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਵਿੱਚ ਦੂਹਰੇ ਚੱਕਰ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ । ਇਹ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦਿਲ ਦੋ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਦਾ ਸੱਜਾ ਅਤੇ ਖੱਬਾ ਭਾਗ ਜੋ ਆਕਸੀਜਨਿਤ ਅਤੇ ਅਣਆਕਸੀਜਨਿਤ ਲਹੂ ਨੂੰ ਆਪਸ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਤੋਂ ਰੋਕਣ ਵਿਚ ਉਪਯੋਗੀ ਸਿੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਵਟਾਂਦਰਾ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ ਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਪੂਰਤੀ ਕਰਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਇੱਕ ਹੀ ਚੱਕਰ ਵਿੱਚ ਲਹੂ ਦੁਆਰਾ ਦਿਲ ਵਿਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਦੂਹਰਾ ਚੱਕਰ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸਨੂੰ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਸਮਝਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ-

ਆਕਸੀਜਨ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਕੇ ਲਹੂ ਫੇਫੜੇ ਵਿੱਚ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਹੂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਖੱਬਾ ਆਰੀਕਲ ਸਥਿਰ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਫਿਰ ਇਹ ਸੁੰਗੜਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਖੱਬਾ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਫੈਲਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਲਹੂ ਉਸ ਵਿੱਚ ਦਾਖ਼ਲ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਆਪਣੀ ਵਾਰੀ ਤੇ ਜਦੋਂ ਖੱਬਾ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਸੁੰਗੜਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਲਹੂ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਪੰਪ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਸੱਜਾ ਆਰੀਕਲ ਫੈਲਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚੋਂ ਬਿਨਾਂ ਆਕਸੀਜਨ ਵਾਲਾ ਲਹੂ ਇਸ ਵਿਚ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਹੀ ਸੱਜਾ ਆਰੀਕਲ ਸੁੰਗੜਦਾ ਹੈ, ਹੇਠਾਂ ਵਾਲਾ ਸੱਜਾ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਫੈਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਲਹੁ ਨੂੰ ਸੱਜੇ ਕੈਂਟਰੀਕਲ ਵਿਚ ਭੇਜ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਲਹੁ ਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਫੇਫੜੇ ਵਿੱਚ ਪੰਪ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਆਰੀਕਲ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਦੀ ਪੇਸ਼ੀ ਛਿੱਤੀ ਮੋਟੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਨੇ ਪੂਰੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਲਹੂ ਭੇਜਣਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਆਰੀਕਲ ਜਾਂ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਸੁੰਗੜਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਵਾਲਣ ਉਲਟੀ ਦਿਸ਼ਾ ਵਿਚ ਲਹੂ ਦੇ ਪ੍ਰਵਾਹ ਨੂੰ ਰੋਕਣਾ ਯਕੀਨੀ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਦੋਹਰੇ ਪਰਿਵਹਿਨ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਲਹੁ ਪਰਿਵਹਿਣ ਨਾਲ ਹੈ । ਪਰਿਵਹਿਨ ਦੇ ਸਮੇਂ ਲਹੁ ਦੋ ਵਾਰ ਦਿਲ ਵਿੱਚੋਂ ਲੰਘਦਾ ‘ ਹੈ । ਅਸ਼ੁੱਧ ਲਹੂ ਸੱਜੇ ਕੈਂਟਰੀਕਲ ਤੋਂ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿੱਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਸ਼ੁੱਧ ਹੋ ਕੇ ਖੱਬੇ ਆਰੀਕਲ ਵਿੱਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
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ਇਸ ਨੂੰ ਪਲਮੋਨਰੀ ਪਰਿਸੰਚਰਣ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਸ਼ੁੱਧ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਲਹੂ ਸੱਜੇ ਆਰੀਕਲ ਤੋਂ ਪੂਰੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਚਲਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਫਿਰ ਅਸ਼ੁੱਧ ਹੋ ਕੇ ਖੱਬੇ ਵੈਂਟਰੀਕਲ ਵਿਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਦੋਹਰਾ ਲਹੂ ਚੱਕਰ
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ਦੋਹਰੀ ਲਹੂ ਚੱਕਰ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਨੂੰ ਹੇਠ ਦਿੱਤੇ ਚਿੱਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਸਾਫ਼ ਰੂਪ ਵਿਚ ਦੇਖਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
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ਦੂਹਰੇ ਲਹੂ ਚੱਕਰ ਦੇ ਕਾਰਨ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਕਾਫ਼ੀ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ਮਿਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਉੱਚ ਊਰਜਾ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਸਰੀਰ ਦਾ ਉੱਚਿਤ ਤਾਪਮਾਨ ਬਣਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।

ਜ਼ਰੂਰਤ ਦਾ ਕਾਰਨ – ਸਾਡੇ ਦਿਲ ਵਿਚ ਚਾਰ ਖਾਨੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਾਡੇ ਅੰਗਾਂ ਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਯੁਕਤ ਲਹੁ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਸੰਭਵ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਰੀਰ ਦਾ ਸਹੀ ਤਾਪਮਾਨ ਬਣਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਜ਼ਾਇਲਮ ਅਤੇ ਫਲੋਇਮ ਵਿੱਚ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਪਰਿਵਹਿਨ ਵਿੱਚ ਕੀ ਅੰਤਰ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜ਼ਾਈਲਮ ਨਿਰਜੀਵ ਟਿਸ਼ੂ ਹੈ । ਇਹ ਜੜ੍ਹਾਂ ਅਤੇ ਘੁਲੇ ਹੋਏ ਲੂਣਾਂ ਨੂੰ ਪੱਤਿਆਂ ਵਿਚ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਫਲੋਇਮ ਸਜੀਵ ਟਿਸ਼ੂ ਹੈ । ਇਹ ਪੱਤਿਆਂ ਵਿਚ ਤਿਆਰ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡੇਟਾਂ ਨੂੰ ਪੌਦੇ ਦੇ ਸਾਰੇ ਭਾਗਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਜ਼ਾਈਲਮ ਉੱਪਰ ਵੱਲ ਗਤੀ ਕਰਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਫਲੋਇਮ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਗਤੀ ਕਰਨ ਵਿਚ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿੱਚ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਅਤੇ ਗੁਰਦਿਆਂ ਵਿਚ ਨੈਫ਼ਾਨਜ਼ ਦੇ ਕੰਮ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਬਣਤਰ ਅਤੇ ਕਾਰਜ ਦੇ ਅਧਾਰ ਤੇ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-

ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿੱਚ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਗੁਰਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਨੈਫ਼ਾਨਜ਼
(1) ਮਨੁੱਖੀ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਦੋਵੇਂ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । (1) ਮਨੁੱਖੀ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਦੋ ਗੁਰਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਹਰ ਗੁਰਦੇ ਵਿਚ ਲਗਭਗ 10 ਲੱਖ ਨੇ ਫਰਾਨ (Nephrons) ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(2) ਹਰ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਪਿਆਲੇ ਦੇ ਆਕਾਰ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (2) ਹਰ ਨੇਫਰਾਨ ਬਾਰੀਕ ਧਾਗੇ ਦੀ ਆਕ੍ਰਿਤੀ ਵਰਗਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
(3) ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਦੂਹਰੀ ਦੀਵਾਰ ਤੋਂ ਬਣੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । (3) ਨੇਫਰਾਨ ਦੇ ਇੱਕ ਸਿਰੇ ਤੇ ਪਿਆਲੇ ਦੇ ਆਕਾਰ ਦੀ ਰਚਨਾ (ਬੋਮੈਨਕੈਪਸਿਊਲ) ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(4) ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਦੀਆਂ ਦੋਵੇਂ ਦੀਵਾਰਾਂ ਵਿਚ ਲਹੂ ਕੋਸ਼ਕਾਵਾਂ ਦਾ ਸਘਨ ਜਾਲ ਵਿਛਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । (4) ਬੋਮੈਨ ਕੈਪਸਿਉਲ ਵਿਚ ਲਹੁ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਦਾ ਗੁੱਛਾ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਸੈਲੀ ਗੁੱਛਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
(5) ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਹਵਾ ਭਰਨ ਤੇ ਫੈਲ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । (5) ਨੇਫਰਾਨ ਵਿਚ ਅਜਿਹੀ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।
(6) ਇੱਥੇ ਲਹੂ ਦੀਆਂ ਲਾਲ ਲਹੂ ਕਣਿਕਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਹਿਮੋਗਲੋਬਿਨ ਆਕਸੀਜਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲੈਂਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਪਲਾਜ਼ਮਾ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਵਿੱਚ ਚਲੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । (6) ਸੈਲੀ ਗੁੱਛੇ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਫਾਲਤੂ ਪਦਾਰਥ ਛਾਣੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
(7) ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਵਿੱਚ ਗੈਸਾਂ ਦੀ ਅਦਲਾ-ਬਦਲੀ ਦੇ ਬਾਅਦ ਫੇਫੜਿਆਂ ਦੇ ਸੁੰਗੜਨ ਨਾਲ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਵਿੱਚ ਭਰੀ ਹਵਾ ਸਰੀਰ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । (7) ਮੂਤਰ ਵਹਿਣੀਆਂ ਵਿਚੋਂ ਨਾਲ ਮੂਤਰ ਵਹਿਕੇ ਮੂਤਰ ਮਸਾਨੇ ਵਿੱਚ ਇਕੱਠਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉੱਥੇ ਮੂਤਰ-ਮਾਰਗ ਦੁਆਰਾ ਸਰੀਰ ਵਿਚੋਂ ਬਾਹਰ ਕੱਢ ਦਿੱਤਾ

ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

Science Guide for Class 10 PSEB ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ InText Questions and Answers

ਅਧਿਆਇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਮਨੁੱਖਾਂ ਜਿਹੇ ਬਹੁਸੈੱਲੀ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਲੋੜ ਪੂਰੀ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਵਿਸਰਣ ਕਿਉਂ ਕਾਫ਼ੀ ਨਹੀਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਸੈੱਲੀ ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਿਰਫ਼ ਬਾਹਰੀ ਚਮੜੀ ਦੇ ਸੈੱਲ ਅਤੇ ਛੇਦ ਹੀ ਆਸ-ਪਾਸ ਦੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨਾਲ ਸਿੱਧੇ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰੇ ਸੈੱਲ ਅਤੇ ਅੰਦਰਲੇ ਅੰਗ ਸਿੱਧੇ ਆਪਣੇ ਆਸ-ਪਾਸ ਦੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਨਹੀਂ ਰਹਿ ਸਕਦੇ । ਇਹ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਆਪਣੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਪੂਰੀ ਕਰਨ ਲਈ ਵਿਸਰਣ ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦੇ । ਸਾਹ, ਗੈਸਾਂ ਦੀ ਅਦਲੀ-ਬਦਲੀ ਅਤੇ ਹੋਰ ਕਾਰਜਾਂ ਲਈ ਪਸਰਨ ਬਹੁਕੈਸ਼ੀ ਜੀਵਾਂ ਦੀਆਂ ਜ਼ਰੂਰਤਾਂ ਦੇ ਲਈ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਅਤੇ ਹੌਲੀ ਹੈ । ਜੇ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ਰਣ ਦੁਆਰਾ ਆਕਸੀਜਨ ਗਤੀ ਕਰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਸਾਡੇ ਫੇਫੜਿਆਂ ਤੋਂ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਇਕ ਅਣੂ ਨੂੰ ਪੈਰ ਦੇ ਅੰਗੂਠੇ ਤੱਕ ਪੁੱਜਣ ਲਈ ਲਗਭਗ 3 ਸਾਲ ਲੱਗ ਜਾਂਦੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕੋਈ ਵਸਤੂ ਜੀਵਤ ਹੈ, ਇਸਦਾ ਨਿਰਣਾ ਕਰਨ ਲਈ ਅਸੀਂ ਕਿਹੜੇ ਮਾਪਦੰਡ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਰੀਆਂ ਜਿਉਂਦੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਸਜੀਵ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਰੂਪ-ਆਕਾਰ, ਰੰਗ ਆਦਿ ਦੇ ਨਜ਼ਰੀਏ ਵਿਚ ਇੱਕੋ ਜਿਹੇ ਵੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਵੀ । ਪਸ਼ੁ ਗਤੀ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਬੋਲਦੇ ਹਨ, ਸਾਹ ਲੈਂਦੇ ਹਨ, ਖਾਂਦੇ ਹਨ, ਵੰਸ਼ ਵਾਧਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਮਲ-ਤਿਆਗ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਪੇੜ-ਪੌਦੇ ਬੋਲਦੇ ਨਹੀਂ ਹਨ, ਭੁੱਜਦੇ-ਦੌੜਦੇ ਨਹੀਂ ਹਨ ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਸਜੀਵ ਹਨ | ਵਧੇਰੇ ਸੂਖ਼ਮ ਪੱਧਰ ‘ਤੇ ਹੋਣ ਵਾਲੀਆਂ ਗਤੀਆਂ ਦਿਖਾਈ ਨਹੀਂ ਦਿੰਦੀਆਂ । ਅਣੂਆਂ ਦੀ ਗਤੀ ਨਾ ਹੋਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਵਸਤੂ ਨੂੰ ਨਿਰਜੀਵ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜੇ ਵਸਤੂ ਵਿਚ ਅਣੂ ਗਤੀ ਕਰਦੇ ਹੋਣ ਤਾਂ ਵਸਤੂ ਸਜੀਵ ਮੰਨੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
ਇਸ ਲਈ ਕੋਈ ਵਸਤੂ ਸਜੀਵ ਹੈ, ਇਸਦਾ ਨਿਰਣਾ ਕਰਨ ਲਈ ਸਭ ਤੋਂ ਵਧੇਰੇ ਮਾਪਦੰਡ ਗਤੀ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕਿਸੇ ਜੀਵ ਦੁਆਰਾ ਕਿਹੜੀ ਬਾਹਰਲੀ ਕੱਚੀ ਸਮੱਗਰੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਿਸੇ ਜੀਵ ਦੁਆਰਾ ਜਿਹੜੀ ਕੱਚੀ ਸਮੱਗਰੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਉਹ ਹੈ-

  1. ਊਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਲਈ ਉੱਚਿਤ ਪੋਸ਼ਣ
  2. ਸਾਹ ਲਈ ਉੱਚਿਤ ਮਾਤਰਾ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ।
  3. ਭੋਜਨ ਦੇ ਸਹੀ ਪਾਚਨ ਅਤੇ ਹੋਰ ਜੈਵ-ਪ੍ਰਕਿਰਿਆਵਾਂ ਲਈ ਪਾਣੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਜੀਵਨ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਤੁਸੀਂ ਕਿਹੜੀਆਂ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸਮਝਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੀਵਨ-ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਜੋ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆਵਾਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਮੰਨੀਆਂ ਜਾਣੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ, ਉਹ ਹਨ-ਪੋਸ਼ਣ, ਸਾਹ, ਪਰਿਵਹਿਣ ਅਤੇ ਉਤਸਰਜਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਅਤੇ ਪਰਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਵਿੱਚ ਕੀ ਅੰਤਰ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਅਤੇ ਪਰਪੋਸ਼ੀ (ਪਰਪੋਸ਼ੀ) ਪੋਸ਼ਣ ਵਿਚ ਅੰਤਰ-

ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ ਪਰਪੋਸ਼ੀ ਪੋਸ਼ਣ
ਉਹ ਜੀਵ ਜੋ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਦੁਆਰਾ ਸਰਲ ਅਕਾਰਬਨਿਕ ਤੋਂ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਕੇ ਆਪਣਾ ਪੋਸ਼ਣ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਸਵੈਪੋਸ਼ੀ ਜੀਵ (autotrophs) ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਉਦਾਹਰਨ-ਹਰੇ ਪੌਦੇ, ਯੁਗਲੀਨਾ ।

ਉਹ ਜੀਵ ਜੋ ਕਾਰਬਨਿਕ ਪਦਾਰਥ ਅਤੇ ਊਰਜਾ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹੋਰ ਜੀਵਤ ਜਾਂ ਮ੍ਰਿਤ ਪੌਦਿਆਂ ਜਾਂ ਜੰਤੂਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਪਰਪੋਸ਼ੀ ਜੀਵ (Heterotrophs) ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਉਦਾਹਰਨ-ਯੁਗਲੀਨਾ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਬਾਕੀ ਸਾਰੇ ਜੰਤੂ, ਅਮਰਬੇਲ, ਜੀਵਾਣੁ, ਫੰਗਸ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਪੌਦਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਕੱਚੀ ਸਮੱਗਰੀ ਕਿੱਥੋਂ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਿਆਂ ਲਈ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਕੱਚੀ ਸਮੱਗਰੀ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ, ਊਰਜਾ, ਖਣਿਜ ਲੂਣ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਹੈ । ਪੌਦੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਵਾਤਾਵਰਨ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਮਿੱਟੀ ਵਿੱਚੋਂ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਸਾਡੇ ਮਿਹਦੇ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਕੀ ਮਹੱਤਤਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਿਹਦੇ ਦੀ ਮਿਊਕਸ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਮਿਹਦਾ ਗੰਥੀਆਂ ਤੋਂ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਮਾਧਿਅਮ ਤਿਆਰ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਪੈਪਸਿਨ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਸਹਾਇਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਸੜਨ ਤੋਂ ਰੋਕਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਭੋਜਨ ਦੇ ਨਾਲ ਆਏ ਜੀਵਾਣੂਆਂ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਭੋਜਨ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਨੂੰ ਕੋਮਲ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਪਾਇਲੋਰਿਕ ਛੇਦ ਦੇ ਖੁੱਲ੍ਹਣ ਅਤੇ ਬੰਦ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਕਾਬੂ ਰੱਖਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਅਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਐਂਜ਼ਾਈਮਾਂ ਨੂੰ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਲਿਆਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪਾਚਕ ਐਂਜ਼ਾਈਮਾਂ ਦਾ ਕੀ ਕਾਰਜ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਉਹ ਜੈਵ ਉਤਪੇਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜੋ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਸਰਲ ਪਦਾਰਥਾਂ ਵਿੱਚ ਖੰਡਿਤ ਕਰਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਪਾਚਨ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ, ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਅਤੇ ਵਸਾ ਦੇ ਪਾਚਨ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਕ ਬਣਦੇ ਹਨ । ਲਾਈਪੇਜ਼ ਨਾਮਕ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਵਸਾ ਨੂੰ ਫੈਟੀ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਅਤੇ ਗਲਿਸਰਾਲ ਵਿੱਚ ਬਦਲਦਾ ਹੈ । ਰੇਨਿਨ ਨਾਮ ਦਾ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਪੇਪਸਿਨ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਵਿੱਚ ਦੁੱਧ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਤੇ ਪੇਪਸਿਨ ਦੀ ਕਿਰਿਆਂ ਸੀਮਾ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪਿੱਤ ਰਸ ਭੋਜਨ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਨੂੰ ਖਾਰੀ ਬਣਾ ਕੇ ਵਸਾ ਨੂੰ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਟੁਕੜਿਆਂ ਵਿਚ ਤੋੜ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਇਮਲਸੀਕਰਨ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਲੁੱਬਾ ਰਸ ਇਮਲਸ਼ਨ ਬਣੇ ਵਸੀ ਪਦਾਰਥ ਨੂੰ ਵਸਾ ਤੇਜ਼ਾਬ ਅਤੇ ਗਲਿਸਰਾਲ ਵਿਚ ਬਦਲ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਐਮਾਈਲੇਜ਼ ਭੋਜਨ ਦੇ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟਜੇ ਨੂੰ ਮਾਲਟੋਜ ਵਿਚ ਬਦਲ ਦਿੰਦਾ ਹੈ । ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਦੀਆਂ ਕੰਧਾਂ ਵਿਚ ਪੈਪਟੀਡੇਸ, ਆਂਦਰ ਲਾਈਪੇਜ਼ ਸੁਕਰੇਜ਼, ਮਾਲਟੋਜ਼ ਅਤੇ ਲੈਕਟੋਜ਼ ਨਿਕਲ ਕੇ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਪਚਣ ਵਿਚ ਸਹਾਇਕ ਬਣਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਨੂੰ ਅਮੀਨੋ ਐਸਿਡ, ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ ਨੂੰ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਵਿਚ ਅਤੇ ਵਸਾ ਨੂੰ ਵਸਾ ਤੇਜ਼ਾਬ ਅਤੇ ਗਲਿਸਰਾਲ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਪਚੇ ਹੋਏ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਜ਼ਜ਼ਬ ਕਰਨ ਲਈ ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਡਿਜ਼ਾਈਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਚੇ ਹੋਏ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਦੀ ਭਿੱਤੀ ਅਵਸ਼ੋਸ਼ਿਤ ਕਰ ਲੈਂਦੀ ਹੈ । ਛੋਟੀ ਆਂਦਰ ਦੀ ਅੰਦਰਲੀ ਪਰਤ ਤੇ ਉਂਗਲੀ ਵਰਗੇ ਕਈ ਉਭਾਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦੀਰਘ ਰੋਮ ਜਾਂ ਐਲਵਿਓਲਾਈ (Alveoli) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਸੋਖਣ ਦੇ ਸਤਹਿ ਖੇਤਰਫਲ ਨੂੰ ਵਧਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਲਹੂ ਵਹਿਣੀਆਂ ਦੀ ਬਹੁਲਤਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਅਵਸ਼ੋਸ਼ਿਤ ਜਾਂ ਜ਼ਜ਼ਬ ਕਰਕੇ ਸਰੀਰ ਦੀ ਹਰ ਸੈੱਲ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਦਾ ਕਾਰਜ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇੱਥੇ ਇਸਦਾ ਉਪਯੋਗ ਊਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ, ਨਵੇਂ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਨ ਅਤੇ ਪੁਰਾਣੇ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਦੀ ਮੁਰੰਮਤ ਲਈ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਲਈ ਆਕਸੀਜਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦੀ ਪੱਖ ਤੋਂ ਇੱਕ ਜਲੀ ਜੀਵ ਦੇ ਟਾਕਰੇ ਵਿੱਚ ਸਥਲੀ ਜੀਵ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਲਾਭ ਵਿੱਚ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਲੀ ਜੀਵ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਘੁਲੀ ਹੋਈ ਆਕਸੀਜਨ ਨੂੰ ਸਾਹ ਲਈ ਵਰਤਦੇ ਹਨ । ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਘੁਲੀ ਹੋਈ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਜਲੀ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਸਾਹ ਦੀ ਦਰ ਸਥਲੀ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਵਧੇਰੇ ਤੇਜ਼ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਮੱਛੀਆਂ ਆਪਣੇ ਮੁੰਹ ਦੁਆਰਾ ਪਾਣੀ ਲੈਂਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਬਲ ਪੂਰਵਕ ਇਸ ਨੂੰ ਗਲਫੜੇ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿੱਥੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲੀ ਹੋਈ ਆਕਸੀਜਨ ਨੂੰ ਲਹੂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਜੀਵਾਂ ਵਿੱਚ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਦੇ ਆਕਸੀਕਰਨ ਤੋਂ ਊਰਜਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦੇ ਭਿੰਨ-ਭਿੰਨ ਪੱਥ ਕੀ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਹ ਇਕ ਗੁੰਝਲਦਾਰ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਹੈ । ਇਸ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਦੀ ਅਦਲਾ-ਬਦਲੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਊਰਜਾ ਮੁਕਤ ਕਰਨ ਲਈ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥ ਦਾ ਆਕਸੀਕਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
C6H12O6 + 6O2 → 6CO2 + 6H2O + ਊਰਜਾ
ਸਾਹ ਇਕ ਜੈਵ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ ਹੈ । ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ-

(ੳ) ਆਕਸੀ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ – ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਸਾਹ ਵਿਚ ਵਧੇਰੇ ਪ੍ਰਾਣੀ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਕੇ ਸਾਹ ਲੈਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਵਿਖੰਡਿਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਮਾਈਟੋਕਾਂਡਰੀਆ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 6
ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਹਵਾ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਨੂੰ ਆਕਸੀ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

(ਅ) ਅਣ-ਆਕਸੀ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ – ਇਹ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਗੈਰ-ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਜੀਵਾਣੂ ਅਤੇ ਯੀਸਟ ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਰਾਹੀਂ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਈਥਾਈਲ ਅਲਕੋਹਲ, CO2 ਅਤੇ ਊਰਜਾ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 6 ਜੈਵਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ 7

(ੲ) ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਕਮੀ ਹੋ ਜਾਣ ਤੇ-ਕਈ ਵਾਰ ਸਾਡੇ ਪੇਸ਼ੀ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਕਮੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪਾਉਰੂਵੇਟ ਦੇ ਵਿਖੰਡਨ ਲਈ ਦੂਸਰਾ ਰਸਤਾ ਅਪਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਪਾਉਰੂਵੇਟ ਇੱਕ ਹੋਰ ਤਿੰਨ ਕਾਰਬਨ ਵਾਲੇ ਅਣੁ ਲੈਕਟਿਕ ਅਮਲ ਵਿਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਅਕੜਾਅ (Cramps) ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਮਨੁੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਨ ਕਿਵੇਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਸਾਹ ਅੰਦਰ ਲੈਂਦੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਸਾਡੀਆਂ ਪਸਲੀਆਂ ਉੱਪਰ ਉੱਠਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਡਾਇਆਫਰਾਮ ਚਪਟਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਛਾਤੀ ਦੀ ਖੋੜ ਵੱਡੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਹਵਾ ਫੇਫੜੇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਚਲੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਨੂੰ ਭਰ ਲੈਂਦੀ ਹੈ । ਲਹੁ ਸਾਰੇ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ CO2 ਨੂੰ ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਵਿਚ ਛੱਡਣ ਲਈ ਲਿਆਉਂਦਾ ਹੈ । ਐਲਵਿਓਲਾਈ ਲਹੂ ਵਹਿਣੀ ਵਿੱਚੋਂ ਆਕਸੀਜਨ ਲੈ ਕੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਸੈੱਲਾਂ ਤਕ ਪੁੱਜਦਾ ਹੈ । ਸਾਹ ਚੱਕਰ ਦੇ ਸਮੇਂ ਜਦੋਂ ਹਵਾ ਅੰਦਰ ਅਤੇ ਬਾਹਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਫੇਫੜਾ ਹਵਾ ਦਾ ਅਵਸ਼ਿਸ਼ਟ ਆਇਤਨ ਰੱਖਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਵਿਚ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਸੋਖਣ ਅਤੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਦੇ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲਣ ਲਈ ਕਾਫ਼ੀ ਸਮਾਂ ਮਿਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਗੈਸਾਂ ਦੇ ਵਟਾਂਦਰੇ ਲਈ ਵਧੇਰੇ ਖੇਤਰਫਲ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਮਨੁੱਖੀ ਫੇਫੜਿਆਂ ਦੀ ਬਣਤਰ ਵਿੱਚ ਕੀ ਖ਼ਾਸ ਗੁਣ ਹੈ ? ਕਿਵੇਂ ਡਿਜ਼ਾਈਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਸਾਹ ਅੰਦਰ ਲੈਂਦੇ ਹਾਂ ਤਾਂ ਸਾਡੀਆਂ ਪਸਲੀਆਂ ਉੱਪਰ ਉੱਠਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਬਾਹਰ ਵੱਲ ਝੁਕ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਡਾਇਆਫਰਾਮ ਦੀਆਂ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਸੁੰਗੜਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਪੇਟ ਦੀਆਂ ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਸਥਿਲ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਨਾਲ ਛਾਤੀ ਦੀ ਗੁਹਾ ਦਾ ਖੇਤਰਫਲ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਫੇਫੜਿਆਂ ਦਾ ਖੇਤਰਫਲ ਵੀ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਸਾਹ ਪੱਥ ਤੋਂ ਹਵਾ ਅੰਦਰ ਆ ਕੇ ਫੇਫੜਿਆਂ ਵਿਚ ਭਰ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਮਨੁੱਖ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਹਿਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਘਟਕ ਕਿਹੜੇ ਹਨ ? ਇਨ੍ਹਾਂ ਘਟਕਾਂ ਦੇ ਕੀ ਕਾਰਜ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਨੁੱਖ ਵਿਚ ਪਰਿਵਹਿਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਘਟਕ ਹਨ-ਦਿਲ, ਧਮਨੀਆਂ, ਸ਼ਿਰਾਵਾਂ, ਕੋਸ਼ਕਾਵਾਂ, ਲਹੂ, ਲਸੀਕਾ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੰਮ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਹਨ-

  1. ਦਿਲ ਇਕ ਪੰਪ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਲਗਾਤਾਰ ਪੂਰੇ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਹੂ ਦੀ ਸਪਲਾਈ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਧਮਨੀਆਂ (Arteries) ਮੋਟੀ ਕਿੱਤੀ ਵਾਲੀਆਂ ਲਹੁ ਨਾਲੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਜੋ ਦਿਲ ਦੇ ਸਾਰੇ ਅੰਗਾਂ ਨੂੰ ਲਹੂ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  3. ਸ਼ਿਰਾਵਾਂ (Veins) ਪਤਲੀ ਛਿੱਤੀ ਵਾਲੀਆਂ ਲਹੂ ਨਾਲੀਆਂ ਹਨ ਜੋ ਲਹੂ ਨੂੰ ਸਰੀਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਭਾਗਾਂ ਤੋਂ ਦਿਲ ਤਕ ਵਾਪਸ ਲਿਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
  4. ਕੇਸ਼ਕਾਵਾਂ (Cappilaries) ਬਹੁਤ ਹੀ ਪਤਲੀਆਂ ਤੇ ਤੰਗ ਨਾਲੀਆਂ ਹਨ ਜੋ ਧਮਨੀਆਂ ਨੂੰ ਸ਼ਿਰਾਵਾਂ ਨਾਲ ਜੋੜਦੀਆਂ ਹਨ ।
  5. ਲਹੂ (Blood) ਇਕ ਤਰਲ ਸੰਯੋਜੀ ਉੱਤਕ ਹੈ ਜੋ ਭੋਜਨ ਆਕਸੀਜਨ, ਫੋਕਟ ਪਦਾਰਥਾਂ ਜਿਵੇਂ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਯੂਰੀਆ, ਲੂਣ, ਐਂਜ਼ਾਈਮ ਅਤੇ ਹਾਰਮੋਨਾਂ ਨੂੰ ਸਰੀਰ ਦੇ ਇਕ ਭਾਗ ਤੋਂ ਦੂਜੇ ਭਾਗ ਤਕ ਲੈ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  6. ਲਸੀਕਾ (lymph) ਇਕ ਤਰਲ ਪਦਾਰਥ ਹੈ ਜੋ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ
    • ਲਸੀਕਾ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਤੱਕ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਸੰਵਹਿਣ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
    • ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਤੋਂ ਉਤਸਰਜੀ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠਾ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
    • ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਜੀਵਾਣੂਆਂ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਕਰਕੇ ਸਰੀਰ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
    • ਸਰੀਰ ਦੇ ਜ਼ਖ਼ਮ ਭਰਨ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
    • ਪਚੇ ਵਸਾ ਦਾ ਸੋਖਣ ਕਰਕੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਗਾਂ ਤਕ ਲੈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਥਣਧਾਰੀਆਂ ਅਤੇ ਪੰਛੀਆਂ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਜਨ ਯੁਕਤ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਰਹਿਤ ਲਹੂ ਨੂੰ ਵੱਖ ਰੱਖਣਾ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਥਣਧਾਰੀਆਂ ਅਤੇ ਪੰਛੀਆਂ ਵਿਚ ਉੱਚ ਤਾਪਮਾਨ ਨੂੰ ਬਣਾਈ ਰੱਖਣ ਲਈ ਹੋਰਾਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਵਧੇਰੇ ਉਰਜਾ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਆਕਸੀਜਨ ਯੁਕਤ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਰਹਿਤ ਲਹੂ ਨੂੰ ਦਿਲ ਦੇ ਸੱਜੇ ਅਤੇ ਖੱਬੇ ਪਾਸੇ ਵਿਚ ਆਪਸ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਤੋਂ ਰੋਕਣਾ ਬਹੁਤ ਹੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਵਟਾਂਦਰਾ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਪੂਰਤੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਉੱਚ ਸੰਗਠਿਤ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਪਰਿਵਹਿਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਕਿਹੜੇ ਘਟਕ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਉੱਚ ਸੰਗਠਿਤ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਪਰਿਵਹਿਨ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਦੇ ਘਟਕ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ

  1. ਜਾਈਮ (Xylem) – ਇਹ ਘਟਕ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਜੜ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਪੱਤਿਆਂ ਤੱਕ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਖਣਿਜ ਲੂਣਾਂ ਦਾ ਸੰਵਹਿਣ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਫਲੋਇਮ (Phloem) – ਇਹ ਘਟਕ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਪੱਤਿਆਂ ਵਿਚ ਬਣੇ ਕਾਰਬਨਿਕ ਭੋਜਨ ਪਦਾਰਥਾਂ ਅਤੇ ਪੌਦੇ ਹਾਰਮੋਨਸ (Plant harmones) ਦਾ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਹੋਰ ਭਾਗਾਂ ਤਕ ਵਹਿਣ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਖਣਿਜੀ ਲੂਣਾਂ ਦਾ ਵਹਿਨ ਕਿਵੇਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਨਿਰਮਾਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਹੋਰ ਜ਼ਰੂਰੀ ਖਣਿਜ ਲੂਣਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਨੇੜਲੀ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

(1) ਪਾਣੀ – ਹਰ ਪਾਣੀ ਲਈ ਪਾਣੀ ਜੀਵਨ ਦਾ ਆਧਾਰ ਹੈ | ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਜਾਈਮ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਦੁਆਰਾ ਸਾਰੇ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜੜਾਂ ਵਿੱਚ ਧਾਗੇ ਵਰਗੀਆਂ ਬਾਰੀਕ ਰਚਨਾਵਾਂ ਦੀ ਬਹੁ-ਗਿਣਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮੁਲਰੋਮ (Root hair) ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਸਿੱਧੇ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ | ਮਰੋਮ ਵਿਚ ਜੀਵ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੀ ਸਾਂਦਰਤਾ ਮਿੱਟੀ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਦੇ ਘੋਲ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਵਧੇਰੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਪਰਾਸਰਣ ਦੇ
ਗੁਰੂਤਵ ਦਾ ਕਾਰਨ ਪਾਣੀ ਮੂਲਰੋਮਾਂ ਵਿੱਚ ਚਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਪਰ ਇਸ ਪਾਣੀ ਤੇ ਖਿਚਾਓ : ਨਾਲ ਮਲਰੋਮ ਦੇ ਜੀਵ ਪਦਾਰਥ ਦੀ ਸਾਂਦਰਤਾ ਵਿਚ ਕਮੀ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਉਹ ਸੈੱਲ ਵਿਚ ਚਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਕੂਮ ਲਗਾਤਾਰ ਚਲਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਪਾਣੀ ਜ਼ਾਈਲਮ ਨਾਲੀਆਂ ਵਿਚ ਪੁੱਜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕੁੱਝ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਪਾਣੀ 10 ਤੋਂ 100 ਮੀ. ਪ੍ਰਤੀ ਮਿੰਟ ਦੀ ਗਤੀ ਨਾਲ ਉੱਪਰ ਚੜ੍ਹ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
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(2) ਖਣਿਜ – ਪੇੜ-ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਖਣਿਜਾਂ ਦੀ ਪੂਰਤੀ ਅਜੈਵਿਕ ਰੂਪ ਵਿਚ ਕਰਨੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਨਾਈਟਰੇਟ, ਫਾਸਫੇਟ ਆਦਿ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਘੁਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਜੜ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਤੋਂ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਪਾਣੀ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਰਾਹੀਂ ਸਿੱਧੇ ਜੜ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਖਣਿਜ ਮਿਲ ਕੇ ਜਾਈਲਮ ਟਿਸ਼ੂ ਤੱਕ ਪੁੱਜ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉੱਥੋਂ ਬਾਕੀ ਭਾਗਾਂ ਤੱਕ ਪੁੱਜ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਪਾਣੀ ਤੇ ਹੋਰ ਖਣਿਜ ਲੂਣ ਜ਼ਾਈਲਮ ਦੇ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਅਣੂਆਂ ਵਹਿਣੀਆਂ ਅਤੇ ਵਹਿਕਾਵਾਂ ਰਾਹੀਂ ਜੜਾਂ ਤੋਂ ਪੱਤਿਆਂ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਮ੍ਰਿਤ ਅਤੇ ਸਥੂਲ ਸੈੱਲ ਕੰਧ ਨਾਲ ਯੁਕਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ | ਵਹਿਣੀਆਂ ਲੰਬੀਆਂ, ਪਤਲੀਆਂ, ਵੇਲਨਾਕਾਰ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਗਰਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ | ਪਾਣੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਹੋ ਕੇ ਇਕ ਵਾਹਿਣੀ ਤੋਂ ਦੂਸਰੀ ਵਾਹਿਣੀ · ਵਿੱਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਪੌਦਿਆਂ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਖਣਿਜ, ਨਾਈਟਰੇਟ ਅਤੇ ਫਾਸਫੇਟ ਅਕਾਰਬਨਿਕ ਲੂਣਾਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮੂਲਰੋਮ ਦੁਆਰਾ ਘੁਲਿਤ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਸੋਖਿਤ ਕਰ ਕੇ ਜੜ੍ਹਾਂ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਜੜ੍ਹਾਂ ਜ਼ਾਈਲਮ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਤੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੱਤਿਆਂ ਤਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਖ਼ੁਰਾਕ ਦਾ ਸਥਾਨਾਂਤਰਣ ਕਿਵੇਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਿਆਂ ਦੀਆਂ ਪੱਤੀਆਂ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕਿਰਿਆ ਦੁਆਰਾ ਆਪਣਾ ਭੋਜਨ ਤਿਆਰ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਦੇ ਘੁਲੇ ਉਤਪਾਦਾਂ ਦਾ ਵਹਿਣ ਸਥਾਨਅੰਤਰਣ ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਕਾਰਜ ਸੰਵਹਿਣ ਟਿਸ਼ੂ ਦੇ ਫਲੋਇਮ ਨਾਮਕ ਭਾਗ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਫਲੋਇਮ ਇਸ ਕਾਰਜ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਅਮੀਨੋ ਐਸਿਡ ਅਤੇ ਹੋਰ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਪਰਿਵਹਿਣ ਵੀ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਖ਼ਾਸ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਜੜ ਦੇ ਭੰਡਾਰਨ ਅੰਗਾਂ, ਫਲਾਂ, ਬੀਜ਼ਾਂ ਅਤੇ ਵਾਧੇ ਵਾਲੇ ਅੰਗਾਂ ਵਿਚ ਲਿਜਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਭੋਜਨ ਅਤੇ ਹੋਰ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਸਥਾਨਅੰਤਰਣ ਨਾਲ ਦੇ ਸਾਥੀ ਸੈੱਲ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਚਾਲਨੀ ਨਾਲੀ ਦੇ ਉੱਪਰ ਵੱਲ ਅਤੇ ਪਾਸਿਆਂ ਦੋਵੇਂ ਦਿਸ਼ਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਫਲੋਇਮ ਵਿਚ ਸਥਾਨ ਅੰਤਰਨ ਦਾ ਕਾਰਜ ਜਾਈਲਮ ਦੇ ਉਲਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਉਰਜਾ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਾਲ ਪੂਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਸ਼ੁਕਰੋਜ਼ ਵਰਗੇ ਪਦਾਰਥੇ ਫਲੋਇਮ ਟਿਸ਼ੂ ਵਿਚ ਏ. ਟੀ. ਪੀ. ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਉਰਜਾ ਤੋਂ ਹੀ ਸਥਾਨ ਅੰਤਰਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਦਬਾਅ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਫਲੋਇਮ ਤੋਂ ਉਸ ਟਿਸ਼ੂ ਤੱਕ ਲੈ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਦਬਾਅ ਘੱਟ ਹੋਵੇ । ਇਹ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਸਥਾਨ ਅੰਤਰਨ ਹੈ । ਬਸੰਤ ਰੁੱਤ ਆਉਣ ਤੇ ਇਹੀ ਜੜ੍ਹ ਅਤੇ ਤਣੇ ਦੇ ਟਿਸ਼ੂਆਂ ਵਿਚ ਭੰਡਾਰਿਤ ਸ਼ਕਲਾਂ ਦਾ ਸਥਾਨ ਅੰਤਰਨ ਕਲੀਆਂ ਵਿਚ ਕਰਾਉਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਵਾਧੇ ਲਈ ਊਰਜਾ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਨੈਫ਼ਰਾਨ ਦੀ ਰਚਨਾ ਅਤੇ ਕਾਰਜ ਵਿਧੀ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਗੁਰਦਿਆਂ ਵਿਚ ਆਧਾਰੀ ਫਿਲਟਰੀਕਰਨ ਇਕਾਈ ਬਹੁਤ ਬਾਰੀਕ ਕਿੱਤੀ ਲਹੁ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਦਾ ਗੁੱਛਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਗੁਰਦੇ ਵਿੱਚ ਹਰ ਕੇਸ਼ਿਕਾ ਗੁੱਛਾ ਇੱਕ ਨਾਲੀ ਦੇ
ਕਪ ਦੇ ਆਕਾਰ ਦੇ ਸਿਰੇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਸ਼ਾਖਾ ਨਾਲੀਆਂ ਛੁਣੇ ਹੋਏ ਮੂਤਰ ਨੂੰ ਫਿਲਟਰੀਕਰਨ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਹਰ ਗੁਰਦੇ ਵਿਚ ਅਜਿਹੇ ਕਈ ਫਿਲਟਰੀਕਰਨ ਇਕਾਈਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਨੈਫਰਾਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਨੇੜੇ-ਨੇੜੇ ਪੈਕ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਸ਼ੁਰੂ ਵਿਚ ਅਮੀਨੋ ਐਸਿਡ, ਗੁਲੂਕੋਜ਼, ਲੂਣ, ਪਾਣੀ ਆਦਿ ਕੁਝ ਪਦਾਰਥ ਫਿਲਟਰੀਕਰਨ ਵਿਚ ਰਹਿ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਪਰ ਜਿਵੇਂ-ਜਿਵੇਂ ਮੂਤਰ ਇਸ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਵਾਹਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਚੁਣਿਆ ਹੋਇਆ ਛਾਣਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਗੁਰਦਿਆਂ ਨੂੰ ਡਾਇਆਸਿਸ ਦਾ ਥੈਲਾ ਵੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਲਹੂ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਦੇ ਅਣੂ ਵੱਡੇ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਛਾਣ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ । ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਅਤੇ ਲੂਣ ਦੇ ਅਣੂ ਛੋਟੇ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਛਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਮਲ ਉਤਪਾਦਾਂ ਤੋਂ ਛੁਟਕਾਰਾ ਪਾਉਣ ਲਈ ਪੌਦੇ ਕਿਹੜੀਆਂ ਵਿਧੀਆਂ ਵਰਤਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ, ਉਤਸਰਜੀ ਉਤਪਾਦ ਹਨ-ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ, ਆਕਸੀਜਨ, ਜਲਵਾਸ਼ਪਾਂ ਦੀ ਵੱਧ ਮਾਤਰਾ, ਤਰ੍ਹਾਂ-ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਲੂਣ, ਰੇਜ਼ੀਨ, ਟੇਨੀਨ, ਲੈਟੇਕਸ ਆਦਿ ।

ਪੌਦਿਆਂ ਵਿੱਚ ਉਤਸਰਜਨ ਦੇ ਲਈ ਕੋਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਅੰਗ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਅਪਸ਼ਿਸ਼ਟ ਪਦਾਰਥ ਰਵਿਆਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜੋ ਕਿ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਕੋਈ ਹਾਨੀ ਨਹੀਂ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੇ । ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਤੋਂ ਛਾਲ ਵੱਖ ਹੋਣ ਤੇ ਅਤੇ ਪੱਤਿਆਂ ਦੇ ਡਿੱਗਣ ਤੇ ਇਹ ਪਦਾਰਥ ਨਿਕਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ | ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਦਾ ਉਤਸਰਜੀ ਉਤਪਾਦ ਹੈ ਜਿਸ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸੰਸ਼ਲੇਸ਼ਣ ਕਿਰਿਆ ਵਿਚ ਕਰ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਵਾਧੂ ਜਲ-ਵਾਸ਼ਪ ਵਾਸ਼ਪ ਉਸਰਜਨ ਦੁਆਰਾ ਬਾਹਰ ਕੱਢ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਆਕਸੀਜਨ ਨੂੰ ਸਟੋਮੇਟਾ ਦੁਆਰਾ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਵਧੇਰੇ ਲੂਣ ਜਲ ਵਾਸ਼ਪਾਂ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਦੁਆਰਾ ਉਤਸਰਜਿਤ ਕਰ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ | ਕੁਝ ਉਤਸਰਜੀ ਪਦਾਰਥ ਫਲਾਂ, ਫੁੱਲਾਂ ਅਤੇ ਬੀਜਾਂ ਦੁਆਰਾ ਉਤਸਰਜਿਤ ਕਰ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਜਲੀ ਪੌਦੇ ਉਤਸਰਜੀ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਧੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਹੀ ਉਤਸਰਜਿਤ ਕਰ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਮੂਤਰ ਬਣਨ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਕਿਵੇਂ ਨਿਯਮਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੂਤਰ ਬਣਨ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਕਿ ਜਲ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਦਾ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਸੰਤੁਲਨ ਬਣਿਆ ਰਹੇ । ਪਾਣੀ ਦੀ ਬਾਹਰ ਕੱਢਣ ਵਾਲੀ ਮਾਤਰਾ ਇਸ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਉਸ ਨੂੰ ਕਿੰਨਾ ਘੁਲਿਆ ਫਾਲਤੂ ਪਦਰਾਥ ਉਤਸਰਜਿਤ ਕਰਨਾ ਹੈ । ਫਾਲਤੂ ਪਾਣੀ ਦਾ ਗੁਰਦੇ ਵਿੱਚ ਮੁੜ ਸੋਖਿਤ ਕਰ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸਦਾ ਮੁੜ ਉਪਯੋਗ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ

PSEB 10th Class Science Guide ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ Textbook Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਖੱਬੇ ਤੋਂ ਸੱਜੇ ਪਾਸੇ ਵੱਲ ਜਾਣ ਨਾਲ ਤਰਤੀਬ ਬਾਰੇ ਕਿਹੜਾ ਕਥਨ ਸੱਚ ਨਹੀਂ :
(a) ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਧਾਤਵੀ ਸੁਭਾਅ ਘੱਟਦਾ ਹੈ ।
(b) ਸੰਯੋਜਕ ਇਲੈੱਕਟਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
(c) ਪਰਮਾਣੂ ਸੋਖ ਨਾਲ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਨੂੰ ਗੁਆ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।
(d) ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਵਧੇਰੇ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਥਨ (c) ਸੱਚ ਨਹੀਂ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਖੱਬਿਉਂ ਸੱਜੇ ਜਾਣ ਨਾਲ ਪਰਮਾਣੂ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਗੁਆਉਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਘੱਟਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਤੱਤ X, XCl2 ਸੂਤਰ ਵਾਲਾ ਇੱਕ ਕਲੋਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ਜੋ ਕਿ ਇੱਕ ਉੱਚ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਦਾ ਠੋਸ ਹੈ । ਇਹ ਤੱਤ X ਸੰਭਵ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦੇ ਉਸ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਹੋਵੇਗਾ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਹੈ :
(a) Na
(b) Mg
(c) Al
(d) Si.
ਉੱਤਰ-
ਜੇਕਰ ਤੱਤ X, XCl2 ਸੂਤਰ ਦਾ ਕਲੋਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਤੱਤ X ਦੇ ਸੰਯੋਜਨ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ 2 ਹੋਵੇਗੀ ਅਰਥਾਤ ਉਸਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਸੰਯੋਜਕੜਾ ਇਲੈੱਕਟਾਨ ਦੀ ਸੰਖਿਆ 2 ਹੋਵੇਗੀ । ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਅਨੁਸਾਰ ਸਿਰਫ ਗਰੁੱਪ 2 ਦੇ ਤੱਤ Be, Mg, Ca, Sr, Ba ਅਤੇ Pa ਦੀ ਸੰਯੋਜਕਤਾ ਇਲੈੱਕਟਾਨਾਂ ਸੰਖਿਆ 2 ਹੈ । ਇਸ ਲਈ X ਤੱਤ ਉਸ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ (Mg) ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਇੱਕ ਧਾਤ ਹੁੰਦੇ ਹੋਏ ਵੀ ਇੱਕ ਆਇਨੀ ਕਲੋਰਾਈਡ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ਜਿਸਦਾ ਉੱਚਾ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕਿਸ ਤੱਤ ਵਿੱਚ :
(a) ਦੋ ਸੈੱਲ ਹਨ ਅਤੇ ਦੋਵੇਂ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਨਾਲ ਪੂਰੇ ਭਰੇ ਹਨ ।
(b) ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨੀ ਤਰਤੀਬ 2,8,2 ਹੈ,
(c) ਕੁੱਲ ਤਿੰਨ ਸੈੱਲ ਹਨ ਅਤੇ ਸੰਯੋਜਕ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਚਾਰ ਇਲੈਂਕਨ ਹਨ ।
(d) ਦੂਜੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ ਸੈੱਲ ਨਾਲੋਂ ਦੁੱਗਣੇ ਇਲੈਂਕਟਾਨ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਨੋਬਲ ਗੈਸਾਂ ਦੇ ਸਾਰੇ ਸੈੱਲ ਇਲੈੱਕਟਾਨ ਨਾਲ ਭਰੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਤੱਤ ਇੱਕ ਨੋਬਲ ਤੱਤ ਗੈਸ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸਦੇ ਦੋ ਸੈੱਲ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਭਰੇ ਹੋਏ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਤੱਤ ਨਿਆਨ (Ne) (2,8) ਇੱਕ ਤੱਤ ਹੈ ।

(b) ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨੀ ਤਰਤੀਬ 2,8,2 ਦਾ ਜੋੜ 12 ਇਸ ਤੱਤ ਦਾ ਪਰਮਾਣੂ-ਅੰਕ ਹੈ ਅਤੇ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ 12 ਵਾਲਾ ਤੱਤ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ (Mg) ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਤੱਤ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ (Mg) ਹੈ ।

(c) ਕੁੱਲ ਤਿੰਨ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇਲੈੱਕਟਾਨ ਸੰਖਿਆ 4 ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਤੱਤ ਦਾ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਤਰਤੀਬ ਹੈ (2,8,4) ਜਿਸਦਾ ਜੋੜ 14 ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ 14 ਵਾਲਾ ਤੱਤ ਸਿਲੀਕਾਨ (Si) ਹੈ । ਕੁੱਲ ਦੋ ਸੈੱਲ ਹਨ | ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ 3 ਇਲੈੱਕਵਾਨ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਤੱਤ ਦਾ ਇਲੈੱਕਟਾਨੀ ਤਰਤੀਬ (2,3) ਹੈ ਅਤੇ ਤਰਤੀਬ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦਾ ਜੋੜ 5 ਹੈ ।
ਇਸ ਲਈ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਤਰਤੀਬ ਜੋੜ 5 ਵਾਲਾ ਤੱਤ ਬੋਨ (B) ਹੈ ।

d) ਦੂਸਰੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ ਸੈੱਲ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਦੁੱਗਣੇ ਇਲੈਂਕਟਾਨ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨੀ ਤਰਤੀਬ (2,4) ਅਤੇ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦਾ ਜੋੜ 6 ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ 6 ਵਾਲਾ ਤੱਤ ਕਾਰਬਨ (C) ਹੈ !

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
(a) ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਬੋਰਾਂਨ ਕਾਲਮ ਦੇ ਸਾਰੇ ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਸਾਂਝਾ ਗੁਣ ਕੀ ਹੈ ?
(b) ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਫਲੋਰੀਨ ਕਾਲਮ ਦੇ ਸਾਰੇ ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਸਾਂਝਾ ਗੁਣ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
(a) ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਬੋਰਾਂਨ ਕਾਲਮ ਦੇ ਸਾਰੇ ਤੱਤ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ 13 ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਰੱਖਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰਿਆਂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਹੋਵੇਗੀ । ਬੋਰਾਨ (B) ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਜੋ ਇੱਕ ਆਧਾਤ ਹੈ ਬਾਕੀ ਸਾਰੇ ਤੱਤ (Al, Ga, In ਅਤੇ Th) ਧਾਤਾਂ ਹਨ ।

(b) ਫਲੋਰੀਨ ਕਾਲਮ ਦੇ ਵਿੱਚ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਸਾਰੇ ਤੱਤ ਨੋਬਲ ਤੱਤ ਹਨ ਅਤੇ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ 17 ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਰੱਖਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਫਲੋਰੀ ਵਾਂਗ 7 ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਹੋਣਗੇ । ਇਹ ਸਾਰੇ ਤੱਤ (F, Cl, Br, I) ਅਧਾਤਾਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਇੱਕ ਪਰਮਾਣੂ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨੀ ਤਰਤੀਬ 2,8,7 ਹੈ :
(a) ਇਸ ਤੱਤ ਦਾ ਪਰਮਾਣੁ ਅੰਕ ਕੀ ਹੈ ?
(b) ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਸ ਨਾਲ ਇਸ ਦੀ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮਾਨਤਾ ਹੋਵੇਗੀ ?
(ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ ਬੈਕਟ ਵਿੱਚ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਹਨ)
N(7), F(9), P(15), Ar(18) ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਤੱਤ ਦੀ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ = 2 + 8 +7 = 17 ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਤੱਤ ਕਲੋਰੀਨ ਹੈ ।

(b) ਕਿਉਂਕਿ ਤੱਤ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੰਯੋਜਕਤਾ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ 7 ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਗਰੁੱਪ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ 17 ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਰੱਖਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਹੋਰ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ ਅਤੇ ਇਲੈੱਕਟਾਨੀ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ :-

ਤੱਤ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ ਇਲੈੱਕਟਾਨੀ ਤਰਤੀਬ
ਫਲੋਰੀਨ (F) 9 2, 7
ਕਲੋਰੀਨ (Cl) 35 2, 8, 18, 7
ਆਇਓਡੀਨ (I) 53 2, 8, 18, 18, 7

ਇਸ ਲਈ ਤੱਤ F(a) ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ 9 ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਨੋਬਲ ਗੈਸ ਪਰਿਵਾਰ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ ਰੱਖਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਤੱਤ ਦੀ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮਾਨਤਾ ਕਲੋਰੀਨ ਨਾਲ ਹੋਵੇਗੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਤਿੰਨ ਤੱਤਾਂ A, B ਅਤੇ C ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਹੇਠ ਦਿੱਤੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ :

ਗਰੁੱਪ 16 ਗਰੁੱਪ 17
A
B C

(a) ਸੋ A ਧਾਤ ਹੈ ਜਾਂ ਅਧਾਤ ਹੈ ?
(b) ਦੱਸੋ A ਦੇ ਟਾਕਰੇ ਵਿੱਚ C ਵਧੇਰੇ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ ਜਾਂ ਘੱਟ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ ?
(c) ਕੀ B ਨਾਲੋਂ c ਸਾਈਜ਼ ਵਿੱਚ ਵੱਡਾ ਹੈ ਜਾਂ ਛੋਟਾ ?
(d) ਤੱਤ A ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਆਇਨ-ਕੇਟਆਇਨ ਜਾਂ ਐਨਆਇਨ ਬਣਾਏਗਾ ?
ਉੱਤਰ-
(a) ਗਰੁੱਪ 17 ਦੇ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੰਯੋਜਕਤਾ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇਲੈੱਕਵਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ 7 ਹੈ ਅਤੇ ਸਾਰੇ ਤੱਤਾਂ ਦੀ 1 ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨ ਲੈਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਸਾਰੇ ਤੱਤ ਅਧਾਤਾਂ ਹਨ ।

(b) ਇੱਕ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਆਉਣ ਨਾਲ ਪਰਮਾਣੂ ਦਾ ਸਾਈਜ਼ ਵੱਧਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਨਿਊਕਲੀਅਸ ਨਾਭਿਕ) ਦੇ ਸੰਯੋਜਕਤਾ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਨੂੰ ਆਕਰਸ਼ਣ ਕਰਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਘੱਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਕਿਸੇ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ ਆਉਣ ਨਾਲ ਘੱਟਦੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ c ਤੱਕ, ਤੱਤ A ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿਚ ਘੱਟ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ ।

(c) ਤੱਤ B ਨਾਲੋਂ ਤੱਤ ਛੋਟਾ ਹੋਵੇਗਾ ।

(d) ਤੱਤ A ਰਿਆਇਨ ਬਣਾਏਗਾ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਨਾਈਟਰੋਜਨ (ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ 7) ਅਤੇ ਫਾਸਫੋਰਸ (ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ 15) ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦੇ ਗਰੁੱਪ 15 ਦੇ ਤੱਤ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੋਵੇਂ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨੀ ਤਰਤੀਬ ਲਿਖੋ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਤੱਤ ਵਧੇਰੇ ਰਿਣ ਬਿਜਲਈ ਹੈ ਅਤੇ ਕਿਉਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਾਈਟ੍ਰੋਜਨ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨੀ ਤਰਤੀਬ : ਨਾਈਟਰੋਜਨ (ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ) ਜਾਂ (7) : (2,5)
ਫਾਸਫੋਰਸ ਦੀ ਇਲੈਕਟ੍ਰਾਂਨੀ ਤਰਤੀਬ : ਫਾਸਫੋਰਸ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ 15) ਜਾਂ p(15) : (2,8,5)
ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਦੀ ਬਿਜਲਈ ਰਿਣਾਤਮਕਤਾ (ਇਲੈੱਕਟ੍ਰੋਨੈਗਟਿਵਤਾ) ਅਧਿਕ ਹੋਵੇਗੀ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸਦਾ ਬਾਹਰਲਾ ਸੈੱਲ ਪਰਮਾਣੂ ਦੇ ਕੇਂਦਰ ਦੇ ਨੇੜੇ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਪਰਮਾਣੂ ਕੇਂਦਰ ਇਲੈੱਕਨ ਨੂੰ ਅਧਿਕ ਬਲ ਨਾਲ ਆਕਰਸ਼ਿਤ ਕਰੇਗਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨੀ ਤਰਤੀਬ ਦਾ ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਤੱਤ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਨਾਲ ਕੀ ਸੰਬੰਧ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਇਲੈੱਕਟਾਨੀ ਤਰਤੀਬ ਦਾ ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਤੱਤ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧ-ਕਿਸੇ ਪਰਮਾਣੂ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟਾਨੀ ਤਰਤੀਬ ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਇਸਦੀ ਸਥਿਤੀ ਨਾਲ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੰਬੰਧਤ ਹੈ ਕਿ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਸਮਾਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਹੀ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਉਪਸਥਿਤ ਇਲੈੱਕਟਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਉਸ ਤੱਤ ਦੀ ਸਮੂਹ ਸੰਖਿਆ ਨੂੰ ਦਰਸਾਉਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਪੀਰੀਅਡ ਨੂੰ ਸੂਚਿਤ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਪੀਰੀਅਡ ਵਿੱਚ ਖੱਬਿਓਂ ਸੱਜੇ ਵੱਲ ਜਾਂਦੇ ਹਾਂ, ਤਾਂ ਸੰਯੋਜਕਤਾ ਸੈੱਲ ਇਲੈੱਕਵਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਇਕਾਈ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ (ਪਰਮਾਣੁ ਅੰਕ 20) ਦੇ ਚਾਰੇ ਪਾਸੇ 12, 19, 21 ਅਤੇ 38 ਪਰਮਾਣੁ ਅੰਕਾਂ ਵਾਲੇ ਤੱਤ ਮੌਜੂਦ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਅਤੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਵਰਗੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ 12 ਵਾਲੇ ਤੱਤ ਦੇ ਭੌਤਿਕ ਅਤੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ 20 ਅਤੇ 38 ਵਾਲੇ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਸਮਾਨ ਹੋਣਗੇ, ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ 2 ਇਲੈਂਕਨ ਹਨ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ 1

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਅਤੇ ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਤਰਤੀਬ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਕਰੋ !
ਉੱਤਰ-
ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦੀ ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਨਾਲ ਤੁਲਨਾ-ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਅਤੇ ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਸਾਰ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਥਾਂ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ । ਦੋਨਾਂ ਸਾਰਨੀਆਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਗੁਣਾਂ ਵਾਲੇ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠੀ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਪਰੰਤੂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੋਨਾਂ ਵਿੱਚ ਕਾਫ਼ੀ ਸਮਾਨਤਾਵਾਂ ਹਨ; ਜਿਵੇਂ :-

ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ
(1) ਉਸ ਸਮੇਂ ਤੱਕ ਗਿਆਤ 63 ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਵੱਧਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਪੂੰਜਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ । (1) ਕੁੱਲ 118 ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਵੱਧਦੇ ਪਰਮਾਣੁ ਅੰਕ ਵਿੱਚ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
(2) ਇਸ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ 8 ਲੰਬੇ ਦਾਅ ਦੇ ਸਤੰਭ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗਰੁੱਪ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । (2) ਇਸ ਵਿੱਚ 18 ਖੜ੍ਹਵੇਂ ਕਾਲਮ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗਰੁੱਪ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ 7 ਪੀਰੀਅਡ ਹਨ ।
(3) ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਆਈਸੋਟੋਪ ਨੂੰ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਸਥਾਨ ਨਾ ਮਿਲ ਸਕਿਆ । (3) ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਆਈਸੋਟੋਪਾਂ ਨੂੰ ਆਵਰਤੀ ਵਿੱਚ ਉੱਚਿਤ ਸਥਾਨ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਇਆ ਕਿਉਂਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(4) ਰਸਾਇਣਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਨਾਲ ਅਸਮਾਨ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਵੀ ਇਕੱਠਾ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ | (4) ਰਸਾਇਣਿਕ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਅਸਮਾਨ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਗਰੁੱਪਾਂ ਵਿੱਚ ਸਥਾਨ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
(5) ਸਾਰੇ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਹੀ ਗਰੁੱਪ VII ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ । (5) ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਗਰੁੱਪ 3 ਅਤੇ ਗਰੁੱਪ 12 ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ।
(6) ਇਸ ਸਾਰਨੀ ਦੇ ਬਣਨ ਤੱਕ ਨੋਬਲ ਗੈਸਾਂ ਦੀ ਖੋਜ ਨਹੀਂ ਹੋਈ ਸੀ । (6) ਨੋਬਲ ਗੈਸਾਂ ਨੂੰ ਗਰੁੱਪ 18 ਵਿੱਚ ਸਥਾਨ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
(7) ਕੁੱਝ ਉੱਚ ਪੁੰਜ ਵਾਲੇ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਥਾਂ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪਰਮਾਣੂ ਪੁੰਜ ਘੱਟ ਸੀ । (7) ਇਸ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਵਰਗੀਕਰਨ ਦਾ ਆਧਾਰ ਪਰਮਾਣੂ ਅੰਕ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਉਲਟੇ ਕੂਮ ਦਾ ਦੋਸ਼ ਨਹੀਂ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ

Science Guide for Class 10 PSEB ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ InText Questions and Answers

ਅਧਿਆਇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕੀ ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਦੀਆਂ ਤਿੱਕੜੀਆਂ ਨਿਊਲੈਂਡ ਦੇ ਅਸ਼ਟਕਾਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ ? ਤੁਲਨਾ ਕਰਕੇ ਪਤਾ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਹਾਂ, ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਦੀਆਂ ਤਿੱਕੜੀਆਂ ਨਿਊਲੈਂਡ ਦੇ ਅਸ਼ਟਕਾਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ । ਉਦਹਾਰਨ ਵਜੋਂ (i) ਲਿਥੀਅਮ (Li), ਸੋਡੀਅਮ (Na) ਅਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ (K) ਇੱਕ ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਦੀ ਤਿੱਕੜੀ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਜੇਕਰ ਲਿਥੀਅਮ (Li) ਨੂੰ ਪਹਿਲਾ ਤੱਤ ਮੰਨ ਲਿਆ ਜਾਏ ਤਾਂ ਉਸ ਤੋਂ ਅੱਠਵੇਂ ਸਥਾਨ ਤੇ ਸੋਡੀਅਮ (Na) ਆਉਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਜੇਕਰ ਸੋਡੀਅਮ (Na) ਨੂੰ ਪਹਿਲਾ ਤੱਤ ਮੰਨ ਲਿਆ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਇਸ ਤੋਂ ਅੱਠਵੇਂ ਸਥਾਨ ਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ (K) ਆਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਦੀ ਇਹ ਤਿੱਕੜੀ ਨਿਊਲੈਂਡਸ ਅਸ਼ਟਕ ਦੀ ਤਿੱਕੜੀ ‘ਰੇ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ 2
(ii) ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਦੀ ਤਿੱਕੜੀ Ca, Sr ਅਤੇ B ਨਿਊਲੈਂਡਸ ਦੇ ਅਸ਼ਟਕ ਦੀ ਤਿੱਕੜੀ ‘ਸਾ’ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਹੈ ।

(iii) ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਦੀ ਤਿੱਕੜੀ Cl, Br ਅਤੇ 1 ਨਿਊਲੈਂਡਸ ਦੇ ਅਸ਼ਟਕ ਦੀ ਤਿੱਕੜੀ ‘ਸਾ’ ਵਿੱਚ ਉਪਸਥਿਤ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਦੇ ਵਰਗੀਕਰਨ ਦੀਆਂ ਕੀ ਸੀਮਾਵਾਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਦੇ ਵਰਗੀਕਰਨ ਦੀਆਂ ਸੀਮਾਵਾਂ-ਡਾਬਰਨੀਅਰ ਵਰਗੀਕਰਨ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਸੀਮਾ ਇਹ ਸੀ ਕਿ ਇਸ ਨਿਯਮ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਉਸ ਸਮੇਂ ਦੇ ਗਿਆਤ 30 ਤੱਤਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕੇਵਲ 9 ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਹੀ ਤਿੰਨ ਤਿੱਕੜੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਿਆ ਸੀ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਵਰਗੀਕਰਨ ਸਭ ਨੂੰ ਮਨਜ਼ੂਰ ਨਹੀਂ ਹੋਇਆ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ 3
ਉਦਾਹਰਨ – ਤਿੰਨ ਤੱਤ, ਨਾਈਟ੍ਰੋਜਨ (N), ਫਾਸਫ਼ੋਰਸ (P) ਅਤੇ ਆਰਸੈਨਿਕ (As) ਦੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਇੱਕ ਸਮਾਨ ਹਨ, ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਇੱਕ ਹੀ ਤਿੱਕੜੀ ਬਣਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਜਦਕਿ N, ਦਾ ਪਰਮਾਣੂ-ਪੁੰਜ (14.0u), As ਦਾ (74.9u) ਅਤੇ P ਦਾ (31.Ou) ਹੈ ।
ਇਸ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਇਹ ਇੱਕ ਤਿੱਕੜੀ ਦੇ ਤੱਤ ਨਹੀਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਨਿਊਲੈਂਡ ਦੇ ਅਸ਼ਟਕ ਸਿਧਾਂਤ ਦੀਆਂ ਕੀ ਸੀਮਾਵਾਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਿਊਲੈਂਡ ਦੇ ਅਸ਼ਟਕ ਸਿਧਾਂਤ ਦੀਆਂ ਸੀਮਾਵਾਂ-ਨਿਊਲੈਂਡ ਦੇ ਅਸ਼ਟਕ ਸਿਧਾਂਤ ਦੀਆਂ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਸੀਮਾਵਾਂ ਹਨ-

(i) ਇਹ ਸਿਧਾਂਤ ਸਿਰਫ਼ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਤੱਕ ਹੀ ਲਾਗੂ ਹੋ ਸਕਿਆ ਕਿਉਂਕਿ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਹਰੇਕ ਅੱਠਵੇਂ ਤੱਤ ਦੇ ਗੁਣ ਪਹਿਲੇ ਤੱਤ ਦੇ ਸਮਾਨ ਨਹੀਂ ਸੀ ।

(ii) ਨਿਉਲੈਂਡ ਨੇ ਕਲਪਨਾ ਕੀਤੀ ਸੀ ਕਿ ਕੁਦਰਤ ਵਿੱਚ ਕੇਵਲ 56 ਤੱਤ ਹਨ ਅਤੇ ਭਵਿੱਖ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਨਵਾਂ ਤੱਤ ਨਹੀਂ ਮਿਲੇਗਾ | ਪਰੰਤੂ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਕਈ ਹੋਰ ਨਵੇਂ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਖੋਜ ਕੀਤੀ ਗਈ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਗੁਣ ਅਸ਼ਟਕ ਨਿਯਮ ਅਨੁਸਾਰ ਨਹੀਂ ਸਨ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਇਸ ਨਿਯਮ ਵਿੱਚ ਵਿਵਸਥਿਤ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕੇ ।

(iii) ਨਿਊਲੈਂਡ ਨੇ ਆਪਣੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਸੰਯੋਜਿਤ ਕਰਨ ਲਈ ਦੋ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠਿਆਂ ਇੱਕ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਰੱਖ ਲਿਆ ਅਤੇ ਕੁਝ ਅਸਮਾਨ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਰੱਖਿਆ ਸੀ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ 4
ਉਦਾਹਰਨ – ਕੋਬਾਲਟ ਅਤੇ ਨਿੱਕਲ ਨੂੰ ਇੱਕ ਹੀ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਪਰੰਤੂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਫਲੋਰੀਨ, ਕਲੋਰੀਨ ਅਤੇ ਬੋਮੀਨ ਦੇ ਨਾਲ ਇੱਕ ਹੀ ਤਿੱਕੜੀ ‘ਸਾ’ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ਜਦਕਿ ਕੋਬਾਲਟ ਅਤੇ ਨਿਕਲ ਦੇ ਗੁਣ ਫਲੋਰੀਨ, ਕਲੋਰੀਨ ਅਤੇ ਬੋਮੀਨ ਤੋਂ ਬਿਲਕੁਲ ਭਿੰਨ ਹਨ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਆਇਰਨ ਜੋ ਗੁਣ ਵਿੱਚ ਕੋਬਾਲਟ ਅਤੇ ਨਿਕਲ ਦੇ ਸਮਾਨ ਹਨ ਨੂੰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਦੂਰ ਤਿੱਕੜੀ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ।

(iv) ਨਿਊਲੈਂਡ ਅਸ਼ਟਕ ਸਿਧਾਂਤ ਸਿਰਫ਼ ਹਲਕੇ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਲਈ ਠੀਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਲਾਗੂ ਹੋ ਸਕਿਆ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਕੇ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਦੇ ਸੂਤਰਾਂ ਦਾ ਅਨੁਮਾਨ ਲਗਾਓ :
K, C, Al, Si, Ba.
ਉੱਤਰ-

  1. ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ (K) ਗਰੁੱਪ IA ਦਾ ਤੱਤ ਹੈ । ਇਸਦੀ ਸੰਯੋਜਕਤਾ 1 ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਦਾ ਸੂਤਰ K20 ਹੈ ।
  2. ਕਾਰਬਨ (C) ਗਰੁੱਪ IV A ਦਾ ਤੱਤ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਸੰਯੋਜਕਤਾ 4 ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਦਾ ਸੂਤਰ CO2 ਹੈ ।
  3. ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ (Al) ਗਰੁੱਪ IIIA ਦਾ ਤੱਤ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਸੰਯੋਜਕਤਾ 3 ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਦਾ ਸੂਤਰ Al2O3 ਹੈ ।
  4. ਸਿਲੀਕਾਨ (Si), ਗਰੁੱਪ IVA ਦਾ ਤੱਤ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਸੰਯੋਜਕਤਾ 4 ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਦਾ ਸੂਤਰ SiO2 ਹੈ ।
  5. ਬੇਰੀਅਮ (Ba) ਗਰੁੱਪ IIA ਦਾ ਤੱਤ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਸੰਯੋਜਕਤਾ 2 ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਦਾ ਸੂਤਰ BaO ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਗੈਲੀਅਮ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਕਿਹੜੇ ਕਿਹੜੇ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਖੋਜ ਕੀਤੀ ਜਾ ਚੁੱਕੀ ਹੈ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਲਈ ਮੈਂਡਲੀਵ ਨੇ ਆਪਣੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਛੱਡ ਦਿੱਤੀਆਂ ਸਨ (ਕੋਈ ਦੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੈਲੀਅਮ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਦੋ ਹੋਰ ਤੱਤ ਸਕੈਂਡੀਅਮ ਅਤੇ ਜਰਮੇਨੀਅਮ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਖੋਜ ਕੀਤੀ ਜਾ ਚੁੱਕੀ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਲਈ ਮੈਂਡਲੀਵ ਨੇ ਆਪਣੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲਾਂ ਤੋਂ ਹੀ ਖਾਲੀ ਸਥਾਨ ਛੱਡਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ । ਮੈਂਡਲੀਵ ਨੇ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਦਾ ਅਨੁਮਾਨ ਲਗਾ ਲਿਆ ਸੀ । ਜਦੋਂ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਖੋਜ ਹੋਈ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉਹੀ ਗੁਣ ਸਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਮੈਂਡਲੀਵ ਕੇ ਅਨੁਮਾਨ ਲਗਾਇਆ ਸੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਮੈਂਡਲੀਵ ਨੇ ਆਪਣੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਤਿਆਰ ਕਰਨ ਲਈ ਕਿਹੜਾ ਮਾਪਦੰਡ ਅਪਣਾਇਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੈਂਡਲੀਵ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਲਈ ਮਾਪਦੰਡ-

  1. ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵੱਧਦੇ ਪਰਮਾਣੂ ਪੁੰਜ ਦੇ ਕੂਮ ਵਿੱਚ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕੀਤਾ ।
  2. ਸਮਾਨ ਗੁਣਾਂ ਵਾਲੇ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਸਮੂਹ ਵਿੱਚ ਰੱਖਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ ।
  3. ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰਾਈਡਾਂ ਦੇ ਅਣੂ ਸੂਤਰ ਨੂੰ ਇੱਕ ਮੂਲ ਗੁਣ ਮੰਨ ਕੇ ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ ਕੀਤਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਤੁਹਾਡੇ ਵਿਚਾਰ ਅਨੁਸਾਰ ਨੋਬਲ ਗੈਸਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖਰੇ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਕਿਉਂ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਨੋਬਲ ਗੈਸਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖਰੇ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਰੱਖਣਾ-ਸਾਰੇ ਤੱਤਾਂ ਵਿਚੋਂ ਨੋਬਲ ਗੈਸਾਂ-ਹੀਲੀਅਮ (He), ਨੀਆਨ (Ne), ਆਰਗਾਨ (Ar), ਕ੍ਰਿਪਾਨ (Kr) ਅਤੇ ਜ਼ੀਨਾਨ (Xe) ਅਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਗੁਣ ਹੋਰ ਗਰੁੱਪ ਤੱਤਾਂ ਨਾਲ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਨੋਬਲ ਗੈਸਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖਰੇ ਗਰੁੱਪ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ ਜਿਸ ਨੂੰ ਜ਼ੀਰੋ (0) ਗਰੁੱਪ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦੁਆਰਾ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦੀਆਂ ਭਿੰਨ ਭਿੰਨ ਖਾਮੀਆਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੈਂਡਲੀਵ ਦੀ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦਾ ਆਧਾਰ ਪਰਮਾਣੂ ਪੁੰਜ (Atomic Mass) ਹੈ, ਜਦੋਂ ਕਿ ਮੋਸਲੇ ਨੇ ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਲਈ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ (Atomic Number) ਨੂੰ ਆਧਾਰ ਮੰਨਿਆ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਆਧੁਨਿਕ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਮੈਂਡਲੀਫ਼ ਵੱਲੋਂ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਸਾਰਨੀ ਦੀਆਂ ਤਰੁੱਟੀਆਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।

  • ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਸਾਰੇ ਸਮਸਥਾਨਿਕਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕੋ ਹੀ ਸਥਾਨ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰੋਟਾਨਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਹਮੇਸ਼ਾ ਬਰਾਬਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  • ਆਰਗਾਨ ਅਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਦੀ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ ਲੜੀਵਾਰ 18 ਤੇ 19 ਹੈ । ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਵੱਧਦੀ ਹੋਈ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕਰਨ ਤੇ ਆਰਗਾਨ ਪਹਿਲਾਂ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਦਾ ਸਥਾਨ ਪਿੱਛੇ ਰਹਿ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੋਵਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਪੁੰਜ ਇਸਦੇ ਉਲਟ ਹਨ । ਨਵੀਂ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਇਸ ਦੋਸ਼ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
  • ਆਧੁਨਿਕ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਤੱਤਾਂ, ਨੋਬਲ ਗੈਸਾਂ (ਅਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਗੈਸਾਂ) ਅਤੇ ਮਿਸ਼ਰਤ ਤੱਤਾਂ (Alloys) ਨੂੰ ਸਪੱਸ਼ਟ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
  • ਆਧੁਨਿਕ ਸਾਰਨੀ ਇਹ ਵੀ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਵਿੱਚ ਆਵਰਤਤਾ ਕਿਉਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਦਿਖਾਉਣ ਵਾਲੇ ਦੋ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ । ਤੁਹਾਡੀ ਚੋਣ ਦਾ ਕੀ ਅਧਾਰ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਅਨੁਸਾਰ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨੀ ਬਣਤਰ ਸਮਾਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਗੁਣ ਵੀ ਸਮਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਦੋ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਉਹ ਸਾਰੇ ਤੱਤ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ 2 ਸੰਯੋਜਕ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹੋਣਗੇ Mg ਦੇ ਸਮਾਨ ਹੀ ਗੁਣ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕਰਨਗੇ ।
ਉਦਾਹਰਨ – ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ (Ca), ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ = 20
ਵਿਭਿੰਨ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿੱਚ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਵਿਵਸਥਾ = (2, 8, 9, 2)
ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ (Mg), ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ = 12
ਵਿਭਿੰਨ ਸੈੱਲਾਂ ਵਿੱਚ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਵਿਵਸਥਾ = (2, 8, 2)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਨਾਂ ਦੱਸੋ :
(a) ਤਿੰਨ ਤੱਤ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹਾਜ਼ਰ ਹਨ ।
(b) ਦੋ ਤੱਤ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਦੋ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਮੌਜੂਦ ਹਨ ।
(c) ਤਿੰਨ ਤੱਤ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਾਹਰੀ ਸ਼ੈਲ ਪੁਰਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਤਿੰਨ ਤੱਤ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਮੌਜੂਦ ਹਨ-ਲਿਥੀਅਮ (Li), ਸੋਡੀਅਮ (Na) ਅਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ (K) ਤਿੰਨ ਅਜਿਹੇ ਤੱਤ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ 5

(b) ਦੋ ਤੱਤ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਦੋ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਉਪਸਥਿਤ ਹਨ – ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਦੋ ਅਜਿਹੇ ਤੱਤ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਦੋ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹਨ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ 6

(c) ਤਿੰਨ ਤੱਤ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਾਹਰੀ ਸੈੱਲ ਪੂਰਾ ਹੋਵੇ-
ਹੀਲੀਅਮ, ਨੀਆਨ ਅਤੇ ਆਰਗਾਨ ਤਿੰਨ ਅਜਿਹੇ ਤੱਤ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਾਹਰੀ ਛਿੱਲ ਪੂਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ 7

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
(a) ਲਿਥੀਅਮ, ਸੋਡੀਅਮ, ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਸਾਰੀਆਂ ਹੀ ਧਾਤਾਂ ਹਨ ਜੋ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਮੁਕਤ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਕੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਸਮਾਨਤਾ ਹੈ ?
(b) ਹੀਲੀਅਮ ਇੱਕ ਅਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਗੈਸ ਹੈ ਜਦਕਿ ਨੀਆਨ ਦੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਵਿੱਚ ਕੀ ਸਮਾਨਤਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
(a) ਲਿਥੀਅਮ, ਸੋਡੀਅਮ ਅਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਦੀ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ 8
ਇਨ੍ਹਾਂ ਤਿੰਨਾਂ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਹੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

(b) ਹੀਲੀਅਮ (He) ਅਤੇ ਨੀਆਨ (Ne) ਦੋਨੋਂ ਨੋਬਲ ਗੈਸਾਂ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਅਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਪੂਰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਹੀਲੀਅਮ (He) ਕੋਲ ਸਿਰਫ K ਸੈੱਲ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਸੈਂਲ ਪੂਰਨ ਰੂਪ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਨੀਆਨ (Ne) ਕੋਲ K ਅਤੇ L ਸੈੱਲ ਹਨ ਅਤੇ ਇਹ ਦੋਨੋਂ ਸੈਂਲ ਭਰੇ ਹੋਏ ਹਨ । K ਸ਼ੈੱਲ ਵਿੱਚ 2 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਅਤੇ L ਬੈੱਲ ਵਿੱਚ 8 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਨੀਆਨ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਪਹਿਲੇ 10 ਤੱਤਾਂ ਵਿੱਚ ਕਿਹੜੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਧੁਨਿਕ ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਦੱਸ ਤੱਤ ਹਨ-H, He, Li, Be, B, C, N, 0, F ਅਤੇ Ne ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰੇ ਤੱਤਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਧਾਤਾਂ ਹਨ-ਲਿਥੀਅਮ (Li) ਅਤੇ ਬੈਰੀਲੀਅਮ (Be) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਆਵਰਤੀ ਸਾਰਨੀ ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਥਾਨ ਦੇ ਆਧਾਰ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਸ ਤੱਤ ਵਿੱਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਧਾਤਵੀ ਗੁਣ ਹੈ ?
Ga, Ge, As, Se, Be.
ਉੱਤਰ-
ਪਹਿਲੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ ਵੱਧਦੀ ਹੋਈ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਕਰਦੇ ਹਾਂ-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 5 ਤੱਤਾਂ ਦਾ ਆਵਰਤੀ ਵਰਗੀਕਰਨ 9

ਅਸੀਂ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਧਾਤਿਕ ਆਚਰਨ ਪੀਰੀਅਡ ਵਿੱਚ ਖੱਬੇ ਤੋਂ ਸੱਜੇ ਵੱਲ ਜਾਂਦੇ ਹੋਏ ਘੱਟ ਹੁੰਦਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਗੱਲ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਵਿੱਚ ਰੱਖਦੇ ਹੋਏ ਖੱਬੇ ਪਾਸੇ ਦੇ ਤੱਤ Be ਅਤੇ Ga ਦਾ ਅਧਾਤਿਕ ਆਚਰਨ ਅਧਿਕਤਮ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਸੱਜੇ ਪਾਸੇ ਵੱਲ ਦੇ ਤੱਤ ਅਧਾਤ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

PSEB 10th Class Science Guide ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ Textbook Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਈਥੇਨ ਦਾ ਅਣਵੀਂ ਸੂਤਰ C2H6ਹੈ, ਇਸ ਵਿੱਚ :
(a) 6 ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਹਨ
(b) 7 ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ’ ਹਨ
(c) 8 ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਹਨ
(d) 9 ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
(b) 7 ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਬਿਊਟੇਨੋਨ ਚਾਰ ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕ ਹੈ ਜਿਸ ਦਾ ਕਿਰਿਆਤਮਕ ਸਮੂਹ ਹੈ :
(a) ਕਾਰਬਕਸਲਿੱਕ ਤੇਜ਼ਾਬ
(b) ਐਲਡੀਹਾਈਡ
(c) ਕੀਟੋਨ
(d) ਅਲਕੋਹਲ ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਕੀਟੋਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਭੋਜਨ ਬਣਾਉਣ ਸਮੇਂ ਜੇਕਰ ਭਾਂਡਿਆਂ ਦਾ ਥੱਲਾ ਬਾਹਰੋਂ ਕਾਲਾ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਇਸ ਤੋਂ ਸਪੱਸ਼ਟ ਹੈ ਕਿ :
(a) ਭੋਜਨ ਪੂਰੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਪੱਕਿਆ ਹੈ
(b) ਬਾਲਣ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਹੀਂ ਜਲ ਰਿਹਾ ਹੈ
(c) ਬਾਲਣ ਸਿੱਲ੍ਹਾ ਹੈ ।
(d) ਬਾਲਣ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਲ ਰਿਹਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(b) ਬਾਲਣ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਹੀਂ ਜਲ ਰਿਹਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
CH3Cl ਵਿੱਚ ਬੰਧਨਾਂ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਦੇ ਆਧਾਰ ਸਹਿਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
C, H ਅਤੇ Cl ਦੀ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ 6, 1 ਅਤੇ 17 ਹੈ ।
ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨੀ ਵੰਡ ਹੋਵੇਗੀ-
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ਕਾਰਬਨ ਨੂੰ ਅਸ਼ਟਕ (ਆਠਾ) ਬਣਾਉਣ ਲਈ 4 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨੂੰ 1 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ 1 ਅਤੇ ਕਲੋਰੀਨ ਨੂੰ 1 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ । ਕਾਰਬਨ ਦਾ ਪਰਮਾਣੂ 4 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਦੇ ਤਿੰਨ ਪਰਮਾਣੂ 1-1 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਅਤੇ ਕਲੋਰੀਨ ਦਾ ਪਰਮਾਣੂ 1 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਸਾਂਝੇ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
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ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਕਾਰਬਨ ਨੋਬਲ ਗੈਸ ਨੀਆਨ ਦੀ ਸੰਰਚਨਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲੈਂਦਾ ਹੈ । ਹਾਈਡਰੋਜਨ, ਹੀਲੀਅਮ ਦੀ ਅਤੇ ਕਲੋਰੀਨ, ਆਰਗਨ ਦੀ ਸੰਰਚਨਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲੈਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਕਲੋਰੋਮੀਥੇਨ ਵਿੱਚ ਤਿੰਨ C-H ਅਤੇ ਇੱਕ C-Cl ਸਹਿਸੰਯੋਜਕ ਬੰਧਨ ਬਣਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਹੇਠ ਦਿੱਤਿਆਂ ਲਈ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ-ਬਿੰਦੂ ਰਚਨਾ ਬਣਾਓ :
(a) ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ
(b) H2S
(c) ਪਰੋਪੇਨੋਨ
(d) F2.
ਉੱਤਰ-
(a) ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ (CH3COOH)-
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(b) ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਸਲਫਾਈਡ (H2S)-
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(c) ਪਰੋਪੇਨੋਨ (CH3COCH3)-
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(d) F2 (ਫਲੋਰੀਨ)-
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਕੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ? ਉਦਾਹਰਨ ਦੇ ਕੇ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ (Homologous Series) – ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਸਮਾਨ ਰਚਨਾਵਾਂ ਅਤੇ ਸਮਾਨ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣਾਂ ਵਾਲੇ ਕਾਰਬਨਿਕ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੀ ਇੱਕ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਵੱਧ ਰਹੇ ਯੌਗਿਕ CH3 ਸਮੂਹ ਦੇ ਅੰਤਰ ਕਰਕੇ ਭਿੰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਸਮਜਾਤੀ ਲੜੀ ਦੇ ਵਿਭਿੰਨ ਕਾਰਬਨਿਕ ਯੌਗਿਕ ਸਮਜਾਤ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਸਮਜਾਤਾਂ ਵਿੱਚ ਸਮਾਨ ਕਿਰਿਆਤਮਕ (ਫੰਕਸ਼ਨਲ ਸਮੂਹ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਸਮਜਾਤ ਲੜੀ ਦਾ ਸਾਧਾਰਨ ਸੂਤਰ CH2n+2 ਹੈ । ਇਸ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਦੇ ਮੈਂਬਰ ਮੀਥੇਨ (CH4), ਈਥੇਨ (C2H6) ਪਰੋਪੇਨ (C3H8), ਬਿਊਟੇਨ (C4H12), ਪੈਂਟੇਨ (C5H12) ਹੈਕਸੇਨ (C6H14) ਆਦਿ ਹਨ । ਕਿਉਂਕਿ ਸਮਜਾਤੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਦਾ ਫੰਕਸ਼ਨਲ ਸਮੂਹ ਸਮਾਨ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਅੰਤਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਅਰਥਾਤ ਸਮਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਭੌਤਿਕ ਅਤੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਈਥੇਨੋਲ ਅਤੇ ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਿਚਕਾਰ ਤੁਸੀਂ ਕਿਵੇਂ ਅੰਤਰ ਕਰੋਗੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਭੌਤਿਕ ਅਤੇ ਰਸਾਇਣਕ ਗੁਣਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਈਥੇਨੋਲ ਅਤੇ ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ-
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PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 8

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਜਦੋਂ ਸਾਬਣ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਮਿਸੈੱਲ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਿਉਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ? ਕੀ ਈਥੇਨੋਲ ਜਿਹੇ ਦੂਜੇ ਘੋਲਕਾਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਮਿਸੈੱਲ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਹੋਵੇਗਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਸਾਬਣ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇਸਦੇ ਦੋ ਸਿਰੇ ਦੋ ਭਿੰਨ ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹਾਈਡਰੋਫਿਲਿਕ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹਾਈਡਰੋਫੋਬਿਕ ਜੋ ਇਹ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਘੁਲਦੇ ਹਨ । ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਪਾਉਣ ਨਾਲ ਸਾਬਣ ਦਾ ਆਇਨਿਕ ਸਿਰਾ ਪਾਣੀ ਅੰਦਰ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਕਿ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨਿਕ ਪੂੰਛ (ਦੂਜਾ ਸਿਰਾ) ਪਾਣੀ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਅਜਿਹੇ ਅਣੂਆਂ ਦਾ ਵੱਡਾ ਸਮੂਹ ਬਣਨ ਕਾਰਨ ਹਾਈਡਰੋਫੋਬਿਕ ਪੂੰਛ ਵੱਡੇ ਸਮੂਹ ਦੇ ਅੰਦਰਲੇ ਭਾਗ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਦਕਿ ਉਸਦਾ ਆਇਨਿਕ ਸਿਰਾ ਵੱਡੇ ਸਮੂਹ ਦੀ ਸਤਹਿ ਉੱਪਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਸਾਬਣ, ਈਥੇਨੋਲ ਜਿਹੇ ਦੂਜੇ ਘੋਲਕਾਂ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਘੁਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਮਿਸੈੱਲ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿੱਚ ਬਾਲਣ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਕਿਉਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦਾ ਅਧਿਕਤਰ ਉਪਯੋਗ ਬਾਲਣ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਕਰਨ ਦੇ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਾਰਨ ਹਨ-

  1. ਇਹ ਧੂੰਆਂ ਨਹੀਂ ਉਤਪੰਨ ਕਰਦੇ ।
  2. ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਜਲਾਉਣ ਤੇ ਕੋਈ ਅਵਸ਼ੇਸ਼ ਨਹੀਂ ਬਚਦਾ ਹੈ ।
  3. ਇਸ ਦਾ ਜਲਣ ਤਾਪ ਮੱਧਮ ਨਾ ਬਹੁਤ ਵੱਧ ਅਤੇ ਨਾ ਹੀ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  4. ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕੈਲੋਰੀਮਾਨ ਉੱਚਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  5. ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਜਲਾਉਣ ਨਾਲ ਕੋਈ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਜ਼ਹਿਰੀਲੀਆਂ ਗੈਸਾਂ ਨਹੀਂ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀਆਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਜਦੋਂ ਕਠੋਰ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਸਾਬਣ ਨਾਲ ਮਿਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਅਵਖੇਪ (Scum) ਦੇ ਬਣਨ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕਠੋਰ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਦੇ ਆਇਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਸਾਬਣ ਦੇ ਅਣੂਆਂ ਨਾਲ ਜੁੜ ਕੇ ਅਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥ (ਅਵਖੇਪ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਜੇਕਰ ਤੁਸੀਂ ਲਿਟਮਸ ਪੱਤਰ (ਲਾਲ ਅਤੇ ਨੀਲੇ ਨਾਲ ‘ਸਾਬਣ ਦੇ ਘੋਲ ਦੀ ਪਰਖ ਕਰੋ ਤਾਂ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਤਬਦੀਲੀ ਵੇਖੋਗੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਬਣ ਖਾਰੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਲਾਲ ਟਮਸ ਪੱਤਰ ਨੂੰ ਨੀਲੇ ਰੰਗ ਵਿੱਚ ਤਬਦੀਲ ਕਰ ਦੇਵੇਗਾ । ਇਸ ਸਾਬਣ ਦੇ ਘੋਲ ਦਾ ਨੀਲੇ ਲਿਟਮਸ ਪੱਤਰ ਤੇ ਕੋਈ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨਹੀਂ ਪਏਗਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਹਾਈਡਰੋਜਨੀਕਰਨ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? ਇਸ ਦਾ ਉਦਯੋਗ ਵਿੱਚ ਕੀ ਉਪਯੋਗ ਹੈ ? (ਮਾਂਡਲ ਪੇਪਰੇ)
ਉੱਤਰ-
ਹਾਈਡਰੋਜਨੀਕਰਨ – ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਦਾ ਨਿੱਕਲ ਜਾਂ ਪਲੇਟੀਅਮ ਉੱਤਪ੍ਰੇਰਕਾਂ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਵਿੱਚ ਤਬਦੀਲ ਹੋਣ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਹਾਈਡਰੋਜਨੀਕਰਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
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ਉਦਯੋਗਿਕ ਉਪਯੋਗ – ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਬਨਸਪਤੀ ਤੇਲਾਂ ਨੂੰ ਬਨਸਪਤੀ ਘਿਉ ਵਿੱਚ ਬਦਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
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ਬਨਸਪਤੀ ਤੇਲਾਂ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੇ ਦੋਹਰੇ ਬੰਧਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਜਦੋਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਨੂੰ ਨਿਕਲ ਉੱਤਪ੍ਰੇਰਕ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ 473K ਤੇ ਬਨਸਪਤੀ ਤੇਲ ਵਿੱਚੋਂ ਲੰਘਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਤੇਲ ਠੋਸ ਘਿਉ (ਫੈਟ) ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਵਿੱਚ ਜੋੜਾਤਮਕ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ? C2H6, C3H8, C6H6, C2H2, ਅਤੇ CH4.
ਉੱਤਰ-
ਕੇਵਲ ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਹੀ ਜੋੜਾਤਮਕ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨਾਂ ਵਿੱਚੋਂ C3H6 ਅਤੇ C2H2 ਵਿੱਚ ਹੀ ਜੋੜਾਤਮਕ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਹੋਵੇਗੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਮੱਖਣ ਅਤੇ ਖਾਣਾ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲੇ ਤੇਲ ਵਿੱਚ ਰਸਾਇਣਿਕ ਤੌਰ ‘ ਤੇ ਅੰਤਰ ਦਰਸਾਉਣ ਲਈ ਟੈਸਟ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਮੱਖਣ ਵਿੱਚ ਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਦਕਿ ਖਾਣਾ ਬਨਾਉਣ ਵਾਲੇ ਤੇਲਾਂ ਵਿੱਚ ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਉਪਸਥਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ (ਯੌਗਿਕ ਖਾਰੀ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਪਰਮੈਗਨੇਟ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਉਸਦੇ ਗੁਲਾਬੀ ਰੰਗ ਨੂੰ ਉਡਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਖਾਣਾ ਬਨਾਉਣ ਵਾਲੇ ਤੇਲ ਵਿੱਚ ਕੁੱਝ ਬੂੰਦਾਂ ਖਾਰੀ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਪਰਮੈਂਗਨੇਟ ਦੀਆਂ ਪਾਉਣ ਨਾਲ ਉਸਦਾ ਗੁਲਾਬੀ ਰੰਗ ਉੱਡ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਪਰੰਤੂ ਮੱਖਣ ਵਿੱਚ ਕੁੱਝ ਬੂੰਦਾਂ ਖਾਰੀ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਪਰਮੈਂਗਨੇਟ ਦੀਆਂ ਪਾਉਣ ਨਾਲ ਉਸਦਾ ਗੁਲਾਬੀ ਰੰਗ ਨਹੀਂ ਉੱਡਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਸਾਬਣ ਦੁਆਰਾ ਸਫਾਈਕਰਨ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਵਿਧੀ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਾਬਣ ਸਫਾਈਕਰਨ ਦੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਤੇ ਆਧਾਰਿਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਅਜਿਹੇ ਅਣੂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਦੇ ਦੋਨਾਂ ਸਿਰਿਆਂ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਗੁਣ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਇੱਕ ਸਿਰਾ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਹਾਈਡਰੋਫਿਲਿਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ! ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ, ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਦੂਜੇ ਸਿਰੇ ਨੂੰ ਹਾਈਡਰੋਫੋਬਿਕ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਜਦੋਂ ਸਾਬਣ ਪਾਣੀ ਦੀ ਸਤਹਿ ਤੇ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇਸਦੇ ਅਣੂ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵਿਵਸਥਿਤ ਕਰ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ਕਿ ਇਸ ਦਾ ਆਇਨਿਕ ਸਿਰਾ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਦਕਿ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਪੂੰਛ (ਦੂਜਾ ਸਿਰਾ) ਪਾਣੀ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 12
ਪਾਣੀ ਦੇ ਅੰਦਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਅਣੂਆਂ ਦੀ ਵਿਸ਼ਿਸ਼ਟ ਅਵਸਥਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇਸਦਾ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਸਿਰਾ ਪਾਣੀ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਅਜਿਹਾ ਅਣੂਆਂ ਦਾ ਵੱਡਾ ਸਮੂਹ ਬਣਨ ਕਾਰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਹਾਈਡਰੋਫੋਬਿਕ ਪੂੰਛ ਵੱਡੇ ਸਮੂਹ ਦੇ ਅੰਦਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਸੰਰਚਨਾ ਨੂੰ ਮਿਸ਼ੈੱਲ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਮਿਸੈੱਲ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਸਾਬਣ ਸਫਾਈ ਕਰਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਰੱਖਦਾ ਹੈ । ਤੇਲ ਦਾ ਮੈਲ ਮਿਸੈੱਲ ਦੇ ਕੇਂਦਰ ਵਿੱਚ ਇਕੱਠੇ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਮਿਸੈੱਲ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਕੋਲਾਈਡ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਆਇਨ-ਆਇਨ ਦੇ ਤਿਕਸ਼ਨ ਕਾਰਨ ਅਵਖੇਪ ਨਹੀਂ ਬਣਾਉਂਦੇ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮਿਸੈੱਲ ਵਿੱਚ ਤੈਰ ਰਹੀ ਮੈਲ ਸੌਖਿਆਂ ਹੀ ਹਟਾਈ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
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Science Guide for Class 10 PSEB ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ InText Questions and Answers

ਅਧਿਆਇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਬਿੰਦੂ ਰਚਨਾ ਕੀ ਹੋਵੇਗੀ ਜਿਸ ਦਾ ਫਾਰਮੂਲਾ CO2 ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੁ ਨਾਲ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਦੋ ਪਰਮਾਣੂ ਜੁੜੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਕਾਰਬਨ ਦੀ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ 6 ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਬਾਹਰੀ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ 4 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਨੂੰ ਅਸ਼ਟਕ (ਆਠਾ) ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਲਈ 4 ਹੋਰ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਬਿੰਦੂ ਰਚਨਾ ਹੇਠ ਦਿੱਤੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੋਵੇਗੀ-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 14
ਹਰੇਕ ਆਕਸੀਜਨ ਦਾ ਪਰਮਾਣੂ, ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂ ਦੇ ਦੋਹਰੇ ਬੰਧਨ ਦੁਆਰਾ ਜੁੜਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸਲਫਰ ਦਾ ਅਣੂ ਜੋ ਕਿ ਸਲਫਰ ਦੇ ਅੱਠ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦਾ ਬਣਿਆ ਹੈ, ਉਸ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਬਿੰਦੂ ਰਚਨਾ ਕੀ ਹੋਵੇਗੀ ?
(ਸੰਕੇਤ-ਸਲਫਰ ਦੇ ਅੱਠ ਪਰਮਾਣੂ ਇੱਕ ਛੱਲੇ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਜੁੜੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।)
ਉੱਤਰ-
ਸਲਫਰ ਦੀ ਪਰਮਾਣੂ ਸੰਖਿਆ 16 ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 15
ਸਲਫਰ ਦੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੈੱਲ ਵਿੱਚ 6 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਹਨ ਅਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਅਸ਼ਟਕ (ਆਠਾ) ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਲਈ 2 ਹੋਰ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਸਲਫਰ ਪਰਮਾਣੂ 2 ਇਲੈੱਕਟਰਾਨਾਂ ਦੀ ਸਾਂਝ ਕਰੇਗਾ । ਇਸ ਦਾ ਅਣਵੀਂ ਸੂਤਰ S8 ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪੈਂਨਟੇਨ ਦੇ ਤੁਸੀਂ ਕਿੰਨੇ ਬਣਤਰੀ ਸਮਅੰਗਕ ਬਣਾ ਸਕਦੇ ਹੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪੈਂਨਟੇਨ ਦੇ ਸਮਅੰਕਾਂ (ਆਇਸੋਮਰਜ਼) ਦੀ ਬਣਤਰ-
ਪੈਂਨਟੇਨ (C5H12) ਦੇ ਤਿੰਨ ਸਮਅੰਗਕ (ਆਇਸੋਮਰ) ਹਨ-
(i) ਨਾਰਮਲ ਪੈਂਨਟੇਨ
(ii) ਆਇਸੋਪੈਂਨਟੇਨ
(ii) ਨਿਊਪੈਂਨਟੇਨ ।
ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਣਤਰ ਚਿੱਤਰ ਹੇਠ ਦਿੱਤੇ ਢੰਗ ਨਾਲ ਅਸੀਂ ਬਣਾ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਉਹ ਦੋ ਗੁਣ ਕਿਹੜੇ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਕਾਰਨ ਸਾਡੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਚਾਰ-ਚੁਫੇਰੇ ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੀ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਵਿਖਾਈ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ।
ਜਾਂ
ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਉਹ ਗੁਣ ਲਿਖੋ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਕਰਕੇ ਸਾਡੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਕਾਰਬਨਿਕ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੀ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਮੌਜੂਦ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਾਰਬਨ ਗੌਗਿਕਾਂ ਦੀ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਲਈ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਗੁਣ-ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਦੋ ਗੁਣ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਕਾਰਨ ਸਾਡੇ ਆਲੇ-ਦੁਆਲੇ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕ ਵਿਖਾਈ ਦਿੰਦੇ ਹਨ, ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ-
(i) ਲੜੀ ਬੰਧਨ (Catenation) – ਕਾਰਬਨ ਵਿੱਚ ਹੋਰ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਨਾਲ ਬੰਧਨ ਬਨਾਉਣ ਦੀ ਵਚਿੱਤਰ ਸਮਰੱਥਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਅਣੂਆਂ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਯੌਗਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਦੀਆਂ ਲੰਬੀਆਂ ਲੜੀਆਂ, ਸ਼ਾਪਿਤ ਲੜੀਆਂ ਅਤੇ ਬੰਦ ਲੜੀਆਂ ਹੋ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ ਕਾਰਬਨ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦਾ ਇਹ ਵਿਸ਼ਿਸ਼ਟ ਗੁਣ “ਲੜੀ ਬੰਧਨ” ਕਹਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਲੜੀ ਬੰਧਨ ਕਾਰਨ ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੀ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

(ii) ਚਾਰ ਸੰਯੋਜਕਤਾ (Tetravalency) – ਕਾਰਬਨ ਦੀ ਸੰਯੋਜਕਤਾ 4 ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਹੋਰ ਚਾਰ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਜਾਂ ਹੋਰ ਸੰਯੋਜਕ ਤੱਤਾਂ (ਆਕਸੀਜਨ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ, ਨਾਈਟਰੋਜਨ, ਸਲਫਰ, ਕਲੋਰੀਨ) ਦੇ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਨਾਲ ਬੰਧਨ ਬਨਾਉਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਵੱਡੀ ਸੰਖਿਆ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਯੌਗਿਕ ਬਣਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸਾਈਕਲੋਪੈਂਨਟੇਨ ਦਾ ਸੂਤਰ ਅਤੇ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਬਿੰਦੂ ਰਚਨਾ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਈਕਲੋਪੈਂਨਟੇਨ ਦਾ ਸਾਧਾਰਨ ਸੂਤਰ C5 H2 × 5 = C5 H10 ਹੈ। ਇਸਦੀ ਸੰਰਚਨਾ ਅਤੇ ਇਲੈੱਕਟਰਾਨ ਬਿੰਦੂ ਸੰਰਚਨਾ ਹੇਠਾਂ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਦੇ ਰੇਖਾ ਚਿੱਤਰ ਬਣਾਓ-
(i) ਈਥੇਨੋਇਕ ਐਸਿਡ
(ii) ਬਰੋਮੋਪੈਂਨਟੇਨ*
(iii) ਬਿਊਟੇਨੋਨ
(iv) ਹੈਕਸੇਨਲ ।
*ਕੀ ਬਰੋਮੋਪੈਂਨਟੇਨ ਦੇ ਬਣਤਰੀ ਸਮਅੰਗਕ ਸੰਭਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
(i) ਈਥੇਨੋਇਕ ਐਸਿਡ (CH3COOH)-
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(ii) ਬਰੋਮੋਪੈਂਨਟੇਨ (C5H11Br)-
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ਕਾਰਬਨ ਦੇ ਨਾਲ ਬਰੋਮੀਨ ਦਾ ਸਥਾਨ ਬਦਲਣ ਕਾਰਨ ਬਰੋਮੋਪੈਂਨਟੇਨ ਵਿਭਿੰਨ ਬਣਤਰੀ, ਸਮੁਅੰਗਕ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ 21
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(iii) ਬਿਊਟੇਨੋਨ (C2H5COCH3)-
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(iv) ਹੈਕਸੇਨਲ (C5H11CHO)-
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PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦਾ ਨਾਮਕਰਨ ਕਿਵੇਂ ਕਰੋਗੇ :
(i) CH3 – CH2 – Br
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ਉੱਤਰ-
(i) ਬਰੋਮੋਈਥੇਨ,
(ii) ਮੇਥੇਨੋਲ,
(iii) ਹੈਕਸਾਈਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਈਥੇਨੋਲ ਤੋਂ ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਨ ਨੂੰ ਆਕਸੀਕਰਨ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਿਉਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਿਉਂਕਿ ਈਥੇਨੋਇਕ ਤੇਜ਼ਾਬ, ਈਥੇਨੋਲ ਦੇ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਸੰਯੋਗ ਦੁਆਰਾ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਆਕਸੀਕਰਨ ਅਭਿਕਿਰਿਆ ਹੈ । ਆਕਸੀਕਰਨ, ਖਾਰੀ KMnO4 ਜਾਂ ਤੇਜ਼ਾਬੀ K2 Cr2 O7 ਦੁਆਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਈਥਾਇਨ ਦੇ ਮਿਸ਼ਰਨ ਨੂੰ ਵੈਲਡਿੰਗ ਕਰਨ ਲਈ ਜਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਦੱਸ ਸਕਦੇ ਹੋ ਕਿ ਈਥਾਇਨ ਅਤੇ ਹਵਾ ਦੇ ਮਿਸ਼ਰਨ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਈਥਾਇਨ ਇੱਕ ਅਸੰਤ੍ਰਿਪਤ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਹੈ ਜੋ ਹਵਾ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਜਲਾਉਂਦੇ (ਦਹਿਨ ਕਰਦੇ) ਸਮੇਂ ਪੀਲੇ ਰੰਗ ਦੀ ਸਲੇਟੀ ਲਾਟ ਪੈਦਾ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਧੂੰਏਂ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਅਪੂਰਨ ਹਿਨ ਕਾਰਨ ਊਸ਼ਮਾ ਊਰਜਾ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਘੱਟ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਹੜੀ ਵੈਲਡਿੰਗ ਲਈ ਕਾਫੀ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਦੂਜੇ ਪੱਖੋਂ ਜਦੋਂ ਈਥਾਇਨ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇ ਮਿਸ਼ਰਨ ਨੂੰ ਜਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਪੂਰਨ ਦਿਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਅਧਿਕ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਊਸ਼ਮਾ ਉਰਜਾ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਹੜੀ ਵੈਲਡਿੰਗ ਲਈ ਕਾਫ਼ੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਈਥਾਇਨ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ ਦਾ ਮਿਸ਼ਰਨ ਹੀ ਵੈਲਡਿੰਗ ਕਰਨ ਲਈ ਜਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਪ੍ਰਯੋਗ ਦੁਆਰਾ ਤੁਸੀਂ ਐਲਕੋਹਲ ਅਤੇ ਕਾਰਬਕਸਲਿੱਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ਕਿਵੇਂ ਅੰਤਰ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪ੍ਰਯੋਗ ਦੁਆਰਾ ਐਲਕੋਹਲ ਅਤੇ ਕਾਰਬਕਸਲਿੱਕ ਤੇਜ਼ਾਬ, ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ-
(1) ਸੋਡੀਅਮ ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਪਰੀਖਣ – ਦੋ ਪਰਖਨਲੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਐਲਕੋਹਲ ਅਤੇ ਕਾਰਬਕਸਲਿੱਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਥੋੜ੍ਹੀ-ਥੋੜ੍ਹੀ ਮਾਤਰਾ ਲਓ । ਦੋਨਾਂ ਪਰਖਨਲੀਆਂ ਵਿੱਚ NaHCO3 ਦਾ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਘੋਲ ਪਾਓ । ਜਿਹੜੀ ਪਰਖਨਲੀ ਵਿੱਚ CO2 ਗੈਸ ਦੀ ਉਤਪੱਤੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਬੁਲਬੁਲੇ ਬਣਦੇ ਨੇ ਉਸ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬਕਲਿੱਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਹੋਵੇਗਾ ।
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(2) ਖਾਰੀ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਪਰਮੈਗਨੇਟ ਪਰੀਖਣ – ਦੋ ਪਰਖਨਲੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਐਲਕੋਹਲ ਅਤੇ ਕਾਰਬਕਸਲਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਥੋੜ੍ਹੀ-ਥੋੜ੍ਹੀ ਮਾਤਰਾ ਲਓ। ਹੁਣ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਖਾਰੀ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਪਰਮੈਗਨੇਟ ਦੀਆਂ ਕੁੱਝ ਬੂੰਦਾਂ ਪਾਓ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਰਖਨਲੀਆਂ ਨੂੰ ਵਾਰੀ-ਵਾਰੀ ਗਰਮ ਕਰੋ ਜਿਹੜਾ ਘੋਲ ਖਾਰੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਪਰਮੈਂਗਨੇਟ ਘੋਲ ਦੇ ਗੁਲਾਬੀ ਰੰਗ ਨੂੰ ਉਡਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ਉਹ ਨਿਸਚਿਤ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਐਲਕੋਹਲ ਹੋਵੇਗਾ ।

(3) ਲਿਟਮਸ ਪਰੀਖਣ – ਦੋ ਪਰਖਨਲੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਐਲਕੋਹਲ ਅਤੇ ਕਾਰਬਕਸਲਿੱਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਥੋੜ੍ਹੀ-ਥੋੜ੍ਹੀ ਮਾਤਰਾ ਲਓ । ਹੁਣ ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਰਖਨਲੀਆਂ ਵਿੱਚ ਦੋ-ਦੋ ਬੂੰਦ ਨੀਲੇ ਲਿਟਮਸ ਦੀਆਂ ਪਾਓ । ਤੁਸੀਂ ਵੇਖੋਗੇ ਕਿ ਐਲਕੋਹਲ ਵਿੱਚ ਲਿਟਮਸ ਦੇ ਰੰਗ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਪਰਿਵਰਤਨ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗਾ ਜਦਕਿ ਕਾਰਬੋਕਸਲਿੱਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਾਲੀ ਪਰਖਨਲੀ ਵਿੱਚ ਨੀਲਾ ਲਿਟਮਸ ਲਾਲ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ ।

(4) ਸੋਡੀਅਮ ਧਾਤ ਪਰੀਖਣ – ਦੋ ਪਰਖਨਲੀਆਂ ਵਿੱਚ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਐਲਕੋਹਲ ਅਤੇ ਕਾਰਬਕਸਲਿੱਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਪਾਓ । ਹੁਣ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਸੋਡੀਅਮ ਧਾਤੂ ਦਾ ਛੋਟਾ ਜਿਹਾ ਟੁਕੜਾ ਪਾਓ । ਜਿਸ ਪਰਖਨਲੀ ਵਿੱਚ ਐਲਕੋਹਲ ਹੈ ਉਸ ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਦੀ ਬੁਦਬੁਦਾਹਟ ਹੋਵੇਗੀ ਜਦਕਿ ਕਾਰਬਕਸਲਿੱਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਤਾਂ ਬਣੇਗੀ, ਪਰੰਤੂ ਬੁਦਬੁਦਾਹਟ ਨਹੀਂ ਵਿਖਾਈ ਦੇਵੇਗੀ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 4 ਕਾਰਬਨ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਯੋਗਿਕ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਆਕਸੀਕਾਰਕ ਕੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਕਸੀਕਾਰਕ- ਅਜਿਹੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪਦਾਰਥ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਜਨ ਦੇਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਕਿਰਿਆ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਖੁਦ ਲਘੂਕਿਤ ਹੋ ਕੇ ਦੂਸਰੇ ਪਦਾਰਥ ਨੂੰ ਆਕਸੀਕ੍ਰਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਆਕਸੀਕਾਰਕ ਕਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨ ਵਜੋਂ ਖਾਰੀ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਪਰਮੈਗਨੇਟ ਜਾਂ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਡਾਈਕੋਮੇਟ ਐਲਕੋਹਲ ਨੂੰ ਆਕਸੀਕ੍ਰਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਕਸੀਕਾਰਕ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਮੈਲ-ਨਿਵਾਰਕ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਕੇ ਦੱਸ ਸਕਦੇ ਹੋ ਕਿ ਪਾਣੀ ਕਠੋਰ ਹੈ ਜਾਂ ਨਹੀਂ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੈਲ-ਨਿਵਾਰਕ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਕੇ ਅਸੀਂ ਇਹ ਨਹੀਂ ਦੱਸ ਸਕਦੇ ਕਿ ਪਾਣੀ ਦਾ ਕੋਈ ਨਮੂਨਾ ਕਠੋਰ ਹੈ ਜਾਂ ਨਹੀਂ ਕਿਉਂਕਿ ਮੈਲ-ਨਿਵਾਰਕ (ਡਿਟਰਜੈਂਟ) ਕਠੋਰ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਝੱਗ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਤਲਛੱਟ ਨਹੀਂ ਬਣਾਉਂਦਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਲੋ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਨਾਲ ਕੱਪੜੇ ਧੋਦੇ ਹਨ । ਆਮ ਕਰਕੇ ਸਾਬਣ ਲਗਾਉਣ ਪਿੱਛੋਂ ਲੋਕੀ ਕੱਪੜੇ ਨੂੰ ਪੱਥਰ ਉੱਤੇ ਪਟਕਦੇ ਹਨ ਜਾਂ ਮੋਗਰੀ (ਬਾਪੀ) ਨਾਲ ਕੁੱਟਦੇ ਹਨ । ਬਰੱਸ਼ ਨਾਲ ਰਗੜਦੇ ਹਨ ਜਾਂ ਕੱਪੜੇ ਧੋਣ ਦੀ ਮਸ਼ੀਨ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ · ਹਿਲਾਉਂਦੇ ਹਨ । ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਧੋਣ ਲਈ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਹਿਲਾਉਣਾ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਬਣ ਜਾਂ ਡਿਟਰਜੇਂਟ ਦੀ ਲੰਬੀ ਹਾਈਡਰੋਕਾਰਬਨ ਪੁੰਛ ਨਾਲ ਸ੍ਰੀਜ਼ ਜਾਂ ਗੰਦਗੀ ਜੁੜ ਕੇ ਕੱਪੜੇ ਦੀ ਸਤਹਿ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਜਲ-ਵਿਰੋਧੀ ਪੂੰਛ ਨੂੰ ਹਟਾਉਣ ਲਈ ਕੱਪੜੇ ਨੂੰ ਪੱਥਰ ਤੇ ਪਟਕਣਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ। ਜਾਂ ਥਾਪੀ ਨਾਲ ਕੁੱਟਣਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ਜਾਂ ਬਰੁੱਸ਼ ਨਾਲ ਰਗੜਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ਜਾਂ ਫਿਰ ਕੱਪੜੇ ਧੋਣ ਵਾਲੀ ਮਸ਼ੀਨ ਵਿੱਚ ਹਿਲਾਉਣਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

PSEB 10th Class Science Guide ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ Textbook Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਜੋੜਾ ਵਿਸਥਾਪਨ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰੇਗਾ ?
(a) NaCl ਘੋਲ ਅਤੇ ਕਾਪਰ ਧਾਤ
(b) MgCl2 ਘੋਲ ਅਤੇ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਧਾਤ
(c) FeSO4 ਘੋਲ ਅਤੇ ਸਿਲਵਰ ਧਾਤ
(d) AgNO3 ਘੋਲ ਅਤੇ ਕਾਪਰ ਧਾਤ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਿਲਵਰ ਧਾਤਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਕਾਪਰ ਧਾਤ ਸਿਲਵਰ ਨੂੰ AgNO3 ਵਿੱਚੋਂ ‘ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ।
AgNO3 (aq) + Cu (s) CuNO3 (q) + Ag (s)
∴ ਸਹੀ ਉੱਤਰ (d) AgNO3 ਘੋਲ ਅਤੇ ਕਾਂਪਰ ਧਾਤ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜੀ ਵਿਧੀ ਆਇਰਨ ਦੀ ਕੜਾਹੀ (frying pan) ਨੂੰ ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਉਪਯੁਕਤ ਹੈ ?
(a) ਗਰੀਸ ਲਗਾਉਣਾ
(b) ਪੇਂਟ ਕਰਨਾ
(c) ਜ਼ਿੰਕ ਦੀ ਪਰਤ ਚੜਾਉਣਾ
(d) ਉਕਤ ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਅਤੇ (b) ਵਿਧੀਆਂ ਉਪਯੁਕਤ ਨਹੀਂ, ਕਿਉਂਕਿ ਗਰਮ ਕਰਨ ਨਾਲ ਗਰੀਜ਼ ਅਤੇ ਪੇਂਟ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲੱਗ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
∴ ਸਹੀ ਉੱਤਰ ਹੈ (c) ਜ਼ਿੰਕ ਦੀ ਪਰਤ ਚੜ੍ਹਾਉਣਾ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਇੱਕ ਤੱਤ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਉੱਚ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਵਾਲਾ ਯੌਗਿਕ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਯੌਗਿਕ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਵੀ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹੈ । ਸੰਭਵ ਤੌਰ ਤੇ ਇਹ ਤੱਤ ਹੈ :
(a) ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ
(b) ਕਾਰਬਨ
(c) ਸਿਲੀਕਾਂਨ
(d) ਆਇਰਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ, ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ਜੋ ਇੱਕ ਆਇਨੀ ਯੌਗਿਕ ਹੈ ਜਿਸਦਾ ਉੱਚਾ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਹੈ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 1
CaO + H2O → Ca (OH)2 ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ)
∴ ਸਹੀ ਉੱਤਰ ਹੈ (a) ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਭੋਜਨ ਰੱਖਣ ਵਾਲੇ ਕੈਨਾਂ ਨੂੰ ਟਿੱਨ ਦੀ ਝਾਲ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਜ਼ਿੰਕ ਦੀ ਨਹੀਂ, ਕਿਉਂਕਿ ?
(a) ਜ਼ਿੰਕ ਟਿੱਨ ਨਾਲੋਂ ਮਹਿੰਗੀ ਹੈ ।
(b) ਜ਼ਿੰਕ ਦਾ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਟਿੱਨ ਨਾਲੋਂ ਉੱਚਾ ਹੈ ।
(c) ਜ਼ਿੰਕ ਟਿੱਨ ਨਾਲੋਂ ਵਧੇਰੇ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ ।
(d) ਜ਼ਿੰਕ ਟਿੱਨ ਨਾਲੋਂ ਘੱਟ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਟਿੱਨ ਖਾਣ ਵਾਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜਦਕਿ ਜ਼ਿੰਕ ਵੱਧ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਭੋਜਨ ਨੂੰ ਖ਼ਰਾਬ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।
∴ ਸਹੀ ਉੱਤਰ (c) ਜ਼ਿੰਕ ਟਿੱਨ ਨਾਲੋਂ ਵਧੇਰੇ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਤੁਹਾਨੂੰ ਇੱਕ ਹਥੌੜਾ, ਇੱਕ ਬੈਟਰੀ, ਇੱਕ ਬੱਲਬ, ਤਾਰਾਂ ਅਤੇ ਸਵਿੱਚ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਹਨ :
(a ਤੁਸੀਂ ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤ ਦੇ ਨਮੂਨਿਆਂ ਨੂੰ ਪਹਿਚਾਨਣ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਵਰਤੋਗੇ ?
(b) ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਪਛਾਨਣ ਲਈ ਕੀਤੀਆਂ ਪਰਖਾਂ ਦੀ ਉਪਯੋਗਤਾ ਦਾ ਮੁਲਾਂਕਣ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
(a)

  • ਅਸੀਂ ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਮੂਨਿਆਂ ਨੂੰ ਹਥੋੜੇ ਨਾਲ ਕੁੱਟ ਕੇ ਪਤਲੀ ਚਾਦਰ ਬਣਾਉਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕਰਾਂਗੇ ।
  • ਬੈਟਰੀ, ਬੱਲਬ ਅਤੇ ਸਵਿੱਚ ਨੂੰ ਤਾਰਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਸਰਕਟ ਰੀਪੱਥ ਸਥਾਪਿਤ ਕਰਾਂਗੇ ਵੇਖੋ ਚਿੱਤਰ) । ਵਾਰੀ-ਵਾਰੀ ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਮੂਨਿਆਂ ਨੂੰ ਟਰਮੀਨਲ A ਅਤੇ B ਵਿੱਚ ਲਗਾ ਕੇ ਪਰੀਖਣ ਕਰਾਂਗੇ ਅਤੇ ਨੋਟ ਕਰਾਂਗੇ ਕਿ ਕੀ ਪਰਿਵਰਤਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

(b)

  • ਇਹ ਵੇਖਣ ਵਿੱਚ ਆਇਆ ਹੈ ਕਿ ਹਥੋੜੇ ਨਾਲ ਕੁੱਟਣ ਤੇ ਧਾਤਾਂ ਪਤਲੀ ਚਾਦਰ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਹੋ ਗਈਆਂ ਹਨ ਜਦਕਿ ਅਧਾਤਾਂ ਭੁਰ-ਭੁਰੀਆਂ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਹਥੌੜੇ ਨਾਲ ਕੁੱਟਣ ਤੇ ਨਿੱਕੇ-ਨਿੱਕੇ ਟੁੱਕੜਿਆਂ ਵਿੱਚ ਟੁੱਟ ਗਈਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਹ ਨਤੀਜਾ ਨਿਕਲਦਾ ਹੈ ਕਿ ਧਾਤਾਂ ਕੁਟੀਯੋਗ ਹਨ ਜਦਕਿ ਅਧਾਤਾਂ ਕੁਟੀਣਯੋਗ ਨਹੀਂ ਹਨ ।
  • ਪਰੀਖਣ ਦੌਰਾਨ ਇਹ ਅਨੁਭਵ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਕਿ ਜਾਂਚ ਦੇ ਲਈ ਧਾਤ ਜਦੋਂ ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਟਰਮੀਨਲ A ਅਤੇ B ਵਿੱਚ ਜੋੜਿਆ ਜਾਂਦਾ
    ਦਾ ਟੁੱਕੜਾ ਹੈ ਤਾਂ ਬੱਲਬ ਜਗ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਅਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਟਰਮੀਨਲ A ਅਤੇ B ਵਿੱਚ ਜੋੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਬੱਲਬ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਮਾਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
    ਇਸ ਲਈ ਧਾਤਾਂ, ਬਿਜਲੀ ਦੀਆਂ ਸੂਚਾਲਕ ਹਨ ਜਦਕਿ ਅਧਾਤਾਂ, ਬਿਜਲੀ ਦੀਆਂ ਕੁਚਾਲਕ ਹਨ !

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਐਮਫੋਟੈਕ ਆਕਸਾਈਡ ਕੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ? ਐਮਟੈਰਿਕ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਦੀਆਂ ਦੋ ਉਦਾਹਰਨਾਂ ਦਿਓ ?
ਉੱਤਰ-
ਐਮਫੋਟੈਰਿਕ ਆਕਸਾਈਡ – ਉਹ ਧਾਤਵੀ ਆਕਸਾਈਡ ਜਿਹੜੇ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਅਤੇ ਖਾਰੀ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਦੋਨਾਂ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਵਿਵਹਾਰ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਐਮਟੈਰਿਕ ਆਕਸਾਈਡ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨ-
(1) ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ (Al2O3).
(2) ਜ਼ਿੰਕ ਆਕਸਾਈਡ (ZnO)
(i) Al2O3 + 6 HCl → 2 AlCl3 + 3 H2O (ਖਾਰੀ ਵਿਵਹਾਰ)
Al2O3 + 2 NaOH → 2 NaAlO2 + H2O (ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਵਿਵਹਾਰ)
(ii) ZnO + 2 HCl → ZnCl2 + H2O (ਖਾਰੀ ਵਿਵਹਾਰ)
ZnO + 2 NaOH → Na2ZnO2 + H2O (ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਵਿਵਹਾਰ)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਦੋ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਓ ਜੋ ਹਲਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਦੇਣਗੀਆਂ ਅਤੇ ਦੋ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਓ ਜੋ ਹਲਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਨਹੀਂ ਕਰਨਗੀਆਂ ।
ਉੱਤਰ-
ਜ਼ਿੰਕ (Zn) ਅਤੇ ਲੋਹਾ (Fe) ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲੋਂ ਵੱਧ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨੂੰ ਹਲਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਿੱਚੋਂ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰਨਗੀਆਂ ਹਨ ।
ਇਸ ਤੋਂ ਉਲਟ ਤਾਂਬਾ (ਕਾਪਰ) ਅਤੇ ਪਾਰਾ (ਮਰਕਰੀ), ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲੋਂ ਘੱਟ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਇੱਕ ਧਾਤ M ਨੂੰ ਬਿਜਲੀ ਅਪਘਟਨ ਸ਼ੁੱਧੀਕਰਨ ਲਈ ਤੁਸੀਂ ਤਾਪ ਕਿਰਿਆ ਐਨੋਡ, ਕੈਥੋਡ ਅਤੇ ਬਿਜਲੀ ਵਿਘਟਕ ਵਜੋਂ ਕੀ ਲਓਗੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਐਨੋਡ ਵਜੋਂ-ਧਾਤ M ਦੀ ਅਸ਼ੁੱਧ ਮੋਟੀ ਪਲੇਟ
ਕੈਥੋਡ ਵਜੋਂ-ਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤ M ਦੀ ਪਤਲੀ ਪਲੇਟ
ਬਿਜਲੀ ਵਿਘਟਕ ਵਜੋਂ-ਧਾਤ M ਦੇ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਯੋਗਿਕ ਦਾ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੋਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਪਰਤਯੂਸ਼ ਨੇ ਸਲਫਰ ਪਾਊਡਰ ਨੂੰ ਸਪੈਚੁਲੇ ਉੱਤੇ ਲੈ ਕੇ ਗਰਮ ਕੀਤਾ । ਉਸ ਨੇ ਉਤਪੰਨ ਗੈਸ ਨੂੰ ਉਸ ਉੱਪਰ ਪੁੱਠੀ ਪਰਖਨਲੀ ਰੱਖ ਕੇ ਇਕੱਠਾ ਕੀਤਾ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਚਿੱਤਰ ਵਿੱਚ ਵਿਖਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ ।
(a) ਗੈਸ ਦੀ ਕੀ ਕਿਰਿਆ ਹੋਵੇਗੀ :

  1. ਸੁੱਕੇ ਲਿਟਮਸ ਪੱਤਰ ਉੱਤੇ ।
  2. ਸਿੱਲ੍ਹੇ ਲਿਟਮਸ ਪੱਤਰ ਉੱਤੇ ।

(b) ਵਾਪਰਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਦੀ ਸੰਤੁਲਿਤ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮੀਕਰਨ ਲਿਖੋ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 3
ਉੱਤਰ-
(a) ਸਲਫਰ ਗਰਮ ਕਰਨ ਨਾਲ ਜਲਣ ਲਗਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਸਲਫਰ ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਗੈਸ ਉਤਪੰਨ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 4

  • ਸੁੱਕੇ ਲਿਟਮਸ ਪੱਤਰ ਉੱਤੇ ਸਲਫਰ ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਗੈਸ ਦੀ ਕੋਈ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  • ਸਲਫਰ ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਗੈਸ ਸਿੱਲ੍ਹੇ ਲਿਟਮਸ ਪੱਤਰ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਸਲਫਿਊਰਸ ਐਸਿਡ ਉਤਪੰਨ ਕਰੇਗੀ ਜੋ ਨੀਲੇ ਲਿਟਮਸ ਪੱਤਰ ਦਾ ਰੰਗ ਲਾਲ ਕਰ ਦੇਵੇਗੀ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਆਇਰਨ ਨੂੰ ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਦੋ ਢੰਗ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਆਇਰਨ ਨੂੰ ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਦੇ ਢੰਗ-

  • ਤੇਲ ਜਾਂ ਗਰੀਸ਼ ਦਾ ਲੋਪ ਕਰਕੇ – ਜੇਕਰ ਆਇਰਨ ਦੀ ਸਤਹਿ ਉੱਪਰ ਤੇਲ ਜਾਂ ਗਰੀਸ ਦੀ ਪਰਤ ਬਣਾ ਦੇਈਏ ਤਾਂ ਆਇਰਨ ਸਿੱਲ੍ਹ ਵਾਲੀ ਹਵਾ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦਾ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਆਇਰਨ ਲੋਹੇ ਨੂੰ ਜੰਗ ਨਹੀਂ ਲਗਦਾ ਹੈ । ਮਸ਼ੀਨਾਂ ਦੇ ਪੁਰਜ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਇਸ ਢੰਗ ਨਾਲ ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਤੋਂ ਬਚਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਅਨੈਮਲ ਕਰਨ ਨਾਲ – ਆਇਰਨ (ਲੋਹੇ) ਦੀ ਸਤਹਿ ਤੇ ਪੇਂਟ ਰੰਗ-ਰੋਗਨ ਦੀ ਪਰਤ ਜਮਾ ਕੇ ਜੰਗ ਲੱਗਣ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ‘ਤੇ ਕਾਬੂ ਪਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਬੱਸ, ਕਾਰ, ਸਕੂਟਰ, ਮੋਟਰ ਸਾਈਕਲ, ਖਿੜਕੀਆਂ ਅਤੇ ਰੇਲ ਗੱਡੀ ਆਦਿ ਤੇ ਅਨੈਮਲ ਦੀ ਪਰਤ ਚੜਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਅਧਾਤਾਂ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੁਕਤ ਹੋ ਕੇ ਕਿਹੋ ਜਿਹੇ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਧਾਤਾਂ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਦੋ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ-
(i) ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਆਕਸਾਈਡ
(ii) ਉਦਾਸੀਨ ਆਕਸਾਈਡ ।

(i) ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਆਕਸਾਈਡ – ਅਧਾਤਾਂ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਅਜਿਹੇ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਜਿਹੜੇ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਆਕਸਾਈਡ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲ ਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
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(ii) ਉਦਾਸੀਨ ਆਕਸਾਈਡ – ਕੁੱਝ ਅਧਾਤਾਂ, ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਉਦਾਸੀਨ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੇ ਲਿਟਮਸ ਦਾ ਕੋਈ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਉਦਾਹਰਨ ਵਜੋਂ ਕਾਰਬਨ ਮੋਨੋਆਕਸਾਈਡ, (CO), ਪਾਣੀ (H2O) ਅਤੇ ਨਾਈਟਸ ਆਕਸਾਈਡ (N2O) ਉਦਾਸੀਨ ਆਕਸਾਈਡ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ-
(a) ਪਲਾਟੀਨਮ, ਗੋਲਡ ਅਤੇ ਸਿਲਵਰ ਗਹਿਣੇ ਬਨਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
(b) ਸੋਡੀਅਮ, ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਇੱਥੀਅਮ ਨੂੰ ਤੇਲ ਵਿੱਚ ਸਟੋਰ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
(c) ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਪਾਤ ਹੈ ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਇਹ ਖਾਣਾ ਪਕਾਉਣ ਵਾਲੇ ਬਰਤਨ ਬਨਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
(d) ਨਿਸ਼ਕਰਸ਼ਨ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦੌਰਾਨ ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਅਤੇ ਸਲਫਾਈਡ ਕੱਚੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਆਮ ਕਰਕੇ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਕੇ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਉੱਤਰ-
(a) ਪਲਾਟੀਨਮ, ਗੋਲਡ ਅਤੇ ਸਿਲਵਰ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਗਹਿਣੇ ਬਨਾਉਣ ਲਈ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਧਾਤਾਂ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਲੜੀ ਵਿੱਚ ਹੇਠਾਂ ਵੱਲ (ਨੀਵੇਂ ਸਥਾਨ) ਤੇ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਪਾਣੀ, ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਖੋਰਣ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਧਾਤਾਂ ਖਿੱਚੀਣਸ਼ੀਲ ਅਤੇ ਕੁਟੀਣਸ਼ੀਲ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਗਹਿਣੀਆਂ ਦੇ ਵਿਭਿੰਨ ਨਮੂਨੇ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਬਣਾਏ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ।

(b) ਸੋਡੀਅਮ, ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਇੱਥੀਅਮ ਨੂੰ ਕੈਰੋਸੀਨ ਤੇਲ ਅੰਦਰ ਸਟੋਰ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਜੇਕਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਹਵਾ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਜਾਏ ਤਾਂ ਇਹ ਛੇਤੀ ਅੱਗ ਫੱੜ ਲੈਂਦੀਆਂ ਹਨ | ਅਜਿਹਾ ਇਸ ਲਈ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਜਲਣਤਾਪ (Ignition temperature) ਬਹੁਤ ਨੀਵਾਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲੱਗਣ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਕੈਰੋਸੀਨ ਤੇਲ ਵਿੱਚ ਡੁਬੋ ਕੇ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(c) ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਤਾਪ ਦੀ ਸੁਚਾਲਕ ਹੈ ਪਰੰਤੂ ਬਹੁਤ ਵੱਧ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤ ਹੈ । ਸਿੱਲ੍ਹੀ ਹਵਾ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਆਉਣ ਨਾਲ ਇਸਦੀ ਸਤਹਿ ‘ਤੇ ਐਲਮੀਨੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ (Al2O3) ਦੀ ਪ੍ਰਤ ਬਣ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਪਰਤ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤ ਨੂੰ ਹੋਰ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਆਉਣ ਦਿੰਦੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਕਾਰਨਾਂ ਕਰਕੇ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਨੂੰ ਖਾਣਾ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲੇ ਬਰਤਨਾਂ ਦੇ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

(d) ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਅਤੇ ਸਲਫਾਈਡ ਤੋਂ ਸਿੱਧੀ ਧਾਤ ਨਹੀਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ । ਇਸ ਲਈ ਧਾਤ ਨਿਸ਼ਕਰਸ਼ਨ ਪ੍ਰਕਰਮ ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਵਿੱਚ ਬਦਲਿਆ ਜਾਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਫਿਰ ਇਸ ਦਾ ਲਘੂਕਰਨ ਕਰਕੇ ਧਾਤ ਵਿੱਚ ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਉਸ ਵਿਚ ਉਪਸਥਿਤ ਤਬਦੀਲ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਧਾਤ ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਨੂੰ ਹਵਾ ਦੀ ਅਣਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਗਰਮ ਕਰਕੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਨੂੰ ਬਾਹਰ ਕੱਢਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
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ਧਾਤ ਸਲਫਾਈਡ ਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਉਪਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਗਰਮ ਕਰਕੇ ਉਸ ਧਾਤ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ | ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਉਸ ਵਿੱਚ ਉਪਸਥਿਤ ਆਰਸੈਨਿਕ ਅਤੇ ਗੰਧਕ (ਸਲਫਰ ਜਿਹੀਆਂ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਵੀ ਦੂਰ, ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ।

2ZnS + 3O2 → 2ZnO + 2SO2
S + O2 → SO2
4As + 5O2 → 2AS2O5

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਤੁਸੀਂ ਕਾਪਰ ਦੇ ਬਦਰੰਗੇ ਬਰਤਨਾਂ ਨੂੰ ਨਿੰਬੂ ਜਾਂ ਇਮਲੀ ਦੇ ਰਸ ਨਾਲ ਸਾਫ ਕਰਦੇ ਜ਼ਰੂਰ ਵੇਖਿਆ ਹੋਵੇਗਾ । ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ਕਿ ਇਹ ਖੱਟੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਬਰਤਨਾਂ ਨੂੰ ਸਾਫ ਕਰਨ ਲਈ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਿਬ ਜਾਂ ਇਮਲੀ ਦੇ ਰਸ ਜਿਹੇ ਖੱਟੇ ਪਦਾਰਥ ਕਾਪਰ ਦੇ ਬਦਰੰਗੇ ਬਰਤਨ ਸਾਫ਼ ਕਰਨ ਲਈ ਪ੍ਰਭਾਵੀ ਹਨ । ਅਜਿਹਾ ਹੋਣ ਦਾ ਕਾਰਨ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਕਾਪਰ ਦੇ ਬਰਤਨ ਉੱਪਰ ਜੰਮ ਹੋਈ ਕਾਪਰ ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਦੀ ਪਰਤ ਖੱਟੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਸਿਟਰਿਕ ਐਸਿਡ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਮੁਕਤ ਕਰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਬਰਤਨ ਸਾਫ਼ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਰਸਾਇਣਿਕ ਗੁਣਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ਤੇ ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਤਰ-

ਧਾਤ (Metals) ਆਧਾਰ (Non-Metals)
(1) ਧਾਤਾਂ ਖਾਰੇ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । (1) ਅਧਾਤਾਂ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਅਤੇ ਉਦਾਸੀਨ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ।
(2) ਧਾਤਾਂ ਹਲਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । (2) ਅਧਾਤਾਂ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ।
(3) ਧਾੜਾਂ ਕਲੋਰੀਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਸੰਯੋਜੀ ਕਲੋਰਾਈਡ (ਆਇਨੀ ਕਲੋਰਾਈਡ) ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹ ਬਿਜਲੀ ਸੰਯੋਜੀ ਕਲੋਰਾਈਡ ਬਿਜਲੀ ਅਪਘਟਕ ਅਤੇ ਵਾਸ਼ਪਸ਼ੀਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (3) ਅਧਾਤਾਂ ਕਲੋਰੀਨ ਦੇ ਨਾਲ ਸਹਿ-ਸੰਯੋਜੀ ਯੋਗਿਕ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਜਿਹੜੇ ਬਿਜਲਈ ਅਪਘਟਯ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ਪਰੰਤੂ ਵਾਸ਼ਪਸ਼ੀਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(4) ਧਾਤਾਂ ਲਘੂਕਾਰਕ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । (4) ਅਧਾਤਾਂ ਆਕਸੀਕਾਰਕ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
(5) ਕੁੱਝ ਧਾਤਾਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨਾਲ ਸੰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਹਾਈਡਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਹੜੇ ਬਿਜਲੀ ਸੰਯੋਜਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । (5) ਅਧਾਤਾਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਸਥਾਈ ਹਾਈਡਰਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਹੜੇ ਸਹਿ-ਸੰਯੋਜਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਇੱਕ ਵਿਅਕਤੀ ਸੁਨਿਆਰ ਬਣ ਕੇ ਘਰ-ਘਰ ਵਿੱਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਉਸ ਨੇ ਪੁਰਾਣੇ ਅਤੇ ਚਮਕ ਰਹਿਤ ਸੋਨੇ ਦੇ ਗਹਿਣਿਆਂ ਨੂੰ ਚਮਕਾਉਣ ਦਾ ਬਚਨ ਦਿੱਤਾ । ਇੱਕ ਸਾਦਾ ਇਸਤਰੀ ਨੇ ਸੋਨੇ ਦੀਆਂ ਚੂੜੀਆਂ ਦਾ ਜੋੜਾ ਉਸ ਵਿਅਕਤੀ ਨੂੰ ਦਿੱਤਾ ਜੋ ਉਸ ਨੇ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਡੁਬੋ ਦਿੱਤਾ । ਉਸ ਵਿਅਕਤੀ ਨੇ ਉਹ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਡੋਬੀਆਂ ਚੂੜੀਆਂ ਨਵੀਆਂ ਵਾਂਗ ਚਮਕਣ ਲੱਗੀਆਂ ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕਾਫ਼ੀ ਭਾਰ ਘੱਟ ਗਿਆ ਸੀ । ਇਸਤਰੀ ਬਹੁਤ ਦੁਖੀ ਹੋਈ । ਵਿਅਕਤੀ ਨਾਲ ਬੇ
ਨਤੀਜਾ ਬਹਿਸ ਹੋਈ ਪਰ ਵਿਅਕਤੀ ਛੇਤੀ ਹੀ ਖਿਸਕ ਗਿਆ । ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਇੱਕ ਜਲੂਸ ਬਣ ਕੇ ਘੋਲ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਬਾਰੇ ਪਤਾ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੁਨਿਆਰ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਘੋਲ, ਐਕਵਾਰੀਜਿਆ ਹੈ । ਐਕਵਾਰੀਜਿਆ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਐਸਿਡ ਅਤੇ ਨਾਈਟਿਕ ਐਸਿਡ 3 : 1 ਦੇ ਅਨੁਪਾਤ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਸੋਨਾ, ਐਕਵਾਰੀਜਿਆ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇਸਤਰੀ ਦੀਆਂ ਡੋਬੀਆਂ ਗਈਆਂ ਕੁੜੀਆਂ ਦਾ ਭਾਰ ਕਾਫ਼ੀ ਘੱਟ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਹ ਨਵੀਆਂ ਵਾਂਗ ਚਮਕਣ ਲਗਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਕਾਰਨ ਦੱਸੋ ਕਿ ਕਿਉਂ ਗਰਮ ਪਾਣੀ ਦੇ ਟੈਂਕ ਕਾਰ ਦੇ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਸਟੀਲ ਦੇ ਨਹੀਂ ਜੋ ਆਇਰਨ ਦੀ ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤ ਹੈ) ।
ਉੱਤਰ-
ਕਾਪਰ ਦੀ ਤਾਪ ਚਾਲਕੜਾ ਸਟੀਲ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਅਧਿਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਉਰਜਾ ਦੀ ਬਚਤ ਕਰਨ ਲਈ ਗਰਮ ਪਾਣੀ ਦੇ ਟੈਂਕ ਨੂੰ ਕਾਪਰ ਦਾ ਬਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕਾਪਰ, ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ਹੈ ਭਾਵੇਂ ਇਸ ਨੂੰ ਕਿੰਨਾ ਹੀ ਗਰਮ ਕਿਉਂ ਨਾ ਕੀਤਾ ਜਾਏ ਜਦਕਿ ਆਇਰਨ ਲੋਹਾ ਗਰਮ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਪਾਣੀ ਭਾਫ਼ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 8

Science Guide for Class 10 PSEB ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ InText Questions and Answers

ਅਧਿਆਇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਅਜਿਹੀ ਧਾਤ ਦੀ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ਜੋ-
(i) ਕਮਰੇ ਦੇ ਤਾਪਮਾਨ ਤੇ ਤਰਲ ਹੈ ।
(ii) ਸੌਖਿਆਂ ਚਾਕੂ ਨਾਲ ਕੱਟੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
(iii) ਤਾਪ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਤਮ ਚਾਲਕ ਹੈ ।
(iv) ਤਾਪ ਦੀ ਘੱਟ ਚਾਲਕ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਪਾਰਾ (Mercury)
(ii) ਸੋਡੀਅਮ (Sodium)
(iii) ਚਾਂਦੀ (Silver)
(iv) ਸੀਸਾ ਜਾਂ ਲੈਂਡ (Lead) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕੁਟੀਯੋਗਤਾ ਅਤੇ ਖਿੱਚੀਯੋਗਤਾ ਦਾ ਭਾਵ ਸਮਝਾਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੁਟੀਯੋਗਤਾ (Malleability) – ਇਸ ਦਾ ਅਰਥ ਹੈ ਕਿ ਧਾਤਾਂ ਦਾ ਉਹ ਗੁਣ ਜਿਸ ਦੇ ਕਾਰਨ ਧਾਤੂਆਂ ਨੂੰ ਹਥੌੜੇ ਨਾਲ ਕੁੱਟ ਕੇ ਬਗੈਰ ਟੁੱਟੇ ਧਾਤੂਆਂ ਨੂੰ ਪਤਲੀ ਚਾਦਰਾਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਬਦਲਣਾ ਹੈ ।

ਖਿੱਚੀਣਯੋਗਤਾ (Ductility) – ਇਹ ਧਾਤੂਆਂ ਦਾ ਉਹ ਗੁਣ ਹੈ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਖਿੱਚ ਕੇ ਪਤਲੀਆਂ ਤਾਰਾਂ ਵਿੱਚ ਪਰਿਵਰਤਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸੋਡੀਅਮ ਨੂੰ ਕੈਰੋਸੀਨ ਵਿੱਚ ਡੁਬੋ ਕੇ ਕਿਉਂ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਸੋਡੀਅਮ ਅਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਨੂੰ ਮਿੱਟੀ ਦੇ ਤੇਲ ਵਿਚ ਕਿਉਂ ਡੋਬ ਕੇ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? (ਮਾਂਡਲ ਪੇਪਰ
ਉੱਤਰ-
ਸੋਡੀਅਮ ਨੂੰ ਕੈਰੋਸੀਨ ਤੇਲ ਵਿੱਚ ਡੁਬੋ ਕੇ ਰੱਖਣਾ-ਸੋਡੀਅਮ ਇੱਕ ਬਹੁਤ ਹੀ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤ ਹੈ ਜਿਹੜੀ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਰੱਖਣ ਨਾਲ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਸੋਡੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਸੋਡੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਉਤਪੰਨ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਬਹੁਤ ਜਲਣਸ਼ੀਲ ਗੈਸ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇਹ ਅੱਗ ਫੜ ਲੈਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਸੋਡੀਅਮ ਦਾ ਹਵਾ ਨਾਲ ਸੰਪਰਕ ਹਟਾਉਣ ਲਈ ਇਸ ਨੂੰ ਕੈਰੋਸੀਨ ਤੇਲ ਵਿੱਚ ਡੁਬੋ ਕੇ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਇਨ੍ਹਾਂ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆਵਾਂ ਲਈ ਸਮੀਕਰਨ ਲਿਖੋ-
(i) ਆਇਰਨ ਦੀ ਭਾਫ਼ ਨਾਲ
(ii) ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਦੀ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ।
ਉੱਤਰ-
(i) 3Fe (s) + 4H2O(g) → Fe34 (s) + 4H2O (g)
(ii) Ca(s) + 2H2O (l) → Ca (OH)2(aq) + H2 (g)
2K(s) + 2H2O (l) → 2KOH (aq) H2 (g).

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
A, B, C ਅਤੇ D ਚਾਰ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਮੂਨੇ ਲਏ ਗਏ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਇੱਕ ਕਰਕੇ ਹੇਠਲੇ ਘੋਲਾਂ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ ਗਿਆ । ਇਸ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਸਿੱਟਿਆਂ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਸਾਰਨੀਬੱਧ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 9
ਇਸ ਸਾਰਨੀ ਦਾ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕਰਕੇ ਧਾਤਾਂ A, B, C ਅਤੇ D ਦੇ ਸੰਬੰਧ ਵਿੱਚ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦਾ ਉੱਤਰ ਦਿਓ ।
(i) ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤ ਕਿਹੜੀ ਹੈ ?
(ii) ਧਾਤ B ਨੂੰ ਕਾਪਰ ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਕੀ ਹੋਵੇਗਾ ?
(iii) ਧਾਤ A, B, C ਅਤੇ D ਨੂੰ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਦੇ ਘਟਦੇ ਕ੍ਰਮ ਵਿੱਚ ਰੱਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਧਾਤੁ B ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਕੋਈ ਹੋਰ ਧਾਤ ਆਇਰਨ ਸਲਫੇਟ (FeSO4) ਵਿੱਚੋਂ ਧਾਤੂ ਨੂੰ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦੀ ਹੈ ।

(ii) ਧਾਤੂ B ਸਭ ਤੋਂ ਅਧਿਕ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਜੇਕਰ ਧਾਤੂ ਨੂੰ ਕਾਪਰ (II) ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ ਜਾਏ ਤਾਂ ਇਹ ਕਾਰ ਨੂੰ ਇਸਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚੋਂ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਦੇਵੇਗਾ ਅਤੇ ਘੋਲ ਦਾ ਰੰਗ ਫਿੱਕਾ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ ।

(iii) B > A > C> D. ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਜਦੋਂ ਪਤਲੇ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨਾਲ ਆਇਰਨ ਕਿਰਿਆ ਕਰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇਸ ਦੀ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ ਲਿਖੋ । ਤੇਜ਼ਾਬ ਨੂੰ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤ ਉੱਤੇ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਕਿਹੜੀ ਗੈਸ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਾਰੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਪਤਲੇ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ । ਕੇਵਲ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਧਾਤਾਂ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਉਸ ਵਿੱਚੋਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਨੂੰ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਕੇ ਗੈਸ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਆਇਰਨ ਨਾਲ ਹਲਕਾ ਸਲਫਿਊਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ (H2SO4) ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 10

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਜਦੋਂ ਤੁਸੀਂ ਜ਼ਿੰਕ ਨੂੰ ਆਇਰਨ ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਪਾਉਂਦੇ ਹੋ ਤਾਂ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਵੇਖਦੇ ਹੋ ? ਵਾਪਰਦੀ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਜ਼ਿੰਕ ਨੂੰ ਆਇਰਨ (II) ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਜ਼ਿੰਕ, ਆਇਰਨ ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚੋਂ ਆਇਰਨ ਨੂੰ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਆਇਰਨ ਸਲਫੇਟ ਦਾ ਹਰਾ ਰੰਗ ਫਿੱਕਾ ਪੈ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਅਜਿਹਾ ਇਸ ਲਈ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਜ਼ਿੰਕ, ਆਇਰਨ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਅਧਿਕ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲ ਹੈ ।
Zn + FeSO4 → ZnSO4 + Fe
ਇਸ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਹੇਠ ਦਿੱਤੇ ਢੰਗ ਨਾਲ ਵੀ ਦਰਸਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ :
Zn (S) → Zn+ + 2e
Fe2+ (aq) + 2e → Fe (S)
Fe2+ (aq) + Zn (s) → Zn2+ (aq) + Fe (S)
FeSO4 (aq) + Zn (s) → ZnSO4 (aq) + Fe (S)

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
(i) ਸੋਡੀਅਮ, ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਦੀ ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨੀ ਬਿੰਦੂ ਰਚਨਾ ਲਿਖੋ ।
(ii) ਇਲੈੱਕਟ੍ਰਾਨਾਂ ਦੀ ਅਦਲਾ ਬਦਲੀ ਕਰਕੇ Na2O ਅਤੇ MgO ਦੀ ਸਿਰਜਣਾ ਦਰਸਾਓ ।
(ii) ਇਨ੍ਹਾਂ ਯੌਗਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਕਿਹੜੇ ਆਇਨ ਮੌਜੂਦ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 11
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ 12

(iii) Na2O ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਆਇਨ-
ਧਨ-ਆਇਨ : Na+ (ਸੋਡੀਅਮ ਧਨ-ਆਇਨ).
ਰਿਣ-ਆਇਨ : O2 (ਆਕਸੀਜਨ ਰਿਣ-ਆਇਨ)

MgO ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਆਇਨ-
ਧਨ-ਆਇਨ : Mg2+ (ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਧਨ-ਆਇਨ)
ਰਿਣ-ਆਇਨ : O2- (ਆਕਸੀਜਨ ਰਿਣ-ਆਇਨ) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਆਇਨੀ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੇ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਕਿਉਂ ਵੱਧ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਆਇਨੀ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੇ ਉੱਚੇ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਯੋਗਿਕਾਂ ਦੇ ਆਇਨਾਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਉਪਸਥਿਤ ਪ੍ਰਬਲ ਅੰਤਰ-ਆਇਨੀ ਬਲਾਂ ਨੂੰ ਸਮਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਅਧਿਕ ਉਰਜਾ ਦੀ ਲੋੜ ਪੈਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਪਿਘਲਣ ਅੰਕ ਵੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪਦਾਂ (terms) ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਦਿਓ :
(i) ਖਣਿਜ,
(ii) ਕੱਚੀ ਧਾਤ,
(iii) ਗੈਂਗ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ਖਣਿਜ (Mineral) – ਪ੍ਰਾਕ੍ਰਿਤਕ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਤੱਤ ਜਾਂ ਯੋਗਿਕਾਂ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਵਿਧੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਧਾਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਨੂੰ ਖਣਿਜ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

(ii) ਕੱਚੀ ਧਾਤ (Ore) – ਅਜਿਹੇ ਖਣਿਜ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਧਾਤ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਉੱਚੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਵਿੱਚੋਂ ਧਾਤ ਦਾ ਨਿਸ਼ਕਰਸ਼ਨ, ਲਾਹੇਵੰਦ ਢੰਗ ਨਾਲ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਨੂੰ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

(iii) ਗੈਂਗ (Gangue) – ਧਰਤੀ ਤੋਂ ਕੱਢੀ ਗਈ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਵਿੱਚ ਉਪਸਥਿਤ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਮਿੱਟੀ, ਰੇਤ ਆਦਿ ਨੂੰ ਗੈਗ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਦੋ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ਜੋ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਵਿੱਚ ਮੁਕਤ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-

  1. ਸੋਨਾ (Gold),
  2. ਪਲਾਟੀਨਮ (Platinum) ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਵਿੱਚ ਮੁਕਤ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਧਾਤ ਨੂੰ ਉਸਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਕਿਹੜੀ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਲੜੀ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਵਾਲੇ ਭਾਗ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਧਾਤੂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਨੂੰ ਗਰਮ ਕਰਨ ਨਾਲ ਧਾਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ । ਪਰੰਤੂ ਕਿਰਿਆਸ਼ੀਲਤਾ ਲੜੀ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰਲੇ ਭਾਗ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਧਾਤਾਂ ਦੇ ਆਕਸਾਈਡ ਨੂੰ ਕਾਰਬਨ ਨਾਲ ਗਰਮ ਕਰਕੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਲਘੂਕਰਨ ਕਿਰਿਆ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 3 ਧਾਤਾਂ ਅਤੇ ਅਧਾਤਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਜ਼ਿੰਕ, ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਕਾਪਰ ਦੇ ਧਾੜਵੀ ਆਕਸਾਈਡਾਂ ਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਨਾਲ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਗਰਮ ਕੀਤਾ ਗਿਆ :

ਧਾਤਵੀ ਆਕਸਾਈਡ ਜਿਸਤ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਕਾਪਰ
ਜ਼ਿੰਕ ਆਕਸਾਈਡ
ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ
ਕਾਪਰ ਆਕਸਾਈਡ

ਦੱਸੋ ਕਿਸ ਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਰਸਾਇਣਿਕ ਵਿਸਥਾਪਨ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਹੋਵੇਗੀ ?
ਉੱਤਰ-
(i) ਜ਼ਿੰਕ ਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਵਿੱਚ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਹੋਵੇਗੀ ।
ZnO + Mg → MgO + Zn

(ii) ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

(iii) ਕਾਪਰ ਆਕਸਾਈਡ, ਜ਼ਿੰਕ ਅਤੇ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਨਾਲ ਗਰਮ ਕਰਨ ‘ਤੇ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਕਰੇਗਾ ।
CuO + Zn → ZnO + Cu
CuO + Mg → MgO + Cu

ਧਾਤ ਜਿਸਤ (ਜ਼ਿੰਕ) ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਕਾਪਰ
ਜ਼ਿੰਕ ਆਕਸਾਈਡ ਕੋਈ ਵਿਸਥਾਪਨ ਨਹੀਂ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਕੋਈ ਵਿਸਥਾਪਨ ਨਹੀਂ
ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ ਕੋਈ ਵਿਸਥਾਪਨ ਨਹੀਂ ਕੋਈ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਕੋਈ ਵਿਸਥਾਪਨ ਨਹੀਂ
ਕਾਪਰ ਆਕਸਾਈਡ ਕੋਈ ਵਿਸਥਾਪਨ ਨਹੀਂ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਕੋਈ ਵਿਸਥਾਪਨ ਨਹੀਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਕਿਹੜੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਨਹੀਂ ਖੁਰਦੀਆਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਉਹ ਧਾਤਾਂ ਜੋ ਹਵਾ, ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਕਰਦੀਆਂ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਨਹੀਂ ਖੁਰਦੀਆਂ ਹਨ , ਜਿਵੇਂ-ਸੋਨਾ, ਪਲਾਟੀਨਮ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਮਿਸ਼ਰਤ-ਧਾਤਾਂ ਕੀ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਿਸ਼ਰਤ-ਧਾਤਾਂ (Alloys) – ਦੋ ਜਾਂ ਦੋ ਤੋਂ ਵੱਧ ਧਾਤਾਂ ਜਾਂ ਇੱਕ ਧਾਤ ਅਤੇ ਇੱਕ ਅਧਾਤ ਦੇ ਸੰਯੋਗ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਸਮਅੰਗੀ ਮਿਸ਼ਰਨ ਨੂੰ ਮਿਸ਼ਰਤ-ਧਾਤ ਆਖਦੇ ਹਨ । ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਤ ਦੇ ਗੁਣ ਮੂਲ ਧਾਤਾਂ ਤੋਂ ਭਿੰਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ | ਸ਼ੁੱਧ ਧਾਤ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਮਿਸ਼ਰਤ-ਧਾਤਾਂ ਦੀ ਬਿਜਲੀ ਚਾਲਕਤਾ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 2 ਤੇਜ਼ਾਬ, ਖਾਰ ਅਤੇ ਲੂਣ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 2 ਤੇਜ਼ਾਬ, ਖਾਰ ਅਤੇ ਲੂਣ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 2 ਤੇਜ਼ਾਬ, ਖਾਰ ਅਤੇ ਲੂਣ

PSEB 10th Class Science Guide ਤੇਜ਼ਾਬ, ਖਾਰ ਅਤੇ ਲੂਣ Textbook Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਇੱਕੋ ਘੋਲ ਲਾਲ ਲਿਟਮਸ ਨੂੰ ਨੀਲਾ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਦਾ ਸੰਭਵ ਤੌਰ ‘ਤੇ pH ਹੈ :
(a) 1
(b) 4
(c) 5
(d) 10.
ਉੱਤਰ-
ਘੋਲ ਲਾਲ ਲਿਟਮਸ ਨੂੰ ਨੀਲਾ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦਾ pH ਜ਼ਰੂਰ ਹੀ 7 ਤੋਂ ਵੱਧ ਹੋਵੇਗਾ । ਇਸ ਲਈ (d) ਠੀਕ ਉੱਤਰ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਇੱਕ ਘੋਲ ਅੰਡੇ ਦੇ ਛਿਲਕੇ ਦੇ ਬਾਰੀਕ ਟੁਕੜਿਆਂ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਇੱਕ ਗੈਸ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਚੂਨੇ ਦੇ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਦੁੱਧੀਆ ਕਰ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਹੈ :
(a) NaCl
(b) HCl
(c) LiCl
(d) KCl.
ਉੱਤਰ-
ਅੰਡੇ ਦੇ ਛਿਲਕੇ ਦੇ ਬਰੀਕ ਟੁਕੜਿਆਂ ਵਿੱਚ CaCO3 ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜੋ HCl ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ CO2 ਪੈਦਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਊਣੇ ਦੇ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਦੁੱਧੀਆ ਕਰ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਠੀਕ ਉੱਤਰ (b) ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 2 ਤੇਜ਼ਾਬ, ਖਾਰ ਅਤੇ ਲੂਣ

ਪਸ਼ਨ 3.
ਸੋਡੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ (NaOH) ਦਾ 10ml ਘੋਲ, HCl ਦੇ 8ml ਘੋਲ ਨਾਲ ਪੂਰਨ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਉਦਾਸੀਨ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜੇ ਅਸੀਂ NaOH ਦੇ ਉਸੀ ਘੋਲ ਦੇ 20ml ਲਈਏ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਉਦਾਸੀਨ ਕਰਨ ਲਈ HCl ਦੇ ਉਸੇ ਘੋਲ ਦੀ ਕਿੰਨੀ ਮਾਤਰਾ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੋਵੇਗੀ ?
(a) 4 ml
(b) 8 ml
(c) 12 ml
(d) 16 ml.
ਉੱਤਰ-
ਜੇ ਅਸੀਂ NaOH ਘੋਲ ਦੀ ਦੁੱਗਣੀ ਮਾਤਰਾ ਲਵਾਂਗੇ ਤਾਂ ਕਿ HCl ਘੋਲ ਨੂੰ ਉਦਾਸੀਨ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕੇ, ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਵੀ ਦੁੱਗਣਾ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਠੀਕ ਉੱਤਰ (d) ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਹੜੀ ਕਿਸਮ ਦੀ ਦਵਾਈ ਦੇ ਬਦਹਜ਼ਮੀ ਦਾ ਇਲਾਜ ਕਰਨ ਲਈ ਵਰਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
(a) ਐਂਟੀਬਾਇਓਟਿਕ (Antibiotic)
(b) ਐਨਾਲਜੈਸਿਕ (Analgesic)
(c) ਐਂਟਐਸਿਡ (Antacid)
(d) ਐਂਟੀਸੈਪਟਿਕ (Antiseptic) ।
ਉੱਤਰ-
(c) ਐਂਟਐਸਿਡ (Antacid) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਲਈ ਪਹਿਲਾਂ ਸ਼ਬਦ ਸਮੀਕਰਣਾਂ ਅਤੇ ਫਿਰ ਸੰਤੁਲਿਤ ਸਮੀਕਰਣਾਂ ਲਿਖੋ ।
(a) ਪਤਲਾ ਸਲਫਿਊਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦਾਣੇਦਾਰ ਜ਼ਿੰਕ ਦੇ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
(b) ਪਤਲਾ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਰਿਬਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
(c) ਪਤਲਾ ਸਲਫਿਊਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਪਾਊਡਰ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
(d) ਪਤਲਾ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਆਇਰਨ ਦੀਆਂ ਕਤਰਾਂ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਜ਼ਿੰਕ + ਸਲਫਿਊਰਿਕ ਐਸਿਡ (ਤਣੂ) → ਜ਼ਿੰਕ ਸਲਫੇਟ + ਹਾਈਡਰੋਜਨ
Zn + H2SO4 → ZnSO4 + H2

(b) ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ + ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਅਮਲ → ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਕਲੋਰਾਇਡ + ਹਾਈਡਰੋਜ਼ਨ
Mg + 2HCl → MgCl2 + H2

(c) ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ + ਸਲਫਿਊਰਿਕ → ਐਸਿਡ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਸਲਫੇਟ + ਹਾਈਡਰੋਜਨ
2Al + 3H2SO4 → Al2 (SO4)3 + 3H2

(d) ਲੋਹਾ + ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਐਸਿਡ → ਲੋਹਾ (II) ਕਲੋਰਾਈਡ + ਹਾਈਡੋਰਜਨ
Fe + 2HCl → FeCl2 + H2

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਅਲਕੋਹਲ ਅਤੇ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਜਿਹੇ ਯੌਗਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਜੋਂ ਵਰਗੀਕ੍ਰਿਤ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ । ਇਸ ਨੂੰ ਸਿੱਧ ਕਰਨ ਲਈ ਇੱਕ ਕਿਰਿਆ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 2 ਤੇਜ਼ਾਬ, ਖਾਰ ਅਤੇ ਲੂਣ 1
ਜਦੋਂ ਕਿ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਅਤੇ ਅਲਕੋਹਲ ਵਰਗੇ ਯੌਗਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਪਰ ਇਹ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਆਈਨੀਕ੍ਰਿਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ਅਤੇ H+ ਆਇਨ ਪੈਦਾ ਨਹੀਂ ਕਰਦੇ । ਇਹ ਇਸ ਤੱਥ ਨੂੰ ਸਾਬਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲੀ ਨਹੀਂ ਲੰਘ ਸਕਦੀ ।

ਕਿਰਿਆ ਕਲਾਪ – ਇਕ ਬੀਕਰ ਵਿੱਚ ਅਲਕੋਹਲ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਆਦਿ ਦਾ ਘੋਲ ਲਉ । ਇਕ ਕਾਰਕ ਤੇ ਦੋ ਮੇਖਾਂ ਲਗਾ ਕੇ ਕਾਰਕ ਨੂੰ ਬੀਕਰਮ ਬੀਕਰ ਵਿੱਚ ਰੱਖ ਦਿਓ । ਮੇਖਾਂ ਨੂੰ 6 ਵੋਲਟ ਦੀ ਇਕ ਬੈਟਰੀ ਦੇ ਦੋਵੇਂ ਟਰਮੀਨਲਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਇੱਕ ਬਲਬ ਅਤੇ ਸਵਿੱਚ ਦੇ ਮਾਧਿਅਮ ਨਾਲ ਜੋੜ ਦਿਓ । ਹੁਣ ਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਦਾ ਪ੍ਰਵਾਹ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰੋ । ਕਾਰਕਬਿਜਲੀ ਧਾਰਾ ਦਾ ਚਾਲਨ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਕਸ਼ੀਦਤ ਪਾਣੀ ਕਿਉਂ ਬਿਜਲੀ ਚਾਲਕ ਨਹੀਂ ਜਦੋਂ ਕਿ ਮੀਂਹ ਦਾ ਪਾਣੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੀਂਹ ਜਾਂ ਵਰਖਾ ਵਾਲੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ CO2, SO2 ਵਰਗੀਆਂ ਗੈਸਾਂ ਘੁਲੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਜੋ ਕਾਰਬਨਿਕ ਐਸਿਡ (H2CO3), ਸਲਫਿਉਰਸ ਐਸਿਡ (H2SO3) ਆਦਿ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਆਇਨਾਂ ਵਿੱਚ ਵਿਛੇਦਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਮੀਂਹ ਵਾਲੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲੀ ਦਾ ਚਾਲਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਕਸ਼ੀਦਤ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਗੈਸਾਂ ਜਾਂ ਲੂਣ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ । ਇਸ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਆਇਨੀਕਰਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਤੇ ਬਿਜਲੀ ਦਾ ਚਾਲਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 2 ਤੇਜ਼ਾਬ, ਖਾਰ ਅਤੇ ਲੂਣ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਪਾਣੀ ਦੀ ਅਣਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਦਾ ਵਿਵਹਾਰ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਾਣੀ ਕਿਸੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ਵਿਛੇਦਨ ਵਿੱਚ ਸਹਾਇਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਹਾਈਡਰੋਨੀਅਮ (H3O+) ਆਇਨ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਪਾਣੀ ਦੀ ਗੈਰ-ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿੱਚ ਆਇਨ ਪੈਦਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ । ਇਸ ਲਈ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦਾ ਵਿਵਹਾਰ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਪੰਜ ਘੋਲ A, B, C, D ਅਤੇ E ਦੀ ਜਦੋਂ ਵਿਸ਼ਵ ਵਿਆਪੀ ਸੂਚਕ ਨਾਲ ਪਰਖ ਕੀਤੀ ਗਈ ਤਾਂ ਲੜੀਵਾਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ pH ਮਾਨ : 4, 1, 11, 7 ਅਤੇ 9 ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਘੋਲ :
(a) ਉਦਾਸੀਨ ਹੈ ?
(b) ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਖਾਰੀ ਹੈ ?
(c) ਸ਼ਕਤੀਸ਼ਾਲੀ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਹੈ ?
(d) ਕਮਜ਼ੋਰ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਹੈ ?
(e) ਕਮਜ਼ੋਰ ਖਾਰੀ ਹੈ ?
pH ਮਾਨਾਂ ਨੂੰ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਆਇਨਾਂ ਦੀ ਸੰਘਣਤਾ ਦੇ ਵੱਧਦੇ ਕੂਮ ਵਿੱਚ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦਿੱਤੇ ਗਏ pH ਦੇ ਮਾਨ ਹਨ – A = 4, B = 1, C = 11, D = 7, E = 9.

(a) ਜਦੋਂ pH = 7 ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਘੋਲ ਉਦਾਸੀਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ‘D’ ਉਦਾਸੀਨ ਘੋਲ ਹੈ ।

(b) 7 ਤੋਂ ਜਿੰਨਾ ਵੱਧ pH ਦਾ ਮਾਨ ਹੋਵੇਗਾ ਘੋਲ ਓਨਾ ਹੀ ਵੱਧ ਖਾਰੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ‘C’ ਤੇਜ਼ ਖਾਰ ਹੈ ।

(c) 7 ਤੋਂ ਜਿੰਨਾ ਘੱਟ pH ਦਾ ਮਾਨ ਹੋਵੇਗਾ ਘੋਲ ਓਨਾ ਹੀ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਹੋਵੇਗਾ । ਇਸ ਲਈ ‘B’ ਤੇਜ਼ ਤੇਜ਼ਾਬ ਹੈ ।

(d) 7 ਤੋਂ ਘੱਟ ਪਰ 7 ਦੇ ਨੇੜੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਤੇਜ਼ਾਬ ਹੋਵੇਗਾ । ਇਸ ਲਈ ‘A’ ਕਮਜ਼ੋਰ ਤੇਜ਼ਾਬ ਹੈ ।

(e) 7 ਤੋਂ ਵੱਧ ਪਰ 7 ਦੇ ਨੇੜੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਖਾਰ ਹੋਵੇਗਾ | ਇਸ ਲਈ ‘E’ ਕਮਜ਼ੋਰ ਖਾਰ ਹੈ । ਦਿੱਤੇ ਹੋਏ ਘੋਲਾਂ ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਆਇਨ ਦੀ ਸੰਘਣਤਾ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੋਵੇਗੀ
A = 10-4 M
B = 10-11 M
C= 10-11 M
D = 10-7 M
E = 10-9 M
ਇਸ ਲਈ ਵੱਧਦੇ ਕੂਮ ਵਿੱਚ ।
C (10-11M) < E (10-19M) < D (10-7M) < A (10-4M) < B (10-1M).

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਪਰਖਨਲੀ ‘A’ ਅਤੇ ‘B’ ਵਿੱਚ ਸਮਾਨ ਲੰਬਾਈ ਦੀਆਂ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਦੀਆਂ ਪੱਟੀਆਂ ਲਈਆਂ ਗਈਆਂ ਹਨ । ਪਰਖਨਲੀ ‘A’ ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ (HCl) ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਪਰਖਨਲੀ ‘B’ ਵਿੱਚ ਐਸਟਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ (CH3COOH), ਦੋਵੇਂ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਦੀ ਸੰਘਣਤਾ ਅਤੇ ਮਾਤਰਾ ਸਮਾਨ ਹੈ । ਕਿਸ ਪਰਖਨਲੀ ਵਿੱਚ ਵਧੇਰੇ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਸੀ-ਸੀ ਦੀ ਆਵਾਜ਼ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਕਿਉਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਰਖਨਲੀ ‘A’ ਵਿੱਚ ਵੱਧ ਤੇਜ਼ੀ ਸੀ-ਸੀ ਦੀ ਆਵਾਜ਼ ਹੋਵੇਗੀ । ਅਜਿਹਾ ਇਸ ਲਈ ਕਿ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਐਸਿਡ ਐਸਟਿਕ ਐਸਿਡ ਨਾਲੋਂ ਤੇਜ਼ ਹੈ । ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਐਸਿਡ ਨਾਲ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਹੋਵੇਗੀ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਪੈਦਾ ਹੋਵੇਗੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਤਾਜ਼ੇ ਦੁੱਧ ਦੀ pH ਦਾ ਮਾਨ 6 ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਦਹੀਂ ਬਣ ਜਾਣ ਉਪਰੰਤ ਇਸ ਦੇ pH ਦੇ ਮਾਨ ਵਿੱਚ ਕੀ ਪਰਿਵਰਤਨ ਆਏਗਾ ? ਵਿਆਖਿਆ ਸਹਿਤ ਉੱਤਰ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਤਾਜ਼ਾ ਦੁੱਧ ਦਹੀਂ ਵਿੱਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ pH ਘੱਟ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ । ਅਜਿਹਾ ਇਸ ਲਈ ਹੋਵੇਗਾ ਕਿ ਦਹੀਂ ਵੱਧ ਤੇਜ਼ਾਬੀਪਨ ਵਾਲਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਦਹੀਂ ਵਿੱਚ ਲੈਕਟਿਕ ਐਸਿਡ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜਿੰਨਾ ਵੱਧ ਤੇਜ਼ਾਬ ਹੋਵੇਗਾ ਉਸ ਦਾ pH ਓਨਾ ਹੀ ਘੱਟ ਹੋਵੇਗਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਇਕ ਦੋਧੀ ਦੁੱਧ ਵਿੱਚ ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿਹਾ ਬੇਕਿੰਗ ਸੋਡਾ ਮਿਲਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।
(a) ਉਹ ਤਾਜ਼ੇ ਦੁੱਧ ਦੀ pH ਦਾ ਮਾਨ 6 ਤੋਂ ਬਦਲ ਕੇ ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿਹਾ ਖਾਰੀ ਕਿਉਂ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
(b) ਇਸ ਦੁੱਧ ਨੂੰ ਦਹੀਂ ਬਣਨ ਵਿੱਚ ਵਧੇਰੇ ਸਮਾਂ ਕਿਉਂ ਲਗਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
(a) ਤਾਜ਼ਾ ਦੁੱਧ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਖੱਟਾ ਹੋ ਕੇ ਹੋਰ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਬੇਕਿੰਗ ਸੋਡੇ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿੱਚ ਦੁੱਧ ਖਾਰੀ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਜਲਦੀ ਖੱਟਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਕਿਉਂਕਿ ਖਾਰ ਦੁੱਧ ਨੂੰ ਜਲਦੀ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਬਣਨ ਤੋਂ ਰੋਕ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 2 ਤੇਜ਼ਾਬ, ਖਾਰ ਅਤੇ ਲੂਣ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਪਲਾਸਟਰ ਆਫ਼ ਪੈਰਿਸ ਨੂੰ ਨਮੀਰੋਧਕ ਬਰਤਨ ਵਿੱਚ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ | ਵਰਣਨ ਕਰੋ ਕਿਉਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਲਾਸਟਰ ਆਫ਼ ਪੈਰਿਸ CaSO4 \(\frac {1}{2}\) H2O ਹੈ । ਨਮੀ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿੱਚ ਇਹ ਜਿਪਸਮ ਬਣ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 2 ਤੇਜ਼ਾਬ, ਖਾਰ ਅਤੇ ਲੂਣ 2
ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਨੂੰ ਨਮੀ ਰੋਧਕ ਬਰਤਨ ਵਿੱਚ ਰੱਖਿਆ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਉਦਾਸੀਨੀਕਰਨ ਕਿਰਿਆ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? ਇਸ ਦੀਆਂ ਦੋ ਉਦਾਹਰਨਾਂ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਉਦਾਸੀਨੀਕਰਨ – ਜਦੋਂ ਤੇਜ਼ਾਬ ਅਤੇ ਖਾਰ ਵਿੱਚ ਕਿਰਿਆ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਤਾਂ ਲੂਣ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਬਣਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਉਦਾਸੀਨੀਕਰਨ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 2 ਤੇਜ਼ਾਬ, ਖਾਰ ਅਤੇ ਲੂਣ 3

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਕਪੜੇ ਧੋਣ ਵਾਲੇ ਸੋਡੇ ਅਤੇ ਬੇਕਿੰਗ ਸੋਡੇ ਦੇ ਦੋ-ਦੋ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਉਪਯੋਗ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
(ੳ) ਕਪੜੇ ਧੋਣ ਵਾਲੇ ਸੋਡੇ (Na2 CO3. 10H2O) ਦੇ ਉਪਯੋਗ-

  1. ਇਸ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਕੱਚ, ਸਾਬਣ ਅਤੇ ਕਾਗਜ਼ ਉਦਯੋਗਾਂ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  2. ਪਾਣੀ ਦੀ ਸਥਾਈ ਕਠੋਰਤਾ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨ ਲਈ ਇਸ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

(ਅ) ਬੇਕਿੰਗ ਸੋਡੇ (NaHCO3) ਦੇ ਉਪਯੋਗ-

  1. ਬੇਕਿੰਗ ਜਾਂ ਮਿੱਠੇ ਸੋਡੇ ਦਾ ਉਪਯੋਗ ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਰਸੋਈ ਵਿੱਚ ਭੋਜਨ ਛੇਤੀ ਪਕਾਉਣ ਲਈ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਇਹ ਐਂਟਐਸਿਡ ਦਾ ਇਕ ਸੰਘਟਕ ਹੈ ਜੋ ਪੇਟ ਦੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਵੱਧ ਮਾਤਰ ਨੂੰ ਉਦਾਸੀਨ ਕਰਕੇ ਰਾਹਤ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

Science Guide for Class 10 PSEB ਤੇਜ਼ਾਬ, ਖਾਰ ਅਤੇ ਲੂਣ InText Questions and Answers

ਅਧਿਆਇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਤੁਹਾਨੂੰ ਤਿੰਨ ਪਰਖਨਲੀਆਂ ਦਿੱਤੀਆਂ ਗਈਆਂ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇੱਕ ਵਿੱਚ ਕਸ਼ੀਦਤ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਦੂਜੀਆਂ ਦੋ ਵਿਚੋਂ ਇਕ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਘੋਲ ਅਤੇ ਦੂਸਰੀ ਵਿੱਚ ਖਾਰੀ ਘੋਲ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਤੁਹਾਨੂੰ ਕੇਵਲ ਲਾਲ ਲਿਟਮਸ ਪੇਪਰ ਦਿੱਤਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਤੁਸੀਂ ਪਰਖਨਲੀਆਂ ਵਿਚਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੀ ਪਛਾਣ ਕਿਵੇਂ ਕਰੋਗੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਤਿੰਨਾਂ ਪਰਖਨਲੀਆਂ ਵਿੱਚ ਲਾਲ ਲਿਟਮਸ ਪੇਪਰ ਡੁਬਾਓ । ਜਿਸ ਪਰਖਨਲੀ ਵਿੱਚ ਇਸ ਦਾ ਰੰਗ ਨੀਲਾ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ ਉਹ ਖਾਰੀ ਘੋਲ ਹੋਵੇਗਾ । ਜਿਹੜੀਆਂ ਹੋਰ ਦੋ ਪਰਖਨਲੀਆਂ ਵਿੱਚ ਰੰਗ ਨਹੀਂ ਬਦਲਿਆ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਘੋਲ ਹੈ । ਜਿਹੜਾ ਲਾਲ ਟਮਸ ਪੇਪਰ ਖਾਰੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਪਾ ਕੇ ਨੀਲਾ ਹੋ ਚੁੱਕਾ ਹੈ, ਉਸ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਪਾਓ । ਜਿਹੜੀ ਪਰਖ ਨਲੀ ਵਿੱਚ ਰੰਗ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਬਦਲਾਅ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗਾ ਉਸ ਵਿੱਚ ਪਾਣੀ ਹੋਵੇਗਾ ਪਰ ਜਿਸ ਪਰਖਨਲੀ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਘੋਲ ਹੋਵੇਗਾ ਉਸ ਵਿੱਚ ਨੀਲੇ ਲਿਟਮਸ ਦਾ ਰੰਗ ਮੁੜ ਤੋਂ ਲਾਲ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪਿੱਤਲ ਅਤੇ ਤਾਂਬੇ ਦੇ ਬਰਤਨਾਂ ਵਿੱਚ ਦਹੀ ਅਤੇ ਖੱਟੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਰੱਖਣੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੇਕਰ ਪਿੱਤਲ ਅਤੇ ਤਾਂਬੇ ਦੇ ਬਰਤਨਾਂ ਵਿੱਚ ਖੰਟੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਰੱਖੀਆਂ ਜਾਣ ਤਾਂ, ਦਹੀਂ ਅਤੇ ਖੱਟੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਤੇਜ਼ਾਬ ਪਿੱਤਲ ਅਤੇ ਤਾਂਬੇ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਜ਼ਹਿਰੀਲੇ ਯੌਗਿਕ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਨਗੀਆਂ ਜੋ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਲਈ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਦਹੀਂ ਅਤੇ ਖੱਟੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਨੂੰ ਪਿੱਤਲ ਅਤੇ ਤਾਂਬੇ ਦੇ ਬਰਤਨਾਂ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਧਾਤ ਨਾਲ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਹੋਣ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਵਜੋਂ ਕਿਹੜੀ ਗੈਸ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ? ਇੱਕ ਉਦਾਹਰਨ ਦੇ ਕੇ ਸਮਝਾਓ । ਇਸ ਗੈਸ ਦੀ ਹੋਂਦ ਦੀ ਜਾਂਹ ਤੁਸੀਂ ਕਿਵੇਂ ਕਰੋਗੇ ?
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 2 ਤੇਜ਼ਾਬ, ਖਾਰ ਅਤੇ ਲੂਣ 4
ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਨੂੰ ਸਾਬਣ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚੋਂ ਲੰਘਾਓ । ਬੁਲਬੁਲੇ ਪੈਦਾ ਹੋਣਗੇ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਬੁਲਬੁਲਿਆਂ ਦੇ ਨੇੜੇ ਬਲਦੀ ਹੋਈ ਮੋਮਬੱਤੀ ਦੀ ਲੋਅ ਲਿਆਓ । ਇਹ ਪੱਪ-ਪੱਪ ਦੀ ਆਵਾਜ਼ ਨਾਲ ਜਲਣਗੇ । ਇਸ ਨਾਲ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਸਿੱਧ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਇੱਕ ਧਾਤ ਆਕਸਾਈਡ ‘A’ ਪਤਲੇ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਬੁਦਬੁਦਾਹਟ ਉਤਪੰਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਪੈਦਾ ਹੋਈ ਗੈਸ ਬਲਦੀ ਮੋਮਬੱਤੀ ਨੂੰ ਬੁਝਾ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਉਤਪੰਨ ਹੋਏ ਯੌਗਿਕਾਂ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਕਲੋਰਾਈਡ ਹੈ, ਤਾਂ ਇਸ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਲਈ ਸੰਤੁਲਿਤ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮੀਕਰਨ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਇਸ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਦੇ ਲਈ ਸੰਤੁਲਿਤ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮੀਕਰਣ ਹੈ
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 2 ਤੇਜ਼ਾਬ, ਖਾਰ ਅਤੇ ਲੂਣ 5

ਯੌਗਿਕ ‘A’ ਜ਼ਰੂਰੀ ਤੌਰ ਤੇ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਹੈ ।ਇਹ ਪਤਲਾ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਐਸਿਡ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਕਲੋਰਾਈਡ, ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਵਿੱਚ ਅੱਗ ਬੁਝਾਉਣ ਦਾ ਗੁਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਬਲਦੀ ਹੋਈ ਮੋਮਬੱਤੀ ਨੂੰ ਬੁਝਾ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
HCl, HNO3 ਆਦਿ ਜਲੀ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਗੁਣ ਕਿਉਂ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹਨ ਜਦੋਂ ਕਿ ਅਲਕੋਹਲ ਅਤੇ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਜਿਹੇ ਯੌਗਿਕਾਂ ਦੇ ਜਲੀ ਘੋਲ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਗੁਣ ਨਹੀਂ ਦਰਸਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
HCl, HNO3, ਆਦਿ ਜਲੀ ਘੋਲਾਂ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਲੱਛਣ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਜਲੀ ਘੋਲਾਂ ਵਿੱਚ ਆਇਨੀਕਰਨ ਕਰਕੇ ਮਾਂ ਆਇਨ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਦੋਂਕਿ ਐਲਕੋਹਲ ਅਤੇ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਆਇਨੀਕਰਨ ਨਹੀਂ ਕਰਦੇ ਅਤੇ H+ ਆਇਨ ਨੂੰ ਪੈਦਾ ਨਹੀਂ ਕਰਦੇ । ਇਹ ਜਲੀ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਬਿਜਲਈ ਚਾਲਕਤਾ ਦਾ ਗੁਣ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਿਤ ਨਹੀਂ ਕਰਦੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਤੇਜ਼ਾਬ ਦਾ ਜਲੀ ਘੋਲ ਕਿਉਂ ਬਿਜਲੀ ਦੀ ਧਾਰਾ ਦਾ ਚਾਲਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਤੇਜ਼ਾਬ ਦਾ ਪਾਣੀ ਬਿਜਲੀ ਦਾ ਚਾਲਕ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਜਲੀ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਆਇਨੀਕਰਨ ਕਰਕੇ ਆਇਨ ਪੈਦਾ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
HCl (aq) → H3O (ag) + Cl (aq)
HNO3 (aq) → H3O+ (aq) + NO3 (aq)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਖੁਸ਼ਕ HCl ਗੈਸ ਖ਼ੁਸ਼ਕ ਲਿਟਮਸ ਪੇਪਰ ਦੇ ਰੰਗ ਨੂੰ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਬਦਲਦੀ ?
ਉੱਤਰ-
ਖੁਸ਼ਕ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਗੈਸ ਖ਼ੁਸ਼ਕ ਲਿਟਮਸ ਪੇਪਰ ਦਾ ਰੰਗ ਨਹੀਂ ਬਦਲਦੀ ਕਿਉਂਕਿ ਪਾਣੀ ਦੀ ਗ਼ੈਰਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿੱਚ ਇਹ ਆਇਨੀਕਰਨ ਨਹੀਂ ਕਰ ਪਾਉਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਆਇਨ ਪੈਦਾ ਨਹੀਂ ਕਰ ਪਾਉਂਦਾ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਇਹ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਕਰ ਪਾਉਂਦੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਤੇਜ਼ਾਬ ਨੂੰ ਹਲਕਾ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਇਹ ਕਿਉਂ ਸਲਾਹ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਕਿ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਪਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਨਾ ਕਿ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ।
ਉੱਤਰ-
ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੇ ਘੁਲਣ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਬਹੁਤ ਤਾਪ ਨਿਕਾਸੀ ਵਾਲੀ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਕਿਸੇ ਸਾਂਦਰ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨੂੰ ਸਾਵਧਾਨੀ ਪੁਰਵਕ ਮਿਲਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਤੇਜ਼ਾਬ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਹਿਲਾਉਂਦੇ ਰਹਿਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਅਜਿਹਾ ਨਾ ਕਰਨ ਤੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਿੱਚ ਪਾਣੀ ਮਿਲਾਉਣ ਤੇ ਪੈਦਾ ਗਰਮੀ ਦੇ ਕਾਰਨ ਮਿਸ਼ਰਨ ਆਸਫਲੀਤ (ਉਬਲ ਕੇ ਹੋ ਕੇ ਬਾਹਰ ਆ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਸਥਾਨਿਕ ਤਾਪ ਵੱਧ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਵਰਤਿਆ ਜਾਣ ਵਾਲਾ ਕੱਚ ਦਾ ਬਰਤਨ ਵੀ ਟੁੱਟ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਤੇਜ਼ਾਬ ਨੂੰ ਪਤਲਾ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਹਾਈਡਰੋਨੀਅਮ ਆਇਨਾਂ (H3O+/H+) ਦੀ ਸੰਘਣਤਾ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੇ ਘੋਲ ਨੂੰ ਪਤਲਾ ਕਰਦੇ ਸਮੇਂ ਆਇਨ ਦੀ ਸਾਂਦਰਤਾ (H3O+/H+) ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਤੀ ਇਕਾਈ ਆਇਰਨ ਦੀ ਕਮੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਘੋਲ ਪਤਲੇ ਤੋਂ ਵੱਧ ਪਤਲਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਸੋਡੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਆਇਨਾਂ (OH) ਦੀ ਸੰਘਣਤਾ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਦੋਂ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਵਧੇਰੇ ਖਾਰ ਘੋਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਸੋਡੀਅਮ ਹਾਈਡਰਾਕਸਾਈਡ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਵੱਧ ਖਾਰ ਮਿਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਆਇਨ (OH) ਦੀ ਸੰਘਣਤਾ ਪ੍ਰਤੀ ਇਕਾਈ ਆਇਤਨ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਤੁਹਾਡੇ ਕੋਲ ਦੋ ਘੋਲ ‘A’ ਅਤੇ ‘B’ ਹਨ | ਘੋਲ ‘A’ ਦੀ pH ਦਾ ਮਾਨ 6 ਹੈ ਅਤੇ ਘੋਲ ‘B’ ਦੀ pH ਦਾ ਮਾਨ 8 ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਹੜੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਆਇਨਾਂ ਦੀ ਸੰਘਣਤਾ ਵੱਧ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਘੋਲ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਅਤੇ ਕਿਹੜਾ ਘੋਲ ਖਾਰੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਘੋਲ ‘A’ ਦੀ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਆਇਨਾਂ ਦੀ ਸੰਘਣਤਾ ਘੋਲ ‘B’ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਵੱਧ ਹੈ । ਘੋਲ A ਦਾ pH ਮਾਨ 7 ਤੋਂ ਘੱਟ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਹੈ । ਘੋਲ ‘B’ ਦਾ pH ਮਾਨ 7 ਤੋਂ ਵੱਧ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਖਾਰੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਆਇਨਾਂ H+(aq) ਦੀ ਸੰਘਣਤਾ ਦਾ ਘੋਲ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਉੱਤੇ ਕੀ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
H+(aq) ਆਇਨਾਂ ਦੀ ਸੰਘਣਤਾ ਦਾ ਘੋਲ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ‘ਤੇ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । H+(aq) ਦੀ ਜਿੰਨੀ ਵੱਧ ਸੰਘਣਤਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਓਨਾ ਹੀ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਵੱਧ ਤੇਜ਼ਾਬੀਪਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਕੀ ਖਾਰੀ ਘੋਲਾਂ ਵਿੱਚ H+(aq) ਆਇਨ ਵੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ? ਜੇਕਰ ਹਾਂ, ਤਾਂ ਉਹ ਖਾਰੀ ਕਿਉਂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਖਾਰੀ ਘੋਲ ਵਿੱਚ H+(aq) ਆਇਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਪਰ ਨਾਲ ਹੀ ਉਸ ਵਿੱਚ OH ਆਇਨ ਵੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਖਾਰੀ ਇਸ ਲਈ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਕਿਉਂਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿੱਚ OH-ਆਇਨ ਦੀ ਸੰਘਣਤਾ + ਆਇਨ ਦੀ ਸੰਘਣਤਾ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਵਿੱਚ ਵੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਤੁਹਾਡੇ ਵਿਚਾਰ ਅਨੁਸਾਰ ਕੋਈ ਕਿਸਾਨ ਆਪਣੇ ਖੇਤ ਦੀ ਮਿੱਟੀ ਦੀ ਕਿਸ ਪਰਿਸਥਿਤੀ ਵਿੱਚ ਅਣ-ਬੁਝੇ ਚੂਨੇ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ ਜਾਂ ਬੁਝੇ ਹੋਏ ਚੂਨੇ (ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ) ਜਾਂ ਚਾਕ (ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਕਾਰਬੋਨੇਟ) ਦੀ ਆਪਣੇ ਖੇਤ ਵਿੱਚ ਵਰਤੋਂ ਕਰੇਗਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਿਨਾਂ ਬੁਝਿਆ ਹੋਇਆ ਚੂਨਾ (CaO), ਬੁਝਿਆ ਹੋਇਆ ਚੂਨਾ (Ca(OH)2) ਅਤੇ ਚਾਕ (CaCO3) ਕੁਦਰਤੀ ਖਾਰ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਕਿਸਾਨ ਖੇਤ ਦੀ ਮਿੱਟੀ ਵਿੱਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰ ਸਕੇਗਾ ਜੋ ਖੇਤ ਦੀ ਮਿੱਟੀ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਤੀ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
CaOCl2 ਦਾ ਸਾਧਾਰਨ ਨਾਂ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਰੰਗਕਾਟ ਪਾਊਡਰ (Bleaching powder) ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਉਸ ਵਸਤੂ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ਜੋ ਕਲੋਰੀਨ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਰੰਗਕਾਟ ਪਾਊਡਰ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-ਸੁੱਕਾ ਬੁਝਿਆ ਹੋਇਆ ਚੂਨਾ (Ca(OH2)) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਸੋਡੀਅਮ ਦੇ ਉਸ ਯੌਗਿਕ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ਜੋ ਕਠੋਰ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਹਲਕਾ ਕਰਨ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਧੋਣ ਵਾਲਾ ਸੋਡਾ (Na2CO3) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਸੋਡੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਨੂੰ ਗਰਮ ਕਰਨ ਨਾਲ ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ? ਸੰਬੰਧਿਤ ਕਿਰਿਆ ਦੀ ਸਮੀਕਰਣ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸੋਡੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਕਾਰਬੋਨੇਟ ਗਰਮ ਕਰਨ ‘ਤੇ ਸੋਡੀਅਮ ਕਾਰਬੋਨੇਟ, ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਟੁੱਟ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਪਲਾਸਟਰ ਆਫ਼ ਪੈਰਿਸ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚਕਾਰ ਵਾਪਰਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਦੀ ਸਮੀਕਰਣ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪਲਾਸਟਰ ਆਫ਼ ਪੈਰਿਸ (CasO4. \(\frac {1}{2}\)H2O) ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਜਿਪਸਮ CasO4. 2H2O ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਲਗਭਗ ਅੱਧੇ ਘੰਟੇ ਵਿੱਚ ਜੰਮ ਕੇ ਠੋਸ ਬਣ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
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PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 1 ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਮੀਕਰਣਾਂ

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Book Solutions Chapter 1 ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਮੀਕਰਣਾਂ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Science Chapter 1 ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਮੀਕਰਣਾਂ

PSEB 10th Class Science Guide ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਮੀਕਰਣਾਂ Textbook Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਹੇਠ ਲਿਖੀ ਗਈ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ ਦੇ ਸੰਬੰਧ ਵਿੱਚ ਕਿਹੜੇ ਕਥਨ ਗਲਤ ਹਨ:
2PbO(s) + C(s) → 2Pb(s) + CO2(g)
(a) ਸ਼ੈੱਡ ਦਾ ਲਘੂਕਰਨ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ ।
(b) ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਦਾ ਆਕਸੀਕਰਨ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ ।
(c) ਕਾਰਬਨ ਦਾ ਆਕਸੀਕਰਨ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ ।
(d) ਚੈੱਡ ਆਕਸਾਈਡ ਦਾ ਲਘੂਕਰਨ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ ।
(i) (a) ਅਤੇ (b)
(ii) (a) ਅਤੇ (c)
(iii) (a), (b) ਅਤੇ (c)
(iv) ਸਾਰੇ ।
ਉੱਤਰ-
(i) (a) ਅਤੇ (b) ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
Fe2O3 + 2Al → Al2O3 + 2Fe ਉਪਰੋਕਤ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ ਇੱਕ ਉਦਾਹਰਣ ਹੈ :
(a) ਸੰਯੋਜਨ ਕਿਰਿਆ
(b) ਦੂਹਰਾ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ
(c) ਅਪਘਟਨ ਕਿਰਿਆ ।
(d) ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ।
ਉੱਤਰ-
ਉਪਰੋਕਤ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ Al, Fe2O3 ਦੇ Fe ਨੂੰ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ (d) ਸਹੀ ਉੱਤਰ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 1 ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਮੀਕਰਣਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਪਤਲਾ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਐਸਿਡ ਲੋਹ ਬੂਰਨ ਉੱਤੇ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? ਸਹੀ ਉੱਤਰ ਤੇ ਨਿਸ਼ਾਨ ਲਗਾਉ ।
(a) ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਅਤੇ ਆਇਰਨ ਕਲੋਰਾਈਡ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(b) ਕਲੋਰੀਨ ਗੈਸ ਅਤੇ ਆਇਰਨ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
(c) ਕੋਈ ਕਿਰਿਆ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।
(d) ਆਇਰਨੇ ਲੂਣ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਉਪਰੋਕਤ ਕਿਰਿਆ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਹੈ –
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 1 ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਮੀਕਰਣਾਂ 1
ਜਿਸ ਵਿੱਚ H2 ਅਤੇ FeCl2 ਮਿਲਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ (a) ਸਹੀ ਉੱਤਰ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਸੰਤੁਲਿਤ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮੀਕਰਣ ਕੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ? ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮੀਕਰਣ ਨੂੰ ਸੰਤੁਲਿਤ ਕਿਉਂ ਕੀਤਾ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੰਤੁਲਿਤ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮੀਕਰਣ-ਜੇ ਕਿਸੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਅਭਿਕਾਰਕ ਅਤੇ ਉਤਪਾਦਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਬਰਾਬਰ ਹੋਵੇ, ਤਾਂ ਉਹ ਸੰਤੁਲਿਤ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮੀਕਰਣ ਕਹਾਉਂਦੀ ਹੈ ।

ਸਮੀਕਰਣ ਨੂੰ ਸੰਤੁਲਿਤ ਕਰਨਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਪੁੰਜ ਦੇ ਸੁਰੱਖਿਅਣ ਦੇ ਨਿਯਮ ਅਨੁਸਾਰ ਕਿਸੇ ਵੀ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਪੁੰਜ ਦਾ ਨਾ ਤਾਂ ਨਿਰਮਾਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਨਾ ਹੀ ਵਿਨਾਸ਼ ਇਸਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਦੋਵੇਂ ਪਾਸੇ ਪੁੰਜ ਸਮਾਨ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਉਦੋਂ ਹੀ ਸੰਭਵ ਹੈ ਜਦੋਂ ਦੋਨੋਂ ਪਾਸੇ ਦੇ ਤੱਤਾਂ ਦੇ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਬਰਾਬਰ ਹੋਵੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਥਨਾਂ ਨੂੰ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮੀਕਰਣਾਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਬਦਲੋ ਅਤੇ ਫਿਰ ਸੰਤੁਲਿਤ ਕਰੋ :
(a) ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਗੈਸ ਨਾਲ ਜੁੜ ਕੇ ਅਮੋਨੀਆ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ ।
(b) ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਸਲਫਾਈਡ ਗੈਸ ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਬਲ ਕੇ ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਸਲਫਰ ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ ।
(c) ਬੇਰੀਅਮ ਕਲੋਰਾਈਡ ਅਤੇ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਕਲੋਰਾਈਡ ਅਤੇ ਬੇਰੀਅਮ ਸਲਫੇਟ ਦਾ ਅਵਖੇਪ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।.
(d) ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਧਾਤ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਅਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਗੈਸ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(a) N2(g) + 32H(g) → 2NH3(g)
(b) 2H2S(g) + 3O2(g) → 2H2O(l) + 2SO2(g)
(c) Al2(SO4)3 + BaCl2(s) → 3BaSO4↓+ 2AlCl3(aq)
(d) 2K(S) + 2H2O(l) → 2KOH(aq) + H2(g).

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮੀਕਰਣਾਂ ਨੂੰ ਸੰਤੁਲਿਤ ਕਰੋ :
(a) HNO3 + Ca(OH)2 → Ca(NO3)2 + H2O
(b) NaOH + H2SO4 → Na2SO4 + H2O
(c) NaCl + AgNO3 → AgCl + NaNO3
(a) BaCl2 + H2SO4 → BaSO4 + HCl.
ਉੱਤਰ-
(a) 2HNO3 + Ca(OH)2 → Ca(NO3)2 + 2H2O
(b) 2NaOH + H2SO4 → Na2SO4 + 2H2O
(c) NaCl + AgNO3 → AgCl + NaNO3
(d) BaCl2 + H2SO4 → BaSO4 + 2HCl

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 1 ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਮੀਕਰਣਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਲਈ ਸੰਤੁਲਿਤ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮੀਕਰਣਾਂ ਲਿਖੋ-
(a) ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ + ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ → ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਕਾਰਬੋਨੇਟ + ਪਾਣੀ
(b) ਜ਼ਿੰਕ + ਸਿਲਵਰ ਨਾਈਟਰੇਟ → ਜਿੰਕ ਨਾਈਟਰੇਟ + ਸਿਲਵਰ
(c) ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ + ਕਾਪਰ ਕਲੋਰਾਈਡ → ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਕਲੋਰਾਈਡ + ਕਾਪਰ
d) ਬੇਰੀਅਮ ਕਲੋਰਾਈਡ + ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਸਲਫੇਟ → ਬੇਰੀਅਮ ਸਲਫੇਟ + ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਕਲੋਰਾਈਡ ।
ਉੱਤਰ-
(a) Ca(OH)2 + CO2 → CaCO3 + H2O
(b) Zn + 2AgNO3 → Zn(NO3)2 + 2Ag
(c) 2Al + 3CuCl2 → 2AlCl3 + 3Cu
d) BaCl3 +K2SO4 → BaSO4 + 2KCl

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਹੇਠ ਲਿਖਿਆਂ ਲਈ ਸੰਤੁਲਿਤ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮੀਕਰਣਾਂ ਲਿਖੋ ਅਤੇ ਹਰ ਇੱਕ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ ਦੀ , ਕਿਸਮ ਦੱਸੋ !
(a) ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਬੋਮਾਈਡ (aq) + ਬੇਰੀਅਮ ਆਈਓਡਾਈਡ (aq) → ਪੋਟਾਸ਼ੀਅਮ ਆਇਓਡਾਈਡ (aq) + ਬੇਰੀਅਮ ਬੋਮਾਈਡ (s)
(b) ਜ਼ਿੰਕ ਕਾਰਬੋਨੇਟ (s) → ਜ਼ਿੰਕ ਆਕਸਾਈਡ (s) + ਕਾਰਬਨ-ਡਾਈਆਕਸਾਈਡ (g)
(c) ਹਾਈਡਰੋਜਨ (g) + ਕਲੋਰੀਨ (g) – ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਕਲੋਰਾਈਡ (g)
(d) ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ (s) + ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਐਸਿਡ (aq) → ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਕਲੋਰਾਈਡ (aq) + ਹਾਈਡਰੋਜਨ (g)
ਉੱਤਰ-
(a) 2KBr (aq) + BaI2(aq) → 2KI(aq) + BaBr2(aq) ਇਹ ਇਕ ਦੋਹਰੀ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਹੈ ।

(b) ZnCO3 (s) → ZnO(s) + CO2 (g) ਇਹ ਵਿਯੋਜਨ (ਅਪਘਟਨ) ਅਭਿਕਿਰਿਆ ਹੈ ।

(c) H2(g) + Cl2(g) → 2HCl(g)
ਇਹ ਸੰਯੋਜਨ ਕਿਰਿਆ ਹੈ ।

(d) Mg(s) + 2HCl (aq) – MgCl2(aq) + H(g)
ਇਹ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਤਾਪ-ਨਿਕਾਸੀ ਅਤੇ ਤਾਪ-ਸੋਖੀ ਕਿਰਿਆ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? ਉਦਾਹਰਨਾਂ ਦਿਉ ।
ਉੱਤਰ-
ਤਾਪ-ਨਿਕਾਸੀ ਕਿਰਿਆ (Exothermic reaction)-ਜਿਹੜੀਆਂ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਵਿੱਚ ਉਤਪਾਦ ਦੇ ਨਾਲ ਤਾਪ ਦਾ ਵੀ ਉਤਸਰਜਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਉਸਨੂੰ ਤਾਪ-ਨਿਕਾਸੀ ਕਿਰਿਆ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨ-
(1) ਕੁਦਰਤੀ ਗੈਸ ਦਾ ਦਹਿਣ
CH4(g) + 2O2(g) → CO2(g) + 2H2O (1) + ਤਾਪ

(2) ਕੋਕ ਦਾ ਵਹਿਣ
C(s) + O2(g) → CO2(g) + ਤਾਪ

(3) ਸਾਹ ਦੌਰਾਨ ਸਰੀਰ ਵਿੱਚ ਤਾਪ ਊਰਜਾ ਪੈਦਾ ਹੋਣਾ ।
C6H12O6(ag) + 6O2 (g) → 6CO2(g) + 6H2O (1) + ਤਾਪ

ਤਾਪ-ਸੋਖੀ ਕਿਰਿਆ (Endothermic reaction)
ਜਿਹੜੀਆਂ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਵਿੱਚ ਤਾਪ ਦਾ ਸੋਖਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਤਾਪ-ਸੋਖੀ ਕਿਰਿਆ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
ਉਦਾਹਰਨਾਂ-
(1) ਕੋਕ ਦੀ ਭਾਫ਼ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ
C(s) + H2O(s) + ਤਾਪ → CO(s) + H2(g)

(2) N2 ਅਤੇ O2 ਦੀ ਕਿਰਿਆ
N2(g) + O2(g) + ਤਾਪ ਊਰਜਾ → 2NO(g) ਨਾਈਟਰਿਕ ਆਕਸਾਈਡ

(3) CaCO3 ਦਾ ਗਰਮ ਹੋਣਾ
CaCO3 + ਤਾਪ → CaO(s) + CO2(g)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਤਾਪ-ਨਿਕਾਸੀ ਕਿਰਿਆ ਕਿਉਂ ਸਮਝਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਜਾਂ
ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਤਾਪ-ਨਿਕਾਸੀ ਕਿਰਿਆ ਕਿਉਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰਜੀਉਂਦੇ ਰਹਿਣ ਲਈ ਸਾਨੂੰ ਉਰਜਾ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਉਰਜਾ ਸਾਨੂੰ ਭੋਜਨ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਪਾਚਨ ਕਿਰਿਆ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਖਾਧ ਪਦਾਰਥ ਛੋਟੇ-ਛੋਟੇ ਟੁਕੜਿਆਂ ਵਿੱਚ ਟੁੱਟ ਜਾਂਦਾ ਹੈ , ਜਿਵੇਂ-ਚਾਵਲ, ਆਲੂ ਅਤੇ ਬੈਡ ਵਿੱਚ ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਕਾਰਬੋਹਾਈਡਰੇਟ ਦੇ ਟੁੱਟਣ ਨਾਲ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਗੁਲੂਕੋਜ਼ ਸਾਡੀਆਂ ਸਰੀਰ ਦੀਆਂ ਕੋਸ਼ਿਕਾਵਾਂ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਆਕਸੀਜਨ ਨਾਲ ਮਿਲ ਕੇ ਸਾਨੂੰ ਊਰਜਾ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਅਰਥਾਤ ਸਾਹ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਊਰਜਾ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਸਾਹ, ਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਤਾਪ-ਨਿਕਾਸੀ ਕਿਰਿਆ ਆਖਦੇ ਹਨ ।
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PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 1 ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਮੀਕਰਣਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਅਪਘਟਨ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਨੂੰ ਸੰਯੋਜਨ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਉਲਟ ਕਿਉਂ ਆਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? ਇਹਨਾਂ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਲਈ ਸਮੀਕਰਣਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸੰਯੋਜਨ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਦੋ ਜਾਂ ਦੋ ਤੋਂ ਵੱਧ ਪਦਾਰਥ ਮਿਲ ਕੇ ਇਕ ਨਵਾਂ ਪਦਾਰਥ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਅਪਘਟਨ ਕਿਰਿਆ ਸੰਯੋਜਨ ਕਿਰਿਆ ਦੇ ਉਲਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ | ਅਪਘਟਨ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਏਕਲ ਪਦਾਰਥ ਅਪਘਟਿਤ ਹੋ ਕੇ ਦੋ ਜਾਂ ਦੋ ਤੋਂ ਵੱਧ ਪਦਾਰਥ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
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ਅਪਘਟਨ ਕਿਰਿਆ ਦੇ ਉਦਾਹਰਨ ਹਨ-
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਉਨ੍ਹਾਂ ਅਪਘਟਨ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੀ ਇਕ-ਇਕ ਸਮੀਕਰਨ ਲਿਖੋ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਤਾਪ ਊਰਜਾ, ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਅਤੇ ਬਿਜਲੀ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਊਰਜਾ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
(1) ਅਪਘਟਨ ਕਿਰਿਆ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਤਾਪ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ-
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਅਤੇ ਦੂਹਰਾ-ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਕੀ ਅੰਤਰ ਹੈ ? ਇਨ੍ਹਾਂ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੀਆਂ ਸਮੀਕਰਣਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ-ਜਦੋਂ ਕੋਈ ਇਕ ਤੱਤ ਦੂਸਰੇ ਤੱਤ ਨੂੰ ਉਸਦੇ ਯੌਗਿਕ ਨਾਲ ਵਿਸਥਾਪਿਤ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਹ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
ਉਦਾਹਰਨ-
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ਦੂਹਰਾ-ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ – ਦੂਹਰਾ-ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਦੋ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪਰਮਾਣੂ ਜਾਂ ਪਰਮਾਣੂਆਂ ਦੇ ਸਮੂਹ (ਆਇਨ’ ਦਾ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਆਦਾਨ-ਪ੍ਰਦਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਉਦਾਹਰਨ-
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ਉਪਰੋਕਤ ਉਦਾਹਰਨ ਵਿਸਥਾਪਨ ਅਤੇ ਦੂਹਰਾ ਵਿਸਥਾਪਨ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦਾ ਅੰਤਰ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਸਿਲਵਰ ਦੇ ਸ਼ੁੱਧੀਕਰਨ ਵਿੱਚ, ਸਿਲਵਰ ਨਾਈਟਰੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਤੋਂ ਸਿਲਵਰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਕਾਪਰ ਧਾਤ ਦੁਆਰਾ ਵਿਸਥਾਪਨ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਅਵਖੇਪਨ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਤੋਂ ਤੁਹਾਡਾ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? ਉਦਾਹਰਣ ਦੇ ਕੇ ਵਿਆਖਿਆ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਅਵਖੇਪਨ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ-ਜਦੋਂ ਦੋ ਘੋਲਾਂ ਨੂੰ ਮਿਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਨਾਲ ਸਫ਼ੈਦ ਰੰਗ ਦੇ ਪਦਾਰਥ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਅਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਹੋਣ । ਇਸ ਅਘੁਲਣਸ਼ੀਲ ਪਦਾਰਥ ਨੂੰ ਅਵਖੇਪ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਅਵਖੇਪਾਂ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਉਸ ਨੂੰ ਅਵਖੇਪਣ ਤੀਕਿਰਿਆ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 1 ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਮੀਕਰਣਾਂ 10
Ba2+ ਅਤੇ \(\mathrm{SO}_{4}^{2-}\) ਦੀ ਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ BaSO4 ਦੇ ਅਵਖੇਪ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਜਾਂ ਹਾਨੀ ਦੇ ਸੰਬੰਧ ਵਿੱਚ ਹੇਠ ਦਿੱਤੀਆਂ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਦੋ-ਦੋ ਉਦਾਹਰਨਾਂ ਦੇ ਕੇ ਕਰੋ ।
(a) ਆਕਸੀਕਰਨ
(b) ਲਘੂਕਰਨ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਆਕਸੀਕਰਨ-ਕਿਸੇ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਪਦਾਰਥ ਦਾ ਆਕਸੀਕਰਨ ਉਦੋਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਉਸ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਜਨ ਦਾ ਵਾਧਾ ਜਾਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਦੀ ਹਾਨੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
ਉਦਾਹਰਨ-
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ਇੱਥੇ H2 ਵਿੱਚ O2 ਦਾ ਵਾਧਾ ਅਰਥਾਤ H2 ਦੇ ਨਾਲ O2 ਨੇ ਮਿਲ ਕੇ ਪਾਣੀ ਬਣਾਇਆ ਹੈ ।

(b) ਲਘੂਕਰਨ- ਪਦਾਰਥ ਦਾ ਲਘੂਕਰਨ ਉਦੋਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਦੋਂ ਉਸ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਜਨ ਦੀ ਹਾਨੀ ਜਾਂ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਦਾ ਵਾਧਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਉਦਾਹਰਨ-
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਇੱਕ ਭੂਰੇ (Brown) ਰੰਗ ਦਾ ਚਮਕਦਾਰ ਤੱਤ ਝੂ’ ਹਵਾ ਦੀ ਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਗਰਮ ਕਰਨ ਨਾਲ ਕਾਲੇ ਰੰਗ ਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤੱਤ ‘x’ ਅਤੇ ਕਾਲੇ ਰੰਗ ਦੇ ਪੈਦਾ ਹੋਏ ਯੌਗਿਕ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਇਹ ਤੱਤ ‘X’ ਕਾਪਰ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਕਾਪਰ ਹੀ ਇਕ ਭੂਰੇ ਰੰਗ ਦਾ ਚਮਕਦਾਰ ਤੱਤ ਹੈ ਜੋ ਹਵਾ ਦੀ ਮੌਜੂਦਗੀ ਵਿੱਚ ਗਰਮ ਕਰਨ, ਤੇ ਕਾਲੇ ਰੰਗ ਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ 0 ਨਾਲ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਇਹ ਕਾਪਰ ਆਕਸਾਈਡ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਲੋਹੇ ਦੀਆਂ ਵਸਤੂਆਂ ਨੂੰ ਅਸੀਂ ਪੇਂਟ ਕਿਉਂ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੇਂਟ ਕਰਨ ਨਾਲ ਲੋਹੇ ਦਾ ਉੱਪਰੀ ਭਾਗ ਛੁਪ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਹਵਾ ਦੇ ਨਾਲ ਸਿੱਧਾ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦਾ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਉਸ ਵਿੱਚ ਜੰਗ ਨਹੀਂ ਲੱਗਦਾ । ਇਸ ਲਈ ਪੇਂਟ ਕਰਨ ਨਾਲ ਅਸੀਂ ਲੋਹੇ ਦੇ ਉਸ ਪਦਾਰਥ ਨੂੰ ਢੰਗ ਲੱਗਣ ਤੋਂ ਬਚਾ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਤੇਲ ਅਤੇ ਫੈਟਸ (Fat) ਰੱਖਣ ਵਾਲੀਆਂ ਭੋਜਨ ਵਸਤਾਂ ਨੂੰ ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਨਾਲ ਕਿਉਂ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਤੇਲ ਅਤੇ ਫੈਟਸ (Fat) ਰੱਖਣ ਵਾਲੀਆਂ ਭੋਜਨ ਵਸਤਾਂ ਨੂੰ ਹਵਾ-ਰੋਧੀ ਬਰਤਨਾਂ ਵਿੱਚ ਰੱਖਣ ਨਾਲ ਆਕਸੀਕਰਨ ਦੀ ਗਤੀ ਹੌਲੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਤੇਲ ਅਤੇ ਵਸਾਯੁਕਤ ਪਦਾਰਥ ਨੂੰ ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਨਾਲ ਇਸ ਲਈ ਯੁਕਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਕਿ ਉਸ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਕਰਨ ਨਾ ਹੋ ਸਕੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਪਦਾਂ ਦੀ ਵਿਆਖਿਆ ਉਦਾਹਰਨ ਦੇ ਕੇ ਕਰੋ ।
(a) ਖੋਰਨ
(b) ਦੁਰਗੰਧਤਾ ।
ਉੱਤਰ-
(a) ਖੋਰਨ (Corrosion) – ਲੋਹੇ ਤੋਂ ਬਣੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਚਮਕੀਲੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਪਰ ਕੁਝ ਸਮੇਂ ਬਾਅਦ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੇ ਲਾਲ ਜਿਹੀ ਭੂਰੇ ਰੰਗ ਦੀ ਪਰਤ ਚੜ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਲੋਹੇ ਤੇ ਜ਼ੰਗ ਲੱਗਣਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਕੁੱਝ ਹੋਰ ਧਾਤਾਂ ਵਿੱਚ ਵੀ ਅਜਿਹਾ ਹੀ ਪਰਿਵਰਤਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਕੋਈ ਧਾਤ ਆਪਣੇ ਆਸ-ਪਾਸ ਤੇਜ਼ਾਬ, ਨਮੀ ਆਦਿ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਇਹ ਖੁਰਣ ਲਗਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਖੋਰਨ ਕਿਰਿਆ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਚਾਂਦੀ ਦੇ ਉੱਪਰ ਕਾਲੀ ਪਰਤ ਅਤੇ ਤਾਂਬੇ ਉੱਪਰ ਹਰੀ ਪਰਤ ਚੜਨਾ ਖੋਰਨ ਦੇ ਉਦਾਹਰਨ ਹਨ ।
ਖੋਰਨ ਕਾਰਨ ਕਾਰ ਦੇ ਢਾਂਚੇ, ਪੁਲ, ਜਹਾਜ਼ ਅਤੇ ਧਾਤ ਖ਼ਾਸ ਕਰਕੇ ਲੋਹੇ ਤੋਂ ਬਣੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਹਾਨੀ ਪੁੱਜਦੀ ਹੈ ।

(b) ਦੁਰਗੰਧਤਾ (Rancidity) – ਵਸਾਯੁਕਤ ਅਤੇ ਤੇਲ ਯੁਕਤ ਪਦਾਰਥ ਸਮੱਗਰੀ ਜਦੋਂ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੱਕ ਰੱਖੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਉਸਦੇ ਸਵਾਦ ਜਾਂ ਗੰਧ ਵਿੱਚ ਬਦਲਾਓ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਆਕਸੀਕਰਨ ਹੋਣ ਤੇ ਤੇਲ ਅਤੇ ਵਸਾ ਵਿਕ੍ਰਿਤ ਧੀ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਵਾਦ ਅਤੇ ਗੰਧ ਬਦਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ | ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਤੇਲ ਯੁਕਤ ਅਤੇ ਵਸਾਯੁਕਤ ਖਾਧ ਸਮੱਗਰੀ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਕਰਨ ਰੋਕਣ ਵਾਲੇ ਪਦਾਰਥ ਪ੍ਰਤੀ ਆਕਸੀਕਰਨ) ਮਿਲਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਵਾਯੁਰੋਧੀ ਬਰਤਨਾਂ ਵਿੱਚ ਖਾਧ ਸਮੱਗਰੀ ਰੱਖਣ ਨਾਲ ਆਕਸੀਕਰਨ ਦੀ ਗਤੀ ਹੌਲੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ਕਿ ਚਿਪਸ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲੇ ਚਿਪਸ ਦੀ ਥੈਲੀ ਨੂੰ ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਵਰਗੀ ਗੈਸ ਨਾਲ ਭਰ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ਤਾਂਕਿ ਚਿਪਸ ਦਾ ਆਕਸੀਕਰਨ ਨਾ ਹੋ ਸਕੇ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦੇਰ ਤੱਕ ਸੁਰੱਖਿਅਤ ਰੱਖਿਆ ਜਾ ਸਕੇ ।

Science Guide for Class 10 PSEB ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਮੀਕਰਣਾਂ InText Questions and Answers

ਅਧਿਆਇ ਦੇ ਅੰਦਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਉੱਤਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਹਵਾ ਵਿੱਚ ਜਲਾਉਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਰਿਬਨ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਕਿਉਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜੇ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਰਿਬਨ ਨਮ ਹਵਾ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿੱਚ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਸ ਉੱਪਰ ਸਫ਼ੈਦ ਰੰਗ ਦੀ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ ਦੀ ਪਰਤ ਜੰਮ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਇਹ ਪਰਤ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਦੇ ਜਲਾਉਣ ਵਿੱਚ ਅਵਰੋਧ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਮੈਗਨੀਸ਼ੀਅਮ ਰਿਬਨ ਨੂੰ ਜਲਾਉਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਰੋਗਮਾਰ ਨਾਲ ਸਾਫ਼ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੀਆਂ ਸੰਤੁਲਿਤ ਸਮੀਕਰਣਾਂ ਲਿਖੋ
(i) ਹਾਈਡਰੋਜਨ + ਕਲੋਰੀਨ → ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਕਲੋਰਾਈਡ .
(ii) ਬੇਰੀਅਮ ਕਲੋਰਾਈਡ + ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਸਲਫੇਟ → ਬੇਰੀਅਮ ਸਲਫੇਟ + ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਕਲੋਰਾਈਡ
(iii) ਸੋਡੀਅਮ + ਪਾਣੀ → ਸੋਡੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ + ਹਾਈਡਰੋਜਨ ।
ਉੱਤਰ-
(i) H2 + Cl2 → 2HCl
(ii) 3BaCl2 + Al2(SO4) → 3BaSO4 + 2AlCl3
(iii) 2Na + 2H2O → 2NaOH + H2

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 1 ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਮੀਕਰਣਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਨਿਮਨਲਿਖਤ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਲਈ ਸੰਕੇਤਾਂ ਸਹਿਤ ਸੰਤੁਲਿਤ ਰਸਾਇਣਿਕ ਸਮੀਕਰਣਾਂ ਲਿਖੋ
(i) ਬੇਰੀਅਮ ਕਲੋਰਾਈਡ ਅਤੇ ਸੋਡੀਅਮ ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੋਲ ਆਪਸ ਵਿੱਚ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਅਘੁਲ ਸੋਡੀਅਮ ਸਲਫੇਟ ਅਤੇ ਸੋਡੀਅਮ ਕਲੋਰਾਈਡ ਦਾ ਘੋਲ ਪੈਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ।
(ii) ਸੋਡੀਅਮ ਹਾਈਡਰੋਕਸਾਈਡ ਦਾ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੋਲ ਹਾਈਡਰੋਕਲੋਰਿਕ ਐਸਿਡ ਦੇ ਪਾਣੀ ਘੋਲ ਨਾਲ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਸੋਡੀਅਮ ਕਲੋਰਾਈਡ ਦਾ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਘੋਲ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
(i) BaCl2 (aq) + Na2SO4 (aq) →BaSO4(s) + 2NaCl(aq)
(ii) NaOH (aq) + HCl (aq) → NaCl (aq) + H2O (l).

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਕਿਸੇ ਵਸਤੂ ‘X’ ਦਾ ਘੋਲ ਸਫੈਦੀ ਲਈ ਉਪਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ :
(i) ਵਸਤੂ ‘X’ ਦਾ ਨਾਂ ਅਤੇ ਉਸਦਾ ਸੂਤਰ ਲਿਖੋ ।
(ii) ਉਕਤ (i) ਵਿੱਚ ਲਿਖੀ ਵਸਤੂ ‘X’ ਦੀ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਹੁੰਦੀ ਕਿਰਿਆ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
(i) ‘X’ ਦਾ ਨਾਮ ਹੈ – ਬਿਨਾਂ ਬੁੱਝਿਆ ਚੂਨਾ ਅਰਥਾਤ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਆਕਸਾਈਡ, ਸੂਤਰ = CaO
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 1 ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਮੀਕਰਣਾਂ 14

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਕਿਰਿਆ 1.7 ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਪਰਖਨਲੀ ਵਿੱਚ ਇਕੱਤਰ ਹੋਈ ਗੈਸ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਦੂਜੀ ਨਾਲੋਂ ਦੁੱਗਣੀ ਕਿਉਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ? ਉਸ ਗੈਸ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪਾਣੀ ਦੇ ਬਿਜਲਈ ਅਪਘਟਨ ਵਿੱਚ ਹੇਠ ਲਿਖੀ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਹੁੰਦੀ ਹੈ-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 1 ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਮੀਕਰਣਾਂ 15
ਇਸ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਵਿੱਚ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਅਤੇ ਆਕਸੀਜਨ 2:1 ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਵਿੱਚ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ।
ਦੁੱਗਣੀ ਪਾਈ ਜਾਣ ਵਾਲੀ ਗੈਸ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਹੈ । ਅਧਿਆਇ ਦੇ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਜਦੋਂ ਲੋਹੇ (IRON) ਦੀ ਮੇਖ ਨੂੰ ਕਾਪਰ ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਡੁਬੋਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਘੋਲ ਦਾ ਰੰਗ ਕਿਉਂ ਬਦਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਲੋਹੇ ਦੀ ਮੇਖ ਨੂੰ ਕਾਪਰ ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚ ਡੁਬੋਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇਹ ਕਾਪਰ ਸਲਫੇਟ ਦੇ ਘੋਲ ਵਿੱਚੋਂ ਕਾਪਰ ਨੂੰ ਪ੍ਰਸਥਾਪਿਤ ਕਰਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਰੱਖਦਾ ਹੈ । ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਆਇਰਨ ਸਲਫੇਟ ਬਣ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 1 ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਮੀਕਰਣਾਂ 16
ਇਸ ਪ੍ਰਤੀਕਿਰਿਆ ਦੇ ਦੌਰਾਨ CuSO4 ਦਾ ਨੀਲਾ ਰੰਗ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਛਿੱਕਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 1 ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਮੀਕਰਣਾਂ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਕਿਰਿਆ 1.10 ਵਿੱਚ ਦਿੱਤੀ ਉਦਾਹਰਣ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਦੂਹਰੇ-ਵਿਸਥਾਪਨ ਕਿਰਿਆ ਦੀ ਹੋਰ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
PSEB 10th Class Science Solutions Chapter 1 ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਅਤੇ ਸਮੀਕਰਣਾਂ 17

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆਵਾਂ ਵਿੱਚ ਆਕਸੀਕਰਿਤ ਅਤੇ ਲਘੂਕਰਿਤ ਹੋਈਆਂ ਵਸਤਾਂ ਦੀ ਪਛਾਣ ਕਰੋ-
(i) 4Na(s) + O2(g) → 2Na2O(s)
(ii) CuO(s) + H2(g) → Cu(s) + H2O(1)
ਉੱਤਰ-
(i) 4Na (s) + O2(g) → 2Na2O(s)
ਆਕਸੀਕਰਿਤ ਪਦਾਰਥ = Na
ਲਘੂਕਰਿਤ ਪਦਾਰਥ = O2

(ii) CuO(s) + H2(g) → Cu(s) + H2O(1) .
ਆਕਸੀਕਰਿਤ ਪਦਾਰਥ = H2
ਲਘੂਕਰਿਤ ਪਦਾਰਥ = CuO

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ

Punjab State Board PSEB 10th Class Home Science Book Solutions Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Home Science Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ

Home Science Guide for Class 10 PSEB ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ Textbook Questions and Answers

ਅਭਿਆਸ
ਵਸਤੂਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਦੇ ਅਧਾਰ ‘ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕਿਹੜੀਆਂ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਛੋਟੇ ਰੇਸ਼ੇ ਅਤੇ ਲੰਬੇ ਰੇਸ਼ੇ ਕੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਲੰਬਾਈ ਦੇ ਅਧਾਰ ‘ਤੇ ਦੋ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ –

  1. ਛੋਟੇ ਰੇਸ਼ੇ ਜਾਂ ਸਟੇਪਲ ਰੇਸ਼ੇ (Staple fibre-ਇਹਨਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਛੋਟੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਇੰਚਾਂ ਜਾਂ ਸੈਂਟੀਮੀਟਰਾਂ ਵਿਚ ਮਾਪੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ 1/4 ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 18 ਇੰਚ ਤਕ ਲੰਮੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਸਿਲਕ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਸਾਰੇ ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਸਟੇਪਲ ਰੇਸ਼ੇ ਹਨ ।
  2. ਲੰਮੇ ਰੇਸ਼ੇ (ਫਿਲਾਮੈਂਟ (Filament_ਇਹਨਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਮੀਟਰਾਂ ਵਿਚ ਨਾਪਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸਿਲਕ ਅਤੇ ਬਨਾਵਟੀ ਰੇਸ਼ੇ ਫਿਲਾਮੈਂਟ ਰੇਸ਼ੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਕੁਦਰਤੀ ਫਿਲਾਮੈਂਟ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀਆਂ ਦੋ ਉਦਾਹਰਨਾਂ ਦਿਉ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੁਦਰਤੀ ਫਿਲਾਮੈਂਟ ਰੇਸ਼ੇ ਸਿਰਫ ਸਿਲਕ ਹੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3. ਸੈਲੂਲੋਜ਼ ਰੇਸ਼ੇ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੈਲੂਲੋਜ਼ ਰੇਸ਼ੇ ਕਪਾਹ ਦੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਜਾਂ ਲੱਕੜੀ ਦੇ ਗੁੱਦੇ ਨੂੰ ਬਨਾਵਟੀ ਰੇਸ਼ੇ ਨਾਲ ਰਲਾ ਕੇ ਤਿਆਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਰੇਆਨ ਦੀਆਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਕਿਸਮਾਂ ਹਨ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਵਿਸਕੋਲ ਕਿਉਪਰਾਮੋਨੀਅਮ ਅਤੇ ਨੀਟਰੋ ਸੈਲਲੋਜ਼ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
(i) ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਕਿੱਥੋਂ-ਕਿੱਥੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ?
(ii) ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
(i) ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਤਣਿਆਂ ਦੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਸਣ, ਪਟਸਨ ਅਤੇ ਕਪਾਹ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦੇ ਵਾਲਾਂ ਤੋਂ ਉੱਨ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਅਤੇ ਰੇਸ਼ਮ ਦੇ ਕੀੜਿਆਂ ਤੋਂ ਰੇਸ਼ਮ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਜਾਂ ਖਣਿਜ ਪਦਾਰਥ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਐਸਬੈਸਟਾਸ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮਿਲਦੇ ਹਨ ।
(ii) ਸਣ, ਪਟਸਨ, ਕਪਾਹ, ਰੇਸ਼ਮ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਮਨੁੱਖ ਦੁਆਰਾ ਤਿਆਰ ਕੀਤੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਕਿਹੜੀਆਂ-ਕਿਹੜੀਆਂ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਮਨੁੱਖ ਦੁਆਰਾ ਤਿਆਰ ਕੀਤੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਮੁੱਖ ਚਾਰ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ

  1. ਸੈਲੂਲੋਜ਼ ਦੇ ਪੁਨਰ ਨਿਰਮਾਣ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਬਨਾਵਟੀ ਰੇਸ਼ੇ-ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਲੱਕੜੀ ਦੇ ਗੁੱਦੇ ਜਾਂ ਕਪਾਹ ਦੇ ਛੋਟੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨਾਲ ਮਿਲਾ ਕੇ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  2. ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ੇ (Thermoplastic Fibres)-ਗਰਮ ਹੋਣ ਨਾਲ ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਸੜਨ ਦੀ ਥਾਂ ਪਿਘਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸੇ ਲਈ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ੇ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਕਿ-ਨਾਈਲੋਨ, ਪੌਲਿਸਟਰ ਅਤੇ ਐਸੀਟੇਟ ਆਦਿ ।
  3. ਧਾਤ ਤੋਂ ਬਣੇ ਰੇਸ਼ੇ-ਗੋਟੇ, ਚਰੀ ਲਈ ਵਰਤੇ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਰੇਸ਼ੇ ਸੋਨਾ, ਚਾਂਦੀ, ਐਲਮੀਨੀਅਮ ਧਾਤਾਂ ਤੋਂ ਬਣਦੇ ਹਨ ।
  4. ਗਲਾਸ, ਫਾਇਬਰ/ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਤੋਂ ਬਣੇ ਰੇਸ਼ੇ-ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਸ਼ੀਸ਼ੇ ਨੂੰ ਪਿਘਲਾ ਕੇ ਬਣਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ੇ ਕੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ੇ ਬਣਾਵਟੀ ਰੇਸ਼ੇ ਹਨ ਭਾਵ ਕਿ ਮਨੁੱਖ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਏ ਹੋਏ । ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਗਰਮੀ ਨਾਲ ਸੜਨ ਦੀ ਬਜਾਏ ਪਿਘਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ੇ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀਆਂ ਚਾਰ ਉਦਾਹਰਨਾਂ ਦਿਉ ।
ਉੱਤਰ-
ਨਾਈਲੋਨ, ਟੈਰੀਲੀਨ, ਪੌਲਿਸਟਰ, ਐਕਰੀਲਿਕ ਅਤੇ ਐਸੀਟੇਟ ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀਆਂ ਉਦਾਹਰਨਾਂ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਰੇਔਨ ਕਿਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਰੇਔਨ ਵੀ ਮਨੁੱਖ ਦੁਆਰਾ ਤਿਆਰ ਕੀਤਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ ਪਰ ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਿਚ ਜਿਵੇਂ-ਕਪਾਹ ਜਾਂ ਪਟਸਨ ਜਾਂ ਸਣ ਦੇ ਗੁੱਦੇ ਵਿਚ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪਦਾਰਥ ਮਿਲਾ ਕੇ ਤਿਆਰ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਧਾਤ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਰੇਸ਼ੇ ਕਿਹੜੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਗੋਟੇ ਅਤੇ ਜਰੀ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਸੋਨਾ, ਚਾਂਦੀ ਅਤੇ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਧਾਤਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਧਾਤਾਂ ਨੂੰ ਪਿਘਲਾ ਕੇ ਬਾਰੀਕ ਰੇਸ਼ੇ ਤਿਆਰ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਪਰ ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਸੋਨਾ-ਚਾਂਦੀ ਮਹਿੰਗੀਆਂ ਧਾਤਾਂ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਐਲੂਮੀਨੀਅਮ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਬਣਾ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਉੱਪਰ ਸੋਨੇ ਅਤੇ ਚਾਂਦੀ ਦੀ ਪਰਤ ਚੜ੍ਹਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਵਾਲੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀਆਂ ਦੋ ਉਦਾਹਰਨਾਂ ਦਿਉ ।
ਉੱਤਰ-
ਜਾਨਵਰਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਰੇਸ਼ੇ ਪ੍ਰੋਟੀਨ-ਯੁਕਤ ਰੇਸ਼ੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਜਾਨਵਰਾਂ-ਭੇਡਾਂ, ਊਠ ਅਤੇ ਖਰਗੋਸ਼ਾਂ ਦੇ ਵਾਲਾਂ ਤੋਂ ਬਣੀ ਉੱਨ ਪ੍ਰੋਟੀਨ-ਯੁਕਤ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀਆਂ ਉਦਾਹਰਨਾਂ ਹਨ ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਿਲਕ ਦੇ ਕੀੜਿਆਂ ਤੋਂ ਤਿਆਰ ਹੋਏ ਸਿਲਕ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਵੀ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਵਾਲੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਮਿਸ਼ਰਤ ਰੇਸ਼ੇ ਕਿਹੜੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ? ਕੋਈ ਚਾਰ ਉਦਾਹਰਨਾਂ ਦਿਉ ।
ਉੱਤਰ-
ਮਿਸ਼ਰਤ ਰੇਸ਼ੇ ਦੋ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਮਿਲਾ ਕੇ ਤਿਆਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਵੇਂਕਪਾਹ ਅਤੇ ਪਟਸਨ ਆਦਿ ਨਾਲ ਪੌਲਿਸਟਰ ਜਾਂ ਟੈਰੀਲੀਨ ਮਿਲਾ ਕੇ ਮਿਸ਼ਰਤ ਰੇਸ਼ੇ ਤਿਆਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉੱਨ ਅਤੇ ਐਕਰੀਲਿਕ ਰੇਸ਼ੇ ਮਿਲਾ ਕੇ ਕੈਸ਼ਲੋਨ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਤਣਿਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਤਣਿਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨਲਿਨਨ-ਜੋ ਫਲੈਕਸ ਪੌਦੇ ਦੇ ਤਣੇ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਪਟਸਨ-ਇਹ ਜੂਟ ਦੇ ਪੌਦੇ ਦੇ ਤਣੇ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਰੇਮੀ-ਇਹ ਵੀ ਪੌਦੇ ਦੇ ਤਣੇ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਸਣ-ਇਹ ਰੇਸ਼ਾ ਵੀ ਪੌਦੇ ਦੇ ਤਣੇ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਮੂਲ ਗੁਣਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਿਚ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਹੋਰ ਗੁਣ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂਲ ਗੁਣਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਗੁਣ ਵੀ ਹੋਣੇ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹਨ

  1. ਦਿੱਖ (Luster)
  2. ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ (Absorption of water)
  3. ਚਿਪਕਣਾ (Felting)
  4. ਅੱਗ-ਫੜਨ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ (Flammability)
  5. ਸੰਘਣਾਪਨ (Density)
  6. ਤਾਪ-ਪ੍ਰਤੀਰੋਧਕਤਾ (Resistance to heat).
  7. ਤੇਜ਼ਾਬ ਅਤੇ ਖਾਰਾਪਨ ਸਹਿਣ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ (Resistance to acid and alkalies)
  8. ਵੱਟ ਨਾ ਪੈਣ (Resilitience)
  9. ਵਲਦਾਰ ਹੋਣਾ (Crimp) ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਨੂੰ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਸਿਰਤਾਜ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਸਭ ਤੋਂ ਚੰਗਾ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਨੂੰ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਸਿਰਤਾਜ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਗੁਣ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿਵੇਂ ਕੁਦਰਤੀ ਚਮਕ ਦਾ ਹੋਣਾ, ਮਜ਼ਬੂਤ ਰੇਸ਼ਾ ਅਤੇ ਤਾਪ ਦਾ ਸੰਚਾਲਕ ਹੋਣ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਇਸ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਵੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਹੀ ਇਹ ਕੱਪੜੇ ਗਰਮੀਆਂ ਅਤੇ ਸਰਦੀਆਂ ਵਿਚ ਠੀਕ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਚਮੜੀ ਲਈ ਸੁਖਦਾਇਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਨੂੰ ਉਬਾਲਿਆ ਵੀ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਹੀ ਹਸਪਤਾਲ ਵਿਚ ਪੱਟੀਆਂ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ਾ ਇਨ੍ਹਾਂ ਗੁਣਾਂ ਕਰਕੇ ਹੀ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਸਿਰਤਾਜ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕਿਹੜੇ ਗੁਣਾਂ ਕਾਰਨ ਸੂਤੀ ਕੱਪੜੇ ਨੂੰ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਪਹਿਨਿਆ ਜਾਂਦਾ
ਉੱਤਰ-
ਸੂਤੀ ਕੱਪੜੇ ਤਾਪ ਦੇ ਸੰਚਾਲਕ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਰੱਖਦੇ ਹਨ । ਜਿਸ ਨਾਲ ਇਹ ਸਰੀਰ ਦਾ ਪਸੀਨਾ ਸੋਖ ਲੈਂਦੇ ਹਨ । ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਹੀ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਪਹਿਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਤਾਪ ਦੇ ਸੰਚਾਲਕ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਤਾਪ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਲੰਘ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜੋ ਪਸੀਨਾ ਸੁੱਕਣ ਵਿਚ ਮਦਦ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਦੋਹਾਂ ਗੁਣਾਂ ਕਰਕੇ ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਠੰਢੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਸੁਖਾਵੇਂ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਹਲਕੇ ਖਾਰ ਅਤੇ ਤੇਜ਼ਾਬਾਂ ਦਾ ਇਨ੍ਹਾਂ ‘ਤੇ ਕੋਈ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਪਸੀਨੇ ਨਾਲ ਖ਼ਰਾਬ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਸੁਤੀ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਬਣਾਏ ਕੱਪੜੇ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ ਕਿਵੇਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਕੱਪੜਾ ਕਿੱਥੇ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-

  1. ਸੁਤੀ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੇ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਉਬਾਲ ਕੇ ਵੀ ਧੋਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ | ਪਰ ਰੰਗਦਾਰ ਸੂਤੀ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਉਬਾਲਣਾ ਨਹੀਂ ਚਾਹੀਦਾ ਅਤੇ ਨਾ ਹੀ ਤੇਜ਼ ਧੁੱਪ ਵਿਚ ਸੁਕਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਜਦ ਕਿ ਸਫ਼ੈਦ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਧੁੱਪ ਵਿਚ ਸੁਕਾਉਣ ਨਾਲ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸਫ਼ੈਦੀ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ।
  2. ਸੁਤੀ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਉੱਪਰ ਖਾਰ ਦਾ ਕੋਈ ਮਾੜਾ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਸੋ ਕਿਸੇ ਵੀ ਸਾਬਣ ਨਾਲ ਧੋਤੇ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ।
  3. ਸਤੀ ਕੱਪੜਿਆਂ ਉੱਪਰ ਰੰਗਕਾਟ ਦਾ ਵੀ ਕੋਈ ਮਾੜਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨਹੀਂ ਪੈਂਦਾ । ਸੋ ਖ਼ਾਸ ਕਰ ਕਲੋਰੀਨ ਰੰਗਕਾਟ ਵਰਤਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ । ਤੇਜ਼ ਰੰਗਕਾਟ ਕੱਪੜੇ ਨੂੰ ਕਮਜ਼ੋਰ ਕਰ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।
  4. ਸੂਤੀ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਸੁਕਾ ਕੇ ਹੀ ਅਲਮਾਰੀ ਵਿਚ ਸਾਂਭਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਉੱਲੀ ਲੱਗ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
  5. ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਿਲੀ-ਸਿਲ੍ਹੀ ਤੇਜ਼ ਗਰਮ ਪੈਂਸ ਨਾਲ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਕੱਪੜੇ ਦੇ ਪੂਰੇ ਵੱਟ ਨਿਕਲ ਕੇ ਚਮਕ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਪਹਿਨਣ ਵਾਲੇ ਕੱਪੜਿਆਂ, ਚਾਦਰਾਂ, ਖੇਸ, ਮੇਜਪੋਸ਼, ਤੌਲੀਏ ਅਤੇ ਪਰਦੇ ਆਦਿ ਲਈ ਵਰਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਦੇ ਗੁਣ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਤੀ ਰੇਸ਼ਾ ਕਪਾਹ ਦੇ ਪੌਦੇ ਤੋਂ ਤਿਆਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਵਿਚ 87 ਤੋਂ 9090 ਸੈਲੂਲੋਜ਼, 5 ਤੋਂ 8% ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਬਾਕੀ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ । ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਦੇ ਗੁਣ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ

  • ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਅੱਧੇ ਇੰਚ ਤੋਂ ਦੋ ਇੰਚ ਤਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਇਸ ਦਾ ਰੰਗ ਚਿੱਟਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  • ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਵਿਚ ਕੁਦਰਤੀ ਚਮਕ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।
  • ਇਹ ਇਕ ਮਜ਼ਬੂਤ ਅਤੇ ਹੰਢਣਸਾਰ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ ।
  • ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਕਾਫ਼ੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇਹ ਸਰੀਰ ਦਾ ਪਸੀਨਾ ਸੋਖ ਲੈਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਗੁਣ ਕਰਕੇ ਹੀ ਤੌਲੀਏ ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਦੇ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  • ਇਹ ਰੇਸ਼ਾ ਤਾਪ ਦਾ ਵਧੀਆ ਸੰਚਾਲਕ ਹੈ । ਗਰਮੀ ਇਸ ਵਿਚੋਂ ਲੰਘ ਸਕਦੀ ਹੈ । ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀ ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਅਤੇ ਤਾਪ ਸੰਚਾਲਕਤਾ ਕਾਰਨ ਹੀ ਸੂਤੀ ਕੱਪੜੇ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਪਹਿਨਣ ਲਈ ਸਭ ਤੋਂ ਅਰਾਮਦਾਇਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਲਿਨਨ ਤੇ ਸੂਤੀ ਕੱਪੜੇ ਵਿਚ ਕੀ ਸਮਾਨਤਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਲਿਨਨ ਤੇ ਸੂਤੀ ਕੱਪੜੇ ਵਿਚ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਸਮਾਨਤਾਵਾਂ ਹਨ

  • ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਰੇਸ਼ੇ ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਹਨ । ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ਾ ਕਪਾਹ ਤੋਂ ਬਣਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਲਿਨਨ | ਫਲੈਕਸ ਪੌਦੇ ਦੇ ਤਣੇ ਤੋਂ ਤਿਆਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  • ਲਿਨਨ ਅਤੇ ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਦੋਹਾਂ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਵੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  • ਦੋਵੇਂ ਰੇਸ਼ੇ ਤਾਪ ਦੇ ਵਧੀਆ ਸੰਚਾਲਕ ਹਨ ।
  • ਲਿਨਨ ਅਤੇ ਸੂਤੀ ਦੋਵੇਂ ਰੇਸ਼ੇ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਗਿੱਲੇ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਹੋਰ ਵੀ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਲਿਨਨ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਦੱਸੋ ।
ਜਾਂ
ਲਿਨਨ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਅਤੇ ਇਸ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸੂਤੀ ਕੱਪੜੇ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਲਿਨਨ ਨੂੰ ਜਲਾਉਣ ਸਮੇਂ ਕਾਗਜ਼ ਦੇ ਸੜਨ ਵਰਗੀ ਗੰਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਅੱਗ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਕੱਢਣ ਤੇ ਆਪਣੇ ਆਪ ਥੋੜੀ ਦੇਰ ਜਲਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ | ਜਲਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਲੇਟੀ ਰੰਗ ਦੀ ਸੁਆਹ ਬਣ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਲਿਨਨ ਨੂੰ ਦਰਮਿਆਨੀ ਤੋਂ ਤੇਜ਼ ਪ੍ਰੈੱਸ | ਨਾਲ ਐੱਸ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਮਜ਼ਬੂਤ ਅਤੇ ਹੰਢਣਸਾਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਬਿਸਤਰਿਆਂ ਦੀਆਂ ਚਾਦਰਾਂ ਆਦਿ ਬਣਾਈਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਲਿਨਨ ਉੱਤੇ ਖਾਰ ਦਾ | ਅਸਰ ਘੱਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਵਿਚ ਕੁਦਰਤੀ ਚਮਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਲਿਨਨ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਕਿਹੜੀ ਰੁੱਤ ਵਿਚ ਪਹਿਨੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਕਿਉਂ ? ਇਹਨਾਂ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ ਕਿਵੇਂ ਕਰੋਗੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਲਿਨਨ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਹੀ ਪਹਿਨੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਦੇ | ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਅਤੇ ਤਾਪ ਸੰਚਾਲਕਤਾ ਵੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਜਿਸ ਨਾਲ | ਇਹ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਠੰਢਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

ਲਿਨਨ ਦੇ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ –

  1. ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਰਗੜ ਕੇ ਜਾਂ ਥਾਪੀ ਨਾਲ ਧੋਤੇ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ |ਪਰ | ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਉਬਾਲਣਾ ਨਹੀਂ ਚਾਹੀਦਾ ਕਿਉਂਕਿ ਗਰਮੀ ਨਾਲ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  2. ਲਿਨਨ ਦੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ‘ਤੇ ਖਾਰ ਦਾ ਕੋਈ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਸਾਬਣ ਨਾਲ ਧੋਤੇ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ।
  3. ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਸਿਲੇ-ਸਿਲ੍ਹੇ ਹੀ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  4. ਲਿਨਨ ਦੇ ਰੰਗ ਪੱਕੇ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ । ਇਸ ਲਈ ਇਹਨਾਂ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਛਾਂ ਵਿਚ ਸੁਕਾਉਣਾ | ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  5. ਲਿਨਨ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਨੂੰ ਕੀੜਾ ਬਹੁਤ ਜਲਦੀ ਲਗਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਧੋ ਕੇ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ | ਸੁਕਾ ਕੇ ਸੁੱਕੀ ਜਗ੍ਹਾ ‘ਤੇ ਸੰਭਾਲਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਸੂਤੀ ਅਤੇ ਲਿਨਨ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਹੋਰ ਕਿਹੜੇ ਕੁਦਰਤੀ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਰੇਸ਼ੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੂਤੀ ਅਤੇ ਲਿਨਨ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਪਟਸਨ, ਨਾਰੀਅਲ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ, ਕਪੋਕ, ਰੇਮੀ, ਸਣ, ਪਿੰਨਾ ਅਤੇ ਸਾਈਸਲ ਰੇਸ਼ੇ ਹਨ, ਜੋ ਕੁਦਰਤੀ ਰੂਪ ਵਿਚ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

  • ਪਟਸਨ-ਇਹ ਰੇਸ਼ਾ ਜੂਟ ਦੇ ਪੌਦੇ ਦੇ ਤਣੇ ਤੋਂ ਮਿਲਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਰੇਸ਼ਾ ਜ਼ਿਆਦਾ ਮਜ਼ਬੂਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਅਤੇ ਇਸ ਵਿਚ ਕੁਦਰਤੀ ਚਮਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਥੋੜੇ ਖੁਰਦਰੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਇਹ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਸਜਾਵਟੀ ਸਾਮਾਨ, ਥੈਲੇ, ਬੋਰੀਆਂ, ਮੈਟ ਤੇ ਗਲੀਚੇ ਆਦਿ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਪਰ ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਇਸ ਵਿਚ ਥੋੜ੍ਹਾ ਸੂਤੀ ਜਾਂ ਲਿਨਨ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਮਿਲਾ ਕੇ ਇਸ ਨੂੰ ਪੋਸ਼ਾਕਾਂ ਲਈ ਪ੍ਰਯੋਗ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਨਾਰੀਅਲ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ (P.S.E.B. 2007IA)-ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਨਾਰੀਅਲ ਦੇ ਬੀਜ ਦੇ ਛਿਲਕੇ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਗਿਰੀ ਅਤੇ ਬਾਹਰਲੇ ਛਿਲਕੇ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਭੂਰੇ ਰੰਗ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਰੰਗਿਆ ਨਹੀਂ ਜਾਂਦਾ । ਇਹ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਟਾਟ, ਸੋਫਿਆਂ ਅਤੇ ਗੱਦਿਆਂ ਵਿਚ ਭਰਨ ਅਤੇ ਜੁੱਤੀਆਂ ਦੇ ਤਲੇ ਬਣਾਉਣ ਦੇ ਕੰਮ ਆਉਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਕਪੋਕ–ਇਹ ਕਪੋਕ ਬੂਟੇ ਦੇ ਬੀਜਾਂ ਦੇ ਵਾਲਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਹਲਕਾ, ਨਰਮ ਅਤੇ ਹਵਾ ਵਿਚ ਉੱਡਣ ਵਾਲਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਨੂੰ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਸਰਾਹਣਿਆਂ, ਸੋਫਿਆਂ ਅਤੇ ਗੱਦਿਆਂ ਵਿਚ ਭਰਨ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਗਿੱਲਾ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਜਲਦੀ ਸੁੱਕ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਰੇਮੀ-ਇਹ ਵੀ ਪੌਦੇ ਦੇ ਤਣੇ ਤੋਂ ਮਿਲਣ ਵਾਲਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਲਿਨਨ ਦੀ ਥਾਂ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਲੰਮੇ, ਮਜ਼ਬੂਤ, ਚਮਕਦਾਰ ਅਤੇ ਸਫ਼ੈਦ ਰੰਗ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਪਰ ਇਹਨਾਂ ਵਿਚ ਅਕੜਾਅ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  • ਸਣ-ਇਹ ਵੀ ਪੌਦੇ ਦੇ ਤਣੇ ਤੋਂ ਮਿਲਣ ਵਾਲਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ ਪਰ ਇਹ ਲਿਨਨ ਅਤੇ ਪਟਸਨ ਤੋਂ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਲੰਮਾ, ਮਜ਼ਬੂਤ ਅਤੇ ਭੂਰੇ ਰੰਗ ਦਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ । ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਰੱਸੀਆਂ, ਡੋਰੀਆਂ ਅਤੇ ਵਧੀਆ ਕੱਪੜਾ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਵੀ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਪਿੰਨਾ-ਇਹ ਰੇਸ਼ਾ ਅਨਾਨਾਸ ਦੇ ਪੱਤਿਆਂ ਤੋਂ ਮਿਲਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਚਿੱਟੇ ਤੋਂ ਕਰੀਮ ਰੰਗ ਦਾ ਬਾਰੀਕ, ਚਮਕਦਾਰ ਅਤੇ ਮਜ਼ਬੂਤ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਬੈਗ ਜਾਂ ਹੋਰ ਅਜਿਹਾ ਸਾਮਾਨ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਸਾਈਸਲ-ਇਹ ਰੇਸ਼ਾ ਅਜੇਣ ਨਾਮ ਦੇ ਪੌਦੇ ਦੇ ਪੱਤਿਆਂ ਤੋਂ ਮਿਲਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਨੂੰ ਤੇਜ਼ ਰੰਗਾਂ ਵਿਚ ਰੰਗ ਕੇ ਗਲੀਚੇ, ਮੈਟ, ਰੱਸੀਆਂ ਅਤੇ ਬੁਰਸ਼ ਆਦਿ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਜਾਨਵਰਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਮੁੱਖ ਰੇਸ਼ੇ ਕਿਹੜੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਾਨਵਰਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਮੁੱਖ ਰੇਸ਼ੇ ਉੱਨ ਅਤੇ ਉੱਨ ਦੀਆਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਕਿਸਮਾਂ; ਜਿਵੇਂ-ਮੈਰੀਨੋ, ਲਾਮਾ, ਹੀਰ, ਪਸ਼ਮੀਨਾਂ ਅਤੇ ਕਸ਼ਮੀਅਰ ਉੱਨ । ਸਿਲਕ ਜੋ ਰੇਸ਼ਮ ਦੇ ਕੀੜੇ ਦੀ ਤਾਰ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਫਰ-ਜੋ ਮਿੰਕ ਅਤੇ ਅੰਗੋਰਾ ਖਰਗੋਸ਼ ਦੇ ਵਾਲਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਜਾਨਵਰਾਂ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦੇ ਕਿਸ ਭਾਗ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਾਨਵਰਾਂ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਾਗਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜਿਵੇਂ ਹੇਠਾਂ ਦੱਸਿਆ ਹੈ –

ਰੇਸ਼ੇ ਜਾਨਵਰ ਅਤੇ ਸਰੀਰ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਜਿੱਥੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ
1. ਉੱਨ ਅਤੇ ਇਸ ਦੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ ਜਿਵੇਂ ਮੈਰੀਨੋ, ਮੁਹੇਰ, ਲਾਮਾ, ਪਸ਼ਮੀਨਾ ਕਸ਼ਮੀਅਰ ਉੱਨ । ਭੇਡ ਦੇ ਵਾਲਾਂ ਤੋਂ ਅਤੇ ਖ਼ਾਸ ਕਿਸਮ ਦੀ ਉੱਨ ਖ਼ਾਸ ਕਿਸਮ ਦੀਆਂ ਭੇਡਾਂ ਅੰਗੋਰਾ ਅਤੇ ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਬੱਕਰੀ, ਊਠ, ਲਾਮਾ ਅਤੇ ਖਰਗੋਸ਼ ਦੇ ਵਾਲਾਂ ਤੋਂ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ।
2. ਸਿਲਕ ਰੇਸ਼ਮ ਦੇ ਕੀੜੇ ਦੀ ਲਾਰ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
3. ਫਰ ਮਿੰਕ ਅਤੇ ਅੰਗੋਰਾ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦੀ ਚਮੜੀ ਦੇ ਵਾਲਾਂ ਤੋਂ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਸਿਲਕ ਕਿਸ ਜਾਨਵਰ ਤੋਂ ਅਤੇ ਕਿਵੇਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਿਲਕ ਜਾਨਵਰ ਵਰਗ ਦਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ । ਇਹ ਰੇਸ਼ਮ ਦੇ ਕੀੜੇ ਦੀ ਲਾਰ ਤੋਂ ਬਣਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਯੁਕਤ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ । ਰੇਸ਼ਮ ਦਾ ਕੀੜਾ ਜੋ ਕਿ ਸ਼ਹਿਤੂਤ ਦੇ ਪੱਤਿਆਂ ‘ਤੇ ਪਲਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚੋਂ ਇਕ ਲਾਰ ਜਿਹੀ ਕੱਢਦਾ ਹੈ ਜੋ ਹਵਾ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿਚ ਆ ਕੇ ਜੰਮ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਰੇਸ਼ੇ ਦਾ ਰੂਪ ਧਾਰ ਲੈਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਰੇਸ਼ਾ ਲਾਰਵੇ ਦੇ ਆਸ-ਪਾਸ ਲਿਪਟ ਕੇ ਇਕ ਖੋਲ ਜਿਹਾ ਬਣਾ ਲੈਂਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਨੂੰ ਕੋਕੂਨ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਲਾਰਵਾ ਅੱਠ ਹਫਤਿਆਂ ਦਾ ਹੋ ਕੇ ਲਾਰ ਕੱਢਣ ਲਗਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਖੋਲ ਵਿਚ ਹੀ ਬੰਦ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਇਸ ਕੋਕੂਨ ਵਿਚ ਤਕਰੀਬਨ 18003600 ਮੀਟਰ ਲੰਮਾ ਧਾਗਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਧਾਗੇ ਦਾ ਰੰਗ ਕਦੇ-ਕਦੇ ਸਫ਼ੈਦ ਪੀਲਾ ਅਤੇ ਕਦੇ-ਕਦੇ ਹਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਲਾਰਵੇ ਦੇ ਵੱਧ ਕੇ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਇਹਨਾਂ ਕੋਕੂਨਾਂ ਨੂੰ ਇਕੱਠੇ ਕਰਕੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਉਬਾਲ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਨਾਲ ਰੇਸ਼ੇ ‘ਤੇ ਲੱਗੀ ਗੂੰਦ ਉੱਤਰ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਲਾਰਵਾ ਅੰਦਰ ਮਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਫਿਰ ਰੇਸ਼ੇ ਨੂੰ ਉਤਾਰਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਰੇਸ਼ਾ ਬਹੁਤ ਨਰਮ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ 3 ਤੋਂ 6 ਰੇਸ਼ੇ ਇਕੱਠੇ ਕਰ ਕੇ ਲਪੇਟ ਕੇ ਲੜੀਆਂ ਬਣਾਈਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਧਾਗੇ ਦੀ ਮੋਟਾਈ ਮੁਤਾਬਿਕ ਲਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਫਿਰ ਇਸ ਧਾਗੇ ਤੋਂ ਕੱਪੜਾ ਤਿਆਰ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਕੀੜੇ ਪਾਲਣ ਅਤੇ ਸਿਲਕ ਤਿਆਰ ਕਰਨ ਨੂੰ ਮੈਰੀਕਲਚਰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਦੇ ਸਾਧਨ ਅਨੁਸਾਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ ਕਰੋ ।
ਤੰਤੂਆਂ ਦਾ ਵਿਸਤਰਿਤ ਵਰਗੀਕਰਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਾਧਨਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ ਹੇਠ ਦਿੱਤਾ ਹੈ –
PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ 1

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਰੇਸ਼ਮ ਨੂੰ ਕਿਨ੍ਹਾਂ ਗੁਣਾਂ ਕਾਰਨ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਰਾਣੀ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਸਿਲਕ ਨੂੰ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਰਾਣੀ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਰੇਸ਼ਮ ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਲੰਮਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ । ਇਹ ਰੇਸ਼ਾ ਮਜ਼ਬੂਤ ਅਤੇ ਲਚਕਦਾਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਪਰ ਗਿੱਲਾ ਹੋ ਕੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਵਿਚ ਚਮਕ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਵੇਖਣ ਨੂੰ ਸੋਹਣਾ ਲੱਗਦਾ ਹੈ । ਇਸੇ ਲਈ ਇਸ ਨੂੰ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਰਾਣੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਸਿਲਕ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਿਲਕ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਹਨ

  1. ਬਣਤਰ-ਖੁਰਦਬੀਨ ਹੇਠਾਂ ਇਸ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਚਮਕਦਾਰ ਅਤੇ ਦੂਹਰੇ ਧਾਗੇ ਦੇ ਬਣੇ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਉੱਪਰ ਥਾਂ-ਥਾਂ ਗੰਦ ਦੇ ਧੱਬੇ ਲੱਗੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  2. ਲੰਬਾਈ-ਇਹ ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਿਚੋਂ ਸਭ ਤੋਂ ਲੰਮਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ । ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਲਗਪਗ 750 ਤੋਂ 1100 ਮੀਟਰ ਤਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  3. ਦਿਖ-ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਚਮਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  4. ਮਜ਼ਬੂਤੀ-ਕੁਦਰਤੀ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਸਭ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਇਹ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਪਰ ਗਿੱਲਾ ਹੋ ਕੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  5. ਰੰਗ-ਇਸ ਦਾ ਰੰਗ ਸਫ਼ੈਦ ਪੀਲਾ ਜਾਂ ਸਲੇਟੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  6. ਲਚਕੀਲਾਪਨ-ਇਹ ਰੇਸ਼ਾ ਲਚਕਦਾਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਵਿਚ ਵਟ ਘੱਟ ਪੈਂਦੇ ਹਨ ।
  7. ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ-ਇਹ ਰੇਸ਼ਾ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਪਾਣੀ ਸੋਖ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਜਲਦੀ ਹੀ ਸੁੱਕ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ 2

8. ਤਾਪ ਸੰਚਾਲਕਤਾ-ਇਸ ਵਿਚੋਂ ਤਾਪ ਨਿਕਲ ਨਹੀਂ ਸਕਦਾ ਇਸ ਕਰਕੇ ਇਹ ਤਾਪ ਦਾ ਸੰਚਾਲਕ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਪਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ।

9. ਅਮਲ ਦਾ ਅਸਰ-ਹਲਕੇ ਅਮਲ ਦਾ ਕੋਈ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।

10. ਖਾਰ ਦਾ ਅਸਰ-ਹਲਕੀ ਖਾਰ ਵੀ ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਨੂੰ ਖ਼ਰਾਬ ਕਰ ਦਿੰਦੀ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਕਲੋਰੀਨ ਯੁਕਤ ਰੰਗਕਾਟ ਨਹੀਂ ਵਰਤਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ।

11. ਰੰਗਾਈ-ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ‘ਤੇ ਰੰਗ ਜਲਦੀ ਤੇ ਪੱਕਾ ਚੜ੍ਹਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਹਰ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਰੰਗ ਨਾਲ ਰੰਗਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

12. ਤਾਪ ਨਾਲ-ਸਿਲਕ ਦੇ ਜਲਣ ਤੇ ਵਾਲ ਜਾਂ ਖੰਭ ਸੜਨ ਦੀ ਗੰਧ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ।

ਅੱਗ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਕੱਢਣ ‘ਤੇ ਆਪਣੇ ਆਪ ਬੁੱਝ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਸੜਨ ਪਿੱਛੋਂ ਉਘੜ-ਦੁਗੜ ਕਾਲਾ ਮਣਕਾ ਜਿਹਾ ਬਣ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਗਰਮ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਧੋਣ, ਧੁੱਪ ਵਿਚ ਸੁਕਾਉਣ ਅਤੇ ਗਰਮ ਸ ਨਾਲ ਪਿੱਸ ਕਰਨ ਨਾਲ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਸਿਲਕ ਅਤੇ ਉੱਨ ਦੋਨੋਂ ਹੀ ਤਾਪ ਦੇ ਕੁਚਾਲਕ ਹਨ ਪਰ ਫਿਰ ਉੱਨ ਜ਼ਿਆਦਾ ਨਿੱਘੀ ਕਿਉਂ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਉੱਨ ਅਤੇ ਸਿਲਕ ਦੋਵੇਂ ਹੀ ਕੁਦਰਤੀ ਅਤੇ ਜਾਨਵਰਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਰੇਸ਼ੇ ਹਨ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਦੋਵੇਂ ਹੀ ਤਾਪ ਦੇ ਕੁਚਾਲਕ ਹਨ ਅਤੇ ਦੋਹਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਸਰਦੀਆਂ ਵਿਚ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਸਿਲਕ ਨਾਲੋਂ ਉੱਨ ਜ਼ਿਆਦਾ ਨਿੱਘੀ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਸਿਲਕ ਦਾ ਕੱਪੜਾ ਪਤਲਾ ਅਤੇ ਉੱਪਰਲੀ ਸਤੂ ਮੁਲਾਇਮ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਬਾਹਰ ਵਾਲੀ ਠੰਢ ਨਾਲ ਠਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਪਰ ਉੱਨ ਦਾ ਕੱਪੜਾ ਮੋਟਾ ਅਤੇ ਖੁਰਦਰਾ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਠਰਦਾ ਨਹੀਂ ਅਤੇ ਸਰੀਰ ਦੀ ਗਰਮੀ ਬਾਹਰ ਨਹੀਂ ਆਉਣ ਦਿੰਦਾ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਉੱਨ ਸਿਲਕ ਨਾਲੋਂ ਵਧੇਰੇ ਨਿੱਘੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਉੱਨ ਵਿਚ ਅਜਿਹਾ ਕਿਹੜਾ ਤੱਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਦੂਸਰੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਅਤੇ ਰਚਨਾ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਉੱਨ ਵਿਚ ਇਕ ਖ਼ਾਸ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਹੈ ਜੋ ਬਾਕੀ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ । ਉੱਨ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਵਿਚ ਲਹਿਰੀਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਕਰੰਪ (crimp) ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ |ਲਹਿਰੀਏ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀ ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਅਤੇ ਆਕਾਰ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੀ ਹੈ । ਰੇਸ਼ਾ ਜਿੰਨਾ ਬਾਰੀਕ ਹੋਵੇ ਉੱਨਾ ਹੀ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਕਰਕੇ ਰੇਸ਼ੇ ਇਕ-ਦੂਜੇ ਨਾਲ ਜੁੜ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਨੂੰ ਫੈਲਟਿੰਗ (Felting) ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਕਰਕੇ ਇਸ ਤੋਂ ਨਮਦਾ, ਕੰਬਲ, ਗਲੀਚੇ ਆਦਿ ਬਣਦੇ ਹਨ । ਰਚਨਾ-ਉੱਨ ਦਾ ਮੁੱਖ ਤੱਤ ਕਿਰੋਟਿਨ ਨਾਮ ਦਾ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਕਾਰਬਨ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ, ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਸਲਫਰ ਵੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਸਿਲਕ ਅਤੇ ਉੱਨ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਵਿਚ ਸਮਾਨਤਾ ਕਿਉਂ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਿਲਕ ਅਤੇ ਉੱਨ ਦੋਵੇਂ ਰੇਸ਼ੇ ਕੁਦਰਤੀ ਅਤੇ ਜਾਨਵਰਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਦੋਵੇਂ ਰੇਸ਼ੇ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਯੁਕਤ ਹਨ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਕਾਰਬਨ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ, ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਹਨਾਂ ਵਿਚ ਕਈ ਸਮਾਨਤਾਵਾਂ ਹਨ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਸਰਦੀਆਂ ਵਿਚ ਹੀ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਦੋਵੇਂ ਹੀ ਤਾਪ ਦੇ ਕੁਚਾਲਕ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਕੀੜਾ ਜਲਦੀ ਲਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਦੋਹਾਂ ਦੀ ਬਹੁਤ ਸੰਭਾਲ ਕਰਨੀ ਪੈਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਇਹਨਾਂ ਉੱਪਰ ਤਾਪ ਦਾ ਮਾੜਾ ਅਸਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਸੁਤੀ ਅਤੇ ਲਿਨਨ ਦੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਵਿਚ ਸਮਾਨਤਾ ਕਿਉਂ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਸੂਤੀ ਅਤੇ ਲਿਨਨ ਦੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਵਿੱਚ ਕੀ ਸਮਾਨਤਾ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਲਿਨਨ ਤੇ ਸੂਤੀ ਕੱਪੜੇ ਵਿਚ ਕੀ ਸਮਾਨਤਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਰੇਸ਼ੇ ਕੁਦਰਤੀ ਅਤੇ ਪੌਦਿਆਂ ਤੋਂ ਮਿਲਦੇ ਹਨ । ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ਾ ਕਪਾਹ ਦੇ ਰੂ ਤੋਂ ਬਣਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਲਿਨਨ ਦਾ ਰੇਸ਼ਾ ਫਲੈਕਸ ਪੌਦੇ ਦੇ ਤਣੇ ਅਤੇ ਟਾਹਣੀਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਦੋਹਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਿਚ ਸੈਲੂਲੋਜ਼ ਵੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਇਹਨਾਂ ਵਿਚ ਕਾਫ਼ੀ ਸਮਾਨਤਾ ਹੈ; ਜਿਵੇਂ ਦੋਵੇਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਛੋਟੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਵੀ ਵੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਰੇਸ਼ੇ ਹੀ ਤਾਪ ਦੇ ਸੰਚਾਲਕ ਹਨ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਪਹਿਨਣ ਲਈ ਆਰਾਮਦਾਇਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਉੱਨੀ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਦੇਖ-ਭਾਲ ਕਿਵੇਂ ਕਰੋਗੇ ?
ਜਾਂ
ਉੱਨ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ ਬਾਰੇ ਵਿਸਤਾਰ ਨਾਲ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਊਨੀ ਰੇਸ਼ੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਗਿੱਲੇ ਹੋ ਕੇ ਹੋਰ ਵੀ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਬਹੁਤ ਧਿਆਨ ਨਾਲ ਧੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਗਿੱਲਾ ਹੋਣ ਨਾਲ ਕੱਪੜਾ ਭਾਰਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਲਟਕਾ ਕੇ ਨਹੀਂ ਸੁਕਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਕਿਉਂਕਿ , ਭਾਰੇ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਇਹਨਾਂ ਦਾ ਅਕਾਰ ਵਿਗੜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਉੱਨ ਦੇ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਜ਼ਿਆਦਾ ਦੇਰ ਤਕ ਭਿਉਂ ਕੇ ਨਹੀਂ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਅਤੇ ਨਾ ਹੀ ਰਗੜ ਕੇ ਧੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਪਾਣੀ ਦੇ ਤਾਪਮਾਨ ਦਾ ਵੀ ਧਿਆਨ ਰੱਖਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ਕਿ ਪਾਣੀ ਨਾ ਜ਼ਿਆਦਾ ਗਰਮ ਅਤੇ ਨਾ ਹੀ ਠੰਢਾ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ |

ਉਨੀ ਕੱਪੜੇ ਨੂੰ ਸੁਕਾਉਣ ਲਈ ਅਖ਼ਬਾਰ ਜਾਂ ਕਾਗਜ਼ ਤੇ ਧੋਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲੋਂ ਕੱਪੜੇ ਦੇ ਆਕਾਰ ਦਾ ਖਾਕਾ ਬਣਾ ਕੇ ਪੱਧਰੀ ਥਾਂ ਤੇ ਰੱਖ ਕੇ ਸੁਕਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ|  ਜੇ ਹੋ ਸਕੇ ਤਾਂ ਡਰਾਈਕਲੀਨ ਕਰਵਾ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ : ਉਨੀ ਕੱਪੜੇ ਨੂੰ ਪ੍ਰੈੱਸ ਵੀ ਬਹੁਤ ਧਿਆਨ ਨਾਲ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਕੱਪੜੇ ਤੇ ਸਿੱਧੀ ਪ੍ਰੈੱਸ ਨਹੀਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ । ਸਿੱਲਾ ਜਿਹਾ ਸੂਤੀ ਕੱਪੜਾ ਵਿਛਾ ਕੇ ਹਲਕੀ ਗਰਮ ਸ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੁਕਾ ਕੇ ਸੁੱਕੀ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਸੰਭਾਲ ਕੇ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਉੱਨੀ ਰੇਸ਼ੇ ਨੂੰ ਕੀੜਾ ਜਲਦੀ ਲਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਐਸਬੈਸਟਾਸ ਕਿਹੋ ਜਿਹਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਇਹ ਕੁਦਰਤੀ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ । ਇਹ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਜਾਂ ਖਣਿਜ ਪਦਾਰਥ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਅੱਗ ਵਿਚ ਰੱਖਣ ‘ਤੇ ਸਦਾ ਨਹੀਂ । ਇਸ ਉੱਪਰ ਤੇਜ਼ਾਬ ਅਤੇ ਖਾਰ ਦਾ ਕੋਈ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ । ਅੱਗ ਬੁਝਾਉਣ ਲਈ ਵਰਤੇ ਜਾਣ ਵਾਲੇ ਕੱਪੜੇ ਵੀ ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਤੋਂ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਆਮ ਪਹਿਨਣ ਵਾਲੇ ਕੱਪੜੇ ਇਸ ਤੋਂ ਨਹੀਂ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 22.
ਅਜਿਹੀ ਰੇਔਨ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ਜੋ ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਵੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਐਸੀਟੇਟ ਰੇਔਨ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਨਾਲ ਮੇਲ ਖਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਵੇਖਣ ਨੂੰ ਨਰਮ ਅਤੇ ਚਮਕਦਾਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਘਰੇਲੂ ਪੁਸ਼ਾਕਾਂ ਅਤੇ ਵਸਤਰ ਬਣਾਉਣ ਦੇ ਕੰਮ ਆਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 23.
ਬਨਾਉਟੀ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਰੇਸ਼ਾ ਕਿਵੇਂ ਬਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਨਾਉਟੀ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਰੇਸ਼ਾ ਤਿਆਰ ਕਰਨ ਲਈ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਨਿਯੰਤਰਿਤ ਹਾਲਤਾਂ ਵਿਚ ਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਰੇਸ਼ੇ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਫਿਰ ਬਾਰੀਕ ਛੇਕਾਂ ਵਾਲੀ ਛਾਣਨੀ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਭਾਗ ਹਵਾ ਦੇ ਸੰਪਰਕ ਵਿਚ ਆ ਕੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਰੂਪ ਧਾਰ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ।
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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 24.
ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੇ ਮੁੱਖ ਗੁਣ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ਾ ਕਾਰਬਨ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ, ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਤੱਤਾਂ ਤੋਂ ਮਿਲ ਕੇ ਬਣਦਾ ਹੈ ।
ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਹਨ –

  • ਇਹ ਫਿਲਾਮੈਂਟ ਰੇਸ਼ੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਇੱਛਾ ਅਨੁਸਾਰ ਰੱਖੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
  • ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਮਜ਼ਬੂਤ ਅਤੇ ਚਮਕਦਾਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਹੰਢਣਸਾਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਜਲਦੀ ਸੁੱਕ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਇਹ ਕੱਪੜੇ ਪਸੀਨਾ ਵੀ ਨਹੀਂ ਸੋਖਦੇ ।
  • ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਤਾਪ ਦੇ ਕੁਚਾਲਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਇਸ ਕਰਕੇ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਵਰਤੇ ਜਾਂਦੇ ।
  • ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ‘ਤੇ ਖਾਰ ਦਾ ਕੋਈ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ, ਜਦ ਕਿ ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਿਚ ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਘੁਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  • ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ੇ ਤਾਪ ਨਾਲ ਪਿਘਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਜਲਣ ’ਤੇ ਪਲਾਸਟਿਕ ਦੇ ਸੜਨ ਵਰਗੀ ਗੰਧ ਆਉਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਜ਼ਿਆਦਾ ਗਰਮੀ ਨਹੀਂ ਸਹਾਰ ਸਕਦੇ, ਇਸ ਲਈ ਘੱਟ ਗਰਮ ਪ੍ਰੈੱਸ ਨਾਲ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰਨੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਕੋਈ ਉੱਲੀ ਜਾਂ ਟਿੱਡੀ ਆਦਿ ਨਹੀਂ ਲਗਦੀ !

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 25.
ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਦਿਨ-ਪ੍ਰਤੀ-ਦਿਨ ਕਿਉਂ ਵੱਧ ਰਹੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ੇ ਮਜ਼ਬੂਤ, ਲਚਕਦਾਰ, ਹੰਢਣਸਾਰ, ‘ਧੋਣ ਅਤੇ ਸੰਭਾਲਣ ਵਿਚ ਆਸਾਨ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਨੂੰ ਜੁਰਾਬਾਂ, ਖੇਡਾਂ ਲਈ ਪਹਿਨਣ ਵਾਲੇ ਕੱਪੜੇ ਅਤੇ ਆਮ ਪਹਿਨਣ ਵਾਲੇ ਕੱਪੜਿਆਂ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਕਾਰਨ ਇਸ ਦੀਆਂ ਰੱਸੀਆਂ, ਡੋਰੀਆਂ ਆਦਿ ਵੀ ਬਣਾਈਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਨੂੰ ਦੂਸਰੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਨਾਲ ਮਿਲਾ ਕੇ ਵੀ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀ ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਕਾਰਨ ਹੀ ਇਸ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਦਿਨ-ਬ-ਦਿਨ ਵਧਦੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 26.
ਮਿਸ਼ਰਤ ਰੇਸ਼ੇ ਬਣਾਉਣ ਦੇ ਕੀ ਲਾਭ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਮਿਸ਼ਰਤ ਰੇਸ਼ੇ ਬਣਾਉਣ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਅਤੇ ਹੰਢਣਸਾਰਤਾ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸਦੇ ਨਾਲ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਾਂਭ-ਸੰਭਾਲ ਵੀ ਸੌਖੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਮਿਸ਼ਰਤ ਰੇਸ਼ੇ ਸਸਤੇ ਵੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਦਾਗ ਵੀ ਘੱਟ ਲੱਗਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਰੰਗ ਵੀ ਪੱਕੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਵੇਖਣ ਨੂੰ ਵੀ ਸੋਹਣੇ ਲੱਗਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 27.
ਬਨਾਉਟੀ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਸੰਭਾਲਣਾ ਆਸਾਨ ਕਿਉਂ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਨਾਉਟੀ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਦੇਖ-ਭਾਲ ਅਤੇ ਸੰਭਾਲ ਆਸਾਨ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਧੋਣੇ ਸੌਖੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਗਰਮ ਪਾਣੀ ਦੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਪੈਂਦੀ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਰੰਗ ਪੱਕੇ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਧੋਣ ਨਾਲ ਜਾਂ ਪੈਂਸ ਨਾਲ ਖ਼ਰਾਬ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ । ਪੈਂਸ ਦੀ ਵੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਪੈਂਦੀ ਟਿੱਡੀਆਂ, ਕੀੜਿਆਂ ਜਾਂ ਉੱਲੀ ਦੁਆਰਾ ਕੋਈ ਨੁਕਸਾਨ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਰਸਾਇਣਾਂ ਤੋਂ ਬਣੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਸੰਭਾਲਣੇ ਵੀ ਸੌਖੇ ਹਨ ।

ਨਿਬੰਧਾਤਮਕ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਰੇਸ਼ੇ ਤੋਂ ਕੱਪੜਾ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਕਿਹੜੇ ਮੂਲ ਗੁਣ ਹੋਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ?
ਜਾਂ
ਰੇਸ਼ੇ ਤੋਂ ਕੱਪੜਾ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਮੂਲ ਗੁਣਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੁਦਰਤ ਵਿਚ ਅਨੇਕਾਂ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਮਿਲਦੇ ਹਨ ਪਰ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਕੱਪੜਾ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਇਹਨਾਂ ਵਿਚ ਕੁੱਝ ਮੂਲ ਗੁਣ ਹੋਣੇ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹਨ ਤਾਂ ਹੀ ਇਹਨਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਕੱਪੜਾ ਬਣਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਇਹ ਮੁਲ ਗੁਣ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ –

  1. ਰੇਸ਼ੇ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹੋਣਾ (Staple)
  2. ਮਜ਼ਬੂਤੀ (Strength/Tenacity)
  3. ਲਚਕੀਲਾਪਨ (Elasticity/Flexibility)
  4. ਇਕਸਾਰਤਾ (Uniformity)
  5. ਜੁੜਨ ਸ਼ਕਤੀ (Spinning Quality/Cohesiveness) ।

1. ਰੇਸ਼ੇ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹੋਣਾ (ਸਟੇਪਲ) -ਰੇਸ਼ੇ ਸਟੇਪਲ ਜਾਂ ਫਿਲਾਮੈਂਟ ਦੋ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਸਟੇਪਲ ਤੋਂ ਭਾਵ ਹੈ ਕਿ ਰੇਸ਼ੇ ਤੋਂ ਕੱਪੜਾ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਖ਼ਾਸ ਲੰਬਾਈ ਅਤੇ ਵਿਆਸ ਦਾ ਹੋਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ਤਾਂ ਹੀ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਤਸੱਲੀਬਖਸ਼ ਵਰਤੋਂ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ । ਵਿਆਸ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲਤਨ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਘੱਟੋ-ਘੱਟ 1 : 100 ਦੇ ਅਨੁਪਾਤ ਵਿਚ ਹੋਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਅੱਧਾ ਇੰਚ ਤੋਂ ਘੱਟ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਉਹ ਧਾਗਾ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਇਸਤੇਮਾਲ ਨਹੀਂ ਕੀਤੇ ਜਾ ਸਕਦੇ ।

ਮਨੁੱਖ ਦੁਆਰਾ ਤਿਆਰ ਕੀਤੇ ਅਤੇ ਸਿਲਕ ਦੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਤਾਂ ਬਹੁਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਪਰੰਤ ਉੱਨ ਅਤੇ ਕਪਾਹ ਦੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਪਰ ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਿਚ ਆਪਸ ਵਿਚ ਜੁੜ ਕੇ ਕੱਤੇ ਜਾਣ ਦਾ ਗੁਣ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਕੱਪੜਾ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਲਾਭਕਾਰੀ ਹੈ । ਕਪਾਹ ਦੇ ਛੋਟੇ ਰੇਸ਼ੇ ਜਿਹਨਾਂ ਤੋਂ ਧਾਗਾ ਨਹੀਂ ਬਣਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ, ਉਹਨਾਂ ’ਤੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨਾਲ ਰੇਸ਼ੇ ਦਾ ਪੁਨਰ ਨਿਰਮਾਣ ਕਰਕੇ ਰੇਔਨ ਦਾ ਰੇਸ਼ਾ ਬਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਹੀ ਰੇਔਨ ਦੇ ਗੁਣ ਸੂਤੀ ਕੱਪੜੇ ਨਾਲ ਕਾਫ਼ੀ ਮਿਲਦੇ ਹਨ ।

2. ਮਜ਼ਬੂਤੀ-ਰੇਸ਼ੇ ਤੋਂ ਕੱਪੜਾ ਬਣਾਉਣਾ ਇਕ ਲੰਬੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਹੈ । ਰੇਸ਼ੇ ਇੰਨੇ ਮਜ਼ਬੂਤ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ਕਿ ਕਤਾਈ, ਸਫ਼ਾਈ ਅਤੇ ਬੁਣਾਈ ਸਮੇਂ ਪੈ ਰਹੀ ਖਿੱਚ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰ ਸਕਣ ਅਤੇ ਹੰਢਣਸਾਰ ਕੱਪੜੇ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਬਦਲੇ ਜਾ ਸਕਣ । ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਤੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦੀ ਨਮੀ ਦਾ ਅਸਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਕੁਦਰਤੀ ਰੂਪ ਵਿਚ ਪੌਦਿਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਰੇਸ਼ੇ ਜਦੋਂ ਗਿੱਲੇ ਹੋਣ ਤਾਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਦ ਕਿ ਦੂਜੇ ਰੇਸ਼ੇ ਜਿਵੇਂ ਰੇਔਨ ਅਤੇ ਉੱਨ, ਸਿਲਕ ਆਦਿ ਗਿੱਲੇ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

3. ਲਚਕੀਲਾਪਨ -ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਿਚ ਟੁੱਟੇ ਬਗੈਰ ਮੁੜ ਸਕਣ ਦਾ ਗੁਣ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਜੋ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ‘ਤੇ ਲਪੇਟ ਕੇ ਵਲ ਦੇ ਕੇ ਧਾਗਾ ਬਣਾਇਆ ਜਾ ਸਕੇ ਜਿਸ ਤੋਂ ਕਿ ਕੱਪੜਾ ਬਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਗੁਣ ਕੱਪੜੇ ਨੂੰ ਹੰਢਣਸਾਰ ਬਣਾਉਣ ਅਤੇ ਮੁੜ ਪੁਰਾਣੀ ਸ਼ਕਲ ਅਤੇ ਆਕਾਰ ਬਰਕਰਾਰ ਰੱਖਣ ਵਿਚ ਮਦਦ ਕਰਦਾ ਹੈ । ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਿਚ ਲਚਕ ਵੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਉਹਨਾਂ ਵਿਚ ਵੱਟ ਘੱਟ ਪੈਂਦੇ ਹਨ ।

4. ਇਕਸਾਰਤਾ-ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਅਤੇ ਵਿਆਸ ਵਿਚ ਇਕਸਾਰਤਾ ਹੋਣ ਨਾਲ ਉਹਨਾਂ ਤੋਂ ਸਾਫ ਅਤੇ ਇਕਸਾਰ ਧਾਗਾ ਬਣਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਕੱਪੜਾ ਵੀ ਮੁਲਾਇਮ ਅਤੇ ਸਾਫ਼ ਬਣਦਾ ਹੈ ।

5. ਜੁੜਨ ਸ਼ਕਤੀ -ਚੰਗੀ ਕਤਾਈ ਲਈ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਿੱਚ ਆਪਸ ਵਿਚ ਜੁੜ ਸਕਣ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਦਾ ਹੋਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ਤਾਂ ਜੋ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਕਤਾਈ ਹੋ ਸਕੇ ।
ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਜੁੜਨ ਸ਼ਕਤੀ ਚਾਰ ਗੱਲਾਂ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

  • ਰੇਸ਼ੇ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ।
  • ਰੇਸ਼ੇ ਦੀ ਬਾਰੀਕੀ
  • ਰੇਸ਼ੇ ਦੀ ਸੜਾ ਦੀ ਕਿਸਮ
  • ਲਚਕੀਲਾਪਨ ।

ਰੇਸ਼ੇ ਵਿਚ ਜਿੰਨੀ ਜੁੜਨ ਸ਼ਕਤੀ ਵਧੇਰੇ ਹੋਵੇਗੀ ਉੱਨੀ ਹੀ ਕੜਾਈ ਉਪਰੰਤ ਧਾਗੇ ਦੀ ਬਾਰੀਕੀ ਅਤੇ ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਹੋਵੇਗੀ ਅਤੇ ਇਹ ਹੀ ਗੁਣ ਕੱਪੜੇ ਵਿਚ ਵੀ ਆਉਣਗੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਪਹਿਨਣ ਲਈ ਕਿਸ ਕਿਸਮ ਦੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਬਣੇ ਕੱਪੜੇ ਠੀਕ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ? ਬਨਾਉਟੀ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਬਣਾਏ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਬਣੇ ਕੱਪੜੇ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਪਹਿਨੇ ਜਾਂਦੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਪਹਿਨਣ ਲਈ ਸੂਤੀ ਅਤੇ ਲਿਨਨ ਰੇਸ਼ੇ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਠੀਕ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਵੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਇਹ ਪਸੀਨਾ ਸੋਖ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਤਾਪ ਦੇ ਸੰਚਾਲਕ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਪਸੀਨੇ ਨੂੰ ਸੁੱਕਣ ਵਿਚ ਮਦਦ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਠੰਢੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸੇ ਲਈ ਇਹ ਕੱਪੜੇ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਵੱਧ ਆਰਾਮਦਾਇਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਪਰ ਗਿੱਲੇ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਹੋਰ ਵੀ ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਸੂਤੀ ਅਤੇ ਲਿਨਨ ਦੇ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੇ ਉਲਟ ਬਨਾਉਟੀ ਰੇਸ਼ੇ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਪਹਿਨੇ ਜਾਂਦੇ ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਪਾਣੀ ਨਹੀਂ ਸੋਖਦੇ ਅਤੇ ਪਸੀਨਾ ਆਉਣ ‘ਤੇ ਗਿੱਲੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਪਰ ਪਸੀਨਾ ਸੁੱਕਦਾ ਨਹੀਂ । ਤਾਪ ਦੇ ਕੁਚਾਲਕ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਸਰੀਰ ਦੀ ਗਰਮੀ ਬਾਹਰ ਨਹੀਂ ਨਿਕਲ ਸਕਦੀ ਸੋ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਵੱਧ ਗਰਮੀ ਲੱਗਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਕੱਪੜੇ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਪਹਿਨੇ ਜਾਂਦੇ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕੁਦਰਤ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਰੇਸ਼ੇ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਹਨ ? ਕਿਸੇ ਇਕ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ, ਰਚਨਾ ਅਤੇ ਦੇਖਭਾਲ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ ।
ਜਾਂ
ਸੁਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਦੇਖਭਾਲ ਬਾਰੇ ਵਿਸਥਾਰ ਵਿਚ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੁਦਰਤੀ ਰੂਪ ਵਿਚ ਪੌਦਿਆਂ, ਜਾਨਵਰਾਂ ਅਤੇ ਖਣਿਜ ਪਦਾਰਥਾਂ ਜਾਂ ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਰੇਸ਼ੇ ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਹਨ ।
ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਦੇ ਸਾਧਨ ਦੇ ਅਧਾਰ ‘ਤੇ ਤਿੰਨ ਸ਼੍ਰੇਣੀਆਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ –

(ਉ) ਪੌਦਿਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਰੇਸ਼ੇ-ਇਹ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਬੀਜਾਂ ਦੇ ਵਾਲਾਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਕਪਾਹ ਅਤੇ ਤਣਿਆਂ ਦੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਸਣ, ਪਟਸਨ ਆਦਿ ਹਨ ।

(ਅ) ਜਾਨਵਰਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਰੇਸ਼ੇ-ਜਾਨਵਰਾਂ ਦੇ ਵਾਲਾਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਉੱਨ ਅਤੇ ਰੇਸ਼ਮ ਦੇ ਕੀੜਿਆਂ ਤੋਂ ਰੇਸ਼ਮ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਧਾਤ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਰੇਸ਼ੇ-ਕੱਚੀ ਧਾਤ ਜਾਂ ਖਣਿਜ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਐਸਬੈਸਟੀਸ ਕੁਦਰਤੀ ਰੂਪ ਵਿਚ ਧਰਤੀ ਦੀ ਤਹਿ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ ।

ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ੇ-ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਪੌਦਿਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਪੌਦਿਆਂ ਤੋਂ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ, ਜਿਵੇਂ-ਕਪਾਹ ਸੂ), ਲਿਨਨ, ਜੂਟ ਅਤੇ ਨਾਰੀਅਲ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਆਦਮੀ ਲਈ ਬਹੁਤ ਲਾਭਕਾਰੀ ਹਨ । ਇਹ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਹਿੱਸਿਆਂ; ਜਿਵੇਂ-ਬੀਜ, ਤਣੇ, ਪੱਤੇ ਜਾਂ ਫਲ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ-ਇਹ ਰੇਸ਼ਾ ਪੁਰਾਣੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਉਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ਾ ਕਪਾਹ ਦੇ ਪੌਦੇ ਦੇ ਬੀਜਾਂ ਦੇ ਵਾਲ ਹਨ । ਕਪਾਹ ਦਾ ਬੂਟਾ 90-120 ਸੈਂਟੀਮੀਟਰ ਉੱਚਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜੋ ਗਰਮ, ਸਿੱਲ੍ਹੀ ਅਤੇ ਕਾਲੀ ਮਿੱਟੀ ਵਾਲੀ ਜ਼ਮੀਨ ਵਿਚ ਉਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਇਸ ਦੀ ਡੋਡੀ ਜੋ ਫੁੱਲ ਵਿਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਜਿੱਥੇ ਬਾਅਦ ਵਿਚ ਟਿੰਡਾ ਬਣ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਡਾ ਪੱਕ ਕੇ ਫੁੱਟ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜਿਸ ਨਾਲ ਰੂੰ (ਕਪਾਹ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲ ਆਉਂਦੀ ਹੈ । ਤੂੰ ਹੀ ਅਸਲ ਵਿਚ ਕਪਾਹ ਦੇ ਬੂਟੇ ਦੇ ਫਲ ਹਨ, ਜਿਸ ਤੋਂ ਵੜੇਵੇਂ (ਬੀਜ) ਅਤੇ ਕਪਾਹ ਬੀਜਾਂ ਦੇ ਵਾਲ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਕਰ ਲਏ ਜਾਂਦੇਂ ਹਨ | ਕਪਾਹ ਦੀ ਕੰਘੀ ਕਰਕੇ ਛੋਟੇ ਅਤੇ ਲੰਬੇ ਰੇਸ਼ੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਕਰ ਲਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਲੰਬੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਮਸ਼ੀਨਾਂ ਨਾਲ ਧਾਗਾ ਬਣਾ ਕੇ ਕੱਪੜਾ ਬਣਾ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ । ਹੈ | ਪਹਿਲਾਂ ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਹੀ ਚਰਖੇ ਨਾਲ ਧਾਗਾ ਬਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਸੀ ਜਿਸ ਤੋਂ ਖੱਦਰ ਜਾਂ ਖੇਸ ਵਗੈਰਾ ਵੀ ਘਰ ਹੀ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਸਨ ।

(ਉ) ਰਚਨਾ-ਸੂਤੀ · ਰੇਸ਼ੇ ਵਿਚ 87-90% ਸੈਲੂਲੋਜ, 5 ਤੋਂ 8% ਪਾਣੀ ਅਤੇ ਬਾਕੀ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
(ਆ) ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ

  1. ਬਣਤਰ-ਕਪਾਹ ਦਾ ਰੇਸ਼ਾ ਖੁਰਦਬੀਨ ਨਾਲ ਦੇਖਣ ਤੇ ਨਾਲੀ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਿਖਦਾ ਹੈ ।
    ਜਿਸ ਵਿਚ ਰਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜਦ ਕਪਾਹ ਪੱਕਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਇਹ ਰਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਰੇਸ਼ਾ ਚਪਟਾ, ਮੁੜੇ ਹੋਏ ਰਿਬਨ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਲਗਦਾ ਹੈ ।
  2. ਲੰਬਾਈ-ਇਹ ਛੋਟਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ, ਇਸ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 3 ਇੰਚ ਤੋਂ ਦੋ ਇੰਚ ਤਕ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
  3. ਰੰਗ-ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ, ਰੰਗ ਚਿੱਟਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਪਰ ਕਪਾਹ ਦੀ ਕਿਸਮ ਅਨੁਸਾਰ ਇਸ ਦਾ ਰੰਗ ਕਰੀਮ ਜਾਂ ਹਲਕਾ ਭੂਰਾ ਵੀ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

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4. ਦਿਖ-ਇਸ ਵਿਚ ਕੁਦਰਤੀ ਚਮਕ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ਪਰ ਰਸਾਇਣਿਕ ਕਿਰਿਆ ਜਿਸ ਨੂੰ ਮਰਸੀਰਾਈਜੇਸ਼ਨ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, ਨਾਲ ਇਸ ਦੀ ਦਿਖ ਸੁਧਾਰੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।

5. ਮਜ਼ਬੂਤੀ-ਇਹ ਇੱਕ ਮਜ਼ਬੂਤ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਕਾਫ਼ੀ ਰਗੜ ਸਹਿ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਗਿੱਲੇ ਹੋਣ ਨਾਲ ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਹੋਰ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਮਰਸੀਰਾਈਜੇਸ਼ਨ ਨਾਲ ਪੱਕੇ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

6. ਲਚਕੀਲਾਪਨ-ਇਹਨਾਂ ਵਿਚ ਲਚਕ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ, ਇਸ ਲਈ ਸੂਤੀ ਕੱਪੜੇ ਵਿੱਚ ਵੱਟ ਜਲਦੀ ਪੈਂਦੇ ਹਨ ।

7. ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ-ਇਹਨਾਂ ਦੀ ਨਮੀ ਜਾਂ ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਸ਼ਕਤੀ ਚੰਗੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਪਸੀਨਾ ਸੋਚ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਇਸੇ ਲਈ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਪਹਿਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਗੁਣ ਕਾਰਨ ਹੀ ਸੁਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਦੇ ਤੌਲੀਏ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

8. ਤਾਪ ਚਾਲਕਤਾ-ਇਹ ਤਾਪ ਦੇ ਚੰਗੇ ਸੰਚਾਲਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਗਰਮੀ ਇਹਨਾਂ ਵਿਚੋਂ ਦੀ ਲੰਘ ਸਕਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਹੀ ਇਹ ਪਸੀਨੇ ਨੂੰ ਸੁੱਕਣ ਵਿਚ ਮਦਦ ਕਰਦੇ ਹਨ | ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਚੰਗੀ ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ ਅਤੇ ਚੰਗੀ ਤਾਪ ਸੁਚਾਲਕਤਾ ਕਾਰਨ ਵੀ ਇਹ ਠੰਢੇ ਰੇਸ਼ੇ ਹਨ ਅਤੇ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਪਹਿਨਣ ਲਈ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਉੱਚਿਤ ਅਤੇ ਢੁੱਕਵੇਂ ਹਨ ।

9. ਰਸਾਇਣਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ-ਖਾਰ ਦਾ ਇਹਨਾਂ ‘ਤੇ ਬਹੁਤ ਚੰਗਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ਪਰੰਤੂ ਹਲਕੇ ਜਾਂ ਗਾੜੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨਾਲ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

10. ਰੰਗਾਈ-ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਰੰਗਣਾ ਆਸਾਨ ਹੈ ਪਰ ਧੁੱਪ ਅਤੇ ਧੋਣ ਨਾਲ ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਰੰਗ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

11. ਉੱਲੀ ਦਾ ਅਸਰ-ਸਿੱਲ੍ਹੇ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਉੱਲੀ ਬਹੁਤ ਲੱਗ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਖ਼ਰਾਬ ਕਰ ਦਿੰਦੀ ਹੈ । ਪਰ ਕੀੜਾ ਨਹੀਂ ਲਗਦਾ |

12. ਹੋਰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ-ਇਹਨਾਂ ‘ਤੇ ਗਰਮੀ ਦਾ ਅਸਰ ਘੱਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇਹ ਕੱਪੜੇ ਉਬਾਲੇ ਵੀ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਧੁੱਪੇ ਸੁਕਾਏ ਵੀ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ | ਪਰ ਰੰਗਦਾਰ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦਾ ਰੰਗ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਨਾ ਤਾਂ ਉਬਾਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਨਾ ਹੀ ਧੁੱਪੇ ਸੁਕਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

13. ਤਾਪ ਦਾ ਅਸਰ-ਸੁਤੀ ਰੋਸ਼ਾ ਅੱਗ ਜਲਦੀ ਪਕੜਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਪੀਲੀ ਲਾਟ ਨਾਲ ਜਲਦਾ ਹੈ | ਜਲਣ ਸਮੇਂ ਕਾਗਜ਼ ਦੇ ਜਲਣ ਵਰਗੀ ਗੰਧ ਆਉਂਦੀ ਹੈ |
ਅੱਗ ਤੋਂ ਪਰੇ ਕਰਨ ‘ਤੇ ਵੀ ਆਪਣੇ ਆਪ ਜਲਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਜਲਣ ਉਪਰੰਤ ਸਲੇਟੀ ਰੰਗ ਦੀ ਸੁਆਹ ਬਣਦੀ ਹੈ ।

ਦੇਖ-ਭਾਲ-

  • ਸਫ਼ੈਦ ਸੂਤੀ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਗਰਮ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਜਾਂ ਉਬਾਲ ਕੇ ਅਤੇ ਰਗੜ ਕੇ ਧੋਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਰੰਗਦਾਰ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਠੰਢੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਹੀ ਧੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਛਾਵੇਂ ਹੀ ਸੁਕਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਪਰ ਸਫ਼ੈਦ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਧੁੱਪੇ ਸੁਕਾਉਣ ਨਾਲ ਉਹਨਾਂ ਵਿਚ ਹੋਰ ਸਫ਼ੈਦੀ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ।
  • ਖਾਰ ਦਾ ਮਾੜਾ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ, ਇਸ ਲਈ ਕਿਸੇ ਵੀ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਸਾਬਣ ਨਾਲ ਧੋਤੇ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਲ੍ਹੇ ਹੀ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਦਰਮਿਆਨੀ ਅਤੇ ਤੇਜ਼ ਗਰਮ ਪ੍ਰੈੱਸ ਨਾਲ ਸ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  • ਰੰਗਕਾਟ ਦਾ ਇਹਨਾਂ ‘ਤੇ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਖ਼ਾਸ ਕਰਕੇ ਕਲੋਰੀਨ ਵਾਲੇ ਰੰਗਕਾਟ | ਤੇਜ਼ ਰੰਗਕਾਟ ਕੱਪੜੇ ਨੂੰ ਕਮਜ਼ੋਰ ਕਰ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ।
  • ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਕਦੇ ਵੀ ਸਿੱਲ੍ਹੇ-ਸਿੱਲ੍ਹ ਨਹੀਂ ਸੰਭਾਲਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਕਿਉਂਕਿ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਉੱਲੀ ਜਲਦੀ ਲੱਗ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਲਿਨਨ-ਇਹ ਫਲੈਕਸ ਪੌਦੇ ਦੇ ਤਣੇ ਅਤੇ ਟਾਹਣੀਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ । ਇਹ ਪੌਦਾ ਘੱਟ ਗਰਮ ਪਰ ਜ਼ਿਆਦਾ ਨਮੀਦਾਰ ਸਿੱਲ੍ਹੇ ਮੌਸਮ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 10 ਇੰਚ ਤੋਂ 40 ਇੰਚ ਤਕ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਰੇਸ਼ਾ ਗੂੰਦ ਜਿਹੀ ਨਾਲ ਤਣੇ ਦੇ ਨਾਲ ਜੁੜਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਪੌਦਿਆਂ ਤੋਂ ਸਹੀ ਰੂਪ ਵਿਚ ਉਤਾਰਨ ਲਈ ਪੌਦਿਆਂ ਦੇ ਤਣਿਆਂ ਨੂੰ ਐਸ, ਰਸਾਇਣ ਜਾਂ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਰੱਖ ਕੇ ਜਿਵੇਂ ਨਦੀ ਜਾਂ ਤਲਾਬ ਜਾਂ ਰਸਾਇਣਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਕਰਕੇ ਉਫਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਨਰਮਾਉਣਾ ਜਾਂ ਗਲਾਉਣਾ (Retting) ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਨਰਮਾਉਣ ਨਾਲ ਗੂੰਦ ਜਿਹਾ ਗਲ ਕੇ ਵੱਖ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਰੇਸ਼ੇ ਢਿੱਲੇ ਪੈ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਵੱਖਰੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
(ਉ) ਰਚਨਾ-ਇਸ ਵਿਚ 70-85 ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਸੈਲੂਲੋਜ਼ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਬਾਕੀ ਅਸ਼ੁੱਧੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
(ਅ) ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ –
1. ਬਣਤਰ-ਲਿਨਨ ਦਾ ਰੇਸ਼ਾ ਖੁਰਦਬੀਨ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਲੰਬਾ, ਸਿੱਧਾ, ਇਕਸਾਰ, ਚਮਕਦਾਰ ਅਤੇ ਚਿਕਨਾ ਦਿਖਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਬਾਂਸ ਵਾਂਗ ਥੋੜ੍ਹੀ-ਥੋੜ੍ਹੀ ਦੂਰੀ ‘ਤੇ ਗੰਢਾਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ 5
2. ਲੰਬਾਈ-ਇਹ ਵੀ ਛੋਟਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੀ ਹੈ ਅਤੇ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 6-40 ਇੰਚ ਤਕ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ । 12 ਇੰਚ ਤੋਂ ਛੋਟੇ ਰੇਸ਼ੇ ਨੂੰ ਕੱਪੜੇ ਦੀ ਬੁਣਾਈ ਲਈ ਇਸਤੇਮਾਲ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ।

3. ਰੰਗ-ਇਸ ਦਾ ਰੰਗ ਫਿੱਕੇ ਪੀਲੇ ਤੋਂ ਫਿੱਕਾ ਭੂਰਾ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ |

4. ਦਿਖ (ਚਮਕ)-ਇਸ ਵਿਚ ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਨਾਲੋਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਚਮਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਪਰ ਸਿਲਕ ਤੋਂ ਥੋੜੀ ਘੱਟ ।

5. ਲਚਕੀਲਾਪਨ-ਇਹ ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਨਾਲੋਂ ਵੀ ਘੱਟ ਲਚਕੀਲੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਇਸ ਲਈ ਵੱਟ ਹੋਰ ਵੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਪੈਂਦੇ ਹਨ ।

6. ਮਜ਼ਬੂਤੀ-ਇਹ ਰੇਸ਼ਾ ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਤੋਂ ਵੀ ਵੱਧ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਗਿੱਲਾ ਹੋ ਕੇ ਇਸ ਦੀ ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਹੋਰ ਵੀ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

7. ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ-ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਤੋਂ ਵੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

8. ਤਾਪ ਚਾਲਕਤਾ-ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਵੀ ਵੱਧ ਤਾਪ ਦੇ ਸੰਚਾਲਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਇਸ ਲਈ ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਸੁਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਤੋਂ ਵੱਧ ਠੰਢਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦੇ ਹਨ ।

9. ਰਸਾਇਣਾਂ ਦਾ ਅਸਰ-ਇਹ ਤੇਜ਼ ਤੇਜ਼ਾਬ ਨਾਲ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜਦੋਂ ਕਿ ਸੂਤੀ ਕੱਪੜੇ ਵਾਂਗ ਖਾਰ ਦਾ ਅਸਰ ਘੱਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

10. ਰੰਗਾਈ-ਸੂਤੀ ਕੱਪੜੇ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਿੱਧੇ ਰੰਗਾਂ ਨਾਲ ਰੰਗੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਰੰਗਾਈ ਸੂਤੀ ਕੱਪੜੇ ਤੋਂ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਪਰ ਧੋਣ ਅਤੇ ਧੁੱਪ ਵਿਚ ਸੁਕਾਉਣ ਸਮੇਂ ਰੰਗ ਜਲਦੀ ਫਿੱਕੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਰੰਗ ਪੱਕੇ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ।

11. ਉੱਲੀ ਅਤੇ ਕੀੜੇ ਦਾ ਅਸਰ-ਇਸ ਨੂੰ ਕੀੜਾ ਬਹੁਤ ਜਲਦੀ ਲਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

12. ਹੋਰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ-ਸੂਤੀ ਕੱਪੜੇ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੀ ਇਸ ਨੂੰ ਜਲਾਉਣ ਸਮੇਂ ਪੇਪਰ ਦੇ ਜਲਣ ਵਰਗੀ ਗੰਧ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਅੱਗ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਕੱਢਣ ’ਤੇ ਆਪਣੇ ਆਪ ਥੋੜੀ ਦੇਰ ਜਲਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਜਲਣ ਉਪਰੰਤ ਸਲੇਟੀ ਰੰਗ ਦੀ ਸੁਆਹ ਬਣਦੀ ਹੈ । ਦਰਮਿਆਨੀ ਤੋਂ ਤੇਜ਼ ਪ੍ਰੈੱਸ ਨਾਲ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਲਿਨਨ ਦੀਆਂ ਕਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਸੂਤੀ ਕੱਪੜੇ ਨਾਲ ਮੇਲ ਖਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਪਰ ਜ਼ਿਆਦਾ ਗਰਮੀ ਨਾਲ ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਇਸ ਲਈ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਉਬਾਲਣਾ ਨਹੀਂ ਚਾਹੀਦਾ | ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਵੀ ਰਗੜ ਕੇ ਧੋਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਦੇਖਭਾਲ-ਇਹਨਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ‘ਤੇ ਖਾਰ ਦਾ ਮਾੜਾ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ । ਇਸ ਕਰਕੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਸਾਬਣ ਨਾਲ ਧੋਏ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਸੂਤੀ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਿਲ੍ਹੇਸਿਲ੍ਹੇ ਹੀ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਇਸ ਲਈ ਰਗੜ ਕੇ ਧੋਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਗਰਮੀ ਨਾਲ ਖ਼ਰਾਬ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਇਸ ਲਈ ਉਬਾਲਣਾ ਨਹੀਂ ਚਾਹੀਦਾ । ਇਹਨਾਂ ਦੇ ਰੰਗ ਪੱਕੇ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ਇਸ ਲਈ ਛਾਂ ਵਿਚ ਹੀ ਸੁਕਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਕੀੜਾ ਬਹੁਤ ਜਲਦੀ ਲਗਦਾ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਧੋ ਕੇ ਸੁਕਾ ਕੇ ਸਾਫ਼ ਸੁੱਕੀ ਜਗ੍ਹਾ ‘ਤੇ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਜਾਨਵਰਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਰੇਸ਼ੇ ਕਿਹੜੇ ਹਨ ? ਇਹਨਾਂ ਦੀ ਰਚਨਾ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਜਾਨਵਰਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਿਚ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਦਾ ਅੰਸ਼ ਵੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਰੇਸ਼ੇ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕਈ ਗੁਣ ਇਕ ਸਾਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦੇ ਵਾਲਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਸਿਲਕ (ਰੇਸ਼ਮ-ਇਹ ਜਾਨਵਰਾਂ ਤੋਂ ਮਿਲਣ ਵਾਲਾ ਪ੍ਰੋਟੀਨਯੁਕਤ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ ਜੋ ਸਿਲਕ ਦੇ ਕੀੜੇ ਦੇ ਲਾਰਵੇ ਦੀ ਲਾਰ ਤੋਂ ਬਣਦਾ ਹੈ । ਰਚਨਾ-ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਤੋਂ ਬਣੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਵਿਚ ਕਾਰਬਨ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ, ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਤੱਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

(ੳ) ਆਮ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ –

1.ਬਣਤਰ-ਖੁਰਦਬੀਨ ਹੇਠਾਂ ਰੇਸ਼ਮ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਚਮਕਦਾਰ, ਦੁਹਰੇ ਧਾਗੇ ਦੇ ਬਣੇ ਹੋਏ ਦਿਸਦੇ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ‘ਤੇ ਜਗ੍ਹਾ-ਜਗ੍ਹਾ ਗੂੰਦ ਦੇ ਧੱਬੇ ਲੱਗੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
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2. ਲੰਬਾਈ-ਕੁਦਰਤੀ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲਾ ਇੱਕੋ ਇਕ ਫਿਲਾਮੈਂਟ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ । ਰੇਸ਼ੇ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 750 ਤੋਂ 1100 ਮੀਟਰ ਤਕ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ ।

3. ਰੰਗ-ਇਸ ਦਾ ਰੰਗ ਕਰੀਮ ਤੋਂ ਭੂਰਾ ਜਾਂ ਸਲੇਟੀ ਜਿਹਾ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

4. ਦਿਖ (ਚਮਕ)-ਇਹਨਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਚਮਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਸਿਲਕ ਨੂੰ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਰਾਣੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

5. ਮਜ਼ਬੂਤੀ-ਕੁਦਰਤੀ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਸਭ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਗਿੱਲਾ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਇਹਨਾਂ ਦੀ ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਘਟਦੀ ਹੈ ।

6. ਲਚਕੀਲਾਪਨ-ਲਚਕ ਚੰਗੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸੇ ਲਈ ਹੀ ਵੱਟ ਘੱਟ ਪੈਂਦੇ ਹਨ ।

7. ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ-ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਪਾਣੀ ਸੋਖ ਲੈਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਮਹਿਸੂਸ ਵੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਕੱਪੜਾ ਗਿੱਲਾ ਹੈ । ਸੁਕਾਉਣ ਤੇ ਕੱਪੜਾ ਬਰਾਬਰ ਸੁੱਕਦਾ ਹੈ।

8. ਤਾਪ ਚਾਲਕਤਾ-ਉੱਨ ਵਾਂਗ ਤਾਪ ਦੇ ਚੰਗੇ ਚਾਲਕ ਨਹੀਂ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਸਰਦੀਆਂ ਵਿਚ ਪਹਿਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਦੀ ਸਤਾ ਮੁਲਾਇਮ ਹੋਣ ਕਾਰਨ, ਉੱਨ ਜਿੰਨੇ ਨਿੱਘੇ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ।

9. ਰਸਾਇਣਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ-ਉੱਨ ਵਾਂਗ ਹਲਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੁਆਰਾ ਖ਼ਰਾਬ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ਪਰ ਹਲਕੀ ਖਾਰ ਵੀ ਇਹਨਾਂ ‘ਤੇ ਬੁਰਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪਾਉਂਦੀ ਹੈ । ਕਲੋਰੀਨ ਯੁਕਤ ਰੰਗ ਕਾਟਾਂ ਦਾ ਇਸਤੇਮਾਲ ਨਹੀਂ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ।

10. ਰੰਗਾਈ-ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਰੰਗ ਜਲਦੀ ਅਤੇ ਪੱਕੇ ਚੜ੍ਹਦੇ ਹਨ ਜੋ ਧੁੱਪ ਅਤੇ ਧੋਣ ਨਾਲ ਵੀ ਜਲਦੀ ਖ਼ਰਾਬ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ । ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਹਰ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਰੰਗ ਨਾਲ ਰੰਗਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

11. ਤਾਪ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ-ਸਿਲਕ ਦੇ ਜਲਣ ਸਮੇਂ ਚਰ-ਚਰ ਦੀ ਆਵਾਜ਼ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਖੰਭਾਂ ਜਾਂ ਵਾਲਾਂ ਦੇ ਜਲਣ ਵਰਗੀ ਗੰਧ ਆਉਂਦੀ ਹੈ । ਅੱਗ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਕੱਢਣ ‘ਤੇ ਆਪਣੇ ਆਪ ਬੁਝ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਜਲਣ ਉਪਰੰਤ ਉਘੜਾ-ਦੁਘੜਾ ਕਾਲਾ ਮਣਕਾ ਬਣਦਾ ਹੈ । ਧੁੱਪ ਵਿਚ ਸੁਕਾਉਣ ਨਾਲ ਜਾਂ ਗਰਮ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਧੋਣ ਨਾਲ ਅਤੇ ਗਰਮ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰਨ ਨਾਲ ਕੱਪੜਾ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਚਮਕ ਤੇ ਰੰਗ ਵੀ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

12. ਹੋਰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ-ਗਿੱਲੇ ਹੋ ਕੇ ਕੱਪੜਾ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਰਗੜਨ ਨਾਲ ਫਟ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਉੱਨ-ਰਚਨਾ-ਉੱਨ ਦਾ ਮੁੱਖ ਤੱਤ ਕਿਰੇਟਿਨ (Keratin) ਨਾਮਕ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਕਾਰਬਨ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ, ਆਕਸੀਜਨ ਅਤੇ ਨਾਈਟਰੋਜਨ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਸਲਫਰ ਵੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

(ਅ) ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ

  • ਬਣਤਰ-ਖੁਰਦਬੀਨ ਦੇ ਹੇਠਾਂ ਉੱਨ ’ਤੇ ਤੰਤੂ ਦੀਆਂ ਪਰਤਾਂ ਜਿਹੀਆਂ ਇਕ-ਦੂਜੇ ‘ਤੇ ਉੱਤੇ ਜਗਾ ਜਗਾ ਤੋਂ ਚੜ੍ਹੀਆਂ ਦਿਖਦੀਆਂ ਹਨ । ਜਿੰਨੀਆਂ ਇਹ ਪਰਤਾਂ ਸੰਘਣੀਆਂ ਹੋਣਗੀਆਂ, ਉੱਨ ਉਤਨੀ ਹੀ ਨਿੱਘੀ ਹੋਵੇਗੀ । ਇਸੇ ਗੁਣ ਕਾਰਨ ਹੀ ਇਹ ਸਿਲਕ ਤੋਂ ਵੱਧ ਨਿੱਘਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  • ਲੰਬਾਈ-ਇਹ ਵੀ ਸਟੇਪਲ (ਛੋਟਾ) ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 1-18 ਇੰਚ ਤਕ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ ।

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  • ਰੰਗ-ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਕਰੀਮ, ਪਰ ਮੋਤੀਆ, ਸਫ਼ੈਦ, ਕਾਲੇ ਅਤੇ ਭੂਰੇ ਰੰਗ ਵਿਚ ਵੀ ਮਿਲਦੇ ਹਨ ।
  • ਦਿੱਖ-ਇਹਨਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਿਚ ਕੋਈ ਚਮਕ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।
  • ਮਜ਼ਬੂਤੀ-ਇਹ ਕਮਜ਼ੋਰ ਕਿਸਮ ਦਾ ਤੰਤੂ ਹੈ ।ਗਿੱਲਾ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਇਸ ਦੀ ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਹੋਰ ਘਟਦੀ ਹੈ ।
  • ਲਚਕੀਲਾਪਨ-ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਵਿਚ ਲਚਕ ਕਾਫ਼ੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਹੀ ਇਹਨਾਂ ਤੋਂ ਬਣੇ ਕੱਪੜਿਆਂ ਵਿਚ ਵੱਟ ਘੱਟ ਪੈਂਦੇ ਹਨ ।
  • ਪਾਣੀ ਸੋਖਣ ਦੀ ਸਮਰੱਥਾ-ਪਾਣੀ ਜਾਂ ਨਮੀ ਸੋਖਣ ਦੀ ਤਾਕਤ ਬਹੁਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਕੱਪੜੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਭਿਉਣ ‘ਤੇ ਬਹੁਤ ਪਾਣੀ ਸੋਖ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਸੁੱਕਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਕਮਜ਼ੋਰ ਰੇਸ਼ਾ ਗਿੱਲੇ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਹੋਰ ਵੀ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਰਗੜ ਕੇ ਨਹੀਂ ਧੋਤੇ ਜਾ ਸਕਦੇ ।
  • ਤਾਪ ਚਾਲਕਤਾ-ਸਿਲਕ ਦੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉੱਨ ਦਾ ਰੇਸ਼ਾ ਤਾਪ ਦਾ ਚੰਗਾ ਚਾਲਕ ਨਹੀਂ ਹੈ । ਤਾਪ ਦਾ ਕੁਚਾਲਕ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਹੀ ਸਰਦੀਆਂ ਵਿਚ ਪਹਿਨਣ ਲਈ ਉਪਯੋਗੀ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਸਰੀਰ ਦੀ ਗਰਮੀ ਨੂੰ ਬਾਹਰ ਨਹੀਂ ਨਿਕਲਣ ਦਿੰਦੇ ।
  • ਰਸਾਇਣਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ-ਹਲਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦਾ ਇਹਨਾਂ ‘ਤੇ ਕੋਈ ਪ੍ਰਭਾਵ ਨਹੀਂ ਪੈਂਦਾ । ਤੇਜ਼ ਤੇਜ਼ਾਬ ਠੀਕ ਨਹੀਂ । ਖਾਰ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਨੁਕਸਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਰੰਗਣ ਸਮੇਂ ਹਲਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਪਰ ਧੋਣ ਸਮੇਂ ਸੋਡੇ ਦਾ ਇਸਤੇਮਾਲ ਬਿਲਕੁਲ ਨਹੀਂ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ |
  • ਰੰਗਾਈ-ਤੇਜ਼ਾਬ ਵਾਲੇ ਰੰਗਾਂ ਨਾਲ ਇਹਨਾਂ ਦੀ ਰੰਗਾਈ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਰੰਗ ਨੂੰ ਜਲਦੀ ਆਪਣੇ ਅੰਦਰ ਸਮਾ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਰੰਗ ਵੀ ਪੱਕੇ ਚੜ੍ਹਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ’ਤੇ ਰੰਗਕਾਟ ਦਾ ਇਸਤੇਮਾਲ ਨਹੀਂ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਖੁਰਦਰੇ ਅਤੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  • ਕੀੜੇ ਅਤੇ ਉੱਲੀ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ-ਇਹਨਾਂ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਕੀੜਾ ਬਹੁਤ ਜਲਦੀ ਲੱਗਦਾ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਸੰਭਾਲਣ ਸਮੇਂ ਬਹੁਤ ਸਾਵਧਾਨੀ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ ।
  • ਤਾਪ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ-ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਜਲਾਉਣ ਸਮੇਂ ਵਾਲਾਂ ਦੇ ਜਲਣ ਵਰਗੀ ਗੰਧ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਚਰ-ਚਰ ਕਰਕੇ ਜਲਦੇ ਹਨ | ਅੱਗ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਕੱਢਣ ’ਤੇ ਬੁਝ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਜਲਣ ਉਪਰੰਤ ਕਾਲੇ ਰੰਗ ਦਾ ਉਘੜਾ-ਦੁਘੜਾ, ਭੁਰਭੁਰਾ ਮਣਕਾ ਬਣ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਐੱਸ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਧੇ ਕੱਪੜੇ ‘ਤੇ ਨਹੀਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਸਗੋਂ ਮਲਮਲ ਦਾ ਸਿੱਲ੍ਹਾ ਕੱਪੜਾ ਵਿਛਾ ਕੇ ਹਲਕੀ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਲਿਨਨ ਦੇ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੱਸੋ !
ਉੱਤਰ-
ਖੁਦ ਉੱਤਰ ਦਿਓ ।

Home Science Guide for Class 10 PSEB ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ Important Questions and Answers

ਬਹੁਤ ਛੋਟੇ ਉੱਡਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1. ਛੋਟੇ (ਸਟੇਪਲ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਕਿੰਨੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
1/4 ਤੋਂ 18 ਇੰਚ ਲੰਮੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਲੰਮੇ (ਫਿਲਾਮੇਂਟ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਕਿੰਨੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਮੀਟਰਾਂ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਛੋਟੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਉ ।
ਉੱਤਰ-
ਲਗਭਗ ਸਾਰੇ ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਰੇਸ਼ਮ ਕਿਹੋ ਜਿਹਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਲੰਮਾ ਰੇਸ਼ਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਬਨਾਵਟੀ ਫਿਲਾਮੈਂਟ ਰੇਸ਼ੇ ਕਿਹੜੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਾਈਲੋਨ, ਪਾਲਿਸਟਰ ॥

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਦੋ ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ (ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਣ, ਪਟਸਨ, ਕਪਾਹ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਕੋਈ ਦੋ ਧਾਤ ਤੋਂ ਬਣੇ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਉ ।
ਉੱਤਰ-
ਗੋਟੇ, ਜਰੀ ਆਦਿ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਨਾਈਲੋਨ, ਪੋਲਿਸਟਰ, ਐਸਟੇਟ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਕੈਸ਼ਮਿਲੋਨ ਕਿਹੋ ਜਿਹਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਇਹ ਮਿਸ਼ਰਤ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਵਾਲਾ ਰੇਸ਼ਾ ਕਿਹੜਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਊਨ, ਸਿਲਕ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਵਿਚ ਕਿੰਨੇ ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਸੈਲੂਲੋਜ਼ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
87 ਤੋਂ 90%.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਲਿਨਨ ਕਿੱਥੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਫਲੈਕਸ ਪੌਦੇ ਦੇ ਤਣੇ ਤੋਂ ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਕਿਸੇ ਦੋ ਬਨਸਪਤੀ ਤੰਤੂਆਂ ਦੇ ਨਾਂ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਤੀ, ਲਿਨਨ, ਨਾਰੀਅਲ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਲੰਬਾਈ ਅਤੇ ਚੌੜਾਈ ਵਿਚ ਚੱਲਣ ਵਾਲੇ ਧਾਗੇ ਦਾ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਜਾਂ
ਤਾਨਾ ਅਤੇ ਬਾਨਾ ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਦੋਂ ਕੱਪੜਾ ਬੁਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਲੰਬਾਈ ਵਿਚ ਚੱਲਣ ਵਾਲੇ ਧਾਗੇ ਨੂੰ ਤਾਨਾ ਅਤੇ ਚੌੜਾਈ ਵਿੱਚ ਚੱਲਣ ਵਾਲੇ ਧਾਗੇ ਨੂੰ ਬਾਨਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਨਾਰੀਅਲ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਕਿਸ ਕੰਮ ਆਉਂਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਾਰੀਅਲ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਨਾਰੀਅਲ ਦੇ ਬੀਜ ਦੇ ਛਿਲਕੇ ਤੋਂ ਤਿਆਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਗਿਰੀ ਅਤੇ ਬਾਹਰਲੇ ਛਿਲਕੇ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਸਮੁੰਦਰ ਦੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਭਿਉਂ ਕੇ ਨਰਮ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਫਿਰ ਕੁੱਟ-ਕੁੱਟ ਕੇ ਸਾਫ਼ ਕਰਕੇ ਬਾਹਰ ਕੱਢ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ | ਇਹਨਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਰੰਗਿਆ ਨਹੀਂ ਜਾਂਦਾ ਇਹਨਾਂ ਦਾ ਆਪਣਾ ਰੰਗ ਗੂੜ੍ਹਾ ਭਰਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਨਾਰੀਅਲ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਅਕੜਾਅ ਵਾਲੇ ਅਤੇ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਵੱਟ ਨਹੀਂ ਪੈਂਦੇ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਸੋਫਿਆਂ ਅਤੇ ਗੱਦਿਆਂ ਨੂੰ ਭਰਨ ਲਈ ਵਰਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਪਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਟਾਟ ਅਤੇ ਜੁੱਤੀਆਂ ਦੇ ਤਲੇ ਵੀ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਚੀਨ ਦੀ ਲਿਨਨ ਕਿਸ ਰੇਸ਼ੇ ਤੋਂ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਦੇ ਕੀ ਗੁਣ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਚੀਨ ਦੀ ਲਿਨਨ ਪੌਦੇ ਦੇ ਤਣੇ ਤੋਂ ਤਿਆਰ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਰੇਮੀ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਪੌਦੇ ਜਪਾਨ, ਫਰਾਂਸ, ਮਿਸਰ, ਇਟਲੀ ਅਤੇ ਰਸ ਵਿਚ ਉਗਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਦੇ ਪੌਦੇ 4 ਤੋਂ 8 ਫੁੱਟ ਉੱਚੇ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਦੇ ਤਣਿਆਂ ਨੂੰ ਕੱਟ ਕੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਗਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਫਿਰ ਰਸਾਇਣਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਾਲ ਫਾਲਤੂ ਗੁੰਦ ਕੱਢ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਉਸ ਤੋਂ ਪਿੱਛੋਂ ਕੰਘੀ ਕਰਕੇ ਇਸ ਦੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਸਾਫ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਲੰਮੇ, ਮਜ਼ਬੂਤ, ਚਮਕਦਾਰ, ਬਾਰੀਕ ਅਤੇ ਸਫ਼ੈਦ ਰੰਗ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਿਚ ਅਕੜਾਅ ਵੱਧ ਅਤੇ ਲਚਕ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕੁਦਰਤ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਰੇਸ਼ੇ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਹਨ ? ਕਿਸੇ ਇਕ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਦੇਖਭਾਲ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਪਟਸਨ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਇਹ ਪੌਦੇ ਦੇ ਤਣੇ ਤੋਂ ਮਿਲਣ ਵਾਲਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਰੱਸੀਆਂ, ਡੋਰੀਆਂ ਅਤੇ ਵਧੀਆ ਕੱਪੜਾ ਬਣਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਉੱਨ ਕੀ ਹੈ ? ਇਸ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਦੇਖਭਾਲ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਨ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ, ਵਰਤੋਂ ਅਤੇ ਦੇਖਭਾਲ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਦੇਖੋ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਬਣਾਉਟੀ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਸੰਭਾਲਣਾ ਆਸਾਨ ਕਿਉਂ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਣਾਉਟੀ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਕੀੜੇ ਅਤੇ ਉੱਲੀ ਨਹੀਂ ਲੱਗਦੀ । ਇਸ ਲਈ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਸੰਭਾਲਣਾ ਸੌਖਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਅਤੇ ਲਿਨਨ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀ ਵਰਤੋਂ

  1. ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਤੋਂ ਬਣੇ ਕੱਪੜੇ ਗਰਮੀਆਂ ਲਈ ਵਧੀਆ ਅਤੇ ਚਮੜੀ ਲਈ ਆਰਾਮਦਾਇਕ ਹਨ ।
  2. ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਦੂਸਰੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਨਾਲ ਮਿਲਾ ਕੇ ਮਿਸ਼ਰਤ ਧਾਗੇ ਬਣਦੇ ਹਨ ।
  3. ਸੂਤੀ ਕੱਪੜੇ ਨੂੰ ਉਬਾਲਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਹਸਪਤਾਲਾਂ ਵਿਚ ਇਸ ਤੋਂ ਪੱਟੀਆਂ ਬਣਦੀਆਂ ਹਨ ।

ਲਿਨਨ ਦੀ ਵਰਤੋਂ –

  • ਗਰਮੀਆਂ ਦੀਆਂ ਪੁਸ਼ਾਕਾਂ ਬਣਦੀਆਂ ਹਨ, ਠੰਢਕ ਦੇਣ ਵਾਲੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ।
  • ਮਜ਼ਬੂਤ ਅਤੇ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੱਕ ਚੱਲਣ ਵਾਲਾ ਕੱਪੜਾ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਚਾਦਰਾਂ ਬਣਦੀਆਂ ਹਨ ।
  • ਮੇਜ਼ਪੋਸ਼ ਆਦਿ ਵੀ ਬਣਦੇ ਹਨ ।
  • ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਅੰਦਰ ਪਾਉਣ ਵਾਲੇ ਕੱਪੜੇ ਵੀ ਬਣਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਬਣਾਉਟੀ ਰੇਸ਼ੇ ਕੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਅਜਿਹੇ ਰੇਸ਼ੇ ਜੋ ਮਨੁੱਖ ਦੁਆਰਾ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਨੂੰ ਬਣਾਉਟੀ ਰੇਸ਼ੇ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਜਿਵੇਂ-ਰੇਆਨ, ਨਾਈਲੋਨ, ਟੈਰਾਲੀਨ, ਆਰਲੋਨ ਆਦਿ ਬਣਾਉਟੀ ਰੇਸ਼ੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਬਣੇ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਸਿੰਥੈਟਿਕ ਕੱਪੜੇ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਉੱਨ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਸਿਲਕ ‘ਤੇ ਤਾਪ ਦਾ ਕੀ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਲਿਨਨ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ, ਵਰਤੋਂ ਅਤੇ ਦੇਖਭਾਲ ਦੇ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਿੱਚ ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਦਾ ਹੋਣਾ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਸਿਲਕ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਿਲਕ ਤੋਂ ਬਣੇ ਕੱਪੜੇ ਬੜੇ ਨਾਜ਼ੁਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਗਿੱਲੇ ਹੋਣ ਤੇ ਹੋਰ ਵੀ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਪੋਲਾ-ਪੋਲਾ ਦਬਾ ਕੇ ਧੋਣਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਰਗੜ ਨਾਲ ਇਹ ਫਟ ਸਕਦੇ ਹਨ | ਖ਼ਾਰ ਅਤੇ ਗਰਮ ਪਾਣੀ ਦਾ ਇਹਨਾਂ ਤੇ ਮਾੜਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਡਰਾਈਕਲੀਨ ਹੀ ਕਰਵਾ ਲਿਆ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਇਹ ਸਿਲ੍ਹੇ ਹੋਣ ਤਾਂ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਪਸੀਨੇ ਨਾਲ ਵੀ ਇਹ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਇਸ ਲਈ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਸੂਤੀ ਕੱਪੜੇ ਦਾ ਅੰਦਰਗ ਲਾ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ ਵਰਗੀਕਰਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਰੇਸ਼ੇ ਤੋਂ ਕੱਪੜਾ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਰੇਸ਼ੇ ਵਿਚ ਲਚਕੀਲਾਪਣ ਦਾ ਹੋਣਾ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਮਿਸ਼ਰਤ ਰੇਸ਼ੇ ਕਿਹੜੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਹਨਾਂ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ –
ਦੇਖਭਾਲ-ਮਿਸ਼ਰਤ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ ਸੌਖੀ ਹੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਧੋਣਾ ਸੌਖਾ ਹੈ । ਉੱਲੀ ਨਹੀਂ ਲਗਦੀ, ਧੁੱਪ ਵਿਚ ਰੰਗ ਖ਼ਰਾਬ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ । ਕੀੜੇ ਵੀ ਘੱਟ ਨੁਕਸਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਰੇਸ਼ੇ ਤੋਂ ਕੱਪੜੇ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਰੇਸ਼ੇ ਦਾ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹੋਣਾ ਅਤੇ ਜੁੜਨ ਸ਼ਕਤੀ ਦਾ ਹੋਣਾ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਕੈਸ਼ਮੀਲੋਨ ਅਤੇ ਫਾਇਬਰ ਗਲਾਸ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ !
ਉੱਤਰ-

  • ਕੈਸ਼ਮੀਲੋਨ-ਇਹ ਆਰਲੋਨ ਦੀ ਹੀ ਇਕ ਕਿਸਮ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਤੋਂ ਸਵੈਟਰ, ਸ਼ਾਲਾਂ, ਕੋਟ ਆਦਿ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ-ਕੈਸ਼ਮੀਲੋਨ ਵਿੱਚ ਨਾਈਲੋਨ ਵਰਗੇ ਗੁਣ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਪਰ ਇਸ ਦੀ ਦਿਖ ਉੱਨ ਦੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਵਰਗੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਉੱਨ ਤੋਂ ਸਸਤੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਰੰਗ ਪੱਕਾ ਅਤੇ ਇਹ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਕੁੱਝ ਸਮਾਂ ਵਰਤੋਂ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇਸ ਤੋਂ ਬਣੇ ਕੱਪੜੇ ਤੇ ਬੁਰ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
  • ਫਾਇਬਰ ਗਲਾਸ-ਇਨ੍ਹਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਵਸਤਰਾਂ ਲਈ ਘੱਟ ਹੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਪਰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਪਾਰਦਰਸ਼ੀ ਪਰਦੇ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ, ਵਰਤੋਂ ਤੇ ਦੇਖਭਾਲ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 21.
ਤਾਪ ਅਤੇ ਰੰਗਾਈ ਦਾ ਉੱਨ ‘ ਤੇ ਕੀ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 22.
ਲੰਬੇ ਰੇਸ਼ੇ । ਫਿਲੈਮੈਂਟ ਰੇਸ਼ੋ ਕੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 23.
ਪਟਸਨ ਅਤੇ ਨਾਰੀਅਲ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 24.
ਧਾਤੂਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 25.
ਟੈਰੀਲੀਨ ਤੰਤੂ ਦਾ ਦੂਜਾ ਨਾਂ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਪੋਲੀਐਸਟਰ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 26.
ਕਪਾਸ ਅਤੇ ਸਿਲਕ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ –

ਕਪਾਸ ਸਿਲਕ
1. ਇਹ ਸਟੇਪਲ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ½ ਇੰਚ ਤੋਂ 2 ਇੰਚ ਤੱਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਕੁਦਰਤੀ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮਿਲਣ ਵਾਲਾ ਇੱਕੋ ਇਕ ਫਿਲਾਮੈਂਟ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 750 ਤੋਂ 1100 ਮੀਟਰ ਤੱਕ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
2. ਆਮ ਤੌਰ ਤੇ ਰੰਗ ਚਿੱਟਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਰੰਗ ਕਰੀਮ ਭੂਰਾ ਜਾਂ ਸਲੇਟੀ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
3. ਕੁਦਰਤੀ ਚਮਕ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ । ਕੁਦਰਤੀ ਚਮਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
4. ਲਚਕ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ਅਤੇ ਵੱਟ ਪੈ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਲਚਕ ਵਧੇਰੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਵੱਟ ਵੀ ਨਹੀਂ ਪੈਂਦਾ !
5. ਰੰਗਣਾ ਆਸਾਨ ਹੈ ਪਰ ਧੁੱਪ ਅਤੇ ਧੋਣ ਨਾਲ ਰੰਗ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਰੰਗ ਜਲਦੀ ਅਤੇ ਪੱਕੇ ਚੜ੍ਹਦੇ ਹਨ ਜੋ ਧੁੱਪ ਅਤੇ ਧੋਣ ਨਾਲ ਵੀ ਖ਼ਰਾਬ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ।
6. ਗਿੱਲੇ ਹੋਣ ਤੇ ਕੱਪੜੇ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਗਿੱਲੇ ਹੋਣ ਤੇ ਰੇਸ਼ੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 27.
ਰੇਸ਼ੇ ਅਤੇ ਫਿਲਾਮੈਂਟ ਦੀ ਪਰਿਭਾਸ਼ਾ ਦਿਓ ਅਤੇ ਰੇਸ਼ੇ ਦੇ ਵਰਗੀਕਰਨ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 28.
ਤ੍ਰਿਮ ਰੇਸ਼ੇ ਖ਼ਰੀਦਣਾ ਲੋਕ ਕਿਉਂ ਅਧਿਕ ਪਸੰਦ ਕਰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਬਨਾਵਟੀ ਰੇਸ਼ੇ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਇਹਨਾਂ ਤੇ ਆਮ ਕਰਕੇ ਕੀੜੇ, ਉੱਲੀ ਆਦਿ ਦਾ ਅਸਰ ਵੀ ਘੱਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਧੋ ਕੇ ਸੁਕਾਉਣਾ ਅਤੇ ਸੰਭਾਲਣਾ ਵੀ ਸੌਖਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਦੇਖਣ ਨੂੰ ਵੀ ਸੋਹਣੇ ਲਗਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਬਨਾਵਟੀ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਪਸੰਦ ਵੱਧ ਗਈ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 29.
(ੳ) ਮਿਸ਼ਰਤ ਕੱਪੜੇ ਕੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ? ਗਰਮ ਅਤੇ ਠੰਡੀ ਦੋਵੇਂ ਮੌਸਮ ਵਿੱਚ ਪਾਉਣ ਵਾਲੇ ਮਿਸ਼ਰਤ ਕੱਪੜੇ ਦਾ ਇੱਕ ਉਦਾਹਰਨ ਦਿਓ ।
(ਅ) ਮਿਸ਼ਰਤ ਕੱਪੜੇ ਕੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
(ਉ) ਬਨਾਵਟੀ ਰੇਸ਼ੇ ਅਤੇ ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਮਿਲਾ ਕੇ ਜੋ ਰੇਸ਼ੇ ਤਿਆਰ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮਿਸ਼ਰਤ ਰੇਸ਼ੇ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ; ਜਿਵੇਂ
ਪੌਲੀਐਸਟਰ + ਸੂਤੀ = ਪੋਲੀਵਸਤਰ
ਟੈਰਾਲੀਨ + ਸੁਤੀ = ਟੈਰੀਕਾਟ
ਪੋਲੀਐਸਟਰ + ਉੱਨ = ਟੈਰੀਟੂਲ
ਟੈਰੀਕਾਟ ਅਜਿਹਾ ਮਿਸ਼ਰਤ ਕੱਪੜਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨੂੰ ਦੋਵੇਂ ਮੌਸਮਾਂ ਵਿੱਚ ਪਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
(ਆ) ਖੁਦ ਉੱਤਰ ਦਿਓ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 30.
ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ।

ਵੱਡੇ ਉੱਡਰਾਂ ਵਾਲੇ ਸਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਰੇਆਨ ਦੀ ਵਰਤੋਂ, ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਅਤੇ ਦੇਖਭਾਲ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ !
ਉੱਤਰ-
ਰੇਆਨ ਦੀ ਵਰਤੋਂ-ਰੇਆਨ ਵਿਚ ਰੇਸ਼ਮ ਵਰਗੀ ਚਮਕ ਹੋਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਇਸ ਨੂੰ ਨਕਲੀ ਰੇਸ਼ਮ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਘੱਟ ਅਤੇ ਵੱਧ ਚਮਕ ਵਾਲੇ ਕੱਪੜੇ, ਜਿਵੇਂਜਾਰਜਟ, ਕਰੇਪ, ਬੰਬਰ ਆਦਿ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਆਮ ਪਾਉਣ ਵਾਲੇ ਕੱਪੜਿਆਂ ਲਈ ਵੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ-ਰੇਆਨ ਪੁਨਰਨਿਰਮਿਤ ਸੈਲੂਲੋਜ਼ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
ਇਸ ਵਿਚ ਕਾਰਬਨ, ਹਾਈਡਰੋਜਨ, ਆਕਸੀਜਨ ਵਰਗੇ ਤੱਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ –

  • ਸੁਖਮਦਰਸ਼ੀ ਹੇਠਾਂ ਰਚਨਾ-ਰੇਸ਼ਾ ਇਕ ਸਮਾਨ ਗੋਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ 8

  • ਲੰਬਾਈ-ਇਹ ਲੰਬੇ ਰੇਸ਼ੇ (ਫਿਲਾਮੈਂਟ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  • ਰੰਗ-ਇਹਨਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਰੰਗ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ । ਇਹ ਪਾਰਦਰਸ਼ੀ ਹਨ ।
  • ਲਚਕੀਲਾਪਨ-ਇਹਨਾਂ ਵਿਚ ਲਚਕ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਧੋਣ ’ਤੇ ਸੁੰਗੜ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰਨ ‘ਤੇ ਫਿਰ ਪਹਿਲਾਂ ਵਰਗਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਤਾਪ ਚਾਲਕਤਾ-ਇਹ ਤਾਪ ਦੇ ਚਾਲਕ ਹਨ
  • ਮਜ਼ਬੂਤੀ-ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਪਾਉਣ ਤੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਵੈਸੇ ਇਹਨਾਂ ਦੀ ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਘੱਟ ਜਾਂ ਵੱਧ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
  • ਜਲ ਸੋਖਣ ਸ਼ਕਤੀ-ਰੇਆਨ ਦੀ ਜਲ ਸੋਖਣ ਸ਼ਕਤੀ ਕੁਦਰਤੀ ਸੈਲੂਲੋਜ਼ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਵੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  • ਰਸਾਇਣਾਂ ਦਾ ਅਸਰ-ਅਮਲ ਦਾ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਪਰ ਖਾਰ ਦਾ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।
  • ਰੰਗਾਈ-ਇਸ ਨੂੰ ਰੰਗਣਾ ਸੌਖਾ ਹੈ । ਕੋਈ ਵੀ ਰੰਗ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਰੰਗ ਪੱਕਾ ਚੜ੍ਹਦਾ ਹੈ । ਧੁੱਪ ਵਿਚ ਰੰਗ ਖ਼ਰਾਬ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਪਰ ਰੰਗਕਾਟ ਨਾਲ ਰੰਗ ਕਮਜ਼ੋਰ ਪੈ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਤਾਪ ਦਾ ਅਸਰ-ਅੱਗ ਵਿਚ ਇਕ ਦਮ ਜਲਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਕਾਗਜ਼ ਦੇ ਜਲਣ ਵਰਗੀ | ਗੰਧ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ।

ਦੇਖਭਾਲ-ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਗਿੱਲੇ ਹੋਣ ਤੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।ਰਗੜ ਨਾਲ ਵੀ ਜਲਦੀ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਨਿਚੋੜਨਾ ਅਤੇ ਇਹਨਾਂ ‘ਤੇ ਵੱਧ ਦਬਾਅ ਨਹੀਂ ਪਾਉਣਾ | ਚਾਹੀਦਾ । ਵੱਧ ਗਰਮ ਪੈਂਸ ਵੀ ਨਹੀਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ । ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਸੁਕਾ ਕੇ ਹੀ ਸੰਭਾਲਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਸਿਲਵਰ ਫਿਸ਼ ਅਤੇ ਫਲੂੰਦੀ ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਹਾਨੀ ਪਹੁੰਚਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪੋਲੀਐਸਟਰ (ਟੈਰਾਲੀਨ) ਦੀ ਵਰਤੋਂ, ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਅਤੇ ਦੇਖਭਾਲ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਜਾਂ
ਪੋਲੀਐਸਟਰ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਵਰਤੋਂ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਪ੍ਰਯੋਗ-
1. ਇਹਨਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਦੂਸਰੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਨਾਲ ਮਿਲਾ ਕੇ ਮਿਸ਼ਰਤ ਰੇਸ਼ੇ ਤਿਆਰ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਜਿਵੇਂ –

    • ਟੈਰੀਕਾਟ – ਟੈਰਾਲੀਨ + ਸੂਤੀ
    • ਟੈਰੀਫੂਲ – ਟੈਰਾਲੀਨ + ਉੱਨ
    • ਟੈਰੀ ਰੂਬੀਆ – ਟੈਰਾਲੀਨ + ਸੁਤੀ
    • ਟੈਰੀ ਸਿਲਕ – ਟੈਰਾਲੀਨ + ਸਿਲਕ
  1. ਕੱਪੜੇ ਸਰੀਰ ਲਈ ਠੀਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  2. ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਦਾਗ਼ ਘੱਟ ਲੱਗਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਧੋਣਾ ਸੌਖਾ ਹੈ ।
  3. ਇਹਨਾਂ ਤੋਂ ਆਮ ਪਹਿਣਨ ਵਾਲੇ ਅਤੇ ਦੂਜੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਵੀ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂਰਚਨਾ-ਇਹ ਇਕ ਬਹੁਲਕ ਹੈ –

  • ਸੂਖ਼ਮਦਰਸ਼ੀ ਹੇਠਾਂ ਰਚਨਾ-ਇਸਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਗੋਲ, ਸਿੱਧੇ, ਚੀਕਨੇ ਅਤੇ ਇੱਕੋ ਜਿਹੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  • ਰੰਗ-ਇਸ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਸਫ਼ੈਦ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ 9

  • ਮਜ਼ਬੂਤੀ-ਇਹ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਮਜ਼ਬੂਤੀ ਨੂੰ ਹੋਰ ਵੀ ਵਧਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  • ਲੰਬਾਈ-ਇਹ ਫਿਲਾਮੈਂਟ ਅਤੇ ਸਟੇਪਲ ਦੋਵੇਂ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  • ਲਚਕ-ਇਹਨਾਂ ਵਿਚ ਸੁਤੀ ਅਤੇ ਲਿਨਨ ਤੋਂ ਵੱਧ ਲਚਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਨਾਈਲਾਨ ਤੋਂ ਘੱਟ ਲਚਕ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  • ਦਿਖਾਵਟ-ਚਮਕ ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ ਘੱਟ ਜਾਂ ਵੱਧ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ ।
  • ਤਾਪ ਚਾਲਕ-ਤਾਪ ਦੇ ਚੰਗੇ ਚਾਲਕ ਨਹੀਂ ਹਨ ।
  • ਰਸਾਇਣਾਂ ਦਾ ਅਸਰ-ਅਮਲ ਅਤੇ ਖਾਰ ਦਾ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਪੈਂਦਾ ।
  • ਰੰਗਾਈ-ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਰੰਗਾਂ ਨਾਲ ਹੀ ਰੰਗਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  • ਤਾਪ ਦਾ ਅਸਰ-ਜਲਨ ਤੇ ਤਿੱਖੀ ਗੰਧ ਆਉਂਦੀ ਹੈ । ਗਰਮੀ ਨਾਲ ਪਿਘਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

ਦੇਖਭਾਲ-ਧੋਣਾ ਸੌਖਾ ਹੈ, ਉੱਲੀ ਅਤੇ ਕੀੜੇ ਨਹੀਂ ਲੱਗਦੇ । ਧੁੱਪ ਵਿਚ ਰੰਗ ਖ਼ਰਾਬ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ । ਪ੍ਰੈੱਸ ਦੀ ਬਹੁਤੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਪੈਂਦੀ । ਇਹਨਾਂ ਨੂੰ ਸੰਭਾਲਣਾ ਸੌਖਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸਿਲਕ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ, ਵਰਤੋਂ ਅਤੇ ਦੇਖਭਾਲ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਲਈ ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ।
ਵਰਤੋਂ-ਸਿਲਕ ਦੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਬਣੇ ਵਸਤਰਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਉਤਸਵਾਂ, ਸ਼ਾਦੀਆਂ ਦੇ ਮੌਕੇ ਜਾਂ ਖਾਸ ਮੌਕਿਆਂ ਤੇ ਪਹਿਣਨ ਲਈ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਸਿਲਕ ਤੋਂ ਘਰ ਦੇ ਸਾਜੋ-ਸਮਾਨ ਜਿਵੇਂ, ਗਲੀਚੇ, ਕੁਸ਼ਨ, ਪਰਦੇ ਆਦਿ ਅਤੇ ਹੋਰ ਸਜਾਵਟੀ ਸਮਾਨ ਵੀ ਬਣਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਸਿਲਕ ਮਹਿੰਗਾ ਹੈ ਇਸ ਲਈ ਇਸ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਅਮੀਰ ਲੋਕ ਵਧੇਰੇ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ

ਦੇਖਭਾਲ-ਰੇਸ਼ਮ ਦਾ ਰੇਸ਼ਾ ਬਹੁਤ ਨਾਜ਼ੁਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਗਿੱਲਾ ਹੋ ਕੇ ਹੋਰ ਵੀ ਨਾਜ਼ਕ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਧੋਣ ਲਈ ਰਗੜਨਾ ਨਹੀਂ ਚਾਹੀਦਾ ਸਗੋਂ ਪੋਲੇ-ਪੋਲੇ ਦਬਾ ਕੇ ਧੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਨੂੰ ਗਰਮ ਪਾਣੀ ਵਿੱਚ ਵੀ ਨਹੀਂ ਪਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਅਤੇ ਸਿਲਕ ਦੇ ਕੱਪੜਿਆਂ ਨੂੰ ਡਰਾਈਕਲੀਨ ਕਰਵਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰਨ ਲੱਗਿਆਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੇ ਪਾਣੀ ਨਹੀਂ ਛਿੜਕਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਸਗੋਂ ਜਦੋਂ ਇਹ ਸਿਲ੍ਹੇ ਹੋਣ, ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ । ਪਸੀਨੇ ਨਾਲ ਵੀ ਸਿਲਕ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ |

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਸਿਲਕ (ਰੇਸ਼ਮ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਈਆਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸੂਤੀ ਤੇ ਰੇਸ਼ਮੀ ਤੰਤੂਆਂ ਦੀਆਂ ਭੌਤਿਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦਾ ਮੁਲਾਂਕਣ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਮਾਨਵ ਨਿਰਮਿਤ ਤੰਤੂ ਕਿਹੜੇ ਹਨ ? ਕਿਸੇ ਇੱਕ ਤੰਤੂ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਸੁਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ । ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਦੇ ਗੁਣਾਂ ਬਾਰੇ ਵਿਸਥਾਰ ਵਿਚ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਲਿਨਨ ਦੇ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ, ਵਰਤੋਂ ਅਤੇ ਦੇਖਭਾਲ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਖੁਦ ਕਰੋ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ.9.
ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ੇ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਹਨ ? ਕਿਸੇ ਇਕ ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ, ਵਰਤੋਂ ਅਤੇ ਦੇਖਭਾਲ ਵਿਸਥਾਰ ਵਿਚ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਖ਼ੁਦ ਕਰੋ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਉੱਨ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਦੂਰਬੀਨ ਹੇਠਾਂ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਿਖਦੇ ਹਨ ? ਚਿੱਤਰ ਬਣਾਓ । ਇਨ੍ਹਾਂ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀਆਂ ਕੀ-ਕੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਖੁਦ ਕਰੋ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਸੁਨੀਤਾ ਦੀ ਭੈਣ ਦਾ ਵਿਆਹ 15 ਦਸੰਬਰ ਨੂੰ ਹੋਣਾ ਹੈ । ਉਸਦੇ ਵਿਆਹ ਲਈ ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਦਾ ਸੂਟ ਸਿਲਵਾਉਣਾ ਹੈ । ਉਸਨੂੰ ਕਿਹੜੇ ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ? ਨਾਂ
ਦੱਸੋ । ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀਆਂ ਕੀ-ਕੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
(ਰੇਸ਼ਮੀ), ਖੁਦ ਕਰੋ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਸਿਲਕ ਦੇ ਰੇਸ਼ੇ ਦੂਰਬੀਨ ਹੇਠਾਂ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦਿਖਦੇ ਹਨ ? ਚਿੱਤਰ ਬਣਾਓ । ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀਆਂ ਕੀ-ਕੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਖ਼ੁਦ ਕਰੋ !

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਕਪਾਹ ਦਾ ਰੇਸ਼ਾ ਦੂਰਬੀਨ ਹੇਠਾਂ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਦਿਖਦਾ ਹੈ ? ਚਿੱਤਰ ਬਣਾਓ । ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀਆਂ ਕੀ-ਕੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਖ਼ੁਦ ਕਰੋ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਲਿਨਨ ਅਤੇ ਸੂਤੀ ਕੱਪੜਿਆਂ ਵਿਚ ਕੀ ਸਮਾਨਤਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਖ਼ੁਦ ਕਰੋ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
ਸੀਤਲ ਇੱਕ ਫੁਟਬਾਲ ਦਾ ਖਿਡਾਰੀ ਹੈ ।ਉਸਨੇ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲੇ ਵਿੱਚ ਭਾਗ ਲੈਣਾ ਹੈ ।
ਉਸਨੂੰ ਕਿਸ ਰੇਸ਼ੇ ਦਾ ਬਣਿਆ ਟਰੈਕਸੂਟ ਖਰੀਦਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀਆਂ ਦੀ ਕੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਖ਼ੁਦ ਕਰੋ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 16.
ਸਿਲਕ ਨੂੰ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਰਾਣੀ ਕਿਉਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ? ਤੁਸੀਂ ਸਿਲਕ ਦੇ ਕੱਪੜਿਆਂ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ ਕਿਵੇਂ ਕਰੋਗੇ ?
ਉੱਤਰ-
ਖੁਦ ਕਰੋ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 17.
ਰੀਮਾ ਨੇ ਬਾਰਿਸ਼ ਦੇ ਮੌਸਮ ਵਿਚ ਪਿਕਨਿਕ ਲਈ ਜਾਣਾ ਹੈ ।
ਉਸਦੇ ਪਹਿਣਨ ਵਾਲੇ ਕੱਪੜਿਆਂ ਲਈ ਕਿਹੜੇ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਰੇਸ਼ੇ ਦੀਆਂ ਕੀ-ਕੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਖ਼ੁਦ ਉੱਤਰ ਦਿਉ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 18.
ਜਾਨਵਰਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਰੇਸ਼ੇ ਕਿਹੜੇ ਹਨ ? ਇਹਨਾਂ ਦੀਆਂ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਦੇਖਭਾਲ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਖੁਦ ਉੱਤਰ ਦਿਓ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 19.
ਪੋਲੀਐਸਟਰ ਦੀ ਵਰਤੋਂ, ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਦੇਖਭਾਲ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਖ਼ੁਦ ਉੱਤਰ ਦਿਓ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 20.
ਰੇਮੋਨ ਦੀ ਵਰਤੋਂ, ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾਵਾਂ ਅਤੇ ਦੇਖਭਾਲ ਬਾਰੇ ਲਿਖੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਖ਼ੁਦ ਉੱਤਰ ਦਿਓ ।

ਵਸਤੂਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

I. ਖ਼ਾਲੀ ਸਥਾਨ ਭਰੋ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਛੋਟੇ ਰੇਸ਼ੇ …….. ਇੰਚ ਤਕ ਲੰਬੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
18,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਲਿਨਨ …….. ਪੌਦੇ ਦੇ ਤਣੇ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਫਲੈਕਸ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਕੁਦਰਤੀ ਫਿਲਾਮੈਂਟ ਰੇਸ਼ਾ ਸਿਰਫ਼ …….. ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਸਿਲਕ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਉੱਨ ਅਤੇ ਐਕਰੀਲਿਕ ਰੇਸ਼ੇ ਮਿਲਾ ਕੇ …….. ਰੇਸ਼ਾ ਬਣਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੈਮਿਲਾਨ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਵਿਚ …….. ਪ੍ਰਤੀਸ਼ਤ ਸੈਲੂਲੋਜ਼ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
87-90%

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
…………… ਅਤੇ …………… ਏਠਨ ਦੇਣ ਦੇ ਦੋ ਪ੍ਰਕਾਰ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
S, Z,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਤੰਤੂ ਨੂੰ ………………. ਤੰਤੂ ਵੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੁਦਰਤੀ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਅਧਿਕਤਰ ਮਾਨਵ ਨਿਰਮਿਤ ਤੰਤੂਆਂ ਵਿਚ ……………. ਲਚੀਲਾਪਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਵਧੇਰੇ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਰੇਸ਼ਮੀ ਰੇਸ਼ਾ ………….. ਕਿਸਮ ਦਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਕੁਦਰਤੀ,

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 10 ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
………… ਅਤੇ …………… ਦੋ ਪ੍ਰਾਕ੍ਰਿਤਕ ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਤੰਤੂ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਰੇਸ਼ਮ, ਉੱਨ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
…………. · ਇੱਕ ਮਾਨਵ ਨਿਰਮਿਤ ਤੰਤੂ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਰੇਆਨ ।

II ਠੀਕ / ਗਲਤ ਦੱਸੋ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਛੋਟੇ ਰੇਸ਼ੇ 18 ਇੰਚ ਤੱਕ ਲੰਮੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸਣ ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਰੇਆਨ ਮਨੁੱਖ ਦੁਆਰਾ ਤਿਆਰ ਕੀਤਾ ਰੇਸ਼ਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਸੂਤੀ ਰੇਸ਼ੇ ਵਿਚ ਕੁਦਰਤੀ ਚਮਕ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਸਾਈਸਲ ਇਕ ਕੀੜਾ ਹੈ !
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਰੇਸ਼ਮ ਤਾਪ ਦਾ ਸੰਚਾਲਕ ਨਹੀਂ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ ॥

III. ਬਹੁਵਿਕਲਪੀ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਉੱਨ ਲਈ ਠੀਕ ਹੈ –
(ਉ) ਕੁਦਰਤੀ ਰੇਸ਼ਾ
(ਅ) ਪ੍ਰੋਟੀਨ ਰੇਸ਼ਾ
(ਈ) ਜਾਨਵਰਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ
(ਸ) ਸਾਰੇ ਠੀਕ ।
ਉੱਤਰ-
(ਸ) ਸਾਰੇ ਠੀਕ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦੀ ਜੁੜਨ ਸ਼ਕਤੀ ਨਿਰਭਰ ਹੈ –
(ਉ) ਰੇਸ਼ੇ ਦੀ ਲੰਬਾਈ
(ਅ) ਰੇਸ਼ੇ ਦੀ ਬਾਰੀਕੀ
(ਈ) ਲਚਕੀਲਾਪਨ
(ਸ) ਸਾਰੇ ਠੀਕ ।
ਉੱਤਰ-
(ਸ) ਸਾਰੇ ਠੀਕ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪੌਦਿਆਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਵਾਲਾ ਰੇਸ਼ਾ ਨਹੀਂ ਹੈ –
(ਉ) ਸਣ
(ਅ) ਉੱਨ
(ਇ) ਪਟਸਨ
(ਸ) ਕਪਾਹ !
ਉੱਤਰ-
(ਅ) ਉੱਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਥਰਮੋਪਲਾਸਟਿਕ ਰੇਸ਼ਾ ਨਹੀਂ ਹੈ –
(ਉ) ਨਾਈਲੋਨ
(ਅ ਪੋਲਿਸਟਰ,
(ਇ) ਕਪਾਹ
(ਸ) ਸਾਰੇ ਠੀਕ ॥
ਉੱਤਰ-
(ਇ) ਕਪਾਹ |

ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਵਰਗੀਕਰਨ PSEB 10th Class Home Science Notes

ਪਾਠ ਇਕ ਨਜ਼ਰ ਵਿਚ

  • ਕੱਪੜਾ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵਨ ਦੀਆਂ ਮੁੱਢਲੀਆਂ ਲੋੜਾਂ ਵਿਚੋਂ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਲੋੜ ਹੈ । ਇਸ ਲੋੜ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਲਈ ਅਸੀਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਪਹਿਨਦੇ ਹਾਂ ਅਤੇ ਘਰ ਵਿਚ ਹੋਰ ਕਈ ਕੰਮਾਂ ਲਈ ਵਰਤਦੇ ਹਾਂ, ਜਿਵੇਂ-ਪਰਦੇ, ਚਾਦਰਾਂ, ਤੌਲੀਏ, ਮੇਜ਼ਪੋਸ਼ ਆਦਿ ।
  • ਇਹ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਕੱਪੜੇ ਧਾਗਿਆਂ ਤੋਂ ਬਣਦੇ ਹਨ । ਜੇ ਕੱਪੜੇ ਨੂੰ ਸਿਰੇ ਤੋਂ ਵੇਖੋ ਤਾਂ ਧਾਗੇ ਨਿਕਲ ਆਉਂਦੇ ਹਨ । ਪਰ ਇਹ ਧਾਗੇ ਵਾਲਾਂ ਵਰਗੇ ਬਾਰੀਕ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਬਣਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਰੇਸ਼ੇ ਕੱਪੜੇ ਦੀ ਇਕ ਮਲ ਇਕਾਈ ਹੈ ।
  • ਵੱਖ-ਵੱਖ ਕਿਸਮ ਦੇ ਕੱਪੜੇ, ਜਿਵੇਂ-ਉਨੀ, ਸੂਤੀ, ਰੇਸ਼ਮੀ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਰੇਸ਼ਿਆਂ ਤੋਂ ਬਣਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਹ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਰੇਸ਼ੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਵੀ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਸਾਧਨਾਂ ਤੋਂ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 9 ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ

Punjab State Board PSEB 10th Class Home Science Book Solutions Chapter 9 ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Home Science Chapter 9 ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ

Home Science Guide for Class 10 PSEB ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ Textbook Questions and Answers

ਅਭਿਆਸ
ਵਸਤੂਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਤੋਂ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਸਮਝਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਗਰਭ ਧਾਰਨ ਕਰਨ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਜਨਮ ਤਕ ਦੇ ਸਮੇਂ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ 280 ਦਿਨ ਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਪਰ ਕਈ ਵਾਰੀ ਕਈ ਕਾਰਨਾਂ ਕਰਕੇ ਇਹ ਸਮਾਂ ਘੱਟ ਤੋਂ ਘੱਟ 190 ਅਤੇ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ 330 ਦਿਨ ਵੀ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਬੱਚੇ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦੀ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਇਹ ਸਮਾਂ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਸਮੇਂ ਇਕ ਕੋਸ਼ ਤੋਂ ਹੀ ਉਹ ਪੂਰਨ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਵਿਕਸਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਗਰਭ ਦੇ ਸਮੇਂ ਨੂੰ ਅਸੀਂ ਕਿੰਨੇ ਅਤੇ ਕਿਹੜੇ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ?
ਉੱਤਰ-
ਗਰਭ ਧਾਰਨ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਜਨਮ ਤਕ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਨੂੰ ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਅਸੀਂ ਇਸ ਸਮੇਂ ਨੂੰ ਤਿੰਨ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ।
ਗਰਭ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਬੱਚਾ ਇਕ ਅੰਡਕੋਸ਼ ਤੋਂ ਪੂਰਨ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਵਿਕਸਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

  • ਅੰਡੇ ਦੀ ਅਵਸਥਾ (Ovum Stage) ਸਮਾਂ-ਗਰਭ ਧਾਰਨ ਤੋਂ ਦੋ ਹਫ਼ਤੇ ਤਕ।
  • ਐਮਬਰੀਓ ਦੀ ਅਵਸਥਾ (Embryo Stage) ਸਮਾਂ-ਦੂਸਰੇ ਹਫ਼ਤੇ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਕੇ ਦੂਸਰੇ ਮਹੀਨੇ ਦੇ ਅੰਤ ਤਕ ।
  • ਭਰੂਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ (Foetus Stage) ਸਮਾਂ-ਤੀਸਰੇ ਮਹੀਨੇ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਕੇ ਬੱਚੇ ਦੇ ਜਨਮ ਤਕ ॥

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਅੰਡੇ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਤੋਂ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਸਮਝਦੇ ਹੋ ਅਤੇ ਇਹ ਕਿੰਨੀ ਦੇਰ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਅੰਡੇ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਜਾਂ ਓਵਮ ਅਵਸਥਾ ਦਾ ਸਮਾਂ ਗਰਭ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਣ ਤੋਂ ਦੋ ਹਫ਼ਤੇ ਤਕ ਗਿਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਲ ਦੌਰਾਨ ਇਸ ਵਿਚ ਕੋਈ ਜ਼ਿਆਦਾ ਤਬਦੀਲੀ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦੀ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਇਹ ਆਪਣੀ ਜਰਦੀ ‘ਤੇ ਜ਼ਿੰਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਇਹ ਫੈਲੋਪੀਅਨ ਟਿਊਬ ਤੋਂ ਬੱਚੇਦਾਨੀ ਵਿਚ ਪਹੁੰਚਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਬੱਚੇਦਾਨੀ ਦੀ ਦੀਵਾਰ ਨਾਲ ਜੋੜ ਕੇ ਮਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 9 ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਐਮਬਰੀਓ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਤੋਂ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਸਮਝਦੇ ਹੋ ਅਤੇ ਕਿੰਨੀ ਦੇਰ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-

  • ਇਹ ਅਵਸਥਾ ਗਰਭ ਦੇ ਦੂਸਰੇ ਹਫ਼ਤੇ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਕੇ ਦੂਸਰੇ ਮਹੀਨੇ ਦੇ ਅੰਤ ਤਕ ਚਲਦੀ ਹੈ ।
  • ਪਹਿਲੇ ਮਹੀਨੇ ਵਿਚ ਐਮਬਰੀਓ ਵਿਚ ਖੂਨ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਲਈ ਨਿੱਕੀਆਂਨਿੱਕੀਆਂ ਰਗਾਂ ਬਣਦੀਆਂ ਹਨ ।
  • ਇਸ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਬੱਚੇ ਦੇ ਸਰੀਰਕ ਵਿਕਾਸ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਾਧਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  • ਇਸ ਅਵਸਥਾ ਦੇ ਅਖ਼ੀਰ ਵਿਚ ਐਮਬਰੀਓ ਇਨਸਾਨੀ ਜੀਵ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਧਾਰਨ ਕਰ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਪਲੈਸੈਂਟਾ ਕੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਜਿੱਥੇ ਅੰਡਾ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਬੱਚੇਦਾਨੀ ਨਾਲ ਜੋੜ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ਉੱਥੇ ਹੀ ਪਲੈਸੈਂਟਾ ਬਣਨ ਲੱਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਪਲੈਸੈਂਟਾ ਹੀ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਮਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਤੋਂ ਖੁਰਾਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਇਕ ਪਾਸੇ ਬੱਚੇਦਾਨੀ ਤੇ ਦੂਸਰੇ ਪਾਸੇ ਬੱਚੇ ਦੇ ਨਾਤੂ ਨਾਲ ਜੁੜਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਨਾਤੂ ਤੋਂ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਸਮਝਦੇ ਹੋ, ਗਰਭ ਦੌਰਾਨ ਇਸ ਦਾ ਕੀ ਕੰਮ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਨਾਤੁ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਨਾਤੂ ਇਕ ਪਾਸੇ ਐਮਬਰੀਓ ਦੇ ਪੇਟ ਦੀ ਦੀਵਾਰ ਨਾਲ ਅਤੇ ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਪਲੈਸੈਂਟਾ ਨਾਲ ਜੁੜਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਰੱਸੀ ਦੀ ਬਣਤਰ ਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਗਰਭ ਦੇ ਅਖੀਰ ਤਕ ਇਹ 10 ਤੋਂ 20 ਇੰਚ ਤਕ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਨਾੜ ਰਾਹੀਂ ਐਮਬਰੀਓ ਦਾ ਮਲਮੂਤਰ ਛਣ ਕੇ ਪਲੈਸੈਂਟਾ ਦੁਆਰਾ ਮਾਂ ਦੇ ਖੂਨ ਦੀਆਂ ਨਾਲੀਆਂ ਵਿਚ ਚਲਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਮਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਰਾਹੀਂ ਬਾਹਰ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਐਮਨੀਉਟਿਕ ਸੈਕ ਦਾ ਗਰਭ ਸਮੇਂ ਕੀ ਕੰਮ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਐਮਨੀਉਟਿਕ ਸੈਕ ਐਮਬਰੀਓ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵਧਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਇਕ ਥੈਲੀ ਵਾਂਗ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਵਿਚ ਲੇਸਦਾਰ ਤਰਲ ਪਦਾਰਥ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਬੱਚਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਤਰਲ ਪਦਾਰਥ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਸੱਟ ਲੱਗਣ ਤੋਂ ਬਚਾਉਂਦਾ ਹੈ ।

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਐਮਬਰੀਓ ਦੇ ਵਧਣ ਸਮੇਂ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਸਹਾਇਕ ਅੰਗਾਂ ਦਾ ਢਾਂਚਾ ਤਿਆਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਐਮਬਰੀਓ ਦੇ ਵਧਣ ਵਿਚ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਸਹਾਇਕ ਅੰਗ ਕੰਮ ਕਰਦੇ ਹਨ ? ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਦੌਰਾਨ ਐਮਬਰੀਓ ਦੇ ਵਧਣ ਦਾ ਸਮਾਂ ਦੁਸਰੇ ਹਫਤੇ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਦੂਸਰੇ ਮਹੀਨੇ ਦੇ ਅੰਤ ਤਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਪਹਿਲੇ ਮਹੀਨੇ ਵਿਚ ਐਮਬਰੀਓ ਵਿਚ ਖੂਨ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਨਿੱਕੀਆਂ-ਨਿੱਕੀਆਂ ਨਾੜੀਆਂ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਦੌਰਾਨ ਬੱਚੇ ਦਾ ਵਾਧਾ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਐਮਬਰੀਓ ਇਨਸਾਨੀ ਜੀਵ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਧਾਰਨ ਕਰ ਲੈਂਦਾ ਹੈ । ਐਮਬਰੀਓ ਦੇ ਆਪਣੇ ਵੱਧਣ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਇਹ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਹਾਇਕ ਅੰਗਾਂ ਦਾ ਢਾਂਚਾ ਵੀ ਤਿਆਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਪਲੈਸੈਂਟਾ, ਨਾੜ ਅਤੇ ਐਮਨਿਓਟਿਕ ਸੈਕ ਆਦਿ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਢਾਂਚਾ ਪੈਦਾ ਹੋਣ ਤਕ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਖੁਰਾਕ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਲਈ ਲੋੜੀਂਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਭਰੂਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਕਿੰਨੀ ਲੰਬੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਦੌਰਾਨ ਭਰੂਣ ਵਿਚ ਕੀ-ਕੀ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਗਰਭ ਦੀ ਤੀਸਰੀ ਤੇ ਸਭ ਤੋਂ ਲੰਬੀ ਅਵਸਥਾ ਭਰੂਣ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਤੀਸਰੇ ਮਹੀਨੇ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਕੇ ਬੱਚੇ ਦੇ ਜਨਮ ਤਕ ਚਲਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਨਵੇਂ ਅੰਗ ਨਹੀਂ ਬਣਦੇ ਪਰ ਐਮਬਰੀਓ ਅਵਸਥਾ ਵੇਲੇ ਦੇ ਬਣੇ ਹੋਏ ਅੰਗਾਂ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਤੀਸਰੇ ਮਹੀਨੇ ਤਕ ਭਰੁਣ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਤਿੰਨ ਇੰਚ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ | ਪੰਜਵੇਂ ਮਹੀਨੇ ਤਕ ਬੱਚੇ ਦੇ ਸਾਰੇ ਅੰਗ ਮਨੁੱਖ ਵਾਂਗ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋਣ ਲੱਗਦੇ ਹਨ । ਮਾਂ ਨੂੰ ਪੇਟ ਵਿਚ ਬੱਚੇ ਦੀ ਹਰਕਤ ਮਹਿਸੂਸ ਹੋਣ ਲੱਗਦੀ ਹੈ । ਸੱਤਵੇਂ ਮਹੀਨੇ, ਬੱਚਾ ਪੂਰਾ ਇਨਸਾਨੀ ਜੀਵ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਵਿਚ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਚਮੜੀ ਲਾਲ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਜਨਮ ਸਮੇਂ ਤਕ ਬੱਚੇ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 19-20 ਇੰਚ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਆਮ ਬੱਚੇ ਦਾ ਭਾਰ 7 ਪੌਂਡ ਦੇ ਲਗਪਗ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 9 ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਕਾਰਕ ਭਰੂਣ ਦੇ ਵਾਧੇ ‘ਤੇ ਅਸਰ ਪਾਉਂਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਖੁਦ ਉੱਤਰ ਦਿਓ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਗਰਭ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੀਆਂ ਆਮ ਤਕਲੀਫ਼ਾਂ ਕਿਹੜੀਆਂ-ਕਿਹੜੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਜਾਂ
ਗਰਭ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੀਆਂ ਤਿੰਨ ਸਰੀਰਕ ਤਕਲੀਫ਼ਾਂ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਖ਼ੁਦ ਕਰੋ ।

ਨਿਬੰਧਾਤਮਕ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਭਰੂਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਤੋਂ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਸਮਝਦੇ ਹੋ ? ਭਰੂਣ ਦੇ ਵਾਧੇ ‘ਤੇ ਅਸਰ ਪਾਉਣ ਵਾਲੇ ਕਾਰਕ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਹਨ ? ”
ਉੱਤਰ-
ਭਰੁਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ-ਗਰਭ ਦੀ ਤੀਸਰੀ ਤੇ ਸਭ ਤੋਂ ਲੰਬੀ ਅਵਸਥਾ ਭਰੁਣ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਤੀਸਰੇ ਮਹੀਨੇ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਕੇ ਬੱਚੇ ਦੇ ਜਨਮ ਤਕ ਚਲਦੀ ਹੈ ।
ਇਸ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਨਵੇਂ ਅੰਗ ਨਹੀਂ ਬਣਦੇ ਪਰ ਐਮਬਰੀਓ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਵੇਲੇ ਬਣੇ ਹੋਏ ਅੰਗਾਂ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਤੀਸਰੇ ਮਹੀਨੇ ਤਕ ਭਰੁਣ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਤਿੰਨ ਇੰਚ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ |

ਗਰਭ ਦੀ ਇਸ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਪੰਜਵੇਂ ਮਹੀਨੇ ਤਕ ਅੰਦਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਅੰਗ ਵੱਡੇ ਮਨੁੱਖਾਂ ਵਾਂਗ ਹੀ ਬਣਨ ਲੱਗਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਮਾਂ ਆਪਣੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਬੱਚੇ ਦੀਆਂ ਹਰਕਤਾਂ ਮਹਿਸੂਸ ਕਰਨ ਲੱਗ ਪੈਂਦੀ ਹੈ । ਸੱਤਵੇਂ ਮਹੀਨੇ ਤਕ ਬੱਚਾ ਪੂਰਾ ਇਨਸਾਨੀ ਜੀਵ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਵਿਚ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਜਨਮ ਸਮੇਂ | ਬੱਚੇ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 19-20 ਇੰਚ ਤੇ ਭਾਰ 7 ਪੌਂਡ ਦੇ ਲਗਪਗ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਭਰੂਣ ਦੇ ਵਾਧੇ ‘ਤੇ ਅਸਰ ਪਾਉਣ ਵਾਲੇ ਕਾਰਕ –
ਜਨਮ ਸਮੇਂ ਹਰੇਕ ਬੱਚੇ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਤੇ ਭਾਰ ਅਲੱਗ-ਅਲੱਗ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੇ ਬਹੁਤ | ਸਾਰੇ ਕਾਰਕ ਹਨ ਜਿਹੜੇ ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਸਮੇਂ ਬੱਚੇ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਉੱਪਰ ਅਸਰ ਪਾਉਂਦੇ ਹਨ

1. ਮਾਂ ਦਾ ਪੋਸ਼ਣ-ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਦੌਰਾਨ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਭੋਜਨ ਮਾਂ ਕੋਲੋਂ ਮਿਲਦਾ ਹੈ । ਮਾਂ ਦੀ ਖੁਰਾਕ ਦਾ ਅਸਰ ਭਰੁਣ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ‘ਤੇ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ।
ਇਸ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ਕਿ ਮਾਂ ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ ਸੰਤੁਲਿਤ ਭੋਜਨ ਲਏ, ਤਾਂ ਜੋ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਖੁਰਾਕ ਦੇ ਸਾਰੇ ਜ਼ਰੂਰੀ ਤੱਤ ਮਿਲ ਜਾਣ ।

2. ਮਾਂ-ਬਾਪ ਦੀ ਉਮਰ-ਖੋਜ ਦੁਆਰਾ ਇਹ ਗੱਲ ਸਿੱਧ ਹੋ ਚੁੱਕੀ ਹੈ ਕਿ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਜਨਮ ਦੇਣ ਲਈ ਮਾਂ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਚੰਗੀ ਉਮਰ 21 ਤੋਂ 35 ਸਾਲ ਤਕ ਹੈ । ਇਸ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਜਾਂ ਛੋਟੀ ਉਮਰ ਦੀ ਮਾਂ ਅਜਿਹੇ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਜਨਮ ਦਿੰਦੀ ਹੈ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਕਮੀਆਂ ਰਹਿ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ ।

3. ਮਾਂ ਦੀ ਸਿਹਤ (P.S.E.B. 2009/B)-ਮਾਂ ਦੀ ਸਿਹਤ ਦਾ ਭਰੂਣ ਦੇ ਵਾਧੇ ਨਾਲ ਸਿੱਧਾ ਸੰਬੰਧ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਮਾਂ ਕਿਸੇ ਛੂਤ ਵਾਲੀ ਬਿਮਾਰੀ ਦੀ ਰੋਗਣ ਹੋਵੇ ਜਾਂ ਕਿਸੇ ਭਿਆਨਕ ਬਿਮਾਰੀ ਦੀ ਪਕੜ ਵਿਚ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਬੱਚਾ ਅੰਨਾ, ਗੁੰਗਾ ਜਾਂ ਬੋਲਾ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਰੋਗੀ ਵੀ । ਮਾਂ ਦੇ ਏਡਜ਼ ਜਾਂ ਐੱਚ. ਆਈ. ਵੀ. ਪੋਜ਼ੀਟਿਵ ਦੀ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੋਣ ਤੇ ਇਹ ਰੋਗ ਬੱਚੇ ਵਿਚ ਵੀ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਦਾ ਕਿ ਹਾਲੇ ਤਕ ਕੋਈ ਇਲਾਜ ਨਹੀਂ।

4. ਨਸ਼ੀਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਸੇਵਨ-ਜੇ ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਸਮੇਂ ਮਾਂ ਸਿਗਰਟ, ਸ਼ਰਾਬ ਆਦਿ ਦਾ ਸੇਵਨ ਕਰੇ ਤਾਂ ਬੱਚਾ ਦਿਮਾਗੀ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਰੋਗੀ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ਤੇ ਉਸ ਦੇ ਦਿਲ ਦੀ ਧੜਕਣ ਵੀ ਆਮ ਬੱਚਿਆਂ ਨਾਲੋਂ ਤੇਜ਼ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

5. ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਦਾ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀਕੋਣ-ਜੇਕਰ ਮਾਂ ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਬੱਚੇ ਦੇ ਲਿੰਗ ਪਤੀ ਵਧੇਰੇ ਚਿੰਤਾ ਗ੍ਰਸਤ ਰਹੇ ਤਾਂ ਬੱਚੇ ਦੀ ਸਰੀਰਕ ਅਤੇ ਮਾਨਸਿਕ ਸਥਿਤੀ ‘ਤੇ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ।ਉਸ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਰੁਕ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਬੱਚੇ ਵਿਚ ਜਨਮ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਸਰੀਰਕ ਅਤੇ ਮਾਨਸਿਕ ਵਿਕਾਰ ਪੈਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।

6. ਆਰ. ਐੱਚ. ਤੱਤ (P.S.E.B. 2009/B)-ਜਿਸ ਮਨੁੱਖ ਵਿਚ ਆਰ. ਐਚ. ਤੱਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਉਸ ਨੂੰ ਆਰ. ਐੱਚ. ਪੋਜ਼ੀਟਿਵ (RH+) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਜਿਸ ਵਿਚ ਇਹ ਤੱਤ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਉਸ ਨੂੰ ਆਰ. ਐੱਚ. ਨੈਗਟਿਵ (RH-) ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਜੇਕਰ ਮਾਂ ਅਤੇ ਪਿਤਾ ਦੇ ਆਰ. ਐੱਚ. ਮੇਲ ਨਾ ਖਾਂਦੇ ਹੋਣ ਤਾਂ ਸੰਭਵ ਹੈ ਕਿ ਬੱਚੇ ਅਤੇ ਮਾਂ ਦਾ ਆਰ. ਐੱਚ. ਤੱਤ ਵੱਖਰਾ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ | ਆਰ. ਐੱਚ. ਤੱਤ ਵੱਖ ਹੋਣ ਤੇ ਖ਼ੂਨ ਵਿਚ ਲਾਲ ਕਣ ਨਸ਼ਟ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਬੱਚਾ ਅਨੀਮੀਆ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ਜਾਂ ਜਨਮ ਤੋਂ ਤੁਰੰਤ ਬਾਅਦ ਮਰ ਵੀ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਗਰਭ ਧਾਰਨ ਕਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਆਦਮੀ ਅਤੇ ਔਰਤ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਆਰ. ਐੱਚ. ਤੱਤ ਦੀ ਪਰਖ ਕਰਵਾ ਲੈਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ।

7. ਐਕਸ-ਰੇ (X-Rays) (2006) ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਦੌਰਾਨ ਕਈ ਵਾਰ ਐਕਸ-ਰੇ ਕਰਵਾਉਣਾ ਪੈ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਬਾਰ-ਬਾਰ ਐਕਸ-ਰੇ ਕਰਵਾਉਣਾ ਪਵੇ ਤਾਂ ਗਰਭਪਾਤ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ਜਾਂ ਬੱਚੇ ਵਿਚ ਸਰੀਰਕ ਅਤੇ ਮਾਨਸਿਕ ਵਿਕਾਰ ਵੀ ਪੈਦਾ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਐਕਸ-ਰੇ ਦੇ ਅਸਰ ਨਾਲ ਬੱਚੇ ਮੰਦ ਬੁੱਧੀ ਜਾਂ ਅੰਗਹੀਣ ਵੀ ਪੈਦਾ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਸਿਰਫ਼ ਜ਼ਰੂਰਤ ਸਮੇਂ ਹੀ ਐਕਸ-ਰੇ ਕਰਵਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 9 ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਨੂੰ ਕਿਹੜੇ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ? ਇਹਨਾਂ ਦੌਰਾਨ ਕੀ-ਕੀ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਗਰਭ ਧਾਰਨ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਬੱਚੇ ਦੇ ਜਨਮ ਤਕ ਦੇ ਸਮੇਂ ਨੂੰ ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਸਮਾਂ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ 280 ਦਿਨਾਂ ਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਇਹ ਸਮਾਂ ਬੱਚੇ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦੀ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਅਹਿਮ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਹੀ ਬੱਚਾ ਇਕ ਕੋਸ਼ ਤੋਂ ਪੂਰਨ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਵਿਕਸਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਦੇ ਇਸ ਸਮੇਂ ਨੂੰ ਅਸੀਂ ਤਿੰਨ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡ ਸਕਦੇ ਹਾਂ –

  • ਅੰਡੇ ਦੀ ਅਵਸਥਾ (Ovum Stage)
  • ਐਮਬਰੀਓ ਦੀ ਅਵਸਥਾ (Embryo Stage)
  • ਭਰੂਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ (Foetus Stage) ।

1. ਅੰਡੇ ਦੀ ਅਵਸਥਾ (Ovum Stage-ਇਹ ਸਮਾਂ ਗਰਭ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਣ ਤੋਂ ਦੋ ਹਫ਼ਤੇ ਤਕ ਗਿਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਉਪਜਾਉ ਅੰਡਾ ਜ਼ਿਆਦਾ ਨਹੀਂ ਬਦਲਦਾ ਕਿਉਂਕਿ ਉਸ ਨੂੰ ਖ਼ੁਰਾਕ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਦਾ ਬਾਹਰਲਾ ਵਸੀਲਾ ਅਜੇ ਨਹੀਂ ਬਣਿਆ ਹੁੰਦਾ ਅਤੇ ਇਹ ਆਪਣੇ ਅੰਡੇ ਦੀ ਜਰਦੀ ‘ਤੇ ਹੀ ਜਿਊਂਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਸੇ ਸਮੇਂ ਹੀ ਇਹ ਫੈਲੋਪੀਅਨ ਟਿਊਬ ਤੋਂ ਗਰਭ ਸਥਾਨ ਜਾਂ ਬੱਚੇਦਾਨੀ ਵਿਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਵਿਚ ਲਗਪਗ ਤਿੰਨ ਦਿਨ ਲੱਗਦੇ ਹਨ । ਨਵਾਂ ਜੀਵਨ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਣ ਦੇ ਦਸ ਦਿਨ ਤੋਂ ਚੌਦਾਂ ਦਿਨਾਂ ਦੇ ਅੰਦਰ ਅੰਡਾ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਗਰਭ ਸਥਾਨ ਦੀ ਦੀਵਾਰ ਨਾਲ ਜੋੜ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਮਾਂ ਦੇ ਆਹਾਰ ‘ਤੇ ਨਿਰਭਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

2. ਐਮਬਰੀਓ ਭਰੁਣ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਅਵਸਥਾ ਦੀ ਅਵਸਥਾ (Embryo Stage)-ਇਹ ਅਵਸਥਾ ਗਰਭ ਦੇ ਦੂਸਰੇ ਹਫਤੇ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਕੇ ਦੂਸਰੇ ਮਹੀਨੇ ਦੇ ਅੰਤ ਤਕ ਚਲਦੀ ਹੈ । ਪਹਿਲੇ ਮਹੀਨੇ ਵਿਚ ਐਮਬਰੀਓ ਵਿਚ ਖੂਨ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਲਈ ਨਿੱਕੀਆਂ-ਨਿੱਕੀਆਂ ਰਗਾਂ ਬਣ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਪੈਦਾ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਬੱਚੇ ਦੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਾਧਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਐਮਬਰੀਓ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਡੇਢ ਤੋਂ ਦੋ ਇੰਚ ਅਤੇ ਭਾਰ 2-3 ਐੱਸ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਅਵਸਥਾ ਦੇ ਅਖੀਰ ਵਿਚ ਐਮਬਰੀਓ ਇਨਸਾਨੀ ਜੀਵ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਧਾਰਨ ਕਰ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਚਿਹਰੇ ਦੇ ਲਗਪਗ ਸਾਰੇ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅੰਗ ਬਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ | ਅੱਖਾਂ, ਨੱਕ, ਕੰਨ, ਬੁੱਲ੍ਹ ਉਭਰੇ ਹੋਏ ਦਿਸਣ ਲੱਗ ਪੈਂਦੇ ਹਨ ।

ਲੱਤਾਂ ਅਤੇ ਬਾਹਵਾਂ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਹੱਥਾਂ ਅਤੇ ਪੈਰਾਂ ਦੀਆਂ ਉਂਗਲਾਂ ਬਣਨ ਲੱਗ ਪੈਂਦੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਬਾਹਰਲੇ ਲਿੰਗ ਅੰਗ ਵੀ ਮਾਮੂਲੀ ਜਿਹੇ ਦਿਸਣ ਲੱਗ ਪੈਂਦੇ ਹਨ । ਐਮਬਰੀਓ ਦੇ ਆਪਣੇ ਵਧਣ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਇਸੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਇਕ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਢਾਂਚਾ ਵੀ ਤਿਆਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਸਹਾਇਕ ਅੰਗ (ਪਲੈਸੈਂਟਾ, ਨਾਡੂ ਅਤੇ ਐਮਨੀਉਟਿਕ ਸੈਕ) ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਢਾਂਚਾ ਪੈਦਾ ਹੋਣ ਤਕ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਖੁਰਾਕ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਲਈ ਲੋੜੀਂਦਾ ਹੈ ।

ਸਹਾਇਕ ਅੰਗ –

  • ਪਲੈਸੈਂਟਾ-ਜਿੱਥੇ ਅੰਡਾ ਬੱਚੇਦਾਨੀ ਦੀ ਕੰਧ ਨਾਲ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਜੋੜ ਲੈਂਦਾ ਹੈ | ਉੱਥੇ ਹੀ ਪਲੈਸੈਂਟਾ ਬਣਨ ਲੱਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਪਲੈਸੈਂਟਾ ਹੀ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਮਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਤੋਂ ਖ਼ੁਰਾਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਇਕ ਪਾਸਿਓਂ ਬੱਚੇਦਾਨੀ ਅਤੇ ਦੂਸਰੇ ਪਾਸੇ ਨਾਤੂ ਨਾਲ | ਜੁੜਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  • ਨਾਤੂ-ਨਾਤੂ ਇਕ ਪਾਸੇ ਐਮਬਰੀਓ ਦੇ ਪੇਟ ਦੀ ਬਾਹਰਲੀ ਦੀਵਾਰ ਨਾਲ ਅਤੇ ਦੂਜੇ | ਪਾਸੇ ਪਲੈਸੈਂਟਾ ਨਾਲ ਜੁੜਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਰੱਸੀ ਵਰਗਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਗਰਭ ਦੇ ਅੰਤ ਤਕ ਨਾਡੂ ਇਕ ਪੁਰਸ਼ ਦੇ ਅੰਗੂਠੇ ਦੀ ਮੋਟਾਈ ਜਿੰਨਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਇਸ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 10 ਇੰਚ ਤੋਂ 20 ਇੰਚ ਤਕ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਨਾੜ ਰਾਹੀਂ ਐਮਬਰੀਓ ਦਾ ਮਲਮੂਤਰ ਛਣ ਕੇ ਪਲੈਸੈਂਟਾ ਰਾਹੀਂ ਮਾਂ ਦੇ ਖੂਨ ਦੀਆਂ ਨਾਲੀਆਂ ਵਿਚ ਚਲਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਮਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਰਾਹੀਂ ਬਾਹਰ ਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਐਮਨਿਓਟਿਕ ਸੈਕ-ਤੀਸਰਾ ਅੰਗ ਜਿਹੜਾ ਐਮਬਰੀਓ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵਧਦਾ ਹੈ, ਐਮਨਿਓਟਿਕ ਸੈਕ ਜਾਂ ਥੈਲੀ ਹੈ । ਇਹ ਥੈਲੀ ਪਲੈਸੈਂਟਾ ਨਾਲ ਜੁੜੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਵਿਚ ਇਕ ਲੇਸਦਾਰ ਤਰਲ ਪਦਾਰਥ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਬੱਚਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਤਰਲ ਪਦਾਰਥ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਸੱਟ ਲੱਗਣ ਤੋਂ ਬਚਾਉਂਦਾ ਹੈ।

(3) ਭਰੂਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ (Foetus Stage-ਗਰਭ ਦੀ ਤੀਸਰੀ ਤੇ ਸਭ ਤੋਂ ਲੰਬੀ ਅਵਸਥਾ ਭਰੂਣ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਤੀਸਰੇ ਮਹੀਨੇ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਕੇ ਬੱਚੇ ਦੇ ਜਨਮ ਤਕ ਚਲਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਨਵੇਂ ਅੰਗ ਨਹੀਂ ਬਣਦੇ ਪਰ ਐਮਬਰੀਓ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਵੇਲੇ ਬਣੇ ਹੋਏ ਅੰਗਾਂ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਤੀਸਰੇ ਮਹੀਨੇ ਤਕ ਭਰੁਣ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਲਗਪਗ ਤਿੰਨ ਇੰਚ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਗਰਭ ਦੀ ਇਸ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਪੰਜਵੇਂ ਮਹੀਨੇ ਤਕ ਅੰਦਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਅੰਗ ਵੱਡੇ ਮਨੁੱਖ ਵਾਂਗ ਹੀ ਬਣਨ ਲੱਗਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਮਾਂ ਆਪਣੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਬੱਚੇ ਦੀਆਂ ਹਰਕਤਾਂ ਮਹਿਸੂਸ ਕਰਨ ਲੱਗ ਪੈਂਦੀ ਹੈ । ਪੰਜਵੇਂ ਮਹੀਨੇ ਵਿਚ ਹੀ ਬੱਚੇ ਦੇ ਦਿਲ ਦੀ ਧੜਕਣ ਦੀ ਆਵਾਜ਼ ਉੱਚੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਸੱਤਵੇਂ ਮਹੀਨੇ ਵਿਚ ਬੱਚਾ ਪੂਰਾ ਇਨਸਾਨੀ ਜੀਵ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਦੀ ਚਮੜੀ ਲਾਲ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਭਰੂਣ ਇਹੋ ਜਿਹੀ ਹਾਲਤ ਵਿਚ ਪਹੁੰਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਜੇ ਬੱਚਾ ਕਿਸੇ ਕਾਰਨ ਵਕਤ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਪੈਦਾ ਹੋ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਉਸ ਦੇ ਬਚਣ ਦੀ ਸੰਭਾਵਨਾ ਤਾਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਪਰ ਅਜਿਹਾ ਬੱਚਾ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। | ਜਨਮ ਸਮੇਂ ਬੱਚੇ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 19 ਤੋਂ 20 ਇੰਚ ਤੇ ਇਕ ਆਮ ਬੱਚੇ ਦਾ ਭਾਰ ਲਗਪਗ 7 ਪੌਂਡ ਜਾਂ ਇਸ ਤੋਂ ਵੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 9 ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ

Home Science Guide for Class 10 PSEB ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ Important Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਕਿੰਨੇ ਦਿਨਾਂ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
280 ਦਿਨਾਂ ਦੀ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਨੂੰ ਕਿੰਨੇ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡ ਸਕਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਤਿੰਨ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਦੇ ਤਿੰਨ ਭਾਗਾਂ ਦੇ ਨਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਅੰਡੇ ਦੀ ਅਵਸਥਾ, ਐਮਬਰੀਓ ਦੀ ਅਵਸਥਾ, ਭਰੂਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਅੰਡੇ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਦਾ ਸਮਾਂ ਗਰਭ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਣ ਤੋਂ ਕਿੰਨੇ ਹਫ਼ਤੇ ਤੱਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੋ ਹਫ਼ਤੇ ਤੱਕ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਐਮਬਰੀਓ ਅਵਸਥਾ ਕਿੰਨੀ ਦੇਰ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਗਰਭ ਸਮੇਂ ਦੇ ਦੂਜੇ ਹਫ਼ਤੇ ਤੋਂ ਦੂਸਰੇ ਮਹੀਨੇ ਦੇ ਅੰਤ ਤੱਕ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਨਾਤੂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਕਿੰਨੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
10 ਤੋਂ 20 ਇੰਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਜਨਮ ਸਮੇਂ ਤੱਕ ਬੱਚੇ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਕਿੰਨੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
19-20 ਇੰਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਆਮ ਕਰਕੇ ਜਨਮ ਸਮੇਂ ਬੱਚੇ ਦਾ ਭਾਰ ਕਿੰਨਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
7 ਪੌਂਡ !

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਜਨਮ ਦੇਣ ਲਈ ਮਾਂ ਦੀ ਠੀਕ ਉਮਰ ਕਿੰਨੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
21 ਤੋਂ 35 ਸਾਲ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਗਰਭ ਸਮੇਂ ਬਾਰ-ਬਾਰ ਐਕਸਰੇ ਕਰਵਾਉਣ ਦਾ ਕੀ ਨੁਕਸਾਨ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਇਸੇ ਨਾਲ ਗਰਭਪਾਤ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਐਮਬਰੀਓ ਦੇ ਸਹਾਇਕ ਅੰਗ ਕਿਹੜੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਲੈਸੇਂਟਾ, ਨਾਡੂ ਅਤੇ ਐਮਨੀਉਟਿਕ ਸੈਟ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਭਰੂਣ ਅਵਸਥਾ ਦਾ ਸਮਾਂ ਕਿੰਨਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਦੀ ਕਿਹੜੀ ਅਵਸਥਾ ਸਭ ਤੋਂ ਲੰਬੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਭਰੂਣ ਅਵਸਥਾ ਗਰਭ ਸਮੇਂ ਦੇ ਤੀਸਰੇ ਮਹੀਨੇ ਤੋਂ ਜਨਮ ਸਮੇਂ ਤੱਕ ॥

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 9 ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ

ਛੋਟੇ ਉੱਡਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਗਰਭ ਸਮੇਂ ਕੋਈ ਦੋ ਤਿੰਨ ਤਕਲੀਫਾਂ ਦੇ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਗਰਭਵਤੀ ਔਰਤ ਦੀ ਪਿੱਠ ਅਤੇ ਮਾਸ-ਪੇਸ਼ੀਆਂ ਵਿਚ ਦਰਦ ਕਿਉਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਐਮਨਿਓਟਿਕ ਸੈਕ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਖੁਦ ਉੱਤਰ ਦਿਓ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਗਰਭ ਦੇ ਸਮੇਂ ਨਸ਼ੀਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦਾ ਸੇਵਨ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ?
ਉੱਤਰ-
ਖੁਦ ਉੱਤਰ ਦਿਓ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਗਰਭ ਦੌਰਾਨ ਦਿਲ ਕਿਉਂ ਮਤਲਾਂਉਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਪਿੱਠ ਵਿੱਚ ਦਰਦ ਕਿਉਂ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਭਰੂਣ ਦੇ ਵਾਧੇ ਤੇ ਮਾਂ-ਬਾਪ ਦੀ ਉਮਰ ਦਾ ਕੀ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਖ਼ੁਦ ਉੱਤਰ ਦਿਓ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਗਰਭ ਦੇ ਸਮੇਂ ਔਰਤ ਦੇ ਸਰੀਰ ਤੇ ਖਾਰਸ਼ ਕਿਉਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਧੱਬੇ ਕਿਉਂ ਪੈਂਦੇ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਅੰਡੇ, ਐਮਬਰੀਓ ਅਤੇ ਭਰੂਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਖੁਦ ਉੱਤਰ ਦਿਓ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 9 ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਭਰੂਣ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਖ਼ੁਦ ਉੱਤਰ ਦਿਓ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
R.H. ਕਾਰਕ ਬਾਰੇ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਸਮਝਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਐਮਬਰੀਓ ਦੇ ਵੱਧਣ ਵਿਚ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਸਹਾਇਕ ਅੰਗ ਕੰਮ ਕਰਦੇ ਹਨ ? ਸੰਖੇਪ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਖ਼ੁਦ ਉੱਤਰ ਦਿਓ ।

ਵੰਸ਼ੇ ਉੱਡਰਾਂ ਵਾਲੇ ਸਨ ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਤੋਂ ਕੀ ਭਾਵ ਹੈ ? ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਗਰਭਵਤੀ ਔਰਤ ਨੂੰ ਕਿਹੜੀਆਂ ਆਮ ਤਕਲੀਫਾਂ ਹੋ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ ?
ਜਾਂ
ਗਰਭਵਤੀ ਇਸਤਰੀ ਨੂੰ ਕਿਹੜੇ ਕਸ਼ਟਾਂ ਤੋਂ ਗੁਜ਼ਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ? ਪੂਰੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿਓ ।
ਗਰਭ ਸਮੇਂ ਦੀਆਂ ਤਕਲੀਫਾਂ ਦਾ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਜਾਂ
ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਵਿੱਚ ਕਿਹੜੇ-ਕਿਹੜੇ ਦੁੱਖ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਵਿਸਥਾਰ ਵਿਚ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਗਰਭ ਧਾਰਨ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਬੱਚੇ ਦੇ ਜਨਮ ਤਕ ਮਾਂ ਦੇ ਪੇਟ ਅੰਦਰ ਬੱਚੇ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਨੂੰ ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਇਹ ਸਮਾਂ 280 ਦਿਨ ਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ | ਪਰ ਕਈ ਵਾਰ ਮਾਂ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਬਿਮਾਰੀ ਜਾਂ ਹੋਰ ਕਿਸੇ ਕਾਰਨ ਕਰਕੇ ਇਹ ਸਮਾਂ ਘੱਟ ਕੇ 190 ਦਿਨ ਵੀ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ਤੇ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ 330 ਦਿਨ | ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਬੱਚੇ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਇਕ ਅੰਡ ਕੋਸ਼ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਪੂਰਨ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਲ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਜੀਵਨ ਭਰ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ।

ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਨੂੰ ਤਿੰਨ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ –

  • ਅੰਡੇ ਦੀ ਅਵਸਥਾ (Ovum Stage)
  • ਐਮਬਰੀਓ ਅਵਸਥਾ (Embryo Stage)
  • ਭਰੂਣ ਅਵਸਥਾ (Foetus Stage) ।

ਗਰਭਵਤੀ ਔਰਤ ਦੀਆਂ ਤਕਲੀਫਾਂ-ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਦੀਆਂ ਤਕਲੀਫਾਂ ਸਾਰੀਆਂ ਔਰਤਾਂ ਨੂੰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀਆਂ । ਕਈ ਔਰਤਾਂ ਗਰਭ ਦੇ ਪੂਰੇ 9 ਮਹੀਨੇ ਪੂਰੇ ਆਰਾਮ ਨਾਲ ਗੁਜ਼ਾਰ ਲੈਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਪਰ ਕਈ ਔਰਤਾਂ ਨੂੰ ਪੂਰੇ 9 ਮਹੀਨੇ ਕੋਈ ਨਾ ਕੋਈ ਤਕਲੀਫ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ।

ਗਰਭ ਸਮੇਂ ਹੋਣ ਵਾਲੀਆਂ ਆਮ ਤਕਲੀਫਾਂ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਹਨ –
1. ਜੀਅ ਕੱਚਾ ਹੋਣਾ-ਇਹ ਜ਼ਿਆਦਾਤਰ ਸਵੇਰੇ ਵੇਲੇ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਪਰ ਕਈ ਵਾਰ ਕਿਸੇ ਸਮੇਂ ਵੀ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਜਿਸ ਨਾਲ ਖਾਣ ਨੂੰ ਮਨ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ | ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਇਹ ਤਕਲੀਫ ਗਰਭ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਤਿੰਨ ਮਹੀਨੇ ਹੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਤਕਲੀਫ ਦਾ ਵਾਪਰਨਾ ਗਰਭ ਦੀ ਕੁਦਰਤੀ ਅਵਸਥਾ ਸਮਝੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਨੂੰ ਮਾਰਨਿੰਗ ਸਿਕਨੈਸ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨੂੰ ਖੁਰਾਕ ਤੇ ਆਰਾਮ ਨਾਲ ਠੀਕ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਬਿਸਤਰੇ ਤੋਂ ਉੱਠਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹਲਕੀ ਨਿੰਬੂ ਵਾਲੀ ਚਾਹ ਤੇ ਮਿੱਠਾ ਬਿਸਕੁਟ ਖਾਣ ਨਾਲ ਆਰਾਮ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ।

2. ਕਬਜ਼-ਗਰਭ ਦੇ ਦੌਰਾਨ ਔਰਤਾਂ ਨੂੰ ਕਬਜ਼ੀ ਦੀ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਆਮ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਉਸ ਦੀ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਖ਼ੁਰਾਕ, ਕਸਰਤ ਤੇ ਟੱਟੀ ਜਾਣ ਦੀ ਆਦਤ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੋਵੇ ਕਿ ਉਸ ਨੂੰ ਕਬਜ਼ ਨਾ ਹੋਵੇ | ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਪਾਣੀ ਵੱਧ ਪੀਣ ਤੇ ਸੰਤੁਲਿਤ ਭੋਜਨ ਲੈਣ ਨਾਲ ਇਹ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਦੂਰ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਨਾਸ਼ਤੇ ਵਿਚ ਫਲ ਅਤੇ ਫੋਕ ਵਾਲੇ ਪਦਾਰਥ ਅਤੇ ਫਲ ਖ਼ਾਸ ਕਰਕੇ ਸੇਬ ਖਾਣ ਨਾਲ ਕਬਜ਼ ਦੀ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਦੂਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

3. ਦਿਲ ਦੀ ਜਲਣ ਤੇ ਬਦਹਜ਼ਮੀ (P.S.E.B. 2008-ਗਰਭ ਦੇ ਮਹੀਨਿਆਂ ਵਿਚ ਕਈ ਵਾਰ ਮਾਂ ਨੂੰ ਦਿਲ ਦੀ ਜਲਣ ਮਹਿਸੂਸ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਬਦਹਜ਼ਮੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਦਿਲ ਨਾਲ ਕੋਈ ਵਾਸਤਾ ਨਹੀਂ ਪਰ ਇਹ ਜਲਣ ਪਾਚਣ-ਪ੍ਰਣਾਲੀ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਜ਼ਿਆਦਾ ਮਸਾਲੇਦਾਰ, ਤਲੀਆਂ ਹੋਈਆਂ, ਜ਼ਿਆਦਾ ਘਿਉ ਵਾਲੀਆਂ ਤੇ ਗੈਸ ਵਾਲੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਤੋਂ ਪਰਹੇਜ਼ ਕਰਨ ਨਾਲ ਇਸ ਤਕਲੀਫ ਤੋਂ ਛੁਟਕਾਰਾ ਪਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।

4. ਸਿਰ ਚਕਰਾਉਣਾ ਤੇ ਬੇਹੋਸ਼ ਹੋਣਾ-ਗਰਭਵਤੀ ਔਰਤ ਦੇ ਜ਼ਿਆਦਾ ਖੇਚਲ ਕਰਨ, ਬਹੁਤ ਸਵੇਰੇ ਉੱਠਣ, ਬਹੁਤ ਦੇਰ ਤਕ ਖੜੇ ਹੋਣ ਨਾਲ ਜਾਂ ਜ਼ਿਆਦਾ ਚੱਲਣ ਨਾਲ ਸਿਰ ਚਕਰਾਉਣ ਲੱਗ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਖੂਨ ਦਾ ਦਬਾਅ ਘੱਟ ਜਾਣ ਨਾਲ ਕਈ ਵਾਰ ਬੇਹੋਸ਼ ਵੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਸਿਰ ਚਕਰਾਉਣ ਲੱਗੇ ਜਾਂ ਬੇਹੋਸ਼ੀ ਜਿਹੀ ਮਹਿਸੂਸ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਪੈਰਾਂ ਅਤੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਪੱਧਰ ਤੋਂ ਸਿਰ ਹੇਠਾਂ ਕਰਕੇ ਲੇਟ ਜਾਵੋ | ਘਬਰਾਹਟ ਜਾਂ ਸਿਰ ਚਕਰਾਉਣ ਦੀ ਹਾਲਤ ਵਿਚ ਇਕ ਗਿਲਾਸ ਠੰਢਾ ਨਿਬੁ ਪਾਣੀ ਪੀ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

5. ਪੈਰਾਂ ਦਾ ਸੁੱਜਣਾ -ਗਰਭ ਦੇ ਅਖੀਰਲੇ ਮਹੀਨਿਆਂ ਵਿਚ ਕਈ ਵਾਰ ਗਰਭਵਤੀ ਮਾਂ ਦੇ ਪੈਰ ਸੁੱਜ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਤਕਲੀਫ ਖ਼ਾਸ ਕਰਕੇ ਗਰਮੀ ਦੇ ਮਹੀਨਿਆਂ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਇਹ ਇਕ ਕੁਦਰਤੀ ਅਵਸਥਾ ਸਮਝੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਬੱਚਾ ਪੈਦਾ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪੈਰ ਆਪਣੇ ਆਪ ਪਹਿਲੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਆ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਆਰਾਮ ਕਰਨ ਵੇਲੇ ਪੈਰ ਤੇ ਲੱਤਾਂ ਸਰੀਰ ਨਾਲੋਂ ਉੱਚੇ ਰੱਖਣ ਨਾਲ ਇਸ ਹਾਲਤ ਵਿਚ ਸੁਧਾਰ ਆਉਂਦਾ ਹੈ ।

6. ਯੋਨੀ ਵਿਚੋਂ ਖੂਨ ਵਗਣਾ-ਜੇ ਕਦੀ ਗਰਭਵਤੀ ਇਸਤਰੀ ਦੀ ਯੋਨੀ ਵਿਚੋਂ ਖੂਨ ਨਿਕਲਣ ਲੱਗ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪੈਰ ਉੱਚੇ ਕਰਕੇ ਲੇਟਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਤੇ ਡਾਕਟਰ ਦੀ ਸਲਾਹ ਜਲਦੀ ਤੋਂ ਜਲਦੀ ਲੈਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ | ਜ਼ਿਆਦਾ ਖੂਨ ਨਿਕਲਣ ਨਾਲ ਬਹੁਤੀ ਵਾਰ ਗਰਭਪਾਤ ਵੀ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਾਂ ਬੱਚਾ ਵਕਤ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਪੈਦਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਜਦ ਤਕ ਡਾਕਟਰ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾ ਪੁੱਜੇ ਕੋਈ ਦਵਾਈ ਨਹੀਂ ਲੈਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 9 ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ

7. ਸਰੀਰ ‘ਤੇ ਖਾਰਸ਼ ਹੋਣਾ -ਕਦੀ-ਕਦੀ ਗਰਭਵਤੀ ਇਸਤਰੀ ਨੂੰ ਸਰੀਰ ’ਤੇ ਖਾਰਸ਼ ਹੋਣ ਲੱਗ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਬਾਰੇ ਡਾਕਟਰ ਦੀ ਸਲਾਹ ਲੈਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ।
ਸਵੇਰੇ ਨਹਾਉਣ ਦੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਥੋੜਾ ਜਿਹਾ ਮਿੱਠਾ ਸੋਡਾ ਪਾਉਣ ਨਾਲ ਵੀ ਲਾਭ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜੇ ਯੋਨੀ ਦੇ ਆਸ-ਪਾਸ ਕਿਸੇ ਕਿਸਮ ਦੀ ਖਾਰਸ਼ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਡਾਕਟਰ ਨੂੰ ਦੱਸ ਕੇ ਇਲਾਜ ਕਰਵਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

8. ਚਮੜੀ ‘ਤੇ ਧੱਬੇ ਪੈਣੇ -ਕਈ ਔਰਤਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ‘ਤੇ ਭੂਰੇ ਧੱਬੇ ਜਾਂ ਸਿਆਹੀਆਂ ਪੈ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਗਰਭ ਦੀ ਅਖ਼ੀਰਲੀ ਹਾਲਤ ਵਿਚ ਕਈ ਵਾਰ ਔਰਤਾਂ ਦੇ ਵਾਲ ਜ਼ਿਆਦਾ ਖ਼ੁਸ਼ਕ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ਤੇ ਭੁਰਨ ਲੱਗ ਪੈਂਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਬਾਰੇ ਜ਼ਿਆਦਾ ਚਿੰਤਾ ਕਰਨ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਨਹੀਂ । ਬੱਚਾ ਪੈਦਾ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇਹ ਆਪਣੇ ਆਪ ਕੁਦਰਤੀ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਆ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਵਾਲਾਂ ਨੂੰ ਰੋਜ਼ ਕੰਘੀ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਤੇਲ ਦੀ ਮਾਲਿਸ਼ ਸਿਰ ਤੇ ਵਾਲਾਂ ਲਈ ਫਾਇਦੇਮੰਦ ਹੈ ।

9. ਪਿੱਠ ਤੇ ਪੱਠਿਆਂ ਵਿਚ ਦਰਦ -ਗਰਭ ਦੇ ਅਖ਼ੀਰਲੇ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਪਿੱਠ, ਪੱਟਾਂ ਅਤੇ ਲੱਤਾਂ ਵਿਚ ਦਰਦ ਹੋਣਾ ਸਾਧਾਰਨ ਗੱਲ ਹੈ । ਬੱਚੇਦਾਨੀ ਦੇ ਵਧਣ ਨਾਲ ਫੇਫੜਿਆਂ, ਪੱਟਾਂ ਅਤੇ ਲੱਤਾਂ ‘ਤੇ ਜ਼ਿਆਦਾ ਬੋਝ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਜਦੋਂ ਬੱਚਾ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਹਰਕਤ ਕਰਕੇ ਆਪਣੀ ਹਾਲਤ ਤੇ ਜਗਾ ਬਦਲਦਾ ਹੈ ਤਾਂ ਦਰਦ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
ਇਹ ਦਰਦ ਨੀਵੀਂ ਅੱਡੀ ਵਾਲੀ ਚੱਪਲ ਪਹਿਨਣ ਤੇ ਆਰਾਮ ਕਰਨ ਨਾਲ ਘੱਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਅਖੀਰਲੇ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਪਿੱਠ ਵਿਚ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀ ਦਰਦ ਹੋਵੇ, ਜਿਵੇਂ ਮਾਹਵਾਰੀ ਦੇ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਡਾਕਟਰ ਨੂੰ ਛੇਤੀ ਬੁਲਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਬੱਚਾ ਹੋਣ ਵੇਲੇ ਦੀਆਂ ਦਰਦਾਂ ਹੋ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ ।

10. ਕੁੱਝ ਹੋਰ ਤਕਲੀਫਾਂ-ਉੱਪਰ ਲਿਖੀਆਂ ਗਰਭ ਦੀਆਂ ਤਕਲੀਫਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਕੁੱਝ ਹੋਰ ਤਕਲੀਫਾਂ ਜਿਵੇਂ-ਸਿਰ ਦਰਦ, ਨਜ਼ਰ ਵਿਚ ਕਮਜ਼ੋਰੀ, ਮੂੰਹ ਤੇ ਹੱਥਾਂ ‘ਤੇ ਸੋਜ, ਬੁਖ਼ਾਰ, ਅਚਾਨਕ ਸਰੀਰ ਦੇ ਕਿਸੇ ਅੰਗ ਖ਼ਾਸ ਕਰਕੇ ਪਿੱਠ, ਲੱਤਾਂ ਅਤੇ ਪੇਟ ਵਿਚ ਦਰਦ, ਜ਼ਿਆਦਾ ਉਲਟੀਆਂ ਆਉਣਾ, ਯੋਨੀ ਵਿਚੋਂ ਜ਼ੋਰ ਨਾਲ ਪਾਣੀ ਵਗਣਾ ਅਤੇ ਰੁਕ-ਰੁਕ ਕੇ ਸਾਹ ਆਉਣਾ ਆਦਿ ਹੋ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਹਨਾਂ ਵਿਚੋਂ ਜੇਕਰ ਕੋਈ ਵੀ ਤਕਲੀਫ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਡਾਕਟਰ ਦੀ ਸਲਾਹ ਤੁਰੰਤ ਲੈਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਹਨਾਂ ਪ੍ਰਤੀ ਅਣਗਹਿਲੀ ਕਰਨ ਨਾਲ ਕਈ ਵਾਰ ਖ਼ਤਰਾ ਵੀ ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ । ਥੋੜ੍ਹੇ-ਥੋੜ੍ਹੇ ਸਮੇਂ ਬਾਅਦ ਡਾਕਟਰ ਨੂੰ ਦਿਖਾਉਣ ਨਾਲ ਇਹਨਾਂ ਤਕਲੀਫਾਂ ਨੂੰ ਰੋਕਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ !

ਵਸਤੁਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

I. ਖ਼ਾਲੀ ਸਥਾਨ ਭਰੋ –

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ …….. ਦਿਨਾਂ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
280,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
…….. ਹੀ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਮਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਤੋਂ ਖ਼ੁਰਾਕ ਪਹੁੰਚਾਉਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਪਲੇਸੈਟਾਂ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਨਾਤੂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ …….. ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
10-20 ਇੰਚ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਨੂੰ …….. ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵੰਡਿਆ ਗਿਆ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਤਿੰਨ,

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 9 ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਅੰਡੇ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਨੂੰ ………….. ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਓਵਮ ਅਵਸਥਾ ॥

II. ਠੀਕ / ਗਲਤ ਦੱਸੋ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਆਮ ਕਰਕੇ 280 ਦਿਨਾਂ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਐਮਬਰੀਓ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਗਰਭ ਧਾਰਨ ਤੋਂ ਦੁਸਰੇ ਹਫ਼ਤੇ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਜਨਮ ਸਮੇਂ ਬੱਚੇ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 19-20 ਇੰਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਨਾਡੂ 10-20 ਇੰਚ ਲੰਬਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ !
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਜਨਮ ਸਮੇਂ ਬੱਚੇ ਦਾ ਭਾਰ 4 ਪੌਂਡ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਗ਼ਲਤ ।

III. ਬਹੁਵਿਕਲਪੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਐਮਬਰੀਓ ਦੇ ਸਹਾਇਕ ਅੰਗ ਹਨ –
(ਉ) ਪਲੈਸੇਂਟਾ
(ਅ) ਨਾੜੂ
(ਈ) ਐਮਨੀਉਟਿਕ ਸੈਕ
(ਸ) ਸਾਰੇ ਠੀਕ ।
ਉੱਤਰ-
(ਸ) ਸਾਰੇ ਠੀਕ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਨਾਡੂ ਦੀ ਲੰਬਾਈ ਹੁੰਦੀ ਹੈ –
(ਉ) 10-20 ਇੰਚ
(ਅ) 30 ਇੰਚ
(ਈ) 30-40 ਇੰਚ
(ਸ) ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(ਉ) 10-20 ਇੰਚ

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 9 ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਭਰੂਣ ਅਵਸਥਾ ਦਾ ਸਮਾਂ ਹੈ
(ਉ) ਗਰਭ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਤੀਸਰੇ ਮਹੀਨੇ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾ ਹਫ਼ਤਾ
(ਈ) ਦੂਸਰੇ ਹਫ਼ਤੇ ਤੋਂ
(ਸ) ਕੋਈ ਨਹੀਂ ।
ਉੱਤਰ-
(ਉ) ਗਰਭ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਤੀਸਰੇ ਮਹੀਨੇ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾ ਹਫ਼ਤਾ ।

ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ PSEB 10th Class Home Science Notes

ਪਾਠ ਇਕ ਨਜ਼ਰ ਵਿਚ

  • ਗਰਭ ਧਾਰਨ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਬੱਚੇ ਦੇ ਜਨਮ ਤਕ ਦੀ ਅਵਸਥਾ ਨੂੰ ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਦੇ ਤਿੰਨ ਭਾਗ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  • ਭਰੁਣ ਅਵਸਥਾ ਸਭ ਤੋਂ ਲੰਬੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  • ਪਲੈਨੈੱਟ ਰਾਹੀਂ ਬੱਚਾ ਮਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਤੋਂ ਖੁਰਾਕ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
  • ਐਮਬਰੀਓ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਹੀ ਸਹਾਇਕ ਅੰਗਾਂ ਦਾ ਢਾਂਚਾ ਤਿਆਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਮਾਂ ਦੀ ਸਿਹਤ ਤੇ ਖ਼ੁਰਾਕ ਦਾ ਬੱਚੇ ਦੀ ਸਿਹਤ ਉੱਪਰ ਸਿੱਧਾ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਬੱਚੇ ਦੀ ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਦੀ ਸਿਹਤ ਦਾ ਜੀਵਨ ਭਰ ਸਿਹਤ ਉੱਪਰ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਮਾਂ ਵਲੋਂ ਕੀਤੇ ਗਏ ਨਸ਼ੀਲੇ ਪਦਾਰਥਾਂ ਦੇ ਸੇਵਨ ਦਾ ਬੱਚੇ ਦੇ ਉੱਪਰ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਗਰਭ ਧਾਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਆਦਮੀ ਤੇ ਔਰਤ ਨੂੰ ਆਰ. ਐੱਚ. ਤੱਤ ਦੀ ਪਰਖ ਕਰਾ ਲੈਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ।

ਗਰਭ ਧਾਰਨ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਜਨਮ ਤਕ ਦੇ ਸਮੇਂ ਨੂੰ ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਹ ਸਮਾਂ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ 280 ਦਿਨਾਂ ਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਸਮਾਂ ਬੱਚੇ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਦੀ ਦ੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ । ਇਸ ਸਮੇਂ ਦਾ ਪ੍ਰਭਾਵ ਜੀਵਨ ਭਰ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਇਸੇ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਬੱਚਾ ਇਕ ਅੰਡਕੋਸ਼ ਤੋਂ ਪੂਰਨ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਵਿਕਸਿਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 ਪਰਿਵਾਰ

Punjab State Board PSEB 10th Class Home Science Book Solutions Chapter 8 ਪਰਿਵਾਰ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Home Science Chapter 8 ਪਰਿਵਾਰ

Home Science Guide for Class 10 PSEB ਪਰਿਵਾਰ Textbook Questions and Answers

ਅਭਿਆਸ !
ਵਸਤੂਨਿਸ਼ਠ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪਰਿਵਾਰ ਤੋਂ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਸਮਝਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਪਰਿਵਾਰ ਸਮਾਜ ਦੀ ਮੂਲ ਇਕਾਈ ਹੈ ਅਤੇ ਸਮਾਜਿਕ ਬਣਤਰ ਦਾ ਆਧਾਰ ਹੈ । ਪਰਿਵਾਰ ਉਹਨਾਂ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਇਕ ਸਮੂਹ ਹੈ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਆਪਸੀ ਖੂਨ ਜਾਂ ਕਾਨੂੰਨ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਹੋਵੇ, ਇਕ ਘਰ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਹੋਣ ਤੇ ਸਾਂਝਾ ਸਰਮਾਇਆ ਵਰਤਦੇ ਹੋਣ, ਇਕ-ਦੂਜੇ ਨਾਲ ਭਾਵਨਾਤਮਿਕ ਸਾਂਝ ਹੋਵੇ ਤੇ ਸਾਂਝੀਆਂ ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਗਮੀਆਂ ਹੋਣ ਤੇ ਲੋੜ ਪੈਣ ‘ਤੇ ਇਕ-ਦੂਜੇ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਨ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਸਮਾਜ ਦੀ ਬਣਤਰ ਦਾ ਆਧਾਰ ਕੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਸਮਾਜ ਦੀ ਬਣਤਰ ਦਾ ਆਧਾਰ ਪਰਿਵਾਰ ਹੈ ਪਰਿਵਾਰ ਇਕ ਸਮਾਜ ਦੀ ਮੁੱਢਲੀ ਇਕਾਈ ਹੈ । ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਨੂੰ ਮਿਲ ਕੇ ਹੀ ਇਕ ਸਮਾਜ ਜਨਮ ਲੈਂਦਾ ਹੈ  ਆਦਮੀ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਰਾਹੀਂ ਸਮਾਜ ਨਾਲ ਜੁੜਦੇ ਹਨ ਤੇ ਸਮਾਜ ਵਿਚ ਰਹਿਣਾ ਸਿੱਖਦੇ ਹਨ । ਪਰਿਵਾਰ ਦੀ ਸੰਸਥਾ ਹੋਂਦ ਵਿਚ ਆਉਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਹੀ ਸਮਾਜ ਨੇ ਜਨਮ ਲਿਆ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਪਰਿਵਾਰ ਦੀਆਂ ਮੁੱਖ ਕਿਸਮਾਂ ਕਿਹੜੀਆਂ ਹਨ ?
ਜਾਂ
ਪਰਿਵਾਰ ਦੀਆਂ ਕਿਸਮਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਮੁੱਖ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀਆਂ ਦੋ ਕਿਸਮਾਂ ਹਨ

  1. ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰ -ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰ ਇਕ ਵੱਡਾ ਪਰਿਵਾਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਸੰਖੇਪ ਵਿਚ ਜਿਸ ਘਰ ਵਿਚ ਤਿੰਨ ਪੀੜ੍ਹੀਆਂ ਦੇ ਮੈਂਬਰ ਇਕੱਠੇ ਇਕ ਘਰ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਹੋਣ ਤੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਸਾਧਨਾਂ ਨੂੰ ਸਾਂਝੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਵਰਤਦੇ ਹੋਣ, ਨੂੰ ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  2. ਇਕਾਈ ਪਰਿਵਾਰ -ਇਹ ਪਰਿਵਾਰ ਛੋਟਾ ਪਰਿਵਾਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਜਿਸ ਵਿਚ ਮਾਤਾ, ਪਿਤਾ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਬੱਚੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹੋਣ, ਉਸ ਨੂੰ ਇਕਾਈ ਪਰਿਵਾਰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।

ਛੋਟੇ ਉੱਤਰਾਂ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰ ਤੋਂ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਸਮਝਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰ ਇਕ ਵੱਡਾ ਪਰਿਵਾਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਵਿਚ ਮਾਂ-ਪਿਉ, ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਬੱਚੇ ਤੇ ਪੋਤੇ-ਪੋਤੀਆਂ ਇਕੱਠੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਸਾਰਿਆਂ ਦੀ ਸਾਂਝੀ ਕਮਾਈ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਘਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਮੈਂਬਰ ਉਸੇ ਕਮਾਈ ਵਿਚੋਂ ਆਪਣੀਆਂ ਲੋੜਾਂ ਦੀ ਪੂਰਤੀ ਕਰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਪਰਿਵਾਰ ਇਕ ਛੱਤ ਥੱਲੇ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਕ ਚੁੱਲ੍ਹੇ ‘ਤੇ ਰੋਟੀ ਖਾਂਦਾ ਹੈ । ਦੁੱਖਸੁਖ ਵਿਚ ਸਾਰੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਮੈਂਬਰ ਇਕੱਠੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਪਰ ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰ ਘੱਟਦੇ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 ਪਰਿਵਾਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਇਕਾਈ (ਜਾਂ ਛੋਟਾ) ਪਰਿਵਾਰ ਤੋਂ ਤੁਸੀਂ ਕੀ ਸਮਝਦੇ ਹੋ ?
ਉੱਤਰ-
ਇਕਾਈ ਪਰਿਵਾਰ ਇਕ ਛੋਟਾ ਪਰਿਵਾਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਕਾਈ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਮਾਂਬਾਪ ਤੇ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਸੰਤਾਨ ਇਕੱਠੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਹ ਇਕ ਸੁਤੰਤਰ ਇਕਾਈ ਹੈ । ਪੱਛਮੀ ਦੇਸ਼ਾਂ ਦੀ ਤਰਜ਼ ਉੱਪਰ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਵੀ ਇਕਾਈ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਧਦੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ । ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿੱਚ ਮਾਂ-ਬਾਪ ਦੀ ਆਮਦਨ ਇਸ ਘਰ ਵਿਚ ਕਮਾਈ ਦਾ ਸੋਮਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਜਿਸਨੂੰ ਬੱਚੇ ਤੇ ਮਾਂ-ਬਾਪ ਰਲ ਕੇ ਖ਼ਰਚਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਤਰਾਂ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਵਿਚ ਜਿੱਥੇ ਅਜ਼ਾਦੀ ਤੇ ਸਵੈ-ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਵੱਧਦੀ ਹੈ, ਉੱਥੇ ਸੁਆਰਥ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਵੀ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸਕੇ-ਸੰਬੰਧੀਆਂ ਨੂੰ ਇਹਨਾਂ ਨਾਲੋਂ ਦੂਰ ਕਰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰ ਹੋਣ ਦਾ ਕੀ ਨੁਕਸਾਨ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਕਾਫ਼ੀ ਘੱਟਦੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਦੇ ਕਈ ਫਾਇਦੇ ਤੇ ਕਈ ਨੁਕਸਾਨ ਹਨ । ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਨੁਕਸਾਨ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ
ਨੁਕਸਾਨ-

  • ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਆਰਥਿਕ ਸੁਰੱਖਿਆ ਕਰਕੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਲਈ ਮੈਂਬਰ ਨਿਕੰਮੇ ਤੇ ਆਲਸੀ ਬਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  • ਕਈ ਵਾਰ ਲਾਇਕ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਕਿਉਂਕਿ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਸਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਬਰਾਬਰ ਸਮਝਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਵਿਚ ਔਰਤਾਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਆਜ਼ਾਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  • ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਕਈ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪੈਰ ਉੱਪਰ ਆਪ ਖੜਨ ਦਾ ਮੌਕਾ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦਾ !
  • ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਆਰਥਿਕ ਆਜ਼ਾਦੀ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀ ਕੀ ਖਾਸੀਅਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਜਾਂ
ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਕੀ ਲਾਭ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-

  1. ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਸਾਂਝੀ ਕਮਾਈ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੋ ਜ਼ਰੂਰਤ ਵੇਲੇ ਕੰਮ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ।
  2. ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਸਾਰੇ ਕੰਮ ਵੰਡੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਇਕ ਮੈਂਬਰ ਉੱਪਰ ਬੋਝ ਨਹੀਂ ਪੈਂਦਾ ।
  3. ਸਾਂਝੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਬਜ਼ੁਰਗ, ਵਿਧਵਾ, ਅੰਗਹੀਨ ਜਾਂ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਸਹਾਰਾ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ।
  4. ਅੱਜ-ਕਲ ਮਾਂ-ਬਾਪ ਕੋਲ ਬੱਚਿਆਂ ਲਈ ਵਿਹਲ ਘੱਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਸਾਂਝੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਬੱਚੇ ਦਾਦਾ-ਦਾਦੀ ਕੋਲੋਂ ਬਹੁਤ ਕੁੱਝ ਸਿੱਖਦੇ ਹਨ ।
  5. ਸਾਂਝੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਵਿਚ ਸਹਿਯੋਗ ਤੇ ਕੁਰਬਾਨੀ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਵੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  6. ਸਾਂਝੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਇਕੱਠੇ ਰਹਿਣ ਨਾਲ ਪਰਿਵਾਰ ਦਾ ਖ਼ਰਚ ਘੱਟ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਬੱਚਤ ਵੱਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਇਕਾਈ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀ ਕੀ ਖਾਸੀਅਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਉਦਯੋਗੀਕਰਨ ਤੇ ਸ਼ਹਿਰੀਕਰਨ ਨਾਲ ਇਕਾਈ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵੱਧ ਰਹੀ ਹੈ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਦੀਆਂ ਖ਼ਾਸ ਗੱਲਾਂ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਹਨ

  • ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਮੈਂਬਰ ਇਕ-ਦੂਜੇ ਦੇ ਵਧੇਰੇ ਨਜ਼ਦੀਕ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  • ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਆਰਥਿਕ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਪਤੀ-ਪਤਨੀ ਆਪਣੀ ਮਰਜ਼ੀ ਨਾਲ ਖ਼ਰਚ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਨ ।
  • ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਨੂੰ ਇਕ ਜਾਂ ਦੋ ਬੰਦਿਆਂ ਦੀ ਕਮਾਈ ਉੱਪਰ ਹੀ ਗੁਜ਼ਾਰਾ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰ ਇਕ ਘਰ ਦੇ ਕੰਮ ਦਾ ਸਾਰਾ ਬੋਝ ਹਿਣੀ ਦੇ ਉੱਪਰ ਹੀ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਮੈਂਬਰ ਵੱਡੇ-ਵਡੇਰਿਆਂ ਦੇ ਤਜਰਬੇ ਤੋਂ ਫਾਇਦਾ ਨਹੀਂ ਉਠਾ ਸਕਦੇ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦਾ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬੱਚੇ ਦੀ ਸਹੀ ਪਰਵਰਿਸ਼ ਲਈ ਪਰਿਵਾਰ ਦਾ ਛੋਟਾ ਹੋਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਵੱਡੇ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਵਿਚ ਬੱਚੇ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਥੁੜਾਂ ਦਾ ਹੀ ਸ਼ਿਕਾਰ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
ਕਿਸੇ ਦੀਆਂ ਵੀ ਸਾਰੀਆਂ ਲੋੜਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀਆਂ । ਇਸ ਲਈ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀ ਖੁਸ਼ੀ ਲਈ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਾਰਨਾਂ ਕਰਕੇ ਪਰਿਵਾਰ ਛੋਟਾ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
1. ਆਪਸੀ ਪਿਆਰ-ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਆਪਸੀ ਪਿਆਰ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਵਧੇਰੇ ਦੇਖਣ ਨੂੰ ਮਿਲਦੀ ਹੈ।
2. ਆਰਥਿਕ ਵਿਕਾਸ-ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਖ਼ਰਚ ਘੱਟ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਸਭ ਦੀਆਂ ਲੋੜਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਕਰਕੇ ਵੀ ਬੱਚਤ ਹੋ ਸਕਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਪਰਿਵਾਰ ਆਰਥਿਕ ਵਿਕਾਸ ਕਰਦਾ ਹੈ ।
3. ਸਰਬ-ਪੱਖੀ ਵਿਕਾਸ-ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਮਾਂ-ਬਾਪ ਬੱਚਿਆਂ ਵਲ ਵਿਅਕਤੀਗਤ ਧਿਆਨ ਦੇ ਕੇ ਉਹਨਾਂ ਦੀਆਂ ਸਰੀਰਕ, ਮਾਨਸਿਕ ਤੇ ਆਰਥਿਕ ਲੋੜਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਕਰਕੇ ਉਹਨਾਂ ਦਾ ਸਰਬ-ਪੱਖੀ ਵਿਕਾਸ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਨ ।
4. ਬੱਚਿਆਂ ਦਾ ਆਤਮ-ਵਿਸ਼ਵਾਸ-ਬੱਚਿਆਂ ਦੀਆਂ ਲੋੜਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਉਹਨਾਂ ਦਾ ਸਰਬ-ਪੱਖੀ ਵਿਕਾਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਉਹਨਾਂ ਦਾ ਆਤਮ-ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਵੱਧਦਾ ਹੈ !
5. ਆਬਾਦੀ ਵਿਚ ਘੱਟ ਵਾਧਾ-ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਹੋਣ ਨਾਲ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਆਬਾਦੀ ਵਿਚ ਘੱਟ ਵਾਧਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਆਰਥਿਕ ਵਿਕਾਸ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 ਪਰਿਵਾਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਕੀ ਲਾਭ ਹਨ ?
ਉੱਤਰ-
ਇਸ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਦੇ ਉੱਤਰ ਲਈ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਨੰਬਰ 9 ਦਾ ਉੱਤਰ ਵੇਖੋ !

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਫਾਸਲਾ ਕਰਨ ਦਾ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਹੋਣ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਵਧੇਰੇ ਫਾਸਲਾ ਹੋਣਾ ਵੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਕਿਉਂਕਿ ਗਰਭ ਸਮੇਂ ਮਾਂ ਨੂੰ ਚੰਗੇ ਭੋਜਨ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ  ਜੇਕਰ ਭੋਜਨ ਵਿਚ ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ, ਲੋਹਾ, ਪ੍ਰੋਟੀਨ, ਵਿਟਾਮਿਨ ਆਦਿ ਦੀ ਉੱਚਿਤ ਮਾਤਰਾ ਨਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਮਾਂ ਦੀ ਸਿਹਤ ਕਮਜ਼ੋਰ ਪੈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਅਸਰ ਬੱਚੇ ਦੀ ਸਿਹਤ ਉੱਪਰ ਵੀ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਦੂਸਰਾ ਬੱਚਾ ਵੀ ਛੇਤੀ ਹੀ ਆ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਉਸ ਨਾਲ ਮਾਂ ਅਤੇ ਬੱਚੇ ਦੋਹਾਂ ਦੀ ਸਿਹਤ ਉੱਪਰ ਹੋਰ ਵੀ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪਵੇਗਾ । ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਫਾਸਲਾ ਘੱਟ ਹੋਣ ਦੀ ਸੂਰਤ ਵਿਚ ਮਾਂ ਲਈ ਦੋਵਾਂ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਸੰਭਾਲਣਾ ਹੋਰ ਵੀ ਔਖਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਲਈ ਮਾਂ ਬੱਚੇ ਦੀ ਸਿਹਤ ਦਾ ਖ਼ਿਆਲ, ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਸਹੀ ਦੇਖਭਾਲ ਤੇ ਆਰਥਿਕ ਤੱਤਾਂ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਵਿਚ ਰੱਖਦੇ ਹੋਏ ਇਹ ਕਹਿਣਾ ਬਿਲਕੁਲ ਠੀਕ ਹੈ ਦੋ ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚਕਾਰ ਘੱਟੋ ਘੱਟ ਤਿੰਨ ਸਾਲ ਦਾ ਫਾਸਲਾ ਜ਼ਰੂਰ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।

ਨਿਬੰਧਾਤਮਕ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 12.
ਸੰਯੁਕਤ ਤੇ ਇਕਾਈ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਕਰੋ ਅਤੇ ਦੋਨਾਂ ਦੇ ਫਾਇਦੇ ਅਤੇ ਨੁਕਸਾਨ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ –

ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰ ਇਕਾਈ ਪਰਿਵਾਰ
1. ਇਹ ਪਰਿਵਾਰ ਵੱਡਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । 1. ਇਹ ਪਰਿਵਾਰ ਛੋਟਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
2. ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਕਮਾਈ ਸਾਂਝੀ ਦੀ ਜਾਂ ਮਾਂ ਦੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । 2. ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਕਮਾਈ ਸਿਰਫ਼ ਪਿਤਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
3. ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਇਕੱਠੇ ਰਹਿਣ ਵਿਚ ਖ਼ਰਚ ਘੱਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ । 3. ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਮੁੱਢਲੇ ਖ਼ਰਚੇ ਜ਼ਿਆਦਾ ਵਿਚ ਖ਼ਰਚ ਘੱਟ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
4. ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਕੰਮ ਵੰਡਿਆ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਹਿਣੀਆਂ ਨੂੰ ਕੁੱਝ ਵਿਹਲ ਮਿਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । 4. ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਘਰ ਦਾ ਸਾਰਾ ਕੰਮ ਹਿਣੀ ਨੂੰ ਕਰਨਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ।
5. ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਬੱਚੇ ਦਾਦਾ-ਦਾਦੀ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਕੁੱਝ ਸਿੱਖਦੇ ਹਨ । 5. ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਬੱਚੇ ਦਾਦਾ-ਦਾਦੀ ਦੇ ਪਿਆਰ ਤੋਂ ਵਾਂਝੇ ਰਹਿ ਜਾਂਦੇ ਹਨ।
6. ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਆਰਥਿਕ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਸਾਰੇ ਮੈਂਬਰ ਘਰ ਦੇ ਮੁਖੀ ਤੋਂ ਪੈਸੇ ਲੈ ਕੇ ਖ਼ਰਚਦੇ ਹਨ । 6. ਇਸ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਪਤੀ-ਪਤਨੀ ਆਰਥਿਕ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਸੁਤੰਤਰ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ।

ਸੰਯੁਕਤ ਤੇ ਇਕਾਈ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਲਾਭ-ਇਸ ਦੇ ਉੱਤਰ ਲਈ ਪ੍ਰਸ਼ਨ ਨੰ: 7 ਤੇ 8 ਦਾ ਉੱਤਰ ਲਿਖੋ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 13.
(i) ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਫਾਸਲਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਆਰਥਿਕ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲੀ ਆਉਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਤੱਥ ਦੀ ਪੁਸ਼ਟੀ ਕਰੋ ।
ਜਾਂ
ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਫਾਸਲਾ ਕਰਨ ਦਾ ਕੀ ਮਹੱਤਵ ਹੈ ? ਵਿਸਥਾਰ ਨਾਲ ਲਿਖੋ ।
(ii) ਆਰਥਿਕ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲੀ ਲਈ ਛੋਟਾ ਪਰਿਵਾਰ ਅਤੇ ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਫਾਸਲਾ ਹੋਣਾ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ?
(iii) ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿੱਚ ਆਪਸੀ ਪਿਆਰ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵਧਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਦਾ ਸਮੁੱਚੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀ ਸਿਹਤ ‘ਤੇ ਕੀ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਬੱਚਿਆਂ ਦੇ ਜਨਮ ਵਿਚਕਾਰ ਲੋੜੀਂਦਾ ਫਾਸਲਾ ਹੋਣਾ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ | ਮਾਹਿਰਾਂ ਅਨੁਸਾਰ ਇਕ ਬੱਚੇ ਤੇ ਦੁਸਰੇ ਬੱਚੇ ਦੇ ਜਨਮ ਵਿਚ ਘੱਟੋ-ਘੱਟ ਤਿੰਨ ਸਾਲ ਦਾ ਫਾਸਲਾ ਹੋਣਾ ਮਾਂ ਤੇ ਬੱਚੇ ਦੀ ਸਿਹਤ ਤੇ ਘਰ ਦੀ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲੀ ਲਈ ਹੋਰ ਵੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ।
(i) ਬੱਚਿਆਂ ਦੇ ਜਨਮ ਵਿਚ ਫਾਸਲਾ ਕਰਨ ਦਾ ਮਹੱਤਵ-
ਛੋਟਾ ਪਰਿਵਾਰ ਹੋਣ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਵਧੇਰੇ ਫਾਸਲਾ ਹੋਣਾ ਵੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਗਰਭ ਦੇ ਸਮੇਂ ਮਾਂ ਨੂੰ ਚੰਗੇ ਭੋਜਨ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਭੋਜਨ ਵਿਚ ਪ੍ਰੋਟੀਨ, ਕੈਲਸ਼ੀਅਮ ਅਤੇ ਲੋਹੇ ਦੀ ਉੱਚਿਤ ਮਾਤਰਾ ਨਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਬੱਚਾ ਮਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਤੋਂ ਹੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਦਾਰਥਾਂ ਨੂੰ ਹਾਸਲ ਕਰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਮਾਂ ਵਿਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਘਾਟ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਜੇਕਰ ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਫਾਸਲਾ ਘੱਟ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਮਾਂ ਵਿਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੱਤਾਂ ਦੀ ਘਾਟ ਪੂਰੀ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦੀ ਅਤੇ ਉਹ ਬਹੁਤ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਬੱਚੇ ‘ਤੇ ਵੀ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਉੱਤੋਂ ਥਲੀ ਦੋ ਬੱਚੇ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਜਨਮ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਵੀ ਮਾਂ ਬੱਚੇ ਵਲ ਪੂਰਾ ਸਮਾਂ ਅਤੇ ਧਿਆਨ ਨਹੀਂ ਦੇ ਸਕਦੀ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਠੀਕ ਦੇਖ-ਭਾਲ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ ।

ਇਸ ਲਈ ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਫਾਸਲਾ ਕਰਨ ਦਾ ਮਹੱਤਵ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ –

  • ਲਿੰਗ ਸੰਬੰਧੀ ਸੰਤੁਸ਼ਟੀ-ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਮਾਂ-ਬਾਪ ਦੀ ਮਾਨਸਿਕ ਸ਼ਾਂਤੀ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ਜਿਸ ਦਾ ਕਾਫ਼ੀ ਸੰਬੰਧ ਲਿੰਗ ਭਾਵਨਾ ਦੀ ਸੰਤੁਸ਼ਟੀ ਨਾਲ ਜੁੜਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ । ਵਧੇਰੇ ਬੱਚਿਆਂ ਦਾ ਭਾਰ ਮਾਂ-ਬਾਪ ਨੂੰ ਬੱਚਿਆਂ ਨਾਲ ਹੀ ਉਲਝਾਈ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਆਪਣੀ ਲਿੰਗ ਭੁੱਖ ਦੀ ਪੂਰਤੀ ਠੀਕ ਢੰਗ ਨਾਲ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦੀ । ਉਹ ਚਿੜਚਿੜੇ ਜਿਹੇ ਬਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ।
  • ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਸਹੀ ਦੇਖਭਾਲ-ਜੇ ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਫਾਸਲਾ ਹੋਵੇਗਾ ਤਾਂ ਉਹਨਾਂ ਦਾ ਪਾਲਣ-ਪੋਸ਼ਣ ਸਹੀ ਢੰਗ ਨਾਲ ਹੋ ਸਕੇਗਾ ਅਤੇ ਉਹ ਹਰ ਪੱਖੋਂ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋਣਗੇ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਸਿਹਤ ਵੀ ਚੰਗੀ ਹੋਵੇਗੀ ।
  • ਆਰਥਿਕ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲ-ਫਾਸਲੇ ਨਾਲ ਬੱਚੇ ਹੋਣ ਸਮੇਂ ਆਰਥਿਕ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਘੱਟ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਫ਼ਾਸਲੇ ਦੌਰਾਨ ਬਚਾਇਆ ਪੈਸਾ ਅਗਲੇ ਬੱਚੇ ਲਈ ਵਰਤਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਕੁੱਝ ਪੈਸਾ ਘਰ ਦੀ ਖੁਸ਼ਹਾਲੀ ਲਈ ਵੀ ਵਰਤਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ।
  • ਮਨੋਰੰਜਨ ਦੀ ਪੂਰਤੀ-ਖੇਡ ਬੱਚਿਆਂ ਲਈ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਜੇ ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਫਾਸਲਾ ਹੋਵੇਗਾ ਤਾਂ ਮਾਂ-ਬਾਪ ਉਹਨਾਂ ਨਾਲ ਮਨੋਰੰਜਨ ਕਰ ਸਕਣਗੇ । ਉਹਨਾਂ ਨਾਲ ਥੋੜ੍ਹਾ ਬਹੁਤ ਖੇਡ ਸਕਣਗੇ, ਟੀ. ਵੀ. ਦੇਖ ਸਕਣਗੇ ਜਾਂ ਪਾਰਕ ਵਗੈਰਾ ਵੀ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੋਵਾਂ ਦਾ ਹੀ ਮਨੋਰੰਜਨ ਹੋਵੇਗਾ ।
  • ਮਾਂ-ਬਾਪ ਲਈ ਵਧੇਰੇ ਸਮਾਂ-ਉੱਤੋਂ ਥਲੀ ਬੱਚੇ ਹੋਣ ਨਾਲ ਮਾਂ-ਬਾਪ ਬੱਚਿਆਂ ਨਾਲ ਹੀ ਉਲਝੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ਪਰ ਜੇ ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਫ਼ਾਸਲਾ ਹੋਵੇਗਾ ਤਾਂ ਮਾਂ-ਬਾਪ ਕੋਲ ਵੀ ਹੋਰ ਰੁਝੇਵਿਆਂ ਲਈ ਸਮਾਂ ਮਿਲ ਸਕੇਗਾ ।
  • ਮੌਤ ਦਰ ਵਿਚ ਘਾਟਾ-ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਫਾਸਲਾ ਰੱਖਣ ਨਾਲ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਦੇਖਭਾਲ ਚੰਗੀ ਹੋਵੇਗੀ ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਸਿਹਤ ਵੀ ਚੰਗੀ ਹੋਵੇਗੀ ਤੇ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਮੌਤ ਦਰ ਵਿਚ ਕਮੀ ਆਵੇਗੀ । ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਹਰ ਇਸਤਰੀ, ਪੁਰਸ਼ ਆਪਣੇ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਸਿੱਖਿਆ ਅਤੇ ਵਿਕਾਸ ਦੇ ਮੌਕੇ ਦੇਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਪਰਿਵਾਰ ਨਿਯੋਜਿਤ ਕਰਨਾ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ।

(ii) ਛੋਟਾ ਪਰਿਵਾਰ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲੀ –
ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਮਹਿੰਗਾਈ ਦੇ ਜ਼ਮਾਨੇ ਵਿਚ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀ ਆਰਥਿਕ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲੀ ਦਾ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਸਾਈਜ਼ ਨਾਲ ਸਿੱਧਾ ਸੰਬੰਧ ਹੈ | ਘਰ ਦੀਆਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਛੋਟਾ ਹੋਣ ਨਾਲ ਹੀ ਹੱਲ ਹੋ ਸਕਦੀਆਂ ਹਨ । ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਸਹੀ ਸਾਂਭ-ਸੰਭਾਲ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਪਰਿਵਾਰ ਛੋਟਾ ਹੋਵੇ । ਕਿਸੇ ਕੋਲ ਇੰਨਾ ਸਮਾਂ ਅਤੇ ਪੈਸਾ ਨਹੀਂ ਕਿ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਸਾਂਭ-ਸੰਭਾਲ ਕਰ ਸਕੇ । ਉਂਝ ਵੀ ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਹਰ ਵਸਤੂ ਦੀ ਥੁੜ੍ਹ ਹੁੰਦੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਵਰਗੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਤਾਂ | ਵੱਡੇ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਦੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਜਿੱਥੇ ਹਜ਼ਾਰਾਂ ਸਮੱਸਿਆਵਾਂ ਕੇਵਲ ਅਬਾਦੀ ਦੇ ਵਾਧੇ ਨਾਲ ਹੀ | ਜੁੜੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਲਈ ਬੱਚਿਆਂ ਦੇ ਸਰਬ-ਪੱਖੀ ਵਿਕਾਸ ਲਈ ਪਰਿਵਾਰ ਛੋਟੇ ਤੋਂ ਛੋਟਾ ਹੋਵੇ ਤਾਂ ਜੋ | ਬੱਚੇ ਸਹੀ ਢੰਗ ਨਾਲ ਪਲ ਕੇ ਵੱਡੇ ਹੋਣ ਅਤੇ ਠੀਕ ਜੀਵਨ ਬਿਤਾ ਸਕਣ ਵੱਡੇ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਵਿਚ ਜ਼ਿਆਦਾ ਬੱਚੇ ਦਾ ਭੁੱਖ-ਨੰਗ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੀ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ । ਇਸੇ ਲਈ ਸਾਡੀ ਸਰਕਾਰ | ਅਤੇ ਸਮਾਜ ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦਾ ਨਾਅਰਾ ਲਾ ਰਹੀ ਹੈ।

ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਕਾਰਨਾਂ ਕਰਕੇ ਪਰਿਵਾਰ ਛੋਟਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ –

ਆਪਸੀ ਪਿਆਰ-ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਆਪਸੀ ਪ੍ਰੇਮ ਭਾਵਨਾ ਵਧੇਰੇ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ | ਥੋੜੇ ਬੱਚੇ ਰਲ ਕੇ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਪਾਸ ਬੈਠ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇੱਕ-ਦੂਜੇ ਦਾ ਪਿਆਰ | ਅਤੇ ਸਤਿਕਾਰ ਲੈ ਸਕਦੇ ਹਨ ।

ਆਰਥਿਕ ਵਿਕਾਸ-ਬੱਚੇ ਘੱਟ ਹੋਣ ਨਾਲ ਉਹਨਾਂ ਦੀਆਂ ਲਗਪਗ ਸਾਰੀਆਂ ਲੋੜਾਂ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਪੂਰੀਆਂ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ । ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਰ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਖ਼ਰਚ ਕੀਤਾ ਜਾ | ਸਕਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਕੁੱਝ ਪੈਸੇ ਬਚਾਏ ਵੀ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ।

ਸਰਬ-ਪੱਖੀ ਵਿਕਾਸ -ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਮਾਂ-ਬਾਪ ਹਰ ਬੱਚੇ ਵੱਲ ਵਿਅਕਤੀਗਤ ਧਿਆਨ ਦੇ ਕੇ ਉਹਨਾਂ ਦੀਆਂ ਸਰੀਰਕ, ਮਾਨਸਿਕ, ਆਰਥਿਕ ਤੇ|  ਅਧਿਆਤਮਿਕ ਲੋੜਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਕਰਕੇ ਉਹਨਾਂ ਦਾ ਸਰਬ-ਪੱਖੀ ਵਿਕਾਸ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਨ । ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਅਤੇ ਉੱਚ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੱਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ । ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਦਾਖਲਾ ਲੈਣ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਨੌਕਰੀ ਲਗਾਉਣ ਤਕ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਹਿਲ ਪ੍ਰਕਾਬਲਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਲਈ ਜ਼ਿਆਦਾ ਧਿਆਨ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਜਿਹੜਾ ਕਿ ਵੱਡੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਾਲੇ ਘਰ ਵਿਚ ਮਾਂ ਨਹੀਂ ਦੇ ਸਕਦੀ |

ਕਰਨ ਉਪਰੰਤ ਕੁੱਝ ਪੈਸੇ ਬਚਾਏ ਜਾ ਸਕਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਨਾਲ ਬਜ਼ਾਰ ਵਿਚ ਜੋ ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਮਿਲਦੀਆਂ ਹਨ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਹਾਸਲ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਵੱਡੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀਆਂ ਮੁੱਢਲੀਆਂ ਲੋੜਾਂ ‘ਤੇ ਹੀ ਇੰਨਾ ਖ਼ਰਚ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਦੁਸਰੇ ਖ਼ਰਚ-ਫਜ਼ਲ ਲੱਗਦੇ ਹਨ ! ਟੀ. ਵੀ., ਕੰਪਿਊਟਰ ਆਦਿ ਸਿਰਫ਼ਮਨੋਰੰਜਨ ਦਾ ਹੀ ਸਾਧਨ ਨਹੀਂ, ਸਗੋਂ ਬੱਚਿਆਂ ਦਾ ਮਾਨਸਿਕ ਪੱਧਰ ਵੀ ਉੱਚਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ।

ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀਆਂ ਵਿਚ ਕਮੀ-ਪੁਰਾਣੇ ਜ਼ਮਾਨੇ ਵਿਚ ਜਦੋਂ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੁੰਦੀ ਸੀ ਤਾਂ ਮਾਂਵਾਂ ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਰਸੋਈ ਵਿਚ ਰੋਟੀ ਆਦਿ ਪਕਾਉਣ ਤੋਂ ਹੀ ਵਿਹਲੀਆਂ ਨਹੀਂ ਸਨ ਹੁੰਦੀਆਂ । ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਨਾਲ ਮਾਂ-ਬਾਪ ਦੀਆਂ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀਆਂ ਦੀ ਸਿਰਦਰਦੀ ਕਾਫ਼ੀ ਘੱਟ ਹੁੰਦੀ ਹੈ।

ਸਮੁੱਚੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀ ਸਿਹਤ-ਘੱਟ ਬੱਚਿਆਂ ਨਾਲ ਜਿੱਥੇ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਸਿਹਤ ‘ਤੇ ਧਿਆਨ ਦਿੱਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਉੱਥੇ ਮਾਂ-ਬਾਪ ਦੀ ਸਿਹਤ ਵੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਠੀਕ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ । ਉਹ ਬੱਚਿਆਂ ਵਲ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਵਧੇਰੇ ਸਮਾਂ ਧਿਆਨ ਰੱਖ ਸਕਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਦੀਆਂ ਲੋੜਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਨ ।

ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਆਤਮ-ਵਿਸ਼ਵਾਸ-ਜਿਹੜੇ ਬੱਚੇ ਥੁੜਾਂ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ, ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਫਟੇ-ਪੁਰਾਣੇ ਜਾਂ ਪੁਰਾਣੇ ਫੈਸ਼ਨ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਪਾ ਕੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਉਹਨਾਂ ਵਿਚ ਕਈ ਵਾਰ ਹੀਣਤਾ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ । ਜਿਸ ਦਾ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ’ਤੇ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ । ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਆਤਮ-ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ਕਿ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਪੂਰੀਆਂ ਸਹੂਲਤਾਂ ਮਿਲਣ ਜੋ ਕਿ ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਹੀ ਸੰਭਵ ਹਨ ।

ਦੇਸ਼ ਦੀ ਆਬਾਦੀ ਨੂੰ ਠੀਕ ਰੱਖਣਾ-ਭਾਰਤ ਦੀ ਆਬਾਦੀ ਸੌ ਕਰੋੜ ਤੋਂ ਵੀ ਵੱਧ ਗਈ ਹੈ । ਇਸ ਦਾ ਜ਼ਿਆਦਾ ਲੋਕਾਂ ‘ਤੇ ਭੈੜਾ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ।
ਨੌਕਰੀਆਂ ਘੱਟ ਅਤੇ ਨੌਕਰੀਆਂ ਲੈਣ ਵਾਲਿਆਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਵਧੇਰੇ ਹੋਣ ਕਾਰਨ, ਸਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਨੌਕਰੀ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦੀ ਜਾਂ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਕਾਬਲੀਅਤ ਦੇ ਮੁਤਾਬਿਕ ਛੋਟੀ ਨੌਕਰੀ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਅਰਾਜਕਤਾ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਕਈ ਬੱਚੇ ਨਸ਼ਾ ਕਰਨ ਲੱਗ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜਾਂ ਆਤਮ-ਹੱਤਿਆ ਕਰਨ ਦੀ ਵੀ ਸੋਚਦੇ ਹਨ ।

ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਹਰੇਕ ਬੱਚੇ ‘ਤੇ ਵਿਅਕਤੀਗਤ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਧਿਆਨ ਦਿੱਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਜਾਵੇ । ਇਸ ਦਾ ਇਹ ਵੀ ਫਾਇਦਾ ਹੈ ਕਿ ਪਤੀ-ਪਤਨੀ ਨੂੰ ਇਕ-ਦੂਸਰੇ ਨੂੰ ਸਮਝਣ ਦਾ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸਮਾਂ ਮਿਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਆਰਥਿਕ ਸਥਿਤੀ ਵੀ ਸੁਧਰ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ।
(ii) ਦੇਖੋ ਭਾਗ (i)
(iii) ਦੇਖੋ ਭਾਗ (1)

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 ਪਰਿਵਾਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 14.
ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਫਾਸਲਾ ਕਰਨ ਦੇ ਮਹੱਤਵ ਨੂੰ ਸਮਝਣ ਨਾਲ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਮੌਤ ਦਰ ਵਿਚ ਘਾਟਾ ਆਇਆ ਹੈ । ਇਸ ਤੱਥ ਦੀ ਪੁਸ਼ਟੀ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਇਕ ਬੱਚੇ ਤੇ ਦੂਜੇ ਬੱਚੇ ਦੇ ਜਨਮ ਵਿਚਕਾਰ ਲੋੜੀਂਦਾ ਫਾਸਲਾ ਹੋਣਾ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ | ਮਾਹਿਰਾਂ ਅਨੁਸਾਰ ਇਕ ਬੱਚੇ ਦੇ ਜਨਮ ਤੇ ਦੁਸਰੇ ਬੱਚੇ ਦੇ ਜਨਮ ‘ਚ ਘੱਟੋਘੱਟ ਤਿੰਨ ਸਾਲ ਦਾ ਫਾਸਲਾ ਹੋਣਾ ਮਾਂ ਤੇ ਬੱਚੇ ਦੀ ਸਿਹਤ ਤੇ ਘਰ ਦੀ ਖੁਸ਼ਹਾਲੀ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ । ਅੱਜ ਤੋਂ 25-30 ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਤਕ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਤੇ ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚਕਾਰ ਫਾਸਲੇ ਦਾ ਮਹੱਤਵ ਨਹੀਂ ਸੀ ਪਤਾ | ਪਰ ਵਿੱਦਿਆ ਦਾ ਪ੍ਰਸਾਰ ਹੋਣ ਨਾਲ ਲੋਕ ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਤੇ ਬੱਚਿਆਂ ਦੇ ਜਨਮ ਵਿਚਕਾਰ ਫਾਸਲੇ ਨੂੰ ਸਮਝਣ ਲੱਗੇ ਹਨ ।

ਬੱਚਿਆਂ ਦੇ ਜਨਮ ਦੇ ਠੀਕ ਫਾਸਲੇ ਦਾ ਸਿਹਤ ਪੱਖ ਤੋਂ ਮਾਂ ਤੇ ਬੱਚੇ ਦੋਹਾਂ ਨੂੰ ਫਾਇਦਾ ਹੈ । ਗਰਭ ਅਵਸਥਾ ਵਿਚ ਮਾਂ ਨੂੰ ਸੰਤੁਲਿਤ ਭੋਜਨ ਦੀ ਲੋੜ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਜੇਕਰ ਉਸ ਸਮੇਂ ਮਾਂ ਨੂੰ ਬੱਚਾ ਚੁੰਘ ਰਿਹਾ ਹੈ ਤਾਂ ਇਕ ਸਮੇਂ ਦੋਹਾਂ | ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਮਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਤੋਂ ਪੌਸ਼ਟਿਕ ਖ਼ੁਰਾਕ ਨਹੀਂ ਮਿਲ ਸਕਦੀ । ਇਸ ਨਾਲ ਮਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ
ਵਿਚ ਖਣਿਜ ਤੇ ਵਿਟਾਮਿਨ ਘੱਟ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਮਾਂ ਦਾ ਸਰੀਰ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ । ਇਸ ਨਾਲ ਗਰਭ ਵਿਚਲੇ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਤੇ ਦੁੱਧ ਚੁੰਘ ਰਹੇ ਬੱਚੇ ਨੂੰ ਸੰਤੁਲਿਤ ਭੋਜਨ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦਾ | ਤੇ ਦੋਵੇਂ ਬੱਚੇ ਤੇ ਮਾਂ ਕਮਜ਼ੋਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ । ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਕਿਸੇ ਗੰਭੀਰ ਬਿਮਾਰੀ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੋ ਸਕਦੇ ਹਨ | ਪੁਰਾਣੇ ਸਮੇਂ ‘ਚ ਜਦੋਂ ਬੱਚੇ ਜ਼ਿਆਦਾ ਗਿਣਤੀ ਵਿਚ ਹੁੰਦੇ ਸਨ ਤੇ ਉਹਨਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਫਾਸਲਾ ਘੱਟ ਹੁੰਦਾ ਸੀ ਤਾਂ ਜੱਚਾ-ਬੱਚਾ ਦੋਹਾਂ ਦੀ ਮੌਤ ਦਰ ਵੱਧ ਸੀ । ਪਰ ਅੱਜ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਤੇ ਬੱਚਿਆਂ ਦੇ ਜਨਮ ਵਿਚਕਾਰ ਫਾਸਲੇ ਦੇ ਮਹੱਤਵ ਦਾ ਪਤਾ ਲੱਗ ਚੁੱਕਾ ਹੈ । ਸਿੱਖਿਆ ਕਾਰਨ ਗਰਭਵਤੀ ਮਾਂ ਦੀ ਖ਼ੁਰਾਕ ਵੱਲ ਵੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਧਿਆਨ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਠੀਕ ਫਾਸਲਾ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਜੱਚਾ-ਬੱਚਾ ਦੋਹਾਂ ਦੀ ਸਿਹਤ ਠੀਕ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ । ਇਸ ਕਾਰਨ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਮੌਤ ਦਰ ਵਿਚ ਕਾਫ਼ੀ ਘਾਟਾ ਆਇਆ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 15.
(A) ਆਰਥਿਕ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲੀ ਲਈ ਛੋਟਾ ਪਰਿਵਾਰ ਅਤੇ ਬੱਚਿਆਂ ਵਿਚ ਫਾਸਲਾ ਹੋਣਾ ਕਿਉਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ? .
(B) ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦਾ ਪੂਰੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀ ਸਿਹਤ ‘ਤੇ ਕੀ ਅਸਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਆਬਾਦੀ ਨੂੰ ਕਿਵੇਂ ਠੀਕ ਰੱਖਦਾ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਖ਼ੁਦ ਉੱਤਰ ਦਿਓ ।

Home Science Guide for Class 10 PSEB ਪਰਿਵਾਰ Important Questions and Answers

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਸੰਯੁਕਤ ਅਤੇ ਇਕਾਈ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀਆਂ ਖ਼ਾਸ ਗੱਲਾਂ ਦਾ ਵਿਸਥਾਰ ਵਿਚ ਵਰਣਨ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪਰਿਵਾਰ ਸੰਬੰਧੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਗੱਲਾਂ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-

  • ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਇਸਤਰੀ, ਪੁਰਖ ਅਤੇ ਬੱਚੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ । ਇਸਤਰੀ, ਪੁਰਸ਼ ਦੇ ਵਿਚ ਇਕ ਸਥਿਰ ਸੰਬੰਧ ਸ਼ਾਦੀ ਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  • ਸ਼ਾਦੀ ਇਕ ਪਵਿੱਤਰ ਸੰਬੰਧ ਹੈ । ਪਤੀ-ਪਤਨੀ ਦੇ ਸੰਬੰਧ ਵਧੀਆ ਹੋਣ ਨਾਲ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਸੁਖ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ । ਜੇ ਸ਼ਾਦੀ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਟੁੱਟ ਜਾਵੇ ਤਾਂ ਪਰਿਵਾਰ ਵੀ ਬਿਖਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
  • ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਵਿਚ ਖੂਨ ਦਾ ਰਿਸ਼ਤਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  • ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਮੈਂਬਰ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਰਹਿੰਦੇ ਹੋਣ ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਪਰਿਵਾਰ ਨਹੀਂ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ । ਕੁੱਝ ਸਮੇਂ ਦੇ ਲਈ ਉਹ ਵੱਖ ਰਹਿ ਸਕਦੇ ਹਨ ਪਰ ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਸਾਰੇ ਇਕ ਹੀ ਘਰ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  • ਹਰ ਪਰਿਵਾਰ ਦਾ ਆਪਣਾ ਨਾਂ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਉਹ ਦੂਸਰੇ ਪਰਿਵਾਰ ਤੋਂ ਵੱਖ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀਆਂ ਖ਼ਾਸ ਗੱਲਾਂ ਦੱਸੋ !
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿੱਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦਾ ਮਹੱਤਵ ਵਿਸਥਾਰ ਵਿੱਚ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
ਬੱਚਿਆਂ ਵਿੱਚ ਫਾਸਲਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਸਹੀ ਦੇਖਭਾਲ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਤੌਰ `ਤੇ ਖੁਸ਼ਹਾਲੀ ਕਿਵੇਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 6.
ਬੱਚਿਆਂ ਵਿੱਚ ਫਾਸਲਾ ਕਰਨ ਨਾਲ ਆਰਥਿਕ ਤੌਰ ਤੇ ਖੁਸ਼ਹਾਲੀ ਅਤੇ ਲਿੰਗਾਂ ਸੰਬੰਧੀ ਸੰਤੁਸ਼ਟੀ ਕਿਵੇਂ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ?
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 ਪਰਿਵਾਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 7.
ਸੰਯੁਕਤ ਅਤੇ ਇਕਾਈ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਨੁਕਸਾਨ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ।
ਇਕਾਈ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਨੁਕਸਾਨ

  1. ਸਾਰੇ ਘਰ ਦਾ ਬੋਝ ਇਸਤਰੀ ਤੇ ਅਤੇ ਬਾਹਰ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਦਾ ਬੋਝ ਪੁਰਸ਼ ਤੇ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਕੰਮ ਵੰਡਾਇਆ ਨਹੀਂ ਜਾ ਸਕਦਾ ।
  2. ਬੱਚਿਆਂ ਕੋਲ ਭਾਵਨਾਤਮਿਕ ਸੰਤੁਸ਼ਟੀ ਲਈ ਸਿਰਫ਼ ਮਾਂ-ਬਾਪ ਹੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  3. ਮੈਂਬਰਾਂ ਦੀਆਂ ਸਭ ਲੋੜਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਤੇ ਬਾਹਰਲੇ ਸੋਮਿਆਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਲੈਣੀ ਪੈਂਦੀ ਹੈ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 8.
ਇਕਾਈ (ਇਕਾਂਗੀ) ਪਰਿਵਾਰ ਦੀ ਕੀ ਹਾਨੀ ਹੈ ? ਪੂਰੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 9.
ਸੰਯੁਕਤ ਅਤੇ ਇਕਾਂਗੀ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਕਰੋ ।
मां
ਸੰਯੁਕਤ ਅਤੇ ਇਕਾਈ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀ ਤੁਲਨਾ ਕਰੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 10.
ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀ ਕੀ ਮਹੱਤਤਾ ਹੈ ? ਵਿਸਤਾਰ ਨਾਲ ਦੱਸੋ ।
ਉੱਤਰ-
ਦੇਖੋ ਉਪਰੋਕਤ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 11.
ਇਕਾਈ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀਆਂ ਕੀ ਹਾਨੀਆਂ ਹਨ ? ਪੂਰੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿਓ ।
ਉੱਤਰ-
ਖੁਦ ਉੱਤਰ ਦਿਓ ।

I. ਖ਼ਾਲੀ ਸਥਾਨ ਭਰੋ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਪਰਿਵਾਰ ਸਮਾਜ ਦੀ …….. ਇਕਾਈ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਮੁੱਢਲੀ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਪਰਿਵਾਰ …….. ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ !
ਉੱਤਰ-
ਦੋ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
…….. ਇੱਕ ਛੋਟਾ ਪਰਿਵਾਰ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਇਕਾਈ,

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 4.
ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ …….. ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਘਟਦੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਸੰਯੁਕਤ,

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 ਪਰਿਵਾਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 5.
………….. ਪਰਿਵਾਰ ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਅਲੋਪ ਹੁੰਦੇ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ ।
ਉੱਤਰ-
ਸੰਯੁਕਤ ॥

II. ਠੀਕ / ਗ਼ਲਤ ਦੱਸੋ

1. ਪਰਿਵਾਰ ਸਮਾਜ ਦੀ ਮੁੱਢਲੀ ਇਕਾਈ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ,

2. ਇਕਾਈ ਪਰਿਵਾਰ ਛੋਟਾ ਪਰਿਵਾਰ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ,

3. ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਦੀ ਸੰਖਿਆ ਘਟਦੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ,

4. ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਕਈ ਵਾਰ ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਸ਼ਖ਼ਸੀਅਤ ਦਾ ਵਿਕਾਸ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।
ਉੱਤਰ-
ਠੀਕ ।

III. ਬਹੁਵਿਕਲਪੀ ਪ੍ਰਸ਼ਨ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 1.
ਆਮ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀਆਂ ………… ਕਿਸਮਾਂ ਹਨ ।
(ਉ) ਦੋ
(ਅ) ਚਾਰ
(ਈ) ਪੰਜ
(ਸ) ਛੇ ।
ਉੱਤਰ-
(ਉ) ਦੋ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 2.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਤੱਥਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਠੀਕ ਹੈ
(ਉ) ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਵਿਚ ਖੂਨ ਦਾ ਰਿਸ਼ਤਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
(ਅ) ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਕਮਾਈ ਨੂੰ ਸਾਂਝੀ ਕਮਾਈ ਵਿਚ ਪਾ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ।
(ਈ) ਬੱਚੇ ਦੀ ਸਹੀ ਪਰਵਰਿਸ਼ ਲਈ ਪਰਿਵਾਰ ਦਾ ਛੋਟਾ ਹੋਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ।
(ਸ) ਸਾਰੇ ਠੀਕ ॥
ਉੱਤਰ-
(ਸ) ਸਾਰੇ ਠੀਕ ॥

ਪ੍ਰਸ਼ਨ 3.
ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਤੱਥਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਹੜਾ ਗ਼ਲਤ ਹੈ
(ਉ) ਪਰਿਵਾਰ ਦੀ ਸੰਸਥਾ ਦਾ ਸਮਾਜ ਨਾਲ ਕੋਈ ਸੰਬੰਧ ਨਹੀਂ ਹੈ ।
(ਅ) ਛੋਟਾ ਪਰਿਵਾਰ ਖੁਸ਼ਹਾਲ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ।
(ਇ) ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਆਰਥਿਕ ਆਜ਼ਾਦੀ ਬਹੁਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
(ਸ) ਸਾਰੇ ਗ਼ਲਤ ।
ਉੱਤਰ-
(ਸ) ਸਾਰੇ ਗ਼ਲਤ ।

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ਪਰਿਵਾਰ PSEB 10th Class Home Science Notes

ਪਾਠ ਇਕ ਨਜ਼ਰ ਵਿਚ

  1. ਪਰਿਵਾਰ ਸਮਾਜ ਦੀ ਮੁੱਢਲੀ ਇਕਾਈ ਹੈ ।
  2. ਪਰਿਵਾਰ ਰਾਹੀਂ ਹੀ ਮਨੁੱਖ ਸਮਾਜ ਨਾਲ ਜੁੜਦਾ ਹੈ ।
  3. ਪਰਿਵਾਰ ਦੋ ਕਿਸਮ ਦੇ, ਸੰਯੁਕਤ ਤੇ ਇਕਾਈ ਪਰਿਵਾਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ।
  4. ਇਕਾਈ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਬੱਚੇ ਆਪਣੇ ਮਾਂ-ਬਾਪ ਨਾਲ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ।
  5. ਇਹਨਾਂ ਦੋਨਾਂ ਕਿਸਮਾਂ ਦੇ ਫਾਇਦੇ ਤੇ ਨੁਕਸਾਨ ਵੀ ਹਨ ।
  6. ਬੱਚਿਆਂ ਦੀ ਉਮਰ ਵਿਚ ਫਾਸਲਾ ਘੱਟੋ-ਘੱਟ ਤਿੰਨ ਸਾਲ ਦਾ ਜ਼ਰੂਰ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ।
  7. ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਖੁਸ਼ਹਾਲੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  8. ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਵਿਚ ਆਪਸੀ ਪਿਆਰ ਵੱਧ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ।
  9. ਸੰਯੁਕਤ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਵਿਚ ਸੁਰੱਖਿਆ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਵੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ।
  10. ਦੇਸ਼ ਦੀ ਜਨਸੰਖਿਆ ਘਟਾਉਣ ਲਈ ਛੋਟੇ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਦਾ ਹੋਣਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ ।