PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 8 कृषि आधारित औद्योगिक धंधे

Punjab State Board PSEB 10th Class Agriculture Book Solutions Chapter 8 कृषि आधारित औद्योगिक धंधे Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Agriculture Chapter 8 कृषि आधारित औद्योगिक धंधे

PSEB 10th Class Agriculture Guide कृषि आधारित औद्योगिक धंधे Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के एक – दो शब्दों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
घरेलू स्तर पर कौन-सी फसलों को सुखाकर पाऊडर बनाया जा सकता है ?
उत्तर-
हल्दी, मिर्च आदि।

प्रश्न 2.
कृषि पर आधारित कामों के लिए कहां से प्रशिक्षण लिया जा सकता है?
उत्तर-
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना।

प्रस्न 3.
एग्रो प्रोसेसिंग कंपलैक्स में लगने वाली कोई दो (चार) मशीनों के नाम लिखिए।
उत्तर-
मिनी चावल मिल, छोटी आटा चक्की, ग्राईंडर, पेंजा, कोहलू।

प्रश्न 4.
मैंथा का तेल कौन-सी चीज़ों में प्रयुक्त होता है?
अथवा
मैंथे का तेल क्या-क्या काम आता है?
उत्तर-
दवाइयां, सेंट, शृंगार का सामान आदि में।

प्रश्न 5.
एक क्विटल गन्ना पेर कर कितना गुड़ तैयार किया जा सकता है?
उत्तर-
10-12 किलो ग्राम।

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प्रश्न 6.
दानों में कटाई के बाद कितना नुकसान होता है ?
उत्तर-
10%.

प्रश्न 7.
विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ और क्या करना चाहिए ? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर-
किसी औद्योगिक धंधे सम्बन्धी सामर्थ्य विकसित करनी चाहिए।

प्रश्न 8.
कोई भी व्यापार करने से पहले किस चीज़ की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
प्राथमिक प्रशिक्षण की।

प्रश्न 9.
प्रोसेसिंग के दौरान 100 किलो ग्राम कच्ची हल्दी से कितना पाऊडर तैयार किया जा सकता है?
अथवा
100 किलो कच्ची हल्दी में से प्रोसेसिंग के दौरान कितना हल्दी पाऊडर तैयार किया जा सकता है?
उत्तर-
15-20 कि० ग्रा० ।

प्रश्न 10.
मैंथा प्रोसेसिंग के दौरान तेल तथा पानी को कैसे अलग किया जाता है?
उत्तर-
सैपरेटर की सहायता से।

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(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के एक – दो वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
सहकारी स्तर पर किस तरह की खेती आधारित कारखाने लगाए जा सकते हैं ?
उत्तर-
फलों तथा सब्जियों की प्रोसेसिंग के लिए डीहाईड्रेशन प्लांट तथा फ्रीजिंग प्लांट आदि लगाने के लिए बहुत खर्चा (लगभग 30 लाख रुपए) होता है। इसलिए ऐसे कारखाने सहकारी स्तर पर लगाए जा सकते हैं।

प्रश्न 2.
कौन-से प्रमुख साधनों की कमी के कारण हमारे देश में अनाज का नुकसान हो रहा है?
उत्तर-
हमारे देश में भंडारण तथा प्रोसेसिंग के बढ़िया साधनों की कमी के कारण कटाई के बाद अनाज की हानि हो रही है।

प्रश्न 3.
अनाज के हो रहे नुकसान को रोकने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर-
अनाज के हो रहे नुकसान को रोकने के लिए कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग करनी चाहिए।

प्रश्न 4.
कृषि पर आधारित व्यापार किस तरह किसानों की आमदन बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं?
उत्तर-
कृषि उत्पादों की छोटे स्तर पर प्रोसेसिंग कर के बेचने से किसान अधिक आमदन कमा सकता है तथा कृषि आधारित व्यापार; जैसे मुर्गी पालन, डेयरी का धंधा आदि की छोटे स्तर पर एग्रो प्रोसेसिंग करके भी आय प्राप्त की जा सकती है।

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प्रश्न 5.
मैंथे की प्रोसेसिंग कैसे की जाती है?
उत्तर-
मैंथे की फसल में से तेल निकालने के लिए मैंथे प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जा सकता है।
मैंथे की फसल को खुले में सुखाया जाता है ताकि नमी की मात्रा कम की जा सके। फिर इन को हवा बंद टैंकों में डाल कर अंदर दबाव द्वारा भाप भेजी जाती है। गर्म होने पर तेल भाप में मिल जाता है। तेल तथा भाप के कणों को एक दम ठंडा किया जाता है। पानी तथा तेल के मिश्रण को टैंक में इकट्ठा किया जाता है। इस टैंक को सैपरेटर कहा जाता है। तेल, पानी से हल्का होने के कारण ऊपर तैरता है। इसको ऊपर से नितार लिया जाता है तथा प्लास्टिक के बर्तनों में बंद कर लिया जाता है।

प्रश्न 6.
हल्दी की प्रोसेसिंग के लिए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से विकसित की गई मशीन के बारे में लिखिए।
उत्तर-
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा हल्दी को धोने तथा पालिश करने के लिए मशीन तैयार की गई है। इस मशीन में एक घण्टे में 2.5-3.0 क्विटल हल्दी को धो सकते हैं तथा बाद में पालिश भी कर सकते हैं।

प्रश्न 7.
गुड़ की प्रोसेसिंग में बुनियादी तकनीकी काम कौन-से होते हैं ?
उत्तर-
बेलना नामक मशीन द्वारा गन्ने का रस निकाला जाता है तथा जो रस प्राप्त होता है उसको गर्म करके सघन किया जाता है तथा गुड़ बनाया जाता है।

प्रश्न 8.
एग्रो प्रोसेसिंग कम्पलैक्स में लगाई जाने वाली किन्हीं तीन मशीनों के नाम तथा उनके काम के बारे में बताइए।
उत्तर-
फल सब्जियां धोने वाली मशीन, डीहाइड्रेटर, स्लाइसर मशीनों का प्रयोग क्रमश: फलों सब्जियों को धोने के लिए, नमी सुखाने के लिए तथा स्लाइस बनाने में प्रयोग होता है।

प्रश्न 9.
फल सब्जियों के लिए फ्रीजिंग प्लांट किसानी स्तर पर क्यों नहीं लगाए जा सकते ?
उत्तर-
इनकी लागत बहुत अधिक है। लगभग 30 लाख रुपए का खर्चा आ जाता है। इसलिए इन्हें किसानी स्तर पर नहीं लगाया जा सकता।

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प्रश्न 10.
कौन-से खेती पदार्थों को घरेलू स्तर पर सुखाकर प्रतिदिन घर में प्रयोग किया जा सकता है?
अथवा
कोई चार कृषि उत्पादों के नाम लिखो, जिनका प्रयोग घरेलू स्तर पर सुखा कर किया जा सकता है ?
उत्तर-
मेथी, धनिया, मैंथा, मिर्च आदि को घर में सुखाकर प्रयोग किया जा सकता है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के पांच – छः वाक्यों में उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
गांवों में कृषि पर आधारित व्यापार शुरू करने से क्या लाभ होगा ?
उत्तर-
साधारणतया कटाई के बाद अनाज की 10% तथा फलों सब्जियों की 3040% हानि हो जाती है। परन्तु यदि ग्रामीण स्तर पर प्रोसेसिंग यूनिट लगा लिए जाए तो इस हानि को काफ़ी कम किया जा सकता है। किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है। बेरोज़गार नौजवानों को काम मिल सकता है तथा खाने पीने के लिए ताज़ी तथा उच्च स्तरीय वस्तुएं प्राप्त हो सकती हैं। रोज़गार के अधिक अवसरों तथा अधिक आमदन के कारण शहरों की तरफ जाने का रुझान भी कम होता है।

प्रश्न 2.
एक छोटे कृषि आधारित कारखाने में किस तरह की मशीनें लगाई जा सकती हैं तथा यह मशीनें कौन-सी फ़सलों की प्रोसेसिंग करेंगी?
उत्तर-
एक छोटे कृषि आधारित कारखाने में कई प्रकार की मशीनें लगाई जा सकती हैं, जैसे–

  • मिनी चावल मिल
  • तेल निकालने वाला कोल्हू
  • आटा चक्की
  • ग्राइंडर
  • दालों का कलीनर ग्रेडर तथा मिनी दाल मिल
  • पेंजा
  • छोटी फीड मिल आदि।

इन मशीनों में दालें, अनाज, तेल बीज, मसाले, कपास आदि की प्रोसेसिंग की जा सकती है।

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प्रश्न 3.
गांवों से शहरों की ओर लोगों का रूझान रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिएं ?
उत्तर-
गांव से शहरों की ओर लोगों का रूझान इसलिए है कि गांव में अधिक रोज़गार के अवसर नहीं है तथा आमदन भी कम होती है। यदि गांव में रोज़गार के अवसर उपलब्ध करवाए जाएं तथा आमदन भी बढ़ाई जा सके तो यह रूझान रुक सकता है। इसलिए कृषि आधारित उद्योग धंधों को शुरू करने को बढ़ावा देना चाहिए।

नौजवान अपनी कृषि वस्तुओं के छोटे प्रोसेसिंग यूनिट लगा सकते हैं। कई कृषि सम्बन्धी उद्योग-धंधे शुरू कर सकते हैं, जैसे-डेयरी फार्म, मछली पालन, मुर्गी पालन, खुम्भे उगाना, शहद की मक्खियां पालना आदि तथा इनके उत्पादों का स्वयं मण्डीकरण करके अधिक आय प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न 4.
अधिक धन से लगने वाले कृषि पर आधारित काम शुरू करने के लिए कौन-सी नीति होनी चाहिए?
उत्तर-
कई ऐसे कार्य हैं जो कृषि आधारित हैं परन्तु उनको शुरू करने के लिए आरम्भिक खर्चा बहुत अधिक हो जाता है, जैसे-फल सब्जियों के लिए डीहाइड्रेशन तथा फ्रीजिंग प्लांट लगाने पर लगभग 30 लाख रुपए का खर्चा आ जाता है। ऐसी स्थिति में यह प्लांट किसानी स्तर पर न लगा कर, सहकारी स्तर पर या किसानों के समूहों द्वारा लगाए जाने चाहिए। इस तरह एक प्लांट का प्रयोग कई किसान कर सकते हैं तथा अपनी उपज की प्रोसेसिंग करवा कर मण्डीकरण के लिए ले जाया जा सकता है।

प्रश्न 5.
हल्दी की प्रोसेसिंग के बारे में आप क्या जानते हैं ?
अथवा
कच्ची हल्दी से हल्दी पाऊडर कैसे तैयार किया जाता है?
उत्तर-
हल्दी की प्रोसेसिंग करने के लिए ताज़ी हल्दी की गांठों को अच्छी तरह धो कर मिट्टी रहित किया जाता है। इस कार्य के लिए पी० ए० यू० द्वारा तैयार हल्दी धोने तथा पालिश करने वाली मशीन का प्रयोग किया जा सकता है। इस मशीन में 2.5-3.0 क्विटल हल्दी को एक ही समय पर धोया जा सकता है। धोने के बाद हल्दी को उबाला जाता है तथा इस प्रकार गांठें नर्म हो जाती हैं। इनका रंग भी एक जैसा हो जाता है। हल्दी को खुले बर्तन में उबालने पर लगभग एक घण्टा लगता है परन्तु प्रेशर कुक्कर में 20 मिनट लगते हैं। उबालने के बाद हल्दी को धूप में सुखाया जाता है ताकि नमी की मात्रा 10% से कम हो जाए। इस कार्य के लिए अच्छी धूप में 15 दिन लग जाते हैं। इसके बाद हल्दी की ऊपरी सतह को उतारने के लिए पालिश किया जाता है तथा फिर हल्दी को ग्राइंडर में पीस लिया जाता है। इस प्रकार 100 कि० ग्र० ताजा हल्दी से 15-20 किलो हल्दी पाऊडर प्राप्त हो जाता है।

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Agriculture Guide for Class 10 PSEB कृषि आधारित औद्योगिक धंधे Important Questions and Answers

वस्तनिष्ठ प्रश्न

I. बहु-विकल्पीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
100 किलो ताजी हल्दी से ………….. किलो हल्दी पाऊडर मिल सकता
(क) 25-30
(ख) 15-20
(ग) 5-10
(घ) 45-50.
उत्तर-
(ख) 15-20

प्रश्न 2.
एक क्विटल गन्ने में से ………. किलो गुड़ तैयार हो जाता है।
(क) 21-22
(ख) 30-35
(ग) 10-12
(घ) 18-20
उत्तर-
(ग) 10-12

प्रश्न 3.
दानों का कटाई के बाद लगभग ………. नुकसान होता है।
(क) 5%
(ख) 10%
(ग) 20%
(घ) 50%.
उत्तर-
(ख) 10%

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प्रश्न 4.
मैंथा का तेल …………. में प्रयोग होता है-
(क) दवाइयों
(ख) सेंट
(ग) श्रृंगार का सामान
(घ) सभी।
उत्तर-
(घ) सभी।

प्रश्न 5.
कटाई के बाद सब्जियों तथा फलों का …… नुकसान होता है।
(क) 15-20%
(ख) 20-30%
(ग) 30-40%
(घ) 10-15%.
उत्तर-
(ग) 30-40%

प्रश्न 6.
100 किलो गन्ना पेर (पीड़) कर कितना गुड़ तैयार किया जा सकता है ?
(क) 10-12 किलो
(ख) 40-45 किलो
(ग) 60-70 किलो
(घ) 30-35 किलो।
उत्तर-
(क) 10-12 किलो

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प्रश्न 7.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से हर महीने प्रकाशित किये जाने वाले पंजाबी पत्र (मैगज़ीन) का नाम क्या है ?
(क) चंगी खेती
(ख) मॉडर्न खेती
(ग) खेती दुनिया
(घ) कृषि जागरण।
उत्तर-
(क) चंगी खेती

प्रश्न 8.
कपड़ा उद्योग के लिए कच्चा माल कौन-सी फसल से प्राप्त होता है ?
(क) गेहूँ
(ख) नरमा
(ग) गन्ना
(घ) सरसों।
उत्तर-
(ख) नरमा

प्रश्न 9.
तेल बीजों में से तेल निकालने वाली मशीन को क्या कहा जाता है ?
(क) कोल्हू
(ख) आटा चक्की
(ग) सीड ग्रेडर
(घ) ग्राइंडर।
उत्तर-
(ख) आटा चक्की

प्रश्न 10.
बीज साफ करने वाली मशीन को क्या कहा जाता है ?
(क) कोल्हू
(ख) आटा चक्की
(ग) सीड ग्रेडर
(घ) ग्राइंडर।
उत्तर-
(ग) सीड ग्रेडर

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॥. ठीक/गलत बताएं-

1. दानों में कटाई के बाद लगभग 10% हानि होती है।
2. मेंथा एक खरपतवार है।
3. 100 किलो ताज़ी हल्दी में से 15-20 किलो हल्दी पाऊडर मिल सकता है।
4. एक क्विंटल गन्ने में से 30-40 किलो गुड़ तैयार हो सकता है।
उत्तर-

  1. ठीक
  2. गलत
  3. ठीक
  4. गलत।

II. रिक्त स्थान भरें-

1. कटाई के बाद फलों सब्जियों का …………… नुकसान हो जाता है।
2. सब्जियों को सुखाने के लिए …………….. का प्रयोग किया जाता है।
3. मैंथा प्रोसेसिंग के दौरान तेल तथा पानी को ……………… की सहायता से अलग किया जाता है।
4. ………………… फ़सल में से तेल निकालने के लिए मैंथा प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जाता है।
उत्तर-

  1. 30-40%
  2. सोलर ड्रायर
  3. सेपरेटर
  4. मैंथा।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
बेरोज़गारी का एक कारण बताओ।
उत्तर-
नौकरियां सीमित गिनती में होना।

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प्रश्न 2.
कटाई के बाद सब्जियों तथा फलों को कितनी हानि होती है?
उत्तर-
30-40%.

प्रश्न 3.
एग्रो प्रोसेसिंग कम्पलैक्स वाली मशीनों का खर्चा कितना है?
उत्तर-
5 से 20 लाख रुपए।

प्रश्न 4.
उबालने के बाद हल्दी सुखाने को कितने दिन लगते हैं ?
उत्तर-
अच्छी धूप में 15 दिन।

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प्रश्न 5.
हल्दी के प्रयोग के बारे में बताओ।
उत्तर-
दवाइयाँ, शारीरिक सुंदरता के सामान तथा सूती वस्त्रों को बनाने में।

प्रश्न 6.
सब्जियों को सुखाने के लिए किस का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
सोलर ड्रायर।

प्रश्न 7.
कृषि से सम्बन्धित मासिक पत्रिका का नाम लिखें।
उत्तर-
‘चंगी खेती’।

प्रश्न 8.
पी० ए० यू० के कितने कृषि विज्ञान केन्द्र हैं ?
उत्तर-
17.

प्रश्न 9.
सौर (सोलर) ऊर्जा से सब्जियों को सुखाने के लिए कौन-सा उपकरण काम में लाया जाता है ?
उत्तर-
सोलर ड्रायर।

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प्रश्न 10.
आटा चक्की क्या काम आती है ?
उत्तर-
इसमें गेहूँ तथा अन्य दानों को पीस कर आटा तैयार किया जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
क्या कृषि आधरित उद्योग-धंधों के बारे सरकार की तरफ से या किसी अन्य संस्था की तरफ से आर्थिक सहायता उपलब्ध है ?
उत्तर–
सरकार तथा अन्य कई संस्थाओं द्वारा इन धंधों का प्रशिक्षण तथा आर्थिक सहायता दी जाती है।

प्रश्न 2.
एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट पर कितना खर्चा आता है तथा कितनी आय हो जाती है ?
उत्तर-
इन मशीनों पर 5 से 20 लाख का खर्चा आता है तथा 10 हज़ार से लेकर 50 हज़ार प्रति महीना कमाई हो जाती है।

प्रश्न 3.
हल्दी के प्रयोग के बारे में बताओ ( भोजन में)।
उत्तर-
हल्दी का प्रयोग कढ़ी, तरी, कई प्रकार की सब्जियों, बड़े स्तर पर भोजन से चटनी बनाने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 4.
कृषि से सम्बन्धित कोई दस सहायक धन्धों के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. पशु पालना,
  2. पोल्टरी फार्म,
  3. मधुमक्खी पालन,
  4. मच्छी पालन,
  5. डेयरी फार्म,
  6. गुड़-शक्कर बनाना,
  7. सब्जियों को सुखा कर पैक करना,
  8. एग्रो प्रोसेलिंग कॉम्लेक्स,
  9. हल्दी प्रोसेसिंग प्लांट,
  10. खुम्भे लगाना।

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प्रश्न 5.
सौर (सोलर) ड्रायर से कौन-कौन-सी वस्तुएँ सुखाई जा सकती हैं ?
उत्तर-
मेथी, धनिया, मिर्च, लहसुन और अनेक दवाइयों की तरह प्रयुक्त होने वाले पौधों आदि को सौर ड्रायर से सुखाया जाता है।

प्रश्न 6.
ग्रामीण स्तर पर आरम्भ किए जा सकने वाले कोई चार कृषि आधारित औद्योगिक धन्धों के नाम लिखें।
उत्तर-
स्वयं करें।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
हल्दी की प्रोसेसिंग के बारे में विस्तारपूर्वक बताओ।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 2.
मैंथा की प्रोसेसिंग के बारे में बताओ।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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कृषि आधारित औद्योगिक धंधे PSEB 10th Class Agriculture Notes

  • विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ औद्योगिक धंधे सम्बन्धी सामर्थ्य भी विकसित करना चाहिए।
  • दानों में कटाई के बाद लगभग 10% हानि हो जाती है।
  • फलों में यह हानि 30-40% है।
  • किसान नई फसलें, जैसे हल्दी, मिर्च आदि की बुआई कर रहे हैं।
  • फसल की छोटे या किसानी स्तर पर प्रोसेसिंग आज के समय की मांग है।
  • कृषि आधारित व्यवसाय हैं-मुर्गी पालन, डेयरी का धंधा, खुम्भों का उत्पादन, शहद की मक्खियों का पालन आदि।
  • एग्रो प्रोसैसिंग काम्पलैक्स लगा कर चावल, गेहूँ, तेल बीज, मसालों, दालों, कपास आदि की प्रोसेसिंग की जा सकती है तथा 10 से 50 हज़ार रुपए प्रति माह , कमाए जा सकते हैं।
  • पी० ए० यू० द्वारा हल्दी धोने के लिए मशीन विकसित की गई है जो एक घण्टे में 2.5-3.0 क्विटल हल्दी धो सकती है।
  • 100 किलो ताज़ी हल्दी में से 15-20 किलो हल्दी पाऊडर मिल सकता है।
  • मैंथा का तेल दवाइयों, सेंट, शृंगार के सामान में प्रयोग किया जाता है।
  • एक क्विटल गन्ने से 10-12 किलो गुड तैयार हो जाता है।
  • सब्जियों को सुखाने के लिए सोलर ड्रायर का प्रयोग किया जाता है।
  • फल, सब्जियों के लिए डीहाइड्रेशन तथा फ्रीजिंग प्लांट में कई प्रकार की मशीनें होती हैं-जैसे-ब्लांचर, प्री कूलर, सलाईसर, डीहाइड्रेटर फ्रीजिंग यूनिट आदि।
  • पी० ए० यू० के भिन्न-भिन्न जिलों में 17 कृषि विज्ञान केन्द्र हैं।
  • कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग करके अधिक कमाई की जा सकती है।

जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

Punjab State Board PSEB 10th Class Physical Education Book Solutions जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules.

जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education

याद रखने योग्य बातें

  1. जिमनास्टिक टीम के खिलाड़ी = 8
  2. मुकाबला शुरू होने पर खिलाड़ी = नहीं
  3. बदला जा सकता है। ज्यूरी का फैसला = अंतिम
  4. चोट लगने पर या बीमार होने पर इंतज़ार किया जा सकता है। = 30 मिनट
  5. विजेता टीम के कितने खिलाड़ियों के अंक गिने जाते हैं। = 6 खिलाड़ी
  6. अंक दिये जाते हैं। = 0 से 10 तक
  7. बिना ज्यूरी के खिलाड़ी खेल छोड़ सकता है। = नहीं
  8. प्रतियोगिता के लिए अधिकारी = कम से कम 3 या पाँच
  9. लड़कों के लिए मुकाबले =
    • पैरेलल बार
    • वाल्टिंग होर्स
    • ग्राऊंड जिम्नास्टिक
    • हॉरिजोंटल बार
    • रोमन डिंग
    • पोमल होर्स।
  10. लड़कियों के लिए मुकाबले =
    • बीम बैलेंस (ज़रूरी)
    • ग्राऊंड जिम्नास्टिक (ज़रूरी)
    • अनइवर बार (ज़रूरी)
    • वाल्टिंग होर्स

जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
जिमनास्टिक्स का इतिहास लिखें।
उत्तर-
इतिहास (History)-जिमनास्टिक्स एक प्राचीन खेल है। 2600 ईसा पूर्व चीन में जिमनास्टिक्स के व्यायाम किए जाते थे। परंतु इसका वास्तविक विकास यूनान व रोम में शुरू हुआ। ‘जिमनास्टिक्स’ शब्द यूनानी भाषा के ‘जिम्नोस’ शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ ‘नग्न शरीर’ है। नग्न शरीर के द्वारा जो व्यायाम किए जाते हैं उन्हें जिमनास्टिक कहा जाता है। ये व्यायाम शरीर को स्वस्थ रखने के लिए किए जाते थे। यूनान में जिमनास्टिक पर अधिक बल दिया। स्पार्टवासी अपने युवा वर्ग को जिमनास्टिक का प्रशिक्षण प्रदान कराने में अधिक कठोर थे। उन दिनों लड़कियों और लड़कों से यह आशा की जाती थी कि वह जिमनास्टिक द्वारा अपने स्वास्थ्य को ठीक रखें। यूनान और रोम की सभ्यताओं के पतन के साथ-साथ जिमनास्टिक भी यूनान और रोम से समाप्त हो गई।

जिमनास्टिक के महान् गाड फादर जॉन गुट्स मुथूस ने जिमनास्टिक को पर्शियन स्कूलों में शुरू किया। इस प्रकार जर्मनी ने जिमनास्टिक की पुनः खोज की जिस कारण सन् 1881 में अन्तर्राष्ट्रीय जिमनास्टिक फेडरेशन (International Gymnastic Federation) अस्तित्व में आई। सन् 1894 में पहली जिमनास्टिक प्रतियोगिता का आयोजन हुआ था। प्रथम आधुनिक ओलम्पिक्स खेलों में पुरुषों के लिए जिमनास्टिक को शामिल किया गया जबकि महिलाओं के लिए जिमनास्टिक को सन् 1928 के ओलम्पिक्स में शामिल किया गया। सन् 1974 एशियाई खेलों में पहली बार इसको शामिल किया गया जिसका आयोजन तेहरान में हुआ था। सन् 1975 में प्रथम विश्व कप का आयोजन हुआ था। जिमनास्टिक एक मनमुग्ध, आकर्षक और अत्यन्त लोकप्रिय खेल है।
जिमनास्टिक के नये सामान्य नियम (Latest General Rules Related to Gymnastics)—

  1. पुरुष छ: इवेंट्स में भाग लेते हैं जिनमें फ्लोर एक्सरसाइजिज़, वाल्टिंग हार्स, पोमेल्ड हार्स, रोमन रिग्स, हारीजोंटल बार और पैरलल बार्स होते हैं। महिलाएं चार इवेंट्स में भाग लेती हैं जिसमें वाल्टिंग हार्स, अन-ईवन बार्स, बैलेंसिंग बीम व फ्लोर एक्सरसाइज़िज होती हैं।
  2. सभी जिमनास्ट इवेंट के शुरू होने के पहले तथा बाद में जज के सामने उपस्थित होते हैं। वह सिग्नल मिलने पर ही व्यायाम शुरू करते हैं। अगर एक्सरसाइज के समय वे गिर जाएं तो उन्हें फिर शुरू करने के लिए 30 सैकेंड का समय दिया जाता है।
  3. टीम प्रतियोगिता के लिए प्रत्येक टीम के छह जिमनास्ट प्रत्येक एपरेंट्स पर एक अनिवार्य और एक ऐच्छिक एक्सरसाइज़ करते हैं। सबसे ऊँचे पांच स्कोर को जोड़ लिया जाता है जिससे टीम के अंक जोड़े जा सकें।
  4. जिमनास्ट के लिए उचित पोशाक पहनना आवश्यक है। वह पट्टियां बांध सकता है और स्लीपर्स पहन सकता है। जुराबें भी पहन सकता है। सिग्नल मिलने पर 30 सैकेंड में ही अपनी एक्सरसाइज़ शुरू करनी होती है। होरीजोंटल बार और रोमन रिंग्ज में कोच या एक जिमनास्ट होना ज़रूरी है।

जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
जिमनास्टिक के उपकरणों के बारे लिखें।
उत्तर-
खेल के मैदान एवं खेल से सम्बन्धित उपकरणों का वर्णन (Specification of Play field & Sports Equipment)—
(A) पुरुषों के लिए उपकरण (Equipment for men)
1. फर्श 12 × 12 मी०
2. पैरलल बार (Parallel Bar)
बार्स की लम्बाई = 3500 मि०मी०
बार्स की चौड़ाई = 420-520 मि०मी०
बार्स की ऊंचाई = 1750 मि०मी०
जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 1
3. हॉरीजोंटल बार (Horizontal Bar)
बार का व्यास = 28 मि०मी०
बार की ऊंचाई = 2.550-2.700 मि०मी०
बार की लम्बाई = 2.400 मि०मी०
जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 2
4. पोमेल हॉर्स (Pommel Horse)
पोमेल हार्स की लम्बाई = 1600 मि०मी०
पोमेल हार्स की चौड़ाई = 350 मि०मी०
फर्श की ऊँचाई = 1100 मि०मी०
जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 3
5. रोमन रिंग्स (Roman Rings)
व्यास (ग्रिप) = 28 मि०मी०
फर्श से स्टैंड की ऊँचाई = 5.500 मि०मी०
चमड़े की पट्टियों की लम्बाई = 700 मि०मी०
मोटाई = 4 मि०मी०
रिंग के अंदर का व्यास = 180 मि०मी०
फर्श से रिंग की ऊँचाई = 2.500 मि०मी०
चौड़ाई पटरियों की = 3.5 मि०मी०
जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 4
6. वॉल्टिंग हॉर्स (Vaulting Horse)
वॉल्टिंग हॉर्स की ऊँचाई = 1350 मि०मी०
मध्य में समायोजन करने वाले स्टैप्स = 50 मि०मी०
हॉर्स की ऊँचाई = 1600 मि०मी०
जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 5

महिलाओं के लिए उपकरण (Equipment for Women)
1. फर्श = 12 मी० × 12 मी०
2. वाल्टिंग हॉर्स (Vaulting Horse)
वाल्टिंग हॉर्स की ऊँचाई = 1,250 मि०मी०
मध्य में समायोजन करने वाले स्टैप्स = 100-150 मि०मी०
हॉर्स की लम्बाई = 1,600 मि०मी०
3. बैलेसिंग बीम (Balancing Beam)
बीम की ऊँचाई = 1200 मि०मी०
बीम की लम्बाई = 1500 मि०मी०
बीम की चौड़ाई = 100 मि०मी०
ऊँचाई का समायोजन = 700-1200 मि०मी०
जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education 6
4. अन-ईवन बार (Uneven Bar)
अन-ईवन बार की लम्बाई = 2400 मि०मी०
फर्श से बार की ऊँचाई = 2300 मि०मी०
बार्स के बीच की दूरी = 580-900 मि०मी०
अपराइट्स का व्यास = 50-60 मि०मी०
अपराइट्स की मोटाई = 30 मि०मी०
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जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

महत्त्वपूर्ण टूर्नामैंट्स
(Important Tournaments)

  1. ओलम्पिक गेम्स
  2. एशियन गेम्ज
  3. वर्ल्ड कप
  4. आल इंडिया इन्टर यूनिवर्सिटी जिमनास्टिक्स चैम्पियनशिप
  5. नेशनल चैम्पियनशिप
  6. फेडरेशन कप
  7. स्कूल नेशनल गेम्स
  8. चाइना कप।

प्रसिद्ध खिलाड़ी
(Famous Sports Personalities)
(क) भारतीय खिलाड़ी

  1. शामलाल
  2. कु० कृपाली पटेल
  3. डॉ० कल्पना देवनाथ
  4. मोण्टू देवनाथ
  5. अन्जू दुआ
  6.  सुनीता शर्मा ।

(ख) विदेशी खिलाड़ी

  1. ओलगा कोहबुत
  2. नादिया कोमानेली
  3. नेलोकिम
  4. लुदिमिला जिस्कोवा
  5. डोवलूपी
  6. कीरनजन्ज।
  7. एलीवश सादी।

प्रश्न
जिमनास्टिक के मुख्य कौशल लिखें।
उत्तर-
जिम्नास्टिक के मुख्य कौशल (Fundamental Skill of Gymnastics) पुरुषों के इवेंट्स (Men’s Events)
(A) पैरलल बार (Parrallel Bar)

  1. अप स्टार्ट
  2. फ्रंट अपराइज
  3. शोल्डर स्टैंट
  4. हैंड स्टैंड
  5. हैंड स्टैंड विद 180° टर्न
  6. हैंड स्टैंड टु फ्रंट टर्न ऑन दि शोल्डर
  7. वैकवर्ड रोल 8. हैंड स्टैंड टू कार्ट व्हील

(B) हॉरीजोंटल बार (Horizontal Bar)

  1. अप स्टार्ट विद ओवर ग्रिप
  2. अप स्टार्ट विद अंडर ग्रिप
  3. शॉर्ट सर्कल
  4. वन लैग सर्कल विद हील फुट
  5. हील फुट
  6. स्विंग विद श्रू वाल्ट।

(C) पोमेल्ड हार्स (Pommaled Horse)

  1. फ्रंट स्पोर्ट पोजीशन
  2. सिंगल लैग हॉफ सर्कल
  3. डबल लैग सर्कल्स
  4. फ्रंट सीजर्स।

(D) रोमन रिंग्स (Roman Rings)

  1. अप स्टार्ट
  2. बैक सर्कल टू बैक हैंग
  3. मसल-अप
  4. बैक लीवर
  5. बैक अपराइज
  6. डिस्लोकेशन
  7. बैक अपराइज विद एल पोजीशन।

(E) aitcent Era (Vaulting Horse)

  1. स्ट्रैडल वॉल्ट
  2. स्कैटवाल्ट
  3. कार्ट व्हील
  4. हैंड स्टैंड टू कार्ट व्हील
  5. हैंड स्प्रिंग।

(F) फर्श पर किए जाने वाले व्यायाम (Floor Exercises)

  1. फॉरवर्ड रोल टु हैंड स्टैंड
  2. बैकवर्ड रोल टु हैंड स्टैंड
  3. फॉरवर्ड रोल टु हैंड स्प्रिंग
  4. हैंड स्प्रिंग टु डाइव रोल
  5. राउंड ऑफ टु फ्लिक-फ्लैक
  6. वन लैग हैंड स्प्रिंग
  7. हैंड स्टैंड टु फारवर्ड रोल विद स्ट्रेट लैग्स।

महिलाओं के इवेंट्स (Women Events)
(A) बैलेसिंग बीम (Balancing Beam)

  1. गैलोप स्टैप विद बैलेंस
  2. सीर्जस जम्प
  3. फारवर्ड रोल
  4. बैकवर्ड रोल
  5. कार्ट व्हील
  6. ब्रिज
  7. बैलेंस
  8. डिस्काउंट

(B) वाल्टिंग हॉर्स (Vaulting Horse)

  1. स्पलिट वॉल्ट
  2. हैंड स्प्रिंग
  3. स्कवैट वॉल्ट।

(C) अन-ईवन बार्स (Un-even Bars)

  1. स्प्रिंग ऑन अपर बार
  2. बैक अप-राइज
  3. वन लैग फारवर्ड सर्कल
  4. वन लैग बैकवर्ड सर्कल
  5. क्रास बैलेंस
  6. हैंड स्प्रिंग।

(D) फर्श के व्यायाम (Floor Exercises)

  1. फारवर्ड रोल टु हैंड स्टैंड
  2. बैकवर्ड रोल टु हैंड स्टैंड
  3. राउंड आफ
  4. स्लोबैक हैंड स्प्रिंग
  5. स्पलिट सिटिंग
  6. स्लो हैंड स्प्रिंग
  7. हैंड स्प्रिंग
  8. हैड स्प्रिंग।

खिलाड़ी
(Players)
टीम में आठ खिलाड़ी होते हैं और सभी खिलाड़ी सभी अभ्यासों में ही भाग लेते हैं। टीम चैम्पियनशिप के लिए छः सर्वोत्तम खिलाड़ियों का प्रदर्शन गिना जाता है।

अंक या प्वाइंट
(Points)

  1. प्रत्येक अभ्यास के लिए 0 से 10 तक अंक लगाए जाते हैं। एक प्वाइंट के आगे 10 भागों में बांटा जाता है।
  2. यदि निर्णायकों का पैनल पांच का हो तो उच्चतम और न्यूनतम अंकों को जोड़ दिया जाता है और मध्य के तीन अंकों की औसत ले ली जाती है।
  3. यदि पैनल तीन निर्णायकों का हो तो तीनों के अंकों को ही औसत के लिए लिया जाता है।

निर्णय
(Decision)

  1. पांच या कम-से-कम तीन निर्णायक प्रत्येक इवेंट के लिए प्रतियोगिता की समाप्ति तक रखे जाते हैं। इसमें से एक मुख्य निर्णायक माना जाता है।
  2. निर्णायक प्रत्येक उपकरण (आप्रेटस) पर पहले खिलाड़ी के कौतुक के आधार पर अंकों बारे शेष खिलाड़ियों के कौतुकों का मूल्यांकन करते हैं। अभ्यास के लिए परामर्श भी कर सकते हैं ताकि सामान्य आधार का निर्णय कर सकें।
  3. इसके पश्चात् वे स्वतन्त्र रूप में निर्णय करते हैं और किसी विशेष बात (जैसे कि दुर्घटना) के अतिरिक्त वे परामर्श नहीं करते।
  4. तीनों निर्णायकों के अंकों की औसत से परिणाम निकाला जाएगा।
  5. यदि दो निर्णायकों के अंकों में मतभेद हो तो मुख्य निर्णायक की अंकों की संख्या भी देखी जाती है।
  6. मुख्य निर्णायक का यह कर्त्तव्य है कि वह अन्य दोनों निर्णायकों की सन्धि करवाए। यदि ऐसा न हो सके तो मुख्य निर्णायक अपना निर्णय सुना सकता है।

जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न
जिमनास्टिक्स के साधारण नियम लिखें।
उत्तर-
प्रतियोगिता के सामान्य नियम
(General Rules of Competition)

  1. प्रतियोगिता के समय खिलाड़ियों को बदलने की आज्ञा नहीं होती।
  2. इवेंट्स के जज तथा टीमें ठीक समय पर मैदान में पहुंच जानी चाहिएं।
  3. यदि किसी खिलाड़ी की दुर्घटना हो जाए या वह बीमार पड़ जाए तो कप्तान उसी . समय डॉक्टर को सूचित करें और उसकी पुष्टि प्राप्त करें।
  4. उस खिलाड़ी को स्वस्थ होने के लिए और फिर खेल में सम्मिलित होने के लिए आधे घंटे के लिए खेल स्थगित की जा सकती है। यदि इस समय तक भी खिलाड़ी की दशा में सुधार नहीं होता तो उसे खेल से निकाल दिया जाता है और खेल आरम्भ करनी पड़ती है।
  5. टीम प्रतियोगिताएं दो भागों में होंगी। पहले अनिवार्य अभ्यासों के लिए तथा फिर ऐच्छिक अभ्यासों के लिए।
  6. केवल वही प्रतियोगी फाइनल में भाग ले सकेंगे जिन्होंने टीम प्रतियोगिता के सभी इवेंट्स में भाग लिया होगा।
  7. अनिवार्य व्यायामों में खिलाड़ी को दूसरा अवसर व्यायाम करने के लिए मिल सकता है जबकि वह खिलाड़ी यह महसूस करें कि मेरा पहले प्रदर्शन (परफारमेंस) ठीक नहीं है, या वह अपने व्यायामों के कुछ व्यायाम करना भूल गया है लेकिन मैदान व्यायामों में दूसरा अवसर नहीं दिया जाता। दूसरा अवसर प्राप्त करने के लिए पहले व्यायाम समाप्त करने के उपरान्त खिलाड़ी को हाथ खड़े करके निर्णायक को दूसरा अवसर प्राप्त करने के लिए बताना होगा। परन्तु दूसरा अवसर अपनी टीम के सभी खिलाड़ियों के भाग लेने के बाद ही लेना होता है।
  8. लम्बी दौड़ों के वाल्ट पर प्रत्येक खिलाड़ी को दो बार प्रयत्न करने का अधिकार है। सर्वोत्तम प्रदर्शन उचित स्वीकार किया जाता है।
  9. फ्री स्टैडिंग अभ्यास को दोहराया नहीं जा सकता। (10) लम्बी दौड़ों के अतिरिक्त ऐच्छिक अभ्यास को दोहराया नहीं जाता।
  10. प्रबन्धक उपकरणों की व्यवस्था करेंगे। कोई भी टीम अपने निजी उपकरण प्रयोग नहीं कर सकती।

जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

PSEB 10th Class Physical Education Practical जिम्नास्टिक्स (Gymnastics)

प्रश्न 1.
जिमनास्टिक में हमें कौन-कौन से उपकरणों की आवश्यकता पड़ती है ?
उत्तर-
जिमनास्टिक में निम्नलिखित सामान की आवश्यकता पड़ती है—

  1. लड़के-
    • पैरेलल बार (Parallel Bar) अनिवार्य और ऐच्छिक।
    • वाल्टिंग हार्स (Walting Horse) अनिवार्य और ऐच्छिक।
    • ग्राऊड जिमनास्टिक (Ground Gymnastic) अनिवार्य और ऐच्छिक।
    • हारीजंटल बार (Horizontal Bar) अनिवार्य और एच्छिक।
  2. लड़कियाँ-
    •  बीम बैलेंस (Beam Balance) अनिवार्य और ऐच्छिक।
    • ग्राउंड जिमनास्टिक (Ground Gymnastic) अनिवार्य और ऐच्छिक।
    • वाल्टिंग हार्स (Walting Horse) अनिवार्य और ऐच्छिक।

प्रश्न 2.
जिमनास्टिक की टीम में कितने खिलाड़ी होते हैं ?
उत्तर-
जिमनास्टिक की टीम में आठ खिलाड़ी होते हैं जिनमें से 6 खिलाड़ी भाग लेते हैं और दो खिलाड़ी अतिरिक्त (Substitutes) होते हैं। जो 6 खिलाड़ी भाग लेते हैं और 6 खिलाड़ियों को Best निकाल लिया जाता है और उनके अंकों को जोड़ा जाता है।

जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 3.
जिमनास्टिक में अंक कैसे लगाए जाते हैं ?
उत्तर-
प्वाईंटों का देना (Awarding of Points)-हर एक जिमनास्टिक अभ्यास के लिए 0 से लेकर 10 तक प्वाईंट होते हैं और हर एक प्वाईंट को आगे 10 हिस्सों में बांटा जाता है। यदि ज्यूरी में पांच जज हों तो सब से ज्यादा और सबसे कम अंकों में बांट कर मध्य के तीन निर्णय वाले (Awards) को जमा करके तीन से भाग कर के औसत अंक निकाल लिया जाता है। यदि ज्यूरी में तीन जज हों तो जजों द्वारा दिए गए अंकों की औसत निकाल ली जाती है।

प्रश्न 4.
ज्यूरी का फैसला कैसे होता है ?
उत्तर-
ज्यूरी का फैसला अन्तिम होता है और किसी भी प्रतियोगी (Competitor) को इसके विरुद्ध अपील करने का अधिकार नहीं होता है।

जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 5.
यदि कोई प्रतियोगी बीमार हो जाए तो कितनी देर तक इन्तज़ार करना चाहिए ?
उत्तर-
यदि कोई खिलाड़ी बीमार हो जाए तो कम-से-कम 30 मिनट तक इन्तज़ार किया जाता है।

प्रश्न 6.
टीम चैम्पियनशिप के लिए कितने खिलाड़ियों को लिया जा सकता है ?
उत्तर-
टीम चैम्पियनशिप के लिए 6 सबसे अच्छे खिलाड़ियों को लिया जाता है।

जिम्नास्टिक्स (Gymnastics) Game Rules - PSEB 10th Class Physical Education

प्रश्न 7.
जिमनास्टिक के साधारण नियमों का वर्णन करो।
उत्तर–
प्रतियोगिता के लिए साधारण नियम (General Rules for the Competition)-

  1. टीम में 8 खिलाड़ी होते हैं। हर एक खिलाड़ी सारे अभ्यासों में भाग लेते हैं। टीम चैम्पियनशिप के लिए 6 सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों का प्रदर्शन गिना जाता है।
  2. प्रतियोगिता शुरू होने के पश्चात् खिलाड़ी बदलने की आज्ञा नहीं होती।
  3. इवेंट्स के जज और टीमें ठीक समय पर मैदान में पहुंच जानी चाहिएं।
  4. टीम मुकाबले दो भागों में होंगे। पहला अनिवार्य अभ्यासों के लिए, फिर ऐच्छिक अभ्यासों के लिए। इनके समय बारे में फैसला कर लिया जाएगा और मुकाबले निर्धारित समय के अनुसार होंगे।
  5. केवल उन प्रतियोगियों को फाइनल में प्रवेश मिलेगा जिन्होंने टीम मुकाबले के सारे इवेंट्स में भाग लिया हो।
  6. कोई भी जिमनास्टिक खिलाड़ी यदि ज्यूरी की आज्ञा के बिना टीम में से जाता है तो उसको दोबारा आने की आज्ञा नहीं दी जाएगी।
  7. प्रतियोगिता के मध्य प्रतियोगियों को बदलने की आज्ञा नहीं।
  8. फ्री-स्टैंडिंग अभ्यास को दोहराया नहीं जा सकता।
  9. यदि किसी प्रतियोगी की तबीयत ख़राब हो जाए या कोई प्रतियोगी दुर्घटना का शिकार हो जाए तो उसकी रिपोर्ट लीडर द्वारा तुरन्त दी जानी चाहिए।

PSEB 10th Class SST Solutions Geography Chapter 1 भारत-एक परिचय

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 1 भारत-एक परिचय Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science Geography Chapter 1 भारत-एक परिचय

SST Guide for Class 10 PSEB भारत-एक परिचय Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित प्रश्नों का एक शब्द या एक वाक्य में उत्तर दीजिए.

प्रश्न 1.
हमारे देश का आधुनिक नाम ‘इण्डिया’ कैसे पड़ा?
अथवा
भारत का आधुनिक नाम ‘इण्डिया’ किस धारणा पर आधारित है?
उत्तर-
हमारे देश का आधुनिक नाम सिन्धु नदी के नाम पर ‘इण्डिया’ पड़ा।

प्रश्न 2.
भारत की ग्लोब पर स्थिति का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित एक विशाल देश है।

प्रश्न 3.
हिन्द महासागर में भारत की स्थिति क्या है ?
उत्तर-
हिन्द महासागर में भारत की स्थिति केन्द्रीय है।

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प्रश्न 4.
देश का क्षेत्रफल बताओ।
उत्तर-
भारत का क्षेत्रफल लगभग 32,87,263 वर्ग किलोमीटर है।

प्रश्न 5.
भारत की उत्तर-दक्षिणी तथा पूर्व-पश्चिमी दिशाओं में दूरस्थ बिन्दुओं के नाम एवं दूरी बताइए।
उत्तर-
कश्मीर से कन्याकुमारी तक क्रमश: 3214 किलोमीटर एवं अरुणाचल प्रदेश से कच्छ की खाड़ी तक 2933 किलोमीटर।

प्रश्न 6.
देश की समुद्र तटीय एवं थल सीमाओं की लम्बाई बताइए।
उत्तर-
भारत की स्थलीय सीमा की लम्बाई 15,200 किलोमीटर है जबकि इसकी तट रेखा की लम्बाई 6083 किलोमीटर है।

प्रश्न 7.
क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का संसार में कौन-सा स्थान है?
उत्तर-
सातवां। प्रश्न 8. पंजाबी भाषाई राज्य के रूप में पंजाब की स्थापना कब हुई?

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प्रश्न 8.
पंजाबी भाषाई राज्य के रूप में पंजाब की स्थापना कब हुई?
अथवा
हमारे आधुनिक पंजाब राज्य का जन्म कब हुआ?
उत्तर-
1 नवम्बर, 1966 ई० को।

प्रश्न 9.
देश इस समय कितने राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में बंटा हुआ है?
उत्तर-
28 राज्य और 8 केन्द्र शासित प्रदेश ।

प्रश्न 10.
भारत में क्षेत्रफल व जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़े व छोटे राज्यों के नाम लिखो।
उत्तर-
क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य राजस्थान और सबसे छोटा राज्य गोआ है। जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा और सिक्किम सबसे छोटा राज्य है।

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II. निम्नलिखित प्रश्नों का संक्षेप में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
क्या भारत एक उप-महाद्वीप है?
उत्तर-
अपने विस्तार और स्थिति के कारण भारत को उप-महाद्वीप का दर्जा दिया जाता है। उप-महाद्वीप एक विशाल तथा स्वतन्त्र भू-भाग होता है जिसकी सीमाएं विभिन्न स्थलाकृतियों द्वारा बनाईजाती हैं। ये स्थलाकृतियां इसे अपने आस-पास के क्षेत्रों से अलग करती हैं। भारत के उत्तर में हिमालय के पार अगील (Agill), मुझतघ (Mugtgh), कुनलुन (Kunlun), कराकोरम, हिन्दुकुश आदि पर्वत श्रेणियां उसे एशिया के उत्तर-पश्चिमी भागों से अलग करती हैं।
दक्षिण में पाक जलडमरु मध्य तथा मन्नार की खाड़ी इसे श्रीलंका से अलग करते हैं। पूर्व में अराकान योमा इसे म्यनमार से अलग करते हैं । थार का मरुस्थल इसे पाकिस्तान के बहुत बड़े भाग से अलग करता है। इतना होने पर भी हम वर्तमान भारत को उपमहाद्वीप नहीं कह सकते। भारतीय उप-महाद्वीप का निर्माण अविभाजित भारत, नेपाल, भूटान तथा बांग्लादेश मिल कर करते हैं।

प्रश्न 2.
भारतीय संस्कृति में किस प्रकार की अनेकताएं मिलती हैं?
उत्तर-
भारत के भिन्न-भिन्न प्रदेशों में अलग-अलग धर्मों तथा जातियों के लोग रहते हैं। परिणामस्वरूप उनमें भाषा, वेशभूषा, रहन-सहन, खान-पान सम्बन्धी विभिन्नताएं पाई जाती हैं। उनके लोकगीत, मेले, त्योहार तथा रीतिरिवाज भी अलग-अलग हैं। यहां 187 भाषाएं प्रचलित हैं। देश के 97% भाग में केवल 23 भाषाएं बोली जाती हैं। संविधान में 22 भाषाओं को मान्यता प्राप्त है। देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग लोक नृत्य विकसित हुए। सच तो यह है कि हमारे देश के लगभग हर क्षेत्र में विभिन्नताएं पाई जाती हैं।

प्रश्न 3.
भारत के स्थानीय विस्तार पर नोट लिखें।
उत्तर-
भारत 8° 4′ 16” से 37° 17′ 53′ उत्तरी अक्षांशों के बीच तथा 68° 7′ 33″ से 97° 24′ 47” पूर्वी देशान्तरों के मध्य फैला हुआ है। कर्क रेखा इस देश के मध्य से गुजरती है। उत्तरी भारत का क्षेत्रफल दक्षिणी भारत से दो गुणा है। देश की कश्मीर से कन्याकुमारी तक की लम्बाई 3214 किलोमीटर तथा अरुणाचल प्रदेश से कच्छ की रण क्षेत्र तक की लम्बाई 2933 किलोमीटर है। इस विस्तार का अनुमान यूं भी लगाया जा सकता है कि जब अरुणाचल प्रदेश में दिन निकल रहा होता है तो गुजरात में रात्रि का आखिरी पहर चल रहा होता है।

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प्रश्न 4.
भारतीय भाषाओं तथा लोक कलाओं की देश की एकता व एकरूपता को क्या देन है?
उत्तर-
भारतीय भाषाओं तथा कलाओं ने इस देश की एकता में विशेष रंग भरा है। संस्कृत को ही लीजिए। इस देश में वेद तथा अन्य प्राचीन ग्रन्थ इसी भाषा में लिखे गए। राजस्थान से लेकर मणिपुर तक वेदों के प्रचार का श्रेय संस्कृत भाषा को ही जाता है। संस्कृत भाषा के मेल से ही उर्दू का जन्म हुआ और उसे मध्यकाल में दिल्ली के शासकों द्वारा मान्यता प्राप्त हुई। आज अंग्रेजी देश की सम्पर्क भाषा है और हिन्दी राष्ट्र भाषा है। पूरे देश में लोक कला अर्थात् लोकगीत समान भाव व्यक्त करते हैं। वीर रस ने ललित कलाओं को प्रभावित किया। इसी तरह भारतीय फिल्मों ने भारतीय संस्कृति को एकता प्रदान की।

प्रश्न 5.
भारत की क्षेत्रीय विभिन्नता किन्हीं दो तथ्यों के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर-
भारत की विशालता के कारण देश में बहुत अधिक क्षेत्रीय विभिन्नताएं पाई जाती हैं। इन्हें जन्म देने वाले दो तथ्यों का वर्णन इस प्रकार है —

विशाल क्षेत्र-भारत का पूर्व-पश्चिमी तथा उत्तर-दक्षिणी विस्तार अधिक होने के कारण यहां अधिक विभिन्नताएँ पैदा हो गई। प्रकृति के रूपों तथा मानवीय तत्त्वों में ये विभिन्नताएं साफ़ नज़र आती हैं। अपने विशाल भौगोलिक क्षेत्र के कारण भारत को उप महाद्वीप का दर्जा प्राप्त है।
धरातल-इस देश में जहां अरावली जैसे प्राचीन पर्वत हैं, वहां हिमालय जैसे युवा पर्वत भी स्थित हैं। इसके दक्षिण में कठोर तथा प्राचीन चट्टानों से निर्मित प्रायद्वीपीय पठार है। इसी प्रकार हिमालय तथा प्रायद्वीपीय पठार के मध्य विशाल उपजाऊ मैदान पाये जाते हैं।

प्रश्न 6.
भारत की अनेकता में एकता को दो तथ्यों से स्पष्ट करें।
उत्तर-
निम्नलिखित दो तथ्यों के आधार पर हम कह सकते हैं कि भारत की विभिन्नताओं में एकता पाई जाती है —
(1) भारत के धरातलीय स्वरूप में बड़ी विभिन्नता है। यदि देश के उत्तर में हिमालय पर्वत है, तो दक्षिण में प्रायद्वीपीय पठार है। उत्तर में विशाल मैदान इस विभिन्नता को गहरा करते हैं। इन विभिन्नताओं के बावजूद मानसून पवनें देश को एकता प्रदान करती हैं। देश की अधिकतर वर्षा इन्हीं पवनों द्वारा होती है।
(2) भारत में 187 भाषाएं बोली जाती हैं। देश के 97 प्रतिशत भाग में 22 भाषाओं का अधिक महत्त्व है। इतना होने पर भी संस्कृत भाषा ने समस्त भारत के लोगों को एक सूत्र में पिरोया है। अंग्रेज़ी ने सम्पर्क भाषा के रूप में तथा हिन्दी ने राजभाषा के रूप में देश को एकता प्रदान की है।

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प्रश्न 7.
देश की प्राकृतिक विभिन्नता ने सांस्कृतिक विभिन्नता पैदा करने में क्या योगदान दिया है?
उत्तर-
भारत एक विशाल देश है। विशालता के कारण इस देश में अनेक प्राकृतिक विभिन्नताएं पाई जाती हैं। पहाड़ी प्रदेशों के लोग ऊनी वस्त्र पहनते हैं और उनका रहन-सहन भी अपनी प्राकृतिक परिस्थितियों के अनुकूल है। प्रायद्वीपीय पठार के लोगों को कठोर परिस्थितियों में काम करना पड़ता है। उनके कृषि उद्यम देश के अन्य भागों से भिन्न हैं। उनका खान-पान तथा पहरावा भी वहां की जलवायु के अनुकूल है। इसी तरह मैदानी भागों में लोगों ने कम परिश्रम से अधिक लाभ कमाया और अपने जीवन-स्तर को ऊंचा उठाने का प्रयास किया।

प्रश्न 8.
“जब अरुणाचल प्रदेश में सूर्य उदय हो रहा होता है, तो गुजरात में अभी रात्रि होती है।” कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
अरुणाचल से गुजरात की दूरी 2933 किलोमीटर है। वास्तव में अरुणाचल से लेकर गुजरात में स्थित रण ऑफ़ कच्छ (Rann of Kutch) के मध्य 29° 12′ का देशान्तरीय अन्तर है। प्रति देशान्तर रेखा के चार मिनट का अन्तर आ जाता है। इस प्रकार दोनों स्थानों के समय में लगभग दो घण्टे का अन्तर पड़ जाता है। पूर्व में स्थित होने के कारण अरुणाचल प्रदेश का स्थानीय समय पश्चिम में स्थित गुजरात के स्थानीय समय से आगे रहता है। इसलिए जब अरुणाचल में सूर्य निकलता है, उस समय गुजरात में अभी रात होती है।

III. निम्नलिखित प्रश्नों का विस्तृत उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
देश के नामकरण के बारे में विस्तार से लिखें। इसके आकार एवं राजनैतिक व्यवस्था के बारे में भी बताइए।
उत्तर-
नाम-प्राचीन लेखों के अनुसार युगों-युगों से भारत के नाम में बदलाव आता रहा। एक धारणा के अनुसार इस का सब से पहला नाम ‘हिमाचल-शेत्-प्रयत्तम’ था। इस नाम के अनुसार इसका सम्बन्ध इस प्रदेश से था, जो हिमाचल एवम् रामेश्वरम् के बीच स्थित है।
आर्यों के आगमन से इस देश का नाम ‘आर्यवर्त’ पड़ा। ऋग्वेद के अनुसार भरत (दुष्यन्त का पुत्र) नामक राजा के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा।
भारत का आधुनिक नाम ‘इण्डिया’ सिन्धु नदी से पड़ा। आर्यों ने उत्तर-पश्चिम में बहने वाली अति विशाल नदी का नाम सिन्धु रखा। सिन्धु शब्द से ही ‘हिन्दू’ शब्द का प्रचलन हुआ। जो लोग सिन्धु नदी के आस-पास रहते थे, ईरानियों ने उन्हें हिन्दू कह कर पुकारा। यूनानियों ने हिन्दू शब्द को ‘इंडोस’ में बदल दिया। रोमन लोगों ने इसी शब्द के आधार पर सिन्धु नदी को ‘इंडस’ कह कर पुकारा और इसी शब्द से ‘इण्डिया’ शब्द का प्रचलन हुआ। हिन्दू से हिन्दुस्तान बना और भरत से भारत। आज हमारे देश को इन तीनों नामों से पुकारा जाता है।
आकार-इसका आकार (त्रिभुजाकार) है। इसके एक ओर अरब सागर है तथा दूसरी ओर बंगाल की खाड़ी। यह देश उत्तर में अधिक चौड़ा है। दक्षिण में जाते हुए इस का आकार छोटा होता जाता है। अन्ततः कन्याकुमारी पर यह एक बिन्दु के समान है।
राजनीतिक व्यवस्था अथवा प्रशासनिक बांट-भारत राज्यों का एक संघ है। प्रशासनिक रूप से भारत में 28 राज्य और 8 केन्द्र शासित प्रदेश हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (N.C.T.) दिल्ली भी भारत की प्रशासनिक इकाई है।
सच तो यह है कि हर रूप में भारत की अपनी एक अलग विशेषता है।

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प्रश्न 2.
देश की भौगोलिक स्थिति का देश की सुरक्षा, जलवायु, व्यापार एवं संस्कृति पर क्या प्रभाव है?
उत्तर-
भारत एशिया महादीप के दक्षिण में फैला हुआ एक विशाल देश है। हिन्द महासागर के शीर्ष पर स्थित होने के कारण इसे केन्द्रीय स्थिति प्राप्त है। आओ देखें, कि भारत की स्थिति का देश की सुरक्षा, जलवायु, व्यापार तथा संस्कृति पर क्या प्रभाव पड़ा है-..

सुरक्षा-भारत ने अपनी लम्बी तट रेखा की सुरक्षा के लिए एक शक्तिशाली नौ-सेना का गठन किया हुआ है। इसलिए दक्षिण में इसकी सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। उत्तर की पर्वतीय अथवा स्थल सीमाओं की सुरक्षा के लिए स्थल तथा वायु सेना का गठन किया गया है। हमने जहां एक ओर उत्तर में पड़ोसी देशों के आक्रमणों को विफल किया तो दूसरी ओर श्रीलंका की आतंकवाद से तथा मालदीव की समुद्री लुटेरों से रक्षा की है।
जलवायु-हिमालय तथा हिन्द महासागर के बीच में स्थित होने के कारण भारत को मानसून पवनों का वरदान मिला है। भारत के अधिकांश भाग में ग्रीष्म काल में वर्षा होती है जबकि दक्षिण पूर्वी भागों में शीतकाल में वर्षा होती है।
व्यापार-हिन्द महासागर से निकलने वाले सभी मार्ग भारत से होकर जाते हैं। ये मार्ग भारत को एक ओर यूरोप तथा अमेरिका के देशों से जोड़ते हैं तो दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी एशिया तथा सुदूर पूर्व से मिलाते हैं।
संस्कृति-भारत के उत्तर-पश्चिमी देशों से आर्य, यूनानी, तुर्क, मुग़ल आदि अनेक विदेशी जातियां यहां आईं और इस देश में बस गईं। इन विभिन्न भाषा-भाषी जातियों ने भारत के लोगों से मेल-जोल बढ़ाया और भारतीय सभ्यता को नवीन रंगों से रंगा। इस आपसी मेल मिलाप से भारत के लोगों की वेश-भूषा, रहन-सहन तथा खान-पान में अनेक बदलाव आए।
सच तो यह है कि भारत अपनी स्थिति के कारण विश्व में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।

प्रश्न 3.
“भारत एक विविधताओं वाला देश है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
भारत अपनी विशालता के कारण विभिन्नताओं का देश है। देश में पाई जाने वाली विभिन्नताओं का वर्णन इस प्रकार है —

धरातलीय विभिन्नता-भारत में एक ओर हिमालय पर्वत है तो दूसरी ओर प्रायद्वीपीय पठार हैं। इसमें जहां सतलुज, गंगा, ब्रह्मपुत्र का उपजाऊ मैदान है, वहीं थार का मरुस्थल भी है। हिमालय नवीन (युवा) पर्वत है, जबकि राजस्थान में फैला अरावली पर्वत प्राचीनतम है।
जलवायु सम्बन्धी विभिन्नता-कर्क रेखा (Tropic of Cancer) भारत के मध्य से गुज़रती है। परिणामस्वरूप इसके उत्तरी भाग में शीतोष्ण प्रकार की जलवायु पाई जाती है। समुद्र से दूर होने के कारण उत्तरी भागों में विषम जलवायु पाई जाती है जबकि विषुवत् रेखा के समीप होने के कारण दक्षिणी भागों में ऊष्ण जलवायु पाई जाती है। भारत के पूर्व में अत्यधिक वर्षा होती है जबकि पश्चिम में थार के मरुस्थल में बहत कम वर्षा होती है।
जातीय विभिन्नता-उत्तर-पूर्वी भारत में मध्य एशिया से आई मंगोल जाति के लोग रहते हैं जबकि उत्तर-पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में तिब्बती लोग रहते हैं। पश्चिमी मैदानी भागों में आर्य तथा मुसलमान आकर बस गए। इसी तरह दक्षिण में द्राविड़ जाति के लोग निवास करते हैं और तमिलनाडु में श्रीलंका से आए तमिल जाति के लोग रहते हैं।
सांस्कृतिक विभिन्नता-देश के विभिन्न भागों में जातीय विभिन्नता होने के कारण लोगों की भाषा, रहन-सहन, खान-पान, घरों की बनावट, लोकगीत, लोक नृत्य, मेलों, त्योहारों तथा रीति-रिवाजों में अन्तर देखने को मिलता है। इस देश में 187 भाषाएं बोली जाती हैं।
सच तो यह है कि अन्य विभिन्नताओं के अतिरिक्त लोगों के कृषि करने के ढंग में भी अन्तर है और उनके जीवन स्तर में भी।

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प्रश्न 4.
देश में वर्तमान विविधताओं को कौन-कौन से तत्त्व प्रभावित करते हैं?
उत्तर-
भारत की क्षेत्रीय विभिन्नता को निम्नलिखित तत्त्व प्रभावित करते हैं

विशालता-भारत एक विशाल देश है। उत्तर से दक्षिण में इसकी लम्बाई 3214 कि० मी० तथा पूर्व से पश्चिम तक की लम्बाई 2933 कि० मी० है। इतने विशाल देश में समान धरातलीय स्वरूप होना असम्भव है। वास्तविकता यह है कि यहां के विभिन्न क्षेत्र अनेक बातों में आपस में मेल नहीं खाते।
धरातल-भारत का धरातल एक समान नहीं है। यहां पर्वत, पठार और मैदान आदि सभी स्थल रूप में पाये जाते हैं। इस देश में तंग घाटियां भी हैं और विशाल मरुस्थल भी हैं।
जलवायु-भारत में समान रूप से वर्षा नहीं होती। इस देश में ऐसे स्थान भी हैं जहां संसार में सबसे अधिक वर्षा होती है और ऐसे मरुस्थलीय प्रदेश भी हैं जहां नाममात्र की वर्षा होती है। देश के उत्तर में विषम जलवायु पाई जाती है, जबकि प्रायद्वीपीय भारत में गर्म तथा तटीय प्रकार की जलवायु मिलती है।
प्रवास-भारत में अलग-अलग दिशाओं तथा अलग-अलग प्रदेशों से लोग आकर अलग-अलग क्षेत्रों में बस गए। उत्तर-पूर्व में मंगोल जाति, उत्तर-पश्चिम में आर्य तथा मुसलमान जातियां तथा दक्षिण भारत में द्राविड़ जाति के लोग आकर बस गए।
संस्कृति-देश के विभिन्न प्रदेशों में अलग-अलग जातियों के लोग निवास करते हैं। उनकी भाषा, वेश-भूषा, खान-पान, रहन-सहन, लोकगीत, लोक नृत्य, मेले तथा त्योहार अलग-अलग हैं।
सच तो यह है कि धरातल और संस्कृति मिलकर क्षेत्रीय विभिन्नता को जन्म देते हैं।

प्रश्न 5.
देश की ‘अनेकताओं में एकता’ बनाये रखने में कौन-कौन से तत्त्वों का योगदान है?
उत्तर-
भारत विभिन्नताओं का देश है। फिर भी हमारे समाज में एक विशिष्ट एकता दिखाई देती है। भारतीय समाज को एकता प्रदान करने वाले मुख्य तत्त्व निम्नलिखित हैं।

मानसूनी ऋतु-मानसून पवनें अधिकांश वर्षा ग्रीष्म ऋतु में करती हैं। इससे देश की कृषि भी प्रभावित होती है और अर्थव्यवस्था भी। मानसूनी पवनें पहाड़ी प्रदेशों में वर्षा द्वारा बिजली की आपूर्ति को विश्वसनीय बनाती हैं। इसी के कारण ग्रामीण जनसंख्या को रोज़ी मिलती है।
धार्मिक संस्कृति-धार्मिक संस्कृति के पक्ष में दो बातें हैं। एक तो यह कि धार्मिक स्थानों ने देश के लोगों को एक सूत्र में बांधा है। दूसरे, धार्मिक सन्तों ने अपने उपदेशों द्वारा भाईचारे की भावना पैदा की है। तिरूपति, जगन्नाथ पुरी, अमरनाथ, अजमेर, श्री हरमन्दर साहिब, श्री पटना साहिब, श्री हेमकुण्ट साहिब तथा अन्य तीर्थ स्थानों पर देश के सभी भागों से लोग आते हैं और पूजा करते हैं। सन्तों ने भी धार्मिक समन्वय पैदा करने का प्रयास किया है।
भाषा तथा कला-लगभग सारे उत्तरी भारत में वेदों का प्रचार संस्कृत भाषा में हुआ। इसी भाषा के मेल से मध्य युग में उर्दू का जन्म हुआ। आज अंग्रेजी सम्पर्क भाषा है और हिन्दी राजभाषा है। इन सब ने मिलकर एक-दूसरे को निकट से समझने का अवसर प्रदान किया है। इसी तरह लोक गीतों तथा लोक कलाओं ने भी लोगों को समान भावनाएं व्यक्त करने का अवसर जुटाया है।
यातायात तथा संचार के साधन-रेलों तथा सड़कों ने विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को समीप लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दूरदर्शन तथा समाचार-पत्रों जैसे संचार के साधनों ने भी लोगों को राष्ट्रीय सोच देकर राष्ट्रीय धारा से जोड़ दिया है।
प्रवास-गांवों के कई लोग शहरों में आकर बसने लगे हैं। इनमें जातीय विभिन्नता होते हुए भी वे एक-दूसरे को समझने लगे हैं और मिलजुल कर रहने लगे हैं। इस प्रकार वे एक-दूसरे के निकट आए हैं।
सच तो यह है कि प्राकृतिक और सांस्कृतिक तत्त्वों ने देश को एकता प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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IV. भारतीय उप महाद्वीप के मानचित्र पर निम्नलिखित को दिखायें:

भारत के पड़ोसी देश (अलग-अलग रंगों की मदद से)
भारत के साथ लगते समुद्री क्षेत्र एवं उनके नाम
भारत में विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के नाम एवं राजधानियों के नाम
रन-आफ-कच्छ, कन्याकुमारी तथा श्रीनगर
बंगलादेश के साथ लगते भारतीय राज्य एवं उनकी राजधानियाँ
न्यू मूर (New Moore) द्वीप, दीव, लक्षद्वीप, एवं इन्दिरा पाइन्ट ।
उत्तर-विद्यार्थी अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 10th Class Social Science Guide भारत-एक परिचय Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
जनसंख्या के हिसाब से विश्व में किस देश को सबसे पहला स्थान प्राप्त है?
उत्तर-
चीन।

प्रश्न 2.
जनसंख्या की दृष्टि से भारत को विश्व में कौन-सा स्थान प्राप्त है?
उत्तर-
दूसरा।

प्रश्न 3.
क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में भारत का कौन-सा स्थान है?
उत्तर-
सातवां।

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प्रश्न 4.
भारत कितनी ओर से हिन्द महासागर से घिरा है?
उत्तर-
भारत तीन ओर से हिन्द महासागर से घिरा है।

प्रश्न 5.
भारत के किस राज्य में स्त्री साक्षरता दर सबसे अधिक है?
उत्तर-
केरल।

प्रश्न 6.
आर्य काल में भारत किस नाम से जाना जाता था?
उत्तर-
आर्यवर्त।

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प्रश्न 7.
प्राचीन लेखों के अनुसार भारत का पहला नाम हिमाचल-शेतू प्रयत्तम था। इसका क्या अर्थ है?
उत्तर-
हिमाचल तथा रामेश्वरम् के बीच बसा देश।

प्रश्न 8.
भारत को कौन-सी रेखा दो समान भागों में बांटती है?
उत्तर-
कर्क रेखा।

प्रश्न 9.
भारत की उत्तरी सिरे (कश्मीर) से दक्षिणी सिरे (कन्याकुमारी) तक कितनी लंबाई है?
उत्तर-
3214 किलोमीटर।

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प्रश्न 10.
क्षेत्रफल की दृष्टि से संसार का सबसे बड़ा देश कौन-सा है?
उत्तर-
रूस।

प्रश्न 11.
पंजाब की राजधानी का नाम बताओ।
उत्तर-
चण्डीगढ़।

प्रश्न 12.
भारत में गणतंत्र की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर-
26 जनवरी, 1950.

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प्रश्न 13.
भारत के कौन-से पर्वत विश्व के प्राचीनतम पर्वत है?
उत्तर-
अरावली।

प्रश्न 14.
दिल्ली के शासकों द्वारा मान्यता प्राप्त उर्दू भाषा किन दो भाषाओं का सम्मिश्रण थी?
उत्तर-
उर्दू भाषा फारसी तथा संस्कृत भाषाओं का सम्मिश्रण थी।

प्रश्न 15.
भारत के पश्चिम में स्थित विशाल मरुस्थल का नाम बताओ।
उत्तर-
थार मरुस्थल।

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प्रश्न 16.
भारत की आकृति कैसी है?
उत्तर-
त्रिभुजाकार।

प्रश्न 17.
देश में राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त भाषाएं कितनी हैं?
उत्तर-
22.

प्रश्न 18.
आज विश्व का सबसे बड़ा प्रजातन्त्र अथवा लोकतंत्र कौन-सा है?
उत्तर-
भारत।

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प्रश्न 19.
भारत में किस भाषा को राष्ट्र/राज-भाषा का स्थान प्राप्त है?
उत्तर-
हिन्दी।

प्रश्न 20.
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में जनसंख्या का घनत्व कितना था?
उत्तर-
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में जनसंख्या का घनत्व 382 व्यक्ति प्रतिवर्ग किलोमीटर था।

प्रश्न 21.
बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में भारत के कौन-कौन से टापू स्थित हैं?
उत्तर-
बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में क्रमश: अण्दमान-निकोबार तथा लक्षद्वीप नामक टापू स्थित हैं।

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प्रश्न 22.
भारत किस महाद्वीप में स्थित है?
उत्तर-
भारत एशिया महाद्वीप में स्थित है।

प्रश्न 23.
भारत के वे कौन-से तीन राज्य हैं जिनकी सीमा पाकिस्तान के साथ लगती है?
उत्तर-
जम्मू-कश्मीर (अब केंद्र शासित प्रदेश) पंजाब, राजस्थान तथा गुजरात राज्यों की सीमा पाकिस्तान से लगती है।

प्रश्न 24.
भारत के किन्हीं चार केन्द्रीय प्रदेशों के नाम लिखो।
उत्तर-
दिल्ली, चण्डीगढ़, पांडिचेरी तथा लक्षद्वीप भारत के केन्द्रीय प्रदेश हैं।

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प्रश्न 25.
भारत का पूर्व-पश्चिमी विस्तार कितना है?
उत्तर-
भारत का पूर्व-पश्चिमी विस्तार 2933 कि० मी० है।

प्रश्न 26.
भारत के किन्हीं दो प्रान्तों के नाम बताओ जिनकी सीमा दूसरे देशों के साथ लगती है।
उत्तर-
पंजाब, उत्तर प्रदेश।

प्रश्न 27.
भारत के पूर्वी तट पर स्थित चार राज्यों के नाम बताएं।
उत्तर-
भारत के पूर्वी तट पर स्थित चार राज्य हैं-तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा तथा पश्चिमी बंगाल।

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प्रश्न 28.
अरब सागर से लगते चार भारतीय राज्यों के नाम बताओ।
उत्तर-
अरब सागर के साथ लगते चार भारतीय राज्य-गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा केरल हैं।

प्रश्न 29.
बंगला देश की सीमा से लगते किन्हीं चार भारतीय राज्यों के नाम लिखो।
उत्तर-
बंगला देश की सीमा से लगते चार भारतीय राज्य पश्चिमी बंगाल, असम, मेघालय तथा मिज़ोरम हैं।

प्रश्न 30.
उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़ तथा झारखण्ड की राजधानियों के नाम बताओ।
उत्तर-
उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून, छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर तथा झारखण्ड की राजधानी रांची है।

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. जनसंख्या के हिसाब से विश्व में चीन को ……………… स्थान प्राप्त है।
  2. भारत को ………….. रेखा दो समान भागों में बांटती है।
  3. क्षेत्रफल की दृष्टि से ………….. संसार का सबसे बड़ा देश है।
  4. भारत के ……………. पर्वत विश्व के प्राचीनतम पर्वत हैं।
  5. भारतीय संविधान में ……………… भाषा को राष्ट्र भाषा का स्थान प्राप्त है।
  6. …………. में संसार की सबसे अधिक वर्षा होती है।
  7. …………… उत्तराखण्ड की राजधानी है।
  8. पंजाब, राजस्थान और ………….. राज्य की सीमा पाकिस्तान से लगती है।
  9. ……………. छत्तीसगढ़ की राजधानी है।
  10. ………. पंजाब तथा हरियाणा की राजधानी है।

उत्तर-

  1. पहला,
  2. कर्क,
  3. रूस,
  4. अरावली,
  5. हिन्दी,
  6. चिरापूंजी,
  7. देहरादून,
  8. गुजरात,
  9. रायपुर,
  10. चण्डीगढ़।

III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जनसंख्या की दृष्टि से भारत को विश्व में स्थान प्राप्त है —
(A) पहला
(B) दूसरा
(C) तीसरा
(D) चौथा।
उत्तर-
(B) दूसरा

प्रश्न 2.
क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में भारत को स्थान प्राप्त है —
(A) पहला
(B) पांचवां
(C) नौवां
(D) सातवां।
उत्तर-
(D) सातवां।

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प्रश्न 3.
भारत के किस राज्य में स्त्री साक्षरता दर सबसे अधिक है?
(A) केरल
(B) बिहारं
(C) दिल्ली
(D) पंजाब।
उत्तर-
(A) केरल

प्रश्न 4.
भारत की उत्तरी सिरे (कश्मीर) से दक्षिणी सिरे (कन्याकुमारी) तक की लम्बाई है —
(A) 3041 किलोमीटर
(B) 3400 किलोमीटर
(C) 3214 किलोमीटर
(D) 3450 किलोमीटर।
उत्तर-
(C) 3214 किलोमीटर

प्रश्न 5.
भारत में लोकतंत्र/गणराज्य की स्थापना हुई —
(A) 26 जनवरी, 1947
(B) 26 जनवरी, 1950
(C) 15 अगस्त, 1947
(D) 30 जनवरी, 1950
उत्तर-
(B) 26 जनवरी, 1950

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प्रश्न 6.
भारत की आकृति कैसी है?
(A) चतुर्भुज
(B) आयाताकार
(C) त्रिभुजाकार
(D) अण्डाकार।
उत्तर-
(C) त्रिभुजाकार

प्रश्न 7.
देश में राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त भाषाएं हैं —
(A) 13
(B) 20
(C) 18
(D) 22
उत्तर-
(D) 22

प्रश्न 8.
2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या का प्रति वर्ग कि० मि० घनत्व है —
(A) 382
(B) 324
(C) 362
(D) 392
उत्तर-
(A) 382

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IV. सत्य-असत्य कथन

प्रश्न
सत्य/सही कथनों पर (✓) तथा असत्य/ग़लत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं

  1. भारत एशिया महाद्वीप के उत्तर में फैला एक विशाल देश है।
  2. कर्क रेखा भारत को उत्तरी एवं दक्षिणी दो भागों में बांटती है।
  3. भारत की. आकृति त्रिभुजाकार है।
  4. भारत की स्थल सीमा को कुल 10 देशों की सीमाएं लगती है।
  5. चंडीगढ़ हरियाणा तथा पंजाब दोनों राज्यों की राजधानी है।

उत्तर-

  1. (✗),
  2. (✓),
  3. (✓),
  4. (✗),
  5. (✓).

V. उचित मिलान

  1. छत्तीसगढ़ – रूस
  2. जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा देश – रायपुर
  3. क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा देश देहरादून
  4. उत्तराखंड – चीन

उत्तर-

  1. छत्तीसगढ़-रायपुर,
  2. जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा देश-चीन
  3. क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा देश-रूस,
  4. उत्तराखंड-देहरादून।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत के आकार और विस्तार की मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
भारत की पूर्व से पश्चिम तक लम्बाई 2933 कि. मी. तथा उत्तर से दक्षिण तक 3214 कि० मी० है। भारत का कुल क्षेत्रफल लगभग 32.8 लाख वर्ग कि० मी० है। क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत संसार का सातवां बड़ा देश है। बड़े देशों में यह रूस के सातवें तथा कनाडा के तीसरे भाग के बराबर है। कुल मिला कर भारत ने पृथ्वी के स्थल भाग का लगभग 2.2% भाग घेरा हुआ है।

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प्रश्न 2.
“भारत का अक्षांशीय और देशान्तरीय विस्तार लगभग 30° है, फिर भी भारत का उत्तर-दक्षिण विस्तार पूर्व-पश्चिम के विस्तार से अधिक है।” कारण बताइए।
उत्तर-
इसमें कोई सन्देह नहीं कि भारत का उत्तर-दक्षिण अक्षांशीय विस्तार 30° है और इतना ही इसका पूर्वपश्चिम देशान्तरीय विस्तार है। परन्तु जब इस विस्तार को किलोमीटर में निकालते हैं तो यह दूरी बराबर नहीं आती। देश का पूर्व-पश्चिम विस्तार 2933 किलोमीटर और उत्तर-दक्षिण विस्तार 3214 किलोमीटर है। इसका कारण यह है कि देशान्तर रेखाएं अक्षांश रेखाओं की भान्ति एक-दूसरे के समानान्तर नहीं हैं। सभी देशान्तर रेखाएं ध्रुवों पर आकर आपस में मिल जाती हैं और जैसे-जैसे हम विषुवत् रेखा से दूर होते जाते हैं देशान्तर रेखाओं के बीच की दूरी घटती जाती है। परिणामस्वरूप भारत का पूर्व-पश्चिम विस्तार (किलोमीटरों में) कम होता जाता है।

प्रश्न 3.
भारत का देशान्तरीय विस्तार कितना है? इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर-
भारत का देशान्तरीय विस्तार 30° है। इसका सबसे बड़ा महत्त्व यह है कि इस देश में सूर्य उदय के समय में काफ़ी स्थानीय अन्तर पाया जाता है, अर्थात् देश के सभी भागों में सूर्य एक ही समय पर उदय नहीं होता। उदाहरण के लिए अरुणाचल प्रदेश और गुजरात क्रमश: भारत के पूर्व और पश्चिम में स्थित हैं। दोनों में 30° देशान्तर का अन्तर है। प्रत्येक देशान्तर के बीच चार मिनट के समय का अन्तर होता है। इस प्रकार अरुणाचल प्रदेश तथा गुजरात के समय में दो घण्टे का अन्तर आ जाता है।

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बड़े उत्तर वाला प्रश्न (Long Answer Type Question)

प्रश्न
प्रशासनिक दृष्टि से भारत को कितने भागों में बांटा गया है? एक तालिका की सहायता से इनकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
भारत को प्रशासनिक दृष्टि से दो मुख्य भागों में बांटा गया है —

1. राज्य 2. केन्द्र शासित क्षेत्र।
राज्यों की संख्या 28 और केन्द्र शासित क्षेत्रों की संख्या 8 है। इन राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के नामों, उनकी राजधानियों तथा क्षेत्रफल की तालिका आगे दी गई है —

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PSEB 10th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-एक परिचय 2
PSEB 10th Class Geography Solutions Chapter 1 भारत-एक परिचय 3
Based upon Survey of India map with the permission of the Surveyor General of India. The responsibility for the correctness of internal details rests with the publisher: The territorial waters of India extend into the sea to a distance of twelve nautical miles measured from the appropriate base line. The interstate boundaries between Arunachal Pradesh, Assam and Meghalaya shown on this map are as interpreted from the NorthEastern Areas (Reorganisation) Act. 1971, but have yet to be verified. The external boundaries and coastlines of India agree with the Record/Master Copy certified by Survey of India.

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2. केन्द्रीय शासित क्षेत्र क्षेत्र
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PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 परिवार

Punjab State Board PSEB 10th Class Home Science Book Solutions Chapter 8 परिवार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Home Science Chapter 8 परिवार

PSEB 10th Class Home Science Guide परिवार Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
परिवार से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
परिवार समाज की मूल इकाई है और सामाजिक बनावट का आधार है। परिवार उन लोगों का एक समूह है जिनका आपसी खून या कानून का सम्बन्ध हो, एक घर में रहते हों और सांझी सम्पत्ति का प्रयोग करते हों, एक-दूसरे से भावनात्मक साँझ हो, साँझे दुःख-सुख हों तथा आवश्यकता पड़ने पर एक दूसरे की सहायता करें।

प्रश्न 2.
समाज की रचना का आधार क्या है?
उत्तर-
समाज की बनावट का आधार परिवार है। परिवार एक समाज की प्रारम्भिक इकाई है। परिवारों से मिल कर ही एक समाज जन्म लेता है। व्यक्ति परिवारों द्वारा समाज
से जुड़ते हैं और समाज में रहना सीखते हैं। परिवार की संस्था अस्तित्व में आने के पश्चात् ही समाज ने जन्म लिया है।

प्रश्न 3.
परिवार के मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
मुख्यतः परिवार की दो किस्में हैं
1. संयुक्त परिवार – संयुक्त परिवार एक बड़ा परिवार होता है। संक्षेप में जिस घर में तीन पीढ़ियों के सदस्य एक स्थान, एक घर में रहते हों तथा परिवार के साधनों को साँझे रूप में प्रयोग करते हों को संयुक्त परिवार कहा जाता है।
2. इकाई परिवार – यह परिवार छोटा परिवार होता है जिसमें माता-पिता और उनके बच्चे रहते हों उसको इकाई परिवार कहा जाता है।

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छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 4.
संयुक्त परिवार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
संयुक्त परिवार एक बड़ा परिवार होता है जिसमें माँ-बाप, उनके बच्चे और पोते-पोतियां इकट्ठे रहते हैं। इस परिवार में सब की साँझी कमाई होती है और घर के सभी सदस्य उसी कमाई से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। यह परिवार एक छत के नीचे रहता है और एक ही चूल्हे पर रोटी खाता है। दुःख-सुख में सारे परिवार के सदस्य इकट्ठे रहते हैं। परन्तु आजकल इस तरह के परिवार घटते जा रहे हैं।

प्रश्न 5.
इकाई परिवार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
इकाई परिवार एक छोटा परिवार होता है। इकाई परिवार में मां-बाप और उनकी सन्तान रहती है। यह एक स्वतन्त्र इकाई है। पश्चिमी देशों की तरह हमारे देश में भी इकाई परिवारों की संख्या बढ़ती जा रही है। मां-बाप की आय इस घर में कमाई का स्रोत होती है जिसको बच्चे और मां-बाप मिलकर खर्च करते हैं। इस तरह के परिवारों के सदस्यों में जहां स्वतन्त्रता और स्व: विश्वास की भावना बढ़ती है वहां स्वार्थ की भावना भी इस तरह के परिवार को अपने निकट सम्बन्धियों को इनसे दूर करती है।

प्रश्न 6.
संयुक्त परिवार की विशेषताएं क्या हैं?
अथवा
संयुक्त परिवार के क्या लाभ हैं?
उत्तर-

  1. संयुक्त परिवार में साँझी कमाई होती है जो आवश्यकता के समय काम आती है।
  2. इस परिवार में सभी कार्य विभाजित किए जाते हैं, एक सदस्य पर बोझ नहीं पड़ता।
  3. संयुक्त परिवार में बुजुर्ग, विधवा, अंगहीन या बच्चों को बहुत सहारा मिलता है।
  4. आजकल मां-बाप के पास बच्चों के लिए समय कम होता है और संयुक्त परिवार में बच्चे दादा-दादी से बहुत कुछ सीखते हैं।
  5. संयुक्त परिवार के सदस्यों में सहयोग और कुर्बानी की भावना अधिक होती है।
  6. संयुक्त परिवार में इकट्ठे रहने से परिवार का खर्च कम हो जाता है और बचत बढ़ जाती है।

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प्रश्न 7.
संयुक्त परिवार होने की क्या हानियां हैं?
उत्तर-
आजकल संयुक्त परिवारों की संख्या काफ़ी कम होती जा रही है। संयुक्त परिवारों के कई फायदे और कई नुकसान हैं। संयुक्त परिवार की हानियां निम्नलिखित हैं
नुकसान-

  1. संयुक्त परिवार में आर्थिक सुरक्षा के कारण परिवार के कई सदस्य निकम्मे और आलसी बन जाते हैं।
  2. कई बार लायक बच्चों के व्यक्तित्व का विकास नहीं होता क्योंकि परिवार में सभी को बराबर समझा जाता है।
  3. संयुक्त परिवार में औरतों को बहुत कम स्वतन्त्रता होती है।
  4. परिवार के कई सदस्यों को अपने पैरों पर स्वयं खड़े होने का अवसर नहीं मिलता।
  5. संयुक्त परिवार में आर्थिक स्वतन्त्रता कम होती है।

प्रश्न 8.
इकाई परिवार की विशेषताएं कौन-सी हैं?
उत्तर-
औद्योगीकरण और शहरीकरण से इकाई परिवारों की संख्या बढ़ रही है। इस प्रकार के परिवारों की विशेष बातें इस प्रकार हैं

  1. इस परिवार के सदस्य एक-दूसरे के अधिक निकट होते हैं।
  2. इस परिवार में आर्थिक स्वतन्त्रता होती है। पति-पत्नी अपनी इच्छा से खर्च कर सकते हैं।
  3. इस परिवार को एक या दो व्यक्तियों की कमाई पर ही गुज़ारा करना पड़ता है।
  4. इस तरह के परिवारों में घर के काम का सारा बोझ गृहिणी पर ही पड़ता है।
  5. इस परिवार के सदस्य बड़े-बूढ़ों के तुजुर्बो से लाभ नहीं उठा सकते।

प्रश्न 9.
छोटे परिवार का महत्त्व क्या है?
उत्तर-
बच्चे के सही पालन-पोषण के लिए परिवार का छोटा होना आवश्यक है। बड़े परिवार में बच्चे प्रायः अभावों का शिकार रहते हैं। किसी की सभी आवश्यकताएं पूर्ण नहीं होती। इसलिए परिवार की खुशी के लिए निम्नलिखित कारणों से परिवार छोटा होना चाहिए

  1. आपसी प्यार-छोटे परिवारों में आपसी प्यार की भावना अधिक देखने को मिलती है।
  2. आर्थिक विकास-छोटे परिवार में खर्च कम होने के कारण सब की आवश्यकताएं पूर्ण होने पर भी बचत हो सकती है जिससे परिवार आर्थिक विकास करता है।
  3. सर्वपक्षीय विकास-छोटे परिवार में मां-बाप बच्चों की ओर व्यक्तिगत ध्यान दकर उनकी शारीरिक, मानसिक और आर्थिक आवश्यकताएँ पूर्ण करके उनका सर्वपक्षीय विकास कर सकते हैं।
  4. बच्चों में आत्म-विश्वास-बच्चों की आवश्यकताएं पूर्ण होने के कारण उनका सर्वपक्षीय विकास होता है और उनमें आत्म-विश्वास की भावना बढ़ती है।
  5. जनसंख्या में कम वृद्धि-छोटे परिवार होने से देश की जनसंख्या में कम वृद्धि होती है। इस से देश का आर्थिक विकास तेजी से होता है।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 परिवार

प्रश्न 10.
छोटे परिवार के क्या लाभ हैं?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 11.
बच्चों में दूरी रखने का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
छोटे परिवार के होने के साथ-साथ बच्चों में अधिक दूरी होना भी आवश्यक है। क्योंकि गर्भ के समय मां को पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है। यदि भोजन में कैल्शियम, लोहा, प्रोटीन, विटामिन आदि की भोजन में उचित मात्रा न हो तो माँ का स्वास्थ्य कमज़ोर पड़ जाता है। यदि दूसरा बच्चा भी जल्दी ही आ जाए तो उससे माँबच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर और भी बुरा प्रभाव पड़ेगा। इसके अतिरिक्त फासला कम होने की स्थिति में माँ के लिए दोनों बच्चों की संभाल और भी मुश्किल होती है। इसलिए मां-बच्चे के स्वास्थ्य का ध्यान, बच्चों की सही देखभाल और आर्थिक तत्त्वों को ध्यान रखते हुए यह कहना बिल्कुल ठीक है कि बच्चों के बीच कम-से-कम तीन वर्ष का फासला होना आवश्यक है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 12.
संयुक्त तथा इकाई परिवार की तुलना करो तथा दोनों के लाभ तथा हानियां बताओ।
उत्तर-

संयुक्त परिवार इकाई परिवार
1. यह परिवार बड़ा होता है। 1. यह परिवार छोटा होता है।
2. इस परिवार में आय सांझी होती है। 2. इस परिवार में आय केवल मां या बाप की होती है।
3. इस परिवार में इकट्ठे रहने से खर्च कम होता है। 3. इस परिवार के प्रारम्भिक खर्चे अधिक होते हैं।
4. इसमें काम बंटा होने के कारण गृहिणियों को कुछ आराम मिल जाता है। 4. इस परिवार के घर का सारा काम गृहिणी को करना पड़ता है।
5. इस परिवार के बच्चे दादा-दादी से बहुत कुछ सीखते हैं। 5. इस परिवार के बच्चे दादा-दादी के प्यार से वंचित रह जाते हैं।
6. इस परिवार में आर्थिक स्वतन्त्रता कम होती है। सभी सदस्य घर के मुखिया से पैसे लेकर खर्च करते हैं। 6. इस परिवार में पति-पत्नी आर्थिक रूप से स्वतन्त्र रहते हैं।

संयुक्त तथा इकाई परिवार के लाभ-इसके उत्तर के लिए प्रश्न 6 और 8 का उत्तर लिखो।

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प्रश्न 13.
(i) बच्चों में दूरी रखने से परिवार में आर्थिक समृद्धि होती है। इस तथ्य की पुष्टि करें।
अथवा
बच्चों में दूरी रखने का क्या महत्त्व है? विस्तारपूर्वक लिखें।
(ii) आर्थिक समृद्धि के लिए छोटा परिवार तथा बच्चों में दूरी होना क्यों आवश्यक है?
(iii) छोटे परिवार में आपसी प्यार कैसे बढ़ता है तथा इसका समूचे परिवार की सेहत पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
(i) बच्चों के जन्म के बीच आवश्यक दूरी होना बहुत जरूरी है। विशेषज्ञों के अनुसार एक बच्चे और दूसरे बच्चे के जन्म के बीच कम-से-कम तीन वर्ष की दूरी होना मां और बच्चे के स्वास्थ्य और घर की खुशहाली के लिए और भी आवश्यक है।

बच्चों के जन्म में दूरी रखने का महत्त्व छोटा परिवार होने के साथ-साथ बच्चों में अधिक दूरी होना भी आवश्यक है क्योंकि गर्भ के समय मां को पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है। यदि भोजन में प्रोटीन, कैल्शियम और लोहे की उचित मात्रा न हो तो बच्चे को सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि बच्चा मां के शरीर से इन तत्त्वों को प्राप्त करता है। इसी कारण मां में भी इन तत्त्वों की कमी हो जाती है। यदि बच्चों में फासला कम हो तो मां में इन तत्त्वों की कमी पूरी नहीं हो सकती और वह बहुत कमजोर हो जाती है। जल्दी-जल्दी बच्चे होने के कारण जन्म के पश्चात् भी मां-बच्चे की ओर पूरा समय और ध्यान नहीं दे सकती। जिस कारण बच्चों की ठीक देखभाल नहीं होती। इसलिए बच्चों में दूरी रखने का महत्त्व निम्नलिखित अनुसार है

  1. लिंग सम्बन्धी संतुष्टि-परिवार में मां-बाप की मानसिक शान्ति बहुत आवश्यक है जिसका काफ़ी सम्बन्ध लिंग भावना की संतुष्टि के साथ जुड़ा हुआ है। अधिक बच्चों का भार मां-बाप को बच्चों के साथ उलझाए रखता है जिससे उनकी अपनी लिंग भावना की पूर्ति ठीक ढंग से नहीं हो सकती। वह चिड़चिड़े से बन जाते हैं।
  2. बच्चों की सही देखभाल-यदि बच्चों में फासला होगा तो उनका पालन पोषण भी सही ढंग से हो सकता है और वह प्रत्येक पक्ष से विकसित होंगे और उनका स्वास्थ्य भी अच्छा होगा।
  3. आर्थिक रूप में खुशहाल-फासले से बच्चा होने के समय आर्थिक मुश्किल कम आती है क्योंकि फासले के दौरान बचाया पैसा अगले बच्चे के लिए प्रयोग किया जा सकता है और कुछ पैसा घर की खुशहाली के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है।
  4. मनोरंजन की पूर्ति-खेल बच्चों के लिए बहुत आवश्यक है। यदि बच्चों में फासला होगा तो मां-बाप उनके साथ मनोरंजन कर सकेंगे। उनके साथ थोड़ा बहुत खेल सकेंगे, टी० वी० देख सकेंगे या पार्क आदि में भी जा सकते हैं। इस तरह दोनों का ही मनोरंजन होगा।
  5. मां-बाप के लिए अधिक समय-कम फासले के बच्चे होने से मां-बाप बच्चों के साथ ही उलझे रहते हैं परन्तु यदि बच्चों में फासला होगा तो मां-बाप के पास भी अन्य रुचियों के लिए समय मिल सकता है।
  6. मृत्यु-दर में कमी-बच्चों में फासला रखने से उनकी देखभाल अच्छी होगी और जिसके कारण स्वास्थ्य अच्छा होगा और इस तरह बच्चों की मृत्यु-दर में कमी आएगी। आजकल प्रत्येक स्त्री, पुरुष अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और विकास के अवसर देना चाहता है। इसलिए परिवार नियोजित करना आवश्यक हो जाता है।

छोटा परिवार और आर्थिक खुशहाली आजकल महंगाई के ज़माने में परिवार की आर्थिक खुशहाली का परिवार के आकार से सीधा सम्बन्ध है। घर की बहुत-सी समस्याएं परिवार के छोटा होने से ही हल हो सकती हैं। . बच्चों की सही देखरेख के लिए आवश्यक हो जाता है कि परिवार छोटा हो। किसी के पास समय और पैसा नहीं कि बहुत-से बच्चों की देख-रेख कर सके। वैसे भी संसार में प्रत्येक वस्तु की कमी होती जा रही है और भारत जैसे देश में तो बड़े परिवारों की आवश्यकता नहीं जहां हज़ारों समस्याएं केवल जनसंख्या की वृद्धि से जुड़ी हुई हैं। इसलिए बच्चों के सर्वपक्षीय विकास के लिए परिवार छोटे-से-छोटा हो ताकि बच्चे सही ढंग से पल कर बड़े हों और ठीक जीवन व्यतीत कर सकें। बड़े परिवार में अधिक बच्चे सदैव भूख का शिकार ही रहते हैं। इसलिए हमारी सरकार और समाज छोटे परिवार का नारा लगा रहे हैं। हम कह सकते हैं निम्नलिखित कारणों से परिवार छोटा चाहिए —

  1. आपसी प्यार — छोटे परिवार में आपसी प्रेम भावना अधिक होती है क्योंकि कम बच्चे मिल कर माता-पिता के पास बैठ सकते हैं। इस तरह एक-दूसरे का प्यार और सम्मान ले सकते हैं।
  2. आर्थिक विकास — बच्चे कम होने से उनकी लगभग सभी आवश्यकताएं आसानी से पूरी हो जाती हैं। इस तरह हर तरह का खर्चा किया जा सकता है और कुछ पैसे बचाए भी जा सकते हैं।
  3. सर्वपक्षीय विकास — छोटे परिवार में मां-बाप बच्चे की ओर व्यक्तिगत ध्यान देकर उनकी शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और आध्यात्मिक आवश्यकताएं पूर्ण करके उनका सर्वपक्षीय विकास कर सकते हैं। बच्चों को अच्छी और उच्च शिक्षा दी जा सकती है। आजकल स्कूल में दाखला लेने से लेकर बच्चों की नौकरी लगाने पर बहुत मुश्किल मुकाबला होता है जिसके लिए अधिक ध्यान की आवश्यकता होती है, जोकि बड़े परिवार वाले घर में मां नहीं दे सकती।
  4. पारिवारिक स्तर की ऊँचाई-छोटे परिवार में बच्चों की आवश्यकताएं पूर्ण करने के उपरान्त कुछ पैसे बचाए जा सकते हैं जिससे बाजार में जो कई तरह की वस्तुएं मिलती हैं उनको प्राप्त किया जा सकता है। बड़े परिवार की प्रारम्भिक आवश्यकताओं पर ही इतना खर्च हो जाता है कि दूसरे खर्च फिजूल लगते हैं। टी० वी०, कम्प्यूटर आदि केवल मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि बच्चों का मानसिक स्तर भी ऊँचा करते हैं।
  5. ज़िम्मेदारियों की कमी-पुराने समय में जब परिवार में बच्चों की संख्या अधिक होती थी तो माताओं को सारा दिन रसोई में रोटी आदि पकाने से ही फुर्सत नहीं मिलती थी। छोटे परिवार से मां-बाप की ज़िम्मेदारियों की सिरदर्दी काफ़ी कम होती है।
  6. समूचे परिवार का स्वास्थ्य-कम बच्चों से जहां बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जा सकता है, वहाँ मां-बाप का स्वास्थ्य भी विशेष रूप में ठीक रहता है। जिस कारण वह बच्चों की ओर आसानी से अधिक समय ध्यान रख सकते हैं और उनकी आवश्यकताएँ पूर्ण कर सकते हैं।
  7. बच्चों में आत्म-विश्वास-जो बच्चे कमियों में रहते हैं, स्कूल में फटे-पुराने फैशन के कपड़े पहनते हैं उनमें कई बार हीनता की भावना आ जाती है जिसका उनके व्यक्तित्व पर बुरा प्रभाव पड़ता है। बच्चों में आत्म-विश्वास पैदा करने के लिए आवश्यक है कि उनको पूर्ण सुविधाएं मिलें जो कि छोटे परिवार में ही सम्भव हैं।
  8. देश की जनसंख्या को ठीक रखना-भारत की जनसंख्या 100 करोड़ से भी बढ़ गई है। इसका अधिक लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। नौकरियां कम और नौकरियां लेने वालों की संख्या अधिक होने के कारण सभी को नौकरी नहीं मिलती या उनकी योग्यता के अनुसार छोटी नौकरी मिलती है जिस कारण अराजकता पैदा होती है और कई बच्चे नशा करने लग जाते हैं या आत्महत्या करने की भी सोचते हैं। इसलिए छोटे परिवार में प्रत्येक बच्चे पर व्यक्तिगत रूप में ध्यान दिया जा सकता है। परिवार को छोटा रखने के लिए अच्छा होगा कि परिवार को देर से शुरू किया जाए। इसका यह फायदा है कि पति पत्नी को एक-दूसरे को समझने के लिए अधिक समय मिल जाता है और उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधर जाती है।
    (ii) देखें भाग (i)
    (iii) देखें भाग (i)

प्रश्न 14.
बच्चों में दूरी रखने के महत्त्व को समझने से बच्चों की मृत्य-दर में कमी आई है। इस तथ्य की पुष्टि करें।
उत्तर-
एक बच्चे और दूसरे बच्चे के जन्म के बीच आवश्यक फासला होना बहुत ज़रूरी है। विशेषज्ञ अनुसार एक बच्चे के जन्म और दूसरे बच्चे के जन्म में कम-से कम तीन साल का फासला होना चाहिए जो माँ और बच्चे के स्वास्थ्य और घर की खुशहाली के लिए आवश्यक है। आज से 25-30 वर्ष पहले लोगों को छोटे परिवार और बच्चों के बीच फासले का महत्त्व नहीं मालूम नहीं था। पर विद्या का प्रसार होने से लोग छोटे परिवार और बच्चों के जन्म में फासले को समझने लगे हैं। बच्चों के जन्म के ठीक फासले का स्वास्थ्य पक्ष से मां और बच्चे दोनों को लाभ है। गर्भ अवस्था में मां को सन्तुलित भोजन की आवश्यकता होती है। यदि उस समय बच्चा मां का दूध पी रहा हो तो एक समय में दोनों बच्चों को मां के शरीर से पौष्टिक खुराक नहीं मिल सकती। इससे मां के शरीर में खनिज और विटामिन कम हो जाते हैं। परिणामस्वरूप मां का शरीर कमजोर हो जाता है। इससे गर्भ वाले बच्चे को और दूध पी रहे बच्चे को सन्तुलित भोजन नहीं मिलता और दोनों बच्चे और मां कमज़ोर हो जाते हैं। परिणामस्वरूप किसी गम्भीर बीमारी का शिकार हो सकते हैं। पुराने समय में जब बच्चे अधिक संख्या में होते थे और उनके बीच फासला कम होता था तो बच्चा जच्चा दोनों की मृत्यु-दर अधिक थी। परन्तु लोगों को छोटे परिवार और बच्चों के जन्म में फासले के महत्त्व का मालूम हो चुका है। शिक्षा के कारण गर्भवती मां की खुराक की ओर अधिक ध्यान दिया जाता है और ठीक फासला होने के कारण जच्चा बच्चा दोनों का स्वास्थ्य ठीक रहता है। इसलिए बच्चों की मृत्यु-दर में काफ़ी कमी आई है।

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प्रश्न 15.
(क) आर्थिक समृद्धि के लिए छोटा परिवार और बच्चों में दूरी रखना क्यों आवश्यक है?
(ख) छोटे परिवार का पूरे परिवार की सेहत पर क्या असर पड़ता है और यह देश की आबादी को कैसे ठीक रखता है?
उत्तर-
इसके लिए देखें प्रश्न 13 का उत्तर।

Home Science Guide for Class 10 PSEB परिवार Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
समाज की प्रारम्भिक इकाई क्या है?
उत्तर-
परिवार।

प्रश्न 2.
परिवार कितने प्रकार के हैं?
उत्तर-
दो, संयुक्त परिवार तथा इकाई परिवार।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 परिवार

प्रश्न 3.
कौन-सा परिवार छोटा होता है?
उत्तर-
इकाई परिवार।

प्रश्न 4.
कौन-से परिवार में प्रारम्भिक खर्च अधिक होते हैं?
उत्तर-
इकाई परिवार में।

प्रश्न 5.
कौन-से परिवार में पति-पत्नी आर्थिक रूप से आज़ाद नहीं होते हैं?
उत्तर-
संयुक्त परिवार में।

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प्रश्न 6.
परिवार के एक महत्त्वपूर्ण कार्य का वर्णन करें।
उत्तर-
समाजीकरण तथा भाषा विकास।

प्रश्न 7.
बच्चों की आयु में अन्तर रखने का एक कारण बताएँ।
उत्तर-
बच्चों की अच्छी देखभाल हो जाती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संयुक्त परिवार की दो विशेषताएं बताएं।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्न में।

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प्रश्न 2.
इकाई परिवार की दो हानियां बताएं।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 3.
माता-पिता की अनुपस्थिति में दादा-दादी द्वारा तीन वर्षीय बच्चे की देखभाल के दो उपयोग बताइये।
उत्तर-
आजकल औरतें भी नौकरी करती हैं या घर के अन्य कार्यों के लिए घर से बाहर जाती हैं तथा बच्चे घर पर छोड़ने पड़ते हैं। ऐसी स्थिति में घर पर दादा-दादी हों तो बच्चों की देखभाल की चिन्ता नहीं रहती। दादी अनुभवी होती है तथा वह बच्चों की देखभाल अच्छी प्रकार कर सकती है तथा दादा-दादी का मन भी लगा रहता है। दादादादी को पोते-पोतियों से प्यार भी बहुत होता है।

प्रश्न 4.
संयुक्त परिवार से क्या हानियां हैं? पूर्ण जानकारी दीजिए।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में ।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संयुक्त परिवार और इकाई परिवार के बारे विस्तारपूर्वक लिखें।
उत्तर-
इकाई परिवार में मां-बाप और उनकी संतान इकट्ठे रहते हैं। यह एक स्वतन्त्र इकाई है। परन्तु जब परिवार में अन्य दूर निकट के रिश्तेदार भी रहने लग जाएं तो इस परिवार को संयुक्त परिवार कहा जाता है।
परिवार की किस्में-प्राय: परिवार दो प्रकार के होते हैं

  1. संयुक्त परिवार
  2. इकाई परिवार।

1. संयुक्त परिवार-संयुक्त परिवार में घर के कमाई करने वाले सदस्य अपनी कमाई को साझी कमाई में डाल देते हैं। उस साझी कमाई से परिवार का खर्च चलता है। कामकाज सभी सदस्य बांट कर करते हैं। छोटा-बड़ा अपना स्थान पहचानता है। सभी सदस्यं एक-दूसरे पर विश्वास रखते हैं। संयुक्त परिवार में शादी विवाह में वर का चुनाव भी साझी राय से होता है। विवाह होने से केवल लड़के लड़की का ही जोड़ नहीं होता बल्कि परिवारों का जोड़ होता है। संयुक्त परिवार में रिश्तेदारों को एक दूसरे से जोड़ने वाली वस्तु प्रेम भाव और एक-दूसरे के लिए अपने आपको कुर्बान करना है। संयुक्त परिवार वाला घर सब का साझा घर समझा जाता है। जहां कि कोई दूर या निकट सम्बन्धी आकर रह सकता है और साझे खाने में से खाना खा सकता है। साझा घर ग़रीब, यतीम को भी स्थान दे सकता है। दान पुण्य के काम-काज भी साझे फण्ड में से किए जा सकते हैं। आजकल आधुनिक विद्या और औद्योगीकरण के प्रभाव के अधीन संयुक्त परिवार धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है। नए इकाई परिवार को प्राथमिकता दी जा रही है जिसमें भाईचारा समाप्त हो रहा है। मनुष्य अपने आप में मग्न रहने लग पड़ा है। संयुक्त परिवार की विशेष बातें

  1. संयुक्त परिवार में मां-बाप और बच्चों के अतिरिक्त अन्य रिश्तेदार भी रहते हैं।
  2. इसमें साझी कमाई होती है जो ज़रूरत के समय प्रयोग की जा सकती है। इकट्ठे रहने से खर्च भी कम होता है।
  3. इसमें सभी कार्य विभाजित किए होते हैं और काम-काज का सारा बोझ एक व्यक्ति पर नहीं पड़ता।
  4. बुजुर्ग, विधवा, अंगहीन या इस तरह के अन्य सदस्यों को संयुक्त परिवार में सहारा मिलता है।
  5. काम का सही विभाजन करने से सभी व्यक्तियों को कुछ फुर्सत मिल जाती है।
  6. इस तरह के परिवार में बच्चे बड़ों के तजुर्षों से बहुत कुछ सीखते हैं।
  7. ज़मीन या अन्य जायदाद का विभाजन नहीं होता इसलिए उत्पत्ति भी अधिक होती है।
  8. संयुक्त परिवार में प्रेमभाव, वस्तुओं का साझा प्रयोग, एक-दूसरे के लिए अपना आप कुर्बान करना आदि की शिक्षा अपने आप ग्रहण हो जाती है और एक की खुशी सब की खुशी मानी जाती है।
  9. इस प्रकार के परिवार में आर्थिक सुरक्षा के कारण कई बार कई सदस्य काम नहीं करना चाहते।
  10. संयुक्त परिवार के सदस्य अपनी इच्छा के अनुसार कुछ नहीं कर सकते। उनको प्रत्येक काम के लिए पहले परिवार की सहमति लेनी पड़ती है।
  11. कई बार. बहुत लायक बच्चों को उनके व्यक्तित्व के विकास के लिए पूर्ण मौके नहीं मिलते क्योंकि संयुक्त परिवार में सब से एक जैसा व्यवहार होता है।
  12. छोटे बच्चों को उत्तरदायी बनने के मौके नहीं मिलते क्योंकि उनको हमेशा बड़ों की बात माननी पड़ती है। उपरोक्त से आप जान सकते हैं कि संयुक्त परिवार के जहां कुछ फायदे हैं वहां कुछ नुकसान भी हैं।

2. इकाई परिवार-आधुनिक विद्या और औद्योगीकरण के प्रभाव के कारण इकाई परिवार का महत्त्व बढ़ रहा है क्योंकि इकाई परिवार में माता-पिता और उनके बच्चे ही होते हैं। इस तरह बच्चों के अस्तित्व पर पूरा ध्यान दिया जा सकता है जोकि प्रत्येक मातापिता की इच्छा है। इकाई परिवार छोटा परिवार होता है जिसमें बच्चों के सभी गुणों का विकास अच्छी तरह हो सकता है। इकाई परिवार की विशेष बातें

  1. इकाई परिवार में पति, पत्नी और उनके बच्चे रहते हैं।
  2. इस परिवार में घर के सारे काम का भार स्त्री पर होता है और बाह्य काम का भार पुरुषों पर, काम बांटा नहीं जा सकता।
  3. इस परिवार में सदस्य एक-दूसरे के निकट होते हैं।
  4. आर्थिक रूप में स्वतन्त्रता होती है और पति-पत्नी अपनी इच्छा अनुसार खर्च कर सकते हैं।
  5. होनहार बच्चे के व्यक्तित्व को उभारा जा सकता है और आवश्यकता अनुसार पढ़ाई करवाई जा सकती है।
  6. इस तरह के परिवार में बच्चों के पास भावनात्मक सन्तुष्टि के लिए मां-बाप के अतिरिक्त और कोई अन्य साधन नहीं होता।
  7. इस तरह का परिवार संयुक्त परिवार की तरह सदस्यों की सभी आवश्यकताएं पूर्ण नहीं कर सकता। अपनी आवश्यकताओं के लिए सदस्यों को बाहरी स्रोत ढूंढने पड़ते हैं।
  8. इस में एक व्यक्ति की कमाई पर निर्भर रहना पड़ता है। खर्च भी अधिक होता है।
  9. ज़रूरत के समय मदद का कोई अन्य स्रोत नहीं होता। परिवार को अपने स्रोतों पर ही निर्भर करना पड़ता है।
  10. इस परिवार के सदस्य बड़ों के तजुर्बे से लाभ नहीं उठा सकते।
    संयुक्त परिवार की तरह इकाई परिवार के कुछ फायदे और कुछ नुकसान भी हैं। फिर भी आजकल इकाई परिवार बढ़ रहे हैं।

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प्रश्न 2.
संयुक्त तथा इकाई परिवार की विशेष बातों का वर्णन करें।
उत्तर-
देखें प्रश्न 1 का उत्तर।

प्रश्न 3.
परिवार के बारे में ज़रूरी बातें बताएं।
उत्तर-

  1. परिवार में स्त्री, पुरुष तथा बच्चे होते हैं। स्त्री पुरुष के बीच एक स्थिर सम्बन्ध शादी का होता है।
  2. शादी एक पवित्र सम्बन्ध है। पति-पत्नी के सम्बन्ध मधुर होने से परिवार में सुख-सुविधा रहती है। जब शादी का सम्बन्ध टूट जाता है तो परिवार भी बिखर जाता है।
  3. परिवार के सदस्यों में खून का रिश्ता होता है।
  4. परिवार के सदस्य यदि अलग-अलग रहते हों तो उन्हें परिवार नहीं कहा जाता। कुछ समय के लिए वे अलग रह सकते हैं, परन्तु आमतौर पर सभी एक ही घर में रहते हैं।
  5. प्रत्येक परिवार का अपना नाम होता है जिससे वह दूसरे परिवार से भिन्न होता है।

प्रश्न 4.
संयुक्त परिवार की विशेष बातें बताएं।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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प्रश्न 5.
छोटे परिवार का महत्त्व विस्तार में बताएं।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 6.
बच्चों में फ़ासला करने से बच्चों की सही देखभाल तथा आर्थिक खुशहाली कैसे होती है?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 7.
बच्चों में फासला करने से आर्थिक खशहाली तथा लिंग सम्बन्धी सन्तुष्टि कैसे होती है?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 8 परिवार

प्रश्न 8.
संयुक्त तथा इकाई परिवार की हानियां बताएं।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें। इकाई परिवार की हानियां

  1. सारे घर का बोझ स्त्री पर तथा बाहर के कार्यों का बोझ पुरुष पर पड़ता है तथा काम बांटा नहीं जा सकता।
  2. बच्चों के पास भावनात्मक सन्तुष्टि के लिए केवल माता-पिता ही होते हैं।
  3. सभी सदस्यों की आवश्यकताएं पूर्ण नहीं की जा सकती। बाहरी स्रोतों से सहायता लेनी पड़ती है।

प्रश्न 9.
इकाई परिवार की क्या हानियां हैं? विस्तारपूर्वक लिखिये।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 10.
संयुक्त तथा इकाई परिवार की तुलना करो।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 11.
संयुक्त परिवार का क्या महत्त्व है? विस्तार से बताएं।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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प्रश्न 12.
इकाई परिवार की क्या हानियां हैं? पूर्ण जानकारी दें।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. रिक्त स्थान भरें

  1. परिवार समाज की …………….. इकाई है।
  2. परिवार की …………….. किस्में हैं।
  3. ………….. परिवार छोटा परिवार होता है।
  4. आजकल ……………….. परिवारों की संख्या कम होती जा रही है।
  5. ………. परिवार आजकल लुप्त होते जा रहे हैं।

उत्तर-

  1. प्राथमिक,
  2. दो,
  3. इकाई,
  4. संयुक्त,
  5. संयुक्त।

II. ठीक/ग़लत बताएं

  1. परिवार समाज की प्राथमिक इकाई है।
  2. इकाई परिवार छोटा परिवार है।
  3. संयुक्त परिवारों की संख्या कम होती जा रही है।
  4. संयुक्त परिवार में कई बार बच्चों के व्यक्तित्त्व का विकास नहीं होता।

उत्तर-

  1. ठीक,
  2. ठीक,
  3. ठीक,
  4. ठीक।

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III. बहविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सामान्यतः परिवार की ………. किस्में हैं
(क) दो
(ख) चार
(ग) पांच
(घ) छः।
उत्तर-
(क) दो

प्रश्न 2.
निम्न में ठीक तथ्य है
(क) परिवार के सदस्यों में रक्त सम्बन्ध होता है।
(ख) संयुक्त परिवार में कमाई को सांझा कमाई में रखा जाता है।
(ग) बच्चे के पालन-पोषण के लिए छोटा परिवार होना चाहिए।
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

प्रश्न 3.
निम्न में ग़लत तथ्य है
(क) परिवार की संस्था का समाज से कोई सम्बन्ध नहीं है।
(ख) छोटा परिवार खुशहाल नहीं होता है।
(ग) संयुक्त परिवार में आर्थिक आज़ादी होती है।
(घ) सभी गलत।
उत्तर-
(घ) सभी गलत।

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परिवार PSEB 10th Class Home Science Notes

  • परिवार समाज की प्रारम्भिक इकाई है।
  • परिवार द्वारा ही मनुष्य समाज से जुड़ता है।
  • परिवार दो प्रकार के, संयुक्त और इकाई परिवार होते हैं।
  • इकाई परिवार में बच्चे अपने मां-बाप के पास रहते हैं।
  • इन दोनों किस्मों के फायदे और नुकसान भी हैं।
  • बच्चों की आयु में फासला कम-से-कम तीन वर्ष का आवश्यक होना चाहिए।
  • छोटे परिवार में खुशहाली होती है।
  • छोटे परिवारों में सदस्यों में आपसी प्यार अधिक होता है।
  • संयुक्त परिवारों में सुरक्षा की भावना अधिक होती है।
  • देश की जनसंख्या कम करने के लिए छोटे परिवारों का होना आवश्यक है।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 7 सन्तुलित भोजन

Punjab State Board PSEB 10th Class Home Science Book Solutions Chapter 7 सन्तुलित भोजन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Home Science Chapter 7 सन्तुलित भोजन

PSEB 10th Class Home Science Guide सन्तुलित भोजन Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
सन्तुलित भोजन से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
सन्तुलित भोजन से भाव ऐसी मिली-जुली खुराक से है जिसमें भोजन के सभी आवश्यक तत्त्व जैसे, प्रोटीन, कार्बोज़, विटामिन, खनिज लवण आदि पूरी मात्रा में हों। भोजन न केवल माप-तोल में पूरा हो बल्कि गुणकारी भी हो ताकि मनुष्य की मानसिक
वृद्धि भी हो सके तथा बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी बनी रहे। सन्तुलित भोजन सभी व्यक्तियों के लिए एक-सा नहीं हो सकता। शारीरिक मेहनत करने वाले व्यक्तियों के लिए जो भोजन सन्तुलित होगा वह एक दफ्तर में काम करने वाले से भिन्न होगा।

प्रश्न 2.
भोजन को किन-किन भोजन समूहों में बांटा जा सकता है और क्यों?
उत्तर–
प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक तन्दुरुस्ती के लिए सन्तुलित भोजन का प्राप्त होना आवश्यक है जिसमें प्रोटीन, कार्बोज़, विटामिन, खनिज लवण पूरी मात्रा में हों। परन्तु ये सभी वस्तुएँ एक तरह के भोजन से प्राप्त नहीं हो सकतीं। इसलिए भोजन को उनके खुराकी तत्त्वों के आधार पर निम्नलिखित समूहों में विभाजित किया जाता है

  1. अनाज
  2. दालें
  3. सूखे मेवे
  4. सब्जियां
  5. फल
  6. दूध और दूध से बने पदार्थ
  7. मक्खन घी तेल
  8. मीट, मछली, अण्डे
  9. शक्कर, गुड़
  10. मसाले, चटनी आदि।

प्रश्न 3.
भोजन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
वे सभी पदार्थ जो हम खाते हैं (दवाइयां और शराब को छोड़कर) जिनसे हमारा शरीर बनता और बढ़ता है, को भोजन कहा जाता है। भोजन से हमारे शरीर में गर्मी और ऊर्जा पैदा होती है। इससे शरीर अपनी क्रियाएं करने के योग्य हो जाता है और अपने टूटे हुए सैलों की मुरम्मत भी कर सकता है।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 7 सन्तुलित भोजन

प्रश्न 4.
दालों में कौन-से पौष्टिक तत्त्व होते हैं और अधिक मात्रा किसकी होती है?
उत्तर-
दालें जैसे मूंग, मोठ, मांह, राजमांह, चने आदि में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। इनमें 20-25 प्रतिशत प्रोटीन होती है। इसके अतिरिक्त विटामिन ‘बी’ खनिज पदार्थ विशेष रूप में कैल्शियम की अच्छी मात्रा में होते हैं। सूखी दालों में विटामिन ‘सी’ नहीं होता परन्तु अंकुरित हुई दालें विटामिन ‘सी’ का अच्छा स्रोत हैं।

प्रश्न 5.
प्रोटीन कौन-कौन से भोजन समूह में पाई जाती है?
उत्तर-
प्रोटीन मनुष्य के भोजन का आधार है। यह कई भोजन समूहों से प्राप्त की जा सकती है।

  1. जीव प्रोटीन-सब तरह का मीट मुर्गा, मछली, अण्डे, दूध ।
  2. पशु प्रोटीन-दूध, दही, दूध का पाऊडर और घी को छोड़कर सभी दूध से बनने वाली वस्तुएं।
  3. वनस्पति प्रोटीन- यह वनस्पति पदार्थों से प्राप्त होती है जैसे अनाज, दालें, मूंगफली, सोयाबीन आदि। जीव प्रोटीन को वनस्पति प्रोटीन से बढ़िया माना जाता है।

प्रश्न 6.
कार्बोहाइड्रेट्स कौन-कौन से भोजन समूह में पाए जाते हैं?
उत्तर-
कार्बोहाइड्रेट्स कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन का मिश्रण है। ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन 2 : 1 के अनुपात में प्राप्त होती हैं। शरीर में 75 से 80 प्रतिशत ऊर्जा कार्बोहाइड्रेट्स से ही पूरी होती है। यह ऊर्जा का एक सस्ता तथा मुख्य स्रोत है।
PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 7 सन्तुलित भोजन 1
कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत-कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत निम्नलिखित हैं

  1. अनाज
  2. दालें
  3. जड़ों वाली तथा भूमि के अन्दर पैदा होने वाली सब्जियां जैसे आलू, कचालू, अरबी, जिमीकन्द तथा शकरकन्दी आदि।
  4. शहद, चीनी तथा गुड़
  5. जैम तथा जैली
  6. सूखे मेवे जैसे बादाम, अखरोट, खजूर, किशमिश तथा मूंगफली आदि।

प्रश्न 7.
सब्जियों में कौन-कौन से पौष्टिक तत्त्व होते हैं?
उत्तर-
भोजन में सब्जियों का होना अति आवश्यक है क्योंकि इनसे विटामिन और खनिज पदार्थ मिलते हैं। भिन्न-भिन्न सब्जियों में भिन्न-भिन्न तत्त्व मिलते हैं। जड़ों वाली सब्जियां विटामिन ‘ए’ का अच्छा स्रोत हैं, हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’ और लोहा काफ़ी मात्रा में होता है। फलीदार सब्जियां प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं।

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प्रश्न 8.
भोजन में मिर्च मसालों का प्रयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर-
भोजन का स्वाद और महक बढ़ाने के लिए इनमें कई तरह के मसाले जैसे जीरा, काली मिर्च, धनिया, लौंग, इलायची आदि प्रयोग किए जाते हैं । यह मसाले भोजन का स्वाद बढ़ाने के अतिरिक्त भोजन शीघ्र पचाने में भी सहायता करते हैं क्योंकि ये पाचक रसों को उत्तेजित करते हैं जिससे भोजन शीघ्र हज़्म हो जाता है।

प्रश्न 9.
आहार नियोजन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
परिवार के विभिन्न सदस्यों के लिए तथा भिन्न-भिन्न समय पर कैसा भोजन तैयार करना है, इसे सोच-समझ कर बनाया जाता है। इस सोच समझ, नियोजन, योजना बनाने की प्रक्रिया को आहार नियोजन करना कहा जाता है। बुजुर्गों तथा बहुत छोटे बच्चों के लिए भिन्न प्रकार का नर्म भोजन चाहिए। युवाओं के लिए अधिक पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है। गर्भवती दूध पिलाने वाली मां के लिए भिन्न प्रकार का भोजन चाहिए। नौकरी पर जाने वाले, स्कूल जाने वाले बच्चे के लिए भिन्न प्रकार से आहार नियोजन करना पड़ता है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 10.
सन्तुलित भोजन की योजना बनाते समय कौन-कौन सी बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर-
परिवार के सदस्य का स्वास्थ्य उनके खाने वाले भोजन पर निर्भर करता है। एक समझदार गृहिणी को अपने परिवार के सदस्यों को सन्तुलित भोजन प्रदान करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. परिवार के प्रत्येक सदस्य को रोज़ाना खुराकी तत्त्वों का ज्ञान होना चाहिए,
  2. आवश्यक पौष्टिक तत्त्व देने वाले भोजन की जानकारी और चुनाव,
  3. भोजन की योजनाबन्दी,
  4. भोजन पकाने का सही ढंग, और
  5. भोजन परोसने के ढंग का ज्ञान होना चाहिए।

प्रश्न 11.
किन-किन कारणों से अनेक लोगों को सन्तुलित भोजन उपलब्ध नहीं होता?
अथवा
सन्तुलित भोजन की मात्रा को प्रभावित करने वाले तत्त्वों के बारे में बताएं।
उत्तर-
दुनिया भर में 90% बीमारियों का कारण सन्तुलित भोजन का सेवन न करना है। विशेष रूप में तीसरी दुनिया के देशों में जनसंख्या के एक बड़े भाग को संतुलित भोजन नहीं मिलता। इसके कई कारण हैं जैसे —

  1. ग़रीबी-ग़रीब लोग अपनी आय कम होने के कारण उपयुक्त मात्रा में आवश्यक पौष्टिक तत्त्वों वाले भोजन नहीं खरीद सकते। सब्जियां, फल, दूध, आदि इन ग़रीब लोगों की खुराक का भाग नहीं बनते।
  2. शिक्षा की कमी-यह आवश्यक नहीं कि केवल ग़रीब लोग ही सन्तुलित भोजन से वंचित रहते हैं। कई बार शिक्षा की कमी के कारण अच्छी आय वाले भी आवश्यक पौष्टिक भोजन नहीं लेते। आजकल कई अमीर लोग भी जंक फूड या फास्ट फूट का प्रयोग अधिक करते हैं जो किसी तरह भी सन्तुलित भोजन नहीं होता।
  3. बढ़िया भोजन न मिलना-कई बार लोगों को खाने-पीने की वस्तुएं बढ़िया नहीं मिलतीं। आजकल सब्जियों में जहर की मात्रा काफ़ी अधिक होती है। शहर के लोगों को दूध भी बढ़िया किस्म का नहीं मिलता। इस तरह भी लोग सन्तुलित भोजन से वंचित रह जाते हैं।

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प्रश्न 12.
सन्तुलित भोजन से क्या भाव है? कौन-कौन से बिन्दु ध्यान में रख कर भोजन को सन्तुलित बनाया जा सकता है?
उत्तर-
देखें प्रश्न 1 का उत्तर। भोजन सन्तुलित बनाने के लिए बिन्दु

  1. सन्तुलित भोजन बनाने के लिए सभी भोजन समूहों में से एक या दो भोजन पदार्थ अवश्य ही लेने चाहिएं।
  2. सन्तुलित भोजन में कैलोरियों की उचित मात्रा हो।
  3. सभी पौष्टिक तत्त्व उचित मात्रा में हों। 17% कैलोरियां कार्बोहाइड्रेट्स से प्राप्त होनी चाहिए।
  4. भिन्न-भिन्न भोजन समूहों में, मिश्रित भोजन बना लेना चाहिए ताकि भोजन खाने को मन करे। एक जैसा भोजन प्रतिदिन नहीं खाया जा सकता।

प्रश्न 13.
किसी तीन भोजन समूहों के पौष्टिक तत्त्वों के बारे में बताएं।
उत्तर-

  1. सूखे मेवे-नारियल को छोड़ कर शेष सभी सूखे मेवे जैसे बादाम, मूंगफली, अखरोट, आदि में बहुत प्रोटीन होता है। इनमें 18-28% प्रोटीन होता है। इनमें खनिज, चर्बी तथा विटामिन भी अच्छी मात्रा में होते हैं।
  2. शक्कर तथा गुड़-यह कार्बोहाइड्रेट्स के अच्छे स्रोत हैं। यह शक्ति प्रदान करने वाले भोजन हैं। गुड़ में लोहा भी होता है।
  3. मक्खन, घी तथा तेल-यह समूह शक्ति के अच्छे स्रोत हैं। इनमें चर्बी तथा चर्बी में घुलनशील विटामिन होते हैं।

प्रश्न 14.
प्रोटीन कौन-कौन से भोजन समूहों में होते हैं? भोजन पदार्थों के नाम भी बताएं।
उत्तर-
प्रोटीन वाले भोजन समूह हैंअनाज, दालें, सूखे मेवे, दूध तथा दूध से बने पदार्थ, मीट, मछली, अण्डे।

  1. अनाज जैसे मक्की, गेहूं, बाजरा आदि।
  2. दालें जैसे मांह, मोठ, मूंगी आदि।
  3. सुखे मेवे जैसे बादाम, अखरोट, मूंगफली आदि।
  4. दूध तथा दूध से बने पदार्थ जैसे दूध, पनीर, दही, खोया आदि।

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प्रश्न 15.
भोजन के पौष्टिक तत्त्व नष्ट होने से बचाने के लिए खाना तैयार करते (बनाते) समय किन-किन बातों को ध्यान में रखोगे?
उत्तर-
भोजन को पकाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. भोजन को अधिक समय तक भिगोकर नहीं रखना चाहिए क्योंकि बहुत सारे घुलनशील तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।
  2. सब्जियों तथा फलों के ज्यादा छिलके नहीं उतारने चाहिएं क्योंकि छिलकों के नीचे विटामिन तथा खनिज लवण ज्यादा मात्रा में होते हैं।
  3. सब्जियों को बनाने से थोड़ी देर पहले ही काटना चाहिए नहीं तो हवा के सम्पर्क के साथ भी विटामिन नष्ट हो जाते हैं।
  4. सब्जियां तथा फल हमेशा बड़े-बड़े टुकड़ों में काटने चाहिएं क्योंकि इस तरह से फल तथा सब्जियों की कम सतह पानी तथा हवा के सम्पर्क में आती है।
  5. सब्जियों को उबालते समय पानी में डालकर कम-से-कम समय के लिए पकाया जाए ताकि उनकी शक्ल, स्वाद तथा पौष्टिक तत्त्व बने रहें।
  6. भोजन को पकाने के लिए मीठे सोडे का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे विटामिन ‘बी’ तथा ‘सी’ नष्ट हो जाते हैं।
  7. मांस, अण्डे तथा अन्य प्रोटीन युक्त पदार्थों को धीमी आग पर पकाना चाहिए नहीं तो प्रोटीन नष्ट हो जाएंगे।
  8. भोजन हिलाते तथा छानते समय अधिक समय नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इससे भोजन के अन्दर हवा इकट्ठी होने के कारण विटामिन ‘सी’ नष्ट हो जाता है।
  9. खाना बनाने वाले बर्तन तथा रसोई साफ़-सुथरी होनी चाहिए।
  10. भोजन में अधिक मसाले का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  11. एक ही प्रकार के भोजन पदार्थों का प्रयोग बार-बार नहीं करना चाहिए।
  12. जो लोग शाकाहारी हों उनके भोजन में दूध, पनीर, दालें तथा सोयाबीन का प्रयोग अधिक होना चाहिए।
  13. जहां तक हो सके भोजन को प्रैशर कुक्कर में पकाना चाहिए क्योंकि इससे समय तथा शक्ति के साथ-साथ पौष्टिक तत्त्व भी बचाए जा सकते हैं।

प्रश्न 16.
भोजन पदार्थों के भिन्न-भिन्न पौष्टिक तत्त्वों की जानकारी, सन्तुलित भोजन की योजना बनाने में कैसे सहायक हैं?
उत्तर-
सन्तुलित भोजन ऐसा भोजन है जिसमें शरीर के लिए पौष्टिक तत्त्व, कैलोरियां आदि आवश्यकता अनुसार हों। यह तभी हो सकता है यदि गृहिणी को भोजन पदार्थों के भिन्न-भिन्न समूहों में पौष्टिक तत्त्वों की जानकारी हो। यह आवश्यक नहीं कि अधिक कीमत वाले भोजन पदार्थों में ही अधिक पौष्टिक तत्त्व होते हैं जैसे प्रोटीन का बहुत सस्ता स्रोत सोयाबीन है। मूंगफली को ग़रीबों के बादाम कहा जाता है। बेर बहुत बढ़िया तथा सस्ता स्रोत है विटामिन तथा खनिज के। जब सब्जियों फलों का मौसम होता है तो यह सस्ते होते हैं। अच्छी गृहिणी अपने सीमित स्रोतों से अच्छा सन्तुलित भोजन तो ही बना सकती है यदि उसे सभी भोजन समूहों से प्राप्त होने वाले पौष्टिक तत्त्वों का ज्ञान हो तथा कौन-से स्रोत सस्ते हैं यह भी पता हो।

प्रश्न 17.
सब्ज़ियों तथा फलों में कौन-कौन से पौष्टिक तत्त्व होते हैं?
उत्तर-
सब्जियां तथा फलों में विटामिन तथा खनिज पदार्थ होते हैं। जड़ वाली सब्जियों में कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं तथा विटामिन ‘सी’ भी होता है जैसे आलू, कचालू, शलगम, अरबी आदि। गाजर तथा शक्करकंदी विटामिन ए का अच्छा स्रोत है।
हरी पत्तेदार सब्जियों में विटामिन ए, बी, सी, कैल्शियम, लोहा आदि हैं। मटर तथा फ्रेन्च बीनस आदि में प्रोटीन भी होता है। फलों में विटामिन सी, ए आदि होते हैं।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 18.
भोजन को समूहों में क्यों बांटा गया है? सन्तुलित भोजन बनाने के समय इसके क्या लाभ हैं?
अथवा
भोजन समूहों के बारे में विस्तारपूर्वक बताएँ।
उत्तर-
अलग-अलग भोजनों में अलग-अलग पौष्टिक तत्त्व मौजूद होते हैं। इसलिए भोजन को उनके पौष्टिक तत्त्वों के अनुसार अलग-अलग भोजन समूहों में बांटा गया है। अण्डे और दूध को पूर्ण खुराक माना गया है। लेकिन प्रतिदिन एक भोजन नहीं खाया जा सकता। इससे मन ऊब जाता है। इसलिए भोजन समूहों में से ज़रूरत अनुसार कुछन-कुछ लेकर सन्तुलित भोजन प्राप्त किया जाता है।

अलग-अलग भोजनों की पौष्टिक तत्त्वों के अनुसार बारम्बारता इस तरह है सन्तुलित भोजन बनाते समय सारे भोजन समूहों में से आवश्यक पौष्टिक तत्त्वों वाले भोजन लिए जाएंगे ताकि भोजन स्वादिष्ट और खुशबूदार बनाया जा सके।
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प्रश्न 19.
सन्तुलित भोजन की योजना बनाते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखोगे?
उत्तर-
परिवार के लिए सन्तुलित भोजन बनाना (Planning Balanced Diet for the family)-सन्तुलित भोजन बनाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. मनुष्य की प्रतिदिन की पौष्टिक तत्त्वों की ज़रूरत का ज्ञान (Knowledge of daily nutritional requirements)
  2. ज़रूरी पौष्टिक तत्त्व देने वाले भोजनों की जानकारी तथा चुनाव (Knowledge of food stuffs that can provide essential nutrients)
  3. भोजन की योजनाबन्दी (Planning of meals)
  4. भोजन पकाने का ढंग (Method of cooking)
  5. भोजन परोसने का ढंग (Method of serving food)

1. मनुष्य की प्रतिदिन की पौष्टिक तत्त्वों की ज़रूरत का ज्ञान (Knowledge of daily nutritional requirements)-मनुष्य की भोजन की आवश्यकता उसकी आयु, लिंग, व्यवसाय तथा जलवायु के साथ-साथ शारीरिक हालत पर निर्भर करती है। जैसे भारा तथा शारीरिक कार्य करने वाले व्यक्ति को हल्का तथा दिमागी कार्य करने वाले मनुष्य की अपेक्षा ज्यादा कैलोरी तथा ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार लड़कियों को लड़कों की अपेक्षा लोहे की ज्यादा ज़रूरत है। इसलिए सन्तुलित भोजन बनाने से पहले पारिवारिक व्यक्तियों की पौष्टिक तत्त्वों की ज़रूरत का ज्ञान होना ज़रूरी है।
2. ज़रूरी पौष्टिक तत्त्व देने वाले भोजन की जानकारी (Knowledge of food stuffs that can provide essential nutrients)-प्राकृतिक रूप में मिलने वाले भोजन को उनके पौष्टिक तत्त्वों के आधार पर पाँच भोजन समूहों में बांटा गया है, जो कि पीछे टेबल नं० 1 में दिए गए हैं। प्रत्येक समूह में से भोजन पदार्थ शामिल करने से सन्तुलित भोजन तैयार किया जा सकता है। भिन्न-भिन्न प्रकार की आयु, लिंग तथा शारीरिक अवस्था के अनुसार पौष्टिक तत्त्वों की ज़रूरत भी भिन्न-भिन्न होती है।
3. भोजन की योजनाबन्दी (Planning of meals)-भोजन की ज़रूरत तथा चुनाव के बाद उसकी योजना बना ली जाए। कितने समय के अन्तराल के बाद भोजन खाया जाए जिससे पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा पूरी हो सके। भोजन की योजनाबन्दी को निम्नलिखित बातें प्रभावित करती हैं

  1. परिवार के सदस्यों की संख्या।
  2. परिवार के सदस्यों की आयु, व्यवसाय तथा शारीरिक अवस्था।
  3. परिवार के सदस्यों की भोजन के प्रति रुचि तथा ज़रूरत।
  4. परिवार के रीति-रिवाज।
  5. भोजन पर किया जाने वाला व्यय तथा भोजन पदार्थों की खुराक।

पीछे दी गई बातों को ध्यान में रखते हुए पौष्टिक तत्त्वों की पूर्ति तथा भोजन की ज़रूरत के अनुसार सारे दिन में खाए जाने वाले भोजन को चार मुख्य भागों में बांटा गया है
(i) सुबह का नाश्ता (Breakfast) (ii) दोपहर का भोजन (Lunch) (iii) शाम का चाय-पानी (Evening Tea) (iv) रात का भोजन (Dinner)

1. सुबह का नाश्ता (Breakfast)-पूरे दिन की ज़रूरत का चौथा भाग सुबह के नाश्ते द्वारा प्राप्त होना चाहिए। अच्छा नाश्ता शारीरिक तथा मानसिक योग्यता को प्रभावित करता है। नाश्ते की योजना बनाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है
(क) शारीरिक कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए नाश्ता ठोस तथा कार्बोज़ युक्त होना चाहिए जबकि मानसिक कार्य करने वाले व्यक्तियों के लिए हल्का तथा प्रोटीन युक्त नाश्ता अच्छा रहता है।
(ख) यदि नाश्ते तथा दोपहर के खाने में ज्यादा लम्बा समय हो तो नाश्ता भारी लेना चाहिए तथा यदि अन्तर कम या समय कम हो तो नाश्ता हल्का तथा जल्दी पचने वाला होना चाहिए।
(ग) नाश्ते में सभी भोजन तत्त्व शामिल होने चाहिएं जैसे भारी नाश्ते के लिए भरा हुआ पराठा, दूध, दही या लस्सी तथा कोई फल लिया जा सकता है। हल्के नाश्ते के लिए अंकुरित दाल, टोस्ट, दूध तथा फल आदि लिए जा सकते हैं।

2. दोपहर का भोजन (Lunch)-पूरे दिन की ज़रूरत का तीसरा भाग दोपहर के भोजन द्वारा प्राप्त होना चाहिए। इसमें अनाज, दालें, दही, पनीर या मांस, मौसमी फल तथा हरी पत्तेदार सब्जियां होनी चाहिएं। भोजन में कुछ कच्ची तथा कुछ पक्की चीजें होनी चाहिएं। अधिकतर कार्य करने वाले लोग दोपहर का खाना साथ लेकर जाते हैं। इसलिए वह भोजन भी पौष्टिक होना चाहिए। उदाहरण के लिए दोपहर के भोजन में रोटी, राजमाह, कोई सब्जी, रायता तथा सलाद लिया जा सकता है तथा साथ ले जाने वाले भोजन में पुदीने की चटनी आदि तथा सैंडविच, गचक तथा कुछ फल सम्मिलित किया जा सकता है।

3. शाम की चाय (Evening Tea)-इस समय चाय के साथ कोई नमकीन या मीठी चीज़ जैसे बिस्कुट, केक, बर्फी, पकौड़े, समौसे आदि लिए जा सकते हैं।

4. रात का भोजन (Dinner)-इस भोजन में से भी पूरे दिन की ज़रूरत का तीसरा भाग प्राप्त होना चाहिए। रात तथा दोपहर के भोजन में कोई फर्क नहीं होता, परन्तु फिर भी इसको बनाते समय कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे___ (क) दोपहर के भोजन की अपेक्षा रात का भोजन हल्का होना चाहिए ताकि जल्दी पच सके।
(ख) सारा दिन काम-काज करते हुए शरीर के तन्तुओं की टूट-फूट होती रहती है। इसलिए इनकी मरम्मत के लिए प्रोटीन वाले भोजन पदार्थ होने चाहिएं।
(ग) रात का भोजन विशेष ध्यान देकर बनाना चाहिए क्योंकि इस समय परिवार के सारे सदस्य इकट्ठे होकर भोजन करते हैं।

4. भोजन पकाने का ढंग (Method of Cooking) – भोजन की योजनाबन्दी का तभी फ़ायदा है जब भोजन को ऐसे ढंग के साथ पकाया जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा खुराकी तत्त्वों की सम्भाल हो सके। भोजन खरीदते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए —

  1. सूखे भोजन पदार्थ जैसे अनाज, दालें अधिक मात्रा में खरीदनी चाहिएं परन्तु यह भी उतनी ही मात्रा में जिसकी आसानी से सम्भाल हो सके।
  2. फल तथा सब्जियां ताज़ी खरीदनी चाहिएं क्योंकि बासी फल तथा सब्जियों में विटामिनों तथा खनिज लवण नष्ट हो जाते हैं।
  3. हमेशा साफ़-सुथरी दुकानों से ही भोजन खरीदना चाहिए।

भोजन को पकाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए —

  1. भोजन को अधिक समय तक भिगोकर नहीं रखना चाहिए क्योंकि बहुत सारे घुलनशील तत्त्व नष्ट हो जाते हैं।
  2. सब्जियों तथा फलों के ज्यादा छिलके नहीं उतारने चाहिएं क्योंकि छिलकों के नीचे विटामिन तथा खनिज लवण ज्यादा मात्रा में होते हैं।
  3. सब्जियों को बनाने से थोड़ी देर पहले ही काटना चाहिए नहीं तो हवा के सम्पर्क के साथ भी विटामिन नष्ट हो जाते हैं।
  4. सब्जियां तथा फल हमेशा बड़े-बड़े टुकड़ों में काटने चाहिएं क्योंकि इस तरह से फल तथा सब्जियों की कम सतह पानी तथा हवा के सम्पर्क में आती है।
  5. सब्जियों को उबालते समय पानी में डालकर कम-से-कम समय के लिए पकाया जाए ताकि उनकी शक्ल, स्वाद तथा पौष्टिक तत्त्व बने रहें।
  6. भोजन को पकाने के लिए मीठे सोडे का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे विटामिन ‘बी’ तथा ‘सी’ नष्ट हो जाते हैं।
  7. मांस, अण्डे तथा अन्य प्रोटीन युक्त पदार्थों को धीमी आग पर पकाना चाहिए नहीं तो प्रोटीन नष्ट हो जाएंगे।
  8. भोजन हिलाते तथा छानते समय अधिक समय नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इससे भोजन के अन्दर हवा इकट्ठी होने के कारण विटामिन ‘सी’ नष्ट हो जाता है।
  9. खाना बनाने वाले बर्तन तथा रसोई साफ़-सुथरी होनी चाहिए।
  10. भोजन में अधिक मसाले का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  11. एक ही प्रकार के भोजन पदार्थों का प्रयोग बार-बार नहीं करना चाहिए।
  12. जो लोग शाकाहारी हों उनके भोजन में दूध, पनीर, दालें तथा सोयाबीन का प्रयोग अधिक होना चाहिए।
  13. जहां तक हो सके भोजन को प्रैशर कुक्कर में पकाना चाहिए क्योंकि इससे समय तथा शक्ति के साथ-साथ पौष्टिक तत्त्व भी बचाए जा सकते हैं।

भोजन परोसने का ढंग (Method of Serving food)

  1. खाना खाने वाला स्थान, साफ़-सुथरा तथा हवादार होना चाहिए।
  2. खाना हमेशा ठीक तरह के बर्तनों में ही परोसना चाहिए जैसे तरी वाली सब्जियों के लिए गहरी प्लेट तथा सूखी सब्जियों के लिए चपटी प्लेट प्रयोग में लाई जा सकती है। .
  3. एक बार ही बहुत ज्यादा भोजन नहीं परोसना चाहिए बल्कि पहले थोड़ा तथा आवश्यकता पड़ने पर और लिया जा सकता है।
  4. सलाद तथा फल भी भोजन के साथ अवश्य परोसने चाहिएं।
  5. भोजन में रंग तथा भिन्नता होनी चाहिए। इसलिए धनिये के हरे पत्ते, नींबू तथा टमाटर आदि का प्रयोग किया जा सकता है।

यदि ऊपरलिखित बातों को ध्यान में रखकर भोजन तैयार किया जाए तो व्यक्ति अपनी आवश्यकतानुसार प्रसन्न मन के साथ भोजन खाकर सन्तुलित भोजन का उद्देश्य पूरा कर सकता है।

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प्रश्न 19(A).
भोजन समूहों के बारे में विस्तार से बताएं।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्न ।

Home Science Guide for Class 10 PSEB सन्तुलित भोजन Important Questions and Answers

लघ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या उचित कैलोरी वाली खुराक सन्तुलित भोजन होती है?
उत्तर-
आवश्यक नहीं कि उचित कैलोरी वाली खुराक सन्तुलित ही हो।

प्रश्न 2.
अंकुरित दाल में कौन-सा विटामिन बढ़ जाता है?
उत्तर-
विटामिन सी।

प्रश्न 3.
दालों में कितने प्रतिशत प्रोटीन होता है?
उत्तर-
20-25%.

प्रश्न 4.
दुनिया भर में 90% रोगों का कारण ……….. का सेवन नहीं है।
उत्तर-
सन्तुलित भोजन।

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प्रश्न 5.
गेहूं-मक्का आदि अनाजों में कितने प्रतिशत प्रोटीन होती है?
उत्तर-
6-12%.

प्रश्न 6.
सूखे मेवों में कितने प्रतिशत प्रोटीन होती है?
उत्तर-
18-28%.

प्रश्न 7.
सब्जियों तथा फलों के छिलकों को क्यों नहीं उतारना चाहिए?
उत्तर-
इनके नीचे टिटामिन तथा खनिज लवण होते हैं।

प्रश्न 8.
मीठे सोडे का प्रयोग भोजन पकाने के लिए क्यों नहीं करना चाहिए?
उत्तर-
इससे विटामिन बी तथा सी नष्ट हो जाते हैं।

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प्रश्न 9.
शाकाहारी लोगों को प्रोटीन कहां से मिलता है?
उत्तर-
दूध, पनीर, दालें, सोयाबीन।

प्रश्न 10.
फलीदार सब्जियों में कौन-सा पौष्टिक तत्त्व अधिक होता है?
उत्तर-
प्रोटीन।

लघ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
(i) आहार नियोजन क्या है तथा इसके क्या लाभ हैं?
(ii) भोजन का वर्गीकरण कैसे किया जाता है?
उत्तर-देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 2.
भोजन खरीदते समय कौन-सी बातों को ध्यान में रखोगे?
उत्तर-
भोजन खरीदते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. सूखे भोजन पदार्थ जैसे अनाज, दालें अधिक मात्रा में खरीदनी चाहिएं परन्तु यह भी उतनी ही मात्रा में जिसकी आसानी के साथ सम्भाल हो सके।
  2. फल तथा सब्जियां ताज़ी खरीदनी चाहिए क्योंकि बासी फल तथा सब्जियों में विटामिन तथा खनिज लवण नष्ट हो जाते हैं।
  3. हमेशा साफ़-सुथरी दुकानों से ही भोजन खरीदना चाहिए।

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प्रश्न 3.
भोजन देखने में भी सुन्दर होना चाहिए। क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं? यदि हाँ तो क्यों?
उत्तर-
जी हाँ ; यह तथ्य बिल्कुल सही है कि भोजन देखने में अच्छा लगना चाहिए क्योंकि जो भोजन देखने में अच्छा न लगे उसको खाने को मन नहीं करता। यदि भोजन आँखों को न भाए तो मनुष्य उसका स्वाद भी नहीं देखना चाहता। भोजन को सुन्दर बनाने के लिए भोजन पकाने की विधि और उसको सजाने की जानकारी भी होनी चाहिए।

प्रश्न 4.
(i) बढ़ते बच्चों के लिए कैसा भोजन चाहिए?
(ii) बढ़ने वाले बच्चों के भोजन में प्रोटीन का होना क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
(i) बढ़ रहे बच्चों के शरीर में बने सैलों और तन्तुओं का निर्माण होता है और इसके लिए कार्बोज़ आदि अधिक मात्रा में चाहिएं ताकि तन्तुओं का निर्माण और तोड़-फोड़ की पूर्ति हो सके। इसके अतिरिक्त बच्चों की दौड़ने, भागने और खेलने में कैलोरियां अधिक खर्च होती हैं। इसलिए इनकी पूर्ति करने के लिए बच्चों के भोजन में आवश्यक मात्रा में मक्खन, घी, तेल, चीनी, शक्कर, दूध, अण्डा, मीट, पनीर और सब्जियों का शामिल होना आवश्यक है।
(ii) देखें भाग (i)।

प्रश्न 5.
गर्भवती औरत के लिए अधिक कैलोरियों की आवश्यकता होती है या दूध पिलाने वाली माँ के लिए, और क्यों?
उत्तर-
गर्भवती औरत या दूध पिलाने वाली माँ, दोनों का भोजन सन्तुलित होना चाहिए। परन्तु दूध पिलाने वाली माँ की खुराकी आवश्यकताएँ गर्भवती औरत से अधिक होती हैं। दूध पिलाने वाली माँ को गर्भवती और अन्य औरतों की अपेक्षा कैलोरियां और अन्य पौष्टिक तत्त्व अधिक मात्रा में चाहिएं। बच्चे की पूर्ण खुराक के लिए माँ का दूध काफ़ी मात्रा में आवश्यक है। यह दूध तभी प्राप्त होगा यदि माँ की खुराक में दूध, मीट, सब्ज़ियाँ, अण्डा, दालें, पनीर काफ़ी मात्रा में होंगे। पहले छ: महीने माँ का दूध बच्चे के लिए मुख्य खुराक होता है। इसलिए दूध पिलाती माँ को अधिक कैलोरियों वाला पौष्टिक भोजन चाहिए।

प्रश्न 6.
भोजन में शर्करा और वसा की क्या महत्ता है?
उत्तर-
भोजन में वसा तथा शर्करा, शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। एक ग्राम शर्करा से 4 कैलोरी तथा एक ग्राम वसा से 9 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित के लिए कैल्शियम की अनुशंसित मात्रा लिखिए
(i) स्तनपान कराने वाली मां
(ii) वृद्धि करता हुआ बच्चा।
उत्तर-
(i) स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए कैल्शियम की मात्रा है-1000 मि०ग्रा०।
(ii) वृद्धि करते हुए बच्चों को आयु के अनुसार जैसे 4 से 9 वर्ष तक के लिए 400 मि० ग्रा० तथा 10 से 15 वर्ष तक के लिए 600 मि० ग्रा० की आवश्यकता है।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित के लिए लोहे की आवश्यकता लिखिए:
(i) वयस्क पुरुष
(ii) गर्भवती महिला
(iii) किशोर।
उत्तर-
(i) वयस्क पुरुष के लिए 28 मि० ग्राम लोहे की आवश्यकता है।
(ii) गर्भवती महिला के लिए 38 मि० ग्राम लोहे की आवश्यकता है।
(iii) किशोरों के लिए आयु के अनुसार 20 से 50 मि० ग्राम तक की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 9.
अर्जुन को कम दिखाई देता है, उसकी इस अवस्था का क्या कारण है? उसे कौन-सा महत्त्वपूर्ण खाद्य पदार्थ लेना चाहिए?
अथवा
गीता को अंधेरे में कम दिखाई देता है और वह रंगों की ठीक से पहचान नहीं कर सकती। उसे कौन-सा रोग हो सकता है? वह किन-किन भोजन पदार्थों का प्रयोग करके इस रोग को दूर कर सकती है?
उत्तर-
विटामिन A की कमी से अंधराता (रतौंधी) रोग हो जाता है तथा अधिक कमी से नज़र कमजोर हो जाती है। विटामिन A की कमी न हो इसलिए मक्खन, गाजर, दूध, अण्डे की जर्दी, जिगर, मछली आदि का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 10.
नन्ही रिधि का रंग पीला है तथा थकान महसूस होती है उसे कौनसा रोग है और उसे कैसे ठीक किया जा सकता है?
अथवा
सुनीता की चमड़ी का रंग पीला पड़ गया है और बहुत थकावट महसूस करती है। उसे कौन-सा रोग हो सकता है और वह कौन-कौन से भोजन पदार्थों का प्रयोग करके इसे दूर कर सकती है?
उत्तर-
रंग पीला होना तथा थकान महसूस होना, रक्त की कमी (अनीमिया) रोग के चिन्ह हैं। इसको ठीक करने के लिए लोहे के खनिज वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। जैसे दालें, मछली, लोबिया, पुदीना, पालक, मुर्गी के अण्डे आदि।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 7 सन्तुलित भोजन

प्रश्न 11.
सोनी के मसूड़े सूज जाते हैं और खून बहने लग जाता है। उसको कौनसा रोग हो सकता है ? वह कौन-कौन से भोजन पदार्थों का प्रयोग करके इस रोग को दूर कर सकता है?
उत्तर-
उसे स्कर्वी नामक रोग हुआ है। यह रोग विटामिन सी की कमी के कारण होता है। इस रोग को दूर करने के लिए खट्टे फल; जैसे-नींबू, संतरा, अंकुरित दालें, टमाटर, अमरूद आदि लेने चाहिए।

प्रश्न 12.
क्या कैलोरियों की उचित मात्रा होने से भोजन सन्तुलित होता है?
उत्तर-
खुराक व्यक्ति की आयु लिंग, काम करने और शारीरिक स्थिति पर निर्भर करती है। कठिन काम करने वाले व्यक्ति को साधारण काम करने वाले व्यक्ति से अधिक कैलोरियों की आवश्यकता होती है। परन्तु खुराक में केवल कैलोरियों की उचित मात्रा से ही भोजन सन्तुलित नहीं बन जाता बल्कि इसके साथ-साथ पौष्टिक तत्त्वों की भी उचित मात्रा लेनी चाहिए। किसी एक पौष्टिक तत्त्व की कमी भी शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है। इसलिए उचित कैलोरियों की मात्रा वाली खुराक को सन्तुलित नहीं कहा जा सकता।

प्रश्न 13.
मनीष को गलगंड का रोग हो गया है। यह रोग कौन से पौष्टिक तत्त्व की कमी से होता है और कौन-कौन से खाद्य पदार्थों को खुराक में शामिल करके इस रोग से बचा जा सकता है।
उत्तर-
यह रोग आयोडीन तत्त्व की कमी से होता है। आयोडीन युक्त नमक, सब्जियां, दालें, अनाज के प्रयोग से इसकी कमी को दूर किया जा सकता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भोजन में भिन्नता कैसे ला सकते हैं तथा क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
एक तरह का भोजन खाने से मन भर जाता है इसलिए खाने में रुचि बनाए रखने के लिए भिन्नता होनी आवश्यक है। यह भोजन में अनेक प्रकार से पैदा की जा सकती है

  1. नाश्ते में प्रायः परांठे बनते हैं परन्तु रोज़ाना अलग किस्म का परांठा बनाकर भोजन में भिन्नता लाई जा सकती है जैसे मूली का परांठा, मेथी वाला, गोभी वाला, मिस्सा परांठा आदि।
  2. सभी भोजन पदार्थ एक रंग के नहीं होने चाहिएं प्रत्येक सब्जी, दाल या सलाद का रंग अलग-अलग होना चाहिए। इससे भोजन देखने को अच्छा लगता है और अधिक पौष्टिक भी होता है।
  3. भोजन पकाने की विधि से भी खाने में भिन्नता आ सकती है जैसे तवे की रोटी, तन्दूर की रोटी, पूरी आदि बनाकर भोजन में भिन्नता लाई जा सकती है।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 7 सन्तुलित भोजन

प्रश्न 2.
बुखार में भोजन के तत्त्वों की आवश्यकता पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
बुखार में खुराकी तत्त्वों की आवश्यकता शरीर में कई परिवर्तन आने के कारण बढ़ जाती है।

  1. ऊर्जा या शक्ति-बुखार में मैटाबोलिक दर बढ़ने से शरीर का तापमान बढ़ जाता है जिसके कारण 5% अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है इसलिए अधिक कैलोरियों वाली खुराक देनी चाहिए।
  2. प्रोटीन-शरीर में तापमान बढ़ने से तन्तुओं की तोड़-फोड़ तेज़ी से होती है इसलिए प्रोटीन अधिक मात्रा में लेनी चाहिए।
  3. कार्बोहाइड्रेट्स-बुखार से शरीर के कार्बोहाइड्रेट्स के भण्डार कम हो जाते हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स देने चाहिएं।
  4. विटामिन-बीमारी की हालत में शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति कम हो जाती है। इस स्थिति में बीमार मनुष्य को अधिक विटामिनों की आवश्यकता होती है।
  5. खनिज पदार्थ-सोडियम और पोटाशियम पसीने द्वारा अधिक निकल जाते हैं। इनकी पूर्ति के लिए दूध और जूस का अधिक प्रयोग करना चाहिए।
  6. पानी-बीमार आदमी को पानी उचित मात्रा में पीना चाहिए क्योंकि रोगी के शरीर में से पानी पसीने और पेशाब के द्वारा निकलता रहता है।

प्रश्न 3.
आर्थिक स्तर और शारीरिक सेहत सन्तुलित भोजन की मात्रा को कैसे प्रभावित करती है?
उत्तर-
शारीरिक सेहत-सन्तुलित भोजन की आवश्यकता का सम्बन्ध शारीरिक सेहत से है। रोगी होने की अवस्था में शरीर के तन्तुओं की टूट-फूट अधिक होती है। इसलिए कैलोरियों तथा पौष्टिक तत्त्वों की आवश्यकता अधिक होती है। 1°F तक तापमान बढ़ जाने पर (रोग की अवस्था में) 7% तक B.M.R. में वृद्धि होती है। कुछ रोगों में जैसे शक्कर रोग, ब्लड प्रैशर की स्थिति में कम ऊर्जा वाले भोजन की आवश्यकता है। आर्थिक स्तर-आर्थिक स्तर का प्रभाव सन्तुलित भोजन की प्राप्ति पर पड़ता है। कमजोर आर्थिक स्तर के लोग सस्ती खाद्य वस्तुओं से अपना सन्तुलित भोजन प्राप्त करते हैं। वे स्प्रेटा दूध, गुड़, सस्ते अनाज, सस्ती दालों आदि का प्रयोग करते हैं। कभी-कभी अधिक ग़रीब लोग सन्तुलित भोजन प्राप्त करने के समर्थ नहीं हो पाते। ग़रीब लोग घी के स्थान पर तेल, मीट, मछली के स्थान पर दालों का प्रयोग करके सन्तुलित भोजन की प्राप्ति करते हैं। अमीर लोग अपना सन्तुलित भोजन महंगी वस्तुओं, जैसे-दूध, घी, मक्खन, मीट, मछली, अण्डे, महंगी सब्जियों का प्रयोग करके करते हैं।

प्रश्न 4.
जलवायु और आयु सन्तुलित भोजन की मात्रा को कैसे प्रभावित करती है?
उत्तर-
आयु का प्रभाव-सन्तुलित भोजन की आवश्यकता आयु के अनुसार होती है। बचपन में शरीर की वृद्धि तेजी से होती है। शरीर की लम्बाई, भार आदि में वृद्धि होती है तथा पौष्टिक तत्त्वों की अधिक आवश्यकता होती है। किशोर होने पर शरीर में भौतिक तथा रासायनिक परिवर्तन होने लगते हैं तथा किशोर दौड़-भाग, खेल-कूद में भी अधिक समय लगाते हैं। इसलिए उनको ऊर्जा तथा पौष्टिक तत्त्वों की अधिक आवश्यकता होती है। बुढ़ापे में पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, शारीरिक वृद्धि भी रुक जाती है इसलिए पौष्टिक तत्त्वों की आवश्यकता कम हो जाती है। – जलवायु का प्रभाव-सन्तुलित भोजन की आवश्यकता का सीधा सम्बन्ध जलवायु से है। गर्मियों में कम तथा सर्दियों में अधिक भोजन, जैसे–परोंठा, साग, मक्खन, घी, बादाम आदि की आवश्यकता होती है। सर्द देशों में जैविक प्रोटीनों की अधिक आवश्यकता होती है इससे उपपाचन की गति तेज़ हो जाती है।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 7 सन्तुलित भोजन

प्रश्न 5.
सन्तुलित भोजन की योजना बनाते समय कौन-सी बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 6.
खाना तैयार करते समय कौन-सी बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 7 सन्तुलित भोजन

प्रश्न 7.
भारतीय मेडिकल खोज संस्था की ओर से भारतीयों के लिए की गई खुराकी तत्त्वों की सिफ़ारिश के बारे में लिखें।
उत्तर-
PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 7 सन्तुलित भोजन 4

प्रश्न 8.
बालिग औरतों के सन्तुलित भोजन का एक चार्ट बनाएं।
उत्तर-
PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 7 सन्तुलित भोजन 5

प्रश्न 9.
बालिग आदमियों के सन्तुलित भोजन का चार्ट बनाएं।
उत्तर-
PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 7 सन्तुलित भोजन 6

प्रश्न 10.
आहार नियोजन से आपका क्या भाव है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 7 सन्तुलित भोजन

प्रश्न 11.
आहार नियोजन का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 12.
संतुलित आहार की प्राप्ति के लिए निर्धारित खाद्य वर्ग कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्न में।

प्रश्न 13.
भोजन के पौष्टिक तत्त्व कौन-कौन से हैं? प्रोटीन के कार्य, कमी के नतीजे और प्राप्ति के साधनों के बारे में बताइए।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 14.
विटामिन सी (C) के कार्य, कमी के नतीजे और प्राप्ति के साधनों के बारे में बताएं।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 7 सन्तुलित भोजन

प्रश्न 15.
भोजन समूह के बारे में विस्तार से बताओ।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 16.
विटामिन ए के कार्य, कमी के नतीजे और प्राप्ति के साधनों के बारे में लिखिए।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 17.
संतुलिज भोजन से क्या अभिप्राय है ? इस पर कौन-कौन से तत्त्व प्रभाव डालते हैं?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

प्रश्न 18.
विटामिन डी (D) के कार्य, कमी के नतीजे और प्राप्ति के साधनों के बारे में लिखिए।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. रिक्त स्थान भरें

  1. सूखे मेवे में ……. प्रतिशत प्रोटीन होता है।
  2. कार्बोज़ में ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन का अनुपात ……. होता है।
  3. भोजन पकाते समय ……. के प्रयोग से विटामिन बी तथा सी नष्ट हो जाते हैं।
  4. दालें …….. का स्रोत है।
  5. गर्भवती स्त्री को ……. भोजन खाना चाहिए।

उत्तर-

  1. 18-28,
  2. 1 : 2,
  3. मीठा सोडा,
  4. प्रोटीन,
  5. सन्तुलित।

II. ठीक/गलत बताएं

  1. अनाज, दालों में कार्बोज नहीं होता।
  2. दुनिया भर में 90% रोगों का कारण सन्तुलित भोजन का सेवन न करना है।
  3. फलीदार सब्जियों में प्रोटीन होता है।
  4. अंकुरित दालों में विटामिन ‘सी’ होता है।
  5. वयस्क आदमी के लिए 28 मि० ग्रा० लोहे की आवश्यकता है।
  6. मीठे सोडे के प्रयोग से विटामिन ‘बी’ तथा ‘सी’ नष्ट हो जाते हैं।

उत्तर-

  1. ग़लत,
  2. ठीक,
  3. ठीक,
  4. ठीक,
  5. ठीक,
  6. ठीक।

III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
गेहूँ-मक्की में ……….. % प्रोटीन होती है।
(क) 6-12
(ख) 20-25
(ग) 40-50
(घ) 50-60
उत्तर-
(क) 6-12

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प्रश्न 2.
अंकुरित दाल में कौन-सा विटामिन होता है?
(क) सी
(ख) ए
(ग) बी
(घ) के।
उत्तर-
(क) सी

प्रश्न 3.
हरी पत्तेदार सब्जियों में निम्नलिखित तत्त्व होते हैं
(क) कैल्शियम
(ख) लोहा
(ग) विटामिन बी
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

प्रश्न 4.
भोजन की योजनाबंदी निम्न बातों पर निर्भर है
(क) परिवार के सदस्य
(ख) सदस्यों की आयु
(ग) भोजन के प्रति रुचि
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

PSEB 10th Class Home Science Solutions Chapter 7 सन्तुलित भोजन

सन्तुलित भोजन PSEB 10th Class Home Science Notes

  • सन्तुलित भोजन से ही शरीर तन्दुरुस्त रह सकता है।
  • सन्तुलित भोजन में आवश्यक मात्रा में प्रोटीन, कार्बोज, विटामिन, चिकनाई, लवण और पानी होते हैं।
  • भोजन में केवल कैलोरियाँ होने से ही भोजन सन्तुलित नहीं बनता।
  • दालों, मीट, दूध तथा अण्डे आदि में प्रोटीन होती है।
  • अनाज दालें, गुड़, सूखे मेवे, मूंगफली, आलू, फल आदि कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत हैं।
  • सब्जियों में विटामिन और खनिज पदार्थ होते हैं।
  • खाना बनाने के लिए योजना बनाना एक अच्छी गहिणी की निशानी है।
  • परिवार की आय और आकार खाने की नियोजन को प्रभावित करते हैं।
  • गर्भवती औरत को पौष्टिक भोजन ही खाना चाहिए।
  • बुखार की हालत में पौष्टिक और हल्का भोजन खाना चाहिए।

मनुष्य के जीवन का आधार भोजन है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए भोजन का पौष्टिक होना आवश्यक है। जब मनुष्य अच्छा भोजन नहीं लेता तो वे बीमारियों का शिकार हो जाता है। मनुष्य अपने भोजन की आवश्यकता अनाज, सब्जियां, फल, दूध, दही, मीट, मछली आदि से पूरी करता है।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

SST Guide for Class 10 PSEB भारत में औद्योगिक विकास Textbook Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

इन प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दें

प्रश्न 1.
आधारभूत उद्योगों के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
(i) लोहा व इस्पात उद्योग
(ii) सीमेन्ट उद्योग।

प्रश्न 2.
कुटीर उद्योगों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
कुटीर उद्योग से अभिप्राय उस उद्योग से है जो एक परिवार के सदस्यों द्वारा एक ही छत के नीचे पूर्णतः या आंशिक रूप से चलाया जाता है।

प्रश्न 3.
लघु उद्योगों की एक समस्या पर प्रकाश डालिये।
उत्तर-
कच्चे माल तथा शक्ति की समस्या।

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प्रश्न 4.
लघु उद्योगों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
लघु उद्योग वे उद्योग होते हैं जिनमें 3 करोड़ तक बंधी पूंजी का निवेश हुआ हो।

II. लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

इन प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दें

प्रश्न 1.
भारत के तीव्र तथा सन्तुलित औद्योगिकीकरण की आवश्यकता के कारणों का वर्णन करें।
उत्तर-

  1. उद्योगों के विकास से राष्ट्रीय आय में बड़ी तीव्र वृद्धि होती है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि उद्योगों के विकास ने देशों की आय में वृद्धि करके निर्धनता की जंजीरों को काटा है।
  2. उद्योगों के विकास से राष्ट्रीय आय के बढ़ने से बचतों में भी वृद्धि होती है तथा बचतें पूंजी निर्माण के लिए आवश्यक हैं। परिणामस्वरूप देश का आर्थिक विकास और तीव्र होता है।
  3. उद्योगों के विकास से रोज़गार अवसरों में वृद्धि होती है। इससे भूमि पर जनसंख्या के दबाव को कम किया जा सकता है।
  4. औद्योगिकीकरण कृषि विकास में सहायक सिद्ध होता है। वास्तव में, तीव्र औद्योगिकीकरण तीव्र कृषि विकास के लिए आवश्यक है।

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प्रश्न 2.
भारत में लघु तथा कुटीर उद्योगों से क्या अभिप्राय है ? इनकी समस्याओं का वर्णन,करें।
उत्तर-
लघु तथा कुटीर उद्योग-कुटीर उद्योग से आशय उसं उद्योग से है जो एक परिवार के सदस्यों द्वारा एक ही छत के नीचे एक पूर्णकालीन या अंशकालीन व्यवसाय के रूप में चलाया जाता है। चूंकि ये उद्योग मुख्यतः गांवों में चलाए जाते हैं, इसलिए इन्हें ग्रामीण उद्योग भी कहा जाता है।
नवीन परिभाषा (1999) के अनुसार, लघु उद्योगों में उन सब कारखानों को शामिल किया गया है जिनमें 1 करोड़ रुपए तक बन्धी पूंजी का निवेश हुआ हो।
लघु तथा कुटीर उद्योगों की समस्याएं-लघु तथा कुटीर उद्योगों की मुख्य समस्याएं निम्नलिखित हैं —

  1. कच्चे माल तथा शक्ति की समस्या-इन उद्योग-धन्धों को कच्चा माल उचित मात्रा में नहीं मिल पाता तथा जो माल मिलता है  उसकी किस्म बहुत घटिया होती है और उसका मूल्य भी बहुत अधिक देना पड़ता है।
  2. वित्त की समस्या-भारत में इन उद्योगों को पर्याप्त मात्रा में ऋण नहीं मिल पाता है।
  3. उत्पादन के पुराने ढंग-इन उद्योगों में अधिकतर उत्पादन के पुराने ढंग ही अपनाए जाते हैं जिसके कारण इन उद्योगों की उत्पादकता निम्न है व प्रति इकाई लागत अधिक।
  4. बिक्री सम्बन्धी कठिनाइयां-इन उद्योगों को अपना माल उचित मात्रा में बेचने के लिए काफ़ी कठिनाइयां उठानी पड़ती हैं।
  5. बड़े उद्योगों से प्रतियोगिता-इन उद्योगों की एक बड़ी समस्या यह भी है कि इनको बड़े उद्योगों से मुकाबला करना पड़ता है। अत: छोटे उद्योगों का माल बड़े उद्योगों के माल के सामने टिक नहीं पाता।

प्रश्न 3.
भारत में लघु तथा कुटीर उद्योगों का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
भारत में लघु तथा कुटीर उद्योगों का महत्त्व निम्नलिखित तथ्यों से स्पष्ट हो जाता है —

  1. बेरोज़गारी की समस्या का हल-भारत में बढ़ती हुई बेरोज़गारी की समस्या का हल लघु तथा कुटीर उद्योगों का विकास करके ही हो सकता है।
  2. उत्पादन में शीघ्र वृद्धि-लघु तथा कुटीर उद्योगों को स्थापित करने तथा उनमें उत्पादन कार्य करने में कम समय लगता है।
  3. ग्रामों का विकास-भारत में अधिकांश जनसंख्या गांवों में रहती है। घरेलू उद्योगों की प्रगति से गांवों की आर्थिक दशा सुधरेगी। ग्रामीणों का जीवन-स्तर ऊंचा होगा तथा उनके जीवन का सर्वांगीण विकास होगा।
  4. वितरण-विषमता में कमी-बड़े-बड़े कारखानों के स्थापित होने से देश में एक ओर अति धनी और दूसरी ओर अति निर्धन लोग दिखाई देने लगते हैं। अधिक धन कुछ ही हाथों में केन्द्रित हो जाता है। समाज में अमीरग़रीब के बीच खाई और चौड़ी होने से शान्ति तथा सुख नष्ट हो जाता है। अत: इस समस्या को दूर करने के लिए घरेलू उद्योग-धन्धों का विकास करना चाहिए।

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प्रश्न 4.
भारत के लघु तथा कुटीर उद्योगों में अन्तर बताएं तथा सभी समस्याओं के समाधान के लिये सुझाव दें।
उत्तर-
कुटीर व लघु उद्योगों में अन्तर —

  1. कुटीर उद्योग प्रायः गांवों में होते हैं, जबकि लघु उद्योग अधिकतर शहरों में होते हैं।
  2. कुटीर उद्योगों में परिवार के सदस्यों से ही काम चल जाता है, जबकि लघु उद्योगों को चलाने के लिए भाड़े के मज़दूर लगाने पड़ते हैं।

लघु एवं कुटीर उद्योगों की समस्याओं के समाधान के लिए सुझाव

  1. इन उद्योगों को कच्चा माल उचित मात्रा व उचित कीमत पर उपलब्ध करवाया जाना चाहिए।
  2. इन उद्योगों को ऋण उचित मात्रा व उचित ब्याज दर पर उपलब्ध करवाया जाना चाहिए।
  3. इन उद्योगों को विक्रय सम्बन्धी सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जानी चाहिए ताकि इनको अपने माल की उचित कीमत मिल सके।
  4. इन उद्योगों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले उत्पादन के तरीकों में सुधार किया जाना चाहिए। इससे इनकी उत्पादकता में वृद्धि होगी व प्रति इकाई लागत कम होगी।

प्रश्न 5.
बड़े उद्योगों के महत्त्व की विवेचना करें।
उत्तर-
किसी भी देश के आर्थिक विकास में बड़े पैमाने के उद्योगों का बहुत महत्त्व होता है। तीव्र औद्योगिकीकरण देश के आर्थिक विकास के लिए अत्यन्त आवश्यक होता है और तीव्र औद्योगिकीकरण बड़े उद्योगों को विकसित किए बिना सम्भव नहीं। औद्योगिकीकरण के लिए आवश्यक पूंजीगत वस्तुएं व आर्थिक आधारिक संरचनाएं जैसे यातायात के साधन, बिजली, संचार व्यवस्था इत्यादि बड़े पैमाने के उद्योगों द्वारा ही उपलब्ध करवाई जा सकती हैं। बड़े पैमाने के उद्योग ही औद्योगिकीकरण के लिए आवश्यक अनुसंधान तथा उच्च तकनीक के लिए आवश्यक धन का प्रबन्ध कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त बड़े उद्योगों को स्थापित करने से उत्पादकता में वृद्धि होती है, बचतें प्रोत्साहित होती हैं और कई प्रकार के सहायक उद्योगों की स्थापना को बल मिलता है। वास्तव में, बड़े उद्योगों के विकास के बिना अर्थ-व्यवस्था को सुदृढ़ अथवा मजबूत आधार प्रदान नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 6.
भारत में औद्योगिकीकरण की धीमी गति के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
भारत में औद्योगिक विकास की गति निम्नलिखित कारणों से धीमी एवं कम रही है

  1. उद्योगों के विकास के लिए पूंजी की बहुत आवश्यकता होती है। भारत में अधिकतर लोग निर्धन हैं। अतः पूंजी की कमी भारत में औद्योगिकीकरण की धीमी गति के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारक है।
  2. भारत में कुशल श्रमिकों की कमी है। वास्तव में, आधुनिक उद्योगों को उचित प्रकार से चलाने के लिए कुशल मजदूरों की अत्यन्त आवश्यकता होती है।
  3. उद्योगों को चलाने के लिए सस्ती शक्ति की आवश्यकता होती है, परन्तु भारत में सस्ते शक्ति साधनों की कमी है।
  4. भारत में कुशल प्रबन्धकों की कमी भी औद्योगिकीकरण की धीमी गति के लिए उत्तरदायी रही है।
  5. भारत में उद्योगों के लिए कच्चा माल बहुत कम मात्रा में और घटिया किस्म का प्राप्त होता है।
  6. भारत एक निर्धन देश है। निर्धनता के कारण बचत कम होती है तथा निवेश भी कम होता है।
  7. देश में यातायात व संचार-साधनों के कम विकास के कारण भी औद्योगिकीकरण की गति धीमी रही है।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 4 भारत में औद्योगिक विकास

प्रश्न 7.
भारत में औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार के योगदान के बारे में संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
भारतीय अर्थ-व्यवस्था की आर्थिक गति को तीव्र करने के लिए, आत्म-निर्भरता के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए और रोज़गार तथा आय के साधनों में वृद्धि करने के लिए भारत सरकार ने पंचवर्षीय योजनाओं के अधीन उद्योगों के विकास हेतु निम्नलिखित पग उठाए हैं —

  1. ऋण सुविधाएं प्रदान करना-देश में औद्योगिक विकास को तीव्र करने के लिए सरकार ने कई प्रकार की ऋण प्रदान करने वाली संस्थाओं का गठन किया है, जैसे-औद्योगिक वित्त निगम, राष्ट्रीय औद्योगिक विकास निगम, पुनर्वित्त निगम, औद्योगिक विकास बैंक, यू० टी० आई०।
  2. आधारभूत उद्योगों की स्थापना
  3. यातायात तथा परिवहन साधनों का विकास
  4. बिजली क्षेत्र का विकास
  5. आविष्कारों का विकास
  6. निर्यात प्रोत्साहन तथा आयात प्रतिस्थापन सुविधाएं
  7. पिछड़े क्षेत्रों का औद्योगीकरण
  8. बीमार औद्योगिक इकाइयों का पुनः स्वास्थ्यकरण
  9. तकनीकी विकास बोर्ड की स्थापना
  10. नवीन औद्योगिक नीति।

PSEB 10th Class Social Science Guide भारत में कृषि विकास Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
भारत में औद्योगीकरण के तीव्र विकास के लिए उत्तरदायी एक कारण लिखें।
उत्तर-
आधुनिकीकरण।

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प्रश्न 2.
आधारभूत उद्योगों का उदाहरण दें।
उत्तर-
रासायनिक उद्योग।

प्रश्न 3.
लघु उद्योगों में निवेश की सीमा कितनी है?
उत्तर-
5 करोड़ रुपए।

प्रश्न 4.
लघु उद्योगों की एक समस्या बताएं।
उत्तर-
वित्त की समस्या।

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प्रश्न 5.
लघु उद्योगों का एक लाभ बताएं।
उत्तर-
उत्पादन में तीव्र वृद्धि।

प्रश्न 6.
बड़े उद्योगों का एक लाभ बताएं।
उत्तर-
पूंजीगत व आधारभूत वस्तुओं का उत्पादन।

प्रश्न 7.
औद्योगीकरण की निम्न प्रगति का क्या कारण है?
उत्तर-
पूंजी की कमी।

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प्रश्न 8.
भारत के जी० डी० पी० में उद्योगों का योगदान कितने प्रतिशत है?
उत्तर-
लगभग 26.1 प्रतिशत।

प्रश्न 9.
औद्योगीकरण क्या है?
उत्तर-
देश के सभी उद्योगों का विकास।

प्रश्न 10.
एक कारण बताएं कि क्यों लघु उद्योगों का विकास किया जाना आवश्यक है?
उत्तर-
रोज़गार तथा धन व आय के समान वितरण के लिए।

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प्रश्न 11.
नई औद्योगिक नीति कब लागू की गई थी ?
उत्तर-
1991 में।

प्रश्न 12.
भारत की किन्हीं दो औद्योगिक नीतियों का नाम बताएं।
उत्तर-
(i) औद्योगिक नीति 1956
(ii) औद्योगिक नीति 1948.

प्रश्न 13.
1956 की औद्योगिक नीति में सार्वजनिक क्षेत्र के अन्तर्गत कितने उद्योग आरक्षित थे?
उत्तर-
17 उद्योग।

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प्रश्न 14.
भारत के किसी एक बड़े उद्योग का नाम लिखें।
उत्तर-
कपड़ा उद्योग।

प्रश्न 15.
औद्योगीकरण की एक विशेषता बताएं।
उत्तर-
पूंजी का अधिकतम प्रयोग।

प्रश्न 16.
बड़े उद्योगों की एक समस्या बताएं।
उत्तर-
मालिक-मज़दूर का झगड़ा।

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प्रश्न 17.
नई औद्योगिक नीति की विशेषता बताएं।
उत्तर-
सार्वजनिक क्षेत्र का संकुचन।

प्रश्न 18.
पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान औद्योगिक उत्पादन में हुई वृद्धि का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
योजनाओं के लागू होने से पूर्व देश में कई वस्तुओं जैसे-मशीनरी, ट्रैक्टर्स, स्कूटर्स आदि का बिल्कुल ही उत्पादन नहीं होता था, परन्तु अब इन सभी वस्तुओं का उत्पादन देश में पर्याप्त मात्रा में होने लगा है।

प्रश्न 19.
सार्वजनिक उद्यम, संयुक्त उद्यम तथा निजी उद्यम से क्या आशय है?
उत्तर-
सार्वजनिक उद्यम वे उद्यम हैं जिनकी स्वामी सरकार होती है। संयुक्त उद्यम वे उद्यम हैं जिन पर सरकार तथा निजी क्षेत्र दोनों का सांझा स्वामित्व होता है। निजी उद्यम वे उद्यम हैं जिनके स्वामी निजी व्यक्ति होते हैं।

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प्रश्न 20.
भारत के कुटीर उद्योगों के पतन के मुख्य कारण कौन-से हैं?
उत्तर-

  1. आधुनिक उद्योगों के सस्ते तथा बढ़िया उत्पादन का मुकाबला करने में असमर्थता।
  2. उचित मात्रा में सस्ता वित्त न मिल पाना।

प्रश्न 21.
कुटीर उद्योगों के विकास के लिए क्या कुछ किया गया है?
उत्तर-

  1. खादी तथा ग्रामोद्योग कमीशन की स्थापना की गई है जो इन उद्योगों की विशिष्ट आवश्यकताओं की देखभाल करता है।
  2. इनकी बिक्री को प्रोत्साहन देने के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है।

प्रश्न 22.
भारत में लघु तथा कुटीर उद्योगों के पक्ष में कोई एक तर्क दीजिए।
उत्तर-
ये उद्योग श्रम प्रधान होते हैं, इसलिए इनके विकास के फलस्वरूप रोज़गार बढ़ने की अधिक सम्भावना होती है।

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प्रश्न 23.
आधारभूत उद्योगों से क्या आशय है?
उत्तर-
आधारभूत उद्योग वे उद्योग हैं, जो कृषि तथा उद्योगों को आवश्यक इन्पुट्स प्रदान करते हैं। इनके उदाहरण हैं-स्टील, लोहा, कोयला, उर्वरक तथा बिजली।

प्रश्न 24.
पूंजीगत वस्तु उद्योगों से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वे उद्योग जो कृषि तथा उद्योगों के लिए मशीनरी तथा यन्त्रों का उत्पादन करते हैं। इनमें मशीनें, मशीनी औज़ार, ट्रैक्टर, ट्रक आदि शामिल किए जाते हैं।

प्रश्न 25.
मध्यवर्ती वस्तु उद्योगों से क्या आशय है ?
उत्तर-
वे उद्योग जो उन वस्तुओं का उत्पादन करते हैं जिनका दूसरी वस्तुओं के उत्पादन के लिए प्रयोग किया जाता है। इनके उदाहरण हैं-टायर्स, मॉबिल ऑयल आदि।

प्रश्न 26.
उपभोक्ता वस्तु उद्योगों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उपभोक्ता वस्तु उद्योग वे उद्योग हैं जो उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। जैसे-चीनी, कपड़ा, कागज उद्योग आदि।

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प्रश्न 27.
भारत में बड़े उद्योगों के कोई चार नाम बताइए।
उत्तर-

  1. लोहा व इस्पात
  2. कपड़ा उद्योग
  3. जूट उद्योग
  4. सीमेंट उद्योग।

प्रश्न 28.
भारत में बड़े उद्योगों की चार समस्याएं लिखिए।
उत्तर-

  1. औद्योगिक अशान्ति
  2. प्रस्थापित क्षमता का अपूर्ण प्रयोग
  3. शक्ति एवं ईंधन साधनों की कमी
  4. संस्थागत वित्तीय सुविधाओं का अभाव।

प्रश्न 29.
कुटीर उद्योग की परिभाषा दें।
उत्तर-
कुटीर उद्योग वह उद्योग होता है जो एक परिवार के सदस्यों द्वारा एक ही छत के नीचे एक पूर्णकालीन या अंशकालीन व्यवसाय के रूप में चलाया जाता है।

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प्रश्न 30.
लघु उद्योग की परिभाषा दें।
उत्तर-
लघु उद्योग वह उद्योग है जिसमें तीन करोड़ की पूंजी का निवेश किया जा सकता है।

प्रश्न 31.
बड़े उद्योगों को परिभाषित करें।
उत्तर-
बड़े उद्योग वह उद्योग होते हैं जिनमें निवेश की मात्रा बहुत ज्यादा होती है।

प्रश्न 32.
संयुक्त क्षेत्र क्या होता है?
उत्तर-
संयुक्त क्षेत्र वह क्षेत्र होता है जिस पर सरकार तथा निजी लोगों का स्वामित्व होता है।

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प्रश्न 33.
औद्योगिक विकास क्या है?
उत्तर-
वर्तमान उद्योगों की कुशलता बढ़ाना, उनके उत्पादन में वृद्धि करना तथा नए, उद्योगों की स्थापना करना औद्योगिक विकास कहलाता है।

प्रश्न 34.
निजी क्षेत्र क्या है?
उत्तर-
निजी क्षेत्र वह क्षेत्र होता है जिस पर निजी लोगों का स्वामित्व होता है।

प्रश्न 35.
औद्योगिकीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
औद्योगिकीकरण से अभिप्राय देश की उत्पादन इकाई का सम्पूर्ण विकास करने से है।

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. ……….. मूलभूत उद्योग का उदाहरण है। (लोहा उद्योग/रासायनिक उद्योग)
  2. नई औद्योगिक नीति वर्ष ……….. में शुरू हुई। (1956/1991)
  3. ………. क्षेत्र वह होता है जिस पर निजी लोगों का स्वामित्व होता है। (निजी/सार्वजनिक)
  4. ………. क्षेत्र वह होता है जिस पर सरकार तथा निजी दोनों क्षेत्रों का स्वामित्व होता है। (संयुक्त/निजी)
  5. ………. उद्योग वह होता है जिस पर 3 करोड़ तक की पूंजी लगी होती है। (लघु कुटीर)
  6. ICICI की स्थापना ……….. में हुई। (1945/1955)

उत्तर-

  1. रासायनिक उद्योग,
  2. 1991,
  3. निजी,
  4. संयुक्त,
  5. लघु,
  6. 1955

III. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
………… क्षेत्र वह होता है जिसका संचालन सरकार द्वारा किया जाता है।
(A) सार्वजनिक
(B) निजी
(C) संयुक्त
(D) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
(A) सार्वजनिक

प्रश्न 2.
………….. क्षेत्र वह होता है जिसका संचालन निजी लोगों द्वारा किया जाता है।
(A) सार्वजनिक
(B) निजी
(C) संयुक्त
(D) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
(B) निजी

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प्रश्न 3.
………. क्षेत्र वह होता है जिस पर सरकार तथा निजी दोनों क्षेत्रों का स्वामित्व होता है।
(A) सार्वजनिक
(B) निजी
(C) संयुक्त
(D) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
(C) संयुक्त

प्रश्न 4.
लघु उद्योगों में निवेश की सीमा क्या है?
(A) 2 करोड़
(B) 3 करोड़
(C) 4 करोड़
(D) 10 करोड़।
उत्तर-
(B) 3 करोड़

प्रश्न 5.
GDP में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान कितना है?
(A) 14.8
(B) 27.9
(C) 29.6
(D) 26.1
उत्तर-
(D) 26.1

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प्रश्न 6.
नई औद्योगिक नीति कब लागू हुई?
(A) 1956
(B) 1971
(C) 1991
(D) 2003
उत्तर-
(C) 1991

प्रश्न 7.
लघु उद्योगों की एक समस्या बताइए।
(A) वित्त की समस्या
(B) उत्पादन की पुरानी तकनीक
(C) कच्चे माल की समस्या
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी।

IV. सही/गलत

  1. नई औद्योगिक नीति 2001 में लागू हुई।
  2. निजी क्षेत्र का संचालन सरकार द्वारा किया जाता है।
  3. संयुक्त क्षेत्र में निजी व सार्वजनिक क्षेत्रों का सहअस्तित्व पाया जाता है।’
  4. ICICI की स्थापना 1955 में हुई।

उत्तर-

  1. गलत
  2. गलत
  3. सही
  4. सही।

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छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer type Questions)

प्रश्न 1.
आर्थिक विकास के लिए औद्योगिकीकरण का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
आर्थिक विकास के निम्नलिखित कारणों से औद्योगिकीकरण का महत्त्व है —

  1. औद्योगिकीकरण से सन्तुलित आर्थिक विकास सम्भव होता है तथा आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त होता है।
  2. इससे अविकसित देशों में कुल राष्ट्रीय उत्पाद में तेजी से वृद्धि की जा सकती है।
  3. औद्योगिकीकरण के द्वारा अविकसित देशों में प्रति व्यक्ति उत्पादन एवं आय में भी वृद्धि की जा सकती है।
  4. औद्योगिकीकरण के फलस्वरूप अधिक रोजगार के अवसरों का सृजन किया जा सकता हैं।
  5. औद्योगिकीकरण के द्वारा अविकसित देशों में कृषि के क्षेत्र में पायी जाने वाली छिपी हुई, बेरोजगारी एवं अर्द्ध-बेरोज़गारी की समस्या का समाधान किया जा सकता है।
  6. औद्योगिकीकरण के फलस्वरूप अर्थ-व्यवस्था में विविधता आती है।

प्रश्न 2.
भारतीय अर्थ-व्यवस्था में किन तीन अर्थों में सन्तुलित औद्योगिक ढांचे की आवश्यकता है?
उत्तर-
भारतीय अर्थ-व्यवस्था को तीव्र औद्योगिकीकरण की आवश्यकता है, किन्तु इसे कम-से-कम तीन अर्थों में सन्तुलित औद्योगिक ढांचे की आवश्यकता है —

  1. तीव्र विकास के लिए विभिन्न उद्योगों का चुनाव इस प्रकार किया जाए जिससे कुल मिलाकर रोजगार अवसरों में भी तेजी से वृद्धि हो।
  2. इस प्रकार से चुने गए विभिन्न उद्योगों का देश के विभिन्न प्रदेशों में उचित प्रकार से वितरण हो अर्थात् एक ऐसी औद्योगिक नीति हो जो विशेष रूप से विकास के लिए पिछड़े प्रदेशों के पक्ष में हो।
  3. देश के छोटे से ही वर्ग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विलासितापूर्ण वस्तुओं का उत्पादन करने वाले उद्योगों की तुलना में सामाजिक प्राथमिकता वाली वस्तुओं (उदाहरण के लिए “मजदूरी वस्तुएं” जिनका मजदूरों द्वारा प्रयोग किया जाता है) का उत्पादन करने वाले उद्योगों का चुनाव हो।

प्रश्न 3.
औद्योगिकीकरण से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताएं बताइए।
उत्तर-
औद्योगिकीकरण-औद्योगिकीकरण से आशय राष्ट्र के सर्वांगीण औद्योगिक विकास से है। संकुचित अर्थ में औद्योगिकीकरण से आशय निर्माण उद्योगों की स्थापना से है जबकि विस्तृत अर्थ में औद्योगिकीकरण के अन्तर्गत किसी देश की सम्पूर्ण अर्थ-व्यवस्था को परिवर्तित करने की प्रक्रिया को शामिल किया जाता है।
औद्योगिकीकरण की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं —

  1. औद्योगिकीकरण आर्थिक विकास का पर्यायवाची है।
  2. इसमें पूंजी का गहन एवं व्यापक रूप में प्रयोग किया जाता है।
  3. इसका उद्देश्य अर्थ-व्यवस्था की संरचना में आमूल-चूल परिवर्तन करना होता है।
  4. इसमें सभी क्षेत्रों का सामयिक एवं तीव्र विकास होता है।
  5. नए बाजारों की खोज की जाती है तथा नए क्षेत्रों का विदोहन किया जाता है।

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प्रश्न 4.
लघु तथा कुटीर उद्योगों के विकास के उपाय लिखिए।
उत्तर-

  1. कच्चे माल की व्यवस्था करनी होगी,
  2. पूंजी की व्यवस्था करनी होगी,
  3. उत्पादन की विधि में सुधार की आवश्यकता,
  4. शिक्षा का प्रसार,
  5. बाजार की व्यवस्था करनी होगी,
  6. निर्मित वस्तुओं का प्रचार होना चाहिए,
  7. बड़े उद्योगों की प्रतियोगिता से इसे सुरक्षा प्रदान करनी होगी।

प्रश्न 5.
कुटीर तथा लघु उद्योगों का नैतिक एवं सामाजिक महत्त्व क्या है?
उत्तर-
बड़े पैमाने के उद्योगों में श्रमिक अपना व्यक्तित्व खो देता है। वह स्वयं मशीन का एक भाग बन जाता है। उसकी व्यक्तिगत स्वतन्त्रता का अन्त हो जाता है। लेकिन कुटीर एवं लघु उद्योग के अन्तर्गत श्रमिक बहुधा उद्योग का मालिक होता है, इससे उसमें आत्म-गौरव की भावना जागती है। साथ ही, बड़े उद्योगों में शोषण की प्रवृत्ति होती है, उससे उसे मुक्ति मिल जाती है। इस प्रकार, कुटीर उद्योगों का सामाजिक एवं नैतिक दृष्टि से भी महत्त्व है। इसके द्वारा ही शोषण रहित समाज की स्थापना हो जाती है।

प्रश्न 6.
कुटीर व लघु उद्योगों के विकास के लिए सुझाव दीजिए।
उत्तर-

  1. इन उद्योगों की उत्पादन तकनीक में सुधार किया जाना चाहिए।
  2. लघु उद्योगों की स्थापना के लिए पर्याप्त सलाहकार सेवाओं की व्यवस्था होनी चाहिए।
  3. लघु उद्योग सहकारी समितियों का अधिक-से-अधिक विकास किया जाना चाहिए।
  4. विशाल एवं लघु उद्योगों में समन्वय स्थापित किया जाना चाहिए। कुटीर व लघु उद्योगों की उत्पादकता तथा उत्पादन क्षमता बढ़ाने तथा उत्पादों की किस्म सुधारने के लिए अनुसन्धान कार्यक्रमों की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  5. लघु उद्योग प्रदर्शनियों का अधिकाधिक आयोजन किया जाना चाहिए।

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प्रश्न 7.
भारत में (अ) छोटे पैमाने के उद्योगों एवं (ब) बड़े पैमाने के उद्योगों को विकसित करने के लिए क्या कदम उठाये गए हैं?
उत्तर-
(अ) छोटे पैमाने के उद्योगों को विकसित करने के लिए उठाए गए कदम

  1. कई वस्तुओं के उत्पादन को विशेष रूप से लघु पैमाने की इकाइयों के लिए ही सुरक्षित कर दिया गया है। इस सुरक्षित सूची में आयी वस्तुओं के उत्पादन के लिए बड़े उद्योगों को नये लाइसेंस नहीं दिए गए हैं।
  2. सरकारी संस्थाओं की क्रय नीति में बड़े पैमाने के उद्योगों की वस्तुओं की तुलना में छोटे पैमाने की बस्तुओं को प्राथमिकता दी गयी है।

(ब) बड़े पैमाने के उद्योगों को प्रोत्साहन करने के लिए उठाए गए कदम
(क) जुलाई, 1991 से बड़े पैमाने के उद्योगों के क्षेत्र में उदारीकरण की नीति को अपनाया गया है, जिसके तीन उद्देश्य हैं —

  1. उद्योगों को प्रौद्योगिकी के सुधार के लिए प्रोत्साहन दिया गया है। जहां कहीं सम्भव हो वहां आधुनिक औद्योगिक टेक्नोलॉजी को अपनाने के लिए कई प्रकार की राजकोषीय और वित्तीय प्रेरणाएं दी गई हैं।
  2. उद्योगों को लागत-कुशलता प्राप्त करने के लिए सब प्रकार की सहायता दी गयी है। जो नियम कार्य-कुशलता में बाधक हैं और जिसके परिणामस्वरूप उद्योग की लागत को बढ़ाने की प्रवृत्ति रखते हैं, उन्हें बदला अथवा हटाया गया है।

प्रश्न 8.
भारत में कुटीर उद्योगों की समस्याएं बताइए।
उत्तर-
भारत में कुटीर उद्योगों की समस्याएं निम्नलिखित हैं —

  1. इन उद्योगों में प्राय: कच्चे माल तथा शक्ति सम्बन्धी साधनों जैसे कोयला, बिजली आदि की कमी पाई जाती है।
  2. इन उद्योगों को ऋण भी उचित मात्रा में नहीं मिल पाता। इसलिए उन्हें अधिकतर साहूकारों पर निर्भर रहना पड़ता है।
  3. इनके उत्पादन के तरीके पुराने होते हैं जिससे उत्पादन कम रहता है।
  4. इन्हें कच्चा माल महंगा मिलता है जिससे इनके उत्पादन की लागत ऊँची आती है।

प्रश्न 9.
सन् 1956 की औद्योगिक नीति की मुख्य विशेषताएं बताइए।
उत्तर-
सन् 1956 की औद्योगिक नीति की विशेषताएं निम्न हैं —

  1. इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के पहले वर्ग में 17 उद्योग सम्मिलित किए गए। इन उद्योगों पर मुख्य रूप से केवल राज्य को एकाधिकार प्राप्त हो।
  2. दूसरे वर्ग में 12 उद्योग शामिल हैं। इन उद्योगों का स्वामित्व अधिकतर सरकार के हाथों में रहेगा तथा नई इकाइयों में लगाने में सामान्यतः सरकार पहल करेगी।
  3. तीसरे वर्ग में वह सभी उद्योग जो पहले वर्ग और दूसरे वर्ग में दिए गए हैं, को छोड़कर बाकी सभी उद्योग निजी क्षेत्र को सौंप दिए गए।
  4. कुटीर तथा लघु उद्योगों को पर्याप्त महत्त्व दिया गया।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत में लघु एवं कुटीर उद्योगों के क्या महत्त्व हैं?
उत्तर-
लघु एवं कुटीर उद्योग (Small Scale and Cottage Industries) भारतीय अर्थव्यवस्था में लघु एवं कुटीर उद्योगों का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है।
लघु एवं कुटीर उद्योगों का महत्त्व (Importance of Cottage and Small Scale Industries) इस उद्योग के निम्न महत्त्व हैं —

  1. रोजगार (Employment) — कुटीर तथा लघु उद्योग श्रम प्रधान उद्योग है अर्थात् इन उद्योगों में कम पूंजी का निवेश करके अधिक व्यक्तियों को रोजगार दिया जा सकता है।
  2. धन का समान वितरण (Equal Distribution of Wealth) — इन उद्योगों के कारण आय व धन का वितरण अधिक समान होता है। इसका कारण यह है कि इन उद्योगों में पूंजी कुछ लोगों के पास ही केंद्रित नहीं होती वह थोडीथोड़ी मात्रा में बंटी होती है। इसलिए इन उद्योगों से जो आय प्राप्त होती है उसका लाभ अधिक लोगों को मिलता है।
  3. विकेंद्रीकरण (Decentralisation) — कुटीर व लघु उद्योग सारे देश में गांवों व कस्बों में फैले होते हैं। युद्ध के दिनों में इनके नष्ट होने का डर भी नहीं रहता। इसके फलस्वरूप शहरीकरण के दोषों जैसे शहरों में मकानों की कमी, कीमतों का अधिक होना, स्त्रियों तथा बच्चों का शोषण आदि से बचाव हो सकेगा। इसके फलस्वरूप प्रादेशिक असमानता कम होगी।
  4. कृषि पर जनसंख्या का कम दबाव (Less Pressure an Agriculture) — एक कृषि प्रधान देश होने के कारण भारत में कुटीर उद्योगों का बहुत महत्त्व है। प्रतिवर्ष 30 लाख व्यक्ति खेती पर आश्रित होने के लिए बढ़ जाते हैं। इसलिए यह जरूरी हो गया है कि भूमि पर बढ़ते हुए भार को कम किया जाए। ऐसा तभी हो सकता है जब लोग कुटीर उद्योग-धंधों की स्थापना करे और उनमें कार्य करने लगे।
  5. कम पूंजी की आवश्यकता (Needs of Less Capital) — कुटीर एवं लघु उद्योग कम पूंजी से आरंभ किए . जा सकते हैं। भारत जैसे देश में अधिकतर इस उद्योग पर ही ज़ोर देना चाहिए क्योंकि साधारणतया कम पूंजी के स्वामी छोटे उद्योगों की स्थापना कर सकते हैं।
  6. उत्पादन में शीघ्र वृद्धि (Immediate Increase in Production) — लघु उद्योगों का उत्पादन निवेश अंतराल बड़े उद्योगों की अवधि की तुलना में कम होता है। इसका अभिप्राय यह है कि इन उद्योगों में निवेश करने के तुरंत बाद ही उत्पादन आरंभ हो जाता है। देश की कुल औद्योगिक उत्पादन का 40 प्रतिशत भाग लधु एवं कुटीर उद्योगों द्वारा उत्पादित किया जाता है।

प्रश्न 2.
नई औद्योगिक नीति की मुख्य विशेषताओं को बताइए।
उत्तर-
नई औद्योगिक नीति की विशेषताएं निम्नलिखित हैं —

  1. सार्वजनिक क्षेत्र का संकुचन (Contraction of Public Sector) — नई नीति के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित 17 उद्योगों में से अब केवल 6 उद्योग सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित रहेंगे। बाकी उद्योग निजी क्षेत्र के लिए खोल दिए जाएंगे। यह छ: उद्योग
    1. सैनिक सामग्री
    2. परमाणु ऊर्जा
    3. कोयला
    4. खनिज तेल
    5. परमाणु ऊर्जा उत्पादन एवं उपयोग का नियंत्रण
    6. रेल यातायात।
  2. सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण (Privatisation of Public Sector) — सार्वजनिक क्षेत्र के गाटे वाले कारखानों को या तो बंद कर दिया जाएगा या निजी क्षेत्र को सौंप दिया जाएगा। बाकी उद्यमों के 20 प्रतिशत तक के शेयर सरकारी वित्तीय संस्थाओं को बेचे गए हैं।
  3. औद्योगिक लाइसेंस नीति (Industrial Licensing Policy) — नई नीति के अनुसार 14 उद्योगों को छोड़कर शेष पर से लाइसेंस प्रणाली समाप्त कर दी गई।
  4. विदेशी पूंजी (Foreign Capital) — नई नीति के अनुसार विदेशी पूंजी निवेश की सीमा 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 51 प्रतिशत कर दी गई है।
  5. एकाधिकार कानून से छूट (Concession from MRTP Act) — एकाधिकार कानून के अंतर्गत आने वाली कंपनियों को भारी छूट दी गई है।

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भारत में औद्योगिक विकास PSEB 10th Class Economics Notes

  • तीव्र औद्योगिकीकरण के कारण-संतुलित अर्थव्यवस्था की स्थापना, रोज़गार में वृद्धि, राष्ट्रीय आय में वृद्धि, भूमि पर जनसंख्या का कम दबाव, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आत्म स्फूर्ति तथा सामाजिक लाभदायक वस्तुओं के उत्पादन हेतु तीव्र औद्योगिकीकरण की आवश्यकता है।
  • वर्तमान औद्योगिक ढांचा-वर्तमान औद्योगिक ढांचे में सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र व संयुक्त क्षेत्र आते हैं। ‘ इसके अतिरिक्त गैर-औद्योगिक विनिर्माण इकाइयां तथा औद्योगिक विनिर्माण इकाइयां शामिल होती हैं।
  • सार्वजनिक क्षेत्र सार्वजनिक क्षेत्र.वह क्षेत्र है जिस पर सरकार का स्वामित्व होता है तथा सार्वजनिक कल्याण जिसका उद्देश्य होता है।।
  • निजी क्षेत्र-निजी क्षेत्र वह क्षेत्र होता है जिस पर निजी लोगों का स्वामित्व होता है तथा जिसका प्रमुख उद्देश्य लाभ कमाना होता है।
  • संयुक्त क्षेत्र-संयुक्त क्षेत्र वह क्षेत्र होता है जिस पर सरकार तथा निजी लोगों का स्वामित्व होता है।
  • गैर-औद्योगिक विनिर्माण इकाइयां-इसमें कुटीर तथा लघु उद्योग शामिल होते हैं।
  • औद्योगिक विनिर्माण इकाइयां-इसमें FERA कम्पनीज़ तथा MRTP कम्पनीज़ आती हैं।
  • FERA कम्पनीज़-ये कम्पनियां बड़े पैमाने पर उत्पादन करती हैं तथा विदेशी विनिमय का अधिक मात्रा में प्रयोग करती हैं।
  • MRTP कम्पनीज़-ये कम्पनियां एकाधिकार व्यापार प्रतिबंधात्मक व्यवहार नियम (MRTP Act) के अन्तर्गत कार्य करती हैं तथा इनका उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है।
  • कुटीर उद्योग-कुटीर उद्योग वह उद्योग होता है जो एक परिवार के सदस्यों द्वारा एक ही छत के नीचे एक पूर्णकालीन या अंशकालीन व्यवसाय के रूप में चलाया जाता है।
  • लघु उद्योग-लघु उद्योग वे उद्योग होते हैं जिनमें 3 करोड़ तक बंधी पूंजी का निवेश हुआ हो।
  • लाइसेंस-लाइसेंस एक लिखित अनुमति है जो सरकार द्वारा किसी उद्यम को किसी विशेष वस्तु का उत्पादन करने के लिये दिया जाता है।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 6 वन्य खेती

Punjab State Board PSEB 10th Class Agriculture Book Solutions Chapter 6 वन्य खेती Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Agriculture Chapter 6 वन्य खेती

PSEB 10th Class Agriculture Guide वन्य खेती Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के एक-दो शब्दों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
पंजाब में राष्ट्रीय वन्य नीति 1988 के अनुसार कितने प्रतिशत क्षेत्रफल वनों के अन्तर्गत होना चाहिए ?
उत्तर-
20%.

प्रश्न 2.
पंजाब में वन और वृक्षों के अन्तर्गत कितने प्रतिशत क्षेत्रफल है ?
उत्तर-
6.49%.

प्रश्न 3.
पंजाब को जलवायु के आधार पर कितने क्षेत्रों में बांटा गया है ?
उत्तर-
तीन।

प्रश्न 4.
तटीय क्षेत्र में कौन से मौसम में चारे की कमी पाई जाती है ?
उत्तर-
सर्दी में।

प्रश्न 5.
पॉप्लर के वृक्ष खेत की सीमा पर कितने अन्तर पर लगाए जाते हैं ?
उत्तर-
3 मीटर।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 6 वन्य खेती

प्रश्न 6.
तटीय क्षेत्र में ज़मीनें कैसी होनी चाहिए?
उत्तर-
भूमि ऊँची-नीची।

प्रश्न 7.
तटीय क्षेत्र में चारे के लिए प्रयुक्त होने वाले दो वृक्षों के नाम लिखिए।
उत्तर-
ढाक, बेरी, सुबाबुल, कचनार आदि।

प्रश्न 8.
पॉप्लर की खेती के लिए जमीन की पी० एच० कितनी होनी चाहिए ?
उत्तर-
6.5 से 8.0 तक।

प्रश्न 9.
पंजाब के दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्र में धरती के नीचे का पानी कैसा है ?
उत्तर-
खारा पानी।

प्रश्न 10.
सारे खेत में पॉप्लर के कितने वृक्ष प्रति एकड़ लगते हैं ?
उत्तर-
200 वृक्ष प्रति एकड़।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 6 वन्य खेती

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के एक -दो वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
पंजाब में पॉप्लर खेतों में कौन-से महीनों में लगाया जाता है ?
उत्तर-
पंजाब में पॉप्लर लगने का उचित समय जनवरी/फरवरी का महीना है।

प्रश्न 2.
वन्य खेती की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
वन्य खेती में एक ही खेत में वृक्ष तथा फसलों को एक साथ उगाया जाता है।

प्रश्न 3.
केन्द्रीय मैदानी क्षेत्रों में भूमि तथा सिंचाई सुविधाएं कैसी होनी चाहिए तथा किसानों द्वारा कौन-सा फसली चक्र अपनाया जाता है ?
उत्तर-
यहां की भूमि रेतीली भल्ल से चिकनी है। सिंचाई सुविधाएं ठीक हैं तथा फसली चक्र धान-गेहूँ है।

प्रश्न 4.
दक्षिणी-पश्चिमी क्षेत्र में कौन-कौन से वृक्ष पाए जाते हैं ?
उत्तर-
कीकर, शीशम (टाहली), आम, डेक, नीम, जामुन, शहतूत आदि।

प्रश्न 5.
सफेदे के पौधे लगाने की विधि तथा पौधे से पौधे के बीच का अन्तर लिखें।
उत्तर-
कलमों से तैयार किए पौधे लगाने चाहिए। सफेदा खेत के किनारों पर या सारे खेत में लगाया जा सकता है। किनारे पर वृक्षों का आपसी फासला 2 मीटर तथा सारे खेत में 4 × 2 मीटर के फासले पर वृक्ष लगाने चाहिए।

प्रश्न 6.
पॉप्लर की उन्नत किस्मों के नाम लिखिए।
उत्तर-
PL-1, PL-2, PL-3, PL-4, PL-5, L-47/88, L-48/89 पॉप्लर की कुछ उन्नत किस्में हैं।

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प्रश्न 7.
सफेदे के पौधे खेतों में कौन-कौन से महीनों में लगाए जाते हैं ?
उत्तर-
सफेदे के पौधे मार्च-अप्रैल या जुलाई-अगस्त में लगाए जाते हैं।

प्रश्न 8.
पॉप्लर की लकड़ी का प्रयोग कौन-कौन से उद्योगों में होता है ?
उत्तर-
पॉप्लर की लकड़ी का प्रयोग दियासिलाई उद्योग, प्लाई, पैकिंग वाले डिब्बे बनाने में होता है।

प्रश्न 9.
सफेदे के पौधे लगाने के लिए अन्तर लिखिए।
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के पांच – छः वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
वन्य खेती की व्याख्या करें।
उत्तर-
राष्ट्रीय वन नीति 1988 के अनुसार लकड़ी की आवश्यकता की पूर्ति तथा वातावरण को अनुकूल रखने के लिए लगभग 20% क्षेत्र जंगलों के अधीन आना चाहिए। परन्तु जंगलों के अधीन और क्षेत्रफल लाने की संभावना कम होने के कारण वन्य कृषि द्वारा यह कार्य किया जा सकता है।

वन्य कृषि से भाव है कि एक ही खेत में वृक्ष तथा फ़सलें एक साथ उगाए जाते हैं। इस खेती का उद्देश्य यह है कि किसान अपनी आवश्यकताएं भी पूरी कर लें, जैसे अनाज, लकड़, ईंधन, चारा तथा प्राकृतिक स्रोतों की भी संभाल हो जाए, जैसे- भूमि पानी तथा हवा आदि। इस ढंग से किसान की आय में भी वृद्धि होती है।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 6 वन्य खेती

प्रश्न 2.
पॉप्लर की खेती के लिए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कौन-कौन सी किस्मों की सिफ़ारिश की जाती है तथा कितने-कितने अन्तर पर वृक्ष लगाने चाहिए ?
उत्तर-
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा पॉप्लर की PL-1, PL-2, PL-3, PL-4, PL-5, PL-6, PL-7, L-47/88 तथा L-48/89 किस्मों की सिफ़ारिश भी की जाती है। पॉप्लर को यदि किनारों पर बोना हो तो फासला वृक्ष से वृक्ष 3 मीटर तथा यदि सारे खेत में बोना हो तो 8 x 2.5 मी० या 5 x 4 मी० भी रखना चाहिए।
सारे खेत में 200 के लगभग वृक्ष प्रति एकड़ लगाए जा सकते हैं।

प्रश्न 3.
कलमों से तैयार किए सफेदे के पौधे कहां से मिल सकते हैं ?
उत्तर-
वन्य कृषि में सफेदे की कलमों से तैयार किए पौधे लगाने चाहिए, यह सभी एक जैसे बढ़ते हैं। सफेदे के पौधे किसी भी जंगलात विभाग की नर्सरी या प्राइवेट रजिस्टर्ड नर्सरी से प्राप्त किए जा सकते हैं।

प्रश्न 4.
पॉप्लर के पौधे लगाने के लिए विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पॉप्लर के पौधे लगाने के लिए 3 फुट गहरा तथा 15-20 सैं० मी० व्यास वाला गड्ढा खोदना चाहिए। पौधों को दीमक तथा रोगों से बचाने के लिए क्लोरोपाईरीफास तथा एमीसान-6 का प्रयोग किया जाता है। पॉप्लर के पौधों को जनवरी-फरवरी के माह में लगाना ठीक. रहता है। गड्ढे में पौधे लगाने के तुरन्त बाद पानी लगा देना चाहिए। यदि पॉप्लर को खेत के किनारे पर लगाना हो तो पौधों में आपसी फासला 3 मी० होना चाहिए तथा यदि सारे खेत में लगाना हो तो 8 x 2.5 मी० या 5 x 4 मी० फासला रखना चाहिए। इस प्रकार खेत में लगभग 200 पौधे प्रति एकड़ अधिक लगाए जाते हैं।

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प्रश्न 5.
पॉप्लर की लकड़ी का प्रयोग कहां-कहां किया जाता है ?
उत्तर-
पॉप्लर की कृषि छोटे स्तर पर लकड़ी उद्योग तथा रोजगार पैदा करने के समर्थ है। पॉप्लर की लकड़ी कई उद्योगों में प्रयोग होती है। जैसे इससे दियासिलाइयां बनती हैं, प्लाई बनती है तथा पैकिंग के लिए डिब्बे बनते हैं। इस तरह पॉप्लर की कृषि करके लाभ लिया जा सकता है। सर्दियों में इसके पत्ते झड़ जाते हैं। इसलिए आषाढ़ी की फसलों को भी हानि नहीं होती।

Agriculture Guide for Class 10 PSEB वन्य खेती Important Questions and Answers

वस्तनिष्ठ प्रश्न

I. बहु-विकल्पीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय वन्य नीति 1988 के अनुसार लगभग कितना क्षेत्रफल वनों के अंतर्गत होना चाहिए ?
(क) 5%
(ख) 20%
(ग) 50%
(घ) 29%
उत्तर-
(ख) 20%

प्रश्न 2.
केन्द्रीय मैदानी क्षेत्रों में ………….. वृक्ष लगाए जाते हैं।
(क) पॉप्लर
(ख) सफेदा
(ग) डेक
(घ) सभी।
उत्तर-
(घ) सभी।

प्रश्न 3.
पॉप्लर की किस्म नहीं है-
(क) PL-5
(ख) PL-47/88
(ग) PL-858
(घ) PL-48/89.
उत्तर-
(ग) PL-858

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प्रश्न 4.
पॉप्लर के वृक्ष ………. वर्षों में तैयार हो जाते हैं.
(क) 5 से 7
(ख) 1 से 2
(ग) 10 से 12
(घ) 15 से 25.
उत्तर-
(क) 5 से 7

प्रश्न 5.
पॉप्लर की कृषि के लिए भूमि की पी० एच० कितनी होनी चाहिए?
(क) 10
(ख) 6.5 से 8.0
(ग) 3 से 4
(घ) 4 से 5.5
उत्तर-
(ख) 6.5 से 8.0

प्रश्न 6.
वन कृषि में खेत की मेढ़ों पर वृक्षों को किस दिशा में लगाना चाहिए?
(क) उत्तर-दक्षिण
(ख) पूर्व-पश्चिम
(ग) दक्षिण-पूर्व
(घ) उत्तर-पूर्व।
उत्तर-
(क) उत्तर-दक्षिण

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प्रश्न 7.
कागज़ की लुगदी (पेपर पल्प) तैयार करने के लिए सफेदे को कितने वर्षों के बाद काटा जाता है ?
(क) 13 से 15 साल
(ख) 6 से 8 साल
(ग) 4 से 6 साल
(घ) 2 से 4 साल।
उत्तर-
(ख) 6 से 8 साल

प्रश्न 8.
तख्तियां (बल्लियां) बनाने के लिए सफेदे को कितने वर्षों के बाद काटा जाता है ?
(क) 13 से 15 साल
(ख) 6 से 8 साल
(ग) 4 से 6 साल
(घ) 2 से 4 साल।
उत्तर-
(ग) 4 से 6 साल

प्रश्न 9.
इमारती लकड़ी पैदा करने के लिए सफेदे को कितने वर्षों के बाद काटा जाता है ?
(क) 13 से 15 साल
(ख) 6 से 8 साल
(ग) 4 से 6 साल
(घ) 2 से 4 साल।
उत्तर-
(क) 13 से 15 साल

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II. ठीक/गलत बताएँ-

1. पॉप्लर, वेट क्षेत्र में सफल है।
2. पॉप्लर के वृक्ष 5 से 7 वर्षों में तैयार हो जाते हैं।
3. जैटरोफा को बागों को बचाने के लिए लगाया जाता है।
4. कल्लर तथा सेम वाली भूमि पॉप्लर के लिए ठीक है।
5. सफेदे को कलमों से तैयार पौधे लगाने चाहिए।
उत्तर-

  1. ठीक
  2. ठीक
  3. ठीक
  4. गलत
  5. ठीक।

III. रिक्त स्थान भरें-

1. पॉप्लर की लकड़ी का प्रयोग …………… बनाने में होता है।
2. पॉप्लर के वृक्ष किनारों पर …………… के अंतर पर लगाए जाते हैं।
3. कंडी क्षेत्र में ………… क्षरण की समस्या है।
4. PL-3 …………… की किस्म है।
5. कंडी क्षेत्र में सर्दियों के मौसम में ………….. की कमी हो जाती है।
उत्तर-

  1. माचिस की तीलियां
  2. 3 मीटर
  3. भूमि
  4. पॉप्लर
  5. चारे।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब में वन कृषि एक उचित कृषि प्रबंध क्यों है ?
उत्तर-
क्योंकि वन्य कृषि के अधीन और क्षेत्रफल लाने की संभावना नहीं है।

प्रश्न 2.
क्या वन्य कृषि से भी कमाई होती है ?
उत्तर-
पारंपरिक कृषि से अधिक।

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प्रश्न 3.
खेतों के किनारों पर वृक्षों को कौन-सी दिशा में लगाना चाहिए ?
उत्तर-
उत्तर-दक्षिण दिशा वाले किनारों पर।

प्रश्न 4.
जलवायु के आधार पर पंजाब को कितने क्षेत्रों में बांटा जा सकता है ?
उत्तर-
तीन क्षेत्रों में।

प्रश्न 5.
तटीय क्षेत्र में किसान किस पर आधारित कृषि करते हैं ?
उत्तर-
वर्षा पर आधारित।

प्रश्न 6.
बागों को बचाने के लिए कौन-से वृक्ष लगाए जाते हैं ?
उत्तर-
जटरोफा, करौंदा, इपोमिया।

प्रश्न 7.
दक्षिणी-पश्चिमी जोन (क्षेत्र) की मिट्टी की ऊपर वाली सतह कैसी है ?
उत्तर-
खारेपन वाली।

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प्रश्न 8.
पॉप्लर आषाढ़ी की फसलों को कम हानि पहुंचाता है, कैसे ?
उत्तर-
इसके पत्ते सर्दियों में झड़ जाते हैं।

प्रश्न 9.
कैसी भूमि पॉप्लर के लिए ठीक नहीं ?
उत्तर-
कल्लर तथा सेम वाली।

प्रश्न 10.
पॉप्लर कौन-से क्षेत्रों में बहुत सफल है ?
उत्तर-
बेट के।

प्रश्न 11.
सारे खेत में पॉप्लर के कितने वृक्ष लगाए जाते हैं ?
उत्तर-
200 वृक्ष प्रति एकड़।

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प्रश्न 12.
पॉप्लर के वृक्ष कितने वर्षों में तैयार हो जाते हैं ?
उत्तर-
5 से 7 वर्षों में।

प्रश्न 13.
सफेदे के कैसे पौधे लगाने चाहिए ?
उत्तर-
कलमों से तैयार।

प्रश्न 14.
सारे खेत में सफेदे के कितने वृक्ष लगाए जाते हैं ?
उत्तर-
500 वृक्ष प्रति एकड़।

प्रश्न 15.
यदि लम्बे समय तक सफेदे की कृषि करनी हो तो पंक्तियों में कितना फासला होना चाहिए ?
उत्तर-8
मी०।

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प्रश्न 16.
सफेदे से इमारती लकड़ी लेनी हो तो कितने वर्ष का समय लगता है ?
उत्तर-
13 से 15 वर्ष।

प्रश्न 17.
सफेदा, पेपर पल्प के लिए कितने वर्षों में तैयार हो जाता है ?
उत्तर-
6 से 8 वर्ष।

प्रश्न 18.
सफेदे से बल्लियां बनाने के लिए कितने वर्ष बाद काटा जा सकता है ?
उत्तर-
4 से 6 वर्ष।

प्रश्न 19.
पंजाब में व्यावसायिक वन कृषि के लिए मुख्य रूप से कौन से दो वृक्षों की खेती की जाती है ?
उत्तर-
पॉप्लर, सफेदा।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वन्य कृषि के कौन-कौन से मॉडल हैं ?
उत्तर-
वन्य कृषि के मुख्य दो मॉडल हैं-खेतों में किनारों पर वृक्ष लगाना, वृक्ष तथा फसलों को मिलाकर कृषि करना।

प्रश्न 2.
किनारों पर वृक्ष लगाने वाले मॉडल में किसान वृक्ष कहां लगाता है ?
उत्तर-
इस विधि में किसान वृक्षों को किनारों पर या खालों में एक या दो पंक्तियों में लगाता है।

प्रश्न 3.
खेत के किनारों पर कौन-से वृक्ष लगाए जा सकते हैं ?
उत्तर-
सुवाल, डेक, शहतूत, सफेदा, पॉप्लर, सरींह, लसूड़ा, सुहांजना, शीशम आदि।

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प्रश्न 4.
वृक्ष तथा फसलों की एक साथ कृषि कौन-से किसान करते हैं ?
उत्तर-
ऐसी कृषि अधिक भूमि वाले किसान करते हैं।

प्रश्न 5.
सारे खेत में लगाने के लिए कौन-से वृक्ष बेहतर हैं ?
उत्तर-
सारे खेत में लगाने के लिए पॉप्लर, सफेदा, डेक तथा शहतूत अच्छे वृक्ष हैं।

प्रश्न 6.
भूमि कटाव की समस्या कौन-से जोन में है ?
उत्तर-
तटीय क्षेत्र में भूमि ऊँची-नीची होने के कारण भूमि कटाव की समस्या बहुत है।

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प्रश्न 7.
पॉप्लर के लिए कैसी भूमि ठीक है ?
उत्तर-
अच्छे जल निकास वाली, मैरा से रेतली मैरा उपजाऊ भूमि तथा जिसकी पी० एच० 6.5 से 8.0 तक हो पॉप्लर के लिए उचित है।

प्रश्न 8.
पॉप्लर के पौधे लगाने के लिए फासला लिखें।
उत्तर-
पॉप्लर को यदि किनारों पर लगाया जाए तो फासला वृक्ष से वृक्ष 3 मीटर तथा यदि सारे खेतों में लगाया जाए तो 8 × 2.5 मी० या 5 × 4 मी० रखना चाहिए।

प्रश्न 9.
तटीय क्षेत्र में कौन-कौन से वृक्ष लगाए जाते हैं ?
उत्तर-
शहतूत, नीम, शीशम, कीकर, बिल्व, कचनार, आम, सुवाबुल, अर्जन, हरड़, बहेड़ा, फलाही, ढाक, डेक, सुआंजना आदि वृक्ष लगाए जाते हैं।

प्रश्न 10.
सफेदे की लकड़ी का उपयोग कहां-कहां किया जाता है ?
उत्तर-
इसकी लकड़ी से इमारती लकड़ी, पेपर पल्प तथा बलियाँ आदि प्राप्त होती हैं।

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प्रश्न 11.
संपूर्ण खेत में वन कृषि करने के लगाए जाने वाले चार वृक्षों के नाम लिखो।
उत्तर-
पॉप्लर, सफेदा, डेक, सुहांजना।

प्रश्न 12.
पंजाब में व्यापारिक वन्य कृषि के लिए मुख्य रूप से कौन-से दो वृक्षों की कृषि की जाती है ?
उत्तर-
पाप्लर, सफेदा।

प्रश्न 13.
दक्षिण-पश्चिमी अंचल (जोन) में मिट्टी की ऊपरी सतह में खारापन क्यों पाया जाता है ?
उत्तर-
इस ज़ोन में धरती के नीचे पानी खारा है जिस कारण मिट्टी की ऊपरी सतह में खारापन आ जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पॉप्लर की कांट-छांट बारे बताओ।
अथवा
पॉप्लर के वृक्षों की सही समय और सही कांट-छांट करने से क्या लाभ होता है ?
उत्तर-
पॉप्लर को पहले वर्ष कांट-छांट की आवश्यकता नहीं होती परन्तु दूसरे वर्ष पत्ते झड़ने के बाद कांट-छांट कर देनी चाहिए। समय-समय पर कांट-छांट के कारण मुख्य तना सीधा तथा गांठों रहित रहता है।

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प्रश्न 2.
सफेदे के किन गुणों के कारण इसकी वन कृषि में कृषि हो रही है ?
उत्तर-
सफेदे की तेज़ वृद्धि, सीधा तना, स्वयं टहनियों का टूटना तथा इसकी लकडी का प्रयोग इमारती लकड़ी, पेपर पल्प, बल्लियां आदि प्राप्त करने में होता है। इसकी कृषि वन्य कृषि में की जाती है।

प्रश्न 3.
पंजाब में व्यावसायिक वन कृषि के लिए सफेदा और पॉप्लर की खेती ही क्यों की जाती है?
उत्तर-
देखें प्रश्न 2 (सफेदे की कृषि)
पॉप्लर की कृषि रोज़गार का अवसर प्रदान करती है इसका प्रयोग छोटे स्तर पर लकड़ी, उद्योग; जैसे प्लाई, दियासलाई, पैकिंग के डिब्बे आदि में होता है। यह आषाढ़ी (रबी) की फसलों को भी कम हानि पहुँचाता है इसलिए पॉप्लर की खेती की जाती है।

प्रश्न 4.
वन्य कृषि से आप क्या समझते हैं ? वन्य कृषि में खेतों की सीमाओं पर वृक्ष लगाने के बारे में विस्तार से लिखें।
उत्तर-
स्वयं करें।

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वन्य खेती PSEB 10th Class Agriculture Notes

  • राष्ट्रीय वन्य नीति 1988 के अनुसार लगभग 20% क्षेत्रफल वनों के अतंर्गत होना चाहिए।
  • पंजाब में अधिक क्षेत्रफल कृषि के अधीन होने के कारण 6.49% क्षेत्रफल ही वनों तथा वृक्षों के अधीन रह गया है।
  • वन्य कृषि में एक ही खेत में वृक्ष तथा फसलों को इकट्ठे उगाया जाता है।
  • वन्य कृषि का उद्देश्य किसानों की आवश्यकताएं पूरी करना तथा प्राकृतिक स्रोतों की संभाल करना है।
  • वन्य कृषि के मुख्य मॉडल हैं-खेतों के किनारों पर वृक्ष लगाना, वृक्ष तथा फसल की मिली-जुली कृषि करना।
  • जलवायु के आधार पर संपूर्ण पंजाब को मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों में बांटा गया है।
  • तटीय क्षेत्र में वर्षा आधारित कृषि की जाती है।
  • तटीय क्षेत्र में बेर, शहतूत, नीम, शीशम (टाहली), आंवला, फलाही, ढाक, डेक, हरड़, वहेड़ा, अर्जन, आम, कचनार, बिल्व, खैर कीकर आदि वृक्ष उगाए जाते हैं।
  • तटीय क्षेत्र में बागों के आस-पास जटरोफा, करौंदा आदि की वाड़ भी की जाती है।
  • केन्द्रीय मैदानी क्षेत्रों में पॉप्लर, सफेदा, डेक आदि वृक्ष लगाए जाते हैं।
  • दक्षिणी-पश्चिमी जोन में कीकर, शीशम (टाहली), नीम, जामुन, आम, डेक, शहतूत आदि लगाए जाते हैं।
  • पॉप्लर, बेट क्षेत्रों में बहुत सफल है। इससे प्लाई, दियासिलाइयां, पैकिंग के लिए डिब्बे आदि बनाए जाते हैं।
  • व्यापारिक वन्य कृषि के अन्तर्गत पंजाब में पॉप्लर तथा सफेदा की कृषि की जाती है।
  • पॉप्लर की किस्में हैं-PL-1, PL-2, PL-3,4,5,6,7, L-47/88, L-48/89.
  • पॉप्लर के वृक्ष 5 से 7 वर्षों में तैयार हो जाते हैं।
  • सफेदे से कागज़, ईमारती लकड़ी तथा बल्लियां बनाई जा सकती हैं।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारिक संरचना

Punjab State Board PSEB 10th Class Social Science Book Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारिक संरचना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Social Science Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारिक संरचना

SST Guide for Class 10 PSEB भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारिक संरचना Textbook Questions and Answers

I. अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

इन प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दें

प्रश्न 1.
अधारिक संरचना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
अर्थ-व्यवस्था के पूंजी स्टॉक का वह भाग जो विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करने की दृष्टि से आवश्यक होता है, अर्थ-व्यवस्था का सहायक ढांचा अथवा आर्थिक संरचना कहलाता है।

प्रश्न 2.
भारत की मुख्य आर्थिक आधारित संरचनाएं कौन-सी हैं?
उत्तर-
(i) परिवहन तथा संचार
(ii) विद्युत् शक्ति
(iii) सिंचाई
(iv) पूर्ति
(v) बैंकिंग तथा वित्तीय संस्थाएं।

प्रश्न 3.
भारत में परिवहन के मुख्य साधन कौन से हैं?
उत्तर-

  1. रेलवे
  2. सड़क यातायात
  3. जल परिवहन
  4. वायु परिवहन।

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प्रश्न 4.
सिंचाई से क्या अभिप्राय है? सिंचाई की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर-
भूमि को कृत्रिम साधनों द्वारा जल देने को ही सिंचाई कहते हैं।
वर्षा की अनियमितता, वर्षा का असमान वितरण व वर्षा का अनिश्चित काल सिंचाई की आवश्यकता के लिए उत्तरदायी कारक हैं। भारत में वर्षा, ट्यूबवैल, कुएँ, तालाब, नहरें व शक्ति चलित पम्पसैट सिंचाई के मुख्य साधन हैं।

प्रश्न 5.
भारत में बिजली के मुख्य साधन कौन-से हैं?
उत्तर-

  1. ताप विद्युत्
  2. जल विद्युत्
  3. परमाणु विद्युत्।

प्रश्न 6.
कुल कितने व्यापारिक बैंक राष्ट्रीयकरण करे गए हैं?
उत्तर-
सन् 1969 में 14 तथा सन् 1980 में 6 अर्थात् कुल 20 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया है। परन्तु अब इनकी संख्या 19 है।

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प्रश्न 7.
भारत के केन्द्रीय बैंक का नाम लिखो।
उत्तर-
भारतीय रिज़र्व बैंक।

प्रश्न 8.
भारत की विशिष्ट बैंकिंग संस्थायें कौन सी हैं?
उत्तर-

  1. भारतीय औद्योगिक विकास बैंक
  2. भारतीय औद्योगिक वित्त निगम
  3. लघु उद्योग विकास बैंक
  4. सहकारी समितियां
  5. ग्रामीण क्षेत्रीय बैंक
  6. राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक
  7. निर्यात-आयात बैंक आदि।

प्रश्न 9.
उपभोक्ता संरक्षण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उपभोक्ता संरक्षण से अभिप्राय है उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादकों के अनुचित व्यापार व्यवहारों के कारण होने वाले शोषण से उपभोक्ताओं की रक्षा करना।

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II. लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

इन प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दें

प्रश्न 1.
आधारित संरचना से क्या अभिप्राय है ? इसकी क्या आवश्यकता है?
उत्तर-
आधारित संरचना-आधारित संरचना से आशय उन सुविधाओं, क्रियाओं तथा सेवाओं से है जो अन्य क्षेत्रों के संचालन तथा विकास में सहायक होती हैं।
आधारित संरचना की आवश्यकता वास्तव में, प्रत्येक देश के आर्थिक विकास के लिए आधारित संरचना एक पूर्व शर्त है। इसकी पर्याप्त उपलब्धता विकास का आधार है तथा इसकी अपर्याप्त उपलब्धता विकास में सबसे बड़ी बाधा है।

प्रश्न 2.
भारत की मुख्य आर्थिक आधारित संरचनाएं कौन सी हैं ? वर्णन करो।
उत्तर-
आर्थिक आधारित संरचना से अभिप्राय उस पूंजी स्टॉक से है जो उत्पादन प्रणाली को प्रत्यक्ष सेवाएं प्रदान करता है। दूसरे शब्दों में, आर्थिक आधारित संरचनाएं वे सुविधाएं तथा सेवाएं हैं जो उत्पादन तथा वितरण प्रणाली को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।
भारत की मुख्य आर्थिक आधारित संरचनाएं —

  1. परिवहन तथा संचार
  2. शक्ति
  3. सिंचाई
  4. मुद्रा पूर्ति
  5. बैंकिंग तथा अन्य वित्तीय संस्थाएं।

प्रश्न 3.
भारत की मुख्य मौद्रिक संस्थायें कौन सी हैं?
उत्तर-
भारत की मुख्य मौद्रिक संस्थाएं निम्नलिखित हैं —

  1. साहूकार-ये बहुत अधिक ब्याज लेते हैं।
  2. भारतीय रिज़र्व बैंक-यह भारत का केन्द्रीय बैंक है।
  3. व्यापारिक बैंक-ये बैंक प्राय: अल्पकालीन ऋण देते हैं।
  4. विशिष्ट बैंकिंग संस्थाएं-भारतीय औद्योगिक विकास बैंक, ग्रामीण क्षेत्रीय बैंक, निर्यात-आयात बैंक इत्यादि विशिष्ट बैंकिंग संस्थाएं हैं।
  5. गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाएं-भारत की मुख्य गैर-बैंकिंग संस्थाएं यूनिट ट्रस्ट तथा जीवन बीमा निगम हैं। 6. स्टॉक एक्सचेंज-ये वे संस्थाएं हैं जहां कम्पनियों के शेयर या डिबेन्चर खरीदे और बेचे जाते हैं।

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प्रश्न 4.
उपभोक्ता के शोषण से क्या अभिप्राय है? उपभोक्ता संरक्षण के मुख्य उपाय बतायें।
उत्तर-
उपभोक्ता का शोषण-उपभोक्ता के शोषण से अभिप्राय है, उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादकों के अन्तर्गत व्यापार, व्यवहारों के फलस्वरूप होने वाला शोषण। उत्पादक उपभोक्ताओं का कई प्रकार से शोषण करते हैं, जैसेउत्पादन के गुणों के विषय में झूठी सूचनाएं देना, मिलावट करना, कम वज़न या गलत मापों का प्रयोग करना इत्यादि।
उपभोक्ता संरक्षण के मुख्य उपाय —

  1. एकाधिकार एवं प्रतिबन्धात्मक व्यापार व्यवहार अधिनियम (1969)-भारत में बड़े उत्पादकों तथा व्यावसायिक समूहों से उपभोक्ताओं तथा छोटे उत्पादकों को संरक्षण देने के लिए 1969 में यह अधिनियम लागू किया गया।
  2. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (1986)-उपभोक्ताओं का सभी स्तर के उत्पादकों से संरक्षण करने के लिए 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पास किया गया। यह अधिनियम 1987 में लागू किया गया है। इसमें उपभोक्ताओं की शिकायतें को कम खर्च पर तथा शीघ्रता से निपटाने के लिए जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता विवाद निस्तारण फोरम स्थापित किए गए हैं।

प्रश्न 5.
सार्वजनिक वित्त प्रणाली से क्या अभिप्राय है? भारत में सार्वजनिक वित्त प्रणाली की वर्तमान स्थिति का वर्णन करें।
उत्तर-
सार्वजनिक वित्त प्रणाली-सार्वजनिक वित्त प्रणाली द्वारा सरकार देश की जनता, विशेष रूप से निर्धन वर्ग को उचित कीमत की दुकानों के द्वारा जीवन की आवश्यक वस्तुओं जैसे-अनाज, चीनी, मिट्टी का तेल, मोटे कपड़े आदि का रियायती कीमतों पर निश्चित मात्रा में वितरण करती है।
भारत में सार्वजनिक वित्त प्रणाली के तीन मुख्य अंग हैं —

  1. न्यूनतम कीमतों पर वसूली-वर्ष 1988 में सरकार ने 140 लाख टन अनाज की वसूली निर्धारित कीमतों पर की थी। वर्ष 2009 में यह वसूली बढ़कर 437 लाख टन हो गई।
  2. बफर स्टॉक-सार्वजनिक प्रणाली का दूसरा ढंग सरकार द्वारा अनाज, चीनी आदि आवश्यक वस्तुओं का स्टॉक रखना है। इस स्टॉक को बफर स्टॉक कहा जाता है।
  3. उचित कीमत की दुकानें-सरकार ने आवश्यक वस्तुओं का कम कीमतों पर राशन कार्डों के माध्यम से वितरण के लिए लगभग 4.6 लाख उचित कीमतों की दुकानें खोली हैं।

PSEB 10th Class Social Science Guide भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारिक संरचना Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
उपभोक्ता कौन होता है?
उत्तर-
जब हम कोई वस्तु खरीदते हैं तो हम उपभोक्ता बन जाते हैं।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारिक संरचना

प्रश्न 2.
आर्थिक आधारिक संरचना का एक अवयव बताएं।
उत्तर-
सिंचाई।

प्रश्न 3.
भारतीय परिवहन का मुख्य साधन बताएँ।
उत्तर-
रेलवे।

प्रश्न 4.
भारत में सिंचाई के मुख्य दो साधन क्या हैं?
उत्तर-
मानसून तथा नदियां।

प्रश्न 5.
भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर-
1935.

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारिक संरचना

प्रश्न 6.
किसी एक उपभोक्ता संरक्षण कानून का नाम बताएँ।
उत्तर-
उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 ।

प्रश्न 7.
भारतीय रिज़र्व बैंक का कोई एक कार्य लिखें।
उत्तर-
नोट जारी करना।

प्रश्न 8.
भारत का केन्द्रीय बैंक कौन-सा है?
उत्तर-
भारतीय रिज़र्व बैंक।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारिक संरचना

प्रश्न 9.
भारत की विशिष्ट बैंकिंग संस्था का नाम बताएँ।
उत्तर-
नाबार्ड।

प्रश्न 10.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अन्तर्गत दी जाने वाली किसी एक वस्तु का नाम बताएं।
उत्तर-
चीनी।

प्रश्न 11.
अर्थव्यवस्था की एक आधारिक संरचना का नाम लिखो।
उत्तर-
परिवहन।

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प्रश्न 12.
स्टॉक एक्सचेंज क्या है?
उत्तर-
जहां शेयर व डिबेंचर खरीदे व बेचे जाते हैं।

प्रश्न 13.
भारत की कोई गैर-बैंकिंग संस्था का नाम बताएँ।
उत्तर-
जीवन बीमा निगम।

प्रश्न 14.
भारत की बहुउद्देशीय योजना का नाम लिखें।
उत्तर-
भाखड़ा नंगल परियोजना।

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प्रश्न 15.
भारत में सामुद्रिक यातायात के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की किसी बड़ी कम्पनी का नाम लिखें।
उत्तर-
मुग़ल लाइन।

प्रश्न 16.
संचार का मुख्य साधन बताएं।
उत्तर-
दूरभाष।

प्रश्न 17.
भारत में बिजली का मुख्य स्रोत बताएं।
उत्तर-
ताप विद्युत्।

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प्रश्न 18.
वाणिज्य बैंक कौन होते हैं?
उत्तर-
जो अल्पकालीन ऋण देते हैं।

प्रश्न 19.
बहुउद्देशीय योजनाओं का एक उद्देश्य बताएं।
उत्तर-
जल विद्युत् का उत्पादन।

प्रश्न 20.
उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 की एक विशेषता बताएं।
उत्तर-
उपभोक्ता की शिकायतों का सरल व सस्ता समाधान।

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प्रश्न 21.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली की आवश्यकता का एक कारण लिखें।
उत्तर-
अपर्याप्त उत्पादन।

प्रश्न 22.
सिंचाई क्या है?
उत्तर-
कृषि योग्य भूमि को आवश्यक पानी प्रदान करना।

प्रश्न 23.
कुछ आधारिक संरचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
परिवहन व संचार के साधन, शक्ति के साधन, सिंचाई के साधन, मौद्रिक तथा वित्तीय संस्थाएं, शिक्षा व चिकित्सा के साधन, आवास तथा नगरीय सेवाएं।

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प्रश्न 24.
आर्थिक आधारिक संरचनाओं से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
आर्थिक आधारिक संरचनाएं वे सुविधाएं तथा सेवाएं हैं जो उत्पादन तथा वितरण प्रणाली को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।

प्रश्न 25.
किसी देश की परिवहन प्रणाली से क्या आशय है?
उत्तर-
किसी देश की परिवहन प्रणाली से आशय उन विभिन्न साधनों से है जो एक स्थान से दूसरे स्थान पर लोगों और वस्तुओं को लाते तथा ले जाते हैं। इन साधनों में रेल, सड़क, जल तथा वायु यातायात शामिल हैं।

प्रश्न 26.
संचार के प्रमुख साधनों के नाम लिखिए।
उत्तर-
डाक सेवाएं, तार, टेलीफोन, रेडियो, टेलीविज़न आदि संचार के मुख्य साधन हैं।

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प्रश्न 27.
भारत में सामुद्रिक यातायात के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की दो बड़ी कम्पनियों के नाम बताइए।
उत्तर-

  1. भारतीय शिपिंग निगम तथा
  2. मुगल लाइन।

प्रश्न 28.
भारत की दो बहु-उद्देशीय योजनाओं के नाम लिखिए। .
उत्तर-

  1. भाखड़ा नंगल परियोजना तथा
  2. दामोदर घाटी परियोजना।

प्रश्न 29.
भारत की किसी एक विशिष्ट बैंकिंग संस्था का नाम बताइए।
उत्तर-
भारतीय औद्योगिक विकास बैंक।

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प्रश्न 30.
भारत की प्रमुख गैर-बैंकिंग संस्थाओं के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. यूनिट ट्रस्ट तथा
  2. जीवन बीमा आयोग।

प्रश्न 31.
स्टॉक एक्सचेंज से क्या आशय है?
उत्तर-
स्टॉक एक्सचेंज वे संस्थाएं हैं जहां कम्पनियों के शेयर या डिबेन्चर (साख पत्र) खरीदे और बेचे जाते हैं, इन्हें शेयर बाज़ार भी कहा जाता है।

प्रश्न 32.
भारतीय रिज़र्व बैंक का कोई एक कार्य लिखो।
उत्तर-
नोट जारी करना।

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प्रश्न 33.
उपभोक्ता शिक्षा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उपभोक्ता शिक्षा से तात्पर्य उस शिक्षा से है जो उपभोक्ता को दी जानी चाहिए, जिससे उपभोक्ता अपनी सीमित आय से अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त कर सके और बाज़ार में व्याप्त बुराइयों से अपने आपको शोषण से बचा सके।

प्रश्न 34.
यातायात के महत्त्वपूर्ण साधनों के नाम दें।
उत्तर-
रेलवे, सड़क, जल, वायु यातायात ही भारत में प्रमुख यातायात साधन हैं।

प्रश्न 35.
विद्युत् शक्ति के साधनों के नाम लिखें।
उत्तर-
ताप शक्ति, बिजली व आण्विक शक्ति इसके प्रमुख साधन हैं।

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प्रश्न 36.
सिंचाई के साधन कौन-से हैं?
उत्तर-
वर्षा, कुएं, ट्यूबवैल, तालाब आदि इसके मुख्य साधन हैं।

प्रश्न 37.
भारत के केन्द्रीय बैंक का क्या नाम है?
उत्तर-
रिज़र्व बैंक ऑफ इण्डिया।

प्रश्न 38.
रिज़र्व बैंक ऑफ इण्डिया कब स्थापित किया गया?
उत्तर-
1935 में ।

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प्रश्न 39.
व्यापारिक बैंक क्या होते हैं?
उत्तर-
सामान्यतया ये बैंक अल्पकालीन ऋण देते हैं।

प्रश्न 40.
दो गैर-बैंकिंग संस्थाओं के नाम बताएं।
उत्तर-
U.T.I., LI.C.

प्रश्न 41.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कब पारित हुआ?
उत्तर-
1986 में।

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प्रश्न 42.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है?
उत्तर-
यह एक ऐसी प्रणाली है जिसके द्वारा सरकार देश की जनता विशेषकर निर्धन वर्ग को उचित मूल्य की दुकानों द्वारा जीवन की आवश्यक वस्तुओं का वितरण करती है।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. RBI की स्थापना ………… में हुई । (1945/1935)
  2. जब हम किसी वस्तु का उपभोग करते हैं तब हम ……….. बन जाते हैं। (उत्पादक/उपभोक्ता)
  3. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम ……….. में लागू किया गया। (1985/1986)
  4. ……….. भारत का केन्द्रीय बैंक है। (SBI/RBI)
  5. ……….. अल्पकालीन ऋण देता है। (केन्द्रीय बैंक/वाणिज्य बैंक)
  6. NABARD की स्थापना ………… में की गई। (1982/1999)
  7. सिंचाई ………… आधारिक संरचना का तत्त्व है। (सामाजिक/आर्थिक)
  8. ………… देश में नोट जारी करता है। (RBI/SBI)

उत्तर-

  1. 1935,
  2. उपभोक्ता,
  3. 1986
  4. RBI,
  5. वाणिज्य बैंक,
  6. 1982,
  7. आर्थिक,
  8. RBI.

III. बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
RBI का कोई एक कार्य बताएं।
(A) नोट जारी करना
(B) सरकार का बैंक
(C) बैंकों का बैंक
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 2.
RBI की स्थापना कब हुई?
(A) 1925
(B) 1935
(C) 1945
(D) 1955.
उत्तर-
(B) 1935

प्रश्न 3.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कब लागू हुआ?
(A) 1980
(B) 1982
(C) 1986
(D) 1988.
उत्तर-
(C) 1986

प्रश्न 4.
NABARD की स्थापना कब हुई?
(A) 1982
(B) 1986
(C) 1988
(D) 1999.
उत्तर-
(A) 1982

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प्रश्न 5.
भारत का केन्द्रीय बैंक कौन-सा है?
(A) SBI
(B) PNB
(C) RBI
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(C) RBI

प्रश्न 6.
भारत में आर्थिक आधारिक संरचना का मुख्य तत्त्व कौन-सा है?
(A) बैंकिंग
(B) विद्युत् शक्ति
(C) सिंचाई
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 7.
भारत की विशिष्ट बैंकिंग संस्था कौन-सी है?
(A) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
(B) नाबार्ड
(C) Exim बैंक
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(D) उपरोक्त सभी।

IV. सही/गलत

  1. RBI की स्थापना 1935 में हुई थी।
  2. SBI भारत का केंद्रीय बैंक है।
  3. भारत में बिजली के तीन मुख्य स्त्रोत है।
  4. नाबार्ड की स्थापना 1992 में हुई।
  5. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम वर्ष 1986 में लागू हुआ।

उत्तर-

  1. सही
  2. गलत
  3. सही
  4. गलत
  5. सही।

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छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
आधारभूत संरचनाओं की क्या आवश्यकता है?
उत्तर-
किसी देश का राष्ट्रीय उत्पादन केवल वस्तुओं से नहीं बल्कि वस्तुओं तथा सेवाओं दोनों से मिलकर बना होता है। आधारभूत संरचनाएं-परिवहन व संचार के साधन, शक्ति व सिंचाई के साधन, बैंकिंग प्रणाली, शिक्षा तथा प्रशिक्षण सेवाएं, स्वास्थ्य तथा सफ़ाई सेवाएं अर्थ-व्यवस्था को उत्पादन तथा वितरण का आधार प्रस्तुत करती हैं। वस्तुओं के उत्पादन की प्रक्रियाओं के लिए कई प्रकार की सेवाओं की आवश्यकता होती है। इन आधारभूत संरचनाओं के अभाव में किसी अर्थ-व्यवस्था की उत्पादन प्रक्रिया रुक जाएगी।

प्रश्न 2.
एक अर्थ-व्यवस्था में परिवहन के साधनों का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
यातायात अथवा परिवहन के साधनों का आशय मनुष्य को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने से है। प्रत्येक देश की आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास दर पर परिवहन के साधनों का प्रभाव पड़ता है। परिवहन के साधनों का महत्त्व बताते हुए किसी विद्वान् ने सत्य ही कहा है कि यदि कृषि तथा उद्योग किसी देश की अर्थ-व्यवस्था में शरीर व हड्डियों के समान हैं तो परिवहन के साधन (रेल, सड़कें, जल व वायु आदि) शिराओं एवं धमनियों का कार्य करते हैं।

प्रश्न 3.
भारत में परिवहन के साधन के रूप में रेलवे पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
रेलवे लम्बी दूरी के भारी माल के लिए तथा यात्रियों के आवागमन के लिए सबसे ज्यादा सस्ता परिवहन का साधन है। भारत में 16 अप्रैल, 1853 को पहली रेलवे लाइन बम्बई (मुम्बई) से थाणा के बीच बनाई गई। भारतीय रेलवे व्यवस्था एशिया में सबसे बड़ी और संसार में चौथी मानी जाती है। इस समय भारत में रेलवे लाइनों की कुल लम्बाई 62759 किलोमीटर है। भारत में प्रतिदिन 7056 स्टेशनों के बीच 13 हज़ार गाड़ियां चलती हैं जोकि प्रतिदिन औसतन 110.5 लाख सवारियां तथा 6.9 लाख टन सामान ढोती हैं।

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प्रश्न 4.
भारत में परिवहन के साधन के रूप में वायु परिवहन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
यातायात का सबसे तेज़ तथा महंगा साधन वायु परिवहन है। भारत में वायु परिवहन के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की दो कम्पनियां हैं-इण्डियन एयर लाइन्स कारपोरेशन तथा एयर इण्डिया इण्टरनेशनल। सन् 1992 से कई निजी क्षेत्र की कम्पनियां भी स्थापित की गई हैं। भारत में 4 अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई तथा कोलकाता में हैं, जिनका संचालन अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा प्राधिकरण द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 5.
यह क्यों कहा जाता है कि संचार सेवाओं का सम्बन्ध एक अर्थ-व्यवस्था की सामाजिक और आर्थिक संरचनाओं दोनों से होता है?
उत्तर-
आर्थिक संरचनाएं प्रत्यक्ष रूप से किसी अर्थ-व्यवस्था की उत्पादन प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं। सामाजिक संरचनाएं परोक्ष रूप से ऐसा करती हैं। संचार सेवाएं किसी अर्थ-व्यवस्था की आर्थिक प्रक्रिया को प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूपों से प्रभावित करती हैं इसलिए संचार सेवाओं को आर्थिक तथा सामाजिक दोनों संरचनाओं में शामिल किया जाता है। – संचार संरचना सामाजिक एवं आर्थिक आधारभूत संरचना दोनों का ही अंग होता है। संचार प्रणाली निवेशकर्ता, उत्पादक एवं उपभोक्ता द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रियाओं के लिए महत्त्वपूर्ण सूचनाओं के प्रवाह को ले जाने का कार्य करती हैं। यह बाज़ार के अन्तर्गत हो रहे सभी परिवर्तनों की जानकारी देती है। अतः इस अर्थ में तो संचार संरचना स्वयं उत्पादन प्रक्रियाओं और इस कारण आधारभूत संरचना का ही एक अंग है। किन्तु दूसरी ओर संचार संरचना को शिक्षा की भान्ति एक व्यापक रूप में देखा जा सकता है। उदाहरणार्थ, प्रसारण प्रणाली का उपयोग किया जा सकता है। इस अर्थ में संचार संरचना सामाजिक आधारभूत संरचना का ही अंग बन जाता है।

प्रश्न 6.
भारत में बिजली के मुख्य स्रोतों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
भारत में बिजली के तीन मुख्य स्रोत हैं —

  1. ताप विद्युत्- यह बिजली ताप विद्युत् स्टेशनों में कोयले से उत्पन्न की जाती है। भारत में बिजली उत्पन्न करने का यह सबसे प्रमुख स्रोत है। भारत में बिजली की कुल उत्पादन क्षमता में ताप बिजली का भाग 65% प्रतिशत है।
  2. जल विद्यत-यह बिजली तेजी से बहती हुई नदियों पर ऊंचे डैम बनाकर उनके पानी से उत्पन्न की जाती है। भारत में बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के विकास के साथ-साथ जल विद्युत् का उत्पादन बढ़ता जा रहा है।
  3. परमाणु विद्युत्-भारत संसार के उन थोड़े-से देशों में है जो परमाणु शक्ति के उत्पादन की क्षमता रखते हैं। भारत में परमाणु शक्ति उत्पादन करने के लिए काफी मात्रा में खनिज उपलब्ध हैं, परन्तु परमाणु विद्युत् का उत्पादन बहुत कम मात्रा में किया जाता है।

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प्रश्न 7.
बहु-उद्देशीय योजनाओं से क्या अभिप्राय है ? बहु-उद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के उद्देश्य बताइए।
उत्तर-
बहु-उद्देशीय योजना-बहु-उद्देशीय योजनाओं से तात्पर्य उन बहुमुखी परियोजनाओं से है जिनका निर्माण एक से अधिक समस्याओं का समाधान करने के लिए किया गया है।
बहु-उद्देशीय योजनाओं के उद्देश्य —

  1. जल-विद्युत् का उत्पादन।
  2. सिंचाई की सुविधाएं जुटाना।
  3. बाढ़ों की रोकथाम करना।
  4. दलदलों को सुखाना तथा कृषि योग्य भूमि बढ़ाना।
  5. जल-यातायात की सुविधाएं जुटाना।
  6. कृत्रिम जलाशयों में मछली पालन करना।
  7. वृक्षारोपण करना तथा वनों का उचित शोषण करना।

प्रश्न 8.
उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 की मुख्य विशेषताएं बताइए।
उत्तर-
उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं —

  1. निजी, सार्वजनिक और सहकारी क्षेत्र के सभी विक्रेताओं पर यह कानून लागू होता है।
  2. यह कानून उपभोक्ताओं की शिकायतों का सरल और सस्ता समाधान करता है।
  3. उपभोक्ताओं की शिकायतों का समाधान करने के लिए त्रि-स्तरीय अदालतें स्थापित की गई हैं
    (i) जिला फोरम
    (ii) राज्य आयोग
    (iii) राष्ट्रीय आयोग।
  4. उपभोक्ता अपनी शिकायतें वस्तु के खरीदने के दो साल तक कर सकता है।

प्रश्न 9.
भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की आवश्यकता पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की आवश्यकता इसलिए अनुभव की गई, क्योंकि मांग तथा पूर्ति की बाज़ार शक्तियां जीवन की आवश्यक वस्तुओं का सामाजिक दृष्टि से उचित वितरण करने में असमर्थ रहीं। इसके लिए पूर्ति तथा मांग दोनों को प्रभावित करने वाली शक्तियां निम्नलिखित कारणों से ज़िम्मेदार हैं —

  1. भारत में जीवन की आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति तीन कारणों से मांग की तुलना में कम है, जैसे
    (i) अपर्याप्त उत्पादन,
    (ii) उत्पादन के भण्डारण तथा बिक्री की सुविधाओं की कमी तथा
    (iii) जमाखोरी।
  2. भारत में अधिकतर उपभोक्ताओं के निर्धन होने के कारण उनके द्वारा बाजार कीमत पर आवश्यक वस्तुएं खरीदने की सम्भावना कम होती है। इसके फलस्वरूप भुखमरी तथा कुपोषण की बुराइयां उत्पन्न होने की सम्भावनाएं रहती हैं।

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प्रश्न 10.
उपभोक्ताओं के शोषण के क्या कारण हैं ?
उत्तर-

  1. अधिकांश भारतीय अशिक्षित, भाग्यवादी एवं रूढ़िवादी हैं। उपभोक्ता अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते, इसीलिए उत्पादकों व दुकानदारों द्वारा उनका समय-समय पर शोषण किया जाता है।
  2. उपभोक्ताओं में संगठन व एकता का अभाव है। वे अपने ‘उपभोक्ता आन्दोलन’ में भी सक्रिय भाग नहीं लेते।
  3. उत्पादक व दुकानदार शासन की निष्क्रियता का लाभ उठाते हैं।
  4. अधिकांश भारतीय उत्पादकों तथा व्यापारियों का व्यावसायिक स्तर अत्यधिक निम्न है। अधिक लाभ कमाने के लालच में वे अवसर पाते ही उपभोक्ताओं को धोखा देकर उन्हें लूट लेते हैं।

प्रश्न 11.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर नोट लिखें।
उत्तर-
भारत सरकार देश के निर्धन वर्ग के लिए जीवन की आवश्यक वस्तुओं जैसे गेहूँ, चावल, चीनी, मिट्टी का तेल तथा कपड़े का कम कीमतों पर वितरण कराने के लिए प्रयत्नशील है। अतः इस उद्देश्य के लिए देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली अपनाई गई है। दूसरे शब्दों में, सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा सरकार देश की जनता, विशेष रूप से निर्धन वर्ग को उचित कीमत की दुकानों के द्वारा जीवन की आवश्यक वस्तुओं जैसे-अनाज, चीनी, मिट्टी का तेल, मोटे कपड़े आदि की रियायती कीमतों पर निश्चित मात्रा में वितरण करती है।

प्रश्न 12.
भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की वर्तमान स्थिति का वर्णन करें।
उत्तर-
सरकार ने आवश्यक वस्तुओं का कम कीमतों पर राशन कार्डों के माध्यम से वितरण करने के लिए लगभग 4.37 लाख उचित कीमत की दुकानें खोली हैं। 1988 में 180 लाख टन तथा 1996-97 में 190 लाख टन अनाज के अतिरिक्त चीनी, मिट्टी का तेल, कोयले तथा मोटे कपड़े का भी वितरण किया जाता है। पहाड़ी तथा सूखे क्षेत्रों की जनसंख्या वालों के लिए चाय, साबुन, दालों और आयोडाईज्ड नमक जैसी वस्तुओं का वितरण करने के लिए नई स्कीम चालू की गई है। इसे संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली कहा जाता है। इस प्रणाली के अन्तर्गत भारतीय खाद्य निगम द्वारा विभिन्न राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों को विशेष रियायती दरों पर खाद्यान्नों की पूर्ति की जाती है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारत के आर्थिक विकास में यातायात तथा संचार के महत्व की व्याख्या करें। उत्तर-भारत के आर्थिक विकास में यातायात तथा संचार का बहुत अधिक महत्त्व है।

  1. यातायात (Transport) यातायात किसी भी अर्थव्यवस्था के विकास के लिए उतना ही महत्त्वपूर्ण है, जितना मानव विकास के लिए शरीर में रक्त संचार था। मानव शरीर में रक्त का संचार विभिन्न धमनियों से होकर गुजरता है उसी प्रकार यातायात के संदर्भ में सड़कें किसी देश की अर्थव्यवस्था में धमनियों का काम करती हैं। उत्पादन करने के लिए उद्योग कहीं स्थापित है तथा कच्चा माल किसी दूसरे स्थान पर मिलता है। अतः कच्चे माल को उत्पादन क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए यातायात के साधन ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसी प्रकार निर्यात माल को भी उपभोक्ताओं तक पहुँचाने के लिए यातायात ही महत्त्वपूर्ण है।
  2. संचार (Communication)-किसी देश के आर्थिक विकास में यातायात के साथ-साथ संचार का भी बहुत महत्त्व है। संचार से अभिप्राय है कि किसी संदेश या सूचना को एक स्थान से दूसरे स्थान या व्यक्तियों तक पहुँचाना। आज विश्व के सभी क्षेत्रों चाहे वह सरकारी, निजी, शिक्षा, व्यवसाय, कृषि, विज्ञापन प्रैस, मीडिया या रक्षा क्षेत्र हों सभी क्षेत्रों में अच्छे संचार की व्यवस्था की आवश्यकता होती है। इसके लिए हम डाकघर, टैलीफोन, विदेश संचार, रेडियो, दूरदर्शन आदि के द्वारा अपना संदेश एक-दूसरे तक पहुँचाते हैं। इसी प्रकार क्रेता तथा विक्रेता को बाजार के बारे में सूचना प्रदान कर बाज़ार के क्षेत्र का भी विकास होता है।

प्रश्न 2.
केंद्रीय बैंक के किन्हीं तीन प्रमुख कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-केंद्रीय बैंक के तीन प्रमुख कार्यों का वर्णन हम निम्नलिखित प्रकार से कर सकते हैं —

  1. नोट जारी करने वाला बैंक (Bank of Note Issue)-आजकल लगभग हर देश में नोट छापने का अधिकार वैधानिक तौर पर केंद्रीय बैंक को सौंपा गया है। इसके सिवाय और कोई बैंक नोट जारी नहीं कर सकता। यह शक्ति केंद्रीय बैंक को नोट निर्गमन का एकाधिकार सौंपती है। भारत में केंद्रीय बैंक (Reserve Bank of India) के पास नोट निर्गमन का एकाधिकार नहीं है। क्योंकि एक रुपये के नोट वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किए जाते हैं। परन्तु बाकी सभी नोट केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए जाते हैं।
  2. सरकार का बैंक, एजेंट व सलाहकार (Bankers Agent and Adviser to the Govt.) केंद्रीय बैंक केंद्र व सरकारों को वही सेवाएं प्रदान करता है जो कि वाणिज्य बैंक अपने ग्राहकों को प्रदान करते हैं। अतः सरकार का बैंकर होने के नाते यह सरकार की ओर से लेन-देन करता है और आवश्यकता पड़ने पर यह सरकार को अल्पकालीन ऋण भी देता है ताकि संकट पर काबू पाया जा सके।
  3. व्यापारिक बैंकों की सुरक्षित नकदी का रक्षक (Custodian of the Cash Reserves of Commercial Banks)-सभी व्यापारिक बैंक कानूनी तौर पर या प्रथा के आधार पर अपने जमा खातों का कुछ भाग केंद्रीय बैंक के पास रखते हैं। इसी कारण केंद्रीय बैंक को व्यापारिक बैंकों की सुरक्षित नकदी का रक्षक कहा जाता है। सभी व्यापारिक बैंकों द्वारा अपनी सुरक्षित नकदी का कुछ भाग केंद्रीय बैंक में रखने के बहुत-से लाभ हैं।
    (a) सुरक्षित नकदी का यह केंद्रीयकरण बैंकिंग प्रणाली को सुदृढ़ अर्थात् मज़बूत बनाता है तथा व्यापारिक बैंकों में लोगों का विश्वास बनाए रखता है।
    (b) केंद्रीय बैंक में व्यापारिक बैंकों की नकदी को केंद्रित करने से साख का ढांचा विस्तृत व लचकदार बनता है।

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारिक संरचना

भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारिक संरचना PSEB 10th Class Economics Notes

  • आधारिक संरचना-इससे अभिप्राय उन सुविधाओं, क्रियाओं और सेवाओं से है जो अन्य क्षेत्रों के संचालन तथा विकास में सहायक होती हैं।
  • आर्थिक आधारिक संरचना-इससे अभिप्राय उस पूंजी स्टॉक से है जो उत्पादन प्रणाली को प्रत्यक्ष सेवाएं प्रदान करता है।
  • यातायात के साधन-रेलवे, रोड यातायात, जल यातायात तथा वायु यातायात ही भारत में प्रमुख यातायात के साधन हैं।
  • आर्थिक आधारिक संरचना की सेवाओं के साधन-यातायात एवं संचार, बिजली, सिंचाई, बैंकिंग और अन्य वित्तीय संस्थाएं इसकी सेवाओं के साधन हैं।
  • विद्युत् शक्ति के साधन-ताप शक्ति, बिजली व आण्विक शक्ति इसके प्रमुख साधन हैं।
  • साहूकार-साहूकार रुपया उधार देने तथा जमा करने का कार्य करता है जिसके लिए अधिक ब्याज लेता है।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक-यह भारत का केन्द्रीय बैंक है जिसकी स्थापना 1935 में हुई है। 8. व्यापारिक बैंक-सामान्यतया ये बैंक अल्पकालीन ऋण देते हैं।
  • उपभोक्ता शोषण-जब उत्पादक उपभोक्ताओं को उत्पादन के गुणों की झूठी सूचनाएं देते हैं, मिलावट करते हैं, कम वज़न या गलत मापों का प्रयोग करते हैं तो इसे उपभोक्ता शोषण कहते हैं।
  • उपभोक्ता संरक्षण-उत्पादकों के गैर-व्यापार व्यवहारों के शोषण से उपभोक्ता वस्तुओं के खरीददारों का संरक्षण ही उपभोक्ता संरक्षण है।
  • उपभोक्ता सुनवाई की अदालतें-इसके लिए तीन अदालतें हैं-ज़िला अदालत, राज्य अदालत और राष्ट्रीय अदालत।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली-यह एक ऐसी प्रणाली है जिसके द्वारा सरकार देश की जनता विशेषकर निर्धन वर्ग को उचित मूल्य की दुकानों द्वारा जीवन की आवश्यक वस्तुओं जैसे-अनाज, चीनी, मिट्टी का तेल इत्यादि का रियायती कीमतों पर निश्चित मात्रा में वितरण करती है।
  • बफर स्टॉक-सरकार द्वारा आवश्यक वस्तुओं का किया गया भण्डार ही बफर स्टॉक कहलाता है।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 5 फलदार पौधों की खेती

Punjab State Board PSEB 10th Class Agriculture Book Solutions Chapter 5 फलदार पौधों की खेती Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 10 Agriculture Chapter 5 फलदार पौधों की खेती

PSEB 10th Class Agriculture Guide फलदार पौधों की खेती Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के एक – दो शब्दों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
पंजाब में फलों के अन्तर्गत कितना क्षेत्रफल है ?
उत्तर-
78000 हेक्टेयर।

प्रश्न 2.
पौधों को दीमक से बचाने के लिए कौन-सी दवाई डालनी चाहिए ?
उत्तर-
30 ग्राम लिंडेन या 15 मिली लीटर क्लोरोपाईरीफास 20 ताकत को 2.5 किलो मिट्टी में मिला कर प्रति खड्डे के हिसाब से डालें।

प्रश्न 3.
आड़की दो उन्नत किस्मों के नाम लिखिए।
उत्तर-
फ्लोरिडा प्रिंस, प्रताप।

प्रश्न 4.
बाग़ लगाने की उत्तम विधि कौन-सी है?
उत्तर-
तीन विधियां हैं-वर्गाकार, फिल्लर ढंग, छ: कोना ढंग।

प्रश्न 5.
पतझड़ी फलदार पौधे किस महीने में लगाए जाते हैं ?
उत्तर-
मध्य जनवरी से मध्य फरवरी।

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प्रश्न 6.
आम तथा लीची के पौधे लगाने का उचित समय कौन-सा है ?
उत्तर-
सितंबर-अक्तूबर में।

प्रश्न 7.
बागों में देसी रूड़ी कब डालनी चाहिए ?
अथवा
फलदार वृक्षों को रूड़ी की खाद किस महीने में डालनी चाहिए?
उत्तर-
फुटारा आने से 2-3 माह पहले साधारणतया दिसंबर माह में।

प्रश्न 8.
आंवले की दो उन्नत किस्मों के नाम लिखिए।
उत्तर-
बलबंत, नीलम, कंचन।

प्रश्न 9.
फलदार पौधे लगाने के लिए गड्ढा कितना गहरा खोदना चाहिए ?
उत्तर-
एक मीटर गहरा।

प्रश्न 10.
अमृतसर जिले में कौन-से फल लगाए जा सकते हैं ?
उत्तर-
नाशपाती, अंगूर, आम, अमरूद, आड़, किन्नू, अन्य संतरे, नींबू आदि।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का एक – दो वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.
फलदार पौधे लगाने के लिए किस तरह की मिट्टी चाहिए ?
उत्तर-
फलदार पौधे लगाने के लिए अच्छे जल निकास वाली, भल्ल वाली, गहरी तथा उपजाऊ भूमि होनी चाहिए। भूमि की दो मीटर तक गहराई में कोई सख्त सतह नहीं होनी चाहिए।

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प्रश्न 2.
अर्द्ध पर्वतीय क्षेत्र में कौन-से फलदार पौधे लगाए जा सकते हैं ?
उत्तर-
अमरूद, आम, लीची, नाशपाती, किन्नू तथा अन्य संतरे, नींबू, आड़, अलूचा, चीकू, आंवला आदि।

प्रश्न 3.
सेंजु तथा शुष्क क्षेत्र के उपयुक्त फल कौन-से हैं ?
उत्तर-
मालटा, नींबू, किन्न तथा अन्य संतरे, अंगूर, बेर, अमरूद आदि।

प्रश्न 4.
सदाबहार फलदार पौधे कौन-से होते हैं ?
उत्तर-
लुकाठ, अमरूद, आम, लीची, किन्नू तथा अन्य संतरे, मालटा, नींबू, चीकू आदि।

प्रश्न 5.
पतझड़ी फलदार पौधे कौन-से होते हैं ?
उत्तर-
नाशपाती, अंगूर, आड़, अलुचा।।

प्रश्न 6.
वर्गाकार ढंग से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
यह बाग़ लगाने का एक ढंग है जिसमें पौधे तथा पंक्तियों में फासला बराबर होता है। इस तरह आमने-सामने लगाए चार पौधे एक वर्गाकार बनाते हैं।

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प्रश्न 7.
फलदार पौधों को पानी कितनी देर के बाद देना चाहिए ?
उत्तर-
छोटे पौधे को 3-4 वर्ष तक मार्च से जून तक सप्ताह-सप्ताह के बाद, नवंबर से फरवरी तक 2-3 सप्ताह बाद तथा जुलाई से नबंवर तक वर्षा तथा मिट्टी की किस्म के अनुसार पानी की आवश्यकता है।

प्रश्न 8.
बागों के लिए पानी का स्तर कितना गहरा होना चाहिए ?
उत्तर-
बागों के लिए पानी का स्तर तीन मीटर से नीचे होना चाहिए तथा इसमें कोई उतार-चढ़ाव नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 9.
बाग़ लगाने के फिल्लर ढंग के बारे में लिखिए।
उत्तर-
कुछ फलदार पौधे जैसे लीची, आम, नाशपाती बहुत लम्बे समय के बाद फल देना शुरू करते हैं। इन बागों में पहले कुछ अस्थाई पौधे लगाए जाते हैं जो जल्दी फल देने वाले होते हैं। यह फिल्लर का काम करते हैं। जब मुख्य बाग़ फल देना शुरू कर देते हैं तो इन अस्थाई पौधों को उखाड़ दिया जाता है।

प्रश्न 10.
बाग़ लगाने के लिए पौधे कहां से लेने चाहिए ?
उत्तर-
बाग़ लगाने के लिए अच्छी किस्म के, कीड़ों तथा रोगों से रहित, स्वास्थ्य पौधे किसी विश्वसनीय नर्सरी, हो सके तो पी०ए०यू० लुधियाना, बागवानी विभाग तथा सरकारी मंजूरशुदा नर्सरी से लेने चाहिए।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के पांच-छः वाक्यों में उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1. नर्सरी से फलदार पौधे खरीदते समय कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-

  • पौधे अच्छी किस्म के, कीड़ों तथा रोगों से मुक्त, स्वस्थ होने चाहिए।
  • पौधे निरोल तथा मध्यम ऊंचाई के होने चाहिए।
  • सदाबहार पौधों को निकालने के लिए ध्यान रखें कि जड़ों पर मिट्टी काफ़ी मात्रा में हो।
  • प्योंद किए पौधे की प्योंद प्राथमिक पौधे पर की गई हो तथा इसका जोड़ सीधा होना चाहिए।
  • पौधा खरीदते समय आवश्यकता से 10% पौधे अधिक खरीदने चाहिए ताकि मरने वाले पौधों की जगह पर लगाया जा सके।

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प्रश्न 2.
बाग़ लगाने के कौन-कौन से ढंग हैं ?
उत्तर-
बाग़ लगाने के तीन ढंग हैं-
(i) वर्गाकार ढंग
(ii) फिल्लर ढंग
(iii) छ: कोना ढंग।

(i) वर्गाकार ढंग-इस ढंग में लगाए पौधे तथा पंक्तियों का फासला एक-दूसरे से बराबर होता है। इस तरह आमने-सामने लगे चार पौधे वर्गाकार बनाते हैं। इस ढंग को पंजाब में काफी पसंद किया जाता है। इस ढंग से लगे पौधे लम्बे समय तक फल देते रहते हैं तथा आरंभिक वर्षों में जब बाग़ से आय नहीं होती तो इसमें अन्तर फ़सलें उगा कर लाभ लिया जा सकता है।
(ii) फिल्लर ढंग-कुछ फलदार पौधे जैसे लीची, आम, नाशपाती बहुत लम्बे समय के बाद फल देना शुरू करते हैं। इन बागों में पहले कुछ अस्थाई पौधे जो जल्दी फल देने वाले हों, लगाने चाहिए। यह फिल्लर का काम करते हैं। जब मुख्य बाग़ फल देना शुरू कर देते हैं तो इन अस्थाई पौधे को निकाल दिया जाता है।
(ii) छः कोना ढंग-इस ढंग में पंक्तियों का फासला पौधों के आपसी फासलों से कम होता है परन्तु पौधे से पौधे का फासला बराबर होता है। इस ढंग का प्रयोग करके 15 से 20 प्रतिशत पौधे अधिक लगाए जा सकते हैं। इस ढंग में पौधों को आपस में फंसने से बचाने के लिए कांट-छांट अच्छे ढंग से करनी चाहिए।

प्रश्न 3.
फलदार पौधों की शद्धि और कांट-छांट करनी क्यों आवश्यक है ?
उत्तर-
फलदार पौधों को छोटी आयु में ही सही आकार पर ढांचा देने की आवश्यकता होती है। यह काम इनकी सिधाई करके किया जाता है। सही आकार तथा ढांचा इसलिए आवश्यक है ताकि पौधों में सूर्य का प्रकाश तथा हवा का निकास बढ़िया ढंग से हो सके। इससे फल की गुणवत्ता भी बढ़ती है तथा पौधे की आयु में भी वृद्धि होती है। पंजाब में कृषि किए जाने वाले पतझड़ी फलदार पौधे जिनमें प्रमुख रूप से अंगूर, नाख, आड़ तथा अलूचा है की शुद्धि पहले चार से पांच वर्षों तक की जाती है। जब पौधों को फल लगना शुरू हो जाता है तो उत्पादकता में कमी न आने पाए तथा यह शिखर पर हो तथा फल गुणवत्ता वाले मिले। इसलिए पौधों की कांट-छांट की जाती है जोकि बहुत आवश्यक होती है।

प्रश्न 4.
फल तोड़ते समय कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-

  • फलों की तुड़ाई के लिए कुछ मापदंड निर्धारित करने चाहिए जैसे कुछ फलों को कच्चा तोड़ने के बाद भी पकाया जा सकता है; जैसे-आम, केला, अलूचा आदि। परन्तु अंगूर, लीची आदि को तोड़ कर नहीं पकाया जा सकता। इसलिए फल के अनुसार ही मापदंड निर्धारित करने चाहिए।
  • फलों को कभी शाखा से खींच कर नहीं तोड़ना चाहिए। इस प्रकार शाखा को नुकसान हो सकता है तथा फल की छील भी उतर सकती है।
  • तोड़े फलों की 3-4 वर्गों में दर्जाबंदी कर लेनी चाहिए तथा दर्जाबंदी के बाद इनको गत्ते के डिब्बों, पोली नैट, प्लास्टिक के क्रेट में डाल कर पैक करना चाहिए।
  • कच्चे, अधिक पक्के, छोटे, बदशकल, गले सड़े तथा दागी फलों को डिब्बा बंद नहीं करना चाहिए।

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प्रश्न 5.
बागों में कौन-सी खादें और क्यों डालनी चाहिए?
उत्तर-
जब फलदार पौधे लगाने के लिए गड्ढा बनाया जाता है तो इसकी ऊपर वाली आधी मिट्टी में बराबर रूड़ी (गले सड़े गोबर को) खाद मिलाई जाती है। इसके बाद पौधे लगाने के बाद फरवरी से अप्रैल माह में पौधे :ो वृद्धि होती है। बढ़ रहे पौधों को सारे तत्व मिलने चाहिए। इसलिए देसी खाद जैसे गली-सड़ी रूड़ी की खाद को फुटारा आने से 2-3 माह पहले डाल देना चाहिए। गली-सड़ी रूड़ी को साधारणतया दिसंबर माह में डाला जाता है नाइट्रोजन तत्व पौधों को दो भागों में डाला जाता है। एक फुटारा आने पर तथा एक फल लगने के बाद। फास्फोरस खाद नाइट्रोजन खाद के पहले भाग के साथ डालनी चाहिए। पोटाश खाद को फल पकने से पहले डालना चाहिए ताकि फल की गुणवत्ता अच्छी रहे। मुख्य तत्व वाली खाद को छट्टा द्वारा डाला जाता है। छोटे तत्वों वाली खाद जैसे जिंक, लोहा, मैंगनीज़ आदि का प्रयोग इन तत्त्वों की कमी होने पर ही करना चाहिए।

Agriculture Guide for Class 10 PSEB फलदार पौधों की खेती Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फलों में निम्न पौष्टिक तत्व होते हैं-
(क) विटामिन
(ख) खनिज
(ग) प्रोटीन
(घ) सभी।
उत्तर-
(घ) सभी।

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प्रश्न 2.
सदाबहार फ़लदार पौधे कब लगाने चाहिए?
(क) फरवरी-मार्च
(ख) सितम्बर-अक्तूबर
(ग) दोनों ठीक
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) दोनों ठीक

प्रश्न 3.
बाग लगाने के ढंग हैं-
(क) वर्गाकार
(ख) फिल्लर ढंग
(ग) छ: कोना ढंग
(घ) सभी।
उत्तर-
(घ) सभी।

प्रश्न 4.
सदाबहार फलदार पौधा नहीं है-
(क) नाशपाती
(ख) लुकाठ
(ग) आम
(घ) लीची।
उत्तर-
(क) नाशपाती

प्रश्न 5.
पतझड़ी फलदार पौधे हैं-
(क) अंगूर
(ख) आड़
(ग) अलूचा
(घ) सी।
उत्तर-
(घ) सी।

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प्रश्न 6.
सदाबहार फलदार पौधे हैं?
(क) आम
(ख) लीची
(ग) नींबू
(घ) सभी।
उत्तर-
(घ) सभी।

प्रश्न 7.
पतझड़ी फलदार पौधे किस महीने में लगाए जाते हैं ?
(क) अप्रैल-मई
(ख) जनवरी-फरवरी
(ग) जून-जुलाई
(घ) मई-जून।
उत्तर-
(ख) जनवरी-फरवरी

प्रश्न 8.
पंजाब का कौन-सा जिला नीम (अर्द्ध) पहाड़ी क्षेत्र में आता है ?
(क) बठिंडा
(ख) अमृतसर
(ग) रूपनगर
(घ) चण्डीगढ़।
उत्तर-
(ग) रूपनगर

II. ठीक/गलत बताएँ-

1. प्रताप आड़ की किस्म है।
2. कंचन, आंवला की उन्नत किस्म है।
3. फलों को शाखाओं से खींच कर नहीं तोड़ना चाहिए।
4. फलदार पौधों का जीवन चक्कर कई वर्षों का होता है।
5. बाग लगाने के तीन ढंग हैं।
उत्तर-

  1. ठीक
  2. ठीक
  3. ठीक
  4. ठीक
  5. गलत।

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III. रिक्त स्थान भरें-

1. ………….. फलदार पौधे मध्य जनवरी से आधे फरवरी में लगाए जाते हैं।
2. डब्ल्यू मर्कट ……………… की किस्म है।
3. क्रिकेट बाल ……………… की किस्म है।
4. गनेश .. …………… की एक किस्म है।
5. अरली ग्रेड ……………………. की किस्म है।
उत्तर-

  1. पतझड़ी
  2. संतरे
  3. चीकू
  4. अनार
  5. आड़।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
फलों मे कौन-से तत्त्व होते हैं ?
उत्तर-
फलों में प्रोटीन, खनिज, विटामिन आदि होते हैं।

प्रश्न 2.
पंजाब को जलवायु के आधार पर कितने क्षेत्रों में बांटा गया है ?
उत्तर-
तीन।

प्रश्न 3.
बाग़ लगाने के समय अनुसार फलदार पौधों को कितनी श्रेणियों में बांटा
उत्तर-
दो श्रेणियों में।

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प्रश्न 4.
सदाबहार फलदार पौधों की उदाहरण दें।
उत्तर-
आम, लीची, नींबू, किन्नू, चीकू आदि।

प्रश्न 5.
पतझड़ी फलदार पौधों की उदाहरण दें।
उत्तर-
नाशपाती, अंगूर, आड़, अलूचा आदि।

प्रश्न 6.
सदाबहार फलदार पौधे लगाने का सही समय बताओ।
उत्तर-
फरवरी-मार्च, सितंबर-अक्तूबर का माह।

प्रश्न 7.
आम तथा लीची के बाग़ कब लगाने चाहिए ?
उत्तर-
सितंबर-अक्तूबर में।

प्रश्न 8.
पतझड़ी फलदार पौधे कब लगाने चाहिए ?
उत्तर-
सर्दियों में जब यह शिथिल अवस्था में हो।

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प्रश्न 9.
आड़, अलूचा के पौधे कब लगाने चाहिए ?
उत्तर-
मध्य जनवरी।

प्रश्न 10.
नाशपाती, अंगूर के पौधे कब लगाने चाहिए ?
उत्तर-
मध्य फरवरी।

प्रश्न 11.
फलदार पौधों की कृषि के लिए पानी का स्तर कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-
पानी का स्तर तीन मीटर से नीचे होना चाहिए।

प्रश्न 12.
संतरे की किस्में बताओ।
उत्तर-
किन्न, डेज़ी, डब्ल्यू०, मरकट।

प्रश्न 13.
मालटे की किस्में बताओ।
उत्तर-
मुसम्मी, जाफा, ब्लड रैड, बलैनसीया।

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प्रश्न 14.
नींबू की किस्में बताओ।
उत्तर-
कागज़ी, बारामासी नींबू, गलगल।

प्रश्न 15.
आम की किस्में बताओ।
उत्तर-
दशहरी, लंगड़ा, अलफँजो।

प्रश्न 16.
नाशपाती की दो उन्नत किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर-
पंजाब नाख, पत्थर नाख (सख्त), पंजाब नैक्टर, पंजाब गोल्ड, बब्बूगोशा तथा लिंकोट आदि।

प्रश्न 17.
आड़ की किस्में बताओ।
उत्तर-
अरली ग्रैंड, शाने पंजाब, प्रभात।

प्रश्न 18.
अलुचा की किस्में लिखो।
उत्तर-
सतलुज पर्पल, काला अमृतसरी।

प्रश्न 19.
अमरूद की उन्नत किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर-
सरदार, अलाहाबाद, सफैदा, अरका अमुलिया, पंजाब पिंक।

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प्रश्न 20.
अंगूर की किस्में बताओ।
उत्तर-
परलिट, ब्यूटी सीडलैस, फलेम सीडलैस, श्वेता।

प्रश्न 21.
बेर की किस्में बताओ।
उत्तर-
उमरान, सनोर-2, बलैती।

प्रश्न 22.
लीची की किस्में बताओ।
उत्तर-
देहरादून, कलकतीया।

प्रश्न 23.
चीकू की किस्में बताओ।
उत्तर-
काली पत्ती, क्रिकेट बाल।

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प्रश्न 24.
अनार की किस्में बताओ।
उत्तर-
भगवा, गनेश, कंधारी।

प्रश्न 25.
बाग़ लगाने के छ: कोना ढंग में कितने पौधे अधिक लग जाते हैं ?
उत्तर-
15-20%.

प्रश्न 26.
नर्सरी से लिए गए पौधों की ऊंचाई के बारे में बताओ।
उत्तर-
पौधे मध्यम ऊंचाई के होने चाहिए।

प्रश्न 27.
बाग़ में मुख्य तत्व वाली खादें किस विधि द्वारा डाली जाती हैं ?
उत्तर-
छिड़काव विधि द्वारा।

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पश्न 28.
फल को शाखा से खींच कर क्यों नहीं तोड़ना चाहिए ?
उत्तर-
फल की छील उतर सकती है तथा शाखा टूट सकती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पंजाब को जलवायु के आधार पर कितने क्षेत्रों में बांटा गया है तथा कौन-कौन से ?
उत्तर-
पंजाब को जलवायु के आधार पर तीन क्षेत्रों में बांटा गया है जो हैं –

  • अर्द्ध पहाड़ी क्षेत्र
  • केन्द्रीय क्षेत्र
  • सिंचाई योग्य तथा शुष्क क्षेत्र।

प्रश्न 2.
अर्द्ध पहाड़ी के कौन-से जिले हैं ?
उत्तर-
रूपनगर, होशियारपुर, पठानकोट, साहिबजादा अजीत सिंह नगर, शहीद भक्त सिंह नगर, केन्द्रीय शासित प्रदेश चण्डीगढ़।

प्रश्न 3.
अर्द्ध पहाड़ी क्षेत्र में कौन-से मुख्य फलों की कृषि होती है ?
उत्तर-
आम, नींबू, नाशपाती, किन्नू, संतरे, लीची, आड़, अलूचा, चीकू, आंवला आदि।

प्रश्न 4.
केन्द्रीय क्षेत्र में कौन-से जिले हैं ?
उत्तर-
अमृतसर, तरनतारन, कपूरथला, बरनाला, पटियाला, जालंधर, संगरूर, लुधियाना, मोगा, फतेहगढ़ साहिब आदि।

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प्रश्न 5.
केन्द्रीय क्षेत्र में कौन-से फलों की कषि की जाती है ?
उत्तर-
नाशपाती, अमरूद, आड़, आम, किन्नू, संतरे, नींबू, अंगूर आदि।

प्रश्न 6.
सिंचाई वाले तथा शुष्क क्षेत्रों में कितने ज़िले हैं ?
उत्तर-
बठिंडा, मानसा, श्री मुक्तसर साहिब, फरीदकोट, फिरोज़पुर, फाजिल्का आदि।

प्रश्न 7.
सिंचाई वाले तथा शुष्क क्षेत्रों के फल बताओ।
उत्तर-
किनू तथा अन्य संतरे, नींबू, अंगूर, बेर, अमरूद आदि।

प्रश्न 8.
फलदार पौधों की कृषि के लिए मिट्टी कैसी होनी चाहिए ?
उत्तर-
फलदार पौधे लगाने के लिए अच्छे जल निकास वाली, गहरी भल्ल वाली तथा उपजाऊ मिट्टी होनी चाहिए। भूमि की दो मीटर तक की गहराई तक कोई सख्त सतह नहीं होनी चाहिए।

प्रश्न 9.
फलदार पौधों के लिए कैसी मिट्टी ठीक नहीं रहती ?
उत्तर-
फलदार पौधों के लिए सेम वाली, तेज़ाबी तथा लवणीय भूमि में नहीं लगाना चाहिए।

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प्रश्न 10.
कौन-से फल तोड़ने के बाद अधिक पक सकते हैं तथा कौन-से नहीं ? उदाहरण दें।
उत्तर-
केला, आम, अलूचा आदि तोड़ने के बाद अधिक पक सकते हैं परन्तु अंगूर, लीची आदि तोड़ने के बाद पक नहीं सकते।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फलदार पौधों की सिंचाई तथा खादों का विवरण दें।
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्नों में (खादों के लिए)। सिंचाई-छोटे पौधों को 3-4 वर्ष तक मार्च से जून तक सप्ताह-सप्ताह के बाद, नवम्बर से फरवरी तक 2-3 सप्ताह के बाद तथा जुलाई से नवम्बर तक वर्षा तथा मिट्टी की किस्म के अनुसार पानी की आवश्यकता होती है।

बाग फल देने लग जाए तो कोंपल फुटावल से पहले, फल लगने पर तथा अधिक गर्मी में पानी देना आवश्यक हो जाता है। गर्मियों में पानी की कमी से फूल अधिक झड़ने लगते हैं।

प्रश्न 2.
निम्न फलों की उन्नत किस्मों के नाम लिखेंआम, आड़, अलूचा, अमरूद, अंगूर, आंवला, अनार।
उत्तर-

1. आम-लंगड़ा, अलफांजो, दुसहरी, चूसने वाला आम।
2. आड़-प्रताप, शाने पंजाब, फ्लोरिडा प्रिंस, अरली ग्रैंड, प्रभात।
3. अलूंचा-काला अमृतसरी, सतलुज परपल।
4. अमरूद-अर्का अमूलीया, सफैदा, पंजाब पिंक, अलाहाबाद, सरदार।
5. अंगूर-ब्यूटी सीडलैस, पंजाब परपल, फलेम सीडलैस, परलिट, श्वेता।
6. आंवला-नीलम, कंचन, वलवंत।
7. अनार-कंधारी, गनेश, भगवा।

प्रश्न 3.
बाग लगाने की वर्गाकार विधि के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
स्वयं करें।

PSEB 10th Class Agriculture Solutions Chapter 5 फलदार पौधों की खेती

प्रश्न 4.
नर्सरी से फलदार पौधों का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
स्वयं करें।

फलदार पौधों की खेती PSEB 10th Class Agriculture Notes

  • फलों में शरीर को स्वस्थ रखने वाले पौष्टिक तत्व होते हैं, जैसे विटामिन, खनिज, प्रोटीन आदि।
  • पंजाब में फलों की कृषि के अधीन क्षेत्रफल 78000 हेक्टेयर है।
  • पंजाब में जलवायु के आधार पर इसको तीन क्षेत्रों में बांटा गया है-अर्द्ध पर्वतीय क्षेत्र, केन्द्रीय क्षेत्र, सेंजू वाला तथा शुष्क क्षेत्र।।
  • फलदार पौधों को लगाने के समय अनुसार दो श्रेणियों में बांटा गया है
  • सदाबहार फलदार पौधे तथा पतझड़ी फलदार पौधे।
  • सदाबहार फलदार पौधे फरवरी-मार्च तथा सितंबर-अक्तूबर में लगाने चाहिए।
  • पतझड़ी फलदार पौधे सर्दियों में जब यह शिथिल अवस्था में होते हैं लगाने चाहिए।
  • फलदार पौधों के लिए मिट्टी गहरी, अच्छे जल निकास वाली, भल्ल वाली उपजाऊ होनी चाहिए।
  • सेम वाली, नमक वाली या तेज़ाबी मिट्टी में फलदार पौधे नहीं लगाने चाहिए।
  • फलदार पौधों की कृषि के लिए पानी का स्तर तीन मीटर से नीचे होना चाहिए।
  • प्रत्येक पौधे के लिए 1 x 1 x 1 मीटर गहरे तथा चौड़े खड्डे खोदने चाहिए।
  • पौधों को दीमक से बचाने के लिए लिंडेन या क्लोरोपाईरीफास का प्रयोग करो।
  • फलदार पौधों का जीवन चक्र कई वर्षों का होता है।
  • फलों के बाग़ लगाने के लिए सदा नई, सुधरी हुई तथा कृषि विशेषज्ञ द्वारा सिफ़ारिश की गई किस्में ही लगानी चाहिए।
  • फलदार पौधों में सही फासला होना आवश्यक है ताकि सूर्य का प्रकाश, खादें, पानी की ठीक मात्रा मिलती रहे।
  • बाग़ लगाने के तीन ढंग (विधियां) हैं-वर्गाकार, फिल्लर ढंग (विधि), छः कोना ढंग (विधि)।
  • बाग़ लगाने के लिए पौधे पी०ए०यू० बागवानी विभाग, सरकारी मन्जूरशुदा नर्सरियों से ही लेने चाहिए।
  • फलदार पौधों की वृद्धि मुख्य रूप से फरवरी से अप्रैल माह में होती है।
  • फलदार पौधों को छोटी आयु में ही सही आकार तथा ढांचा देने के लिए इनकी सिंचाई करनी आवश्यक है।
  • पौधे बड़े होने पर इन्हें कांट-छांट बहुत ज़रूरी है।
  • फलों को टहनियों से खींच कर नहीं तोड़ना चाहिए।

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I. अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

इन प्रश्नों के उत्तर एक शब्द या एक वाक्य में दो

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय की परिभाषा दें।
उत्तर-
डर्नबर्ग के अनुसार, “राष्ट्रीय आय एक देश के सामान्य निवासियों की एक वर्ष में मजदूरी, ब्याज, लगान तथा लाभ के रूप में अर्जित साधन आय है। यह घरेलू साधन आय और विदेशों से अर्जित शुद्ध साधन आय का योग है।”

प्रश्न 2.
प्रति व्यक्ति आय की परिभाषा दें।
उत्तर-
प्रति व्यक्ति आय से अभिप्राय किसी देश के लोगों को एक निश्चित अवधि में प्राप्त होने वाली औसत आय से है।
PSEB 10th Class Economics Solutions Chapter 1 आधारभूत धारणाएं 1

प्रश्न 3.
उपभोग से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उत्पादित की गई वस्तुओं और सेवाओं का प्रयोग करके मानवीय आवश्यकताओं की प्रत्यक्ष रूप से सन्तुष्टि करने को उपभोग कहते हैं।

प्रश्न 4.
निवेश की परिभाषा दें।
उत्तर-
एक लेखा वर्ष में उत्पादन का उपभोग पर आधिक्य निवेश कहलाता है।

प्रश्न 5.
प्रेरित निवेश से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
वह निवेश जो आय तथा लाभ की मात्रा पर निर्भर करता है, प्रेरित निवेश कहलाता है।

प्रश्न 6.
स्वचालित निवेश की परिभाषा दें।
उत्तर-
वह निवेश जो आय, उत्पादन तथा लाभ में परिवर्तनों से स्वतन्त्र होता है, उसे स्वचालित निवेश कहा जाता है।

प्रश्न 7.
पूंजी निर्माण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
पूंजी में होने वाली वृद्धि को पूंजी निर्माण कहा जाता है।

प्रश्न 8.
छिपी बेरोजगारी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
अदृश्य अथवा छिपी बेरोजगारी से अभिप्राय किसी विशेष आर्थिक क्रिया में उत्पादन के लिए आवश्यकता से अधिक मात्रा में श्रमिकों के लगे होने से है।

प्रश्न 9.
पूर्ण रोजगार की परिभाषा दें।
उत्तर-
पूर्ण रोज़गार वह अवस्था है जिसमें वे सारे व्यक्ति जो मज़दूरी की प्रचलित दर पर कार्य करने के इच्छुक हैं, कार्य प्राप्त कर लेते हैं।

प्रश्न 10.
मुद्रा-स्फीति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-मुद्रा-स्फीति का अर्थ है-कीमतों में लगातार वृद्धि तथा मुद्रा के मूल्य में लगातार कमी।

प्रश्न 11.
मुद्रा की पूर्ति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
किसी निश्चित समय में मुद्रा की कुल जितनी मात्रा उपलब्ध होती है, उसे मुद्रा की पूर्ति कहा जाता है।

प्रश्न 12.
घाटे की वित्त-व्यवस्था से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
राजस्व से व्यय अधिक होने पर घाटे की पूर्ति के लिए नई मुद्रा का निर्गमन करना ही घाटे की वित्तव्यवस्था अथवा घाटा वित्तीयन कहलाता है।

प्रश्न 13.
भारत में निर्धनता रेखा से नीचे कौन-से लोगों को माना जाता है?
उत्तर-
योजना आयोग ने यह निर्धारित किया है कि जिन शहरी लोगों को प्रतिदिन 2100 कैलोरी वाला भोजन और जिन ग्रामीण लोगों को प्रतिदिन 2400 कैलोरी वाला भोजन प्राप्त नहीं होता, वे निर्धनता रेखा से नीचे हैं। इतनी कैलोरी का भोजन प्राप्त करने के लिए 2013-14 की कीमतों के आधार पर प्रति व्यक्ति मासिक आय गांव में ₹ 972 तथा शहर में ₹1407 होनी चाहिए।

प्रश्न 14.
विदेशी सहायता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
विदेशी सहायता से आशय किसी राष्ट्र की विदेशी सरकार, निजी व्यक्तियों, व्यावसायिक संगठनों, विदेशी बैंकों, अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा पूंजी के निवेश, ऋणों तथा अनुदानों से है।

प्रश्न 15.
भुगतान सन्तुलन की परिभाषा दें।
उत्तर-
एक देश की संसार के अन्य देशों से एक वर्ष में जो लेनदारी होती है तथा जो देनदारी होती है-उसके लेखा को भुगतान सन्तुलन कहा जाता है।

प्रश्न 16.
राजकोषीय नीति से क्या अर्थ है?
उत्तर-
सरकार की आय-व्यय तथा ऋण सम्बन्धी नीति को राजकोषीय नीति कहा जाता है।

II. लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

इन प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दें

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय की परिभाषा दें। राष्ट्रीय आय तथा घरेलू आय में क्या अन्तर है?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय-राष्ट्रीय आय एक देश के सामान्य निवासियों की एक वर्ष में अर्जित साधन आय है।
घरेलू आय-राष्ट्रीय आय में से यदि विदेशों से शुद्ध साधन आय को घटा दिया जाए तो जो आय बचेगी, उसे घरेलू आय कहा जायेगा अर्थात् – घरेलू आय = राष्ट्रीय आय – विदेशों से शुद्ध साधन आय
विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय = देशवासियों द्वारा विदेशों से साधन सेवाओं के बदले प्राप्त साधन आय-गैरदेशवासियों को देश की घरेलू सीमा के अन्दर साधन सेवाएं प्रदान करने के बदले प्राप्त साधन आय।

प्रश्न 2.
प्रति व्यक्ति आय से क्या अभिप्राय है? प्रति व्यक्ति आय का अनुमान कैसे लगाया जाता है?
उत्तर–
प्रति व्यक्ति आय से अभिप्राय किसी देश के लोगों को एक निश्चित अवधि में प्राप्त होने वाली औसत आय से है। स्पष्ट है कि प्रति व्यक्ति आय एक औसत आय है। इसका यह अभिप्राय नहीं है कि देश के प्रत्येक व्यक्ति की आय उसके बराबर हो। कुछ व्यक्तियों की आय उससे अधिक भी हो सकती है तथा कुछ की कम भी हो सकती है।
प्रति व्यक्ति आय का अनुमान-प्रति व्यक्ति आय का अनुमान राष्ट्रीय आय को जनसंख्या से भाग देकर लगाया जा सकता है।
दूसरे शब्दों में,
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प्रश्न 3.
उपभोग के क्या अर्थ हैं? औसत उपभोग प्रवृत्ति तथा सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति की परिभाषा दें।
उत्तर-
उपभोग वह प्रक्रिया है जिसमें किसी अर्थ-व्यवस्था में पैदा की गई वस्तुएं और सेवाएं मनुष्य की आवश्यकताओं को प्रत्यक्ष रूप से पूरा करने के लिए प्रयोग की जाती हैं।
औसत उपभोग प्रवृत्ति-किसी आय के स्तर पर कुल उपभोग व्यय और कुल आय के अनुपात को औसत उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं।
प्रो० पीटर्सन के शब्दों में, “औसत उपभोग प्रवृत्ति आय का वह अनुपात है जो उपभोग पर व्यय किया जाता है”
अर्थात्
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सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति-उपभोग में परिवर्तन तथा आय में परिवर्तन के अनुपात को सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं।
प्रो० कुरीहारा के अनुसार, “सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति उपभोग में होने वाले परिवर्तन तथा आय में होने वाले परिवर्तन का अनुपात है” अर्थात्
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प्रश्न 4.
बचत से क्या अभिप्राय है? औसत बचत प्रवृत्ति तथा सीमान्त बचत प्रवृत्ति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
बचत आय और उपभोग का अन्तर होती है। केन्ज़ के अनुसार, “बचत आय की व्यय पर अधिकता है” अर्थात्
बचत = आय-उपभोग
औसत बचत प्रवृत्ति-एक विशेष आय स्तर पर बचत तथा आय का अनुपात औसत बचत प्रवृत्ति कहलाता है। दूसरे शब्दों में,
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सीमान्त बचत प्रवृत्ति-आय में होने वाले परिवर्तन के कारण बचत में होने वाले परिवर्तन के अनुपात को सीमान्त बचत प्रवृत्ति कहते हैं। दूसरे शब्दों में,
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प्रश्न 5.
निवेश की परिभाषा दें। निवेश के निर्धारक तत्त्व कौन से हैं?
उत्तर-
अर्थशास्त्र में पूंजी में की जाने वाली वृद्धि को निवेश कहा जाता है। एक वर्ष में आय का जो भाग उपभोग पर व्यय नहीं किया जाता बल्कि बचाकर पूंजी निर्माण के लिए प्रयोग किया जाता है, उसे निवेश कहा जाता है। निवेश के निर्धारक तत्त्व-निवेश मुख्य रूप से दो तत्त्वों पर निर्भर करता है

  1. लाभ की दर अथवा निवेश की सीमान्त कार्य कुशलता
  2. ब्याज की दर अथवा निवेश की लागत एक विवेकशील उद्यमी तभी निवेश करेगा यदि पूंजी की सीमान्त कार्य-कुशलता, ब्याज की दर से अधिक है। इसके विपरीत यदि ब्याज की दर पूंजी की सीमान्त कार्य कुशलता से अधिक प्रतीत होती है तो निवेश करने की प्रेरणा नहीं रहेगी।

प्रश्न 6.
पूंजी निर्माण से क्या अभिप्राय है? कुल पूंजी निर्माण तथा शुद्ध पूंजी निर्माण में क्या अन्तर है?
उत्तर-
जब वर्तमान आय का कुछ भाग बचाया जाता है और उसका भविष्य में आमदन और उत्पादन बढ़ाने के लिए निवेश किया जाता है तो यह पूंजी निर्माण कहलाता है।
कुल पूंजी निर्माण-कुल पूंजी निर्माण का अर्थ कुल निवेश से है जिसके अन्तर्गत घिसावट के लिए किया गया निवेश और शुद्ध निवेश दोनों सम्मिलित होते हैं।
शुद्ध पूंजी निर्माण-शुद्ध पूंजी निर्माण से अभिप्राय शुद्ध निवेश में की जाने वाली वृद्धि से है।
शुद्ध पूंजी निर्माण = कुल पूंजी निर्माण – घिसावट वास्तव में पूंजी निर्माण से अभिप्राय शुद्ध निवेश में वृद्धि से है।

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प्रश्न 7.
छुपी हुई बेरोज़गारी की परिभाषा दें। इसे एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर-
छुपी बेरोज़गारी से अभिप्राय किसी विशेष आर्थिक क्रिया में उत्पादन के लिए आवश्यकता से अधिक मात्रा में श्रमिकों के लगे होने से है। दूसरे शब्दों में, यदि किसी क्षेत्र में काम में लगे श्रमिकों में से कुछ श्रमिकों को हटा कर किसी अन्य क्षेत्र में स्थानान्तरित कर दिया जाए और इस प्रकार किए गए परिवर्तन के फलस्वरूप, मूल क्षेत्र के उत्पादन में यदि कोई कमी नहीं होती तो यह स्थिति छुपी बेरोज़गारी की स्थिति मानी जाएगी।

छुपी बेरोज़गारी की स्थिति को एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है। मान लो, एक परिवार के पास 8 एकड़ का खेत है। खेती करने के वर्तमान ढंग के अनुसार यदि 8 व्यक्ति ही उस खेत पर काम कर रहे हैं तो वह अच्छे ढंग से खेती कर सकेंगे। परन्तु परिवार के कुल 12 सदस्य कहीं और रोजगार न मिलने के कारण उसी खेत पर काम कर रहे हैं तो यह कहा जा सकता है कि उनमें से 4 व्यक्ति वास्तव में बेकार हैं। अतः हम कह सकते हैं कि ये 4 व्यक्ति छिपे बेरोज़गार हैं।

प्रश्न 8.
पूर्ण रोजगार से क्या अभिप्राय है ? संरचनात्मक बेरोजगारी तथा तकनीकी बेरोजगारी के क्या अर्थ हैं?
उत्तर-
पूर्ण रोजगार से अभिप्राय ऐसी अवस्था से है जिसमें वे सारे लोग जो मज़दूरी की प्रचलित दर पर काम करने के लिए तैयार हैं, बिना किसी कठिनाई के काम प्राप्त कर लेते हैं अर्थात् अनैच्छिक बेरोजगारी का न पाया जाना पूर्ण रोज़गार की अवस्था का प्रतीक है।
संरचनात्मक बेरोज़गारी-अर्थ व्यवस्था में होने वाले संरचनात्मक निर्गलों के कारण उत्पन्न बेरोजगारी, संरचनात्मक बेरोज़गारी कहलाती है।
तकनीकी बेरोज़गारी – तकनीकी बेरोज़गारी से अभिप्राय उस बेरोज़गारी से है जो उत्पादन की तकनीकों में होने वाले परिवर्तनों के कारण उत्पन्न होती है।

प्रश्न 9.
मुद्रा-स्फीति की धारणा की व्याख्या करें।
उत्तर-
मुद्रा-स्फीति आज के युग की सबसे गम्भीर समस्याओं में से एक है। विश्व का शायद ही कोई ऐसा देश हो जो इससे प्रभावित न हुआ हो। वास्तव में, विश्व का प्रत्येक देश चाहे वह विकसित हो या अल्प-विकसित, पूंजीवादी हो या समाजवादी, इस समस्या का शिकार रहा है। अन्तर केवल यही रहा है कि कुछ देशों को इससे बहुत अधिक नुक्सान हुआ है जबकि अन्यों को अपेक्षाकृत कम।
आमतौर पर कीमत स्तर में होने वाली निरन्तर वृद्धि को मुद्रा-स्फीति कहा जाता है। प्रो० पीटर्सन के शब्दों में, “विस्तृत अर्थों में मुद्रा-स्फीति से अभिप्राय सामान्य कीमत स्तर में होने वाली स्थायी और निरन्तर वृद्धि से है।”
मुद्रा-स्फीति के कई कारण हो सकते हैं, परन्तु इसका मुख्य कारण मांग का पूर्ति से अधिक होना है। जब वस्तुओं की मांग उनकी पूर्ति से अधिक हो जाती है तो कीमतें बढ़ने लगती हैं तथा मुद्रा-स्फीति उत्पन्न हो जाती है।

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प्रश्न 10.
बजट से क्या अभिप्राय है? भारत सरकार के बजट की आय तथा व्यय की मुख्य मदें कौनसी हैं?
उत्तर-
बजट-बजट व्यय और वित्त प्रबन्ध सम्बन्धी सरकार की योजना का विवरण होता है। जब सरकार कर लगाती है और व्यय करती है तब वह ये कार्य बजट के ढांचे के अन्तर्गत ही करती है। इस प्रकार सरकारी बजट एक प्रकार की वित्तीय योजना होती है जिसके अन्तर्गत व्यय और आय दोनों ही आते हैं। परम्परागत रूप से सरकार साल में एक ही बार बजट पेश करती है। भारत सरकार सामान्यतया प्रति वर्ष 28 फरवरी को अपना बजट लोकसभा में प्रस्तुत करती है।
बजट की मुख्य मदें-भारत सरकार के बजट की प्रस्तावित मुख्य मदें निम्नलिखित हैं-

  1. आय की मदें-निगम कर, आय कर, आयात-निर्यात कर, उत्पादन कर, केन्द्रीय बिक्री कर, उपहार कर आदि आय की मुख्य मदें हैं।
  2. व्यय की मदें-सुरक्षा, पुलिस, प्रशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज कल्याण, उद्योग, कृषि, नियोजन, ग्रामीण विकास आदि व्यय की मुख्य मदें हैं।

प्रश्न 11.
घाटे की वित्त व्यवस्था की परिभाषा दें। इसके अन्तर्गत कौन से तरीकों को शामिल किया जाता है?
उत्तर-
डॉ० वी० के० आर० वी० राव के अनुसार, “जब सरकार जान-बूझकर सार्वजनिक आय तथा व्यय में अन्तर तथा बजट में घाटा उत्पन्न करे और घाटे की पूर्ति किसी ऐसी विधि से करे जिससे देश में मुद्रा की मात्रा बढ़े तो इसे घाटे की वित्त व्यवस्था कहते हैं।”
विधियां-सरकारी बजट के घाटे को पूरा करने के लिए जब निम्नलिखित तरीकों में से कोई भी तरीका अपनाया जाता है तो उसे घाटे की वित्त-व्यवस्था कहा जाता है

  1. सरकार द्वारा अपने घाटे को पूरा करने के लिए केन्द्रीय बैंक से कर्जा लेना। केन्द्रीय बैंक यह ऋण नए नोट छाप कर देता है।
  2. सरकारी खजाने में पड़ी हुई नकद जमा निकलवा कर घाटे को पूरा करना तथा
  3. सरकार द्वारा रिज़र्व बैंक द्वारा जारी की गई मुद्रा के अतिरिक्त नई मुद्रा जारी करना।
    इन तीनों विधियों से देश में मुद्रा की मात्रा में वृद्धि होती है। इसके फलस्वरूप कीमतों के बढ़ने की प्रायः सम्भावना रहती है। भारत में घाटे की वित्त-व्यवस्था का अधिकतर भाग रिज़र्व बैंक से रुपया उधार लेकर पूरा किया जाता है।

प्रश्न 12.
सार्वजनिक वित्त से क्या अभिप्राय है? प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष करों की उदाहरण सहित व्याख्या करें।
उत्तर-
सार्वजनिक वित्त से आशय किसी देश की सरकार के वित्तीय साधनों अर्थात् आय और व्यय से है। अर्थशास्त्र की वह शाखा जिसमें सरकार की आय तथा व्यय सम्बन्धी समस्याओं का अध्ययन किया जाता है, उसे सार्वजनिक वित्त कहा जाता है।
प्रत्यक्ष कर-प्रत्यक्ष कर वह कर होता है जो उसी व्यक्ति द्वारा पूर्ण रूप से दिया जाता है जिस पर कर लगाया जाता है। इस प्रकार के कर का भार किसी अन्य व्यक्ति पर डाला नहीं जा सकता। डाल्टन के अनुसार, “प्रत्यक्ष कर वास्तव में उसी व्यक्ति द्वारा दिया जाता है जिस पर यह वैधानिक रूप से लगाया जाता है।”

उदाहरण के लिए आयकर, उपहार कर, निगम कर, सम्पत्ति कर आदि प्रत्यक्ष कर हैं।
अप्रत्यक्ष कर-अप्रत्यक्ष कर वह कर है जिसे एक व्यक्ति पर लगाया जाता है, किन्तु आंशिक अथवा सम्पूर्ण रूप से दूसरे व्यक्ति के द्वारा सहन किया जाता है। डाल्टन के अनुसार, “अप्रत्यक्ष कर वे कर हैं जो लगाए तो किसी एक व्यक्ति पर जाते हैं, किन्तु इसका आंशिक या पूर्ण रूप से भुगतान किसी अन्य व्यक्ति को करना पड़ता है।”
अप्रत्यक्ष कर के उदाहरण हैं-बिक्री कर, उत्पादन कर, मनोरंजन कर, आयात-निर्यात कर आदि।

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प्रश्न 13.
सार्वजनिक व्यय से आप क्या समझते हैं? सार्वजनिक व्यय कितने प्रकार का हो सकता है?
उत्तर-
सार्वजनिक व्यय-सरकार द्वारा किए गए व्यय को सार्वजनिक व्यय कहा जाता है। ये चार प्रकार के हो सकते हैं।

  1. लोक निर्माण-सड़क, बांधों और पुलों आदि पर होने वाला व्यय।
  2. लोक कल्याण कार्य-शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य आदि पर किया गया व्यय।
  3. देश की सुरक्षा और कानून व्यवस्था, जैसे पुलिस, जेल आदि पर व्यय।
  4. उत्पादकों को उत्पादन, निर्यात और हस्तांतरण भुगतान बढ़ाने के लिए दी जाने वाली सब्सिडी पर व्यय। इस तरह सरकार सार्वजनिक राजस्व और व्यय में परिवर्तन करके अवसाद और मुद्रास्फीति को नियंत्रित कर सकती है।

प्रश्न 14.
निर्धनता रेखा की धारणा की व्याख्या करें। भारत में निर्धनता रेखा की क्या सीमाएं हैं?
उत्तर-
निर्धनता रेखा की धारणा किसी देश में निर्धनता को मापने का एक उपाय है। निर्धमता रेखा से नीचे जितने व्यक्ति होते हैं, उन्हें निर्धन माना जाता है।
निर्धनता रेखा से आशय उस राशि से है जो एक व्यक्ति के लिए प्रति माह न्यूनतम उपभोग करने के लिए आवश्यक है। निर्धनता रेखा का स्तर उस रकम के बराबर माना जाता है जो एक व्यक्ति को जीवित रहने के लिए प्रति माह अपनी न्यूनतम आवश्यकताओं (भोजन, वस्त्र, मकान, शिक्षा तथा स्वास्थ्य आदि) को पूरा करने के लिए आवश्यक होता है।
भारत में निर्धनता रेखा की सीमाएं-अपनी किताब “Poverty in India” में V.M. Dandekar और Nilkanth Rath लिखते हैं कि जिन लोगों को प्रतिदिन 2250 कैलोरी का भोजन प्राप्त नहीं होता, वे निर्धनता रेखा से नीचे हैं अर्थात् निर्धन हैं। इतनी कैलोरी का भोजन प्राप्त करने के लिए 2013-14 की कीमतों के आधार पर प्रति व्यक्ति मासिक आय गांव में ₹. 972 तथा शहर में ₹ 1407 होनी चाहिए।

प्रश्न 15.
विकास दर की परिभाषा दें। इसकी गणना कैसे की जाती है?
उत्तर-
विकास दर वह प्रतिशत दर है जिससे यह पता चलता है कि एक वर्ष की तुलना में दूसरे वर्ष में राष्ट्रीय आय या प्रति व्यक्ति आय में कितने प्रतिशत परिवर्तन हुआ है। विकास दर की गणना-विकास दर की गणना निम्नलिखित सूत्र द्वारा की जा सकती है-
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प्रश्न 16.
विदेशी सहायता से क्या अभिप्राय है? इसके मुख्य प्रकार कौन-से हैं?
उत्तर-
विदेशी सहायता से अभिप्राय विदेशी पूंजी, विदेशी ऋण तथा विदेशी अनुदान से है। विदेशी सहायता के प्रकार-विदेशी सहायता के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं

  1. विदेशी पूंजी-विदेशी पूंजी से आशय विदेशियों द्वारा किसी देश की उत्पादक क्रियाओं में किए गए निवेश से है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश तथा विदेशी सहयोग विदेशी पूंजी के दो मुख्य रूप हैं।
  2. विदेशी ऋण-विदेशी ऋण मुख्य रूप से विदेशी सरकारों, व्यापारिक संस्थाओं व अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं आदि से प्राप्त किये जाते हैं।
  3. विदेशी अनुदान-विदेशी सहायता का वह भाग जो विदेशी सरकारों तथा संस्थाओं से सहायता के रूप में प्राप्त होता है, विदेशी अनुदान कहलाता है। इसे वापिस नहीं करना पड़ता। इस पर कोई भी ब्याज नहीं देना पड़ता।

PSEB 10th Class Social Science Guide आधारभूत धारणाएं Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

I. उत्तर एक शब्द अथवा एक लाइन में

प्रश्न 1.
आधारभूत धारणाएं क्या हैं?
उत्तर-
वे शब्द जिनका अर्थशास्त्र में विशेष अर्थ होता है।

प्रश्न 2.
प्रति व्यक्ति आय कैसे मापी जाती है?
उत्तर-
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प्रश्न 3.
पूंजी निर्माण क्या है?
उत्तर-
आय का वह भाग जिससे अधिक उत्पादन सम्भव होता है।

प्रश्न 4.
मुद्रा स्फीति क्या है?
उत्तर-
सामान्य कीमत स्तर में अत्यधिक वृद्धि।

प्रश्न 5.
सार्वजनिक ऋण क्या है?
उत्तर-
सरकार द्वारा लिए गए सभी ऋण।

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प्रश्न 6.
निर्धनता रेखा क्या है?
उत्तर-
किसी देश की निर्धनता के स्तर को मापने की विधि।

प्रश्न 7.
कौन-सी नीति सरकार की आय व व्यय से सम्बन्धित है?
उत्तर-
राजकोषीय नीति।

प्रश्न 8.
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति क्या है?
उत्तर-
आय में होने वाले परिवर्तन के फलस्वरूप उपभोग में होने वाला परिवर्तन।

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प्रश्न 9.
औसत उपभोग प्रवृत्ति क्या है?
उत्तर-
कुल व्यय व कुल आय के अनुपात को कहते हैं।

प्रश्न 10.
सीमान्त बचत प्रवृत्ति क्या है?
उत्तर-
आय में होने वाले परिवर्तन के फलस्वरूप बचत में होने वाला परिवर्तन।

प्रश्न 11.
निवेश क्या है?
उत्तर-
पूंजी भण्डार में वृद्धि।

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प्रश्न 12.
प्रेरित निवेश क्या होता है?
उत्तर-
जो आय व लाभ की मात्रा पर निर्भर करता है।

प्रश्न 13.
स्वचालित निवेश क्या होता है?
उत्तर-
जो आय व लाभ की मात्रा से स्वतन्त्र होता है।

प्रश्न 14.
मुद्रा पूर्ति का एक अवयव बताएं।
उत्तर-
बैंक जमा।

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प्रश्न 15.
विकास दर की गणना कैसे की जाती है?
उत्तर-
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प्रश्न 16.
निवेश का एक निर्धारक बताएं।
उत्तर-
ब्याज की दर।

प्रश्न 17.
मुद्रा-स्फीति का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर-
मांग का पूर्ति की तुलना में बढ़ना।

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प्रश्न 18.
सन्तलित बजट क्या है?
उत्तर-
जहां सरकार की आय = सरकार का व्यय।

प्रश्न 19.
घाटे का बजट क्या है?
उत्तर-
जब सरकार की आय < सरकार का व्यया

प्रश्न 20.
बेशी का बजट क्या है?
उत्तर-
जब सरकार की आय > सरकार का व्यय।

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प्रश्न 21.
प्रत्यक्ष कर का एक उदाहरण दें।
उत्तर-
आय कर।

प्रश्न 22.
अप्रत्यक्ष कर का एक उदाहरण दें।
उत्तर-
बिक्री कर।

प्रश्न 23.
विदेशी सदारता का उदाहरण हैं।
उत्तर-
विदेशी ऋण।

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प्रश्न 24.
उदार ऋण क्या है?
उत्तर-
जो ऋण लम्बी अवधि के लिए कम ब्याज दर पर लिए जाते हैं।

प्रश्न 25.
अनुदार ऋण क्या है?
उत्तर-
जो ऋण कम अवधि के लिए ऊंची ब्याज दर पर लिए जाते हैं।

प्रश्न 26.
मौद्रिक नीति का एक उद्देश्य बताएं।
उत्तर-
कीमत स्थिरता।

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प्रश्न 27.
राजकोषीय नीति का एक उद्देश्य बताएं।
उत्तर-
आर्थिक विकास।

प्रश्न 28.
राजकोषीय नीति का एक उपकरण बताएं।
उत्तर-
करारोपण।

प्रश्न 29.
घरेलू साधन आय से क्या आशय है?
उत्तर-
देश की घरेलू सीमा के अन्दर विभिन्न उत्पादन के साधनों को प्राप्त आय के जोड़ को घरेलू साधन आय कहते हैं।

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प्रश्न 30.
“देश के सामान्य निवासी” का अर्थ बताओ।
उत्तर-
देश के सामान्य निवासी का अर्थ है वह व्यक्ति या संस्था जो साधारणतः देश में रहती है और उसका लाभ या हानि उस देश के साथ ही है।

प्रश्न 31.
विदेशों से प्राप्त निवल साधन आय का क्या अर्थ है?
उत्तर-
देशवासियों को साधन सेवाओं के बदले विदेशों से प्राप्त साधन आय तथा गैर-देशवासियों को देश की घरेलू सीमा के अन्दर साधन सेवाएं प्रदान करने के बदले प्राप्त साधन आय के अन्तर को विदेशों से प्राप्त निवल साधन आय कहते हैं।

प्रश्न 32.
साधन आय से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उत्पादन में सहायता के लिए, उत्पादन के विभिन्न साधनों के मालिकों को जो आय प्राप्त होती है, उसे साधन आय कहते हैं।

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प्रश्न 33.
चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय का अर्थ बताओ।
उत्तर-
यदि राष्ट्रीय आय का माप करने के लिए चालू वर्ष की कीमतों का प्रयोग किया जाए तो राष्ट्रीय आय को चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय कहते हैं।

प्रश्न 34.
स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय का अर्थ बताओ।
उत्तर-
यदि राष्ट्रीय आय का माप करने के लिए आधार वर्ष की कीमतों का प्रयोग किया जाए तो राष्ट्रीय आय को स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय कहते हैं।

प्रश्न 35.
स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय तथा चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर-
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प्रश्न 36.
उपभोग फलन अथवा उपभोग प्रवृत्ति से क्या आशय है?
उत्तर-
उपभोग फलन, आय व उपभोग के क्रियात्मक सम्बन्ध को व्यक्त करता है अर्थात्
C = f (y)
C = उपभोग, Y = आय तथा f = फलन अर्थात् उपभोग व्यय आय का फलन है।

प्रश्न 37.
आय एवं उपभोग में कैसा सम्बन्ध पाया जाता है?
उत्तर-
आय एवं उपभोग में धनात्मक सम्बन्ध पाया जाता है।

प्रश्न 38.
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति की सीमाएं बताइए।
उत्तर-
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति शून्य से अधिक तथा एक से कम होती है अर्थात् आय के बढ़ने पर लोगों के व्यय में भी वृद्धि होती है, परन्तु उतनी वृद्धि नहीं होती जितनी आय में होती है।

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प्रश्न 39.
बचत की परिभाषा दें।
उत्तर-
केन्ज़ के अनुसार, “बचत आय की व्यय पर अधिकता है।” दूसरे शब्दों में, बचत = आय – उपभोग ।

प्रश्न 40.
औसत बचत प्रवृत्ति की परिभाषा दें।
उत्तर-
औसत बचत प्रवृत्ति एक विशेष आय स्तर पर बचत तथा आय का अनुपात है अर्थात्
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प्रश्न 41.
शुद्ध निवेश से क्या आशय है?
उत्तर-
यदि कुल निवेश में से घिसावट व्यय या प्रतिस्थापन निवेश को घटा दिया जाए तो बाकी को शुद्ध निवेश कहते हैं अर्थात् शुद्ध निवेश = कुल निवेश – घिसावट

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प्रश्न 42.
प्रतिस्थापन निवेश से क्या आशय है?
उत्तर-
प्रतिस्थापन निवेश वह निवेश है जो पूंजी की घिसावट के कारण नष्ट हो जाने के फलस्वरूप उनके नवीकरण या प्रतिस्थापन के लिए किया जाता है।

प्रश्न 43.
ऐच्छिक बेरोज़गारी का क्या अर्थ है?
उत्तर-
जब श्रमिक मज़दूरी की प्रचलित दर पर काम करने के लिए तैयार न हों अथवा काम होने पर भी अपनी इच्छा के अनुसार काम न करना चाहते हों तो ऐसी बेरोज़गारी, ऐच्छिक बेरोज़गारी कहलाती है।

प्रश्न 44.
संघर्षात्मक बेरोजगारी से क्या आशय है?
उत्तर-
यह बेरोज़गारी कच्चे माल की कमी, श्रमिकों की गतिहीनता, विशेष किस्म के रोज़गार सम्बन्धी अवसरों की कमी से, मशीनों की टूट-फूट के कारण पाई जाती है।

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प्रश्न 45.
मौसमी बेरोज़गारी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
यह बेरोज़गारी मौसम, फैशन और रुचि सम्बन्धी परिवर्तन होने के कारण उत्पन्न होती है, जैसे-बर्फ के कारखाने सर्दियों के दिनों में बन्द रहते हैं।

प्रश्न 46.
कीमत सूचकांक से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
कीमत सूचकांक वह संख्या है जिससे यह ज्ञात होता है कि किसी एक निश्चित वर्ष जिसे आधार वर्ष कहते हैं, की तुलना में चालू वर्ष को औसत कीमतों में कितने प्रतिशत परिवर्तन हुआ है।

प्रश्न 47.
मुद्रा-स्फीति के लिए मुख्यतः कौन-सा कारण उत्तरदायी है?
उत्तर-
मुद्रा-स्फीति के कई कारण हो सकते हैं, परन्तु इसका मुख्य कारण वस्तुओं की मांग का उनकी पूर्ति से अधिक होना है। जब मांग पूर्ति से अधिक हो जाती है तो कीमतें बढ़ने लगती हैं तथा मुद्रा-स्फीति उत्पन्न हो जाती है।

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प्रश्न 48.
मुद्रा की पूर्ति के मुख्य घटक कौन-से हैं?
उत्तर-
मुद्रा की पूर्ति के मुख्य घटक निम्नलिखित हैं
(i) करन्सी जिसके अन्तर्गत नोट और सिक्के आते हैं, और
(ii) मांग जमा जिस पर चैक जारी किए जा सकते हैं।

प्रश्न 49.
सन्तुलित बजट का क्या अर्थ है?
उत्तर-
सन्तुलित बजट वह बजट है जिसमें सरकार की आय तथा व्यय दोनों बराबर होते हैं।

प्रश्न 50.
घाटे का बजट किसे कहा जाता है?
उत्तर-
घाटे का बजट वह बजट है जिसमें सरकार का व्यय उसकी आय से अधिक होता है।

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प्रश्न 51.
बचत का बजट किसे कहा जाता है?
उत्तर-
बचत का बजट वह बजट है जिसमें सरकार की आय, उसके व्यय की तुलना में अधिक होती है।

प्रश्न 52.
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के दो-दो उदाहरण दें।
उत्तर-
प्रत्यक्ष कर-आय कर, उपहार कर। अप्रत्यक्ष कर-बिक्री कर, मनोरंजन कर।

प्रश्न 53.
विदेशी सहयोग से क्या आशय है?
उत्तर-
विदेशी सहयोग, विदेशी पूंजी का एक रूप है। इसके अन्तर्गत विदेशी तथा देशी उद्यमी संयुक्त रूप से उद्यम स्थापित करते हैं।

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प्रश्न 54.
पोर्टफोलियो निवेश किसे कहते हैं?
उत्तर-
पोर्टफोलियो निवेश विदेशी पूंजी का एक रूप है। यह निवेश विदेशी कम्पनियों द्वारा किसी देश की कम्पनियों के शेयर पूंजी या डिबेन्चर आदि में किया जाता है।

प्रश्न 55.
उदार और अनुदार ऋणों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
जो विदेशी ऋण लम्बी अवधि के लिए ब्याज की कम दर पर प्राप्त होते हैं, उन्हें उदार ऋण कहा जाता है। इसके विपरीत जो ऋण कम अवधि के लिए ब्याज की अधिक दर पर प्राप्त होते हैं, उन्हें अनुदार ऋण कहा जाता है।

प्रश्न 56.
व्यापार शेष से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
दृश्य वस्तुओं जैसे-उपज, मशीनें, चाय, तम्बाकू आदि के आयात-निर्यात का अन्तर व्यापार शेष कहलाता है।

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प्रश्न 57.
प्रतिकूल भुगतान शेष से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
यदि विदेशों को किए जाने वाले भुगतान देश को विदेशों से प्राप्त होने वाली आय से ज्यादा हों तो देश का भुगतान शेष प्रतिकूल कहलाता है।

प्रश्न 58.
मौद्रिक नीति के मुख्य उद्देश्य कौन-से हैं?
उत्तर-

  1. कीमत स्थिरता
  2. पूर्ण रोज़गार
  3. आर्थिक विकास
  4. विनिमय स्थिरता
  5. आर्थिक असमानता में कमी।

प्रश्न 59.
बैंक दर से क्या आशय है?
उत्तर-
बैंक दर ब्याज की वह न्यूनतम दर है जिस पर किसी देश का केन्द्रीय बैंक दूसरे बैंक को ऋण देने के लिए तैयार होता है।

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प्रश्न 60.
खुले बाजार की क्रियाओं से क्या आशय है?
उत्तर-
खुले बाज़ार की क्रियाओं से अभिप्राय है, केन्द्रीय बैंक द्वारा खुले बाज़ार में प्रतिभूतियों को खरीदना तथा बेचना।

प्रश्न 61.
तरलता अनुपात से क्या आशय है?
उत्तर-
प्रत्येक बैंक को अपनी जमा राशि का एक निश्चित अनुपात अपने पास ही नकद राशि के रूप में रखना पड़ता है, इसे तरलता अनुपात कहते हैं। बैंक इस राशि को उधार नहीं दे सकती।

प्रश्न 62.
राजकोषीय नीति के मुख्य उद्देश्य बताइए।
उत्तर-

  1. आर्थिक विकास
  2. कीमत स्थिरता
  3. विनिमय स्थिरता
  4. पूर्ण रोज़गार
  5. आर्थिक समानता।

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प्रश्न 63.
राजकोषीय नीति के मुख्य उपकरण कौन-से हैं?
उत्तर-

  1. कर
  2. सार्वजनिक ऋण
  3. घाटे की वित्त व्यवस्था
  4. सार्वजनिक व्यय।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

  1. ……….. आय एक वर्ष में एक देश के सामान्य निवासियों द्वारा अर्जित की गई साधन आय है। (राष्ट्रीय/प्रति व्यक्ति)
  2. मनुष्य की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए उत्पादित वस्तुओं व सेवाओं का प्रयोग ……….. है। (उपभोग/उत्पादन)
  3. ……….. में वृद्धि निवेश कहलाता है। (उपभोग/पूँजी)
  4. ……… = PSEB 10th Class Economics Solutions Chapter 1 आधारभूत धारणाएं 12 (MPC/APC)
  5. ……….. को बचत में परिवर्तन तथा आय में परिवर्तन के अनुपात के रूप में मापा जाता है। (MPC/MPS)
  6. सरकार की आय व्यय तथा ऋण सम्बन्धी नीति को ………… नीति कहा जाता है। (राजकोषीय/मौद्रिक)
  7. उपयोगिता का सृजन ………… है। (उपभोग/उत्पादन)
  8. भारत के केन्द्रीय बैंक की स्थापना …………… में हुई। (1935/1945)

उत्तर-

  1. राष्ट्रीय,
  2. उपभोग,
  3. पूँजी,
  4. APC,
  5. MPS,
  6. राजकोषीय,
  7. उत्पादन,
  8. 1935;

III. बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
उपयोगिता का भक्षण कहलाता है:
(A) उपभोग
(B) उत्पादन
(C) विनिमय
(D) वितरण।
उत्तर-
(A) उपभोग

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प्रश्न 2.
प्रति व्यक्ति आय की गणना का सूत्र लिखें :
(A) PSEB 10th Class Economics Solutions Chapter 1 आधारभूत धारणाएं 13
(B) PSEB 10th Class Economics Solutions Chapter 1 आधारभूत धारणाएं 14
(C) PSEB 10th Class Economics Solutions Chapter 1 आधारभूत धारणाएं 15
(D) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
(C)

प्रश्न 3.
प्रति व्यक्ति आय का अन्य नाम क्या है?
(A) राष्ट्रीय आय
(B) निजी आय
(C) वैयक्तिक आय
(D) औसत आय।
उत्तर-
(D) औसत आय।

प्रश्न 4.
सरकार की आय व्यय तथा ऋण सम्बन्धी नीति कहलाती है
(A) मौद्रिक
(B) सरकारी
(C) योजना
(D) राजकोषीय।
उत्तर-
(D) राजकोषीय।

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प्रश्न 5.
सार्वजनिक आय के ……… मुख्य पक्ष हैं।
(A) दो
(B) तीन
(C) चार
(D) पाँच।
उत्तर-
(B) तीन

प्रश्न 6.
………. उपभोग तथा आय का अनुपात है।
(A) APS
(B) APC
(C) MPS
(D) MPC
उत्तर-
(B) APC

IV. सही/गलत

  1. आय में से उपभोग को घटाने पर जो शेष बचता है वह उपभोग है।
  2. पूंजी स्टॉक में होने वाली वृद्धि बचत है।
  3. आय कर प्रत्यक्ष कर है।
  4. प्रति व्यक्ति आय को औसत आय भी कहते हैं।
  5. सरकार की आय व व्यय संबंधी नीति राजकोषीय नीति हैं।

उत्तर-

  1. सही
  2. गलत
  3. सही
  4. सही
  5. सही।

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छोटे उत्तर वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
देश की घरेलू सीमा की धारणा की व्याख्या करें।
उत्तर-
आम बोलचाल की भाषा में देश की घरेलू सीमा का अर्थ देश की राजनीतिक सीमा से लिया जाता है; परन्तु अर्थशास्त्र में देश की घरेलू सीमा का अर्थ केवल देश की राजनीतिक सीमा नहीं। इसमें नीचे लिखी मदें शामिल की जाती हैं

  1. राजनीतिक सीमा के अन्दर आने वाले क्षेत्र और पानी।
  2. दूसरे देश में काम कर रहे देश के दूतावास, फ़ौजी अड्डे, परामर्श दफ्तर आदि।
  3. अलग-अलग देशों में चल रहे देश के हवाई जहाज़ और समुद्री जहाज़।
  4. अन्तर्राष्ट्रीय पानी में चल रहे या काम कर रहे मछेरे, गैस निकालने वाले यन्त्र या तैराक।

प्रश्न 2.
सकल राष्ट्रीय आय व शुद्ध राष्ट्रीय आय में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
राष्ट्रीय आय एक देश के सामान्य निवासियों की एक वर्ष से मज़दूरी, ब्याज, लगान तथा लाभ के रूप में साधन आय है। यह घरेलू साधन आय तथा विदेशों से प्राप्त निवल साधन आय का योग है।
एक देश की राष्ट्रीय आय में यदि घिसावट व्यय शामिल रहा है तो उसे सकल राष्ट्रीय आय कहा जाता है। इसके विपरीत यदि उसमें से घिसावट व्यय घटा दिया जाता है तो उसे शुद्ध राष्ट्रीय आय कहा जाता है। दूसरे शब्दों में,
शुद्ध राष्ट्रीय आय = कुल राष्ट्रीय आय – घिसावट व्यय।

प्रश्न 3.
औसत उपभोग प्रवृत्ति व सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति की धारणाओं को उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
किसी आय के स्तर पर कुल उपभोग व्यय और कुल आय के अनुपात को औसत उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं।
उदाहरण

आय उपभोग औसत उपभोग प्रवृत्ति ।
200 180 0.90
300 260 0.87

जब आय 200 रु० है तो उपभोग 180 रु० है। दूसरे शब्दों में, औसत उपभोग प्रवृत्ति = \(\frac{180}{200}\) = 0.90 है। जब आय बढ़कर 300 रु० हो जाती है तो उपभोग बढ़कर 260 रु० हो जाता है। दूसरे शब्दों में, औसत उपभोग प्रवृत्ति = \(\frac{260}{300}\) = 0.87
सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति-उपभोग में परिवर्तन तथा आय में परिवर्तन के अनुपात को सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति कहते हैं। अर्थात्
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उदाहरण
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ऊपर दी गई उदाहरण में जब आय 300 रु० से बढ़कर 400 रु० हो जाती है तो उपभोग 230 रु० से बढ़कर 280 रु० हो जाता है तो सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति \(\frac{50}{100}\) = 0.5, इसी प्रकार आय 400 से बढ़कर 500 हो जाती है और उपभोग 280 से बढ़कर 320 रु० हो जाता है। इसलिए सीमान्त उपभोग प्रवृत्ति\(\frac{40}{100}\) = 0.4 है।

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प्रश्न 4.
कुल निवेश व शुद्ध निवेश में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कुल निवेश = शुद्ध निवेश + प्रतिस्थापन निवेश।
प्रतिस्थापन निवेश वह निवेश है जो पूंजी की घिसावट के कारण नष्ट हो जाने के फलस्वरूप उनके नवीनीकरण या प्रतिस्थापन के लिए किया जाता है। यह निवेश पूंजी के वर्तमान स्तर को बनाए रखता है।
शुद्ध निवेश वह निवेश है जिसके कारण पूंजी के स्टॉक में वृद्धि होती है। कुल निवेश में से घिसावट व्यय या प्रतिस्थापन निवेश को घटा कर शुद्ध निवेश प्राप्त किया जा सकता है अर्थात्
शुद्ध निवेश = कुल निवेश – प्रतिस्थापन निवेश।

प्रश्न 5.
ऐच्छिक व अनैच्छिक बेरोज़गारी में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
जब श्रमिक मजदूरी की प्रचलित दर पर कार्य करने के लिए तैयार न हों अथवा कार्य होने पर भी अपनी इच्छा के अनुसार कार्य न करना चाहते हों तो ऐसी बेरोज़गारी ऐच्छिक बेरोज़गारी कहलाएगी। दूसरी ओर, अनैच्छिक बेरोज़गारी वह अवस्था है जिसमें श्रमिक मज़दूरी की वर्तमान दर पर कार्य करने के लिए तैयार हैं, पर उनको कार्य न मिले।

प्रश्न 6.
पूर्ण रोजगार की अवस्था में किन किस्मों की बेरोजगारियां पाई जा सकती हैं?
उत्तर-
परम्परावादी अर्थशास्त्रियों के अनुसार, किसी भी अर्थ-व्यवस्था में पूर्ण रोजगार की अवस्था में निम्नलिखित किस्मों की बेरोज़गारियां पाई जा सकती हैं

  1. ऐच्छिक बेरोजगारी
  2. संघर्षात्मक बेरोज़गारी
  3. मौसमी बेरोज़गारी
  4. संरचनात्मक बेरोज़गारी
  5. तकनीकी बेरोज़गारी ऐच्छिक बेरोजगारियों के होते हुए भी यदि अर्थ-व्यवस्था में अनैच्छिक बेरोजगारी नहीं है, तो इसको पूर्ण रोजगार की अवस्था कहा जाएगा।

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प्रश्न 7.
भारत में मुद्रा पूर्ति में कौन-कौन से तत्त्व शामिल किये जाते हैं?
उत्तर-
भारत में मुद्रा पूर्ति में निम्नलिखित तत्त्व शमिल किये जाते हैं

  1. जनता के पास करन्सी नोट एवं सिक्के राजकीय कोष में जमा राशि, बैंकों तथा राज्य सहकारी बैंकों की करन्सी को निकाल कर।
  2. बैंकों और राज्य सहकारी बैंकों की मांग जमा (अन्तर बैंक मांग जमा को निकाल कर)।
  3. रिज़र्व बैंक के अन्य जमा खातों की राशि (अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के खाते में जमा राशि को छोड़कर)।

प्रश्न 8.
सरकारी बजट से क्या आशय है? यह कितने प्रकार का हो सकता है?
उत्तर-
सरकारी बजट सरकार द्वारा प्रस्तावित वार्षिक आय तथा व्यय का ब्यौरा होता है। सरकार का बजट तीन प्रकार का हो सकता है

  1. घाटे का बजट-घाटे का बजट वह बजट है जिसमें सरकार का व्यय उसकी आय से अधिक होता है। इस प्रकार का बजट अभावी मांग की स्थिति में उचित होता है।
  2. बचत का बजट-वह बजट, जिसमें सरकार की आव उसके व्यय की तुलना में अधिक होती है, बचत का बजट कहलाता है। इस प्रकार का बजट अत्यधिक मांग की स्थिति में उचित होता है।
  3. सन्तुलित बजट-वह बजट, जिसमें सरकार की आय उसके व्यय के बराबर होती है, सन्तुलित बजट कहलाता है।

प्रश्न 9.
प्रत्यक्ष करों के कोई दो लाभ बताइए।
उत्तर-

  1. न्यायपूर्ण-प्रत्यक्ष कर अधिक न्यायपूर्ण होते हैं। इस प्रकार के कर लोगों की कर दान क्षमता पर आधारित होते हैं।
  2. लोचशील-प्रत्यक्ष कर लोचशील होते हैं। अत: उनसे प्राप्त होने वाली आय को आवश्यकतानुसार घटायाबढ़ाया जा सकता है।

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प्रश्न 10.
अप्रत्यक्ष करों के कोई दो लाभ बताइए।
उत्तर-

  1. सुविधाजनक-अप्रत्यक्ष करों को इसलिए अधिक सुविधाजनक माना जाता है, क्योंकि वह उस समय लगाए जाते हैं जब उपभोक्ता वस्तुओं को खरीदता है अथवा सेवाओं का उपभोग करता है जिससे कि वे उनके बोझ को महसूस न करे।
  2. कर चोरी कठिन-इन करों से बचना बहुत कठिन होता है। ऐसे कर वस्तुओं को खरीदते समय लिए जाते हैं। इसलिए लोग इनसे आसानी से नहीं बच सकते। अप्रत्यक्ष कर प्रायः वस्तुओं के मूल्य से जुड़े रहते हैं। इसलिए उनसे बचने का परिणाम आवश्यकताओं की संतुष्टि से वंचित रहना होता है।

प्रश्न 11.
साख नियन्त्रण के उपायों के रूप में बैंक दर एवं खुले बाज़ार की क्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
बैंक दर-बैंक दर ब्याज की वह न्यूनतम दर है जिस पर किसी देश का केन्द्रीय बैंक दूसरे बैंकों को ऋण देने के लिए तैयार होता है। बैंक दर के बढ़ने से ब्याज की दर बढ़ती है तथा ऋण महंगा होता है।
खुले बाजार की क्रियाएं-खुले बाजार की क्रियाओं से आशय केन्द्रीय बैंक द्वारा खुले बाज़ार में प्रतिभूतियों को खरीदने तथा बेचने से है। मन्दी की स्थिति में केन्द्रीय बैंक खुले बाज़ार से प्रतिभूतियों को खरीदता है। इसके फलस्वरूप साख का विस्तार होता है तथा मांग में वृद्धि होती है। दूसरी ओर तेजी की स्थिति में केन्द्रीय बैंक प्रतिभूतियों को बेचता है, जिसके फलस्वरूप साख का संकुचन होता है तथा मांग में कमी होती है।

प्रश्न 12.
साख नियन्त्रण के उपायों के रूप में न्यूनतम नकद निधि अनुपात व तरलता अनुपात की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
न्यूनतम नकद निधि-सभी बैंकों को अपनी जमा राशि का एक निश्चित प्रतिशत नकद निधि के रूप में केन्द्रीय बैंक के पास रखना पड़ता है। अतः मन्दी की स्थिति में न्यूनतम नकद निधि अनुपात को कम कर दिया जाता है व तेज़ी की अवस्था में इसे बढ़ा दिया जाता है।
तरलता अनुपात-प्रत्येक बैंक को अपनी जमा राशि का एक निश्चित अनुपात अपने पास ही नकद राशि के रूप में रखना पड़ता है। इसे तरलता अनुपात कहते हैं। बैंक इस राशि को उधार नहीं दे सकता। मन्दी की स्थिति में केन्द्रीय बैंक तरलता अनुपात को कम कर देता है तथा तेज़ी की स्थिति में तरलता अनुपात को बढ़ा दिया जाता है।

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प्रश्न 13.
संरचनात्मक बेरोज़गारी तथा तकनीकी बेरोज़गारी में क्या अन्तर हैं?
उत्तर-
संरचनात्मक बेरोज़गारी तथा तकनीकी बेरोज़गारी में अन्तर

संरचनात्मक बेरोजगारी तकनीकी बेरोज़गारी
(i) संरचनात्मक बेरोज़गारी से अभिप्राय उस अवस्था से है जिसमें अर्थव्यवस्था में होने वाले संरचनात्मक परिवर्तनों के कारण बेरोज़गारी होती (i) तकनीकी बेरोज़गारी से अभिप्राय उस बेरोजगारी से है जो उत्पादन की तकनीकों में होने वाले परिवर्तनों के कारण पैदा होती है।
(ii) इसके उत्पन्न होने का मुख्य कारण देश के निर्यात व्यापार में होने वाला परिवर्तन है। (ii) यह इसलिए उत्पन्न होती है क्योंकि श्रमिकों को नई तकनीकी का कम ज्ञान होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बेरोजगार किसे कहते हैं? बेरोज़गारी के सामान्य प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर-
बेरोजगार उस व्यक्ति को कहा जाता है जो कि बाजार में प्रचलित मज़दूरी दर पर काम तो करना चाहता है लेकिन उसे काम नहीं मिल पा रहा है। बेरोज़गारी की परिभाषा हर देश में अलग-अलग होती है, जैसे-अमेरिका में यदि किसी व्यक्ति को उसकी क्वालिफिकेनश के हिसाब से नौकरी नहीं मिलती है तो उसे बेरोज़गार माना जाता है। विकासशील देशों में निम्न प्रकार की बेरोजगारी पाई जाती है।

  1. मौसमी बेरोज़गारी (Seasonal Unemployment)—इस प्रकार की बेरोज़गारी कृषि क्षेत्र में पाई जाती है। कृषि में लगे लोगों को कृषि की जुताई, बोवाई, कटाई आदि कार्यों के समय तो रोज़गार मिलता है लेकिन जैसे ही कृषि कार्य ख़त्म हो जाता है तो कृषि में लगे लोग बेरोज़गार हो जाते हैं।
  2. प्रच्छन्न बेरोज़गारी (Disguised Unemployment)-प्रच्छन्न बेरोज़गारी उस बेरोज़गारी को कहते हैं जिसमें कुछ लोगों की उत्पादकता शून्य होती है अर्थात् यदि इन लोगों को उस काम में से हटा भी लिया जाये तो भी उत्पादन में कोई अंतर नहीं आएगा। जैसे-यदि किसी फैक्ट्री में 100 जूतों का निर्माण 10 लोग कर रहे हैं और यदि इसमें से 3 लोग बाहर निकाल दिए जाएँ तो भी 100 जूतों का निर्माण हो जाये तो इन हटाये गए 3 लोगों को प्रच्छत्र रूप से बेरोज़गार कहा जायेगा। भारत की कृषि में इस प्रकार की बेरोज़गारी बहुत बड़ी समस्या है।
  3. संरचनात्मक बेरोज़गारी (Structural Unemployment)-संरचनात्मक बेरोज़गारी तब प्रकट होती है जब बाज़र में दीर्घकालिक स्थितियों में बदलाव आता है। उदाहरण के लिए भारत में स्कूटर का उत्पादन बंद हो गया है और कार का उत्पादन बढ़ रहा है। इस नए विकास के कारण स्कूटर के उत्पादन में लगे मिस्त्री बेरोज़गार हो गए और कार बनाने वालों की मांग बढ़ गयी है। इस प्रकार की बेरोज़गारी देश की आर्थिक संरचना में परिवर्तन के कारण पैदा होती है।
  4. चक्रीय बेरोज़गारी (Cyclical Unemployment)-इस प्रकार की बेरोज़गारी अर्थव्यवस्था में चक्रीय उतारचढ़ाव के कारण पैदा होती है। जब अर्थव्यवस्था में समृद्धि का दौर होता है तो उत्पादन बढ़ता है रोज़गार के नए अवसर पैदा होते हैं और जब अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर आता है तो उत्पादन कम होता है और कम लोगों की जरूरत होती है जिसके कारण बेरोज़गारी बढ़ती है।
  5. प्रतिरोधात्मक या घर्षण जनित बेरोज़गारी (Frictional Unemployment)—ऐसा व्यक्ति जो एक रोज़गार को छोड़कर किसी दूसरे रोज़गार में जाता है, तो दोनों रोज़गारों के बीच की अवधि में वह बेरोज़गार हो सकता है, या ऐसा हो सकता है कि नयी टेक्नोलॉजी के प्रयोग के कारण एक व्यक्ति एक रोजगार से निकलकर या निकाल दिए जाने के कारण रोज़गार की तलाश कर रहा हो, तो पुरानी नौकरी छोड़ने और नया रोज़गार पाने की अवधि की बेरोज़गारी को घर्षण जनित बेरोज़गारी कहते हैं।
  6. ऐच्छिक बेरोजगारी (Voluntary Unemployment)—ऐसा व्यक्ति जो बाज़ार में प्रचलित मज़दूरी दर पर काम करने को तैयार नहीं है अर्थात् वह ज्यादा मज़दूरी की मांग कर रहा है जो कि उसको मिल नहीं रही है इस कारण वह बेरोज़गार है।
  7. खुली या अनैच्छिक बेरोज़गारी (Open or Involuntary Unemployment)—ऐसा व्यक्ति जो बाजार में प्रचलित मज़दूरी दर पर काम करने को तैयार है लेकिन फिर भी उसे काम नहीं मिल रहा है तो उसे अनैच्छिक बेरोज़गार कहा जायेगा। तो इस प्रकार आपने पढ़ा कि बेरोज़गारी कितने प्रकार की होती है और भारत में किस प्रकार की बेरोज़गारी पाई जाती है। इसके अलावा कुछ ऐसे बेरोज़गार भी होते हैं जिनको मजदूरी भी ठीक मिल सकती है लेकिन फिर भी ये लोग काम नहीं करना चाहते हैं जैसे-भिखारी, साधू और अमीर बाप के बेटे इत्यादि।

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प्रश्न 2.
भारत सरकार द्वारा गरीबी उन्मूलन के लिए शुरू की गई योजनाओं का वर्णन करें।
उत्तर-
भारत सरकार ने गरीबी उन्मूलन के लिए निम्नलिखित योजनाएं शुरू की हैं

  1. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा)-नरेगा विधेयक वर्ष 2005 में पारित हुआ था और यह वर्ष 2006 से प्रभावी हो गया था। यह वर्ष 2008 में नरेगा से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) बन गया। इस योजना के अन्तर्गत, पूरे देश के गाँव के लोगों के लिए 100 दिन के काम की गारंटी दी जाती है। यह एक सफल योजना रही है क्योंकि इसके कारण ग्रामीण इलाकों के गरीब लोगों के आय स्तर में वृद्धि हुई है। यह योजना लोगों की आवश्यकतानुसार उन्हें काम के अवसर प्रदान करती है। हालांकि इसमें ज्यादातर अकुशल शारीरिक श्रम शामिल है, लेकिन फिर भी यह आर्थिक रूप से गरीब लोगों के लिए कुछ सुरक्षा की सुविधाएं प्रदान करता है। इस योजना से मिलने वाली आय की मदद से गरीब लोगों को कुछ संपति बनाने में मदद मिलती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार होता है। यह कार्यक्रम प्राथमिक रूप से ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया गया है।
  2. इंदिरा आवास योजना (आईएवाई)-इंदिरा आवास योजना ग्रामीणों को आवास प्रदान करती है। इस योजना का उद्देश्य पूरे देश के गरीब लोगों को 20 लाख आवास प्रदान करना है और जिनमें 65% लाभार्थी ग्रामीण इलाकों के हैं। यह योजना के अनुसार, जो लोग अपना घर बनवाने में सक्षम नहीं हैं, उन लोगों की सहायता करने के लिए सब्सिडी वाले ऋण प्रदान किए जाते हैं। इस योजना को मूल रूप से वर्ष 1985 में शुरू किया गया था और फिर वर्ष 1998 से वर्ष 1999 में इसका नवीनीकरण किया गया था।
  3. एकीकृत ग्रामीण विकास योजनाएं (आईआरडीपी)-एकीकृत ग्रामीण विकास योजना को दुनिया में अपनी तरह की सबसे महत्त्वाकांक्षी योजनाओं में से एक माना जाता है। यह योजना भारत में सबसे गरीब लोगों के लिए आय की कमी से उत्पन्न परेशानियों के निवारण के लिए और संपत्तियां प्रदान करने के लिए बनाई गई है। यह योजना चयनित स्थानों पर वर्ष 1978 से वर्ष 1979 में शुरू की गई थी। हालांकि, नवंबर 1980 तक पूरा देश इस योजना के दायरे में आ गया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य स्थाई संपत्ति बनाना और उन्हें लक्षित परिवारों को प्रदान करना है, ताकि उन्हें गरीबी रेखा से ऊपर लाया जा सके। इस योजना के तहत प्रदान की जाने वाली स्व-रोजगार योजना इसका एक प्रमुख घटक है।

भारत में गरीबी उन्मूलन के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू की गई कुछ अन्य योजनाएं निम्न हैं

  • अन्पूर्णा योजना
  • राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (एनआरईपी)
  • राष्ट्रीय मातृत्व लाभ योजना (एनएमबीएस)
  • ग्रामीण श्रम रोज़गार गांरटी योजना (आरएलईजीपी)
  • राष्ट्रीय परिवार लाभ योजना (एनएफबीएस)
  • टीआरवाईएसईएम योजना
  • राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (एनओएपीएस)
  • जवाहर रोज़गार योजना (जेआरवाई)
  • बंधुआ मुक्ति मोर्चा
  • स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना
  • संपत्ति के केंद्रीकरण को रोकने के लिए कानून का संशोधन करना
  • राष्ट्रीय सामाजिक सहायता योजना (एनएसपी)
  • अन्योदय योजना
  • ग्रामीण आवास योजना
  • लघु किसान विकास योजना (एसएफडीपी)
  • प्रधानमंत्री रोजगार योजना
  • सूखा क्षेत्र विकास योजना (डीएडीपी)
  • नेहरू रोजगार योजना (एनआरवाई)
  • बीस अंकीय योजना
  • शहरी गरीबों के लिए स्वयं रोजगार योजना (एसईपीयूपी)
  • कार्य योजना के लिए भोजन
  • प्रधानमंत्री की एकीकृत शहरी गरीबी उन्मूलन योजना (पीएमआईयूपीईपी)
  • न्यूनतम आवश्यकता योजना (एमएनपी)

PSEB 10th Class SST Solutions Economics Chapter 1 आधारभूत धारणाएं

आधारभूत धारणाएं PSEB 10th Class Economics Notes

  1. राष्ट्रीय आय-राष्ट्रीय आय एक देश के सामान्य निवासियों की एक वर्ष में उत्पादक सेवाओं के बदले अर्जित साधन आय है।
  2. प्रति व्यक्ति आय-प्रति व्यक्ति आय देश के लोगों द्वारा निश्चित समय में अर्जित औसत आय होती है।
  3. उपभोग-एक अर्थव्यवस्था में एक वर्ष में उपभोग पर किया गया व्यय उपभोग कहलाता है।
  4. बचत-आय में से उपभोग घटाने पर जो शेष रहता है उसे बचत कहते हैं।
  5. निवेश-पूंजी स्टॉक में वृद्धि ही निवेश कहलाता है।
  6. पूंजी निर्माण-आय का वह भाग जिससे अधिक उत्पादन सम्भव होता है पूंजी निर्माण कहलाता है।
  7. छुपी हुई बेरोज़गारी-आवश्यकता से अधिक श्रमिक जब किसी कार्य में लगे होते हैं तो इस आधिक्य को छुपी हुई बेरोज़गारी कहते हैं।
  8. पूर्ण रोज़गार–पूर्ण रोजगार से अभिप्राय ऐसी अवस्था से है जिसमें वे सारे लोग जो मज़दूरी की वर्तमान दर पर काम करने के लिए तैयार हैं, बिना किसी कठिनाई के काम प्राप्त कर लेते हैं।
  9. मुद्रा-स्फीति-सामान्य कीमत स्तर में लगातार तथा अत्यन्त वृद्धि को ही मुद्रा-स्फीति कहते हैं।
  10. मुद्रा पूर्ति-सामान्यतः देश के लोगों के पास नकदी व बैंक जमाओं को ही मुद्रा पूर्ति कहते हैं।
  11. सरकारी बजट-सरकार की अनुमानित आय और व्यय का वार्षिक विवरण ही सरकारी बजट होता है।
  12. घाटे की वित्त व्यवस्था-जब सरकार बजट में घाटा दर्शाने के लिए जानबूझ कर सार्वजनिक आय और व्यय में अंतर दर्शाती है और इस घाटे को उन विधियों द्वारा पूरी करती है जिससे मुद्रा पूर्ति में वृद्धि हो तो उसे घाटे की वित्त व्यवस्था कहते हैं।
  13. सार्वजनिक वित्त-सार्वजनिक वित्त से अभिप्राय सरकार के वित्तीय साधनों अर्थात् आय और व्यय से है।
  14. प्रत्यक्ष कर-प्रत्यक्ष कर वह होता है जिसका भुगतान उस व्यक्ति द्वारा किया जाता है जिस पर इसे लगाया जाता है। जैसे आय कर।
  15. अप्रत्यक्ष कर-अप्रत्यक्ष कर वह कर होता है जिसका भुगतान किसी और व्यक्ति द्वारा होता है तथा इसे लगाया किसी और व्यक्ति पर होता है। जैसे बिक्री कर।
  16. सार्वजनिक ऋण-सार्वजनिक ऋण सरकार द्वारा व्यापारिक बैंकों, व्यापारिक संस्थाओं तथा व्यक्तियों से लिया गया ऋण होता है।
  17. निर्धनता रेखा-निर्धनता रेखा से आशय उस राशि से है जो एक व्यक्ति के लिए प्रतिमाह न्यूनतम उपभोग करने के लिए आवश्यक है।
  18. वृद्धि दर-वृद्धि दर वह प्रतिशत दर है जिससे यह पता चलता है कि एक वर्ष की तुलना में दूसरे वर्ष में राष्ट्रीय आय या प्रति व्यक्ति आय में कितने प्रतिशत परिवर्तन हुआ है।
  19. विदेशी सहायता-विदेशी सहायता से अभिप्राय विदेशी पूंजी, विदेशी ऋण तथा विदेशी अनुदान से है।
  20. भुगतान संतुलन-भुगतान संतुलन किसी देश के दूसरे देशों के साथ एक निश्चित अवधि में किए जाने वाले सभी प्रकार के आर्थिक सौदों का व्यवस्थित लेखा होता है।
  21. मौद्रिक नीति-मौद्रिक नीति वह नीति होती है जिसके द्वारा किसी देश की सरकार अथवा केन्द्रीय बैंक निश्चित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मुद्रा पूर्ति, मुद्रा की लागत या ब्याज की दर तथा मुद्रा की उपलब्धता को नियन्त्रित करती है।
  22. राजकोषीय नीति-सरकार की आय और व्यय सम्बन्धी नीति को राजकोषीय नीति कहते हैं।