PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 11 प्रशासकीय संरचना, बस्तीवादी सेना तथा सिविल प्रशासन का विकास

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 11 प्रशासकीय संरचना, बस्तीवादी सेना तथा सिविल प्रशासन का विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 11 प्रशासकीय संरचना, बस्तीवादी सेना तथा सिविल प्रशासन का विकास

SST Guide for Class 8 PSEB प्रशासकीय संरचना, बस्तीवादी सेना तथा सिविल प्रशासन का विकास Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दो :

प्रश्न 1.
ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कार्यों का निरीक्षण करने के लिए कब तथा कौन-सा एक्ट पारित किया गया?
उत्तर-
ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कार्यों का निरीक्षण करने के लिए 1773 ई० में रेग्यूलेटिंग एक्ट पारित किया गया।

प्रश्न 2.
बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल कब तथा किस एक्ट के अधीन बना? इसके कितने सदस्य थे ?
उत्तर-
बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल 1784 में पिट्स इण्डिया एक्ट के अधीन बना। इसके 6 सदस्य थे।

प्रश्न 3.
भारत में सिविल सर्विस का संस्थापक कौन था? ।
उत्तर-
सिविल सर्विस का संस्थापक लार्ड कार्नवालिस था।

प्रश्न 4.
कब तथा कौन-सा पहला भारतीय सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर सका था?
उत्तर-
सिविल सर्विस की परीक्षा पास करने वाला पहला भारतीय सतिन्द्रनाथ टैगोर था। उसने 1863 ई० में यह परीक्षा पास की थी।

प्रश्न 5.
सेना में भारतीय सैनिकों को दी जाने वाली सबसे बड़ी पदवी कौन-सी थी?
उत्तर-
सेना में भारतीय सैनिकों को दी जाने वाली सबसे बड़ी पदवी सूबेदार थी।

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प्रश्न 6.
कौन-से गवर्नर-जनरल ने पुलिस विभाग में सुधार किए तथा क्यों?
उत्तर-
पुलिस विभाग में लार्ड कार्नवालिस ने सुधार किए। इसका उद्देश्य राज्य में कानून व्यवस्था तथा शान्ति स्थापित करना था।

प्रश्न 7.
इण्डियन ला-कमीशन की स्थापना कब तथा क्यों की गई?
उत्तर-
इण्डियन ला-कमीशन की स्थापना 1833 ई० में की गई। इसकी स्थापना कानूनों का संग्रह करने के लिए की गई थी।

प्रश्न 8.
रेग्यूलेटिंग एक्ट से क्या भाव है?
उत्तर-
1773 ई० में भारत में अंग्रेज़ी ईस्ट कम्पनी के कार्यों की जांच करने के लिए एक एक्ट पास किया गया। इसे रेग्यूलेटिंग एक्ट कहते हैं। इस एक्ट के अनुसार

  • ब्रिटिश संसद् को भारत में अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कार्यों की जांच करने का अधिकार मिल गया।
  • बंगाल में गवर्नर-जनरल तथा चार सदस्यों की एक कौंसिल स्थापित की गई। इसे शासन-प्रबन्ध के सभी मामलों के निर्णय बहुमत से करने का अधिकार प्राप्त था।
  • गवर्नर-जनरल तथा उसकी कौंसिल को युद्ध, शान्ति तथा राजनीतिक संधियों के मामलों में बम्बई तथा मद्रास की सरकारों पर नियन्त्रण रखने का अधिकार था।

प्रश्न 9.
पिट्स इण्डिया एक्ट पर नोट लिखो।
उत्तर-
पिट्स इण्डिया एक्ट 1784 में रेग्यूलेटिंग एक्ट के दोषों को दूर करने के लिए पास किया गया। इसके अनुसार

  • कम्पनी के व्यापारिक प्रबन्ध को इसके राजनीतिक प्रबन्ध से अलग कर दिया गया।
  • कम्प के कार्यों को नियन्त्रित करने के लिए इंग्लैण्ड में एक बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल की स्थापना की गई। इसके 6 सदस्य थे।
  • गवर्नर-जनरल की परिषद् में सदस्यों की संख्या चार से घटा कर तीन कर दी गई।
  • मुम्बई तथा चेन्नई में भी इसी प्रकार की व्यवस्था की गई। वहां के गवर्नर की परिषद् में तीन सदस्य होते थे। ये गवर्नर पूरी तरह गवर्नर-जनरल के अधीन हो गए।

प्रश्न 10.
1858 ई० के बाद सेना में कौन-से परिवर्तन किए गए?
उत्तर-
1857 के महान् विद्रोह के पश्चात् सेना का नये सिर से गठन करना आवश्यक हो गया। अंग्रेज़ यह नहीं चाहते थे कि सैनिक फिर से कोई विद्रोह करें। इस बात को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना में निम्नलिखित परिवर्तन किए गए

  • अंग्रेज़ सैनिकों की संख्या में वृद्धि की गई।
  • तोपखाने में केवल अंग्रेजों को ही नियुक्त किया जाने लगा।
  • मद्रास (चेन्नई) तथा बम्बई (मुम्बई) की सेना में भारतीय तथा यूरोपियनों को 2 : 1 में रखा गया।
  • भौगोलिक तथा सैनिक दृष्टि से सभी महत्त्वपूर्ण स्थानों पर यूरोपियन टुकड़ियां रखी गईं।
  • अब एक सैनिक टुकड़ी में विभिन्न जातियों तथा धर्मों के लोग भर्ती किए जाने लगे ताकि यदि एक धर्म अथवा जाति के लोग विद्रोह करें तो दूसरी जाति के लोग उन पर गोली चलाने के लिए तैयार रहें।
  • अवध, बिहार तथा मध्य भारत के सैनिकों ने 1857 ई० के विद्रोह में भाग लिया था। अतः उन्हें सेना में बहुत कम भर्ती किया जाने लगा। सेना में अब गोरखों, सिक्खों तथा पठानों को लड़ाकू जाति मानकर अधिक संख्या में भर्ती किया जाने लगा।

प्रश्न 11.
न्याय व्यवस्था (अंग्रेज़ी शासन के अधीन) पर नोट लिखो।
उत्तर-
अंग्रेज़ों ने भारत में महत्त्वपूर्ण न्याय व्यवस्था स्थापित की। लिखित कानून इसकी मुख्य विशेषता थी।

  • वारेन हेस्टिंग्ज़ ने जिलों में दीवानी तथा सदर निज़ामत अदालतें स्थापित की।
  • 1773 के रेग्युलेटिंग एक्ट द्वारा कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई। इसके न्यायाधीशों के मार्ग दर्शन के लिए लार्ड कार्नवालिस ने कार्नवालिस कोड नामक एक पुस्तक तैयार करवाई।
  • 1832 में लार्ड विलियम बैंटिंक ने बंगाल में ज्यूरी प्रथा की स्थापना की।
  • 1833 ई० के चार्टर एक्ट द्वारा कानूनों का संग्रह करने के लिए ‘इण्डियन ला कमीशन’ की स्थापना की गई। सभी कानून बनाने का अधिकार गवर्नर जनरल को दिया गया।
  • देश में कानून का शासन लागू कर दिया गया। इसके अनुसार सभी भारतीयों को बिना किसी भेदभाव के कानून की नज़र में बराबर समझा जाने लगा।

इतना होने पर भारतीयों के प्रति भेदभाव जारी रहा और उन्हें कुछ विशेष अधिकारों से वंचित रखा गया। उदाहरण के लिए भारतीय जजों को यूरोपियनों के मुकद्दमे सुनने का अधिकार नहीं था। 1883 ई० में लार्ड रिपन ने इल्बर्ट बिल द्वारा भारतीय जजों को यह अधिकार दिलाने का प्रयास किया, परन्तु असफल रहा।

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. 1886 ई० में लार्ड …………….. ने 15 सदस्यों का पब्लिक सर्विस कमीशन नियुक्त किया।
2. भारतीय एवं यूरोपियों की संख्या में 2:1 का अनुपात………………..ई० के विद्रोह के उपरान्त किया गया।
3. 1773 ई० के रेग्यूलेटिंग एक्ट के अनुसार …………. में सर्वोच्च अदालत की स्थापना की गई।
उत्तर-

  1. रिपन,
  2. 1857,
  3. कलकत्ता।

III. प्रत्येक वाक्य के सामने ‘सही’ (✓) या ‘गलत’ (✗) का चिन्ह लगाएं :

1. अंग्रेजों की भारत में नई नीतियों का उद्देश्य भारत में केवल अंग्रेजों के हितों की रक्षा करना था। (✓)
2. कार्नवालिस के समय भारत में प्रत्येक थाने पर दरोगा का नियन्त्रण होता था। (✓)
3. 1773 ई० के रेग्यूलेटिंग एक्ट के अनुसार कलकत्ता में सर्वोच्च अदालत (न्यायालय) की स्थापना की गई। (✓)

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
पिट्स इंडिया एक्ट कब पारित हुआ ?
(i) 1773 ई०
(ii) 1784 ई०
(iii) 1757 ई०
(iv) 1833 ई०।
उत्तर-
1784 ई०

प्रश्न 2.
इंग्लैंड में हैली बरी कॉलेज की स्थापना कब हुई ?
(i) 1833 ई०
(ii) 1853 ई०
(iii) 1806 ई०
(iv) 1818 ई०।
उत्तर-
1806 ई०

प्रश्न 3.
बंगाल में ज्यूरी प्रथा की स्थापना किसने की ?
(i) लार्ड हार्डिंग
(ii) लार्ड कार्नवालिस
(iii) वारेन हेस्टिंग्ज़
(iv) लार्ड विलियम बैंटिंक।
उत्तर-
लार्ड विलियम बैंटिंक।

(ख) सही जोड़े बनाइए :

1. केन्द्रीय लोक सेवा कमीशन की स्थापना – 1935 ई०
2. संघीय लोक सेवा कमीशन की स्थापना – 1926 ई०
3. पृथक् विधानपालिका की स्थापना । – 1832 ई०
4. बंगाल में ज्यूरी प्रथा की स्थापना – 1853 ई०
उत्तर-

  1. 1926 ई०
  2. 1935 ई०
  3. 1853 ई०
  4. 1832 ई०

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अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अंग्रेजों की प्रशासनिक नीतियों का मुख्य उद्देश्य क्या था ?
उत्तर-
भारत में अपने हितों की रक्षा करना।

प्रश्न 2.
भारत में अंग्रेज़ी प्रशासन के मुख्य अंग (आधार ) कौन-कौन से थे ?
उत्तर-
सिविल सर्विस, सेना, पुलिस तथा न्याय व्यवस्था।

प्रश्न 3.
रेग्यूलेटिंग तथा पिट्स इंडिया एक्ट कब-कब पास हुए ?
उत्तर-
क्रमश: 1773 ई० तथा 1784 ई० में।

प्रश्न 4.
इंग्लैंड में बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल’ की स्थापना क्यों की गई ? इसके कितने सदस्य थे?
उत्तर-
इंग्लैंड में बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल की स्थापना कम्पनी के कार्यों पर नियंत्रण करने के लिए की गई। इसके 6 सदस्य थे।

प्रश्न 5.
हेलिबरी कॉलेज कब, कहां और क्यों खोला गया ?
उत्तर-
हेलिबरी कॉलेज 1806 ई० में इंग्लैंड में खोला गया। यहां भारत आने वाले सिविल सर्विस के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता था।

प्रश्न 6.
ली कमीशन की स्थापना कब की गई ? इसने क्या सिफारिश की ?
उत्तर-
ली कमीशन की स्थापना 1923 ई० में की गई। इसने केंद्रीय लोक सेवा कमीशन तथा प्रांतीय लोक सेवा कमीशन स्थापित करने की सिफ़ारिश की।

प्रश्न 7.
अंग्रेजों की भारतीयों के प्रति नीति भेदभावपूर्ण थी। इसके पक्ष में कोई दो तर्क दीजिए।
उत्तर-

  1. सिविल सर्विस, सेना तथा पुलिस में भारतीयों को उच्च पद नहीं दिए जाते थे।
  2. भारतीयों को अंग्रेजों की तुलना में बहुत कम वेतन दिया जाता था।

प्रश्न 8.
इल्बर्ट बिल क्या था ?
उत्तर-
इल्बर्ट बिल 1883 में भारत के वायसराय लार्ड रिपन ने पेश किया था। इसके द्वारा भारतीय जजों को यूरोपियनों के मुकद्दमें सुनने का अधिकार दिलाया जाना था। परन्तु यह बिल पारित न हो सका।

प्रश्न 9.
कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना किस एक्ट द्वारा की गई ?
उत्तर-
कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना 1773 ई० के रेग्यूलेटिंग एक्ट द्वारा की गई।

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प्रश्न 10.
बंगाल की ज्यूरी प्रथा की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर-
बंगाल की ज्यूरी प्रथा की स्थापना 1832 ई० में लार्ड विलियम बैंटिंक ने की।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
बंगाल में 1858 ई० से पहले सिविल सेवाओं का वर्णन करें।
उत्तर-
1858 ई० से पहले कम्पनी के अधिकतर कर्मचारी भ्रष्ट थे। वे निजी व्यापार करते थे और घूस, उपहारों आदि द्वारा खूब धन कमाते थे। क्लाइव तथा वारेन हेस्टिंग्ज़ ने इस भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहा, परन्तु वे अपने उद्देश्य में सफल न हुए। वारेन हेस्टिंग्ज़ के पश्चात् कार्नवालिस भारत आया। उसने व्यक्तिगत व्यापार पर प्रतिबन्ध लगा दिया और घूस तथा उपहार लेने की मनाही कर दी। उसने कर्मचारियों के वेतन बढ़ा दिए ताकि वे घूस आदि के लालच में न पड़ें। 1853 ई० तक भारत आने वाले अंग्रेज़ी कर्मचारियों की नियुक्ति कम्पनी के डायरैक्टर ही करते थे, परन्तु 1853 के चार्टर एक्ट के पश्चात् कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए प्रतियोगिता परीक्षा शुरू कर दी गई। इस समय तक सिविल सर्विस की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि भारतीयों को इससे बिल्कुल वंचित रखा गया।

प्रश्न 2.
लॉर्ड कार्नवालिस को सिविल सेवाओं का प्रवर्तक (मुखी) क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
कार्नवालिस से पहले भारत के अंग्रेज़ी प्रदेशों में शासन सम्बन्धी सारा कार्य कम्पनी के संचालक ही करते थे। वे कर्मचारियों की नियुक्ति अपनी मर्जी से करते थे, परन्तु कार्नवालिस ने प्रबन्ध कार्य के लिए सिविल कर्मचारियों की नियुक्ति की। उसने उनके वेतन बढ़ा दिए। लोगों के लिए सिविल सेवाओं का आकर्षण इतना बढ़ गया कि इंग्लैण्ड के ऊंचे घरों के लोग भी इसमें आने लगे। इसी कारण ही लॉर्ड कार्नवालिस को भारत में सिविल सेवाओं का प्रवर्तक कहा जाता है।

प्रश्न 3.
अंग्रेजी सेना में भारतीय और अंग्रेजों के बीच की जाने वाली भेदभावपूर्ण नीति पर नोट लिखें।
उत्तर-
कम्पनी की सेना में नियुक्त अंग्रेजों तथा भारतीयों के बीच भेदभावपूर्ण नीति अपनाई जाती थी। अंग्रेज़ सैनिकों की तुलना में भारतीयों को बहुत कम वेतन मिलता था। उनके आवास तथा भोजन का प्रबन्ध भी घटिया किस्म का होता था। भारतीय सैनिकों का उचित सम्मान नहीं किया जाता था। उन्हें बात-बात पर अपमानित भी किया जाता था। भारतीय अधिक-से-अधिक उन्नति करके सूबेदार के पद तक ही पहुंच सकते थे। इसके विपरीत अंग्रेज़ सीधे ही अधिकारी पद पर भर्ती होकर आते थे।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में अंग्रेज़ी सरकार द्वारा किए गए संवैधानिक परिवर्तनों का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
अंग्रेज़ी सरकार ने भारत में निम्नलिखित संवैधानिक परिवर्तन किए-

1. रेग्युलेटिंग एक्ट-1773 ई० में भारत में अंग्रेज़ी ईस्ट कम्पनी के कार्यों की जांच करने के लिए एक एक्ट पास किया गया। इसे रेग्यूलेटिंग एक्ट कहते हैं। इस एक्ट के अनुसार

  • ब्रिटिश संसद् को भारत में अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के कार्यों की जांच करने का अधिकार मिल गया।
  • बंगाल में गवर्नर-जनरल तथा चार सदस्यों की एक कौंसिल स्थापित की गई। इसे शासन-प्रबन्ध के सभी मामलों के निर्णय बहुमत से करने का अधिकार प्राप्त था।
  • गवर्नर-जनरल तथा उसकी कौंसिल को युद्ध, शान्ति तथा राजनीतिक संधियों के मामलों में बम्बई तथा मद्रास की सरकारों पर नियन्त्रण रखने का अधिकार था।

2. पिट्स इण्डिया एक्ट-पिट्स इण्डिया एक्ट 1784 में रेग्यूलेटिंग एक्ट के दोषों को दूर करने के लिए पास किया गया। इसके अनुसार

  • कम्पनी के व्यापारिक प्रबन्ध को इसके राजनीतिक प्रबन्ध से अलग कर दिया गया।
  • कम्पनी के कार्यों को नियन्त्रित करने के लिए इंग्लैण्ड में एक बोर्ड ऑफ़ कन्ट्रोल की स्थापना की गई। इसके 6 सदस्य थे।
  • गवर्नर-जनरल की परिषद् में सदस्यों की संख्या चार से घटा कर तीन कर दी गई।
  • बम्बई (मुम्बई) तथा मद्रास (चेन्नई) में भी इसी प्रकार की व्यवस्था की गई। वहां के गवर्नर की परिषद् में तीन सदस्य होते थे। ये गवर्नर पूरी तरह गवर्नर-जनरल के अधीन हो गए।

3. चार्टर एक्ट, 1833-

  • 1833 के चार्टर एक्ट द्वारा कम्पनी को व्यापार करने से रोक दिया गया, ताकि वह अपना पूरा ध्यान शासन-प्रबन्ध की ओर लगा सके।
  • बंगाल के गवर्नर जनरल तथा उसकी कौंसिल को भारत का गवर्नर जनरल तथा कौंसिल का नाम दिया गया।
  • देश के कानून बनाने के लिए गवर्नर जनरल की कौंसिल में कानूनी सदस्य को शामिल किया गया। प्रेजीडेंसी सरकारों से कानून बनाने का अधिकार छीन लिया गया।

इस प्रकार केन्द्रीय सरकार को बहुत ही शक्तिशाली बना दिया गया।

4. चार्टर एक्ट, 1853-1853 में एक और चार्टर एक्ट पास किया गया। इसके अनुसार कार्यपालिका को विधानपालिका से अलग कर दिया गया। विधानपालिका में कुल 12 सदस्य थे। अब कम्पनी के प्रबन्ध में केन्द्रीय सरकार का हस्तक्षेप बढ़ गया। अब वह कभी भी कम्पनी से भारत का शासन अपने हाथ में ले सकती थी।

प्रश्न 2.
भारत में अंग्रेजों के साम्राज्य के समय सिविल सर्विस व्यवस्था के बारे में संक्षिप्त वर्णन करें।।
उत्तर-
भारत में सिविल सर्विस का प्रवर्तक लार्ड कार्नवालिस को माना जाता है। उसने रिश्वतखोरी को समाप्त करने के लिए अधिकारियों के वेतन बढ़ा दिए। उन्हें निजी व्यापार करने तथा भारतीयों से भेंट (उपहार) लेने से रोक दिया गया। उसने उच्च पदों पर केवल यूरोपियनों को ही नियुक्त किया।
लार्ड कार्नवालिस के बाद 1885 तक सिविल सर्विस का विकास-

(1) 1806 ई० में लार्ड विलियम बैंटिंक ने इंग्लैण्ड में हेलिबरी कॉलेज की स्थापना की। यहां सिविल सर्विस के नव-नियुक्त अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता था। प्रशिक्षण के बाद ही उन्हें भारत भेजा जाता था।

(2) 1833 ई० के चार्टर एक्ट में कहा गया था कि भारतीयों को धर्म, जाति या रंग के भेदभाव के बिना सरकारी नौकरियां दी जायेंगी। परन्तु उन्हें सिविल सर्विस के उच्च पदों से वंचित रखा गया।

(3) 1853 ई० तक भारत आने वाले अंग्रेज़ कर्मचारियों की नियुक्ति कम्पनी के डायरेक्टर ही करते थे, परन्तु 1853 के चार्टर एक्ट के पश्चात् कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए प्रतियोगिता परीक्षा शुरू कर दी गई। यह परीक्षा इंग्लैण्ड में होती थी और इसका माध्यम अंग्रेज़ी था। परीक्षा में भाग लेने के लिए अधिकतम आयु 22 वर्ष निश्चित की गई। यह आयु 1864 में 21 वर्ष तथा 1876 में 19 वर्ष कर दी गई। सतिन्द्रनाथ टैगोर सिविल सर्विस की परीक्षा पास करने वाला पहला भारतीय था। उसने 1863 ई० में यह परीक्षा पास की थी।

(4) कम आयु में भारतीयों के लिए अंग्रेजी की यह परीक्षा दे पाना कठिन था और वह भी इंग्लैण्ड में जाकर। अतः भारतीयों ने परीक्षा में प्रवेश की आयु बढ़ाने की मांग की। उन्होंने यह मांग भी की कि परीक्षा इंग्लैंड के साथ-साथ भारत में भी ली जाये। लार्ड रिपन ने इस मांग का समर्थन किया। परंतु भारत सरकार ने यह मांग स्वीकार न की।

1886 के बाद सिविल सर्विस का विकास-

(1) 1886 ई० में वायसराय लार्ड रिपन ने 15 सदस्यों का पब्लिक सर्विस कमीशन नियुक्त किया। इस कमीशन ने सिविल सर्विस निम्नलिखित तीन भागों में बांटने की सिफारिश की

  • इंपीरियल अथवा इंडियन सिविल सर्विस-इसके लिए परीक्षा इंग्लैंड में हो।
  • प्रांतीय सर्विस-इसकी परीक्षा अलग-अलग प्रांतों में हो।
  • प्रोफैशनल सर्विस-इसके लिए कमीशन परीक्षा में प्रवेश की आयु 19 वर्ष से बढ़ा कर 23 वर्ष करने की सिफ़ारिश की।
    1892 ई० में भारत सरकार ने इन सिफ़ारिशों को मान लिया।

(2) 1918 में माँटेग्यू-चैम्सफोर्ड रिपोर्ट द्वारा यह सिफ़ारिश की गई कि सिविल सर्विस में 33% स्थान भारतीयों को दिए जाएं और धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ाई जाये। इस रिपोर्ट को भारत सरकार, 1919 द्वारा लागू किया गया।

(3) 1926 में केंद्रीय लोक सेवा कमीशन और 1935 में संघीय लोक सेवा कमीशन तथा कुछ प्रांतीय लोक सेवा कमीशन स्थापित किए गए।
यह सच है कि इंडियन सिविल सर्विस में भारतीयों को बड़ी संख्या में नियुक्त किया गया। फिर भी कुछ उच्च पदों पर प्रायः अंग्रेज़ों को ही नियुक्त किया जाता था।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 11 प्रशासकीय संरचना, बस्तीवादी सेना तथा सिविल प्रशासन का विकास

प्रश्न 3.
भारत में अंग्रेज़ी साम्राज्य के समय सैनिक, पुलिस तथा न्याय प्रबंध के बारे में संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-
अंग्रेज़ी साम्राज्य में भारत में सैनिक, पुलिस तथा न्याय प्रबंध का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है :
1. सैनिक प्रबंध-सेना अंग्रेजी प्रशासन का एक महत्त्वपूर्ण अंग थी। इसने भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की स्थापना तथा विस्तार में उल्लेखनीय योगदान दिया था। 1856 में अंग्रेज़ी सेना में 2,33,000 भारतीय तथा लगभग 45,300 यूरोपीय सैनिक शामिल थे। भारतीय सैनिकों को अंग्रेज़ सैनिकों की अपेक्षा बहुत कम वेतन तथा भत्ते दिए जाते थे। वे अधिक से अधिक सूबेदार के पद तक पहुंच सकते थे। अंग्रेज़ अधिकारी भारतीय सैनिकों से बहुत बुरा व्यवहार करते थे। इसी कारण 1857 में भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।

1857 के महान् विद्रोह के पश्चात् सेना का नये सिरे से गठन करना आवश्यक हो गया। अंग्रेज़ यह नहीं चाहते थे कि सैनिक फिर से कोई विद्रोह करें। इस बात को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना में निम्नलिखित परिवर्तन किए गए’

  • अंग्रेज़ सैनिकों की संख्या में वृद्धि की गई।
  • तोपखाने में केवल अंग्रेज़ों को ही नियुक्त किया जाने लगा।
  • उदास (चेन्नई) तथा बम्बई (मुम्बई) की सेना में भारतीय तथा यूरोपियनों को 2:1 में रखा गया।
  • भौगोलिक तथा सैनिक दृष्टि से सभी महत्त्वपूर्ण स्थानों पर यूरोपियन टुकड़ियां रखी गईं।
  • अब एक सैनिक टुकड़ी में विभिन्न जातियों तथा धर्मों के लोग भर्ती किए जाने लगे ताकि यदि एक धर्म अथवा जाति के लोग विद्रोह करें तो दूसरी जाति के लोग उन पर गोली चलाने के लिए तैयार रहें।
  • अवध, बिहार तथा मध्य भारत के सैनिकों ने 1857 ई० के विद्रोह में भाग लिया था। अतः उन्हें सेना में बहुत कम भर्ती किया जाने लगा। सेना में अब गोरखों, सिक्खों तथा पठानों को लड़ाकू जाति मानकर अधिक संख्या में भर्ती किया जाने लगा।

2. पुलिस-साम्राज्य में शांति एवं कानून व्यवस्था स्थापित करने के लिए पुलिस व्यवस्था को लॉर्ड कार्नवालिस ने एक नया रूप दिया था। उसने प्रत्येक जिले में एक पुलिस कप्तान की नियुक्ति की। जिले को अनेक थानों में बांटा गया और प्राचीन थाना-प्रणाली को नये रूप में ढाला गया। प्रत्येक थाने का प्रबंध एक दरोगा को सौंपा गया। गांवों में पुलिस का कार्य गांव के चौकीदार ही करते थे। पुलिस विभाग में भारतीयों को उच्च पदों पर नहीं लगाया जाता था। उनके वेतन भी अंग्रेजों की अपेक्षा बहुत कम थे। अंग्रेज़ पुलिस कर्मचारी भारतीयों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते थे।

3. न्याय-व्यवस्था-अंग्रेजों ने भारत में यह महत्त्वपूर्ण न्याय-व्यवस्था स्थापित की। लिखित कानून इसकी मुख्य विशेषता थी।

  • वारेन हेस्टिंग्ज़ ने जिलों में दीवानी तथा सदर निज़ामत अदालतें स्थापित की।
  • 1773 के रेग्यूलेटिंग एक्ट द्वारा कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई। इसके न्यायाधीशों के मार्गदर्शन के लिए लार्ड कार्नवालिस ने ‘कार्नवालिस कोड’ नामक एक पुस्तक तैयार करवाई।
  • 1832 ई० में लार्ड विलियम बैंटिंक ने बंगाल में ज्यूरी प्रथा की स्थापना की।
  • 1833 ई० के चार्टर एक्ट द्वारा कानूनों का संग्रह करने के लिए ‘इंडियन ला कमीशन’ की स्थापना की गई। सभी कानून बनाने का अधिकार गवर्नर जनरल को दिया गया।
  • देश में कानून का शासन लागू कर दिया गया। इसके अनुसार सभी भारतीयों को बिना किसी भेदभाव के कानून की नज़र में बराबर समझा जाने लगा।

इतना होने पर भारतीयों के प्रति भेदभाव जारी रहा और उन्हें कुछ विशेष अधिकारों से वंचित रखा गया। उदाहरण के लिए भारतीय जजों को यूरोपियनों के मुकद्दमें सुनने का अधिकार नहीं था। 1883 ई० में लार्ड रिपन ने इल्बर्ट बिल द्वारा भारतीय जजों को यह अधिकार दिलाने का प्रयास किया परंतु असफ़ल रहा।

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