PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 15 धार्मिक विकास

Punjab State Board PSEB 7th Class Social Science Book Solutions History Chapter 15 धार्मिक विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 15 धार्मिक विकास

SST Guide for Class 7 PSEB धार्मिक विकास Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
मुग़ल काल में धार्मिक व्यवस्थाएं तथा सम्प्रदायों के विकास का वर्णन करें।
उत्तर-
मुग़ल काल में मुसलमान इस्लाम धर्म को मानते थे। उनका राज्य प्रबन्ध इस्लामी सिद्धान्तों पर आधारित था। परन्तु सम्राट अकबर ने धार्मिक सहनशीलता की नीति अपनाई। उसने गैर-मुसलमानों के धार्मिक स्थानों के निर्माण पर लगे प्रतिबन्धों को समाप्त कर दिया। कहा जाता है कि अकबर ने अमृतसर की यात्रा भी की थी। अकबर के अनुसार हर धर्म अच्छा होता है। वह सूफी सन्तों के उदारवादी विचारों से बहुत प्रभावित था। उसने 1575 ई० में फतेहपुर सीकरी में एक इबादत खाना (पूजा घर) बनवाया। वहां हर वीरवार शाम को एक सभा बुलाई जाती और धार्मिक मामलों पर विचार-विमर्श किया जाता था। उसका विचार था कि सत्य को कहीं भी प्राप्त किया जा सकता है। उसने पारसी, जैन, हिन्दू और ईसाई आदि सभी धर्मों के लोगों के लिए इबादत खाने के द्वार खोल दिए। 1579 ई० में उसने एक शाही फ़रमान जारी किया, जिसमें उसने अपने आपको धार्मिक मामलों का श्रेष्ठ निर्णायक होने की घोषणा की।

अकबर ने सभी धर्मों के मूल सिद्धान्तों को एकत्रित करके एक नये धर्म ‘दीने-इलाही’ की स्थापना की। उसकी मृत्यु के बाद जहांगीर और शाहजहां ने भी उसकी धार्मिक नीति को अपनाया, परन्तु औरंगजेब ने मुग़ल साम्राज्य की बहु-धार्मिक प्रणाली को बदल दिया। इसका मुग़ल साम्राज्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा।

प्रश्न 2.
सूफ़ी लहर बारे तुम क्या जानते हो ? उसके मूल सिद्धांत कौन-से थे ?
उत्तर-
सूफी इस्लाम धर्म का रहस्यवादी रूप था। सूफ़ी सन्तों को शेख या पीर कहा जाता था। मध्य काल में उत्तरी भारत में सूफ़ी मत के बहुत से सिलसिले स्थापित हो गए थे। इनमें से चिश्ती और सुहरावर्दी सिलसिले बहुत ही लोकप्रिय थे।

चिश्ती सिलसिले की नींव अजमेर में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती ने तथा सुहरावर्दी सिलसिले की नींव मुलतान में 3 मख़दूम बहाउद्दीन जकरिया ने रखी। इन सिलसिलों के धार्मिक विश्वास भिन्न-भिन्न थे।
सूफी मत के मूल सिद्धान्त-

  1. सूफ़ी सन्त एक अल्लाह को मानते थे और किसी अन्य परमात्मा की पूजा नहीं करते थे।
  2. उनके अनुसार अल्लाह सर्वशक्तिमान और सर्वत्र है।
  3. अल्लाह को पाने के लिए वे प्रेम भावना पर बल देते थे।
  4. अल्लाह की प्राप्ति के लिए वे पीर या गुरु का होना भी अनिवार्य मानते थे।
  5. वे संगीत में विश्वास रखते थे और संगीत द्वारा अल्लाह को प्रसन्न करने का प्रयास करते थे।
  6. वे अन्य धर्मों का भी सत्कार करते थे।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 15 धार्मिक विकास

प्रश्न 3.
हिन्दू धर्म के बारे आप क्या जानते हो?
उत्तर-
दिल्ली सल्तनत काल में हिन्दू धर्म में अन्य बहुत से मत उत्पन्न हो गये थे। इनमें शैव मत, वैष्णव मत, जोगी आदि शामिल थे।

  1. शैव मत-9वीं सदी में भारत में शंकराचार्य ने शैव मत की स्थापना की। उनके अनुयायियों को शैव कहा जाता
  2. वैष्णव मत-वैष्णव मत के अनुयायी भगवान विष्णु के अवतारों श्री राम और श्री कृष्ण की पूजा करते थे। श्री राम की पूजा करने वालों में रामानन्द जी और श्री कृष्ण की पूजा करने वालों में चैतन्य महाप्रभु विख्यात थे।

प्रश्न 4.
भक्ति लहर सम्बन्धी आप क्या जानते हो? उसके मूल सिद्धान्तों सम्बन्धी लिखिए।
उत्तर-
मध्यकालीन भारत में भक्ति लहर नामक एक प्रसिद्ध धार्मिक लहर चली। इस लहर के सभी प्रचारक मुक्ति पाने के लिए प्रभु-भक्ति पर जोर देते थे। अतः इस लहर को भक्ति लहर कहा जाने लगा।
भक्ति लहर के मूल सिद्धान्त

  1. एक ही परमात्मा में विश्वास रखना।
  2. गुरु में श्रद्धा रखना।
  3. आत्म-समर्पण करना।
  4. जाति-पाति में विश्वास न रखना।
  5. खोखले रीति-रिवाजों से बचना।
  6. शुद्ध जीवन व्यतीत करना।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 15 धार्मिक विकास

प्रश्न 5.
श्री गुरु नानक देव जी के भक्ति लहर में योगदान संबंधी लिखें।
उत्तर-
श्री गुरु नानक देव जी भक्ति लहर के महान् सन्त थे। आप सिख धर्म के संस्थापक थे। आप का जन्म 1469 ई० में राय भोई की तलवण्डी में हुआ था। आजकल यह स्थान पाकिस्तान में स्थित है और इसे ननकाना साहिब कहा जाता है।

श्री गुरु नानक देव जी एक ही परमात्मा की भक्ति करने में विश्वास रखते थे। उनका विश्वास था कि परमात्मा सर्वशक्तिमान् तथा सर्वव्यापी है। वह निराकार है और सबसे महान् है। गुरु नानक देव जी परमात्मा को ही सच्चा गुरु मानते थे।

गुरु नानक देव जी ने समाज में फैले अन्ध-विश्वास, मूर्ति-पूजा, जाति-पाति के भेदभाव, तीर्थ-यात्रा और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का विरोध किया। उनकी शिक्षाएं श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी में अंकित हैं।

प्रश्न 6.
भारत के प्रमुख भक्ति लहर के संतों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. रामानुज
  2. रामानन्द
  3. संत कबीर
  4. श्री गुरु नानक देव जी
  5. नामदेव जी
  6. गुरु रविदास जी
  7. चैतन्य महाप्रभु
  8. मीराबाई।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 15 धार्मिक विकास

प्रश्न 7.
सिख पंथ के मुख्य नियमों के बारे में लिखो।
उत्तर-
सिख पंथ के मूल सिद्धान्त निम्नलिखित हैं –

  1. परमात्मा एक है।
  2. परमात्मा सृष्टि की रचना करने वाला है।
  3. सभी मनुष्य समान हैं।
  4. परमात्मा सर्वशक्तिमान तथा सर्व-व्यापक है।
  5. ‘हउमै’ (अहंकार) का त्याग करें।
  6. गुरु महान् है।
  7. (सत) नाम का सिमरन करना चाहिए।
  8. खोखले रीति-रिवाज़ों में विश्वास नहीं रखना चाहिए।
  9. जाति-पाति का भेदभाव व्यर्थ है।
  10. मनुष्य को शुद्ध जीवन व्यतीत करना चाहिए।

(ख) निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति करो

  1. …………… की शिक्षाएँ आदि ग्रन्थ साहिब में शामिल हैं।
  2. ………….. द्वारा एक नये धर्म दीन-ए-इलाही की स्थापना की गई।
  3. सन्त कबीर …………….. के अनुयायी थे।
  4. भक्ति लहर के सन्तों ने लोगों की …………….. में प्रचार किया।
  5. श्री गुरु नानक देव जी सिख धर्म के …………… थे।
  6. हज़रत ख्वाजा मुईनुद्दीन का जन्म …………… में हुआ।
  7. …………….. खालसा पंथ की स्थापना 1699 ई० में की।

उत्तर-

  1. श्री गुरु नानक देव जी
  2. अकबर
  3. सन्त रामानन्द
  4. भाषा
  5. संस्थापक
  6. मध्य एशिया
  7. श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 15 धार्मिक विकास

(ग) निम्नलिखित प्रत्येक कथन के आगे ठीक(✓) अथवा गलत (✗) का चिह्न लगाएं

  1. श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने खालसा पंथ की नींव रखी थी।
  2. चिश्ती तथा सुहरावर्दी प्रमुख सूफी सिलसिले नहीं थे।
  3. निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह अजमेर में स्थित है।
  4. चैतन्य महाप्रभु तथा मीराबाई ने राम भक्ति को लोकप्रिय किया।
  5. आलवारों ने शैव मत के भक्ति गीतों को लोकप्रिय किया।
  6. श्री गुरु नानक देव जी ने लंगर प्रथा प्रचलित की।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✗)
  4. (✗)
  5. (✗)
  6. (✓)

(घ) निम्नलिखित का मिलान कीजिए

कालम ‘क’ – कालम ‘ख’

  1. रविदास जी का जन्म – 1. 570 ई० में मक्का में हुआ।
  2. श्री गुरु नानक देव जी का जन्म – 2. इलाहाबाद में हुआ।
  3. रामानन्द जी का जन्म – 3. तमिल ब्राह्मण थे।
  4. रामानुज एक – 4. 1486 ई० में बंगाल के नदियां गांव में हुआ।
  5. चैतन्य महाप्रभु का जन्म – 5. बनारस में हुआ।
  6. पैगम्बर मुहम्मद का जन्म – 6. 15 अप्रैल, 1469 ई० को राय भोई की तलवंडी में हुआ था।

उत्तर-

  1. रविदास जी का जन्म – बनारस में हुआ।
  2. श्री गुरु नानक देव जी का जन्म – 15 अप्रैल, 1469 ई० को राय भोई की तलवंडी में हुआ था।
  3. रामानन्द जी का जन्म – इलाहाबाद में हुआ।
  4. रामानुज एक – तमिल ब्राह्मण थे।
  5. चैतन्य महाप्रभु का जन्म – 1486 ई० में बंगाल के नदियां गांव में हुआ।
  6. पैगम्बर मुहम्मद का जन्म – 570 ई० में मक्का में हुआ।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 15 धार्मिक विकास

PSEB 7th Class Social Science Guide धार्मिक विकास Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
मध्यकाल में उत्तरी भारत में हुए धार्मिक तथा साम्प्रदायिक विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मध्य युग में विशेष कर राजपूत लोग हिन्दू धर्म को मानते थे। इस धर्म में अनेक देवी-देवताओं की पूजा की जाती थी। राजपूत काल में इस धर्म ने बहुत उन्नति की।

उत्तरी भारत में शैवमत और वैष्णव मत दोनों ही बहुत लोकप्रिय थे। शैव मत को मानने वाले लोग भगवान् शिव और माता दुर्गा आदि की तथा वैष्णव मत को मानने वाले भगवान् विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते थे। शक्ति मत के अनुयायी भी अनेक देवी-देवताओं की पूजा करते थे। वे देवी पार्वती, दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, चण्डी और अम्बिका आदि की पूजा करते थे।
इस काल में भारत में बौद्ध धर्म और जैन धर्म का प्रभाव बहुत कम हो गया था।

प्रश्न 2.
दक्षिणी भारत में धार्मिक व्यवस्था तथा सम्प्रदाय का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर-
मुख्य धर्म-मध्य काल में दक्षिण भारत में अधिकतर लोग हिन्दू धर्म को मानते थे। वे हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा करते थे। दक्षिण भारत के बहुत से राजा बौद्ध धर्म और जैन धर्म के संरक्षक थे। इस समय में भारत में ईसाई और इस्लाम धर्म भी प्रचलित थे।

धार्मिक सम्प्रदाय-इस काल में भारत में कई धार्मिक लहरों का जन्म हुआ। आलवार और नाइनार सन्तों ने अपनेअपने मत का प्रचार किया। नाइनार मत के अनुयायी शिवजी की प्रशंसा में भजन गाकर अपने मत का प्रचार करते थे, जबकि आलवार सन्त भगवान विष्णु के अनुयायी थे। वे विष्णु की प्रशंसा में भक्ति-गीत गाकर अपने मत का प्रचार करते थे।
सभी धार्मिक सम्प्रदायों में से लिंगायत सम्प्रदाय बहुत लोकप्रिय था। इस सम्प्रदाय के अनुयायी शिवलिंग की पूजा करते थे।

महान सन्त-मध्यकाल में भारत में कुछ महान् सन्त हुए। उन्होंने लोगों को मुक्ति की प्राप्ति के लिए ज्ञान मार्ग पर चलने का सन्देश दिया। उस समय के प्रसिद्ध सन्त शंकराचार्य ने अद्वैत दर्शन का सन्देश दिया, जिसका अर्थ है कि परमात्मा और उसकी रचना एक है। दक्षिण भारत में रामानुज भक्ति लहर के एक अन्य महान् सन्त थे। वे तमिल ब्राह्मण थे। उन्होंने अपने शिष्यों को भक्ति मार्ग का उपदेश दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि प्रभु की भक्ति करने के लिए प्रेम और श्रद्धा का होना बहुत आवश्यक है।

माधव दक्षिण भारत के कृष्ण-भक्ति के उपासक थे। उन्होंने 13वीं सदी में वैष्णव मत का प्रचार किया। उनका मानना था कि ज्ञान, कर्म एवं भक्ति मुक्ति प्राप्त करने के तीन महत्त्वपूर्ण साधन हैं। उन्होंने लोगों को पवित्र जीवन व्यतीत करने का उपेदश दिया।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 15 धार्मिक विकास

प्रश्न 3.
भक्ति लहर के प्रमुख सन्तों का संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर-
मध्यकाल में भारत के विभिन्न भागों में कई सन्तों का जन्म हुआ। इनमें से सन्त रामानुज, रामानन्द, कबीर, रविदास, श्री गुरु नानक देव जी और चैतन्य महाप्रभु आदि मुख्य हैं।
1. रामानुज-सन्त रामानुज दक्षिण भारत में वैष्णव मत के महान् प्रचारक थे। वे तमिल ब्राह्मण थे। वे अपने शिष्यों को विष्णु की पूजा करने का उपदेश देते थे। उन्होंने जाति-पाति का विरोध किया।

2. रामानन्द-रामानन्द जी का जन्म प्रयाग (इलाहाबाद) के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। वह 14वीं सदी में रामभक्ति के प्रमुख प्रचारक थे। आप राघवानन्द के अनुयायी थे। आप ने राम और सीता की पूजा करने का उपदेश दिया। रामानन्द जी ने समाज में प्रचलित अन्ध-विश्वासों की निन्दा की। आप प्रथम भक्ति सुधारक थे, जिन्होंने महिलाओं को भी अपने मत में शामिल किया।

3. सन्त कबीर-सन्त कबीर भक्ति लहर के महान् प्रचारक थे। एक निर्धन जुलाहा परिवार में जन्म लेने के कारण कबीर जी उच्च शिक्षा प्राप्त न कर सके। अत: कबीर जी ने जुलाहे का व्यवसाय अपना लिया। आप महान् सन्त रामानन्द जी के अनुयायी थे। आप ने लोगों को एक ही परमात्मा की भक्ति और परस्पर भातृभाव पैदा करने का सन्देश दिया। आपने समाज में प्रचलित मूर्ति-पूजा, जाति-पाति, बाल-विवाह और सती-प्रथा की निन्दा की। कबीर जी के शब्द (दोहे) श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी में भी विद्यमान हैं।

4. श्री गुरु नानक देव जी-श्री गुरु नानक देव जी पंजाब के प्रमुख भक्ति सन्त थे। आप जी ने एक परमात्मा की भक्ति करने तथा नाम सिमरन पर बल दिया। आपने बताया कि परमात्मा निराकार, सर्वशक्तिमान् तथा सर्वव्यापी है।

5. नामदेव-नामदेव जी महाराष्ट्र के सबसे प्रसिद्ध सन्त थे। उन्होंने लोगों को सन्देश दिया कि परमात्मा निराकार, सर्वशक्तिमान् और सर्व-व्यापक है। उन्होंने लोगों को शुद्ध जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने जाति-पाति, तीर्थयात्रा, मूर्ति-पूजा, यज्ञ, बलि और व्रत रखने का कड़ा विरोध किया। उनके भजनों को श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी में स्थान दिया गया है।

6. गुरु रविदास जी-गुरु रविदास जी का जन्म बनारस में हुआ था। आप एक परमात्मा की भक्ति में विश्वास रखते थे। आपने लोगों को बताया कि परमात्मा सर्व-व्यापक है। वह सबके हृदय में निवास करता है। आप ने नाम का जाप करने र मन की शुद्धि पर बल दिया। आप ने तीर्थ यात्रा, मूर्ति पूजा, व्रत रखने और जाति-पाति का खण्डन किया। आप की ईश्वर के प्रति सच्ची भक्ति और उपदेशों से प्रभावित होकर अनेक लोग गुरु रविदास जी के अनुयायी बन गए।

7. चैतन्य महाप्रभु-चैतन्य महाप्रभु एक महान् भक्ति सन्त थे। उनका जन्म 1486 ई० में बंगाल के नदिया नामक गांव में हुआ। वे एक परमात्मा की भक्ति करने में विश्वास रखते थे। जिसे वे कृष्ण जी कहते थे। उन्होंने जाति-पाति का खण्डन किया और लोगों को परस्पर भातृ-भाव और प्रेम का सन्देश दिया। उन्होंने कीर्तन प्रथा आरम्भ की। उन्होंने बंगाल, असम और उड़ीसा में वैष्णव मत का प्रचार किया।

8. मीराबाई-मीराबाई श्री कृष्ण जी की भक्त थी। वे भक्ति के गीत रचती थीं और गाती थीं। उन्होंने भगवान कृष्ण की प्रशंसा में बहुत-सी रचनाएं लिखी हैं। उन्होंने भजनों द्वारा कृष्ण-भक्ति का प्रचार किया।

प्रश्न 4.
सिख धर्म के उदय एवं विकास के बारे में बताइए।
उत्तर-
सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी थे। सिख दस सिख गुरुओं-श्री गुरु नानक देव जी, श्री गुरु अंगद देव जी, श्री गुरु अमरदास जी, श्री गुरु रामदास जी, श्री गुरु अर्जन देव जी, श्री गुरु हरगोबिन्द जी, श्री गुरु हरिराय जी, श्री गुरु हरिकृष्ण जी, श्री गुरु तेग़ बहादुर जी तथा श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के अनुयायी हैं।

सिख गुरुद्वारों में पूजा करते हैं। श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी उनका प्रमुख धार्मिक ग्रन्थ है। श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी ने सिखों को पांच ककार-केस, कंघा, कड़ा, कछहरा और किरपान-धारण करने का आदेश दिया। ज्योति-ज्योत समाने से पहले उन्होंने सिखों को आदेश दिया कि वे श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी को ही अपना गुरु मानें।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 15 धार्मिक विकास

प्रश्न 5.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त नोट लिखो –
(अ) श्री गुरु नानक देव जी की उदासियां या यात्राएं
(ब) इस्लाम धर्म के मूल सिद्धान्त।
उत्तर-
(अ) श्री गुरु नानक देव जी की उदासियां तथा यात्राएं-

  1. गुरु नानक देव जी ने ज्ञान-प्राप्ति के बाद भटकी हुई मानवता को सही मार्ग दिखाने के लिए अपनी यात्राएं (उदासियां) आरम्भ की। अपनी पहली उदासी में वह सय्यदपुर, तालुंबा, कुरुक्षेत्र, पानीपत, हरिद्वार, बनारस, गया, कामरूप, ढाका और जगन्नाथ पुरी आदि स्थानों पर गए।
  2. दूसरी उदासी में उन्होंने दक्षिण भारत और श्रीलंका की यात्रा की।
  3. तीसरी उदासी में गुरु साहिब कैलाश पर्वत, लद्दाख, हसन अब्दाल आदि की यात्रा करके लौट आए।
  4. चौथी उदासी में आप ने मक्का, मदीना, बगदाद तथा सय्यदपुर की यात्रा की।
    इसके बाद गुरु जी करतारपुर में आकर रहने लगे। अब वह बाहर जाने की बजाय पंजाब में ही धर्म-प्रचार करते रहे। कई इतिहासकारों ने इसे गुरु साहिब की पांचवीं उदासी कहा है।

(ब) इस्लाम धर्म के मूल सिद्धान्त-इस्लाम धर्म के मुख्य सिद्धान्त निम्नलिखित हैं-

  1. अल्लाह के सिवा अन्य कोई परमात्मा नहीं है और मुहम्मद उसका पैगम्बर है।
  2. प्रत्येक मुसलमान को हर रोज़ पांच बार नमाज़ पढ़नी चाहिए।
  3. प्रत्येक मुसलमान को रमजान के महीने में रोज़े रखने चाहिएं।
  4. प्रत्येक मुसलमान को अपने जीवन काल में कम-से-कम एक बार मक्का की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।
  5. प्रत्येक मुसलमान को अपनी नेक कमाई में से ज़कात (दान) देना चाहिए।

प्रश्न 6.
श्री गुरु नानक देव जी के जीवन, शिक्षाओं तथा अन्य कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
श्री गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 ई० को राई-भोई की तलवण्डी में हुआ था। इसे आजकल ननकाना साहिब कहा जाता है। उनके पिता मेहता काल, राय भोई की तलवंडी के पटवारी थे। उनकी माता जी का नाम तृप्ता जी था, जो धार्मिक विचारों वाली महिला थी। उनकी एक बहन थी, जिनका नाम नानकी था।

श्री गुरु नानक देव जी का आरम्भ से ही पढ़ाई और सांसारिक कार्यों में मन नहीं लगता था। इसलिए आप के पिता जी ने आप का विचार बदलने के लिए बटाला निवासी श्री मूल चन्द की पुत्री बीबी सुलक्खणी के साथ आप का विवाह कर दिया। उस समय आप की आयु 14 वर्ष की थी। आप के यहां दो पुत्रों ने जन्म लिया जिनके नाम श्री चन्द तथा लक्ष्मी दास थे।

विवाह के बाद गुरु नानक देव जी अपनी बहन नानकी जी के पास सुल्तानपुर चले गए। वहां उन्हें दौलत खान के मोदीखाने में नौकरी मिल गई। सुल्तानपुर में गुरु जी प्रतिदिन सुबह ‘वेई’ नदी में स्नान करने के लिए जाया करते थे। एक दिन जब वे वेईं में स्नान करने के लिए गये, तो तीन दिन तक नदी से बाहर ही नहीं निकले। इन तीन दिनों में उन्हें सच्चे ज्ञान की प्राप्ति हुई। ज्ञान-प्राप्ति के बाद गुरु जी ने ये शब्द कहे –

“न को हिन्दू न को मुसलमान”

उदासियां-गुरु नानक देव जी ने लोगों को धर्म का सही मार्ग दिखाने के लिए भारत के विभिन्न भागों की यात्राएं की। इन यात्राओं को उनकी उदासियां कहा जाता है। गुरु जी के सादा जीवन तथा सरल उपदेश से प्रभावित होकर अनेक लोग उनके अनुयायी बन गए।
शिक्षाएं-गुरु नानक देव जी की मुख्य शिक्षाएं इस प्रकार हैं –

  1. परमात्मा एक है। वह परमात्मा निर्गुण एवं सगुण है। वह परमात्मा सर्वशक्तिमान् एवं सर्व-व्यापक है।
  2. परमात्मा निराकार तथा दयालु है।
  3. मनुष्य को हउमैं (अहंकार) का त्याग कर देना चाहिए।
  4. नाम के जाप का जीवन में बहुत महत्त्व है।
  5. गुरु का स्थान बहुत ऊंचा है।
  6. भ्रातृ-भाव में विश्वास।
  7. मनुष्य को सदाचारी जीवन व्यतीत करना चाहिए।
  8. गुरु साहिब ने जाति-पाति तथा खोखले रीति-रिवाजों का खंडन किया।

श्री गुरु नानक देव जी करतारपुर में-गुरु जी ने अपने जीवन के अन्तिम 18 साल करतारपुर में व्यतीत किए। उन्होंने 1539 ई० में ज्योति जोत समा जाने से पूर्व भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
वाणी-गुरु साहिब ने ‘जपुजी साहिब’, ‘वार मांझ’, ‘आसा दी वार’, ‘सिद्ध गोष्ट’, ‘वार मल्हार’, ‘बारह माह’ आदि प्रसिद्ध वाणियों की रचना की।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 15 धार्मिक विकास

सही उत्तर चुनिए :

प्रश्न 1.
इस्लाम धर्म के संस्थापक कौन थे?
(i) अकबर
(ii) हज़रत मुहम्मद
(iii) कबीर जी।
उत्तर-
(ii) हज़रत मुहम्मद।

प्रश्न 2.
सूफी संतों में सबसे प्रसिद्ध एक चिश्ती शेख थे। निम्नलिखित में से उनका नाम क्या था?
(i) ख्वाजा मुइनुद्दीन
(ii) बाबा फ़रीद
(iii) निजामुद्दीन औलिया।
उत्तर-
(i) ख्वाजा मुइनुद्दीन।

प्रश्न 3.
दो सिक्ख गुरु शहीदी को प्राप्त हुए थे। इनमें से एक थे –
(i) श्री गुरु रामदास जी
(ii) श्री गुरु गोबिंद सिंह जी
(iii) श्री गुरु तेग बहादुर जी।
उत्तर-
(iii) श्री गुरु तेग बहादुर जी।

PSEB 7th Class Social Science Solutions Chapter 15 धार्मिक विकास

धार्मिक विकास PSEB 7th Class Social Science Notes

  • विश्व के प्रमुख धर्म – हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, पारसी धर्म, ईसाई धर्म, इस्लाम धर्म, सिख धर्म आदि संसार के प्रमुख धर्म हैं।
  • इस्लाम धर्म – इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हज़रत मुहम्मद थे। मुहम्मद साहिब के उत्तराधिकारियों को खलीफ़ा कहा जाता था।
  • सिख धर्म – सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी थे। उनके पश्चात् 9 अन्य गुरु साहिबान ने सिख पंथ का विकास किया। श्री गुरु ग्रन्थ साहिब इस धर्म का पवित्र ग्रन्थ है।
  • सूफी मत – सूफ़ी मत इस्लाम धर्म का उदार रूप था। इसके धार्मिक नेता पीर कहलाते थे। वे काले रंग के कम्बल का प्रयोग करते थे जिसे सूफ़ी कहा जाता है। इसलिए ये पीर सूफ़ी कहलाये। सूफ़ियों के कई सिलसिले थे।
  • भक्ति आन्दोलन – मध्य युग में भारत में धर्म सुधार की एक लहर चली जिसे भक्ति आन्दोलन का नाम दिया जाता है। इस आन्दोलन की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इसका प्रचार सारे भारत में किसी एक महापुरुष ने नहीं किया, बल्कि विभिन्न प्रदेशों में इसका प्रचार अलग-अलग सन्तों ने किया। परन्तु फिर भी भारत में भक्ति लहर के सिद्धान्त एक समान थे।
  • हिन्दू धर्म – हिन्दू धर्म के मुख्य धार्मिक मत शैवमत तथा वैष्णव मत थे। शैवमत की स्थापना 9वीं शताब्दी में शंकराचार्य ने की थी। वैष्णव मत के प्रमुख प्रचारक रामानन्द जी तथा चैतन्य महाप्रभु थे।

Leave a Comment