PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 परोपकार

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 10 परोपकार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 10 परोपकार

Hindi Guide for Class 7 PSEB परोपकार Textbook Questions and Answers

(क) भाषा-बोध

1. शब्दार्थ

सराहना = प्रशंसा करना
दयावान = दयालु
द्रवित = पिघलना
नि:स्वार्थ = स्वार्थ से रहित
वेदना = पीड़ा, कष्ट, दुःख
उदार = दाता, दयालु
ऊर्जा = शक्ति
वरुण = जल का देवता
स्तुति = पूजा
सम्पदा = दौलत, सम्पत्ति
परहित = दूसरों का भला
तरुवर = श्रेष्ठवृक्ष
सरवर = सरोवर
सहर्ष = खुशी-खुशी
तृप्ति = सन्तोष, तसल्ली
भूस्खलन = भूकंप
मूसलाधार = लगातार ज़ोर की वर्षा
विपत्ति = मुसीबत
कर्म = कार्य
शोकग्रस्त = दुःख से पीड़ित
नेक = अच्छे

2. इन मुहावरों और शब्दों का वाक्यों में प्रयोग करें :

फूले न समाना ______________ ______________________
हक्के-बक्के होना ________________ ______________________
मूसलाधार ______________ _____________________
प्राचीन ________________ ______________________
ऊर्जा __________________ __________________
सहानुभूति _________________ ______________________
महर्षि ____________ _________________
बलिदान ________________ ___________________
उत्तर:
फूले न समाना (बहुत प्रसन्न होना) – परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सुजाता फूली नहीं समा रही थी।
हक्के-बक्के होना (हैरान होना) – दीदी ने जब बच्चों की शरारत पकड़ ली, तो वे हक्के-बक्के रह गए।
मूसलाधार (बहुत तेज़) – बाहर मूसलाधार वर्षा हो रही है।
प्राचीन (पुराना) – दिल्ली में पांडवों के ज़माने का एक प्राचीन किला है।
ऊर्जा (गर्मी, शक्ति) – सूर्य हमें ऊर्जा प्रदान करता है।
सहानुभूति (हमदर्दी) – हमें दीन-दुखियों से सहानुभूति होनी चाहिए।
महर्षि (महान् ऋषि) – महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की थी।
बलिदान (कुर्बानी) – वीर मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना बलिदान दे देते हैं।

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3. विपरीत अर्थ वाले शब्द लिखें:

उपकार = ………………..
परहित = ………………..
दयालु = ………………..
उदार = ……………….
देवता = ……………….
सुर = ………………….
उत्साह = ……………..
उत्तर-शब्द विपरीत शब्द
उपकार अपकार
परहित = स्वहित
दयालु = क्रूर
उदार = अनुदार
देवता = दानव
सुर = असुर
उत्साह = निरुत्साह

4. मन, वाणी और कर्म से परोपकार के कोई दो-दो उदाहरण लिखें:
मन = _____________ , _______________
वाणी = ____________ , _______________
कर्म = ____________ , ________________
उत्तर:
मन से बीमार की सेवा करना, दुखी को दिलासा देना।
वाणी से अच्छे बोल बोलना, निराश को उत्साहित करना।
कर्म से अपंगों-अंधों को सहारा देना, पढ़ाई में पिछड़े साथियों की सहायता करना।

5. प्रयोगात्मक व्याकरण

(1) पर + उपकार = परोपकार
अ + उ = ओ
सुर + ईश = सुरेश
अ + ई = ए
महा + ऋषि = महर्षि
आ + ऋ = अर्
अतः ‘अ’ और ‘आ’ स्वरों के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ ‘उ’, ‘इ’ या ‘ऋ’ स्वर आते हैं तो दोनों के स्थान पर क्रमशः ‘ओ’, ‘ए’ तथा ‘अर्’ हो जाता है। इसे गुण संधि कहते हैं।
नीचे लिखे शब्दों की संधि करें।
सर्व + उत्तम = …………………….
महा + ईश = …………………….
नर + ईश = ………………….
शुभ + इच्छा = …………………
परम + ईश्वर = …………………..
सप्त + ऋषि
उत्तर: संधि
सर्व + उत्तम = सर्वोत्तम
महा + ईश = महेश
नर + ईश = नरेश
शुभ + इच्छा = शुभेच्छा
परम + ईश्वर = परमेश्वर
सप्त + ऋषि = सप्तर्षि

(2) नि:स्वार्थ = निस्स्वार्थ

विसर्ग के बाद ‘स’ होने से विसर्ग को ‘स्’ हो गया तथा शब्द बन गया। निस्स्वार्थ। यह विसर्ग संधि का उदाहरण है।

6. निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह करें

समस्त पद विग्रह समास का नाम
राष्ट्रपति …………. ………………
पशुपक्षी …………. ……………….
रोगपीड़ित ……………. ………………….
शोकग्रस्त …………….. ……………….
पाप-पुण्य ………….. …………………..
उत्तर:
समस्त पद विग्रह समास का नाम
राष्ट्रपति राष्ट्र का पति तत्पुरुष
पशुपक्षी पशु और पक्षी द्वंद्व
रोगपीड़ित रोग से पीड़ित तत्पुरुष
शोकग्रस्त शोक से ग्रस्त तत्पुरुष
शरीरत्याग शरीर का त्याग तत्पुरुष
पाप-पुण्य पाप और पुण्य द्वंद्व

(ख) विचार-बोध

1. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें:

प्रश्न 1.
अब्राहम लिंकन ने सुअर को कीचड़ में फंसा हुआ देखकर क्या किया ?
उत्तर:
अब्राहम लिंकन सुअर को कीचड़ में फंसा हुआ देखकर उसे कीचड़ से बाहर निकालने के लिए पहने हुए कपड़ों सहित कीचड़ में कूद गया।

प्रश्न 2.
सीनेट के सदस्यों ने लिंकन की सराहना क्यों की ?
उत्तर:
सीनेट के सदस्यों ने लिंकन की सराहना इसलिए की क्योंकि उसने अपनी परवाह न करते हुए कीचड़ में फंसे हुए सुअर को बाहर निकाल दिया था।

प्रश्न 3.
राष्ट्रपति ने अपनी प्रशंसा सुनकर क्या उत्तर दिया ?
उत्तर:
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने सुअर पर दया नहीं की बल्कि उसे कीचड़ में फंसा देखकर उन्हें बहुत कष्ट हुआ था, इसलिए उसे बाहर निकाला।

प्रश्न 4.
महर्षि वेद व्यास ने परोपकार का महत्त्व कैसे बताया है ?
उत्तर:
महर्षि वेद व्यास ने परोपकार को सबसे बड़ा पुण्य और परपीड़ा को सब से बड़ा पाप माना है।

प्रश्न 5.
प्राचीन काल में सूर्य, अग्नि आदि को देवता क्यों मानते थे ?
उत्तर:
प्राचीन काल में सूर्य, अग्नि आदि को देवता इसलिए मानते थे क्योंकि वे प्राकृतिक पदार्थों को नि:स्वार्थ भाव से दान में देते थे।

प्रश्न 6.
परोपकारी मनुष्य का लक्ष्य क्या होता है ?
उत्तर:
परोपकारी मनुष्य का लक्ष्य सदा बिना किसी स्वार्थ और भेदभाव के दूसरों का उपकार करना होता है।

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प्रश्न 7.
प्राचीन काल के तीन महान् दानियों के नाम बताइए।
उत्तर:
प्राचीनकाल के तीन महादानी महर्षि दधीचि, महाराज शिवि और दानवीर कर्ण है।

प्रश्न 8.
धन की कौन-सी तीन गतियाँ होती हैं ?
उत्तर:
धन की तीन गतियाँ-दान, भोग और नाश हैं।

2. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें:

प्रश्न 1.
प्रकृति का स्वभाव दूसरों का उपकार करना है।
उत्तर:
प्रकृति बिना किसी स्वार्थ के सबका सदा उपकार करती है। सूर्य ऊर्जा देता है, नदियाँ जल देती हैं, शीतल हवा बहती है। वृक्ष अपने फल और छाया देते हैं। धरती अन्न पैदा करके हमारा पोषण करती है। इस प्रकार प्रकृति का स्वभाव ही दूसरों का उपकार करना है।

प्रश्न 2.
परोपकार में सबसे बड़ी बाधा लालच है |
उत्तर:
परोपकार करने में लालच बाधक बनता है। मनुष्य धन कमाने की लालसा में सदा लगा रहता है। सौ वाला हज़ार, हज़ार वाला लाख और लाखों वाला करोड़ चाहता है। इसी लालच में फंस कर वह परोपकार नहीं करता क्योंकि परोपकार करने में उसका धन खर्च हो जाएगा। वह अपनों को भी पराया कर देता है और उसका जीवन नरक बन जाता
है।

प्रश्न 3.
धन से ही नहीं, प्रत्येक व्यक्ति अपने ढंग से परोपकार कर सकता है। इस पंक्ति की अपने शब्दों में उदाहरण देकर व्याख्या करें।
उत्तर:
परोपकार केवल धन से ही नहीं, मन, वचन और कर्म से भी किया जा सकता है। दुःखियों के प्रति सहानुभूति दिखा कर तथा अपंगों को सहारा दे कर परोपकार किया जा सकता है। पढ़ाई में पिछड़े साथियों को सहयोग देकर तथा निराश व्यक्ति को उत्साहित करना भी परोपकार है। बीमार की सेवा करना भी परोपकार है।

(ग) भाव-बोध

प्रश्न 1.
तब ही लग जीवो भले, दीबो परै न धीम।
महान् कवि रहीम के इस कथन से उनके जीवन (दान-महिमा/दयनीय दशा) पर प्रकाश पड़ता है-अपने शब्दों में स्पष्ट करें।
उत्तर:
इस कथन से कवि यह कहना चाहता है कि मनुष्य का जीना तब तक सफल है तब तक वह दान देता रहता है क्योंकि दान देने से धन कभी कम नहीं होता, इसलिए धन दान देना चाहिए।

प्रश्न 2.
परहित सरिस धरम नहि भाई।
इस कथन को स्पष्ट करें।
उत्तर:
इस कथन का अर्थ है कि हे भाई! इस संसार में दूसरे का कल्याण करने से बढ़ कर कोई धर्म नहीं है, इसलिए परोपकार करते रहो।

PSEB 7th Class Hindi Guide परोपकार Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उचित विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1.
सबसे बड़ा धर्म किसे माना जाता है ?
(क) लड़ाई
(ख) ईर्ष्या
(ग) परोपकार
(घ) संघर्ष
उत्तर:
(ग) परोपकार

प्रश्न 2.
राष्ट्रपति लिंकन कहाँ जा रहे थे ?
(क) सीनेट
(ख) संसद
(ग) विधानसभा
(घ) विधान परिषद्
उत्तर:
(क) सीनेट

प्रश्न 3.
कर्ण किस प्रकार के व्यक्ति थे ?
(क) महादानी
(ख) कंजूस
(ग) तलवार बाज
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(क) महादानी

प्रश्न 4.
लेखक ने किसके समान व्यक्ति को परोपकारी बनने को कहा है ?
(क) असुरों के समान
(ख) सुरों के समान
(ग) प्रकृति के समान
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(ग) प्रकृति के समान

प्रश्न 5.
कबूतरों के प्राणों की रक्षा करने के लिए किसने अपने शरीर का माँस दे दिया था ?
(क) महाराजा शिवि
(ख) महाराजा दशरथ
(ग) महाराजा लव
(घ) महाराजा कुश
उत्तर:
(क) महाराजा शिवि

2. निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति उचित विकल्पों से कीजिए

प्रश्न 1.
परोपकार करने में ………… बाधा डालता है।
(क) धन का लालच
(ख) शरीर का कष्ट
(ग) मनोविकार
(घ) झूठ
उत्तर
(क) धन का लालच

प्रश्न 2.
महिर्ष वेदव्यास ने ……….को सबसे बड़ा पुण्य माना है।
(क) परपीड़ा
(ख) स्वार्थ
(ग) झूठ
(घ) परोपकार
उत्तर:
(घ) परोपकार

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प्रश्न 3.
………. ने असुरों का नाश करने के लिए अपना शरीर दान दे दिया था।
(क) महर्षि दधीचि
(ख) कर्ण
(ग) अर्जुन
(ग) रावण
उत्तर:
(क) महिर्ष दधीचि

प्रश्न 4.
दूसरों को ………….सबसे बड़ा पाप है।
(क) सुख देना
(ख) कष्ट देना
(ग) किताब
(घ) कलम
उत्तर:
(ख) कष्ट देना

प्रश्न 5.
परोपकारी व्यक्ति सदा ………… से सबका भला करता है।
(क) उदारता
(ख) अज्ञानता
(ग) स्वार्थ
(घ) कलम
उत्तर:
(क) उदारता

3. दिए गए शब्द का सही अर्थ से मिलान कीजिए

प्रश्न 1.
परोपकार:
दया
ईष्या
संघर्ष
उत्तर:
दया

प्रश्न 2.
परपीड़ा:
परि की पीड़ा
दूसरे का दर्द
परी का पेड़
उत्तर:
दूसरे का दर्द

प्रश्न 3.
सरोवर:
सिर को वारना
सिर पर वार
तालाब
उत्तर:
तालाब

प्रश्न 4.
दीन:
गरीब
अमीर
उत्तर:
गरीब

परोपकार Summary

परोपकार पाठ का सार

‘परोपकार’ नामक पाठ में लेखक ने परोपकार की महिमा का गुणगान किया है। लेखक अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राह्म लिंकन के जीवन की एक घटना का वर्णन करता है कि एक दिन वे सीनेट जा रहे थे कि रास्ते में उन्हें एक सुअर कीचड़ में फंसा हुआ दिखाई दिया, जो कोशिश करने पर भी कीचड़ से निकल नहीं पा रहा था। वे पहने हुए कपड़ों समेत कीचड़ में कूद कर सुअर को कीचड़ से बाहर निकाल लाए और कीचड़ से सने हुए सीनेट में जा पहुँचे। वहाँ सभी सदस्य उन्हें इस दशा में देखकर हैरान रह गए परन्तु उनसे सारी घटना सुनकर उनकी दयालुता की प्रशंसा करने लगे।

इस घटना से पता चलता है कि मन परोपकार से कोमल होकर दूसरों की हीन दशा देख कर पिघलता है तथा बिना किसी स्वार्थ के उसकी सहायता करता है। इस प्रकार मन की सरलता, कोमलता, करुणा, सहानुभूति, त्याग और बलिदान की भावना से परोपकार होता है। इसलिए परोपकार सबसे बड़ा धर्म माना जाता है। महर्षि वेदव्यास ने परोपकार को सबसे बड़ा पुण्य और दूसरों को कष्ट पहुँचाने अथवा परपीड़ा को सबसे बड़ा पाप माना प्रकृति भी सदा परोपकार करती है। सूर्य का प्रकाश, वर्षा का जल, शीतल वायु, वृक्ष पथिकों छाया देने के साथ पत्थर मारने वाले को फल देते हैं। सूर्य, अग्नि, वायु, वरुण आदि इसी परोपकार की भावना के कारण पूज्य माने जाते हैं। धरती माता के समान हमारा पोषण करती है। कवि रहीम ने भी कहा है कि जैसे पेड़ फल नहीं खाते, सरोवर जल नहीं पीते, वैसे ही परोपकार के लिए अच्छे लोग धन जोड़ते हैं। परोपकारी व्यक्ति सदा उदारता पूर्वक सबका भला करता है। महर्षि दधीचि ने देवताओं को असुरों का नाश करने के लिए अपना शरीर दे दिया था और महाराजा शिवि ने कबूतरों की प्राण रक्षा के लिए अपने शरीर का माँस दे दिया था ! कर्ण महादानी थे जिन्होंने अपने कवच-कुण्डल तक दान में दे दिए थे।

परोपकार करने में धन का लालच बाधा डालता है। इसलिए धन का लालच नहीं करना चाहिए तथा दीनों, अनाथों, अपंगों, रोगियों की सदा सहायता करनी चाहिए। परोपकार केवल धन से ही नहीं मन, वाणी और कर्म द्वारा भी किया जा सकता है। दुखी को दिलासा देना, अपंगों को सहारा देना, अनपढ़ों को पढ़ाना आदि भी परोपकार है। इसलिए तुलसीदास जी कहते हैं कि संसार में परोपकार से बढ़ कर कोई धर्म नहीं है और परपीड़ा अथवा दूसरों को कष्ट देने के समान कोई पाप नहीं है।

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