PSEB 6th Class Social Science Solutions Chapter 16 हर्षवर्धन का काल (600-650 ई.)

Punjab State Board PSEB 6th Class Social Science Book Solutions History Chapter 16 हर्षवर्धन का काल (600-650 ई.) Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Social Science History Chapter 16 हर्षवर्धन का काल (600-650 ई.)

SST Guide for Class 6 PSEB हर्षवर्धन का काल (600-650 ई.) Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
बाणभट्ट तथा ह्यनसांग के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
1. बाणभट्ट-बाणभट्ट हर्षवर्धन का राजकवि था। उसने अपनी पुस्तक ‘हर्षचरित’ में हर्षवर्धन के जीवन तथा कार्यों का वर्णन किया है।

2. ह्यूनसांग-ह्यूनसांग एक प्रसिद्ध चीनी यात्री था। वह हर्षवर्धन के शासनकाल में बौद्ध धर्म के ग्रन्थों का अध्ययन तथा तीर्थ यात्राएं करने के लिए भारत आया था। वह हर्षवर्धन के दरबार में शाही मेहमान बन कर रहा था। उसने अपनी पुस्तक ‘सी-यू-की’ में हर्षकाल के भारत का वर्णन किया है।

प्रश्न 2.
हर्षवर्धन पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
हर्षवर्धन पुष्यभूति वंश का सबसे प्रसिद्ध राजा था। उसके पिता का नाम प्रभाकरवर्धन तथा बड़े भाई का नाम राज्यवर्धन था। पिता की मृत्यु के पश्चात् राज्यवर्धन पुष्यभूति वंश का शासक बना, लेकिन बंगाल के राजा शशांक ने उसको धोखे से मार दिया। इसलिए हर्षवर्धन अपने बड़े भाई की मृत्यु के पश्चात् 606 ई० में राजगद्दी पर बैठा। उसने अपनी राजधानी स्थाणेश्वर से बदल कर कन्नौज बना ली। फिर वह अपने साम्राज्य का विस्तार करने के कार्य में लग गया। उसने उत्तरी भारत के पंजाब, पूर्वी राजस्थान, असम तथा गंगा घाटी के प्रदेशों को जीता तथा बंगाल के राजा शशांक को मारकर अपने भाई की मृत्यु का बदला लिया। उसने दक्षिणी भारत के चालुक्य वंश के राजा पुलकेशिन द्वितीय पर भी आक्रमण किया, परन्तु उसे पराजित न कर सका।

हर्षवर्धन एक विजेता होने के साथ-साथ एक अच्छा लेखक तथा विद्वान् भी था। कहा जाता है कि प्रियदर्शिका, रत्नावली तथा नागानन्द जैसे संस्कृत नाटक हर्षवर्धन ने लिखे थे। हर्षवर्धन शैव धर्म का अनुयायी था लेकिन वह सभी धर्मों का सम्मान करता था। वह बौद्ध धर्म में विशेष श्रद्धा रखता था। लगभग 647 ई० में हर्षवर्धन की मृत्यु हो गई तथा उसकी मृत्यु के साथ ही पुष्यभूति वंश के राज्य का भी अन्त हो गया।

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प्रश्न 3.
इस काल (हर्षकाल) के समाज के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
हर्षकाल में लोग शांतिमय तथा सादा जीवन व्यतीत करते थे। वे मुख्य रूप से शाकाहारी थे तथा दूध, घी, चावल, फलों तथा सब्जियों का प्रयोग करते थे। अमीरों के मकान सुन्दर बने होते थे जबकि ग़रीबों के मकान साधारण तथा कच्चे फर्श के होते थे। समाज में जाति प्रथा कठोर थी। आमतौर पर लोगों का जीवन सुखी तथा समृद्ध था। सभी धर्मों के लोग परस्पर मिलजुल कर प्रेम से रहते थे तथा एक-दूसरे का सम्मान करते थे। नालंदा उस समय का प्रसिद्ध विश्वविद्यालय था और ज्ञान प्राप्ति का एक महान् केंद्र था।

प्रश्न 4.
हर्षवर्धन के राज्य प्रबन्ध के बारे में लिखें।
उत्तर-
हर्षवर्धन का राज्य प्रबन्ध मज़बूत तथा उदार था। उसकी मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित थीं –

  1. राजा-राजा को राज्य प्रबन्ध में सर्वोच्च स्थान प्राप्त था।
  2. मन्त्री तथा अन्य अधिकारी-राज्य प्रबन्ध में राजा की सहायता के लिए मन्त्री तथा अन्य कई अधिकारी होते थे।
  3. प्रान्त-शासन की सुविधा के लिए साम्राज्य को प्रान्तों में बांटा हुआ था। प्रान्तों को भुक्ति कहते थे। प्रान्त के शासक को उपारिक (महाराजा) कहा जाता था।
  4. जिले-प्रान्तों को जिलों में बांटा गया था। ज़िलों को ‘विषय’ कहा जाता था, जो ‘विषयपति’ के अधीन होता था।
  5. तालुक तथा गांव-प्रत्येक प्रान्त को तहसीलों (तालुक) तथा तहसीलों को गांवों में बांटा गया था। गांव राज्य प्रबन्ध की सबसे छोटी इकाई थी तथा इसके मुखिया को ग्रामिक कहते थे।
  6. न्याय तथा सेना-न्याय तथा सेना का प्रबन्ध राजा के हाथ में था। सभी लोगों को याय मिलता था।
  7. आय के साधन-कर बहुत कम लगाए जाते थे। राज्य की आय का मुख्य साधन भूमि कर था, जो उपज का 1/6 भाग लिया जाता था। व्यापार से भी आय होती थी।

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करो

  1. हर्षवर्धन ने …………….. को अपनी राजधानी बनाया।
  2. प्रसिद्ध चीनी यात्री ……………. हर्षवर्धन के समय भारत में आया।
  3. हर्षवर्धन की सफलताओं का वर्णन उसके दरबारी कवि ………. ने नामक पुस्तक में किया है।
  4. हर्षवर्धन …………. धर्म का अनुयायी था।
  5. हर्षवर्धन ने लगभग ……. गांवों की आय नालंदा विश्वविद्यालय को दान की थी।
  6. पल्लव राजा मुख्यतः ………… तथा …….. धर्म के अनुयायी थे।

उत्तर-

  1. कन्नौज
  2. ह्यनसांग
  3. बाणभट्ट, हर्षचरित
  4. शैव धर्म
  5. 200
  6. जैन धर्म, शैव धर्म।

III. सही जोड़े बनायें

  1. पुष्यभूति – लेखक
  2. ह्यूनसांग – कुरुक्षेत्र
  3. बाणभट्ट – चीनी यात्री
  4. दूतक – सन्देश वाहक

उत्तर-
सही जोड़े

  1. पुष्यभूति – कुरुक्षेत्र
  2. ह्यूनसांग – चीनी यात्री
  3. बाणभट्ट – लेखक
  4. दूतक – सन्देश वाहक

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IV. सही (✓) अथवा ग़लत (✗) बताएं

  1. हर्षवर्धन 606 ई० में सिंहासन पर बैठा।
  2. पुलकेशिन द्वितीय बिहार का राजा था।
  3. लोग (प्रजा) राजा को कोई कर नहीं देते थे।
  4. अधिकतर लोग शाकाहारी थे।
  5. राज्यवर्धन हर्षवर्धन का पिता था।

उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✗)
  4. (✓)
  5. (✗)

PSEB 6th Class Social Science Guide हर्षवर्धन का काल (600-650 ई.) Important Questions and Answers

कम से कम शब्दों में उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
पुण्यभूमि वंश के शासकों की राजधानी वर्तमान हरियाणा में थी। इसका क्या नाम था?
उत्तर-
स्थाणेश्वर (वर्तमान थानेसर)

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प्रश्न 2.
हर्षवर्धन के बारे में जानकारी के लिए एक प्रसिद्ध स्रोत का नाम बताइए।
उत्तर-
बाणभट्ट का हर्षचरित।

प्रश्न 3.
हर्ष ने कन्नौज में एक बौद्ध सभा बुलाई थी जिसकी अध्यक्षता एक चीनी यात्री ने की थी। उसका क्या नाम था?
उत्तर-
ह्यूनसांग।

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हर्ष एक महान् लेखक था। उसने तीन ग्रंथ लिखे थे। निम्न में से कौन-सा उसने ग्रंथ नहीं लिखा था?
(क) हर्षचरित्
(ख) नागानंद
(ग) रत्नावली।
उत्तर-
(क) हर्षचरित्

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प्रश्न 2.
हर्षवर्धन को निम्न में से किस चालक्य शासक ने हराया था?
(क) पुलकेशिन प्रथम
(ख) पुलकेशिन द्वितीय
(ग) पुलकेशिन तृतीय
उत्तर-
(ख) पुलकेशिन द्वितीय

प्रश्न 3.
भारत में ह्यूनसांग ने निम्न में से किस विश्वविद्यालय में कुछ समय तक अध्ययन किया था?
(क) नालंदा
(ख) विश्ववारा
(ग) कन्नौज।
उत्तर-
(क) नालंदा

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्थाणेश्वर राज्य की स्थापना किसने की?
उत्तर-
स्थाणेश्वर राज्य की स्थापना पुष्यभूति ने की।

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प्रश्न 2.
प्रभाकरवर्धन कौन था?
उत्तर-
प्रभाकरवर्धन स्थाणेश्वर का एक योग्य शासक था। उसने अपने राज्यं को आक्रमणों से सुरक्षित रखा।

प्रश्न 3.
प्रभाकरवर्धन के बच्चों के नाम लिखिए।
उत्तर-
प्रभाकरवर्धन के बच्चों के नाम थे –

  1. राज्यवर्धन,
  2. राजश्री,
  3. हर्षवर्धन।

प्रश्न 4.
हर्षवर्धन सिंहासन पर कब बैठा?
उत्तर-
हर्षवर्धन 606 ई० में सिंहासन पर बैठा।

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प्रश्न 5.
असम का पुराना नाम क्या था?
उत्तर-
असम का पुराना नाम कामरूप था।

प्रश्न 6.
हर्षवर्धन की जानकारी देने वाले चार स्रोतों के नाम लिखें।
उत्तर-
हर्षवर्धन की जानकारी देने वाले चार स्रोत हैं –

  1. बाणभट्ट के हर्षचरित तथा कादम्बरी,
  2. हर्षवर्धन के नाटक रत्नावली, नागानन्द तथा प्रियदर्शिका,
  3. यूनसांग का वृत्तांत,
  4. ताम्रलेख।

प्रश्न 7.
हर्षवर्धन ने कौन-कौन से नाटक लिखे?
उत्तर-
हर्षवर्धन ने रत्नावली, नागानन्द तथा प्रियदर्शिका नामक नाटक लिखे।

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प्रश्न 8.
हर्षवर्धन की बहन का नाम लिखें। उसके पति को किस राजा ने मारा?
उत्तर-
हर्षवर्धन की बहन का नाम राजश्री था। उसके पति की हत्या बंगाल के राजा शशांक ने मालवा के राजा देवगुप्त के साथ मिलकर की थी।

प्रश्न 9.
हर्षवर्धन ने कौन-से चालुक्य राजा के साथ युद्ध किया?
उत्तर-
हर्षवर्धन ने चालुक्य राजा पुलकेशिन द्वितीय के साथ युद्ध किया।

प्रश्न 10.
नालन्दा विश्वविद्यालय के मुखिया का नाम बताएं।
उत्तर-
नालन्दा विश्वविद्यालय के मुखिया का नाम शीलभद्र था।

प्रश्न 11.
हर्षचरित तथा कादम्बरी के लेखक का नाम लिखें।
उत्तर-
हर्षचरित तथा कादम्बरी के लेखक का नाम बाणभट्ट था।

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प्रश्न 12.
ह्यूनसांग कौन था? वह भारत किस राजा के समय आया?
उत्तर-
ह्यूनसांग एक चीनी यात्री था। वह हर्षवर्धन के राज्यकाल में भारत आया।

प्रश्न 13.
बाणभट्ट कौन था?
उत्तर-
हर्षवर्धन का राजकवि।

प्रश्न 14.
बाणभट्ट ने हर्षवर्धन के जीवन तथा कार्यों के बारे में कौन-सी पुस्तक लिखी?
उत्तर-
हर्षचरित।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हर्षवर्धन की कन्नौज विजय के बारे में लिखें।
उत्तर-
मालवा अथवा कन्नौज के राजा देवगुप्त ने हर्ष की बहन राजश्री को कैद कर लिया था। वह उसकी कैद से भागकर जंगलों में चली गई थी। उसको ढूंढ़ने के पश्चात् हर्ष ने मालवा पर आक्रमण कर दिया। देवगुप्त हार गया तथा हर्ष ने कन्नौज को अपने राज्य में मिला लिया। उसने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया।

प्रश्न 2.
हर्षवर्धन सिंहासन पर किस प्रकार बैठा?
उत्तर-
हर्षवर्धन से पहले उसका बड़ा भाई राज्यवर्धन स्थाणेश्वर का शासक था। लेकिन बंगाल के शासक शशांक ने राज्यवर्धन को धोखे से मार दिया। राज्यवर्धन की मृत्यु के पश्चात् 606 ई० में हर्षवर्धन स्थाणेश्वर के सिंहासन पर बैठा। उस समय उसकी आयु 16 वर्ष की थी।

प्रश्न 3.
हर्षवर्धन के स्थानीय प्रबन्ध के बारे में लिखें।
उत्तर-
हर्षवर्धन ने अपने राज्य को प्रान्तों में बांटा हुआ था। प्रान्तों को भुक्ति कहते थे। प्रान्त का मुखिया उपारिक होता था। वह अपने प्रान्त में शान्ति-व्यवस्था बनाए रखता था तथा कानूनों को लागू करता था।

प्रान्त विषयों में बंटे हुए थे। विषयपति अपने विषय में शान्ति स्थापित करता था तथा सुरक्षा की व्यवस्था करता था। गांव शासन की सबसे छोटी इकाई थी। गांव का प्रबन्ध पंचायत करती थी।

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हर्षवर्धन की विजयों का वर्णन करें।
उत्तर-
हर्षवर्धन की विजयों का वर्णन इस प्रकार है –
1. बंगाल की विजय-सबसे पहले हर्ष ने बंगाल पर आक्रमण किया। उसने अपने भाई के हत्यारे को बुरी तरह हराया। हर्षवर्धन तथा उसके मित्र कामरूप (असम) के राजा भास्करवर्मन ने बंगाल के राज्य को आपस में बांट लिया।

2. मालवा की विजय-हर्षवर्धन ने मालवा के राजा देवगुप्त को हराया तथा उसके राज्य को अपने राज्य में मिला लिया।

3. वल्लभी की विजय-हर्षवर्धन ने वल्लभी के राजा ध्रुवसेन पर हमला किया तथा उसके राज्य पर अधिकार लिया। लेकिन बाद में उसकी ध्रुवसेन से सन्धि हो गई।

4. सिन्ध तथा नेपाल–हर्षवर्धन ने सिन्ध के राजा को भी हराया तथा नेपाल से कर प्राप्त किया।

5. गंजम की विजय-गंजम की विजय हर्ष की अन्तिम विजय थी। उसने गंजम पर कई हमले किए। आरम्भ में तो वह असफल रहा, लेकिन 643 ई० में उसने इस प्रदेश पर भी पूरी तरह से अधिकार कर लिया।

6. पुलकेशिन द्वितीय के साथ युद्ध-हर्षवर्धन ने दक्षिण में भी अपने राज्य का विस्तार करना चाहा, लेकिन दक्षिण के चालुक्य राजा पुलकेशिन द्वितीय ने उसको हरा दिया।

राज्य-विस्तार–हर्षवर्धन के राज्य की सीमाएं उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में नर्मदा नदी तक तथा पूर्व में कामरूप (असम) से लेकर उत्तर-पश्चिम में पंजाब तक फैली हुई थीं। पश्चिम में अरब सागर तक का प्रदेश उसके अधीन था।

प्रश्न 2.
नालन्दा विश्वविद्यालय के बारे में लिखें।
उत्तर-
हर्षवर्धन के समय नालन्दा सबसे प्रसिद्ध शिक्षा केन्द्र था। यह विश्वविद्यालय वर्तमान पटना के समीप स्थित था। इसमें 10,000 विद्यार्थी पढ़ते थे तथा 1510 अध्यापक थे। इस शिक्षा केन्द्र में दर्शन, ज्योतिष, चिकित्सा, विज्ञान, धर्म, गणित आदि की शिक्षा दी जाती थी। हर्षवर्धन ने इस विश्वविद्यालय की आर्थिक सहायता के लिए 100 गांवों का भूमि-कर निश्चित किया हुआ था। चीनी यात्री ह्यूनसांग ने भी संस्कृत भाषा का ज्ञान नालन्दा विश्वविद्यालय से ही प्राप्त किया।

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प्रश्न 3.
एनसांग ने हर्षवर्धन के बारे में क्या लिखा है?
उत्तर-
चीनी यात्री ह्यूनसांग ने अपनी पुस्तक ‘सी० यू० की०’ में हर्षवर्धन के जीवन तथा राज्य-प्रबन्ध का वर्णन किया है। वह लिखता है कि हर्ष एक कर्त्तव्य पालन करने वाला राजा था। उसका राज्य-प्रबन्ध उच्चकोटि का था। हर्ष ने अनेक मठ तथा स्तूप बनवाए तथा प्रजा की भलाई के लिए अनेक कार्य किए। हर्षवर्धन के पास एक विशाल सेना थी। उपज का 1/6 भाग भूमिकर के रूप में वसूल किया जाता था। सज़ाएं बहुत सख्त थीं, फिर भी सड़कें सुरक्षित नहीं थीं। ह्यूनसांग को रास्ते में दो बार लूट लिया गया था।

प्रश्न 4.
हर्षवर्धन की धार्मिक सभाओं के बारे में जानकारी दीजिए।
उत्तर-
हर्षवर्धन ने बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए बौद्ध सभाओं का आयोजन किया। इन सभाओं का वर्णन इस प्रकार है –

1. कन्नौज की धर्मसभा-643 ई० में हर्षवर्धन ने कन्नौज में बौद्ध धर्म की सभा का आयोजन किया। ह्यूनसांग इस सभा का सभापति था। यह सभा 23 दिन तक चली। इसमें बहुत-से विद्वानों ने भाग लिया।

2. प्रयाग की सभा-643 ई० में ही हर्ष ने प्रयाग में भी सभा का आयोजन किया। यह सभा 75 दिनों तक चलती रही। इस सभा में भी ह्यूनसांग ने भाग लिया। बहुत-से अन्य विद्वान् भी सभा में उपस्थित थे। सभा में महात्मा बुद्ध, सूर्य तथा शिव की पूजा हुई। इस सभा में हर्षवर्धन ने दिल खोल कर दान दिया।

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हर्षवर्धन का काल (600-650 ई.) PSEB 6th Class Social Science Notes

  • पुष्यभूति वंश के राज्य की स्थिति – पुष्यभूति वंश का राज्य वर्तमान हरियाणा के कुरुक्षेत्र प्रदेश में स्थापित था।
  • पुष्यभूति राज्य की राजधानी – पुष्यभूति राज्य की राजधानी स्थाणेश्वर थी। इसको आजकल थानेसर कहते हैं।
  • पुष्यभूति वंश का सबसे प्रसिद्ध राजा – पुष्यभूति वंश का सबसे प्रसिद्ध राजा हर्षवर्धन था। वह 606 ई० में सिंहासन पर बैठा तथा कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया।
  • बाणभट्ट – बाणभट्ट हर्षवर्धन का दरबारी कवि था। उसकी पुस्तक ‘हर्षचरित’ से हर्षकाल की जानकारी मिलती है।
  • ह्यूनसांग – ह्यूनसांग एक चीनी यात्री था जो हर्षवर्धन के समय में भारत आया था। उसके वृत्तांत से हर्षकाल के बारे में पता चलता है।
  • प्रियदर्शिका, रत्नावली तथा नागानन्द – ये तीन नाटक हैं जो हर्षवर्धन ने लिखे थे।
  • नालन्दा विश्वविद्यालय – नालन्दा विश्वविद्यालय बिहार में स्थित था तथा यह हर्षकाल का एक प्रसिद्ध शिक्षा केन्द्र था। ह्यूनसांग ने इस विश्वविद्यालय में कुछ समय शिक्षा प्राप्त की थी।
  • हर्षवर्धन की मृत्यु – हर्षवर्धन की मृत्यु लगभग 647 ई० में हुई थी।

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