PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 चींटी

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 16 चींटी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 16 चींटी (2nd Language)

Hindi Guide for Class 6 PSEB चींटी Textbook Questions and Answers

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 चींटी

चींटी अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 चींटी 3
उत्तर :
विद्यार्थी देवनागरी लिपि में दिए गए शब्दों को अपनी कॉपियों पर लिखने का अभ्यास करें।

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 चींटी 1
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 16 चींटी 2
उत्तर :
विद्यार्थी हिन्दी भाषा के इन शब्दों को अपनी अभ्यास पुस्तिका (कॉपी) में लिखने का अभ्यास करें।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) चींटी की काया कैसी है?
उत्तर :
चींटी की काया बहुत छोटी है।

(ख) चींटी से हम क्या सीख सकते हैं?
उत्तर :
चींटी से हम निडर रहना, अथक परिश्रम करना, लक्ष्य प्राप्त करना सीख सकते हैं।

(ग) विजय कैसे मिलती है?
उत्तर :
विजय अथक मेहनत करने से मिलती है।

(घ) ‘चींटी कितनी निर्भय है, अपने श्रम में तन्मय है’ से कवि का क्या भाव है?
उत्तर :
कवि का भाव है कि देखो चींटी निडर है। निडरतापूर्वक वह घूमती है और अपना मेहनत में लीन रहती है।

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4. वाक्य बनाओ :

  1. निर्भय : ____________________________
  2. तन्मय : ____________________________
  3. अथक : ____________________________
  4. विजय श्री : ____________________________
  5. प्रेरणा : ____________________________
  6. सर्वस्व : ____________________________

उत्तर :

  1. निर्भय-राम बहुत निर्भय है।
  2. तन्मय-अपने काम में तन्मय हो जाओ।
  3. अथक-विजयी होने के लिए हमें अथक मेहनत करनी होगी।
  4. विजयश्री-विजयश्री हमारे कदम चूमेगी।
  5. प्रेरणा-चींटी हमें मेहनत करने की प्रेरणा देती है
  6. सर्वस्व-मैं देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दूंगा।

5. ‘परिश्रम’ शब्द में ‘श्रम’ शब्द के आगे ‘परि’ शब्दांश लगा है। इसी प्रकार ‘परि’ शब्दांश लगाकर नये शब्द बनायें :

  1. परि + त्याग = ____________________________
  2. परि + वर्तन = ____________________________
  3. परि + णाम = ____________________________
  4. परि + हास = ____________________________
  5. परि + माण = ____________________________
  6. परि + धान = ____________________________

उत्तर :

  1. परि + त्याग = परित्याग।
  2. परि + वर्तन = परिवर्तन।
  3. परि + णाम = परिणाम।
  4. परि + हास = परिहास।
  5. परि + माण = परिमाण।
  6. परि + धान = परिधान।

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6. बतायें इन शब्दों में ‘र’ व्यंजन आधा है या पूरा :

  1. निर्भय = आधा
  2. श्रम = पूरा
  3. प्रभु = ____________
  4. श्री = ____________
  5. प्रेरणा = ____________
  6. सर्वस्व = ____________

उत्तर :

  1. निर्भय = आधा।
  2. श्रम = पूरा।
  3. प्रभु = पूरा।
  4. श्री = पूरा।
  5. प्रेरणा = पूरा।
  6. सर्वस्व = आधा।

7. नये शब्द बनाओ :

  1. तन्मय = न्म = _________, _________, _________
  2. सर्वस्व = स्व = _________, _________, _________

उत्तर :

  1. तन्मय = जन्म, सन्मान, सन्मुख।
  2. सर्वस्व = स्वाद, स्वर, स्वभाव।

8. जानिये
आपके घर के आस-पास कहीं न कहीं से चींटियाँ अवश्य निकलती होंगी। उन्हें ध्यान से देखो। उनके खान-पान और व्यवहार का अध्ययन करके अपनी कॉपी में लिखो।
चींटी के छः पैर होते हैं।
चींटी की दो आँखें होती हैं और एक आँख कई छोटी-छोटी आँखों को मिलाकर बनती है।
चींटी के दो पेट होते हैं। एक में अपने लिए और दूसरे में साथी चींटियों के लिए भोजन जमा करती है।
एक चींटी को खाना मिलने पर वह एक प्रकार की गंध पैदा करती है जिसे सूंघकर मज़दूर चींटियाँ वहाँ पहुँच जाती हैं।
चींटी अपने वज़न से लगभग बीस गुणा वज़न उठा सकती है।
कछ चींटियाँ मिट्टी की मेंडें बनाकर रहती हैं क्योंकि ये मेंडे पर्वतों की तरह दिखती हैं इसलिए इन्हें ऐंट हिल्स कहते हैं।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं प्रयास करें।
(जानकारी हेतु कुछ महत्त्वपूर्ण वाक्य यहाँ लिख दिए गए हैं।)
– चींटी के छ: पैर होते हैं।
– चींटी की दो आँखें होती हैं और एक आँख कई छोटी-छोटी आँखों को मिलाकर बनती है।
– चींटी के दो पेट होते हैं। एक में अपने लिए और दूसरे में साथी चींटियों के लिए भोजन जमा करती है।
– एक चींटी को खाना मिलने पर वह एक प्रकार की गंध पैदा करती है जिसे सूंघकर मजदूर चींटियाँ वहाँ पहुँच जाती हैं।
– चींटी अपने वज़न से लगभग बीस गुणा वज़न उठा सकती है।
– कुछ चींटियाँ मिट्टी की मेंडें बनाकर रहती हैं क्योंकि ये मेंडें पर्वतों की तरह दिखती हैं इसलिए इन्हें ऐंट हिल्स कहते हैं।

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9. बूझो तो जानो :

काली काली चमड़ी उसकी
धीमी-धीमी चाल
घर-घर घूमे ऐसे
जैसे हो कोतवाल।
उत्तर :
चींटी।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बच्चे की जेब में कितनी राशि थी ?
(क) 2 डालर
(ख) 2 डालर 37 सैंट
(ग) 2 डालर 1 सैंट
(घ) 2 डालर 50 सैंट।
उत्तर :
(ख) 2 डालर 37 सैंट

प्रश्न 2.
बच्चे की टांग किसके कारण खराब हो गई ?
(क) पोलियों के
(ख) टोलियों के
(ग) गोलियों के
(घ) बुखार के।
उत्तर :
(क) पोलियों के

प्रश्न 3.
सच्चा मित्र किसमें साथ देता है ?
(क) सुख में
(ख) घर में
(ग) मुसीबत में
(घ) ऐश्वर्य में।
उत्तर :
(ग) मुसीबत में

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चींटी Summary in Hindi

चींटी कविता का सार

कवि कहता है कि चींटी को भगवान् ने कितना छोटा-सा बनाया है पर वह कितनी परिश्रमी है। वह गिरती-पड़ती भी कठोर परिश्रम करती है और हमें समझाती है कि मेहनत करने से कभी हार न मानो। इसी से विजय-श्री की प्राप्ति होती है। जो मेहनत करता है उसे सफलता की प्राप्ति अवश्य होती है।

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चींटी पद्यांशों के सरलार्थ

1. चींटी कितनी निर्भय है।
अपने श्रम में तन्मय है।
छोटी उसकी काया है।
यह भी प्रभु की माया है।

शब्दार्थ :

  • निर्भय = निडर।
  • श्रम = मेहनत।
  • तन्मय = लीन।
  • काया = शरीर।
  • प्रभु = ईश्वर।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित ‘चीटी’ नामक कविता में से लिया गया है। इसमें कवि ने चींटी का उदाहरण देकर श्रम के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

सरलार्थ-कवि कहता है कि चींटी कितनी निडर है। इधर-उधर घूमने में उसे कोई भय नहीं लगता। वह अपनी मेहनत में लीन रहती है। उसका शरीर छोटा है, यह ईश्वर की अनोखी माया है।

भावार्थ-चींटी चाहे बहुत छोटी होती है परन्तु वह लगातार मेहनत करती रहती है।

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2. अथक परिश्रम करती है।
गिरती है चल पड़ती है।
हम को यह सिखाती है।
मेहनत से न मानो हार॥

शब्दार्थ :

  • अथक = बिना थकान के।
  • परिश्रम = मेहनत।
  • सिखाती है = सीख देती है।
  • हार = पराजय।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित ‘चीटी’ नामक कविता में से लिया गया है। इसमें कवि ने चींटी के उदाहरण से मनुष्य को श्रम का महत्त्व समझाया है।

सरलार्थ-चींटी की विशेषता प्रकट करते हुए कवि कहता है-चींटी बिना थके लगातार मेहनत करती है। वह कभी गिर पडती और फिर उठ कर चल पडती है। वास्तव में वह हम मनुष्यों को सीख देती है कि मेहनत से कभी हार न मानो।

भावार्थ-मेहनत से कभी जी नहीं चुराना चाहिए।

3. अथक परिश्रम कर पहनो।
तुम सब विजय-श्री का हार॥
चींटी का जीवन हम को।
यही प्रेरणा देता है।

शब्दार्थ :

  • विजय श्री = जीत।
  • प्रेरणा = उत्साह।

प्रसंग-यह पद्यांश हिंदी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘चींटी’ नामक कविता से लिया गया है। कवि ने चींटी का उदाहरण देते हुए मनुष्यों को भी मेहनत करने की प्रेरण दी है।

सरलार्थ-कवि चींटी के माध्यम से कहता है कि तुम सब मेहनत करने से कभी न थको। बिना थके लगातार श्रम करो, इससे तुम्हें जीत अवश्य मिलेगी। हम मनुष्यों को चींटी का जीवन यही प्रेरणा देता है।

भावार्थ-चींटी अपने परिश्रम से हम मानवों को भी परिश्रम करने का पाठ पढ़ाती है।

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4. मेहनत जीवन का सर्वस्व।
श्रम ही फल देता है।
चींटी कितनी निर्भय है।
अपने श्रम में तन्मय है।

शब्दार्थ :

  • सर्वस्व = सब कुछ।
  • श्रम = मेहनत।

प्रसंग-यह पद्यांश हिंदी की पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘चीटी’ नामक कविता से लिया गया है। कवि ने चींटी का उदाहरण देते हुए मनुष्यों को भी मेहनत करने की प्रेरणा दी है।

सरलार्थ-कवि कहता है कि मेहनत जीवन का सब कुछ है। मेहनत से ही मनुष्य को फल प्राप्त होता है। चींटी कितनी निडर है। वह हमेशा अपनी मेहनत में लीन रहती है।

भावार्थ-जीवन में उद्देश्यों की प्राप्ति परिश्रम से ही होती है।

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