PSEB 5th Class Hindi Solutions Chapter 17 उन्नति का मंत्र

Punjab State Board PSEB 5th Class Hindi Book Solutions Chapter 17 उन्नति का मंत्र Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 5 Hindi Chapter 17 उन्नति का मंत्र

Hindi Guide for Class 5 PSEB उन्नति का मंत्र Textbook Questions and Answers

I. बताओ

प्रश्न 1.
संसार में लगातार परिवर्तन होता रहता है, इसके कोई पाँच उदाहरण लिखो।
उत्तर:
संसार में लगातार होने वाले पाँच परिवर्तन इस प्रकार हैं

  1. सूरज का रोज़ निकलना और छिप जाना।
  2. फूल का डाली पर खिलना और सूख कर झड़ जाना।
  3. कभी बचपन कभी जवानी और फिर बुढ़ापा तथा मृत्यु।
  4. रात के बाद दिन का निकलना, दिन के बाद फिर रात का आना।
  5. समय का आगे बढ़ते जाना, फिर लौट कर न आना।
  6. पेड़-पौधों के पत्तों का कोमल हरा और फिर पीला हो जाना।

PSEB 5th Class Hindi Solutions Chapter 17 उन्नति का मंत्र

प्रश्न 2.
समय नष्ट न करने वाले को क्या मिलता
उत्तर:
समय नष्ट न करने वाले को जीवन में सारे सुख मिलते हैं। वह जीवन में उन्नति करता है।

प्रश्न 3.
कवि ने उन्नति का कौन-सा मन्त्र कविता में दिया है?
उत्तर:
कवि ने उन्नति का मूल मन्त्र बताते हुए कहा है-‘समय को कभी मत गँवाओ।’

प्रश्न 4.
‘समय अमूल्य है,’ इस विषय पर पाँच वाक्य लिखो।
उत्तर:
समय एक बहुमूल्य धन है। यह कभी लौट कर नहीं आता। इसलिए समय के महत्त्व को समझो। समय को कभी व्यर्थ न गँवाओ। समय पर किया गया काम ही अच्छा होता है। जो विद्यार्थी समय | के महत्त्व को नहीं समझते, वे बाद में पछताते हैं। ऐसे लोग जीवन में ठोकरें खाते रहते हैं। इसी कारण हमारे महापुरुषों ने समय को बड़ा महत्त्व दिया है।

II. सरलार्थ करो

कभी बालपन मिलता हमको,
कभी जवानी आती है।
पागल बन जब झूमा करते,
तभी जरा आ जाती है।
उत्तर:
कवि कहता है कि मनुष्य का जीवन एक-सा नहीं रहता। प्रकृति में भी कभी सुबह होती है तो कभी रात का अन्धेरा छा जाता है और चाँद मुस्कुराने लगता है। फूल कभी डाली पर खिलता है और कभी वह झड़ जाता है। कभी हमें बचपन मिलता है और कभी जवानी (यौवन) आ जाती है। जवानी की मस्ती में पागल हो कर जब हम झूमते हैं तो उसी समय बुढ़ापा आ जाता है।

वाक्य बनाओ

(i) बालपन = ………………….
(ii) नष्ट = ………………….
(iii) इच्छा = ………………….
(iv) सुख = ………………….
उत्तर:
(i) बालपन = बालपन में अधिकतर बच्चे नटखट होते हैं।
(ii) नष्ट = पशुओं ने सारा बाग नष्ट कर दिया।
(iii) इच्छा = मेरी इच्छा डॉक्टर बनने की है।
(iv) सुख = यदि हमें सुख की इच्छा है तो परिश्रम करना होगा।

III. समानार्थक शब्द लिखो

(i) सवेरा = ………………….
(ii) अन्धेरा = ………………….
(iii) चाँद = ………………….
(iv) फूल = ………………….
(v) डाली = ………………….
उत्तर:
समानार्थक शब्द-
(i) सवेरा = सुबह, प्रातः
(ii) अन्धेरा = अन्धकार, तम।
(iii) चाँद = निशिकर, रजनीकर।
(iv) फूल = पुष्प, सुमन।
(v) डाली = शाखा, टहनी।

IV. विपरीत शब्द समझो

इच्छा = अनिच्छा
सुख = दुःख
आलसी = चुस्त
जीवन = मृत्यु
आबाद = उजाड़
उत्तर:
विद्यार्थी ऊपर लिखे गए विपरीतार्थक शब्दों को समझें।

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V. रेखांकित शब्दों के वचन बदल कर वाक्य दोबारा लिखो

यह आम के पेड़ की डाली है।
पेड़ का पत्ता हरा है।
उत्तर:
(i) ये आम के पेड़ों की डालियाँ हैं।
(ii) पेड़ों के पत्ते हरे हैं।

VI. नये शब्द बनाओ

न् + न = न्न = उन्नति,
त् + र = त्र = मन्त्र, ……………
न् + त = न्त = निरन्तर, ……………
त् + त = त्त, त्त = पत्ती, …………..
प् + र = प्र = प्राण, …………………
ष् + ट = ष्ट = नष्ट, …………………
द् + य = द्य, द्य = विद्या, ………….
उत्तर:
नए शब्द-
न् + न = न्न = उन्नति, अन्न, खिन्न।
त् + र = त्र = मन्त्र, स्वतन्त्र, मित्र।
न् + त = न्त = निरन्तर, अन्त, अन्तर।
त् + त = त्त (त्त) = पत्ती, कुत्ता, पत्ता।
प् + र = प्र = प्राण, प्रबल, प्रखर।
ष् + ट = ष्ट = नष्ट, कष्ट, दुष्ट।
द् + य = द्य (द्य) = विद्या, विद्यार्थी, विद्यालय।

VII. शब्दों की माला पूरी करो

PSEB 5th Class Hindi Solutions Chapter 17 उन्नति का मंत्र 1

बहुवैकल्पिक प्रश्न

पूछे गए प्रश्नों के सही विकल्प पर (✓) निशान लगाएं

प्रश्न 1.
परिवर्तन किसका नियम है ?
(क) प्रकृति का
(ख) मनुष्य का
(ग) सबका
(घ) धन का।
उत्तर:
(क) प्रकृति का

प्रश्न 2.
इस कविता में कवि ने क्या शिक्षा दी है ?
(क) धन कमाने की
(ख) समय नष्ट न करने की
(ग) पढ़ने की
(घ) जगने की।
उत्तर:
(ख) समय नष्ट न करने की

प्रश्न 3.
समय कैसा धन है ?
(क) अमूल्य
(ख) मूल्य
(ग) धनी
(घ) अच्छा
उत्तर:
(क) अमूल्य

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प्रश्न 4.
जो समय को नष्ट करता है उसे कौन-सा धन नहीं मिलता?
(क) विद्या धन
(ख) विद्या पैसा
(ग) धन
(घ) गृह धन।
उत्तर:
(क) विद्या धन

प्रश्न 5.
उन्नति का मंत्र क्या है ?
(क) समय का लाभ उठाना
(ख) समय गंवाना
(ग) समय देना
(घ) समय न देना।
उत्तर:
(क) समय का लाभ उठाना

उन्नति का मंत्र Summary

उन्नति का मंत्र पाठ का सार

कवि ने समय के लगातार बदलने और उसके अच्छे-बुरे प्रभावों को अपनी कविता में प्रकट किया -है। समय बदलने के साथ कभी सवेरा होता है तो कभी रात का अंधेरा। कभी पौधों पर फूल महकते हैं तो कभी झड़ जाते हैं। बचपन जवानी में बदलता है तो जवानी बुढ़ापे में बदल जाती है। संसार का कण-कण बदलता है। मनुष्य को समय की इज्जत करनी चाहिए। उसे कभी भी गंवाना नहीं चाहिए। समय ही मान है, प्राण है और सब सुखों का दाता है। कभी समय न गंवाना ही सब सुखों को प्राप्त करने का मूल मंत्र है।

पद्यांशों के सरलार्थ

1. कभी सवेरा कभी अँधेरा,
कभी चाँद मुसकाता है।
खिलता फूल कभी डाली पर,
वही कभी झड़ जाता है।
कभी बालपन मिलता हमको,
कभी जवानी आती है।
पागल बन जब झुमा करते,
तभी ज़रा आ जाती है।

कठिन शब्दों के अर्थ:
सवेरा = सुबह। मुसकाता = मुस्कुराता, हँसता। बालपन = बचपन। जरा = बुढ़ापा।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘उन्नति का मन्त्र’ में से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने समय के मूल्य को जानना ही उन्नति का मन्त्र बताया है।

सरलार्थ:
कवि कहता है कि मनुष्य का जीवन एक-सा नहीं रहता। प्रकृति में भी कभी सुबह होती है तो कभी रात का अन्धेरा छा जाता है और चाँद मुस्कुराने लगता है। फूल कभी डाली पर खिलता है और कभी वह झड़ जाता है। कभी हमें बचपन मिलता है और कभी जवानी (यौवन) आ जाती है। जवानी की मस्ती में पागल हो कर जब हम झूमते हैं तो उसी समय बुढ़ापा आ जाता है।

भावार्थ:
समय निरन्तर बढ़ता रहता है तथा उसके साथ बदलाव भी निश्चित है।

2. समय निरन्तर बढ़ता जाता,
बदल रहा जग-जीवन है।
बदल रही है पत्ती-पत्ती,
बदल रहा सब कण-कण है।
यदि इच्छा है सुख की तुमको,
समय व्यर्थ मत खोना रे।
जो कुछ करना, करो समय पर,
नहीं आलसी होना रे।

कठिन शब्दों के अर्थ:
समय = वक्त। निरन्तर = लगातार। जग-जीवन = सांसारिक जीवन। कणकण = ज़र्रा-ज़र्रा इच्छा = चाह। व्यर्थ = फजूल। आलसी = सुस्त।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘उन्नति का मंत्र’ से लिया गया है। प्रस्तुत कविता में कवि ने समय का महत्त्व बताया है।

सरलार्थ:
कवि कहता है कि समय लगातार बढ़ता जाता है। समय बीतता रहता है। इसी के साथ संसार का जीवन भी बदलता रहता है।

दुनिया में पत्ती-पत्ती और हर कण बदल रहा है। अरे मानव ! यदि तुम सुख चाहते हो तो अपना समय व्यर्थ मत गँवाओ। तुम्हें जो कुछ भी करना है, उसे समय पर कर डालो। आलसी बनकर रहना बुरी बात है।

भावार्थ:
समय अमूल्य है, वह लौट कर नहीं आता।

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3. समय मान है, समय प्राण है,
समय सभी सुख द्गाता है।
समय नष्ट कर नहीं कोई भी,
विद्या धन सुख पाता है।
नहीं समय को कभी गँवाओ,
मंत्र उन्नति का याद रहे।
मूल्य समय का जो पहचाने,
जीवन उसका आबाद रहे।

कठिन शब्दों के अर्थ:
मान = इज्जत। प्राण = जान। सुखदाता = सुख देने वाला। विद्याधन = विद्या रूपी दौलत। उन्नति = तरक्की। मूल्य = कीमत।

प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कविता ‘उन्नति का मन्त्र’ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि ने जीवन में उन्नति पाने के लिए समय की कद्र करना बताया है।

सरलार्थ:
कवि कहता है-समय इज्जत है और समय ही प्राण है। कोई भी व्यक्ति समय को बरबाद करके विद्या रूपी धन एवं सुख प्राप्त नहीं कर सकता। इसलिए समय को कभी मत गँवाओ। इस उन्नति के
मन्त्र को हमेशा याद रखो। जो व्यक्ति समय की कीमत को पहचानता है, उसका जीवन आबाद रहता है।

भावार्थ:
हमें समय के महत्त्व को पहचानना चाहिए।

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