PSEB 5th Class Hindi Solutions Chapter 14 मैं झरना

Punjab State Board PSEB 5th Class Hindi Book Solutions Chapter 14 मैं झरना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 5 Hindi Chapter 14 मैं झरना

Hindi Guide for Class 5 PSEB मैं झरना Textbook Questions and Answers

I. बताओ

प्रश्न 1.
झरना कहाँ से निकलता है?
उत्तर:
झरना पहाड़ों की चोटियों से निकलता है।

प्रश्न 2.
झरने के रास्ते में कौन-कौन सी बाधाएँ आती हैं ?
उत्तर:
झरने के रास्ते में छोटे-बड़े पहाड़, चट्टानें आदि बाधाएँ आती हैं।

PSEB 5th Class Hindi Solutions Chapter 14 मैं झरना

प्रश्न 3.
झरना किन-किन की प्यास बुझाता है?
उत्तर:
झरना प्यासे पौधों, पंछियों, यात्रियों आदि सभी की प्यास बुझाता है।

प्रश्न 4.
झरना कहाँ पर बहता है?
उत्तर:
झरना पहाड़ों से होता हुआ धरती पर आकर बहता है।

प्रश्न 4.
बहता झरना आपको क्या प्रेरणा देता है?
उत्तर:
बहता झरना प्रेरणा देता है कि जीवन के रास्ते पर आने वाली बाधाओं, मुश्किलों से डरना नहीं चाहिए बल्कि हिम्मत से काम लेते हुए मुश्किलों पर विजय पाते हुए आगे बढ़ते जाना चाहिए।

II. सरलार्थ लिखो

नहीं जानता हूँ मैं रोना,
हँसता हर पल गाता हूँ।
प्यासे पौधे, पंछी, पंथी,
सबकी प्यास बुझाता हूँ।
उत्तर:
झरना कहता है-मैं कभी रोना नहीं जानता। मैं हर क्षण हँसता और गाता रहता हूँ। प्यासे पौधे, पक्षी और मुसाफिर की मैं सबकी प्यास बुझा देता हूँ।

III. (क) समानार्थक शब्द लिखो

(i) पहाड़ : ………………
(ii) राह : …………….
(iii) सूरज : …………..
(iv) धरती : ……………..
(v) चंदा : …………..
(vi) अम्बर : …………
उत्तर:
समानार्थक शब्द-
(i) पहाड़ = नग, अचल।
(ii) राह = रास्ता, मार्ग।
(iii) सूरज = सूर्य, रवि।
(iv) धरती = धरा, भू।
(v) चंदा = चाँद, राकेश।
(vi) अम्बर = आकाश, नभ।

(ख) बहुवचन रूप लिखो

(i) पहाड़ : …………….
(ii) शिखर : …………..
(iii) चट्टान : ……………
(iv) पौधा : ……………
(v) तारा : ……………
उत्तर:
(i) पहाड़ = पहाड़ों।
(ii) शिखर = शिखरों।
(iii) चट्टान = चट्टानों।
(iv) पौधा = पौधों।
(v) तारा = तारों।

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जानिए
1. जब नदी का पानी चट्टानों के ऊपर से नीचे गिरता है तो झरना बनता है।
2. यदि झरना बहुत बड़ा हो तो उसे जल प्रपात कहा जाता है।
3. विश्व के तीन सबसे प्रसिद्ध जल प्रपात हैं अमेरिका का नियाग्रा फॉल्स अफ्रीका का विक्टारिया फॉल्स अर्जेंटीना, ब्राजील और पेराग्वे का इगूआसू फॉल्स।

बहुवैकल्पिक प्रश्न

पूछे गए प्रश्नों के सही विकल्प पर (✓) निशान लगाएं

प्रश्न 1.
झरना कहाँ से निकलता है ?
(क) पहाड़ों की चोटियों से
(ख) नदियों से
(ग) बादलों से
(घ) हिमालय से।
उत्तर:
(क) पहाड़ों की चोटियों से

प्रश्न 2.
झरने के रास्ते में क्या-क्या आता है ?
(क) पहाड़
(ख) चट्टानें
(ग) पहाड़ और चट्टानें
(घ) नदी।
उत्तर:
(ग) पहाड़ और चट्टानें

प्रश्न 3.
झरना किनकी प्यास बुझाता है ?
(क) पौधों
(ख) पक्षियों
(ग) यात्रियों
(घ) सभी की।
उत्तर:
(घ) सभी की।

मैं झरना Summary

मैं झरना पाठ का सार

झरना अपनी कहानी सुनाते हुए कहता है कि वह पहाड़ों की चोटियों से झर-झर की आवाज़ करता हुआ झरता है। वह छोटे-बड़े पहाड़ों के बीच से चट्टानों को चीरते हुए अपना रास्ता बनाता जाता है। बिना थके वह अपने रास्ते की सारी रुकावटों को हटाता जाता है। बिना रोये-चिल्लाए वह सदा हंसते हुए दूसरों की प्यास बुझाता हुआ धरती पर बहता रहता है। सूर्य चाँद-तारे उस की गोदी में खेलते से प्रतीत होते हैं तो वह आकाश को भी गले लगाता है।

पद्यांशों के सरलार्थ

1. उछल पहाड़ों के शिखरों से
झर झर झर झर झरता हूँ।
आओ सुनो कहानी मेरी
झरना मैं खुद को कहता हूँ।

कठिन शब्दों के अर्थ:
शिखरों = चोटियों। खुद = अपने आप।

प्रसंग:
प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित कवि सुरेश द्वारा लिखित कविता ‘मैं झरना’ में से लिया गया है।

सरलार्थ:
झरना कहता है-मैं पहाड़ों की चोटियों में ‘झर-झर’ करता हुआ गिर रहा हूँ। आओ, मेरी कहानी सुनो-मैं अपने आपको झरना कहता है।

भावार्थ:
झरना उत्साह से भरा हुआ अपनी कहानी स्वयं सुनाता है।

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2. छोटे बड़े पहाड़ों में से,
अपनी राह बनाता हूँ,
चीर-चीर चट्टानों को मैं,
आगे बढ़ता जाता हूँ।

कठिन शब्दों के अर्थ:
राह = रास्ता। चट्टानों = बड़े-बड़े पत्थरों।

सरलार्थ:
झरना कहता है-मैं छोटे-बड़े पहाड़ों में से अपना रास्ता बना लेता हूँ। मैं बड़े-बड़े पहाड़ों को चीर-चीर कर आगे ही आगे बढ़ता जाता हूँ।

भावार्थ:
झरना अपनी वीरता और धैर्य से प्रेरणा देना चाहता है कि सब परिश्रम करें।

3. पथ की सारी बाधाओं से,
खेल-खेल कर भिड़ता हूँ,
थकता हूँ मैं नहीं कभी भी,
पीछे कभी न हटता हूँ।

कठिन शब्दों के अर्थ:
पथ = रास्ता। बाधाओं = रुकावटों।

सरलार्थ:
झरना कहता है-मैं अपने रास्ते की सभी रुकावटों से खेल-खेल में भिड़ जाता हूँ। मुझे कभी भी थकान नहीं होती और न कभी पीछे हटता हूँ।

भावार्थ:
झरने के उत्साह से पथ की रुकावटों को दूर करने की प्रेरणा प्राप्त होती है।

4. नहीं जानता हूँ मैं रोना,
हंसता हर पल गाता हूँ,
प्यासे पौधे, पंछी, पंथी,
सबकी प्यास बुझाता हूँ।

कठिन शब्दों के अर्थ:
हर पल = हर क्षण। पंछी = पक्षी। पंथी = मुसाफिर।।

सरलार्थ:
झरना कहता है-मैं कभी रोना नहीं जानता। मैं हर क्षण हँसता और गाता रहता हूँ। प्यासे पौधे, पक्षी और मुसाफिर की मैं सबकी प्यास बुझा देता हूँ।

भावार्थ:
झरने के परोपकारी स्वभाव को प्रकट किया गया है।

5. सूरज-चंदा ताराओं को,
गोदी में दुलारता हूँ,
बहता हूँ धरती पर,
पर अंबर को गले लगाता हूँ।

कठिन शब्दों के अर्थ:
ताराओं = तारों। दुलारता = प्यार करता। अंबर = आकाश।

सरलार्थ:
झरना कहता है-मैं सूर्य, चन्द्रमा और तारों को अपनी गोद में बैठा कर उनसे प्यार करता हूँ। मैं चाहे धरती पर बहता हूँ परन्तु आकाश को अपने गले लगाता हूँ।

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भावार्थ:
झरने के पानी में सूर्य, चाँद, तारों और आकाश के प्रतिबिंब बनने की कल्पना सुन्दर है।

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