PSEB 3rd Class Hindi Solutions Chapter 20 होनहार बालक चंद्रगुप्त

Punjab State Board PSEB 3rd Class Hindi Book Solutions Chapter 20 होनहार बालक चंद्रगुप्त Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 3 Hindi Chapter 20 होनहार बालक चंद्रगुप्त

Hindi Guide for Class 3 PSEB होनहार बालक चंद्रगुप्त Textbook Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर

I. बताओ –

1. नंद वंश के सर्वनाश के लिए चाणक्य को कैसे बालक की तलाश थी ?
उत्तर-
नंद वंश का सर्वनाश करने के लिए चाणक्य को तेजस्वी, पराक्रमी और वीर बालक की तलाश थी।

2. बालक चन्द्रगुप्त बचपन से ही कैसा था ?
उत्तर-
बालक चन्द्रगुप्त बचपन से ही बड़ा साहसी, निडर और न्यायकर्ता था। वह बालकों की टोली का राजा बनता था।

3. दोनों मित्र जनपद पर झगड़ा क्यों कर रहे थे ?
उत्तर-
दोनों मित्र झगड़ रहे थे। एक कह रहा था यात्रा पर जाने से पहले मैंने इसे सोने की मोहरें दी थीं यह उन्हें लौटा नहीं रहा। दूसरा अपने हाथ की छड़ी अपने मित्र को थमाते हुए कहता था कि मैंने मोहरें लौटा दी हैं।

4. बालक चन्द्रगुप्त ने न्याय कैसे किया ?
उत्तर-
बालक चन्द्रगुप्त समझ गया कि सोने की मोहरें छड़ी के अन्दर हैं। उसने वह छड़ी तुरन्त मोहरों के असली मालिक को दे दी।

5. क्या यही बालक मगध का भावी सम्राट बन पाया ?
उत्तर-
हाँ, यही बालक आगे चलकर मगध का सम्राट् बना और चन्द्रगुप्त मौर्य के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

II. वाक्यों में प्रयोग करो –

सर्वनाश, उत्सुकता, जनपद, तीक्ष्ण बुद्धि, गुप्तचर, प्रस्थान, भावी।
उत्तर-
सर्वनाश-भूचाल ने कुछ ही क्षणों में सर्वनाश कर दिया था।
उत्सुकता-सभी जादूगर की ओर उत्सुकता से देख रहे थे।
जनपद-जनपद में दो व्यक्ति झगड़ रहे थे।
तीक्ष्ण बुद्धि-चन्द्रगुप्त बचपन से ही तीक्ष्ण बुद्धि बालक था।
गुप्तचर-कश्मीर में पाक गुप्तचरों का जाल फैला है।
प्रस्थान-मैं कल यहाँ से प्रस्थान कर जाऊँगा।
भावी-भावी प्रधानमंत्री कौन होगा, कहना कठिन है।

III. वाक्य पूरे करो-

(i) नंद के राज्य का …………………………. करूँगा।

(ii) आज हम खुले दरबार में ………………………….. करेंगे।

(iii) दीन दुःखियों की सहायता ………………………….. से तुरन्त की जाए।
उत्तर-
(i) नंद के राज्य का सर्वनाश करूँगा।
(ii) आज हम खुले दरबार में न्याय करेंगे।
(iii) दीन दुःखियों की सहायता राजकोष से तुरन्त की जाए।

IV. वाक्य बनाओ

1. सौगन्ध खाना (कार्य करने की प्रतिज्ञा लेना) हम सब सौगन्ध खाते हैं कि हम अपने देश की रक्षा में मर मिटेंगे।
2. नींव रखना (कार्य का आधार बनाना)-नेता जी ने हमारे गाँव में विद्यालय निर्माण की आज नींव रख दी।
3. मुट्ठी भींचना (किसी बात को लेकर मन में जोश आना)-शत्र को देखते ही हम सब मुट्ठी भींचकर आगे बढ़ गए थे।

V. पढ़ो और समझो

मान = अपमान
शान्ति = अशान्ति
न्याय = अन्याय
सुख = दु:ख।
निर्देश-ये विपरीतार्थक शब्द जोड़े हैं। विद्यार्थी इनके अर्थों को समझें।

‘क’ में बॉक्स में दिये शब्द का विपरीत शब्द ‘ख’ भाग में से ढूँढ़कर बॉक्स बनाओ

1. किसी का अपमान मत करो 1. हमें समाज में अशांति नहीं फैलानी चाहिए।
2. हमें अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए। 2. राजा की अवज्ञा कौन कर सकता है?
3. उचित कार्य करने पर पुरस्कार मिलेगा 3. सभी का सम्मान करो।
4. यह राजा की आज्ञा है। 4. अनुचित कार्य करने पर दंड मिलेगा।
5. कक्षा में शांति से बैठो। 5. हमें किसी के साथ बेईमानी नहीं करनी चाहिए।

उत्तर-

1. किसी का अपमान मत करो। 1. सभी का सम्मान करो।
2. हमें अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए। 2. हमें किसी के साथ बेईमानी नहीं करनी चाहिए।
3. उचित कार्य करने पर पुरस्कार मिलेगा। 3. अनुचित कार्य करने पर दंड मिलेगा।
4. यह राजा की आज्ञा है। 4. राजा की अवज्ञा कौन कर सकता है?
5. कक्षा में शांति से बैठो। 5. हमें समाज में अशांति नहीं फैलानी चाहिए।

VI. निम्नलिखित शब्दों के सामने दिए गए ब्लैक बोर्ड में समान अर्थ वाले शब्द छिपे हैं, उन्हें ढूँढ़कर सही शब्द के आगे लिखो –

साहस : शूरता शौर्य
झगड़ा: …………………………….. ……………………………..
ब्राह्मण: …………………………….. ……………………………..
सम्राट: …………………………….. ……………………………..
कोष: …………………………….. ……………………………..
क्रोध: …………………………….. ……………………………..
वृद्ध: …………………………….. ……………………………..
लड़ाई: …………………………….. ……………………………..
खजाना: …………………………….. ……………………………..
मित्र: …………………………….. ……………………………..

उत्तर-

साहस शूरता शौर्य
झगड़ा तकरार
ब्राह्मण विप्र वामन
सम्राट राजा नृप
कोष भंडार
क्रोध गुस्सा रोष
वृद्ध बूढ़ा वयोवृद्ध
मित्र सखा दोस्त

VII. शब्द के जोड़ों(शब्द-युग्म)को ‘और’ लगाकर लिखिए और उनके अर्थ समझो

दीन-दुःखियों दीन और दुःखियों
राजा-प्रजा ……………………..
माता-पिता ……………………..
लालन-पालन ……………………..
उत्तर-
(i) दीन-दुःखियों दीन और दुःखियों।
(ii) राजा-प्रजा राजा और प्रजा।
(iii) माता-पिता माता और पिता।
(iv) लालन-पालन लालन और पालन।

होनहार बालक चंद्रगुप्त Summary & Translation in Hindi

पाठ का सार
चाणक्य और उसका मित्र वररुचि मंच पर आते हैं। चाणक्य कहता है कि मैं नंद वंश का सर्वनाश कर दूंगा। मैं ऐसे वीर बालक की खोज में हूँ जो नंद वंश को खत्म करके एक मज़बूत साम्राज्य कायम कर सके। सामने से बालकों की टोली आती है। उसमें एक बालक राजा बना हुआ है। वह टीले पर ही अपना दरबार लगा देता है। वह झगड़ रहे दो व्यक्तियों का न्याय करता है। चाणक्य उस बालक से बहुत प्रभावित हुआ। ब्राह्मण वेश में चाणक्य आकर कहता है-महाराज, मैं बहुत बूढ़ा हूँ। एक गाय मिल जाए तो परिवार का पालन-पोषण कर सकता हूँ। बालक ने कहा| मैदान में बहुत सी गाएँ चर रही हैं, जितनी चाहो ले जाओ। तुम्हें किसी का डर नहीं।

बालक महामन्त्री से कहता है कि राजकोष से दीन-दुःखियों की सहायता की जाए। चाणक्य यह | सुन वररुचि से कहता है शीघ्र चलो। मैं इस बालक के माता-पिता से मिलना चाहता हूँ। मैं इसे तक्षशिला ले जाऊँगा। इसकी पढ़ाई की व्यवस्था करूँगा। यही बालक चंद्रगुप्त आगे चल कर मगध का सम्राट बना।

कठिन शब्दों के अर्थ

गुप्तचर = जासूस।
जनपद = बस्ती।
वन = जंगल।
प्रदेश = इलाका।
दृश्य = नज़ारा।
मंच = स्टेज।
क्रोध = गुस्सा।
अपमान = बेइज्जती।
शिखा = चोटी।
स्पर्श = छूना।
सर्वनाश = सब कुछ नष्ट होना।
संभव = मुमकिन।
तेजस्वी = प्रतापी।
पराक्रमी = बलशाली ।
सशक्त = ताकतवर।
साम्राज्य = सल्तनत।
अत्यंत = बहुत ।
प्रभावशाली = असर वाला।
एकत्र = इकट्ठा।
उत्सुकता = जिज्ञासा।
कल्याण = भला।
प्रस्तुत = उपस्थित ।
जनपद = शहर।
विनम्रता = विनयशीलता।
सौगंध= शपथ।
वृत्तांत = ब्यौरा ।
आश्चर्य = हैरानी।
राजकीय कोष = शाही खज़ाना।
प्रस्थान = चलना, कूच करना।
तीक्षण = तीव्र।
भावी = आगे आने वाला।
भूमिका = भेष बदलना।

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