PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 23 विश्व के प्रमुख विषयों के प्रति भारत का दृष्टिकोण

Punjab State Board PSEB 12th Class Political Science Book Solutions Chapter 23 विश्व के प्रमुख विषयों के प्रति भारत का दृष्टिकोण Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Political Science Chapter 23 विश्व के प्रमुख विषयों के प्रति भारत का दृष्टिकोण

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
भारत में मानवीय अधिकारों की सुरक्षा के लिए किये गए प्रबन्धों का विस्तारपूर्वक वर्णन करो। (Write the arrangements made for the Protection of Human Rights in India in detail.)
अथवा
भारत में मानवीय अधिकारों की रक्षा सम्बन्धी कौन-से कदम उठाए गए हैं ? (What arrangements have been made in India for the Protection of Human Rights ?)
अथवा
भारत में मानवीय अधिकारों की रक्षा के लिए उठाये गए कोई छः कदमों का वर्णन कीजिए। (Describe any six steps taken in India for the protection of Human Rights.)
उत्तर-
मानवधिकारों का अर्थ-मानवाधिकार सामाजिक जीवन की वे परिस्थितियां हैं जिनमें रहकर व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का पूर्ण विकास कर सके। मानवाधिकारों की व्याख्या अत्यन्त विशाल है। इसमें मानव जीवन पर प्रभाव डालने वाले व्यापक वातावरण को शामिल किया जाता है। मानव अधिकारों के बिना कोई भी व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का विकास नहीं कर सकता। मानव अधिकारों से हमारा तात्पर्य चार प्रकार के अधिकरों से है-(1) ऐसे अधिकार जो प्रत्येक मानव में जन्म-जात होते हैं और उसके जीवन का अभिन्न अंग होते हैं। (2) ऐसे अधिकार जो मानव जीवन और उसके विकास के लिए आधारभूत होते हैं। (3) ऐसे अधिकार जिनके उपभोग के लिए उचित सामाजिक दशाओं का होना एक पूर्व शर्त है। (4) ऐसे अधिकार जिन्हें मानव की प्राथमिक आवश्यकता और मांगों के रूप में प्रत्येक राज्य को अपने संविधान तथा कानूनों में सम्मिलित कर लेना चाहिए।

भारत में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए किए गए प्रबन्ध-व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास, सम्मान, गौरव व समस्त मानवता के कल्याण के लिए मानवाधिकारों का होना अत्यावश्यक है। मानवाधिकार का अस्तित्व एवं रक्षा उपाय किसी सभ्यता के उत्थान अथवा पतन को इंगित करते हैं। सहिष्णुता, अहिंसा, प्रेम, बंधुत्व, स्वतन्त्रता और सर्वधर्म स्वभाव भारतीय सभ्यता के अटूट अंग रहे हैं। परन्तु समय-समय पर विदेशी आक्रांताओं ने भारतीयों के अधिकारों का हनन किया है। औपनिवेशिक शासन के दौरान भारतीयों का दमन किया गया और मानवाधिकार नाम की कोई चीज़ नहीं रह गई थी। परन्तु स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान ही प्रबुद्ध भारतीयों का पश्चिमी देशों के साथ सम्पर्क हुआ और भारत में भी मानवाधिकारों के प्रति एक नई समझ-बूझ पैदा हुई। स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान धार्मिक नेताओं, सामाजिक सुधारकों व शिक्षा शास्त्रियों ने स्वतन्त्रता व अधिकारों का जोर-शोर से प्रचार किया। ब्रिटिश दमनकारी नीतियों ने बच्चों, स्त्रियों पुरुषों, श्रमिकों, किसानों इत्यादि पर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से बहुत अधिक प्रभाव डाला। भारत में पहली बार 1928 में ‘सर्व दलीय बैठक’ में मानवाधिकारों की मांग की गई, परन्तु ब्रिटिश सरकार द्वारा इसे ठुकरा दिया गया। 1935 में भारत सरकार अधिनियम के अन्तर्गत भी इस मांग को ठुकरा दिया गया।

भारतीय संविधान निर्माता मानवाधिकारों के प्रति सचेत थे और इनका महत्त्व समझते थे। इसीलिए संविधान सभा के सदस्यों, जो मानवाधिकारों के प्रमुख समर्थक थे, ने नए संविधान में जान-बूझ कर नागरिकों के मौलिक अधिकारों की व्यवस्था की। संविधान निर्माताओं का यह विचार था कि यदि संविधान में मौलिक अधिकारों को स्थान न दिया गया तो वह पंगु रहेगा और विश्व की प्रेरणाओं का स्रोत नहीं बन पाएगा।

भारतीय संविधान भाग-III में अनुच्छेद 14 से 32 तक नागरिकों के मौलिक अधिकारों का विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है। ये अधिकार हैं
(1) समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18), (2) स्वतन्त्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22), (3) शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24), (4) धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28), (5) सांस्कृतिक व शिक्षा सम्बन्धी अधिकार (अनुच्छेद 29-30), (6) संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32) । संविधान द्वारा बिना किसी भेदभाव के सभी नागरिकों को समान रूप से मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं। इन अधिकारों द्वारा राज्य की शक्तियों पर प्रतिबन्ध लगाया गया है। विशेष रूप से कमजोर वर्गों, महिलाओं, बच्चों, अल्पसंख्यकों आदि के मानवाधिकारों के लिए विशेष कदम उठाने के प्रबन्ध भी किए गए हैं। इसके अतिरिक्त संविधान के भाग-IV में निर्देशक सिद्धान्तों के अन्तर्गत यह व्यवस्था की गई है कि राज्य अपनी नीति का निर्धारण इस प्रकार से करेगा कि सामाजिकआर्थिक न्याय की प्राप्ति हो सके।

भारत में मानव अधिकारों की रक्षा के लिए उठाये गए कदम- भारत में मानवीय अधिकारों की रक्षा के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं

  1. मौलिक अधिकारों की व्यवस्था- भारत के संविधान में छः मौलिक अधिकार प्रदान किये गए हैं। मौलिक अधिकारों की अवहेलना पर नागरिकों को न्यायालय में पांच प्रकार की याचिकाएं (Writs) दायर करने का अधिकार दिया गया है।
  2. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की स्थापना- भारत में मानवीय अधिकारों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की स्थापना की गई हैं।
  3. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग-मानव अधिकारों की रक्षा के लिए भारत में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग की स्थापना की गई है।
  4. राष्ट्रीय महिला आयोग- भारत में महिला अधिकारों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना की गई है।
  5. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग- भारत में अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की गई है।
  6. स्वतन्त्र न्यायपालिका-भारत में मानव अधिकारों की रक्षा के लिए स्वतन्त्र न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है। न्यायपालिका मानव अधिकारों की प्रहरी के रूप में कार्य करती है।

निःशस्त्रीकरण का अर्थ एवं आवश्यकता
(Meaning and Need of Disarmament)

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 23 विश्व के प्रमुख विषयों के प्रति भारत का दृष्टिकोण

प्रश्न 2.
निःशस्त्रीकरण से आप क्या समझते हो ? आधुनिक युग में इसकी क्या आवश्यकता है ?
(What do you mean by Disarmament ? Discuss the necessity of Disarmament in Present World.)
उत्तर-
नि:शस्त्रीकरण आज अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की ज्वलंत समस्या है जो कि निरन्तर विचार-विमर्श के बावजूद भी गम्भीर बनी हुई है। क्योंकि 20वीं शताब्दी में शस्त्रों के उत्पादन ने बड़ा भयानक रूप धारण कर लिया है, जिसके कारण मानव सभ्यता अपने आपको बारूद के ढेर पर बैठी हुई अनुभव करती है जो कि किसी भी क्षण सम्पूर्ण मानव सभ्यता को नष्ट कर सकती है। शस्त्रों की दौड़, खासतौर पर आण्विक शस्त्रों की दौड़ इतनी तेजी से बढ़ रही है कि इसके कारण ‘पागलपन’ (Madness) की स्थिति पैदा हो गई है। इसीलिए आज विश्व समुदाय निःशस्त्रीकरण के ऊपर ज़ोर दे रहा है और यही समय की मांग है।

निःशस्त्रीकरण का अर्थ (Meaning of Disarmament)-साधारण शब्दों में नि:शस्त्रीकरण से हमारा अभिप्राय: “शारीरिक हिंसा के प्रयोग के समस्त भौतिक तथा मानवीय साधनों के उन्मूलन से है।” यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य हथियारों के अस्तित्व और उनकी प्रकृति से उत्पन्न कुछ खास खतरों को कम करना है। इससे हथियारों की सीमा निश्चित करने या उन पर नियन्त्रण करने या उन्हें कम करने का विचार प्रकट होता है। निःशस्त्रीकरण का लक्ष्य आवश्यक रूप से निरस्त्र कर देना नहीं है। इसका लक्ष्य तो यह है कि जो भी हथियार इस समय उपस्थित हैं, उनके

(1) मॉरगेंथो (Morgenthau) के शब्दों में, “निःशस्त्रीकरण कुछ या सब शस्त्रों में कटौती या उनको समाप्त करता है ताकि शस्त्रीकरण की दौड़ का अन्त हो।”
(2) वी० वी० डायक (V.V. Dyke) के मतानुसार, “सैनिक शक्ति से सम्बन्धित किसी भी तरह के नियन्त्रण अथवा प्रतिबन्ध लगाने के कार्य को नि:शस्त्रीकरण कहा जाता है।”
(3) वेस्ले डब्ल्यू ० पोस्वार (Wesley W. Posvar) ने अपने एक लेख “The New Meaning of Arms Control’ में लिखा है कि, “निःशस्त्रीकरण से हमारा अभिप्रायः सेनाओं और शस्त्रों को घटा देने या समाप्त कर देने से है जबकि शस्त्र-नियन्त्रण में वे सभी उपाय शामिल हैं जिनका उद्देश्य युद्ध के संभावित और विनाशकारी परिणामों को रोकना है। इसमें सेनाओं तथा शस्त्रों के घटाने या न घटाने को विशेष महत्त्व नहीं दिया जाता है।”

निःशस्त्रीकरण की आवश्यकता (NECESSITY OF DISARMAMENT):
निम्न कारणों से निःशस्त्रीकरण को आवश्यक माना जाता है-
1. विश्व शान्ति व सुरक्षा के लिए-नि:शस्त्रीकरण के द्वारा ही विश्व शान्ति व सुरक्षा की स्थापना सम्भव है।

2. निःशस्त्रीकरण आर्थिक विकास में सहायक-विश्व के अधिकांश विकसित व अविकसित राष्ट्र अपने धन यदि विकासशील देश निःशस्त्रीकरण की प्रक्रिया को अपनाते हुए निःशस्त्रीकरण के रास्ते पर चलें तो इसके कारण इन देशों का बहुत आर्थिक विकास हो सकता है क्योंकि ये देश जितना धन अपनी रक्षा पर खर्च करते हैं वही धन ये अपने आर्थिक विकास पर खर्च करें तो शीघ्र ही यह आर्थिक शक्ति बन सकते हैं।

3. निःशस्त्रीकरण अंतर्राष्ट्रीय तनाव को कम करता है-नि:शस्त्रीकरण के द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय तनाव में कमी आती है क्योंकि शस्त्रों की होड़ के कारण प्रत्येक राष्ट्र अधिक-से-अधिक हथियार एकत्रित करने की सोचता है। हैडली बुल के अनुसार शस्त्रों की होड़ स्वयं तनाव की सूचक है। अतः अन्तर्राष्ट्रीय तनाव को कम करने व आपसी सहयोग की वृद्धि के लिए आवश्यक है कि नि:शस्त्रीकरण पर बल दिया जाए।

4. निःशस्त्रीकरण उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद का अन्त करने में सहायक है-जब एक देश के पास बड़ी मात्रा में हथियार जमा होने लगते हैं तो वह इनका प्रयोग अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने में करने लगता है। इसके कारण ही उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद की बुराइयां पैदा हो जाती हैं क्योंकि साम्राज्यवाद व उपनिवेशवाद शक्ति बढ़ाने के ही दूसरे रूप हैं। यदि राष्ट्र निःशस्त्रीकरण पर बल देंगे तो शक्तिशाली राष्ट्र कभी भी अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने की नहीं सोचेंगे जिसके कारण उपनिवेशवाद व साम्राज्यवाद का अन्त होगा तथा राष्ट्रों के मध्य आपसी सहयोग व शान्ति का वातावरण बनेगा।

5. लोक-कल्याण को बढ़ावा-सभी राष्ट्र चाहे वह विकसित हों या विकासशील शस्त्रों पर धन व्यय करते हैं। यदि विकासशील देश निःशस्त्रीकरण की नीति पर चलें तो वह प्रति वर्ष अपने करोड़ों डालर बचा कर उन्हें लोककल्याण के कार्यों पर खर्च कर सकते हैं।

6. विदेशी इस्तक्षेय को रोकता है-जब बड़े शष्ट्र शास्त्रों का भारी मात्रा में निर्माण कर लेते है तो इन्हें दूसरे देशों व अविकसित देशों में बेचते हैं। कुछ अविकसित देश इन देशों से नवीन तकनीक के सैन्य उपकरणों का आयात करते हैं। इसके कारण वह उन विकासशील देशों के आंतरिक मामलों में दखल-अंदाज़ी करते हैं। अत: विकासशील देशों में महाशक्तियों के बढ़ते हुए हस्तक्षेप को रोकने के लिए यह आवश्यक है कि यह देश मिलकर निःशस्त्रीकरण पर बल दें।

7. सैनिकीकरण को रोकता है-प्रायः देखा जाता है कि शस्त्रों की होड़ सैनिकीकरण को जन्म देती है। आज प्रत्येक राष्ट्र अपनी सुरक्षा के लिए लाखों की सेना एकत्रित करता है। अतः बढ़ते हुए सैनिकीकरण को रोकने के लिए नि:शस्त्रीकरण बहुत आवश्यक है।

8. सैनिक गठबन्धनों को रोकता है-निःशस्त्रीकरण सैनिक गठबन्धनों को रोकता है। द्वितीय विश्व-युद्ध के बाद शस्त्रीकरण की प्रक्रिया आरम्भ हुई। इसके दौरान कई सैनिक गठबन्धन हुए जिनमें नाटो, सीटो, सेंटो, एंजुस गठबन्धन अमेरिका के द्वारा किए गए। परन्तु जैसे ही 1985 के बाद गोर्बोच्योव-रीगन के मध्य वार्ता आरम्भ हुई तो इसमें निःशस्त्रीकरण की प्रक्रिया आरम्भ हुई और धीरे-धीरे नाटो को छोड़कर सभी सैनिक गठबन्धन समाप्त हो गए हैं। अतः स्पष्ट है कि नि:शस्त्रीकरण सैनिक गठबन्धनों को रोकता है।

9. परमाणु युद्ध से बचाव के लिए आवश्यक-द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 7 अगस्त, 1945 को अमेरिका ने नागासाकी पर और 9 अगस्त, 1945 को हिरोशीमा पर परमाणु बम गिराए। इसके कारण भयंकर नरसंहार हुआ। इसके पश्चात् 1949 में सोवियत संघ ने, 1954 में ब्रिटेन ने, 1959 में फ्रांस ने तथा 1963 में चीन ने परमाणु बम का आविष्कार किया। इन देशों ने मिलकर ‘परमाणु क्लब’ बना लिया और परमाणु क्षमता पर अपना एकाधिकार जमाए रखा। इसका मुख्य कारण था कि परमाणु शक्ति का प्रसार न हो। परन्तु धीरे-धीरे भारत, इज़राइल, ब्राज़ील, दक्षिणी अफ्रीका, ईराक, पाकिस्तान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों ने भी परमाणु क्षमता प्राप्त कर ली जिसके कारण परमाणु युद्ध होने के आसार बढ़ गए। इसके कारण परमाणु क्लब के सदस्य राष्ट्रों को चिंता हुई और उन्होंने परमाणु युद्ध को रोकने के लिए नि:शस्त्रीकरण पर बल दिया। इस दिशा में व्यापक परमाणु प्रसार निषेध सन्धि (C.T.B.T.) उल्लेखनीय है। 1985 में गोर्बोच्योव-रीगन के मध्य शान्ति वार्ता आरम्भ हुई और इसके कारण निःशस्त्रीकरण की प्रक्रिया आरम्भ हुई और परमाणु युद्ध का भय टल गया।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 23 विश्व के प्रमुख विषयों के प्रति भारत का दृष्टिकोण

प्रश्न 3.
भूमण्डलीय निःशस्त्रीकरण के उद्देश्य को प्राप्त करने की दिशा में भारत की भूमिका.का वर्णन कीजिए। (Describe the role played by India in achieving the objective of Global Disarmament.)
अथवा
भारत द्वारा निःशस्त्रीकरण की दिशा में उठाए गए कदमों का वर्णन करें। (Explain steps taken by India towards Disarmaments.)
उत्तर-
भारत शान्तिप्रिय देश है। भारत की विदेश नीति का मूल उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा कायम रखना तथा उसे प्रोत्साहित करना है। भारत की मूल नीति यह है कि नि:शस्त्रीकरण के द्वारा ही विश्व-शान्ति को बनाए रखा जा सकता है और अणुशक्ति का प्रयोग केवल मानव कल्याण के लिए ही होना चाहिए। स्वतंत्रता के पश्चात् भारत सरकार ने अणु बमों के बनाने और उनके परीक्षणों का घोर विरोध किया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के निःशस्त्रीकरण के प्रयासों में सदैव महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत के प्रतिनिधियों ने संयुक्त राष्ट्र में अणु बम तथा परमाणु शस्त्र बनाने के विरुद्ध सदैव आवाज़ उठायी है और उन प्रस्तावों का समर्थन किया है जो इनके परीक्षण पर रोक लगाते हैं। 14 जुलाई, 1966 को मास्को में भाषण देते हुए प्रधानमन्त्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि, “परमाणु शस्त्रीकरण का वास्तविक उत्तर पूर्ण निःशस्त्रीकरण है। इस विश्व-व्यापी समस्या का समाधान अविलंब किया जाना है।”

संयुक्त राष्ट्र निःशस्त्रीकरण सम्मेलन (1978)–मई-जून, 1978 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा के नि:शस्त्रीकरण से सम्बन्धित अधिवेशन में भारत के प्रधानमन्त्री मोरारजी देसाई ने पूर्ण निःशस्त्रीकरण का समर्थन किया। प्रधानमन्त्री मोरारजी देसाई ने 9 जून, 1978 में घोषणा की कि-“हमने अपने आप से संकल्प लिया है कि हम परमाणु हथियारों का निर्माण नहीं करेंगे और न ही इन्हें कहीं से प्राप्त करेंगे।”

संयुक्त राष्ट्र निःशस्त्रीकरण सम्मेलन (1982)-जून, 1982 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा में निःशस्त्रीकरण की समस्या पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया। भारत की प्रधानमन्त्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने परमाणु अस्त्रों पर रोक लगाने के बारे में एक पाँच सूत्रीय कार्यक्रम प्रस्तुत किया, जिसकी संयुक्त राष्ट्र में बहुत प्रशंसा की गई।

निःशस्त्रीकरण पर विश्व सम्मेलन-भारत ने अगस्त, 1987 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा न्यूयार्क में आयोजित, नि शत्रीकरण पर आयोजित विश्व सम्मेलन में भाग लिया। भारत के विदेश राज्य मन्त्री नटवर सिंह ने अपने भाषण के दौरान सैन्य प्रतिस्पर्धा को समाप्त करके विश्व को विनाश से बचाने की अपील की।

प्रधानमन्त्री राजीव गांधी के निःशस्त्रीकरण के लिए किए गए प्रयास-प्रधानमन्त्री राजीव गांधी ने कई बार स्पष्ट शब्दों में कहा कि नि:शस्त्रीकरण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। वे सामूहिक विध्वंस करने वाले परमाणु हथियारों पर पाबंदी लगाने के पक्ष में थे। प्रधानमन्त्री राजीव गांधी ने अक्तूबर, 1987 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा में बोलते हुए पुन: परमाण्विक निःशस्त्रीकरण की अपील की और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि परमाणु आयुध सम्पन्न सभी राष्ट्र अपने समस्त आयुधों और उन्हें फेंकने के उपकरणों को नष्ट कर दें और भविष्य में उन्हें न बनाने का आश्वासन दें। भारत ने 29 अक्तूबर, 1987 को महासभा की नि:शस्त्रीकरण मामलों की समिति में प्रस्ताव रखा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा परमाणु हथियार वाले सभी देशों को इन हथियारों का प्रसार रोकने के लिए सहमत कराये। जून, 1988 में प्रधानमन्त्री राजीव गांधी ने नि:शस्त्रीकरण पर संयुक्त राष्ट्र के तीसरे विश्व सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए आगामी 22 वर्ष के भीतर विश्व के सभी तरह के परमाणु हथियार हटाने के लिए तीन चरण में समयबद्ध कार्यक्रम योजना का सुझाव दिया तथा संयुक्त राष्ट्र से इस योजना को तत्काल एक कार्यक्रम के रूप में आरंभ करने का आग्रह किया।

गुट-निरपेक्ष देशों का 11वाँ शिखर सम्मेलन-1995 में गुट-निरपेक्ष देशों.के 11वें शिखर सम्मेलन में भारत ने विश्व से पूर्ण परमाणु निःशस्त्रीकरण के पक्ष में सहयोग देने की बात कही। भारत पूर्ण नि:शस्त्रीकरण के पक्ष में है। परन्तु भारत ने 1996 में व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध सन्धि पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया। ये सन्धि समानता के सिद्धान्त का उल्लंघन करती है क्योंकि ये सन्धि परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों और परमाणु शक्ति विहीन देशों में भेदभाव करती है। भारत परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबन्ध लगाने के पक्ष में है परन्तु साथ में भारत ये भी चाहता है कि जिन देशों के पास परमाणु हथियार हैं, वे उन्हें समयबद्ध कार्यक्रम के आधार पर नष्ट करें। अतः भारत पूर्ण नि:शस्त्रीकरण का महान् समर्थक है।

भारत ने सन् 1998 में पांच परमाणु परीक्षण किये तथा साथ यह घोषणा कि वह परमाणु विहीन राष्ट्रों पर परमाणु हमला नहीं करेगा। वर्तमान समय में भी भारत निःशस्त्रीकरण के लिए निरन्तर कदम उठा रहा है।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 23 विश्व के प्रमुख विषयों के प्रति भारत का दृष्टिकोण

प्रश्न 4.
वैश्वीकरण से क्या अभिप्राय है ? भारत में वैश्वीकरण (संसारीकरण ) की चार विशेषताओं का वर्णन करें। (What do you mean by Globalisation ? Explain four features of Globalisation in India.)
उत्तर-
20वीं शताब्दी के अन्तिम दशक में संचार क्रान्ति ने समूचे विश्व की दूरियां कम कर दी और समस्त संसार को ‘सार्वभौमिक ग्राम’ (Global Village) में परिवर्तित कर दिया। इस युग में एक नई विचारधारा का सूत्रपात हुआ जिसे वैश्वीकरण (Globalisation) कहा जाता है। यद्यपि भारत दगा विचारधारा से अनभिज्ञ नहीं है क्योंकि हमारी संस्कृति ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ को मान्यता प्रदान करती है, लेकिन आधुनिक युग में वैश्वीकरण का विशेष महत्त्व है। अध्ययनों से यह स्पष्ट हो जाता है वैश्वीकरण तुलनात्मक लागत-लाभ (Comparative Cost) के सिद्धान्त का आधुनिक संस्करण है। इसका प्रतिपादन प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों द्वारा किया गया था ताकि ग्रेट ब्रिटेन को पिछड़े देशों और अपने उप-निवेशों में निर्बाध रूप से वस्तुओं के निर्यात-आयात का सैद्धान्तिक आधार मिल सके। इसके पीछे यह तर्क दिया गया कि विशेषीकरण के परिणामस्वरूप आपस में व्यापार सम्बन्ध रखने वाले सभी देशों को लाभ होगा। यही तर्क अब

वैश्वीकरण के समर्थक दे रहे हैं। – वैश्वीकरण की परिभाषा एवं अर्थ-वैश्वीकरण की अवधारणा को विचारकों ने निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया है

(1) ऐन्थनी गिडंस (Anthony Giddens) के मतानुसार वैश्वीकरण की अवधारणा को निम्नलिखित प्रकार से समझा जा सकता है
(i) वैश्वीकरण से अभिप्राय विश्वव्यापी सम्बन्धों के प्रबलीकरण से है।
(ii) वैश्वीकरण एक ऐसी अवधारणा है जो दूरस्थ प्रदेशों को इस प्रकार जोड़ देती है कि स्थानीय घटनाक्रम का प्रभाव मीलों दूर स्थित प्रदेशों की व्यवस्थाओं एवं घटनाओं पर पड़ता है।
(2) रोबर्टसन (Robertson) के अनुसार वैश्वीकरण, विश्व एकीकरण की चेतना के प्रबलीकरण से सम्बन्धित अवधारणा है।
(3) वैश्वीकरण से आशय है “व्यापार, पूंजी एवं टेक्नालॉजी के प्रवाहों के माध्यम से घरेलू अर्थव्यवस्था का शेष संसार के साथ एकीकरण एवं समन्वय।”

साधारण शब्दों में वैश्वीकरण से अभिप्राय किसी वस्तु, सेवा, पूंजी एवं बौद्धिक संपदा का एक देश से दूसरे के साथ अप्रतिबन्धित आदान-प्रदान है। वैश्वीकरण की अवधारणा के कारण विश्व के देश एक-दूसरे के निकट आए हैं तथा यह एक विश्व, एक राज्य, एक इकाई एवं विश्व शान्ति की ओर प्रभावी कदम है। वैश्वीकरण की अवधारणा के कारण विश्व की समस्याओं को सुलझाना आसान हो गया है।

वैश्वीकरण की विशेषताएं (Features of Globalisation)—वैश्वीकरण की अवधारणा की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  • अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था वैश्वीकरण की प्रक्रिया की विशेषता ही नहीं, अपितु इसका परिणाम भी है।
  • विश्वव्यापी संगठनों का उद्भव वैश्वीकरण की प्रक्रिया की एक प्रमुख विशेषता है। इस प्रक्रिया के चलते विश्व व्यापार संगठन (W.T.O) 1 जनवरी, 1995 को अस्तित्व में आया।
  • सूचना एवं संचार के क्षेत्र में क्रान्ति वैश्वीकरण की प्रक्रिया की विशेषता है।
  • अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा के लिए विकसित अन्तर्राष्ट्रीय कानून वैश्वीकरण की अवधारणा का ही एक अंग है।
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियां वैश्वीकरण की प्रक्रिया का एक लक्षण हैं।
  • भौगोलिक सीमाओं के महत्त्व का विघटन भी वैश्वीकरण की प्रक्रिया की एक विशेषता है एवं यह इस प्रक्रिया का परिणाम भी है।
  • विदेशी निवेश में वृद्धि भी वैश्वीकरण की प्रक्रिया का लक्षण है।
  • अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में बढ़ावा वैश्वीकरण की प्रक्रिया की विशेषता है।
  • विकसित तकनीक वैश्वीकरण की एक विशेषता है।
  • वैश्वीकरण की अन्य विशेषता प्रतिस्पर्धात्मक अर्थव्यवस्था है।
    अतः वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने आज संसार का नक्शा ही बदल दिया है और विश्व के सभी समुदायों को निकट ला विश्व समाज की स्थापना की है।

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प्रश्न 5.
वैश्वीकरण से क्या अभिप्राय है ? भारत ने वैश्वीकरण की नीति क्यों अपनाई है ? (What do you mean by Globalisation ? Why India adopted the Policy of Globalisation?)
उत्तर-
वैश्वीकरण का अर्थ-इसके लिए प्रश्न नं0 4 देखें। भारत ने वैश्वीकरण की नीति क्यों अपनाई ?–भारत ने निम्नलिखित कारणों से वैश्वीकरण की नीति अपनाई है-

  • वैश्वीकरण की नीति अपनाने से भारतीय अर्थव्यवस्था प्रतियोगी बन जायेगी।
  • वैश्वीकरण की नीति अपनाने से भारत में विदेशी धन एवं तकनीक का आयात हो सकेगा, जो भारत के विकास के लिए सहायक सिद्ध होगा।
  • वैश्वीकरण के कारण विभिन्न उत्पादों में प्रतियोगिता होगी, जिससे, उपभोक्ताओं को ऊंची गुणवत्ता वाले उत्पादन कम मूल्य में मिल सकेंगे।
  • वैश्वीकरण की प्रक्रिया अपनाने से भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व अर्थव्यवस्था से जुड़ जायेगी, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
  • वैश्वीकरण की नीति अपनाने से भारत में औद्योगिक विकास होगा।
  • वैश्वीकरण की नीति अपनाने से भारत में अधिक रोज़गारों का सृजन होगा।

प्रश्न 6.
भारत द्वारा अपनाई गई भूमण्डलीकरण या वैश्वीकरण की नीति के गुण व दोष लिखें। (Write down the Merits and Demerits of the Policy of Globalisation Adopted by India.)
उत्तर-
भारत द्वारा सन् 1991 में वैश्वीकरण की नीति को अपनाया गया। इसके गुण एवं दोषों का वर्णन इस प्रकार हैं।
गुण (Merits)-

  • वैश्वीकरण की नीति अपनाने से भारतीय अर्थ व्यवस्था प्रतियोगी बन गई है।
  • वैश्वीकरण के कारण भारत में रोज़गार के अवसर बढ़े हैं।”
  • वैश्वीकरण के कारण भारत ने नई-नई विदेशी तकनीकों का आगमन हुआ है।
  • वैश्वीकरण के कारण भारत में विदेशी निवेश बढ़ा है।
  • वैश्वीकरण के कारण भारत में प्रतियोगिता बढ़ी है, जिससे उपभोक्ताओं को सस्ते दामों पर उचित वस्तु प्राप्त हो रही है।
  • वैश्वीकरण से भारत में उद्योगों का विकास हुआ है।

अवगुण (Demerits)

  • वैश्वीकरण की प्रक्रिया अपनाने से रोज़गार के अवसर बढ़ने की अपेक्षा कम हुए हैं तथा भारत में बेरोज़गारी बढ़ी है।
  • वैश्वीकरण के कारण भारतीय मज़दूरों का शोषण हो रहा है।
  • वैश्वीकरण के कारण भारत में आर्थिक असमानता बढ़ी है।
  • वैश्वीकरण के कारण विदेशी कम्पनियों ने भारतीय संसाधनों का अनावश्यक रूप से दोहन किया है।
  • वैश्वीकरण के कारण भारत में सार्वजनिक क्षेत्र को नुकसान हुआ है।
  • वैश्वीकरण के कारण भारत में लघु एवं कुटीर उद्योग बंद हो गए हैं।
  • आलोचकों का कहना है कि वैश्वीकरण की प्रक्रिया अपनाने से भारत आर्थिक रूप से विदेशी राज्यों का गुलाम बन जायेगा।

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 23 विश्व के प्रमुख विषयों के प्रति भारत का दृष्टिकोण

लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
विश्व की प्रमुख समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर-
विश्व की अनेक समस्याएं हैं, जिनमें मुख्य समस्याएं निम्नलिखित हैं-

  • निःशस्त्रीकरण-विशेषकर परमाणु निःशस्त्रीकरण विश्व की एक मुख्य समस्या है। विश्व शान्ति के लिए सम्पूर्ण निःशस्त्रीकरण अति आवश्यक है।
  • सामाजिक और आर्थिक जीवन का विकास विश्व की दूसरी महत्त्वपूर्ण समस्या है। आर्थिक असमानता को कम करना नई अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है।
  • अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा विश्व की अन्य महत्त्वपूर्ण समस्या है। सुरक्षा सभी देशों और व्यक्तियों की व्यापक प्रवृत्ति है तथा शान्ति के लिए आवश्यक ह
  • विश्व की एक महत्त्वपूर्ण समस्या मानव अधिकार है। मानव अधिकारों के बिना व्यक्ति अपने जीवन का विकास नहीं कर सकता।
    ये चारों विश्व समस्याएं एक-दूसरे से घनिष्ठ सम्बन्ध रखती हैं और इनके हल के द्वारा ही विश्व शान्ति, विश्व कल्याण और विश्व समृद्धि सम्भव है।

प्रश्न 2.
निःशस्त्रीकरण से आपका क्या भाव है ?
उत्तर-
साधारण शब्दों में नि:शस्त्रीकरण से हमारा अभिप्राय शारीरिक हिंसा के प्रयोग के समस्त भौतिक तथा मानवीय साधनों के उन्मूलन से है। यह एक ऐसा कार्यक्रम है-जिसका उद्देश्य हथियारों के अस्तित्व और उनकी प्रकृति से उत्पन्न कुछ खास खतरों को कम करना है। इससे हथियारों की सीमा निश्चित करने या उन पर नियन्त्रण करने या उन्हें कम करने का विचार प्रकट होता है। नि:शस्त्रीकरण का लक्ष्य आवश्यक रूप से निरस्त्र कर देना नहीं है। इसका लक्ष्य तो यह है कि जो भी हथियार इस समय उपस्थित हैं, उनके प्रभाव को घटा दिया जाए।

  • मॉरगेंथो (Morgenthau) के शब्दों में, “निःशस्त्रीकरण कुछ या सब शस्त्रों में कटौती या उनको समाप्त करता है ताकि शस्त्रीकरण की दौड़ का अन्त हो।”
  • वी० वी० डायक (V.V. Dyke) के मतानुसार, “सैनिक शक्ति से सम्बन्धित किसी भी तरह के नियन्त्रण अथवा प्रतिबन्ध लगाने के कार्य को नि:शस्त्रीकरण कहा जाता है।”

PSEB 12th Class Political Science Solutions Chapter 23 विश्व के प्रमुख विषयों के प्रति भारत का दृष्टिकोण

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की रचना लिखो।
उत्तर-
मानव अधिकार सुरक्षा अधिनियम के अधीन गठित राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग में निम्नलिखित सदस्य शामिल किए गए हैं

  • इस आयोग की अध्यक्षता भारतीय सर्वोच्च न्यायालय का एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश करेगा।
  • एक वह सदस्य जो कि सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश हो या वह रह चुका हो।
  • एक सदस्य वह जो कि उच्च न्यायालय का न्यायाधीश हो या रह चुका हो।
  • मानव अधिकारों से सम्बन्धित विशेष ज्ञान रखने वाले दो व्यक्ति।
  • इन सदस्यों के अलावा कुछ विशेष कार्यों के लिए अल्पसंख्यक आयोग (National Commission for Minorities), अनुसूचित जाति व जन-जातियों से सम्बन्धित राष्ट्रीय आयोग व महिलाओं से सम्बन्धित राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्षों की कुछ समय के लिए मानव अधिकार आयोग के सदस्यों की नियुक्ति की जा सकती है।

इस तरह यह स्पष्ट है कि मानव अधिकार आयोग में एक अध्यक्ष के अलावा चार अन्य स्थाई सदस्य होते हैं। अस्थायी सदस्यों के रूप में मानव अधिकार आयोग में अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति व जन-जातियों तथा महिला आयोगों के अध्यक्षों की कुछ समय के लिए किसी विशेष कार्य हेतु नियुक्ति की जा सकती है। इस आयोग में एक सचिव (Secretary General) भी होता है। जिसको आयोग का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (Chief executive officer) कहा जाता है। इसकी नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा मानव अधिकार आयोग के लिए की जाती है।

प्रश्न 4.
वैश्वीकरण से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वैश्वीकरण (Globalisation) से अभिप्राय है किसी वस्तु, सेवा, पूंजी एवं बौद्धिक सम्पदा का एक देश से दूसरे देशों के साथ निर्बाध रूप से आदान-प्रदान। वैश्वीकरण के अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का संचालन निर्बाध रूप से होता है जो एक सर्वसहमत अन्तर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करता है।

  1. रोबर्टसन के अनुसार, “वैश्वीकरण विश्व एकीकरण की चेतना के प्रबलीकरण से सम्बन्धित अवधारणा है।”
  2. गाय ब्रायंबंटी के अनुसार, “वैश्वीकरण की प्रक्रिया केवल विश्व व्यापार की खुली व्यवस्था, संचार के आधुनिकतम तरीकों के विकास, वित्तीय बाज़ार के अन्तर्राष्ट्रीयकरण, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के बढ़ते महत्त्व, जनसंख्या देशान्तरगमन तथा विशेषतः लोगों, वस्तुओं, पूंजी, आंकड़ों तथा विचारों के गतिशीलन से ही सम्बन्धित नहीं है, बल्कि संक्रामक रोगों तथा प्रदूषण का प्रसार भी इसमें शामिल है।”

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प्रश्न 5.
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के चार मुख्य कार्य लिखो।
अथवा
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चार मुख्य कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
मानव अधिकार आयोग निम्नलिखित कार्य करता है-

  • भारत के किसी भी क्षेत्र में मानव अधिकारों की अवहेलना होने पर उनकी जांच-पड़ताल मानव अधिकार । आयोग पीड़ित व्यक्ति की प्रार्थना पर करता है।
  • आयोग लोक-कल्याणकारी अधिकारी द्वारा मानव अधिकारों के उल्लंघन को रोकने में की गई ढील की जांचपड़ताल करता है।
  • आयोग मानव अधिकारों के क्षेत्र में गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा उठाए जा रहे कदमों को प्रोत्साहित करता है।
  • आयोग संविधान व राष्ट्रीय कानूनों में वर्णित मानव अधिकारों से सम्बन्धित व्यवस्था पर विचार करता है और उन्हें प्रभावशाली ढंग से लागू करने की सिफ़ारिश करता है।

प्रश्न 6.
निःशस्त्रीकरण के सम्बन्ध में भारत का क्या दृष्टिकोण है ?
अथवा
भारत का निशस्त्रीकरण के प्रति क्या दृष्टिकोण है ?
उत्तर-
भारत एक शान्तिप्रिय देश है। भारत की यही नीति रही है कि नि:शस्त्रीकरण के द्वारा ही विश्व शान्ति को बनाए रखा जा सकता है। प्रधानमन्त्री श्री राजीव गांधी ने कई बार स्पष्ट शब्दों में कहा था कि नि:शस्त्रीकरण समय की मांग है। प्रधानमन्त्री श्री राजीव गांधी ने अक्तूबर, 1987 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा में बोलते हुए निःशस्त्रीकरण की अपील की और इस बात पर बल दिया कि परमाणु हथियारों से सम्पन्न सभी राष्ट्र अपने सभी आयुद्धों और उन्हें फेंकने के उपकरणों को नष्ट कर दें और उन्हें भविष्य में फिर न बनाने की गारण्टी दें। भारत ने 29 अक्तूबर, 1987 को महासभा की नि:शस्त्रीकरण मामलों की समिति में प्रस्ताव रखा कि संयुक्त राष्ट्र महसभा परमाणु हथियार वाले सभी देशों को इन हथियारों का प्रसार करने से रोकने के लिए सहमत कराए। जून, 1986 में प्रधानमन्त्री राजीव गान्धी ने निःशस्त्रीकरण पर संयुक्त राष्ट्र के तीसरे विशेष सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए आगामी 22 वर्षों के भीतर विश्व के सभी तरह के परमाणु हथियार हटाने के लिए तीन चरण में समयबद्ध कार्यक्रम का सुझाव दिया। इसके अलावा भारत सरकार अनेक अन्तर्राष्ट्रीय मंचों से नि:शस्त्रीकरण के लिए. आवाज़ उठाती रही है।

मई, 1998 में भारत में परमाणु परीक्षण किए। लेकिन इसके साथ ही भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि उसका परमाणु कार्यक्रम शान्तिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है। वह किसी भी देश पर आक्रमण के समय परमाणु हथियार गिराने की पहल नहीं करेगा।

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प्रश्न 7.
भारत का वैश्वीकरण के प्रति क्या दृष्टिकोण है ?
उत्तर-
भारत ने 1980 के प्रारम्भिक दौर में ही तकनीकी विकास के लिए वैश्वीकरण की प्रक्रिया के प्रति अपना सकारात्मक दृष्टिकोण स्पष्ट कर दिया था। दिवंगत प्रधानमन्त्री श्री राजीव गांधी देश में वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास को सुनिश्चित करने के लिए विदेशी तकनीक के पक्षधर थे। जैसे-जैसे विश्व व्यवस्था में बदलाव आता गया भारत ने भी स्वयं को उदारीकरण और वैश्वीकरण के साथ जोड़ लिया। 1991 में भारत ने नई आर्थिक नीति अपनाई जो इस बात का प्रमाण है कि भारत वैश्वीकरण की प्रक्रिया से अलग नहीं हो सकता। नई आर्थिक नीति भारत के उदारीकरण और वैश्वीकरण के प्रति दृष्टिकोण को स्पष्ट करती है।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
निःशस्त्रीकरण की क्या आवश्यकता है ? कोई दो तर्क दीजिए।
उत्तर-

  • विश्व शान्ति व सुरक्षा के लिए-नि:शस्त्रीकरण के द्वारा ही विश्व-शान्ति व सुरक्षा की स्थापना सम्भव है।
  • निःशस्त्रीकरण आर्थिक विकास में सहायक-यदि विकासशील देश नि:शस्त्रीकरण की प्रक्रिया को अपनाते हुए नि:शस्त्रीकरण के रास्ते पर चलें तो इसके कारण इन देशों का बहुत आर्थिक विकास हो सकता है।

प्रश्न 2.
वैश्वीकरण का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
वैश्वीकरण (Globalisation) से अभिप्राय है किसी वस्तु, सेवा, पूंजी, एवं बौद्धिक सम्पदा का एक देश से दूसरे देशों के साथ निर्बाध रूप से आदान-प्रदान। वैश्वीकरण के अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का संचालन निर्बाध रूप से होता है जो एक सर्वसहमत अन्तर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करता है।

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प्रश्न 3.
वैश्वीकरण की कोई दो विशेषताएं लिखें।
उत्तर-

  • अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था वैश्वीकरण की प्रक्रिया की विशेषता ही नहीं, अपितु इसका परिणाम भी है।
  • विश्वव्यापी संगठनों का उद्भव वैश्वीकरण की प्रक्रिया की एक प्रमुख विशेषता है। इस प्रक्रिया के चलते विश्व व्यापार संगठन (W.T.O.) 1 जनवरी, 1995 को अस्तित्व में आया।

प्रश्न 4.
भारत को वैश्वीकरण से होने वाली दो हानियां लिखिए।
उत्तर-

  1. वैश्वीकरण के कुप्रभावों के कारण भारत में बेरोज़गारी बढ़ी है।
  2. वैश्वीकरण के कारण भारत में आर्थिक असमानता बढ़ी है।

प्रश्न 5.
कोई चार मानव अधिकारों के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. जीवन का अधिकार
  2. स्वतन्त्रता का अधिकार
  3. आजीविका कमाने का अधिकार
  4. परिवार बनाने का अधिकार।

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प्रश्न 6.
वैश्वीकरण के कोई दो गुण बताएं।
उत्तर-

  1. वैश्वीकरण के कारण रोज़गार के अवसर पैदा हुए हैं।
  2. वैश्वीकरण के कारण वस्तुओं के दामों में कमी आई है।

प्रश्न 7.
भारत ने कौन-सी दो परमाणु सन्धियों पर हस्ताक्षर करने से इन्कार किया था ?
उत्तर-
भारत ने एन०पी०टी० (N.P.T.) तथा सी०टी०बी०टी० (C.T.B.T.) पर हस्ताक्षर करने से इन्कार किया था।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

प्रश्न I. एक शब्द/वाक्य वाले प्रश्न-उत्तर-

प्रश्न 1.
आंशिक परीक्षण रोक सन्धि कब हुई ?
उत्तर-
आंशिक परीक्षण रोक सन्धि सन् 1963 में हुई।

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प्रश्न 2.
परमाणु अप्रसार सन्धि (NPT) कब लागू की गई ?
उत्तर-
परमाणु अप्रसार सन्धि 5 मार्च, 1970 को लागू की गई।

प्रश्न 3.
व्यापक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि को संक्षिप्त रूप में क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
सी० टी० बी० टी०।

प्रश्न 4.
निःशस्त्रीकरण के पक्ष में कोई एक तर्क दें ?
उत्तर-
नि:शस्त्रीकरण शान्ति की ओर ले जाता है।

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प्रश्न 5.
भारत का निःशस्त्रीकरण के प्रति क्या दृष्टिकोण है ?
उत्तर-
भारत निःशस्त्रीकरण का समर्थक है।

प्रश्न 6.
मानव अधिकार दिवस हर साल कब मनाया जाता है ? .
उत्तर-
मानव अधिकार दिवस 10 दिसम्बर को मनाया जाता है।

प्रश्न 7.
विश्व व्यापार संगठन (W.T.0.) की स्थापना कब की गई ?
उत्तर-
विश्व व्यापार संगठन की स्थापना 1 जनवरी, 1995 को हुई।

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प्रश्न 8.
कोई एक सन्धि बताएं, जिस पर भारत ने हस्ताक्षर नहीं किए ?
उत्तर-
व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (C.T.B.T.) पर भारत ने हस्ताक्षर नहीं किए।

प्रश्न 9.
संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकारों की कब घोषणा की ?
उत्तर-
संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकारों की घोषणा 10 दिसम्बर, 1948 को की।

प्रश्न 10.
निःशस्त्रीकरण का क्या अर्थ है ? .
अथवा
निःशस्त्रीकरण से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
निःशस्त्रीकरण का अर्थ शारीरिक हिंसा के प्रयोग के समस्त भौतिक तथा मानवीय साधनों के उन्मूलन से

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प्रश्न 11.
मानव अधिकार आयोग के दो कार्य लिखें।
उत्तर-

  1. मानव अधिकार की अवहेलना की जांच-पड़ताल करना।
  2. मानव अधिकारों को प्रभावशाली ढंग से लागू करने के लिए सिफारिश करना।

प्रश्न 12.
वैश्वीकरण का अर्थ लिखिए।
उत्तर-
वैश्वीकरण (Globalisation) से अभिप्राय है किसी वस्तु, सेवा, पूंजी एवं बौद्धिक सम्पदा का एक देश से दूसरे देशों के साथ निर्बाध रूप से आदान-प्रदान।

प्रश्न 13.
विश्व व्यापार संगठन का निर्माण क्यों हुआ ?
उत्तर-
विश्व व्यापार संगठन का निर्माण अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को नियमित करने के लिए हुआ।

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प्रश्न 14.
निःशस्त्रीकरण की क्या जरूरत है ?
उत्तर-
विश्व शान्ति एवं मानवता के बचाव के लिए निशस्त्रीकरण की ज़रूरत है।

प्रश्न II. खाली स्थान भरें-

1. आतंकवाद विश्व की एक प्रमुख ………… है।।
2. भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना …………. को हुई।
3. नाटो एक ……………. संगठन है।
4. आंशिक परीक्षण रोक संधि सन् …………. में हुई।
उत्तर-

  1. समस्या
  2. 12 अक्तूबर, 1993
  3. सैनिक
  4. 1963.

प्रश्न III. निम्नलिखित वाक्यों में से सही एवं ग़लत का चुनाव करें-

1. भारत ने प्रथम परीक्षण 1974 में तथा दूसरी बार परमाणु परीक्षण 1998 में किया।
2. अमेरिका का रक्षा व्यय अन्य देशों के मुकाबले बहुत कम है।
3. नि:शस्त्रीकरण का अर्थ हथियारों (शस्त्रों) की पूरी तरह से समाप्ति है।
4. स्टॉकहोम सम्मेलन 1972 में हुआ, जिसका मुख्य विषय पर्यावरण था।
5. सन् 2001 में संयुक्त राष्ट्र संघ का पर्यावरण और विकास के मुद्दे पर केन्द्रित एक सम्मेलन ब्राज़ील के रियो डी जनेरियो में हुआ, इसे पृथ्वी सम्मेलन भी कहा जाता है।
उत्तर-

  1. सही
  2. ग़लत
  3. सही
  4. सही
  5. ग़लत ।

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प्रश्न IV. बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
वर्तमान समय में निम्नलिखित विचारधारा विश्व में पाई जाती है-
(क) नाजीवादी
(ख) फ़ासीवादी
(ग) वैश्वीकरण
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ग) वैश्वीकरण

प्रश्न 2.
वैश्वीकरण का प्रभाव भारत में-
(क) पाया जाता है
(ख) नहीं पाया जाता
(ग) उपरोक्त दोनों
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(क) पाया जाता है

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प्रश्न 3.
भारत में वैश्वीकरण का आरम्भ कब से माना जाता है ?
(क) 1995
(ख) 1991
(ग) 1989
(घ) 1987.
उत्तर-
(ख) 1991

प्रश्न 4.
भारत में वैश्वीकरण का समय-समय पर किसने विरोध किया है ?
(क) वामपन्थियों ने
(ख) स्वयंसेवी संगठनों ने
(ग) पर्यावरणवादियों ने
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

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प्रश्न 5.
पर्यावरण संरक्षण से सम्बन्धित उत्तरी गोलार्द्ध एवं दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में-
(क) मतभेद नहीं पाए जाते
(ख) मतभेद पाए जाते हैं
(ग) उपरोक्त दोनों
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ख) मतभेद पाए जाते हैं

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