PSEB 12th Class History Solutions Chapter 11 बंदा सिंह बहादुर

Punjab State Board PSEB 12th Class History Book Solutions Chapter 11 बंदा सिंह बहादुर Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 History Chapter 11 बंदा सिंह बहादुर

निबंधात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

बिंदा सिंह बहादुर का प्रारंभिक जीवन (Early Career of Banda Singh Bahadur)

प्रश्न 1.
बंदा सिंह बहादुर के प्रारंभिक जीवन के बारे में आप क्या जानते हैं ? संक्षिप्त वर्णन करें। (What do you know about the early career of Banda Singh Bahadur ? Explain briefly.)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर जो सिख इतिहास में बंदा बहादुर के नाम से अधिक विख्यात हैं को अत्यंत गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त है। उसने अपनी योग्यता के बल पर पंजाब में एक के बाद एक महत्त्वपूर्ण सफलताएँ प्राप्त की। बंदा सिंह बहादुर के आरंभिक जीवन का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है—
1. जन्म और माता-पिता (Birth and Parentage)-बंदा सिंह बहादुर का जन्म 27 अक्तूबर, 1670 ई० में कश्मीर के जिला पुंछ के राजौरी नामक गाँव में हुआ। उसके बचपन का नाम लक्ष्मण देव था। उसके पिता जी का नाम राम देव था। वह डोगरा राजपूत जाति से संबंधित थे।

2. बचपन (Childhood)-लक्ष्मण देव एक बहुत ही निर्धन परिवार से संबंधित था। अतः जब लक्ष्मण देव कुछ बड़ा हुआ तो वह कृषि के कार्य में पिता जी का हाथ बँटाने लग पड़ा। लक्ष्मण देव अपने खाली समय में तीरकमान लेकर वनों में शिकार खेलने चला जाता।

3. बैरागी के रूप में (As a Bairagi)-जब लक्ष्मण देव की आयु लगभग 15 वर्ष की थी तो एक दिन शिकार खेलते हुए उसने एक गर्भवती हिरणी को तीर मारा। वह हिरणी और उसके बच्चे लक्ष्मण देव के सामने तड़प-तड़पकर मर गए। इस करुणामय दृश्य का लक्ष्मण के दिल पर इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि उसने संसार को त्याग दिया और बैरागी बन गया। उसने अपना नाम बदल कर माधो दास रख लिया। घूमते-घूमते माधोदास की मुलाकात तंत्रविद्या में निपुण औघड़ नाथ से हो गई और वह उसका शिष्य बन गया। औघड़ नाथ की मृत्यु के बाद माधोदास नंदेड आ गया और शीघ्र ही अपनी तंत्र विद्या के कारण लोगों में विख्यात हो गया।
PSEB 12th Class History Solutions Chapter 11 बंदा सिंह बहादुर 1
BANDA SINGH BAHADUR

4 गुरु गोबिंद सिंह जी से भेंट (Meeting with Guru Gobind Singh Ji)-1708 ई० में जब गुरु गोबिंद सिंह जी नंदेड आए तो वह माधोदास के आश्रम में उससे भेंट करने के लिए गए। गुरु साहिब और माधोदास के मध्य कुछ प्रश्न- उत्तर हुए। माधोदास गुरु साहिब के व्यक्तित्व से इतना प्रभावित हुआ कि वह गुरु साहिब जी का अनुयायी बन गया। गुरु साहिब ने भी उसे अमृत छकाकर सिख बनाया और उसका नाम परिवर्तित करके बंदा सिंह बहादुर रख दिया।

5. बंदा सिंह बहादुर का पंजाब की ओर प्रस्थान (Banda Singh Bahadur Proceeds towards Punjab)-जब बंदा सिंह बहादुर ने गुरु साहिब से पंजाब में सिखों पर मुगलों द्वारा किए गए अत्याचारों और गुरु तेग़ बहादुर जी के बलिदानों के संबंध में सुना तो उसका राजपूती खून खौलने लगा। उसने इन अत्याचारों का प्रतिशोध लेने के लिए गुरु साहिब जी से पंजाब जाने के लिए आज्ञा माँगी। गुरु साहिब जी ने इस निवेदन को स्वीकार कर लिया। गुरु साहिब जी ने बंदा सिंह बहादुर को पाँच तीर दिए और उसकी सहायता के लिए 25 अन्य सिखों को भी साथ भेजा। गुरु साहिब ने पंजाब के सिखों के नाम कुछ हुक्मनामे भी दिए। इन हुक्मनामों में पंजाब के सिखों को यह आदेश दिया गया था कि बंदा सिंह बहादुर को अपना नेता मानें तथा मुग़लों के विरुद्ध धर्म युद्धों में उसका पूरा साथ दें। गुरु साहिब ने बंदा सिंह बहादुर को भी कुछ आदेश दिए। पहला, ब्रह्मचारी जीवन व्यतीत करना। दूसरा, सच्चाई के मार्ग पर चलना। तीसरा, नया धर्म अथवा संप्रदाय नहीं चलाना। चौथा, अपनी विजयों पर अहंकार नहीं . करना। पाँचवां, स्वयं को खालसा का सेवक समझना। इस प्रकार बंदा सिंह बहादुर ने गुरु जी का आशीर्वाद प्राप्त करके 1708 ई० में पंजाब की ओर रुख किया।

बंदा सिंह बहादुर के सैनिक कारनामे (Military Exploits of Banda Singh Bahadur)

प्रश्न 2.
बंदा सिंह बहादुर के सैनिक कारनामों की चर्चा करें और पंजाब के इतिहास में उसके महत्त्व का मूल्यांकन करें।
(Discuss the military exploits of Banda Singh Bahadur and estimate their significance in the History of the Punjab.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर के सैनिक कारनामों का विवरण दें।
(Give briefly the account of the battle fought by Banda Singh Bahadur.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की मुग़लों के साथ लड़ाइयों का विस्तारपूर्वक वर्णन करें। (Write in detail the battles fought between Banda Singh Bahadur and the Mughals.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर के सैनिक कारनामों अथवा सफलताओं का संक्षेप में वर्णन करें।
(Explain briefly the military exploits or achievements of Banda Singh Bahadur.)
उत्तर-
गुरु गोबिंद सिंह जी तथा अन्य सिखों पर हुए अत्याचारों का प्रतिशोध लेने के लिए बंदा सिंह बहादुर गुरु जी की आज्ञा से पंजाब की ओर चल पड़ा। यहाँ पहुँचते ही उसने गुरु जी के हुक्मनामे जारी किये। परिणामस्वरूप हज़ारों की संख्या में सिख उसके ध्वज तले एकत्र हो गए। तद्उपरांत बंदा सिंह बहादुर ने अपनी सैनिक गतिविधियाँ आरंभ कर दीं
इसमें बंदा सिंह बहादुर काफ़ी सीमा तक सफल रहा। उसके महत्त्वपूर्ण सैनिक कारनामों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित अनुसार है—
1. सोनीपत पर आक्रमण (Attack on Sonepat)—बंदा सिंह बहादुर ने अपनी विजयों का आरंभ सोनीपत से किया। उसने 1709 ई० में सोनीपत पर आक्रमण कर दिया। सोनीपत का फ़ौजदार बिना मुकाबला किए ही दिल्ली की ओर भाग गया। इस प्रकार सिखों का सरलता से सोनीपत पर अधिकार हो गया।

2. समाना की विजय (Conquest of Samana)-समाना में गुरु तेग़ बहादुर जी को शहीद करने वाला और गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों को दीवार में जिंदा चिनवा देने वाले जल्लाद रहते थे। इसलिए बंदा सिंह बहादुर ने नवंबर, 1709 ई० में समाना पर बड़ा जोरदार आक्रमण किया। समाना सिखों ने खंडहर के ढेर में परिवर्तित कर दिया। यह बंदा सिंह बहादुर की पहली महत्त्वपूर्ण विजय थी।

3. घुड़ाम तथा मुस्तफाबाद पर अधिकार (Conquest of Ghuram and Mustafabad)-समाना की विजय के पश्चात् बंदा सिंह बहादुर ने घुड़ाम एवं मुस्तफाबाद पर आक्रमण किया तथा सुगमता से अधिकार कर लिया।

4. कपूरी की विजय (Conquest of Kapuri)-कपूरी का शासक कदमुद्दीन हिंदुओं के साथ बहुत दुर्व्यवहार करता था। फलस्वरूप बंदा बहादुर ने कपूरी पर आक्रमण करके कदमुद्दीन को मौत के घाट उतार दिया। इस प्रकार कपूरी पर विजय प्राप्त की गई।

5. सढौरा की विजय (Conquest of Sadhaura) सढौरा का शासक उस्मान खाँ अपने अत्याचारों के लिए कुख्यात था। उसने पीर बुद्ध शाह की इसलिए हत्या करवा दी थी, क्योंकि उसने भंगाणी की लड़ाई में गुरु गोबिंद सिंह जी की सहायता की थी। अतः बंदा सिंह बहादुर ने इसका बदला लेने के लिए सढौरा पर आक्रमण कर दिया। यहाँ पर मुसलमानों को इतनी भारी संख्या में मारा गया, कि सढौरा का नाम कत्लगढ़ी पड़ गया।

6. सरहिंद की विजय (Conquest of Sirhind)-सरहिंद पर विजय प्राप्त करना बंदा सिंह बहादुर के लिए अति महत्त्वपूर्ण था। सरहिंद के फ़ौजदार वज़ीर खाँ ने गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों को दीवार में जिंदा चिनवा दिया था। उसकी सेनाओं के हाथों ही गुरु जी के दोनों बड़े साहिबज़ादे चमकौर साहिब की लड़ाई में शहीद हो गए थे। वज़ीर खाँ के ही भेजे गए दो पठानों में से एक पठान ने गुरु साहिब को नंदेड़ के स्थान पर छुरा मार दिया। इस कारण वह ज्योति-जोत समा गए। अतः सिखों में सरहिंद प्रति अत्यधिक घृणा थी। 12 मई, 1710 ई० को दोनों सेनाओं के बीच सरहिंद से लगभग 16 किलोमीटर दूर चप्पड़चिड़ी नामक स्थान पर भयंकर लड़ाई हुई। फ़तह सिंह के हाथों वज़ीर खाँ के मरते ही मुग़ल सेना में भगदड़ मच गई। सिखों ने वज़ीर खाँ के शव को एक वृक्ष पर लटका दिया तथा समूचे सरहिंद में भारी लूटपाट की। यह बंदा सिंह बहादुर की अति महत्त्वपूर्ण विजय थी।

7. यमुना-गंगा दोआब की विजय (Conquest of Jamuna-Ganga Doab)-सरहिंद की विजय के बाद बंदा सिंह बहादुर ने यमुना-गंगा दोआब के प्रदेशों पर आक्रमण किया। शीघ्र ही बंदा सिंह बहादुर ने सहारनपुर, बेहात, ननौता और अंबेटा को अपने अधिकार में ले लिया।

8. जालंधर दोआब की विजय (Conquest of Jalandhar Doab)-जालंधर दोआब का फ़ौजदार शमस खाँ बड़ा अत्याचारी था। उसके अत्याचारों से तंग आकर सिखों ने बंदा सिंह बहादुर से सहायता माँगी। अतः 12 अक्तूबर, 1710 ई० में राहों के स्थान पर बंदा सिंह बहादुर ने शमस खाँ को करारी पराजय दी। फलस्वरूप समूचे जालंधर दोआब पर उसका अधिकार हो गया। इसके उपरांत बंदा सिंह बहादुर ने अमृतसर, बटाला, कलानौर और पठानकोट के प्रदेशों पर भी बड़ी आसानी से अधिकार कर लिया।

9. मुग़लों का लोहगढ़ पर आक्रमण (Attack of Mughals on Lohgarh)—बंदा सिंह बहादुर की बढ़ती हुई शक्ति को देखते हुए मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ने उसकी शक्ति का दमन करने का निर्णय किया। उसने जरनैल मुनीम खाँ के नेतृत्व में 60,000 सैनिकों की एक विशाल सेना पंजाब भेजी। इस सेना ने 10 दिसंबर, 1710 ई० को बंदा सिंह बहादुर की राजधानी लोहगढ़ पर अचानक आक्रमण कर दिया। सिख दुर्ग के भीतर से ही मुग़लों का डटकर सामना करते रहे। खाद्य-पदार्थों की कमी के कारण सिखों का पक्ष कमज़ोर पड़ने लगा। अतः बंदा सिंह बहादुर वेश बदल कर नाहन की पहाड़ियों की ओर चला गया।

10. गुरदास-नंगल की लड़ाई (Battle of Gurdas-Nangal)-बंदा सिंह बहादुर ने शीघ्र ही अपनी स्थिति को फिर से दृढ़ बना लिया। उसने बड़ी सरलता से बहरामपुर, रायपुर, कलानौर और बटाला के प्रदेशों पर फिर से अधिकार कर लिया। अतः नए मुग़ल बादशाह फर्रुखसियर के आदेश पर लाहौर के सूबेदार अब्दुस समद खाँ ने बंदा सिंह बहादुर को गुरदास-नंगल के स्थान पर अचानक घेरे में ले लिया। बंदा सिंह बहादुर ने दुनी चंद की हवेली से मुग़ल सेना का सामना जारी रखा। यह घेरा 8 मास तक चला। धीरे-धीरे खाद्य-सामग्री की कमी के कारण सिखों की स्थिति गंभीर हो गई। ऐसे समय में बाबा बिनोद सिंह अपने साथियों सहित गढ़ी छोड़ कर चला गया। इस कारण बंदा सिंह बहादुर की स्थिति और बिगड़ गई। अंततः 7 दिसंबर, 1715 ई० को बंदा सिंह बहादुर तथा 740 सिखों को बंदी बना लिया गया।

11. बंदा सिंह बहादुर का बलिदान (Martyrdom of the Banda Singh Bahadur)-बंदा सिंह बहादुर और उसके साथियों को फरवरी 1716 ई० में दिल्ली भेजा गया। दिल्ली पहुँचने पर उनका जलूस निकाला गया। बंदा सिंह बहादुर को एक पिंजरे में बंद किया गया था। मार्ग में उसका एवं अन्य सिखों का भारी अपमान किया गया। सिख इस दौरान प्रसन्नचित्त गुरवाणी का जाप करते रहे। फिर उन्हें इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए कहा गया। परंतु सिखों ने भी इस्लाम को स्वीकार करने से इंकार कर दिया। इसके उपरांत प्रतिदिन 100 सिखों को शहीद किया जाने लगा। अंत में 9 जून, 1716 ई० को बंदा सिंह बहादुर को शहीद करने से पहले जल्लाद ने उसके चार वर्ष के पुत्र अजय सिंह की उसकी आँखों के सामने निर्ममता से हत्या की। तत्पश्चात् बंदा सिंह बहादुर का अंग-अंग काट कर उन्हें शहीद कर दिया गया। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि बंदा सिंह बहादुर को 19 जून, 1716 ई० को शहीद किया गया था। अंत में हम प्रसिद्ध इतिहासकार पतवंत सिंह के इन शब्दों से सहमत हैं,

“इस प्रकार उस व्यक्ति के जीवन का अंत हुआ जिसने 7 वर्ष के अल्पकाल में ही अपनी विजयों द्वारा महान् मुग़ल साम्राज्य को ऐसी चुनौती प्रस्तुत की कि वह दुबारा उस प्रदेश (पंजाब) पर पुनः आत्मविश्वास से शासन न कर सका।”1

1. “So ended the life of a man who in seven short years had so mocked the might of the Mughals with his victories that they could never again reassert their authority over the land they had once ruled with such a plomb.” Patwant Singh, The Sikhs (New Delhi : 1999) p. 81 .

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प्रश्न 3.
बंदा सिंह बहादुर के जीवन तथा सफलताओं का वर्णन करें। (Describe the career and achievements of Banda Singh Bahadur.)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर जो सिख इतिहास में बंदा बहादुर के नाम से अधिक विख्यात हैं को अत्यंत गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त है। उसने अपनी योग्यता के बल पर पंजाब में एक के बाद एक महत्त्वपूर्ण सफलताएँ प्राप्त की। बंदा सिंह बहादुर के आरंभिक जीवन का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है—
1. जन्म और माता-पिता (Birth and Parentage)-बंदा सिंह बहादुर का जन्म 27 अक्तूबर, 1670 ई० में कश्मीर के जिला पुंछ के राजौरी नामक गाँव में हुआ। उसके बचपन का नाम लक्ष्मण देव था। उसके पिता जी का नाम राम देव था। वह डोगरा राजपूत जाति से संबंधित थे।

2. बचपन (Childhood)-लक्ष्मण देव एक बहुत ही निर्धन परिवार से संबंधित था। अतः जब लक्ष्मण देव कुछ बड़ा हुआ तो वह कृषि के कार्य में पिता जी का हाथ बँटाने लग पड़ा। लक्ष्मण देव अपने खाली समय में तीरकमान लेकर वनों में शिकार खेलने चला जाता।

3. बैरागी के रूप में (As a Bairagi)-जब लक्ष्मण देव की आयु लगभग 15 वर्ष की थी तो एक दिन शिकार खेलते हुए उसने एक गर्भवती हिरणी को तीर मारा। वह हिरणी और उसके बच्चे लक्ष्मण देव के सामने तड़प-तड़पकर मर गए। इस करुणामय दृश्य का लक्ष्मण के दिल पर इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि उसने संसार को त्याग दिया और बैरागी बन गया। उसने अपना नाम बदल कर माधो दास रख लिया। घूमते-घूमते माधोदास की मुलाकात तंत्रविद्या में निपुण औघड़ नाथ से हो गई और वह उसका शिष्य बन गया। औघड़ नाथ की मृत्यु के बाद माधोदास नंदेड आ गया और शीघ्र ही अपनी तंत्र विद्या के कारण लोगों में विख्यात हो गया।
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BANDA SINGH BAHADUR

4. गुरु गोबिंद सिंह जी से भेंट (Meeting with Guru Gobind Singh Ji)-1708 ई० में जब गुरु गोबिंद सिंह जी नंदेड आए तो वह माधोदास के आश्रम में उससे भेंट करने के लिए गए। गुरु साहिब और माधोदास के मध्य कुछ प्रश्न- उत्तर हुए। माधोदास गुरु साहिब के व्यक्तित्व से इतना प्रभावित हुआ कि वह गुरु साहिब जी का अनुयायी बन गया। गुरु साहिब ने भी उसे अमृत छकाकर सिख बनाया और उसका नाम परिवर्तित करके बंदा सिंह बहादुर रख दिया।

5. बंदा सिंह बहादुर का पंजाब की ओर प्रस्थान (Banda Singh Bahadur Proceeds towards Punjab)-जब बंदा सिंह बहादुर ने गुरु साहिब से पंजाब में सिखों पर मुगलों द्वारा किए गए अत्याचारों और गुरु तेग़ बहादुर जी के बलिदानों के संबंध में सुना तो उसका राजपूती खून खौलने लगा। उसने इन अत्याचारों का प्रतिशोध लेने के लिए गुरु साहिब जी से पंजाब जाने के लिए आज्ञा माँगी। गुरु साहिब जी ने इस निवेदन को स्वीकार कर लिया। गुरु साहिब जी ने बंदा सिंह बहादुर को पाँच तीर दिए और उसकी सहायता के लिए 25 अन्य सिखों को भी साथ भेजा। गुरु साहिब ने पंजाब के सिखों के नाम कुछ हुक्मनामे भी दिए। इन हुक्मनामों में पंजाब के सिखों को यह आदेश दिया गया था कि बंदा सिंह बहादुर को अपना नेता मानें तथा मुग़लों के विरुद्ध धर्म युद्धों में उसका पूरा साथ दें। गुरु साहिब ने बंदा सिंह बहादुर को भी कुछ आदेश दिए। पहला, ब्रह्मचारी जीवन व्यतीत करना। दूसरा, सच्चाई के मार्ग पर चलना। तीसरा, नया धर्म अथवा संप्रदाय नहीं चलाना। चौथा, अपनी विजयों पर अहंकार नहीं . करना। पाँचवां, स्वयं को खालसा का सेवक समझना। इस प्रकार बंदा सिंह बहादुर ने गुरु जी का आशीर्वाद प्राप्त करके 1708 ई० में पंजाब की ओर रुख किया।

बंदा सिंह बहादुर की सफलता एवं असफलता के कारण (Causes of Banda Singh Bahadur’s Success and Failure)

प्रश्न 4.
बंदा सिंह बहादुर की आरंभिक सफलताओं और अंतिम असफलताओं के क्या कारण थे ?
(What were the causes of initial success and ultimate failure of Banda Singh Bahadur ?)
अथवा
बंदा सिंह बहादर की आरंभिक सफलता तथा अंत में असफलता के क्या कारण थे ?
(What were the causes of early success and ultimate failure of Banda Singh Bahadur ?)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की आरंभ में सफलताओं और बाद में असफलताओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
(Give a brief account of initial success and ultimate failure of Banda Singh Bahadur.)
उत्तर-
I. बंदा सिंह बहादुर की सफलता के कारण (Causes of Banda Singh Bahadur’s Success)
बंदा सिंह बहादुर ने पंजाब के सिखों का जिस योग्यता, लगन और वीरता से नेतृत्व किया उसका इतिहास में कोई और उदाहरण मिलना मुश्किल है। उसने बड़ी तीव्रता से पंजाब के विस्तृत भू-भाग पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। बंदा सिंह बहादुर की इस आरंभिक सफलता के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे—
1. मुगलों के घोर अत्याचार (Great Atrocities of the Mughals)-पंजाब के मुग़ल शासक सिखों के कट्टर शत्रु थे। सरहिंद के फ़ौजदार वज़ीर खाँ ने गुरु गोबिंद सिंह जी के विरुद्ध अनेक सैनिक अभियान भेजे। उसने गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों (जोरावर सिंह जी तथा फतह सिंह जी) को जीवित ही दीवार में चिनवा दिया था। गुरु गोबिंद सिंह जी के दोनों बड़े साहिबजादे (अजीत सिंह जी और जुझार सिंह जी) चमकौर साहिब की लड़ाई में उसके सैनिकों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। अतः सिखों का खून खौल रहा था। परिणामस्वरूप, वे बंदा सिंह बहादुर के झंडे अधीन एकत्र हो गए और बंदा सिंह बहादुर के लिए विजय अभियान आसान हो गया।

2. गुरु गोबिंद सिंह जी के हुक्मनामे (Hukamnamas of Guru Gobind Singh Ji)—गुरु गोबिंद सिंह जी ने बंदा सिंह बहादुर के हाथ सिख संगत के नाम कुछ हुक्मनामे’ भेजे थे। इन हुक्मनामों में गुरु साहिब ने सिख संगत को मुग़लों के विरुद्ध होने वाले धर्म युद्धों में बंदा सिंह बहादुर को पूरा सहयोग देने को कहा। सिख संगत के सहयोग के कारण बंदा सिंह बहादुर एवं उसके साथियों का उत्साह बढ़ गया।

3. औरंगजेब के कमजोर उत्तराधिकारी (Weak Successors of Aurangzeb)-1707 ई० में औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् हुआ मुग़ल शासक बहादुर शाह उत्तराधिकारिता के युद्ध में ही उलझा रहा। अतः वह साम्राज्य में व्याप्त अराजकता को नियंत्रण में रखने में असफल रहा जबकि उसके बाद बनने वाला मुग़ल बादशाह जहाँदार शाह बहुत ही अयोग्य शासक प्रमाणित हुआ। परिणामस्वरूप बंदा सिंह बहादुर ने इस स्वर्ण अवसर का उचित लाभ उठाया तथा अनेक सफलताएँ प्राप्त की।

4. बंदा सिंह बहादुर का योग्य नेतृत्व (Able leadership of Banda Singh Bahadur)-बंदा सिंह बहादुर एक निर्भीक योद्धा एवं योग्य सेनापति था। उसने सभी लड़ाइयों में सेना का स्वयं नेतृत्व किया तथा वह अपने अधीन सैनिकों को युद्ध के समय में अत्यधिक प्रोत्साहित करता था। परिणामस्वरूप, बंदा सिंह बहादुर ने अपने आरंभिक वर्षों में प्रशंसनीय सफलताएँ प्राप्त की।

5. बंदा सिंह बहादुर के प्रारंभिक आक्रमण छोटे-छोटे मुग़ल अधिकारियों के विरुद्ध थे (Banda Singh Bahadur’s early exploits were against petty local Mughal Officials)-बंदा सिंह बहादुर के प्रारंभिक आक्रमण सरहिंद को छोड़कर छोटे-छोटे मुग़ल अधिकारियों के विरुद्ध थे। ये अधिकारी अपने अत्याचारों के कारण प्रजा में बहुत बदनाम थे। फलस्वरूप, जब बंदा सिंह बहादुर ने इन प्रदेशों पर आक्रमण किये तो स्थानीय लोगों ने बंदा सिंह बहादुर को अपना समर्थन दिया। इस प्रकार बंदा सिंह बहादुर एक के बाद दूसरी सफलता प्राप्त करता गया।

6. बंदा सिंह बहादुर का अच्छा शासन प्रबंध (Good Administration of Banda Singh Bahadur)बंदा सिंह बहादुर ने अपने अधीन प्रदेशों में बहुत अच्छे शासन प्रबंध की व्यवस्था की थी। उसने बहुत ही योग्य एवं ईमानदार अधिकारी नियुक्त किए। उसने ज़मींदारी प्रथा को खत्म करके किसानों को न केवल ज़मींदारों के अत्याचारों से बचाया बल्कि उन्हें भूमि का स्वामी भी बना दिया। परिणामस्वरूप बंदा सिंह बहादुर को पंजाब के लोगों से पूरा समर्थन मिला और इसी कारण उसे आरंभिक काल में अनेक सफलताएँ प्राप्त हुईं।

II. बंदा सिंह बहादुर की अंतिम असफलता के कारण (Causes of Banda Singh Bahadur’s Ultimate Failure)
पंजाब आने के बाद बंदा सिंह बहादर ने अपने प्रारंभिक वर्षों में अनेक महत्त्वपूर्ण विजयें प्राप्त की। परंतु शीघ्र ही उसे असफलता का मुँह देखना पड़ा। बंदा सिंह बहादुर की इस अंतिम असफलता के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे—
1. मुगल साम्राज्य की शक्ति (Strength of the Mughal Empire)-मुग़ल साम्राज्य के पास विशाल तथा असीमित साधन थे। दूसरी ओर बंदा सिंह बहादुर के साधन बहुत सीमित थे। मुग़लों की तुलना में उसके सैनिकों की संख्या बहुत कम थी। बंदा सिंह बहादुर की आय का मुख्य साधन लूटमार ही था। ऐसी स्थिति में मुग़लों पर पूर्ण विजय प्राप्त करना बंदा सिंह बहादुर के लिए बिल्कुल असंभव था।

2. सिखों में संगठन का अभाव (Lack of Organisation among the Sikhs)-बंदा सिंह बहादुर के अधीन सिख सैनिकों में संगठन और अनुशासन का अभाव था। वे किसी योजनानुसार लड़ाई नहीं करते थे। अतः संगठन और अनुशासन के अभाव में ऐसे सिखों का असफल होना कोई आश्चर्य की बात नहीं थी।

3. बंदा सिंह बहादुर द्वारा आदेशों का उल्लंघन (Violation of Instructions by Banda Singh Bahadur)-गुरु गोबिंद सिंह जी ने बंदा सिंह बहादुर को कुछ आवश्यक आदेश दिए थे। कालांतर में उसने इनका उल्लंघन करना आरंभ कर दिया। उसने गुरु साहिब के आदेशों के विरुद्ध चंबा की राजकुमारी से विवाह करवा लिया था और शाही ठाठ से रहने लग पड़ा था। उसने ‘वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फ़तह’ के स्थान पर ‘फ़तह धर्म और फ़तह दर्शन’ के शब्दों को प्रचलित करके सिख मत में परिवर्तन लाने का प्रयास किया। फलस्वरूप, गुरु गोबिंद सिंह जी के अनेक श्रद्धालु सिख बंदा सिंह बहादुर के विरुद्ध हो गए।

4. फ़र्रुखसियर की सिखों के विरुद्ध कार्यवाहियाँ (Measures of Farukhsiyar against the Sikhs)1713 ई० में फ़र्रुखसियर मुग़लों का नया बादशाह बना था। वह सिखों को कुचलने के लिए पूर्ण प्रतिबद्ध था। उसने सिखों का दमन करने के लिए अब्दुस समद खाँ को लाहौर का सूबेदार नियुक्त किया। अब्दुस समद खाँ ने सिखों की शक्ति का दमन करने के लिए कोई कसर न उठा रखी। परिणामस्वरूप, बंदा सिंह बहादुर और उसके साथियों को आत्म-समर्पण करना ही पड़ा।

5. गुरदास-नंगल में सिखों पर अचानक आक्रमण (Surprise attack on the Sikhs at Gurdas Nangal)-अप्रैल, 1715 ई० में बंदा सिंह बहादुर पर हुआ अचानक आक्रमण भी उनके पतन का एक प्रमुख कारण बना। बंदा सिंह बहादुर तथा उसके साथी सिख अचानक आक्रमण के कारण दुनी चंद की हवेली में घिर गए। इस हवेली में से अधिक समय तक मुग़लों का सामना नहीं किया जा सकता था। इसके बावजूद बंदा सिंह बहादुर ने 8 माह तक लड़ाई जारी रखी पर अंत में उसे पराजय स्वीकार करनी पड़ी।

6. बंदा सिंह बहादुर और बिनोद सिंह में मतभेद (Differences between Banda Singh Bahadur and Binod Singh)-गुरदास नंगल की लड़ाई के समय बंदा सिंह बहादुर और उसके साथी बिनोद सिंह में मतभेद उत्पन्न हो गए। बिनोद सिंह हवेली छोड़कर भाग निकलने के पक्ष में था। दूसरी ओर बंदा सिंह बहादुर चाहता था कि कुछ समय और लड़ाई को जारी रखा जाए। परिणामस्वरूप, बिनोद सिंह अपने साथियों सहित हवेली छोड़कर निकल गया। अतः बंदा सिंह बहादुर को पराजय का मुख देखना पड़ा।

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प्रश्न 5.
बंदा सिंह बहादुर की आरंभिक सफलता के क्या कारण थे ?
(What were the causes of the initial success of Banda Singh Bahadur ?)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर की सफलता के कारण (Causes of Banda Singh Bahadur’s Success)
बंदा सिंह बहादुर ने पंजाब के सिखों का जिस योग्यता, लगन और वीरता से नेतृत्व किया उसका इतिहास में कोई और उदाहरण मिलना मुश्किल है। उसने बड़ी तीव्रता से पंजाब के विस्तृत भू-भाग पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया। बंदा सिंह बहादुर की इस आरंभिक सफलता के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे—
1. मुगलों के घोर अत्याचार (Great Atrocities of the Mughals)-पंजाब के मुग़ल शासक सिखों के कट्टर शत्रु थे। सरहिंद के फ़ौजदार वज़ीर खाँ ने गुरु गोबिंद सिंह जी के विरुद्ध अनेक सैनिक अभियान भेजे। उसने गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों (जोरावर सिंह जी तथा फतह सिंह जी) को जीवित ही दीवार में चिनवा दिया था। गुरु गोबिंद सिंह जी के दोनों बड़े साहिबजादे (अजीत सिंह जी और जुझार सिंह जी) चमकौर साहिब की लड़ाई में उसके सैनिकों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। अतः सिखों का खून खौल रहा था। परिणामस्वरूप, वे बंदा सिंह बहादुर के झंडे अधीन एकत्र हो गए और बंदा सिंह बहादुर के लिए विजय अभियान आसान हो गया।

2. गुरु गोबिंद सिंह जी के हुक्मनामे (Hukamnamas of Guru Gobind Singh Ji)—गुरु गोबिंद सिंह जी ने बंदा सिंह बहादुर के हाथ सिख संगत के नाम कुछ हुक्मनामे’ भेजे थे। इन हुक्मनामों में गुरु साहिब ने सिख संगत को मुग़लों के विरुद्ध होने वाले धर्म युद्धों में बंदा सिंह बहादुर को पूरा सहयोग देने को कहा। सिख संगत के सहयोग के कारण बंदा सिंह बहादुर एवं उसके साथियों का उत्साह बढ़ गया।

3. औरंगजेब के कमजोर उत्तराधिकारी (Weak Successors of Aurangzeb)-1707 ई० में औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् हुआ मुग़ल शासक बहादुर शाह उत्तराधिकारिता के युद्ध में ही उलझा रहा। अतः वह साम्राज्य में व्याप्त अराजकता को नियंत्रण में रखने में असफल रहा जबकि उसके बाद बनने वाला मुग़ल बादशाह जहाँदार शाह बहुत ही अयोग्य शासक प्रमाणित हुआ। परिणामस्वरूप बंदा सिंह बहादुर ने इस स्वर्ण अवसर का उचित लाभ उठाया तथा अनेक सफलताएँ प्राप्त की।

4. बंदा सिंह बहादुर का योग्य नेतृत्व (Able leadership of Banda Singh Bahadur)-बंदा सिंह बहादुर एक निर्भीक योद्धा एवं योग्य सेनापति था। उसने सभी लड़ाइयों में सेना का स्वयं नेतृत्व किया तथा वह अपने अधीन सैनिकों को युद्ध के समय में अत्यधिक प्रोत्साहित करता था। परिणामस्वरूप, बंदा सिंह बहादुर ने अपने आरंभिक वर्षों में प्रशंसनीय सफलताएँ प्राप्त की।

5. बंदा सिंह बहादुर के प्रारंभिक आक्रमण छोटे-छोटे मुग़ल अधिकारियों के विरुद्ध थे (Banda Singh Bahadur’s early exploits were against petty local Mughal Officials)-बंदा सिंह बहादुर के प्रारंभिक आक्रमण सरहिंद को छोड़कर छोटे-छोटे मुग़ल अधिकारियों के विरुद्ध थे। ये अधिकारी अपने अत्याचारों के कारण प्रजा में बहुत बदनाम थे। फलस्वरूप, जब बंदा सिंह बहादुर ने इन प्रदेशों पर आक्रमण किये तो स्थानीय लोगों ने बंदा सिंह बहादुर को अपना समर्थन दिया। इस प्रकार बंदा सिंह बहादुर एक के बाद दूसरी सफलता प्राप्त करता गया।

6. बंदा सिंह बहादुर का अच्छा शासन प्रबंध (Good Administration of Banda Singh Bahadur)बंदा सिंह बहादुर ने अपने अधीन प्रदेशों में बहुत अच्छे शासन प्रबंध की व्यवस्था की थी। उसने बहुत ही योग्य एवं ईमानदार अधिकारी नियुक्त किए। उसने ज़मींदारी प्रथा को खत्म करके किसानों को न केवल ज़मींदारों के अत्याचारों से बचाया बल्कि उन्हें भूमि का स्वामी भी बना दिया। परिणामस्वरूप बंदा सिंह बहादुर को पंजाब के लोगों से पूरा समर्थन मिला और इसी कारण उसे आरंभिक काल में अनेक सफलताएँ प्राप्त हुईं।

प्रश्न 6.
बंदा सिंह बहादुर की अंतिम असफलता के क्या कारण थे ?
(What were the causes of ultimate failure of Banda Singh Bahadur ?)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर की अंतिम असफलता के कारण (Causes of Banda Singh Bahadur’s Ultimate Failure)
पंजाब आने के बाद बंदा सिंह बहादर ने अपने प्रारंभिक वर्षों में अनेक महत्त्वपूर्ण विजयें प्राप्त की। परंतु शीघ्र ही उसे असफलता का मुँह देखना पड़ा। बंदा सिंह बहादुर की इस अंतिम असफलता के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे—
1. मुगल साम्राज्य की शक्ति (Strength of the Mughal Empire)-मुग़ल साम्राज्य के पास विशाल तथा असीमित साधन थे। दूसरी ओर बंदा सिंह बहादुर के साधन बहुत सीमित थे। मुग़लों की तुलना में उसके सैनिकों की संख्या बहुत कम थी। बंदा सिंह बहादुर की आय का मुख्य साधन लूटमार ही था। ऐसी स्थिति में मुग़लों पर पूर्ण विजय प्राप्त करना बंदा सिंह बहादुर के लिए बिल्कुल असंभव था।

2. सिखों में संगठन का अभाव (Lack of Organisation among the Sikhs)-बंदा सिंह बहादुर के अधीन सिख सैनिकों में संगठन और अनुशासन का अभाव था। वे किसी योजनानुसार लड़ाई नहीं करते थे। अतः संगठन और अनुशासन के अभाव में ऐसे सिखों का असफल होना कोई आश्चर्य की बात नहीं थी।

3. बंदा सिंह बहादुर द्वारा आदेशों का उल्लंघन (Violation of Instructions by Banda Singh Bahadur)-गुरु गोबिंद सिंह जी ने बंदा सिंह बहादुर को कुछ आवश्यक आदेश दिए थे। कालांतर में उसने इनका उल्लंघन करना आरंभ कर दिया। उसने गुरु साहिब के आदेशों के विरुद्ध चंबा की राजकुमारी से विवाह करवा लिया था और शाही ठाठ से रहने लग पड़ा था। उसने ‘वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फ़तह’ के स्थान पर ‘फ़तह धर्म और फ़तह दर्शन’ के शब्दों को प्रचलित करके सिख मत में परिवर्तन लाने का प्रयास किया। फलस्वरूप, गुरु गोबिंद सिंह जी के अनेक श्रद्धालु सिख बंदा सिंह बहादुर के विरुद्ध हो गए।

4. फ़र्रुखसियर की सिखों के विरुद्ध कार्यवाहियाँ (Measures of Farukhsiyar against the Sikhs)1713 ई० में फ़र्रुखसियर मुग़लों का नया बादशाह बना था। वह सिखों को कुचलने के लिए पूर्ण प्रतिबद्ध था। उसने सिखों का दमन करने के लिए अब्दुस समद खाँ को लाहौर का सूबेदार नियुक्त किया। अब्दुस समद खाँ ने सिखों की शक्ति का दमन करने के लिए कोई कसर न उठा रखी। परिणामस्वरूप, बंदा सिंह बहादुर और उसके साथियों को आत्म-समर्पण करना ही पड़ा।

5. गुरदास-नंगल में सिखों पर अचानक आक्रमण (Surprise attack on the Sikhs at Gurdas Nangal)-अप्रैल, 1715 ई० में बंदा सिंह बहादुर पर हुआ अचानक आक्रमण भी उनके पतन का एक प्रमुख कारण बना। बंदा सिंह बहादुर तथा उसके साथी सिख अचानक आक्रमण के कारण दुनी चंद की हवेली में घिर गए। इस हवेली में से अधिक समय तक मुग़लों का सामना नहीं किया जा सकता था। इसके बावजूद बंदा सिंह बहादुर ने 8 माह तक लड़ाई जारी रखी पर अंत में उसे पराजय स्वीकार करनी पड़ी।

6. बंदा सिंह बहादुर और बिनोद सिंह में मतभेद (Differences between Banda Singh Bahadur and Binod Singh)-गुरदास नंगल की लड़ाई के समय बंदा सिंह बहादुर और उसके साथी बिनोद सिंह में मतभेद उत्पन्न हो गए। बिनोद सिंह हवेली छोड़कर भाग निकलने के पक्ष में था। दूसरी ओर बंदा सिंह बहादुर चाहता था कि कुछ समय और लड़ाई को जारी रखा जाए। परिणामस्वरूप, बिनोद सिंह अपने साथियों सहित हवेली छोड़कर निकल गया। अतः बंदा सिंह बहादुर को पराजय का मुख देखना पड़ा।

बंदा सिंह बहादुर के चरित्र तथा सफलताओं का मूल्याँकन (Estimate of Banda Singh Bahadur’s Character and Achievements)

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 11 बंदा सिंह बहादुर

प्रश्न 7.
बंदा सिंह बहादुर की सफलताओं पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालें। (P.S.E.B. July 2006) (Describe in detail about the achievements of Banda Singh Bahadur.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर के चरित्र एवं उपलब्धियों का विवेचन करें। क्या वह रक्त-पिपासु मनुष्य था ?
(Assess the character and achievements. of Banda Singh Bahadur Was he a ruthless blood-sucker ?)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर के चरित्र तथा सफलताओं का मूल्यांकन करें।
(Form an estimate of the character and achievements of Banda Singh Bahadur.)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर एक बहुमुखी प्रतिभा का स्वामी था। वह एक वीर योद्धा, कुशल सेनापति, योग्य शासन प्रबंधक, सिख धर्म का सच्चा अनुयायी तथा पावन जीवन व्यतीत करने वाला मनुष्य था। बंदा सिंह बहादुर के चरित्र और सफलताओं का मूल्याँकन निम्नलिखित अनुसार है—
मनुष्य के रूप में (As a Man)
1. शक्ल-सूरत (Physical Appearance)—बंदा सिंह बहादुर की शक्ल-सूरत गुरु गोबिंद सिंह जी से काफी हद तक मिलती-जुलती थी। उसका शरीर पतला, कद मध्यम और रंग गेहुँआ था। वस्तुतः उसका व्यक्तित्व इतना प्रभावपूर्ण था कि उसके शत्रु भी उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहते थे।

2. वीर और साहसी (Brave and Bold)—बंदा सिंह बहादुर को इतिहास में उसकी वीरता और साहस के कारण ही प्रसिद्धि प्राप्त है। बड़े-से-बड़े संकट में भी वह घबराता नहीं था। लोहगढ़ के दुर्ग में जब वह घिर गया था तथा गुरदास-नंगल की लड़ाई में उसने अपने अद्वितीय साहस का प्रमाण दिया। उसका संपूर्ण जीवन ही उसकी बहादुरी के कारनामों से भरा पड़ा है।

3. सिख धर्म का सच्चा अनुयायी (A true follower of Sikhism)-बंदा सिंह बहादुर का सिख धर्म में बहुत दृढ़ विश्वास था। वह सिख धर्म का सच्चा अनुयायी था। शासन संभालने पर उसने गुरु नानक साहिब एवं गुरु गोबिंद सिंह जी के नाम पर सिक्के जारी किये। इस प्रकार उसने सिख धर्म का प्रचार किया।

4. सहिष्णु (Tolerant)-चारित्रिक रूप में बंदा सिंह बहादुर की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता उसका दूसरे धर्मों के प्रति सहिष्णुपन था। उसने अपने धर्म के प्रचार के लिए कोई अत्याचार नहीं किया। उसकी मुग़लों के साथ लड़ाई भी अत्याचार के विरुद्ध थी। उसकी अपनी सेना में अनेक मुसलमान भर्ती थे और उन्हें पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त थी। इस प्रकार बंदा सिंह बहादुर धार्मिक रूप से पूर्ण सहिष्णु था।

5. उच्च आचरण (High Character)-बंदा सिंह बहादुर का आचरण बहुत उज्ज्वल था। वह बड़ा सरल तथा पवित्र जीवन व्यतीत करता था। वह शराब, माँस और अन्य मादक द्रव्यों का प्रयोग नहीं करता था। वह महिलाओं का बहुत सम्मान करता था। उसने सिखों को यह आदेश दिया था, कि वे लड़ाई के समय भी महिलाओं से किसी प्रकार की अभद्रता न करें।

योद्धा तथा सेनापति के रूप में (As a Warrior and General)
बंदा सिंह बहादुर अपने समय का एक महान् योद्धा तथा उच्च कोटि का सेनापति था। उसने अपने सीमित साधनों के बावजूद महान् मुग़ल साम्राज्य के साथ करारी टक्कर ली । उसने मुग़लों के साथ हुई लड़ाइयों में शानदार सफलताएँ प्राप्त की। वह युद्ध-चालों में बहुत प्रवीण था तथा आवश्यकता पड़ने पर पीछे हटने में अपना अपमान नहीं समझता था। वह शत्रु के कमज़ोर पक्ष पर अचानक आक्रमण करके अपनी विजय सुनिश्चित कर लेता था। वह युद्ध के मैदान को अपनी सुविधा के अनुसार चुनता और इस प्रकार अपनी स्थिति को दृढ़ कर लेता था। परिणामस्वरूप बंदा सिंह बहादुर ने अपनी प्रत्येक लड़ाई में विजय प्राप्त की। प्रसिद्ध इतिहासकार एस० एस० गाँधी का कहना बिल्कुल ठीक है, “वह (बंदा सिंह बहादुर) उच्च कोटि का योद्धा तथा सेनापति था।”2

प्रशासक के रूप में (As an Administrator)
बंदा सिंह बहादुर एक उच्चकोटि का प्रशासक भी था। उसने अपने जीते हुए प्रदेशों में उचित प्रशासनिक व्यवस्था की। उसने खालसा के नाम पर शासन किया। उसने अपने राज्य में मुसलमान कर्मचारियों को हटा दिया क्योंकि वे भ्रष्ट हो चुके थे और उनकी जगह योग्य हिंदुओं तथा सिखों को नियुक्त किया। निम्न वर्गों के लोगों को भी उच्च पदों पर नियुक्त किया गया। बंदा सिंह बहादुर ने अपने राज्य में ज़मींदारी प्रथा का भी अंत कर दिया। इससे किसान भूमि के स्वामी बन गए। बंदा सिंह बहादुर अपने निष्पक्ष न्याय के कारण भी बहुत विख्यात था। न्याय करते समय वह किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करता था। प्रसिद्ध लेखक हरबंस सिंह का कहना बिल्कुल सही
“बंदा सिंह बहादुर का शासन यद्यपि अल्पकालिक रहा, परंतु इसका पंजाब के इतिहास पर गहरा प्रभाव पड़ा।”3

2. “He was a warrior and a general of the highest order.” S. S. Gandhi, Struggle of the Sikhs for Sovereignty (Delhi : 1980) p. 33.
3. Banda Singh’s rule, though short-lived, had a far reaching impact on the history of the Punjab.” Harbans Singh, The Heritage of the Sikhs (New Delhi : 1983) p. 118.

संगठनकर्ता के रूप में
(As an Organiser)
जब बंदा सिंह बहादुर नांदेड़ से पंजाब आया था तो उसके साथ केवल 25 सिख थे। शीघ्र ही उसने अपने ध्वज के नीचे हज़ारों सिखों को एकत्र कर लिया। उसने नई भावना उत्पन्न करके उन्हें शक्तिशाली मुग़ल साम्राज्य से टक्कर लेने के लिए तैयार किया। बंदा सिंह बहादुर ने अल्पकाल में ही मुग़ल साम्राज्य की नींव को हिला कर रख दिया। शीघ्र ही बंदा सिंह बहादुर ने पंजाब में एक स्वतंत्र सिख राज्य स्थापित करने में सफलता प्राप्त की। इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि बंदा सिंह बहादुर में महान् संगठनकर्ता के सभी गुण विद्यमान् थे।

बंदा सिंह बहादुर का इतिहास में स्थान (Banda Singh Bahadur’s Place in History)
बंदा सिंह बहादुर को पंजाब के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। उसने अल्पकाल में ही मुग़लों के शक्तिशाली साम्राज्य की नींव को हिला कर रख दिया। उसने मुग़लों के अजय होने के भ्रम को भंग कर दिया। उसने सिखों में स्वतंत्रता की नई भावना उत्पन्न की। बंदा सिंह बहादुर ने पंजाब से ज़मींदारी प्रथा को समाप्त करके एक क्रांतिकारी पग उठाया। उसने निम्न जातियों को शासन प्रबंध के उच्च पद देकर एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया। इस प्रकार अपनी महान् उपलब्धियों के कारण बंदा सिंह बहादुर का इतिहास में एक प्रमुख स्थान है।
डॉक्टर राजपाल सिंह के शब्दों में,
“निस्संदेह बंदा सिंह बहादुर 18वीं शताब्दी के महान् नेताओं में से एक था। वास्तव में उसका नाम स्वतंत्रता, निष्ठा एवं शहीदी का प्रतीक बन गया।”4
एक अन्य विख्यात इतिहासकार डॉक्टर जी० एस० दियोल के अनुसार,
“18वीं शताब्दी के पंजाब के इतिहास में बंदा बहादुर को विशेष स्थान प्राप्त है।”5

4. ‘No doubt, Banda Bahadur emerges as one of the most outstanding leaders that produced in the eighteenth century……… In fact, his name has come to symbolize freedom, dedication and sacrifice.” Dr. Raj Pal Singh, Banda Bahadur and His Times (New Delhi : 1998) p. XIII.
5. “Banda Bahadur occupies a significant place in the history of the Punjab of the 18th century.” Dr. G. S. Deol, Banda Bahadur (Jalandhar : 1972) p. 7.

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 11 बंदा सिंह बहादुर

संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बंदा सिंह बहादुर के बचपन का नाम क्या था ? वह बैरागी क्यों बना ? (What was Banda Singh Bahadur’s childhood name ? Why did he become a Bairagi ?)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर के आरंभिक जीवन का संक्षिप्त वर्णन करें।
(Describe briefly the early life of Banda Singh Bahadur.)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर के बचपन का नाम लक्ष्मण देव था। उसे बचपन से ही शिकार खेलने का शौक था। एक दिन वह जंगल में शिकार खेलने के लिए गया। उसने वहाँ पर एक ऐसी हिरणी को तीर मारा जो गर्भवती थी। जब लक्ष्मण देव ने उस हिरणी का पेट चीरा तो उसके पेट से दो बच्चे निकले। वे भी उसकी आँखों के सामने तड़पतड़प कर मर गए। इस दर्दनाक दृश्य का लक्ष्मण देव के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा। वह जानकी प्रसाद नाम के एक साधु से प्रभावित होकर बैरागी बन गया।

प्रश्न 2.
बंदा बैरागी कौन था ? वह सिख कैसे बना ?
(Who was Banda Bairagi ? How did he become a Sikh ?)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर जिसका बचपन का नाम लक्ष्मण देव था, कश्मीर के जिला पुंछ के राजौरी गाँव का रहने वाला था। एक दिन गर्भवती हिरणी को मारने के कारण उसके दिल पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। परिणामस्वरूप वह बैरागी बन गया। उसने अपना नाम बदल कर माधो दास रख लिया। उसने 1708 ई० में नंदेड़ में उसकी भेंट गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ हुई। माधो दास गुरु साहिब के व्यक्तित्व से काफी प्रभावित हुआ और वह सिख बन गया।

प्रश्न 3.
गुरु गोबिंद सिंह जी ने बंदा सिंह बहादुर को पंजाब भेजते समय क्या कार्यवाही की तथा उसे क्या आदेश दिए ?
(What action and orders were given to Banda Singh Bahadur by Guru Gobind Singh Ji before sending him to Punjab ?)
उत्तर-
गुरु गोबिंद सिंह जी ने बंदा सिंह बहादुर को पंजाब भेजने से पूर्व अपने पाँच तीर दिए और उसकी सहायता के लिए पाँच प्यारे तथा 20 अन्य बहादुर सिखों को साथ भेजा। इसके अतिरिक्त गुरु साहिब ने पंजाब के सिखों के नाम कुछ हक्मनामे भी दिए। गुरु साहिब ने बंदा सिंह बहादुर को ब्रह्मचारी जीवन व्यतीत करना, सदा सत्य बोलना, नया धर्म नहीं चलाना, अपनी विजयों पर अहंकार नहीं करना, स्वयं को खालसा का सेवक समझना और उनकी इच्छाओं के अनुसार आचरण करने का आदेश दिया।

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प्रश्न 4.
बंदा सिंह बहादुर ने सिखों का राज्य किस तरह स्थापित किया ?
(How did Banda Singh Bahadur set up the Sikh empire ?)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर ने सिख राज्य की स्थापना कैसे की ?
(How did Banda Singh Bahadur establish the Sikh State ?)
उत्तर-
गुरु गोबिंद सिंह जी ने बंदा सिंह बहादुर को पंजाब में मुग़लों के विरुद्ध सिखों का नेतृत्व करने का आदेश दिया। जब बंदा सिंह बहादुर नांदेड़ से पंजाब पहुँचा तो सिखों ने उसे बढ़-चढ़ कर सहयोग दिया। रास्ते में बंदा सिंह बहादुर ने कैथल, समाना, कपूरी और सढौरा को लूटा और बहुत-से मुसलमानों की हत्या कर दी। 12 मई, 1710 ई० में चप्पड़चिड़ी की भयंकर लड़ाई में सरहिंद का फ़ौजदार वज़ीर खाँ मारा गया। सरहिंद की विजय बंदा सिंह बहादुर की एक बहुत बड़ी सफलता थी। उसने लोहगढ़ को अपनी राजधानी बनाया। उसने नए सिक्के चलाकर स्वतंत्र सिख राज्य की स्थापना की।

प्रश्न 5.
बंदा सिंह बहादुर के सैनिक कारनामों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए । (Give a brief account of the military exploits of Banda Singh Bahadur.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की किन्हीं तीन सैनिक विजयों की चर्चा करें। (Describe any three military conquests of Banda Singh Bahadur.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की तीन मुख्य सैनिक सफलताओं का वर्णन करो । (Describe the three major military achievements of Banda Singh Bahadur.)
उत्तर-

  1. बंदा सिंह बहादुर ने अपनी विजयों का आरंभ 1709 ई० में सोनीपत से किया। बंदा सिंह बहादुर ने इसे सुगमता से जीत लिया था।
  2. बंदा सिंह बहादुर ने नवंबर, 1709 ई० में समाना पर आक्रमण करके दस हज़ार मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया ।
  3. बंदा सिंह बहादुर ने कपूरी पर आक्रमण करके वहाँ के अत्याचारी शासक कदमऊद्दीन को मौत के घाट उतार दिया।
  4. सढौरा का शासक उसमान खाँ भी अपने अत्याचारों के कारण बहुत बदनाम था। बंदा सिंह बहादुर ने उसे एक अच्छा सबक सिखाया
  5. बंदा सिंह बहादुर ने 12 मई, 1710 ई० को चप्पड़चिड़ी नामक स्थान पर वज़ीर खाँ को पराजित कर सरहिंद पर विजय प्राप्त की।

प्रश्न 6.
बंदा सिंह बहादुर की सढौरा विजय पर एक संक्षिप्त नोट लिखें । (Write a short note on the conquest of Sadhaura by Banda Singh Bahadur.)
उत्तर-
सढौरा का शासक उस्मान खाँ अपने अत्याचारों के लिए कुख्यात था। उस क्षेत्र में कोई भी हिंदू स्त्री ऐसी नहीं जिसे उसने अपमानित न किया हो। वह हिंदुओं को धार्मिक उत्सव मनाने नहीं देता था। उसने पीर बुद्ध शाह की हत्या करवा दी। बंदा सिंह बहादुर ने इन अपमानों का प्रतिशोध लेने के लिए सढौरा पर आक्रमण कर दिया। यहाँ पर मुसलमानों को इतनी बड़ी संख्या में मौत के घाट उतारा गया कि सढौरा का नाम कत्लगढ़ी पड़ गया।

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प्रश्न 7.
बंदा सिंह बहादुर की सरहिंद की विजय पर संक्षिप्त नोट लिखें।
(Write a short note on the conquest of Sirhind by Banda Singh Bahadur.).
अथवा
चप्पड़चिड़ी की लड़ाई का संक्षेप में वर्णन करें।
(Give a brief accoúnt of battle of Chapparchiri.)
उत्तर-
सिखों में सरहिंद के फ़ौजदार वज़ीर खाँ के विरुद्ध भारी रोष था। उस ने गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों-साहिबजादा जोरावर सिंह जी और साहिबज़ादा फ़तह सिंह जी को जीवित ही दीवार में चिनवा दिया था। परिणामस्वरूप बंदा सिंह बहादुर ने 12 मई, 1710 ई० को चप्पड़चिड़ी नामक स्थान पर वज़ीर खाँ पर आक्रमण कर दिया। यह लड़ाई बड़ी भयानक थी। वज़ीर खाँ के मरते ही उसकी सेना में भगदड़ मच गई। इस लड़ाई में सिख विजयी रहे। इस महत्त्वपूर्ण विजय के कारण सिखों के उत्साह में बहुत वृद्धि हुई।

प्रश्न 8.
बंदा सिंह बहादुर की लोहगढ़ लड़ाई पर एक संक्षिप्त नोट लिखो। (Write a short note on the battle of Lohgarh by Banda Singh Bahadur.)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर की बढ़ती हुई शक्ति मुग़लों के लिए एक चुनौती थी। इसलिए मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ने बंदा सिंह बहादुर की शक्ति का दमन करने का निर्णय किया। इस उद्देश्य से उसने अपने एक सेनापति मुनीम खाँ के अधीन 60,000 सैनिकों की एक विशाल सेना पंजाब भेजी। इस सेना ने 10 दिसंबर, 1710 ई० को लोहगढ़ पर अचानक आक्रमण कर दिया। लोहगढ़ बंदा सिंह बहादुर की राजधानी थी। खाद्य-पदार्थों की कमी के कारण सिखों के लिए इस लड़ाई को अधिक समय तक जारी रखना असंभव था। बंदा सिंह बहादुर वेश बदलकर दुर्ग से बच निकलने में सफल हो गया।

प्रश्न 9.
गुरदास नंगल की लड़ाई पर एक संक्षेप नोट लिखें।
(Write a short note on the battle of Gurdas Nangal.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर एवं मुग़लों के मध्य हुई गुरदास नंगल की लड़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए ।
(Give a brief account of the battle of Gurdas Nangal fought between Banda Singh Bahadur and the Mughals.)
उत्तर-
अब्दुस समद खाँ ने अप्रैल, 1715 ई० में बंदा सिंह बहादुर को गुरदास नंगल के स्थान पर घेर लिया। धीरे-धीरे खान-पान की सामग्री समाप्त होने पर सिखों की स्थिति दयनीय हो गई । ऐसे समय में बाबा विनोद सिंह ने बंदा सिंह बहादुर को दूनी चंद की हवेली से भाग निकलने का परामर्श दिया। परंतु बंदा सिंह बहादुर ने इंकार कर दिया। परिणामस्वरूप, विनोद सिंह अपने साथियों को लेकर गढ़ी छोड़कर भाग निकला। विवश होकर बंदा सिंह बहादुर को अपनी हार स्वीकार करनी पड़ी।

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प्रश्न 10.
बंदा सिंह बहादुर को कब, कहाँ तथा कैसे शहीद किया गया ?
(When, where and how was Banda Singh Bahadur martyred ?)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर और कुछ अन्य सिखों को बंदी बनाने के बाद अब्दुस समद खाँ ने इन सिखों को फरवरी, 1716 ई० में दिल्ली भेजा। दिल्ली में इनका जुलूस निकाला गया। मार्ग में उनका भारी अपमान किया गया। उन्हें इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए कहा गया, परंतु सिखों ने इंकार कर दिया। अतः प्रतिदिन 100 सिखों को शहीद किया जाने लगा। अंत में 9 जून, 1716 ई० को बंदा सिंह बहादुर की बारी आई। उसे शहीद करने से पूर्व जल्लाद ने उसके चार वर्ष के पुत्र अजय सिंह की उसकी आँखों के सामने निर्ममता से हत्या कर दी। अंत में बंदा सिंह बहादुर का अंग-अंग काटकर उन्हें शहीद किया गया।

प्रश्न 11.
बंदा सिंह बहादुर की आरंभिक सफलताओं के कारणों का उल्लेख करो। (Mention the causes of early success of Banda Singh Bahadur.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की आरंभिक सफलता के क्या कारण थे ? (What were the main causes of early success of Banda Singh Bahadur ?)
उत्तर-

  1. पंजाब के मुग़ल शासकों द्वारा सिखों पर किए गए घोर अत्याचारों के कारण पंजाब के लोगों ने बंदा सिंह बहादुर को हर प्रकार का सहयोग दिया।
  2. गुरु गोबिंद सिंह जी की अपील पर सिखों ने बंदा सिंह बहादुर को पूर्ण सहयोग दिया।
  3. औरंगज़ेब के उत्तराधिकारी बहुत अयोग्य थे । परिणामस्वरुप वे बंदा सिंह बहादुर की बढ़ती हुई शक्ति की ओर ध्यान न दे सके।
  4. बंदा सिंह बहादुर ने एक उच्च कोटिं के शासन प्रबंध की स्थापना की थी।
  5. पंजाब के पहाड़ भी बंदा सिंह बहादुर की आरंभिक सफलताओं में सहायक सिद्ध हुए।

प्रश्न 12.
अंत में बंदा सिंह बहादुर की असफलता के क्या कारण थे ? (What were the causes of final failure of Banda Singh Bahadur ?)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की असफलता के कारणों का वर्णन करें।
(Mention the causes of ultimate failure of Banda Singh Bahadur.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की असफलता का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
(Describe in brief the failure of Banda Singh Bahadur.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की असफलता के कोई तीन कारण बताएँ। (Give any three causes of the failure of Banda Singh Bahadur.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की अंतिम असफलता के क्या कारण थे ?
(What were the causes of final failure of Banda Singh Bahdur.)
उत्तर-

  1. मुग़ल साम्राज्य का अत्यंत शक्तिशाली होना बंदा सिंह बहादुर की असफलता का एक मुख्य कारण बना।
  2. बंदा सिंह बहादुर ने गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा दिए गए निर्देशों का उल्लंघन आरंभ कर दिया था।
  3. पंजाब के हिंदू राजाओं तथा ज़मींदारों ने बंदा सिंह बहादुर के विरुद्ध सरकार को अपना सहयोग दिया।
  4. पंजाब के सूबेदार अब्दुस समद खाँ ने बंदा सिंह बहादुर की शक्ति कुचलने में कोई प्रयास नहीं छोड़ा।

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प्रश्न 13.
बंदा सिंह बहादुर के व्यक्तित्व की विशेषताएँ बताएँ । (Describe traits of Banda Singh Bahadur’s personality.)
उत्तर-

  1. बंदा सिंह बहादुर बड़ा ही निडर और साहसी था । बड़ी से बड़ी मुसीबत आने पर भी घबराता नहीं था ।
  2. वह सिख धर्म का सच्चा सेवक था । उसने अपनी सफलताओं को गुरु साहिब का वरदान माना।
  3. बंदा सिंह बहादुर एक महान् सेनापति था। अपने सीमित साधनों के बावजूद उसने मुग़ल शासकों को नानी याद करवा दी थी।
  4. बंदा सिंह बहादुर एक योग्य शासक भी था। उसने अपने जीते हुए प्रदेशों में बहुत अच्छे शासन प्रबंध की व्यवस्था की थी ।

प्रश्न 14.
एक योद्धा और सेनापति के रूप में बंदा सिंह बहादुर की सफलताओं का संक्षिप्त वर्णन करो। (Describe briefly the achievements of Banda Singh Bahadur as a warrior and general.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर का एक वीर योद्धा तथा सेनापति के रूप में मूल्यांकन करें।
(Explain the main contribution of Banda Singh Bahadur as a brave warrior and great military general.)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर एक महान् योद्धा और उच्चकोटि का सेनापति था। बंदा सिंह बहादुर के साधन मुग़लों के मुकाबले नाममात्र थे, परंतु उसने अपनी योग्यता के बल पर 7-8 वर्ष मुग़ल सेना के नाक में दम कर रखा था। उसने जितनी भी लड़ाइयाँ लड़ीं, लगभग सभी में उसने बड़ी शानदार सफलताएँ प्राप्त की। युद्ध के मैदान में वह बड़ी तीव्रता से स्थिति का अनुमान लगा लेता था और अवसर अनुसार अपना निर्णय तुरंत कर लेता था। वह युद्ध की चालों में बड़ा निपुण था। वह युद्ध तभी शुरू करता था जब उसे विजय की पूर्ण आशा होती थी।

प्रश्न 15.
एक प्रशासक के रूप में बंदा सिंह बहादुर की सफलताओं की संक्षिप्त जानकारी दें।
(Write briefly about Banda Singh Bahadur’s achievements as an administrator.)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर ने अपने विजित प्रदेशों में अच्छे शासन प्रबंध की व्यवस्था की। उसने खालसा के नाम से शासन किया और अपने राज्य में गुरु साहिब द्वारा दर्शाए गए नियमों को लागू करने का यत्न किया। उसने अपने राज्य में भ्रष्ट कर्मचारियों को हटाकर बड़े योग्य और ईमानदार व्यक्तियों को नियुक्त किया। निर्धनों और निम्न जाति के लोगों को उच्च पदों पर लगाकर उनको एक नया सम्मान दिया। बंदा सिंह बहादुर ने ज़मींदारी प्रथा का अंत करके एक अत्यंत सराहनीय कार्य किया।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 11 बंदा सिंह बहादुर

प्रश्न 16.
बंदा सिंह बहादुर को पंजाब के इतिहास में आप क्या स्थान देते हैं ?
(What place would you assign to Banda Singh Bahadur in the History the Punjab ?)
अथवा
पंजाब के इतिहास में बंदा सिंह बहादुर को क्या स्थान प्राप्त है ? (What is the place of Banda Singh Bahadur in the History of the Punjab ?)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की सिखों को मुख्य देन क्या है ?
(What is the main contribution of Banda Singh Bahadur to Sikhs ?) .
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर को पंजाब के इतिहास में विशेष स्थान प्राप्त है। वह एक महान् योद्धा, वीर सेनापति, योग्य प्रशासक तथा उच्च कोटि का नेता था। वह पहला व्यक्ति था जिसने सिखों को अत्याचारियों का मुकाबला करने तथा स्वतंत्रता के लिए मर मिटने का पाठ पढ़ाया। उसने मुग़लों के अजेय होने के जादू को तोड़ा। बंदा सिंह बहादुर ने पंजाब से ज़मींदारी प्रथा को समाप्त करके एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी पग उठाया। उसने निर्धनों और निम्न वर्ग के लोगों को शासन प्रबंध में ऊँचे पद देकर एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न A (Objective Type Questions)

(i) एक शब्द से एक पंक्ति तक के उत्तर (Answer in One Word to One Sentence)

प्रश्न 1.
बंदा सिंह बहादुर का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर-
27 अक्तूबर, 1676 ई०।।

प्रश्न 2.
बंदा सिंह बहादुर का जन्म कहाँ हुआ था ?
उत्तर-
राजौरी।

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प्रश्न 3.
बंदा सिंह बहादुर का आरंभिक नाम क्या था ?
अथवा
बंदा सिंह बहादुर का बचपन का क्या नाम था ?
उत्तर-
लक्ष्मण देव।

प्रश्न 4.
बंदा सिंह बहादुर के पिता का क्या नाम था ?
उत्तर-
रामदेव।

प्रश्न 5.
बंदा सिंह बहादुर का वैराग्य धारण करने के पश्चात् क्या नाम पड़ा ?
अथवा
बैरागी बनने के पश्चात् बंदा सिंह बहादुर ने अपना नाम क्या रखा ?
उत्तर-
माधो दास।

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प्रश्न 6.
बंदा सिंह बहादुर बैरागी क्यों बना ?
अथवा
बंदा सिंह बहादुर के आरंभिक जीवन की कौन-सी घटना थी जिसने उसे वैरागी बना दिया ?
अथवा
किस घटना ने बंदा सिंह बहादुर के जीवन को परिवर्तित किया ?
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर ने एक ऐसी हिरणी को मार दिया था जो गर्भवती थी।

प्रश्न 7.
गुरु गोबिंद सिंह जी को बंदा सिंह बहादुर कहाँ मिला था ?
उत्तर-
नांदेड़ में।

प्रश्न 8.
बंदा सिंह बहादुर का यह नाम क्यों पड़ा ?
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर को यह नाम गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा दिया गया था।

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प्रश्न 9.
बंदा सिंह बहादुर ने अपने सैनिक कारनामों का आरंभ कब किया ?
उत्तर-
1709 ई०।

प्रश्न 10.
बंदा सिंह बहादुर ने अपने सैनिक कारनामों का आरंभ कहाँ से किया था ?
उत्तर-
सोनीपत।

प्रश्न 11.
बंदा सिंह बहादुर की पहली महत्त्वपूर्ण विजय कौन-सी थी ?
उत्तर-
समाना।

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प्रश्न 12.
बंदा सिंह बहादुर ने सढौरा पर आक्रमण क्यों किया ?
उत्तर-
क्योंकि यहाँ का शासक उस्मान खाँ अपने अत्याचारों के लिए बहुत कुख्यात था।

प्रश्न 13.
बंदा सिंह बहादुर ने क्या नारा दिया ?
उत्तर-
फ़तेह धर्म, फ़तेह दर्शन।

प्रश्न 14.
बंदा सिंह बहादुर की सबसे महत्त्वपूर्ण विजय कौन-सी थी ?
उत्तर-
सरहिंद।

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प्रश्न 15.
बंदा सिंह बहादुर ने सरहिंद कब विजय किया ?
अथवा
चप्पड़चिड़ी की लड़ाई कब हुई ?
उत्तर-
12 मई, 1710 ई०

प्रश्न 16.
बंदा सिंह बहादुर ने सरहिंद पर आक्रमण क्यों किया?’
उत्तर-
क्योंकि यहाँ का फ़ौजदार वज़ीर खाँ सिखों का घोर शत्रु था।

प्रश्न 17.
वज़ीर खाँ कौन था ?
उत्तर-
सरहिंद का फ़ौजदार।

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प्रश्न 18.
सरहिंद की लड़ाई में बंदा सिंह बहादुर ने किसे पराजित किया था ?
उत्तर-
वज़ीर खाँ को।

प्रश्न 19.
बंदा सिंह बहादुर ने अपनी राजधानी का क्या नाम रखा ?
उत्तर-
लोहगढ़।

प्रश्न 20.
बंदा सिंह बहादुर ने किस राज्य की राजकुमारी के साथ विवाह किया ?
उत्तर-
चंबा।

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प्रश्न 21.
बंदा सिंह बहादुर के पुत्र का क्या नाम था ?
उत्तर-
अजय सिंह।

प्रश्न 22.
बंदा सिंह बहादुर और मुग़लों के बीच हुई अंतिम लड़ाई कौन-सी थी ?
उत्तर-
गुरदास नंगल।

प्रश्न 23.
बंदा सिंह बहादुर की मुग़लों से अंतिम लड़ाई में मुग़ल सेना का नेतृत्व किसने किया ?
उत्तर-
अब्दुस समद खाँ।

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प्रश्न 24.
गुरदास नंगल का युद्ध कब हुआ ?
उत्तर-
1715 ई०।

प्रश्न 25.
बंदा सिंह बहादुर को किसने शहीद करवाया था?
उत्तर-
अब्दुस समद खाँ।

प्रश्न 26.
बंदा सिंह बहादुर को कब शहीद किया गया था ?
उत्तर-
9 जून, 1716 ई०।

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प्रश्न 27.
बंदा सिंह बहादुर को कहाँ शहीद किया गया था ?
उत्तर-
दिल्ली।

प्रश्न 28.
बंदा सिंह बहादुर की शहीदी के समय किस मुगल बादशाह का शासन था ?
उत्तर-
फर्रुखसियर

प्रश्न 29.
बंदा सिंह बहादुर ने किस प्रथा को समाप्त किया ?
उत्तर-
ज़मींदारी प्रथा।

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प्रश्न 30.
बंदा सिंह बहादुर की प्रारंभिक सफलता का कोई एक कारण बताओ।
उत्तर-
मुग़लों के घोर अत्याचारों के कारण पंजाब के लोग बंदा सिंह बहादुर के झंडे तले इकट्ठे हुए।

प्रश्न 31.
बंदा सिंह बहादुर की असफलता का कोई एक कारण बताएँ।
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर के साधन मुग़लों की तुलना में बहुत सीमित थे

प्रश्न 32.
बंदा सिंह बहादुर ने किस नाम के सिक्के जारी किए ?
उत्तर-
नानकशाही तथा गोबिंदशाही।

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प्रश्न 33.
बंदा सिंह बहादुर की सिखों को मुख्य देन क्या थी ?
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर ने सिखों को राजनीतिक स्वतंत्रता का प्रथम सबक सिखाया।

(ii) रिक्त स्थान भरें (Fill in the Blanks)

प्रश्न 1.
बंदा सिंह बहादुर का जन्म …… में हुआ।
उत्तर-
(1670 ई०)

प्रश्न 2.
बंदा सिंह बहादुर का जन्म ……… गाँव में हुआ था।
उत्तर-
(राजौरी)

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प्रश्न 3.
बंदा सिंह बहादुर के पिता का नाम …….. था।
उत्तर-
(रामदेव)

प्रश्न 4.
बंदा सिंह बहादुर का आरंभिक नाम …… था।
उत्तर-
(लक्ष्मण देव)

प्रश्न 5.
…….. के शिकार ने बंदा सिंह बहादुर के जीवन को एक नई दिशा प्रदान की।
उत्तर-
(एक हिरनी)

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प्रश्न 6.
जानकी प्रसाद नामक एक वैरागी ने लक्ष्मण देव का नाम बदल कर …… रख दिया।
उत्तर-
(माधो दास)

प्रश्न 7.
1708 ई० में बंदा सिंह बहादुर की गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ ……. में मुलाकात हुई।
उत्तर-
(नंदेड़)

प्रश्न 8.
गुरु गोबिंद सिंह जी ने माधो दास को …… का नाम दिया।
उत्तर-
(बंदा सिंह बहादुर)

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प्रश्न 9.
बंदा सिंह बहादुर ने अपनी विजयों का आरंभ ………. से किया।
उत्तर-
(सोनीपत)

प्रश्न 10.
बंदा सिंह बहादुर ने ………. में सोनीपत को विजय किया।
उत्तर-
(1709 ई०)

प्रश्न 11.
बंदा सिंह बहादुर ने सढौरा के शासक …….. को एक कड़ी पराजय दी।
उत्तर-
(उस्मान खाँ)

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प्रश्न 12.
बंदा सिंह बहादुर के समय सरहिंद का फ़ौजदार …… था।
उत्तर-
(वजीर खाँ)

प्रश्न 13.
बंदा सिंह बहादुर ने ……… को सरहिंद का शासक नियुक्त किया।
उत्तर-
(बाज़ सिंह)

प्रश्न 14.
बंदा सिंह बहादुर की राजधानी का नाम …….. था।
उत्तर-
(लोहगढ़)

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प्रश्न 15.
बंदा सिंह बहादुर ने …….. को अपनी राजधानी बनाया।
उत्तर-
(लोहगढ़)

प्रश्न 15.
गुरदास नंगल की लड़ाई …….. में हुई।
उत्तर-
(1715 ई०)

प्रश्न 16.
बंदा सिंह बहादुर को …….. में शहीद किया गया।
उत्तर-
(दिल्ली)

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प्रश्न 17.
बंदा सिंह बहादुर को……..में शहीद किया गया।
उत्तर-
(1716 ई०)

प्रश्न 18.
………ने सिख कौम के पहले सिक्के जारी किए।
उत्तर-
(बंदा सिंह बहादुर)

(iii) ठीक अथवा गलत (True or False)

नोट-निम्नलिखित में से ठीक अथवा गलत चुनें

प्रश्न 1.
बंदा सिंह बहादुर का जन्म 27 अक्तूबर, 1670 ई० को हुआ था।
उत्तर-
ठीक

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प्रश्न 2.
बंदा सिंह बहादुर का जन्म राजौरी में हुआ।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 3.
बंदा सिंह बहादुर के पिता जी का नाम लक्ष्मण देव था।
उत्तर-
गलत

प्रश्न 4.
बंदा सिंह बहादुर के बचपन का नाम रामदेव था।
उत्तर-
गलत

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प्रश्न 5.
जानकी प्रसाद नामक एक बैरागी ने लक्ष्मण देव का नाम बदल कर माधो दास रख दिया था।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 6.
गुरु गोबिंद सिंह जी बंदा सिंह बहादुर को दिल्ली में मिले थे।
उत्तर-
गलत

प्रश्न 7.
बंदा सिंह बहादुर ने अपनी विजयों का आरंभ 1709 ई० में सोनीपत से किया था।
उत्तर-
ठीक

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प्रश्न 8.
बंदा सिंह बहादुर ने कंपूरी में कदमुद्दीन को हराया था।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 9.
बंदा सिंह बहादुर ने सढौरा के शासक उस्मान खाँ को करारी हार दी थी।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 10.
बंदा सिंह बहादुर की सबसे महत्त्वपूर्ण विजय रोपड़ की थी।
उत्तर-
गलत

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प्रश्न 11.
बंदा सिंह बहादुर ने 1710 ई० में सरहिंद पर विजय प्राप्त की थी।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 12.
बंदा सिंह बहादुर के समय सरहिंद का फ़ौजदार वजीर खाँ था।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 13.
बंदा सिंह बहादुर ने लोहगढ़ को अपने राज्य की राजधानी बनाया था।
उत्तर-
ठीक

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प्रश्न 14.
गुरदास नंगल की लड़ाई 1715 ई० में लड़ी गई थी। ”
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 15.
बंदा सिंह बहादुर को 1716 ई० में शहीद किया गया था।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 16.
बंदा सिंह बहादुर को लाहौर में शहीद किया गया था।
उत्तर-
गलत

प्रश्न 17.
बंदा सिंह बहादुर पंजाब का पहला ऐसा शासक था जिसने सिख सिक्के जारी किए।
उत्तर-
ठीक

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(iv) बहु-विकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

नोट-निम्नलिखित में से ठीक उत्तर का चयन कीजिए—

प्रश्न 1.
बंदा सिंह बहादुर का जन्म कब हुआ ?
(i) 1625 ई० में
(ii) 1660 ई० में
(iii) 1670 ई० में
(iv) 1675 ई० में।
उत्तर-
(iii)

प्रश्न 2.
बंदा सिंह बहादुर का जन्म कहाँ हुआ ?
(i) राजगढ़ में
(ii) राजौरी में
(iii) सढौरा में
(iv) नांदेड़ में।
उत्तर-
(ii)

प्रश्न 3.
बंदा सिंह बहादुर का आरंभिक नाम क्या था ?
(i) लक्ष्मण देव
(ii) राम देव
(iii) माधो दास
(iv) ग़रीब दास।
उत्तर-
(i)

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प्रश्न 4.
बंदा सिंह बहादुर के पिता का क्या नाम था ?
(i) नाम देव
(ii) राम देव
(iii) सहदेव
(iv) लक्ष्मण देव।
उत्तर-
(i)

प्रश्न 5.
बंदा सिंह बहादुर बैरागी क्यों बना ?
(i) एक गर्भवती हिरणी को मारने के कारण
(ii) एक गर्भवती शेरनी को मारने के कारण
(iii) एक गर्भवती हथनी को मारने के कारण
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(i)

प्रश्न 6.
बैरागी बनने के बाद बंदा सिंह बहादुर ने अपना क्या नाम रखा ?
(i) लक्ष्मण देव
(ii) माधो दास
(ii) जानकी प्रसाद
(iv) औघड़ नाथ।
उत्तर-
(i)

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प्रश्न 7.
बंदा सिंह बहादुर की गुरु गोबिंद सिंह जी से भेंट कहाँ हुई थी ?
(i) श्री आनंदपुर साहिब
(ii) अमृतसर
(iii) गोइंदवाल साहिब
(iv) नांदेड़।
उत्तर-
(iv)

प्रश्न 8.
गुरु गोबिंद सिंह जी ने बंदा सिंह बहादुर को पंजाब क्यों भेजा ?
(i) सिख राज की स्थापना के लिए
(ii) मुग़लों के अत्याचारों का बदला लेने के लिए
(iii) अफ़गानों के अत्याचारों का बदला लेने के लिए
(iv) उपरोक्त सी।
उत्तर-
(ii)

प्रश्न 9.
बंदा सिंह बहादुर ने अपने सैनिक कारनामों का आरंभ कब किया ?
(i) 1708 ई० में
(ii) 1709 ई० में
(iii) 1710 ई० में
(iv) °1715 ई० में।
उत्तर-
(ii)

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प्रश्न 10.
बंदा सिंह बहादुर ने अपने सैनिक कारनामों का आरंभ कहाँ किया ?
(i) पानीपत से
(ii) सोनीपत से
(iii) समाना से
(iv) कपूरी से।
उत्तर-
(i)

प्रश्न 11.
बंदा सिंह बहादुर ने सढौरा के किस शासक को पराजित किया था ?
(i) रहमत खाँ
(ii) जकरिया खाँ
(iii) उस्मान खाँ
(iv) वज़ीर खाँ।
उत्तर-
(iii)

प्रश्न 12.
बंदा सिंह बहादुर की सबसे महत्त्वपूर्ण विजय कौन-सी थी ?
(i) सढौरा की
(ii) लोहगढ़ की
(iii) रोपड़ की
(iv) सरहिंद की।
उत्तर-
(iv)

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प्रश्न 13.
वज़ीर खाँ कहाँ का मुग़ल सूबेदार था ?
(i) समाना
(ii) सोनीपत
(iii) सरहिंद
(iv) गुरदास नंगल।
उत्तर-
(iii)

प्रश्न 14.
बंदा सिंह बहादुर ने सरहिंद पर कब विजय प्राप्त की थी ?
(i) 1708 ई० में
(ii) 1709 ई० में
(iii) 1710 ई० में
(iv) 1712 ई० में।
उत्तर-
(iii)

प्रश्न 15.
बंदा सिंह बहादुर की राजधानी का क्या नाम था ?
(i) लोहगढ़
(ii) गुरदास नंगल
(iii) अमृतसर
(iv) कलानौर।
उत्तर-
(i)

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प्रश्न 16.
बंदा सिंह बहादुर ने किस राज्य की राजकुमारी के साथ विवाह किया ?
(i) बिलासपुर
(ii) चंबा
(iii) मंडी
(iv) कुल्लू।
उत्तर-
(ii)

प्रश्न 17.
बंदा सिंह बहादुर के पुत्र का क्या नाम था ?
(i) अजय सिंह
(ii) अभय सिंह
(iii) दया सिंह
(iv) बिनोद सिंह।
उत्तर-
(i)

प्रश्न 18.
गुरदास नंगल की लड़ाई कब हुई ?
(i) 1709 ई० में
(ii) 1710 ई० में
(iii) 1712 ई० में
(iv) 1715 ई० में।
उत्तर-
(iv)

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प्रश्न 19.
बंदा सिंह बहादुर को कहाँ शहीद किया गया था ?
(i) दिल्ली में
(ii) लाहौर में
(iii) मुलतान में
(iv) अमृतसर में।
उत्तर-
(i)

प्रश्न 20.
बंदा सिंह बहादुर को कब शहीद किया गया ?
(i) 1714 ई० में
(ii) 1715 ई० में
(iii) 1716 ई० में
(iv) 1718 ई० में।
उत्तर-
(iii)

प्रश्न 21.
बंदा सिंह बहादुर को किस मुग़ल बादशाह के आदेश पर शहीद किया गया था ?
(i) औरंगजेब
(ii) बहादुर शाह प्रथम
(iii) जहाँदार शाह
(iv) फर्रुखसियर।
उत्तर-
(iv)

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प्रश्न 22.
बंदा सिंह बहादुर की प्रारंभिक सफलता का क्या कारण था ?
(i) बंदा सिंह बहादुर का अच्छा शासन प्रबंध
(ii) औरंगजेब के कमज़ोर उत्तराधिकारी ।
(iii) गुरु गोबिंद सिंह जी के हक्मनामे
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(iv)

प्रश्न 23.
बंदा सिंह बहादुर की अंतिम असफलता का मुख्य कारण क्या था ?
(i) मुग़ल साम्राज्य का शक्तिशाली होना
(ii) गुरदास नंगल पर अचानक आक्रमण
(iii) बंदा सिंह बहादुर और विनोद सिंह में मतभेद
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(iv)

Long Answer Type Question

प्रश्न 1.
बंदा सिंह बहादुर के बचपन का नाम क्या था ? वह बैरागी क्यों बना ? (What was Banda Singh Bahadur’s childhood name ? Why did he become a Bairagi ?)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर के आरंभिक जीवन का संक्षिप्त वर्णन करें। (Describe briefly the early life of Banda Singh Bahadur.)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर जो सिख इतिहास में बंदा बहादुर के नाम से अधिक विख्यात हैं, को अत्यंत गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त है। बंदा सिंह बहादुर के आरंभिक जीवन का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है—
1. जन्म और माता-पिता-बंदा सिंह बहादुर का जन्म 27 अक्तूबर, 1670 ई० में कश्मीर के जिला पुंछ के राजौरी नामक गाँव में हुआ। उसके बचपन का नाम लक्ष्मण देव था। उनके पिता जी का नाम राम देव था। वह डोगरा राजपूत जाति से संबंधित थे।

2. बचपन-लक्ष्मण देव एक बहुत ही निर्धन परिवार से संबंधित था। अत: लक्ष्मण देव कुछ बड़ा हुआ तो वह कृषि के कार्य में पिता जी का हाथ बंटाने लग पड़ा। लक्ष्मण देव अपने खाली समय में तीर-कमान लेकर वनों में शिकार खेलने चला जाता था।

3. जीवन में नया मोड़-जब लक्ष्मण देव की आयु लगभग 15 वर्ष की थी तो एक दिन शिकार खेलते हुए उसने एक गर्भवती हिरणी को तीर मारा। वह हिरणी और उसके बच्चे लक्ष्मण देव के सामने तड़प-तड़प कर मर गए। इस करुणामय दृश्य का लक्ष्मण के दिल पर इतना प्रभाव पड़ा कि उसने संसार को त्याग दिया।

4. बैरागी के रूप में-लक्ष्मण देव शीघ्र ही जानकी प्रसाद नामक बैरागी के संपर्क में आया। जानकी प्रसाद ने उसका नाम बदल कर माधो दास रख दिया। शीघ्र ही माधोदास की मुलाकात तंत्र विद्या में निपुण औघड़ नाथ से हो गई और वह उसका शिष्य बन गया। औघड़ नाथ की मृत्यु के बाद माधोदास नंदेड़ आ गया और शीघ्र ही अपनी तंत्र विद्या के कारण लोगों में विख्यात हो गया।

5. गुरु गोबिंद सिंह जी से भेंट-1708 ई० में जब गुरु गोबिंद सिंह जी नंदेड़ आए तो वह माधोदास के आश्रम में उससे भेंट करने के लिए गए। गुरु साहिब और माधोदास के मध्य कुछ प्रश्न-उत्तर हुए। माधोदास गुरु साहिब के व्यक्तित्व से इतना प्रभावित हुआ कि वह गुरु जी का अनुयायी बन गया। गुरु जी ने भी उसे अमृत छकाकर सिख बनाया और उसका नाम परिवर्तित करके बंदा सिंह बहादुर रख दिया।

6. बंदा सिंह बहादुर का पंजाब की ओर प्रस्थान-जब बंदा सिंह बहादुर ने गुरु गोबिंद सिंह जी से पंजाब में सिखों पर मुग़लों द्वारा किए गए अत्याचारों और गुरु तेग़ बहादुर जी के बलिदानों के संबंध में सुना तो उसका राजपूती खून खौलने लगा। उसने इन अत्याचारों का प्रतिशोध लेने के लिए गुरु जी से पंजाब जाने की आज्ञा माँगी। गुरु जी ने इस निवेदन को स्वीकार कर लिया। इस प्रकार बंदा सिंह बहादुर ने गुरु जी का आशीर्वाद प्राप्त करके 1708 ई० में पंजाब की ओर रुख किया।

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प्रश्न 2.
बंदा बैरागी कौन था ? वह सिख कैसे बना ? (Who was Banda Bairagi ? How did he become a Sikh ?)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर जिसका बचपन का नाम लक्ष्मण देव था, कश्मीर के जिला पंछ के राजौरी गाँव का रहने वाला था। उसके पिता एक साधारण कृषक थे। एक गर्भवती हिरणी को मारने के कारण उसके दिल पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। परिणामस्वरूप वह बैरागी बन गया। लक्ष्मण. देव का नाम बदल कर माधो दास रख दिया गया। उसने पंचवटी के एक साधु औघड़नाथ से तंत्र विद्या की जानकारी प्राप्त की। कुछ समय वहाँ रहने के बाद माधो दास नांदेड़ नामक स्थान पर आ गया। नांदेड़ में ही 1708 ई० में उसकी भेंट गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ हुई। इस भेंट के दौरान गुरु गोबिंद सिंह जी और माधो दास के मध्य कुछ प्रश्न-उत्तर हुए। माधो दास गुरु साहिब के व्यक्तित्व से इतना प्रभावित हुआ कि वह गुरु साहिब का बंदा (दास) बन गया। गुरु गोबिंद सिंह जी ने उसे अमृत छका कर सिख बना दिया और उसको बंदा सिंह बहादुर का नाम दिया। इस तरह बंदा बैरागी सिख बना।

प्रश्न 3.
बंदा सिंह बहादुर की गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ हुई मुलाकात का वर्णन करें। (Discuss Banda Singh Bahadur’s meeting with Guru Gobind Singh Ji.)
उत्तर-
1708 ई० में जब गुरु गोबिंद सिंह जी नंदेड़ आए तो वे माधो दास के आश्रम में उससे भेंट करने के लिए गए। जब गुरु जी उसके आश्रम में पहुँचे तो उसने उन्हें चारपाई पर बिठाया और अपनी तंत्र विद्या से उनकी चारपाई उलटानी चाही। परंतु गुरु साहिब चारपाई पर शाँत बैठे रहे। उन पर माधो दास की तंत्र विद्या का तनिक भी प्रभाव न हुआ। यह देखकर माधो दास आश्चर्यचकित रह गया और उसने गुरु साहिब से कुछ प्रश्न पूछने आरंभ कर दिए जिनका उत्तर गुरु जी ने इस प्रकार दिया—
माधो दास-तुम कौन हो ?
गुरु गोबिंद सिंह जी-मैं वही हूँ जिसे तुम जानते हो।
माधो दास-मैं कैसे जानता हूँ।
गुरु गोबिंद सिंह जी-अपने मन में सोचो।
माधो दास-तो क्या आप गुरु गोबिंद सिंह जी हैं ?
गुरु गोबिंद सिंह जी-हाँ !
माधो दास-तो आप यहाँ किस लिए आये हैं ?
गुरु गोबिंद सिंह जी-तुम्हें अपना शिष्य बनाने के लिए।
माधो दास-मुझे स्वीकार है, साहिब ! मैं आप ही का बंदा (दास) हूँ।
माधो दास गुरु साहिब के व्यक्तित्व से इतना प्रभावित हुआ कि वह गुरु साहिब का अनुयायी बन गिया। गुरु साहिब ने भी उसे अमृत छकाकर सिख बनाया और उसका नाम परिवर्तन करके बंदा सिंह बहादुर रख दिया।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 11 बंदा सिंह बहादुर

प्रश्न 4.
गुरु गोबिंद सिंह जी ने बंदा सिंह बहादुर को पंजाब भेजते समय क्या कार्यवाही की तथा उसे क्या आदेश दिए ? ‘
(What action and orders were given to Banda Singh Bahadur by Guru Gobind Singh Ji before sending him to Punjab ?)
उत्तर-
गुरु गोबिंद सिंह जी ने बंदा सिंह बहादुर को पंजाब भेजने से पूर्व अपने पाँच तीर दिए और उसकी सहायता के लिए पाँच प्यारे बिनोद सिंह, काहन सिंह, बाज सिंह, दया सिंह, रण सिंह तथा 20 अन्य बहादुर सिखों को साथ भेजा। इसके अतिरिक्त गुरु साहिब ने पंजाब के सिखों के नाम कुछ हुक्मनामे भी दिए। इन हुक्मनामों में पंजाब के सिखों को यह आदेश दिया गया था कि वे बंदा सिंह बहादुर को अपना नेता स्वीकार करें तथा मुग़लों के विरुद्ध धर्म युद्धों में अपना पूरा समर्थन दें। गुरु साहिब ने बंदा सिंह बहादुर को आगे दिए आदेशों का पालन करने के लिए कहा-पहला, ब्रह्मचारी जीवन व्यतीत करना। दूसरा, सदा सत्य बोलना और सच्चाई के मार्ग पर चलना। तीसरा, नया धर्म अथवा संप्रदाय नहीं चलाना। चौथा, अपनी विजयों पर अहंकार नहीं करना। पाँचवां, स्वयं को खालसा का सेवक समझना और उनकी इच्छाओं के अनुसार आचरण करना। बंदा सिंह बहादुर ने गुरु साहिब से आदर सहित तीर लिए और उनकी आज्ञा का पालन करने का प्रण किया। इस प्रकार बंदा सिंह बहादुर ने अक्तूबर, 1708 ई० में गुरु जी का आशीर्वाद प्राप्त करके पंजाब के लिए प्रस्थान किया।

प्रश्न 5.
बंदा सिंह बहादुर ने सिखों का राज्य किस तरह स्थापित किया ? (How did Banda Singh Bahadur set up the Sikh empire ?)
उत्तर-
गुरु गोबिंद सिंह जी ने बंदा सिंह बहादुर को पंजाब में मुग़लों के विरुद्ध सिखों का नेतृत्व करने का आदेश दिया। जब बंदा सिंह बहादुर नांदेड़ से पंजाब पहुँचा तो सिखों ने उसे बढ़-चढ़ कर सहयोग दिया। उसका पहला काम सरहिंद के फौजदार वज़ीर खाँ से गुरु जी के दो छोटे साहिबजादों (साहिबजादा जोरावर सिंह जी तथा साहिबजादा फ़तह सिंह जी.) की शहीदी का बदला लेना था। इस उद्देश्य से वह बहुत से सिखों को साथ लेकर सरहिंद की ओर चल पड़ा। रास्ते में बंदा सिंह बहादुर ने कैथल, समाना, कपूरी और सढौरा को लूटा और बहुत से मुसलमानों की हत्या कर दी। 12 मई, 1710 ई० में चप्पड़चिड़ी की भयंकर लड़ाई में वज़ीर खाँ मारा गया। बड़ी संख्या में मुसलमानों को मौत के घाट उतारा गया। सरहिंद की विजय बंदा सिंह बहादुर की एक बहुत बड़ी सफलता थी। उसने गंगा दोआब, जालंधर दोआब और गुरदासपुर के बहुत सारे क्षेत्रों को अपने अधीन कर लिया था। उसने लोहगढ़ को अपनी राजधानी बनाया। उसने नए सिक्के चलाकर स्वतंत्र सिख राज्य की स्थापना की।

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प्रश्न 6.
बंदा सिंह बहादुर की कोई छः मुख्य सैनिक सफलताओं के बारे में लिखें। (Describe six major military achievements of Banda Singh Bahadur.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की छः महत्त्वपूर्ण विजयों की संक्षिप्त जानकारी दें। (Give a brief account of the six important conquests of Banda Singh Bahadur.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की मुख्य सैनिक सफलताओं का वर्णन करो। (Describe major military achievements of Banda Singh Bahadur.)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर की महत्त्वपूर्ण लड़ाइयों का विवरण निम्नलिखित अनुसार है—
1. सोनीपत पर आक्रमण-बंदा सिंह बहादुर ने सर्वप्रथम नवंबर 1709 ई० में 500 सिखों सहित सोनीपत पर आक्रमण किया। सोनीपत का फ़ौजदार बिना सामना किए दिल्ली की ओर भाग गया। इस सरल विजय से सिखों का साहस बहुत बढ़ गया।

2. समाना की विजय-समाना में गुरु तेग़ बहादुर जी को तथा गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों को शहीद करने वाले जल्लाद रहते थे। बंदा सिंह बहादुर ने समाना पर आक्रमण करके दस हज़ार मुसलमानों का वध कर दिया। यह बंदा सिंह बहादुर की प्रथम महत्त्वपूर्ण विजय थी।

3. कपूरी की विजय-कपूरी का शासक कदमुद्दीन हिंदुओं के साथ बहुत दुर्व्यवहार करता था। फलस्वरूप बंदा सिंह बहादुर ने कपूरी पर आक्रमण करके कदमुद्दीन को मौत के घाट उतार दिया। इस प्रकार बंदा सिंह बहादुर ने कपूरी पर सुगमता से विजय प्राप्त की।

4. सढौरा की विजय-सढौरा का शासक उसमान खाँ बड़ा अत्याचारी था। उसने पीर बुद्ध शाह की इसलिए निर्मम हत्या करवा दी थी क्योंकि उसने भंगाणी की लड़ाई में गुरु गोबिंद सिंह जी की सहायता की थी। अत: बंदा सिंह बहादुर ने सढौरा पर आक्रमण कर दिया तथा बहुसंख्या में मुसलमानों की हत्या कर दी। इस कारण इस स्थान
का नाम कत्लगढ़ी पड़ गया।

5. सरहिंद की विजय-सरहिंद के फ़ौजदार वज़ीर खाँ ने गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों साहिबजादा जोरावर सिंह जी तथा साहिबजादा फ़तह सिंह जी को दीवार में जिंदा चिनवा दिया था। इस अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए 12 मई, 1710 ई० को बंदा सिंह बहादुर ने चप्पड़चिड़ी के स्थान पर वज़ीर खाँ की सेनाओं पर आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण में सिखों ने मुसलमानों का भयंकर रक्त-पात किया। वजीर खाँ की हत्या करके उसके शव को वृक्ष पर लटका दिया गया। इस विजय के कारण सिखों का साहस बहुत बढ़ गया।

6. अमृतसर, बटाला, कलानौर और पठानकोट की विजयें-बंदा सिंह बहादुर की विजयों से प्रोत्साहित होकर अमृतसर, बटाला, कलानौर और पठानकोट के सिखों ने भी वहाँ के अत्याचारी मुग़ल शासकों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। बंदा सिंह बहादुर के सहयोग से सिखों ने इन प्रदेशों पर बड़ी आसानी से अधिकार कर लिया।

प्रश्न 7.
बंदा सिंह बहादुर की सरहिंद की विजय पर संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a short note on the conquest of Sirhind by Banda Singh Bahadur.)
अथवा
सरहिंद की लड़ाई का संक्षेप में वर्णन करो।
(Write briefly about the Battle of Sirhind.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर ने सरहिंद के फ़ौजदार वज़ीर खाँ से गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों की शहीदी का बदला कैसे लिया ?
(How did Banda Singh Bahadur take revenge on Wazir Khan, the Faujdar of Sirhind for the martyrdom of younger sons of Guru Gobind Singh Ji ?)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की सरहिंद विजय का वर्णन करें। यह लड़ाई सिखों के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण थी ?
(Describe Banda Singh Bahadur’s conquest of Sirhind. Why was this battle significant for the Sikhs ?)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की मुख्य सैनिक सफलताओं का वर्णन करो। (Describe major military achievements of Banda Singh Bahadur.)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर की महत्त्वपूर्ण लड़ाइयों का विवरण निम्नलिखित अनुसार है—
1. सोनीपत पर आक्रमण-बंदा सिंह बहादुर ने सर्वप्रथम नवंबर 1709 ई० में 500 सिखों सहित सोनीपत पर आक्रमण किया। सोनीपत का फ़ौजदार बिना सामना किए दिल्ली की ओर भाग गया। इस सरल विजय से सिखों का साहस बहुत बढ़ गया।

2. समाना की विजय-समाना में गुरु तेग़ बहादुर जी को तथा गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों को शहीद करने वाले जल्लाद रहते थे। बंदा सिंह बहादुर ने समाना पर आक्रमण करके दस हज़ार मुसलमानों का वध कर दिया। यह बंदा सिंह बहादुर की प्रथम महत्त्वपूर्ण विजय थी।

3. कपूरी की विजय-कपूरी का शासक कदमुद्दीन हिंदुओं के साथ बहुत दुर्व्यवहार करता था। फलस्वरूप बंदा सिंह बहादुर ने कपूरी पर आक्रमण करके कदमुद्दीन को मौत के घाट उतार दिया। इस प्रकार बंदा सिंह बहादुर ने कपूरी पर सुगमता से विजय प्राप्त की।।

4. सढौरा की विजय-सढौरा का शासक उसमान खाँ बड़ा अत्याचारी था। उसने पीर बुद्ध शाह की इसलिए निर्मम हत्या करवा दी थी क्योंकि उसने भंगाणी की लड़ाई में गुरु गोबिंद सिंह जी की सहायता की थी। अत: बंदा सिंह बहादुर ने सढौरा पर आक्रमण कर दिया तथा बहुसंख्या में मुसलमानों की हत्या कर दी। इस कारण इस स्थान का नाम कत्लगढ़ी पड़ गया।

5. सरहिंद की विजय-सरहिंद के फ़ौजदार वज़ीर खाँ ने गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों साहिबजादा जोरावर सिंह जी तथा साहिबजादा फ़तह सिंह जी को दीवार में जिंदा चिनवा दिया था। इस अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए 12 मई, 1710 ई० को बंदा सिंह बहादुर ने. चप्पड़चिड़ी के स्थान पर वज़ीर खाँ की सेनाओं पर आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण में सिखों ने मुसलमानों का भयंकर रक्त-पात किया। वज़ीर खाँ की हत्या करके उसके शव को वृक्ष पर लटका दिया गया। इस विजय के कारण सिखों का साहस बहुत बढ़ गया।

6. अमृतसर, बटाला, कलानौर और पठानकोट की विजयें-बंदा सिंह बहादुर की विजयों से प्रोत्साहित होकर अमृतसर, बटाला, कलानौर और पठानकोट के सिखों ने भी वहाँ के अत्याचारी-मुग़ल शासकों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। बंदा सिंह बहादुर के सहयोग से सिखों ने इन प्रदेशों पर बड़ी आसानी से अधिकार कर लिया।

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प्रश्न 7.
बंदा सिंह बहादुर की सरहिंद की विजय पर संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a short note on the conquest of Sirhind by Banda Singh Bahadur.)
अथवा
सरहिंद की लड़ाई का संक्षेप में वर्णन करो।
(Write briefly about the Battle of Sirhind.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर ने सरहिंद के फ़ौजदार वज़ीर खाँ से गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों की शहीदी का बदला कैसे लिया ?
(How did Banda Singh Bahadur take revenge on Wazir Khan, the Faujdar of Sirhind for the martyrdom of younger sons of Guru Gobind Singh Ji ?)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की सरहिंद विजय का वर्णन करें। यह लड़ाई सिखों के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण थी ?
(Describe Banda Singh Bahadur’s conquest of Sirhind. Why was this battle significant for the Sikhs ?).
अथवा
चप्पड़चिड़ी की लड़ाई का संक्षेप में वर्णन करें। (Give a brief account of the battle of Chapparchiri.)
उत्तर-
सरहिंद की विजय बंदा सिंह बहादुर की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विजयों में से एक थी। सरहिंद का फ़ौज़दार वज़ीर खाँ सिखों का घोर शत्रु था। उसने गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों (साहिबजादा जोरावर सिंह जी एवं साहिबज़ादा फ़तह सिंह जी) को दीवार में जिंदा चिनवा दिया था। उसकी सेनाओं के हाथों ही गुरु जी के दोनों बड़े साहिबज़ादे (साहिबज़ादा अजीत सिंह जी एवं साहिबज़ादा जुझार सिंह जी) चमकौर साहिब की लड़ाई में शहीद हो गए थे। वज़ीर खाँ द्वारा भेजे गए पठान ने गुरु साहिब को नांदेड़ के स्थान पर छुरा मार दिया था जिसके कारण वे ज्योति-जोत समा गए थे। इन कारणों से बंदा सिंह बहादुर वज़ीर खाँ को एक ऐसा पाठ पढ़ाना चाहता था जोकि मुसलमानों को दीर्घकाल तक याद रहे। 12 मई, 1710 ई० को दोनों सेनाओं के बीच सरहिंद से लगभग 16 किलोमीटर दूर चप्पड़चिड़ी में बहुत भयंकर लड़ाई आरंभ हुई। आरंभ में वज़ीर खाँ के तोपखाने के कारण सिखों को बहुत क्षति पहुँची किंतु उन्होंने धैर्य का त्याग नहीं किया। बंदा सिंह बहादुर ने सत् श्री अकाल की जय-जयकार गुंजाते हुए मुसलमानों पर बड़ा जोरदार आक्रमण किया। मुसलमानों के लिए इस आक्रमण को रोकना बड़ा मुश्किल हो गया। फ़तह सिंह ने वज़ीर खाँ को यमलोक पहुँचा दिया। उसकी मृत्यु के साथ ही मुग़ल सेना में भगदड़ मच गई। सिखों ने इन भागे जा रहे सैनिकों का पीछा करके उनकी बड़ी संख्या में हत्या कर दी। वज़ीर खाँ के शव को एक वृक्ष पर उल्टा लटका दिया। 14 मई को सिख सेनाएँ सरहिंद पहुँची। उन्होंने मुसलमानों के ऐसे छक्के छुड़ाए कि उनकी आत्मा भी काँप उठी। इस प्रकार बंदा सिंह बहादुर ने सरहिंद की ईंट से ईंट बजा दी।

प्रश्न 8.
बंदा सिंह बहादुर की लोहगढ़ लड़ाई पर एक संक्षिप्त नोट लिखें। (Write a short note on the battle of Lohgarh by Banda Singh Bahadur.)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर की बढ़ती हुई शक्ति मुगलों के लिए एक चुनौती थी। इसलिए मुग़ल बादशाह बहादुर । शाह ने बंदा सिंह बहादुर की शक्ति का दमन करने का निर्णय किया। इस उद्देश्य से उसने अपने एक जरनैल मुनीम खाँ के अंतर्गत 60,000 सैनिकों की एक विशाल सेना पंजाब भेजी। इस सेना ने 10 दिसंबर, 1710 ई० को लोहगढ़ पर अचानक आक्रमण कर दिया। लोहगढ़ बंदा सिंह बहादुर की राजधानी का नाम था। इसे उसने मुखलिसपुर के स्थान पर बनाया था। सिख दुर्ग के भीतर से मुग़लों का डटकर सामना करते थे। खाद्य-पदार्थों की कमी के कारण सिखों के लिए इस लड़ाई को अधिक समय तक जारी रखना संभव नहीं था। बंदा सिंह बहादुर इतनी. सरलता से मुग़लों के हाथ आने वाला नहीं था। वह वेश बदलकर दर्ग से बच निकलने में सफल हो गया और नाहन की पहाड़ियों की ओर चला गया। अगले दिन जब मुगलों ने दुर्ग पर अधिकार किया तो उन्हें यह जानकर बहुत निराशा हुई कि हाथ आया बाज़ उड़ गया है।

प्रश्न 9.
गुरदास नंगल की लड़ाई पर एक संक्षेप नोट लिखें। (Write a short note on the battle of Gurdas Nangal.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर एवं मुग़लों के मध्य हुई गुरदास नंगल की लड़ाई का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
(Give a brief account of the battle of Gurdas-Nangal fought between Banda Singh Bahadur and the Mughals.)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर के अधीन पंजाब में बढ़ रही सिखों की शक्ति को रोकने के लिए मुग़ल बादशाह फर्रुखसियर ने अब्दुस समद खाँ को लाहौर का सूबेदार नियुक्त किया। उसको सिखों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए। उसने अप्रैल, 1715 ई० में एक विशाल सेना के साथ बंदा सिंह बहादुर को गुरदास नंगल के स्थान पर घेर लिया। बंदा सिंह बहादुर तथा उसके साथी सिखों ने दुनी चंद की हवेली से इस मुग़ल सेना से मुकाबला जारी रखा। यह घेरा आठ महीने तक चलता रहा। धीरे-धीरे खान-पान की सामग्री समाप्त होने पर सिखों की स्थिति बड़ी दयनीय हो गई। ऐसे समय में बाबा बिनोद सिंह ने बंदा सिंह बहादुर को हवेली से भाग निकलने का परामर्श दिया पर बंदा सिंह बहादुर ने इंकार कर दिया। परिणामस्वरूप बिनोद सिंह अपने साथियों को साथ लेकर गढ़ी छोड़कर भाग निकला। इससे बंदा सिंह बहादुर की स्थिति और बिगड़ गई। अंत में विवश होकर बंदा सिंह बहादुर को अपनी पराजय स्वीकार करनी पड़ी। इस प्रकार 7 दिसंबर, 1715 ई० को बंदा सिंह बहादुर और उसके दो सौ साथियों को बंदी बना लिया गया।

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प्रश्न 10.
बंदा सिंह बहादुर को कब, कहाँ तथा कैसे शहीद किया गया ? (When, where and how was Banda Singh Bahadur martyred ?)
उत्तर-
गुरदास नंगल से अब्दुस समद खाँ ने 200 सिखों को बंदी बनाया था, परंतु बाद में लाहौर की ओर आते मार्ग में उसने 540 अन्य सिखों को बंदी बना लिया। बंदा सिंह बहादुर और इन 740 सिखों को फरवरी, 1716 ई० में दिल्ली भेजा गया। दिल्ली पहुँचने पर उनका जुलूस निकाला गया। बंदा सिंह बहादुर को एक पिंजरे में बंद किया गया था। मार्ग में उनका भारी अपमान किया गया। बाद में उन्हें इस्लाम धर्म स्वीकार करने के लिए कहा। ऐसा करने पर उन्हें प्राण दान दिए जा सकते थे, परंतु इन स्वाभिमानी सिखों में से किसी ने भी इस्लाम धर्म स्वीकार करने से इंकार कर दिया। अत: प्रतिदिन 100 सिखों को शहीद किया जाने लगा। अंत में 9 जून, 1716 ई० को बंदा सिंह बहादुर की बारी आई। उसे शहीद करने से पूर्व जल्लाद ने उसके चार वर्ष के पुत्र अजय सिंह की उसकी आँखों के सामने निर्ममता से हत्या की और उसके तड़पते हुए दिल को निकाल कर बंदा सिंह बहादुर के मुँह में लूंस दिया। तत्पश्चात् बंदा सिंह बहादुर का अंग-अंग काटकर उसे शहीद किया गया। बंदा सिंह बहादुर के सैनिक कारनामे एवं शहीदी आने वाली नस्लों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन गई।

प्रश्न 11.
बंदा सिंह बहादुर की आरंभिक सफलताओं के कारणों का उल्लेख करो। (Mention the causes of early success of Banda Singh Bahadur.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की आरंभिक सफलताओं के कारण बतायें।
(What were the causes of early success of Banda Singh Bahadur ?) .
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की सफलता के छः प्रमुख कारण कौन से थे ? (P.S.E.B. Model Test Paper) (What were the six causes of success of Banda Singh Bahadur ?)
उत्तर-
1. मुगलों के घोर अत्याचार-पंजाब के मुग़ल शासक सिखों के कट्टर शत्रु थे। सरहिंद के फ़ौजदार वज़ीर खाँ ने गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों (साहिबजादा जोरावर सिंह जी तथा साहिबजादा फतह सिंह जी) को जीवित ही दीवार में चिनवा दिया था। गुरु गोबिंद सिंह जी के दोनों बड़े साहिबज़ादे (साहिबजादा अजीत सिंह जी और साहिबजादा जुझार सिंह जी) चमकौर साहिब की लड़ाई में उसके सैनिकों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। अतः सिखों का खून खौल रहा था। परिणामस्वरूप वे बंदा सिंह बहादुर के झंडे अधीन एकत्र हो गए।

2. गुरु गोबिंद सिंह जी के हुक्मनामे-गुरु गोबिंद सिंह जी ने बंदा सिंह बहादुर के हाथ सिख संगत के नाम कुछ हुक्मनामे भेजे. थे। इन हुक्मनामों में गुरु साहिब ने सिख संगत को मुगलों के विरुद्ध होने वाले धर्म युद्धों में बंदा सिंह बहादुर को पूरा सहयोग देने को कहा। सिख संगत के सहयोग के कारण बंदा सिंह बहादुर एवं उसके साथियों का उत्साह बढ़ गया।

3. औरंगजेब के कमज़ोर उत्तराधिकारी-1707 ई० में औरंगज़ेब की मृत्यु के बाद हुआ मुग़ल शासक बहादुर शाह उत्तराधिकारिता के युद्ध में ही उलझा रहा। अतः वह साम्राज्य में व्याप्त अराजकता को नियंत्रण में रखने में असफल रहा जबकि उसके बाद मुग़ल बादशाह बनने वाला जहाँदार शाह एक वेश्या लाल कंवर के चक्करों में फंसा रहा। परिणामस्वरूप बंदा सिंह बहादुर ने इस स्वर्ण अवसर का उचित लाभ उठाया तथा अनेक सफलताएँ प्राप्त की।

4. बंदा सिंह बहादुर का योग्य नेतृत्व बंदा सिंह बहादुर एक निर्भीक योद्धा एवं योग्य सेनापति था। उसने सभी लड़ाइयों में सेना का स्वयं नेतृत्व किया तथा वह अपने अधीन सैनिकों को युद्ध के समय में अत्यधिक प्रोत्साहित करता था। परिणामस्वरूप बंदा सिंह बहादुर ने अपने आरंभिक वर्षों में प्रशंसनीय सफलताएँ प्राप्त की।

5. बंदा सिंह बहादुर का अच्छा शासन प्रबंध-बंदा सिंह बहादुर ने अपने अधीन प्रदेशों में बहुत अच्छे शासन प्रबंध की व्यवस्था की थी। उसने बहुत ही योग्य एवं ईमानदार अधिकारी नियुक्त किए। उसने ज़मींदारी प्रथा को खत्म करके किसानों को न केवल ज़मींदारों के अत्याचारों से बचाया बल्कि उन्हें भूमि का स्वामी भी बना दिया। परिणामस्वरूप बंदा सिंह बहादुर को पंजाब के लोगों से पूरा समर्थन मिला।

6. पंजाब के पहाड़ तथा जंगल-पंजाब के पहाड़ तथा जंगल बंदा सिंह बहादुर की आरंभिक सफलताओं में सहायक सिद्ध हुए। बंदा सिंह बहादुर ने संकट के समय इन पहाड़ों तथा जंगलों में जाकर आश्रय लिया। यहाँ वे पुनः संगठित होकर मुग़ल प्रदेशों पर आक्रमण कर देता था।

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प्रश्न 12.
बंदा सिंह बहादुर जी असफलता के छः मुख्य कारणों का वर्णन करें।
(What were the six causes of failure of Banda Singh Bahadur ?)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की अंतिम असफलता के क्या कारण थे ? (What were the causes of final failure of Banda Singh Bahadur ?)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर की मुग़लों के विरुद्ध अंतिम असफलता के कारण लिखें। (Write down the causes of ultimate failure of Banda Singh Bahadur aganist Mughals.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर पंजाब,में एक स्थाई सिख शासन की स्थापना में क्यों विफल रहा? (Why did Banda Singh Bahadur fail in setting up a permanent Sikh rule in Punjab ?)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर की अंतिम असफलता के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे—
1. मुग़ल साम्राज्य की शक्ति-मुग़ल साम्राज्य के पास विशाल तथा असीमित साधन थे। दूसरी ओर बंदा सिंह बहादुर के साधन बहुत सीमित थे। मुग़लों की तुलना में उसके सैनिकों की संख्या बहत कम थी। ऐसी स्थिति में मुग़लों पर पूर्ण विजय प्राप्त करना बंदा सिंह बहादुर के लिए बिल्कुल असंभव था।

2. सिखों में संगठन का अभाव-बंदा सिंह बहादुर के अधीन सिख सैनिकों में संगठन और अनुशासन का अभाव था। वे किसी योजनानुसार लड़ाई नहीं करते थे। अतः संगठन और अनुशासन के अभाव में ऐसे सिखों का असफल होना कोई आश्चर्य की बात नहीं थी।

3. बंदा सिंह बहादुर द्वारा आदेशों का उल्लंघन-बंदा सिंह बहादुर ने गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा दिए आदेशों का उल्लंघन करना आरंभ कर दिया था। फलस्वरूप गुरु गोबिंद सिंह जी के अनेक श्रद्धालु सिख बंदा सिंह बहादुर के विरुद्ध हो गए।

4. फ़र्रुखसियर की सिखों के विरुद्ध कार्यवाहियाँ-1713 ई० में फ़र्रुखसियर मुग़लों का नया बादशाह बना था। वह सिखों को कुचलने के लिए पूर्ण प्रतिबद्ध था। उसने सिखों का दमन करने के लिए अब्दुस समद खाँ को लाहौर का सूबेदार नियुक्त किया। अब्दुस समद खाँ ने सिखों की शक्ति का दमन करने के लिए कोई कसर न उठा रखी। परिणामस्वरूप बंदा सिंह बहादुर और उसके साथियों को आत्म-समर्पण करना ही पड़ा।

5. गुरदास नंगल में सिखों पर अचानक आक्रमण-अप्रैल, 1715 ई० में बंदा सिंह बहादुर पर हुआ अचानक आक्रमण भी उनके पतन का एक प्रमुख कारण बना। बंदा सिंह बहादुर तथा उसके साथी सिख अचानक आक्रमण के कारण दुनी चंद की हवेली में घिर गए। इस हवेली में से अधिक समय तक मुग़लों का सामना नहीं किया जा सकता था। इसके बावजूद बंदा सिंह बहादुर ने 8 माह तक लड़ाई जारी रखी पर अंत में उसे पराजय स्वीकार करनी पड़ी।

6. बंदा सिंह बहादुर और बिनोद सिंह में मतभेद-गुरदास नंगल की लड़ाई के समय बंदा सिंह बहादुर और उसके साथी बिनोद सिंह में मतभेद उत्पन्न हो गए। बिनोद सिंह हवेली छोड़कर भाग निकलने के पक्ष में था। दूसरी ओर बंदा सिंह बहादुर चाहता था कि कुछ समय और लड़ाई को जारी रखा जाए। परिणामस्वरूप बिनोद सिंह अपने साथियों सहित हवेली छोड़कर निकल गया। अत: बंदा सिंह बहादुर को पराजय का मुख देखना पड़ा।

प्रश्न 13.
बंदा सिंह बहादुर के व्यक्तित्व की मख्य विशेषताएँ बताएँ। (Describe the main traits of Banda Singh Bahadur’s personality.)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर बड़ा ही निडर और साहसी था। बड़ी से बड़ी मुसीबत आने पर भी वह घबराता नहीं था। मुग़लों के साथ हुई लड़ाइयों में उसने अपनी अद्वितीय वीरता का परिचय दिया। वह इतना निडर था कि जब मुग़ल बादशाह ने उसको पूछा कि वह किस प्रकार की मृत्यु पसंद करेगा तो उसने बिना झिझक उत्तर दिया कि जैसी मृत्यु बादशाह अपने लिए पसंद करेगा। वह सिख धर्म का सच्चा सेवक था। उसने अपनी सफलताओं को गुरु साहिब का वरदान माना। उसने गुरु नानक देव जी और गुरु गोबिंद सिंह जी के नाम पर अपने सिक्के जारी किए। उसने सिख धर्म का प्रचार अत्यंत उत्साह के साथ किया। बंदा सिंह बहादुर एक महान् सेनापति था। अपने सीमित साधनों के बावजूद उसने मुग़ल शासकों की रातों की नींद हराम कर दी थी। वह युद्ध की चालों में बड़ा दक्ष था और युद्ध के मैदान में वह स्थिति के अनुसार अपनी कार्यवाही बड़ी तीव्रता के साथ करता था। बंदा सिंह बहादुर एक योग्य शासक भी था। उसने अपने जीते हुए प्रदेशों में बहुत अच्छे शासन प्रबंध की व्यवस्था की थी। उसने पहली बार निर्धनों को ऊंचे पदों पर नियुक्त किया था। वह अपनी प्रजा को निष्पक्ष न्याय देता था। उसने अपने राज्य में से ज़मींदारी प्रथा को समाप्त करके किसानों को उनके अत्याचारों से बचाया।

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प्रश्न 14.
एक योद्धा और सेनापति के रूप में बंदा सिंह बहादुर की सफलताओं का संक्षिप्त वर्णन करो।
(Describe briefly the achievements of Banda Singh Bahadur as a Warrior and General.)
अथवा
बंदा सिंह बहादुर का एक वीर योद्धा तथा सेनापति के रूप में मूल्यांकन करें।
(Explain the main contributions of Banda Singh Bahadur as a brave warrior and great military organiser.)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर एक महान् योद्धा और उच्चकोटि का सेनापति था। बंदा सिंह बहादुर के साधन मुग़लों के मुकाबले नाममात्र थे, परंतु उसने अपनी योग्यता के बल पर 7-8 वर्ष मुग़ल सेना के नाक में दम कर रखा था। उसने जितनी भी लड़ाइयां लड़ीं, लगभग सभी में उसने बड़ी शानदार सफलताएँ प्राप्त की। युद्ध के मैदान में वह बड़ी तीव्रता से स्थिति का अनुमान लगा लेता था और अवसर अनुसार अपना निर्णय तुरंत कर लेता था। वह युद्ध की चालों में बड़ा निपुण था। यदि किसी स्थान पर वह यह समझता था कि शत्रुओं की सेनाएँ उसके मुकाबले में बहुत अधिक हैं तो वह पीछे हटने में अपना अपमान नहीं समझता था। वह युद्ध तभी शुरू करता था जब उसे विजय की पूर्ण आशा होती थी। वह आवश्यकतानुसार खुले मैदानों, पहाड़ों या किलों में से लड़ता था। वास्तव में इन जंगी चालों ने उसको एक उच्चकोटि का सेनापति बना दिया था।

प्रश्न 15.
एक प्रशासक के रूप में बंदा सिंह बहादुर की सफलताओं की संक्षिप्त जानकारी दें। (Write briefly about Banda Singh Bahadur’s achievements as an administrator.)
उत्तर-
बंदा सिंह बहादुर एक योग्य शासन प्रबंधक था। उसने अपने विजित प्रदेशों में अच्छे शासन प्रबंध की व्यवस्था की। उसने खालसा के नाम से शासन किया और अपने राज्य में गुरु साहिब द्वारा दर्शाए गए नियमों को लागू करने का यत्न किया। उसने अपने राज्य में भ्रष्टाचारी कर्मचारियों को हटाकर बड़े योग्य और ईमानदार व्यक्तियों को नियुक्त किया। निर्धनों और निम्न जाति के लोगों को उच्च पदों पर लगाकर उनको एक नया सम्मान दिया। बंदा बहादुर ने ज़मींदारी प्रथा का अंत करके एक अत्यंत सराहनीय कार्य किया। इससे एक तो वे ज़मींदारों द्वारा किए गए अत्याचारों से बच गए और दूसरे वे भूमि के मालिक बन गए। बंदा सिंह बहादुर अपने निष्पक्ष न्याय के कारण भी बहुत प्रसिद्ध था। न्याय करते समय वह ऊँच-नीच में कोई भेद नहीं करता था। निस्संदेह बंदा सिंह बहादुर का शासन प्रबंध खालसा शासन के अनुसार था।

प्रश्न 16.
बंदा सिंह बहादुर को पंजाब के इतिहास में आप क्या स्थान देते हैं ? (What place would you assign to Banda Singh Bahadur in the History of Punjab ?)
अथवा
पंजाब के इतिहास में बंदा सिंह बहादुर को क्या स्थान प्राप्त है ? (What is the place of Banda Singh Bahadur in the History of the Punjab ?)
उत्तर-
निस्संदेह बंदा सिंह बहादुर को पंजाब के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। वह पहला व्यक्ति था जिसने सिखों की स्वतंत्रता की नींव डाली। उसने पंजाबियों को अत्याचारों का मुकाबला करने के लिए मर मिटने का पाठ पढ़ाया। उसने 7-8 वर्षों के थोड़े से समय में मुग़लों के शक्तिशाली साम्राज्य की नींव हिला कर एक आश्चर्यजनक कार्य कर दिखाया। उसने मुग़लों के अजेय होने के जादू को तोड़ा तथा उन्हें अनेक लड़ाइयों में पराजित किया। उसने सिखों में स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए नव प्राण फूंके। उसके द्वारा सुलगाई गई स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए यह चिंगारी अंदर ही अंदर सुलगती रही जो बाद में भयंकर आग का रूप धारण कर गई तथा जिसमें मुग़ल साम्राज्य जलकर भस्म हो गया। बंदा सिंह बहादुर ने पंजाब से ज़मींदारी प्रथा को समाप्त करके एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी पग उठाया। उसने निर्धनों और सदियों से शोषित निम्न वर्ग के लोगों को शासन प्रबंध में ऊँचे पद देकर एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया। परिणामस्वरूप ये लोग बंदा सिंह बहादुर के एक इशारे पर अपनी कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए। वास्तव में बंदा सिंह बहादुर के प्रशंसनीय योगदान के कारण उसके नाम को सदैव स्मरण किया जाता रहेगा।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 11 बंदा सिंह बहादुर

Source Based Questions

नोट-निम्नलिखित अनुच्छेदों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उनके अंत में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
1
बंदा सिंह बहादुर जिसका बचपन का नाम लक्ष्मण देव था, कश्मीर के जिला पुंछ के राजौरी गाँव का रहने वाला था। उसके पिता एक साधारण कृषक थे। एक गर्भवती हिरणी को मारने के कारण उसके दिल पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। परिणामस्वरूप वह बैरागी बन गया। लक्ष्मण देव का नाम बदल कर माधो दास रख दिया गया। उसने पंचवटी के एक साधु औघड़नाथ से तंत्र विद्या की जानकारी प्राप्त की। कुछ समय वहाँ रहने के बाद माधो दास नांदेड़ नामक स्थान पर आ गया। नांदेड़ में ही 1708 ई० में उसकी भेंट गुरु गोबिंद सिंह जी के साथ हुई। इस भेंट के दौरान गुरु गोबिंद सिंह जी और माधो दास के मध्य कुछ प्रश्न-उत्तर हुए। माधो दास गुरु साहिब के व्यक्तित्व से इतना प्रभावित हुआ कि वह गुरु साहिब का बंदा (दास) बन गया। गुरु गोबिंद सिंह जी ने उसे अमृत छका कर सिख बना दिया और उसको बंदा बहादुर का नाम दिया। इस तरह बंदा बैरागी सिख बना।

  1. बंदा सिंह बहादुर के बचपन का क्या नाम था ?
  2. बंदा सिंह बहादुर के दिल में किस घटना का गहरा प्रभाव पड़ा ?
  3. गुरु गोबिंद सिंह जी तथा बंदा सिंह बहादुर के मध्य मुलाकात कहाँ हुई थी ?
  4. गुरु गोबिंद सिंह जी तथा बंदा सिंह बहादुर के मध्य भेंट कब हुई थी ?
    • 1705 ई०
    • 1706 ई०
    • 1707 ई०
    • 1708 ई०
  5. बंदा सिंह बैरागी सिख कैसे बना था ?

उत्तर-

  1. बंदा सिंह बहादुर के बचपन का नाम लक्ष्मण देव था।
  2. बंदा सिंह बहादुर द्वारा एक गर्भवती हिरणी का शिकार करने के कारण उसके दिल पर गहरा प्रभाव पड़ा।
  3. गुरु गोबिंद सिंह जी तथा बंदा सिंह बहादुर के मध्य मुलाकात नांदेड़ में हुई।
  4. 1708 ई०।
  5. गुरु गोबिंद सिंह जी ने माधो दास को अमृत छकाया। इस प्रकार बंदा बैरागी सिख बन गया।

2
सरहिंद के फ़ौजदार वज़ीर खाँ ने गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों जोरावर सिंह तथा फ़तह सिंह को दीवार में जिंदा चिनवा दिया था। इसलिए बंदा सिंह बहादुर उसे एक ऐसा पाठ पढ़ाना चाहता था जो मुसलमानों को दीर्घकाल तक स्मरण रहे। 12 मई, 1710 ई० को बंदा सिंह बहादुर ने चप्पड़चिड़ी के स्थान पर वज़ीर खाँ की सेनाओं पर आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण में सिखों ने मुसलमानों का ऐसा रक्त-पात किया कि उनकी आत्मा भी काँप उठी। वज़ीर खाँ की हत्या करके उसके शव को वृक्ष पर उल्टा लटका दिया गया। 14 मई, 1710 ई० को सारे सरहिंद में भारी रक्तपात और लूटपात की गई। इस भव्य विजय के कारण सिखों का साहस बहुत बढ़ गया।

  1. वज़ीर.खाँ कौन था ?
  2. बंदा सिंह बहादुर ने सरहिंद पर आक्रमण क्यों किया ?
  3. वज़ीर खाँ किस स्थान पर सिखों के साथ मुकाबला करते हुए मारा गया था ?
  4. चप्पड़चिड़ी की लड़ाई कब हुई थी ?
    • 1706 ई०
    • 1708 ई०
    • 1709 ई०
    • 1710 ई०
  5. चप्पड़चिड़ी की लड़ाई में कौन विजयी रहा ?

उत्तर-

  1. वज़ीर खाँ सरहिंद का नवाब था।
  2. बंदा सिंह बहादुर वज़ीर खाँ द्वारा गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों को दीवार में जिंदा चिनवा दिए जाने का बदला लेना चाहता थे।
  3. वजीर खाँ चप्पड़चिड़ी में सिखों के साथ मुकाबला करते हुए मारा गया था।
  4. 1710 ई०।
  5. चप्पड़चिड़ी की लड़ाई में सिख विजयी रहे।

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3
बंदा सिंह बहादुर के अधीन पंजाब में बढ़ रही सिखों की शक्ति को रोकने के लिए मुग़ल बादशाह फर्रुखसियर ने अब्दुस समद ख़ाँ को लाहौर का सूबेदार नियुक्त किया। उसको सिखों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए। उसने अप्रैल, 1715 ई० में एक विशाल सेना के साथ बंदा सिंह बहादुर को गुरदास नंगल के स्थान पर घेर लिया। बंदा सिंह बहादुर तथा उसके साथी सिखों ने दुनी चंद की हवेली में इस मुग़ल सेना से मुकाबला जारी रखा। यह घेरा आठ महीने तक चलता रहा। धीरे-धीरे खान-पान की सामग्री समाप्त होने पर सिखों की स्थिति बड़ी दयनीय हो गई। ऐसे समय में बाबा बिनोद सिंह ने बंदा बहादुर को हवेली से भाग निकलने का परामर्श दिया पर बंदा सिंह बहादुर ने इंकार कर दिया। परिणामस्वरूप बिनोद सिंह अपने साथियों को साथ लेकर गढ़ी छोड़कर भाग निकला। अंत में विवश होकर 7 दिसंबर, 1715 ई० को बंदा सिंह बहादुर को अपनी पराजय को स्वीकार करना पड़ा।

  1. अब्दुस समद खाँ कौन था ?
  2. गुरदास नंगल में बंदा सिंह बहादुर ने किस हवेली से मुग़ल सेना का मुकाबला किया ?
  3. गुरदास नंगल की लड़ाई कितनी देर तक चली ?
  4. गुरदास नंगल की लड़ाई में उसका कौन-सा साथी उसका साथ छोड़ गया था ?
  5. बंदा बहादर को कब गिरफ्तार किया गया था ?
    • 1705 ई०
    • 1710 ई०
    • 1711 ई०
    • 1715 ई०।

उत्तर-

  1. अब्दुस समद खाँ लाहौर का सूबेदार था। ।
  2. गुरदास नंगल में बंदा सिंह बहादुर ने दुनी चंद की हवेली से मुग़ल सेना का मुकाबला किया।
  3. गुरदास नंगल की लड़ाई 8 महीनों तक चली।
  4. गुरदास नंगल की लड़ाई में बंदा सिंह बहादुर का साथी बाबा बिनोद सिंह उसका साथ छोड़ गया था।
  5. 1715 ई०।

बंदा सिंह बहादुर PSEB 12th Class History Notes

  • प्रारंभिक जीवन (Early Career)-बंदा सिंह बहादुर का जन्म 27 अक्तूबर, 1670 ई० को हुआ था-बंदा सिंह बहादुर के बचपन का नाम लक्ष्मण देव था-वह बहुत ही निर्धन परिवार से संबंधित था-शिकार के दौरान गर्भवती हिरणी की हत्या से प्रभावित होकर उसने संसार त्यागने का निश्चय कर लिया-वह बैरागी बन गया और उसने अपना नाम माधो दास रख लिया-उसने तांत्रिक औघड़ नाथ से तंत्र विद्या की शिक्षा ली और नंदेड में बस गया-नंदेड में ही 1708 ई० में माधोदास की गुरु गोबिंद सिंह जी से भेंट हुई-गुरु जी ने उसे अमृत छकाकर सिख बना दिया और उसका नाम बंदा सिंह बहादुर रख दिया।
  • बंदा सिंह बहादुर के सैनिक कारनामे (Military Exploits of Banda Singh Bahadur)सिख बनने के पश्चात् बंदा सिंह बहादुर गुरु जी पर हुए मुग़ल अत्याचारों का प्रतिशोध लेने के लिए पंजाब की ओर चल दिया-गुरु जी के हुक्मनामों के फलस्वरूप हजारों की संख्या में सिख उसके ध्वज तले एकत्रित हो गए-बंदा सिंह बहादुर ने 1709 ई० में सर्वप्रथम सोनीपत पर विजय प्राप्त कीबंदा सिंह बहादुर की दूसरी विजय समाना पर थी-समाना के पश्चात् बंदा सिंह बहादुर ने घुड़ाम, मुस्तफाबाद, कपूरी, सढौरा तथा रोपड़ पर विजय प्राप्त की-बंदा सिंह बहादुर की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विजय सरहिंद की थी-बंदा सिंह बहादुर ने 12 मई, 1710 ई० को सरहिंद के फ़ौजदार वज़ीर खाँ को पराजित किया था-बंदा सिंह बहादुर ने लोहगढ़ को अपनी राजधानी बनाया-मुग़ल बादशाह फर्रुखसियर के आदेश पर लाहौर के सूबेदार अब्दुस समद खाँ ने बंदा सिंह बहादुर को गुरदास नंगल में अचानक घेरे में ले लिया-घेरा लंबा होने के कारण बंदा सिंह बहादुर को हथियार डालने पड़े-9 जून, 1716 ई० को उसे बड़ी निर्दयता से दिल्ली में शहीद कर दिया गया।
  • बंदा सिंह बहादुर की आरंभिक सफलता के कारण (Causes of Banda Singh Bahadur’s Early Success)—मुग़लों के घोर अत्याचारों के कारण सिखों में मुग़लों के प्रति जबरदस्त रोष था गुरु गोबिंद सिंह जी के हुक्मनामों के फलस्वरूप सिखों ने बंदा सिंह बहादुर को पूरा सहयोग दियाऔरंगजेब के उत्तराधिकारी अयोग्य थे-बंदा सिंह बहादुर के आरंभिक आक्रमण छोटे-छोटे मुग़ल अधिकारियों के विरुद्ध थे-बंदा सिंह बहादुर एक निडर और योग्य सेनापति था-सिख बहुत धार्मिक जोश से लड़ते थे।
  • बंदा सिंह बहादुर की अंतिम असफलता के कारण (Causes of Banda Singh Bahadur’s Ultimate failure)-मुग़ल साम्राज्य बहुत शक्तिशाली तथा असीमित साधनों से युक्त था–सिखों में संगठन और अनुशासन का अभाव था-बंदा सिंह बहादुर ने गुरु जी के आदेशों का उल्लंघन करना आरंभ कर दिया था-बंदा सिंह बहादुर ने सिख मत में परिवर्तन लाने का प्रयास किया था-हिंदू शासकों तथा ज़मींदारों ने बंदा सिंह बहादुर का विरोध किया था-गुरदास नंगल में बंदा सिंह बहादुर पर अचानक आक्रमण हुआ था-बाबा बिनोद के साथ हुए मतभेद के कारण बंदा सिंह बहादुर को हथियार डालने पड़े थे।
  • बंदा सिंह बहादुर के चरित्र का मूल्याँकन (Estimate of Banda Singh Bahadur’s Character)-बंदा सिंह बहादुर बहुत ही वीर और साहसी था- उसका आचरण बहुत उज्ज्वल था-बंदा सिंह बहादुर एक महान् योद्धा और उच्चकोटि का सेनापति था-उसने अपने विजित क्षेत्रों की अच्छी प्रशासन व्यवस्था की-बंदा सिंह बहादुर एक महान् संगठनकर्ता था-बंदा सिंह बहादुर को पंजाब के इतिहास में विशेष स्थान प्राप्त है।

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