PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 10 ऐ वीरो, भारतवर्ष के

Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 10 ऐ वीरो, भारतवर्ष के Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Hindi Chapter 10 ऐ वीरो, भारतवर्ष के

Hindi Guide for Class 11 PSEB ऐ वीरो, भारतवर्ष के Textbook Questions and Answers

 

प्रश्न 1.
कवि ने किन भेड़ियों को मज़ा चखाने की बात कही है ?
उत्तर:
कवि ने उन आक्रमणकारियों को भेड़िया कहा है जिनके आक्रमण से देश की स्वतंत्रता को खतरा पैदा हो गया है। कवि ने उन्हें मुँह तोड़ जवाब देने की बात कही है जिस कारण वे फिर भारत की ओर आँख उठाकर भी नहीं देख पाएं। हमारे देश के कुछ शत्रु देश बार-बार हम पर हमला करते हैं, आँखें दिखाते हैं, गुर्राते हैं। हम भारतवासियों को निर्भयतापूर्वक उनका सामना ही नहीं करना बल्कि उन्हें युद्ध जैसा दुस्साहस करने के लिए मज़ा चखा देना है। उनमें इतना भय उत्पन्न कर देना है कि वे फिर हम पर हमला न कर सकें।

प्रश्न 2.
बन्दा बैरागी और गुरु गोबिन्द सिंह जी की वीरता से क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर:
बन्दा बैरागी और गुरु गोबिन्द सिंह जी की वीरता से भारतवासियों को यह प्रेरणा मिलती है कि शत्रु के सामने पहाड़ की तरह डट जाओ और आक्रमणकारियों का विनाश करो। उन्होंने साहसपूर्वक मुगलों का डटकर सामना ही नहीं किया बल्कि उन्हें बार-बार युद्ध में परास्त किया था। उनके हौसले पस्त कर दिए थे। अपने इन महान् सेनानियों की वीरता से आत्मिक बल ही प्राप्त नहीं होता बल्कि अपने उन पूर्वजों पर अभिमान भी होता है।

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प्रश्न 3.
‘हम प्यार बुद्ध से करते हैं, पर नहीं युद्ध से डरते हैं’ का भाव स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रस्तुत काव्य पंक्ति का भाव यह है कि भले ही भारतवासी अहिंसा में विश्वास रखते हैं किन्तु यदि युद्ध उन पर थोप दिया जाए और देश की स्वतंत्रता पर कोई खतरा आए तो युद्ध से भी नहीं घबराते। देश की सुरक्षा के लिए हम तन-मन-धन न्योछावर करने को तैयार हैं।

प्रश्न 4.
आजाद, भगत, वल्लभ और सुभाष कौन थे और उन्होंने भारतवर्ष के लिए क्या सपना देखा था ?
उत्तर:
चन्द्रशेखर आज़ाद और सरदार भगत सिंह महान् क्रान्तिकारी हुए हैं तथा सरदार वल्लभ भाई पटेल और नेता जी सुभाष चन्द्र बोस स्वतंत्रता सेनानी और महान् नेता हुए हैं। इन सबका भारत को स्वतंत्र देखने का सपना था। इन्होंने अपने बाहुबल और मानसिक शक्ति से अंग्रेजों के छक्के छुड़वा दिए थे।

प्रश्न 5.
प्रस्तुत कविता का केन्द्रीय भाव लिखें।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता में देश पर आक्रमण होने पर देश की स्वतंत्रता के लिए कोई खतरा पैदा होने पर हमें एक जुट होकर आक्रमणकारी का डट कर मुकाबला करना चाहिए और शत्रु को नष्ट करके अपनी स्वतंत्रता और देश की सुरक्षा के उपाय करने चाहिए। हमें अपनी ताकत और एकता से दुश्मन को यह दिखा देना है कि वह अपने बुरे इरादों से देश की अखण्डता को तोड़ नहीं सकता।

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PSEB 11th Class Hindi Guide ऐ वीरो, भारतवर्ष के Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘उदयभानु हँस’ का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर:
सन् 1930 ई० में।

प्रश्न 2.
उदयभानु हँस’ को किस राज्य के राज्य कवि का श्रेय प्राप्त है ?
उत्तर:
हरियाणा राज्य के।

प्रश्न 3.
उत्तर प्रदेश सरकार ने कवि उदयभानु ‘हंस’ को कौन-सा पुरस्कार दिया था ?
उत्तर:
उत्तर प्रदेश सरकार ने इन्हें ‘संत-सिपाही’ पर निराला पुरस्कार से सम्मान दिया।

प्रश्न 4.
‘हे वीरो, भारत वर्ष के’ कविता के रचनाकार कौन हैं ?
उत्तर:
उदयभानु ‘हँस’।

प्रश्न 5.
कवि उदयभानु ने भारतवासियों का किस लिए आह्वान किया है ?
उत्तर:
आक्रमणकारियों को मिलकर मज़ा चखाने के लिए।

प्रश्न 6.
कवि ने भारतवासियों को किसकी तरह बनने को कहा है ?
उत्तर:
बंदा बैरागी की तरह बनने को कहा है।

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प्रश्न 7.
कवि ने भारतवासियों को किसकी संतान कहा है ?
उत्तर:
महात्मा बुद्ध की।

प्रश्न 8.
कवि वीर पुरुष का सपना क्या कहा है ?
उत्तर:
अपने देश को हिंसा मुक्त बनाना।

प्रश्न 9.
कवि शत्रुदल के ………. से युद्ध की देवी का श्रृंगार करना चाहता है।
उत्तर:
गर्म लहू।

प्रश्न 10.
कवि किस सेना के पाँव उखाड़ने की बातें कर रहा है ?
उत्तर:
नीच शत्रु सेना के।

प्रश्न 11.
शत्रु सेना के लिए अडिग दीवार कौन था ?
उत्तर:
बंदा वैरागी।

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प्रश्न 12.
कवि ने किसकी तलवार को धारण करने के लिए कहा है ?
उत्तर:
गुरु गोबिंद सिंह जी की।

प्रश्न 13.
भारतवासियों को बुद्ध से क्या मिला था ?
उत्तर:
अहिंसा का संदेश।

प्रश्न 14.
हमें अपने आपसी भेदभाव भुलाकर क्या करना चाहिए ?
उत्तर:
दुश्मन का मुकाबला।

प्रश्न 15.
कवि के अनुसार शत्रुओं की कब्र खोदकर ………. चाहिए।
उत्तर:
सबको एक साथ गाड़ देना।

प्रश्न 16.
युद्ध क्षेत्र में ……….. के रक्त से धरती ………… हो गई।
उत्तर:
शत्रुओं, लाल।

प्रश्न 17.
कवि शत्रु के आक्रमण के समाने किस प्रकार खड़े होने की बात करता है ?
उत्तर:
पहाड़ बनकर।

प्रश्न 18.
अंग्रेज़ों ने कूटनीति के कारण क्या बना दिया था ?
उत्तर:
पाकिस्तान।

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प्रश्न 19.
कौन-सी नदी को भारत से अलग कर दिया गया था ?
उत्तर:
सिंध नदी।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उद्यभानु हँस किसके लिए प्रसिद्ध हैं ?
(क) दोहों के
(ग) रुबाइयों के
(ख) चौपाई के
(घ) सवैयों के।
उत्तर:
(ग) रुबाइयों के

प्रश्न 2.
उदयभानु हँस को हरियाणा के कौन से कवि का श्रेय प्राप्त है ?
(क) राज्यकवि
(ख) वीर रस कवि
(ग) दोहा कवि
(घ) प्रथम कवि।
उत्तर:
(क) राज्यकवि

प्रश्न 3.
कवि के अनुसार दुश्मनों के खून से हमें किसका श्रृंगार करना है ?
(क) माता का
(ख) मातृभूमि का
(ग) देश का
(घ) वीर का।
उत्तर:
(ख) मातृभूमि का

प्रश्न 4.
दुश्मनों के सामने किसके समान अडिग रहना चाहिए ?
(क) गुरु गोबिंद सिंह जी के
(ख) गुरु तेग बहादुर जी के
(ग) वीरों के
(घ) सभी के।
उत्तर:
(क) गुरु गोबिंद सिह जी के।

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ऐ वीरो, भारतवर्ष के सप्रसंग व्याख्या

1. ऐ वीरो, भारतवर्ष के,
फिर दिन आए संघर्ष के !
पशु-बल की आज चुनौती को, तुम दृढ़ता से स्वीकार करो,
फलों की गलियाँ छोड़, जरा अब काँटों से भी प्यार करो।
इन दुष्ट भेड़ियों को, हमले का मज़ा चखाना है,
वे जीवन भर जो भूल न पाएँ, ऐसा पाठ पढ़ाना है।
अब सदा के लिए रोज़-रोज़ का झगड़ा ही निपटाना है,
यह अमर तिरंगा अब दुश्मन की छाती पर लहराना है!

कठिन शब्दों के अर्थ :
दृढ़ता से = मज़बूती से। दुष्ट भेड़िए = आक्रमणकारी, शत्रु।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश श्री उदयभानु हंस जी द्वारा लिखित कविता ‘ऐ वीरो, भारतवर्ष के’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने आक्रमणकारियों को मिलकर मज़ा चखाने के लिए भारतवासियों से आह्वान किया है।

व्याख्या :
कवि भारतवर्ष के वीरों को संबोधित करतु हुए कहते हैं कि फिर से संघर्ष करने के दिन आ गए हैं। पहले स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष किया था। और अब तुम पशु के समान शत्रु की शक्ति की चुनौती को मजबूती से स्वीकार करो। फूलों की गलियाँ छोड़कर, अपने सुखों का त्याग करके, अब काँटों से प्यार करो, कष्ट झेलने के लिए तैयार हो जाओ। इन दुष्ट भेड़ियों को, आक्रमणकारियों को भारत पर आक्रमण करने का मज़ा चखाना है और ऐसा मज़ा चखाना है कि वे जीवन भर इसे भूल न पाएं। उन्हें ऐसा पाठ पढ़ाना है। अब सदा के लिए रोज़-रोज़ के झगड़े को मिटा देना है तथा यह अमर तिरंगा (हमारा राष्ट्रध्वज) शत्रु की छाती पर लहराना है। वीरता के साथ शत्रुओं का सामना करना है।

विशेष :

  1. कवि ने भारतवासियों को शत्रु का मुकाबला डट कर करने का आह्वान किया है।
  2. भाषा सरल एवं प्रवाहमयी है।
  3. शब्द चयन विषय वस्तु के अनुकूल है।
  4. अनुप्रास तथा पुनरुक्ति अलंकार है।
  5. वीर रस है।
  6. संगीतात्मकता का गुण है।

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2. अब समय नहीं है रुकने का
अब प्रश्न नहीं है झकने का,
अवसर आया है, मातृभूमि का संकट से उद्धार करो,
रिपुदल के गर्म लहू से ही रणचंडी का श्रृंगार करो!
तुम युद्ध-क्षेत्र में नीच शत्रु-सेना के पाँव उखाड़ दो,
दुनिया के इतिहास-ग्रंथ से इनका पन्ना फाड़ दो,
जो दुश्मन घर में घुस आए, तुम उनको पकड़ पछाड़ दो,
फिर कब्र खोद कर, एक साथ ही सबको ज़िन्दा गाड़ दो!

कठिन शब्दों में अर्थ :
रिपुदल = शत्रुदल। पन्ना = पृष्ठ।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश श्री उदयभानु हंस जी द्वारा लिखित कविता ‘ऐ वीरो, भारतवर्ष के’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने भारतवासियों को आक्रमणकारियों के विरुद्ध लड़ने के लिए प्रेरित किया है।

व्याख्या :
कवि ने भारत के वीरों का शत्रु के आक्रमण के समय आह्वान करते हुए कहा है कि अब रुकने और झुकने का समय नहीं है। अब तो ऐसा मौका आया है कि मातृभूमि पर आए संकट से उसका तुम्हें उद्धार करना है। शत्रुदल के गर्म लहू से ही युद्ध की देवी का तुम्हें शृंगार करना है। अतः हे भारतीय वीरो ! तुम युद्धभूमि में नीच शत्रुसेना के पाँव उखाड़ दो। दुनिया के इतिहास ग्रंथ से इनका नामोनिशान मिटा दो। यदि शत्रु घर में घुस आया है तुम उसको पकड़ कर पछाड़ दो फिर उन शत्रुओं की कब्र खोद कर एक साथ ही सबको जिन्दा गाड़ दो। हमें देश के सम्मान और रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए। युद्ध क्षेत्र में शत्रुओं के रक्त से धरती को लाल कर देना है जिससे वे फिर कभी इधर मुड़कर भी नहीं देखे।

विशेष :

  1. वह समय आ गया है जब हमें अपने दुश्मनों को उसके बार-बार उठने को समाप्त करना है जिससे हम भारतमाता के सम्मान की रक्षा कर पाएं।
  2. भाषा सरल एवं प्रवाहमय है।
  3. अनुप्रास अलंकार है।
  4. मुहावरे का उचित प्रयोग है।
  5. तत्सम प्रधान शब्दावली है।
  6. वीर रस है।
  7. ओज गुण है।
  8. संगीतात्मकता का गुण है। शैली भावपूर्ण है।

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3. तुम पर्वत जैसे तन जाओ,
बंदा बैरागी बन जाओ,
ऐ सिंहो, गुरु गोविंद सिंह की, फिर धारण तलवार करो,
प्राचीन सप्त-सिन्धु प्रदेश पर, फिर अपना अधिकार करो।
अब माँ की बलिवेदी पर, सिर धरने का अवसर आया है,
फिर काली का खाली खप्पर, भरने का अवसर आया है,
कल तक जो कहते थे, वह करने का अवसर आया है,
जीते थे अब तक जहाँ, वहीं मरने का अवसर आया है !
कह दो जग से, हम मुश्किल को, आसान बना कर छोड़ेंगे,
है युद्ध अगर अभिशाप, उसे वरदान बना कर छोड़ेंगे,
हमला करने वालों को, लहू-लुहान बना कर छोड़ेंगे,
हम तो दुश्मन की धरती को, शमशान बना कर छोड़ेंगे।

कठिन शब्दों के अर्थ :
सप्तसिन्धु प्रदेश = भारत-सिंध, रावी, सतलुज, झेलम, गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के कारण ही भारत को सप्तसिंधु वाला देश कहा जाता था।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश श्री उदयभानु हंस जी द्वारा लिखित कविता ‘ऐ वीरो, भारतवर्ष के’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने भारतवासियों को बंदा वैरागी जैसे बनने का संकेत दिया है।

व्याख्या :
कवि कहता है कि हे भारतवासियो ! तुम शत्रु के आक्रमण के सामने पहाड़ बन कर खड़े हो जाओ और बन्दा बैरागी बन जाओ। जिस प्रकार बंदा वैरागी दुश्मन की सेनाओं के लिए अडिग दीवार था हमें भी उनके जैसा बनना है। हे भारतवासी सिंहो, तुम फिर से गुरु गोबिन्द सिंह की तलवार धारण करो, जिस तलवार से उन्होंने आतताइयों का विनाश किया था। प्राचीन समय में सप्तसिन्धु कहे जाने वाले देश पर फिर से अपना अधिकार करो।

क्योंकि अंग्रेजों की कूटनीति के कारण सिंध नदी को भारत से अलग कर पाकिस्तान बना दिया गया है। अतः भारत माता के लिए बलिदान देने का अवसर आया है और फिर से काली देवी के खप्पर को अपने लहू से भरने का अवसर आया है। कल तो जो हम कहते थे कि देश की, भारत माँ की रक्षा करेंगे अब इस कथन को पूरा करने का अवसर आया है। जिस देश में हम जी रहे थे उस देश के लिए मरने का अब अवसर आया है अर्थात् आज वह समय आ गया है जब हम यह दिखा सकते हैं कि हम गुरु गोबिन्द सिंह जी की तलवार को धारण करने वाले हैं आज कथनी का नहीं करनी का अवसर आया है इसे हमें खोना नहीं है अपितु कुछ कर दिखाना है।

हे भारतवासियो! आज संसार से कह दो कि हम मुश्किल को आसान बनाकर छोड़ेंगे। युद्ध यदि अभिशाप है तो हम इसे वरदान बनाकर छोड़ेंगे। आक्रमण करने वाले सैनिकों को हम लहूलुहान कर देंगे। हम तो शत्रु की धरती को श्मशान बनाकर छोड़ेंगे। युद्ध को अभिशाप माना जाता है परन्तु अपनी रक्षा और सम्मान के लिए कभी-कभी युद्ध वरदान बन जाते हैं। आक्रमणकारियों को उसका जवाब रणक्षेत्र में देने का समय आ गया और उन्हें समाप्त करके इस धरती को उनके लहू से साफ करना है।

विशेष :

  1. भारतवासियों को बंदा बैरागी के समान बहादुर बनकर दुश्मनों के समक्ष पर्वत की तरह मजबूती से खड़ा रहना है।
  2. भाषा सरल एवं प्रभावशाली है।
  3. तत्सम शब्दावली की अधिकता है।
  4. उदाहरण एवं अनुप्रास अलंकार है।
  5. ओज गुण है एवं वीर गुण है।
  6. गेयता का गुण विद्यमान है।
  7. भावपूर्ण शैली है।

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4. हम प्यार बुद्ध से करते हैं,
पर नहीं युद्ध से डरते हैं !
है नीति यही, जो मित्र बने, तुम उसे हृदय से प्यार करो,
निर्लज्ज शत्रु जब चढ़ आए, उसका समूल संहार करो।
अब सावधान, फिर शत्रु आक्रमण कभी न दुहराने पाए,
केसर की हँसती फुलवारी पर आग न बरसाने पाए।
भारत की आज़ादी पर, कोई आँच नहीं आने पाए,
सीमाओं पर जो लहू बहा, वह व्यर्थ नहीं जाने पाए।

कठिन शब्दों के अर्थ :
निर्लज्ज =बेशर्म, ढीठ। समूल = जड़ सहित, पूरा। संहार = विनाश।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश ‘श्री उदयभानु हंस’ द्वारा लिखित कविता ‘ऐ वीरो, भारतवर्ष के’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने भारतवासियों को बुद्ध की सन्तान कहा है जो अहिंसा से प्यार करते हैं परन्तु समय आने पर युद्ध के लिए भी तैयार हैं।

व्याख्या :
कवि भारत की नीति की चर्चा करते हुए कहते हैं कि हम भगवान् बुद्ध से प्यार करने वाले हैं अर्थात् हम अहिंसावादी हैं परन्तु यदि युद्ध हम पर थोपा जाए तो हम युद्ध से भी नहीं डरते हैं। हमारी तो यह नीति रही है कि जो हमारा मित्र है उससे हम हृदय से प्यार करते हैं किंतु यदि बेशर्म शत्रु हमारे देश पर चढ़ाई कर दे, आक्रमण कर दे तो हे भारतवासियो! उस शत्रु का पूरी तरह से विनाश कर दे। अब तुम्हें इस बात के लिए भी सावधान हो जाना है कि शत्रु दोबारा आक्रमण करने का साहस न कर सके। हमारी केसर की क्यारी जैसे सुंदर देश पर आग न बरसाने पाये। केसर की क्यारी से कवि का संकेत कश्मीर से है क्योंकि कश्मीर में ही केसर की खेती होती है।

हे भारतवासियो! तुम्हें कुछ ऐसा करना है कि भारत की आजादी पर आँच न आने पाये। सीमाओं पर हमारे सैनिकों ने जो लहू बहाया है वह व्यर्थ न जाने पाए। हमें दुश्मन को अपनी ताकत दिखानी है सभी आपसी भेदभाव भुलाकर एकता के साथ दुश्मन का सामना करना है, उसे उसकी सीमाएं दिखानी हैं।

विशेष :

  1. भारतवासियों को बुद्ध से अहिंसा का संदेश मिला है परन्तु जब कोई बाहरी व्यक्ति देश की अखण्डता को नष्ट करने का प्रयास करता है तो उसे सबक सिखाने के लिए युद्ध के लिए भी तैयार रहना है।
  2. भाषा प्रभावशाली है।
  3. तत्सम शब्दावली की अधिकता है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. ओजगुण है एवं वीर रस है।
  6. गेयता का गुण विद्यमान है, शैली प्रभावशाली है।

PSEB 11th Class Hindi Solutions Chapter 10 ऐ वीरो, भारतवर्ष के

5. करना है पूर्ण प्रबंध तुम्हें,
भारत, माँ की सौगंध तुम्हें,
हिंसा की ज्वाला में जलती पृथ्वी का हलका भार करो,
आज़ाद, भगत, वल्लभ, सुभाष का चिर सपना साकार करो।

कठिन शब्दों के अर्थ :
आज़ाद = चन्द्रशेखर आज़ाद। वल्लभ = सरदार वल्लभ भाई पटेल।

प्रसंग :
प्रस्तुत पद्यांश ‘श्री उदयभानु हंस’ द्वारा लिखित ‘ऐ वीरो, भारतवर्ष के’ में से लिया गया है। इसमें कवि ने उन क्रान्तिकारियों के सपने साकार करने को कहा जिन्होंने देश की आजादी में अपने प्राण दे दिए।

व्याख्या :
कवि कहता है कि हमें भारत माँ की सौगन्ध है। हमें अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सारे प्रबन्ध करने होंगे हमें हिंसा की आग में जलती हुई इस धरती के भार को हलका करना होगा। हमें चन्द्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह, सरदार वल्लभ भाई पटेल तथा नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के चिरकाल से देखे सपने को साकार करना होगा और अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करनी होगी। हमें प्रत्येक उस वीर का सपना पूरा करना है जिन्होंने इस देश को आजाद करवाने के लिए अपनी जान दे दी।

विशेष :

  1. अपने देश को हिंसा मुक्त बनाकर हर वीर पुरुष का सपना पूरा करना है।
  2. भाषा सरल एवं स्वाभाविक है।
  3. तत्सम शब्दावली है।
  4. अनुप्रास अलंकार है।
  5. वीर रस है।
  6. ओजगुण है।
  7. शैली प्रभावशाली है।

ऐ वीरो, भारतवर्ष के Summary

ऐ वीरो, भारतवर्ष के जीवन-परिचय

हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवियों में श्री हंस रुबाइयों के सफल प्रयोग के लिए प्रसिद्ध हैं। उदयभानु ‘हंस’ का जन्म सन् 1930 ई० में हुआ था। हिन्दी रुबाइयाँ, धड़कन, सरगम, संत-सिपाही नामक काव्य संग्रह के प्रणेता हंस जी को हरियाणा के राज्य कवि का श्रेय प्राप्त है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इन्हें ‘संत-सिपाही’ पर निराला पुरस्कार से सम्मान दिया है। श्री हंस ने बिहारी की काव्य कला, निबन्ध रत्नाकार, हिन्दी के प्रमुख कलाकार, साहित्य-परिचय प्रभूतिगद्य जैसी रचनाओं द्वारा हिन्दी साहित्य की सेवा की है।

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ऐ वीरो, भारतवर्ष के कविता का सार

‘ऐ वीरो, भारतवर्ष के’ कविता के रचयिता श्री उदयभानु हँस हैं। इस कविता के माध्यम से कवि ने भारतवासियों से आह्वान किया है कि अब समय आ गया है कि हमें अपने देश पर आक्रमण करने वालों को मुँह तोड़ जवाब देना चाहिए। हमें दुश्मन के खून से अपनी मातृभूमि का श्रृंगार करना है। उनके सामने हमें गुरु गोबिन्द सिंह जी और बंदा बैरागी की तरह अडिग बनकर खड़ा होना चाहिए। हम यह जानते हैं कि युद्ध करना अच्छी बात नहीं है परन्तु जब सामने वाला प्यार की बात नहीं समझता तो उसे ताकत की भाषा से ऐसा जवाब देना चाहिए कि वह आगे से आंख उठाकर हमारे देश की ओर नहीं देख सकेगा। हमें अपने उन वीर सपूतों की कुर्बानियाँ तथा उनके सपनों को याद रखना चाहिए जिन्होंने देश को आजाद करवाने में अपनी जान दे दी। हमें दुश्मनों को समाप्त करके उनके सपने पूरे करने हैं।

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