PSEB 11th Class Economics Solutions Chapter 21 रेखीय ग्राफ : कालिक श्रृंखला

Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 21 रेखीय ग्राफ: कालिक श्रृंखला Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 21 रेखीय ग्राफ: कालिक श्रृंखला

PSEB 11th Class Economics रेखीय ग्राफ: कालिक श्रृंखला Textbook Questions and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
काल श्रेणी ग्राफ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
समय अवधी पर आधारित मूल्यों को श्रेणी को काल श्रेणी कहा जाता है।

प्रश्न 2.
जो रेखाचित्र वास्तविक मूल्यों के आधार पर बनाए जाते हैं तो उसको निरपेक्ष काल श्रेणी चित्र कहते
उत्तर-
सही।

प्रश्न 3.
यदि रेखाचित्र की रचना आनुपातिक माप के आधार पर की जाती है तो उसको सापेक्ष काल श्रेणी चित्र कहते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 4.
गलत आधार का प्रयोग कब किया जाता है ?
उत्तर-
जब आंकड़ों में अन्तर तो कम होता है परन्तु शून्य से दूरी अधिक होती है तो उस समय गलत आधार का प्रयोग किया जाता है।

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II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Question)

प्रश्न-
एक फ़र्म के स्वर्णिक लाभ के निम्नलिखित आंकड़ों से काल श्रेणी आरेख द्वारा प्रस्तुत करें।

वर्ष : 1977 1978 1979 1980 1981 1982 1983
लाभ (हज़ार ₹): 20 32 35 25 40 30 20

उत्तर:
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III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
निम्न तालिका में वर्ष 2001 से 2007 तक एक कॉलेज के विद्यार्थियों की संख्या दी गई है। इसे एक बिन्दु-रेखीय चित्र के रूप में प्रदर्शित करें –

वर्ष ( Years) विद्यार्थियों की संख्या (No. of Students)
2001 1,500
2002 2,000
2003 2,200
2004 3,000
2005 3,500
2006 3,800
2007 5,000

हल : रेखाचित्र में प्रदर्शित विभिन्न वर्षों में विद्याथियों की संख्या-
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प्रश्न 2.
निम्न आंकड़ों को ग्राफ द्वारा प्रदर्शित करें

वर्ष 2001 2002 2003 2004 2005 2006 2007
उत्पादन(प्रति हैक्टेयर क्विटल) 13.9 12.8 13.9 12.8 6.5 2.9 14.8

उत्तर-
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दो या दो से अधिक तथ्यों का रेखाचित्र
एक रेखाचित्र में एक से अधिक रेखाओं का भी प्रदर्शन सम्भव है। रंग, बनावट या लेख के आधार पर रेखाओं में विविधता उत्पन्न की जा सकती है।

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प्रश्न 3.
निम्न आंकड़ों को बिन्दुरेखा विधि से प्रदर्शित करें
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प्रश्न 4.
कृत्रिम आधार रेखा से क्या आशय है ?
उत्तर-
कृत्रिम आधार रेखा
(False Base Line) बिन्दुरेख की रचना में एक महत्त्वपूर्ण नियम यह है कि Vertical Scale को शून्य अर्थात् मूल बिन्दु से प्रारम्भ करना चाहिए ; किन्तु जब चलों के मान अत्यधिक विशाल होते हैं तब इस नियम को तोड़ना पड़ता है क्योंकि ऐसी दशा में यदि पैमाना शून्य से शुरू किया जाएगा तो मान बिन्दुओं को आधार रेखा से बहुत ऊंचाई पर अंकित करना पड़ेगा। बीच में अनावश्यक रूप से स्थान छूट जाएगा और फिर भी यह सम्भव है कि बिन्दुरेख पत्र की सीमित ऊंचाई में सभी बिन्दुओं को अंकित न किया जा सके। अतः कृत्रिम आधार रेखा की विधि अपनाई जाती है। इसके लिए शून्य आधार रेखा और न्यूनतम मान वाले बिन्दु के बीच शून्य रेखा के समीप ही लहरदार रेखाएं एक-दूसरे के निकट खींच कर Vertical Scale को तोड़ देते हैं।
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IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
समंकों के बिन्द-रेखीय प्रदर्शन के क्या लाभ तथा सीमाएं हैं ? (What are the advantages and defects of Graphs ?)
उत्तर-
समंकों के बिन्दु-रेखीय प्रदर्शन के लाभ
(Advantages of Graphs) बिन्दु-रेखीय समंकों के प्रदर्शन के निम्नलिखित लाभ हैं –

  1. रेखाचित्र में समंकों को सरल रूप से प्रस्तुत किया जाता है।
  2. रेखाचित्र में समंकों को आकर्षक रूप में प्रस्तुत किया जाता है
  3. रेखाचित्र से समंकों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया जाता है।
  4. रेखाचित्रों से समंकों को संक्षिप्त करने में सहायता मिलती है।
  5. रेखाचित्रों से तुलनात्मक अध्ययनों में सहायता मिलती है।
  6. रेखाचित्रों से पूर्वानुमान लगाने में सहायता मिलती है।
  7. रेखाचित्रों से सांख्यिकीय विश्लेषण में सहायता मिलती है। इनकी सहायता से माध्यका तथा बहुलक पता किए जा सकते हैं।
  8. रेखाचित्रों से निष्कर्ष निकालने में सहायता मिलती है।

बिन्दु-रेखीय प्रदर्शन की सीमाएं और दोष : (Defects and Limitations of Graphs)
बिन्दु-रेखीय प्रदर्शन की प्रमुख सीमाएं अनलिखित हैं- .

  1. बिन्दु-रेखीय प्रदर्शन द्वारा केवल प्रवृत्ति का प्रदर्शन होता है, वास्तविक मूल्यों का ज्ञान मिलना सम्भव नहीं है।
  2. जो व्यक्ति बिन्दु-रेखीय प्रदर्शन का ज्ञान नहीं रखते उनके लिए इनका कोई मूल्य नहीं होता।
  3. इनमें निश्चितता का अभाव पाया जाता है।
  4. कई बार इनके प्रदर्शन का प्रभाव भ्रामक भी होता है।
  5. बिन्दु-रेखीय चित्रों को किसी तथ्य की पुष्टि के लिए प्रस्तुत नहीं किया जा सकता।
  6. रेखाचित्र में अशुद्ध निष्कर्ष भी निकाले जा सकते हैं।
  7. मापदण्ड में थोड़ा-सा परिवर्तन होने पर भी रेखाचित्र के आकार में बहुत परिवर्तन हो सकता है।

प्रश्न 2.
बिन्दुरेख बनाने के लिए नियम लिखें। (Write down the rules for the construction of Graph.)
उत्तर-
बिन्दुरेख बनाने के नियम
(Rules for the Construction of Graph) बिन्दुरेख बनाते समय निम्नलिखित नियमों का पालन किया जाना चाहिए

1. उचित शीर्षक (Proper Heading)-बिन्दुरेखा का शीर्षक स्पष्ट, उपयुक्त और पूर्ण होना चाहिए जिससे देखते ही यह ज्ञान हो जाए कि उसकी विषय-वस्तु क्या है।

2. बिन्दु रेखाओं का चित्रण (Plotting of graphs)—प्रायः बिन्दुरेख मूल बिन्दु के दाहिनी ओर ऊपर की ओर बनाया जाता है। अतः भुजाक्ष बिन्दुरेख पत्र के नीचे की ओर तथा कोटि अक्ष बायीं ओर होना चाहिए। भुजाक्ष की लम्बाई कोटि-अक्ष से डेढ़ गुना होनी चाहिए।

3. उचित मापदण्ड (Proper Scale)-रेखाचित्र के निर्माण में उचित पैमाने का विशेष महत्त्व है। सामान्यतः पैमाना ऐसा लिया जाना चाहिए कि चित्र पर सुन्दरता से अंकित किया जा सके।

4. कृत्रिम आधार रेखा का प्रयोग (Use of False Base Line)-नियमतः उदग्र पैमाना शून्य से प्रारम्भ होना चाहिए पर यदि प्रदर्शित होने वाले मूल्यों में अन्तर कम हो और न्यूनतम संख्या काफी बड़ी हो तो कृत्रिम आधार रेखा का प्रयोग किया जाना चाहिए।

5. अन्तर को स्पष्ट करना (Clear Difference)-जहां एक ही बिन्दुरेख पत्र पर कई वक्र बनाने हों तो प्रत्येक वक्र को अलग-अलग रंग या चौड़ाई या प्रकार प्रदर्शित करना चाहिए।

6. क्षैतिज और उदग्र मापदण्ड (Vertical and Horizontal Measure) क्षैतिज तथा उदग्र दोनों मापदण्ड अलग-अलग लिए जा सकते हैं और कभी-कभी उदग्र माप श्रेणी पर दो समंक-मालाओं को प्रदर्शित करने के लिए दो मापदण्ड साथ-साथ भी लिए जा सकते हैं।

7. आवश्यक टिप्पणियां (Required footnotes)-बिन्दुरेख के नीचे जहां आश्यक हो तो टिप्पणियां और समंकों का प्राप्ति स्थान भी दे देना चाहिए।

8. मापदण्ड प्रदर्शित करने वाले मूल्य (Table of Data)-इन मूल्यों को भुजाक्ष के नीचे और कोटि-अक्ष की बायीं ओर लिखना चाहिए। वक्रों के साथ समंकों को पास ही सारणी में दे देना चाहिए ताकि उनका विस्तृत अध्ययन किया जा सके जिस में उनकी शुद्धता की जांच सम्भव हो सके।

9. बिन्दु मिलाना (Joining of Points)-जब आंकड़ों को बिन्दु-रेखीय विधि द्वारा ग्राफ-पेपर पर पेश किया जाता है तो आंकड़ों से पहले बिन्दुओं का प्रयोग किया जाता है। बाद में इन बिन्दुओं को पैमाने द्वारा ठीक ढंग से मिलाना चाहिए अर्थात् बिन्दुओं को मिलाते समय जब पैमाने की सहायता ली जाती है तो रेखा बिन्दुओं के बीच ठीक प्रकार से गुज़रनी चाहिए और रेखा को पैन या पैन्सिल द्वारा मिलाया जाए अर्थात् रेखा खींचते समय समानता होनी चाहिए। ऐसा न हो कि रेखा कहीं से मोटी हो और कहीं बारीक या इतनी फीकी कि दिखाई देने में मुश्किल हो। ।

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10. स्वच्छता (Neatness) आंकड़ों को बिन्दु-रेखीय विधि द्वारा पेश करते समय सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सफाई रखने से चित्रकारी सुन्दर और आकर्षक होगी।

प्रश्न 3.
समय श्रेणी ग्राफ क्या होता है? मनघडंत उदाहरण द्वारा समय श्रेणी ग्राफ के निर्माण को स्पष्ट करें।
(What is Time Series Graph? Explain the Time Series Graph with the help of a Hypothetical example.)
उत्तर-
समय श्रेणी ग्राफ (Time Series Graph)-ग्राफ कई तरह के होते हैं, परन्तु दो तरह के ग्राफ अधिक प्रचलित हैं
(i) समय श्रेणी ग्राफ (Time Series Graphs)
(ii) आवृत्ति वितरण ग्राफ (Frequency Distribution Graphs)

(i) समय श्रेणी ग्राफ (Time series Graphs)-जब किसी तथ्य को समय के आधार पर प्रस्तुत किया जाता है तो ऐसे ग्राफ को समय श्रेणी ग्राफ कहते हैं। साधारण तौर पर निश्चित समय को जब समान भागों में विभाजित कर मदों के समुच्चय को ग्राफ पेपर पर प्रदर्शन करने की विधि को समय श्रेणी ग्राफ कहा जाता है। उदाहरणस्वरूप मान लो 1951 से 1991 तक भारत की जनसंख्या की वृद्धि को ग्राफ पेपर पर प्रस्तुत किया जाए तो ऐसे आंकड़ों की श्रेणी को समय श्रेणी कहा जाता है।

समय सारणी के आधार पर जो ग्राफ अथवा चित्र बनाए जाते हैं उनको समय चित्र (Histogram) कहा जाता है। समय श्रेणी ग्राफ बनाने के लिए ग्राफ पेपर पर Ox रेखा तथा OY रेखा बनाई जाती है। Ox रेखा पर स्वतन्त्र चर तथा OY रेखा पर निर्धारित चर लिए जाते हैं। इस प्रकार ग्राफ का निर्माण किया जाता है तो उस विधि को ग्राफ विधि कहते हैं। समय श्रेणी ग्राफ को मुख्य तौर पर दो भागों में विभाजित कर स्पष्ट किया जा सकता है
(A) एक चर से सम्बन्धित ग्राफ (One Variable Graph)
(B) दो अथवा दो से अधिक चरों से सम्बन्धित ग्राफ (Two or more than two variable graph)

(A) एक चर से सम्बन्धित ग्राफ (One variable graph)-एक चर से सम्बन्धित आंकड़े दिए गए हों तो इनका ग्राफ बनाना आसान होता है। ऐसे ग्राफ की व्याख्या भी आसानी से की जा सकती है। उदाहरणस्वरूप भारत की स्वतन्त्रता . के पश्चात् जनसंख्या की वृद्धि को ग्राफ की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है।

वर्ष 1951 1961 1971 1981 1991 2001
जनसंख्या (करोड़ों में) 36 43 54 68 84 102

भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात् जनसंख्या (एक घर समय चित्र)
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(B) दो अथवा दो से अधिक चरों से सम्बन्धित ग्राफ (Two or more than two variable graph)-जब दो अथवा दो से अधिक चरों को एक ही रेखा चित्र द्वारा दिखाया जता है तो ऐसे ग्राफ को दो अथवा दो से अधिक चरों से सम्बन्धित ग्राफ कहा जाता है। उदाहरणस्वरूप जनसंख्या के आंकड़ों में यदि हमें पुरुष तथा स्त्रियों की संख्या अलग-अलग दी गई है तो इन दोनों तत्त्वों को ही ग्राफ के रूप में प्रकट किया जाए तो ऐसे ग्राफ को दो चरों से सम्बन्धित ग्राफ कहा जाता है। . उदाहरण-भारत में स्वतन्त्रता के पश्चात् पुरुष तथा स्त्रियों की संख्या का विवरण निम्नलिखित सूचीपत्र में दिया गया है। इसको दो चरों से सम्बन्धित ग्राफ के रूप में पेश कीजिए
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भारत की स्वतन्त्रता के पश्चात् पुरुष तथा स्त्रियों की जनसंख्या (दो चर समय चित्र)
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