PSEB 10th Class Hindi Vyakaran संधि

Punjab State Board PSEB 10th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar Sandhi संधि Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 10th Class Hindi Grammar संधि

1. निम्नलिखित में संधि-विच्छेद/संधि कीजिए।
PSEB 10th Class Hindi Grammar संधि 1
उत्तर:
(क) संधि-विच्छेद करना:
चरणामृत = चरण + अमृत
पुस्तकालय = पुस्तक + आलय
मुनीश = मुनि + ईश
लघूत्तर = लघु + उत्तर
दशमेश = दशम + ईश
यथेष्ट = यथा + इष्ट
लोकोक्ति = लोक + उक्ति
पर्यावरण = परि + आवरण
उपर्युक्त = उपरि + उक्त
इत्यादि = इति + आदि।
संधि करना:
प्रति + एक = प्रत्येक
गज + आनन = गजान
सु + अच्छ = स्वच्छ
वन + ओषधि = वनौषधि
यदि + अपि = यद्यपि
शिष्ट + आचार = शिष्टाचार
गुरू + आगमन = गुर्वागमन
सूर्य + उदय = सूर्योदय
अति + अंत = अत्यंत
मत + एक्य = मतैक्य।

PSEB 10th Class Hindi Vyakaran संधि

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

[एक पंक्ति में उत्तरात्मक प्रश्नों के लिए ऐम० बी० डी० हिन्दी गाइड दसवीं भी देखें]
निम्नलिखित बहुविकल्पी प्रश्नों में से एक सही विकल्प चुनकर लिखिए-

प्रश्न 1.
प्रत्येक का संधि-विच्छेद होगा
(क) प्रति + एक
(ख) पर्त + एक
(ग) पृत्य + ऐक
(घ) प्रति + ऐक।
उत्तर:
(क) प्रति + एक

प्रश्न 2.
सूर्योदय का संधि-विच्छेद होगा
(क) सूर्य + ओदय
(ख) सूर्य + औदय
(ग) सूर्य + उदय
(घ) सूर्य + ऊदय।
उत्तर:
(ग) सूर्य + उदय

प्रश्न 3.
विद्यार्थी का संधि-विच्छेद होगा’
(क) विद् + आर्थी
(ख) विद्या +. अर्थी
(ग) विद्य + आर्थी
(घ) विद् + अर्थी।
उत्तर:
(ख) विद्या + अर्थी

प्रश्न 4.
उपरि + उक्त की संधि होगी
(क) उपरोक्त
(ख) उपरीउक्त
(ग) उपर्युक्त
(घ) उपरिउक्त।
उत्तर:
(ग) उपर्युक्त

प्रश्न 5.
परि + आवरण की संधि होगी-
(क) परीवरिण
(ख) पर्यावरण
(ग) पयार्वरण
(घ) पर्यावरण।
उत्तर:
(ख) पर्यावरण

प्रश्न 6.
सत्य + अर्थ की संधि होगी
(क) सत्यार्थ
(ख) सतिर्थ
(ग) सतीयर्थ
(घ) सत्यर्थ।
उत्तर:
(क) सत्यार्थ

प्रश्न 7.
महर्षि का संधि-विच्छेद महा + ऋषि (सही है या गलत)
उत्तर:
सही

प्रश्न 8.
राजा + ईश्वर की संधि राजीश्वर (सही है या गलत)
उत्तर:
गलत

प्रश्न 9.
परम + ईश्वर की संधि है परमीश्वर (हाँ या नहीं में उत्तर दीजिए)
उत्तर:
नहीं

प्रश्न 10.
महात्मा का संधि-विच्छेद महा + आत्मा है (हाँ या नहीं में उत्तर दीजिए)
उत्तर:
हाँ।

बोर्ड परीक्षा में पूछे गए प्रश्न निर्देशानुसार उत्तर दीजिए:

(क) निम्नलिखित शब्दों की संधि कीजिए
रजनी + ईश
अथवा
निम्नलिखित शब्द का संधिविच्छेद कीजिए
प्रत्येक
उत्तर:
(क) रजनी + ईश = रजनीश
अथवा
प्रत्येक = प्रति + एक

(ख) निम्नलिखित शब्दों की संधि कीजिए
सत्य + अर्थ
अथवा
निम्नलिखित शब्द का संधिविच्छेद कीजिए- .
परोपकार
उत्तर:
(ख) सत्य + अर्थ = सत्यार्थ
अथवा
परोपकार = पर + उपकार

(ग) निम्नलिखित शब्दों की संधि कीजिए
परम + अणु
अथवा
निम्नलिखित शब्द का संधिविच्छेद कीजिए
वसन्तर्तु
उत्तर:
(ग) परम + अणु = परमाणु
अथवा
वसन्ततु = वसंत + ऋतु

PSEB 10th Class Hindi Vyakaran संधि

वर्ष
संधिविच्छेद कीजिए-
फलाहार, राजेन्द्र
उत्तर:
फलाहार = फल + आहार
राजेन्द्र = राजा + इन्द्र।

संधि कीजिए-
प्रति + एक,
गज + आनन
उत्तर:
प्रति + एक = प्रत्येक
गज + आनन = गजानन।

संधिविच्छेद कीजिए-
परमात्मा
संगीताचार्य
उत्तर:
परमात्मा = परम + आत्मा
संगीताचार्य = संगीत + आचार्य।

वर्ष
संधि कीजिए-
हत + उत्साहित
उत्तर:
हतोत्साहित

संधिविच्छेद कीजिए-
पित्रर्पण
उत्तर:
पितृ + अर्पण।

प्रश्न 1.
संधि किसे कहते हैं ?
उत्तर:
संधि का सामान्य अर्थ है-मेल। मुख्य रूप से जब वर्गों का संयोजन होता है तो शब्दों की रचना होती है। दो वर्गों के विकार या परिवर्तन सहित मेल को संधि कहते हैं; जैसे-
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी, = आ + अ = आ = ा
मत+ ऐक्य = मतैक्य = अ + ऐ = ऐं = ै
उत् + हरण = उद्धरण, = त् को न हो जाता है
निः + झर = निर्झर = निः के विसर्ग को ”’ हो जाता है।
वनः + पति = वनस्पति = न: के विसर्ग को स् हो जाता है
संधि से नए शब्दों की रचना होती है जिससे भाषा नए शब्दों को प्राप्त कर समृद्ध होती है।

प्रश्न 2.
संधि की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
परिभाषा: दो वर्गों के पास-पास आने से उनमें जो विकार सहित मेल होता है, उसे संधि कहते हैं।

प्रश्न 3.
संधि-विच्छेद किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब संधि हुए वर्गों को अलग-अलग कर उनकी पूर्व स्थिति में पहुँचा दिया जाता है, तो उसे संधि-विच्छेद कहते हैं। जैसे-
संधि = संधि-विच्छेद
परीक्षा = परि + ईक्षा
उच्चारण = उत् + चारण
नमस्कार = नमः + कार
मूसलाधार = मूसल + धार

प्रश्न 4.
संधि के कितने भेद हैं?
उत्तर:
संधि के तीन भेद हैं-
(i) स्वर संधि
(ii) व्यंजन संधि
(iii) विसर्ग संधि।
(i) स्वर संधि-स्वर से परे स्वर होने पर उनमें जो विकार होता है उसे स्वर संधि कहते हैं; जैसेधर्म + अर्थ = धर्मार्थ, यहां अ और अ मिलकर आ हुआ है। दीर्घ स्वर संधि हुई है।

(ii) व्यंजन संधि-व्यंजन के पास व्यंजन या स्वर होने से व्यंजन में जो विकार होता है, उसे व्यंजन संधि कहते हैं; जैसे-जगत् + ईश = जगदीश, जगत् + नाथ = जगन्नाथ, दिक् + गज = दिग्गज, वाक् + ईश = वागीश, वि + सम = विषम, वाक् + मय = वाङ्मय।

(iii) विसर्ग संधि-विसर्ग (:) के पास स्वर या व्यंजन होने से विसर्ग में जो विकार होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं; जैसे-निः + आशा = निराशा, तपः + वन = तपोवन, नमः + ते = नमस्ते, हरिः + चन्द्र = हरिश्चन्द्र, निः + धन = निर्धन।
पाठ्यक्रम में केवल स्वर संधि है, इसलिए इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

स्वर संधि

प्रश्न 1.
स्वर संधि किसे कहते हैं? इसके कितने भेद हैं?
उत्तर:
स्वरों के परस्पर निकट होने से उनमें जो विकार या परिवर्तन सहित मेल होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं। स्वरों में परिवर्तन के आधार पर इसके पाँच भेद हैं-
1. दीर्घ संधि
2. गुण संधि
3. वृद्धि संधि
4. यण संधि
5. अयादि संधि।

1. दीर्घ संधि
परिभाषा-जब दो सवर्ण स्वर परस्पर निकट-निकट आ जाते हैं तो दोनों मिलकर उसी वर्ण का दीर्घ स्वर बनाते हैं। इसे दीर्घ संधि कहते हैं।
नियम-जब दो सवर्ण स्वर (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ) पास-पास आ जाते हैं तब दोनों के परस्पर मेल से एक ही दीर्घ स्वर (आ, ई, ऊ) बन जाता है।
‘उदाहरण
(क) अ+ अ = आ
चर + अचर = चराचर
स्व + अर्थ = स्वार्थ
अन्य + अर्थ = अन्यार्थ
परम + अर्थ = परमार्थ
सूर्य + अस्त = सूर्यास्त
स्व + आधीन = स्वाधीन
भाव + अर्थ = भावार्थ
सत्य + अर्थ = सत्यार्थ
परम + अणु = परमाणु
शस्त्र + अस्त्र = शस्त्रास्त्र
धर्म + अर्थ = धमार्थ
कर्म + अर्थ = कर्मार्थ
वेद + अंत = वेदांत
राम + अवतार = रामावतार
धर्म + अधर्म = धर्माधर्म
अन्य + अर्थ = अन्यार्थ
शश + अंक = शशांक
एक + एक = एकाएक
देश + अटन = देशाटन
सूर्य + उदय = सूर्योदय
अल्प + अवधि = अल्पावधि
जन्म + अंतर = जन्मांतर
पर + अस्त = परास्त
नव + अंकुर = नवांकुर
अनेक + अनेक = अनेकानेक
स्व + अनुभव = स्वानुभव
सत्य + असत्य = सत्यासत्य
मत + अनुसार = मतानुसार
देह + अंत = देहांत
हिम + आद्रि = हिमाद्रि
सह + अनुभूति = सहानुभूति
स्व + अधीन = स्वाधीन
देव + अर्चन = देवार्चन
सत्य + अन्वेषी = सत्यान्वेषी
सुख + अनुभूति = सुखानुभूति
स्व + अर्थी = स्वार्थी
शरण + अर्थी = शरणार्थी
शब्द + अर्थ = शब्दार्थ
कृष्ण + अवतार = कृष्णावतार
राम + अवतार = रामावतार
वस्त्र + अभाव = वस्त्राभाव
अन्न + अभाव = अन्नाभाव
अधिक + अंश = अधिकांश
मलय + अनिल = मलयानिल
दिन + अंक = दिनांक
कीट + अणु = कीटाणु
पीत + अंबर = पीतांबर
उत्तर + अंचल = उत्तरांचल
मुख्य + अध्यापक = मुख्याध्यापक
ब्रह्मा + अस्त्र = ब्रह्मास्त्र
मत + अधिकार = मताधिकार
शत + अधिक = शताधिक
योग + अभ्यास = योगाभ्यास
धन + अभाव = धनाभाव
परम + अर्थी = परमार्थी
हिम + अंशु = हिमांशु
रस + अयन = रसायन
जीव + अणु = जीवाणु
नील + अंबर = नीलांबर
देव + असुर = देवासुर
पुष्प + अंजलि = पुष्पांजलि
चरण + अमृत = चरणामृत
राग + अनल = रागानल
धर्म + अर्पित = धर्मार्पित

PSEB 10th Class Hindi Vyakaran संधि

(ख) अ + आ = आ

देव + आलय = देवालय
विश्राम + आलय = विश्रामालय
सचिव + आलय = सचिवालय
जन + आदेश = जनादेश
परम + आनंद = परमानंद
शिव + आनंद = शिवानंद
परम + आत्मा = परमात्मा
ध्वज + आरोहण = ध्वजारोहण
शुभ + आकांक्षी = शुभाकांक्षी
विरह + आतुर = विरहातुर
धर्म + आत्मा = धर्मात्मा
नव + आशय = नवाशय
धन + आकांक्षी = धनाकांक्षी
कुश + आसन = कुशासन
युग + आदि = युगादि
वर्तुल + आकार = वर्तुलाकार
पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
अभ्य + आगत = अभ्यागत
विवेक + आनंद = विवेकानंद
महत्त्व + आकांक्षी = महत्त्वाकांक्षी
देव + आसन = देवासन
पद्म + आसन = पद्मासन
मंगल + आचार = मंगलाचार
प्राण + आधार = प्राणाधार
शिव + आलय = शिवालय
धन + आदेश = धनादेश
हिम + आलय = हिमालय
भोजन + आलय = भोजनालय
वृक्ष + आरोपण = वृक्षारोपण
गज + आनन = गजानन
राम + आनंद = रामानंद
नव + आगत = नवागत
रत्न + आकर = रत्नाकर
अश्व + आरोहण = अश्वारोहण
फल + आदेश = फलादेश
काम + आतुर = कामातुर
मरण + आसन्न = मरणासन्न
दिव्य + आकार = दिव्याकार
छात्र + आवास = छात्रावास
मंडल + आकार = मंडलाकार
पंच + आनन = पंचानन
वाचन + आलय = वाचनालय
शरण + आगत = शरणागत
पूर्व + आग्रह = पूर्वाग्रह
शुभ + आरंभ = शुभारंभ
शव + आसन = शवासन
मयूर + आसन = मयूरासन
गत + आचार = गताचार
विस्मय + आदि = विस्मयादि
राम + आलय = रामालय
देव + आगम = देवागम
सत्य + आग्रह = सत्याग्रह

(ग) आ + अ = आ

दीक्षा + अंत = दीक्षांत
कदा + अपि = कदापि
रेखा + अंश = रेखांश
यथा + अवसर = यथावसर
परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
महा + अर्णव = महार्णव
विद्या + अर्जन = विद्यार्जन
यथा + अर्थ = यथार्थ
विद्या + अर्पण = विद्यार्पण
परीक्षा + अभ्यास = परीक्षाभ्यास
सेवा + अर्थ = सेवार्थ
सीमा + अंत = सीमांत
परा + अस्त = परास्त
सीता + अर्थ = सीतार्थ
यथा + अर्थ = यथार्थ
शिक्षा + अर्थी = शिक्षार्थी
सीमा + अंकन = सीमांकन
मिथ्या + अर्थ = मिथ्यार्थ
तथा + अपि = तथापि
विद्या + अभ्यास = विद्याभ्यास
दया + अर्थ = दयार्थ

(घ) आ + आ = आ

दया + आनंद = दयानंद
वार्ता + आलाप = वार्तालाप
सदा + आचार = सदाचार
श्रद्धा + आनंद = श्रद्धानंद
सभा + आगार = सभागार
चिकित्सा + आलय = चिकित्सालय
महा + आशय = महाशय
कृपा + आलु = कृपालु
दिवा + आकर = दिवाकर
मिथ्या + आडंबर = मिथ्याडंबर
महा + आत्मा = महात्मा
विद्या + आलय = विद्यालय
महा + आनंद = महानंद
कारा + आवास = कारावास
कृपा + आकांक्षी = कृपाकांक्षी
प्रतीक्षा + आलय = प्रतीक्षालय
विद्या + आनंद = विद्यानंद
श्रद्धा + आलु = श्रद्धालु
छात्रा + आवास = छात्रावास
करुणा + आगार = करुणागार

(ङ) इ + इ = ई

कपि + इंद्र = कपींद्र
रवि + इंद्र = रवींद्र
गिरि + इंद्र = गिरींद्र
अभि + इष्ट = अभीष्ट
कवि + इच्छा = कवीच्छा
अति + इव = अतीव
प्रति + इति = प्रतीति
शशि + इंद्र = शशींद्र
मुनि + इंद्र = मुनींद्र
कवि + इंद्र = कवींद्र

(च) इ + ई = ई

मुनि + ईश्वर = मुनीश्वर
प्रति + ईक्षा = प्रतीक्षा
मुनि + ईश = मुनीश
अधि + ईश्वर = अधीश्वर
कवि + ईश्वर = कवीश्वर
फणि + ईश्वर = फणीश्वर
कपि + ईश = कपीश
हरि + ईश = हरीश
रवि + ईश = रवीश
गिरि + ईश = गिरीश
कपि + ईश्वर = कपीश्वर
परि + ईक्षा = परीक्षा

(छ) ई + इ = ई

अवनी + इंद्र = अवनींद्र
नारी + इच्छा = नारीच्छा
यती + इंद्र = यतींद्र
नारी + इंद्र = नारींद्र
नदी + इंद्र = नदींद्र
पत्ली + इच्छा = पत्नीच्छा
मही + इंद्र = महींद्र
रजनी + इंदु = रजनींदु
देवी + इच्छा = देवीच्छा
नारी + इष्ट = नारीष्ट
महती + इच्छा = महतीच्छा
नारी + इंदु = नारीदु

PSEB 10th Class Hindi Vyakaran संधि

(ज) ई + ई = ई

रजनी + ईश = रजनीश
मही + ईश्वर = महीश्वर
सती + ईश = सतीश
नदी + ईश = नदीश
नारी + ईश = नारीश
नारी + ईश्वर = नारीश्वर
फणी + ईश = फणीश
जानकी + ईश = जानकीश
योगी + ईश्वर = योगीश्वर
श्री + ईश = श्रीश
मही + ईश = महीश
जानकी + ईश्वर = जानकीश्वर

(झ) उ + उ = ऊ

भानु + उदय = भानूदय
गुरु + उपदेश = गुरूपदेश
सु + उक्ति = सूक्ति
लघु + उत्सव = लघूत्सव
साधु + उत्सव = साधूत्सव
बहु + उद्देशीय = बहूद्देशीय
अनु + उदित = अनूदित
लघु + उत्तर = लघूत्तर
विधु + उदय = विधूदय
लघु + उपदेश = लघूपदेश

(ञ) उ + ऊ = ऊ

सिंधु + ऊर्मि = सिंधूर्मि
लघु + ऊर्मि = लघूर्मि
अंबु + ऊर्जा = अंबूर्जा
अंबु + ऊर्मि = अंबूर्मि

(ट) ऊ + उ = ऊ

भू + उन्नति = भून्नति
वधू + उत्सव = वधूत्सव
भू + उत्सर्ग = भूत्सर्ग
भू + उद्धार = भूद्धार
भू + उत्कर्ष = भूत्कर्ष
भू + उत्क्षेप = भूत्क्षेप

(ठ) ऊ + ऊ = ऊ

वधू + ऊर्मि = वधूमि
भू + ऊर्जा = भूर्जा
भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व
सरयू + ऊर्मि = सूरयर्मि

2. गुण संधि
नियम-
(क) जब अ या आ के आगे इ या ई हो तो दोनों को मिलाने से ‘ए’ बनता है।
(ख) जब अ या आ के आगे उ या ऊ हो तो दोनों को मिलाने से ‘ओ’ बनता है।
(ग) जब अ या आ के आगे ऋहो तो ‘अर’ बनता है।
इसे गुण संधि कहते हैं।

क. (i) अ + इ = ए
उदाहरण-
ज्ञान + इंद्र = ज्ञानेंद्र
नर + इंद्र = नरेंद्र
रूप + इंद्र = रूपेंद्र
सत्य + इंद्र = सत्येंद्र
सुर + इंद्र = सुरेंद्र
वीर + इंद्र = वीरेंद्र
जैन + इंद्र = जैनेंद्र
स्व + इच्छा = स्वेच्छा
गज + इंद्र = गजेंद्र
धर्म + इंद्र = धर्मेंद्र
ज्ञान + इंद्र = ज्ञानेंद्र
जोग + इंद्र = जोगेंद्र
पूर्ण + इंद्र = पूर्णेद्र
शुभ + इच्छा = शुभेच्छा
कर्म + इंद्रिय = कर्मेंद्रिय
शुभ + इंदु = शुभेंदु
भारत + इंदु = भारतेंदु
सोम + इंद्र = सोमेंद्र
लोक + इंद्र = लोकेंद्र
पूर्ण + इंदु = पूर्णेदु

(ii) अ + ई = ए

रूप + ईश = रूपेश
गण + ईश = गणेश
भुवन + ईश्वर = भुवनेश्वर
सोम + ईश = सोमेश
देव + ईश्वर = देवेश्वर
राम + ईश्वर = रामेश्वर
विमल + ईश = विमलेश
अखिल + ईश = अखिलेश
योग + ईश = योगेश
नाग + ईश = नागेश
दिन + ईश = दिनेश
नर + ईश = नरेश
कमल + ईश्वर = कमलेश्वर
सुर + ईश = सुरेश
परम + ईश्वर = परमेश्वर
ज्ञान + ईश्वर = ज्ञानेश्वर
ब्रज + ईश = ब्रजेश
कमल + ईश = कमलेश
पर्वत + ईश्वर = पर्वतेश्वर
महा + ईश = महेश

(iii) आ + इ = ए

राजा + इंद्र = राजेंद्र
यथा + इष्ट = यथेष्ट
महा + इंद्र = महेंद्र
रमा + इंद्र = रमेंद्र

(iv) आ + ई = ए

राजा + ईश = राजेश
महा + ईश्वर = महेश्वर
रमा + ईश = रमेश
लंका + ईश = लंकेश
गंगा + ईश्वर = गंगेश्वर

ख. (i) अ + उ = ओ

सह + उदर = सहोदर
सर्व + उच्च = सर्वोच्च
सूर्य + उदय = सूर्योदय
धीर + उचित = धीरोचित
भाग्य + उदय = भाग्योदय
देव + उपम = देवोपम
नव + उदित = नवोदित
पूर्व + उदय = पूर्वोदय
प्रश्न + उत्तर = प्रश्नोत्तर
देव + उत्सव = देवोत्सव
हित + उपदेश = हितोपदेश
पुरुष + उत्तम = पुरुषोत्तम
गृह + उपयोगी = गृहोपयोगी
जीर्ण + उद्धार = जीर्णोद्धार
ब्रह्म + ईश्वर = ब्रह्मेश्वर
उमा + ईश = उमेश
राजा + ईश्वर = राजेश्वर
लंका + ईश्वर = लंकेश्वर
नर्मदा + ईश्वर = नर्मदेश्वर
पर + उपकार = परोपकार
रोग + उपचार = रोगोपचार
सर्व + उदय = सर्वोदय
लोक + उक्ति = लोकोक्ति
नव + उदय = नवोदय
सह + उदय = सहोदय
ग्राम + उन्मुख = ग्रामोन्मुख
नर + उचित = नरोचित
मद + उन्मत = मदोन्मत
चंद्र + उदय = चंद्रोदय
अछूत + उद्धार = अछूतोद्धार
वीर + उचित = वीरोचित
उत्तर + उत्तर = उत्तरोत्तर
शुभ + उदय = शुभोदय
वार्षिक + उत्तर = वार्षिकोत्सव
नव + उदित = नवोदित
दक्षिण + उत्तर = दक्षिणोत्तर
नर + उत्तम = नरोत्तम
पश्चिम + उत्तर = पश्चिमोत्तर
पूर्व + उत्तर = पूर्वोत्तर

PSEB 10th Class Hindi Vyakaran संधि

(ii) अ + ऊ = ओ

सागर + ऊर्मि = सागरोर्मि
नव + ऊढ़ा = नवोढ़ा
सूर्य + ऊष्मा = सूर्योष्मा
समुद्र + ऊर्मि = समुद्रोर्मि
भाव + ऊर्मि = भावोर्मि
दया + ऊर्मि = दयोर्मि
जल + ऊर्मि = जलोर्मि
पय + ऊर्मि = पयोर्मि

(iii) आ + उ = ओ

महा + उत्सव = महोत्सव
महा + उदय = महोदय
गंगा + उदक = गंगोदक
महा + उदधि = महोदधि
महा + उष्ण = महोष्ण
विद्या + उत्तमा = विद्योत्तमा

(iv) आ + ऊ = ओ

गंगा + ऊर्मि = गंगोर्मि
यमुना + ऊर्मि = यमुनोर्मि
रंभा + ऊरू = रंभोरू
महा + ऊर्जा = महोर्जा ग.

ग. (i) अ+ ऋ = अर्
देव + ऋषि = देवर्षि
सप्त + ऋषि = सप्तर्षि
ब्रह्म + ऋषि = ब्रह्मर्षि
कनाद + ऋषि = कनादर्षि
राज + ऋषि = राजर्षि
वसंत + ऋतु = वसंतर्तु

(ii) आ + ऋ = अर्

महा + ऋषि = महर्षि
राजा + ऋषि = राजर्षि

3. वृद्धि संधि
नियम- जब ‘अ’, ‘आ’ के आगे ‘ए’ अथवा ‘ऐ’ हों तो उन्हें मिलाकर ‘ऐ’ विकार हो जाता है। इसी प्रकार ‘अ’, ‘आ’ के सामने ‘ओ’ अथवा ‘औ’ के होने की स्थिति में दोनों को मिलाने से ‘औ’ हो जाता है। इसे वृद्धि संधि कहते हैं।
उदाहरण-
(क) अ + ए = ऐ

हित + एषी = हितैषी
लोक + एषणा = लोकैषणा
धन + एषणा = धनैषणा
एक + एक = एकैक

(ख) अ + ऐ = ऐ

नव + ऐश्वर्य = नवैश्वर्य
देव + ऐश्वर्य = दैवश्वर्य
परम + ऐश्वर्य = परमैश्वर्य
मत + ऐक्य = मतैक्य
लोक + ऐक्य = लौकेक्य
राज + ऐश्वर्य = राजैश्वर्य

(ग) आ + ए = ऐ

यथा + एव = यथैव
तथा + एव = तथैव
सदा + एव = सदैव
कदा + एव = कदैव

(घ) आ + ऐ = ऐ

रमा + ऐश्वर्य = रमैश्वर्य
राजा + ऐश्वर्य = राजैश्वर्य
महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
इला + ऐश्वर्य = इलैश्वर्य

(ङ) अ+ ओ = औ

जल + ओध = जलौध
परम + ओजस्वी = परमौजस्वी
अधर + ओष्ठ = अधरौष्ठ
वन + ओषधि = वनौषधि
महा + ओज = महौज
दंत + ओष्ठ = दंतौष्ठ

(च) अ + औ = औ

देव + औदार्य = देवौदार्य
परम + औदार्य = परमौदार्य
जल + औध = जलौध
अत्यंत + औदार्य = अत्यंतौदार्य
वीर + औदार्य = वीरौदार्य
वन + औषध = वनौषध
परम + औषध = परमौषध
उत्तम + औषध = उत्तमौषध

(छ) आ + औ = औ

महा + औदार्य = महौदार्य
महा + औध = महौध
महा + औषध = महौषध
महा + औत्सुक्य = महौत्सुक्य

4. यण संधि
नियम-(क) जब ‘इ’ या ‘ई’ के बाद ‘इ’ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आ जाए तो ‘इ’ या ‘ई’ का परिवर्तन ‘य’ में हो जाता है।
(ख) जब ‘उ’ या ‘ऊ’ के बाद ‘उ’ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आ जाए तो ‘उ’ या ‘ऊ’ का परिवर्तन ‘व’ में हो जाता है।
(ग) जब ‘ऋ’ के बाद ‘ऋ’ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आ जाए तो ‘ऋ’ का परिवर्तन ‘र’ में हो जाता है। इसे यण संधि कहते हैं।
उदाहरण-
क. (i) इ+ अ = य
प्रति + अक्षर = प्रत्यक्षर
अति + अधिक = अत्यधिक
अति + अंत = अत्यंत
अभि + अर्थी = अभ्यर्थी
यदि + अपि = यद्यपि
गति + अवरोध = गत्यावरोध

(ii) इ + आ = या

अभि + आगत = अभ्यागत
वि + आप्त = व्याप्त
अति + आचार = अत्याचार
परि + आवरण = पर्यावरण
इति + आदि = इत्यादि
अति + आवश्यक = अत्यावश्यक
अति + आनंद = अत्यानंद
प्रति + आगमन = प्रत्यागमन
वि + आयाम = व्यायाम

(iii) ई + अ = य

देवी + अर्पण = देव्यर्पण
नदी + अर्पण = नद्यर्पण

(iv) ई + आ = या

देवी + आगम = देव्यागम
सखी + आगमन = सख्यागमन
देवी + आलय = देव्यालय
रथी + आगम = रथ्यागम

PSEB 10th Class Hindi Vyakaran संधि

(v) इ + उ = यु

प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर
प्रति + उपकार = प्रत्युपकार
उपरि + उक्त = उपर्युक्त
अभि + उदय = अभ्युदय
अति + उत्तम = अत्युत्तम
मति + उदय = मत्युदय

(vi) इ + ऊ = यू

वि + ऊह = व्यूह
नि + ऊन = न्यून
प्रति + ऊष = प्रत्यूष
अति + ऊष्म = अत्यूष्म

(vii) ई + ऊ = यू

नदी + ऊर्मि = नयूर्मि

(viii) इ + ए = ये

प्रति + एक = प्रत्येक
अधि + एषणा = अध्येषणा
अधि + एता = अध्येता
गति + एषणा = गत्येषणा

(ix) ई + ऐ = यै

नदी + ऐश्वर्य = नयैश्वर्य
सखी + ऐश्वर्य = सख्यैश्वर्य

(x) इ + अं = यं

प्रति + अंचा = प्रत्यंचा
प्रति + अंग = प्रत्यंग

ख. (i) उ + अ = व

अनु + अय = अन्वय
सु + अच्छ = स्वच्छ
मधु + अरि = मध्वरि
सु + अस्ति = स्वस्ति
सु + अल्प = स्वल्प
मनु + अंतर = मन्वंतर

(ii) उ + आ = वा

सु + आगत = स्वागत
पशु + आदि = पश्वादि
मधु + आलय = मध्वालय
गुरु + आज्ञा = गुर्वाज्ञा

(iii) ऊ + अ = व

वधू + अनुसार = वध्वनुसार
सु + अल्प = स्वल्प

(iv) ऊ + आ = वा

वधू + आगमन = वध्वागमन
गुरू + आदेश = गुर्वादेश

(v) उ + इ = वि

अनु + इति = अन्विति
अनु + इत = अन्वित

(vi) उ + ई = वी

अनु + ईक्षक = अन्वीक्षक
अनु + ईक्षण = अन्वीक्षण

(vii) उ + ए = वे

अनु + ऐषक = अन्वेषक
अनु + एषण = अन्वेषण
प्रभु + एषणा = प्रभ्वेषणा

ग. (i) ऋ+ अ = र

मातृ + अनुमति = मात्रानुमति
पितृ + अर्पण = पित्रर्पण

(ii) ऋ+ आ = रा|

पितृ + आनंद = पित्रानंद
पितृ + आदेश = पित्रादेश
भ्रातृ + आज्ञा = भ्रात्राज्ञा
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
पितृ + आलय = पित्रालय
मातृ + आनंद = मात्रानंद

(iii) ऋ+ उ = रु

मातृ + उपदेश = मात्रुपदेश
पितृ + उपदेश = पित्रुपदेश

(iv) ऋ + इ = रि

पितृ + इच्छा = पित्रिच्छा
मातृ + इच्छा = मात्रिच्छा

(v) ऋ + ई = री
मातृ + ईश = मात्रीश

5. अयादि संधि

नियम-(क) जब ‘ए’ या ‘ऐ के बाद ‘ए’ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आता है तो ‘ए’ का ‘अय्’ और ‘ऐ’ का ‘आय’ हो जाता है।
(ख) जब ‘आ’ या औ’ के बाद ‘ओ’ वर्ण के अतिरिक्त कोई अन्य स्वर आता है तो ‘ओ’ का ‘अव’ तथा ‘औ’ का ‘आव’ हो जाता है। इसी को अयादि संधि कहते हैं।
उदाहरणक.
(i) ए + अ = अय्

चे + अन = चयन
ने + अन = नयन
शे + अन = शयन

(ii) ऐ + अ = आय्

नै + अक = नायक
गै + अन = गायन
गै + अक = गायक
सै + अक = सायक

PSEB 10th Class Hindi Vyakaran संधि

(iii) ऐ + इ = आयि

गै + इका = गायिका
नै + इका = नायिका

(iv) ओ + अ = अव्

भो + अन = भवन
हो + अन = हवन
पो + अन = पवन

(v) ओ + इ = अवि

पो + इत्र = पवित्र
भो + इष्य = भविष्य

(vi) औ + अ = आव्

पौ + अन = पावन
पौ + अक = पावक

(vii) औ + इ = आवि

नौ + इक = नाविक

(vii) औ + उ = आवु

भौ + उक = भावुक

उक्त पाँचों स्वर संधियाँ हिंदी में संस्कृत से आई हैं। इनके अतिरिक्त हिंदी की अपनी कुछ स्वर संधियाँ और भी हैं।

(क) पररूप संधि-हिंदी शब्दों में कहीं-कहीं अ, आ के बाद ए या ओ आ जाने पर अ या आ बाद वाले ए या ओ में मिलाकर एक हो जाते हैं तो उसे पररूप संधि कहते हैं। जैसे-
अ + ए = ए = साँप + एरा = सपेरा
आ + ए = ए = मामा + एरा = ममेरा
चाचा + एरा = चचेरा
अ + ओ = ओ = बिंब + ओष्ठ = बिंबोष्ठ
अधर + ओष्ठ = अधरोष्ठ
लूट + एरा = लुटेरा
शुद्ध + ओदन = शुद्धोदन।

(ख) वर्ण आगम संधि-कुछ शब्दों में समास होते समय प्रथम पद के अंतिम वर्ण में स्थित ‘अ’ का ‘आ’ हो जाता है। इसे वर्ण आगम संधि कहते हैं। जैसे-

फट + फट = फटाफट
दीन + नाथ = दीनानाथ
विश्व + मित्र = विश्वामित्र
मूसल + धार = मूसलाधार
काय + कल्प = कायाकल्प
धड़ + धड़ = धड़ाधड़।

(ग) लघुभाव संधि-प्रत्यय जोड़ने या समस्त पद बनाते समय आ को अ’, ‘ई को उ’, ‘ए को इ’ तथा ‘ओ को उ’ में बदला जाता है। उसे लघुभाव संधि कहते हैं। जैसे-

आ को अ = काठ + पुतली = कठपुतली
काला + मुँह = कलमुँहा
कान + कटा = कनकटा
मीठा + आई = मिठाई
ई को इ = भीख + आरी = भिखारी
ढीठ + आई = ढिठाई
ऊ को उ = दूध + मुँहा = दुधमुँहा
मूंछ + कटा = मुँछकटा
ए को इ = खेल + आड़ी = खिलाड़ी
लूट + एरा = लुटेरा
एक + तीस = इकतीस
एक + तारा = इकतारा
ओ को उ = दो + गुना = दुगुना
देख + आई = दिखाई
घोड़ा + दौड़ = घुड़दौड़
लोहा + आर = लुहार
आधा + खिला = अधखिला।
मोटा + आपा = मुटापा।

Leave a Comment