PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
(क) विद्युत् धारा के ऊष्मन प्रभाव संबंधी नियम लिखें
(ख) विद्युतीय शक्ति की परिभाषा दें। इसकी इकाई की भी परिभाषा दें।
(ग) विद्युतीय ऊर्जा क्या है ? इसकी इकाइयों की परिभाषा लिखें।
उत्तर –
(क) ऊष्मन प्रभाव के नियम-जब भी किसी चालक में से विद्युत् धारा गुज़ारी जाती है, तो यह गर्म हो जाता है। इसे जूल का ऊष्मन नियम (Joule’s Heating Effect) कहा जाता है। इस नियम के अनुसार जब चालक में से धारा प्रवाहित की जाती है तो उत्पन्न ताप

  • धारा के वर्ग के समानुपाती होता है। H ∝ I2 (जब प्रतिरोध, R, समय न हो)
  • चालक के प्रतिरोध के समानुपाती होता है H ∝ R (जब धारा I, समय न हो)
  • समय के समानुपाती होता है जितने समय के लिए धारा प्रवाहित की जाती है।

H∝ t (जब प्रतिरोध R तथा धारा I हो)
संयुक्त करने पर H ∝ I2Rt (समानुपाती नियतांक) का मान मात्रक की प्रणाली पर निर्भर करता है। S.I. प्रणाली में इसका मान ‘1’ है। अतः
H = I2Rt (जूल में)

(ख) विद्युत् शक्ति- विद्युतीय कार्य करने की दर को विद्युत् शक्ति कहते हैं। मान लें कि चालक के सिरों के मध्य V विभवांतर वाले चालक में धारा I गुज़ारी जाती है। समय t के लिए धारा I प्रवाहित करने में किया गया कार्य इस प्रकार होगा
W = VIt
किंतु परिपथ की शक्ति इस प्रकार दी जाती है-
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= \(\frac{\mathrm{W}}{t}\)
= \(\frac{\mathrm{VI} t}{t}\)
= V × I
P = V × I
∴ P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\) [∵ I = \(\frac{V}{R}\) ]
और P = I2R

विद्युत् शक्ति की इकाई P = VI
यदि V वोल्ट तथा I एम्पियर में मापी जाए, तो शक्ति वाट में होगी।
वाट की परिभाषा- विद्युत् परिपथ में एक वाट विद्युत् शक्ति होगी यदि एक एम्पियर धारा प्रवाहित हो रही हो। जब किसी चालक जिसके सिरों के मध्य एक वोल्ट का विभवांतर हो।
1 वाट = 1 वोल्ट x 1 एम्पियर
शक्ति की बड़ी इकाई किलोवाट (KW) है।
1 किलोवाट = 1000 वाट

(ग) विद्युत् ऊर्जा-किसी निश्चित समय में धारा द्वारा कुल किए गए कार्य की मात्रा, विद्युत् ऊर्जा कहलाती है। मान लें किसी चालक में से I एम्पियर की धारा समय 1 के लिए प्रवाहित होती है, जबकि इसके सिरों के बीच विभवांतर V होता है। तब प्रयुक्त ऊर्जा या किया गया कार्य इस प्रकार होता है-
W = VIt
विद्युत् ऊर्जा की मानक इकाई जूल या वाट-सेकंड है किंतु यह एक लघु (छोटी) इकाई है। विद्युत् ऊर्जा की वृहत् (बड़ी) इकाई वाट-घंटा है। वाट-घंटे की परिभाषा-विद्युत् ऊर्जा एक वाट-घंटा कहलाती है जब चालक में से एक एम्पियर धारा एक घंटे के लिए प्रवाहित होती है जब इसके सिरों के बीच एक वोल्ट का विभवांतर होता है।
1 वाट-घंटा = 1 वाट x 1 घंटा
= 1 वोल्ट x 1 एम्पियर x 1 घंटा
1 किलोवाट घंटा = 1000 वाट घंटा
विद्युतीय ऊर्जा की बड़ी इकाई किलोवाट-घंटा है।

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प्रश्न 2.
किसी चालक के प्रतिरोध से क्या भाव है ? किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है ?
उत्तर-
चालक का प्रतिरोध-देखें लघु उत्तरात्मक प्रश्न 14. चालक के प्रतिरोध की निर्भरता के कारक-देखें अध्याय के अंतर्गत प्रश्न 1 पृष्ठ 336.

प्रश्न 3.
प्रयोग द्वारा मालूम करें कि किसी चालक के लिए प्रतिरोध का मान किन-किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर–
किसी धातु चालक का प्रतिरोध जिन कारकों पर निर्भर करता है उसे निम्नलिखित प्रयोग द्वारा दर्शाया जा सकता है –
प्रयोग-एक बैटरी, एमीटर, प्रतिरोधक तार और स्विच की सहायता से विद्युत् परिपथ बनाओ। स्विच को दबा कर इसके परिपथ में से विद्युत् धारा प्रवाहित करें। एमीटर से विद्युत् धारा का मान नोट करें। अब इस तार के स्थान पर समान लंबाई और मोटाई की किसी अन्य धातु की तार द्वारा जोड़े तथा एमीटर द्वारा धारा का मान नोट करें। आप देखते हैं कि विद्युत् धारा का मान बदल जाता है। इस प्रयोग से यह सिद्ध होता है कि चालक का प्रतिरोध उसके स्वभाव पर निर्भर करता है। अर्थात् एक ही ताप पर समान लंबाई तथा मोटाई वाले भिन्न-भिन्न धातुओं के चालकों का प्रतिरोध भिन्न-भिन्न होता है।
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अब पहले तार के व्यास के बराबर तथा उसी धातु से बनी एक तार लो जिसकी लंबाई पहले तार से दुगनी हो। इस तार को परिपथ में जोड़ें और इसमें से विद्युत् धारा प्रवाहित करो। आप देखेंगे कि यह माप पहले से अमर हो गया है या प्रतिरोध दुगुना हो गया है। इससे सिद्ध होता है कि प्रतिरोध लंबाई के समानुपाती होता है। यदि चालक का प्रतिरोध R और तार की लंबाई l हो तो
R α l ……………………..(1)
अब एक ही धातु की बनी दो तारें लीजिए जिनकी लंबाई एक समान हो परंतु अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल (Areas of cross-section) अलग-अलग हों। पहले कम अनुप्रस्थ वाले तार को परिपथ में जोड़ो तथा बाद में अधिक अनुप्रस्थ काट वाले तार को परिपथ में जोड़ें। आप देखते हो कि तार में विद्युत् धारा का मान पहले की अपेक्षा अधिक प्रवाहित हो रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि दूसरे तार का प्रतिरोध पहले की अपेक्षा कम है। इससे सिद्ध होता है कि चालक का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के विलोमानुपाती होता है। यदि चालक का प्रतिरोध R तथा तार का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A है, तो
R α \(\frac{1}{\mathrm{~A}}\) ……………………………… (2)
(1) और (2) को जोड़ने पर,
R α \(\frac{l}{\mathrm{~A}}\)
अथवा
R= ρ\(\frac{l}{\mathrm{~A}}\)
जहां पर ρ स्थिरांक है और इसे चालक का प्रतिरोधकता कहते हैं। इसका मान चालक के पदार्थ के स्वभाव पर निर्भर करता है।

प्रश्न 4.
ओम का नियम क्या है? आप प्रयोगशाला में इसकी पुष्टि कैसे करोगे?
अथवा
ओम का नियम लिखो। चित्र बनाकर समझाइए कि इसकी प्रयोगशाला में व्याख्या कैसे की जाती है ?
अथवा
ओम का नियम लिखो। इसे प्रयोगशाला में प्रयोगात्मक रूप से सिद्ध करने के लिए एक परिपथ चित्र बनाओ।
उत्तर-
ओम का नियम (Ohm’s Law)-ओम के नियम के अनुसार किसी चालक के सिरों के बीच विभवांतर V और उसमें प्रवाहित हो रही धारा की मात्रा I का अनुपात सदा स्थिर रहता है, यदि चालक की भौतिक परिस्थितियां (ताप और दबाव आदि) न बदलें।
या
\(\frac{V}{I}\) = R (स्थिरांक)
इस स्थिरांक को चालक का प्रतिरोध कहा (R) जाता है।
ओम के नियम की पुष्टि-दिए गए चालक PQ को बैटरी (B), एक धारा नियंत्रक (Rh), एक एममीटर (A) और एक कुंजी (K) को दिए गए परिपथ में जोड़ो। चालक PQ के सिरों के बीच में वोल्टमीटर V लगाओ जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
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अब कुंजी में प्लग लगाकर चालक PQ में प्रवाहित हो रही धारा I का मान एममीटर के पाठ्यांक और चालक के सिरों के बीच का विभवांतर V का मान वोल्टमीटर पाठ्यांक से नोट करो।

अब V और I का अनुपात \(\left(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}\right)\) मालूम करो। अब नियंत्रक की सहायता से परिपथ में धारा का मूल्य बदलो और वोल्टमीटर तथा एममीटर का नया पाठ्यांक नोट करो। दोबारा विभवांतर और धारा का अनुपात \(\left(\frac{\mathrm{V}_{1}}{\mathrm{I}_{1}}\right)\) का मूल्य निकालो। धारा नियंत्रक की स्थिति बदल कर इस प्रयोग को दोहराओ। मान लो इस बार एममीटर का पाठ्यांक I2 और वोल्टमीटर का पाठ्यांक V2 है। अब फिर \(\frac{\mathrm{V}_{2}}{\mathrm{I}_{2}}\) अनुपात ज्ञात करो। आप देखेंगे कि प्रत्येक बार विभवांतर और धारा का अनुपात स्थिर है।

अर्थात् \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{I}}=\frac{\mathrm{V}_{1}}{\mathrm{I}_{1}}=\frac{\mathrm{V}_{2}}{\mathrm{I}_{2}}\) = ………………………. = R (स्थिरांक)
इस स्थिरांक को प्रतिरोध कहा जाता है। इस प्रकार ओम के नियम की पुष्टि हो जाती है। अब चालक PQ के विभवांतर के भिन्न-भिन्न मूल्यों और इनके अनुसार धारा के भिन्न-भिन्न मूल्यों का ग्राफ खींचो। ‘ग्राफ का एक सीधी रेखा होना, ओम के नियम की पुष्टि करता है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। ग्राफ से पता चलता है कि जैसे-जैसे चालक का विभवांतर बढ़ता है, धारा में भी रैखिक वृद्धि होती है, जो ओम के नियम को सत्यापित करता है।
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प्रश्न 5.
श्रेणीक्रम में जोड़े गये प्रतिरोधकों का तुल्य प्रतिरोध कितना होता है, इसके लिए एक संबंध व्युत्पन्न करो।
अथवा
श्रेणीक्रम में जोड़े गए प्रतिरोधकों का तुल्य प्रतिरोध कितना होगा ? चित्र बनाओ तथा संबंध स्थापित करो।
उत्तर-
जब प्रतिरोधकों को श्रेणीबद्ध किया जाता है तो संयोजन का प्रतिरोध पृथक्-पृथक् प्रतिरोधों के जोड़े के बराबर होता है।
श्रेणीबद्ध किये गये प्रतिरोधों को तथा उनका तुल्य प्रतिरोध के मध्य संबंध का व्युत्पन्न-
श्रेणीबद्ध (शृंखला) जुड़े तीन प्रतिरोधों r1,r2 और r3, पर विचार करो जैसे कि चित्र में दर्शाया गया है। मान लो प्रत्येक में से धारा I प्रवाहित होती है। प्रतिरोध के पार विभवांतर इसके प्रतिरोध के समानुपाती है।
मान लो, V1 = r1, के सिरों के मध्य विभवांतर
V2= r2, के सिरों के मध्य विभवांतर
V3 = r3, के सिरों के मध्य विभवांतर

∴ V = V1 + V2 + V3 ……………………..(i)

मान लो Rs पूर्ण श्रृंखला का तुल्य प्रतिरोध है।
ओम-नियम के अनुसार
V = IRs
इसी प्रकार
V1 = IRs
V2 = Ir2
V3 = Ir3
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(i) में मान प्रतिस्थापित करके
IRs = Ir1 + Ir2 + Ir3
IRs = I(r1 + r2 +r3)
Rs = r1 + r2 +r3
अतः जब प्रतिरोध शृंखलाबद्ध जोड़े जाते हैं तो इनका कुल प्रतिरोध सभी प्रतिरोधों के जोड़ के बराबर होता है।

प्रश्न 6.
जब तीन प्रतिरोधकों को समानांतर क्रम में एक बैटरी से जोड़ा जाता है तो इनके तुल्य प्रतिरोध विद्युत् के लिए एक संबंध ज्ञात करो।
अथवा
समानांतर क्रम में जोड़े गए कुछ प्रतिरोधकों का तुल्य प्रतिरोध कितना होगा? चित्र बनाओ तथा संबंध स्थापित करो।
अथवा
विद्युत् सर्किट में जब दो या अधिक प्रतिरोधों (R1,R2, R3, ………) को समानांतर क्रम में जोड़ा जाता है तो परिणामी प्रतिरोध (R) प्राप्त करने के लिए पुटैंशल अंतर (V) तथा विद्युत् धारा (I) के लिए संबंध/सूत्र स्थापित करो। अंकित चित्र भी बनाओ।
उत्तर-
समानांतर क्रम में प्रतिरोधक-मान लो कि तीन प्रतिरोधक R1, R2, और R3, बिंदु A और B के मध्य समांतर क्रम में जोड़े गए हैं। अब यदि बिंदु A और B के मध्य विभवांतर लगाने पर मुख्य परिपथ में विद्युत् धारा I प्रवाहित हो रही हो तो बिंदु A पर यह विद्युत् धारा तीन भागों में बँट जाती है। मान लो प्रतिरोध R1, R2, R3, में से प्रवाहित होने वाली विद्युत् धारा क्रमशः I1, I2, I3, है तो
I = I1 + I2, + I3
यदि दोनों सिरों के मध्य विभवांतर V है तो ओम के नियमानुसार
I1 = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{1}}\),
I2 = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{2}}\),
I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\) जहाँ र तुल्य (परिणामी) प्रतिरोध है|
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\(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}=\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{2}}+\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}_{3}}\)
\(\frac{V}{R}=V\left[\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}+\frac{1}{R_{3}}\right]\)
या \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{2}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{3}} \)

प्रश्न 7.
विद्युत्-ऊर्जा और विद्युत्-शक्ति की परिभाषा दो और इनके मात्रक बताओ।
अथवा
विद्युत् शक्ति की परिभाषा लिखें। इसके मात्रक वाट की भी परिभाषा दें।
अथवा
विद्युत् ऊर्जा क्या है ? इनकी इकाई किलोवाट घंटा की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
विद्युत् शक्ति-विद्युत् द्वारा कार्य करने की दर को विद्युत् शक्ति कहते हैं। मान लो अपने सिरों के पार V विभवांतर वाले चालक में से I धारा गुज़ारी जाती है। 1 समय के लिए I धारा प्रवाहित करने में किया गया कार्य इस प्रकार होगा-
W = VIt
किंतु परिपथ की शक्ति इस प्रकार दी जाती है
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= \(\frac{\mathrm{W}}{t}\)
= \(\text { VIt }\)
= V x I
P = V x I

ओम-नियम के अनुसार
P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\) [∵ I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\) ]
और P = I2R [∵ V = IR]
विद्युत् शक्ति की इकाई
हम जानते हैं P = VI
यदि V वोल्ट में तथा I एम्पियर में मापी जाए तो शक्ति वाट में होगी।

वाट की परिभाषा- विद्युत् परिपथ में एक वाट विद्युत् शक्ति उस समय होती है, जब एक एम्पियर धारा किसी चालक में से प्रवाहित हो और इसके सिरों के मध्य एक वोल्ट का विभवांतर स्थापित हो।
1 वाट = 1 वोल्ट x 1 एम्पियर
शक्ति की बड़ी इकाई किलोवाट (KW) है।
1 किलोवाट = 1000 वाट
विद्युत् ऊर्जा- किसी निश्चित समय में धारा द्वारा कुल किये गये कार्य की मात्रा, विद्युत् ऊर्जा कहलाती है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
विद्युत् का हमारे दैनिक जीवन में क्या योगदान है?
उत्तर-
विद्युत् का हमारे जीवन में योगदान-विद्युत् का हमारे जीवन में बहुत बड़ा योगदान है। इससे जीवन में कई सुविधाएं मिलती हैं जैसे-रात को अंधेरा दूर करने के लिए इसका उपयोग विद्युत् बल्ब तथा ट्यूबलाइट में किया जाता है, गर्मियों में डेजर्ट कूलर, ऐयर कंडीशनर आदि से विद्युत् का उपयोग करके घरों को ठंडा और सर्दियों में हीटर आदि से गर्म किया जाता है। इसके अतिरिक्त विद्युत् का उपयोग करके टेलीविज़न, रेडियो, चलचित्र और संगीत आदि से मनोरंजन होता है। कृषि, परिवहन और उद्योग में मशीनों आदि को चलाने के लिए भी विद्युत् का उपयोग किया जाता है।

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प्रश्न 2.
स्थिर वैद्युत् से आप क्या समझते हो?
उत्तर-
स्थिर वैद्युत् (Static Electricity)- जब दो वस्तुओं को परस्पर एक-दूसरे के साथ रगड़ा जाता है तो उन दोनों में छोटी-छोटी ओर हल्की वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करने का गुण आ जाता है। रगड़ द्वारा उत्पन्न हुई वैद्युत् को घर्षण वैद्युत् या स्थिर वैद्युत् कहते हैं। स्थिर आवेशों के अध्ययन को इलैक्ट्रोस्टैटिक्स कहते हैं। उदाहरण-जब किसी प्लास्टिक के पैन को शुष्क बालों के साथ रगड़ा जाता है तो यह कागज़ के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है। ऐसा रगड़ द्वारा विद्युत् पैदा होने के कारण होता है।

प्रश्न 3.
धन तथा ऋण आवेश क्या होते हैं? यह कैसे पैदा होते हैं?
उत्तर –
धन आवेश (Positive Charge)-रेशम के कपड़े के साथ रगड़ने पर कांच की छड़ पर पैदा हुए आवेश को धन आवेश कहा जाता है। ऋण आवेश (Negative Charge)-बिल्ली की खाल से रगड़ने पर आबनूस की छड़ पर पैदा हुए आवेश को ऋण आवेश कहा जाता है।

प्रश्न 4.
चालकों और रोधकों के बीच अंतर स्पष्ट करो।
अथवा
चालक और रोधक की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
चालक और रोधक में अंतर-
चालक-चालकों में बहुत सारे स्वतंत्र इलैक्ट्रॉन होते हैं जो विद्युत् धारा के प्रभाव अधीन गति करते हैं। जब चालक को बैटरी के साथ जोड़ा जाता है तो ये इलैक्ट्रॉन इसके धन टर्मिनल की ओर आकर्षित होते हैं और ऋण टर्मिनल से प्रतिकर्षित होते हैं। इसलिए चालक में इन इलैक्ट्रॉनों की गति के कारण आवेश का स्थानांतरण होता है। अत: चालक वे पदार्थ हैं जिनमें आसानी से विद्युत्-धारा प्रवाहित होती है। उदाहरण-ताँबा, चाँदी, एल्यूमीनियम आदि।

रोधक-ऐसे पदार्थ जिनमें स्वतंत्र इलैक्ट्रॉन बहुत कम होते हैं। इन पदार्थों में इलैक्ट्रॉन आसानी से गति नहीं कर सकते हैं अर्थात् जिनमें से विद्युत् धारा का प्रवाह नहीं होता रोधक कहलाते हैं। उदाहरण- रबड़, काँच, प्लास्टिक आदि।

प्रश्न 5.
विद्युत् विभव का क्या अर्थ है ? धन विभव तथा ऋण विभव का अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
विद्युत् विभव-यह चालक की एक विशेष विदयुतीय अवस्था है जो हमें यह बताती है कि किसी दूसरे चालक के संपर्क में आने पर विद्युत् आवेश का प्रवाह किस दिशा में होगा। किसी चालक का विभव पृथ्वी के सापेक्ष मापा जाता है। धन विभव-यदि धन आवेश वस्तु से पृथ्वी की ओर बहे या इलैक्ट्रॉन पृथ्वी से वस्तु की ओर प्रवाहित हो तो उस वस्तु के विभव को धन विभव कहते हैं।

प्रश्न 6.
किसी सेल के विद्युत् वाहक बल का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
सेल का विद्युत् वाहक बल-एकांक आवेश को पूरे परिपथ में प्रवाहित कराने में परिपथ में जुड़े सेल के द्वारा व्यय की जाने वाली ऊर्जा को सेल का विद्युत् वाहक बल कहते हैं। इसे E से प्रदर्शित किया जाता है। विद्युत् वाहक बल का S.I. मात्रक वोल्ट है।

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प्रश्न 7.
स्थिर वैद्युत् से कूलॉम का नियम वर्णित करो और इसकी व्याख्या करो।
अथवा
स्थिर विद्युत् की में कूलॉम का नियम परिभाषित करो और इसकी व्याख्या करो।
उत्तर-
स्थिर वैद्युत् में कूलॉम का नियम- कूलॉम के नियम के अनुसार दो सजातीय रूप से आवेशित वस्तुओं के मध्य प्रतिकर्षण बल या दो विजातीय आवेश वाली वस्तुओं के मध्य आकर्षण बल उन आवेशों की मात्रा के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती और उनके मध्य दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
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मान लो दो बिंदुओं पर आवेशों की मात्रा q1 और q2 है और इनके मध्य दूरी ‘d’ है। यदि इनके मध्य क्रिया कर रहा बल F हो तो F ∝q1 q2 ……………………………… (i)
और F ∝ \(\frac{1}{d^{2}}\) ………………………………….(ii)
समीकरण (i) और (ii) को मिलाकर,
F∝ \(\frac{q_{1} q_{2}}{d^{2}}\)
या F= \(\frac{\mathrm{K} q_{1} q_{2}}{d^{2}}\)
जहाँ K अनुपात अंक है जिसका मूल्य आवेशों के माध्यम पर निर्भर करता है। जब आवेशों को कूलॉम में और दूरी को मीटरों में लिया जाए तो वायु या निर्वात के लिए K = 9 x 109 है।
∴ F = \(9 \times 10^{9} \times \frac{q_{1} \times q_{2}}{d^{2}} \) न्यूटन

प्रश्न 8.
पुटैंशल अंतर (विभवांतर ) किसे कहते हैं ?
अथवा
विभांतर से क्या भाव है ? इसकी इकाई क्या है?
अथवा
विभावंतर क्या है ? इसका मात्रक बताओ।
उत्तर-
पुटैंशल अंतर (विभवांतर)- एक विद्युत् क्षेत्र में दो बिंदुओं के मध्य पुटैंशनल अंतर उस क्षेत्र के कारण स्थिर विद्युत् बल के विपरीत एक इकाई धन आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में किए गए कार्य की मात्रा है। विभवांतर की इकाई वोल्ट है।

प्रश्न 9.
वोल्ट की परिभाषा लिखो। यह किस भौतिक राशि की इकाई है?
उत्तर-
वोल्ट-विद्युत् क्षेत्र के दो बिंदुओं के मध्य पुटैंशनल अंतर एक वोल्ट होता है जब एक कूलॉम धन आवेश एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में एक जूल कार्य किया गया हो।
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वोल्ट भौतिक राशि पुटैंशल अंतर (विभवांतर) इकाई है।

प्रश्न 10.
हम कैसे कह सकते हैं कि विद्युत् धारा आवेश के प्रवाह के कारण होती है ?
उत्तर-
यदि हम एक आवेशित विद्युत्दर्शी को तारों द्वारा अनावेशित विद्युत्दर्शी के साथ जोड़ें तो आवेश आवेशित विद्युत्दर्शी से अनावेशित विद्युत्दर्शी की ओर प्रवाहित करना आरंभ कर देगा। इससे अनावेशित विद्युत्दर्शी के पत्र फैलकर एक-दूसरे से अलग हो जाएंगे अर्थात् खुल जाएंगे। धारा का यह प्रवाह उतनी देर तक चलता रहेगा जब तक कि इन दोनों विद्युत्दर्शियों के पत्र एक समान नहीं हो जाते। समानता आने पर विद्युत्दर्शियों के पत्र एक समान खुलेंगे। आवेश के इस प्रवाह को ही विद्युत् धारा कहते हैं।

प्रश्न 11.
विद्युत् धारा से क्या अभिप्राय है?
अथवा
विद्युत् धारा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
विद्युत् धारा (Electric Current)-जब दो बिंदु जो कि भिन्न-भिन्न विभव (पुटैंशल) पर हों, एक तांबे की तार द्वारा जोड़ दिया जाए तो आवेश उच्च विभव (पुटैंशल) से निम्न विभव (पुटैंशल) वाले बिंदु की ओर बहना शुरू कर देता है। यह क्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि दोनों बिंदुओं का विभव (पुटैंशल) बराबर नहीं हो जाता। यदि दोनों बिंदुओं में विभवांतर (पुटैंशल अंतर) कायम रहे तो आवेश का बहना जारी रहता है। इस तरह आवेश के निरंतर प्रवाह को विद्युत् धारा कहते हैं।

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प्रश्न 12.
विद्युत् धारा किस प्रकार ऊष्मा उत्पन्न करती है?
उत्तर-
किसी धात्विक चालक में बहुत बड़ी संख्या में मुक्त इलैक्ट्रॉन यादृच्छिक गति करते हैं। जब चालक को विद्युत् स्रोत से जोड़ा जाता है, तो मुक्त इलैक्ट्रॉन उच्च विभव से निम्न विभव की ओर प्रवाहित होते हैं, जिससे इलैक्ट्रॉन चालक के परमाणुओं से टकराते हैं। इस टक्कर के कारण मुक्त इलैक्ट्रॉनों की गति ऊर्जा चालक के परमाणुओं में स्थानांतरित हो जाती है। परमाणुओं की गतिज ऊर्जा बढ़ती है और इस कारण चालक के ताप में वृद्धि हो जाती है और ऊष्मा उत्पन्न होती है।

प्रश्न 13.
किसी चालक में प्रवाहित विद्युत् धारा से उत्पन्न उष्मा का संबंध (सूत्र ) स्थापित करो।
उत्तर-
विद्युत् के ऊष्मीय प्रभाव का सूत्र-जब किसी चालक में से विद्युत् धारा गुजारी जाती है तो वह गर्म हो जाता है। सबसे पहले जूल नामक वैज्ञानिक ने हमें यह बताया था। इसलिए इसे जूल के ऊष्मीय प्रभाव का नियम कहते हैं।
क्योंकि चालक धारा के प्रवाह का प्रतिरोध करते हैं, इसलिए चालक में से लगातार विद्युत् धारा प्रवाहित करने के लिए कार्य करना पड़ता है। किसी R प्रतिरोध के चालक में 1 समय तक I विद्युत् धारा, V विभवांतर पर प्रवाहित हो रही है और 1 समय में I धारा Q आवेश के कारण हो तो
I = \(\frac{\mathrm{Q}}{t}\)
या Q = It
और Q आवेश पर V विभवांतर पर किया गया कार्य
W = QV
= (It) V (∴ Q = It)
= (It) v (∴ V= IR)
= I2Rt
यदि यह उत्सर्जित ऊष्मा H द्वारा प्रकट की जाए तो H (जूल में) = I2 Rt

प्रश्न 14.
चालक के प्रतिरोध की परिभाषा दो। इसकी मात्रक बताओ।
अथवा
किसी चालक के प्रतिरोध से क्या भाव है ? इसके मात्रक की परिभाषा दें।
उत्तर-
चालक का प्रतिरोध-किसी चालक के सिरों के बीच के विभवांतर और इसमें से प्रवाहित हो रही धारा की मात्रा के अनुपात को चालक का प्रतिरोध कहा जाता है। इसे R से प्रदर्शित किया जाता है। यदि चालक के सिरों के बीच का विभवांतर V हो और इसमें से गुज़र रही धारा की मात्रा l हो तो
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प्रतिरोध का मात्रक-S.I. पद्धति में प्रतिरोध का मात्रक ओम है।
ओम-किसी चालक का प्रतिरोध एक ओम होगा यदि उसके सिरों के बीच का विभवांतर एक वोल्ट हो और इसमें से गुजर रही विद्युत् धारा की मात्रा एक एम्पियर हो। अर्थात् यह एक धातु के घन का प्रतिरोध है जिसकी प्रत्येक भुजा 1 मीटर है और धारा इसके आमने-सामने सम्मुख फलकों के लंबवत् प्रवाहित हो रही है।

प्रश्न 15.
प्रतिरोधकता से क्या तात्पर्य है? इसका SI मात्रक लिख कर महत्त्व प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर-
प्रतिरोधकता-किसी चालक तार की इकाई लंबाई और इकाई अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल का प्रतिरोध उसकी प्रतिरोधकता कहलाती है। इसका SI मात्रक Ω-m है।
महत्त्व-

  • यह तापमान के साथ परिवर्तित होती है।
  • जिन पदार्थों की प्रतिरोधकता अधिक होती है, वे विद्युत् के न्यून/कम चालक होते हैं। उदाहरण-प्लास्टिक, रबड़, आदि।
  • जिन पदार्थों की प्रतिरोधकता कम होती है, वे विद्युत् के अच्छे चालक होते हैं। उदाहरण-धातु, मिश्रधातु, आदि।
  • किसी मिश्रधातु की प्रतिरोधकता इसकी घटक घातुओं से अधिक होती है।

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प्रश्न 16.
तापन युक्तियों में धातुओं और मिश्रधातुओं का उपयोग किस कारण किया जाता है ?
उत्तर-
उच्च प्रतिरोधकता के गुणों से संपन्न धातुओं और मिश्रधातुओं का उपयोग तापन युक्ति में किया जाता है क्योंकि

  • ये अधिक तापमान पर ऑक्सीकृत नहीं होते।
  • ये अधिक प्रतिरोध प्रदान करते हैं।
  • ये उच्च तापमान पर भी जल्दी जलते नहीं हैं।

प्रश्न 17.
विद्युत् परिपथ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
विद्युत् परिपथ- यह एक बंद पथ होता है जिसमें इलैक्ट्रॉन (आवेश) बहुत तीव्रता से प्रवाहित होते हैं। जब किसी चालक को बैटरी के साथ जोड़ा जाता है तो इलैक्ट्रॉन बैटरी के ऋण टर्मिनल से धन टर्मिनल की ओर प्रवाहित होते हैं। परंतु धारा (I) की पारंपरिक दिशा इलैक्ट्रॉनों के वहन की दिशा से विपरीत ली जाती है।

प्रश्न 18.
विद्युत् धारा क्या है ? इसके मात्रक बताओ।
अथवा
विद्युत् करंट क्या है ? इसकी SI प्रणाली में इकाई की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
विद्युत् धारा (Current)-यदि दो आवेशित वस्तुओं को परस्पर एक चालक से जोड़ा जाए तो इलैक्ट्रॉन (आवेश) एक वस्तु से दूसरी वस्तु की ओर प्रवाहित होते हैं। इलैक्ट्रॉनों के प्रवाह की दर को, विदवत धारा (I) कहा जाता है। दूसरे शब्दों में इकाई समय में प्रवाहित हो रहे आवेश को विद्युत् धारा कहा जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 11
∴ I = \(\frac{\mathrm{Q}}{t}\)
SI पद्धति में धारा का मात्रक एम्पियर (A) है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 12
जबकि 1 कूलॉम = \(\frac{1}{1.6 \times 10^{-19}}\) इलैक्ट्रॉन
= 6.25 x 1018 इलैक्ट्रॉन
एम्पियर (Ampere)-जब किसी चालक में से सेकंड में एक कूलॉम आवेश प्रवाहित किया जाता है तो धारा की मात्रा को एक एम्पियर कहा जाता है। धारा की छोटी मात्रक मिली-एम्पियर है।
1 मिली-एम्पियर = \(\frac{1}{1000}\) एमम्पियर
=10-3 एम्पियर

प्रश्न 19.
धारा मापने के लिए किस यंत्र का उपयोग किया जाता है ? परिपथ में इसे कैसे जोड़ा जाता है ?
उत्तर-
परिपथ में प्रवाहित धारा मापने के लिए एममीटर का उपयोग किया जाता है। यह परिपथ में सदा इस विधि से जोड़ा जाता है कि संपूर्ण | धारा इसमें से प्रवाहित हो अर्थात् श्रृंखला क्रम में जोड़ा जाता है। एममीटर का प्रतिरोध बहुत कम होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 13

प्रश्न 20.
विद्युत् ऊर्जा की इकाई की परिभाषा लिखो।
अथवा
एक वाट-घंटा की परिभाषा दें।
उत्तर-
विद्युत् ऊर्जा की इकाई जूल/वाट-सेकंड (वाट-घंटा) है।
वाट-घंटे की परिभाषा-विद्युत् ऊर्जा एक वाट-घंटा कहलाती है जब चालक में से एक एम्पियर धारा एक घंटे के लिए प्रवाहित होती है तथा जब इसके सिरों के बीच एक वोल्ट का विभवांतर होता है।
1 वाट-घंटा = 1 वाट x 1 घंटा
= 1 वोल्ट x एम्पियर x 1 घंटा
विद्युतीय ऊर्जा की वृहत् इकाई को किलोवाट-घंटा कहते हैं।
1 किलोवाट-घंटा = 1000 वाट-घंटा।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 21.
एक किलोवाट घंटे में कितने जूल होते हैं ?
अथवा
एक किलोवाट घंटा को परिभाषित करें।
उत्तर-
किलोवाट घंटा- यदि एक किलोवाट विद्युत् शक्ति को 1 घंटे तक प्रयोग किया जाये तो विद्युत्ऊर्जा एक किलोवाट घंटा (Kwh) होती है।
1 Kwh = 1 Kw x 1 घंटा
= 1000 वाट x 3600 सेकंड
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 14
1 किलोवाट घंटा (1 Kwh) = 36 x 105 जूल

प्रश्न 22.
क्या कारण है कि विद्युत् वाहक तारों में बहुत कम ताप उत्पन्न होता है, जबकि विद्युत् बल्ब के तंतु में उच्च ताप उत्पन्न होता है?
उत्तर-
विद्युत् बल्ब के तंतु का प्रतिरोध, विद्युत् वाहक तारों के प्रतिरोध की तुलना में बहुत अधिक होता है; अतः समान विद्युत् धारा प्रवाहित करने पर बल्ब के तंतु में उच्च ताप उत्पन्न होता है, परंतु विद्युत् वाहक तारों में नहीं।

प्रश्न 23.
निम्नलिखित के कारण स्पष्ट कीजिए
(i) यदि आप अमीटर को समांतर-क्रम में जोड़ देते हैं तो अमीटर क्यों जल जाता है?
(ii) एक निश्चित ताप से नीचे कुछ पदार्थों की प्रतिरोधकता घटकर एकदम शून्य क्यों हो जाती है?
उत्तर-
(i) अमीटर के जलने का कारण-परिपथ की अन्य युक्तियों की तुलना में अमीटर का प्रतिरोध नगण्य होता है। जब अमीटर को परिपथ के समांतर-क्रम में जोड़ा जाता है तो परिपथ का कुल विभवांतर अमीटर के सिरों के बीच भी कार्य करता है, जिससे अमीटर में उच्च धारा प्रवाहित होती है और उसमें बहुत अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है और अमीटर जल जाता है।
(ii) जब किसी चालक पदार्थ का ताप क्रांतिक ताप से कम हो जाता है तो पदार्थ अतिचालक में बदल जाता है, जिससे उसका प्रतिरोध घटकर एकदम शून्य हो जाता है।

प्रश्न 24.
विद्युत् उपकरणों के पार्यक्रम जोड़ने के क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
पार्यक्रम जोड़ने के लाभ

  • प्रतिरोधों को पार्यक्रम जोड़ने से किसी भी चालक में स्विच की सहायता से विद्युत् धारा स्वतंत्रतापूर्वक भेजी अथवा रोकी जा सकती है।
  • ऐसा करने से सभी समानांतर शाखाओं के सिरों के बीच का विभवांतर बराबर होता है। इसलिए लैंप, बिजली की रेफ्रीजरेटर, रेडियो तथा टेलीविज़न आदि को एक ही विभव पर प्रचलन के योग्य बनाया जा सकता है।

प्रश्न 25.
प्रतिरोध पर क्या प्रभाव पड़ता है, यदि (i) तार की लंबाई बढ़ा दी जाए। (ii) काट का क्षेत्रफल बढ़ा दिया जाए।
उत्तर-
(i) प्रतिरोध तार की लंबाई के सीधा समानुपाती होता है। इसलिए तार की लंबाई बढ़ाने पर प्रतिरोध अधिक हो जाता है।
(ii) मोटे तार का प्रतिरोध बारीक तार की अपेक्षा कम होता है। इसलिए यदि तार का क्षेत्रफल बढ़ा दिया जाए अर्थात् तार मोटी ली जाए तो प्रतिरोध कम हो जाता है।

प्रश्न 26.
संयोजक तारें ताँबे की क्यों बनाई जाती हैं? वे तारें मोटी क्यों होती हैं?
उत्तर-
तांबा विद्युत् का चाँदी के बाद अधिकतम सुचालक है। इसका प्रतिरोध कम होने के कारण इसमें से विद्युत् धारा सुगमता से प्रवाह कर सकती है। तारें मोटी रखी जाती हैं क्योंकि किसी तार का प्रतिरोध उसका मोटाई के विलोमानुपाती होता है। जो तार जितनी अधिक मोटी होगी उसका प्रतिरोध उतना ही कम होगा। इसके परिणामस्वरूप विद्युत् धारा अधिक क्षमता से प्रवाहित हो सकेगी।

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प्रश्न 27.
विद्युत चालक क्या होते हैं ? दो उदाहरण दो।
उत्तर-
विद्युत चालक-ऐसे पदार्थ जिनमें से विद्युत धारा का प्रवाह सुगम हो जाता है, विद्युत के चालक कहलाते हैं।
उदाहरण-

  • तांबा
  • एल्यूमीनियम,
  • अम्ल युक्त जल।

संख्यात्मक प्रश्न (Numerical Problems)

प्रश्न 1.
दो छोटे आवेशित गोलों पर 2 x 10-7 कूलॉम और 3 x 10-7 कूलॉम के आवेश हैं और यह वायु में 30 cm. की दूरी पर रखे गये हैं। इनके मध्य बल पता करो।
हल : यहाँ पहले गोले पर आवेशq1 = 2 x 10-7 कूलॉम
दूसरे गोले पर आवेश q2 = 3 x 10-7 कूलॉम
गोलों के बीच की दूरी d = 30 सेमी०
= \(\frac{30}{100} \)
= 0.30 m
माध्यम वायु के लिए K = 9 x 109

दोनों गोलों के मध्य विद्युतीय बल F= ?
कूलॉम के नियमानुसार, F = K x \(\frac{q_{1} \times q_{2}}{d_{2}}\)
= \(\frac{9 \times 10^{9} \times 2 \times 10^{-7} \times 3 \times 10^{-7}}{0.30 \times 0.30}\)
= \(\frac{9 \times 10^{9} \times 2 \times 3 \times 100 \times 100}{10^{7+7} \times 30 \times 30}\)
= \(\frac{9 \times 2 \times 3 \times 10^{13}}{10^{16} \times 9}\)
= \(\frac{6}{10^{3}}\) = 6 x 10-3 N उत्तर

प्रश्न 2.
एक चालक की लंबाई 3.0 m, परिक्षेत्रफल 0-02 mm2 और प्रतिरोध 2 ओम है। इसकी प्रतिरोधकता ज्ञात करो।
हल:
यहाँ चालक की लंबाई (l) = 3.0 m
चालक का परिक्षेत्रफल (a) = 0.02 mm2
= \(\frac{0.02}{10^{6}}\) m2
चालक का प्रतिरोध (R) = 2
ओम चालक की प्रतिरोधकता (ρ) = ?
हम जानते हैं, R = ρ × \(\frac{l}{a}\)
2 = ρ × \(\frac{3}{0.02 \times 10^{-6}}\)
∴ ρ = \( \frac{2 \times 0 \cdot 02 \times 10^{-6}}{3}\)
= \(\frac{2 \times 2}{3 \times 10^{2}} \times 10^{-6}\)
= \(\frac{2 \times 2}{3 \times 10^{2}} \times 10^{-6}\)
= \(\frac{4}{3} \times 10^{-8}\)
ρ = 1.33 x 10-8 ओम-मीटर उत्तर

प्रश्न 3.
30Ω, 50Ω और 80Ω के श्रेणीक्रम में जोड़े गए तीन प्रतिरोधों का तुल्य प्रतिरोध पता करो।
हल : यहाँ,
r1 = 30Ω
r2 = 50Ω
r3 = 80 Ω
अब क्योंकि तीनों प्रतिरोधों, r1, r2 तथा r3 को श्रेणीबद्ध किया गया है इसलिए उनका तुल्य प्रतिरोध (R) तीनों के जोड़ के बराबर है।
∴ R = r1+r2 +r3
= 30Ω + 50Ω + 80Ω
R = 160Ω उत्तर

प्रश्न 4.
40Ω, 60Ω और 90Ω के तीन प्रतिरोधों को समानांतर श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। इस संयोजन का तुल्य प्रतिरोध कितना है?
हल : यहाँ,
r1 = 40Ω
r2 = 60Ω
r3 = 90Ω
मान लो तीनों का तुल्य प्रतिरोध R है। क्योंकि तीनों प्रतिरोध समानांतर में संयोजित किये गए हैं,
∴ \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{1}{r_{1}}+\frac{1}{r_{2}}+\frac{1}{r_{3}}\)
= \(\frac{1}{40}+\frac{1}{60}+\frac{1}{90}\)
\(\frac{1}{R}=\frac{9+6+4}{360}\)
या \(\frac{1}{\mathrm{R}}=\frac{19}{360}\)
∴ R = \(\frac{360}{19}\) = 18.95 Ω उत्तर

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 5.
6Ω, 8Ω, और 10Ω के तीन प्रतिरोध श्रृंखलाबद्ध क्रम में जोड़े गए हैं। परिपथ का कुल प्रतिरोध ज्ञात करो।
हल-
दिया है, R1 = 6Ω , R2 = 8Ω , R3 = 10Ω मान लो परिपथ का कुल प्रतिरोध R है, तो शृंखलाबद्ध क्रम संयोजन का कुल प्रतिरोध, R=R1+ R2 + R3
= 6Ω + 8Ω + 10Ω
= 24Ω उत्तर

प्रश्न 6.
5Ω, 8Ω और 12Ω के तीन प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जोड़े गए हों तो विद्युत परिपथ का परिणामी प्रतिरोध पता करो।
हल-
दिया है, R1 = 5Ω ,R2 = 8Ω , R3= 12Ω मान लो परिपथ का परिणामी प्रतिरोध R है, तो शृंखलाक्रम संयोजित परिपथ का परिणामी प्रतिरोध
R = R1 + R2 + R3
= 5Ω + 8Ω + 12Ω
= 25Ω उत्तर

प्रश्न 7.
4Ω, 8Ω, 12Ω और 24Ω के प्रतिरोधों को किस क्रम में जोड़ा जाए कि अधिक से अधिक प्रतिरोध प्राप्त हो ? परिपथ का परिणामी प्रतिरोध भी ज्ञात करो।
उत्तर-
दिया है, R1 = 4Ω R2= 8Ω , R3 = 12Ω , R4 = 24Ω मान लो परिणामी प्रतिरोध R है।

यदि इन चारों प्रतिरोधों को श्रेणीबद्ध क्रम में संयोजित किया जाए तो अधिकतम परिणामी प्रतिरोध प्राप्त होगा। .:. परिणामी प्रतिरोध,
R = R1 + R2 + R3 + R4
= 4Ω + 8Ω + 12Ω + 24Ω
= 48Ω उत्तर

प्रश्न 8.
4Ω, 8Ω, 10Ω तथा 20Ω प्रतिरोध की चार कुंडलियों को संयोजित करने से (1) अधिकतम (2) निम्नतम प्रतिरोध कितना और किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है ?
हल:
(i) अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त करने हेतु संयोजन-इन चारों प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में रखा जाए तो अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त होगा।
Rs = R1 + R2 + R3+ R4
= 4Ω + 8Ω + 10Ω + 20Ω
= 42Ω उत्तर

(ii) न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त करने हेतु-यदि दिए गए चारों प्रतिरोधों को समानांतर (पार्श्व) क्रम में जोड़ा जाए तो कुल प्रतिरोध न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त होगा।
∴ \( \frac{1}{\mathrm{R}_{p}}=\frac{1}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{2}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{3}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{4}}\)
= \(\frac{1}{4}+\frac{1}{8}+\frac{1}{10}+\frac{1}{20}\)
= \(\frac{10+5+4+2}{40}\)
∴ = \(\frac{21}{40}[/katex] Ω
Rp = [latex]\frac{40}{21}\) Ωउत्तर

प्रश्न 9.
बिजली के पाँच बल्बों को, जिनमें से प्रत्येक का प्रतिरोध 400 ओम है, 220 V की आपूर्ति से जोड़ा जाता है।
(क) प्रत्येक लैंप की वोल्टेज
(ख) यदि बल्बों को प्रतिदिन 5 घंटे के लिए 30 दिनों तक जलाया जाये तो बिजली का बिल ज्ञात करो, यदि ऊर्जा की दर 3₹ प्रति यूनिट हो।
हल:
प्रत्येक बल्ब का प्रतिरोध 1 = 440 ओम
5 बल्ब समानांतर संयोजित किए गये हैं और उनका कुल प्रतिरोध (R) है।
∴ \(\frac{1}{R}=\frac{1}{440}+\frac{1}{440}+\frac{1}{440}+\frac{1}{440}+\frac{1}{440}\)
= \(\frac{1+1+1+1+1}{440}\)
⇒ R = \(\frac{440}{5}\)
∴ R = 88 ओम
विभवांतर V = 220 v

हम जानते हैं, P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{220 \times 220}{88}\)
= \(\frac{5 \times 220}{2}\)
= 550w

∴ प्रत्येक बल्ब की वोल्टेज = \(\frac{550}{5}\) `= 110 वाट
समय = 30×5 घंटे
= 150 घंटे

ऊर्जा की खपत = Pxt
= 550 वाट x 150 घंटे
= 82500 वाट-घंटे
= \(\frac{82500}{1000}\) किलोवाट-घंटे
= \(\frac{825}{10}\) यूनिट
आपूर्ति की दर = ₹ 3 रु प्रति यूनिट
∴बिजली के बिल की रकम = \(\frac{825}{10} \times 3\)
= ₹ 247.50 उत्तर

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 10.
दो तारों को समानांतर जोड़ने पर इनका प्रतिरोध 12 Ω और श्रेणी में जोड़ने पर प्रतिरोध 50Ω है। प्रत्येक प्रतिरोध का मूल्य पता करो।
हल : मान लो कि ये दो प्रतिरोध R1 और R2 हैं। जब इन्हें श्रेणीबद्ध किया जाता है तो कुल प्रतिरोध Rs = R1+ R2 = 50Ω ……………………………. (i)
समानांतर में श्रेणीबद्ध करने पर इनका समूचा प्रतिरोध RP = 12 Ω है।
RP = \(\frac{R_{1} R_{2}}{R_{1}+R_{2}}\) \(\left[\because \frac{1}{R_{p}}=\frac{1}{R_{1}}+\frac{1}{R_{2}}\right]\)
12 = \(\frac{\mathrm{R}_{1} \mathrm{R}_{2}}{50} \) \(\left[\frac{1}{\mathrm{R}_{\mathrm{p}}}=\frac{\mathrm{R}_{2}+\mathrm{R}_{1}}{\mathrm{R}_{1}+\mathrm{R}_{2}}\right]\)
या R1R2 = 12 × 50 = 600
∴ R2 = \(\frac{600}{R_{1}}\) ………………………………. (ii)

(i) और (ii) से हम प्राप्त करते हैं : R+\(\frac{600}{R_{1}}\) = 50
या R12 – 50 R1 + 600 = 0
या R12 – 30 R1 + 600 = 0
या R1 (R1 – 30) – 20 (R1 – 30) = 0
या (R1 – 30) (R1 – 20) = 0
इसलिए
R1 – 30 = 0 या R1 – 20 = 0
∴ R1 = 30 Ω या R2 = 20 Ω
इसलिए एक प्रतिरोध R1 = 30 Ω और दूसरा प्रतिरोध R2 = 20 Ω
या हम R1 को 20 Ω और R2 को 30 Ω ले सकते हैं।

प्रश्न 11.
एक परिपथ A आकार का है जिसमें 1 ओम प्रति सैंटीमीटर के पाँच प्रतिरोध लगे हुए हैं। इसकी दो भुजाएं 20 सेमी० हैं और बीच में लंबाई 10 सेंमी० है जबकि शीर्ष कोण 60° है इसके प्रतिरोध को ज्ञात कीजिए।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 15
हल : प्रश्न में दिया गया रेखांकन वास्तव में ऐसा है
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 16
चित्र यहाँ DA और AE श्रेणीबद्ध हैं-
∴ DA और AE के जोड़े का तुल्य प्रतिरोध = 10 + 10 = 20Ω
यह DE के समानांतर है
∴ DAED का तुल्य प्रतिरोध
\(\frac{1}{r}=\frac{1}{10}+\frac{1}{20}\)
= \(\frac{2+1}{20}=\frac{3}{20}\)
r = \(\frac{20}{3}\) Ω

अब BD, DAED और EC क्रमबद्ध है
∴ B और C के बीच कुल प्रतिरोध = 10 + \(\frac{20}{3}\) + 10
= \(\frac{30+20+30}{3}\)
= \(\frac{80}{3}\)
= 26.67Ω उत्तर

प्रश्न 12.
एक बल्ब 200 V तथा 100 W का है। इसका प्रतिरोध क्या होगा? यह बल्ब 4 घंटे जलता है। इसने कितनी विद्युत् ऊर्जा का प्रयोग किया? इसका ₹ 2.50 प्रति यूनिट की दर से खर्च बताओ।
हल:
P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\)
या R = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{P}}\)
= \(\frac{(200)^{2}}{100}\)
= \(\frac{200 \times 200}{100}\)
= 400 Ω

प्रयुक्त ऊर्जा = \(\frac{100 \times 4}{1000}\)
= \(\frac{400}{1000}\)
= 0.4kWh
कुल खर्च = 0.4 x 2.50 = ₹1

प्रश्न 13.
200 V के स्रोत को चार 40 w, 220 V के बल्बों को श्रेणी क्रम में जोड़ने पर प्रत्येक से प्रवाहित धारा का मान ज्ञात कीजिए। यदि एक बल्ब फ्यूज हो जाए तो 220 V स्रोत से प्रवाहित हो रही धारा पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
हल :
40 वाट के बल्बों का प्रतिरोध = \(\frac{(220)^{2}}{40}\)
श्रेणी क्रम में संयोजित किए गए 40 वाट के चार बल्बों का प्रतिरोध = \(\frac{4 \times(220)^{2}}{40}\)
= \(\frac{4 \times 220 \times 220}{40}\)
= 4840Ω
प्रवाहित धारा I = \(\frac{220}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{220}{4840}\) = 0.045 उत्तर
एक बल्ब के फ्यूज होने से उसमें धारा का प्रवाह नहीं होगा। उत्तर

प्रश्न 14.
12 v विभवांतर के दो बिंदुओं के बीच 2 C आवेश को ले जाने में कितना कार्य किया जाता है?
हल : विभवांतर V(= 12 वोल्ट) के दो बिंदुओं के बीच प्रवाहित आवेश का परिणाम Q (= 2 कूलॉम) है। इसलिए आवेश को स्थानांतरित करने में किया गया कार्य है
W = V x Q
= 12 V x 2c
= 24 J. उत्तर

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 15.
एक विद्युत् लैंप, जिसका प्रतिरोध 20Ω है तथा एक 4Ω प्रतिरोध का चालक एक 6 V की बैटरी से चित्र के अनुसार जुड़े हैं। परिकलित कीजिए-(a) परिपथ का कुल प्रतिरोध, (b) परिपथ में प्रवाहित धारा।
हल : दिया है : लैंप का प्रतिरोध R1 = 20Ω
तथा चालक का प्रतिरोध R1 = 4Ω
बैटरी का विभवांतर V = 6 V
(a) ∵ दोनों प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुड़े हैं,
∴ परिपथ का कुल प्रतिरोध R = R1 + R2
= 20 Ω + 4Ω
= 24Ω
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 17

(b) ∵ परिपथ में लगा कुल विभवांतर V = 6 V
कुल प्रतिरोध R = 24 Ω
∴ परिपथ में प्रवाहित धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{6 \mathrm{~V}}{24 \Omega}\)
= 0.25 A उत्तर

प्रश्न 16.
एक 42 के प्रतिरोधक में 100 J ऊष्मा प्रति सेकंड की दर से उत्पन्न हो रही है। प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर ज्ञात कीजिए।
हल : दिया है : उष्मा H = 100J, समय t = 1s, प्रतिरोध R = 4Ω
सूत्र H = I2Rt से,
प्रतिरोधक में विद्युत् धारा
I = \(\sqrt{\frac{\mathrm{H}}{\mathrm{R} t}}\)
= \(\sqrt{\frac{100 \mathrm{~J}}{4 \Omega \times 1 s}}\)
= 5A
परंतु सूत्र V = Ix R से,
∴ प्रतिरोधक के सिरों के मध्य विभवांतर, V = 5A x 4Ω
= 20 V उत्तर

प्रश्न 17.
संलग्न चित्र में R1 = 10 Ω, R2 = 40 Ω, R3 = 30Ω, R4 = 20 Ω तथा R5 = 60 Ω हैं तथा 12 v की एक बैटरी इस संयोजन से जुड़ी है। परिकलित कीजिए-
(a) परिपथ का कुल प्रतिरोध तथा
(b) परिपथ में प्रवाहित धारा।
हल:
(a) माना कि प्रतिरोधकों R1 व R2 के समानांतर संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R है, तब
\(\frac{1}{\mathrm{R}^{\prime}}=\frac{1}{\mathrm{R}_{1}}+\frac{1}{\mathrm{R}_{2}}\)
= \(\frac{1}{10}+\frac{1}{40}\)
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 18

(b) \(\frac{1}{\mathrm{R}^{\prime}}=\frac{4+1}{40}\)
= \(\frac{5}{40}\)
= \(\frac{1}{8}\)
∴ R’ = 8Ω
अब R3, R4 तथा R5 समानांतर क्रम में हैं यदि R’ इस संयोजन का तुल्य प्रतिरोध है तो
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 19
स्पष्ट है R’ तथा R” दोनों श्रेणी क्रम में संयोजित हैं जिसका कुल प्रतिरोध R है तो
R = R’ + R”
= 8Ω + 10Ω
= 18Ω

(b) विभवांतर V = 12V
परिपथ का कुल प्रतिरोध R = 18 Ω
∴ परिपथ में प्रवाहित धारा I = \(\frac{\mathrm{V}}{\mathrm{R}}\)
= \(\frac{12 \mathrm{~V}}{18 \Omega}\)
= 0.67 A

प्रश्न 18.
जब एक विद्युत् हीटर किसी स्रोत से 4A की धारा लेता है तो इसके सिरों के बीच 60 V का
हल : प्रथम दशा में,
दिया है : विद्युत् हीटर द्वारा ली गई धारा I1 = 4 A
तथा विद्युत् हीटर के सिरों का विभवांतर V1 = 60 V
विद्युत् हीटर की कुंडली का प्रतिरोध R = \(\frac{\mathrm{V}_{1}}{\mathrm{I}_{1}}\)
= \(\frac{60 \mathrm{~V}}{4 \mathrm{~A}}\)
= 15Ω

ओम के नियम के अनुसार कुंडली का प्रतिरोध नियत रहेगा।
दूसरी दशा में, विभवांतर V2 = 120 V
तब ली गई धारा I2 = ?
∴ दूसरी दशा से, R = \(\frac{\mathrm{V}_{2}}{\mathrm{I}_{2}}\)
∴ विद्युत् हीटर द्वारा ली गई धारा I2 = \(\frac{V_{2}}{R}\)
= \(\frac{120 \mathrm{~V}}{15 \Omega}\)
= 8 A उत्तर

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी बिंदु पर विद्युत् विभव क्या होता है?
उत्तर-
इकाई आवेश को अनंत से किसी बिंदु तक लाने में किए गए कार्य को उस बिंदु पर विद्युत् विभव कहते हैं।
W = QV
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 21

विभव को वोल्ट में मापते हैं।

प्रश्न 2.
विद्युत् चुंबक की ध्रुवता में परिवर्तन किस प्रकार किया जा सकता है?
उत्तर-
विद्युत् चुंबक की ध्रुवता में परिवर्तन विद्युत् धारा की दिशा बदल कर किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
कौन-से आवेश परस्पर आकर्षण करते हैं तथा कौन-से प्रतिकर्षण?
उत्तर-
समान आवेश परस्पर प्रतिकर्षण करते हैं तथा विजातीय (असमान) आवेश परस्पर आकर्षित करते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 4.
किसी चालक का प्रतिरोध किन-किन बातों पर निर्भर करता है?
उत्तर-
चालक का प्रतिरोध निर्भर करता है

  • लंबाई के समानुपाती।
  • क्षेत्रफल के विलोमानुपाती।

प्रश्न 5.
किसका प्रतिरोध कम है : 100 W के बल्ब का या 60 W बल्ब का?
उत्तर-
P = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}}\)
क्योंकि
P ∝ \(\frac{1}{R}\)
∴ अधिक शक्ति वाले बल्ब का प्रतिरोध कम होगा।
इसलिए 100 W वाले बल्ब का प्रतिरोध कम होगा।

प्रश्न 6.
यदि तार की लंबाई दुगुनी तथा क्षेत्रफल आधा कर दिया जाए तो प्रतिरोध पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर
R1 = ρ \(\frac{l_{1}}{\mathrm{~A}_{1}}\)
R2 = \(\frac{\rho_{2} l_{2}}{\mathrm{~A}_{2}}\)
= \(\frac{\rho \times 2 l_{1}}{\mathrm{~A}_{1} / 2}\)
= \(\frac{2 \times 2 \times \rho \times l_{1}}{A}\)
= 4R1
∴ प्रतिरोध चार गुना हो जाएगा।

प्रश्न 7.
विद्युत् विभव की इकाई क्या है ?
उत्तर-
वोल्ट।

प्रश्न 8.
प्रतिरोध का मात्रक क्या है?
उत्तर-
ओम।

प्रश्न 9.
विद्युत् शक्ति की इकाई क्या है?
उत्तर-
वाट।

प्रश्न 10.
आपको 40 W और 100 W के दो बल्ब A और B दिए गए हैं। किस बल्ब के तंतु का प्रतिरोध अधिक होगा?
उत्तर-
100 W बल्ब का।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 11.
एक किलोवाट घंटा में कितने जूल होते हैं?
उत्तर-
1 किलोवाट घंटा (kwh) = 3.6 x 106 जूल।

प्रश्न 12.
हमारे घरों में विद्युत् आपूर्ति की वोल्टता कितनी है?
उत्तर-
220 V – 230 VI

प्रश्न 13.
ओम का नियम लिखिए तथा इसे गणितीय रूप में प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर-
ओम का नियम-किसी चालक से प्रवाहित होने वाली विद्युत् धारा (I) उसके सिरों के विभवांतर (V) के समानुपाती होती है।
गणितीय रूप में, V ∝ I अथवा \(\frac{V}{I}\) = R (चालक के लिए नियतांक)

प्रश्न 14. चाँदी की प्रतिरोधकता 1.6 x 10-82m है। इस कथन का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
इस कथन का यह अर्थ है कि चाँदी 1m लंबे तथा 1m2 अनुप्रस्थ क्षेत्रफल वाले तार का प्रतिरोध 1.6 x 10-8Ω होगा।

प्रश्न 15.
अमीटर को किसी परिपथ में कैसे जोड़ा जाता है ?
उत्तर-
जिस विद्युत् परिपथ के अवयव से प्रवाहित होने वाली धारा का मापन होता है, अमीटर को उस अवयव के साथ श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है।

प्रश्न 16.
किसी का प्रतिरोध अधिक होगा-50 W के लैंप का अथवा 25 W के लैंप का और कितने गुना होगा?
उत्तर-
माना कि लैंपों के प्रतिरोध R1 व R2 हैं तथा लगाया गया विभवांतर V है, तो
P1 =50 = \(\frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}_{1}}\) , तथा P2 = 25 = \( \frac{\mathrm{V}^{2}}{\mathrm{R}_{2}}\)
∴ \(\frac{P_{1}}{P_{2}}=\frac{50}{25}=\frac{V^{2}}{R_{1}} \times \frac{R_{2}}{V^{2}}\)
⇒ 2 = \(\frac{\mathrm{R}_{2}}{\mathrm{R}_{1}}\)
⇒ R2 = 2R1

प्रश्न 17.
किसी विद्युत् परिपथ में कुंजी या स्विच (Plug) के चिह्न बताओ जब परिपथ (i) खुला हो (ii) बंद हो।
उत्तर-

  • खुले परिपथ में कुंजी या स्विच-()
  • बंद परिपथ में कुंजी या स्विच -( . )

प्रश्न 18.
दो विद्युत् सुचालकों के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. कॉपर
  2. एल्यूमिनियम।

प्रश्न 19.
विद्युत् ऊर्जा की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
विद्युत् ऊर्जा-किसी निश्चित समय में धारा द्वारा किए गए कार्य को विद्युत् ऊर्जा कहते हैं।

प्रश्न 20.
विद्युत् सर्कट में वोल्ट मीटर को कैसे जोड़ा जाता है?
उत्तर-
समानांतर क्रम में।

प्रश्न 21.
धारा की इकाई बतायें।
उत्तर-
एम्पीयर।

प्रश्न 22.
विद्युत् शक्ति का बड़ा मात्रक क्या है?
उत्तर–
किलोवाट (Kw)।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 23.
धातुओं में विद्युत् धारा का प्रवाह किस परमाणु कण के कारण होता है ?
उत्तर-
इलैक्ट्रॉन।

प्रश्न 24.
एक इलैक्ट्रॉन पर कितने कूलॉम का आवेश होता है?
उत्तर-
1.6 x 10-19 C

प्रश्न 25.
एक कूलॉम आवेश कितने इलैक्ट्रानों के आवेश के तुल्य है?
उत्तर-
6.25 x 10-18 इलैक्ट्रॉनों के आवेश के तुल्य।

प्रश्न 26.
विद्युत् के सर्वश्रेष्ठ चालक का नाम बताइए।
उत्तर-
चाँदी।

प्रश्न 27.
ताँबे तथा लोहे में कौन-सी धातु विद्युत् की अच्छी चालक है?
उत्तर-
ताँबा।

प्रश्न 28.
विद्युत् बल्ब के तंतु किस धातु के बनाए जाते हैं ?
उत्तर-
टंगस्टन धातु के।

प्रश्न 29.
विद्युत् इस्तरी तथा टोस्टर के तंतु किस पदार्थ के बने होते हैं?
उत्तर-
नाइक्रोम मिश्रधातु के।

प्रश्न 30.
विद्युत् धारा का S.I. मात्रक बताइए।
उत्तर-
ऐम्पियर।

प्रश्न 31.
विद्युत् प्रतिरोध S.I. मात्रक क्या है ?
उत्तर-
ओम।

प्रश्न 32.
किसी पदार्थ की प्रतिरोधकता का S.I. मात्रक लिखिए।
उत्तर-
ओम-मीटर (Ω-m)

प्रश्न 33.
विद्युत् आवेश के S.I. मात्रक का नाम लिखिए।
उत्तर-
कूलॉम।

प्रश्न 34.
प्रतिरोध के श्रेणी संयोजन तथा समांतर संयोजन में किसका प्रतिरोध अधिकतम होता है तथा किसका न्यूनतम?
उत्तर-
श्रेणी संयोजन का अधिकतम तथा समांतर संयोजन का न्यूनतम प्रतिरोध होता है।

प्रश्न 35.
विद्युत् ऊर्जा की व्यापारिक इकाई क्या है?
उत्तर-
किलो वाट घंटा (kWh)।

प्रश्न 36.
1 kWh कितने जूल के बराबर होता है ?
उत्तर-
lkWh = 3.6 x 106 जूल।

प्रश्न 37.
घरों में विद्युत् उपकरण किस व्यवस्था में जुड़े होते हैं?
उत्तर-
समांतर संयोजन व्यवस्था में।

प्रश्न 38.
दिष्ट धारा के एक स्रोत का नाम लिखिए।
उत्तर-
विद्युत् सेल अथवा बैटरी।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 39.
विद्युत् सेल तथा बिना सन्धि के तार क्रासिंग के लिए संकेत लिखें।
उत्तर-
विद्युत् सेल का संकेत : PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 22
बिना सन्धि के तार क्रासिंग का संकेत : PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 23

प्रश्न 40.
(i) प्रतिरोध और
(ii) ऐम्मीटर के लिए संकेत लिखें।
उत्तर-
(i) प्रतिरोध का संकेत :PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 24
(ii) ऐम्मीटर का संकेत : PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 25

प्रश्न 41.
विद्युत् के लिए बैटरी या सेलों के संयोजन और तार सन्धि के संकेत लिखो।
उत्तर-
(i) बैटरी या सेलों के संयोजन का संकेत : PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 26
(ii) तार सन्धि के लिए संकेत : PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 27

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
V∝ I का नियम प्रतिपादित किया है
(a) फैराडे ने
(b) वाट ने
(c) ओम ने।
(d) कूलॉम ने।
उत्तर-
(c) ओम ने।

प्रश्न 2.
विभव का मात्रक है
(a) ऐम्पीयर
(b) वोल्ट।
(c) ओह्म
(d) वाट।
उत्तर-
(b) वोल्ट।

प्रश्न 3.
विद्युत शक्ति का मात्रक है
(a) ऐम्पीयर
(b) वोल्ट
(c) ओह्म
(d) वाट।
उत्तर-
(d) वाट।

प्रश्न 4. \(\frac{1}{3}\) Ω के तीन प्रतिरोधकों को किसी भी प्रकार जोड़कर कितना अधिकतम प्रतिरोध प्राप्त कर सकते हैं ?
(a) \(\frac{1}{3}\) Ω
(b) 1Ω
(c) \(\frac{1}{9}\) Ω
(d) 3Ω.
उत्तर-
(b) 1Ω.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 5.
फ्यूज को युक्ति के साथ कौन-से क्रम में जोड़ा जाता है ?
(a) समांतर
(b) श्रेणी
(c) समांतर तथा श्रेणी दोनों में जोड़ा जा सकता है
(d) उपरोक्त कोई नहीं।
उत्तर-
(b) श्रेणी।

प्रश्न 6.
विद्युत् आवेश का SI मात्रक है
(a) वाट
(b) किलोवाट
(c) कूलॉम
(d) ऐम्पीयर।
उत्तर-
(c) कूलॉम।

प्रश्न 7.
विद्युत् धारा को किस मात्रक के द्वारा व्यक्त किया जाता है ?
(a) कूलॉम
(b) ऐम्पीयर
(c) वाट
(d) किलोवाट।
उत्तर-
(b) ऐम्पीयर।

प्रश्न 8.
परिपथों की विद्युत धारा को किससे मापा जा सकता है ?
(a) ऐमीटर
(b) वोल्टमीटर
(c) गैल्वेनोमीटर
(d) विद्युत् मीटर।
उत्तर-
(a) ऐमीटर।

प्रश्न 9.
ऐमीटर को परिपथ में सदा कैसे संयोजित किया जाता है ?
(a) श्रेणी क्रम में
(b) पार्श्व क्रम में
(c) श्रेणी तथा समांतर क्रम दोनों में
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) श्रेणी क्रम में।

प्रश्न 10. विभवांतर को किस यंत्र से मापा जाता है ?
(a) ऐमीटर
(b) वोल्टमीटर
(c) गैल्वेनोमीटर
(d) विद्युत मीटर।
उत्तर-
(b) वोल्टमीटर।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) समानांतर क्रम में संयोजित प्रत्येक प्रतिरोधों में प्रवाहित विद्युत धारा …………………….. होगी।
उत्तर-
अलग-अलग

(ii) ओम के नियम अनुसार किसी चालक तार के लिए V तथा I के मध्य संबंध ……………………….. है।
उत्तर-
R

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(iii) किसी विद्युत परिपथ में विभवांतर का मापन …………………………. द्वारा किया जाता है।
उत्तर-
वोल्ट मीटर

(iv) एक किलोवाट घंटा (kwh) ………………………. का मात्रक है।
उत्तर-
विद्युत ऊर्जा

(v) किसी विद्युत परिपथ में विद्युत धारा को मापने वाला यंत्र ……………………… है।
उत्तर-
एमीटर।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
एक पूर्णांकित चित्र की सहायता से मनुष्य की आँख की बनावट और कार्यविधि की व्याख्या करो।
उत्तर-
आँख की रचना-सिर की खोपड़ी के आगे के भाग में दो कटोरियां-सी होती हैं जिनमें एक-एक गोलाकार आँख होती है। मनुष्य की आँख लगभग 2.5 सेमी० व्यास का गोला है। इसके निम्नलिखित प्रमुख भाग हैं-
दृढ़ीकृत स्कलेरॉटिक (Sclerotic)-यह आँख की सबसे बाहरी कठोर परत होती है इसलिए आँख को चोट आदि से बचाती है।

कार्निया (Cornea)-आँख के सामने का थोड़ा-सा भाग पारदर्शी तथा शेष भाग अपारदर्शी होता है। आँख के उभरे हुए पारदर्शी भाग को कार्निया (Cornea) कहते हैं।

कोरायड (Choroid)-यह आँख की स्कलेरॉटिक के नीचे आने वाली दूसरी परत है। यह अपारदर्शी तथा कठोर होती है। यह परत अंदर से काली होती है ताकि आने वाला प्रकाश न बिखरे।

आइरिस (Iris)-कोरायड के अगले भाग में एक पर्दा होता है, जिसे परितारिका या आइरिस (Iris) कहते हैं। आइरिस का रंग भूरा या काला होता है। आइरिस से ठीक मध्य में एक छिद्र होता है जिसे पुतली (Pupil) कहते हैं। पुतली का आकार कम या ज्यादा हो सकता है। अधिक प्रकाश में पुतली छोटी हो जाती है ताकि कम प्रकाश ही आँख के भीतर जाए।

आँखों का लैंस (Eyes Lens)-आँख का लेंस एक उभयोत्तल लैंस (Double Convex Lens) होता है। इसकी सहायता से प्रकाश के अपवर्तन द्वारा रेटिना पर प्रतिबिंब बनता है।

पक्ष्माभ माँसपेशियां (Ciliary Muscles)-पक्ष्माभ माँसपेशियां आँख के लैंस को जकड़कर रखती हैं। ये इस लैंस की फोकस दूरी परिवर्तित करने में सहायता करती हैं।

पुतली (Pupil) आइरिस के केंद्र में एक छिद्र होता है जिसमें से प्रकाश निकलकर लेंस पर रेटिना पड़ता है। इस छिद्र को पुतली कहा जाता है।

नेत्रोद या ऐक्विअस हमर (Aqueous पीत बिंदु Humour) कॉर्निया और आँख के लैंस का मध्य कार्निया अंध बिंदु भाग एक पारदर्शी द्रव से भरा होता है, जिसे ऐक्विअस ह्यमर कहते हैं।

काचाभ द्रव या विट्रियस ह्यूमर (Vitreous Humour)-आँख के लैंस और रेटिना के मध्य का मांसपेशी भाग जैली जैसे पारदर्शी द्रव से भरा होता है, जिसे विट्रियस ह्यूमर कहते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार 1

रेटिना या दृष्टिपटल (Retina)-आँख की तीसरी परत रेटिना कहलाती है। यह आँख में पर्दे का कार्य करती है जिस पर वस्तुओं के प्रतिबिंब बनते हैं। रेटिना में प्रकाश संवेदनशील कोशिकाएं होती हैं जो दृक् तंत्रिका । (Optic Nerve) से जुड़ी होती हैं।

दृक् तंत्रिका (Optic Nerve)-इसके द्वारा सूचना मस्तिष्क तक पहुंचाई जाती है। (xii) मुख्य अक्ष (Principal Axis)-काल्पनिक रेखा ry आँख के प्रकाशीय तंत्र का मुख्य अक्ष है।

अंध बिंदु (Blind Spot)-आँख का वह भाग, जिसमें दृक् तंत्रिका है, प्रकाश के प्रति बिलकुल भी संवेदनशील नहीं होती और इसे अंध-बिंदु कहा जाता है। यदि किसी वस्तु का प्रतिबिंब अंध-बिंदु पर बने तो यह दिखाई नहीं देता।

पीत बिंदु (Yellow Spot) रेटिना का केंद्रीय भाग, जो आँख के दृक् अक्ष पर होता है, प्रकाश के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होता है उसे पीत बिंदु कहा जाता है।

आँख की पलकें (Eve lids) – आँख की पलकें आँख पर पड़ रहे प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करती हैं ! ये आँख की धूल आदि से भी रक्षा करती हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार

प्रश्न 2.
मनुष्य की आँख के दोष कौन-कौन से हैं ? ये कैसे दूर किये जा सकते हैं ? चित्रों द्वारा स्पष्ट करें।
अथवा
मानव आँख के कौन-कौन से दोष हैं ? इन्हें कैसे दूर किया जाता है ? चित्रों की सहायता से समझाओ।
उत्तर-
मनुष्य की आँख के दोष- एक सामान्य स्वस्थ आँख अपनी फोकस दूरी को इस प्रकार संयोजित करती है कि पास तथा दूर पड़ी सभी वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना (Retina) पर बन जाए परंतु कभी-कभी आँख की इस संयोजन शक्ति में कमी आ जाती है जिससे प्रतिबिंब दृष्टिपटल पर ठीक से नहीं बनता है। इससे दीर्घ दृष्टि (Long Sightedness) तथा निकट दृष्टि (Short Sightedness) के दोष हो जाते हैं। इनके अतिरिक्त प्रेस्बायोपिया, रंगांधता और एस्टग्माटिज्म रोग भी बहुत सामान्य है।
1. दीर्घ-दृष्टि दोष (Long Sightedness or Hypermotropia)-इस दोष से ग्रसित व्यक्ति को दूर स्थित वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु समीप पड़ी हुई वस्तुएं स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। इसका कारण यह है कि समीप स्थित वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार 2
दीर्घ-दृष्टि दोष के कारण –

  • नेत्र गोलक (Eyeball) का छोटा होना।
  • आँख के क्रिस्टलीय लैंस की फोकस दूरी का अधिक हो जाना।

दीर्घ-दृष्टि दोष को दूर करना-इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लैंस (Convex Lens) का प्रयोग किया जाता है। इस लैंस के प्रयोग से निकट बिंदु से आने वाली प्रकाश किरणें किसी दूर के बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं तथा समीप पड़ी वस्तुएं स्पष्ट दिखाई देने लगती हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार 3

2. निकट-दृष्टि दोष (Short Sightedness or Myopia)-इस दोष वाली आँख के पास की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु दूर स्थित वस्तुएं ठीक दिखाई नहीं देती या धुंधली दिखाई देती हैं। इसका अभिप्राय यह है कि दूर बिंदु अनंत की तुलना में कम दूरी पर आ जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार 4

निकट-दृष्टि दोष के कारण-इस दोष के उत्पन्न होने के कारण –

  • क्रिस्टलीय लेंस की फोकस दूरी का कम हो जाना।
  • नेत्र गोलक (Eyeball) का लंबा हो जाना अर्थात् रेटिना तथा लैंस के बीच की दूरी बढ़ जाना होता है।

निकट दृष्टि दोष को दूर करना- इस दोष को दूर करने के लिए अवतल लैंस (Concave Lens) का प्रयोग करना पड़ता है जिसकी फोकस दूरी आँख के दूर बिंदु के समान होती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार 5

3. रंगांधता (Colour Blindness)-यह एक ऐसा रोग है जो जैविक कारणों से होता है। यह वंशानुगत होता है। इस रोग में रोगी विशेष रंगों की पहचान नहीं कर पाता क्योंकि उसकी आँखों में रेटिना पर शंकु (cone) जैसी संरचनाएं अपर्याप्त होती हैं। आँखों में लाल, नीले और हरे रंग को पहचानने वाली कोशिकाएं होती हैं। रंगान्ध व्यक्ति की आँख में कम शंक्वाकार रचनाओं के कारण वह विशेष रंगों को नहीं पहचान पाता। इस रोग का कोई उपचार नहीं है। ऐसा व्यक्ति प्रत्येक वस्तु ठीक प्रकार से देख सकता है पर कुछ रंगों की पहचान नहीं कर पाता।

4. प्रेस्बायोपिया (Presbyopia)- यह रोग आयु से संबंधित है। लगभग सभी व्यक्तियों को यह रोग 40 वर्ष की आयु के बाद हो जाता है। आँख के लैंस की लचक आयु के साथ कम हो जाती है। सिलियरी माँसपेशियाँ आँख के लैंस की फोकस दूरी को परिवर्तित नहीं कर पाती जिस कारण निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती। निकट दृष्टि और दूर-दृष्टि के मिले-जुले इस रोग को दूर करने के लिए उत्तल और अवतल लैंस से युक्त दो चश्मों या बाइफोकल चश्मे में दोनों लैंसों के साथ-साथ प्रयोग से इसे सुधारा जा सकता है।

5. एस्टेग्माटिज्म (Astigmatism)-एस्टेग्माटिज्म से ग्रस्त व्यक्ति एक साथ अपनी दोनों आँखों को फोकस नहीं कर पाता। यह रोग कॉर्निया के पूर्ण रूप से गोलाकार न होने के कारण होता है। विभिन्न दिशाओं में वक्रता भिन्न होती है। व्यक्ति लंबाकार दिशा में ठीक प्रकार से दृष्टि फोकस नहीं कर पाता। इस रोग को सिलेण्ड्रीकल लैंस लगे चश्मे से सुधारा जा सकता है।

प्रश्न 3.
प्रिज्म किसे कहते हैं ? चित्र खींचकर प्रिज्म द्वारा प्रकाश का विचलन समझाइए।
उत्तर-
प्रिज्म-किसी पारदर्शी माध्यम का वह भाग जो किसी कोण पर झुके हुए दो समतल पृष्ठों के बीच स्थित होता है, प्रिज्म कहलाता है। प्रिज्म के जिन पृष्ठों से अपवर्तन होता है उन पृष्ठों (सतहों) को अपवर्तक पृष्ठ (सतह) तथा इनके बीच के कोण को प्रिज्म कोण कहते हैं।
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प्रिज्म द्वारा प्रकाश का विचलन–मान लें PQR B काँच के एक प्रिज्म का मुख्य परिच्छेद है। मान लें एक प्रकाश किरण BC प्रिज्म के पृष्ठ PR के बिंदु C पर आपतित होती है। इस पृष्ठ पर अपवर्तन के पश्चात् यह प्रकाश किरण बिंदु C पर खींचे गए अभिलंब की ओर झुककर CD दिशा में चली जाती है। किरण CD दूसरे अपवर्तक पृष्ठ QR के बिंदु D पर आपतित होती है और अपवर्तन के पश्चात् बिंदु D पर खींचे गए अभिलंब से दूर हटकर DE दिशा में निर्गत हो जाती है; अत: प्रिज्म BC दिशा में आने वाली किरण को DE दिशा में विचलित कर देता है। इस प्रकार प्रिज्म, प्रकाश की दिशा में ‘कोणीय विचलन’ उत्पन्न कर देता है। आपतित किरण BC को आगे तथा निर्गत किरण DE को पीछे की तरफ बढ़ाने पर ये एक-दूसरे को बिंदु G पर काटती हैं। इन दोनों के बीच बना कोण FGD विचलन कोण कहलाता है। इसे (डेल्टा) से प्रदर्शित करते हैं।

विचलन कोण का मान प्रिज्म के पदार्थ के-

  • अपवर्तनांक तथा
  • आपतित किरण के आपतन कोण पर निर्भर करता है।

यदि प्रिज्म पर पड़ने वाली किरण के आपतन कोण i के मान को बढ़ाते जाएँ तो विचलन कोण δ का मान घटता जाता है तथा एक विशेष आपतन कोण के लिए विचलन कोण न्यूनतम हो जाता है। इस न्यूनतम विचलन कोण को अल्पतम विचलन कोण कहते हैं।
यदि किसी प्रिज्म का कोण A तथा किसी रंग की किरण के लिए अल्पतम विचलन कोण δm है तो

प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक µ = \(\frac{\sin \left(\frac{\mathrm{A}+\delta_{m}}{2}\right)}{\sin \frac{\mathrm{A}}{2}}\)

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार

प्रश्न 4.
प्रिज्म द्वारा सूर्य के प्रकाश के वर्ण-विक्षेपण से क्या तात्पर्य है ? आवश्यक चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए तथा वर्ण-विक्षेपण का कारण भी समझाइए।
अथवा
प्रकाश की एक किरण प्रिज्म से होकर गुजरती है और पर्दे पर स्पेक्ट्रम प्राप्त होता है –
(क) एक चित्र बनाइए जो श्वेत प्रकाश का स्पेक्ट्रम प्रदर्शित करता है।
(ख) स्पेक्ट्रम के सात रंगों का क्रम से नाम बताइए।
(ग) स्पेक्ट्रम के किस रंग का विचलन सबसे अधिक व किसका सबसे कम होता है ?
उत्तर-
वर्ण-विक्षेपण- श्वेत प्रकाश किरण का अपने अवयवी रंगों की प्रकाश किरणों में विभाजित होने की प्रक्रिया प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण कहलाता है।

(क) प्रिज्म द्वारा प्रकाश के वर्ण-विक्षेपण से प्राप्त स्पेक्ट्रम-जब सूर्य की श्वेत प्रकाश किरण किसी प्रिज्म में से गुजरती है तो वह अपवर्तन के कारण अपने मार्ग से परदा विचलित होकर प्रिज्म के आधार की ओर झुककर विभिन्न रंगों की किरणों में विभाजित हो जाती है। इस प्रकार से उत्पन्न हुए विभिन्न रंगों के समूह को स्पेक्ट्रम (Spectrum) कहते हैं। इस स्पेक्ट्रम का एक सिरा लाल तथा दूसरा सिरा बैंगनी होता है।
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(ख) सामान्यतः हमारी आँख को स्पेक्ट्रम के रंग सात समूहों के रूप में दिखाई पड़ते हैं। प्रिज्म के आधार की ओर से ये रंग बैंगनी (Violet), नीला (जम्बुकी नीला, Indigo), आसमानी (Blue), हरा (Green), पीला (Yellow), नारंगी (Orange) तथा लाल (Red) के क्रम में होते हैं। रंगों के इस क्रम को अंग्रेज़ी के शब्द VIBGYOR (विबग्योर) से आसानी से याद रखा जा सकता है।

(ग) जब श्वेत प्रकाश की किरण प्रिज्म में से गुज़रती है तो श्वेत प्रकाश में उपस्थित भिन्न-भिन्न रंगों की किरणों में प्रिज्म द्वारा उत्पन्न विचलन भिन्न-भिन्न होता है। लाल प्रकाश की किरण में विचलन सबसे कम तथा बैंगनी प्रकाश की किरण में विचलन सबसे अधिक होता है। अन्य रंगों की किरणों में विचलन लाल व बैंगनी किरणों के बीच में होता है। बैंगनी रंग की तरंगदैर्घ्य सबसे कम तथा लाल रंग की तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होती है।

प्रिज्म द्वारा प्रकाश के वर्ण-विक्षेपण का कारण-किसी पारदर्शी पदार्थ जैसे काँच का अपवर्तनांक प्रकाश के रंग पर निर्भर करता है। अपवर्तनांक लाल रंग के प्रकाश के लिए सबसे कम तथा बैंगनी रंग के प्रकाश के लिए सबसे अधिक होता है। जब कोई प्रकाश किरण काँच के प्रिज्म में से गुजरती है तो वह अपने पथ से विचलित होकर प्रिज्म के आधार की ओर झुक जाती है। चूंकि प्रकाश में उपस्थित भिन्न-भिन्न रंगों की किरणों में विचलन भिन्न-भिन्न होता है इसलिए लाल रंग के प्रकाश की किरण प्रिज्म के आधार की ओर सबसे कम तथा बैंगनी रंग के प्रकाश की किरण प्रिज्म के आधार की ओर सबसे अधिक झुकेगी।

इस प्रकार, श्वेत रंग के प्रकाश का प्रिज्म में से गुज़रने पर वर्णविक्षेपण हो जाता है। आयताकार स्लैब में श्वेत रंग के प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण नहीं होता, क्योंकि आयताकार स्लैब द्वारा प्रकाश किरणों का विचलन नहीं होता बल्कि पार्श्व विस्थापन होता है। स्लैब में आपतित किरण तथा निर्गत किरण परस्पर समांतर हो जाती हैं।

प्रश्न 5.
सूर्य का प्रकाश विभिन्न सात रंगों के प्रकाश का सम्मिश्रण है। प्रयोग द्वारा इस तथ्य की पुष्टि कैसे की जा सकती है ?
अथवा
सूर्य का श्वेत प्रकाश विभिन्न रंगों के प्रकाश का सम्मिश्रण है।” प्रिज्म की सहायता से आवश्यक किरण आरेख खींचकर कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
“सूर्य का प्रकाश विभिन्न सात रंगों का सम्मिश्रण है”-प्रिज्म द्वारा सूर्य के प्रकाश का स्पेक्ट्रम प्राप्त होने के निम्नलिखित दो संभव कारण हैं

  1. प्रिज्म अपने में से गुजरने वाले प्रकाश को स्वयं ही विभिन्न रंगों में विभक्त कर देता है।
  2. सूर्य का प्रकाश विभिन्न सात रंगों के प्रकाश से मिलकर बना है। प्रिज्म इन रंगों को विभक्त कर देता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार 8

वास्तव में, दूसरा कारण सत्य है। इस कारण को निम्नांकित प्रयोग द्वारा सत्यापित किया जा सकता है। श्वेत प्रकाश का अवयवी सात रंगों के सम्मिश्रण का सत्यापन-प्रिज्म 1 तथा 2 अंधेरे कमरे में रखें। इन दोनों के बीच में परदा रखें, जिसमें एक बहुत छोटा-सा छिद्र बना हुआ हो। एक बारीक छिद्र H द्वारा प्रिज्म 1 पर सूर्य का प्रकाश डालें। प्रिज्म 1 के दूसरी ओर रखे परदे पर स्पेक्ट्रम प्राप्त करते हैं। परदे के छिद्र द्वारा स्पेक्ट्रम के

किसी एक रंग जैसे हरे रंग के प्रकाश को प्रिज्म 2 पर डालते हैं तथा प्रिज्म 2 से निर्गत प्रकाश को देखते हैं। प्रिज्म 2 से नए रंग का प्रकाश प्राप्त नहीं होता है। इस प्रकार, परदे के छिद्र के द्वारा क्रमशः प्रत्येक रंग का प्रकाश प्रिज्म 2 पर डालने से प्रिज्म 2 से निर्गत प्रकाश उसी रंग का प्राप्त होता है, जिस रंग का प्रिज्म 2 पर डाला गया था। इससे निष्कर्ष निकलता है कि प्रिज्म प्रकाश को रंग नहीं देता है।

श्वेत प्रकाश श्वेत प्रकाश के स्पेक्ट्रम से श्वेत प्रकाश का पुनर्योजन-अब दूसरा सर्व सम प्रिज्म पहले प्रिज्म के सापेक्ष उल्टी स्थिति में रखो ताकि स्पेक्ट्रम के सभी वर्ण दूसरे प्रिज्म में से होकर गुज़रे। अब दूसरे प्रिज्म में से श्वेत प्रकाश का पुंज निर्गत हुआ। इससे सिद्ध हुआ कि कोई भी प्रकाश जो सूर्य के प्रकाश के समान स्पेक्ट्रम चित्र-श्वेत प्रकाश के स्पेक्ट्रम का पुनर्योजन बनाता है वह श्वेत प्रकाश है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार 9
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लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मनुष्य की आँख को ईश्वर के श्रेष्ठतम उपहारों में से एक क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
कहा जाता है कि आँख है तो संसार है। ईश्वर से प्राप्त आँखों द्वारा ही मनुष्य देख पाता है अर्थात् वह अलग-अलग वस्तुओं की ठीक प्रकार से पहचान कर पाता है, रंगों की पहचान कर सकता है, बिना छुए छोटे-बड़े में अंतर कर सकता है, पढ़-लिख सकता है और संसार के सभी आश्चर्यों को जान सकता है। इसीलिए आँखों को ईश्वर के श्रेष्ठतम उपहारों में से एक माना जाता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार

प्रश्न 2.
जब हम किसी अंधेरे कमरे में प्रविष्ट करते हैं तो हमें कुछ समय के लिए कुछ भी दिखाई नहीं देता और अंधेरे में देर तक रहने के बाद अचानक तेज़ प्रकाश में भी हमारी आँखें कुछ देख नहीं पातीं। क्यों ?
उत्तर-
कॉर्निया के पीछे आइरिस (Iris) होती है जो पुतली के आकार को नियंत्रित करती हैं। इसके द्वारा आँख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की तीव्रता पर नियंत्रण रखा जाता है। जब हम किसी अंधेरे कमरे में प्रवेश करते हैं तो रेटिना पर बनने वाले बिंब के लिए अधिक प्रकाश की आवश्यकता होती है। इसे आँख के भीतर प्रकाश भेजने के लिए कुछ फैलना पड़ता है जिसके लिए कुछ समय लगता है। उस समय हमें दिखाई नहीं देता। इसी प्रकार अंधेरे में बैठे रहने से पुतलियां फैल जाती हैं ताकि अधिक प्रकाश भीतर जा सके। अचानक तेज़ प्रकाश आ जाने की स्थिति में इसे सिकुड़ने में समय लगता है जिस कारण हम कुछ देख नहीं पाते।

प्रश्न 3.
नेत्र गोलक के आगे लगा लेंस कैसा होता है ? इसका मुख्य काम क्या है ?
उत्तर-
मानवीय आँख में नेत्र गोलक के आगे लगा लेंस रेशेदार जैली का बना हुआ उत्तल लैंस होता है। इसकी वक्रता सिलियरी मांसपेशियों द्वारा नियंत्रित होती है। कॉर्निया और एक्वस ह्यूमर प्रकाश की अधिकांश किरणों का अपवर्तन कर देती हैं। क्रिस्टलीय लेंस उनकी फोकस दूरी को सुनिश्चित उचित रूप प्रदान करता है ताकि वे रेटिना पर वस्तु का प्रतिबिंब बना सकें।

प्रश्न 4.
दृष्टि पटल (Retina) का कार्य लिखिए।
उत्तर-
दृष्टिपटल (रेटिना) का कार्य-नेत्र के उचित कार्य के लिए दृष्टि पटल (Retina) अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। ये नेत्र गोलक का भीतरी पर्दा है जिसका रूप अत्यंत कोमल झिल्ली के समान होता है। इस पर असंख्य प्रकाश संवेदी कोशिकाएं होती हैं। इस पर दंड (Rods) और शंकु (Cones) जैसी रचनाएं होती हैं जो प्रकाश और रंगों के प्रति संवेदनशील होती हैं। यही प्रकाश की संवेदना को संकेतों के रूप में मस्तिष्क तक दृष्टि तंत्रिका के माध्यम से भेजती हैं जिससे हमें दिखाई देता है।

प्रश्न 5.
हम बहुत निकट से पढ़ने में कठिनाई क्यों अनुभव करते हैं ?
उत्तर-
नेत्र लेंस अपनी क्षमता और गुणों के कारण फोकस दूरी को कुछ सीमा तक बदलता है परंतु एक निश्चित सीमा से नीचे तक फोकस दूरी को नहीं बदल सकता। यदि कोई वस्तु आँख के बहुत निकट हो तो इसमें इतना परिवर्तन नहीं होता कि उसे ठीक-ठीक देखने में सहायता दे। इसीलिए हमें बहुत निकट से पढ़ने में कठिनाई अनुभव होती है। ऐसा करने से आँखों पर दबाव पड़ता है और धुंधला दिखाई देता है।

प्रश्न 6.
रेटिना से मस्तिष्क तक संकेत कैसे पहुंचते हैं ?
उत्तर-
पुतली से प्रकाश-किरणें नेत्र में प्रवेश कर अभिनेत्र लैंस के माध्यम से रेटिना पर किसी वस्तु का उल्टा, छोटा तथा वास्तविक प्रतिबिंब बनाती हैं। रेटिना पर बहुत बड़ी संख्या में प्रकाश सुग्राही कोशिकाएँ होती हैं जो सक्रिय होकर विद्युत् सिग्नल उत्पन्न करती हैं। ये सिग्नल दृक तंत्रिकाओं के द्वारा मस्तिष्क तक पहुँचा दिए जाते हैं और मस्तिष्क उनकी व्याख्या कर लेता है।

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प्रश्न 7.
कभी-कभी कुछ लोग दूर या निकट की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखने के लिए आँखें सिकोड़ कर देखते हैं। क्यों ?
उत्तर-
हमारी आँख का लैंस रेशेदार जेली जैसा होता है जिसकी वक्रता को कुछ सीमा तक पक्ष्माभी पेशियों द्वारा बदला जा सकता है। इसकी वक्रता में परिवर्तन से इसकी फोकस दूरी बदल जाती है। जब पेशियां शिथिल होती हैं तो लैंस पतला हो जाता है उसकी फोकस दूरी बढ़ जाती है और हमें दूर की वस्तु कुछ साफ़ दिखाई देने लगती है। पक्ष्माभी पेशियों को सिकोड़ लेने से अभिनेत्र लैंस की वक्रता बढ़ जाती है और यह मोटा हो जाता है जिस कारण लैंस की फोकस दूरी कम हो जाती है जिससे हम निकट रखी वस्तु को साफ-साफ देख सकते हैं।

प्रश्न 8.
वृद्ध लोगों को पढ़ने के लिए प्रायः चश्मा लगाना पड़ता है। क्यों ?
उत्तर-
लगभग साठ वर्ष की आयु में दृष्टि का निकट बिंदु 20 सेमी० हो जाता है जो युवावस्था सामान्य दृष्टि रखने वालों में 25 सेमी० होता है। ऐसा होने से पढ़ने में कठिनाई होती है और उत्तल लैंस का चश्मा लगाना पड़ता है।

प्रश्न 9.
हमें एक की अपेक्षा दो आँखों से क्या लाभ हैं ?
उत्तर-
हमें भगवान् ने एक आँख की बजाय दो आँखें देखने के लिए प्रदान की हैं। इसके हमें निम्नलिखित लाभ-

  1. हमारा दृष्टि-क्षेत्र विस्तृत हो जाता है।
  2. एक आँख होने की स्थिति में हमारा क्षैतिज दृष्टि क्षेत्र लगभग 150° होता है, लेकिन दो आँखों के कारण यह लगभग 180° है।
  3. किसी मंद प्रकाशित वस्तु को देखने की क्षमता एक आँख की अपेक्षा दो आँखों से बढ़ जाती है।

प्रश्न 10.
मोतिया बिंद (Cataract) किसे कहते हैं ? इसका क्या उपचार होता है ?
उत्तर-
आँख के लैंस के पीछे अनेक कारणों से एक झिल्ली-सी जम जाती है जिस कारण पारदर्शी लैंस के पार प्रकाश की किरणों के गुज़रने में रुकावट उत्पन्न होती है। कभी-कभी लैंस पूरी तरह अपारदर्शी भी बन जाता है। शल्य चिकित्सा के द्वारा उस खराब लैंस को बाहर निकाल दिया जाता है। उसके स्थान पर उचित शक्ति का कान्टेक्ट लैंस लगाने या शल्य-चिकित्सा के बाद चश्मा लगाने से ठीक दिखाई देने लगता है।

प्रश्न 11.
चाक्षुष विकृति किस-किस कारण संभव हो सकती है ?
उत्तर-
नेत्र बहुत कोमल और संवेदनशील ज्ञानेंद्रिय है और यह दृष्टितंत्र के किसी भी भाग के क्षतिग्रस्त होने से सदा के लिए खराब हो सकते हैं। कॉर्निया, पुतली, अभिनेत्र लैंस, काचाभ द्रव, रेटिना, दृक तंत्रिका आदि किसी के भी क्षतिग्रस्त होने से चाक्षुष विकृति संभव हो सकती है।

प्रश्न 12.
नेत्रदान की क्या आवश्यकता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
नेत्रदान को महादान कहा जाता है। बिना आँखों के संसार का अंधेरा बहुत दुःखद है। इस संसार में लगभग 3.5 करोड़ लोग नेत्रहीन हैं जिनमें से लगभग 45 लाख कॉर्निया अंधता से पीड़ित हैं। इन 45 लाख में 60% तो वे बच्चे हैं जिनकी आयु 12 वर्ष से भी कम है। ऐसे पीड़ित लोगों को कॉर्निया प्रतिरोपण से संसार का उजाला दिया जा सकता है। इसलिए मृत्यु के बाद हमें अपनी और अपनों की आँखें दान करने से किसी को रोशनी मिल सकती है।

प्रश्न 13.
नेत्रदान करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-

  • मृत्यु के बाद 4 से 6 घंटे के भीतर ही नेत्रदान हो जाना चाहिए।
  • नेत्रदान समीपवर्ती नेत्र बैंक को दिया जाना चाहिए। उनकी टीम दिवंगत व्यक्ति के घर या निकटवर्ती अस्पताल में 10-15 मिनट में नेत्र निकाल लेती है।
  • नेत्रदान एक सरल प्रक्रिया है और इससे किसी प्रकार का विरुपण नहीं होता।

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प्रश्न 14.
स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी-यदि वस्तु नेत्र के बहुत अधिक समीप हो तो वह स्पष्ट दिखाई नहीं देती; अतः वह निकटतम बिंदु जिस पर स्थित वस्तु को नेत्र अपनी अधिकतम समंजन-क्षमता लगाकर स्पष्ट देख सकता है, नेत्र का निकट बिंदु कहलाता है। नेत्र से निकट बिंदु तक की दूरी स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी कहलाती है। सामान्य नेत्र के लिए यह दूरी 25 cm होती है।

प्रश्न 15.
एक 14-वर्षीय बालक, उससे 5 मीटर दूर रखे हुए श्यामपट्ट पर लिखे प्रश्न को भली-भाँति नहीं देख पाता है।
(i) उस दृष्टि-दोष का नाम बताइए जिससे वह प्रभावित है।
(ii) एक नामांकित चित्र की सहायता से दिखाइए कि कैसे इस दोष का निवारण हो सकता है ?
उत्तर-
(i) वह निकट-दृष्टि दोष (Myopia) से पीड़ित है।
(ii)
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इसका संशोधन इस दोष के संशोधन के लिए उचित फोकस दूरी के अवतल लैंस का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 16.
वर्षा के बाद आकाश में इंद्रधनुष क्यों और कैसे बनता है ? चित्र सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
इंद्रधनुष वर्षा के बाद कभी-कभी दिखाई देने वाला सुंदर दृश्य है जो आकाश में अपने रंगों की अद्भुत छटा बिखरा देता है। यह प्राकृतिक स्पेक्ट्रम है जो वर्षा के पश्चात् आकाश में जल के सूक्ष्म कणों में दिखाई देता है। यह वायुमंडल में उपस्थित जल की छोटी-छोटी बूंदों द्वारा सूर्य के प्रकाश के परिक्षेपण के कारण प्राप्त होता है। इंद्र धनुष हमेशा सूर्य के विपरीत दिशा में बनता है।

जल की सूक्ष्म बूंदें छोटे प्रिज्मों की तरह कार्य करती हैं। सूर्य के आपतित प्रकाश को ये बूंदें अपवर्तित तथा विक्षेपित करती हैं और फिर इसे आंतरिक परावर्तित करती हैं। जल की बूंद से बाहर निकलते समय प्रकाश को पुनः अपवर्तित करती हैं। प्रकाश के परिक्षेपण तथा आंतरिक परावर्तन के कारण विभिन्न वर्ण प्रेक्षक के नेत्रों तक पहुँचते हैं। इसी को इंद्रधनुष कहते हैं।
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प्रश्न 17.
कारण दीजिए, सूर्य उसके वास्तविक उदय से दो मिनट पहले देखा जा सकता है।
उत्तर-
वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण, सूर्य से आने वाली किरणें वायुमंडल में प्रवेश करने पर अभिलंब की ओर झुक जाती हैं जिसके कारण सूर्य की वास्तविक स्थिति जब क्षितिज से नीचे होती है, सूर्य हमें दिखाई देने लगता है। इसी प्रकार सूर्यास्त के समय भी जब सूर्य क्षितिज से नीचे चला जाता है, सूर्य आभासी स्थिति में दिखाई देता है। इस प्रकार सूर्य वास्तविक सूर्योदय से 2 मिनट पूर्व एवं वास्तविक सूर्यास्त के 2 मिनट बाद तक दिखाई देता है।

प्रश्न 18.
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य की चक्रिका चपटी क्यों प्रतीत होती है ?
उत्तर-
वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण, सूर्य हमें वास्तविक सूर्योदय से लगभग 2 मिनट पहले दिखाई देने लगता है तथा वास्तविक सूर्यास्त के लगभग 2 मिनट बाद तक दिखाई देता रहता है। वास्तविक सूर्योदय से अर्थ हैसूर्य द्वारा वास्तव में क्षितिज को पार करना। सूर्य की क्षितिज के सापेक्ष वास्तविक तथा आभासी स्थितियाँ चित्र में दर्शायी गयी हैं। वास्तविक सूर्यास्त और आभासी सूर्यास्त के बीच समय का अंतर लगभग 2 मिनट है। इसी परिघटना के कारण ही सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य की चक्रिका चपटी प्रतीत होती है।
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प्रश्न 19.
टिंडल प्रभाव क्या है ? समझाइए।
उत्तर-
टिंडल प्रभाव (Tyndall Effect)-जिस प्रकार अंधेरे कमरे में प्रकाश की किरण में, वायु में धूल के कण चमकते हुए दिखाई पड़ते हैं, उसी प्रकार लेसों से केंद्रित प्रकाश को कोलॉइडी विलयन में डालकर समकोण दिशा में रखे एक सूक्ष्मदर्शी से देखने पर कोलॉइडी कण अंधेरे में घूमते हुए दिखाई देते हैं। इस घटना के आधार पर वैज्ञानिक टिंडल ने कोलॉइडी विलयनों में एक प्रभाव का अध्ययन किया जिसे टिंडल प्रभाव कहा गया।
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अत: कोलॉइडी कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन (scattering of light) के कारण टिंडल प्रभाव होता है। कोलॉइडी कणों का  आकार प्रकाश की तरंगदैर्घ्य (wavelength of light) से कम होता है। अतः प्रकाश की किरणों के कोलॉइडी कणों पर पड़ने पर वे प्रकाश की ऊर्जा का अवशोषण करके टिंडल प्रदीप्त शंक स्वयं आत्मदीप्त हो जाते हैं। अवशोषित ऊर्जा के पुनः छोटी तरंगों के प्रकाश के रूप में प्रकीर्णित होने से नीले रंग का एक शंकु दिखता है, जिसे टिंडल शंकु (Tyndall cone) कहते हैं और यह प्रभाव टिंडल प्रभाव कहलाती है।

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प्रश्न 20.
निकट दृष्टि दोष क्या होता है ? इस दोष वाले व्यक्ति की आंख में वस्तु का प्रतिबिंब कहां बनता है तथा यह दोष किस किस्म की ऐनकों से ठीक किया जा सकता है ?
अथवा
आँख के निकट दृष्टि दोष का कारण क्या है ? इसे कैसे ठीक किया जाता है ? चित्र की सहायता से वर्णन करें।
उत्तर-
मनुष्य की आँख के दोष- एक सामान्य स्वस्थ आँख अपनी फोकस दूरी को इस प्रकार संयोजित करती है कि पास तथा दूर पड़ी सभी वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना (Retina) पर बन जाए परंतु कभी-कभी आँख की इस संयोजन शक्ति में कमी आ जाती है जिससे प्रतिबिंब दृष्टिपटल पर ठीक से नहीं बनता है। इससे दीर्घ दृष्टि (Long Sightedness) तथा निकट दृष्टि (Short Sightedness) के दोष हो जाते हैं। इनके अतिरिक्त प्रेस्बायोपिया, रंगांधता और एस्टग्माटिज्म रोग भी बहुत सामान्य है।
1. दीर्घ-दृष्टि दोष (Long Sightedness or Hypermotropia)-इस दोष से ग्रसित व्यक्ति को दूर स्थित वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु समीप पड़ी हुई वस्तुएं स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। इसका कारण यह है कि समीप स्थित वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
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दीर्घ-दृष्टि दोष के कारण –

  • नेत्र गोलक (Eyeball) का छोटा होना।
  • आँख के क्रिस्टलीय लैंस की फोकस दूरी का अधिक हो जाना।

दीर्घ-दृष्टि दोष को दूर करना-इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लैंस (Convex Lens) का प्रयोग किया जाता है। इस लैंस के प्रयोग से निकट बिंदु से आने वाली प्रकाश किरणें किसी दूर के बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं तथा समीप पड़ी वस्तुएं स्पष्ट दिखाई देने लगती हैं।
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2. निकट-दृष्टि दोष (Short Sightedness or Myopia)-इस दोष वाली आँख के पास की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु दूर स्थित वस्तुएं ठीक दिखाई नहीं देती या धुंधली दिखाई देती हैं। इसका अभिप्राय यह है कि दूर बिंदु अनंत की तुलना में कम दूरी पर आ जाता है।
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निकट-दृष्टि दोष के कारण-इस दोष के उत्पन्न होने के कारण –

  • क्रिस्टलीय लेंस की फोकस दूरी का कम हो जाना।
  • नेत्र गोलक (Eyeball) का लंबा हो जाना अर्थात् रेटिना तथा लैंस के बीच की दूरी बढ़ जाना होता है।

निकट दृष्टि दोष को दूर करना- इस दोष को दूर करने के लिए अवतल लैंस (Concave Lens) का प्रयोग करना पड़ता है जिसकी फोकस दूरी आँख के दूर बिंदु के समान होती है।
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3. रंगांधता (Colour Blindness)-यह एक ऐसा रोग है जो जैविक कारणों से होता है। यह वंशानुगत होता है। इस रोग में रोगी विशेष रंगों की पहचान नहीं कर पाता क्योंकि उसकी आँखों में रेटिना पर शंकु (cone) जैसी संरचनाएं अपर्याप्त होती हैं। आँखों में लाल, नीले और हरे रंग को पहचानने वाली कोशिकाएं होती हैं। रंगान्ध व्यक्ति की आँख में कम शंक्वाकार रचनाओं के कारण वह विशेष रंगों को नहीं पहचान पाता। इस रोग का कोई उपचार नहीं है। ऐसा व्यक्ति प्रत्येक वस्तु ठीक प्रकार से देख सकता है पर कुछ रंगों की पहचान नहीं कर पाता।

4. प्रेस्बायोपिया (Presbyopia)- यह रोग आयु से संबंधित है। लगभग सभी व्यक्तियों को यह रोग 40 वर्ष की आयु के बाद हो जाता है। आँख के लैंस की लचक आयु के साथ कम हो जाती है। सिलियरी माँसपेशियाँ आँख के लैंस की फोकस दूरी को परिवर्तित नहीं कर पाती जिस कारण निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती। निकट दृष्टि और दूर-दृष्टि के मिले-जुले इस रोग को दूर करने के लिए उत्तल और अवतल लैंस से युक्त दो चश्मों या बाइफोकल चश्मे में दोनों लैंसों के साथ-साथ प्रयोग से इसे सुधारा जा सकता है।

5. एस्टेग्माटिज्म (Astigmatism)-एस्टेग्माटिज्म से ग्रस्त व्यक्ति एक साथ अपनी दोनों आँखों को फोकस नहीं कर पाता। यह रोग कॉर्निया के पूर्ण रूप से गोलाकार न होने के कारण होता है। विभिन्न दिशाओं में वक्रता भिन्न होती है। व्यक्ति लंबाकार दिशा में ठीक प्रकार से दृष्टि फोकस नहीं कर पाता। इस रोग को सिलेण्ड्रीकल लैंस लगे चश्मे से सुधारा जा सकता है।

प्रश्न 21.
दीर्घ दृष्टि दोष किस कारण होता है ? इसे कैसे ठीक किया जाता है ? अंकित चित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर-
मनुष्य की आँख के दोष- एक सामान्य स्वस्थ आँख अपनी फोकस दूरी को इस प्रकार संयोजित करती है कि पास तथा दूर पड़ी सभी वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना (Retina) पर बन जाए परंतु कभी-कभी आँख की इस संयोजन शक्ति में कमी आ जाती है जिससे प्रतिबिंब दृष्टिपटल पर ठीक से नहीं बनता है। इससे दीर्घ दृष्टि (Long Sightedness) तथा निकट दृष्टि (Short Sightedness) के दोष हो जाते हैं। इनके अतिरिक्त प्रेस्बायोपिया, रंगांधता और एस्टग्माटिज्म रोग भी बहुत सामान्य है।

1. दीर्घ-दृष्टि दोष (Long Sightedness or Hypermotropia)-इस दोष से ग्रसित व्यक्ति को दूर स्थित वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु समीप पड़ी हुई वस्तुएं स्पष्ट दिखाई नहीं देती हैं। इसका कारण यह है कि समीप स्थित वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
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दीर्घ-दृष्टि दोष के कारण –

  • नेत्र गोलक (Eyeball) का छोटा होना।
  • आँख के क्रिस्टलीय लैंस की फोकस दूरी का अधिक हो जाना।

दीर्घ-दृष्टि दोष को दूर करना-इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लैंस (Convex Lens) का प्रयोग किया जाता है। इस लैंस के प्रयोग से निकट बिंदु से आने वाली प्रकाश किरणें किसी दूर के बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं तथा समीप पड़ी वस्तुएं स्पष्ट दिखाई देने लगती हैं।
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2. निकट-दृष्टि दोष (Short Sightedness or Myopia)-इस दोष वाली आँख के पास की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती हैं परंतु दूर स्थित वस्तुएं ठीक दिखाई नहीं देती या धुंधली दिखाई देती हैं। इसका अभिप्राय यह है कि दूर बिंदु अनंत की तुलना में कम दूरी पर आ जाता है।
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निकट-दृष्टि दोष के कारण-इस दोष के उत्पन्न होने के कारण –

  • क्रिस्टलीय लेंस की फोकस दूरी का कम हो जाना।
  • नेत्र गोलक (Eyeball) का लंबा हो जाना अर्थात् रेटिना तथा लैंस के बीच की दूरी बढ़ जाना होता है।

निकट दृष्टि दोष को दूर करना- इस दोष को दूर करने के लिए अवतल लैंस (Concave Lens) का प्रयोग करना पड़ता है जिसकी फोकस दूरी आँख के दूर बिंदु के समान होती है।
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3. रंगांधता (Colour Blindness)-यह एक ऐसा रोग है जो जैविक कारणों से होता है। यह वंशानुगत होता है। इस रोग में रोगी विशेष रंगों की पहचान नहीं कर पाता क्योंकि उसकी आँखों में रेटिना पर शंकु (cone) जैसी संरचनाएं अपर्याप्त होती हैं। आँखों में लाल, नीले और हरे रंग को पहचानने वाली कोशिकाएं होती हैं। रंगान्ध व्यक्ति की आँख में कम शंक्वाकार रचनाओं के कारण वह विशेष रंगों को नहीं पहचान पाता। इस रोग का कोई उपचार नहीं है। ऐसा व्यक्ति प्रत्येक वस्तु ठीक प्रकार से देख सकता है पर कुछ रंगों की पहचान नहीं कर पाता।

4. प्रेस्बायोपिया (Presbyopia)- यह रोग आयु से संबंधित है। लगभग सभी व्यक्तियों को यह रोग 40 वर्ष की आयु के बाद हो जाता है। आँख के लैंस की लचक आयु के साथ कम हो जाती है। सिलियरी माँसपेशियाँ आँख के लैंस की फोकस दूरी को परिवर्तित नहीं कर पाती जिस कारण निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती। निकट दृष्टि और दूर-दृष्टि के मिले-जुले इस रोग को दूर करने के लिए उत्तल और अवतल लैंस से युक्त दो चश्मों या बाइफोकल चश्मे में दोनों लैंसों के साथ-साथ प्रयोग से इसे सुधारा जा सकता है।

5. एस्टेग्माटिज्म (Astigmatism)-एस्टेग्माटिज्म से ग्रस्त व्यक्ति एक साथ अपनी दोनों आँखों को फोकस नहीं कर पाता। यह रोग कॉर्निया के पूर्ण रूप से गोलाकार न होने के कारण होता है। विभिन्न दिशाओं में वक्रता भिन्न होती है। व्यक्ति लंबाकार दिशा में ठीक प्रकार से दृष्टि फोकस नहीं कर पाता। इस रोग को सिलेण्ड्रीकल लैंस लगे चश्मे से सुधारा जा सकता है।

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प्रश्न 22.
नेत्र के जरा-दूरदर्शिता तथा वर्णांधता दोषों से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
1. जरा-दूरदर्शिता- कुछ व्यक्तियों में निकट-दृष्टि व दूर-दृष्टि दोनों दोष एक साथ होते हैं, इसे ज़रा-दूरदर्शिता कहते हैं। ऐसे व्यक्ति द्विफोकसी लैंस का प्रयोग करते हैं, जिसका ऊपरी भाग अवतल व नीचे का भाग उत्तल लैंस होता है। ऊपरी भाग दूर की वस्तुओं को देखने के लिए तथा निचला भाग समीप की वस्तुओं को देखने (पढ़ने आदि में) के लिए काम आता है।

2. वर्णांधता-यह दोष मनुष्य की आँख में शंक्वाकार कोशिकाओं की कमी के कारण होता है। इन कोशिकाओं की कमी के कारण मनुष्य की आँख कुछ निश्चित रंगों के लिए सुग्राही होती है। यह दोष मनुष्य की आँख में जन्मजात (आनुवंशिक) होता है तथा इसका कोई भी उपचार नहीं है। इस दोष वाले व्यक्ति सामान्यत: ठीक प्रकार से देख तो सकते हैं, परंतु रंगों में भेद करना उनके लिए संभव नहीं हो पाता। इस रोग को वर्णांधता कहते हैं।

प्रश्न 23.
निम्नलिखित परिभाषा दो : अनुकूलन शक्ति, दूरस्थ बिंदु, निकट बिंदु, स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी, दृष्टि-स्थिरता।
उत्तर-
अनुकूलन शक्ति- हमारी आँख सभी दूर स्थित और निकट स्थित वस्तुओं को देख सकती है। आँख की इस विशेषता को जिसके द्वारा आँख अपने लैंस की शक्ति को परिवर्तित करके भिन्न-भिन्न दूरी पर पड़ी वस्तुओं को देख सकती है, अनुकूलन शक्ति कहा जाता है।

दूरस्थ बिंदु (Far Point)-आँख से अधिकतम दूरी पर स्थित वह बिंदु जिस पर पड़ी हुई वस्तु को आँख स्पष्ट रूप से देख सकती है, दूरस्थ बिंदु कहा जाता है। सामान्य दृष्टि के लिए (Normal eye sight) दूरस्थ बिंदु अनंत पर होता है।

निकट बिंदु (Near Point)-आँख से न्यूनतम दूरी पर स्थित उस बिंदु को जिस पर पड़ी हुई वस्तु को आँख स्पष्ट रूप से देख सकती है, निकट बिंदु कहा जाता है।

स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी (Least Distance of distinct vision)-दूरस्थ बिंदु और निकट बिंदु के मध्य एक ऐसा बिंदु जहां पर वस्तु को रखने से वस्तु बिलकुल स्पष्ट दिखाई देती है, स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी कहा जाता है। सामान्य दृष्टि के लिए स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 सेमी० है।

दृष्टि-स्थिरता (Persistence of vision)-जब किसी वस्तु का प्रतिबिंब आँख के रेटिना पर बनता है तो वस्तु को हटा देने के बाद इस प्रतिबिंब का प्रभाव कुछ समय के लिए बना रहता है। इस प्रभाव को दृष्टि स्थिरता कहा जाता है।

प्रश्न 24.
आसमान का रंग नीला क्यों दिखाई देता है ?
उत्तर-
आसमान का रंग नीला दिखाई देना-जब सूर्य का सफेद प्रकाश धरती के वातावरण में से गुज़रता है तो प्रकाश का वातावरण छोटे-छोटे अणुओं द्वारा परस्पर क्रिया होने के कारण उसके विभिन्न रंगों मे प्रकीर्णन होता है।
रैले नियम अनुसार, प्रकाश के प्रकीर्णन की तीव्रता Iα\(\frac{1}{\times 4}\) , जहां λ. प्रकाश की तरंग लंबाई (λ3) लाल रंग की तरंग लंबाई (λR) की तुलना में बहुत कम है, इसलिए हवा के अणुओं द्वारा नीले रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन लाल रंग के प्रकाश के मुकाबले अधिक होता है।

संख्यात्मक प्रश्न (Numerical Problems)

प्रश्न 1.
एक निकट-दृष्टि दोष वाला व्यक्ति अपनी आँख से 75 cm से अधिक दूर की वस्तु स्पष्ट नहीं देख पाता है। दूर की वस्तुओं को देखने के लिए उसे किस प्रकार के तथा किस फोकस दूरी के लैंस की आवश्यकता होगी ?
हल-
∴ मनुष्य 75 cm से अधिक दूरी पर स्थित वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख सकता; इसलिए दूर (अनंत) की वस्तुओं को देखने के लिए उसे एक ऐसे लैंस की आवश्यकता होगी जो अनंत पर रखी हुई वस्तु का प्रतिबिंब 75 cm की दूरी पर बना दे।
यहां υ = -75 cm, u = – ∞, f = ?
लैंस के सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\) दवारा
\(\frac{1}{f}=-\frac{1}{75}+\frac{1}{\infty}\) द्वारा
अतः लैंस की फोकस दूरी (f) = – 75 cm
ऋणात्मक चिन्ह दर्शाता है कि लैंस अवतल लैंस है।

प्रश्न 2.
एक दूर-दृष्टि से पीड़ित व्यक्ति की आँख के लिए निकट-बिंदु की दूरी 0.50 m है। इस व्यक्ति के दृष्टि-दोष के निवारण हेतु चश्मे में प्रयुक्त लैंस की प्रकृति, फोकस दूरी एवं क्षमता ज्ञात कीजिए।
हल : निकट बिंदु दूरी 0.50 m है। इसका अर्थ यह है कि मनुष्य 0.50 m से कम दूरी पर रखी वस्तु को स्पष्ट नहीं देख सकता। उसे एक ऐसे लैंस की आवश्यकता होगी जो 25 cm दूरी पर रखी हुई वस्तु का प्रतिबिंब 0.50 m की दूरी पर बना दे।
यहां ν = -0.50 m, u = – 25 cm = – 0.25 m, f= ?
लैंस के सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\) से
\(\frac{1}{f}=-\frac{1}{0.50}+\frac{1}{0.25}\)
= \(\frac{-1+2}{0.50}=\frac{1}{0.50}\)
अत: लैंस की फोकस दूरी (f) = 0.50 m (उत्तल लैंस)
धनात्मक चिन्ह दर्शाता है कि लैंस उत्तल लैंस है।
लैंस की क्षमता (P) = \(\frac{1}{f}\)
∴ P = \(\frac{1}{0.50}\) = 2 डायॉप्टर।

प्रश्न 3.
एक व्यक्ति 20 cm दूरी पर रखी पुस्तक पढ़ सकता है। यदि पुस्तक को 30 cm दूर रख दिया जाए तो व्यक्ति को चश्मा प्रयुक्त करना पड़ता है। गणना कीजिए
(i) प्रयुक्त लैंस की फोकस दूरी,
(ii) प्रयुक्त लैंस का प्रकार,
(iii) किरण-आरेख खींचकर नेत्र दोष स्पष्ट कीजिए।
हल :
दिया है, ν = – 20 cm, u = – 30 cm, f = ?
(i) लैंस के सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\) में मान रखने पर,
\(\frac{1}{f}=-\frac{1}{20}+\frac{1}{30}\)
= \(\frac{-3+2}{60}\)
= \(-\frac{1}{60}\)
अतः प्रयुक्त लैंस की फोकस दूरी (f) = – 60 cm

(ii) चूँकि फोकस दूरी ऋणात्मक है; इसलिए प्रयुक्त लैंस अवतल लैंस होगा।
(iii) नेत्र निकट दृष्टि दोष से ग्रसित है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार 14

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार

प्रश्न 4.
एक निकट दृष्टि दोष से ग्रसित रोगी का दूर बिंद (Far Point) 40 सेमी. है। इसे किस प्रकार के लैंस का प्रयोग करना चाहिए कि दूर की वस्तुएं साफ़ दिखाई देने लगें। फोकस दूरी और लैंस की शक्ति भी ज्ञात करो।
हल :
यहां u = – ∝ ; ν = – 40 सेमी०; f = ?

लैंस सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\) का प्रयोग करके
\(\frac{1}{f}=-\frac{1}{40}-\frac{1}{(-\propto)}\)
= \(-\frac{1}{40}\)
f = – 40 सेमी०
= – 0.4 मी०

अब लैंस की क्षमता (P) = \(\frac{1}{f}\)
= \(\frac{1}{-0.4}\)
= – 2.5 D
रोगी को अवतल लैंस का प्रयोग करना चाहिए जिसकी शक्ति – 2.5 D हो।

प्रश्न 5.
एक निकट दृष्टि वाले व्यक्ति का दूर बिंदु 20 सेमी० है। उससे 2.5 मी० दूर रखे टेलीविज़न को देखने के लिए कितनी शक्ति का कौन-सा लैंस प्रयोग करना चाहिए ?
हल :
यहां u = – 2.5 मी०;
ν = – 20 सेमी० = – 0.2 मी०;
f= ?
लैंस सूत्र द्वारा
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)
= \(\frac{1}{(-0.2)}-\frac{1}{(-2.5)}\)
\(\frac{1}{f}\) = -5+0.4
= – 4.6

पर P = \(\frac{1}{f}\)
∴P = – 4.6 D
f = \(-\frac{1}{4.6}\)
f = -0.2174 मी०
= 21.74 सेमी०
उसे – 4.6 D शक्ति का अवतल लैंस प्रयोग में लाना चाहिए।

प्रश्न 6.
एक निकट दृष्टि वाले व्यक्ति का निकट बिंदु 50 सेमी० है। यदि वह 20 सेमी० दूर से अखबार पढ़ना चाहता है तो उसके चश्मे की शक्ति बताइए।
हल : यहां u = – 20 सेमी०, ν = – 50 सेमी०, f = ?
लैंस सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\) द्वारा
\(\frac{1}{f}=-\frac{1}{50}-\frac{1}{(-20)}\)
= \(-\frac{1}{50}+\frac{1}{20}\)
= \(\frac{-2+5}{100}\)
= \(\frac{3}{100}\)
∴ f = \(\frac{100}{3}\) = 33.3 सेमी० = + 0.333 मी०
लैंस की शक्ति (P) = \(\frac{1}{f}=\frac{1}{+0.333}\) P = + 0.3 D
उसे + 0.3 D शक्ति का उत्तल लैंस प्रयोग में लाना चाहिए।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
स्वस्थ नेत्र का निकट बिंदु कहाँ स्थित होता है ?
उत्तर –
स्वस्थ नेत्र का निकट बिंदु नेत्र से 25 cm दूरी पर स्थित होता है।

प्रश्न 2.
स्वस्थ नेत्र का दूर बिंदु कहाँ स्थित होता है ?
उत्तर-
स्वस्थ नेत्र का दूर बिंदु अनंत पर स्थित होता है।

प्रश्न 3.
निकट-दृष्टि दोष के निवारण के लिए किस प्रकार के लैंस का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर-
निकट-दृष्टि दोष के निवारण के लिए अवतल लैंस का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 4.
दूर-दृष्टि दोष के निवारण के लिए किस प्रकार के लैंस का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर-
दूर-दृष्टि दोष के निवारण के लिए उत्तल लैंस का उपयोग किया जाता है।

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प्रश्न 5.
एक व्यक्ति के चश्मे में अवतल लैंस लगा है। बताइए उस व्यक्ति की आँख में कौन-सा दोष है ?
उत्तर-
व्यक्ति की आँख में निकट-दृष्टि दोष है।

प्रश्न 6.
एक व्यक्ति के चश्मे में उत्तल लैंस लगा है। बताइए उस व्यक्ति की आँख में कौन-सा दोष है ?
उत्तर-
व्यक्ति की आँख में दूर-दृष्टि दोष है।

प्रश्न 7.
एक व्यक्ति के चश्मे के ऊपरी भाग में अवतल लैंस तथा निचले भाग में उत्तल लैंस लगा है। मनुष्य की आँख में कौन-कौन से दोष हैं ?
उत्तर-
मनुष्य की आँख में निकट-दृष्टि एवं दूर-दृष्टि दोनों दोष (जरा-दूरदर्शिता दोष) है।

प्रश्न 8.
एक व्यक्ति को पुस्तक पढ़ने के लिए पुस्तक को आँख से 35 cm दूर रखना पड़ता है। उसकी दृष्टि में कौन-सा दोष है तथा इसका निवारण करने के लिए उसे किस प्रकार का लैंस प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
दूर-दृष्टि दोष है; अत: उसे उत्तल लैंस का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 9.
एक व्यक्ति की दृष्टि क्षमता को 25 सेमी० से अनंत तक बढ़ाने के लिए किस प्रकार के लैंस की आवश्यकता होगी ?
उत्तर-
एक व्यक्ति की दृष्टि क्षमता को 25 सेमी० से अनंत तक बढ़ाने के लिए अवतल लैंस की आवश्यकता होगी।

प्रश्न 10.
प्रिज्म से निर्गत प्रकाश में किस रंग की किरण का विचलन कोण सबसे कम होता है ?
उत्तर-
लाल रंग की किरण का विचलन कोण सबसे कम होता है।

प्रश्न 11.
प्रिज्म से निर्गत प्रकाश में किस रंग की किरण का विचलन कोण सर्वाधिक होता है ?
उत्तर-
बैंगनी रंग की किरण का विचलन कोण सर्वाधिक होता है।

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प्रश्न 12.
काँच के प्रिज्म द्वारा श्वेत प्रकाश का विक्षेपण कितने वर्षों में होता है ?
उत्तर-
काँच के प्रिज्म द्वारा श्वेत प्रकाश का विक्षेपण सात वर्णों-

  • बैंगनी (Violet),
  • नीला (Indigo),
  • आसमानी (Sky Blue),
  • हरा (Green),
  • पीला Yellow,
  • नारंगी (Orange) तथा
  • लाल (Red) में होता है।

प्रश्न 13.
प्रिज्म से प्राप्त स्पेक्ट्रम के किस रंग की तरंग-दैर्घ्य अधिकतम होती है ?
उत्तर-
लाल रंग की तरंग-दैर्घ्य अधिकतम होती है।

प्रश्न 14.
प्रिज्म से प्राप्त स्पेक्ट्रम के किस रंग की तरंग-दैर्घ्य न्यूनतम होती है ?
उत्तर-
बैंगनी रंग की तरंग दैर्घ्य न्यूनतम होती है।

प्रश्न 15.
प्रिज्म से प्राप्त स्पेक्ट्रम में कौन-सा रंग प्रिज्म के आधार की ओर प्राप्त होता है ?
उत्तर-
बैंगनी रंग का प्रकाश प्रिज्म के आधार की ओर प्राप्त होता है।

प्रश्न 16.
आकाश का रंग नीला क्यों दिखाई पड़ता है ?
उत्तर-
नीले रंग के प्रकाश का अधिक प्रकीर्णन होने के कारण आकाश का रंग नीला दिखाई पड़ता है।

प्रश्न 17.
अंतरिक्ष यात्रियों को आकाश का रंग कैसा दिखाई पड़ता है ?
उत्तर-
अंतरिक्ष यात्रियों को आकाश का रंग काला दिखाई पड़ता है।

प्रश्न 18.
मनुष्य की आँख में स्कलेरॉटिक का क्या कार्य है ?
उत्तर–
स्कलेरॉटिक आँख के भीतरी भाग की सुरक्षा करती है और आँख को आकार देती है।

प्रश्न 19.
मनुष्य की आँख में पक्ष्माभ माँसपेशियों का क्या कार्य है ?
उत्तर-
पक्ष्माभ मांसपेशियां आँख के लैंस को जकड़ कर रखती हैं तथा लैंस की फोकस दूरी को आवश्यकतानुसार परिवर्तित करने में सहायता करती हैं।

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प्रश्न 20.
चित्र में कौन-सी प्रकाशीय क्रिया दर्शाई गई है ?
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उत्तर–
प्रकाश के विक्षेपण।

प्रश्न 21.
नीचे दिए गए चित्र में कौन-सी प्रकाशीय प्रक्रिया के फलस्वरूप तारा अपनी स्थिति बदलता है ?
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उत्तर-
प्रकाश अपवर्तन।

प्रश्न 22.
मानव आँख का दृष्टिदोष चित्र में दर्शाया गया है। बताओ यह कौन-सा दोष है ?
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उत्तर-
दीर्घ दृष्टि दोष।

प्रश्न 23.
नीचे दिए गए चित्र में अवतल लेंस द्वारा मानव आँख के किस दोष को ठीक किया जा रहा है ?
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उत्तर-
निकट दृष्टिदोष।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सामान्य दृष्टि के वयस्क के लिए सुस्पष्ट दर्शन की न्यूनतम दूरी होती है लगभग
(a) 35m
(b) 3.5m
(c) 25cm
(d) 2.5cm.
उत्तर-
(c) 25cm.

प्रश्न 2.
अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता है
(a) पुतली द्वारा
(b) दृष्टि पटल द्वारा
(c) पक्ष्माभी द्वारा
(d) परितारिका द्वारा।
उत्तर-
(c) पक्ष्माभी द्वारा।

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प्रश्न 3.
निकट-दृष्टि दोष से पीड़ित एक व्यक्ति 1.2m से दूरी की वस्तुओं को नहीं देख सकता। सुस्पष्ट दृष्टि के लिए वह संशोधक लैंस उपयोग करेगा –
(a) अवतल लैंस
(b) सिलिंडरी लैंस
(c) उत्तल लैंस
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) अवतल लैंस।

प्रश्न 4.
सामान्य मानव नेत्र का दूर बिंद –
(a) 25cm पर होता है
(b) 25mm पर होता है
(c) 25m पर होता है
(d) अनंत पर होता है।
उत्तर-
(a) 25cm पर होता है।

प्रश्न 5.
मानव नेत्र में वस्तु का प्रतिबिंब
(a) पुतली पर बनता है
(b) परितारिका पर बनता है
(c) कार्निया पर बनता है
(d) रेटिना पर बनता है।
उत्तर-
(d) रेटिना पर बनता है।

प्रश्न 6.
परितारिका नेत्र में किसके पीछे स्थित है ?
(a) पुतली
(b) रेटिना
(c) कॉर्निया
(d) नेत्र गोलक।
उत्तर-
(c) कॉर्निया।

प्रश्न 7.
जब नेत्र में प्रकाश किरणें प्रवेश करती हैं तब अधिक प्रकाश किससे अपवर्तित होता है ?
(a) क्रिस्टलीय लैंस
(b) कार्निया के बाहरी तल
(c) पुतली
(d) आयरिस।
उत्तर-
(b) कार्निया के बाहरी तल।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) मानव आँख में किसी वस्तु का प्रतिबिंब ………………………… पर बनता है।
उत्तर-
रेटिना

(ii) सामान्य दृष्टि के मनुष्य के लिए सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी लगभग ……………………….. होती है।
उत्तर-
25 cm

(iii) दूर-दृष्टि दोष का निवारण ………………………………….. के प्रयोग द्वारा किया जाता है।
उत्तर-
उत्तल लेंस

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(iv) तारों का टिमटिमाना तारों के प्रकाश का ………………………….. के कारण होता है।
उत्तर-
वायुमंडलीय अपवर्तन

(v) वर्षा के बाद आकाश में इंद्रधनुष का दिखाई देना सूर्य प्रकाश के ………………….. तथा …………………………. के कारण होता है।
उत्तर-
परिक्षेपण, आंतरिक परावर्तन।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अवतल दर्पण के सम्मुख विभिन्न स्थितियों में रखी वस्तु के दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंबों की स्थिति, प्रकृति एवं आकार चित्र द्वारा स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर-
अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब का बनना-अवतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब की स्थिति, प्रकृति एवं आकार दर्पण से वस्तु की दूरी पर निर्भर करती है।
(i) जब वस्तु अनंत दूरी पर है-मान लो अनंत दूरी पर रखी वस्तु AB से चलने वाली किरणें परस्पर समांतर होती हैं। एक किरण, जो फोकस F से होकर जाती है, परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समांतर हो जाती है। दूसरी किरण, जो वक्रता केंद्र C से होकर आती है, परावर्तन के पश्चात् उसी मार्ग पर लौट जाती है। ये दोनों परावर्तित किरणें दर्पण के फोकस तल के बिंदु B पर मिलती हैं। अत : B’, B का प्रतिबिंब हैं तथा A का प्रतिबिंब A.’ फोकस F पर बनता है। इस प्रकार AB वस्तु का प्रतिबिंब A B’ बनता है।
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यह प्रतिबिंब अवतल दर्पण के फोकस पर स्थित है तथा वास्तविक, उल्टा एवं वस्तु से आकार में बहुत छोटा बनता है।
(ii) जब वस्तु अनंत एवं वक्रता केंद्र (C) के मध्य रखी हो-मान लो वस्तु AB, अवतल दर्पण के सम्मुख उसकी वक्रता-त्रिज्या से अधिक दूरी पर रखी है। बिंदु A से मुख्य अक्ष के समांतर चलने वाली किरण AE, परावर्तन के पश्चात् फोकस F से होकर जाती है। दूसरी किरण AG जो वक्रता केंद्र C से होकर जाती है परावर्तन के पश्चात उसी मार्ग से लौट आती है। ये दोनों परावर्तित किरणें A’ पर मिलती हैं, जो A का वास्तविक प्रतिबिंब है। A’ से मुख्य अक्ष पर खींचा गया लंब A’B’, वस्तु AB का प्रतिबिंब है।
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यह प्रतिबिंब दर्पण के वक्रता केंद्र C तथा मुख्य फोकस F के बीच में वास्तविक, उल्टा और वस्तु से छोटा बनता है।

(iii) जब वस्तु वक्रता-केंद्र (C) पर रखी हो-मान लो वस्तु AB, अवतल दर्पण के वक्रता केंद्र C पर रखी है। A से मुख्य अक्ष के समांतर चलने वाली आपतित किरण AD, परावर्तित होकर फोकस F से होकर जाती है । दूसरी आपतित किरण AD’, फोकस F से में से होकर जाती है जो परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समांतर D’A’ बन जाती है। ये दोनों किरणें बिंदु A’ पर मिलती हैं। A’ का वास्तविक प्रतिबिंब हैं। A’ से मुख्य अक्ष पर खींचा गया लंब A’B’, वस्तु AB का प्रतिबिंब हैं।
यह प्रतिबिंब दर्पण के वक्रता केंद्र पर वस्तु के समान आकार का, वास्तविक तथा उल्टा है।
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(iv) जब वस्तु वक्रता केंद्र (C) तथा फोकस (F) के बीच रखी होमान लो वस्तु AB, दर्पण के मुख्य फोकस F तथा वक्रता केंद्र C के बीच में स्थित हैं। A से मुख्य अक्ष के समांतर चलने वाली किरण AD, परावर्तित होकर मुख्य फोकस F से होकर जाती है। दूसरी आपतित किरण AD’, जो मुख्य अक्ष के समांतर हो जाती है। ये दोनों परावर्तित किरणें एक-दूसरे को A’ पर काटती हैं जो A का प्रतिबिंब हैं। A’ से मुख्य अक्ष पर खींचा गया लम्ब A’,B’ वस्तु AB का प्रतिबिंब है।
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यह प्रतिबिंब दर्पण के वक्रता केंद्र तथा अनंत के बीच बनता है एवं वास्तविक उल्टा व वस्तु से बड़ा है।

(v) जब वस्तु मुख्य फोकस (F) पर रखी हो-मान लो वस्तु AB, मुख्य फोकस F पर स्थित है। A से मख्य अक्ष के समांतर चलने वाली आपतित किरण AD, परावर्तित होकर मुख्य फोकस F से होकर जाती है। बिंदु A से चलने वाली दूसरी आपतित किरण AE जो पीछे बढ़ाने पर वक्रता केंद्र C से गुजरती है, दर्पण से परावर्तित होकर उसी मार्ग पर लौट आती है। ये दोनों परावर्तित किरणें समांतर होने के कारण अनंत पर मिलती हैं।
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यह प्रतिबंब अनंत पर बनता है तथा वास्तविक, उल्टा व वस्तु से बड़ा होता है।

(vi) जब वस्तु ध्रुव (P) तथा फोकस (F) के बीच रखी हो-मान लो वस्तु AB, अवतल दर्पण के फोकस एवं ध्रुव के बीच स्थित है। इसमें A से मुख्य अक्ष के समांतर चलने वाली किरण AD, परावर्तित होकर मुख्य फोकस F से होकर जाती है। दूसरी किरण AE दर्पण पर लंबवत् गिरती हैं। जो यह परावर्तित होकर उसी मार्ग पर लौट आती है। ये दोनों परावर्तित किरणें दर्पण के पीछे A’ से आती हुई प्रतीत होती हैं। अंत : A’, बिंदु A का आभासी प्रतिबिंब हैं। A’ से मुख्य अक्ष पर खींचा गया लंब AB’ वस्तु AB का प्रतिबिंब है।
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यह प्रतिबिंब दर्पण के पीछे, आभासी, सीधा व आकार में वस्तु से बड़ा होता है।

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प्रश्न 2.
प्रकाश अपवर्तन किसे कहते हैं ? काँच की आयताकार स्लैब में प्रकाश अपवर्तन चित्र द्वारा समझाओ तथा यह दर्शाओ कि निर्गत किरण, आपतित किरण के समांतर होती है।
उत्तर-
प्रकाश अपवर्तन- जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो वह दो माध्यमों के मिलन तल पर अपना पथ बदल लेती है। प्रकाश की इस प्रक्रिया को प्रकाश का अवपर्तन कहते हैं।
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एक आयताकार काँच की स्लैब PQRS को वायु में रखा गया है। AO आपतित किरण, 00′ अपवर्तित किरण और O’ B निर्गत किरण है। जब प्रकाश वायु में से काँच में प्रवेश करती है तो बिंदु 0 पर स्नैल के नियम का प्रयोग करने पर
\(\frac{\sin i_{1}}{\sin r_{1}}\) = aµb ……………….(1)
अब प्रकाश किरण काँच (सघन माध्यम) से वायु (विरल माध्यम) में जा रही है। बिंदु O’ पर स्नैल के नियम का प्रयोग करने पर
bµa= \(\frac{\sin i_{2}}{\sin r_{2}}=\frac{\sin r_{1}}{\sin r_{2}}\) ………………..(2)
(∵ ∠i2 = ∠r1 )
प्रकाश के उत्क्रमणीयता सिद्धांत (Principal of reversibility of light) के अनुसार
bµa = \(\frac{1}{a_{u_{b}}}\) …………………………….. (3)
समीकरण (2) और (3) से
aµb = \(\frac{\sin r_{2}}{\sin r_{1}}\) ………………………………………. (4)
समीकरण (1) और (4) की तुलना करने पर
\(\frac{\sin i_{1}}{\sin r_{1}}=\frac{\sin r_{2}}{\sin r_{1}}\)
या
sin i1 = sin r2
∴ i1 =r2
इसका अर्थ है कि आपतन कोण निर्गमन कोण के समान है । इसलिए जब प्रकाश एक आयताकार काँच की स्लैब से अपवर्तन होता है, तो निर्गत किरण और आपतित किरण समांतर होती हैं।

प्रश्न 3.
जब किसी वस्तु को एक उत्तल लेंस से (i) F और 2F के बीच (ii) 2F से परे (ii) F पर रखा जाता है तो चित्र की सहायता से इसके प्रतिबिंब की रचना दर्शाओ।
अथवा
एक वस्तु किसी उत्तल लेंस के F पर रखी हैं। चित्र की सहायता से उत्तल लेंस से बने प्रतिबिंब की स्थिति, आकार और स्वरूप ज्ञात कीजिए ।
उत्तर-
(i) जब वस्तु F और 2F के मध्य हो-जब वस्तु उत्तल लेंस के F तथा 2F के मध्य रखी जाती है तो प्रतिबिंब लेंस के दूसरी तरफ 2F से परे बनता है। यह प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा तथा बड़े आकार का बनता है।
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(ii) जब वस्तु 2F से परे (दूर) पड़ी हो-जब वस्तु उत्तल लेंस के सामने 2F से दूर रखी जाती है तो प्रतिबिंब लेंस के दूसरी तरफ F तथा 2F के मध्य बनता है। यह प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा तथा छोटे आकार का होता है।
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(iii) जब वस्तु F पर पड़ी हो-जब वस्तु उत्तल लेंस के F पर पड़ी हो तो प्रतिबिंब लेंस को दूसरी तरफ अनंत पर बनता है। यह प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा तथा आकार में बड़ा बनता है।
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प्रश्न 4.
चित्र में प्रकाश की कौन-सी क्रिया दर्शाई गई है ? इसकी परिभाषा दें तथा इसके नियम भी लिखो।
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उत्तर-
चित्र में प्रकाश अपवर्तन की क्रिया दर्शायी गई है।
प्रकाश का अपवर्तन—जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है तो यह अपने पहले पथ से विचलित (मुड़) हो जाता है। प्रकाश के इस पथ परिवर्तन को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं। यदि प्रकाश किरण, प्रकाशीय विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो वह आपतन बिंदु पर बने अभिलंब की ओर मुड जाती है और यदि प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है तो यह अभिलंब से दूर मुड़ जाती है।

प्रकाश अपवर्तन के नियम –
(i) आपतित किरण, अपवर्तित किरण और अभिलंब सदा एक ही तल में होते हैं।
(ii) जब एक प्रकाश-किरण किन्हीं दो माध्यमों के सीमा तल पर तिरछी आपतित होती है तो आपतन कोण (∠i) की ज्या (sine) तथा अपवर्तन कोण (∠r) की ज्या (sine) का अनुपात एक नियतांक होता है। इस नियतांक को दूसरे माध्यम का पहले माध्यम के सापेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं। इसे 1μ2 से प्रकट करते हैं।
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प्रकाश के अपवर्तन के दूसरे नियम को स्नैल का नियम भी कहते हैं।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
प्रकाश क्या है ? इसकी प्रकृति क्या है ?
उत्तर-
(Light)-प्रकाश वह भौतिक साधन है जो हमें दूसरी वस्तुओं को देखने में सहायता करता है। प्रकाश स्वयं दिखाई नहीं देता। यह एक प्रकार की ऊर्जा है। प्रकाश वास्तव में विद्युत् चुंबकीय तरंगें हैं जो वायु अथवा निर्वात में एक स्थान से दूसरे स्थान तक सीधी रेखा में चलता है।

प्रश्न 2.
प्रकाश की प्रकृति की विशेषताएं लिखिए।
उत्तर-

  • इन्हें संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती।
  • यह विद्युत् चुंबकीय तरंगों के रूप में होता है।
  • इसकी चाल माध्यम की प्रकृति पर आधारित होती है।

प्रश्न 3.
प्रकाश के कृत्रिम स्रोत कौन-से हैं ? उदाहरण दें।
अथवा
मनुष्य द्वारा बनाए गए प्रकाश के स्त्रोत कौन-से हैं ? उदाहरण दें।
उत्तर-
प्रकाश के कृत्रिम स्त्रोत (Artificial Sources of Light) – प्रकाश के मुख्य कृत्रिम स्रोत-अग्नि, विद्युत्, गैस, दीप तथा कुछ रासायनिक क्रियाएं हैं।

प्रश्न 4.
परावर्तक क्या होता है ?
उत्तर-
परावर्तक (Reflector)- ऐसी चिकनी और चमकीली (पॉलिश की गई) सतह जो प्रकाश किरणों को उसी माध्यम में लौटा देती है जिससे वे किरणें आ रही होती हैं, को परावर्तक (Reflector) कहते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 5.
प्रकाश परावर्तन से क्या अभिप्राय है ? प्रकाश परावर्तन के नियम लिखो।
अथवा
प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light) क्या है ? प्रकाश के परावर्तन के नियम लिखें।
उत्तर-
प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light)-जब प्रकाश की किरणें किसी समतल और चमकदार सतह से टकराती हैं, तो विशेष दिशा में वापिस पहले माध्यम में ही लौट आती हैं। प्रकाश की इस प्रक्रिया को प्रकाश परावर्तन कहते हैं।

परावर्तन के नियम (Laws of Reflection)-

  • आपतन कोण (∠i) और परावर्तन कोण (∠r) एक-दूसरे के बराबर होते हैं।
    अर्थात् ∠i = ∠r.
  • आपतित किरण परावर्तित किरण और आपतन बिंदु परावर्तित सतह आपतन बिंदु पर बना अभिलंब (normal) सभी दर्पण एक तल में होते हैं। चित्र में AB एक समतल परावर्तक सतह (दर्पण) है, PQ आपतित किरण, QR परावर्तित किरण और ON आपतन बिंदु पर अभिलंब हैं। चित्र से पता चलता है कि आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा अभिलंब सभी कागज़ के तल में हैं।
    PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 13

प्रश्न 6.
जब प्रकाश की कोई किरण दर्पण पर अभिलंब रूप में पड़ती है तो आपतन कोण कितना होता
उत्तर-
जब प्रकाश की कोई किरण दर्पण पर अभिलंब रूप में पड़ती है तो इस अवस्था में आपतन कोण शून्य अंश के बराबर होता है। (∠i = ∠0 °)

प्रश्न 7.
जब प्रकाश की किरण किसी दर्पण पर अभिलंब रूप में पड़ती है तो यह किस कोण पर परावर्तित होती है?
उत्तर-
जब प्रकाश की कोई किरण दर्पण पर अभिलंब रूप में पड़ती है (∠i = 0°) तो यह परावर्तित होकर अभिलंब की दिशा में वापिस मुड़ आती है। इस अवस्था में परावर्तित (∠r = 0° ) शून्य अंश का होता है।

प्रश्न 8.
किसी दर्पण पर अभिलंब रूप में पड़ रही किरण उसी पथ पर वापिस आ जाती है। क्यों ?
उत्तर–
किसी दर्पण पर अभिलंब रूप में पड़ रही किरण उसी पथ पर वापिस आ जाती है। इस अवस्था में आपतन कोण (∠i = 20°) शून्य है, क्योंकि परावर्तन के नियमानुसार आपतन कोण ∠i = परावर्तन कोण Lr होता है, इसलिए परावर्तन कोण भी (∠r = 0°) शून्य होगा तथा प्रकाश किरण उसी पथ पर लौट आएगी।

प्रश्न 9.
इन पदों की परिभाषा दो : गोलीय दर्पण, अवतल दर्पण, उत्तल दर्पण, द्वारक, वक्रता केंद्र, शीर्ष, मुख्य फोकस और फोकस-दूरी।
उत्तर-
(i) गोलीय दर्पण (Spherical Mirror) यदि दर्पण किसी खोखले गोले का भाग है जिसकी एक सतह पॉलिश की हुई हो और दूसरी सतह परावर्तक हो तो ऐसा दर्पण, गोलीय दर्पण कहलाता है।
गोलीय दर्पण दो प्रकार का होता है –

  • अवतल दर्पण तथा
  • उत्तल दर्पण

(ii) अवतल दर्पण (Concave Mirror)- एक ऐसा गोलीय दर्पण जिसकी परावर्तक सतह उस गोले के केंद्र की ओर होती है जिसका यह दर्पण एक भाग है, अवतल दर्पण कहलाता है। अवतल दर्पण की बाहरी मुख्य अक्ष सतह पॉलिश की हुई होती है तथा प्रकाश परावर्तन भीतरी सतह से होता है।
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(iii) उत्तल दर्पण (Convex Mirror)-एक ऐसा दर्पण जिसकी परावर्तक सतह उस गोले के केंद्र से परे (दूर) होती है जिस गोले का दर्पण एक भाग होता है, उत्तल दर्पण कहलाता है। उत्तल दर्पण की भीतरी सतह पॉलिश की हुई होती है तथा परावर्तन बाहरी सतह से होता है।
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(iv) द्वारक (Aperture)-दर्पण के उस भाग को, जिससे प्रकाश का परावर्तन होता है, दर्पण का द्वारक कहा जाता है। चित्र (a) और (b) में दूरी M1 M2 दर्पण का द्वारका कहलाता है।
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(v) वक्रता-केंद्र (Centre of Curvature)-दर्पण का वक्रता केंद्र उस खोखले गोले का केंद्र है जिसका दर्पण एक भाग होता है। नीचे चित्र (a) में C एक अवतल दर्पण का वक्रता केंद्र है और चित्र (b) में C एक उत्तल दर्पण का वक्रता केंद्र है।

(vi) शीर्ष या ध्रुव (Pole)-गोलीय दर्पण के मध्य बिंदु या केंद्र को इसका ध्रुव या शीर्ष (vertex) कहा जाता है। नीचे चित्र (a) और (b) में इसे P से दर्शाया गया है।

(vii) मुख्य फोकस (Principal Focus)-दर्पण का मुख्य फोकस, मुख्य अक्ष पर वह बिंदु होता है जहाँ पर मुख्य अक्ष के समांतर आ रही प्रकाश किरणें दर्पण से परावर्तित होकर वास्तव में एक बिंदु पर आकर मिलें या इस बिंदु से अभिसरित होती हैं अथवा एक बिंदु से अपसरित होती हईं प्रतीत पडती हैं।
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(viii) फोकस दूरी (Focus Length)-गोलीय दर्पण के शीर्ष (ध्रुव) (P) और मुख्य फोकस (F) के मध्य की दूरी को दर्पण की फोकस दूरी कहा जाता है। इसे द्विारा प्रदर्शित किया जाता है। चित्र में PF फोकस दूरी है। एस० आई० पद्धति में फोकस दूरी का मात्रक (unit) मीटर हैं।

प्रश्न 10.
एक अवतल दर्पण की फोकस दूरी और वक्रता अर्धव्यास के मध्य क्या संबंध हैं ? समतल दर्पण की फोकस दूरी कितनी होती है ?
उत्तर-
एक अवतल दर्पण की फोकस दूरी उस दर्पण के वक्रता अर्धव्यास से आधी होती हैं। यदि अवतल दर्पण की फोकस दूरी f और वक्रता अर्धव्यास R हो, तो
f=\(\frac{1}{2}\) xR
समतल दर्पण की फोकस दूरी अनंत होती है।

प्रश्न 11.
अवतल दर्पण का एक वास्तविक फोकस होता है। एक आरेख बनाकर इसकी व्याख्या करो।
उत्तर-
अवतल दर्पण का वास्तविक फोकस-क्योंकि अवतल दर्पण के मुख्य अक्ष के समांतर आ रही सभी किरणें दर्पण से परावर्तित होकर वास्तव में फोकस में से गुज़रती हैं, इसलिए अवतल दर्पण का फोकस वास्तविक होता है।
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प्रश्न 12.
जब किसी अवतल दर्पण द्वारा बनाया गया प्रतिबिंब अनंत पर बनता है तो वस्तु कहाँ पर होती है ?
उत्तर-
जब वस्तु को अवतल दर्पण के फोकस पर रखा जाता है तो प्रतिबिंब अनंत पर बनता है तथा यह प्रतिबिंब वास्तविक तथा वस्तु की अपेक्षा आकार में बड़ा बनता है। इस अवस्था में वस्तु से आ रही प्रकाश किरणें परावर्तन के पश्चात् समांतर हो जाती हैं।
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प्रश्न 13.
किसी वस्तु को एक अवतल दर्पण के सामने कहाँ पर रखा जाये ताकि इसका प्रतिबिंब वास्तविक और वस्तु के समान आकार का बने ?
उत्तर-
अवतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब वास्तविक तथा वस्तु के समान आकार का प्राप्त करने के लिए वस्तु को अवतल दर्पण के सामने वक्रता-केंद्र पर रखना चाहिए। इस अवस्था में प्रतिबिंब भी वक्रता-केंद्र पर बनेगा तथा यह वास्तविक, उल्टा और आकार में वस्तु के आकार के बराबर होगा।
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प्रश्न 14.
अवतल दर्पण में वस्तु का प्रतिबिंब बड़ा और आभासी कब बनता है ? आरेख दवारा दर्शाओ।
उत्तर-
जब वस्तु अवतल दर्पण के शीर्ष (Pole) और फोकस के मध्य रखी जाती है तो उस अवस्था में वस्तु प्रतिबिंब का प्रतिबिंब सीधा, आभासी तथा आकार में वस्तु की अपेक्षा बड़ा बनता है।
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प्रश्न 15.
किसी दर्पण का उपयोग शेव करने के लिए किया जाता है और क्यों ? इसकी क्रिया को एक आरेख की सहायता से दर्शाओ।
उत्तर-
अवतल दर्पण का शेव करने वाले दर्पण के रूप में उपयोग किया जाता है क्योंकि जब हम अपना चेहरा किसी अवतल दर्पण के निकट (शीर्ष और फोकस के मध्य) रखते हैं तो चेहरे का प्रतिबिंब आकार में बड़ा और सीधा बनता है, जिससे बारीक बाल भी दिखाई देते हैं, अर्थात् यह चेहरे की ठीक शेव (Shave) करने में सहायक होता है। इसलिए अवतल दर्पण को शेव करने वाले दर्पण के रूप में प्रयोग किया जाता है ।
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प्रश्न 16.
कौन-सा दर्पण हमेशा आभासी, सीधा और वस्तु से छोटे आकार का प्रतिबिंब बनाता है ?
उत्तर-
उत्तल दर्पण के लिए वस्तु की स्थिति यद्यपि कोई भी हो, प्रतिबिंब सदा आभासी, सीधा, उत्तल दर्पण वस्तु से छोटा और दर्पण के पीछे बनेगा।
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प्रश्न 17.
किस दर्पण की दृष्टि क्षेत्र बड़ा होता है ?
उत्तर-
उत्तल दर्पण में प्रतिबिंब सदा आभासी सीधा तथा वस्तु से छोटे आकार का और दर्पण के पीछे बनता है। दर्पण को वस्तु से दूर ले जाने पर पीछे की ओर के बड़े क्षेत्र में पड़ी वस्तुएं देखी जा सकती हैं। इस प्रकार इसका दृष्टि क्षेत्र बड़ा हो जाता है। अतः उत्तल दर्पण का दृष्टि क्षेत्र बड़ा होता है।

प्रश्न 18.
किस दर्पण को ड्राइवर के दर्पण के रूप में पहल दी जाती है और क्यों ? आरेख बनाकर दर्शाओ।
उत्तर-
उत्तल दर्पण को ड्राइवर के दर्पण के रूप में पहल दी जाती है क्योंकि उत्तल दर्पण में बन रहा प्रतिबिंब वस्तु से बहुत छोटा तथा सीधा बनता है। इसलिए उत्तल दर्पण द्वारा पीछे आ रही ट्रैफिक का एक बड़ा भाग दिखाई देता है।
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प्रश्न 19.
पीछे की ट्रैफिक देखने के लिए वाहनों में किस प्रकार के दर्पण का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
क्योंकि उत्तल दर्पण में पीछे आ रही ट्रैफिक का सीधा तथा छोटा प्रतिबिंब बनता है, इसलिए बड़े क्षेत्र में आ रहे वाहनों को देखने के लिए उत्तल दर्पण का प्रयोग वाहनों के दर्पण के रूप में किया जाता है ।

प्रश्न 20.
समतल दर्पण, अवतल दर्पण और उत्तल दर्पण को बिना छुए आप इनमें अंतर कैसे मालूम करोगे ?
उत्तर-
दर्पणों की पहचान करना प्रतिबिंब देखकर–प्रत्येक दर्पण में अपने चेहरे का प्रतिबिंब देखें। अब अपना चेहरा दर्पण से दूर ले जाओ और प्रतिबिंब का आकार नोट करो। आप देखेंगे कि समतल दर्पण में बन रहे प्रतिबिंब का आकार चेहरे के आकार के बराबर तथा अवतल दर्पण में बड़ा और उत्तल दर्पण में प्रतिबिंब का आकार छोटा होगा। इस तरह हम बिना छुए समतल दर्पण, अवतल दर्पण और उत्तल दर्पण में पहचान कर सकते हैं।

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प्रश्न 21.
एक गोलीय दर्पण के आवर्धन की परिभाषा दो। समतल दर्पण में आवर्धन कितना होता है?
अथवा
आवर्धन (Magnification) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
आवर्धन (Magnification)-गोलीय दर्पण का आवर्धन दर्पण द्वारा बनाये गए प्रतिबिंब के आकार या ऊँचाई (Size) और वस्तु के आकार या ऊँचाई (Size) के अनुपात के बराबर होता है। इसे m द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
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समतल दर्पण का आवर्धन-समतल दर्पण को एक ऐसे गोले का भाग माना जा सकता है जिसका अर्धव्यास अनंत है।
∴ दर्पण फार्मूला लगाकर \(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{\infty}\)
\(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=0\)
u+v = 0
u = -v
अब आवर्धन (m) = \(\frac{-v}{u}=\frac{u}{u} \) = 1
अर्थात् वस्तु का आकार और प्रतिबिंब का आकार एक समान होते हैं।

प्रश्न 22.
एक समतल दर्पण के द्वारा बनाये गए प्रतिबिंब के लक्षण लिखो।
उत्तर-
समलत दर्पण में बने प्रतिबिंब के लक्षण (गुण)-

  • यह आभासी होता है, अर्थात् इसे पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता।
  • यह सीधा होता है।
  • इसमें पार्श्व परावर्तन होता है, अर्थात् दायाँ हाथ दर्पण में बायाँ दिखाई देता है और बायाँ हाथ दायाँ दिखाई देता है।
  • समतल दर्पण में बने प्रतिबिंब आकार वस्तु के आकार के बराबर होता है।
  • प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर वस्तु दर्पण के सामने रखी जाती है।

प्रश्न 23.
प्रतिबिंब से क्या तात्पर्य है ? आभासी तथा वास्तविक प्रतिबिंब में क्या अंतर है ?
उत्तर-
प्रतिबिंब-दर्पण के सामने रखी वस्तु की दर्पण में जो आकृति बन जाती है उस आकृति को वस्तु का प्रतिबिंब कहते हैं। प्रतिबिंब की परिभाषा निम्नलिखित प्रकार से दी जाती है – “जब प्रकाश की किरणें किसी बिंदु से चलकर परावर्तन के पश्चात् (दर्पण में) अथवा अपवर्तन के पश्चात् (लेंस में) किसी दूसरे बिंदु पर जाकर मिलती है अथवा दूसरी बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं तो इस दूसरे बिंदु को पहले बिंदु का प्रतिबिंब कहते हैं।”

वास्तविक तथा आभासी प्रतिबिंब में अंतर

एक वास्तविक प्रतिबिंब (Real Image) आभासी प्रतिबिंब (Virtual Image)
(1) परावर्तन या अपवर्तन के बाद यदि प्रकाश की किरणें परस्पर मिलें तो प्रतिबिंब वास्तविक बनता है। (1) परावर्तन या अपवर्तन के बाद यदि प्रकाश की किरणें परस्पर न मिलें (पीछे को बढ़ाकर उन्हें मिलना पड़े) तो प्रतिबिंब आभासी बनता है।
(2) यह प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त किया जा सकता है। (2) यह प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
(3) यह प्रतिबिंब हमेशा उल्टा बनता है। (3) यह प्रतिबिंब सीधा बनता है।

प्रश्न 24.
समतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब की रचना चित्र सहित समझाएं।
अथवा
कैसे दर्शाओगे कि समतल दर्पण में बने प्रतिबिंब की दर्पण से दूरी उसके सामने पड़ी वस्तु की दर्पण से दूरी के बराबर होती है।
उत्तर-
समतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब की लिमिट रचना-मान लो MM’ एक समतल दर्पण है और उसके सामने वस्तु 0 पड़ी है। OA और OB दो आपाती किरणें निकल रही हैं। AC और BD इनकी अनुसारी परावर्तित किरणें हैं, I प्रतिबिंब है। क्योंकि परावर्तित किरणें वास्तव में I पर नहीं मिलती | M aiyammiliauranizarrILM’ समतल दर्पण परंतु I पर मिलती हुई दिखाई देती हैं, इसलिए । वस्तु 0 का आभासी प्रतिबिंब है। मापने से पता चलता है कि NO = NI अर्थात् प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर दर्पण के सामने रखी रहती है।
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प्रश्न 25.
गोलीय दर्पण के मुख्य उपयोग लिखो।
उत्तर-
गोलीय दर्पण के उपयोग-गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं।
(1) अवतल दर्पण
(2) उत्तल दर्पण।

(1) अवतल दर्पण के उपयोग–

  • अवतल दर्पण, परावर्तक के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। बड़े व्यास वाले दर्पणों को परावर्तक दूरदर्शी में प्रयुक्त किया जाता है।
  • एक अवतल दर्पण जिसके केंद्र में सुराख होता है, डॉक्टर के सिर के दर्पण (head mirror) के रूप में आँख, नाक, गले तथा कान के निरीक्षण के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
  • जब वस्तु को दर्पण के शीर्ष तथा फोकस के मध्य रखा जाता है तो यह सीधा, बड़ा तथा आभासी प्रतिबिंब बनाता है। इसलिए इसे शेव दर्पण के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।
  • अवतल दर्पण कार की लैंप तथा सर्चलाइट में प्रयुक्त किया जाता है।

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(2) उत्तल दर्पण के उपयोग-
उत्तल दर्पण, ड्राइवरों द्वारा पीछे आ रहे ट्रैफिक का अधिक दृष्टि क्षेत्र में देखने के लिए प्रयोग किया जाता है क्योंकि इस दर्पण में प्रतिबिंब छोटा, सीधा तथा आभासी होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 28

प्रश्न 26.
उत्तल दर्पण द्वारा बनाए गए प्रतिबिंब की रचना आरेख चित्र द्वारा समझाओ।
अथवा
किसी अवतल दर्पण द्वारा बिंब के प्रतिबिंब बनने का स्थान निर्धारित करने के लिए न्यूनतम कितनी किरणों की आवश्यकता होती है ? एक अवतल दर्पण द्वारा आभासी प्रतिबिंब का बनना एक किरण आरेख खींचकर दिखाइए।
उत्तर-
किसी अवतल दर्पण द्वारा बिंब के प्रतिबिंब बनने का स्थान निर्धारित करने के लिए न्यूनतम दो किरणों की आवश्यकता होती है। अवतल दर्पण द्वारा आभासी प्रतिबिंब की रचनाउत्तल दर्पण द्वारा बनाए गए प्रतिबिंब की रचना (Formation of Image by Convex Mirror)-मान लो एक वस्तु AB उत्तल दर्पण के सामने इसके मुख्य अक्ष पर पड़ी है। एक किरण AD, A बिंदु से चलकर दर्पण से
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 29
परावर्तन के पश्चात् DE दिशा में जाती है जोकि मुख्य फोकस F में से आ रही दिखाई पड़ती है। एक अन्य आपतित किरण AC, वक्रता केंद्र C से परावर्तित होकर, वापिस मुड़ जाती है। ये दोनों परावर्तित किरणे A’ पर मिलती हुई दिखाई दोती हैं जो A का आभासी प्रतिबिंब हैं। A’ पर बना लंब A B’ वस्तु AB का आभासी, सीधा तथा आकार में छोटा प्रतिबिंब है।

प्रश्न 27.
गोलीय दर्पणों के लिए नई कार्तीय चिह्न परंपराओं की चर्चा करो।
अथवा
गोलीय दर्पणों द्वारा परावर्तन के लिए कौन-सी चिह्न परिपाटी का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
नई कार्तीय चिह्न प्रतिबिंब परंपराएं (New Cartesian Sign Conventions)

  • वस्तु (या बिंब) दर्पण से बायीं ओर होता है तथा वस्तु से चलने वाली आपतित किरणें बायीं ओर से दायीं ओर जाती हुई मानी गई हैं।
  • सभी दूरियां गोलीय दर्पण के शीर्ष (Pole) से मापी जाती हैं।
  • आपतित प्रकाश की दिशा में मापी जाने वाली दूरियों को धनात्मक और आपतित प्रकाश की दिशा से विपरीत दिशा में मापी जाने वाली दूरियों को ऋणात्मक माना जाता है।
  • दर्पणों के मुख्य अक्ष के समकोणीय ऊपर की ओर मापी जाने वाली ऊँचाइयों को धनात्मक और इसके विपरीत नीचे की ओर ऊँचाइयों को ऋणात्मक माना जाता है।

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प्रश्न 28.
प्रकाश की एक किरण समतल दर्पण के साथ 40° का कोण बनाती है। इसका परावर्तन कोण कितना होगा ?
उत्तर-
प्रकाश की किरण का समतल दर्पण के साथ बना कोण = 40°
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 31
∴ अभिलंब आपतित तथा किरण के मध्य साथ बना कोण = ∠i = 90° – 40° = 50° ‘
∵ ∠i = ∠r
अत : r = 50°

प्रश्न 29.
दो समतल दर्पणों को किस प्रकार : व्यवस्थित किया जाए कि परावर्तित किरण के समानांतर हैं ?
उत्तर-
परावर्तित किरण सदैव आपतित किरण के समानांतर होगी यदि दो समतल दर्पण एक-दूसरे के लंबवत् व्यवस्थित किए जाएं जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 32

प्रश्न 30.
विसरित परावर्तन (Diffused Reflection) से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
समानांतर किरणें किसी ऐसे तल से टकराती हैं जो असमतल (खुरदरा) हो तो प्रकाश की परावर्तित किरणों का एक बड़ा भाग टकराने के बाद अनियमित रूप से फैल जाता है, तो ऐसे परावर्तन को विसरित परावर्तन कहते हैं।
उदाहरण-पुस्तक के अक्षरों अथवा ब्लैक बोर्ड पर लिखे गए शब्दों का पढ़ जाना विसरित परावर्तन के विसतरित परावर्तन कारण ही संभव है।
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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 31.
प्रकाशीय माध्यम किसे कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
प्रकाशीय माध्यम-जिस भौतिक साधन में से प्रकाश सुगमता से गुज़र सकता है, उसे प्रकाशीय माध्यम कहते हैं; जैसे वायु, पानी, काँच आदि।
माध्यम निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं

  • पारदर्शी माध्यम-वह माध्यम जिसमें से प्रकाश की किरणें सुगमता से गुज़र सके और उसके दूसरी ओर पड़ी हुई वस्तुएं स्पष्ट दिखाई दें, पारदर्शी माध्यम कहलाता है; जैसे साफ पानी, काँच आदि।
  • अपारदर्शी माध्यम-जिस माध्यम में से प्रकाश की किरणें न गुज़र सकें और दूसरी ओर पड़ी हुई वस्तुएं दिखाई न दें, अपारदर्शी माध्यम कहलाता है ; जैसे ईंट, गत्ता, लोहे की चादर आदि।
  • पारभासी माध्यम-जिस माध्यम में से प्रकाश किरणे अल्प मात्रा में गुज़रे और दूसरी तरफ पड़ी हुई वस्तुएं धुंधली दिखाई दें, पारभासी माध्यम कहलाता है, जैसे धुंधला काँच, तेल लगा कागज़।

प्रश्न 32.
घनत्व की दृष्टि से माध्यम कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
घनत्व की दृष्टि से माध्यम दो प्रकार के होते हैं –

  • विरल माध्यम-कम घनत्व वाले माध्यम को विरल माध्यम कहते हैं। उदाहरण-वायु।
  • सघन माध्यम-अधिक घनत्व वाले माध्यम को सघन माध्यम कहते हैं। उदाहरण-काँच।

प्रश्न 33.
विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करते हुए माध्यम की अधिक सघनता का प्रकाश किरण पर क्या प्रभाव पड़ता है ? सचित्र उदाहरण से इसे समझाइए ।
अथवा
अपवर्तन में माध्यम की सघनता का अपवर्तित किरण के झुकाव पर क्या प्रभाव पड़ता है ? चित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर-
जब प्रकाश की किरण विरल से सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो यह अभिलंब की ओर मुड़ जाती है। माध्यम जितना अधिक सघन होगा, किरण उतनी ही अधिक अभिलंब की ओर मुड़ेगी। आगे दिए गए चित्र में प्रकाश की किरण वायु से पानी में तथा वायु से कांच में प्रवेश करती दिखाई गई है। किरण का झुकाव पानी की अपेक्षा काँच में अधिक है क्योंकि काँच पानी की अपेक्षा अधिक सघन है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 34

प्रश्न 34.
जल से काँच में प्रवेश करने पर प्रकाश की चाल में क्या परिवर्तन होता है ?
उत्तर–
जल, काँच की अपेक्षा विरल माध्यम है। इसलिए प्रकाश जब जल से काँच में प्रवेश करता है तो प्रकाश की चाल कम हो जाती है तथा प्रकाश अभिलंब की ओर मुड़ जाता है। इस अवस्था में आपतन कोण (i) अपवर्तन कोण (r) से बड़ा होता है।

प्रश्न 35.
यदि प्रकाश की किरण काँच से जल में प्रवेश करें तो प्रकाश की किरणें अभिलंब की ओर मुड़ेंगी या अभिलंब से दूर हटेंगी ?
उत्तर-
इस अवस्था में प्रकाश सघन माध्यम (काँच) से जल (विरल माध्यम) में प्रवेश कर रही हैं जिससे अपवर्तन होने पर अभिलंब से दूर हटेंगी। इस अवस्था में आपतन कोण (i) अपवर्तन कोण (r) से कम होगा तथा जल में प्रकाश की चाल अधिक हो जायेगी।

प्रश्न 36.
वास्तविक और आभासी गहराई के संदर्भ में अपवर्तनांक ज्ञात करो।
उत्तर-
यह सामान्य ज्ञान है कि पानी की तालाब में गहराई अधिक प्रतीत होती है। उसका तल कुछ ऊपर उठा हुआ प्रतीत होता है। मान लो एक वस्तु तालाब की गहराई में A पर है। एक किरण AB तल से टकरा कर सामान्यत: BD की ओर अपवर्तित हो जाती है। A से एक अन्य किरण C पर आपतन Zi बना कर अभिलंब की ओर मुड़ जाती है। CE अपवर्तन Lr बनाती है और आँख तक पहुंचती है। इससे A अपने स्थान पर न रह कर A’ पर प्रतीत होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 35
abω = \(\frac{1}{a_{b_{a}}}=\frac{1}{u}\)
\(\frac{\sin i}{\sin r}=a_{b_{\omega}}=\frac{1}{u}\)
\(\frac{\mathrm{BC} / \mathrm{AC}}{\mathrm{BC} / \mathrm{A}^{\prime} \mathrm{C}}=\frac{1}{\mu} \)

या µ = \(\frac{\mathrm{AC}}{\mathrm{A}^{\prime} \mathrm{C}}\)
क्योंकि B और C बहुत निकट हैं
∴ AC लगभग AB और A’C लगभग A’B के बराबर है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 36

प्रश्न 37.
पानी में डूबी हुई लकड़ी मुड़ी हुई प्रतीत होती है। क्यों ?
उत्तर-
पानी में आंशिक रूप से एक सीधा लकड़ी का टुकडा (या पेंसिल) मुड़ा हुआ प्रतीत होता है। मान लो पानी में लकड़ी का एक सीधा टुकड़ा डुबोया गया है जो प्रकाश के अपवर्तन के कारण मुड़ा हुआ प्रतीत होगा। जैसे ही प्रकाश की किरणें बिंदु A से सघन माध्यम से विरल माध्यम में आती हैं तो वह लंब से परे मुड़ जाती हैं इस प्रकार बिंदु A बिंदु A के रूप में दिखाई देता है जिस कारण लकड़ी का टुकड़ा मुड़ा हुआ लगता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 37
इस प्रकार AO भाग A’ के रूप में दिखाई देता है तथा लकड़ी का टुकड़ा टेढ़ा प्रतीत होता है।

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प्रश्न 38.
क्या कारण है कि पानी से भरे टब में तल पर रखा सिक्का हमें ऊँचा उठा हुआ प्रतीत होता है ? चिन द्वारा दर्शाओ कि प्रकाश किरणें कैसे चलती हैं ?
उत्तर-
सिक्के का पानी में ऊपर उठा हुआ प्रतीत होना- इसका कारण प्रकाश का अपवर्तन है। जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से चलकर विरल माध्यम में प्रवेश करती है, तो अभिलंब से दूर हट जाती है जिसके कारण बाहर से देखने पर हमें सिक्का ऊपर उठा दिखाई देता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 38

प्रश्न 39.
स्नेल के नियम की परिभाषा दो ।
उत्तर-
स्नेल का नियम (Snell’s Law)-अपवर्तन के दूसरे नियम को स्नेल का नियम कहते हैं। इस नियम के अनुसार आपतन कोण के साइन (sine i) अर्थात् (sin (i) और अपवर्तन कोण के साइन (sine r) अर्थात (sin r) का अनुपात (ratio) स्थिरांक होता है।
∴ \(\frac{\sin i}{\sin r} \) = स्थिरक = aµb

प्रश्न 40.
अपवर्तनांक किसे कहते हैं ? इसका संख्यात्मक सूत्र भी लिखें।
उत्तर-
अपवर्तनांक (Refractive Index)-निर्वात में प्रकाश के वेग और किसी अन्य माध्यम में प्रकाश के वेग के अनुपात को उस माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 39
aµb को माध्यम b का माध्यम a के सापेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं अर्थात् प्रकाश माध्यम a से माध्यम b में प्रवेश करता है। अपवर्तनांक की कोई इकाई नहीं होती, क्योंकि यह दो एक जैसी राशियों का अनुपात है।

प्रश्न 41.
लेंस की परिभाषा दो। भिन्न-भिन्न प्रकार के लेंस कौन-से हैं ?
उत्तर-
लेंस (Lens)- यह एक पारदर्शी अपवर्तन करने वाले माध्यम का भाग है जो दो गोलीय पृष्ठों या एक गोलीय पृष्ठ तथा दूसरा समतल पृष्ठ से घिरा होता है। लेंस दो प्रकार के होते हैं-

  1. उत्तल लेंस
  2. अवतल लेंस।

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प्रश्न 42.
पद (1) प्रकाशिक केंद्र (2) मुख्य अक्ष (3) मुख्य फोकस का परिभाषा दो।
उत्तर-
1. प्रकाशिक केंद्र (Optical Centre)-लेंस के मध्य बिंदु को प्रकाशिक केंद्र कहा जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 41
चित्र-अवतल लेंस चित्र (a) में C उत्तल लेंस का प्रकाशिक केंद्र है तथा चित्र (b) में C अवतल लेंस का प्रकाशिक केंद्र है। इस बिंदु में से गुजरने वाली प्रकाश किरण मुड़ती (विचलित) नहीं है।

2. मुख्य अक्ष (Principal Axis)- किसी लेंस का मुख्य अक्ष वह काल्पनिक रेखा है जो कि इसके प्रकाशिक केंद्र में से गुज़रती है और यह लेंस के दोनों गोलीय पृष्ठों पर अभिलंब होता है। चित्र (a) में EF उत्तल लेंस का तथा चित्र (b) में चित्र EF अवतल लेंस का मुख्य अक्ष हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 42

3. मुख्य फोकस (Principal Focus)-यह लेंस के मुख्य अक्ष पर वह बिंदु हैं जिस पर मुख्य अक्ष के समांतर आ रही प्रकाश किरणे अपवर्तन के पश्चात् रूप में मिलती हैं (उत्तल लेंस) या (अवतल लेंस) पीछे की तरफ बढ़ाने पर मिलती हुई प्रतीत होती हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 43

प्रश्न 43.
उत्तल लेंस से अपवर्तन द्वारा प्रतिबिंब बनाने के लिए कौन-कौन से नियम हैं ?
उत्तर-
लेंस से अवपर्तन द्वारा प्रतिबिंब बनाने के लिए नियम (Rules for Image Formation after refraction through lens)-(i) मुख्य अक्ष के समांतर प्रकाश की किरण अपवर्तन के बाद मुख्य फोकस से गुज़रती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 44
(ii) मुख्य फोकस में से गुज़र रही प्रकाश की किरण अपवर्तन के बाद मुख्य अक्ष के समांतर हो जाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 45
(iii) लेंस के प्रकाशिक केंद्र में से गुजर रही प्रकाश किरण विचलित नहीं होती।
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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 44.
किसी अवतल लेंस द्वारा प्रतिबिंब कैसे बनता है ? किरण आरेख खींच कर दिखाएं प्रतिबिंब की स्थिति तथा प्रकृति कैसी होगी ?
उत्तर-
अवतल लेंस के सामने रखी किसी वस्तु के प्रतिबिंब का किरण आरेख चित्र में दिखाया गया है, अवतल लेंस द्वारा बनाया गया प्रतिबिंब सदैव लेंस के प्रकाशित केंद्र तथा फोकस के बीच वस्तु की ओर ही बनता है। यह प्रतिबिंब सदैव आकार में छोटा, सीधा तथा आभासी होता है।
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प्रश्न 45.
चित्र की सहायता से समझाइए कि उत्तल लेंस को अभिसारी लेंस क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
उत्तल लेंस की प्रिज़्मों के समूह से निर्मित हुआ माना जाता है, जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है। क्योंकि प्रिज्म में से गुजरने वाली किरण इसके आधार की ओर मुड़ जाती है, इसलिए यह संयोजन प्रकाश को अभिसरित करने की क्षमता रखता है। अतः इसे अभिसारी लेंस कहते है।
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प्रश्न 46.
चित्र की सहायता से समझाइए कि अवतल लेंस को अपसारी लेंस क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
अवतल लेंस के दो प्रिज्मों को जिनके शीर्षक कांच पट्टिका की आमने-सामने वाली फलकों से संपर्क किए हुए हों, के समान माना जाता है। क्योंकि प्रकाश किरणे अपवर्तन के बाद आधार की ओर मुड़ती हैं और अपसरित होती दिखाई देती हैं। यह व्यवस्था प्रकाश को अपसरित करने की क्षमता रखता है। इस लेंस को अपसारी लेंस कहा जाता है।
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प्रश्न 47.
अवतल लेंस के लिए, यदि वस्तु अनंत पर हो तो प्रतिबिंब कहाँ बनेगा और इसकी प्रकृति क्या होगी ? चित्र बनाकर दर्शाओ।
उत्तर-
यदि वस्तु अनंत पर होगी तो उससे आने वाली सभी आपतित किरणें एक-दूसरे के समानांतर होंगी और अवतल लेंस में से गुज़रने (अपवर्तन) के पश्चात् अपसरित हो जायेंगी (अथवा फैल जाएगी) ये सभी अपवर्तित किरणें पीछे की ओर बढ़ाने पर एक बिंदु से आती हुई प्रतीत होंगी जहाँ प्रतिबिंब बनेगा। यह बिंदु फोकस कहलाता है। अतः प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा आकार में छोटा होगा। चित्र में सभी आपतित किरणें अवतल लेंस के मुख्य अक्ष के समांतर दर्शायी गई हैं।
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प्रश्न 48.
उत्तल लेंस के लिए, वस्तु की स्थिति क्या होनी चाहिए, ताकि प्रतिबिंब फोकस पर बने और बहुत छोटा हो ? चित्र बनाकर दर्शाओ।
उत्तर-
उत्तल लेंस में प्रतिबिंब फोकस पर बनने और आकार में छोटा होने के लिए वस्तु को अनंत पर अर्थात् लेंस से बहुत अधिक दूरी पर होना चाहिए।
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प्रश्न 49.
लेंस सूत्र क्या है ? इसकी व्युत्पत्ति के लिए किन चिह्न परिपाटियों का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
लेंस सूत्र (Lens Formula)–लेंस सूत्र वस्तु की दूरी (u), प्रतिबिंब की दूरी (v) तथा लेंस की फोकस दूरी (f) के बीच संबंध को प्रकट करता है।
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)

चिह्न परिपाटी (Sign Conventions)-

  • सभी दूरियाँ लेंस के प्रकाशिक केंद्र से मापी जाती हैं तथा प्रकाश बाईं ओर से दाईं ओर आपतित होता है।
  • आपतित किरण की दिशा में मापी जाने वाली सभी दूरियाँ धन (+) मानी जाती हैं। आपतित किरण की विपरीत दिशा में मापी जाने वाली सभी दूरियाँ ऋण (-) मानी जाती हैं।
  • मुख्य अक्ष पर अभिलंब की दिशा में ऊपर की तरफ मापी जाने वाली दरियाँ धन तथा नीचे की तरफ मापी जाने वाली दूरियाँ ऋण मानी जाती हैं।

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प्रश्न 50.
प्रतिबिंब की किस स्थिति में एक उत्तल लेंस आभासी तथा सीधा प्रतिबिंब बनाता है? एक किरण आरेख की सहायता से अपना उत्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उत्तल लेंस के प्रकाशिक केंद्र तथा फोकस के बीच स्थित बिंब का प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा बिंब से बड़ा बनता है, जैसा कि चित्र में प्रदर्शित है। प्रतिबिंब की स्थिति लेंस के उसी ओर होती है जिस ओर बिंब है।
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प्रश्न 51.
आवर्धन की परिभाषा दो। आवर्धन का मात्रक क्या है ?
अथवा
रेखीय आवर्धन की परिभाषा दें। आवर्धन का मात्रक क्या है ?
उत्तर-
आवर्धन (Magnification)–गोलीय लेंस का आवर्धन लेंस द्वारा बनाये गये प्रतिबिंब के आकार तथा वस्तु के आकार का अनुपात होता है। इसे m से प्रदर्शित किया जाता है।
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m का कोई मात्रक नहीं होता क्योंकि यह दो समरूप राशियों का अनुपात है।

प्रश्न 52.
उत्तल दर्पण तथा अवतल दर्पण में अंतर लिखिए।
उत्तर-
उत्तल दर्पण तथा अवतल दर्पण में अंतर

उत्तल दर्पण अवतल दर्पण
(1) इसमें परावर्तन करने वाला चमकीला तल अंदर बाहर को उभरा होता है। (1) इसमें परावर्तन करने वाला चमकीला तल धंसा होता है।
(2) इसमें आभासी प्रतिबिंब बनता है। (2) इसमें वास्तविक और आभासी दोनों प्रकार के प्रतिबिंब बनते हैं।
(3) इसमें सीधा प्रतिबिंब बनता है। (3) इसमें प्रतिबिंब उल्टा और सीधा दोनों बनते हैं।
(4) इसमें प्रतिबिंब छोटा बनता है। (4) इसमें प्रतिबिंब बड़ा, छोटा तथा वस्तु के आकार का, तीनों प्रकार का बनता है।

प्रश्न 53.
उत्तल तथा अवतल लेंस में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उत्तल तथा अवतल लेंस में अंतर –

उत्तल लेंस अवतल लेंस
(1) बीच में से मोटा तथा किनारों से पतला होता है। (1) बीच में से पतला तथा किनारों से मोटा होता है।
(2) अक्षर बड़े आकार के दिखाई देते हैं। (2) अक्षर छोटे आकार के दिखाई देते हैं।
(3) प्रकाश की किरणों को एक बिंदु पर केंद्रित करता है। (3) प्रकाश-किरण पुंज को बिखेर देता है।
(4) वस्तु का प्रतिबिंब वास्तविक, आभासी तथा उल्टा बनता है। (4) वस्तु का प्रतिबिंब आभासी तथा सीधा बनता है।
(5) इसकी फोकस दूरी धनात्मक होती है। (5) इसकी फोकस दूरी ऋणात्मक होती है।

प्रश्न 54.
परावर्तन और अपवर्तन में क्या अंतर हैं ?
उत्तर-
परावर्तन तथा अपवर्तन के अन्तर –

परावर्तन अपवर्तन
(1) किसी चमकीली सतह से टकराकर प्रकाश की किरण का वापस लौट जाना प्रकाश का परावर्तन कहलाता है। (1) पारदर्शक माध्यम से प्रकाश का एक-दूसरे पारदर्शक माध्यम में प्रवेश करने पर अपने पथ से विचलित हो जाना, प्रकाश का अपवर्तन कहलाता है।
(2) इसमें आपतन कोण तथा परावर्तन कोण सदा समान होते हैं। (2) इसमें आपतन कोण और अपवर्तन कोण छोटे बड़े होते हैं।
(3) परावर्तन के पश्चात् प्रकाश की किरणें पुनः उसी माध्यम में वापस लौट जाती हैं। (3) अपवर्तन के पश्चात् प्रकाश की किरणें दूसरे माध्यम में चली जाती हैं।

प्रश्न 55.
बिना स्पर्श किए हुए आप उत्तल लेंस, अवतल लेंस तथा काँच की वृत्ताकार पट्टिका को कैसे पहचानोगे ?
उत्तर-
उत्तल लेंस, अवतल लेंस व काँच की पट्टिका को मुद्रित अक्षरों के ऊपर रखकर आँखों की ओर लाने पर यदि अक्षरों का आकार बढ़ता दिखाई दे तो वह उत्तल लेंस होगा और यदि अक्षरों का आकार घटता दिखाई दे तो वह अवतल लेंस होगा, और यदि अक्षरों का आकार समान रहे तो वह काँच की वृत्ताकार पट्टिका होगी।

प्रश्न 56.
एक-दूसरे के संपर्क में रखे दो या अधिक पतले लेंसों की क्षमता के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
यदि अनेक पलते लेंस लेकर उन्हें एक-दूसरे से जोड़कर रखें तो इस लेंस के संयोजन की कुल क्षमता उन लेंसों की अलग-अलग क्षमताओं के योग के समान होती है। चश्मा बनाने वाले संशोधी लेंसों के अनेक लेंसों की सहायता से ही आवश्यक लेंस की क्षमता की गणना करते हैं।
∴ P = P1+ P2 + P3

प्रश्न 57.
नीचे दिए गए चित्र में कौन-सा दर्पण दर्शाया गया है ? दर्पण की तुलना में वस्तु कहां रखी है ? बनते दिखाई देते प्रतिबिम्ब का एक लक्षण लिखें।
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उत्तर-
चित्र में अवतल दर्पण दर्शाया गया है। चित्र में वस्तु AB दर्पण के सामने फोकस (F) तथा ध्रुव के मध्य रखी है। चित्र में बन रहा प्रतिबिंब A’B’ वस्तु की तुलना में बड़ा, सीधा तथा अभासी है।

प्रश्न 58.
गोलाकार दर्पणों के दो उपयोग लिखें।
उत्तर-
गोलाकार दर्पण दो प्रकार के होते हैं-

  • अवतल दर्पण
  • उत्तल दर्पण।

गोलाकार दर्पणों का उपयोग

  • अवतल दर्पण परार्वतक के रूप में परावर्तक दूरदर्शी में प्रयोग किया जाता है।
  • उत्तल दर्पण ड्राइवरों द्वारा पीछे आ रहे ट्रैफिक को विस्तृत दृष्टि से देखने के लिए प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसमें बन रहा प्रतिबिंब छोटा, सीधा तथा आभासी है।

प्रश्न 59.
नीचे दिए गये चित्र में कौन-सा दर्पण दिखाया गया है ? दर्पण की तुलना में वस्तु कहाँ रखी है ? बन रहे प्रतिबिम्ब के लक्षण लिखो।
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उत्तर-
चित्र में अवतल दर्पण दर्शाया गया है। वस्तु की दूरी दर्पण की तुलना में वक्रता केन्द्र (C) से दूर रखा गया है। इसलिए वस्तु AB से बना प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा तथा वस्तु के आकार से छोटा होगा।

संख्यात्मक प्रश्न (Numerical Questions)

प्रश्न 1.
20 cm फोकस दूरी के एक अवतल दर्पण से एक वस्तु कितनी दूरी पर रखी जाये ताकि इसका प्रतिबिंब दर्पण के सामने 40 cm की दूरी पर बने ?
उत्तर-
f = -20 cm (अवतल दर्पण के लिए)
v = -40 cm (आपतित प्रकाश की दिशा के उल्ट दिशा में मापी गई प्रतिबिंब की दूरी)
u = ? (अवतल दर्पण से वस्तु की दूरी)
दर्पण फार्मूले से \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
\(-\frac{1}{40}+\frac{1}{u}=\frac{1}{-20}\)
या
\(\frac{1}{u}=\frac{-1}{20}+\frac{1}{40}\)
= \(\frac{-2+1}{40}\)
= \(\frac{-1}{40}\)
\(\frac{1}{u}=\frac{1}{-40}\)
या u = -40 cm.
अर्थात् वस्तु अवतल दर्पण के सामने 40 cm की दूरी पर रखी जाए। उत्तर

प्रश्न 2.
एक अवतल दर्पण का वक्रता अर्ध-व्यास 15 cm है और एक वस्तु को इसके शीर्ष से 20cm पर रखा जाता है। प्रतिबिंब की प्रकृति और स्थिति मालूम करो।
हल- वक्रता अर्धव्यास (R) = -15cm (अवतल दर्पण के लिए)
फोकस दूरी (f) = \(\frac{-15}{2}\) cm
वस्तु की दर्पण के शीर्ष से दूरी (u) = -20 cm (आपतित किरण की दिशा के विपरीत दिशा में मापा गया)
प्रतिबिंब की शीर्ष से दूरी (v) = ?
आवर्धन (m) = ?
दर्पण फार्मूला से \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{v}+\frac{1}{-20}=\frac{1}{\frac{-15}{2}}\)
या \(\frac{1}{v}-\frac{1}{20}=\frac{-2}{15}\)
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∴ v = -12
अर्थात् प्रतिबिंब दर्पण के सामने 12 cm की दूरी पर बनता है।
अब आवर्धन (m) = \(\frac{-v}{u}\)
= \(\frac{-(-12)}{-20}\)
= \(\frac{-12}{20}\)
= \(\frac{-3}{5}\) = -0.6
m < 1 क्योंकि आवर्धन का मान 1 से कम और ऋणात्मक है, इसलिए प्रतिबिंब वस्तु से आकार में छोटा, उल्टा और वास्तविक है।

प्रश्न 3.
एक 6 cm ऊँचाई वाली वस्तु को 18cm फोकस दूरी वाले एक दर्पण से 10 cm की दूरी पर रखा गया है। प्रतिबिंब की स्थिति और आवर्धन ज्ञात करो।
हल –
u = -10 cm आपतित किरण की दिशा के विपरीत दिशा में मापी गई दूरी)
f = + 18 cm (उत्तल दर्पण के लिए)
h1 = + 6 cm (मुख्य अक्ष के ऊपर की ओर मापने पर)
दर्पण फार्मूले से, \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{v}+\frac{1}{-10}=\frac{1}{18}\)
∴ \(\frac{1}{v}=\frac{1}{10}+\frac{1}{18}\)
⇒ \(\frac{1}{v}=\frac{18+10}{180}\)
= \(\frac{28}{180}\)
∴ v = + 6.4 cm
क्योंकि v धनात्मक है इसलिए प्रतिबिंब दर्पण के पीछे 6.4 cm की दूरी पर बनता है और आभासी है ।
अब आवर्धन m = \(\frac{-v}{u}\)
= \(\frac{-6.4}{-10}\)
= 0.64 <1
m <1
क्योंकि m का मान एक से कम है, इसका अर्थ है कि प्रतिबिंब का आकार छोटा है।

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प्रश्न 4.
एक अवतल दर्पण का वक्रता अर्धव्यास 8 cm है और एक वस्तु इसके शीर्ष से 20 cm पर रखी जाती है। प्रतिबिंब का स्वरूप और स्थिति पता करो।
हल u = -20 cm (आपतित किरण के विपरीत दिशा में मापी गई दूरी)
R = -8 cm (अवतल दर्पण के लिए फोकस दूरी ऋणात्मक होती है।)
प्रतिबिंब की स्थिति v = ?
क्योंकि R = 2f,
∴ f = \(\frac{\mathrm{R}}{2}\)
= \(\frac{-8}{2}\) = -4 cm
दर्पण फार्मूले (सूत्र) से, \(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\)
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∴ v = -5 cm
ऋण चिह्न यह दर्शाता है कि प्रतिबिंब दर्पण के सामने 5 cm की दूरी पर बनता है। अतः यह प्रतिबिंब वास्तविक तथा उल्टा है।

प्रश्न 5.
7.5cm ऊँचाई की एक वस्तु 20cm अर्धव्यास वाले उत्तल दर्पण के सामने 40 cm की दूरी पर पड़ी है। प्रतिबिंब की दूरी, स्वभाव तथा आकार ज्ञात करो।
हल-हम जानते हैं,
f = \(\frac{\mathrm{R}}{2}\)
= \(\frac{+20}{2}\) = 10 cm
u = -40 cm
(आपतित किरण की दिशा के विपरीत दिशा में मापी गई दूरी)

दर्पण फार्मूले से, \(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{-40}+\frac{1}{v}=\frac{1}{10}\)
⇒ \(\frac{1}{-40}+\frac{1}{v}=\frac{1}{10}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{10}+\frac{1}{40}\)
= \(\frac{4+1}{40}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{5}{40}\)
= \(\frac{1}{8} \)
∴ V = + 8 cm

क्योंकि v धनात्मक है इसलिए प्रतिबिंब सीधा तथा आभासी है और दर्पण के पीछे 8 cm की दूरी पर बनता है ।
अब आवर्धन
m = \(\frac{-v}{u}\)
= \(\frac{-8}{-40}\)
= \(\frac{1}{5}\)
∴ m <1
क्योंकि m < 1 है, इसलिए प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार की अपेक्षा छोटा है।

प्रश्न 6.
एक वस्तु का आकार 6 से०मी० है । इस 15 से० मी० फोकस दूरी वाले एक उत्तल दर्पण से 9 से०मी० दूर रखा गया है। प्रतिबिंब की स्थिति ज्ञात करें।
हल- उत्तल दर्पण की फोकस दूरी (f) = 15 से०मी०
वस्तु की दर्पण के शीर्ष से दूरी (u) = -9 से०मी०
वस्तु का आकार = 6 से०मी०

दर्पण फार्मूला
\(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\)
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\(\frac{1}{v}=\frac{8}{45}\)
∴ v = \(\frac{45}{8}\)
= 5.62 से०मी०
प्रतिबिंब वस्तु की दूसरी ओर होगा। उत्तर

प्रश्न 7.
उस उत्तल लैंस की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए जिसकी वक्रता-त्रिज्या 32 cm है।
हल : उत्तल लैंस की वक्रता त्रिज्या, r = 32 cm
f = \(\frac{r}{2}\)
= \(\frac{32}{2}\)
= 16 cm

प्रश्न 8.
हम 20 cm फोकस दूरी के किसी पतले उत्तल लेंस द्वारा किसी वस्तु का वास्तविक, उल्टा तथा आकार में उस वस्तु के बराबर प्रतिबिंब प्राप्त करना चाहते हैं। वस्तु को कहां रखना चाहिए ? इस प्रकरण में प्रतिबिंब बनना दर्शाने के लिए प्रकाश किरण-आरेख खींजिए।
उत्तर-
20 सेमी० फोकस दूरी के उत्तल लेंस की सहायता से वास्तविक सीधा और समान आकार का प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए वस्तु को 2F पर रखा जाता है। उसका प्रतिबिंब भी दूसरी 2F पर बनता है। वस्तु को (2×20) = 40 सेमी० दूर रखा जाना चाहिए ताकि समान आकार का प्रतिबिंब लेंस की दूसरी ओर प्राप्त हो सके। वस्तु की लैंस से दूरी = 2f
= 2xf
= 2 x 20 cm
= 40 cm
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प्रश्न 9.
4.0 cm ऊँचाई की एक वस्तु 15.0 cm फोकस दूरी वाले अवतल दर्पण से 30.0 cm की दूरी पर रखी गई है। दर्पण से कितनी दूरी पर एक पर्दे को रखा जाए जिससे कि वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त हो सके ? प्रतिबिंब की प्रकृति तथा आकार भी ज्ञात कीजिए।
हल-
दिया है : वस्तु का आकार h = 4.0 cm
वस्तु की अवतल दर्पण से दूरी u = -30.0 cm
अवतल दर्पण की फोकस दूरी f = -15.0 cm
प्रतिबिंब की दर्पण से दूरी v = ?
प्रतिबिंब का आकार h’ = ?

दर्पण के सूत्र \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से.
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}-\frac{1}{u}\)
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 61
∴ v = -30.cm
अतः पर्दे को दर्पण के सामने 30.0 cm की दूरी पर रखना चाहिए।
प्रकृति-चूँकि प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त हो रहा है : अतः यह वास्तविक तथा उल्टा होगा।
आकार-दर्पण के आवर्धन सूत्र
m = \(\frac{h^{\prime}}{h}=-\frac{v}{u}\) से,
प्रतिबिंब का आकार h’ = \(-\frac{v}{u} \times h \)
= – \( \left(\frac{-30.0 \mathrm{~cm}}{-25.0 \mathrm{~cm}}\right) \times 4.0\) cm
= -4.0 cm

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प्रश्न 10.
3 cm ऊँचे बिंब को 18 cm फोकस दूरी के एक अवतल दर्पण के सामने 9 cm की दूरी पर रखा गया है। बने प्रतिबिंब की स्थिति तथा आकार ज्ञात कीजिए।
हल- दिया है : बिंब की अवतल दर्पण से दूरी, u = -9 cm
अवतल दर्पण की फोकस दूरी f = -18 cm
वस्तु की ऊँचाई, h = 3 cm

दर्पण सत्र \(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से,
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}-\frac{1}{u}\)
= \(-\frac{1}{18}+\frac{1}{9}\)
= \(\frac{-1+2}{18}\)
= \(\frac{1}{18}\)
⇒ v = + 18 cm

स्थिति-प्रतिबिंब दर्पण के पीछे 18cm की दूरी पर बनेगा।
प्रकृति-प्रतिबिंब सीधा तथा आभासी होगा।
आकार-दर्पण के लिए आवर्धन सूत्र m = \(\frac{h^{\prime}}{h}=\frac{v}{u}\) से,
प्रतिबिंब का आकार h = \(\frac{-v}{u} \times h\)
= – \(\left(\frac{18}{-9}\right) \times 3\) = 6 cm
∴ प्रतिबिंब की ऊँचाई 6 cm होगी।

प्रश्न 11.
18 cm फोकस दूरी के उत्तल लेंस से किसी बिंब को कितनी दूरी पर रखा जाना चाहिए कि उसका प्रतिबिंब लेंस से 24 cm की दूरी पर बने ? इस स्थिति में आवर्धन कितना होगा ?
हल- दिया है, लेंस की फोकस दूरी (f) = + 18 cm
प्रतिबिंब की लैंस से दूरी (v) = + 24 cm
बिंब की लैंस से दूरी (u) = ?

लेंस सूत्र \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से
या \(\frac{1}{u}=\frac{1}{v}-\frac{1}{f}\)
= \(\frac{1}{24}-\frac{1}{18}\)
= \(\frac{3-4}{72}\)
= \(-\frac{1}{72}\)
u = -72 cm

ऋणात्मक चिह्न यह दर्शाता है कि वस्तु को लेंस के सामने 72 cm की दूरी पर रखना चाहिए।
आवर्धन = \(\frac{-v}{u}\)
= \(\frac{-24}{-72} \)
= \(-\frac{1}{3}\)
प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा तथा आकार में वस्तु के आकार का \(-\frac{1}{3}\) होगा।
अतः प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा तथा आकार में बिंब का एक-तिहाई है।

प्रश्न 12.
एक उत्तल लेंस की फोकस दूरी 25cm है। बिंब की लेंस से दूरी का परिकलन कीजिए जबकि उसका प्रतिबिंब लेंस के दूसरी ओर लेंस से 75 cm की दूरी पर बनता है। इस प्रतिबिंब की प्रकृति क्या होगी?
हल- दिया है : f = +25 cm, v = + 75 cm, u = ?

लेंस के सूत्र \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से
\(\frac{1}{u}=\frac{1}{v}-\frac{1}{f}\)
= \(\frac{1}{75}-\frac{1}{25}\)
= \(\frac{1-3}{75}\)
= \(\frac{-2}{75}\)
⇒ u = \(-\frac{75}{2}\) = -37.5cm
बिंब लेंस के बाईं ओर लेंस से 37.5 cm की दूरी पर स्थित है।
∵ प्रतिबिंब लेंस के दूसरी ओर है इसलिए यह वास्तविक तथा उल्टा होगा।

प्रश्न 13.
वायु के सापेक्ष सघन फ्लिंट कांच का अपवर्तनांक 1.65 तथा एल्कोहल के लिए यह 1.36 है। एल्कोहल के सापेक्ष सघन फ्लिंट कांच का अपवर्तनांक क्या है ?
हल-
एल्कोहल के w.r.t. फ्लिंट काँच का अपवर्तनांक = img
= \(\frac{1.65}{1.36}\)
= \(\frac{165}{136}\)
= 1.21

प्रश्न 14.
एक वस्तु 20 सेमी० फोकस दूरी वाले एक अवतल लेंस के सामने 40 मी० की दूरी पर रखी गई है। प्रतिबिंब की स्थिति तथा लेंस का आवर्धन ज्ञात करो।
हल : अवतल लेंस की फोकस दूरी (f) = -20 सेमी०
वस्तु की लेंस से दूरी (u) = -40 सेमी०
प्रतिबिंब की लेंस से दूरी (स्थिति) (v) = ?

लेंस फार्मूले से, \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{-40}=\frac{1}{-20}\)
\(\frac{1}{v}+\frac{1}{40}=-\frac{1}{20}\)
\(\frac{1}{v}=-\frac{1}{20}-\frac{1}{40}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{-2-1}{40}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{-3}{40}\)

∴ v = \(\frac{-40}{3}\) = -13.3 सेमी० प्रतिबिंब आभासी सीधा तथा लेंस के उसी तरफ बनता है।
आवर्धन (m) = \(\frac{-v}{u}\)
= \(\frac{-\left(\frac{-40}{3}\right)}{-40}\)
= \(\frac{40}{3 \times(-40)}\)
= \(\frac{-1}{3}\)
प्रतिबिंब आकार में छोटा होगा।

प्रश्न 15.
किसी माध्यम में प्रकाश का वेग 2 x 108 ms-1 है। एक आपतित किरण इसके सघन पक्ष के साथ 0° का कोण बनाती है। अपवर्तन कोण ज्ञात करो। निर्वात में प्रकाश का वेग 3 x 108 ms-1 है।
हल:
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 62
aμm = \(\frac{3 \times 10^{8}}{2 \times 10^{8}}\)
= \(\frac{3}{2}\)
aμm = \(\frac{1}{m_{\mu_{a}}}\)
\(\frac{3}{2}=\frac{1}{m_{u_{a}}}\)
mμa = \(\frac{\sin i}{\sin r}\)
\(\frac{2}{3}=\frac{\sin 30^{\circ}}{\sin r}\)
\(\frac{2}{3}=\frac{0.5}{\sin r} \)
sin r = \(\frac{0.5}{2 / 3}\)
= \(\frac{0.5 \times 3}{2}\)
sin r = 0.7500
∴ अपवर्तन कोण, r = 48° 36′ उत्तर

प्रश्न 16.
5 cm ऊंची कोई वस्तु 10 cm फोकस दूरी के किसी अभिसारी लेंस से 25 cm दूरी पर रखी जाती है। प्रकाश-किरण आरेख खींचकर बनने वाले प्रतिबिंब की स्थिति, आकार तथा प्रकृति ज्ञात कीजिए।
हल:
वस्तु की ऊँचाई, h1 = 5 cm
वस्तु की अभिसारी लेंस से दूरी u = -25 cm
ऋणात्मक होगा। अभिसारी लेंस की फोकस दूरी, f = + 10 cm (उत्तल लेंस)
v = ?
लेंस सूत्र से, \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{f}+\frac{1}{u}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{10}+\frac{1}{(-25)}\)
= \(\frac{1}{10}-\frac{1}{25}\)
\(\frac{1}{v}=\frac{5-2}{50}\)
= \(\frac{3}{50}\)
∴ v = \(\frac{50}{3}\) = 6.67 cm

अब लेंस का आवर्धन m = \(\frac{v}{u}\)
= \(\frac{50 / 3}{(-25)} \)
= \(\frac{-50}{3 \times 25}\)
m = \(\frac{-2}{3}\)

प्रतिबिंब वास्तविक, उल्टा और 16.67 cm दूर लेंस की दूसरी तरफ होगा।
m = \(\frac{h_{2}}{h_{1}}=\frac{-2}{3}\)
\(\frac{h_{2}}{5}=\frac{-2}{3}\)
h2 = \(\frac{-10}{3}\)
h2 = -3.33 cm
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 63

प्रश्न 17.
15 cm फोकस दूरी का कोई अवतल लेंस किसी वस्तु का लेंस से 10 cm दूरी पर प्रतिबिंब बनाता है। वस्तु लेंस से कितनी दूरी पर स्थित है ? प्रकाश किरण-आरेख खींचिए।
हल :
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 64
यहाँ f = -15 cm, v = –10 cm, u = ?
लेंस सूत्र से, \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)
\(\frac{1}{u}=\frac{1}{v}-\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{u}=\frac{1}{(-10)}-\frac{1}{(-15)}\)
= \(\frac{-1}{10}+\frac{1}{15}\)
\(\frac{1}{u}=\frac{-3+2}{30}\)
= \(\frac{-1}{30}\)
u = -30 cm
अतः वस्तु को अवतल लेंस से 30 cm दूर रखना चाहिए।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 18.
एक वस्तु को 15 cm फोकस दूरी के एक अवतल लेंस से 30 cm पर रखा जाता है। प्रतिबिंब की प्रकृति, स्थिति और आवर्धन क्या होगा ?
हल : यहां अवतल लेंस की फोकस दूरी (f) = -15 cm (अवतल लेंस की फोकस दूरी ऋणात्मक मानी जाती है)
वस्तु की अवतल लेंस से दूरी (u) = -30 cm (आपतित किरण की दिशा से विपरीत दिशा में मापी गई दूरी ऋणात्मक मानी जाती है)
प्रतिबंब की अवतल लेंस से दूरी (v) = ?
लेंस फार्मूले से \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{-30}=\frac{1}{-15}\)
या \(\frac{1}{v}+\frac{1}{30}=\frac{1}{-15}\)
या \(\frac{1}{v}=-\frac{1}{15}-\frac{1}{30}\)
या \(\frac{1}{v}=\frac{-2-1}{30}\)
या \(\frac{1}{v}=\frac{-3}{30}\)
या \(\frac{1}{v}=\frac{-1}{10}\)
या v = -10 cm

v के ऋण चिह्न से पता चलता है कि प्रतिबिंब लेंस के उसी तरफ 10 cm की दूरी पर बनेगा जिस तरफ वस्तु पड़ी है। इसलिए प्रतिबिंब आभासी तथा सीधा होगा।
अब आवर्धन (m) = \(\frac{-v}{-u}\)
= \(\frac{-(-10)}{-(-30)}\)
= \(\frac{10}{30}\)
= \(\frac{1}{3}\) = 0.33
क्योंकि m का मान धनात्मक है, इसलिए प्रतिबिंब सीधा है।
∵ | m | = \(\frac{1}{3}\) जोकि <1 है, इसलिए प्रतिबिंब आकार में वस्तु से छोटा है।

प्रश्न 19.
7 cm ऊँचाई की एक वस्तु को 20 cm फोकस-दूरी के एक उत्तल लेंस से 40 cm की दूरी पर रखा जाता है। प्रतिबिंब की स्थिति, प्रकृति और ऊँचाई ज्ञात करो।
हल : यहाँ पर वस्तु की ऊँचाई (h) = + 7 cm
उत्तल लेंस की फोकस दूरी (f) = + 20 cm (उत्तल लेंस की फोकस दूरी धनात्मक मानी जाती है)
वस्तु की उत्तल लेंस से दूरी (u) = – 40 cm
(आपतित किरण की विपरीत दिशा में मापी गई दूरी ऋणात्मक मानी जाती है)
प्रतिबिंब की लेंस से दूरी (v) = ?

लेंस सूत्र से \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{-40}=\frac{1}{+20}\)
या \(\frac{1}{v}+\frac{1}{40}=\frac{1}{20}\)
या \(\frac{1}{v}=\frac{1}{20}-\frac{1}{40}\)
या \(\frac{1}{v}=\frac{2-1}{40}\)
या \(\frac{1}{v}=\frac{1}{40}\)
∴ v = + 40 cm 1

v के धन चिह्न से पता चलता है कि प्रतिबिंब वास्तविक तथा उल्टा है और लेंस की दूसरी तरफ 40 cm की दूरी पर बनता है।

अब m = \(\frac{v}{u}\)
= \(\frac{40}{-40}\)
∴ m = -1
|m| = |-1| = 1
परंतु m = \(\frac{h_{2}}{h_{1}}\)
∴ h2 = h1
अर्थात् प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार के समान है।

प्रश्न 20.
4 cm ऊँचाई की एक वस्तु को -10 डाइऑप्टर क्षमता वाले एक अवतल लेंस के सामने 15 cm की दूरी पर रखा जाता है। प्रतिबिंब का आकार और प्रकृति पता करो। हल : वहाँ वस्तु की ऊंचाई (h1) = + 4 cm
अवतल लेंस की क्षमता (P) = -10 डाइऑप्टर
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 65
f = \( \frac{1}{-10} \times 100\)
= -10 cm
∴ अवतल लेंस की फोकस दूरी (f) = -10 cm

वस्तु की लेंस से दूरी (u) = -15 cm
प्रतिबिंब की लेंस से दूरी (v) = ?
लेंस सूत्र से, \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{-15}=\frac{1}{-10}\)
\(\frac{1}{v}+\frac{1}{15}=\frac{-1}{10}\)
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 66
∴ v = -6 cm

v के ऋण चिहन से पता चलता है कि प्रतिबिंब आभासी तथा सीधा है और लेंस की तरफ 6 cm की दूरी पर बनता है।

अब m = \(\frac{v}{u}\)
= \(\frac{-6}{-15}\)
= \(\frac{2}{5}\)
∴ m = \(\frac{2}{5}\)

m = \(\frac{h_{2}}{h_{1}}\)
m = \(\frac{2}{5}\)
h2 = \(\frac{2 h_{1}}{5}\)
∴ = \(\frac{2}{5}\) × 4 cm
∴ h2 = \(\frac{8}{5}\) cm = 1.6 cm
अत: प्रतिबिंब का आकार 1.6 cm है।

प्रश्न 21.
5 मीटर फोकस दूरी वाले अवतल लेंस की शक्ति ज्ञात करो।
हल :
अवतल लेंस की फोकस दूरी (f) = -5 m
अवतल लेंस की शक्ति (P) =?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 67
= \(\frac{1}{-5}\)
= -0.2 D उत्तर

प्रश्न 22.
4 मीटर फोकस दूरी के एक उत्तल लेंस की क्षमता कितनी होगी?
हल :
उत्तर लेंस की फोकस दूरी (f) = 4
मीटर उत्तल लेंस की क्षमता (P) = ?
हम जानते हैं कि लेंस की क्षमता
(P) = \(\frac{1}{f}\)
= \(\frac{1}{4}\)
= 0.25 D उत्तर

प्रश्न 23.
2m फोकस दूरी वाले किसी उत्तल लेंस की शक्ति ज्ञात करो। लेंस की शक्ति की इकाई लिखो।
हल : उत्तल लेंस की फोकस दूरी (f) = 2m
उत्तल लेंस की क्षमता (P) = ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 68
= \(\frac{1}{2}\)
= 0.5 D (डाइऑप्टर) उत्तर

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
दर्पण की फोकस दूरी की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
फोकस दूरी (Focal Length)-गोलीय दर्पण के ध्रुव (शीर्ष) तथा मुख्य फोकस के मध्य की दूरी को फोकस दूरी कहते हैं। इसे द्विारा प्रदर्शित किया जाता है। S.I. पद्धति में फोकस दूरी का मात्रक मीटर है।

प्रश्न 2.
दर्पण के ध्रुव ( या शीर्ष) को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
ध्रुव या शीर्ष (Pole)-गोलीय दर्पण के मध्य बिंदु या केंद्र को इसका ध्रुव या शीर्ष कहते हैं।

प्रश्न 3.
यदि कोई वस्तु समतल दर्पण से 10 मीटर की दूरी पर है तो वस्तु तथा उसके प्रतिबिंब के मध्य कितनी दूरी होगी ?
उत्तर-
वस्तु और प्रतिबिंब के मध्य दूरी = (10 + 10) मीटर = 20 मीटर।

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प्रश्न 4.
जब प्रकाश की किरण समतल दर्पण पर अभिलंब रूप में पड़ती है तो उसका आपतित कोण तथा परावर्तन कोण कितने-कितने अंश होता है?
उत्तर-
आपतन कोण (∠i) = (0°)
परावर्तन कोण (∠r) = 0°

प्रश्न 5.
ऊर्जा के किन्हीं तीन रूपों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. प्रकाश ऊर्जा
  2. ताप ऊर्जा
  3. ध्वनि ऊर्जा।

प्रश्न 6.
प्रकाशीय ऊर्जा की प्रकृति क्या है ?
उत्तर-
विद्युत्-चुंबकीय तरंगें (Electro-Magnetic Waves)

प्रश्न 7.
वायु में प्रकाश की चाल कितनी है ?
उत्तर-
3 x 108 मीटर प्रति सैकिंड।

प्रश्न 8.
प्रकाश के एक प्रमुख प्राकृतिक स्रोत का नाम बताओ।
उत्तर-
सूर्य।

प्रश्न 9.
दो मानव निर्मित प्रकाश स्रोतों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. मोमबत्ती,
  2. विद्युत् लैंप।

प्रश्न 10.
गोलीय दर्पण की दो किस्मों के नाम बताओ।
उत्तर-

  1. अवतल दर्पण
  2. उत्तल दर्पण।

प्रश्न 11.
आपतन कोण क्या होता है?
उत्तर-
आपतन कोण- आपतित किरण तथा अभिलंब के बीच बने कोण को आपतन कोण ( ∠i) कहते हैं।

प्रश्न 12.
परावर्तन कोण क्या होता है ?
उत्तर-
परावर्तन कोण- परावर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर बने अभिलंब के मध्यवर्ती कोण को परावर्तन कोण ( ∠r) कहते हैं।

प्रश्न 13.
गोलीय दर्पण की परिभाषा दो।
उत्तर-
गोलीय दर्पण (Spherical Mirror)- यदि दर्पण किसी खोखले गोले का भाग हो जिसकी एक सतह पालिश की गई हो और दूसरी सतह परावर्तक हो तो ऐसा दर्पण गोलीय दर्पण कहलाता है।

प्रश्न 14.
समतल दर्पण में किस प्रकृति का प्रतिबिंब बनता है?
उत्तर-
आभासी, सीधा तथा समान आकार का।

प्रश्न 15.
किस गोलीय दर्पण की फोकस दूरी धनात्मक मानी जाती है?
उत्तर-
उत्तल दर्पण की।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 16.
दर्पण फार्मला लिखो।
अथवा
किसी गोलीय दर्पण से परावर्तन के लिए सूत्र लिखो।
उत्तर-
\(\frac{1}{u}+\frac{1}{v}=\frac{1}{f}\)
.
प्रश्न 17.
अवतल दर्पण की किस सतह से परावर्तन होता है?
उत्तर-
वह भीतरी सतह जो दर्पण के वक्रता केंद्र की ओर होती है।

प्रश्न 18.
किस गोलीय दर्पण में सदैव प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा छोटा बनता है ?
उत्तर-
उत्तल दर्पण में।

प्रश्न 19.
गोलीय दर्पण के वक्रता अर्धव्यास तथा फोकस दूरी में क्या संबंध है ?
उत्तर-
f= \(\frac{\mathrm{R}}{2}\)

प्रश्न 20.
जिस दर्पण की फोकस दूरी -15 cm हो, उसकी प्रकृति कैसी होगी ?
उत्तर-
यह दर्पण अवतल होगा।

प्रश्न 21.
एक दर्पण का आवर्धन 0.4 है। यह दर्पण किस प्रकार का है ? इसका प्रतिबिंब कैसा होगा?
उत्तर-
यह दर्पण उत्तल होगा क्योंकि इसका आवर्धन धनात्मक है और यह 1 से कम है। प्रतिबिंब छोटा, सीधा तथा आभासी होगा।

प्रश्न 22.
आवर्धन की परिभाषा लिखो। इसकी इकाई क्या है?
उत्तर-
आवर्धन(Magnifications)-प्रतिबिंब के आकार तथा वस्तु के आकार के अनुपात को आवर्धन कहते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 69
आवर्धन (m) की कोई इकाई नहीं होती क्योंकि यह एक समान दो राशियों का अनुपात है।

प्रश्न 23.
किसी दर्पण को अभिसारी तथा किस दर्पण को अपसारी कहा जाता है ?
उत्तर-
अभिसारी दर्पण-अवतल दर्पण अपसारी दर्पण-उत्तल दर्पण।।

प्रश्न 24.
सर्चलाइट में किस दर्पण का प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
अवतल दर्पण का।

प्रश्न 25.
किस दर्पण को अपने से दूर ले जाने पर दर्पण का दृष्टि क्षेत्र बढ़ जाता है ?
उत्तर-
उत्तल दर्पण।

प्रश्न 26.
समतल दर्पण की कितनी फोकस दूरी होती है?
उत्तर-
अनंत।

प्रश्न 27.
किसी दर्पण की आवर्धन क्षमता 1 होती है ?
उत्तर-
समतल दर्पण की।

प्रश्न 28.
समतल दर्पण में बन रहे प्रतिबिंब के लिए वस्तु दूरी तथा प्रतिबिंब दूरी के मध्य संबंध लिखो।
उत्तर-
u= -v,

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 29.
वास्तविक प्रतिबिंब से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
वास्तविक प्रतिबिंब- परावर्तन या अपवर्तन के पश्चात् यदि प्रकाश की किरणें परस्पर एक बिंदु पर मिलें तो उस बिंदु पर वास्तविक प्रतिबिंब बनता है।

प्रश्न 30.
अवतल दर्पण के लिए जब वस्तु अनंत और वक्रता केंद्र (C) के बीच हो तो प्रतिबिंब की स्थिति बताओ।
उत्तर-
जब वस्तु अनंत और वक्रता केंद्र के C बीच हो तो अवतल दर्पण में प्रतिबिंब अवतल दर्पण के फोकस व वक्रता केंद्र के मध्य बनता है।

प्रश्न 31.
एक गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या 24 cm है। इसकी फोकस दूरी क्या होगी?
उत्तर-
दिया है, वक्रता त्रिज्या R = 24 cm
∴ फोकस दूरी f = \(\frac{\mathrm{R}}{2}\) = \(\frac{24}{2}\) = 12.0 cm

प्रश्न 32.
जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है, तो अभिलंब के किस ओर झुकती है?
उत्तर-
ऐसी प्रकाश की किरण अभिलंब से दूर झुक जाती है।

प्रश्न 33.
जब प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाती है, तो अभिलंब के किस ओर झुकती है?
उत्तर-
प्रकाश की किरण अभिलंब की ओर झुक जाती है।

प्रश्न 34.
जब प्रकाश विरल से सघन माध्यम में जाता है, तो अपवर्तन कोण तथा आपतन कोण में से कौन-सा बड़ा होता है?
उत्तर-
आपतन कोण।

प्रश्न 35.
उत्तल लेंस द्वारा दूर स्थित वस्तु का प्रतिबिंब कैसा बनता है ?
उत्तर-
वास्तविक, उल्टा तथा छोटा।

प्रश्न 36.
किस छपे हुए कागज़ पर अभिसारी लेंस रखने पर अक्षर कैसे दिखाई देते हैं ?
उत्तर-
सीधे तथा बड़े।

प्रश्न 37.
पानी में रखा सिक्का उठा हुआ क्यों दिखाई देता है?
उत्तर-
प्रकाश अपवर्तन के कारण।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 38.
मुख्य फोकस और प्रकाशिक केंद्र के बीच की दूरी को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
फोकस दूरी (1)।

प्रश्न 39.
किसी स्थिति में प्रतिबिंब, वस्तु के आकार के समान होता है?
उत्तर-
जब वस्तु 2f पर हो।

प्रश्न 40.
उत्तल लेंस से आभासी तथा बड़ा प्रतिबिंब कब बनता है? उत्तर-जब वस्तु मुख्य फोकस तथा प्रकाशिक केंद्र के बीच हो। प्रश्न 41. लेंस किसे कहते हैं ? ये कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर-
लेंस- एक ऐसा पारदर्शक माध्यम जो दो वक्र तलों अथवा एक वक्र तल तथा दूसरा समतल सतह से घिरा हुआ हो तथा प्रकाश का अपवर्तन करता हो, लेंस कहलाता है। ये दो प्रकार के होते हैं-

  1. उत्तल लेंस
  2. अवतल लेंस।

प्रश्न 42.
लेंस के लिए दूरियाँ किस बिंदु से मापी जाती हैं ?
उत्तर-
प्रकाशिक केंद्र से।

प्रश्न 43.
किस लेंस को आवर्धन लेंस कहते हैं ?
उत्तर-
उत्तल लेंस को।

प्रश्न 44.
लेंस सूत्र लिखिए।
उत्तर-
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)

प्रश्न 45.
लेंस की क्षमता की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
लेंस की क्षमता-किसी लेंस की क्षमता (शक्ति) इसकी मीटरों में फोकस दूरी का व्युत्क्रम होती है।
P = \(\frac{1}{f}\)

प्रश्न 46.
बिना शक्ति के चश्मे (Plane Glasses) की फोकस दूरी कितनी होती है?
उत्तर-
P= \(\frac{1}{f}\)
= \(\frac{1}{0}\) = ∞
∴ अनंत फोकस दूरी।

प्रश्न 47.
किस लेंस को अपसारी लेंस कहते हैं ?
उत्तर-
अवतल लेंस को।

प्रश्न 48.
लेंस की शक्ति तथा फोकस दूरी में संबंध लिखो।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 70

प्रश्न 49.
किस लेंस की शक्ति धन तथा किस लेंस की शक्ति ऋण होती है ?
उत्तर-
उत्तल लेंस की शक्ति धन तथा अवतल लेंस की शक्ति ऋण होती है।

प्रश्न 50.
लेंस की फोकस दूरी की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
लेंस की फोकस दूरी (Focal Length of Lens)- किसी लेंस की फोकस दूरी उस लेंस के प्रकाशिक केंद्र तथा मुख्य फोकस के बीच की दूरी है।

प्रश्न 51.
अपवर्तनांक की परिभाषा दो।
उत्तर-
अपवर्तनांक (Refractive Index)-निर्वात में प्रकाश के वेग और किसी अन्य माध्यम में प्रकाश के अनुपात को उस माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 71

प्रश्न 52.
दो विलयनों के अपवर्तनांक 1.36 तथा 1.54 हैं, कौन अधिक सघन है ?
उत्तर-
अधिक अपवर्तनांक 1.54 वाला विलयन सघन होगा।

प्रश्न 53.
लेंस की क्षमता का मात्रक लिखिए।
उत्तर-
डाऑप्टर।

प्रश्न 54.
एक लेंस की क्षमता -2.5 D है। यह लेंस कैसा होगा ?
उत्तर-
अवतल।

प्रश्न 55.
संपर्क में रखे दो लेंसों की क्षमताएँ क्रमशः P1 तथा P2 हैं। संयुक्त लेंस की क्षमता क्या होगी ?
उत्तर-
क्षमता P = P1 + P2

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 56.
घड़ीसाज, घड़ी के सूक्ष्म पुों को देखने के लिए कौन-सा लेंस प्रयोग करता है ?
उत्तर-
उत्तल लेंस।

प्रश्न 57. हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है जबकि काँच का अपवर्तनांक 1.5 है। दोनों में कौन अधिक प्रकाशीय सघन है ? किसमें प्रकाश की चाल अधिक होगी ?
उत्तर-
हीरे का अपवर्तनांक, काँच से अधिक है, इसलिए काँच की तुलना में हीरा प्रकाशीय सघन है।
∴ विरल माध्यम में प्रकाश की चाल सघन माध्यम की तुलना में अधिक होती है। इसलिए काँच में चाल अधिक होगी।

प्रश्न 58.
विचलन कोण (Angle of deviation) क्या है ?
उत्तर-
विचलन कोण-निर्गत किरण (Emergent ray) बनाने में आपतित किरण (Incident ray) जिस कोण पर मुड़ जाती है, उस कोण को विचलन कोण (Angle of deviation) कहा जाता है।

प्रश्न 59.
उत्तल लेंस के मुख्य फोकस की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
मुख्य फोकस-उत्तल लेंस का मुख्य फोकस लेंस के मुख्य अक्ष पर वह बिंदु है जिस पर मुख्य अक्ष के समांतर आ रही प्रकाश किरणे अपवर्तन के बाद मिलती हैं।

प्रश्न 60.
गोलीय दर्पण की वक्रता-त्रिज्या की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
वक्रता-त्रिज्या-गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या उस खोखले गोले का अर्धव्यास है जिस का दर्पण एक भाग है। इसे R द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

प्रश्न 61.
नीचे गोलीय दर्पण के रेखाचित्र
(a) तथा
(b) दिए गए हैं। दर्पण (a) तथा दर्पण (b) की किस्म बताओ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 72
उत्तर-
(a) अवतल दर्पण
(b) उत्तल दर्पण।

प्रश्न 62.
नीचे दिए गए चित्र किस प्रकाशीय प्रक्रिया को दर्शाते हैं।
imgPSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन 73उत्तर-
प्रकाश अपवर्तन।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एक उत्तल लेंस की क्षमता 2 डाइआप्टर है। इसकी फोकस दूरी होगी –
(a) 20 सें० मी०
(b) 40 सें० मी०
(c) 10 सें० मी०
(d) 50 सें० मी०।
उत्तर-
(d) 50 सें० मी०।

प्रश्न 2.
वस्तु का आभासी और बराबर आकार का प्रतिबिंब बनाता है
(a) अवतल दर्पण
(b) उत्तल दर्पण
(c) समतल दर्पण
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) समतल दर्पण।

प्रश्न 3.
उत्तल दर्पण द्वारा वस्तु का प्रतिबिंब बनता है, सदैव
(a) वास्तविक, उल्टा व वस्तु से छोटा
(b) आभासी, उल्टा तथा वस्तु से छोटा
(c) आभासी, सीधा तथा वस्तु से छोटा
(d) आभासी, सीधा तथा वस्तु से बड़ा।
उत्तर-
(c) आभासी, सीधा तथा वस्तु से छोटा।

प्रश्न 4.
मोटर वाहन में पीछे का दृश्य देखने के लिए प्रयोग करते हैं –
(a) अवतल दर्पण
(b) समतल दर्पण
(c) उत्तल दर्पण
(d) कोई भी गोलीय दर्पण।
उत्तर-
(c) उत्तल दर्पण।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रश्न 5.
Sini/Sinr में सम्बन्ध प्रतिपादित किया –
(a) न्यूटन ने
(b) रमन ने
(c) स्नैल ने
(d) फैराडे ने।
उत्तर-
(c) स्नैल ने।

प्रश्न 6.
किसी लैंस की फोकस दूरी निम्नलिखित में से किस सूत्र द्वारा व्यक्त की जाती है ?
(a) \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}+\frac{1}{u}\)
(b) \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)
(c) f\(=\frac{1}{v}=\frac{1}{u}\)
(d) \(\frac{1}{f}=\frac{1}{u}-\frac{1}{v}\)
उत्तर-
(b) \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)

प्रश्न 7. अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या R तथा फोकस दूरी के बीच सम्बन्ध होता है
(a) f= R
(b) f= R/2
(c) R = f/2
(d) R = f/4.
उत्तर-
(b) f = R/2.

प्रश्न 8.
एक अवतल दर्पण के वक्रता केंद्र पर स्थापित वस्तु का वास्तविक तथा उल्टा प्रतिबिंब कहाँ बनेगा ?
(a) F पर
(b) C पर
(c) C तथा F के बीच
(d) अनंत पर।
उत्तर-
(b) C पर।

प्रश्न 9.
दंत चिकित्सक द्वारा प्रायः उपयोग में लाए जाने वाला दर्पण –
(a) उत्तल दर्पण
(b) अवतल दर्पण
(c) उत्तल और अवतल दर्पण
(d) समतल दर्पण।
उत्तर-
(b) अवतल दर्पण।

प्रश्न 10.
बड़ा तथा वास्तविक प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए उपयोग होने वाला दर्पण
(a) उत्तल दर्पण
(b) अवतल दर्पण
(c) समतल दर्पण
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(b) अवतल दर्पण।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) निर्वात में प्रकाश की चाल ……………………… है।
उत्तर-
3 x 108 ms-1

(ii) प्रकाश ………………………. के कारण पानी में रखा हुआ सिक्का वास्तविक स्थिति से ऊपर उठा हुआ दिखाई देता है।
उत्तर-
अपवर्तन

(iii) समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सीधा, आभासी और …………………………. होता है।
उत्तर-
वस्तु के बराबर

(iv) कम फोकस दूरी वाले लेंसों की क्षमता अधिक दूरी वाले लेंसों की अपेक्षा ………………………………. होती है।
उत्तर-
अधिक

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 10 प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन

(v) वस्तु के आकार का प्रतिबिंब प्राप्त करने के लिए वस्तु को उत्तल लैंस के सामने ……………………………… पर रखना चाहिए।
उत्तर-
2F

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मेंडल के द्वारा मटर के पौधों पर किए गए प्रयोगों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर-
मेंडल ने मटर के पौधे के विभिन्न विकल्पी लक्षणों का अध्ययन किया था। उन्होंने उनके बाहरी लक्षणों की ओर विशेष ध्यान दिया था। गोल/झुरींदार बीज, लंबे/बौने पौधे, सफेद/बैंगनी फूल आदि विभिन्न विकल्पी लक्षणों वाले पौधों का चयन कर उनसे पौधे उगाए थे। उन्होंने लंबे पौधे तथा बौने पौधे का संकरण करा कर प्राप्त संतति पीढ़ी में लंबे एवं बौने पौधों की गणना की।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास 1
प्रथम संतति अथवा F1 में कोई पौधा बीच की ऊँचाई का नहीं था। सभी पौधे लंबे थे। इसका अर्थ था कि पहली पीढ़ी में दो लक्षणों में से केवल एक गंबा पीया लंबा पौधा लंबा पौधा लंबा पौधा लंबा पौधा बौना पौधा पैतृक लक्षण ही दिखाई देता है। उन दोनों का मिश्रित प्रभाव दिखाई नहीं देता। मेंडल ने अपने प्रयोगों में दोनों प्रकार के पैतृक पौधों एवं F1 पीढ़ी के पौधों को स्वपरागण द्वारा उगाया। पैतृक पीढ़ी के लंबे पौधों से प्राप्त सभी संतति भी लंबे पौधों की थी। पर F1 पीढ़ी के लंबे पौधों की दूसरी पीढ़ी अर्थात् F2 पीढ़ी के सभी पौधे लंबे नहीं थे। उनमें से एक चौथाई संतति बौने पौधे थे। इससे संकेत मिला कि F, पौधों द्वारा लंबाई एवं बौनेपन दोनों के विकल्पी लक्षणों की वंशानुगति हुई। केवल लंबाई वाला विकल्प अपने आपको व्यक्त कर पाया। इसलिए किसी भी लक्षण के दो विकल्प लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न होने वाले जीवों में किसी भी लक्षण के दो विकल्प की वंशानुगति होती है।

‘TT’ एवं ‘Tt’ दोनों ही लंबे पौधे हैं, लेकिन ‘tt’ बौने पौधे हैं। ‘T’ एक अकेला विकल्प ही पौधे को लंबा बनाने के लिए पर्याप्त है, जबकि संकरण बौनेपन के लिए ‘t’ के दोनों विकल्प ‘t’ ही होने चाहिएं। ‘T’ जैसे विकल्प ‘प्रभावी’ लक्षण कहलाते हैं जबकि जो लक्षण (Trait) ‘t’ की तरह स्वनिषेचन व्यवहार करते हैं, ‘अप्रभावी’ कहलाते हैं।

यदि गोल बीज वाले लंबे पौधों का झरींदार बीजों वाले बौने पौधों से संकरण कराया जाए तो F2 पीढ़ी के सभी पौधे लंबे एवं गोल बीज वाले होंगे। इसलिए लंबाई तथा गोल बीज ‘प्रभावी’ लक्षण हैं। परंतु जब F, P RR yy संतति के स्वपरागण से F2 पीढ़ी की संतति प्राप्त होती है। पहले प्रयोग के आधार पर F2 संतति के कुछ पौधे गोल बीज वाले लंबे पौधे होंगे तथा कुछ F1 झुर्रादार बीज वाले बौने पौधे। परंतु F2 की संतति के कुछ पौधे नए संयोजन प्रदर्शित करेंगे। उनमें से कुछ पौधे लंबे पर झुरींदार तथा कुछ पौधे बौने पर | गोल बीज वाले होंगे। इसलिए लंबे/बौने लक्षण तथा गोल/झुरींदार लक्षण अनुपात स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं।
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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 2.
डार्विन के विकास के सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
चार्ल्स राबर्ट डार्विन (1809-1882) ने निरंतर अनेक वर्ष तक विभिन्न जगहों पर एच० एम० एस० बीगल नामक समुद्री जहाज़ से घूम-घूम कर जीव-जंतुओं का अध्ययन करने के पश्चात् अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘The Origin of Species’ में जैव-विकास के सिद्धांतों की प्रतिपादता की थी जिन्हें डार्विनवाद के नाम से जाना जाता है।

डार्विन ने अपने मतों को निम्नलिखित आधारों पर स्थापित किया था-
(I) संतान उत्पन्न करने की अपार क्षमता (Enormous Fertility)-संसार में सभी प्राणियों के पास बहुत अधिक संतान उत्पन्न करने की क्षमता होती है। उनमें परिवार वृद्धि की भावना भी विद्यमान होती है।

(II) जीवन-संघर्ष (Struggle for Existence) सभी प्राणी उत्पन्न होते ही जीवन के लिए संघर्ष करते हैं। वे जीवित रहने के लिए पानी, हवा, भोजन, प्रकाश, सुरक्षित स्थान, तापमान आदि को प्राप्त करना चाहते हैं। अधिक संख्या में उत्पन्न प्राणियों में हर प्राणी अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए संघर्ष करते हैं। यह संघर्ष तीन प्रकार का होता है-अंतर्जातीय, अंतर-जातीय और वातावरणीय कारकों के बीच। अंतर्जातीय संघर्ष केवल एक ही जाति के प्राणियों के बीच होता है लेकिन अंतर-जातीय संघर्ष विभिन्न जातियों और प्राणियों के बीच होता है। जीवित रहने के लिए संघर्ष हवा, पानी, दबाव, तापमान आदि के बीच भी चलता है। जो प्राणी इनका विपरीत स्थितियों में सामना नहीं कर पाते, वे मर जाते हैं। जीवन-संघर्ष के लिए अनुकूलन की बहुत आवश्यकता होती है। जो अनुकूलन करने में सफल नहीं हो पाते वे कमज़ोर और असमर्थ होने के कारण नष्ट हो जाते हैं।

(III) नई जातियों की उत्पत्ति (Origin of New Species) – संसार में सभी प्राणियों में भिन्नता होती है। कोई भी प्राणी पूर्ण रूप से एक जैसा नहीं है। उनको गुणों-अवगुणों के भेद के कारण ही पहचाना जाता है। उपयोगी और श्रेष्ठ गुणों के कारण प्राणी सहजता से रह सकते हैं। प्राणियों के श्रेष्ठ गुण उनमें स्थायी बन जाते हैं। वे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में चलते हैं। इसी कारण नई जातियों की उत्पत्ति होती है।

(IV) योग्यतम की उत्तर जीविता (Survival of the fittest)-प्राणियों का जीवन संघर्ष निरंतर सारा जीवन चलता रहता है। जो प्राणी वातावरण में रहने के लिए अपने आपको श्रेष्ठ सिद्ध कर लेते हैं, वही रह पाते हैं। जो इस संसार में अपनी रहने योग्य श्रेष्ठता सिद्ध नहीं कर पाते, वे कुछ समय बाद नष्ट हो जाते हैं। वातावरण में वहीं जीवित रह पाता है जो योग्यतम है, इसी को योग्यता की उत्तर जीविता कहते हैं। वातावरण में संघर्ष करते समय प्राणियों के जीवन में कुछ परिवर्तन भी आते हैं।

ये परिवर्तन विभिन्नताएँ कहलाती हैं और वे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के पास पहुंचती हैं। अगली पीढ़ी के प्राणी पिछली पीढ़ी के प्राणियों की अपेक्षा अपने आप को वातावरण के प्रति अधिक अच्छी तरह ढालने की योग्यता रखते हैं। प्रकृति के प्रति अनुकूलन न करना और इन्हें न झेल कर नष्ट हो जाना प्राकृतिक वरण कहलाता है। प्राकृतिक वरण (Natural Selection) जीवन भर चलता रहता है। विभिन्नताओं की प्राप्ति करने से नई जातियाँ विकास करती हैं।

(V) वातावरण के प्रति अनुकूलन (Adaptation to the Environment)-सभी प्राणियों को भिन्न प्रकार के भौतिक वातावरण को झेलना पड़ता है। वे जीवन भर सर्दी-गर्मी, सूखा-बाढ़, भूकंप, तूफान आदि के द्वारा उत्पन्न संकटों का सामना करते हैं। जो प्राणी अपने आप को इनका सामना करने के योग्य बना पाते हैं, वही अपने जीवन संघर्ष में सफल हो पाते हैं। जो प्राणी स्वयं को वातावरण के प्रति अनुकूल नहीं बना पाते वे स्वयं के साथ नष्ट हो जाते हैं।

(VI) विभिन्नताएँ और आनुवंशिकता (Variations and Heredity)-एक जाति और एक ही माता-पिता की संतानों में समानताओं के बावजूद कई तरह के अंतर पाए जाते हैं। कोई भी दो प्राणी पूर्ण रूप से एक जैसे नहीं है। लाभकारी अंतर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित हो जाते हैं।

प्रश्न 3.
आनुवंशिकी की परिभाषा दीजिएं। जीव विज्ञान की इस शाखा में मेंडल के क्या योगदान हैं ?
उत्तर-
आनुवंशिकी जीव विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत आनुवंशिकता और विभिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है। मेंडल ने जीव विज्ञान की इस शाखा आनुवंशिकी को अति महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था इसीलिए उन्हें आनुवंशिकी का जनक माना जाता है। उन्होंने मटर के दानों पर संकरण के तरह-तरह के प्रयोग किए थे और तीन नियमों को प्रतिपादित किया था।
(I) प्रभाविता का नियम (Law of Dominance)-संकरण में भाग लेने वाले पौधों का प्रभावी गुण प्रकट होता है और अप्रभावी गुण छिप जाता है।

(II) पृथक्करण का नियम (Law of Segregation)-युग्मकों की रचना के समय कारकों (genes) के जोड़े के कारक अलग-अलग हो जाते हैं। इन दोनों में से केवल एक युग्मक के पास पहुँचता है। दोनों कारक कभी भी एक साथ युग्मक में नहीं जाते।

(III) अपव्यूहन का नियम (Law of Independent Assortment)-जीवों के गुण के कारक एक-दूसरे को प्रभावित किए बिना अपने आप उन्मुक्त रूप से युग्मकों में जाते हैं और अपने आप को प्रकट करते हैं। उदाहरण के लिए, विसंकर क्रॉस की दूसरी पीढ़ी की संतानों में सभी कारकों के गुण अलग-अलग दिखाई देते हैं पर पहली पीढ़ी में अपने प्रभावी गुण ही प्रकट करते हैं।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सभी स्पीशीज़ में विभिन्नताओं में अस्तित्व की समान संभावना क्यों नहीं होती ?
उत्तर-
सभी स्पीशीज़ में विभिन्नताओं में अस्तित्व की समान संभावना नहीं होती। प्रकृति के विभिन्न आधारों के कारण जीवों को अलग-अलग लाभ हो सकते हैं। गर्मी को झेलने की क्षमता वाले जीवाणुओं के अधिक गर्मी में बचे ‘ रहने की संभावना अधिक होती है। पर्यावरण उत्तम परिवर्तन (Variants) का जैव विकास प्रक्रम पर प्रभाव डालता

प्रश्न 2.
मानवों में लक्षणों की वंशागति किस बात पर आधारित होती है ?
उत्तर-
मानवों में लक्षणों की वंशागति इस बात पर आधारित होती है कि माता-पिता दोनों अपनी संतान में समान मात्रा में आनुवंशिक पदार्थ को स्थानांतरित करते हैं। संतान का प्रत्येक लक्षण पिता या माता के DNA से प्रभावित होता है।

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प्रश्न 3.
F1 संतति और F2 संतति क्या है ?
उत्तर-
प्रथम संतति F1 कहलाती है जिसमें माता-पिता के दो लक्षणों में से एक केवल पैतृक लक्षण दिखाई देता है जिसका अर्थ है कि उन दोनों में से केवल एक पैतृक लक्षण ही दिखाई देता है। स्वपरागण की अवस्था में F2 संतति दोनों के विकल्पी लक्षणों को प्रकट करती है।
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प्रश्न 4.
जीन लक्षणों को कैसे नियंत्रित करते हैं ?
उत्तर-
कोशिका में प्रोटीन संश्लेषण के लिए एक सूचना तंत्र होता है, DNA के जिस भाग में प्रोटीन संश्लेषण के लिए सूचना होती है वह प्रोटीन का जीन कहलाता है। जीवों के लक्षण इसी हॉर्मोन पर निर्भर करते हैं। हॉर्मोन की मात्रा उस प्रक्रम की दक्षता पर निर्भर करती है जिसके द्वारा ये उत्पादित होते हैं। यदि विशिष्ट प्रोटीन दक्षता से कार्य करेगी तो हॉर्मोन पर्याप्त मात्रा में उत्पन्न होगा और यदि प्रोटीन की दक्षता पर कुछ भिन्न प्रभाव पड़ता है तो कम दक्षता के कारण हॉर्मोन कम होगा। जीन ही लक्षणों को प्रभावित और नियंत्रित करते हैं।

प्रश्न 5.
जैव विविधता क्या है ?
उत्तर-
जैव विविधता-जैव विविधता या जीव भिन्नता पृथ्वी पर पाई जाने वाली विविध प्रकार की उन जैवीय प्रजातियों को कहते हैं जो अपने-अपने प्राकृतिक आवास क्षेत्रों में पाई जाती हैं। इसमें पेड़-पौधे, सूक्ष्म जीव, पशुपक्षी आदि सभी प्राणी सम्मिलित हैं।

प्रश्न 6.
जैव विविधता के विभिन्न स्तर कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-

  • आनुवंशिक विविधता (Genetic Diversity)
  • प्रजाति विविधता (Species Diversity) ।
  • परिस्थितिगत विविधता (Ecosystem Diversity) |

प्रश्न 7.
आनुवंशिक विविधता क्या है ?
उत्तर-
आनुवंशिक विविधता–अलग-अलग जीन की उपस्थिति के कारण उत्पन्न विविधता को आनुवंशिक विविधता कहते हैं। मनुष्यों में यह विविधता मंगोल, नीग्रो आदि में देखी जा सकती है।

प्रश्न 8.
पक्षियों का विकास डायनोसॉर से क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
डायनोसॉर सरीसृप थे। उनके विभिन्न जीवाश्मों में अस्थियों के साथ पंखों की छाप भी स्पष्ट रूप से मिलती है। तब शायद वे सब इन पंखों की सहायता से उड़ नहीं पाते होंगे पर बाद में पक्षियों ने पंखों से उड़ना सीख लिया होगा। इसीलिए पक्षियों को डायनोसॉर से संबंधित मान लिया जाता है।

प्रश्न 9.
आनुवंशिकता क्या है ?
उत्तर-
आनुवंशिकता-सभी जीवधारियों में कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जो उन्हें अपने से पहले पीढ़ियों से प्राप्त होते हैं। ये गुण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाते हैं। एक जीव से दूसरे जीव में पीढ़ी-दर-पीढ़ी लक्षणों का आगे जाना आनुवंशिकता कहलाती है।

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प्रश्न 10.
लिंग गुण सूत्र क्या है ?
उत्तर-
लिंग गुण सूत्र-मानवों में कुल 23 जोड़े गुण सूत्र होते हैं जिनमें से अंतिम तेइसवाँ जोड़ा लिंग गुण सूत्र (Sex Chromosome) कहलाता है। इसी के कारण कोई मानव नर या मादा के रूप में जन्म लेता है। नर में XY लिंग गुण सूत्र होते हैं पर मादा में XX लिंग गुण सूत्र होते हैं।

प्रश्न 11.
समजात अंग (Homologous Organs) को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
समजात अंग-जीव-जंतुओं के वे अंग, जिनकी उत्पत्ति और मूल संरचना में समानता होती है पर समय, परिस्थिति और कार्य के कारण उनकी बाहरी रचना में अंतर आ जाता है, उन्हें समजात अंग कहते हैं। उदाहरण-पक्षी के पंख, मेंढक की टाँगें, सील के फ्लीपर, चमगादड़ के पंख, घोड़े की अगली टाँगें और मनुष्य की बाजू की उत्पत्ति और संरचना समान है पर इनके कार्यों में अंतर है। ये इस बात को प्रमाणित करते हैं कि कभी सभी के पूर्वज एक जैसे ही थे। परिस्थितियों और समय ने उनमें परिवर्तन किए हैं।
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प्रश्न 12.
समरूप अंग क्या होते हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
समरूप अंगों-समरूप अंगों में कार्य की समानता होती है लेकिन उनकी उत्पत्ति और मूल संरचना में अंतर होता है। कीड़े, पक्षी चमगादड़ और चमगादड़ सभी पँखों का प्रयोग उड़ने के लिए करते हैं पर उनकी उत्पत्ति अलग-अलग ढंग से हुई थी।
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प्रश्न 13.
समजात अंग और समरूप अंग में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

समजात अंग समरूप अंग
(i) इन अंगों की मूल रचना और उत्पत्ति समान नहीं होती। (i) इन अंगों की मूल रचना और उत्पत्ति एक एक समान होती है।
(ii) इनके कार्य समान नहीं होते हैं। उदाहरण-I. पक्षियों के पंख और मेंढक
II. मनुष्य की बाजू और घोड़े की अगली टांगें।
(ii) इनके कार्य समान होते हैं। उदाहरण-I. पक्षी और चमगादड़ के पंख। के अग्रपाद।
II. पक्षियों और कीटों के पंख।

प्रश्न 14.
मेंडल के आनुवंशिकता के प्रबलता के नियम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
प्रबलता का नियम-जब पौधों के विपरीत लक्षणों के बीच संकरण कराया जाता है जो उनकी संतति में उन लक्षणों में से एक लक्षण ही प्रभावी रहता जबकि दूसरा विपरीत लक्षण अप्रभावी रहता है। प्रभावी लक्षण संतान में दिखाई देता है जबकि अप्रभावी लक्षण विद्यमान होते हुए भी दिखाई नहीं देता।
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मेंडल के द्वारा किए गए मटरों के प्रयोग में पहली पीढ़ी में सभी पौधे शुद्ध लंबे थे परंतु दूसरी पीढ़ी में एक शुद्ध लंबा पौधा, दो संकरे लंबे तथा एक शुद्ध बौना पौधा था।

प्रश्न 15.
मेंडल के मटर के पौधों पर प्रयोग से क्या परिणाम निकले ?
उत्तर–
मेंडल के मटर के पौधों पर किए प्रयोग से निम्नलिखित परिणाम निकले

  • पौधों में लक्षण कुछ इकाइयों द्वारा नियंत्रित होते हैं। उन्हें कारक कहा जाता है। प्रत्येक लक्षण के लिए युग्मक में एक कारक होता है, जैसे लंबाई, फूल का रंग।
  • एक लक्षण को दो कारकों द्वारा ही व्यक्त किया जाता है, जैसे TT या tt |

प्रश्न 16.
युग्मकों की शुद्धता का नियम क्या है ?
उत्तर-
गुणसूत्रों पर जीन हमेशा जोड़े में विद्यमान होती हैं जैसे TT या tt । युग्मक में ये जीन अलग-अलग हो जाते हैं और अलग हुआ एक जीन एक गुण के लिए बिल्कुल शुद्ध होता है। युग्मक संयोग के बाद युग्मनज में एक जीन पिता से और एक जीन माता से (एक ही गुण वाले) समान जीन एकत्रित हो जाते हैं और ये दोनों जीन एक लक्षण के लिए उत्तरदायी होते हैं। इस नियम को युग्मकों की शुद्धता का नियम कहते हैं।

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प्रश्न 17.
जीन कहाँ स्थित होते हैं ? इनकी रासायनिक प्रकृति क्या है ?
उत्तर-
जीन-जीन आनुवंशिकता की अंतिम इकाई है जिसके द्वारा पैतृक गुण संतानों में स्थानांतरित होते हैं। यह DNA के खंड होते हैं। जीन गुणसूत्रों पर स्थित होते हैं। न्यूक्लियोटाइडस का विशिष्ट क्रम इसकी क्रियात्मक विशिष्टता को निर्धारित करता है। जीन को किसी विशेष एंजाइम से काटा जा सकता है और उसे किसी अन्य जीव के जीन के साथ जोड़ा जा सकता है।

प्रश्न 18.
लिंग गुणसूत्रों और अलिंग गुणसूत्रों में अंतर लिखिए।
उत्तर-

लिंग गुणसूत्र अलिंग गुणसूत्र
(1) ये लिंग निर्धारण से संबंधित होते हैं। (1) ये लिंग निर्धारण से संबंधित नहीं होते।
(2) मनुष्य में केवल दो लिंग गुणसूत्र X और Y होते हैं। (2) मनुष्य में 44 अलिंग गुणसूत्र होते हैं।
(3) मानव नर में XY तथा मानव मादा में XX लिंग गुणसूत्र होते हैं। (3) इन गुण सूत्रों को 1 से 22 तक संख्या प्रदान की गई है।

प्रश्न 19.
विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज़ की उत्तरजीविता किस प्रकार बढ़ जाती है?
उत्तर-
लाभकारी विभिन्नताएं जीन को वातावरण की अवश्यकताओं के अनुकूल बनाती हैं। जो उसे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाती है। ऐसा होने पर जीन की उस स्पीशीज़ की उत्तरजीविता में वृद्धि होती है।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मानव नर और मादा में कितने जोड़े गुण सूत्र होते हैं ?
उत्तर-
23 जोड़े।

प्रश्न 2.
स्त्रियों में कौन-सा लिंग गुणसूत्र होता है ?
उत्तर-
‘XX’ गुणसूत्र।

प्रश्न 3.
पुरुषों में कौन-सा लिंग गुणसूत्र होता है ?
उत्तर-
‘XY’ गुणसूत्र।

प्रश्न 4.
बच्चे के लिंग का निर्धारण किसके गुणसूत्र पर निर्भर करता है।
उत्तर-
पिता के ‘Y’ गुणसूत्र पर।

प्रश्न 5.
डार्विन ने किस सिद्धांत की परिकल्पना की थी ?
उत्तर-
प्राकृतिक वरण द्वारा जैव विकास।

प्रश्न 6.
जीवाश्म क्या होते हैं ?
उत्तर-
जीवाश्म-जीवों के चट्टानों में परिरक्षित अवशेष जीवाश्म कहलाते हैं।

प्रश्न 7.
आनुवंशिकता किसे कहते हैं ?
उत्तर–
प्राणियों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलने वाले पूर्वजों के लक्षणों और गुणों को आनुवंशिकता कहते हैं।

प्रश्न 8.
विभिन्नता किसे कहते हैं ?
उत्तर-
समान माता-पिता और समान जाति होने पर भी संतानों में रंग-रूप, बुद्धिमता, कद आदि में अंतर पाया जाता है। इसी को विभिन्नता कहते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

प्रश्न 9.
मानव शरीर में लगभग कितनी जीन होती हैं ?
उत्तर-
30000 से 40000 तक।

प्रश्न 10.
जीन कहाँ विद्यमान होती हैं ?
उत्तर-
जीन गुणसूत्रों पर निश्चित स्थान पर विद्यमान होती हैं।

प्रश्न 11.
AIDS का वायरस HIV कैसा होता है ?
उत्तर-
रेट्रो वायरस।

प्रश्न 12.
जीन का क्या कार्य होता है ?
उत्तर-
आनुवंशिक लक्षणों का निर्धारण, नियंत्रण और वहन।

प्रश्न 13.
DNA तथा RNA का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
DNA = डी ऑक्सीरिबो न्यूक्लिक अम्ल।
RNA = रिबो न्यूक्लिक अम्ल।

प्रश्न 14.
ऑटोसोम्स किसे कहते हैं ?
उत्तर-
मनुष्य में 23 जोड़े गुणसूत्र होते हैं। लिंग गुणसूत्रों का जोड़ा 23वां होता है। शेष 22 जोड़े ऑटोसोम्स कहलाते हैं।

प्रश्न 15.
समजात अंग क्या होते हैं ?
उत्तर–
समजात अंग –वे अंग जिनकी उत्पत्ति और मूल रचना समान हो पर उनके कार्य भिन्न हों।

प्रश्न 16.
समवृत्ति अंग किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वे अंग जिनके कार्यों में समानता है पर उनकी उत्पत्ति और मूल रचना भिन्न हो।

प्रश्न 17.
मानव शरीर में कौन-कौन से अवशेषी अंग हैं ?
उत्तर–
कर्ण पल्लव की पेशियाँ, कृमि रूप परिशेषिका, पुच्छ कशेरुक, निमेषक पटल।

प्रश्न 18.
बायोजेनेटिक नियम लिखिए।
उत्तर-
जीव जंतु भ्रूण-विकास के समय अपने पूर्वजों के जातीय विकास की उत्तरोतर अवस्थाओं को प्रकट करता है। इस नियम को ‘व्यक्ति वृत्त में जातिवृत्त की पुनरावृत्ति’ (Ontogeny Repeats Phylogeny) भी कहते हैं।

प्रश्न 19.
आनुवंशिक इंजीनियरी में कौन-सी क्रिया की जाती है ? ।
उत्तर-
DNA या जीन के एक टुकड़े को काटकर किसी दूसरे जीवधारी की DNA के साथ विशिष्ट एंजाइम की सहायता से जोड़ने की क्रिया आनुवंशिक इंजीनियरी में की जाती है।

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प्रश्न 20. ‘
फॉसिल डेटिंग’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-जिसमें जीवाश्म में पाए जाने वाले किसी एक तत्त्व के विभिन्न समस्थानिकों के अनुपात के आधार पर जीवाश्म का समय निर्धारित किया जाता है उसे फॉसिल डेटिंग कहते हैं।

प्रश्न 21.
प्रभावी लक्षण क्या होते हैं ?
उत्तर-
प्रभावी लक्षण-वे विषय जो समयुग्म तथा विषम युग्मजी दोनों अवस्थाओं में प्रकट कर सकते हैं, प्रभावी लक्षण कहलाते हैं।

प्रश्न 22.
चित्र में दर्शाए गए अंग किस प्रकार के अंगों को दर्शाते हैं ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास 8
उत्तर-
समजात अंग।

प्रश्न 23.
नीचे दिए गये चित्र में जीव-विकास के दृष्टिकोण से चित्र में दिखाए अंग किस प्रकार के अंग हैं ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास 9
उत्तर-
दोनों के कार्य करने में समानता है परन्तु इनकी उत्पत्ति तथा मूल रचना में अंतर होता है, इसलिए इन्हें समरूप अंग (Analogous organ) कहते हैं।

प्रश्न 24.
नीचे दर्शाए गए चित्र में (क) और (ख) का लिंग लिखें।
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उत्तर-
(क) मादा (ख) नर।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न | (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मेंडल के एक प्रयोग में लंबे मटर के पौधे जिनके बैंगनी पुष्प थे, का संकरण बौने पौधों जिनके सफ़ेद पुष्प थे, से कराया गया। इनकी संतति के सभी पौधों में पुष्प बैंगनी रंग के थे। परंतु उनमें से लगभग आधे बौने थे। इससे कहा जा सकता है, लंबे जनक पौधों की आनुवंशिक रचना निम्न थी –
(a) TTww
(b) TTww
(c) Tt ww
(d) Tt Ww.
उत्तर-
(c) TtWW.

प्रश्न 2.
समजात अंगों के उदाहरण हैं
(a) हमारा हाथ तथा कुत्ते के अग्रपाद
(b) हमारे दाँत तथा हाथी के दाँत
(c) आलू एवं घास के उपरिभूस्तारी
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 3.
विकासीय दृष्टिकोण से हमारी किससे अधिक समानता है
(a) चीन के विद्यार्थी
(b) चिंपैंजी
(c) मकड़ी
(d) जीवाणु।
उत्तर-
(a) चीन के विद्यार्थी।

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प्रश्न 4.
‘AB’ रक्त वर्ग तथा ‘0’ रक्त वर्ग वाले माता-पिता की सन्तति हो सकती है
(a) ‘A’ रक्त वर्ग की
(b) ‘0’ रक्त वर्ग की
(c) ‘AB’ रक्त वर्ग की।
(d) ‘A’ या ‘B’ रक्त वर्ग की।
उत्तर-
(d) ‘A’ या ‘B’ रक्त वर्ग की।

प्रश्न 5.
अवशेषी अंग का उदाहरण नहीं है
(a) कीवी के पंख
(b) मनुष्य के रदनक दांत
(c) व्हेल का पाद
(d) सर्प की श्रेणी मेखला।
उत्तर-
(c) व्हेल का पाद।

प्रश्न 6.
समजात अंग का उदाहरण नहीं है
(a) मनुष्य के नाखून तथा बिल्ली के पंजे
(b) मनुष्य के हाथ और कुत्ते के अग्रपाद
(c) चिड़िया तथा चमगादड़ के पंख
(d) मनुष्य और हाथी के दाँत।
उत्तर-
(c) चिड़िया तथा चमगादड़ के पंख।।

प्रश्न 7.
कौन-सा एक टैस्ट क्रॉस को दर्शाता है ?
(a) TT x TT
(b) Tt x tt
(c) ttx tt
(d) Tt x Tt.
उत्तर-
(b) Tt x tt.

प्रश्न 8.
कोई लड़की अपने पिता से किस गुण-सूत्र को प्राप्त करती है ?
(a) X
(b) Y
(c) XY
(d) 0.
उत्तर-
(a) X.

प्रश्न 9.
कोई लड़का अपने पिता से किस गुण-सूत्र को प्राप्त करता है ?
(a) X
(b) Y
(c) XY
(d) O.
उत्तर-
(b) Y.

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) दो जीवों की अंग रचना एक समान परंतु कार्य अलग-अलग ……………………… हों तो उन्हें कहते हैं।
उत्तर-
समजात

(ii) प्राणियों में लक्षणों को ……………………… नियंत्रित करते हैं।
उत्तर-
जीन

(iii) हावी गुण को ………………………. तथा दब्बू गुण को ……………………… कहते हैं।
उत्तर-
प्रभावी, अप्रभावी

(iv) बच्चों के लिंग का निर्धारण ………………………. के गुणसूत्र पर निर्भर करता है।
उत्तर-
पिता

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 9 आनुवंशिकता एवं जैव विकास

(v) मेंडल ने अपने मठ के बगीचे में मटर के पौधों पर, लगभग ……………………………. प्रयोग किए।
उत्तर-
10,000

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पौधों में कायिक जनन का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-
पौधों में कायिक जनन मुख्य रूप से दो प्रकार से होता है
(i) प्राकृतिक और
(ii) कृत्रिम कायिक जनन।

(i) प्राकृतिक कायिक जनन-प्राकृतिक कायिक जनन निम्नवत् होता है –
(क) जड़ों द्वारा-कुछ पौधों की जड़ों, जैसे शकरकंद में कलिकाएं (आँक) मौजूद होती हैं। शकरकंद को भूमि में गाड़ देने से कलिकाओं के कोंपल फूटते हैं, जिससे नया पौधा बनता है।
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(ख) तने द्वारा- कुछ तनों से भी आँक या कलिकाएं मौजूद होती हैं जैसे आलू, अदरक आदि। इनको भूमि में बो देने से कलिकाओं से कोंपल निकल आती है।
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(ग) पत्तियों द्वारा-ब्रायोफिलम, बिगोनिया आदि की पत्तियों से पर्ण-कलिकाएं निकल आती हैं, जो पत्तियों से विलग होकर भूमि पर गिर कर नये पौधे को जन्म देती हैं।

(ii) कृत्रिम कायिक जनन-यह मुख्यत: निम्नलिखित प्रकार का होता है-
(क) लेयरिंग-कुछ पौधों की टहनियों को झुकाकर भूमि के भीतर मिट्टी में दबा देते हैं। कुछ दिन बाद मिट्टी में दबी टहनी में से कोंपल फूट आते हैं। उदाहरण-चमेली, अंगूर आदि।

(ख) कलम-गुलाब, गुड़हल, चमेली आदि की ऐसी शाखा काट लेते हैं जिनमें दो पर्व हों। इनको भूमि में गाड़ देने से पर्वो से अपस्थानिक जड़ें निकल आती हैं और कक्षकलिकाओं से कोंपल फूटने लगते हैं।

(ग) रोपण-इसमें एक वृक्ष की शाखा को काट कर उसमें ‘T’ के आकार का खांच बना लेते हैं, इसको स्टाक कहते हैं। अब उसी जाति को दूसरे वृक्ष की शाखा को काट कर स्टॉक के खांच के अनुरूप खांच बना लेते हैं, इसको सिऑन कहते हैं। सिऑन को स्टॉक में फिट कर देते हैं। खांच के चारों ओर मिट्टी लगा कर बाँध देते हैं। कुछ दिन बाद दोनों जुड़कर पौधा बन जाता है। उदाहरण-गन्ना, आम, अमरूद, लीची आदि।

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(घ) कलिका-इसमें एक वृक्ष की टहनी की छाल में ‘T’ की तरह खांच बना लेते हैं। किसी दूसरे चुने हुए पौधे की कलिका को लेकर स्टॉक के खांचे में घुसा देते हैं। इसको अच्छी तरह से बांधकर इसके ऊपर मिट्टी लपेट देते हैं। कुछ दिन बाद उस स्थान में कोंपल निकल आते हैं।
उदाहरण-नींबू, नारंगी आदि।

प्रश्न 2.
अंकित चित्र की सहायता से पुष्प के भागों का वर्णन करो।
उत्तर-
पुष्प-पुष्पी पौधों में पुष्प लैंगिक जनन में सहायता करता है। पुष्पों की सहायता से बीज बनते हैं। पुष्प में एक आधारी भाग होता है जिस पर पुष्प के सभी भाग लगे होते हैं। इसे पुष्पासन कहते हैं। पुष्प के मुख्य चार भाग होते हैं –
(i) बाह्य दलपुंज या हरी पत्तियाँ- यह पुष्प का सबसे बाहरी भाग होता है। यह हरी पत्तियों के रूप में परागकोष होता है जिन्हें बाह्य दल कहते हैं। यह पुष्प की रक्षा करता है।

(ii) दलपुंज या रंगीन पत्तियाँ- बाह्य दलपुंज के भीतरी भाग को दलपुंज कहते हैं। प्रत्येक अंग पंखुड़ी या दल कहलाता है। इसका रंग विभिन्न पुष्पों में अलग-अलग होता है। इनका कार्य कीटों को आकर्षित करके परागण में सहायता करना है।
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(iii) पुंकेसर-यह पुष्प का बाहर से तीसरा भाग है। इसके प्रत्येक अंग को पुंकेसर कहते हैं। पुंकेसर के मुख्य दो भाग होते हैं-पराग सूत्र एवं पुतंतु। पराग सूत्र भोजी द्वारा पराग कोष से जुड़ा होता है। पराग कोष के अंदर परागकण होते हैं। ये निषेचन के बाद बीज बनाते हैं।

(iv) स्त्रीकेसर-यह पुष्प का मादा भाग होता है। इसके प्रत्येक अंग को स्त्रीकेसर या गर्भ केसर कहते हैं। इसके तीन भाग होते हैं-

  1. वर्तिकाग्र
  2. वर्तिका
  3. अंडाशय।

अंडाशय के अंदर बीजाणु होते हैं।

प्रश्न 3.
परागण से आरंभ करके पौधों में बीज बनने तक सभी अवस्थाएं बताइए।
उत्तर-
परागकोश से परागकणों का वर्तिकाग्र तक स्थानांतरण परागण कहलाता है। फूल के पुंकेसर में परागकोश होते हैं, जो परागकण उत्पन्न करते हैं। स्त्रीकेसर के तीन भाग होते हैं-अंडाशय, वर्तिका और वर्तिकाग्र। परागण के बाद परागकण से एक नली निकलती है जिसे परागनली कहते हैं। पराग नली में दो नर युग्मक होते हैं। इनमें से एक नर युग्मक पराग नली में से होता हुआ बीजांड तक पहुँच जाता है। यह बीजांड के साथ संलयन करता है जिससे युग्मनज बनता है। दूसरा नर युग्मक दो ध्रुवीय केन्द्रकों से मिलकर प्राथमिक एंडोस्पर्म (भ्रूणकोष) केंद्रक बनाता है जिस से अंत में एंडोस्पर्म बनता है। इस प्रकार उच्चवर्गीय (एंजियोस्पर्मी) पौधे दोहरी निषेचन क्रिया प्रदर्शित करते हैं।
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निषेचन के बाद फूल की पंखुड़ियां, पुंकेसर, वर्तिका तथा वर्तिकाग्र गिर जाते हैं। बाह्य दल सूख जाते हैं और अंडाशय पर लगे रहते हैं। अंडाशय शीघ्रता से वृद्धि करता है और इनमें स्थित कोशिकाएं विभाजित होकर वृद्धि करती हैं और बीज का बनना आरंभ हो जाता है। बीज में एक शिशु पौधा अथवा भ्रूण होता है। भ्रूण में एक छोटी जड़ (मूल जड़), एक छोटा प्ररोह (प्रांकुर) तथा बीजपत्र होते हैं। बीजपत्र में भोजन संचित रहता है। समयानुसार बीज सख्त होकर सूख जाता है। यह बीज प्रतिकूल परिस्थिति में जीवित रह सकता है। अंडाशय की दीवार भी सख्त हो सकती है और एक फली बन जाती है। निषेचन के बाद सारे अंडाशय को फल कहते हैं।

प्रश्न 4.
बाह्य निषेचन तथा आंतरिक निषेचन का क्या अर्थ है ? परनिषेचन तथा स्वनिषेचन में क्या अंतर है? इनमें से कौन-सी ज्यादा लाभदायक है?
उत्तर-
बाह्य निषेचन तथा आंतरिक निषेचन-जब नर और मादा अपने-अपने शुक्राणु तथा अंडे सारे शरीर से बाहर पानी में छोड़ देते हैं और शुक्राणु और अंडे का संयोग शरीर से बाहर होता है तो इस क्रिया को बाह्य निषेचन कहते हैं। जैसे मेंढक और मछलियों में। आंतरिक निषेचन में नर अपने शुक्राणु मादा के शरीर में विसर्जित करता है और शुक्राणु मादा के शरीर में अंडे से संयोग करता है। जैसे पक्षियों और स्तनधारियों में।

परनिषेचन और स्वनिषेचन-
परनिषेचन (Cross-Fertilization)-यह उन जीवों में होता है जहां नर और मादा अलग-अलग होते हैं। उभयलिंगी जंतुओं में यह हो सकता है यदि जनन अंग विभिन्न समय पर परिपक्व हों। इससे जीवों में विविधताएं आती हैं।

स्वनिषेचन (Self-Fertilization)-उभयलिंगी जीवों में जहां नर और मादा जनन अंग एक ही समय पर परिपक्व होते हैं, स्वनिषेचन होता है। इस विधि में पैतृक गुण पीढ़ी दर पीढ़ी कायम रहते हैं। परपरागण से जीवों में विविधताएँ उत्पन्न होती हैं जिससे जीवों में क्षमताएँ बढ़ती हैं। जीवन के नए युग्मक बनने में आनुवंशिक विविधता का विकास होता है।

प्रश्न 5.
अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियां कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
अलैंगिक जनन में जीव स्वयं गुणित होते हैं। अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियां निम्नलिखित हैं
(i) विखंडन (Binary Fission)-द्विखंडन में जीव का शरीर लंबवत् अनुप्रस्थ खांच से दो बराबर भागों में विभाजित हो जाता है। प्रत्येक भाग जनक के समान हो जाता है। जनन की यह विधि प्रोटोज़ोआ (अमीबा, पैरामीशियम आदि) में होती है जिन में यही विधि आवश्यक रूप से कोशिका विभाजन की विधि है जिसके परिणामस्वरूप संतति कोशिकाओं का पृथक्करण होता है। बहुकोशिकीय जंतुओं में भी इस विधि को देखा गया है। जैसे-सी-ऐनीमोन में लंबवत् खंडन तथा प्लेनेरिया में अनुप्रस्थ खंडन।
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(ii) मुकुलन (Budding)-मुकुलन एक प्रकार की अलैंगिक जनन क्रिया है जिसमें नया जीव जो अपेक्षाकृत छोटे पुँज की कोशिकाओं से निकलता है, आरंभ में जनक जीव में मुकुल बनाता है। मुकुल अलग होने से पहले जनक का रूप धारण कर लेता है जैसे-बाह्य मुकुलन में या जनक से अलग होने के पश्चात् आंतरिक मुकुलन में। बाह्य मुकुलन स्पंज, सोलेंट्रेटा (जैसे हाइड्रा), चपटे कृमि और ट्यूनीकेट में मिलता है लेकिन कुछ सीलेंट्रेट जैसे ओबेलिया पोलिप की अपेक्षा मैडूयूसी पैदा करते हैं।

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(iii) खंडन (Fragmentation)-स्पाइरोगायरा जैसे कुछ जीव पूर्ण विकसित होने के बाद साधारणतया दो या अधिक खंडों में टूट जाते हैं। ये खण्ड वृद्धि करके पूर्ण विकसित जीव बन जाते हैं। खंडन चपटे कृमि, रिबन कृमि
और एनेलिडा संघ के प्राणियों में भी होता है।

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(iv) बहुखंडन (Multiple Fission)-कभी-कभी प्रतिकूल परिस्थितियों में कोशिका के चारों ओर एक संरक्षक परत या भित्ति बन जाती है। ऐसी अवस्था को पुटी (सिस्ट) कहते हैं। पुटी के अंदर कोशिका कई बार विभाजित हो जाती है जिससे बहुत-सी संतति कोशिकाएं बन जाती हैं। ऐसी प्रक्रिया को बहुखंडन कहते हैं। पुटी के फटने के बाद बहुत-सी कोशिकाएं बाहर निकल जाती हैं।
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(v) कायिक प्रवर्धन (Vegetative Reproduction)-जब पौधे के किसी कायिक अंग जैसे पत्ता, तना अथवा जड़ से नया पौधा उगाया जा सकता हो तो इस प्रक्रिया को कायिक प्रवर्धन कहते हैं।

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प्रश्न 6.
मनुष्य में नर जनन तंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मनुष्य में नर जनन तंत्र-नर मनुष्य (पुरुष) में जंघनास्थि क्षेत्र में एक मांसल संरचना शिश्न होता है जिसके बीच में मूत्रवाहिनी होती है। शिश्न के नीचे उसकी जड़ में एक मांसल थैली वृषण कोष होता है जिसमें अंडाकार संरचनाएं वृषण होते हैं। वृषण नर युग्मक शुक्राणु का निर्माण करते हैं। वृषण में एक विशिष्ट संरचना शुक्राशय पाया जाता है जिसमें शुक्राणु के पोषण के लिए चिपचिपा पदार्थ स्रावित होता है। चिपचिपे पदार्थ (वीर्य) के साथ शुक्राणु एक संकरी नली द्वारा मूत्र वाहिनी में पहुंचते हैं। जहाँ से शिश्न की सहायता से मादा की योनि में छोड दिए जाते हैं। शिश्न मूत्र एवं शुक्राणु युक्त वीर्य दोनों को बाहर निकालता है।

प्रश्न 7.
मनुष्य के मादा जनन तंत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मनुष्य के मादा जनन तंत्र के निम्नलिखित भाग हैं –
(i) अंडाशय (Ovary) – श्रोणीय गुहिका में दो अंडाशय होते हैं जो बहुत छोटे आकार के होते हैं। अंडाशय में अंडे बनते हैं। अंडाशय की अंदर की सतह पर एपीथीलियम कोशिकाओं की पतली परत होती है जिसे जनन एपीथीलियम कहते हैं। इसकी कोशिकायें विभाजित होकर फोलिकल तथा अंडा बनाती हैं। अंडाशय की गुहा में संयोजी ऊतक होते हैं जिन्हें स्ट्रोमा कहते हैं। प्रत्येक फोलिकल में एक जनन कोशिका होती है जिसके चारों ओर स्ट्रोमा की कोशिकाएं रहती हैं। अर्ध सूत्री विभाजन के फलस्वरूप जनन कोशिकाएं अंडे का निर्माण करती हैं। ओस्ट्रोजिन तथा प्रोजिस्ट्रॉन नामक दो हार्मोन अंडाशय द्वारा स्रावित होते हैं जो मादा में प्रजनन संबंधी विभिन्न क्रियाओं का नियंत्रण करते हैं।

(ii) फैलोपियन नलिका (Fallopian Tube)-यह रचना में नलिका समान होती है। इसका एक सिरा गर्भाशय से जुड़ा रहता है और दूसरा सिरा अंडाशय के पास खुला रहता है। इसके सिरे पर झालदार रचना होती है जिसे फिंब्री कहते हैं। अंडाशय से जब अंडा निकलता है तो फिंब्री की संकुचन क्रिया के कारण फैलोपियन नलिका में आ जाता है। यहाँ से गर्भाशय की ओर बढ़ता है। अंड निषेचन फैलोपियन नलिका में ही होता है। यदि अंडे का निषेचन नहीं होता यह गर्भाशय से होकर योनि में और ऋतु स्राव के समय योनि से बाहर निकल जाता है।
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(iii) गर्भाशय (Uterus)-यह मूत्राशय तथा मलाशय के बीच स्थित एक मांसल रचना है। फैलोपियन नलिकाएँ इसके दोनों ओर ऊपर के भागों में खुलती हैं। गर्भाशय का निचला सिरा कम चौड़ा होता है और योनि में खुलता है। गर्भाशय के अंदर की दीवार एंड्रोमीट्रियम की बनी होती है। गर्भाशय का मुख्य कार्य निषेचन अंडे को परिवर्धन काल में जब तक कि गर्भ विकसित होकर शिशु के रूप में जन्म न ले ले, आश्रय तथा भोजन प्रदान करना है।

(iv) योनि (Vagina)-यह मांसल नलिका समान रचना है। इसका पिछला भाग गर्भाशय की ग्रीवा में खुलता है। मादा में मूत्र निष्कासन के लिए अलग छिद्र होता है जो योनि में खुलता है।

(v) भग (Vulva)–योनि बाहर की ओर एक सुराख से खुलती है जिसे भग कहते हैं।

प्रश्न 8.
(क) परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है ?
(ख) फूल के नर तथा मादा जनन अंगों का नामांकित चित्र बनाओ।
उत्तर-
(क) परागण क्रिया तथा निषेचन क्रिया में अंतर-देखें “अध्याय के अंतर्गत प्रश्न’ शीर्षक के अधीन प्रश्न 1 पृष्ठ 201
(ख) फूल का नर जनन अंग : पुंकेसर
फूल का मादा जनन अंग : स्त्रीकेसर
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लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कायिक प्रवर्धन के लाभ बताइए।
उत्तर-

  • सभी नये पौधे मातृ पौधे के समान होते हैं। इस प्रकार एक अच्छे गुणों वाले पौधे से कलम द्वारा उसके समान ही अनेक पौधे तैयार किये जाते हैं।
  • फलों द्वारा उत्पन्न सभी बीज समान नहीं होते परंतु कायिक जनन खरा उत्पन्न पौधों में पूर्ण समानता होती है।
  • कायिक जनन द्वारा नये पौधे थोड़े समय में ही प्राप्त हो जाते हैं।
  • वे पौधे जो बीज द्वारा सरलता से प्राप्त नहीं किए जा सकते, कायिक जनन द्वारा प्राप्त किये जा सकते हैं। केला, अंगूर, संतरे आदि की खेती इस प्रकार की जाती है।

प्रश्न 2.
पुनरुद्भवन (Regeneration) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
पुनरुद्भवन-शरीर के कटे हुए किसी भाग में पूर्ण जीव बना लेने या उसे फिर से विकसित कर लेने की क्षमता को पुनर्जनन या पुनरुद्भवन कहते हैं। स्टार फिश कटी हुई भुजा को फिर से प्राप्त कर लेती है। स्पाइरोगायरा, हाइड्रा, प्लैनेरिया आदि इस विधि से जनन करते हैं।
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प्रश्न 3.
ऊतक संवर्धन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऊतक संवर्धन (Tissue Culture)- इस विधि में पौधे के ऊतक का एक टुकड़ा काट लेते हैं। एक बीकर में पोषक तत्वों से युक्त माध्यम लेकर उसमें उचित परिस्थितियों में ऊतक के टुकड़े को रख देते हैं। इस चीकर के अंदर उस ऊतक की वृद्धि एक असंगत पिंड की तरह होती है जिसे कैलस कहा जाता है। कैलस का थोड़ा-सा भाग एक अन्य माध्यम में रखा जाता है जिसमें पदपादक में विभेदन होता है। इस पदपादक को गमले या मिट्टी में रोपित कर देते हैं। इस प्रकार एक नया पौधा बनकर तैयार हो जाता है।

प्रश्न 4.
राइज़ोपस में बीजाणु समासंघ से नए जीव किस प्रकार उत्पन्न होते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
अनेक सरल बहुकोशिक जीवों में विशिष्ट जनन संरचनाएँ पाई जाती हैं। नमी युक्त ब्रेड पर धागे के समान कुछ संरचनाएं विकसित होती हैं। वह राइजोपस का कवक जाल है। यह जनन के भाग नहीं हैं। इन उर्ध्व तंतुओं पर गोल सूक्ष्म गुच्छ (संरचनाएँ) जनन में भाग लेती हैं। यह गुच्छ बीजाणुधानी हैं जिसमें विशेष कोशिकाएँ अथवा बीजाणु होते हैं। यह बीजाणु वृद्धि करके राइजोपस के नए जीव उत्पन्न करते हैं। बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है। नम सतह के संपर्क में आने पर वह वृद्धि करने लगते हैं।
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प्रश्न 5.
मासिक धर्म के बंद होने का क्या कारण है ?
उत्तर–
गर्भाशय में भ्रूण की उपस्थिति में प्लेसैंटा बनता है। प्लेसैन्टा ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोजन हार्मोन पैदा करता है जो मासिक धर्म को बंद कर देते हैं।

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प्रश्न 6.
गर्भधारण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
गर्भधारण-निषेचित अंडा बार-बार माइटोटिक विभाजन करता है जिससे कोशिकाओं का एक पुँज-सा बन जाता है जो अंडवाहिनी से गर्भाशय तक जाता है। यहाँ यह गर्भाशय की गर्भ दीवारों में धंस जाता है। इस क्रिया को गर्भाधारण करना कहते हैं।

प्रश्न 7.
मैनोपॉज (Menopause) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मैनोपॉज-मादा में प्राकृतिक मासिक धर्म की क्रिया के बंद होने को मैनोपॉज कहते हैं। मानव मादा में यह 45-50 वर्ष की अवस्था में होता है। इस मैनोपॉज के बंद होने के पश्चात् स्त्री बच्चों को जन्म नहीं दे सकती।

प्रश्न 8.
एक लिंगी तथा उभयलिंगी की परिभाषा एक-एक उदाहरण देते हुए लिखिए।
उत्तर-
एक लिंगी-वे जीव जिनमें नर और मादा स्पष्ट रूप से अलग-अलग हों उन्हें एक लिंगी जीव कहते हैं। उदाहरण- मनुष्य। उभयलिंगी-जिन जीवों में नर और मादा लिंग एक साथ उपस्थित होते हैं उन्हें उभयलिंगी कहते हैं। उदाहरण-केंचुआ।

प्रश्न 9.
पुरुष तथा स्त्री के द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
किशोर अवस्था में लड़के तथा लड़कियों में आने वाले परिवर्तन कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
(क) नर के शरीर में दिखाई देने वाले परिवर्तन

  • आवाज़ में भारीपन आ जाता है।
  • दाढ़ी और मूंछे उग जाती हैं।
  • जननांगों पर बाल उग आते हैं।
  • शिश्न का आकार बढ़ जाता है और दिन या रात के सपनों में उसका स्तंभन बढ़ जाता है।
  • कंधे चौड़े हो जाते हैं। माँस पेशियाँ विकसित हो जाती हैं।
  • विपरीत लिंग की ओर आकर्षण बढ़ जाता है।

(ख) मादा के शरीर में दिखाई देने वाले परिवर्तन

  • जननांगों पर बाल उग आते हैं।
  • वक्षों का विकास हो जाता है। मांसलता आ जाती है।
  • रजोधर्म चक्र आरंभ हो जाता है।
  • कूल्हों के आस-पास वसा इकट्ठी हो जाती है।
  • विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण बढ़ जाता है।
  • जनन अंगों का विकास हो जाता है।

प्रश्न 10.
अंडे और शुक्राणु में क्या अंतर है ?
उत्तर-

अंडा शुक्राणु
(1) यह नर जनन कोशिका है। (1) यह मादा जनन कोशिका है।
(2) यह अंडे की अपेक्षा आकार में छोटा होता है। (2) यह शुक्राणु की अपेक्षा आकार में बड़ा होता है।
(3) इसकी पूंछ नहीं होती। (3) इसकी पूंछ होती है।
(4) यह तैर नहीं सकते।
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(4) ये पूंछ की सहायता से तैर सकते हैं।
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प्रश्न 11.
लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में अंतर बताओ।
उत्तर-
लैंगिक तथा अलैंगिक जनन में अंतर

लैंगिक जनन अलैंगिक जनन
(1). इस क्रिया में नर और मादा दोनों की आवश्यकता नहीं होती। (1) इस क्रिया में नर और मादा दोनों की आवश्यकता पड़ती है।
(2) इस प्रकार का जनन उच्च श्रेणी के जीवों में होता है। (2) यह निम्न श्रेणी के जीवों में होता है।
(3) लैंगिक जनन निषेचन क्रिया के बाद जीव बनना आरंभ करता है। (3) अलैंगिक जीव में निषेचन क्रिया नहीं होती।
(4) इस जनन द्वारा उत्पन्न संतान में नए गुण विकसित सकते। (4) इस जनन द्वारा उत्पन्न संतान में नए गुण नहीं आ हो सकते हैं।
(5) इस क्रिया में बीजाणु उत्पन्न नहीं होते। (5) इस क्रिया में एककोशिकीय बीजाणु (जैसे फफूंदी में) उत्पन्न हो सकते हैं।

प्रश्न 12.
नर मानव में वृषण शरीर के बाहर क्यों स्थित होते हैं ?
उत्तर-
नर मानव में वृषण की स्थिति वृषण कोश में होती है जो उदर गुहिका के बाहर नीचे की ओर स्थित होता है। शुक्राणुओं के जनन के लिए निम्न ताप प्राप्ति के लिए ऐसा संभव होता है ताकि शुक्राणु देर तक सक्रिय रह सकें।

प्रश्न 13.
एड्स (AIDS) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
एड्स (AIDS)-एड्स (एक्वायर्ड इम्युनो-डेफिशिएंसी सिंड्रोम) नामक रोग एक ऐसे विषाणु (Virus) के कारण होता है जो शरीर के प्रतिरक्षण संस्थान को निष्क्रिय करता है जिसके कारण शरीर को कोई भी रोग सरलता से लग सकता है। इस के वायरस का नाम HIV है। एड्स के रोगी उनके कमज़ोर शरीर पर हुए अन्य आक्रमण के कारण मरते हैं। यह रोग संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध स्थापित करने से फैलता है परंतु कभी-कभी इसके विषाणु सीधे ही रक्त में पहुँच जाते हैं।

ऐसा तब होता है जब रक्त आधान (खून चढ़ाना) द्वारा किया गया रक्त संक्रमित हो या टीका लगाने के लिए संक्रमित सुई का उपयोग किया गया हो यह आनुवंशिक भी होता है। इस रोग से संक्रमित माताओं के बच्चों से भी यह रोग माता के रक्त द्वारा पहुँच जाता है इसके उपचार का कोई भी टीका या औषधि अब तक उपलब्ध नहीं है। इस रोग का अधिक प्रकोप अफ्रीका तथा पश्चिमी देशों में है। अज्ञानता, ग़रीबी और अशिक्षा के कारण हमारा देश इस रोग के चंगुल में बहुत तेजी से आ रहा है।

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प्रश्न 14.
मानव मादा जनन तंत्र का अंकित अंकित चित्र बनाओ।
उत्तर-
मानव मादा जनन तंत्र का अंकित चित्र-
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अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
DNA का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
डिऑक्सी राइबो न्यूक्लीक एसिड।

प्रश्न 2.
किन जीवों में एक साथ अनेक संतति कोशिकाओं में विभाजन होता है।
उत्तर-
मलेरिया परजीवी, प्लैज्मोडियम जैसे एक कोशिका जीव।

प्रश्न 3.
कैलस किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऊतक संवर्धन में जब कोशिकाएं विभाजित हो कर अनेक कोशिकाओं का छोटा समूह बनाती हैं तो उसे कैलस कहते हैं।

प्रश्न 4.
पुष्प के जनन भाग कौन-से हैं ?
उत्तर-
पुंकेसर और स्त्रीकेसर।

प्रश्न 5.
एकलिंगी पुष्प के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
पपीता, तरबूज।

प्रश्न 6.
उभयलिंगी पुष्प के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
गुड़हल, सरसों।।

प्रश्न 7.
कलम एवं दाब लगाकर नये पौधे उत्पन्न करने के कौन-से दो मुख्य लाभ हैं ?
उत्तर-

  1. सभी नए पौधे मूल या मातृ पौधे के समान होते हैं।
  2. नए पौधे थोड़े ही समय में तैयार हो जाते हैं।

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प्रश्न 8.
परागण की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
परागण-पौधों में निषेचन क्रिया के पूर्व पराग कणों के स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक पहुँचने की क्रिया को परागण कहते हैं।

प्रश्न 9.
निषेचन क्रिया के पश्चात् युग्मनज में क्या बनता है ?
उत्तर-
भ्रूण।

प्रश्न 10.
नर तथा मादा युग्मकों को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
शुक्राणु तथा अंडाणु।

प्रश्न 11.
फीटस किसे कहते हैं ?
उत्तर-
गर्भ धारण के दो या तीन महीने बाद विकसित हो रहे बच्चे को फीटस कहते हैं।

प्रश्न 12.
वीर्य क्या है ?
उत्तर-
वीर्य में शुक्राणु और कुछ ग्रंथियों का स्राव होता है।

प्रश्न 13.
प्लेसेंटा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
गर्भवती माँ के गर्भाशय की दीवार तथा भ्रूण की झिल्ली के संयोजन की एक नाल की रचना होती है जिसे आँवल या गर्भनाल या प्लेसैंटा कहते हैं। प्लेसेंटा में पर्याप्त रुधिर कोशिकाएं होती हैं जिनके द्वारा माता का रुधिर भ्रूण या गर्भ के शरीर में आता जाता रहता है।

प्रश्न 14.
पुनर्जनन से उत्पन्न प्राणी का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
स्टारफिश।

प्रश्न 15.
यौवन की आयु क्या होती है ?
उत्तर-
लड़कों में 13-14 वर्ष, लड़कियों में 10-12 वर्ष।

प्रश्न 16.
मनुष्य की मादा में गर्भकाल कितना होता है ?
उत्तर-
लगभग नौ मास।

प्रश्न 17.
IUCD क्या है ?
उत्तर-
IUCD (इंटरायूटीरिन कंट्रासेप्टिव डिवाइस) नारी गर्भाशय में लगाई जाने वाली एक युक्ति है जो गर्भ निरोधक का कार्य करती है।

प्रश्न 18.
STD क्या है ?
उत्तर-
STD (Sexually Transmitted Disease) यौन संक्रमित रोग।

प्रश्न 19.
दो यौन रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. गोनेरिया,
  2. सिफलिस।

प्रश्न 20.
नीचे दिए गए चित्र किस जीव के हैं तथा किस क्रिया को दर्शाते हैं ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं 16
उत्तर-
जीव का नाम : अमीबा। क्रिया पोषण क्रिया।

प्रश्न 21.
नीचे दिए चित्र में अमीबा की कौन-सी जीवन क्रिया दर्शायी गई है ?
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उत्तर-
जनन क्रिया की द्विखण्डन विधि।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अलैंगिक जनन मुकुलन द्वारा होता है।
(a) अमीबा
(b) यीस्ट
(c) प्लैज्मोडियम
(d) लेप्मानिया।
उत्तर-
(b) यीस्ट।

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन मानव में मादा जनन तंत्र का भाग नहीं है ?
(a) अंडाशय
(b) गर्भाशय
(c) शुक्रवाहिका
(d) डिंबवाहिनी।
उत्तर-
(c) शुक्रवाहिका।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं

प्रश्न 3.
यीस्ट में अलैंगिक जनन प्रायः होता है
(a) मुकुलन द्वारा
(b) विखंडन द्वारा
(c) बीजाणु
(d) रोपण द्वारा।
उत्तर-
(a) मुकुलन द्वारा।

प्रश्न 4.
विखंडन द्वारा अलैंगिक जनन होता है –
(a) अमीबा में
(b) यीस्ट में
(c) स्पाइरोगाइरा में
(d) फर्न।
उत्तर-
(c) स्पाइरोगाइरा में।

प्रश्न 5.
हाइड्रा में अनुकूल परिस्थितियों में अलैंगिक जनन होता है –
(a) विखंडन द्वारा
(b) मुकुलन द्वारा
(c) बीजाणुओं द्वारा
(d) विखंडन द्वारा।
उत्तर-
(b) मुकुलन द्वारा।

प्रश्न 6.
कायिक प्रवर्धन होता है-
(a) दूब घास में
(b) आलू में
(c) ब्राइओफिलम में
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 7.
स्त्री में आर्तव चक्र पूर्ण होता है –
(a) 14 दिन में
(b) 21 दिन में
(c) 28 दिन में
(d) 30 दिन में।
उत्तर-
(b) 21 दिन में।

प्रश्न 8.
कौन-सा हॉर्मोन लड़कियों में यौवनावस्था के लक्षणों को नियंत्रित करता है ?
(a) एस्ट्रोजन
(b) टेस्टोस्टेरॉन
(c) थायरॉक्सिन
(d) इंसुलिन।
उत्तर-
(a) एस्ट्रोजन।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) नर तथा मादा जनन कोशिकाओं के मेल से बनी संरचना को ……………………. कहते हैं।
उत्तर-
युग्मनज

(ii) प्रजनन अंगों में होने वाली कोशिका विभाजन से ………………………. कोशिकाएँ बनती हैं।
उत्तर-
जनन

(iii) मनुष्य का जीवन ………………………….. कोशिका से शुरू होता है।
उत्तर-
एक

(iv) जब वृद्धि एक निश्चित अनुपात में होती है तो इसे …………………….. कहते हैं।
उत्तर-
परिवर्धन

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते हैं

(v) अमीबा में अलैंगिक जनन …………………. विधि द्वारा होता है।
उत्तर-
द्विखंडन।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अंकित चित्र की सहायता से मानव मस्तिष्क के भिन्न-भिन्न भागों का वर्णन करें।
उत्तर-
मस्तिष्क-मानव मस्तिष्क अत्यंत विकसित कोमल अंग है जो खोपड़ी की हड्डियों (Skull) में सुरक्षित रहता है। इसके चारों ओर तीन झिल्लियां होती हैं जो एक तरल पदार्थ से घिरी रहती हैं। मस्तिष्क के प्रमुख तीन भाग होते हैं –

  • अग्रमस्तिष्क (Fore Brain)
  • मध्यमस्तिष्क (Mid Brain)
  • पश्च मस्तिष्क (Hind Brain)

(i) अग्रमस्तिष्क (Fore Brain)-पूरे मस्तिष्क का दो-तिहाई भाग अग्रमस्तिष्क ही होता है। यह मस्तिष्क का प्रमुख भाग मध्य मस्तिष्क अग्र मस्तिष्क है। इसलिए कई लोग इसे बड़ा मस्तिष्क भी कहते हैं। इसके दो हिस्से हैं-प्रमस्तिष्क तथा डाइएन सिफेलॉन।

अग्रमस्तिष्क के अलग-अलग क्षेत्र हैं जो सुनने, सूंघने तथा देखने आदि के लिए विशिष्टीकृत हैं। इसमें सहचर्य के क्षेत्र पृथक् होते हैं जहां इन संवेदी सूचनाओं, अन्य ग्राही से प्राप्त सूचना एवं पहले से मस्तिष्क में एकत्र सूचनाओं का अर्थ लगाया जाता है। इस सब पर आधारित एक निर्णय लिया जाता है कि अनुक्रिया तथा अन्य सूचनाएं प्रेरिक क्षेत्र तक कैसे पहुंचाई जाएं जो ऐच्छिक पेशी की गति को नियंत्रित करती हैं जैसे कि हमारी टाँगों की पेशियों की गतियाँ अग्रमस्तिष्क में मुख से संबंधित केंद्रित भी हैं।

अग्रमस्तिष्क के कार्य-

  • यह सभी संवेदी अंगों के संदेशों को प्राप्त करता है।
  • यह सभी पेशियों, ग्रंथियों, अंगों को उचित कार्यवाही का आदेश देता है।
  • यह उद्दीपनों और क्रियाओं के बीच संतुलन करता है।
  • यह पिछले अनुभव और स्मृतियों के आधार पर हमारे व्यवहार में परिवर्तन लाता है।
  • यह सभी सूचनाओं और ज्ञान को प्राप्त करता है और उनका संग्रह कर लेता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 1

(ii) मध्य मस्तिष्क (Mid Brain)-यह मस्तिष्क का मध्य भाग है जो अग्रमस्तिष्क तथा पश्चमस्तिष्क को परस्पर जोड़ता है। साधारण प्रतिवर्ती क्रिया जैसे कि पुतली के आकार में परिवर्तन तथा कोई सोची क्रिया जैसे कुर्सी खिसकाना के मध्य एक और पेशी गति का सेट है जिस पर हमारे सोचने का कोई नियंत्रण नहीं है। इन अनैच्छिक क्रियाओं में से कुछ मध्य-मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होती हैं।

(iii) पश्च मस्तिष्क (Hind Brain)-इसे अनुमस्तिष्क भी कहते हैं। इसकी रचना करने वाले मेडूला ऑब्लाँगेटा तथा सेरीबेलम हैं। सेरीबेलम की रचना बहुत जटिल है। यह ठोस होता है। यह प्रमस्तिष्क के बिल्कुल नीचे होता है। यह गतियों का ठीक प्रकार से नियंत्रण करता है। हमारा चलना, दौड़ना, भागना, उठना, बैठना, नाचना आदि इसी के द्वारा नियंत्रित होता है। मस्तिष्क के पीछे के त्रिभुजाकार भाग को मेडूला ऑब्लाँगेटा कहते हैं। यह हृदय की धड़कन, श्वसन, पाचन आदि अनैच्छिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 2.
मेरुरज्जु का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मेरुरज्जु (Spinal Cord)-मेडूला ऑब्लाँगेटा खोपड़ी के महारंध्र से निकल कर रीढ़ की हड्डी की कशेरूकाओं के बीच में से निकल कर नीचे तक फैली रहती है। इसी को मेरुरज्जु या रीढ़ रज्जु कहते हैं। इसके ऊपर ड्यूरामेटर, ऐरेक्रॉइड और पिओमेट नामक तीन झिल्लियां उसी प्रकार होती हैं जैसी मस्तिष्क में ऊपर होती हैं। आब्लांगेटा मेरुरज्जु से निश्चित दूरियों पर 31 जोड़े मेरू तंत्रिकाएँ निकलती हैं। इसकी लंबाई लगभग 45 सेमी होती है।

मेरुरज्जु मेरुरज्जु के कार्य-

  • यह साधारण प्रतिवर्ती क्रियाओं जैसे घुटने के झटके का प्रत्युत्तर, स्वयं चालित प्रतिक्रियाएं जैसे मूत्राशय का सिकुड़न आदि के समन्वय केंद्र का कार्य करती है।
  • यह मस्तिष्क और सुषुम्ना के मध्य संचार का कार्य करती है।

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प्रश्न 3.
प्रतिवर्ती क्रिया को उपयुक्त उदाहरण के साथ परिभाषित कीजिए।
उत्तर-बाह्य परिवर्तनों अर्थात् उद्दीपनों के प्रति प्राणियों की प्रक्रियाएं दो प्रकार की होती हैं-ऐच्छिक (Voluntary) एवं अनैच्छिक (Involuntary) । अनैच्छिक क्रियाएं प्राणी की चेतना या इच्छा शक्ति के अधीन नहीं होती हैं। ये दो प्रकार की होती हैं-स्वायत्त या स्वतंत्र तथा प्रतिवर्ती (Automatic & Reflex) |
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 3
प्रतिवर्ती क्रियाएं दैहिक (Somatic) होती हैं अर्थात् रेखिक पेशियों एवं ग्रंथियों से संबंधित होती हैं। इस क्रिया में मेरुरज्जु भाग लेती हैं। यदि शरीर के किसी भाग में सुई चुभ जाए तो शरीर उस भाग को वहाँ से हटा लेता है।

प्रश्न 4.
पादप हॉर्मोन को कितने वर्गों में बाँटा गया है ? प्रत्येक के कार्य लिखिए।
उत्तर-
पौधे कुछ विशेष प्रकार के रासायनिक पदार्थ उत्पन्न करते हैं जो पूरे पौधे के विभिन्न जैविक क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये रासायनिक पदार्थ पादप वृद्धि नियंत्रक या पादप हार्मोंस कहलाते हैं। इनको चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।

  • ऑक्सिन्ज
  • जिबरलिन
  • साइटोकाइनिन्स
  • वृद्धि रोधक ।

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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 5.
मनुष्य के शरीर के कुछ आवश्यक हॉर्मोनों की सारणी बनाइए।
उत्तर-
मनुष्य के कुछ आवश्यक हॉर्मोन-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 5

प्रश्न 6.
दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन ) के मध्य अन्तग्रथन (सिनैप्स ) में क्या होता है ?
उत्तर-
प्राणियों के दो न्यूरॉन एक-दूसरे के साथ जुड़कर श्रृंखला बनाते हैं और सूचना आगे भेजते हैं। सूचना एक न्यूरॉन के डैडराइट की नोक द्वारा प्राप्त की जाती है तथा एक रासायनिक क्रिया द्वारा विद्युत आवेग पैदा करती है। यह आवेग ईंडराइट से कोशिकाओं तक पहुँचता है तथा कोशिकाओं में| से होता हुआ इसके अंतिम सिरे तक पहुँच जाता है। कोशिकाओं के अंत में विद्युत आवेग कुछ रसायन पैदा करता है।

यह रसायन द्रुमिका अंतग्रथन या सिनैप्स को पार करके अगली तंत्रिका कोशिका की | डैडराइट पर उत्तेजना का विद्युत आवेग आरंभ करती हैं। यह शरीर तंत्रिका का में तंत्रिका आवेग की साधारण यात्रा का प्रबंध है। इसी प्रकार का एक सिनैप्स ऐसे आवेगों को न्यूरॉनों से अन्य कोशिकाओं जैसे | कोशिका काय पेशीय कोशिका या ग्रन्थियों (Glands) तक पहुँचाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 8

प्रश्न 7.
नीचे दिए गये चित्र में 1 तथा 2 को अंकित करो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 9
उत्तर-
1. वृषण (Testis),
2. थायराइड ग्रंथि (Throid Gland)।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
हॉर्मोन किसे कहते हैं ? इनकी विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
हॉर्मोन-जीव-जंतुओं के शरीर में अंतःस्रावी ग्रंथियों के द्वारा उत्पन्न होने वाले उन विशेष रासायनिक पदार्थों को हॉर्मोन कहते हैं जो प्राणियों के शरीर में रासायनिक समन्वयन करते हैं। बेलिस और स्टारलिंग ने हॉर्मोन शब्द का प्रयोग किया था।

हॉर्मोनों की विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं-

  • ये अंत:स्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित होते हैं।
  • ये सीधे रक्त में स्रावित होते हैं।
  • ये विशिष्ट रासायनिक संदेशवाहक का काम करते हैं।
  • ये केवल लक्ष्य अंग की कोशिकाओं की कार्य प्रणाली को प्रभावित करते हैं।
  • रासायनिक रूप से ये प्रोटीन, स्टीरॉएड और अमीनो अम्ल होते हैं।
  • ये कम अणुभार वाले जल में विलेय प्रकृति के होते हैं।
  • इनकी थोड़ी-सी मात्रा ही क्रिया को करा देती हैं।
  • ये कोशिका झिल्ली के आर-पार जा सकते हैं।
  • ये शरीर में संचित नहीं होते।
  • इनका संश्लेषण शरीर में लगातार होता रहता है।

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प्रश्न 2.
पीयूष ग्रंथी को मास्टर ग्रंथी क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
पीयूष ग्रंथी एक छोटी गोल ग्रंथी है जो मस्तिष्क के आधार पर तल पर ऑप्टिक काइज्मा के पीछे सेलाटर्सिका की गुहा में बन्द रहती है। शरीर का शायद ही कोई ऐसा अंग हो जो पीयूष ग्रंथी से प्रभावित न होता हो। इसी कारण से इसे मास्टर ग्रंथी भी कहते हैं। पीयूष ग्रंथी से निम्नलिखित हॉर्मोंस स्रावित होते हैं-

  1. ADH (एंटीडाइ यूरेटिक हॉर्मोन)
  2. ACTH
  3. FSH
  4. TSH
  5. वृद्धि हॉर्मोस।

प्रश्न 3.
इंसुलिन एवं थॉयराक्सिन की कमी तथा अधिकता से होने वाली एक-एक बीमारी का नाम लिखिए।
उत्तर-
इंसुलिन- कमी से होने वाला रोग
मधुमेह अधिकता से होने वाले रोग
हाइपोग्लाइसेमिया। थायरॉक्सिन- कमी से होने वाला रोग
सामान्य घेघा रोग। अधिकता से होने वाला रोग
एक्सोप्थैल्पिक गॉइटर।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिएपौधों में वृद्धि और जंतुओं में वृद्धि
उत्तर-
पौधों में वृद्धि और जंतुओं में वृद्धि –

पौधों में वृद्धि जंतुओं में वृद्धि
(1) इनमें वृद्धि पूरे जीवन काल होती रहती है। (1) इनमें में वृद्धि एक निश्चित समय तक होती है।
(2) वृद्धि क्षेत्र जड़, तने और कैंबियम के अगले भाग होते हैं। (2) समान रूप से पूरे शरीर में वृद्धि होती है।
(3) पौधों में द्वितीयक वृद्धि होती है। (3) इनमें द्वितीयक वृद्धि नहीं होती है।
(4) यह विभज्योतक ऊतकों के कारण होती है। (4) इनमें विभज्योतक नहीं होते हैं।
(5) वृद्धि सीमा रहित होती है। (5) वृद्धि सीमित होती है।

प्रश्न 5.
छींक आने में होने वाली घटनाओं का मार्ग बताइए।
उत्तर-
छींक आना किसी बाहरी अवांछनीय कणों के नाक में जाने से होता है। अवांछनीय कण संवेदक स्पर्शक को उद्दीप्त करते हैं। संवेदना एक प्रेरणा में बदल जाती है। यह प्रेरणा संवेदक तंत्रिका द्वारा मेरुरज्जु को ले जाई जाती है। संवेदना का उद्दीपन एक प्रेरणा के रूप में मोटर तंत्रिका द्वारा माँसपेशी को जाता है जहाँ कार्य होता है। नाक की माँसपेशियां सिकुड़ती हैं जिससे छींक आती है। इस क्रिया को प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं, जो तुरंत होती है और उसे मस्तिष्क से आदेश की आवश्यकता नहीं होती। छींकने के कार्य का मार्ग इस प्रकार हैउद्दीपन → ग्राही अंग → संवेदी तंत्रिका → मेरुरज्जु → प्रेरक तंत्रिका → पेशीय क्रिया → छींकना।

प्रश्न 6.
मस्तिष्क किस प्रकार रक्षित होता है ?
उत्तर-
मस्तिष्क हड्डियों के एक बॉक्स में स्थित होता है जिस के भीतर तरल पूरित गुब्बारे जैसी संरचना उसकी प्रघातों, झटकों और चोटों से रक्षा करती है। मस्तिष्क के चारों ओर तीन झिल्लियाँ सैरीब्रोस्पाइन नामक एक तरल पदार्थ से घिरी रहकर इसकी रक्षा करती है।

प्रश्न 7.
ऐच्छिक क्रियाओं और अनौच्छिक क्रियाओं में अंतर लिखिए।
उत्तर –

ऐच्छिक क्रियाएँ अनौच्छिक क्रियाएँ
(1) ये क्रियाएँ हमारी इच्छा से ही चालित होती है। (1) ये क्रियाएँ हमारी इच्छा से चालित नहीं होती।
(2) ये मस्तिष्क के आदेश से चालित होती हैं।
उदाहरण-उठना, बैठना, चलना, खड़ा होना, बोलना, लेटना आदि।
(2) ये मस्तिष्क के आदेश से चालित नहीं होती।
उदाहरण-सांस लेना, हृदय का धड़कना भोजन का पाचन आदि।

प्रश्न 8.
चित्र में पौधे द्वारा किस प्रकार का अनुवर्तन दर्शाया जा रहा है ? इसकी परिभाषा भी दो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 10
उत्तर-
पौधे द्वारा गुरुत्वानुवर्तन दर्शाया जा रहा है। प्ररोह उपरिगामी वृद्धि करता है। (ऋणात्मक गुरुत्वानुवर्ती) तथा जड़ें धरती ओर (धनात्मक गुरुत्वानुवर्ती) हैं। यह धरती के गुरुत्व या खिंचाव की अनुक्रिया है।

प्रश्न 9.
मानव उत्सर्जन प्रणाली के चित्र को लेबल करो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 11
उत्तर-

  1. वृक्क
  2. मूत्र वाहिनी
  3. मूत्राश्य।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 10.
पादप हार्मोन क्या हैं ? किन्हीं दो के नाम लिखो।
उत्तर-
पादप हॉर्मोन-वे विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थ जो पौधों में वृद्धि और विभेदन संबंधी क्रियाओं पर नियंत्रण करते हैं उन्हें पादप हॉर्मोन कहते हैं। पादप हॉर्मोन अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे-ऑक्सिन (Auxins), इथाइलीन (Ethylene), जिब्बेरेलिन (Gibberllins), साइटोकाइनिन (Cytokinins), एबसिसिक अम्ल (Abscisic Acid)।

प्रश्न 11.
नीचे दिए गए चित्र में 1 और 2 के नाम लिखें।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय 12
उत्तर-
1. पीयूष ग्रंथि
2. अण्डाशय ग्रंथि।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
केंद्रीय तंत्रिका तंत्र कौन बनाते हैं ?
उत्तर-
मस्तिष्क और मेरुरज्जु।

प्रश्न 2.
ऐच्छिक क्रियाओं के चार उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
ताली बजाना, बात करना, लिखना, भागना।

प्रश्न 3.
मस्तिष्क के तीन प्रमुख भाग कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
अग्रमस्तिष्क, मध्यमस्तिष्क, पश्चमस्तिष्क।

प्रश्न 4.
अग्रमस्तिष्क किस काम के लिए विशिष्टीकृत है ?
उत्तर-
सुनने, सूंघने, देखने आदि के लिए।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 5.
मानव मस्तिष्क का कौन-सा भाग शरीर के संतुलन एवं स्थिति को बनाए रखता है ?
उत्तर-
अनुमस्तिष्क।

प्रश्न 6.
मेरुरज्जु की रक्षा कौन करता है ?
उत्तर-
कशेरुक दंड।

प्रश्न 7.
बेलें तथा कुछ पौधे किसकी सहायता से बाड़ पर चढ़ते हैं ?
उत्तर-
प्रतान की सहायता से।

प्रश्न 8.
रसायनानुवर्तन का एक उदाहरण लिखिए।
उत्तर-
पराग नलिका का बीजांड की ओर वृद्धि करना।

प्रश्न 9.
प्ररोह के अग्रभाग में कौन-सा हॉर्मोन संश्लेषित होता है ?
उत्तर-
ऑक्सिन।

प्रश्न 10.
पादप की लंबाई में वृद्धि का कारण कौन-सा हॉर्मोन है ?
उत्तर-
ऑक्सिन।

प्रश्न 11.
कोशिका विभाजन को कौन प्रेरित करता है ?
उत्तर-
साइटोकाइनिन।

प्रश्न 12.
पादपों की पत्तियां किसके प्रभाव से मुरझाती हैं ?
उत्तर-
एब्सिसिक अम्ल।

प्रश्न 13.
आयोडीन युक्त नमक किस रोग को रोकने में सहायक होता है ?
उत्तर-
गायटर।

प्रश्न 14.
वृद्धि हॉर्मोन कौन स्रावित करती है ?
उत्तर-
पीयूष ग्रंथि।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 15.
यौवन आरंभ होने पर कौन-से दो हॉर्मोन लड़कों और लड़कियों में स्रावित होते हैं ?
उत्तर-
लड़कों में टेस्टोस्टेरोन तथा लड़कियों में ऐस्ट्रोजन।

प्रश्न 16.
इंसुलिन का उत्पादन कहाँ होता है ?
उत्तर-
अग्न्याशय में।

प्रश्न 17.
तंत्रिका तंत्र के अतिरिक्त कौन-सा तंत्र नियंत्रण और समन्वय का काम करता है ?
उत्तर-
हॉर्मोंस तंत्र तथा अंतःस्रावी तंत्र।

प्रश्न 18.
पौधों में जैविक क्रियाओं को नियंत्रित करने वाले रसायन को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
पौधों मे जैविक क्रियाओं को नियंत्रित करने वाले रासायनिक पदार्थ को पादप वृद्धि नियंत्रक (Plant Growth regulators) या पादप हॉर्मोंस (Plant Harmones) कहते हैं।

प्रश्न 19.
मनुष्य में पाई जाने वाली अंतःस्रावी ग्रंथियों के नाम लिखिए।
उत्तर-
मनुष्य में निम्नलिखित अंत:स्रावी ग्रंथियाँ पाई जाती हैं

  1. पीयूष (Pituitary),
  2. थायरॉइड (Thyroid),
  3. पैराथाइरॉयड (Parathyroid),
  4. एड्रिनल (Adrenal),
  5. अग्नाशय (Pancreas),
  6. अंडाशय (Ovary),
  7. वृषण (Testes)।

प्रश्न 20.
रुधिर दाब तथा हृदय स्पंदन किस हॉर्मोन द्वारा बढ़ता है ?
उत्तर-
एड्रीनेलिन हॉर्मोन।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा पादप हॉर्मोन है ?
(a) इंसुलिन
(b) थायरॉक्सिन
(c) एस्ट्रोजन
(d) साइटोकाइनिन।
उत्तर-
(d) साइटोकाइनिन।

प्रश्न 2.
दो तंत्रिका कोशिका के मध्य खाली स्थान को कहते हैं
(a) द्रुमिका
(b) सिनेप्स
(c) एक्जान
(d) आवेग।
उत्तर-
(b) सिनेप्स।

प्रश्न 3.
मस्तिष्क उत्तरदायी है –
(a) सोचने के लिए
(b) हृदय स्पंदन के लिए
(c) शरीर का संतुलन बनाने के लिए
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपर्युक्त सभी।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

प्रश्न 4.
वृद्धि हॉर्मोन स्रावित होता है –
(a) थाइरॉइड ग्रंथि से
(b) पीयूष ग्रंथि से
(c) थाइमस ग्रंथि से
(d) अग्न्याशय से।
उत्तर-
(b) पीयूष ग्रंथि से।

प्रश्न 5.
संकटकालीन हॉर्मोन कहलाता है
(a) एड्रीनलीन
(b) नॉरएड्रीनलीन
(c) वृद्धि हॉर्मोन
(d) थायरॉक्सिन।
उत्तर-
(a) एड्रीनलीन।

प्रश्न 6.
पादपों में हॉर्मोन किसे नियंत्रित करते हैं ?
(a) जल वृद्धि
(b) दिशिक वृद्धि
(c) जल नियंत्रण
(d) उपरोक्त कोई नहीं।
उत्तर-
(b) दिशिक वृद्धि।

प्रश्न 7.
हमारे आहार में आयोडीन की कमी से क्या होता है ?
(a) गॉयटर
(b) मलेरिया
(c) टाइफॉइड
(d) मधुमेह।
उत्तर-
(a) गॉयटर।

प्रश्न 8.
10-12 वर्ष की उम्र में नर में कौन-से हॉर्मोन का स्रावण होता है ?
(a) एस्ट्रोजन
(b) एड्रीनलीन
(c) टेस्टोस्टेरोन
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(c) टेस्टोस्टेरोन।

प्रश्न 9.
मधुमेह के रोगी किसका इंजेक्शन लेते हैं ?
(a) इन्सुलिन
(b) थायरॉक्सिन
(c) एस्ट्रोजन
(d) टेस्टोस्टेरॉन।
उत्तर-
(a) इन्सुलिन।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) मस्तिष्क हमें …………………… की अनुमति देता है।
उत्तर-
सोचने

(ii) ………………………. तने की वृद्धि में सहायक होते हैं।
उत्तर-
जिबरेलिन

(iii) रक्त में शर्करा की मात्रा का नियंत्रण ………………………………. हार्मोन द्वारा होता है।
उत्तर-
इंसुलिन

(iv) सूचनाओं का आदान-प्रदान ………………………. कोशिका द्वारा होता है।.
उत्तर-
तंत्रिका

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय

(v) …………….. कोशिका विभाजन को प्रेरित करता है।
उत्तर-
एब्सिसिक एसिड।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
विषमपोषी जीवों को पोषण के आधार पर किन-किन भागों में बाँटा गया है ?
उत्तर-
विषमपोषी जीवों को पोषण के आधार पर निम्नलिखित भागों में बाँटा गया है

  1. मृतोपजीवी-वे जीव जो अपना भोजन मृत एवं सड़े-गले कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं, मृतोपजीवी कहलाते हैं। उदाहरण-फफूंद (कवक), खमीर, मशरूम एवं जीवाणु आदि।
  2. परजीवी-वे जीव जो अपना भोजन अन्य जीवों के शरीर के बाहर अथवा भीतर रहकर प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त करते हैं परजीवी कहलाते हैं। उदाहरण-खटमल, एस्करिस, मच्छर, अमरबेल आदि।
  3. प्राणीसमभोजी-वे जीव जिनमें पाचन तंत्र पाया जाता है तथा जो भोज्य पदार्थ को अंतर्ग्रहित करके पाचन करते हैं तथा पचे भोजन का अवशोषण करके शेष अपचित भोजन को उत्सर्जित करते हैं।

प्राणी समभोजी जीव कहलाते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं-

  • शाकाहारी-ये जंतु अपना भोजन केवल पौधों से प्राप्त करते हैं। जैसे-गाय, चूहा, हिरन और बकरी आदि।
  • माँसाहारी-ये वे जंतु होते हैं जो अन्य जंतुओं के माँस को भोजन के रूप रूप में ग्रहण करते हैं। जैसेशेर, चीता, भेड़िया, सर्प, बाज आदि।
  • सर्वाहारी-ये जंतु केवल पौधों और जंतुओं के माँस दोनों को भोजन के रूप में लेते हैं। जैसे-कॉकरोच, मनुष्य, कौआ आदि।

प्रश्न 2.
प्रकाश संश्लेषण किसे कहते हैं ? पत्ती की अनुप्रस्थ काट के आरेख की सहायता से उन कोशिकाओं को प्रदर्शित करें जिनमें क्लोरोफिल पाया जाता है। इसका महत्त्व लिखिए।
उत्तर–
प्रकाश-संश्लेषण हरे पौधे सूर्य के प्रकाश द्वारा क्लोरोफिल नामक वर्णक की उपस्थिति में CO2 और जल के द्वारा कार्बोहाइड्रेट (भोज्य पदार्थ) का निर्माण करते हैं और ऑक्सीजन गैस बाहर निकालते हैं। इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 1
यह पत्तियों में पाये जाने वाला हरित लवक एक प्रकाशग्राही वर्णक है तथा प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया को पूरा करता है। यह हरे बिंदु कोशिकांगों में पाया जाता है जिन्हें हरित लवक या क्लोरोप्लास्ट कहते हैं। ये पत्ती की ऊपरी बाह्य त्वचा के नीचे | द्वार कोशिकायें स्थित कोशिकाओं में पाये जाते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 2

महत्त्व-

  • इस प्रक्रिया के द्वारा भोजन का निर्माण होता है जिससे मनुष्य तथा अन्य जीव-जंतुओं का पोषण होता है।
  • इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन का निर्माण होता है, जो कि जीवन के लिए अत्यावश्यक है। जीव श्वसन द्वारा ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं जिससे भोजन का ऑक्सीकरण होकर शरीर के लिए ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • इस क्रिया में CO2 ली जाती है तथा O2 निकाली जाती है जिससे पर्यावरण O2 एवं CO2 की मात्रा संतुलित रहती है।
  • कार्बन डाइऑक्साइड के नियमन से प्रदूषण दूर होता है।
  • प्रकाश-संश्लेषण के ही उत्पाद खनिज, तेल, पेट्रोलियम कोयला आदि हैं, जो करोड़ों वर्ष पूर्व पौधों द्वारा संग्रहित किये गये थे।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 3.
पादप किस प्रकार खाद्य प्राप्त करते हैं ? ‘प्रकाश संश्लेषण में क्लोरोफिल की भूमिका का विवरण दीजिए।
उत्तर-
हरे पौधे अपना भोजन प्रकाश संश्लेषण विधि से प्राप्त करते हैं। सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में CO2 और जल जैसे सरल यौगिकों का हरे पौधों द्वारा स्थिरीकरण कर जटिल कार्बनिक पदार्थ कार्बोहाइड्रेट के निर्माण की प्रक्रिया को ही प्रकाश संश्लेषण कहते हैं। प्रकाश संश्लेषण क्रिया हेतु पौधों को CO2 जल क्लोरोफिल और सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। स्थलीय पौधे CO2 को बाह्य वातावरण से जबकि जलीय पौधे जल में घुली CO2 को ग्रहण करते हैं। पौधों की जड़ें पानी का अवशोषण करके उसे जाइलम द्वारा पत्तियों तक पहुँचाती हैं । क्लोरोफिल पत्तियों में पाया जाता है, जो प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित कर इसे कार्बनिक यौगिकों के बंधों के रासायनिक ऊर्जा के रूप में संचित कर देता है। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को निम्नलिखित रासायनिक समीकरण द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 3

प्रकाश संश्लेषण की दो प्रावस्थाएँ होती हैं जो निम्नलिखित हैं-
(A) प्रकाशिक अभिक्रिया (Light Reaction)
(B) अप्रकाशिक अभिक्रिया (Dark Reaction)।

प्रश्न 4.
अमीबा के पोषण की प्रक्रिया का विवरण दीजिए।
अथवा
एक कोशकीय जीवों में पोषण प्रक्रिया का वर्णन करो।
उत्तर-
अमीबा में पोषण-अमीबा प्राणीसम भोजी विधि से पोषण करता है। यह एक सर्वाहारी जंतु है। इसका भोजन जल में तैरते हुए जीवाणु, शैवाल, डायटम आदि के सूक्ष्म जीवों के रूप में होता है। इन सूक्ष्म जीवों के निगलने (Ingestion) में जो विधि अपनाई जाती है, उसे फैगोसाइटॉसिस (Phagocytosis) कहते हैं। यह अपने भोजन को शरीर के किसी भी सतह से कूटपाद या अस्थाई प्रवर्ध द्वारा ग्रहण करता है।

पोषण विधि के निम्नलिखित चरण हैं –
अंतर्ग्रहण, पाचन, अवशोषण वहिक्षेपण। जब यह किसी भोज्य पदार्थ के संपर्क में आता है तो उसे पकड़ने के लिए कूटपाद बनावन् उसकी ओर बढ़ता है तो यह कूटपादों (Pseudopodia) द्वारा चारों ओर से घेर लेता है जिससे एक प्यालेनुमा रचना बनती है, जिसे फूड कप (Food cup) कहते हैं। बाद में कूटपाद अपने सिरों पर परस्पर संगलित होकर खाद्य रिक्तिका (Food vacoule) का निर्माण करके इसे एंडोप्लाज्म में डाल देते हैं। अमीबा में अंतः कोशिकीय पाचन (Intracellular Digestion) होता है। भोजन का पाचन खाद्य रिक्तिका (Food Vacuole) में होता है। भोजन पचाने के लिए ट्रिप्सिन, पेटिसन, एमाइलेज एंजाइम पाये जाते हैं।

खाद्य रिक्तिका में पचा हुआ भोजन एंडोप्लाज्म में विसरित (Diffuse) हो जाता है। बाद में पचा हुआ भोजन शरीर (Cell) के अंदर जीव द्रव्य (प्रोटोप्लाज्म) में बदल जाता है। शरीर में यदि भोजन की अधिक मात्रा पाई जाती है तो यह ग्लाइकोजन, पैरामाइलोन तथा लिपिड्स आदि के रूप में संचित कर ली जाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 4
इसमें अपच पदार्थ को बाहर निकालने के लिए विशेष एनस नहीं पाया जाता है। अपच भोजन (भोजन अविशेष) शरीर के किसी भी स्थान से बाहर निकाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया को वहिक्षेपण (Egestion) कहते हैं।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में अंतर लिखिए
(क) शाकाहारी एवं मांसाहारी
(ख) स्वपोषी एवं परपोषी।
उत्तर-
(क) शाकाहारी एवं मांसाहारी –

शाकाहारी (Herbivore) मांसाहारी (Carnivore)
वे जीव जो केवल पौधे या पौधे से प्राप्त उत्पादों को भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं, शाकाहारी कहलाते हैं। उदाहरण-गाय, खरगोश, बकरी आदि। वे जीव जो अपना भोजन अन्य जीवों के मांस से ग्रहण करते हैं, मांसाहारी कहलाते हैं। उदाहरण-शेर, चीता, भेड़िया आदि।

(ख) स्वपोषी एवं विषमपोषी परपोषी

स्वपोषी (Autotrophs) परपोषी (Heterotrophs)
वे जीव जो प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा सरल अकार्बनिक से जटिल कार्बनिक पदार्थों का निर्माण करके अपना स्वयं पोषण करते हैं स्वपोषी जीव (Autotrophs) कहलाते हैं। उदाहरण-सभी हरे पौधे, युग्लीना। वे जीव जो कार्बनिक पदार्थ और ऊर्जा को अपने भोज्य पदार्थ के रूप में अन्य जीवित या मृत पौधों या जंतुओं से ग्रहण करते हैं, परपोषी जीव (Heterotrophs) कहलाते हैं। उदाहरण-युग्लीना को छोड़कर सभी जंतु। अमरबेल, जीवाणु, कवक आदि।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 6.
मनुष्यों में पाचन की प्रक्रिया का विवरण दीजिए।
अथवा
अंकित चित्र की सहायता से मानव आहार नली का वर्णन करें।
उत्तर-
मनुष्य में पाचन प्रक्रिया (Digestion in Human)-मनुष्य की पाचन क्रिया निम्नलिखित चरणों में विभिन्न अंगों में पूर्ण होती है –
(i) मुखगुहा में पाचन (Digestion in Mouth Cavity)-मनुष्य मुख के द्वारा भोजन ग्रहण करता है। मुख में स्थित दाँत भोजन के कणों को चबाते हैं जिससे भोज्य पदार्थ छोटे-छोटे कणों में विभक्त हो जाता है। लार-ग्रंथियों (Salivary Glands) से निकली लार भोजन में अच्छी तरह से मिल जाती है। लार में उपस्थित एंजाइम भोज्य पदार्थ में उपस्थित मंड (स्टार्च) को शर्करा (ग्लूकोज) में बदल देता है। लार भोजन को लसदार चिकना और लुग्दीदार बना देती है, जिससे भोजन ग्रसिका में से होकर आसानी से आमाशय में पहुंच जाता है।

(ii) आमाशय में पाचन क्रिया (Digestion in Stomach)-जब भोजन आमाशय में पहुँचता है तो वहाँ भोजन का मंथन होता है जिससे भोजन और छोटे-छोटे कणों में टूट जाता है। भोजन में नमक का अम्ल मिलता है जो माध्यम को अम्लीय बनाता है तथा भोजन को सड़ने से रोकता है। आमाशयी पाचक रस में उपस्थित एंजाइम प्रोटीन को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ देते हैं।

(iii) ग्रहणी में पाचन (Digestion in Duodenum)-आमाशय में पाचन के बाद जब भोजन ग्रहणी में पहुँचता है तो यकृत से आया पित्त रस भोजन से अभिक्रिया करके वसा का पायसीकरण कर देता है तथा जिह्वा माध्यम को क्षारीय बनाता है जिससे अग्नाशय से आये पाचक रस में उपस्थित एंजाइम क्रियाशील हो जाते हैं और भोजन में उपस्थित प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट एवं वसा का पाचन कर देते हैं।

(iv) क्षुद्रांत्र में पाचन (Digestion in Ileum)
पित्त नली ग्रहणी में पाचन के बाद जब भोजन क्षुद्रांत्र में पहुँचता है यकृत तो वहाँ आँत्र रस में उपस्थित एंजाइम बचे हुए अपचित प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा वसा का पाचन कर देते हैं। आस्त्र की विलाई द्वारा पचे हुए भोजन का अवशोषण कर लिया जाता है तथा अवशोषित भोजन रक्त में परिशेषिका पहुँचा दिया जाता है।
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(v) बड़ी आंत्र (मलाशय) में पाचन (Digestion in Rectum)- क्षुद्रांत्र में भोजन के पाचन एवं अवशोषण के बाद जब भोजन बड़ी आंत्र में पहुँचता है तो वहाँ पर अतिरिक्त जल का अवशोषण कर लिया जाता है, बड़ी आंत्र में भोजन का पाचन नहीं होता। भोजन का अपशिष्ट (अतिरिक्त) भाग यहाँ पर एकत्रित होता रहता है तथा समयसमय पर मल द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।

प्रश्न 7.
स्टोमेटा के खुलने और बंद होने की प्रक्रिया का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
रुधिरों का खुलना एवं बंद होना रक्षक कोशिकाओं की सक्रियता पर निर्भर करता है। इसकी कोशिका भित्ति असमान मोटाई की होती है। जब यह कोशिका स्फीत दशा में होती है तो छिद्र खुलता है व इसके ढीली हो जाने पर यह बंद हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि क्योंकि द्वार कोशिकाएं आस-पास की कोशिकाओं से पानी को अवशोषित कर स्फीत की जाती हैं। इस अवस्था में कोशिकाओं में पतली भित्तियां फैलती हैं, जिसके कारण छिद्र के पास मोटी भित्ति बाहर की ओर खिंचती है, फलतः रंध्र खुल जाता है। जब इसमें पानी की कमी हो जाती है तो तनाव मुक्त पतली भित्ति पुनः अपनी पुरानी अवस्था में आ जाती है, फलस्वरूप छिद्र बंद हो जाता है।

प्रकाश-संश्लेषण के दौरान पत्तियों में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर गिरता जाता है और शर्करा का स्तर रक्षक कोशिकाओं के कोशिका द्रव्य में बढ़ता जाता है। फलस्वरूप परासरण दाब और स्फीति दाब में परिवर्तन हो जाता है। इससे रक्षक कोशिकाओं में एक कसाव आता है जिससे बाहर की भित्ति बाहर की ओर खिंचती है। इससे अंदर की भित्ति भी खिंच जाती है। इस प्रकार स्टोमेटा चौड़ा हो जाता है अर्थात् खुल जाता है।

अंधकार में शर्करा स्टार्च में बदल जाती है। जो अविलेय होती है। रक्षक कोशिकाओं को कोशिका द्रव्य में शर्करा का स्तर गिर जाता है। इससे रक्षक कोशिकाएं ढीली पड़ जाती हैं। इससे स्टोमेटा बंद हो जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 6

प्रश्न 8.
मानव हृदय का अंकित चित्र बनाकर भीतरी संरचना दिखाओ।
उत्तर –
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 7

संरचना-मनुष्य का हृदय चार भागों में कोष्ठों में बँटा रहता है अग्र दो भाग आलिंद (Auricle) कहलाते हैं। इनसे एक बायाँ आलिंद तथा दूसरा दायाँ आलिंद होता है। पश्य दो भाग निलय (Ventricle) कहलाता हैं। जिनमें एक बायाँ निलय तथा दूसरा दायाँ निलय होता है। बाँयें आलिंद एवं बाँयें निलय के बीच दिवलनी कपाट (Bicuspid Valve) तथा दाएँ आलिंद एवं दाएँ निलय के बीच त्रिवलीन कपाट (Tricuspid Valve) होते हैं। ये वाल्व निलय की ओर खुलते हैं। बाएँ निलय का संबंध अर्धचंद्राकार (Semilunar Valve) द्वारा महाधमनी (Aorta) से तथा दाएँ निलय का संबंध अर्धचंद्राकार कपाट द्वारा फुफ्फुसीय धमनी से होता है। दाएँ आलिंद से महाशिरा (Vena Cava) आकर मिलती है तथा बाएँ आलिंद से फुफ्फुस शिरा आकर मिलती है।

हृदय की क्रियाविधि-हृदय के आलिंद व निलय में संकुचन (Systole) व शिथिलन (diastole) दोनों क्रियाएं होती हैं। ये क्रियाएं एक निश्चित क्रम में निरंतर होती हैं। हृदय की एक धड़कन या स्पंदन के साथ एक कार्डियक चक्र (Cardiac Cycle) पूर्ण होता है।

एक चक्र में निम्नलिखित चार अवस्थाएं होती हैं-

  • शिथिलन (Diastole)-इस अवस्था में दोनों आलिंद शिथिलन अवस्था में रहते हैं और रुधिर दोनों आलिंदों में एकत्रित होता है।
  • आलिंद संकुचन-आलिंदों के संकुचित होने को आलिंद संकुचन कहते हैं। इस अवस्था में आलिंद निलय कपाट खुल जाते हैं और आलिंदों से रुधिर निलयों में जाता है। दायाँ आलिंद सदैव बाँयें आलिंद से कुछ पहले संकुचित होता है।
  • निलय संकुचन-निलयों के संकुचन को निलय संकुचन कहते हैं, जिसके फलस्वरूप आलिंद निलय कपाट बंद हो जाते हैं एवं महाधमनियों के अर्धचंद्राकार कपाट खुल जाते हैं और रुधिर महाधमनियों में चला जाता है।
  • निलय शिथिलन-संकचन के पश्चात् निलयों में शिथिलन होता है और अदर्धचंद्राकार कपाट बंद हो जाते हैं। निलयों के भीतर रुधिर दाब कम हो जाता है जिससे आलिंद निलय कपाट खुल जाते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 9.
रुधिर क्या है ? इसके संघटन का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
रुधिर (Blood)-मानव शरीर में भोजन, ऑक्सीजन, हार्मोन, उत्सर्जन योग्य अवशिष्ट पदार्थ आदि रक्त के माध्यम से गति करते रहते हैं। शरीर में यह कुल भार का लगभग बारहवां हिस्सा होता है।
यह एक प्रकार का तरल संयोजी ऊतक (Connective Tissue) है जो कि निम्नलिखित घटकों से मिलकर बना होता है-

  • लाल रक्त कणिकाएँ (R.B.C.)-इनमें हीमोग्लोबिन नाम का प्रोटीन होता है जो श्वसन क्रिया में ऑक्सीजन एवं कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन करता है।
  • श्वेत रक्त कणिकाएँ (W.B.C.)-ये हानिकारक बैक्टीरिया एवं मृत कोशिकाओं का भक्षण करके उन्हें नष्ट कर देती हैं और संक्रमण तथा आघातों से शरीर की रक्षा करती हैं।
  • प्लेटलेट्स (Platelets)-ये रक्त का थक्का जमने में सहायक होती हैं। इस प्रकार अमूल्य रक्त को नष्ट करने से रोकती हैं।
  • प्लाज़मा (Plasma)-यह रक्त का द्रवीय भाग है जिसमें प्रोटीन, हॉर्मोन्स, ग्लूकोज़, वसीय अम्ल, ऐमीनो अम्ल, खनिज लवण, भोजन के पचित भाग एवं उत्सर्जी पदार्थ होते हैं। यह रक्त के परिवहन का मुख्य माध्यम है। यह रुधिर का 2/3 भाग बनाता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 8

प्रश्न 10.
मानव श्वसन तंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मानव के श्वसन तंत्र का कार्य शुद्ध वायु को शरीर के भीतर भोजन तथा अशुद्ध वायु को बाहर निकलना है। इसके प्रमुख भाग निम्नलिखित हैं
(i) नासाद्वार एवं नासागुहा-नासाद्वार से वायु शरीर के भीतर प्रवेश करती है। नाक में छोटे-छोटे और बारीक बाल होते हैं जिनसे वायु छन जाती है। उसकी धूल उनसे स्पर्श कर वहीं रुक जाती है इस मार्ग में श्लेष्मा की परत इस कार्य में सहायता करती है। वायु नम हो जाती है|

(ii) ग्रसनी-ग्रसनी ग्लॉटिस नामक छिद्र से श्वासनली में खुलती है। जब हम भोजन करते हैं तो ग्लॉटिस त्वचा के एक उपास्थियुक्त कपाट एपिग्लाटिस से ढंका रहता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 9

(iii) श्वास नली-उपास्थि से बनी हुई श्वासनली गर्दन से नीचे आकर श्वसनी बनाती है। यह वलयों से बनी होती है जो सुनिश्चित करते हैं कि वायु मार्ग में रुकावट उत्पन्न न हो।

(iv) फुफ्फुस-फुफ्फुस के अंदर मार्ग छोटी और छोटी नलिकाओं में विभाजित हो जाते हैं जो गुब्बारे जैसी रचना में बदल जाता है। इसे कूपिका कहते हैं। कूपिका एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैसों का विनिमय हो सकता है। कूपिकाओं की भित्ति में रुधिर वाहिकाओं का विस्तीर्ण जाल होता है।

कार्य-जब हम श्वास अंदर लेते हैं, हमारी पसलियाँ ऊपर उठती हैं और हमारा डायाफ्राम चपटा हो जाता है। इससे वक्षगुहिका बड़ी हो जाती है और वायु फुफ्फुस के भीतर चूस ली जाती है। वह विस्तृत कूपिकाओं को ढक लेती है। रुधिर शेष शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड कूपिकाओं में छोड़ने के लिए लाता है। कूपिका रुधिर वाहिका का रुधिर कूपिका वायु से ऑक्सीजन लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है। श्वास चक्र के समय जब वायु अंदर और बाहर होती है, फुफ्फुस सदैव वायु का विशेष आयतन रखते हैं जिससे ऑक्सीजन के अवशोषण तथा कार्बन डाइऑक्साइड के मोचन के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।

प्रश्न 11.
मनुष्य के उत्सर्जी तंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर-
वृक्क एवं इसके अनेक सहायक अंग मनुष्य के उत्सर्जी तंत्र (Excretory System) कहते हैं। वृक्क उत्सर्जन तंत्र का प्रमुख अंग है जो केवल उत्सर्जी पदार्थों को उपयोगी पदार्थों से छानकर अलग कर देता है। वृक्क (Kidney) भूरे रंग का, सेम के बीज के आकार (Bean shaped) की संरचनाएं हैं, जो कि उदरगुहा (Abdomen) में कशेरूक दंड के दोनों तरफ होती है। प्रत्येक वृक्क लगभग 10 सेमी० लंबा, 6 सेमी० चौडा और 2.5 सेमी० मोटा होता है। यकृत की वजह से दायाँ वृक्क का बाहरी किनारा उभरा (Convex) हुआ होता है जबकि भीतरी किनारा धंसा (Concave) होता है जिसे हाइलम (Hilum) कहते हैं और इसमें से मूत्र नलिका (Ureter) निकलती है। मूल नलिका जाकर एक पेशीय थैले जैसी संरचना में खुलती है जिसे मूत्राशय (Urinary Bladder) कहते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 10

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पोषण की परिभाषा दीजिए। पोषण की विभिन्न विधियां कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
पोषण (Nutrition)-वह समस्त प्रक्रम जिसके द्वारा जीवधारी बाह्य वातावरण से भोजन ग्रहण करते हैं तथा भोज्य पदार्थ से ऊर्जा मुक्त करके शरीर की वृद्धि करते हैं, उसको पोषण (Nutrition) कहते हैं।

पोषण की विधियाँ-जीवों में पोषण की दो विधियाँ हैं-

  • स्वपोषी या स्वयंपोषी पोषण (Autotrophic nutrition) परपोषी पोषण या विषमपोषी पोषण (Heterotrophic nutrition)। परपोषी पोषण निम्नलिखित तीन प्रकार का होता है
  • मृतोपजीवी पोषण या मृतजीवी पोषण (Saprophytic nutrition)
  • परजीवी पोषण (Parasitic nutrition)
  • प्राणी समभोजी पोषण (Holozoic nutrition)।

प्रश्न 2.
प्रयोग द्वारा सिद्ध कीजिए कि प्रकाश संश्लेषण के लिए CO2 आवश्यक है।
उत्तर-
उपकरण-गमले में लगा पौधा, KOH के घोल से भरी बोतल, कॉर्क KI घोल आदि। विधि-गमले के पौधे को 36 से 48 घंटे अंधेरे में रखते हैं। एक हरी पत्ती को चौड़े मुँह की बोतल में कॉर्क के बीच इस प्रकार लगाते मंड परीक्षण हैं कि पत्ती का आधा भाग KOH युक्त बोतल के अंदर रहे। बोतल नीला भाग के मुँह पर ग्रीस लगाकर वायुरुद्ध कर देते हैं। उपकरण को कुछ समय के लिए धूप में रखते हैं। कुछ घंटे बाद पत्ती को तोड़कर, पानी में रंगहीन भाग उबालकर एल्कोहल से धोकर उस पर KI का घोल डालते हैं।

निरीक्षण–पत्ती का अग्र भाग जो बोतल में था पीला हो जाता है, क्योंकि बोतल में रखे KOH के द्वारा बोतल की CO2 गैस सोख ली जाती है जिससे प्रकाश संश्लेषण क्रिया पूरी न होने | से पत्ती के अग्र भाग में मंड का निर्माण नहीं हो पाता है। शेष भाग मंड के कारण नीला हो जाता है। परिणाम-प्रयोग से सिद्ध होता है कि प्रकाश संश्लेषण के लिए CO2 गैस आवश्यक है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 11

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 3.
सिद्ध कीजिए कि प्रकाश-संश्लेषण के लिए क्लोरोफिल आवश्यक है।
उत्तर-
प्रकाश-संश्लेषण के लिए क्लोरोफिल आवश्यक होता है, इसकी पुष्टि के लिए निम्नलिखित प्रयोग किया जाता है-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 12
एक क्रोटन पौधे के गमले को 24-48 घंटे के लिए अंधकार में रख दिया जाता है। फिर एक निश्चित अवधि (समय) के पश्चात् इसकी एक पत्ती को तोड़कर उसका स्टार्च परीक्षण आयोडीन से किया जाता है। निरीक्षण करने पर यह देखा जाता है कि पत्ती का वह स्थान जो हरा था, वह नीला हो गया और पीले भाग पर आयोडीन का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। प्रयोग द्वारा यह स्पष्ट हो जाता है कि हरे भाग में क्लोरोफिल उपस्थित होता है जिससे वहाँ प्रकाश संश्लेषण द्वारा स्टार्च का निर्माण हुआ अन्य स्थानों पर नहीं। अतः इससे सिद्ध होता है कि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिए क्लोरोफिल आवश्यक है।

प्रश्न 4.
प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश आवश्यक है। सिद्ध कीजिए।
उत्तर–
प्रयोग विधि-एक गमले में पौधे को 36 घंटे अंधेरे में (स्टार्च मुक्त करने के लिए) रखते हैं। गमले के पौधे की एक मंड परीक्षण पत्ती के दोनों ओर काला कागज़ क्लिप से लगा देते हैं। इसके पश्चात् पौधे को तीन-चार घंटे के लिए सूर्य के तीव्र प्रकाश में रख देते हैं। उक्त पत्ती को तोड़कर पानी में उबालकर एल्कोहल से धोकर उस पर KI का घोल डालते हैं। निरीक्षण–पत्ती का जो भाग काले कागज़ से ढका था पीला रंगहीन भाग है, शेष भाग मंड के कारण नीला हो जाता है।
निष्कर्ष- इससे सिद्ध होता है कि प्रकाश संश्लेषण के लिए सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 13

प्रश्न 5.
जीवधारियों के लिए पोषण क्यों अनिवार्य है ?
उत्तर-
जीवधारियों (जीवों) को पोषण की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से होती है –

  • ऊर्जा उत्पादन के लिए-शरीर की जैविक क्रियाओं के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है और जीवधारियों को यह ऊर्जा भोज्य पदार्थों के ऑक्सीकरण से प्राप्त होती है।
  • शरीर की टूट-फूट की मुरम्मत के लिए विभिन्न जैविक क्रियाओं में शरीर के ऊतकों की टूट-फूट होती है, इनकी मुरम्मत के लिए पोषण की आवश्यकता होती है।
  • वृद्धि के लिए-नये जीवद्रव्य से नई कोशिकाएँ बनती हैं। इनसे जीवों की वृद्धि होती है।
  • उपापचयी क्रियाओं के नियंत्रण के लिए भोजन को पचाने तथा श्वसन आदि उपापचयी क्रियाओं में कुछ निर्माणकारी और कुछ विनाशकारी क्रियाएँ होती रहती हैं। इन क्रियाओं के संपन्न होने में तथा इन क्रियाओं पर नियंत्रण के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 6.
कठिन व्यायाम का श्वसन दर पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों ?
उत्तर-
सामान्य अवस्था में मनुष्य की श्वास दर (Breathing rate) 15 से 18 प्रति मिनट होती है, लेकिन कठोर व्यायाम के बाद यह दर बढ़कर 20 से 25 प्रति मिनट हो जाती है, क्योंकि व्यायाम के समय अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अधिक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए अधिक ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है जिसके फलस्वरूप कठोर व्यायाम के बाद श्वास की दर बढ़ जाती है।

प्रश्न 7.
प्रकाश संश्लेषण क्रिया को कौन-कौन से कारक प्रभावित करते हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

  • प्रकाश (Light)-प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया सूर्य-प्रकाश में होती है, इसलिए प्रकाश का प्रकार तथा उसकी तीव्रता (intensity) इस क्रिया को प्रभावित करती है। प्रकाश की लाल एवं नीली किरणों तथा 100 फुट कैंडल से 3000 फुट कैंडल तक प्रकाश तीव्रता प्रकाश-संश्लेषण की दर को बढ़ाती है जबकि इससे उच्च तीव्रता पर यह क्रिया रुक जाती है।
  • कार्बन-डाइऑक्साइड CO2 – वातावरण में CO2 की मात्रा 0.03% होती है। यदि एक सीमा तक CO2 की मात्रा बढ़ाई जाए तो प्रकाश-संश्लेषण दर भी बढ़ती है लेकिन अधिक होने से घटने लगती है।
  • तापमान (Temperature)-प्रकाश-संश्लेषण के लिए 25-35°C का तापक्रम सबसे उपयुक्त होता है। इससे अधिक या कम होने पर दर घटती-बढ़ती रहती है।
  • जल (Water)-इस क्रिया के लिए जल एक महत्त्वपूर्ण यौगिक है। जल की कमी होने से प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है क्योंकि जीवद्रव्य की सक्रियता घट जाती है, स्टोमेटा बंद हो जाते हैं और प्रकाश-संश्लेषण दर घट जाती है।
  • ऑक्सीजन (O)-प्रत्यक्ष रूप से ऑक्सीजन की सांद्रता से प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया प्रभावित नहीं होती है लेकिन यह पाया गया है कि वायुमंडल में 0, की मात्रा बढ़ने से प्रकाश-संश्लेषण की दर घटती है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 8.
प्रकाश संश्लेषण और श्वसन में अंतर बताइए।
उत्तर-
प्रकाश संश्लेषण और श्वसन में अंतर –

प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) श्वसन (Respiration)
(1) यह क्रिया पौधे की पर्णहरित युक्त कोशिकाओं में होती है। (1) यह क्रिया सभी जीवित कोशिकाओं में होती है।
(2) यह क्रिया सूर्य के प्रकाश में संपन्न होती है। (2) यह क्रिया प्रकाश एवं अंधकार दोनों में होती है।
(3) इस क्रिया में ऊर्जा भोजन के रूप में संग्रहित होती है। (3) इस क्रिया में भोजन में से ऊर्जा निर्मुक्त होती है।
(4) इसमें O2, निकलती है एवं CO2, अवशोषित होती है। (4) इसमें O2, प्रयुक्त होती है एवं CO2, निकलती है।
(5) यह उपचय (Anabolic) क्रिया है। (5) यह अपचय (Catabolic) क्रिया है।
(6) यह रचनात्मक क्रिया है। (6) यह विनात्मक (विनाशकारी) क्रिया है।

प्रश्न 9.
पाचन में पित्त रस का महत्त्व लिखिए।
उत्तर-
पित्त रस (Bile Juice) प्रत्यक्ष रूप से भोजन के पाचन में भाग नहीं लेता है, लेकिन इसमें विभिन्न प्रकार के रसायन होते हैं जो पाचन क्रिया में सहायता करते हैं।

इस तरह पित्त रस निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है-

  • यह अमाशय से आए भोजन के अम्लीय प्रभाव को क्षारीय बनाता है।
  • यह जीवाणुओं को मारता है तथा इसकी उपस्थिति में ही अग्नाशयी रस (Pancreatic Juice) कार्य करता है।
  • यह आंत की दीवार को क्रमाकुचन के लिए उत्तेजित करता है।
  • यह वसा में घुलनशील विटामिनों (A,D,E,K) के अवशोषण में सहायक होता है।
  • यह कुछ विषैले पदार्थों जैसे-कोलेस्ट्रॉल और धातुओं के उत्सर्जन में सहायक होता है।

प्रश्न 10.
श्वेत रक्त कणिकाओं को शरीर का सैनिक क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
श्वेत रक्त कणिकाएँ शरीर की रक्षक हैं। ये प्रतिरक्षियों का निर्माण करती हैं। जब कभी शरीर में रोग फैलाने वाले रोगाणु प्रविष्ट हो जाते हैं या कोई चोट लग जाती है तो ये रोगाणुओं का भक्षण कर लेती हैं। इसीलिए इन्हें शरीर का सैनिक कहा जाता है।

प्रश्न 11.
धमनी एवं शिरा में दो अंतर कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
धमनी तथा शिरा में अंतर-

धमनी (Artery) शिराए (Vein)
(1) धमनी हृदय से रक्त का संवहन शरीर के विभिन्न  भागों में करती है। (1) शिराएं शरीर के विभिन्न भागों से रक्त को एकत्रित करके उसका संवहन हृदय तक करती है।
(2) इनमें कपाट (वाल्व) नहीं होते हैं। (2) इनमें कपाट (वाल्व) होते हैं।
(3) इनकी दीवारें मोटी होती हैं। (3) इनकी दीवारें पतली होती हैं।
(4) फुफ्फुस धमनी को छोड़कर शेष धमनियां ऑक्सीजन युक्त शुद्ध रक्त का परिवहन करती हैं। (4) फुफ्फुस शिरा को छोड़कर शेष शिराएं CO, युक्त अशुद्ध रक्त का परिवहन करती हैं।
(5) माँस के अंदर अधिक गहराई में स्थित होती हैं। (5) माँस के अंदर कम गहराई में स्थित होती हैं।
(6) रक्त का बहाव तेज़ और झटके से होता है। (6) रक्त का बहाव धीमी चाल से होता है।

प्रश्न 12.
धमनी, शिरा तथा केशिका में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

  • धमनियाँ-ये साफ़ रक्त को हृदय से शरीर के अन्य अंगों के पास ले जाती हैं। ये चौड़ी होती हैं और माँस के अंदर गहराई में विद्यमान होती हैं।
  • शिराएँ- ये अशुद्ध रक्त को शरीर के अंगों से हृदय की ओर लाती हैं। इनकी दीवारें पतली होती हैं। माँस में बहुत गहराई में नहीं बल्कि ऊपरी त्वचा के पास होती हैं।
  • केशिकाएँ- ये बहुत पतली और बारीक होती हैं। यही रक्त को सभी अंगों के पास पहुँचाती हैं।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट कीजिएवाहिकाएँ एवं वाहिनिकाएँ
उत्तर-
वाहिकाएँ एवं वाहिनिकाएँ में अन्तर –

वाहिकाएँ वाहिनिकाएँ
(1) ये अधिक लंबी होती हैं। (1) ये अपेक्षाकृत कम लंबी होती हैं।
(2) ये अधिक व्यास की होती हैं। (2) ये कम व्यास की होती हैं।
(3) इनमें गर्मों की संख्या अधिक पाई जाती है। (3) इनमें गर्मों की संख्या कम पाई जाती है।

प्रश्न 14.
वृक्क के मुख्य कार्यों को लिखिए।
उत्तर-

  • वृक्क का मुख्य कार्य नाइट्रोजन युक्त उत्सर्जी पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का होता है।
  • वृक्क जल की मात्रा को संतुलित बनाये रखने का कार्य करता है।
  • वृक्क शरीर में अम्ल क्षार का संतुलन बनाये रखते हैं।
  • वृक्क लवण संतुलन में सहायक होते हैं।
  • वृक्क शरीर में अनावश्यक रूप से उत्सर्जी पदार्थों जैसे विष, दवाइयों इत्यादि को मूत्र के साथ बाहर निकालते हैं।

प्रश्न 15.
नेफ्रान को डायलिसियस थैला क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
नेफ्रान को डायलिसियस थैला इसलिए कहा जाता है क्योंकि नेफ्रान की प्यालेनुमा संरचना बाऊमैन संपुट में स्थिर कोशिका गुच्छ की दीवारों से रक्त छनता है। रक्त में उपस्थिति प्रोटीन के अणु बड़े होने के कारण छन नहीं पाते तथा ग्लूकोज़ और लवण के अणु छोटे होने से छन जाते हैं। इस प्रकार नेफ्रान डायलिसियस थैली के समान कार्य करती है।

प्रश्न 16.
रक्त दाब किसे कहते हैं ? इसे कैसे मापते हैं ? रक्तदान अधिक बढ़ जाने से क्या क्षति हो सकती है?
उत्तर-
रक्त वाहिकाओं की दीवारों के विरुद्ध जो दाब लगता है उसे रक्तदाब कहते हैं। यह दाब शिराओं की अपेक्षा धमनियों में बहुत अधिक होता है। धमनी के अंदर रक्त का दाब निलय प्रकुंचन के दौरान प्रकुंचन दाब तथा निलय अनुशिथिलन के दौरान धमनी के अंदर का दाब अनुशिथिलन दाब कहलाता है। सामान्य प्रकुंचन दाब लगभग 120 मिमी (पारा) तथा अनुशिथिलन दाब लगभग 80 मिमी (पारा) होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 14
स्फाईग्मोमैनोमीटर नाम यंत्र से रक्तदाब मापा जाता है। उच्च रक्तदाब को अति तनाव भी कहते हैं और इसका कारण धमनिकाओं का सिकुड़ना है। इससे रक्त प्रवाह में प्रतिरोध बढ़ जाता है। इससे आँख, मस्तिष्क आदि अंगों की धमनी फट सकती है। इससे आंतरिक रक्तस्त्रावण हो सकता है।

प्रश्न 17.
मानव उत्सर्जन तन्त्र का अंकित चित्र बनाओ।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 15

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 18.
वायवीय श्वसन एवं अवायवीय श्वसन में दो अन्तर लिखो।
उत्तर –

वायवीय श्वसन अवायवीय श्वसन
(1) वायवीय क्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति में होती है। (1) अवायवीय क्रिया ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होती है।
(2) यह क्रिया कोशिका के जीव द्रव्य एवं माइटोकाँड्रिया दोनों में पूर्ण होती है। (2) यह क्रिया केवल जीव द्रव्य में ही पूर्ण होती है।
(3) इस क्रिया में ग्लूकोज़ का पूर्ण ऑक्सीकरण होती है। (3) इस क्रिया में ग्लूकोज़ का अपूर्ण ऑक्सीकरण होता है।

प्रश्न 19.
स्वपोषी पोषण क्या होता है ? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
स्वपोषी पोषण-वह प्रक्रम जिसमें जीव अपने भोजन का निर्माण स्वयं करते हैं, स्वपोषी पोषण कहलाता है। उदाहरण-सभी हरे पौधे।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पोषण क्या है?
उत्तर-
ऊर्जा के स्रोत को भोजन के रूप में शरीर के अंदर लेने के प्रक्रम को पोषण कहते हैं।

प्रश्न 2.
श्वसन क्या है?
उत्तर-
शरीर के बाहर से ऑक्सीजन को ग्रहण करना तथा कोशिकीय आवश्यकता के अनुसार खाद्य स्रोत के विघटन में उसका उपयोग श्वसन कहलाता है।

प्रश्न 3.
उत्सर्जन क्या है?
उत्तर-
शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालना उत्सर्जन है।

प्रश्न 4.
भोजन क्या है?
उत्तर-
ऊर्जा की प्राप्ति के लिए जो पदार्थ खाए जाते हैं वे भोजन हैं।

प्रश्न 5.
स्वपोषी जीव किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जो जीव अकार्बनिक स्रोतों से CO2 तथा जल के रूप में सरल पदार्थ प्राप्त करते हैं उन्हें स्वपोषी कहते हैं।

प्रश्न 6.
स्वपोषी किस प्रक्रिया से अपना भोजन बनाते हैं ?
उत्तर-
प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया से।

प्रश्न 7.
हरे पौधों को उत्पादक क्यों कहते हैं?
उत्तर-
पौधे CO2, H2O, सूर्य प्रकाश तथा हरित लवक की सहायता से अपने तथा जीव-जगत् के दूसरे जीवों के लिए भोज्य पदार्थों का निर्माण करते हैं, इसलिए इन्हें उत्पादक कहा जाता है।

प्रश्न 8.
पौधे हरे क्यों दिखाई देते हैं ?
उत्तर-
क्लोरोफिल की उपस्थिति के कारण पौधे हरे दिखाई देते हैं, जो श्वेत प्रकाश में उपस्थित हरे रंग के प्रकाश को परावर्तित तथा शेष रंगों के प्रकाश को अवशोषित कर लेता है। हरा प्रकाश हमारे आँखों के दृष्टि पटल पर पड़ता है, तो हमें हरे रंग का अहसास होता है। यही कारण है कि पौधे हरे दिखाई देते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 9.
प्रकाश-संश्लेषण की परिभाषा लिखें और इसके लिए समीकरण भी लिखें।
उत्तर-
प्रकाश संश्लेषण-सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन-डाइ-ऑक्साइड और जल जैसे सरल यौगिक से हरे पौधों द्वारा क्लोरोफिल की सहायता से पौधों द्वारा भोज्य पदार्थों की निर्माण प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं। प्रकाश संश्लेषण की रासायनिक क्रिया
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 16

प्रश्न 10.
दो बाह्य परजीवियों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. खटमल
  2. जूं।

प्रश्न 11.
दो अंतः परजीवियों के नाम लिखिए।
उत्तर-
फीताकृमि, प्लाजमोडियम (मलेरिया परजीवी)।

प्रश्न 12.
मनुष्य में आहार नाल कहाँ से कहाँ तक फैली होती है?
उत्तर-
मुँह से गुदा तक।

प्रश्न 13.
लार क्या है?
उत्तर-
मुँह में लाल ग्रंथियों से निकलने वाला रस लार कहलाता है।

प्रश्न 14.
आहार नली का सबसे लंबा भाग कौन-सा है ?
उत्तर-
क्षुद्रांत्र।

प्रश्न 15.
यकृत से कौन-सा रस निकलता है ?
उत्तर-
पित्त रस।

प्रश्न 16.
मनुष्य के आहार नाल की लंबाई कितनी होती है ?
उत्तर-
मनुष्य के आहार नाल की लंबाई लगभग 9 से 10 मीटर होती है।

प्रश्न 17.
मनुष्य के शरीर में सबसे बड़ी ग्रंथि का नाम बताइए।
उत्तर-
यकृत (Liver)।

प्रश्न 18.
अग्न्याशयी रस में उपस्थित चार प्रकीनों (एंजाइमों) के नाम बताइए।
उत्तर-

  1. अग्न्याशयी एमाइलेज
  2. अग्न्याशयी लाइपेज
  3. ट्रिप्सिन
  4. काइमोट्रिप्सिन।

प्रश्न 19.
पाचन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वह क्रिया जिसमें एंजाइमों की सहायता से जटिल भोज्य पदार्थों को सरल अणुओं में अपघटित किया जाता है, जिससे ये अवशोषित होकर हमारी कोशिकाओं में प्रवेश कर सकें, पाचन (Digestion) कहलाती है।

प्रश्न 20.
ऑक्सी श्वसन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऑक्सी श्वसन (Aerobic Respiration)-यह वह श्वसन है, जिसमें भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण ऑक्सीजन की उपस्थिति में पूर्णरूपेण CO, तथा H,O में हो जाता है। इस श्वसन में अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसे निम्नलिखित समीकरण द्वारा व्यक्त करते हैं
C6H112O6 + 6O2, → 6CO2, + 6H2O + 673 K cal ऊर्जा

प्रश्न 21.
अनॉक्सी श्वसन किसे कहते हैं ? समीकरण दीजिए।
उत्तर-
अनॉक्सी श्वसन (Anerobic Respiration)-वह श्वसन है, जिसमें भोज्य पदार्थों का अपूर्ण ऑक्सीकरण ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है। इसमें अपेक्षाकृत कम ऊर्जा मुक्त होती है। इसे निम्नलिखित समीकरण से व्यक्त करते हैं-
C6H112O6 → 2CO2 + 2C2H5OH + 21 K Cal ऊर्जा (2ATP)

प्रश्न 22.
ATP क्या है ?
उत्तर-
ATP या एडिनोसिन ट्राइफॉस्फेट एक विशिष्ट यौगिक है, जो सभी जीवों की कोशिका में ऊर्जा का वाहक एवं संग्राहक है।

प्रश्न 23.
किण्वन क्या है ?
उत्तर-
वह रासायनिक क्रिया जिसमें सूक्ष्म जीव (यीस्ट) शर्करा का अपूर्ण विघटन करके CO2, तथा एल्कोहल, ऐसीटिक अम्ल इत्यादि का निर्माण होता है, किण्वन (Fermentation) कहलाती है। इसमें कुछ ऊर्जा भी मुक्त होती है।

प्रश्न 24.
सामान्य अवस्था में मनुष्य कितनी बार साँस लेता है ?
उत्तर-
सामान्य अवस्था में मनुष्य प्रति मिनट 12 से 15 बार साँस लेता है।

प्रश्न 25.
ATP का कार्य बताइए।
उत्तर-
ATP का कार्य-

  • यह कोशिकाओं के अंदर ऊर्जा का संवहन एवं संचयन करता है।
  • विभिन्न रसायनों का संश्लेषण इन्हीं की सहायता से होता है।
  • यह कोशिका का प्रमुख अवयव है।

प्रश्न 26.
जाइलम किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जाइलम मोटी दीवार वाले वे मृत ऊतक हैं जो पानी और खनिजों को जड़ से पौधों के अन्य भागों तक पहुँचाते हैं।

प्रश्न 27.
फ्लोएम किसे कहते हैं ?
उत्तर-
फ्लोएम वे जीवित ऊतक हैं जो पत्तों से भोजन को पौधे के विभिन्न भागों तक पहुँचाते हैं।

प्रश्न 28.
रक्त से संबंधित रक्त वाहिनियों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  • धमनियाँ,
  • शिराएँ,
  • कोशिकाएँ।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 29.
रुधिर का तरल माध्यम क्या है ?
उत्तर-
प्लाज्मा।

प्रश्न 30.
शरीर में रक्त को कौन गति प्रदान करता है ?
उत्तर-
हृदय।

प्रश्न 31.
शरीर में हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट कौन करता है ?
उत्तर-
श्वेत रक्त कणिकाएँ (W.B.C.)।

प्रश्न 32.
कौन-सी धमनी अशुद्ध रक्त को फेफड़ों तक पहुँचाती है ?
उत्तर-
फुफ्फुस धमनी (Pulmonary Artery)।

प्रश्न 33.
ECG का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
इलैक्ट्रो कार्डियो ग्राम।

प्रश्न 34.
सामान्य रक्त दाब कितना होता है ?
उत्तर-
सामान्य रक्त दाब 120/80 होता है। सिस्टॉलिक = 120 डायस्टॉलिक = 80

प्रश्न 35.
वृक्क के अतिरिक्त जंतुओं ( मनुष्यों) में अन्य उत्सर्जी अंगों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  • यकृत,
  • फेंफड़े,
  • त्वचा।

प्रश्न 36.
स्वयंपोषण की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
स्वयंपोषण-वह जैविक प्रक्रिया जिसमें पौधे (जीव) जल CO, तथा प्रकाश की उपस्थिति में पर्णरहित द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं।

प्रश्न 37.
विषम पोषी पोषण की परिभाषा लिखें।
उत्तर-
विषम पोषी पोषण-वह प्रक्रिया जिसमें जीव कार्बनिक पदार्थ और ऊर्जा को अपने भोज्य पदार्थ के रूप में अन्य जीवित या मृत पौधों अथवा जंतुओं से ग्रहण करते हैं, विषम पोषी पोषण कहलाती है।

प्रश्न 38.
निम्न चित्र (a) तथा (b) पौधे के कौन-से भाग हैं तथा यह क्या कार्य करते हैं ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 17
उत्तर-
(a) स्टोमैटा छिद्र
(b) द्वार कोशिकाएं कार्य-प्रकाश संश्लेषण के लिए गैसों का आदान-प्रदान इन के द्वारा होता है।

प्रश्न 39.
वृक्ष के दिए गए चित्र में कौन-सी क्रिया हो रही है ? उस क्रिया का नाम लिखो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 18
उत्तर-
वाष्पोत्सर्जन क्रिया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का भाग है जो संबंधित है –
(a) पोषण
(b) श्वसन
(c) उत्सर्जन
(d) परिवहन।
उत्तर-
(c) उत्सर्जन।

प्रश्न 2.
पादप में जाइलम उत्तरदायी है –
(a) जल का वहन
(b) भोजन का वहन
(c) अमीनो अम्ल का वहन
(d) ऑक्सीजन का वहन।
उत्तर-
(a) जल का वहन।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 3.
स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है
(a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल
(b) क्लोरोफिल
(c) सूर्य का प्रकाश
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 4.
पायरुवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है –
(a) कोशिकाद्रव्य
(b) माइटोकाँड्रिया
(c) हरित लवक
(d) केंद्रक।
उत्तर-
(b) माइटोकाँड्रिया।

प्रश्न 5.
हरे पौधों में पोषण होता है –
(a) स्वपोषी
(b) विषमपोषी
(c) परपोषी
(d) मृतपोषी।
उत्तर-
(a) स्वपोषी।

प्रश्न 6.
श्वसन क्रिया में पौधों से मुक्त होती है-
(a) ऑक्सीजन
(b) कार्बनडाइऑक्साइड
(c) जलवाष्प
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर-
(b) कार्बनडाइऑक्साइड।

प्रश्न 7.
अवायवीय श्वसन के फलस्वरूप लैक्टिक अम्ल बनता है –
(a) यीस्ट में
(b) खम्भ कोशिकाओं में
(c) पेशीकोशिकाओं में
(d) फेफड़ों में।
उत्तर-
(c) पेशीकोशिकाओं में।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) वृक्क की इकाई ……………………. है।
उत्तर-
नेफ्रॉन

(ii) पौधों में गैसों का आदान-प्रदान ………………………… द्वारा होता है।
उत्तर-
स्टोमैटा (Stomata)

(iii) …………………….. श्वसन से जीवों को अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
उत्तर-
वायवीय

(iv) फुफ्फुस में ……………………. रुधिर से अलग हो जाती है।
उत्तर-
CO2

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

(v) रुधिर वाहिकाओं की भित्ति के विरुद्ध जो दाब लगता है उसे …………………….. कहते हैं।
उत्तर-
रक्तदाब।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
न्यूलैंड का अष्टक नियम क्या है ? उदाहरण देकर समझाओ। यह भी बताओ कि इस नियम का क्या योगदान है ?
उत्तर-
(क) न्यूलैंड का अष्टक नियम (Newland’s Law of Octave)-जॉन न्यूलैंड ने तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम अनुसार व्यवस्थित किया। उसने देखा कि प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुणों के समान हैं। समान गुणों वाले तत्वों के पुनः दोहराने की विधि उसी प्रकार है जिस प्रकार संगीत स्केल के सुर प्रत्येक आठवें सुर के पीछे दोहराए जाते हैं। संगीत स्केल के आधार पर न्यूलैंड ने अष्टक नियम को प्रतिपादित किया। न्यूलैंड्स द्वारा तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करने से तत्वों के गुणों का दोहराया जाना अष्टक का नियम कहलाता है। न्यूलैंड के अष्टक नियम अनुसार व्यवस्थित किए आठ तत्वों के संग्रह को न्यूलैंड का अष्टक कहते हैं।

सारणी-न्यूलैंड के अष्टक नियम अनुसार कुछ तत्वों की व्यवस्था-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 1
सोडियम जो आठवें स्थान पर स्थित है उसके गुण पहले स्थान पर स्थित लिथियम से मिलते-जुलते हैं। इसी प्रकार की पोटैशियम जो सोडियम से आठवां तत्व है, उसके गुण सोडियम से मिलते हैं।
(ख) न्यूलैंड के अष्टक नियम का योगदान-न्यूलैंड के अष्टक नियम अनुसार तत्वों को सारणी में व्यवस्थित करने से स्पष्ट हो गया कि तत्वों के गुणों में आवर्तता स्पष्ट करने के लिए आवश्यक है कि तत्वों को क्षितिज तथा लम्बात्मक पंक्तियों में व्यवस्थित किया जाए।

प्रश्न 2.
मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी क्या है ? इसके प्रमुख लक्षण बताइए।
उत्तर-
मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी- एक रूसी वैज्ञानिक प्रोफेसर डिमिट्री इवानोविच मेंडलीफ ने तत्वों के परमाणु द्रव्यमानों तथा उनके भौतिक व रासायनिक गुणधर्मों के मध्य एक संबंध का भली-भाँति अध्ययन किया। उस समय कुल 63 तत्व ज्ञात थे। मेंडलीफ ने उन तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमानों के आधार पर व्यवस्थित किया। इस प्रकार मेंडलीफ ने तत्वों को उनके द्वारा बनाए यौगिकों; जैसे-ऑक्साइड, हाइड्राइड आदि के सूत्रों में समानताओं के आधार पर व्यवस्थित किया। उन्होंने यह प्रेक्षित किया कि अधिकतर तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में रखने पर आवर्ती पुनरावृत्ति अथवा आवर्तिता प्रदर्शित होती है अर्थात् प्रत्येक आठवें तत्व के गुणधर्म प्रथम तत्व के गुणधर्म के समान होते हैं।

इस आधार पर मेंडलीफ ने यह आवर्त नियम प्रस्तावित किया “तत्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म उनके परमाणु भारों (परमाणु-द्रव्यमानों) के आवर्ती फलन होते हैं।” मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में ऊर्ध्वाधर स्तंभ (समूह) तथा क्षैतिज कतारें (आवर्त) थीं। इस सारणी में यद्यपि सभी तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में व्यवस्थित किया गया। कुछ तत्वों के युग्मों को उनके परमाणु द्रव्यमानों के व्युत्क्रम में रखा गया। उदाहरणार्थ-कोबाल्ट (परमाणु द्रव्यमान 53.93) तथा निकिल (58.7), टेल्यूरियम (127.6) और आयोडीन (126.90)।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 2
आवर्त सारणी में यह व्युत्क्रमण तत्व के रासायनिक गुणधर्मों की उस समूह के तत्वों के साथ समानताओं के कारण किया गया जिसमें उस तत्व को रखा गया था। उदाहरणार्थ-टेल्यूरियम (Te) को आयोडीन से पहले रखा गया, जबकि Te का परमाणु द्रव्यमान अधिक है। ऐसा इसलिए किया गया; क्योंकि आयोडीन के गुणधर्म ब्रोमीन के गुमधर्म के समान हैं, न कि सेलेनियम (Se) के गुणधर्म के समान हैं। इस सारणी में छोड़े गए रिक्त स्थानों को भरने के लिए भविष्य में खोजे जाने वाले तत्वों के गुणधर्मों की भविष्यवाणी उसने तत्वों की आवर्त सारणी में स्थिति के आधार पर की।

मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के सामान्य लक्षण-मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं

  • प्रत्येक आवर्त में तत्व अपने बढ़ते परमाणु भारों के क्रम में व्यवस्थित हैं।
  • एक ही समूह के सभी तत्वों के गुणधर्म समान होते हैं।
  • प्रत्येक आवर्त में बाएँ से दाएँ चलने पर तत्वों की ऋण विद्युत् संयोजकता कम होती जाती है, जबकि धन विद्युत् संयोजकता बढ़ती जाती है।
  • तत्व का परमाणु भार उसका मौलिक गुण है।
  • कम परमाणु भार वाले तत्व, जैसे-H, C, O, N अपेक्षाकृत प्रकृति में अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।
  • सारणी में रिक्त स्थानों के तत्वों के गुणधर्मों को पहले ही बताया जा सकता है।
  • आवर्त सारणी में कुछ तत्व ऐसे स्थानों पर रखे गए थे जिसके अनुसार उनके गुण नहीं थे। इन तत्वों के परमाणु द्रव्यमानों में संशोधन हुआ तथा तब इन्हें सारणी में तर्कसंगत स्थान प्राप्त हुआ।
  • सारणी में किसी भी तत्व के स्थान के अनुसार उसके गुणों को बताया जा सकता है।

मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के दोष-मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं-
(i) हाइड्रोजन का स्थान-इस सारणी में हाइड्रोजन को प्रथम समूह में क्षार-धातुओं के साथ उनके समान धनविद्युती गुण के कारण तथा सप्तम समूह में हैलोजेन के साथ उनके समान ऋण-विद्युती गुण के कारण दो स्थानों पर रखा गया है, परंतु हाइड्रोजन को दोनों समूहों (प्रथम तथा सप्तम) में रखा जाना दोषपूर्ण है।

(ii) असमान गुणों वाले तत्वों को एक ही समूह में रखना-इस सारणी में तत्वों को गुणों की समानता के आधार पर एक साथ रखा गया है, फिर भी कुछ तत्व ऐसे हैं जिनके गुणों में असमानताएं हैं। दूसरे शब्दों में, कुछ तत्व भिन्न-भिन्न गुणों वाले होते हुए भी एक समूह में रखे गए हैं; जैसे-I-A के तत्वों (क्षार धातुएँ) तथा I-B के तत्वों (सिक्का धातुएँ) को एक ही समूह में रखा गया है, जबकि इनके गुणों में भिन्नता है।

(iii) समान गुणों वाले तत्वों को भिन्न-भिन्न समूहों में रखना-मेंडलीफ की आवर्त सारणी में समान गुण वाले तत्वों को भिन्न-भिन्न स्थानों पर रखा गया है; जैसे-Pt (195.09) तथा Au (196.97) के गुणों में समानताएँ हैं, फिर भी उन्हें आठवें तथा पहले समूह में भिन्न-भिन्न रखा गया है। इसके अतिरिक्त कॉपर व पारा; बेरियम व लेड इत्यादि के गुण समान होते हुए भी उन्हें भिन्न-भिन्न समूहों में रखा गया है।

(iv) भारी तत्वों को हल्के तत्वों से पहले रखना-मेंडलीफ की आवर्त सारणी में कुछ भारी तत्वों को हल्के तत्वों से पहले रखा गया। जैसे

  • कोबाल्ट (परमाणु भार = 58.93), निकिल (परमाणु भार = 58.71) से पहले रखा गया है।
  • टेल्यूरियम (परमाणु भार = 127.6), आयोडीन (परमाणु भार = 126.9) से पहले रखा गया है।

मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में परमाणु भारों के बढ़ते हुए क्रम में इस प्रकार के परिवर्तन मेंडलीफ के मूल आवर्त नियम के विपरीत हैं।

(v) दुर्लभ मृदा तत्वों का स्थान-दुर्लभ मृदा तत्वों के रासायनिक गुणों में समानताएँ हैं, परंतु इनके परमाणु भार भिन्न हैं। फिर भी इन 84.14 तत्वों की तीसरे उपसमूह B (छठे आवर्त) में एक साथ रखा गया है, जो उचित नहीं है।

(vi) समस्थानिकों का स्थान-समस्थानिकों तथा समभारिकों की खोज से यह स्पष्ट हो गया कि तत्वों का मूल लक्षण उनका परमाणु भार नही होता। समस्थानिकों के परमाणु भार भिन्न होते हैं, परंतु उनके गुण समान होते हैं। समभारिकों के परमाणु एक समान होते हैं, परंतु उनके गुण भिन्न होते हैं। अतः मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी में समस्थानिकों का स्थान निश्चित नहीं है।

(vii) आठवें समूह के तत्वों को तीन ऊर्ध्वाधर स्तंभों में रखा जाना तर्कसंगत नहीं है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 3.
आधुनिक आवर्त सारणी क्या है ? यह दीर्घ सारणी मेंडलीफ की आवर्त सारणी से किस प्रकार भिन्न है ? आधुनिक आवर्त सारणी द्वारा मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी की विसंगतियों का निराकरण किस प्रकार किया गया ?
उत्तर-
आधुनिक आवर्त सारणी-मेंडलीफ ने तत्वों को न केवल उनके गुणों के आधार पर ही वर्गीकृत करने का प्रयास किया, बल्कि किसी ऐसे आधार की खोज करने की कोशिश की जो किसी निश्चित तत्व के बहुत-से गुणों की भविष्यवाणी कर सके। परमाणु भार ही एक ऐसा गुण था जिसने उन्हें पूर्ण रूप से सहायता की।

चित्र में आवर्त सारणी का आधुनिक रूप दिखाया गया है जिसमें 105 तत्वों को उचित स्थान दिया गया है। मेंडलीफ द्वारा दी गई आवर्त सारणी दोषपूर्ण थी। बहुत-से तत्वों के आइसोटोप मिलते थे जिनके परमाणु पुंज भिन्न-भिन्न थे। अतः सारणी में हरेक के लिए अलग-अलग स्थान होना चाहिए, परंतु ऐसा नहीं किया जा सकता था। इसी दौरान मेंडलीफ को अपनी त्रुटि का आभास हो गया। इस सारणी की मेंडलीफ की आवर्त सारणी से तुलना करने पर आप पायेंगे कि वे तत्व जिनको उसने वर्गीकृत किया, अब भी अपने उसी स्थान पर हैं। सारणी को देखने पर पता चलता है कि परमाणु क्रमांक एक तत्व से दूसरे तत्व तक बढ़ता जाता है। परमाणु भार में जो अनियमितताएं थीं, इस दीर्घ सारणी में हल हो गईं।

मेंडलीफ ने संशोधित आवर्त नियम प्रस्तुत किया, जिसे आधुनिक आवर्त नियम कहा गया है। इस नियम के अनुसार तत्वों के गुण अपने परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन (Periodic Functions) हैं।
तत्वों का वर्गीकरण परमाणु क्रमांक के आधार पर
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 3

आधुनिक आवर्त सारणी में समूह (Groups) तथा आवर्त (Periods)-सारणी के किसी ग्रुप में ऊपर से नीचे की ओर आते समय तत्वों के परमाणों में शैलों की संख्या बढ़ती है, पर वैलेंस शैल में उपस्थित इलैक्ट्रॉनों की संख्या समान ही रहती है। इन इलैक्ट्रॉनों की समान संख्या के कारण उनके ग्रुप भी समान होते हैं। आवर्त सारणी में कुल 18 ग्रुप हैं। s, p, d तथा f उपशैल के आधार पर सारणी को 4 ब्लॉकों में वर्गीकृत किया गया है।

  • ग्रुप 1-2 s-ब्लॉक
  • ग्रुप 13-15 p-ब्लॉक
  • ग्रुप 3-12 d-ब्लॉक
  • परमाणु संख्या 58-71 तथा 90-103 के तत्व f-ब्लॉक में रखे गए हैं।

मेंडलीफ की आवर्ती सारणी का विवरण-सारणी से स्पष्ट है कि इसमें क्षैतिज पंक्तियां और उर्ध्वाधर कालम हैं। क्षैतिज पंक्तियों को समूह और ऊर्ध्वाधर कालमों में पीरियड कहते हैं। इस सारणी में 6 पीरियड और 18 समूह हैं। पहले 7 समूहों में साधारण तत्व और 8 समूह में प्रतिनिधि तत्व हैं जिन्हें समूह A और समूह B में वर्गीकृत किया गया है। परंतु इस आवर्ती सारणी में अक्रियाशील गैसें और प्रतिनिधि तत्व नहीं थे क्योंकि उस समय इनके बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित किसी आवर्त और किसी समूह में कैसे परिवर्तन करते हैं ?
(i) आयनन ऊर्जा
(ii) परमाण्विक अर्ध-व्यास
(iii) इलैक्ट्रॉन बंधुता
(iv) तत्वों के धात्विक और अधात्विक अभिलक्षण।
उत्तर-
(i) आयनन ऊर्जा- किसी तत्व के विलगित परमाणु से अथवा आयन से एक इलैक्ट्रान को पूर्ण रूप से उत्सर्जित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा को आयनन ऊर्जा कहते हैं।
(क) समूह में ऊर्जा का परिवर्तन-आवर्त सारणी के समूह (ग्रुप) में ऊपर से नीचे जाते समय तत्वों की आयनन ऊर्जा कम होती है। इस कथन की पुष्टि नीचे दी गई समूह 1 की सारणी में तत्वों से संबंधित आययन ऊर्जा से होती है। किसी समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाते समय तत्वों की आयनन ऊर्जाओं में कमी उनके परमाणुओं के आकार में वृदधि के कारण होती है। किसी समूह में नीचे की ओर जाते समय परमाणुओं में बाहयतम शैल (कोष) के इलैक्ट्रॉन न्यूक्लियसों से दूर होते जाते हैं जिसके फलस्वरूप इलैक्ट्रॉनों के प्रति न्यूक्लियस का आकर्षण कम हो जाता है। ऐसा होने से इलैक्ट्रॉन कम ऊर्जा द्वारा ही सुगमता से हटाए जा सकते हैं।

समूह 1 के तत्वों की प्रथम आयनन ऊर्जाएंतत्व
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(ख) आवर्त (पीरियड) में आयनन ऊर्जा का परिवर्तन)-आवर्त सारणी के आवर्त (पीरियड) में बाएं से दाएं तरफ जाते समय आयनन ऊर्जाओं में वृद्धि होती है। उदाहरणतः दूसरे आवर्त के तत्वों की सारणी से इस तथ्य की पुष्टि होती है कि प्रथम आयनन ऊर्जा में बाएं से दाएं ओर जाते समय आयनन ऊर्जाओं में वृद्धि होती है। दूसरे आवर्त ( पीरियड) के तत्वों की प्रथम आयनन ऊर्जाएं
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तत्वों की आवर्त सारणी के आवर्त में बाएं से दाएं की ओर जाते हुए तत्वों की आयनन ऊर्जाओं में वृद्धि इस कारण होती है कि परमाणु संख्या में वृद्धि होने के कारण धन आवेश में वृद्धि होती है तथा परमाणु अर्धव्यास कम हो जाता है। परमाणु के अर्धव्यास कम होकर परमाणु के इलैक्ट्रॉन अधिक बल के साथ आकर्षित होते हैं जिसके परिणामस्वरूप इलैक्ट्रॉन का विलय की ओर आकर्षण बढ़ जाता है अर्थात् आयनन ऊर्जा में वृद्धि होती है।

(ii) परमाण्विक अर्ध-व्यास-पृथक् परमाणु ने न्यूक्लियस के केंद्र बिंदु तथा बाह्यत्म शैल के बीच की दूरी को परमाणु अर्ध-व्यास कहते हैं।
(क) समूह में परमाण्विक अर्धव्यस का परिवर्तन- एक समूह में ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों के परमाणुओं का परमाणु अर्ध-व्यास धीरे-धीरे बढ़ता है। जैसे
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(ख) एक आवर्त में परमाणु अर्ध-व्यास में परिवर्तन-किसी आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर तत्वों के परमाणुओं का परमाणु अर्ध-व्यास घटता जाता है। जैसे
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(iii) इलैक्ट्रॉन बंधुता-जब किसी तत्व का उदासीन परमाणु एक इलैक्ट्रॉन को सुगमता से ग्रहण करके ऋणायन में परिवर्तित हो जाता है तो इस प्रक्रिया में ऊर्जा का उत्सर्जन होता है, जिसे इलैक्ट्रॉन बंधुता कहते हैं।

(क) ग्रुप में इलैक्ट्रॉन बंधुता का परिवर्तन-आवर्त सारणी के किसी समूह में ऊपर से नीचे जाते समय तत्वों की इलैक्ट्रॉन बंधुता कम हो जाती है। यह कभी परमाणुओं के आकार में वृद्धि के कारण होती है। परमाणु के आकार में वृद्धि के फलस्वरूप इलैक्ट्रॉन के लिए आकर्षण बल कम हो जाता है। पहले समूह के तत्वों से स्पष्ट हो जाता है कि लिथियम के इलैक्ट्रॉन आकर्षण हाइड्रोजन के इलैक्ट्रान आकर्षण से कम है। इसलिए कुछ अपवाद भी हैं जैसे कि क्लोरीन का आकार छोटा है।

(ख) आवर्त में इलैक्ट्रॉन बंधुता का परिवर्तन-तत्वों की आवर्त सारणी के आवर्त में बाएं से दाएं जाते समय तत्वों के इलैक्ट्रॉन बंधुता का मूल्य बढ़ता है। इलैक्ट्रॉन बंधुता की यह वृद्धि परमाणु संख्या के बढ़ने के कारण परमाणु आकार में कमी होने के कारण होता है।

(iv) धात्विक और अधात्विक अभिलक्षण में परिवर्तन
(क) ग्रुप में तत्वों के धात्विक तथा अधात्विक गुणों का बढ़ना-दीर्घ आवर्त सारणी के समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाते हुए तत्वों के धात्विक गुणों में वृद्धि होती है, परंतु अधात्विक गुणों में कमी आती है। इसका कारण यह है कि समूह (ग्रुप) में ऊपर से नीचे की ओर जाते हुए धात्विक तत्वों का परमाणु आकार बढ़ता है और इलैक्ट्रॉनों का आकर्षण बल कम होता है। इसलिए वेलैंस शैल के इलैक्ट्रॉन को सुगमता से हटा कर विद्युतीय धन आवेशित आयन बन जाते हैं अर्थात् धात्विक गुणों में वृद्धि होती जाती है।

समूह 17 के अधात्विक तत्वों को देग्नने से पता चलता है कि फ्लोरीन से आयोडीन तक अधात्विक तथा ऋण विद्युत आवेश में कमी होती है। इसकारण यह है कि समूह में ऊपर से नीचे जाते हुए परमाणुओं के आकार में वृद्धि के कारण विद्युतीय ऋण आवेशित आयन बनाने वाले इलैक्ट्रॉन के लिए आकर्षण बल कम हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप तत्वों के अधात्विक लक्षण में कमी हो जाती है।

(ख) आवर्त (पीरियड) में तत्वों धात्विक तथा अधात्विक गणों का बदलना-दीर्घ आवर्त सारणी के आवर्त में बाएं से दाएं ओर जाते हुए तत्वों के अधात्विक लक्षण में कमी होती है तथा धात्विक गुणों में वृद्धि होती है। इस तथ्य को स्पष्ट करने के लिए आओ तीसरे आवर्त के तत्वों पर विचार करें।
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लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
तत्वों के वर्गीकरण की आवश्यकता क्यों हुई ?
उत्तर-
तत्वों की अत्यधिक संख्या होने के कारण उनके गुणों तथा उपयोगों का पृथक-पृथक अध्ययन करना सम्भव नहीं है। अतः तत्वों को विशेष रूप में व्यवस्थित करके प्रत्येक तत्व के विषय में अध्ययन करने के लिए इनका वर्गीकरण करना आवश्यक हुआ।

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प्रश्न 2.
डॉबेराइनर द्ववारा दिए गए वर्गीकरण क्या आधार था ?
उत्तर-
सन् 1817 ई०में डॉबेराइन ने लगभग समान गुणधर्म वाले अनेक तत्वों को तीन-तीन के समूहों में उनके परमाणु द्रव्यमान में वृद्धि के क्रमानुसार रखा तथा स्पष्ट किया कि प्रत्येक समूह के बीच वाले तत्व का परमाणु द्रव्यमान प्रथम एवं तृतीय तत्वों के परमाणु द्रव्यमानों के योग का लगभग मध्यमान होता है। यह डॉबेराइनर का त्रिक नियम कहलाता है और इस प्रकार के समूह त्रिक (traid) कहलाते है, जैसे(i) तत्व :
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यह वर्गीकरण सर्वमान्य न हो सका क्योंकि उस समय तक ज्ञात सभी तत्वों को ऐसे त्रिक समूहों में विभाजित नहीं किया जा सका।

प्रश्न 3.
मेंडलीफ के मूल वर्गीकरण को उस समय प्रचलित अन्य वर्गीकरणों से अधिक उपयुक्त क्यों माना गया ?
उत्तर–
मेंडलीफ के मूल वर्गीकरण को उस समय प्रचलित अन्य वर्गीकरणों से अधिक उपयुक्त माना गया, क्योंकि-

  • मेंडलीफ का आवर्त नियम समान गुण वाले तत्वों के एक समान रखने पर बल देता है न कि केवल उनके परमाणु द्रव्यमानों के आधार पर।
  • मेंडलीफ की आवर्त सारणी में भविष्य में खोजे जाने वाले तत्वों को पूर्वानुमान के आधार पर रिक्त स्थान उपलब्ध था। इनके गुण समीपवर्ती तत्वों के गुणों के अनुसार बताए गए थे।
  • मेंडलीफ ने समान. गुण वाले तत्वों को एक साथ रखने हेतु उनके परमाणु द्रव्यमानों में भी सुधार किया। उपर्युक्त विशिष्टताओं के कारण ही मेंडलीफ का वर्गीकरण सर्वोच्च म ना गया।

प्रश्न 4.
मेंडलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में कुछ स्थान छोड़ दिए थे। उनका उल्लेख कीजिए तथा इसका कारण बताइए।
अथवा
मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी की अद्वितीय उपयोगिता क्या है ?
उत्तर-
मेंडलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में कुछ स्थान रिक्त रखे थे। मेंडलीफ का विश्वास था कि उन स्थानों पर उस समूह में पहले उपस्थित तत्व के समान गुणधर्म वाले तत्व अस्तित्व में हैं, परंतु तब तक उनकी खोज न हो सकी। मेंडलीफ ने इन तत्वों के नाम पहले वाले तत्व के नाम से संस्कृत उपसर्ग ‘एका’ लगाकर किया, जैसेएकाबोरेन, एका-ऐल्युमिनियम तथा एका–सिलिकॉन। उनके अनुमान के अनुसार क्रमशः स्कैंडियम, गैलियम एवं जर्मेनियम की बाद में खोज हुई। यह मेंडलीफ की मूल आवर्त सारणी की अद्वितीय उपयोगिता थी।

प्रश्न 5.
किसी तत्व का परमाणु क्रमांक उसके परमाणु भार से अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
किसी तत्व के परमाणु क्रमांक के आधार पर उसमें प्रोटॉनों, इलैक्ट्रॉनों की संख्या ज्ञात की जा सकती है। तत्व की संयोजकता एवं तत्व के वर्ग की जानकारी हमें परमाणु क्रमांक से ही प्राप्त होती है तथा परमाणु क्रमांक के आधार पर इलैक्ट्रॉनिक विन्यास भी लिखे जा सकते हैं। स्पष्ट है कि परमाणु क्रमांक द्वारा ही तत्वों के गुणधर्मों का निर्धारण करने में सरलता होती है इसलिए ये अधिक महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं।

प्रश्न 6.
आवर्त सारणी के समूह-15 में नाइट्रोजन (परमाणु संख्या 7) तथा फॉस्फोरस (परमाणु संख्या 15) स्थित हैं। इन दो तत्वों के इलैक्ट्रॉनिक विन्यासों को K, L, M, N कोशों के आधार पर दीजिए। इन तत्वों के धात्विक एवं अधात्विक प्रकृति के बारे में भी प्रागुक्ति कीजिए।
उत्तर-
नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस के इलैक्ट्रॉनिक विन्यास-
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नाइट्रोजन व फॉस्फोरस के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से पता चलता है कि इनके बाह्यतम कोश में 5 इलैक्ट्रॉन हैं जो अधातु का लक्षण है, क्योंकि अधातु तत्वों के परमाणुओं के बाह्यतम कोश में सामान्यतया 4-8 इलैक्ट्रॉन विद्यमान होते हैं। अतः नाइट्रोजन व फॉस्फोरस तत्व अधातु हैं।

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प्रश्न 7.
(क) उन तत्वों के नाम बताइए जो आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त में हैं और उनका धातु व अधातु में वर्गीकरण कीजिए।
(ख) आवर्त सारणी के किस ओर आप धातुओं को पाते हैं ?
(ग) आवर्त सारणी के किस ओर आप अधातुओं को पाते हैं ?
उत्तर-
(क) आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त में निम्नलिखित तत्व होते हैं-
तीसरा आवर्त-सोडियम (Na), मैग्नीशियम (Mg), ऐल्यूमिनियम (AI), सिलिकॉन (Si), फॉस्फोरस (P), सल्फर (S), तथा क्लोरीन (Cl)।
उपर्युक्त तत्वों का धातुओं तथा अधातुओं में वर्गीकरण निम्नवत् किया जा सकता हैधातु-सोडियम (Na), मैग्नीनियम (Mg), ऐल्यूमिनियम (Al) अधातु-सिलिकॉन (Si), फॉस्फोरस (P), सल्फर (S), तथा क्लोरीन (Cl)।
(ख) आवर्त सारणी में बाईं ओर हम धातुओं को पाते हैं। (ग) आवर्त सारणी में दाईं ओर हम अधातुओं को पाते हैं।

प्रश्न 8.
आधुनिक आवर्त सारणी में निम्नलिखित को बताइए
(क) हैलोजेन परिवार में सबसे अधिक क्रियाशील अधातु का नाम व सूत्र।
(ख) क्षारीय समूह में सबसे अधिक क्रियाशील अधातु का नाम व सूत्र।
(ग) वह अधातु जो द्रव अवस्था में रहती है।
उत्तर-
(क) हैलोजेन परिवार में फ्लुओरीन (F), छोटे परमाणु तथा कम बंधन ऊर्जा के कारण सबसे अधिक क्रियाशील अधातु है।
(ख) क्षारीय समूह में सबसे अधिक क्रियाशील धातु पोटैशियम (K) है।
(ग) ब्रोमीन सामान्य ताप पर द्रव अवस्था में रहती है।

प्रश्न 9.
दो तत्व ‘X’ तथा ‘Y’ जिनके परमाणु क्रमशः 11 व 17 हैं –
(क) ये तत्व आवर्त सारणी के किस वर्ग में हैं ?
(ख) इन तत्वों में से कौन-सी धातु तथा कौन-सी अधातु है ? (ग) ये तत्व आवर्त सारणी के किस आवर्त में हैं ?
उत्तर-
(क) तत्व ‘X’ प्रथम वर्ग या वर्ग संख्या 1 में तथा तत्व ‘Y’ सप्तम वर्ग या वर्ग संख्या 17 में है।
(ख) तत्व ‘X’ धातु तथा तत्व ‘Y’ अधातु है।
(ग) ये दोनों तत्व आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त में हैं।

प्रश्न 10.
आवर्त सारणी के समूह-14 के एक तत्व की परमाणु संख्या 14 है। कारण सहित समझाइए कि तत्व में धात्विक गुणधर्म विद्यमान होगा अथवा नहीं।
उत्तर-
आवर्त सारणी के समूह-14 के एक तत्व X की परमाणु संख्या 14 है। इसका इलेक्ट्रॉन विन्यास निम्न प्रकार से होगा
X (14) = 2, 8, 4
इस इलैक्ट्रॉनिक विन्यास से स्पष्ट है कि तत्व के अंतिम कक्ष में इलैक्ट्रॉन की संख्या 4 है जो सारणी के दाईं ओर स्थित है। अतः यह धातु और अधातु के बीच के गुण से युक्त तत्व है जिसे उपधातु कहते हैं। अतः यह कहा जा सकता है कि दिया हुआ तत्व धातु नहीं है तथा प्रकृति की दृष्टि से तत्व अधातु होता है। .

प्रश्न 11.
आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर परमाणु आकार में क्या परिवर्तन होता है ? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिए।
उत्तर-
परमाणु आकार से तात्पर्य परमाणु की त्रिज्या से है। अत: आवर्त के अनुदिश बाएं से दाएं चलने पर परमाणु आकार अथवा परमाणु त्रिज्या घटती है। इसका कारण यह है कि तत्वों के परमाणुओं का नाभिकीय आवेश बढ़ जाता है जिसे नाभिक इलैक्ट्रॉन को अधिक बल से खींचता है तथा फलस्वरूप इलैक्ट्रॉनों का नाभिक के समीप हो जाने के कारण परमाणु आकार कम हो जाता है।

प्रश्न 12.
स्पष्ट कीजिए कि आर्गन परमाणु का आकार क्लोरीन परमाणु से बड़ा क्यों होता है ?
उत्तर-
आर्गन (Ar) परमाणु एक सक्रिय गैस परमाणु है जो संरचनात्मक रूप से स्थायी होता है चूंकि इसके बाह्यतम कोश में इलैक्ट्रॉनों का अष्टक (आठ इलैक्ट्रॉन) होता है। इसका आकार क्लोरीन से बड़ा होता है, क्लोरीन (हैलोजेन) परमाणु के बाह्यतम कोश में केवल 7 इलैक्ट्रॉन होते हैं जो इसके नाभिक पर अत्यधिक धनावेश का कारण है। इसके परिणामस्वरूप इसके इलैक्ट्रॉन नाभिक की ओर खिंचते हैं तथा नाभिक के समीप आ जाते हैं जिससे इसका आकार कम हो जाता है।

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प्रश्न 13.
बेरियम ( परमाणु क्रमांक = 56) की आवर्त सारणी में स्थिति की विवेचना कीजिए तथा निम्नलिखित के उत्तर दीजिए।
(i) यह धातु है या अधातु ?
(ii) यह सीजियम से बड़ा है या छोटा ?
(iii) इसकी संयोजकता क्या है ?
(iv) बेरियम क्लोराइड का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
Ba (परमाणु क्रमांक = 56) 2, 8, 18, 18, 8, 2 यह छठे आवर्त तथा II-A, वर्ग में स्थित है। (चूंकि कोशों की संख्या 6 है तथा संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या 2 है)।
(i) बेरियम एक धातु है क्योंकि यह आवर्त सारणी में बाईं ओर तथा वर्ग में नीचे की ओर स्थित है।
(ii) बेरियम परमाणु का आकार सीजियम (Cs) से छोटा है क्योंकि आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर परमाणु आकार घटता है। बेरियम (Ba) तथा सीजियम (Cs) एक ही आवर्त में स्थित है तथा बेरियम (Ba), सीज़ियम (Cs) के दाईं ओर स्थित है।
(iii) इसकी संयोजकता 2 है क्योंकि इसमें 2 संयोजी इलैक्ट्रॉन हैं। यह दो इलैक्ट्रॉन त्याग कर के द्विसंयोजक धनात्मक बन जाता है।
(iv) बेरियम क्लोरड का सूत्र है : BaCl

प्रश्न 14.
निम्नलिखित दिए गए प्रथम वर्ग के तत्वों की परमाणु त्रिज्याओं में परिवर्तन का अध्ययन कीजिए
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 11
(i) उन तत्वों के नाम बताइए जिनके परमाणु सबसे बड़े तथा सबसे छोटे हैं ?
(ii) वर्ग में परमाणु त्रिज्या किस प्रकार परिवर्तित होती है ?
उत्तर-
(i) सोडियम (Na) के परमाणु सबसे छोटे हैं। सीजियम (Cs) के परमाणु सबसे बड़े हैं।
(ii) वर्ग में नीचे जाने पर परमाणु त्रिज्या बढ़ती है।

प्रश्न 15.
किसी तत्व के धन आयन का आकार उसी तत्व के परमाणु से बड़ा होता है या छोटा ? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
किसी तत्व के धन आयन का आकार उस तत्व के परमाणु से छोटा होता है। इसके निम्नलिखित कारण होते हैं

  • जब धन आयन बनता है तो उस तत्व का परमाणु कुछ इलैक्ट्रॉन का त्याग करता है जबकि नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या पूर्ववत् रहती है जिससे नाभिक तथा इलैक्ट्रॉनों के बीच आकर्षण बढ़ जाता है। आकर्षण बल की अधिकता से इलैक्ट्रॉन नाभिक के समीप आ जाते हैं और फलस्वरूप परमाणु का आकार छोटा हो जाता है।
  • कभी कभी इलैक्ट्रॉन निकल जाने से धनायन बनाने पर कोशों की संख्या में भी कमी आ जाती है, उक्त दोनों कारणों के कारण धनायन का आकार तत्व के परमाणु से छोटा होता है। उदाहरणार्थ, धनायन (Na+) का आकार परमाणु (Na) से छोटा होता है।

प्रश्न 16.
किसी तत्व की परमाणु संख्या 33 है। उसकी आवर्त सारणी में स्थिति ज्ञात कीजिए। ..
उत्तर-
तत्व की परमाणु संख्या 33 है अर्थात् इसका इलैक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 18, 5 है। चूंकि इस तत्व में कुल चार इलैक्ट्रॉन कोश हैं, इसलिए यह आवर्त सारणी के चौथे आवर्त में स्थित है | इस तत्व में संयोजकता इलैक्ट्रॉनों (बाह्य कोश में इलैक्ट्रॉनों) की संख्या 5 है, इसलिए यह V-A वर्ग में स्थित है। इस प्रकार परमाणु संख्या 33 वाला तत्व चौथे आवर्त तथा V-A वर्ग में स्थित है।

प्रश्न 17.
न्यूलैंड के अष्टक नियम का वर्णन करो।
उत्तर-
सन् 1864 में न्यूलैंड ने तत्वों के वर्गीकरण का अष्टक नियम स्थापित किया। इसके अनुसार जब तत्वों को बढ़ते परमाणु द्रव्यमान के अनुसार दर्शाया जाता है तो संगीत के सुरों की भांति प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुणों के समान होते हैं। ये गिनती किसी भी तत्व से शुरू की जा सकती है।
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इस वर्गीकरण के अनुसार सोडियम का क्रम 8 है। उसके गुण पहले क्रम में उपस्थित तत्व लिथियम (Li) के गुणों से मिलते-जुलते होंगे। इस प्रकार बोरॉन (B) से आठवां तत्व एल्यूमीनियम (Al) है तथा इन दोनों तत्वों के गुण एकदूसरे से परस्पर मिलते-जुलते होंगे।

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प्रश्न 18.
निम्न लिखित कथन का क्या भाव है ? “तत्वों के गुण उनके परमाणु अंकों के आवर्ती फलन (Periodic Functions) हैं।”
उत्तर-
कथन-“तत्वों के गुण उनके परमाणुओं के आवर्ती फलन (Functions) हैं।” आधुनिक आवर्त नियम कहलाता है।
आवर्तता या आवर्त फलन (Periodic function)-आवर्त फलन का अर्थ है कि जब तत्वों को एक विशेष समूह ऊर्ध्वाधर पंक्ति में उनके परमाणुओं के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित किया जाता है, तो उनके गुणों की पुनरावृत्ति होती है। ऊर्ध्वाधर पंक्ति में रखे गए तत्वों के गुणों की 2, 8, 8, 18, 18, 32 परमाणु अंकों के लगातार अंतर से पुनरावृत्ति होती है। इन अंकों को जादुई अंक (Magic Numbers) कहते हैं।

तत्वों के गुण उनके परमाणु के विभिन्न ऊर्जा स्तरों में इलैक्ट्रॉनों के विभाजन मुख्यतः संयोजक ऊर्जा स्तर में इलैक्ट्रॉनों के विभाजन पर निर्भर करते हैं। उन परमाणुओं को, जिनके संयोजक ऊर्जा स्तर में इलैक्ट्रॉन विन्यास एक जैसा होता है, एक जैसे गुण प्रदर्शित करते हैं। जब तत्वों को आवर्त सारणी में उनके परमाणु अंकों के बढ़ते क्रम के आधार पर व्यवस्थित किया जाता है तो तत्वों के संयोजकता ऊर्जा स्तर में समान इलैक्ट्रॉन विन्यास की मैजिक अंक 2, 8, 8, 18, 18 और 32 के बाद क्रमशः एक विशेष लंबात्मक पंक्ति (समूह) में पुनरावृत्ति होती है।

प्रश्न 19.
आवर्त सारणी के कोई दो लाभ बताएं।
उत्तर-

  1. आवर्त सारणी ने रसायन विज्ञान को सुगम तथा सरल बना दिया है क्योंकि एक जैसे गुणों वाले तत्व एक वर्ग में रखे गए हैं।
  2. आवर्त सारणी ने कुछ तत्वों के परमाणु द्रव्यमानों में सुधार किया है।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित तत्वों के जोड़ों में से किस तत्व का आकार छोटा है? अपने उत्तर के पक्ष में प्रमाण दें।
(i) सोडियम या पौटेशियम
(ii) मैग्नीशियम या क्लोरीन।
उत्तर-
(i) सोडियम तथा पौटेशियम दोनों एक ही वर्ग/समूह (Group) I के तत्व हैं। समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर पहले सोडियम और फिर तत्व | त्रिज्या (pm) पौटेशियम स्थित है। सोडियम तथा पौटेशियम का इलैक्ट्रॉनिक विन्यास क्रमश: (2, 8, 1) तथा (2, 8, 8, 1) है। इलैक्ट्रॉनिक विन्यास देखने से स्पष्ट हो जाता है कि सोडियम में तीन इलैक्ट्रॉनिक शैल (कोश) तथा पौटेशियम में चार इलैक्ट्रॉनिक शैल हैं। हम देखते हैं कि समूह में ऊपर से नीचे जाने पर तत्वों के कोशों में वृद्धि के कारण नाभिक और बाहरी कोश की दूरी, जिसे परमाणु की त्रिज्या कहते हैं, बढ़ जाती है अर्थात् परमाणु का आकार बढ़ जाता है। इससे स्पष्ट है कि सोडियम परमाणु का आकार पौटेशियम परमाणु के आकार की अपेक्षा छोटा है।
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(ii) मैग्नीशियम तथा क्लोरीन दोनों आवर्त (Period) तीन के तत्व हैं। आवर्त में बाईं ओर से दाईं ओर जाने पर पहले मैग्नीशियम और फिर अंत में क्लोरीन स्थित है। हम जानते हैं कि आवर्त (Period) में बाईं ओर से दाईं ओर जाने पर परमाणु का अर्धव्यास/त्रिज्या घटती है। इसका कारण है कि नाभिक में आवेश बढ़ने से नाभिक इलैक्ट्रॉनों को अपनी ओर आकर्षित करता है जिससे परमाणु का आकार छोटा हो जाता है। अत: मैग्नीशियम की अपेक्षा क्लोरीन का आकार छोटा है।
सारणी-तीसरे आवर्त के तत्वों की परमाणु त्रिज्या तीसरे आवर्त के तत्व
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प्रश्न 21.
निम्नलिखित की परिभाषा दें :
(i) परमाण्विक अर्ध-व्यास
(ii) आयनन ऊर्जा।
(iii) इलैक्ट्रॉन बंधुता
(iv) वेलैंस इलैक्ट्रॉन।
उत्तर-
(i) परमाण्विक अर्ध-व्यास-किसी एक परमाणु के न्यूक्लियस के परमाणु बिंदु तथा बाह्यतम शैल की मध्य की दूरी का माप होता है। इसे साधारणतः पीकोमीटर (10-12m) में मापा जाता है।

(ii) आयनन ऊर्जा- किसी तत्व के एक गैसीय परमाणु आयन से कमजोर रूप से बंधित इलैक्ट्रॉन पूरी तरह हटाने के लिए आवश्यक ऊर्जा को आयनन ऊर्जा कहते हैं। इसे संक्षेप में I.E. लिखा जाता है। आयनन ऊर्जा को किलो जूल प्रति मोल में मापा जाता है।

(iii) इलैक्ट्रॉन बंधुता- जब किसी तत्व के एक उदासीन गैसीय परमाणु द्ववारा इलैक्ट्रॉन ग्रहण किया जाता है तो ऊर्जा की मात्रा में हुए परिवर्तन को इलैक्ट्रॉन कहते हैं। इसे संक्षेप में E.A. लिखा जाता है। इसे किलो जूल प्रति मोल में मापा जाता है।

(iv) वेलैंस इलैक्ट्रॉन-किसी तत्व के परमाणु के बाह्यतम कोश में जितने इलैक्ट्रॉन उपस्थित होते हैं, उन्हें संयोजक इलैक्ट्रॉन अथवा वेलैंस इलैक्ट्रॉन कहा जाता है।

प्रश्न 22.
निम्नलिखित से क्या अभिप्राय है :
(i) आवर्तता
(ii) आवर्ती सारणी
(iii) तत्वों का वर्गीकरण
(iv) न्यूलैंड के अष्टक
(v) आवर्त सारणी का समूह
(vi) आवर्त सारणी का आवर्त
(vii) क्षारीय गुणों वाले धातु
(viii) क्षार धातु
(ix) प्राकृतिक तत्व
(x) धातु
(xi) अपधातु
(xii) धात्विक तत्व का परमाण्विक अर्ध-व्यास।
उत्तर-
(i) आवर्तता-तत्वों को उनके परमाणु अंकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करने से उनके गुणों का निश्चित गैप (अवधि) के पश्चात् दोहराए जाने को तत्वों के गुणों की आवर्तता कहते हैं। तत्वों के गुणों में आवर्तता का कारण उनके परमाणुओं के वेलैंस शैलों के निश्चित अवधि के बाद एक जैसी इलैक्ट्रॉनिक विन्यास का दोहराया जाना है।

(ii) आवर्ती सारणी-तत्वों की आवर्त सारणी तत्वों का सारणीय रूपी चार्ट है जिसको इस प्रकार से रचा गया है कि एक जैसे गुणों वाले तत्व कुछ गैप (अवधि) के पश्चात् ऊर्ध्वाधर कॉलम में उपस्थित होते हैं क्योंकि एक जैसे गुणों वाले चार्ट में निश्चित अवधि के पश्चात् उपस्थित होते हैं और तत्वों को सारणी के रूप में व्यवस्थित किया गया था। इसलिए इसे आवर्त सारणी (Periodic Table) का नाम दिया गया है।

(iii) तत्वों का वर्गीकरण-ज्ञात तत्वों को ऐसे ढंग से व्यवस्थित करना कि समान गुणों वाले तत्व एक साथ हो जाएं जबकि भिन्न गुणों वाले तत्व अलग समूह में एकत्रित हो जाएं तो उसे तत्वों का वर्गीकरण कहते हैं।

(iv) न्यूलैंड के अष्टक- तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित करने से आठ तत्वों के संग्रह को न्यूलैंड के अष्टक कहते हैं।

(v) आवर्त सारणी का समूह- तत्वों की आवर्त सारणी में तत्वों के ऊर्ध्वाधर (लंबात्मक पंक्ति) कॉलम को समूह (Group) कहते हैं। –

(vi) आवर्त सारणी का आवर्त- तत्वों की आवर्त सारणी में तत्वों की क्षितिज पंक्तियों को आवर्त (Period) कहते हैं।

(vii) क्षारीय गुणों वाले धातु-ये आवर्त सारणी के s-ब्लॉक के दूसरे ग्रुप के तत्व हैं जिनका सामान्य सूत्र ns2 है। ये तत्व बैरीलियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, स्ट्रांशियम, बेरियम तथा रेडॉन हैं।

(vii) क्षार धातु-ये आवर्त सारणी के s-ब्लॉक के पहले ग्रुप के तत्व हैं जिनका सामान्य सूत्र ns1 है। इनमें लिथियम, सोडियम, पोटैशियम आदि धातुएं हैं। ये धातुएं बहुत नरम होती हैं और इनकी आयनन ऊर्जा बहुत कम होती है।

(ix) प्राकृतिक तत्व-वे तत्व जो प्रकृति में मिलते हैं, उन्हें प्राकृतिक तत्व कहा जाता है।

(x) धातु- वे तत्व जो साधारणत: कठोर, अघातवर्ध्य तथा तन्यशील, चमकदार, विद्युत् तथा ताप के सुचालक हैं और जो सुगमता से इलैक्ट्रॉन को त्याग कर विद्युतीय धन-आवेशित आयन (कैटायन) बना सकते हों, उन्हें धातु कहते हैं।

(xi) अपधातु-तत्वों की दीर्घ आवर्त सारणी में धातुओं और अधातुओं को पृथक् करने वाली सीमा के ऊपर दोनों धातुओं और अधातुओं के गुण रखने वाले तत्वों को अप-धातु कहते हैं।

(xii) धात्विक तत्व का परमाण्विक अर्ध-व्यास-तत्व के धात्विक क्रिस्टल में दो परमाणु एक-दूसरे के संपर्क में धात्विक आयनों (परमाणुओं) के न्यूक्लियसों की दूरी के आधे के बराबर मानी गई दूरी को धात्विक तत्व का परमाण्विक अर्ध-व्यास कहते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 23.
मेंडलीफ की आवर्त सारणी की कोई दो विशेषताएं और दो विषमताएं बताएं।
उत्तर-
मेंडलीफ की आवर्त सारणी की विशेषताएं-

  • मेंडलीफ की आवर्त सारणी ने तत्वों के रसायन विज्ञान को सरल बना दिया है क्योंकि एक समान गुण वाले सभी तत्वों को एक समूह में एकत्रित कर दिया जाता है ताकि समूह के एक सदस्य के गुणों से दूसरे सदस्यों के गुणों का अनुमान लगाया जा सके।
  • मेंडलीफ की आवर्त सारणी में कुछ तत्वों के परमाणु द्रव्यमान ठीक करने के लिए योगदान डाला है। उदाहरणत: बैरीलियम का द्रव्यमान 13.5 से ठीक करके 9 कर दिया है।

मेंडलीफ की आवर्त सारणी की विषमताएं –

  • मेंडलीफ की आवर्त सारणी में तत्वों के विभिन्न समस्थानिकों के लिए उचित स्थान नहीं है।
  • कुछ तत्वों के युग्मों को उनके परमाणु द्रव्यमान (Atomic) के बढ़ते क्रम में नहीं रखा गया है, परंतु उनके गुणों को ध्यान में रख कर स्थान निश्चित किया गया है।
  • यद्यपि हाइड्रोजन अधातु है, परंतु इसके बावजूद इसको लिथियम, सोडियम, पोटैशियम आदि धातुओं के . साथ रखा गया है।
  • उत्कृष्ट गैसों की खोज के बाद इनके लिए इस सारणी में कोई स्थान नहीं है।

प्रश्न 24.
इलैक्ट्रॉन आकर्षण किसे कहते हैं ? इलैक्ट्रॉन आकर्षण किस बात पर निर्भर करता है ?
उत्तर-
इलैक्ट्रॉन आकर्षण- जब किसी तत्व के उदासीन गैसीय परमाणु द्वारा इलैक्ट्रॉन ग्रहण किया जाता है तो ऊर्जा की मात्रा में हुए परिवर्तन को इलैक्ट्रॉन आकर्षण कहते हैं। दूसरे शब्दों में, इलैक्ट्रॉन आकर्षण किसी तत्व के परमाणु की इलैक्ट्रॉन के लिए आकर्षण है। इस प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न हुए ऋण आवेशित हुए आयन को ऐनायन कहते हैं। इलैक्ट्रॉन आकर्षण (Electron Affinity) को संक्षेप में E.A के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। इसे किलो जूल प्रति मोल (Kilo Joule per mole या KJ mol-1) से मापा जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण 15

इलैक्ट्रॉन आकर्षण की निर्भरता- इलैक्ट्रॉन आकर्षण अधिकांश न्यूक्लीय आवेश, इलैक्ट्रॉन विन्यास तथा परमाणु आकार पर निर्भर करता है।

  • न्यूक्लीय आवेश बढ़ने के साथ इलैक्ट्रॉन आकर्षण बढ़ता है।
  • परमाणु आकार के कम होने से इलैक्ट्रॉन आकर्षण बढ़ता है।
  • जब इलैक्ट्रॉन ग्रहण करने वाले तत्व के परमाणु की इलैक्ट्रॉनिक विन्यास पहले से ही स्थायी हो तो इलैक्ट्रॉनिक आकर्षण का मूल्य शून्य (0) होता है।

प्रश्न 25.
आधुनिक आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएं से दाएं जाते समय (i) परमाणु आकार और (ii) धात्विक गुण कैसे बदलते हैं ?
उत्तर-
(i) आवर्त के अनुदिश बाएं से दाएं जाते समय परमाणु आकार अथवा परमाणु त्रिज्या घटती है।
(ii) आवर्त सारणी के किसी आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर तत्त्वों की धात्विक प्रकृति घटती है या कम होती है।

प्रश्न 26.
आधुनिक आवर्त सारणी के किसी ग्रुप में ऊपर से नीचे जाते समय
(i) परमाणु आकार और
(ii) धात्विक गुण कैसे बदलते हैं ?
उत्तर-
(i) आवर्त सारणी के किसी समूह में ऊपर से नीचे जाते समय परमाणु के आकार में वृद्धि होती है।
(ii) आवर्त सारणी के किसी समूह (ग्रुप) में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर तत्त्वों का धात्विक स्वभाव अधिक होता जाता (बढ़ता) है।

प्रश्न 27.
तत्त्वों की आधुनिक आवर्त सारणी में किसी पीरियड में
(i) धात्विक स्वभाव और
(ii) संयोजकता बायें से दायें जाने पर कैसे बदलते हैं ?
उत्तर-
(i) आवर्त सारणी के आवर्त (पीरियड) में बायें से दायें जाने पर तत्त्वों के धात्विक गुणों में वृद्धि होती है।
(ii) आवर्त सारणी के किसी पीरियड में बायें से दायें जाने पर संयोजकता पहले 1 से 4 तक बढ़ती है और फिर 4 से कम होती होती शून्य हो जाती है।

प्रश्न 28.
एक परमाणु का इलैक्ट्रॉनी विन्यास 2, 8, 7 है।
(1) इस तत्व की परमाणु संख्या क्या है ? तत्व का नाम भी बताओ।
(2) निम्न में से किस तत्व के साथ इसकी रासायनिक समानता होगी ?
N(7), F (9), P(15), Ar(18).
उत्तर-
(1) तत्व की परमाणु संख्या = 2 + 8 + 7 = 17 तत्व का नाम-क्लोरीन।
(2) इस तत्व की समानता N (7) तथा F (9) के साथ है।

प्रश्न 29.
तत्वों के वर्गीकरण के लिए न्यूलैंड का अष्टक का नियम लिखें।
उत्तर-
न्यूलैंड का अष्टक का नियम-इस नियम के अनुसार जब तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम अनुसार व्यवस्थित किया जाता है तो प्रत्येक आठवें तत्व के गुण पहले तत्व के गुणों के समान होते हैं। समान गुणों वाले तत्वों के पुनः दोहराने की विधि उसी प्रकार है जिस प्रकार संगीत स्केल के सुर पीछे आठवें सुर से दोहराए जाते हैं।

प्रश्न 30.
सोडियम [Na] तथा गंधक/सल्फर [S] दोनों आधुनिक आवर्त सारणी के तीसरे आवर्त में हैं। इनमें से कौन-सा अधिक धात्विक है और क्यों ?
उत्तर-
तत्व सोडियम [Na] अधिक धात्विक होगा। किसी आवर्त में बायें से दायें जाते समय तत्वों के धात्विक लक्षण में कमी होती है। ऐसा इस लिए होता है कि तत्वों की इलैक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति धीरे-धीरे कम होती जाती है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 31.
तत्वों के वर्गीकरण का मेंडलीफ आवर्त नियम लिखो।
उत्तर-
तत्वों के वर्गीकरण का मेंडलीफ आवर्त नियम-मेंडलीफ ने सभी तत्वों को आवर्त सारणी में उनके परमाणु पुंज के चढ़ते क्रम में व्यवस्थित किया जिससे एक समान भौतिक तथा रासायनिक गुणों वाले भिन्न-भिन्न तथा एक निश्चित पीरियड के बाद दोबारा आ जाते हैं। इस आधार को मुख्य रख कर मेंडलीफ ने आवर्त सारणी बनाई जिसका नियम है : “तत्वों के गुण उनके परमाणु पुंज के आवर्त फंक्शन (फलन ) होते हैं।”

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बृहत् आवर्त सारणी का आधार क्या है ?
उत्तर-
परमाणु संख्या और इलैक्ट्रॉन का वितरण।

प्रश्न 2.
हैलोजन परिवार के तत्वों में कितने संयोजकता इलैक्ट्रॉन होते हैं ?
उत्तर-
इसमें सात संयोजकता इलैक्ट्रॉन होते हैं।

प्रश्न 3.
चौथे आवर्त में कितने तत्व विद्यमान होते हैं ?
उत्तर-
चौथे आवर्त में कुल 18 तत्व हैं।

प्रश्न 4.
Mg2+ आयन में कितने इलैक्ट्रॉन विद्यमान हैं ?
उत्तर-
इसमें दस इलैक्ट्रॉन विद्यमान हैं।

प्रश्न 5.
Na और Mg में से किसका आकार बड़ा है ?
उत्तर-
सोडियम (Na) का आकार मैग्नीशियम (Mg) से बड़ा होता है।

प्रश्न 6.
नाइट्रोजन की संयोजकता क्या है ?
उत्तर-
इसकी संयोजकता तीन (3) है।

प्रश्न 7.
Li और Na में से कौन अधिक सक्रिय है ?
उत्तर-
Na अधिक सक्रिय है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 8.
उन तत्वों का उल्लेख कीजिए जिनकी खोज मेंडलीफ की आवर्त सारणी बनाने के बाद हुई।
उत्तर-
स्कैडियम (Sc), गैलियम (Ga) तथा जर्मेनियम (Ge) आदि ऐसे उदाहरण है जिन्हें आवर्त सारणी बनाने के बाद खोजा गया था।

प्रश्न 9.
मेंडलीफ की आवर्त सारणी में वर्गों तथा आवर्तों की संख्या लिखिए।
उत्तर-
नौ वर्ग (समूह) तथा सात आवर्त हैं।

प्रश्न 10.
आवर्त सारणी के एक-ही आवर्त के तत्वों के परमाणु के आकार किस प्रकार परिवर्तित होते हैं ?
उत्तर-
आवर्त सारणी के एक-ही आवर्त के तत्वों के परमाणु के आकार बाईं से दाईं ओर क्रमिक रूप से घटते हैं।

प्रश्न 11.
किसी तत्व का इलैक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 3 है। इसे आवर्त सारणी के किस समूह में रखना उचित होगा?
उत्तर-
इसे आवर्त सारणी के तृतीय समूह में रखना उचित होगा।

प्रश्न 12.
तीन तत्वों X, Y, Z में से X और Z के परमाणु भार 35.5 और 127 हैं। डॉबेरेनर के त्रिक के आधार पर Y का परमाणु भार ज्ञात करो।
उत्तर-
Y का परमाणु भार = \(\frac{35.5+127}{2}\) = 81.25

प्रश्न 13.
आवर्त सारणी में फॉस्फोरस को किस आवर्त और किस समूह में रखा गया है ?
उत्तर-
आवर्त सारणी में फॉस्फोरस को तृतीय आवर्त तथा V-A समूह में रखा गया है।

प्रश्न 14.
किसी तत्व के इलैक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 8, 2 हैं। इसे आवर्त सारणी के किस वर्ग एवं आवर्त में रखना उचित है ?
उत्तर-
इस तत्व की वर्ग संख्या II-A तथा आवर्त संख्या चार है।

प्रश्न 15.
एक तत्व M आवर्त सारणी के तीसरे समूह में हैं, इसे ऑक्साइड का सूत्र लिखिए।
उत्तर-
M2O3.

प्रश्न 16.
तत्वों की आधुनिक आवर्त सारणी को कितने समूहों एवं आवों में विभक्त करते हैं ?
उत्तर-
तत्वों की आधुनिक आवर्त सारणी को 7 आवर्तों और 18 वर्गों में विभाजित किया गया है। आवर्त को क्षैतिज स्तंभ तथा वर्गों की ऊर्ध्वाधर स्तंभ भी कहते हैं।

प्रश्न 17.
मेंडलीफ का आवर्त नियम लिखिए।
उत्तर-
तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुण उनके परमाणु भार के आवर्ती फलन होते हैं।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 18.
मेंडलीफ ने अपनी सारणी किसे ध्यान में रखकर बनाई थी ?
उत्तर-
तत्वों के परमाणु द्रव्यमान की वृद्धि क्रम को ध्यान में रख कर।

प्रश्न 19.
मेंडलीफ आवर्त सारणी में कुल कितने वर्ग हैं ?
उत्तर-
मेंडलीफ आवर्त सारणी में I से VIII तक तथा इसके बाद शून्य (0) समूह को मिलाकर कुल नौ वर्ग हैं।

प्रश्न 20.
आवर्त में फॉस्फोरस के बाद आने वाले तत्व का नाम बताइए।
उत्तर-
इस तत्व का नाम सल्फर (S) है।

प्रश्न 21.
नाइट्रोजन और फॉस्फोरस किस वर्ग से संबंधित हैं ?
उत्तर-
ये दोनों वर्ग VA से संबंधित हैं।

प्रश्न 22.
Mg और AI में कौन-सा अधिक धात्वीय है ?
उत्तर-
मैग्नीशियम (Mg) अधिक धात्वीय है।

प्रश्न 23.
निष्क्रिय तत्व आवर्त सारणी के किस वर्ग में हैं ?
उत्तर-
सभी निष्क्रिय तत्व आवर्त सारणी के शून्य वर्ग में हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अष्टक नियम का प्रतिपादन किया –
(a) न्यूलैंड ने
(b) डॉबेराइनर ने
(c) मेंडलीफ ने
(d) लोथर मेयर ने
उत्तर-
(a) न्यूलैंड ने।

प्रश्न 2.
आवर्त नियम के जनक थे.
(a) न्यूलैंड
(b) डॉबेराइनर
(c) मेंडलीफ
(d) लोथर मेयर।
उत्तर-
(c) मेंडलीफ।

प्रश्न 3.
एक तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 1 है, तत्व उपस्थित है.
(a) समूह 2 में
(b) समूह 18 में
(c) समूह 8 में
(d) समूह 10 में।
उत्तर-
(b) समूह 18 में।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-सा विन्यास धात्विक गुण प्रदर्शित करता है?
(a) 2,8,2
(b) 2,8,4
(c) 2,8,8
(d) 2,7.
उत्तर-
(a) 2,8,2.

प्रश्न 5.
मेंडलीफ आवर्त नियम के अनुसार, आवर्त सारणी में तत्वों की व्यवस्था है
(a) परमाणु संख्या के बढ़ते क्रम में
(b) परमाणु संख्या के घटते क्रम में
(c) परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम में
(d) परमाणु द्रव्यमान के घटते क्रम में।
उत्तर-
(c) परमाणु द्रव्यमान के बढ़ते क्रम में।

प्रश्न 6.
मेंडलीफ आवर्त सारणी में, बाद में खोजे जाने वाले तत्वों के लिए स्थान छोड़े गए थे। आवर्त सारणी में निम्नलिखित तत्वों में से किसने बाद में स्थान प्राप्त किया? ।
(a) जर्मेनियम
(b) क्लोरीन
(c) ऑक्सीजन
(d) सिलिकॉन।
उत्तर-
(a) जर्मेनियम।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-सा आवर्त-2 के तत्वों के लिए बाह्यतम कोश है ?
(a) K – कोश
(b) L- कोश
(c) M – कोश
(d) N – कोश
उत्तर-
(b) L – कोश।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित तत्वों में से किसकी परमाणु त्रिज्या सबसे बड़ी होगी ?
(a) Mg
(b) Na
(c) K
(d) Ca.
उत्तर-
(c) K.

प्रश्न 9.
आवर्त सारणी में किसी आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर परमाणु साइज –
(a) बढ़ता है
(b) घटता है
(c) पर्याप्त नहीं बदलता है
(d) पहले बढ़ता है और फिर घटता है।
उत्तर-
(b) घटता है।

प्रश्न 10.
मेंडलीफ ने बेरॉन तथा ऐलुमीनियम के बीच में नए तत्व के लिए खाली स्थान छोड़ा था जो बाद में खोजा गया था यह तत्व है
(a) Na
(b) Ca
(c) Ga
(d) Ba.
उत्तर-
(c) Ga.

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रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) …………………. का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 है।
उत्तर-
मैग्नीशियम

(ii) डाबेराइनर ने तीन-तीन तत्व वाले कुछ समूहों को चुना एवम् इन समूहों को …………………………. कहा।
उत्तर-
त्रिक्

(iii) आधुनिक आवर्त सारणी में …………………………. क्षैतिज पंक्तियाँ हैं।
उत्तर-
7

(iv) आधुनिक आवर्त सारणी में टेढ़ी-मेढ़ी रेखा धातुओं को ………………………… से अलग करती है।
उत्तर-
अधातुओं

(v) सन् 1866 में अंग्रेज़ वैज्ञानिक जॉन न्यूलैंड्स ने ज्ञात तत्वों को ……………………………….. के आरोही क्रम में व्यवस्थित किया।
उत्तर-
परमाणु द्रव्यमान।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अपररूपता किसे कहते हैं ? कार्बन के अपररूपों के नाम लिखो। क्या वे रासायनिक दृष्टि से समान हैं ? उनके भौतिक गुणों की तुलना कीजिए।
उत्तर-
अपररूपता- जिस गुण के कारण तत्व विभिन्न रूपों में पाए जाते हैं, उसे अपररूपता कहते हैं तथा विभिन्न रूपों को तत्व के अपररूप कहते हैं।

कार्बन के अपररूप

  • हीरा
  • ग्रेफाइट।

रासायनिक दृष्टि से समानता-यदि दोनों अपररूपों की समान मात्रा को वायु में गर्म किया जाए तो दोनों समान मात्रा में ही कार्बन डाइऑक्साइड बनाते हैं और शेष कुछ नहीं बचता। अतः इस प्रयोग से यह सिद्ध होता है कि दोनों अपररूप रासायनिक दृष्टि से समान हैं :
C + O2 → CO2, (हीरा या ग्रेफाइट)
हीरे तथा ग्रेफाइट के भौतिक गुणों की तुलना
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 1

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 2.
(क) सहसंयोजी आबंध किसे कहते हैं ? इनकी विशेषताएँ लिखिए।
(ख) आयनिक और सहसंयोजी यौगिकों में अंतर लिखिए।
उत्तर-
(क) सहसंयोजी आबंध-दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन के एक जोडे की साझेदारी से बनने वाले आबंध को सहसंयोजी आबंध कहते हैं। इनमें निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं

  • इन अणुओं में भीतर प्रबल आबंध होता है लेकिन इनका अंतराअणुक बल कम होता है।
  • इनका क्वथनांक कम होता है।
  • इनका गलनांक कम होता है।
  • इनके यौगिक विद्युत् के कुचालक होते हैं।

(ख) आयनिक तथा सहसंयोजी यौगिकों में अंतर-

आयनिक यौगिक सहसंयोजी यौगिक
1. ये प्रायः क्रिस्टलीय ठोस अवस्था में पाए जाते हैं। 1. ये प्रायः द्रवीय या गैसीय अवस्था में पाए जाते हैं परंतु कुछ ठोस अवस्था में भी पाए जाते हैं।
2. ये विद्युत् के सुचालक होते हैं। 2. ये विद्युत् के कुचालक होते हैं।
3. ये जल में घुलनशील होते हैं। 3. ये कार्बनिक विलायकों में घुलनशील होते हैं।
4. ये तीव्र अभिक्रियाशील होते हैं। 4. ये धीमे अभिक्रियाशील होते हैं।
5. इनका गलनांक और क्वथनांक उच्च होता है। 5. इनका गलनांक और क्वथनांक निम्न होता है।

प्रश्न 3.
कार्बन यौगिकों की गणना अन्य सभी तत्त्वों की गणना के कुल योग से भी अधिक है। इसका क्या कारण है ?
उत्तर-
कार्बन यौगिकों की अत्याधिक संख्या-सहसंयोजी बंध की प्रकृति के कारण कार्बन में बड़ी संख्या में यौगिक बनाने की क्षमता होती है। ऐसा कार्बन के दो निम्नलिखित कारकों/गुणों के फलस्वरूप होता है-
(i) श्रंखलन (Catenation) कार्बन में कार्बन के ही अन्य परमाणुओं के साथ आबंध बनाने की अद्वितीय क्षमता होती है जिससे बड़ी संख्या में अणु बनते हैं। इस गुण को शृंखलन कहते हैं।

इन यौगिकों में-
(a) कार्बन की लंबी श्रृंखला,
(b) कार्बन की विभिन्न शाखाओं वाली श्रृंखला अथवा
(c) वलय में व्यवस्थित कार्बन भी पाये जाते हैं।

साथी ही कार्बन के परमाणु एक, द्वि अथवा त्रि आबंध से जुड़े हो सकते हैं। जिस सीमा तक श्रृंखलन का गुण कार्बन यौगिकों में पाया जाता है वह किसी और तत्त्व में नहीं मिलता। कार्बन-कार्बन आबंध अत्याधिक प्रबल होता है। अत: यह स्थायी होता है।

(ii) चतुः संयोजकता (Tetra-valency)-चूंकि कार्बन की संयोजकता चार होती है, इसलिए इसमें कार्बन के चार अन्य परमाणुओं या कुछ अन्य एक संयोजक तत्त्वों के परमाणुओं के साथ आबंधन की क्षमता होती है। ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन सल्फर, क्लोरीन तथा अन्य तत्त्वों के साथ कार्बन के यौगिक बनते हैं। अन्य तत्त्वों के साथ कार्बन द्वारा बनाए गए आबंध प्रबल होते हैं जिससे यौगिक बहुत स्थायी होते हैं। प्रबल आबंधों के कारण इसका आकार भी छोटा होता है।

प्रश्न 4.
कार्बन यौगिकों के रासायनिक गुणधर्म लिखिए।
उत्तर-
कार्बन यौगिकों के प्रमुख रासायनिक गुणधर्म कार्बन यौगिकों के रासायनिक गुणधर्म निम्नलिखित हैं
(i) दहन-कार्बन अपने सभी अपरूपों में ऑक्सीजन की उपस्थिति में दहन करता है और ऊष्मा, प्रकाश के साथ-साथ CO2, उत्पन्न करता है। उदाहरण
C + O2 → CO2 + ऊष्मा तथा प्रकाश
CH4 + 2O2, → CO2 + 2H2O + ऊष्मा तथा प्रकाश
CH3CH2OH + 3O2 → 2CO2 + 3H2O + ऊष्मा तथा प्रकाश
संतृप्त हाइड्रोकार्बन स्वच्छ ज्वाला के साथ जलते हैं और असंतृप्त कार्बन काले धुएँ वाली पीली ज्वाला उत्पन्न करते हैं।

(ii) ऑक्सीकरण-कार्बन यौगिकों को दहन के द्वारा सरलता से ऑक्सीकृत किया जा सकता है। क्षारीय पोटाशियम परमैंगनेट या अम्लीकृत पोटैशियम डाइक्रोमेट ऐल्कोहॉलों को अम्लों में ऑक्सीकृत कर देते हैं।
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(iii) संकलन अभिक्रिया-असंतृप्त हाइड्रोकार्बन पैलेडियम और निक्कल जैसे उत्प्रेरकों की उपस्थिति में अपने साथ हाइड्रोजन संकलित (जोड़) कर संतृप्त हाइड्रोकार्बन बनाते हैं। निक्कल उत्प्रेरक का उपयोग प्रायः वनस्पति तेलों के हाइड्रोजनीकरण में किया जाता है। वनस्पति तेलों में प्रायः लंबी असंतृप्त कार्बन श्रृंखलाएँ होती हैं जबकि जंतु वसा में संतृप्त कार्बन श्रृंखलाएं होती हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 3
(iv) प्रतिस्थापन अभिक्रिया-संतृप्त हाइड्रोकार्बन अधिकतर अभिकर्मकों की उपस्थिति में क्रिया नहीं करते पर सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में क्लोरीन का हाइड्रोकार्बन में संकलन होता है। क्लोरीन अति तीव्र अभिक्रिया में एकएक करके हाइड्रोजन के परमाणुओं का प्रतिस्थापन करती है जिस कारण उच्च समजातीय एल्केन के साथ अनेक उत्पादों का निर्माण होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 4
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 5

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 5.
ऐल्कोहॉल किसे कहते हैं ? कृत्रिम ऐथनॉल को किस विधि द्वारा बनाया जाता है ? एथेनॉल के भौतिक तथा रासायनिक गुण लिखिए।
उत्तर-
ये कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के सरल यौगिक होते हैं। किसी एल्केन के एक हाइड्रोजन परमाणु को हाइड्रोक्सिल (-OH) ग्रुप द्वारा प्रतिस्थापित करने पर ऐल्कोहॉल प्राप्त होते हैं।
ऐल्कोहॉल का सामान्य सूत्र (CnH2n +2) OH होता है।
उदाहरण-

  • मिथेन (CH4) में हाइड्रोजन परमाणु को हाइड्रोक्सिल (–OH) ग्रुप द्वारा प्रतिस्थापित करने में मिथनॉल (CH3OH) प्राप्त होता है।
  • एथेन द्वारा एथेनॉल (C2H5OH) प्राप्त होता है।

कृत्रिम एथेनॉल की तैयारी –
कृत्रिम एथेनॉल को बनाने के लिए फॉस्फोरिक अम्ल की उपस्थिति में एथीन की जल के साथ क्रिया की जाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 6

एथीन फॉस्फोरिक अम्ल
एथेनॉल एथेनॉल के भौतिक गुण

  • यह एक विशिष्ट गंध वाला रंगहीन द्रव है।
  • इसका क्वथनांक 351K तथा गलनांक 156K है।
  • यह सभी अनुपातों में जल में विलेय है।
  • इसका लिटमस पर कोई प्रभाव नहीं होता क्योंकि यह उदासीन है।

ऐथनॉल के रासायनिक गुण-
(i) यह वायु में नीली लौ के साथ जलती है जिससे कार्बन डाइऑक्साइड तथा पानी बनता है।
C2H5OH + 3O2, → 2CO2, + 3H2O
(ii) ऑक्सीजन या पोटेशियम डाइक्रोमेट (K2Cr2O7) के साथ क्रिया करके ऐथनॉल, ऐथानॉइक अम्ल उत्पन्न करता है।
C2H5OH + O2 → CH3COOH + H2O

(iii) सोडियम के साथ अभिक्रिया
एल्कोहल सोडियम धातु से क्रिया कर हाइड्रोजन गैस उत्सर्जित करता है। इस अभिक्रिया में दूसरा उत्पाद सोडियम ऐथॉक्साइड बनता है।
2C2H5OH + 2Na→ 2C2H5ONa + H2 (सोडियम ऐथॉक्साइड)

(iv) यह सांद्र H2CO4, की उपस्थिति में ग्लैशल ऐसिटिक अम्ल के साथ क्रिया करती है। जब इस मिश्रण को जल तापन पात्र पर गर्म करके हिमशीत सोडियम कार्बोनेट के विलयन पर डालते हैं तो मधुर गंध वाला ऐस्टर उत्पन्न होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 7

(v) असंतृप्त हाइड्रोकार्बन बनाने की अभिक्रिया-ऐथनॉल को अधिक्य सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ 443K तापमान पर गर्म करने से एथनॉल का निर्जलीकरण हो जाता है और एथीन बनता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 8
इस अभिक्रिया में सल्फ्यूरिक अम्ल निर्जलीकारक के रूप में काम करता है।

प्रश्न 6.
एथेनॉल के तीन रासायनिक गुण लिखो। इसका प्रयोग ईंधन के तौर पर क्यों किया जाता है ?
उत्तर-

ऐथनॉल के रासायनिक गुण-
(i) यह वायु में नीली लौ के साथ जलती है जिससे कार्बन डाइऑक्साइड तथा पानी बनता है।
C2H5OH + 3O2, → 2CO2, + 3H2O
(ii) ऑक्सीजन या पोटेशियम डाइक्रोमेट (K2Cr2O7) के साथ क्रिया करके ऐथनॉल, ऐथानॉइक अम्ल उत्पन्न करता है।
C2H5OH + O2 → CH3COOH + H2O

(iii) सोडियम के साथ अभिक्रिया
एल्कोहल सोडियम धातु से क्रिया कर हाइड्रोजन गैस उत्सर्जित करता है। इस अभिक्रिया में दूसरा उत्पाद सोडियम ऐथॉक्साइड बनता है।
2C2H5OH + 2Na→ 2C2H5ONa + H2 (सोडियम ऐथॉक्साइड)

(iv) यह सांद्र H2CO4, की उपस्थिति में ग्लैशल ऐसिटिक अम्ल के साथ क्रिया करती है। जब इस मिश्रण को जल तापन पात्र पर गर्म करके हिमशीत सोडियम कार्बोनेट के विलयन पर डालते हैं तो मधुर गंध वाला ऐस्टर उत्पन्न होता है।
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(v) असंतृप्त हाइड्रोकार्बन बनाने की अभिक्रिया-ऐथनॉल को अधिक्य सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ 443K तापमान पर गर्म करने से एथनॉल का निर्जलीकरण हो जाता है और एथीन बनता है।
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इस अभिक्रिया में सल्फ्यूरिक अम्ल निर्जलीकारक के रूप में काम करता है।

एथेनॉल का प्रयोग ईंधन के रूप में- यह कार्बन का यौगिक ऑक्सीजन में जलने पर अत्यधिक मात्रा में उष्मा तथा प्रकाश उत्पन्न करता है। कुछ देशों में पैट्रोल में एथेनॉल मिलाकर स्वच्छ इंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
C2H5OH + O2 → CO2 + H2O + ऊष्मा + प्रकाश

प्रश्न 7.
ऐथनॉइक अम्ल के वाणिज्यकीय उत्पादन की विधि का वर्णन करें। ऐथनॉइक अम्ल के गुण तथा उपयोग भी लिखिए।
उत्तर-
ऐथनॉइक अम्ल का वाणिज्यकीय उत्पादन
ऐथनॉइक अम्ल (Acetic Acid) को किण्वन क्रिया से व्यापारिक स्तर पर तैयार किया जाता है। ऐथनॉल की एसिटोबैक्टर नामक जीवाणुओं की उपस्थिति में किण्वन क्रिया करवाई जाती है। यह एक ऑक्सीकरण क्रिया है जिससे ऐथनॉइक अम्ल प्राप्त कर लिया जाता है।
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ऐथनॉइक अम्ल के गुण
(क) भौतिक गुण-

  • शुद्ध ऐथनॉइक अम्ल का गलनांक 290K होता है और इसीलिए शीत के दिनों में जम जाता है।
  • यह एक दुर्बल अम्ल है।
  • यह पानी में विलेय है।

(ख) रासायनिक गुण

  • सोडियम से क्रिया 2CH3COOH + 2Na → 2CH3COONa + H2 सोडियम ऐथनोएट
  • सोडियम हाइड्रोक्साइड और पोटेशियम हाइड्रोक्साइड से क्रिया –

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(iii) कार्बोनेट एवं हाइड्रोजन कार्बोनेट से क्रिया-कार्बोनेट और हाइड्रोजन कार्बोनेट के साथ क्रिया करके यह लवण जल एवं कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करते हैं।
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(iv) ऐस्टरीकरण प्रतिक्रिया-एथेनाइक अम्ल किसी अम्लीय उत्प्रेरक की उपस्थिति में शुद्ध ऐथनॉल (अल्कोहल) से प्रतिक्रिया करके ऐस्टर बनाता है। ऐस्टर की गंध मीठी होती है।
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ऐथनोइक अम्ल के उपयोग –

  • ऐथनॉइक अम्ल रंग, रेयॉन, प्लास्टिक, रबड़ और रेशम उद्योगों में प्रयुक्त किया जाता है।
  • इसे सिरका तथा अचार के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।
  • इसे सफेद सीसा (white lead 2PbCO3.Pb(OH)2) बनाने में प्रयुक्त किया जाता है।

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प्रश्न 8.
निम्न पदों की व्याख्या कीजिए :
(i) एस्टरीकरण
(ii) साबुनीकरण
(iii) डिकार्बोक्सीलेशन एवं
(iv) बहुलीकरण।
उत्तर-
(i) एस्टरीकरण (Esterification)
ऐल्कोहॉलों के सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में कार्बनिक अम्लों की क्रिया से एस्टर के निर्माण की विधि को एस्टरीकरण कहते हैं।
विधि-एक परखनली में इथाइल ऐल्कोहॉल को एसिटिक अम्ल में मिलाओ। इसमें कुछ बूंदें सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल की डालो और परखनली को हल्के गर्म पानी के टब में रख दो। शीघ्र ही सारे कमरे में एस्टर की सुगंधी भर जाएगी।
CH3COOH + C2H5OH → CH3COOC2H5
यह क्रिया एस्टरीकरण का उदाहरण है। एस्टरों का उपयोग आइसक्रीम, ठंडे पेय, दवाइयों, सौंदर्य प्रसाधन आदि में किया जाता है।

(ii) साबुनीकरण (Saponification) वसा को विघटित करने की प्रक्रिया को साबुनीकरण कहते हैं। साबुनीकरण का कार्य वनस्पति या जंतु वसा में कास्टिक सोडा का 40% विलयन डाल कर गर्म करने से हो जाता है। वसा तथा क्षार अभिक्रिया करके साबुन तथा ग्लिसरॉल बनाते हैं।
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जलीय विलयन से साबुन को अवक्षेपित करने के लिए इसमें नमक का संतृप्त घोल डाला जाता है। ठंडा होने पर साबुन जम कर ऊपरी सतह पर आ जाता है। इसे ऊपर से निकाल लिया जाता है और इसमें मनचाहा रंग और सुगंध मिला कर विभिन्न प्रकार के आकार दे दिए जाते हैं।

(iii) डीकार्बोक्सीलेशन (Decarboxylation)
ऐथेनॉइक अम्ल के सोडियम या पोटाशियम लवण को सोडियम हाइड्रोक्साइड और कैल्सियम ऑक्साइड के 3 : 1 मिश्रण के साथ गर्म करने से मिथेन उत्पन्न होती है।
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यह मीथेन गैस को बनाने की उपयोगी विधि है। चूंकि इस में CO, का एक अणु हट जाता है, इसलिए इस क्रिया को डीकार्बोक्सीलेशन (Decarboxylation) कहते हैं।

(iv) बहुलीकरण (Polymerization)-
जब विशेष ताप और दाब की उपस्थिति में छोटे-छोटे अणु आपस में जुड़कर एक बड़ा अणु बनाते हैं तो इस क्रिया को बहुलीकरण कहते हैं। छोटे अणु को ‘एकलक’ और बड़े अणु को ‘बहुलक’ कहते हैं।

प्रश्न 9.
समावयव से क्या अभिप्राय होता है ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
ब्यूटेन के समावयव लिखिए।
उत्तर-
समावयव (Isomers)- ऐसे यौगिक जिनका आण्विक सूत्र तो समान हो परंतु अणुओं की संरचनात्मक व्यवस्था भिन्न-भिन्न हो, उन्हें समावयव कहते हैं तथा इस घटना को समावयवता कहते हैं। मिथेन, एथेन, प्रोपेन में कार्बन तथा हाइड्रोजन के परमाणुओं को पुनः व्यवस्थित करने पर भी संरचना में कोई परिवर्तन नहीं आता परंतु जब अल्केन के अणु में कार्बन की संख्या तीन से अधिक हो जाती है तो एक से अधिक व्यवस्थाएं संभव हो जाती हैं।

इनमें से एक में कार्बन परमाणु लंबी श्रृंखला बनाते हैं जबकि दूसरे में शाखाएं होती हैं। ब्यूटेन में शाखा युक्त श्रृंखला में कम-से-कम कार्बन परमाणु तीन अन्य कार्बन परमाणुओं से बंधित है। इस प्रकार अल्केनों को आइसो-अल्केन कहते हैं। शाखा रहित श्रृंखला में कोई भी कार्बन परमाणु दो से अधिक कार्बन परमाणुओं से बंधित नहीं होता है। इस प्रकार के एल्केनों को सामान्य (नार्मल) n-एल्केन कहते हैं।
ब्यूटेन के दो समावयव
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लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कार्बन मुख्यतया सहसंयोजी आबंधों द्वारा यौगिक क्यों बनाता है ?
उत्तर-
कार्बन परमाणु में चार संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं। यह इन चार इलेक्ट्रॉनों को त्यागकर अथवा चार अन्य इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करके स्थायी विन्यास प्राप्त कर सकते हैं। ऊर्जा संबंधी तथ्यों के अनुसार कार्बन चार इलेक्ट्रॉनों को न तो ग्रहण कर सकता है और न ही इनका त्याग कर सकता है। इस प्रकार, कार्बन के लिए स्थायी विन्यास प्राप्त करने हेतु केवल एक ही विकल्प है कि यह यौगिक निर्माण में इलेक्ट्रॉनों को सांझा करे अर्थात् सहसंयोजक आबंध बनाए।

प्रश्न 2.
CH3CI के आबंध के निर्माण की उदाहरण से सहसंयोजक आबंध की प्रकृति को समझाइए।
उत्तर-
CH3CI एक कार्बन परमाणु, तीन हाइड्रोजन परमाणुओं और एक क्लोरीन परमाणु का बना होता है। कार्बन परमाणु में 4 (संयोजकता इलेक्ट्रॉन), प्रत्येक हाइड्रोजन में 1 संयोजकता इलेक्ट्रॉन और क्लोरीन परमाणु में 7 संयोजकता इलेक्ट्रॉन होते हैं। कार्बन परमाणु अपने 4 संयोजकता इलेक्ट्रॉन होते हैं। कार्बन परमाणु अपने 4 संयोजकता इलेक्ट्रॉनों को तीन हाइड्रोजन परमाणुओं और एक क्लोरीन परमाणु से सांझा करके CH,CI बनाता है।
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CH3Cl की उपर्युक्त इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना से हम पता लगा सकते हैं कि कार्बन और दूसरे परमाणुओं के बीच में साझे इलेक्ट्रॉनों के चार जोड़े हैं। साझे इलेक्ट्रॉनों का प्रत्येक जोड़ा एक एकल सहसंयोजक आबंध बनाता है। इसलिए, CH3Cl में चार एकल सहसंयोजक आबंध हैं।

प्रश्न 3.
हीरे की संरचना समझाइए और बताइए कि हीरा इतना कठोर क्यों है ?
उत्तर-
हीरे में प्रत्येक कार्बन परमाणु नियमित चतुष्फलक के केंद्र में स्थित रहता है तथा यह सहसंयोजक बंध द्वारा उन चार कार्बन परमाणुओं से बंधित रहता है जो चतुष्फलक के चारों कोनों पर स्थित होते हैं। इस प्रकार कार्बन परमाणु के समस्त बंध योग्य इलेक्ट्रॉन बंधित रहते हैं तथा कोई भी इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र नहीं होता। इस प्रकार के प्रबल बंधित चतुष्फलक अवस्था के कारण एक तीन आयामी सुदृढ़ संरचना बन जाती है। हीरा सबसे कठोर तत्व है तथा इसका घनत्व अति उच्च है। चित्र-हीरे की संरचना में कार्बन परमाणुओं की व्यवस्था
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प्रश्न 4.
हीरे के उपयोग लिखिए।
उत्तर-
हीरे के उपयोग–

  • हीरा सबसे कठोर पदार्थ है इसलिए इसका उपयोग दूसरे पदार्थों को काटने के लिए किया जाता है।
  • इसकी अद्वितीय चमक के कारण इसका उपयोग आभूषणों को बनाने में किया जाता है।
  • इसका उपयोग पृथ्वी की चट्टानों में छिद्र करने हेतु पेषण के रूप में किया जाता है।
  • नुकीले किनारे वाले हीरे शल्य चिकित्सकों को आँखों से मोतिया बिंद हटाने के लिए उत्तम औजार प्रदान करते हैं।

प्रश्न 5.
हीरे के अत्यधिक चमकने के कारण बताइए।
उत्तर-
हीरा एक पारदर्शक पदार्थ है जिसका अपवर्तन गुणांक बहुत अधिक होता है। इसमें से गुजरने वाली प्रकाश किरणों का मार्ग से विचलन बहुत अधिक होता है। इसके अनेक प्रतिच्छेदी तलों के अनुरूप उच्चकोटि का विचलन होता है। जब इन प्रतिच्छेदी तलों को पॉलिश कर दिया जाए तो यह हीरे को एक विशेष प्रकार की चमक प्रदान करते हैं जिससे हीरा अत्याधिक चमकता है।

प्रश्न 6.
ग्रेफाइट की संरचना लिखिए तथा यह बताइये कि ग्रेफाइट इतना मुलायम क्यों है ?
उत्तर-
ग्रेफाइट की संरचना-ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु केवल तीन पड़ोसी कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंधों द्वारा जुड़ा होता है तथा षट्कोणीय जाल की परतें बनाता है। हीरे की तुलना में ग्रेफाइट में कार्बन परमाणुओं के बीच की दूरी अधिक होती है। ऊपर नीचे की परतों की इस दूरी के कारण विपरीत परतों में स्थित कार्बन परमाणुओं के मध्य सहसंयोजक बंध बनने की संभावना समाप्त हो जाती है जिससे चौथा इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र रह जाता है। दूसरे के ऊपर आसानी से फिसल सकती हैं, जिस कारण ग्रेफाइट में स्नेहक गुण होते हैं तथा यह स्पर्श करने में चित्र-ग्रेफाइट की संरचना में कार्बन परमाणुओं की व्यवस्था मुलायम तथा चिकना अनुभव होता है।
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प्रश्न 7.
ग्रेफाइट के भौतिक गुण लिखिए।
उत्तर-
ग्रेफाइट के भौतिक गुण-

  • ग्रेफाइट एक चमकदार काला पदार्थ है।
  • ग्रेफाइट स्पर्श करने पर मुलायम तथा चिकना प्रतीत होता है।
  • यह विद्युत् का सुचालक है।
  • इसका घनत्व 2250 kg/m है।
  • इसका गलनांक 3700°C है।

प्रश्न 8.
क्या कारण है कि ग्रेफाइट विद्युत् का सुचालक है ?
उत्तर-
ग्रेफाइट में प्रत्येक कार्बन परमाणु केवल तीन कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक बंधों द्वारा जुड़ा रहता है तथा जिस कारण इसमें षट्कोणीय जाल की परतें बनाती हैं। इसमें कार्बन परमाणुओं के बीच दूरी अधिक होती है। परतों के मध्य इस दूरी के कारण विपरीत परतों में स्थित कार्बन परमाणुओं के बीच सहसंयोजक बंधों के बनने की संभावना समाप्त हो जाती है और चौथा संयोजक इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र छूट जाता है। इसीलिए ग्रेफाइट में इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह आसानी से हो सकता है और ग्रेफाइट विद्युत् का सुचालक होता है।

प्रश्न 9.
ग्रेफाइट के उपयोग लिखिए।
उत्तर-
ग्रेफाइट के उपयोग-

  • यह विद्युत् का सुचालक है, इसलिए इसका उपयोग शुष्क सैल, विद्युत् आर्क में इलेक्ट्रोड के रूप में होता है।
  • इससे पेंसिल, काला रंग, काला पेंट इत्यादि बनाए जाते हैं।
  • इसके स्नेहक गुण के कारण इसका उपयोग उच्च ताप पर मशीनों को चिकना रखने में होता है।
  • इसके उच्च गलनांक के कारण ग्रेफाइट की बनी क्रूसीबल कुछ धातुओं को पिघलाने हेतु उपयोग होती है।

प्रश्न 10.
उन पदार्थों को जिनमें 60 कार्बन परमाणु एक-दूसरे से जुड़कर अणु बनाते हैं, फुलरीन क्यों कहते हैं?
उत्तर-
जिन पदार्थों में 60 कार्बन परमाणु एक-दूसरे से जुड़कर अणु बनाते हैं, उन्हें फुलरीन कहते हैं। अमेरिकी वास्तुकार बकमिंसटर फुलर ने त्रिविमीय ज्यामिति वाले गुंबदों की रचना की जिन्हें दृढ़ता प्रदान करने के लिए पंचकोणीय और षट्कोणीय व्यवस्था का उपयोग किया गया था। फुलरीन अणुओं की संरचना इन गुंबदों से मिलती-जुलती प्रतीत होती है। इसलिए उनके नाम पर इन्हें फुलरीन कहते हैं।
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प्रश्न 11.
मिथेन, एथेन, एथीन और प्रोपेन की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना बनाइए।
उत्तर-
(1) मिथेनसूत्र : CH4
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(2) एथेनसूत्र : C2H6
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(3) एथीनसूत्र : C2H4
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(4) प्रोपेनसूत्र : C2H10
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प्रश्न 12.
(a) समजातीय श्रृंखला क्या होती है ? इसके दो गुण लिखो। एल्केन श्रृंखला के पहले दो सदस्यों के नाम एवं सूत्र लिखो।
(b) मिथेन श्रृंखला के प्रथम तीन समजातीय सदस्यों के नाम एवं संरचना सूत्र लिखो।
उत्तर-
(a) समजातीय श्रेणी-कार्बनिक यौगिकों को एक ही क्रियात्मक समूह वाले, रासायनिक दृष्टि से समान तथा एक ही सामान्य सूत्र से प्रकट किए जा सकने वाले यौगिकों के समूहों में बांटा जा सकता है। ऐसे प्रत्येक समूह को सजातीय श्रेणी कहते हैं। इस श्रेणी में रखे गए निकटतम दो सदस्यों के आण्विक सूत्रों में (-CH2) ग्रुप का अंतर होता है। एक समजातीय श्रेणी के प्रत्येक सदस्यों को समजात कहते हैं। एक ही समजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों को समान विधियों द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

समजातीय श्रृंखला के गुण-
(1) किसी भी समजातीय श्रृंखला के सदस्यों को एक सी विधि द्वारा तैयार किया जा सकता है।
(2) समजातीय श्रृंखला के सभी सदस्यों के रासायनिक गुण एक समान होते हैं तथा भौतिक गुणों में अणुभार बढ़ने के साथ-साथ क्रमिक परिवर्तन होता है।

उदाहरण-एल्केन की समजातीय श्रेणी अग्र है-
सामान्य सूत्र : CnH2n+2
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(b) मिथेन के प्रथम तीन सजातीय सदस्य
(i) एथेन (C2H6)
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(ii) प्रोपेन (C3H8)
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(iii) ब्यूटेन (C4H20)
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प्रश्न 13.
समजातीय श्रेणी के लक्षण लिखो।
उत्तर-
समजातीय श्रेणी के लक्षण-

  • किसी भी सजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों को एक सामान्य सूत्र के द्वारा प्रकट किया जा सकता है। जैसे एल्केन समजातीय श्रेणी के सभी सदस्यों को एक ही सामान्य सूत्र CnH2n+2. द्वारा प्रकट किया जाता है।
  • किसी भी समजातीय श्रेणी के दो साथ-साथ वाले सदस्यों में (-CH2) ग्रुप का अंतर होता है।
  • किसी भी समजातीय श्रेणी के सभी सदस्य एक जैसे रासायनिक गुण प्रकट करते हैं।
  • किसी भी समजातीय श्रेणी के सदस्यों के भौतिक गुणों में अणु भार बढ़ने के साथ-साथ क्रमिक परिवर्तन होता है।
  • किसी भी समजातीय श्रेणी के सदस्यों को एक सी विधियों द्वारा तैयार किया जा सकता है।

प्रश्न 14.
कभी-कभी केरोसीन स्टोव और एल० पी० जी० चूल्हे भी जलते समय बर्तनों को काला करते हैं ? क्यों? इससे वायु प्रदूषण किस प्रकार होता है?
उत्तर-
जब कभी केरोसीन स्टोव और एल० पी० जी० चूल्हे जलते समय बर्तनों को काला करें तब समझ जाना चाहिए कि वायु के लिए बने स्टोव छिद्र किसी कारण अवरुद्ध हो गए हैं। पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की उपस्थिति में स्वच्छ नीली ज्वाला उत्पन्न होती है लेकिन जब ईंधन को जलने के लिए वायु की आवश्यक मात्रा नहीं मिलती तब ईंधन व्यर्थ खर्च होने लगता है ; काला धुआँ उत्पन्न होता है जिस से बर्तनों के तले काले होने लगते हैं और वायु प्रदूषित होती है।

प्रश्न 15.
सजीव प्राणियों पर एथेनॉल का सेवन सीधे रूप से क्या-क्या प्रभाव डालता है ?
उत्तर-

  • एथेनॉल के सेवन से उपापचयी प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
  • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र कमजोर हो जाता है।
  • समन्वय की कमी हो जाने के कारण मानसिक दुविधा, उनींदापन और अंतर्बोध में कमी उत्पन्न हो जाती है।
  • सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है।
  • माँसपेशियाँ प्रभावित हो जाती हैं।

प्रश्न 16.
मेथेनॉल के प्रयोग से कोई भी व्यक्ति किस प्रकार प्रभावित होता है ?
अथवा
एथानोल पीने से हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
इथानोल का स्वास्थ्य पर प्रभाव –

  • इसके पीने से दिल की पेशियाँ खराब हो जाती हैं।
  • इससे जिगर का आकार बढ़ जाता है।
  • इसके अधिक सेवन से जिगर के फेल होने से मृत्यु भी हो सकती है।
  • इसके अधिक सेवन से दिल पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • इसके अधिक सेवन से व्यक्ति शराबी हो जाता है, जुबान तुतलाने लगती है तथा निर्णय लेने की क्षमता में भी अधिक समय लगता है।

प्रश्न 17.
एक कार्बनिक यौगिक ‘A’ का अणुसूत्र C2H6O है। गर्म उत्प्रेरक ताँबे की उपस्थिति में वायु में उपचयन द्वारा यह CH3COOH में उपचयित हो जाता है। यौगिक ‘A’ क्या है ?
उत्तर-
यौगिक ‘A’ उपचयन द्वारा ऐसीटिक एसिड, CH3COOH बनाता है चूँकि एसिड, ऐल्कोहॉल या एक एल्डिहाइड के उपचयन से बनता है। अतः यौगिक ‘A’ एक ऐल्कोहॉल (एथिल ऐल्कोहॉल) या एस्टिएल्डिहाइड होना चाहिए क्योंकि इसके अणु में दो कार्बन परमाणु होते हैं। एथिल ऐल्कोहॉल CH3CH2OH या C2H5OH होता है तथा एस्टिएल्डिहाइड CH3CHO या C2H4O होता है। इसलिए यौगिक ‘A’ केवल एथिल ऐल्कोहॉल ही है।

प्रश्न 18.
मिसेल निर्माण क्यों होता है जब साबुन को जल में मिलाया जाता है ?
उत्तर-
जब साबन को जल में मिलाया जाता है, मिसेल निर्माण होता है क्योंकि साबन अणुओं को हाइड्रोकार्बन श्रृंखलाएँ जल-विरोधी (जल-विकर्षक) होती हैं जो जल में अविलेय हैं परंतु साबुन अणुओं के आयनिक सिरे जलरागी (जल-आकर्षक) होते हैं और इस कारण जल में विलेय होते हैं। साबुन मिसेल में, हाइड्रोकार्बन, श्रृंखला के अनावेशित सिरे अंदर की ओर होते हैं जबकि आवेशित आयनिक सिरे बाहर की ओर होते हैं।

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प्रश्न 19.
कारण सहित समझाइए कि क्यों साबुन कठोर जल में शोधन अभिकर्मक का कार्य प्रभावी रूप से संपन्न नहीं करता है ?
उत्तर-
साबुन कठोर पानी में सफ़ाई करने में प्रभावी नहीं होते क्योंकि कठोर पानी में कैल्सियम और मैग्नीशियम के लवण घुले होते हैं। जब साबुन को कठोर पानी में डाला जाता है तब कठोर पानी में कैल्सियम और मैग्नीशियम आयन साबुन से क्रिया करते हैं और वसीय अम्लों के कैल्सियम और मैग्नीशियम लवणों को बनाते हैं –
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यदि कठोर पानी का प्रयोग किया जाए तो साबुन का बहुत बड़ा भाग व्यर्थ हो जाता है।
स्पष्ट ही कठोर पानी के प्रयोग से साबुन, कैल्सियम और मैग्नीशियम लवणों के अघुलनशील तलछट तैयार करते हैं जो कपड़ों से चिपके रहते हैं। ये कपड़े की सफ़ाई करने में बाधा बनते हैं और कपड़े पूरी तरह से साफ़ नहीं हो पाते।

प्रश्न 20.
साबुन और अपमार्जकों मे अंतर लिखिए।
उत्तर-
साबुन और अपमार्जक में अंतर

साबुन (Soap) अपमार्जकों  (Detergent)
(1) साबुन लंबी शृंखला वाले वसा अम्लों का सोडियम लवण होता है। (1) संश्लिष्ट अपमार्जक, लंबी श्रृंखला वाले ‘बेंजीन,  सल्फोनिक अम्ल का सोडियम लवण’ या लंबी श्रेणी वाले ‘एल्काइल हाइड्रोजन सल्फेट का सोडियम लवण’ होता है।
(2) साबन कठोर जल के साथ झाग उत्पन्न नहीं करता। (2) अपमार्जक कठोर जल के साथ भी झागं उत्पन्न करता है।
(3) साबुन को वनस्पति तेल या जंतु वसा से बनाया जाता है। (3) संश्लिष्ट अपमार्जक कोयले तथा पेट्रोलियम के  हाइड्रोकार्बन से बनते हैं।
(4) साबुन जल प्रदूषण नहीं फैलाता। (4) अपमार्जक जल प्रदूषण फैलाता है।
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प्रश्न 21.
किण्वन प्रक्रम द्वारा एथॉनॉल के विरचन का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
साधारण ताप पर किसी जैव-रासायनिक उत्प्रेरक की उपस्थिति में किण्वन क्रिया की जाती है जिसमें शर्करा अणुओं का ऐल्कोहॉल और कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तन होता है। ये उत्प्रेरक ‘एंजाइम’ कहलाते हैं, जिनका शाब्दिक अर्थ ‘यीस्ट’ या ‘खमीर के अंदर’ होता है। ऐथनॉल को एंजाइमों की उपस्थिति में शक्कर या स्टार्च के किण्वन द्वारा बनाया जाता है। किसी पात्र में अंगूर के रस या शर्करा के विलयन में खमीर डाल कर इसे 20°-30°C ताप पर रखा जाता है। किण्वन द्वारा शक्कर या स्टार्च के अणु छोटे अणुओं में टूट जाते हैं जिससे कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न होती है। इस कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकलने दिया जाता है परंतु वायु को पात्र में नहीं जाने दिया जाता। इस किण्वन प्रक्रिया के दौरान एथेनॉल का जल में तनु घोल बन जाता है। ऐथेनॉल को पृथक् करके आसवन विधि द्वारा शुद्ध किया जाता है।
रासायनिक अभिक्रिया
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प्रश्न 22.
हाइड्रोजन अणु में बने आबंध को प्रदर्शन करें।
उत्तर-
हाइड्रोजन अणु में बने आबंध का प्रदर्शन-हाइड्रोजन परमाणु का परमाणु क्रमांक एक है। इसलिए इसके K कक्ष में एक इलैक्ट्रॉन है तथा इस K कक्ष को पूरा करने के लिए एक अतिरिक्त इलैक्ट्रॉन की आवश्यकता होती है। हाइड्रोजन के दो परमाणु परस्पर 1-1 इलैक्ट्रॉन सांझा करके हाइड्रोजन अणु (H2) बनाते हैं। इसके परिणामस्वरूप प्रत्येक हाइड्रोजन परमाणु निकटतम हीलियम गैस का इलैक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त कर लेते हैं जिससे दोनों परमाणुओं के K कक्ष में 2-2 इलैक्ट्रॉन हो जाते हैं। इस प्रकार इन सांझा किये गए इलैक्ट्रॉन युग्म से दो परमाणुओं के मध्य एकल सहसंयोजक आबंध बनता है।
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प्रश्न 23.
ऑक्सीजन के अणु में बनने वाले सहसंयोजक आबंध को समझाओ तथा चित्र द्वारा इसका प्रदर्शन करो।
उत्तर-
ऑक्सीजन के अणु में बने सहसंयोजक आबंध की जानकारी तथा प्रदर्शन-ऑक्सीजन का परमाणु अंक 6 है। इसके परमाणु के L कक्ष में 6 इलैक्ट्रॉन होते हैं तथा इसे अपना अष्टक पूरा करने के लिए दो अन्य इलैक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है। इसलिए ऑक्सीजन के प्रत्येक परमाणु 2 इलैक्ट्रॉन दूसरे परमाणु के साथ 2 इलैक्ट्रॉनों की साझेदारी करता है। इस प्रकार ऑक्सीजन के दो परमाणुओं के मध्य 2 युग्म इलैक्ट्रॉनों की साझेदारी से दोहरा सहसंयोजक आबंध बनता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 34

प्रश्न 24.
नाइट्रोजन के अणु में किस प्रकार का आबंध बनता है ? चित्र बनाकर समझाइए।
उत्तर-
नाइट्रोजन के अणु में सहसंयोजक आबंध का बनना-नाइट्रोजन के अणु में दो नाइट्रोजन परमाणु होते हैं। नाइट्रोजन परमाणु का परमाणु क्रमांक 7 है तथा इसके अंतिम कक्ष L में 5 इलैक्ट्रॉन होते हैं। नाइट्रोजन के अणु के प्रत्येक परमाणु को अष्टक पूरा करने के लिए 3 इलैक्ट्रॉन की आवश्यकता होती है। प्रत्येक परमाणु 3-3 इलैक्ट्रॉन सांझा करता है। इस प्रकार सांझा किये गए तीन युग्म इलैक्ट्रॉनों से सहसंयोजक त्रि-आबंध का निर्माण होता है। N, की इलैक्ट्रॉन बिंदु संरचना तथा सहसंयोजक त्रि-आबंध का प्रदर्शन चित्र में किया गया है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 35

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 25.
चित्र में दर्शाई रचना को क्या कहा जाता है ? इसके दो सिरे क्या दर्शाते हैं ? यह रचना किस क्रिया में बनती है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 36
उत्तर-
चित्र में दर्शाई गई संरचना को मिसेल कहते हैं। इसके दो सिरे होते हैं, एक जलरागी तथा दूसरा सिरा जलविरागी अथवा पूँछ कहलाता है। यह संरचना, साबुन द्वारा सफाईकरण क्रिया में बनती है।

प्रश्न 26.
नीचे दिए गए चित्र में दर्शाई गई रचना का नाम लिखें 1 और 2 को अंकित करें।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 37
उत्तर-
चित्र में दशाई गई रचना मिसैल कहलाती है।
1 जलस्नेही सिरा (हाइड्रोफिलिक सिरा)
2 जल-विरोधी सिरा (हाइड्रोफोबिक सिरा)

प्रश्न 27.
(i) प्रोपेन का आणविक सूत्र लिखें ।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 38
उत्तर-
(i) प्रोपेन का आणविक सूत्र : C3H8
(ii) ब्रोमो-एथेन।

प्रश्न 28.
नीचे दिए गए चित्र में दर्शाए गए यौगिक का नाम लिखो। इस यौगिक में कितने इकहरे (Single) सहसंयोजी बन्ध हैं ? यह यौगिक किस कार्बनिक श्रृंखला का है ?
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 39
उत्तर-
यौगिक नाम : ईथीन ईथीन में चार इकहरे सहसंयोजी आबंध होते हैं। इसके कार्बन परमाणुओं के मध्य दोहरा आबंध होने के कारण यह असंतृप्त कार्बन श्रृंखला का यौगिक है।

प्रश्न 29.
(i) ब्यूटेन का आणविक सूत्र लिखो।
(ii) प्रोपेनल की संरचना का रेखा चित्र बनाओ।
उत्तर-
(i) ब्यूटेन का आणविक सूत्र- C4H10
(ii) प्रोपेनल की संरचना का रेखा चित्र
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 40

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
कार्बन के सबसे बाहरी कक्ष में कितने इलेक्ट्रॉन होते हैं ?
उत्तर-
चार।

प्रश्न 2.
कार्बन को चार इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने या कम करने की आवश्यकता क्यों होती है ?
उत्तर-
नोबल गैस की संरचना को प्राप्त करने के लिए।

प्रश्न 3.
इलेक्ट्रॉन के सहभाजी युगल हाइड्रोजन के दो परमाणुओं के बीच कौन-सा बंध बनाते हैं ?
उत्तर-
एकल बंध।

प्रश्न 4.
नाइट्रोजन की परमाणु संख्या कितनी होती है ?
उत्तर-
सात।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 5.
अष्टक बनाने के लिए नाइट्रोजन का प्रत्येक परमाणु कितने इलेक्ट्रॉन देता है ?
उत्तर-
तीन।

प्रश्न 6.
ईंधन के रूप में किस गैस का सबसे अधिक उपयोग होता है ?
उत्तर-
मिथेन गैस का।

प्रश्न 7.
मिथेन किन दो गैसीय ईंधन का प्रमुख घटक है ?
उत्तर-

  1. बायोगैस
  2. सी० एन० जी० ।

प्रश्न 8.
CNG का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर-
कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (संपीड़ित प्राकृतिक गैस) ।

प्रश्न 9.
हीरे की संरचना कैसी होती है ?
उत्तर-
प्रबल त्रिविमीय संरचना।

प्रश्न 10.
ग्रेफाइट की संरचना कैसी होती है ?
उत्तर-
षट्कोणीय।

प्रश्न 11.
विद्युत् का सुचालक कौन है-हीरा या ग्रेफाइट ?
उत्तर-
ग्रेफाइट।

प्रश्न 12.
ग्रेफाइट छूने में कैसा प्रतीत होता है ?
उत्तर-
चिकना तथा सर्पशशील।

प्रश्न 13.
किस तत्व में बड़ी मात्रा में यौगिक तैयार करने का गुण विद्यमान है ?
उत्तर-
कार्बन।

प्रश्न 14.
हाइड्रोकार्बन का सरलतम रूप कौन-सा है ?
उत्तर-
मिथेन (CH4 )।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 15.
किन्हीं पांच तत्वों के नाम लिखिए जो कार्बन के साथ मिलकर यौगिक बनाते हैं।
उत्तर-
ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, सल्फर, क्लोरीन।

प्रश्न 16.
एथेन का आण्विक सूत्र लिखिए।
उत्तर-
C2H6.

प्रश्न 17.
एथेन का संरचनात्मक सूत्र लिखिए।
उत्तर
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 41

प्रश्न 18.
निम्नलिखित के अगले उच्च समाजात लिखिए :
(i) C3H6
(ii) C6 H8
उत्तर-
(i) C4 H8
(ii) C7 H10 .

प्रश्न 19.
ऐथनॉल की संरचना लिखिए।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 42

प्रश्न 20.
प्रोपेनॉन (CH3COCH3) में उपस्थिति क्रियात्मक संग्रह का नाम लिखिए।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 43

प्रश्न 21.
सरलतम कीटोन की संरचना बनाइए।
उत्तर-
रलतम कीटोन ऐसीटोन है। इसकी संरचना है :
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 44

प्रश्न 22.
चार कार्बन परमाणुओं वाले ऐल्डिहाइड की संरचना और नाम लिखिए।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 45

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 23.
एथाइल ऐल्कोहॉल (C2H5OH) की संरचना लिखिए।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 46

प्रश्न 24.
CH3COOH यौगिक में उपस्थित प्रकार्यात्मक समूह का
(i) नाम तथा
(ii) संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर-
(i) कार्बोक्सिलिक समूह
(ii) संरचना सूत्र :
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प्रश्न 25.
निम्न में से कौन-से दो यौगिक एक सजातीय श्रेणी से संबंध रखते हैं ? C2H6O2, C2H6O2, C2H6CH4O.
उत्तर-
C2H6O (C2H5OH) और CH4O(CH2OH).

प्रश्न 26.
एक एस्टर का संरचनात्मक सूत्र लिखो।। उस अम्ल और एल्कोहॉल का आणविक सूत्र लिखो जिससे यह उत्पन्न हुआ है।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 48
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 49

प्रश्न 27.
मिथेन की इलैक्ट्रॉन-बिंदु संरचना बनाइए।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 50

प्रश्न 28.
सहसंयोजी आबंध क्या होते हैं ?
उत्तर-
सहसंयोजी आबंध-दो परमाणुओं के मध्य एक इलैक्ट्रॉन युग्म की सांझेदारी से बने आबंध को सहसंयोजी आबंध कहते हैं।

प्रश्न 29.
सहसंयोजक यौगिक विद्युत् के दुर्बल चालक क्यों होते हैं ?
उत्तर–
क्योंकि इनमें आयन या मुक्त इलैक्ट्रॉन नहीं होते हैं जो विद्युत् चालन के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 30.
अपररूप क्या होते हैं ?
उत्तर-
अपररूप- जब एक तत्त्व दो या अधिक रूपों में पाया जाता है जिसके भौतिक गुण भिन्न-भिन्न हों परंतु रासायनिक गुण एक समान हों तब तत्त्व के ये रूप उस तत्त्व के अपररूप होते हैं।

प्रश्न 31.
एथेन की इलैक्ट्रॉन-बिंदु संरचना बनाइए।
उत्तर-
एथेन की इलैक्ट्रॉन-बिंदु संरचना
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 51

प्रश्न 32.
प्रोपेन की संरचना बनाइए।
उत्तर-
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 52

प्रश्न 33.
एथीन की इलैक्ट्रॉन-बिंदु संरचना बनाइए।
उत्तर-
एथीन की इलैक्ट्रॉन-बिंदु संरचना
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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 34.
क्रियात्मक समूह किसे कहते हैं ?
उत्तर-
क्रियात्मक समूह (Functional Group)-एक या एक से अधिक परमाणुओं का वह समूह जो किसी कार्बनिक यौगिक की रासायनिक प्रवृत्ति को निर्धारित करता है, क्रियात्मक समूह कहलाता है। जैसे CH3Cl में -Cl तथा C2H5 OH में –OH क्रियात्मक समूह है।

प्रश्न 35.
एलकेन, एलकीन तथा एलकाइन के सामान्य सूत्र लिखिए।
उत्तर-
एलकेन का सामान्य सूत्र : Cn H2n+2
एलकीन का सामान्य सूत्र : CnH2n
एलकाइन का सामान्य सूत्र : CnH2n-2
जहाँ n यौगिक में कार्बन के परमाणुओं की संख्या है।

प्रश्न 36.
ब्यूटेन के समावयवों का चित्रण करें।
उत्तर-
ब्यूटेन के दो समावयव हैं :
(i) n – ब्यूटेन तथा
(ii) आइसो-ब्यूटेन

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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक 55

प्रश्न 37.
एल्कोहॉल समजातीय श्रेणी के प्रथम चार समजात लिखिए।
उत्तर-
CH3OH, C2H5OH, C3HOH, C4H9OH

प्रश्न 38.
उत्प्रेरक क्या है ?
उत्तर-
उत्प्रेरक-वे पदार्थ जो किसी अभिक्रिया के होने की दर बढ़ाने के लिए कारक होता है परंतु इनकी स्वयं की उपस्थिति से स्वयं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

प्रश्न 39.
विकृतित स्पिरिट या ऐल्कोहॉल क्या है ?
उत्तर-
विषाक्त रसायन जैसे मैथेनॉल या ऐसीटोन या पिरीडीन या कॉपर सल्फेट मिले हुए एथेनॉल को विकृतित स्पिरिट अथवा ऐल्कोहॉल कहते हैं। यह पीने योग्य नहीं होता है।

प्रश्न 40.
हाइड्रोजन का परमाणु क्रमांक क्या है ?
उत्तर-
एक।

प्रश्न 41.
सिरके में उपस्थित कार्बनिक अम्ल का नाम व रासायनिक सूत्र लिखिए।
उत्तर-
एथेनॉइक अम्ल (CH3COOH)।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एसिटिक अम्ल की एल्कोहल के साथ क्रिया को कहते हैं
(a) विकार्बोक्सिलकरण
(b) बहुलीकरण
(c) साबुनीकरण
(d) एस्टरीकरण।
उत्तर-
(d) एस्टरीकरण।

प्रश्न 2.
एसिटिक एसिड में कितने प्रतिशत जल सिरका कहलाता है ?
(a) 5% – 8%
(b) 15% – 20%
(c) 21% – 29%
(d) 30% – 40%.
उत्तर-
(a) 5% – 8%.

प्रश्न 3.
कार्बोक्सिलिक अम्लों में क्रियात्मक समूह होता है –
(a) –CHO
(b) – CH2OH
(c) –COOH
(d) –OH.
उत्तर-
(c) – COOH.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

प्रश्न 4.
एथेनॉइक अम्ल का सूत्र है –
(a) C2H5OH
(b) CH3COCH3
(c) CH3COOH
(d) C2H5COOH.
उत्तर-
(d) C2H5COOH.

प्रश्न 5. ऐल्काइन का सामान्य सूत्र है –
(a) CnH2n – 2
(b) CnH2n + 2
(c) CnH2n
(d) Cn + 22n.
उत्तर-
(a) CnH2n – 2

प्रश्न 6.
प्रोपेनोन में क्रियात्मक समूह है –
(a) –OH
(6) CHO
(c) C = O
(d) -COOH.
उत्तर-
(c) C = O.

प्रश्न 7.
जल की कठोरता के लिए कौन-से आयन उत्तरदायी होते हैं ?
(a) Ca2+ आयन
(b) Mg2+ आयन
(c) Ca2+ और Mg2+ आयन
(d) Ca + 2 और Mg2+ आयन में से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) Ca2+ और Mg2+ आयन।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(i) परमाणु या परमाणुओं का समूह जो किसी ऐल्किल मूलक के साथ जुड़कर उस पदार्थ के विशिष्ट व्यवहार को दर्शाता है, उसे ………………………. कहते हैं।
उत्तर-
क्रियात्मक समूह

(ii) एल्कोहल प्रबल आक्सीकारकों की उपस्थिति में ऑक्सीकरण होने पर …………………….. बनता है।
उत्तर-
कार्बोक्सिलिक अम्ल

(iii) ……………………. का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में कीटाणुनाशक के रूप में किया जाता है।
उत्तर-
एथेनॉल

(iv) जलरहित शुद्ध एथेनॉइक अम्ल ………………………….. अम्ल कहलाता है।
उत्तर-
ग्लैशल ऐसीटिक

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं उसके यौगिक

(v) …………………… विघटित न होने के कारण मानव जीवन तथा पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है।
उत्तर-
पॉलीथीन।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

Punjab State Board PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु Important Questions and Answers.

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
धातुओं के भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्मों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
धातुओं के भौतिक गुणधर्म-

  • धात्विक चमक-शुद्ध धातुओं की सतहें चमकीली होती है। इस गुणधर्म को धात्विक चमक (metallic lustre) कहते हैं ; जैसे-सोने में पीले रंग की, ताँबे में लाल-भूरे रंग की, एल्यूमीनियम में सफेद रंग की चमक होती है।
  • कठोरता-धातुएँ सामान्यतः कठोर होती हैं। विभिन्न धातुओं की कठोरता भिन्न-भिन्न होती है। कॉपर (ताँबा), आयरन (लोहा), एल्यूमिनियम अत्यंत कठोर धातुएँ हैं, जबकि सोडियम, पोटैशियम मृदु धातुएँ हैं।
  • आघातवर्ध्यता- जो धातुएँ हथौड़े द्वारा पीट-पीट कर पतली चादरों में परिवर्तित हो जाती हैं आघातवर्धनीय कहलाती हैं। इस गुणधर्म को आघातवर्ध्यता (malleability) कहते हैं। सोना तथा चाँदी सर्वाधिक आघातवर्धनीय धातुएँ हैं।
  • तन्यता- वे धातुएँ जिनसे अत्यंत पतले तार खींचे जा सकते हैं, तन्य कहलाती हैं तथा इस गुणधर्म को तन्यता (ductility) कहते हैं। सोना तथा चाँदी सर्वाधिक तन्य धातुएँ हैं।
  • उष्मीय चालकता-धातुएँ सामान्यतः ऊष्मा की सुचालक होती हैं। चाँदी ऊष्मा की सर्वश्रेष्ठ सुचालक है। अन्य धातुएँ जो ऊष्मा की सुचालक हैं के उदाहरण कॉपर, एल्यूमीनियम आदि हैं।
  • वैद्युत् चालकता-धातुएँ विद्युत् की सुचालक होती हैं। सिल्वर, कॉपर आदि विद्युत् की सुचालक हैं।

धातुओं के रासायनिक गुणधर्म
1. धातुओं की ऑक्सीजन से अभिक्रिया-सभी धातुएँ ऑक्सीजन से संयोग करके धात्विक ऑक्साइड बनाती हैं। क्योंकि सभी धातुओं की अभिक्रियाशीलता भिन्न-भिन्न है। इसलिए वे अलग-अलग ताप पर ऑक्सीजन से संयोग करते हैं।
(i) सामान्य ताप पर Na तथा K ऑक्सीजन से संयोग करके ऑक्साइड बनाते हैं जो पानी में घुलने पर हाइड्रोक्साइड बनाते हैं।
4Na (s) + O2 (g) → 2Na2O (s)
Na2O (s) + H2O → 2NaOH (aq)

(ii) मैग्नीशियम रिबन वायु में जलकर मैग्नीशियम ऑक्साइड बनाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 1

(iii) तांबा तथा लोहा शुष्क वायु में उच्च तापक्रम पर ऑक्सीजन से संयोग करते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 2
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 3

2. धातुओं की तनु अम्लों से अभिक्रिया-धातुएं तनु अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं। विभिन्न धातुओं अम्लों के साथ अभिक्रियाशीलता की दर भिन्न-भिन्न होती है।

(i) Na, K, Zn, Mg, Fe आदि अवरोही क्रम में अभिक्रियाशील हैं।
2Na + 2HCl → 2NaCl + H2
Mg + 2HCl → MgCl2+ H2
Zn + H2SO4 → ZnSO4 + H2

(ii) तनु नाइट्रिक अम्ल Cu, Ag, Pb, Hg धातुओं के साथ क्रिया करके NO (नाइट्रोजन ऑक्साइड) बनाता
3Cu + 8HNO3 → 3Cu (NO3)2 + 2NO + 4H2O
3Ag + 4HNO3 → 3AgNO3 + NO + 2H2O

(iii) Mg तथा Mn के साथ तनु नाइट्रिक अम्ल हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
Mg + 2HNO3 → Mg(NO3)2 + H2

(iv) सोना तथा प्लाटीनम तनु अम्ल से अभिक्रिया नहीं करते।

3. धातुओं की क्लोरीन से अभिक्रिया-धातुएं, क्लोरीन से संयोग करके अपने क्लोराइड बनाती हैं।
Ca + Cl2 → CaCl2

4. धातुओं की हाइड्रोजन से अभिक्रिया-क्रियाशील धातुएं Na, K, Ca आदि हाइड्रोजन से संयोग करके अपने हाइड्राइड बनाती हैं।
2Na + H2 → 2NaH (सोडियम हाइड्राइड)
Ca + H2 → CaH2 (कैल्शियम हाइड्राइड)

5. धातुओं की पानी से अभिक्रिया –
(i) जब पानी सामान्य ताप पर हो तो Na, K, Ca आदि क्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 4
(ii) जब पानी उबलता हो तो Mg, Zn, Fe अभिक्रिया करके ऑक्साइड बनाते हैं।
Mg + H2O → MgO + H2
3Fe + 4H2O → Fe3O4 + 4H2

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 2.
अधातुओं के भौतिक तथा रासायनिक गुण लिखो।
उत्तर-
अधातुओं के भौतिक गुण-
(i) भौतिक अवस्था-अधातुएं सामान्य तापमान पर प्राय: गैसीय अवस्था में या फिर ऐसे द्रव या ठोस रूप में होती हैं, जो निम्न तापमान पर ही वाष्पों में परिवर्तित हो जाते हैं।
(ii) धात्वीय चमक-अधातुओं की कोई चमक नहीं होती, किंतु आयोडीन थोड़ी सी धात्वीय चमक रखता है।
(ii) अधातुएं न ही आघातवीय हैं, न ही तन्य।
(iv) चालकता-धातुएं बिजली एवं ताप की कुचालक होती हैं। ग्रेफाइट ही एक ऐसी अधातु है, जो बिजली एवं ताप की सुचालक है।
(v) कठोरता-अधातुएं प्राय: नर्म होती हैं, किंतु हीरा अधातु होते हुए भी कठोरतम पदार्थ है।

अधातुओं के रासायनिक गुण –
(i) कार्बन की ऑक्सीजन से क्रिया-अधातुएं ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके अम्लीय ऑक्साइड बनाती हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 5
कार्बन डाइऑक्साइड कार्बन डाइऑक्साइड का स्वभाव अम्लीय है। कार्बन डाइऑक्साइड पानी के साथ क्रिया करके कार्बोनिक अम्ल बनाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 6

(ii) नाइट्रोजन और सल्फर की हाइड्रोजन के साथ क्रिया-हाइड्रोजन अनुकूल परिस्थितियों में नाइट्रोजन के साथ क्रिया करके अमोनिया बनाती है, जबकि सल्फर के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन सल्फाइड बनाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 7

(iii) सल्फर और हाइड्रोजन की ऑक्सीजन के साथ क्रिया-सल्फर ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलकर क्रिया करके सल्फर डाइऑक्साइड बनाता है। हाइड्रोजन, ऑक्सीजन के साथ क्रिया करके पानी बनाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 8

(iv) फॉस्फोरस के साथ क्लोरीन की क्रिया-फॉस्फोरस क्लोरीन के साथ क्रिया करके फॉस्फोरस ट्राइक्लोराइड बनाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 9

प्रश्न 3.
धात्विकी क्या है ? इस प्रक्रम में प्रयुक्त पदों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
अथवा
अयस्क से धातु-निष्कर्षण में प्रयुक्त चरणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
धात्विकी- अयस्कों से धातुओं के निष्कर्षण और बाद में उनको परिष्कृत करके उपयोग में लाए जाने योग्य बनाने के प्रक्रम को धात्विकी (metallurgy) कहते हैं।
धात्विकी प्रक्रम में प्रयुक्त पद-धात्विकी प्रक्रम में मुख्यतः तीन पद होते हैं-
(I) अयस्क की समृद्धि,
(II) अपचयन तथा
(III) धातुओं का शुद्धिकरण।

I. अयस्क की समृद्धि
भू-खनन से प्राप्त अयस्कों में मिट्टी, बालू, चट्टानी पदार्थ आदि अशुद्धियाँ होती हैं जिन्हें गैंग कहते हैं। अयस्क से धातु के निष्कर्षण से पहले इन अशुद्धियों को हटाना आवश्यक होता है। अयस्क से गैंग हटाने की प्रक्रिया सांद्रण कहलाती है जो उनके भौतिक रासायनिक गुणधर्मों से भिन्नता पर आधारित होती है।

इसके लिए कई विधियाँ प्रयुक्त की जाती हैं जो निम्नलिखित हैं-
1. चंबकीय विधि-यह विधि चुंबकीय कणों (आयरन, कोबाल्ट, निक्कल) की अशुदधियों को अलग करने के लिए अपनाई जाती है। जो खनिज चुंबकीय प्रकृति के होते हैं वे चुंबकीय क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं जबकि गैंग आदि आकर्षित नहीं होते। क्रोमाइट तथा पाइरोल्युसाइट अयस्क इसी विधि द्वारा सांद्रित किए जाते हैं। इस विधि में पीसे हुए अयस्क को एक कन्वेयर बैल्ट के ऊपर रखते हैं। कन्वेयर बैल्ट दो रोलरों के ऊपर से गुज़रती है जिनमें से एक चुंबकीय होता है। जब अयस्क चुंबकीय किनारे पर से नीचे आता है तो चुंबकीय और अचुंबकीय पदार्थ दो अलग अलग ढेरों में एकत्रित हो जाते हैं। लोहे के अयस्क मैग्नेटाइट का सांद्रण इसी विधि द्वारा किया जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 10

2. द्रवचालित धुलाई-इस विधि में बारीक पिसे हुए अयस्क को पानी की तेज़ धारा में धोया जाता है। इस तेज़ धारा में गैंग हल्के कण बह जाते हैं जबकि भारी खनिज कण तली में बैठ जाते हैं। टिन और लैड के अयस्क इसी विधि द्वारा सांद्रित किये जाते हैं।

(iii) फैन प्लवन विधि-इस विधि में बारीक पिसे हुए अयस्क को जल एवं किसी उपयुक्त तेल के साथ एक बड़े टैंक में मिलाया जाता है। खनिज कण पहले से तेल से भीग जाते हैं जबकि गैंग के कण पानी से भीग जाते हैं। अब इस मिश्रण में से दबाव अधीन वायु प्रवाहित की जाती है जिससे खनिज कण युक्त तेल के झाग या फैन बन जाते हैं जो जल की सतह पर तैरने लगते हैं जिन्हें बड़ी सरलता से जल के ऊपर से निकाला जा सकता है। तांबा, सीसा तथा जिंक के सल्फाइडों के सांद्रण के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 11

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

II. अपचयन
1. रासायनिक पृथक्करण (Chemical Separation)रासायनिक पृथक्करण में खनिज तथा गैंग के मध्य रासायनिक गुणों के अंतर का उपयोग किया जाता है। इसकी एक मुख्य विधि है-बेयर की विधि जिस द्वारा बॉक्साइट से एल्यूमीनियम ऑक्साइड प्राप्त किया जाता है। बेयर विधि द्वारा एल्यूमीनियम अयस्क का सांद्रण-इस विधि में बॉक्साइट को गर्म सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ अपचयित किया जाता है जो जल में घुलनशील है। गैंग को छान कर अलग कर दिया जाता है। एल्यूमीनियम का अवक्षेपण एल्यूमीनियम हाइड्रोक्साइड के रूप में प्राप्त होता है जिसके बाद एल्यूमीनियम हाइड्रोक्साइड को गर्म करके शुद्ध एल्यूमीनियम ऑक्साइड प्राप्त लिया जाता है। विभिन्न अभिक्रिया निम्नलिखित प्रकार से है-
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2. सांद्रित अयस्क का धातु ऑक्साइड में बदलना भर्जन- इस क्रिया में अयस्क को वायु की उपस्थिति में गर्म करके धातु ऑक्साइड प्राप्त करते हैं, जो आसानी से अपचयित होकर धातु को अलग कर देता है। जिंक ब्लेंडी में जिंक सल्फाइड होता है। जब सांद्रित जिंक ब्लैंड अयस्क (जिंक सल्फाइड) को वायु में भर्जित किया जाता है तो वह ऑक्सीकृत होकर जिंक ऑक्साइड बना देता है।
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निस्तापन- इस क्रिया में अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में गर्म करके नमी तथा वाष्पशील अशुद्धियों को . अलग कर देते हैं। जब किसी कार्बोनेट अयस्क को गर्म किया जाता है, तो वह विघटित होकर धातु ऑक्साइड बना देता है।
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3. धातु ऑक्साइड से धातु प्राप्त करना-धातु ऑक्साइडों से धातु प्राप्त करने के लिए उन्हें किसी अपचायक के साथ गर्म करते हैं। ज़िंक, लोहा, टिन तथा निकल जैसी धातुओं के ऑक्साइडों का अपचयन करके धातुएँ प्राप्त करने के लिए कार्बन का अपचायक के रूप में उपयोग किया जाता है।
ZnO(s) + C(s) → Zn(s) + CO(g)
मध्यम अभिक्रियाशीलता वाली धातुओं के ऑक्साइडों का अपचयन करने के लिए सोडियम, कैल्शियम तथा एल्यूमीनियम जैसी अभिक्रियाशील धातुएँ भी अपचायक के रूप में उपयोग की जा सकती हैं।
3MnO2(s) + 4Al(s) → 3Mn (1) + 2Al2O3(s) + ऊष्मा

III. धातुओं का शुद्धिकरण धात्वीय ऑक्साइडों के अपचयन के बाद प्राप्त हुई धातुओं में कई प्रकार की अशुद्धियाँ होती हैं। इसलिए शुद्ध धातु प्राप्त करने के लिए इन अशुद्धियों को अलग करना बहुत ज़रूरी होता है। शुद्धिकरण के लिए अपनाई जाने वाली विधि अशुद्धियों और धातु के गुणों पर निर्भर करती है।

कुछ विधियों का विवरण नीचे दिया गया है –
1. आसवन विधि-कम उबाल दर्जे वाली धातुओं को इस विधि द्वारा शुद्ध किया जाता है। जिंक, कैल्शियम और मरकरी जैसी धातुएं शीघ्र वाष्प के रूप में बन जाती हैं इसलिए उन्हें आसवन विधि द्वारा शुद्ध किया जाता है।

2. गलनिक पृथक्करण-इस प्रक्रिया में ढलान युक्त भट्ठी का उपयोग किया जाता है। भट्ठी का ताप धातु के गलनांक से कुछ अधिक रखा जाता है। अशुद्ध धातु को भट्ठी के सबसे ऊपरी सिरे पर रखा जाता है। गर्म करने पर धातु तो पिघल कर नीचे की ओर बह जाती है जबकि ठोस अशुद्धियां वहीं रह जाती हैं। इस विधि द्वारा टिन, सीसा तथा बिस्मथ का परिष्करण किया जाता है।’

3. विद्युतीय शुद्धिकरण-धातुओं का परिष्करण धातुओं का शुद्धिकरण कहलाता है। तांबा, टिन, सीसा, सोना, जिंक, क्रोमियम तथा निक्कल जैसी शुद्ध धातु एनोड कैथोड की पट्टी को कैथोड तथा अशुद्ध धातु की पट्टी को एनोड के रूप में लिया जाता है। वैद्युत् अपघटय के अशुद्ध तांबे रूप में धातु का कोई लवण लिया जाता है।

‘जब  की छड़ विदयुत् अपघटन सेल में से धारा प्रवाहित करते हैं तो धातु कैथोड पर जमा हो जाता है तथा एनोड पर स्थित अन्य अभिक्रियाशील धातुएं अपघट्य के घोल में पहुंच शुद्ध तांबे की छड़ कॉपर सल्फेट जाती हैं। कम अभिक्रियाशील धातुएं जैसे सोना तथा चांदी विद्युत् अपघटनी सेल की तली में गिर जाती हैं, चित्र-धातुओं के शदधिकरण के लिए विदयुत अपघटन जिन्हें प्राप्त कर लिया जाता है।
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यदि तांबे को परिष्कृत करना हो तो विद्युत्-अपघटय के रूप में कॉपर सल्फेट का अम्लीकृत घोल किया जाता है तथा सैल में होने वाली अभिक्रियाएं निम्नलिखित होती हैं।
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प्रश्न 4.
धातुओं एवं अधातुओं के बीच कैसे विभेद करेंगे ?
उत्तर-
धातुओं और अधातुओं के गुणों में विभेद
भौतिक गुणों में विभेद

धातुएं (Metals) अधातुएं (Non-Metals)
(1) धातुएं सामान्य ताप पर ठोस होती हैं परंतु केवल पारा सामान्य ताप पर तरल अवस्था में होता है। (1) अधातुएं सामान्य ताप पर तीनों अवस्थाओं में पाई जाती हैं। फॉस्फोरस और सल्फर ठोस रूप में, H2, O2, N2
गैसीय रूप में तथा ब्रोमीन तरल रूप में होती हैं।
(2) धातुएं तन्य तथा आघातवर्ध्य तथा लगिष्णु होती हैं। (2) वे प्रायः भंगुर होती हैं।
(3) धातुएं प्राय: चमकदार होती हैं अर्थात् उनमें धात्विक चमक होती है। (3) अधातुओं में धात्विक चमक नहीं होती परंतु हीरा, ग्रेफाइट तथा आयोडीन इसके अपवाद हैं।
(4) धातुएं ऊष्मा तथा विद्युत् की सुचालक होती हैं परंतु बिस्मथ इसका अपवाद है। (4) ग्रेफाइट और गैस कार्बन को छोड़कर सभी अधातुएं कुचालक हैं।
(5) धातुओं के गलनांक तर्थो क्वथनांक अत्यधिक होते (5) अधातुओं के गलनांक तथा क्वथनांक कम होते हैं।
(6)  धातुएं अधिकांशतः कठोर होती हैं परंतु सोडियम तथा पोटाशियम चाकू से काटी जा सकती हैं। (6) इनकी कठोरता भिन्न-भिन्न होती हैं। हीरा सब पदार्थों से कठोरतम है।
(7) धातुओं का आपेक्षिक घनत्व अधिक होता है परंतु Na, K इसके अपवाद हैं। (7) अधातुओं का आपेक्षिक ताप प्रायः कम होता है।
(8) धातुएं अपारदर्शक होती हैं। (8) गैसीय अधातुएं पारदर्शक हैं।

रासायनिक गुणों में विभेद

धातुएं (Metals) अधातुएं (Non-Metals)
(1) धातुएं क्षारीय ऑक्साइड बनाती हैं जिसमें से हैं। (1) अधातुएं अम्लीय तथा उदासीन ऑक्साइड बनाती कुछ क्षार बनाती हैं।
(2) धातुएं अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस पुनः स्थापित करती हैं तथा अनुरूप लवण बनाती हैं। (2) अधातुएं अम्लों में से हाइड्रोजन गैस को पुनः स्थापित नहीं करती हैं।
(3) धातुएं धनात्मक आवेश की प्रकृति की होती हैं। (3) अधातुएं ऋणात्मक आवेश की प्रकृति की होती हैं।
(4) धातुएं क्लोरीन से संयोग करके क्लोराइड बनाती हैं जो वैद्युत् संयोजक होते हैं। (4) अधातुएं क्लोरीन से संयोग कर क्लोराइड बनाती हैं परंतु वे सहसंयोजक होते हैं।
(5) कुछ धातुएं हाइड्रोजन से संयोग करके हाइड्रोक्साइड बनाती हैं जो विद्युत् संयोजक होते हैं। (5) अधातुएं हाइड्रोजन के साथ अनेक स्थाई हाइड्राइड बनाती हैं जो सहसंयोजक होते हैं।
(6) धातुएं अपचायक हैं। (6) अधातुएं ऑक्सीकारक हैं।
(7) धातुएं जलीय विलयन में धनायन बनाती हैं। (7) अधातुएं जलीय विलयन में ऋणायन बनाती हैं।

प्रश्न 5.
संक्षरण से क्या भाव है ? धातुओं के संक्षारण से बचाने के लिए आप क्या करोगे ? (मॉडल पेपर)
उत्तर-
संक्षरण-अयस्क से प्राप्त धातु काफ़ी शुद्ध होती है तथा देखने में सुंदर दिखती है। प्रकृति इसे पुनः उसी रूप में परिवर्तित करने का यत्न करती है। जिस रूप में उसे प्राप्त किया जाता है।

धात्वीय सतह पर वातावरण की गैसें आदि की क्रिया से धात्वीय ऑक्साइड, सल्फाइड, कार्बोनेट और सल्फेट बनते हैं। इस तरह धातु धीरे-धीरे क्षरित होती रहती है। धातुओं के इस प्राकृतिक क्षरण को संक्षरण कहते हैं। आयरन के संक्षरण को जंग लगना भी कहते हैं। जंग लगना एक गंभीर आर्थिक समस्या है। जंग लाल भूरे रंग का एक पाऊडर होता है जो जलीय आयरन ऑक्साइड (Fe2O. xH2O) के रूप में होता है। लोहे को जंग लगने के लिए जल और ऑक्सीजन की उपस्थिति आवश्यकता होती है।
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संक्षरण की रोकथाम के उपाय

  • धातुओं को नमी (आर्द्रता) से बचा कर रखना चाहिए।
  • धातुओं की ऊपरी सतह पर पेंट कर देना चाहिए ताकि इसकी सतह का ऑक्सीजन तथा नमी से संपर्क टूट जाए।
  • धातु की सतह पर ग्रीस या तेल लगाना चाहिए।
  • धातु पर किसी अन्य संक्षारण-रोधी धातु की परत चढ़ा देनी चाहिए।
  • धातु को पिघले हुए ज़िंक में डुबो कर बाहर निकाल लेना चाहिए जिससे इस पर जिंक की परत जम जाए अर्थात् गैल्वनीकरण कर देना चाहिए।

प्रश्न 6.
लोहे का जंग लगने की क्रिया का विवरण दो और इससे बचाव के कोई दो ढंग बताओ।
अथवा
लोहे को जंग से बचाने (rusting of iron) के लिए किन्हीं पांच ढंगों का संक्षिप्त में वर्णन कीजिए।
अथवा
जंग लगना क्या है ? लोहे को जंग लगने से रोकने के लिए दो उपाय बताओ।
उत्तर-
लोहे का जंग लगना (Rusting of Iron)- यह क्रिया निम्नलिखित चरणों में पूरी होती है –
(i) आयरन इलैक्ट्रॉन खो देने पर फैरस आयन बनाता है।
Fe + 2e → Fe2+
(ii) ये फैरस आयन ऑक्सीजन और जल के साथ क्रिया करके फैरिक ऑक्साइड की परत बनाते हैं तथा 8 हाइड्रोजन आयन मुक्त होते हैं।
4Fe2+ + O2 + 4H2O → 2Fe2O3 + 8H+ फैरिक ऑक्साइड

(iii) फैरिक ऑक्साइड जलयोजित (hydrate) होकर जंग बनाता है।
Fe2O3 + x H2O → Fe2O3. x H2Oजलयोजित फैरिक ऑक्साइड

(iv) हाइड्रोजन के आयन इलैक्ट्रॉन प्राप्त करके हाइड्रोजन गैस बनाते हैं।
8H+ + 8e → 4H2

जंग न चिपकने वाला एक यौगिक है। यह परत के बाद दूसरी परत बनकर उड़ता रहता है। इस तरह जंग की एक परत उड़ने के बाद लोहे की मुक्त हुई परत पर फिर जंग लगने लगता है। इस तरह पूरा लोहा जंग से प्रभावित होकर नष्ट हो जाता है। जंग लगने की रोकथाम-संक्षरण एक आर्थिक समस्या है। मानवीय जीवन के लिए जंग लगना बहुत हानिकारक है।

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इसकी रोकथाम के लिए निम्नलिखित विधियाँ हैं-

  • पेंट करना-लोहे की वस्तुओं को पेंट करके या ग्रीस लगाकर जंग लगने से बचाया जा सकता है। ऐसा करने से लोहे की सतह का वातावरण की ऑक्सीजन से संपर्क टूट जाता है।
  • धात्वीय परत चढ़ाना-लोहे की अपेक्षा अधिक सरलता से इलेक्ट्रॉन प्रदान करने वाली धातु की परत चढ़ाकर जंग लगने से रोका जा सकता है। उदाहरणस्वरूप जिंक धातु लोहे की अपेक्षा सरलता से इलेक्ट्रॉन मुक्त करती है। अतः लोहे की वस्तुओं पर जिंक की परत का लेप करके उन्हें जंग लगने से बचाया जा सकता है। इस क्रिया को जिस्तीकरण या गैल्वनीकरण (Galvanisation) कहते हैं।
  • विदयतीय धारा दवारा बचाव-जंग लगते समय बनने वाले फैरस आयनों (Fe2+) को विदयुतीय धारा की सहायता से उदासीन किया जाता है। ऐसा करने के लिए जिस वस्तु को जंग से बचाना हो, उसे कैथोड से जोड़ कर विद्युतीय धारा गुज़ारी जाती है।
  • जंगरोधी घोलों का उपयोग करके-फॉस्फेट और क्रोमेट के क्षारकीय विलयन जंग रोधी होते हैं। क्षारक की उपस्थिति के कारण आयन बनते हैं और ये आयन वस्तु का ऑक्सीकरण नहीं होने देते और इस तरह वस्तु ऑक्सीजन के संपर्क में नहीं आती। यह विलयन रेडीएटरों तथा इंजन के पुों को जंग लगने से बचाने के लिए प्रयुक्त होते हैं।
  • निक्कल तथा क्रोमियम के साथ मिश्रण बनाकर-जब लोहे को निक्कल तथा क्रोमियम के साथ मिलाकर मिश्रित धातु तैयार की जाती है तो (Fe = 73%, Cr= 18%, Ni = 8%) स्टेनलेस स्टील बन जाता है। स्टेनलेस स्टील जंगरोधी होता है। इस प्रकार लोहे को जंग लगने से बचाया जा सकता है।

प्रश्न 7.
आयनिक यौगिकों के सामान्य गुणधर्मों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
आयनिक यौगिकों के सामान्य गुणधर्म ये निम्नलिखित हैं-

  • भौतिक प्रकृति-धनात्मक एवं ऋणात्मक आयनों के बीच दृढ़ आकर्षण बल के कारण आयनिक यौगिक ठोस होते हैं। ये यौगिक प्रायः भंगुर होते हैं तथा दबाव देने पर टूट जाते हैं।
  • द्रवनांक और क्वथनांक-आयनिक यौगिकों का द्रवनांक और क्वथनांक बहुत अधिक होता है क्योंकि इसके मज़बूत अंतर आयनिक आकर्षण को तोड़ने के लिए ऊर्जा की बहुत बड़ी मात्रा की ज़रूरत होती है।
  • विलयशीलता-संयोजक यौगिक प्रायः जल में विलयशील तथा केरोसीन, पेट्रोल आदि जैसे विलायक में अविलयशील होते हैं।
  • विद्युत् चालकता-किसी विलयन से विद्युत् के चालन के लिए आवेशित कणों की गतिशीलता ज़रूरी होती है। आयनिक यौगिकों के जलीय विलयन में आयन विद्यमान होते हैं।

जब विलयन में से विद्युत् गुज़ारी जाती है तो ये आयन विपरीत इलेक्ट्रोड की ओर गति करने लगते हैं। ठोस अवस्था में आयनिक यौगिक विद्युत् का चालन नहीं करते हैं क्योंकि ठोस अवस्था के दृढ़ संरचना के कारण आयनों की गति संभव नहीं होती है परंतु आयनिक यौगिक द्रवित अवस्था में विद्युत् का चालन करते हैं क्योंकि द्रवित अवस्था में विपरीत आवेश वाले आयनों के मध्य विद्युत् स्थैतिक आकर्षण बल, ऊष्मा के कारण काफ़ी शिथिल हो जाता है। इसलिए आयन स्वतंत्र रूप से गमन करते हैं एवं विद्युत् का संवहन करते हैं।

प्रश्न 8.
मिश्र धातु किसे कहते हैं ? इनके बनाने के उद्देश्यों का वर्णन करो।
उत्तर-
मिश्र धातु (Alloys)- किसी धातु का किसी अन्य धातु या अधातु के साथ मिलाकर बनाया गया समांगी मिश्रण मिश्र धातु कहलाता है। जैसे टांका में कलई तथा सीसा (लैड) सामान मात्रा में मिलाया जाता है। उदाहरण के लिए स्टेनलेस स्टील, टांका, पीतल, कांसा, बैलमैटल आदि सभी मिश्र धातु हैं।

मिश्र धातुओं के उपयोग-

  • कठोरता बढ़ाने के लिए-लोहे में कार्बन की मात्रा मिला कर स्टेनलेस स्टील बनाया जाता है जो लोहे से अधिक कठोर होता है। सोने में तांबा तथा चांदी में सीसा मिलाने से उसकी कठोरता अधिक हो जाती है। ड्यूरेलियम, एल्यूमीनियम से बना एक मिश्र धातु है जो अत्याधिक कठोर होता है।
  • शक्ति बढ़ाने के लिए-इस्पात, ड्यूरेलियम आदि मिश्रधातु कठोर होने के कारण शक्तिशाली भी होते हैं।
  • संक्षारण रोकने के लिए-जैसे स्टनलैस स्टील, लोहे तथा जिंक से बनी मिश्र धातु पर जंग नहीं लगता।
  • ध्वनि उत्पन्न करने के लिए-तांबे तथा कलई से बनाई गई मिश्र धातु बैलमैटल होती है जिससे अधिक ध्वनि उत्पन्न की जाती है।
  • गलनांक कम करने के लिए-जैसे रोज-मैटल मिश्र धातु है। इसका गलनांक कम होता है। यह बिस्मथ, कलई और सीसे से बनती है।
  • उचित सांचे में ढालने के लिए-कांसा तथा टाइप मैटल।
  • रंग परिवर्तन के लिए-तांबे तथा एल्यूमीनियम से बनी एल्यूमीनियम ब्रांज मिश्रधातु का रंग सुनहरी होता है।
  • घरेलू उपयोग–घरों, कारखानों, दफ्तरों में सभी जगह मिश्रधातुओं का उपयोग होता है जैसे घर के बर्तन, अलमारी, पंखे, फ्रिज, आभूषण आदि में मिश्रधातुओं का उपयोग होता है।

प्रश्न 9.
धातुओं की अभिक्रियाशीलता क्रम का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
धातुओं की अभिक्रियाशीलता क्रम-सभी धातुओं की अभिक्रियाशीलता की दर भिन्न-भिन्न होती है। कुछ धातुएं जैसे सोडियम, पोटाशियम तथा कैल्शियम आदि अत्यधिक क्रियाशील हैं। ये धातुएं ऑक्सीजन से संयोग करके ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन से अभिक्रिया करके हाइड्राइड बनाती हैं। कुछ धातुएं अपेक्षाकृत कम अभिक्रियाशील होती हैं जैसे-लोहा, जिंक आदि परंतु कुछ धातुएं बिलकुल कम क्रियाशील होती हैं जैसे सोना, चांदी। धातुओं की अभिक्रियाशीलता उनके इलेक्ट्रॉन देने की प्रवृत्ति पर निर्भर करती है। धातुओं को अभिक्रियाशीलता के आधार पर उनकी क्रियाशीलता के घटते क्रम के अनुसार लिखा जाता है जिसे धातुओं की अभिक्रियाशीलता क्रम कहते हैं।

अभिक्रियाशीलता क्रम में धातुएं-
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प्रश्न 10.
धातुओं के तीन भौतिक तथा दो रासायनिक गुण लिखो। उत्तर-

धातुओं के भौतिक गुणधर्म-

  • धात्विक चमक-शुद्ध धातुओं की सतहें चमकीली होती है। इस गुणधर्म को धात्विक चमक (metallic lustre) कहते हैं ; जैसे-सोने में पीले रंग की, ताँबे में लाल-भूरे रंग की, एल्यूमीनियम में सफेद रंग की चमक होती है।
  • कठोरता-धातुएँ सामान्यतः कठोर होती हैं। विभिन्न धातुओं की कठोरता भिन्न-भिन्न होती है। कॉपर (ताँबा), आयरन (लोहा), एल्यूमिनियम अत्यंत कठोर धातुएँ हैं, जबकि सोडियम, पोटैशियम मृदु धातुएँ हैं।
  • आघातवर्ध्यता- जो धातुएँ हथौड़े द्वारा पीट-पीट कर पतली चादरों में परिवर्तित हो जाती हैं आघातवर्धनीय कहलाती हैं। इस गुणधर्म को आघातवर्ध्यता (malleability) कहते हैं। सोना तथा चाँदी सर्वाधिक आघातवर्धनीय धातुएँ हैं।
  • तन्यता- वे धातुएँ जिनसे अत्यंत पतले तार खींचे जा सकते हैं, तन्य कहलाती हैं तथा इस गुणधर्म को तन्यता (ductility) कहते हैं। सोना तथा चाँदी सर्वाधिक तन्य धातुएँ हैं।
  • उष्मीय चालकता-धातुएँ सामान्यतः ऊष्मा की सुचालक होती हैं। चाँदी ऊष्मा की सर्वश्रेष्ठ सुचालक है। अन्य धातुएँ जो ऊष्मा की सुचालक हैं के उदाहरण कॉपर, एल्यूमीनियम आदि हैं।
  • वैद्युत् चालकता-धातुएँ विद्युत् की सुचालक होती हैं। सिल्वर, कॉपर आदि विद्युत् की सुचालक हैं।

धातुओं के रासायनिक गुणधर्म
1. धातुओं की ऑक्सीजन से अभिक्रिया-सभी धातुएँ ऑक्सीजन से संयोग करके धात्विक ऑक्साइड बनाती हैं। क्योंकि सभी धातुओं की अभिक्रियाशीलता भिन्न-भिन्न है। इसलिए वे अलग-अलग ताप पर ऑक्सीजन से संयोग करते हैं।
(i) सामान्य ताप पर Na तथा K ऑक्सीजन से संयोग करके ऑक्साइड बनाते हैं जो पानी में घुलने पर हाइड्रोक्साइड बनाते हैं।
4Na (s) + O2 (g) → 2Na2O (s)
Na2O (s) + H2O → 2NaOH (aq)

(ii) मैग्नीशियम रिबन वायु में जलकर मैग्नीशियम ऑक्साइड बनाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 1

(iii) तांबा तथा लोहा शुष्क वायु में उच्च तापक्रम पर ऑक्सीजन से संयोग करते हैं।
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PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 3

2. धातुओं की तनु अम्लों से अभिक्रिया-धातुएं तनु अम्लों से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं। विभिन्न धातुओं अम्लों के साथ अभिक्रियाशीलता की दर भिन्न-भिन्न होती है।

(i) Na, K, Zn, Mg, Fe आदि अवरोही क्रम में अभिक्रियाशील हैं।
2Na + 2HCl → 2NaCl + H2
Mg + 2HCl → MgCl2+ H2
Zn + H2SO4 → ZnSO4 + H2

(ii) तनु नाइट्रिक अम्ल Cu, Ag, Pb, Hg धातुओं के साथ क्रिया करके NO (नाइट्रोजन ऑक्साइड) बनाता
3Cu + 8HNO3 → 3Cu (NO3)2 + 2NO + 4H2O
3Ag + 4HNO3 → 3AgNO3 + NO + 2H2O

(iii) Mg तथा Mn के साथ तनु नाइट्रिक अम्ल हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
Mg + 2HNO3 → Mg(NO3)2 + H2

(iv) सोना तथा प्लाटीनम तनु अम्ल से अभिक्रिया नहीं करते।

3. धातुओं की क्लोरीन से अभिक्रिया-धातुएं, क्लोरीन से संयोग करके अपने क्लोराइड बनाती हैं।
Ca + Cl2 → CaCl2

4. धातुओं की हाइड्रोजन से अभिक्रिया-क्रियाशील धातुएं Na, K, Ca आदि हाइड्रोजन से संयोग करके अपने हाइड्राइड बनाती हैं।
2Na + H2 → 2NaH (सोडियम हाइड्राइड)
Ca + H2 → CaH2 (कैल्शियम हाइड्राइड)

5. धातुओं की पानी से अभिक्रिया –
(i) जब पानी सामान्य ताप पर हो तो Na, K, Ca आदि क्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 4
(ii) जब पानी उबलता हो तो Mg, Zn, Fe अभिक्रिया करके ऑक्साइड बनाते हैं।
Mg + H2O → MgO + H2
3Fe + 4H2O → Fe3O4 + 4H2

लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
दो धातुओं के नाम बताओ जो ऊष्मा तथा विद्युत् की सुचालक हों। ऊष्मा की सबसे अधिक तथा सबसे कम चालक धातुओं के नाम लिखो।
उत्तर-
कॉपर और एल्यूमीनियम दोनों धातुएं ऊष्मा और विद्युत् की सुचालक हैं। चांदी ऊष्मा की सर्वोत्तम चालक है जबकि सीसा धातुओं में सबसे कम चालक है।

प्रश्न 2.
धातुओं की तन्यता गुण को उदाहरण सहित परिभाषित करें।
उत्तर-
तन्यता- धातु के पतले तार के रूप में खींचने की क्षमता को तन्यता कहा जाता है। सोना सबसे अधिक तन्य धातु है।

प्रश्न 3.
धातुओं का कौन-सा गुण उनको लाक्षणिक रासायनिक गुण प्रदान करता है ?
उत्तर-
धातुएं अपने इलेक्ट्रॉन को खोकर धनात्मक आयन बनाती हैं, इसलिए ये विद्युत् धनात्मक तत्व हैं। धातुओं का यह आयनीकरण गुण उनको रासायनिक गुण प्रदान करता है। जैसे-Mg धातु को इलेक्ट्रॉन खोकर Mg का धनात्मक आयन बनाता है।
Mg →Mg2+ + 2e

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प्रश्न 4.
आयनिक यौगिक किस अवस्था में पाए जाते हैं ? आयनिक यौगिकों के क्वथनांक एवं द्रवनांक पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
धातु से अधातु में इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण द्वारा बने यौगिकों को आयनिक यौगिक या वैद्युत् संयोजक यौगिक कहते हैं। उदाहरण-NaCl, CaCl2, CaO, MgCl2, | आयनिक यौगिकों का क्वथनांक एवं द्रवनांक बहुत अधिक होता है क्योंकि इसके मज़बूत अंतर आयनिक आकर्षण को तोड़ने के लिए ऊर्जा की अत्याधिक मात्रा की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 5.
खनिज और अयस्क में अंतर लिखिए।
उत्तर-
खनिज और अयस्क में अंतर –

खनिज (Minerals) अयस्क (Ores)
(1) जिन प्राकृतिक पदार्थों में धातुओं के यौगिक पाए जाते हैं वह खनिज कहलाते हैं। (1) जिन खनिजों से लाभदायक तथा सुविधापूर्वक ढंग से धातुएँ प्राप्त की जा सकती हैं उन खनिजों को अयस्क कहते हैं।
(2) अनेक खनिजों में धातु की प्रतिशत मात्रा काफ़ी बड़ी मात्रा होती है जबकि अन्य में धातु की प्रतिशत मात्रा बहुत कम होती है। (2) धातुओं की प्रतिशत मात्रा सभी अयस्कों में पर्याप्त होती है।
(3) कुछ खनिजों में बहुत अधिक अशुद्धियाँ होती हैं जो धातु के निष्कर्षण में रुकावट डालती हैं। (3) अयस्कों में कोई भी आपत्तिजनक अशुद्धियाँ नहीं होती।
(4) सभी खनिजों को धातु निष्कर्षण के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता। सभी खनिज अयस्क नहीं होते। (4) सभी अयस्कों को धातु निष्कर्षण के लिए उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
विभिन्न धातुओं की जल के साथ अभिक्रिया का वर्णन करें।
उत्तर-
धातुओं की जल के साथ अभिक्रिया-जल के साथ अभिक्रिया करके धातु, हाइड्रोजन गैस तथा धातु ऑक्साइड बनाते हैं। ये जल में घुलकर धातु हाइड्रोक्साइड बनाते हैं परंतु सभी धातु जल के साथ अभिक्रिया नहीं करते हैं। पोटैशियम एवं सोडियम जैसे धातु ठंडे जल के साथ तेज़ अभिक्रिया करते हैं। सोडियम तथा पोटैशियम की अभिक्रिया इतनी तेज़ तथा ऊष्माक्षेपी होती है कि इससे उत्सर्जित हाइड्रोजन तत्काल आग पकड़ लेती है।
2K (s) + 2H2O (l) → 2KOH (aq) + H2 (g) + ऊष्मीय ऊर्जा
2Na (s) + 2H2O (l) → 2NaOH (aq) + H2 (g) + ऊष्मीय ऊर्जा
जल के साथ कैल्सियम की अभिक्रिया थोड़ी मंद होती है। इसमें उत्सर्जित ऊष्मा हाइड्रोजन के प्रज्वलित होने के लिए पर्याप्त नहीं होती है। .
Ca (s) + 2H2O (l) → Ca (OH)2(aq) + H2 (g)
एल्यूमीनियम, लोहा तथा जिंक जैसे धातु न तो ठंडे जल के साथ और न ही गर्म जल के साथ अभिक्रिया करते हैं। लेकिन भाप के साथ अभिक्रिया करके यह धातु ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन प्रदान करते हैं।
2Al (s) + 3H2O (g) → Al2O3 (s) + 3H2(g)
3Fe (s) + 4H2 O (g)→ Fe3O4 (s) + 4H2 (g)
सीसा, कॉपर, चांदी तथा सोना आदि जैसे धातु जल के साथ अभिक्रिया नहीं करते हैं।

प्रश्न 7.
अधातुओं की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाएं लिखिए(a) ऑक्सीजन (b) अम्ल (c) क्लोरीन (d) हाइड्रोजन।
उत्तर-
अधातुएं वैद्युत् ऋणात्मक होती हैं। वे इलेक्ट्रॉनों को आसानी से ग्रहण कर लेती हैं तथा ऋणात्मक रूप से आवेशयुक्त आयन बनाती हैं।
(a) अधातुओं की ऑक्सीजन से अभिक्रिया-अधातुएँ ऑक्सीजन से संयोग करके सहसंयोजक ऑक्साइड बनाती हैं, जो पानी में घुलने पर अम्ल बनाती है।
C+ O2 → CO2
CO2 + H2O → H2CO3 (कार्बोनिक अम्ल)

(ii) S+ O2 → SO2
SO2 + H2O → H2SO (सल्फ्यू रस अम्ल)

(iii)
2H2 + O2 → 2H2O (उदासीन ऑक्साइड)
2C + O2 → 2CO  (उदासीन ऑक्साइड)

(b) अम्लों से अभिक्रिया-अधातुएं अम्लों में हाइड्रोजन को पुनः स्थापित नहीं करती हैं। इस प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए अम्ल H+ आयन के लिए इलेक्ट्रॉन उपलब्ध होने चाहिएं परंतु अधातु स्वयं इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करती हैं। अतः वे H+ आयन को इलेक्ट्रॉन उपलब्ध नहीं करा सकती हैं। इसलिए अधातुओं की तनु अम्ल के साथ कोई अभिक्रिया नहीं होती है।

(c) क्लोरीन के साथ अभिक्रिया-क्लोरीन के साथ अधातुएं सहसंयोजक आबंध वाले क्लोराइड बनाती हैं।
2P2 + 6Cl2 → 4PCl3 (फॉस्फोरस ट्राइक्लोराइड)
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 19
C + 2Cl2 → CCl4 (कार्बन टेट्राक्लोराइड)

(d) हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया-अधातुएं, हाइड्रोजन के साथ क्रिया करके हाइड्राइड बनाती हैं।
H2 + S → HS (हाइड्रोजन सल्फाइड)
H+ Cl2 → 2HCl (हाइड्रोजन क्लोराइड)
C + 2H2 → CH4 (मीथेन)
ये हाइड्राइड इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी (सहसंयोजन आबंध) से बनते हैं।

प्रश्न 8.
भर्जन क्रिया क्या है ? इसका उपयोग कब किया जाता है ? इसमें होने वाले परिवर्तनों के लिए रासायनिक क्रियाएं लिखो।
उत्तर-
भर्जन प्रक्रिया (Roasting)-सांद्रण के पश्चात् अयस्क को वायु की उपस्थिति में गर्म करना भर्जन प्रक्रिया कहलाता है। जिंक तथा सीसा के सल्फाइडों को उनके ऑक्साइड में बदलने के लिए भर्जन प्रक्रिया प्रयुक्त की जाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 20

प्रश्न 9.
यदि सिल्वर नाइट्रेट के घोल में कॉपर की पत्ती को कुछ देर के लिए डुबो कर रखा जाए तो क्या होता है ? हो रही क्रिया का आयनी समीकरण भी लिखो।
उत्तर-
कॉपर, सिल्वर से अधिक क्रियाशील है। जब कॉपर की पत्ती को कुछ देर के लिए सिल्वर नाइट्रेट के घोल में डुबो कर रखा जाता है तो सिल्वर निम्नलिखित क्रिया द्वारा जमा (deposit) हो जाती है और घोल का रंग नीला हो जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 21

प्रश्न 10.
कॉपर सल्फेट के घोल को लोहे के बर्तन में रखने से कुछ दिनों पश्चात् बर्तन में कुछ छिद्र हो गए। इस अभिक्रिया को लिखिए। इस अभिक्रिया को अभिक्रियाशीलता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
अभिक्रियाशीलता के क्रम में लोहा पहले आता है अर्थात् लोहा, कॉपर की अपेक्षा अधिक क्रियाशील है। इसलिए CuSO, के घोल में से लोहा, कॉपर को विस्थापित कर देता है, जिसके कारण लोहे के बर्तन में छिद्र हो जाते हैं। रासायनिक अभिक्रिया
CuSO4 + Fe → FeSO4 + Cu
Cu2+ (aq) + Fe (s) →Fe+2(aq) + Cu (s)

प्रश्न 11.
कॉपर को वायु में खुला छोड़ने पर वह हरे रंग का हो जाता है। क्यों ?
उत्तर-
कॉपर, वायु में उपस्थित आर्द्र कार्बन डाइऑक्साइड के साथ अभिक्रिया करता है, जिससे इसकी सतह से भूरे रंग की चमक धीरे-धीरे खत्म हो जाती है तथा इस पर हरे रंग की परत चढ़ जाती है। यह हरा पदार्थ कॉपर कार्बोनेट होता है।
Cu + CO2 + H2O + O2 → CuCO3.Cu(OH)2

प्रश्न 12.
24 कैरेट सोना क्या है ?
उत्तर-
24 कैरेट सोना-शुद्ध सोने को 24 कैरेट कहते हैं तथा ये काफ़ी नर्म होता है। इसलिए आभूषण बनाने के लिए ये उपयुक्त नहीं होता है। इसे कठोर बनाने के लिए चाँदी या कॉपर के साथ मिलाया जाता है। हमारे देश में प्रायः आभूषण बनाने के लिए 22 कैरेट सोने का उपयोग होता है। इसका मतलब है कि 22 भाग शुद्ध सोने में 2 भाग कॉपर या चाँदी मिश्रित की जाती है।

प्रश्न 13.
सल्फाइड अयस्क को सांद्रण करने में उपयोग होने वाले प्रक्रम का नाम बताइए। सांद्रित सल्फाइड अयस्क को धातु में बदलने में उपयोग होने वाले दो चरणों का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
सल्फाइड अयस्क के बड़े टुकड़ों को बारीक पीसकर, चूर्ण बना लिया जाता है। अब इसको ‘झाग प्लावन विधि’ द्वारा सांद्रित कर लिया जाता है। सांद्रित सल्फाइड अयस्क को धातु में बदलने के लिए निम्नलिखित दो चरण इस प्रकार हैं-
1. भर्जन- सांद्रित अयस्कों को वायु की उपस्थिति में गर्म करके ऑक्साइडों में परिवर्तित कर लिया जाता है। इस विधि को भर्जन कहते हैं।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 22
2. अपचयन-सांद्रित अयस्क के ऑक्साइड को अपचायक के साथ गर्म करने से धातु ऑक्सीजन से मुक्त हो जाती है।
ZnO + C → Zn + CO

प्रश्न 14.
कोई अयस्क गर्म करने पर सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) गैस देता है। ऐसे अयस्क से धातु निकालने में सम्मिलित नियम को संक्षेप में लिखो।
उत्तर-
कॉपर धातु के अयस्क कॉपर पाइराइट को गर्म करने पर SO2 गैस बनती है। इस अयस्क से धातु प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित चरण अपनाए जाते हैं
(i) अयस्क को बारीक चूर्ण करके इसमें पानी तथा पाइन आयल मिला दिया जाता है। अब इसमें से वायु को उच्च दाब अधीन प्रवाहित किया जाता है ताकि अशुद्धियां अलग हो जाएं। इस प्रकार अयस्क सांद्रित हो जाती है। यह विधि झाग प्लावन विधि कहलाती है।
(ii) अब सांद्रित अयस्क को भर्जित किया जाता है जबकि CuS का कुछ भाग CuO में बदल जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 23
कुछ समय पश्चात् वायु की आपूर्ति रोक दी जाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 24
इस प्रकार प्राप्त तांबा तरल अवस्था में है और इसे वैद्युत् परिष्करण विधि द्वारा शुद्ध किया जाता है।
(iii) वैद्युत् परिष्करण-इस प्रक्रिया में अशुद्ध कॉपर की छड़ एनोड पर तथा शुद्ध कॉपर की प्लेट कैथोड बनाकर अम्ल की उपस्थिति में कॉपर सल्फेट में से विद्युत् गुजारी जाती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 25

प्रश्न 15.
थर्मिट अभिक्रिया से क्या तात्पर्य है ? लिखिए।
उत्तर-
कुछ विस्थापन अभिक्रियाएं बहुत अधिक ऊष्माक्षेपी होती हैं। इन अभिक्रियाओं में उत्सर्जित ऊष्मा की मात्रा इतनी अधिक होती है कि धातुएँ गलित अवस्था में प्राप्त होती हैं। जब आयरन (III) ऑक्साइड (Fe2O3) के साथ एल्यूमीनियम की अभिक्रिया की जाती है तो अत्याधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है।
Fe2O3(s) + 2Al (s) → 2Fe(I) + Al2O3 (s) + ऊष्मा
इसे थर्मिट अभिक्रिया कहते हैं। इसके उपयोग से रेलवे पटरियों और मशीनी दरारों को जोड़ा जाता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 16.
अधातुओं के पाँच प्रमुख उपयोग लिखिए।
उत्तर-
अधातुओं के उपयोग-

  • हाइड्रोजन को वनस्पति तेलों से वनस्पति घी बनाने में प्रयुक्त किया जाता है।
  • कार्बन प्रमुख अधातु है जो हमें विटामिन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, एंजाइम आदि प्रदान करती है। ग्रेफाइट विभिन्न प्रकार के सैलों में इलेक्ट्रोड के रूप में प्रयुक्त होता है।
  • नाइट्रोजन का उपयोग अमोनिया, नाइट्रिक अम्ल और उर्वरक बनाने में होता है। वायु में नाइट्रोजन की उपस्थिति दहन की दर को नियंत्रित करती है।
  • ऑक्सीजन की उपस्थिति हमारे जीवन का आधार है। दहन क्रिया भी इसी की उपस्थिति के कारण संभव होती है।
  • गंधक अनेक प्रकार की दवाइयां तथा बारूद बनाने में काम आती है।

प्रश्न 17.
भर्जन और निस्तापन में अंतर लिखिए।
उत्तर-
भर्जन और निस्तापन में अंतर –

भर्जन (Roasting) निस्तापन  (Calcination)
(1) भर्जन का प्रयोग सल्फाइड अयस्कों के लिए अयस्कों के लिए किया जाता है। (1) निस्तापन का प्रयोग कार्बोनेट और हाइड्रेटिड किया जाता है।
(2) भर्जन में अयस्क को वायु की उपस्थिति में गर्म किया जाता है। (2) निस्तापन में अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जाता है।
(3) इसमें SO2 गैस उत्पन्न होती है। (3) इसमें CO2 गैस उत्पन्न होती है।
(4) उदाहरण सांद्रित जिंक के अयस्क को वाय की उपस्थिति में गर्म करके जिंक ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है। (4) उदाहरण-जिंक कार्बोनेट अयस्क को वाय की अनुपस्थिति में गर्म करके जिंक ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है।

प्रश्न 18.
आयनिक यौगिक सोडियम क्लोराइड, सोडियम और क्लोरीन से कैसे बनता है ?
उत्तर-
सोडियम आयन और क्लोराइड आयन विपरीत आवेशित होने के कारण एक-दूसरे की ओर आकृष्ट होते हैं और मज़बूत. स्थिर वैद्युत् बल से बंध कर सोडियम क्लोराइड (NaCl) के रूप में उपस्थित रहते हैं। सोडियम क्लोराइड अणु के रूप में नहीं पाया जाता बल्कि यह विपरीत आयनों का समुच्चय होता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 26

प्रश्न 19.
विद्युत् अपघटनी शोधन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
विद्युत् अपघटनी शोधन-कॉपर, जिंक, टिन, निक्कल, चाँदी, सोना आदि जैसी अनेक धातुओं का शोधन विद्युत् अपघटन द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया में अशुद्ध धातु को ऐनोड तथा शुद्ध धातु की पतली परत को कैथोड बनाया जाता है। धातु के लवण विलयन का उपयोग विद्युत्-अपघट्य के रूप में होता है। विद्युत्अपघट्य में से जब विद्युत् धारा प्रवाहित होती है तब एनोड पर स्थित शुद्ध धातु विद्युत् अपघट्य में घुल जाती है तथा इतनी ही मात्रा में शुद्ध धातु विद्युत्-अपघट्य से कैथोड पर निक्षेपित हो जाती है। विलयशील अशुद्धियाँ विलयन में चली जाती हैं तथा अविलयशील अशुद्धियाँ ऐनोड के नीचे निक्षेपित हो जाती हैं जिसे ऐनोड अवपंक कहते हैं।

प्रश्न 20.
अपचयन प्रक्रिया से क्या तात्पर्य है ? धातुओं के निष्कर्षण में इस प्रक्रिया की कौन-कौन सी विधियां अपनाई जाती हैं ?
उत्तर-
अपचयन (Reduction)-धातुओं के यौगिकों से धातु प्राप्त करने की प्रक्रिया अपचयन कहलाती है। धातुओं की अभिक्रियाशीलता श्रेणी के अनुसार ही विभिन्न धातुओं के लिए निम्नलिखित विधियां अपनाई जाती हैं-
(1) अभिक्रियाशीलता क्रम में नीचे आने वाली धातुओं को केवल वायु में गर्म करने पर ही धातु प्राप्त हो जाती है। जैसे–पारे का अयस्क सिनाबार वायु में गर्म करने पर भर्जित होकर पारा मुक्त कर देता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 27
(2) अभिक्रियाशीलता के मध्य में आने वाली धातुओं के यौगिकों को मुख्यतः कोक से गर्म करके अपचयित किया जाता है। जैसे-लोहा, जिंक, निकिल, टिन धातुएं आदि।।
2ZnO2 + C → 2Zn + CO2

(3) कुछ धातुओं का अपचयन अधिक क्रियाशील धातु द्वारा किया जाता है। जैसे-मैंगनीज़ ऑक्साइड को एल्यूमीनियम द्वारा अपचयित करके मैंगनीज़ प्राप्त किया जाता है।
3MnO2 + 4Al → 3Mn + 2Al2O3

प्रश्न 21.
सोडियम हाइड्रोक्साइड के भंडारण के लिए एल्यूमीनियम के बर्तनों का उपयोग क्यों नहीं किया जाता ?
उत्तर-
सोडियम हाइड्रोक्साइड के भंडारण के लिए एल्यूमीनियम के बर्तनों का उपयोग नहीं किया जाता क्योंकि एल्यूमीनियम सोडियम हाइड्रॉक्साइड के साथ क्रिया करके घुलनशील लवण बनाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 28

प्रश्न 22.
एल्यूमीनियम के उपयोग बताओ।
उत्तर-
एल्यूमीनियम के उपयोग –

  • एल्यूमीनियम हल्की धातु होने के कारण, हवाई जहाज़ों की बॉडी और मोटर इंजन बनाने के काम आती है।
  • एल्यूमीनियम बर्तन, फोटोफ्रेम तथा घरेलू उपयोग की अनेक वस्तुएं बनाने के काम आती हैं।
  • एल्यूमीनियम बिजली का सुचालक है इसलिए आजकल बिजली के संचारण के लिए प्रयुक्त बिजली की तारें बनाने के काम आता है।
  • एल्यूमीनियम की पत्तियां खाने का सामान, दवाइयां, दूध की बोतलें आदि पैक करने में प्रयुक्त की जाती हैं।
  • एल्यूमीनियम पाउडर सिल्वर पेंट बनाने के काम आता है।
  • एल्यूमीनियम पाउडर एलुमिनो-थरैमी में प्रयुक्त होता है। यह प्रक्रम लोहे की पटरियों तथा मशीनों के टूटे भागों को जोड़ने के काम आता है।

प्रश्न 23.
क्या होता है, जब :
(i) लोहे के ऑक्साइड को कोक से मिलाकर गर्म किया जाता है।
(ii) मैग्नीशियम को तनु लवण के अम्ल से मिलाया जाता है ?
(iii) नीले थोथे के घोल में ज़िंक मिलाया जाता है ?
उत्तर-
(i) लोहे के ऑक्साइड को कोक से मिलाकर जब गर्म किया जाता है तो लोहे का ऑक्साइड अपचयित होकर लोहे में परिवर्तित हो जाता है।
C+O2 → CO2
CO2 + C → 2CO
Fe2O3 + 3CO → 2Fe + 3CO2

(ii) जब मैग्नीशियम को तनु लवण अम्ल से मिलाया जाता है तब हाइड्रोजन गैस उत्पन्न होती है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 29
(iii) जब नीले थोथे के विलयन में ज़िंक मिलाया जाता है तब विलयन का नीला रंग समाप्त हो जाता है।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 30

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 24.
एक क्रिया-कलाप द्वारा दर्शाओ कि लोहे को जंग लगने के लिए पानी और ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है ?
अथवा
प्रयोग द्वारा सिद्ध करो कि लोहे को जंग लगने के लिए हवा/ऑक्सीजन तथा नमी का होना आवश्यक है। चित्र भी बनाएं।
उत्तर-
क्रिया-कलाप–तीन परखनलियां ‘A’, ‘B’ और ‘C’ लें। ‘क’ परखनली में लोहे की कुछ कीलें डालें। ‘क’ में पानी डालें। ‘C’ परखनली में कुछ कीलें डालो तथा उसमें कैल्शियम क्लोराइड डालो।
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 31
हवा कैल्शियम क्लोराइड एक जल अवशोषक पदार्थ है। जंग ‘B’ परखनली में कुछ कीलें डालकर, इसमें पानी लगी कीलें डालो। साथ में कुछ तेल भी डालो। कुछ दिन बाद पानी आप देखोगे कि परखनली ‘A’ में पड़ी कीलों को जंग लगना शुरू हो गया। परंतु ‘B’ तथा ‘C’ में रखी कीलों
आसावित पर जंग नहीं लगता क्योंकि ‘B’ में रखी कीलों को क्लोराइड आक्सीजन तथा ‘C’ में पड़ी कीलों को नमी प्राप्त नहीं होती। ‘A’ परखनली में पड़ी कीलों को ऑक्सीजन चित्र-लोहे को जंग लगने की क्रिया तथा पानी (नमी) दोनों प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 25.
मिश्रधातु क्या होती है ? यह क्यों बनाई जाती हैं ?
उत्तर-

मिश्र धातु (Alloys)- किसी धातु का किसी अन्य धातु या अधातु के साथ मिलाकर बनाया गया समांगी मिश्रण मिश्र धातु कहलाता है। जैसे टांका में कलई तथा सीसा (लैड) सामान मात्रा में मिलाया जाता है। उदाहरण के लिए स्टेनलेस स्टील, टांका, पीतल, कांसा, बैलमैटल आदि सभी मिश्र धातु हैं।

मिश्र धातुओं के उपयोग-

  • कठोरता बढ़ाने के लिए-लोहे में कार्बन की मात्रा मिला कर स्टेनलेस स्टील बनाया जाता है जो लोहे से अधिक कठोर होता है। सोने में तांबा तथा चांदी में सीसा मिलाने से उसकी कठोरता अधिक हो जाती है। ड्यूरेलियम, एल्यूमीनियम से बना एक मिश्र धातु है जो अत्याधिक कठोर होता है।
  • शक्ति बढ़ाने के लिए-इस्पात, ड्यूरेलियम आदि मिश्रधातु कठोर होने के कारण शक्तिशाली भी होते हैं।
  • संक्षारण रोकने के लिए-जैसे स्टनलैस स्टील, लोहे तथा जिंक से बनी मिश्र धातु पर जंग नहीं लगता।
  • ध्वनि उत्पन्न करने के लिए-तांबे तथा कलई से बनाई गई मिश्र धातु बैलमैटल होती है जिससे अधिक ध्वनि उत्पन्न की जाती है।
  • गलनांक कम करने के लिए-जैसे रोज-मैटल मिश्र धातु है। इसका गलनांक कम होता है। यह बिस्मथ, कलई और सीसे से बनती है।
  • उचित सांचे में ढालने के लिए-कांसा तथा टाइप मैटल।
  • रंग परिवर्तन के लिए-तांबे तथा एल्यूमीनियम से बनी एल्यूमीनियम ब्रांज मिश्रधातु का रंग सुनहरी होता है।
  • घरेलू उपयोग–घरों, कारखानों, दफ्तरों में सभी जगह मिश्रधातुओं का उपयोग होता है जैसे घर के बर्तन, अलमारी, पंखे, फ्रिज, आभूषण आदि में मिश्रधातुओं का उपयोग होता है।

प्रश्न 26.
प्रमुख मिश्र धातुओं के नाम, उनके घटक तथा उपयोग लिखिए।
उत्तर–
प्रमुख मिश्रधातु –
PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु 32

प्रश्न 27.
निम्नलिखित मिश्र धातुओं की रचना तथा गुण लिखो
(i) पीतल
(ii) एलनिको
(iii) ड्यूरेलुमिन।
उत्तर-
मिश्र धातु की संरचना और गुण नीचे दिए गए हैं।
(i) पीतल (Brass)-इसमें 70% कॉपर (Cu) तथा 30% जिंक (Zn) होता है। यह बर्तन बनाने के काम आता है।

(ii) एलनिको (Alnico)-इसमें 63% आयरन (Fe), 20% निकल (Ni), 12% एल्यूमीनियम (AI) और 5% कोबाल्ट (Co) होता है। यह स्थायी चुंबक बनाने के काम आता है।

(iii) ड्यूरेलुमिन- इसमें ताँबा (Cu) 4%, एल्यूमीनियम (Al) 95.5% और मैंगनीज़ (Mn) 5% होता है। इसे हवाई जहाज़ों के पुर्जे बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 28.
लोहे को जंग लगने से बचाने के लिए तीन ढंग लिखो।
उत्तर-

लोहे का जंग लगना (Rusting of Iron)- यह क्रिया निम्नलिखित चरणों में पूरी होती है –
(i) आयरन इलैक्ट्रॉन खो देने पर फैरस आयन बनाता है।
Fe + 2e → Fe2+
(ii) ये फैरस आयन ऑक्सीजन और जल के साथ क्रिया करके फैरिक ऑक्साइड की परत बनाते हैं तथा 8 हाइड्रोजन आयन मुक्त होते हैं।
4Fe2+ + O2 + 4H2O → 2Fe2O3 + 8H+ फैरिक ऑक्साइड

(iii) फैरिक ऑक्साइड जलयोजित (hydrate) होकर जंग बनाता है।
Fe2O3 + x H2O → Fe2O3. x H2Oजलयोजित फैरिक ऑक्साइड

(iv) हाइड्रोजन के आयन इलैक्ट्रॉन प्राप्त करके हाइड्रोजन गैस बनाते हैं।
8H+ + 8e → 4H2

जंग न चिपकने वाला एक यौगिक है। यह परत के बाद दूसरी परत बनकर उड़ता रहता है। इस तरह जंग की एक परत उड़ने के बाद लोहे की मुक्त हुई परत पर फिर जंग लगने लगता है। इस तरह पूरा लोहा जंग से प्रभावित होकर नष्ट हो जाता है। जंग लगने की रोकथाम-संक्षरण एक आर्थिक समस्या है। मानवीय जीवन के लिए जंग लगना बहुत हानिकारक है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

इसकी रोकथाम के लिए निम्नलिखित विधियाँ हैं-

  • पेंट करना-लोहे की वस्तुओं को पेंट करके या ग्रीस लगाकर जंग लगने से बचाया जा सकता है। ऐसा करने से लोहे की सतह का वातावरण की ऑक्सीजन से संपर्क टूट जाता है।
  • धात्वीय परत चढ़ाना-लोहे की अपेक्षा अधिक सरलता से इलेक्ट्रॉन प्रदान करने वाली धातु की परत चढ़ाकर जंग लगने से रोका जा सकता है। उदाहरणस्वरूप जिंक धातु लोहे की अपेक्षा सरलता से इलेक्ट्रॉन मुक्त करती है। अतः लोहे की वस्तुओं पर जिंक की परत का लेप करके उन्हें जंग लगने से बचाया जा सकता है। इस क्रिया को जिस्तीकरण या गैल्वनीकरण (Galvanisation) कहते हैं।
  • विदयतीय धारा दवारा बचाव-जंग लगते समय बनने वाले फैरस आयनों (Fe2+) को विदयुतीय धारा की सहायता से उदासीन किया जाता है। ऐसा करने के लिए जिस वस्तु को जंग से बचाना हो, उसे कैथोड से जोड़ कर विद्युतीय धारा गुज़ारी जाती है।
  • जंगरोधी घोलों का उपयोग करके-फॉस्फेट और क्रोमेट के क्षारकीय विलयन जंग रोधी होते हैं। क्षारक की उपस्थिति के कारण आयन बनते हैं और ये आयन वस्तु का ऑक्सीकरण नहीं होने देते और इस तरह वस्तु ऑक्सीजन के संपर्क में नहीं आती। यह विलयन रेडीएटरों तथा इंजन के पुों को जंग लगने से बचाने के लिए प्रयुक्त होते हैं।
  • निक्कल तथा क्रोमियम के साथ मिश्रण बनाकर-जब लोहे को निक्कल तथा क्रोमियम के साथ मिलाकर मिश्रित धातु तैयार की जाती है तो (Fe = 73%, Cr= 18%, Ni = 8%) स्टेनलेस स्टील बन जाता है। स्टेनलेस स्टील जंगरोधी होता है। इस प्रकार लोहे को जंग लगने से बचाया जा सकता है।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी धातु का उदाहरण दीजिए जो कमरे के तापमान पर द्रव होती है ?
उत्तर-
मरकरी (पारा)।

प्रश्न 2.
एक धातु और एक अधातु का नाम लिखिए जो सामान्य तापमान पर द्रव अवस्था में पायी जाती है ?
उत्तर-
धातु : मरकरी (पारा)
अधातु : ब्रोमीन।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन-सी धातुएं शरीर के ताप (37°C)पर पिघल जाती है ? गैलियम, मैग्नीशियम, सीज़ियम, एल्यूमीनियम।
उत्तर-
गैलियम तथा सीज़ियम।

प्रश्न 4.
एक ऐसी अधातु का नाम बताइए जो विद्युत् की सुचालक है।
उत्तर-
ग्रेफाइट (कार्बन का अपरूप)।

प्रश्न 5.
एक अधातु X दो विभिन्न रूपों Y तथा Z में उपलब्ध है। Y कठोरतम पदार्थ है जबकिZ विद्युत् का सुचालक है। Y और Z की पहचान बतायें।
उत्तर-
Y-हीरा (डॉयमंड)
Z-ग्रेफाइट
हीरा और ग्रेफाइट, कार्बन के अपरूप हैं
∴ X कार्बन है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 6.
एक तत्व X ऑक्सीजन से क्रिया करके X2O बनाता है। यह ऑक्साइड जल में विलेय है तथा नीले लिटमस को लाल कर देता है। तत्त्व की प्रकृति बताइए अर्थात् क्या यह तत्व धातु है या अधातु ? ।
उत्तर-
क्योंकि तत्व X का ऑक्साइड नीले लिटमस को लाल बना देता है। इसकी प्रकृति अम्लीय है। अतः तत्व X अधातु है।

प्रश्न 7.
धातुओं के ऑक्साइड की प्रकृति क्या होती है ?
उत्तर-
धातुओं के ऑक्साइड की प्रकृति क्षारीय होती है।

प्रश्न 8.
दो उच्च आघातवर्ध्य धातुओं के नाम बताइए।
उत्तर-
चांदी (सिल्वर) तथा सोना (गोल्ड)।

प्रश्न 9.
दो मेटालॉयड्स (उपधातुओं) का नाम बताओ।
उत्तर-

  • सिलिकॉन,
  • आर्सेनिक।

प्रश्न 10.
धातुओं को वायु में खुला छोड़ने पर उनका रंग फीका क्यों पड़ जाता है ?
उत्तर-
उनकी सतह पर ऑक्साइड, कार्बोनेट तथा सल्फाइड की परत के निर्माण के कारण होता है।

प्रश्न 11.
ऐसी धातुओं के नाम बताओ जिन्हें चाकू से आसानी से काटा जा सकता है ?
उत्तर-
सोडियम, पोटाशियम तथा मैग्नीशियम।

प्रश्न 12.
धातुओं को विभिन्न आकार देना क्यों संभव है ?
उत्तर-
धातुओं के आघातवर्ध्यता तथा तन्यता गुणों के कारण।

प्रश्न 13.
सबसे कम एक ऊष्मा चालक धातु का नाम बताओ।
उत्तर-
सीसा (लैड)।

प्रश्न 14.
कौन-सी धातु विद्युत् प्रवाह का अधिक प्रतिरोध करती है ?
उत्तर-
पारा (मरकरी)।

प्रश्न 15.
किन्हीं चार धातुओं के नाम बताओ, जिनकी तारें खींची जा सकती हैं ?
उत्तर-
कॉपर, एल्यूमीनियम, एल्यूमीनियम, आयरन।

प्रश्न 16.
क्षार क्या है ? क्षार की एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-क्षार-
धात्विक हाइड्रोक्साइड जो जल में विलयशील हैं, क्षार कहलाते हैं। उदाहरण-सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH)।

प्रश्न 17.
दो उभयधर्मी (Amphoteric Oxides) ऑक्साइडों के नाम बताओ।
उत्तर-

  • एल्यूमिनियम ऑक्साइड
  • ज़िंक ऑक्साइड।

प्रश्न 18.
क्या होता है जब मैग्नीशियम को इसके ज्वलन ताप तक गर्म किया जाता है ?
उत्तर-
मैग्नीशियम सफ़ेद प्रकाश के साथ जलने लगता है और मैग्नीशियम ऑक्साइड बनाता है।

प्रश्न 19.
कौन-सी धातु तनु अम्ल के साथ अभिक्रिया नहीं करती है ?
उत्तर-
कॉपर।

प्रश्न 20.
उन धातुओं के नाम बताओ जो हाइड्रोजन के साथ अभिक्रिया करती हैं ?
उत्तर-
सोडियम, पोटाशियम और कैल्शियम।

प्रश्न 21.
जब कैल्सियम धातु के किसी टुकड़े को पानी में डाला जाता है तो संपन्न होने वाली अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर-
Ca + 2H2O → Ca (OH)2 + 4H2

प्रश्न 22.
लाल गर्म लोहे के ऊपर से भाप गुजारने से होने वाली रासायनिक अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर-
3Fe + 4H2O → Fe3O4 + H2

प्रश्न 23.
जब कॉपर धातु की पत्ती के जिंक का सल्फेट के विलयन में डाला जाता है तो घटित होने वाली रासायनिक अभिक्रिया की समीकरण लिखिए।
उत्तर-
Zn + CuSO4 → ZnSO4 + Cu.

प्रश्न 24.
दो धातुओं के नाम बताइए जो प्रकृति में मुक्त अवस्था में मिलती हैं ?
उत्तर-

  1. सोना
  2. प्लैटिनम।

प्रश्न 25.
धातुओं के संक्षारण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
संक्षारण- वायु तथा नमी (आर्द्रता) का उपस्थिति में धातुओं की ऊपरी परत का क्षीण होना धातु का संक्षारण कहलाता है।

PSEB 10th Class Science Important Questions Chapter 3 धातु एवं अधातु

प्रश्न 26.
आघातवर्ध्यता की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
आघातवर्ध्यता (Mallbeability)-यह धातुओं का वह गुण है जिसके कारण धातुओं को हथौड़े से पीटकर बिना इसके टूटे धातुओं को पतली चादर के रूप में बदला जाता है।

प्रश्न 27.
तन्यता की परिभाषा लिखो।
उत्तर-
तन्यता (Ductility)-यह धातुओं का वह गुण है जिसके कारण धातुओं को पतली तारों के रूप में बदला जा सकता है।

प्रश्न 28.
हम लोहे से बनी वस्तुओं पर पेंट क्यों करते हैं ?
उत्तर-
लोहे से बनी वस्तुओं पर पेंट किया जाता है ताकि लोहे से बनी वस्तुओं को संक्षारण से बचाया जा सके।

प्रश्न 29.
ऐसी अधातु का उदाहरण दो जो :
(i) विद्युत की सुचालक हो
(ii) चमकीली हो।
उत्तर-
विद्युत की सुचालक अधातु-ग्रेफाइट। चमकीली अधातु-आयोडीन।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
बहु-विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सामान्य अवस्था में द्रव अवस्था में पाई जाने वाली अधातु है
(a) क्लोरीन
(b) ब्रोमीन
(c) फ्लू ओरीन
(d) आयोडीन।
उत्तर-
(b) ब्रोमीन।

प्रश्न 2.
उभयधर्मी ऑक्साइड है
(a) Na2O
(b) BaO
(c) ZnO
(d) K2O.
उत्तर-
(c) ZnO.

प्रश्न 3.
धातुओं को पीट कर पतली चादर बनाया जा सकता है ? इस गुणधर्म को क्या कहते हैं ?
(a) आघातवर्ध्यता
(b) तन्यता
(c) धात्विक चमक
(d) कठोरता।
उत्तर-
(a) आघातवर्ध्यता।

प्रश्न 4.
सक्रियता श्रेणी में सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु कौन-सी है ?
(a) Na
(b) Mg
(c) Au
(d) K.
उत्तर-
(d) K.

प्रश्न 5.
Fe2O3 + 2Al → 2Fe + Al2O3+ ऊष्मा, इस अभिक्रिया का नाम है
(a) एनोडीकरण
(b) थर्माइट
(c) यशदलेपन
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(b) थर्माइट।

प्रश्न 6.
यशदलेपन में किस धातु की परत चढ़ाई जाती है ?
(a) गेलियम
(b) ऐलुमिनियम
(c) जिस्त
(d) चाँदी।
उत्तर-
(c) जिस्त।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(i) अधिक सक्रिय धातु द्वारा कम सक्रिय धातु को उसके लवण के विलयन से विस्थापित करने की क्रिया …………………………. कहलाती है।
उत्तर-
विस्थापन

(ii) मिश्रधातु दो या दो से अधिक धातु अथवा धातु एवं अधातु का ……………. मिश्रण होता है।
उत्तर-
समाँगी

(iii) लोहे के पैन को जंग से बचाने के लिए ……………………. की परत चढ़ाई जाती है।
उत्तर-
जिंक

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(iv) सल्फाइड अयस्क को वायु की उपस्थिति में अधिक ताप पर गर्म करने पर यह ऑक्साइड में परिवर्तित हो जाती है। इस प्रक्रिया को …………… कहते हैं।
उत्तर-
भर्जन

(v) धातु के पतले तार के रूप में खींचने की क्षमता को …………………… कहते हैं।
उत्तर-
तन्यता।