PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.2

Punjab State Board PSEB 9th Class Maths Book Solutions Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.2

Question 1.
Write the answer of each of the following questions:
(i) What is the name of horizontal and the vertical lines drawn to determine the position of any point in the Cartesian plane?
Answer:
The horizontal line and the vertical line drawn in the Cartesian plane to determine the position of any point are named as the x-axis and the y-axis respectively.

(ii) What is the name of each part of the plane formed by these two lines?
Answer:
These two lines (x-axis and y-axis) partition the Cartesian plane into four parts each of which is called a quadrant. They are named as Quadrant 1, Quadrant 2, Quadrant 3 and Quadrant 4.

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.2

(iii) Write the name of the point where these two lines intersect.
Answer:
These two lines (x-axis and y-axis) intersect at the point named as the Origin.

Question 2.
See the figure given below and write the following:
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.2 1
(i) The coordinates of B.
Answer:
(- 5, 2)

(ii) The coordinates of C.
Answer:
(5, – 5)

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.2

(iii) The point identified by the coordinates (-3, -5).
Answer:
E

(iv) The point identified by the coordinates (2, -4).
Answer:
G

(v) The abscissa of the point D.
Answer:
6

(vi) The ordinate of the point H.
Answer:
– 3

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.2

(vii) The coordinates of the point L.
Answer:
(0, 5)

(viii) The coordinates of the point M.
Answer:
(- 3, 0)

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar anuched lekhan अनुच्छेद-लेखन Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 9th Class Hindi Grammar अनुच्छेद-लेखन

1. करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
संकेत बिंदु: (i) जन्म से कोई मूर्ख या विद्वान् नहीं (ii) अभ्यास से विशेष योग्यता व कुशलता की प्राप्ति (iii) कोई उदाहरण (iv) अभ्यास से असाध्य कार्य को भी साध्य बनाना।

यह सत्य है कि जन्म से कोई भी मनुष्य मूर्ख या विद्वान् नहीं होता। प्रत्येक मनुष्य का जन्म एक समान होता है। प्रकृति ने हर प्राणी को एक जैसा मस्तिष्क, बुद्धि और हृदय प्रदान किया है। मनुष्य विद्वान् तो बड़ा होकर बनता है जिसके लिए उसे अभ्यास की आवश्यकता होती है। नियमित अभ्यास करने से कोई भी मनुष्य विशेष योग्यता और कुशलता प्राप्त कर सकता है। इतना ही नहीं अभ्यास करने से तो मूर्ख भी धीरे-धीरे विद्वान् बन जाता है।

जैसे विद्यार्थी जीवन में पाणिनी बहुत मूर्ख था। वह एक ही कक्षा में जब अनेक बार असफल हुआ तो उनके गुरु ने उन्हें अपने आश्रम से मूर्ख कहकर निकाल दिया था। जब वह जंगल से गुजर रहा थे तो वह एक कुँए पर अपनी प्यास बुझाने के लिए गए। वहाँ उन्होंने देखा कि पानी खींचने की रस्सी से कुएँ की मेड़ पर भी निशान पड़ रहे थे। उसी समय उन्होंने संकल्प कर लिया कि वह अब लगातार प्रयोग से एक कठोर वस्तु पर भी निशान पड़ सकते हैं तो फिर वह भी मूर्ख से विद्वान् बन सकता। यह निश्चय कर वे वापस अपने गुरु की शरण में चले गए। वही पाणिनी आगे चलकर महान् विद्वान् महर्षि पाणिनी बने। अभ्यास करने से संसार में कोई असाध्य कार्य भी साध्य बन जाता है। अभ्यास असंभव को भी संभव बना देता है। इसीलिए यह सच कहा गया है कि-
करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

2. पराधीन सपनेहुँ सुख नाहिं
संकेत बिंदु : (i) पराधीनता एक अभिशाप (ii) पराधीनता प्रगति में बाधक (iii) स्वाधीनता जन्मसिद्ध अधिकार (iv) स्वाभिमान और आत्मविश्वास से स्वाधीनता प्राप्त होती है।

इस संसार में पराधीनता एक बहुत बड़ा अभिशाप है। जो मनुष्य दूसरों के अधीन रहता है वह नरक से बुरा जीवन भोगता है। उसके जीवन में कोई रस नहीं होता और न ही वह जीना चाहता है। ऐसी स्थिति में मनुष्य ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी का जीवन भी कठिन है। पराधीनता मनुष्य जीवन की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा उत्पन्न करती है क्योंकि दूसरे के अधीन रहकर मनुष्य कभी भी उन्नति नहीं कर सकता वह अपनी इच्छा से कोई भी काम नहीं कर सकता। उसका खान-पान, रहन-सहन सब कुछ दूसरों पर ही आश्रित होता है। स्वाधीनता प्रत्येक प्राणी का जन्मसिद्ध अधिकार है। इस सृष्टि में प्रत्येक प्राणी प्राकृतिक रूप से स्वतंत्र है। प्रकृति ने सबको अपनी इच्छा के अनुसार जीवनयापन करने का जन्मसिद्ध अधिकार दिया है। वह कहीं भी आ-जा सकता है; घूम सकता है। स्वाभिमान और आत्मविश्वास से स्वाधीनता को प्राप्त किया जा सकता है। जो मनुष्य स्वाभिमानी होता है वह कभी भी दूसरों के अधीन रहना पसंद नहीं करता। आत्मविश्वास के बल पर ही स्वाधीनता प्राप्त की जा सकती है। इसलिए हमें सदा स्वाभिमानी और आत्मविश्वासी बनना चाहिए। पराधीन होकर जीवन में कोई रस नहीं रहता। इस जीवन में सुख की कल्पना भी नहीं कर सकते। अत: यह सत्य है कि पराधीन व्यक्ति को तो सपने में भी सुख की अनुभूति नहीं होती।

3. नारी शिक्षा का महत्त्व
संकेत बिंदु: (i) सभी का शिक्षित होना आवश्यक (ii) स्त्री शिक्षित तो समाज शिक्षित (iii) संकीर्णता को छोड़कर व्यापक दृष्टिकोण अपनाना (iv) लड़कियों के लिए विशेष सहूलतें होना।

समाज में प्रत्येक मनुष्य का शिक्षित होना बहुत आवश्यक है। समाज में जितने ज्यादा लोग शिक्षित होंगे समाज उतना ही सभ्य एवं सुसंस्कृत होता है। पुरुषों की अपेक्षा समाज में नारी शिक्षा की अधिक महता है। यदि स्त्री शिक्षित होगी तो समाज अपने आप ही शिक्षित हो जाएगा क्योंकि एक स्त्री दो परिवारों की देख-रेख करती है। वैसे भी नारी को ही समाज का निर्माण करने वाली होती है। नारी ही समाज का मूल आधार होती है। इसलिए नारी शिक्षित होगी तो सारा समाज शिक्षित तो बन ही जाएगा। वर्तमान युग में इस पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों को अपनी संकीर्ण विचारों को छोड़ देना चाहिए। उन्हें अपनी संकीर्णता को त्याग कर व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। पुरुषों को नारी को किसी भी रूप में कम नहीं समझना चाहिए क्योंकि नारी का स्थान सबसे बड़ा होता है। समाज में लड़कियों को विशेष लाभ मिलना चाहिए। यदि लड़कियों को विशेष दर्जा दिया जाएगा तो समाज में वे आगे बढ़ सकेंगी। इतना ही नहीं समाज के हर क्षेत्र में उनका विकास होगा। लड़कियों के लिए विशेष शिक्षा दी जानी चाहिए। यदि लड़कियां शिक्षित होंगी तभी समाज का कल्याण होगा। लड़कियों को सुशिक्षित होने से ही समाज सभ्य सुसंस्कृत और संस्कारवान बन पाएगा। इसलिए समाज में नारी शिक्षा का बहुत महत्त्व है।

4. व्यायाम का महत्त्व
संकेत बिंदु: (i) व्यायाम की ज़रूरत (ii) व्यायाम का स्वरूप (iii) व्यायाम के लाभ (iv) व्यायाम करने में नियमितता।

हमारे जीवन में व्यायाम की बहुत आवश्यकता होती है। नियमित व्यायाम करने से ही व्यक्ति का शरीर स्वस्थ और सुडौल बन सकता है। जो लोग नियमित व्यायाम नहीं करते उनके शरीर में अनेक रोग लग जाते हैं। वे जल्दी ही बूढ़े हो जाते हैं। उनमें चुस्ती-फुर्ती गायब हो जाती है। उनके जीवन में आलस्य छा जाता है। व्यायाम अनेक प्रकार के होते हैं। सैर करना, योगा, भागदौड़, टहलना आदि व्यायाम के ही रूप होते हैं। सुबह शाम सैर करनी चाहिए, योगाभ्यास करना चाहिए। अनुलोम-विलोम, सूर्य नमस्कार आदि नियमित रूप से करने चाहिए। जीवन में व्यायाम के अनेक लाभ हैं। व्यायाम करने से शरीर चुस्त रहता है। व्यायाम करने से शरीर स्वस्थ और रोग रहित रहता है। शरीर में चुस्ती-फुर्ती आ जाती है। आलस्य गायब हो जाता है। चेहरे पर चमक आ जाती है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नियमित व्यायाम करना चाहिए। नियमित व्यायाम करने से ही अधिक लाभ होता है। इससे रोगों से लड़ने की शक्ति आती है। शरीर का पूर्ण विकास होने लगता है।

5. यदि मैं अध्यापक होता
संकेत बिंदु: (i) मन की इच्छा कि अध्यापक होता (ii) स्कूल में विद्यमान कमियों को दूर करने की तरफ ध्यान (iii) पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशालाओं, खेल तथा सम्पूर्ण शिक्षा स्तर के उत्थान पर बल।

संसार में प्रत्येक मनुष्य कुछ न कुछ बनना चाहता है। यहाँ प्रत्येक मनुष्य की इच्छा अलग-अलग होती है। मेरे मन की इच्छा है कि मैं एक अध्यापक बनूँ। यदि मैं एक अध्यापक होता तो अपने समाज के विकास में योगदान देता। सदा शिक्षा क्षेत्र में आई कमियों को दूर करने का प्रयास करता। बच्चों को चहुँमुखी विकास में उनका मार्गदर्शन करता। सदा बच्चों की भलाई करता। मैं अपने स्कूल की कमियों को दूर करने का प्रयास करता। छोटी-छोटी कमियों को ढूंढकर उन्हें दूर करने का प्रयास करता। मैं पुस्तकालय, विज्ञान, प्रयोगशालाओं, खेल आदि के उत्थान के प्रयास अवश्य करता। खेलों को बढ़ावा देने के लिए बच्चों को जागरूक बनाता। मैं सदा संपूर्ण शिक्षा स्तर के उत्थान पर बल देता। शिक्षा का स्तर बच्चों के जीवन को विकसित कर सके ऐसे प्रयास करता। मैं एक अध्यापक होने के नाते सदा ईमानदारी, सत्यनिष्ठ एवं कर्त्तव्य भावना से अपना कर्म करता।

6. आँखों देखी रेल दुर्घटना
संकेत बिंदु: (i) घर के पास से रोज़ ट्रेन का गुज़रना (ii) खेलकूद में मस्त (iii) अचानक ट्रेन का पटरी से उतरना (iv) भयानक दृश्य : अनेक यात्रियों का मौत के मुँह में जाना (v) स्थानीय लोगों द्वारा मौके पर मदद (vi) सदमा पहुँचाने वाली दुर्घटना।

मेरा घर चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन के बिल्कुल पास है। मेरे घर के पास से ही पटरी गुज़र रही है। प्रतिदिन घर के पास से अनेक गाड़ियाँ गुजरती हैं। अब मैं गाड़ियों के शोर से अभ्यस्त हो गया हूँ। एक दिन मैं दोपहर के समय खेलकूद में दोस्तों के साथ मस्त था। हम सभी फुटबाल खेल रहे थे। अचानक देखा कि एक ट्रेन पटरी से उतर गई। इस दुर्घटना से चारों तरफ हाहाकार मच गया। ट्रेन में बैठे यात्री चिल्लाने लगे। पटरी से उतरकर ट्रेन अनेक घरों को तोड़ती-रौंदती हुई एक गहरे गड्ढे में जा गिरी उसके बाद घटनास्थल पर अनेक लोग जमा हो गए। रेलवे पुलिस के अनेक जवान आ गए। आग बुझाने वाली गाड़ियां आ गईं। इस दुर्घटना में अनेक यात्रियों की मौत हो गई। यह एक भयानक दृश्य था। इस भयानक दृश्य को देखकर मन डर गया। स्थानीय लोगों ने मौके पर पहुँच कर यात्रियों की मदद की। फँसे यात्रियों को बाहर निकाला। उन्हें पानी पिलाया। कुछ खाने की वस्तुएं दीं। इस भयानक दृश्य को देखकर हर व्यक्ति सहम गया। यात्रियों की लाशें देखकर मुझे सदमा लगा। यह दृश्य मेरे मन में बैठ गया।

7. जैसा करोगे वैसा भरोगे
संकेत बिंदु : (i) कर्म करना बीज बोने के समान (ii) कोई कहावत जैसे-बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ से खाए (iii) अच्छे काम का अच्छा फल (iv) बुरे काम का बुरा फल (v) अच्छे कर्म करने पर बल।

जीवन में प्रत्येक मनुष्य को कर्म करना पड़ता है। कर्म करना व्यक्ति का स्वभाव है। कर्म ही मनुष्य जीवन का आधार है। जीवन में कर्म करना खेत में बीज बोने के समान है। जिस प्रकार किसान अपने खेत में जैसा बीज बोता है उसे वैसी ही फसल मिलती है। ठीक उसी तरह मनुष्य जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है। यह प्रसिद्ध कहावत है कि बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ से खाए अर्थात् यदि हम बबूल का पेड़ बोएँगे तो हमें कांटे ही मिलेंगे। उससे कभी मीठे आम प्राप्त नहीं होंगे। यह सच ही है मनुष्य जैसे कर्म करता है उसे संसार में वैसा ही फल भोगना पड़ता है। कर्मफल का यही सिद्धांत है जो कभी भी निष्फल नहीं होता। इसीलिए इस संसार में जो मनुष्य अच्छे काम करता है उसे अच्छा फल मिलता है। जो बुरे काम करता है उसे बुरा फल ही मिलता है। फल की प्राप्ति मनुष्य के कर्मों पर निर्भर करती है। इसलिए मनुष्य को सदा अच्छे कर्म करने चाहिए। उसे जीवन में कभी भूलकर भी बुरा कर्म नहीं करना चाहिए क्योंकि बुरे कर्म करने पर मनुष्य सदा पश्चात्ताप करता है।

8. सच्चा मित्र
संकेत बिंदु : (i) सच्चा मित्र : एक खज़ाना (ii) सुख-दुःख का साथी (i) मार्गदर्शक और प्रेरक (iv) परख और सही चुनाव।

जीवन में सच्चा मित्र एक अनूठे खजाने के समान होता है। जिस तरह किसी व्यक्ति को कोई खज़ाना मिलने से उसके जीवन में अपार खुशियाँ आ जाती हैं। उसके जीवन में धन, संपदा की कोई कमी नहीं रहती। ठीक उसी तरह सच्चा मित्र मिलने से भी जीवन खुशियों से भर जाता है। सच्चा मित्र मिलने से जीवन सुखमय बन जाता है। जीवन के बुरे गुण अच्छे गुणों में बदल जाते हैं। एक सच्चा मित्र ही जीवन में सुख-दुःख का सच्चा साथी होता है। सच्चा मित्र केवल सुख में ही नहीं बल्कि दुःख में भी सहयोग देता है। वह भयंकर समय में भी हमारा साथ नहीं छोड़ता। सच्चा मित्र एक मार्गदर्शक प्रेरक होता है। वह एक गुरु के समान हमारा सच्चा मार्गदर्शन करता है। वह सदा अच्छाई की ओर प्रेरित करता है। वह सदा सच्चाई के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। सद्कर्म करने की प्रेरणा देता है। हमें सद्मार्ग पर चलने का सुझाव देता है। इसलिए जीवन में हमें एक मित्र का चुनाव सोच-समझकर और परखकर करना चाहिए। बुरे लोगों को कभी भी अपना मित्र नहीं बनाना चाहिए क्योंकि ये अपना ही नहीं बल्कि दूसरों का भी जीवन बर्बाद कर देते हैं।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

9. जब मैं स्टेज पर बोलने के लिए पहली बार चढ़ा

संकेत बिंदु : (i) अध्यापक द्वारा पंद्रह अगस्त पर बोलने की ज़िम्मेदारी (ii) स्टेज पर बोलने में झिझक और तनाव (ii) अध्यापक और माता-पिता की प्रेरणा से झिझक और तनाव दूर (iv) बोलने की तैयारी (1) अभ्यास करने से अच्छी तरह बोला गया (vi) आत्मविश्वास बड़ा। . मैं नौवीं कक्षा में पढ़ता हूँ। एक बार हमारे विद्यालय में पंद्रह अगस्त का समारोह मनाया गया। मेरे हिंदी–अध्यापक श्री सुभाष कपूर ने मुझे इस समारोह में स्टेज पर बोलने की ज़िम्मेवारी दी। मैं इससे पहले कभी स्टेज पर नहीं बोला था इसलिए मुझे स्टेज पर बोलने में झिझक और तनाव हो रहा था। मुझे मन ही मन डर लग रहा था। तब मेरे हिंदी अध्यापक ने मुझे बहुत समझाया। मेरे माता-पिता ने भी मुझे समझाया और मुझे बोलने के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार अपने अध्यापक और माता-पिता की प्रेरणा से मेरे अंदर की झिझक और तनाव दूर हो गया। फिर मैंने बोलने की खूब तैयारी की। मेरे अध्यापक ने भी कक्षा में लगातार सात दिन तैयारी करवाई। धीरे-धीरे मेरे अंदर आत्मविश्वास बढ़ता गया। फिर पंद्रह अगस्त के समारोह में मैं स्टेज पर बोलने के लिए गया। मैंने सभी का अभिवादन करते हुए बोलना शुरू किया। मैं लगातार पंद्रह मिनट तक भाषण देता रहा। इस प्रकार अभ्यास करने से स्टेज पर अच्छी तरह बोला गया। स्टेज पर बोलने से मेरे अंदर और आत्मविश्वास बढ़ गया।

10. जब मैं पुस्तक मेला देखने गयी

संकेत बिंदु : (i) अपने शहर में पुस्तक मेला (ii) 100 से अधिक प्रकाशकों की भागीदारी (iii) खरीददारी में छूट और लुभावनी योजनाएँ (iv) मनपसंद पुस्तकें खरीदना (v) यादगार पुस्तक मेला।

इस बार सितंबर में हमारे शहर चंडीगढ़ में पुस्तक मेला लगा। पुस्तक मेला ‘रोज़ गार्डन’ में लगाया गया। इस मेले के लिए आयोजकों ने पार्क को खूब सजाया। चारों तरफ चमकदार पर्दे लगाए। सतरंगी लाइटें लगाई गईं। इसके साथसाथ बच्चों के मनोरंजन के लिए अनेक खेलों का भी आयोजन किया गया। इस पुस्तक मेले में सौ से अधिक प्रकाशकों ने भाग लिया। इनमें दिव्य प्रकाशन, वाणी प्रकाशन, कमल प्रकाशन, अजय पुस्तक प्रकाशन, ऐम०बी०डी० प्रकाशन चंडीगढ़ प्रकाशन आदि प्रमुख थे। सभी प्रकाशकों ने अपनी-अपनी दुकानों को खूब सजाया हुआ था। सभी ने अपनी दुकानों पर किताबों को सजाकर लगाया हुआ था। प्रत्येक प्रकाशक ने खरीददारी के लिए आकर्षक छूट तथा लुभावनी योजनाएँ चला रखी थीं। कोई दो पुस्तकें खरीदेने पर एक पुस्तक मुफ्त तो कोई एक लक्की ड्रा नं० दे रहा था। कई प्रकाशक पुस्तक मूल्य पर पचास प्रतिशत की छूट दे रहे थे। मैंने इस मेले में अपनी मनपसंद पुस्तकें खरीदीं जिनमें रामायण, गोदान, पंचतंत्र की कथाएँ, संत कबीर के दोहे, रामचरितमानस, कुरुक्षेत्र आदि प्रमुख हैं। यह मेरे लिए ही नहीं बल्कि पूरे शहर के लिए एक यादगार मेला था। इसका आयोजन भव्य तरीके से किया गया था।

परीक्षोपयोगी अन्य अनुच्छेद

1. प्रदर्शनी में एक घंटा
पिछले महीने मुझे दिल्ली में अपने किसी मित्र के पास जाने का अवसर प्राप्त हुआ। संयोग से उन दिनों दिल्ली के प्रगति मैदान में एक अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी चल रही थी। मैंने अपने मित्र के साथ इस प्रदर्शनी को देखने का निश्चय किया। शाम को लगभग पाँच बजे हम प्रगति मैदान पर पहुँचे। प्रदर्शनी के मुख्य द्वार पर हमें यह सूचना मिल गई कि इस प्रदर्शनी में लगभग 30 देश भाग ले रहे हैं। हमने देखा की सभी देशों ने अपने-अपने पंडाल बड़े कलात्मक ढंग से सजाए हुए हैं। उन पंडालों में उन देशों की निर्यात की जाने वाली वस्तुओं का प्रदर्शन किया जा रहा था। अनेक भारतीय कम्पनियों ने भी अपने-अपने पंडाल सजाए हुए थे। प्रगति मैदान किसी दुल्हन की तरह सजाया गया था। प्रदर्शनी में सजावट और रोशनी का प्रबन्ध इतना शानदार था कि अनायास ही मन से वाह निकल पड़ती थी। प्रदर्शनी देखने आने वालों की काफ़ी भीड़ थी। हमने प्रदर्शनी के मुख्य द्वार से टिकट खरीद कर भीतर प्रवेश किया।

सबसे पहले हम जापान के पंडाल में गए। जापान ने अपने पंडाल में कृषि, संचार, कम्प्यूटर आदि से जुड़ी वस्तुओं का प्रदर्शन किया था। हमने वहाँ इक्कीसवीं सदी में टेलीफोन एवं दूर संचार सेवा कैसी होगी इस का एक छोटा-सा नमूना देखा। जापान ने ऐसे टेलीफोन का निर्माण किया है जिसमें बातें करने वाले दोनों व्यक्ति एक-दूसरे की फोटो भी देख सकेंगे। सारे पंडाल का चक्कर लगाकर हम बाहर आए। उसके बाद हमने दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी के पंडाल देखे। उस प्रदर्शनी को देखकर हमें लगा कि अभी भारत को उन देशों का मुकाबला करने के लिए काफ़ी मेहनत करनी होगी। हमने वहाँ भारत में बनने वाले टेलीफोन, कम्प्यूटर आदि का पंडाल भी देखा। वहाँ यह जानकारी प्राप्त करके मन बहुत खुश हुआ कि भारत दूसरे बहुत-से देशों को ऐसा सामान निर्यात करता है। भारतीय उपकरण किसी भी हालत विदेशों में बने सामान से कम नहीं थे। कोई घंटा भर प्रदर्शनी में घूमने के बाद हमने प्रदर्शनी में ही बने रेस्टोरेंट में चाय-पान किया और इक्कीसवीं सदी में दुनिया में होने वाली प्रगति का नक्शा आँखों में बसाए विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में होने वाली अत्याधुनिक जानकारी प्राप्त करके घर वापस आ गए।

2. परीक्षा शुरू होने से पहले
वैसे तो हर मनुष्य परीक्षा से घबराता है किन्तु विद्यार्थी इससे विशेष रूप से घबराता है। परीक्षा में पास होना ज़रूरी है, नहीं तो जीवन का एक बहुमूल्य वर्ष नष्ट हो जाएगा। अपने साथियों से बिछड़ जाएँगे। ऐसी चिन्ताएँ हर विद्यार्थी को रहती हैं। परीक्षा शुरू होने से पूर्व जब मैं परीक्षा भवन पहुँचा तो मेरा दिल धक्-धक् कर रहा था। परीक्षा शुरू होने से आधा घंटा पहले मैं वहाँ पहुँच गया था। मैं सोच रहा था कि सारी रात जाग कर जो प्रश्न तैयार किए हैं यदि वे प्रश्नपत्र में न आए तो मेरा क्या होगा ? इसी चिंता मैं अपने सहपाठियों से खुलकर बात नहीं कर रहा था। परीक्षा भवन के बाहर का दृश्य बड़ा विचित्र था। परीक्षा देने आए कुछ विद्यार्थी बिल्कुल बेफिक्र लग रहे थे। वे आपस में ठहाके मारमारकर बातें कर रहे थे। कुछ ऐसे भी विद्यार्थी थे जो अभी तक किताबों या नोट्स से चिपके हुए थे। कुछ विद्यार्थी आपस में नकल करने के तरीकों पर विचार कर रहे थे। मैं अकेला ऐसा विद्यार्थी था जो अपने साथ घर से कोई किताब या सहायक पुस्तक नहीं लाया था।

क्योंकि मेरे पिता जी कहा करते हैं कि परीक्षा के दिन से पहले की रात को ज्यादा पढ़ना नहीं चाहिए। सारे साल का पढ़ा हुआ भूल नहीं जाता, यदि आपने कक्षा में अध्यापक को ध्यान से सुना हो। वे परीक्षा के दिन से पूर्व की रात को जल्दी सोने की भी सलाह देते हैं, ताकि सवेरे उठकर विद्यार्थी ताज़ा दम होकर परीक्षा देने जाए न कि थका-थका महसूस करे। परीक्षा भवन के बाहर लड़कों की अपेक्षा लड़कियाँ अधिक खुश नज़र आ रही थीं। उनके खिले चेहरे देखकर ऐसा लगता था मानो परीक्षा के भूत का उन्हें कोई डर नहीं। उन्हें अपनी स्मरण शक्ति पर पूरा भरोसा था। इसी आत्मविश्वास के कारण तो लड़कियाँ हर परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करती हैं। दूसरे लड़कियाँ कक्षा में दत्तचित्त होकर अध्यापक का भाषण सुनती हैं जबकि लड़के शरारतें करते रहते हैं। थोड़ी ही देर में घंटी बजी। यह घण्टी परीक्षा भवन में प्रवेश की घण्टी थी। इसी घंटी को सुनकर सभी ने परीक्षा भवन की ओर जाना शुरू कर दिया। हँसते हुए चेहरों पर भी अब गंभीरता आ गई थी। परीक्षा भवन के बाहर अपना रोल नंबर और सीट नंबर देखकर मैं परीक्षा भवन में दाखिल हुआ और अपनी सीट पर जाकर बैठ गया। कुछ विद्यार्थी अब भी शरारतें कर रहे थे। मैं मौन हो धड़कते दिल से प्रश्न-पत्र बँटने की प्रतीक्षा करने लगा।

3. छुट्टी का दिन
छुट्टी के दिन की हर किसी को प्रतीक्षा होती है। विशेषकर विद्यार्थियों को तो इस दिन की प्रतीक्षा बड़ी बेसब्री से होती है। उस दिन न तो जल्दी उठने की चिन्ता होती है, न स्कूल जाने की। स्कूल में भी छुट्टी की घंटी बजते ही विद्यार्थी कितनी प्रसन्नता से छुट्टी ओए’ का नारा लगाते हुए कक्षाओं से बाहर आ जाते हैं। अध्यापक महोदय के भाषण का आधा वाक्य ही उनके मुँह में रह जाता है और विद्यार्थी कक्षा छोड़कर बाहर की ओर भाग जाते हैं। और जब यह पता चलता है कि आज दिनभर की छुट्टी है तो विद्यार्थी की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। छुट्टी के दिन का पूरा मज़ा तो लड़के ही उठाते हैं। वे उस दिन खूब जी भर कर खेलते हैं, घूमते हैं। कोई सारा दिन क्रिकेट के मैदान में बिताता है तो कोई पतंगबाजी में सारा दिन बिता देते हैं। सुबह के घर से निकले शाम को ही घर लौटते हैं। कोई कुछ कहे तो उत्तर मिलता है कि आज तो छुट्टी है। परन्तु हम लड़कियों के लिए छुट्टी का दिन घरेलू कामकाज का दिन होता है। हाँ, यह ज़रूर है कि उस दिन पढ़ाई से छुट्टी होती है।

छुट्टी के दिन मुझे सुबह सवेरे उठ कर अपनी माता जी के साथ कपड़े धोने में सहायता करनी पड़ती है। मेरी माता जी एक स्कूल में पढ़ाती हैं अत: उनके पास कपड़े धोने के लिए केवल छुट्टी का दिन ही उपयुक्त होता है। कपड़े धोने के बाद मुझे अपने बाल धोने होते हैं बाल धोकर स्नान करके फिर रसोई में माता जी का हाथ बंटाना पड़ता है। छुट्टी के दिन ही हमारे घर में विशेष व्यंजन पकते हैं। दूसरे दिनों में तो सुबह सवेरे तो सब को भागम-भाग लगी होती है किसी को स्कूल जाना होता है तो किसी को दफ्तर। दोपहर के भोजन के पश्चात् थोड़ा आराम करते हैं। फिर माता जी मुझे लेकर बैठ जाती हैं। कुछ सिलाई, बुनाई या कढ़ाई की शिक्षा देने। उनका मानना है कि लड़कियों को ये सब काम आने चाहिए। शाम होते ही शाम की चाय का समय हो जाता है। छुट्टी के दिन शाम की चाय में कभी समोसे कभी पकौड़े बनाये जाते हैं। चाय पीने के बाद फिर रात के खाने की चिंता होने लगती है और इस तरह छुट्टी का दिन एक लड़की के लिए छुट्टी का नहीं अधिक काम का दिन होता है। सोचती हूँ काश मैं लड़का होती तो मैं भी छुट्टी के दिन का पूरा आनंद उठाती।।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

4. वर्षा ऋतु की पहली वर्षा
जून का महीना था। सूर्य अंगारे बरसा रहा था। धरती तप रही थी। पशु पक्षी तक गर्मी के मारे परेशान थे। हमारे यहाँ तो कहावत प्रचलित है कि ‘जेठ हाड़ दियां धुपां पोह माघ दे पाले’। जेठ अर्थात् ज्येष्ठ महीना हमारे प्रदेश में सबसे अधिक तपने वाला महीना होता है। इसका अनुमान तो हम जैसे लोग ही लगा सकते हैं। मजदूर और किसान ही इस तपती गर्मी को झेलते हैं, पंखों, कूलरों या एयर कंडीशनरों में बैठे लोगों को इस गर्मी की तपश का अनुमान नहीं हो सकता। ज्येष्ठ महीना बीता, आषाढ़ महीना शुरू हुआ इस महीने में ही वर्षा ऋतु की पहली वर्षा होती है। सब की दृष्टि आकाश की ओर उठती है। किसान लोग तो ईश्वर से प्रार्थना के लिए अपने हाथ ऊपर उठा देते हैं। सहसा एक दिन आकाश में बादल छा गये। बादलों की गड़गड़ाहट सुनकर मोर अपनी मधुर आवाज़ में बोलने लगे। हवा में भी थोड़ी शीतलता आ गई। मैं अपने कुछ साथियों के साथ वर्षा ऋतु की पहली वर्षा का स्वागत करने की तैयारी करने लगा। धीरे-धीरे हल्की-हल्की बूंदा-बांदी शुरू हो गयी। हमारी मंडली की खुशी का ठिकाना न रहा। मैं अपने साथियों के साथ गाँव की गलियों में निकल पड़ा। साथ ही हम नारे लगाते जा रहे थे, ‘कालियां इट्टां काले रोड़, मीह बरसा दे जोरो जोर।’

कुछ साथी गा रहे थे ‘बरसो राम धड़ाके से, बुढ़िया मर गई फाके से’। किसान लोग भी खुश थे। उसका कहना था’बरसे सावन तो पाँच के हो बावन’ नववधुएँ भी कह उठीं ‘बरसात वर के साथ’ और विरहिणी स्त्रियाँ भी कह उठीं कि ‘छुट्टी लेके आजा बालमा, मेरा लाखों का सावन जाए।’ वर्षा तेज़ हो गयी थी। हमारी मित्र मण्डली वर्षा में भीगती गलियों से निकल खेतों की ओर चल पड़ी। खुले में वर्षा में भीगते, नहाने का मज़ा ही कुछ और है। हमारी मित्र मण्डली में गाँव के और बहुत से लड़के शामिल हो गये थे। वर्षा भी उस दिन कड़ाके से बरसी। मैं उन क्षणों को कभी भूल नहीं सकता। सौंदर्य का ऐसा साक्षात्कार मैंने कभी न किया था। जैसे वह सौंदर्य अस्पृश्य होते हुए भी मांसल हो। मैं उसे छू सकता था, देख सकता था और पी सकता था। मुझे अनुभव हुआ कि कवि लोग क्योंकर ऐसे दृश्यों से प्रेरणा पांकर अमर काव्य का सृजन करते हैं। वर्षा में भीगना, नहाना, नाचना, खेलना उन लोगों के भाग्य में कहाँ जो बड़ीबड़ी कोठियों में एयरकंडीशनड कमरों में रहते हैं।

5. रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य
एक दिन संयोग से मुझे अपने बड़े भाई को लेने रेलवे स्टेशन पर जाना पड़ा। मैं प्लेटफार्म टिकट लेकर रेलवे स्टेशन के अन्दर गया। पूछताछ खिड़की से पता लगा कि दिल्ली से आने वाली गाड़ी प्लेटफार्म नं० 4 पर आएगी। मैं रेलवे पुल पार करके प्लेटफार्म नं0 4 पर पहुँच गया। वहाँ यात्रियों की काफ़ी बड़ी संख्या मौजूद थी। कुछ लोग मेरी तरह अपने प्रियजनों को लेने के लिए आए थे तो कुछ लोग अपने प्रियजनों को गाड़ी में सवार कराने के लिए आए हुए थे। जाने वाले यात्री अपने-अपने सामान के पास खड़े थे। कुछ यात्रियों के पास कुली भी खड़े थे। मैं भी उन लोगों की तरह गाड़ी की प्रतीक्षा करने लगा। इसी दौरान मैंने अपनी नज़र रेलवे प्लेटफार्म पर दौड़ाई। मैंने देखा कि अनेक युवक और युवतियाँ अत्याधुनिक पोशाक पहने इधर-उधर घूम रहे थे। कुछ युवक तो लगता था यहाँ केवल मनोरंजन के लिए ही आए थे। वे आने जाने वाली लड़कियों, औरतों को अजीब-अजीब नज़रों से घूर रहे थे। ऐसे युवक दो-दो, चारचार के ग्रुप में थे। कुछ यात्री टी-स्टाल पर खड़े चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे, परन्तु उनकी नज़रें बार-बार उस तरफ उठ जाती थीं, जिधर से गाड़ी आने वाली थी।

कुछ यात्री बड़े आराम से अपने सामान के पास खड़े थे, लगता था कि उन्हें गाड़ी आने पर जगह प्राप्त करने की कोई चिंता नहीं। उन्होंने पहले से ही अपनी सीट आरक्षित करवा ली थी। कुछ फेरी वाले भी अपना माल बेचते हुए प्लेटफार्म पर घूम रहे थे। सभी लोगों की नज़रें उस तरफ थीं जिधर से गाड़ी ने आना था। तभी लगा जैसे गाड़ी आने वाली हो। प्लेटफार्म पर भगदड़-सी मच गई। सभी यात्री अपना-अपना सामान उठाकर तैयार हो गए। कुलियों ने सामान अपने सिर पर रख लिया। सारा वातावरण उत्तेजना से भर गया। देखते ही देखते गाड़ी प्लेटफार्म पर आ पहुँची। कुछ युवकों ने तो गाड़ी के रुकने की भी प्रतीक्षा न की। वे गाड़ी के साथ दौड़ते-दौड़ते गाड़ी में सवार हो गए। गाड़ी रुकी तो गाड़ी में सवार होने के लिए धक्कम-पेल शुरू हो गयी। हर कोई पहले गाड़ी में सवार हो जाना चाहता था। उन्हें दूसरों की नहीं अपनी केवल अपनी चिन्ता थी। मेरे भाई मेरे सामने वाले डिब्बे में थे। उनके गाड़ी से नीचे उतरते ही मैंने उनके चरण स्पर्श किए और उनका सामान उठाकर स्टेशन से बाहर की ओर चल पड़ा। चलते-चलते मैंने देखा जो लोग अपने प्रियजनों को गाड़ी में सवार कराकर लौट रहे थे उनके चेहरे उदास थे और मेरी तरह जिनके प्रियजन गाड़ी से उतरे थे उनके चेहरों पर रौनक थी, खुशी थी।

6. बस अड्डे का दृश्य
आजकल पंजाब में लोग अधिकतर बसों से ही यात्रा करते हैं। पंजाब का प्रत्येक गाँव मुख्य सड़क से जुड़ा होने के कारण बसों का आना-जाना अब लगभग हर गाँव में होने लगा है। बस अड्डों का जब से प्रबन्ध पंजाब रोडवेज़ के अधिकार क्षेत्र में आया है बस अड्डों का हाल दिनों-दिन बुरा हो रहा है। हमारे शहर का बस अड्डा भी उन बस अड्डों में से एक है जिसका प्रबन्ध हर दृष्टि से नाकारा है। इस बस अड्डे के निर्माण से पूर्व बसें अलग-अलग स्थानों से अलगअलग अड्डों से चला करती थीं। सरकार ने यात्रियों की असुविधा को ध्यान में रखते हुए सभी बस अड्डे एक स्थान पर कर दिए। शुरू-शुरू में तो लोगों को लगा कि सरकार का यह कदम बड़ा सराहनीय है किन्तु ज्यों-ज्यों समय बीतता गया जनता की कठिनाइयाँ, परेशानियाँ बढ़ने लगीं। हमारे शहर के बस अड्डे पर भी अन्य शहरों की तरह अनेक दुकानें बनाई गई हैं, जिनमें खान-पान, फल, सब्जियों आदि की दुकानों के अतिरिक्त पुस्तकों की, मनियारी आदि की भी अनेक दुकानें हैं। हलवाई की दुकान से उठने वाला धुआँ सारे यात्रियों की परेशानी का कारण बनता है। चाय पान आदि की दुकानों की साफ़-सफ़ाई की तरफ कोई ध्यान नहीं देता।

वहाँ माल भी महँगा मिलता है और गन्दा भी। बस अड़े में अनेक फलों की रेहड़ी वालों को भी माल बेचने की आज्ञा दी गई है। ये लोग काले लिफ़ाफे रखते हैं जिनमें वे सड़े-गले फल पहले से ही तोल कर रखते हैं और लिफ़ाफा इस चतुराई से बदलते हैं कि यात्री को पता ही नहीं चलता। घर पहुँच कर ही पता चलता है कि उन्होंने जो फल (सेब या आम) चुने थे वे बदल दिए गए हैं। अड्डा इन्चार्ज इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही नहीं करते। बस अड्डे की शौचालय की साफ़-सफ़ाई न होने के बराबर है। यात्रियों को टिकट देने के लिए लाइन नहीं लगवाई जाती। बस आने पर लोग भाग-दौड़ कर बस में सवार होते हैं। औरतों, बच्चों और वृद्ध लोगों का बस में चढ़ना कठिन होता है। बहुत बार देखा गया है कि जितने लोग बस के अन्दर होते हैं उतने ही बस के ऊपर चढ़े होते हैं। पंजाब में एक कहावत प्रसिद्ध है कि ‘रोडवेज़ की लारी न कोई शीशा न बारी’ पर बस अड्डों का हाल तो उनसे भी बुरा है। जगह-जगह खड्डे, कीचड़, मक्खियाँ, मच्छर और न जाने क्या क्या। आज यह बस अड्डे जेबकतरों और नौसर बाजों के अड्डे बने हुए हैं। हर यात्री को अपने-अपने घर पहुँचने की जल्दी होती है इसलिए कोई भी बस अड्डे की इस दुर्दशा की ओर ध्यान नहीं देता।

7. भूचाल का दृश्य
गर्मियों की रात थी। मैं अपने भाइयों के साथ मकान की छत पर सो रहा था। रात लगभग आधी बीत चुकी थी। गर्मी के मारे मुझे नींद नहीं आ रही थी। तभी अचानक कुत्तों के भौंकने का स्वर सुनाई पड़ा। यह स्वर लगातार बढ़ता ही जा रहा था और लगता था कि कुत्ते तेज़ी से इधर-उधर भाग रहे हैं। कुछ ही क्षण बाद हमारी मुर्गियों ने दरबों में फड़फड़ाना शुरू कर दिया। उनकी आवाज़ सुनकर ऐसा लगता था कि जैसे उन्होंने किसी साँप को देख लिया हो। मैं बिस्तर पर लेटा-लेटा कुत्तों के भौंकने के कारण विचार करने लगा। मैंने समझा कि शायद वे किसी चोर को या संदिग्ध व्यक्ति को देखकर भौंक रहे हैं। अभी मैं इन्हीं बातों पर विचार कर ही रहा था कि मुझे लगा जैसे मेरी चारपाई को कोई हिला रहा है अथवा किसी ने मेरी चारपाई को झुला दिया हो। क्षण भर में ही मैं समझ गया कि भूचाल आया है। यह झटका भूचाल का ही था। मैंने तुरंत अपने भाइयों को जगाया और उन्हें छत से शीघ्र नीचे उतरने को कहा। छत से उतरते समय हमने परिवार के अन्य सदस्यों को भी जगा दिया। तेजी से दौड़कर हम सब बाहर खुले मैदान में आ गए। वहाँ पहुँच कर हमने शोर मचाया कि भूचाल आया है।

सब लोग घरों से बाहर आ जाओ। सभी गहरी नींद सोए पड़े थे हड़बड़ाहट में सभी बाहर की ओर दौड़े। मैंने उन्हें बताया कि भूचाल के झटके कभी-कभी कुछ मिनटों के बाद भी आते हैं अतः हमें सावधान रहना चाहिए। अभी यह बात मेरे मुँह में ही थी कि भूचाल का एक ज़ोरदार झटका और आया। सारे मकानों की खिड़कियाँ-दरवाज़े खड़-खड़ा उठे। हमें धरती हिलती मालूम हुई। हम सब धरती पर लेट गए। तभी पड़ोस के दो मकान ढहने की आवाज़ आई। साथ ही बहुत से लोगों के चीखने-चिल्लाने की आवाजें भी आईं। हम में से कोई भी डर के मारे अपनी जगह से नहीं हिला। कुछ देर बाद जब हमने सोचा कि जितना भूचाल आना था आ चुका, हम उन जगहों की ओर बढ़े। निकट जाकर देखा तो काफ़ी मकान क्षतिग्रस्त हुए थे। ईश्वर कृपा से जान माल की कोई हानि न हुई थी। किन्तु वह रात सारे गाँववासियों ने पुनः भूचाल के आने की आशंका में घरों से बाहर रह कर ही रात बितायी।

8. रेल यात्रा का अनुभव
हमारे देश में रेलवे ही एक ऐसा विभाग है जो यात्रियों को टिकट देकर सीट की गारंटी नहीं देता। रेल का टिकट खरीद कर सीट मिलने की बात तो बाद में आती है पहले तो गाड़ी में घुस पाने की भी समस्या सामने आती है। और यदि कहीं आप बाल-बच्चों अथवा सामान के साथ यात्रा कर रहे हों तो यह समस्या और भी विकट हो उठती है। कभीकभी तो ऐसा भी होता है कि टिकट पास होते हुए भी आप गाड़ी में सवार नहीं हो पाते और ‘दिल की तमन्ना दिल में रह गयी’ गाते हुए या रोते हुए घर लौट आते हैं। रेलगाड़ी में सवार होने से पूर्व गाड़ी की प्रतीक्षा करने का समय बड़ा कष्टदायक होता है। मैं भी एक बार रेलगाड़ी में मुंबई जाने के लिए स्टेशन पर गाड़ी की प्रतीक्षा कर रहा था। गाड़ी कोई दो घंटे लेट थी। यात्रियों की बेचैनी देखते ही बनती थी। गाड़ी आई तो गाड़ी में सवार होने के लिए जोर आजमाई शुरू हो गयी। किस्मत अच्छी थी कि मैं गाड़ी में सवार होने में सफल हो सका। गाडी चले अभी घंटा भर ही हुआ था कि कुछ यात्रियों के मुख से मैंने सुना कि यह डिब्बा जिसमें मैं बैठा था अमुक स्थान पर कट जाएगा। यह सुनकर मैं तो दुविधा में पड़ गया।

गाड़ी रात के एक बजे उस स्टेशन पर पहुँची जहाँ हमारा वह डिब्बा मुख्य गाड़ी से कटना था और हमें दूसरे डिब्बे में सवार होना था। उस समय अचानक तेज़ वर्षा होने लगी। स्टेशन पर कोई भी कुली नज़र नहीं आ रहा था। सभी यात्री अपना-अपना सामान उठाए वर्षा में भीगते हुए दूसरे डिब्बे की ओर भागने लगे। मैंने भी ईश्वर चन्द्र विद्यासागर का स्मरण करते हुए अपना सामान स्वयं ही उठाने का निर्णय करते हुए अपना सामान गाड़ी से उतारने लगा। मैं अपना अटैची लेकर उतरने लगा कि एक दम से वह डिब्बा चलने लगा। मैं गिरते-गिरते बचा और अटैची मेरे हाथ से छूट कर प्लेटफार्म पर गिर पड़ा और पता नहीं कैसे झटके के साथ खुल गया। मेरे कपड़े वर्षा में भीग गए। मैंने जल्दी-जल्दी अपना सामान समेटा और दूसरे डिब्बे की ओर बढ़ गया। गर्मी का मौसम और उस डिब्बे के पंखे बंद। खैर गाड़ी चली तो थोड़ी हवा लगी और कुछ राहत मिली। बड़ी मुश्किल से मैं मुम्बई पहुंचा।

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9. बस यात्रा का अनुभव
पंजाब में बस-यात्रा करना कोई आसान काम नहीं है। एक तो पंजाब की बसों के विषय में पहले ही कहावत प्रसिद्ध है कि ‘रोडवेज़ की लारी न कोई शीशा न कोई बारी’ दूसरे 52 सीटों वाली बस में ऊपर-नीचे कोई सौ-सवा सौ आदमी सवार होते हैं। ऐसे अवसरों पर कंडक्टर महाशय की तो चाँदी होती है। वे न किसी को टिकट देते हैं और न किसी को बाकी पैसे। मुझे भी एक बार ऐसी ही बस में यात्रा करने का अनुभव हुआ। मैं बस अड्डे पर उस समय पहुँचा जब बस चलने वाली ही थी अतः मैं टिकट खिड़की की ओर न जाकर सीधा बस की ओर बढ़ गया। बस ठसा-ठस भरी हुई थी। मुझे जाने की जल्दी थी इसलिए मैं भी उस बस में घुस गया। बड़ी मुश्किल से खड़े होने की जगह मिली। मेरे बस में सवार होने के बाद भी बहुत-से यात्री बस में चढ़ना चाहते थे। कंडक्टर ने उन्हें बस की छत के ऊपर चढ़ने के लिए कहा। पुरुष यात्री तो सभी छत्त पर चढ़ गए परन्तु स्त्रियाँ और बच्चे न चढ़े। बस चली तो लोगों ने सुख की सांस ली।

थोड़ी देर में बस कंडक्टर टिकट काटता हुआ मेरे पास आया। मुझे लगा उसने शराब पी रखी है। मुझ से पैसे लेकर उसने बकाया मेरी टिकट के पीछे लिख दिया और आगे बढ़ गया। मैंने अपने पास खड़े एक सज्जन से कंडक्टर के शराब पीने की बात कही तो उन्होंने कहा कि शाम के समय ये लोग ऐसे ही चलते हैं। हराम की कमाई है शराब में नहीं उड़ाएँगे तो और कहाँ उड़ाएँगे। थोड़ी ही देर में एक बूढ़ी स्त्री का उस कंडक्टर से झगड़ा हो गया। कंडक्टर उसे फटे हुए नोट बकाया के रूप में वापिस कर रहा था और बुढ़िया उन नोटों को लेने से इन्कार कर रही थी। कंडक्टर कह रहा था ये सरकारी नोट हैं हमने कोई अपने घर तो बनाए नहीं। इसी बीच उसने उस बुढ़िया को कुछ अपशब्द कहे। बुढ़िया ने उठ कर उसको. गले से पकड़ लिया। सारे यात्री कंडक्टर के विरुद्ध हो गए। कंडक्टर बजाए क्षमा माँगने के और भी गर्म हो रहा था। अभी उनमें यह झगड़ा चल ही रहा था कि मेरे गाँव का बस स्टॉप आ गया। बस रुकी और मैं जल्दी से उतर गया। बस क्षण भर रुकने के बाद आगे बढ़ गयी। मेरी साँस में साँस आई। जैसे मुझे किसी ने शिकंजे में दबा रखा हो। इसी घबराहट में मैं कंडक्टर से अपने बकाया पैसे लेना भी भूल गया।

10. परीक्षा भवन का दृश्य
मार्च महीने की पहली तारीख थी। उस दिन हमारी वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो रही थीं। परीक्षा शब्द से वैसे सभी मनुष्य घबराते हैं परन्तु विद्यार्थी वर्ग इस शब्द से विशेष रूप से घबराता है। मैं जब घर से चला तो मेरा दिल भी धक्-धक् कर रहा था। रातभर पढ़ता रहा। चिन्ता थी कि यदि सारी रात के पढ़े में से कुछ भी प्रश्न-पत्र में न आया तो क्या होगा। परीक्षा भवन के बाहर सभी विद्यार्थी चिन्तित से नज़र आ रहे थे। कुछ विद्यार्थी किताबें लेकर अब भी उनके पन्ने उलटपुलट रहे थे। कुछ बड़े खुश-खुश नज़र आ रहे थे। लड़कों से ज़्यादा लड़कियाँ अधिक गम्भीर नज़र आ रही थीं। कुछ लड़कियाँ तो बड़े आत्मविश्वास से भरी दिखाई पड़ रही थीं। मानों कह रही हों परीक्षक जो भी कुछ पूछ ले हमें सब आता है। लड़कियाँ इसी आत्मविश्वास के कारण ही शायद हर परीक्षा में लड़कों से बाज़ी मार जाती हैं। मैं अपने सहपाठियों से उस दिन के प्रश्न-पत्र के बारे में बात कर ही रहा था कि परीक्षा भवन में घंटी बजनी शुरू हो गई। यह संकेत था कि हमें परीक्षा भवन में प्रवेश कर जाना चाहिए। सभी विद्यार्थियों ने परीक्षा भवन में प्रवेश करना शुरू कर दिया। भीतर पहुँच कर हम सब अपने-अपने रोल नं० के अनुसार अपनी-अपनी सीट पर जाकर बैठ गए।

थोड़ी ही देर में अध्यापकों द्वारा उत्तर-पुस्तिकाएँ बाँट दी गईं और हमने उस पर अपना-अपना रोल नं० आदि लिखना शुरू कर दिया। ठीक नौ बजते ही एक घण्टी बजी और अध्यापकों ने प्रश्न-पत्र बाँट दिए। कुछ विद्यार्थी प्रश्न-पत्र प्राप्त करके उसे माथा टेकते देखे गए। मैंने भी ऐसा ही किया। माथा टेकने के बाद मैंने प्रश्न-पत्र पढ़ना शुरू किया। मेरी खुशी का कोई ठिकाना न था क्योंकि प्रश्न-पत्र के सभी प्रश्न मेरे पढ़े हुए या तैयार किए हुए प्रश्नों में से थे। मैंने किए जाने वाले प्रश्नों पर निशान लगाए और कुछ क्षण तक यह सोचा कि कौन-सा प्रश्न पहले करना चाहिए और फिर उत्तर लिखना शुरू कर दिया। मैंने देखा कुछ विद्यार्थी अभी बैठे सोच ही रहे थे शायद उनके पढ़े में से कोई प्रश्न न आया हो। तीन घण्टे तक मैं बिना इधर-उधर देखे लिखता रहा। परीक्षा भवन से बाहर आकर ही मुझे पता चला कि कुछ विद्यार्थियों ने बड़ी नकल की परन्तु मुझे इसका कुछ पता नहीं चला। मेज़ से सिर उठाता तो पता चलता। मैं प्रसन्न था कि उस दिन मेरा पर्चा बहुत अच्छा हुआ था।

11. मेरे जीवन की अविस्मरणीय घटना
आज मैं नवमी कक्षा में हो गया हूँ। माता-पिता कहते हैं कि अब तुम बड़े हो गये हो। मैं भी कभी-कभी सोचता हूँ कि क्या मैं सचमुच बड़ा हो गया हूँ। हाँ, मैं सचमुच बड़ा हो गया हूँ। मुझे बीते दिनों की कुछ बातें आज भी याद हैं जो मेरा मार्गदर्शन कर रही हैं। एक घटना ऐसी है जिसे मैं आज भी याद करके आनन्द विभोर हो उठता हूँ। घटना कुछ इस तरह से है। कोई दो-तीन साल पहले की घटना है। मैंने एक दिन देखा कि हमारे आँगन में लगे वृक्ष के नीचे एक चिड़िया का बच्चा घायल अवस्था में पड़ा है। मैं उस बच्चे को उठा कर अपने कमरे में ले आया। मेरी माँ ने मुझे रोका भी कि इसे इस तरह न उठाओ यह मर जाएगा किन्तु मेरा मन कहता था कि इस चिड़िया के बच्चे को बचाया जा सकता है। मैंने उसे चम्मच से पानी पिलाया। मुँह में पानी जाते ही बेहोश से पड़े बच्चे ने पंख फड़फड़ाने शुरू कर दिये। यह देख कर मैं प्रसन्न हुआ। मैंने उसे गोद में लेकर देखा कि उस की टाँग में चोट आई है।

मैंने अपने छोटे भाई को माँ से मरहम की डिबिया लाने के लिए कहा। वह तुरन्त मरहम की डिबिया ले आया। उस में से थोड़ी सी मरहम मैंने उस चिड़िया के बच्चे की चोट पर लगाई। मरहम लगते ही मानो उसकी पीड़ा कुछ कम हुई। वह चुपचाप मेरी गोद में ही लेटा था। मेरा छोटा भाई भी उस के पंखों पर हाथ फेर कर खुश हो रहा था। कोई घंटा भर मैं उसे गोद में ही लेकर बैठा रहा। मैंने देखा कि बच्चा थोड़ा उड़ने की कोशिश करने लगा था। मैंने छोटे भाई से एक रोटी मँगवाई और उसकी चूरी बनाकर उसके सामने रखी। वह उसे खाने लगा। हम दोनों भाई उसे खाते हुए देख कर खुश हो रहे थे। मैंने उसे तब अपनी पढ़ाई की मेज़ पर रख दिया। रात को एक बार फिर उस के घाव पर मरहम लगाई। दूसरे दिन मैंने देखा चिड़िया का वह बच्चा मेरे कमरे में इधर-उधर फुदकने लगा है। वह मुझे देख चींची करके मेरे प्रति अपना आभार प्रकट कर रहा था। एक दो दिनों में ही उस का घाव ठीक हो गया और मैंने उसे आकाश में छोड़ दिया। वह उड़ गया। मुझे उस चिड़िया के बच्चे के प्राणों की रक्षा करके जो आनन्द प्राप्त हुआ उसे मैं जीवन भर नहीं भुला पाऊँगा।

12. आँखों देखा हॉकी मैच
भले ही आज लोग क्रिकेट के दीवाने बने हुए हैं परन्तु हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी ही है। लगातार कई वर्षों तक भारत हॉकी के खेल में विश्वभर में सबसे आगे रहा किन्तु खेलों में भी राजनीतिज्ञों के दखल के कारण हॉकी के खेल में हमारा स्तर दिनों-दिन गिर रहा है। 70 मिनट की अवधि वाला यह खेल अत्यन्त रोचक, रोमांचक और उत्साहवर्धक होता है। मेरा सौभाग्य है कि मुझे ऐसा ही एक हॉकी मैच देखने को मिला। यह मैच नामधारी एकादश और रोपड़ हॉक्स की टीमों के बीच रोपड़ के खेल परिसर में खेला गया। दोनों टीमें अपने-अपने खेल के लिए पंजाब भर में जानी जाती हैं। दोनों ही टीमों में राष्ट्रीय स्तर के कुछ खिलाड़ी भाग ले रहे थे। रोपड़ हॉक्स की टीम क्योंकि अपने घरेलू मैदान पर खेल रही थी। इसलिए उसने नामधारी एकादश को मैच के आरम्भिक दस मिनटों में दबाए रखा। उसके फारवर्ड खिलाड़ियों ने दो-तीन बार विरोधी गोल पर आक्रमण किए। परन्तु नामधारी एकादश का गोलकीपर बहुत चुस्त और होशियार था उसने अपने विरोधियों के सभी आक्रमणों को विफल बना दिया। तब नामधारी एकादश ने तेजी पकड़ी और देखते ही देखते रोपड़ हॉक्स के विरुद्ध एक गोल दाग दिया।

गोल होने पर रोपड़ हॉक्स की टीम ने भी एक जुट होकर दो-तीन बार नामधारी एकादश पर कड़े आक्रमण किए परन्तु उनका प्रत्येक आक्रमण विफल रहा। इसी बीच रोपड़ हॉक्स को दो पेनल्टी कार्नर भी मिले पर वे इसका लाभ न उठा सके। नामधारी एकादश ने कई अच्छे मूव बनाए उनका कप्तान बलजीत सिंह तो जैसे बलबीर सिंह ओलम्पियन की याद दिला रहा था। इसी बीच नामधारी एकादश को भी एक पेनल्टी कार्नर मिला जिसे उन्होंने बड़ी खूबसूरती से गोल में बदल दिया। इससे रोपड़ हॉक्स के खिलाड़ी हताश हो गए। रोपड़ के दर्शक भी उनके खेल को देख कर कुछ निराश हुए। मध्यान्तर के समय नामधारी एकादश दो शून्य से आगे थी। मध्यान्तर के बाद खेल बड़ी तेज़ी से शुरू हुआ। रोपड़ हॉक्स के खिलाड़ी बड़ी तालमेल से आगे बढ़े और कप्तान हरजीत सिंह ने दायें कोण से एक बढ़िया हिट लगाकर नामधारी एकादश पर एक गोल कर दिया। इस गोल से रोपड़ हॉक्स के जोश में ज़बरदस्त वृद्धि हो गई। उन्होंने अगले पांच मिनटों में दूसरा गोल करके मैच बराबरी पर ला दिया। दर्शक खुशी के मारे नाच उठे। मैच समाप्ति की सीटी के बजते ही दर्शकों ने अपने खिलाड़ियों को मैदान में जाकर शाबाशी दी। मैच का स्तर इतना अच्छा था कि मैच देखकर आनन्द आ गया।

13. आँखों देखी दुर्घटना का दृश्य
पहले रविवार की बात है मैं अपने मित्र के साथ सुबह-सुबह सैर करने माल रोड पर गया। वहाँ बहुत से स्त्री-पुरुष और बच्चे भी सैर करने आये हुए थे। जब से दूरदर्शन पर स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्यक्रम आने लगे हैं अधिक-से-अधिक लोग प्रातः भ्रमण के लिए इन जगहों पर आने लगे हैं। रविवार होने के कारण उस दिन भीड़ कुछ अधिक थी। तभी मैंने वहाँ एक युवा दम्पति को अपने छोटे बच्चे को बच्चा गाड़ी में बिठा कर सैर करते देखा। अचानक लड़कियों के स्कूल की ओर एक टांगा आता हुआ दिखाई पड़ा उसमें चार-पाँच सवारियाँ भी बैठी थीं। बच्चा गाड़ी वाले दम्पति ने टांगे से बचने के लिए सड़क पार करनी चाही। जब वे सड़क पार कर रहे थे तो दूसरी तरफ से बड़ी तेज़ गति से आ रही एक कार उस टाँगे से टकरा गई। टांगा चलाने वाला और दो सवारियाँ बुरी तरह से घायल हो गए थे। बच्चा गाड़ी वाली स्त्री के हाथ से बच्चा गाड़ी छूट गई किन्तु इस से पूर्व कि वह बच्चे समेत टांगे और कार की टक्कर वाली जगह पर पहुँच कर उनसे टकरा जाती मेरे साथी ने भागकर उस बच्चा गाड़ी को सम्भाल लिया। कार चलाने वाले सज्जन को भी काफ़ी चोटें आई थीं पर उसकी कार को कोई खास क्षति नहीं पहुंची थी।

माल रोड पर गश्त करने वाली पुलिस के तीनचार सिपाही तुरन्त घटना स्थल पर पहुँच गए। उन्होंने वायरलैस द्वारा अपने अधिकारियों और हस्पताल को फोन किया। कुछ ही मिनटों में वहाँ एम्बूलेंस गाड़ी आ गई। हम सब ने घायलों को उठा कर एम्बूलैंस में लिटाया। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी तुरंत वहाँ पहुँच गए। उन्होंने कार चालक को पकड़ लिया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया कि सारा दोष कार चालक का था। इस सैर सपाटे वाली सड़क पर वह 100 कि०मी० की स्पीड से कार चला रहा था और तांगा सामने आने पर ब्रेक न लगा सका। दूसरी तरफ बच्चे को बचाने के लिए मेरे मित्र द्वारा दिखाई फुर्ती और चुस्ती की भी लोग सराहना कर रहे थे। उस दम्पति ने उसका विशेष धन्यवाद किया। बाद में हमें पता चला कि तांगा चालक ने हस्पताल में जाकर दम तोड़ दिया। जिसने भी इस घटना के बारे में सुना वह दु:खी हुए बिना न रह सका।

14. कैसे मनाई हमने पिकनिक
पिकनिक एक ऐसा शब्द है जो थके हुए शरीर एवं मन में एक दम स्फूर्ति ला देता है। मैंने और मेरे मित्र ने परीक्षा के दिनों में बड़ी मेहनत की थी। परीक्षा का तनाव हमारे मन और मस्तिष्क पर विद्यमान था अतः उस तनाव को दूर करने के लिए हम दोनों ने यह निर्णय किया कि क्यों न किसी दिन माधोपुर हैडवर्क्स पर जाकर पिकनिक मनायी जाए। अपने इस निर्णय से अपने मुहल्ले के दो-चार और मित्रों को अवगत करवाया तो वे भी हमारे साथ चलने को तैयार हो गए। माधोपुर हैडवर्क्स हमारे शहर से लगभग 10 कि०मी० दूरी पर था अतः हम सबने अपने-अपने साइकिलों पर जाने का निश्चय किया। पिकनिक के लिए रविवार का दिन निश्चित किया गया क्योंकि उस दिन वहाँ बड़ी रौनक रहती है। रविवार वाले दिन हम सब ने नाश्ता करने के बाद अपने-अपने लंच बॉक्स तैयार किए तथा कुछ अन्य खाने का सामान अपने-अपने साइकिलों पर रख लिया। मेरे मित्र के पास एक छोटा टेपरिकार्डर भी था उसे भी उसने साथ ले लिया तथा साथ में कुछ अपने मनपसंद गानों की टेप भी रख ली। हम सब अपनी-अपनी साइकिल पर सवार हो, हँसते गाते एकदूसरे को चुटकले सुनाते पिकनिक स्थल की ओर बढ़ चले। लगभग 45 मिनट में हम सब माधोपुर हैडवर्क्स पर पहुँच गए।

वहाँ हम ने प्रकृति को अपनी सम्पूर्ण सुषमा के साथ विराजमान देखा। चारों तरफ रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे शीतल और मन्द-मन्द हवा बह रही थी। हमने एक ऐसी जगह चुनी जहाँ घास की प्राकृतिक कालीन बिछी हुई थी। हमने वहाँ एक दरी, जो हम साथ लाए थे, बिछा दी। साइकिल चलाकर हम थोड़ा थक गए थे अतः हमने पहले थोड़ी देर विश्राम किया। हमारे एक साथी ने हमारी कुछ फोटो उतारी। थोड़ी देर सुस्ता कर हमने टेप रिकॉर्डर चला दिया और उसके गीतों की धुन पर मस्ती में भरकर नाचने लगे। कुछ देर तक हमने इधर-उधर घूम कर वहाँ के प्राकृतिक दृश्यों का नज़ारा लिया। दोपहर को हम सब ने अपने-अपने टिफ़न खोले और सबने मिल बैठ कर एक-दूसरे का भोजन बाँट कर खाया। उसके बाद हमने वहां स्थित कैनाल रेस्ट हाऊस रेस्टोरां में जाकर चाय पी। चाय पान के बाद हमने अपने स्थान पर बैठ कर ताश खेलनी शुरू की। साथ में हम संगीत भी सुन रहे थे। ताश खेलना बन्द करके हमने एक-दूसरे को कुछ चुटकले और कुछ आप बीती हँसी-मज़ाक की बातें बताईं। हमें समय कितनी जल्दी बीत गया इसका पता ही न चला। जब सूर्य छिपने को आया तो हमने अपना-अपना सामान समेटा और घर की तरफ चल पड़े। सच ही वह दिन हम सबके लिए एक रोमांचकारी दिन रहा।

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15. पर्वतीय स्थान की यात्रा
आश्विन महीने के नवरात्रों में पंजाब के अधिकतर लोग देवी दुर्गा माता के दरबार में हाज़िरी लगवाने और माथा टेकने जाते हैं। पहले हम हिमाचल प्रदेश में स्थित माता चिंतापूर्णी और माता ज्वाला जी के मंदिरों में माथा टेकने जाया करते थे। इस बार हमारे मुहल्लेवासियों ने मिलकर जम्मू क्षेत्र में स्थित वैष्णों देवी के दर्शनों को जाने का निर्णय किया। हमने एक बस का प्रबंध किया था जिसमें लगभग पचास के करीब बच्चे बूढे और स्त्री पुरुष सवार होकर जम्मू के लिए रवाना हुए। सभी परिवारों ने अपने साथ भोजन आदि सामग्री भी ले ली थी। पहले हमारी बस पठानकोट पहुँची वहाँ कुछ रुकने के बाद हमने जम्मू क्षेत्र में प्रवेश किया। हमारी बस टेढ़े-मेढ़े पहाड़ी रास्ते को पार करती हुई जम्मू-तवी पहुँच गई। सारे रास्ते में दोनों तरफ अद्भुत प्राकृतिक दृश्य देखने को मिले जिन्हें देखकर हमारा मन प्रसन्न हो उठा। बस में सवार सभी यात्री माता की भेंटें गा रहे थे और बीच में माँ शेरां वाली का जयकारा भी बुला रहे थे। लगभग 6 बजे हम लोग कटरा पहुँच गए। वहाँ एक धर्मशाला में हमने अपना सामान रखा और विश्राम किया और वैष्णों देवी जाने के लिए टिकटें प्राप्त की। दूसरे दिन सुबह सवेरे हम सभी माता की जय पुकारते हुए माता के दरबार की ओर चल पड़े। कटरा से भक्तों को पैदल ही चलना पड़ता है। कटरे से माता के दरबार तक जाने के दो मार्ग हैं। एक सीढ़ियों वाला मार्ग तथा दूसरा साधारण।

हमने साधारण मार्ग को चुना। इस मार्ग पर कुछ लोग खच्चरों पर सवार होकर भी यात्रा कर रहे थे। यहाँ से लगभग 14 किलो मीटर की दूरी पर माता का मंदिर है। मार्ग में हमने बाण गंगा में स्नान किया। पानी बर्फ-सा ठंडा था फिर भी सभी यात्री बड़ी श्रद्धा से स्नान कर रहे थे। कहते हैं यहाँ माता वैष्णों देवी ने हनुमान जी की प्यास बुझाने के लिए बाण चलाकर गंगा उत्पन्न की थी। यात्रियों को बाण गंगा में नहाना ज़रूरी माना जाता है अन्यथा कहते हैं कि माता के दरबार की यात्रा सफल नहीं होती। चढ़ाई बिल्कुल सीधी थी। चढ़ाई चढ़ते हुए हमारी सांस फूल रही थी परन्तु सभी यात्री माता की भेंटें गाते हुए और माता की जय जयकार करते हुए बड़े उत्साह से आगे बढ़ रहे थे। सारे रास्ते में बिजली के बल्ब लगे हुए थे और जगह-जगह पर चाय की दुकानें और पीने के पानी का प्रबन्ध किया गया था। कुछ ही देर में हम आदक्वारी स्थान पर पहुँच गये। मंदिर के निकट पहुँच कर हम दर्शन करने वाले भक्तों की लाइन में खड़े हो गये। अपनी बारी आने पर हम ने माँ के दर्शन किये। श्रद्धापूर्वक माथा टेका और मंदिर से बाहर आ गए। आजकल मंदिर का सारा प्रबन्ध जम्मू कश्मीर की सरकार एवं एक ट्रस्ट की देख-रेख में होता है। सभी प्रबन्ध बहुत अच्छे एवं सराहना के योग्य थे। घर लौटने तक हम सभी माता के दर्शनों के प्रभाव को अनुभव करते रहे।

16. जिसकी लाठी उसकी भैंस
संसार का यह विचित्र नियम है कि समर्थ और शक्तिशाली व्यक्ति चाहे कितनी ही बड़ी भूल क्यों न कर बैठे समाज उसे दोष नहीं देता। जबकि वही भूल कोई दुर्बल व्यक्ति करता है तो समाज उसे तरह-तरह के दण्ड देता है। समाज में शान्ति और व्यवस्था बनाये रखने के लिए शासन को तथा समाज को अनेक कानून या नियम बनाने पड़ते हैं। किन्तु देखने में आता है कि यह सब नियम या कानून जनसाधारण के लिए होते हैं, समर्थ और शक्ति सम्पन्न लोगों के लिए नहीं। एक पटवारी या क्लर्क सौ पचास रुपये रिश्वत लेता हुआ पकड़ा जाता है तो उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता है। किन्तु लाखों करोड़ों का घपला करने वाले अफ़सर और नेता खुले आम घूमते-फिरते हैं। समाचार-पत्रों में उनके विरुद्ध प्रत्यक्ष प्रमाण जुटा देने पर भी कोई कार्यवाही नहीं होती।

यह आज की बात नहीं है सदियों पुरानी बात है। श्री राम जी ने भी बाली का वध छल से किया था। अर्जुन ने भी भीष्म पितामह को शिखंडी आगे खड़ा करके मारा था। परन्तु कोई भी न ही तो श्रीराम को दोष देता है तथा न ही अर्जुन को। समाज की इस नीति के कारण समाज में अनेक भयानक समस्याएँ उठ खड़ी हुई हैं, जिनमें सबसे बड़ी आज राजनीति का अपराधीकरण बनी हुई है। इसी नीति के अनुसार बड़े-बड़े बाहुबली न केवल संसद् सदस्य बने हुए हैं, बल्कि मन्त्रिपदों को भी सुशोभित कर रहे हैं। इसीलिए गोस्वामी जी ने ठीक कहा है कि-समरथ को नहिं दोष गोसाईं।

17. करत-करत अभ्यास को जड़मति होत सुजान
प्रसिद्ध कवि वृन्द जी का नीति सम्बन्धी एक दोहा है-
करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरि आवत-जात ते, सिल पर परत निसान॥
उपर्युक्त दोहे का भाव यह है कि जिस प्रकार कुएँ की जगत के पत्थर पर कोमल रस्सी की बार-बार रगड़ से निशान पड़ जाता है अर्थात् पत्थर घिस जाता है, उसी प्रकार निरन्तर अभ्यास करते रहने वाला मूढ़ व्यक्ति भी एंक-न-एक दिन सुजान अर्थात् पंडित हो जाता है। निरंतर अभ्यास वही व्यक्ति कर सकता है जिसमें परिश्रम करने की लग्न होती है। परिश्रम और अभ्यास मिलकर ही व्यक्ति को जीवन में सफलता दिलाने में सहायक होते हैं। निरंतर अभ्यास ही व्यक्ति को सफल कवि, गायक, मूर्तिकार, चित्रकार आदि बना सकता है। आज हम देखते हैं कि किसी भी बीमारी से ग्रसित आदमी किसी भी अनुभवी डॉक्टर के पास जाना पसन्द करता है। क्योंकि निरन्तर अभ्यास के कारण उसमें विशेष गुण आ गए होते हैं। कहना न होगा कि निरंतर अभ्यास से ही व्यक्ति में निपुणता आती है। सभी जानते हैं कि पत्थर में आग होती है और तिलों में तेल होता है। इस आग और तेल को प्राप्त करने के लिए पत्थर और तिलों को निरंतर रगड़ना पड़ता है। इसी तरह यदि कोई व्यक्ति निरंतर अपनी बुद्धि को रगड़ता रहता है तो एक दिन पंडित हो जाता है। महाकवि कालिदास का उदाहरण हमारे सामने है। विद्यार्थी जीवन में तो अभ्यास का बहुत महत्त्व है। परीक्षा में सफलता के लिए परिश्रम के साथ-साथ अभ्यास की भी ज़रूरत होती है तभी सफलता मिलती है।

18. शक्ति अधिकार की जननी है
यह संसार शक्ति का लोहा मानता है। शक्ति के बल पर ही मनुष्य अपने अधिकार प्राप्त करता है। शक्ति के बल पर ही सिकंदर महान् विश्व विजय करने के लिए घर से निकला था। शक्ति के बल पर ही मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराकर भारत में मुस्लिम साम्राज्य का आरम्भ किया था। शक्ति दो प्रकार की होती है एक शारीरिक, एक मानसिक। मानसिक शक्ति का भी अपने विशेष महत्त्व होता है। यदि शारीरिक और मानसिक शक्ति का संयोग हो जाए तो संसार की बड़ी-से-बड़ी शक्ति को भी घुटने टेकने पर विवश किया जा सकता है। शक्ति होते हुए भी अधिकार प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इतिहास साक्षी है कि दुर्योधन ने पांडवों का अधिकार देने से साफ़ इन्कार कर दिया था।

हालांकि श्री कृष्ण ने अधिकार स्वरूप पाँच गाँव ही माँगे थे। अन्ततः पांडवों को अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए युद्ध करना पड़ा। भारत को सैंकड़ों वर्षों की पराधीनता से मुक्ति भी शक्ति प्रदर्शन से ही मिली। चाहे वह शक्ति प्रदर्शन नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की आजाद हिन्द फौज़ की शक्ति प्रदर्शन से थी अथवा महात्मा गाँधी के सत्य और अहिंसा की शक्ति प्रदर्शन से। कहावत है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते। अतः व्यक्ति हो या राष्ट्र को उसे अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए शक्ति का प्रयोग करना ही पड़ता है। कहा भी है कि क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो। शक्ति के द्वारा ही हिंसा का पालन किया जा सकता है, सत्य का अनुसरण किया जा सकता है। अत्याचार और अनाचार को रोका जा सकता है एवं अपने अधिकारों को प्राप्त किया जा सकता है।

19. अंत भला सो भला
किसी ने सच कहा है कि कर भला, हो भला, अंत भला सो भला। किन्तु विद्वान् आज तक जैसे पाप और पुण्य में यह निर्णय नहीं कर पाए हैं कि कौन-सी बात पाप है और क्या पुण्य ? इसी तरह विद्वान् भला क्या है और बुरा क्या है इस विषय पर एक मत नहीं हैं। कोई एक कार्य जो किसी का भला करने वाला हो वही किसी दूसरे के लिए हानिकारक भी हो सकता है। परन्तु हमें इस कथन में निहित भाव को समझना होगा। इस कथन का आशय यह है कि मनुष्य समाज में रहते हुए ऐसा कर्म करें जिसका परिणाम अच्छा निकले। भले ही शुरू-शुरू में वह कार्य कुछ लोगों को बुरा ही लगे। व्यक्ति को कर्म करते समय अपनी इच्छा और अपनी आकांक्षा के साथ-साथ समाज का भी ध्यान रखना चाहिए। कहावत है कि आँवले का स्वाद और सियानों की कही बात का बाद में ही पता चलता है।

इसी कारण आँवले को अमृत फल और सियानों के वचनों को अमृत वचन कहा जाता है। शुरू-शुरू में जो बात हमें कड़वी प्रतीत होती है उसका फल अन्त में मीठा या अच्छा निकलता है। कर भला हो भला कथन में एक दूसरा भाव भी निहित है। जिसका आशय यह है कि हमें सदा दूसरों की भलाई ही करने या सोचने की बात करनी चाहिए। भले ही दूसरा उसका बदला भलाई से न दें। क्योंकि अच्छे कर्म का फल ईश्वर सदा अच्छा ही देता है। गीता में भगवान् श्री कृष्ण ने भी यही बात कही है कि तुम केवल कर्म करो फल मेरे हाथ छोड़ दो। ईश्वर कभी भी किसी के साथ अन्याय नहीं करता। अत: ईश्वरीय दंड से बचने के लिए हमें दूसरों का भला करना चाहिए। स्वर्ग पाने का भी यही उपाय है।

20. जब आवै सन्तोष धन, सब धन धूरि समान
साईं इतना दीजिए जा में कुटुम्ब समाए।
मैं भी भूखा न रहूँ साधु न भूखा जाए।

विचारवान् लोगों ने ठीक ही कहा है कि, “जब आवे संतोष धन सब धन धूरि समान”। अर्थात् जिस व्यक्ति के पास सन्तोष रूपी धन आ जाता है उसके लिए अन्य सभी धन मिट्टी के समान प्रतीत होते हैं। आजकल संतोष की कमी के कारण ही जीवन में भागम-भाग लगी हुई है। पैसा कमाने की दौड़ में हर कोई आगे निकल जाना चाहता है। पैसे की इस दौड़ में लोगों ने सारे नियम, सिद्धान्त, शिष्टाचार आदि ताक पर रख दिए हैं। नैतिक मूल्यों का तो दिनों-दिन इतना ह्रास हो रहा है कि कहते नहीं बनता। आज के युग में कबीर जी की तरह कहने वाला कोई विरला ही मिलेगा। वास्तव में संतोष एक मनोवृत्ति है। मनुष्य का मन तो स्वभाव से चंचल है। उसका मन अनेक प्रकार की इच्छाओं की जन्मस्थली है।

सब कुछ पा लेने पर भी मनुष्य का मन नहीं भरता। वह और पाने की इच्छा करता है। ऐसे में सन्तोष कहाँ से आ सकता है। आजकल रूखा-सूखा खाकर ठंडा पानी पीने वाला कोई नहीं है। यही कारण है कि आज के मनुष्य के जीवन में दुःख ही दुःख हैं। असंतुष्ट व्यक्ति अपनी इच्छाओं का गुलाम होता है और अपनी इच्छापूर्ति के लिए वह कुछ भी कर गुजरने को तैयार होता है। चाहे देश से गद्दारी ही क्यों न करनी पड़े। इसके विपरीत संतोषी व्यक्ति दयालु, परोपकारी और स्वावलम्बी होता है। समय पड़ने पर देश और जाति के लिए सब कुछ बलिदान करने को वह सदा तैयार रहता है। व्यक्ति को संतोष का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि यह परमधन है और परमधर्म भी।

21. अक्ल बड़ी कि भैंस
हम सब जानते हैं कि शारीरिक शक्ति से बड़ी दिमागी शक्ति होती है। हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति श्री डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम शारीरिक रूप से भले ही हृष्ट-पुष्ट न हों किन्तु बौद्धिक रूप से वे महान् हैं। इसी तरह महात्मा गाँधी का लोहा भी सारी दुनिया मानती है। उस दुबले-पतले महापुरुष ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को केवल अहिंसा के हथियार से लड़ा। जिस काम को शारीरिक बल न कर सका उसे बुद्धि बल ने कर दिखाया। कहावत है-अक्ल बड़ी कि भैंस ? जी हाँ अक्ल ही बड़ी है। माना कि युद्ध भूमि में भीम जैसे विशालकाय और उसके पुत्र घटोत्कच जैसे व्यक्तियों का अपना महत्त्व था किन्तु उन दोनों की वीरता या शक्ति को दिशा-निर्देश देने वाली श्री कृष्ण की बुद्धि ही थी।

इतिहास को नया मोड़ देने वाले नेपोलियन, लेनिन और मुसोलिनी जैसे व्यक्तियों ने अपनी बुद्धि के बल पर ही सभी सफलताएँ प्राप्त की। हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री शरीर से न तो हट्टे-कट्टे थे और न ही लंबे-चौड़े पर उन्होंने पाकिस्तान को युद्ध में छठी का दूध याद दिलवा दिया था। पंचतंत्र की एक कहानी के अनुसार एक छोटे से खरगोश ने जंगल के राजा शेर को कुएं में कूदने को विवश कर दिया था। पाकिस्तान से होने वाली लडाइयों में भारत की विजय में उसकी बौद्धिक शक्ति का बहुत बड़ा हाथ है। उपर्युक्त उदाहरणों से यह भली-भांति सिद्ध हो … जाता है कि बुद्धि बल शारीरिक बल से सदा ही बड़ा होता है। भैंस नहीं अक्ल ही बड़ी होती है।

22. आदर्श मित्र
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसका अस्तित्व समाज में ही है। वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता। कहते हैं कि अकेला तो रुख (वृक्ष) भी न हो। मनुष्य अपने विचारों के आदान-प्रदान के लिए समाज में कुछ व्यक्तियों से घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित कर लेता है। जिनके साथ वह अपने दुःख-सुख बाँटना चाहता है। प्रत्येक मनुष्य की कुछ ऐसी समस्याएँ भी होती हैं जिन्हें वह अपने माता-पिता, भाई-बहन अथवा सगे-सम्बन्धियों से नहीं कर पाता। ऐसी समस्याओं का उल्लेख वह जिस व्यक्ति से करता है या कर सकता है, उसे मित्र कहा जा सकता है। मित्र के बिना मनुष्य का जीवन नीरस प्रतीत होता है। किन्तु संसार में ऐसे गिने-चुने सौभाग्यशाली व्यक्ति हैं जिन्हें आदर्श और सच्चे मित्र की प्राप्ति होती है।

मित्रता श्रीकृष्ण और सुदामा में जैसी थी वैसी होनी चाहिए। मित्रता मछली और जल जैसी होनी चाहिए। मछली पानी से अलग होते ही प्राण त्याग देती है। सच्चा मित्र व्यक्ति के मुसीबत के समय काम आता है। सच्चा मित्र व्यक्ति को कुमार्ग पर जाने से रोकता है। सच्चा मित्र दुःख और ग़रीबी आने पर साथ नहीं छोड़ता है। सच्चा मित्र संवेदनशील, सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए। उसमें अपने मित्र को सच्ची और कड़वी बात कहने का साहस होना चाहिए। कहते हैं कि व्यक्ति के पास भले ही धन और शक्ति का अभाव हो किन्तु वह एक सच्चे नि:स्वार्थ मित्र के सम्पर्क में हो तो उसे संसार की सबसे अमूल्य वस्तु प्राप्त होती है। सियानों ने कहा है कि मित्रता सोच-समझ कर करनी चाहिए और जब मित्रता हो जाए तो लाख मुसीबतें आने पर भी उसका साथ नहीं छोड़ना चाहिए।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

23. पराधीन सपनेहूं सुख नाहिं
रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने स्वतन्त्रता की महत्ता दर्शाने के लिए यह उक्ति लिखी थी-‘पराधीन सपनेहं सुख नाहिं’। ग़रीबी का स्वतंत्र जीवन अमीरी के परतंत्र जीवन से कहीं अच्छा है। इसीलिए कोई भी पक्षी सोने के पिंजरे का निवास पसन्द नहीं करता क्योंकि इससे उसकी स्वतंत्रता नष्ट होती है। परतंत्र व्यक्ति कोई भी काम अपनी इच्छानुसार नहीं कर सकता। यहाँ तक कि वह अपनी इच्छानुसार सोच भी नहीं सकता। भारत की संस्कृति, सभ्यता, शिक्षा आदि में आए बदलाव का कारण नौ सौ वर्षों तक की परतंत्रता है। यह अलग बात है कि, “कुछ बात है हस्ती मिटती नहीं हमारी” के अनुसार हम अपनी संस्कृति और सभ्यता को बचा पाने में सफल हुए।

किन्तु शिक्षा के क्षेत्र में अंग्रेजों ने जो शिक्षा-पद्धति लागू की उसके कारण स्वतंत्र होने के इतने वर्ष बाद भी हम अंग्रेजों के गुलाम बने हुए हैं। हर कोई व्यक्ति स्वतंत्रता की नमक रोटी को छोड़कर पराधीनता की दूध मलाई खाना नहीं चाहेगा। दुःखों, कष्टों अभावों के रहते हुए भी स्वतन्त्र होने पर वह सुखपूर्वक जी लेता है। उसे उन्नति और विकास के पूर्ण अवसर प्राप्त होते रहते हैं। पराधीन मनुष्य का जीवन पशुवत् होता है। वह दूसरों पर आश्रित होता है। हमारे शास्त्रों में लिखा है कि मनुष्य को अपनी इच्छाओं का गुलाम नहीं होना चाहिए। बल्कि उन्हें अपना गुलाम बनाकर रखना चाहिए किसी ने सच कहा है-
कोई कहीं है चाहता परतन्त्र जीवन भी भला।
है कौन चाहे पहनना दासता की श्रृंखला॥
सच है कि पराधीन को सपनेहूं सुख नाहिं।

अनुच्छेद-लेखन गद्य की एक महत्त्वपूर्ण विधा है। किसी सूक्ति, विचार, दृश्य, घटना आदि को संक्षिप्त किंतु सारगर्भित एवं सुसंगठित रूप से यदि लिखा जाए तो उसे अनुच्छेद-लेखन कहते हैं।

निबंध और अनुच्छेद लेखन में अंतर होता है। निबंध और अनुच्छेद-लेखन में वही अंतर है जो उपन्यास और कहानी में या नाटक और एकांकी में होता है। अनुच्छेद लेखन निबंध से भिन्न विधा है। निबंध में जहां विषय से संबंधित विचारों को समग्रता से बांधा जाता है। वहीं अनुच्छेद में विषय को सटीक एवं संतुलित रूप में प्रस्तुत किया जाता है। इसमें छोटेछोटे वाक्य एवं कसावट इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं।

अनुच्छेद-लेखन में ध्यान रखने योग्य बातें: अनुच्छेद-लेखन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. अनुच्छेद-लेखन में आरंभ से अंत तक एक ही अनुच्छेद होना चाहिए।
  2. अनुच्छेद-लेखन में कसावट होनी चाहिए।
  3. इसमें छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।
  4. इसमें भूमिका अथवा उपसंहार की आवश्यकता नहीं होती इसलिए इसे सीधे विषय से ही शुरू करना चाहिए।
  5. इसमें वाक्यों का परस्पर संबंध होना चाहिए।
  6. इसमें अनावश्यक विस्तार से बचना चाहिए।
  7. इसकी भाषा सरल, सहज, विषयानुरूप एवं भावपूर्ण होनी चाहिए।
  8. इसमें प्रत्येक बात व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध होनी चाहिए।
  9. विचार प्रधान अनुच्छेदों में तर्क की प्रधानता होनी चाहिए।
  10. भावात्मक अनुच्छेदों में अनुभूति की प्रधानता होनी चाहिए।

1. नए स्कूल में मेरा पहला दिन
मेरे नए स्कूल का नाम शहीद भगत सिंह मॉडल स्कूल है। मैंने इसी वर्ष इस स्कूल में प्रवेश लिया है। मैं नौवीं कक्षा का छात्र हूँ। मुझे इस स्कूल में पढ़ते हुए आठ महीने हो गए हैं किंतु मुझे आज भी स्कूल में पहला दिन अच्छी तरह याद है। नए स्कूल में मेरा पहला दिन बड़ा ही रोमांचक एवं यादगार था। मेरे पिता जी ने मुझे नई ड्रैस, बैग और किताबें खरीद कर दी। मैं पहली बार बस में बैठकर स्कूल गया। पहली बार बस में बैठकर मुझे बहुत अच्छा लगा। स्कूल जाते ही हम प्रार्थना सभा में पहुँच गए। प्रार्थना सभा में स्कूल के प्रधानाचार्य ने नए छात्रों का स्वागत किया। उन्होंने हमें जीवन में निरंतर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी। इसके बाद स्कूल के पुराने छात्रों ने नए छात्रों का स्वागत किया। उन्होंने हमें पुस्तकालय, कंप्यूटर कक्ष, कैंटीन तथा खेल का मैदान दिखाया। पहले दिन ही कक्षा में नए मित्र बन गए। मैंने उनके साथ कैंटीन में चाय पी। खेल के पीरियड में मैंने अपने मित्रों के साथ क्रिकेट मैच खेला। छुट्टी होने पर पंक्तिबद्ध होकर बस में बैठ गए और हँसते-हँसते घर चले गए। सचमुच नए स्कूल में मेरा पहला दिन बहुत यादगार है।

2. मोबाइल फोन और विद्यार्थी
आज का युग संचार-क्रांति का युग है। इस युग में मोबाइल हम सब की जिंदगी का प्रमुख हिस्सा बन गया है। आज मोबाइल ने प्रत्येक क्षेत्र में क्रांति ला दी है। समाज में प्रत्येक व्यक्ति अपनी-अपनी आवश्यकता के अनुसार इसका लाभ उठा रहा है। आज विद्यार्थी वर्ग में मोबाइल अधिक प्रसिद्ध है। स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय हर स्तर के विद्यार्थी की पहली पसंद मोबाइल है। आज मोबाइल का प्रयोग केवल परस्पर बातचीत के लिए ही नहीं किया जाता बल्कि विद्यार्थी इसका प्रयोग इंटरनेट, ईमेल, चैटिंग, आदि के लिए भी करते हैं। इससे घर बैठे इंटरनेट के माध्यम से संसार के किसी भी कोने की जानकारी ले सकते हैं। विद्यार्थी अपनी मनचाही सामग्री को डाउनलोड भी कर सकते हैं। इससे प्रिंट भी निकाल सकते हैं। आज मोबाइल जीवन के लिए जितना उपयोगी है उतना हानिकारक भी है। कुछ विद्यार्थी ऐसे भी हैं जो मोबाइल का दुरुपयोग भी करते हैं ये व्यर्थ में ही घंटों गप्पें हांकते रहते हैं। एक-दूसरे को संदेश भेजने में समय गंवाते हैं। वे चैट करके अपना समय नष्ट करते हैं। ऐसे विद्यार्थियों को मोबाइल की उपादेयता समझनी चाहिए। इसका दुरुपयोग न करके केवल सदुपयोग करना चाहिए।

3. पुस्तकालय के लाभ
पुस्तकालय ज्ञान का अद्भुत भंडार है। पुस्तकालय ज्ञान का वह मंदिर होता है जहां हम विभिन्न विद्वानों, महापुरुषों, लेखकों, साहित्यकारों आदि के विचारों को पढ़कर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। जिस तरह जीवन के लिए शुद्ध हवा, भोजन, जल की ज़रूरत होती है उसी तरह ज्ञान प्राप्ति के लिए उत्तम पुस्तकों की आवश्यकता होती है। पुस्तकालय में अनेक विषयों की पुस्तकें होती हैं। पुस्तकालय का मानव-जीवन में बहुत लाभ है। इससे हम धार्मिक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। इससे व्यावहारिक ज्ञान ले सकते हैं। इससे बड़े-बड़े वैज्ञानिकों के बारे में पढ़ सकते हैं। इससे संत कबीर, सूरदास, तुलसीदास, दादूदयाल आदि कवियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इससे हमें भारतीय ही नहीं बल्कि विश्व इतिहास का ज्ञान होता है। पुस्तकालय से हमें अपनी प्राचीन संस्कृति, सभ्यता एवं परंपराओं का ज्ञान मिल सकता है। इससे कला संस्कृति की विस्तृत जानकारी प्राप्त हो सकती है। यदि हम पुस्तकालय का सदुपयोग करें तो यह हमारे जीवन में वरदान सिद्ध हो सकता है। हमें पुस्तकालय में शांत होकर ज्ञान प्राप्त करना चाहिए।

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4. स्वास्थ्य और व्यायाम
यह बात सच है स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी संपत्ति है। स्वास्थ्य और व्यायाम का अटूट संबंध है क्योंकि स्वास्थ्य व्यायाम पर ही आधारित होता है। अच्छा स्वास्थ्य केवल नियमित व्यायाम से ही प्राप्त होता है। मनुष्य जीवन में व्यायाम का बहुत महत्त्व होता है। जवानी में ही नहीं बल्कि बुढ़ापे में भी शरीर को व्यायाम से स्वस्थ रख सकते हैं। स्वस्थ शरीर सदा निरोगी रहता है। व्यायाम करने से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है और रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है। नियमित व्यायाम से शरीर सुंदर और शक्तिशाली बनता है। इससे तनमन में कभी आलस्य नहीं आता। सदा चुस्ती-फुती बनी रहती है। हमें अपना स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए नियमित व्यायाम करना चाहिए। सुबह-शाम सैर करनी चाहिए। योगा भी करना चाहिए। संभवत: अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्यायाम बहुत ज़रूरी है। स्वस्थ शरीर का व्यायाम ही मूल आधार है। स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन निवास करता है।

5. रामलीला देखने का अनुभव
इस बार मैं रामलीला ग्राऊंड में रामलीला देखने गया था। मेरे साथ मेरे मित्र अरुण और दीपक थे। मैंने अपने मित्रों के साथ इस रामलीला का आनंद उठाया। रामलीला रात नौ बजे शुरू होती थी किंतु हम प्रतिदिन साढ़े आठ बजे ही मैदान में जाकर बैठ जाते थे। रामलीला के पहले दिन श्रवण कुमार तथा श्रीराम जन्म उत्सव के दृश्य दिखाए गए जो बहुत अच्छे थे। दूसरी रात राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के बालरूप के मनोरम दृश्य तथा अयोध्या के अनेक प्राकृतिक दृश्य दिखाए। तीसरी रात राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न की शिक्षा-दीक्षा का दृश्य दिखाया। चौथी रात सीता स्वयंवर तथा लक्ष्मण-परशुराम संवाद के दृश्य दिखाए। पांचवीं रात राम वनवास तथा भरत-राम मिलाप को दिखाया गया। भरत और राम के मिलन के दृश्य बहुत ही मार्मिक थे। उन्हें रोता देखकर मेरी आँखों में भी आँसू आ गए थे। छठी रात सीता हरण, राम का सुग्रीव तथा हनुमान जी से मिलन दिखाया गया। सातवीं रात राम द्वारा बाली वध, हनुमान-रावण संवाद, लंका दहन के दृश्य दिखाए गए। आठवीं रात रावण-अंगद संवाद में अंगद की वीरता दिखाई गई। लक्ष्मण मूर्छा तथा राम का सामान्य आदमी की तरह विलाप दिखाया गया। अंतिम रात में राम-रावण युद्ध के दृश्य दिखाए गए। तभी यह घोषणा की गई कि श्री राम द्वारा रावण वध दशहरा ग्राऊंड में किया जाएगा। रामलीला के ये आठ दिन बहुत खुशी में बीते। रामलीला का यह अनुभव बहुत अच्छा लगा।

6. मधुर वाणी
ऐसी वाणी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करे, आपहुँ सीतल होय।।
संत कबीरदास ने कहा है कि हमें सदा मीठी वाणी बोलनी चाहिए। मीठी वाणी केवल सुनने वालों को ही शीतलता नहीं देती बल्कि वक्ता को भी शीतल बना देती हैं। जीवन में मधुर वाणी के अनेक लाभ हैं। कड़वी वाणी दूसरों को अपना शत्रु बना देती है। ऐसे व्यक्ति से कोई भी बात करना पसंद नहीं करता। वह धीरे-धीरे अकेला पड़ जाता है। इतना ही मनुष्य के जीवन में अनेक अवगुण पैदा हो जाते हैं। किंतु मधुर वाणी सदा लाभ ही लाभ देती है। मधुर वाणी बोलने वाले मनुष्य के सभी लोग मित्र बन जाते हैं। सभी उसको सुनना पसंद करते हैं। वह सबका प्रिय बन जाता है। उसका जीवन गुणों से भरपूर बन जाता है। वह सदा तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ता जाता है। इसलिए व्यक्ति को सदा मधुर वाणी बोलनी चाहिए। इसीलिए भर्तृहरि ने कहा है- कि मधुर वाणी मनुष्य का सच्चा आभूषण है।

7. हिंदी भाषा की उपयोगिता
हिंदी भाषा भारतवर्ष की राष्ट्र भाषा है। यह भाषा केवल स्कूलों, कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम का ही माध्यम नहीं हैं अपितु यह भारत के जन-जन की भाषा है। यह देश के लोगों के व्यवहार की भाषा है। आज हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हिंदी भाषा की बहुत उपयोगिता है। हिंदी की उपयोगिता प्रतिदिन बढ़ रही है। यह हमारी राष्ट्रभाषा है। यह राजकाज की भाषा है। इसमें ही बैंकों, आयोगों विभिन्न मंत्रालयों तथा संस्थाओं द्वारा प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। यह जनसंचार का प्रमुख माध्यम है। यह मीडिया, दूरदर्शन, सिनेमा, शिक्षा जनसंचार आदि क्षेत्रों की प्रमुख भाषा है। आज इस भाषा में अनूठा साहित्य उपलब्ध है। इसमें कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध, यात्रावृत्त, रेखाचित्र, संस्मरण आदि अनेक विधाओं में श्रेष्ठ साहित्य लिखा जा रहा है। इसमें विदेशों में भी साहित्य लिखा जा रहा है। क्लर्क से लेकर आई० ए० एस० तक की परीक्षाएं हिंदी माध्यम में ली जाती हैं। वैश्वीकरण के युग में हिंदी की उपयोगिता भारत में ही नहीं बल्कि संपूर्ण संसार में है।

8. जब मेरी माँ बीमार पड़ गयीं
माँ प्रकृति की सर्वोत्तम रचना है। माँ के आंचल में अनूठा स्नेह समाया हुआ है। वह संसार की सबसे बड़ी पीड़ा सहन कर बच्चे को जन्म देती हैं और उसका पालन-पोषण करती है। घर में सुबह-सवेरे सबसे पहले जागकर सभी काम करती हैं और रात में सबसे बाद में सोती है। पर जब मेरी माँ बीमार पड़ गयीं तो मुझे ऐसा लगा जैसे पूरा का पूरा घर ठहर गया हो। घर की सारी खुशियाँ कहीं गुम-सी हो गई। माँ का स्वभाव है कि घर के सभी लोगों का पूरा ध्यान रखती है। वह स्वस्थ ही नहीं बल्कि बीमार होकर भी सभी का ध्यान रखती है। ऐसी स्थिति में भी लगता है कि माँ हर सदस्य का पूरा ध्यान रखती है। जब मैं सुबह चलने लगा तो माँ मेरा टिफिन तथा नाश्ता बनाकर ले आई। उन्होंने मेरा बैग ठीक करके दिया। उन्होंने सभी के लिए नाश्ता बनाया। दोपहर में स्कूल से आया तो माँ को देखा कि वे उठ भी नहीं पा रही थीं। तब पिता जी ने खाना बनाया लेकिन वह बिलकुल कच्चा पक्का था। उनके खाने में कोई स्वाद नहीं आया। घर के प्रत्येक सदस्य ने मन मारकर खाया। रात को दूध गर्म किया तो उसमें हम चीनी डालना भूल गए। आज माँ के बिना पूरा घर अस्त-व्यस्त लग रहा था। चारों तरफ सामान बिखरा पड़ा था। सभी बहुत उदास हो गये। मैंने प्रभु से माँ के लिए जल्दी स्वस्थ होने की प्रार्थना की। प्रभु कृपा से अगले दिन माँ बिल्कुल स्वस्थ हो गई। उन्हें सुबह काम में लगा देखकर सभी का हृदय गद्-गद् हो उठा। ऐसा लग रहा था कि हमारे घर की खुशियाँ लौट आईं।

9. मैंने गर्मियों की छुट्टियाँ कैसे बितायीं
हमारे स्कूलों में हर साल जून में गर्मियों की छुट्टियाँ होती हैं। इन छुट्टियों में हर बच्चा खूब आनंद और मौज-मस्ती करता है। मुझे भी गर्मियों की छुट्टी अच्छी लगती हैं। मैं इन गर्मियों की छुट्टियों में माँ के साथ देहरादून घूमने गया। वहां मेरा ननिहाल है। वहां मेरे नाना-नानी तथा मामा-मामी रहते हैं। वहाँ जाते हुए मैं अपना स्कूल बैग भी साथ लेकर गया। मैं सुबह अपना गृह कार्य करता। मेरे मामा जी मेरा कार्य करवाते थे। मैं रोज़ शाम को अपने मामा जी के साथ बाहर घूमने जाता था। एक दिन मैं अपने मामा जी के साथ शिव मंदिर, साईं मंदिर तथा विष्णु मंदिर देखने गया। वहां के मंदिर बहुत सुंदर थे। इसके एक सप्ताह बाद मैं मसूरी घूमने गया। मेरे मामा जी भी मेरे साथ थे। हम वहाँ बस से गये। जाते हुए रास्ते में शिव मंदिर पर रुककर मंदिर को देखा। उसके बाद मसूरी पहुँचे। वहाँ जाकर मैंने बर्फ से ढके पहाड़ों का खूब आनंद उठाया। मैंने वहाँ के प्रसिद्ध कैंप की फॉल को देखा। ऊँचाई से नीचे गिरता झरना मन को मोह लेता है। उसमें अपने मामा के साथ कंपनी बाग देखा। तीसरे सप्ताह मैं ऋषिकेश घूमने गया। मैंने वहाँ बहती गंगा को समीप से देखा। बहती गंगा बहुत सुंदर लग रही थी। छुट्टियों खत्म होने से दो दिन पहले हम वहाँ से लौट आए। सचमुच इन गर्मियों की छुट्टियों का मैंने खूब आनंद लिया।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

10. जब मैं मॉल में शॉपिंग करने गयी
पिछले सप्ताह हमारे शहर में दून शॉपिंग मॉल खुला। मैं अपनी सखी के साथ वहां शॉपिंग करने गई। मैं जैसे ही उनके द्वार पर पहुँची तो उसकी बड़ी और सुंदर ईमारत को देखकर हैरान रह गई। उसमें पाँच मंज़िलें थीं। प्रत्येक मंजिल पर विशेष खरीददारी का सामान सजा हुआ था, वहाँ ग्राऊंड फ्लोर पर रसोई का सारा सामान था। दूसरी मंजिल पर आधुनिक युग के रेडिमेड कपड़े सजे हुए थे। तीसरी मंजिल पर कास्मैटिक्स का सामान सजा हुआ था। चौथी मंजिल पर इलेक्ट्रॉनिक्स तथा पाँचवीं मंज़िल पर आभूषण का सामान था। मैंने इस शॉपिंग मॉल को अच्छी तरह देखा। मैं इस मॉल में एक पार्टी ड्रैस तथा जूते खरीदने गई थी। लेकिन वहाँ अलग-अलग प्रकार की ड्रैस देखकर मैं समझ ही नहीं पाई कि कौन-सी खरीदूं। फिर भी मैंने वहाँ से अपने लिए एक ड्रैस खरीदी। अपने मम्मी-पापा के लिए भी एक-एक ड्रैस खरीदी। मैंने अपनी छोटी बहन के लिए कुछ खिलौने भी लिए। इसके बाद हमने वहाँ घूमकर खूब आनंद लिया।

11. ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’
‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’ इस सूक्ति का अर्थ है कि इस संसार में दूसरों को उपदेश देने वाले बहुत हैं किंतु अपने को उपदेश देने वाले कम हैं। मनुष्य का स्वभाव है कि उसे केवल दूसरों को अवगुण नज़र आते हैं किंतु उसे अपने दोष भी गुण दिखाई देते हैं। इस तरह नज़रअंदाज करने से उसके दोष पक जाते हैं। ऐसे लोगों में अनेक तरह के दोष होते हैं लेकिन वे लंबे-चौड़े भाषण देकर उन्हें छिपा लेते हैं। वे इस बात को भूल जाते हैं कि जो अवगुण हम दूसरों में ढूँढ़ रहे हैं उससे.कहीं ज़्यादा हमारे अंदर भी छिपे हैं। हमें दूसरों को उपदेश देने के नहीं बल्कि स्वयं अपने आपको देना चाहिए। जब ऐसे लोगों का पर्दाफाश होता है तब सच्चाई सामने आती है। तब उनके सामने पछतावे के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं रहता। इस संसार में जो स्वयं में झांककर देखते हैं जो अपने अवगुण देखकर उन्हें गुणों में बदल लेते हैं वहीं लोग महान् बनते हैं। इसलिए हमें दूसरों को नहीं बल्कि स्वयं को उपदेश देना चाहिए। हमें दूसरों का नहीं अपना उपदेशक बनना चाहिए। हमें दीपक की तरह बनना चाहिए।

12. परीक्षा से एक दिन पूर्व
विद्यार्थी जीवन में परीक्षा का बहुत महत्त्व है। इस जीवन में प्रतिवर्ष ही नहीं बल्कि विद्यार्थी की हर पल परीक्षा होती है। जो विद्यार्थी इस परीक्षा में हर पल सफल होता है वही ऊँचाइयों को छूता है। कुछ विद्यार्थी परीक्षा से डर जाते हैं। इस बार परीक्षा से एक दिन पूर्व मैं भी थोड़ा-सा डर गया था। यद्यपि मैंने अपनी परीक्षा की पूरी तैयारी की थी किंतु फिर भी एक दिन पूर्व मुझे थोड़ी-सी घबराहट अवश्य हो रही थी। मुझे लग रहा था कि शायद मुझे सब कुछ याद नहीं है। मेरी माता जी एवं पिता जी ने मेरा धैर्य बंधाया और मुझे इस परीक्षा में पास होने का आशीर्वाद दिया। उनका आशीर्वाद लेकर मेरा आत्मविश्वास जाग उठा। तब मुझे लगा कि मैं तो आज तक किसी भी परीक्षा में असफल नहीं हुआ। पिता जी ने कहा कि उन्हें मुझ पर गर्व हैं क्योंकि मैं सदा स्कूल में प्रथम रहा। इतना ही नहीं पिता जी ने मेरे साथ बैठकर मेरी दोहराई करवाई फिर मुझे कोई डर नहीं लगा। इसके बाद मैं अपना पैन, पैंसिल, रोल नंबर आदि सब चीजें बैग में रखकर शांत होकर सो गया।

13. मन के हारे हार है, मन के जीते जीत
दुख-सुख सब कहूँ परत है पौरुष तजहु न मीत।
मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।।
अर्थात् जीवन में सुख-दुःख सब पर आते हैं किंतु हमें अपना पुरुषार्थ नहीं छोड़ना चाहिए। मनुष्य की हार-जीत तो मन पर निर्भर करती है जिसका मन हार गया तो हार है और यदि मन जीत गया तो उसकी सदा विजय ही होती है। जो मनुष्य जीवन में दुखों और मुसीबतों से डर जाता है उसे दुःख और मुसीबतें जकड़ लेती हैं। जो कठिन मुसीबतों में भी हार नहीं मानता और हिम्मत से उनका सामना करता है। वह सदा विजयी होता है। ऐसे व्यक्ति के सामने मुसीबतें भी घुटने टेक देती हैं। इस प्रकार मन ही मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति है। हमें अपने मन की शक्ति को समझना चाहिए। अपने मन में कभी भी नकारात्मक सोच नहीं लानी चाहिए। हमें सदैव सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। जो मनुष्य सदा सकारात्मक सोचता है वह कभी भी हार नहीं मानता। उसे हर जगह विजय ही मिलती है। इसलिए हमें मन को अपने काबू में रखकर उसे मज़बूत बनाना चाहिए। यदि मन कमज़ोर पड़ गया तो हार और मजबूत हुआ तो अवश्य ही जीत होगी।

14. दहेज प्रथा : एक सामाजिक कलंक
हमारे समाज में विवाह के शुभ अवसर पर वधू पक्ष की ओर से वर पक्ष को जो संपत्ति उपहार के रूप में दी जाती है, उसे दहेज कहा जाता है। दहेज की यह प्रथा हमारे देश में बहुत प्राचीन है। पहले माता-पिता अपनी कन्या को कुछ वस्तुएं अपनी इच्छा से उपहार के रूप में देते थे किंतु आजकल यह प्रथा एक बुरा रूप धारण कर चुकी है। यह हमारे समाज पर कलंक बन गई है। आजकल वर पक्ष वाले वधू पक्ष से मुँह खोलकर बड़ी-बड़ी वस्तुओं और बड़े दहेज की मांग करने लगे हैं। अनेक लोग तो अपने बच्चों की बोली तक लगाने लगे हैं। उन्हें अपने लड़कों की बोली लगाने में कोई शर्म नहीं आती। यदि वधू पक्ष वर पर की मांगों को पूरा नहीं करता तो उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। कुछ लोग तो वधुओं को अनेक कठोर यातनाएँ भी देते हैं। यहाँ तक सास अपनी बहुओं को जलाकर मार देती हैं। इसी से तंग आकर कुछ लड़कियाँ आत्महत्या तक भी कर लेती है। इस प्रकार दहेज प्रथा एक सामाजिक कलंक का रूप धारण कर चुकी है। इस सामाजिक.कलंक को मिटाने के लिए. युवाओं को आगे आना चाहिए। उन्हें प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि वे बिना दहेज ही शादी करेंगे। जब हमारे समाज का प्रत्येक व्यक्ति इस बात को कहेगा कि न हम दहेज देंगे और न लेंगे तभी इस समस्या को पूरी तरह से दूर किया जा सकता है।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अनुच्छेद-लेखन

15. जल के प्रयोग में व्यावहारिकता
‘जल ही जीवन है’ यह बात बिल्कुल सच है क्योंकि बिना जल के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इस संसार में जल का कोई विकल्प नहीं है। यह प्रकृति की अनूठी भेंट है। हवा के बाद जल ही जीवन रक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण तत्व है। पर आजकल हम जल की हरपल बर्बादी कर रहे हैं। हम इस बात को नहीं समझ रहे कि यह जल की बर्बादी नहीं बल्कि इससे हमारा जीवन ही बर्बाद हो रहा है। इसलिए हमें जल का प्रयाग सोच-समझकर करना चाहिए। नहाते समय ज़रूरत के अनुसार जल गिराना चाहिए। नहाने के लिए सीधे नल न खोलकर बाल्टी का प्रयोग करना चाहिए। हाथ-पैर धोते समय व्यर्थ पानी नहीं बहाना चाहिए। कपड़े धोने के लिए कम-से-कम जल का प्रयोग करना चाहिए। अपने घर, स्कूल आदि के नल कभी भी खुले नहीं छोड़ने चाहिए। अपनी गाड़ियाँ धोने के लिए अमूल्य जल को नष्ट नहीं करना चाहिए। बाग-बगीचे में पाईप की अपेक्षा फव्वारे से पानी देना चाहिए। रसोईघर में बर्तन साफ करने और सब्जियां धोते समय व्यर्थ जल नहीं बहाना चाहिए। घर का फर्श धोते समय जल को नहीं बहाना चाहिए। किसी भी जगह पर नल को खुला चलते देखकर उसे बंद कर देना चाहिए अथवा उसकी सूचना तुरंत नज़दीकी जल विभाग से देनी चाहिए। अपने नल खराब होने पर उसी समय ठीक करवाने चाहिए। इस प्रकार हमें सदा जल का सदुपयोग करना चाहिए।

PSEB 9th Class English Grammar Modals

Punjab State Board PSEB 9th Class English Book Solutions English Grammar Modals Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 9th Class English Grammar Modals

Fill in the blanks with will / shall I need / must / used to :

1. My grandfather …………….. go for a morning walk every day in his youth.
2. You ……………… keep your promises.
3. She ……………… not go to the market. I have already brought the vegetables.
4. I ……………… lend you my pen if you give me your notebook.
5. You ………………. get a prize if you finish your homework.
Answer:
1. used to
2. must
3. need
4. shall
5. will.

PSEB 9th Class English Grammar Modals

Study the solved examples given below and use ‘can’ I cannot in the sentences you frame :

(a) List 5 things you can do. — (b) List 5 things you cannot do.

Example : 1. I can drive a car.

1. I cannot fly a plane.
Hints : There can be many different answers; as–
(a) 2. I can dance. — (b) 2. I cannot sing.
3. I can play football. — 3. I cannot play cricket.
4. I can speak English. — 4. I cannot speak French.
5. I can prepare tea. — 5. I cannot bake a cake.
6. I can walk fast. — 6. I cannot run fast.

Fill in the blanks with appropriate Modals :

1. ……………. you do me a favour ? (Will / May)
2. We …………… buy any sugar. There’s enough in the house. (need not / must)
3. The rich …………… help the poor. (should I must).
4. The breeze is cold and fresh, it …………… rain soon. (may / might)
5. She ……………. speak English when she was hardly four. (could / can)
6. He …………… have stolen your pen. (may / can)
7. I am afraid the news ………….. be true. (may / might)
8. She ……………. not disobey her husband. (can / should)
9. How …………….. you ride a bicycle without brakes ? (can / will)
10. ……………… I have a holiday ? (can I need)
Answer:
1. Will
2. need not
3. should
4. might
5. could
6. may
7. may
8. should
9. can
10. Can.

PSEB 9th Class English Grammar Modals

Fill in the blanks with appropriate Modals :

1. …………… I open the windows ?
2. …………… we play in the garden ?
3. They …………….. to work hard for a living.
4. You ………….. take exercise daily.
5. ……………. God bless you !
6. ……………. be mad to do this. (must / should)
7. ……………. to help the poor people.
8. We ……………. not spit on the floor.
9. We …………….. not waste time in idle gossips.
10. ……………… you please stop talking ?
Answer:
1. Shall
2. May
3. have
4. should
5. May
6. must
7. ought
8. should
9. should
10. Will.

Fill in the blanks with appropriate Modals :

1. You …. take exercise daily. (should / must)
2. You ……………. keep your promise. (must / may)
3. We …………… not to walk on the grass. (ought / should)
4. Take heed lest you ……………… fall. (must / should)
5. Do you think she ………….. apologize ? (will / can)
6. I …………… like to see that book. (would / will)
7. We ……………. love our neighbour. (should / can)
8. You …………….. come to school in time. (should / may)
9. You ……………… see a doctor at once. (must / will)
10. I ……………. come if it rains. (can’t / won’t)
Answer:
1. should
2. must
3. ought
4. should
5. will
6. would
7. should
8. should
9. must
10. won’t.

PSEB 9th Class English Grammar Modals

Choose the correct Modals from the brackets and fill in the blanks :

1. ………….. you get a hundred rupees ? (will / shall)
2. The police ……………… find out the culprit. (will / shall)
3. A judge ………………… be upright. (must / ought)
4. Students ……………… to maintain discipline. (must / ought)
5. India ………….. not win this match. (can / may)
6. The girl or ……………… not dance. (can / may)
Answer:
1. Will
2. will
3. must
4. ought
5. can
6. may

Fill in the blanks with appropriate Modals :

1. …………….. you please stop talking ?
2. You …………… go home whenever you like.
3. It ……………. rain, it is so sultry.
4. One ……………. always be kind to others.
5. If you have a ticket, you ……………… go inside.
6. Your father is sleeping, you ………….. not speak loudly.
7. I ……………. visit my sister tomorrow.
Answer:
1. Will
2. may
3. might
4. should
5. may
6. should
7. shall.

Complete the following conversation by supplying suitable Modals in the blanks :

Gita : ……………. (1) you help me with some money ?
Sita : How much do you need ?
Gita : I ……………. (2) do with just two hundred rupees.
Sita : ……………… (3) it be fine if I give you a cheque ?
Gita ………… (4) I get it encashed today?
Sita : Why not? But you …………… (5) go to the bank soon as it is already 12-30.
The bank ……………. (6) close at 1 p.m. today.
Gita : Please write the cheque at once. I …………… (7) rush to the bank just now.
Answer:
1. Will
2. can
3. Will
4. Can
5. should
6. will
7. will.

PSEB 9th Class English Grammar Modals

Fill in the blanks with appropriate Modals :

1. He said that it …………….. be true.(may / might)
2. ……………. enter the college next year. (would / must)
3. Sita …………… win the first prize in English.
4. …………… you live long to enjoy it !
5. I …………… speak English.
6. Even as a child, she ……………. sing well.
7. …………….. you come to the meeting tomorrow ?
8. We ………….. not tell lies.
Answer:
1. might
2. would
3. may I can I will
4. May
5. can
6. could
7. Will
8. should.

Fill in the blanks with appropriate Modals :

1. You ……………. clean your teeth every morning.
2. …………….. you finish this work in two hours ?
3. It ……………. rain today. (very little possibility)
4. This box is very heavy, I …………….. not lift it.
5. ………….. his soul rest in peace !
6. You …………….. take a taxi or you will miss the train.
7. The doctor says that I ……………. eat anything I like.
8. ……………… you like to read this book ?
9. Walk carefully lest you …………….. sprain your foot.
10. ……………. you lift this elephant ?
Answer:
1. should
2. Can
3. might
4. can
5. May
6. should
7. can
8. Would
9. should
10. Can.

PSEB 9th Class English Grammar Modals

Fill in the blanks with appropriate Modals :

1. We …………….. hurry. We are very late. (must, should)
2. I am afraid I …………….. tell you because it is a secret. (may, should not)
3. Children ……………. to obey their parents. (can, could, may, might, ought)
4. …………….. I borrow your pen for a minute ? (must, may, will, should)
5. We …………….. to live like brothers. (could, should, ought, might)
6. …………….. you die by inches !
7. I ……………. speak English when I was only five.
8. He worked hard so that he ……………… stand first.
9. You ……………… come to school in time.
10. You ……………. laugh at her mistakes.
Answer:
1. can
2. may
3. May
4. may
5. May
6. May
7. could
8. could
9. should
10. should not

Fill in the blanks with appropriate Modals :

1. ….. rather die than beg. (will / would)
2. Now let me see, …………….. you read this name? (can / will)
3. You …………….. see it happen gradually! (will / would)
4. He …………… not be pacified in any way. (could / should)
5. ……………. hear the music. (can / might)
6. Hamlet promised that he ……………. do that. (will / would)
7. He finds reasons why he ………….. not do so yet. (should I could)
8. You ……………… not go on wasting your time. (may / should)
9. You ……………… never make that mistake again. (may / should)
10. He says that he ……………… never pay the money. (shall / will)
Answer:
1. would
2. can
3. will
4. could
5. can
6. would
7. could
8. should
9. should
10. will.

Fill in the blanks with appropriate Modals :

1. I ……………. beat him. (could / might)
2. I thought I …………… win. (will / would)
3. He …………….. play into my hands. (shall / would)
4. I felt I ……………. win by only a few inches. (could / may)
5. They ……………… all be waiting at the next stop. (can / will)
6. They …………….. to stoop so low, he said. (cannot / ought not)
7. A gentleman ……………… be fair to all. (will / shall)
8. You ……………… have the last laugh. (might / must)
9. I am afraid you …………… have to go. (may / will)
10. He did not know what he ……………… do with himself. (shall / should)
Answer:
1. could
2. would
3. shall
4. could
5. will
6. ought not
7. will
8. might
9. will
10. should.

PSEB 9th Class English Grammar Modals

Modals ऐसी सहायक क्रियाओं (Auxiliary Verbs) को कहा जाता है जिनके साथ केवल verb की पहली फार्म (V1) का प्रयोग किया जा सकता है। इन्हें Modal Auxiliaries भी कहा जाता है।
Auxiliaries या Helping Verbs दो प्रकार के होते हैं

1. Primary Auxiliaries.
Be : am, is, are, was, were, do, does, did, have, has, had.

2. Modal Auxiliaries.
Will, would, shall, should, can, could, may, might, must (am to, is to, are to, have to, etc.) ought to, used to, need, dare.

The Use Of Some Modals

Will और Shall का प्रयोग Will और Shall सम्बन्धी प्रयोग के लिए निम्नलिखित नियम. ध्यान में रखिए

In Assertive Sentences

(1) यदि किसी भविष्य की घटना का केवल साधारण रूप में ही वर्णन करना हो, तो-
First Person के लिए shall का प्रयोग किया जाता है।
Second और Third Person के लिए will का प्रयोग किया जाता है।

1. I shall finish my work quickly.
2. He will finish his work quickly.
3. We shall not be able to come.
4. You will not be able to come.

(2) यदि वाक्य में किसी भविष्य-सम्बन्धी आदेश (command), प्रण (promise), निश्चय (determination), धमकी (threat), आदि का वर्णन हो, तो
First Person के लिए will का प्रयोग किया जाता है।
Second और Third Person के लिए shall का प्रयोग किया जाता है।

1. I will return your money without fail.
2. We will not withdraw from the contest.
3. You shall be punished for your misconduct.
4. He shall not live in my house any longer.

(3) यदि वक्ता अपने किसी भविष्य-सम्बन्धी उद्देश्य (intention) को प्रकट करना चाहता हो, तो वह अपने
लिए will का प्रयोग करेगा। अर्थात् ऐसे वाक्यों में First Person के साथ will का प्रयोग किया जाता है।

1. I will appear in the Senior Secondary Examination next year.
2. I won’t go to Delhi now.
3. We will donate blood in this camp.

In Interrogative Sentences

(1) प्रश्नवाचक वाक्यों में Will I और Shall you का प्रयोग नहीं किया जाता है।
1. Shall I have his reply soon ?
2. Shall we reach there in time ?
3. Will you be here next Tuesday ?
4. Will you take part in this function ?

(2) Third Person के लिए will अथवा shall किसी का भी प्रयोग किया जा सकता है।
Shall he → भविष्य-सम्बन्धी आदेश आदि के लिए।
Will he → भविष्य-सम्बन्धी साधारण क्रिया के लिए।
1. Shall the watchman keep awake all night ?
2. Will he accompany me to Lucknow ?

Would तथा Should का प्रयोग

(1) Would का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है

Will का Past
1. I told him that I would come.
2. The doctor knew that the patient would die.

प्रार्थना वाचक
1. Would you close the window ?
2. Would you tell me the time ?

शर्त वाचक
1. He would pass if he worked hard.
2. He would have passed if he had worked hard.

PSEB 9th Class English Grammar Modals

(2) Should का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है

1. उपदेश वाचक — You should give up smoking.
2. सम्भावना वाचक — They should be here by now.
3. नैतिक फर्ज — You should do your duty.
4. Shall का Past — He told me that I should I would pass.

Can तथा Could का प्रयोग
(1) Can का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है

1. योग्यता सूचक — She can dance very well.
2. इजाजत सूचक — You can go home now.
3. सम्भावना सूचक — It can happen to anyone.
4. Pr. Cont की जगह — I can hear people talking.

(2) Could का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है

शर्त वाचक
1. I could lift this box (if I tried).
2. I could buy a shirt (if I had money).

प्रार्थना वाचक
1. Could (would) you tell me the time ?
2. Could (would) you bring me a glass of water ?

सम्भावना सूचक
1. One of the prisoners escaped yesterday.
Hecould be anywhere now.

Can का Past
1. He said that I could go.
2. He could come to me any time he liked.

May तथा Might का प्रयोग

May का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है
अनुमति । इजाजत सूचक
1. You may go now.
2. May I come in, sir ?

सम्भावना सूचक
1. His statement may (can I could) be true.
2. His plan may (can / could) succeed.

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इच्छा । प्रार्थना सूचक
1. May you live long !
2. May our country prosper !

Might का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है
1. May का Past.
1. He said that I might go.
2. I thought that he might help her.

2. भावी सम्भावना
1. He might (may) pass this year.
2. He might (may) reach here by evening.

3. इजाज़त होना
1. Might I have your pen ?
2. You might do me a favour.
(May की अपेक्षा might में अधिक झिझक और विनम्रता का संकेत होता है।)

Must का प्रयोग

Must का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है-

उपदेश सूचक
1. You must consult some good doctor.
2. You must work hard this year.

आवश्यकता सूचक
1. You must be back by evening.
2. The students must bring their books daily.

सम्भावना सूचक
1. The child must be hungry.
2. He must have made some big mistake.

बन्धन । मजबूरी सूचक
1. You must do as you are told.
2. He must clear his accounts before leaving.

नोट
(1) Must का प्रयोग Affirmative और Interrogative वाक्यों में किया जा सकता है, किन्तु Negative वाक्यों में must के विपरीतार्थक (opposite) के रूप में need not का प्रयोग किया जाना चाहिए।

1. Must she come tomorrow ?
2. Yes, she must.
3. No, she needn’t.

(2) Must की जगह bas / have to का प्रयोग किया जा सकता है।

1. He must go now.
He has to go now.

2. You must obey your officer.
You have to obey your officer.

(3) Must not की जगह is not to का प्रयोग किया जा सकता है।
1. He must not go there.
2. He is not to go there.

(4) Tense के अनुसार must और need के प्रयोग में होने वाले परिवर्तनों के लिए निम्नलिखित तालिका याद रखिए

Present Past Future
1. He must go
2. He must not go
3. He need not go
He had to go
He was not to go
He need not have gone
 He must go
He must not to go
He need not go

Ought to तथा Used to का प्रयोग

(1) Ought के साथ सदा to का प्रयोग किया जाता है।
(Ought to = Should)
Ought to का प्रयोग (should की भान्ति) निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है-

नैतिक फर्ज़
1. You ought to respect your elders.
2. You ought to have helped the poor.

इच्छा-योग्य सम्भावना
1. Mohan ought to win the race this time.
2. You have worked hard. You ought to get good marks.

PSEB 9th Class English Grammar Modals

इच्छा-योग्य ज़रूरत
1. He ought to build a new house now.
2. There ought to be some more buses.

(इस तालिका में दिए गए सभी वाक्यों में ought to के स्थान पर should का प्रयोग किया जा सकता है।)

(2) Ought की भान्ति used भी एक ऐसा modal है जिसके साथ to का प्रयोग करना ज़रूरी होता है।
1. He used to live here.
2. He never used to live here.
3. Used he to live here?

Used to का प्रयोग भूतकाल के सम्बन्ध में किसी आदत अथवा प्रायः होने वाली क्रिया को प्रकट करने के लिए किया जाता है।

Used to + V1 = V2
He used to come to my house every evening.
She never used to tell a lie.
They used to consult me on all
He came to my house every evening.
She never told a lie.
They consulted me on all matters

Need का प्रयोग

(1) Auxiliary के रूप में Need का प्रयोग केवल Negative और Interrogative वाक्यों में किया जाना चाहिए।
इसका प्रयोग किस सन्देह (doubt) अथवा मनाही (prohibition) को जोरदार ढंग से व्यक्त करने के लिए किया जाता है।

1. Need you go yet? No, you needn’t.
2. Need she come tomorrow ? No, she needn’t.

(2) Auxiliary के रूप में Need का Third Person Singular सदा need ही होता है, न कि needs :
1. Need Mohan go there now ?
2. He need not worry any more.

(3) प्रश्नवाचक वाक्यों में need का प्रयोग तभी किया जाता है जब negative उत्तर वांछित हो।
Need you go there?
No, I needn’t.

(4) Interrogative और Negative वाक्यों में need के साथ to का प्रयोग नहीं किया जाता है।
Need he do any work?
No, he needn’t do any work.

PSEB 9th Class English Grammar Modals

(5) किन्तु निम्नलिखित वाक्यों में need के साथ to का प्रयोग किया गया है

1. He needs to go now. (Affirmative)
2. He does not need to go now. (Negative)
3. Does he need to go now? (Interrogative)
यदि ध्यान से देखा जाए तो पता चलेगा कि इन सभी वाक्यों में need को मुख्य क्रिया (Principal Verb) के रूप में प्रयोग किया गया है, न कि Auxiliary के रूप में।

(6) Need not की जगह haven’t got to, don’t have to, don’t need to का प्रयोग किया जा सकता है।

He need not go.
He has not got to go.
He does not have to go.
He does not need to go.

Dare का प्रयोग

(1) Auxiliary के रूप में dare का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है

  • Negative वाक्यों में।
  • Interrogative वाक्यों में।
  • सन्देह (doubt) व्यक्त करने वाले वाक्यों में।
  • ऐसे वाक्यों में जिनमें hardly, never, no one, nobody का प्रयोग किया गया हो।

(2) जब dare का प्रयोग auxiliary के रूप में किया गया हो, तो इसके साथ to का प्रयोग नहीं किया जाता
(3) Dare का Third Person Singular सदा dare ही होता है, न कि dares.

Examples :
1. He dare not fight with me. (Negative)
2. Nobody dared ask him about his intentions. (Negative)
3. Dare he come to my house ? (Interrogative)
4. How dare he say such things about me ? (Interrogative)
5. I wonder whether he dare try. (Doubt)
6. He will hardly dare go there again. (Doubt)
क्या अब आप बता सकते हैं कि Need और dare के प्रयोग के सम्बन्ध में कौन-कौन सी बातें एक जैसी हैं ?

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.1

Punjab State Board PSEB 9th Class Maths Book Solutions Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Maths Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.1

Question 1.
How will you describe the position of a table lamp on your study table to another person?
Answer:
First of all. I will explain that the study table is the first quadrant of the Cartesian plane, the edge nearer to me as the positive direction of the x-axis and the edge on my left Is the positive direction of the y-axis. Now, I will measure the distance of the table lamp from the edge nearer to me. Suppose that distance is y cm. Now, I will measure the distance of the table lamp from the edge on my left. Suppose that distance is x cm. Now, I can describe the position of the table lamp that it is y cm away from the edge nearer to me and x cm away from the edge on my left. In this manner, I can describe the position of any object lying on the table with two independent informations.

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.1

Question 2.
(Street Plan) : A city has two main roads which cross each other at the centre of the city. These two roads are along the North-South direction and East-West direction.

All the other streets of the city run parallel to these roads and are 200 m apart. There are 5 streets in each direction. Using 1 cm = 200 m, draw a model of the city on your notebook. Represent the roads/streets by single lines.

There are many cross-streets in your model. A particular cross-street is made by two streets, one running in the North South direction and another in the East West direction. Each cross-street is referred to in the following manner:

If the 2nd street running in the North South direction and 5th in the East-West direction meet at some crossing. then we will call this cross-street (2, 5). Using this convention, find:
Answer:
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.1 1

(i) how many cross-streets can be referred to as (4, 3).
Answer:
One and only one cross-street can be referred to as (4, 3) because it is the intersection of 4th street running in the North-South direction and the 3rd street running in the East-West direction. As we are using two independent references, each cross-street (X, y) will be referred uniquely.

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 3 Coordinate Geometry Ex 3.1

(ii) how many cross-streets can be referred to as (3, 4).
Answer:
One and only one cross-street can be referred to as (3, 4) because it is the intersection of the 3rd street running in the North-South direction and the 4th street running in the East-West direction.

PSEB 9th Class Maths MCQ Chapter 2 Polynomials

Punjab State Board PSEB 9th Class Maths Book Solutions Chapter 2 Polynomials MCQ Questions with Answers.

PSEB 9th Class Maths Chapter 2 Polynomials MCQ Questions

Multiple Choice Questions and Answer

Answer each question by selecting the proper alternative from those given below each question to make the statement true:

Question 1.
The value of p(x) = x3 + x2 – 3x – 3 at x = – 1 is ………….. .
A. 1
B. – 1
C. 0
D. – 3
Answer:
C. 0

PSEB 9th Class Maths MCQ Chapter 2 Polynomials

Question 2.
For the polynomial p(x), If p(2) = 0. then …………….. is a factor of p(x).
A. (x – 2)
B. (x + 2)
C. (x2 – 2)
D. (x2 + 2)
Answer:
A. (x – 2)

Question 3.
Dividing 2x3 + 6x2 + x + 5 by (x + 3), the remainder is ………………. .
A. 2
B. 3
C. 1
D. 0
Answer:
A. 2

Question 4.
……………. should be subtracted from x3 + 3x2 + 2x + 10, so that the result is exactly divisible by (x + 3).
A. 1
B. 2
C. 3
D. 4
Answer:
D. 4

PSEB 9th Class Maths MCQ Chapter 2 Polynomials

Question 5.
………………… should be added to x3 – 5x2 + x – 8, so that the result Is exactly divisible by (x – 5).
A. 2
B. – 2
C. – 3
D. 3
Answer:
D. 3

Question 6.
…………………. is one of the zeros of the polynomial x3 – 6x2 + 2x – 12.
A. 2
B. – 2
C. 6
D. – 6
Answer:
C. 6

Question 7.
If x + 3 is a factor of x3 + 6x2 + 11x + k, then k = ……………….. .
A. 2
B. 3
C. 4
D. 6
Answer:
D. 6

PSEB 9th Class Maths MCQ Chapter 2 Polynomials

Question 8.
………………….. should be added to x2 – 8, so that the result is exactly divisible by (x + 3).
A. 1
B. – 1
C. 3
D. – 3
Answer:
B. – 1

Question 9.
If x – 1 is a factor of 4x3 + 3x2 – 4x + k, then k = ………… .
A. 4
B. 1
C. 3
D. – 3
Answer:
D. – 3

Question 10
………………. is one of the factors of 2x4 + x3 – 14x2 – 19x – 6.
A. (x – 1)
B. (x + 1)
C. (x + 3)
D. (x – 2)
Answer:
B. (x + 1)

PSEB 9th Class Maths MCQ Chapter 2 Polynomials

Question 11.
When x3 + 64 is divided by x + 4, the quotient is ………………. .
A. (x – 4)
B. (x + 8)
C. (x + 16)
D. x2 – 4x + 16
Answer:
D. x2 – 4x + 16

Question 12.
x3 + 3x2 + 3x + 2 = (x + 2) (……………..)
A. x – 2
B. x2 + 1
C. x2 – x – 1
D. x2 + x + 1
Answer:
D. x2 + x + 1

Question 13.
The factors of x2 – x – 12 are .
A.(x + 6) and (x – 2)
B. (x – 4) and (x – 3)
C. (x + 4) and (x + 3)
D. (x – 4) and (x + 3)
Answer:
D. (x – 4) and (x + 3)

PSEB 9th Class Maths MCQ Chapter 2 Polynomials

Question 14.
The factors of x2 – 100 are ………………. .
A. (x – 20) and (x – 5)
B. (x – 25) and (x – 4)
C. (x – 10)2
D. (x + 10) and (x – 10)
Answer:
D. (x + 10) and (x – 10)

Question 15.
x2 – 2 + \(\frac{1}{x^{2}}\) = ………………………
A. \(\left(x+\frac{1}{x}\right)\left(x-\frac{1}{x}\right)\)
B. \(\left(x-\frac{1}{x}\right)^{2}\)
C. \(\left(x-\frac{1}{x}\right)^{3}\)
D. \(\left(x+\frac{1}{2}\right)^{2}\)
Answer:
B. \(\left(x-\frac{1}{x}\right)^{2}\)

Question 16.
If x2 + mx – 28 = (x – 7) (x + 4), then m = ………………….. .
A. 3
B. – 3
C. 11
D. – 11
Answer:
B. – 3

Question 17.
105 × 95 = ………………. .
A. 9500
B. 10,500
C. 9925
D. 9975
Answer:
D. 9975

PSEB 9th Class Maths MCQ Chapter 2 Polynomials

Question 18.
(110)3 = …………………… .
A. 330
B. 3300
C. 33.000
D. 13,31,000
Answer:
D. 13,31,000

Question 19.
(15)3 – (9)3 – (6)3 = ………………….
A. 1215
B. 2430
C. – 810
D. 810
Answer:
B. 2430

PSEB 9th Class Maths MCQ Chapter 2 Polynomials

Question 20.
If x + 3 is one of the factors x3 + 2x2 – ax – 18, then a = …………………. .
A. 3
B. – 3
C. 9
D. – 9
Answer:
C. 9

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अपठित गद्यांश

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar apathit gadyansh अपठित गद्यांश Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 9th Class Hindi Grammar अपठित गद्यांश

1. जगदीश चंद्र बसु जीव-विज्ञान के साथ-साथ अन्य विषयों गणित, संस्कृत, लैटिन आदि में भी असाधारण थे। इसी कारण उन्हें कॉलेज में छात्रवृत्ति भी मिली। उन्हें सन् 1884 में कैम्ब्रिज से प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की उपाधि मिली। इसके बाद वे स्वदेश लौट आए। यहाँ आकर कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में भौतिकी के प्रोफेसर नियुक्त हुए। इस कॉलेज में भारतीय अध्यापकों को अंग्रेज़ी अध्यापकों की अपेक्षा कम वेतन मिलता है। जगदीश चंद्र बसु बड़े स्वाभिमानी थे। उन्होंने इस बात का विरोध किया। वे तीन साल तक इस कॉलेज में अध्यापन व अनुसंधान कार्य करते तो रहे परन्तु बिना वेतन के। अन्त में उनकी काम के प्रति निष्ठा और उत्साह देखकर कॉलेज के संचालकों को उनके प्रति अपनी राय बदलनी पड़ी और पूरा वेतन दिया जाने लगा। अतः भारतीय अध्यापकों के प्रति इस कॉलेज में जो ग़लत रवैया था, उसको उन्होंने सर्वथा बदल दिया।

प्रश्न 1.
जगदीश चंद्र बसु को कॉलेज से छात्रवृत्ति क्यों मिली?
उत्तर:
जगदीश चंद्र बसु जीव-विज्ञान के साथ-साथ अन्य विषयों गणित, संस्कृत, लैटिन आदि में भी असाधारण थे इसलिए उन्हें कॉलेज में छात्रवृत्ति मिली थी।

प्रश्न 2.
जगदीश चंद्र बसु किस विषय के प्रोफेसर नियुक्त हुए?
उत्तर:
जगदीश चंद्र बसु भौतिकी के प्रोफेसर नियुक्त हुए थे।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अपठित गद्यांश

प्रश्न 3.
जगदीश चंद्र बसु को पूरा वेतन क्यों दिया जाने लगा ?
उत्तर:
जगदीश चंद्र बसु कम वेतन न लेकर तीन वर्षों तक बिना वेतन लिए निष्ठापूर्वक अपना कार्य करते रहे जिससे प्रभावित होकर कॉलेज संचालकों ने उन्हें पूरा वेतन दिया।

प्रश्न 4.
‘असाधारण’ तथा ‘अनुसंधान’ शब्दों के अर्थ लिखिए।
उत्तर:
असाधारण-विशेष। अनुसंधान-खोज।

प्रश्न 5.
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
जगदीश चंद्र बसु का स्वाभिमान।

2. संसार में ऐसे-ऐसे दृढ़ चित्त मनुष्य हो गए हैं जिन्होंने मरते दम तक सत्य की टेक नहीं छोड़ी, अपनी आत्मा के विरुद्ध कोई काम नहीं किया। राजा हरिश्चंद्र के ऊपर इतनी-इतनी विपत्तियाँ आईं, पर उन्होंने अपना सत्य नहीं छोड़ा। उनकी प्रतिज्ञा यही रही–
“चंद्र टरै, सूरज टरै, टरै जगत् व्यवहार।
पै दृढ़ श्री हरिश्चंद्र को, टरै न सत्य विचार।”

महाराणा प्रतापसिंह जंगल-जंगल मारे-मारे फिरते थे, अपनी स्त्री और बच्चों को भूख से तड़पते देखते थे, परंतु उन्होंने उन लोगों की बात न मानी जिन्होंने उन्हें अधीनतापूर्वक जीते रहने की सम्पति दी, क्योंकि वे जानते थे कि अपनी मर्यादा की चिन्ता जितनी अपने को हो सकती है, उतनी दूसरे को नहीं। एक बार एक रोमन राजनीतिक बलवाइयों के हाथ में पड़ गया। बलवाइयों ने उससे व्यंग्यपूर्वक पूछा, “अब तेरा किला कहाँ है ?” उसने हृदय पर हाथ रखकर उत्तर दिया, “यहाँ।” ज्ञान के जिज्ञासुओं के लिए यही बड़ा भारी गढ़ है।

प्रश्न 1.
संसार में किन लोगों ने मरते दम तक सत्य का साथ नहीं छोड़ा?
उत्तर:
जो लोग दृढ़ चित्त के होते हैं, वे मरते दम तक सत्य का साथ नहीं छोड़ते हैं।

प्रश्न 2.
महाराणा प्रताप सिंह ने अपनी स्त्री और बच्चों को भूख से तड़पते देखकर भी लोगों की बात क्यों नहीं मानी ?
उत्तर:
महाराणा प्रताप सिंह ने लोगों की बात इसलिए नहीं मानी क्योंकि वे किसी की अधीनता में जीना नहीं चाहते थे तथा उन्हें अपनी मर्यादा की चिंता थी।

प्रश्न 3.
राजा हरिश्चंद्र की क्या प्रतिज्ञा थी?
उत्तर:
राजा हरिश्चंद्र की यह प्रतिज्ञा थी कि चाहे सूर्य, चंद्रमा और संसार का व्यवहार बदल जाए परन्तु हरिश्चंद्र अपने सत्य की टेक से नहीं टरै गा।

प्रश्न 4.
‘सम्मति’ तथा ‘मर्यादा’ शब्दों के अर्थ लिखिए।
उत्तर:
सम्मति-राय, सलाह। मर्यादा-नियम, सीमा।

प्रश्न 5.
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
आत्मविश्वास।

3. वल्लभभाई की विलायत जाकर बैरिस्टरी की परीक्षा पास करने की इच्छा आरंभ से ही थी। वे अपनी प्रैक्टिस में से कुछ रुपया भी इसके निमित्त बचाकर रखने लगे और इस संबंध में उन्होंने एक विदेशी कंपनी से पत्र-व्यवहार भी जारी रखा। जब विदेशी कंपनी ने उनकी विदेश-यात्रा की स्वीकृति का पत्र उन्हें भेजा तो वह पत्र उनके बड़े भाई के हाथ पड़ गया। अंग्रेजी में दोनों का नाम वी. जे. पटेल होने के कारण यह गड़बड़ी हो गई। विट्ठलभाई ने जब वल्लभभाई से कहा कि मैं तुमसे बड़ा हूँ, मुझे पहले विदेश जाने दो, तो वल्लभभाई ने न केवल उन्हें जाने की अनुमति दी, बल्कि उनके ख़र्च का उत्तरदायित्व भी अपने ऊपर ले लिया। इस घटना के तीन वर्ष बाद जब सन् 1908 में बड़े भाई विलायत से वापस लौट आए, तभी वल्लभभाई सन् 1910 में विलायत जा सके। बड़े भाई के लिए इतना त्याग करना उनके व्यक्तित्व की विशालता का परिचायक है।

प्रश्न 1.
वल्लभभाई की विलायत जाकर कौन-सी परीक्षा पास करने की इच्छा थी?
उत्तर:
वल्लभभाई की विलायत जाकर बैरिस्टरी की परीक्षा पास करने की इच्छा थी।

प्रश्न 2.
विदेशी कम्पनी द्वारा विदेश यात्रा की स्वीकृति का पत्र भेज देने पर भी वल्लभभाई विदेश क्यों नहीं गये?
उत्तर:
वल्लभभाई विदेश इसलिए नहीं गए क्योंकि उनसे पहले उनके बड़े भाई विट्ठलभाई विदेश जाना चाहते है।

प्रश्न 3.
वल्लभभाई विदेश कब गये?
उत्तर:
वल्लभभाई सन् 1910 में विदेश गये।

प्रश्न 4.
‘निमित्त’ तथा ‘अनुमति’ शब्दों के अर्थ लिखिए।
उत्तर:
निमित्त-कारण। अनुमति-आज्ञा।

प्रश्न 5.
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
वल्लभभाई का त्याग।

4. यह संसार क्षण-भंगुर है। इसमें दुःख क्या और सुख क्या? जो जिससे बनता है, वह उसी में लय हो जाता है-इसमें शोक और उद्वेग की क्या बात है? यह संसार जल का बुदबुदा है, फूटकर किसी रोज़ जल में ही मिल जायेगा, फट जाने में ही बदबदे की सार्थकता है। जो यह नहीं समझते, वे दया के पात्र हैं। रे मूर्ख लड़की, तू समझ। सब ब्रह्माण्ड ब्रह्मा का है और उसी में लीन हो जायेगा। इससे तू किस लिए व्यर्थ व्यथा सह रही है। रेत का तेरा भाड़ क्षणिक था, क्षण में लुप्त हो गया, रेत में मिल गया। इस पर खेद मत कर, इससे शिक्षा ले। जिसने लात मारकर उसे तोड़ा है, वह तो परमात्मा का केवल साधन मात्र है। परमात्मा तुझे नवीन शिक्षा देना चाहते हैं। लड़की, तू मूर्ख क्यों बनती है ? परमात्मा की इस शिक्षा को समझ और परमात्मा तक पहुंचने का प्रयास कर।

प्रश्न 1.
लेखक के अनुसार यह संसार क्या है?
उत्तर:
लेखक के अनुसार यह संसार क्षण-भंगुर है।

प्रश्न 2.
लड़की को किस बात पर खेद था?
उत्तर:
लड़की को इस बात का खेद था कि उस का रेत का भाड़ लात मार कर तोड़ दिया गया था।

प्रश्न 3.
लेखक ने किसे परमात्मा का केवल साधन मात्र कहा है?
उत्तर:
लेखक ने परमात्मा का केवल साधन मात्र उसे कहा है जिसने लात मार कर लड़की के बनाए हुए रेत के भाड़ को तोड़ दिया था।

प्रश्न 4.
‘क्षणिक’ और ‘नवीन’ शब्दों के अर्थ लिखिए।
उत्तर:
क्षणिक-एक क्षण रहने वाला। नवीन-नया, ताज़ा।

प्रश्न 5.
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
‘संसार की क्षणभंगुरता’।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अपठित गद्यांश

5. सन् 1908 ई० की बात है। दिसंबर का आखीर या जनवरी का प्रारंभ होगा। चिल्ला जाड़ा पड़ रहा था। दोचार दिन पूर्व कुछ बूंदा-बाँदी हो गई थी, इसलिए शीत की भयंकरता और भी बढ़ गई थी। सांयकाल के साढ़े तीन या चार बजे होंगे। कई साथियों के साथ मैं झरबेरी के बेर तोड़-तोड़कर खा रहा था कि गाँव के पास से एक आदमी ने ज़ोर से पुकारा कि तुम्हारे भाई बुला रहे हैं, शीघ्र ही घर लौट जाओ। मैं घर को चलने लगा। साथ में छोटा भाई भी था। भाई साहब की मार का डर था इसलिए सहमा हुआ चला जाता था। समझ में नहीं आता था कि कौन-सा कसूर बन पड़ा। डरते-डरते घर में घुसा। आशंका थी कि बेर खाने के अपराध में ही तो पेशी न हो। पर आँगन में भाई साहब को पत्र लिखते पाया। अब पिटने का भय दूर हुआ। हमें देखकर भाई साहब ने कहा-“इन पत्रों को ले जाकर मक्खनपुर डाकखाने में डाल आओ। तेज़ी से जाना, जिससे शाम की डाक में चिट्ठियाँ निकल जाएँ। ये बड़ी ज़रूरी हैं।”

प्रश्न 1.
शीत की भयंकरता और क्यों बढ़ गयी थी ?
उत्तर:
शीत की भयंकरता और इसलिए बढ़ गयी थी क्योंकि दिसंबर के अंत या जनवरी के प्रारंभ में चिल्ला जाड़ा पड़ रहा था और दो-चार दिन पहले बूंदा-बाँदी भी हो गई थी।

प्रश्न 2.
लेखक को घर किसने बुलाया था?
उत्तर:
लेखक को घर उसके भाई ने बुलाया था।

प्रश्न 3.
लेखक को घर जाने में किसका डर सता रहा था?
उत्तर:
लेखक को घर जाने में भाई साहिब की मार का डर सता रहा था।

प्रश्न 4.
‘आशंका’ तथा ‘भय’ शब्दों के अर्थ लिखिए।
उत्तर:
आशंका-संदेह। भय-डर।

प्रश्न 5. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
भाई का भय।

अपठित गद्यांश के अन्य उदाहरण

1. शिक्षा का वास्तविक अर्थ और प्रयोजन व्यक्ति को व्यावहारिक बनाना है, न कि शिक्षित होने के नाम पर अहं और गर्व का हाथी उसके मन मस्तिष्क पर बाँध देना। हमारे देश में स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद जो शिक्षा-नीति और पद्धति चली आ रही है वह लगभग डेढ़ सौ साल पुरानी है। उसने एक उत्पादन मशीन का काम किया है। इस बात का ध्यान नहीं रखा गया कि इस देश की अपनी आवश्यकताएं और सीमाएं क्या हैं ? इनके निवासियों को किस प्रकार की व्यावहारिक शिक्षा की ज़रूरत है। बस सुशिक्षितों की ही नहीं, साक्षरों की एक बड़ी पंक्ति इस देश में खड़ी कर दी है जो किसी दफ्तर में क्लर्क और बाबू का सपना देख सकती है। हमारे देशवासियों को कर्म का बाबू बनाने की आवश्यकता है न कि कलम का बाबू-क्लर्क। अत: सरकार को आधुनिक शिक्षा का वास्तविक अर्थ और प्रयोजन को समझने की आवश्यकता है।

प्रश्न 1.
स्वतन्त्रता से पहले कैसी शिक्षा नीति थी?
उत्तर:
स्वतन्त्रता से पहले शिक्षा नीति ऐसी थी जिससे क्लर्क और बाबू बनाये जा सकें।

प्रश्न 2.
देश को कैसी शिक्षा की आवश्यकता है?
उत्तर:
देशवासियों को कर्म की शिक्षा देने की आवश्यकता है जिससे देशवासी कर्मशील बन सकें।

प्रश्न 3.
सुशिक्षित और साक्षर में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
सुशिक्षित वे होते हैं जो व्यावहारिक जीवन में शिक्षा का उचित उपयोग कर सकें जबकि साक्षर केवल पढ़ालिखा तथा व्यवहार ज्ञान से शून्य व्यक्ति होता है।

प्रश्न 4.
इन शब्दों का अर्थ लिखें: व्यावहारिक, अहं और गर्व।
उत्तर:
व्यावहारिक = व्यवहार में आने या लाने योग्य। अहं = अभिमान, अहंकार। गर्व = घमण्ड।

प्रश्न 5.
उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त “शीर्षक” दीजिए।
उत्तर:
शिक्षा का प्रयोजन।

2. आजकल भारत में अधिक आबादी की समस्या ने गम्भीर रूप धारण कर लिया है। इस अनावश्यक रूप से बढी आबादी के कारण कई प्रकार के प्रदूषण हो रहे हैं। जीवन में हवा, पानी ज़रूरी है पर पानी के बिना हम अधिक दिन नहीं जी सकते। वायु प्रदूषण की तरह जल प्रदूषण भी है जिसका औद्योगिक विकास तथा जनवृद्धि से घनिष्ठ सम्बन्ध है। कारखानों से काफ़ी मात्रा में गन्दगी बाहर फेंकी जाती है। स्रोतों, नदियों, झीलों और समुद्र के जल को कीटनाशक, औद्योगिक, अवशिष्ट खादें तथा अन्य प्रकार के व्यर्थ पदार्थ प्रदूषित करते हैं। बड़े नगरों में सीवर का पानी सबसे बड़ा जल प्रदूषण है। प्रदूषित जल के प्रयोग से अनेक प्रकार की बीमारियाँ होती हैं जैसे हैज़ा, टाइफायड, पेचिश, पीलिया आदि। यदि सागर, नदी और झील का पानी प्रदूषित हो गया, तो जल में रहने वाले प्राणियों को भी बहुत अधिक क्षति पहुंचेगी।

प्रश्न 1.
भारत की सबसे गम्भीर समस्या क्या है ?
उत्तर:
अधिक आबादी की समस्या भारत की सबसे गम्भीर समस्या है।

प्रश्न 2.
जल प्रदूषित कैसे होता है ?
उत्तर:
कारखानों से निकलने वाली गन्दगी, औद्योगिक-अवशिष्ट खादें, कीटनाशक आदि व्यर्थ पदार्थ जल को प्रदूषित करते हैं।

प्रश्न 3.
प्रदूषण से प्राणियों की क्षति कैसे होती है ?
उत्तर:
प्रदूषण से हैज़ा, पेचिश, पीलिया आदि बीमारियाँ हो जाती हैं। जल में रहने वाले प्राणियों को भी क्षति होती

प्रश्न 4.
इन शब्दों का अर्थ लिखें : घनिष्ठ, सम्बन्ध, औद्योगिक।
उत्तर:
घनिष्ठ = गहरा। सम्बन्ध = साथ जुड़ना। औद्योगिक = उद्योग सम्बन्धी।

प्रश्न 5.
उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त “शीर्षक” दीजिए।
उत्तर:
जल प्रदूषण।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अपठित गद्यांश

3. जब मक्खन शाह का जहाज़ किनारे लगा तो अपनी मनौती पूर्ण करने के लिए गुरु जी के सम्मुख उपस्थित हुआ। वह गुरुघर का भक्त छठे गुरुजी के काल से ही था। इससे पूर्व कश्मीर के रास्ते में मक्खन शाह की अनुनय पर गुरुजी टांडा नामक गाँव गये थे जो कि जेहलम नदी के किनारे बसा हुआ था। सर्वप्रथम वह अमृतसर गया, जहाँ उसे गुरुजी के दिल्ली में होने की सूचना प्राप्त हुई। दिल्ली में पहुंचकर, गुरु हरिकृष्ण के उत्तराधिकारी का समाचार बाबा के बकाला में रहने का मिला। यहाँ पहुंचकर उसने विभिन्न मसन्दों को गुरु रूप धारण किया हुआ पाया। मक्खन शाह का असमंजस में पड़ना उस समय स्वाभाविक ही था। व्यापारी होने के कारण उसमें विवेकशीलता एवं सहनशीलता भी थी। उसने चतुराई से वास्तविक गुरु को ढूंढ़ने का प्रयास किया। इसके लिए उसने चाल चली। उसने सभी गुरुओं के सम्मुख पाँचपाँच मोहरें रखकर प्रार्थना की। उसे दृढ़ विश्वास था कि सच्चा गुरु अवश्य उसकी चालाकी को भांप लेगा, परन्तु किसी भी पाखण्डी ने उसके मन की जिज्ञासा को शान्त नहीं किया।

प्रश्न 1.
मक्खन शाह के अनुनय पर गुरुजी कहाँ गए थे?
उत्तर:
मक्खन शाह के अनुनय पर गुरुजी टांडा नामक गाँव गए थे।

प्रश्न 2.
उसने सच्चे गुरु की खोज के लिए कौन-सी चाल चली ?
उत्तर:
उसने सबके सामने पाँच-पाँच मोहरें रखीं।

प्रश्न 3.
पाखण्डी कौन थे?
उत्तर:
सभी पाखण्डी थे।

प्रश्न 4.
इन शब्दों का अर्थ लिखें-विवेकशीलता, दृढ़ विश्वास।
उत्तर:
विकेकशीलता = समझदारी। दृढ़-विश्वास = पक्का विश्वास।

प्रश्न 5.
उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त “शीर्षक” दीजिए।
उत्तर:
विवेकशीलता।

4. सहयोग एक प्राकृतिक नियम है, यह कोई बनावटी तत्व नहीं है। प्रत्येक पदार्थ, प्रत्येक व्यक्ति का काम आन्तरिक सहयोग पर अवलम्बित है। किसी मशीन का उसके पुर्जे के साथ सम्बन्ध है। यदि उसका एक भी पुर्जा खराब हो जाता है तो वह मशीन चल नहीं सकती। किसी शरीर का उसके आँख, कान, नाक, हाथ, पांव आदि पोषण करते हैं। किसी अंग पर चोट आती है, मन एकदम वहाँ पहुँच जाता है। पहले क्षण आँख देखती है, दूसरे क्षण हाथ सहायता के लिए पहुँच जाता है। इसी तरह समाज और व्यक्ति का सम्बन्ध है। समाज शरीर है तो व्यक्ति उसका अंग है। जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अंग परस्पर सहयोग करते हैं उसी तरह समाज के विकास के लिए व्यक्तियों का आपसी सहयोग अनिवार्य है। शरीर को पूर्णता अंगों के सहयोग से मिलती है। समाज की पूर्णता व्यक्तियों के सहयोग से मिलती है। प्रत्येक व्यक्ति, जो जहाँ पर भी है, अपना काम ईमानदारी और लगन से करता रहे, तो समाज फलता-फूलता है।

प्रश्न 1.
समाज कैसे फलता-फूलता है?
उत्तर:
समाज व्यक्तियों के आपसी सहयोग से फलता-फूलता है।

प्रश्न 2.
शरीर के अंग कैसे सहयोग करते हैं?
उत्तर:
शरीर के किसी अंग पर चोट लगने पर सबसे पहले मन पर प्रभाव पड़ता है, फिर आँख उसे देखती हैं और हाथ उसकी सहायता के लिए पहुँच जाता है। इस प्रकार शरीर के अंग आपस में सहयोग करते हैं। .

प्रश्न 3.
समाज और व्यक्ति का क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
समाज रूपी शरीर का व्यक्ति एक अंग है। इस प्रकार और व्यक्ति का शरीर और अंग का सम्बन्ध है।

प्रश्न 4.
इन शब्दों का अर्थ लिखें-अविलम्ब, अनिवार्य।
उत्तर:
अविलम्ब = तुरन्त, बिना देर किए। अनिवार्य = ज़रूरी, आवश्यक।

प्रश्न 5.
उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त “शीर्षक” दीजिए।
उत्तर:
सहयोग।

5. लोग कहते हैं कि मेरा जीवन नाशवान है। मुझे एक बार पढ़कर लोग फेंक देते हैं। मेरे लिए एक कहावत बनी है “पानी केरा बुदबुदा अस अखबार की जात, पढ़ते ही छिप जात है, ज्यों तारा प्रभात।” पर मुझे अपने इस जीवन पर भी गर्व है। मर कर भी मैं दूसरों के काम आता हूँ। मेरे सच्चे प्रेमी मेरे सारे शरीर को फाइल में क्रम से सम्भाल कर रखते हैं। कई लोग मेरे उपयोगी अंगों को काटकर रख लेते हैं। मैं रद्दी बनकर भी ग्राहकों की कीमत का एक तिहाई भाग अवश्य लौटा देता हूँ। इस प्रकार महान् उपकारी होने के कारण मैं दूसरे ही दिन नया जीवन पाता हूँ और अधिक जोर-शोर से सजधज के आता हूँ। इस प्रकार एक बार फिर सबके मन में समा जाता हूँ। तुमको भी ईर्ष्या होने लगी है न मेरे जीवन से। भाई ! ईर्ष्या नहीं स्पर्धा करो। आप भी मेरी तरह उपकारी बनो। तुम भी सबकी आँखों के तारे बन जाओगे।

प्रश्न 1.
अखबार का जीवन नाशवान कैसे है?
उत्तर:
इसे लोग एक बार पढ़ कर फेंक देते हैं। इसलिए अखबार का जीवन नाशवान है।

प्रश्न 2.
अखबार क्या-क्या लाभ पहुंचाता है?
उत्तर:
अखबार ताजे समाचार देने के अतिरिक्त रद्दी बन कर लिफाफ़े बनाने के काम आता है। कुछ लोग उपयोगी समाचार काट कर फाइल बना लेते हैं।

प्रश्न 3.
यह किस प्रकार उपकार करता है?
उत्तर:
रद्दी के रूप में बिक कर वह अपना एक-तिहाई मूल्य लौटा कर उपकार करता है।

प्रश्न 4.
इन शब्दों का अर्थ लिखें-उपयोगी, स्पर्धा।
उत्तर:
उपयोगी = काम में आने वाला। स्पर्धा = मुकाबला।

प्रश्न 5.
उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त ‘शीर्षक’ दीजिए।
उत्तर:
‘अखबार’।

6. नर की शक्ति है। वह माता, बहन, पत्नी और पुत्री आदि रूपों में पुरुष में कर्त्तव्य की भावना सदा जगाती रहती है। वह ममतामयी है। अतः पुष्प के समान कोमल है। किन्तु चोट खाकर जब वह अत्याचार के लिए सन्नद्ध हो जाती है, तो वज्र से भी ज्यादा कठोर हो जाती है। तब वह न माता रहती है, न प्रिया, उसका एक ही रूप होता है और वह है दुर्गा का। वास्तव में नारी सृष्टि का ही रूप है, जिसमें सभी शक्तियाँ समाहित हैं।

प्रश्न 1.
नारी किस-किस रूप में नर में शक्ति जगाती है?
उत्तर:
नारी नर में माता, बहन, पत्नी और पुत्री के रूप में शक्ति जगाती है।

प्रश्न 2.
नारी को फूल-सी कोमल और वज्र-सी कठोर क्यों माना जाता है?
उत्तर:
ममतामयी होने के कारण नारी फूल-सी कोमल है और जब उस पर चोट पड़ती है तो वह अत्याचार का मुकाबला करने के लिए वज्र सी कठोर हो जाती है।

प्रश्न 3.
नारी दुर्गा का रूप कैसे बन जाती है?
उत्तर:
जब नारी अत्याचारों का मुकाबला करने के लिए वज्र के समान कठोर बन जाती है तब वह दुर्गा बन जाती है।

प्रश्न 4.
रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखें।
उत्तर:
ममतामयी = ममता से भरी हुई। सन्नद्ध = तैयार, उद्यत।

प्रश्न 5.
उचित शीर्षक दें।
उत्तर:
नारी: नर की शक्ति।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अपठित गद्यांश

7. चरित्र-निर्माण जीवन की सफलता की कुंजी है। जो मनुष्य अपने चरित्र-निर्माण की ओर ध्यान देता है, वही जीवन में विजयी होता है। चरित्र-निर्माण से मनुष्य के भीतर ऐसी शक्ति जागृत होती है, जो उसे जीवन संघर्ष में विजयी बनाती है। ऐसा व्यक्ति जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। वह जहाँ कहीं भी जाता है, अपने चरित्र-निर्माण की शक्ति से अपना प्रभाव स्थापित कर लेता है। वह सहस्रों और लाखों के बीच में भी अपना अस्तित्व रखता है। उसे देखते ही लोग उसके व्यक्तित्व के सामने अपना मस्तक झुका लेते हैं। उसके व्यक्तित्व में सूर्य का तेज, आंधी की गति और गंगा के प्रवाह की अबाधता है।

प्रश्न 1.
जीवन में चरित्र निर्माण का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
चरित्र-निर्माण जीवन की सफलता की कुंजी है।

प्रश्न 2.
अच्छे चरित्र का व्यक्ति जीवन में सफलता क्यों प्राप्त करता है?
उत्तर:
चरित्र-निर्माण से मनुष्य को जीवन में आने वाले संघर्षों का मुकाबला करने की शक्ति प्राप्त होती है और वह जीवन-संघर्ष में सफलता प्राप्त कर लेता है।

प्रश्न 3.
चरित्रवान् व्यक्ति की तीन विशेषताएं लिखें।
उत्तर:
चरित्रवान् व्यक्ति का सब लोग आदर करते हैं। उस का अपना-अलग व्यक्तित्व होता है। वह जीवन में सदा सफल रहता है।

प्रश्न 4.
रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखें।
उत्तर:
सहस्रों = दस-सौवों (हज़ारों) की संख्या, व्यक्तित्व = व्यक्ति का गुण।

प्रश्न 5.
उचित शीर्षक दें।
उत्तर:
चरित्र निर्माण : सफलता की कुंजी।

8. मनोरंजन का जीवन में विशेष महत्त्व है। दिनभर की दिनचर्या से थका-मांदा मनुष्य रात को आराम का साधन खोजता है। यह साधन है-मनोरंजन। मनोरंजन मानव-जीवन में संजीवनी बूटी का काम करता है। यही आज के मानव के थके-हारे शरीर को आराम की सुविधा प्रदान करता है। यदि आज के मानव के पास मनोरंजन के साधन न होते हो उसका जीवन नीरस बन कर रह जाता। यह नीरसता मानव जीवन को चक्की की तरह पीस डालती और मानव संघर्ष तथा परिश्रम करने के योग्य भी न रहता।

प्रश्न 1.
मनोरंजन क्या है?
उत्तर:
मनोरंजन से मनुष्य के थके-मांदे शरीर में स्फूर्ति आ जाती है और यह मानव के जीवन में संजीवनी बूटी का काम करता है।

प्रश्न 2.
यदि मनुष्य के पास मनोरंजन के साधन न होते तो उसका जीवन कैसे होता?
उत्तर:
यदि मनुष्य के पास मनोरंजन के साधन न होते तो उसका जीवन नीरस सा बन जाता।

प्रश्न 3.
नीरस मानव जीवन का सबसे बड़ा नुक्सान क्या होता है?
उत्तर:
नीरस मानव का जीवन परिश्रम करने के योग्य नहीं रह जाता। वह जीवन-संघर्षों का मुकाबला नहीं कर पाता।

प्रश्न 4.
रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखें।
उत्तर:
दिनचर्या = दिन भर किया जाने वाला काम-काज। संजीवनी बूटी = जीवन दान देने वाली औषध।

प्रश्न 5.
उचित शीर्षक दें।
उत्तर:
मनोरंजन का महत्त्व।

9. वास्तव में जब तक लोग मदिरा पान से होने वाले रोगों के विषय में जानकारी प्राप्त नहीं कर लेंगे तथा जब तक उनमें यह भावना जागृत नहीं होगी कि शराब न केवल एक सामाजिक अभिशाप है अपितु शरीर के लिए अत्यन्त हानिकारक है, तब तक मद्यपान के विरुद्ध वातावरण नहीं बन सकेगा। पूर्ण मद्य निषेध तभी सम्भव हो सकेगा, जब सरकार मद्यपान पर तरह-तरह के अंकुश लगाए और जनता भी इसका सक्रिय विरोध करे।

प्रश्न 1.
मदिरा पान शरीर को हानि पहुँचाने के साथ-साथ और किसे हानि पहुँचाता है?
उत्तर:
मदिरा पान अनेक शारीरिक बीमारियाँ पैदा करने के साथ-साथ मनुष्य को समाज से भी अलग कर देता है।

प्रश्न 2.
पूर्ण मद्य-निषेध क्या है?
उत्तर:
पूर्ण मद्य-निषेध से तात्पर्य मदिरा पान करना तथा मदिरा की बिक्री न करना।

प्रश्न 3.
पूर्ण मद्य-निषेध कैसे सम्भव है?
उत्तर:
जब सरकार मदिरा की बिक्री तथा इस के पीने पर रोक लगा देगी तथा जनता भी मदिरा पान नहीं करेगी तो पूर्ण मद्य-निषेध हो सकता है।

प्रश्न 4.
रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखें।
उत्तर:
जागृत = जाग उठना, जागा हुआ। अंकुश = प्रतिबंध, अभिशाप झूठी बदनामी, शाप।

प्रश्न 5.
उचित शीर्षक दें।
उत्तर:
मद्य-निषेध।

10. जीवन घटनाओं का समूह है। यह संसार एक बहती नदी के समान है। इसमें बूंद न जाने किन-किन घटनाओं का सामना करती जूझती आगे बढ़ती है। देखने में तो इस बूंद की हस्ती कुछ भी नहीं। जीवन में कभी-कभी ऐसी घटनाएँ अपठित गद्यांश घट जाती हैं जो मनुष्य को असम्भव से सम्भव की ओर ले जाती हैं। मनुष्य अपने को महान् कार्य कर सकने में समर्थ समझने लगता है। मेरे जीवन में एक रोमांचकारी घटना है। जिसे मैं आपको सुनाना चाहती हूँ। यह घटना जीवन के सुख-दुःख के मधुर मिलन का रोमांच लिये हैं।

प्रश्न 1.
जीवन क्या है?
उत्तर:
जीवन घटनाओं का समूह है।

प्रश्न 2.
लेखिका क्या सुनाना चाहती है?
उत्तर:
लेखिका अपने जीवन की एक रोमांचकारी घटना सुनाना चाहती है, जो उसके जीवन के सुख-दुःखों से युक्त है।

प्रश्न 3.
नदी की धारा में पानी की एक बूंद का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
नदी की धारा पानी की एक-एक बूंद से मिल कर बनती है, इसलिए नदी की धारा में पानी की एक बूंद भी बहुत महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 4.
रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखें।
उत्तर:
हस्ती = अस्तित्व, वजूद। रोमांचकारी = आन्नद देने वाली, पुलकित करने वाली।

प्रश्न 5.
उचित शीर्षक दें।
उत्तर:
जीवन : एक संघर्ष।

11. भाषणकर्ता के गुणों में तीन गुण श्रेष्ठ माने जाते हैं-सादगी, असलियत और जोश। यदि भाषणकर्ता बनावटी भाषा में बनावटी बातें करता है तो श्रोता तत्काल ताड़ जाते हैं। इस प्रकार के भाषणकर्ता का प्रभाव समाप्त होने में देरी नहीं लगती। यदि वक्ता में उत्साह की कमी हो तो भी उसका भाषण निष्प्राण हो जाता है। उत्साह से ही किसी भी भाषण में प्राणों का संचार होता है। भाषण को प्रभावोत्पादक बनाने के लिए उसमें उतार-चढ़ाव, तथ्य और आंकड़ों का समावेश आवश्यक है। अत: उपर्युक्त तीनों गुणों का समावेश एक अच्छे भाषणकर्ता के लक्षण हैं तथा इनके बिना कोई भी भाषणकर्ता श्रोताओं पर अपना प्रभाव उत्पन्न नहीं कर सकता।

प्रश्न 1.
इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर:
श्रेष्ठ भाषणकर्ता।

प्रश्न 2.
अच्छे भाषण के कौन-से गुण होते हैं?
उत्तर:
अच्छे भाषण में सादगी, तथ्य, उत्साह, आँकड़ों का समावेश होना चाहिए।

प्रश्न 3.
श्रोता किसे तत्काल ताड़ जाते हैं?
उत्तर:
जो भाषणकर्ता बनावटी भाषा में बनावटी बातें करता है, उसे श्रोता तत्काल ताड़ जाते हैं।

प्रश्न 4.
कैसे भाषण का प्रभाव देर तक नहीं रहता?
उत्तर:
जिस भाषण में सादगी, वास्तविकता और उत्साह नहीं होता, उस भाषण का प्रभाव देर तक नहीं रहता।

प्रश्न 5.
‘श्रोता’ तथा ‘जोश’ शब्दों के अर्थ लिखें।
उत्तर:
श्रोता = सुनने वाला। जोश = आवेग, उत्साह ।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अपठित गद्यांश

12. सुव्यवस्थित समाज का अनुसरण करना अनुशासन कहलाता है। व्यक्ति के जीवन में अनुशासन का बहुत महत्त्व है। अनुशासन के बिना मनुष्य अपने चरित्र का निर्माण नहीं कर सकता तथा चरित्रहीन व्यक्ति सभ्य समाज का निर्माण नहीं कर सकता। अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए भी मनुष्य का अनुशासनबद्ध होना अत्यन्त आवश्यक है। विद्यार्थी जीवन मनुष्य के भावी जीवन की आधारशिला होती है। अतः विद्यार्थियों के लिए अनुशासन में रहकर जीवन-यापन करना आवश्यक है।

प्रश्न 1.
इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर:
अनुशासन।

प्रश्न 2.
अनुशासन किसे कहते हैं?
उत्तर:
सुव्यवस्थित समाज का अनुसरण करना अनुशासन है।

प्रश्न 3.
मनुष्य किसके बिना अपने चरित्र का निर्माण नहीं कर सकता?
उत्तर:
अनुशासन के बिना मनुष्य अपना चरित्र-निर्माण नहीं कर सकता।

प्रश्न 4.
विद्यार्थी जीवन किसकी आधारशिला है?
उत्तर:
विद्यार्थी जीवन मनुष्य के भावी जीवन की आधारशिला है।

प्रश्न 5.
‘सुव्यवस्थित’ और ‘आधारशिला’ शब्दों के अर्थ लिखें।
उत्तर:
सुव्यवस्थित = उत्तम रूप से व्यवस्थित, आधारशिला = नींव।

13. साम्प्रदायिक सद्भाव और सौहार्द बनाए रखने के लिए हमें यह हमेशा याद रखना चाहिए कि प्रेम से प्रेम और विश्वास से विश्वास उत्पन्न होता है और यह भी नहीं भूलना चाहिए कि घृणा से घृणा का जन्म होता है जो दावाग्नि की तरह सबको जलाने का काम करती है। महात्मा गांधी घृणा को प्रेम से जीतने में विश्वास करते थे। उन्होंने सर्वधर्म सद्भाव द्वारा साम्प्रदायिक घृणा को मिटाने का आजीवन प्रयत्न किया। हिन्दू और मुसलमान दोनों की धार्मिक भावनाओं को समान आदर की दृष्टि से देखा। सभी धर्म शान्ति के लिए भिन्न-भिन्न उपाय और साधन बताते हैं। धर्मों में छोटेबड़े का कोई भेद नहीं है। सभी धर्म सत्य, प्रेम, समता, सदाचार और नैतिकता पर बल देते हैं, इसलिए धर्म के मूल में पार्थक्य या भेद नहीं है।

प्रश्न 1.
इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर:
साम्प्रदायिक सद्भाव।

प्रश्न 2.
सभी धर्म किन बातों पर बल देते हैं?
उत्तर:
सभी धर्म, सत्य, प्रेम, समता, सदाचार और नैतिकता पर बल देते हैं।

प्रश्न 3.
साम्प्रदायिक सद्भावना कैसे बनाये रखी जा सकती है?
उत्तर:
साम्प्रदायिक सद्भावना बनाये रखने के लिए सब धर्मों वालों को आपस में प्रेम और विश्वास बनाए रखते हुए सब धर्मों का समान रूप से आदर करना चाहिए।

प्रश्न 4.
महात्मा गांधी घृणा को कैसे जीतना चाहते थे?
उत्तर:
महात्मा गांधी घृणा को प्रेम से जीतना चाहते थे।

प्रश्न 5.
‘सद्भाव’ और ‘सोहार्द’ का अर्थ लिखें।
उत्तर:
सद्भाव = अच्छा भाव, मेलजोल। सौहार्द = सज्जनता, मित्रता।

14. लोगों ने धर्म को धोखे की दुकान बना रखा है। वे इसकी आड़ में स्वार्थ सिद्ध करते हैं। बात यह है कि लोग धर्म को छोड़कर सम्प्रदाय के जाल में फंस रहे हैं। सम्प्रदाय बाह्य कृत्यों पर जोर देते हैं। वे चिह्नों को अपनाकर धर्म के सार तत्व को मसल देते हैं। धर्म मनुष्य को अन्तर्मुखी बनाता है, उसके हृदय के किवाड़ों को खोलता है, उसकी आत्मा को विशाल, मन को उदार तथा चरित्र को उन्नत बनाता है। सम्प्रदाय संकीर्णता सिखाते हैं, जाति-पाति, रूप-रंग तथा ऊँच-नीच के भेद-भावों से ऊपर नहीं उठने देते।

प्रश्न 1.
इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर:
साम्प्रदायिक संकीर्णता।

प्रश्न 2.
लोगों ने धर्म को क्या बना रखा है?
उत्तर:
लोगों ने धर्म को धोखे की दुकान बना रखा है। वे इसकी आड़ में अपना स्वार्थसिद्ध करते हैं।

प्रश्न 3.
धर्म किसके किवाड़ों को खोलता है?
उत्तर:
धर्म मनुष्य को अन्तर्मुखी बना कर उसे हृदय के किवाड़ों को खोलकर उसकी आत्मा को विशाल, मन को उदार तथा चरित्र को उन्नत बनाता है।

प्रश्न 4.
सम्प्रदाय क्या सिखाता है?
उत्तर:
सम्प्रदाय संकीर्णता सिखाते हैं और मनुष्य को जाति-पाति, रूप-रंग तथा ऊँच-नीच के भेदभावों से ऊपर नहीं उठने देते।

प्रश्न 5.
‘कृत्य’ और ‘अन्तर्मुखी’ शब्दों के अर्थ लिखें।
उत्तर:
कृत्य-कार्य, काम। अन्तर्मुखी-परमात्मा की ओर ध्यान लगाने वाला।

15. स्वतन्त्र भारत का सम्पूर्ण दायित्व आज विद्यार्थियों के ऊपर है, क्योंकि आज जो विद्यार्थी हैं, वे ही कल स्वतन्त्र भारत के नागरिक होंगे। भारत की उन्नति और उसका उत्थान उन्हीं की उन्नति और उत्थान पर निर्भर करता है। अतः विद्यार्थियों को चाहिए कि वे अपने भावी जीवन का निर्माण बड़ी सर्तकता और सावधानी के साथ करें। उन्हें प्रत्येक क्षण अपने राष्ट्र, अपने धर्म और अपनी संस्कृति को अपनी आँखों के सामने रखना चाहिए, ताकि उनके जीवन से राष्ट्र को कुछ बल प्राप्त हो सके। जो विद्यार्थी राष्ट्रीय दृष्टिकोण से अपने जीवन का निमाण नहीं करते, वे राष्ट्र और समाज के लिए भार-स्वरूप हैं।

प्रश्न 1.
इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
उत्तर:
आज के विद्यार्थी कल के नागरिक।

प्रश्न 2.
विद्यार्थियों को प्रत्येक क्षण किसको अपनी आँखों के सामने रखना चाहिए?
उत्तर:
विद्यार्थियों को हर क्षण अपने राष्ट्र, अपने धर्म और अपनी संस्कृति को अपनी आँखों के सामने रखना चाहिए।

प्रश्न 3.
भावी भारत के नागरिक कौन हैं?
उत्तर:
आज के विद्यार्थी भावी भारत के नागरिक हैं।

प्रश्न 4.
हमारे राष्ट्र और समाज पर भार-स्वरूप कौन हैं?
उत्तर:
जो विद्यार्थी राष्ट्रीय दृष्टिकोण से अपने जीवन का निर्माण नहीं करते, वे राष्ट्र और समाज के लिए भार-स्वरूप होते हैं।

प्रश्न 5.
‘निर्माण’ और ‘दायित्व’ शब्दों के अर्थ लिखें।
उत्तर:
निर्माण = रचना करना, बनाना। दायित्व = ज़िम्मेदारी।

16. विद्यार्थी का अहंकार आवश्यकता से अधिक बढ़ता जा रहा है और दूसरे उसका ध्यान अधिकार पाने में है, अपना कर्त्तव्य पूरा करने में नहीं। अहं बुरी चीज़ कही जा सकती है। यह सब में होता है। एक सीमा तक आवश्यक भी है। परन्तु आज के विद्यार्थियों में इतना बढ़ गया है कि विनय के गुण उनमें नाममात्र को नहीं रह गये हैं। गुरुजनों या बड़ों की बात का विरोध करना उनके जीवन का अंग बन गया है। इन्हीं बातों के कारण विद्यार्थी अपने उन अधिकारों को, जिनके वे अधिकारी नहीं हैं, उसे भी वे अपना समझने लगे हैं। अधिकार और कर्तव्य दोनों एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। स्वस्थ स्थिति वही कही जा सकती है जब दोनों का सन्तुलन हो। आज का विद्यार्थी अधिकार के प्रति सजग है, परन्तु वह अपने कर्तव्यों की ओर से विमुख हो गया है।

प्रश्न 1.
आधुनिक विद्यार्थियों में नम्रता की कमी क्यों होती जा रही है?
उत्तर:
आधुनिक विद्यार्थियों में अहंकार बढ़ने और विनम्रता न होने से नम्रता की कमी होती जा रही है।

प्रश्न 2.
विद्यार्थी प्रायः किसका विरोध करते हैं?
उत्तर:
विद्यार्थी प्रायः गुरुजनों या बड़ों की बातों का विरोध करते हैं।

प्रश्न 3.
विद्यार्थी में किसके प्रति सजगता अधिक है?
उत्तर:
विद्यार्थियों में अपने अधिकारों के प्रति सजगता अधिक है। .

प्रश्न 4.
रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिये।
उत्तर:
विनय-नम्रता। सजग-सावधान।

प्रश्न 5.
उचित शीर्षक दीजिये।
उत्तर:
विद्यार्थियों में अहंकार।

17. कुछ लोग सोचते हैं कि खेलने-कूदने से समय नष्ट होता है, स्वास्थ्य रक्षा के लिये व्यायाम कर लेना ही काफ़ी है। पर खेलकूद से स्वास्थ्य तो बनता ही है, साथ-साथ मनुष्य कुछ ऐसे गुण भी सीखता है जिनका जीवन में विशेष महत्त्व है। सहयोग से काम करना, विजय मिलने पर अभिमान न करना, हार जाने पर साहस न छोड़ना, विशेष ध्येय के लिए नियमपूर्वक कार्य करना आदि गुण खेलों के द्वारा अनायास सीखे जा सकते हैं। खेल के मैदान में केवल स्वास्थ्य ही नहीं बनता, वरन् मनुष्यता भी बनती है। खिलाड़ी वे बातें सीख जाता है जो उसे आगे चलकर नागरिक जीवन की समस्या को सुलझाने में सहायता करती हैं।

प्रश्न 1.
कुछ लोगों का खेलकूद के विषय में क्या विचार है?
उत्तर:
कुछ लोगों का खेलकूद के विषय में यह विचार है कि खेलने-कूदने से समय नष्ट होता है।

प्रश्न 2.
खेलकूद से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
खेलकूद से स्वास्थ्य बनता है और मनुष्य जीवनोपयोगी गुण भी सीखता है।

प्रश्न 3.
खेलकूद का अच्छे नागरिक बनाने में क्या योगदान है?
उत्तर:
खेलकूद सहयोग से कार्य करना, अभिमान न करना, साहस न छोड़ना, अपने ध्येय को प्राप्त करने के लिए नियमपूर्वक कार्य करना आदि सिखाता है।

प्रश्न 4.
रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिये।
उत्तर:
सहयोग-मिल-जुलकर काम करना। अभिमान-घमंड। अनायास-अचानक, बिना कोशिश किए।

प्रश्न 5.
उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
खेलकूद का महत्त्व।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अपठित गद्यांश

18. आपका जीवन एक संग्राम स्थल है जिसमें आपको विजयी बनना है। महान् जीवन के रथ के पहिए फूलों से भरे नंदन वन में नहीं गुज़रते, कंटकों से भरे बीहड़ पथ पर चलते हैं। आपको ऐसे ही महान् जीवन पथ का सारथी बनकर अपनी यात्रा को पूरा करना है। जब तक आपके पास आत्म-विश्वास का दुर्जय शास्त्र नहीं है, न तो आप जीवन की ललकार का सामना कर सकते हैं, न जीवन संग्राम में विजय प्राप्त कर सकते हैं और न महान् जीवनों के सोपानों पर चढ़ सकते हैं। जीवन पथ पर आप आगे बढ़ रहे हैं, दुःख और निराशा की काली घटाएँ आपके मार्ग पर छा रही हैं, आपत्तियों का अंधकार मुंह फैलाए आपकी प्रगति को निगलने के लिए बढ़ा चला आ रहा है। लेकिम आपके हृदय में आत्म-विश्वास की दृढ़ ज्योति जगमगा रही है तो इस दुःख एवं निराशा का कुहरा उसी प्रकार कट जाएगा, जिस प्रकार सूर्य की किरणों के फूटते ही अन्धकार भाग जाता है।

प्रश्न 1.
महान् जीवन के रथ किस रास्ते से गुज़रते हैं?
उत्तर:
महान् जीवन के रथ फूलों से भरे वनों से ही नहीं गुज़रते बल्कि कांटों से भरे बीहड़ पथ पर भी चलते हैं।

प्रश्न 2.
आप किस शस्त्र के द्वारा जीवन के कष्टों का सामना कर सकते हैं?
उत्तर:
आत्म-विश्वास के शस्त्र के द्वारा हम जीवन के कष्टों का सामना कर सकते हैं।

प्रश्न 3.
निराशा की काली घटाएँ किस प्रकार समाप्त हो जाती हैं?
उत्तर:
आत्म-विश्वास की दृढ़ ज्योति के आगे निराशा की काली घटाएँ समाप्त हो जाती हैं।

प्रश्न 4.
रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखें।
उत्तर:
नंदनवन-फूलों से भरे वन। सोपानों-सीढ़ियों। ज्योति-प्रकाश।

प्रश्न 5.
उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
शीर्षक-आत्मविश्वास।

19. सहयोग एक प्राकृतिक नियम है, यह कोई बनावटी तत्व नहीं है, प्रत्येक पदार्थ, प्रत्येक व्यक्ति का काम आन्तरिक सहयोग पर अवलम्बित है। किसी मशीन का उसके पुों के साथ संबंध है। यदि उसका एक भी पुर्जा खराब हो जाता है तो वह मशीन चल नहीं सकती। किसी शरीर का उसके आँख, कान, नाक, हाथ, पांव आदि पोषण करते हैं। किसी अंग पर चोट आती है, मन एकदम वहाँ पहुँच जाता है। पहले क्षण आंख देखती है, दूसरे क्षण हाथ सहायता के लिए पहुंच जाता है। इसी तरह समाज और व्यक्ति का सम्बन्ध है। समाज शरीर है तो व्यक्ति उसका अंग है। जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अंग परस्पर सहयोग करते हैं उसी तरह समाज के विकास के लिए व्यक्तियों का आपसी सहयोग अनिवार्य है। शरीर को पूर्णता अंगों के सहयोग से मिलती है। समाज को पूर्णता व्यक्तियों के सहयोग से मिलती है। प्रत्येक व्यक्ति, जो कहीं पर भी है, अपना काम ईमानदारी और लगन से करता रहे, तो समाज फलताफूलता है।

प्रश्न 1.
समाज कैसे फलता-फूलता है?
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति द्वारा अपना काम मेहनत, लगन और ईमानदारी से करने पर समाज फलता-फूलता

प्रश्न 2.
शरीर के अंग कैसे सहयोग करते हैं?
उत्तर:
शरीर के अंग शरीर को स्वस्थ रखने में सहयोग करते हैं। जैसे जब शरीर के किसी अंग को चोट लगती है तो मन के संकेत पर आंख और हाथ उसकी सहायता के लिए पहुँच जाते हैं।

प्रश्न 3.
समाज और व्यक्तियों का क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
समाज और व्यक्तियों का आपस में घनिष्ठ संबंध है। समाज के विकास के लिए व्यक्तियों को आपस में मिल-जुलकर काम करना होता है। समाज को पूर्णता भी व्यक्तियों के सहयोग से मिलती है।

प्रश्न 4.
इन शब्दों के अर्थ लिखें-अविलम्ब, अनिवार्य।
उत्तर:
अविलम्ब = बिना देरी किए, तुरन्त। अनिवार्य = आवश्यक।

प्रश्न 5.
उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
शीर्षक-व्यक्ति और समाज।

20. राष्ट्रीयता का प्रमुख उपकरण देश होता है जिसके आधार पर राष्ट्रीयता का जन्म तथा विकास होता है। इस कारण देश की इकाई राष्ट्रीयता के लिए आवश्यक है। राष्ट्रीय एकता को खण्डित करने के उद्देश्य से कुछ विघटनकारी शक्तियां हमारे देश को देश न कहकर उपमहाद्वीप के नाम से सम्बोधित करती हैं। भौगोलिक दृष्टि से भारत के विस्तृत भू-खंड, जिसमें अनेक नदियाँ और पर्वत कभी-कभी प्राकृतिक बाधायें भी उपस्थित कर देते हैं, को ये शक्तियाँ संकीर्ण क्षेत्रीयता की भावनायें विकसित करने में सहायता करती हैं।

प्रश्न 1.
राष्ट्रीयता का प्रमुख उपकरण क्या है?
उत्तर:
राष्ट्रीयता का प्रमुख उपकरण देश है।

प्रश्न 2.
देश की इकाई किस लिए आवश्यक है?
उत्तर:
देश की इकाई राष्ट्रीयता के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 3.
भौगोलिक दृष्टि से भारत कैसा है?
उत्तर:
भौगोलिक दृष्टि से भारत उपमहाद्वीप जैसा है जिसमें अनेक नदियाँ, पहाड़ और विस्तृत भूखण्ड है।

प्रश्न 4.
‘उपकरण’ और ‘विघटनकारी’ शब्दों के अर्थ लिखें।
उत्तर:
उपकरण = सामान, विघटनकारी = तोड़ने वाली।

प्रश्न 5.
इस गद्यांश का उचित शीर्षक लिखें।
उत्तर:
राष्ट्रीयता।

21. दस गीदड़ों की अपेक्षा एक सिंह अच्छा है। सिंह-सिंह और गीदड़-गीदड़ है। यही स्थिति परिवार के उन सदस्य की होती है जिनकी संख्या आवश्यकता से अधिक हो। न भरपेट भोजन, न तन ढकने के लिए वस्त्र। न अच्छी शिक्षा, न मनचाहा रोज़गार। गृहपति प्रतिक्षण चिन्ता में डूबा रहता है। रात की नींद और दिन का चैन गायब हो जाता है। बार-बार दूसरों पर निर्भर होने की विवशता। सम्मान और प्रतिष्ठा तो जैसे सपने की बातें हों। यदि दुर्भाग्यवश गृहपति न रहे तो. आश्रितों का कोई टिकाना नहीं। इसलिए आवश्यक है कि परिवार छोटा हो।

प्रश्न 1.
परिवार के सदस्यों की क्या स्थिति होती है?
उत्तर:
जिस परिवार की संख्या आवश्यकता से अधिक होती है, उस परिवार को न भरपेट भोजन, न वस्त्र, न अच्छी शिक्षा और न ही मनचाहा रोजगार मिलता है। उनकी स्थिति दस गीदड़ों जैसी हो जाती है।

प्रश्न 2.
गृहपति प्रतिक्षण चिंता में क्यों डूबा रहता है?
उत्तर:
गृहपति प्रतिक्षण परिवार के भरण-पोषण की चिंता में डूबा रहता है कि इतने बड़े परिवार का गुजारा कैसे होगा?

प्रश्न 3.
सत की नींद और दिन का चैन क्यों गायब हो जाता है?
उत्तर:
रात की नींद और दिन का चैन इसलिए गायब हो जाता है क्योंकि बड़े परिवार के गृहपति को दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। उसका सम्मान तथा प्रतिष्ठा समाप्त हो जाती है। उसे अपने मरने के बाद परिवार की दुर्दशा के सम्बन्ध में सोचकर बेचैनी होती है।

प्रश्न 4.
‘प्रतिक्षण’ और ‘प्रतिष्ठा’ शब्दों के अर्थ लिखें।
उत्तर:
प्रतिक्षण = हर समय, प्रतिष्ठा = इज्जत, मान सम्मान।

प्रश्न 5.
उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
छोटा परिवार : सुखी परिवार।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अपठित गद्यांश

22. मैदान चाहे खेल का हो या युद्ध का और चाहे कोई और मन हारा कि बल हारा? मन गिर गया तो समझिए कि तन गिर गया। काम कोई भी, कैसा भी क्यों न हो, मन में उसे करने का उत्साह हुआ तो बस पूरा हुआ। सामान्य आदमी बड़े काम को देखकर घबरा जाता है। साधारण छात्र कठिन प्रश्नों से बचता ही रहता है, किन्तु लगन वाला, उत्साही विद्यार्थी कठिन प्रश्नों पर पहले हाथ डालता है। उसमें कुछ नया सीखने और समझने तथा कठिन प्रश्न से जूझने की ललक रहती है। प्रेमचन्द के रास्ते में सैकड़ों कठिनाइयाँ थीं, लेकिन उन्हें आगे बढ़ने की अजब धुन थी, इसलिए हिम्मतवान रहे। अतः स्पष्ट है कि मनुष्य की जीत अथवा हार उसके मन की ही जीत अथवा हार है।

प्रश्न 1.
सामान्य आदमी कैसा होता है?
उत्तर:
सामान्य आदमी बड़े काम को देखकर घबरा जाता है।

प्रश्न 2.
उत्साही छात्र की क्या विशेषता है?
उत्तर:
उत्साही छात्र को लगन होती है। वह कठिन प्रश्न पहले हल करता है। उसमें कुछ नया सीखने, समझने और करने की इच्छा होती है।

प्रश्न 3.
मन गिरने से तन कैसे गिर जाता है?
उत्तर:
मन में उत्साह नहीं हो तो मनुष्य कुछ नहीं कर पाता। वह अपने आप को कोसता रहता है और बीमार हो जाता है, जिससे मन गिरने से उसका तन भी गिर जाता है।

प्रश्न 4.
‘हाथ डालना’ तथा ‘जूझना’ शब्दों के अर्थ लिखें।
उत्तर:
हाथ डालना-हस्तक्षेप करना, कोशिश करना। जूझना-संघर्ष करना।

प्रश्न 5.
उचित शीर्षक लिखें।
उत्तर:
मन के हारे हार हैं मन जीते जग जीत। है।

23. मनुष्य जाति के लिए मनुष्य ही सबसे विकट पहेली है। वह खुद अपनी समझ में नहीं आता है। किसी न किसी रूप में अपनी ही आलोचना किया करता है। अपने ही मनोरहस्य खोला करता है। मानव संस्कृति का विकास ही इसलिए हुआ है कि मनुष्य अपने को समझे। अध्यात्म और दर्शन की भान्ति साहित्य भी इसी खोज में है, अन्तर इतना ही है कि वह इस उद्योग में रस का मिश्रण करते उसे आनन्दप्रद बना देता है। इसलिए अध्यात्म और दर्शन केवल ज्ञानियों के लिए है, साहित्य मनुष्य मात्र के लिए है।

प्रश्न 1.
मानव संस्कृति का विकास क्यों हुआ है?
उत्तर:
मानव संस्कृति का विकास इसलिए हुआ है कि मनुष्य स्वयं को समझ सके।

प्रश्न 2.
अध्यात्म और साहित्य में क्या अन्तर है?
उत्तर:
अध्यात्म और साहित्य दोनों का लक्ष्य एक है। अध्यात्मक केवल ज्ञान की बात करता है जबकि साहित्य इसमें रस मिला कर इस प्रयास को आनन्दप्रद बना देता है।

प्रश्न 3.
मनुष्य के लिए रहस्य क्या है?
उत्तर:
मनुष्य के लिए रहस्य स्वयं को समझना है कि वह क्या है?

प्रश्न 4.
‘मनोरहस्य’ तथा ‘मिश्रण’ शब्दों के अर्थ लिखें।
उत्तर:
मनोरहस्य = मन के भेद। मिश्रण = मिलावट।

प्रश्न 5.
उचित शीर्षक लिखें।
उत्तर:
साहित्य और समाज।

24. प्रत्येक राष्ट्र के लिए अपनी एक सांस्कृतिक धरोहर होती है। इसके बल पर वह प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है। मानव युगों-युगों से अपने को अधिक सुखमय, उपयोगी, शान्तिमय एवं आनन्दपूर्ण बनाने का प्रयास करता है। इस प्रयास का आधार वह सांस्कृतिक धरोहर होती है जो प्रत्येक मानव को विरासत के रूप में मिलती है और प्रयास के फलस्वरूप मानव अपना विकास करता है। यह विकास क्रम सांस्कृतिक आधार के बिना सम्भव नहीं होता। कुछ लोग सभ्यता एवं संस्कृति को एक ही अर्थ में लेते हैं। वह उनकी भूल है। यों तो सभ्यता और संस्कृति में घनिष्ठ सम्बन्ध है, किन्तु संस्कृति मानव जीवन को श्रेष्ठ एवं उन्नत बनाने के साधनों का नाम है और सभ्यता उन साधनों के फलस्वरूप उपलब्ध हुई जीवन प्रणाली है।।

प्रश्न 1.
सांस्कृतिक धरोहर से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
सांस्कृतिक धरोहर से तात्पर्य उन सब बातों से होता है जो किसी व्यक्ति, जाति अथवा राष्ट्र के मन, रुचि, आचार-विचार, कलाकौशल और सभ्यता के क्षेत्र में बौद्धिक विकास की सूचक होती है।

प्रश्न 2.
संस्कृति और सभ्यता में क्या अन्तर है?
उत्तर:
संस्कृति मानव जीवन को श्रेष्ठ और उन्नत बनाने का साधन है तथा सभ्यता उन साधनों से प्राप्त जीवन प्रणाली

प्रश्न 3.
मनुष्य को विरासत में क्या-क्या मिला है?
उत्तर:
मनुष्य को विरासत में वह सांस्कृतिक धरोहर मिली है जो उसे अपना जीवन सुखमय, उपयोगी, शांतिमय तथा आनन्दपूर्ण बनने में सहायक होती है।

प्रश्न 4.
‘विरासत’ तथा ‘घनिष्ठ’ शब्दों के अर्थ लिखें।
उत्तर:
विरासत = उत्तराधिकार, पूर्वजों से प्राप्त। घनिष्ट = गहरा।
प्रश्न 5.
उचित शीर्षक लिखें।
उत्तर:
संस्कृति और सभ्यता।

25. आधुनिक युग में मानव परोपकार की भावना से विरक्त होता जा रहा है। उसका हृदय स्वार्थ से भर गया है। उसे हर समय अपनी ही सुख-सुविधा का ध्यान रहता है। उसका हृदय परोपकार की भावना से शून्य हो गया है। हमारा इतिहास परोपकारी महात्माओं की कथाओं से भरा पड़ा है। महर्षि दधीचि ने देवताओं की भलाई के लिए अपनी अस्थियों तक का दान कर दिया था। महाराज शिवि ने शरणागत की रक्षार्थ अपनी देह का मांस काट कर दे दिया था। हमारे कर्णधारों का नाम इसी कारण उज्ज्वल है। उनका सारा जीवन अपने भाइयों के हित एवं राष्ट्र-कल्याण में बीता। उनके कार्यों को हम कभी नहीं भूल सकते।

प्रश्न 1.
किसका हृदय परोपकार की भावना से शून्य हो गया है?
उत्तर:
आधुनिक युग में मानव का हृदय परोपकार की भावना से शून्य हो गया है।

प्रश्न 2.
शरणागत की रक्षार्थ किसने अपनी देह का माँस दे दिया?
उत्तर:
शरणागत की रक्षार्थ महाराज शिवि ने अपनी देह का माँस दे दिया था।

प्रश्न 3.
हमारे कर्णधारों के नाम क्यों उज्ज्वल हैं?
उत्तर:
हमारे कर्णधारों के नाम परोपकार की भावना के कारण उज्ज्वल हैं।

प्रश्न 4.
“विरक्त’ तथा ‘स्वार्थ’ शब्दों के अर्थ लिखें।
उत्तर:
विरक्त = उदासीन स्वार्थ = अपना मतलब सिद्ध करना।

प्रश्न 5.
उचित शीर्षक लिखें।
उत्तर:
परोपकार।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अपठित गद्यांश

अभ्यास के लिए अपठित गद्यांश

1. साहस की जिन्दगी सबसे बड़ी ज़िन्दगी है। ऐसी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिल्कुल निडर बिल्कुल बेखौफ़ होती है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला व्यक्ति दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्यता को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है। अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना यह साधारण जीव का काम है। क्रांति करने वाले लोग अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर मद्धम बनाते हैं।

प्रश्न 1.
(I) साहसी व्यक्ति की विशेषताएँ लिखिए।
(II) साहस की ज़िन्दगी की पहचान क्या है?
(III) क्रांति करने वाले क्या नहीं करते?
(IV) रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए।
(V) उचित शीर्षक दीजिए।

2. आपका जीवन एक संग्राम स्थल है जिसमें आपको विजयी बनना है। महान् जीवन के रथ के पहिए फूलों से भरे नंदन वन से नहीं गुज़रते, कंटको से भरे बीहड़ पथ पर चलते हैं। आपको ऐसे ही महान् जीवन पथ का सारथि बन कर अपनी यात्रा को पूरा करना है। जब तक आपके पास आत्म-विश्वास का दुर्जय शस्त्र नहीं है, न तो आप जीवन की ललकार का सामना कर सकते हैं, न जीवन संग्राम में विजय प्राप्त कर सकते हैं और न महान् जीवन के सोपानों पर चढ़ सकते हैं। जीवन पथ पर आप आगे बढ़ रहे हैं, दुःख और निराशा की काली घटाएँ आपके मार्ग पर छा रही हैं, आपत्तियों का अंधकार मुंह फैलाए आपकी प्रगति को निगलने के लिए बढ़ा चला आ रहा है, लेकिन आपके हृदय में आत्म-विश्वास की दृढ़ ज्योति जगमगा रही है तो इस दुःख एवं निराशा का कुहरा उसी प्रकार कट जाएगा जिस प्रकार सूर्य की किरणों के फूटते ही अंधकार भाग जाता है।

प्रश्न 1.
(I) महान् जीवन के रथ किस रास्ते से गुज़रते हैं?
(II) आप किस शस्त्र के द्वारा जीवन के कष्टों का सामना कर सकते हैं?
(III) निराशा की काली घटाएँ किस प्रकार समाप्त हो जाती हैं?
(IV) रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए।
(V) उचित शीर्षक दीजिए।

3. आजकल हमारी शिक्षा पद्धति के विरुद्ध देश के कोने-कोने में आवाज़ उठाई जा रही है। प्रत्येक मनुष्य जानता है कि इससे समाज की कितनी हानि हुई है। प्रत्येक मनुष्य जानता है कि इसका उद्देश्य व्यक्ति को पराधीन बना कर सरकारी नौकरी के लिए तैयार करना है। मैकाले ने इसका सूत्रपात शासन चलाने के निमित क्लर्क तैयार करने को किया था, दोषपूर्ण है। __ आधुनिक शिक्षा व्यय साध्य है। उसकी प्राप्ति पर सहस्रों रुपए व्यय करने पड़ते हैं। सर्व-साधारण ऐसे बहुमूल्य शिक्षा को प्राप्त नहीं कर सकता। यदि ज्यों-त्यों करके करे भी तो इससे उसकी जीविका का प्रश्न हल नहीं होता। क्योंकि शिक्षित युवकों में बेकारी बहुत बढ़ी हुई है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य विद्यार्थियों को सभी विषयों का ज्ञाता बनाना है पर किसी विषय का पंडित बनाना नहीं। सौभाग्य का विषय है कि अब इस शिक्षा-पद्धति में सुधार की योजना की जा रही है और निकट भविष्य में यह हमारे राष्ट्र के कल्याण का साधन बनेगी।

प्रश्न 1.
(I) आधुनिक भारत में चल रही शिक्षा पद्धति का क्या उद्देश्य है?
(II) आधुनिक शिक्षा में कौन-कौन से दोष हैं?
(III) शिक्षा-सुधार से देश में क्या अन्तर दिखायी देगा?
(IV) रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए।
(V) उचित शीर्षक दीजिए।

4. विद्यार्थी का अहंकार आवश्यकता से अधिक बढ़ता जा रहा है और दूसरे उसका ध्यान अधिकार पाने में है, अपना कर्त्तव्य पूरा करने में नहीं। अहंकार बुरी चीज़ कही जा सकती है। यह सब में होता है और एक सीमा तक आवश्यक भी है। किन्तु आज के विद्यार्थियों में यह इतना बढ़ गया है कि विनय के गुण उनमें नाममात्र को नहीं रह गए हैं। गुरुजनों या बड़ों की बात का विरोध करना उनके जीवन का अंग बन गया है। इन्हीं बातों के कारण विद्यार्थी अपने अधिकारों के बहुत अधिकारी नहीं है। उसे भी वह अपना समझने लगे हैं। अधिकार और कर्त्तव्य दोनों एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। स्वस्थ स्थिति वही कही जा सकती है जब दोनों का सन्तुलन हो। आज का विद्यार्थी अधिकार के प्रति सजग है परन्तु वह अपने कर्तव्यों की ओर से विमुख हो गया है। एक सीमा की अति का दूसरे पर भी असर पड़ता है।

प्रश्न 1.
(I) आधुनिक विद्यार्थियों में नम्रता की कमी क्यों होती जा रही है?
(II) विद्यार्थी प्रायः किस का विरोध करते हैं?
(III) विद्यार्थी में किसके प्रति सजगता अधिक है?
(IV) रेखांकित शब्दों का अर्थ लिखिए।
(V) उचित शीर्षक दीजिए।

5. शिक्षा विविध जानकारियों का ढेर नहीं है, जो तुम्हारे मस्तिष्क में ढूंस दिया गया है और आत्मसात् हुए बिना वहाँ आजन्म पड़ा रह कर गड़बड़ मचाया करता है। हमें उन विचारों की अनुभूति कर लेने की आवश्यकता है जो जीवन निर्माण, मनुष्य निर्माण तथा चरित्र-निर्माण में सहायक हों। यदि आप केवल पांच ही परखे हुए विचार आत्मसात् कर उनके अनुसार अपने जीवन और चरित्र का निर्माण कर लेते हैं तो पूरे ग्रन्थालय को कंठस्थ करने वाले की अपेक्षा अधिक शिक्षित हैं। शिक्षा और आचरण अन्योन्याश्रित हैं। बिना आचरण के शिक्षा अधूरी है और बिना शिक्षा के आचरण और अन्ततोगत्वा ये दोनों ही अनुशासन के ही भिन्न रूपं हैं।

प्रश्न 1.
(I) शिक्षा का महत्त्व कब स्वीकार किया जा सकता है?
(II) शिक्षा का आचरण से क्या सम्बन्ध है?
(III) शिक्षा और आचरण को किस का रूप माना गया है?
(IV) रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए।
(V) उचित शीर्षक दीजिए।

6. प्यासा आदमी कुएं के पास जाता है, यह बात निर्विवाद है। परन्तु सत्संगति के लिए यह आवश्यक नहीं कि आप सज्जनों के पास जाएं और उनकी संगति प्राप्त करें। घर बैठे-बैठे भी आप सत्संगति का आनंद लूट सकते हैं। यह बात पुस्तकों द्वारा संभव है। हर कलाकार और लेखक को जन-साधारण से एक विशेष बुद्धि मिली है। इस बुद्धि का नाम प्रतिभा है। पुस्तक निर्माता अपनी प्रतिभा के बल से जीवनभर से संचित ज्ञान को पुस्तक के रूप में उंडेल देता है। जब हम घर की चारदीवारी में बैठकर किसी पुस्तक का अध्ययन करते हैं तब हम एक अनुभवी और ज्ञानी सज्जन की संगति में बैठकर ज्ञान प्राप्त करते हैं। नित्य नई पुस्तक का अध्ययन हमें नित्य नए सज्जन की संगति दिलाता है। इसलिए विद्वानों ने स्वाध्याय को विशेष महत्त्व दिया है। घर बैठे-बैठे सत्संगति दिलाना पुस्तकों की सर्वश्रेष्ठ उपयोगिता है।

प्रश्न 1.
(I) घर बैठे-बैठे सत्संगति का लाभ किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है?
(II) हर पुस्तक में संचित ज्ञान अलग-अलग प्रकार का क्यों होता है?
(III) पुस्तकों की सर्वश्रेष्ठ उपयोगिता क्या है?
(IV) रेखांकित शब्दों का अर्थ लिखिए।
(V) उचित शीर्षक लिखिए।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अपठित गद्यांश

7. संसार में धर्म की दुहाई सभी देते हैं। पर कितने लोग ऐसे हैं, जो धर्म के वास्तविक स्वरूप को पहचानते हैं। धर्म कोई बुरी चीज़ नहीं है। धर्म ही एक ऐसी विशेषता है, जो मनुष्य को पशुओं से भिन्न करती है। अन्यथा मनुष्य और पशु में अन्तर ही क्या है। उस धर्म को समझने की आवश्यकता है। धर्म में त्याग की महत्ता है। इस त्याग और कर्तव्यपरायणता में ही धर्म का वास्तविक स्वरूप निहित है। त्याग परिवार के लिए. ग्राम के लिए, नगर के लिए, देश के लिए और मानव मात्र के लिए भी हो सकता है। परिवार से मनुष्य मात्र तक पहुँचते-पहुँचते हम एक संकुचित घेरे से निकल कर विशाल परिधि में घूमने लगते हैं। यही वह क्षेत्र है, जहाँ देश और जाति की सभी दीवारें गिर कर चूरचूर हो जाती हैं। मनुष्य संसार भर को अपना परिवार और अपने-आप को उसका सदस्य समझने लगता है। भावना के इस विस्तार ने ही धर्म का वास्तविक स्वरूप दिया है जिसे कोई निर्मल हृदय सन्त ही पहचान सकता है।

प्रश्न 1.
(I) धर्म की प्रमुख उपयोगिता क्या है?
(II) धर्म का वास्तविक रूप किसमें निहित है?
(III) मनुष्य संसार को अपना कब समझने लगता है?
(IV) रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए।
(V) उचित शीर्षक दीजिए।

8. आधुनिक मानव समाज में एक ओर विज्ञान को भी चकित कर देने वाली उपलब्धियों से निरन्तर सभ्यता का विकास हो रहा है तो दूसरी ओर मानव मूल्यों का ह्रास होने से समस्या उत्तरोत्तर गूढ़ होती जा रही है। अनेक सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का शिकार आज का मनुष्य विवेक और ईमानदारी को त्याग कर भौतिक स्तर से ऊँचा उठने का प्रयत्न कर रहा है। वह सफलता पाने की लालसा में उचित और अनुचित की चिन्ता नहीं करता। उसे तो बस साध्य को पाने का प्रबल इच्छा रहती है। ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए भयंकर अपराध करने में भी संकोच नहीं करता। वह इनके नित नये-नये रूपों की खोज करने में अपनी बुद्धि का अपव्यय कर रहा है। आज हमारे सामने यह प्रमुख समस्या है कि इस अपराध वृद्धि पर किस प्रकार रोक लगाई जाए। सदाचार, कर्त्तव्यपराणता, त्याग आदि नैतिक मूल्यों को तिलांजलि देकर समाज के सुख की कामना करना स्वप्न मात्र है।

प्रश्न 1.
(I) मानव जीवन में समस्याएँ निरन्तर क्यों बढ़ रही हैं ?
(II) आज का मानव सफलता प्राप्त करने के लिए क्या कर रहा है जो उसे नहीं करना चाहिए।
(III) किन जीवन मूल्यों के द्वारा सुख प्राप्त की कामना की जा सकती है?
(IV) रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए।
(V) उचित शीर्षक दीजिए।

9. जीवन घटनाओं का समूह है। यह संसार एक बहती नदी के समान है। इसमें बूंद न जाने किन-किन घटनाओं का सामना करती, जूझती आगे बढ़ती है। देखने में तो इस बूंद की हस्ती कुछ भी नहीं। जीवन में कभी-कभी ऐसी घटनाएँ घट जाती हैं जो मनुष्य को असम्भव से सम्भव की ओर ले जाती हैं। मनुष्य अपने को महान् कार्य कर सकने में समर्थ समझने लगता है। मेरे जीवन में एक रोमांचकारी घटना है जिसे मैं आप लोगों को बताना चाहता हूँ।

प्रश्न 1.
(I) जीवन क्या है?
(II) जीवन में अचानक घटी घटनाएँ मनुष्य को कहाँ ले जाती हैं?
(III) लेखक क्या सुनाना चाहती है?
(IV) ‘समूह और रोमांचकारी’ शब्दों के अर्थ लिखिए।
(V) उचित शीर्षक दीजिए।

10. पर्व-त्योहार देश की सामाजिक एकता के प्रतीक, ऐतिहासिक घटनाओं के साक्षी, सांस्कृतिक चेतना के प्रहरी और सद्भावनाओं के प्रेरक होते हैं। पर्व-त्योहार पर देश की मिट्टी जागती है। बासी हवा में ताज़गी आ जाती है और जीवन की एकरसता में नवीनता आ जाती है। दशहरा, दीवाली, होली, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, रक्षा बन्धन, क्रिसमस, ईद आदि हमारे ऐसे त्योहार हैं जिनसे हमारे सामाजिक जीवन में नया उत्साह-आवेग आ जाता है। होली-दीवाली पर हिन्दुओं को मुसलमान और ईसाई प्रेमपूर्वक बधाई देते हैं। परस्पर एक-दूसरे के साथ मिठाई और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं, इसी प्रकार ईद और क्रिसमस पर हिन्दू अपने मुसलमान और ईसाई भाइयों के प्रति शुभकामनाएं प्रकट करते हैं। इस प्रकार इन पर्व-त्योहारों पर सर्वत्र सर्वधर्म-समभाव का सुन्दर रूप दिखाई देता है।

प्रश्न 1.
(I) पर्व-त्योहारों से देश की किन बातों का परिचय मिलता है?
(II) पर्व-त्योहारों का जन-जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(III) त्योहारों पर सामाजिक जीवन का कौन-सा सुन्दर रूप दिखाई देता है?
(IV) रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए।
(V) उचित शीर्षक दीजिए।

11. कुछ लोग सोचते हैं कि खेलने-कूदने से समय नष्ट होता है, स्वास्थ्य-रक्षा के लिए व्यायाम कर लेना ही काफ़ी है। पर खेल-कूद से स्वास्थ्य तो बनता ही है, साथ-साथ मनुष्य कुछ ऐसे गुण भी सीखता है जिनका जीवन में विशेष महत्त्व है। सहयोग से काम करना, विजय मिलने पर अभिमान न करना, हार जाने पर साहस न छोड़ना, विशेष ध्येय के लिए नियमपूर्वक कार्य करना आदि गुण खेलों के द्वारा अनायास सीखे जा सकते हैं। खेल के मैदान में केवल स्वास्थ्य ही नहीं बनता वरन् मनुष्यता भी बनती है। खिलाड़ी वे बातें सीख जाता है जो उसे आगे चल कर नागरिक जीवन की समस्या को सुलझाने में सहायता देती हैं।

प्रश्न 1.
(I) कुछ लोगों का खेल-कूद के विषय में क्या विचार है?
(II) खेल-कूद से क्या लाभ हैं?
(III) खेल-कूद का अच्छे नागरिक बनाने में क्या योगदान है?
(IV) रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए।
(V) उचित शीर्षक दीजिए।

12. लेखक का काम बहुत अंशों में मधुमक्खियों के काम से मिलता है। मधुमक्खियाँ मकरंद संग्रह करने के लिए कोसों के चक्कर लगाती हैं और अच्छे-अच्छे फूलों पर बैठकर उनका रस लेती हैं। तभी तो उनके मधु में संसार की सर्वश्रेष्ठ मधुरता रहती है। यदि आप अच्छे लेखक बनना चाहते हैं तो आपकी भी (वृत्ति) ग्रहण करनी चाहिए। अच्छेअच्छे ग्रंथों का खूब अध्ययन करना चाहिए और उनकी बातों का मनन करना चाहिए फिर आपकी रचनाओं में से मधु का-सा माधुर्य आने लगेगा। कोई अच्छी उक्ति, कोई अच्छा विचार भले ही दूसरों से ग्रहण किया गया हो, पर यदि यथेष्ठ मनन करके आप उसे अपनी रचना में स्थान देंगे तो वह आपका ही हो जाएगा। मननपूर्वक लिखी गई चीज़ के संबंध में जल्दी किसी को यह कहने का साहस नहीं होगा कि यह अमुक स्थान से ली गई है या उच्छिष्ट है। जो बात आप अच्छी तरह आत्मसात कर लेंगे, वह फिर आपकी ही हो जाएगी।

प्रश्न 1.
(I) लेखक और मधुमक्खी में क्या समता है?
(II) लेखक किसी अच्छे भाव को मौलिक किस प्रकार बना लेता है?
(III) कौन-सी बात आप की अपनी हो जाती है?
(IV) रेखांकित शब्दों के अर्थ लिखिए।
(V) उचित शीर्षक दीजिए।

अपठित गद्यांश ऐसे गद्यांश को कहते हैं जो विद्यार्थी की पाठ्य-पुस्तकों से संबंधित नहीं होता है। विद्यालय में अध्ययन करते हुए विद्यार्थी की पाठ्य-पुस्तकों तथा पाठ्येत्तर सामग्री, जैसे-समाचार-पत्र, पत्रिकाओं, इंटरनेट के लेख आदि के माध्यम से अपने ज्ञान में वृद्धि करते हैं। पाठ्येत्तर सामग्री में अपठित गद्यांश के माध्यम से विद्यार्थी में अर्थग्रहण तथा अभिव्यक्ति की क्षमता का विकास किया जाता है। इसके अंतर्गत परीक्षा में ऐसे अवतरण दिए जाते हैं, जिन्हें विद्यार्थी की पाठ्य-पुस्तकों से नहीं लिया जाता। परीक्षक विद्यार्थियों के बौद्धिक स्तर के अनुरूप अपठित गद्यांशों का चयन समाचार-पत्र, पत्रिका, पाठ्येत्तर पुस्तकों आदि से करते हैं। विद्यार्थी को अपठित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर उसी अवतरण में से चयनित कर अपनी भाषा में लिखते होते हैं। अपठित गद्यांश में निम्नलिखित प्रश्न पूछे जाएँगे:
(क) पहले तीन प्रश्न गद्यांश की विषय-वस्तु से संबंधित होंगे।
(ख) चौथा प्रश्न गद्यांश में से दो कठिन शब्दों के अर्थ लिखने का होगा।
(ग) पाँचवाँ प्रश्न गद्यांश का शीर्षक/केंद्रीय भाव लिखने का होगा।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अपठित गद्यांश

अपठित गद्यांश के प्रश्नों का उत्तर देते समय निम्नलिखित तथ्यों का ध्यान रखिए:
दिए गए गद्यांश को अत्यंत सावधानी से पढ़ना चाहिए। यदि एक बार पढ़ने से गद्यांश में व्यक्त भाव स्पष्ट न हों तो उसे फिर से पढ़ना चाहिए।

  1. गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर अपनी भाषा में संक्षिप्त रूप से लिखें।
  2. गद्यांश में से पूछे गए कठिन शब्दों के अर्थ सोच-समझ कर लिखने चाहिए।
  3. गद्यांश के मूलभाव को समझकर उसका शीर्षक लिखिए।
  4. शीर्षक संक्षिप्त, सटीक तथा गद्यांश के भावानुरूप हो।
  5. सावधानीपूर्वक पढ़ने और सोचने से गद्यांश के सभी प्रश्नों के उत्तर दिए गए अवतरण से ही मिल जाते हैं।

विद्यार्थियों के अभ्यास के लिए यहाँ अपठित गद्यांशों के कुछ उदाहरण दिए जा रहे हैं।
निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर इनके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

पाठ्य-पुस्तक के उदाहरण

1. सभ्य आचरण और व्यवहार ही शिष्टाचार कहलाता है। जीवन में शिष्टाचार का बहुत महत्त्व है। बातचीत करते समय सभी को.एक-दूसरे से शिष्टाचार से बात करनी चाहिए। छोटों को बड़ों से और बड़ों को छोटों से बात करते समय !’ शिष्टाचार का ध्यान रखना चाहिए। शिष्टाचार का पालन करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। शिष्ट व्यक्तियों से जब कोई ग़लती हो जाती है तो वे खेद प्रकट करते हैं और सहज ही अपनी ग़लती स्वीकार करते हैं। विद्यार्थी-जीवन। में तो शिष्टाचार का और भी अधिक महत्त्व होता है क्योंकि यही शिक्षा जीवन का आधार बनती है। स्कूल की प्रार्थनासभा में पंक्ति में आना-जाना, कक्षा में शोर न करना, अध्यापकों की बातों को ध्यानपूर्वक सुनना, सच बोलना, सहपाठियों से मिलजुल कर रहना, स्कूल को साफ-सुथरा रखना, .स्कूल की संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना व छुट्टी के समय : धक्कामुक्की न करना शिष्ट बच्चों की निशानी है। ऐसे बच्चों को सभी पसंद करते हैं।

प्रश्न 1.
शिष्टाचार किसे कहते हैं?
उत्तर:
अच्छे आचार-व्यवहार को शिष्टाचार कहते हैं।

प्रश्न 2.
शिष्ट व्यक्तियों से जब कोई ग़लती हो जाती है तो वे क्या करते हैं?
उत्तर:
शिष्ट व्यक्तियों से जब कोई गलती होती है तो वे अपनी ग़लती मानकर क्षमा माँग लेते हैं।

प्रश्न 3.
कैसे बच्चों को सभी पसंद करते हैं?
उत्तर:
अच्छे चाल-चलन तथा व्यवहार का जो बच्चे पालन करते हैं उन्हें सभी पसंद करते हैं।

प्रश्न 4.
‘सभ्य’ और ‘खेंद’ शब्दों के अर्थ लिखें।
उत्तर:
सभ्य-अच्छे आचार-विचार वाला, शिष्ट। खेद-दुःख, रंज।

प्रश्न 5.
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
सदाचार।

2. आसमान बादल से घिरा ; धूप का नाम नहीं, ठंडी पुरवाई चल रही है। ऐसे ही समय आपके कानों में एक स्वर-तरंग झंकार-सी कर उठी। यह क्या है – यह कौन है। यह पूछना न पड़ेगा। बालगोबिन भगत समूचा शरीर कीचड़ में लिथड़े, अपने खेत में रोपनी कर रहे हैं। उनकी अंगुली एक-एक धान के पौधे को, पंक्तिबद्ध, खेत में बिठा रही है। उनका कंठ एक-एक शब्द को संगीत के जीने पर चढ़ाकर कुछ को ऊपर, स्वर्ग की ओर भेज रहा है और कुछ को इस पृथ्वी की मिट्टी पर खड़े लोगों के कानों की ओर। बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं ; मेड़ पर खड़ी औरतों के होठ काँप उठते हैं, वे गुनगुनाने लगती हैं ; हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते हैं ; रोपनी करने वालों की अंगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं। बालगोबिन भगत का यह संगीत है या जादू।

प्रश्न 1. कौन-सी स्वर तरंग लोगों के कानों में झंकार उत्पन्न कर देती है?
उत्तर:
बालगोबिन भगत जब गाते थे तो उनके गायन की स्वर तरंग लोगों के कानों में झंकार उत्पन्न कर देती थी।

प्रश्न 2.
गीत गाते समय बालगोबिन भगत क्या कर रहे हैं?
उत्तर:
बालगोबिन भगत अपने खेत में धान की रोपनी करते हुए गीत गा रहे थे।

प्रश्न 3.
बालगोबिन भगत के संगीत का वहाँ उपस्थित लोगों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
भगत का संगीत सुनकर खेलते हुए बच्चे झूम उठते थे, मेड़ पर खड़ी महिलाएँ गुनगुनाने लगती थीं और हलवाहे पैरों से ताल देने लगते थे।

प्रश्न 4.
‘हलवाहे’ तथा ‘मेड़’ शब्दों के अर्थ लिखिए।
उत्तर:
हलवाहे हल चलाने वाले। मेड़ खेतों की सीमा सूचक मिट्टी की ऊँची रेखा की सीमा।

प्रश्न 5.
इस गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर:
संगीत का जादू।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अपठित गद्यांश

3. पहले खेल कूद को लोग पढ़ाई में बाधा मानते थे। ऐसी मानसिकता सचमुच ग़लत थी। अब लोगों की मानसिकता में परिवर्तन आया है। लोग जान चुके हैं कि पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का भी जीवन में विशेष महत्त्व है। खेलों से हमारा शरीर स्वस्थ रहता है। उसमें चुस्ती और फुर्ती आती है। पसीना बह जाने से शरीर की गंदगी बाहर निकलती है और रक्त का संचार बढ़ जाता है। शरीर के साथ-साथ खेलों का बुद्धि पर भी प्रभाव पड़ता है। कहा भी गया है, “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है।” शिक्षा का उद्देश्य है-विद्यार्थी की बहुमुखी प्रतिभा का विकास करना। खेलें शिक्षा के इस उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायक बनती हैं। खेल के मैदान में विद्यार्थी अनुशासन, समय का पालन, सहयोग, सहनशीलता, नेतृत्व, दृढ़ता, दल-भावना आदि गुणों को सहज ही सीख जाता है। इन सब बातों को देखते हुए ही सरकारें भी खिलाड़ियों को अधिकाधिक सुविधाएँ देने में प्रयासरत हैं।

प्रश्न 1.
खेलों के बारे में लोगों की पहले क्या मानसिकता थी?
उत्तर:
खेलों को पढ़ाई में बाधा माना जाता था।

प्रश्न 2.
खेलों से हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
हमारा शरीर स्वस्थ और चुस्त-दुरूस्त रहता है।

प्रश्न 3.
सरकारें खिलाड़ियों के लिए क्या कर रही हैं?
उत्तर:
खिलाड़ियों को सरकार अधिक-से-अधिक सुविधाएँ देने की कोशिश कर रही है।

प्रश्न 4.
‘बाधा’ और ‘नेतृत्व’ शब्दों के अर्थ लिखिए।
उत्तर:
बाधा-अड़चन। नेतृत्व-सरदारी।

प्रश्न 5.
इस गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
शिक्षा में खेलों का महत्त्व।।

4. हिमराशि और हिमपात बड़े सौन्दर्य की वस्तु हैं, पर इनके दर्शन करने का आनंद सभी नहीं ले सकते। हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून से मसूरी जैसी हिमपात की भूमि दूर नहीं है, पर हमारे लोगों को प्रायः उसके सौन्दर्य को नेत्रों द्वारा पान करने की लालसा नहीं होती। आज यातायात सुलभ है। रेडियो वाले शाम को ही लोगों को सूचित कर देते हैं कि मसूरी में बर्फ फुट-दो-फुट पड़ी हुई है, कल बड़ा सुंदर समाँ होगा, तो कितने ही लोग यहाँ आ सकते हैं। दिल्ली से कार द्वारा आने से पाँच घंटे से ज्यादा नहीं लगेंगे। सहारनपुर से दो घंटे भी नहीं, और देहरादून से तो पौन घंटा ही। अब लोगों में कुछ रुचि जगने लगी है और हिमपात देखने के लिये वे सैंकड़ों की तादाद में आते हैं। ग्रीष्म में आनंद लूटने के लिए अधिक लोग यहाँ आते हैं। वही बात हिमदर्शन के लिये भी लोगों में आ सकती है, पर हिम का दर्शन साधारण आदमी के बस की बात नहीं है। नीचे का आपका ओवरकोट यहाँ की सर्दी को रोक नहीं सकता। यहाँ और मोटा गरम स्वैटर चाहिए। चमड़े की जर्सी या फतुई अधिक सहायक हो सकती है। मोटे कोट-पैंट के अतिरिक्त मोटा ओवरकोट, पैरों में मोटा ऊनी मोज़ा और फूल बूट चाहिए। कान और सर ढकने के लिये चमड़े या ऊन की टोपी और हाथों में चमड़े के दस्ताने भी चाहिए।

प्रश्न 1.
‘नेत्रों द्वारा पान करना’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
‘नेत्रों द्वारा पान करना’ का अर्थ ‘किसी दृश्य को मन से जी भर कर देखना’ होता है।

प्रश्न 2.
मसूरी में बर्फ पड़ने की सूचना कौन दे देता है?
उत्तर:
रेडियो द्वारा मसूरी में बर्फ पड़ने की सूचना शाम को ही दे दी जाती है।

प्रश्न 3.
मसूरी में किस ऋतु में अधिक लोग आनन्द लूटने जाते हैं?
उत्तर:
मसूरी में ग्रीष्म ऋतु में आनन्द लूटने अधिक लोग आते हैं।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran अपठित गद्यांश

प्रश्न 4.
‘हिमपात’ और ‘मोज़ा’ शब्दों के अर्थ लिखिए।
उत्तर:
हिमपात-पाला पड़ना, बर्फ गिरना। मोज़ा-जुराब।

प्रश्न 5.
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
मसूरी में हिमपात।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran प्रत्यय

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar pratyay प्रत्यय Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 9th Class Hindi Grammar प्रत्यय

निम्नलिखित शब्दों में से मूल शब्द व प्रत्यय अलग-अलग करके लिखिए।
PSEB 9th Class Hindi Vyakaran प्रत्यय 1
उत्तर:
PSEB 9th Class Hindi Vyakaran प्रत्यय 2

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran प्रत्यय

एक वाक्य में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
प्रत्यय किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो शब्दांश किसी शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में बदलाव ला देते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं।

प्रश्न 2.
प्रत्यय कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं-कृत और तद्धित।

प्रश्न 3.
‘धातु’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं।

प्रश्न 4.
प्रत्यय जुड़ने से किसमें बदलाव आ जाते हैं?
उत्तर:
प्रत्यय जुड़ने से धातु में बदलाव आ जाता है।

प्रश्न 5.
क्रिया वाचक कृत् प्रत्यय किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन कृत प्रत्ययों से कर्ता का बोध होता है उन्हें कतृवाचक कृत् प्रत्यय कहते हैं।

प्रश्न 6.
धातु किसे कहते हैं?
उत्तर:
क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं।

प्रश्न 7.
भाववाचक कृत् प्रत्यय किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन कृत् प्रत्ययों से भाववाचक संज्ञाएं बनती हैं, उन्हें भाववाचक कृत् प्रत्यय कहते हैं।

प्रश्न 8.
तद्धित प्रत्यय किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो प्रत्यय संज्ञा, विशेषण आदि के अंत में जुड़कर नये शब्दों की रचना करते हैं उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

प्रश्न 9.
तद्धित प्रत्यय के भेदों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कर्तृवाचक तद्धित, भाववाचक तद्धित, संबंधवाचक तद्धित, लघुतावाचक तद्धित, विशेषणवाचक तद्धित प्रत्यय।

प्रश्न 10.
लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन प्रत्ययों से छोटेपन/न्यूनता का ज्ञान हो उन्हें लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran प्रत्यय

प्रश्न 11.
भाववाचक तद्धित प्रत्यय से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जिन प्रत्ययों के जुड़ने से शब्द भाववाचक संज्ञाएँ बन जाते हैं उन्हें भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

प्रश्न 12.
कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस प्रत्यय से किसी कार्य को करने वाले का बोध होता है उसे कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

प्रश्न 13.
संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो प्रत्यय किसी शब्द से परस्पर जुड़कर किसी संबंध को प्रकट कराते हैं उन्हें संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं।

प्रश्न 14.
विशेषणवाचक तद्धित प्रत्यय से क्या अर्थ है?
उत्तर:
विशेषणवाचक तद्धित प्रत्यय वे होते हैं जिनके जुड़ने से शब्द विशेषण में बदल जाते हैं।

एक शब्द में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
प्रत्यय कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
दो।

प्रश्न 2.
क्रिया के मूलरूप को क्या कहते हैं?
उत्तर:
धातु।

प्रश्न 3.
धातु रूप में जुड़कर जो प्रत्यय तरह-तरह के शब्दों को बनाते हैं उन्हें क्या कहते हैं?
उत्तर:
कृत प्रत्यय।

प्रश्न 4.
कृत प्रत्यय के कितने भेद होते हैं?
उत्तर:
पाँच।

प्रश्न 5.
कर्तृ प्रत्ययों से किसका बोध होता है?
उत्तर:
कर्तृवाचक कृत।

हाँ/नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
कृत् प्रत्यय उन्हें कहते हैं जो प्रत्यय क्रिया के धातु से जुड़कर तरह-तरह के शब्दों की रचना करते
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 2.
प्रत्यय जुड़ने से धातु में कभी-कभी कुछ बदलाव आ जाते हैं।
उत्तर:
हाँ।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran प्रत्यय

प्रश्न 3.
जिन प्रत्ययों से कर्ता का पता चलता है उन्हें कर्तृवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 4.
जिन कृत् प्रत्ययों से क्रिया के साधन का पता लगता है उसे करण वाचक कृत्य प्रत्यय कहते हैं।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 5.
भाववाचक कृत् प्रत्ययों में कर्मवाचक संज्ञाएं बनती हैं।
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 6.
लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय में बड़प्पन का भाव व्यक्त होता है।
उत्तर:
नहीं।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1.
प्रत्यय किसी शब्द के ………. में जुड़ते हैं।
उत्तर:
अंत।

प्रश्न 2.
प्रत्यय अर्थ में ………… लाते हैं।
उत्तर:
परिवर्तन/बदलाव।

प्रश्न 3.
क्रिया के मूल रूप को …………….. कहते हैं।
उत्तर:
धातु।

प्रश्न 4.
भाववाचक तद्धित में संज्ञा, विशेषण और …………. शब्दों में लगते हैं।
उत्तर:
क्रिया।

प्रश्न 5.
जिस प्रत्यय से किसी कार्य के करने वाले का बोध होता है उसे …….. कहते हैं।
उत्तर:
कर्तृवाचक तद्धित।

प्रश्न 1.
प्रत्यय की परिभाषा लिखकर उदाहरण भी दीजिए। उत्तर-जो शब्दांश किसी शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन ला देते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं। उदाहरण- शिशुता = शिशु + ता
कतरनी = कतर + नी खेती = खेत + ई .
खाऊ = खा + ऊ इन शब्दों में प्रयुक्त ‘ता’, ‘नी’, ‘ई’, ‘ऊ’ प्रत्यय हैं।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran प्रत्यय

प्रश्न 2.
प्रत्यय कितने प्रकार के होते हैं? उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रत्यय दो प्रकार के होते हैं-कृत प्रत्यय और तद्धित प्रत्यय।

प्रश्न 3.
धातु किसे कहते हैं?
उत्तर:
क्रिया के मूलरूप को धातु कहते हैं; जैसे-खा, पी, मिल।

प्रश्न 4.
कृत प्रत्यय किसे कहते हैं?
उत्तर:
क्रिया के धातु रूप में जुड़कर जो प्रत्यय विभिन्न शब्दों की रचना करते हैं, उन्हें कृत प्रत्यय कहते हैं।

प्रश्न 5.
वाक्यों में प्रयोग के समय क्रिया के मूल रूप में क्या-क्या अंतर हो सकते हैं?
उत्तर:
वाक्यों में प्रयोग के समय क्रिया के मूल रूप में ‘खाँ’, ‘हँस’, ‘लिख’ धातुएँ क्रमशः ‘खाता’, ‘हँसता’, ‘लिखता’ में बदल जाती है।

प्रश्न 6.
प्रत्यय जुड़ने से धातु में क्या बदलाव आते हैं?
उत्तर:
प्रत्यय जुड़ने से धातु में बदलाव आते हैं; जैसे-बूझ से बुझक्कड़, भूल से भूलक्कड़, खेल से खिलौना, बेल से बेलन, चट् से चटनी, सूंघ से सूंघनी, मिल से मिलाय, चिल्ला से चिल्लाहट, घबरा से घबराहट आदि।

प्रश्न 7.
कृत प्रत्यय के कितने भेद होते हैं? उसके नाम लिखिए।
उत्तर:
कृत प्रत्यय के पाँच भेद होते हैं-कर्तृवाचक, कर्मवाचक, करणवाचक, भाववाचक, क्रियावाचक।

प्रश्न 8.
कर्तृवाचक कृत प्रत्यय किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन कृत प्रत्ययों से कर्ता का बोध होता है उन्हें कर्तृवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं। उदाहरण-

धातु. प्रत्यय शब्दरूप
1. खा, बिक, रट, उतार, उड़, झाड़ खाऊ, बिकाऊ, रटू, उतारू, उड़ाऊ, झाडू
2. रम्, श्रु अन रमन, श्रवण
3. धम्, लड्, उड़ आका धमाका, लड़ाका, उड़ाका
4. खेल, अन् आड़ी खिलाड़ी, अनाड़ी
5. दा, खा ता दाता, खाता
6. सड़, मर, दाड़ी, अड़ इयल सड़ियल, मरियल, दड़ियल, अड़ियल
7. भिक्षु भिक्षु
8. लूट, साँप एरा लुटेरा, सपेरा
9. लड्, पढू आक् लड़ाकू, पढ़ाकू
10. रम्, श्रु अन रमण, श्रवण
11. भिक्ष उक भिक्षुक
12. दा ता दाता
13. तैर्, चाल आक तैराक, चालाक
14. घूम्, बुझ्, भूल अक्कड़ घुम्मकड़, बुझक्कड़, भुलक्कड़
15. लिख्, पाल, मार लेखक, पालक, मारक

प्रश्न 9.
कर्म वाचक कृत् प्रत्यय किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करो।
उत्तर:
जिन प्रत्ययों से कर्मवाचक शब्दों की रचना होती है उन्हें कर्मवाचक कृत् प्रत्यय कहते हैं। उदाहरण-

धातु. प्रत्यय शब्दरूप
1. बिछ, खेल औना बिछौना, खिलौना
2. ओढ़ि, सूंघ, चट, कथ नी ओढ़नी, सूंघनी, चटनी, कथनी
3. मैल, भूल, पढ़, देख, सोच मैला, भूला, पढ़ा, देखा, सोचा
4. गा, खा, रो लिख ना गाना, खाना, रोना, लिखना
5. गिना, पढ़ा, सुना हुआ गिना हुआ, पढ़ा हुआ, सुना हुआ

प्रश्न 10.
करणवाचक कृतवाचक किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जिन प्रत्ययों से क्रिया के कारण या साधन का ज्ञान हो उन्हें करणवाचक कृत प्रत्यय कहते हैं। उदाहरण-

धातु. प्रत्यय शब्दरूप
1. झाड़. रट, खा झाडू, रटू, खाऊ
2. बेल, चल, खा, पा, झाड़ बेलन, चलन, खान, पान, झाड़न
3. रेत, फाँस, लेट, हँस, घुड़क, बोल रेती, फाँसी, लेटी, हँसी, घुड़की, बोली
4. चट्, कतर अनी चटनी, कतरनी
5. बेल, बंध, झाड़, चिंत अन बेलन, बंधन, झाड़न, चिंतन

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran प्रत्यय

प्रश्न 11.
भाववाचक कृत प्रत्यय किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
जिन कृत प्रत्ययों से भाववाचक संज्ञाएँ बनती हैं उन्हें भाववाचक कृत प्रत्यय कहते हैं। उदाहरण-

धातु. प्रत्यय शब्दरूप
1. पूज़ आपा पूजापा
2. चढ़, लग्, उडू, उठ्, मिल् आन चढ़ान, लगान, उड़ान, उठान, मिलान
3. चिल्ला, घबरा, मुसकरा, बौखला आहट चिल्लाहट, घबराहट, मुसकराहट, बौखलाहट
4. मिल, जल अन मिलन जलन
5. मिल्, लिख्, सज्, थक आवट मिलावट, लिखावट, सजावट, थकावट
6. पूज आपा पूजापा
7. बह्, कट, चढ़, लग्, फैल् आव बहाव, कटाव, चढ़ाव, लगाव, फैलाव
8. लूट, मार, जाँच लूट, मार, जांच
9. बच्, लिख्, खप्, पढ़ बचत, लिखत, खपत, पढ़त
10. मिल् आप मिलाप
11. गढ़, भिड़, रट् अंत गढंत, भिडंत, रटंत
12. भल्, लिख्, कट, लडू, बढू, बुन, चढ़ आई भलाई, लिखाई, कटाई, लड़ाई, बढ़ाई, बुनाई, चढ़ाई।

प्रश्न 12.
क्रियावाचक कृत् प्रत्यय किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जिन प्रत्ययों से क्रिया शब्द वाले विशेषण, अव्यय या विशिष्ट क्रिया शब्दों का बोध होता है उन्हें क्रियावाचक कृत् प्रत्यय करते हैं। उदाहरण-

धातु. प्रत्यय शब्दरूप
1. चढ़, गिर, बह, चल, जा, पी, देख, लिख, पीट, मार, डूब ता चढ़ता, गिरता, बहता, चलता, जाता, पीता, देखता, लिखता, पीटता, मारता, डूबता
2. सो, सज, बो, रो, खा, खो या सोया, सजाया, बोया, रोया, खाया, खोया
3. पी, खा, जा, पढ़, रो, पढ़ ता हुआ पीता हुआ, खाता हुआ, जाता हुआ, पढ़ता हुआ, रोता हुआ, पढ़ता हुआ
4. पी, रो, देख, सो, जा कर पीकर, रोकर, देखकर, सोकर, जाकर
5. भाग, जा, आ, रो, सो, पढ़ ते-ते भागते-भागते, जाते-जाते, आते-आते, रोते-रोते, सोते-सोते, पढ़ते-पढ़ते
6. गा, हँस, चल, खा, रो, देख, सो ते-ही गाते ही, हँसते ही, चलते ही, खाते ही, रोते ही, देखते ही, सोते ही

प्रश्न 13.
तद्धित प्रत्यय किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
जो प्रत्यय क्रिया के धातु रूपों को छोड़ संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण के पीछे लग कर नया शब्द बनाते हैं। उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे- धर्म + इक = धार्मिक, मुधर + ता = मधुरता, धर्म + इक = धार्मिक आदि।
तद्धित प्रत्यय के प्रकार होते हैं-कर्तवाचक, भाववाचक, संबंधवाचक, लघुतावाचक, विशेषण वाचक।

प्रश्न 14.
कर्तवाचक तद्धित से क्या तात्पर्य है? उदाहरण देकर लिखिए।
उत्तर:
जिस प्रत्यय से किसी कार्य के करने वाले का बोध होता है उसे कर्तृवाचक तद्धित कहते हैं; जैसे-

मूलशब्द प्रत्यय शब्दरूप
1. सोना, लोहा आर सुनार, लुहार
2. तेल, शास्त्र, योग, गंध, माला, धन, दफ़्तर, भगीरथ, पंजाब, ईसा तेली, शास्त्री, योगी, गंधी, माली, धनी, दफ़्तरी, भगीरथी, पंजाबी, ईसाई
3. गाड़ी, कोच, रथ वान गाड़ीवान, कोचवान, रथवान
4. मुख, रसोई, आढ़त ईया मुखिया, रसोइया, आढ़तिया
5. बाजी, जादू गर बाजीगर, जादूगर
6. लेख, पाठ लेखक, पाठक
7. साहित्य, पत्र, स्वर्ण, चर्म, कुंभ, संगीत, चित्र, नाटक कार साहित्यकार, पत्रकार, स्वर्णकार, चर्मकार, कुंभकार संगीतकार, चित्रकार, नाटककार।
8. घर, रंग, हिंदी, गया, सब्जी, रेहड़ी, तांगा, स्कूटर, स्वेटर, दुकान वाला घर वाला, रंगवाला, हिंदी वाला, गया वाला, सब्जी वाला, रेहड़ी वाला, तांगा वाला, स्कूटर वाला, स्वेटर वाला, दुकान वाला।
9. हल, विष, जल, गिरि धर हलधर, विषधर, जलधर, गिरिधर
10. दिन, हित, सुख कर दिनकर, हितकर, सुखकर

प्रश्न 15.
भाव वाचक तद्धित से क्या तात्पर्य है? उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
संज्ञा, विशेषण और क्रिया शब्दों में लगने वाले प्रत्ययों में जो शब्द बनते हैं उन्हें भाववाचक तद्धित कहते हैं। इससे भाववाचक संज्ञाएँ बनती हैं। उदाहरण-

मूलशब्द प्रत्यय शब्दरूप
1. मित्र, दास, मनुष्य, साधु, शिष्ट, नीच, मधुर ता मित्रता, दासता, मनुष्यता, साधुता, शिष्टता, नीचता, मधुरता
2. देव, नर, जड़, ब्राह्मण, दास, नारी, सती, स्त्री, पिता, माता, शिशु, पशु, लघु, गुरु, प्रभु, क्रूर त्व देवत्व, नरत्व, जड़त्व, ब्राह्मणत्व, दासत्व, नारीत्व, सतीत्व, स्त्रीत्व, पितृत्व, मातृत्व, शिशुत्व, पशुत्व, लघुत्व, गुरुत्व, प्रभुत्व, क्रूरत्व
3. बच्चा, लड़का, बालक, पागल, भोला, अपना पन बचपन, लड़कपन, बालकपन, पागलपन, भोलापन, अपनापन
4. बुरा, भला, ऊँचा, चौड़ा, पंड़ित, ठाकुर आई बुराई, भलाई, ऊँचाई, चौड़ाई, पंडिताई, ठुकराई
5. खट्टा, मीठा आस खटास, मीठास
6. बूढ़ा, पहन, पूजा, मोटा आपा बुढ़ापा, पहनापा, पूजापा, मोटापा
7. चिल्लाना, झुंझलाना, खुजलाना आहट चिल्लाहट, झुंझलाहट, खुजलाहट
8. लेख, दिखाना, बनाना, सजाना आवट लिखावट, दिखावट, बनावट, सजावट
9. लाल, काला इमा लालिमा, कालिमा

प्रश्न 16.
संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जो प्रत्यय किसी शब्द के साथ जुड़ कर किसी संबंध का बोध कराते हैं। उन्हें संबंधवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-

मूलशब्द प्रत्यय शब्दरूप
1. ससुर आल ससुराल
2. नानी हाल ननिहाल
3. चाचा, मामा, फूफा एरा चचेरा, ममेरा, फुफेरा

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran प्रत्यय

प्रश्न 17.
लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
जिन प्रत्ययों से न्यूनता (छोटापन) का बोध होता हो उन्हें लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे-

मूलशब्द प्रत्यय शब्दरूप
1. कोठा, छाता री कोठरी, छतरी
2. ढोल ढोलक
3. ढोल की ढोलकी
4. झंडा, प्याला, थाल झंडी, प्याली, थाली
5. खाट इया खटिया

प्रश्न 18.
विशेषण वाचक तद्धित प्रत्यय किसे कहते हैं? उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
जिन प्रत्ययों के जुड़ने से शब्द विशेषण में परिवर्तित हो जाते हैं उन्हें विशेषणवाचक तद्धित कहते हैं; जैसे-

मूलशब्द प्रत्यय शब्द रूप
1. कल्पना, दिन, भूगोल, योग, धर्म, वर्ष, समाज, मुख, लोक, इच्छा, दिन, सेना, धन, नीति, इतिहास, विज्ञान, क्षण, श्रम, क्रम इक काल्पनिक, दैनिक, भौगोलिक, यौगिक, धार्मिक, वार्षिक, सामाजिक, मौखिक, लौकिक, ऐच्छिक, दैनिक, सैनिक, धनिक, नैतिक, ऐतिहासिक, वैज्ञानिक, क्षाणिक, श्रमिक, क्रमिक
2. फल, अपेक्षा, पराजय, हर्ष, शोभा, अंक, तरंग, सौरभ इत फलित, अपेक्षित, पराजित, हर्षित, शोभित, अंकित, तरंगित, सुरभित
3. मानव, स्थान ईय मानवीय, स्थानीय
4. सभा, क्षमा सभ्य, क्षम्य
5. धन, लोभ, चाचा, मामा, ग़रीब, रस्सा, बेटा, तेल, गुजरात, पंजाब, क्रोध, लड़का, देव, पहाड़, बंगाल धनी, लोभी, चाची, मामी, ग़रीबी, रस्सी, बेटी, तेली, गुजराती, पंजाबी, क्रोधी, लड़की, देवकी, पहाड़ी, बंगाली।
6. श्री, बुद्धि मान श्रीमान, बुद्धिमान
7. श्री, बुद्धि मती श्रीमती, बुद्धिमती
8. ज्ञान, गुण वती ज्ञानवती, गुणवती
9. दया, कृपा, लज्जा आलु दयालु, कृपालु, लज्जालु
10. प्यार, मैल, भूख, ठंड, प्यास, छात्र, सुत, प्रिय, मैल, दुलार प्यासा, मैला, भूखा, ठंडा, प्यासा, छात्रा, सुता, प्रिया, मैला, दुलारा
11. कंकर, चमक, बर्फ, ज़हर, सुर, रोब, रस इन कंकरीला, चमकीला, बर्फीला, ज़हरीला, सुरीला, रोबीला, रसीला
12. बल, प्रतिभा शाली बलशाली प्रतिभाशाली
13. कर्म, सत्य, कर्त्तव्य निष्ठ कर्मनिष्ठ, सत्यनिष्ठ, कर्त्तव्यनिष्ठ
14. सुनार, माली, धोबी, ग्वाला, कहार, हत्यारा इन सुनारिन, मालिन, धोबिन, ग्वालिन, कहारिन, हत्यारिन
15. पंड़ित, चौधरी आइन पंडिताइन, चौधराइन
16. देवर, नौकर, जेठ, पंडित आनी देवरानी, नौकरानी, जेठानी, पंडितानी
17. मोर, शेर, चोर नी मोरनी, शेरनी, चोरनी
18. बेटा, लड़का बेटे, लड़के
19. पुस्तक, बहन, लता, वस्तु, धातु, वधू एँ पुस्तकें, बहनें, लताएँ, वस्तुएँ, धातुएँ, वधुएँ
20. नदी, टोपी, चूड़ी, कहानी, गरमी, सरदी याँ नदियाँ, टोपियाँ, चूड़ियाँ, कहानियाँ, गरमियाँ, सरदियाँ

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran प्रत्यय

उर्दू के तद्धित प्रत्यय

मूलशब्द प्रत्यय शब्द रूप
1. साल, रोज़, शुकर, मेहनत, शायर आना नेकी, खूनी, रोशनी, जवानी, नादानी
2. नेक, खून, रोशन, जवान, नादान सालाना, रोज़ाना, शुकराना, मेहनताना, शायराना
3. खज़ाना, बंदूक, संदूक, देग ची खज़ानची, बंदूकची, संदूकची, देगची
4. दवा, दौलत खाना दवाखाना, दौलतखाना
5. घड़ी, जिल्द साज़ घड़ीसाज़, जिल्दसाज़
6. सफर, जफर नामा सफरनामा, ज़फरनामा
7. मेहर, दर बान मेहरबान, दरबान
8. खरीद, मदद गार खरीददार, मददगार
9. फूल, कदर, पीक, शमा, कलम दान फूलदान, कदरदान, पीकदान, शमादान, कलमदान
10. सूरमा, चूहा, चाय दानी सूरमेदानी, चूहेदानी, चायदानी
11. रिश्वत, सूद खोर रिश्वतखोर, सूदखोर
12. चमचा, दादा गीरी चमचागीरी, दादागीरी
13. मुकद्दमा, तीतर, पतंग, धोखा बाज़ मुकद्दमेबाज़, तीतरबाज़, पतंगबाज़, धोखेबाज़
14. दर्द, शर्म नाक दर्दनाक, शर्मनाक
15. अक्ल, दौलत, इल्म मंद अक्लमंद, दौलतमंद, इल्ममंद
16. कोच, बाग, गाडी वान कोचवान, बागवान, गाड़ीवान
17. आ, जि इंदा आइंदा, जिंदा
18. कोश, फरमा इश कोशिश, फरमाइश
19. मोह, नम, पस ईना मोहीना, नगीना पसीना
20. मर्दाना, जिंद गी मर्दानगी, जिंदगी
21. जबर दस्त जबरदस्त

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.5

Punjab State Board PSEB 9th Class Maths Book Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.5 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Maths Chapter 2 Polynomials Ex 2.5

Question 1.
Use suitable identities to find the following products:
(i) (x + 4) (x + 10)
Answer:
(x + 4) (x + 10)
= (x)2 + (4 + 10)x + (4)(10)
= x2 + 14x + 40

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.5

(ii) (x + 8) (x – 10)
Answer:
(x + 8) (x – 10)
= (x)2 + (8 – 10)x + (8)(- 10)
= x2 – 2x – 80

(iii) (3x + 4) (3x – 5)
Answer:
(3x + 4) (3x – 5)
= (3x)2 + (4 – 5) (3x) +(4) (- 5)
= 9x2 – 3x – 20

(iv) \(\left(y^{2}+\frac{3}{2}\right)\left(y^{2}-\frac{3}{2}\right)\)
Answer:
\(\left(y^{2}+\frac{3}{2}\right)\left(y^{2}-\frac{3}{2}\right)\)
= (y2)2 – \(\left(\frac{3}{2}\right)^{2}\)
= y4 – \(\frac{9}{4}\)

(v)(3 – 2x) (3 + 2x)
Answer:
(3 – 2x) (3 + 2x)
= (3)2 – (2x)2
= 9 – 4x2

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.5

Question 2.
Evaluate the following products without multiplying directly:
(i) 103 × 107
Answer:
103 × 107
= (100 + 3) (100 + 7)
= (100)2 + (3 + 7) (100) + (3) (7)
= 10000 + 1000 + 21
= 11,021

(ii) 95 × 96
Answer:
95 × 96
= (90 + 5) (90 + 6)
= (90)2 + (5 + 6) (90) + (5) (6)
= 8100 + 990 + 30 = 9120

OR

95 × 96
= (100 – 5) (100 – 4)
= (100)2 + (- 5 – 4) (100) + (- 5) (- 4)
= 10000 – 900 + 20
= 10020 – 900 = 9120

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.5

(iii) 104 × 96
Answer:
104 × 96
= (100 + 4)(100-4)
= (100)2 – (4)2
= 10000 – 16 = 9984

Question 3.
Factorise the following using appropriate identities:
(i) 9x2 + 6xy + y2
Answer:
9x2 + 6xy + y2
= (3x)2 + 2(3x) (y) + (y)2
= (3x + y)2 = (3x + y) (3x + y)

(ii) 4y2 – 4y + 1
Answer:
4y2 – 4y + 1
= (2y)2 – 2(2y)(1) + (1)2
= (2y – 1)2 = (2y – 1) (2y – 1)

(iii) x2 – \(\frac{y^{2}}{100}\)
Answer:
x2 – = (x)2 – \(\left(\frac{y}{10}\right)^{2}\)
= \(\left(x+\frac{y}{10}\right)\) \(\left(x-\frac{y}{10}\right)\)

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.5

Question 4.
Expand each of the following using suitable identities:
(i) (x + 2y + 4z)2
Answer:
(x + 2y + 4z)2
= (x)2 + (2y)2 + (4z)2 + 2 (x) (2y) + 2(2y)(4z) + 2(4z)(x)
= x2 + 4y2 + 16z2 + 4xy + 16yz + 8zx

(ii) (2x – y + z)2
Answer:
(2x – y + z)2
= [2x + (- y) + z]2
= (2x)2 + (- y)2 + (z)2 + 2 (2x)(- y) + 2(- y)(z) + 2(z) (2x)
= 4x2 + y2 + z2 – 4xy – 2yz + 4zx

(iii) (- 2x + 3y + 2z)2
Answer:
(- 2x + 3y + 2z)2
= [(- 2x) + 3y + 2z]2
= (- 2x)2 + (3y)2 + (2z)2 + 2(- 2x)(3y) + 2(3y)(2z) + 2(2z)(- 2x)
= 4x2 + 9y2 + 4z2 – 12xy + 12yz – 8zx

(iv) (3a – 7b – c)2
Answer:
(3a – 7b – c)2
= [3a + (- 7b) + (- c)]2
= (3a)2 + (- 7b)2 + (- c)2 + 2 (3a) (- 7b) + 2(- 7b) (- c) + 2(- c) (3a)
= 9a2 + 49b2 + c2 – 42ab + 14bc – 6ca

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.5

(v)(- 2x + 5y – 3z)2
Answer:
(- 2x + 5y – 3z)2
= [(-2x) + 5y + (-3z)]2
= (- 2x)2 + (5y)2 + (- 3z)2 + 2 (- 2x) (5y) + 2 (5y) (- 3z) + 2 (- 3z) (- 2x)
= 4x2 + 25y2 + 9z2 – 20xy – 30yz + 12zx

(vi) [\(\frac{1}{4}\)a – \(\frac{1}{2}\)b + 1]2
Answer:
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomial Ex 2.5 1

Question 5.
Factorise:
(i) 4x2 + 9y2 + 16z2 + 12xy – 24yz – 16xz
Answer:
4x2 + 9y2 + 16z2 + 12xy – 24yz – 16xz ;
= (2x)2 + (3y)2 + (- 4z)2 + 2 (2x) (3y) + 2(3y) (- 4z) + 2(- 4z) (2x)
= [2x + 3y + (- 4z)]2
= (2x + 3y – 4z)2
= (2x + 3y – 4z) (2x + 3y – 4z)

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.5

(ii) 2x2 + y2 + 8z2 – 2√2 xy + 4√2 yz – 8xz
Answer:
2x2 + y2 + 8z2 – 2√2 xy + 4√2 yz – 8 xz
= (- √2x)2 + (y)2 + (2√2 z)2 + 2 (- √2x) (y) + 2(y) (2√2 z) + 2(2√2 z) (- √2 x)
= [(- √2 x) + y + 2√2 z]2
= (- √2x + y + 2√2 z)2
= (- √2x + y + 2√2 z) (- √2 x + y + 2√2 z)

Question 6.
Write the following cubes in expanded form:
(i) (2x + 1)3
Answer:
(2x + 1)3
= (2x)3 + (1)3 + 3(2x) (1)(2x + 1)
= 8x3 + 1 + 6x(2x + 1)
= 8x3+ 1 + 12x2 + 6x
OR
(2x + 1)3
= (2x)3 + 3(2x)2(1) + 3(2x) (1)2 + (1)3
= 8x3 + 12x2 + 6x + 1

(ii) (2a – 3b)3
Answer:
(2a – 3b)3
= (2a)3 – (3b)3 – 3 (2a) (3b) (2a – 3b)
= 8a3 – 27b3 – 18ab(2a – 3b)
= 8a3 – 27b3 – 36a2b + 54ab2

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.5

(iii) \(\left[\frac{3}{2} x+1\right]^{3}\)
Answer:
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomial Ex 2.5 2

(iv) \(\left[x-\frac{2}{3} y\right]^{3}\)
Answer:
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomial Ex 2.5 3

Question 7.
Evaluate the following using suitable identities:
(i) (99)3
Answer:
(99)3 = (100 – 1)3
= (100)3 – (1)3 – 3 (100) (1) (100 – 1)
= 1000000 – 1 – 300(99)
= 1000000 – 1 – 29700
= 9,70,299

(ii) (102)3
Answer:
(102)3 = (100 + 2)3
= (100)3 + (2)3 + 3(100) (2) (100 + 2)
= 1000000 + 8 + 600(102)
= 1000000 + 8 + 61200
= 10,61,208

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.5

(iii) (998)3
Answer:
(998)3 = (1000 – 2)3
= (1000)3 – (2)3 – 3(1000) (2) (1000 – 2)
= 1000000000 – 8 – 6000(1000 – 2)
= 1000000000 – 8 – 6000000 + 12000
= 994000000 + 12000 – 8
= 994012000 – 8
= 99,40,11,992

Question 8.
Factorise each of the following:
(i) 8a3 + b3 + 12a2b + 6ab2
Answer:
8a3 + b3 + 12a2b + 6ab2
= (2a)3 + (b)3 + 3 (4a2) (b) + 3 (2a) (b2)
= (2a)3 + (b)3 + 3 (2a)2 (b) + 3 (2a) (b2)
= (2a + b)3
= (2a + b) (2a + b) (2a + b)

(ii) 8a3 – b3 – 12a2b + 6ab2
Answer:
8a3 – b3 – 12a2b + 6ab2
= (2a)3 + (- b)3 + 3 (4a2) (- b) + 3 (2a) (b2)
= (2a)3 + (- b)3 + 3 (2a)3 (- b) + 3 (2a) (- b)2
= (2a – b)3
= (2a – b) (2a – b) (2a – b)

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.5

(iii) 27 – 125a3 – 135a + 225a2
Answer:
27 – 125a3 – 135a + 225a2
= (3)3 + (- 5a)3 + 3(9) (- 5a) + 3 (3) (25a2)
= (3)3 + (- 5a)3 + 3(3)2 (- 5a) + 3 (3) (- 5a)2
=(3 – 5a)3.
= (3 – 5a)(3 – 5a) (3 – 5a)

(iv) 64a3 – 27b3 – 144a2b + 108ab2
Answer:
64a3 – 27b3 – 144a2b + 108ab2
= (4a)3 + (- 3b)3 + 3(16a2)(-3b) + 3(4a) (9b2)
= (4a)3 + (- 3b)3 + 3(4a)2(- 3b) + 3(4a)(- 3b)2
= (4a – 3b)3
= (4a – 3b) (4a – 3b) (4a – 3b)

(v) 27p3 – \(\frac{1}{216}\) – \(\frac{9}{2}\)p2 + \(\frac{1}{4}\)p
Answer:
PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomial Ex 2.5 4

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.5

Question 9.
Verify:
(i) x3 + y3 = (x + y) (x2 – xy + y2)
Answer:
R.H.S. = (x + y) (x2 – xy + y2)
= x(x2 – xy + y2) + y(x2 – xy + y2)
= x3 – x2y + xy2 + x2y – xy2 + y3
= x3 + y3
= L.H.S.

(ii) x3 – y3 = (x – y) (x2 + xy + y2)
Answer:
R.H.S. = (x – y) (x2 + xy + y2)
= x(x2 + xy + y2) – y(x2 + xy + y2)
= x3 + x2y + xy2 – x2y – xy2 – y3
= x3 – y3
= L.H.S.

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.5

Question 10.
Factorise each of the following:
[Hint: See Question 9]
(i) 27y3 + 125z3
Answer:
27y3 + 125z3
We know, a3 + b3 = (a + b) (a2 – ab + b2)
Replacing a by 3y and b by 5z, we get
(3y)3 + (5z)3 = (3y + 5z) [(3y)2 – (3y)(5z) + (5z)2]
∴ 27y3 + 125z3 = (3y + 5z) (9y2 – 15yz + 25z2)

OR

We know, a3 + b3 = (a + b)3 – 3ab(a + b)
Replacing a by 3y and b by 5z, we get
(3y)3 + (5z)3 = (3y + 5z)3 – 3 (3y) (5z) (3y + 5z)
∴ 27y3 + 125z3 = (3y + 5z) [(3y + 5z)3 – 45yz]
= (3y + 5z)(9y3 + 30yz + 25z2 – 45yz)
= (3y + 5z) (9y2 – 15yz + 25z2)

(ii) 64m3 – 343n3
Answer:
We know, a3 – b3 = (a – b) (a2 + ab + b2)
Replacing a by 4m and b by 7n, we get
(4m)3 – (7n)3 = (4m – 7n) [(4m)3 + (4m) (7n) + (7n)2]
∴ 64m3 – 343n3 = (4m – 7n) (16m2 + 28mn + 49n2)

OR

We know. a3 – b3 = (a – b)3 + 3ab(a – b)
Replacing a by 4m and b by 7n, we get
(4m)3 – (7n)3 = (4m – 7n)3 + 3 (4m) (7n)(4m – 7n)
= (4m – 7n) [(4m 7n)2 + 84mn]
= (4m – 7n) (16m2 – 56mn + 49n2 + 84mn)
= (4m – 7n) (16m2 + 28mn + 49n2)

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.5

Question 11.
Factorise: 27x3 + y3 + z3 – 9xyz
Answer:
We know, a3 + b3 + c3 – 3abc = (a + b + c) (a2 + b2 + c2 – ab – bc – ca)
Replacing a by 3x, b by y and c by z, we get
(3x)3 + (y)3 + (z)3 – 3 (3x) (y) (z) = (3x + y + z) [(3x)2 + (y)2 + (z)2– (3x) (y) – (y) (z) — (z) (3x)]
∴ 27x3 + y3 + z3 – 9xyz = (3x + y + z) (9x2 + y2 + z2– 3xy – yz – 3zx)

Question 12.
Verify that x3 + y3 + z3 – 3xyz = \(\frac{1}{2}\)(x + y + z) [(x – y)2 + (y – z)2 + (z – x)2)
Answer:
R.H.S. = \(\frac{1}{2}\)(x + y + z) [(x – y)2 + (y – z)2 + (z – x)2]
= \(\frac{1}{2}\) (x + y + z) (x2 – 2xy + y2 + y2 – 2yz + z2 + z2 – 2zx + x2)
= \(\frac{1}{2}\) (x + y + z) (2x2 + 2y2 + 2z2 – 2xy – 2yz – 2zx)
= (x + y + z) (x2 + y2 + z2 – xy – yz – zx)
= x(x2 + y2 + z2 – xy – yz – zx) + y(x2 + y2 + z2 – xy – yz – zx) + z(x2 + y2 + z2 – xy – yz – zx)
= x3 + xy2 + xz2 – x2y – xyz – zx2 + x2y + y3 + yz2 – xy2 – y2z – xyz + x2z + y2z + z3 – xyz – yz2 – z2x
= x3 + y3 + z3 – 3xyz
= L.H.S.

Question 13.
If x + y + z = 0, show that x3 + y3 + z3 = 3xyz.
Answer:
We know the Idendity
x3 + y3 + z3 – 3xyz = (x + y + z) (x2+ y3 + z2 – xy – yz – zx)
If x + y + z = 0. we get
x3 + y3 + z3 – 3xyz = (0) (x2 + y2 + z2 – xy – yz – zx)
∴ x3 + y3 + z3 – 3xyz = 0
∴ x3 + y3 + z3 = 3xyz

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.5

Question 14.
Without actually calculating the cubes, find the value of each of the following:
(i) (- 12)3 + (7)3 + (5)3
Answer:
Taking a = -12, b = 7 and c = 5, we get
a + b + c = (- 12) + 7 + 50.
Now, If a + b + c = 0, then a3 + b3 + c3 = 3abc.
∴ (- 12)3 + (7)3 + (5)3 = 3(- 12) (7) (5)
= (- 36) (35)
= – 1260

(ii) (28)3 + (- 15)3 + (- 13)3
Answer:
Talking a = 28, b = – 15 and c = – 13, we get
a + b + c = 28 + (- 15) + (- 13) = 0.
Now, If a + b + c = 0, then a3 + b3 + c3 = 3abc.
∴ (28)3 + (- 15)3 + (- 13)3 = 3 (28) (- 15) (- 13)
= (84)(195)
= 16,380

Question 15.
Give possible expressions for the length and breadth of each of the following rectangles, in which their areas are given:
(i) Area: 25a2 – 35a + 12
Answer:
We know, area of a rectangle = length × breadth
Hence, two factors of area can give possible expressions for length and breadth. So here, we will try to obtain two factors of the expression of area.
25a2 – 35a + 12 = 25a2 – 20a – 15a + 12
= 5a(5a – 4) – 3(5a – 4)
=(5a – 4) (5a – 3)
Thus, the length and breadth of the rectangle are (5a – 3) and (5a – 4) respectively.
Note : Traditionally, length > breadth in a rectangle.

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.5

(ii) Area: 35y2 + 13y – 12
Answer:
We know, area of a rectangle = length × breadth
Hence, two factors of area can give possible expressions for length and breadth. So here, we will try to obtain two factors of the expression of area.
35y2 + 13y – 12 = 35y2 + 28y – 15y – 12
= 7y(5y + 4) – 3(5y + 4)
= (5y + 4) (7y – 3)
Thus, the length and breadth of the rectangle are (7y – 3) and (5y + 4) respectively.

Question 16.
What are the possible expressions for the dimensions of the cuboids whose volumes are given below?
Answer:
(i) Volume: 3x2 – 12x
Answer:
We know, volume of a cuboid = length × breadth × height
Hence, three factors of volume can give possible expressions for length, breadth and height.
So here, we will try to obtain three factors of the expression of volume.
3x2 – 12x = 3x(x – 4)
= 3 × x × (x – 4)
Thus, one possible answer for the dimensions of the cuboid is 3. x and (x – 4).
Note: Other possible answers can be given as 1. 3x and (x – 4) or 1, x and (3x – 12).

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.5

(ii) Volume: 12ky2 + 8ky = 20k
Answer:
We know, volume of a cuboid = length × breadth × height
Hence, three factors of volume can give possible expressions for length, breadth and height.
So here, we will try to obtain three factors of the expression of volume.
12ky2 + 8ky – 20k = 4k (3y2 + 2y – 5)
= 4k (3y2 – 3y + 5y – 5)
= 4k [3y (y – 1) + 5(y – 1)1]
= 4k (y – 1) (3y + 5)
Thus, one possible answer for the dimensions of the cuboid is 4k, (y – 1) and (3y + 5).

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

Punjab State Board PSEB 9th Class English Book Solutions English Grammar Determiners Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

Fill in the blanks with suitable Determiners :

1. Jack was seven years old. His sister Jill was one year old. Their house was on …………. hill. One day Jack and Jill were playing with ………… ball. ………… ball rolled down ………. hill. Jack ran after it. Jill rolled down after Jack. There was ………… road at ……….. foot of ………… hill. ………… ball stopped there.

2. When Edison was 12 years old, he became ………… newsboy on ………… train that left Port Huron in ………… evening. Edison set up a laboratory in …………. baggage car of ………… train because he did not want to waste ………. time. Later, he bought …………. printing press and set it up in his laboratory on wheels. He published ……….. weekly paper, which he sold for three cents ………… copy. At …………. same time, Edison spent …………. of his free hours reading in …………. public library.

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

3. The old man was left with only …………. money in the bank. He didn’t spend ………….. on himself. He wanted to save ………………… for his rainy days…. of his three sons bothered to care for him. He didn’t want to be dependent on …………. of them, either.
Answer:
1. a, a, The, the, a, the, the, The.
2. a, the, the, the, the, any, a, a, a, the, some, a.
3. a little, any a little, None, any.

Fill in the blanks with ‘few’, ‘a few’ or ‘the few :

1. …….. were the words Rama spoke.
2. ….. books she had were all destroyed.
3. He has read only ……………. poems.
4. ……………… friends she has are all insincere.
5. …………. men can resist this temptation.
6. …………… days’ rest will do you immense good.
7. ……………. suggestions he gave were all accepted.
8. ………….. people live to be 80.
9. He is a man of …………………. words.
10. ……….. words spoken in earnest will convince her to your side.
Answer:
1. Few
2. The few
3. a few
4. The few
5. Few
6. A few
7. The few
8. Few
9. few
10. A few.

Read the following passage. There is an error in each line. Underline the error and write your correction in your answer sheet.

Corrections There lived the poor weaver in the village. He had a daughter who was always lost in his day-dreams. One day she was walking along the road.

Errors Corrections
There lived the poor weaver in
the village. He had a daughter who
was always lost in his day-dreams. One
day she was walking along the road.
She had the basket of an eggs
on his head. She began to
dream of a riches she would earn.
Suddenly the cow hit her. His basket
of eggs fell down on a road.
All eggs were broken. She started crying. All the
a
a
her
a
a, the
her
the
a, Her
the

Fill in the blanks with suitable Determiners :

Why don’t you go and get (1) ………… medicine ? It is (2) ……… terrible disease. If you do not take (3) ……….. precautions, you will have to feel sorry. I know (4) ………. friend of mine who is (5) ……….. expert in treating (6) ……….. disease. He lives in (7)…………… house situated in the street opposite (8) ……….. Civil Hospital. Go and get (9) ……….. medicine before it is too late.
Answer:
1. some 2. a 3. any 4. a 5. an 6. this 7. a 8. the 9 the.

Fill in the blanks with suitable Determiners :

1. Have you got ………………….. butter?
2. Will you give me ………………….. sugar ?
3. There were hardly mistakes in her essay.
4. ……… man wishes to be happy.
5. You can go by …………………… road.
6. We haven’t ………… books.
7. How …………………. do you want ?
8. He will pay ………………. price you asked.
9. She has bought …………………. pens.
10. Has he ….. friends in the town?
Answer:
1. any
2. some I any I a little
3. any
4. Every
5. this
6. any
7. much
8. the
9. some
10. any

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

Fill in the blanks with suitable Determiners :

The day of (1)………… party drew near. Matilda said to (2) ……….. husband, “I haven’t (3) ………. jewellery to wear, not even (4) ………… brooch. I shall look like (5) ………… perfect beggar. I would prefer not to go to (6) ………… party.” “You can wear (7) ………. fresh flowers,” he suggested. But she was not convinced. “Why don’t you ask (8) ……… friend, Mrs. Forestier, to lend you (9) ………. jewellery ?”. he suggested. She at once went to (10) ………… friend’s house and returned home with (11) ……….. lovely necklace. She attended (12) ………… ball, and was (13) ……….. great success.
Answer:
1. the 2. her 3. any 4. a 5. a 6. the 7. some 8. your 9. some 10. her 11. a 12. the 13. a.

Fill in the blanks with suitable Determiners :

1. He is a man of …………………… words.
2. ………… persons can keep a secret.
3. There are …………………. letters for you.
4. Give me a book; …………………. book will do.
5. What is ………………….. latest information ?
Answer:
1. few
2. Few
3. a few / some
4. any
5. the.

Fill in the blanks with suitable Determiners :

1. ……….. doctor was called in to see ………… ailing old man. ………… doctor treated him so unskilfully that ……….. man died. Thereupon ………… family seized ………. doctor and tied him up to …………. post, intending to punish him.

2. But during ………… night, he got loose from ……….. cord that held him, and escaped by swimming across ………… Ganges. On reaching his home, ………. doctor found his son studying some medical books. “My son,” said he, “do not be in ……….. hurry to study ………… books. ………… first and ………… most important thing for …. doctor to do is to learn to swim.”
Answer:
1. A, an, The, the, the, the, a.
2. the, the, the, the, a, the, The, the, a. ..

Fill in the blanks with suitable Determiners :

1. ………… pen will do.
2. Did you see ……………….. girls there?
3. Are there ……………… pens in that drawer ?
4. She hasn’t ………….
5. How ……………….. pounds of sugar do you want ?
6. Delhi is farther from …… ……………. city than Surat.
7. The thief was taken to ………………. police station.
8. He does not sell………………….. than five kilograms of sugar.
9. He wasted ………………… money he had.
10. There are …………… books in the library.
Answer:
1. Any
2. any
3. any
4. any
5. many
6. this
7. the
8. more
9. the little
10. many.

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

Fill in the blanks with ‘Each”, “Every’, ‘Either’ or ‘Neither’ :

1. …………….. of the two boys was fined.
2. …………… seat in the hall was occupied.
3. ……… man wants to rise in the world.
4. …………….. accusation is true.
5. …………. soldier was at his post.
6. ………………. side has won.
7. …………. man has some duties to perform.
8. She visited us …………. three days.
9. Five boys stood in …………………… row.
10. You can take …………….. side.
Answer:
1. Neither
2. Each
3. Every
4. Every
5. Each
6. Neither
7. Every
8. every
9. each
10. either.

Fill in the blanks with suitable Determiners :

1. Gold is …………………. precious metal.
2. Ram is ………………….. pride of his parents.
3. Delhi is …………………… London of India.
4. Hari Das is ………………….. loyal servant.
5. Punjabi is ………………….. official language of Punjab.
6. He is ………….. man who stole my bicycle.
7. I have sent him ………… message.
8. …………….. umbrella is essential at ……… hill station.
9. I have ………………. Alsatian dog.
10. Gita is ………………….. intelligent girl.
Answer:
1. a
2. the
3. the
4. a
5. the
6. the
7. the
8. An, a
9. an
10. an.

Fill in the blanks with suitable Determiners :

1. He is ……………….. one-eyed man.
2. Mumbai is ………………. biggest port in India.
3. He teaches me for ………………….. hour.
4. India wants peace all over …………………. world.
5. ……………. dog is …………………… faithful animal.
6. I bought ……….
7. I do not lend …………………. books to anyone.
8. ………………….. mother is a teacher.
9. One should do ………. duty
10. We love ……………….. motherland.
Answer:
1. a.
2. the
3. an
4. the
5. The, a
6. an
7. my
8. My
9. one’s
10. our.

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

Fill in the blanks with suitable Determiners :

1. Is there ………………. body in the house?
2. The players had …………..layers had ………………….. practice.
3. I have …………………… work to do.
4. He lent me …………… books.
5. ………… people sleep on the footpaths.
6. He gave me …………………… bananas he had.
7. June is the ……………….. month of the year.
8. He has ………………… wealth than his brother.
9. …….. little knowledge is ………………… dangerous thing.
10. I borrowed ………………. few books from him.
Answer:
1. any
2. much
3. much
4. some / many
5. Many
6. the few
7. sixth
8. more
9. A, a
10. a.

Fill in the blanks with suitable Determiners :

1. …………. novel is more interesting than ………………… one.
2. My friend is …………………. teacher.
3. She is ……………….. M.L.A.
4. He will leave by ……… next train.
5. The Principal gave him ………………. warning
6. …….. sun rises in …….. east
7. …….. eagle is a bird of prey.
8. ……… of the girls were present.
9. He was too modest to tell ………………….. lie.
10. He went to call on ………………….. friends of his.
Answer:
1. This, that
2. a
3. an
4. the
5. a
6. The, the
7. The
8. Some
9. a
10. some.

किसी Noun (संज्ञा) से पूर्व-स्थित ऐसे शब्द को Determiner कहा जाता है जो उस Noun को निर्धारित करता हो; जैसे
A book, an inkpot, the Ramayana, some boys, any book, a few difficulties, a little rest, आदि।

Determiner एक प्रकार से विशेषण (Adjective) ही होता है। अन्तर केवल इतना है कि Adjective
किसी संज्ञा की व्याख्या करता है जबकि Determiner किसी संज्ञा को निर्धारित करता है।

अध्ययन की सुविधा के लिए Determiners को मुख्य रूप से निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है:

Kinds Of Determiners

1. Possessive My, our, your, his, her, its, their.
2. Demonstrative Definite : The, this, that these, those such, same,
Indefinate : A, an, any, some, other, certain, etc
3. Quantitative Much, more, less, little, no, some, any,
enough, sufficient, all, whole, half, etc.
4. Numeral : One, two, three, first, second, third, etc.
: All, some, no, many, few, several, etc
: Both, each, every, neither, either, etc.
5. Articies Definite : The.
Indefinite : A, an.
6 Wh-Words What(ever), which(ever), whosoever, Whose.

The Use Of Some Determiners

Some तथा Any का प्रयोग

Some तथा Any ये दोनों शब्द मात्रा-वाचक भी हैं और संख्यावाचक भी।
Some का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार के वाक्यों में किया जाता है :

(a) Affirmative
वाक्यों में।
1.There are some children outside.
2. Some people say that money makes the mare go.

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

(b) Interrogative वाक्यों में
(किन्तु जब वक्ता को affirmative उत्तर की इच्छा अथवा आशा हो)।

1. Arent there some stamps in the drawer ?
2. Didn’t he give you some money ?

Any का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार के वाक्यों में किया जाता है :

(a) Negative वाक्यों में।
1. I didn’t buy any bread.
2. He has not solved any question.

(b) Interrogative वाक्यों में (किन्तु जब वक्ता को negative उत्तर की आशा हो)।
1. Have you any problem ?
2. Are there any stamps in my drawer ?

(c) ऐसे Affirmative वाक्यों में जिनमें निषेध अथवा मनाही अन्तर्भूत (Implied) हो।
इस तरह के वाक्यों में प्रायः निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग होता है :
Prevent (verb), Without (preposition), Hardly / Scarcely (adverb)
1. We did the work without any difficulty.
2. I have hardly any leisure nowadays.
3. Please try to prevent any loss of goods on the way:

(d) Any का प्रयोग निम्नलिखित अर्थ में भी किया जाता है :
no matter which’ = ‘चाहे किसी भी’ (in any case ; at any rate ; on any day ; at any hour.)
1. Come any day you like.
2. You can come to me at any hour of the day.

(e) Clauses of Condition (शर्तवाचक उपवाक्यों) में भी any का प्रयोग किया जाता है।
1. You can come to me in case of any difficulty.
2. I shall help you if you have any problem.

नोट : Not any = no
यह बात ध्यान रखने योग्य है कि not के साथ any का प्रयोग किया जा सकता है किन्तु no के साथ any का प्रयोग नहीं किया जाता है।
I bought no any apple. (✗)
I bought no apple. (✓)

Fill in the blanks with suitable determiners (some or any) :

1. I bought ………… honey.
2. He did not buy …………….. honey.
3. Did he buy ……………. honey?
4. He gave me ……………… money.
5. He did not give me ……………. money.
6. Did he give you …………….. money ?
7. ……………… girls were playing in the ground.
8. Have you read …………….. new novel ?
9. There is not …………… oil in the bottle.
10. Will you please give me …………… milk ?
11. We must find an excuse; ……………. excuse will do.
12. This bucket is useless; it hasn’t ……………. handle.
13. I must have this book at ……………. rate.
14. The railway station is at …………….. distance from the village.
15. I shall be away for …………….. time.
Answer:
1. some
2. any
3. any
4. some
5. any
6. any
7. Some
8. any
9. any
10. some
11. any
12. any
13. any
14. some
15. some.

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

Few तथा Little का प्रयोग

Few – यह एक संख्यावाचक शब्द है।
Few, a few, the few का प्रयोग :

1. Few-यह एक Negative विशेषण है।
Few = not many = अधिक नहीं।

2. A few—यह एक affirmative विशेषण है
A few = some at least = थोड़े-से।

3. The few-यह एक ऐसा विशेषण है जिससे negative तथा affirmative दोनों अर्थों का बोध होता
The few = the whole of any particular number = थोड़े बहुत जो भी हों।

उदाहरण :

1. He makes few mistakes. वह अधिक गलतियां नहीं करता है।
2. He makes a few mistakes. वह कुछ ग़लतियां कर देता है।
3. I corrected the few mistakes he had made. जो थोड़ी-बहुत ग़लतियां उसने की थीं, वे मौने ठीक कर दीं

नोट : वाक्य
(3) के अर्थ को दो भागों में बांटा जा सकता है –
(a) Negative तथा
(b) Affirmative.

(a) The mistakes he had made were not many.
(जो ग़लतियां उसने की थीं, वे अधिक नहीं थीं।)

(b) I corrected all the mistakes he had made.
(मैंने वे सारी ग़लतियां ठीक कर दी जो उसने की थीं).

Little, a little, the little का प्रयोग:

1. Little – यह एक Negative विशेषण है।
Little = not much = अधिक नहीं।

2. A little – यह एक affirmative विशेषण है।
A little = some at least = थोड़ा-सा।

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

3. The little – यह एक ऐसा विशेषण है जिससे negative तथा affirmative दोनों अर्थों का बोध होता
The little = the whole of any particular quantity = थोड़ा बहुत जो भी हो।
उदाहरण :

He had little milk. उसके पास अधिक दूध नहीं था।
He had a little milk. उसके पास थोड़ा-सा दूध था।
He drank the little milk I had. मेरे पास जो थोड़ा-बहुत दूध था, वह सी गया।

नोट : वाक्य (3) के अर्थ को दो भागों में बांटा जा सकता है-
(a) Negative तथा
(b) Affirmative.

(a) The milk I had was not much.
(मेरे पास जो दूध था वह अधिक नहीं था।)

(b) He drank all the milk I had.
(उसने सारा दूध पी लिया जो मेरे पास था।)

Fill in the blanks with suitable determiners

(few, a few, the few, little, a little, the little) :

1. …….. money is better than nothing.
2. I need ………………….. days’ rest.
3. His condition is so serious that there is ……………….. hope of his recovery.
4. …………… women can keep a secret.
5. ……………………… knowledge is a dangerous thing.
6. I want ……………………. sugar for tea.
7. He read ……………………. books he had.
8. He spent ……………….. money he had.
9. Only…………………….. boys were present in the meeting.
10. Hurry up! We have only …………………… time left.
11. You should stay here …. ……………….. days longer.
12. ……. remarks he made, were very meaningful.
13. He was very sorry to find that he had ……….. money left.
14. Bring me ………… water to drink.
15. He is a fool and has ………….
Answer:
1. A little
2. a few
3. little
4. Few
5. A little
6. a little
7. the few
8. the little
9. a few
10. a little
11. a few
12. The few
13. little
14. a little
15. little.

Much, many, many a, more, fewer तथा less का प्रयोग नोट :

(1) Much तथा less मात्रावाचक विशेषण हैं।
(2) Many तथा fewer संख्यावाचक विशेषण हैं।
(3) Much का प्रयोग uncountable nouns के साथ किया जाता है।
Many का प्रयोग countable nouns के साथ किया जाता है।

(4) Much और many का प्रयोग निम्नलिखित प्रकार के वाक्यों में किया जाना चाहिए
(a) Negative वाक्यों में
(b) Interrogative वाक्यों में
(c) Affirmative वाक्यों में (किन्तु केवल तभी जब इन शब्दों का प्रयोग कर्ता अथवा कर्ता
की व्याख्या करने वाले शब्द के रूप में किया गया हो)। शेष सभी प्रकार के Affirmative वाक्यों में much तथा many की जगह निम्नलिखित phrases का प्रयोग किया जाना बेहतर समझा जाता हैa lot of, lots of, plenty of, a large number of, a large quantity of, a good (great) deal of, आदि।

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

(5) Many a–कई बार ‘Many’ के साथ ‘a’ का प्रयोग किया जाता है।
अर्थ की दृष्टि से ‘many’ तथा ‘many a’ में कोई अन्तर नहीं है। अन्तर केवल इतना है कि

  • Many के साथ बहुवचन संज्ञा और बहुवचन क्रिया का प्रयोग किया जाता है।
  • Many a के साथ एकवचन संज्ञा और एकवचन क्रिया का प्रयोग किया जाता है।
  • Many a man = many x one man = Many men.

1. Many a boy is absent today.
2. Many boys are absent today.

(6) More का प्रयोग uncountable singular nouns के साथ तथा countable plural nouns के साथ किया जाता है।
1. I need some more water today.
2. More boys were called in to help.

(7) Fewer को few की comparative degree के रूप में प्रयोग किया जाता है; किन्तु
Less को little की comparative degree के रूप में बहुत कम प्रयोग किया जाता है।
यह एक स्वतन्त्र comparative है। वास्तव में इसकी कोई positive degree नहीं होती है।

Examples

Much (मात्रावाचक)

1. There is not much food in the house.(Negative)
2. Did you have much difficulty in finding it ? (Interrogative)
3. Much of what you say is true. (Affirmative)
4. He never eats much breakfast. (Negative)
5. Does your cow give much milk? (Interrogative)
6. Much of it is useless. (Affirmative)

Many (संख्यावाचक)
1. I don’t have many friends. (Negative)
2. Were there many people at the meeting ? (Interrogative)

3. Many people left early. (Affirmative)
4. He does not know many things. (Negative)
5. Have you done many sums? (Interrogative)
6. Many of them think so. (Affirmative)

Fewer
1. No fewer than twenty workers were absent.
2. There were fewer men than women.
3. Few know and fewer care.
4. Today I bought fewer eggs.

Less
1. Less size means less weight.
2. He had less difficulty with his work.
3. Don’t think it has less importance.
4. I have less money than you.

Fill in the blanks with suitable determiners

(much, many, fewer, less, many a) :

1. ……………. people came to see the fair.
2. The students made ……………… noise in their vacant period.
3. She knows …………… languages.
4. There aren’t …………….. schools in this town.
5. Don’t spend ………………. time in games.
6. There isn’t ……………….. sugar in the cup.
7. You must take ……………… meals a day.
8. This work is lighter, so I can do with …… manpower.
9. I don’t need ……………….. money.
10. …….. butter and ………………… eggs will serve the purpose today.
11. Did he make ……………….. mistakes in his essay ?
12. You will have to pay …… money for this house.
13. Were there ……………… boys in the playground ?
14. I have seen her ……………… time.
15. I had to face ……….. trouble.
Answer:
1. Many
2. much
3. many
4. many
5. much
6. much
7. fewer
8. less
9. much
10. Less, fewer
11. many
12. much
13. many
14. many a
15. much.

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

Each, Every, Neither, Either तथा Both का प्रयोग

नोट : (1) Each का प्रयोग ‘दो’ अथवा ‘दो से अधिक’ वस्तुओं में से प्रत्येक के लिए किया जाता है।
1. He was sitting with a child on each side of him.
2. I helped him on each occasion.

(2) Every का प्रयोग केवल ‘दो से अधिक’ वस्तुओं में से प्रत्येक के लिए किया जा सकता है।
1. Not every horse can run fast.
2. Every child likes sweets and chocolates.

(3) Every के प्रयोग से पूरे समूह पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है किन्तु Each के प्रयोग से
समूह की अलग-अलग इकाइयों पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है।
1. Every boy (All the boys) in the class passed the examination.
2. Each boy in the class was given three tries.

(4) Either का प्रयोग दो अर्थों में किया जा सकता है –
(a) दो में से कोई एक
(b) दो में से प्रत्येक, अर्थात् दोनों।
किन्तु Either का प्रयोग केवल उन्हीं दो चीज़ों के लिए किया जा सकता है जो एकदूसरी की पूरक हों।
1. You can take either side.
2. The river overflowed on either side.

(5) Neither का प्रयोग either के negative के रूप में किया जाता है। होता है – न यह , न वह
1. You should take neither side.
2. Neither house suits me.

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

(6) Both का प्रयोग बहुवचन nouns के साथ किया जाता है। इसका प्रयोग एक determiner तथा एक pronoun के रूप में भी किया जा सकता है | एक pronoun के रूप इसका इस्तेमाल किए जाने पर इसके बाद of लगाया जाता है।

1. My both sisters live in Delhi.
2. There are shops on both sides of the street.
3. Both of his brothers have failed. (pronoun)

Fill in the blanks with suitable determiners

(each, every, either, neither or both)

1. …………….. book is useful to me.
2. He is blind in ………………. eyes.
3. ………… answer is correct.
4. He has ………… third day off.
5. …………… the brothers have passed.
6. ………………. answer is worth 20 points.
7. …………….. team liked the arrangements.
8. They visit us ………………. other week.
9. ……………. player was given some prize.
10. The offices on ……………… side were empty.
11. I could hear …………… word they said.
12. …………….. of us could understand German.
13. ……………. day seems the same to me.
14. She knows ………………. student in the school.
15. You can park on ……………. side of the street.
16. There were trees on ……………… side of the road.
17. …………… Reena nor Pooja could comfort me.
18. We enjoyed …………….. day of our summer vacation.
19. There is a door at ……………… end of the corridor.
20. There are ten girls in this class. ……………… girl has this book.
Answer:
1. Either
2. both
3. Neither
4. every
5. Both
6. Each
7. Neither
8. every
9. Each
10. either
11. every
12. Neither
13. Every
14. every
15. either
16. each
17. Neither
18. every
19. either
20. Each.

Wh- शब्दों के कुछ उदाहरण

इन शब्दों का प्रयोग एक विशेषण अथवा एक योजक के रूप में किया जा सकता है। जैसे

1. Whose books are these ?
2. You can have whichever book you want.
3. Which book do you want ?
4. What books did you buy ?
5. I have read whatever book I had.

The Use Of Articles

अंग्रेजी भाषा में a, an तथा the को Articles कहा जाता है। The को प्रायः Definite Article कहा जाता है। A तथा an को Indefinite Articles कहा जाता है। Articles के प्रयोग सम्बन्धी नियम

(1) An का प्रयोग किसी स्वर (Vowel : a, e, i, o, u) से पूर्व अथवा silent b से पूर्व किया जाता है; जैसे
An apple; an egg; an ink pot; an ox; an umbrella;
An honest man; an M.A.; etc.

(2) A का प्रयोग किसी व्यंजन (consonant) से पूर्व किया जाता है। ऐसे स्वर जिनका उच्चारण किसी व्यंजन की भांति किया जाए, उनसे पूर्व भी a का ही प्रयोग किया जाता है; जैसे
A kite; a cart; a monkey; a unit; a useful thing;
a one-eyed man; a European country; etc.

(3) साधारण रूप से नियम यह है कि यदि कोई Common Noun एकवचन में हो, तो उससे पूर्व किसी
न किसी Article का प्रयोग किया जाना चाहिए; जैसे

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

1. I saw dog in street.
(यह वाक्य अशुद्ध है।)

2. I saw a dog in the street.
(यह वाक्य शुद्ध है।)

3. I saw the dog in a street.
(यह वाक्य भी. अशुद्ध है।)

The का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है

1. किसी विशेष व्यक्ति अथवा पदार्थ का वर्णन करने के लिए।
(He is the man who beat me.)

2. नदियों के नामों के साथ।
(The Ganges ; the Yamuna.)

3. पर्वत-श्रृंखलाओं के नामों के साथ।
(The Himalayas ; the Vindhyas.)

4. समुद्रों के नामों के साथ।
(The Indian Ocean ; the Arabian Sea.)

5. प्रसिद्ध पुस्तकों के नामों के साथ।
(The Gita ; the Quran.)

6. प्रकृति की अद्वितीय रचनाओं के साथ।
(The sun ; the moon ; the earth.)

7. Superlative Degree के साथ।
(The best ; the noblest ; the youngest.)

8. किसी जाति अथवा वर्ग के नाम के साथ।
(The English ; the Indians ; the French.)

9. उस विशेषण से पूर्व जिसके साथ लगने वाली संज्ञा understood हो।
(The rich should help the poor.)

10. निम्नलिखित प्रकार के मुहावरों के साथ।
(The higher, the better. The deeper the well, the cooler the water.)

The का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में प्रायः नहीं किया जाता है

1. किसी नगर, शहर अथवा गाँव के नाम से पूर्व।
2. किसी देश के नाम से पूर्व।
3. किसी महाद्वीप के नाम से पूर्व।
4. किसी अकेले द्वीप के नाम से पूर्व।
5. किसी अन्तरीप (Cape) के नाम से पूर्व ।
(Cape Comorin, कुमारी अन्तरीप)
6. किसी झील के नाम से पूर्व।
7. किसी अकेली पहाड़ी के नाम से पूर्व।
8. किसी व्यक्तिवाचक (Proper) अथवा भाववाचक (Abstract) संज्ञा के साथ।

निम्नलिखित स्थितियों में किसी भी Article का प्रयोग नहीं किया जाता है

1. किसी नामलेख (title) के साथ।
(Queen Victoria ; King George.)

2. किसी सकर्मक (Transitive) क्रिया वाले मुहावरे में Verb के बाद लगे हुए Object के साथ।
(Send word ; shake hands ; catch fire.)

3. किसी मुहावरे में Preposition के बाद लगी हुई संज्ञा के साथ।
(By hand ; at sea ; by night.)

4. विशालतम अर्थ में प्रयोग की गई किसी संज्ञा के साथ।
(Man is mortal.)

5. द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun) के साथ।
(Iron is a very useful metal.)

PSEB 9th Class English Grammar Determiners

Fill in the blanks with suitable articles

(a, an, the)

1. I heard …………………… loud noise in …………………… next house.
2. Ink is ……. useful article.
3. His brother is …………………… university professor.
4. Yesterday I saw …………………… European riding on ………………….. elephant.
5. He gave me … ………………. one-rupee note.
6. Have you read …………………… Ramayana?
7. He was struck by …………………. arrow.
8. ………………. Ganga is …………………. sacred river.
9. He drives …………………… motor car at …… uniform speed.
10. He is ………………… taller of ……………… two boys.
11. …………………. Taj Mahal is …………………. most beautiful building.
12. ……………… Bible is ………………. sacred book of Christians.
13. ………………. ewe is standing in ……………….. field.
14. He was …………………… African by birth, not …………………… European.
15. It was ………… unique sight.
Answer:
1. a, the
2. a
3. a
4. a, an
5. a
6. the
7. an
8. The, a
9. the, a
10. the, the
11. The, the
12. The, a, the
13. A, the
14. an, a
15. a.

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.4

Punjab State Board PSEB 9th Class Maths Book Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.4 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Maths Chapter 2 Polynomials Ex 2.4

Question 1.
Determine which of the following polynomials has (x + 1) a factor:
(i) x3 + x2 + x + 1
Answer:
The zero of x + 1 is – 1.
Let, p(x) = x3 + x2 + x + 1.
Then,
p(- 1) = (- 1)4 + (- 1)3 + (- 1)2 + (- 1) + 1
= – 1 + 1 – 1 + 1
≠ 0
So, by the factor theorem, x + 1 is a
factor of x4 + x3 + x2 + x + 1.

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.4

(ii) x3+ x3 + x2 + x + 1
Answer:
The zero of x +1 is – 1.
Let, p(x) = x4 + x3 + x2 + x + 1.
Then,
p(- 1) = (- 1)4 + (- 1)3 + (- 1)2 + (- 1) + 1
= 1 – 1 + 1 – 1 + 1
= 1
≠ 0
So, by the factor theorem, x + 1 is not a factor of x4 + x3 + x2 + x + 1.

(iii) x4 + 3x3 + 3x2 + x + 1
Answer:
The zero of x + 1 Is – 1.
Let, p(x )= x4 + 3x3 + 3x2 + x + 1.
Then,
p (-1) = (- 1)4 + 3 (- 1)3 + 3 (- 1)2 + (- 1) + 1
= 1 – 3 + 3 – 1 + 1
= 1
≠ 0
So, by the factor theorem, x + 1 is not a factor of x4 + 3x3 + 3x2 + x + 1.

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.4

(iv) x3 – x2 – (2 + √2)x + √2
Answer:
The zero of x + 1 is – 1. .
Let, p(x) = x3 – x2 – (2 + √2)x + √2.
Then.
p(- 1) = (- 1)3 – (- 1)2 – (2 + √2) (- 1) + √2
= – 1 – 1 + 2 + √2 + √2
= 2√2
≠ 0
So, by the factor theorem, x + 1 is not a factor of x3 – x2 – (2 + √2)x + √2.

Question 2.
Use the factor theorem to determine whether g (x) is a factor of p (x) in each of the following cases:
(i) p (x) = 2x3 + x2 – 2x – 1, g (x) = x + 1
Answer:
g(x) = 0 gives x + 1 = 0, i.e., x = – 1.
Here, p(x) = 2x3 + x2 – 2x – 1
Then, p(- 1) = 2(- 1)3 + (- 1)2 – 2(- 1) – 1
= – 2 + 1 + 2 – 1
= 0
So, by the factor theorem, g (x) = x + 1 is a factor of p(x) = 2x3 + x2 – 2x – 1.

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.4

(ii) p(x) = x3 + 3x2 + 3x + 1, g(x) = x + 2
Answer:
g(x) = 0 gives x + 2 = 0, i.e., x = – 2.
Here, p(x) = x3 + 3x2 + 3x + 1
Then, p(- 2) = (- 2)3 + 3(2)2 + 3(- 2) + 1
= – 8 + 12 – 6 + 1
≠ 0
So, by the factor theorem, g (x) = x + 2 is not a factor of p(x) = x3 + 3x2 + 3x + 1.

(iii) p (x) = x3 – 4x2 + x + 6. g (x) = x – 3
Answer:
g(x) = 0 gives x – 3 = 0, i.e., x = 3.
Here, p (x) = x3 – 4x2 + x + 6
Then, p(3)= (3)3 – 4(3)2 + (3) + 6
= 27 – 36 + 3 + 6
= 0
So, by the factor theorem, g (x) = x – 3 is a factor of p (x) = x3 – 4x2 + x + 6.

Question 3.
Find the value of k, If x – 1 is a factor of p(x) in each of the following cases:
(i) p(x) = x2 + x + k
Answer:
Here x – 1 is a factor of p(x) = x2 + x + k.
∴ p(1) = 0
∴ (1)2 + (1) + k = 0
∴ 1 + 1 + k = 0
∴ 2 + k = 0
∴ k = – 2

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.4

(ii) p (x) = 2x2 + kx + √2
Answer:
Here, x – 1 is a factor of
p(x) = 2x2 + kx + √2.
∴ p(1) = 0
∴ 2(1)2 + k(1) + √2 = 0
∴ 2 + k + √2 = 0
∴ k = -(2 + √2)

(iii) p (x) = kx2 – √2x + 1
Answer:
Here, x – 1 is a factor of
p(x) = kx2 – √2x + 1.
∴ p (1) = 0
∴ k(1)2 – √2 (1) + 1 = 0
∴ k – √2 + 1 = 0
∴ k = √2 – 1

(iv) p (x) = kx2 – 3x + k
Answer:
Here, x – 1 is a factor of p (x) = kx2 – 3x + k.
∴ p(1) = 0
∴ k(1)2 – 3(1) + k = 0
∴ k – 3 + k = 0
∴ 2k = 3
∴ k = [1atex]\frac{3}{2}[/1atex]

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.4

Question 4.
Factorise:
(i) 12x2 – 7x + 1
Answer:
12x2 – 7x + 1 = 12x2 – 4x – 3x + 1
= 4x(3x – 1) – 1(3x – 1)
= (3x – 1)(4x – 1)

(ii) 2x2 + 7x + 3
Answer:
2x2 + 7x + 3 = 2x2 + 6x + x + 3
= 2x(x + 3) + 1(x + 3)
= (x + 3) (2x + 1)

(iii) 6x2 + 5x – 6
Answer:
6x2 + 5x – 6 = 6x2 + 9x – 4x – 6
= 3x(2x + 3) – 2(2x + 3)
= (2x + 3)(3x – 2)

(iv) 3x2 – x – 4
Answer:
3x2 – x – 4 = 3x2 + 3x – 4x – 4
= 3x(x + 1) – 4(x + 1)
= (x + 1) (3x – 4)

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.4

Question 5.
Factorise:
(i) x3 – 2x2 – x + 2
Answer:
Let, p(x) = x3 – 2x2 – x + 2
All the factors of 2 are ± 1 and ± 2.
By trial, we find that p (1) = 0.
∴ x – 1 is a factor of p (x).
x3 – 2x2 – x + 2
= x3 – x2 – x2 + x – 2x + 2
= x2(x – 1) – x(x – 1) – 2(x – 1)
= (x – 1) (x2 – x – 2)
= (x – 1) (x2 – 2x + x – 2)
= (x – 1) {x (x – 2)+ 1 (x – 2)}
= (x – 1) (x – 2) (x + 1)

(ii) x3 – 3x2 – 9x – 5
Answer:
Let, p(x) = x3 – 3x2 – 9x – 5
All the factors of – 5 are ± 1 and ±5.
By trial, we find that p (- 1) = 0.
∴ x + 1 is a factor of p (x).
x3 – 3x2 – 9x – 5
= x3 + x2 – 4x2 – 4x – 5x – 5
= x2(x + 1) – 4x(x + 1) – 5(x + 1)
= (x + 1) (x2 – 4x – 5)
= (x + 1) (x2 + x – 5x – 5)
= (x + 1) {x(x + 1) – 5(x + 1)}
= (x + 1)(x + 1)(x – 5)

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.4

(iii) x3 + 13x2 + 32x + 20
Answer:
Let, p (x) = x3 + 13x2 + 32x + 20
All the factors of 20 are ± 1, ± 2, ± 4, ± 5, ± 10 and ± 20.
By trial, we find that p (- 1) = 0.
∴ x + 1 is a factor of p (x).
x3+ 13x2 + 32x + 20
= x3 + x2 + 12x2 + 12x + 20x + 20
= x2(x + 1) + 12x(x + 1) + 20(x + 1)
= (x + 1) (x2 + 12x + 20)
= (x + 1) (x2 + 2x + 10x + 20)
= (x + 1) {x(x + 2) + 10(x + 2)}
= (x + 1) (x + 2) (x + 10)

PSEB 9th Class Maths Solutions Chapter 2 Polynomials Ex 2.4

(iv) 2y3 + y2 – 2y – 1
Answer:
Let, p (y) = 2y3 + y2 – 2y – 1
All the factors of – 1 are ± 1.
By trial, we find that p (- 1) = 0.
∴ y + 1 is a factor of p (y).
2y3 + y2 – 2y – 1
= 2y3 + 2y2 – y2 – y – y – 1
= 2y2(y + 1) – y(y + 1) – 1 (y + 1)
= (y + 1) (2y2 – y – 1)
= (y + 1) (2y2 – 2y + y – 1)
= (y + 1) {2y (y – 1) + 1(y – 1)}
= (y + 1) (y – 1)(2y + 1)