PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 27 संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 27 संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 27 संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं

SST Guide for Class 8 PSEB संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित खाली स्थान भरो :

1. लोकसभा के सदस्यों की कुल गिनती …………. है।
2. राज्य सभा के सदस्यों की कुल गिनती …………. है।
3. पंजाब से लोकसभा के लिए …………. सदस्य चुने जाते हैं।
4. भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए ………… आयु आवश्यक है।
5. संसदीय सरकार को …………. सरकार भी कहा जाता है।
6. केवल धन बिल ही ………… में पेश हो सकता है।
उत्तर-

  1. 545
  2. 250
  3. 13
  4. कम से कम 35 वर्ष
  5. उत्तरदायी
  6. लोकसभा।

II. निम्नलिखित वाक्यों में ठीक (✓) या ग़लत (✗) के निशान लगाओ :

1. राज्यसभा के 1/3 सदस्य हर दो साल बाद रिटायर होते हैं। – (✓)
2. संसदीय सरकार में कार्यपालिका और विधानपालिका में गहरा सम्बन्ध होता है। – (✗)
3. संसदीय सरकार में प्रधानमन्त्री नाममात्र का मुखिया होता है। – (✗)
4. संसद् द्वारा बनाये गए कानून सर्वोच्च होते हैं। – (✓)

III. विकल्प वाले प्रश्न :

प्रश्न 1.
राष्ट्रपति राज्य सभा में कितने सदस्य मनोनीत कर सकता है ?
(क) 08
(ख) 12
(ग) 02
(घ) 10.
उत्तर-
12

प्रश्न 2.
पंजाब राज्य में से राज्य सभा के लिए कितने सदस्य चुने जाते हैं ?
(क) 11
(ख)13
(ग) 07
(घ) 02.
उत्तर-
07

प्रश्न 3.
संसद् के दोनों सदनों के मतभेद कौन दूर करता है ?
(क) स्पीकर
(ख) प्रधानमन्त्री
(ग) राष्ट्रपति –
(घ) उप-राष्ट्रपति।
उत्तर-
राष्ट्रपति

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 27 संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं

IV. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 1-15 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
संसद् के शाब्दिक अर्थ लिखो।
उत्तर-
संसद् अंग्रेजी शब्द पार्लियामैंट (Parliament) का अनुवाद है। यह अंग्रेज़ी शब्द फ्रांसीसी भाषा के शब्द पार्लर (Parler) से लिया गया है जिसका अर्थ है बातचीत करना। इस प्रकार संसद् एक ऐसी संस्था है जहां बैठकर लोग राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय विषयों पर बातचीत करते हैं।

प्रश्न 2.
सरकार संसद् के प्रति क्यों जवाबदेह है ?
उत्तर-
सरकार अपने सभी कार्यों तथा नीतियों के लिए संसद् के प्रति उत्तरदायी होती है। सरकार तभी तक अपने पद पर रह सकती है जब तक उसे संसद् (विधानमण्डल) का बहुमत प्राप्त रहता है।

प्रश्न 3.
संसद् में कानून कैसे बनता है ?
उत्तर-
साधारण बिल को संसद् के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है। दोनों सदनों में पारित होने के पश्चात् बिल को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेज दिया जाता है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो जाने पर बिल कानून बन जाता है।

प्रश्न 4.
लोकसभा चुनाव के बाद सरकार कैसे बनती है ?
उत्तर-
लोकसभा के चुनाव के पश्चात् राष्ट्रपति के आमंत्रण पर बहुमत प्राप्त राजनीतिक दल सरकार बनाता है। यदि किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हो तो गठबन्धन सरकार अस्तित्व में आती है।

प्रश्न 5.
संसदीय सरकार के प्रमुख विशेषताएं लिखें।
उत्तर-

  • नाममात्र तथा वास्तविक कार्यपालिका में अन्तर
  • कार्यपालिका तथा विधान मण्डल में गहरा सम्बन्ध
  • उत्तरदायी सरकार
  • प्रधानमन्त्री की प्रधानता।
  • विरोधी दल को कानूनी मान्यता।
  • कार्यपालिका की अनिश्चित अवधि।

प्रश्न 6.
लटकती संसद् से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब संसद् में दो या दो से अधिक राजनीतिक दलों की आपस में मिलकर सरकार बनती है, तो उसे लटकती संसद् कहते हैं। इस प्रकार की सरकार अल्पमत सरकार कहलाती है।

V. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में लिखें :

प्रश्न 1.
भारतवर्ष में संसदीय शासन प्रणाली ही क्यों लागू की गई ?
उत्तर-
भारत में निम्नलिखित कारणों से संसदीय प्रणाली लागू की गई है-

  • लोगों को संसदीय प्रणाली का ज्ञान-भारतीय लोग संसदीय प्रणाली से परिचित हैं। इसे सर्वोत्तम सरकार माना गया है। देश में 1861, 1892, 1919 तथा 1935 के कानूनों द्वारा संसदीय सरकार ही स्थापित की गई थी।
  • संविधान सभा के सदस्यों द्वारा समर्थन-भारतीय संविधान निर्माताओं ने भी संसदीय शासन का समर्थन किया था। संविधान सभा की मसौदा कमेटी के प्रधान डॉ० बी० आर० अम्बेदकर ने कहा था कि इस प्रणाली में उत्तरदायित्व तथा स्थिरता दोनों गुण पाये जाते हैं। इसलिए संसदीय सरकार ही सबसे अच्छी सरकार है।
  • उत्तरदायित्व पर आधारित-भारत शताब्दियों तक परतन्त्र रहा है। इसलिए देश को ऐसी सरकार की आवश्यकता थी जो उत्तरदायित्व की भावना पर आधारित हो। इसी कारण संसदीय प्रणाली लागू की गई।
  • परिवर्तनशील सरकार-भारत ने लम्बे समय के पश्चात् स्वतन्त्रता प्राप्त की थी। इसलिए लोग ऐसी सरकार चाहते थे जो निरंकुश न बन सके। अतः संसदीय सरकार को चुना गया जिसे किसी भी समय बदला जा सकता है।
  • लोकतन्त्र की स्थापना-लोकतन्त्र की सही अर्थों में स्थापना वास्तव में संसदीय सरकार ही करती है। इसमें संसद् सर्वोच्च होती है। वह प्रश्न पूछ कर, आलोचना करके तथा कई अन्य तरीकों से सरकार (कार्यपालिका) पर नियन्त्रण बनाये रखती है।

प्रश्न 2.
संसदीय शासन प्रणाली में राष्ट्रपति तथा प्रधानमन्त्री की भूमिका का वर्णन करो।
उत्तर-
संसदीय प्रणाली में दो प्रकार की कार्यपालिका होती है-नाममात्र की कार्यपालिका तथा वास्तविक कार्यपालिका। राष्ट्रपति देश का संवैधानिक मुखिया है। उसे विधानिक, कार्यपालिका तथा न्यायिक शक्तियां प्राप्त हैं। परन्तु नाममात्र की कार्यपालिका होने के कारण राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रयोग अपनी इच्छा से नहीं कर सकता। इन सभी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री तथा उसका मन्त्रिमण्डल करता है, क्योंकि वह वास्तविक कार्यपालिका है। प्रधानमन्त्री तथा उसके मन्त्रिमण्डल की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। वैसे तो वह लोकसभा में बहुमत दल के नेता को ही प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है, परन्तु आज गठबन्धन सरकारें बनने के कारण इस काम में उसे काफ़ी सूझ-बूझ से काम लेना पड़ता है।

प्रश्न 3.
संसद् की स्थिति में गिरावट के लिए जिम्मेवार कारणों को लिखो।
उत्तर-
संसद् भारत में कानून बनाने वाली सर्वोच्च संस्था है। एक लम्बे समय तक यह एक मजबूत संस्था रही है पर दुःख की बात है कि आज इसकी स्थिति में लगातार गिरावट आ रही है। इसके निम्नलिखित मुख्य कारण हैं-

  • मिली-जुली सरकारें अथवा लटकती संसद् ।
  • सदन में सदस्यों की गैर हाजिरी।
  • सदन की बैठकों की कमी।
  • कमेटी प्रणाली का पतन।
  • स्पीकर की निष्पक्षता पर शक।
  • कानून को लागू करने के तरीकों में परिवर्तन।
  • संसद् की कार्यवाही में सदस्यों द्वारा बार-बार रुकावट।

प्रश्न 4.
संसद् की स्थिति को मज़बूत करने के लिए ज़रूरी सुझाव दो।
उत्तर-
संसद् की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं-

  • क्षेत्रीय दलों की बढ़ती हुई संख्या पर रोक लगाई जाए।
  • संसद् की कार्यवाही को सुनिश्चित बनाने के लिए कानून बनाए जाएं।
  • प्रधानमन्त्री की कमज़ोर होती स्थिति की मजबूती के लिए कदम उठाए जाएं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 27 संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं

प्रश्न 5.
भारतीय संसद् की बनावट लिखें।
उत्तर-
गठन-संसद् के दो सदन हैं-लोकसभा तथा राज्यसभा।

  • लोकसभा-लोकसभा लोगों का सदन है। इसे निम्न सदन भी कहा जाता है। इस समय लोकसभा के सदस्यों की संख्या 545 है। इनमें से 543 सदस्य वयस्क नागरिकों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। शेष दो सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करता है। लोकसभा में अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए स्थान आरक्षित हैं।
  • राज्यसभा-राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभाओं तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के विधानमण्डलों के चुने हुए सदस्यों द्वारा किया जाता है। इसके कुल 250 सदस्यों में से 238 सदस्य राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा चुने जाते हैं। शेष 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करता है। राज्यसभा एक स्थायी सदन है। परन्तु हर 2 साल के बाद इसके एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं। उनके स्थान पर नये सदस्यों का चुनाव कर लिया जाता है।

PSEB 8th Class Social Science Guide संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

सही जोड़े बनाइए :

1. लोक सभा – विधानपालिका
2. राज्य सभा – भारत की कानून बनाने वाली सबसे बड़ी संस्था
3. संसद – लोगों का सदन
4. सरकार का एक मुख्य अंग स्थायी सदन।
उत्तर-

  1. लोगों का सदन,
  2. स्थायी सदन
  3. भारत की कानून बनाने वाली सबसे बड़ी संस्था,
  4. विधानपालिका।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत की लोकतन्त्रीय शासन प्रणाली किस प्रकार की है ?
अथवा
अप्रत्यक्ष लोकतन्त्रीय शासन प्रणाली की क्या विशेषता है ?
उत्तर-
भारत में अप्रत्यक्ष लोकतन्त्रीय शासन प्रणाली लागू की गई है। इस प्रकार की शासन प्रणाली में लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि प्रशासन चलाते हैं। वे अपने कार्यों के लिए जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं।

प्रश्न 2.
पंजाब से लोकसभा के लिए कितने सदस्य चने जाते हैं ?
उत्तर-
पंजाब से लोकसभा के लिए 13 सदस्य चुने जाते हैं।

प्रश्न 3.
आप कैसे कह सकते हैं कि राज्य सभा एक स्थायी सदन है ?
उत्तर-
राज्य सभा कभी भी पूरी तरह भंग नहीं होती। हर 2 साल के बाद इसके एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं। उनके स्थान पर नये सदस्यों का चुनाव कर लिया जाता है। इस प्रकार यह सदन सदा कार्यशील रहता है।

प्रश्न 4.
सरकार के कौन-कौन से तीन रूप (अंग) होते हैं ?
उत्तर-

  1. विधानमण्डल
  2. कार्यपालिका तथा
  3. न्यायपालिका।

प्रश्न 5.
राष्ट्रपति संसद् के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक (समागम) कब बुलाता है ?
उत्तर-
कभी-कभी किसी बिल पर दोनों सदनों में मतभेद पैदा हो जाता है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाता है, ताकि उत्पन्न मतभेदों को दूर किया जा सके।

प्रश्न 6.
कोई छः तरीके बताओ जिनके द्वारा सेंसद सरकार पर अपना नियन्त्रण बनाये रखती है।
उत्तर-

  1. मन्त्रियों से प्रश्न पूछना
  2. स्थगन प्रस्ताव
  3. निन्दा प्रस्ताव
  4. विश्वास प्रस्ताव
  5. अविश्वास प्रस्ताव
  6. ध्यानाकर्षण प्रस्ताव।

प्रश्न 7.
संसद् को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता क्यों है ?
उत्तर-
संसद् को सुदृढ़ बनाने की इसलिए आवश्यकता है, ताकि अच्छे कानून बनाये जा सकें। देश के प्रधानमन्त्री की स्थिति को मज़बूत बनाने के लिए भी सुदृढ़ संसद् की आवश्यकता है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
संविधान के अनुसार प्रधानमन्त्री की क्या स्थिति है ? वर्तमान समय में उसकी स्थिति क्यों डगमगा गई है ?
उत्तर-
संविधान के अनुसार देश में प्रधानमन्त्री की स्थिति सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। वह मन्त्रिमण्डल, मन्त्रिपरिषद् तथा लोकसभा का नेता होता है। देश की सभी नीतियां तथा कानून उसी के परामर्श के अनुसार बनते हैं। अपने मन्त्रिमण्डल के लिए मन्त्रियों का चुनाव वही करता है। कोई भी मन्त्री उसकी इच्छा के बिना अपने पद पर नहीं रह सकता।

परन्तु वर्तमान समय में लोकसभा चुनावों में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाता। इससे त्रिशंकु संसद् अस्तित्व में आती है। इसी कारण वर्तमान समय में प्रधानमन्त्री की स्थिति डगमगा गई है।

प्रश्न 2.
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद तथा पं० जवाहर लाल नेहरू कौन थे ? मज़बूत केन्द्र के बारे में उनके क्या विचार थे ?
उत्तर-
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद स्वतन्त्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति तथा पं० जवाहर लाल नेहरू प्रथम प्रधानमन्त्री थे। ये. दोनों ही बड़े प्रभावशाली नेता थे। डॉ० राजेन्द्र प्रसाद के विचार-डॉ० राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रपति पद के लिए अधिक शक्तियां देने के पक्ष में थे। वह केन्द्र को मज़बूत बनाना चाहते थे, क्योंकि भारत को कई शताब्दियों के पश्चात् स्वतन्त्रता मिली थी।

पं० जवाहर लाल नेहरू के विचार-पं० नेहरू भी केन्द्र को सुदृढ़ बनाने के समर्थक थे। वह चाहते थे कि प्रधानमन्त्री तथा उसके मन्त्रिमण्डल को अधिक शक्तियां दी जाएं।

प्रश्न 3.
“किसी समय भारतीय संसद् एक बहुत ही सुदृढ़ संस्था थी। परन्तु अब इसका पतन हो रहा है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
संसद् भारत में कानून बनाने वाली सबसे बड़ी संस्था है। पं० जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री तथा श्रीमती इन्दिरा गांधी के समय यह एक बहुत ही सुदृढ़ संस्था रही है, परन्तु अब दिन-प्रतिदिन इसका पतन हो रहा है। एक ही दिन में दस-दस कानून पारित हो जाते हैं। उन पर ठीक से बहस भी नहीं हो पाती। कानून को वास्तविक रूप प्रदान करने का ढंग भी बदल गया है। संसद् के पतन के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हैं

  • त्रिशंकु संसद् का बनना।
  • जिद्द की राजनीति।
  • सदन में सदस्यों की अनुपस्थिति।
  • सदन की बैठकों की संख्या में कमी।
  • कमेटी प्रणाली का कमज़ोर होना।
  • स्पीकर की निष्पक्षता के सम्बन्ध में सन्देह।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 27 संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं

प्रश्न 4.
संविधान के अनुसार प्रधानमन्त्री की क्या स्थिति है ? वर्तमान समय में उसकी स्थिति क्यों डगमगा गई है ?
उत्तर-
संविधान के अनुसार देश में प्रधानमन्त्री की स्थिति सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। वह मन्त्रिमण्डल, मन्त्रिपरिषद् तथा लोकसभा का नेता होता है। देश की सभी नीतियां तथा कानून उसी के परामर्श के अनुसार बनते हैं। अपने मन्त्रिमण्डल के लिए मन्त्रियों का चुनाव वही करता है। कोई भी मन्त्री उसकी इच्छा के बिना अपने पद पर नहीं रह सकता।
परन्तु वर्तमान समय में लोकसभा चुनावों में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाता। इससे त्रिशंकु संसद् अस्तित्व में आती है। इसी कारण वर्तमान समय में प्रधानमन्त्री की स्थिति डगमगा गई है।

प्रश्न 5.
विधानपालिका तथा कार्यपालिका के अर्थ तथा संगठन के बारे में लिखो।
उत्तर-
अर्थ-विधानपालिका तथा कार्यपालिका संसदीय सरकार के दो भाग हैं। विधानपालिका सरकार का वह अंग है जो कानून बनाता है। कार्यपालिका का कार्य विधानपालिका द्वारा बनाये गए कानूनों को लागू करना है। __ संगठन-विधानपालिका के दो सदन हैं-लोकसभा तथा राज्यसभा। लोकसभा को निम्न सदन कहा जाता है। यह एक अस्थायी सदन है। इसके विपरीत राज्यसभा एक स्थाई सदन है। इसे उच्च सदन कहा जाता है। लोकसभा के सदस्यों की संख्या 545 तथा राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 250 निश्चित की गई है।

कार्यपालिका में राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री तथा उसका मन्त्रिमण्डल शामिल है। राष्ट्रपति नाममात्र की तथा प्रधानमन्त्री और उसका मन्त्रिमण्डल वास्तविक कार्यपालिका है।

राष्ट्रपति की सभी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री तथा उसका मन्त्रिमण्डल करता है। इनकी नियुक्ति विधानपालिका में से की जाती है। राष्ट्रपति का अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव किया जाता है।

प्रश्न 6.
संसदीय प्रणाली में संसद् की स्थिति कैसी होती है ?
उत्तर-
संसदीय प्रणाली में संसद् सर्वोच्च होती है। कार्यपालिका (सरकार) अपने कार्यों के लिए संसद् के प्रति उत्तरदायी होती है। संसद् कई तरीकों से सरकार पर अपना नियन्त्रण रखती है, जैसे- मन्त्रियों से प्रश्न पूछना, बहस, जीरो आवर (Zero Hour), स्थगन प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव, निन्दा प्रस्ताव, ध्यान आकर्षण प्रस्ताव आदि।

प्रश्न 7.
भारत में संसदीय सरकार के अपनाने के कारण लिखें।
उत्तर-

  • संसदीय सरकार को सर्वोत्तम माना गया है।
  • संसदीय प्रणाली में उत्तरदायित्व और स्थिरता दोनों गुण पाये जाते ।
  • संसदीय सरकार कभी भी बदली जा सकती है। इसलिए यह निरंकुश नहीं बन पाती।
  • लोकतन्त्र को सही अर्थों में संसदीय सरकार ही स्थापित करती है।

संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं PSEB 8th Class Social Science Notes

  • भारत में संसदीय सरकार – भारत में संसदीय सरकार की व्यवस्था है। केन्द्रीय सरकार के तीन प्रमुख अंग हैं –
    कार्यपालिका, विधानपालिका तथा न्यायपालिका। राष्ट्रपति कार्यपालिका का मुखिया होता है। परन्तु वह नाममात्र का मुखिया है।
  • संसद् के सदन – संसद् के दो सदन हैं- लोकसभा और राज्यसभा। संसद् देश के लिए कानून बनाती है।
  • संसद् की सर्वोच्चता – संसद् की सर्वोच्चता से अभिप्राय यह है कि संसद् देश की सर्वोच्च संस्था है। इसमें जनता द्वारा निर्वाचित सदस्य होते हैं। अतः इसके द्वारा बनाए गए कानून वास्तव में | जनता स्वयं बनाती है। संसद् द्वारा पारित कानून पर राष्ट्रपति को हस्ताक्षर करने ही पड़ते हैं।
  • राष्ट्रपति और प्रधान मन्त्री के सम्बन्ध – भारत में प्रधानमन्त्री की स्थिति राष्ट्रपति से अधिक महत्त्वपूर्ण है। राष्ट्रपति कार्यकारी मुखिया है परन्तु उसकी सभी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री और उसका मन्त्रिपरिषद् करता है। राष्ट्रपति के लिए प्रधानमन्त्री की सलाह मानना अनिवार्य है। प्रधानमन्त्री समयसमय पर राष्ट्रपति को मन्त्रिपरिषद् में हुई बैठकों की सूचना देता है। इस प्रकार वह राष्ट्रपति तथा मन्त्रिपरिषद् के बीच कड़ी का काम करता है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

Punjab State Board PSEB 8th Class Home Science Book Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Home Science Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

PSEB 8th Class Home Science Guide गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कपड़ों को धोने से पहले उनकी मुरम्मत करना क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
वरन् उसके और अधिक फटने या उधड़ने का भय रहता है।

प्रश्न 2.
धुलाई के उपरांत ऊन कई बार जुड़ जाती है क्यों ?
उत्तर-
ऊनी वस्त्र को धोते समय जब उसे पानी या साबुन के घोल में हिलाया-डुलाया जाता है तो ऊन के तन्तुओं को रेशे आपस में एक-दूसरे के ऊपर चढ़ जाते हैं जिसके फलस्वरूप ऊन जुड़ जाती है।

प्रश्न 3.
धुलाई के लिए गर्म पानी का प्रयोग किन कपड़ों के लिए किया जाता
उत्तर-
सूती कपड़ों के लिए।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

प्रश्न 4.
सम्भालने से पहले कपड़ों की माया/मांड उतारनी क्यों ज़रूरी है ?
उत्तर-
कई कीड़े कपड़ों से माया खाने के लिए कपड़ों में छेद कर देते हैं।

लघूत्तर प्रश्न

प्रश्न 1.
कपड़ों को सम्भालकर रखना क्यों जरूरी है ?
उत्तर-
कपड़ों को सम्भालकर रखना बहुत ज़रूरी है ताकि उनको टिड्डियों आदि से बचाया जा सके। गर्मियों के मौसम में गर्म कपड़ों को अच्छी तरह सम्भाल कर रखना चाहिए ताकि गर्म कपड़ों वाला कीड़ा न खाए।

प्रश्न 2.
आप रेशमी कपड़ों को कैसे सम्भालोगे ?
उत्तर-
रेशमी कपड़ों को सम्भालना

  1. रोज़ पहनने वाले कपड़ों को हैंगर में लटकाकर अलमारी में रखना चाहिए।
  2. सूरज की तेज़ रोशनी से रंग फीके पड़ जाते हैं, इसलिए इन्हें तेज़ रोशनी में नहीं रखना चाहिए।
  3. कपड़ों को मैली स्थिति में कई दिनों तक नहीं रखना चाहिए। हमेशा कपड़ों को साफ़ करके सम्भालना चाहिए।
  4. गर्मियों में जब रेशमी कपड़े न पहनने हों तो उन्हें किसी पुरानी चादर, सूती धोती, तौलियों या गुड्डी कागज़ में लपेट कर रखना चाहिए।
  5.  सम्भालकर रखे जाने वाले कपड़ों में माया (माँड़) लगाकर नहीं रखना चाहिए।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

प्रश्न 3.
ऊनी कपड़ों को लटकाना क्यों नहीं चाहिए ?
अथवा
ऊनी कपड़ों को लटका कर क्यों नहीं सुखाना चाहिए ?
उत्तर-
ऊन बहुत पानी चूसती है और भारी हो जाती है, इसलिए अगर कपड़े को लटकाकर सुखाया जाए तो वह नीचे लटक जाता है और आकार खराब हो जाता है।

प्रश्न 4.
ऊनी कपड़ों को ज्यादा समय के लिए भिगोना क्यों नहीं चाहिए ?
उत्तर-
ऊन का तन्तु बहुत नर्म और मुलायम होता है। इसके ऊपर छोटी-छोटी तहें होती हैं जो कि पानी, गर्मी और क्षार से नर्म हो जाती हैं और एक दूसरे से उलझ जाती हैं इसलिए ज्यादा देर तक नहीं भिगोना चाहिए।

प्रश्न 5.
गर्म कपड़ों को धोते समय गर्म और ठण्डे पानी में क्यों नहीं डालना चाहिए ?
उत्तर-
क्योंकि इसके तन्तु आपस में जुड़ जाते हैं।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
गर्म कपड़े धोने के समय कौन-कौन सी सावधानियां अपेक्षित हैं ?
उत्तर-
गर्म कपड़े धोने के समय निम्न सावधानियां अपेक्षित हैं-

  1. ऊनी वस्त्रों को धोते समय रगड़ना तथा कूटना नहीं चाहिए। .
  2. ऊनी वस्त्रों को धोने से पूर्व अधिक देर तक भिगोकर नहीं रखना चाहिए।
  3. ऊनी कपड़ों को कभी उबालना नहीं चाहिए।
  4. ऊनी वस्त्र धोने के लिए पानी बिल्कुल गुनगुना होना चाहिए। पानी का ताप सदैव एक-सा होना चाहिए।
  5. ऊनी वस्त्र धोने के लिए मृदु जल का ही प्रयोग करना चाहिए। अधिक क्षारयुक्त पानी से ऊन सख्त हो जाती है व सूखने पर पीली पड़ जाती है।
  6. ऊनी वस्त्र धोने के लिए साबुन क्षारत होना चाहिए। तीव्र क्षार का ऊन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है।
  7. रंगीन ऊन के कपड़ों के लिए रीठों के घोल या डिटरजेन्ट्स का प्रयोग करना चाहिए।
  8. सफेद ऊनी कपड़ों को धोने के लिए घरेलू ब्लीचिंग घोलों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यदि किसी ब्लीचिंग की आवश्यकता अनुभा की जाए तो हल्के हाइड्रोजन पर ऑक्साइड का प्रयोग करना चाहिए।
  9. वस्त्र को तब तक पानी में खंगालना चाहिए जब तक कि उसका साबुन या झाग पूर्ण रूप से निकल न जाए।
  10. वस्त्र को पानी में आखिरी बार खंगालने से पहले पानी में थोड़ा सा नील डाल देना चाहिए।
  11. ऊनी कपड़े को निचोड़ने के लिए उसे मोटे रोंएदार तौलिये में रखकर दोनों हाथों से चारों तरफ़ से दबाना चाहिए।
  12. काफी मात्रा में अपने अन्दर पानी सोख लेने के कारण गीले ऊनी कपड़े भारी हो जाते हैं। उन्हें धोने के बाद तार पर टाँग कर नहीं सुखाना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से कपड़ा लम्बा तथा बेडौल हो जाता है।
  13. ऊनी कपड़े को उल्टा करके सेज या चारपाई पर छायादार स्थान पर सुखाना चाहिए।
  14. सुखाने पर कपड़े को उल्टा करके गीला कपड़ा रखकर इस्तरी करनी चाहिए।
  15. ऊनी कपड़ों को अधिक मैला होने से पहले ही धो लेना चाहिए।

प्रश्न 2.
गर्म कपड़े धोने से पहले क्या तैयारी करोगे ?
उत्तर-
1. गर्म कपड़ा कहीं फटा या उधड़ा हुआ हो तो ठीक कर लेना चाहिए ताकि धोने के समय छेद बड़ा न हो जाए।
2. गर्म कपड़े की बुनाई बड़ी खुली होती है जिससे उसमें मिट्टी फँस जाती है। इसलिए धोने से पहले कपड़ों को अच्छी तरह झाड़ना चाहिए।
3. धुलाई क्रिया को सफल बनाने के लिए गर्म वस्त्रों पर शोधक पदार्थों की क्या प्रतिक्रिया होती है, इसके विषय में जानकारी होनी चाहिए।
4. गर्म वस्त्र में प्रयोग किए रेशों के अनुरूप, अनुकूल शोधक पदार्थों को ही चुनना और प्रयोग करना चाहिए।
5. गर्म वस्त्रों पर दाग-धब्बे छुड़ाने वाले विभिन्न रसायनों तथा प्रतिकर्मकों आदि की क्या प्रतिक्रिया होती है, इसकी जानकारी रखनी चाहिए।
6. गर्म वस्त्रों की सफलतापूर्वक धुलाई के लिए उन्हें किस विधि से धोया जाए इसकी जानकारी आवश्यक है। वस्त्र की रचना के अनुसार ही विधि का प्रयोग करना चाहिए।
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल 1
चित्र 7.1 गर्म कपड़ा धोने की तैयारी
7. सभी प्रकाकर के वस्त्रों को एक साथ मिलाकर नहीं धोना चाहिए। वस्त्रों को किस्म, रचना, रंग आदि के अनुसार छाँटकर अलग-अलग धोना चाहिए।
8. कम गन्दे वस्त्रों को अधिक गन्दे वस्त्रों के साथ नहीं धोना चाहिए।
9. वस्त्रों को धोने से पूर्व उनका निरीक्षण कर लेना चाहिए। यदि कहीं से सिलाई खुल गई हो या छेद आदि हो गया हो तो पहले उनकी मुरम्मत करनी चाहिए।
10. वस्त्र पर यदि कोई दाग या धब्बा लग गया है तो पहले उसे दूर करना चाहिए।
11. धोने से पूर्व वस्त्रों की जेबें देख लेनी चाहिएँ और यदि उनमें कुछ भी है तो उसे निकाल देना चाहिए।
12. धुलाई से पूर्व धुलाई में आवश्यक सहायक उपकरणों का पूर्व प्रबन्ध कर लेना चाहिए। इसमें समय की बचत होती है।
13. धुलाई में प्रयोग आने वाली रासायनिक प्रतिकर्मकों को बच्चों से दूर रखना चाहिए। __ (14) धुले वस्त्रों को सुखाने की उचित विधि का प्रयोग तथा उचित प्रबन्ध करना चाहिए।
14. धुलाई के लिए मृदु जल का प्रयोग करना चाहिए। (16) धोकर सुखाए वस्त्रों को तुरन्त प्रेस (इस्तरी) कर देना चाहिए।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

प्रश्न 3.
एक गर्म स्वेटर को कैसे धोओगे और प्रैस करोगे?
अथवा
आप घर में ऊनी वस्त्र कैसे धोएँगे तथा प्रैस करेंगे ?
उत्तर-
गर्म स्वेटर पर प्रायः बटन लगे रहते हैं। यदि कुछ ऐसे फैन्सी बटन हों जिनको धोने से खराब होने की सम्भावना हो तो उतार लेते हैं। यदि स्वेटर कहीं से फटा हो तो सी लेते हैं। अब स्वेटर का खाका तैयार करते हैं। इसके उपरान्त गुनगुने पानी में आवश्यकतानुसार लक्स का चूरा अथवा रीठे का घोल मिलाकर हल्की दबाव विधि से धो लेते हैं। तत्पश्चात् गुनगुने साफ़ पानी में तब तक धोते हैं जब तक सारा साबुन न निकल जाए। ऊनी वस्त्रों के लिए पानी का तापमान एक-सा रखते हैं तथा ऊनी वस्त्रों को पानी में बहुत देर तक नहीं भिमोमा चाहिए वरना इनके सिकुड़ने का भय रहता है। इसके बाद एक रोएंदार (टर्किश) तौलिए में रखकर उसको हल्के हाथों से दबाकर पानी निकाल लेते हैं। फिर खाके पर रखकर किसी समतल स्थान पर छाया में सुखा लेते हैं।
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल 2
चित्र 7.2 गर्म वस्त्र का खाका बनाना
प्रैस करना-सूखने के बाद वस्त्र को उल्टा करके उसके ऊपर गीला कपड़ा रखकर इस्तरी करनी चाहिए।

प्रश्न 4.
सूती और ऊनी कपड़ों को सम्भालते समय कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना आवश्यक है ?
उत्तर-
सूती कपड़ों की सम्भाल करते समय ध्यान रखने योग्य बातें निम्नलिखित हैं-

  1. कपड़ों को हमेशा धोकर और अच्छी तरह सुखाकर रखना चाहिए।
  2. कपड़ों पर माया (कलफ) लगाकर अधिक दिन के लिए नहीं रखना चाहिए।
  3. प्रेस करने के बाद कपड़े की नमी को पूरी तरह समाप्त करके ही कपड़ों को सम्भालना चाहिए।
  4. नमीयुक्त कपड़ों में फफूंदी लग जाती है जिससे कपड़े कमजोर हो जाते हैं तथा उन पर दाग लग जाते हैं। अत: बरसात में कपड़ों को अलमारी या सन्दूक में अच्छी तरह बन्द करके रखना चाहिए। धूप निकलने पर उन्हें धूप लगवाते रहना चाहिए।
  5. कपड़ों को नमी वाले स्थान में भूलकर भी नहीं रखना चाहिए।

ऊनी कपड़ों की संभाल-

  1. ऊनी कपड़ों की सम्भाल करने से पूर्व उन्हें ब्रुश से अच्छी तरह झाड़ लेना चाहिए।
  2. जो कपड़े गन्दे हों उन्हें धोकर या सूखी धुलाई (ड्राइक्लीनिंग) कराकर रखना चाहिए।
  3. ऊनी कपड़ों को बक्से, अलमारी आदि में धूप व हवा लगवाते रहना चाहिए।
  4. कपड़ों को नमी की हालत में या नमी के स्थान पर नहीं रखना चाहिए।
  5. जब बक्से में कपड़े बन्द किए जाएँ तो उनमें नैफ्थलीन की गोलियाँ, कपूर या नीम के सूखे पत्ते रखकर अच्छी प्रकार बन्द करना चाहिए।
  6. प्रत्येक कपड़े को अखबार के कागज़ में लपेटकर रखा जा सकता है, छपाई की स्याही के कारण कपड़ों को कीड़ा नहीं लगता।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

Home Science Guide for Class 8 PSEB गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
ऊन के तंतु के गुण हैं
(क) कोमल
(ग) प्राणीजन
(ख) मुलायम
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

प्रश्न 2.
ऊन के रेशों के दुश्मन हैं
(क) नमी
(ग) क्षार
(ख) ताप
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

प्रश्न 3.
रेशमी कपड़ों को किस कागज़ में लपेट कर रखा जाता है ?
(क) गुड्डी कागज़
(ख) पुस्तकों के कागज़
(ग) दोनों ठीक
(घ) दोनों ग़लत।
उत्तर-
(क) गुड्डी कागज़

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

प्रश्न 4.
ठीक तथ्य है
(क) रेशम के कपड़े कमज़ोर तथा मुलायम होते हैं।
(ख) रेयॉन के कपड़े को धूप में नहीं सुखाना चाहिए।
(ग) सूती कपड़ों के लिए गर्म पानी का प्रयोग किया जा सकता है।
(घ) सभी ठीक।
उत्तर-
(घ) सभी ठीक।

II. ठीक/गलत बताएं

  1. ऊनी कपड़ों को लटका कर नहीं सुखाना चाहिए।
  2. रेशम के संभाल कर रखे जाने वाले कपड़ों को माया लगा कर नहीं रखना चाहिए।
  3. रेयॉन के कपड़ों के लिए ड्राइक्लीन धुलाई अच्छी रहती है।
  4. ऊनी कपड़ों को अच्छी प्रकार प्रेस करना चाहिए।
  5. रेशमी कपड़ों को धूप में सुखाना चाहिए।
  6. ऊनी वस्त्र अधिक गर्म पानी, क्षार, रगड़ने तथा मरोड़ने से खराब हो जाते हैं।

उत्तर-

III. रिक्त स्थान भरें

  1. ऊनी कपड़े को ……………… में नहीं सुखाना चाहिए।
  2. ऊनी कपड़ों को बन्द करके रखते समय ……………….. की गोलियां डाल दें।
  3. ऊनी कपड़ा भिगोने से ………………. हो जाता है।
  4. नमीयुक्त कपड़ों को संभालने से ……………….. लग जाती है।

उत्तर-

  1. धूप,
  2. नैथलीन,
  3. कमज़ोर,
  4. फफूंदी।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

IV. एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
ऊनी वस्त्र को धोने के लिए कैसा जल चाहिए ?
उत्तर-
मृदु जल।

प्रश्न 2.
ऊनी वस्त्र को संभालने के लिए नीम के पत्ते तथा अन्य कौन-से पत्ते भी रखे जाते हैं ?
उत्तर-
युक्लिप्टस।

प्रश्न 3. रेशमी कपड़ों को कैसे कागज़ में लपेट कर रखा जाता है ?
उत्तर-
गुड्डी कागज़।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सूती कपड़े धोने के लिए कुछ देर तक साबुन के पानी में भिगो कर रखने से क्या लाभ होता है ?
उत्तर-
वस्त्रों पर लगा हुआ घुलनशील मैल पानी में घुल जाता है तथा अन्य गन्दगी, धब्बे आदि छूट जाते हैं।

प्रश्न 2.
रेयॉन के वस्त्रों की धुलाई कठिन क्यों होती है ?
उत्तर-
क्योंकि रेयॉन के वस्त्र पानी के सम्पर्क से निर्बल पड़ जाते हैं।

प्रश्न 3.
रेयॉन के वस्त्रों के लिए किस प्रकार की धुलाई अच्छी रहती है ?
उत्तर-
शुष्क धुलाई (ड्राइक्लीनिंग)

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

प्रश्न 4.
रेयॉन के वस्त्रों पर अम्ल तथा क्षार का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
शक्तिशाली अम्ल तथा क्षार दोनों से ही रेयॉन के वस्त्रों को हानि होती है।

प्रश्न 5.
रेयॉन के वस्त्रों को धोते समय क्या बातें वर्जित हैं ?
उत्तर-
वस्त्रों को पानी में फुलाना, ताप, शक्तिशाली रसायनों तथा एल्कोहल का प्रयोग करना वर्जित है।

प्रश्न 6.
रेयॉन के वस्त्रों की धुलाई के लिए कौन-सी विधि उपयुक्त होती है ?
उत्तर-
गूंधने और नपीड़न की विधि।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

प्रश्न 7.
रेयॉन के वस्त्रों पर इस्तरी किस प्रकार करनी चाहिए ?
उत्तर-
कम गर्म इस्तरी वस्त्र के उल्टी तरफ से करनी चाहिए। इस्तरी करते समय वस्त्र में हल्की सी नमी होनी चाहिए।

प्रश्न 8.
ऊन का तन्तु कैसा होता है ?
उत्तर-
काफ़ी कोमल, मुलायम और प्राणिजन्य।

प्रश्न 9.
ऊन का तन्तु आपस में किन कारणों से जुड़ जाता है ?
उत्तर-
नमी, क्षार, दबाव तथा गर्मी के कारण।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

प्रश्न 10.
ऊन के तन्तुओं की सतह कैसी होती है ?
उत्तर-
खुरदरी।

प्रश्न 11.
ऊन के रेशों की सतह खुरदरी क्यों होती है ?
उत्तर-
क्योंकि ऊन की सतह पर परस्पर व्यापी शल्क होते हैं।

प्रश्न 12.
ऊन के रेशों की सतह के शल्कों की प्रकृति कैसी होती है ?
उत्तर-
लसलसी, जिससे शल्क जब पानी के सम्पर्क में आते हैं तो फूलकर नरम हो जाते हैं।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

प्रश्न 13.
ऊन के रेशों के शत्रु क्या हैं ?
उत्तर-
नमी, ताप और क्षार।

प्रश्न 14.
ताप के अनिश्चित परिवर्तन से रेशों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
रेशों में जमाव व सिकुड़न हो जाती है।

प्रश्न 15.
ऊन के वस्त्रों को किस प्रकार के साबुन से धोना चाहिए ?
उत्तर-
कोमल प्रकृति के शुद्ध क्षार रहित साबुन से।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

प्रश्न 16.
अधिक क्षार मिले पानी का ऊन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
ऊन सख्त हो जाती है तथा सूखने पर पीली पड़ जाती है।

प्रश्न 17.
ऊनी वस्त्रों की धुलाई के लिए किस प्रकार के जल का प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
मृदु जल का।

प्रश्न 18.
ऊनी वस्त्रों की धुलाई में कौन-से घोल अधिक प्रचलित है ?
उत्तर-
पोटेशियम परमैंगनेट, सोडियम पर ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन परऑक्साइड के हल्के घोल।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

प्रश्न 19.
ऊनी कपड़ों को फलाने की आवश्यकता क्यों नहीं होती ?
उत्तर-
क्योंकि पानी में डुबोने से रेशे निर्बल हो जाते हैं।

प्रश्न 20.
ऊनी वस्त्रों को धोते समय रगड़ना-कटना क्यों नहीं चाहिए ?
उत्तर-
रगड़ने से रेशे नाश हो जाते हैं तथा आपस में फँसते हुए जम जाते हैं।

प्रश्न 21.
वस्त्रों को पानी में आखिरी बार खंगालने से पहले पानी में थोड़ी-सी नील क्यों डाल देनी चाहिए ?
उत्तर-
जिससे कि ऊनी वस्त्रों में सफेदी व चमक बनी रहे।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

प्रश्न 22.
ऊनी कपड़ों को धूप में क्यों नहीं सुखाना चाहिए ?
उत्तर-
क्योंकि तेज़ धूप के प्रकाश के ताप से ऊन की रचना बिगड़ जाती है।

प्रश्न 23.
ऊनी कपड़ों की धुलाई के लिए तापमान की दृष्टि से किस प्रकार के पानी का प्रयोग किया जाना चाहिए ?
उत्तर-
ऊनी कपड़ों की धुलाई के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करना चाहिए। धोते समय पानी का तापमान कपड़े को भिगोने से लेकर आखिरी बार खंगालने तक एक-सा होना चाहिए।

प्रश्न 24.
धोने के बाद ऊनी कपड़ों को किस प्रकार सुखाना चाहिए ?
उत्तर-
धोने से पूर्व बनाए गए खाके पर कपड़ों को रखकर उसका आकार ठीक करके तथा छाया में उल्टा करके, समतल स्थान पर सुखाना चाहिए जहाँ चारों ओर से कपड़े पर हवा लग सके।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

प्रश्न 25.
ऊनी कपड़ों पर कीड़ों का असर न हो इसलिए कपड़ों के साथ बक्से या अलमारी में क्या रखा जा सकता है ?
उत्तर-
नैष्थलीन की गोलियां,पैराडाइक्लोरो बेंजीन का चूरा, तम्बाकू की पत्ती, कपूर, पिसी हुई लौंग, चन्दन का बुरादा, फिटकरी का चूरा या नीम की पत्तियाँ आदि।

प्रश्न 26.
रेयॉन के वस्त्रों को रगड़ना क्यों नहीं चाहिए ?
उत्तर-
रेयॉन के वस्त्र कमज़ोर और मुलायम होते हैं। इसलिए गीली अथवा सूखी अवस्था में रगड़ना या मरोड़ना नहीं चाहिए।

प्रश्न 27.
ऊनी वस्त्रों को अधिक देर तक नल में भिगोने से क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
ऊन के तन्तु कमजोर हो जाते हैं।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रेयॉन के वस्त्रों की धुलाई करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
रेयॉन के वस्त्रों की धुलाई करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. रेयॉन के वस्त्रों को भिगोना, उबालना या ब्लीच नहीं करना चाहिए।
  2. साबुन मृदु प्रकृति का प्रयोग करना चाहिए।
  3. गुनगुना पानी ही प्रयोग में लाना चाहिए, अधिक गर्म नहीं।
  4. साबुन का अधिक से अधिक झाग बनाना चाहिए जिससे साबुन पूरी तरह घुल जाए।
  5. गीली अवस्था में रेयॉन के कपड़े अपनी शक्ति 50% तक खो देते हैं। अतः वस्त्रों में से साबुन की झाग निकालने के लिए उन्होंने सावधानीपूर्वक निचोड़ना चाहिए।
  6. साबुन की झाग निचोड़ने के बाद वस्त्र को दो बार गुनगुने पानी में से खंगालना चाहिए
  7. वस्त्रों में से पानी को भी कोमलता से निचोड़कर निकालना चाहिए। वस्त्रों को मरोड़कर नहीं निचोड़ना चाहिए।
  8. वस्त्र को किसी भारी तौलिए में रखकर, लपेट कर हल्के-हल्के दबाकर नमी को सुखाना चाहिए।
  9. वस्त्र को धूप में नहीं सुखाना चाहिए।
  10. वस्त्र को लटका कर नहीं सुखाना चाहिए।
  11. वस्त्र को हल्की नमी की अवस्था में वस्त्र की उल्टी तरफ़ इस्तरी करना चाहिए।
  12. वस्त्रों को अलमारी में रखने अर्थात् तह करके रखने से पूर्व यह देख लेना चाहिए कि उनमें से नमी पूरी तरह से दूर हो चुकी है या नहीं।

प्रश्न 2.
ऊनी कपड़ों की धुलाई में प्रारम्भ से अन्त तक की विभिन्न क्रियाओं की सूची बनाइए।
उत्तर-

  1. वस्त्रों का छांटना।
  2. वस्त्रों को झाड़ना या धूल-रहित करना।
  3. वस्त्रों में यदि कोई सुराख आदि हों तो उसकी मरम्मत करना।
  4. वस्त्र का खाका तैयार करना।
  5. दाग-धब्बे छुड़ाना।
  6. साबुन तथा पानी की तैयारी।
  7. धुलाई करना।
  8. वस्त्रों को सुखाना।
  9. वस्त्रों पर इस्तरी करना।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

प्रश्न 3.
ऊनी कपड़ों में रंग व चमक बनाए रखने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
ऊनी कपड़ों में रंग व चमक बनाए रखने के लिए अग्रलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए

  1. ऊनी वस्त्रों को अधिक गर्म पानी से नहीं धोना चाहिए।
  2. ऊनी वस्त्रों को धूप में नहीं सुखाना चाहिए।
  3. अधिक क्षारीय घोलों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  4. यदि रंग कच्चा हो और धुलाई में निकलता दिखाई दे तो धुलाई के अन्तिम जल में थोड़ी-सी नींबू की खटाई या सिरका मिला देना चाहिए।
  5. कच्चे रंग के कपड़ों को रीठे के घोल से घोलना चाहिए।

प्रश्न 4.
ऊनी वस्त्रों की धुलाई के लिए किस प्रकार का साबुन प्रयोग करना चाहिए और क्यों ?
उत्तर-
ऊनी वस्त्रों की धुलाई के लिए मृदु साबुन का प्रयोग करना चाहिए जिसमें सोडा बहुत कम हो या बिल्कुल न हो। साबुन द्रव रूप में अथवा चिप्स के रूप में हो जो पानी में एक जैसा घोल बना ले। क्षारयुक्त साबुन से ऊन के तन्तु कड़े हो जाते हैं तथा सफेद ऊन में पीलापन आ जाता है। रंगीन वस्त्रों के लिए रीठे के घोल का प्रयोग किया जाना चाहिए क्योंकि इसके प्रयोग से कपड़े का रंग नहीं उतरता।

प्रश्न 5.
ऊन क्यों जुड़ जाती है ?
उत्तर-
ऊन का तन्तु बहुत नर्म और मुलायम होता है। इसके ऊपर छोटी-छोटी तहें होती हैं जो कि पानी, गर्मी और क्षार से नर्म हो जाती हैं और एक-दूसरे से उलझ जाती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि कपड़ा जुड़ जाता है। इसलिए ऊन की धुलाई में विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

प्रश्न 6.
ऊनी कपड़ों को सिकुड़ने व जुड़ने से बचाने के लिए आवश्यक चार बातें लिखो।
उत्तर-

  1. कपड़ों को रगड़ना नहीं चाहिए।
  2. पानी बहुत गर्म नहीं होना चाहिए।
  3. कपड़ों की धुलाई से क्षारों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  4. कपड़ों को गीली अवस्था में लटकाकर नहीं सुखाना चाहिए।

प्रश्न 7.
अधिक मैले ऊनी वस्त्रों को कैसे साफ़ करोगी ?
उत्तर-
ऊनी वस्त्र को रीठे का घोल या इजी वाले पानी में थोड़ी देर के लिए भिगोएँ। उसे हाथों से धीरे-धीरे रगड़ें। अधिक मैले भाग को हाथ की हथेली पर रखकर थोड़ा और साबुन
PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल 3
चित्र 7.3 धीरे-धीरे मलने की विधि
लगाकर दूसरे हाथ से धीरे-धीरे रगड़ें यदि मैल साफ़ न हो तो उस भाग पर ब्रश का प्रयोग करें। जब वस्त्र साफ़ हो जाएँ तो फिर उसे समतल, छायादार स्थान पर सुखाएँ।

प्रश्न 8.
आप ऊनी वस्त्रों की देखभाल कैसे करोगे ?
उत्तर-
स्वयं उत्तर दें।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सूती वस्त्रों की धुलाई किस प्रकार की जा सकती है ?
उत्तर-
1. वस्त्र धोने से पूर्व यह ध्यानपूर्वक देख लेना चाहिए कि कहीं वस्त्र फटा तो नहीं है। यदि फटा है तो उसकी सिलाई कर देनी चाहिए।
2. यदि वस्त्रों में किसी प्रकार का धब्बा लगा हो तो धोने से पहले छुड़ा लेना चाहिए। इसके पश्चात् समस्त वस्त्रों को उनके आकार व प्रकार के अनुसार उनके समूहों में विभाजित कर लेना चाहिए।
3. रंगीन और सफेद सूती वस्त्रों को अलग-अलग कर लेना चाहिए।
4. कपड़ों को पहले पानी में भिगो देना चाहिए। ऐसा करने से कपड़े का घुलनशील मैल पानी में घुल जाता है। वस्त्रों के अन्य गन्दगी-धब्बे आदि गल जाते हैं।

5. धोने के लिए गर्म पानी का प्रयोग अच्छा रहता है। कपड़े धोने का साबुन, रगड़ने का तख्ता या ब्रुश तथा कलफ आदि सभी चीजें तैयार रखनी चाहिएँ।

6. वस्त्र के प्रकार के अनुसार धुलाई करनी चाहिए। मज़बूत वस्त्र जैसे चादर, पतलून, सलवार आदि गर्म पानी में भिगोकर साबुन की टिक्की मिलानी चाहिए। रसोईघर के झाड़न

7. आदि गर्म पानी में साबुन डालकर भिगो देने चाहिएं, फिर हाथ से रगड़कर मलना चाहिए। कालर, कफ व कोर के नीचे के मैल को मुलायम ब्रुश से रगड़कर धोना चाहिए।

8.  रंगीन कपड़ों को हमेशा ठण्डे पानी में भिगोना व धोना चाहिए। यदि कपड़े बहुत अधिक गन्दे हों तो उन्हें गुनगुने पानी में भिगोना चाहिए।

9. कोमल वस्त्रों को अधिक नहीं रगड़ना चाहिए, उन्हें थोड़ा-सा रगड़कर और निचोड़कर धोना चाहिए।

10. कपड़ों में से साबुन निकालने के लिए उसे स्वच्छ पानी में से बार-बार निकालना चाहिए। जब कपड़ों में से साबुन का पूरा झाग निकल जाए और कपड़ा साफ़ हो जाए तो निचोड़ लेना चाहिए।

11. सफेद कपड़ों पर कलफ लगाते समय कलफ के घोल में थोड़ी सी नील डाल देनी चाहिए ताकि कपड़ों में चमक आ जाए, फिर भली-भाँति निचोड़कर कपड़े सुखाने चाहिएं।

12 पानी निचोड़कर वस्त्रों को धूप में सुखाना चाहिए। यदि कोई रंगीन वस्त्र है तो उसे छाया में सुखाना चाहिए।
13. कपड़ों को हमेशा उल्टा करके सुखाना चाहिए।
14. सूखे वस्त्र को नम करके इस्तरी कर लेनी चाहिए।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

प्रश्न 2.
दाग-धब्बे छुड़ाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
दाग-धब्बे किस प्रकार छुड़ाये जाते हैं, यह जानते हुए भी दाग-धब्बे छुड़ाते समय कुछ महत्त्वपूर्ण बातें जान लेनी चाहिए जो निम्नलिखित हैं

  1. दाग-धब्बा तुरन्त छुड़ाया जाना चाहिए। इसके लिए धोबी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए क्योंकि तब तक ये दाग-धब्बे और अधिक पक्के हो जाते हैं।
  2. दाग-धब्बे छुड़ाने में रासायनिक पदार्थों का कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।
  3. घोल को वस्त्र पर उतनी देर तक ही रखना चाहिए जितनी देर तक धब्बा फीका न पड़ जाए, अधिक देर तक रखने से वस्त्र कमज़ोर पड़ जाते हैं।
  4. चिकनाई को दूर करने से पूर्व उस स्थान के नीचे किसी सोखने वाले पदार्थ की मोटी तह रखनी चाहिए। धब्बे को दूर करते समय रगड़ने के लिए साफ़ और नरम पुराने रुमाल का प्रयोग किया जा सकता है।
  5. धब्बे उतारने का काम खुली हवा में करना चाहिए ताकि धब्बा उतारने के लिए प्रयोग किये जाने वाले रसायनों की वाष्प के दुष्प्रभाव से बचा जा सके।
  6. दाग किस प्रकार का है, जब तक इसका ज्ञान न हो तब तक गर्म जल का उपयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि गर्म जल में कई तरह के धब्बे और अधिक पक्के हो जाते हैं।
  7. रंगीन वस्त्रों पर ये धब्बे छुड़ाते समय कपड़े के कोने को जल में डुबोकर देखना चाहिए कि रंग कच्चा है अथवा पक्का।
  8. धब्बा छुड़ाने की विधियों का ज्ञान अवश्य होना चाहिए क्योंकि विभिन्न वस्तुओं का प्रयोग अलग-अलग धब्बों को छुड़ाने हेतु किया जाता है।
  9. ऊनी वस्त्रों पर से धब्बे छुड़ाते समय न तो गर्म जल का प्रयोग करना चाहिए और न ही क्लोरीन-युक्त रासायनिक पदार्थ का।
  10. एल्कोहल, स्प्रिट, बैन्जीन, पेट्रोल आदि से दाग छुड़ाते समय आग से बचाव रखना चाहिए।

प्रश्न 3.
रेशमी और सूती वस्त्रों की संभाल कैसे करेंगे ?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्न।

प्रश्न 4.
रेशमी तथा ऊनी वस्त्रों को कैसे संभालोगे ?
उत्तर-
देखें उपरोक्त प्रश्न।

PSEB 8th Class Home Science Solutions Chapter 7 गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल

गर्म कपड़ों की धुलाई और कपड़ों की सम्भाल PSEB 8th Class Home Science Notes

  • ऊन का धागा जानवरों के बालों और पशम से बनता है।
  • ऊन के गीले कपड़ों को हैंगर में टाँगकर सुखाना नहीं चाहिए।
  • ऊन का कपड़ा भिगोने से कमज़ोर हो जाता है। इसलिए इसको सीधा साबुन वाले पानी में धोना चाहिए।
  • ऊनी कपड़े को साबुन वाले पानी में डालकर हाथों से दबाकर धोना चाहिए।
  • प्रैस करने के बाद ऊनी वस्त्रों को हैंगर में डालकर थोड़ी देर हवा में लटकाना चाहिए ताकि कपड़ा अच्छी तरह से सूख जाए।
  • ऊनी कपड़े में तह लगने के बाद प्रेस करने की ज़रूरत नहीं होती है।
  • गर्मियों के मौसम में गर्म कपड़ों को अच्छी तरह सम्भाल कर रखना चाहिए ताकि उनको गर्म कपड़ों वाला कीड़ा न खाए।
  • गन्दे कपड़ों को जो धोए जा सकते हों धोना चाहिए और दूसरे को ड्राइक्लीन करवा लेना चाहिए।
  • जब ऊनी कपड़े बक्से में बन्द किए जाएँ तो उनमें सूखे नीम, युक्लिप्टस के पत्ते या नैफ्थलीन की गोलियाँ डालनी चाहिए।
  • सूती कपड़ों को धोना और सम्भालकर रखना सबसे आसान है।
  • फफूंदी कपड़े को कमजोर कर देती है और इसके दाग भी बड़ी मुश्किल से उतरते हैं।
  • रेशमी कपड़ों का सूरज की रोशनी में रंग खराब हो जाते हैं, इसलिए कपड़े तेज़ रोशनी में नहीं रखने चाहिए।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 3 भूमि का माप एवम् रिकार्ड

Punjab State Board PSEB 8th Class Agriculture Book Solutions Chapter 3 भूमि का माप एवम् रिकार्ड Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Agriculture Chapter 3 भूमि का माप एवम् रिकार्ड

PSEB 8th Class Agriculture Guide भूमि का माप एवम् रिकार्ड Textbook Questions and Answers

(अ) एक-दो शब्दों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
प्राचीन समय में भू-माप (भूमि का माप) किस से किया जाता था?
उत्तर-
रस्सी के साथ।

प्रश्न 2.
भू-सुधारों का जनक किस सम्राट को कहा जाता है?
उत्तर-
मुगल बादशाह अकबर

प्रश्न 3.
एक हैक्टेयर में कितने एकड़ होते हैं ?
उत्तर-
2.5 एकड़।

प्रश्न 4.
एक कनाल में कितने मरले होते हैं ?
उत्तर-
20 मरले।

प्रश्न 5.
भारत के किन-किन प्रांतों में मुरब्बाबंदी सुनिश्चित ढंग से हुई है ?
उत्तर-
पंजाब तथा हरियाणा।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 3 भूमि का माप एवम् रिकार्ड

प्रश्न 6.
मुरब्बाबंदी किस दशक (दहाके) में आरम्भ हुई थी ?
उत्तर-
1950 के दशक में।

प्रश्न 7.
जमाबंदी फर्द देखने के लिए कौन-सी साइट ढूंढ़नी होगी ?
उत्तर-
www.plrs.org.in.

प्रश्न 8.
मुरब्बाबंदी अधिनियम के अनुसार भूमि को कितने एकड़ के भागों में बांटा गया ?
उत्तर-
25-25 एकड़ के टुकड़ों में।

प्रश्न 9.
रब्बी की गिर्दावरी किस समय होती है ?
उत्तर-
1 मार्च से 31 मार्च।

प्रश्न 10.
नई जमाबंदी कितने वर्षों के बाद तैयार होती है ?
उत्तर-
पहले 4 साल बाद होती थी पर अब 5 साल बाद होती है।

(आ) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
झगड़े वाली भूमि की गिर्दावरी सशुद्धि कौन करता है ?
उत्तर-
झगड़े वाली भूमि की गिर्दावरी तहसीलदार की कचहरी में जाकर सशुद्धि करवा सकते हैं।

प्रश्न 2.
जमाबंदी क्या होती है ?
उत्तर-
जमाबंदी फर्द पंजाब लैंड रैवन्यु एक्ट में भूमि की मालकी का एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ है। इसमें खेवट नंबर, खतौनी, गाँव की पत्ती का नाम, मालिक का नाम हिस्से के अनुसार, काबज़ काश्तकार और सिंचाई के साधन आदि का विवरण दर्ज होता है।

प्रश्न 3.
इन्तकाल क्या होता है ?
उत्तर-
भूमि के एक मालिक से दूसरे मालिक के नाम मालिकाना अधिकार परिवर्तित करने को इन्तकाल कहा जाता है।

प्रश्न 4.
निशानदेही करने के लिए कौन-कौन सी वस्तुओं की आवश्यकता पड़ती
उत्तर-
लडे के ऊपर बना नक्शा और ज़रीब की सहायता से पटवारी तथा कानूनगो खसरा नंबर की लंबाई-चौड़ाई को माप कर निशान लगा देते हैं।

प्रश्न 5.
गोशवारा क्या होता है ?
उत्तर-
सभी फसलों के सारणीबद्ध कुल जोड़ को गोशवारा कहा जाता है।

प्रश्न 6.
रहन अथवा गहना क्या होता है ?
उत्तर-
रहन या गहना से भाव है जब कोई भी भूमि का मालिक अपनी भूमि के एक टुकड़े को एक निश्चित की हुई कीमत पर आरजी तौर पर किसी अन्य व्यक्ति को दे दें। असली मालिक पैसे वापिस करके भूमि वापिस प्राप्त कर सकता है।

प्रश्न 7.
फसलों का खराबा (क्षति) क्या होता है ? इसे किस प्रकार मापा जा सकता है ?
उत्तर-
खेतों में बोई फसलों का बाढ़ या टिड्डी दल के हमले आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण बड़े स्तर पर खराब होने को खराबा कहा जाता है। इलाके में फसल की पैदावार को 100 प्रतिशत मान कर खराबा की औसत निकाल सकते हैं।

प्रश्न 8.
शिज़रा क्या होता है एवम् इसके अन्य क्या नाम हैं?
उत्तर-
एक लट्ठे के कपड़े पर गाँव का नक्शा बना होता है जिस पर गाँव की भूमि के सारे खसरा नंबर उकरे होते हैं। इसको शिज़रा कहा जाता है। इसको विस्तवार, पारचा, लट्ठा भी कहा जाता है।

प्रश्न 9.
मुरब्बाबंदी क्या होती है एवम् इसका क्या लाभ है ?
उत्तर-
किसी ज़मींदार की भूमि को भिन्न-भिन्न स्थानों पर भूमि के टुकड़ों को एक स्थान पर इकट्ठा करने को मुरब्बाबंदी या चकबंदी कहा जाता है। मुरब्बाबंदी करने से भूमि से संबंधित सभी कार्य आसान हो जाते हैं।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 3 भूमि का माप एवम् रिकार्ड

प्रश्न 10.
ज़रीब क्या होती है ?
उत्तर-
यह लोहे की कड़ियों की बनी हुई चैन होती है जिसको भूमि की पैमाइश के लिए प्रयोग किया जाता है। यह 55 फुट लम्बी होती है।

(इ) पाँच-छः वाक्यों में उत्तर दें

प्रश्न 1.
गिर्दावरी क्या होती है और कब की जाती है ?
उत्तर-
यह फसलों का सर्वेक्षण होता है। इसको गिर्दावरी या गरदौरी कहा जाता है। यह मौके पर किया गया सर्वेक्षण है जो कि की गई कृषि को दर्शाता है। गिर्दावरी वर्ष में दो बार की जाती है।
आषाढ़ी में एक मार्च से 31 मार्च तक तथा सावनी में एक अक्तूबर से 31 अक्तूबर तक। जायद की फसलों के लिए (आषाढी तथा सावनी तथा सावनी से आषाढ़ी के बीच वाली फसलों) भी दो बार गिरदावरी की जाती है। 1 मई से 15 मई तथा 1 दिसम्बर से 15 दिसम्बर तक।

प्रश्न 2.
विभाजन (तकसीम) क्यों और कैसे किया जाता है?
उत्तर-
जब किसी भूमि के भागीदार मालिक (अंशधारी स्वामी) दो या अधिक हो जाएं तो भागीदारों की सहमति से उस भूमि को हिस्सों में बांटने को तकसीम करना कहते हैं। बांटने के बाद प्रत्येक भागीदार अपनी भूमि का स्वयंभू मालिक होता है। वह अपनी इच्छा से भूमि को गहने या बैअ या बैंक से ऋण ले सकता है।

प्रश्न 3.
भू-रिकार्ड का कम्प्यूटरीकरण क्या है ?
उत्तर-
सरकार द्वारा आजकल सारी भूमि के रिकार्ड का कम्प्यूटरीकरण किया जा रहा है। तसदीकशुदा साक्ष्यांकित जमाबंदी या इन्तकाल का रिकार्ड लेने के लिए नज़दीक की उपतहसील में आवश्यक फीस भर कर तुरन्त भूमि का रिकार्ड मिल जाता है। इस रिकार्ड को www.plrs.org.in वैबसाइट पर देखा जा सकता है।

प्रश्न 4.
जमाबन्दी फर्द देखने के लिए कौन-सी साइट देखनी पड़ेगी?
उत्तर-
जमाबन्दी फर्द देखने के लिए www.plrs.org.in साइट को देखना पड़ता है। इससे हम घर बैठे ही भूमि का रिकार्ड देख सकते हैं।

प्रश्न 5.
ठेका अथवा चकोता क्या होता है ?
उत्तर-
भूमि का मालिक अपनी भूमि को किसी अन्य व्यक्ति को निश्चित समय के लिए, जैसे-एक वर्ष या पाँच वर्ष के लिए कृषि करने के लिए आपस में दोनों पक्षों द्वारा निश्चित धन राशि पर दे देता है तो इसको ठेका या चकोता कहा जाता है।

प्रश्न 6.
भूमि के पंजीकरण (रजिस्ट्री) पर संक्षिप्त नोट लिखो।
उत्तर-
भूमि, मकान, दुकान आदि को जब एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को निश्चित कीमत पर बेच दिया जाता है या गहने किया जाता है तो दोनों पार्टियां तहसीलदार के कार्यालय में जाकर संबंधित पक्षों की सहमति से फोटो सहित रजिस्टर में दर्ज करवाया जाता है इसको रजिस्ट्री या रजिस्टर्ड वाकिया कहा जाता है। रजिस्ट्री की भिन्न-भिन्न किस्में हैं-रजिस्ट्री बैअ, गहना, हिस्सा (विभाजन), तबदील मलकीयत (हस्तांतरित) आदि।

Agriculture Guide for Class 8 PSEB भूमि का माप एवम् रिकार्ड Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मुग़ल सम्राट अकबर के शासनकाल में भूमि के माप में किसका मुख्य योगदान रहा ?
उत्तर-
टोडर मल।

प्रश्न 2.
वर्ष 1580 से पहले भूमि का टैक्स (कर अथवा मामला) सरकार को किस रूप में दिया जाता था ?
उत्तर-
फसल के रूप में।

प्रश्न 3.
वर्ष 1580 के बाद भूमि का मामला (कर) किस रूप में दिया जाने लगा ?
उत्तर-
नकद अदायगी।

प्रश्न 4.
ज़रीब की लम्बाई बताओ।
उत्तर-
10 करम या 55 फुट।

प्रश्न 5.
मुसतील क्या है ?
उत्तर-
मुरब्बाबंदी में बड़े टुकड़े को मुरब्बा या मुसतील कहा जाता है।

प्रश्न 6.
इन्तकाल के कितने खाने होते हैं ?
उत्तर-
15 कालम होते हैं।

प्रश्न 7.
जमाबंदी फर्द के कितने खाने होते हैं ?
उत्तर-
1-12 तक।

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 3 भूमि का माप एवम् रिकार्ड

प्रश्न 8.
सावनी की गिर्दावरी कब होती है ?
उत्तर-
1 अक्तूबर से 31 अक्तूबर तक।

प्रश्न 9.
जैद फसलों की गिर्दावरी कब की जाती है ?
उत्तर-
1 मई से 15 मई, 1 दिसम्बर से 15 दिसम्बर।

प्रश्न 10.
खराबे की औसत कैसे पता की जाती है ?
उत्तर-
क्षेत्र में फसल की उपज को 100 प्रतिशत मान कर।

प्रश्न 11.
1 फुट = ………..
उत्तर-
12 इंच।

प्रश्न 12.
1 गज़ = ………
उत्तर-
3 फुट।

प्रश्न 13.
1 फर्लाग = ……….
उत्तर-
220 गज़।

प्रश्न 14.
1 मील = ……………….. गज़ = ……….. फलांग।
उत्तर-
1760 गज़ = 8 फल्ग।

प्रश्न 15.
1 करम = ……………………. इंच = ……………..
उत्तर-
66 इंच = 5.5 फुट।

प्रश्न 16.
1 वर्ग करम = …………….. सरसाही।
उत्तर-
1 सरसाही।

प्रश्न 17.
1 मरला = …………….. सरसाहियां।
उत्तर-
9.

प्रश्न 18.
1 मरला = …………….. वर्ग फुट।
उत्तर-
272.

प्रश्न 19.
1 मरला = …………….. वर्ग गज़।
उत्तर-
30.

प्रश्न 20.
1 कनाल = …………….. मरले।
उत्तर-
20.

प्रश्न 21.
1 कनाल = ……………. बिस्वा।
उत्तर-
2.

प्रश्न 22.
1 किला = ……………. एकड़
उत्तर-
1.

प्रश्न 23.
1 किला = …………….. कनाल।
उत्तर-
8.

प्रश्न 24.
1 किला = …………….. मरले = ……………. वर्ग फुट।
उत्तर-
160 मरले = 220 × 198 वर्ग फुट।

प्रश्न 25.
1 किला = …………….. वर्ग मीटर।
उत्तर-
4000.

प्रश्न 26.
1 बिस्वा खाम = …………….. वर्ग गज़।
उत्तर-
50.

प्रश्न 27.
1 मुरब्बा या मस्तील = …………….. एकड़।
उत्तर-
25.

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 3 भूमि का माप एवम् रिकार्ड

प्रश्न 28.
1 हेक्टेयर = …………….. एकड़।
उत्तर-
2.5.

प्रश्न 29.
1 हेक्टेयर = ………….. वर्ग मीटर।
उत्तर-
10000.

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अकबर के समय भूमि का मामला (कर) किस रूप में दिया जाता था ?
उत्तर-
पहले यह मामला (कर) फसल के रूप में दिया जाता था तथा वर्ष 1580 के बाद मामला नकद रूप में दिया जाने लगा।

प्रश्न 2.
इन्तकाल की भिन्न-भिन्न किस्में बताओ।
उत्तर-
इन्तकाल की किस्में हैं-बै, रहन, आधिकारिक स्थानांतरण, तकसीम (विभाजन), विरासत आदि।

प्रश्न 3.
इन्तकाल दर्ज करने की कारवाई बताएं।
उत्तर–
पटवारी इन्तकाल दर्ज करता है, फील्ड कानूगो इसको रिकार्ड के अनुसार चैक करता है, फिर नायब या तहसीलदार मौके पर जाकर दोनों पक्षों (दलों) को बुला कर, नंबरदार को साक्ष्यांकित करने पर इन्तकाल स्वीकार करता है।

प्रश्न 4.
भूमि की मालकी में किस तरह के परिवर्तन जमाबंदी में दर्ज होती है ?
उत्तर-
भूमि को गहने करना, वै करना, बारानी (ऊसर) से नहरी (उर्वरा) होना, आय अथवा विभाजन में परिवर्तन, भू-स्वामी का बदलना, स्थानांतरण करना आदि।

प्रश्न 5.
खराबा होने के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
खराबा होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे-वर्षा का पानी रुकना, प्राकृतिक आपदा, जैसे-टिड्डी दल का हमला आदि।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
गिरदावरी, भूमि की रजिस्ट्री पर नोट लिखें।
उत्तर-
देखे उपरोक्त प्रश्नों में।

प्रश्न 2.
ठेका, तकसीम पर नोट लिखें।
उत्तर-
देखे उपरोक्त प्रश्नों में।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

ठीक/गलत

  1. ज़रीब की लम्बाई 10 करम होती है।
  2. जमाबंदी फर्द में 1-12 खाने होते हैं।
  3. 1 कनाल = 40 मरले।

उत्तर-

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
एक कनाल में कितने मरले हैं—
(क) 20
(ख) 50
(ग) 10
(घ) 60.
उत्तर-
(क) 20

PSEB 8th Class Agriculture Solutions Chapter 3 भूमि का माप एवम् रिकार्ड

प्रश्न 2.
जमाबंदी फर्द ढूंढने के लिए साइट है—
(क) www.Jamabandi.dk
(ख) www.plrs.org.in
(ग) www.plrs.ac.
(घ) www.org.plrs.in
उत्तर-
(ख) www.plrs.org.in

प्रश्न 3.
शिज़रा किसे कहते हैं—
(क) नक्शा
(ख) घर
(ग) सड़क
(घ) स्कूल।
उत्तर-
(क) नक्शा

रिक्त स्थान भरें

  1. ………… में बड़े टुकड़े को मुसतील कहा जाता है ।
  2. …………… की लम्बाई 55 फुट होती है।
  3. लट्ठे के ऊपर बने नक्शे को ………….. कहा जाता है।

उत्तर-

  1. मुरब्बाबंदी,
  2. ज़रीब,
  3. शिज़रा

भूमि का माप एवम् रिकार्ड PSEB 8th Class Agriculture Notes

  • भारत में भूमि के माप का काम मुग़ल बादशाह अकबर के शासनकाल में शुरू हुआ था और टोडर मल का इसमें महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
  • लगभग वर्ष 1580 में सम्राट अकबर ने कर की अदायगी नकद शुरू की थी।
  • आज़ादी के बाद भूमि के माप में और भी सुधार हुए और 1950-60 के दौरान भूमि का मुरब्बाबंदी एक्ट एक महत्त्वपूर्ण कड़ी था।
  • भूमि को मापने वाली लोहे की कड़ियों की चेन (शृंखला) को ज़रीब कहा जाता
  • पंजाब में भूमि का माप एकड़, कनाल या मरलों में किया जाता है।
  • ज़रीब की लंबाई 10 करम या 55 फुट होती है।
  • शिज़रा, लठे के कपड़े पर बनाया हुआ गाँव का नक्शा होता है और इस पर गाँव की भूमि के सारे नंबर खसरे उकरे होते हैं।
  • पंजाब मुरब्बाबंदी एक्ट के अनुसार भूमि को 25-25 एकड़ के बड़े टुकड़ों में बांटा गया है।
  • सारी फसलों के सारणीबद्ध कुल जोड़ को गोशवारा कहते हैं।
  • भूमि के एक मालिक (स्वामी) से दूसरे मालिक के नाम मलिकाना अधिकार परिवर्तित करने को इंतकाल कहते हैं।
  • जमाबंदी फर्द पंजाब लैंड रैवन्यु एक्ट में भूमि की मालकी (स्वामित्व) का एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ है।
  • जमाबंदी पहले चार साल बाद तैयार की जाती थी पर अब पाँच साल बाद तैयार की जाती है।
  • जमाबंदी फर्द में 1-12 खाने होते हैं। 14. गिर्दावरी या गरदौरी भूमि अथवा फसलों का सर्वेक्षण है जो मौके पर खेत में की कृषि को दिखाता है।
  • घर पर बैठे भूमि का रिकार्ड देखने के लिए www.plrs.org.in. वैबसाइट देखी जा सकती है।
  • 1 फुट = 12 ईंच, 1 गज़ = 3 फुट
  • 1 मरला = 9 सरसाहियाँ = 272 वर्ग फुट
  • 1 कनाल = 20 मरले
  • 1 किला (एकड़) = 8 कनाल
  • 1 हैक्टेयर = 2.5 एकड़ = 20 कनाल।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 4 हमारी कृषि

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Geography Chapter 4 हमारी कृषि Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Geography Chapter 4 हमारी कृषि

SST Guide for Class 8 PSEB हमारी कृषि Textbook Questions and Answers

I. नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर 20-25 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
कृषि से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कृषि से अभिप्राय फ़सलें पैदा करने, पशु पालने तथा अन्य कृषि सम्बन्धी व्यवसायों से है। डेयरी फार्मिंग, मुर्गी पालन, शहद की मक्खियाँ पालना, मछली पालन, फूलों की खेती करना, गुड़ बनाना, आटा चक्की लगाना आदि सभी व्यवसाय कृषि में शामिल हैं।

प्रश्न 2.
कृषि को कौन-कौन से तत्त्व प्रभावित करते हैं ?
उत्तर-
कृषि को मुख्य रूप से निम्नलिखित तत्त्व प्रभावित करते हैं — (1) जलवायु (2) धरातल (3) मिट्टी के प्रकार (4) सिंचाई की व्यवस्था (5) कृषि करने का ढंग (6) मण्डियों की सुविधा (7) यातायात के साधन (8) बैंकों की सुविधा।

प्रश्न 3.
बागाती कृषि का उत्तर संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
बागाती कृषि में फलों, सब्जियों तथा फूलों के बीजों की कृषि की जाती है। इसमें कृषि की आधुनिक विधियां प्रयोग में लाई जाती हैं। यह कृषि किसानों के लिए बहुत अधिक लाभदायक सिद्ध हो रही है।

प्रश्न 4.
अनाज उपजों के नाम लिखो।
उत्तर-
मुख्य अनाज उपजें चावल, गेहूं, मक्की, ज्वार, बाजरा, दालें तथा तेल निकालने के बीज हैं।

प्रश्न 5.
“क” करना किसे कहते हैं ?
उत्तर-
चावल पैदा करने के लिए पहले पौध अथवा पनीरी तैयार की जाती है। फिर जिस खेत में पौध लगानी हो, उसे समतल करके उसमें पानी भर दिया जाता है। इसे खेत को ‘कद्दू’ करना कहते हैं।

प्रश्न 6.
मक्की से क्या-क्या तैयार किया जाता है ?
उत्तर-
मक्की से ग्लूकोज़, कल्फ स्टार्च तथा अल्कोहल तैयार किया जाता है। इससे वनस्पति तेल भी तैयार किया जाता है।

प्रश्न 7.
‘रेशे की लम्बाई’ के आधार पर कपास की किस्में बताइए।
उत्तर-
रेशे की लम्बाई के आधार पर कपास तीन किस्म की होती है–(1) लम्बे रेशे वाली कपास (2) मध्यम दर्जे के रेशे वाली कपास तथा (3) छोटे रेशे वाली कपास।

प्रश्न 8.
पटसन से कौन-कौन सी वस्तुएँ बनाई जा सकती हैं ?
उत्तर-
पटसन से बोरियां, रस्सियां, सूतली आदि बनाये जाते हैं। इससे शो-पीस भी बनते हैं।

प्रश्न 9.
चाय का पौधा किस प्रकार का होता है ?
उत्तर-
चाय का पौधा एक झाड़ी जैसा होता है। इसकी पत्तियों से चायपत्ती प्राप्त की जाती है।

प्रश्न 10.
कॉफी की तीन किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर-
कॉफी की तीन किस्में हैं(1) अरेबिका, (2) रोबसटा तथा (3) लाइबैरिका।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 4 हमारी कृषि

प्रश्न 11.
यू० एस० ए० और पंजाब में कितने-कितने प्रतिशत लोग कृषि व्यवसाय करते हैं ?
उत्तर-
यू० एस० ए० में 30% जबकि पंजाब में लगभग 58% लोग कृषि व्यवसाय करते हैं।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 70-75 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
कृषि कितने प्रकार की है ? सघन और विशाल कृषि में अन्तर लिखो।
उत्तर-
कृषि के प्रकार-कृषि अग्रलिखित कई प्रकार की होती है –

  • स्थाई कृषि (Permanent agriculture)
  • स्थानान्तरी कृषि (Shifting agriculture)
  • शुष्क कृषि (Dry farming)
  • नमी वाली कृषि (Wet farming)
  • सघन कृषि (Intensive farming)
  • विशाल कृषि (Extensive farming)
  • मिश्रित कृषि (Mixed farming)
  • बागबानी कृषि (Horticulture)
  • निजी कृषि (Private or individual agriculture)
  • सहकारी कृषि (Cooperative farming)
  • सांझी कृषि (Collective farming)
  • बागाती कृषि (Plantation agriculture)
  • आत्मनिर्भर अथवा निर्भरता कृषि (Subsistence agriculture)
  • व्यापारिक कृषि (Commercial farming)

सघन तथा विशाल कृषि में अन्तर-

  • सघन कृषि कम भूमि में की जाती है, जबकि विशाल कृषि में खेतों का आकार बहुत बड़ा होता है।
  • सघन कृषि में सिंचाई साधनों तथा उर्वरकों के प्रयोग से उत्पादन बढ़ाया जाता है। इसके विपरीत विशाल कृषि में मशीनों का प्रयोग किया जाता है।
  • सघन कृषि भारत के पंजाब राज्य में की जाती है, जबकि विशाल कृषि संयुक्त राज्य अमेरिका के बड़े-बड़े . खेतों में की जाती है।

प्रश्न 2.
निर्वाह और व्यापारिक कृषि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
निर्वाह कृषि-निर्वाह कृषि छोटे पैमाने पर की जाती है। इसमें किसान अपनी आवश्यकतानुसार अपने गुज़ारे के लिए फ़सलें उगाता है। वह इन्हें बेच नहीं पाता क्योंकि उसके पास फ़ालतू फ़सल बचती ही नहीं है। यदि वह थोड़ी बहुत फसल बेच भी लेता है तो वह उन पैसों से अपनी छोटी-छोटी ज़रूरतों के लिए घर का सामान खरीद लेता है।

व्यापारिक कृषि-इस प्रकार की कृषि बड़े पैमाने पर की जाती है। इसमें किसान मशीनों तथा अन्य साधनों का भरपूर प्रयोग करते हैं। उपजों को बाज़ार में बेचने के लिए उगाया जाता है ताकि नकद धन कमाया जा सके। संसार के अधिक क्षेत्रफल वाले देशों में, जहां किसानों के पास बड़ी-बड़ी ज़मीनें हैं, प्रायः इसी प्रकार की कृषि की जाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा अपनी व्यापारिक कृषि के लिए जाने जाते हैं। अब भारत में भी व्यापारिक कृषि का प्रचलन बढ़ रहा है।

प्रश्न 3.
चावल पैदा करने वाले मुख्य क्षेत्र कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
चावल मुख्य रूप से गर्म तथा तर (नम) जलवायु वाले प्रदेशों में पैदा किया जाता है। संसार में चीन, भारत, बंगलादेश, जापान तथा दक्षिण पूर्वी देश चावल के उत्पादन के लिए विख्यात हैं। इनमें से चीन का संसार में पहला स्थान है। वह संसार के कुल चावल का 36% पैदा करता है। वहाँ की यंगसी क्यिांग की नहरी घाटियां चावल के उत्पादन के लिए जानी जाती हैं। बंगलादेश में चावल उत्पन्न करने वाला मुख्य क्षेत्र गंगा डैल्टा है। जापान अधिक उत्पादन के लिए चावल की जैपोनिका किस्म की बीजाई करता है। __ चावल के उत्पादन में भारत का संसार में दूसरा स्थान है। संसार का 20% चावल भारत में ही पैदा किया जाता है। भारत के चावल उत्पन्न करने वाले मुख्य राज्य पश्चिमी बंगाल, बिहार, उड़ीसा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, आन्ध्र प्रदेश तथा हरियाणा हैं। पंजाब में चावल की प्रति हेक्टेयर उपज सबसे अधिक है। इस राज्य में चावल मुख्यतः अमृतसर, गुरदासपुर, फिरोजपुर, जालन्धर, पटियाला तथा लुधियाना जिलों में उगाया जाता है।

प्रश्न 4.
कपास और पटसन पैदा करने के लिए भौगोलिक अवस्थाओं का वर्णन करो।
उत्तर-
कपास पैदा करने के लिए आवश्यक अवस्थाएं

तापमान – 20° सेल्सियस से 30° सेल्सियस तक और कम-से-कम 20 कोहरा रहित दिन।
वर्षा – 50 सेंटीमीटर से 100 सेंटीमीटर तक
धरातल – समतल या हल्की ढलान वाली भूमि
मृदा – काली, जलौढ़ मिट्टी और उर्वरक की आवश्यकता होती है।
श्रमिक – कपास चुनने के लिए सस्ते और प्रशिक्षित श्रमिकों की आवश्यकता होती है।

पटसन पैदा करने के लिए आवश्यक अवस्थायें :
तापमान – 24° सेल्सियस से 35° सेल्सियस तक।
वर्षा – 120 सेंटीमीटर से 150 सेंटीमीटर तक; 80 से 90% सापेक्ष नमी आवश्यक है।
धरातल – समतल धरातल।
मृदा – जलौढ़, चिकनी और दोमट मिट्टी
श्रमिक – सस्ते श्रमिकों की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 5.
पंजाब में कपास उत्पादन पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
पंजाब हरियाणा के साथ मिलकर देश की लगभग 25% कपास पैदा करता है। राज्य के कपास उत्पन्न करने वाले मुख्य जिले बठिंडा, फिरोजपुर तथा संगरूर हैं। पंजाब में बी०टी० काटन बीज के बहुत अच्छे परिणाम रहे हैं। राज्य के मालवा क्षेत्र में कपास को सफ़ेद सोना अथवा श्वेत सोना भी कहा जाता है।

प्रश्न 6.
चाय तथा कॉफ़ी के पौधों की सम्भाल कैसे की जाती है ? .
उत्तर-
चाय-चाय के पौधों को साफ़ की हुई ढलानों पर लगाया जाता है। पौधों के विकास के लिए उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। इस बात का ध्यान रखा जाता है कि पानी पौधों की जड़ों में न ठहरे। पौधों के ठीक ढंग से विकास के लिए इनकी कांट-छांट भी की जाती है।
कॉफ़ी-कॉफ़ी के पौधों को उचित सिंचाई तथा कांट-छांट की आवश्यकता होती है। खेतों में समय-समय पर उर्वरकों का प्रयोग भी करना चाहिए।

प्रश्न 7.
यू० एस० ए० में कृषि के लिए मशीनों के प्रयोग पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
यू० एस० ए० में भारत की तुलना में किसानों के पास बहुत अधिक कृषि भूमि है। इसलिए खेतों का आकार बड़ा है। यहां के एक फार्म का औसत आकार 700 एकड़ है। खेतों का आकार बड़ा होने के कारण यहां विस्तृत (Extensive) प्रकार की खेती की जाती है। इनमें मशीनों का प्रयोग बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है। वास्तव में यू० एस० ए० के फार्मों में मशीनों के बिना कृषि करना सम्भव नहीं है। फ़सलों की बीजाई से लेकर फ़सलों को स्टोरों तथा मण्डियों तक ले जाने का सारा काम मशीनों द्वारा ही किया जाता है। कृषि के लिए हैलीकाप्टरों और वायुयानों का प्रयोग भी होता है। यहां का किसान मिट्टी की प्रकार, जलवायु और सिंचाई साधनों का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात् ही फ़सल का चुनाव करता है। कीटनाशक दवाइयों का भी काफ़ी प्रयोग किया जाता है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 4 हमारी कृषि

III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 250 शब्दों में लिखो :

प्रश्न 1.
गेहूं की फ़सल के लिए आवश्यक अवस्थाएं बताकर गेहूं पैदा करने वाले क्षेत्रों का वर्णन करो।
उत्तर-
गोहूं एक महत्त्वपूर्ण अन्न उपज है। संसार के धनी देशों के लोग चावल की तुलना में गेहूं खाना अधिक पसन्द करते हैं। गेहूं को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा विटामिनों से परिपूर्ण अन्न माना जाता है।
गेहूं उत्पादन के लिए आवश्यक अवस्थाएं :

तापमान – 10° सेल्सियस से 20° सेल्सियस तक
वर्षा – 50 सेंटीमीटर से 100 सेंटीमीटर तक
धरातल – समतल अथवा थोड़ा ढलान वाला
मृदा (मिट्टी) – दोमट, चिकनी, काली तथा लाल मिट्टी
बीज और उर्वरा – बढ़िया बीज और उर्वरक (रासायनिक खादें) उत्पादन बढ़ाने के लिए अति आवश्यक हैं।
श्रमिक – फ़सल की बीजाई तथा कटाई के समय श्रमिकों की आवश्यकता होती है।

गेहूं की बीजाई नवम्बर-दिसम्बर में की जाती है। गेहूं बीजते समय तापमान कम और काटते समय अधिक होना चाहिए। फ़सल के पकते समय मौसम गर्म और शुष्क होना चाहिए। समय-समय पर इसे वर्षा या सिंचाई की आवश्यकता भी होती है।

गेहूं पैदा करने वाले क्षेत्र-संसार तथा भारत में गेहूं उत्पन्न करने वाले मुख्य क्षेत्र निम्नलिखित हैं –

संसार-संसार में चीन, यू० एस० ए०, रूस, फ्रांस, कनाडा तथा जर्मनी गेहूं पैदा करने वाले मुख्य देश हैं। इन देशों में भूमि की अधिकता तथा मशीनों के प्रयोग के कारण गेहूं का उत्पादन बहुत अधिक होता है। यू० एस० ए० के कंसास, डकोटा, मोनटाना, मिनीसोटा, टैक्सास तथा महान् झील के आस-पास के क्षेत्र गेहं पैदा करने के लिए विख्यात हैं। कनाडा के मुख्य गेहूं उत्पादक क्षेत्र ओंटारियो तथा ब्रिटिश कोलम्बिया हैं।

भारत-गेहूं पैदा करने में भारत का संसार में दूसरा स्थान है। देश की कुल गेहूं का 72% से भी अधिक भाग उत्तरी भारत के तीन राज्य उत्तर प्रदेश, पंजाब तथा हरियाणा पैदा करते हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा बिहार राज्य भी गेहूं उगाते हैं। पंजाब के लगभग सभी जिलों में गेहूं पैदा होता है। पंजाब में आई ‘हरी क्रान्ति’ (Green Revolution) ने गेहूँ के उत्पादन में बहुत अधिक वृद्धि की है। उत्तम बीजों, उर्वरकों तथा सिंचाई साधनों के प्रयोग से पंजाब में गेहूँ का उत्पादन कई गुणा बढ़ गया है। केन्द्रीय अनाज में पंजाब के गेहूं का योगदान अन्य सभी राज्यों से अधिक है।

प्रश्न 2.
चाय और कॉफी पैदा करने के लिए आवश्यक अवस्थाएं कौन-कौन सी हैं ? भारत में चाय और कॉफी के मुख्य क्षेत्र बताइए।
उत्तर-
चाय और कॉफी पैदा करने के लिए आवश्यक अवस्थाएं अग्रलिखित हैं – चाय पैदा करने के लिए आवश्यक अवस्थाएं :

तापमान – 200 सेल्सियस से 30° सेल्सियस तक
वर्षा – 150 सेंटीमीटर से 300 सेंटीमीटर तक, सारा साल रुक-रुक कर।
धरातल – ढलानदार
मृदा – दोमट मिट्टी, जंगली मिट्टी (जिसमें लौह तथा जैविक तत्त्वों की अधिकता हो।)
श्रमिक अधिक श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
मण्डी – चाय का मांग क्षेत्र, जहां चाय बेची जा सके।
PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 4 हमारी कृषि 1

कॉफी उत्पादन के लिए आवश्यक अवस्थाएं :

तापमान – 150 सेल्सियस से 280 सेल्सियस तक
वर्षा – 100 सेंटीमीटर से 200 सेंटीमीटर तक
धरातल – पर्वतीय एवं ढलानदार
मृदा – दोमट या जैविक तत्वों वाली मिट्टी
श्रमिक – कॉफी के. भिन्न-भिन्न प्रकार के बीजों को अलग करने के लिए प्रशिक्षित श्रमिक।

भारत में चाय के मुख्य क्षेत्र-चाय के उत्पादन में भारत का संसार में पहला स्थान है। देश के चाय पैदा करने वाले मुख्य राज्य असम, पश्चिमी बंगाल, तमिलनाडु, केरल, त्रिपुरा तथा कर्नाटक हैं।

  • भारत की कुल चाय का 51% भाग केवल असम राज्य उत्पन्न करता है। इस राज्य की ब्रह्मपुत्र तथा सुरमा घाटियां चाय के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं। असम के डिबरूगढ़, लखीमपुर, सिबसागर, दुर्ग, गोलपाड़ा आदि ज़िले चाय उत्पन्न करने वाले मुख्य क्षेत्र हैं।
  • पश्चिमी बंगाल में चाय मुख्यतः दार्जिलिंग, जलपाइगुड़ी तथा कूच-बिहार के जिलों में उगाई जाती है।
  • तमिलनाडु में चाय नीलगिरी तथा अन्नामलाई की पहाड़ियों पर पैदा की जाती है।
  • देश के अन्य चाय उत्पादक क्षेत्र कर्नाटक के हसन तथा चिकमंगलूर और केरल के कोटायाम, कोलाम तथा थिरूवान्थापुरम (तिरुवन्तापुरम्) ज़िले हैं।

भारत में कॉफी के मुख्य क्षेत्र-भारत संसार की केवल 2.2 प्रतिशत कॉफी पैदा करता है। देश में इसका उत्पादन करने वाले मुख्य राज्य कर्नाटक, केरल तथा तमिलनाडु हैं। भारत की कॉफी का 70% भाग अकेले कर्नाटक राज्य उत्पन्न करता है। केरल के कोडंगू, चिकमंगलूर, शिमोगा तथा कोलम ज़िले और तमिलनाडु के नीलगिरी, मदुरै, सेलम तथा कोयम्बटूर ज़िले कॉफी के मुख्य उत्पादक क्षेत्र हैं।

प्रश्न 3.
पटसन की कृषि कैसे की जाती है ? पटसन के प्रयोग और संसार में इसके वितरण का विस्तारपूर्वक उत्तर लिखिए।
उत्तर-
पटसन रीड (reed) जैसा पतला तथा लम्बा पौधा होता है। इसका रेशा बहुत ही उपयोगी होता है। इससे बोरियां, रस्सियां, सूतली आदि वस्तुएँ बनाई जाती हैं जो काफ़ी मजबूत होती हैं। परन्तु प्लास्टिक तथा कृत्रिम रेशों के बढ़ते प्रयोग से पटसन से बनी वस्तुओं पर बुरा प्रभाव पड़ा है क्योंकि ये महँगी पड़ती हैं।

पटसन की कृषि–पटसन को प्रायः फरवरी-मार्च में बोया जाता है और अक्तूबर के महीने में काट लिया जाता है। आजकल पटसन की कई किस्में जल्दी भी तैयार हो जाती हैं। पटसन की फसल को काटने के पश्चात् उसकी गाँठें बना ली जाती हैं जिन्हें दो-तीन सप्ताह के लिए खड़े जल के नीचे रखा जाता है। इससे पौधों का रेशा नर्म होकर उतरने लगता है। तब इन्हें पानी से निकाल कर सुखा लिया जाता है और रेशे को अलग कर लिया जाता है। इसे साफ़ करके भिन्न-भिन्न प्रकार से प्रयोग में लाया जाता है।

पटसन का वितरण-पटसन गर्म तथा सीले जलवायु वाले क्षेत्रों में पैदा होता है। इसका उत्पादन करने वाले संसार समय देश चीन, भारत, बंगलादेश, थाईलैंड और ब्राज़ील हैं। भारत तथा बंगलादेश पटसन उत्पन्न करने वाले देशों
में सबसे आगे हैं।

भारत में पटसन की खेती गंगा-ब्रह्मपत्र नदियों के डेल्टाई भागों में बड़े पैमाने पर की जाती है। भारत की लगभग 99% पटसन देश के चार राज्य पश्चिमी बंगाल, बिहार, असम तथा उड़ीसा पैदा करते हैं। पटसन की खेती की अनुकूल अवस्थाओं के कारण अकेले पश्चिमी बंगाल देश की 80% पटसन पैदा करता है। कुछ पटसन उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र तथा केरल में भी पैदा होती है। पश्चिमी बंगाल में नादिया, मुर्शिदाबाद, 24 परगना, जलपाइगुड़ी तथा हुगली, बिहार में पुरनियां तथा दरभंगा और असम में गोलपाड़ा, दुर्ग तथा सिंबसागर ज़िले पटसन के मुख्य उत्पादक हैं।

प्रश्न 4.
पंजाब तथा यू०एस०ए० की खेती में क्या समानताएं तथा भिन्नताएं मिलती हैं ?
उत्तर-
पंजाब की खेती-

  • पंजाब के लगभग 58% लोग कृषि में लगे हुए हैं। राज्य की कुल आय में कृषि का योगदान 35% है।
  • यहां की मिट्टी उपजाऊ है। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनाए रखने के लिए किसान खादों का प्रयोग करते हैं।
  • पंजाब का किसान अपने खेतों में अलग-अलग प्रकार की फ़सल उगाता है। अधिक उत्पादन के लिए वह विकसित बीजों का प्रयोग करता है। खेत के अनुरूप ट्रेक्टर और हारवैस्टर का भी प्रयोग किया जाता है।
  • पंजाब में समस्त कृषि योग्य भूमि सिंचाई पर निर्भर करती है।
  • कृषि में उपज को कीड़ों से बचाने के लिए कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है।
  • पंजाब का कृषक चाहे मशीनों का प्रयोग करता है, फिर भी उसे श्रमिकों की सहायता लेनी पड़ती है।

यू० एस० ए० में खेती-

  • खेती अथवा कृषि की दृष्टि से यू० एस० ए० एक विकसित देश माना जाता है। इस देश के केवल 30% लोग कृषि व्यवसाय में लगे हुए हैं। इसका मुख्य कारणं यह है कि यहां कृषि का सारा काम मनुष्य के स्थान पर मशीनों द्वारा किया जाता है।
  • कृषि देश की कुल भूमि के लगभग 20% भाग पर की जाती है। देश के उत्तरी-पश्चिमी, उत्तर-पूर्वी. तटीय क्षेत्र तथा भीतरी मैदान कृषि के लिए जाने जाते हैं। देश के भिन्न-भिन्न भागों में भिन्न-भिन्न प्रकार की उपजें उगाई जाती
  • यू० एस० ए० में भारत की तुलना में कृषकों के पास अधिक भूमि है। इसलिए खेतों का आकार बड़ा है। यहां के एक फार्म का औसत आकार 700 एकड़ है।
  • खेतों का आकार बड़ा होने के कारण यहां विस्तृत (Extensive) कृषि की जाती है। कृषि में मशीनों का प्रयोग बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है। वास्तव में यू० एस० ए० के फार्मों में मशीनों के बिना कृषि करना लगभग असम्भव है। एक फार्म में एक ही प्रकार (Single Crop) की फ़सल उगाई जाती है। फ़सलों को बोने से लेकर फ़सलों को स्टोरों तथा मण्डियों तक ले जाने का सारा काम मशीनों द्वारा ही किया जाता है।
  • कृषि के लिए हैलीकाप्टरों तथा वायुयानों का प्रयोग भी किया जाता है।
  • यहां का कृषक मिट्टी की किस्म, जलवायु तथा सिंचाई साधनों की पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के पश्चात् ही फ़सल का चुनाव करता है।
  • यहाँ फ़सलों को दोषों से बचाने के लिए कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग किया जाता है। सच तो यह है कि यू० एस० ए० का किसान एक किसान की तरह नहीं बल्कि एक व्यापारी की तरह कृषि करता है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 4 हमारी कृषि

PSEB 8th Class Social Science Guide हमारी कृषि Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :

1. ……….. कृषि को झूमिंग कृषि भी कहते हैं।
2. शुष्क कृषि अधिकतर ………….. भागों (प्रदेशों) में की जाती है।
3. चावल के उत्पादन में ………….. संसार में पहले स्थान पर है।
उत्तर-

  1. स्थानांतरी,
  2. मरुस्थली,
  3. चीन।

(ख) सही कथनों पर (✓) तथा गलत कथनों पर (✗) का निशान लगाएं :

1. मक्की के पौधे की उत्पत्ति संयुक्त राज्य अमरीका में हुई।
2. पंजाब राज्य के केवल सीमावर्ती जिलों में गेहूं पैदा की जाती है।
3. चाय पहाड़ी ढलानों पर उगाई जाती है।
उत्तर-

(ग) सही उत्तर चुनिए:

प्रश्न 1.
संसार में सबसे अधिक चाय कौन-सा देश पैदा करता है ?
(i) चीन
(ii) भारत
(iii) श्रीलंका
(iv) जापान।
उत्तर-
(ii) भारत

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में कौन-सी फ़सल रेशेदार है ?
(i) चाय
(ii) पटसन
(iii) मक्की
(iv) बाजरा।
उत्तर-
(ii) पटसन

प्रश्न 3.
बागाती कृषि में प्रायः किस फसल के बाग लगाए जाते हैं ?
(i) चाय
(ii) रबड़
(iii) काफी
(iv) ये सभी।
उत्तर-
(iv) ये सभी।

(घ) सही जोड़े बनाइए :

1. विशाल कृषि – उपजें तथा पशु-पालन
2. मिश्रित कृषि – बार-बार उपज प्राप्त करना
3. सघन कृषि – कृषि मशीनों का प्रयोग
4. स्थाई कृषि – पंजाब राज्य।
उत्तर-

  1. कृषि मशीनों का प्रयोग,
  2. उपजें तथा पशु-पालन,
  3. पंजाब राज्य,
  4. बार-बार उपज प्राप्त करना।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
स्थाई कृषि क्या होती है ?
उत्तर-
जब किसान एक ही स्थान पर रह कर कृषि करते हैं, तो उसे स्थाई कृषि कहते हैं। इस प्रकार की कृषि में उसी भूमि में बार-बार फ़सलें पैदा की जाती हैं। भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए प्राकृतिक (जैविक) तथा रासायनिक खादों (उर्वरकों) का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 2.
मिश्रित कृषि का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मिश्रित कृषि में अनाज, फल, सब्ज़ियां आदि उगाने के साथ-साथ किसान पशु भी पालता है। इसमें उत्तर
तथा मधुमक्खियाँ भी पाली जाती हैं। इस प्रकार किसान की आय काफ़ी बढ़ जाती है।

प्रश्न 3.
बागानी कृषि की क्या विशेषता है ?
उत्तर-
बागानी कृषि में फ़सलों को बाग़ के रूप में लगाया जाता है और बड़े पैमाने पर कृषि की जाती है। चाय, कॉफी, नारियल तथा रबड़ के बाग़ बागानी कृषि के उदाहरण हैं। इन बागों से लगातार कई वर्षों तक फल प्राप्त किया जाता है।

प्रश्न 4.
रेशेदार तथा पीने योग्य फ़सलों की सूची बनाओ।
उत्तर-
रेशेदार फ़सलें – पीने योग्य फ़सलें
(Fibre Crops) – (Beverage Crops)
कपास – चाय
पटसन – कॉफी
सन – कोको

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 4 हमारी कृषि

प्रश्न 4.
A. कपास की कौन-सी किस्म सबसे अच्छी मानी जाती है और भारत में कपास पैदा करने वाले किसी एक राज्य का नाम बताओ।
उत्तर-
लम्बे रेशे वाली कपास सबसे अच्छी किस्म की कपास मानी जाती है। भारत में महाराष्ट्र तथा गुजरात दो मुख्य उत्पादक राज्य हैं।

प्रश्न 5.
संसार के धनी देशों के लोग चावल की अपेक्षा गेहूं खाना अधिक पसन्द क्यों करते हैं ?
उत्तर-
गेहूं को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा विटामिनों से परिपूर्ण अन्न माना जाता है। इसी कारण संसार के धनी देशों के लोग चावल की बजाय गेहूं खाना अधिक पसन्द करते हैं।

प्रश्न 6.
मक्की की उपज के लिए आवश्यक तापमान तथा वर्षा की मात्रा लिखें। इसके लिए कैसा धरातल होना चाहिए ?
उत्तर –
तापमान -18° से० से 27° से० तक, मौसम कोहरा रहित होना चाहिए।
वर्षा – 50 सेंटीमीटर से 100 सेंटीमीटर तक।
धरातल – समतल या हल्की ढलान वाला

प्रश्न 7.
तेल वाले बीज क्या होते हैं ? तेल का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है ? .
उत्तर-
वे बीज जिनसे तेल प्राप्त किया जाता है, तेल वाले बीज कहलाते हैं। इनमें सरसों, तिल, सूर्यमुखी के बीज शामिल हैं। तेल हमारे भोजन तथा अन्य आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

प्रश्न 8.
रेशा हमें कौन-कौन से संसाधनों से प्राप्त होता है ? भेड़ से मिलने वाला रेशा किस काम आता है ?
उत्तर-
रेशा हमें जानवरों तथा पौधों से प्राप्त होता है। भेड से मिलने वाला रेशा (ऊन) गर्म कपड़े बनाने के काम आता है।

प्रश्न 9.
कपास के रेशे का क्या उपयोग है ?
उत्तर-
कपास का रेशा सूती कपड़ा उद्योग में कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है। इससे बना कपड़ा भार में हल्का तथा पहनने में उत्तम होता है।
PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 4 हमारी कृषि 2

प्रश्न 10.
भारत में कपास पैदा करने वाले मुख्य राज्यों के नाम बताओ। इन राज्यों में कपास अधिक पैदा होने का क्या कारण है ?
उत्तर-
भारत में कपास पैदा करने वाले मुख्य राज्य महाराष्ट्र, गुजरात तथा तेलंगाना हैं। ये राज्य देश की 60% से भी अधिक कपास पैदा करते हैं। इन राज्यों में अधिक कपास पैदा होने का मुख्य कारण यहां मिलने वाली काली मिट्टी है।

प्रश्न 11.
चाय की खेती पहाड़ी ढलानों पर क्यों की जाती है ?
उत्तर-
चाय के पौधे को सारा साल एक समान वर्षा की ज़रूरत होती है। परन्तु वर्षा का पानी पौधे की जड़ों में खड़ा नहीं होना चाहिए। पहाड़ी ढलानें इन बातों के अनुकूल होती हैं।

प्रश्न 12.
कॉफी पाऊडर कैसे तैयार किया जाता है ? इसका कौन-सा तत्त्व हमारे शरीर में उत्तेजना पैदा करता है ?
उत्तर-
कॉफी पाऊडर कॉफी के बीजों को सुखाकर, भून कर तथा पीस कर तैयार किया जाता है। कॉफी का ‘कैफीन’ नामक तत्त्व हमारे शरीर में उत्तेजना पैदा करता है।

प्रश्न 13.
कॉफी का पौधा कैसे उगाया जाता है ?
उत्तर-
कॉफी के पौधे पहले नर्सरी में उगाए जाते हैं। छ: या आठ महीने बाद इन्हें तैयार खेतों में लगा दिया जाता है। जब पौधे तीन-चार वर्ष के हो जाते हैं, तो ये फल देने लगते हैं।

प्रश्न 14.
संसार के भिन्न-भिन्न भागों में कृषि के विकास में काफ़ी भिन्नताएं देखने को मिलती हैं। इसका एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
अफ्रीका महाद्वीप के बहुत-से भागों में कृषि अभी भी पिछड़ी अवस्था में है। दूसरी ओर उत्तरी अमेरिका महाद्वीप के संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में कृषि एक बहुत ही लाभदायक व्यवसाय माना जाता है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
स्थानान्तरी कृषि की मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर-
स्थानान्तरी कृषि प्रायः पर्वतीय क्षेत्रों तथा खुले जंगलों में रहने वाले लोग करते हैं। वे जंगल के एक टुकड़े के पेड़-पौधों को साफ़ करके वहां कुछ समय के लिए कृषि करते हैं। जब उस स्थान की उपजाऊ शक्ति समाप्त हो जाती है तो ये लोग उस स्थान को छोड़कर किसी और स्थान पर जाकर कृषि करने लगते हैं। इस प्रकार की कृषि लोग प्रायः अपना गुजारा करने के लिए करते हैं। स्थानान्तरी कृषि को झूमिंग कृषि (Zhuming cultivation) भी कहते हैं। अभी भी संसार के कई देशों में इस प्रकार की कृषि की जाती है।

प्रश्न 2.
शुष्क कृषि तथा नमी वाली कृषि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
शुष्क कृषि-

  1. इस प्रकार की कृषि कम वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है। इन क्षेत्रों में वर्षा 50 सें० मी० से भी कम होती है।
  2. यह कृषि संसार के मरुस्थली भागों, जिनमें राजस्थान भी शामिल है, में की जाती है।
  3. शुष्क कृषि में दालें, जौ, मक्की आदि फ़सलें उगाई जाती हैं।

नमी वाली कृषि-

  1. इस प्रकार की कृषि अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है। इन क्षेत्रों में वर्षा 200 सें० मी० या इससे अधिक होती है।
  2. यह कृषि एशिया के अधिक वर्षा वाले दक्षिणी पूर्वी भागों में की जाती है। भारत में इस प्रकार की कृषि पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा तथा दक्षिणी भारत के अधिक वर्षा वाले भागों में होती है।
  3. नमी वाली कृषि की मुख्य फ़सल चावल है।

प्रश्न 3.
निजी कृषि और संयुक्त कृषि में अन्तर बताओ।
उत्तर-
निजी कृषि-निजी कृषि में किसान स्वयं भूमि का स्वामी होता है। कृषि में प्रयोग आने वाले सभी यन्त्र, खाद और वस्तुओं का नियन्त्रण कृषक के अपने हाथ में होता है। भूमि से होने वाली पूरी आय कृषक की अपनी निजी आय होती है।

संयुक्त कृषि-इस प्रकार की कृषि में भूमि पर सरकार का अधिकार होता है। कृषि से प्राप्त आय का कुछ भाग सरकार को कर के रूप में चला जाता है। शेष लाभ भूमि पर काम करने वाले किसानों में बांट दिया जाता है। इस प्रकार की कृषि पूर्व सोवियत संघ (USSR) के देशों में अधिक प्रचलित थी।

प्रश्न 4.
सहकारी कृषि के बारे में लिखें।
उत्तर-
सहकारी कृषि में किसान आपस में मिलकर एक सहकारी संस्था बना लेते हैं। इस संस्था के सभी सदस्य किसान अपनी-अपनी भूमि पर कृषि करते हैं। फ़सल आदि का सारा हिसाब-किताब सहकारी संस्था के हाथों में होता है। संस्था द्वारा वही फैसला लिया जाता है जो सभी सदस्यों के हित में होता है। कृषि से प्राप्त लाभ को सभी सदस्यों के बीच उनकी भूमि के अनुपात में बांटा जाता है। जिन कृषकों के पास ज़मीन कम होती है, उनके लिए तो सहकारी कृषि वरदान सिद्ध हुई है। इसलिए भारत सरकार इस प्रकार की खेती को प्रोत्साहित कर रही है।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 4 हमारी कृषि

प्रश्न 5.
चावल की कृषि के लिए अनुकूल अवस्थाओं की सूची बनाइए।
उत्तर-
तापमान – 20° सेल्सियस से 30° सेल्सियस तक
वर्षा – 100 से 200 सेंटीमीटर तक। कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए।
मिट्टी – जलौढ़, चिकनी, दोमट, डैल्टाई या काली मिट्टी।
धरातल – भूमि समतल होनी चाहिए ताकि वर्षा या सिंचाई द्वारा प्राप्त पानी खेतों में खड़ा रह सके।
श्रमिक – चावल की कृषि के लिए विशेषकर जब चावल की पौध लगाने और फ़सल काटने के समय
अधिक श्रमिकों की आवश्यकता होती है। श्रमिक प्रशिक्षित तथा कुशल होने चाहिएं।

प्रश्न 6.
संसार तथा भारत में मक्की पैदा करने वाले क्षेत्रों की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
संसार-संसार में मक्की पैदा करने वाले मुख्य देश यू० एस० ए०, चीन तथा ब्राज़ील हैं। संसार की लगभग आधी मक्की अकेले यू० एस० ए० उत्पन्न करता है। यू० एस० ए० की मक्का पेटी (Corm Belt) संसार भर में प्रसिद्ध है। यहां सूअर, घोड़े तथा अन्य पशु मक्की पर पाले जाते हैं। ब्राज़ील तथा अर्जनटाइना में भी मक्की का बहुत अधिक उत्पादन होता है।

भारत – भारत की आधी से भी अधिक मक्की का उत्पादन मध्यप्रदेश, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान राज्य करते हैं। उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, गुजरात तथा पंजाब मक्की पैदा करने वाले अन्य राज्य हैं। पंजाब के रूपनगर, अमृतसर, होशियारपुर तथा जालन्धर ज़िले मक्की की खेती के लिए प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 7.
पंजाब में कृषि के विकास पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
पंजाब कृषि में भारत के अन्य राज्यों से आगे है। यहां की कृषि के विकास की झलक निम्नलिखित बातों में देखी जा सकती है

  • पंजाब के लगभग 58% लोग कृषि में लगे हुए हैं। राज्य की कुल आय में कृषि का योगदान 35% प्रतिशत है।
  • यहां की मिट्टी उपजाऊ है। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनाये रखने के लिए किसान खादों का प्रयोग करते हैं।
  • पंजाब का किसान अपने खेतों में अलग-अलग प्रकार की फ़सल उगाता है। अधिक उत्पादन के लिए वह विकसित बीजों का प्रयोग करता है। खेत के अनुरूप ट्रेक्टर और हारवैस्टर का भी प्रयोग किया जाता है।
  • पंजाब में समस्त कृषि योग्य भूमि सिंचाई पर निर्भर करती है।
  • कृषि में उपज को कीड़ों से बचाने के लिए कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग बड़े पैमाने पर 4-5
  • पंजाब का कृषक बेशक मशीनों का प्रयोग करता है फिर भी उसे श्रमिकों की सहायता लेनी पड़

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न-कपास कैसी फ़सल है ? इसकी खेती कैसे की जाती है ? कपास पैदा करने वाले क्षेत्रों के बारे में लिखें।
उत्तर-कपास एक रेशेदार फ़सल है। इसे सूती कपड़ा उद्योग में कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है। इससे बनने वाला कपड़ा भार में हल्का और पहनने में उत्तम क्वालिटी का माना जाता है। कपास को रेशों के आधार पर तीन श्रेणियों में बाँटा जाता है-लम्बे रेशों वाली कपास, मध्यम दर्जे के रेशों वाली कपास और छोटे रेशों वाली कपास। लम्बे रेशों वाली कपास सबसे बढिया और भाव में महँगी होती है।

कपास की कृषि-कपास मैदानी भागों में अप्रैल-मई के महीने में बोई जाती है और कोहरा शुरू होने से पहले दिसम्बर तक चुन ली जाती है। भारत के दक्षिण भागों में कपास की उपज अक्तूबर से अप्रैल-मई तक होती है, क्योंकि वहाँ ठंड या कोहरे की कोई सम्भावना नहीं होती। कपास को बीमारियों और कीड़ों से बचाने के लिए अच्छे बीजों तथा कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग किया जाता है। कपास के फूल या डोडे चुनने के लिए सस्ते तथा कुशल श्रमिकों की ज़रूरत होती है।

कपास पैदा करने वाले क्षेत्र-
संसार-कपास उत्पन्न करने में यू० एस० ए० संसार में प्रथम स्थान पर तथा चीन दूसरे स्थान पर है। भारत को कपास पैदा करने में तीसरा स्थान प्राप्त है। कपास के अन्य मुख्य उत्पादक पूर्व सोवियत संघ के देश, मैक्सिको, मिस्र, सूडान तथा पाकिस्तान हैं। मिस्र अपने लम्बे रेशे वाली कपास के लिए संसार भर में विख्यात है। यू० एस० ए० में कपास का उत्पादन धीरे-धीरे कम हो रहा है।

भारत-भारत में काली मिट्टी वाले राज्य कपास पैदा करने में अन्य राज्यों से आगे हैं। भारत में भी बढ़िया प्रकार के बीज और रासायनिक खादों की सहायता से लम्बे रेशे वाली कपास पैदा की जाती है। देश में कपास पैदा करने वाले राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात और तेलंगाना, सीमांध्र मुख्य हैं। ये राज्य देश की 60% से भी अधिक कपास पैदा करते हैं। इन प्रदेशों में मुख्य रूप से काली मिट्टी पाई जाती है जो कपास पैदा करने के लिए उत्तम मानी जाती है। पंजाब और हरियाणा दोनों राज्य मिलकर देश का लगभग 25% कपास पैदा करते हैं। देश में अमरावती, नंदेड़, वर्धा तथा जलगाव (महाराष्ट्र), सुरेन्द्रनगर तथा वड़ोदरा (गुजरात), गंटूर तथा प्रकासम (पूर्व आन्ध्र प्रदेश) और बटिंडा, फिरोजपुर तथा संगरूर (पंजाब) आदि ज़िले कपास पैदा करने के लिए विख्यात हैं। पंजाब में बी० टी० काटन बीज के अच्छे परिणाम निकले हैं। पंजाब के मालवा क्षेत्र में इसे सफ़ेद सोना या श्वेत सोना भी कहा जाता है। भारत में मुम्बई, अहमदाबाद, कानपुर, नागपुर, शोलापुर, चेन्नई, दिल्ली तथा कोलकाता कपास (सूती कपड़ा) उद्योग के लिए प्रसिद्ध हैं।

हमारी कृषि PSEB 8th Class Social Science Notes

  • कृषि – कृषि का अर्थ है फ़सलें पैदा करना, पशु पालना और कृषि सम्बन्धी धन्धों को अपनाना। कृषि बहुत ही प्राचीन तथा महत्त्वपूर्ण व्यवसाय है।
  • कृषि को प्रभावित करने वाले तत्त्व – (1) जलवायु (2) धरातल (3) मिट्टी (4) सिंचाई सुविधा (5) कृषि करने का ढंग (6) मंडियों की सुविधा (7) यातायात संसाधन, बैंक आदि की सुविधाएं।
  • कृषि के प्रकार-
    1. स्थाई कृषि
    2. अस्थाई या स्थानांतरी कृषि
    3. शुष्क कृषि
    4. नमी वाली कृषि
    5. सघन कृषि
    6. विशाल कृषि
    7. मिश्रित कृषि
    8. बाग़वानी कृषि
    9. कृषि
    10. सहकारी कृषि
    11. सांझी कृषि
    12. बागाती कृषि
    13. निर्भरता कृषि
    14. व्यापारिक कृषि
  • मुख्य फ़सलें- अन्न फ़सलें-चावल, गेहूं, मक्की, ज्वार, बाजरा, दालें, तेल निकालने के बीज।
    रेशेदार फ़सलें-कपास, पटसन और सन।
    पेय फ़सलें-चाय, कॉफी तथा कोको।
    सब्जियां और फल-आलू, मटर, सेब, संगतरा, केला, आम, आड़ आदि।

कृषि का विकास – यू० एस० ए०-खेतों का बड़ा आकार, विशाल कृषि, मशीनों का प्रयोग, फ़सलों का उत्पादन व्यापारिक रूप में, प्रति एकड़ कम उत्पादन। पंजाब-खेतों का छोटा आकार, सघन कृषि, मशीनों का कम प्रयोग, निर्वाह और मण्डी में बेचने के लिए कृषि, प्रति एकड़ अधिक उत्पादन।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947 Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947

SST Guide for Class 8 PSEB भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947 Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लिखें

प्रश्न 1.
महात्मा गांधी जी किस देश से तथा कब वापिस आए ?
उत्तर-
महात्मा गांधी जी 1891 ई० में इंग्लैण्ड से तथा 1915 ई० में दक्षिणी अफ्रीका से भारत वापिस आए।

प्रश्न 2.
सत्याग्रह आन्दोलन से क्या भाव है ?
उत्तर-
सत्याग्रह महात्मा गांधी का बहुत बड़ा शस्त्र था। इसके अनुसार वह अपनी बात मनवाने के लिए धरना देते थे या व्रत रखते थे। कभी-कभी वह आमरण व्रत भी रखते थे।

प्रश्न 3.
खिलाफ़त आन्दोलन से क्या भाव है ?
उत्तर-
भारत के मुसलमान तुर्की के सुल्तान को अपना खलीफ़ा तथा धार्मिक नेता मानते थे। प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् अंग्रेज़ों ने उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। इसलिए मुसलमानों ने अंग्रेजों के विरुद्ध आन्दोलन आरम्भ कर दिया जिसे खिलाफ़त आन्दोलन कहते हैं।

प्रश्न 4.
असहयोग आन्दोलन के अन्तर्गत वकालत छोड़ने वाले तीन व्यक्तियों के नाम बताएं।
उत्तर-
मोती लाल नेहरू, डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, आर० सी० दास, सरदार पटेल, लाला लाजपत राय आदि।

प्रश्न 5.
साइमन कमीशन के विषय में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
अंग्रेज़ी सरकार ने 1919 ई० के सुधार एक्ट की जांच करने के लिए 1928 ई० में साइमन कमीशन भारत में भेजा। इस कमीशन के सात सदस्य थे, परन्तु इनमें कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था। अतः इस कमीशन का काली झंडियों तथा ‘साइमन वापिस जाओ’ के नारों से जोरदार विरोध किया गया। पुलिस ने इन आन्दोलनकारियों पर लाठीचार्ज किया। परिणामस्वरूप लाला लाजपत राय घायल हो गए तथा बाद में उनकी मृत्यु हो गई।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947

प्रश्न 6.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
महात्मा गान्धी ने स्वतन्त्रता-प्राप्ति के लिए 1930 ई० से 1934 ई० तक सिविल अवज्ञा आन्दोलन चलाया। उन्होंने इस आन्दोलन को सफल बनाने के लिए नमक सत्याग्रह आरम्भ किया। 12 मार्च, 1930 ई० को गान्धी जी ने अपने 78 साथियों सहित साबरमती आश्रम से डांडी की ओर पद-यात्रा आरम्भ की। 15 अप्रैल, 1930 ई० को उन्होंने अरब सागर के तट पर स्थित डांडी गांव में समुद्र के खारे पानी से नमक बना कर नमक कानून का उल्लंघन किया। उनका अनुसरण करते हुए सारे भारत में लोगों ने स्वयं नमक बनाकर नमक कानून को भंग किया। जहां पर नमक नहीं बनाया जा सकता था। वहां पर अन्य कानूनों का उल्लंघन किया गया। हज़ारों छात्रों ने स्कूलों-कॉलेजों में जाना बन्द कर दिया। लोगों ने सरकारी नौकरियों का त्याग कर दिया। महिलाओं ने भी इस आन्दोलन में भाग लिया। उन्होंने शराब तथा विदेशी वस्तुएं बेचने वाली दुकानों के आगे धरने दिए। सरकार ने इस आन्दोलन को दबाने के लिए इण्डियन नैशनल कांग्रेस को अवैध घोषित कर दिया तथा कांग्रेस के नेताओं को बन्दी बना लिया। पुलिस ने अनेक स्थानों पर गोलियां चलाईं। परन्तु सरकार इस आन्दोलन का दमन करने में असफल रही।

प्रश्न 7.
भारत छोड़ो आन्दोलन क्या था ?
उत्तर-
द्वितीय विश्व युद्ध में इंग्लैण्ड जापान के विरुद्ध लड़ा था। अतः जापान ने भारत पर आक्रमण करने का निर्णय लिया क्योंकि भारत पर अंग्रेज़ों का शासन था। गान्धी जी का मानना था कि यदि अंग्रेज़ भारत छोड़ कर चले जाएं तो जापान भारत पर आक्रमण नहीं करेगा। अत: 8 अगस्त, 1942 ई० को गान्धी जी ने ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन आरम्भ किया। सरकार ने 9 अगस्त, 1942 को गान्धी जी तथा कांग्रेस के अन्य नेताओं को बन्दी बना लिया। क्रोध में आकर लोगों ने स्थान-स्थान पर पुलिस थानों, सरकारी भवनों, डाकखानों तथा रेलवे स्टेशनों आदि को भारी क्षति पहुंचाई। सरकार ने भी कठोरता की नीति अपनाई। परन्तु वह आन्दोलनकारियों को दबाने में सफल न हो सकी।

प्रश्न 8.
आज़ाद हिन्द फ़ौज पर नोट लिखो।
उत्तर-
आज़ाद हिन्द फ़ौज की स्थापना सुभाष चन्द्र बोस ने जापान में की। इसका उद्देश्य भारत को अंग्रेज़ी शासन से मुक्त कराना था। आज़ाद हिन्द फ़ौज में द्वितीय विश्व युद्ध में जापान द्वारा बन्दी बनाए गए भारतीय सैनिक शामिल थे। सुभाष चन्द्र बोस ने ‘दिल्ली चलो’, ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ तथा ‘जय हिन्द’ आदि नारे लगाए थे। परन्तु द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की पराजय हो गई। अतः आज़ाद हिन्द फ़ौज भारत को आजाद कराने में असफल रही। सुभाष चन्द्र बोस की 1945 ई० में एक हवाई जहाज़ दुर्घटना में मृत्यु हो गई। अंग्रेज़ों ने आज़ाद हिन्द फ़ौज के सैनिकों को बन्दी बना लिया। इस कारण भारतीय लोगों ने सारे देश में हड़तालें कीं तथा जलसे किए। अन्त में अंग्रेज़ों ने आज़ाद हिन्द फ़ौज के सभी सैनिकों को मुक्त कर दिया।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. महात्मा गांधी जी ने रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए पूरे देश में ………… आंदोलन शुरू किया।
2. महात्मा गांधी जी ने ……….. ई० में असहयोग आंदोलन को समाप्त कर दिया।
3. ननकाना साहिब गुरुद्वारे का महन्त ………… एक चरित्रहीन व्यक्ति था।
4. 1928 में भेजे गए साइमन कमीशन के …………. सदस्य थे।
5. 26 जनवरी, 1930 ई० को सम्पूर्ण भारत में …………. दिवस मनाया गया।
उत्तर-

  1. असहयोग
  2. 1922,
  3. नारायण दास,
  4. सात,
  5. स्वतंत्रता।

III. प्रत्येक वाक्य के सामने ‘सही’ (✓) या ‘गलत’ (✗) का चिन्ह लगाएं :

1. असहयोग आन्दोलन के अधीन महात्मा गांधी जी ने अपनी केसर-ए-हिंद की उपाधि सरकार को … वापिस कर दी।
2. स्वराज पार्टी की स्थापना महात्मा गांधी जी ने की थी।
3. नौजवान भारत सभा की स्थापना 1926 ई० में भगत सिंह तथा उसके साथियों ने की थी।
4. 5 अप्रैल, 1930 ई० को महात्मा गांधी जी ने डांडी (दांडी) गांव में समुद्री पानी से नमक तैयार करके नमक कानून की अवज्ञा की।
उत्तर-

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947

IV. सही जोड़े बनाएं :

1. अहिंसा – महाराजा रिपुदमन सिंह
2. भारत छोड़ो आंदोलन – महात्मा गांधी
3. क्रांतिकारी लहर – 8 अगस्त, 1942
4. जैतों का मोर्चा – सरदार भगत सिंह
उत्तर-
1. अहिंसा – महात्मा गांधी
2. भारत छोड़ो आंदोलन – 8 अगस्त, 1942
3. क्रांतिकारी लहर -सरदार भगत सिंह
4. जैतों का मोर्चा – महाराजा रिपुदमन सिंह

PSEB 8th Class Social Science Guide भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947 Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
साइमन कमीशन भारत आया-
(i) 1918 ई०
(i) 1919 ई०
(iii) 1928 ई०
(iv) 1920 ई०।
उत्तर-
1928 ई०

प्रश्न 2.
महात्मा गाँधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया-
(i) 1930 ई० से 1934 ई०
(ii) 1942 ई० से 1945 ई०
(iii) 1919 ई० से 1922 ई०
(iv) 1945 ई० से 1947 ई०
उत्तर-
1930 ई० से 1934 ई०

प्रश्न 3.
भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ –
(i) 15 अगस्त, 1947 ई०
(ii) 8 अगस्त, 1945 ई०
(iii) 8 अगस्त, 1942 ई०
(iv) 15 अगस्त, 1930 ई०
उत्तर-
8 अगस्त,1942 ई०

प्रश्न 4.
‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ नारा दिया –
(i) लाला लाजपत राय
(i) महात्मा गांधी
(iii) सरदार पटेल
(iv) सुभाष चन्द बोस।
उत्तर-
सुभाष चन्द्र बोस

प्रश्न 5.
मार्च 1946 में भारत आया –
(i) साइमन कमीशन
(ii) कैबिनेट मिशन
(iii) राम कृष्ण मिशन
(iv) जैतों मोर्चा।
उत्तर-
कैबिनेट मिशन

प्रश्न 6.
‘दिल्ली चलो’ तथा ‘जय हिन्द’ के नारे किसने दिए ?
(i) महात्मा गांधी
(ii) लाला लाजपत राय
(iii) सुभाष चन्द्र बोस
(iv) पं० नेहरू।
उत्तर-
सुभाष चन्द्र बोस

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947

प्रश्न 7.
चाबियों के मोर्चों का सम्बन्ध किस गुरुद्वारे से था ?
(i) श्री हरिमंदर साहिब
(ii) ननकाना साहिब
(iii) गुरु का बाग़
(iv) पंजा साहिब।
उत्तर-
श्री हरिमंदर साहिब।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
रौलेट एक्ट क्या था ? लोगों ने इसका विरोध क्यों किया ?
उत्तर-
‘रौलेट एक्ट’ जनता के आन्दोलन को कुचलने के लिए बनाया गया था। इसके अनुसार किसी भी व्यक्ति को केवल सन्देह के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता था। इसलिए लोगों ने इसका विरोध किया।

प्रश्न 2.
‘साइमन कमीशन’ भारत में कब आया और इसके विरोध में किए गए आन्दोलन में किस महान् नेता की मृत्यु हुई थी ?
उत्तर-
‘साइमन कमीशन’ भारत में 1928 ई० में आया। इसके विरोध में किए गए आन्दोलन में लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई।

प्रश्न 3.
भगत सिंह के सहयोगियों के नाम बतायें। उन्हें फांसी की सज़ा कौन-से वर्ष में दी गई थी ?
उत्तर-
भगत सिंह के सहयोगी थे-सुखदेव और राजगुरु। उन्हें 23 मार्च, 1931 ई० को फांसी दी गई।

प्रश्न 4.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य की मांग कब और कहां की ?
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य की मांग 1929 ई० में अपने लाहौर अधिवेशन में की।

प्रश्न 5.
‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ किस वर्ष शुरू हुआ ? .
उत्तर-
भारत छोड़ो आन्दोलन 1942 ई० में शुरू हुआ। सरकार ने इस आन्दोलन को पूर्ण कठोरता से दबाने का प्रयत्न किया।

प्रश्न 6.
भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम कब पास हुआ ?
उत्तर-
भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम 16 जुलाई, 1947 ई० को पास हुआ। परन्तु इसे अन्तिम स्वीकृति दो दिन बाद मिली।

प्रश्न 7.
क्रिप्स कहां का मन्त्री था तथा 1942 ई० में उसके भारत में आने का क्या कारण था ?
उत्तर-
क्रिप्स ब्रिटिश सरकार का एक मन्त्री था। भारतीयों को सन्तुष्ट करने तथा उनकी सहायता करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने उसे 1942 ई० में भारत भेजा।

प्रश्न 8.
असहयोग आन्दोलन क्यों चलाया गया ?
उत्तर-
अमृतसर में जलियांवाला बाग़ में एक शान्त भीड़ पर गोलियां चलाई गईं। इस घटना के कारण गान्धी जी ने अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन चलाने का निर्णय किया।

प्रश्न 9.
असहयोग आन्दोलन कब वापिस लिया गया तथा इसका क्या कारण था ?
उत्तर-
असहयोग आन्दोलन 1922 ई० में वापस लिया गया। इसका कारण था-उत्तर प्रदेश में चौरी-चौरा के स्थान पर हुई हिंसात्मक घटना।

प्रश्न 10.
स्वतन्त्रता संग्राम के संघर्ष में लाला लाजपत राय का क्या योगदान था ?
उत्तर-
लाला लाजपत राय एक महान् देशभक्त थे। उन्होंने बंगाल विभाजन का कड़ा विरोध किया। उन्होंने साइमन कमीशन का विरोध करने के लिए लाहौर में एक जुलूस का नेतृत्व किया। पुलिस ने इन पर लाठियां बरसाईं, जिसके कारण वह शहीदी को प्राप्त हुए।

प्रश्न 11.
आजादी की लड़ाई में सरदार भगत सिंह ने क्या योगदान दिया ?
उत्तर-
सरदार भगत सिंह एक महान् क्रान्तिकारी थे। उन्होंने अंग्रेजों तक जनता की आवाज़ पहुंचाने के लिए असेम्बली हाल में बम फेंका। वह उन क्रान्तिकारियों में भी शामिल थे जिन्होंने सांडर्स को गोली से उड़ाया था।

प्रश्न 12.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन क्यों चलाया गया ?
उत्तर-
असहयोग आन्दोलन की असफलता के बाद सरकार ने अब ऐसे कानून पास किए जो जनता के हित में नहीं थे। करों की दर इतनी अधिक थी कि साधारण व्यक्ति उन्हें चुका नहीं सकता था। इन्हीं कानूनों के विरोध में सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाया गया।

प्रश्न 13.
स्वराज्य (स्वराज) पार्टी की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर-
स्वराज्य (स्वराज) पार्टी की स्थापना 1923 ई० में पं० मोती लाल नेहरू तथा सी० आर० दास ने की।

प्रश्न 14.
स्वराज्य (स्वराज) पार्टी का क्या उद्देश्य था ? क्या यह अपने उद्देश्य में सफल रही ?
उत्तर-
स्वराज्य (स्वराज) पार्टी का मुख्य उद्देश्य चुनावों में भाग लेना तथा स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष करना था। 1 नवम्बर, 1923 ई० को हुए केन्द्रीय असेम्बली तथा विधानसभाओं के चुनावों में स्वराज्य पार्टी को महत्त्वपूर्ण सफलता प्राप्त हुई।

प्रश्न 15.
पुणे (पूना) समझौता कब और किस के मध्य में हुआ ?
उत्तर-
पूना समझौता सितम्बर, 1932 ई० में महात्मा गान्धी तथा डॉ० अम्बेडकर के मध्य हुआ।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
1915 ई० तक गान्धी जी के जीवन का वर्णन करो।
उत्तर-
महात्मा गान्धी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 ई० को दीवान कर्मचन्द गान्धी जी के घर काठियावाड़ (गुजरात) के नगर पोरबन्दर में हुआ था। उनकी माता का नाम पुतली बाई था। गान्धी जी दसवीं की परीक्षा पास करके उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैण्ड गये। 1891 ई० में इंग्लैण्ड से वकालत पास करने के बाद वह भारत लौट आये। 1893 ई० में गान्धी जी दक्षिण अफ्रीका में गये। वहां अंग्रेज़ लोग भारतीयों के साथ बुरा व्यवहार करते थे। गान्धी जी ने इसकी निन्दा की। उन्होंने सत्याग्रह आन्दोलन चलाया और भारतीयों को उनके अधिकार दिलाए। 1915 ई० में गान्धी जी भारत लौट आये।

प्रश्न 2.
मांटेग्यू-चैम्सफोर्ड रिपोर्ट के आधार पर कब और कौन-सा एक्ट पास किया गया ? इसकी प्रस्तावना में क्या कहा गया था ?
उत्तर-
प्रथम विश्वयुद्ध में भारतीयों ने अंग्रेज़ों की सहायता की। अतः अंग्रेज़ों ने उन्हें ख़ुश करने के लिए मांटेग्यूचैम्सफोर्ड रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट के आधार पर. 1919 ई० में एक्ट पास किया। इस एक्ट की प्रस्तावना में ये बातें कही गयी थीं

  1. भारत ब्रिटिश साम्राज्य का ही एक अंग रहेगा।
  2. भारत में धीरे-धीरे उत्तरदायी शासन स्थापित किया जाएगा।
  3. राज प्रबन्ध के प्रत्येक विभाग में भारतीय लोगों को सम्मिलित किया जाएगा।

प्रश्न 3.
1919 के एक्ट की क्या धाराएं थीं ? इण्डियन नैशनल कांग्रेस ने इसका विरोध क्यों किया ?
उत्तर-
1919 ई० के एक्ट की मुख्य धाराएं निम्नलिखित थीं –

  1. इस एक्ट द्वारा केन्द्र तथा प्रान्तों के बीच विषयों का विभाजन कर दिया गया।
  2. प्रान्तों में दोहरी शासन प्रणाली स्थापित की गई।
  3. साम्प्रदायिक चुनाव प्रणाली का विस्तार किया गया।
  4. केन्द्र में दो सदनीय विधान परिषद् (राज्य परिषद् तथा विधानसभा) की व्यवस्था की गई।
  5. राज्य परिषद् की सदस्य संख्या 60 तथा विधानसभा के सदस्यों की संख्या 145 कर दी गई।
  6. सैक्रेटरी ऑफ़ स्टेट्स के अधिकार एवं शक्तियों को कम कर दिया गया। उसकी कौंसिल के सदस्यों की संख्या भी घटा दी गई।

1919 ई० के एक्ट के अनुसार किये गये सुधार भारतीयों को खुश नहीं कर सके। अत: इण्डियन नैशनल कांग्रेस ने इस एक्ट का विरोध करने के लिए महात्मा गांधी के नेतृत्व में सत्याग्रह आन्दोलन आरम्भ कर दिया।

प्रश्न 4.
रौलेट एक्ट पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
भारतीय लोगों ने 1919 ई० के एक्ट के विरोध में सत्याग्रह आन्दोलन करना आरम्भ कर दिया था। अत: अंग्रेज़ी सरकार ने स्थिति पर नियन्त्रण पाने के लिये 1919 ई० में रौलेट एक्ट पास किया। इसके अनुसार ब्रिटिश सरकार बिना वारंट जारी किये या बिना किसी सुनवाई के किसी भी व्यक्ति को बन्दी बना सकती थी। बन्दी व्यक्ति अपने बन्दीकरण के विरुद्ध न्यायालय में अपील (प्रार्थना) नहीं कर सकता था। अतः इस एक्ट का जोरदार विरोध हुआ। पण्डित मोती लाल नेहरू ने ‘न अपील, न वकील, न दलील’ कह कर रौलेट एक्ट की निन्दा की। गान्धी जी ने रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए सारे देश में सत्याग्रह आन्दोलन आरम्भ किया।

प्रश्न 5.
असहयोग आन्दोलन पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
असहयोग आन्दोलन गान्धी जी ने 1920 ई० में अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध चलाया। अंग्रेज़ी सरकार को कोई सहयोग न दिया जाए-यह इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य था। इस आन्दोलन की घोषणा कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में की गई। गान्धी जी ने जनता से अपील की कि वे किसी भी तरह सरकार को सहयोग न दें। एक निश्चित कार्यक्रम भी तैयार किया गया। इसके अनुसार लोगों ने सरकारी नौकरियां तथा उपाधियां त्याग दीं। महात्मा गान्धी ने अपनी केसरए-हिंद की उपाधि सरकार को लौटा दी। विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों में जाना बन्द कर दिया। वकीलों ने वकालत छोड़ दी। विदेशी वस्तुओं का भी त्याग कर दिया गया और लोग स्वदेशी माल का प्रयोग करने लगे। परन्तु चौरी-चौरा नामक स्थान पर कुछ लोगों ने एक पुलिस थाने में आग लगा दी जिससे कई पुलिस वाले मारे गए। हिंसा का यह समाचार मिलते ही गान्धी जी ने इस आन्दोलन को स्थगित कर दिया।

प्रश्न 6.
गुरुद्वारों के सम्बन्ध में सिक्खों तथा अंग्रेज़ों में बढ़ रहे तनाव पर नोट लिखें।
उत्तर-
अंग्रेज़ गुरुद्वारों के महन्तों को प्रोत्साहन देते थे। ये लोग सेवादार के रूप में गुरुद्वारों में प्रविष्ट हुए थे। परन्तु अंग्रेज़ी राज्य में वे यहां के स्थायी अधिकारी बन गए। वे गुरुद्वारों की आय को व्यक्तिगत सम्पत्ति समझने लगे। महन्तों को अंग्रेज़ों का आशीर्वाद प्राप्त था। इसलिए उन्हें विश्वास था कि उनकी गद्दी सुरक्षित है। अतः वे ऐश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करने लगे थे। सिक्ख इस बात को सहन नहीं कर सकते थे। इसलिए गुरुद्वारों के सम्बन्ध में सिक्खों तथा अंग्रेज़ों के बीच तनाव बढ़ रहा था।

प्रश्न 7.
‘गुरु का बाग मोर्चा’ की घटना का वर्णन करें।
उत्तर-
गुरुद्वारा ‘गुरु का बाग’ अमृतसर से लगभग 13 मील दूर अजनाला तहसील में स्थित है। यह गुरुद्वारा महन्त सुन्दरदास के पास था जो एक चरित्रहीन व्यक्ति था। शिरोमणि कमेटी ने इस गुरुद्वारे को अपने हाथों में लेने के लिए 23 अगस्त, 1921 ई० को दान सिंह के नेतृत्व में एक जत्था भेजा। अंग्रेजों ने इस जत्थे के सदस्यों को बन्दी बना लिया। इस घटना से सिक्ख और भी भड़क उठे। सिक्खों ने कई और जत्थे भेजे जिनके साथ अंग्रेजों ने बहुत बुरा व्यवहार किया। सारे देश के राजनीतिक दलों ने सरकार की इस कार्यवाही की कड़ी निन्दा की।

प्रश्न 8.
‘जैतों का मोर्चा’ की घटना पर नोट लिखें।
उत्तर-
जुलाई, 1923 ई० में अंग्रेज़ों ने नाभा के महाराजा रिपुदमन सिंह को बिना किसी दोष के गद्दी से हटा दिया। शिरोमणि अकाली कमेटी तथा अन्य सभी देश भक्त सिक्खों ने सरकार के इस कार्य की निन्दा की। 21 फरवरी, 1924 ई० को पांच सौ अकालियों का एक जत्था गुरुद्वारा गंगसर (जैतों) के लिए चल पड़ा। नाभा की रियासत में पहुंचने पर उसका सामना अंग्रेजी सेना से हुआ। इस संघर्ष में अनेक सिक्ख मारे गए तथा घायल हुए। अन्त में सिक्खों ने सरकार को अपनी मांग स्वीकार करने के लिए विवश कर दिया।

प्रश्न 9.
जलियांवाला बाग की घटना कब, क्यों और किस प्रकार हुई ? एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
जलियांवाला बाग की घटना अमृतसर में 1919 ई० में वैसाखी वाले दिन हुई। इस दिन अमृतसर की जनता जलियांवाला बाग में एक सभा कर रही थी। यह सभा अमृतसर में लागू मार्शल लॉ के विरुद्ध की जा रही थी। जनरल डायर ने बिना किसी चेतावनी के इस शान्तिपूर्ण सभा पर गोली चलाने की आज्ञा दे दी। इससे सैंकड़ों निर्दोष व्यक्तियों की जानें गईं और अनेक लोग घायल हुए। परिणामस्वरूप सारे देश में रोष की लहर दौड़ गई और स्वतन्त्रता संग्राम ने एक नया मोड़ ले लिया। अब यह सारे राष्ट्र की जनता का संग्राम बन गया।

प्रश्न 10.
जलियांवाला बाग की घटना ने भारत के स्वतन्त्रता संग्राम को किस प्रकार नया मोड़ दिया ?
उत्तर-
जलियांवाला बाग की घटना (13 अप्रैल, 1919 ई०) के कारण कई लोग शहीद हुए। इस घटना में हुए रक्तपात ने भारत के स्वतन्त्रता-संग्राम में एक नया मोड़ ला दिया। यह संग्राम इससे पहले गिन चुने लोगों तक ही सीमित था। अब यह जनता का संग्राम बन गया। इसमें श्रमिक, किसान, विद्यार्थी आदि भी शामिल होने लगे। दूसरे, इसके साथ स्वतन्त्रता आन्दोलन में बहुत जोश भर गया तथा संघर्ष की गति बहुत तीव्र हो गई।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947

प्रश्न 11.
पूर्ण स्वराज्य (स्वराज) के प्रस्ताव पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
31 दिसम्बर, 1929 ई० को इंडियन नैशनल कांग्रेस ने अपने वार्षिक सम्मेलन में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पास किया। यह सम्मेलन लाहौर में रावी नदी के किनारे पं० जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ था। इस सम्मेलन में यह भी निर्णय लिया गया कि यदि सरकार भारत को शीघ्र आज़ाद नहीं करती तो 26 जनवरी, 1930 ई० को सारे देश में स्वतन्त्रता दिवस मनाया जाये। सम्मेलन में स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए सत्याग्रह आन्दोलन आरम्भ करने का भी निर्णय लिया गया। 26 जनवरी, 1930 ई० को समस्त भारत में स्वतन्त्रता दिवस मनाया गया।

प्रश्न 12.
गोलमेज़ सम्मेलन (कांफ्रेंस) कहां हुए थे ? इनका संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
गोलमेज़ सम्मेलन लंदन में हुए।
पहले दो सम्मेलन-पहला गोलमेज़ सम्मेलन 1930 ई० में ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर विचार-विमर्श करने के लिए बुलाया। परन्तु यह सम्मेलन कांग्रेस द्वारा किये गये बहिष्कार के कारण असफल रहा।
5 मार्च, 1931 ई० में गान्धी जी तथा लॉर्ड इरविन के मध्य गान्धी-इरविन समझौता हुआ। इस समझौते में गान्धी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन बन्द करना तथा दूसरी गोलमेज़ कांफ्रेंस में भाग लेना स्वीकार कर लिया। दूसरी गोलमेज़ . कांफ्रेंस सितम्बर, 1931 ई० में लन्दन में हुई। इस कांफ्रेंस में गान्धी जी ने केन्द्र तथा प्रान्तों में भारतीयों का प्रतिनिधित्व करने वाले शासन को समाप्त करने की मांग की। परन्तु वह अपनी मांग मनवाने में असफल रहे। फलस्वरूप उन्होंने 3 जनवरी, 1931 ई० को फिर से सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ कर दिया। अतः गान्धी जी को अन्य कांग्रेसी नेताओं सहित बन्दी बना लिया गया।
तीसरा सम्मेलन-यह सम्मेलन 1932 ई० में हुआ। गान्धी जी ने इसमें भी भाग नहीं लिया।

प्रश्न 13.
क्रिप्स मिशन को भारत में क्यों भेजा गया ? क्या वह कांग्रेस के नेताओं को सन्तुष्ट कर सका ?
उत्तर-
सितम्बर, 1939 ई० में द्वितीय विश्व युद्ध आरम्भ हुआ। भारत में अंग्रेज़ी सरकार ने कांग्रेस के नेताओं की सलाह लिए बिना ही भारत के इस युद्ध में भाग लेने की घोषणा कर दी। कांग्रेस के नेताओं ने इस घोषणा की निन्दा की तथा प्रान्तीय विधानमण्डलों से त्याग-पत्र दे दिए। समस्या के समाधान के लिये अंग्रेजी सरकार ने मार्च, 1942 ई० में सर स्टैफर्ड क्रिप्स की अध्यक्षता में क्रिप्स मिशन को भारत में भेजा। उसने कांग्रेस के नेताओं के समक्ष कुछ सुझाव रखे जो उन्हें सन्तुष्ट न कर सके।

प्रश्न 14.
मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान की मांग पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
1939 ई० में कांग्रेस के नेताओं की ओर से प्रान्तीय विधानमण्डलों से त्याग-पत्र दे देने के कारण मुस्लिम लीग बहुत प्रसन्न हुई। इसलिए लीग के नेता मुहम्मद अली जिन्नाह ने 22 सितम्बर, 1939 ई० को मुक्ति दिवस मनाने का निर्णय किया। 23 मार्च, 1940 ई० को मुस्लिम लीग ने लाहौर में अपने सम्मेलन में हिन्दुओं तथा मुसलमानों को दो अलग राष्ट्र बताते हुए मुसलमानों के लिए स्वतन्त्र पाकिस्तान की मांग की। अंग्रेज़ों ने भी इस सम्बन्ध में मुस्लिम लीग को सहयोग दिया क्योंकि वे राष्ट्रीय आन्दोलन को कमजोर करना चाहते थे।

प्रश्न 15.
केबिनेट मिशन तथा इसके सुझावों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मार्च, 1946 ई० में अंग्रेज़ी सरकार ने तीन सदस्यों वाला केबिनेट मिशन भारत में भेजा। इसका प्रधान लॉर्ड पैथिक लारेंस था। इस मिशन ने भारत को दी जाने वाली राजनीतिक शक्ति के बारे में भारतीय नेताओं के साथ विचारविमर्श किया। इसने भारत का संविधान तैयार करने के लिए एक संविधान सभा स्थापित करने तथा देश में अन्तरिम सरकार की स्थापना करने का सुझाव दिया। सुझाव के अनुसार सितम्बर, 1946 ई० में कांग्रेस के नेताओं ने जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में अन्तरिम सरकार की स्थापना की। 15 अक्तूबर, 1946 ई० को मुस्लिम लीग भी अन्तरिम सरकार में सम्मिलित हो गई।

प्रश्न 16.
1946 के पश्चात् भारत को स्वतन्त्रता अथवा विभाजन की ओर ले जाने वाली घटनाओं की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
20 फरवरी, 1947 को इंग्लैण्ड के प्रधानमन्त्री लॉर्ड एटली ने घोषणा की कि 30 जून, 1948 ई० तक अंग्रेज़ी सरकार भारत को स्वतन्त्र कर देगी। 3 मार्च, 1947 ई० को लॉर्ड माऊंटबैटन भारत का नया वायसराय बन कर भारत आया। उसने कांग्रेस के नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया। उसने घोषणा की कि भारत को आजाद कर दिया जायेगा, परन्तु इसके दो भाग–भारत तथा पाकिस्तान बना दिये जायेंगे। कांग्रेस ने इस विभाजन को स्वीकार कर लिया क्योंकि वे साम्प्रदायिक दंगे तथा रक्तपात नहीं चाहते थे।

18 जुलाई, 1947 ई० को ब्रिटिश संसद् ने भारतीय स्वतन्त्रता एक्ट पास कर दिया। परिणामस्वरूप 15 अगस्त, 1947 ई० को भारत में अंग्रेज़ी शासन समाप्त हो गया तथा भारत स्वतन्त्र हो गया। परन्तु इसके साथ ही भारत के दो भाग बन गए। एक का नाम भारत तथा दूसरे का नाम पाकिस्तान रखा गया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
महात्मा गांधी ने किन सिद्धान्तों के आधार पर स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए प्रयत्न किए ?
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद अंग्रेज़ों ने भारतीयों के साथ किये अपने वचनों को पूरा नहीं किया। अत: भारतीयों ने महात्मा गान्धी के नेतृत्व में अंग्रेजी शासन से मुक्ति पाने के लिए योजना बनाई। महात्मा गान्धी ने निम्नलिखित सिद्धान्तों के आधार पर स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए प्रयत्न किये-

  • अहिंसा-महात्मा गान्धी ने अंग्रेज़ों का मन जीतने के लिए शान्ति एवं अहिंसा की नीति अपनाई। वैसे भी गान्धी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे।
  • सत्याग्रह आन्दोलन-महात्मा गान्धी सत्याग्रह आन्दोलन में विश्वास रखते थे। इसके अनुसार वह अपनी बात मनवाने के लिए धरना देते थे या कुछ दिनों तक उपवास रखते थे। कभी-कभी वह आमरणव्रत भी रखते थे। ऐसा करने से सारे संसार का ध्यान उनकी ओर जाता था।
  • हिन्दू-मुस्लिम एकता-महात्मा गान्धी ने सभी भारतीयों विशेष रूप से हिन्दुओं तथा मुसलमानों की एकता पर बल दिया। जब कभी किसी कारण से लोगों में दंगे-फसाद हो जाते थे तो गांधी जी वहां पहुंच कर शान्ति स्थापित करने का प्रयास करते थे।
  • असहयोग आन्दोलन-महात्मा गान्धी ने अंग्रेजों द्वारा भारतीय लोगों के साथ किये जा रहे अन्यायं का विरोध करने के लिए असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया। इसके अनुसार गान्धी जी ने भारतीय लोगों को सरकारी कार्यालयों, न्यायालयों, स्कूलों तथा कॉलेजों आदि का बहिष्कार करने को कहा।
  • खादी एवं चरखा-गान्धी जी ने ग्रामीण लोगों को खादी के वस्त्र पहनने तथा चरखे से सूत कात कर कपड़ा तैयार करने के लिए कहा। उन्होंने प्रचार किया कि विदेशी वस्तुओं का उपयोग छोड़ कर स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग किया जाए।
  • समाज सुधार-महात्मा गान्धी ने समाज में प्रचलित बुराइयों जैसे कि अस्पृश्यता को समाप्त करने का प्रयास किया। उन्होंने महिलाओं के कल्याण के लिए भी प्रयत्न किये।

प्रश्न 2.
जलियांवाला बाग़ हत्याकांड तथा खिलाफ़त आन्दोलन का वर्णन करो।
उत्तर-
जलियांवाला बाग़ हत्याकांड-1919 ई० के रौलेट एक्ट के विरुद्ध रोष प्रकट करने के लिए गान्धी जी के आदेश पर पंजाब में हड़तालें हुईं, जलसे किये गये तथा जुलूस निकाले गये। 10 अप्रैल, 1919 ई० को अमृतसर में प्रसिद्ध नेताओं डॉ० किचलू तथा डॉ० सत्यपाल को बन्दी बना लिया गया। भारतीयों ने इसका विरोध करने के लिए जुलूस निकाला। सरकार ने इस जुलूस पर गोली चलाने का आदेश दिया। परिणामस्वरूप कुछ व्यक्तियों की मृत्यु हो गई। अतः भारतीयों ने क्रोध में आकर 5 अंग्रेज़ अधिकारियों की हत्या कर दी। अंग्रेजी सरकार ने स्थिति पर नियन्त्रण करने के लिए अमृतसर शहर को सेना के हाथों में सौंप दिया।

13 अप्रैल, 1919 ई० को वैशाखी के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए लगभग 20,000 लोग एकत्रित हुए। जनरल डायर ने इन लोगों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागना आरम्भ कर दिया, परन्तु इस बाग़ का मार्ग तीन ओर से बन्द था तथा चौथी ओर के मार्ग में सैनिक होने के कारण लोग वहीं पर ही घिर गये। थोड़े ही समय में सारा बाग़ खून और लाशों से भर गया। इस रक्त रंजित घटना में लगभग 1000 लोग मारे गये तथा 3,000 से अधिक लोग घायल हुए। इस हत्याकांड का समाचार सुन कर लोगों में अंग्रेजों के विरुद्ध रोष की भावना फैल गई।

ख़िलाफ़त आन्दोलन-प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की ने अंग्रेजों के विरुद्ध जर्मनी की सहायता की। भारत के मुसलमान तुर्की के सुल्तान अब्दुल हमीद द्वितीय को अपना ख़लीफ़ा एवं धार्मिक नेता मानते थे। उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेज़ों की सहायता इसलिए की थी कि युद्ध समाप्त होने के बाद तुर्की के ख़लीफ़ा को कोई क्षति नहीं पहुंचायी जायेगी। परन्तु युद्ध समाप्त होने पर अंग्रेजों ने तुर्की,को कई भागों में बांट दिया तथा ख़लीफ़ा को बन्दी बना लिया। अतः भारत के मुसलमानों ने अंग्रेजों के विरुद्ध एक ज़ोरदार आन्दोलन आरंभ कर दिया जिसे ख़िलाफ़त आन्दोलन कहा जाता है। इस आन्दोलन का नेतृत्व शौकत अली, मुहम्मद अली, अबुल कलाम आज़ाद तथा अजमल खां ने किया। महात्मा गांधी तथा बाल गंगाधर तिलक ने भी हिन्दुओं तथा मुसलमानों में एकता स्थापित करने के लिए इस आन्दोलन में भाग लिया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947

प्रश्न 3.
महात्मा गान्धी युग का वर्णन करो।
उत्तर-
महात्मा गान्धी 1919 ई० में भारत की राजनीतिक गतिविधियों में सम्मिलित हुए। 1919 ई० से लेकर 1947 ई० तक स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए जितने भी आन्दोलन किए गए, उनका नेतृत्व महात्मा गान्धी ने किया। अत: इतिहास में 1919 ई० से 1947 ई० के समय को ‘गान्धी युग’ कहा जाता है। गान्धी जी के जीवन तथा कार्यों का वर्णन इस प्रकार है-

जन्म तथा शिक्षा-महात्मा गान्धी के बचपन का नाम मोहनदास था। उनका जन्म 2 अक्तूबर, 1869 ई० को काठियावाड़ में पोरबन्दर के स्थान पर हुआ। इनके पिता का नाम कर्मचन्द गान्धी था जो पोरबन्दर के दीवान थे। गान्धी जी ने अपनी आरम्भिक शिक्षा भारत में ही प्राप्त की। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें इंग्लैण्ड भेजा गया। वहां उन्होंने वकालत पास की और फिर भारत लौट आए।

राजनीतिक जीवन-गान्धी जी के राजनीतिक जीवन का आरम्भ दक्षिणी अफ्रीका से हुआ। उन्होंने इंग्लैण्ड से आने के बाद कुछ समय तक भारत में वकील के रूप में कार्य किया। परन्तु फिर वह दक्षिणी अफ्रीका चले गए।

गान्धी जी दक्षिणी अफ्रीका में- गान्धी जी जिस समय दक्षिणी अफ्रीका पहुंचे। उस समय वहां भारतीयों की दशा बहुत बुरी थी। वहां की गोरी सरकार भारतीयों के साथ बुरा व्यवहार करती थी। गान्धी जी इस बात को सहन न कर सके। उन्होंने वहां की सरकार के विरुद्ध सत्याग्रह आन्दोलन चलाया और भारतीयों को उनके अधिकार दिलाए।

गान्धी जी भारत में-1914 ई० में गान्धी जी दक्षिणी अफ्रीका से भारत लौटे। उस समय प्रथम विश्व-युद्ध छिड़ा हुआ था। अंग्रेज़ी सरकार इस युद्ध में उलझी हुई थी। उसे जन और धन की काफ़ी आवश्यकता थी। अतः गान्धी जी ने भारतीयों से अपील की कि वे अंग्रेज़ों को सहयोग दें। वह अंग्रेज़ी सरकार की सहायता करके उसका मन जीत लेना चाहते थे। उनका विश्वास था कि अंग्रेज़ी सरकार युद्ध जीतने के बाद भारत को स्वतन्त्र कर देगी। परन्तु अंग्रेज़ी सरकार ने युद्ध में विजय होने के बाद भारत को कुछ न दिया। उसके विपरीत उन्होंने भारत में रौलेट एक्ट लागू कर दिया। इस काले कानून के कारण गान्धी जी को बड़ी ठेस पहुंची और उन्होंने अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध आन्दोलन चलाने का निश्चय कर लिया।

असहयोग आन्दोलन-1920 ई० में गान्धी जी ने असहयोग आन्दोलन आरम्भ कर दिया। जनता ने गान्धी जी का पूरा-पूरा साथ दिया। सरकार को गान्धी जी के इस आन्दोलन के सामने झुकना पड़ा। परन्तु कुछ हिंसक घटनाएं हो जाने के कारण गान्धी जी को अपना आन्दोलन वापस लेना पड़ा।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन-1930 ई० में गान्धी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ कर दिया। उन्होंने डाण्डी यात्रा की और नमक कानून को भंग किया। सरकार घबरा गई। उसने भारतवासियों को नमक बनाने का अधिकार दे दिया। 1935 ई० में सरकार ने एक महत्त्वपूर्ण एक्ट भी पास किया।

भारत छोड़ो आन्दोलन-गान्धी जी का सबसे बड़ा उद्देश्य भारत को स्वतन्त्र कराना था। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने 1942 ई० में भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया। भारत के लाखों नर-नारी गान्धी जी के साथ हो गए। इतने विशाल जन आन्दोलन से अंग्रेज़ी सरकार घबरा गई और उसने भारत छोड़ने का निश्चय कर लिया। आखिर 15 अगस्त, 1947 ई० को भारत स्वतन्त्र हुआ। इस स्वतन्त्रता का वास्तविक श्रेय गान्धी जी को ही जाता है।

अन्य कार्य-गान्धी जी ने भारतवासियों के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए अनेक काम किए। भारत में गरीबी दूर करने के लिए उन्होंने लोगों को खादी पहनने का सन्देश दिया। अछूतों के उद्धार के लिए गान्धी जी ने उन्हें ‘हरिजन’ का नाम दिया। देश में साम्प्रदायिक दंगों को समाप्त करने के लिए गान्धी जी ने गांव-गांव घूमकर लोगों को भाईचारे का सन्देश दिया।

देहान्त-30 जनवरी, 1948 ई० की. संध्या को गान्धी जी की निर्मम हत्या कर दी गई। भारतवासी गान्धी जी की सेवाओं को कभी भुला नहीं सकते। आज भी उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से याद किया जाता है।

प्रश्न 4.
महात्मा गान्धी के असहयोग आन्दोलन का वर्णन करो।
उत्तर-
1920 ई० में महात्मा गान्धी ने अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया। इस आन्दोलन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे-

(1) पंजाब में लोगों पर किए जा रहे अत्याचारों तथा अनुचित नीतियों की निन्दा करना। (2) तुर्की के सुल्तान (खलीफ़ा) के साथ किए जा रहे अन्याय को समाप्त करना। (3) हिन्दुओं तथा मुसलमानों में एकता स्थापित करना। (4) अंग्रेजी सरकार से स्वराज (स्वतन्त्रता) प्राप्त करना।

असहयोग आन्दोलन का कार्यक्रम : (1) सरकारी नौकरियों का त्याग किया जाए। (2) सरकारी उपाधियों को लौटाया जाए। (3) सरकारी उत्सवों तथा सम्मेलनों में भाग न लिया जाए। (4) विदेशी वस्तुओं का उपयोग न किया जाए। इनके स्थान पर अपने देश में बनी वस्तुओं का उपयोग किया जाए। (5) सरकारी न्यायालयों का बहिष्कार किया जाए तथा अपने विवादों का निर्णय पंचायतों द्वारा करवाया जाए। (6) चरखे द्वारा बने खादी के कपड़े का उपयोग किया जाए।

असहयोग आन्दोलन की प्रगति-महात्मा गान्धी ने अपनी केसर-ए-हिन्द की उपाधि सरकार को लौटा दी ! उन्होंने भारतीय लोगों से आन्दोलन में भाग लेने की अपील की। अनेकों भारतीयों ने गान्धी जी के कहने पर अपनी नौकरियां त्याग दी तथा उपाधियां सरकार को लौटा दीं। हजारों की संख्या में विद्यार्थियों ने स्कूलों तथा कॉलेजों में जाना बन्द कर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा-संस्थाओं जैसे कि काशी विद्यापीठ, गुजरात विद्यापीठ, तिलक विद्यापीठ आदि में पढ़ना आरम्भ कर दिया। देश के सैंकड़ों वकीलों ने अपनी वकालत छोड़ दी। इनमें मोतीलाल नेहरू, डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, सी० आर० दास, परदार पटेल, लाला लाजपत राय आदि शामिल थे। लोगों ने विदेशी कपड़ों का त्याग कर दिया तथा चरखे द्वारा बने खादी के कपड़े का उपयोग करना आरम्भ कर दिया।

सरकार ने इस आन्दोलन के दमन के लिए हज़ारों की संख्या में आन्दोलनकारियों को बन्दी बना लिया। 1922 ई० में उत्तर प्रदेश के जिला गोरखपुर के गांव चौरी-चौरा में कांग्रेस का अधिवेशन चल रहा था। इस अधिवेशन में लगभग 3000 किसान भाग ले रहे थे। यहां पर पुलिस ने उन पर गोलियां चलाईं। किसानों ने क्रोध में आकर पुलिस थाने पर आक्रमण कर दिया और उसे आग लगा दी। परिणामस्वरूप थाने में 22 सिपाहियों की मृत्यु हो गई। अतः गान्धी जी ने 12 फरवरी, 1922 ई० को बारदौली में असहयोग आन्दोलन को स्थगित कर दिया। . ___

महत्त्व-भले ही महात्मा गान्धी ने असहयोग आन्दोलन को स्थगित कर दिया था, फिर भी इसका राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रसार में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।

  • इस आन्दोलन में भारत के लगभग सभी वर्गों के लोगों ने भाग लिया था जिससे उनमें राष्ट्रीय भावना पैदा हुई।
  • महिलाओं ने भी इसमें भाग लिया। अतः उनमें भी आत्म-विश्वास पैदा हुआ।
  • इस आन्दोलन के कारण कांग्रेस पार्टी की लोकप्रियता बहुत अधिक बढ़ गई।
  • आन्दोलन वापिस लिए जाने के कारण कांग्रेस के कुछ नेता गान्धी जी से नाराज़ हो गए। इनमें पं० मोती लाल नेहरू तथा सी० आर० दास शामिल थे। उन्होंने स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए 1923 ई० में ‘स्वराज्य पार्टी’ की स्थापना की।

प्रश्न 5.
क्रान्तिकारी आन्दोलन (1919-1947 के दौरान) का वर्णन करो।
उत्तर-
भारत को अंग्रेज़ी शासन से मुक्ति दिलाने के लिए देश में कई क्रान्तिकारी आन्दोलन भी चले। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –

1. बब्बर अकाली आन्दोलन-कुछ अकाली सिक्ख नेता गुरुद्वारा सुधार आन्दोलन को हिंसात्मक ढंग से चलाना चाहते थे। उन्हें बब्बर अकाली कहा जाता है। उनके नेता किशन सिंह ने चक्रवर्ती जत्था स्थापित करके होशियारपुर तथा जालन्धर में अंग्रेजों के दमन के विरुद्ध आवाज़ उठाई। 26 फरवरी, 1923 को उन्हें उनके 186 साथियों सहित बन्दी बना लिया गया। इनमें से 5 को फांसी दी गई।
2. नौजवान भारत सभा-नौजवान भारत सभा की स्थापना 1926 में लाहौर में हुई। इसके संस्थापक सदस्य भगत सिंह, राजगुरु, भगवतीचरण वोहरा, सुखदेव आदि थे।

मुख्य उद्देश्य-इस सभा के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे –

  • बलिदान की भावना का विकास करना।
  • लोगों को देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत करना।
  • जनसाधारण में क्रान्तिकारी विचारों का प्रचार करना।

सदस्यता-इस सभा में 18 वर्ष से 35 वर्ष के सभी नर-नारी शामिल हो सकते थे। केवल वही व्यक्ति इसके सदस्य बन सकते थे जिनको इनके कार्यक्रम में विश्वास था। पंजाब की अनेक महिलाओं तथा पुरुषों ने इस सभा को अपना सहयोग दिया। दुर्गा देवी वोहरा, सुशीला मोहन, अमर कौर, पार्वती देवी तथा लीलावती इस सभा की सदस्या थीं।

गतिविधियां-इस सभा के सदस्य साइमन कमीशन के आगमन के समय पूरी तरह सक्रिय हो गए। पंजाब में लाला लाजपतराय के नेतृत्व में लाहौर में क्रान्तिकारियों ने साइमन कमीशन के विरोध में जुलूस निकाला। अंग्रेज़ी सरकार ने जुलूस पर लाठीचार्ज किया। इसमें लाला लाजपतराय बुरी तरह से घायल हो गए। 17 नवम्बर, 1928 ई० को उनका देहान्त हो गया। इसी बीच भारत के सभी क्रान्तिकारियों ने अपनी केन्द्रीय संस्था बनाई जिसका नाम रखा गयाहिन्दोस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन । नौजवान भारत सभा के सदस्य भी इस एसोसिएशन के साथ मिलकर काम करने लगे।

असेम्बली बम केस-8 अप्रैल, 1929 को दिल्ली में भगत सिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने विधानसभा में बम फेंक कर आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस ने दो अन्य क्रान्तिकारियों सुखदेव तथा राजगुरु को भी बन्दी बना लिया।

23 मार्च, 1931 ई० को भगत सिंह, सुखदेव तथा राजगुरु को पुलिस अधिकारी सांडर्स की हत्या के अपराध में फांसी दे दी गई।

सच तो यह है कि नौजवान भारत सभा के क्रान्तिकारी भगत सिंह ने अपना बलिदान देकर एक ऐसा उदाहरण पेश किया जिस पर आने वाली पीढ़ियां गर्व करेंगी।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 22 भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947

प्रश्न 6.
गुरुद्वारा सुधार आन्दोलन के बारे में लिखो।
उत्तर-
1920 ई० से 1925 ई० तक के काल में पंजाब में गुरुद्वारों को महन्तों के अधिकार से मुक्त कराने के लिए ‘गुरुद्वारा सुधार लहर’ की स्थापना की गई। इस लहर को अकाली लहर भी कहा जाता है क्योंकि अकालियों द्वारा ही गुरुद्वारों को मुक्त कराया गया था।

गुरुद्वारा सुधार आन्दोलन को सफल बनाने के लिए अकाली दल ने कई मोर्चे लगाए जिनमें से कुछ मुख्य मोर्चों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-

1. ननकाना साहिब का मोर्चा-ननकाना साहिब का महन्त नारायण दास बड़ा ही चरित्रहीन व्यक्ति था। उसे गुरुद्वारे से निकालने के लिए 20 फरवरी, 1921 ई० के दिन एक शान्तिमय जत्था ननकाना साहिब पहुंचा। महन्त ने जत्थे के साथ बड़ा जुरा व्यवहार किया। उसके पाले हुए गुण्डों ने जत्थे पर आक्रमण कर दिया। जत्थे के नेता भाई लक्ष्मण सिंह तथा इसके साथियों को जीवित जला दिया गया।

2. हरमन्दर साहिब के कोष की चाबियों का मोर्चा- हरमन्दर साहिब के कोष की चाबियां अंग्रेज़ों के पास थीं। शिरोमणि कमेटी ने उनसे गुरुद्वारे की चाबियां मांगीं, परन्तु उन्होंने चाबियां देने से इन्कार कर दिया। अंग्रेज़ों के इस कार्य के विरुद्ध सिक्खों ने बहुत से प्रदर्शन किए। अंग्रेजों ने अनेक सिक्खों को बन्दी बना लिया। कांग्रेस तथा खिलाफ़त कमेटी ने भी सिक्खों का समर्थन किया। विवश होकर अंग्रेज़ों ने कोष की चाबियां शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी को सौंप दीं।

3. ‘गुरु का बाग’ का मोर्चा-गुरुद्वारा ‘गुरु का बाग’ अमृतसर से लगभग 13 मील दूर अजनाला तहसील में स्थित है। यह गुरुद्वारा महन्त सुन्दरदास के पास था जो एक चरित्रहीन व्यक्ति था। शिरोमणि कमेटी ने इस गुरुद्वारे को अपने हाथों में लेने के लिए 23 अगस्त, 1921 ई० को दान सिंह के नेतृत्व में एक जत्था भेजा। अंग्रेजों ने इस जत्थे के सदस्यों को बन्दी बना लिया। इस घटना से सिक्ख और भी भड़क उठे। उन्होंने और अधिक संख्या में जत्थे भेजने आरम्भ कर दिए। इन जत्थों के साथ बुरा व्यवहार किया गया। इनके सदस्यों को लाठियों से पीटा गया।

4. पंजा साहिब की घठना-सरकार ने ‘गुरु का बाग’ के मोर्चे में बंदी बनाए गए सिक्खों को रेलगाड़ी द्वारा अटक जेल में भेजने का निर्णय किया। पंजा साहिब के सिक्खों ने सरकार से प्रार्थना की कि रेलगाड़ी को हसन अब्दाल में रोका जाए ताकि वे जत्थे के सदस्यों को भोजन दे सकें। परन्तु सरकार ने जब सिक्खों की इस प्रार्थना को स्वीकार न किया तो भाई कर्म सिंह तथा भाई प्रताप सिंह नामक दो सिक्ख रेलगाड़ी के आगे लेट गए और शहीदी को प्राप्त हुए। इन दोनों की शहीदी के अतिरिक्त दर्जनों सिक्खों के अंग कट गए।

5. जैतों का मोर्चा-जुलाई, 1923 ई० में अंग्रेज़ों ने नाभा के महाराजा रिपुदमन सिंह को बिना किसी दोष के गद्दी से हटा दिया। अकालियों ने सरकार के विरुद्ध गुरुद्वारा गंगसर (जैतों) में बड़ा भारी जलसा करने का निर्णय किया। 21 फरवरी, 1924 ई० को पांच सौ अकालियों का एक जत्था गुरुद्वारा गंगसर के लिए चल पड़ा। नाभा की रियासत में पहुंचने पर उनका सामना अंग्रेजी सेना से हुआ। सिक्ख निहत्थे थे। फलस्वरूप 100 से भी अधिक सिक्ख शहीदी को प्राप्त हुए और 200 के लगभग सिक्ख घायल हुए।

6. सिक्ख गुरुद्वारा अधिनियम-1925 ई० में पंजाब सरकार ने सिक्ख गुरुद्वारा कानून पास कर दिया। इसके अनुसार गुरुद्वारों का प्रबन्ध और उनकी देखभाल सिक्खों के हाथ में आ गई। सरकार ने धीरे-धीरे सभी बन्दी सिक्खों को मुक्त कर दिया।

इस प्रकार अकाली आन्दोलनों के अन्तर्गत सिक्खों ने महान् बलिदान दिए। एक ओर तो उन्होंने गुरुद्वारे जैसे पवित्र स्थानों से अंग्रेजों के पिट्ट महन्तों को बाहर निकाला और दूसरी ओर सरकार के विरुद्ध एक ऐसी अग्नि भड़काई जो स्वतन्त्रता प्राप्ति तक जलती रही।

भारत का स्वतन्त्रता संग्राम : 1919-1947 PSEB 8th Class Social Science Notes

  • सत्य और अहिंसा -1916 ई० के पश्चात् भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के मुख्य नेता महात्मा गांधी जी थे। उन्होंने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाकर राष्ट्रीय आन्दोलन को सबल बनाया। उनके द्वारा चलाए गए सभी आन्दोलन सत्य और अहिंसा पर आधारित थे।
  • आन्दोलन की घटनाएं – प्रमुख खिलाफ़त आन्दोलन, साइमन कमीशन का आगमन, डाण्डी यात्रा, भारत छोड़ो आन्दोलन तथा कुछ अन्य घटनाएं इस आन्दोलन में मील का पत्थर सिद्ध हईं।
  • रौलेट एक्ट – अंग्रेज़ों ने यह कानून भारतीय भावनाओं को कुचलने के लिए 1919 में पास किया। इसके अनुसार किसी व्यक्ति को बिना मुकद्दमा चलाए बन्दी बनाया जा सकता था।
  • जलियांवाला बाग़ दुर्घटना – रौलेट एक्ट के विरोध में भारत में स्थान-स्थान पर जलसे और जुलूस निकाले गए। ऐसी ही एक विरोध सभा 13 अप्रैल, 1919 का अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में हुई। निःशस्त्र भीड़ पर गोलियां चलाकर जनरल डायर ने अनगिनत लोगों की हत्या की तथा अनगिनत लोगों को घायल कर दिया।
  • असहयोग आन्दोलन यह आन्दोलन अंग्रेज़ी शासन के विरोध में 1920 में आरम्भ किया गया। इसमें हिन्दू तथा मुसलमानों ने एक साथ मिलकर सरकार का विरोध किया।
  • खिलाफ़त आन्दोलन यह आन्दोलन असहयोग आन्दोलन के साथ-साथ चला। मुसलमानों ने यह आन्दोलन अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध इसलिए चलाया था, क्योंकि इंग्लैण्ड की सरकार ने तुर्की के सुल्तान के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया था।
  • नौजवान सभा – नौजवान सभा की स्थापना 1925-26 ई० में सरदार भगत सिंह ने की। नौजवान सभा
    के मुख्य उद्देश्य थे-नवयुवकों में बलिदान की भावना पैदा करना, देश-भक्ति तथा क्रान्तिकारी विचारों का प्रचार करना।
  • अकाली लहर अथवा गुरुद्वारा सुधार आन्दोलन – अंग्रेजों के समय पंजाब के गुरुद्वारों का प्रबन्ध भ्रष्ट महन्तों के हाथ में था। सिक्ख भ्रष्ट महन्तों से अपने धार्मिक स्थानों को बचाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने गुरुद्वारा आन्दोलन सुधार का आरम्भ किया।
  • बब्बर अकाली लहर – कई सिक्ख नेता गुरुद्वारा सुधार आन्दोलन को हिंसात्मक ढंग से चलाना चाहते थे।
    उनके नेता किशन सिंह ने चक्रवर्ती जत्था स्थापित करके होशियारपुर तथा जालन्धर में अंग्रेज़ी पिटुओं के दमन के विरुद्ध प्रचार किया।
  • साइमन कमीशन – यह कमीशन 1928 में इसलिए भारत भेजा गया था ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि 1919 के कानून के बाद भारतीयों को और क्या राजनीतिक सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं।
  • पूर्ण स्वराज्य (स्वराज) – 1929 के लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पास किया।
  • सविनय अवज्ञा आन्दोलन – यह आन्दोलन 1930 ई० में गांधी जी ने डाण्डी मार्च के साथ आरम्भ किया। इसका प्रथम चरण 1931 में समाप्त हुआ। इसका दूसरा चरण 1934 में आरम्भ हुआ। सरकार ने भारतीय जनता पर बड़े अत्याचार किए।
  • भारत छोड़ो आन्दोलन – द्वितीय महायुद्ध के दौरान कांग्रेस ने गांधी जी की अध्यक्षता में भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया। सभी बड़े-बड़े भारतीय नेताओं को बन्दी बना लिया गया। इससे अंग्रेज़ भारत को स्वतन्त्र करने के लिए बाध्य हो गए।
  • भारत की स्वतन्त्रता – भारत 1947 में स्वतन्त्र कर दिया गया। इसके एक भाग को इससे अलग कर दिया गया। यह नया भाग पाकिस्तान के नाम से अस्तित्व में आया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 20 कलाएं-चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला आदि में परिवर्तन

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 20 कलाएं-चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला आदि में परिवर्तन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 20 कलाएं-चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला आदि में परिवर्तन

SST Guide for Class 8 PSEB कलाएं-चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला आदि में परिवर्तन Textbook Questions and Answers

कलाएं-चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला आदि में परिवर्तन Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखें :

प्रश्न 1.
‘आनन्दमठ’ उपन्यास की रचना किसने की थी ?
उत्तर-
बंकिमचन्द्र चटर्जी ने।

प्रश्न 2.
लघु-वार्ता के प्रसिद्ध लेखकों के नाम लिखें।
उत्तर-
लघु-वार्ता के प्रसिद्ध लेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर, प्रेमचंद, यशपाल, जेतिंदर कुमार, कृष्ण चन्द्र आदि थे।

प्रश्न 3.
भारत में सबसे पहला छापाखाना कब तथा किसने शुरू किया ?
उत्तर-
भारत में सबसे पहला छापाखाना 1557 ई० में पुर्तगालियों ने शुरू किया।

प्रश्न 4.
बाल गंगाधर तिलक ने कौन-से दो अखबारों का प्रकाशन करवाया ?
उत्तर-
मराठी भाषा में ‘केसरी’ तथा अंग्रेज़ी भाषा में ‘मराठा’ नामक अखबारों का।

प्रश्न 5.
बड़ौदा यूनिवर्सिटी के आर्ट स्कूल के प्रसिद्ध चित्रकारों के नाम लिखें।
उत्तर-
जी० आर० सन्तोष, गुलाम शेख, शान्ति देव आदि।

प्रश्न 6.
मद्रास कला स्कूल के प्रसिद्ध कलाकारों के नाम लिखें।
उत्तर-
सतीश गुजराल, रामकुमार तथा के० जी० सुब्रामणियम।

प्रश्न 7.
19वीं सदी तथा 20वीं सदी के आरम्भ में साहित्य पर नोट लिखें।
उत्तर-
19वीं तथा 20वीं सदी के आरम्भ में साहित्य के हर क्षेत्र में विकास हुआ जिसका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है
1. उपन्यास कहानी आदि कथा साहित्य-

  1. बंगाली साहित्य के प्रमुख लेखक बंकिम चन्द्र चटर्जी, माइकल मधुसूदन दत्त, शरत चन्द्र चटर्जी आदि थे। बंकिम चन्द्र चटर्जी के उपन्यास ‘आनन्द मठ’ को ‘बंगाली देश-प्रेम की बाइबल’ कहा जाता है।
  2. मुंशी प्रेमचन्द ने अपने उपन्यासों ‘गोदान’ तथा ‘रंगभूमि’ में अंग्रेजी सरकार द्वारा किसानों के शोषण पर प्रकाश डाला है। उन्होंने उर्दू तथा हिन्दी में और भी कई उपन्यास लिखे।
  3. हेमचन्द्र बैनर्जी, दीनबन्धु मित्र, रवीन्द्रनाथ टैगोर आदि लेखकों ने देश-प्रेम की रचनाएं लिखीं।

2. काव्य-रचना-यूरोप के साहित्य के सम्पर्क में आने के पश्चात् भारतीय काव्य-रचना में रोमांसवाद का आरम्भ हुआ। परन्तु भारतीय काव्य-रचना में राष्ट्रवाद तथा राष्ट्रीय आन्दोलन पर अधिक बल दिया गया। काव्य-रचना को समृद्ध बनाने वाले प्रसिद्ध कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर (बंगला), इकबाल (उर्दू), केशव सुत (मराठी), सुब्रह्मण्यम भारती (तमिल) आदि हैं।

3. नाटक तथा सिनेमा-भारतीय नाटककारों तथा कलाकारों ने पूर्वी तथा पश्चिमी शैली को एक करने का प्रयास किया। इस काल के प्रसिद्ध नाटककार थे-गिरीश कारनंद (कन्नड़), विजय तेंदुलकर (मराठी) और मुलखराज आनन्द तथा आर० के० नारायण (अंग्रेज़ी)। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी रचनाओं में राष्ट्रीय जागृति तथा अन्तर्राष्ट्रीय मानववाद पर बल दिया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 20 कलाएं-चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला आदि में परिवर्तन

प्रश्न 8.
19वीं सदी तथा 20वीं सदी के आरम्भ में चित्रकारी पर नोट लिखो।
उत्तर-
19वीं तथा 20वीं सदी के आरम्भ में विभिन्न कला स्कूलों तथा कला ग्रुपों द्वारा चित्रकारी को नया रूप मिला जिसका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-

  • राजा रवि वर्मा ने यूरोपीय प्रकृतिवाद को भारतीय पौराणिक कथाओं के साथ मिलाकर चित्रित किया।
  • बंगाल कला स्कूल के चित्रकारों रवीन्द्रनाथ टैगोर, हॉवैल कुमार स्वामी ने भारतीय पौराणिक कथाओं, महाकाव्यों तथा पुरातन साहित्य पर आधारित चित्र बनाये।।
  • अमृता शेरगिल तथा जार्ज कीट के चित्र आधुनिक यूरोपीय कला, आधुनिक जीव-आत्मा तथा हाव-भावों से अधिक प्रभावित हैं। जार्ज कीट द्वारा प्रयोग की गई रंग-योजना बहुत ही प्रभावशाली है।
  • रवीन्द्रनाथ टैगोर ने जल रंगों तथा रंगदार चाक से सुन्दर चित्र बनाये। .
  • बम्बई के प्रसिद्ध कलाकारों के फूलों तथा स्त्रियों के चित्र अपने रंगों के कारण बहुत ही सुन्दर बन पड़े हैं। इन कलाकारों में फ्रांसिस न्यूटन सुजा, के० एच० अरा, एस० के० बैनर आदि के नाम लिए जा सकते हैं।
  • इसके अतिरिक्त बड़ौदा यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ आर्ट, मद्रास कला स्कूल तथा नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट का भी चित्रकला को लोकप्रिय बनाने में काफ़ी योगदान रहा।

प्रश्न 9.
कलाओं में परिवर्तन से क्या भाव है ?
उत्तर-
कलाओं में विशेष रूप से संगीत, नृत्य तथा नाटक आदि सम्मिलित हैं। अंग्रेजों के भारत में आने से पहले इन क्षेत्रों में भारत की धरोहर बहुत ही समृद्ध थी। हमारे देश का पुरातन संगीत, हिन्दुस्तानी तथा कर्नाटक संगीत स्कूल भारत की इस समृद्ध धरोहर के उदाहरण हैं।

  • हमारे देश के लोक संगीत तथा लोक नृत्य लोगों में उत्साह भर देते हैं। इनमें हमारा पुरातन भारतीय नृत्य, कथाकली, कुचिपुड़ी तथा कत्थक आदि के नाम लिए जा सकते हैं।
  • रंगमंचों पर मंचित हमारे नाटक तथा पुतलियों के नाच हमारी सांस्कृतिक परम्परा के महत्त्वपूर्ण अंग हैं।
  • भारत में भिन्न-भिन्न प्रकार के वाद्य यन्त्र जैसे कि सितार, ढोल, तूम्बी, सारंगी, तबला आदि प्रचलित हैं। बांसुरी, शहनाई, अलगोजे आदि हवा वाले वाद्य यन्त्र हैं।
  • भारत के महान् कलाकारों, जैसे कि कुमार गन्धर्व, रविशंकर, रुकमणी देवी, रागिनी देवी, उदय शंकर तथा पण्डित जसराज ने भारतीय संगीत तथा नृत्य के क्षेत्र में अत्यधिक प्रसिद्धि प्राप्त की।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. ……………. में बंगाली भाषा में बहुत से साहित्य की रचना की गई।
2. ‘वन्देमातरम’ राष्ट्रीय गीत………… द्वारा रचा गया।
3. मुंशी प्रेमचन्द ने …………. तथा …………. भाषा में कई उपन्यास लिखे।
4. अमृता शेरगिल तथा …………. प्रसिद्ध भारतीय चित्रकार थे।
उत्तर-

  1. 19वीं सदी
  2. बंकिम चंद्र चटर्जी
  3. उर्दू, हिन्दी
  4. जार्ज कीट।

III. प्रत्येक वाक्य के सामने ‘संही’ (✓) या ‘गलत’ (✗) का चिन्ह लगाओ :

1. प्रिंस ऑफ़ वेल्ज़ म्यूज़ियम को आजकल ‘छत्रपति शिवाजी महाराज वस्तु संग्रहालय’ भी कहा जाता है। – (✓)
2. मैरीना समुद्री तट 10 किलोमीटर लंबा है। – (✗)
3. वार मैमोरियल विश्व के प्रथम युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की याद में बनाया गया। – (✓)
4. आजकल फोर्ट सैंट जार्ज भवन में तमिलनाडु शासन की विधानसभा तथा सचिवालय के कार्यालय हैं। – (✗).

PSEB 8th Class Social Science Guide कलाएं-चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला आदि में परिवर्तन Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
‘आनन्दमठ’ उपन्यास की रचना की-
(i) इकबाल
(ii) रवीन्द्रनाथ टैगोर
(iii) बंकिम चन्द्र चैटर्जी
(iv) मुंशी प्रेमचन्द।
उत्तर-
बंकिम चन्द्र चटर्जी

प्रश्न 2.
भारत में सबसे पहला छापाखाना स्थापित किया –
(i) पुर्तगालियों ने
(ii) फ्रांसीसियों ने
(iii) अंग्रेज़ों ने
(iv) डचों ने।
उत्तर-
पुर्तगालियों ने

प्रश्न 3.
बड़ौदा यूनिवर्सिटी के आर्ट स्कूल के प्रसिद्ध चित्रकार हैं-
(i) जी० आर० सन्तोष
(ii) गुलाम शेख
(iii) शान्ति देव
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
उपरोक्त सभी

प्रश्न 4.
गोदान तथा रंग भूमि के लेखक हैं-
(i) अवीन्द्र नाथ
(ii) रवीन्द्र नाथ टैगोर
(iii) बंकिम चन्द्र चैटजी
(iv) मुंशी प्रेमचन्द।
उत्तर-
मुंशी प्रेमचन्द

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 20 कलाएं-चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला आदि में परिवर्तन

प्रश्न 5.
दो शिल्पकारों जार्ज विलटेट तथा उसके मित्र जॉन बेग ने निम्न भवन का निर्माण किया –
(i) इंडिया गेट
(ii) चर्च गेट
(iii) लाहौरी गेट
(iv) गेटवे ऑफ़ इंडिया।
उत्तर-
गेटवे ऑफ इंडिया

प्रश्न 6.
वन्दे मातरम् गीत किसने लिखा ?
(i) मुंशी प्रेमचन्द
(ii) रविन्द्र नाथ टैगोर
(iii) बंकिम चन्द्र चैटर्जी
(iv) वीरसलिंगम।
उत्तर-
बंकिम चन्द्र चैटर्जी।

(ख) सही कथन पर (✓) तथा गलत कथन (✗) पर का निशान लगाएं :

1. रविन्द्रनाथ टैगोर ने शांति निकेतन में ‘कला भवन’ की स्थापना की।
2. फोर्ट सेंट जार्ज भारत में पहला अंग्रेज़ी किला था।
3. वंदे मातरम गीत ‘आनंद विवाह’ नामक उपन्यास में शामिल है।
उत्तर-

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
‘वन्दे मातरम्’ नामक राष्ट्रीय गीत किस उपन्यास से लिया गया है ?
उत्तर-
‘आनन्दमठ’ से।

प्रश्न 2.
बंकिम चन्द्र चटर्जी के किस उपन्यास को ‘बंगाली देश-प्रेम की बाइबल’ कहा जाता है और क्यों ?
उत्तर-
बंगला उपन्यास ‘आनन्दमठ’ को, क्योंकि इसमें राष्ट्र-प्रेम के बहुत-से गीत हैं।

प्रश्न 3.
मुंशी प्रेमचन्द के किन्हीं दो प्रसिद्ध उपन्यासों के नाम बताओ।
उत्तर-
गोदान तथा रंगभूमि।।

प्रश्न 4.
राजा राममोहन राय द्वारा प्रकाशित दो अख़बारों के नाम लिखिए।
उत्तर-
संवाद कौमुदी तथा मिरत-उल-अख़बार।

प्रश्न 5.
राजा रवि वर्मा कौन था ?
उत्तर-
राजा रवि वर्मा आधुनिक भारत का एक प्रसिद्ध चित्रकार तथा मूर्तिकार था। उसके चित्र भारतीय महाकाव्यों तथा संस्कृत साहित्य से सम्बन्धित हैं।

प्रश्न 6.
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कलो-भवन की स्थापना कहां की ?
उत्तर-
शान्ति निकेतन में।

प्रश्न 7.
मद्रास कला स्कूल के दो प्रसिद्ध चित्रकारों के नाम बताओ।
उत्तर-
डी० आर० चौधरी तथा के० सी० एस० पानिकर।

प्रश्न 8.
हवा वाले (वात्) तीन वाद्य यन्त्रों के नाम लिखिए।
उत्तर-
(1) बांसुरी (2) शहनाई (3) अलगोज़ा।

प्रश्न 9.
‘मुम्बई के प्रिंस ऑफ़ वेल्ज़ म्यूज़ियम’ का आधुनिक नाम क्या है ? यह किस भवन के निकट स्थित
उत्तर-
मुम्बई के प्रिंस ऑफ वेल्ज़ म्यूज़ियम का आधुनिक नाम ‘छत्रपति शिवाजी महाराज वस्तु संग्रहालय’ है। यह गेटवे ऑफ़ इण्डिया के निकट स्थित है।

प्रश्न 10.
गेटवे ऑफ़ इंडिया को किन दो शिल्पकारों ने बनाया था ?
उत्तर-
जार्ज विलटेट तथा उसके मित्र जॉन बेग ने।

प्रश्न 11.
चेन्नई के दो प्रसिद्ध समुद्री तटों के नाम बताइए।
उत्तर-
मैरीना तथा वी० जी० बी० गोल्डन बीच।।

प्रश्न 12.
चेन्नई की ‘वार मैमोरियल’ नामक इमारत किसकी याद में बनाई गई थी ?
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध में शहीद होने वाले सैनिकों की याद में।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
19वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी के आरम्भ तक उपन्यास के क्षेत्र में हुए विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
आधुनिक काल में बंकिम चन्द्र चटर्जी, माइकल मधुसूदन दत्त तथा शरत् चन्द्र चटर्जी बंगाली साहित्य के प्रसिद्ध विद्वान् थे। बंकिम चन्द्र चटर्जी ने बंगला भाषा में एक प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनन्द मठ’ लिखा। इसमें कई गीत हैं। इनमें हमारा राष्ट्रीय गीत ‘वन्दे मातरम्’ भी शामिल है। इस उपन्यास को वर्तमान ‘बंगाली देश-प्रेम की बाइबल’ कहा गया है। ___मुंशी प्रेमचन्द ने उर्दू तथा हिन्दी भाषा में कई उपन्यास लिखे। उन्होंने अपने ‘गोदान’ तथा ‘रंगभूमि’ उपन्यासों में अंग्रेज़ी सरकार द्वारा किसानों के शोषण पर प्रकाश डाला है। हेमचन्द्र बैनर्जी, दीन बन्धु मित्र, रंग लाल, केशव चन्द्र सेन, रवीन्द्र नाथ टैगोर (ठाकुर) आदि विद्वानों की रचनाओं ने भी लोगों के दिलों में देश-प्रेम की भावनाएं कूट-कूट कर भर दी थीं।

प्रश्न 2.
19वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक काव्य-रचना के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
यूरोप के साहित्य के संपर्क में आने के पश्चात् भारतीय काव्य-रचना में रोमांसवाद का आरम्भ हुआ। परन्तु भारतीय काव्य रचना ने राष्ट्रवाद एवं राष्ट्रीय आन्दोलन पर अधिक बल दिया। भारत के प्रसिद्ध कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर (बंगाली), इक़बाल (उर्दू), कॉज़ी नज़रुल इस्लाम (बंगाली), केशव सुत (मराठी), सुब्रह्मण्यम भारती (तमिल) आदि हैं। 1936 ई० के पश्चात् की काव्य-रचना में लोगों के दैनिक जीवन तथा उनके कष्टों का वर्णन मिलता है। फैज तथा मेज़ाज़ (उर्दू), जीवन नन्द दास (बंगाली), अज्ञेय तथा मुक्ति बोध (हिन्दी) आदि कवियों ने नई काव्य-रचना प्रस्तुत की। स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद नई काव्य-रचना रघुवीर सहाय, केदारनाथ सिंह (हिन्दी), शक्ति चट्टोपाध्याय (बंगाली) आदि कवियों द्वारा की गई।

प्रश्न 3.
19वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक नाटक तथा सिनेमा के क्षेत्र में क्या विकास हुआ ?
उत्तर-
19वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी के आरम्भ तक भारतीय कलाकारों तथा नाटककारों ने नाटक प्रस्तुति में पश्चिमी तथा पूर्वी शैलियों को मिश्रित करने का प्रयत्न किया। सिनेमा संगठन ने नाटक तथा सिनेमा में लोगों की रुचि पैदा करने के लिए महत्त्वपूर्ण योगदान किया। गिरीश कारनंद (कन्नड़), विजय तेंदुलकर (मराठी) आदि इस काल के प्रसिद्ध नाटककार हैं। मुलख राज आनन्द, राजा राऊ, आर० के० नारायण ने अंग्रेज़ी भाषा में नाटक लिखे।

रवीन्द्र नाथ टैगोर भी इस काल के प्रसिद्ध नाटककार थे। उनकी रचनाओं में प्राचीन भारतीय परम्पराओं तथा यूरोप की नव-जागृति का सुन्दर मिश्रण मिलता है। उन्होंने अपनी रचनाओं द्वारा राष्ट्रीय जागृति लाने तथा अन्तर्राष्ट्रीय मानववाद को विकसित करने का प्रयास किया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 20 कलाएं-चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला आदि में परिवर्तन

प्रश्न 4.
फोर्ट सेंट जार्ज पर नोट लिखो।
उत्तर-
फोर्ट सेंट जार्ज चेन्नई में स्थित है। यह भारत में पहला अंग्रेज़ी किला था। इसका निर्माण 1639 ई० में हुआ था। इसका नाम सेंट जार्ज के नाम पर रखा गया था। शीघ्र ही यह किला अंग्रेज़ों की व्यापारिक गतिविधियों का केन्द्र बन गया। कर्नाटक क्षेत्र में अंग्रेजों का प्रभाव स्थापित करने में इसका काफ़ी योगदान रहा। आजकल इस भवन में तमिलनाडु राज्य की विधानसभा तथा सचिवालय (सेक्रेट्रिएट) के दफ़्तर स्थित हैं। इस किले की चारदीवारी पर टीपू सुल्तान के चित्र मौजूद हैं जो इसकी शोभा बढ़ाते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
19वीं तथा 20वीं सदी के आरम्भ में चित्रकारी कला के विकास का वर्णन करें।
उत्तर-
19वीं सदी तथा 20वीं सदी के आरम्भ में कला स्कूलों तथा कला ग्रुपों द्वारा भारतीय चित्रकारी के क्षेत्र में अनेक परिवर्तन आये। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है

1. राजा रवि वर्मा-राजा रवि वर्मा चित्रकला में अति निपुण था। वह केवल चित्रकला में ही नहीं अपितु मूर्तियाँ बनाने में भी प्रवीण था। उसने यूरोपियन प्रकृतिवाद को भारतीय पौराणिक कथा तथा किस्सों (कहानियों) के साथ मिला कर चित्रित किया। उसके द्वारा बनाये गये चित्र भारत में महाकाव्यों तथा संस्कृत साहित्य से सम्बन्धित हैं। उसने भारत के अतीतकाल को चित्रों के माध्यम से प्रकट किया है।

2. बंगाल का कला स्कूल-रवीन्द्रनाथ टैगोर तथा हावैल कुमार स्वामी ने बंगाल कला स्कूल को प्रफुल्लित करने के लिए अनेक प्रयत्न किये। इस स्कूल के प्रसिद्ध चित्रकारों ने भारतीय पौराणिक कथाओं, महाकाव्यों तथा पुरातन साहित्य पर आधारित चित्र बनाये। उन्होंने जल रंगों से छोटे चित्र बनाये। रवीन्द्र नाथ टैगोर ने जापानी तकनीक में जल रंगों का उपयोग किया। उन्होंने शान्ति-निकेतन में कला-भवन की स्थापना की।

3. अमृता शेरगिल तथा जॉर्ज कीट- अमृता शेरगिल तथा जॉर्ज कीट भी प्रसिद्ध भारतीय चित्रकार थे। उन्हें आधुनिक यूरोपियन कला, आधुनिक जीव-आत्मा तथा हाव-भाव के बारे में अधिक जानकारी थी। अमृता शेरगिल के तैलचित्रों के शीर्षक भिन्न-भिन्न थे तथा उनके रंग विचित्र थे। परन्तु उनमें भारतीय नारियों की आकृतियां बनाई गई थीं। जॉर्ज कीट द्वारा पित्रों में प्रयुक्त रंग-शैली बहुत ही प्रभावशाली थी।

4. रवीन्द्र नाथ टैगोर-रवीन्द्र नाथ टैगोर के चित्र उनके अपने अनुभव पर आधारित थे। उन्होंने जल रंगों तथा रंगदार चाक से रेखांकित अनेक चित्र बनाए।

5. बम्बई के प्रसिद्ध कलाकार-फ्रांसिस न्यूटन सुज़ा इस स्कूल का एक प्रसिद्ध कलाकार था। उसने प्रभावशाली रंगों से विभिन्न नमूनों (मॉडलों) के चित्र बनाए। के० एच० अरा द्वारा बनाए गए फूलों तथा नारियों के चित्र अपने रंगों तथा विलक्षणता के कारण प्रसिद्ध हैं। एस० के० बेकर, एच० ए० गेड तथा एम० एफ० हुसैन आदि बम्बई के अन्य प्रसिद्ध चित्रकार हैं।

6. बड़ौदा (बड़ोदरा) यूनिवर्सिटी का आर्ट स्कूल-जी० आर० सन्तोष, गुलाम शेख, शान्ति देव आदि इस स्कूल के प्रसिद्ध चित्रकार हैं। प्रत्येक कलाकार का चित्र बनाने का अपना ही ढंग है; परन्तु प्रत्येक कलाकार के काम में आधुनिकता के दर्शन होते हैं।

7. मद्रास का कला स्कूल-यह स्कूल स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद डी० आर० चौधरी तथा के० सी० एस० पणिकर के मार्गदर्शन में प्रफुल्लित हुआ। इस स्कूल के अन्य प्रसिद्ध कलाकार सतीश गुजराल, राम कुमार, के० जी० सुब्रह्मण्यम
इन सब कला स्कूलों के अतिरिक्त नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट में आधुनिक कला के नमूने देखने को मिलते हैं। ललित कला अकादमी ने वज़ीफ़े (छात्रवृत्तियां), ग्रांटें (अनुदान) आदि प्रदान करके कलाकारों को प्रोत्साहित किया है।

प्रश्न 2.
19वीं तथा 20वीं सदी के आरम्भ में प्रेस के विकास का वर्णन करें।
उत्तर-
अंग्रेजी राज से पूर्व भारत में कोई छापाखाना नहीं था। मुग़लों के शासन-काल में अख़बार (समाचार-पत्र) हाथ से लिखे होते थे, जिन्हें मुग़ल बादशाह तथा धनी व्यापारी अपने उपयोग के लिए तैयार करवाते थे। भारत में सर्वप्रथम छापाखाना 1557 ई० में पुर्तगालियों ने स्थापित किया। परन्तु उनका उद्देश्य केवल ईसाई साहित्य छाप कर ईसाई मत का प्रचार करना था।

1857 तक प्रेस का विकास-

(1) लॉर्ड हेस्टिंग्ज़ की प्रेस सम्बन्धी उदार नीति के कारण कलकत्ता तथा दूसरे नगरों में कई समाचार-पत्र छपने लगे। एक प्रसिद्ध पत्रकार जे० एस० ने 1818 ई० में ‘कलकत्ता जरनल’ नाम का समाचार-पत्र छापना आरम्भ किया। इसी समय ही सेरामपुर में जी० सी० मार्शमैन ने ‘दर्पण’ तथा ‘दिग्दर्शन’ नाम के समाचार-पत्र छापने आरम्भ किये।

(2) 1821 ई० में राजा राम मोहन राय ने बंगला भाषा में ‘संवाद-कौमुदी’ तथा 1822 ई० में फ़ारसी भाषा में ‘मिरत-उल-अख़बार’ नाम के दो समाचार-पत्र छापने आरम्भ किये। इसी समय फ़रदूनज़ी मुरज़बान ने गुजराती भाषा में ‘बंबे समाचार’ नाम का अख़बार छापना शुरू किया।

1857 ई० के बाद प्रेस का विकास-1857-58 ई० में भारत के भिन्न-भिन्न भागों में काफ़ी संख्या में नये समाचार-पत्र छपने लगे। तत्पश्चात् 1881-1907 ई० के काल में प्रेस का बहुत अधिक विकास हुआ। उदाहरण के लिए बाल गंगाधर तिलक ने मराठी भाषा में ‘केसरी’ तथा अंग्रेजी भाषा में ‘मराठा’ नामक अखबार छापने शुरू किये। बंगाल – में घोष भाइयों के प्रयत्नों से ‘युगान्तर’ तथा ‘वन्दे मातरम्’ नाम के समाचार-पत्र छपने आरम्भ हुए जो अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध आवाज़ उठाने लगे। इस काल में कई मासिक-पत्र भी छपने लगे। इनमें 1899 ई० से ‘दि-हिन्दुस्तान-रिव्यू’, 1900 ई० से ‘दि-इण्डियन रिव्यू’ तथा 1907 ई० से ‘दि-मॉडर्न-रिव्यू’ आदि शामिल थे।

प्रश्न 3.
विषय अध्ययन-मुम्बई तथा चेन्नई का वर्णन करें।
उत्तर-
बम्बई को आजकल मुम्बई तथा मद्रास को चेन्नई कहा जाता है। ये दोनों नगर अंग्रेज़ी शासन काल में प्रमुख प्रेजीडेंसियां बन गई थीं। शीघ्र ही ये नगर राजनीतिक, व्यापारिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों के केन्द्र भी बन गये। इन दोनों नगरों ने ललित कलाओं (संगीत तथा नृत्य आदि) में बहुत अधिक उन्नति की।

1. मुम्बई-1668 ई० में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अधीन बम्बई राजनीतिक तथा व्यापारिक गतिविधियों के स्थान पर सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र बन गया था। इस नगर को शाही संरक्षण मिलने के कारण यहां कई नये स्कूल तथा कॉलेज खोले गये। सभी ललित कलाओं-संगीत, नृत्य तथा नाटक का सर्वपक्षीय विकास हुआ। नई लेखन-कला का विकास होने से साहित्य के क्षेत्र में तीव्र गति से वृद्धि हुई। इसके अतिरिक्त साहित्य, चित्रकला तथा भवन निर्माण कला की नई शैलियों का विकास हुआ।

मुंबई के भवन-मुम्बई के भवन-निर्माण कला के विभिन्न नमूने आज भी हमें उपनिवेशवादी (अंग्रेज़ी) शासकों की याद दिलाते हैं। ये सभी भवन भारतीय-यूरोपियन शैली में बने हुए हैं। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है

(i) प्रिंस ऑफ़ वेल्ज़ म्यूज़ियम-प्रिंस ऑफ़ वेल्ज़ म्यूज़ियम को आजकल ‘छत्रपति शिवाजी महाराज वस्तुसंग्रहालय’ कहा जाता है। यह गेटवे ऑफ़ इण्डिया के समीप दक्षिणी मुम्बई में स्थित है। इसे 20वीं शताब्दी के आरम्भ में प्रिंस ऑफ़ वेल्ज़ तथा ब्रिटेन के शासक एडवर्ड सातवें की भारत यात्रा की याद में बनाया गया था। इसे बनाने का काम 1909 ई० में एक प्रसिद्ध शिल्पकार जॉर्ज विलटेट को सौंपा गया था। यह भवन 1915 ई० में बनकर तैयार हुआ। इस अजायबघर की निर्माण कला में भवन-निर्माण सम्बन्धी कई तत्त्वों का सुन्दर मिश्रण है। इस प्रमुख भवन की तीन मंज़िलें हैं तथा सबसे ऊपर गुम्बद बना हुआ है। यह गुम्बद आगरे के ताजमहल के गुम्बद से मिलता-जुलता है। इसकी बाहर निकली हुई बाल्कोनियां तथा जुड़े हुए फर्श मुग़लों के महलों (प्रासादों) से मेल खाते हैं। इस अजायबघर में सिन्धु घाटी की सभ्यता की कारीगरी के नमूने तथा प्राचीन भारत के स्मारक देखे जा सकते हैं।

(ii) गेटवे ऑफ़ इण्डिया गेटवे ऑफ़ इण्डिया, अरब सागर के तट पर प्रिंस ऑफ़ वेल्ज़ म्यूज़ियम के समीप स्थित है। इसे जॉर्ज विलटेट तथा उसके मित्र जॉन बेग ने बनाया था। इसका निर्माण 1911 ई० में जॉर्ज पंचम तथा रानी मैरी की भारत में दिल्ली दरबार यात्रा की याद में किया गया था।

(iii) विक्टोरिया टर्मिनस-विक्टोरिया टर्मिनस 1888 ई० में बना था। अब यह छत्रपति शिवाजी के नाम से जाना जाता है। आरम्भ में इसका नाम ब्रिटेन की शासिका क्वीन विक्टोरिया के नाम पर रखा गया था। इसका नमूना प्रसिद्ध अंग्रेज़ शिल्पकार एफ० डब्ल्यू स्टारस (स्टीवन्स) द्वारा तैयार किया गया था। इसे बनाने में लगभग 10 साल का समय लगा था। मार्च 1996 ई० में इसे ‘छत्रपति शिवाजी टर्मिनस’ का नाम दिया गया। 2 जुलाई, 2004 ई० को इसे ‘यूनेस्को (UNESCO) विश्व धरोहर (विरासत)’ में सम्मिलित कर लिया गया।

(iv) मुम्बई के अन्य भवन-पीछे लिखे भवनों के अतिरिक्त मुम्बई में अन्य महत्त्वपूर्ण भवन-जनरल पोस्ट ऑफिस, म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन, राजाभाई टावर, बम्बई यूनिवर्सिटी, एल्फाइन स्टोन कॉलेज आदि हैं। ये सभी भवन 19वीं शताब्दी से 20वीं शताब्दी के आरम्भ में बनाए गए थे।

2. चेन्नई-चेन्नई (मद्रास) का निर्माण 1639 ई० में स्थानीय राजा से भूमि लेकर किया गया था। 1658 ई० में यह एक महानगर के रूप में विकसित हुआ और एक प्रेजीडेंसी बन गया। इस नगर में दक्षिण भारत की सभी प्रकार की कलाओं जैसे कि संगीत तथा नृत्य आदि का विकास हुआ। 19वीं शताब्दी से 20वीं शताब्दी के आरम्भ तक चेन्नई में .. बहुत-से भवनों का निर्माण किया गया। यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल निम्नलिखित हैं

(i) चेन्नई के समुद्री तट-चेन्नई के समुद्री तट बहुत प्रसिद्ध हैं। इनमें से मैरीना समुद्री तट विशेष रूप से विख्यात है। यह लगभग 6 किलोमीटर लम्बा है। इसके सामने कई प्रमुख भवन स्थित हैं। वी० जी० पी० गोल्डन बीच एक अन्य प्रसिद्ध बीच है। यहां खिलौना रेलगाड़ी होने के कारण प्रायः बच्चों की भीड़ लगी रहती है।

(ii) फ़ोर्ट सेंट जॉर्ज-फोर्ट सेंट जॉर्ज भारत में प्रथम अंग्रेज़ी किला था। इसका निर्माण 1639 ई० में किया गया था और इसका नाम सेंट जॉर्ज के नाम पर रखा गया। यह शीघ्र ही अंग्रेजों की व्यापारिक गतिविधियों का केन्द्र बन गया। अंग्रेज़ों का कर्नाटक क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने में इस किले का विशेष योगदान रहा। आजकल इस भवन में तमिलनाडु राज्य की विधानसभा तथा सचिवालय के दफ्तर स्थित हैं। टीपू सुल्तान के चित्र इस किले की चारदीवारी की शोभा बढ़ाते हैं।

(iii) वार मेमोरियल-वार मेमोरियल भी एक सुन्दर भवन है जिसे चेन्नई में बनाया गया था। इसका निर्माण प्रथम विश्वयुद्ध में शहीद हुए सैनिकों की स्मृति में किया गया था।

(iv) हाईकोर्ट (उच्च न्यायालय)-चेन्नई में हाई कोर्ट का भवन 1892 ई० में बनाया गया था। यह संसार का दूसरा प्रसिद्ध न्यायिक काम्प्लेक्स है। इसके गुंबद तथा बरामदे भारत-यूरोपियन भवन-निर्माण कला के उत्तम नमूने हैं।

(v) अन्य प्रसिद्ध भवन-चेन्नई में बने ब्रिटिश काल के अन्य प्रसिद्ध भवन जॉर्ज टावर, सन्त टॉमस (थॉमस) कैथेडरल बैसीलिका (सेंट टॉमस कैथेडरल बेसीलिका), प्रेजीडेंसी कॉलेज, रिपन बिल्डिंग, चेन्नई सेंट्रल स्टेशन, दक्षिणी रेलवे हैडक्वार्टर्ज़ आदि हैं।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 20 कलाएं-चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला आदि में परिवर्तन

कलाएं-चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला आदि में परिवर्तन PSEB 8th Class Social Science Notes

  • भारत में कलाएं तथा साहित्य – भारत में चित्रकारी, साहित्य, भवन-निर्माण कला, संगीत-नृत्य तथा सिनेमा आदि ललित कलाओं का शोभायमान इतिहास है। 19वीं शताब्दी में तथा 20वीं शताब्दी के आरम्भ में भारत की राजनीतिक सत्ता में परिवर्तन होने के कारण विशेष रूप से साहित्य एवं ललित कलाओं के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुआ।
  • उपन्यास – उपन्यास को बंकिम चन्द्र चटर्जी, शरतचन्द्र चटर्जी, मधुसूदन दत्त, दीनबन्धु मित्र, केशवचंद्र सेन आदि उपन्यासकारों ने समृद्ध बनाया।
  • ललित कलाएं – इन कलाओं में मुख्य रूप से संगीत तथा नृत्य आदि शामिल हैं। अंग्रेज़ी काल में इन कलाओं में काफ़ी विकास हुआ।
  • मुम्बई तथा चेन्नई में भवन-निर्माण – अंग्रेजों ने मुम्बई तथा चेन्नई में कई शानदार भवन बनवाये। इनमें से अधिकांश भवन भारतीय-यूरोपीय शैली में बने हैं।
  • मुम्बई के मुख्य भवन – प्रिंस ऑफ़ वेल्ज़ म्यूज़ियम, गेटवे ऑफ इण्डिया, विक्टोरिया टर्मिनस, राजाबाई टावर
    आदि।
  • चेन्नई के दर्शनीय स्थल मेरीनो तट तथा वी० जी० बी० गोल्डन बीच, फोर्ट सेंट जार्ज, वार मैमोरियल, हाइकोट इत्यादि।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई०

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई० Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई०

SST Guide for Class 8 PSEB राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई० Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लिखें :

प्रश्न 1.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस का पहला सम्मेलन कहां तथा किसकी प्रधानगी के अन्तर्गत हुआ तथा इसमें कितने प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था ?
उत्तर-
इण्डियन नैशनल कांग्रेस का पहला सम्मेलन 28 दिसम्बर से 30 दिसम्बर, 1885 तक बोमेश चन्द्र बैनर्जी की प्रधानगी (अध्यक्षता) में हुआ। इसमें 72 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

प्रश्न 2.
बंगाल का विभाजन कब तथा किस गवर्नर-जनरल के समय में हुआ ?
उत्तर-
बंगाल का विभाजन 1905 ई० में लार्ड कर्जन के समय में हुआ।

प्रश्न 3.
मुस्लिम लीग की स्थापना कब तथा किसने की थी ?
उत्तर-
मुस्लिम लीग की स्थापना 30 दिसम्बर, 1906 ई० को मुस्लिम नेताओं ने की थी। इसके मुख्य नेता सर सैय्यद अहमद खां, सलीम-उला खां तथा नवाब मोहसिन आदि थे।

प्रश्न 4.
गदर पार्टी की स्थापना कब, कहां तथा किसके द्वारा की गई ?
उत्तर-
गदर पार्टी की स्थापना 1913 ई० में अमेरिका तथा कनाडा में रहने वाले भारतीयों ने की। इसकी स्थापना सान फ्रांसिस्को में हुई।

प्रश्न 5.
स्वदेशी तथा बहिष्कार आन्दोलन से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
स्वदेशी तथा बहिष्कार आन्दोलन का आरम्भ 1905 ई० में लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल का विभाजन करने से बंगाल में हुआ। परन्तु शीघ्र ही यह भारत के अन्य भागों में भी फैल गया। इस आन्दोलन का नेतृत्व सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी, विपिन चन्द्र पाल तथा बाल गंगाधर तिलक आदि प्रमुख नेताओं ने किया था। भारत में स्थान-स्थान पर सार्वजनिक सभाएँ की गईं। इन सभाओं में स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने की शपथ ली गई। दुकानदारों को विदेशी माल बेचने तथा ग्राहकों को विदेशी माल न खरीदने के लिए विवश किया गया। भारत में अनेक स्थानों पर विदेशी कपड़े की होली जलाई गई। राष्ट्रवादी समाचार-पत्रों में भी विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए प्रचार किया गया। स्वदेशी एवं बहिष्कार आन्दोलन का लोगों के सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसने भारतीयों के मन में राष्ट्रीय भावनाओं को प्रबल बनाया।

प्रश्न 6.
क्रान्तिकारी आन्दोलन पर नोट लिखो।
उत्तर-
नरम दल के नेताओं की असफलता तथा गरम दल के नेताओं के प्रति सरकार की दमनकारी नीति के कारण भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलन का उदय हुआ। क्रान्तिकारी नेताओं का मुख्य उद्देश्य भारत में से ब्रिटिश शासन का अन्त करना था। इसके लिए उन्होंने देश में कई गुप्त संस्थाओं की स्थापना की। इन संस्थाओं में क्रान्तिकारियों को शस्त्र चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता था। इनके मुख्य केन्द्र महाराष्ट्र, बंगाल तथा पंजाब आदि में थे।

पंजाब में क्रान्तिकारी आन्दोलन के मुख्य नेता सरदार अजीत सिंह, पिंडी दास, सूफ़ी अम्बा प्रसाद तथा लाल चन्द फ़लक थे। इनके नेतृत्व में कई नगरों में हिंसक कार्यवाहियां की गईं। भारत के अतिरिक्त विदेशों अर्थात् इंग्लैण्ड, अमेरिका तथा कैनेडा (कनाडा) आदि में भी क्रान्तिकारी आन्दोलन चलाये गए। इंग्लैण्ड में श्याम जी कृष्ण वर्मा ने इण्डियन होमरूल सोसायटी की स्थापना की। यह सोसायटी क्रान्तिकारियों की गतिविधियों का केन्द्र बनीं। अमेरिका में लाला हरदयाल ने गदर पार्टी की स्थापना की।

प्रश्न 7.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस के मुख्य उद्देश्य कौन-से थे ?
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे-

  1. देश के भिन्न-भिन्न भागों में देश हित का काम करने वाले लोगों से सम्पर्क एवं मित्रता स्थापित करना।
  2. भारतीयों में जातिवाद, प्रान्तवाद तथा धार्मिक भेदभाव का अन्त करके एकता की भावना पैदा करना।
  3. लोगों के कल्याण के लिए सरकार के सामने मांग-पत्र तथा प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत करना।
  4. देश में सामाजिक तथा आर्थिक सुधार के लिए सुझाव एकत्रित करना।।
  5. आगामी 12 मास के लिए, राष्ट्रवादियों द्वारा देश के हितों के लिए किए जाने वाले कार्यों की रूप-रेखा तैयार करना।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई०

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. इंडियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना मि० ए० ओ० ह्यूम ने ……….. ई० में बंबई में की।
2. लार्ड कर्जन ने …………. ई० में बंगाल का विभाजन किया।
3. ………. ने कहा था, “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है तथा मैं इसे प्राप्त करके ही रहूंगा।”
4. इंडियन नैशनल कांग्रेस का समागम सूरत में ……………ई० में हुआ।
उत्तर-

  1. 1885
  2. 1905
  3. बाल गंगाधर तिलक
  4. 1907.

III. सही जोड़े बनाएं:

क — ख
1. होमरूल आंदोलन – 1914 ई०
2. मुस्लिम लीग – सोहन सिंह भकना
3. मिंटो-मार्ले सुधार – सर सैयद अहमद खां
4. गदर पार्टी – लार्ड कर्जन
5. पहला विश्व युद्ध – 1916 ई०
उत्तर-
क — ख
1. होमरूल आंदोलन – 1916 ई०
2. मुस्लिम लीग – सर सैयद अहमद खां
3. मिंटो-मार्ले सुधार – लार्ड कर्जन
4. गदर पार्टी – सोहन सिंह भकना
5. पहला विश्व युद्ध – 1914 ई०

PSEB 8th Class Social Science Guide राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई० Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस का पहला सम्मेलन (1885) की अध्यक्षता में हुआ-
(i) दादा भाई नौरोजी
(ii) जवाहर लाल नेहरू
(iii) बोमेश चन्द्र बैनर्जी
(iv) ए० ओ० ह्यूम।
उत्तर-
बोमेश चन्द्र बैनर्जी

प्रश्न 2.
1905 ई० में बंगाल का विभाजन किया
(i) लार्ड डलहौज़ी
(ii) लार्ड कर्जन
(iii) लार्ड मैकाले
(iv) लार्ड विलियम बैंटिक।
उत्तर-
लार्ड कर्जन

प्रश्न 3.
मुस्लिम लींग का मुख्य नेता है
(i) सर सैय्यद अहमद खाँ
(ii) सलीम-उला खाँ
(ii) नवाब मोहसिन
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
उपरोक्त सभी

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई०

प्रश्न 4.
गदर पार्टी की स्थापना (1913 ई०) में हुई-
(i) भारत
(ii) पाकिस्तान
(iii) फ्रांसिसको
(iv) भूटान।
उत्तर-
फ्रांसिसको

प्रश्न 5.
होमरूल आन्दोलन के मुख्य नेता थे-
(i) दादा भाई नौरोजी
(ii) बाल गंगाधर तिलक
(iii) लाला हरदयाल सिंह
(iv) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
बाल गंगाधर तिलक।

(ख) सही कथन पर (✓) तथा गलत कथन (✗) पर का निशान लगाएं :

1. 1907 के विभाजन के बाद 1916 में कांग्रेस के दोनों दलों में समझौता हो गया।
2. श्रीमती ऐनी बेसेंट तथा बाल गंगाधर तिलक कांग्रेस के उदारवादी नेता थे।
3. कांग्रेस के पहले सभापति बोमेश चन्द्र बैनर्जी थे।
उत्तर-

  1. (✓)
  2. (✗)
  3. (✗)

V. अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इण्डियन नैशनल कांग्रेस) की स्थापना से पूर्व स्थापित किन्हीं चार राजनीतिक संस्थाओं के नाम बताओ। इनका क्या उद्देश्य था ?
उत्तर-
संस्थाएं-

  • बंगाल ब्रिटिश इण्डियन सोसायटी
  • ब्रिटिश इण्डियन एसोसिएशन
  • इण्डियन एसोसिएशन
  • बॉम्बे प्रेजीडेंसी एसोसिएशन।

उद्देश्य-इन संस्थाओं का उद्देश्य सरकार से भारतीय शासन प्रबन्ध में सुधार की मांग करना तथा भारतीय लोगों के लिए राजनीतिक अधिकार प्राप्त करना था।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय चेतना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
राष्ट्रीय चेतना से अभिप्राय लोगों के मन में यह भावना पैदा करने से है कि वे सभी एक ही राष्ट्र से सम्बन्ध रखते हैं।

प्रश्न 3.
भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न करने वाले किन्हीं चार समाचार-पत्रों के नाम बताओ।
उत्तर-
बॉम्बे समाचार, अमृत बाजार पत्रिका, द ट्रिब्यून तथा केसरी।

प्रश्न 4.
इलबर्ट बिल किसने और क्यों पेश किया ?
उत्तर-
इलबर्ट बिल लार्ड रिपन ने पेश किया क्योंकि वह भारतीय जजों को अंग्रेज़ जजों के समान दर्जा दिलाना चाहता था।

प्रश्न 5.
भारतीय सभ्यता को महान् बनाने वाले किन्हीं तीन विदेशी विद्वानों के नाम बताओ।
उत्तर-
विलियम जोन्स, मैक्समूलर तथा जैकोबी।

प्रश्न 6.
1885 ई० से 1905 ई० तक के राष्ट्रवादी आन्दोलन को उदारवादी युग क्यों कहा जाता है ? ।
उत्तर-
1885 ई० से 1905 ई० तक के राष्ट्रवादी आन्दोलन को इसलिए उदारवादी युग कहा जाता है क्योंकि इस काल के कांग्रेस के सभी नेता पूरी तरह उदारवादी थे।

प्रश्न 7.
कुछ प्रमुख उदारवादी नेताओं के नाम बताइए।
उत्तर-
फिरोजशाह मैहता, दादा भाई नौरोजी, सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले तथा मदन मोहन मालवीय।

प्रश्न 8.
लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल का विभाजन क्यों किया गया ? उसका मनोरथ क्या था ?
उत्तर-
लॉर्ड कर्ज़न का कहना था कि यह विभाजन बंगाल की प्रशासनिक सुविधा के लिए आवश्यक है। परन्तु इसका वास्तविक उद्देश्य भारतीयों में फूट डाल कर राष्ट्रीय आन्दोलन को कमज़ोर बनाना था।

प्रश्न 9.
कांग्रेस का विभाजन कब किन दो भागों में हुआ ?
उत्तर-
कांग्रेस का विभाजन नरम दल तथा गरम दल में हुआ। यह विभाजन 1907 ई० में सूरत अधिवेशन में हुआ।

प्रश्न 10.
ग़दर आन्दोलन का प्रधान कौन था ? इस आन्दोलन का उद्देश्य क्या था ?
उत्तर-
ग़दर आन्दोलन का प्रधान बाबा सोहन सिंह भकना था। इस आन्दोलन का उद्देश्य क्रान्तिकारी गतिविधियों द्वारा भारत में अत्याचारी अंग्रेजी शासन का अन्त करना था।

प्रश्न 11.
गर्म दल के तीन प्रमुख नेताओं के नाम बताओ।
उत्तर-
लाला लाजपतराय, बाल गंगाधर तिलक तथा विपिन चंद्र पाल।

प्रश्न 12.
पंजाब में क्रान्तिकारी आन्दोलन के मुख्य नेताओं के नाम लिखिए।
उत्तर-
सरदार अजीत सिंह, पिण्डी-दास, सूफ़ी अम्बा प्रसाद तथा लाल चन्द फलक।

प्रश्न 13.
मिण्टो-मार्ले सुधार कब पास हुए ? इनके पीछे सरकार का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर-
मिण्टो-मार्ले सुधार, 1909 में पास हुए। इनके पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य गरम दल के नेताओं को प्रसन्न करना तथा मुसलमानों को विशेष अधिकार देकर उन्हें हिन्दुओं से अलग करना था।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई०

प्रश्न 14.
ग़दर पार्टी के समाचार-पत्र का क्या नाम था ? लाला हरदयाल ने ग़दर पार्टी की स्थापना कहाँ की ?
उत्तर-
ग़दर पार्टी के समाचार-पत्र का नाम ‘ग़दर’ था। लाला हरदयाल ने ग़दर पार्टी की स्थापना अमेरिका में की।

प्रश्न 15.
होमरूल आन्दोलन के दो मुख्य नेताओं के नाम बताओ।
उत्तर-
बाल गंगाधर तिलक तथा श्रीमती ऐनी बेसेंट।

प्रश्न 16.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना किसने, कब तथा कहां की ?
उत्तर-
इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना मि० ए० ओ० ह्यूम ने 28 दिसम्बर, 1885 ई० को मुम्बई के गोकुल दास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में की।

प्रश्न 17.
इण्डियन एसोसिएशन की स्थापना किसने और कब की ?
उत्तर-
इण्डियन एसोसिएशन की स्थापना 1876 ई० में सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी ने की।

प्रश्न 18.
लखनऊ समझौता कब तथा कौन-से दो राजनीतिक दलों के मध्य हुआ था ?
उत्तर-
लखनऊ समझौता 1916 ई० में कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के मध्य हुआ था।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
उदारवादियों की सफलताएँ क्या थी ?
उत्तर-

  • उदारवादी नेताओं के प्रयत्नों से प्रतिवर्ष कांग्रेस के अधिवेशन होने लगे। इन अधिवेशनों में भारतीयों की मांगें सरकार के सामने रखी जाती थीं।
  • उदारवादियों ने अपने भाषणों तथा समाचार-पत्रों में दिये अपने लेखों द्वारा भारतीयों में राष्ट्रीय भावना पैदा की।
  • दादा भाई नौरोजी, सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले आदि उदारवादी नेता अपनी मांगों का प्रचार करने के लिए इंग्लैण्ड में भी गए।
  • उदारवादियों के प्रयत्नों से 1892 ई० में इंग्लैण्ड की पार्लियामैंट ने इण्डियन कौंसिल्ज़ एक्ट पास किया जिसके अनुसार कानून बनाने वाली परिषदों में भारतीयों को स्थान दिया गया।
  • इनके प्रयत्नों से अंग्रेज़ सरकार ने आई० सी० एस० की परीक्षा लेने का प्रबन्ध भारत में किया।

प्रश्न 2.
बंगाल का विभाजन कब और क्यों किया गया ? भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन पर इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
बंगाल का विभाजन 1905 ई० में लॉर्ड कर्जन ने किया। उसका इस विभाजन का वास्तविक उद्देश्य हिन्दुओं तथा मुसलमानों में फूट डाल कर राष्ट्रीय आन्दोलन को कमजोर करना था। बंगाल के विभाजन के विरोध में लोगों ने स्थान-स्थान पर जलसे, जलूस तथा हड़तालें कीं। बंगाल के विभाजन के विरोध में स्वदेशी आन्दोलन भी आरम्भ किया गया।

प्रभाव-इस विभाजन का भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन पर गहरा प्रभाव पड़ा-

  • बंगाल के विभाजन के कारण भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा हुई।
  • बंगाल के विभाजन से कांग्रेस में गरम दल तथा नरम दल नाम के दो शक्तिशाली दल बन गए।
  • बंगाल विभाजन से राष्ट्रीय आन्दोलन का प्रसार हुआ।

प्रश्न 3.
1909 ई० के मिण्टो-मार्ले सुधार एक्ट की प्रमुख धाराएँ क्या थी ?
उत्तर-
मिण्टो-मार्ले सुधार एक्ट की प्रमुख धाराएँ निम्नलिखित थीं-

  • गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषद् में एस० पी० सिन्हा नामक एक भारतीय सदस्य नियुक्त किया गया।
  • केन्द्रीय विधान परिषद् के सदस्यों की संख्या 16 से 60 कर दी गई।
  • प्रान्तों की विधान परिषदों के सदस्यों की संख्या 30 से 50 कर दी गई।
  • विधान परिषदों के सदस्यों का चुनाव करने के लिए अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली की व्यवस्था की गई। इस चुनाव-प्रणाली के अनुसार सर्वप्रथम लोगों द्वारा नगरपालिकाओं या ज़िला बोर्डों के सदस्यों का चुनाव किया जाता था। ये चुने गये सदस्य आगे प्रान्तों की विधान परिषदों के सदस्यों का चुनाव करते थे।
  • मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन प्रणाली की व्यवस्था की गई। उनके लिए केन्द्रीय विधान परिषद् में 6 स्थान रक्षित किए गए। इन स्थानों के लिए चुनाव केवल मुसलमान मतदाताओं द्वारा ही किया जाता था।

प्रश्न 4.
नरम दल तथा गरम दल की नीतियों में क्या अन्तर था ?
उत्तर-
नरम दल तथा गरम दल की नीतियों में निम्नलिखित अन्तर थे-

  • नरम दल के नेता दादा भाई नौरोजी, सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी, फिरोजशाह मेहता तथा गोपाल कृष्ण गोखले ब्रिटिश शासन को भारतीयों के लिए वरदान मानते थे जबकि गरम दल के नेता विपिन चन्द्र पाल, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपतराय ब्रिटिश शासन को भारतीयों के लिए अभिशाप मानते थे।
  • नरम दल के नेता प्रशासन में सुधार लाने के लिए सरकार को सहयोग देना चाहते थे, जबकि गरम दल के नेता भारत से ब्रिटिश शासन का अन्त चाहते थे।
  • नरम दल के नेता सरकार से अपनी मांगें, प्रस्तावों तथा प्रार्थना-पत्रों द्वारा मनवाना चाहते थे परन्तु गरम दल के नेता अपनी शक्ति द्वारा मांगें मनवाने के पक्ष में थे।

प्रश्न 5.
मुस्लिम लीग की स्थापना कब हुई ? इसकी स्थापना के क्या कारण थे ?
उत्तर-
30 दिसम्बर, 1906 ई० को मुस्लिम नेताओं ने ‘मुस्लिम लीग’ नाम की अपनी एक अलग राजनीतिक संस्था स्थापित कर ली। इसके मुख्य नेता सर सैय्यद अहमद खां, सलीम-उला-खां तथा नवाब मोहसिन आदि थे।
कारण-मुस्लिम लीग की स्थापना मुख्य रूप से साम्प्रदायिक राजनीति का परिणाम थी। इस संस्था की स्थापना के मुख्य कारण निम्नलिखित थे-

  • मुसलमान अपने हितों की रक्षा के लिए कोई अलग संस्था बनाना चाहते थे।
  • मुस्लिम लीग की स्थापना से अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति सफल होती थी।
  • अरब देशों में वहाबी आन्दोलन आरम्भ होने के साथ भारत में साम्प्रदायिकता की भावना पैदा हो गई थी।
  • मोहम्मडन ऐंग्लो-ओरियंटल कॉलेज के प्रिंसीपल बेक ने साम्प्रदायिकता की भावना को भड़काने के लिए लेख लिखे तथा सर सैय्यद अहमद खाँ ने इस संबंध में प्रचार किया।
  • लार्ड कर्जन ने भी मुसलमानों के मन में साम्प्रदायिकता की भावना पैदा की।

प्रश्न 6.
गरमपंथियों के प्रमुख उद्देश्य लिखो।
उत्तर-
गरमपंथियों के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित थे-

1. पूर्ण स्वराज की प्राप्ति-गरमपंथी नेताओं का मुख्य उद्देश्य पूर्ण स्वराज प्राप्त करना था। इसकी मांग बाल गंगाधर तिलक ने की थी। उन्होंने कहा था, “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे प्राप्त करके ही रहूँगा।” उनका विचार था कि शासन प्रबन्ध भारतीय परम्पराओं तथा संस्कृति पर आधारित होना चाहिए।

2. भारत तथा इंग्लैण्ड के बीच सम्बन्ध समाप्त करना-गरमपंथियों का दूसरा मुख्य उद्देश्य भारत तथा इंग्लैण्ड के बीच सम्बन्धों को समाप्त करना था। विपिन चन्द्र पाल का कहना था, “हम अंग्रेजों के साथ कोई सम्बन्ध नहीं रखना चाहते। हम भारत में अपनी सरकार चाहते हैं।”

प्रश्न 7.
मुस्लिम लीग के प्रमुख उद्देश्य लिखो।
उत्तर-
मुस्लिम लीग के निम्नलिखित मुख्य उद्देश्य थे-

  • भारतीय मुसलमानों के हितों की रक्षा करना।
  • अंग्रेज़ी सरकार के प्रति वफ़ादार (राजभक्त) रहना, ताकि अंग्रेज़ उन्हें अधिक-से-अधिक सुविधाएं प्रदान करें।
  • भारतीय मुसलमानों को इण्डियन नैशनल कांग्रेस के प्रभाव से मुक्त करना।
  • मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन मण्डल स्थापित करना।
  • मुसलमानों के लिए अलग राज्य (पाकिस्तान) की मांग करना।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई०

प्रश्न 8.
अंग्रेजी भाषा का राष्ट्रीयता के विकास पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
प्रशासन की भाषा बन जाने के कारण भारत के लोगों ने अंग्रेजी भाषा का अध्ययन किया। अंग्रेज़ी के माध्यम से पंजाबी, मद्रासी, बंगाली, गुजराती तथा हरियाणवी एक-दूसरे से अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते थे। इस प्रकार अंग्रेजी भाषा ने देश के विभिन्न प्रान्तों के लोगों को एक-दूसरे के समीप लाने में बहुत सहायता की। अंग्रेज़ी भाषा के कारण भारत के लोग पश्चिमी साहित्य से परिचित हो गए। इस साहित्य से उन्हें स्वतन्त्रता, समानता तथा लोकतंत्र के महत्त्व का पता चला। फलस्वरूप वे राष्ट्रीय एकता के सूत्र में बंध गए और वे अपने देश में स्वतन्त्रता का वातावरण उत्पन्न करने के विषय में सोचने लगे।

प्रश्न 9.
अंग्रेजों द्वारा भारतीयों से असमानता का व्यवहार करने का भारतीय भाषाओं व समाचार-पत्रों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
अंग्रेज़ भारतीयों से असमानता का व्यवहार करते थे। भारतीयों को केवल निम्न सरकारी पद ही दिए जाते थे और वे भी कम वेतन पर। उन्हें ऐसा कोई पद नहीं दिया जाता था जो उत्तरदायित्व से जुड़ा हो। उनके साथ जातीय आधार पर भी भेदभाव किया जाता था। भारतीय भाषाओं में छपने वाले समाचार-पत्र इस अन्याय को सहन न कर सके। अत: उन्होंने ऐसे लेख प्रकाशित करने आरम्भ कर दिए जिनमें जनता के कष्टों का वर्णन किया जाता था। इसे रोकने के लिए सरकार ने कठोर कदम उठाए। फलस्वरूप भारतीय जनता में जागृति आई और राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ।

प्रश्न 10.
इण्डियन नेशनल (भारतीय राष्ट्रीय) कांग्रेस में 1907 ई० में किस प्रकार फूट पड़ी ?
उत्तर-
1907 ई० में इण्डियन नेशनल कांग्रेस का सूरत में अधिवेशन हुआ। इस अधिवेशन में उदारवादी नेताओं ने स्वदेशी तथा बहिष्कार के प्रस्तावों की निन्दा की। इसके अतिरिक्त सम्मेलन में इण्डियन नेशनल कांग्रेस संस्था के प्रधान पद के चुनाव के प्रश्न पर नरमपंथी तथा गरमपंथी नेताओं में विवाद भी हो गया। नरमपंथी नेता रास बिहारी बोस को प्रधान बनाना चाहते थे परन्तु गरमपंथी नेताओं की पसन्द लाला लाजपतराय थे। वे नरमपंथियों की नीतियों तथा उनके संवैधानिक तरीकों के भी विरुद्ध थे।

अतः उन्होंने इण्डियन नेशनल कांग्रेस से अलग होकर अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए कार्य करना आरम्भ कर दिया। इस प्रकार कांग्रेस में फूट पड़ गई।

प्रश्न 11.
ग़दर पार्टी पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
बहुत से भारतीय अमेरिका तथा कनाडा आदि देशों में रहना चाहते थे। परन्तु यहाँ उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता था। अतः उन्होंने यह अनुभव किया कि जब तक वे अपने देश को ब्रिटिश शासन से मुक्त नहीं करा लेते, तब तक उन्हें विदेशों में सम्मान प्राप्त नहीं हो सकता। अतः उन्होंने भारत को स्वतन्त्र कराने की योजना बनाई। 1913 ई० में उन्होंने एकत्रित होकर सानफ्रांसिस्को (अमेरिका) में ग़दर पार्टी की स्थापना की। सोहन सिंह भकना को इस संस्था का प्रधान बनाया गया। लाला हरदयाल को इस संस्था का सचिव चुना गया।
ग़दर पार्टी का मुख्य उद्देश्य क्रान्तिकारी गतिविधियों द्वारा भारत को स्वतन्त्र कराना था। पार्टी ने अपने विचारों का प्रचार करने के लिए ‘ग़दर’ नाम का एक समाचार-पत्र भी निकाला। इसमें अंग्रेजों के समर्थकों की हत्या, सरकारी कोष लूटना, बम बनाना, रेलवे लाइनों को तोड़ना, टेलिफोन तारों को काटना तथा सैनिकों को विद्रोह करने के लिए प्रोत्साहित करना आदि के बारे में सामग्री छापी जाती थी।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस ( 1885-1905 ई०) की मांगों, कार्यक्रम तथा सरकार के कांग्रेस के प्रति व्यवहार का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
इण्डियन नैशनल कांग्रेस की प्रमुख मांगें-इण्डियन नैशनल कांग्रेस की मुख्य मांगें निम्नलिखित थीं-

  • केन्द्रीय तथा प्रान्तीय विधान सभाओं में भारतीय लोगों को अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार दिया जाये।
  • भारतीयों को उनकी योग्यता के अनुसार उच्च पदों पर नियुक्त किया जाए।
  • देश में शिक्षा का प्रसार किया जाए।
  • प्रेस पर लगाए गए अनुचित प्रतिबन्धों को हटाया जाए।
  • कार्यपालिका तथा विधानपालिका को एक-दूसरे से अलग किया जाए।
  • स्थानीय संस्थाओं का विकास किया जाए और उन्हें पहले से अधिक शक्तियां दी जाएं।
  • भारत में भी इंग्लैण्ड के समान आई० सी० एस० की परीक्षा लेने का प्रबन्ध किया जाए।
  • सेना पर किये जा रहे व्यय में कमी की जाए।
  • किसानों से लिए जा रहे भूमि-कर की राशि कम की जाए।
  • सिंचाई की समुचित व्यवस्था की जाए।

इण्डियन नैशनल कांग्रेस का कार्यक्रम-1885 ई० से 1905 तक इण्डियन नैशनल कांग्रेस के सभी नेता उदारवादी सरकार से अपनी मांगें मनवाने के लिए क्रान्तिकारी या हिंसात्मक कार्यवाहियां करना पसन्द नहीं करते थे। वे भाषणों, प्रस्तावों तथा प्रार्थना-पत्रों द्वारा अपनी मांगें सरकार के सामने रखते थे। वे कांग्रेस के प्रत्येक अधिवेशन में प्रस्ताव पास करके सरकार को भेजते थे। उन्हें विश्वास था कि सरकार उनकी मांगों को अवश्य स्वीकार कर लेगी।

सरकार का इण्डियन नैशनल कांग्रेस के प्रति व्यवहार-सरकार चाहती थी कि कांग्रेस उसके अधीन रहे परन्तु ऐसा न हो पाने के कारण सरकार कांग्रेस के विरुद्ध हो गई। सरकार ने सरकारी प्रतिनिधियों के कांग्रेस के अधिवेशनों में भाग लेने पर रोक लगा दी। सरकार द्वारा मुसलमानों को कांग्रेस से अलग करने के भी प्रयास किये जाने लगे। इस प्रकार सरकार ने कांग्रेस के प्रति उपेक्षा की नीति अपनायी।

प्रश्न 2.
इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना का वर्णन करो।
उत्तर-
19वीं शताब्दी में भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा हो गई थी। फलस्वरूप उन्होंने अंग्रेज़ी सरकार की दमनकारी नीतियों का विरोध करने के लिए अनेक संस्थाओं की स्थापना की। इन संस्थाओं में से ज़मींदार सभा (1838 ई०), बम्बई सभा (1852 ई०), पूना सार्वजनिक सभा (1870 ई०), मद्रास (चेन्नई) नेटिव एसोसिएशन (1852 ई०) आदि प्रमुख थीं। इनकी स्थापना अपने-अपने प्रान्तों के हितों की रक्षा करने के लिए की गई थी। धीरे-धीरे भारत के बुद्धिजीवियों ने राष्ट्रीय स्तर के संगठन की आवश्यकता अनुभव की। अत: 1876 ई० में सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने इण्डियन एसोसिएशन की स्थापना की।

आई० सी० एस० पास सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी ने राष्ट्रीय स्तर की संस्था की स्थापना के लिए समस्त भारत में स्वराज प्राप्त करने के लिए प्रचार किया तथा अनेक संस्थाएं स्थापित की। इसी समय एक अंग्रेज़ अधिकारी ए० ओ० ह्यूम ने सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी का साथ दिया। उसने लोगों को सलाह दी कि वे अपनी समस्याएं सरकार के आगे प्रस्तुत करें।

इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना-मिस्टर ए० ओ० ह्यूम ने दिसम्बर 1885 ई० में बम्बई (मुम्बई) में गोकुल दास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में इण्डियन नैशनल कांग्रेस की स्थापना की। वह एक सेवा मुक्त अंग्रेज़ आई० सी० एस० अधिकारी था। उसे इण्डियन नैशनल कांग्रेस का पिता भी कहा जाता है। इण्डियन नैशनल कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन 28 दिसम्बर से 30 दिसम्बर 1885 ई० तक मुम्बई में गोकुल दास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में ही हुआ। इसके सभापति वोमेश चन्द्र बैनर्जी थे। इस अधिवेशन में देश के भिन्न-भिन्न प्रान्तों से आए 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

प्रश्न 3.
गरम राष्ट्रवाद के उत्थान के बारे में संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
1905 ई० से 1919 ई० तक राष्ट्रीय आन्दोलन का नेतृत्व गरमपंथी नेताओं के हाथों में रहा। गरम दल के उत्थान के अनेक कारण थे जिनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार हैं-

  • उदारवादियों की असफलता-उदारवादी नेता सरकार से अपनी मांगें पूरी कराने में असफल रहे थे। अतः नवयुवकों ने ठोस राजनीतिक कार्यवाही करने की मांग की।
  • बेरोज़गारी-बहुत से भारतीयों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की थी परन्तु वे बेरोज़गार थे। अत: उनमें निराशा की भावनाएं पैदा होने लगी और उन्होंने सरकार का विरोध करने के लिए कठोर पग उठाने का निर्णय किया।
  • अंग्रेजों की आर्थिक नीति-अंग्रेजों द्वारा भारत में अपनाई गई आर्थिक नीति भी गरम राष्ट्रवाद को उत्साहित करने में सहायक हुई।
  • अकाल तथा प्लेग-1896-97 ई० में भारत में अनेक स्थानों पर अकाल पड़ गया। 1897 ई० में पुणे (पूने) के आस पास के क्षेत्रों में प्लेग भी फैल गया। इससे लाखों लोगों की मौत हो गई। ब्रिटिश सरकार ने इस विपत्ति में भारतीयों की कोई सहायता नहीं की। अतः भारतीयों ने गरम नीति पर आधारित आन्दोलन का समर्थन किया।
  • विदेशों में भारतीयों से दुर्व्यवहार- इंग्लैण्ड तथा दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के साथ उचित व्यवहार नहीं किया जाता था। अतः भारत के राष्ट्रवादियों ने भारत को अंग्रेजी शासन से स्वतन्त्र कराने के लिए शक्तिशाली आन्दोलन चलाया।
  • विदेशी क्रान्तियों से प्रेरणा-फ्रांस की क्रान्ति, अमेरिका का स्वतन्त्रता-संग्राम, इटली का एकीकरण आदि घटनाओं से भारतीयों को अपना देश स्वतन्त्र कराने की प्रेरणा मिली। अत: उन्होंने गरम राष्ट्रवाद की राह अपनाई।
  • जापान के हाथों रूस की पराजय-1904-05 ई० में जापान तथा रूस के बीच युद्ध हुआ। इस युद्ध में रूस जैसा बड़ा देश जापान जैसे छोटे से देश के हाथों पराजित हो गया। जापान की इस जीत ने भारतीयों के मन में अंग्रेज़ों से स्वतन्त्र होने की भावना पैदा की। इससे गर्म राष्ट्रवाद को बल मिला।
  • गरमपंथी नेताओं के भाषण-लाला लाजपतराय, बाल गंगाधर तिलक तथा विपिन चन्द्र पाल जैसे नेताओं ने गरमपंथी आन्दोलन आरम्भ किया। उन्होंने भारतीयों में राष्ट्रीय भावना पैदा करने के लिए स्थान-स्थान पर जलसे किए तथा भाषण दिए। बाल गंगाधर तिलक ने कहा था, “स्वराज मेरा जन्म-सिद्ध अधिकार है और मैं इसे प्राप्त करके रहूँगा।” इसी प्रकार के विचार लाला लाजपतराय तथा विपिन चन्द्र पाल ने भी प्रकट किए। इन विचारों के कारण गरम राष्ट्रवाद को और अधिक प्रोत्साहन मिला।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 21 राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई०

प्रश्न 4.
लखनऊ समझौते तथा होमरूल आन्दोलन का वर्णन करो।
उत्तर-
लखनऊ समझौता-1914 ई० में यूरोप में प्रथम विश्व युद्ध आरम्भ हुआ। इस युद्ध में अंग्रेज़ मुसलमानों के देश तुर्की के विरुद्ध लड़े। तुर्की का सुल्तान संसार के सभी मुसलमानों का धार्मिक नेता था। अतः मुस्लिम लीग के नेता अंग्रेजों से नाराज होकर इण्डियन नैशनल कांग्रेस के साथ मिल गए। 1916 ई० में दोनों पार्टियों के बीच लखनऊ में एक समझौता हुआ जिसके अनुसार इण्डियन नैशनल कांग्रेस ने मुसलमानों के लिए अलग प्रतिनिधित्व को स्वीकार कर लिया। अत: दोनों संस्थाओं ने मिल कर राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेना आरम्भ कर दिया। इससे राष्ट्रीय आन्दोलन को नई शक्ति मिली।

होमरूल आन्दोलन-1916 ई० में श्रीमती ऐनी बेसेंट ने मद्रास में तथा बाल गंगाधर तिलक ने पुणे में होमरूल लीग की स्थापना की। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में होमरूल या स्वराज की स्थापना करना तथा भारतीयों के मन में स्वराज के प्रति जागरूकता पैदा करना था। बाल गंगाधर तिलक ने कहा था……. स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है तथा मैं इसे प्राप्त करके ही रहूँगा।’ परिणामस्वरूप भारत मन्त्री मि० मांटेगू ने अगस्त, 1917 ई० में घोषणा की कि अंग्रेज़ सरकार भारत में स्व-शासन की संस्थाएं स्थापित करेगी तथा धीरे-धीरे स्वशासन की स्थापना की जाएगी। इस आश्वासन के कारण होमरूल आन्दोलन धीरे-धीरे शान्त हो गया।

प्रश्न 5.
भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा होने के कारणों का वर्णन करो।
उत्तर-
19वीं सदी के उत्तरार्ध में भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा हुई। राष्ट्रीय चेतना से अभिप्राय किसी राष्ट्र के नागरिकों में पाई जाने वाली उस भावना से है जिससे उन्हें यह अनुभव हो कि वे सब एक ही राष्ट्र से सम्बन्ध रखते हैं। भारतीय लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा होने के अनेक कारण थे जिनमें से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

1. 1857 ई० के महान् विद्रोह का प्रभाव-भारतीय लोगों ने अंग्रेजी शासन को समाप्त करने के लिए 1857 ई० में अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध विद्रोह किया था। इस विद्रोह को अंग्रेज़ों ने कठोरता से दबा दिया था। इसके बाद वे भारतीय लोगों पर अत्याचार करने लगे। इस कारण भारतीय लोगों के मन में अपने देश को अंग्रेजी शासन से मुक्त कराने की भावना उत्पन्न हुई।

2. प्रशासनिक एकता-अंग्रेज़ी सरकार ने समस्त भारत में एक सी शासन प्रणाली एवं कानून व्यवस्था लागू की। इसके फलस्वरूप भारत के भिन्न-भिन्न भागों में रहने वाले लोग अपने आपको एक देश के नागरिक समझने लगे जिससे उनमें राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न हुई।

3. सामाजिक-धार्मिक सुधार आन्दोलन-19वीं शताब्दी में भारत के विभिन्न प्रान्तों में अनेक सामाजिक-धार्मिक सुधार आन्दोलन चले। राजा राममोहन राय (ब्रह्म समाज), स्वामी दयानन्द (आर्य समाज), श्री सद्गुरु राम सिंह जी (नामधारी लहर) आदि सभी समाज-सुधारकों ने समाज में फैली हुई बुराइयों की निन्दा की। उन्होंने भारतीय लोगों में इन बुराइयों का अन्त करने के लिए सामाजिक-धार्मिक जागृति उत्पन्न की जिसने राष्ट्रवाद की भावना को जन्म दिया।

4. पश्चिमी शिक्षा एवं साहित्य-भारतीय लोगों ने विदेशी लेखकों जैसे कि मिल्टन, मिल तथा बर्न आदि की पुस्तकें पढ़ीं और अपने राजनीतिक अधिकारों के बारे में जानकारी प्राप्त की। रूसो, वाल्टेयर तथा मैकाले आदि विद्वानों के विचारों ने भारतीय लोगों में स्वतन्त्रता, समानता तथा भ्रातृ-भाव की भावना एवं राष्ट्रीय-चेतना पैदा की।

5. भारतीय लोगों का आर्थिक शोषण-अंग्रेज़ व्यापारी अधिक-से-अधिक धन कमाने के लिए भारतीय लोगों से कम कीमत पर कच्चा माल खरीद कर इंग्लैंड भेजते थे तथा वहां के कारखानों में तैयार माल भारत में लाकर ऊंचे दामों पर बेचते थे। इससे भारत के लघु उद्योगों में तैयार की गई वस्तुओं की बिक्री बन्द हो गई। कच्चा माल न मिलने के कारण लघु उद्योगों का पतन होने लगा। परिणामस्वरूप भारतीय कारीगर बेरोज़गार हो गए। किसानों से भी भारी भूमि-कर लिया जाता था जिसके कारण किसानों को अपनी भूमियां बेचनी पड़ गईं। इस प्रकार वे भी बेरोज़गार हो गए।

6. भारतीयों को उच्च पदों पर नियुक्त न करना-अंग्रेजी सरकार भारतीय लोगों को योग्यतानुसार उच्च पदों पर नियुक्त नहीं करती थी। अतः उनमें अंग्रेजों के प्रति रोष पैदा हो गया। इसके अतिरिक्त समान स्तर की नौकरी करने वाले अंग्रेज़ कर्मचारियों की अपेक्षा भारतीय कर्मचारियों को कम वेतन तथा भत्ते दिए जाते थे। अतः भारतीय कर्मचारियों का मन दुखी था। इस बात ने भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना पैदा करने में सहायता दी।

7. भारतीय समाचार-पत्र एवं साहित्य-भारत में अंग्रेज़ी तथा देशी भाषाओं में अनेक प्रकार के समाचार-पत्र, पत्रिकाएं तथा पुस्तकें छपने से लोगों की जानकारी में वृद्धि हुई। बॉम्बे समाचार, अमृत बाज़ार पत्रिका, द ट्रिब्यून, केसरी आदि के माध्यम से देश-विदेश के समाचारों की जानकारी प्राप्त होने से लोगों में राष्ट्रीय चेतना पैदा हुई। इसके अतिरिक्त अनेक देश-भक्ति की रचनाएं जैसे कि बंकिम चन्द्र चैटर्जी का ‘आनन्द मठ’ तथा उसका गीत ‘वन्दे मातरम्’ लोगों में अत्यधिक लोकप्रिय हो गए। रवीन्द्र नाथ टैगोर, हेमचन्द्र बैनर्जी तथा केशव चन्द्र सेन की कविताओं तथा लेखों द्वारा भी भारतीयों में राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न हुई।

8. यातायात तथा संचार के साधन-रेल, डाक एवं तार आदि यातायात तथा संचार के साधनों का विकास होने से देश के एक भाग से दूसरे भाग में जाना अति सरल हो गया था। इससे भारतीय लोगों में विचारों का आदान-प्रदान हुआ। वे अपनी कठिनाइयों का समाधान करने के लिए मिल कर प्रयत्न करने की सोचने लगे।

9. इलबर्ट बिल का विरोध-गवर्नर जनरल लार्ड रिपन प्रथम अंग्रेज़ अधिकारी था जो भारतीयों के प्रति सहानुभति रखता था। वह भारतीय जजों को अंग्रेजों के समान अधिकार दिलाना चाहता था। अतः उसने इलबर्ट बिल पास कराना चाहा। परन्तु अंग्रेजों ने इस बिल का विरोध किया। इससे भारतीय लोग अंग्रेजों के विरुद्ध हो गए।

10. प्राचीन साहित्य का अध्ययन-विलियम जोन्स, मैक्समूलर, जैकोबी आदि प्रसिद्ध यूरोपियन विद्वानों ने प्राचीन भारतीय साहित्य का अध्ययन किया। इन विद्वानों ने सिद्ध कर दिया कि भारतीय संस्कृति महान् है। अत: भारतीय लोगों को अपने देश तथा अपनी संस्कृति पर गर्व होने लगा। इससे भारतीय लोगों में राष्ट्रीय भावना पैदा हुई।

राष्ट्रीय आन्दोलन : 1885-1919 ई० PSEB 8th Class Social Science Notes

  • राष्ट्रवादी आन्दोलन -1857 के विद्रोह के पश्चात् भारत में एक राष्ट्रवादी आन्दोलन का आरम्भ हुआ। इस आन्दोलन के प्रमुख लक्ष्य राष्ट्रीय स्वाधीनता, लोकतन्त्र, सामाजिक समानता और राष्ट्रीय विकास थे।
  • आरम्भिक चरण (1885-1905) – उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में अनेक राजनीतिक संगठनों की स्थापना हुई-बाम्बे एसोसिएशन, इंडियन एसोसिएशन, मद्रास (चेन्नई) नैटिव एसोसिएशन, पूना सार्वजनिक सभा और मद्रास (चेन्नई) महाजन सभा। 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई। आरम्भिक वर्षों में कांग्रेस ने नरम नीतियां अपनाईं-शिक्षा प्रसार, औद्योगिक विकास, किसानों के कर्मों में राहत इत्यादि।
  • भारतीय राष्ट्रवादी आन्दोलन (1905-1919) – ब्रिटिश शासकों ने कांग्रेस की मामूली साधारण मांगें भी नहीं मानीं। जनता की चेतना बढ़ी और कांग्रेस के भीतर एक गरमपंथी दल का जन्म हुआ।
  • गरमपंथ का उदय – कर्जन द्वारा बंगाल विभाजन, जापान के हाथों रूस की हार, 1905 की रूसी क्रान्ति तथा
    लाल-बाल-पाल के नेतृत्व ने गरमपंथ को बढ़ावा दिया। गरमपंथी भारी दबाव डालकर अपनी मांगें मनवाना चाहते थे।
  • बहिष्कार और स्वदेशी आन्दोलन – बंगाल विभाजन के परिणामस्वरूप जन्मी गुस्से की लहर ने स्वदेशी और बहिष्कार आन्दोलन को जन्म दिया। इस आन्दोलन का उद्देश्य देशी उद्योगों को प्रोत्साहन देना और ब्रिटिश माल का बहिष्कार करना था।
  • गर्म दल के नेता लाल-बाल-पाल कांग्रेस के गर्म दलीय नेता थे जो संघर्ष, बहिष्कार और स्वदेशी द्वारा स्वराज्य प्राप्त करना चाहते थे। 1905 के बाद देश की राजनीति में उनका बड़ा प्रभुत्व रहा।
  • क्रान्तिकारी – पंजाब, उत्तर प्रदेश, बंगाल आदि प्रान्तों में अनेक नवयुवकों ने क्रान्तिकारी आन्दोलन चलाये। वे अंग्रेजों की हत्या, शस्त्र-प्रयोग तथा आत्म-बलिदान में विश्वास करते थे।
  • ग़दर आन्दोलन – ग़दर पार्टी की स्थापना 1913 ई० में सान फ्रांसिस्को (अमेरिका) में हुई। इसका प्रधान बाबा सोहन सिंह भकना को बनाया गया। इस संस्था ने रास बिहारी बोस तथा करतार सिंह सराभा के नेतृत्व में सशस्त्र क्रान्ति द्वारा अंग्रेज़ों को भारत से बाहर निकालने का प्रयास किया।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 19 बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 19 बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 19 बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन

SST Guide for Class 8 PSEB बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन Textbook Questions and Answers

I. नीचे लिखे प्रत्येक प्रश्न का उत्तर लिखें :

प्रश्न 1.
बस्तीवाद से क्या भाव है ?
उत्तर-
बस्तीवाद से भाव है- किसी देश पर किसी दूसरे देश द्वारा राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक रूप से अधिकार करना।

प्रश्न 2.
भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना होने से कौन-से नये कस्बों का उत्थान हुआ ?
उत्तर-
बम्बई कलकत्ता तथा मद्रास

प्रश्न 3.
मद्रास शहर में दर्शनीय स्थान कौन-से हैं ?
उत्तर-
गिरजाघर, भवन, स्मारक, सुन्दर मन्दिर तथा समुद्री तट।

प्रश्न 4.
बम्बई (मुम्बई) शहर के दर्शनीय स्थानों के नाम लिखो।
उत्तर-
जुहू बीच, चौपाटी, कोलाबा, मालाबार हिल, जहांगीरी आर्ट गैलरी, अजायब घर, बम्बई यूनिवर्सिटी, महालक्ष्मी मन्दिर, विक्टोरिया बाग़, कमला नेहरू पार्क इत्यादि।

प्रश्न 5.
अंग्रेजों ने भारत में अपनी पहली व्यापारिक फैक्टरी कब तथा कहां स्थापित की ?
उत्तर-
अंग्रेज़ों ने भारत में अपनी पहली व्यापारिक फैक्टरी 1695 ई० में कलकत्ता में स्थापित की।

प्रश्न 6.
अंग्रेजी राज्य के समय भारत में सबसे पहले कौन-से तीन शहरों में नगरपालिकाएं स्थापित की गईं ?
उत्तर-
अंग्रेजी राज्य के समय भारत में नगरपालिकाएं सबसे पहले मद्रास, बम्बई तथा कलकत्ता में स्थापित की गईं।

प्रश्न 7.
भारत में सार्वजनिक कार्य निर्माण की स्थापना किस अंग्रेज़ अफ़सर ने की ?
उत्तर-
भारत में सार्वजनिक कार्य निर्माण विभाग की स्थापना लार्ड डल्हौजी ने की।

प्रश्न 8.
अंग्रेज़ी राज्य के समय भारत में पुलिस की व्यवस्था किस गवर्नर-जनरल ने शुरू की ?
उत्तर-
अंग्रेजी राज्य के समय भारत में पुलिस की व्यवस्था लार्ड कार्नवालिस ने शुरू की।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 19 बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन

प्रश्न 9.
भारत में प्रथम रेलवे लाइन किसके द्वारा, कब तथा कहां से कहां तक बनाई गई ?
उत्तर-
भारत में प्रथम रेलवे लाइन 1853 ई० में लार्ड डल्हौजी द्वारा बनाई गई। यह बम्बई से लेकर थाना शहर तक बनाई गई थी।

प्रश्न 10.
मद्रास शहर के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर-
मद्रास शहर भारत के पूर्वी तट पर स्थित है। इसका वर्तमान नाम चेन्नई है और यह तमिलनाडु राज्य की राजधानी है। यह नगर भारत में अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा स्थापित तीन केन्द्रों-बम्बई, कलकत्ता तथा मद्रासमें से एक था। यह ईस्ट इंडिया कम्पनी की प्रेजीडेंसी का भी एक केन्द्र था। कम्पनी के इस केन्द्र की स्थापना 1639 में फ्रांसिस डे ने की थी। पहले कर्नाटक युद्ध में फ्रांसीसियों ने अंग्रेजों से मद्रास शहर छीन लिया था। परन्तु युद्ध की समाप्ति पर अंग्रेजों को यह शहर वापस मिल गया था। कर्नाटक के युद्ध में अंग्रेजों की अन्तिम जीत के कारण मद्रास एक महत्त्वपूर्ण तथा समृद्ध नगर बन गया था।

शीघ्र ही यह नगर एक बन्दरगाह नगर तथा औद्योगिक केन्द्र के रूप में विकसित हो गया। यहां अनेक दर्शनीय स्थल (देखने योग्य स्थान) हैं। इनमें गिरजाघर, भवन, स्मारक, सुन्दर मन्दिर तथा समुद्री तट शामिल हैं।

प्रश्न 11.
अंग्रेजी शासन काल में पुलिस व्यवस्था किस प्रकार की थी ?
उत्तर-
अंग्रेज़ों के शासनकाल में लार्ड कार्नवालिस ने देश में कानून एवं व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस विभाग की स्थापना की। उसने ज़मींदारों से पुलिस के अधिकार छीन लिये। 1792 ई० में उसने बंगाल के जिलों को थानों में बांट दिया। प्रत्येक थाने का मुखिया दरोगा नामक पुलिस अधिकारी होता था। वह ज़िला मैजिस्ट्रेट के अधीन काम करता था। 1860 ई० में अंग्रेज़ी सरकार ने देश के सभी प्रान्तों में एक जैसा पुलिस प्रबन्ध स्थापित करने के लिए एक पुलिस कमीशन नियुक्त किया। उसकी सिफ़ारिशों पर सिविल पुलिस, इन्सपेक्टर जनरल पुलिस तथा प्रत्येक जिले में पुलिस सुपरिंटेंडेंट तथा सहायक पुलिस सुपरिटेंडेंट नियुक्त किये गए। उनके अधीन पुलिस इंस्पेक्टर, हैड कान्सटेबल आदि अधिकारी काम करते थे। इन पदों पर प्रायः अंग्रेज़ अधिकारी ही नियुक्त किये जाते थे। पुलिस का यह ढांचा थोड़ेबहुत परिवर्तनों के साथ आज भी जारी है।

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :

1. प्राचीनकाल में ………. तथा मोहनजोदड़ो दो प्रसिद्ध उन्नत शहर थे।
2. …………… मुग़ल बादशाह अकबर की राजधानी थी
3. ………… का वर्तमान नाम चेन्नई है।
4. लार्ड ……… ने देश में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस विभाग की स्थापना की।
उत्तर-

  1. हड़प्पा
  2. फतेहपुर सीकरी
  3. मद्रास
  4. कार्न-वालिस।

III. सही जोड़े बनाएं :

क – ख

1. शाहजहाँ के राज्यकाल में दिल्ली – इंद्रप्रस्थ
2. इंजीनियरिंग कॉलेज – कोलकाता
3. पश्चिम बंगाल की राजधानी – रूड़की
4. महाकाव्य काल में दिल्ली – शाहजहानाबाद
उत्तर-
1. शाहजहाँ के राज्यकाल में दिल्ली – शाहजहानाबाद
2. इंजीनियरिंग कॉलेज – रूड़की
3. पश्चिम बंगाल की राजधानी – कोलकाता
4. महाकाव्य काल में दिल्ली – इंद्रप्रस्थ

PSEB 8th Class Social Science Guide बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

(क) सही विकल्प चुनिए :

प्रश्न 1.
जुहू बीच, चौपाटी, कोलाबा, जहाँगीरी आर्ट गैलरी आदि दर्शनीय स्थल हैं-.
(i) मद्रास
(ii) बम्बई
(iii) कलकत्ता
(iv) दिल्ली ।
उत्तर-
बम्बई

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 19 बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन

प्रश्न 2.
अंग्रेजों ने भारत में अपनी पहली व्यापारिक फैक्टरी (1695 ई० में) स्थापित की
(i) मद्रास
(ii) बम्बई
(iii) कलकत्ता
(iv) दिल्ली ।
उत्तर-
कलकत्ता

प्रश्न 3.
भारत में सार्वजनिक कार्य निर्माण विभाग की स्थापना की-
(i) लार्ड कार्नवालिस
(i) लार्ड विलियम बैंटिक
(iii) लार्ड डलहौज़ी
(iv) लार्ड मैकाले।
उत्तर-
लार्ड डलहौज़ी

प्रश्न 4.
भारत में अंग्रेज़ी राज्य के समय पुलिस व्यवस्था आरम्भ की
(i) लार्ड कार्नवालिस
(ii) लार्ड डलहौज़ी
(iii) लार्ड विलियम बैंटिक
(iv) लार्ड मैकाले।
उत्तर-
लार्ड कार्नवालिस

प्रश्न 5.
अंग्रेज़ी सरकार ने (1687-88 ई० में) सबसे पहले नगरपालिका कार्पोरेशन की स्थापना की –
(i) बम्बई नगर
(ii) दिल्ली नगर
(iii) कलकत्ता नगर
(iv) मद्रास नगर।
उत्तर-
मद्रास नगर

(ख) सही कथन पर (✓) तथा गलत कथन (✗) पर का निशान लगाएं :

1. अंग्रेजों ने 1911 में कलकत्ता को अपनी राजधानी बनाया।
2. मध्यकाल में अकबर ने दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया।
3. भारत में पहली रेलवे लाइन 1853 ई० में बनी।
उत्तर-

  1. (✗)
  2. (✗)
  3. (✓)

V. अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
शहरी परिवर्तन से क्या भाव है ?
उत्तर-
जब किसी देश की राजनीतिक दशा में परिवर्तन होता है, तो उस देश के कस्बों तथा शहरों की स्थिति और महत्त्व में बदलाव आ जाता है। इसे शहरी परिवर्तन कहते हैं।

प्रश्न 2.
प्राचीन काल के किन्हीं दो उन्नत शहरों के नाम बताओ जो अब पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं।
उत्तर-
हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो।

प्रश्न 3.
व्यापारिक केन्द्र के रूप में सूरत का महत्त्व क्यों कम हो गया ?
उत्तर-
व्यापारिक केन्द्र के रूप में सूरत का महत्त्व बम्बई के बंदरगाह तथा ईस्ट इण्डिया कम्पनी की राजनीतिक शक्ति का केन्द्र बनने से कम हुआ। अब सूरत के अधिकतर व्यापारी मुम्बई में चले गये।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 19 बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन

प्रश्न 4.
मद्रास नगर कहां स्थित है और इसका वर्तमान नाम क्या है ?
उत्तर-
मद्रास नगर भारत के पूर्वी तट पर स्थित है। इसका वर्तमान नाम चेन्नई है।

प्रश्न 5.
बंबई नगर कहां स्थित है और इसका वर्तमान नाम क्या है ?
उत्तर-
बंबई नगर महाराष्ट्र राज्य में अरब सागर के पूर्वी तट पर स्थित है। इसका वर्तमान नाम मुम्बई है।

प्रश्न 6.
कलकत्ता का वर्तमान नाम क्या है ?
उत्तर-
कलकत्ता का वर्तमान नाम कोलकाता है।

प्रश्न 7.
तमिलनाडु, महाराष्ट्र तथा पश्चिमी बंगाल राज्यों की राजधानियों के नाम बताओ।
उत्तर-
क्रमशः चेन्नई, मुम्बई तथा कोलकाता।

प्रश्न 8.
अंग्रेजों ने दिल्ली को अपने भारतीय साम्राज्य की राजधानी कब बनाया था ? इससे पहले उनकी राजधानी कौन-सी थी ?
उत्तर-
अंग्रेज़ों ने 1911 ई० में दिल्ली को अपने भारतीय साम्राज्य की राजधानी बनाया था। इससे पहले उनकी राजधानी कलकत्ता थी।

प्रश्न 9.
अंग्रेजी सरकार ने सबसे पहले नगरपालिका कार्पोरेशन की स्थापना किस नगर में और कब की ?
उत्तर-
मद्रास नगर में, 1687-88 ई० में।

प्रश्न 10.
गंगा नहर में पानी कब छोड़ा गया ?
उत्तर-
8 अप्रैल, 1853 ई० को।।

प्रश्न 11.
अंग्रेजी राज में नगर-योजना के अधीन नगरों को दी गई कोई तीन सुविधाएं लिखो।
उत्तर-

  1. पाइप द्वारा पानी की सप्लाई,
  2. गलियों में रोशनी,
  3. पार्क तथा खेल के मैदान।

प्रश्न 12.
कलकत्ता से रानीगंज तक रेलवे लाइन का निर्माण कब किया गया ?
उत्तर-
1854 ई० में।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
अंग्रेजों के शासन काल में सार्वजनिक कार्य-निर्माण विभाग पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
अंग्रेजों के शासन काल में भारत में सर्वप्रथम लार्ड डल्हौज़ी ने जनता की भलाई का काम करने के लिए सार्वजनिक कार्य-निर्माण विभाग की स्थापना की। इस विभाग ने सड़कें, नहरें तथा पुल आदि बनवाये।

  • इस विभाग ने कलकत्ता से पेशावर तक जी० टी० रोड तैयार करवाया।
  • 8 अप्रैल, 1853 ई० को गंगा नहर तैयार करवा कर उसमें पानी छोड़ा गया।
  • उसने रुड़की में एक इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित किया।
  • इस विभाग ने प्रजा के कल्याण के लिए कई अन्य कार्य भी किये।

प्रश्न 2.
अंग्रेजों के शासनकाल में रेलवे लाइनें बिछाने के काम पर एक नोट लिखो। यह भी बताओ कि रेलवे लाइनें क्यों बिछाई गईं ?
उत्तर-
भारत में पहली रेलवे लाइन लार्ड डल्हौज़ी के समय 1853 ई० में बम्बई से थाना शहर तक बनाई गई। 1854 ई० में कलकत्ता से रानीगंज तक रेलवे लाइन का निर्माण किया गया। भारत में अंग्रेज़ शासकों द्वारा रेलवे लाइनों का निर्माण करने के कई कारण थे। इनमें से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं :

  • अंग्रेजी सरकार अपने साम्राज्य की रक्षा करने तथा सेना के आने-जाने के लिए रेलवे लाइनें बिछाना आवश्यक समझती थी।
  • इंग्लैंड की मिलों में तैयार की गई वस्तुएं रेल द्वारा भारत के भिन्न-भिन्न भागों में भेजी जा सकती थीं।
  • अंग्रेज़ी कंपनियों तथा अंग्रेज़ पूँजीपतियों को अपना अतिरिक्त धन रेलें बनाने में खर्च करके पर्याप्त लाभ हो सकता था।
  • रेलों हारा देश के भिन्न-भिन्न भागों से इंग्लैंड के कारखानों के लिए कच्चा माल इकट्ठा किया जा सकता था।

निबन्धातक प्रश्न

प्रश्न 1.
उपनिवेशवादी (बस्तीवादी) संस्थाओं तथा नीतियों के बारे में लिखो जिन्होंने नगरों के विकास में सहायता पहुंचाई ?
उत्तर-
अंग्रेज़ी सरकार ने अपने साम्राज्य को संगठित करने के लिए कई स्थानीय संस्थाएँ स्थापित की जिनसे नगरों के विकास में सहायता मिली। इनमें नगरपालिकाएं, सार्वजनिक कार्य निर्माण विभाग, रेल मार्ग का जाल बिछाना आदि कार्य शामिल थे। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-

1. नगरपालिकाएं-ब्रिटिश (अंग्रेज़ी) ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने सबसे पहले 1687-88 ई० में मद्रास में नगरपालिका कार्पोरेशन की स्थापना की। इसके सदस्य मनोनीत किये जाते थे। कुछ समय बाद बम्बई तथा कलकत्ता में भी नगरपालिका कार्पोरेशन स्थापित की गईं। धीरे-धीरे विभिन्न प्रान्तों के नगरों तथा ग्रामों के लिए नगरपालिकाएं एवं जिला बोर्ड स्थापित किये गये। इन संस्थाओं के माध्यम से काफी संख्या में प्राइमरी, मिडल तथा हाई स्कूल खोले गये। नगरपालिकाओं द्वारा नगरों की सफ़ाई तथा रात को प्रकाश का प्रबन्ध किया जाता था। लोगों को पानी की सुविधाएं मिलने लगीं। नगरों में डिस्पेंसरियां खोली गईं, जिनमें बीमारियों की रोकथाम के लिए निःशुल्क दवाएँ देने तथा टीके लगाने की व्यवस्था थी।

2. सार्वजनिक कार्य निर्माण विभाग- अंग्रेज़ी शासन-काल में भारत में सर्वप्रथम लार्ड डल्हौज़ी ने जनता की भलाई के लिए सार्वजनिक कार्य निर्माण विभाग की स्थापना की। इस विभाग ने सड़कें, नहरें तथा पुल आदि बनवाए। इस विभाग ने कलकत्ता से पेशावर तक जी० टी० रोड का निर्माण करवाया। 8 अप्रैल, 1853 ई० को गंगा नहर तैयार करवा कर उसमें पानी छोड़ा गया। रुड़की में एक इंजिनियरिंग कॉलेज स्थापित किया गया। इस विभाग ने प्रजा के कल्याण के लिए कई अन्य कार्य भी किये।

3. योजना-अंग्रेजों के शासन काल में भारत के कई प्रमुख नगरों में नगर सम्बम्धी सुविधाओं में विस्तार हुआ। भारत के अधिकतर नगरों में पाइप द्वारा पानी की सप्लाई तथा सीवरेज़ की व्यवस्था की गई। इसके अतिरिक्त नगरों में आधुनिक बाज़ार, पार्क तथा खेल के मैदान बनवाए गए।

4. रेलवे लाइनें-भारत में पहली रेलवे-लाइन लार्ड डल्हौज़ी के समय 1853 ई० में बम्बई से थाना शहर तक बनाई गई। 1854 ई० में कलकत्ता से रानीगंज तक की रेलवे लाइन का निर्माण किया गया। भारत में अंग्रेज़ शासकों द्वारा रेलवे-लाइनों का निर्माण करने के कई कारण थे। इनमें से प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं :

  • अंग्रेज़ी सरकार अपने साम्राज्य की रक्षा करने तथा सेना के आने-जाने के लिए रेलवे लाइनें स्थापित करना आवश्यक मानती थी।
  • इंग्लैंड की मिलों में तैयार की गई वस्तुएँ रेलों द्वारा भारत के भिन्न-भिन्न भागों में भेजी जा सकती थीं।
  • अंग्रेज़ी कम्पनियों तथा अंग्रेज़ पूंजीपतियों को अपना अतिरिक्त धन रेलें बनाने में खर्च करके पर्याप्त लाभ हो सकता था।

प्रश्न 2.
नये कस्बों के उत्थान पर नोट लिखो।
उत्तर-
नये कस्बों का उत्थान शहरी परिवर्तनों के परिणामस्वरूप होता है। दूसरे शब्दों में नये कस्बों तथा शहरों का उत्थान तब होता है जब कोई स्थान राजनीतिक शक्ति तथा आर्थिक अथवा धार्मिक गतिविधियों का केंद्र हो। राजनीतिक शक्ति में परिवर्तन होने से प्रायः राजधानियां बदलती हैं। इससे पुरानी राजधानियां अपना महत्त्व खो बैठती हैं जबकि नये राजनीतिक केन्द्रों का महत्त्व बढ़ जाता है। अत: वहां नये कस्बों का विकास होता है। उदाहरण के लिए मुग़लों तथा मराठों के केन्द्र राजनीतिक संरक्षण के अभाव में अपना महत्त्व खो बैठे। इसके विपरीत नई शक्तियों के उदय से नये कस्बे तथा केन्द्र समृद्ध हो गये। अंग्रेजी काल में मद्रास, कलकत्ता तथा बम्बई जैसे नए नगरों का उत्थान भी इसी प्रकार हुआ था।

PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 19 बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन

प्रश्न 3.
अंग्रेजों के राज्य के समय कलकत्ता शहर के महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर-
कलकत्ता पश्चिम बंगाल की राजधानी है। आजकल इसका नाम कोलकाता है। यह भारत में अंग्रेज़ी शासन के समय एक प्रसिद्ध व्यापारिक बस्ती थी। 1695 ई० में अंग्रेजों ने यहां अपनी पहली व्यापारिक फैक्टरी (कारखाना) स्थापित की तथा उसके चारों ओर एक किला बनाया। 1757 ई० तक अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने अपना सारा समय व्यापारिक गतिविधियों में लगाया। जब बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला तथा ईस्ट इण्डिया कम्पनी के मध्य युद्ध आरम्भ हो गया तो भारत में उनकी भिन्न-भिन्न बस्तियां-मद्रास, बम्बई तथा कलकत्ता आदि विकसित नगर बन गये। भारत के अधिकांश व्यापारी इन नगरों में रहने लगे, क्योंकि यहां उन्हें अत्यधिक व्यापार सम्बन्धी सुविधाएं प्राप्त हो सकती थीं। 1757 ई० में प्लासी तथा 1764 ई० में बक्सर की लड़ाई में बंगाल के नवाबों की हार तथा अंग्रेजों की विजय के कारण कलकत्ता नगर की महत्ता और अधिक बढ़ गई।

आजकल यहां अनेक दर्शनीय स्थल हैं। इनमें हावड़ा पुल, विक्टोरिया मेमोरियल (स्मारक), बोटैनिकल गार्डन, भारतीय अजायब घर, अलीपुर चिड़िया घर, वैलूर मठ, राष्ट्रीय पुस्तकालय आदि शामिल हैं जो कि कलकत्ता के महत्त्व को बढ़ाते हैं।

प्रश्न 4.
दिल्ली शहर के विस्तार का वर्णन करो।
उत्तर-
दिल्ली भारत का एक प्रसिद्ध नगर है। यह भारत की राजधानी है। यह यमुना नदी के तट पर स्थित है। महाभारत काल में दिल्ली को इन्द्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था। तत्पश्चात मुग़ल बादशाह शाहजहां ने इसे शाहजहानाबाद का नाम दिया। 1911 ई० में अंग्रेजों ने इसे अपनी राजधानी बनाया और इसे नई दिल्ली का नाम दिया।

दिल्ली का महत्त्व-दिल्ली आरम्भ से ही भारत की राजनीतिक, व्यापारिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र रही है। मध्यकाल में यह नगर बहुत अधिक प्रसिद्ध हो गया था, क्योंकि इल्तुतमिश ने इसे अपनी राजधानी बना लिया था। इसके पश्चात् दिल्ली सभी सुल्तानों की राजधानी बना रहा।

मुग़ल बादशाह अकबर महान् के काल में कुछ समय के लिए आगरा तथा फतेहपुर सीकरी मुग़लों की राजधानी रहे। अन्य सभी मुग़ल शासकों ने दिल्ली को ही अपनी राजधानी बनाये रखा। इस कारण दिल्ली नगर की महत्ता बहुत अधिक बढ़ गई थी।

प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल-दिल्ली के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल पुराना किला, चिड़िया घर, अप्पू घर, इंडिया गेट, किला राए पिथौर, फ़तेहपुरी मस्जिद, निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह, जन्तर-मन्तर. बहलोल लोधी तथा सिकंदर लोधी के मकबरे, कुतुबुद्दीन बख्तयार काकी की दरगाह, पार्लियामेंट हाऊस, राष्ट्रपति भवन, अजायब घर, राजघाट, तीन मूर्ति भवन, शक्ति स्थल, शान्ति वन, दिल्ली यूनिवर्सिटी, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, बिरला मन्दिर, गुरुद्वारा सीस गंज, गुरुद्वारा बंगला साहिब आदि हैं।

प्रश्न 5. शहरों के परिवर्तन द्वारा कौन-से नये शहरों की उत्पत्ति हुई ? वर्णन करें।
उत्तर-अंग्रेज़ी काल में शहरी परिवर्तन से मुख्य रूप से तीन नये शहरों की उत्पत्ति हुई। ये नगर थे-मद्रास, बम्बई तथा कलकत्ता। इन शहरों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-

1. मद्रास-मद्रास नगर भारत के पूर्वी तट पर स्थित है। इसका वर्तमान नाम चेन्नई है और यह तमिलनाडु राज्य की राजधानी है। मद्रास भारत में विकसित होने वाले अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी के तीन प्रमुख केन्द्रों-कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास में से एक था। यहां पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी की प्रेज़िडेंसी का एक केन्द्र भी था। कम्पनी के इस केन्द्र की स्थापना 1639 ई० में फ्रांसिस डे ने की थी। फ्रांसीसी सेनापति ला-बरोदानिस ने पहले कर्नाटक युद्ध (1746-1748) में मद्रास अंग्रेज़ों से छीन लिया था। परन्तु युद्ध के समाप्त होने पर 1748 ई० में मद्रास अंग्रेज़ों को लौटा दिया गया था। कर्नाटक के तीन युद्धों में अंग्रेजों की अंतिम विजय के कारण मद्रास एक महत्त्वपूर्ण एवं खुशहाल (सम्पन्न) नगर बन गया।

शीघ्र ही मद्रास एक बन्दरगाह नगर तथा प्रसिद्ध औद्योगिक केन्द्र के रूप में विकसित हो गया। यहां अनेक दर्शनीय स्थल हैं। यहां के गिरजाघर, भवन, स्मारक, आकर्षक मन्दिर तथा समुद्री तट इस नगर की शान में चार चांद लगा रहे हैं।

2. बम्बई-बम्बई नगर महाराष्ट्र में अरब सागर के पूर्वी तट पर स्थित है। आजकल इसका नाम मुम्बई है। यह एक प्रसिद्ध व्यापारिक केन्द्र होने के साथ-साथ औद्योगिक एवं संस्कृति का केन्द्र भी है। 1661 ई० में पुर्तगाली राजकुमारी कैथरीन के इंग्लैंड के शासक चार्ल्स द्वितीय के साथ विवाह में यह नगर पुर्तगालियों ने दहेज़ के रूप में इंग्लैंड को दिया था। उसने यह नगर ईस्ट इण्डिया कम्पनी को किराये पर दे दिया। धीरे-धीरे बम्बई अंग्रेज़ों की प्रेज़िडेंसी बन गया। इस नगर के प्रसिद्ध स्थान जुहू बीच, चौपाटी, कोलाबा, मालाबार हिल, जहांगीरी आर्ट-गैलरी, अजायबघर (संग्रहालय), बम्बई यूनिवर्सिटी, महालक्ष्मी मन्दिर, विक्टोरिया बाग, क्रमला नेहरू पार्क आदि हैं।

3. कलकत्ता-कलकत्ता पश्चिम बंगाल की राजधानी है। आजकल इसका नाम कोलकाता है। यह भारत में अंग्रेज़ी शासन के समय एक प्रसिद्ध व्यापारिक बस्ती थी। 1695 ई० में अंग्रेज़ों ने यहां अपनी पहली व्यापारिक फैक्टरी (कारखाना) स्थापित की तथा उसके चारों ओर एक किला बनाया। 1757 ई० तक अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अपना सारा समय व्यापारिक गतिविधियों में लगाया। जब बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला तथा ईस्ट इण्डिया कम्पनी के मध्य युद्ध आरम्भ हो गया तो भारत में उनकी भिन्न-भिन्न बस्तियां-मद्रास, बंबई तथा कलकत्ता आदि विकसित नगर बन गईं। भारत के अधिकतर व्यापारी इन राज्यों में रहने लगे क्योंकि यहां उन्हें अत्यधिक व्यापार-सम्बन्धी सुविधाएं प्राप्त हो सकती थीं। 1757 ई० में प्लासी तथा 1764 ई० में बक्सर की लड़ाई में बंगाल के नवाबों की हार तथा अंग्रेजों की विजय के कारण कलकत्ता नगर की महत्ता और अधिक बढ़ गई। . .
आजकल यहां अनेक दर्शनीय स्थल हैं। इनमें हावड़ा पुल, विक्टोरिया मेमोरियल (स्मारक), बोटेनिकल गार्डन, भारतीय अजायब घर, अलीपुर चिड़ियाघर, वैलूर मठ, राष्ट्रीय पुस्तकालय आदि शामिल हैं जो कलकत्ता के महत्त्व को बढ़ाते हैं।

बस्तीवाद तथा शहरी परिवर्तन PSEB 8th Class Social Science Notes

  • बस्तीवाद – बस्तीवाद का भावार्थ है किसी देश पर किसी अन्य देश या देशों द्वारा राजनीतिक, आर्थिक तथा सामाजिक रूप में अधिकार करना।
  • नगर-परिवर्तन – नगरीय परिवर्तन से तात्पर्य (भाव) है किसी देश की राजनीतिक सत्ता में परिवर्तन होने के कारण कस्बों एवं नगरों की स्थिति एवं महत्ता में परिवर्तन होना।
  • नगरों का समाप्त (अन्त) होना तथा नये कस्बों का उत्थान – नये नगरों और कस्बों का उत्थान तब होता है जब वे राजनीतिक शक्ति, आर्थिक गतिविधियों या फिर धार्मिक गतिविधियों के केन्द्र होते हैं। किसी देश की राजनीतिक शक्ति में परिवर्तन होने के कारण यदि सम्बन्धित शासक अपनी राजधानियां बदलते हैं
    तो कई नगर अपनी महत्ता खो बैठते हैं तथा नये नगर उनका स्थान ले लेते हैं।
  • अंग्रेज़ी काल के नये नगर – अंग्रेज़ी काल में तीन महत्त्वपूर्ण नगरों का विकास हुआ-मद्रास, बम्बई तथा कलकत्ता। ये नगर प्रेजीडेंसियों के केन्द्र भी थे।
  • दिल्ली का विस्तार | 1911 ई० में अंग्रेजों ने दिल्ली को अपने भारतीय साम्राज्य की राजधानी बनाया फलस्वरूप दिल्ली का तेजी से विस्तार हुआ।
  • नगरों को सुविधाएं | नगरों के विकास के लिए लोगों को विभिन्न सफ़ाई, पानी, सड़कों, रोशनी आदि की सुविधाएं दी गईं। इसके लिए विभिन्न स्थानीय संस्थाएं स्थापित की गईं।
  • कानून एवं व्यवस्था नगरों में कानून एवं व्यवस्था के लिए पुलिस विभाग की स्थापना की गई।

PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

Punjab State Board PSEB 8th Class Science Book Solutions Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Science Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

PSEB 8th Class Science Guide विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव Textbook Questions and Answers

अभ्यास

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(a) विद्युत् चालन करने वाले अधिकांश द्रव ……………….., ………………… तथा ………………. के विलयन होते हैं।
(b) किसी विलयन से विद्युत् धारा प्रवाहित होने पर …………………… प्रभाव उत्पन्न होता है।
(c) यदि कॉपर सल्फेट विलयन से विद्युत् धारा प्रवाहित की जाए तो कॉपर बैटरी के ………………………….. टर्मिनल से संयोजित प्लेट पर निक्षेपित होता है।
(d) विद्युत् धारा द्वारा किसी पदार्थ पर वांछित धातु की परत निक्षेपित करने की प्रक्रिया को ………………… कहते हैं।
उत्तर-
(a) अम्ल, क्षार, लवण
(b) रासायनिक
(c) -ve (ऋण)
(d) विद्युत् लेपन।

प्रश्न 2.
जब किसी संपरीक्षित्र के स्वतंत्र सिरों को किसी विलयन में डुबोते हैं तो चुंबकीय सुई विक्षेपित होती है। क्या आप ऐसा होने के कारण की व्याख्या कर सकते हैं ?
उत्तर-
विलयन में विद्युत् धारा के प्रवाहित होने से चुंबकीय सुई विक्षेपित होती है।

PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

प्रश्न 3.
ऐसे तीन द्रवों के नाम लिखिए जिनका परीक्षण चित्र में दर्शाए अनुसार करने पर चुंबकीय सुई विक्षेपित हो सके।
PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव 1
उत्तर-
अम्ल, क्षार और लवण के विलयन।

प्रश्न 4.
चित्र में दर्शायी गई व्यवस्था में बल्ब नहीं जलता। क्या आप संभावित कारणों की सूची बना सकते हैं ? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव 2
उत्तर-
चित्र में दर्शाई गई व्यवस्था में बल्ब प्रदीप्त नहीं होता है परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि द्रव में से धारा प्रवाहित नहीं हो रही। हो सकता है कि द्रव इतना दुर्बल हो कि बल्ब को प्रदीप्त करने में समर्थ न हो। इसलिए विश्वसनीय जाँच के लिए, LED का उपयोग किया जा सकता है, जो बहुत ही दुर्बल विद्युत् धारा से भी प्रदीप्त हो उठता है।

प्रश्न 5.
दो द्रवों A तथा B के विद्युत् चालन की जाँच करने के लिए एक संपरीक्षित्र का प्रयोग किया गया। यह देखा गया कि संपरीक्षित का बल्ब द्रव A के लिए चमकीला दीप्त हुआ जबकि द्रव B के लिए अत्यंत धीमा दीप्त हुआ। आप निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि :
(i) द्रव A, द्रव B से अच्छा चालक है।
(ii) द्रव B, द्रव A से अच्छा चालक है।
(iii) दोनों द्रवों की चालकता समान है।
(iv) द्रवों की चालकता के गुणों की तुलना इस प्रकार नहीं की जा सकती।
उत्तर-
(i) द्रव A, द्रव B से अच्छा चालक है।

प्रश्न 6.
क्या शुद्ध जल विद्युत् का चालन करता है ? यदि नहीं, तो इसे चालन बनाने के लिए हम क्या कर सकते हैं ?
उत्तर-
शुद्ध जल विद्युत् का चालन नहीं करता। इसको चालक बनाने के लिए इसमें कुछ बूंदें तनु सल्फ्यूरिक अम्ल की डालनी चाहिए।

प्रश्न 7.
आग लगने के समय, फायरमैन पानी के हौज़ (पाइपों) का उपयोग करने से पहले उस क्षेत्र की मुख्य विद्युत् आपूर्ति को बन्द कर देते हैं। व्याख्या कीजिए कि वे ऐसा क्यों करते हैं ?
उत्तर-
शुद्ध जल विद्युत्हीन चालक है, परंतु नल का जल विद्युत् का अच्छा चालक है। विद्युत् के झटके से बचने के लिए फायरमैन पानी के हौज (पाइपों) का उपयोग करने से पहले मुख्य विद्युत् आपूर्ति को बंद कर देते हैं।

PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

प्रश्न 8.
तटीय क्षेत्र में रहने वाला एक बालक अपने संपरीक्षित से पीने के पानी तथा समुद्र के पानी का परीक्षण करता है। वह देखता है कि समुद्र के पानी के लिए चुंबकीय सुई अधिक विक्षेप दर्शाती है। क्या आप इसके कारण की व्याख्या कर सकते हैं ? ।
उत्तर-
समुद्र के पानी में लवणों की सघनता अधिक होती है। इसी कारण चुंबकीय सुई अधिक विक्षेपित होती है।

प्रश्न 9.
क्या तेज़ वर्षा के समय किसी लाइनमैन के लिए बाहरी मुख्य लाइन के विद्युत् तारों की मरम्मत .. करना सुरक्षित होता है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
नहीं, लाइनमैन के लिए वर्षा के समय, बाहरी मुख्य लाइन के विद्युत् तारों की मरम्मत करना सुरक्षित नहीं है क्योंकि वर्षा का जल विद्युत् का चालक है, जिससे लाइनमैन को विद्युत् झटका लग सकता है।

प्रश्न 10.
पहेली ने सुना था कि वर्षा का जल उतना ही शुद्ध है जितना कि आसुत जल। इसलिए उसने एक स्वच्छ काँच के बर्तन में कुछ वर्षा का जल एकत्रित करके संपरीक्षित्र से उसका परीक्षण किया। उसे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि चुंबकीय सुई विक्षेप दर्शाती है। इसका क्या कारण हो सकता है ?
उत्तर-
निसंदेह वर्षा का जल आसुत जल की तरह ही शुद्ध होता है, परंतु वातावरण अशुद्धियों से भरा पड़ा है। ये अशुद्धियाँ वर्षा के जल में घुल कर इसे विद्युत् चालक बना देती हैं।

प्रश्न 11.
अपने आस-पास उपलब्ध विद्युत्लेपित वस्तुओं की सूची बनाइए।
उत्तर-
विद्युत् लेपित वस्तुएँ-

  1. साइकिल का हैंडल
  2. कार के पहिए
  3. कृत्रिम गहने
  4. स्नानगृह के नल
  5. गैस चुल्हे के बर्नर।

प्रश्न 12.
जो प्रक्रिया आपने पाठ्य-पुस्तक के क्रियाकलाप 14.7 में देखी वह कॉपर के शोधन में उपयोग होती है। एक पतली शुद्ध कॉपर छड़ एवं एक अशुद्ध कॉपर की छड़ इलेक्ट्रोड के रूप में उपयोग की जाती है। कौन-सा इलेक्ट्रोड बैटरी के धन टर्मिनल से संयोजित किया जाए ? कारण भी लिखिए।
उत्तर-
जब कॉपर सल्फेट विलयन में विद्युत् धारा प्रवाहित की जाती है, तो कॉपर सल्फेट, कॉपर और सल्फेट में नियोजित होता है। कॉपर ऋण टर्मिनल पर जुड़े अशुद्ध कॉपर इलेक्ट्रोड पर निक्षेपित हो जाता है जबकि धन टर्मिनल पर जुड़ा शुद्ध कॉपर इलेक्ट्रोड विलयन में कॉपर की आपूर्ति करता है।

PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

PSEB Solutions for Class 8 Science विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव Important Questions and Answers

TYPE-I
अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या मानव शरीर विद्युत् चालक है या विद्युत् प्रतिरोधक ?
उत्तर-
विद्युत् चालक।

प्रश्न 2.
विद्युत चालक (Conductors) क्या है ?
उत्तर-
विद्युत् चालक – पदार्थ जो अपने में से विद्युत् धारा प्रवाहित होने देते हैं, विद्युत् चालक कहलाते हैं। उदाहरण-चाँदी, ताँबा, एल्यूमीनियम, लोहा, मानव शरीर आदि।

प्रश्न 3.
विद्युतरोधक (Insulators) क्या है ?
उत्तर-
विद्युतरोधक-वे पदार्थ जो अपने से विद्युत् धारा प्रवाहित नहीं होने देते, विद्युत्रोधक कहलाते हैं। उदाहरण-लकड़ी, रबड़, रेशम तथा प्लास्टिक आदि।

प्रश्न 4.
क्या सभी द्रव विद्युत् प्रवाहित होने देते हैं ?
उत्तर-
नहीं।

प्रश्न 5.
एल० ई० डी० (LED) क्या है ?
उत्तर-
एल० ई० डी०-प्रकाश उत्सर्जक डायोड।

प्रश्न 6.
उस प्रक्रम का नाम बताओ जिसमें कोई भी रासायनिक पदार्थ विद्युत् धारा के प्रवाह से अपघटित हो जाता है ?
उत्तर-
विद्युत् अपघटन (Electrolysis)।

PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

प्रश्न 7.
अम्लयुक्त जल के विद्युत् अपघटन से क्या उत्पाद मिलते हैं ?
उत्तर-
हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन।

प्रश्न 8.
विद्युत् लेपन में विद्युत् धारा का कौन-सा प्रभाव उपयोग में आता है ?
उत्तर-
रासायनिक प्रभाव।

प्रश्न 9.
विद्युत् धारा का कौन-सा प्रभाव बल्ब जलाने में सहायक होता है ?
उत्तर-
ऊष्मीय प्रभाव।

प्रश्न 10.
दुर्बल और थोड़ी विद्युत् धारा का परीक्षण कैसे होता है ?
उत्तर-
एल० ई० डी० के उपयोग से।

प्रश्न 11.
विद्युत् धारा के विभिन्न प्रभावों के नाम लिखो।
उत्तर-
ऊष्मीय प्रभाव, रासायनिक तथा चुंबकीय प्रभाव।

प्रश्न 12.
क्या वायु विद्युत्रोधक है ?
उत्तर-
हाँ।

PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

प्रश्न 13.
कुछ द्रवों के नाम बताइए जो विद्युत् चालक हैं ?
उत्तर-
नींबू का रस, चूने का पानी, सिरका, नल का जल।

प्रश्न 14.
क्या विद्युत् चालकों को विद्युत्हीन चालकों में, विशेष परिस्थितियों में वर्गीकृत कर सकते
उत्तर-
हाँ।

प्रश्न 15.
कौन-से द्रव विद्युत् चालन कर सकते हैं ?
उत्तर-
म्ल, क्षार और लवण के विलयन।

प्रश्न 16.
इलेक्ट्रोड (Electrodes) क्या है ?
उत्तर-
इलेक्ट्रोड – बैटरी से जोड़ने के लिए विद्युत् चालक द्रव में उपयुक्त की जाने वाली धातु की छड़ें, इलेक्ट्रोड कहलाती हैं।

प्रश्न 17.
किस प्रक्रम द्वारा सस्ती धातु को सोने अथवा महँगी धातु से ढका जाता है ?
उत्तर-
विद्युत् लेपन।

प्रश्न 18.
क्या विद्युत् लेपन लाभकारी प्रक्रम है ?
उत्तर-
हाँ।

PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

TYPE-II
लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वायु विद्युत् की अच्छी चालक नहीं है। प्रयोग द्वारा दर्शाइए।
उत्तर-
वायु विद्युत्हीन चालक – एक बल्ब लेकर एक सैल और स्विच से इसे जोड़ो। जब स्विच में पिन का उपयोग होता है तो बल्ब प्रकाशमान हो जाता है। परंतु पिन को हटाने से स्विच के बीच वायु होती है और विद्युत् धारा नहीं बहती। इससे सिद्ध होता है कि वायु विद्युत् की अच्छी चालक नहीं है।

प्रश्न 2.
विद्युत् अपघटन (Electrolysis) क्या है ?
उत्तर-
विद्युत् अपघटन – विद्युत् के प्रवाह से रासायनिक यौगिकों के विलयन का अपघटित होना, विद्युत् अपघटन कहलाता है। जब अम्लीय जल में से विद्युत् धारा प्रवाहित होती है तो यह अपने संघटक-हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में टूट जाता है। हाइड्रोजन कैथोड पर और ऑक्सीजन एनोड पर एकत्रित होती है।

प्रश्न 3.
विद्युत् लेपन (Electroplating) क्या है ?
उत्तर-
विद्युत् लेपन – विद्युत् अपघटन के प्रक्रम द्वारा किसी सस्ती धातु पर मूल्यवान धातु (जैसे जस्त, चाँदी और सोने) की पतली परत चढ़ा कर संक्षरण से बचाया जा सकता है। इस प्रक्रम को विद्युत् लेपन कहते हैं।

प्रश्न 4.
LED पर एक संक्षिप्त नोट लिखो।
उत्तर-
एल० ई० डी० (LED) – यह प्रकाश उत्सर्जक डायोड है। यह अति दुर्बल विद्युत् धारा से भी दीप्त हो उठता है।

इसमें एक बल्ब और दो तारें होती हैं। तारों को लीड्स कहते हैं। एक तार दूसरे की अपेक्षा थोड़ी लंबी होती है। लंबी तार, बैटरी के धन (+ve) टर्मिनल से तथा छोटी तार बैटरी के ऋण (-ve) टर्मिनल से जोडते हैं।
PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव 3

TYPE-III
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या जल विद्युत् का अच्छा चालक है ? क्या होता है जब जल में साधारण नमक मिलाया जाता है ?
उत्तर-
प्रयोग – शुद्ध अथवा आसुत जल विद्युत् के रोधक हैं। दो कार्बन की छड़ें आसुत जल में डुबोएँ और उन्हें बल्ब, 6V बैटरी और स्विच से जोड़ें, बल्ब दीप्त नहीं होगा। इसका निष्कर्ष है कि आसुत जल विद्युत्हीन चालक है।

अब आसुत जल के स्थान पर साधारण नमक का विलयन उपयोग में लाएँ। स्विच दबाते ही बल्ब दीप्त हो जाएगा। इससे सिद्ध होता है कि आसुत जल विद्युत्रोधक है, परंतु अशुद्ध जल विशेष तौर पर साधारण नमक मिश्रित जल विद्युत् का अच्छा चालक है।
PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव 4

प्रश्न 2.
विद्युत् लेपन क्या है ? इसके उपयोग लिखिए।
उत्तर-
विद्युत् लेपन – इस प्रक्रिया में सस्ती धातु पर महँगी धातु की पतली परत, विद्युत् धारा के प्रवाह से रोपित की जाती है। जब विद्युत् धारा रासायनिक यौगिक अथवा द्रव में से प्रवाहित होती है तो यह अपने संघटकों से टूट जाता है।
PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव 5

धन-आयन, ऋण इलेक्ट्रोड की तरफ और ऋण-आयन-धन इलेक्ट्रोड की ओर आकर्षित होते हैं। इस प्रक्रिया का उपयोग घटिया वस्तुओं पर धातुओं की पतली परत विलोपित करने के लिए किया जाता है।

विद्युत् लेपन के उपयोग

  1. लोहे को संक्षरण से बचाने के लिए निकिल अथवा क्रोमियम से विलोपित किया जाता है।
  2. कृत्रिम आभूषण, जो सस्ती धातुओं से बनते हैं, उन्हें आकर्षित बनाने के लिए सोने अथवा चाँदी से विलोपित करते हैं।
  3. साइकिल के हैंडल, पहिए के रिम, कारों के भाग क्रोमियम से विलोपित होते हैं ताकि वे चमकदार तथा आकर्षक बन सकें।
  4. लोहे पर टीन की पतली परत विलोपित करने से टीन के डिब्बे तैयार किये जाते हैं।

PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

प्रश्न 3.
एक चम्मच कॉपर से कैसे विलोपित किया जा सकता है ?
उत्तर-
प्रयोग – एक चम्मच लो जिसका कॉपर से विद्युत् लेपन करना है। एक कॉपर प्लेट लो और उसे एनोड इलेक्ट्रोड की जगह बैटरी के धन (+ve) टर्मिनल से जोड़ो। चम्मच को ऋण (-ve) टर्मिनल से जोड़ो। एक रियोस्टेट (Rheostat), स्विच और एममीटर (Ammetre) को भी धारा में जोड़ो जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है।
PSEB 8th Class Science Solutions Chapter 14 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव 6

काँच के जार में कॉपर सल्फेट (CuSO4) का विलयन लो। रियोस्टेट (Rheostat) को इस तरह स्थापित करो कि विलयन में से उचित धारा का प्रवाह हो। (प्रायः 1A धारा 100 cm2 क्षेत्रफल के लिए पर्याप्त होती है अर्थात् यदि चम्मच का क्षेत्रफल दोनों तरफ से 60 cm2 है तो 0.6 A धारा का प्रवाह होना अनिवार्य है।) अब विद्युत् धारा का प्रवाह 5-10 मिनट तक होने दें ताकि चम्मच पर चमकता हुआ कॉपर विलोपित हो जाए।

PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 8 मैमरी यूनिट्स

Punjab State Board PSEB 8th Class Computer Book Solutions Chapter 8 मैमरी यूनिट्स Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Computer Chapter 8 मैमरी यूनिट्स/h2>

Computer Guide for Class 8 PSEB मैमरी यूनिट्स Textbook Questions and Answers

1. रिक्त स्थान भरो

1. ………………….. विटस के समूह को बाइट कहा जाता है।
(क) 8
(ख) 16
(ग) 32
(घ) 64.
उत्तर-
(क) 8,

2. एक विट या बाइनरी डिजिट को लाजीकल …………. तथा ………. द्वारा पेश किया जाता है।
(क) 0, 1
(ख) 0,0 .
(ग) 1,2
(घ) 1, 1.
उत्तर-
(क) 0, 1

3. रैम (RAM) का अर्थ है
(क) रीड एक्सैस मैमरी
(ख) रैंडम एक्सैस मैमरी
(ग) दोनों ही
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) रैंडम एक्सैस मैमरी

4. रोम (ROM) का अर्थ है
(क) रीड ओनली मैमरी
(ख) रैंडम ओनली मैमरी
(ग) रीड ओपन मैमरी
(घ) कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) रैंडम ओनली मैमरी

PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 8 मैमरी यूनिट्स

5. एक डिस्क का हर एक ट्रैक छोटे भागों में बंटा होता है जिसको …………… कहते हैं।
(क) सैक्टर
(ख) एरिया
(ग) डिस्क
(घ) टेप।
उत्तर-
(क) सैक्टर|

2. पूरे नाम लिखो

1. MB
2. GB
3. SRAM
4. PROM
5. IR
उत्तर-
1. MB-Megabyte
2. GB-Gigabyte
3. SRAM-Static RAM
4. PROM-Programmable Read Only Memory
5. IR-Instruction Register

3. छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
मैमरी क्या है ?
उत्तर-
कम्प्यूटर मैमरी वह होता है, जहां पर कम्प्यूटर अपना डाटा तथा ज़रूरी निर्देश स्टोर करता है। यह कम्प्यूटर के दिमाग की तरह ही होता है। इसमें कार्य करने वाला डाटा तथा निर्देश स्टोर किए जाते हैं। मैमरी छोटेछोटे हिस्सों में भी होती है। जिनको सेल कहा जाता है, प्रत्येक सेल का अपना एड्रेस होता है।

प्रश्न 2.
विभिन्न प्रकार की मैमरी के नाम लिखो।
उत्तर-
मैमरी निम्नलिखित प्रकार की होती है

  1. इंटरनल मैमरी-कैश मैमरी, प्राइमरी।
  2. एक्सटर्नल मैमरी-सीक्वेंशियल एक्सेस मैमरी, डायरेक्ट एक्सेस मेमोरी।

प्रश्न 3.
प्राइमरी मैमरी क्या होती है ?
उत्तर-
प्राइमरी मैमरी वह मैमरी होती है जहां तक सीपीयू सीधे पहुंच सकता है। इस मैमरी के बगैर कम्प्यूटर शुरू नहीं हो सकता। यह मैमरी मदरबोर्ड पर सीपीयू के नजदीक होती है।

प्रश्न 4.
रोम की विभिन्न किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर-
रोम की निम्नलिखित किस्में होती हैं-

  1. मास्क रोम
  2. प्रोग्रामेबल रोम
  3. इरेजेबल प्रोग्रामबेल रोम
  4. इलेक्ट्रिकली इरेजेबल प्रोग्रामेबल रोम।

4. बड़े उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
रैम तथा रोम का वर्णन करो।
उत्तर-
1. RAM RAM का पूरा नाम Random Access Memory है। यह कम्प्यूटर के मदर बोर्ड . में लगी होती है। इसमें डाटा रीड तथा राइट किया जा सकता है। यह मैमरी बिजली की सहायता से चलती है। यह मैमरी में डाटा पक्के तौर पर स्टोर नहीं करती। कम्प्यूटर के बन्द होने के बाद इस मैमरी में रखा डाटा भी नष्ट हो जाता है।

2. ROM ROM का पूरा नाम Read Only Memory है। इस मैमरी को सिर्फ पढ़ा जा सकता है। इसमें डाटा राइट नहीं किया जा सकता। इस पर सूचना पक्के तौर पर ही स्टोर होती है। कम्प्यूटर बन्द होने के बाद इसमें रखा डाटा नष्ट नहीं होता।

PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 8 मैमरी यूनिट्स

प्रश्न 2.
बाहरी मैमरी की व्याख्या करो।
उत्तर-
वह मैमरी जो कम्प्यूटर के साथ सीधे तौर पर नहीं जुड़ी होती उसे सैकेण्डरी मैमरी कहते हैं। इसका प्रयोग पक्के तौर पर डाटा स्टोर करने के लिए किया जाता है। इसमें रखा डाटा कम्प्यूटर बन्द होने के बाद भी नष्ट नहीं होता। यह गति में प्राइमरी मैमरी से धीमी होती है पर आकार में प्राइमरी मैमरी से बड़ी होती है। इस मैमरी में कम्प्यूटर के सारे प्रोग्राम तथा डाटा पड़ा रहता है। कम्प्यूटर चलने के बाद इसी से ही डाटा तथा प्रोग्राम प्राप्त करता है।

सैकेण्डरी मैमरी की किस्में –
I. सिक्वेनशल एक्सैस डिवाइस –
1. मैगनैटिक टेप
II. डायरैक्ट एक्सैस डिवाइस

1. मैगनैटिक डिस्क

  • फ्लापी डिस्क
  • हार्ड डिस्क

2. ऑप्टीकल डिस्क

  • सी०डी०
  • डी०वी०डी०

3. मैमरी स्टोरेज डिवाइसज

  • फ्लैश ड्राइव
  • मैमरी कार्ड

प्रश्न 3.
सेकेंडरी मैमरी की विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर-
सेकेंडरी मैमरी की अग्रलिखित विशेषताएं होती हैं।

  1. यह मैगनैटिक तथा ऑप्टीकल होती है।
  2. इस पर डाटा पक्के तौर पर रहता है।
  3. बिजली बंद होने पर डाटा स्टोर रहता है।
  4. यह मैमरी भरोसेमंद होती है।
  5. ये प्रयोग में आसान होती है।
  6. इन की भण्डारण क्षमता बहुत अधिक होती है।
  7. इनकी कीमत प्राइमरी मैमरी से काफ़ी कम होती है।
  8. कम्प्यूटर इस मैमरी के बगैर चल सकता है।
  9. इनकी रफ्तार प्राइमरी मैमरी से कम होती है।

प्रश्न 4.
ट्रैक तथा सैक्टर क्या होते हैं ?
उत्तर-
1. टरैक-किसी भी डिस्क का तल पारदर्शी साझे केंद्र बिन्दु वाले चक्रों में बांटा गया होता है। इनको ट्रैक्स कहा जाता है। इनको अंदर वाले से शुरू कर 0 से नंबर दिये जाते हैं। इनकी गिनती डिस्क की भंडारण क्षमता अनुसार कम या ज्यादा हो सकती है। इनको आगे सैक्टर में बांटा जाता है।

2. सैक्टर-किसी डिस्क के प्रत्येक सैक्टर को छोटे हिस्सों में बांटा जाता है। इनको सैक्टर कहते हैं। प्रत्येक ट्रैक में 8 या ज्यादा सैक्टर होते हैं। एक सैक्टर में 512 बाइट्स स्टोर करने की क्षमता होती है। किसी डिस्क की स्टोरेज क्षमता को निम्न फार्मूले के साथ पता किया जा सकता है।
भंडारण क्षमता = तलों की गिनती × ट्रैक्स प्रतिशत × सैक्टर प्रति ट्रैक × कुल बाईट प्रति सैक्टर

प्रश्न 5.
कैश मैमरी क्या होती है इसके लाभ तथा हानियां बताओ।
उत्तर-
यह बहुत तेज़ सैमी कंडक्टर मैमरी होती है, जो CPU को रफ्तार देती है। यह CPU तथा मुख्य मैमरी के बीच वफर का काम करती है। यह प्रोग्राम तथा डाटा के उन भागों को रखती है, जो ज्यादा प्रयोग में आते|
कैश मैमरी के लाभ-कैश मैमरी के निम्न लाभ हैं-

  1. यह मुख्य मैमरी से तेज़ होती है।
  2. इसका एक्सैस टाइम कम होता है।
  3. यह उस प्रोग्राम को स्टोर करती है जो कम समय में लागू होना होता है।
  4. यह डाटा को अस्थायी तौर पर सेव करती है।

कैश मैमरी की हानियाँ-कैश मैमरी की निम्न हानियां होती हैं-

  • इसकी भंडारण क्षमता बहुत कम होती है।
  • इसकी कीमत काफ़ी ज्यादा होती है।

एक्टिविटी
नीचे दिए गए मैमरी के भागों के चित्र में खाली स्थान भरो-
PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 8 मैमरी यूनिट्स 1

PSEB 8th Class Computer Guide मैमरी यूनिट्स Important Questions and Answers

रिक्त स्थान भरो

1. मैमरी मनुष्य के ………. की तरह होती है।
(क) दिमाग
(ख) कान
(ग) आँख
(घ) नाक।
उत्तर-
(क) दिमाग

2. चार बिट के समूह से ……….. बनती है।
(क) बिट
(ख) निबल
(ग) गीगाबाइट
(घ) मेगाबाइट।
उत्तर-
(ख) निबल

PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 8 मैमरी यूनिट्स

पूरे नाम लिखो

1. KB
2. TB
3. PB
4. RAM
5. ROM
6. UPS
7. DRAM
8. MROM
9. EPOM
10. EEPROM
उत्तर –
1. KB-Kilobyte
2. TB-Terabyte
3. PB-Petabyte.
4. RAM-Random Access Memory
5. ROM-Read Only Memory
6. UPS-Uninterrupted Power Supply
7. DRAM-Dynamic Read Only Memory
8. MROM-Masked Read Only Memory
9. EPOM-Erasable and Programmable Read Only Memory
10. EEPROM-Electrically Erasable and Programmable Read Only Memory

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
बिट क्या होती है ?
उत्तर-
जीरो या एक को बिट या बाइनरी डिजिट कहा जाता है।

प्रश्न 2.
निब्बल किसे कहते हैं ?
उत्तर-
4 बिट के समूह को निब्बल कहते हैं।

प्रश्न 3.
वर्ड क्या होता है ?
उत्तर-
कंप्यूटर में एक शब्द या वर्ड कुछ निर्धारित बिट्स का समूह होता है।

प्रश्न 4.
मैमरी की किस्मों के नाम बताओ।
उत्तर-
इंटरनल मैमरी, कैश मैमरी, प्राइमरी मैमरी, सेकंडरी मैमरी।

प्रश्न 5.
रोम की किस्मों के नाम लिखो।
उत्तर-
EROM, PROM, EPROM, EEPROM

PSEB 8th Class Computer Solutions Chapter 8 मैमरी यूनिट्स

प्रश्न 6.
सीक्वेंशियल एक्सेस डिवाइस क्या होते हैं ?
उत्तर-
वह डिवाइस जिनको डाटा एक्सेस करने के लिए एक के बाद दूसरे क्रम में प्रयोग किया जाता है। उन्हें सीक्वेंशियल एक्सेस डिवाइस कहा जाता है।

प्रश्न 7.
सीक्वेंशियल एक्सेस डिवाइस की उदाहरण बताओ।
उत्तर-
मैग्नेटिक टेप।

प्रश्न 8.
डायरेक्ट एक्सेस मैमरी की उदाहरण दो।
उत्तर-
सीडी, डीवीडी, हार्ड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क।

प्रश्न 9.
पहली जनरेशन के कंप्यूटर का नाम बताओ।
उत्तर-
ENIAC, EVAC, EDSAC, UNIVAC-I, IBM 701.

प्रश्न 10.
मैमरी यूनिट क्या होती है ?
उत्तर-
कंप्यूटर की मैमरी को मापने के ढंग को मैमरी यूनिट कहा जाता है।