PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 7 आ री बरखा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 7 आ री बरखा (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB आ री बरखा Textbook Questions and Answers

आ री बरखा अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) वर्षा ऋतु से पूर्व कौन-सी ऋतु होती है ?
उत्तर :
वर्षा ऋतु से पहले ग्रीष्म ऋतु आती है।

(ख) गर्मी के कारण प्रकृति कैसी दिखाई देती है ?
उत्तर :
गर्मी के कारण प्रकृति अत्यंत दुःखी एवं पीड़ित दिखाई देती है। पेड़ दूंठ हो जाते हैं, मुरझा जाते हैं तथा धरती भयंकर ताप से तपने लगती है।

(ग) नदियों में सूखे पत्थर क्यों दिखाई देने लगे हैं ?
उत्तर :
भयंकर गर्मी पड़ने के कारण तथा वर्षा न होने के कारण नदियों का जल सूख जाता है और इसी कारण नदियों के तल में पड़े पत्थर सूखे हुए दिखाई देते हैं।

(घ) सागर की दुर्बलता का क्या कारण था?
उत्तर :
नदियों के जल का सागर में न मिल पाना ही सागर की दुर्बलता का कारण था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा

(ङ) बच्चे वर्षा की प्रतीक्षा क्यों करते हैं ?
उत्तर :
बच्चे वर्षा के जल में अपनी किश्तियां तैराने के लिए तथा उसमें स्नान करने के लिए वर्षा की प्रतीक्षा करते हैं।

(च) किसान वर्षा से क्या माँग रहे हैं ?
उत्तर :
किसान वर्षा से उम्मीद-भरी नज़रों से अपनी खाली पड़ी कोठरियों में अनाज के दाने भरने के लिए उससे बरसने की माँग कर रहे हैं।

4. इन पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें :

जहाँ कभी बहती थी नदियाँ
सूखे पत्थर दिख रहे,
सिंधु दुर्बल हो चला
वियोग तेरा कैसे सहे।
उत्तर :
प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कविता ‘आ री बरखा’ नामक कविता में से ली गई हैं जिसके रचयिता डॉ० राकेश कुमार बब्बर हैं। कवि ने यहाँ वर्षा के अभाव में सागर और नदी का मिलन न हो पाने की बात कही

व्याख्या-कवि वर्षा के अभाव में तड़पती हुई पृथ्वी को देखकर कहता है कि जहाँ कभी नदियाँ बहती थीं वहाँ वर्षा के अभाव में वे नदियाँ सूख गई हैं और वहाँ अब मात्र सूखे पत्थर ही दिखाई दे रहे हैं। नदियों का सागर में न मिल पाने के कारण अब सागर उसके वियोग में कमजोर हो गया है। सागर को समझ नहीं आ रहा कि वह नदी का वियोग कैसे सहे।

5. पर्यायवाची शब्द लिखें :

  1. बरखा = ……………………………….
  2. धरा = ……………………………….
  3. पेड़ = ……………………………….
  4. जल = ……………………………….
  5. पंछी = ……………………………….
  6. पुष्प = ……………………………….
  7. बादल = ……………………………….
  8. नदी = ……………………………….
  9. सिंधु = ……………………………….
  10. पत्थर = ……………………………….
  11. किश्ती = ……………………………….

उत्तर :

  1. बरखा – वर्षा, बारिश, वृष्टि
  2. धरा – धरती, पृथ्वी, धरणी
  3. पेड़ – वृक्ष, तरू, पादप
  4. जल – पानी, नीर, वारी, आब
  5. पंछी – पक्षी, खग, नभचर
  6. पुष्प – फूल, सुमन, कुसुम
  7. बादल – मेघ, जलद, नीरद
  8. नदी – नद, सरिता, जलमाता
  9. सिंधु – सागर, समुद्र, रत्नाकर
  10. पत्थर – पाषाण, शिला, वज्र
  11. किश्ती – नौका, नाव, तरिणी

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6. विपरीत शब्द लिखें :

  1. शीतल = ……………………………….
  2. कुम्हलाना = ……………………………….
  3. बिखराना = ……………………………….
  4. दुर्बल = ……………………………….
  5. वियोग = ……………………………….
  6. मिलन = ……………………………….

उत्तर :

  1. शीतल – उष्ण
  2. कुम्हलाना – खिलना
  3. बिखराना – संभालना, बटोरना
  4. दुर्बल – ताकतवर
  5. वियोग – संयोग
  6. मिलन – बिछोह

7. नीचे दिये गए बॉक्स में बरखा’ के समानार्थक शब्द दिये गये हैं, उन्हें ढूंढ़िए और लिखिये।

  1. मेह
  2. ……………………..
  3. ……………………..
  4. ……………………..
  5. ……………………..
  6. ……………………..
  7. ……………………..
  8. ……………………..
  9. ……………………..
  10. ……………………..

उत्तर :

  1. मेंह
  2. बूंदाबांदी
  3. बारिश
  4. पावस
  5. बरखा
  6. वर्षा
  7. जल
  8. जल वृष्टि
  9. झड़ी
  10. मेह

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा

8. (क) वर्षा ऋतु का प्रकृति और मानव पर क्या प्रभाव पड़ता है।दस वाक्यों में लिखें।
उत्तर :
(क) वर्षा ऋतु का प्रकृति और मानव पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। जब वर्षा का आगमन होता है तो चारों ओर हरियाली छा जाती है। वर्षा आषाढ़ मास में शुरू हो जाती है। इस ऋतु में किसानों की उम्मीदें लहलहा उठती हैं। नई-नई सब्जियाँ एवं फल बाज़ार में आ जाते हैं। लहलहाते धान के खेत हृदय को आनन्द प्रदान करते हैं। नदियों, सरोवरों एवं नालों के सूखे हृदय प्रसन्नता के जल से भर जाते हैं। वर्षा ऋतु में प्रकृति मोहक रूप धारण कर लेती है। इस ऋतु में मोर नाचते हैं। औषधियाँ-वनस्पतियाँ लहलहा उठती हैं। खेती हरी-भरी हो जाती है। किसान खुशी से झूमने लग जाते हैं। पशु-पक्षी आनन्द मग्न हो उठते हैं। वर्षा प्रत्येक प्राणी के लिए जीवन लेकर आती है। वर्षा की पहली बूंदों का स्वागत होता है। स्त्री-पुरुष वर्षा के आगमन पर खुश हो जाते हैं। बच्चे किलकारियाँ मारते हुए इधर से उधर दौड़ते-भागते हैं।

(ख) वर्षा ऋतु पर कोई गीत लिखने का प्रयास करें।
उत्तर :

वर्षा रानी
छम छम करती वर्षा आती
संग अपने ये खुशियाँ लाती
खेत हरे-भरे हो जाते हैं
दुःख सबके मिट जाते हैं
खलिहानों में छाई खुशहाली
चारों ओर फैली हरियाली
रंग बिरंगे फूल खिले हैं
देख जिन्हें सब दौड़ पड़े हैं।
खुशबू है छाई सारे जग में
लोग हैं खुश अपने मन में
ऐसा यह वातावरण है छाया।
जिसे देख दिल ये हरषाया।
हर दिल में एक कली खिली है
बाहर बरखा की झड़ी लगी है।
छम-छम करती अनन्या मेरी
बूंदों में है लगाती फेरी
खेल अनेक वह जो करती
जिसे देख माँ भी है हँसती
किश्ती कभी है वह चलाती
तो कभी पों-पी गाड़ी चलाती
बूंदों को वह मोती समझे
नन्हें हाथों में पल-पल पकड़े
वर्षा का यूँ ही चले आना
उसे लगता है बड़ा सुहाना
जब-जब वर्षा आती है
खिल-सी वह जाती है
खेल खिलौने छोड़ वह अपने
वर्षा में है, भीग-सी जाती
छम-छम करती वर्षा आती
संग अपने ये खुशियाँ लाती। (विनोद पाण्डेय)

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(ग) कविता को पढ़कर वर्षा से संबंधित चित्र बनायें।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

(घ) आप कभी वर्षा में नहाये हैं ? यदि हाँ तो अपने अनुभव को पाँच वाक्यों में लिखें।
उत्तर :
गर्मी का मौसम था। सभी पशु-पक्षी तथा मानव गर्मी से बेहाल थे तभी अचानक वर्षा होने लगी। हमारी खुशी का ठिकाना न रहा। हम वर्षा के जल में नहाने सरपट दौड़े। दौड़ते हुए पैर फिसलने से मैं ज़मीन पर धड़ाम से गिरा। फिर झट से उठकर बारिश में खूब नहाया। हम सभी बच्चे हाथ पकड़ कर गोल-गोल घूमने लगे तथा कहने लगे ‘पानी दे गुड़गानी दे’। इस तरह हम लगभग एक घण्टे तक बारिश के पानी में नहाते रहे। घर वाले हमें बुलाते रहे लेकिन हमें तो नहाने में और किसी का ध्यान ही नहीं था।

9. (क) जानिये : छः ऋतुओं की सूची
क्रम – ऋतु – महीना
1. – बसंत ऋतु – (चैत्र -वैशाख)
2. – ग्रीष्म ऋतु – (ज्येष्ठ -आषाढ़)
3. – वर्षा ऋतु – (श्रावण-भाद्रपद)
4. – शरद ऋतु – (आश्विन -कार्तिक)
5. – हेमंत ऋतु – (मार्गशीर्ष -पौष)
6. – शिशिर ऋतु – (माघ -फाल्गुन)

(ख) वर्षा के सम्बन्ध में यह भी जानिये :
वर्षा काल – बहार, मानसून, सावन का महीना, सावन भादो
वर्षा हीनता – अकाल, अनावृष्टि, सूखा
अनवरत (लगातार) वर्षा झड़ी, मूसलाधार
तीव्र वर्षा – धुआँधार वर्षा, घनघोर वर्षा
प्रथम वर्षा दिन – आषाढ़ का प्रथम दिवस
ओला वर्षा – ओलावृष्टि
हिम वर्षा – हिम पात
क्षीण वर्षा – फुहार, रिमझिम, बूंदाबांदी

आ री बरखा Summary in Hindi

आ री बरखा! कविता का सार

‘आ री बरखा’ नामक कविता में कवि डॉ० राकेश कुमार बब्बर ने वर्षा का आह्वान करते हुए उसे धरती पर जल बरसाने के लिए कहा है। जो धरती सूर्य की भयंकर गर्मी से तप रही है, उसे वर्षा के जल से ठण्डक मिले। सूर्य की भयंकर गर्मी से सभी पेड़ों से पत्ते झड़ गए हैं और वे दूंठ बन गए हैं। पक्षी चहचहाना भूल गए हैं। गर्मी की अधिकता के कारण फूल मुरझा गए हैं। हे बरखा रानी, तुम काले बादलों को आकाश में बिखरा दो।

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कवि वर्षा से इस सौन्दर्य-विहीन प्रकृति का श्रृंगार बनने के लिए कहता है और बार-बार वर्षा के आने का आह्वान करता है। कवि कहता है कि जहाँ कभी नदियां बहती थीं वहाँ सूखे के कारण सूखे पत्थर दिखाई दे रहे हैं। बिना नदियों के सागर भी कमजोर पड़ गया है। उससे अब नदियों का वियोग सहा नहीं जाता। इसलिए बरखा रानी तू अपने प्रिय के जीवन के लिए मिलन के गीत गा और इस तपती हुई धरती पर अपना शीतल जल बरसा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा

छोटे-छोटे बच्चों की उम्मीदें तुमसे हैं। उनके द्वारा बनाई गई कागज़ की किश्तियाँ बारिश के जल में तैरने के लिए प्रतीक्षा में हैं। किसान भी उम्मीद-भरी दृष्टि से तुम्हें ही देख रहे हैं। हे वर्षा रानी! अब तू उनके खाली कोठरियों में अनाज भर दे। तू अब इस तपती धरती पर अपना शीतल जल बरसा, जिससे सबको जीवन प्रदान हो। तुम अपने जल से संसार को आनन्द प्रदान कर दो।

आ री बरखा काव्यांशों की सप्रसंग सरलार्थ

1. आ री बरखा !
आ री बरखा !
इस तपती धरा पर
अपना शीतल जल बरसा।
पेड़ सब दूँठ भए,
पंछी चहकना भूल गए।
कुम्लाह गए हैं पुष्प सारे,
बिखरा दो तुम बादल कारे।
सौंदर्य रहित इस प्रकृति का
श्रृंगार बन के तू आ,
आ री बरखा! आ री बरखा!
इस तपती धरा पर
अपना शीतल जल बरसा।

शब्दार्थ :

  • आ री = आ जा।
  • बरखा = वर्षा।
  • तपती = सूर्य की गर्मी से तपी हुई।
  • धरा = धरती।
  • शीतल = ठण्डी।
  • ट्रॅठ = बिना पत्तों के।
  • पंछी = पक्षी।
  • चहकना = चहचहाना।
  • कुम्लाह गए = मुरझा गए।
  • पुष्प = फूल।
  • कांटे = काले।।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कविता ‘आ री बरखा’ से लिया गया है, जिसके कवि डॉ० राकेश कुमार बब्बर हैं। कवि ने यहाँ वर्षा के अभाव में तपती धरती तथा सौन्दर्य-रहित प्रकृति का वर्णन करते हुए वर्षा का आह्वान किया है।

सरलार्थ-कवि वर्षा का आह्वान करते हुए कहता है कि हे वर्षा ! तू आ जा। हे वर्षा ! तू आ जा। सूर्य की भयंकर गर्मी से तपती हुई इस धरती पर तू अपना ठंडा पानी बरसा दे। बिना वर्षा के सभी पेड़ पत्तों एवं फलों के बिना लूंठ हो गए हैं। पक्षी जो कभी मधुर आवाज़ में चहचहाते थे वे भी अपना चहचहाना भूल गए हैं। बिन वर्षा के सभी फूल मुरझा गए हैं।

इसलिए हे वर्षा रानी! तुम काले बादलों को आकाशों में बिखरा दो जिनसे वर्षा हो सके। तुम्हारे बिना इस प्रकृति का श्रृंगार अधूरा है अतः तुम प्रकृति का श्रृंगार बनकर आ जाओ और भयंकर गर्मी से तपती हुई इस धरती पर अपना ठंडा जल बरसा दो। हे वर्षा ! तुम आ जाओ।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा

विशेष-

  • कवि ने वर्षा के अभाव में सौन्दर्य-रहित प्रकृति का वर्णन किया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

2. जहाँ कभी बहती थी नदियाँ
सूखे पत्थर दिख रहे
सिंधु दुर्बल हो चला
वियोग तेरा कैसे सहे।
अपने प्रिय के जीवन-हेत
गीत मिलन के तू गा,
आ री बरखा !
आ री बरखा !
इस तपती धरा पर
अपना शीतल जल बरसा।

शब्दार्थ :

  • सिंधु = सागर।
  • दुर्बल = कमज़ोर।
  • वियोग = बिछोह,
  • तपती = भयंकर गर्मी से तपी हुई।
  • शीतल = ठंडा।

प्रसंग-प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कविता ‘आ री बरखा’ से ली गई हैं जिसके कवि डॉ. राकेश कुमार बब्बर हैं। कवि ने यहाँ वर्षा के अभाव में सारी प्रकृति को दुःखी एवं पीड़ित दिखाते हुए उस के आगमन का आह्वान किया है।

सरलार्थ- कवि वर्षा के अभाव में पीड़ित प्रकृति की दशा का चित्रण करते हुए कहता है कि जिन स्थानों पर कभी नदियाँ बहती थीं वहाँ अब मात्र सूखे पत्थर ही दिखाई दे रहे हैं। अब तो नदियों का समुद्र में मिलन न हो पाने से वह भी कमज़ोर पड़ गया है। उससे अब नदियों का वियोग सहा नहीं जाता।

इसलिए हे वर्षा रानी! तू अपने प्रिय समुद्र से मिलने के लिए मिलन के गीत गा और जल की बूंदों के रूप में बरस कर इस तपती हुई धरती को शीतल कर दो जिससे चारों ओर भयंकर गर्मी के स्थान पर शीतलता छा जाए।

विशेष –

  • कवि ने नदियों का जल सूख जाने के कारण उसके वियोग में समुद्र को दुर्बल बताया है।
  • भाषा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा

3. कश्तियाँ सब बच्चों की
तैरने को हैं खड़ी हुईं
उधर किसानों की भी आँखें
बस तुझ पर ही हैं गड़ी हुईं
खाली पड़ी कोठरियों में
अन्न के दाने तू भर जा,
आ री बरखा !
आ री बरखा !
इस तपती धरा पर
अपना शीतल जल बरसा।

शब्दार्थ :

  • कश्तियाँ = नौकाएँ।
  • गड़ी हुई = टिकी हुई।
  • कोठरियों में = गोदामों में।
  • अन्न = अनाज।
  • बरखा = वर्षा।
  • शीतल = ठंडा।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कविता ‘आ री बरखा’ से लिया गया है, जिसके कवि डॉ० राकेश कुमार बब्बर हैं। कवि ने यहाँ वर्षा के अभाव में सम्पूर्ण पृथ्वीवासियों को परेशान दिखाया है।

सरलार्थ-कवि वर्षा को सम्बोधित करते हुए कहता है कि बालकों द्वारा बनाई गईं छोटी-छोटी किश्तियाँ तुम्हारे आने की प्रतीक्षा में तैरने के लिए खड़ी हुई हैं। दूसरी ओर किसान भी तेरी तरफ उम्मीद-भरी आँखों से देख रहे हैं। उनके घर के कमरे अनाज के दानों के बिना खाली हैं। इसलिए हे वर्षा रानी! तू आ जा और किसानों के इन खाली कमरों में अनाज भर जा।

हे वर्षा रानी! जब तुम आओगी तो किसानों की फसलें फिर से लहलहा उठेंगी, उनके खाली गोदाम और कमरे पुन: अनाज से भर जाएँगे। इसलिए हे वर्षा रानी! तुम अपना शीतल जल इस तपती हुई धरती पर बरसा कर इसे ठण्डक दो। इसकी गर्मी को शान्त कर इसे नवजीवन दो।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 7 आ री बरखा

विशेष-

  • कवि ने वर्षा से धरती पर बरसने की प्रार्थना की है।
  • भाषा सरल और सरस है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB राष्ट्र के गौरव प्रतीक Textbook Questions and Answers

राष्ट्र के गौरव प्रतीक अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिन्दी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) राष्ट्रीय प्रतीक किसे कहते हैं?
उत्तर :
प्रत्येक राष्ट्र अपने आत्म सम्मान, एकता, गौरव एवं स्वाभिमान के लिए जो प्रतीक निश्चित करता है उसे राष्ट्रीय प्रतीक कहते हैं।

(ख) हमारे देश के झंडे को क्या कहते हैं?
उत्तर :
हमारा देश भारत है और इसके झंडे को तिरंगा कहते हैं।

(ग) राष्ट्रीय गान के रचयिता का नाम लिखें।
उत्तर :
राष्ट्रीय गान के रचयिता रवीन्द्रनाथ टैगोर हैं।

(घ) राष्ट्रीय गीत कौन-सा है?
उत्तर :
हमारा राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् है।

(ङ) राष्ट्रीय चिह्न कौन-सा है?
उत्तर :
हमारा राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तम्भ है, जिसके शीर्ष पर चार सिंह बने हैं जो कि शक्ति, साहस एवं आत्मविश्वास के सूचक हैं।

(च) राष्ट्रीय फल आम किस लिए मशहूर है?
उत्तर :
राष्ट्रीय फल आम अपने स्वाद एवं आत्मविश्वास के सूचक हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

(छ) गंगा नदी की क्या विशेषता है?
उत्तर :
गंगा नदी भारत की एक पवित्र नदी है। हिंदुओं की आस्था इससे जुड़ी हुई है। इस नदी में स्नान करना हिंदू अपने लिए बहुत बड़ा पुण्य समझते हैं।

(ज) भारत सरकार ने किस पशु और पक्षी के शिकार पर रोक लगायी हुई है? और क्यों?
उत्तर :
भारत सरकार ने राष्ट्रीय पशु बाघ और राष्ट्रीय पक्षी मोर के शिकार पर रोक लगाई हुई है क्योंकि इनकी संख्या दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है। इसे न रोका गया तो कहीं ये जातियाँ लुप्त न हो जाएँ।

(झ) हॉकी को राष्ट्रीय खेल के रूप में क्यों स्वीकार किया गया है?
उत्तर :
हॉकी के खेल में खिलाड़ियों ने सन् 1928 से लेकर सन् 1956 तक भारत को छः ओलम्पिक स्वर्ण पदक दिलवाए। इस बीच उन्होंने इस बीच उन्होंने चौबीस मैच खेले और सभी के सभी जीते, इसलिए हॉकी को हमारा राष्ट्रीय खेल निश्चय किया गया।

(ञ) बरगद का वृक्ष हमें क्या संदेश देता है?
उत्तर :
बरगद का पेड़ हमें अपनी संस्कृति एवं विरासत से जुड़े रहने का संदेश देता है।

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें:

(क) राष्ट्रीय झंडे के बारे में आप क्या जानते हो?
उत्तर :
हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में सबसे ऊपर भगवा रंग, फिर सफेद रंग तथा सबसे नीचे हरे रंग की पटियाँ हैं। सफेद पट्टी के बीच में सम्राट अशोक के सारनाथ स्तंभ पर अंकित चक्र को स्थान दिया गया है। भगवा रंग त्याग और साहस का, सफेद रंग शांति और सत्य का तथा हरा रंग हरी-भरी फ़सलों और खुशहाली का प्रतीक है। सफेद पट्टी के बीच में अंकित चक्र हमारी गतिशीलता तथा प्रगति के पथ पर निरंतर बढ़ने के संकल्प का प्रतीक है। ध्वज की लंबाई और चौड़ाई में 3 और 2 का अनुपात होता है। स्वाधीनता के बाद झण्डे में चरखे के बाद चक्र लिया गया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

(ख) राष्ट्रीय चिह्न का प्रयोग कहाँ-कहाँ पर होता है? पता करके लिखें।
उत्तर :
भारत का राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तम्भ है। यह भारत सरकार के अधिकारिक लेटरहेड का भाग है। यह राष्ट्रपति और राज्यपालों की सरकारी मोहर है। यह सभी भारतीय मुद्राओं पर अंकित होता है। यह भारत गणराज्य के राजनयिक, पासपोर्ट, पहचान पत्र आदि पर भी छपा होता है। देश की रक्षा करने वाले वीर जवान और पुलिस वाले इसे अपनी टोपी पर लगाते हैं। यह राष्ट्रीय चिह्न स्वतंत्र भारत की पहचान तथा सम्प्रभुता का प्रतीक है।

5. नये शब्द बनायें:

  1. राष्ट्र + ईय = …………………….
  2. भारत + ईय = …………………….
  3. मानव + ईय = …………………….
  4. सम्पादक + ईय = …………………….
  5. सराहना + ईय = …………………….
  6. देश + ईय = …………………….

उत्तर :

  1. राष्ट्रीय
  2. भारतीय
  3. मानवीय
  4. सम्पादकीय
  5. सराहनीय
  6. देशीय।

6. पाठ में आये सभी चिन/प्रतीकों के चित्र इकट्ठे करें और उन्हें अपनी कॉपी पर चिपका कर प्रत्येक चिह्न पर पाँच-पाँच वाक्य लिखें।
उत्तर :
पाठ में आए सभी चिह्नों का परिचय निम्न प्रकार से है –

राष्ट्र ध्वज-

  • भारत के राष्ट्र ध्वज में तीन रंग हैं, इस लिए इसे तिरंगा कहा जाता है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 5
  • इसे सभी पर्यों और विशेष अवसरों पर फहराया जाता है।
  • राष्ट्र ध्वज की लंबाई चौड़ाई 3 अनुपात 2 है।
  • सफेद पट्टी में बना नीला चक्र अशोक स्तम्भ से लिया गया है।
  • राष्ट्र ध्वज के तीनों रंग ध्वज में समान अनुपात में हैं।

राष्ट्रगान-

  1. राष्ट्रगान के रचयिता रवीन्द्रनाथ टैगोर हैं।
  2. राष्ट्रगान की रचना 27 दिसम्बर, सन् 1911 में हुई थी।
  3. राष्ट्रगान को 24 जनवरी, सन् 1950 में स्वीकार कर लिया गया।
  4. राष्ट्रगान को गाते समय सावधान की दशा में खड़ा होना होता है।
  5. राष्ट्रगान गाने का अधिकतम समय 52 सैकण्ड है।

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राष्ट्रगान :

जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत-भाग्य विधाता।
पंजाब-सिंध-गुजरात-मराठा
द्राविड़ उत्कल बंग,
विंध्य-हिमाचल-यमुना-गंगा
उच्छल-जलधि-तरंग।
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशिष मांगे,
गाहे तव जय गाथा।
जन-गण-मंगलदायक जय हे,
भारत-भाग्य विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे॥ – रवीन्द्रनाथ टैगोर

राष्ट्रगीत-

  • ‘वन्दे मातरम्’ हामारा राष्ट्रीय गीत है।
  • सन् 1886 में इसे पहली बार गाया गया था।
  • इसके रचनाकार बंकिमचन्द्र चटर्जी हैं।
  • ‘वंदे मातरम्’ गीत की रचना सन् 1875 में हुई थी।
  • इस गीत की पहली सात पंक्तियों को ही राष्ट्रीय के रूप में स्वीकार किया गया है।

राष्ट्रगीत :

वन्दे मातरम् !
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज-शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम् !
शुभ्रज्योत्सना, पुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्
सुखदाम्, वरदाम्, मातरम् ! – बंकिमचन्द्र चटर्जी

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

राष्ट्रीय चिह्न-

  • आशोक स्तम्भ हमारा राष्ट्रीय चिह्न है।
  • यह सम्राट अशोक द्वारा बनवाए गए 70 फुट ऊँचे सिंह स्तम्भ के ऊपरी भाग का नमूना है।
  • सामने से इसके तीन सिंह दिखाई देते हैं चौथा सिंह पीछे ओर में छिपा है।
  • इसके नीचे ‘सत्यमेव जयते’ लिखा है।
  • यह भारत सरकार के आधिकारिक लेटरहेड का भाग है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 6

राष्ट्रीय मुद्रा-

  • ‘१’ हमारी राष्ट्रीय मुद्रा है।
  • इसे 15 जुलाई, सन् 2010 को आधिकारिक रूप में मान्य किया गया।
  • इसे तैयार करने का श्रेय आई०आई०टी० गुवाहटी के प्रोफैसर डी० उदय कुमार को जाता है।
  • इसमें देवनागरी लिपि के र और रोमन लिपि के आर दोनों की छवि मिलती है।
  • इसमें R बिना डंडे के है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 7

राष्ट्रपिता-

  • हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी हैं।
  • इनका जन्म 2 अक्तूबर, सन् 1869 को गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था।
  • इन्हें बापू कहकर भी पुकारा जाता है।
  • इनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है।
  • इन्होंने सत्याग्रह, भारत छोड़ो आदि आंदोलन चलाकर अंग्रेजी शासन की नींव उखाड़ दी।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 8

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

राष्ट्रीय खेल-

  • हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है।
  • इसने सन् 1928 से लेकर सन् 1956 तक भारत को छहः ओलम्पिक स्वर्ण पदक दिलवाए।
  • ध्यानचंद राष्ट्रीय खेल हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी थे।
  • छ: ओलम्पिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद उन्होंने चौबिस मैच खेले और सभी के सभी जीते। इसलिए इसे हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी निश्चित किया गया।
  • हॉकी के खेल में ग्यारह खिलाड़ी होते हैं।
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राष्ट्रीय पक्षी-

  • मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है।
  • 31 जनवरी, सन् 1963 को मोर की राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया था।
  • मोर साँप तथा कीड़े-मकोड़ों को खा जाता है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 10
  • मोर का शिकार करना दंडनीय अपराध है।
  • यह अपनी सुंदरता के लिए विदेशों में भी चर्चित है।

राष्ट्रीय पशु-

  • बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है।
  • बाघ का शिकार करना दंडनीय अपराध है।
  • यह वीरता, दृढ़ता एवं साहस का प्रतीक है।
  • इसकी दहाड़ बड़ी डरावनी है।
  • अपनी चुस्ती एवं फुर्ती के लिए यह जग प्रसिद्ध है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 11
    राष्ट्रीय पशु बाघ (पैन्थर)

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राष्ट्रीय वृक्ष-

  • भारत का राष्ट्रीय वृक्ष बरगद है।
  • यह वृक्ष हमें अपनी संस्कृति एवं विरासत से जुड़े रहने का संदेश देता है।
  • यह हमें एक होकर रहने का संदेश देता है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 12
  • इसकी टहनियाँ लिपटकर तने को मजबूती देती हैं।
  • यह हमें सभी को साथ लेकर चलने को कहता है।

राष्ट्रीय कैलेंडर-

  • शक संवत् भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर है।
  • इसे 22 मार्च, सन् 1957 को अपनाया गया था।
  • शक सम्वत् कैलेंडर में 365 दिन एक वर्ष में तथा 12 देसी महीने चैत्र से फाल्गुन तक होते हैं।
  • इस कैलेंडर का ग्रेगोरियन कैलेंडर से सटीक मिलान किया होता है।
  • इससे पहले भारत में ईसा सम्वत् कैलेंडर का उपयोग होता था।

राष्ट्रीय पुष्प-

  • भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल है।
  • इस के पत्ते चौड़े तथा पंखुड़ियाँ चमकदार होती हैं।
  • इसका जन्म पानी में होता है।
  • अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है जो कीचड़ में खिलता है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 13
  • यह सफेद, गुलाबी तथा नीले रंग का होता है।

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राष्ट्रीय नदी-

  • गंगा हमारी राष्ट्रीय नदी है।
  • हिन्दू इसमें स्नान करना अपना सौभाग्य समझते हैं।
  • वे इसे पापों का नाश करने वाली पवित्र-पावन नदी मानते हैं।
  • भारत के लोग गंगा नदी को माँ कहकर पुकारते हैं।
  • यह अपनी निर्मलता एवं पवित्रता के लिए प्रसिद्ध है।
    PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक 14

राष्ट्रीय फल-

  • आम भारत का राष्ट्रीय फल है।
  • इसके अनेक रूप भारत में पाए जाते हैं।
  • यह अपनी मिठास एवं स्वाद के लिए जग ज़ाहिर है।
  • आम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।
  • दशहरी आम खाने में सबसे अच्छा माना जाता है।
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PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

7. राष्ट्रीय-गान, राष्ट्रीय-गीत, जुबानी याद करें।
उत्तर :
राष्ट्रीय गान

जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत-भाग्य विधाता
पंजाब-सिंध-गुजरात-मराठा
द्राविड़ उत्कल बंग
विन्धय-हिमाचल-यमुना गंगा
उच्छल जलधि-तरंग
तव शुभ नामे जागे
तव शुभ आशिष माँगे
गाहे तव जय गाथा
जन-गण-मंगलदायक जय हे
भारत-भाग्य विधाता
जय हे, जय हे, जय हे
जय जय जय जय हे।

राष्ट्रीय गीत

वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
शस्य श्यामलां मातरम्
शुभ्र ज्योत्स्न पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्
सुहासिनी सुमधुर भाषिनीम
सुखदां वरदां मातरम्
वन्दे मातरम्

ऊपर लिखित राष्ट्रीय गान एवं राष्ट्रीय गीत को विद्यार्थी स्वयं जुबानी याद करें।

8. राष्ट्रीय गान और राष्ट्रीय गीत को सुलेख के रूप में चार्ट पर लिखकर कक्षा की दीवार पर लटकायें।
उत्तर :
पहले लिखे हुए प्रश्न की सहायता से विद्यार्थी स्वयं करें।

राष्ट्र के गौरव प्रतीक Summary in Hindi

राष्ट्र के गौरव प्रतीक पाठ का सार

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PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

प्रस्तुत पाठ ‘राष्ट्र के गौरव प्रतीक’ सुधा जैन ‘सुदीप’ द्वारा लिखा एक श्रेष्ठ निबंध है। इसमें उन्होंने हमारे राष्ट्र ध्वज, राष्ट्रीय गान, राष्ट्रीय गीत, राष्ट्र चिह्न, राष्ट्रीय मुद्रा, राष्ट्र पिता, राष्ट्र पशु, राष्ट्र पक्षी, राष्ट्र पुष्प, राष्ट्र फल, राष्ट्रीय नदी, राष्ट्रीय खेल, राष्ट्रीय वृक्ष आदि पर प्रकाश डाला है। इसमें उन्होंने इनके विकास के विभिन्न चरणों पर रोचक ढंग से रोशनी डाली है।

अध्यापक ने कक्षा में सभी छात्रों को बताया कि आज वह उन सभी को विद्यालय के प्रांगण में लगी राष्ट्र-गौरव की प्रदर्शनी दिखाएंगे और उस के बारे में बताएंगे। उन्होंने बताया कि प्रत्येक स्वतन्त्र देश अपनी अलग पहचान स्थापित करने के लिए अपने कुछ प्रतीक निश्चित करता है। ये प्रतीक उसकी सभ्यता, संस्कृति, आदर्शों तथा गौरवमयी परम्पराओं को प्रकट करते हैं। इन्हें ही राष्ट्र प्रतीक कहा जाता है।

राष्ट्रीय झण्डा किसी भी देश की स्वतन्त्रता, एकता, प्रभुसत्ता और उसके अस्तित्व का प्रतीक होता है। इससे राष्ट्र का गौरव झलकता है। इसके सम्मान में ही प्रत्येक नागरिक का सम्मान छिपा है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग की पट्टियां हैं इसलिए इसे तिरंगा भी कहते हैं। इसे सभी राष्ट्रीय पर्यों और विशेष अवसरों पर सरकारी कार्यालयों के मुख्य भवनों, स्कूल, महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालयों पर इसे लहराया ही जाता है लेकिन 23 जनवरी, सन् 2004 से संविधान ने भारत के सभी नागरिकों को उनके घर, पार्क आदि में इसे फहराने का अधिकार दे दिया है।

प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त को स्वतन्त्रता दिवस के शुभ अवसर पर भारत के प्रधानमन्त्री इसे लालकिले पर तथा 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस पर राष्ट्रपति इसे राज पथ पर फहराते हैं। ‘जन-गण-मन’ हमारा राष्ट्रीय गान है जिसे प्रसिद्ध कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था। इन्होंने 27 दिसम्बर, सन् 1911 में इसकी रचना की थी और 24 जनवरी, सन् 1950 को इसे राष्ट्र गान के रूप में स्वीकार किया गया। इसे गाने का अधिकतम समय 52 सैकण्ड निर्धारित किया गया है। ‘वन्दे मातरम्’ हमारा राष्ट्रीय गीत है। इसकी रचना सन् 1874 में प्रसिद्ध उपन्यासकार श्री बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने की थी।

यह गीत बांग्ला-संस्कृत भाषा को मिलाकर 26 पंक्तियों में लिखा गया है। किन्तु इसकी पहली सात पंक्तियाँ ही राष्ट्रीय गीत के रूप में स्वीकार की गई हैं। हमारा राष्ट्रीय चिह्न अशोक-स्तम्भ है। यह स्तम्भ सारनाथ (वाराणसी) में सम्राट अशोक के द्वारा बनवाए गए 70 फुट ऊंचे स्तम्भ के ऊपरी भाग का एक नमूना है। इसके शीर्ष पर चार सिंह बने हैं जो शक्ति, साहस एवं आत्मविश्वास के सूचक हैं। स्तम्भ के नीचे अशोक का धर्म चक्र है जो हमारे तिरंगे में भी है।

इसके नीचे ‘सत्यमेव जयते’ लिखा है जिसका अर्थ है- सत्य की सदैव जीत होती है। राष्ट्रीय चिह्न राष्ट्रपति और राज्यपालों की सरकारी मोहर है। यह पासपोर्ट पर भी छपा रहता है।” हमारी राष्ट्रीय मुद्रा है। इसे 15 जुलाई, सन् 2010 को आधिकारिक रूप में मान्य किया गया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

इसे तैयार करने का श्रेय आई०आई०टी० गुवाहाटी के प्रोफेसर डी० उदय कुमार को जाता है। इसमें देवनागरी लिपि के ‘र’ और रोमन लिपि के ‘आर’ दोनों की छवि मिलती है। महात्मा गांधी की तस्वीर की ओर संकेत करते हुए अध्यापक ने बच्चों को बताया है कि ये हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हैं। इन्हें लोग प्यार से बापू भी कहते हैं। इन्होंने अंग्रेजी शासन की नींव उखाड़ कर भारत को आजादी दिलाई और नए भारत का निर्माण किया।

इनका जन्म 2 अक्तूबर, सन् 1869 को गुजरात के पोरबन्दर शहर में हुआ था। इनके जन्म दिवस 2 अक्तूबर को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। हमारा राष्ट्रीय फल आम है। गंगा हमारी राष्ट्रीय नदी है तथा कमल हमारा राष्ट्रीय फूल है। ये सभी क्रमशः अपने स्वाद, मिठास, निर्मलता, पवित्रता एवं सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध हैं। मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है जो अपनी सुन्दरता के लिए न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी चर्चित है।

बाघ की ओर इशारा करते हुए अध्यापक बताता है कि बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है। यह साहस एवं दृढ़ता का प्रतीक है। भारत सरकार ने मोर और दोनों को मारने और पकड़ने पर प्रतिबन्ध लगाया हुआ है। हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है। हॉकी में भारत को सन् 1928 से लेकर 1956 तक छ: ओलम्पिक स्वर्ण पदक मिले हैं। शक सम्वत् हमारा राष्ट्रीय कैलण्डर है। जिसे 22 मार्च, सन् 1957 को अपनाया गया था।

इससे पहले भारत में ईसा सम्वत् कैलेंडर का उपयोग होता था। बरगद हमारा राष्ट्रीय वृक्ष है। यह वृक्ष हमें अपनी संस्कृति एवं विरासत से जुड़े रहने का सन्देश देता है। हम सभी भारतीय नागरिकों का यह परम कर्तव्य बनता है कि हम अपने राष्ट्रीय प्रतीकों की रक्षा एवं सम्मान के लिए सदैव तत्पर रहें।

राष्ट्र के गौरव प्रतीक कठिन शब्दों के अर्थ

  • प्रांगण = आंगन।
  • स्वतन्त्रता = आज़ादी।
  • रचयिता = रचनाकार।
  • पग = पाँव।
  • ध्वज = झण्डा।
  • शीर्ष = चोटी।
  • सिंह = शेर।
  • सार्वजनिक = जहाँ सभी जा सकें।
  • ओर = तरफ।
  • संरक्षक = रक्षा करने वाला।
  • सरपट = तेज़।
  • सत्यमेव जयते = सत्य की हमेशा जीत होती है।
  • अंकित = छपा हुआ।
  • संप्रभुता = प्रभुसत्ता सम्पन्न।
  • डिजाइन = रूपरेखा।
  • छवि = रूप।
  • बहिष्कार = त्यागना, छोड़ना।
  • स्वाधीनता = आजादी।
  • मशहूर = प्रसिद्ध।
  • उत्सुक = बेचैन।
  • धीरज = धैर्य।
  • चर्चित = विख्यात।
  • बाघ = चीता।
  • प्रतिबन्ध = रोक।
  • बरगद = वृक्ष का नाम।
  • विरासत = पूर्वजों से मिला हुआ।
  • चैत = हिन्दी महीना शक संवत् का।
  • अनुसरण = पीछे चलना या कहे पर चलना।
  • तत्पर = तैयार। अनोखा = अद्भुत।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

राष्ट्र के गौरव प्रतीक गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. चौथा सिंह ओट में हैं। इनके ठीक नीचे सम्राट अशोक का वही धर्म चक्र है जो तिरंगे में भी है। चक्र के साथ चारों दिशाओं के संरक्षक के रूप में : पूर्व दिशा में हाथी, पश्चिम दिशा में बैल, उत्तर दिशा में सिंह और दक्षिण देश में सरपट दौड़ता घोड़ा चिह्नित है। इन्हीं के बीच एक कमल का फूल बना है। इसके नीचे ‘सत्यमेव जयते’ आदर्श वाक्य लिखा है। जिसका अर्थ है- सत्य की हमेशा जीत होती है।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित निबन्ध ‘राष्ट्र के गौरव प्रतीक’ से लिया गया है, जिसकी लेखिका सुधा जैन ‘सुदीप’ हैं। लेखिका ने अपने इस निबन्ध में राष्ट्र के प्रतीकों के बारे में हमें अवगत कराया है। यहाँ लेखिका ने अशोक स्तम्भ का उल्लेख किया है।

व्याख्या-लेखिका भारत के राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तम्भ का उल्लेख करते हुए कहती है कि इसे सारनाथ के स्तम्भ से लिया गया था। इसमें चार शेर हैं। तीन शेर हमें दिखाई देते हैं और चौथा शेर ओट में छिपा होने के कारण हमें दिखाई नहीं देता। इन शेरों के नीचे धर्मचक्र है जो हमारे तिरंगे में भी है। चक्र के साथ-साथ चारों दिशाओं की रक्षा हेतु चार पशु बने हैं। पूर्व दिशा में हाथी, पश्चिम दिशा में बैल, उत्तर दिशा में सिंह तथा दक्षिण दिशा में तेज़ दौड़ने वाला घोड़ा है जो प्रतीक रूप में बने हैं। इन्हीं संरक्षक पशुओं के बीच एक कमल का फूल बना है जिसके नीचे लिखा है ‘सत्यमेव जयते’ इसका अर्थ है सत्य की हमेशा जीत होती है।

विशेष-

  • लेखिका ने राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तम्भ का परिचय कराया है।
  • भाषा प्रवाहमयी है।

2. यह हमारा राष्ट्रीय कैलेण्डर : शक सम्वत् है। जिसे 22 मार्च 1957 को अपनाया गया था। इससे पहले भारत में ईसा सम्वत् कैलेण्डर का उपयोग होता था। शक सम्वत् कैलेण्डर में एक वर्ष में 365 दिन और 12 देसी महीने चैत्र से फाल्गुन तक होते हैं। चैत्र की प्रथम तिथि यानि देसी वर्ष का आरम्भ सामान्य वर्ष में 22 मार्च और लीप वर्ष में 21 मार्च को होता है। इस कैलेण्डर का ग्रेगोरियन कैलेण्डर से सटीक मिलान किया होता है।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित लेख ‘राष्ट्र के गौरव प्रतीक’ से लिया गया है, जिसकी रचयिता सुधा जैन ‘सुदीप’ हैं। लेखिका ने इस पाठ में राष्ट्र के प्रतीकों के बारे में बताया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

व्याख्या-लेखिका कहती है कि अध्यापक बच्चों को समझाते हुए कहते हैं कि हमारा राष्ट्रीय कैलेण्डर शक सम्वत है। इस शक सम्वत कैलेण्डर को भारत ने 22 मार्च सन 1957 को राष्ट्रीय कैलेण्डर के रूप में अपना लिया था। इससे पहले भारत में ईसा सम्वत् कैलेण्डर का प्रयोग किया जाता था। भारत द्वारा अपनाए गए शक संवत् कैलेण्डर में एक साल में 365 दिन तथा बारह देसी महीने होते हैं जिसका प्रारम्भ मास चैत्र तथा अंतिम मास फाल्गुन होता है। चैत्र मास की पहली दिनांक से देसी वर्ष का प्रारम्भ माना जाता है जो आम वर्ष में 22 मार्च को तथा लीप वर्ष में 21 मार्च को शुरू होता है। इस कैलेण्डर का सटीक मिलान ग्रेगोरियन कैलेण्डर से होता है।

विशेष-

  • शक संवत् को राष्ट्रीय कैलेण्डर बताया है।
  • भाषा शैली सरल तथा सहज है।।

3. महात्मा गांधी ने भारत को जगाया। अपना काम स्वयं करने, विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने की राह दिखाई। सत्याग्रह और असहयोग जैसे आन्दोलन चलाकर अंग्रेज़ी शासन की नींव उखाड़ दी। भारत माता को आजादी दिलाई तथा नये राष्ट्र का निर्माण किया। इसलिए हम उन्हें राष्ट्रपिता और बापू कहते हैं। साथ ही तुम्हें बता दूं कि बापू के जन्मदिन (2 अक्तूबर) को गांधी जयंति यानि राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित लेख ‘राष्ट्र के गौरव प्रतीक’ से अवतरित है जिसकी लेखिका सुधा जैन ‘सुदीप’ हैं। लेखिका ने अपने इस लेख में राष्ट्र के प्रतीकों का बड़ा सुन्दर वर्णन किया है।

व्याख्या-लेखिका कहती है कि अध्यापक बच्चों को बताते हैं कि महात्मा गांधी ने भारत को देश की स्वतन्त्रता के लिए गुलामी की गहरी नींद से जगाया था। उन्होंने देशवासियों को अपना काम अपने आप करने तथा विदेशी वस्तुओं को पूर्णत: त्यागने की राह दिखाई थी। इन्होंने देश की आजादी के लिए सत्याग्रह तथा असहयोग आन्दोलन चलाए थे, जिनसे अंग्रेजी शासन की नींव उखड़ गई।

गांधी जी ने अपने भरसक प्रयत्नों से भारत को आजादी दिलाई और एक नए भारत का निर्माण किया। गांधी जी के इन्हीं कामों के कारण उन्हें राष्ट्र-पिता और बापू भी कहते हैं। अध्यापक बच्चों को कहते हुए कहता है कि गांधी जी के जन्मदिन को दो अक्तूबर को गांधी जयंती के रूप में राष्ट्रीय पर्व की तरह मनाया जाता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 6 राष्ट्र के गौरव प्रतीक

विशेष-

  • लेखिका ने भारत की आज़ादी में महात्मा गाँधी के योगदान का उल्लेख किया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 5 हार की जीत Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 5 हार की जीत (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB हार की जीत Textbook Questions and Answers

हार की जीत अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) बाबा भारती के घोड़े का क्या नाम था?
उत्तर :
बाबा भारती के घोड़े का नाम ‘सुलतान’ था।

(ख) खड्गसिंह कौन था?
उत्तर :
खड्ग सिंह इलाके का एक प्रसिद्ध डाकू था। लोग उसका नाम सुनकर काँपते।

(ग) बाबा भारती अपने घोड़े को देखकर खुश क्यों होते थे?
उत्तर :
बाबा भारती का घोड़ा बहुत ही सुन्दर और बलवान् था। इसलिए बाबा भारती उसे देखकर खुश होते थे और उसे ‘सुलतान’ कहकर पुकारते थे।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

(घ) “बाबा जी यह घोड़ा अब न दूँगा।” यह वाक्य किसने कहा और किसे कहा?
उत्तर :
“बाबा जी यह घोड़ा अब न दूंगा।” यह वाक्य खड्ग सिंह ने बाबा भारती से कहा था।

(ङ) “इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना” यह वाक्य किसने कहा, किसे और कब कहा?
उत्तर :
“इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना” वाक्य बाबा भारती ने खड्ग सिंह ने कहा था जब वह बाबा भारती को घोड़ा न देकर उसे बलपूर्वक ले जा रहा था।

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) बाबा भारती को अपना घोड़ा क्यों प्रिय था?
उत्तर :
बाबा भारती को अपना घोड़ा उसी प्रकार प्रिय था जिस प्रकार माँ को अपनी संतान तथा किसान अपने लहलहाते खेत देखकर प्रसन्न होता है, उसी प्रकार बाबा भारती को अपना घोड़ा प्रिय था। वह घोड़ा सुन्दर तथा बलवान था। बाबा भारती उसे ‘सुलतान’ कहकर पुकारते थे। वे स्वयं घोड़े को दाना खिलाते थे और उसे देख – देख कर प्रसन्न होते थे।

(ख) खड्गसिंह ने घोड़े को प्राप्त करने के लिए क्या चाल चली?
उत्तर :
खड्ग सिंह ने बाबा भारती के घोड़े को प्राप्त करने के लिए अपाहिज का वेश बनाया और बाबा भारती के मार्ग में जा खड़ा हुआ। अपाहिज बनकर उसने बाबा भारती से प्रार्थना की, “बाबा, मैं दुखी हूँ। मुझ पर दया करो। रामावाला यहाँ से तीन मील है, मुझे वहाँ जाना है। घोड़े पर चढ़ा लो परमात्मा भला करेगा।” तब बाबा भारती ने दया करके अपाहिज को घोड़े पर बिठा दिया। वह अपाहिज और कोई नहीं बल्कि डाकू खड्ग सिंह था जिसने घोड़ा प्राप्त करने के लिए चाल चली थी।

(ग) बाबा भारती ने खड्ग सिंह से क्या प्रार्थना की?
उत्तर :
जब खड्ग सिंह अपाहिज बनकर घोड़े पर बैठ गया और कुछ देर बाद जब बाबा भारती को पता चला कि वह डाकू खड्ग सिंह है तो उन्होंने डाकू से कहा कि “यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है। मैं तुमसे इसे वापिस करने के लिए नहीं कहूँगा परन्तु खड्ग सिंह, केवल एक प्रार्थना करता हैं उसे अस्वीकार न करना नहीं तो मेरा दिल टूट जाएगा।” तम इस घटना का नाम किसी से न लेना नहीं तो लोग गरीब पर विश्वास न करेंगे।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

(घ) खड्गसिंह ने घोड़ा क्यों लौटा दिया?
उत्तर :
बाबा भारती के चले जाने के बाद खड्ग सिंह के कानों में बाबा भारती के शब्द उसी प्रकार गूंज रहे। वह सोच रहा था कि बाबा भारती के विचार कितने ऊँचे हैं। उनका भाव कितना पवित्र है। वे मनुष्य नहीं देवता हैं। उसे उनका घोड़ा नहीं लेना चाहिए था। इस समय खड्ग सिंह का हृदय परिवर्तित हो चुका था। उसकी आँखों में नेकी के आँसू थे। अतः इसी भाव से खड्ग सिंह ने बाबा भारती को घोड़ा लौटा दिया।

(ङ) इस कहानी की महत्वपूर्ण पंक्ति ढूँढकर लिखें, जिसने डाकू का हृदय परिवर्तित कर दिया।
उत्तर :
कहानी में डाकू के हृदय को परिवर्तित कर देने वाली पंक्तियाँ निम्न प्रकार से
(i) “अब घोड़े का नाम न लो। मैं तुम्हें इसके विषय में कुछ न कहूँगा। मेरी प्रार्थना यह है कि इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना।”
(ii) “लोगों को यदि इस घटना का पता चल गया तो वे किसी गरीब पर विश्वास न करेंगे।”
उक्त पंक्तियों ने डाकू खड्ग सिंह के हृदय में परिवर्तन ला कर रख दिया।

5. इन मुहावरों के अर्थ लिखकर उनको वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. हृदय अधीर होना …………… ……………………………………………..
  2. शब्द कानों में गूंजना …………… ……………………………………………..
  3. हृदय पर साँप लोटना …………… ……………………………………………..
  4. हाथ से छूटना …………… ……………………………………………..
  5. गले लिपटकर रोना …………… ……………………………………………..
  6. दिल टूटना …………… ……………………………………………..
  7. नेकी के आँसू बहना …………… ……………………………………………..
  8. मुँह मोड़ना …………… ……………………………………………..
  9. पीठ पर हाथ फेरना …………… ……………………………………………..
  10. मन मोह लेना …………… ……………………………………………..
  11. कीर्ति कानों तक पहुँचना …………… ……………………………………………..
  12. चाह खींच लाना …………… ……………………………………………..
  13. हृदय पर छवि अंकित हो जाना …………… ……………………………………………..
  14. हृदय में हलचल होना …………… ……………………………………………..
  15. वायु वेग से उड़ना …………… ……………………………………………..
  16. आश्चर्य का ठिकाना न रहना …………… ……………………………………………..
  17. तन कर बैठना …………… ……………………………………………..

उत्तर :

  1. हृदय अधीर होना = दिल बेचैन होना।
    वाक्य – शीला को जब पता चला कि सुबह परीक्षा का परिणाम आएगा तो उसका हृदय अधीर हो गया।
  2. शब्द कानों में गूंजना = बार – बार किसी की बातें याद आना।
    वाक्य – बाबा भारती द्वारा कहे गए शब्द रात भर खड्ग सिंह के कानों में गूंजते रहे।
  3. हृदय पर साँप लोटना = बहुत ईर्ष्या होना।
    वाक्य – सेठ जी की ऊँची हवेली देखकर फकीर चंद के हृदय पर
  4. हाथ से छूटना = गंवा बैठना, किसी वस्तु से वंचित होना।
    वाक्य – सहसा बाबा भारती को एक झटका लगा और लगाम उनके हाथ से छूट गई।
  5. गले लिपटकर रोना = प्यार उमड़ कर आना।
    वाक्य – अस्तबल में घोड़े को देखकर आश्चर्य और प्रसन्नता से बाबा भारती अपने घोड़े के गले से लिपटकर रोने लगे मानो कोई पिता पुत्र से मिल रहा है।
  6. दिल टूटना = हताश होना।
    वाक्य – इकलौते पुत्र की मृत्यु से राम गोपाल का दिल टूट गया।
  7. नेकी के आँसू बहना = पश्चाताप करना।
    वाक्य – बाबा भारती के वचनों को सुनकर डाकू खड्ग सिंह नेकी के आँसू बहाने लगा।
  8. मुँह मोड़ना = रूठ जाना। प्रफर कार चदक हृदय पर साप लोटने लगा।
    वाक्य – मैंने उसे बुरे लड़कों की संगति में रहने से मना किया तो वह मुझ से ही मुँह मोड़ बैठा।
  9. पीठ पर हाथ फेरना = शाबाशी देना।
    वाक्य – गुरु जी ने मोहन की पीठ पर हाथ फेर कर आशीर्वाद दिया।
  10. मन मोह लेना = मन को आकर्षित करना।
    वाक्य – शिमला के प्राकृतिक सौन्दर्य ने हम सबका मन मोह लिया।
  11. कीर्ति कानों तक पहुँचना = किसी के यश को सुनना।
    वाक्य – अच्छे लोगों की कीर्ति शीघ्र ही लोगों के कानों तक
  12. चाह खींच लाना = इच्छा से प्रभावित होना।
    वाक्य – मुझे तो आज तुम तक मेरे हृदय की चाह खींच लाई है।
  13. हृदय पर छवि अंकित हो जाना = मन में बस जाना।
    वाक्य – रमेश के सुन्दर व्यक्तित्व की छवि मेरे हृदय पर सदा के लिए अंकित हो चुकी है।
  14. हृदय में हलचल होना = उत्सुक होना, अस्थिर होना।
    वाक्य – नृत्य करती हुई राधिका को लड़खड़ाते देखकर सब के हृदय में हलचल होने लगी।
  15. वायु वेग से उड़ना = तेज दौड़ना।
    वाक्य – बाबा भारती का घोड़ा जब दौड़ता था तो ऐसा लगता था मानो वह वायु वेग से उड़ रहा हो।
  16. आश्चर्य का ठिकाना न रहना = हैरान रह जाना।
    वाक्य – वर्षों से खो चुके पुत्र को वापस आया देख माँ के आश्चर्य का ठिकाना न रहा।
  17. तन पर बैठना = अकड़ कर बैठना।।
    वाक्य – नेता जी सभा में तन कर बैठे थे।

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6. लिंग बदलें :

  1. घोड़ा = घोड़ी
  2. बालिका = …………………………
  3. बेटा = …………………………
  4. पुत्री = …………………………
  5. दास = …………………………
  6. बकरा = …………………………
  7. पिता = …………………………
  8. देवी = …………………………

उत्तर :

  1. घोड़ा = घोड़ी
  2. बेटा = बेटी
  3. बालिका = बालक
  4. दास = दासी
  5. पुत्री = पुत्र
  6. बकरा = बकरी
  7. पिता = माता
  8. देवी = देव।

7. विपरीत शब्द लिखें :

  1. सावधान = असावधान
  2. गरीब = अमीर
  3. भय = …………………….
  4. सुख = …………………….
  5. विश्वास = …………………….
  6. संध्या = …………………….
  7. संतोष = …………………….
  8. छाया = …………………….
  9. स्वीकार = …………………….
  10. भला = …………………….

उत्तर :

  1. सावधान = असावधान
  2. गरीब = अमीर
  3. भय = निर्भयसख
  4. सुख = दुःख
  5. विश्वास = अविश्वास
  6. संध्या = प्रातः, सवेरा
  7. संतोष = असंतोष
  8. छाया = धूप
  9. स्वीकार = अस्वीकार
  10. भला = बुरा

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8. शुद्ध रूप लिखें :

  1. आननद = आनंद
  2. प्रमात्मा = …………………….
  3. नमष्कार = …………………….
  4. परसन्न = …………………….
  5. हिरद्य = …………………….
  6. कीरती = …………………….

उत्तर :

  1. आननद = आनंद
  2. नमष्कार = नमस्कार
  3. प्रमात्मा = परमात्मा
  4. हिरदय = हदय
  5. परसन्न = प्रसन्न
  6. कीरती = कीर्ति

9. इन शब्दों में ‘र’ पूरा है या आधा, लिखें :

  1. प्रकट = …………………….
  2. आश्चर्य = …………………….
  3. कीर्ति = …………………….

उत्तर :

  1. प्रकट – ‘र’ आधा
  2. आश्चर्य – ‘र’ आधा
  3. कीर्ति – ‘र’ आधा

10. इन अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द लिखें :

  1. जहाँ पर घोड़े रखे जाते हैं = …………………….
  2. जिसका कोई अंग ठीक न हो = …………………….

उत्तर :

  1. अस्तबल
  2. अपाहिज

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11. इन वाक्यों में विशेषण शब्दों को ढूँढ़कर लिखें :

(क) वह घोड़ा सुंदर तथा बड़ा बलवान था। – सुंदर – बड़ा बलवान
(ख) खड्ग सिंह उस इलाके का प्रसिद्ध डाकू था। ______ – _______
(ग) बाबा, मैं दुःखी हूँ। ______ – _______
(घ) मैं उनका सौतेला भाई हूँ। ______ – _______
(ङ) चौथा पहर आरंभ होते ही बाबा भारती ने अपनी कुटिया से बाहर निकल, ठंडे जल से स्नान किया। ______ – _______
उत्तर :
(ख) इलाके प्रसिद्ध
(ग) दुःखी
(घ) सौतेला
(ङ) चौथा पहर ठंडे

12. इन वाक्यों में रेखांकित पदों के कारक बतायें :

(क) वे गाँव से बाहर एक छोटे से मंदिर में रहते थे।
(ख) उसके हृदय में हलचल होने लगी।
(ग) उसकी चाल देखकर खड्गसिंह के हृदय पर साँप लोट गया।
(घ) बाबा ने घोड़े को रोक लिया।
(ङ) उनके हाथ से लगाम छूट गई।
(च) वह धीरे-धीरे अस्पताल के फाटक पर पहुंचा।
(छ) वे घोड़े को खोलकर बाहर ले गये।
उत्तर :
(क) गाँव से – करण तत्पुरुष कारक
मन्दिर में – अधिकरण तत्पुरुष कारक
(ख) उसके हृदय में – अधिकरण तत्पुरुष कारक
(ग) खड्ग सिंह – संबंध तत्पुरुष कारक
हृदय पर – अधिकरण तत्पुरुष कारक
(घ) बाबा ने – कर्ता तत्पुरुष कारक
(ङ) उनके – संबंध तत्पुरुष
हाथ से – अपादान तत्पुरुष कारक
(च) अस्पताल के – संबंध तत्पुरुष
फाटक पर – अधिकरण तत्पुरुष कारक
(छ) घोड़े को – कर्म तत्पुरुष कारक

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योग्यता विस्तार

  • इस कहानी में बाबा भारती और खड्गसिंह के संवाद कहानी को चरम सीमा तक पहुँचाने में सहायक हुए हैं। कक्षा में अध्यापक उन संवादों को उचित भाव-भंगिमा तथा तान-अनुतान के साथ बच्चों को बुलवाये।
  • कई बार किसी व्यक्ति के मुख से निकले वचन किसी के जीवन की दिशा बदल देते हैं। बाबा भारती के उन वाक्यों को लिखो जिन्होंने डाकू खड्गसिंह का हृदय परिवर्तित कर दिया।
  • इसी भाव को लेकर लिखी गई एक कहानी है ‘अंगुलिमाल’ । उस कहानी को पढ़ो।

प्रयोगात्मक व्याकरण

(क) घोड़ा हिनहिनाया।
(ख) घोड़ा हिनहिना रहा है।
(ग) घोड़ा हिनहिनायेगा।

उपर्युक्त वाक्यों में ध्यान से क्रिया को पहचानिए। ध्यान दीजिए कि पहले वाक्य में क्रिया हो गयी है (हिनहिनाया) दूसरे वाक्य में क्रिया हो रही है- (हिनहिना रहा है) तथा तीसरे वाक्य में क्रिया आने वाले समय में अभी होगी (हिनहिनायेगा)। दरअसल क्रिया से यह भी पता चलता है कि काम कब हुआ अर्थात् क्रिया होने का समय। इसे ही क्रिया का काल कहते हैं।

अतएव क्रिया के जिस रूप से उसके होने के समय का ज्ञान हो उसे ‘काल’ कहते हैं।
(क) बाबा ने घोड़े को रोका।
(ख) खड्ग सिंह उस इलाके का प्रसिद्ध डाकू था।
(ग) बाबा भारती सुलतान की पीठ पर सवार होकर घूमने जा रहे थे।

इन वाक्यों में ‘रोका’, था’ तथा ‘ जा रहे थे’ क्रियाएँ हैं। इनमें क्रिया का करना या होना बीते हुए समय में हुआ है।अतः बीते समय को भूतकाल कहते हैं।
(क) अपाहिज घोड़े को दौड़ाए जा रहा है।
(ख) अपाहिज घोड़े को दौड़ाता है।
(ग) अपाहिज घोड़े को दौड़ाता होगा।

इन वाक्यों में दौड़ाए जा रहा है’, ‘दौड़ाता है’, तथा दौड़ाता होगा’ क्रियाएँ हैं। इनमें क्रिया चल रहे समय अर्थात् वर्तमान काल में हो रही है अतः चल रहे समय को वर्तमान काल कहते हैं।
(क) बाबा जी, यह घोड़ा आपके पास न रहने दूंगा।
(ख) उसकी चाल तुम्हारा मन मोह लेगी।

उपर्यक्त वाक्यों में रहने दूंगा’ तथा ‘मोह लेगी’ क्रियाएँ हैं। इन क्रियाओं से भविष्य में कार्य के होने का पता चलता है अर्थात् अभी कार्य हुआ नहीं है। अत: जब क्रिया का करना या होना आने वाले समय में पाया जाता है, उसे भविष्यत काल कहते हैं।

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याद रखें :
कामका करना या होना-यह बतलाये क्रिया हमें
भूत, वर्तमान है भविष्य-यह बतलाये काल हमें

हार की जीत Summary in Hindi

हार की जीत कहानी का सार

बाबा भारती का घोड़ा बहुत सुन्दर था। सारे इलाके में ऐसा कोई घोड़ा न था। बाबा भारती उससे बहुत प्यार करते थे। वे घोड़े को ‘सुलतान’ कह कर पुकारते थे।

डाकू खड्ग सिंह का हृद्य घोड़ा देखने को अधीर हो उठा। एक दिन दोपहर को वह बाबा भारती के पास पहुँच गया। बाबा भारती और खड्ग सिंह दोनों अस्तबल में पहुंचे। खड्ग सिंह ने घोड़े की चाल देखी तो वह उस पर लटू हो गया। जाते हुए उसने कहा, ‘बाबा जी, मैं यह घोड़ा आपके पास न रहने दूंगा।’

बाबा जी रातें अस्तबल की रखवाली में काटने लगे। महीनों बीत गए। मगर खड्ग सिंह नहीं आया। अब बाबा भारती का डर जाता रहा। एक दिन बाबा भारती जी घोड़े पर सवार होकर कहीं जा रहे थे। उन्हें एक आवाज़ आई, “ओ बाबा ! मैं अपाहिज हूँ। रामावाला गाँव तक जाना चाहता हूँ दया करके मुझे घोड़े पर चढ़ा लोग।”

बाबा भारती उस अपाहिज को घोड़े पर चढ़ा कर स्वयं उसकी लगाम थाम कर साथ चलने लगे। अचानक झटका लगा और लगाम हाथ से छूट गई। अपाहिज डाकू खड्ग सिंह था। वह घोड़े को दौड़ाए लिए जा रहा था।

बाबा भारती ने खड्ग सिंह से कहा – एक बात सुनते जाओ। उसने घोड़ा रोक लिया। बाबा भारती ने पास जाकर कहा कि यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका। मैं इसे वापस करने को नहीं कहूँगा केवल एक बात का वायदा करो कि तुम इस घटना को किसी से न कहोगे क्योंकि लोगों को यदि इस घटना का पता लग गया तो वे किसी गरीब पर विश्वास न करेंगे। बाबा भारती घोड़े से मुंह मोड़ कर अपनी कुटिया में आ गए।

खड्ग सिंह के कानों में बाबा भारती जी के उक्त शब्द गूंज रहे थे। उसने सोचा, “बाबा भारती मनुष्य नहीं देवता है।” एक रात खड्ग सिंह चुपचाप घोड़े को बाबा भारती जी के अस्तबल में छोड़ आया। बाबा भारती ने जब सुबह उठ कर देखा तो उनकी आँखों से आनन्द के आँसू बह निकले।

हार की जीत कठिन शब्दों के अर्थ

  • भगवद् भजन = ईश्वर का स्मरण।
  • वेदना = पीड़ा।
  • असहाय = बेसहारा।
  • कीर्ति = यश।
  • अधीर = बेचैन।
  • विचित्र = अनोखा।
  • प्रशंसा = बड़ाई, तारीफ।
  • छवि = शोभा।
  • अभिलाषा = इच्छा।
  • अस्तबल = घोड़ों को बाँधने का स्थान।
  • सहस्त्रों = हज़ारों।
  • बांका = सुन्दर।
  • भाग्य = किस्मत।
  • वायु वेग = हवा की चाल।
  • अधिकार = हक।
  • बाहुबल = भुजाओं की शक्ति।
  • प्रतिक्षण = हर समय।
  • मिथ्या = झूठ।
  • फूला न समाना = बहुत खुश होना।
  • अपाहिज = अपंग।
  • विस्मय = हैरानी।
  • अस्वीकार = नामंजूर।
  • दास = नौकर।
  • प्रयोजन = मतलब।
  • अन्धकार = अन्धेरा।
  • पश्चात्ताप = पछताना।
  • बलवान = ताकतवर।

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हार की जीत गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. बाबा जी भी मनुष्य ही थे। अपनी वस्तु की प्रशंसा दूसरे के मुख से सुनने के लिए उनका हृदय अधीर हो गया। घोड़े को खोलकर बाहर ले गए। घोड़ा वायु – वेग से उड़ने लगा। उसकी चाल देखकर खड्ग सिंह के हृदय पर साँप लोट गया। वह डाकू था जो वस्तु उसे पसन्द आ जाए, उस पर वह अपना अधिकार समझता था। जाते – जाते उसने कहा, “बाबा जी यह घोड़ा आपके पास न रहने दूंगा।”

प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘हार की जीत’ से अवतरित है, जिसके लेखक सुदर्शन हैं। लेखक ने डाकू खड्ग सिंह द्वारा बाबा भारती के घोड़े की प्रशंसा करने का तथा उस पर मन्त्रमुग्ध होने का सुन्दर वर्णन किया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत 5

व्याख्या – लेखक कहता है कि इस संसार में ऐसा कोई मानव नहीं जिसे अपनी या अपनी वस्तु की प्रशंसा सुनना अच्छा न लगता हो। बाबा भारती भी इसी प्रकार के व्यक्ति थे। वे भी अपने घोड़े की प्रशंसा सुनना चाहते थे। घोड़े की प्रशंसा सुनने के लिए उनका दिल बेचैन हो उठा। अपनी इसी बेचैनी को दूर करने के लिए वे घोड़ा खोलकर बाहर खड्ग सिंह के समक्ष ले आए। शीघ्र ही घोड़ा तीव्र गति से दौड़ने लगा।

घोड़े की गति और चाल देखकर डाकू खड्ग सिंह को ईर्ष्या होने लगी। खड्ग सिंह तो एक डाकू थां, उसे जो वस्तु पसन्द आ जाती थी, फिर वह उसे अपना ही समझता था। फिर चाहे उसे वह चीज़ बलपूर्वक ही क्यों न लेनी पड़े। बाबा भारती के अस्तबल से जाते समय वह बाबा से कह गया कि वह बाबा के पास उनके घोड़े सुलतान को अधिक समय तक नहीं रहने देगा। वह उसे अवश्य लेकर चला जाएगा।

विशेष –

  • लेखक ने डाकू खड्ग सिंह के मन में बाबा भारती के घोड़े के प्रति ईर्ष्या में लालच के भाव को दिखाया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 5 हार की जीत

2. बाबा भारती ने घोड़े से उतर कर अपाहिज को घोड़े पर सवार किया और स्वयं उसकी लगाम पकड़कर धीरे – धीरे चलने लगे। सहसा उन्हें एक झटका – सा लगा और लगाम उनके हाथ से छूट गई। उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब उन्होंने देखा कि अपाहिज घोड़े की पीठ पर तन कर बैठा है और घोड़े को दौड़ाए जा रहा है। वह खड्ग सिंह था।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘हार की जीत’ से लिया गया है, जिसके रचनाकार सुदर्शन हैं। लेखक ने यहाँ घोड़ा पाने की चाह में खड्ग सिंह की कुटिल चाल को दिखाया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि बाबा भारती एक नेक दिल व्यक्ति थे। उनके हृदय में गरीबी के प्रति अनन्य सेवा – भाव एवं प्रेम था। इस सेवा – भाव के कारण बाबा भारती स्वयं घोड़े से नीचे उतर गए और अपाहिज को घोड़े पर बैठा दिया और घोड़े की लगाम को पकड़ कर वे स्वयं धीरे चलने लगे।

अचानक बाबा भारती को एक झटका लगा और लगाम उनके हाथ से छूट गई। उनका दिल यह देखकर बेचैन हो उठा कि जो अपाहिज अभी तक दया के लिए गिड़गिड़ा रहा था, वह अब अकड़ कर घोड़ की पीठ पर बैठा हुआ, घोड़े को तेजी से दौड़ा रहा था। वह व्यक्ति अपाहिज का वेश लिए कोई और न होकर डाकू खड़ग सिंह था।

विशेष –

  • लेखक ने बाबा भारती की उदारता एवं खड्ग सिंह की कुटिलता को दर्शाया है।
  • भाषा सहज स्वाभाविक है।

3. घोड़े ने अपने स्वामी के पाँवों की चाप को पहचान लिया और ज़ोर से हिनहिनाया। अब बाबा भारती आश्चर्य और प्रसन्नता से दौड़ते हुए अन्दर घुसे और अपने घोड़े के गले से लिपट कर इस प्रकार रोने लगे मानो कोई पिता बहुत दिन के बिछुड़े हुए पुत्र से मिल रहा हो। बार – बार उसकी पीठ पर हाथ फेरते, बार – बार उसके मुँह पर थपकियाँ देते।

फिर से संतोष से बोले, “अब कोई ग़रीबों की सहायता से मुँह नहीं मोड़ेगा।”

प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘हार की जीत’ से अवतरित है, जिसके रचनाकार सुदर्शन हैं। लेखक ने अपनी इस कहानी में अच्छाई की बुराई पर जीत दिखाई है। यहाँ लेखक ने बाबा भारती के पशु प्रेम को उजागर किया

व्याख्या – लेखक कहता है कि जब बाबा भारती घटना की रात के बाद सुबह स्नान करने बाद अस्तबल के फाटक के पास पहुंचे तो उनके घोड़े सुलतान ने बाबा भारती के कदमों की आवाज़ को सुनकर पहचान लिया और ज़ोर – ज़ोर से हिनहिनाने लगा। घोड़े के हिनहिनाने की आवाज़ सुनकर बाबा भारती बड़ी ही हैरानी एवं खुशी से अस्तबल के अन्दर पहुँचे और अपने घोड़े सुलतान को गले लगाकर फूट – फूट कर रोने लगे।

उस सयम ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई पिता अपने बिछुड़े पुत्र को गले से लगाकर रो रहा हो। यह प्यार ऐसा लगा रहा था मानो ये दोनों पिता – पुत्र हो। बाबा भारती बार – बार सुलतान की पीठ पर प्यार से हाथ फेर रहे थे और उसे थपकियाँ दे रहे थे। कुछ देर बाद बाबा भारती सन्तोष भरे स्वरों में बोले की अभी समय इतना खराब नहीं हुआ है। अभी लोग गरीबों पर भरोसा करेगे। उनकी मदद करेंगे।

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विशेष –

  • लेखक ने बाबा भारती का घोड़े के प्रति असीम प्यार दर्शाया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

4. माँ को अपने बेटे और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनन्द आता है, वही आनन्द बाबा भारती को अपना घोड़ा देख कर आता था। वह घोड़ा सुन्दर तथा बड़ा बलवान था। बाबा भारती उसे ‘सुलतान’ कहकर पुकारते, खुद दाना खिलाते और देख – देख कर प्रसन्न होते थे। वे गाँव से बाहर एक छोटे – से मन्दिर में रहते और भगवान का भजन करते थे। सुलतान के बिना जीना उनके लिए बहुत ही कठिन था।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘हार की जीत’ नामक शीर्षक से लिया गया है, जिसके लेखक सुदर्शन हैं। यहाँ लेखक ने बाबा भारती के घोड़े की विशेषताएँ एवं बाबा भारती का घोड़े के प्रति प्रेम दिखाया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि जिस प्रकार कोई माँ अपने पुत्र से प्रेम करती है, किसान अपने हरे – भरे लहलहाते हुए खेतों से प्यार करता है और उसे आनन्द आता है ठीक उसी प्रकार बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आनन्द आता था। उनका घोड़ा बहुत ही सुन्दर तथा ताकतवर था। बाबा भारती अपने घोड़े को प्यार से ‘सुलतान’ कहकर पुकारते थे।

वे उसे स्वयं दाना खिलाते थे। वे अपने घोड़े सुलतान को देखकर खूब आनन्दमग्न होते थे। बाबा भारती गाँव के बाहर बने एक मन्दिर रहते थे जहाँ वे भगवान के भजन गया करते थे। अपने घोड़े सुलतान से असीम प्रेम के कारण उसके बिना बाबा भारती अपने जीवन को अत्यंत कठिन मानते थे।

विशेष –

  • लेखक ने घोड़े के प्रति बाबा भारती के असीम प्रेम को उजागर किया है।
  • भाषा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 4 फूल और काँटा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 4 फूल और काँटा (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB फूल और काँटा Textbook Questions and Answers

फूल और काँटा अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 2
उत्तर :
विद्यार्थी अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 4
उत्तर :
विद्यार्थी अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) फूल और काँटा कहाँ जन्म लेते हैं ?
उत्तर :
फूल और काँटा एक ही स्थान पर एक ही पौधे पर जन्म लेते हैं।

(ख) काँटे की क्या विशेषता होती है ?
उत्तर :
काँटा अपनी कठोरता और तीक्ष्णता के कारण किसी को अच्छा नहीं लगता। वह पीड़ा देने के अतिरिक्त और कुछ नहीं करता।

(ग) फूल की क्या विशेषता होती है?
उत्तर :
फूल अपनी कोमलता और सुगंध के कारण सबको अच्छा लगता है। वह देवताओं के सिर पर चढ़ाया जाता है।

(घ) फूल और काँटा किस का प्रतीक हैं ?
उत्तर :
फूल सुख का प्रतीक है।
काँटा दुःख का प्रतीक है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) फूल और काँटे को कौन-कौन सी समान परिस्थितियाँ प्राप्त होती हैं ?
उत्तर :
फल और काँटा दोनों एक ही स्थान से उत्पन्न होते हैं। उनका विकास भी एक ही साथ होता है। उन्हें एक ही समान सूर्य की धूप मिलती है। वायु का स्पर्श भी दोनों को समान रूप से मिलता है। वर्षा भी दोनों पर एक समान रूप में ही गिरती है। एक समान वायु, धूप और वर्षा को झेलते हुए फूल और काँटा दोनों विकसित होते हैं।

(ख) फूल और काँटे में स्वभावगत क्या अंतर है?
उत्तर :
फूल और काँटे का विकास समान रूप से होता है लेकिन दोनों का स्वभाव बहुत भिन्न है। एक ओर फूल अपनी खुशबू चारों ओर फैलाकर अपनी अच्छाई दिखाता है वहीं दूसरी ओर काँटा सभी के हाथों को छेदता हुआ उन्हें पीड़ा एवं कष्ट पहुँचाता है। वह सबके कपड़े फाड़ देता है। वह फूलों पर बैठने वाली तितलियों तथा भँवरों को भी छेद देता है।

(ग) आपकी दृष्टि में कुलवान व्यक्ति महान/बड़ा होता है या गुणवान। अपने विचार लिखें।
उत्तर :
हमारी दृष्टि कुलवान की अपेक्षा गुणवान व्यक्ति भला एवं महान् होता है। वह अपने गुणों एवं अच्छे स्वभाव से सभी का मन जीत लेता है। वह कभी किसी को कष्ट नहीं पहुँचाता है। वह सदैव दूसरों की भलाई के बारे में सोचता रहता है। वह कुल की बजाय अपने गुणों के कारण सम्मान प्राप्त करता है।

(घ) ‘किस—-बड़प्पन की कसर’ काव्य-पंक्ति की सप्रसंग व्याख्या करें।
उत्तर :
प्रसंग – प्रस्तत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी की पाठय – पस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित कविता ‘फूल और काँटा’ से ली गई हैं जिसके कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ हैं। कवि ने इस कविता में फूल और काँटे के माध्यम से अच्छे और बुरे लोगों
के व्यवहार पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या – कवि कहता है कि खानदान की बड़ाई किस काम की अगर अपने में बड़प्पन की कमी हो अर्थात् कांटे का जन्म सुन्दर पौधे पर हुआ परन्तु उसमें अपना बड़प्पन पुस्तकीय भाग नहीं होता। इसलिए बुरा समझा जाता है। भाव है कि आदमी ऊँचे कुल में जन्म लेने पर बड़ा नहीं बनता बल्कि अपने गुणों के कारण महान् बनता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

5. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ लिखकर उनके वाक्य बनायें :

  1. प्यार में डूबना _____________________
  2. पर कतरने _____________________
  3. जी खिल उठना _____________________
  4. आँखों में खटकना _____________________
  5. कसर होना _____________________
  6. गोद बिठाना _____________________
  7. सीस (सिर) पर सोहना _____________________

उत्तर :

  1. प्यार में डूबना – प्यार करना, प्यार होना।
    वाक्य – राधा कृष्ण के प्यार में डूब गई थी।
  2. पर कतरने – अधिकार कम करना।
    वाक्य – बहत ऊँचा उड रहे हो, तम्हारे पर कतरने ही पड़ेंगे।
  3. जी खिल उठना – मन खुश उठना।
    वाक्य – अपने जन्मदिन पर मिली घड़ी देखकर विनोद का जी खिल उठा।
  4. आँखों में खटकना – बुरा लगना।
    वाक्य – झूठा व्यक्ति सबकी आँखों में खटकता है।
  5. कसर होना – कमी होना।
    वाक्य – विश्वास करो अब मेरे काम में कोई कसर नहीं रहेगी।
  6. गोद बिठाना – शरण में लेना।
    वाक्य – रोते हुए बच्चे को माँ ने गोद में बिठा लिया।
  7. सीस (सिर) पर सोहना – सिर पर अच्छा लगन।
    वाक्य – कृष्ण के सीस पर मोर पंख सोह रहा था।

6. इन शब्दों के समानार्थक शब्द लिखें :

  1. फूल = पुष्प, प्रसून
  2. मेह = ______________
  3. चाँद = ______________
  4. हवा = ______________
  5. चाँदनी = ______________
  6. भौंरा = ______________

उत्तर :

  1. फूल = पुष्प, प्रसून
  2. मेघ = बादल, जलद।
  3. चाँद = चन्द्रमा, इन्दु, राकेश, शशि, चंद्र।
  4. हवा = वायु, समीर, पवन।
  5. चाँदनी = मरीची, ज्योत्सना।
  6. भौंरा = भ्रमर, अष्टपाद, भंवरा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

7. बच्चो! कुछ शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं। नीचे दिए गए अनेकार्थक शब्दों के अर्थ समझते हुए उन्हें वाक्यों में प्रयोग करें :

शब्द – अर्थ – वाक्य

  1. कुल – पूरा, सब, सारा ___________________
  2. कुल – खानदान, वंश ___________________
  3. सदा – हर समय ___________________
  4. सदा – आवाज़, पुकार ___________________
  5. वर – उत्तम, श्रेष्ठ ___________________
  6. वर – देवता से प्रसाद रूप में कुछ माँगना ___________________
  7. वर – नव विवाहिता स्त्री का पति ___________________
  8. पर – पराया ___________________
  9. पर – पंख ___________________
  10. खिलना – विकसित होना ___________________
  11. खिलना – प्रसन्न होना ___________________
  12. खिलाना – खाने में प्रवृत्त करना ___________________
  13. खिलाना – खेल खेलाना ___________________

उत्तर :

  1. कुल – पूरा, सब, सारा।
    वाक्य – परीक्षा में कुल पाँच छात्र पास हुए।
  2. कुल – खानदान, वंश।
    वाक्य – विवाह के समय व्यक्ति के कुल का ध्यान अवश्य रखा जाता है।
  3. सदा – हर समय।
    वाक्य – व्यक्ति को सदा सच बोलना चाहिए।
  4. सदा – आवाज़, पुकार।
    वाक्य – रमेश की दर्द भरी सदा ने मुझे जाने से रोक दिया।
  5. वर – उत्तम, श्रेष्ठ, देवता से प्रसाद रूप में कुछ माँगना।
    वाक्य – भगवान शिव ने अर्जुन को दो वर दिए।
  6. वर – नवविबाहित स्त्री का पति।
    वाक्य – सीमा ने अवनीश को वर के रूप में स्वीकार किया।
  7. पर – पराया।
    वाक्य – स्वार्थी से
  8. पर – उपकारी
    व्यक्ति श्रेष्ठ होता है
  9. पर – पंख।
    वाक्य – पक्षी अपने पर फड़फड़ा रहे हैं।
  10. खिलना – विकसित होना।
    वाक्य – बाग़ में बहुत – से सुन्दर पुष्प खिल गए हैं।
  11. खिलना – प्रसन्न होना।
    वाक्य – परीक्षा में प्रथम आने की बात सुनते ही आकाश का चेहरा खिल गया।
  12. खिलाना – खाने में प्रवृत्त करना
    वाक्य – माँ अपने बच्चे को सबसे बेहतर खाना खिलाती है।
  13. खिलाना – खेल खिलाना।
    वाक्य – आज खेल के मैदान में कोच ने हमें बहुत खिलाया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

फूल और काँटा Summary in Hindi

फूल और काँटा कविता का सार

‘फूल और काँटा’ नामक कविता में कवि ने फूल और काँटे का तुलनात्मक वर्णन करते हुए स्वभाव में भिन्नता प्रकट की है। उसके अनुसार फूल और काँटा एक स्थान से उत्पन्न होते हैं तथा बढ़ते हैं। एक जैसी हवा, बारिश, धूप उनको लगती है फिर भी दोनों का स्वभाव बहुत भिन्न है। एक अपनी बुराई दिखाता है तथा दूसरा अपनी अच्छाई प्रकट करता है।

काँटा सबके हाथों को छेदता है; वस्त्र फाड़ता है ; तितलियों तथा भँवरों के शरीर को बौंधता है परन्तु फूल सब को अपनी महक तथा सुगन्धि से प्रसन्न करता है। कवि यह कहना चाहता है कि अच्छे कुल में जन्म लेने का क्या लाभ अगर अपने आप में बड़प्पन्न नहीं है। अपने गुणों के कारण ही कोई सम्मान प्राप्त करता है, परिवार के कारण नहीं।

फूल और काँटा काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. हैं जन्म लेते जगह में एक ही,
एक ही पौधा उन्हें है पालता।
रात में उन पर चमकता चाँद भी,
एक ही सी चाँदनी है डालता॥

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा 5

शब्दार्थ :

  • जन्म लेते = पैदा होते।
  • पौधा = छोटा पेड़।
  • पालता = पालन करता।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित ‘फूल और काँटा’ नामक कविता से लिया गया है। यह कविता अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित है। इस कविता में कवि ने फूल और काँटे का तुलनात्मक वर्णन करते हुए उनके स्वभाव में अन्तर को स्पष्ट किया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि फूल और काँटा दोनों एक ही जगह से जन्म लेते हैं। एक ही पौधा उन्हें पालता है अर्थात् एक ही पौधे पर दोनों पैदा होते हैं तथा बढ़ते हैं। रात में उन पर चमकता हुआ चन्द्रमा एक जैसी चाँदनी डालता है। दोनों को ही प्रकृति का प्रेम समान रूप से मिलता है।

विशेष –

  • कवि ने फूल और काँटे का तुलनात्मक वर्णन किया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

2. मेंह उन पर है बरसता एक – सा
एक – सी उन पर हवाएँ हैं बही।
पर सदा ही यह दिखाता है हमें,
ढंग उनके एक से होते नहीं॥

शब्दार्थ – मेंह = वर्षा, बारिश। ढंग = प्रणाली, पद्धति, तरीका, उपाय।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित कविता ‘फूल और काँटा’ से लिया गया है। इस कविता में कवि फूल और काँटे के परस्पर – विरोधी स्वभाव का चित्रण कर रहे हैं

सरलार्थ – कवि कहता है कि फूल और काँटे दोनों पर एक – जैसी बारिश होती है। बहती हुई हवा भी दोनों को एक समान मिलती है। अत: सब कुछ समान होते हुए भी दोनों के ढंग व्यवहार एक – से नहीं हैं। दोनों का स्वभाव एक – जैसा नहीं है बल्कि भिन्न है।

विशेष –

  • कवि ने फूल और काँटे के परस्पर विरोधी स्वभाव को स्पष्ट किया है।
  • भाषा सहज स्वाभाविक है।

3. छेद कर काँटा किसी की उंगलियाँ,
फाड़ देता है किसी का वर वसन।
प्यार डूबी तितलियों का पर कतर,
भौंर का है बेंध देता श्याम तन॥

शब्दार्थ :

  • छेद देता = चुभ जाता, फाड़ देता।
  • वर = सुन्दर।
  • वसन = कपड़ा।
  • कतरना = काटना।
  • भौंर = भँवरे।
  • श्याम तन = काला शरीर।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी द्वारा रचित कविता ‘फूल और काँटा’ में से लिया गया है। इस कविता में कवि ने फूल और काँटा के परस्पर – विरोधी स्वभाव का चित्रण किया है।

सरलार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में काँटे के स्वभाव के बारे में बताया गया है। काँटा हाथ लगाने वाले की अंगुली में चुभ जाता है तथा किसी का सुन्दर कपड़ा फाड़ देता है। प्यार में डूबी हुई, फूल पर बैठ कर रस चूसने वाली तितलियों के परों को काट देता है। भँवरे के काले शरीर को भी बींध डालता है।

विशेष –

  • कवि ने काँटे के स्वभाव का यथार्थ वर्णन किया है।
  • भाषा सहज स्वाभाविक है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

4. का फूल लेकर तितलियों को गोद में,
भौंर को अपना अनूठा रस पिला।
निज सुगन्धि और निराले रंग से,
है सदा देता कली का जी खिला॥

शब्दार्थ :

  • अनूठा = अनोखा।
  • भौंर = भँवरा।
  • निज = अपना।
  • जी = दिल।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी द्वारा रचित कविता ‘फूल और काँटा’ में से लिया गया है। इस कविता में कवि ने फूल और काँटा के परस्पर – विरोधी स्वभाव का चित्रण किया है।

सरलार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में फूल के स्वभाव का वर्णन किया गया है। फूल तितलियों को अपनी गोद में बिठाता है। भँवरों को अपना अनोखा रस पिलाता है फूल की कलियाँ अपनी खुशबू और अपने अनोखे रंग से हमेशा सबके दिल को खुश करती हैं। प्रत्येक व्यक्ति फूल की सुगन्धि और रंग से प्रसन्न हो जाता है।

विशेष –

  • कवि ने फूल के स्वभाव का सुंदर वर्णन किया है।
  • भाषा भावों के अनुरूप है।

5. है खटकता एक सब की आँख में,
दूसरा है सोहता सुर सीस पर।
किस तरह कुल की बड़ाई काम दे,
जो किसी में हो बड़प्पन की कसर॥

शब्दार्थ :

  • खटकना = बुरा लगना।
  • सोहता = अच्छा लगता।
  • सुर सीस = देवताओं के सिर पर।
  • बढ़ाई = बड़प्पन।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ जी द्वारा रचित कविता ‘फूल और काँटा’ में से लिया गया है। इस कविता में कवि ने फूल और काँटा के परस्पर – विरोधी स्वभाव का चित्रण किया है।

सरलार्थ – प्रस्तुत पंक्तियों में फूल और काँटे दोनों की तुलना की गई है। इनमें से काँटा सब की आँखों में खटकता है। बुरा लगता है पर फूल देवताओं के सिर पर शोभा पाता है। कवि कहता है कि खानदान की बड़ाई किस काम की अगर अपने में बड़प्पन की कमी हो। काँटे का जन्म सुन्दर पौधे पर हुआ परन्तु उसमें अपना बड़प्पन नहीं होता। इसलिए बुरा समझा जाता है। भाव यह है कि आदमी ऊँचे कुल में जन्म लेने पर बड़ा नहीं बनता बल्कि अपने गुणों के कारण महान् बनता है। इसलिए व्यक्ति को गुणों को ही अपनाना चाहिए तभी कुल का बड़प्पन होगा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 4 फूल और काँटा

विशेष –

  • कवि ने फूल और काँटे की परस्पर तुलना की है।
  • भाषा सहज तथा स्वाभाविक है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार Textbook Questions and Answers

रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) आमतौर पर दान का अर्थ किस रूप में लिया जाता है?
उत्तर :
आमतौर पर दान का अर्थ ज़रूरतमंदों को रोटी, कपड़ा या कुछ पैसे देने के रूप में लिया जाता है।

(ख) सर्वोत्तम दान कौन-सा है?
उत्तर :
रक्तदान सर्वोत्तम दान है, क्योंकि यह दूसरे को जीवन दे सकता है।

(ग) एक मानव दूसरे मानव की जीवन रक्षा कैसे कर सकता है ?
उत्तर :
एक मानव अपने शरीर से कुछ रक्तदान करके दूसरे के जीवन की रक्षा कर सकता है।

(घ) रक्त की ज़रूरत कब पड़ती है?
उत्तर :
जब कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है या किसी दुर्घटना में घायल हो जाता है तो उसे रक्त की आवश्यकता पड़ती है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

(ङ) रक्त समूह कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर :
रक्त समूह आठ प्रकार के होते हैं, जिसके नाम निम्न प्रकार से हैं –

  • ए – पॉजिटिव
  • ए – नेगिटिव
  • ए – बी – पॉजिटिव
  • ए – बी – नेगिटिव
  • बी – पॉजिटिव
  • बी – नेगिटिव
  • ओ – पॉजिटिव
  • ओ – नेगिटिव।

(च) किन व्यक्तियों को रक्तदान नहीं करना चाहिए? पाठ के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर :
उन व्यक्तियों को रक्तदान नहीं करना चाहिए जो किसी संक्रमित रोग से पीड़ित हों। गर्भवती महिलाओं को जिनकी सर्जरी को कम – से – कम एक वर्ष न हुआ हो। जिस व्यक्ति को रक्तदान किए तीन महीने न हुए हों तथा जिसे मदिरा का सेवन किए 24 घंटे न बीते हों।

(छ) रक्तदान करने से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
रक्तदान करने से शरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। हम रक्तदान के बाद अपने सभी कार्य दिनचर्या के अनुसार आम दिनों की तरह कर सकते हैं।

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) रक्तदान को एक संस्कार के रूप में क्यों नहीं विकसित किया जा सका?
उत्तर :
रक्तदान को एक संस्कार के रूप में इसलिए नहीं विकसित किया जा सका क्योंकि हमें अपने अभिभावकों से रक्तदान जैसा बहुमूल्य संस्कार अल्पमात्र ही प्राप्त होता है। इसका मुख्य कारण आम लोगों का अशिक्षित होना तथा उनमें तरह – तरह के भ्रमों से युक्त रूढ़िवादी विचारों का होना है। हमारे समाज में शिक्षित वर्ग का भी काफ़ी बड़ा भाग इस प्रमाणित तथ्य को मानने को तैयार नही हैं कि रक्तदान एक सुरक्षित दान है। इस दान से हमारे शरीर पर कोई कुप्रभाव नहीं पड़ता।

(ख) स्वैच्छिक रक्तदान से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
स्वैच्छिक रक्तदान से अभिप्राय है अपनी इच्छानुसार अपने शरीर का रक्तदान करना। जब हम कहीं पर भी अपनी इच्छा से अपने रक्त का दान किसी शिविर, अस्पताल या अन्य किसी स्थान पर करते हैं तो वह दान स्वैच्छिक दान कहलाता है। किसी के दबाव या डर से दिया गया दान स्वैच्छिक दान नहीं कहलाता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

(ग) क्या रक्तदान करने वाले व्यक्ति की आयु, भार और स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जाता है? यदि हाँ, तो समस्त बातों को लिखें।
उत्तर :
हाँ, रक्तदान करने वाले व्यक्ति की आयु, भार और स्वास्थ्य का उचित ध्यान रखा जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति जिसकी आयु 18 वर्ष से 60 वर्ष के बीच में हो तथा जिस का भार 35 किलोग्राम से कम न हो, वह व्यक्ति प्रत्येक तीन महीने बाद आसानी से इच्छापूर्वक रक्तदान कर सकता है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात तो यह है कि स्वस्थ व्यक्ति ही रक्तदान कर सकता है। किसी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति नहीं।

(घ) आपने कई स्थानों पर रक्तदान शिविर लगा देखा होगा। वहाँ पर जाकर डॉक्टर/नर्स से इस प्रक्रिया को समझें और अपनी डायरी में नोट करें।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

5. नये शब्द बनायें :

  1. सर्व + उत्तम = सर्वोत्तम
  2. सर्व + _________ = _________
  3. अन + भिज्ञ = _________
  4. अन + _________ = _________

उत्तर :

  1. सर्व + उत्तम = सर्वोत्तम
  2. अन + भिज्ञ = अनभिज्ञ
  3. सर्व + मान्य = सर्वमान्य
  4. अन + तर = अंतर

6. निम्नलिखित मुहावरों का अर्थ लिख कर उन्हें वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. प्राणों की रक्षा करना ________________________
  2. तुच्छ पड़ जाना ________________________
  3. प्राण हर लेना ________________________
  4. अपनी चपेट में लेना ________________________
  5. हाथ धो बैठना ________________________
  6. आनाकानी करना ________________________

उत्तर :

  1. प्राणों की रक्षा करना = जान बचाना।
    वाक्य – विनोद ने अपने रक्त का दान करके अपने मित्र प्रदीप के प्राणों की रक्षा कर ली।
  2. तुच्छ पड़ जाना = फीका एवं कमज़ोर पड़ जाना।
    वाक्य – रक्तदान के समक्ष अन्य सभी प्रकार के दान तुच्छ पड़ जाते हैं।
  3. प्राण हर लेना = जान ले लेना।
    वाक्य – पीलिया की बीमारी ने रमेश के प्राणों को हर लिया।
  4. अपनी चपेट में लेना = अपनी पकड़ में लेना।
    वाक्य – कैंसर तथा डेंगू जैसी भयानक बीमारियाँ लोगों को अपनी चपेट में लेती जा रही हैं।
  5. हाथ धो बैठना = खो देना।
    वाक्य – रक्तदान के विषय में हमारी अज्ञानता किसी को प्राणों से हाथ धो बैठने पर विवश कर देती है।
  6. आनाकानी करना = टाल मटोल करना।
    वाक्य – जब मैंने बलराज से अपने पचास रुपये वापस माँगे तो वह आनाकानी करने लगा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

7. ‘ता’ शब्दांश लगाकर भाववाचक संज्ञा बनायें :

  1. आधुनिक + ता = ________________________
  2. आवश्यक + ता = ________________________
  3. अनभिज्ञ + ता = ________________________
  4. अज्ञान + ता = ________________________

उत्तर :

  1. आधुनिक + ता = आधुनिकता
  2. अनभिज्ञ + ता = अनभिज्ञता
  3. आवश्यक + ता = आवश्यकता
  4. अज्ञान + ता = अज्ञानता

8. नीचे रक्तदान से जुड़े कुछ वाक्य दिये गये हैं। उन पर सही (✓) या गलत (X) का चिह्न लगायें :

(क) कितने रोगी प्रतिवर्ष केवल समय पर रक्त न मिलने के कारण ही प्राणों से अकारण हाथ धो बैठते हैं।
(ख) सभी लोगों को रक्तदान के बारे में पूरी जानकारी होती है।
(ग) प्रत्येक व्यक्ति को अपना ब्लड-ग्रुप पता होना चाहिए।
(घ) इन्सान को केवल इंसान का ही रक्त दिया जा सकता है।
(ङ) स्वस्थ शरीर वाले व्यक्ति पर सुरक्षित रूप से रक्तदान करने पर प्रतिकूल प्रभाव
उत्तर :
(क) कितने रोगी प्रतिवर्ष केवल समय पर रक्त न मिलने के कारण ही प्राणों से अकारण हाथ धो बैठते हैं।
(ख) सभी लोगों को रक्तदान के बारे में पूरी जानकारी होती है।
(ग) प्रत्येक व्यक्ति को अपना ब्लड – ग्रुप पता होना चाहिए।
(घ) इन्सान को केवल इन्सान का ही रक्त दिया जा सकता है।।
(ङ) स्वस्थ शरीर वाले व्यक्ति पर सुरक्षित रूप से रक्तदान करने पर प्रतिकूल पड़ता है।

9. अंतर समझें :

  • खाद : सड़ा-गलाकर बनाई गयी गोबर
  • खाद्य : खाने योग्य
  • सम्मान : इज्जत
  • समान : बराबर
  • सामान : वस्तुएँ, सामग्री
  • जहाँ : जिस जगह
  • जहां (जहान) : संसार, लोक
  • हालत : परिस्थिति, वर्तमान स्थिति, अवस्था, दशा
  • हालात : परिस्थितियाँ, स्थितियाँ
  • दवा : दवाई
  • दावा : अधिकार, हक, न्याय हेतु न्यायालय में दिया गया प्रार्थना-पत्र
  • परितोषक : संतुष्ट या खुश करने वाला
  • पारितोषिक : इनाम
  • कॉफी : कहवा, एक पेड़ का बीज जिसे भूनकर दूध, शक्कर मिलाकर पेय पदार्थ बनाया जाता है
  • काफी : बहुत

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

10. शुद्ध करके लिखें :

शाबासी = …………………..
आपति = …………………..
असानी = …………………..
उमीद = …………………..
उदारण = …………………..
जिमेवारी = …………………..
कटूशब्द = …………………..
अवश्यकता
सरिष्ट = …………………..
अनभिगयता = …………………..
बीमारियाँ = …………………..
सामगरी = …………………..
दुरघटनाएँ = …………………..
तुछ = …………………..
शान्ती = …………………..
भरम = …………………..
वियर्थ = …………………..
उचीत = …………………..
उत्तर :

  • शाबाशी = आपत्ति = आसानी
  • उम्मीद = उदाहरण = जिम्मेवारी
  • कटुशब्द = आवश्यकता = सृष्टि
  • अनभिज्ञता = बीमारियाँ = सामग्री
  • दुरघटनाएँ = तुछ = शान्ती
  • दुर्घटनाएँ = शान्तिः = उचित

11. ‘इक’ और ‘इत’ लगाकर नये शब्द बनायें :

  1. इक – इत
  2. धर्म : धार्मिक
  3. प्रमाण :
  4. अधुना :
  5. पुलक :
  6. विज्ञान :
  7. सुरक्षा :
  8. स्वेच्छा :
  9. शिक्षा :
  10. नीति :
  11. परिवार :
  12. आनंद :
  13. इतिहास :
  14. सम्मान :
  15. पीड़ा :

उत्तर :

  1. इक – इत
  2. धर्म = धार्मिक
  3. प्रमाण = प्रमाणित
  4. अधुना + इक = आधुनिक
  5. पुलक + इत = पुलकित
  6. विज्ञान + इक = वैज्ञानिक
  7. सुरक्षा + इत = सुरक्षित
  8. स्वेच्छा + इक = स्वैच्छिक
  9. शिक्षा + इत शिक्षितः
  10. नीति + इक = नैतिक
  11. पीड़ा + इत = पीड़ित
  12. परिवार + इक = पारिवारिक
  13. आनंद + इत = आनन्दित
  14. इतिहास + इक = ऐतिहासिक
  15. सम्मान + इत = सम्मानित

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

12. अपने मित्र/सहेली को रक्तदान का महत्व समझाते हुए पत्र लिखें।
उत्तर :
208, सराभा नगर,
लुधियाना।
29 नवम्बर, 20….
प्रिय सुरेश,

प्रसन्न रहो।
कुछ दिनों से तुम्हारा कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ। तुम्हारे बीमार सहपाठी के स्वास्थ्य की बहुत चिंता है। व्यक्ति का स्वास्थ्य उसकी पूँजी होती है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा निवास करती है। मेरा एक ही सुझाव है कि तुम प्रत्येक व्यक्ति से रक्तदान के विषय में बात करो। रक्तदान से मनुष्य को अनेक लाभ होते हैं। इससे हम किसी को एक नया जीवन दे सकते हैं। रक्तदान करने वाले व्यक्ति को इस कारण कोई क्षति नहीं पहुँचती है। रक्तदान करने के बाद शरीर में स्वत: नवीन एवं स्वच्छ रक्त का संचार होता है। रक्तदान करने से आत्मा तथा मन दोनों प्रसन्न हो उठते हैं। इससे संतुष्टि और परोपकार का भाव उत्पन्न होता है।

मुझे आशा है कि तुम मेरे द्वारा बताई गई बातों के महत्त्व को समझोगे। अधिक क्या कहूँ तुम्हारे और अन्य लोगों के स्वास्थ्य का रहस्य रक्तदान में छिपा है। पूज्य माता जी को प्रणाम। अनन्या को प्यार।

तुम्हारा मित्र,
प्रमोद कुमार

13. ‘रक्तदान’ पर नारे लिखें।
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार 5
उत्तर :

  1. रक्तदान महादान,
    जो करे उसका जीवन बने महान्।
  2. असली दान ही है रक्तदान,
    जो बने किसी की रक्षा का दान।
  3. सबसे उत्तम है रक्तदान,
    जो दे दूसरों को जीवनदान।
  4. बहुत सी चीजें हैं मूल्यवान्,
    किंतु रक्तदान है अमूल्य दान।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

अध्यापन निर्देश
(क) इक’ प्रत्यय लगने पर शब्द में प्रयुक्त पहले स्वर को वृद्धि अर्थात् ‘अ’ को ‘आ’, इ.ई. ए को ‘ऐ’ तथा उ, ऊ, ओ को औ हो जाता है। जैसे- संसार-सांसारिक (अ को आ),

विवाह-वैवाहिक (इ को ऐ), नीति-नैतिक (ई को ऐ) वेद-वैदिक (ए को ऐ) मुख-मौखिक (उ को औ) मूलमौलिक (क को औ) योग-यौगिक (ओ को औ)

अपवाद : कुछ शब्दों में ‘इक’ प्रत्यय होने पर पहले स्वर को आदि वृद्धि नहीं होती जैसे-प्रशासन-प्रशासनिक, क्रम-क्रमिक आदि

(ख) (1) कुछ संज्ञा शब्दों के अंत में ‘आ’ स्वर लगा होता है वहाँ ‘इत’ प्रत्यय होने पर अंतिम आ स्वर का लोप हो जाता है जैसे-पीड़ा-पीड़ित
(2) कुछ ऐसे शब्द भी हैं जिनके साथ इत’ प्रत्यय अलग तरह से लगता है, अतः यह अपवाद है। जैसे विकास-विकसित इसमें मध्य स्वर ‘आ’ का लोप हुआ है। संक्रमण-संक्रमित (इसमें अंतिम अक्षर का ही लोप हो गया है) प्रेरणा-प्रेरित इसमें मध्य अक्षर ‘र’ के साथ इत प्रत्यय लगा है और अंतिम अक्षर का लोप हो गया है।

रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार Summary in Hindi

रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार पाठ का सार

भारत एक विशाल देश है। भारतीय संस्कृति उदार, ग्रहणशील एवं समय के साथ परिवर्तनशील रही है। यहाँ नित्य नये संस्कार देखने को मिलते हैं। भारत मानव समुद्र है। यह तो सुन्दर फूलों का गुलदस्ता है। भारत की सभ्यता और संस्कृति इस बात की साक्षी है कि यहाँ के लोगों में दान का संस्कार प्राचीन काल से ही चला आ रहा है। आज का युग वैज्ञानिक युग है। इस वैज्ञानिक युग में भी भारत में संस्कार कुछ कम नहीं हुए हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार 6

हमारे यहाँ दान देने से अभिप्राय यह है कि किसी को धन का दान देना, श्रमदान देना, भूखे को भोजन कराना, वस्त्र आभूषण दान देना आदि अच्छा होता है। इस प्रकार के दान देने वाले व्यक्ति को हमारे समाज में विशेष सम्मान दिया जाता है। यह सर्वमान्य मत है कि दान देने वाले व्यक्ति का मन आनन्द और शान्ति से खिल उठता है। दान में भी एक दान ऐसा है जिसे विश्व में सर्वोत्तम माना जाता है। वह दान है – जीवनदान। यह दान दिया जा सकता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

इसके लिए हमें स्वयं को थोड़ा – सा मज़बूत करके अपना कुछ रक्त दान में देकर दूसरे को जीवन – दान दे सकते हैं। इस दान के सामने बाकी सब दान फीके पड़ जाते हैं। आज मानव का जीवन वैज्ञानिक उन्नति के कारण अत्यन्त गतिशील बन चुका है। यह गति ही प्रतिदिन कई दुर्घटनाओं का कारण बनती जा रही है। दूसरी ओर अनेक बीमारियाँ विकराल रूप धारण करके मानव जीवन को नष्ट करने के लिए ताक में बैठी हैं।

कैंसर, एड्स, डेंगू, ड्रॉप्सी तथा हैपेटाइटस नामक बीमारियां कुछ इसी प्रकार की जानलेवा बीमारियां हैं। भारत में प्रत्येक वर्ष दुर्घटनाओं तथा बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए अस्सी लाख यूनिट से अधिक रक्त की आवश्यकता पड़ती है जबकि भरसक यत्नों के द्वारा हम मात्र बीस लाख यूनिट रक्त ही इकट्ठा कर पाते हैं।

रक्त का पर्याप्त मात्रा में न मिल पाने का एक सबसे बड़ा कारण हमारे अन्दर चेतना और ज्ञान का अभाव है। इसी अभाव के कारण हम अन्य किसी को रक्तदान के लिए प्रेरित नहीं कर पाते। रक्तदान के विषय में हमारे कम ज्ञान का कारण हमारे अभिभावक हैं जिन्होंने हमें रक्तदान जैसा बहुमूल्य संस्कार बहुत कम मात्रा में दिया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार 7

यदि कोई बालक साहस करके किसी को रक्तदान के लिए प्रेरित करता हैं तो अभिभावक उसे उत्साहित करने के स्थान पर डाँटते हैं। उनका इस प्रकार से डांटना अशिक्षा तथा भ्रमों से युक्त रूढ़िवादी विचारों का होना बताता है। किन्तु इसके विपरीत हमारे समाज में एक शिक्षित वर्ग ऐसा भी है जो पुरानी रूढ़िवादी विचारधारा को तोड़कर नवीन जीवन मूल्यों को अपना रहा है। वह रक्तदान करता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

रक्तदान के लिए औरों को प्रेरित करता है। ऐसे बहुत से लोगों के उदाहरण हमें समाज में देखने को मिलते हैं जिन्होंने दस, बीस, पचास या फिर सौ से भी अधिक बार स्वेच्छा से रक्तदान किया है, किन्तु इनकी संख्या समाज में कम है। हम लोगों में रक्तदान एक संस्कार के रूप में विकसित करना होगा। प्रत्येक समय प्रत्येक ब्लड ग्रुप की आवश्यकता रहती है। ब्लड ग्रुप आठ प्रकार के होते हैं

  • ए – पॉजिटिव
  • ए – नेगिटिव
  • ए – बी – पॉजिटिव
  • ए – बी – नेगिटिव
  • बी – पॉजिटिव
  • बी – नेगिटिव
  • ओ – पॉज़िटिव
  • ओ – नेगिटिव।

पॉजिटिव ग्रुपों की अपेक्षा नेगिटिव ग्रुप संख्या में बहुत कम होने के कारण उनकी उपलब्धता भी कठिन होती है। एक स्वस्थ व्यक्ति जिस की आयु 18 वर्ष से 60 वर्ष हो वह व्यक्ति रक्तदान कर सकता है। एक बार में 250 मिली लीटर से 300 मिली लीटर तक रक्त लिया जाता है। हमारे शरीर में लगभग 5 लीटर रक्त होता है। रक्तदान प्रत्येक तीन मास के बाद वर्ष में चार बार किया जा सकता है। रक्तदान में पाँच से दस मिनट लगते हैं।

बीमार तथा संक्रमित रोग से पीड़ित व्यक्ति को रक्तदान नहीं करना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति ने मदिरा का सेवन किया है तो 24 घण्टे बाद ही वह रक्तदान कर सकता है। रक्तदान के लिए हमें अपने मन को दृढ़ करना होगा। सब प्रकार के दान में रक्तदान ही महादान है। इसके लिए हम सब को मन, कर्म और वचन से तैयार होना होगा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार कठिन शब्दों के अर्थ

  • रक्तदान = खून का दान।
  • शिविर = कैम्प।
  • विज्ञापन = इश्तिहार।
  • स्वस्थ = तन्दरुस्त।
  • दुर्घटनाग्रस्त = हादसे का शिकार।
  • खाद्य सामग्री = खाने की वस्तु।
  • साक्षी = गवाह।
  • अनभिज्ञता = अज्ञानता।
  • विकराल रूप = भयानक रूप।
  • संदेह = शक।
  • आपातकालीन = अकस्मात् आया हुआ संकट।
  • उपलब्ध = प्राप्त होना।
  • बहुमूल्य = बहुत कीमती।
  • मानवता = इन्सानियत।
  • अकारण = बिना कारण के।
  • अल्प = थोड़ा।
  • अभिभावक = पालन – पोषण करने वाले।
  • रूढ़िवादी विचार = पुराने विचार।
  • स्वैच्छा = अपनी इच्छा।
  • मदिरा = शराब।

रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. आज के आधुनिक युग ने जहाँ हमारे जीवन को अत्यन्त सुखदायी व गतिशील बना दिया है वही प्रतिदिन दुर्घटनाएँ न जाने कितनों के प्राण हर लेती हैं और कितने ही अपनी जीवन – रक्षा के लिए अस्पतालों में साँसों से संघर्ष कर रहे होते हैं। दूसरी ओर अनभिज्ञता, प्रदूषण और गिर रहे नैतिक मूल्यों के परिणामस्वरूप एक से बढ़कर एक घातक बीमारी ने लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। बहुत सी बीमारियाँ जिनको हमने पहले कभी सुना भी न था, आज विकराल रूप धारण कर चुकी हैं जैसे कैंसर, एड्स, डेंगू, ड्रॉप्सी, हैपेटाइटस आदि।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित लेख ‘रक्तदानं – एक बहुमूल्य संस्कार’ से लिया गया है, जिसके लेखक महेश कुमार शर्मा हैं। लेखक ने अपने इस लेख में बताया है कि हमें रक्तदान को एक संस्कार के रूप में लेना चाहिए। यहाँ लेखक ने आधुनिक युग के तेज़ जीवन से उभरती हुई समस्याओं का उल्लेख किया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

व्याख्या – लेखक कहता है कि आज के आधुनिक एवं वैज्ञानिक युग ने व्यक्ति के जीवन को अत्यन्त आरामदायक एवं तेज़ बना दिया है। जीवन की यह गतिशीलता प्रतिदिन अनेक दुर्घटनाओं का कारण बनती है और अनेक लोगों के जीवन को समाप्त कर देती है। बहुत से दुर्घटनाग्रस्त लोग अस्पतालों में अपने प्राणों की रक्षा के लिए अपनी सांसों से पल पल लड़ रहे होते हैं।

इसके साथ आधुनिक मानव के गिरते नैतिक मूल्यों, उसकी अज्ञानता तथा बढ़ते प्रदूषण के कारण बहुत – सी खतरनाक बीमारियाँ लोगों को अपनी ओर खींच रही हैं। आज वे बीमारियाँ जिनका कभी हम लोगों ने नाम भी नहीं सुना था, अपना भयानक रूप लेकर हमारे समक्ष आ खड़ी हुई हैं। ये खतरनाक बीमारियां कैंसर, एड्स, डेंग, ड्रॉप्सी तथा हैपेटाइटस के रूप में हमारे समाज में विद्यमान हैं।

विशेष –

  • लेखक ने समाज में फैली भयंकर बीमारियों की ओर संकेत किया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा विचारानुकूल है।

2. हम लोगों में इतनी चेतना और ज्ञान नहीं कि समय पर किसी के लिए रक्तदान करें ताकि उस व्यक्ति की प्राण – रक्षा की जा सके। अगर हम विचार करें कि उचित समय पर हम किसी जरूरतमंद को रक्तदान नहीं करते या आपत्ति के समय रक्तदान में पहल नहीं करते तो इसमें केवल हमारा ही दोष नहीं है क्योंकि हमें अभिभावकों से रक्तदान जैसा बहुमूल्य संस्कार अल्पमात्र ही प्राप्त होता है।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित लेख ‘रक्तदान – एक बहुमूल्य संस्कार’ से अवतरित है, जिसके लेखक महेश कुमार शर्मा हैं। लेखक ने यहाँ रक्तदान के महत्त्व को प्रतिपादित किया है।

व्याख्या – लेखक रक्तदान के विषय में बताते हुए कहता है कि हम लोग अभी इतने जागरूक एवं ज्ञानवान नहीं हुए कि हम किसी के प्राणों की रक्षा के लिए अपने रक्त का दान करें और समय पर उसके प्राणों को बचाएँ। यदि हम यह जानने का प्रयास करें कि हम किसी ऐसे व्यक्ति के लिए रक्तदान नहीं करते, जिसे हमारे रक्त की आवश्यकता है तो इसमें हमारा कोई दोष नहीं। क्योंकि रक्तदान जैसा संस्कार हमें अपने माता – पिता से बहुत कम प्राप्त हुआ है। इसके बारे में उन्होंने हमें बहुत कम ज्ञान दिया है।

विशेष –

  • लेखक ने रक्तदान के विषय में हमारे अल्प ज्ञान को उजागर किया है।
  • भाषा सरल और साधारण है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

3. यदि कोई बच्चा अपने निर्णय या किसी की प्रेरणा से किसी रक्तदान शिविर में रक्तदान कर देता है तो उसे घर जाने पर पारितोषिक या शाबाशी के स्थान पर कटुशब्द और फटकार को ही सुनना पड़ता है। अभिभावक बड़े होने का दावा तो करते हैं पर अज्ञानतावश किसी भी तर्क को सुनने को तैयार नहीं होते।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित लेख ‘रक्तदान एक बहुमूल्य संस्कार’ से लिया गया है, जिसके लेखक महेश कुमार शर्मा हैं। लेखक ने यहाँ रक्तदान के विषय में अभिभावकों के अल्पज्ञान को उजागर किया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि यदि किसी घर का कोई बालक अपनी स्वेच्छा से स्वयं रक्तदान करता है या फिर किसी के मार्गदर्शन से किसी रक्तदान शिविर में जाकर रक्तदान करता है, तो घर वाले उसे सम्मान, पुरस्कार एवं शाबाशी न देकर उसे कड़वे बोल बोलते हैं। उसे डाँटा जाता है। घर के बड़े लोग एवं अभिभावक अपने आप को घर का बड़ा तो कहते हैं लेकिन अज्ञानता के कारण किसी ओर की बात सुनने को तैयार नहीं होते।

विशेष –

  • लेखक ने अभिभावकों की रक्तदान के विषय में अज्ञानता को दर्शाया
  • भाषा सरल, सहज तथा विचारानुरूप है।

4. बस एक बार अपने मन को तैयार करने की आवश्यकता है, फिर आपका भय दूर हो जाएगा और आप खुद तो रक्तदान करेंगे ही साथ में दूसरों को भी स्वैच्छिक रक्तदान के लिए प्रेरित करेंगे। याद रखें, सभी दानों में सर्वोत्तम रक्तदान ही है।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित लेख ‘रक्तदान – एक बहुमूल्य सस्कार’ से लिया गया है, जिसके लेखक महेश कुमार शर्मा हैं। यहाँ लेखक ने रक्तदान के लिए मन तैयार करने की बात कही है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि रक्तदान करने के लिए सबसे पहले हमें अपने मन को इसके लिए तैयार करना होगा। मन तैयार होने के बाद हमारा डर अपने आप दूर हो जाएगा। तब हम स्वयं तो अपने रक्त का दान करेंगे साथ ही साथ दूसरो को भी स्वेच्छा से रक्तदान करने के लिए प्रेरित करेंगे। हमें इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए कि रक्तदान सभी दानों में सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि यह दूसरे को नवजीवन देता है।।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 3 रक्तदान-एक बहुमूल्य संस्कार

विशेष –

  • लेखक ने रक्तदान को सर्वोत्तम दान कहा है।
  • भाषा सरल तथा साधारण है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है Textbook Questions and Answers

परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) सुमति कौन था?
उत्तर :
सुमति राजा शूरसेन का मन्त्री था।

(ख) सुमति किस बात पर विश्वास करता था?
उत्तर :
सुमति आस्तिक था। वह परमात्मा के बारे में यह सोचता था – परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है।

(ग) राजा शूरसेन शिकार खेलने कहाँ गया?
उत्तर :
राजा शूरसेन शिकार खेलने के लिए घोड़े पर सवार होकर मन्त्री और बहुत से सेवकों के साथ जंगल में गया था।

(घ) राजा ने मंत्री से बदला लेने का क्या उपाय सोचा?
उत्तर :
राजा शूरसेन ने मन्त्री से बदला लेने के लिए प्यास का बहाना बनाकर मन्त्री को कुएँ से जल लाने की आज्ञा दी और जैसे ही मन्त्री जल निकालने के लिए नीचे झुका तो राजा ने उसे कुएँ में गिरा दिया।

(ङ) राजा ने अपने घोड़े का कहाँ बाँधा?
उत्तर :
राजा शूरसेन ने अपने घोड़े को वृक्ष से बाँध दिया था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

(च) घोड़े को वृक्ष के साथ बँधा देखकर सैनिकों ने क्या सोचा?
उत्तर :
घोड़े को वृक्ष के साथ बँधा देखकर सैनिकों ने सोचा कि यहां निकट ही उसका मालिक अवश्य होगा।

(छ) सैनिक राजा शूरसेन को क्यों पकड़ना चाहते थे?
उत्तर :
सैनिक राजा शूरसेन को इसलिए पकड़ना चाहते थे ताकि वे उसकी बलि चढ़ा सकें।

(ज) राजा के प्राण कैसे बचे?
उत्तर :
जब राजा की बलि दी जाने लगी तो दूसरे राजा की दृष्टि उसकी कटी अंगुली पर पड़ी। उसने कहा कि अंगहीन मनुष्य की बलि नहीं दी जा सकती। इसलिए इसे छोड़ दिया जाए। इस प्रकार राजा की जान बच गई।

(झ) राजा ने मंत्री को कुँए से कब निकाला?
उत्तर :
जब राजा बलि न दिए जाने से बच कर राजधानी लौट रहा था, तब एकाएक उसके विचारों में परिवर्तन आया और उसने मन्त्री को कुएँ से निकाल लिया।

(ञ) राजा ने किससे क्षमा माँगी और क्यों?
उत्तर :
उंगली कटी होने के कारण राजा जब बलि होने से बच गया तो उसे एहसास हुआ कि मन्त्री ठीक कहता था कि परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है। अब उसे मन्त्री से किए व्यवहार पर पछतावा था अतः राजा ने मन्त्री से क्षमा माँगी।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) राजा अपने जीवन से निराश क्यों हो गया था?
उत्तर :
राजा शूरसेन एक प्रतापी राजा था। एक बार राजा की उंगली में एक फोड़ा निकल आया। इस फोड़े का दर्द असहनीय था। राजा ने पीड़ा से आहत होकर मन्त्री को बुलवाया। मन्त्री ने दर्द से तड़पते हुए राजा को देखकर कहा कि राजन ‘परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है। मन्त्री के ये शब्द सुनकर राजा सोचने लगा कि यह मन्त्री कितना पत्थर – दिल है। इसके हृदय में किसी के प्रति सहानुभूति नहीं है। कुछ दिनों के बाद राजा की उंगली गल गई। उस समय राजा अपनी दयनीय स्थिति को देखकर निराश हो गया।

(ख) कुँए के पास से गुजरते हुए राजा ने क्या सोचा?
उत्तर :
राजा शूरसेन को रह – रहकर मन्त्री की वह बात कचौट रही थी जो उसने पीड़ा से तड़प रहे राजा को कही थी कि – ‘परमात्मा जो करता है, अच्छे के लिए करता है। अब राजा मन्त्री से उस बात का बदला लेना चाहता था। इसलिए राजा ने जंगल में कुएँ के पास से निकलते हुए एक योजना सोची कि वह प्यास का बहाना बनाकर, मन्त्री को कुएँ से पानी निकालने को कहेगा। जब मन्त्री पानी निकालने के लिए नीचे झुकेगा तब वह उसे कुएँ में धकेल देगा।

(ग) राजा की बलि क्यों नहीं दी जा सकती थी?
उत्तर :
जब राजा शूरसेन की बलि दी जाने लगी तो दूसरे राजा की दृष्टि उसकी कटी हुई उंगली पर पड़ी तो राजा हैरान होकर चिल्ला उठा – ‘अरे पापियो! यह क्या कर डाला ? तुम नहीं जानते कि अंगहीन मनुष्य की बलि नहीं दी जाती। तो हटाइए इसे यहाँ से।’ इस प्रकार राजा की जान बच गई और उसकी बलि नहीं दी जा सकी।

(घ) ‘मुझ भले-अच्छे मनुष्य का मौत से छुटकारा पाना संभव न होता’ मंत्री के इस कथन को स्पष्ट करें।
उत्तर :
‘मुझ भले अच्छे मनुष्य का मौत से छुटकारा पाना सम्भव न होता’ मन्त्री के इस कथन का अभिप्राय यह है कि यदि राजा के सैनिक उसे पकड़ लेते तो राजा शूरसेन अंगहीन होने के कारण बच जाते लेकिन मन्त्री पूर्णतः स्वस्थ था। अतः वे लोग उसकी बलि चढ़ा देते तब अच्छे भले मनुष्य का मौत से छुटकारा पाना सम्भव न होता। इसलिए यह मानना ग़लत न होगा कि ईश्वर ने सब कुछ मनुष्य की भलाई के लिए ही किया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

(ङ) इस कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर :
‘परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है’ कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि मनुष्य के जीवन में जो कुछ भी अच्छा – बुरा होता है, उससे दुःखी एवं निराश नहीं होना चाहिए। इसमें भी कहीं न कहीं अच्छाई छिपी रहती है। ईश्वर सदैव सही करता है। उसकी दृष्टि में सभी मनुष्य एक समान हैं। उसके द्वारा किया गया प्रत्येक कार्य उद्देश्य पूर्ण होता है। सृष्टि की कोई वस्तु निरर्थक नहीं अत: परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है।

5. कहानी में घटी घटनाओं के क्रम बॉक्स में अंकों में लिखो :

[ ] बार-बार अपना दोष स्वीकार करते हुए राजा ने मंत्री से क्षमा माँगी।
[ ] राजा की उँगली पर फोड़ा निकल आया।
[ 1. ] राजा मंत्री और बहुत-से सेवकों को साथ लेकर जंगल की ओर निकल पड़ा।
[ ] मंत्री ने दर्द से बेहाल राजा को कहा कि परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है।
[ ] राजा ने मंत्री को कुँए से बाहर निकाला।
[ ] दूसरे राजा के सैनिकों ने राजा को पकड़ लिया और अपने स्वामी की सेवा में हाज़िर कर दिया।
[ ] राजा ने अपने मंत्री को कुँए में धक्का दे दिया।
[ ] दूसरे राजा ने अंगहीन होने के कारण राजा की बलि देने से इंकार कर दिया।
[ ] राजा को जंगल से बाहर निकलने का मार्ग नहीं सूझ रहा था।
[ ] राजा शूरसेन अपने प्राणों की खैर मनाता हुआ वहाँ से तत्काल निकल भागा।
उत्तर :
[ 1 ] राजा की उंगली पर फोड़ा निकल आया।
[ 2 ] मन्त्री ने दर्द से बेहाल राजा को कहा कि परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है।
[ 3 ] राजा मन्त्री और बहुत – से सेवकों को साथ लेकर जंगल की ओर निकल पड़ा।
[ 4 ] राजा ने अपने मन्त्री को कुएँ में धक्का दे दिया।
[ 5 ] राजा को जंगल से बाहर निकलने का मार्ग नहीं सूझ रहा था।
[ 6 ] दूसरे राजा के सैनिकों ने राजा को पकड़ लिया और अपने स्वामी की सेवा में हाजिर कर दिया।
[ 7 ] दूसरे राजा ने अंगहीन होने के कारण राजा की बलि देने से इन्कार कर दिया।
[ 8 ] राजा शूरसेन अपने प्राणों की खैर मनाता हुआ वहाँ से तत्काल निकल भागा।
[ 9 ] राजा ने मन्त्री को कुएँ से बाहर निकाला।
[ 10 ] बार – बार अपना दोष स्वीकार करते हुए राजा ने मन्त्री से क्षमा माँगी।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

6. किसने कहा, किससे कहा?
किसने कहा? – किससे कहा?
(क) अरे पापियो! यह क्या कर डाला?
तुम नहीं जानते कि अंगहीन मनुष्य की
बलि नहीं दी जाती।
(ख) परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है।
(ग) हे धर्मात्मा बंधुवर ! क्या तुम अब भी जिंदा हो?
(घ) मेरा कुँए में गिरना भी एक शुभ लक्षण था।
उत्तर :
किसने कहा? – किससे कहा?
(क) बलि देने वाले राजा ने – अपने सैनिकों से कहा।
(ख) सुमति मन्त्री ने – राजा शूरसेन से कहा।
(ग) राजा शूरसेन ने – सुमति मन्त्री से कहा।
(घ) मन्त्री सुमति ने – राजा शूरसेन से कहा।

7. इन शब्दों और मुहावरों के अर्थ लिखते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. पत्थर दिल _____________________
  2. रोगहीन _____________________
  3. थका-हारा _____________________
  4. नेकदिल _____________________
  5. शुभ लक्षण _____________________
  6. मौत के घाट उतारना _____________________
  7. संकल्प पूरा करना _____________________
  8. प्राणों की खैर मनाना _____________________
  9. मृत्यु-तुल्य जीवन बिताना _____________________
  10. जल भुनना _____________________

उत्तर :

  1. पत्थर दिल = कठोर हृदय वाला।
    वाक्य – राजा शूरसेन सुमति मन्त्री को प्रारम्भ में पत्थर दिल समझ रहा था।
  2. रोगहीन = जिसे कोई बीमारी न हो।
    वाक्य – रोगहीन व्यक्ति रोगी व्यक्ति की अपेक्षा अधिक दिन जीवित रह सकता है।
  3. थका – हारा = बहुत थका हुआ।
    वाक्य – दिन – भर की मेहनत से थका – हारा किसान खेत में सो गया।
  4. नेकदिल = दयावान, अच्छे हृदय वाला।
    वाक्य – महात्मा जी बहुत नेकदिल थे।
  5. शुभ लक्षण = अच्छा संकेत।
    वाक्य – तुम्हारे बेटे के शुभ लक्षण दिखाई दे रहे हैं।
  6. मौत के घाट उतारना = मार देना।
    वाक्य – गुरु जी ने दोनों पठानों को मौत के घाट उतार दिया।
  7. संकल्प पूरा करना = इच्छा पूरी करना।
    वाक्य – रावण को मारकर श्री राम ने अपना संकल्प पूरा किया।
  8. प्राणों की खैर मनाना = अपनी जान का बचाव करना।
    वाक्य – भारतीय सेना ने हथियार संभालते हुए दुश्मन को ललकारा कि अब तुम अपने प्राणों की खैर मनाओ।
  9. मृत्यु तुल्य जीवन बताना = दुःखों और अभावों में जीवन जीना।
    वाक्य – रमेश गम्भीर बीमारी से ग्रस्त होने के कारण मृत्यु तुल्य जीवन बिता रहा था।
  10. जल भुनना = ईर्ष्या करना।
    वाक्य – राकेश की नई कार को देखकर मुकेश जल भुन गया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

8. इन शब्दों के विपरीत अर्थ वाले शब्द लिखें :

  1. जीवित = मृत
  2. भलाई = ………………………….
  3. अस्त = ………………………….
  4. प्रात:काल = ………………………….
  5. कृतघ्न = ………………………….
  6. शुभ = ………………………….
  7. रोगहीन = ………………………….
  8. दोष = ………………………….
  9. स्वामी = ………………………….
  10. इच्छा = ………………………….

उत्तर :

  1. जीवित = मृत
  2. भलाई = बुराई
  3. अस्त = उदय
  4. प्रात:काल = सायंकाल
  5. शुभ = अशुभ
  6. कृतघ्न = कृतज्ञ
  7. रोगहीन = रोगग्रस्त
  8. दोष = गुण
  9. स्वामी = सेवक, दास
  10. इच्छा = अनिच्छा

9. इन शब्दों के दो-दो समानार्थक शब्द लिखें :

  1. राजा = नृप, भूपति
  2. परमात्मा = ………………………….
  3. घोड़ा = ………………………….
  4. सेवक = ………………………….
  5. रात = ………………………….
  6. जंगल = ………………………….
  7. वृक्ष = ………………………….
  8. तलवार = ………………………….

उत्तर :

  1. राजा = नृप, भूपति, भूप, नरेश
  2. परमात्मा = ईश्वर, भगवान, प्रभु, ईश
  3. घोड़ा = अश्व, तुरंग, घोटक, सैंधव
  4. सेवक = दास, नौकर, अनुचर, परिचारक
  5. रात = निशा, रात्रि, रजनी, यामिनी
  6. जंगल = वन, कानन, अरण्य, अटवी
  7. वृक्ष = पेड़, पादप, विटप, तरू तलवार
  8. तलवार = खड्ग, कृपाण, असि, करवाल

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

10. नये शब्द बनायें :

  1. धर्म + आत्मा = धर्मात्मा
  2. भला + आई = भलाई
  3. परम + आत्मा = ………………………….
  4. अच्छा + आई = ………………………….

उत्तर :

  1. धर्म + आत्मा = धर्मात्मा
  2. परम + आत्मा = परमात्मा
  3. भला + आई = भलाई
  4. अच्छा + आई = अच्छाई

11. इन शब्दों के शुद्ध रूप लिखें :

  1. कृतघन = ………………………….
  2. चूमुण्डा = ………………………….
  3. पतथर = ………………………….
  4. डावाडोल = ………………………….
  5. कुआ = ………………………….
  6. सैनीक = ………………………….

उत्तर :

  1. कृतघन = कृतघ्न
  2. चूमुण्डा = चामुण्डा/चामुंडा
  3. पतथर = पत्थर
  4. डावाडोल = डांवाडोल
  5. कुआ = कुआँ
  6. सैनीक = सैनिक

प्रयोगात्मक व्याकरण

1. (क) (i) जल्लाद ने तलवार उठायी।
(ii) सैनिकों ने राजा को पकड़ लिया।

पहले वाक्य में जल्लाद ने क्या उठायी? उत्तर-तलवार’। तलवार’ कर्म है। इसलिए यह सकर्मक क्रिया है। इसी तरह दूसरे वाक्य में सैनिकों ने किसे पकड़ लिया? उत्तर-राजा को। ‘राजा को’ कर्म है। इसलिए यह भी सकर्मक क्रिया है।

अतएव जिस क्रिया में कर्म होता है, वह सकर्मक क्रिया कहलाती है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

(ख) (i) राजा चिल्ला रहा था।
(ii) सैनिक चल पड़े।

उपर्युक्त वाक्यों में केवल कर्ता (राजा, सैनिक) तथा क्रिया (चिल्ला रहा था, चल पड़े) का, प्रयोग किया गया है। यहाँ कर्म नहीं है। इसलिए यहाँ अकर्मक क्रिया है।

अतएव जिन क्रियाओं में कर्म नहीं होता, वह अकर्मक क्रियाएँ कहलाती हैं।

सकर्मक एवं अकर्मक क्रिया की पहचान सकर्मक तथा अकर्मक क्रिया की पहचान करने के लिए वाक्य में आई क्रिया पर ‘क्या’, ‘किसे’ या ‘किसको’ लगाकर प्रश्न किया जाये। यदि उत्तर में कोई व्यक्ति या वस्तु आए, तो क्रिया सकर्मक होगी अन्यथा क्रिया अकर्मक होगी। जैसे : –

जल्लाद ने क्या उठायी? उत्तर मिलता है- ‘तलवार’। इसी तरह सैनिकों ने किसे पकड़ लिया? उत्तर मिलता है- राजा को। अतएव ये सकर्मक क्रियाएँ हैं किंतु ‘ख’ भाग के दोनों वाक्यों में प्रश्न करें तो उत्तर नहीं मिलता। जैसे

राजा क्या चिल्ला रहा था? तथा सैनिक क्या चल पड़े? यहाँ प्रश्न ही अटपटा लगता है। यहाँ ‘चिल्ला रहा था’ तथा ‘चल पड़े’ क्रियाएँ कर्म की अपेक्षा नहीं रखतीं, अतः ये अकर्मक क्रियाएँ हैं।

2. (क) सेवक चला गया।
(ख) सेविका चली गयी।

उपर्युक्त पहले वाक्य में ‘क’ उदाहरण में क्रिया का कर्ता पुल्लिग (सेवक) है, अतः क्रिया भी पुल्लिग (चला गया) है जबकि दूसरे वाक्य में ‘ख’ उदाहरण में क्रिया का कर्ता स्त्रीलिंग (सेविका) है अतः क्रिया भी स्त्रीलिंग (चली गयी) है।

अत: लिंग में परिवर्तन के कारण क्रिया में भी परिवर्तन हुआ।

इस प्रकार- संज्ञा शब्दों की तरह क्रिया शब्दों के भी दो लिंग होते हैं।
1. पुल्लिग
2. स्त्रीलिंग।

3. (क ) राजा जंगल की ओर निकल पड़ा।
(ख) वे (राजा और मंत्री) जंगल की ओर निकल पड़े।

उपर्युक्त पहले वाक्य में ‘क’ उदाहरण में कर्ता (राजा) एक वचन है, अत: क्रिया भी एक वचन (निकल पड़ा) प्रयुक्त हुई है तथा दूसरे वाक्य में कर्ता वे’ बहुवचन है, अतः क्रिया भी बहुवचन (निकल पड़े) प्रयुक्त हुई है।

अत: वचन बदलने पर क्रिया का रूप भी बदल जाता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

इस प्रकार क्रिया शब्दों के दो वचन होते हैं।
1. एकवचन
2. बहुवचन।

  • परमात्मा पर विश्वास रखते हुए सभी काम ईमानदारी से करो।
  • किसी को धोखा नदो।
  • किसी का बुरा मत करो।

परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है Summary in Hindi

परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है पाठ का सार

किसी देश में शूरसेन नाम का एक राजा था। सुमति नाम का उसका मन्त्री था, जो ईश्वर में अटूट विश्वास रखता था। एक बार राजा की अंगुली पर फोड़ा निकल आया। बेचैन राजा ने मन्त्री को बुलाया। मन्त्री ने राजा को देखकर कहा,”परमात्मा जो करता है, अच्छा ही, करता है।”

राजा ने सोचा यह कैसा मन्त्री है, जिसे मुझ पर दया नहीं आती। रोग के बढ़ जाने से राजा की अंगुली गल गई। मन्त्री ने देखकर फिर कहा कि “परमात्मा जो करता है, वह अच्छा ही करता है।” इस पर राजा के दिल में बहुत क्रोध आया। उसने निश्चय कर लिया कि स्वस्थ होने पर वह उसे मौत के घाट उतार देगा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है 5

कुछ दिन बाद राजा स्वस्थ हो गया। वह मन्त्री और सैनिकों को लेकर शिकार के लिए निकला। जंगल में उसने प्यास का बहाना बनाकर मन्त्री को कुएँ से पानी लाने को कहा। मन्त्री जैसे ही पानी निकालने लगा, राजा ने उसे कएँ में धकेल दिया। मन्त्री ने कएँ में गिरते हुए भी यही वाक्य दोहराया कि “परमात्मा जो करता है, वह अच्छा ही करता है।”

रात हो जाने के कारण राजा रास्ता भूल गया। वह घोड़े को पेड़ से बाँधकर खुद पेड़ पर जा छिपा। तभी किसी दूसरे राजा के सैनिकों का दल वहाँ आ पहुँचा। वह किसी मनुष्य की खोज में था, जिसे उनका राजा चामुण्डा देवी को बलि चढ़ाकर अपना संकल्प पूरा कर सके। वे राजा को बांध कर अपने देश की ओर चल पड़े। राजधानी पहुँच कर उन्होंने उसे अपने राजा के सामने पेश कर दिया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

चामुण्डा देवी को मनुष्य की बलि चढ़ाने का अवसर आ गया। जैसे ही उसकी बलि दी जाने लगी राजा ने उसकी कटी अंगुली देखकर जल्लादों को बलि चढाने से रोक दिया। उसने कहा कि अंगहीन की बलि नहीं चढ़ाई जा सकती। अत: इसे छोड़ दो।

राजा शूरसेन तत्काल वहाँ से निकल भागा। अब उसके विचारों ने पलटा खाया। उसे भी अब विश्वास हो गया था कि “परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है।” वह कुएँ के पास गया और अपने मन्त्री को कुएँ से बाहर निकाला और उससे क्षमा माँगी। राजा और मन्त्री दोनों प्रसन्नतापूर्वक अपनी राजधानी लौटे।

परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है कठिन शब्दों के अर्थ

  • संतान = औलाद।
  • प्रजा = जनता, लोग।
  • अटूट विश्वास = गहरा यकीन, न टूटने वाला यकीन।
  • संयोग = मेल, इत्तफाक।
  • पीड़ा = कष्ट।
  • दया = रहम।
  • क्रोध = गुस्सा।
  • कृतघ्न = किए हुए उपकार को न मानने वाला।
  • स्वस्थ = तन्दुरुस्त।
  • रोगहीन = नीरोग।
  • प्रबन्ध = इन्तजाम।
  • सेवकों = नौकरों।
  • आदेश = आज्ञा।
  • अस्त होना = छिप जाना।
  • भयानक = डरावने।
  • प्रातः काल = सुबह।
  • बलि = कुर्बानी।
  • संकल्प = निश्चय।
  • सैनिक = सिपाही, फौजी।
  • विजय = जीत।
  • स्वामी = मालिक।
  • अंगहीन = जिसका कोई अंग न हो।
  • तत्काल = उसी समय।
  • हत्या = मारना।
  • अपराध = जुर्म, पाप।
  • धर्मात्मा = धार्मिक विचारों वाला, धार्मिक।
  • बन्धुवर = भाई।
  • मृत्यु – तुल्य = मौत के समान।
  • स्वीकार = मन्जूर, मान्य।
  • प्रसन्नतापूर्वक = खुशी से।।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. राजा घोड़े पर सवार होकर मंत्री और बहुत से सेवकों को साथ लेकर जंगल – की ओर निकल पड़ा। जब वह घने जंगल में पहुँच गया तो उसने सेवकों को वहीं ठहर , जाने का आदेश दिया और मंत्री को साथ लेकर भयानक जंगल के बीचों – बीच चल पड़ा।घूमते – घूमते जब वे एक कुएँ के पास से गुज़रे, राजा अपने मन में विचार करने लगा – – – – इससे अच्छा मौका कहाँ मिलेगा? प्यास का बहाना बनाकर इसे कुएँ से जल लाने की आज्ञा देता हूँ और ज्योंही यह जल निकालने के लिए नीचे की ओर झुकेगा, मैं इसे कुँए में गिरा दूंगा।

राजा ने जैसा सोचा था वैसा ही कर दिखाया। मंत्री ने गिरते – गिरते भी वही पुराने शब्द दोहराए ‘परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है।’

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठय पुस्तक में संकलित कहानी ‘परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है’ से लिया गया है। इस गद्यांश में लेखिका ने राजा के मन में छिपी बदले की भावना को उजागर करने का प्रयास किया है।

व्याख्या – लेखिका का कहना है कि अपनी शिकार खेलने की इच्छा को पूर्ण करने के लिए राजा शूरसेन घोड़े पर सवार होकर बहुत से नौकरों और मंत्री सुमति के साथ जंगल की ओर चल पड़ा। जंगल के बीचों – बीच पहुँच कर राजा ने सेवकों को वहीं रुक जाने का आदेश दिया। तत्पश्चात् राजा सुमति मंत्री को अपने साथ लेकर घने जंगल के बीचों – बीच चल पड़ा। जंगल में घूमते हुए राजा को एक कुँआ दिखाई दिया।

जिसे देखकर उसके मन में एक विचार आया कि यही सही अवसर है कि वह मंत्री सुमति से अपना बदला ले ले। इसके लिए राजा ने अपने मन में एक विचार बनाया कि वह मंत्री को कुएँ से पाने लाने को कहेगा, जब मंत्री पानी निकालने के लिए कुएँ में झुकेगा तब वह उसे कुएँ में धक्का दे देगा।

जब मौका मिला तब राजा ने अपनी योजनानुसार मंत्री सुमति को कुएँ में धकेल दिया। कुएँ में गिरते हुए भी मंत्री सुमति ने ईश्वर में अपनी पूर्ण आस्था और विश्वास को प्रकट करते हुए अपने वही पुराने शब्द कहे जो वो हमेशा कहता था कि ‘परमात्मा जो करता है, अच्छे के लिए ही करता है।’

विशेष –

  • लेखिका ने ईश्वर के प्रति अपनी आस्था प्रकट की है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

2. अब रात काफी घनी हो चुकी थी। इतने में किसी दूसरे राजा के सैनिकों का एक बहुत बड़ा दल उस भयानक जंगल में घुस आया। घोड़े को वृक्ष के साथ बँधा देखकर उनको विश्वास हो गया कि इसका सवार भी अवश्य ही आस – पास छिपा बैठा होगा। वे लोग मन ही मन प्रसन्न हो रहे थे कि यदि कोई मनुष्य उनके हाथ लग जाएगा तो वे उसे प्रातःकाल राजा के पास ले जायेंगे। राजा चामुण्डा देवी को उसकी बलि चढ़ा कर अपना संकल्प पूरा कर लेगा और उनके कर्तव्य का पालन भी हो जाएगा।

प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है’ शीर्षक से लिया गया है। लेखिका ने जंगल में एक अन्य राजा के सिपाहियों के आने का वर्णन किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि जंगल में रात काफी अंधकारमय हो चुकी थी। तभी अचानक जंगल में किसी अन्य राजा के सिपाहियों का एक बहुत बड़ा झुंड जंगल में आ गया। वे सिपाही राजा शूरसेन के घोड़े को पेड़ से बँधा देखकर बहुत खुश हुए। उन्हें पूर्ण विश्वास हो गया था कि इस घोड़े का सवार भी यहीं कहीं छुपा होगा। इन बातों को सोचकर राजा के सिपाही अपने मन में खुश हो रहे थे। वे सोच रहे थे कि यदि उन्हें इसका सवार मिल गया तो वे उसे पकड़ कर सुबह – सवेरे अपने राजा के पास ले जाएँगे। जहाँ उनका राजा चामुण्डा देवी के समक्ष उसकी बलि चढ़ा कर अपने संकल्प को पूरा करेगा। साथ ही साथ राजा के प्रति उनके कर्त्तव्य का भी पालन स्वतः हो जाएगा।

विशेष –

  • लेखिका ने पुरानी कुप्रथा मानव – बलि की ओर संकेत किया है।
  • भाषा – शैली प्रवाहमयी है।

3. अब बलि देने की तैयारियां शुरू हो गईं। अभी जल्लाद ने तलवार उठाई ही थी कि राजा की नज़र बलि – जीव के कटे हुए अंग पर जा टिकी। राजा हैरान होकर चिल्ला उठा – – – ‘अरे पापियो! यह क्या कर डाला? तुम नहीं जानते कि अंगहीन मनुष्य की बलि नहीं दी जाती। तो हटाइए इसे यहाँ से।’ फिर क्या था। राजा शूरसेन अपने प्राणों की खैर मनाता हुआ वहाँ से तत्काल निकल भागा।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है’ से अवतरित है। लेखिका ने बलि की कुप्रथा का यथार्थ चित्रण किया
है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि राजा शूरसेन को पकड़ने के बाद उसकी बलि देने की सभी तैयारियाँ पूर्ण हो चुकी थीं। बलि देने के लिए जल्लाद ने अभी अपनी तलवार ऊपर उठाई ही थी कि तभी बलि देने वाले राजा की दृष्टि शूरसेन की कटी हुई उंगली पर जा पड़ी, जिसे देखकर राजा आश्चर्य से चिल्ला उठा कि पापियो! तुम सबने यह क्या अनर्थ कर दिया। तुम्हें इस बात का ज्ञान नहीं कि किसी ऐसे व्यक्ति की बलि नहीं दी जा सकती जिसके शरीर का कोई अंग भंग हो या कटा हुआ हो। इसलिए इस अंगहीन व्यक्ति को बलि की वेदी से तुरन्त हटा दो। राजा के आदेश के तुरंत बाद राजा शूरसेन अपनी जान की खैर मनाता हुआ वहाँ से उसी समय भाग निकला।

विशेष –

  • लेखिका ने बलि – प्रथा की उस बात का उल्लेख किया है जहाँ अंगहीन व्यक्ति की बलि नहीं दी जाती।
  • भाषा सरल, सरस है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

4. राजधानी लौटते हए मार्ग में राजा के विचारों ने पलटा खाया। सोचने लगा कि मन्त्री के इस विश्वास को कि परमात्मा जो करता है अच्छा ही करता है, मैंने भली भांति परख लिया है। अंगहीन होने के कारण ही मेरी जान बची है। अब मैं शीघ्र ही अपने नेकदिल मन्त्री के पास जाता है। नाहक उसकी हत्या करके मैंने घोर अपराध किया है। क्या वह अब भी जीवित है? चलकर देखता हूँ।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है’ से लिया गया है। लेखिका ने यहाँ राजा शूरसेन के मन में आए परिवर्तन का उल्लेख किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि बलि का शिकार होने से बच जाने के बाद जब राजा शूरसेन अपनी राजधानी लौट रहे थे, तभी अचानक उनके विचारों में परिवर्तन आया और वे सोचने लगे कि ‘परमात्मा जो करता है वह अच्छा ही करता है। उसने अपने आस्तिक मंत्री को आज भली प्रकार से जान और समझ लिया है। उँगली कटी होने के कारण ही आज मेरा जीवन बच सका है। अब जल्दी उस साफ दिल मन्त्री सुमति के पास जाता हूँ, जिसकी हत्या करने का घोर अपराध मैंने किया है। राजा के मन में बार – बार विचार आ रहा था कि क्या मन्त्री सुमति अभी जिन्दा होगा। उसे चलकर देखना चाहिए।

विशेष –

  • लेखिका ने राजा शूरसेन के मन में ईश्वर के प्रति उत्पन्न हुए आस्था के भाव और पश्चाताप को उजागर किया है।
  • भाषा सरल, सहज और सरस है।

5. राजा ने मन्त्री को कुएँ से बाहर निकाला। बार – बार अपना दोष स्वीकार करते हुए उससे क्षमा माँगी। मन्त्री ने कहा, महाराज ! परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है। मेरा कुएँ में गिरना भी एक शुभ लक्षण था। अंगहीन होने के कारण आप तो बच जाते परन्तु मुझ भले – अच्छे मनुष्य का मौत से छुटकारा पाना सम्भव न होता। इसलिए मानना पड़ता है कि यह सब कुछ परमात्मा ने भलाई के लिए ही किया है।

प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है’ से लिया गया है। लेखिका ने यहाँ राजा के मन में आए पश्चाताप और ईश्वर के प्रति विश्वास को उजागर किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि मन में पश्चाताप लिए राजा शूरसेन ने मन्त्री सुमति को कुएँ से बाहर निकाला। वह बार – बार सुमति से अपने अपराध की क्षमा याचना कर रहे थे। राजा द्वारा क्षमा याचना करने पर मन्त्री सुमति ने कहा महाराज! ईश्वर जो भी कार्य करता है, वह अच्छा ही होता है। आपके द्वारा मुझे कुएँ में गिराना अच्छा संकेत था। अन्यथा आप तो अंगहीन होने के कारण बंच जाते और वे लोग इस अच्छे खासे व्यक्ति को बलि पर चढ़ा देते। तब इस मन्त्री के लिए बच पाना असम्भव था। अत: मानना पड़ता है, ईश्वर जो भी करता है। वह भलाई के लिए है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 2 परमात्मा जो करता है, अच्छा ही करता है

विशेष –

  • लेखिका ने बताया है कि प्रत्येक कार्य मानव की भलाई के लिए ही होता है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से Textbook Exercise Questions and Answers.

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Hindi Guide for Class 8 PSEB भारत के कोने-कोने से Textbook Questions and Answers

भारत के कोने-कोने से अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से 6
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से 7
उत्तर :
विद्यार्थी अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से 8
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से 9
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) गीत गाने वाले बच्चे कहाँ से आये हैं ?
उत्तर :
गीत गाने वाले बच्चे भारत के कोने – कोने से आए हैं।

(ख) ‘भारत के कोने-कोने से’ कविता में बच्चे क्या संदेश लेकर आये हैं ?
उत्तर :
भारत देश के कोने – कोने से आए बच्चे नई उमंगों और आशाओं का संदेश लेकर आए हैं।

(ग) कविता में ‘गिरि’ और ‘सागर’ का क्या अर्थ है?
उत्तर :
गिरि = पर्वत
सागर = समुद्र

(घ) बच्चे अपने देश के लिए क्या करना चाहते हैं ?
उत्तर :
भारत देश के बच्चे अच्छे और बड़े काम करके भारत के नाम को और अधिक ऊँचा उठाना चाहते हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) ‘नई उमंगों-आशाओं’ से कवि का क्या भाव है?
उत्तर :
नई उमंगों – आशाओं से कवि का भाव है कि जीवन में आगे बढ़ने का संकल्प लेकर अपना तथा देश का नाम ऊँचा करना। आगे आने वाले समय में बड़े – बड़े काम करके राष्ट्र का नाम ऊँचा करना। अपने मन में इस भाव को बनाए रखना कि देश हमारा और हम देश के लिए।

(ख) ‘कल आने वाली दुनिया में
हम कुछ कर दिखलायेंगे,
भारत के ऊँचे माथे को
ऊँचा और उठायेंगे।’
इन काव्य-पंक्तियों की प्रसंग सहित व्याख्या करें।
उत्तर :
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘भारत के कोने – कोने से’ नामक कविता में से लिया गया है। इस कविता के रचयिता डॉ० हरिवंशराय बच्चन जी हैं। कवि ने यहाँ बच्चों के मन में व्याप्त देश भक्ति की भावना और संकल्प को उजागर किया है।

व्याख्या – कवि बच्चों के माध्यम से कहता है कि हम भारतीय बच्चे आगे आने वाले समय में कुछ बड़े काम करके दिखाएँगे। जिस भारत का नाम दुनिया में ऊँचा है उसे हम अपने बड़े कामों से और भी ऊँचा उठाएँगे।

5. भाववाचक संज्ञा बनायें :

  1. ऊँचा = ऊँचाई
  2. गहरा = …………………………
  3. अरुण = …………………………

उत्तर :

  1. ऊँचा = ऊँचाई
  2. गहरा = गहराई
  3. अरुण = अरुणिमा

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

6. निम्नलिखित शब्दों का वर्ण-विच्छेद करें:

  1. भारत : भ् + आ + र् + अ+ त् + अ
  2. गिरि = …………………………
  3. राजस्थानी = …………………………
  4. दुनिया = …………………………
  5. संदेशा = …………………………
  6. निर्मल = …………………………

उत्तर :

  1. भारत : भ् + आ + र् + अ+ त् + अ
  2. गिरि = ग् + इ + + ई
  3. राजस्थानी = र् + आ + ज् + अ + स् + थ् + आ + न् + ई
  4. दुनिया = द् + उ + न् + इ + य् + आ
  5. संदेशा = स् + अ + म् + द् + ए + श् + आ
  6. निर्मल = न् + इ + र् + म् + अ + ल् + अ।

7. समान अर्थवाले शब्द लिखें :

  1. गिरि = पर्वत
  2. सागर = …………………………
  3. संदेशा = …………………………
  4. दुनिया = …………………………
  5. माथा = …………………………
  6. किरण = …………………………
  7. पानी = …………………………
  8. प्रातः = …………………………

उत्तर :

  1. गिरि = पर्वत, पहाड़
  2. माथा = ललाट, मस्तक
  3. सागर = समुद्र, रत्नाकर
  4. किरण = अंशु, कर
  5. संदेशा = समाचार, खबर
  6. पानी = जल, आब
  7. पूरब = पूर्व, प्राची
  8. प्रातः = सवेरा, सुबह

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

8. बहुवचन रूप लिखें:

  1. आशा = …………………………
  2. उमंग = …………………………
  3. संदेश = …………………………
  4. ऊँचा = …………………………
  5. कोना = …………………………
  6. बच्चा = …………………………

उत्तर :

  1. आशा = आशाएँ
  2. ऊँचा = ऊँचे
  3. उमंग = उमंगें
  4. कोना = कोने
  5. संदेश = संदेशे
  6. बच्चा = बच्चे

9. नीचे दी गई पंक्तियों को पूरा करें:

  1. हम गिरि की = …………………………
  2. हम सागर की = …………………………
  3. हम पश्चिम से आए, लाए = …………………………
  4. हम लाए हैं गंग-जमुन के = …………………………

उत्तर :

  1. हम गिरि की ऊँचाई लाए
  2. हम सागर की गहराई।
  3. हम पश्चिम से आए, लाए
    आग – राग राजस्थानी
  4. हम लाए हैं गंग – जमुन के।
    संगम का निर्मल पानी।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

10. पूर्व, पश्चिम, उत्तर तथा दक्षिण क्षेत्रों में स्थित दो-दो राज्यों के नाम लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से 1
उत्तर :
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से 3

भारत के कोने-कोने से Summary in Hindi

भारत के कोने-कोने से कविता का सार

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से 2

‘भारत के कोने – कोने से’ नामक कविता डॉ० हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित देश भक्ति पूर्ण श्रेष्ठ रचना है। इसमें कवि ने बच्चों को कविता में स्थान देकर उनके भावों और क्रिया – कलापों को अनोखे रूप में प्रकट किया है। कवि बच्चों की ओर से कहता है कि हम सब बच्चे भारत के कोने – कोने से आए हैं।

हम अपने साथ आशाओं और उमंगों का संदेश लेकर आए हैं। हम पर्वतों की ऊँचाई और सागरों की गहराई भी लाए हैं, जो हमारे ऊँचे और गहरे विचारों के प्रतीक हैं। हम बच्चे भारत के पश्चिमी दिशा में स्थित प्रदेशों से आए हैं। हम अपने साथ खुशियों के गीत और राजस्थानी जोश लेकर आए हैं।

हम प्रयागराज का पवित्र और स्वच्छ जल भी लेकर आए हैं। हम बच्चे भावी जीवन में बड़े – बड़े काम करके दिखाएँगे जिससे हमारे देश का नाम दुनिया में और भी ऊँचा हो जाएगा। हम बच्चों के भीतर उमंगों और आशाओं का भंडार भरा हुआ है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

भारत के कोने-कोने से काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. भारत के कोने – कोने से हम सब बच्चे आए हैं।
नई उमंगों – आशाओं का हम सन्देशा लाए हैं।
हम गिरि की ऊँचाई लाए,
हम सागर की गहराई,
हम पूरब से आए, लाए
प्रातः – किरण की अरुणाई।

शब्दार्थ :

  • उमंग = उत्साह।
  • आशाओं = उम्मीदों।
  • सन्देशा = संवाद, समाचार।
  • गिरि = पर्वत।
  • सागर = समुद्र।
  • गहराई = गहरापन।
  • पूरब = पूर्व दिशा।
  • प्रातः – किरण = सुबह की किरण।
  • अरुणाई = लाली, लालिमा।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित ‘भारत के कोने – कोने से’ नामक कविता में से लिया गया है। इस कविता के रचयिता डॉ० हरिवंशराय बच्चन जी हैं। इसमें कवि ने भारत की एकता एवं अखंडता का वर्णन किया है।

सरलार्थ – कवि बच्चों के माध्यम से कहता है कि हम सब बच्चे भारत के कोने – कोने से आए हैं। हम नई उमंगों और आशाओं का सन्देश लेकर आए हैं। आगे बढ़ने का संकल्प लेकर आए हैं। हम पर्वत की ऊँचाई और समुद्र की गहराई लेकर आए हैं। हम ऊँचे और गहरे विचारों से भरे हुए हैं। हम पूर्व दिशा से आए हैं और साथ में सुबह की किरणों की लाली लेकर आए हैं। भाव यह है कि हम प्रसन्नता लेकर आए हैं।

विशेष –

  • कवि ने बच्चों को उन्नति का प्रेरक माना है।
  • भाषा सरल है।

2. हम पश्चिम से आए, लाए
आग – राग राजस्थानी,
हम लाए हैं गंग – जमुन के
संगम का निर्मल पानी।
भारत के कोने – कोने से हम सब बच्चे आए हैं।
नई उमंगों – आशाओं का हम संदेशा लाए हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

शब्दार्थ :

  • आग – राग = जोश और प्रेम।
  • गंग – जमुन = गंगा – यमुना।
  • संगम = मेल (प्रयाग राज)।
  • निर्मल = स्वच्छ, साफ।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित ‘भारत के कोने – कोने से’ नामक कविता में से लिया गया है। कविवर डॉ० बच्चन ने बच्चों के माध्यम से भारत की एकता और अखंडता का वर्णन किया है।

सरलार्थ – कवि बच्चों के माध्यम से कहता है कि हम बच्चे भारत के पश्चिम दिशा में स्थित प्रदेशों से आए हैं। हम अपने साथ राजस्थानी जोश और खुशियों के गीत लेकर आए हैं। हम गंगा – यमुना के संगम (प्रयाग राज) का स्वच्छ पानी लेकर आए हैं। हम बच्चे अपने देश भारत के हर प्रान्त से आए हैं। हमारे भीतर नई उमंगें और आशाएँ, आगे बढ़ने का भाव भरा है।

विशेष –

  • कवि ने बच्चों के मन में उमड़ते जोश को दर्शाया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

3. कल आने वाली दुनिया में,
हम कुछ कर दिखलाएँगे,
भारत के ऊँचे माथे को,
ऊँचा और उठाएँगे।
भारत के कोने – कोने से हम सब बच्चे आए हैं।
नई उमंगों – आशाओं का हम संदेशा लाए हैं।

शब्दार्थ :

  • दुनिया = संसार।
  • ऊँचे माथे = ऊपर उठे मस्तक।

प्रसंग – यह पद्यांश हमारी पाठय – पस्तक में संकलित कविता ‘भारत के कोने – कोने से’ में से लिया गया है। डॉ० हरिवंशराय बच्चन ने इन पंक्तियों में भारत की एकता और अखंडता की बात कही है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 1 भारत के कोने-कोने से

सरलार्थ – कवि बच्चों के माध्यम से कहता है कि – हम भारतीय बच्चे आगे आने वाले समय में कुछ बड़े काम करके दिखाएंगे। जिस भारत का नाम दुनिया में ऊँचा है, उसे हम अपने बड़े कामों से और ऊँचा उठाएँगे। हम बच्चे भारत के हर प्रदेश के कोने – कोने से आए हैं। हमारे अन्दर नई उमंगें और आशाएँ हैं।

विशेष –

  • कवि ने बच्चों के माध्यम से भारतीय एकता और अखंडता को उजागर किया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ (1st Language)

Punjab State Board PSEB 7th Class Punjabi Book Solutions Punjabi Rachana Kahaṇi Rachana ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB 7th Class Punjabi Rachana ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ (1st Language)

1. ਦਰਜ਼ੀ ਅਤੇ ਹਾਥੀ

ਇਕ ਰਾਜੇ ਕੋਲ ਇਕ ਹਾਥੀ ਸੀ। ਹਾਥੀ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਨਦੀ ਵਿਚ ਨਹਾਉਣ ਲਈ ਜਾਂਦਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ। ਦਰਿਆ ਦੇ ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਇਕ ਬਜ਼ਾਰ ਆਉਂਦਾ ਸੀ ! ਬਜ਼ਾਰ ਵਿਚ ਇਕ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਦੁਕਾਨ ਸੀ। ਦਰਿਆ ਨੂੰ ਜਾਂਦਾ ਹੋਇਆ ਹਾਥੀ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਦੁਕਾਨ ਕੋਲ ਰੁਕ ਜਾਂਦਾ ਸੀ। ਦਰਜ਼ੀ ਇਕ ਨਰਮ ਦਿਲ ਆਦਮੀ ਸੀ। ਉਹ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਹਾਥੀ ਨੂੰ ਕੋਈ ਨਾ ਕੋਈ ਚੀਜ਼ ਖਾਣ ਨੂੰ ਦਿੰਦਾ। ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਾਥੀ ਅਤੇ ਦਰਜ਼ੀ ਆਪਸ ਵਿਚ ਮਿੱਤਰ ਬਣ ਗਏ।

ਇਕ ਦਿਨ ਦਰਜ਼ੀ ਘਰੋਂ ਆਪਣੀ ਪਤਨੀ ਨਾਲ ਲੜ ਕੇ ਆਇਆ ਸੀ। ਉਸ ਦਾ ਮਨ ਗੁੱਸੇ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ। ਇਸੇ ਵੇਲੇ ਹਾਥੀ ਵੀ ਉੱਥੇ ਆ ਗਿਆ। ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਸੁੰਡ ਦੁਕਾਨ ਦੇ ਅੰਦਰ ਕੀਤੀ। ਦਰਜ਼ੀ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਕੁੱਝ ਵੀ ਖਾਣ ਲਈ ਨਾ ਦਿੱਤਾ, ਸਗੋਂ ਉਸ ਦੀ ਸੁੰਡ ਵਿਚ ਸੂਈ ਚੋਭ ਦਿੱਤੀ।

ਹਾਥੀ ਨੂੰ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਇਸ ਕਰਤੂਤ ‘ਤੇ ਬਹੁਤ ਗੁੱਸਾ ਆਇਆ। ਉਹ ਦਰਿਆ ‘ਤੇ ਪੁੱਜਾ। ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਸੁੰਡ ਵਿਚ ਚਿੱਕੜ ਵਾਲਾ ਪਾਣੀ ਭਰ ਲਿਆ ਵਾਪਸੀ ‘ਤੇ ਉਸ ਨੇ ਸਾਰਾ ਚਿੱਕੜ ਲਿਆ ਕੇ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਦੁਕਾਨ ਵਿਚ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤਾ। ਦਰਜ਼ੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਕੱਪੜੇ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਗਏ। ਉਹ ਡਰਦਾ ਦੁਕਾਨ ਛੱਡ ਕੇ ਦੌੜ ਗਿਆ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਾਥੀ ਨੇ ਆਪਣਾ ਬਦਲਾ ਲੈ ਲਿਆ।

ਸਿੱਟਾ-ਜਿਹਾ ਕਰਦੀ ਤਿਹਾ ਭਰੋਗੇ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ (1st Language)

2. ਤਿਹਾਇਆ ਕਾਂ

ਇਕ ਵਾਰੀ ਇਕ ਕਾਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਤੇਹ ਲੱਗੀ। ਉਹ ਪਾਣੀ ਦੀ ਭਾਲ ਵਿਚ ਇਧਰ-ਉਧਰ ਉੱਡਿਆ। ਅੰਤ ਉਹ ਇਕ ਬਗੀਚੇ ਵਿਚ ਪੁੱਜਾ। ਉਸ ਨੇ ਪਾਣੀ ਦਾ ਇਕ ਘੜਾ ਦੇਖਿਆ।ਉਹ ਘੜੇ ਦੇ ਮੂੰਹ ਉੱਤੇ ਜਾ ਬੈਠਾ। ਉਸ ਨੇ ਦੇਖਿਆ ਕਿ ਘੜੇ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਥੋੜ੍ਹਾ ਹੈ। ਉਸ ਦੀ ਚੁੰਝ ਪਾਣੀ ਤਕ ਨਹੀਂ ਸੀ ਪਹੁੰਚਦੀ। ਉਸ ਨੇ ਘੜੇ ਨੂੰ ਉਲਟਾਉਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ, ਪਰ ਉਹ ਅਸਫ਼ਲ ਰਿਹਾ।

ਉਹ ਕਾਂ ਬਹੁਤ ਸਿਆਣਾ ਸੀ। ਉਸ ਨੇ ਘੜੇ ਦੇ ਨੇੜੇ ਕੁੱਝ ਰੋੜੇ ਤੇ ਠੀਕਰੀਆਂ ਦੇਖੀਆਂ। ਉਸ ਨੂੰ ਇਕ ਢੰਗ ਸੁੱਝਿਆ। ਉਸ ਨੇ ਠੀਕਰੀਆਂ ਤੇ ਰੋੜੇ ਚੁੱਕ ਕੇ ਘੜੇ ਵਿਚ ਪਾਉਣੇ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤੇ। ਹੌਲੀ-ਹੌਲੀ ਘੜਾ ਰੋੜਿਆਂ ਅਤੇ ਠੀਕਰੀਆਂ ਨਾਲ ਭਰਨ ਲੱਗਾ ਤੇ ਉਸ ਵਿਚਲਾ ਪਾਣੀ ਉੱਪਰ ਆ ਗਿਆ। ਕਾਂ ਨੇ ਰੱਜ ਕੇ ਪਾਣੀ ਪੀਤਾ ਅਤੇ ਉੱਡ ਗਿਆ।
ਸਿੱਖਿਆ-ਜਿੱਥੇ ਚਾਹ ਉੱਥੇ ਰਾਹ।

3. ਲੋਲਾ ਤੇ ਬਘਿਆੜ

ਇਕ ਵਾਰੀ ਇਕ ਬਘਿਆੜ ਇਕ ਨਦੀ ਦੇ ਕੰਢੇ ਉੱਤੇ ਪਾਣੀ ਪੀ ਰਿਹਾ ਸੀ। ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਨਿਵਾਣ ਵਲ ਉਸਨੇ ਇਕ ਲੇਲੇ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਪੀਂਦਿਆਂ ਦੇਖਿਆ। ਉਸਦਾ ਦਿਲ ਕੀਤਾ ਕਿ ਉਹ ਲੇਲੇ ਨੂੰ ਮਾਰ ਕੇ ਖਾ ਲਵੇ।ਉਹ ਮਨ ਵਿਚ ਉਸਨੂੰ ਖਾਣ ਦੇ ਬਹਾਨੇ ਸੋਚਣ ਲੱਗਾ।ਉਸਨੇ ਲੇਲੇ ਨੂੰ ਗੁੱਸੇ ਨਾਲ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਉਸਦੇ ਪੀਣ ਵਾਲੇ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਗੰਧਲਾ ਕਿਉਂ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਲੇਲੇ ਨੇ ਡਰ ਕੇ ਨਿਮਰਤਾ ਨਾਲ ਕਿਹਾ, “ਮਹਾਰਾਜਾ ਪਾਣੀ ਤਾਂ ਤੁਹਾਡੇ ਵਲੋਂ ਮੇਰੀ ਵਲ ਆ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਤੁਹਾਡੇ ਪੀਣ ਵਾਲੇ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਗੰਧਲਾ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹਾਂ।”

ਬਘਿਆੜ ਨਿੱਠ ਜਿਹਾ ਹੋ ਗਿਆ ਪਰ ਉਹ ਲੇਲੇ ਨੂੰ ਹੱਥੋਂ ਨਹੀਂ ਸੀ ਜਾਣ ਦੇਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ। ਉਸਨੇ ਉਸਨੂੰ ਕਿਹਾ, “ਤੂੰ ਮੈਨੂੰ ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਗਾਲਾਂ ਕਿਉਂ ਕੱਢੀਆਂ ਸਨ ?” ਲੇਲੇ ਨੇ ਫਿਰ ਨਿਮਰਤਾ ਨਾਲ ਕਿਹਾ, “ਮਹਾਰਾਜ, ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਤਾਂ ਮੈਂ ਜੰਮਿਆਂ ਵੀ ਨਹੀਂ ਸੀ। ਹੁਣ ਬਘਿਆੜ ਕੋਲ ਚਾਰਾ ਨਾ ਰਿਹਾ ਤੇ ਗੁੱਸੇ ਨਾਲ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਜੇਕਰ ਉਦੋਂ ਤੂੰ ਨਹੀਂ ਸੀ, ਤਾਂ ਤੇਰਾ ਪਿਓ-ਦਾਦਾ ਹੋਵੇਗਾ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਤੂੰ ਕਸੂਰਵਾਰ ਹੈਂ।” ਇਹ ਕਹਿ ਕੇ ਉਸਨੇ ਝਪੱਟਾ ਮਾਰਿਆ ਤੇ ਉਸਨੂੰ ਪਾੜ ਕੇ ਖਾ ਗਿਆ।

ਸਿੱਖਿਆ-ਡਾਢੇ ਦਾ ਸੱਤੀਂ ਵੀਹੀਂ ਸੌ।

ਜ਼ੁਲਮ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਕੋਈ ਨਾ ਕੋਈ ਬਹਾਨਾ ਲੱਭ ਹੀ ਲੈਂਦਾ ਹੈ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ (1st Language)

4. ਕਾਂ ਅਤੇ ਲੂੰਬੜੀ

ਚਲਾਕ ਲੂੰਬੜੀਇਕ ਵਾਰੀ ਇਕ ਲੂੰਬੜੀ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਭੁੱਖ ਲੱਗੀ। ਉਹ ਕੋਈ ਖਾਣ ਵਾਲੀ ਚੀਜ਼ ਲੱਭਣ ਲਈ ਇਧਰ-ਉਧਰ ਘੁੰਮੀ, ਪਰ ਉਸ ਨੂੰ ਕੁੱਝ ਨਾ ਮਿਲਿਆ। ਅੰਤ ਉਹ ਦਰੱਖ਼ਤਾਂ ਦੇ ਇਕ ਝੁੰਡ ਹੇਠ ਪਹੁੰਚੀ। ਉਹ ਬਹੁਤ ਥੱਕੀ ਹੋਈ ਸੀ ਤੇ ਉਹ ਦਰੱਖ਼ਤਾਂ ਦੀ ਸੰਘਣੀ ਛਾਂ ਹੇਠਾਂ ਲੰਮੀ ਪੈ ਗਈ। ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਲੰਬੜੀ ਨੇ ਉੱਪਰ ਵਲ ਧਿਆਨ ਮਾਰਿਆ ਦਰੱਖ਼ਤ ਦੀ ਇਕ ਟਹਿਣੀ ਉੱਤੇ ਉਸ ਨੇ ਇਕ ਕਾਂ ਦੇਖਿਆ, ਜਿਸ ਦੀ ਚੁੰਝ ਵਿਚ ਪਨੀਰ ਦਾ ਇਕ ਟੁਕੜਾ ਸੀ। ਇਹ ਦੇਖ ਕੇ ਉਸ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿੱਚ ਪਾਣੀ ਭਰ ਆਇਆ।

ਉਸ ਨੇ ਕਾਂ ਕੋਲੋਂ ਪਨੀਰ ਦਾ ਟੁਕੜਾ ਖੋਹਣ ਦਾ ਇਕ ਢੰਗ ਕੱਢ ਲਿਆ। ਉਸ ਨੇ ਬੜੀ ਚਾਲਾਕੀ ਤੇ ਪਿਆਰ ਭਰੀ ਅਵਾਜ਼ ਨਾਲ ਕਾਂ ਨੂੰ ਕਿਹਾ, “ਤੂੰ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਨਮੋਹਣਾ ਪੰਛੀ ਹੈਂ। ਤੇਰੀ ਅਵਾਜ਼ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸੁਰੀਲੀ ਹੈ। ਮੇਰਾ ਜੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਤੇਰਾ ਇਕ ਮਿੱਠਾ ਗੀਤ ਸੁਣਾਂ। ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੈਨੂੰ ਗਾ ਕੇ ਸੁਣਾ ” ਕਾਂ ਲੂੰਬੜੀ ਦੀ ਖੁਸ਼ਾਮਦ ਵਿਚ ਆ ਕੇ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਨਾਲ ਫੁੱਲ ਗਿਆ। ਜਿਉਂ ਹੀ ਉਸ ਨੇ ਗਾਉਣ ਲਈ ਮੂੰਹ ਖੋਲ੍ਹਿਆ, ਤਾਂ ਪਨੀਰ ਦਾ ਟੁਕੜਾ ਉਸ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚੋਂ ਹੇਠਾਂ ਡਿਗ ਪਿਆ। ਲੂੰਬੜੀ ਪਨੀਰ ਦੇ ਟੁਕੜੇ ਨੂੰ ਝੱਟ-ਪੱਟ ਖਾ ਕੇ ਆਪਣੇ ਰਾਹ ਤੁਰਦੀ ਬਣੀ ਤੇ ਕਾਂ ਉਸ ਵਲ ਦੇਖਦਾ ਹੀ ਰਹਿ ਗਿਆ।

ਸਿੱਖਿਆ-ਖੁਸ਼ਾਮਦ ਤੋਂ ਬਚੋ।

5. ਆਜੜੀ ਅਤੇ ਬਘਿਆੜ

ਇਕ ਆਜੜੀ ਮੁੰਡਾ ਸੀ। ਉਹ ਆਪਣੇ ਪਿੰਡ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਜੰਗਲ ਵਿਚ ਭੇਡਾਂ ਚਾਰਨ ਜਾਂਦਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ। ਇਕ ਦਿਨ ਉਸ ਨੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਮਖੌਲ ਉਡਾਉਣਾ ਚਾਹਿਆ। ਉਹ ਇਕ ਉੱਚੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਗਿਆ ਅਤੇ ਉੱਚੀ-ਉੱਚੀ ਰੌਲਾ ਪਾਉਣ ਲੱਗਾ, ਬਘਿਆੜ ! ਬਘਿਆੜ ! ਮੈਨੂੰ ਬਚਾਓ।” ਪਿੰਡ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਉਸ ਦੀਆਂ ਚੀਕਾਂ ਸੁਣੀਆਂ। ਉਹ ਆਪਣੇ ਕੰਮ-ਕਾਰ ਛੱਡ ਕੇ ਤੇ ਡਾਂਗਾਂ ਚੁੱਕ ਕੇ ਉਸ ਦੀ ਮੱਦਦ ਲਈ ਦੌੜੇ ਆਏ। ਜਦੋਂ ਉਹ ਉੱਥੇ ਪਹੁੰਚੇ, ਤਾਂ ਆਜੜੀ ਮੁੰਡਾ ਅੱਗੋਂ ਹੱਸਣ ਲੱਗ ਪਿਆ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪੁੱਛਿਆ, ‘ਬਘਿਆੜ ਕਿੱਥੇ ਹੈ ?” ਆਜੜੀ ਮੁੰਡੇ ਨੇ ਉੱਤਰ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਉਸ ਨੇ ਸਿਰਫ਼ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਮਖੌਲ ਹੀ ਕੀਤਾ ਹੈ, ਬਆੜ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ਆਇਆ। ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਉਸ ਦੀ ਇਸ ਗੱਲ ‘ਤੇ ਬੜਾ ਗੁੱਸਾ ਆਇਆ। ਉਹ ਭਰੇ-ਪੀਤੇ ਵਾਪਸ ਮੁੜ ਗਏ।

ਅਗਲੇ ਦਿਨ ਆਜੜੀ ਮੁੰਡਾ ਜਦੋਂ ਭੇਡਾਂ ਚਾਰ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਤਾਂ ਬਘਿਆੜ ਸੱਚ-ਮੁੱਚ ਹੀ ਆ ਗਿਆ। ਉਹ ਉਸ ਦੀਆਂ ਭੇਡਾਂ ਨੂੰ ਮਾਰ-ਮਾਰ ਕੇ ਖਾਣ ਲੱਗਾ। ਮੁੰਡੇ ਨੇ ਬਹੁਤ ਰੌਲਾ ਪਾਇਆ ਪਿੰਡ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਉਸ ਦੀਆਂ ਚੀਕਾਂ ਸੁਣੀਆਂ, ਪਰ ਕੋਈ ਵੀ ਉਸ ਦੀ ਮੱਦਦ ਲਈ ਨਾ ਆਇਆ। ਬਘਿਆੜ ਨੇ ਮੁੰਡੇ ਉੱਤੇ ਝਪਟਾ ਮਾਰਿਆ ਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਵੀ ਮਾਰ ਕੇ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤਾ। ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇਕ ਵਾਰ ਝੂਠ ਬੋਲਣ ਕਰਕੇ ਉਸ ਮੁੰਡੇ ਨੇ ਆਪਣੀ ਜਾਨ ਗੁਆ ਲਈ। ਸੱਚ ਹੈ, ਝੂਠੇ ‘ਤੇ ਕੋਈ ਇਤਬਾਰ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ।

ਸਿੱਖਿਆ-ਝੂਠੇ ‘ਤੇ ਕੋਈ ਇਤਬਾਰ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ।

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6. ਏਕਤਾ ਵਿਚ ਬਲ ਹੈ

ਕਿਸਾਨ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਇਕ ਵਾਰੀ ਦੀ ਗੱਲ ਹੈ ਕਿ ਕਿਸੇ ਥਾਂ ਇਕ ਬੁੱਢਾ ਕਿਸਾਨ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ। ਉਸ ਦੇ ਚਾਰ ਪੁੱਤਰ ਸਨ। ਉਹ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਆਪਸ ਵਿਚ ਲੜਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ। ਕਿਸਾਨ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਵਾਰੀ ਸਮਝਾਇਆ ਸੀ ਕਿ ਉਹ ਪਿਆਰ ਅਤੇ ਏਕਤਾ ਨਾਲ ਰਿਹਾ ਕਰਨ, ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਉੱਪਰ ਪਿਤਾ ਦੀਆਂ ਨਸੀਹਤਾਂ ਦਾ ਕੋਈ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਸੀ ਹੁੰਦਾ।

ਇਕ ਵਾਰੀ ਉਹ ਬੁੱਢਾ ਕਿਸਾਨ ਬਿਮਾਰ ਹੋ ਗਿਆ। ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਲੜਾਈ-ਝਗੜੇ ਦਾ ਬਹੁਤ ਫ਼ਿਕਰ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ। ਉਸ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਮਝਾਉਣ ਲਈ ਆਪਣੀ ਸਮਝ ਨਾਲ ਇਕ ਢੰਗ ਕੱਢਿਆ। ਉਸ ਨੇ ਪਤਲੀਆਂ-ਪਤਲੀਆਂ ਲੱਕੜਾਂ ਦਾ ਇਕ ਬੰਡਲ ਮੰਗਾਇਆ। ਉਸ ਨੇ ਬੰਡਲ ਵਿਚੋਂ ਇਕ-ਇਕ ਸੋਟੀ ਕੱਢ ਕੇ ਆਪਣੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਨੂੰ ਦਿੱਤੀ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਤੋੜਨ ਲਈ ਕਿਹਾ ਚੌਹਾਂ ਪੁੱਤਰਾਂ ਨੇ ਇਕ-ਇਕ ਲੱਕੜੀ ਬੜੀ ਸੌਖ ਨਾਲ ਤੋੜ ਦਿੱਤੀ।

ਫਿਰ ਕਿਸਾਨ ਨੇ ਸਾਰਾ ਬੰਡਲ ਘੁੱਟ ਕੇ ਬੰਨਿਆ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦੇ ਕੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਕੱਲਾ-ਇਕੱਲਾ ਇਸ ਸਾਰੇ ਬੰਡਲ ਨੂੰ ਤੋੜੇ। ਕੋਈ ਵੀ ਪੁੱਤਰ ਉਸ ਬੰਨੇ ਹੋਏ ਬੰਡਲ ਨੂੰ ਨਾ ਤੋੜ ਸਕਿਆ। ਕਿਸਾਨ ਨੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੱਤੀ ਕਿ ਉਹ ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਤਲੀਆਂ-ਪਤਲੀਆਂ ਲੱਕੜੀਆਂ ਤੋਂ ਸਿੱਖਿਆ ਲੈਣ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਲੜਾਈ-ਝਗੜਾ ਕਰ ਕੇ ਇਕੱਲੇ-ਇਕੱਲੇ ਰਹਿਣ ਦੀ ਥਾਂ ਮਿਲ ਕੇ ਰਹਿਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਤਾਕਤ ਬਹੁਤ ਹੋਵੇਗੀ। ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਨੇ ਪਿਤਾ ਨੂੰ ਰਲ-ਮਿਲ ਕੇ ਰਹਿਣ ਦਾ ਵਚਨ ਦਿੱਤਾ।

ਸਿੱਖਿਆ-ਏਕਤਾ ਵਿਚ ਬਲ ਹੈ।

7. ਦੋ ਆਲਸੀ ਮਿੱਤਰ

ਇਕ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਦੋ ਨੌਜਵਾਨ ਮਿੱਤਰ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ। ਉਹ ਦੋਵੇਂ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸੁਸਤ ਤੇ ਆਲਸੀ ਸਨ। ਉਹ ਕੋਈ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਸਨ ਕਰਦੇ। ਇਕ ਦਿਨ ਉਹ ਕਿਸੇ ਕਾਰਨ ਸ਼ਹਿਰ ਨੂੰ ਤੁਰ ਪਏ। ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਧੁੱਪ ਬਹੁਤ ਸੀ ਅਤੇ ਉਹ ਇਕ ਸੰਘਣੀ ਛਾਂ ਵਾਲੀ ਬੇਰੀ ਹੇਠ ਲੰਮੇ ਪੈ ਗਏ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਲੰਮੇ ਪਿਆ ਦੇਖਿਆ ਕਿ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਲਾਲ-ਲਾਲ ਬੇਰ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਸਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਭਰ ਆਇਆ।

ਲੰਮਾ ਪਿਆ-ਪਿਆ ਇਕ ਮਿੱਤਰ ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਤੇ ਦੂਜਾ ਪਹਿਲੇ ਨੂੰ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਹ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਬੇਰ ਲਾਹਵੇ। ਆਲਸੀ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਦੋਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕੋਈ ਵੀ ਨਾ ਉੱਠਿਆ ਤੇ ਉਸੇ ਤਰਾਂ ਪਏ ਰਹੇ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਆਪਣੇ-ਆਪਣੇ ਮੁੰਹ ਅੱਡੇ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗੇ, “ਲਾਲ-ਲਾਲ ਬੇਰੋ, ਸਾਨੂੰ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹਨਾ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦਾ, ਤੁਸੀਂ ਆਪ ਹੀ ਸਾਡੇ ਮੂੰਹਾਂ ਵਿਚ ਡਿਗ ਪਵੋ !” ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਮੁੰਹ ਅੱਡ ਕੇ ਪਏ ਰਹੇ। ਸ਼ਾਮ ਤਕ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਬੇਰ ਤਾਂ ਕੋਈ ਨਾ ਡਿਗਿਆ, ਪਰ ਪੰਛੀਆਂ ਦੀਆਂ ਵਿੱਠਾਂ ਜ਼ਰੂਰ ਡਿਗਦੀਆਂ ਰਹੀਆਂ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਬਹੁਤ ਗੰਦੇ ਹੋ ਗਏ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹਾਂ ਉੱਤੇ ਮੱਖੀਆਂ ਬੈਠਣ ਲੱਗੀਆਂ ਪਰੰਤੂ ਉਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਉਡਾਉਣ ਦੀ ਹਿੰਮਤ ਨਹੀਂ ਸਨ ਕਰ ਰਹੇ।

ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਇਕ ਘੋੜ-ਸਵਾਰ ਉੱਧਰੋਂ ਲੰਘਿਆ। ਉਹ ਘੋੜੇ ਤੋਂ ਉੱਤਰਿਆ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੁੱਛਿਆ ਕਿ ਤੁਸੀਂ ਮੂੰਹ ਅੱਡ ਕੇ ਕਿਉਂ ਪਏ ਹੋ। ਇਕ ਮਿੱਤਰ ਨੇ ਉੱਤਰ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਨਾਲ ਦਾ ਉਸਦਾ ਮਿੱਤਰ ਬਹੁਤ ਸੁਸਤ ਹੈ। ਉਹ ਉਸ ਲਈ ਬੇਰੀ ਤੋਂ ਬੇਰ ਲਾਹ ਕੇ ਨਹੀਂ ਲਿਆਉਂਦਾ ਦੂਜਾ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਸਦੇ ਨਾਲ ਦਾ ਦੋਸਤ ਉਸ ਤੋਂ ਵੀ ਵਧੇਰੇ ਸੁਸਤ ਹੈ। ਉਹ ਉਸਦੇ ਮੂੰਹ ਤੋਂ ਮੱਖੀਆਂ ਨਹੀਂ ਉਡਾਉਂਦਾ।

ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਘੋੜ-ਸਵਾਰ ਨੂੰ ਸਾਰੀ ਗੱਲ ਸਮਝ ਆ ਗਈ। ਉਹ ਸਮਝ ਗਿਆ ਕਿ ਦੋਵੇਂ ਮਿੱਤਰ ਆਲਸੀ ਤੇ ਸੁਸਤ ਹਨ। ਉਸਨੇ ਦੋਹਾਂ ਨੂੰ ਖੂਬ ਕੁਟਾਪਾ ਚਾੜਿਆ ਤੇ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹਨ ਲਈ ਕਿਹਾ ਕੁੱਟ ਤੋਂ ਡਰਦੇ ਦੋਵੇਂ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਤੇ ਆਪਣੇ ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਬੇਰ ਤੋੜ ਕੇ ਖਾਣ ਲੱਗੇ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਢਿੱਡ ਭਰ ਕੇ ਮਿੱਠੇ ਬੇਰ ਖਾਧੇ ਤੇ ਜਦੋਂ ਉਹ ਹੇਠਾਂ ਉੱਤਰੇ ਤਾਂ ਘੋੜ-ਸਵਾਰ ਜਾ ਚੁੱਕਾ ਸੀ।

ਸਿੱਖਿਆ-ਆਲਸ ਜਾਂ ਸੁਸਤੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਬਿਮਾਰੀ ਹੈ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ (1st Language)

8. ਹੰਕਾਰੀ ਬਾਰਾਂਸਿੰਝਾ

ਇਕ ਵਾਰ ਇਕ ਬਾਰਾਂਝਾ ਇਕ ਤਲਾ ਦੇ ਕੰਢੇ ਪਾਣੀ ਪੀ ਰਿਹਾ ਸੀ। ਪਾਣੀ ਬਹੁਤ ਸਾਫ਼ ਸੀ। ਬਾਰਾਂਸਿੰਝੇ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਆਪਣਾ ਪਰਛਾਵਾਂ ਦਿਸਿਆ। ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੇ ਖ਼ੂਬਸੂਰਤ ਸਿੰਝ ਦੇਖੇ ਤੇ ਬੜਾ ਖੁਸ਼ ਹੋਇਆ। ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸਿੰਘਾਂ ਦੀ ਸੁੰਦਰਤਾ ’ਤੇ ਬੜਾ ਮਾਣ ਹੋਇਆ ਫਿਰ ਉਸ ਦੀ ਨਜ਼ਰ ਆਪਣੀਆਂ ਪਤਲੀਆਂ ਤੇ ਭੱਦੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ‘ਤੇ ਪਈ। ਉਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਬਦਸੂਰਤੀ ਦੇਖ ਕੇ ਉਦਾਸ ਹੋ ਗਿਆ। ਉਹ ਰੱਬ ਨੂੰ ਬੁਰਾ-ਭਲਾ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਸ ਨੇ ਉਸ ਦੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ਬਹੁਤ ਭੱਦੀਆਂ ਬਣਾਈਆਂ ਹਨ।

ਇਸੇ ਸਮੇਂ ਹੀ ਉਸ ਦੇ ਕੰਨੀਂ ਕੁੱਝ ਸ਼ਿਕਾਰੀ ਕੁੱਤਿਆਂ ਦੀ ਅਵਾਜ਼ ਪਈ। ਉਹ ਆਪਣੀ ਜਾਨ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਸਿਰ ‘ਤੇ ਪੈਰ ਰੱਖ ਕੇ ਦੌੜਿਆ। ਉਸ ਦੀਆਂ ਭੱਦੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਦੂਰ ਲੈ ਗਈਆਂ। ਉਹ ਇਨ੍ਹਾਂ ਲੱਤਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਸ਼ਿਕਾਰੀ ਕੁੱਤਿਆਂ ਦੇ ਕਦੇ ਵੀ ਕਾਬੂ ਨਹੀਂ ਸੀ ਆ ਸਕਦਾ ਪਰ ਬਦਕਿਸਮਤੀ ਨਾਲ ਉਸ ਦੇ ਸਿੰਝ ਇਕ ਝਾੜੀ ਵਿਚ ਫ਼ਸ ਗਏ। ਉਸ ਨੇ ਝਾੜੀ ਵਿਚੋਂ ਨਿਕਲਣ ਦੀ ਬਹੁਤ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ, ਪਰ ਵਿਅਰਥ। ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਸ਼ਿਕਾਰੀ ਕੁੱਤੇ ਉੱਥੇ ਪਹੁੰਚ ਗਏ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਫੜ ਕੇ ਮਾਰ ਦਿੱਤਾ।

ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਉਸ ਦੀਆਂ ਭੱਦੀਆਂ ਲੱਤਾਂ ਨੇ ਉਸ ਦੀ ਜਾਨ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਮੱਦਦ ਕੀਤੀ, ਪਰ ਸੁੰਦਰ ਸਿੰਝਾਂ ਨੇ ਉਸ ਦੀ ਜਾਨ ਲੈ ਲਈ।

ਸਿੱਖਿਆ-ਹਰ ਇਕ ਚਮਕਦੀ ਚੀਜ਼ ਸੋਨਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ।

9. ਸਿਆਣਾ ਕਾਂ

ਇਕ ਰਾਜੇ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸੋਹਣਾ ਬਾਗ਼ ਸੀ, ਜਿਸਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਇਕ ਵੱਡਾ ਤਲਾਬ ਸੀ। ਰਾਜੇ ਦਾ ਰਾਜਕੁਮਾਰ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਬਾਗ਼ ਵਿਚ ਆਉਂਦਾ ਸੀ ਤੇ ਕੁੱਝ ਸਮਾਂ ਸੈਰ-ਸਪਾਟਾ ਕਰਨ ਮਗਰੋਂ ਉਹ ਕੱਪੜੇ ਲਾਹ ਕੇ ਸਰੋਵਰ ਵਿਚ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰਦਾ ਸੀ।

ਉਸ ਤਲਾਬ ਤੋਂ ਕੁੱਝ ਦੂਰ ਇਕ ਪੁਰਾਣਾ ਬੋਹੜ ਦਾ ਦਰੱਖ਼ਤ ਸੀ। ਉਸ ਉੱਤੇ ਇਕ ਕਾਂ ਅਤੇ ਕਾਉਣੀ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ। ਬੋਹੜ ਦੀ ਇਕ ਖੋੜ ਵਿਚ ਇਕ ਵੱਡਾ ਸੱਪ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ। ਜਦੋਂ ਵੀ ਕਾਉਣੀ ਆਂਡੇ ਦਿੰਦੀ, ਤਾਂ ਸੱਪ ਅੱਖ ਬਚਾ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੀ ਜਾਂਦਾ ਸੀ। ਕਾਂ ਅਤੇ ਕਾਉਣੀ ਇਸ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਦੁਖੀ ਸਨ, ਪਰੰਤੂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਤੋਂ ਛੁਟਕਾਰਾ ਪਾਉਣ ਦਾ ਕੋਈ ਰਾਹ ਨਹੀਂ ਸੀ ਲੱਭਦਾ। ਇਕ ਦਿਨ ਕਾਂ ਨੇ ਇਕ ਤਰੀਕਾ ਸੋਚਿਆ। ਜਦੋਂ ਰਾਜਕੁਮਾਰ ਬਾਗ਼ ਦੀ ਸੈਰ ਕਰਨ ਮਗਰੋਂ ਤਲਾਬ ਵਿਚ ਨੁਹਾਉਣ ਲਈ ਆਇਆ, ਤਾਂ ਉਸਨੇ ਆਪਣੇ ਕੱਪੜੇ ਲਾਹ ਕੇ ਤਲਾਬ ਦੇ ਕੰਢੇ ਉੱਤੇ ਰੱਖੇ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਆਪਣੇ ਗਲੋਂ ਲਾਹ ਕੇ ਸੋਨੇ ਦਾ ਹਾਰ ਵੀ ਰੱਖ ਦਿੱਤਾ। ਜਦੋਂ ਰਾਜਕੁਮਾਰ ਨਹਾ

ਰਿਹਾ ਸੀ, ਤਾਂ ਕਾਂ ਨੇ ਹਾਰ ਆਪਣੀ ਚੁੰਝ ਵਿਚ ਚੁੱਕ ਲਿਆ ਤੇ ਹੌਲੀ ਹੌਲੀ ਉੱਡਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਰਾਜਕੁਮਾਰ ਨੇ ਉਸਨੂੰ ਹਾਰ ਚੁੱਕਦਿਆਂ ਦੇਖ ਲਿਆ ਤੇ ਆਪਣੇ ਸਿਪਾਹੀਆਂ ਨੂੰ ਉਸਦੇ ਮਗਰ ਲਾ ਦਿੱਤਾ ਕਾਂ ਨੇ ਬੋਹੜ ਦੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਕੋਲ ਪਹੁੰਚ ਕੇ ਹਾਰ ਉਸਦੀ ਖੋੜ ਵਿਚ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤਾ। ਸਿਪਾਹੀਆਂ ਨੇ ਡਾਂਗ ਨਾਲ ਖੋੜ ਵਿਚ ਹਾਰ ਕੱਢਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ, ਪਰੰਤੂ ਆਪਣੇ ਲਈ ਖ਼ਤਰਾ ਪੈਦਾ ਹੋਇਆ ਦੇਖ ਕੇ ਸੱਪ ਬਾਹਰ ਆ ਗਿਆ। ਸਿਪਾਹੀਆਂ ਨੇ ਸੱਪ ਨੂੰ ਮਾਰ ਦਿੱਤਾ ਤੇ ਹਾਰ ਖੋੜ੍ਹ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢ ਲਿਆ।

ਰਾਜਕੁਮਾਰ ਹਾਰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਕੇ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਹੋਇਆ ਕਾਂ ਤੇ ਕਾਉਣੀ ਇਹ ਸਭ ਕੁੱਝ ਦੇਖ ਰਹੇ ਸਨ। ਉਹ ਸੱਪ ਨੂੰ ਮਰਿਆ ਦੇਖ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖ਼ੁਸ਼ ਹੋਏ। ਹੁਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਆਂਡਿਆਂ ਨੂੰ ਕੋਈ ਖ਼ਤਰਾ ਨਹੀਂ ਸੀ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਕਾਂ ਨੇ ਸਿਆਣਪ ਨਾਲ ਆਪਣੇ ਦੁਸ਼ਮਣ ਨੂੰ ਮਾਰ ਮੁਕਾ ਲਿਆ ਤੇ ਦੋਵੇਂ ਸੁਖੀ-ਸੁਖੀ ਰਹਿਣ ਲੱਗੇ !

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਸਿੱਖਿਆ-ਮੁਸੀਬਤ ਸਮੇਂ ਸਿਆਣਪ ਹੀ ਕੰਮ ਆਉਂਦੀ ਹੈ।
ਜਾਂ
ਸਾਨੂੰ ਮੁਸੀਬਤ ਵਿਚ ਘਬਰਾਉਣਾ ਨਹੀਂ ਚਾਹੀਦਾ, ਸਗੋਂ ਸਿਆਣਪ ਤੋਂ ਕੰਮ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।

10. ਇਮਾਨਦਾਰ ਲੱਕੜਹਾਰਾ
ਜਾਂ
ਇਮਾਨਦਾਰੀ ਦਾ ਫਲ ਮਿੱਠਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ

ਇਕ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਇਕ ਗ਼ਰੀਬ ਲੱਕੜਹਾਰਾ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ। ਉਹ ਬਹੁਤ ਇਮਾਨਦਾਰ ਸੀ। ਉਹ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਜੰਗਲ ਵਿਚ ਲੱਕੜਾਂ ਕੱਟਣ ਜਾਂਦਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ। ਇਕ ਦਿਨ ਉਹ ਜੰਗਲ ਵਿਚ ਨਦੀ ਦੇ ਕੰਢੇ ਉੱਤੇ ਪੁੱਜਾ ਅਤੇ ਇਕ ਦਰੱਖ਼ਤ ਨੂੰ ਕੱਟਣ ਲੱਗ ਪਿਆ ਅਜੇ ਉਸ ਨੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਦੇ ਮੁੱਢ ਵਿਚ ਪੰਜ-ਸੱਤ ਕੁਹਾੜੇ ਹੀ ਮਾਰੇ ਸਨ ਕਿ ਉਸ ਦਾ ਕੁਹਾੜਾ ਹੱਥੋਂ ਛੁੱਟ ਕੇ ਨਦੀ ਵਿਚ ਡਿਗ ਪਿਆ। ਨਦੀ ਦਾ ਪਾਣੀ ਬਹੁਤ ਡੂੰਘਾ ਸੀ। ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਨੂੰ ਨਾ ਤਰਨਾ ਆਉਂਦਾ ਸੀ ਤੇ ਨਾ ਚੁੱਭੀ ਲਾਉਣੀ। ਉਹ ਬਹੁਤ ਪਰੇਸ਼ਾਨ ਹੋਇਆ, ਪਰ ਕਰ ਕੁੱਝ ਨਹੀਂ ਸੀ ਸਕਦਾ ਉਹ ਬੈਠ ਕੇ ਰੋਣ ਲੱਗ ਪਿਆ। ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਦਾ ਦੇਵਤਾ ਉਸ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਪ੍ਰਗਟ ਹੋਇਆ ਅਤੇ ਉਸ ਨੇ ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਨੂੰ ਰੋਣ ਦਾ ਕਾਰਨ ਪੁੱਛਿਆ।

ਵਿਚਾਰੇ ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਸਾਰੀ ਦੁੱਖ ਭਰੀ ਕਹਾਣੀ ਸੁਣਾਈ। ਦੇਵਤੇ ਨੇ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਚੁੱਭੀ ਮਾਰੀ ਅਤੇ ਸੋਨੇ ਦਾ ਇਕ ਕੁਹਾੜਾ ਕੱਢ ਲਿਆਂਦਾ। ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਹ ਉਸ ਦਾ ਕੁਹਾੜਾ ਨਹੀਂ, ਇਸ ਕਰਕੇ ਉਹ ਇਹ ਨਹੀਂ ਲਵੇਗਾ।ਦੇਵਤੇ ਨੇ ਫਿਰ ਪਾਣੀ ਵਿਚ ਚੁੱਭੀ ਮਾਰੀ ਤੇ ਚਾਂਦੀ ਦਾ ਇਕ ਕੁਹਾੜਾ ਕੱਢ ਲਿਆਂਦਾ। ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਹ ਵੀ ਉਸ ਦਾ ਕੁਹਾੜਾ ਨਹੀਂ ; ਉਸ ਦਾ ਕੁਹਾੜਾ ਲੋਹੇ ਦਾ ਹੈ, ਇਸ ਕਰਕੇ ਉਹ ਚਾਂਦੀ ਦਾ ਕੁੜਾਹਾ ਨਹੀਂ ਲਵੇਗਾ।

ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਦੇਵਤੇ ਨੇ ਤੀਜੀ ਵਾਰੀ ਚੁੱਭੀ ਮਾਰੀ ਅਤੇ ਲੋਹੇ ਦਾ ਕੁਹਾੜਾ ਕੱਢ ਲਿਆਂਦਾ। ਲੱਕੜਹਾਰਾ ਆਪਣਾ ਕੁਹਾੜਾ ਦੇਖ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਹੋਇਆ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਇਹ ਹੀ ਮੇਰਾ ਕੁਹਾੜਾ ਹੈ। ਮੈਨੂੰ ਇਹ ਦੇ ਦੇਵੋ।” ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਦੀ ਇਮਾਨਦਾਰੀ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਪਾਣੀ ਦਾ ਦੇਵਤਾ ਬਹੁਤ ਖ਼ੁਸ਼ ਹੋਇਆ ਅਤੇ ਉਸ ਨੇ ਲੱਕੜਹਾਰੇ ਨੂੰ ਬਾਕੀ ਦੋਨੋਂ ਕੁਹਾੜੇ ਵੀ ਇਨਾਮ ਵਜੋਂ ਦੇ ਦਿੱਤੇ।

ਸਿੱਖਿਆ-ਇਮਾਨਦਾਰੀ ਦਾ ਫਲ ਮਿੱਠਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

11. ਸ਼ੇਰ ਅਤੇ ਚੂਹੀ

ਇਕ ਦਿਨ ਬਹੁਤ ਗਰਮੀ ਸੀ। ਇਕ ਸ਼ੇਰ ਇਕ ਦਰੱਖ਼ਤ ਦੀ ਛਾਂ ਹੇਠ ਸੁੱਤਾ ਪਿਆ ਸੀ। ਨੇੜੇ ਹੀ ਇਕ ਖੁੱਡ ਵਿਚ ਇਕ ਚੂਹੀ ਰਹਿੰਦੀ ਸੀ। ਚੂਹੀ ਆਪਣੀ ਖੁੱਡ ਵਿਚੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲੀ ਅਤੇ ਸ਼ੇਰ ਦੇ ਉੱਪਰ ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਟੱਪਣ ਲੱਗੀ। ਸ਼ੇਰ ਨੂੰ ਜਾਗ ਆ ਗਈ। ਉਸ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਗੁੱਸਾ ਆਇਆ। ਉਸ ਨੇ ਚੂਹੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪੰਜੇ ਵਿਚ ਫੜ ਲਿਆ। ਉਹ ਚੂਹੀ ਨੂੰ ਮਾਰਨ ਹੀ ਲੱਗਾ ਸੀ ਕਿ ਚੂਹੀ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੇਰੇ ਤੇ ਰਹਿਮ ਕਰੋ, ਮੈਥੋਂ ਭੁੱਲ ਹੋ ਗਈ ਹੈ। ਕਦੇ ਸਮਾਂ ਆਇਆ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਤੁਹਾਡੀ ਮਿਹਰਬਾਨੀ ਦਾ ਬਦਲਾ ਚੁਕਾਵਾਂਗੀ।” ਸ਼ੇਰ ਨੇ ਉਸ ਉੱਤੇ ਤਰਸ ਖਾਧਾ ਅਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਛੱਡ ਦਿੱਤਾ। ਕੁੱਝ ਦਿਨਾਂ ਮਗਰੋਂ ਇਕ ਸ਼ਿਕਾਰੀ ਨੇ ਸ਼ੇਰ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਜਾਲ ਵਿਚ ਫਸਾ ਲਿਆ ਸ਼ੇਰ ਨੇ ਜਾਲ ਵਿਚੋਂ ਨਿਕਲਣ ਲਈ ਬਹੁਤ ਹੱਥ-ਪੈਰ ਮਾਰੇ, ਪਰ ਵਿਅਰਥ। ਉਹ ਦੁੱਖ ਨਾਲ ਗਰਜਣ ਲੱਗਾ। ਉਸ ਦੀ ਅਵਾਜ਼ ਚੂਹੀ ਦੇ ਕੰਨੀਂ ਪਈ।

ਚੂਹੀ ਆਪਣੀ ਖੁੱਡ ਵਿਚੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲੀ। ਉਸ ਨੇ ਜਾਲ ਦੀਆਂ ਰੱਸੀਆਂ ਨੂੰ ਟੁੱਕਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਜਲਦੀ ਹੀ ਸ਼ੇਰ ਜਾਲ ਵਿਚੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲ ਆਇਆ। ਉਸ ਨੇ ਚੂਹੀ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦ ਕੀਤਾ।

ਸਿੱਟਾ-ਅੰਤ ਭਲੇ ਦਾ ਭਲਾ।

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12. ਬਾਂਦਰ ਤੇ ਮਗਰਮੱਛ

ਇਕ ਦਰਿਆ ਦੇ ਕੰਢੇ ਉੱਤੇ ਇਕ ਭਾਰਾ ਜਾਮਣ ਦਾ ਦਰੱਖ਼ਤ ਸੀ। ਉਸਨੂੰ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਕਾਲੀਆਂ ਸ਼ਾਹ ਜਾਮਣਾਂ ਲੱਗੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਸਨ। ਉਸ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਇਕ ਬਾਂਦਰ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ, ਜੋ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਰੱਜ-ਰੱਜ ਜਾਮਣਾਂ ਖਾਂਦਾ ਸੀ। ਇਕ ਦਿਨ ਇਕ ਮਗਰਮੱਛ ਦਰਿਆ ਹੇਠ ਤੁਰਦਾ-ਤੁਰਦਾ ਜਾਮਣ ਦੇ ਰੁੱਖ ਹੇਠ ਆ ਗਿਆ ਤੇ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲ ਕੇ ਧੁੱਪ ਸੇਕਣ ਲੱਗਾ। ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਉਸਦੀ ਨਜ਼ਰ ਬਾਂਦਰ ਉੱਤੇ ਪਈ, ਜੋ ਕਿ ਜਾਮਣ ਦੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਜਾਮਣਾਂ ਖਾਂਦਾ ਤੇ ਟਪੂਸੀਆਂ ਮਾਰਦਾ ਸੀ। ਮਗਰਮੱਛ ਵੀ ਲਲਚਾਈਆਂ ਅੱਖਾਂ ਨਾਲ ਉਸ ਵਲ ਵੇਖਣ ਲੱਗ ਪਿਆ ਬਾਂਦਰ ਨੇ ਉਸ ਵਲ ਕੁੱਝ ਜਾਮਣਾਂ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤੀਆਂ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਖਾ ਕੇ ਉਹ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਹੋਇਆ। ਉਸਨੇ ਕੁੱਝ ਜਾਮਣਾਂ ਆਪਣੀ ਘਰ ਵਾਲੀ ਲਈ ਵੀ ਰੱਖ ਲਈਆਂ।

ਬਾਂਦਰ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਕਰਕੇ ਉਹ ਜਾਮਣਾਂ ਲੈ ਕੇ ਘਰ ਵੱਲ ਚਲ ਪਿਆ ! ਘਰ ਪਹੁੰਚ ਕੇ ਉਸਨੇ ਮਗਰਮੱਛਣੀ ਨੂੰ ਜਾਮਣਾਂ ਖੁਆਈਆਂ ਤੇ ਉਹ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਹੋਈ। ਹੁਣ ਮਗਰਮੱਛ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਜਾਮਣ ਦੇ ਰੁੱਖ ਹੇਠ ਆ ਜਾਂਦਾ ਤੇ ਬਾਂਦਰ ਉਸਦੇ ਖਾਣ ਲਈ ਜਾਮਣਾਂ ਸੁੱਟਦਾ। ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੋਹਾਂ ਦੀ ਖੂਬ ਦੋਸਤੀ ਪੈ ਗਈ।

ਮਗਰਮੱਛ ਕੁੱਝ ਜਾਮਣਾਂ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਲਿਜਾ ਕੇ ਆਪਣੀ ਘਰਵਾਲੀ ਨੂੰ ਦਿੰਦਾ ਸੀ ਤੇ ਉਹ ਖਾ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖ਼ੁਸ਼ ਹੁੰਦੀ ਸੀ। ਉਸਨੂੰ ਮਹਿਸੂਸ ਹੋਇਆ ਕਿ ਜਿਹੜਾ ਬਾਂਦਰ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਇੰਨੀਆਂ ਸੁਆਦੀ ਜਾਮਣਾਂ ਖਾਂਦਾ ਹੈ, ਉਸਦਾ ਕਲੇਜਾ ਵੀ ਜ਼ਰੂਰ ਬਹੁਤ ਸੁਆਦ ਹੋਵੇਗਾ।ਉਹ ਮਗਰਮੱਛ ਦੇ ਖਹਿੜੇ ਪਈ ਰਹਿੰਦੀ ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੇ ਦੋਸਤ ਨੂੰ ਘਰ ਲਿਆਵੇ, ਕਿਉਂਕਿ ਉਹ ਉਸਦਾ ਕਲੇਜਾ ਖਾਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਮਗਰਮੱਛ ਆਪਣੇ ਦੋਸਤ ਨਾਲ ਧੋਖਾ ਨਹੀਂ ਸੀ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਪਰ ਘਰਵਾਲੀ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਿੱਦ ਪਈ ਹੋਈ ਸੀ ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੇ ਦੋਸਤ ਨੂੰ ਘਰ ਲੈ ਕੇ ਆਵੇ।

ਹਾਰ ਕੇ ਮਗਰਮੱਛ ਨੇ ਬਾਂਦਰ ਨੂੰ ਘਰ ਲਿਆਉਣ ਦਾ ਇਰਾਦਾ ਕਰ ਲਿਆ। ਉਹ ਜਾਮਣ ਹੇਠ ਪੁੱਜਾ ਤੇ ਬਾਂਦਰ ਦੀਆਂ ਸੁੱਟੀਆਂ ਜਾਮਣਾਂ ਖਾਣ ਮਗਰੋਂ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, ਦੋਸਤਾਂ ਤੂੰ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਮੈਨੂੰ ਮਿੱਠੀਆਂ ਜਾਮਣਾਂ ਖੁਆਉਂਦਾ ਹੈਂ ਤੇ ਮੇਰੀ ਘਰਵਾਲੀ ਵੀ ਖਾਂਦੀ ਹੈ। ਉਹ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਮੇਰੇ ਨਾਲ ਘਰ ਚਲੇਂ,ਤਾਂ ਜੋ ਤੇਰਾ ਸ਼ੁਕਰੀਆ ਅਦਾ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕੇ।”

ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਬਾਂਦਰ ਝੱਟ ਤਿਆਰ ਹੋ ਗਿਆ। ਮਗਰਮੱਛ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਪਿੱਠ ਤੇ ਬਿਠਾ ਲਿਆ ਤੇ ਦਰਿਆ ਵਿਚ ਤਰਦਾ ਹੋਇਆ ਆਪਣੇ ਘਰ ਵਲ ਚਲ ਪਿਆ। ਅੱਧ ਕੁ ਵਿਚ ਪਹੁੰਚ ਕੇ ਮਗਰਮੱਛ ਨੇ ਬਾਂਦਰ ਨੂੰ ਅਸਲ ਗੱਲ ਦੱਸੀ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਸਦੀ ਘਰਵਾਲੀ ਉਸਦਾ ਦਿਲ ਖਾਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਉਹ ਉਸਨੂੰ ਆਪਣੇ ਘਰ ਲਿਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਬਾਂਦਰ ਬੜਾ ਹੁਸ਼ਿਆਰ ਸੀ। ਉਹ ਮਗਰਮੱਛ ਦੀ ਗੱਲ ਸੁਣ ਕੇ ਹੱਸਿਆ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, ‘ਤੂੰ ਮੈਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਦੱਸਿਆ। ਮੈਨੂੰ ਤੇਰੀ ਗੱਲ ਸੁਣ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ੀ ਹੋਈ ਹੈ ਪਰ ਮੈਂ ਆਪਣਾ ਦਿਲ ਤਾਂ ਜਾਮਣ ਦੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਹੀ ਛੱਡ ਆਇਆ ਹਾਂ। ਦਿਲ ਲੈਣ ਲਈ ਤਾਂ ਸਾਨੂੰ ਵਾਪਸ ਜਾਣਾ ਪਵੇਗਾ।” ਜੇਕਰ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਦਿਲ ਹੀ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗਾ ਤਾਂ ਭਾਬੀ ਖਾਵੇਗੀ ਕੀ।

ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਮਗਰਮੱਛ ਮੁੜ ਉਸਨੂੰ ਜਾਮਣ ਦੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਕੋਲ ਲੈ ਆਇਆ। ਬਾਂਦਰ ਟਪੂਸੀ ਮਾਰ ਕੇ ਜਾਮਣ ਉੱਤੇ ਜਾ ਚੜਿਆ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਤੂੰ ਚੰਗਾ ਦੋਸਤ ਹੈਂ। ਜੋ ਮੇਰੀ ਜਾਨ ਲੈਣੀ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹੈਂ। ਤੇਰੇ ਵਰਗੇ ਦੋਸਤ ਤੋਂ ਤਾਂ ਰੱਬ ਬਚਾਵੇ।’

ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਮਗਰਮੱਛ ਸ਼ਰਮਿੰਦਾ ਜਿਹਾ ਹੋ ਗਿਆ। ਉਹ ਆਪਣੀ ਘਰਵਾਲੀ ਦੀ ਗੱਲ ਮੰਨ ਕੇ ਪਛਤਾ ਰਿਹਾ ਸੀ।

ਸਿੱਖਿਆ-ਸੁਆਰਥੀ ਮਿੱਤਰਾਂ ਤੋਂ ਬਚੋ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ (1st Language)

13. ਮਤਲਬੀ ਯਾਰ
ਜਾਂ
ਮਿੱਤਰ ਉਹ ਜੋ ਮੁਸੀਬਤ ਵਿਚ ਕੰਮ ਆਵੇ

ਸੁਰਿੰਦਰ ਅਤੇ ਮਹਿੰਦਰ ਇਕ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ। ਉਹ ਬੜੇ ਪੱਕੇ ਮਿੱਤਰ ਸਨ। ਇਕ ਵਾਰ ਉਹ ਕਿਸੇ ਨੌਕਰੀ ਦੀ ਭਾਲ ਵਿਚ ਘਰੋਂ ਤੁਰ ਪਏ। ਦੋਹਾਂ ਨੇ ਮੁਸ਼ਕਲ ਵਿਚ ਇਕ-ਦੂਜੇ ਦੀ ਮਦਦ ਕਰਨ ਦਾ ਇਕਰਾਰ ਕੀਤਾ ਤੁਰਦੇ-ਤੁਰਦੇ ਉਹ ਇਕ ਜੰਗਲ ਵਿਚ ਜਾ ਪੁੱਜੇ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਵਲ ਇਕ ਜੰਗਲੀ ਰਿੱਛ ਆਉਂਦਾ ਦੇਖਿਆ। ਸੁਰਿੰਦਰ ਇਕ ਦਮ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਗਿਆ ਅਤੇ ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਜਾਨ ਬਚਾ ਲਈ।

ਮਹਿੰਦਰ ਬੜਾ ਪਰੇਸ਼ਾਨ ਹੋਇਆ ਕਿ ਉਹ ਕੀ ਕਰੇ ? ਉਸ ਦਾ ਜੀਵਨ ਖ਼ਤਰੇ ਵਿਚ ਸੀ। ਉਸ ਨੂੰ ਦਰੱਖਤ ‘ਤੇ ਚੜ੍ਹਨਾ ਨਹੀਂ ਸੀ ਆਉਂਦਾ। ਉਸ ਨੇ ਸਮਝ ਤੋਂ ਕੰਮ ਲਿਆ। ਉਹ ਸਾਹ ਘਸੀਟ ਕੇ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਲੰਮਾ ਪੈ ਗਿਆ।

ਗਿੱਛ ਉਸ ਦੇ ਕੋਲ ਪੁੱਜਾ। ਉਸ ਨੇ ਮਹਿੰਦਰ ਨੂੰ ਸੁੰਘਿਆ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਕੰਨ ਨੂੰ ਮੂੰਹ ਲਾ ਕੇ ਦੇਖਿਆ। ਉਸ ਨੇ ਸਮਝਿਆ ਕਿ ਮਹਿੰਦਰ ਮੁਰਦਾ ਹੈ। ਉਹ ਉਸ ਨੂੰ ਛੱਡ ਕੇ ਚਲਾ ਗਿਆ।

ਸੁਰਿੰਦਰ ਦਰੱਖ਼ਤ ਤੋਂ ਉਤਰਿਆ। ਉਹ ਮਹਿੰਦਰ ਨੂੰ ਪੁੱਛਣ ਲੱਗਾ, “ਰਿੱਛ ਨੇ ਤੇਰੇ ਕੰਨ ਵਿਚ ਕੀ ਕਿਹਾ ਸੀ ? ‘ ਮਹਿੰਦਰ ਨੇ ਇਕ ਦਮ ਉੱਤਰ ਦਿੱਤਾ, “ਰਿੱਛ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਨਸੀਹਤ ਦਿੰਦਿਆਂ ਕਿਹਾ ਸੀ ਕਿ ਮਤਲਬੀ ਮਿੱਤਰਾਂ ਤੋਂ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਦੂਰ ਰਹਿਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਸੁਰਿੰਦਰ ਬਹੁਤ ਸ਼ਰਮਿੰਦਾ ਹੋਇਆ ! ਮਹਿੰਦਰ ਨੇ ਉਸ ਦੀ ਮਿੱਤਰਤਾ ਦਾ ਸਦਾ ਲਈ ਤਿਆਗ ਕਰ ਦਿੱਤਾ।

ਸਿੱਖਿਆ-“ਮਿੱਤਰ ਉਹ, ਜੋ ਮੁਸੀਬਤ ਵਿਚ ਕੰਮ ਆਵੇ।

14. ਲੂੰਬੜੀ ਤੇ ਖੱਟੇ ਅੰਗੂਰ
ਜਾਂ
ਦਾਖੇ ਹੱਥ ਨਾ ਅੱਪੜੇ, ਆਖੇ ਬੂਹ ਕੌੜੀ

ਇਕ ਦਿਨ ਬੜੀ ਗਰਮੀ ਸੀ। ਇਕ ਲੂੰਬੜੀ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਭੁੱਖ ਲੱਗੀ, ਪਰ ਉਸ ਨੂੰ ਇਧਰੋਂ-ਉਧਰੋਂ ਖਾਣ ਲਈ ਕੁੱਝ ਨਾ ਮਿਲਿਆ। ਉਹ ਖ਼ੁਰਾਕ ਦੀ ਭਾਲ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਦੂਰ ਨਿਕਲ ਗਈ। ਅੰਤ ਉਹ ਇਕ ਛਾਂ ਵਾਲੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਹੇਠ ਪੁੱਜੀ। ਉਹ ਉਸ ਦੀ ਛਾਂ ਹੇਠ ਲੰਮੀ ਪੈ ਗਈ।

ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਲੰਬੜੀ ਦੀ ਨਿਗਾਹ ਉੱਪਰ ਪਈ। ਉਸ ਨੇ ਦੇਖਿਆ ਕਿ ਅੰਗੂਰਾਂ ਦੀ ਵੇਲ ਨਾਲ ਪੱਕੇ ਹੋਏ ਅੰਗੂਰਾਂ ਦੇ ਗੁੱਛੇ ਲਮਕ ਰਹੇ ਹਨ। ਉਸ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਭਰ ਆਇਆ। ਉਸ ਨੇ ਉੱਛਲ ਕੇ ਅੰਗੂਰ ਤੋੜਨ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ, ਪਰ ਅੰਗੁਰ ਬਹੁਤ ਉੱਚੇ ਸਨ। ਉਸ ਨੇ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਛਾਲਾਂ ਮਾਰੀਆਂ, ਪਰ ਵਿਅਰਥ ! ਅੰਤ ਉਹ ਨਫ਼ਰਤ ਨਾਲ ਇਹ ਕਹਿੰਦੀ ਹੋਈ ਅੱਗੇ ਤੁਰ ਪਈ ‘‘ਅੰਗੂਰ ਖੱਟੇ ਹਨ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ (1st Language)

15. ਸੋਨੇ ਦੇ ਆਂਡੇ ਦੇਣ ਵਾਲੀ ਮੁਰਗੀ
ਜਾਂ
ਲਾਲਚ ਬੁਰੀ ਬਲਾ ਹੈ

ਇਕ ਆਦਮੀ ਕੋਲ ਇਕ ਬੜੀ ਅਦਭੁਤ ਮੁਰਗੀ ਹੁੰਦੀ ਸੀ। ਉਹ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸੋਨੇ ਦਾ ਇਕ ਆਂਡਾ ਦਿੰਦੀ ਹੁੰਦੀ ਸੀ। ਉਹ ਆਦਮੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਆਂਡਿਆਂ ਨੂੰ ਵੇਚ-ਵੇਚ ਕੇ ਥੋੜੇ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਹੀ ਬਹੁਤ ਅਮੀਰ ਹੋ ਗਿਆ, ਪਰੰਤੂ ਉਹ ਬਹੁਤ ਲਾਲਚੀ ਆਦਮੀ ਸੀ। ਉਹ ਮੁਰਗੀ ਦੇ ਇਕ ਆਂਡੇ ਨਾਲ ਸੰਤੁਸ਼ਟ ਨਹੀਂ ਸੀ। ਉਹ ਚਾਹੁੰਦਾ ਸੀ ਕਿ ਝਟਪਟ ਕਾਰਾਂ, ਕੋਠੀਆਂ ਤੇ ਕਾਰਖਾਨਿਆਂ ਦਾ ਮਾਲਕ ਬਣ ਜਾਵੇ।ਉਹ ਰਾਤ-ਦਿਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਦੇ ਸਾਧਨਾਂ ਬਾਰੇ ਤਰੀਕੇ ਸੋਚਦਾ ਰਹਿੰਦਾ, ਪਰੰਤੂ ਮੂਰਖ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਉਹ ਧਨ ਕਮਾਉਣ ਦੇ ਢੰਗ-ਤਰੀਕੇ ਨਹੀਂ ਸੀ ਸੋਚ ਸਕਦਾ।

ਇਕ ਦਿਨ ਉਸ ਨੇ ਸੋਚਿਆ ਕਿਉਂ ਨਾ ਉਹ ਮੁਰਗੀ ਦਾ ਢਿੱਡ ਚੀਰ ਕੇ ਉਸ ਵਿਚੋਂ ਸੋਨੇ ਦੇ ਸਾਰੇ ਆਂਡੇ ਇੱਕੋ ਵਾਰੀ ਹੀ ਕੱਢ ਲਵੇ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਉਹ ਇਕੋ ਦਿਨ ਵਿਚ ਹੀ ਬੇਹੱਦ ਅਮੀਰ ਬਣ ਜਾਵੇਗਾ ਅਤੇ ਆਰਾਮ ਤੇ ਮਾਣ ਦਾ ਜੀਵਨ ਜੀਵੇਗਾ। ਉਸ ਨੇ ਇਕ ਤੇਜ਼ ਛੁਰੀ ਚੁੱਕੀ ਅਤੇ ਮੁਰਗੀ ਦੇ ਮਗਰ ਦੌੜ ਪਿਆ। ਛੇਤੀ ਹੀ ਮੁਰਗੀ ਉਸ ਦੇ ਹੱਥ ਆ ਗਈ। ਉਸ ਨੇ ਇਕ ਦਮ ਛੁਰੀ ਮਾਰ ਕੇ ਉਸ ਦਾ ਢਿੱਡ ਪਾੜ ਦਿੱਤਾ, ਪਰੰਤੂ ਉਸ ਨੂੰ ਢਿੱਡ ਵਿਚੋਂ ਸਿਵਾਏ ਖੂਨ ਦੇ ਹੋਰ ਕੁੱਝ ਵੀ ਨਾ ਮਿਲਿਆ। ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਮੁਰਗੀ ਮਰ ਗਈ। ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉਹ ਮੂਰਖ ਲਾਲਚ ਵਿਚ ਫਸ ਕੇ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਮਿਲਣ ਵਾਲੇ ਸੋਨੇ ਦੇ ਆਂਡੇ ਤੋਂ ਹੱਥ ਧੋ ਬੈਠਾ।

ਸਿੱਖਿਆ-ਲਾਲਚ ਬੁਰੀ ਬਲਾ ਹੈ।

16. ਖ਼ਰਗੋਸ਼ ਤੇ ਕੱਛੂਕੁੰਮਾ
ਜਾਂ
ਸਹਿਜ ਪੱਕੇ ਸੋ ਮੀਠਾ ਹੋਏ

ਇਕ ਜੰਗਲ ਵਿਚ ਇਕ ਖ਼ਰਗੋਸ਼ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ। ਉਸ ਦੇ ਘਰ ਦੇ ਨੇੜੇ ਹੀ ਇਕ ਛੱਪੜ ਵਿਚ ਇਕ ਕੱਛੂਕੁੰਮਾ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ। ਖ਼ਰਗੋਸ਼ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਤੇਜ਼ ਚਾਲ ਉੱਤੇ ਬੜਾ ਮਾਣ ਸੀ। ਉਹ ਕੱਛੂਕੁੰਮੇ ਦੀ ਹੌਲੀ ਚਾਲ ਦਾ ਬੜਾ ਮਖੌਲ ਉਡਾਉਂਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ ਕੱਛੁਕੁੰਮੇ ਨੂੰ ਖ਼ਰਗੋਸ਼ ਦਾ ਇਹ ਮਖੌਲ ਬਹੁਤ ਬੁਰਾ ਲਗਦਾ ਸੀ। ਇਕ ਦਿਨ ਉਸ ਨੇ ਖ਼ਰਗੋਸ਼ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਦੌੜ ਵਿਚ ਉਸ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰ ਕੇ ਵੇਖੇ। ਖ਼ਰਗੋਸ਼ ਨੇ ਇਹ ਗੱਲ ਝਟਪਟ ਮੰਨ ਲਈ। ਦੋਵੇਂ ਦੌੜ ਲਾਉਣ ਲਈ ਤਿਆਰ ਹੋ ਗਏ।

ਦੋਹਾਂ ਨੇ ਜਿੱਥੇ ਪਹੁੰਚਣਾ ਸੀ, ਉਹ ਥਾਂ ਮਿੱਥ ਲਈ ਗਈ। ਖ਼ਰਗੋਸ਼ ਬਹੁਤ ਤੇਜ਼ ਦੌੜਿਆ। ਉਹ ਕੱਛੂਕੁੰਮੇ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਪਿੱਛੇ ਛੱਡ ਗਿਆ। ਕਾਫ਼ੀ ਅੱਗੇ ਜਾ ਕੇ ਉਸ ਨੇ ਆਰਾਮ ਕਰਨਾ ਚਾਹਿਆ। ਉਸ ਦਾ ਖ਼ਿਆਲ ਸੀ ਕਿ ਸੁਸਤ ਚਾਲ ਵਾਲਾ ਕੱਛੁਕੁੰਮਾ ਉਸ ਨਾਲੋਂ ਕਦੇ ਵੀ ਅੱਗੇ ਨਹੀਂ ਲੰਘ ਸਕਦਾ।ਉਹ ਇਕ ਦਰੱਖ਼ਤ ਦੀ ਸੰਘਣੀ ਛਾਂ ਹੇਠ ਲੇਟ ਗਿਆ ਅਤੇ ਘੂਕ ਨੀਂਦੇ ਸੌਂ ਗਿਆ। ਕੱਛੂਕੁੰਮੇ ਨੇ ਆਪਣੀ ਦੌੜ ਜਾਰੀ ਰੱਖੀ। ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਉਸ ਨੇ ਖ਼ਰਗੋਸ਼ ਨੂੰ ਸੁੱਤਾ ਪਿਆ ਦੇਖਿਆ। ਉਸ ਨੇ ਆਰਾਮ ਨਾ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਅੱਗੇ ਚਲਦਾ ਗਿਆ।

ਤ੍ਰਿਕਾਲਾਂ ਪੈਣ ‘ਤੇ ਖ਼ਰਗੋਸ਼ ਸੁੱਤਾ ਉੱਠਿਆ। ਉਹ ਤੇਜ਼ ਦੌੜਿਆ ਅਤੇ ਝਟ-ਪਟ ਨਿਸ਼ਾਨੇ ਉੱਤੇ ਪੁੱਜ ਗਿਆ, ਪਰ ਕੱਛੁਕੁੰਮਾ ਉਸ ਤੋਂ ਵੀ ਪਹਿਲਾਂ ਉੱਥੇ ਪੁੱਜ ਚੁੱਕਾ ਸੀ ਕੱਛੂਕੁੰਮਾ ਦੌੜ ਜਿੱਤ ਗਿਆ ਅਤੇ ਖ਼ਰਗੋਸ਼ ਬਹੁਤ ਸ਼ਰਮਿੰਦਾ ਹੋਇਆ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਸਿੱਖਿਆ-ਸਹਿਜ ਪੱਕੇ ਸੋ ਮੀਠਾ ਹੋਏ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

Punjab State Board PSEB 7th Class Punjabi Book Solutions Punjabi Rachana Chithi Patara ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB 7th Class Punjabi Rachana ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

1. ਹੋਸਟਲ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਆਪਣੇ ਛੋਟੇ ਭਰਾ ਨੂੰ ਇਮਤਿਹਾਨਾਂ ਦੀ ਤਿਆਰੀ ਲਈ ਹਦਾਇਤ ਕਰੋ।

11 ਇਸਲਾਮਾਬਾਦ,
ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ।
15 ਜਨਵਰੀ, 20….
ਪਿਆਰੇ ਜੁਗਰਾਜ,

ਮਿੱਠੀਆਂ ਯਾਦਾਂ।
ਆਸ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਬਿਲਕੁਲ ਰਾਜੀ-ਖੁਸ਼ੀ ਹੋਵੇਂਗਾ। ਮੈਂ ਕੁੱਝ ਦਿਨਾਂ ਤੋਂ ਤੈਨੂੰ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖਣ ਬਾਰੇ ਸੋਚ ਰਿਹਾ ਸਾਂ ਕਿਉਂਕਿ ਮੈਨੂੰ ਮਾਰਚ ਵਿਚ ਆ ਰਹੇ ਤੇਰੇ ਸਾਲਾਨਾ ਇਮਤਿਹਾਨਾਂ ਦਾ ਬਹੁਤ ਫ਼ਿਕਰ ਹੈ। ਮੈਨੂੰ ਪਤਾ ਹੈ ਕਿ ਬੀਤੇ ਅਕਤੂਬਰ ਵਿਚ ਤੇਰੇ ਡੇਂਗੂ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੋਣ ਕਰ ਕੇ ਤੇਰੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਬਹੁਤ ਪਛੜ ਗਈ ਸੀ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਦਸੰਬਰ ਟੈਸਟ ਵਿਚ ਤੇਰੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਵਿਚ ਤੇ ਗਣਿਤ ਵਿਚ ਨੰਬਰ ਮਸਾਂ ਪਾਸ ਹੋਣ ਜੋਗੇ ਹੀ ਆਏ ਸਨ। ਮੈਂ ਤੈਨੂੰ ਇਸ ਚਿੱਠੀ ਰਾਹੀਂ ਇਹੋ ਕਹਿਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਅਜੇ ਤੇਰੇ ਸਾਲਾਨਾ ਇਮਤਿਹਾਨ ਵਿਚ ਦੋ ਮਹੀਨੇ ਪਏ ਹਨ। ਤੈਨੂੰ ਬੀਤੇ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਪਛੜੀ ਆਪਣੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਨੂੰ ਪੂਰੀ ਕਰਨ ਲਈ ਦਿਨ-ਰਾਤ ਇਕ ਕਰ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।

ਇਸ ਲਈ ਤੈਨੂੰ ਹੋਸਟਲ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦਿਆਂ ਨਾ ਦੋਸਤਾਂ ਮਿੱਤਰਾਂ ਨਾਲ, ਨਾ ਹੀ ਟੈਲੀਵਿਯਨ ਦੇਖਣ ਜਾਂ ਮੋਬਾਈਲ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨ ਵਿਚ ਆਪਣਾ ਸਮਾਂ ਬਰਬਾਦ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਤੇ ਨਾ ਹੀ ਖੇਡਾਂ ਖੇਡਣ ਵਿਚ। ਤੈਨੂੰ ਲਗਾਤਾਰ ਸਿਰ ਸੁੱਟ ਕੇ ਪੜ੍ਹਾਈ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਉਦੇਸ਼ ਲਈ ਤੈਨੂੰ ਦਿਨ-ਰਾਤ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦੀ ਵੰਡ ਕਰ ਲੈਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਤੇ ਸੌਣ, ਪੜ੍ਹਾਈ ਕਰਨ ਤੇ ਕਸਰਤ ਕਰਨ ਲਈ ਸਮਾਂ ਨਿਸਚਿਤ ਕਰ ਕੇ ਸਖ਼ਤੀ ਨਾਲ ਉਸ ਅਨੁਸਾਰ ਸਾਰੇ ਕੰਮ ਕਰਨੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ।

ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਜਿਹੜੀ ਸਮਝ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦੀ, ਉਹ ਅਧਿਆਪਕ ਜਾਂ ਕਿਸੇ ਹੁਸ਼ਿਆਰ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਨਾਲ ਸਮਝ ਲੈਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ। ਮੈਨੂੰ ਉਮੀਦ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਮੇਰੀਆਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਾਰੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਧਿਆਨ ਵਿਚ ਰੱਖਦਿਆਂ ਡਟ ਕੇ ਮਿਹਨਤ ਕਰੇਂਗਾ ਤੇ ਸਾਲਾਨਾ ਇਮਤਿਹਾਨਾਂ ਵਿਚ ਚੰਗੇ ਨੰਬਰ ਲੈ ਕੇ ਪਾਸ ਹੋਵੇਂਗਾ। ਤੂੰ ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਮੈਨੂੰ ਹਰ ਹਫ਼ਤੇ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖ ਕੇ ਦਸਦਾ ਰਹੀਂ ਕਿ ਤੂੰ ਕਿੰਨੀ ਕੁ ਮਿਹਨਤ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈਂ।

ਤੇਰਾ ਵੱਡਾ ਵੀਰ,
ਉ.ਅ.ਬ.

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

2. ਤੁਹਾਡੇ ਮਾਮਾ (ਚਾਚਾ) ਜੀ ਨੇ ਤੁਹਾਡੇ ਜਨਮ-ਦਿਨ ‘ਤੇ ਤੁਹਾਨੂੰ ਇਕ ਗੁੱਟ-ਘੜੀ ਭੇਜੀ ਹੈ। ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਰਾਹੀਂ ਉਹਨਾਂ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਕਰੋ।

ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
………. ਸਕੂਲ,
……… ਸ਼ਹਿਰ !
16 ਜਨਵਰੀ, 20…..

ਸਤਿਕਾਰਯੋਗ ਮਾਮਾ ਜੀ,

ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ।
ਮੈਨੂੰ ਕਲ੍ਹ ਆਪਣੇ ਜਨਮ-ਦਿਨ ‘ਤੇ ਤੁਹਾਡੀ ਭੇਜੀ ਹੋਈ ਗੁੱਟ-ਘੜੀ ਮਿਲ ਗਈ ਹੈ। ਇਹ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸੋਹਣੀ ਹੈ। ਮੈਨੂੰ ਇਸ ਦੀ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰਤ ਸੀ। ਮੇਰੇ ਮਿੱਤਰਾਂ ਨੇ ਇਸ ਦੀ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਸੰਸਾ ਕੀਤੀ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਮੇਰਾ ਜੀਵਨ ਨਿਯਮਬੱਧ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ ਤੇ ਮੈਂ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਲ ਵਧੇਰੇ ਧਿਆਨ ਦੇ ਸਕਾਂਗਾ। ਮੈਂ ਆਪ ਵਲੋਂ ਭੇਜੇ ਇਸ ਤੋਹਫ਼ੇ ਲਈ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦ ਕਰਦਾ ਹਾਂ।

ਆਪ ਦਾ ਭਾਣਜਾ,
ਸੁਰਜੀਤ ਸਿੰਘ।

ਟਿਕਟ
ਸ: ਗੁਰਦੀਪ ਸਿੰਘ, 20, ਮਾਡਲ ਟਾਊਨ, ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ।

3. ਆਪਣੇ ਜਨਮ-ਦਿਨ ਉੱਤੇ ਆਪਣੇ ਚਾਚੇ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਨੂੰ ਸੱਦਾ-ਪੱਤਰ ਭੇਜੋ।

28, ਸੈਂਟਰਲ ਟਾਊਨ,
ਸੋਨੀਪਤ।
8 ਜਨਵਰੀ, 20…..

ਪਿਆਰੇ ਸਤੀਸ਼,
ਤੈਨੂੰ ਇਹ ਜਾਣ ਕੇ ਬੜੀ ਖੁਸ਼ੀ ਹੋਵੇਗੀ ਕਿ 11 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਮੇਰਾ 11ਵਾਂ ਜਨਮ-ਦਿਨ ਹੈ ਅਤੇ ਮੈਂ ਇਸ ਦਿਨ ਉੱਤੇ ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰਾਂ ਤੇ ਭਰਾਵਾਂ ਨੂੰ ਚਾਹ ਦੀ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਰਿਹਾ ਹਾਂ। ਇਸ ਲਈ ਮੈਂ ਤੈਨੂੰ ਇਸ ਦਿਨ ਆਪਣੇ ਜਨਮ-ਦਿਨ ਦੀ ਚਾਹ-ਪਾਰਟੀ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹੋਣ ਲਈ ਸੱਦਾ ਦੇ ਰਿਹਾ ਹਾਂ। ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਛੋਟੇ ਭਰਾ ਨੂੰ ਨਾਲ ਲੈ ਕੇ 4 ਵਜੇ ਬਾਅਦ ਦੁਪਹਿਰ ਸਾਡੇ ਘਰ ਜ਼ਰੂਰ ਪੁੱਜ ਜਾਵੀਂ। ਆਸ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਮੈਨੂੰ ਨਿਰਾਸ਼ ਨਹੀਂ ਕਰੇਂਗਾ। ਮੇਰੇ ਵਲੋਂ ਚਾਚਾ ਜੀ ਤੇ ਚਾਚੀ ਜੀ ਨੂੰ ਪ੍ਰਣਾਮ। ਸ਼ੁੱਭ ਇੱਛਾਵਾਂ ਸਹਿਤ।

ਤੇਰਾ ਵੀਰ,
ਅਰੁਣ ਕੁਮਾਰ

ਕੁਟਤੇ
ਸ਼ਤੀਸ਼ ਕੁਮਾਰ, 9208, ਸੈਕਟਰ 26A, ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

4. ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੂੰ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖ ਕੇ ਦੱਸੋ ਕਿ ਤੁਹਾਡੇ ਇਮਤਿਹਾਨ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਹੋਏ ਹਨ। ਤੁਹਾਡੇ ਪਿਤਾ ਦਾ ਨਾਂ ਸ: ਦਰਸ਼ਨ ਸਿੰਘ ਹੈ ਅਤੇ ਉਹ 201, ਪ੍ਰੋਫ਼ੈਸਰਜ਼ ਕਾਲੋਨੀ ਜਮਨਾਨਗਰ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ।

ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ॥
ਗੌਰਮਿੰਟ ਮਾਡਲ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ,
ਲੁਧਿਆਣਾ
28 ਫ਼ਰਵਰੀ, 20…

ਸਤਿਕਾਰਯੋਗ ਪਿਤਾ ਜੀ,

ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ।
ਕੁੱਝ ਦਿਨ ਹੋਏ ਮੈਨੂੰ ਆਪ ਦੀ ਚਿੱਠੀ ਮਿਲੀ, ਪਰ ਮੈਂ ਉਸ ਦਾ ਜਵਾਬ ਇਸ ਕਰਕੇ ਨਹੀਂ ਦੇ ਸਕਿਆ, ਕਿਉਂਕਿ ਮੇਰੇ ਇਮਤਿਹਾਨ ਹੋ ਰਹੇ ਸਨ।

ਤੁਸੀਂ ਆਪਣੀ ਚਿੱਠੀ ਵਿਚ ਮੈਨੂੰ ਮੇਰੇ ਪੇਪਰਾਂ ਬਾਰੇ ਪੁੱਛਿਆ ਹੈ। ਐਤਕੀਂ ਸਾਨੂੰ ਪੇਪਰ ਕੁੱਝ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਆਏ ਸਨ, ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਮੇਰੇ ਸਾਰੇ ਪੇਪਰ ਕਾਫ਼ੀ ਚੰਗੇ ਹੋ ਗਏ ਹਨ। ਸਮਾਜਿਕ ਦਾ ਪੇਪਰ ਕੁੱਝ ਜ਼ਿਆਦਾ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਸੀ, ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਮੇਰਾ ਇਹ ਪੇਪਰ ਚੰਗਾ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ। ਤੁਹਾਨੂੰ ਇਹ ਤਾਂ ਪਤਾ ਹੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਨੂੰ ਹਿਸਾਬ ਘੱਟ ਆਉਂਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਮੈਨੂੰ ਉਮੀਦ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਇਸ ਵਿਚੋਂ ਵੀ 100 ਵਿਚੋਂ 65 ਨੰਬਰ ਜ਼ਰੂਰ ਲੈ ਲਵਾਂਗਾ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਦਾ ਪੇਪਰ ਵੀ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਸੀ, ਪਰ ਚੰਗੀ ਕਿਸਮਤ ਨਾਲ ਉਸ ਵਿਚ ਉਹੀ ਲੇਖ ਤੇ ਕਹਾਣੀ ਆਏ, ਜਿਹੜੇ ਮੈਂ ਇਕ ਰਾਤ ਪਹਿਲਾਂ ਯਾਦ ਕੀਤੇ ਸਨ ਮੇਰਾ ਪੰਜਾਬੀ ਤੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਵਿਚ ਅਨੁਵਾਦ ਸਾਰਾ ਠੀਕ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ।

ਇਹੋ ਜਿਹੇ ਪੇਪਰ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਮੈਨੂੰ ਉਮੀਦ ਹੈ ਕਿ ਮੇਰੀ ਜੇ ਫ਼ਸਟ ਨਹੀਂ, ਤਾਂ ਸੈਕਿੰਡ ਡਿਵੀਜ਼ਨ ਜ਼ਰੂਰ ਆ ਜਾਵੇਗੀ। ਹੁਣ ਮੈਨੂੰ ਨਤੀਜੇ ਦਾ ਇੰਤਜ਼ਾਰ ਹੈ। ਹੋਰ ਕੋਈ ਫ਼ਿਕਰ ਨਹੀਂ ਕਰਨਾ। ਮਾਤਾ ਜੀ ਨੂੰ ਨਮਸਕਾਰ॥

ਤੁਹਾਡਾ ਸਪੁੱਤਰ,
ਹਰਿੰਦਰਪਾਲ ਸਿੰਘ॥

ਟਿਕਟ
ਸ: ਦਰਸ਼ਨ ਸਿੰਘ, 201, ਪ੍ਰੋਫ਼ੈਸਰਜ਼ ਕਾਲੋਨੀ, ਜਮਨਾਨਗਰ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

5. ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸਾਲਾਨਾ ਇਮਤਿਹਾਨ ਵਿਚ ਪਾਸ ਹੋਣ ਦੀ ਖ਼ਬਰ ਦੇਣ ਲਈ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖੋ।
ਜਾਂ
ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਤੋਂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਅਤੇ ਕਾਪੀਆਂ ਖ਼ਰੀਦਣ ਲਈ ਪੈਸੇ ਮੰਗਵਾਉਣ ਲਈ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖੋ।

ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
…….. ਸਕੂਲ,
…….. ਸ਼ਹਿਰ
5 ਅਪਰੈਲ, 20…..

ਸਤਿਕਾਰਯੋਗ ਪਿਤਾ ਜੀ,

ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ।
ਆਪ ਜੀ ਨੂੰ ਇਹ ਜਾਣ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ੀ ਹੋਵੇਗੀ ਕਿ ਮੈਂ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਦਾ ਇਮਤਿਹਾਨ ਪਾਸ ਕਰ ਲਿਆ ਹੈ। ਮੈਂ ਸਾਰੀ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਪਹਿਲੇ ਨੰਬਰ ‘ਤੇ ਰਿਹਾ ਹਾਂ। ਮੈਂ ਹੁਣ ਸੱਤਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚ ਦਾਖ਼ਲ ਹੋਣਾ ਹੈ ਤੇ ਨਵੀਆਂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਤੇ ਕਾਪੀਆਂ ਖ਼ਰੀਦਣੀਆਂ ਹਨ ਆਪ ਜਲਦੀ ਤੋਂ ਜਲਦੀ ਮੈਨੂੰ 1500 ਰੁਪਏ ਭੇਜ ਦੇਵੋ। 15 ਤਰੀਕ ਤੋਂ ਸਾਡੀ ਸੱਤਵੀਂ ਜਮਾਤ ਦੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਰਹੀ ਹੈ। ਮਾਤਾ ਜੀ, ਸੰਦੀਪ ਅਤੇ ਨਵਨੀਤ ਵਲੋਂ ਆਪ ਜੀ ਨੂੰ ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ।

ਆਪ ਦਾ ਸਪੁੱਤਰ,
ਅਰਸ਼ਦੀਪ।

ਟਿਕਟ
ਸ: ਹਰਨੇਕ ਸਿੰਘ, 215, ਸੈਂਟਰਲ ਟਾਊਨ, ਜਲੰਧਰ।

6. ਤੁਹਾਡਾ ਇਕ ਮਿੱਤਰ/ਸਹੇਲੀ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਫੇਲ੍ਹ ਹੋ ਗਿਆ/ਗਈ ਹੈ। ਉਸ ਨੂੰ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਰਾਹੀਂ ਹੌਸਲਾ ਦਿਓ।

ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
………. ਸਕੂਲ,
………. ਸ਼ਹਿਰ।
20 ਅਪਰੈਲ, 20….

ਪਿਆਰੇ ਬਰਜਿੰਦਰ,
ਮੈਨੂੰ ਇਹ ਜਾਣ ਕੇ ਬਹੁਤ ਦੁੱਖ ਹੋਇਆ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਫੇਲ੍ਹ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈਂ। ਮੈਂ ਸਮਝਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਇਸ ਵਿਚ ਤੇਰਾ ਕੋਈ ਕਸੂਰ ਨਹੀਂ। ਤੂੰ ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਦੋ ਮਹੀਨੇ ਬਿਮਾਰ ਰਿਹਾ ਸੀ ਤੇ ਸਕੂਲ ਨਹੀਂ ਸੀ ਜਾ ਸਕਿਆ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਤੇਰੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਬਹੁਤ ਪਛੜ ਗਈ ਸੀ 1 ਜੇਕਰ ਤੂੰ ਬਿਮਾਰ ਨਾ ਹੁੰਦਾ, ਤਾਂ ਤੂੰ ਕਦੇ ਵੀ ਫੇਲ੍ਹ ਨਾ ਹੁੰਦਾ। ਤੈਨੂੰ ਮੇਰੀ ਇਹੋ ਹੀ ਸਲਾਹ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਹੌਸਲਾ ਬਿਲਕੁਲ ਨਾ ਹਾਰ, ਸਗੋਂ ਆਪਣੀ ਸਿਹਤ ਦਾ ਪੂਰਾ-ਪੂਰਾ ਖ਼ਿਆਲ ਰੱਖਦਾ ਹੋਇਆ ਅਗੋਂ ਪੜ੍ਹਾਈ ਨੂੰ ਜਾਰੀ ਰੱਖ। ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਆਉਂਦੀ ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਵਿਚ ਤੂੰ ਜ਼ਰੂਰ ਹੀ ਪਾਸ ਹੋ ਜਾਵੇਂਗਾ।

ਤੇਰਾ ਮਿੱਤਰ,
ਹਰਜਿੰਦਰ

ਟਿਕਟ
ਬਰਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਸਪੁੱਤਰ, — ਸ: ਲਾਲ ਸਿੰਘ, 88, ਫਰੈਂਡਜ਼ ਕਾਲੋਨੀ, ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

7. ਤੁਹਾਡਾ ਮਿੱਤਰ/ਸਹੇਲੀ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਪਾਸ ਹੋ ਗਿਆ/ਗਈ ਹੈ। ਉਸ ਨੂੰ ਇਕ ਵਧਾਈ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
……….ਸਕੂਲ,
……….. ਸ਼ਹਿਰ
28 ਅਪਰੈਲ, 20….

ਪਿਆਰੀ ਕੁਲਵਿੰਦਰ,
ਮੈਨੂੰ ਅੱਜ ਹੀ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦੀ ਚਿੱਠੀ ਮਿਲੀ। ਉਸ ਵਿਚੋਂ ਇਹ ਪੜ੍ਹ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ੀ ਹੋਈ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਸਾਰੀ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਪਹਿਲੇ ਨੰਬਰ ‘ਤੇ ਰਹਿ ਕੇ ਛੇਵੀਂ ਦਾ ਇਮਤਿਹਾਨ ਪਾਸ ਕੀਤਾ ਹੈ। ਮੈਂ ਤੇਰੀ ਸਫਲਤਾ ਉੱਤੇ ਤੈਨੂੰ ਦਿਲੀ ਵਧਾਈ ਭੇਜਦੀ ਹਾਂ। ਆਪ ਦੇ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਨੂੰ ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ।

ਤੇਰੀ ਸਹੇਲੀ,
ਹਰਜੀਤ।

ਟਿਕਟ
ਕੁਲਵਿੰਦਰ ਕੌਰ, ਸਪੁੱਤਰੀ ਸ: ਮਹਿੰਦਰ ਸਿੰਘ, 823, ਹਰਨਾਮਦਾਸ ਪੁਰਾ, ਜਲੰਧਰ

8. ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰ ਨੂੰ ਉਸਦੇ ਜਨਮ-ਦਿਨ ਦੀ ਪਾਰਟੀ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਨਾ ਹੋ ਸਕਣ ਬਾਰੇ ਇਕ ਮੁਆਫ਼ੀ ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

227 ਵਿਜੈ ਨਗਰ,
ਜਲੰਧਰ
18 ਸਤੰਬਰ, 20…..

ਪਿਆਰੇ ਮਨਦੀਪ,
ਆਪ ਨੂੰ ਆਪਦੇ ਜਨਮ-ਦਿਨ ਦੀ ਬਹੁਤ-ਬਹੁਤ ਵਧਾਈ ਹੋਵੇ। ਮੇਰੇ ਵਲੋਂ ਆਪਦੇ ਜਨਮ-ਦਿਨ ਦੀ ਪਾਰਟੀ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਦੀ ਪੂਰੀ ਤਿਆਰੀ ਸੀ, ਪਰੰਤੂ ਅਚਾਨਕ ਦੁਪਹਿਰੇ ਮੇਰੇ ਪੇਟ ਵਿਚ ਦਰਦ ਹੋਣ ਲੱਗ ਪਈ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਉਲਟੀਆਂ ਆਉਣ ਲੱਗ ਪਈਆਂ। ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਨੇ ਇਕਦਮ ਡਾਕਟਰ ਨੂੰ ਬੁਲਾਇਆ, ਜਿਸ ਦੀ ਦਵਾਈ ਨਾਲ ਬੇਸ਼ਕ ਉਲਟੀਆਂ ਵੀ ਰੁਕ ਗਈਆਂ ਤੇ ਦਰਦ ਵੀ ਘਟਣ ਲੱਗ ਪਈ, ਪਰ ਨਾਲ ਹੀ ਮੈਨੂੰ ਨੀਂਦ ਆ ਗਈ।

ਚਾਰ ਘੰਟਿਆਂ ਮਗਰੋਂ ਜਦੋਂ ਮੈਨੂੰ ਜਾਗ ਆਈ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਤੰਦਰੁਸਤ ਸਾਂ, ਪਰ ਆਪ ਵਲੋਂ ਰੱਖੀ ਗਈ ਜਨਮ-ਦਿਨ ਦੀ ਪਾਰਟੀ ਦਾ ਸਮਾਂ ਲੰਘ ਚੁੱਕਾ ਸੀ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਮੇਰਾ ਮਨ ਬਹੁਤ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋਇਆ ਮੈਂ ਇਸ ਪਾਰਟੀ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਨਾ ਹੋ ਸਕਣ ਕਰ ਕੇ ਆਪ ਤੋਂ ਤੇ ਆਪਦੇ ਮਾਤਾ-ਪਿਤਾ ਤੋਂ ਖ਼ਿਮਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹਾਂ। ਮੈਂ ਮਜਬੂਰੀ ਕਾਰਨ ਮੌਕੇ ਸਿਰ ਨਾ ਪਹੁੰਚ ਸਕਿਆ। ਮੈਂ ਕਿਸੇ ਵੇਲੇ ਤੁਹਾਨੂੰ ਸਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਮਿਲਣ ਲਈ ਆਵਾਂਗਾ।

ਆਪ ਦਾ ਮਿੱਤਰ
ਸੁਖ ਜੀਤ॥

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

9. ਆਪਣੇ ਵੱਡੇ ਭਰਾ ਦੀ ਸ਼ਾਦੀ ਉੱਤੇ, ਬਰਾਤ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਲਈ, ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰ/ਸਹੇਲੀ ਨੂੰ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖੋ।

ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
……… ਸਕੂਲ,
……… ਸ਼ਹਿਰ।
8 ਦਸੰਬਰ, 20……

ਪਿਆਰੀ ਅਮਨਦੀਪ,
ਸ਼ੁੱਭ ਇੱਛਾਵਾਂ ! ਤੈਨੂੰ ਪਤਾ ਹੀ ਹੈ ਕਿ ਮੇਰੇ ਵੱਡੇ ਭਰਾ ਦੀ ਸ਼ਾਦੀ 18 ਦਸੰਬਰ, 20…. ਦਿਨ ਐਤਵਾਰ ਨੂੰ ਹੋਣੀ ਨਿਸਚਿਤ ਹੋਈ ਹੈ। ਇਸ ਦਿਨ ਬਰਾਤ ਸਵੇਰੇ 6 ਵਜੇ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਲਈ ਤੁਰੈਗੀ। ਮੈਂ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹਾਂ ਕਿ ਤੂੰ ਬਰਾਤ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਕੇ ਸਾਡੀਆਂ ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਕਰੇਂ। ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਮੰਮੀ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਤੌਰ ਤੇ ਤੈਨੂੰ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖਣ ਲਈ ਕਿਹਾ ਹੈ। ਸੋ ਬਰਾਤ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹੋਣ ਲਈ ਤੂੰ ਇਕ ਰਾਤ ਪਹਿਲਾਂ ਸਾਡੇ ਕੋਲ ਪੁੱਜ ਜਾਵੇਂ, ਤਾਂ ਵਧੇਰੇ ਠੀਕ ਹੈ। ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਤੀਬਰਤਾ ਨਾਲ ਤੇਰੀ ਉਡੀਕ ਕਰਾਂਗੇ।

ਆਪ ਦੀ ਸਹੇਲੀ,
ਮਨਪ੍ਰੀਤ।

ਟਿਕਟ
ਅਮਨਦੀਪ ਕੌਰ, 260ਮਾਡਲ ਟਾਊਨ, ਲੁਧਿਆਣਾ

10. ਤੁਸੀਂ ਹੋਸਟਲ ਵਿਚ ਰਹਿ ਕੇ ਪੜ੍ਹਾਈ ਕਰ ਰਹੇ ਹੋ, ਤੁਹਾਡਾ ਛੋਟਾ ਭਰਾ ਜਾਂ ਭੈਣ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਬਹੁਤ ਦੇਖਦਾ ਹੈ। ਉਸ ਨੂੰ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਰਾਹੀਂ ਪੜ੍ਹਾਈ ਕਰਨ ਤੇ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਦਿਲਚਸਪੀ ਦੀ ਪ੍ਰੇਰਨਾ ਦਿਓ।

ਕਮਰਾ ਨੰ: 212,
………….. ਸਕੂਲ ਹੋਸਟਲ
ਜਲੰਧਰ।
ਜਨਵਰੀ 10, 20…….

ਪਿਆਰੀ ਮੈਨੂੰ,

ਸ਼ੁੱਭ ਇੱਛਾਵਾਂ।
ਮੈਨੂੰ ਅੱਜ ਹੀ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦੀ ਚਿੱਠੀ ਮਿਲੀ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਲਿਖਿਆ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵੱਲ ਬਿਲਕੁਲ ਧਿਆਨ ਨਹੀਂ ਦਿੰਦੀ, ਸਗੋਂ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਚਾਰ-ਚਾਰ ਘੰਟੇ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਅੱਗੇ ਬੈਠੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈਂ। ਨਾਲ ਹੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਮੈਨੂੰ ਤੇਰੇ ਦਸੰਬਰ ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਵਿਚ ਸਾਰੇ ਮਜ਼ਮੂਨਾਂ ਵਿਚੋਂ ਫ਼ੇਲ੍ਹ ਹੋਣ ਬਾਰੇ ਵੀ ਪਤਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ।

ਮੈਨੂੰ ਤੇਰੇ ਬਾਰੇ ਇਹ ਗੱਲਾਂ ਜਾਣ ਕੇ ਬਹੁਤ ਦੁੱਖ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਕੀ ਤੈਨੂੰ ਪਤਾ ਨਹੀਂ ਬਹੁਤਾ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇਖਣ ਦੇ ਕੀ-ਕੀ ਨੁਕਸਾਨ ਹਨ ? ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਉੱਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਆਉਂਦੇ ਹਨ। ਸਰਕੀਨ ਦੀ ਤੇਜ਼ ਰੌਸ਼ਨੀ ਅੱਖਾਂ ਨੂੰ ਖ਼ਰਾਬ ਕਰਦੀ ਹੈ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦਾ ਸਮਾਂ ਵੀ ਬਰਬਾਦ ਕਰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਨਜ਼ਰ ਵੀ ਵਿਗਾੜਦਾ ਹੈ। ਜਿਹੜਾ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਸਮਾਂ ਨਸ਼ਟ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਉਸ ਦਾ ਘਾਟਾ ਕਦੇ ਵੀ ਪੂਰਾ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦਾ ਕਈ ਵਾਰੀ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਮਨੋਕਲਪਿਤ ਕਹਾਣੀਆਂ ਤੇ ਘਟਨਾਵਾਂ ਪੇਸ਼ ਕਰਕੇ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਦੀਆਂ ਭਾਵਨਾਵਾਂ ਨੂੰ ਭੜਕਾਉਂਦਾ ਹੈ, ਨਾਲ ਹੀ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਅੱਗੇ ਲਗਾਤਾਰ ਬੈਠਣ ਨਾਲ ਖਾਧਾ ਪੀਤਾ ਹਜ਼ਮ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ, ਮੋਟਾਪਾ ਵੱਧਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਫਲਸਰੂਪ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਐਤਕੀਂ ਤੇਰਾ ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਵਿਚ ਫੇਲ੍ਹ ਹੋਣ ਦਾ ਕਾਰਨ ਵੀ ਤੇਰਾ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇਖਣ ਵੱਲ ਲੱਗ ਕੇ ਸਮਾਂ ਖ਼ਰਾਬ ਕਰਨਾ ਹੈ। ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਨੂੰ ਤਾਂ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਉੱਤੇ ਸਿਵਾਏ ਜਾਣਕਾਰੀ ਭਰੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਹੋਰ ਕੋਈ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਨਹੀਂ ਦੇਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ।

ਹੁਣ ਤਾਂ ਇਮਤਿਹਾਨ ਸਿਰ ‘ਤੇ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਤੈਨੂੰ ਇਸਦਾ ਬਿਲਕੁਲ ਹੀ ਤਿਆਗ ਕਰ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। ਇਸਦੀ ਥਾਂ ਤੈਨੂੰ ਬੈਡਮਿੰਟਨ, ਬਾਸਕਟ ਬਾਲ, ਹਾਕੀ ਜਾਂ ਫੁੱਟਬਾਲ ਆਦਿ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਇਕ ਘੰਟਾ ਭਾਗ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਪੜ੍ਹਾਈ ਨੂੰ ਲਾਭ ਪਹੁੰਚਦਾ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਨਾਲ ਦਿਮਾਗ਼ ਤਾਜ਼ਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਅੰਤ ਵਿਚ ਮੈਂ ਤੈਨੂੰ ਇਹ ਬੜੇ ਜ਼ੋਰ ਨਾਲ ਚੇਤਾਵਨੀ ਦਿੰਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਤੈਨੂੰ ਘਰਦਿਆਂ ਦੀ ਖੁਸ਼ੀ ਤੇ ਆਪਣੇ ਭਵਿੱਖ ਦਾ ਧਿਆਨ ਰੱਖਦੇ ਹੋਏ ਜ਼ਿਆਦਾ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇਖਣ ਦੀ ਆਦਤ ਦਾ ਤਿਆਗ ਕਰ ਕੇ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਿਚ ਜੁੱਟਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਤੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਵੀ ਭਾਗ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਰਨ ਨਾਲ ਤੈਨੂੰ ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਨਤੀਜੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣਗੇ।

ਤੇਰਾ ਵੱਡਾ ਵੀਰ,
ਰੋਲ ਨੰ: …………

ਟਿਕਟ
ਨਵਨੀਤ ਕੌਰ, 1220, ਮਾਡਲ ਟਾਊਨ, ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ।

11. ਤੁਹਾਡਾ ਭਰਾ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਦਿਲਚਸਪੀ ਰੱਖਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਿਚ ਨਹੀਂ, ਉਸ ਨੂੰ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਰਾਹੀਂ ਪੜ੍ਹਾਈ ਕਰਨ ਦੀ ਪ੍ਰੇਰਨਾ ਦਿਓ।

ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
…….. ਸਕੂਲ,
ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ।
5 ਜਨਵਰੀ, 20….

ਪਿਆਰੇ ਜਸਵਿੰਦਰ,
ਸ਼ੁੱਭ ਇੱਛਾਵਾਂ। ਮੈਨੂੰ ਅੱਜ ਹੀ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦੀ ਚਿੱਠੀ ਮਿਲੀ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਮੈਨੂੰ ਲਿਖਿਆ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਹਰ ਵੇਲੇ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਹੀ ਮਸਤ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈਂ ਤੇ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਲ ਬਿਲਕੁਲ ਧਿਆਨ ਨਹੀਂ ਦਿੰਦਾ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਨੌਮਾਹੀ ਇਮਤਿਹਾਨਾਂ ਵਿਚ ਸਾਰੇ ਮਜ਼ਮੂਨਾਂ ਵਿਚੋਂ ਫੇਲ੍ਹ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈਂ। ਮੈਨੂੰ ਤੇਰੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਲੋਂ ਇਸ ਲਾਪਰਵਾਹੀ ਨੂੰ ਜਾਣ ਕੇ ਬਹੁਤ ਦੁੱਖ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਤੈਨੂੰ ਪਤਾ ਹੈ ਕਿ ਤੇਰਾ ਇਮਤਿਹਾਨ ਤੇਰੇ ਸਿਰ ‘ਤੇ ਆ ਗਿਆ ਹੈ ! ਤੈਨੂੰ ਹੁਣ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਸਮਾਂ ਖ਼ਰਾਬ ਨਹੀਂ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ।

ਮੈਂ ਇਸ ਗੱਲ ਤੋਂ ਇਨਕਾਰ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ਕਿ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਮਹਾਨਤਾ ਹੈ, ਪਰ ਇਹ ਖੇਡਾਂ ਤਾਸ਼ ਜਾਂ ਵੀ. ਡੀ. ਓ. ਗੇਮਾਂ ਨਹੀਂ ਬਲਕਿ ਹਾਕੀ, ਫੁੱਟਬਾਲ, ਵਾਲੀਵਾਲ ਜਾਂ ਕਬੱਡੀ ਆਦਿ ਹਨ, ਜੇਕਰ ਤੇਰਾ ਦਿਲ ਚਾਹੇ, ਤਾਂ ਤੂੰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਸੇ ਇਕ ਵਿਚ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਘੰਟਾ ਡੇਢ ਘੰਟਾ ਭਾਗ ਲੈ ਸਕਦਾ ਹੈ।

ਇਸ ਨਾਲ ਤੇਰੇ ਕਿਤਾਬੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਨਾਲ ਥੱਕੇ ਦਿਮਾਗ ਨੂੰ ਤਾਜ਼ਗੀ ਮਿਲੇਗੀ। ਤੈਨੂੰ ਯਾਦ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਦਾ ਨੁਕਸਾਨ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਕੋਈ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ। ਤੈਨੂੰ ਇਹ ਨਹੀਂ ਭੁੱਲਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਕਿ ‘ਖੇਡਾਂ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਲਈ ਹਨ, ਨਾ ਕਿ ਜੀਵਨ ਖੇਡਾਂ ਲਈ। ਇਸ ਲਈ ਤੈਨੂੰ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਲ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਧਿਆਨ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਤੇ ਖੇਡਣ ਲਈ ਉਸ ਸਮੇਂ ਹੀ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ, ਜਦੋਂ ਤੇਰਾ ਦਿਮਾਗ਼ ਪੜ੍ਹ-ਪੜ੍ਹ ਕੇ ਥੱਕ ਚੁੱਕਾ ਹੋਵੇ।

ਇਸ ਨਾਲ ਤੇਰੀ ਸਿਹਤ ਵੀ ਠੀਕ ਰਹੇਗੀ ਤੇ ਤੇਰੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵੀ ਠੀਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਚਲਦੀ ਰਹੇਗੀ। ਆਸ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਮੇਰੀਆਂ ਉਪਰੋਕਤ ਨਸੀਹਤਾਂ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਵਿਚ ਰੱਖੇਗਾ ਤੇ ਅੱਗੋਂ ਮੈਨੂੰ ਮਾਤਾ ਜੀ ਵਲੋਂ ਤੇਰੇ ਵਿਰੁੱਧ ਕੋਈ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਨਹੀਂ ਮਿਲੇਗੀ।

ਤੇਰਾ ਵੱਡਾ ਵੀਰ,
ਗੁਰਜੀਤ ਸਿੰਘ॥

ਟਿਕਟ
ਜਸਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ, ਰੋਲ ਨੰ: 88 VI A, ਸਰਕਾਰੀ ਹਾਈ ਸਕੂਲ, ਦਕੋਹਾ, ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਜਲੰਧਰ

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12. ਤੁਹਾਡੇ ਮੁਹੱਲੇ ਵਿਚ ਸਫ਼ਾਈ, ਰੌਸ਼ਨੀ ਤੇ ਗੰਦੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਨਿਕਾਸ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਠੀਕ ਨਹੀਂ। ਇਸ ਨੂੰ ਠੀਕ ਕਰਨ ਲਈ ਆਪਣੇ ਸ਼ਹਿਰ ਦੀ ਨਗਰ ਸਭਾ (ਮਿਊਂਸਿਪਲ ਕਮੇਟੀ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਵੱਲ ਨੂੰ ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
………. ਸਕੂਲ,
………. ਸ਼ਹਿਰ।
19 ਅਗਸਤ, 20…
ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਪ੍ਰਧਾਨ ਸਾਹਿਬ,
ਨਗਰ ਪਾਲਿਕਾ,
……… ਸ਼ਹਿਰ।

ਸੀਮਾਨ ਜੀ,
ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਅਸੀਂ ਆਪ ਦਾ ਧਿਆਨ ਆਪਣੇ ਮੁਹੱਲੇ ਸੈਂਟਰਲ ਟਾਉਨ ਵਲ ਦਿਵਾਉਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਾਂ ! ਇੱਥੇ ਗੰਦਗੀ ਦੇ ਢੇਰ ਲੱਗੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ ਤੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਛੱਪੜ ਭਰੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਰਾਤ ਨੂੰ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਰੌਸ਼ਨੀ ਦਾ ਕੋਈ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨਹੀਂ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇੱਥੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਰਹਿਣਾ ਬਹੁਤ ਔਖਾ ਹੋਇਆ ਪਿਆ ਹੈ।

ਇਸ ਮਹੱਲੇ ਦੀਆਂ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਥਾਂ-ਥਾਂ ਗੰਦਗੀ ਦੇ ਢੇਰ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਹਨ ਲੋਕ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਪਸ਼ ਬੰਨਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਹ ਗੋਹੇ ਨਾਲ ਭਰੀਆਂ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਲੋਕ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਨਾਲੀਆਂ ਵਿਚ ਹੀ ਟੱਟੀਆਂ ਫਿਰਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਸਾਡੇ ਮੁਹੱਲੇ ਦਾ ਕੁੱਝ ਭਾਗ ਕਾਫ਼ੀ ਨੀਵਾਂ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਥੋੜੀ ਜਿਹੀ ਬਰਸਾਤ ਹੋਣ ਨਾਲ ਇੱਥੇ ਪਾਣੀ ਖੜ੍ਹਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਸਫ਼ਾਈ ਸੇਵਕ ਬੜੀ ਬੇਪਰਵਾਹੀ ਨਾਲ ਸਫ਼ਾਈ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਅਸੀਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕਈ ਵਾਰ ਕਿਹਾ ਹੈ, ਪਰ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਕੰਨਾਂ ‘ਤੇ ਜੂੰ ਨਹੀਂ ਸਕਦੀ।

ਕਈ ਵਾਰੀ ਸੀਵਰੇਜ ਬੰਦ ਹੋਣ ਮਗਰੋਂ ਗਲੀਆਂ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੜਾਂਦ ਮਾਰਦੇ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਭਰ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਪਾਣੀ ਦੇ ਨਿਕਾਸ ਦਾ ਕੋਈ ਯੋਗ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨਹੀਂ। ਮੱਛਰ ਤੇ ਮੱਖੀਆਂ ਬੜੇ ਮਜ਼ੇ ਨਾਲ ਪਲ ਰਹੇ ਹਨ। ਪਿਛਲੇ ਹਫ਼ਤੇ ਹੈਜ਼ੇ ਦੇ ਦੋ ਕੇਸ ਹੋ ਚੁੱਕੇ ਹਨ ਅਜਿਹੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਕਰਕੇ ਲੋਕਾਂ ਵਿਚ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਦਾ ਸਹਿਮ ਛਾਇਆ ਹੋਇਆ ਹੈ।

ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਮੁਹੱਲੇ ਦੀਆਂ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਬਲਬ ਟੁੱਟ ਚੁੱਕੇ ਹਨ ਤੇ ਕਈ ਫਿਊਜ਼ ਹੋ ਚੁੱਕੇ ਹਨ। ਪਿਛਲੇ ਛੇ ਮਹੀਨਿਆਂ ਤੋਂ ਇਸ ਪਾਸੇ ਵਲ ਕੋਈ ਕਰਮਚਾਰੀ ਰੌਸ਼ਨੀ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਠੀਕ ਕਰਨ ਨਹੀਂ ਆਇਆ ਹਾਲਾਂਕਿ ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਸ਼ਿਕਾਇਤਾਂ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾ ਚੁੱਕੀਆਂ ਹਨ। ਨਗਰਪਾਲਿਕਾ ਦੇ ਕਰਮਚਾਰੀਆਂ ਦੀ ਇਸ ਮੁਹੱਲੇ ਵਲ ਅਣਗਹਿਲੀ ਦੇਖ ਕੇ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਾਪਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਸਾਡਾ ਮੁਹੱਲਾ ਨਗਰਪਾਲਿਕਾ ਦੇ ਨਕਸ਼ੇ ਵਿਚ ਹੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ।

ਅਸੀਂ ਆਸ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਆਪ ਸਾਡੀ ਬੇਨਤੀ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਵਿਚ ਰੱਖਦੇ ਹੋਏ ਮੁਹੱਲਾ ਨਿਵਾਸੀਆਂ ਨੂੰ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਕਿਸੇ ਛੂਤ ਦੇ ਰੋਗ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਇਸਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਦੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਗੰਦੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਨਿਕਾਸ ਦਾ ਉੱਚਿਤ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰੋਗੇ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਰੌਸ਼ਨੀ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਠੀਕ ਕਰਨ ਵਲ ਵੀ ਧਿਆਨ ਦਿਉਗੇ।

ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ।

ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ-ਪਾਤਰ,
ਦਰਬਾਰਾ ਸਿੰਘ,
ਤੇ ਬਾਕੀ ਮੁਹੱਲਾ ਨਿਵਾਸੀ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

13. ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰ ਜਾਂ ਸਹੇਲੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਗਣਤੰਤਰ ਦਿਵਸ ਮਨਾਏ ਜਾਣ ਸੰਬੰਧੀ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖੋ।

……….ਸਕੂਲ,
ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ।
28 ਜਨਵਰੀ, 20…

ਪਿਆਰੀ ਹਰਪ੍ਰੀਤ,
ਪਰਸੋਂ ਛੱਬੀ ਜਨਵਰੀ ਦਾ ਦਿਨ ਸੀ। ਤੈਨੂੰ ਪਤਾ ਹੀ ਹੈ ਇਸ ਦਿਨ 1950 ਵਿਚ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਸੰਵਿਧਾਨ ਲਾਗੂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਹਰ ਸਾਲ ਦੇਸ਼ ਭਰ ਵਿਚ ਗਣਤੰਤਰ ਦਿਵਸ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਹਰ ਸਾਲ ਵਾਂਗ ਐਤਕੀਂ ਵੀ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਇਹ ਦਿਨ ਬੜੇ ਉਤਸ਼ਾਹ ਨਾਲ ਮਨਾਇਆ ਗਿਆ ਸਵੇਰੇ ਸਾਢੇ 8 ਵਜੇ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਸਿੱਖਿਆ ਅਫ਼ਸਰ ਨੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਝੰਡਾ ਲਹਿਰਾਉਣ ਦੀ ਰਸਮ ਅਦਾ ਕੀਤੀ।

ਇਸਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗੀਤ ‘ਜਨ ਗਨ ਮਨ, …..’ ਗਾਇਆ ਗਿਆ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਸਾਰਿਆਂ ਨੇ ਸਾਵਧਾਨ ਖੜੇ ਹੋ ਕੇ ਭਾਗ ਲਿਆ। ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਸਾਰੇ ਅਧਿਆਪਕ ਮੁੱਖ ਮਹਿਮਾਨਾਂ ਸਮੇਤ ਕੁਰਸੀਆਂ ਉੱਤੇ ਬੈਠ ਗਏ ਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਸਾਹਮਣੇ ਦਰੀਆਂ ਉੱਪਰ ! ਦੇਸ਼ ਦੀ ਗਣਤੰਤਰਤਾ ਦਿਵਸ ਤੇ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਸੰਬੰਧੀ ਕੁੱਝ ਭਾਸ਼ਨਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਤਰੱਕੀ ਸੰਬੰਧੀ ਵੀ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਦੱਸਿਆ ਗਿਆ। ਕੁੱਝ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੇ ਦੇਸ਼ ਭਗਤੀ ਦੇ ਗੀਤ ਗਾਏ।

ਕੁੜੀਆਂ ਨੇ ਗਿੱਧਾ ਤੇ ਮੁੰਡਿਆਂ ਨੇ ਭੰਗੜਾ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਵਿਸ਼ਿਆਂ, ਖੇਡਾਂ ਤੇ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਵਿਚ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਇਨਾਮ ਵੀ ਦਿੱਤੇ ਗਏ। ਅੰਤ ਵਿਚ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਮੁੱਖ ਮਹਿਮਾਨਾਂ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਕੀਤਾ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿਚ ਸਕੂਲ ਵਲੋਂ ਸਾਰੇ ਮਹਿਮਾਨਾਂ, ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਵਿਚ ਲੱਡੂ ਵੰਡੇ ਗਏ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਵਿਚ ਦੇਸ਼ ਪਿਆਰ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਪੈਦਾ ਕੀਤੀ ਗਈ।

ਤੇਰੀ ਸਹੇਲੀ,
ਅੰਮ੍ਰਿਤਪਾਲ॥

14. ਖਾਣ-ਪੀਣ ਦੀਆਂ ਵਸਤਾਂ ਵਿਚ ਵਧ ਰਹੀ ਮਿਲਾਵਟ ਬਾਰੇ ਸਿਹਤ ਅਧਿਕਾਰੀ ਨੂੰ ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

ਦੁਰਾਹਾ,
ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਲੁਧਿਆਣਾ
26 ਦਸੰਬਰ, 20….
ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਸੰਪਾਦਕ ਸਾਹਿਬ,
ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਨਵਾਂ ਜ਼ਮਾਨਾ,
ਜਲੰਧਰ

ਵਿਸ਼ਾ-ਨਿੱਤ ਵਰਤੋਂ ਦੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਵਿਚ ਮਿਲਾਵਟ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਮੈਂ ਇਸ ਪੱਤਰ ਰਾਹੀਂ ਨਿੱਤ ਵਰਤੋਂ ਦੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਵਿਚ ਪਾਈ ਜਾਂਦੀ ਮਿਲਾਵਟ ਸੰਬੰਧੀ ਆਪਣੇ ਵਿਚਾਰ ਪੇਸ਼ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹਾਂ। ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਅਖ਼ਬਾਰ ਵਿਚ ਛਾਪ ਦੇਣਾ। ਹੋ ਸਕਦਾ ਹੈ ਕਿ ਮੇਰੇ ਇਹ ਵਿਚਾਰ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਇਸ ਸਮੱਸਿਆ ਦੇ ਹੱਲ ਬਾਰੇ ਕੋਈ ਠੋਸ ਕਦਮ ਪੁੱਟਣ ਦੀ ਪ੍ਰੇਰਨਾ ਦੇ ਦੇਣ।

ਅੱਜ-ਕਲ੍ਹ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਭ੍ਰਿਸ਼ਟਾਚਾਰ ਤੇ ਨੈਤਿਕ ਗਿਰਾਵਟ ਦਾ ਬੋਲਬਾਲਾ ਹੈ। ਵਪਾਰੀ ਅਤੇ ਦੁਕਾਨਦਾਰ ਬਹੁਤਾ ਮੁਨਾਫ਼ਾ ਲੈਣ ਦੇ ਲਾਲਚ ਵਿਚ ਚੀਜ਼ਾਂ ਵਿਚ ਮਿਲਾਵਟ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਸਿਹਤ ਬਾਰੇ ਚਿੰਤਾ ਕਰਨ ਦੀ ਕੋਈ ਪਰਵਾਹ ਨਹੀਂ, ਸਗੋਂ ਉਹ ਆਪਣੇ ਮੁਨਾਫ਼ੇ ਨੂੰ ਸਾਹਮਣੇ ਰੱਖਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਮੰਤਵ ਲਈ ਉਹ ਘਿਓ ਵਿਚ ਸੂਰਾਂ ਦੀ ਚਰਬੀ ਮਿਲਾਉਂਦੇ ਹਨ, ਮਸਾਲੇ ਵਿਚ ਘਾਹ ਫੂਸ ਪੀਸਦੇ ਹਨ। ਦੁੱਧ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਜਾਂ ਸਪਰੇਟਾ ਮਿਲਾ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾਲਾਂ ਵਿਚ ਬਰੀਕ ਕੰਕਰ ਮਿਲਾਏ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਹੋਰ ਤਾਂ ਹੋਰ ਦਵਾਈਆਂ ਵੀ ਸ਼ੁੱਧ ਨਹੀਂ। ਕੈਪਸੂਲਾਂ ਵਿਚ ਹਲਦੀ ਭਰ ਕੇ ਮਹਿੰਗੇ ਭਾ ਵੇਚੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਮਿਲਾਵਟ ਦਾ ਅਜਿਹਾ ਮਨੁੱਖਤਾਹੀਨ ਕੰਮ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਜਿੰਨੀ ਨਿੰਦਾ ਕੀਤੀ ਜਾਵੇ ਥੋੜੀ ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਖ਼ਤ ਤੋਂ ਸਖ਼ਤ ਸਜ਼ਾ ਮਿਲਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ।

ਮੇਰਾ ਸੁਝਾ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਅਧਿਕਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਸਮੇਂ-ਸਮੇਂ ਦੁਕਾਨਾਂ ਤੋਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਦੇ ਨਮੂਨੇ ਭਰ ਕੇ ਲਿਜਾਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ਤੇ ਮੁਨਾਫ਼ਾਖੋਰਾਂ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਸਖ਼ਤ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ। ਸਾਨੂੰ ਜਿੱਥੇ ਕਿਤੇ ਵੀ ਮਿਲਾਵਟ ਦਾ ਸ਼ੱਕ ਪਵੇ, ਉਸ ਦੀ ਸੂਚਨਾ ਤੁਰੰਤ ਸੰਬੰਧਿਤ ਅਧਿਕਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਦੇਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ।

ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ-ਪਾਤਰ,
ਸੁਰਜਨ ਸਿੰਘ॥

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

15. ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰ ਜਾਂ ਸਹੇਲੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਗਣਤੰਤਰ ਦਿਵਸ ਮਨਾਏ ਜਾਣ ਸੰਬੰਧੀ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖੋ।

……………. ਸਕੂਲ,
ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ।
28 ਜਨਵਰੀ, 20…

ਪਿਆਰੀ ਹਰਪ੍ਰੀਤ,
ਪਰਸੋਂ ਛੱਬੀ ਜਨਵਰੀ ਦਾ ਦਿਨ ਸੀ। ਤੈਨੂੰ ਪਤਾ ਹੀ ਹੈ ਇਸ ਦਿਨ 1950 ਵਿਚ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਸੰਵਿਧਾਨ ਲਾਗੂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਹਰ ਸਾਲ ਦੇਸ਼ ਭਰ ਵਿਚ ਗਣਤੰਤਰ ਦਿਵਸ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਹਰ ਸਾਲ ਵਾਂਗ ਐਤਕੀ ਵੀ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਇਹ ਦਿਨ ਬੜੇ ਉਤਸ਼ਾਹ ਨਾਲ ਮਨਾਇਆ ਗਿਆ ਸਵੇਰੇ ਸਾਢੇ 8 ਵਜੇ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਸਿੱਖਿਆ ਅਫ਼ਸਰ ਨੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਝੰਡਾ ਲਹਿਰਾਉਣ ਦੀ ਰਸਮ ਅਦਾ ਕੀਤੀ।

ਇਸਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗੀਤ ‘ਜਨ ਗਨ ਮਨ……’ ਗਾਇਆ ਗਿਆ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਸਾਰਿਆਂ ਨੇ ਸਾਵਧਾਨ ਖੜ੍ਹੇ ਹੋ ਕੇ ਭਾਗ ਲਿਆ। ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਸਾਰੇ ਅਧਿਆਪਕ ਮੁੱਖ ਮਹਿਮਾਨਾਂ ਸਮੇਤ ਕੁਰਸੀਆਂ ਉੱਤੇ ਬੈਠ ਗਏ ਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਸਾਹਮਣੇ ਦਰੀਆਂ ਉੱਪਰ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਗਣਤੰਤਰਤਾ ਦਿਵਸ ਤੇ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਸੰਬੰਧੀ ਕੁੱਝ ਭਾਸ਼ਨਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਤਰੱਕੀ ਸੰਬੰਧੀ ਵੀ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਦੱਸਿਆ ਗਿਆ। ਕੁੱਝ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੇ ਦੇਸ਼ ਭਗਤੀ ਦੇ ਗੀਤ ਗਾਏ।

ਕੁੜੀਆਂ ਨੇ ਗਿੱਧਾ ਤੇ ਮੁੰਡਿਆਂ ਨੇ ਭੰਗੜਾ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਵਿਸ਼ਿਆਂ, ਖੇਡਾਂ ਤੇ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਵਿਚ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਇਨਾਮ ਵੀ ਦਿੱਤੇ ਗਏ। ਅੰਤ ਵਿਚ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਮੁੱਖ ਮਹਿਮਾਨਾਂ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਕੀਤਾ। ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿਚ ਸਕੂਲ ਵਲੋਂ ਸਾਰੇ ਮਹਿਮਾਨਾਂ, ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਵਿਚ ਲੱਡੂ ਵੰਡੇ ਗਏ।ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਵਿਚ ਦੇਸ਼ ਪਿਆਰ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਪੈਦਾ ਕੀਤੀ ਗਈ।

ਤੇਰੀ ਸਹੇਲੀ,
ਅੰਮ੍ਰਿਤਪਾਲ॥

16. ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਘਰ ਵਿਚ ਜ਼ਰੂਰੀ ਕੰਮ ਲਈ ਅੱਧੇ ਦਿਨ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਲੈਣ ਲਈ ਇਕ ਬੇਨਤੀ ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ,
…………. ਸਕੂਲ,
ਪਿੰਡ ………
ਜ਼ਿਲਾ………… !

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

ਸੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਅੱਜ ਬਿਜਲੀ ਦਾ ਬਿੱਲ ਜਮਾਂ ਕਰਵਾਉਣ ਲਈ ਜਾਣਾ ਹੈ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਨੂੰ ਅੱਧੇ ਦਿਨ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ। ਮੈਂ ਅੱਧੀ ਛੁੱਟੀ ਖ਼ਤਮ ਹੁੰਦਿਆਂ ਹੀ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਹਾਜ਼ਰ ਹੋ ਜਾਵਾਂਗਾ। ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
………… ਸਿੰਘ,
ਰੋਲ ਨੰ:..
ਸੱਤਵੀਂ “ਏ”

ਮਿਤੀ : 23 ਜਨਵਰੀ, 20…….

17. ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਘਰ ਵਿਚ ਜ਼ਰੂਰੀ ਕੰਮ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਲੈਣ ਲਈ ਇਕ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ,
……… ਸਕੂਲ,
ਪਿੰਡ ………
ਜ਼ਿਲਾ ……….

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਨੂੰ ਘਰ ਵਿਚ ਇਕ ਜ਼ਰੂਰੀ ਕੰਮ ਪੈ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਅੱਜ ਸਕੂਲ ਨਹੀਂ ਆ ਸਕਦਾ। ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਮੈਨੂੰ ਇਕ ਦਿਨ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ। ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
……… ਸਿੰਘ,
ਰੋਲ ਨੰ: …………,
ਸੱਤਵੀਂ ‘ਏ।

ਮਿਤੀ : 23 ਜਨਵਰੀ, 20….

18. ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਵੱਡੀ ਭੈਣ ਜਾਂ ਵੱਡੇ ਭਰਾ ਦੇ ਵਿਆਹ ‘ਤੇ ਚਾਰ ਦਿਨ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਲੈਣ ਲਈ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
…………….ਸਕੂਲ,
…………….ਸ਼ਹਿਰ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੇਰੀ ਵੱਡੀ ਭੈਣ ਭਰਾ ਦਾ ਵਿਆਹ 10 ਜਨਵਰੀ 20… ਨੂੰ ਹੋਣਾ ਨਿਯਤ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਵਿਆਹ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਨ ਲਈ ਮੈਨੂੰ ਘਰ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਕੰਮ ਹੈ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਸਕੂਲ ਨਹੀਂ ਆ ਸਕਦਾ। ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੈਨੂੰ 8 ਤੋਂ 11 ਜਨਵਰੀ ਤਕ ਚਾਰ ਦਿਨ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ। ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
………… ਸਿੰਘ
ਰੋਲ ਨੰ……..
ਸੱਤਵੀਂ ਸੀ।

ਮਿਤੀ : 7 ਜਨਵਰੀ, 20….

19. ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਬਿਮਾਰੀ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਲੈਣ ਲਈ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
………….. ਸਕੂਲ,
……… ਸ਼ਹਿਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਬਿਮਾਰ ਹਾਂ, ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਅੱਜ ਸਕੂਲ ਨਹੀਂ ਆ ਸਕਦਾ। ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੈਨੂੰ ਦੋ ਦਿਨ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ। ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
…………. ਕੁਮਾਰ,
ਰੋਲ ਨੰ :……
ਸੱਤਵੀਂ ‘ਬੀ’

ਮਿਤੀ : 12 ਫ਼ਰਵਰੀ, 20…

20. ਸਕੂਲ ਛੱਡਣ ਦਾ ਸਰਟੀਫ਼ਿਕੇਟ ਅਤੇ ਚਰਿੱਤਰ ਸਰਟੀਫ਼ਿਕੇਟ ਲੈਣ ਲਈ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
……….. ਸਕੂਲ,
……….. ਸ਼ਹਿਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਆਪ ਦੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਸੱਤਵੀਂ ਜਮਾਤ ਦਾ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਹਾਂ। ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਜਨਰਲ ਪੋਸਟ ਆਫ਼ਿਸ, ਜਲੰਧਰ ਵਿਚ ਕਲਰਕ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਹਨ। ਪਿਛਲੇ ਮਹੀਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਬਦਲੀ ਲੁਧਿਆਣੇ ਦੀ ਹੋ ਗਈ ਸੀ। ਇਸ ਲਈ ਮੇਰਾ ਜਲੰਧਰ ਵਿਚ ਰਹਿਣਾ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ। ਹੁਣ ਮੈਂ ਲੁਧਿਆਣੇ ਜਾ ਕੇ ਹੀ ਪੜ੍ਹ ਸਕਾਂਗਾ। ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੈਨੂੰ ਸਕੂਲ ਛੱਡਣ ਦਾ ਸਰਟੀਫ਼ਿਕੇਟ ਤੇ ਚਰਿੱਤਰ ਸਰਟੀਫ਼ਿਕੇਟ ਦਿੱਤੇ ਜਾਣ। ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ. ਹੋਵਾਂਗਾ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
………. ਚੰਦਰ,
ਰੋਲ ਨੰ:……….,
ਸੱਤਵੀਂ ਡੀ।

ਮਿਤੀ : 5 ਦਸੰਬਰ, 20….

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

21. ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਪੂਰੀ ਫ਼ੀਸ ਮਾਫ਼ੀ ਲਈ ਪ੍ਰਾਰਥਨਾ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
…………… ਸਕੂਲ,
………….. ਪਿੰਡ,
ਜ਼ਿ. …………. !

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਆਪ ਦੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਸੱਤਵੀਂ ਜਮਾਤ ਦਾ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਹਾਂ ! ਮੈਂ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਦੀ ਸਾਲਾਨਾ ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਵਿਚ ਸਾਰੀ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਅੱਵਲ ਰਿਹਾ ਹਾਂ। ਮੇਰਾ ਪੜ੍ਹਨ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਦਿਲ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਇਕ ਕਾਰਖ਼ਾਨੇ ਵਿਚ ਚਪੜਾਸੀ ਹਨ।ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਤਨਖ਼ਾਹ ਬਹੁਤੀ ਨਹੀਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਤਨਖ਼ਾਹ ਨਾਲ ਸਾਡੇ ਘਰ ਦੇ ਪੰਜ ਜੀਆਂ ਦਾ ਗੁਜ਼ਾਰਾ ਬੜੀ ਮੁਸ਼ਕਲ ਨਾਲ ਚਲਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਗ਼ਰੀਬੀ ਕਰਕੇ ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਮੇਰੀ ਸਕੂਲ ਦੀ ਫ਼ੀਸ ਨਹੀਂ ਦੇ ਸਕਦੇ। ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੇਰੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਿਚ ਰੁਚੀ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਵਿਚ ਰੱਖਦੇ ਹੋਏ ਆਪ ਮੇਰੀ ਪੂਰੀ ਫ਼ੀਸ ਮਾਫ਼ ਕਰ ਦਿਓ। ਮੈਂ ਆਪ ਜੀ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
………… ਕੁਮਾਰ,
ਰੋਲ ਨੰ:…….
ਸੱਤਵੀਂ ਏ।

ਮਿਤੀ : 17 ਅਪਰੈਲ, 20…..

22. ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਜੁਰਮਾਨੇ ਦੀ ਮਾਫ਼ੀ ਲਈ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
…………ਸਕੂਲ,
…………… ਸ਼ਹਿਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਆਪ ਜੀ ਦੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਸੱਤਵੀਂ ਜਮਾਤ ਦਾ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਹਾਂ। ਪਿਛਲੇ ਮਹੀਨੇ ਹੋਈ ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਵਿਚ ਹਿਸਾਬ ਦਾ ਪੇਪਰ ਨਾ ਦੇ ਸਕਣ ਕਰਕੇ ਮੈਨੂੰ ਪੰਜ ਰੁਪਏ ਜੁਰਮਾਨਾ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ। ਅਸਲ ਵਿਚ ਮੈਂ ਉਸ ਦਿਨ ਬਹੁਤ ਬਿਮਾਰ ਸਾਂ, ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਉਹ ਪੇਪਰ ਨਾ ਦੇ ਸਕਿਆ। ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦੀ ਆਮਦਨ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੈ। ਉਹ ਮੇਰੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਦਾ ਖ਼ਰਚ ਬੜੀ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਨਾਲ ਚਲਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਮੇਰਾ ਜੁਰਮਾਨਾ ਮਾਫ਼ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ। ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
………ਸਿੰਘ,
ਰੋਲ ਨੰ:
ਸੱਤਵੀਂ ‘ਬੀ’

ਮਿਤੀ : 19 ਜਨਵਰੀ, 20…..

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

23. ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜਾਂ ਪ੍ਰਿੰਸੀਪਲ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਸੈਕਸ਼ਨ ਬਦਲਣ ਲਈ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ,
……….ਸਕੂਲ,
ਪਿੰਡ……….
ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ……….।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਤੇ ਮੇਰਾ ਭਰਾ ਕੁਲਬੀਰ ਸਿੰਘ ਰੋਲ ਨੰ: 87 ਆਪ ਦੇ ਸਕੂਲ ਵਿਖੇ ਸੱਤਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚ ਪੜ੍ਹਦੇ ਹਾਂ ਪਰ ਬੀਤੇ ਹਫ਼ਤੇ ਨਵੇਂ ਬਣੇ ਸੈਕਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ਮੇਰਾ ਰੋਲ ਨੰ: ‘ਏ ਸੈਕਸ਼ਨ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ਤੇ ਮੇਰੇ ਭਰਾ ਦਾ ਰੋਲ ਨੰਬਰ ‘ਬੀ ਸੈਕਸ਼ਨ ਵਿਚ ਚਲਾ ਗਿਆ ਹੈ। ਪਰ ਸਾਡੇ ਕੋਲ ਕੁੱਝ ਕਿਤਾਬਾਂ ਸਾਂਝੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਅਸੀਂ ਦੋਵੇਂ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਸੈਕਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਪੜ੍ਹ ਸਕਦੇ ਤੇ ਗ਼ਰੀਬੀ ਕਾਰਨ ਸਾਡੇ ਘਰ ਦੇ ਸਾਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਕਿਤਾਬਾਂ ਵੀ ਖ਼ਰੀਦ ਕੇ ਨਹੀਂ ਦੇ ਸਕਦੇ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਆਪ ਮੈਨੂੰ ਮੇਰੇ ਭਰਾ ਵਾਲੇ ਸੈਕਸ਼ਨ ਵਿਚ ਭੇਜ ਦੇਵੋ। ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰੀ,
ੳ, ਅ, ੲ,
ਰੋਲ ਨੰ: 88,
ਸੱਤਵੀਂ ‘ਏ॥

ਮਿਤੀ : 16 ਅਪਰੈਲ, 20…..

24. ਆਪਣੇ ਇਲਾਕੇ ਦੇ ਡਾਕੀਏ ਦੀ ਲਾਪਰਵਾਹੀ ਵਿਰੁੱਧ ਪੋਸਟ ਮਾਸਟਰ ਨੂੰ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਕਰੋ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਪੋਸਟ ਮਾਸਟਰ ਸਾਹਿਬ,
ਜਨਰਲ ਪੋਸਟ ਆਫਿਸ,
……….. ਸ਼ਹਿਰ।

ਸੀਮਾਨ ਜੀ,
ਮੈਂ ਆਪ ਅੱਗੇ ਇਸ ਪ੍ਰਾਰਥਨਾ-ਪੱਤਰ ਰਾਹੀਂ ਆਪਣੇ ਮੁਹੱਲੇ ਦੇ ਡਾਕੀਏ ਰਾਮ ਨਾਥ ਦੀ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਕਰਨੀ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹਾਂ। ਮੈਂ ਉਸ ਨੂੰ ਮੂੰਹ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਵਾਰੀ ਕਿਹਾ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਿਭਾਵੇ, ਪਰ ਉਸ ਦੇ ਕੰਨਾਂ ‘ਤੇ ਜੂੰ ਨਹੀਂ ਸਰਕਦੀ। ਅੱਕ ਕੇ ਮੈਂ ਆਪ ਅੱਗੇ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹਾਂ। ਉਹ ਸਾਡੇ ਮੁਹੱਲੇ ਵਿਚ ਕਦੇ ਵੀ ਡਾਕ ਸਮੇਂ ਸਿਰ ਨਹੀਂ ਵੰਡਦਾ ਕਈ ਵਾਰ ਤਾਂ ਦੋ-ਦੋ ਦਿਨਾਂ ਦੀ ਡਾਕ ਇਕੱਠੀ ਹੀ ਵੰਡਦਾ ਹੈ।

ਕਈ ਵਾਰ ਉਹ ਚਿੱਠੀਆਂ ਇਧਰ-ਉਧਰ ਗ਼ਲਤ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਦੇ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਬਣਦੀ ਹੈ। ਪਰਸੋਂ ਮੈਨੂੰ ਨੌਕਰੀ ਲਈ ਇੰਟਰਵਿਊ ਦੀ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਆਈ ਸੀ, ਜੋ ਕਿ ਮੈਨੂੰ ਦੋ ਦਿਨ ਲੋਟ ਮਿਲੀ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਆਪਣੀ ਇੰਟਰਵਿਊ ਨਾ ਦੇ ਸਕਿਆ। ਮੈਂ ਇਹ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਆਪਣੇ ਅਤੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਭਲੇ ਲਈ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹਾਂ। ਮੇਰਾ ਇਸ ਡਾਕੀਏ ਨਾਲ ਕੋਈ ਨਿੱਜੀ ਵੈਰ ਨਹੀਂ !

ਮੈਂ ਆਸ ਕਰਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਆਪ ਮੇਰੇ ਇਸ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਵਿਚ ਰੱਖ ਕੇ ਇਸ ਡਾਕੀਏ ਨੂੰ ਤਾੜਨਾ ਕਰੋਗੇ ਕਿ ਉਹ ਧਿਆਨ ਨਾਲ ਪੜੇ ਪੜ ਕੇ ਡਾਕ ਦੀ ਵੰਡ ਸਮੇਂ ਸਿਰ ਕਰਿਆ ਕਰੇ।

ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ।
ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ-ਪਾਤਰ,
ਰੋਲ ਨੰ: ……….!

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

25. ਤੁਹਾਡਾ ਸਾਈਕਲ ਗੁਆਚ ਗਿਆ ਹੈ। ਤੁਸੀਂ ਉਸ ਦੀ ਥਾਣੇ ਵਿਚ ਰਿਪੋਰਟ ਲਿਖਾਉਣ ਲਈ ਮੁੱਖ ਥਾਣਾ ਅਫ਼ਸਰ (ਐੱਸ. ਐੱਚ. ਓ.) ਨੂੰ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਐੱਸ. ਐੱਚ. ਓ. ਸਾਹਿਬ,
ਚੌਕੀ ਨੰਬਰ 4,
……… ਸ਼ਹਿਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਅੱਜ ਸਵੇਰੇ ਮੇਰਾ ਸਾਈਕਲ ਗੁੰਮ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ। ਉਸ ਦੀ ਭਾਲ ਕਰਨ ਵਿਚ ਆਪ ਆਪਣੇ ਕਰਮਚਾਰੀਆਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਦਿਓ।

ਮੈਂ ਅੱਜ ਸਵੇਰੇ 11 ਵਜੇ ਪੰਜਾਬ ਨੈਸ਼ਨਲ ਬੈਂਕ ਵਿਚ ਰੁਪਏ ਕਢਵਾਉਣ ਲਈ ਗਿਆ ਅਤੇ ਸਾਈਕਲ ਨੂੰ ਜਿੰਦਰਾ ਲਾ ਕੇ ਬਾਹਰ ਖੜ੍ਹਾ ਕਰ ਗਿਆ ਸਾਂ। ਪਰ ਜਦੋਂ 11.30 ‘ਤੇ ਬਾਹਰ ਆਇਆ, ਤਾਂ ਉੱਥੇ ਸਾਈਕਲ ਨਾ ਦੇਖ ਕੇ ਮੈਂ ਹੈਰਾਨ ਰਹਿ ਗਿਆ। ਮੈਂ ਸਮਝ ਗਿਆ ਕਿ ਉਸ ਨੂੰ ਕੋਈ ਸਾਈਕਲ-ਚੋਰ ਚੁੱਕ ਕੇ ਲੈ ਗਿਆ ਹੈ।

ਮੇਰਾ ਸਾਈਕਲ ਰਾਬਨ-ਹੁੱਡ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸ ਦਾ ਨੰਬਰ A-334060 ਹੈ। ਮੈਂ ਇਸ ਸਾਈਕਲ ਨੂੰ ਖ਼ਾਲਸਾ ਸਾਈਕਲ ਸਟੋਰ, ਜਲੰਧਰ ਤੋਂ ਮਾਰਚ, 2000 ਵਿਚ ਖ਼ਰੀਦਿਆ ਸੀ।ਉਸ ਦੀ ਰਸੀਦ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਹੈ। ਇਸ ਦੇ ਚੇਨ-ਕਵਰ ਉੱਤੇ ਮੇਰਾ ਨਾਂ ਲਿਖਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਇਸ ਦੀ ਉੱਚਾਈ 22 ਇੰਚ ਅਤੇ ਰੰਗ ਹਰਾ ਹੈ। ਮੈਂ ਸਾਈਕਲ ਦੀ ਸੂਹ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਨੂੰ 200 ਰੁਪਏ ਇਨਾਮ ਦੇਣ ਲਈ ਵੀ ਤਿਆਰ ਹਾਂ। ਮੈਂ ਆਸ ਕਰਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਆਪ ਆਪਣੇ ਕਰਮਚਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਹੁਕਮ ਦੇ ਕੇ ਮੇਰਾ ਸਾਈਕਲ ਲਭਾਉਣ ਵਿਚ ਮੇਰੀ ਪੂਰੀ-ਪੂਰੀ ਮੱਦਦ ਕਰੋਗੇ।

ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ।
ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ-ਪਾਤਰ,
……….. ਸਿੰਘ,
ਮਾਡਲ ਟਾਊਨ,
…….. ਸ਼ਹਿਰ।

ਮਿਤੀ : 10 ਦਸੰਬਰ, 20…………..

26. ਤੁਹਾਡਾ ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਗੁੰਮ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਦੀ ਰਿਪੋਰਟ ਲਿਖਾਉਣ ਲਈ ਆਪਣੇ ਥਾਣੇ ਦੇ ਐੱਸ. ਐੱਚ. ਓ. ਨੂੰ ਇਕ ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

1186 ਅਮਨ ਨਗਰ,
ਜਲੰਧਰ
18 ਸਤੰਬਰ, 20…….

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਐੱਸ.ਐੱਚ.ਓ. ਸਾਹਿਬ,
ਚੌਕੀ ਨੰ: 8,
ਜਲੰਧਰ।

ਵਿਸ਼ਾ-ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਦੇ ਗੁਆਚ ਜਾਣ ਸੰਬੰਧੀ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੇਰਾ ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਸੈਮਸੰਗ ਗਲੈਕਸੀ GXS1113i, ਜਿਸ ਵਿਚ ਏਅਰਟੈੱਲ ਕੰਪਨੀ ਦਾ ਸਿਮ ਕਾਰਡ ਹੈ ਤੇ ਇਸ ਦਾ ਨੰਬਰ 9141213861 ਹੈ, ਮੇਰੀ ਜੇਬ ਵਿਚੋਂ ਕਿਧਰੇ ਡਿਗ ਪੈਣ ਕਰ ਕੇ ਗੁਆਚ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਰਿਪੋਰਟ ਲਿਖ ਕੇ ਅਗਲੀ ਕਾਰਵਾਈ ਕੀਤੀ ਜਾਵੇ, ਤਾਂ ਜੋ ਮੈਨੂੰ ਕੰਪਨੀ ਤੋਂ ਇਸ ਨੰਬਰ ਦਾ ਸਿਮ ਕਾਰਡ ਜਲਦੀ ਤੋਂ ਜਲਦੀ ਮਿਲ ਸਕੇ।

ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ।

ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ-ਪਾਤਰ,
ਉ. ਅ.

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

27. ਸਕੂਲ ਮੁਖੀ ਨੂੰ ਐਨ. ਸੀ. ਸੀ., ਸਕਾਊਟ ਜਾਂ ਗਰਲ ਗਾਈਡ ਟੀਮ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਕਰਨ ਲਈ ਬਿਨੈ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ

ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ,
ਸਰਕਾਰੀ ਮਿਡਲ ਸਕੂਲ,
ਬੁੱਲੋਵਾਲ

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਐਨ.ਸੀ.ਸੀ. /ਸਕਾਊਟ/ਗਰਲ ਗਾਈਡ ਟੀਮ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹੋਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ/ਚਾਹੁੰਦੀ ਹਾਂ। ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਮੈਨੂੰ ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਆਗਿਆ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ, ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ/ ਹੋਵਾਂਗੀ।

ਆਪ ਦਾ/ਆਪ ਦੀ ਆਗਿਆਕਾਰ,
ਉ. ਅ. ਬ.
ਕਲਾਸ ਸੱਤਵੀਂ ਸੀ

ਮਿਤੀ : 10 ਸਤੰਬਰ, 20…..

28. ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਸਕੂਲ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਵਿਚ ਬਾਲ-ਰਸਾਲੇ ਤੇ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਮੰਗਵਾਉਣ ਲਈ ਇਕ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ,
……….. ਸਕੂਲ,
……….. ਸ਼ਹਿਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਵਿਚ ਨਾ ਤਾਂ ਕੋਈ ਬਾਲ ਰਸਾਲਾ ਮੰਗਵਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਨਾ ਹੀ ਪੰਜਾਬੀ ਦੀ ਕੋਈ ਅਖ਼ਬਾਰ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਆਪ ਜੀ ਨੂੰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਆਪ ਇਸ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਵਿਚ ‘ਚੰਦਾ ਮਾਮਾ, ‘ਪੰਖੜੀਆਂ’ ਆਦਿ ਰਸਾਲੇ ਤੇ “ਅਜੀਤ’ ਅਖ਼ਬਾਰ ਜ਼ਰੂਰ ਮੰਗਵਾਓ। ਇਸ ਦਾ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਲਾਭ ਹੋਵੇਗਾ।

ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰੀ
………. ਸਿੰਘ,
ਮਨੀਟਰ
ਰੋਲ ਨੰਬਰ 21, ਸੱਤਵੀਂ ਜਮਾਤ।

ਮਿਤੀ : 21 ਨਵੰਬਰ, 20…..

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

29. ਕਿਸੇ ਕਿਤਾਬਾਂ ਦੇ ਦੁਕਾਨਦਾਰ ਨੂੰ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖੋ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਕੁੱਝ ਕਿਤਾਬਾਂ ਮੰਗਾਉਣ ਲਈ ਆਰਡਰ ਭੇਜੋ।

ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
ਗੌਰਮਿੰਟ ਗਰਲਜ਼ ਹਾਈ ਸਕੂਲ,
ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਰੋਪੜ।
28 ਅਪਰੈਲ, 20…….

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੈਸਰਜ਼ ਮਲਹੋਤਰਾ ਬੁੱਕ ਡਿਪੋ,
ਐੱਮ. ਬੀ. ਡੀ. ਹਾਊਸ,
ਰੇਲਵੇ ਰੋਡ,
ਜਲੰਧਰ

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਮੈਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਜਲਦੀ ਤੋਂ ਜਲਦੀ ਵੀ. ਪੀ. ਪੀ. ਕਰ ਕੇ ਭੇਜ ਦਿਓ। ਕਿਤਾਬਾਂ ਦਾ ਐਡੀਸ਼ਨ ਨਵਾਂ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਜਿਲਦਾਂ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੋਣੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ। ਛਪਾਈ ਸਾਫ਼-ਸੁਥਰੀ ਹੋਵੇ ਕੀਮਤ ਵੀ ਵਾਜਬ ਹੀ ਲੱਗਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਲੋੜੀਂਦਾ ਕਮਿਸ਼ਨ ਕੱਟ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ।

ਕਿਤਾਬਾਂ ਦੀ ਸੂਚੀ
1. ਐੱਮ. ਬੀ. ਡੀ. ਪੰਜਾਬੀ ਗਾਈਡ – (ਸੱਤਵੀਂ ਸ਼੍ਰੇਣੀ) 1 ਪੁਸਤਕ
2. ਐੱਮ. ਬੀ. ਡੀ, ਗਣਿਤ
3. ਐੱਮ. ਬੀ. ਡੀ. ਇੰਗਲਿਸ਼ ਟੈਸਟ ਪੇਪਰ
4. ਐੱਮ. ਬੀ. ਡੀ. ਹਿੰਦੀ ਗਾਈਡ
ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ।

ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ-ਪਾਤਰ,
ਰੋਲ ਨੰ: ……..

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

30. ਤੁਹਾਡੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਕੋਈ ਮੈਚ ਦੇਖਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਸੰਬੰਧ ਵਿਚ ਆਪਣੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ ਤੋਂ ਆਗਿਆ ਲੈਣ ਲਈ ਬਿਨੈ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ,
……….. ਸਕੂਲ,
………. ਸ਼ਹਿਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਅੱਜ ਚੌਥੇ ਪੀਰੀਅਡ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਖ਼ਾਲਸਾ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ ਜੀ. ਟੀ. ਰੋਡ ਦੀ ਗਰਾਊਂਡ ਵਿਚ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਤੇ ਸਾਈਂ ਦਾਸ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ ਦੀਆਂ ਟੀਮਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਹਾਕੀ ਦਾ ਮੈਚ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਸਾਡੀ ਸਾਰੀ ਜਮਾਤ ਇਸ ਮੈਚ ਨੂੰ ਦੇਖਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਵਿਚ ਸਾਡੀ ਜਮਾਤ ਦੇ ਦੋ ਖਿਡਾਰੀ ਖੇਡ ਰਹੇ ਹਨ। ਜੇਕਰ ਆਪ ਸਾਡੀ ਸਾਰੀ ਜਮਾਤ ਨੂੰ ਇਹ ਮੈਚ ਦੇਖਣ ਦੀ ਆਗਿਆ ਦੇ ਦੋਵੋ, ਤਾਂ ਆਪ ਦੀ ਬਹੁਤ ਮਿਹਰਬਾਨੀ ਹੋਵੇਗੀ।

ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ।

ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ-ਪਾਤਰ,
ਮਨਿੰਦਰ ਸਿੰਘ,
ਮਨੀਟਰ,
ਸੱਤਵੀਂ “ਏ”

ਮਿਤੀ : 10 ਨਵੰਬਰ, 20……

31. ਤੁਹਾਡਾ ਬੈਗ ਗੁਆਚ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਸਦੀ ਭਾਲ ਲਈ ਆਪਣੇ ਇਲਾਕੇ ਦੇ ਥਾਣਾ ਮੁਖੀ ਨੂੰ ਇਕ ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

217/10, ਅਵਤਾਰ ਨਗਰ,
ਜਲੰਧਰ।
13 ਸਤੰਬਰ, 20…
ਐੱਸ. ਐੱਚ. ਓ. ਸਾਹਿਬ,
ਚੌਕੀ ਨੰਬਰ 6,
ਜਲੰਧਰ।

ਵਿਸ਼ਾ : ਗੁਆਚੇ ਬੈਗ ਦੀ ਭਾਲ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਕਲ਼ ਮੈਂ ਸਾਈਕਲ ਉੱਤੇ ਆਪਣੇ ਘਰੋਂ ਐੱਮ. ਜੀ. ਐੱਨ. ਸਕੂਲ ਆਦਰਸ਼ ਨਗਰ ਵੱਲ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸਾਂ ਕਿ ਪਿੱਛੇ ਕੈਰੀਅਰ ਉੱਤੇ ਰੱਖਿਆ ਮੇਰਾ ਬੈਗ ਕਿਧਰੇ ਡਿਗ ਪਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਵਿਚ ਮੇਰੀਆਂ ਕਿਤਾਬਾਂ-ਕਾਪੀਆਂ ਤੇ ਰੋਟੀ ਦਾ ਡੱਬਾ ਹੈ। ਕਿਤਾਬਾਂ-ਕਾਪੀਆਂ ਉੱਤੇ ਮੇਰਾ ਨਾਂ ਲਿਖਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਆਪ ਜੀ ਨੂੰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਰਿਪੋਰਟ ਲਿਖ ਕੇ ਮੇਰਾ ਬੈਗ ਲੱਭਣ ਵਿਚ ਮੱਦਦ ਕਰੋ। ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ।

ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ-ਪਾਤਰ,
ਗੁਰਪ੍ਰਤਾਪ ਸਿੰਘ॥

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

32. ਆਪਣੇ ਬਲਾਕ ਦੇ ਬੀ. ਡੀ. ਓ. ਨੂੰ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖ ਕੇ ਸ਼ਕਾਇਤ ਕਰੋ ਕਿ ਤੁਹਾਡੇ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਸਰਕਾਰੀ ਗ੍ਰਾਂਟ ਦੀ ਕਿਸ ਤਰਾਂ ਗਲਤ ਵਰਤੋਂ ਹੋਈ ਹੈ ?

ਪਿੰਡ …………..
ਬਲਾਕ …………..
ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ……………।
20 ਸਤੰਬਰ, 20……

ਬੀ.ਡੀ.ਓ. ਸਾਹਿਬ,
ਬਲਾਕ ………..
ਜ਼ਿਲਾ ………….

ਵਿਸ਼ਾ : ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਸਰਕਾਰੀ ਗ੍ਰਾਂਟ ਦੀ ਦੁਰਵਰਤੋਂ ਸੰਬੰਧੀ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਾਡੇ ਪਿੰਡ …………… ਨੂੰ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ 3,50,000 ਦੀ ਜਿਹੜੀ ਗਰਾਂਟ ਪਿੰਡ ਦੇ 125 ਦਲਿਤ ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਫਲੱਸ਼ ਟਾਇਲਟ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਆਈ ਸੀ, ਉਸਦੀ ਦੁਰਵਰਤੋਂ ਕਰਦਿਆਂ ਸਰਪੰਚ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਇਕ ਪੰਚ ਨਾਲ ਮਿਲ ਕੇ ਉਸ ਦਾ ਵੱਡਾ ਹਿੱਸਾ ਆਪਣੇ ਨੇੜੇ-ਤੇੜੇ ਦੀਆਂ ਗਲੀਆਂ ਅਤੇ ਨਾਲੀਆਂ, ਪੱਕੀਆਂ ਕਰਾਉਣ ਤੇ ਲਾਈਟਾਂ ਲਗਾਉਣ ਉੱਤੇ ਖ਼ਰਚ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ ਤੇ ਇਸਦਾ ਠੇਕਾ ਵੀ ਆਪਣੇ ਇਕ ਚਹੇਤੇ ਨੂੰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ। ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਦਲਿਤ ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਫਲੱਸ਼/ਟਾਇਲਟਾਂ ਬਣਾਉਣ ਦਾ ਕੰਮ ਵਿੱਚੇ ਰਹਿ ਗਿਆ ਹੈ। ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਇਸ ਮਾਮਲੇ ਦੀ ਪੜਤਾਲ ਕਰਕੇ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਵਿਰੁੱਧ ਕਾਰਵਾਈ ਕੀਤੀ ਜਾਵੇ।

ਆਪ ਦੇ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਪਾਤਰ,
ਉ.ਅ.ਦ.
ਪੰਚਾਇਤ ਦਾ ਦਲਿਤ ਮੈਂਬਰ।

33. ਤੁਹਾਡੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਪੀਣ ਦੇ ਪਾਣੀ ਦਾ ਯੋਗ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨਹੀਂ ਸ਼ਹਿਰ ਦੇ ਪਬਲਿਕ ਹੈਲਥ ਅਫ਼ਸਰ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਰਥਨਾ ਪੱਤਰ ਲਿਖ ਕੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਨ ਲਈ ਬੇਨਤੀ ਕਰੋ।

ਸੇਂਵਾ ਵਿਖੇ
ਹੈਲਥ ਅਫ਼ਸਰ,
ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ………….
…………. ਸ਼ਹਿਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਅਸੀਂ ਸਰਕਾਰੀ ਹਾਈ ਸਕੂਲ, ਪਟਿਆਲਾ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਹਾਂ। ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਪੀਣ ਦੇ ਪਾਣੀ ਦਾ ਠੀਕ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨਹੀਂ। ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਲੱਗੇ ਨਲਕੇ ਦੇ ਨੇੜੇ ਹੀ ਇਕ-ਗੰਦੇ ਪਾਣੀ ਦਾ ਛੱਪੜ ਹੈ, ਜਿਸ ਵਿਚਲਾ ਪਾਣੀ ਸਾਫ਼ ਨਾ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਬੱਚੇ ਆਮ ਕਰਕੇ ਪੇਟ ਦਰਦ ਤੇ ਟੱਟੀਆਂ ਤੇ ਮਰੀਜ਼ ਬਣੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਪੀਣ ਦੇ ਸਾਫ਼ ਪਾਣੀ ਦੀ ਸਖ਼ਤ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੈ। ਕਿਰਕਾ ਕਰ ਕੇ ਆਪ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਪਾਣੀ ਸਪਲਾਈ ਕਰਨ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰ ਦੇਵੋ। ਅਸੀਂ ਆਪ ਦੇ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗੇ।

ਆਪ ਦੇ ਵਿਸ਼ਵਾਸ-ਪਾਤਰ
1. ਗੁਰਮੀਤ ਸਿੰਘ, ਦਸਵੀਂ ਬੀ,
2. ਅਸ਼ੋਕ ਕੁਮਾਰ, ਨੌਵੀਂ ਬੀ,
3. ਸੁਰਿੰਦਰ ਸਿੰਘ, ਅੱਠਵੀਂ ਬੀ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

34. ਆਪਣੇ ਪਿੰਡ ਦੇ ਸਰਪੰਚ ਨੂੰ ਆਪਣੀਆਂ ਗਲੀਆਂ ਤੇ ਨਾਲੀਆਂ ਪੱਕੀਆਂ ਕਰਵਾਉਣ ਲਈ ਬਿਨੈ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਸਰਪੰਚ ਸਾਹਿਬ
ਬੇਗ਼ਮਪੁਰ ਜੰਡਿਆਲਾ,
ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਆਪ ਜਾਣਦੇ ਹੀ ਹੋ ਕਿ ਪੰਚਾਇਤ ਨੇ ਆਪ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਤੋਂ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਸਾਰੀਆਂ ਗਲੀਆਂ ਤੇ ਨਾਲੀਆਂ ਪੱਕੀਆਂ ਕਰਨ ਦਾ ਕੰਮ ਆਰੰਭਿਆ ਸੀ। ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਪਿੰਡ ਵਿਚੋਂ ਪੰਚਾਇਤ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਲਈ ਮਾਇਆ ਵੀ ਇਕੱਠੀ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ। ਸਾਡੀ ਗਲੀ ਵਿਚ ਜਿੰਨੇ ਘਰ ਹਨ, ਸਾਰਿਆਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਜ਼ਿੰਮੇ ਲੱਗੇ ਪੈਸੇ ਪੰਚਾਇਤ ਨੂੰ ਦਿੱਤੇ ਸਨ, ਪਰੰਤੂ ਅਫ਼ਸੋਸ ਦੀ ਗੱਲ ਹੈ ਕਿ ਹੋਰ ਸਾਰੇ ਪਿੰਡ ਦੀਆਂ ਗਲੀਆਂ ਤੇ ਨਾਲੀਆਂ ਪੱਕੀਆਂ ਬਣ ਚੁੱਕੀਆਂ ਹਨ, ਪਰ ਸਾਡੀ ਗਲੀ ਅਜੇ ਤਕ ਕੱਚੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਘਰਾਂ ਦਾ ਪਾਣੀ ਜਮ੍ਹਾਂ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਖੋਭਾ ਤੇ ਚਿੱਕੜ ਹੋਇਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ।

ਇਸ ਵਿਚ ਕਈ ਨਿੱਕੀਆਂ-ਨਿੱਕੀਆਂ ਛੱਪੜੀਆਂ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਇੱਥੇ ਮੱਖੀਆਂ ਤੇ ਮੱਛਰ ਪਲ ਰਹੇ ਹਨ, ਜੋ ਕਿ ਸਾਰੇ ਪਿੰਡ ਵਾਸੀਆਂ ਦੀ ਸਿਹਤ ਲਈ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਹਨ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਆਪ ਜੀ ਨੂੰ ਬੇਨਤੀ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਕਿ ਆਪ ਪਿੰਡ ਦੀ ਇਸ ਰਹਿੰਦੀ ਕੱਚੀ ਗਲੀ ਵਿਚ ਵੀ ਇੱਟਾਂ ਦਾ ਫ਼ਰਸ਼ ਲੁਆ ਕੇ ਨਾਲ-ਨਾਲ ਪੱਕੀ ਨਾਲੀ ਬਣਵਾ ਦਿਓ, ਤਾਂ ਜੋ ਗਲੀ ਸਾਫ਼-ਸੁਥਰੀ, ਸੁੱਕੀ ਤੇ ਸੋਹਣੀ ਰਹੇ ਅਤੇ ਲੰਘਣ-ਵੜਨ ਵਾਲਿਆਂ ਨੂੰ ਤੰਗੀ ਨਾ ਹੋਵੇ।

ਆਸ ਹੈ ਕਿ ਆਪ ਸਾਡੇ ਘਰਾਂ ਦੀ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਵਲ ਜਲਦੀ ਧਿਆਨ ਦਿਓਗੇ ਤੇ ਸਾਡੀ ਗਲੀ ਵਿਚ ਫ਼ਰਸ਼ ਲੁਆਉਣ ਲਈ ਜਲਦੀ ਹੀ ਕੰਮ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿਓਗੇ।

ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ !
ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ-ਪਾਤਰ
ਰੋਲ ਨੰਬਰ …………

ਮਿਤੀ : ਸਤੰਬਰ 30, 20…

35. ਤੁਹਾਡੀ ਸ਼ੇਣੀ ਚਿੜੀਆ-ਘਰ ਵੇਖਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਸੰਬੰਧ ਵਿਚ ਆਪਣੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ ਤੋਂ ਆਗਿਆ ਲੈਣ ਲਈ ਬਿਨੈ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਜਾਂ
ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਇਕ ਦਿਨ ਦਾ ਵਿੱਦਿਅਕ ਟੂਰ ਲਿਜਾਣ ਦੀ ਆਗਿਆ ਲੈਣ ਲਈ ਇਕ ਬੇਨਤੀ-ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ,
…….. ਸਕੂਲ,
…….. ਸ਼ਹਿਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਸਾਡੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ 22 ਨਵੰਬਰ ਨੂੰ ਛੱਤਬੀੜ ਚਿੜੀਆ-ਘਰ ਦੀ ਸੈਰ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਦਿਨ ਐਤਵਾਰ ਹੋਵੇਗਾ ਆਪ ਸਾਨੂੰ ਇਸ ਦਿਨ ਇਹ ਚਿੜੀਆ-ਘਰ ਦੇਖਣ ਲਈ ਵਿੱਦਿਅਕ ਟੂਰ ਉੱਤੇ ਜਾਣ ਦੀ ਆਗਿਆ ਦੇਵੋ। ਆਪ ਦੀ ਆਗਿਆ ਮਿਲਣ ‘ਤੇ ਅਸੀਂ ਆਪਣੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਦੇ ਹਰ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਤੋਂ ਦੋ-ਦੋ ਸੌ ਰੁਪਏ ਇਕੱਤਰ ਕਰਾਂਗੇ ਤੇ ਇਕ ਬੱਸ ਕਿਰਾਏ ਉੱਤੇ ਲਵਾਂਗੇ।

ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਆਪ ਕਿਸੇ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਡਿਊਟੀ ਲਾ ਦੇਵੋ, ਜੋ ਕਿ ਸਾਡੀ ਯੋਗ ਅਗਵਾਈ ਕਰਨ ਤੇ ਸਾਨੂੰ ਚਿੜੀਆ-ਘਰ ਦਿਖਾ ਕੇ ਲਿਆਉਣ। ਆਪ ਜੀ ਨੂੰ ਇਹ ਬੇਨਤੀ ਵੀ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਕਿ ਆਪ ਸਕੂਲ ਦੇ ਫੰਡ ਵਿਚੋਂ ਵੀ ਸਾਡੀ ਇਸ ਸੈਰ ਦੇ ਖ਼ਰਚ ਲਈ ਕੁੱਝ ਰਕਮ ਮਨਜ਼ੂਰ ਕਰੋ।

ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ।
ਆਪ ਦੀ ਆਗਿਆਕਾਰੀ,
ਹਰਨੇਕ ਸਿੰਘ,
ਮਨੀਟਰ, ਸੱਤਵੀਂ ਸ਼੍ਰੇਣੀ।

ਮਿਤੀ : 12 ਨਵੰਬਰ, 20…..

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

Punjab State Board PSEB 7th Class Punjabi Book Solutions Punjabi Rachana Lekha Rachana ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB 7th Class Punjabi Rachana ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

1. ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ

ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਮੋਢੀ ਸਨ। ਆਪ ਦਾ ਜਨਮ 15 ਅਪਰੈਲ, 1469 ਈ: ਨੂੰ ਰਾਏ ਭੋਇ ਦੀ ਤਲਵੰਡੀ (ਅੱਜ – ਕਲ੍ਹ ਨਨਕਾਣਾ ਸਾਹਿਬ, ਪਾਕਿਸਤਾਨ) ਵਿਚ ਹੋਇਆ। ਉੱਬ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਰਵਾਇਤ ਅਨੁਸਾਰ ਆਪ ਦਾ ਜਨਮ ਕੱਤਕ ਦੀ ਪੂਰਨਮਾਸ਼ੀ ਨੂੰ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਆਪ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਮਹਿਤਾ ਕਾਲੂ ਅਤੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਤ੍ਰਿਪਤਾ ਸੀ !

ਜਿਸ ਸਮੇਂ ਆਪ ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਆਏ, ਉਸ ਸਮੇਂ ਹਰ ਪਾਸੇ ਜਬਰ – ਜ਼ੁਲਮ ਹੋ ਰਿਹਾ ਸੀ। ਹਰ ਪਾਸੇ ਪਾਖੰਡ ਤੇ ਅਨਿਆਂ ਪ੍ਰਧਾਨ ਸੀ।

ਸੱਤ ਸਾਲ ਦੀ ਉਮਰ ਵਿਚ ਆਪ ਨੂੰ ਪਾਂਧੇ ਕੋਲ ਪੜ੍ਹਨ ਲਈ ਭੇਜਿਆ ਗਿਆ। ਆਪ ਨੇ ਆਪਣੇ ਵਿਚਾਰ ਦੱਸ ਕੇ ਪਾਂਧੇ ਨੂੰ ਨਿਹਾਲ ਕੀਤਾ ਜਵਾਨ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਆਪ ਦਾ ਮਨ ਘਰ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿਚ ਨਾ ਲੱਗਾ। ਪਿਤਾ ਮਹਿਤਾ ਕਾਲੂ ਨੇ ਆਪ ਨੂੰ ਆਪ ਦੀ ਭੈਣ ਬੇਬੇ ਨਾਨਕੀ ਕੋਲ ਸੁਲਤਾਨਪੁਰ ਭੇਜ ਦਿੱਤਾ ਇੱਥੇ ਆਪ ਨੇ ਨਵਾਬ ਦੌਲਤ ਖਾਂ ਲੋਧੀ ਦਾ ਮੋਦੀਖਾਨਾ ਚਲਾਇਆ। ਸੁਲਤਾਨਪੁਰ ਵਿਚ ਹੀ ਇਕ ਦਿਨ ਆਪ ਵੇਈਂ ਨਦੀ ਵਿਚ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰਨ ਗਏ ਤੇ ਤਿੰਨ ਦਿਨ ਅਲੋਪ ਰਹੇ।

ਇਸ ਸਮੇਂ ਆਪ ਨੂੰ ਨਿਰੰਕਾਰ ਵਲੋਂ ਸੰਸਾਰ ਦਾ ਕਲਿਆਣ ਕਰਨ ਦਾ ਸੁਨੇਹਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਇਆ ਇਸ ਤੋਂ ਪਿੱਛੋਂ ਆਪ ਨੇ ਸੰਸਾਰ ਨੂੰ ਤਾਰਨ ਲਈ ਪੂਰਬ, ਦੱਖਣ, ਉੱਤਰ ਤੇ ਪੱਛਮ ਦੀਆਂ ਚਾਰ ਉਦਾਸੀਆਂ ਕੀਤੀਆਂ ਤੇ ਸੰਸਾਰ ਨੂੰ ਸੱਚ ਦਾ ਉਪਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ। ਆਪ ਹਿੰਦੂਆਂ ਦੇ ਗੁਰੂ ਤੇ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਦੇ ਪੀਰ ਕਹਾਏ।

ਆਪ ਨੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀ ਬਾਣੀ ਰਚੀ। ਆਪ ਨੇ ਆਪਣੀ ਗੱਦੀ ਦਾ ਵਾਰਸ ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਨਾਂ ਨਾਲ ਸੁਸ਼ੋਭਿਤ ਕਰਕੇ ਚੁਣਿਆ। 22 ਸਤੰਬਰ, 1539 ਈ: ਨੂੰ ਆਪ ਕਰਤਾਰਪੁਰ ਵਿਚ ਜੋਤੀ – ਜੋਤ ਸਮਾ ਗਏ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

2. ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ

ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਦਸਵੇਂ ਗੁਰੂ ਹੋਏ ਹਨ ਆਪ ਦਾ ਜਨਮ 1666 ਈ: ਵਿਚ ਪਟਨਾ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਖੇ ਮਾਤਾ ਗੁਜਰੀ ਜੀ ਦੀ ਕੁੱਖੋਂ ਹੋਇਆ। ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਆਪ ਦੇ ਪਿਤਾ ਸਨ। ਬਚਪਨ ਵਿਚ ਆਪ ਆਪਣੇ ਹਾਣੀਆਂ ਨਾਲ ਕਈ ਤਰਾਂ ਦੇ ਚੋਜ ਕਰਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ। 1672 ਈ: ਵਿਚ ਆਪ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਪਟਨੇ ਤੋਂ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਆ ਗਏ। ਇੱਥੇ ਆਪ ਨੇ ਸ਼ਸਤਰ ਵਿੱਦਿਆ ਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਵਿੱਦਿਆ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ। ਮੁਗ਼ਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੇ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਨੂੰ ਖ਼ਤਮ ਕਰਨ ਲਈ ਅੱਤ ਚੁੱਕੀ ਹੋਈ ਸੀ।

ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਪੰਡਤ ਦੁਖੀ ਹੋ ਕੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਕੋਲ ਸਹਾਇਤਾ ਲਈ ਫ਼ਰਿਆਦ ਲੈ ਕੇ ਆਏ। ਉਸ ਸਮੇਂ ਆਪ ਕੇਵਲ 9 ਸਾਲਾਂ ਦੇ ਸਨ ਆਪ ਨੇ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੂੰ ਔਰੰਗਾਂਜ਼ੇਬ ਦੇ ਜ਼ੁਲਮਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਕੁਰਬਾਨੀ ਦੇਣ ਲਈ ਦਿੱਲੀ ਭੇਜਿਆ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਪਿੱਛੋਂ ਆਪ ਨੇ ਕੌਮ ਨੂੰ ਇਕ – ਮੁੱਠ ਕਰ ਕੇ ਸ਼ਸਤਰ ਵਿੱਦਿਆ ਦੇਣੀ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ।

1699 ਈ: ਵਿਚ ਵਿਸਾਖੀ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਆਪ ਨੇ ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਸਾਜਿਆ ਤੇ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਦੀ ਦਾਤ ਬਖ਼ਸ਼ੀ। ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੂੰ ਪਹਾੜੀ ਰਾਜਿਆਂ ਤੇ ਮੁਗ਼ਲ ਫ਼ੌਜਾਂ ਨਾਲ ਕਈ ਲੜਾਈਆਂ ਲੜਨੀਆਂ ਪਈਆਂ। ਆਪ ਦੇ ਦੁਸ਼ਮਣਾਂ ਨੂੰ ਹਰ ਥਾਂ ਹਾਰ ਦਾ ਮੂੰਹ ਦੇਖਣਾ ਪਿਆ ਆਪ ਦੇ ਦੋ ਛੋਟੇ ਸਾਹਿਬਜ਼ਾਦਿਆਂ ਨੂੰ ਸਰਹੰਦ ਦੇ ਨਵਾਬ ਨੇ ਨੀਹਾਂ ਵਿਚ ਚਿਣਵਾ ਦਿੱਤਾ। ਦੋ ਵੱਡੇ ਸਾਹਿਬਜ਼ਾਦੇ ਚਮਕੌਰ ਦੀ ਜੰਗ ਵਿਚ ਸ਼ਹੀਦ ਹੋ ਗਏ।

ਅੰਤ ਆਪ ਨੰਦੇੜ ਪੁੱਜੇ। 1708 ਈ: ਵਿਚ ਆਪ ਇੱਥੇ ਹੀ ਜੋਤੀ – ਜੋਤ ਸਮਾ ਗਏ।

3. ਮਹਾਤਮਾ ਗਾਂਧੀ

ਮਹਾਤਮਾ ਗਾਂਧੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਰਾਸ਼ਟਰ – ਪਿਤਾ ਸਨ। ਆਪ ਨੇ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਲਈ ਘੋਲ ਕੀਤਾ ਆਪ ਅਹਿੰਸਾ ਦੇ ਅਵਤਾਰ ਸਨ। ਆਪ ਦਾ ਜਨਮ 2 ਅਕਤੂਬਰ, 1869 ਈ: ਨੂੰ ਪੋਰਬੰਦਰ (ਕਾਠੀਆਵਾੜ), ਗੁਜਰਾਤ ਵਿਚ ਹੋਇਆ। ਆਪ ਦਾ ਪੂਰਾ ਨਾਂ ਮੋਹਨ ਦਾਸ ਕਰਮ ਚੰਦ ਗਾਂਧੀ ਸੀ। ਆਪ ਸਦਾ ਸੱਚ ਬੋਲਦੇ ਸਨ ਤੇ ਮਾਤਾ – ਪਿਤਾ ਦੀ ਆਗਿਆ ਦਾ ਪਾਲਣ ਕਰਦੇ ਸਨ 1 ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਬੀ. ਏ. ਪਾਸ ਕਰ ਕੇ ਆਪ ਨੇ ਵਲਾਇਤ ਤੋਂ ਬੈਰਿਸਟਰੀ ਦੀ ਡਿਗਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ।

ਆਪ ਦੇ ਮਨ ਵਿਚ ਦੇਸ਼ – ਪਿਆਰ ਠਾਠਾਂ ਮਾਰ ਰਿਹਾ ਸੀ। ਆਪ ਨੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਅਜ਼ਾਦ ਕਰਾਉਣ ਦਾ ਨਿਸਚਾ ਕਰ ਲਿਆ ਆਪ ਨੇ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਦੀ ਵਾਗ – ਡੋਰ ਸੰਭਾਲ ਕੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਪੀ ਰੂ ਕੀਤਾ ਤੇ ਨਾ – ਮਿਲਵਰਤਨ ਲਹਿਰ ਤੇ ਹੋਰ ਲਹਿਰਾਂ ਚਲਾਈਆਂ। ਗਾਂਧੀ ਜੀ ਕਈ ਵਾਰ ਜੇਲ ਗਏ 1930 ਈ: ਵਿਚ ਆਪ ਨੇ ਲੁਣ ਦਾ ਸਤਿਆਗ੍ਰਹਿ ਕੀਤਾ 1942 ਈ: ਵਿਚ ਆਪ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ‘ਭਾਰਤ ਛੱਡੋ’ ਲਹਿਰ ਚਲਾਈ।

ਅੰਤ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮਜਬੂਰ ਹੋ ਕੇ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਈ: ਨੂੰ ਹਥਿਆਰ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤੇ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਅਜ਼ਾਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਵੰਡ ਕਾਰਨ ਹੋਏ ਫ਼ਿਰਕੂ – ਫ਼ਸਾਦਾਂ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਆਪ ਬਹੁਤ ਦੁਖੀ ਹੋਏ।

ਆਪ ਅਛੂਤ – ਉਧਾਰ ਦੇ ਬਹੁਤ ਹਾਮੀ ਸਨ ਅਤੇ ਆਪ ਨੇ ਜਾਤ – ਪਾਤ ਤੇ ਛੂਤ – ਛਾਤ ਦੇ ਭੇਦ – ਭਾਵ ਨੂੰ ਖ਼ਤਮ ਕਰਨ ਲਈ ਸਿਰ – ਤੋੜ ਯਤਨ ਕੀਤੇ। 30 ਜਨਵਰੀ, 1948 ਈ: ਨੂੰ ਹਤਿਆਰੇ ਨੱਥੂ ਰਾਮ ਗੌਡਸੇ ਨੇ ਗੋਲੀਆਂ ਮਾਰ ਕੇ ਆਪ ਨੂੰ ਸ਼ਹੀਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

4. ਪੰਡਿਤ ਜਵਾਹਰ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ

ਪੰਡਿਤ ਜਵਾਹਰ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ ਦਾ ਜਨਮ 14 ਨਵੰਬਰ, 1889 ਈ: ਨੂੰ ਅਲਾਹਾਬਾਦ ਵਿਚ ਉੱਘੇ ਵਕੀਲ ਤੇ ਦੇਸ਼ – ਭਗਤ ਪੰਡਿਤ ਮੋਤੀ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ ਦੇ ਘਰ ਹੋਇਆ। ਆਪ ਨੇ ਇੰਗਲੈਂਡ ਤੋਂ ਬੈਰਿਸਟਰੀ ਦੀ ਡਿਗਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ। ਇੰਗਲੈਂਡ ਤੋਂ ਵਾਪਸ ਪਰਤ ਕੇ ਆਪ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੀ ਲਹਿਰ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਲੈਣ ਲੱਗੇ।

1920 ਈ: ਵਿਚ ਜਦੋਂ ਗਾਂਧੀ ਜੀ ਨੇ ਨਾ – ਮਿਲਵਰਤਨ ਲਹਿਰ ਚਲਾਈ, ਤਾਂ ਨਹਿਰੂ ਜੀ ਨੇ ਪਰਿਵਾਰ ਸਮੇਤ ਇਸ ਲਹਿਰ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਲਿਆ 1930 ਈ: ਵਿਚ ਪੰਡਿਤ ਨਹਿਰੂ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਚੁਣੇ ਗਏ ਆਪ ਕਈ ਵਾਰ ਜੇਲ੍ਹ ਗਏ।

ਅੰਤ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਈ: ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਅਜ਼ਾਦ ਹੋ ਗਿਆ ਭਾਰਤ ਦੇ ਦੋ ਟੋਟੇ ਹੋ ਗਏ। ਆਪ ਅਜ਼ਾਦ ਭਾਰਤ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਬਣੇ।

ਪੰਡਿਤ ਨਹਿਰੂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਭਾਰਤ ਨੇ ਬਹੁਤ ਤੰਰੱਕੀ ਕੀਤੀ। ਆਪ ਨੇ ਹਰ ਇਕ ਦੇਸ਼ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾ ਵਧਾਈ। ਆਪ ਜੰਗ ਦੇ ਵਿਰੋਧੀ ਅਤੇ ਸ਼ਾਂਤੀ ਦੇ ਪੁਜਾਰੀ ਸਨ।

ਪੰਡਿਤ ਨਹਿਰੂ ਦੇ ਦਿਲ ਵਿਚ ਦੇਸ਼ – ਵਾਸੀਆਂ ਨਾਲ ਅਥਾਹ ਪਿਆਰ ਸੀ। ਬੱਚੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ‘ਚਾਚਾ ਨਹਿਰੂ’ ਆਖ ਕੇ ਪੁਕਾਰਦੇ ਸਨ। ਭਾਰਤ ਵਾਸੀਆਂ ਦਾ ਇਹ ਹਰਮਨ – ਪਿਆਰਾ ਨੇਤਾ 27 ਮਈ, 1964 ਨੂੰ ਦਿਲ ਦੀ ਧੜਕਣ ਬੰਦ ਹੋਣ ਨਾਲ ਅੱਖਾਂ ਮੀਟ ਗਿਆ।

5. ਸ਼ਹੀਦ ਸ: ਭਗਤ ਸਿੰਘ

ਸ: ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਸਿਰਲੱਥ ਯੋਧਾ ਸੀ। ਉਸ ਦਾ ਪਿਤਾ ਸ: ਕਿਸ਼ਨ ਸਿੰਘ ਕਾਂਗਰਸ ਦਾ ਉੱਘਾ ਲੀਡਰ ਸੀ। ਸ: ਅਜੀਤ ਸਿੰਘ ਜਲਾਵਤਨ ਉਸ ਦਾ ਚਾਚਾ ਸੀ। ਉਸ ਦਾ ਜਨਮ 28 ਸਤੰਬਰ, 1907 ਈ: ਨੂੰ ਚੱਕ ਨੰਬਰ 105, ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਲਾਇਲਪੁਰ ਵਿਚ ਹੋਇਆ ਖਟਕੜ ਕਲਾਂ (ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਜਲੰਧਰ) ਉਸ ਦਾ ਜੱਦੀ ਪਿੰਡ ਸੀ।

ਬਚਪਨ ਵਿਚ ਜਲ੍ਹਿਆਂ ਵਾਲੇ ਬਾਗ ਦੇ ਖੂਨੀ ਕਾਂਡ ਨੇ ਉਸ ਦੇ ਮਨ ਉੱਪਰ ਡੂੰਘਾ ਅਸਰ ਪਾਇਆ। 1925 ਵਿਚ ਭਗਤ ਸਿੰਘ, ਸੁਖਦੇਵ, ਭਗਵਤੀ ਚਰਨ ਤੇ ਧਨਵੰਤੀ ਆਦਿ ਨੇ “ਨੌਜਵਾਨ ਭਾਰਤ ਸਭਾ’ ਬਣਾਈ ਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਘੋਲ ਆਰੰਭ ਕਰ ਦਿੱਤਾ।

ਸ: ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਤੇ ਉਸ ਦੇ ਸਾਥੀਆਂ ਨੇ ਲਾਲਾ ਲਾਜਪਤ ਰਾਏ ਦੇ ਕਤਲ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲੈਣ ਲਈ ਸਾਂਡਰਸ ਨੂੰ ਮਾਰਿਆ। ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ 8 ਅਪਰੈਲ, 1929 ਨੂੰ ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਤੇ ਬੀ. ਕੇ. ਦੱਤ ਨੇ ਧਮਾਕੇ ਵਾਲੇ ਦੋ ਬੰਬ ਅਸੈਂਬਲੀ ਹਾਲ ਵਿਚ ਸੁੱਟੇ ਤੇ “ਇਨਕਲਾਬ ਜ਼ਿੰਦਾਬਾਦ’ ਦੇ ਨਾਅਰੇ ਲਾਉਂਦਿਆਂ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰੀ ਦੇ ਦਿੱਤੀ।

ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਮੁਕੱਦਮੇ ਦਾ ਡਰਾਮਾ ਰਚ ਕੇ ਬੰਬ ਸੁੱਟਣ ਦੇ ਦੋਸ਼ ਵਿਚ ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਤੇ ਬੀ. ਕੇ. ਦੱਤ ਨੂੰ ਉਮਰ ਕੈਦ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਦਿੱਤੀ। ਸਾਂਡਰਸ ਦੇ ਕਤਲ ਦੇ ਦੋਸ਼ ਵਿਚ ਅਦਾਲਤ ਨੇ 7 ਅਕਤੂਬਰ, 1930 ਨੂੰ ਭਗਤ ਸਿੰਘ, ਸੁਖਦੇਵ ਤੇ ਰਾਜਗੁਰੂ ਨੂੰ ਫਾਂਸੀ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਸੁਣਾਈ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਗਾਂਧੀ ਜੀ ਦਾ ਲੂਣ ਦਾ ਮੋਰਚਾ ਚਲ ਰਿਹਾ ਸੀ ਲੋਕ ਬੜੇ ਜੋਸ਼ ਵਿਚ ਸਨ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਅੰਗਰੇਜ਼ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਡਰਦਿਆਂ 23 ਮਾਰਚ, 1931 ਨੂੰ ਰਾਤ ਵੇਲੇ ਹੀ ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਤੇ ਉਸਦੇ ਦੋਹਾਂ ਸਾਥੀਆਂ ਨੂੰ ਫਾਂਸੀ ਲਾਇਆ ਤੇ ਲੋਥਾਂ ਵਾਰਸਾਂ ਦੇ ਹਵਾਲੇ ਕਰਨ ਦੀ ਥਾਂ ਪਿਛਲੇ ਚੋਰ ਦਰਵਾਜ਼ੇ ਥਾਣੀ ਕੱਢ ਕੇ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ਲੈ ਗਏ। ਤਿੰਨਾਂ ਦੀ ਇਕੱਠੀ ਚਿਖਾ ਬਣਾ ਕੇ ਤੇ ਮਿੱਟੀ ਦਾ ਤੇਲ ਪਾ ਕੇ ਅੱਗ ਲਾ ਦਿੱਤੀ। ਅੱਧਸੜੀਆਂ ਲਾਸ਼ਾਂ ਪੁਲਿਸ ਨੇ ਦਰਿਆ ਸਤਲੁਜ ਵਿਚ ਰੋੜ੍ਹ ਦਿੱਤੀਆਂ।

ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਤੇ ਉਸ ਦੇ ਸਾਥੀਆਂ ਦੀ ਇਸ ਕੁਰਬਾਨੀ ਨੇ ਸਾਰੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਜਗਾ ਦਿੱਤਾ ਤੇ ਲੋਕ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢਣ ਲਈ ਹੋਰ ਵੀ ਜ਼ੋਰ ਨਾਲ ਘੋਲ ਕਰਨ ਲੱਗੇ। ਅੰਤ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਨੂੰ ਅਜਿਹੇ ਸਿਰਲੱਥ ਸੂਰਮਿਆਂ ਦੀਆਂ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਸਦਕਾ ਭਾਰਤ ਅਜ਼ਾਦ ਹੋ ਗਿਆ।

6. ਦੀਵਾਲੀ

ਦੀਵਾਲੀ ਭਾਰਤ ਦਾ ਇਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ। ਇਹ ਹਰ ਸਾਲ ਕੱਤਕ ਦੀ ਮੱਸਿਆ ਨੂੰ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਕੁੱਝ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਘਰਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਆਪਣੇ ਮਕਾਨਾਂ ਨੂੰ ਸਫ਼ੈਦੀ ਤੇ ਰੰਗ – ਰੋਗਨ ਕਰਾਉਂਦੇ ਅਤੇ ਸ਼ਿੰਗਾਰਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਤਿਉਹਾਰ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਉਸ ਦਿਨ ਨਾਲ ਹੈ, ਜਦੋਂ ਸ੍ਰੀ ਰਾਮਚੰਦਰ ਜੀ 14 ਸਾਲਾਂ ਦਾ ਬਨਵਾਸ ਕੱਟ ਕੇ ਤੇ ਰਾਵਣ ਨੂੰ ਮਾਰ ਕੇ ਵਾਪਸ ਅਯੁੱਧਿਆ ਪਹੁੰਚੇ ਸਨ ਉਸ ਦਿਨ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਵਿਚ ਦੀਪਮਾਲਾ ਕੀਤੀ ਸੀ।

ਉਸੇ ਦਿਨ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿਚ ਅੱਜ ਵੀ ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਦਿਨ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਛੇਵੇਂ ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਸਾਹਿਬ ਜਹਾਂਗੀਰ ਦੀ ਨਜ਼ਰਬੰਦੀ ਤੋਂ ਰਿਹਾ ਹੋ ਕੇ ਆਏ ਸਨ। ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਦੀਵਾਲੀ ਦੇਖਣ ਯੋਗ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਦੀਵਾਲੀ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਲੋਕਾਂ ਵਿਚ ਬੜਾ ਚਾ ਤੇ ਉਮਾਹ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਲੋਕ ਪਟਾਕੇ, ਸਜਾਵਟ, ਪੂਜਾ ਦਾ ਸਮਾਨ ਤੇ ਮਠਿਆਈਆਂ ਖ਼ਰੀਦਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਕ – ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਮਠਿਆਈਆਂ ਤੇ ਤੋਹਫ਼ੇ ਦੇ ਕੇ ਦੀਵਾਲੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ੁੱਭ – ਇੱਛਾਵਾਂ ਦਿੰਦੇ ਹਨ ਹਨੇਰਾ ਹੋਣ ਤੇ ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਦੀਪਮਾਲਾ ਕਰਦੇ ਹਨ।

ਚਾਰੇ ਪਾਸਿਓਂ ਪਟਾਕੇ ਚੱਲਣ ਦੀਆਂ ਅਵਾਜ਼ਾਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਅਸਮਾਨ ਵਲ ਚੜ੍ਹ ਰਹੀਆਂ ਆਤਸ਼ਬਾਜ਼ੀਆਂ ਤੇ ਹਵਾਈਆਂ ਕੜਕਵੀਂ ਆਵਾਜ਼ ਨਾਲ ਫਟਦੀਆਂ ਤੇ ਅੱਗ ਦੇ ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਵਰਖਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਹੀ ਦਿਲ – ਖਿੱਚਵਾਂ ਬਣਾ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ।

ਲੋਕ ਰਾਤ ਭਰ ਲੱਛਮੀ ਦੀ ਪੂਜਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਤੇ ਦਰਵਾਜ਼ੇ ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਰੱਖਦੇ ਹਨ, ਤਾਂ ਜੋ ਲੱਛਮੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਘਰ ਫੇਰਾ ਪਾ ਸਕੇ। ਦੀਵਾਲੀ ਦੀ ਰਾਤ ਨੂੰ ਕਈ ਲੋਕ ਸ਼ਰਾਬ ਪੀਂਦੇ, ਜੂਆ ਖੇਡਦੇ ਤੇ ਟੂਣੇ ਆਦਿ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਸਾਨੂੰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਬੁਰਾਈਆਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨ ਲਈ ਯਤਨ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਤੇ ਦੀਵਾਲੀ ਦੇ ਤਿਉਹਾਰ ਨੂੰ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਪਵਿੱਤਰ ਬਣਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

7. ਦੁਸਹਿਰਾ

ਦੁਸਹਿਰਾ ਭਾਰਤ ਦਾ ਇਕ ਬਹੁਤ ਪੁਰਾਣਾ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ। ਇਹ ਦੀਵਾਲੀ ਤੋਂ 20 ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਦੁਸਹਿਰੇ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਉਸ ਦਿਨ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿਚ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਦੋਂ ਸ੍ਰੀ ਰਾਮ ਚੰਦਰ ਜੀ ਨੇ ਲੰਕਾ ਦੇ ਰਾਜੇ ਰਾਵਣ ਨੂੰ ਮਾਰ ਕੇ ਆਪਣੀ ਪਤਨੀ ਸੀਤਾ ਜੀ ਨੂੰ ਮੁੜ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਸੀ। ਦੁਸਹਿਰੇ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਨੌਂ ਨਰਾਤੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਰਾਤ ਨੂੰ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਵਿਚ ਥਾਂ – ਥਾਂ ਰਾਮ – ਲੀਲ੍ਹਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਲੋਕ ਬੜੇ ਉਮਾਹ ਤੇ ਸ਼ਰਧਾ ਨਾਲ ਰਾਮ – ਲੀਲ੍ਹਾ ਵੇਖਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਦਿਨ ਸਮੇਂ ਬਜ਼ਾਰਾਂ ਵਿਚ ਰਾਮ – ਲੀਲ੍ਹਾ ਦੀਆਂ ਝਾਕੀਆਂ ਵੀ ਨਿਕਲਦੀਆਂ ਹਨ।

ਦਸਵੀਂ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਕਿਸੇ ਖੁੱਲੇ ਥਾਂ ਵਿਚ ਰਾਵਣ, ਮੇਘਨਾਦ ਅਤੇ ਕੁੰਭਕਰਨ ਦੇ ਕਾਗ਼ਜ਼ਾਂ ਤੇ ਬਾਂਸਾਂ ਦੇ ਬਣੇ ਪੁਤਲੇ ਗੱਡ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਦੂਰ – ਨੇੜੇ ਦੇ ਲੋਕ ਰਾਵਣ ਦੇ ਸਾੜਨ ਦਾ ਦ੍ਰਿਸ਼ ਦੇਖਣ ਲਈ ਟੁੱਟ ਪੈਂਦੇ ਹਨ। ਲੋਕ ਪੰਡਾਲ ਵਿਚ ਚਲ ਰਹੀ ਆਤਸ਼ਬਾਜ਼ੀ ਤੇ ਠਾਹ – ਠਾਹ ਚਲਦੇ ਪਟਾਕਿਆਂ ਦਾ ਆਨੰਦ ਲੈਂਦੇ ਹਨ। ਰਾਮ – ਲੀਲਾ ਦੀ ਅੰਤਮ ਝਾਕੀ ਪੇਸ਼ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਰਾਵਣ, ਸ੍ਰੀ ਰਾਮਚੰਦਰ ਹੱਥੋਂ ਮਾਰਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਸੂਰਜ ਛਿਪਣ ਵਾਲਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

ਰਾਵਣ ਸਮੇਤ ਸਾਰੇ ਪੁਤਲਿਆਂ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲਾ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਲੋਕਾਂ ਵਿਚ ਹਫ਼ੜਾ – ਦਫੜੀ ਮਚ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਉਹ ਘਰਾਂ ਵਲ ਚਲ ਪੈਂਦੇ ਹਨ। ਕਈ ਲੋਕ ਰਾਵਣ ਦੇ ਪੁਤਲੇ ਦੇ ਅੱਧ – ਜਲੇ ਬਾਂਸ ਵੀ ਚੁੱਕ ਕੇ ਨਾਲ ਲੈ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਵਾਪਸੀ ‘ਤੇ ਲੋਕ ਬਜ਼ਾਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਲੰਘਦੇ ਹੋਏ ਮਠਿਆਈਆਂ ਦੀਆਂ ਦੁਕਾਨਾਂ ਦੁਆਲੇ ਭੀੜਾਂ ਪਾ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਮਨ ਭਾਉਂਦੀਆਂ ਮਠਿਆਈਆਂ ਖ਼ਰੀਦ ਕੇ ਘਰਾਂ ਨੂੰ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਫਿਰ ਰਾਤੀਂ ਖਾ – ਪੀ ਕੇ ਸੌਂਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੁਸਹਿਰਾ ਮਨ – ਪਰਚਾਵੇ ਦਾ ਇਕ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ। ਇਹ ਭਾਰਤੀ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਆਪਣੇ ਧਾਰਮਿਕ ਤੇ ਇਤਿਹਾਸਕ ਵਿਰਸੇ ਪ੍ਰਤੀ ਸਤਿਕਾਰ ਨੂੰ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਦਾ ਹੈ।

8. ਬਸੰਤ ਰੁੱਤ

ਭਾਰਤ ਰੁੱਤਾਂ ਦਾ ਦੇਸ਼ ਹੈ। ਸਾਰੀਆਂ ਰੁੱਤਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬਸੰਤ ਸਭ ਤੋਂ ਹਰਮਨ – ਪਿਆਰੀ ਰੁੱਤ ਹੈ। ਇਹ ਖੁੱਲੀ ਤੇ ਨਿੱਘੀ ਰੁੱਤ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਸਰਦੀ ਦਾ ਅੰਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਦਾ ਆਰੰਭ ਬਸੰਤ – ਪੰਚਮੀ ਦੇ ਤਿਉਹਾਰ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

ਬਸੰਤ – ਪੰਚਮੀ ਦੇ ਦਿਨ ਥਾਂ – ਥਾਂ ਮੇਲੇ ਲੱਗਦੇ ਹਨ। ਖਿਡੌਣਿਆਂ ਤੇ ਮਠਿਆਈਆਂ ਦੀਆਂ ਦੁਕਾਨਾਂ ਸਜਦੀਆਂ ਹਨ। ਲੋਕ ਬਸੰਤੀ ਰੰਗ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਪਾਉਂਦੇ ਹਨ ਘਰ – ਘਰ ਬਸੰਤੀ ਹਲਵਾ, ਚਾਵਲ ਅਤੇ ਕੇਸਰੀ ਰੰਗ ਦੀ ਖੀਰ ਬਣਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਬੱਚੇ ਅਤੇ ਜਵਾਨ ਪਤੰਗਬਾਜ਼ੀਆਂ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਮੇਲਿਆਂ ਵਿਚ ਪਹਿਲਵਾਨਾਂ ਦੀਆਂ ਕੁਸ਼ਤੀਆਂ ਅਤੇ ਹੋਰ ਖੇਡਾਂ – ਤਮਾਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਦਿਨ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਬਾਲ ਹਕੀਕਤ ਰਾਏ ਧਰਮੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਨਾਲ ਵੀ ਹੈ।

ਇਸ ਦਿਨ ਉਸ ਵੀਰ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਧਰਮ ਵਿਚ ਪੱਕਾ ਰਹਿਣ ਕਰਕੇ ਮੌਤ ਦੇ ਘਾਟ ਉਤਾਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਸੀ। ਇਹ ਰੁੱਤ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸੁਹਾਵਣੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਹ ਨਿੱਘੀ ਤੇ ਮਨ – ਭਾਉਣੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਜੀਵ – ਜੰਤੂਆਂ ਅਤੇ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਨਵੇਂ ਜੀਵਨ ਦਾ ਸੰਚਾਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਸਰੋਂ ਦੇ ਬਸੰਤੀ ਰੰਗ ਦੇ ਫੁੱਲਾਂ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਆਲਾ – ਦੁਆਲਾ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਲਗਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਕੁਦਰਤ ਆਪ ਪੀਲੇ ਗਹਿਣੇ ਪਹਿਨ ਕੇ ਬਸੰਤ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਮਨਾ ਰਹੀ ਹੋਵੇ।

ਇਹ ਰੁੱਤ ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਸਿਹਤ ਨੂੰ ਵਧਾਉਣ ਵਿਚ ਵੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਰੁੱਤ ਵਿਚ ਚੰਗੀ ਖ਼ੁਰਾਕ ਖਾਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਤੇ ਕਸਰਤ ਆਦਿ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

9. ਵਰਖਾ ਰੁੱਤ
ਜਾਂ
ਬਰਸਾਤ ਦੀ ਰੁੱਤ

ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਰੁੱਤਾਂ – ਪੰਜਾਬ ਇਕ ਬਹੁ – ਰੁੱਤਾ ਦੇਸ਼ ਹੈ। ਇੱਥੇ ਹਰ ਦੋ ਮਹੀਨਿਆਂ ਮਗਰੋਂ ਰੁੱਤ ਬਦਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਇੱਥੇ ਸਾਲ ਵਿਚ ਛੇ ਰੁੱਤਾਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਹ ਰੁੱਤਾਂ ਹਨ – ਬਸੰਤ ਰੁੱਤ, ਗਰਮ ਰੁੱਤ, ਵਰਖਾ ਰੁੱਤ, ਸਰਦ ਰੁੱਤ, ਪਤਝੜ ਰੁੱਤ ਤੇ ਸੀਤ ਰੁੱਤ। ਇਹ ਸਾਰੀਆਂ ਰੁੱਤਾਂ ਆਪੋ – ਆਪਣੀ ਥਾਂ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹਨ ਪਰੰਤੂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਵਧੇਰੇ ਹਰਮਨ – ਪਿਆਰੀਆਂ ਰੁੱਤਾਂ ਬਸੰਤ ਰੁੱਤ ਤੇ ਵਰਖਾ ਰੁੱਤ ਹਨ।

ਵਰਖਾ ਰੁੱਤ ਦਾ ਵਾਤਾਵਰਨ – ਵਰਖਾ ਰੁੱਤ ਦਾ ਆਰੰਭ ਜੂਨ ਮਹੀਨੇ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਦੋਂ ਗਰਮੀ ਦੀ ਰੁੱਤ ਆਪਣੇ ਸਿਖ਼ਰ ‘ਤੇ ਪੁੱਜ ਚੁੱਕੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਸੂਰਜ ਅਸਮਾਨ ਤੋਂ ਅੱਗ ਵਰ੍ਹਾ ਰਿਹਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਧਰਤੀ ਭੱਠੀ ਵਾਂਗ ਤਪ ਰਹੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਮਹੀਨੇ ਵਿਚ ਬੰਦੇ ਤਾਂ ਕੀ, ਸਗੋਂ ਧਰਤੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਜੀਵ ਤੇ ਪਸ਼ੂ – ਪੰਛੀ ਗਰਮੀ ਤੋਂ ਤੰਗ ਆਏ ਮੀਂਹ ਦੀ ਮੰਗ ਕਰ ਰਹੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਜੂਨ ਮਹੀਨੇ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿਚ ਵਗਦੀ ਲੁ ਇਕ ਦਮ ਠੰਢੀ ਹਵਾ ਵਿਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਅਸਮਾਨ ਉੱਪਰ ਬੱਦਲ ਘਨਘੋਰਾਂ ਪਾਉਣ ਲੱਗ ਪੈਂਦੇ ਹਨ ਪਹਿਲਾਂ ਕਿਣਮਿਣ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਫਿਰ ਮੋਹਲੇਧਾਰ ਮੀਂਹ ਆਰੰਭ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਘੜੀਆਂ ਵਿਚ ਹੀ ਚਾਰੇ ਪਾਸੇ ਜਲ – ਥਲ ਹੋਇਆ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ ਹੈ।

ਇਸ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਅਸਮਾਨ ਉੱਪਰ ਬੱਦਲ ਮੰਡਲਾਉਂਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਦਿਨ ਨੂੰ ਸੂਰਜ ਤੇ ਰਾਤ ਨੂੰ ਚੰਦ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਲੁਕਣ – ਮੀਟੀ ਖੇਡਦਾ ਹੈ। ਮੀਂਹ ਦਾ ਕੋਈ ਵੇਲਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਮਾੜਾ ਜਿਹਾ ਹੁੱਸੜ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਬੱਸ ਕੁੱਝ ਪਲਾਂ ਮਗਰੋਂ ਹੀ ਬੱਦਲ ਗੜਗੜਾਹਟ ਪਾਉਣ ਲਗਦਾ ਹੈ। ਮੀਂਹ ਪੈਣ ਨਾਲ ਬਨਸਪਤੀ ਹਰੀ – ਭਰੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅੰਬ ਤੇ ਜਾਮਣੁ ਰਸ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਕੋਇਲ ਦੀ ਕੁ – ਕੁ ਬੰਦ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਛੱਪੜਾਂ, ਟੋਭਿਆਂ ਦੇ ਕੰਢਿਆਂ ਉੱਪਰ ਡੱਡੂ ਗੁੜੈ – ਗੁੜੈ ਕਰਨ ਲਗਦੇ ਹਨ।

ਮੱਛਰਾਂ ਤੇ ਮੱਖੀਆਂ ਦੀ ਭਰਮਾਰ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਸੱਪ, ਅਲੂਏਂ ਤੇ ਹੋਰ ਅਨੇਕਾਂ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਕੀੜੇ – ਪਤੰਗੇ, ਘੁਮਿਆਰ ਤੇ ਚੀਚ – ਵਹੁਟੀਆਂ ਘੁੰਮਣ ਹਨ। ਖੱਬਲ ਘਾਹ ਦੀਆਂ ਹਰੀਆਂ ਤਿੜਾਂ ਤੇ ਅਨੇਕਾਂ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਹੋਰ ਹਰੇ ਪੌਦਿਆਂ ਨਾਲ ਧਰਤੀ ਕੱਜੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਸਾਉਣ – ਭਾਦੋਂ ਦੇ ਦੋ ਮਹੀਨੇ ਅਜਿਹਾ ਲੁਭਾਉਣਾ ਵਾਤਾਵਰਨ ਪਸਰਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਕੁੜੀਆਂ ਬਾਗਾਂ ਵਿਚ ਪੀਂਘਾਂ ਝੂਟਦੀਆਂ ਹਨ, ਤੀਆਂ ਲਗਦੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਗਿੱਧੇ ਮਚਦੇ ਹਨ ਪੰਜਾਬੀ ਸੱਭਿਆਚਾਰ ਤੇ ਇਸ ਕੁਦਰਤੀ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦਾ ਚਿਤਰਨ ਧਨੀ ਰਾਮ ਚਾਤ੍ਰਿਕ ਨੇ ਆਪਣੀ ਕਵਿਤਾ ਵਿਚ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਕੀਤਾ ਹੈ –

ਸਾਉਣ ਮਾਹ ਝੜੀਆਂ ਗਰਮੀ ਝਾੜ ਸੁੱਟੀ,
ਧਰਤੀ ਪੁੰਗਰੀ ਟਹਿਕੀਆਂ ਡਾਲੀਆਂ ਨੇ।
ਰਾਹ ਰੋਕ ਲਏ ਛੱਪੜਾਂ ਟੋਭਿਆਂ ਨੇ,
ਨਦੀ ਨਾਲਿਆਂ ਜੂਹਾਂ ਹੁੰਘਾਲੀਆਂ ਨੇ।

ਵਰਖਾ ਧਰਤੀ ਲਈ ਪਰਮਾਤਮਾ ਦੀ ਇਕ ਮਹਾਨ ਬਖ਼ਸ਼ਿਸ਼ ਹੈ। ਇਹ ਸਭ ਜੀਵਾਂ ਤੇ ਬਨਸਪਤੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਅਧਾਰ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਇਆ ਪਾਣੀ ਜੀਵਾਂ ਤੇ ਬਨਸਪਤੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਮੁੱਖ ਅਧਾਰ ਬਣਦਾ ਹੈ। ਇਹੋ ਪਾਣੀ ਹੀ ਜ਼ਮੀਨ ਵਿਚ ਰਚ ਕੇ ਸਾਰਾ ਸਾਲ ਖੂਹਾਂ, ਨਲਕਿਆਂ ਤੇ ਟਿਊਬਵੈੱਲਾਂ ਰਾਹੀਂ ਖੇਤਾਂ, ਮਨੁੱਖਾਂ ਤੇ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਪਾਣੀ ਦੀ ਲੋੜ ਪੂਰੀ ਕਰਦਾ ਹੈ। ਜੇ ਵਰਖਾ ਨਾ ਹੋਵੇ, ਤਾਂ ਸੂਰਜ ਦੀ ਗਰਮੀ ਨਾਲ ਸਭ ਕੁੱਝ ਸੁੱਕ ਜਾਵੇ ਤੇ ਧਰਤੀ ਤੋਂ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਨਸ਼ਟ ਹੋ ਜਾਵੇ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਅੱਡੀਆਂ ਰਗੜ – ਰਗੜ ਕੇ ਮੀਂਹ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ –

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਰੱਬਾ ਰੱਬਾ ਮੀਂਹ ਵਰਾ, ਸਾਡੀ ਕੋਠੀ ਦਾਣੇ ਪਾ।

10. ਮੇਰਾ ਮਨ – ਭਾਉਂਦਾ ਅਧਿਆਪਕ
ਜਾਂ
ਸਾਡਾ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ

ਉਂਝ ਤਾਂ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਸਾਰੇ ਅਧਿਆਪਕ ਹੀ ਬੜੇ ਸਤਿਕਾਰਯੋਗ ਹਨ, ਪਰ ਮੇਰਾ ਮਨ – ਭਾਉਂਦਾ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਡਾ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਨਾਂ ਸ: ਹਰਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਐੱਮ. ਏ., ਬੀ. ਐੱਡ. ਤਕ ਵਿੱਦਿਆ ਹਾਸਲ ਕੀਤੀ ਹੋਈ ਹੈ। ਉਹ ਸਾਨੂੰ ਹਿਸਾਬ ਪੜ੍ਹਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪੜ੍ਹਾਉਣ ਦਾ ਢੰਗ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਇਕ – ਇਕ ਚੀਜ਼ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਯਾਦ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ।

ਉਹ ਔਖੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਤਰੀਕਿਆਂ ਨੂੰ ਸਮਝਾਉਣ ਲਈ ਬੜੇ ਸਰਲ ਅਤੇ ਸੌਖੇ ਢੰਗਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦੇ ਹਨ ! ਉਹ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਕਿਸੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਨੂੰ ਕੋਈ ਚੀਜ਼ ਸਮਝ ਨਾ ਆਉਣ ‘ਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਮਾਰਦੇ – ਕੁੱਟਦੇ ਨਹੀਂ, ਸਗੋਂ ਪਿਆਰ ਤੇ ਹਮਦਰਦੀ ਨਾਲ ਵਾਰ – ਵਾਰ ਸਮਝਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਸਾਡੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਡਿਸਿਪਲਨ ਵਿਚ ਰਹਿਣ ਦੀ ਚੰਗੀ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੱਤੀ ਹੈ।

ਉਹ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਮਹਾਨਤਾ ਨੂੰ ਵੀ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਸਿਖਾਉਂਦੇ ਹਨ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮਾਤਾ – ਪਿਤਾ ਤੇ ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਦਾ ਸਤਿਕਾਰ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸਮੇਂ ਸਿਰ ਸਕੂਲ ਪੁੱਜਦੇ ਤੇ ਪ੍ਰਾਰਥਨਾ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਸਾਡੀ ਕਲਾਸ ਦੇ ਇੰਚਾਰਜ ਵੀ ਹਨ ਉਹ ਚੰਗੇ ਤਕੜੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਮਾਲਕ ਹਨ।ਉਹ ਹਰ ਇਕ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾ ਤੇ ਪਿਆਰ ਰੱਖਦੇ ਹਨ ਸਕੂਲ ਦੇ ਸਾਰੇ ਅਧਿਆਪਕ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਹੁਕਮਾਂ ਦੀ ਪ ਤਣਾ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਕਲਾਸਾਂ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਹਰ ਸਾਲ ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਆਉਂਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਉਹ ਮੇਰੇ ਮਨ – ਭਾਉਂਦੇ ਅਧਿਆਪਕ ਹਨ।

11. ਸਵੇਰ ਦੀ ਸੈਰ।

ਸਵੇਰ ਦੀ ਸੈਰ ਹਰ ਉਮਰ ਦੇ ਵਿਅਕਤੀ ਲਈ ਲਾਭਦਾਇਕ ਹੈ। ਇਹ ਇਕ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਹਲਕੀ ਕਸਰਤ ਹੈ, ਜਿਸ ਤੋਂ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਬਹੁਮੁੱਲਾ ਲਾਭ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਖੇਡਣ ਜਾਂ ਭਾਰੀ ਕਸਰਤ ਕਰਨ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਲਈ ਸੈਰ ਬੜੀ ਗੁਣਕਾਰੀ ਸਾਬਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਹ ਚੰਗੇ ਰਿਸ਼ਟ – ਪੁਸ਼ਟ ਵਿਅਕਤੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਵੀ ਭਾਰੀ ਮਹਾਨਤਾ ਰੱਖਦੀ ਹੈ। ਸਵੇਰ ਦੀ ਸੈਰ ਸੂਰਜ ਚੜ੍ਹਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਸਾਡੇ ਫੇਫੜਿਆਂ ਨੂੰ ਤਾਜ਼ੀ ਅਤੇ ਖੁੱਲ੍ਹੀ ਹਵਾ ਮਿਲਦੀ ਹੈ, ਜੋ ਸਾਡੀ ਸਰੀਰਕ ਅਤੇ ਮਾਨਸਿਕ ਅਰੋਗਤਾ ਲਈ ਬਹੁਤ ਹੀ ਲਾਭਦਾਇਕ ਸਿੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਹਰ ਇਕ ਅੰਗ ਨੂੰ ਲਾਭ ਪਹੁੰਚਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਚੁਸਤੀ ਤੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਿਚ ਫੁਰਤੀ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਅਤੇ ਅੱਖਾਂ ਦੀ ਰੌਸ਼ਨੀ ਤੇਜ਼ ਹੁੰਦੀ ਹੈ।

ਸਵੇਰ ਦੀ ਸੈਰ ਨਾਲ ਸਾਡੀ ਉਮਰ ਲੰਮੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਸਾਡਾ ਸਰੀਰ ਕਈ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਤੋਂ ਬਚਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਸਾਡੀ ਭੁੱਖ ਵਧਦੀ ਹੈ ਤੇ ਪਾਚਨ – ਸ਼ਕਤੀ ਤੇਜ਼ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਜਿਹੜੇ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸੈਰ ਨਹੀਂ ਕਰਦੇ, ਉਹ ਕਿਸੇ ਨਾ ਕਿਸੇ ਬਿਮਾਰੀ ਦੇ ਸਹਿਜੇ ਹੀ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਸੈਰ ਉੱਤੇ ਮਨੁੱਖ ਦਾ ਕੋਈ ਮੁੱਲ ਨਹੀਂ ਲਗਦਾ ਪਰ ਇਹ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਇੰਨੇ ਫ਼ਾਇਦੇ ਦਿੰਦੀ ਹੈ, ਜੋ ਕੀਮਤੀ ਤੋਂ ਕੀਮਤੀ ਖੁਰਾਕ ਜਾਂ ਦੁਆਈ ਵੀ ਨਹੀਂ ਦੇ ਸਕਦੀ ਹੈ।

ਵਿਦਿਆਰਥੀ, ਜੋ ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਕਿਤਾਬਾਂ ਨਾਲ ਮੱਥਾ ਮਾਰਦਾ ਹੈ, ਉਸ ਲਈ ਇਹ ਬਹੁਤ ਹੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ। ਇਹ ਉਸ ਦੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੀ ਥਕਾਵਟ ਲਾਹ ਕੇ ਉਸ ਨੂੰ ਤਾਜ਼ਗੀ ਬਖਸ਼ਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਉਸ ਦੀ ਬੁੱਧੀ ਤੇਜ਼ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਯਾਦ ਕਰਨ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਵਧਦੀ ਹੈ ; ਇਸ ਕਰਕੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸੈਰ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

12. ਲੋਹੜੀ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ

ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਜੀਵਨ ਮੇਲਿਆਂ ਅਤੇ ਤਿਉਹਾਰਾਂ ਨਾਲ ਭਰਪੂਰ ਹੈ। ਸਾਲ ਵਿਚ ਸ਼ਾਇਦ ਹੀ ਕੋਈ ਅਜਿਹਾ ਮਹੀਨਾ ਹੋਵੇਗਾ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਕੋਈ ਨਾ ਕੋਈ ਤਿਉਹਾਰ ਨਾ ਆਉਂਦਾ ਹੋਵੇ। ਲੋਹੜੀ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਇਕ ਖ਼ੁਸ਼ੀਆਂ ਭਰਿਆ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ, ਜੋ ਜਨਵਰੀ ਮਹੀਨੇ ਵਿਚ ਮਾਘੀ ਤੋਂ ਇਕ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਲੋਹੜੀ ਦੇ ਤਿਉਹਾਰ ਦੀ ਪਰੰਪਰਾ ਬਹੁਤ ਪੁਰਾਣੀ ਹੈ। ਵੈਦਿਕ ਕਾਲ ਵਿਚ ਵੀ ਰਿਸ਼ੀ ਲੋਕ ਦੇਵਤਿਆਂ ਨੂੰ ਖ਼ੁਸ਼ ਕਰਨ ਲਈ ਹਵਨ ਕਰਦੇ ਸਨ। ਇਸ ਧਾਰਮਿਕ ਕੰਮ ਵਿਚ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਬੰਦੇ ਹਵਨ ਵਿਚ ਘਿਓ, ਸ਼ਹਿਦ, ਤਿਲ ਅਤੇ ਗੁੜ ਆਦਿ ਪਾਉਂਦੇ ਸਨ। ਇਸ ਤਿਉਹਾਰ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਕਥਾਵਾਂ ਵੀ ਜੋੜੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਕ ਕਥਾ ਅਨੁਸਾਰ ਲੋਹੜੀ ਦੇਵੀ ਨੇ ਇਕ ਅੱਤਿਆਚਾਰੀ ਰਾਕਸ਼ ਨੂੰ ਮਾਰਿਆ ਤੇ ਉਸ ਦੇਵੀ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿਚ ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਇਸ ਤਿਉਹਾਰ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਪੌਰਾਣਿਕ ਕਥਾ ‘ਸਤੀ – ਦਹਿਨ’ ਨਾਲ ਵੀ ਜੋੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਇਸ ਨਾਲ ਇਕ ਹੋਰ ਲੋਕ – ਕਥਾ ਵੀ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹੈ, ਜੋ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਹੈ। ਕਿਸੇ ਗ਼ਰੀਬ ਬਾਹਮਣ ਦੀ ਸੁੰਦਰੀ ਨਾਂ ਦੀ ਧੀ ਸੀ। ਬਾਹਮਣ ਨੇ ਉਸ ਦੀ ਕੁੜਮਾਈ ਇਕ ਥਾਂ ਪੱਕੀ ਕਰ ਦਿੱਤੀ, ਪਰੰਤੂ ਉੱਥੋਂ ਦੇ ਦੁਸ਼ਟ ਹਾਕਮ ਨੇ ਕੁੜੀ ਦੀ ਸੁੰਦਰਤਾ ਬਾਰੇ ਸੁਣ ਕੇ ਉਸ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦੀ ਠਾਣ ਲਈ। ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਕੁੜੀ ਦੇ ਬਾਪ ਨੇ ਮੁੰਡੇ ਵਾਲਿਆਂ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਕੁੜੀ ਨੂੰ ਵਿਆਹ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਆਪਣੇ ਘਰ ਲੈ ਜਾਣ, ਪਰ ਮੁੰਡੇ ਵਾਲੇ ਡਰ ਗਏ।

ਜਦੋਂ ਕੁੜੀ ਦਾ ਬਾਪ ਨਿਰਾਸ਼ ਹੋ ਕੇ ਵਾਪਸ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਤਾਂ ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਉਸ ਨੂੰ ਦੁੱਲਾ ਭੱਟੀ ਡਾਕੂ ਮਿਲਿਆ ਬਾਹਮਣ ਦੀ ਰਾਮ – ਕਹਾਣੀ ਸੁਣ ਕੇ ਉਸ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਮੱਦਦ ਕਰਨ ਤੇ ਉਸ ਦੀ ਧੀ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਧੀ ਬਣਾ ਕੇ ਵਿਹਾਉਣ ਦਾ ਭਰੋਸਾ ਦਿੱਤਾ। ਉਹ ਮੁੰਡੇ ਵਾਲਿਆਂ ਦੇ ਘਰ ਗਿਆ ਤੇ ਪਿੰਡ ਦੇ ਸਾਰਿਆਂ ਬੰਦਿਆਂ ਨੂੰ ਮਿਲ ਕੇ ਉਸ ਨੇ ਰਾਤ ਵੇਲੇ ਜੰਗਲ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲਾ ਕੇ ਕੁੜੀ ਦਾ ਵਿਆਹ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਗ਼ਰੀਬ ਬ੍ਰਾਹਮਣ ਦੀ ਧੀ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਵਿਆਹ ਸਮੇਂ ਵੀ ਫਟੇ – ਪੁਰਾਣੇ ਸਨ। ਦੁੱਲੇ ਭੱਟੀ ਦੇ ਕੋਲ ਉਸ ਸਮੇਂ ਕੇਵਲ ਸ਼ੱਕਰ ਸੀ।ਉਸਨੇ ਉਹ ਸ਼ੱਕਰ ਹੀ ਕੁੜੀ ਦੀ ਝੋਲੀ ਵਿਚ ਸ਼ਗਨ ਵਜੋਂ ਪਾਈ ਮਗਰੋਂ ਇਸ ਘਟਨਾ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿਚ ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਅੱਗ ਬਾਲ ਕੇ ਮਨਾਇਆ ਜਾਣ ਲੱਗਾ।

ਲੋਹੜੀ ਦਾ ਦਿਨ ਆਉਣ ਤੋਂ ਕੁੱਝ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਮੁੰਡਿਆਂ – ਕੁੜੀਆਂ ਦੀਆਂ ਢਾਣੀਆਂ ਗੀਤ ਗਾਉਂਦੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਲੋਹੜੀ ਮੰਗਦੀਆਂ ਫਿਰਦੀਆਂ ਹਨ। ਕੋਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦਾਣੇ ਦਿੰਦਾ ਹੈ, ਕੋਈ ਗੁੜ, ਕੋਈ ਪਾਥੀਆਂ ਅਤੇ ਕੋਈ ਪੈਸੇ। ਲੋਹੜੀ ਮੰਗਣ ਵਾਲੀਆਂ ਟੋਲੀਆਂ ਦੇ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਗੀਤ ਗੂੰਜਦੇ ਹਨ –

ਸੁੰਦਰ, ਮੁੰਦਰੀਏ ਹੋ,
ਤੇਰਾ ਕੌਣ ਵਿਚਾਰਾ ? ਹੋ।
ਦੁੱਲਾ ਭੱਟੀ ਵਾਲਾ, ਹੋ।
ਦੁੱਲੇ ਦੀ ਧੀ ਵਿਆਹੀ, ਹੋ।
ਸੇਰ ਸ਼ੱਕਰ ਪਾਈ, ਹੋ।
ਕੁੜੀ ਦਾ ਬੋਝਾ ਪਾਟਾ, ਹੋ।
ਜੀਵੇ ਕੁੜੀ ਦਾ ਚਾਚਾ, ਹੋ।
ਲੰਬੜਦਾਰ ਸਦਾਏ, ਹੋ।
ਗਿਣ ਗਿਣ ਪੌਲੇ ਲਾਏ, ਹੋ।
ਇਕ ਪੌਲਾ ਰਹਿ ਗਿਆ, ਸਿਪਾਹੀ ਫੜ ਕੇ ਲੈ ਗਿਆ।

ਇਸ ਦਿਨ ਭਰਾ ਭੈਣ ਲਈ ਲੋਹੜੀ ਲੈ ਕੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਪਿੰਨੀਆਂ ਤੇ ਖਾਣ – ਪੀਣ ਦੇ ਹੋਰ ਸਮਾਨ ਸਹਿਤ ਕੋਈ ਹੋਰ ਸੁਗਾਤ ਵੀ ਭੈਣ ਦੇ ਘਰ ਪੁਚਾਉਂਦੇ ਹਨ।

ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਬੀਤੇ ਸਾਲ ਵਿਚ ਮੁੰਡੇ ਨੇ ਜਨਮ ਲਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਉਸ ਘਰ ਵਿਚ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਰੌਣਕਾਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਸ ਘਰ ਦੀਆਂ ਇਸਤਰੀਆਂ ਸਾਰੇ ਮੁਹੱਲੇ ਵਿਚ ਮੁੰਡੇ ਦੀ ਲੋਹੜੀ ਵੰਡਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਗੁੜ, ਮੁੰਗਫਲੀ ਤੇ ਰਿਉੜੀਆਂ ਆਦਿ ਸ਼ਾਮਲ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਉਸ ਘਰ ਵਿਚ ਲੋਹੜੀ ਮੰਗਣ ਵਾਲੇ ਮੁੰਡਿਆਂ – ਕੁੜੀਆਂ ਦੇ ਗੀਤਾਂ ਦੀਆਂ ਰੌਣਕਾਂ ਲੱਗੀਆਂ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ ! ਰਾਤ ਵੇਲੇ ਵੱਡੇ ਵੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਰੌਣਕਾਂ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ।

ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਵਿਹੜੇ ਵਿਚ ਲੱਕੜਾਂ ਤੇ ਪਾਥੀਆਂ ਇਕੱਠੀਆਂ ਕਰ ਕੇ ਵੱਡੀ ਧੂਣੀ ਲਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਕਈ ਇਸਤਰੀਆਂ ਘਰ ਵਿਚ ਮੁੰਡਾ ਹੋਣ ਦੀ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਧੂਣੀ ਵਿਚ ਆਪਣਾ ਚਰਖਾ ਵੀ ਬਾਲ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਸਤਰੀਆਂ ਤੇ ਮਰਦ ਰਾਤ ਦੇਰ ਤਕ ਧੂਣੀ ਸੇਕਦੇ ਹੋਏ ਰਿਉੜੀਆਂ, ਮੂੰਗਫਲੀ, ਭੁੱਗਾ ਆਦਿ ਖਾਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਧੂਣੀ ਵਿਚ ਤਿਲਚੌਲੀ ਆਦਿ ਸੁੱਟਦੇ ਹਨ ਅੱਧੀ ਰਾਤ ਤੋਂ ਪਿੱਛੋਂ ਧੂਣੀ ਦੀ ਅੱਗ ਦੇ ਠੰਢੀ ਪੈਣ ਤਕ ਇਹ ਮਹਿਫ਼ਲ ਲੱਗੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ।

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13. ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠਾ ਮੈਚ
मां
ਫੁੱਟਬਾਲ ਦਾ ਮੈਚ

ਐਤਵਾਰ ਦਾ ਦਿਨ ਸੀ। ਪਿਛਲੇ ਦੋ ਦਿਨਾਂ ਤੋਂ ਲਾਇਲਪੁਰ ਖ਼ਾਲਸਾ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ, ਜਲੰਧਰ ਦੇ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਫੁੱਟਬਾਲ ਦੇ ਮੈਚ ਹੋ ਰਹੇ ਸਨ ਫਾਈਨਲ ਮੈਚ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ (ਗੌਰਮਿੰਟ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ, ਟਾਊਨ ਹਾਲ, ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ) ਦੀ ਟੀਮ ਅਤੇ ਦੁਆਬਾ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ, ਜਲੰਧਰ ਦੀ ਟੀਮ ਵਿਚਕਾਰ ਖੇਡਿਆ ਜਾਣਾ ਸੀ।

ਸ਼ਾਮ ਦੇ ਚਾਰ ਵਜੇ ਖਿਡਾਰੀ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਆ ਗਏ। ਰੈਫ਼ਰੀ ਨੇ ਠੀਕ ਸਮੇਂ ‘ਤੇ ਵਿਸਲ ਵਜਾਈ ਅਤੇ ਦੋਵੇਂ ਟੀਮਾਂ ਮੈਚ ਖੇਡਣ ਲਈ ਤਿਆਰ ਹੋ ਗਈਆਂ ਸਾਡੀ ਟੀਮ ਦਾ ਕੈਪਟਨ ਸਰਦੂਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਦੁਆਬਾ ਸਕੂਲ ਦੀ ਟੀਮ ਦਾ ਕੈਪਟਨ ਕਰਮ ਚੰਦ ਸੀ ਟਾਸ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਟੀਮ ਨੇ ਜਿੱਤਿਆ ਸਾਰੇ ਖਿਡਾਰੀ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਖਿੰਡ ਗਏ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਪੁਜ਼ੀਸ਼ਨਾਂ ਸੰਭਾਲ ਲਈਆਂ।

ਰੈਫ਼ਰੀ ਦੀ ਵਿਸਲ ਨਾਲ ਅੱਖ ਫ਼ਰਕਣ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਹੀ ਖੇਡ ਆਰੰਭ ਹੋ ਗਈ। ਮੈਚ ਦੇਖਣ ਵਾਲਿਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 5 ਹਜ਼ਾਰ ਤੋਂ ਵੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸੀ ਪਹਿਲਾਂ ਤਾਂ 15 ਕੁ ਮਿੰਟ ਸਾਡੀ ਟੀਮ ਖੂਬ ਅੜੀ ਰਹੀ, ਪਰ ਦੁਆਬਾ ਹਾਈ ਸਕੂਲ ਦੇ ਫਾਰਵਰਡਾਂ ਨੇ ਬਾਲ ਨੂੰ ਸਾਡੇ ਗਲਾਂ ਵਲ ਹੀ ਰੱਖਿਆ ਸਾਡਾ ਬਿੱਲਾ ਰਾਈਟ – ਆਉਟ ਖੇਡਦਾ ਸੀ। ਜਦੋਂ ਬਾਲ ਉਸ ਕੋਲ ਆਇਆ, ਤਾਂ ਉਹ ਜਲਦੀ ਹੀ ਮੈਦਾਨ ਦੀ ਹੱਦ ਦੇ ਨਾਲ – ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਗੋਲਾਂ ਪਾਸ ਪੁੱਜ ਗਿਆ।

ਉਸ ਨੇ ਬਾਲ ਕੈਪਟਨ ਸਰਦੂਲ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਦਿੱਤਾ ਹੀ ਸੀ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਫੁੱਲ – ਬੈਕਾਂ ਨੇ ਉਸ ਪਾਸੋਂ ਬਾਲ ਲੈ ਲਿਆ ਤੇ ਇੰਨੀ ਜ਼ੋਰ ਦੀ ਕਿੱਕ ਮਾਰੀ ਕਿ ਬਾਲ ਮੁੜ ਸਾਡੇ ਗੋਲਾਂ ਵਿਚ ਆ ਗਿਆ, ਪਰ ਸਾਡਾ ਗੋਲਕੀਪਰ ਬਹੁਤ ਚੌਕੰਨਾ ਸੀ ਬਾਲ ਉਸ ਦੇ ਪਾਸ ਪੁੱਜਾ ਹੀ ਸੀ ਕਿ ਉਸ ਨੇ ਰੋਕ ਲਿਆ ਅਚਾਨਕ ਹੀ ਅੱਧੇ ਸਮੇਂ ਦੀ ਵਿਸਲ ਵੱਜ ਗਈ। ਕੁੱਝ ਮਿੰਟਾਂ ਮਗਰੋਂ ਖੇਡ ਦੂਜੀ ਵਾਰ ਆਰੰਭ ਹੋਈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਖੱਬੇ – ਆਊਟ ਨੇ ਅਜਿਹੀ ਕਿੱਕ ਮਾਰੀ ਕਿ ਬਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੈਪਟਨ ਪਾਸ ਪੁੱਜ ਗਿਆ।

ਦਰਸ਼ਕਾਂ ਨੇ ਤਾੜੀਆਂ ਵਜਾਈਆਂ ਅਚਾਨਕ ਹੀ ਬਾਲ ਸਾਡੇ ਫੱਲ – ਬੈਕ ਕੋਲੋਂ ਹੁੰਦਾ ਹੋਇਆ ਸਾਡੇ ਗੋਲਾਂ ਕੋਲ ਜਾ ਪੁੱਜਾ। ਗੋਲਚੀ ਦੇ ਬਹੁਤ ਯਤਨ ਕਰਨ ‘ਤੇ ਵੀ ਸਾਡੇ ਸਿਰ ਇਕ ਗੋਲ ਹੋ ਗਿਆ। ਹੁਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਚੜ੍ਹ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਮਚ ਗਈ।

ਸਮਾਂ ਕੇਵਲ 10 ਮਿੰਟ ਹੀ ਰਹਿ ਗਿਆ ਸਾਡੇ ਕੈਪਟਨ ਨੇ ਬਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦੋ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢ ਕੇ ਰਾਈਟ – ਆਉਟ ਨੂੰ ਦਿੱਤਾ। ਉਸ ਨੇ ਨੁੱਕਰ ਉੱਤੇ ਜਾ ਕੇ ਅਜਿਹੀ ਕਿੱਕ ਮਾਰੀ ਕਿ ਗੋਲ ਉਤਾਰ ਦਿੱਤਾ।

ਇਸ ਵੇਲੇ ਖੇਡ ਬਹੁਤ ਗਰਮਜ਼ੋਸ਼ੀ ਨਾਲ ਖੇਡੀ ਜਾ ਰਹੀ ਸੀ ਅਚਾਨਕ ਬਾਲ ਸਾਡੇ ਗੋਲਾਂ ਵਿਚ ਪੁੱਜ ਗਿਆ। ਜੇਕਰ ਸਾਡਾ ਗੋਲਚੀ ਚੁਸਤੀ ਨਾ ਦਿਖਾਉਂਦਾ, ਤਾਂ ਗੋਲ ਹੋ ਜਾਂਦਾ। ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਸਾਡੇ ਕੈਪਟਨ ਨੇ ਸੈਂਟਰ ਵਿਚੋਂ ਅਜਿਹੀ ਕਿੱਕ ਮਾਰੀ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਗੋਲਚੀ ਨੇ ਰੋਕ ਤਾਂ ਲਈ, ਪਰੰਤੁ ਬਾਲ ਖਿਸਕ ਕੇ ਗੋਲਾਂ ਵਿਚੋਂ ਲੰਘ ਗਿਆ ਰੈਫ਼ਰੀ ਨੇ ਵਿਸਲ ਮਾਰ ਕੇ ਗੋਲ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਇਕ ਮਿੰਟ ਮਗਰੋਂ ਹੀ ਖੇਡ ਸਮਾਪਤ ਹੋ ਗਈ। ਅਸੀਂ ਮੈਚ ਜਿੱਤ ਗਏ। ਇਹ ਮੈਚ ਜਿੱਤ ਕੇ ਅਸੀਂ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਵਿਚੋਂ ਪਹਿਲੇ ਨੰਬਰ ਤੇ ਰਹੇ।

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14. ਸਿਨਮੇ ਦੇ ਲਾਭ ਤੇ ਹਾਨੀਆਂ

ਸਿਨਮਾ ਵਰਤਮਾਨ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵਨ ਦਾ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅੰਗ ਹੈ ! ਉਂਝ ਹੁਣ ਘਰ – ਘਰ ਟੈਲੀਵਿਯਨ ਦੇ ਆਉਣ ਨਾਲ ਇਸ ਦੀ ਲੋਕ – ਪ੍ਰਿਅਤਾ ਪਹਿਲਾਂ ਜਿੰਨੀ ਨਹੀਂ ਰਹੀ ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਲੋਕ ਸਿਨਮਾ ਦੇਖਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲਾਭ ਵੀ ਹਨ ਤੇ ਨੁਕਸਾਨ ਵੀ। ਇਸ ਦੇ ਲਾਭ ਹੇਠਾਂ ਲਿਖੇ ਹਨ ਸਿਨਮੇ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਦਿਲ – ਪਰਚਾਵੇ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵਧੀਆ ਤੇ ਸਸਤਾ ਸਾਧਨ ਹੈ।

ਦਿਨ ਭਰ ਦਾ ਕੰਮ ਨਾਲ ਥੱਕਿਆ – ਟੁੱਟਿਆ ਬੰਦਾ ਸਿਨਮੇ ਵਿਚ ਜਾ ਕੇ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਫ਼ਿਲਮਾਂ, ਨਾਚਾਂ, ਗਾਣਿਆਂ, ਹਸਾਉਣੇ ਤੇ ਰੁਆਉਣੇ ਦ੍ਰਿਸ਼ਾਂ, ਮਾਰ – ਕੁਟਾਈ ਤੇ ਕੁਦਰਤੀ ਦ੍ਰਿਸ਼ਾਂ ਨਾਲ ਆਪਣਾ ਮਨ ਪਰਚਾ ਲੈਂਦਾ ਹੈ। ਸਿਨਮੇ ਦਾ ਦੂਜਾ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਰਾਹੀਂ ਅਸੀਂ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ਇਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਸਿਨਮੇ ਰਾਹੀਂ ਖੇਤੀਬਾੜੀ, ਸਿਹਤ, ਪਰਿਵਾਰ ਭਲਾਈ, ਸੁਰੱਖਿਆ ਤੇ ਵਿੱਦਿਆ ਦੇ ਮਹਿਕਮੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੰਦੇ ਹਨ।

ਸਿਨਮੇ ਦਾ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਵਿੱਦਿਅਕ ਉੱਨਤੀ ਵਿਚ ਕਾਫ਼ੀ ਹਿੱਸਾ ਹੈ। ਸਿਨਮੇ ਰਾਹੀਂ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਕਾਫ਼ੀ ਲਾਭ ਪੁਚਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ।

ਸਿਨਮੇ ਤੋਂ ਵਪਾਰੀ ਲੋਕ ਵੀ ਖੂਬ ਲਾਭ ਉਠਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਆਪਣੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਦੀ ਸਿਨਮੇ ਰਾਹੀਂ ਮਸ਼ਹੂਰੀ ਕਰ ਕੇ ਲਾਭ ਉਠਾਉਂਦੇ ਹਨ।

ਸਿਨਮੇ ਦਾ ਇਕ ਹੋਰ ਲਾਭ ਇਹ ਵੀ ਹੈ ਕਿ ਫ਼ਿਲਮ ਸਨਅਤ ਅਤੇ ਸਿਨਮਾਘਰਾਂ ਵਿਚ ਸੈਂਕੜੇ ਲੋਕ ਕੰਮ ਕਰ ਕੇ ਆਪਣੇ ਪੇਟ ਪਾਲ ਰਹੇ ਹਨ।

ਜਿੱਥੇ ਸਿਨਮੇ ਦੇ ਇੰਨੇ ਲਾਭ ਹਨ, ਉੱਥੇ ਇਸ ਦੀਆਂ ਹਾਨੀਆਂ ਵੀ ਹਨ ਇਸ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਨੁਕਸਾਨ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਅਸ਼ਲੀਲ ਫ਼ਿਲਮਾਂ ਦਾ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਦੇ ਆਚਰਨ ਉੱਪਰ ਬਹੁਤ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ। ਨੌਜਵਾਨ ਤੇ ਮੁਟਿਆਰਾਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਫ਼ੈਸ਼ਨ – ਪ੍ਰਸਤੀ ਵਲ ਪੈ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਜੀਵਨ ਦੇ ਅਸਲ ਮੰਤਵ ਨੂੰ ਭੁੱਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਪਰ ਹੁਣ ਇਸ ਦੋਸ਼ ਵਿਚ ਟੀ. ਵੀ. ਸਿਨਮੇ ਨਾਲੋਂ ਅੱਗੇ ਨਿਕਲ ਗਿਆ ਹੈ। ਸਿਨਮੇ ਉੱਪਰ ਤਾਂ ਸੈਂਸਰ ਬੋਰਡ ਬੈਠਾ ਹੈ, ਪਰ ਟੀ.ਵੀ. ਦੀਆਂ ਲਗਾਮਾਂ ਵਧੇਰੇ ਖੁੱਲ੍ਹੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਉਹ ਦੇਖਿਆ ਵੀ ਘਰ – ਘਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਬਹੁਤਾ ਸਿਨਮਾ ਵੇਖਣ ਨਾਲ ਟੀ.ਵੀ. ਸਕਰੀਨ ਵਾਂਗ ਹੀ ਸਿਨਮੇ ਦੇ ਪਰਦੇ ਉੱਪਰ ਪੈ ਰਹੀ ਤੇਜ਼ ਰੌਸ਼ਨੀ ਦਾ ਮਨੁੱਖੀ ਨਜ਼ਰ ਉੱਪਰ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ।

ਮੁੱਕਦੀ ਗੱਲ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਸਿਨਮਾ ਦਿਲ – ਪਰਚਾਵੇ ਦਾ ਵਧੀਆ ਤੇ ਸਸਤਾ ਸਾਧਨ ਹੈ, ਪਰ ਇਸ ਦੀਆਂ ਹਾਨੀਆਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨ ਵਲ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।

15. ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਦੇ ਲਾਭ – ਹਾਨੀਆਂ

ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਵਰਤਮਾਨ ਜੀਵਨ ਦਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅੰਗ ਹਨ। ਆਦਮੀ ਨੂੰ ਸਵੇਰੇ ਉੱਠਦਿਆਂ ਹੀ ਇਹ ਆਪਣੇ ਰਸ ਵਿਚ ਕੀਲ ਲੈਂਦੀਆਂ ਹਨ। ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲਾਭ ਹਨ, ਜੋ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਦਾ ਸਾਨੂੰ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਸਵੇਰੇ ਉੱਠਦਿਆਂ ਹੀ ਸਾਨੂੰ ਦੁਨੀਆ ਭਰ ਦੀਆਂ ਖ਼ਬਰਾਂ ਲਿਆ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ ਅਸੀਂ ਘਰ ਬੈਠੇ – ਬਿਠਾਏ ਸੰਸਾਰ ਭਰ ਦੇ ਹਾਲਾਤਾਂ ਤੋਂ ਜਾਣੂ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਾਂ ਸਾਨੂੰ ਪਤਾ ਲਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਕਿੱਥੇ ਹੜਤਾਲ ਹੋਈ ਹੈ, ਜਿੱਥੇ ਪੁਲਿਸ ਨੇ ਲਾਠੀ – ਗੋਲੀ ਚਲਾਈ ਹੈ ਤੇ ਕਿੱਥੇ ਦੁਰਘਟਨਾਵਾਂ ਹੋਈਆਂ ਹਨ।

ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਾਂ। ਇਹ ਸੂਚਨਾ – ਸੰਚਾਰ ਦਾ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਸਾਧਨ ਹੈ, ਜਿਸ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਖੇਤੀ – ਬਾੜੀ, ਵਿੱਦਿਆ, ਸਿਹਤ ਤੇ ਆਪਣੇ ਸੱਭਿਆਚਾਰ ਨੂੰ ਉੱਨਤ ਕਰਨ ਲਈ ਕਾਫ਼ੀ ਲਾਭ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਾਂ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹਨ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਗਿਆਨ ਵਿਚ ਬਹੁਪੱਖੀ ਵਾਧਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਵਿਚ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਅਦਾਰਿਆਂ ਵਲੋਂ ਆਪਣੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਤੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮਾਂ ਬਾਰੇ ਇਸ਼ਤਿਹਾਰ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਕਾਫ਼ੀ ਲਾਭ ਉਠਾ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ਅਸੀਂ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਲਈ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਵੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਾਂ।

ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਦਿਲ – ਪਰਚਾਵੇ ਲਈ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਕੁੱਝ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਵਿਚ ਸਾਹਿਤ, ਲੋਕ – ਸਾਹਿਤ, ਫ਼ਿਲਮਾਂ, ਚੁਟਕਲਿਆਂ, ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਵਿਸ਼ਿਆਂ ਸੰਬੰਧੀ ਗੰਭੀਰ ਲੇਖਾਂ ਤੇ ਜੀਵਨ ਦੇ ਹੋਰ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਪੱਖਾਂ ਬਾਰੇ ਅਗਵਾਈ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਬਹੁਮੁੱਲੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਅਸੀਂ ਦਿਲ – ਪਰਚਾਵੇ ਦੇ ਸਾਧਨਾਂ ਫ਼ਿਲਮਾਂ, ਰੇਡੀਓ ਤੇ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮਾਂ ਬਾਰੇ ਵੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਾਂ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਪੁਰਾਣੀਆਂ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਬੇਕਾਰ ਨਹੀਂ ਜਾਂਦੀਆਂ, ਸਗੋਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕਾਗ਼ਜ਼ ਨੂੰ ਰੱਦੀ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਵੇਚ ਕੇ ਪੈਸੇ ਵੱਟ ਲਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਇੰਨਾ ਲਾਭ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਕਈ ਵਾਰ ਸਮਾਜ ਨੂੰ ਨੁਕਸਾਨ ਵੀ ਪੁਚਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ। ਸਭ ਤੋਂ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਗੱਲ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਭੜਕਾਊ ਖ਼ਬਰਾਂ ਦਾ ਛਪਣਾ ਹੈ। ਕਈ ਵਾਰ ਖ਼ੁਦਗਰਜ਼ ਤੇ ਸਵਾਰਥੀ ਹੱਥਾਂ ਵਿਚ ਚਲ ਰਹੀਆਂ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਝੂਠੀਆਂ ਖ਼ਬਰਾਂ ਛਾਪ ਕੇ ਸਮਾਜਿਕ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਗੰਧਲਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ।

ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਵਿਚ ਅਸ਼ਲੀਲ ਫੋਟੋਆਂ ਤੇ ਮਨ – ਘੜਤ ਕਹਾਣੀਆਂ ਦਾ ਛਪਣਾ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਦੇ ਆਚਰਨ ‘ਤੇ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ।

ਅੰਤ ਵਿਚ ਅਸੀਂ ਕਹਿ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਕੁੱਝ ਹਾਨੀਆਂ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਲਈ ਬਹੁਤ ਲਾਭਦਾਇਕ ਹਨ।

16. ਵਿਗਿਆਨ ਦੇ ਚਮਤਕਾਰ

20ਵੀਂ ਸਦੀ ਨੂੰ ਵਿਗਿਆਨ ਦਾ ਯੁਗ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਇਹ ਆਪਣੀਆਂ ਕਾਢਾਂ ਤੇ ਖੋਜਾਂ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਕ੍ਰਾਂਤੀਕਾਰੀ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਲਿਆਉਂਦਾ ਹੋਇਆ ਅੱਜ 21ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕਰ ਚੁੱਕਾ ਹੈ। ਵਿਗਿਆਨ ਦੀਆਂ ਕਾਢਾਂ ਨੇ ਸਾਡੇ ਹਰ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਨਵਾਂ ਪਲਟਾ ਲੈ ਆਂਦਾ ਹੈ ! ਇਸ ਨੇ ਜਿੱਥੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਲਾਭਦਾਇਕ ਕਾਢਾਂ ਕੱਢ ਕੇ ਮਨੁੱਖ ਨੂੰ ਸੁਖ ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਉੱਥੇ ਇਸ ਨੇ ਐਟਮ ਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਬੰਬਾਂ ਜਿਹੇ ਭਿਆਨਕ ਹਥਿਆਰ ਬਣਾ ਕੇ ਤੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਪਲੀਤ ਕਰ ਕੇ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਮਨੁੱਖ ਸਮੇਤ ਸਮੁੱਚੇ ਜੀਵਾਂ ਤੇ ਬਨਸਪਤੀ ਦੀ ਹੋਂਦ ਲਈ ਖ਼ਤਰਾ ਪੈਦਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ।

ਵਿਗਿਆਨ ਦੀਆਂ ਮਾਰੂ ਕਾਢਾਂ ਤੇ ਦੇਣਾਂ ਦੇ ਉਲਟ ਉਸਾਰੂ ਕਾਢਾਂ ਨੇ ਸਾਡੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਜੀਵਨ ਨੂੰ ਬੜੇ ਸੁਖ, ਅਰਾਮ ਅਤੇ ਲਾਭ ਪਹੁੰਚਾ ਕੇ ਇਸ ਵਿਚ ਤੇਜ਼ੀ ਲੈ ਆਂਦੀ ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਢ ਬਿਜਲੀ ਹੈ। ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਦੇ ਬਹੁਤੇ ਕੰਮ ਇਸੇ ਨਾਲ ਚਲਦੇ ਹਨ। ਇਹ ਸਾਡੇ ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਰੌਸ਼ਨੀ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਪੱਖੇ ਚਲਾਉਂਦੀ ਹੈ, ਖਾਣਾ ਬਣਾਉਣ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਕੱਪੜੇ ਐੱਸ ਕਰਨ ਵਿਚ ਮੱਦਦ ਦਿੰਦੀ ਹੈ। ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਕਮਰਿਆਂ ਨੂੰ ਠੰਢੇ ਕਰਨ ਤੇ ਸਰਦੀਆਂ ਵਿਚ ਕਮਰਿਆਂ ਨੂੰ ਗਰਮ ਕਰਨ ਵਿਚ ਮੱਦਦ ਦਿੰਦੀ ਹੈ। ਇਹੋ ਹੀ ਕਾਰਖ਼ਾਨੇ ਚਲਾਉਂਦੀ ਹੈ, ਜਿੱਥੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰਾ ਉਤਪਾਦਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਇਹੋ ਹੀ ਕੰਪਿਊਟਰ, ਫੋਟੋ – ਸਟੇਟ ਤੇ ਰੋਬੋਟ ਆਦਿ ਚਲਾਉਂਦੀ ਹੈ।

ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਦੂਜੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਢ ਆਵਾਜਾਈ ਦੇ ਮਸ਼ੀਨੀ ਸਾਧਨਾਂ ਦੀ ਹੈ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਸਕੂਟਰ, ਮੋਟਰ – ਸਾਈਕਲ, ਮੋਟਰਾਂ, ਕਾਰਾਂ, ਗੱਡੀਆਂ ਤੇ ਹਵਾਈ ਜਹਾਜ਼ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ। ਇਹ ਸਾਧਨ ਸਾਨੂੰ ਬਹੁਤ ਥੋੜੇ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਤੇ ਘੱਟ ਖ਼ਰਚ ਨਾਲ ਇਕ ਥਾਂ ਤੋਂ ਦੂਜੀ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਪੁਚਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਸਾਡਾ ਵਰਤਮਾਨ ਜੀਵਨ ਇਕ ਘੜੀ ਵੀ ਨਹੀਂ ਚਲ ਸਕਦਾ ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਢ ਸੰਚਾਰ ਦੇ ਸਾਧਨਾਂ ਦੀ ਹੈ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਟੈਲੀਫ਼ੋਨ, ਵਾਇਰਲੈਂਸ, ਰੇਡੀਓ, ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ, ਮੋਬਾਇਲ ਫ਼ੋਨ ਤੇ ਈ – ਮੇਲ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ।ਇਨ੍ਹਾਂ ਰਾਹੀਂ ਅਸੀਂ ਘਰ ਬੈਠਿਆਂ ਹੀ ਦੂਰ – ਦੂਰ ਤਕ ਸੁਨੇਹੇ ਭੇਜ ਸਕਦੇ ਹਾਂ।

ਵਿਗਿਆਨ ਨੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਮਨ – ਪਰਚਾਵੇ ਦੇ ਸਾਧਨ ਵੀ ਵਿਕਸਿਤ ਕੀਤੇ; ਜਿਵੇਂ ਰੇਡੀਓ, ਟਾਂਜ਼ਿਸਟਰ, ਟੈਲੀਵਿਯਨ, ਸਿਨੇਮਾ, ਵੀ.ਡੀ.ਓ. ਗੇਮਾਂ, ਕੰਪਿਊਟਰ, ਸੀ. ਡੀ. ਪਲੇਅਰ, ਕੈਸਟ ਪਲੇਅਰ ਆਦਿ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ। ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਕਾਢ ਕੰਪਿਉਟਰ ਨੇ ਅਜੋਕੇ ਯੁਗ ਵਿਚ ਇਨਕਲਾਬ ਲੈ ਆਂਦਾ ਹੈ। ਕੰਪਿਉਟਰ ਇਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਮਨੁੱਖੀ ਦਿਮਾਗ ਹੈ, ਜੋ ਬਹੁਤ ਹੀ ਤੇਜ਼ੀ ਅਤੇ ਸੁਯੋਗਤਾ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖੀ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਾਲੇ ਸਾਰੇ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ।

ਕੰਪਿਊਟਰ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਵੱਡੇ – ਵੱਡੇ ਉਤਪਾਦਨ ਕੇਂਦਰਾਂ, ਵਪਾਰਕ ਅਦਾਰਿਆਂ, ਦਫ਼ਤਰਾਂ ਤੇ ਘਰਾਂ, ਗੱਲ ਕੀ ਜੀਵਨ ਦੇ ਹਰ ਖੇਤਰ ਵਿੱਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਕੰਮ – ਕਾਰ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਤੇਜ਼ੀ ਆ ਗਈ ਹੈ। ਇਹ ਵਿਗਿਆਨੀਆਂ, ਡਾਕਟਰਾਂ ਤੇ ਕਲਾਕਾਰਾਂ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿਚ ਵੀ ਸ਼ਾਮਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਇੰਟਰਨੈੱਟ ਰਾਹੀਂ ਇਸ ਨੇ ਸਾਰੀ ਦੁਨੀਆ ਲਈ ਗਿਆਨ, ਜਾਣਕਾਰੀ ਅਤੇ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਸੇਵਾਵਾਂ ਦੇ ਭੰਡਾਰ ਖੋਲ੍ਹਣ ਦੇ ਨਾਲ – ਨਾਲ ਬਹੁਪੱਖੀ ਆਪਸੀ ਸੰਚਾਰ ਵਿਚ ਭਾਰੀ ਤੇਜ਼ੀ ਲੈ ਆਂਦੀ ਹੈ। ਕੰਪਿਊਟਰੀਕ੍ਰਿਤ ਰੋਬੋਟ ਮਨੁੱਖ ਵਾਂਗ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਔਖੇ ਤੇ ਜ਼ੋਖ਼ਮ ਭਰੇ ਕੰਮ ਲੰਮਾ ਸਮਾਂ ਬਿਨਾਂ ਅੱਕੇ – ਥੱਕੇ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ।

ਵਿਗਿਆਨ ਨੇ ਮਨੁੱਖੀ ਸਰੀਰ ਦੇ ਰੋਗਾਂ ਨੂੰ ਯੰਤਰਾਂ ਤੇ ਦਵਾਈਆਂ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਹੱਦ ਤਕ ਕਾਬੂ ਕਰ ਲਿਆ ਹੈ। ਵਿਗਿਆਨ ਨੇ ਖਾਦਾਂ ਤੇ ਕੀੜੇਮਾਰ ਦਵਾਈਆਂ ਨਾਲ ਫ਼ਸਲਾਂ ਦੀ ਉਪਜ ਵੀ ਵਧਾਈ ਹੈ। ਲਗਪਗ ਹਰ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਕੰਮ ਕਰਨ ਲਈ ਨਵੀਂ ਤਕਨੀਕ ਨਾਲ ਬਣੀਆਂ ਮਸ਼ੀਨਾਂ ਮਿਲ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਸਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਇਸਨੇ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵਨ ਵਿਚੋਂ ਅੰਧ – ਵਿਸ਼ਵਾਸਾਂ ਦਾ ਬਿਸਤਰਾ ਗੋਲ ਕਰ ਕੇ ਉਸਨੂੰ ਵਿਗਿਆਨਿਕ ਲੀਹਾਂ ਉੱਤੇ ਤੋਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀਆਂ ਕਾਢਾਂ ਦੀ ਸਾਡੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਮਹਾਨਤਾ ਹੈ ਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਾਡੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਤੇਜ਼ੀ, ਸੁਖ ਤੇ ਅਰਾਮ ਲਿਆਂਦਾ ਹੈ।

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17. ਵਿਸਾਖੀ ਦਾ ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠਾ ਮੇਲਾ

ਵਿਸਾਖੀ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਹਰ ਸਾਲ 13 ਅਪਰੈਲ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਭਰ ਵਿਚ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਹਾੜੀ ਦੀ ਫ਼ਸਲ ਦੇ ਪੱਕਣ ਦੀ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਵਿਚ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਵਿਸਾਖੀ ਦੇ ਤਿਉਹਾਰ ਨੂੰ ਮਨਾਉਣ ਲਈ ਸਾਡੇ ਪਿੰਡ ਤੋਂ ਦੋ ਮੀਲ ਦੀ ਵਿੱਥ ‘ਤੇ ਭਾਰੀ ਮੇਲਾ ਲਗਦਾ ਹੈ। ਐਤਕੀਂ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨਾਲ ਵਿਸਾਖੀ ਦਾ ਇਹ ਮੇਲਾ ਵੇਖਣ ਲਈ ਗਿਆ ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਇਸ ਮਹਾਨ ਦਿਨ ਉੱਤੇ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿਚ ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਦੀ ਸਾਜਨਾ ਕੀਤੀ ਸੀ। ਇਸੇ ਦਿਨ ਹੀ ਜ਼ਾਲਮ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਜਨਰਲ ਡਾਇਰ ਨੇ ਜਲ੍ਹਿਆਂ ਵਾਲੇ ਬਾਗ਼ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਵਿਚ ਨਿਹੱਥੇ ਲੋਕਾਂ ਉੱਪਰ ਗੋਲੀ ਚਲਾਈ ਸੀ।

ਹੁਣ ਅਸੀਂ ਮੇਲੇ ਵਿਚ ਪਹੁੰਚ ਗਏ। ਮੇਲੇ ਵਿਚ ਕਾਫ਼ੀ ਭੀੜ – ਭੜੱਕਾ ਅਤੇ ਰੌਲਾ – ਰੱਪਾ ਸੀ ਆਲੇ – ਦੁਆਲੇ ਮਠਿਆਈਆਂ ਤੇ ਖਿਡੌਣਿਆਂ ਦੀਆਂ ਦੁਕਾਨਾਂ ਸਜੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਸਨ। ਇਧਰ – ਉਧਰ ਖੇਡਾਂ – ਤਮਾਸ਼ਿਆਂ ਦੇ ਪੰਡਾਲ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਸਨ। ਅਸੀਂ ਇਕ ਦੁਕਾਨ ‘ਤੇ ਬੈਠ ਕੇ ਤੱਤੀਆਂ – ਤੱਤੀਆਂ ਜਲੇਬੀਆਂ ਖਾਧੀਆਂ। ਫਿਰ ਅਸੀਂ ਇਕ ਥਾਂ ਚਾਟ ਖਾਧੀ ਤੇ ਫਿਰ ਕੁੱਝ ਦੇਰ ਮਗਰੋਂ ਮਾਈ ਬੁੱਢੀ ਦਾ ਝਾਟਾ ਤੇ ਫਿਰ ਆਈਸਕ੍ਰੀਮ : ਮੇਲੇ ਵਿਚ ਇਸਤਰੀਆਂ ਤੇ ਬੱਚੇ ਪੰਘੂੜੇ ਝੂਟ ਰਹੇ ਸਨ।

ਮੈਂ ਵੀ ਪੰਘੂੜੇ ਵਿਚ ਝੂਟੇ ਲਏ ਤੇ ਫਿਰ ਜਾਦੂ ਦੇ ਖੇਲ ਦੇਖੇ। ਅਸੀਂ ਇਕ ਸਰਕਸ ਵੀ ਦੇਖੀ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਮਨੁੱਖਾਂ ਤੇ ਪਸ਼ੂਆਂ ਦੇ ਅਦਭੁਤ ਕਰਤੱਬ ਦਿਖਾਏ ਗਏ। ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਸੂਰਜ ਛਿਪ ਰਿਹਾ ਸੀ। ਮੇਲੇ ਵਿਚ ਇਕ ਪਾਸੇ ਕੁੱਝ ਲੋਕਾਂ ਵਿਚ ਲੜਾਈ ਹੋ ਪਈ। ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਨਾਲ ਲੈ ਕੇ ਛੇਤੀ – ਛੇਤੀ ਪਿੰਡ ਦਾ ਰਸਤਾ ਫੜ ਲਿਆ। ਕਾਫ਼ੀ ਹਨੇਰੇ ਹੋਏ ਅਸੀਂ ਘਰ ਪਹੁੰਚੇ।

ਮੇਰੇ ਸਕੂਲ ਦਾ ਨਾਂ ਖ਼ਾਲਸਾ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ ਹੈ। ਇਹ ਜਲੰਧਰ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ਨਕੋਦਰ ਰੋਡ ਉੱਤੇ ਸਥਿਤ ਹੈ। ਇਸ ਸਕੂਲ ਦੀ ਇਮਾਰਤ ਬਹੁਤ ਵੱਡੀ ਹੈ। ਇਸ ਦੇ 25 ਤੋਂ ਵੱਧ ਵੱਡੇ ਕਮਰੇ ਹਨ। ਇਕ ਵੱਡਾ ਹਾਲ ਹੈ। ਇਸ ਵਿਚ ਸਾਇੰਸ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਲਈ ਹਰ ਪੱਖ ਤੋਂ ਸੰਪੂਰਨ ਪ੍ਰਯੋਗਸ਼ਾਲਾਵਾਂ ਬਣੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਹਨ। ਇਸ ਵਿਚ ਇਕ ਵੱਡੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਵੀ ਹੈ। ਇਸ ਸਕੂਲ ਵਿਚ 800 ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਪੜ੍ਹਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹਾਉਣ ਲਈ 25 ਅਧਿਆਪਕ ਹਨ। ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਬੜੇ ਲਾਇਕ ਤੇ ਤਜਰਬੇਕਾਰ ਹਨ।

18. ਮੇਰਾ ਸਕੂਲ

ਇਸ ਸਕੂਲ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਇਸ ਵਿਚ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਅਨੁਸ਼ਾਸਨ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਹੈ। ਅਧਿਆਪਕ ਅਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਸਮੇਂ ਸਿਰ ਸਕੂਲ ਪੁੱਜਦੇ ਹਨ ਅਧਿਆਪਕ ਪੂਰੀ ਮਿਹਨਤ ਨਾਲ ਪੜ੍ਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਉਹ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨਾਲ ਨਿੱਜੀ ਸੰਬੰਧ ਪੈਦਾ ਕਰ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਪੜ੍ਹਾਈ ਸੰਬੰਧੀ ਮੁਸ਼ਕਿਲਾਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਬੜੇ ਤਜਰਬੇਕਾਰ ਤੇ ਆਪਣੇ – ਆਪਣੇ ਵਿਸ਼ੇ ਵਿਚ ਨਿਪੁੰਨ ਹਨ। ਇਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਮਿਹਨਤ ਦਾ ਹੀ ਸਿੱਟਾ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਸਕੂਲ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਹਰ ਸਾਲ ਚੰਗੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ।

ਇਸ ਸਕੂਲ ਦਾ ਬਗੀਚਾ ਹਰਾ – ਭਰਾ ਤੇ ਫੁੱਲਾਂ ਨਾਲ ਲੱਦਿਆ ਪਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਸਕੂਲ ਦੀ ਬਿਲਡਿੰਗ ਨਵੀਂ ਹੈ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਕਮਰੇ ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਤੇ ਹਵਾਦਾਰ ਹਨ। ਇਸ ਸਕੂਲ ਕੋਲ ਹਾਕੀ, ਫੁੱਟਬਾਲ, ਬਾਸਕਟਬਾਲ ਤੇ ਕ੍ਰਿਕਟ ਖੇਡਣ ਲਈ ਖੁੱਲੀਆਂ ਤੇ ਪੱਧਰੀਆਂ ਗਰਾਊਂਡਾਂ ਹਨ। ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਇਸ ਸਕੂਲ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਕਰਦਾ ਹਾਂ।

19. ਮੇਰਾ ਮਿੱਤਰ
ਅਰਸ਼ਦੀਪ ਮੇਰਾ ਮਿੱਤਰ ਹੈ। ਉਹ ਮੇਰਾ ਸਹਿਪਾਠੀ ਹੈ। ਅਸੀਂ ਦੋਵੇਂ ਸੱਤਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚ ਪੜ੍ਹਦੇ ਹਾਂ। ਅਸੀਂ ਦੋਵੇਂ ਇੱਕੋ ਡੈਸਕ ਉੱਤੇ ਬੈਠਦੇ ਹਾਂ ਅਸੀਂ ਦੋਵੇਂ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਸਮਾਂ ਇਕੱਠੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਾਂ। ਰਾਤ ਨੂੰ ਅਸੀਂ ਇਕੱਠੇ ਪੜ੍ਹਦੇ ਹਾਂ ! ਉਸ ਦੇ ਮਾਤਾ – ਪਿਤਾ ਬਹੁਤ ਨੇਕ ਵਿਅਕਤੀ ਹਨ। ਉਸ ਦਾ ਪਿਤਾ ਇਕ ਡਾਕਟਰ ਹੈ। ਉਸ ਦੀ ਮਾਤਾ ਇਕ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਅਧਿਆਪਕਾ ਹੈ। ਮੇਰਾ ਮਿੱਤਰ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਹੁਸ਼ਿਆਰ ਹੈ। ਉਹ ਹਰ ਸਾਲ ਕਲਾਸ ਵਿਚੋਂ ਅੱਵਲ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਇਨਾਮ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ।

ਉਹ ਹਿਸਾਬ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਹੀ ਹੁਸ਼ਿਆਰ ਹੈ। ਉਹ ਫ਼ਜ਼ੂਲ – ਖ਼ਰਚੀ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ। ਉਹ ਆਪਣੇ ਜੇਬ – ਖ਼ਰਚ ਵਿਚੋਂ ਬਚਾਏ ਪੈਸਿਆਂ ਨਾਲ ਗ਼ਰੀਬ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦੀ ਮੱਦਦ ਕਰਦਾ ਹੈ। ਸਕੂਲ ਤੋਂ ਘਰ ਆ ਕੇ ਉਹ ਪਹਿਲਾਂ ਸਕੂਲ ਦਾ ਸਾਰਾ ਕੰਮ ਮੁਕਾਉਂਦਾ ਹੈ। ਉਹ ਕਿਤਾਬੀ ਕੀੜਾ ਨਹੀਂ। ਉਹ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਫੁੱਟਬਾਲ ਖੇਡਣ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਉਹ ਇਕ ਨੇਕ ਤੇ ਵਫ਼ਾਦਾਰ ਮਿੱਤਰ ਹੈ। ਉਸ ਦਾ ਸਰੀਰ ਸੁੰਦਰ ਅਤੇ ਤਕੜਾ ਹੈ। ਉਹ ਹਰ ਸਮੇਂ ਮੇਰੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਨ ਲਈ ਤਿਆਰ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਸਕੂਲ ਦੇ ਸਾਰੇ ਅਧਿਆਪਕ ਅਤੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਉਸ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਮੈਨੂੰ ਆਪਣੇ ਇਸ ਮਿੱਤਰ ਉੱਤੇ ਬਹੁਤ ਮਾਣ ਹੈ।

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20. ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇ ਲਾਭ ਤੇ ਹਾਨੀਆਂ

ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੂਰਦਰਸ਼ਨ ਆਧੁਨਿਕ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਇਕ ਅਦਭੁਤ ਕਾਢ ਹੈ। ਇਸ ਵਿਚ ਰੇਡੀਓ ਅਤੇ ਸਿਨੇਮਾ ਦੋਹਾਂ ਦੇ ਗੁਣ ਸਮੋਏ ਪਏ ਹਨ ਤੇ ਇਸ ਦਾ ਵਰਤਮਾਨ ਦਿਲ – ਪਰਚਾਵੇ ਦੇ ਸਾਧਨਾਂ ਵਿਚ ਆਪਣਾ ਮੌਲਿਕ ਤੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਥਾਨ ਹੈ। ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਇਕ ਨੁਮਾਇਸ਼ ਵਿਚ ਆਇਆ ਸੀ ਅਕਤੂਬਰ, 1959 ਵਿਚ ਡਾ: ਰਜਿੰਦਰ ਪ੍ਰਸ਼ਾਦ ਨੇ ਦਿੱਲੀ ਵਿਖੇ ਆਕਾਸ਼ਵਾਣੀ ਦੇ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਵਿਭਾਗ ਦਾ ਉਦਘਾਟਨ ਕੀਤਾ। ਫਿਰ ਇਸ ਦਾ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਹੋਰਨਾਂ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵਿਕਾਸ ਹੋਇਆ।

ਮਗਰੋਂ ਉਪ – ਗ੍ਰਹਿਆਂ ਦੀ ਮੱਦਦ ਨਾਲ ਭਾਰਤ ਦੇ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਪ੍ਰਸਾਰਨ ਨੂੰ ਦੂਰ – ਦੂਰ ਦੀਆਂ ਥਾਵਾਂ ਉੱਤੇ ਭੇਜਣਾ ਸੰਭਵ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ਤੇ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦਿਨੋ – ਦਿਨ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਅੱਜ – ਕੱਲ੍ਹ ਤਾਂ 80 – 90 ਦੇ ਲਗਪਗ ਕੇਬਲ ਟੀ.ਵੀ. ਪ੍ਰਸਾਰਨ ਵੀ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਚੁੱਕੇ ਹਨ।

ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇ ਵਰਤਮਾਨ ਮਨੁੱਖ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਲਾਭ ਹਨ, ਜੋ ਕਿ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ

ਉੱਪਰ ਦੱਸੇ ਅਨੁਸਾਰ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਵਰਤਮਾਨ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਮਨੋਰੰਜਨ ਦਾ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਸਾਧਨ ਹੈ। ਘਰ ਬੈਠੇ ਹੀ ਅਸੀਂ ਨਵੀਆਂ – ਪਰਾਣੀਆਂ ਫ਼ਿਲਮਾਂ, ਨਾਟਕ, ਚਲ ਰਹੇ ਮੈਚ, ਭਾਸ਼ਨ, ਨਾਚ, ਗਾਣੇ ਦੇਖਦੇ ਤੇ ਸੁਣਦੇ ਹਾਂ ਤੇ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਆਪਣਾ ਮਨ ਪਰਚਾਉਂਦੇ ਹਾਂ। ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਉੱਤੇ ਹਰ ਉਮਰ, ਹਰ ਵਰਗ ਤੇ ਹਰ ਰੁਚੀ ਦੇ ਵਿਅਕਤੀ ਲਈ ਮਨੋਰੰਜਨ ਦੀ ਸਾਮਗਰੀ ਪੇਸ਼ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ।

ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦਾ ਅਗਲਾ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਰਾਹੀਂ ਸਾਨੂੰ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਵਿਸ਼ਿਆਂ ਤੇ ਮੁਸਲਿਮ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਰਾਹੀਂ ਸਾਨੂੰ ਗਿਆਨ – ਵਿਗਿਆਨ ਦੀਆਂ ਖੋਜਾਂ, ਇਤਿਹਾਸ, ਮਿਥਿਹਾਸ, ਵਣਜ – ਵਪਾਰ, ਵਿੱਦਿਆ, ਕਾਨੂੰਨ, ਚਿਕਿੱਤਸਾ – ਵਿਗਿਆਨ, ਸਿਹਤ – ਵਿਗਿਆਨ, ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਪਕਵਾਨ ਬਣਾਉਣ, ਫ਼ੈਸ਼ਨ, ਧਰਤੀ ਦੇ ਵੱਖ – ਵੱਖ ਖਿੱਤਿਆਂ ਵਿਚ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਲੋਕਾਂ, ਜੰਗਲੀ ਪਸ਼ੂਆਂ ਤੇ ਸਮੁੰਦਰੀ ਜੀਵਾਂ, ਗੁਪਤਚਰਾਂ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਤੇ ਪ੍ਰਾਪਤੀਆਂ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਹੋਰ ਅਣਦੇਖੀਆਂ ਤੇ ਅਚੰਭੇਪੁਰਨ ਕਾਢਾਂ, ਖੋਜਾਂ, ਸਥਾਨਾਂ ਤੇ ਹੋਂਦਾਂ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਦਿਲ – ਪਰਚਾਵੇ ਨਾਲ ਸਾਡਾ ਬੌਧਿਕ ਵਿਕਾਸ ਵੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦਾ ਤੀਜਾ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਵਪਾਰਕ ਅਦਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਹੈ। ਇਸ ਰਾਹੀਂ ਵਪਾਰੀ ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਮਾਲ ਦੀ ਮਸ਼ਹੂਰੀ ਕਰ ਕੇ ਲਾਭ ਕਮਾਉਂਦੇ ਹਨ।

ਇਸ ਦਾ ਚੌਥਾ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਤਾਜ਼ੀਆਂ ਵਾਪਰੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦੇਣਾ ਹੈ। ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਤਾਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਚੈਨਲ ਰਾਤ – ਦਿਨ ਖ਼ਬਰਾਂ ਦਾ ਚਲ – ਚਿਤਰਾਂ ਰਾਹੀਂ ਪ੍ਰਸਾਰਨ ਕਰਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ।

ਇਸ ਦਾ ਅਗਲਾ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਸਟੇਸ਼ਨਾਂ ਉੱਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਕਲਾਕਾਰ ਧਨ ਨਾਲ ਮਾਲਾ – ਮਾਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ।

ਜਿੱਥੇ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲਾਭ ਹਨ, ਉੱਥੇ ਇਸ ਦੀਆਂ ਕੁੱਝ ਹਾਨੀਆਂ ਵੀ ਹਨ। ਇਸ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਹਾਨੀ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਸੁਆਦਲੇ ਤੇ ਵੰਨ – ਸੁਵੰਨੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਪੇਸ਼ ਕਰ ਕੇ ਮਨੁੱਖ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸਾਰਾ ਸਮਾਂ ਨਸ਼ਟ ਕਰਦਾ ਹੈ। ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਨੇ ਗਲੀਆਂ – ਮੁਹੱਲਿਆਂ ਵਿਚ ਰੌਲੇ – ਰੱਪੇ ਨੂੰ ਵੀ ਵਧਾਇਆ ਹੈ।

ਕੇਬਲ ਟੀ. ਵੀ. ਦੇ ਪਸਾਰ ਰਾਹੀਂ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਨੇ ਸਾਡੇ ਸਭਿਆਚਾਰ ਉੱਤੇ ਮਾਰੂ ਹਮਲਾ ਬੋਲਿਆ ਹੈ, ਫਲਸਰੂਪ ਇਸ ਦਾ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਪੱਛਮੀਕਰਨ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਵੱਖ – ਵੱਖ ਕੰਪਨੀਆਂ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਉੱਤੇ ਆਪਣੇ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧੀ ਕੂੜ – ਪ੍ਰਚਾਰ ਤੇ ਇਸ਼ਤਿਹਾਰਬਾਜ਼ੀ ਕਰ ਕੇ ਜਿੱਥੇ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਪੈਸੇ ਬਟੋਰਦੀਆਂ ਹਨ, ਉੱਥੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਖਾਣ – ਪੀਣ ਤੇ ਰਹਿਣ – ਸਹਿਣ ਦੀਆਂ ਆਦਤਾਂ ਨੂੰ ਵੀ ਬਦਲ ਰਹੀਆਂ ਹਨ। ਕਈ ਵਾਰ ਫ਼ਿਲਮਾਂ ਤੇ ਲੜੀਵਾਰ ਨਾਟਕਾਂ ਵਿਚਲੇ ਸ਼ ਇੰਨੇ ਨੰਗੇਜ਼ਵਾਦੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਸਾਉ ਲੋਕ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿਚ ਬੈਠ ਕੇ ਦੇਖ ਨਹੀਂ ਸਕਦੇ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਸਕਰੀਨ ਦੀ ਤੇਜ਼ ਰੌਸ਼ਨੀ ਤੇ ਰੇਡਿਆਈ ਕਿਰਨਾਂ ਅੱਖਾਂ ਦੀ ਨਜ਼ਰ ਉੱਪਰ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਨੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਜੀਵਨ ਉੱਪਰ ਬਹੁਤ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪਾਇਆ ਹੈ। ਲੋਕ ਸ਼ਾਮ ਵੇਲੇ ਇਕ – ਦੂਜੇ ਦੇ ਘਰ ਜਾਣਾ ਤੇ ਮਿਲਣਾ – ਗਿਲਣਾ ਛੱਡ ਕੇ ਆਪਣੇ ਘਰ ਵਿਚ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇ ਮੋਹਰੇ ਬੈਠਣਾ ਵਧੇਰੇ ਪਸੰਦ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਜਦੋਂ ਮਿੱਤਰ ਜਾਂ ਗੁਆਂਢੀ ਦੂਸਰੇ ਦੇ ਘਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਰੰਗ ਵਿਚ ਭੰਗ ਪਾਉਣ ਵਾਲਾ ਸਮਝਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੀ ਚਰਚਾ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਇਸ ਸਿੱਟੇ ‘ਤੇ ਪੁੱਜਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਆਧੁਨਿਕ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਇਕ ਅਦਭੁਤ ਕਾਢ ਹੈ।

ਇਸ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਵਰਤਮਾਨ ਸਭਿਆਚਾਰ ਉੱਨਤੀ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦਾ। ਇਹ ਵਰਤਮਾਨ ਮਨੁੱਖਾਂ ਦੇ ਮਨ – ਪਰਚਾਵੇ ਤੇ ਜੀਵਨ ਦੀਆਂ ਹੋਰ ਲੋੜਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਕਰਨ ਦਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸਾਧਨ ਹੈ। ਇਸ ਦੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਤੇ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਇਸ ਨੂੰ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਉਸਾਰੂ ਰੋਲ ਅਦਾ ਕਰਨ ਦੇ ਯੋਗ ਬਣਾਉਣ।

21. ਪਹਾੜ ਦੀ ਸੈਰ

ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਸਥਾਨਾਂ ਦੀ ਯਾਤਰਾ ਤੇ ਸੈਰ ਦਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਥਾਨ ਹੈ। ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਬਹੁਪੱਖੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਇਸ ਨਾਲ ਉਸ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਨੂੰ ਇਕ ਹੁਲਾਰਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਮੈਂ ਗਰਮੀਆਂ ਦੀਆਂ ਛੁੱਟੀਆਂ ਵਿਚ ਆਪਣੇ ਕੁੱਝ ਸਹਿਪਾਠੀਆਂ ਨਾਲ ਕਸ਼ਮੀਰ ਦੀ ਸੈਰ ਕਰਨ ਲਈ ਗਿਆ। ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਬੱਸ ਵਿਚ ਬੈਠ ਕੇ ਪਹਿਲਾਂ ਜੰਮੂ ਪੁੱਜੇ ਤੇ ਅਗਲੇ ਦਿਨ ਬੱਸ ਵਿਚ ਸਵਾਰ ਹੋ ਕੇ ਸ੍ਰੀਨਗਰ ਵੱਲ ਚਲ ਪਏ।

ਆਲੇ – ਦੁਆਲੇ ਦੇ ਪਹਾੜ ਝਾੜੀਆਂ ਤੇ ਜੰਗਲੀ ਪੌਦਿਆਂ ਨਾਲ ਭਰੇ ਹੋਏ ਸਨ। ਜਿਉਂ – ਜਿਉਂ ਅਸੀਂ ਅੱਗੇ ਵਧਦੇ ਗਏ, ਪਹਾੜ ਉੱਚੇ ਹੁੰਦੇ ਗਏ ਪਹਾੜ ਚੀਲਾਂ ਤੇ ਦੇਵਦਾਰਾਂ ਨਾਲ ਲੱਦੇ ਹੋਏ ਸਨ ਕਈ ਥਾਂਵਾਂ ‘ਤੇ ਪਹਾੜੀ ਆਬਸ਼ਾਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਪਾਣੀ ਡਿਗ ਰਿਹਾ ਸੀ। ਬੱਸ ਉੱਚੀਆਂ – ਨੀਵੀਆਂ ਅਤੇ ਵਲ ਖਾਂਦੀਆਂ ਸੜਕਾਂ ਤੋਂ ਲੰਘਦੀ ਹੋਈ ਅੱਗੇ ਜਾ ਰਹੀ ਸੀ। ਰਾਤ ਨੂੰ ਸਵਾ ਸੱਤ ਵਜੇ ਅਸੀਂ ਸ੍ਰੀਨਗਰ ਪਹੁੰਚ ਗਏ !

ਦੂਜੇ ਦਿਨ ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਸਾਥੀ ਬੱਸ ਵਿਚ ਸਵਾਰ ਹੋ ਕੇ ਟਾਂਗਮਰਗ ਪਹੁੰਚੇ। ਇੱਥੋਂ ਅਸੀਂ ਗੁਲਮਰਗ ਤੋਂ ਖਿਲਮਰਗ ਦੀ ਸੈਰ ਕਰਨ ਲਈ ਨਿਕਲੇ। ਇੱਥੋਂ ਗੁਲਮਰਗ ਅੱਠ ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਦੂਰ ਹੈ ਅਸੀਂ ਗੁਲਮਰਗ ਤਕ ਪੈਦਲ ਤੁਰ ਕੇ ਜਾਣ ਤੇ ਪਹਾੜ ਦੀ ਸੈਰ ਦਾ ਆਨੰਦ ਮਾਣਨ ਦਾ ਫ਼ੈਸਲਾ ਕੀਤਾ ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਬੜੀ ਖ਼ੁਸ਼ੀ – ਖੁਸ਼ੀ, ਹੱਸਦੇ – ਨੱਚਦੇ, ਗਾਉਂਦੇ ਤੇ ਹੁਸੀਨ ਕੁਦਰਤੀ ਨਜ਼ਾਰਿਆਂ ਦਾ ਆਨੰਦ ਮਾਣਦੇ ਹੋਏ ਆਪਣਾ ਪੰਧ ਮੁਕਾ ਰਹੇ ਸਾਂ। ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਪਹਾੜ ਸਾਲ, ਚੀਲ ਤੇ ਦਿਉਦਾਰਾਂ ਨਾਲ ਭਰੇ ਪਏ ਹਨ ਪਹਾੜ ਦੇ ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਡੂੰਘੀਆਂ ਪਤਾਲਾਂ ਤਕ ਪਹੁੰਚਦੀਆਂ ਖੱਡਾਂ ਹਨ।

ਥੋੜ੍ਹੀ ਦੇਰ ਮਗਰੋਂ ਅਸੀਂ ਗੁਲਮਰਗ ਪੁੱਜੇ। ਇੱਥੇ ਇਕ ਛੋਟਾ ਜਿਹਾ ਕੁਦਰਤੀ ਸੁੰਦਰਤਾ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਮੈਦਾਨ ਹੈ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਚਸ਼ਮੇ ਵਗਦੇ ਹਨ ਤੇ ਉੱਚੀਆਂ ਚੀਲਾਂ ਤੇ ਦਿਉਦਾਰਾਂ ਦੀਆਂ ‘ਸੰਘਣੀਆਂ ਤੇ ਲੰਮੀਆਂ ਕਤਾਰਾਂ ਨੇ ਆਲੇ – ਦੁਆਲੇ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਹੀ ਹੁਸੀਨ ਤੇ ਦਿਲ – ਖਿੱਚਵਾਂ ਬਣਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ। ਗੁਲਮਰਗ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਘੋੜਿਆਂ ਉੱਤੇ ਬੈਠੇ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਭਜਾਉਂਦੇ ਹੋਏ ਖਿਲਮਰਗ ਪੁੱਜੇ। ਇਹ ਥਾਂ ਸਮੁੰਦਰ ਤੋਂ 11000 ਫੁੱਟ ਉੱਚੀ ਹੈ। ਇੱਥੇ ਬਰਫ਼ ਜੰਮੀ ਹੋਈ ਸੀ।

ਅਸੀਂ ਬਰਫ਼ ਵਿਚ ਕੁਦਾੜੀਆਂ ਮਾਰਨ ਲੱਗੇ ਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਚੁੱਕ – ਚੁੱਕ ਕੇ ਇਕ – ਦੂਜੇ ਉੱਤੇ ਸੁੱਟਣ ਲੱਗੇ। ਕੁੱਝ ਸਮਾਂ ਅਸੀਂ ਇੱਥੇ ਠਹਿਰੇ ਤੇ ਫਿਰ ਵਾਪਸ ਗੁਲਮਰਗ ਵਿਚੋਂ ਹੁੰਦੇ ਹੋਏ ਟਾਂਗਮਾਰਗ ਪਹੁੰਚੇ। ਰਾਤ ਅਸੀਂ ਮੁੜ ਸ੍ਰੀਨਗਰ ਆ ਠਹਿਰੇ। ਇਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਅਸੀਂ ਕਸ਼ਮੀਰ ਦੇ ਹੋਰਨਾਂ ਵੇਖਣ ਯੋਗ ਸਥਾਨਾਂ ਡਲ ਝੀਲ, ਨਿਸ਼ਾਤ ਬਾਗ਼, ਕੁੱਕੜ ਨਾਗ, ਇੱਛਾਬਲ, ਅਵਾਂਤੀਪੁਰੇ ਦੇ ਖੰਡਰ, ਪਹਿਲਗਾਮ ਤੇ ਚੰਦਨਵਾੜੀ ਦੇ ਹੁਸੀਨ ਨਜ਼ਾਰੇ ਵੀ ਦੇਖੇ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਸ ਦਿਨ ਕਸ਼ਮੀਰ ਦੇ ਪਹਾੜਾਂ ਦੀ ਸੈਰ ਕਰਨ ਪਿੱਛੋਂ ਅਸੀਂ ਵਾਪਸ ਪਰਤ ਆਏ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

22. ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ

ਪੋ: ਮੋਹਨ ਸਿੰਘ ਨੇ ਸੱਚ ਕਿਹਾ ਹੈ
ਮਾਂ ਵਰਗਾ ਘਣਛਾਵਾਂ ਬੂਟਾ, ਮੈਨੂੰ ਨਜ਼ਰ ਨਾ ਆਏ।
ਲੈ ਕੇ ਇਸ ਤੋਂ ਛਾਂ ਉਧਾਰੀ, ਰੱਬ ਨੇ ਸੁਰਗ ਬਣਾਏ।
ਬਾਕੀ ਕੁੱਲ ਦੁਨੀਆਂ ਦੇ ਬੂਟੇ ਜੜ੍ਹ ਸੁੱਕਿਆਂ ਮੁਰਝਾਂਦੇ।
ਐਪਰ ਫੁੱਲਾਂ ਦੇ ਮੁਰਝਾਇਆਂ, ਇਹ ਬੂਟਾ ਸੁੱਕ ਜਾਏ।

ਸੰਸਾਰ ਭਰ ਦੇ ਚਿੰਤਕਾਂ ਨੇ ਮਾਂ ਦੀ ਮਹਿਮਾ ਗਾਈ ਹੈ ਮਾਂ ਦਾ ਰਿਸ਼ਤਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪਵਿੱਤਰ ਤੇ ਉੱਚਾ – ਸੁੱਚਾ ਹੈ। ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਬੰਦੇ ਦੀ ਮਾਂ ਦੇ ਬਰਾਬਰ ਹੋਰ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦਾ, ਜਿਹੜੀ ਕਿ ਉਸਨੂੰ ਜਨਮ ਦਿੰਦੀ ਹੈ, ਪਾਲਦੀ ਹੈ, ਤੁਰਨਾ ਤੇ ਬੋਲਣਾ ਸਿਖਾਉਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਜਿਉਣ ਦੇ ਯੋਗ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ।

ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਵੀ ਮੈਨੂੰ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਨਾਂ ਸ੍ਰੀਮਤੀ ਮਨਜੀਤ ਕੌਰ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਉਮਰ 35 ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਹੈ। ਉਹ ਬੀ. ਏ., ਬੀ. ਐੱਡ. ਪਾਸ ਹਨ ਅਤੇ ਉਹ ਇਕ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਅਧਿਆਪਕ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਹਨ। ਉਹ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਅਤੇ ਸੋਸ਼ਲ ਸਟੱਡੀ ਪੜ੍ਹਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਹੀ ਹਰਮਨ – ਪਿਆਰੇ ਹਨ ਉਹ ਸਵੇਰੇ ਉੱਠਦੇ ਹਨ ਤੇ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸਵੇਰੇ ‘ਜਪੁਜੀ ਸਾਹਿਬ’ ਦਾ ਪਾਠ ਕਰਦੇ ਹਨ।

ਸ਼ਾਮ ਵੇਲੇ ਉਹ ਰਹਿਰਾਸ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਪਾਠ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਸਦਾ ਸਾਫ਼ – ਸੁਥਰੇ ਕੱਪੜੇ ਪਹਿਨਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਚੰਗੇ ਖਾਣੇ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਘਰ ਦਾ ਸਾਰਾ ਕੰਮ ਆਪ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਸਦਾ ਕੰਮ ਵਿਚ ਜੁੱਟੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸੁਭਾ ਬਹੁਤ ਚੰਗਾ ਹੈ। ਉਹ ਸਦਾ ਖੁਸ਼ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਚਿਹਰੇ ਉੱਤੇ ਅਨੋਖੀ ਚਮਕ ਤੇ ਖਿੱਚ ਕਾਇਮ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ! ਉਹ ਸਾਨੂੰ ਸਭ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਅਸੀਂ ਸਭ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸਤਿਕਾਰ ਕਰਦੇ ਹਾਂ।

ਗਲੀ – ਗੁਆਂਢ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸਤਿਕਾਰ ਹੈ। ਉਹ ਮੁਹੱਲੇ ਦੀ ਇਸਤਰੀ ਸਭਾ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਹਨ। ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਘਰਾਂ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਲਾਹ ਲੈਂਦੇ ਹਨ।

ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦਾ ਫੁੱਲਾਂ ਤੇ ਪੌਦਿਆਂ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਘਰ ਵਿਚ ਕਿਆਰੀਆਂ ਅਤੇ ਗਮਲਿਆਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਰੰਗ – ਬਰੰਗੇ ਪੱਤਿਆਂ ਤੇ ਫੁੱਲਾਂ ਦੇ ਬੂਟੇ ਲਾਏ ਹੋਏ ਹਨ। ਦੋ – ਤਿੰਨ ਮਹੀਨਿਆਂ ਬਾਅਦ ਮੌਸਮੀ ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਪਨੀਰੀ ਆਪ ਤਿਆਰ ਕਰਕੇ ਪੌਦੇ ਤਿਆਰ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਆਪ ਪਾਣੀ ਦਿੰਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਇਸ ਲਗਨ ਸਦਕਾ ਸਾਡਾ ਘਰ ਫੁੱਲਾਂ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਫੁੱਲਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਉਹ ਕਿਆਰੀਆਂ ਵਿਚ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਵੀ ਲਾਉਂਦੇ ਹਨ ਸਾਡੇ ਘਰ ਦੀ ਰਸੋਈ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਹੱਥਾਂ ਦੀਆਂ ਪਾਲੀਆਂ ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਹੀ ਬਣਦੀਆਂ ਹਨ।

ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਮੈਨੂੰ ਤੇ ਮੇਰੀ ਛੋਟੀ ਭੈਣ ਦੀ ਸਿਹਤ ਤੇ ਪੜ੍ਹਾਈ ਦਾ ਬਹੁਤ ਖ਼ਿਆਲ ਰੱਖਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨਾਲ ਕਦੇ ਕੌੜਾ ਨਹੀਂ ਬੋਲਦੇ ਤੇ ਨਾ ਹੀ ਹੋਰ ਕਿਸੇ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗੁੱਸਾ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਆਉਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਇਕ ਆਦਰਸ਼ ਇਸਤਰੀ ਹੈ।

23. ਪੰਦਰਾਂ ਅਗਸਤ

ਭਾਰਤ ਲੰਮਾ ਸਮਾਂ ਗੁਲਾਮੀ ਦੀਆਂ ਜ਼ੰਜੀਰਾਂ ਵਿਚ ਜਕੜਿਆ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਇਸ ਨੂੰ ਲਗਪਗ 100 ਸਾਲ ਵਿਦੇਸ਼ੀਆਂ ਦੀ ਗੁਲਾਮੀ ਦਾ ਦੁੱਖ ਕੱਟਣਾ ਪਿਆ ਹੈ। ਸਮੇਂ – ਸਮੇਂ ਦੇਸ਼ ਭਰ ਵਿਚੋਂ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲਾਵਰਾਂ ਦੇ ਜਬਰ – ਜ਼ੁਲਮ ਤੇ ਅਨਿਆਂ ਵਿਰੁੱਧ ਅਵਾਜ਼ ਉੱਠਦੀ ਰਹੀ ਹੈ ਤੇ ਕੁੱਝ ਰਾਜੇ – ਮਹਾਰਾਜੇ ਤੇ ਲੋਕ – ਆਗੂ ਇਸ ਵਿਰੁੱਧ ਹਥਿਆਰਬੰਦ ਸੰਘਰਸ਼ ਕਰਦੇ ਰਹੇ ਹਨ। ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਪਠਾਣਾਂ ਤੇ ਮੁਗ਼ਲਾਂ ਦੀ ਗੁਲਾਮੀ ਵਿਰੁੱਧ ਰਾਣਾ ਪ੍ਰਤਾਪ, ਸ਼ਿਵਾ ਜੀ ਤੇ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤੀਆਂ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਭਰੇ ਸੰਘਰਸ਼ਾਂ ਨੂੰ ਕੌਣ ਭੁੱਲ ਸਕਦਾ ਹੈ ?

ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਪਠਾਣ ਤੇ ਮੁਗਲ ਤਾਂ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਆ ਕੇ ਭਾਰਤ – ਵਾਸੀ ਹੀ ਬਣ ਕੇ ਰਹਿ ਗਏ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਗੁਲਾਮੀ ਦੇ ਦੁੱਖ ਨੂੰ ਬਹੁਤਾ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਰਾਜ ਵਿਚ ਹੀ ਮਹਿਸੂਸ ਕੀਤਾ ਪੰਜਾਬ, ਬੰਗਾਲ ਤੇ ਮਹਾਂਰਾਸ਼ਟਰ ਆਦਿ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸਮੁੱਚੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚੋਂ ਉੱਠੇ ਦੇਸ਼ – ਭਗਤਾਂ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਰਾਜ ਨੂੰ ਖ਼ਤਮ ਕਰਨ ਤੇ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਲਈ ਅਕਹਿ ਕਸ਼ਟ ਸਹਿ ਕੇ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਦਿੱਤੀਆਂ ਇਸ ਸੰਬੰਧ ਵਿਚ ਨਾਮਧਾਰੀ ਲਹਿਰ, “ਪਗੜੀ ਸੰਭਾਲ ਜੱਟਾ’ ਲਹਿਰ, ਗਦਰ ਲਹਿਰ, ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ, ਬੱਬਰ ਅਕਾਲੀ ਲਹਿਰ, ਨੌਜਵਾਨ ਭਾਰਤ ਸਭਾ, ਅਜ਼ਾਦ ਹਿੰਦ ਫ਼ੌਜ ਤੇ ਦੇਸ਼ ਭਰ ਦੀਆਂ ਹੋਰ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਦੇਸ਼ – ਭਗਤ ਲਹਿਰਾਂ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਲੈ ਰਹੇ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਨੇ ਬੇਮਿਸਾਲ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਦਿੱਤੀਆਂ। ਕਰਤਾਰ ਸਿੰਘ ਸਰਾਭਾ, ਸ: ਅਜੀਤ ਸਿੰਘ, ਗੰਗਾਧਰ ਤਿਲਕ ਸ਼ਹੀਦ ਭਗਤ ਸਿੰਘ, ਮਹਾਤਮਾ ਗਾਂਧੀ, ਲਾਲਾ ਲਾਜਪਤ ਰਾਏ, ਜਵਾਹਰ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ ਤੇ ਨੇਤਾ ਜੀ ਸੁਭਾਸ਼ ਚੰਦਰ ਬੋਸ ਆਦਿ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੀ ਲਹਿਰ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਆਗੂ ਹੋਏ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਾਰੇ ਹਿੰਦੁਸਤਾਨ ਵਿਚ ਧੁੰਮਾ ਦਿੱਤਾ – “ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਸਾਡਾ ਜਮਾਂਦਰੂ ਅਧਿਕਾਰ ਹੈ ਅਤੇ ਅਸੀਂ ਇਸ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਰਹਾਂਗੇ। ਸ਼ਹੀਦ ਭਗਤ ਸਿੰਘ, ਰਾਜਗੁਰੂ ਤੇ ਸੁਖਦੇਵ ਵਰਗੇ ਸੂਰਮੇ ਬੜੇ ਚਾ ਨਾਲੇ ਗਾਉਂਦੇ –

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਸਰ ਫ਼ਰੋਸ਼ੀ ਕੀ ਤਮੰਨਾ ਅਬ ਹਮਾਰੇ ਦਿਲ ਮੇਂ ਹੈ।
ਦੇਖਨਾ ਹੈ ਜ਼ੋਰ ਕਿਤਨਾ ਬਾਜ਼ੂਏ ਕਾਤਿਲ ਮੇਂ ਹੈ।

ਅੰਤ ਦੇਸ਼ – ਭਗਤਾਂ ਦੀਆਂ ਸ਼ਹੀਦੀਆਂ ਤੇ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਰਾਹੀਂ ਡੁੱਲ੍ਹਿਆ ਖੂਨ ਬਿਰਥਾ ਨਾ ਗਿਆ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਈ: ਨੂੰ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਭਾਰਤ ਛੱਡ ਕੇ ਚਲੇ ਗਏ ਤੇ ਸਮੁੱਚੇ ਭਾਰਤ – ਵਾਸੀਆਂ ਨੂੰ ਅਜ਼ਾਦ ਵਾਤਾਵਰਨ ਵਿਚ ਵਿਚਰਨ ਦਾ ਮੌਕਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਇਆ ਪਰਤੰਤਰਤਾ ਦੀ ਰਾਤ ਬੀਤ ਗਈ ਤੇ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਦੀਆਂ ਸੁਨਹਿਰੀ ਕਿਰਨਾਂ ਖਿਲਾਰਦਾ ਸੂਰਜ ਨਿਕਲ ਆਇਆ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ 15 ਅਗਸਤ ਦਾ ਦਿਨ ਸਮੁੱਚੇ ਭਾਰਤ – ਵਾਸੀਆਂ ਲਈ ਗੌਰਵ ਭਰਿਆ ਦਿਨ ਹੈ। ਇਸ ਦੇ ਪਿੱਛੇ ਸੰਘਰਸ਼ ਭਰੇ ਤੇ ਖੂਨ – ਰੰਗੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦੀ ਇਕ ਲੰਮੀ ਕਹਾਣੀ ਹੈ। ਹਰ ਸਾਲ ਭਾਰਤ – ਵਾਸੀ ਇਸ ਦਿਨ ਨੂੰ ਇਕ ਤਿਉਹਾਰ ਵਾਂਗ ਬੜੇ ਚਾ ਤੇ ਉਮਾਹ ਨਾਲ ਮਨਾਉਂਦੇ ਹਨ।

ਇਸ ਦਿਨ ਸਵੇਰੇ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਲਾਲ ਕਿਲ੍ਹੇ ਉੱਪਰ ਤਿਰੰਗਾ ਝੰਡਾ ਝੁਲਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗੀਤ ਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਉਹ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਯੋਧਿਆਂ ਨੂੰ ਸ਼ਰਧਾਂਜਲੀਆਂ ਭੇਟਾ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਕੌਮ ਦੇ ਨਾਂ ਸੰਦੇਸ਼ ਪ੍ਰਸਾਰਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਸਾਰੇ ਦੇਸ਼ – ਵਾਸੀ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਉੱਪਰ ਇਸ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਨੂੰ ਦੇਖਦੇ ਹਨ ਰਾਜਧਾਨੀ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਦੇਸ਼ ਭਰ ਵਿਚ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਦੇਸ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਰਾਜਧਾਨੀਆਂ ਤੇ ਨਗਰਾਂ ਵਿਚ ਇਸ ਨੂੰ ਮਨਾਉਣ ਲਈ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਦੇਸ਼ਾਂ ਦੇ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ, ਦੂਸਰੇ ਮੰਤਰੀ ਤੇ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਅਧਿਕਾਰੀ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਮਿੱਥੇ ਥਾਂਵਾਂ ਉੱਪਰ ਤਿਰੰਗਾ ਝੰਡਾ ਲਹਿਰਾਉਣ ਦੀ ਰਸਮ ਅਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਹਵਾਈ ਜਹਾਜ਼ ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਵਰਖਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਯੋਧਿਆਂ ਤੇ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਨੂੰ ਸ਼ਰਧਾਂਜਲੀਆਂ ਭੇਟ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਸਮਾਧੀਆਂ ਤੇ ਫੋਟੋਆਂ ਉੱਤੇ ਫੁੱਲਾਂ ਦੇ ਹਾਰ ਪਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ।

ਫਿਰ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ਪੁਲਿਸ ਦੀਆਂ ਟੁਕੜੀਆਂ ਤੇ ਸਕੂਲਾਂ ਦੇ ਬੱਚਿਆਂ ਦੁਆਰਾ ਜਲੂਸ ਕੱਢਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਢੋਲ ਤੇ ਨਗਾਰੇ ਵਜਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਲੋਕ ਮਠਿਆਈਆਂ ਵੰਡਦੇ ਹਨ। ਸ਼ਾਮ ਨੂੰ ਰਾਜਧਾਨੀ ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ, ਦੇਸ਼ਕ ਰਾਜਧਾਨੀਆਂ ਤੇ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਵਿਚ ਦੀਪਮਾਲਾ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਆਤਸ਼ਬਾਜ਼ੀ ਚਲਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਸੜਕਾਂ ਤੇ ਬਜ਼ਾਰ ਰੌਸ਼ਨੀਆਂ ਨਾਲ ਡੁੱਲ੍ਹ – ਡੁੱਲ੍ਹ ਪੈਂਦੇ ਹਨ।

ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ 15 ਅਗਸਤ ਦਾ ਦਿਨ ਭਾਰਤ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹੈ। ਭਾਰਤੀਆਂ ਨੂੰ ਇਹ ਦਿਨ ਬੇਅੰਤ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਤੇ ਸੈਂਕੜੇ ਸ਼ਹੀਦੀਆਂ ਪਿੱਛੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਇਆ ਹੈ ਅੱਜ ਸਾਡਾ ਕਰਤੱਵ ਹੈ ਕਿ ਅਸੀਂ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਨੂੰ ਕਾਇਮ ਰੱਖਣ ਲਈ ਆਪਣਾ ਤਨ, ਮਨ ਤੇ ਧਨ ਕੁਰਬਾਨ ਕਰਨ ਲਈ ਤਿਆਰ ਰਹੀਏ ਤੇ ਇੱਥੇ ਪਸਰ ਰਹੇ ਭ੍ਰਿਸ਼ਟਾਚਾਰ ਤੇ ਕੱਟੜਵਾਦ ਵਿਰੁੱਧ ਇਕ ਜ਼ੋਰਦਾਰ ਜੰਗ ਛੇੜੀਏ।

24. ਛੱਬੀ ਜਨਵਰੀ
ਜਾਂ
ਗਣਤੰਤਰਤਾ ਦਿਵਸ

26 ਜਨਵਰੀ ਦਾ ਦਿਨ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਤੇ ਅਜ਼ਾਦੀ ਮਿਲਣ ਤੋਂ ਪਿੱਛੋਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਥਾਨ ਰੱਖਦਾ ਹੈ। ਜਦੋਂ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦਾ ਅੰਦੋਲਨ ਚਲ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਤਾਂ 31 ਦਸੰਬਰ, 1929 ਈ: ਨੂੰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਨੇ ਲਾਹੌਰ ਵਿਖੇ ਹੋਏ ਆਪਣੇ ਸਾਲਾਨਾ ਸਮਾਗਮ ਵਿਚ ਇਕ ਮਤੇ ਰਾਹੀਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਤੋਂ ਪੂਰਨ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਹਰ ਸਾਲ 26 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦਾ ਦਿਨ ਮਨਾਉਣ ਦਾ ਫ਼ੈਸਲਾ ਕੀਤਾ ਉਸ ਦਿਨ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਅਜ਼ਾਦ ਹੋਣ ਤਕ ਇਹ ਦਿਨ ਪੂਰਨ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੀ ਮੰਗ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਰਿਹਾ। ਅੰਤ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਈ: ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਅਜ਼ਾਦ ਹੋ ਗਿਆ।

ਫਿਰ ਸੁਤੰਤਰ ਭਾਰਤ ਦਾ ਸੰਵਿਧਾਨ ਬਣਾਉਣ ਦਾ ਕੰਮ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆਂ। 26 ਜਨਵਰੀ, 1950 ਈ: ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦਾ ਸੰਵਿਧਾਨ ਲਾਗੂ ਹੋਇਆ, ਜਿਸ ਰਾਹੀਂ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਸੁਤੰਤਰ ਤੇ ਖ਼ੁਦਮੁਖ਼ਤਾਰ ਗਣਤੰਤਰ ਦਾ ਦਰਜਾ ਦਿੰਦਿਆਂ ਇੱਥੇ ਲੋਕ – ਰਾਜ ਕਾਇਮ ਕਰਨ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਅਤੇ ਭਾਰਤ – ਵਾਸੀਆਂ ਨੂੰ ਬੋਲਣ, ਲਿਖਣ, ਤੁਰਨ – ਫਿਰਨ, ਜਾਇਦਾਦ ਬਣਾਉਣ ਤੇ ਵੋਟਾਂ ਪਾਉਣ ਦੇ ਬੁਨਿਆਦੀ ਅਧਿਕਾਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ। ਇਸ ਸੰਵਿਧਾਨ ਅਨੁਸਾਰ ਅੱਜ ਤਕ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਰਾਜ – ਕਾਜ ਚਲਾਇਆ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ।

ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ 26 ਜਨਵਰੀ ਦਾ ਦਿਨ ਭਾਰਤੀ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਹਾਨਤਾ ਭਰਿਆ ਦਿਨ ਹੈ। ਹਰ ਸਾਲ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤੀ ਇਸ ਦਿਨ ਨੂੰ ਬੜੇ ਉਤਸ਼ਾਹ ਨਾਲ ਮਨਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਕ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਜੀ ਰੇਡੀਓ ਤੇ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਤੋਂ ਕੌਮ ਦੇ ਨਾਂ ਆਪਣਾ ਸੁਨੇਹਾ ਪ੍ਰਸਾਰਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਦਿਨ ਸਵੇਰੇ ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ ਵਿਚ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਜੀ ਵਿਜੈ ਚੌਂਕ ਵਿਖੇ ਝੰਡਾ ਲਹਿਰਾਉਣ ਮਗਰੋਂ ਤਿੰਨਾਂ ਫ਼ੌਜਾਂ ਦੇ ਯੂਨਿਟਾਂ ਤੋਂ ਸਲਾਮੀ ਲੈਂਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਫ਼ੌਜੀ ਸ਼ਕਤੀ ਅਤੇ ਵਿਗਿਆਨਿਕ ਤੇ ਸੱਨਅਤੀ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿਚ ਤਰੱਕੀ ਦਾ ਭਾਰੀ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਲੋਕ ਦੂਰੋਂ – ਦੂਰੋਂ ਦਿੱਲੀ ਵਿਚ 26 ਜਨਵਰੀ ਦੀਆਂ ਰੌਣਕਾਂ ਦੇਖਣ ਆਉਂਦੇ ਹਨ।

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ਇਸ ਸਮੇਂ ਫ਼ੌਜ, ਪੁਲਿਸ, ਸਕੂਲਾਂ – ਕਾਲਜਾਂ ਦੇ ਮੁੰਡਿਆਂ – ਕੁੜੀਆਂ ਅਤੇ ਸਕਾਊਟਾਂ ਵਲੋਂ ਸਾਰੇ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ਜਲੂਸ ਕੱਢਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਫ਼ੌਜ ਤੇ ਪੁਲਿਸ ਆਪਣੇ ਨਾਲ ਹਥਿਆਰ ਲੈ ਕੇ ਚਲਦੀ ਹੈ। ਜਲੂਸ ਤੇ ਆਲਾ – ਦੁਆਲਾ ਤਿਰੰਗੇ ਝੰਡਿਆਂ ਨਾਲ ਸਜਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਹਵਾਈ ਜਹਾਜ਼ ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਵਰਖਾ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਭਾਰਤ ਦੇ ਕੋਨੇ – ਕੋਨੇ ਵਿਚੋਂ ਲੋਕ – ਨਾਚ ਨੱਚਣ ਵਾਲੀਆਂ ਟੋਲੀਆਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਉਹ ਨੈਸ਼ਨਲ ਸਟੇਡੀਅਮ ਦੇ ਵਿਸ਼ਾਲ ਮੰਚ ਉੱਤੇ ਆਪਣੇ ਨਾਚ ਪੇਸ਼ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ। ਲੱਖਾਂ ਦਰਸ਼ਕ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨਾਚਾਂ ਦਾ ਆਨੰਦ ਮਾਣਦੇ ਹਨ। ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਰਾਜਧਾਨੀ ਵਿਚ ਚਹਿਲ – ਪਹਿਲ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਰੌਣਕਾਂ ਵਿਚ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਪ੍ਰਾਹੁਣੇ ਵੀ ਭਾਗ ਲੈਂਦੇ ਹਨ।

ਰਾਤ ਨੂੰ ਆਤਸ਼ਬਾਜ਼ੀ ਤੇ ਪਟਾਕਿਆਂ ਨਾਲ ਇਸ ਦਿਨ ਦੀਆਂ ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਹੋਰ ਵੱਡੇ – ਵੱਡੇ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਤੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਰਾਜਧਾਨੀਆਂ ਵਿਚ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ, ਮੰਤਰੀ ਤੇ ਸਰਕਾਰੀ ਅਫ਼ਸਰ ਝੰਡਾ ਝੁਲਾਉਣ ਦੀ ਰਸਮ ਅਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਜਹਾਜ਼ ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਵਰਖਾ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਮਾਗਮਾਂ ਵਿਚ ਲੋਕ ਬੜੇ ਉਤਸ਼ਾਹ ਨਾਲ ਪੁੱਜਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਵਜ਼ੀਰਾਂ, ਸਰਕਾਰੀ ਅਫ਼ਸਰਾਂ ਤੇ ਹੋਰਨਾਂ ਲੀਡਰਾਂ ਦੇ ਭਾਸ਼ਨ ਵੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਜੋ ਜਨਤਾ ਨੂੰ ਇਸ ਦਿਨ ਦੀ ਮਹਾਨਤਾ ਤੋਂ ਜਾਣੂ ਕਰਾ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਦੇਸ਼ – ਭਗਤੀ ਤੇ ਲੋਕ – ਰਾਜ ਪ੍ਰਤੀ ਸਤਿਕਾਰ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਪੈਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਦਿਨ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਵਿਚ ਵੱਡੇ – ਵੱਡੇ ਜਲੂਸ ਵੀ ਕੱਢੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ।

ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ 26 ਜਨਵਰੀ ਦਾ ਦਿਨ ਭਾਰਤ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿਚ ਭਾਰੀ ਮਹੱਤਤਾ ਰੱਖਦਾ ਹੈ।

25. ਅਸੀਂ ਪਿਕਨਿਕ ‘ਤੇ ਗਏ

ਪਿਛਲੇ ਸ਼ਨਿਚਰਵਾਰ ਅਸੀਂ ਸਤਲੁਜ ਦਰਿਆ ਦੇ ਕੰਢੇ ਪਿਕਨਿਕ ਲਈ ਗਏ। ਇਸ ਵਿਚ ਸਾਡੀ ਕਲਾਸ ਦੇ ਦਸ ਮੁੰਡੇ ਸ਼ਾਮਲ ਸਨ। ਇਸ ਲਈ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਘਰੋਂ ਗੈਸ ਦਾ ਛੋਟਾ ਸਿਲੰਡਰ ਤੇ ਛੋਟਾ ਚੁੱਲ੍ਹਾ ਲੈ ਗਿਆ। ਮਨਜੀਤ ਨੇ ਪਤੀਲੀ, ਕੱਪ – ਪਲੇਟਾਂ ਤੇ ਚਾਹ ਬਣਾਉਣ ਦਾ ਸਮਾਨ ਲੈ ਲਿਆ। ਗੁਰਜੀਤ ਦੀ ਮੰਮੀ ਨੇ ਸਾਨੂੰ ਪਕੌੜੇ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਤੇਲ, ਵੇਸਣ, ਪਾਲਕ – ਪਿਆਜ਼ ਤੇ ਲੂਣ – ਮਸਾਲਾ ਆਦਿ ਦੇ ਦਿੱਤਾ ਅਸੀਂ ਕੁੱਝ ਪਲਾਸਟਿਕ ਦੇ ਕੱਪ ਤੇ ਪਲੇਟਾਂ ਲੈ ਲਈਆਂ। ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਬਿਸਕੁਟਾਂ ਦੇ ਕੁੱਝ ਪੈਕਟ ਵੀ ਲੈ ਲਏ। ਸਤਲੁਜ ਦਰਿਆ ਸਾਡੇ ਪਿੰਡਾਂ ਪੰਦਰਾਂ ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਸੀ। ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਉੱਤੇ ਸਮਾਨ ਰੱਖ ਕੇ ਚਲ ਪਏ।

ਦਰਿਆ ਦੇ ਕੰਢੇ ਪਹੁੰਚ ਕੇ ਅਸੀਂ ਇਕ ਸਾਫ਼ – ਸੁਥਰੀ ਥਾਂ ਚੁਣ ਲਈ ਤੇ ਉੱਥੇ ਬੈਠ ਗਏ। ਸਾਡੇ ਵਿਚੋਂ ਸਭ ਨੂੰ ਤਰਨਾ ਆਉਂਦਾ ਸੀ ਅਸੀਂ ਸਭ ਨੇ ਕੱਪੜੇ ਲਾਹ ਕੇ ਕੰਢੇ ਉੱਤੇ ਰੱਖ ਦਿੱਤੇ ਤੇ ਇਕ ਘੰਟਾ ਖੂਬ ਤਾਰੀਆਂ ਲਾਉਂਦੇ ਰਹੇ। ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਸਾਨੂੰ ਇਕ ਕਿਸ਼ਤੀ ਦਿਸ ਪਈ ! ਮਲਾਹ ਮੱਛੀਆਂ ਫੜ ਰਿਹਾ ਸੀ। ਅਸੀਂ ਉਸਨੂੰ ਬੇਨਤੀ ਕੀਤੀ, ਤਾਂ ਉਹ ਸਾਡੇ ਵਿਚੋਂ ਤਿੰਨਾਂ – ਤਿੰਨਾਂ ਨੂੰ ਕਿਸ਼ਤੀ ਵਿਚ ਬਿਠਾ ਕੇ ਘੁੰਮਾਉਣਾ ਮੰਨ ਗਿਆ ਅਸੀਂ ਤਿੰਨ – ਤਿੰਨ ਗਰੁੱਪ ਬਣਾ ਕੇ ਪੰਦਰਾਂ – ਪੰਦਰਾਂ ਵਿਚ ਕਿਸ਼ਤੀ ਵਿਚ ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਦਰਿਆ ਦਾ ਆਨੰਦ ਮਾਣਿਆ ਸਾਡੇ ਵਿਚੋਂ ਕੁੱਝ ਨੇ ਆਪ ਚੱਪੂ ਚਲਾਏ ਤੇ ਇਕ – ਦੋ ਨੇ ਮੱਛੀਆਂ ਲਈ ਭੰਡੀ ਵੀ ਲਾਈ। ਫਿਰ ਸਾਨੂੰ ਭੁੱਖ ਲੱਗ ਗਈ।

ਦਰਿਆ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਆ ਕੇ ਮੈਂ ਨੇੜੇ ਦੇ ਗੈਸਟ ਹਾਊਸ ਵਿਚ ਜਾ ਕੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਬਾਲਟੀ ਲੈ ਆਂਦੀ ਤੇ ਮੈਂ ਗੈਸ ਦਾ ਚੁੱਲ੍ਹਾ ਬਾਲ ਦਿੱਤਾ ਗੁਰਜੀਤ ਨੇ ਕੜਾਹੀ ਉੱਤੇ ਰੱਖ ਕੇ ਤੇਲ ਗਰਮ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਬਲਵੀਰ ਨੇ ਕੁੱਝ ਵੇਸਣ ਵਿਚ ਪਾਲਕ ਤੇ ਕੁੱਝ ਵਿਚ ਪਿਆਜ਼ ਮਿਲਾ ਕੇ ਘੋਲ ਤਿਆਰ ਕਰ ਲਿਆ ਤੇ ਪਕੌੜੇ ਤਲਣ ਲੱਗਾ। ਉਹ ਗਰਮ – ਗਰਮ ਪਕੌੜੇ ਕੱਢ ਰਿਹਾ ਸੀ ਤੇ ਅਸੀਂ ਖਾ ਰਹੇ ਸੀ। ਫਿਰ ਅਸੀਂ ਚਾਹ ਬਣਾਈ ਤੇ ਉਸ ਨਾਲ ਬਿਸਕੁਟ ਖਾਧੇ। ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਗੋਲ ਘੇਰਾ ਬਣਾ ਕੇ ਬੈਠ ਗਏ। ਰਾਕੇਸ਼ ਨੇ ਲਤੀਫ਼ੇ ਸੁਣਾ – ਸੁਣਾ ਕੇ ਸਾਨੂੰ ਖੂਬ ਹਸਾਇਆ। ਜੋਤੀ ਤੇ ਮਿੱਕੀ ਨੇ ਗੀਤ ਸੁਣਾਏ ! ਹਰਦੀਪ ਨੇ ਕੁੱਝ ਮੰਤਰੀਆਂ ਤੇ ਐਕਟਰਾਂ ਦੀਆਂ ਨਕਲਾਂ ਲਾ ਕੇ ਖੂਬ ਹਸਾਇਆ।

ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਤਿੰਨ – ਚਾਰ ਘੰਟੇ ਪਿਕਨਿਕ ਦਾ ਮਜ਼ਾ ਲੈਣ ਮਗਰੋਂ ਅਸੀਂ ਘਰ ਪਰਤ ਆਏ !

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26. ਟਰੈਫਿਕ ਸਪਤਾਹ

ਸਾਡੇ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ਪੁਲਿਸ ਵਲੋਂ ਬੀਤੇ 1 ਜਨਵਰੀ ਤੋਂ 7 ਜਨਵਰੀ ਤਕ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਸਪਤਾਹ ਮਨਾਇਆ ਗਿਆ ਸਾਰੇ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਸੰਬੰਧੀ ਚਿੱਟੇ ਰੰਗ ਦੇ ਬੈਨਰ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਸਨ। ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਦੇ ਸਿਪਾਹੀ ਆਪਣੇ ਹੱਥਾਂ ਉੱਤੇ ਚਿੱਟੇ ਰੰਗ ਦੇ ਦਸਤਾਨੇ ਪਾਈ ਥਾਂ – ਥਾਂ ਸਰਗਰਮ ਦਿਖਾਈ ਦੇ ਰਹੇ ਸਨ। ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਸਕੂਲਾਂ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਵੀ ਇਸ ਮੁਹਿੰਮ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ਤੇ ਉਹ ਵੀ ਹੱਥਾਂ ਵਿਚ ਬੈਨਰ ਫੜ ਕੇ ਤੇ ਟੋਲੀਆਂ ਬਣਾ ਕੇ ਸੜਕਾਂ ਉੱਤੇ ਤੁਰ ਰਹੇ ਸਨ। ਇਹ ਸਾਲ ਦਾ ਉਹ ਹਫ਼ਤਾ ਸੀ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਸੰਬੰਧੀ ਸੁਚੇਤ ਕੀਤਾ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ।

ਇਸ ਉਦੇਸ਼ ਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਲਈ ਥਾਂ – ਥਾਂ ਵਰਕਸ਼ਾਪਾਂ, ਡਰਾਈਵਿੰਗ ਟੈਸਟਾਂ, ਲੈਕਚਰਾਂ ਤੇ ਭਾਸ਼ਨ – ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਦੇ ਆਯੋਜਨ ਵੀ ਕੀਤੇ ਜਾ ਰਹੇ ਸਨ। ਇਸੇ ਲੜੀ ਵਿਚ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਵੀ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਸੰਬੰਧੀ ਜਾਗਰੂਕ ਕਰਨ ਲਈ ਇਕ ਅੰਤਰ – ਸਕੂਲ ਭਾਸ਼ਨ ਮੁਕਾਬਲਾ ਹੋ ਰਿਹਾ ਸੀ। ਇਸ ਵਿਚ ਮੁੱਖ ਮਹਿਮਾਨ ਸਾਡੇ ਇਲਾਕੇ ਦੇ ਪੁਲਿਸ ਸਟੇਸ਼ਨ ਦੇ ਟਰੈਫ਼ਿਕ – ਇਨਸਪੈਕਟਰ ਸਨ। ਭਾਸ਼ਨ ਮੁਕਾਬਲੇ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਲੈਣ ਵਾਲੇ ਵਕਤਿਆਂ ਨੇ ਸਰੋਤਿਆਂ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸੜਕਾਂ ਉੱਤੇ ਦਿਨੋ – ਦਿਨ ਵਧ ਰਹੇ ਹਾਦਸਿਆਂ, ਅਜਾਈਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਜਾਨਾਂ ਤੇ ਅਪੰਗ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਦੀ ਲੂੰ ਕੰਡੇ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਗਿਣਤੀ ਬਾਰੇ ਦੱਸਦਿਆਂ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਦੀ ਉਲੰਘਣਾ, ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਸੰਬੰਧ ਵਿਚ ਪੁਲਿਸ ਅਤੇ ਨੇਤਾ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਕਾਰਗੁਜ਼ਾਰੀ ਬਾਰੇ ਕਾਫ਼ੀ ਚਾਨਣਾ ਪਾਇਆ।

ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਿਨੋ – ਦਿਨ ਤਰ੍ਹਾਂ – ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵਾਹਨਾਂ ਤੇ ਸੜਕਾਂ ਦੀ ਮੰਦੀ ਹਾਲਤ ਬਾਰੇ ਵੀ ਆਪਣੇ – ਆਪਣੇ ਵਿਚਾਰ ਰੱਖੇ। ਮੁੱਖ ਮਹਿਮਾਨ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਇਨਸਪੈਕਟਰ ਨੇ ਆਪਣੇ ਭਾਸ਼ਨ ਵਿਚ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਆਪਣੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਲਈ ਤੇ ਆਵਾਜਾਈ ਨੂੰ ਨਿਰਵਿਘਨ ਚਲਦਾ ਰੱਖਣ ਲਈ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ।

ਉਨ੍ਹਾਂ ਡਰਾਈਵਿੰਗ ਸਿੱਖਣ, ਲਾਈਸੈਂਸ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ, ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਕਰਨ ਤੇ ਪਾਰਕਿੰਗ ਆਦਿ ਸੰਬੰਧੀ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਇਹ ਵੀ ਕਿਹਾ ਕਿ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਵਿਚ ਪੁਲਿਸ ਸੱਚੇ ਦਿਲੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਹੈ ਤੇ ਆਮ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਇਸ ਵਿਚ ਸਹਿਯੋਗ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ। ਇਸ ਲਈ ਸਾਡਾ ਸਭ ਦਾ ਫ਼ਰਜ਼ ਹੈ ਕਿ ਆਪਣੀ ਸੁਰੱਖਿਆ, ਆਵਾਜਾਈ ਨੂੰ ਨਿਰਵਿਘਨ ਚਲਦਾ ਰੱਖਣ ਤੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਤਰੱਕੀ ਦੀ ਰਫ਼ਤਾਰ ਨੂੰ ਤੇਜ਼ ਰੱਖਣ ਲਈ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਕਰੀਏ।

ਅੰਤ ਵਿਚ ਸਾਡੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਮੁੱਖ ਮਹਿਮਾਨ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਕਰਦਿਆਂ ਤੇ ਭਾਸ਼ਨ ਮੁਕਾਬਲੇ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲੈਣ ਵਾਲੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਤੇ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਸਪਤਾਹ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਲੈਣ ਉੱਤੇ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਦਿਆਂ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਆਵਾਜਾਈ ਨੂੰ ਸੁਚਾਰੂ ਢੰਗ ਨਾਲ ਚਲਾਉਣ ਲਈ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਦੇ ਨਾਲ ਦਿਨੋ – ਦਿਨ ਵਧ ਰਹੇ ਵਾਹਨਾਂ ਤੇ ਆਵਾਜਾਈ ਲਈ ਚੰਗੀਆਂ ਸੜਕਾਂ, ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਲਾਈਟਾਂ ਦਾ ਚੰਗੀ ਹਾਲਤ ਵਿਚ ਹੋਣਾ, ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਦੀ ਉਲੰਘਣਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਵਿਰੁੱਧ ਪੁਲਿਸ ਦਾ ਬੇਲਿਹਾਜ਼ ਹੋਣਾ, ਪੈਦਲਾਂ ਲਈ ਜ਼ੈਬਰਾ ਕਰਾਸਿੰਗ ਤੇ ਫੁੱਟਪਾਥਾਂ ਦੇ ਹੋਣ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਭੀੜਾਂ ਨੂੰ ਰੋਕਣ ਲਈ ਥਾਂ – ਥਾਂ ਫਲਾਈਓਵਰਾਂ ਦਾ ਬਣੇ ਹੋਣਾ ਵੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ। ਅੰਤ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਆਸ ਪ੍ਰਗਟ ਕੀਤੀ ਕਿ ਇਸ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਸਪਤਾਹ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲੋਕ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਨਿਯਮਾਂ ਸੰਬੰਧੀ ਜਾਗਰੂਕ ਹੋਏ ਹੋਣਗੇ ਤੇ ਅੱਗੋਂ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ਟਰੈਫ਼ਿਕ ਦੀ ਸਮੱਸਿਆ ਬਹੁਤ ਹੱਦ ਤਕ ਘੱਟ ਜਾਵੇਗੀ।

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27. ਗਰਮੀ ਦੀ ਰੁੱਤ

ਪੰਜਾਬ ਬਹੁਰੰਗੀਆਂ ਰੁੱਤਾਂ ਦਾ ਦੇਸ਼ ਹੈ। ਇਸ ਵਿਚ ਮੌਸਮ ਕਈ ਰੰਗ ਦਿਖਾਉਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਵਿਚ ਅਤਿ ਦੀ ਸਰਦੀ ਵੀ ਪੈਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਅੱਤ ਦੀ ਗਰਮੀ ਵੀ। ਗਰਮੀ ਸਰਦੀ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਬਰਸਾਤ, ਪੱਤਝੜ ਤੇ ਬਸੰਤ ਇੱਥੋਂ ਦੀਆਂ ਹੋਰ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਰੁੱਤਾਂ ਹਨ।

ਗਰਮੀ ਦੀ ਰੁੱਤ ਦਾ ਆਰੰਭ ਬਸੰਤ ਰੁੱਤ ਦੇ ਬੀਤਣ ਨਾਲ ਹੀ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਜੇਠ – ਹਾੜ੍ਹ ਅਰਥਾਤ ਮਈ ਜੂਨ ਗਰਮੀ ਦੇ ਮਹੀਨੇ ਮੰਨੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਮਹੀਨਿਆਂ ਵਿਚ ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਅਤਿ ਦੀ ਗਰਮੀ ਪੈਂਦੀ ਹੈ। ਸੂਰਜ ਅਸਮਾਨ ਵਿਚ ਸਿਖਰ ਉੱਤੇ ਪੁੱਜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਅੱਗ ਵਰਾਉਂਦਾ ਹੈ।

ਸਿਖਰ ਦੁਪਹਿਰੇ ਜੇਠ ਦੀ, ਵਰੁਨ ਪਏ ਅੰਗਿਆਰ॥
ਲੋਆਂ ਵਾਓ ਵਰੋਲਿਆਂ, ਰਾਹੀਂ ਲਏ ਖਲਾਰ।
ਲੋਹ ਤਪੇ ਜਿਉਂ ਪਿਥਵੀ, ਭਖ ਲਵਣ ਅਸਮਾਨ !
ਪਸ਼ੂਆਂ ਜੀਭਾਂ ਸੁੱਟੀਆਂ, ਪੰਛੀ ਭੁੱਜਦੇ ਜਾਣ।

ਗਰਮੀ ਦੀ ਰੁੱਤ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਐਕਟ ਵਿਸਾਖ ਅਰਥਾਤ ਅਪਰੈਲ ਦੇ ਅੱਧ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਮਈ – ਜੂਨ ਵਿਚ ਇਹ ਸਿਖਰ ਉੱਤੇ ਪੁੱਜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਧੁੱਪ, ਗਰਮੀ, ਹਨੇਰੀ ਤੇ ਲੂ ਇਸ ਦੇ ਪਾਤਰ ਹਨ। ਜੁਲਾਈ – ਅਗਸਤ ਵਿਚ ਮੀਂਹ ਪੈਣ ਨਾਲ ਗਰਮੀ ਘਟਣ ਲਗਦੀ ਹੈ ਤੇ ਸਤੰਬਰ ਵਿਚ ਇਸ ਦਾ ਅੰਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਦਿਨ ਵੱਡੇ ਤੇ ਰਾਤਾਂ ਛੋਟੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਦਿਨੇ ਧਰਤੀ ਤਪਦੇ ਸੂਰਜ ਦੀ ਗਰਮੀ ਨੂੰ ਜਜ਼ਬ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਪਰ ਰਾਤ ਛੋਟੀ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਉਹ ਗਰਮੀ ਘੱਟ ਖਾਰਜ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਇਸ ਕਰਕੇ ਗਰਮੀ ਜਮਾਂ ਹੋਣ ਨਾਲ ਅੰਦਰ – ਬਾਹਰ ਤਪਣ ਲਗਦੇ ਹਨ ਜੂਨ ਵਿਚ ਗਰਮੀ ਦਾ ਤਾਪਮਾਨ ਕਈ ਵਾਰੀ 48° ਸੈਲਸੀਅਸ ਤਕ ਪਹੁੰਚ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਰੁੱਖਾਂ ਦੀਆਂ ਠੰਢੀਆਂ ਛਾਂਵਾਂ, ਪੱਖਿਆਂ, ਕੂਲਰਾਂ ਤੇ ਏਅਰ ਕੰਡੀਸ਼ਨਰਾਂ ਦਾ ਸਹਾਰਾ ਲੈਣਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ। ਬਾਹਰ ਧੁੱਪ ਵਿਚ ਨਿਕਲਣਾ ਬਹੁਤ ਔਖਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਸਿਰ ਨੂੰ ਪੱਗ, ਪਰਨੇ ਜਾਂ ਟੋਪੀ ਨਾਲ ਢੱਕਣ ਜਾਂ ਛਤਰੀ ਲੈਣ ਨਾਲ ਹੀ ਕੁੱਝ ਚੈਨ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ਪਾਣੀ ਪੀ – ਪੀ ਕੇ ਪਿਆਸ ਨਹੀਂ ਬੁਝਦੀ। ਲੋਕ ਘੜੇ, ਕੁਲਰ ਜਾਂ ਫਰਿਜ਼ ਦਾ ਠੰਢਾ ਪਾਣੀ ਪੀਂਦੇ ਹਨ। ਕਈ ਲੋਕ ਸ਼ਰਬਤ, ਸ਼ਕੰਜਵੀ, ਲੱਸੀ, ਸੱਤ ਜਾਂ ਸ਼ਰਦਾਈ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਵੀ ਕਰਦੇ ਹਨ।

ਇਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਗਰਮੀ ਤੋਂ ਬਚਣ ਲਈ ਕੋਕਾ ਕੋਲਾ, ਪੈਪਸੀ ਜਾਂ ਹੋਰ ਸੋਢੇ ਦੀਆਂ ਬੋਤਲਾਂ ਪੀਤੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਆਈਸ ਕ੍ਰੀਮ ਤੇ ਕੁਲਫੀਆਂ ਖਾਧੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ। ਵਿਹੜੇ ਤੇ ਕਮਰੇ ਠੰਢੇ ਰੱਖਣ ਲਈ ਪਾਣੀ ਦਾ ਛਿੜਕਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਦਿਨ ਵਿਚ ਦੋ ਜਾਂ ਤਿੰਨ ਵਾਰੀ ਠੰਢੇ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਗਰਮੀ ਦੀ ਰੁੱਤ ਤੋਂ ਤੰਗ ਆਏ ਲੋਕ ਮੀਂਹ ਮੰਗਦੇ ਹਨ। ਜਿਸ ਦਿਨ ਕਿਤੇ ਇੰਦਰ ਦੇਵਤੇ ਦੀ ਮਿਹਰ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਲੋਕ ਬਹੁਤ ਖ਼ੁਸ਼ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਮੀਂਹ ਪੈਣ ਨਾਲ ਤਪਸ਼ ਜ਼ਰੂਰ ਘਟ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਪਰ ਸਰੀਰ ਵਿਚੋਂ ਪਸੀਨੇ ਦੇ ਹੜ ਵਗਣ ਲਗਦੇ ਹਨ। ਗਰਮੀ ਦੀ ਰੁੱਤ ਵਿਚ ਧੁੱਪ ਦੀਆਂ ਸਿੱਧੀਆਂ ਕਿਰਨਾਂ ਪੈਣ ਨਾਲ ਕਈ ਲੋਕ ਸਨ – ਸਟਰੋਕ ਨਾਲ ਮੌਤ ਦੇ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਕਈ ਸਿਰ ਦਰਦ ਤੇ ਅੱਖਾਂ ਦੇ ਰੋਗਾਂ ਦੇ ਸ਼ਿਕਾਰ ਵੀ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਸਾਨੂੰ ਗਰਮੀ ਤੋਂ ਬਚਣ ਲਈ ਕੁੱਝ ਉਪਾ ਜ਼ਰੂਰ ਕਰਨੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ।

ਇਸ ਮੌਸਮ ਵਿਚ ਲੂਣ ਮਿਲਿਆ ਨਿੰਬੂ – ਪਾਣੀ ਵਧੇਰੇ ਲਾਭਦਾਇਕ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਸਾਨੂੰ ਇਹ ਵੀ ਯਾਦ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ ਸੂਰਜ ਦੀ ਗਰਮੀ ਧਰਤੀ ਦੇ ਜੀਵਾਂ ਤੇ ਬਨਸਪਤੀ ਲਈ ਇਕ ਵਰਦਾਨ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਧਰਤੀ ਉੱਪਰ ਜੀਵਨ ਦੀ ਹੋਂਦ ਸੰਭਵ ਨਹੀਂ !

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28. ਸਾਡਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੰਛੀ – ਮੋਰ

ਮੋਰ ਸਾਡਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੰਛੀ ਹੈ। ਇਹ ਸੁੰਦਰਤਾ, ਸ਼ਿਸ਼ਟਤਾ ਅਤੇ ਰਹੱਸ ਦਾ ਚਿੰਨ ਹੈ। ਭਾਰਤ ਵਿਚ 1972 ਵਿਚ ਇਕ ਐਕਟ ਰਾਹੀਂ ਇਸਨੂੰ ਮਾਰਨ ਜਾਂ ਕੈਦ ਕਰ ਕੇ ਰੱਖਣ ਉੱਤੇ ਪੂਰੀ ਪਾਬੰਦੀ ਲਾਈ ਗਈ ਹੈ।

ਮੋਰ ਬੜਾ ਸੁੰਦਰ ਪੰਛੀ ਹੈ। ਇਸ ਦੇ ਸਿਰ ਉੱਪਰ ਸੁੰਦਰ ਕਲਗੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਦੀ ਛੋਟੀ ਜਿਹੀ ਚੁੰਝ ਤੇ ਨੀਲੇ ਰੰਗ ਦੀ ਲੰਮੀ ਧੌਣ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਦੇ ਲੰਮੇ – ਲੰਮੇ ਪਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਪਰਾਂ ਦਾ ਚਮਕੀਲਾ ਰੰਗ, ਨੀਲਾ, ਕਾਲਾ ਤੇ ਸੁਨਹਿਰੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਹਰੇਕ ਪਰ ਦੇ ਸਿਰੇ ਉੱਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਹੀ ਮਿਲੇ – ਜੁਲੇ ਰੰਗਾਂ ਦਾ ਇਕ ਸੁੰਦਰ ਗੋਲ ਜਿਹਾ ਚੱਕਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ ਨੇ ਮੋਰ ਮੁਕਟ ਰਾਹੀਂ ਇਸ ਨੂੰ ਗੌਰਵ ਬਖ਼ਸ਼ਿਆ ਹੈ।

ਮੋਰ ਖੇਤਾਂ ਵਿਚ ਜਾਂ ਰੁੱਖਾਂ ਦੀ ਓਟ ਵਿਚ ਆਪਣੇ ਪਰ ਫੈਲਾ ਕੇ ਪੈਲ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ। ਉਸ ਦੇ ਪਰ ਪੱਖੇ ਵਰਗੇ ਲਗਦੇ ਹਨ। ਪੈਲ ਪਾਉਂਦਿਆਂ ਉਹ ਮਸਤੀ ਵਿਚ ਨੱਚਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਦ੍ਰਿਸ਼ ਬੜਾ ਲੁਭਾਉਣਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਜੇਕਰ ਪੈਲ ਪਾਉਂਦੇ ਮੋਰ ਦੇ ਕੋਲ ਜਾਵੇ, ਤਾਂ ਉਹ ਪੈਲ ਪਾਉਣੀ ਬੰਦ ਕਰ ਕੇ ਲੁਕ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਮੋਰ ਆਪਣੇ ਲੰਮੇ ਤੇ ਭਾਰੇ ਪਰਾਂ ਕਰਕੇ ਲੰਮੀ ਉਡਾਰੀ ਨਹੀਂ ਮਾਰ ਸਕਦਾ ਮੋਰਨੀ ਦੇ ਪਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ। ਮੋਰ – ਮੋਰਨੀ ਨਾਲੋਂ ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੀ ਵਧੇਰੇ ਸੁੰਦਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕੁੱਕੜ – ਕੁਕੜੀ ਨਾਲੋਂ ਮੋਰ – ਮੋਰਨੀ ਕੁੱਕੜ – ਕੁਕੜੀ ਵਾਂਗ ਆਪਣੇ ਪਰਿਵਾਰ ਨਾਲ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ।

ਮੋਰ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਨਾਲ ਰਹਿਣਾ ਪਸੰਦ ਕਰਦਾ ਹੈ। ਪਿੰਜਰੇ ਜਾਂ ਕਮਰੇ ਵਿਚ ਕੈਦ ਕੀਤੇ ਜਾਣ ਨਾਲ ਉਹ ਕੁੱਝ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਹੀ ਮਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਉਸ ਦੀ ਡੀਲ – ਡੌਲ ਤੋਂ ਪਤਾ ਲਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸ਼ੈਮਾਨ ਦੀ ਬਹੁਤ ਸੂਝ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੇ ਭੱਦੇ ਪੈਰਾਂ ਵਲ ਵੇਖ ਕੇ ਝੂਰਦਾ ਹੈ।

ਮੋਰ ਆਮ ਕਰਕੇ ਸੰਘਣੇ ਰੁੱਖਾਂ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਫ਼ਸਲਾਂ, ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨਾਂ ਤੇ ਨਹਿਰ ਦੇ ਕੰਢਿਆਂ ਦੇ ਨੇੜੇ ਤੁਰਨਾ – ਫਿਰਨਾ ਪਸੰਦ ਕਰਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਬੱਦਲਾਂ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਨੱਚਦਾ ਤੇ ਪੈਲਾਂ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਮੀਂਹ ਵਿਚ ਨੱਚ, ਟੱਪ ਅਤੇ ਨਹਾ ਕੇ ਬੜਾ ਖੁਸ਼ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

ਮੋਰ ਸਾਡਾ ਮਿੱਤਰ ਪੰਛੀ ਹੈ। ਇਹ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਕੀੜਿਆਂ ਨੂੰ ਖਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਸੱਪ ਦਾ ਬੜਾ ਵੈਰੀ ਹੈ ਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਮਾਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ। ਸੱਪ ਮੋਰ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਡਰਦਾ ਹੈ ਮੋਰ ਦੀ ਅਵਾਜ਼ ਸੁਣ ਕੇ ਸੱਪ ਬਾਹਰ ਨਹੀਂ ਨਿਕਲਦਾ। ਮੋਰ ਦੇ ਖੰਭਾਂ ਦੇ ਚੌਰ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜੋ ਮੰਦਰਾਂ, ਗੁਰਦੁਆਰਿਆਂ ਤੇ ਪੂਜਾ – ਸਥਾਨਾਂ ਉੱਤੇ ਵਰਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਮੋਰ ਦੇ ਪਰਾਂ ਦੀ ਹਵਾ ਕਈ ਰੋਗਾਂ ਨੂੰ ਠੀਕ ਕਰਦੀ ਹੈ।

ਜੋਗੀ ਤੇ ਮਾਂਦਰੀ ਲੋਕ ਚੌਰ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਾਲ ਰੋਗ ਨੂੰ ਝਾੜਦੇ ਹਨ ਕਈ ਚਿਤਰਾਂ ਵਿਚ ਰਾਜੇ – ਰਾਣੀਆਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦਾਸ – ਦਾਸੀਆਂ ਮੋਰਾਂ ਦੇ ਖੰਭਾਂ ਦੇ ਚੌਰ ਨਾਲ ਹਵਾ ਝੱਲ ਰਹੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਕਈ ਚਿਰਾਂ ਵਿਚ ਮੋਰ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਸੱਪ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਮੋਰ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਜਨ – ਜੀਵਨ ਨਾਲ ਜੁੜਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਮੋਰ ਨੂੰ ਸਾਡਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੰਛੀ ਮੰਨਿਆ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਕਰਨ ਦੀ ਆਗਿਆ ਨਹੀਂ। ਸਾਨੂੰ ਇਸ ਉੱਤੇ ਮਾਣ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।

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29. ਸਾਡਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਝੰਡਾ – ਤਿਰੰਗਾ

ਸਾਡਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਝੰਡਾ ਤਿਰੰਗਾ ਹੈ। ਇਸਨੂੰ ਇਸਦੀ ਵਰਤਮਾਨ ਸ਼ਕਲ ਵਿਚ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਅਜ਼ਾਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਤੋਂ 24 ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਭਾਰਤ ਵਿਚ 22 ਜੁਲਾਈ, 1947 ਨੂੰ ਸੰਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਦੀ ਹੋਈ ਐਡਹਾਕ ਮੀਟਿੰਗ ਵਿਚ ਪ੍ਰਵਾਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ। ਇਸ ਤੋਂ ਪਿੱਛੋਂ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 26 ਜਨਵਰੀ, 1950 ਭਾਰਤ ਦੇ ਗਣਤੰਤਰਤਾ ਦਿਵਸ ਤਕ ਇਸਨੂੰ ਡੋਮੀਨੀਅਨ ਆਫ਼ ਇੰਡੀਆ ਦੇ ਕੌਮੀ ਝੰਡੇ ਵਜੋਂ ਅਪਣਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ।

ਇਹ ਝੰਡਾ ਇੰਡੀਅਨ ਨੈਸ਼ਨਲ ਕਾਂਗਰਸ ਦੇ ਝੰਡੇ ਉੱਤੇ ਆਧਾਰਿਤ ਸੀ, ਜਿਸਦਾ ਡਿਜ਼ਾਈਨ ਪਿੰਗਾਲੀ ਵੈਨਕਾਇਆ ਨਾਂ ਦੇ ਇਕ ਵਿਦਵਾਨ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ। ਉਂਝ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਲਈ 1913 – 14 ਵਿਚ ਸੰਘਰਸ਼ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਗ਼ਦਰ ਪਾਰਟੀ ਦਾ ਝੰਡਾ ਵੀ ਤਿੰਨ – ਰੰਗਾਂ ਹੀ ਸੀ।

ਇਸ ਝੰਡੇ ਦੇ ਤਿੰਨ ਰੰਗ ਹਨ – ਕੇਸਰੀ, ਚਿੱਟਾ ਤੇ ਹਰਾ। ਇਸ ਦਾ ਕੇਸਰੀ ਰੰਗ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਪਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਚਿੱਟਾ ਵਿਚਕਾਰ ਤੇ ਹਰਾ ਸਭ ਤੋਂ ਥੱਲੇ। ਚਿੱਟੇ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਉਸਦੀ ਚੌੜਾਈ ਦੇ ਨੇਵੀ ਬਲਿਊ ਰੰਗ ਅਸ਼ੋਕ ਚੱਕਰ ਦਾ ਚਿੰਨ੍ਹ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਿਸਨੂੰ ਸਾਰਨਾਥ ਵਿਚ ਬਣੇ ਅਸ਼ੋਕ ਦੇ ਥੰਮ ਤੋਂ ਲਿਆ ਗਿਆ ਹੈ।

ਇਸ ਵਿਚਲਾ ਕੇਸਰੀ ਰੰਗ ਕੁਰਬਾਨੀ ਦਾ, ਚਿੱਟਾ ਰੰਗ ਅਮਨ ਦਾ ਤੇ ਹਰਾ ਰੰਗ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲੀ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀਕ ਹੈ। ਅਸ਼ੋਕ ਚੱਕਰ ਵਿਕਾਸ ਤੇ ਤਰੱਕੀ ਦਾ ਚਿੰਨ੍ਹ ਹੈ। ਇਹ ਝੰਡਾ ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਫ਼ੌਜਾਂ ਦਾ ਜੰਗੀ ਝੰਡਾ ਵੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਫ਼ੌਜੀ ਕੇਂਦਰਾਂ ਉੱਤੇ ਬੁਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਹੱਥ ਦੇ ਕੱਤੇ ਖੱਦਰ ਦਾ ਬਣਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

26 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਗਣਤੰਤਰਤਾ ਦਿਵਸ ਉੱਤੇ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਇਸਨੂੰ ਝੁਲਾਉਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਤਿੰਨਾਂ ਫ਼ੌਜਾਂ ਦੇ ਯੂਨਿਟਾਂ ਵਲੋਂ ਇਸਨੂੰ ਸਲਾਮੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। 15 ਅਗਸਤ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਦਿਵਸ ਦੇ ਮੌਕੇ ‘ਤੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਇਸਨੂੰ ਲਾਲ ਕਿਲ੍ਹੇ ਉੱਤੇ ਝੁਲਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਝੰਡੇ ਨੂੰ ਝੁਲਾਉਣ ਮਗਰੋਂ ਭਾਰਤ ਦਾ ਕੌਮੀ ਗੀਤ ‘ਜਨ ਗਨ ਮਨ….’ ਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਸਭ ਸਾਵਧਾਨ ਹੋ ਕੇ ਖੜੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ।

ਇੰਡੀਅਨ ਫਲੈਗ ਕੋਡ ਦੁਆਰਾ ਇਸ ਝੰਡੇ ਦੀ ਉੱਚਾਈ ਤੇ ਚੌੜਾਈ ਨਿਸਚਿਤ ਹੈ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਇਸਨੂੰ ਝੁਲਾਉਣ ਦੇ ਨਿਯਮ ਅਤੇ ਉਤਾਰਨ ਦੇ ਨਿਯਮ ਵੀ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਹਨ। ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਵੱਡੇ ਨੇਤਾ ਦੀ ਮੌਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਤਾਂ ਇਸਨੂੰ ਝੁਕਾ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਤਿਰੰਗੇ ਝੰਡੇ ਦੇ ਸਤਿਕਾਰ ਤੇ ਮਹੱਤਤਾ ਨੂੰ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਨ ਲਈ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਕਵੀਆਂ ਨੇ ਗੀਤ ਲਿਖੇ ਹਨ ; ਜਿਵੇਂ –

ਝੰਡਿਆ ਤਿਰੰਗਿਆ ਨਿਰਾਲੀ ਤੇਰੀ ਸ਼ਾਨ ਏ।
ਸਾਰੇ ਦੇਸ਼ ਵਾਸੀਆਂ ਨੂੰ ਤੇਰੇ ਉੱਤੇ ਮਾਣ ਏ।
ਇਕ ਇਕ ਤਾਰ ਤੇਰੀ ਜਾਪੇ ਮੂੰਹੋਂ ਬੋਲਦੀ।
ਮੁੱਲ ਹੈ ਅਜ਼ਾਦੀ ਸਦਾ ਲਹੂਆਂ ਨਾਲ ਤੋਲਦੀ।
ਉੱਚਾ ਸਾਡਾ ਅੰਬਰਾਂ ‘ਤੇ ਝੂਲਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਏ।

ਝੰਡਿਆ ਤਿਰੰਗਿਆ ਨਿਰਾਲੀ ਤੇਰੀ ਸ਼ਾਨ ਏ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਸਾਡਾ ਝੰਡਾ ਮਹਾਨ ਹੈ। ਇਹ ਸਦਾ ਉੱਚਾ ਰਹੇ। ਇਹ ਭਾਰਤ ਵਾਸੀਆਂ ਦੀ ਆਨ – ਸ਼ਾਨ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀਕ ਹੈ। ਸਾਨੂੰ ਇਸ ਉੱਪਰ ਮਾਣ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।

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30. ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠੇ ਵਿਆਹ ਦਾ ਹਾਲ

ਪਿਛਲੇ ਐਤਵਾਰ ਮੇਰੇ ਮਿੱਤਰ ਦੇ ਵੱਡੇ ਭਰਾ ਦਾ ਵਿਆਹ ਸੀ। ਉਸ ਦੀ ਬਰਾਤ ਸਾਡੇ ਸ਼ਹਿਰ ਤੋਂ ਕੋਈ 20 ਕੁ ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਦੁਰ ਫਗਵਾੜੇ ਵਿਚ ਜਾਣੀ ਸੀ। ਮੈਂ ਵੀ ਉਸ ਬਰਾਤ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਸਾਂ। ਬਰਾਤ ਦੇ 50 ਕੁ ਆਦਮੀ ਸਨ ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਸਵੇਰ ਦੇ 10 ਕੁ ਵਜੇ ਬੱਸ ਵਿਚ ਸਵਾਰ ਹੋ ਕੇ ਚੱਲ ਪਏ। ਕੁੱਝ ਬਰਾਤੀ ਪੰਜ – ਛੇ ਕਾਰਾਂ ਵਿਚ ਸਵਾਰ ਸਨ। ਸਿਹਰਿਆਂ ਨਾਲ ਸਜੇ ਲਾੜੇ ਦੀ ਫੁੱਲਾਂ ਨਾਲ ਸ਼ਿੰਗਾਰੀ ਕਾਰ ਸਭ ਤੋਂ ਅੱਗੇ ਸੀ। ਸਵੇਰ ਦੇ ਕੋਈ 11 ਕੁ ਵਜੇ ਅਸੀਂ ਮਿੱਥੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਅਨੁਸਾਰ ਫਗਵਾੜੇ ਪਹੁੰਚੇ ਤੇ ਸ਼ਹਿਰ ਦੇ ਅੰਦਰ ਇਕ ਥਾਂ ਬਣੇ ਮੈਰਿਜ ਪੈਲਿਸ ਦੇ ਅੱਗੇ ਜਾ ਰੁਕੇ।

ਸਾਰੇ ਬਰਾਤੀ ਬੱਸ ਤੇ ਕਾਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਉਤਰੇ ਤੇ ਮਿਲਣੀ ਲਈ ਖੜ੍ਹੇ ਹੋ ਗਏ। ਲੜਕੀ ਵਾਲਿਆਂ ਦੇ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰਾਂ ਤੇ ਸੰਬੰਧੀਆਂ ਨੇ ਸ਼ਬਦ ਪੜੇ ਤੇ ਅਰਦਾਸ ਕਰਨ ਪਿੱਛੋਂ ਮਿਲਣੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਪਹਿਲੀ ਮਿਲਣੀ ਸੁਰਿੰਦਰ ਦੇ ਪਿਤਾ ਅਤੇ ਲੜਕੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਦੀ ਸੀ।ਫਿਰ ਮਾਮਿਆਂ, ਚਾਚਿਆਂ ਤੇ ਭਰਾਵਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਹੋਰ ਸੰਬੰਧੀਆਂ ਦੀਆਂ ਮਿਲਣੀਆਂ ਹੋਈਆਂ। ਲੜਕੀ ਵਾਲਿਆਂ ਨੇ ਮਿਲਣੀ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਸੰਬੰਧੀਆਂ ਨੂੰ ਕੰਬਲ ਦਿੱਤੇ ਪਰ ਸੁਰਿੰਦਰ ਦੇ ਪਿਤਾ ਤੇ ਮਾਮੇ ਨੂੰ ਸੋਨੇ ਦੀਆਂ ਮੁੰਦਰੀਆਂ ਪਹਿਨਾਈਆਂ ਗਈਆਂ ਵੀਡੀਓ ਕੈਮਰਾ ਨਾਲੋ – ਨਾਲ ਫ਼ਿਲਮ ਬਣਾ ਰਿਹਾ ਸੀ।

ਮਿਲਣੀ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਕੁੜੀਆਂ ਮੈਰਿਜ ਪੈਲਿਸ ਦੇ ਮੁੱਖ ਦੁਆਰ ਨੂੰ ਰਿਬਨ ਬੰਨ੍ਹ ਕੇ ਰੋਕ ਕੇ ਖੜ੍ਹੀਆਂ ਹੋ ਗਈਆਂ ਕਾਫ਼ੀ ਹਾਸੇ – ਮਖੌਲ ਭਰੇ ਤਕਰਾਰ ਪਿੱਛੋਂ ਲਾੜੇ ਨੇ 100 ਰੁਪਏ ਦਿੱਤੇ ਤੇ ਅੱਗੇ ਲੰਘਣ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਲਾੜੇ ਦੇ ਕੁੱਝ ਚਲੇ ਮਿੱਤਰਾਂ ਨੇ ਰਾਹ ਰੋਕ ਕੇ ਖੜੀਆਂ ਸਾਲੀਆਂ ਉੱਤੇ ਵੱਖ – ਵੱਖ ਸਪਰੇਆਂ ਦੀ ਬਛਾੜ ਕੀਤੀ, ਜਿਸ ਨੇ ਕਈਆਂ ਦਾ ਝੈ ਝੱਗ ਨਾਲ ਭਰ ਦਿੱਤੇ ਤੇ ਕਈਆਂ ਨੂੰ ਕੱਚੇ ਜਿਹੇ ਰੱਸਿਆਂ ਵਿਚ ਲਪੇਟ ਦਿੱਤਾ। ਕੁੱਝ ਸਪਰੇ ਖ਼ੁਸ਼ਬੂ ਖਿਲਾਰਨ ਵਾਲੇ ਵੀ ਸਨ।

ਫਿਰ ਸਾਰੇ ਬਰਾਤੀ ਸਾਹਮਣੇ ਮੇਜ਼ਾਂ ਉੱਤੇ ਲੱਗੇ ਨਾਸ਼ਤੇ ਤੇ ਹੋਰ ਪਕਵਾਨਾਂ ਦੇ ਸਟਾਲਾਂ ਵਲ ਵਧੇ। ਹਰ ਕੋਈ ਪਲੇਟ ਚਮਚਾ ਮਨ ਭਾਉਂਦੇ ਪਕਵਾਨ ਖਾਣ ਲੱਗਾ। ਇਨਾਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਕੁੱਝ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਤੇ ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਸ਼ਾਮਿਲ ਸੀ। ਦਸ – ਬਾਰਾਂ ਸੁਨੈਕਸਾਂ ਦੇ ਸਟਾਲ ਸਨ। ਕਿਸੇ ਪਾਸੇ ਸਾਫ਼ਟ ਡਰਿੰਕ ਦੇ ਸਟਾਲ ਤੇ ਕਿਸੇ ਪਾਸੇ ਕਾਫ਼ੀ, ਚਾਹ ਤੇ ਕੇਸਰੀ ਦੁੱਧ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਮਠਿਆਈਆਂ, ਨੂਡਲਾਂ, ਗੋਲ – ਗੱਪਿਆਂ, ਚਾਟਾਂ ਤੇ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਜੂਸਾਂ ਦੇ ਸਟਾਲ ਸਨ।

ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਗੁਰਦੁਆਰੇ ਵਿਚ ਲਾਵਾਂ ਹੋਈਆਂ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਬਹੁਤੇ ਬਰਾਤੀ ਮੈਰਿਜ ਪੈਲਿਸ ਵਿਚ ਬੈਠੇ ਰਹੇ ਤੇ ਸਾਹਮਣੇ ਗਾਇਕ – ਟੋਲੀ ਵੱਲੋਂ ਪੇਸ਼ ਕੀਤੇ ਜਾ ਰਹੇ ਗਾਣਿਆਂ ਤੇ ਨੱਚਦੀਆਂ ਕੁੜੀਆਂ ਦੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਨੂੰ ਦੇਖਦੇ ਰਹੇ ਅਤੇ ਨਾਲ – ਨਾਲ ਖਾਂਦੇ – ਪੀਂਦੇ ਵੀ ਰਹੇ।

ਲਾਵਾਂ ਪਿੱਛੋਂ ਲਾੜੇ – ਲਾੜੀ ਨੂੰ ਲਿਆ ਕੇ ਸਭ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਸਟੇਜ ਦੇ ਇਕ ਪਾਸੇ ਲੱਗੀਆਂ ਸ਼ਾਹੀ ਕੁਰਸੀਆਂ ਉੱਤੇ ਬਿਠਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਲੜਕੀ ਗਹਿਣਿਆਂ ਨਾਲ ਸਜੀ ਹੋਈ ਸੀ ਸਭ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰ ਵਾਰੋ – ਵਾਰੀ ਸ਼ਗਨ ਪਾਉਣ ਲੱਗੇ। ਵੀ.ਡੀ.ਓ. ਰਾਹੀਂ ਨਾਲੋ – ਨਾਲ ਫੋਟੋਗ੍ਰਾਫ਼ੀ ਹੋ ਰਹੀ ਸੀ।ਉੱਧਰ ਕੁੱਝ ਬਰਾਤੀ ਵਰਤਾਈ ਜਾ ਰਹੀ ਸ਼ਰਾਬ ਪੀ – ਪੀ ਕੇ ਭੰਗੜਾ ਪਾਉਣ ਲੱਗ ਪਏ ਸਨ। ਕੁੱਝ ਕੁੜੀਆਂ ਵੀ ਇਸ ਨਾਚ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹੋ ਗਈਆਂ।

ਫਿਰ ਦੁਪਹਿਰ ਤੋਂ ਪਿੱਛੋਂ ਦਾ ਖਾਣਾ ਆਰੰਭ ਹੋ ਗਿਆ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਕਿਸਮਾਂ ਦੇ ਸੂਪ, ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਤੇ ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਭੋਜਨ, ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਸਲਾਦ, ਆਈਸ ਕ੍ਰੀਮਾਂ ਤੇ ਮਠਿਆਈਆਂ ਸ਼ਾਮਿਲ ਸਨ। ਉੱਧਰ ਨਾਲ – ਨਾਲ ਭੰਗੜਾ ਪੈ ਰਿਹਾ ਸੀ ਤੇ ਵਾਰਨੇ ਹੋ ਰਹੇ ਸਨ ਗਾਇਕ ਟੋਲੀ ਦਾ ਮੁਖੀ ਬਖ਼ਸ਼ੇ ਜਾ ਰਹੇ ਵੇਲਾਂ ਦੇ ਨੋਟ ਸੰਭਾਲੀ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ ਇਕ – ਦੋ ਸ਼ਰਾਬੀਆਂ ਨੇ ਨਿੱਕੀਆਂ – ਮੋਟੀਆਂ ਸ਼ਰਾਰਤਾਂ ਵੀ ਕੀਤੀਆਂ।

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ਸਭ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਲਾੜੇ – ਲਾੜੀ ਸਮੇਤ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਜ਼ਦੀਕੀ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰਾਂ ਨੇ ਇਕ ਟੇਬਲ ਉੱਤੇ ਬੈਠ ਕੇ ਰੋਟੀ ਖਾਧੀ। ਖਾਣਾ ਖਾਣ ਮਗਰੋਂ ਸੁਰਿੰਦਰ ਦੇ ਪਿਤਾ ਨੇ ਵਰੀ ਦਾ ਕੀਮਤੀ ਸਮਾਨ ਦਿਖਾਇਆ ਤੇ ਫਿਰ ਕੁੜੀ ਵਾਲਿਆਂ ਨੇ ਦਾਜ ॥ ਅੰਤ ਕੁੜੀ ਨੂੰ ਤੋਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ। ਤੁਰਨ ਸਮੇਂ ਸੁਰਿੰਦਰ ਦੇ ਪਿਤਾ ਨੇ ਜੋੜੀ ਉੱਪਰੋਂ ਪੈਸੇ ਸੁੱਟੇ। ਇਹ ਸਾਰਾ ਕੁੱਝ ਦੇਖ ਕੇ ਮੇਰਾ ਮਨ ਬੜਾ ਹੈਰਾਨ ਹੋ ਰਿਹਾ ਸੀ ਕਿ ਸਾਡਾ ਸਮਾਜ ਵਿਆਹਾਂ ਉੱਪਰ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਫ਼ਜ਼ੂਲ – ਖ਼ਰਚੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਰੁਪਏ ਨੂੰ ਉਸਾਰੂ ਕੰਮਾਂ ਵਿਚ ਲਾਉਣ ਦੀ ਬਜਾਏ ਅਜਿਹੀਆਂ ਰਸਮਾਂ ਉੱਪਰ ਰੋੜਦਾ ਹੈ। ਵਿਆਹਾਂ ਵਿਚ ਮਹਿੰਗੇ ਮੈਰਿਜ ਪੈਲਿਸਾਂ, ਹੋਟਲਾਂ ਤੇ ਨੱਚਣ – ਗਾਉਣ ਵਾਲਿਆਂ ਦੀ ਕੋਈ ਲੋੜ ਨਹੀਂ।

ਵਿਆਹ ਸਮੇਂ ਸ਼ਰਾਬ ਪੀਣ ਦੀ ਕੋਈ ਵੀ ਪ੍ਰਸੰਸਾ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦਾ ਕਿਉਂਕਿ ਸ਼ਰਾਬੀ ਆਪਣੇ ਹੋਸ਼ – ਹਵਾਸ ਗੁਆ ਕੇ ਰੰਗ ਵਿਚ ਭੰਗ ਪਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਵਿਆਹ ਹਰ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਹੋਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ। ਸ਼ਾਮੀਂ 7 ਵਜੇ ਅਸੀਂ ਵਾਪਸ ਘਰ ਪਹੁੰਚ ਗਏ ! ਵਹੁਟੀ ਨੂੰ ਕਾਰ ਵਿਚੋਂ ਉਤਾਰ ਕੇ ਘਰ ਲਿਆਂਦਾ ਗਿਆ ਸੱਸ ਨੇ ਪਾਣੀ ਵਾਰ ਕੇ ਪੀਤਾ ਵਹੁਟੀ ਤੇ ਲਾੜੇ ਦੇ ਘਰ ਪਹੁੰਚਣ ਮਗਰੋਂ ਸਾਰੇ ਜਾਂਦੀ ਤੇ ਹੋਰ ਪ੍ਰਾਹੁਣੇ ਆਪਣੇ – ਆਪਣੇ ਘਰਾਂ ਨੂੰ ਖਿਸਕਣ ਲੱਗੇ।

31. ਡਾਕੀਆ

ਡਾਕੀਆ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਦੇ ਹਰ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਥਾਨ ਰੱਖਦਾ ਹੈ। ਉਸ ਦੀ ਹਰ ਘਰ, ਹਰ ਦਫ਼ਤਰ ਤੇ ਹਰ ਸਥਾਨ ਉੱਤੇ ਉਡੀਕ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਉਹ ਸਾਡੇ ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਮਿੱਤਰਾਂ ਅਤੇ ਸੰਬੰਧੀਆਂ ਦੀਆਂ ਚਿੱਠੀਆਂ ਲੈ ਕੇ ਆਉਂਦਾ ਹੈ। ਉਹ ਘਰਾਂ ਤੇ ਦਫ਼ਤਰਾਂ ਵਿਚ ਨਿੱਜੀ, ਸਰਕਾਰੀ ਤੇ ਵਪਾਰਕ ਚਿੱਠੀਆਂ, ਰਜਿਸਟਰੀਆਂ, ਪਾਰਸਲ ਤੇ ਮਨੀਆਰਡਰ ਪੁਚਾਉਂਦਾ ਹੈ। ਉਸ ਦੀ ਹਰ ਥਾਂ ਉੱਤੇ ਤੀਬਰਤਾ ਨਾਲ ਉਡੀਕ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਉਸ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਆਮ ਕਰਕੇ ਹਰ ਇਕ ਦਾ ਚਿਹਰਾ ਖਿੜ੍ਹ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਇਕ ਥਾਂ ਤੋਂ ਦੂਜੀ ਥਾਂ ਸੁਨੇਹੇ ਪੁਚਾਉਣ ਦਾ ਕੰਮ ਤਾਂ ਬਹੁਤ ਪੁਰਾਣਾ ਹੈ। ਸੁਨੇਹਾ ਪੁਚਾਉਣ ਲਈ ਅੱਜ – ਕਲ੍ਹ ਟੈਲੀਫੋਨ, ਕੋਰੀਅਰ, ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਤੇ ਇੰਟਰਨੈੱਟ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਵੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਰਾਹੀਂ ਸੁਨੇਹੇ ਝਟਪਟ ਪਹੁੰਚ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਪਰ ਸਾਡੇ ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਲਿਖਿਆ ਸੁਨੇਹਾ ਕੇਵਲ ਡਾਕੀਆ ਹੀ ਦੂਜਿਆਂ ਤਕ ਪੁਚਾਉਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਡਾਕੀਏ ਦੀ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਭਾਰੀ ਤੇ ਸਦੀਵੀ ਮਹਾਨਤਾ ਹੈ।

ਡਾਕੀਆ ਸਰਕਾਰੀ ਮੁਲਾਜ਼ਮ ਹੈ। ਉਹ ਖ਼ਾਕੀ ਵਰਦੀ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ। ਉਸ ਦੇ ਸਾਈਕਲ ਦੀ ਟੋਕਰੀ ਵਿਚ ਚਿੱਠੀਆਂ ਤੇ ਰਜਿਸਟਰੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਉਸ ਦੇ ਬੈਗ ਵਿਚ ਮਨੀਆਰਡਰਾਂ ਦੇ ਪੈਸੇ ਤੇ ਪਾਰਸਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਦੋ ਵਾਰੀ ਡਾਕ ਵੰਡਣ ਲਈ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਉਸ ਦੀ ਤਨਖ਼ਾਹ ਬਹੁਤੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ, ਪਰ ਉਹ ਇਕ ਈਮਾਨਦਾਰ ਆਦਮੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਉਹ ਹਰ ਅਮੀਰ – ਗਰੀਬ ਤੇ ਹਰ ਖ਼ੁਸ਼ੀ – ਗਮੀ ਵਿਚ ਘਿਰੇ ਬੰਦੇ ਦੀ ਆਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਉਹ ਹਰ ਥਾਂ ਹਰਮਨ – ਪਿਆਰਾ ਬਣਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ।

32. ਕਿਸੇ ਕਾਮੇ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਇਕ ਦਿਨ

ਮੈਂ ਇਕ ਕਾਮਾ ਹਾਂ। ਮੈਨੂੰ ਮਜ਼ਦੂਰ ਵੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਮੈਂ ਦਿਹਾੜੀ ਉੱਤੇ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹਾਂ। ਮੈਂ ਆਮ ਕਰਕੇ ਮਕਾਨ ਬਣਾਉਣ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹਾਂ। ਮੈਂ ਇੱਟਾਂ ਵੀ ਢੋਂਦਾ ਹਾਂ। ਸੀਮਿੰਟ ਅਤੇ ਰੇਤ ਮਿਲਾ ਕੇ ਮਸਾਲਾ ਵੀ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹਾਂ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਤਰਾਈ ਵੀ ਕਰਦਾ ਹਾਂ ਅਤੇ ਮਿੱਟੀ ਵੀ ਪੁੱਟਦਾ ਹਾਂ।

ਅੱਜ ਮੈਂ ਸਵੇਰੇ – ਸਵੇਰੇ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ਤੇ ਮਿਸਤਰੀਆਂ ਦੇ ਅੱਡੇ ਉੱਪਰ ਖੜ੍ਹਾ ਕਿਸੇ ਕੰਮ ਕਰਾਉਣ ਵਾਲੇ ਦੀ ਉਡੀਕ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸਾਂ। ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਇਕ ਬਾਬੂ ਆ ਗਿਆ। ਉਸ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ਨੇ ਝੁਰਮੁਟ ਪਾ ਲਿਆ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਮੈਂ ਵੀ ਖੜਾ ਸਾਂ। ਮੈਂ ਪਿਛਲੇ ਤਿੰਨ ਦਿਨਾਂ ਤੋਂ ਵਿਹਲਾ ਸਾਂ। ਜੇਕਰ ਮੈਨੂੰ ਅੱਜ ਵੀ ਕੋਈ ਕੰਮ ਨਾ ਮਿਲਦਾ, ਤਾਂ ਅੱਜ ਰਾਤ ਨੂੰ ਮੇਰੇ ਘਰ ਰੋਟੀ ਪੱਕਣੀ ਔਖੀ ਹੋ ਜਾਣੀ ਸੀ। ਮੇਰੀ ਛੋਟੀ ਧੀ ਨੂੰ ਬੁਖ਼ਾਰ ਸੀ। ਮੈਂ ਉਸ ਲਈ ਦਵਾਈ ਵੀ ਲਿਆਉਣੀ ਸੀ ॥

ਬਾਬੂ ਨੇ ਪੁੱਛਿਆ ਕਿ ਕਿੰਨੀ ਦਿਹਾੜੀ ਲਵੋਗੇ ? ਤਿੰਨ – ਚਾਰ ਇਕੱਠੇ ਬੋਲ ਪਏ, 200 ਰੁਪਏ।’ ਬਾਬੂ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਮੈਂ ਤਾਂ 180 ਹੀ ਦੇਵਾਂਗਾ, ਜਿਸ ਦੀ ਮਰਜ਼ੀ ਹੋਵੇ ਚਲ ਪਏ !” ਮੈਂ 180 ਰੁਪਏ ਲੈਣੇ ਮਨਜ਼ੂਰ ਕਰ ਕੇ ਉਸ ਨਾਲ ਤੁਰ ਪਿਆ। ਥੋੜੀ ਦੂਰ ਉਸ ਦੀ ਕੋਠੀ ਬਣ ਰਹੀ ਸੀ। ਮੈਨੂੰ ਉਸ ਨੇ ਰੋੜੀ ਕੁੱਟਣ ਦੇ ਕੰਮ ਉੱਤੇ ਲਾ ਦਿੱਤਾ। ਮੈਂ ਆਪਣੀਆਂ ਉਂਗਲੀਆਂ ਨੂੰ ਸੱਟਾਂ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਪੱਟੀਆਂ ਬੰਨ੍ਹ ਕੇ ਹਥੌੜੇ ਨਾਲ ਰੋੜੀ ਕੁੱਟਣ ਲੱਗ ਪਿਆ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਥੋੜ੍ਹੀ ਦੇਰ ਮਗਰੋਂ ਉਹ ਬਾਬੂ ਆਇਆ ਤੇ ਬੜੇ ਗੁੱਸੇ ਨਾਲ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਤੂੰ ਕੰਮ ਬੜਾ ਹੌਲੀ ਕਰਦਾ ਹੈਂ, ਪਰ ਰੁਪਏ 180 ਮੰਗਦਾ ਹੈਂ।” ਮੈਂ ਕਿਹਾ, “ਜੀ ਦਿਹਾੜੀ ਤਾਂ 180 ਹੀ ਲਵਾਂਗਾ।” ਇਹ ਗੱਲ ਕਰਦਿਆਂ ਹਥੌੜਾ ਮੇਰੀਆਂ ਉਂਗਲੀਆਂ ਉੱਤੇ ਜਾ ਵੱਜਾ ਤੇ ਇਕ ਉਂਗਲੀ ਵਿਚੋਂ ਖੂਨ ਵਹਿਣ ਲੱਗਾ ਮੈਨੂੰ ਕਾਫ਼ੀ ਦਰਦ ਹੋ ਰਹੀ ਸੀ, ਪਰ ਉੱਥੇ ਸੁਣਨ ਵਾਲਾ ਕੌਣ ਸੀ ? ਮੈਂ ਪਾਣੀ ਪੀਤਾ ਤੇ ਫਿਰ ਪੱਟੀਆਂ ਬੰਨ੍ਹ ਕੇ ਰੋੜੀ ਕੁੱਟਦਾ ਰਿਹਾ। ਇਕ ਵਾਰੀ ਫਿਰ ਬਾਬੂ ਨੇ ਮੇਰੇ ਕੰਮ ਹੌਲੀ ਕਰਨ ਦੀ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਕੀਤੀ।

ਦੁਪਹਿਰੇ ਉਸ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਚੁਕੰਨਾ ਕੀਤਾ ਕਿ ਮੈਂ ਅੱਧੇ ਘੰਟੇ ਤੋਂ ਵੱਧ ਛੁੱਟੀ ਨਾ ਕਰਾਂ। ਸ਼ਾਮ ਤਕ ਮੇਰਾ ਮੁੰਹ ਸਿਰ ਘੱਟੇ ਨਾਲ। ਤੇ ਹੱਥ ਸੱਟਾਂ ਨਾਲ ਭਰ ਗਏ ਸਨ। 51 ਵਜੇ ਬਾਬੂ ਨੇ ਮਸਾਂ – ਮਸਾਂ 180 ਰੁਪਏ ਦਿੱਤੇ ਤੇ ਮੈਂ ਸੁਖ ਦਾ ਸਾਹ ਲੈ ਕੇ ਘਰ ਪੁੱਜਾ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਮੇਰਾ ਸਰੀਰ ਥਕੇਵੇਂ ਤੇ ਸੱਟਾਂ ਨਾਲ ਦੁੱਖ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਪਰ ਬੱਚੀ ਦੇ ਬੁਖ਼ਾਰ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਸਭ ਕੁੱਝ ਭੁਲਾ ਦਿੱਤਾ।

33. ਰੁੱਖਾਂ ਦੇ ਲਾਭ

ਰੁੱਖਾਂ ਦੀ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਮਹਾਨਤਾ ਹੈ ਮਨੁੱਖਾਂ ਸਮੇਤ ਜਿੰਨੇ ਜੀਵ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਵਸਦੇ ਹਨ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਜੀਵਨ ਰੁੱਖਾਂ ਦੇ ਸਹਾਰੇ ਹੀ ਹੈ। ਜੇਕਰ ਰੁੱਖ ਨਾ ਹੋਣ ਤਾਂ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਇਕ ਪਲ ਲਈ ਵੀ ਜਿਊਣਾ ਔਖਾ ਹੋ ਜਾਵੇ। ਇਹ ਸਾਡੀ ‘ਕੁਲੀ ਗੁੱਲੀ ਤੇ ਜੁੱਲੀ ਦੀਆਂ ਤਿੰਨੇ ਮੁੱਖ ਲੋੜਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਇਹ ਸਾਨੂੰ ਨਾ ਕੇਵਲ ਫਲ ਤੇ ਲੱਕੜੀ ਹੀ ਦਿੰਦੇ ਹਨ, ਸਗੋਂ ਸਾਨੂੰ ਭੋਜਨ ਤੋਂ ਜ਼ਰੂਰੀ ਚੀਜ਼ ਆਕਸੀਜਨ ਦਿੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਬੰਦਾ ਇਕ ਮਿੰਟ ਵੀ ਨਹੀਂ ਕੱਢ ਸਕਦਾ।

ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲੀ ਗੱਲ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਮਨੁੱਖ ਨੂੰ ਜਿਉਂਦੇ ਰਹਿਣ ਲਈ ਭੋਜਨ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ। ਭੋਜਨ ਲਈ ਫਲ, ਅੰਨ, ਖੰਡ, ਘਿਓ – ਦੁੱਧ, ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਆਦਿ ਸਭ ਕੁੱਝ ਸਾਨੂੰ ਰੁੱਖਾਂ ਦੀ ਬਦੌਲਤ ਹੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਫਲ ਤੇ ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਤਾਂ ਰੁੱਖ ਸਿੱਧੇ ਤੌਰ ਤੇ ਦਿੰਦੇ ਹਨ, ਪਰੰਤੂ ਭੇਡਾਂ, ਬੱਕਰੀਆਂ ਤੇ ਹੋਰ ਪਸ਼ੂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪੱਤੇ ਖਾ ਕੇ ਹੀ ਸਾਨੂੰ ਦੁੱਧ ਦਿੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਸ ਤੋਂ ਦਹੀਂ, ਲੱਸੀ, ਮੱਖਣ ਤੇ ਪਨੀਰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਬਾਕੀ ਖਾਣ ਦੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਵੀ ਰੁੱਖਾਂ ਤੇ ਪੌਦਿਆਂ ਤੋਂ ਹੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ਸ਼ਹਿਤੂਤ ਦੇ ਰੁੱਖਾਂ ਤੇ ਪਲਣ ਵਾਲਾ ਰੇਸ਼ਮ ਦਾ ਕੀੜਾ ਸਾਨੂੰ ਰੇਸ਼ਮ ਦਿੰਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਤੋਂ ਸਾਡੇ ਲਈ ਕੀਮਤੀ ਕੱਪੜਾ ਬਣਦਾ ਹੈ।

ਸਾਡੇ ਸਿਰਾਂ ਨੂੰ ਢੱਕਣ ਲਈ ਮਕਾਨ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਵੀ ਸਾਨੂੰ ਲੱਕੜੀ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਪੈਂਦੀ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਸਾਨੂੰ ਰੁੱਖਾਂ ਤੋਂ ਹੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਸਾਡੇ ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਪਿਆ ਵਧੀਆ ਤੇ ਹੰਢਣਸਾਰ ਫ਼ਰਨੀਚਰ ਵੀ ਰੁੱਖਾਂ ਦੀ ਲੱਕੜੀ ਤੋਂ ਹੀ ਤਿਆਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਧੁੱਪ ਤੇ ਮੀਂਹ ਤੋਂ ਵੀ ਸਾਨੂੰ ਰੁੱਖ ਹੀ ਬਚਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਰੁੱਖ ਸਾਡੇ ਸਾਹ ਲੈਣ ਲਈ ਹਵਾ ਨੂੰ ਸਾਫ਼ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਜੋ ਕਿ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਆਧਾਰ ਹੈ। ਜੇਕਰ ਰੁੱਖ ਘੱਟ ਜਾਣ ਜਾਂ ਨਾ ਹੋਣ ਤਾਂ ਅਸ਼ੁੱਧ ਹਵਾ ਨਾਲ ਸਾਡਾ ਸਰੀਰ ਭਿਆਨਕ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੋ ਜਾਵੇ ਤੇ ਅੱਡੀਆਂ ਰਗੜ – ਰਗੜ ਕੇ ਮਰੇ।

ਇਹ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਸਾਹ ਵਿਚੋਂ ਨਿਕਲੀ ਗੰਦੀ ਹਵਾ ਵਿਚੋਂ ਕਾਰਬਨ – ਡਾਇਆਕਸਾਈਡ ਨੂੰ ਚੂਸ ਕੇ ਆਕਸੀਜਨ ਛੱਡਦੇ ਕਿ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਸਾਹ ਲੈਣ ਤੇ ਜਿਉਣ ਲਈ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ। ਇਹ ਸਾਡੇ ਲਈ ਵਰਖਾ ਦਾ ਕਾਰਨ ਵੀ ਬਣਦੇ ਹਨ ਤੇ ਉਪਜਾਊ ਮਿੱਟੀ ਨੂੰ ਰੁੜ੍ਹਨ ਤੋਂ ਵੀ ਬਚਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਰੁੱਖਾਂ ਦੇ ਪੱਤੇ ਤੇ ਹੋਰ ਹਿੱਸੇ ਗਲ – ਸੜ ਕੇ ਖਾਦ ਬਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਜੋ ਕਿ ਹੋਰਨਾਂ ਪੌਦਿਆਂ ਦੀ ਖ਼ੁਰਾਕ ਬਣਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਅੰਨ, ਸਬਜ਼ੀਆਂ, ਦਾਲਾਂ ਤੇ ਫਲ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਰੁੱਖਾਂ ਦੇ ਪੱਤਿਆਂ, ਫੁੱਲਾਂ, ਛਿੱਲਾਂ ਤੇ ਜੜ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਦਵਾਈਆਂ ਬਣਦੀਆਂ ਹਨ। ਨਿੰਮ, ਪਿੱਪਲ, ਬੋਹੜ, ਸਿਨਕੋਨਾ, ਅਸ਼ੋਕ, ਅਮਲਤਾਸ ਤੇ ਬਿੱਲ ਅਜਿਹੇ ਹੀ ਰੁੱਖ ਹਨ।

ਰੁੱਖ ਸਾਨੂੰ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਫਲ ਸਵਾਦੀ ਤੇ ਰਸੀਲੇ ਫਲ ਦਿੰਦੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੇਲਿਆਂ, ਸੰਤਰਿਆਂ, ਅੰਬਾਂ, ਸੇਬਾਂ, ਅੰਗੂਰਾਂ, ਨਾਸ਼ਪਾਤੀਆਂ, ਨਿੰਬੂਆਂ, ਬਦਾਮਾਂ ਤੇ ਖੁਰਮਾਨੀਆਂ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਸਾਡਾ ਭੋਜਨ ਬੇਸੁਆਦ ਹੋ ਕੇ ਰਹਿ ਜਾਵੇ !

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ਰੁੱਖ ਸਾਡੇ ਆਲੇ – ਦੁਆਲੇ ਨੂੰ ਸੁੰਦਰ ਵੀ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਫੁੱਲ ਦਿਲ ਨੂੰ ਖਿੱਚਦੇ ਹਨ ਤੇ ਮਹਿਕਾਂ ਖਿਲਾਰਦੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਫੁੱਲਾਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਸ਼ਹਿਦ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਰੁੱਖਾਂ ਦੀ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਮਹਾਨਤਾ ਹੈ। ਇਹ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਆਧਾਰ ਹਨ ਸਾਨੂੰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਵੱਢਣਾ ਨਹੀਂ ਚਾਹੀਦਾ ਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਲਾ ਕੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ।

34. ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਵਿੱਦਿਅਕ ਯਾਤਰਾ

ਬੀਤੇ 24 ਜੂਨ ਨੂੰ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਤੋਂ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ 10 ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦਾ ਇਕ ਗਰੁੱਪ ਭਾਖੜਾ ਡੈਮ ਦੀ ਸੈਰ ਕਰਨ ਲਈ ਗਿਆ ਅਸੀਂ ਇਕ ਸਕਾਰਪੀਓ ਗੱਡੀ ਕਿਰਾਏ ਉੱਤੇ ਲਈ ਤੇ ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ ਤੋਂ ਹੁੰਦੇ ਹੋਏ ਪਹਾੜੀ ਸੜਕ ਉੱਪਰ ਪੈ ਗਏ ਤੇ ਦੋ ਕੁ ਘੰਟਿਆਂ ਵਿਚ ਨੰਗਲ ਪਾਰ ਕਰ ਗਏ। ਕੁੱਝ ਦੂਰ ਅੱਗੇ ਜਾ ਕੇ ਸਾਨੂੰ ਭਾਖੜਾ ਡੈਮ ਦੁਰੋਂ ਦਿਸਣ ਲੱਗ ਪਿਆ ਅਖੀਰ ਅਸੀਂ ਹਰੇ – ਭਰੇ ਉਸ ਥਾਂ ਉੱਤੇ ਪਹੁੰਚ ਗਏ, ਜਿੱਥੇ ਸਤਲੁਜ ਇਹ ਬੰਨ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ।

ਇੱਥੇ ਸਕਿਉਰਿਟੀ ਵਾਲਿਆਂ ਨੇ ਸਾਨੂੰ ਚੈੱਕ ਕੀਤਾ ਤੇ ਅੱਗੇ ਜਾਣ ਦਿੱਤਾ। ਡੈਮ ਦੇ ਉੱਤੇ ਕੇ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ ਨੇ ਸਾਨੂੰ ਦੱਸਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ਕਿ ਇਹ ਏਸ਼ੀਆ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਚਾ ਬੰਨ ਹੈ ਤੇ ਕਾ ਹੈ ਤੇ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਬਣਿਆ ਇਹ ਇੰਨਾ ਪੱਕਾ ਬੰਨ੍ਹ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਉੱਪਰ ਭੂਚਾਲ, ਹੜ੍ਹ ਜਾਂ ਕਿਸੇ ਤੋੜ – ਫੋੜ ਦਾ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦਾ। ਇਹ ਸਮੁੰਦਰ ਦੇ ਤਲ ਤੋਂ 225.55 ਮੀਟਰ ਉੱਚਾ ਹੈ। ਇਸ ਦੀ ਲੰਬਾਈ 518 ਮੀ: ਹੈ ਅਤੇ ਇਸ ਉੱਤੇ ਬਣੀ ਸੜਕ ਦੀ ਚੌੜਾਈ 304.84 ਮੀਟਰ ਹੈ। ਇਸ ਦੇ ਪਰਲੇ ਪਾਸੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਪਿੰਡਾਂ ਨੂੰ ਉਜਾੜ ਕੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਇਕ ਵੱਡੀ ਝੀਲ ਬਣਾਈ ਗਈ ਹੈ। ਜਿਸ ਵਿਚ 96210 ਲੱਖ ਕਿਊਬਿਕ ਮੀਟਰ ਪਾਣੀ ਇਕੱਠਾ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਤੇ ਇਸ ਝੀਲ ਦਾ ਨਾਂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਾਗਰ ਹੈ।

ਜੇਕਰ ਇਹ ਬੰਨ੍ਹ ਕਿਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਟੁੱਟ ਜਾਵੇ, ਤਾਂ ਇਹ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ, ਪੰਜਾਬ, ਹਰਿਆਣੇ ਤੇ ਦਿੱਲੀ ਦੇ ਕੁੱਝ ਹਿੱਸੇ ਨੂੰ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਰੋੜ ਸਕਦਾ ਹੈ ਸਾਡੇ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ ਜਦੋਂ ਇਹ ਦੱਸ ਰਹੇ ਸਨ ਤੇ ਵਿਸ਼ਾਲ ਝੀਲ ਵੱਲ ਦੇਖ ਕੇ ਸਾਡਾ ਮਨ ਹੈਰਾਨ ਹੋ ਰਿਹਾ ਸੀ।

ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਇਸ ਬੰਨ ਦਾ ਉਦਘਾਟਨ ਕਰਨ ਸਮੇਂ ਭਾਰਤ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਜਵਾਹਰ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ ਨੇ ਇਸ ਨੂੰ ‘ਭਾਰਤ ਦੇ ਪੁਨਰ – ਉਥਾਨ ਦਾ ਮੰਦਰ ਕਿਹਾ ਸੀ। ਅਸੀਂ ਫਿਰ ਤੁਰ ਕੇ ਇਸ ਡੈਮ ਨੂੰ ਵੇਖ ਰਹੇ ਸਾਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਹੋਰ ਯਾਤਰੀ ਵੀ ਉੱਥੇ ਆਏ ਹੋਏ ਸਨ ਕਈ ਪਿਕਨਿਕ ਮਨਾ ਰਹੇ ਸਨ। ਕੁੱਝ ਕਿਸ਼ਤੀਆਂ ਵਿਚ ਸੈਰ ਵੀ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ।

ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਇਸ ਦਾ ਕੰਟਰੋਲ ਭਾਖੜਾ ਮੈਨਜਮੈਂਟ ਬੋਰਡ ਕੋਲ ਹੈ। ਇਸ ਬੰਨ ਨਾਲ ਦਰਿਆ ਦੇ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਰੋਕ ਕੇ ਮੈਦਾਨੀ ਤੇ ਰੇਗਸਤਾਨੀ ਇਲਾਕੇ ਨੂੰ ਸਿੰਜਣ ਲਈ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਨਹਿਰਾਂ ਕੱਢੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਟਰਬਾਈਨਾਂ ਚਲਾ ਕੇ ਬਿਜਲੀ ਪੈਦਾ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਭਾਰਤ ਅੰਨ ਦੀ ਲੋੜ ਵਿਚ ਸ਼ੈ – ਨਿਰਭਰ ਹੋਇਆ ਹੈ ਤੇ ਬਿਜਲੀ ਨਾਲ ਸ਼ਹਿਰ ਤੇ ਪਿੰਡ ਜਗਮਗਾ ਉੱਠੇ ਹਨ ਤੇ ਉਦਯੋਗਾਂ ਨੂੰ ਖੂਬ ਹੁਲਾਰਾ ਮਿਲਿਆ ਹੈ।

ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕੋਈ ਤਿੰਨ ਘੰਟੇ ਉੱਥੇ ਗੁਜ਼ਾਰਨ ਮਗਰੋਂ ਅਸੀਂ ਵਾਪਸ ਪਰਤ ਆਏ।

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35. ਰੇਲਵੇ ਸਟੇਸ਼ਨ ਦਾ ਦ੍ਰਿਸ਼

ਸਟੇਸ਼ਨ ਉੱਤੇ ਪਹੁੰਚਣਾ – ਐਤਕੀਂ ਗਰਮੀਆਂ ਦੀਆਂ ਛੁੱਟੀਆਂ ਵਿਚ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨਾਲ ਦਿੱਲੀ ਜਾਣ ਲਈ ਤਿਆਰ ਹੋ ਗਿਆ ਘਰੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲ ਕੇ ਅਸੀਂ ਆਟੋ ਰਿਕਸ਼ਾ ਲਿਆ ਤੇ ਰੇਲਵੇ ਸਟੇਸ਼ਨ ਵਲ ਚਲ ਪਏ। ਪੰਦਰਾਂ ਮਿੰਟਾਂ ਵਿਚ ਅਸੀਂ ਰੇਲਵੇ ਸਟੇਸ਼ਨ ਦੇ ਬਾਹਰ ਪੁੱਜ ਗਏ ਆਟੋ ਰਿਕਸ਼ੇ ਵਾਲੇ ਨੂੰ ਪੈਸੇ ਦੇ ਕੇ ਅਸੀਂ ਪਹਿਲਾਂ ਮੁਸਾਫ਼ਰਖ਼ਾਨੇ ਵਿਚ ਪੁੱਜੇ।

ਮੁਸਾਫ਼ਰਖ਼ਾਨੇ ਦਾ ਦ੍ਰਿਸ਼ – ਮੁਸਾਫ਼ਰਖ਼ਾਨੇ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਭੀੜ ਸੀ ਉੱਥੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲੋਕ ਆ – ਜਾ ਰਹੇ ਸਨ। ਕੁੱਝ ਬੰਦੇ ਕਤਾਰਾਂ ਬਣਾ ਕੇ ਟਿਕਟਾਂ ਲੈਣ ਲਈ ਖਿੜਕੀਆਂ ਅੱਗੇ ਖੜ੍ਹੇ ਸਨ ! ਕੁੱਝ ਖਿੜਕੀਆਂ ਉੱਤੇ ਅਗਾਊਂ ਬੁਕਿੰਗ ਹੋ ਰਹੀ ਸੀ। ਇਕ ਪਾਸੇ ਪਹਿਲੇ ਦਰਜੇ ਦੀ ਬੁਕਿੰਗ ਦੀ ਖਿੜਕੀ ਸੀ।

ਪਲੇਟਫਾਰਮ ਦ੍ਰਿਸ਼ – – ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੇ ਦੋ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਸੁਪਰ ਫ਼ਾਸਟ ਦੀਆਂ ਸੀਟਾਂ ਰਿਜ਼ਰਵ ਕਰਾ ਲਈਆਂ ਸਨ, ਇਸ ਕਰਕੇ ਅਸੀਂ ਮੁਸਾਫ਼ਰਖਾਨੇ ਵਿਚੋਂ ਹੁੰਦੇ ਹੋਏ ਸਿੱਧੇ ਪਲੇਟਫ਼ਾਰਮ ਉੱਤੇ ਜਾ ਪੁੱਜੇ। ਕੁੱਝ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਆਪਣਾ ਸਮਾਨ ਲਾਲ ਵਰਦੀ ਵਾਲੇ ਕੁਲੀਆਂ ਨੂੰ ਚੁਕਵਾਇਆ ਹੋਇਆ ਸੀ। ਸਾਡੇ ਕੋਲ ਬਹੁਤਾ ਭਾਰ ਨਹੀਂ ਸੀ। , ਪਲੇਟਫ਼ਾਰਮ ਨੰਬਰ ਦੋ – ਸਾਡੀ ਗੱਡੀ ਪਲੇਟਫ਼ਾਰਮ ਨੰਬਰ ਦੋ ਤੋਂ ਚੱਲਣੀ ਸੀ।ਉੱਥੇ ਪਹੁੰਚਣ ਲਈ ਸਾਨੂੰ ਲਾਈਨਾਂ ਉੱਤੋਂ ਦੀ ਬਣਿਆ ਪੁਲ ਪਾਰ ਕਰਨਾ ਪਿਆ।

ਗੱਡੀ ਆਉਣ ਵਿਚ ਅਜੇ ਦਸ ਕੁ ਮਿੰਟ ਦਾ ਸਮਾਂ ਸੀ। ਪਲੇਟਫ਼ਾਰਮ ਉੱਤੇ ਬੜੀ ਭੀੜ ਤੇ ਚਹਿਲ – ਪਹਿਲ ਸੀ। ਲੋਕ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਇਧਰ – ਉਧਰ ਜਾ ਰਹੇ ਸਨ। ਕੁੱਝ ਲੋਕ ਸਮਾਨ ਹੇਠਾਂ ਰੱਖ ਕੇ ਖੜ੍ਹੇ ਸਨ ਤੇ ਕੁੱਝ ਬੈਂਚਾਂ ਉੱਤੇ ਬੈਠੇ ਸਨ। ਕੁੱਝ ਕੁਲੀ ਸਮਾਨ ਚੁੱਕੀ ਆ ਰਹੇਂ ਸਨ। ਕਿਤੇ – ਕਿਤੇ ਪੁਲਿਸ ਦੇ ਸਿਪਾਹੀ ਵੀ ਦਿਖਾਈ ਦੇ ਰਹੇ ਸਨ। ਪਲੇਟ

ਹ, ਪਕੌੜਿਆਂ, ਛੋਲੇ – ਭਰਿਆਂ, ਚਾਵਲ – ਛੋਲਿਆਂ, ਕੋਲਡ ਡਰਿੰਕਸ ਅਤੇ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਤੇ ਮੈਗਜ਼ੀਨਾਂ ਦੇ ਸਟਾਲ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਸਨ, ਜਿੱਥੋਂ ਲੋਕ ਲੋੜ ਅਨੁਸਾਰ ਚੀਜ਼ਾਂ ਖ਼ਰੀਦ ਰਹੇ ਸਨ।

ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੇ ਇਕ ਬੋਰਡ ਉੱਤੇ ਆਪਣੀ ਰਿਜ਼ਰਵੇਸ਼ਨ ਬਾਰੇ ਪੜ੍ਹਿਆ ਤੇ ਫਿਰ ਕੁਲੀ ਨੂੰ ਪੁੱਛਿਆ ਕਿ ਸਾਡਾ ਡੱਬਾ ਨੰਬਰ ਕਿੱਥੇ ਕੁ ਰੁਕੇਗਾ। ਉਸ ਦੇ ਕਹਿਣ ਅਨੁਸਾਰ ਅਸੀਂ ਪਲੇਟਫ਼ਾਰਮ ਉੱਤੇ ਲੱਗੀ ਘੜੀ ਤੋਂ ਅੱਗੇ ਚਲੇ ਗਏ।ਇੱਥੇ ਅਸੀਂ ਪਾਣੀ ਦੀ ਇਕ ਬੋਤਲ ਲੈ ਕੇ ਆਪਣੇ ਬੈਗ ਵਿਚ ਪਾ ਲਈ। ਸਿਗਨਲ ਨੀਵਾਂ ਹੋਣਾ – ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਲਾਊਡ ਸਪੀਕਰ ਉੱਤੇ ਗੱਡੀ ਦੇ ਆਉਣ ਦੀ ਸੂਚਨਾ ਮਿਲੀ। ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਔਹ ਸਿਗਨਲ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ਤੇ ਗੱਡੀ ਆ ਰਹੀ ਹੈ।

ਗੱਡੀ ਦਾ ਆਉਣਾ – ਬੱਸ ਦੋ ਕੁ ਮਿੰਟਾਂ ਬਾਅਦ ਹੀ ਗੱਡੀ ਪਲੇਟਫ਼ਾਰਮ ਉੱਤੇ ਆ ਗਈ ਤੇ ਹੌਲੇ – ਹੌਲੇ ਰੁਕ ਗਈ। ਗੱਡੀ ਵਿਚ ਸਵਾਰ ਹੋਣਾ – ਸਾਡਾ ਡੱਬਾ ਜ਼ਰਾ ਹੋਰ ਅੱਗੇ ਜਾ ਕੇ ਰੁਕਿਆ। ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਅਟੈਚੀਕੇਸ ਚੁੱਕ ਕੇ ਤੇ ਮੇਰਾ ਹੱਥ ਫੜ ਕੇ ਫਟਾ – ਫਟ ਡੱਬੇ ਕੋਲ ਪੁੱਜੇ ਤੇ ਫਿਰ ਦਰਵਾਜ਼ੇ ਦੀ ਭੀੜ ਨੂੰ ਚੀਰਦੇ ਹੋਏ ਡੱਬੇ ਵਿਚ ਦਾਖ਼ਲ ਹੋ ਗਏ। ਸਾਡੀਆਂ ਸੀਟਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਜਿਹੇ ਸਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਉੱਤੇ ਦੋ ਬੰਦੇ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਬੈਠੇ ਸਨ। ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦੇ ਕਹਿਣ ‘ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਸੀਟਾਂ ਖ਼ਾਲੀ ਕਰ ਦਿੱਤੀਆਂ ਅਤੇ ਅਸੀਂ ਬੈਠ ਗਏ। ਇਸ ਤੋਂ ਦੋ – ਤਿੰਨ ਮਿੰਟ ਮਗਰੋਂ ਹੀ ਗੱਡੀ ਚਲ ਪਈ ਤੇ ਮੈਂ ਗੱਡੀ ਦੇ ਸਫ਼ਰ ਦਾ ਆਨੰਦ ਲੈਣ ਲੱਗਾ।

36. ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸ਼ਹਿਰ – ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ

ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸ਼ਹਿਰ ਹੈ। ਇਸ ਸ਼ਹਿਰ ਬਾਰੇ ਕਿਹਾ ਗਿਆ ਹੈ “ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਸਿਫਤੀ ਦਾ ਘਰ। ਇਹ ਇਕ ਪੁਰਾਤਨ ਧਾਰਮਿਕ ਸ਼ਹਿਰ ਹੈ ਪਰ ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਇਹ ਇਕ ਬਹੁਤ ਵੱਡਾ ਵਪਾਰਕ ਕੇਂਦਰ ਵੀ ਹੈ। ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦਾ ਅਸਲ ਮਹੱਤਵ ਇੱਥੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੇ ਤੀਰਥ ਸ੍ਰੀ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਹੋਣਾ ਹੈ। ਇਹ ਸ਼ਹਿਰ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੀ ਸਰਹੱਦ ਤੋਂ ਕੇਵਲ 24 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਉਰੇ ਪੂਰਬ ਵਲ ਸਥਿਤ ਹੈ।

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ਇਸ ਸ਼ਹਿਰ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ ਕਾਫ਼ੀ ਪੁਰਾਣਾ ਹੈ ਪਹਿਲਾ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਆਗਿਆ ਅਨੁਸਾਰ ਗੁਰੁ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸੰਮਤ 1621 (1663 ਈ:) ਵਿਚ ਇਕ ਤਾਲ ਖ਼ਦਵਾਇਆ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਮਗਰੋਂ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਰਨ ਸੰਮਤ 1645 ਵਿਚ ਸੰਪੂਰਨ ਕਰਕੇ ਇਸ ਦਾ ਨਾਂ ਸੰਤੋਖਸਰ ਰੱਖਿਆ। ਸੰਮਤ 1631 (1573 ਈ:) ਵਿਚ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਆਗਿਆ ਅਨੁਸਾਰ ਹੀ ਇਕ ਪਿੰਡ ਬੰਨਿਆ ਗਿਆ ਤੇ ਆਪਣੇ ਰਹਿਣ ਲਈ ਮਕਾਨ ਬਣਵਾਏ, ਜੋ ‘ਗੁਰੂ ਕੇ ਮਹਿਲ’ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹਨ। ਉਸ ਦੇ ਚੜ੍ਹਦੇ ਪਾਸੇ ਦੁਖ ਭੰਜਨੀ ਬੇਰੀ ਦੇ ਕੋਲ ਸੰਮਤ 1634 ਵਿਚ ਇਕ ਤਾਲ ਖ਼ੁਦਵਾਇਆ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਸੰਪੂਰਨ ਕੀਤਾ ਤੇ ਚਾਰੇ ਪਾਸਿਓਂ ਵਪਾਰੀ ਤੇ ਕਿਰਤੀ ਲੋਕ ਵਸਾ ਕੇ ਇਸਦਾ ਨਾਂ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰ ਰੱਖਿਆ।

ਸੰਮਤ 1643 ਵਿਚ ਸਰੋਵਰ ਨੂੰ ਪੱਕਾ ਕਰਨ ਦਾ ਕੰਮ ਆਰੰਭ ਹੋਇਆ ਤੇ ਇਸ ਸ਼ਹਿਰ ਦਾ ਨਾਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ 1 ਮਾਘ 1645 ਵਿਚ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਸ੍ਰੀ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਨੀਂਹ ਰੱਖੀ ਅਤੇ ਇਮਾਰਤ ਨੂੰ ਪੂਰੀ ਕਰਨ ਮਗਰੋਂ ਸੰਮਤ 1661 ਵਿਚ ਇੱਥੇ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕੀਤਾ।

ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਇਸ ਸ਼ਹਿਰ ਨੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਉਤਾਰ – ਚੜ੍ਹਾਅ ਅਤੇ ਦੁਖਾਂਤ ਦੇਖੇ ਹਨ ਪਰੰਤੂ ਇਸ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਇੱਥੇ ਸ੍ਰੀ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਸਭ ਦੀ ਸ਼ਰਧਾ ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਘੁੱਗ ਵਸਦਾ ਹੈ। ਇੱਥੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਵਪਾਰੀ ਲੋਕ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ, ਜੋ ਕਿ ਕੱਪੜੇ ਅਤੇ ਸੋਨੇ ਚਾਂਦੀ ਦੇ ਗਹਿਣਿਆਂ ਦਾ ਵਪਾਰ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਇਹ ਸ਼ਹਿਰ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਸੁਆਦਲੇ ਤੇ ਚਟਪਟੇ ਖਾਣਿਆਂ ਲਈ ਬਹੁਤ ਮਸ਼ਹੂਰ ਹੈ। ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਪਾਪੜ – ਵੜੀਆਂ, ਕੁਲਚੇ ਅਤੇ ਲੱਸੀ ਬਹੁਤ ਮਸ਼ਹੂਰ ਹੈ।

ਇਸ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ਹਿੰਦੂਆਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਧਾਰਮਿਕ ਅਸਥਾਨ ਹਨ। ਸ੍ਰੀ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਇੱਥੋਂ ਦਾ ਹੀ ਨਹੀਂ, ਸਗੋਂ ਸੰਸਾਰ ਭਰ ਦਾ ਸਰਵਉੱਚ ਧਾਰਮਿਕ ਸਥਾਨ ਹੈ, ਜਿਸ ਦੀ ਇਮਾਰਤ ਉੱਤੇ ਸੋਨਾ ਚੜ੍ਹਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਅਕਾਲ ਤਖ਼ਤ ਮੀਰੀ – ਪੀਰੀ ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸੰਤੋਖਸਰ, ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਅਟੱਲ ਸਾਹਿਬ, ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸ਼ਹੀਦਾਂ, ਕੌਲਸਰ, ਗੁਰੂ ਕੇ ਮਹਿਲ ਤੇ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਥੜ੍ਹਾ ਸਾਹਿਬ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਧਰਮ ਅਸਥਾਨ ਹਨ।

ਦੁਰਗਿਆਣਾ ਮੰਦਰ ਤੇ ਸਤਿ ਨਰਾਇਣ ਦਾ ਮੰਦਰ ਹਿੰਦੂਆਂ ਦੇ ਧਰਮ ਅਸਥਾਨ ਹਨ। ਇੱਥੇ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਹਰਗੋਬਿੰਦ ਜੀ ਦਾ ਤਿਆਰ ਕਰਾਇਆ ਕਿਲ੍ਹਾ ਲੋਹਗੜ੍ਹ ਵੀ ਹੈ ਤੇ ਅਕਾਲੀ ਫੂਲਾ ਸਿੰਘ ਬੁਰੀ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਰਾਮਗੜ੍ਹੀਆ ਮਿਸਲ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਬੁੰਗੇ ਵੀ ਹਨ।

ਇੱਥੇ ਹੀ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਜਲਿਆਂ ਵਾਲਾ ਬਾਗ਼ ਹੈ, ਜਿੱਥੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਜਨਰਲ ਡਾਇਰ ਨੇ 13 ਅਪ੍ਰੈਲ, 1919 ਨੂੰ ਨਿਹੱਥੇ ਦੇਸ਼ – ਭਗਤਾਂ ਦੇ ਖੂਨ ਦੀ ਹੋਲੀ ਖੇਡਦਿਆਂ ਸੈਂਕੜਿਆਂ ਨੂੰ ਗੋਲੀਆਂ ਨਾਲ ਭੁੰਨ ਦਿੱਤਾ। ਇੱਥੇ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿਚ ਇਕ ਮੀਨਾਰ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਬਹੁਤ ਵੱਡਾ ਵਿੱਦਿਅਕ ਕੇਂਦਰ ਵੀ ਹੈ। ਇੱਥੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਪੁਰਾਤਨ ਆਲੀਸ਼ਾਨ ਖ਼ਾਲਸਾ ਕਾਲਜ ਸਥਿਤ ਹੈ ਤੇ ਹੋਰ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਡਿਗਰੀ ਕਾਲਜ ਵੀ। ਇੱਥੇ ਇਕ ਮੈਡੀਕਲ ਕਾਲਜ ਵੀ ਹੈ ਤੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਵੀ।

ਇੱਥੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦਾ ਕੰਪਨੀ ਬਾਗ਼ ਵੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਦਾ ਅੱਜ – ਕਲ੍ਹ ਨਾਂ ਨਹਿਰੂ ਬਾਗ਼ ਹੈ। ਇੱਥੇ ਹੀ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਬਾਰਾਦਰੀ ਵੀ ਹੈ।

ਇਹ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਬੇਸ਼ੱਕ ਪੁਰਾਤਨ ਸ਼ਹਿਰ ਹੈ, ਪਰ ਇਹ ਸਾਰੀਆਂ ਨਵੀਨਤਾਵਾਂ ਨਾਲ ਭਰਪੂਰ ਹੈ। ਇਹ ਲਾਹੌਰ ਦੇ ਨਾਲ ਮਾਝੀ ਉਪਭਾਸ਼ਾ ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਹੈ ਤੇ ਇੱਥੋਂ ਦੀ ਬੋਲੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਟਕਸਾਲੀ ਭਾਸ਼ਾ ਦਾ ਧੁਰਾ ਹੈ।

ਸਮੁੱਚੇ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸਿਕ, ਧਾਰਮਿਕ ਤੇ ਵਪਾਰਕ ਮਹੱਤਤਾ ਵਾਲਾ ਸ਼ਹਿਰ ਹੈ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

37. ਖੇਡਾਂ ਦਾ ਮਹੱਤਵ
ਜਾਂ
ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਅਤੇ ਖੇਡਾਂ

ਖੇਡਾਂ ਤੇ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵਨ – ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਮਹਾਨਤਾ ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਇਸੇ ਪ੍ਰਕਾਰ ਹੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਸਾਨੂੰ ਖੁਰਾਕ, ਹਵਾ ਤੇ ਪਾਣੀ ਆਦਿ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੈ। ਜਿੱਥੇ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਤੰਦਰੁਸਤ ਰੱਖਣ ਲਈ ਖ਼ੁਰਾਕ ਆਪਣਾ ਹਿੱਸਾ ਪਾਉਂਦੀ ਹੈ, ਉੱਥੇ ਖੇਡਾਂ ਵੀ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਖੁਰਾਕ ਦਾ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਲਾਭ ਉਠਾਉਣ ਦੇ ਯੋਗ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਹ ਸਾਡੇ ਦਿਨ ਭਰ ਦੇ ਦਿਮਾਗੀ ਅਤੇ ਸਰੀਰਕ ਥਕੇਵੇਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਤਾਜ਼ਗੀ ਤੇ ਫੁਰਤੀ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ।

ਉੱਨਤ ਕੌਮਾਂ ਤੇ ਖੇਡਾਂ – ਸੰਸਾਰ ਦੀਆਂ ਉੱਨਤ ਕੌਮਾਂ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਮਹਾਨਤਾ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਮਝਦੀਆਂ ਹਨ, ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਹੀ ਉਹ ਜੀਵਨ ਦੇ ਹਰ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਨੂੰ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਮਹੱਤਤਾ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਉੱਨਤ ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕੇਵਲ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਜਾਂ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਲਈ ਹੀ ਨਹੀਂ, ਸਗੋਂ ਵਡੇਰੀ ਉਮਰ ਦੇ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਤੇ ਬੱਚਿਆਂ ਲਈ ਵੀ ਹੈ। ਖੇਡਾਂ ਅਤੇ ਸਰੀਰਕ ਸਿਹਤ – ਖੇਡਾਂ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਅਰੋਗ ਤੇ ਤਕੜਾ ਰੱਖਣ ਵਿਚ ਭਾਰੀ ਹਿੱਸਾ ਪਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਲੈਣ ਨਾਲ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਖੂਨ ਦਾ ਦੌਰਾ ਤੇਜ਼ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

ਫੇਫੜਿਆਂ ਨੂੰ ਤਾਜ਼ੀ ਹਵਾ ਮਿਲਦੀ ਹੈ ਤੇ ਪਾਚਨ – ਸ਼ਕਤੀ ਤੇਜ਼ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਰੋਜ਼ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਲੈਣ ਵਾਲੇ ਮਨੁੱਖਾਂ ਦਾ ਸਰੀਰ ਅਰੋਗ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅੰਦਰ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਦਾ ਮੁਕਾਬਲਾ ਕਰਨ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲੈਣ ਵਾਲਿਆਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਹਮੇਸ਼ਾ ਚੁਸਤੀ ਤੇ ਤਾਜ਼ਗੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਚਿਹਰਾ ਖਿੜਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ।

ਖੇਡਾਂ ਅਤੇ ਮਾਨਸਿਕ ਸਿਹਤ – ਸਰੀਰ ਦੇ ਅਰੋਗ ਰਹਿਣ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖ ਆਪਣੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਤੋਂ ਵੀ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਲਾਭ ਉਠਾ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਖੇਡਾਂ ਨਾਲ ਦਿਮਾਗ਼ ਦੀ ਗ੍ਰਹਿਣ ਕਰਨ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਵਧਦੀ ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਦਿਮਾਗ਼ ਤਾਜ਼ਾ ਤੇ ਚੁਸਤ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਨਿਰੇ ਕਿਤਾਬੀ ਕੀੜੇ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦੀ ਦੌੜ ਵਿਚ ਪਿੱਛੇ ਰਹਿ ਜਾਂਦੇ ਹਨ।

ਆਚਰਨ ਦੀ ਉਸਾਰੀ – ਸਰੀਰਕ ਅਤੇ ਦਿਮਾਗੀ ਅਰੋਗਤਾ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਖੇਡਾਂ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਆਚਰਨ ਦੀ ਉਸਾਰੀ ਵੀ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ। ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਦੂਜਿਆਂ ਨਾਲ ਮਿਲ ਕੇ ਖੇਡਦੇ ਹਾਂ, ਤਾਂ ਸਾਡੇ ਵਿਚ ਇਕ – ਦੂਸਰੇ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਨ, ਕਿਸੇ ਨਾਲ ਵਧੀਕੀ ਨਾ ਕਰਨ, ਆਪਣੀ ਗ਼ਲਤੀ ਨੂੰ ਮੰਨ ਲੈਣ, ਧੋਖਾ ਨਾ ਕਰਨ, ਆਗੂ ਦਾ ਹੁਕਮ ਮੰਨਣ, ਆਪਣੀ ਜਿੱਤ ਲਈ ਜ਼ੋਰ ਲਾਉਣ, ਨੇਮਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਕਰਨ ਤੇ ਮਿਲ ਕੇ ਚੱਲਣ ਦੇ ਗੁਣ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੇ ਹਨ।

ਮਨੁੱਖੀ ਮਨ ਵਿਚ ਟਿਕਾਓ ਪੈਦਾ ਕਰਨਾ – ਖੇਡਾਂ ਮਨੁੱਖੀ ਮਨ ਵਿਚ ਟਿਕਾਓ ਤੇ ਇਕਾਗਰਤਾ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਲੱਗ ਕੇ ਮਨੁੱਖ ਸੰਸਾਰਕ ਝੰਜਟਾਂ ਨੂੰ ਭੁੱਲ ਕੇ ਫ਼ਿਕਰਾਂ ਤੇ ਮਾਨਸਿਕ ਤਣਾਓ ਤੋਂ ਮੁਕਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਭਾਰੀ ਮਨੋਵਿਗਿਆਨਿਕ ਮਹਾਨਤਾ ਹੈ।

ਦਿਲ – ਪਰਚਾਵੇ ਦਾ ਸਾਧਨ – ਖੇਡਾਂ ਦਿਲ – ਪਰਚਾਵੇ ਦਾ ਇਕ ਬਹੁਤ ਵਧੀਆ ਸਾਧਨ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖੀ ਮਨ ਵਿਚ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਨੱਚਦੀ ਹੈ। ਉਸ ਨੂੰ ਕਈ ਮੌਕਿਆਂ ਤੇ ਖੁੱਲ੍ਹ ਕੇ ਹੱਸਣ ਦਾ ਮੌਕਾ ਮਿਲਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉਸ ਦਾ ਮਨ ਖਿੜ੍ਹਦਾ ਹੈ। ਖੇਡਾਂ ਸਰੀਰ ਰੂਪੀ ਮਸ਼ੀਨ ਲਈ ਤੇਲ ਦਾ ਕੰਮ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ। ਖਿੜਿਆ ਮਨ ਤੇ ਅਰੋਗ ਸਰੀਰ ਆਲੇ – ਦੁਆਲੇ ਵਿਚ ਮਹਿਕ ਖਿਲਾਰਦਾ ਹੈ ! ਆਸ਼ਾਵਾਦ ਜਗਾਉਣਾ – ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਭਾਗ ਲੈਣ ਵਾਲਾ ਮਨੁੱਖ ਜੀਵਨ ਦੀ ਖੇਡ ਨੂੰ ਦਲੇਰੀ ਨਾਲ ਖੇਡਦਾ ਹੈ। ਉਹ ਕਿਸੇ ਥਾਂ ਇਕ ਵਾਰ ਹਾਰ ਖਾ ਕੇ ਨਿਰਾਸ਼ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ, ਸਗੋਂ ਆਸ਼ਾਵਾਦੀ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ।

ਖੇਡਾਂ ਲਈ ਸਮੇਂ ਦੀ ਠੀਕ ਵਰਤੋਂ – ਸਾਨੂੰ ਇਹ ਗੱਲ ਨਹੀਂ ਭੁੱਲਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਕਿ ਖੇਡਾਂ ਨੂੰ ਨਿਸਚਿਤ ਸਮਾਂ ਹੀ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। ਹਰ ਸਮੇਂ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਹੀ ਨਹੀਂ ਲੱਗੇ ਰਹਿਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਅਸੀਂ ਆਪਣੀਆਂ ਹੋਰਨਾਂ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਸਫਲਤਾ ਨਾਲ ਨਹੀਂ ਨਿਭਾ ਸਕਾਂਗੇ। ਇਸ ਲਈ ਸਾਨੂੰ ਯਾਦ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ “ਖੇਡਾਂ ਜੀਵਨ ਲਈ ਹਨ, ਨਾ ਕਿ ਜੀਵਨ ਖੇਡਾਂ ਲਈ।

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38. ਰੰਗਾਂ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਹੋਲੀ

ਜਾਣ – ਪਛਾਣ – ਹੋਲੀ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਮਹਾਨਤਾ ਰੱਖਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਭਾਰਤ ਦੇ ਮੁੱਖ ਤਿਉਹਾਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਇਕ ਹੈ। ਹੋਲੀ ਦੇ ਆਉਣ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖ ਸਭ ਵਿਤਕਰੇ ਤੇ ਵੈਰ – ਵਿਰੋਧ ਭੁਲਾ ਕੇ ਦੂਜਿਆਂ ਨੂੰ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਵਿਚ ਭਾਈਵਾਲ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਤਤਪਰ ਹੋ ਉੱਠਦਾ ਹੈ ਤੇ ਹਰ ਇਕ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਾਂ ਵਾਂਗ ਹੱਸਦਾ – ਖੇਡਦਾ ਤੇ ਖ਼ੁਸ਼ੀਆਂ ਮਨਾਉਂਦਾ ਹੈ।

ਸੁਹਾਵਣੀ ਰੁੱਤ – ਹਰ ਸਾਲ ਜਦੋਂ ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਆਉਂਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਅਸੀਂ ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰਾਂ ਤੇ ਸੰਬੰਧੀਆਂ ਨਾਲ ਮਿਲ ਕੇ ਖ਼ਬ ਹੋਲੀ ਖੇਡਦੇ ਹਾਂ। ਹੋਲੀ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਉਸ ਮੌਸਮ ਵਿਚ ਆਉਂਦਾ ਹੈ, ਜਦੋਂ ਸਰਦੀ ਦਿਨੋ – ਦਿਨ ਅਲੋਪ ਹੋ ਰਹੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਗਰਮੀ ਵਧਦੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਬਸੰਤ ਰੁੱਤ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਹਰ ਪਾਸੇ ਦਰੱਖ਼ਤਾਂ, ਬੂਟਿਆਂ ਤੇ ਛੋਟੇ ਪੌਦਿਆਂ ਉੱਤੇ ਹਰਿਆਵਲ ਛਾ ਰਹੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਥਾਂ – ਥਾਂ ਰੰਗ – ਬਰੰਗੇ ਫੁੱਲ ਖਿੜ੍ਹ ਰਹੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਛੋਲਿਆਂ ਨੂੰ ਡੰਡੇ ਲੱਗ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਹੋਲਾਂ ਖਾਣ ਲਈ ਹਰ ਇਕ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਭਰ ਆਉਂਦਾ ਹੈ। ਸ਼ਾਇਦ ਛੋਲਿਆਂ ਦੀਆਂ ਹੋਲਾਂ ਦਾ ਨਾਂ ਵੀ ਹੋਲੀ ਤੋਂ ਹੀ ਪਿਆ ਹੈ।

ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪਿਛੋਕੜ – ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਹੋਲੀ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ ਦੁਆਰਾ ਪੂਤਨਾ ਦਾਈ ਨੂੰ ਮਾਰਨ ਮਗਰੋਂ ਗੋਪੀਆਂ ਨਾਲ ਰੰਗ ਦੀ ਹੋਲੀ ਖੇਡ ਕੇ ਖੁਸ਼ੀ ਮਨਾਉਣ ਦੇ ਨਾਲ ਜੋੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਪਰ ਕਈ ਲੋਕਾਂ ਦੁਆਰਾ ਹੋਲੀ ਦੇ ਤਿਉਹਾਰ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਪਿਛੋਕੜ ਪ੍ਰਹਿਲਾਦ ਦੀ ਭੂਆ ਹੋਲਿਕਾ ਨਾਲ ਜੋੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਹੋਲਿਕਾ ਨੂੰ ਅੱਗ ਵਿਚ ਨਾ ਸੜਨ ਦਾ ਵਰਦਾਨ ਮਿਲਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ। ਉਹ ਪ੍ਰਹਿਲਾਦ ਨੂੰ ਚੁੱਕ ਕੇ ਅੱਗ ਵਿਚ ਬੈਠ ਗਈ। ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਹਿਲਾਦ ਬਚ ਗਿਆ, ਪਰੰਤੂ ਹੋਲਿਕਾ ਸੜ ਕੇ ਮਰ ਗਈ। ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਉਸ ਦਿਨ ਤੋਂ ਹੀ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਹੋਲੀ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਬਹੁਤਾ ਕਰਕੇ ਹਿੰਦੂਆਂ ਵਿਚ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਸਿੱਖ ਇਸ ਤੋਂ ਅਗਲੇ ਦਿਨ ਹੋਲਾ ਮਨਾਉਂਦੇ ਹਨ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਹੋਲਾ – ਮਹੱਲਾ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹੈ।

ਰੰਗ ਸੁੱਟਣ ਦੀ ਖੇਡ – ਹੋਲੀ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਮੈਂ ਅਜੇ ਸਵੇਰੇ ਉੱਠ ਕੇ ਨਹਾ ਧੋ ਕੇ ਕੱਪੜੇ ਪਾਏ ਹੀ ਸਨ ਕਿ ਸਿਰ ਤੋਂ ਪੈਰਾਂ ਤਕ ਰੰਗ ਨਾਲ ਭਰੇ ਹੋਏ ਮੇਰੇ ਕੁੱਝ ਮਿੱਤਰ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਭੈਣਾਂ ਰੰਗਾਂ ਦੇ ਲਿਫ਼ਾਫੇ ਚੁੱਕੀ ਆ ਪੁੱਜੇ। ਹੁਣ ਕੋਈ ਮੇਰੇ ਮੂੰਹ ਉੱਤੇ ਰੰਗ ਸੁੱਟ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਕੋਈ ਮੇਰੇ ਸਿਰ ਉੱਤੇ ਤੇ ਕੋਈ ਮੇਰੇ ਕੱਪੜਿਆਂ ਉੱਤੇ ! ਜਦੋਂ ਉਹ ਮੇਰੇ ਉੱਪਰ ਰੰਗ ਸੁੱਟ ਤੇ ਮਲ ਰਹੇ ਸਨ, ਤਾਂ ਸਾਡੇ ਘਰ ਦੇ ਬਾਕੀ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਹੱਥਾਂ ਵਿਚ ਰੰਗਾਂ ਦੇ ਲਿਫ਼ਾਫੇ ਫੜ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਰੰਗਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ।

ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਮੈਂ ਵੀ ਆਪਣੇ ਹੱਥਾਂ ਵਿਚ ਰੰਗ ਦਾ ਲਿਫ਼ਾਫਾ ਫੜ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਉੱਪਰ ਰੰਗ ਧੂੜਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਇਸ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਮਿਲ ਕੇ ਦੂਜੀ ਗਲੀ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦੇ ਇਕ ਹੋਰ ਮਿੱਤਰ ਵਲ ਤੁਰੇ, ਪਰ ਉਹ ਸਾਨੂੰ ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਹੀ ਕੁੱਝ ਹੋਰ ਮਿੱਤਰਾਂ ਨਾਲ ਹੋਲੀ ਖੇਡਦਾ ਮਿਲ ਪਿਆ। ਸਾਡੇ ਦੋਹਾਂ ਗਰੁੱਪਾਂ ਨੇ ਇਕ – ਦੂਜੇ ਉੱਪਰ ਰੰਗ ਸੁੱਟ – ਸੁੱਟ ਕੇ ਖੂਬ ਦਿਲ ਦੀਆਂ ਲਾਹੀਆਂ ਇਸ ਸਮੇਂ ਮੇਰੇ ਉੱਪਰ ਇਕ ਰੁੱਸੇ ਹੋਏ ਮਿੱਤਰ ਨੇ ਰੰਗ ਸੁੱਟਿਆ ਤੇ ਮੈਂ ਉਸ ਉੱਪਰ ਰੰਗ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤਾ।

ਬੱਸ ਇੰਨੇ ਨਾਲ ਹੀ ਸਾਡੀ ਮੰਨ – ਮਨਉੜੀ ਹੋ ਗਈ ਸਾਡੇ ਇਕ ਸਾਥੀ ਨੇ ਇਕ ਚਿਟ ਕੱਪੜੀਏ ਸਕੂਟਰ ਸਵਾਰ ਉੱਪਰ ਰੰਗ ਸੁੱਟਿਆ, ਜਿਸ ਤੇ ਅਸੀਂ ਸਾਰਿਆਂ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਵਰਜਿਆ ਕਿ ਉਹ ਕਿਸੇ ਓਪਰੇ ਉੱਪਰ ਰੰਗ ਨਾ ਸੁੱਟੇ। ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਅਸੀਂ ਕੁੱਝ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਪਿਚਕਾਰੀਆਂ ਵਿਚ ਰੰਗਦਾਰ ਪਾਣੀ ਭਰ ਕੇ ਇਕ – ਦੂਜੇ ਉੱਪਰ ਸੁੱਟਦਿਆਂ ਦੇਖਿਆ ਅਸੀਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਵੀ ਹੋਲੀ ਦਾ ਆਨੰਦ ਮਾਣਿਆ। ਸਾਡਾ ਇਕ ਮਿੱਤਰ ਅਚਾਨਕ ਸਾਡੇ ਕਾਬ ਆ ਗਿਆ।

ਉਸ ਨੇ ਸਾਫ਼ ਤੇ ਸੰਦਰ ਕੱਪੜੇ ਪਾਏ ਹੋਏ ਸਨ, ਪਰ ਅਸੀਂ ਉਸ ਦਾ ਜ਼ਰਾ ਲਿਹਾਜ਼ ਨਾ ਕੀਤਾ, ਜਿਸ ‘ਤੇ ਉਹ ਗੁੱਸੇ ਵਿਚ ਆ ਗਿਆ, ਪਰ ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਉਸ ਨੂੰ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਹੋਲੀ ਤਾਂ ਸਾਡੇ ਵੱਡੇ – ਵੱਡੇ ਨੇਤਾ ਵੀ ਖੇਡਦੇ ਹਨ ਤੇ ਇਸ ਵਿਚ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ, ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਤੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਪ੍ਰਾਹੁਣੇ ਵੀ ਸ਼ਾਮਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਤਾਂ ਉਸ ਦਾ ਗੁੱਸਾ ਠੰਢਾ ਹੋ ਗਿਆ ਤੇ ਉਹ ਵੀ ਰੰਗ ਲੈ ਕੇ ਸਾਡੇ ਨਾਲ ਹੋਲੀ ਖੇਡਣ ਲੱਗ ਪਿਆ।

ਰਾਗ – ਰੰਗ – ਵਾਪਸ ਆ ਕੇ ਅਸੀਂ ਆਪਣੇ ਘਰ ਹੋਲਿਕਾ ਜਲਾਈ ਤੇ ਪ੍ਰਹਿਲਾਦ ਭਗਤ ਨੂੰ ਯਾਦ ਕਰ ਕੇ ਪ੍ਰਭੂ ਦੇ ਗੁਣ ਗਾਏ। ਰਾਤ ਨੂੰ ਅਸੀਂ ਇਕ ਸੰਗੀਤ ਸਮਾਰੋਹ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕੀਤਾ।

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ਸਾਰ – ਅੰਸ਼ – ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਹੋਲੀ ਇਕ ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਭਰਿਆ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ ਤੇ ਇਹ ਵੈਰ – ਵਿਰੋਧ ਮਿਟਾਉਣ ਤੇ ਮਿੱਤਰ ਭਾਵ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਵਿਚ ਕਾਫ਼ੀ ਸਹਾਇਕ ਹੈ।

39. ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਲੋਕ – ਗਾਇਕਾ – ਸੁਰਿੰਦਰ ਕੌਰ

(ਨੋਟ – ਦੇਖੋ ਪੰਜਾਬੀ ਪੁਸਤਕ – 7 ਵਾਲੇ ਭਾਗ ਵਿਚ ਪਾਠ 3 ਦਾ ਸਾਰ)

40. ਬਾਬਾ ਬੰਦਾ ਸਿੰਘ ਬਹਾਦਰ

(ਨੋਟ – ਦੇਖੋ ਪੰਜਾਬੀ ਪੁਸਤਕ – 7 ਵਾਲੇ ਭਾਗ ਵਿਚ ਪਾਠ 11 ਦਾ ਸਾਰ)

41. ਕਰਤਾਰ ਸਿੰਘ ਸਰਾਭਾ

(ਨੋਟ – ਦੇਖੋ ਪੰਜਾਬੀ ਪੁਸਤਕ – 7 ਵਾਲੇ ਭਾਗ ਵਿਚ ਪਾਠ 14 ਦਾ ਸਾਰ)

42. ਲਾਲਾ ਲਾਜਪਤ ਰਾਏ

(ਨੋਟ – ਦੇਖੋ ਪੰਜਾਬੀ ਪੁਸਤਕ – 7 ਵਾਲੇ ਭਾਗ ਵਿਚ ਪਾਠ 17 ਦਾ ਸਾਰ)

43. ਪੁਲਾੜ – ਯਾਤਰੀ – ਸੁਨੀਤਾ ਵਿਲੀਅਮਜ਼

(ਨੋਟ – ਦੇਖੋ ਪੰਜਾਬੀ ਪੁਸਤਕ – 7 ਵਾਲੇ ਭਾਗ ਵਿਚ ਪਾਠ 21 ਦਾ ਸਾਰ

44. ਵਿਰਾਸਤ – ਏ – ਖ਼ਾਲਸਾ

(ਨੋਟ – ਦੇਖੋ ਪੰਜਾਬੀ ਪੁਸਤਕ – 7 ਵਾਲੇ ਭਾਗ ਵਿਚ ਪਾਠ 22 ਦਾ ਸਾਰ)

45. ਮੈਂ ਇਸ ਸਾਲ ਕੀ ਕਰਾਂਗਾ

ਇਸ ਸਾਲ ਮੈਂ ਛੇਵੀਂ ਪਾਸ ਕਰ ਕੇ ਸੱਤਵੀਂ ਵਿਚ ਦਾਖ਼ਲ ਹੋਇਆ ਹਾਂ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਇਸ ਸਾਲ ਦਾ ਮੇਰੇ ਲਈ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕੰਮ ਪਹਿਲਾਂ ਵਾਂਗ ਹੀ ਚੰਗੇ ਨੰਬਰ ਲੈ ਕੇ ਸੱਤਵੀਂ ਪਾਸ ਕਰਨਾ ਹੈ। ਇਸ ਮੰਤਵ ਲਈ ਮੈਂ ਹੁਣ ਤੋਂ ਹੀ ਆਪਣੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਲ ਧਿਆਨ ਦੇਣ ਦਾ ਫ਼ੈਸਲਾ ਕੀਤਾ ਹੈ। ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਤਕ ਦੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਕਰਦਿਆਂ ਮੈਂ ਇਹੋ ਮਹਿਸੂਸ ਕੀਤਾ ਹੈ ਕਿ ਜਿੰਨੀ ਬਹੁਤੀ ਮਿਹਨਤ ਕਰੋ, ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਵਿਚ ਓਨੇ ਹੀ ਚੰਗੇ ਨੰਬਰ ਆਉਂਦੇ ਹਨ।

ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਇਸ ਗੱਲ ਨੂੰ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਮਹੱਤਵ ਦੇਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ਹੈ ਕਿ ਕਲਾਸ ਵਿਚ ਪੜ੍ਹਾ ਰਹੇ ਅਧਿਆਪਕ ਦੀ ਗੱਲ ਨੂੰ ਮਨ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇਕਾਗਰ ਕਰ ਕੇ ਸੁਣਿਆ ਜਾਵੇ। ਜੇਕਰ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕੀਤਾ ਜਾਵੇ, ਤਾਂ ਅਧਿਆਪਕ ਦੁਆਰਾ ਪੜ੍ਹਾਏ ਜਾ ਰਹੇ ਪਾਠ ਤੇ ਸਮਝਾਈਆਂ ਗਈਆਂ ਗੱਲਾਂ ਨਾਲੋ ਨਾਲ ਹੀ ਯਾਦ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ।

ਇਸ ਕਰਕੇ ਇਸ ਸਾਲ ਦੀ ਕਲਾਸ ਰੂਮ ਵਿਚਲੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਿਚ ਮੈਂ ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਦੀ ਗੱਲ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਨਾਲ ਸੁਣ ਕੇ ਸਮਝਣ ਤੇ ਮਨ ਵਿਚ ਵਸਾਉਣ ਦਾ ਯਤਨ ਕਰਾਂਗਾ, ਤਾਂ ਜੋ ਮੇਰੀ ਪੜਾਈ ਨਾਲੋ ਨਾਲ ਹੁੰਦੀ ਰਹੇ ਤੇ ਮੈਂ ਕਿਸੇ ਗੱਲ ਵਿਚ ਪਛੜਾਂ ਨਾ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਮੈਂ ਆਪਣੀ ਦੋਸਤੀ ਵੀ ਚੰਗੇ ਤੇ ਹੁਸ਼ਿਆਰ ਮੁੰਡਿਆਂ ਨਾਲ ਰੱਖਾਂਗਾ, ਤਾਂ ਜੋ ਮੇਰੇ ਚਰਿੱਤਰ ਵਿਚ ਕਿਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀ ਗਿਰਾਵਟ ਤੇ ਭਟਕਣ ਨਾ ਆਵੇ ਤੇ ਮੇਰਾ ਦਿਮਾਗੀ ਵਿਕਾਸ ਲਗਾਤਾਰ ਹੁੰਦਾ ਰਹੇ।

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ਆਪਣੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਿਚ ਪੂਰੀ ਮੁਹਾਰਤ ਹਾਸਲ ਕਰਨ ਲਈ ਮੈਂ ਟੈਲੀਵਿਯਨ ਦੇ ਫ਼ਜ਼ੂਲ ਕਿਸਮ ਦੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਦੇਖਣ ਤੇ ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਦੀ ਦੁਰਵਰਤੋਂ ਕਰਨ ਤੋਂ ਵੀ ਬਚੇ ਰਹਿਣ ਦਾ ਯਤਨ ਕਰਾਂਗਾ, ਪਰ ਮੈਂ ਆਪਣੀ ਸਿਹਤ ਦਾ ਪੂਰਾ – ਪੂਰਾ ਧਿਆਨ ਰੱਖਾਂਗਾ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਅਰੋਗ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਹੀ ਅਰੋਗ ਮਨ ਵਸਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਲਈ ਮੈਂ ਸਰੀਰਕ ਕਸਰਤ ਤੇ ਯੋਗ ਆਸਣ ਅਪਣਾਉਣ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਆਪਣੀ ਮਨ – ਪਸੰਦ ਕਬੱਡੀ ਖੇਡ ਵੀ ਖੇਡਦਾ ਰਹਾਂਗਾ ਕਬੱਡੀ ਇਕ ਸੰਪੂਰਨ ਖੇਡ ਹੈ।

ਇਸ ਵਿਚ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਖੇਡਾਂ ਦੇ ਗੁਣ ਇਕੋ ਥਾਂ ਸਮੋਏ ਮਿਲਦੇ ਹਨ ਇਸ ਵਿਚ ਸਰੀਰਕ ਤਕੜਾਈ ਦਾ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨ, ਦੌੜਾਂ, ਦਮ, ਛਾਲਾਂ, ਕੁਸ਼ਤੀ, ਵੀਣੀ ਫੜਨਾ, ਘੋਲ – ਘੁਮਾਣੇ, ਝਕਾਨੀਆਂ ਤੇ ਦਾਓ – ਪੇਚ ਸਭ ਕੁੱਝ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹੈ। ਕਬੱਡੀ ਖੇਡਣ ਵਾਲੇ ਨੂੰ ਹੋਰ ਕੋਈ ਖੇਡ ਖੇਡਣ ਦੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਰਹੀ ਰਹਿੰਦੀ। ਇਸ ਨਾਲ ਸਰੀਰ ਦਾ ਸੰਪੂਰਨ ਵਿਕਾਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਦਿਮਾਗ਼ ਤੇਜ਼ ਤੇ ਫੁਰਤੀਲਾ ਬਣਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਸਾਲ ਮੈਂ ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਵਾਂਗ ਹੀ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਕਬੱਡੀ ਵਿਚ ਆਪਣਾ ਮੁਹਰਲਾ ਸਥਾਨ ਬਣਾਈ ਰੱਖਾਂਗਾ ਤੇ ਹੋਰਨਾਂ ਥਾਂਵਾਂ ਤੇ ਹੋਏ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਵਿਚ ਆਪਣੇ ਇਕ ਵਧੀਆ ਖਿਡਾਰੀ ਹੋਣ ਦੇ ਪ੍ਰਮਾਣ ਦਿੰਦਾ ਰਹਾਂਗਾ।

ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਮੈਂ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦੀ ਸੰਭਾਲ ਤੇ ਸਫ਼ਾਈ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਪਾਉਣ ਲਈ ਆਪਣੇ ਘਰ, ਸਕੂਲ ਤੇ ਗਲੀ – ਮੁਹੱਲੇ ਵਿਚ ਸਫ਼ਾਈ ਦੀ ਰੁਚੀ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਲਈ ਵਧ – ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਹਿੱਸਾ ਪਾਵਾਂਗਾ। ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਜਨਮ ਦਿਨ 10 ਅਕਤੂਬਰ ਦੇ ਦਿਨ ਘੱਟੋ – ਘੱਟ ਇਕ ਰੁੱਖ ਜ਼ਰੂਰ ਲਾਵਾਂਗਾ ਤੇ ਫਿਰ ਉਸਦੀ ਪਾਲਣਾ ਵਲ ਵੀ ਧਿਆਨ ਦੇਵਾਂਗਾ।

ਇਸ ਸਾਲ ਵਿਚ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਮਾਤਾ – ਪਿਤਾ ਤੇ ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਦਾ ਆਦਰ – ਸਤਿਕਾਰ ਕਰਨ ਵਾਲੇ, ਹੱਥੀਂ ਕੰਮ ਤੋਂ ਜੀ ਨਾ ਚਰਾਉਣ ਵਾਲੇ, ਖ਼ਦਗਰਜ਼ੀ ਤੋਂ ਦੂਰ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ, ਲੋੜਵੰਦਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਤੇ ਨੈਤਿਕ ਦੇ ਧਾਰਨੀ ਲੜਕੇ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਪੇਸ਼ ਕਰਦਿਆਂ ਇਕ ਆਦਰਸ਼ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਨੌਜਵਾਨ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਉੱਭਰ ਕੇ ਸਾਹਮਣੇ ਆਵਾਂਗਾ ਬੱਸ ਇਹੋ ਹੀ ਮੇਰਾ ਟੀਚਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਜੋ ਮੈਂ ਵੱਡਾ ਹੋ ਕੇ ਇਕ ਨੇਕ ਇਨਸਾਨ ਬਣ ਸਕਾਂ।

46. ਸਾਡੇ ਪਿੰਡ

ਭਾਰਤ ਪਿੰਡਾਂ ਦਾ ਦੇਸ਼ ਹੈ। ਇਸਦੀ ਬਹੁਤੀ ਅਬਾਦੀ ਪਿੰਡਾਂ ਵਿਚ ਵਸਦੀ ਹੈ। ਅੱਜ ਤੋਂ ਪੰਜਾਹ ਕੁ ਸਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਸਾਡੇ ਪਿੰਡ ਬਹੁਤ ਪਛੜੇ ਹੋਏ ਸਨ। ਨਾ ਉੱਥੇ ਪੱਕੀਆਂ ਸੜਕਾਂ ਸਨ, ਨਾ ਆਵਾਜਾਈ ਦੇ ਮਸ਼ੀਨੀ ਸਾਧਨ ਤੇ ਨਾ ਹੀ ਬਿਜਲੀ। ਪਰੰਤੂ ਸਾਡੇ ਵਰਤਮਾਨ ਪਿੰਡ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਤੋਂ ਕਿਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵੀ ਘੱਟ ਨਹੀਂ, ਸਗੋਂ ਖੁੱਲ੍ਹੀ ਤੇ ਤਾਜ਼ੀ ਹਵਾ ਅਤੇ ਸ਼ੁੱਧ ਦੁੱਧ, ਦਹੀਂ ਤੇ ਅੰਨ ਵਿਚ ਉਹ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਤੋਂ ਅੱਗੇ ਹਨ। ਅੱਜ ਪਿੰਡਾਂ ਵਿਚ ਸੜਕਾਂ ਦਾ ਜਾਲ ਵਿਛ ਚੁੱਕਾ ਹੈ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਉੱਤੇ ਆਵਾਜਾਈ ਦੇ ਹਰ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਸਾਧਨ ਦੌੜਦੇ ਫਿਰਦੇ ਹਨ ਅੱਜ ਕਾਰਾਂ, ਬੱਸਾਂ, ਸਕੂਟਰ, ਮੋਟਰ ਸਾਈਕਲ ਆਮ ਲੋਕਾਂ ਕੋਲ ਹਨ।

ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਟੈਲੀਫੋਨ ਹਨ ਤੇ ਹੱਥਾਂ ਵਿਚ ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਡਾਕਟਰੀ ਸਹਾਇਤਾ ਵੀ ਹਰ ਪਿੰਡ ਦੇ ਨੇੜੇ ਹੀ ਮਿਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਅੱਜ ਸਾਡੇ ਪਿੰਡ ਵਿੱਦਿਅਕ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਨਾਲ ਭਰਪੂਰ ਹਨ। ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਪ੍ਰਾਇਮਰੀ ਸਕੂਲ, ਮਿਡਲ ਸਕੂਲ, ਹਾਈ ਸਕੂਲ, ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ, ਪਬਲਿਕ ਸਕੂਲ, ਕਾਲਜ ਤੇ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਕਿੱਤਿਆਂ ਵਿਚ ਸਿਖਲਾਈ ਦੇਣ ਵਾਲੀਆਂ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਮੌਜੂਦ ਹਨ, ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਪਿੰਡਾਂ ਵਿਚ ਅਨਪੜ੍ਹਤਾ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਖ਼ਤਮ ਹੋ ਰਹੀ ਹੈ ਤੇ ਪੜ੍ਹੇ – ਲਿਖੇ ਮੁੰਡੇ ਤੇ ਕੁੜੀਆਂ ਅੱਗੇ ਵੱਧ ਕੇ ਕੌਮਾਂਤਰੀ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਮਾਰਾਂ ਮਾਰਦੇ ਹੋਏ ਉੱਚੇ ਆਹੁਦੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦੇ ਨਾਲ ਵੱਡੇ – ਵੱਡੇ ਕਾਰੋਬਾਰ ਵੀ ਚਲਾਉਣ ਲੱਗੇ ਹਨ।

ਪਿੰਡਾਂ ਵਿਚ ਸਰਕਾਰ ਵਲੋਂ ਥਾਂ – ਥਾਂ ਸਿਹਤ ਸਹੂਲਤਾਂ ਦੇਣ ਵਾਲੀਆਂ ਡਿਸਪੈਂਸਰੀਆਂ ਖੋਲ੍ਹ ਦਿੱਤੀਆਂ ਹਨ ਥਾਂ – ਥਾਂ ਸਿਖਲਾਈ ਪ੍ਰਾਪਤ ਡਾਕਟਰ ਆਪਣੇ ਨਿੱਜੀ ਕਲੀਨਿਕ ਖੋਲ੍ਹ ਕੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਡਾਕਟਰੀ ਸਹੂਲਤਾਂ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ। ਇਸ ਨਾਲ ਪਿੰਡਾਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਰੋਗਾਂ ਦਾ ਖ਼ਾਤਮਾ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ਤੇ ਲੋਕ ਤੇ ਬੱਚੇ ਅਣਆਈ ਮੌਤ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਪੈਣ ਤੋਂ ਬਚ ਗਏ ਹਨ ਅਜੋਕੇ ਪਿੰਡਾਂ ਵਿਚ ਪਹਿਲਾਂ ਨਾਲੋਂ ਸਫ਼ਾਈ ਵੀ ਵਧੇਰੇ ਹੈ। ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਆਪਣੇ ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਫਲੱਸ਼ਾਂ ਬਣਵਾ ਲਈਆਂ ਹਨ ਤੇ ਘਰਾਂ ਦਾ ਪਾਣੀ ਅੰਡਰ – ਗਰਾਊਂਡ ਨਾਲੀਆਂ ਵਿਚ ਜਾਣ ਲੱਗਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਮੱਖੀਆਂ, ਮੱਛਰ ਵੀ ਘੱਟ ਹੋ ਗਏ ਹਨ। ਪਿੰਡਾਂ ਵਿਚ ਜਿੱਥੇ ਗੰਦੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਨਿਕਾਸ ਦੇ ਪ੍ਰਬੰਧ ਠੀਕ ਹੋ ਗਏ ਹਨ, ਉੱਥੇ ਪੀਣ ਲਈ ਵੀ ਸੁਥਰਾ ਪਾਣੀ ਦੇਣ ਦੇ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕੀਤੇ ਗਏ ਹਨ।

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ਪਿੰਡਾਂ ਵਿਚ ਪੰਚਾਇਤਾਂ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਨਾਲ ਕੰਮ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ। ਉਹ ਪਿੰਡਾਂ ਵਿਚ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਛੋਟੇ – ਮੋਟੇ ਝਗੜਿਆਂ ਨੂੰ ਵੀ ਨਿਬੇੜਦੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਪ੍ਰੇਮ – ਪਿਆਰ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਦੇ ਨਾਲ ਗਲੀਆਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਦੇ ਪ੍ਰਬੰਧ ਤੇ ਰੌਸ਼ਨੀ ਦੇ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨੂੰ ਠੀਕ ਰੱਖਣ ਦਾ ਕੰਮ ਵੀ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ। ਕਈ ਪਿੰਡਾਂ ਵਿਚ ਉਦਯੋਗਿਕ ਇਕਾਈਆਂ ਵੀ ਕਾਇਮ ਹੋਈਆਂ ਹਨ, ਜੋ ਬੇਰੁਜ਼ਗਾਰ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਦੇ ਮੌਕੇ ਪੈਦਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲੀ ਤੇ ਵਿਕਾਸ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਹੁੰਦਾ ਪਿੰਡਾਂ ਦੀਆਂ ਔਰਤਾਂ ਹੁਣ ਅਨਪੜ੍ਹ ਨਹੀਂ ਤੇ ਨਾ ਹੀ ਸਿਰਫ਼ ਘਰਾਂ ਦੇ ਕੰਮ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ।ਉਹ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਨਿਗਾਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਕੇ ਤੇ ਨੌਕਰੀਆਂ ਉੱਤੇ ਲੱਗ ਕੇ ਆਪਣੇ ਪੈਰਾਂ ਉੱਤੇ ਖੜ੍ਹੀਆਂ ਹੋ ਰਹੀਆਂ ਹਨ।

ਪਿੰਡਾਂ ਦਾ ਜੀਵਨ ਸਰਲ ਤੇ ਰੰਗੀਨੀਆਂ ਭਰਪੂਰ ਹੈ। ਇੱਥੇ ਵਸਣ ਵਾਲਾ ਕੁਦਰਤ ਦੀ ਗੋਦੀ ਦਾ ਨਿੱਘ ਮਾਣਦਾ ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਨਾਲੋਂ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਘੱਟ ਹੈ। ਪਿੰਡਾਂ ਵਿਚ ਹੋ ਰਹੀ ਬਹੁਪੱਖੀ ਤਰੱਕੀ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਜਾਪਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਸਮਾਂ ਨੇੜੇ ਹੀ ਹੈ, ਜਦੋਂ ਪਿੰਡਾਂ ਤੇ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਦੇ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਬਹੁਤਾ ਫ਼ਰਕ ਨਹੀਂ ਰਹਿ ਜਾਵੇਗਾ।

47. ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਦੀ ਲੋਕ – ਪ੍ਰਿਅਤਾ

ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਵਰਤਮਾਨ ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਸੂਚਨਾ – ਸੰਚਾਰ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਹਰਮਨ – ਪਿਆਰਾ ਸਾਧਨ ਬਣ ਗਿਆ ਹੈ। ਅੱਜ ਦੁਨੀਆ ਦੀ ਸਾਢੇ 7 ਅਰਬ ਅਬਾਦੀ ਵਿਚੋਂ ਸਾਢੇ 6 ਅਰਬ ਲੋਕ ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ। ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਇਸ ਸਮੇਂ ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਇਕ ਅਰਬ ਤੋਂ ਉੱਪਰ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਦਿਨੋ – ਦਿਨ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਵਧ ਰਹੀ ਹੈ।

ਆਓ ਜ਼ਰਾ ਦੇਖੀਏ ਇਸ ਦੇ ਲਾਭ ਕੀ ਹਨ ?

ਉੱਪਰ ਦੱਸੇ ਅਨੁਸਾਰ ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਤਟਫਟ ਸੂਚਨਾ – ਸੰਚਾਰ ਦਾ ਸਾਧਨ ਹੋਣਾ ਹੈ ਤੁਸੀਂ ਭਾਵੇਂ ਕਿੱਤੇ ਵੀ ਅਤੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਹਾਲਤ ਵਿਚ ਹੋਵੋ, ਇਹ ਨਾ ਕੇਵਲ ਤੁਹਾਡੀ ਗੱਲ ਜਾਂ ਸੰਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਮਿੰਟਾਂ – ਸਕਿੰਟਾਂ ਵਿਚ ਦੁਨੀਆ ਦੇ ਕਿਸੇ ਥਾਂ ਵੀ ਕਿਸੇ ਵੀ ਹਾਲਤ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਤੁਹਾਡੇ ਮਿੱਤਰ – ਪਿਆਰੇ, ਸਨੇਹੀ – ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰ ਜਾਂ ਵਪਾਰਕ ਸੰਬੰਧੀ ਤਕ ਪੁਚਾ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਸਗੋਂ ਉਸ ਦਾ ਉੱਤਰ ਵੀ ਨਾਲੋ – ਨਾਲ ਤੁਹਾਡੇ ਤਕ ਪੁਚਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ।

ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਦਾ ਦੂਜਾ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਸੂਚਨਾ – ਸੰਚਾਰ ਵਿਚ ਤੇਜ਼ੀ ਆਉਣ ਦਾ ਹੀ ਸਿੱਟਾ ਹੈ। ਇਸ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਜਿੱਥੇ ਸਾਡੇ ਪਰਿਵਾਰਿਕ, ਸਮਾਜਿਕ, ਆਰਥਿਕ ਤੇ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਸਾਡੀ ਕਿਰਿਆਤਮਕਤਾ ਨੂੰ ਹੁਲਾਰਾ ਮਿਲਦਾ ਹੈ, ਉੱਥੇ ਨਾਲ ਹੀ ਵਪਾਰਕ ਤੇ ਆਰਥਿਕ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਉਤਪਾਦਨ, ਖ਼ਰੀਦ – ਫਰੋਖਤ, ਮੰਗ – ਪੂਰਤੀ, ਦੇਣ – ਲੈਣ, ਭੁਗਤਾਨ ਅਤੇ ਕਾਨੂੰਨ – ਵਿਵਸਥਾ ਦੇ ਸੁਧਾਰ ਵਿਚ ਗਤੀ ਆਉਣ ਨਾਲ ਵਿਕਾਸ ਦੀ ਦਰ ਤੇਜ਼ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲੀ ਵਧਦੀ ਹੈ ਤੇ ਜੀਵਨ – ਪੱਧਰ ਉੱਚਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਦਾ ਤੀਜਾ ਲਾਭ ਇਸ ਦਾ ਦਿਲ – ਪਰਚਾਵੇ ਦਾ ਸਾਧਨ ਹੋਣਾ ਹੈ। ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਜੇਬ ਵਿਚ ਹੁੰਦਿਆਂ ਸਾਨੂੰ ਇਕੱਲ ਦਾ ਬਹੁਤਾ ਅਹਿਸਾਸ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ। ਇਸ ਨਾਲ ਜਿੱਥੇ ਅਸੀਂ ਆਪਣੀ ਇਕੱਲ ਨੂੰ ਤੋੜਨ ਲਈ ਕਿਸੇ ਵੀ ਮਨ – ਭਾਉਂਦੇ ਵਿਅਕਤੀ ਨਾਲ ਗੱਲਾਂ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਾਂ, ਉੱਥੇ ਅਸੀਂ ਇੰਟਰਨੈੱਟ, ਈ. ਮੇਲ, ਫੇਸਬੁੱਕ, ਟਵਿੱਟਰ ਤੇ ਵੱਟਸੈਪ ਮੋਬਾਈਲ, ਐੱਮ. ਪੀ. 3, ਰੇਡੀਓ, ਟੈਲੀਵਿਯਨ, ਕੈਮਰੇ ਤੇ ਵੀ. ਡੀ. ਓ. ਗੋਮਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰ ਕੇ ਆਪਣਾ ਦਿਲ – ਪਰਚਾਵਾ ਕਰਨ ਦੇ ਨਾਲ ਆਪਣੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਤੇ ਗਿਆਨ ਵਿਚ ਵੀ ਵਾਧਾ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਾਂ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਦਾ ਅਗਲਾ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਵਪਾਰਕ ਅਦਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਹੈ। ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਉਤਪਾਦਕ ਕੰਪਨੀਆਂ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਨਵੇਂ – ਨਵੇਂ ਦਿਲ – ਖਿੱਚਵੇਂ ਮਾਡਲਾਂ ਨੂੰ ਮਾਰਕਿਟ ਵਿਚ ਪਰੋਸ ਕੇ ਤੇ ਇਸ ਸੰਚਾਰ ਸਾਧਨ ਦੀ ਸੇਵਾ ਮੁਹੱਈਆ ਕਰਾਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਕੰਪਨੀਆਂ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਸਕੀਮਾਂ ਤੇ ਪੈਕਿਜਾਂ ਨਾਲ ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨਾਂ ਨੂੰ ਆਮ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਖ਼ਰੀਦ – ਸ਼ਕਤੀ ਦੇ ਅਨੁਕੂਲ ਬਣਾਉਂਦੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਖ਼ਪਤਕਾਰਾਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ ਵਧਾ ਕੇ ਅਰਬਾਂ ਰੁਪਏ ਕਮਾ ਰਹੀਆਂ ਹਨ।

ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਦਾ ਲਾਭ ਜੁਰਮਾਂ ਦੀ ਪੜਤਾਲ ਕਰਨ ਵਿਚ ਪੁਲਿਸ ਤੇ ਹੋਰਨਾਂ ਗੁਪਤਚਰ ਏਜੰਸੀਆਂ ਨੂੰ ਵੀ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਫਲਸਰੂਪ ਉਹ ਇਸ ਵਿਚ ਮੌਜੂਦ ਕਾਲਾਂ ਦੇ ਰਿਕਾਰਡ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਮੁਜਰਮਾਂ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਾਥੀਆਂ ਦੇ ਲੁਕਵੇਂ ਥਾਂ – ਟਿਕਾਣੇ ਲੱਭ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰਨ ਦੇ ਸਮਰੱਥ ਹੋਈਆਂ ਹਨ ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਉੱਤੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਐੱਸ. ਐੱਮ. ਐੱਸ. ਦੀ ਸਹੂਲਤ, ਜਿੱਥੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਇਕ – ਦੂਜੇ ਨਾਲ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦਾ ਸੰਚਾਰ ਕਰਨ ਅਤੇ ਆਪਸ ਵਿਚ ਲਤੀਫ਼ੇ ਤੇ ਦਿਲ – ਲਗੀਆਂ ਦੇ ਆਦਾਨ – ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰ ਕੇ ਮਨ ਨੂੰ ਤਣਾਓ – ਮੁਕਤ ਕਰਨ ਦਾ ਪਦਾਰਥ ਮੁਹੱਈਆ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਉੱਥੇ ਨਾਲ ਹੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਟੈਲੀਵਿਯਨ ਵਿਚ ਦਿਖਾਏ ਜਾ ਰਹੇ ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਵਿਚ ਸ਼ਮੂਲੀਅਤ ਕਰ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਅੰਦਰ ਮੁਕਾਬਲੇਬਾਜ਼ੀ ਦੀ ਭਾਵਨਾ, ਆਸ਼ਾਵਾਦ ਤੇ ਜਗਿਆਸਾ ਨੂੰ ਵੀ ਮਘਾਉਂਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿਚ ਰਸ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲੋਕਾਂ, ਖ਼ਾਸ ਕਰ ਕਲਾਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਪਦਾਰਥਕ ਲਾਭਾਂ ਦੇ ਨਾਲ – ਨਾਲ ਲੋਕ – ਮਕਬੂਲੀਅਤ ਵੀ ਹਾਸਲ ਹੁੰਦੀ ਹੈ।

ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਇਨ੍ਹਾਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲਾਭਾਂ ਦੇ ਨਾਲ ਅਜੋਕੇ ਸਮਾਜ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਨੁਕਸਾਨ ਵੀ ਪੁਚਾ ਰਿਹਾ ਹੈ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਲੇਖਾ – ਜੋਖਾ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਹੈ :

ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਨੁਕਸਾਨ ਇਸ ਦਾ ਸਮਾਜ – ਵਿਰੋਧੀ, ਗੁੰਡਾ ਅਨਸਰਾਂ ਤੇ ਕਪਟੀ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਹੱਥਾਂ ਵਿਚ ਹੋਣਾ ਹੈ। ਸੂਚਨਾ ਦਾ ਤੇਜ਼, ਨਿੱਜੀ, ਸਰਲ ਤੇ ਸੌਖਾ ਸਾਧਨ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਇਸ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਸਮਾਜ ਵਿਰੋਧੀ ਅਤੇ ਛਲ – ਕਪਟ, ਬਲੈਕ – ਮੇਲ ਤੇ ਧੋਖੇ ਭਰੇ ਕੰਮਾਂ ਨੂੰ ਨੇਪਰੇ ਚਾੜ੍ਹਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਅੱਜ – ਕਲ੍ਹ ਕੋਈ ਵੀ ਵੱਡਾ ਜੁਰਮ ਚੋਰੀ, ਡਾਕਾ, ਅਗਵਾਂ – ਕਾਂਡ ਜਾਂ ਅੱਤਵਾਦੀ ਕਾਰਵਾਈ ਇਸ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਸਿਰੇ ਨਹੀਂ ਚੜ੍ਹੀ ਹੁੰਦੀ।

ਇਸਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਨੌਜਵਾਨ ਮੁੰਡੇ – ਕੁੜੀਆਂ, ਖ਼ਾਸ ਕਰ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਅਤੇ ਵਿਹਲੜਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਦੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਨਹੀਂ ਪਰ ਇਸ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਵਰਤੋਂ ਸਕੂਲਾਂ – ਕਾਲਜਾਂ ਵਿਚ ਪੜ੍ਹਦੇ ਮੁੰਡੇ – ਕੁੜੀਆਂ ਹੀ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਰਾਹੀਂ ਬਾਲਗਾਂ ਤੇ ਨਾਬਾਲਗਾਂ ਵਿਚ ਅਸ਼ਲੀਲ ਸਮੱਗਰੀ ਦੇ ਆਦਾਨ – ਪ੍ਰਦਾਨੇ ਦਾ ਸਿਲਸਿਲਾ ਚਲਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਕਾਲਜਾਂ ਵਿਚ ਵੀ ਕੈਮਰੇ ਵਾਲੇ ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਅਤੇ ਐੱਮ. ਐੱਮ. ਐੱਸ. ਦੀ ਲਚਰਤਾ ਭਰੀ ਵਰਤੋਂ ਬਾਰੇ ਖ਼ਬਰਾਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਇੱਥੇ ਇਹ ਗੱਲ ਕਹਿਣੀ ਗ਼ਲਤ ਨਹੀਂ ਕਿ ਇਸ ਦੀ ਸਕੂਲ ਟਾਈਮ ਵਿਚ ਵਰਤੋਂ ਉੱਤੇ ਬਿਲਕੁਲ ਪਾਬੰਦੀ ਲੱਗਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ।

ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਦਾ ਅਗਲਾ ਵੱਡਾ ਨੁਕਸਾਨ ਸਿਹਤ ਸੰਬੰਧੀ ਹੈ। ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਦੇ ਹੈੱਡ – ਸੈਂਟ ਅਤੇ ਸਟੇਸ਼ਨ ਟਾਵਰ ਵਰਗੇ ਐਨਟੀਨਾ ਵਿਚੋਂ ਨਿਕਲਦੀ ਰੇਡੀਓ ਕਿਉਂ ਸੀ ਰੇਡੀਏਸ਼ਨ ਸੰਬੰਧੀ ਹੋਈ ਖੋਜ ਨੇ ਸਰੀਰ ਉੱਤੇ ਪੈਂਦੇ ਇਸ ਦੇ ਬੁਰੇ ਅਸਰਾਂ ਦਾ ਜ਼ਿਕਰ ਕੀਤਾ ਹੈ। ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਦਾ ਇਕ ਹੋਰ ਨੁਕਸਾਨ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਦੇ ਨਿੱਤ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋ ਰਹੇ ਨਵੇਂ ਮਾਡਲਾਂ ਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਉੱਪਰ ਹੋ ਰਹੇ ਖ਼ਰਚੇ ਦਾ ਬੇਸ਼ੱਕ ਉੱਪਰਲੇ ਤਬਕੇ ਉੱਪਰ ਕੋਈ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਪੈਂਦਾ, ਪਰੰਤੂ ਹੇਠਲੀ ਮੱਧ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਤੇ ਆਮ ਲੋਕਾਂ ਦੀਆਂ ਜੇਬਾਂ ਉੱਪਰ ਬਹੁਤ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪੈ ਰਿਹਾ ਹੈ।

ਜਿੱਥੇ ਹੈੱਡ – ਸੈੱਟ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲੀਆਂ ਕੰਪਨੀਆਂ ਨਵੇਂ – ਨਵੇਂ ਤੇ ਬਹੁਮੰਤਵੀ ਮਾਡਲਾਂ ਨਾਲ ਆਮ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਪੁਰਾਣੇ ਮਾਡਲ ਦੇ ਹੈੱਡ – ਸੈੱਟਾਂ ਦੀ ਥਾਂ ਨਵੇਂ ਮਾਡਲ ਖ਼ਰੀਦਣ ਲਈ ਉਕਸਾ ਰਹੀਆਂ ਹਨ, ਉੱਥੇ ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਸੰਚਾਰ ਪ੍ਰਦਾਨ ਕਰਨ ਵਾਲੀਆਂ ਕੰਪਨੀਆਂ ਨਵੀਆਂ – ਨਵੀਆਂ ਸਕੀਮਾਂ ਤੇ ਪੈਕਿਜਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਤਰ੍ਹਾਂ – ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਰਿੰਗ – ਟੋਨਾਂ ਬਣਾ ਕੇ, ਐੱਸ. ਐੱਮ. ਐੱਸ. ਤੇ ਐੱਮ. ਐੱਮ. ਐੱਸ. ਰਾਹੀਂ ਲੱਚਰ ਤੇ ਅਭੱਦਰ ਲਤੀਫ਼ੇ, ਤਸਵੀਰਾਂ, ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਛਲਾਊ ਮੁਕਾਬਲੇ ਪਰੋਸ ਕੇ ਤੇ ਖ਼ਪਤਕਾਰਾਂ ਤੋਂ ਕਰੋੜਾਂ ਰੁਪਏ ਬਟੋਰ ਰਹੀਆਂ ਹਨ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਦਾ ਇਕ ਹੋਰ ਵੱਡਾ ਨੁਕਸਾਨ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਜਦੋਂ ਸਭਾ, ਸੰਗਤ, ਕਲਾਸ, ਸਮਾਗਮ ਜਾਂ ਕਾਨਫਰੰਸ ਵਿਚ ਬੈਠੇ ਕਿਸੇ ਬੰਦੇ ਦੀ ਜੇਬ ਵਿਚ ਇਸ ਦੀ ਘੰਟੀ ਵੱਜਦੀ ਹੈ, ਤਾਂ ਸਭ ਦਾ ਧਿਆਨ ਉਚਾਟ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।
ਇਸ ਦਾ ਇਕ ਹੋਰ ਗੰਭੀਰ ਨੁਕਸਾਨ ਇਸ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਨ ਵਾਲਿਆਂ ਦੀ ਆਪਣੀ ਬੇਪਰਵਾਹੀ ਤੇ ਮੂਰਖਤਾ ਕਰਕੇ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਕਈ ਲੋਕ ਕਾਰ, ਕਟਰ, ਮੋਟਰ ਸਾਈਕਲ ਜਾਂ ਸਾਈਕਲ ਉੱਤੇ ਜਾਂਦਿਆਂ ਮੋਬਾਈ ਕੇ ਤੇ ਕੰਨ ਹੇਠ ਦਬਾ ਕੇ ਗੱਲਾਂ ਕਰਦੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਨਾਲ ਦੁਰਘਟਨਾਵਾਂ ਦਾ ਖ਼ਤਰਾ ਹਰ ਵੇਲੇ ਬਣਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ।

ਬੇਸ਼ੱਕ ਉੱਪਰ ਅਸੀਂ ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਦੇ ਫ਼ਾਇਦਿਆਂ ਨਾਲ ਇਸ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਨੁਕਸਾਨ ਵੀ ਗਿਣਾਏ ਹਨ ਪਰ ਇਸ ਵਿਚ ਕੋਈ ਸ਼ੱਕ ਨਹੀਂ ਕਿ ਇਹ ਦਿਨੋ – ਦਿਨ ਹਰਮਨ – ਪਿਆਰਾ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ ਤੇ ਲੋਕ ਇਸ ਦੇ ਖ਼ਤਰਿਆਂ ਦੀ ਪ੍ਰਵਾਹ ਨਾ ਕਰਦੇ ਹੋਏ ਇਸ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਲਈ ਤਤਪਰ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ।

48. ਵਾਤਾਵਰਨ ਦਿਵਸ

ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਸ਼ਟਰ ਵਾਤਾਵਰਨ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਦੀ ਸਰਪ੍ਰਸਤੀ ਹੇਠ ਹਰ ਸਾਲ ਪੰਜ ਜੂਨ ਦਾ ਦਿਨ ਵਿਸ਼ਵ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦਿਵਸ ਵਜੋਂ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਦਾ ਮੰਤਵ ਵਿਸ਼ਵ ਭਰ ਵਿਚ ਕੁਦਰਤ ਅਤੇ ਧਰਤੀ ਨੂੰ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਚੇਤਨਾ ਪੈਦਾ ਕਰਨਾ ਹੈ। ਇਹ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਸ਼ਟਰ ਵਲੋਂ ਧਰਤੀ ਉਤਲੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਉਪਰਾਲੇ ਕਰਨ ਸੰਬੰਧੀ ਜਾਗ੍ਰਿਤੀ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਦਿਵਸ ਹੈ। ਇਸਦਾ ਆਰੰਭ 1974 ਵਿਚ ਹੋਇਆ ਸੀ ਅਤੇ ਹੁਣ ਇਹ ਇਕ ਵਿਸ਼ਵਵਿਆਪੀ ਲਹਿਰ ਬਣ ਕੇ ਹਰ ਸਾਲ ਲਗਪਗ 100 ਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਮਨਾਇਆ ਜਾਣ ਲੱਗਾ ਹੈ !

ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਸ਼ਟਰ ਦੇ ਇਸ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਨੂੰ ਸਫਲ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਸੰਸਾਰ ਦੀਆਂ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹਸਤੀਆਂ ਅਤੇ ਮੀਡੀਆ ਇਸ ਦੇ ਪਰਚਾਰ ਲਈ ਵਧ – ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਹਿੱਸਾ ਪਾਉਂਦੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਲੋਂ ਸੰਸਾਰ ਭਰ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਬਚਾਉਣ ਦੇ ਕਾਰਜ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਪਾਉਣ ਲਈ ਉਤਸਾਹਿਤ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸੇ ਉਦੇਸ਼ ਦੀ ਪੂਰਤੀ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਪਾਉਂਦਿਆਂ ਸਾਡੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਨੇ 5 ਜੂਨ, 2015 ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਸਰਕਾਰੀ ਰਿਹਾਇਸ਼ ਵਿਖੇ ਰੁੱਖ ਲਾਏ ਸਨ ਤੇ ਸਮੁੱਚੇ ਦੇਸ਼ ਵਾਸੀਆਂ ਨੂੰ ਅਜਿਹਾ ਕਰਨ ਲਈ ਪ੍ਰੇਰਦਿਆਂ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਸੂਛ ਬਣਾਉਣ ਦਾ ਪੈਗਾਮ ਦਿੱਤਾ ਸੀ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ‘ਛ ਭਾਰਤ’ ਨਾਅਰੇ ਦਾ ਵੀ ਇਸ ਦਿਸ਼ਾ ਵਲ ਹੀ ਇਕ – ਕਦਮ ਹੈ।

ਅੱਜ ਸਮੁੱਚੇ ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਵਾਤਾਵਰਨ ਇੰਨਾ ਗੰਧਲਾ ਹੋ ਚੁੱਕਾ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖ ਸਮੇਤ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਸਮੁੱਚੇ ਜੀਵ – ਜਗਤ ਦੀ ਹੋਂਦ ਖ਼ਤਰੇ ਵਿਚ ਪੈ ਗਈ ਤੇ ਆਵਾਜਾਈ ਦੇ ਸਾਧਨਾਂ ‘ਤੇ ਥਰਮਲ ਪਲਾਂਟਾਂ ਵਿਚੋਂ ਨਿਕਰ ਪ੍ਰਮਾਣੂ ਧਮਾਕਿਆਂ ਨੇ ਹਵਾ ਨੂੰ ਜ਼ਹਿਰਾਂ ਨਾਲ ਭਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਮਨੁੱਖਾਂ ਤੇ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਸਾਹ ਲੈਣ ਲਈ ਸ਼ੁੱਧ ਆਕਸੀਜਨ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦੀ। ਰੁੱਖਾਂ ਦੀ ਕਟਾਈ ਕਰਨ ਨਾਲ ਜੰਗਲ ਘਟ ਰਹੇ ਹਨ। ਫਲਸਰੂਪ ਕਾਰਬਨ – ਡਾਇਆਕਸਾਈਡ ਨੂੰ ਆਕਸੀਜਨ ਵਿਚ ਬਦਲਣ ਵਾਲੇ ਕੁਦਰਤੀ ਸਾਧਨਾਂ ਦੇ ਘਟਣ ਨਾਲ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਕਾਰਬਨ – ਡਾਇਆਕਸਾਈਡ ਦੀ ਮਾਤਰਾ ਵਧ ਰਹੀ ਹੈ, ਜਿਸਦੇ ਸਿੱਟੇ ਵਜੋਂ ਧਰਤੀ ਦਾ ਤਾਪਮਾਨ ਵਧ ਰਿਹਾ ਹੈ।

ਗਲੇਸ਼ੀਅਰ ਪਿਘਲ ਰਹੇ ਹਨ ਤੇ ਸਮੁੰਦਰਾਂ ਦਾ ਪਾਣੀ ਵਧ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਸਮੁੰਦਰਾਂ ਦੇ ਕੰਢੇ ਵਸੇ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਲਈ ਖ਼ਤਰਾ ਪੈਦਾ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ। ਕਾਰਬਨ – ਡਾਇਆਕਸਾਈਡ ਬੱਦਲਾਂ ਵਿਚ ਮਿਲ ਕੇ ਤੇਜ਼ਾਬੀ ਵਰਖਾ ਦਾ ਕਾਰਨ ਬਣ ਰਹੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਨਾ ਕੇਵਲ ਧਰਤੀ ਦੀ ਬਨਸਪਤੀ ਤੇ ਜੀਵ ਹੀ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਰਹੇ ਹਨ, ਸਗੋਂ ਪਾਣੀ ਦੇ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵੀ ਖ਼ਤਰੇ ਵਿਚ ਪੈ ਗਈ ਹੈ। ਸੀਵਰੇਜ ਤੇ ਕਾਰਖ਼ਾਨਿਆਂ ਦੇ ਪਾਣੀ ਦਰਿਆਵਾਂ ਤੇ ਸਮੁੰਦਰਾਂ ਵਿਚ ਰੋੜ ਦੇਣ ਨਾਲ ਸਾਫ਼ ਪਾਣੀ ਦੇ ਸੋਮੇ ਖ਼ਤਮ ਹੋ ਰਹੇ ਹਨ।

PSEB 7th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਗੈਸਾਂ ਨੇ ਧਰਤੀ ਦੇ ਜੀਵਾਂ ਨੂੰ ਸੂਰਜ ਦੀਆਂ ਪਰਾਬੈਂਗਣੀ ਕਿਰਨਾਂ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਵਾਲੀ ਓਜ਼ੋਨ ਗੈਸ ਦੀ ਪਰਤ ਨੂੰ ਨਸ਼ਟ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਖਿਲਰੇ ਕੂੜੇ, ਕੀੜੇਮਾਰ ਦਵਾਈਆਂ ਤੇ ਰਸਾਇਣਿਕ ਖਾਦਾਂ ਨੇ ਖੇਤਾਂ ਦੀ ਮਿੱਟੀ, ਧਰਤੀ ਹੇਠਲੇ ਪਾਣੀ ਤੇ ਧਰਤੀ ਉੱਪਰ ਉਪਜਣ ਵਾਲੀਆਂ ਫ਼ਸਲਾਂ, ਫਲਾਂ, ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਤੇ ਅੰਨ ਨੂੰ ਜ਼ਹਿਰੀਲੇ ਬਣਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ। ਸ਼ੋਰ ਪ੍ਰਦੂਸ਼ਣ ਤੇ ਬਿਜਲ – ਚੁੰਬਕੀ ਕਿਰਨਾਂ ਦੇ ਵਿਕੀਰਨੇ ਨੇ ਸਾਡੀ ਧਰਤੀ ਤੇ ਆਲੇ – ਦੁਆਲੇ ਦੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਮਨੁੱਖ ਤੇ ਜੀਵਾਂ ਦੇ ਰਹਿਣ – ਯੋਗ ਛੱਡਿਆ ਹੀ ਨਹੀਂ। ਫਲਸਰੂਪ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਪਸ਼ੂ – ਪੰਛੀ ਤੇ ਰੁੱਖ – ਬੂਟੇ ਅਲੋਪ ਹੋ ਗਏ ਹਨ। ਨਵੀਆਂ – ਨਵੀਆਂ ਭਿਆਨਕ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਪੈਦਾ ਹੋ ਰਹੀਆਂ ਹਨ ਮੌਸਮ ਵਿਗੜ ਰਹੇ ਹਨ ਜੇਕਰ ਇਹ ਵਿਗਾੜ ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਵਧਦਾ ਗਿਆ, ਤਾਂ ਇਕ ਦਿਨ ਧਰਤੀ ਉੱਤੋਂ ਮਨੁੱਖਾਂ ਸਮੇਤ ਸਾਰੇ ਜੀਵ – ਜਗਤ ਦਾ ਨਾਸ਼ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ।

ਇਸੇ ਸਥਿਤੀ ਨੂੰ ਭਾਂਪਦਿਆਂ ਹੀ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਸ਼ਟਰ ਸੰਘ ਨੇ ਇਸ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਰੋਕਣ ਦੇ ਉਪਰਾਲੇ ਆਰੰਭੇ ਹਨ ਤੇ ਵਿਸ਼ਵ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦਿਵਸ ਨੂੰ ਮਨਾਉਣਾ ਉਸਦਾ ਇਸ ਦਿਸ਼ਾ ਵਲ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਦਮ ਹੈ। ਇਹ ਦਿਵਸ ਸਾਨੂੰ ਹਰ ਸਾਲ ਯਾਦ ਕਰਾਉਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਸਾਨੂੰ ਆਪਣੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਵਿਗੜਨ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਤੇ ਇਸਨੂੰ ਪਲੀਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਕਾਰਕਾਂ ਨੂੰ ਘਟਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਲਈ ਸਾਨੂੰ ਰੁੱਖ ਕੱਟਣੇ ਨਹੀਂ ਚਾਹੀਦੇ, ਸਗੋਂ ਲਾਉਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ : ਧੂੰਆਂ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਵਾਹਨਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਘੱਟ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਤੇ ਆਰਗੈਨਿਕ ਖੇਤੀ ਨੂੰ ਉਤਸ਼ਾਹਿਤ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। ਸਾਨੂੰ ਸ਼ੋਰ ਘਟਾਉਣ ਤੇ ਕੁੜੇ ਦੀ ਸਾਂਭ – ਸੰਭਾਲ ਕਰਨ ਵਲ ਵੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਧਿਆਨ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਹੀ ਵਿਸ਼ਵ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦਿਵਸ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਪੂਰਾ ਹੋ ਸਕੇਗਾ।