PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 17 अन्याय के विरोध में

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 17 अन्याय के विरोध में Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 17 अन्याय के विरोध में (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB अन्याय के विरोध में Textbook Questions and Answers

अन्याय के विरोध में अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिन्दी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

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उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

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2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

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उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) जूलिया कौन थी? लेखक ने उसे अपने कमरे में क्यों बुलाया?
उत्तर :
जूलिया लेखक के बच्चों की गवर्नेस थी। लेखक ने उसे अपने कमरे में उसकी तनख्वाह का हिसाब करने के लिए बुलाया।

(ख) लेखक ने जूलिया को किस काम के लिए रखा था?
उत्तर :
लेखक ने जूलिया को अपने बच्चों की देखभाल करने के लिए रखा था।

(ग) जूलिया को लेखक ने कितने रूबल दिये?
उत्तर :
जूलिया को लेखक ने ग्यारह रूबल दिए।

(घ) तनख्वाह प्राप्त करने पर जूलिया ने लेखक का धन्यवाद क्यों किया?
उत्तर :
तनख्वाह प्राप्त करने पर जूलिया ने लेखक को धन्यवाद इसलिए दिया क्योंकि वह पहला मालिक था जिसने उसे तनख्वाह के रूप में पैसे दिए थे। अन्य किसी ने उसे कोई पैसा नहीं दिया था।

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4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) लेखक जूलिया को क्या सबक सिखाना चाहता था ?
उत्तर :
जूलिया बहुत ही सीधी और दब्बू लड़की थी। लेखक उसे दुनियादारी और अन्याय के विरोध में स्वर उठाने की बात सिखाना चाहता था ताकि वह इस निर्मम, कठोर तथा हृदयहीन संसार का डटकर सामना कर सके। अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों एवं अन्याय का विरोध कर सके। वह उसे बताना चाहता था कि इस संसार में दब्बू तथा बोदे लोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। इसलिए उसे अपने अधिकारों के प्रति सचेत रहना होगा।

(ख) जूलिया द्वारा ‘धन्यवाद’ कहे जाने पर लेखक गुस्से से क्यों उबल पड़ा ?
उत्तर :
जूलिया द्वारा ‘धन्यवाद’ कहने पर लेखक गुस्से से इसलिए उबल पड़ा क्योंकि वह आश्चर्य चकित रह गया था कि उसने जूलिया की लगभग सारी तनख्वाह काट ली, उसे खरी – खोटी भी सुनाई। इस पर भी उसने विरोध न करके उसका धन्यवाद ही किया तो यह अपने आप में एक आश्चर्य की बात थी, जिसके कारण लेखक गुस्से से उबल पड़ा।

(ग) इस कहानी के द्वारा लेखक ने क्या संदेश दिया है ?
उत्तर :
इस कहानी के द्वारा लेखक ने संदेश दिया है कि हमें भला कहलाए जाने के लिए इतना दब्ब, भीरू तथा बोदा नहीं बन जाना चाहिए कि हमारे साथ जो अन्याय हो रहा है हम उसका विरोध न करें ? बस चुपचाप सारी ज्यादतियां सहते जाएं। हमें अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए इस कठोर, निर्मम और हृदयहीन संसार से लड़ना होगा। अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठानी होगी। क्योंकि हमारे संसार में दब्बू तथा बोदे लोगों के लिए कोई स्थान नहीं है।

5. इन मुहावरों के अर्थ दे दिये हैं। अर्थ समझते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. चेहरा पीला पड़ना = मायूस हो जाना = ………………………..
  2. आँसू छलक आना = रोने को होना = ………………………..
  3. गुस्से से उबलना = बहुत अधिक क्रोध आना = ………………………..
  4. क्रोध पर ठंडे पानी के छींटे मारना = क्रोध को शांत करना = ………………………..
  5. दाँतों और पंजों के साथ लड़ना = पूरी ताकत और साधनों के साथ लड़ना = ………………………..

उत्तर :

  1. चेहरा पीला पड़ना = मायूस हो जाना।
    वाक्य = तनख्वाह काट लिए जाने की बात सुनकर जूलिया का चेहरा पीला पड़ गया।
  2. ऑसू छलक आना = रोने को होना।
    वाक्य = बहन की विदाई का समय आते ही भाई की आँखों में आँसू छलक आए।
  3. गुस्से से उबलना = बहुत अधिक क्रोध आना।
    वाक्य = रमेश के बैंच तोड़ने पर अध्यापक गुस्से से उबल पड़े।
  4. क्रोध पर ठण्डे पानी के छींटे मारना = क्रोध को शांत करना।
    वाक्य = छोटे बच्चे की मुस्कान बड़ों के क्रोध पर ठंडे पानी के छींटे मारने का काम करती है।
  5. दाँतों और पंजों के साथ लड़ना = पूरी ताकत और साधनों के साथ लड़ना।
    वाक्य = प्रत्येक व्यक्ति को अन्याय के विरोध में दाँतों और पंजों के साथ लड़ना होगा।

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6. विपरीत शब्द लिखें :

  1. नुकसान = ………………………
  2. अन्याय = ………………………
  3. झूठ = ………………………
  4. भीरु = ………………………
  5. विरोध = ………………………
  6. बीमार = ………………………

उत्तर :

  1. नुकसान = फ़ायदा
  2. अन्याय = न्याय
  3. झूठ = सच
  4. भीरू = साहसी
  5. विरोध = पक्ष
  6. बीमार = स्वस्थ

7. समानार्थक शब्द लिखें :

  1. तनख्वाह = ………………………
  2. छुट्टी = ………………………
  3. इतवार = ………………………
  4. हफ्ता = ………………………
  5. अचरज = ………………………
  6. नुकसान = ………………………
  7. मालकिन = ………………………
  8. माफ़ = ………………………

उत्तर :

  1. तनख्वाह = वेतन
  2. छुट्टी = अवकाश
  3. इतवार = रविवार
  4. हफ्ता = सप्ताह
  5. अचरज = हैरानी
  6. नुकसान = हानि
  7. मालकिन = स्वामिनी
  8. माफ़ = क्षमा

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8. ‘अन्याय को चुपचाप सहना भी गलत है।’ लेखक के इस विचार से क्या आप सहमत हैं ? समाज में रहते हुए यदि आपके साथ किसी भी क्षेत्र में अन्याय हो रहा हो तो आप उसे स्वीकार कर लेंगे या विरोध करेंगे? अपने विचार लिखें।
उत्तर :
अन्याय को चुपचाप सहन भी गलत है।’ लेखक की इस बात से हम ए सहमत हैं। अन्याय को चुपचाप सहन करना अपने आपको दबा देने वाली बात है। इससे हमारा व्यक्तित्व उठने की बजाए दबता जाता है। हमारे अन्दर दब्बू तथा बोदापन आ जाता है, जो हमें अन्याय के विरोध में आवाज़ नहीं उठाने देता। समाज में यदि हमारे साथ कभी कोई अन्याय होगा तो हम उसके खिलाफ खुलकर सामने आएँगे।

अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाएँगे तथा अपने ऊपर हो रहे अन्याय का विरोध करते हुए न्याय की माँग करेंगे। लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि हमें अपने कर्त्तव्य तथा अधिकारों के प्रति सचेत रहना होगा।

प्रयोगात्मक व्याकरण

अरे! मैं क्या झूठ बोल रहा हूँ ?
शाबाश! मुझे आपसे यही आशा थी।
ना-ना! मैं स्त्री-वध नहीं करूंगा।
आह! मेरी प्रजा पर अत्याचार हो रहा है।

उपर्युक्त वाक्यों में ‘अरे’, ‘शाबाश’, ‘ना-ना’ तथा ‘आह’ शब्द क्रमशः विस्मय, हर्ष, घृणा तथा शोक मनोभावों को व्यक्त कर रहे हैं। ये विस्मयादिबोधक शब्द हैं। इनका प्रयोग प्रायः वाक्य के शुरू में होता है तथा इन शब्दों के बाद जो चिह्न (!) लगता है, उसे विस्मयादिबोधक चिह्न कहते हैं।

अतएव जिन शब्दों से विस्मय, हर्ष, घृणा तथा शोक आदि मन के भाव प्रकट हों वे शब्द विस्मयादिबोधक कहलाते हैं।

कुछ मुख्य विस्मयादिबोधक शब्द इस प्रकार हैं:

  • हर्ष बोधक = अहा! वाह-वाह ! धन्य आदि।
  • घृणा बोधक = धिक् ! धत् ! थू-थू ! आदि।
  • शोकबोधक = उफ! बाप रे! राम-राम! सी त्राहि-त्राहि आदि।
  • विस्मयादिबोधक = क्या! ओहो ! हैं ! अरे !
  • स्वीकारबोधक = हाँ-हाँ! अच्छा ! ठीक! जी हाँ!
  • चेतावनी बोधक = सावधान! होशियार ! खबरदार !
  • भयबोधक = हाय ! हाय राम ! उइ माँ ! बाप रे!
  • आशीर्वादबोधक = दीर्घायु हो! जीते रहो ! खुश रहो!

अन्याय के विरोध में Summary in Hindi

अन्याय के विरोध में पाठ का सार

‘अन्याय के विरोध में’ एंतन चेखव द्वारा रचित एक शिक्षाप्रद कहानी है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने समाज में व्याप्त दब्बू, भीरू तथा बोदा बन गए लोगों को अन्याय के विरुद्ध उठ खड़े होने को कहा है। लेखक का मानना है कि अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए उन्हें इस कठोर, निर्मम और हृदयहीन संसार से लड़ना होगा।

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कुछ दिन पहले की बात थी कि लेखक ने अपने बच्चों को गवर्नेस जूलिया को उसकी तनख्वाह का हिसाब करने के लिए अपने पढ़ने के कमरे में बुलाया। लेखक ने जूलिया से कहा कि तुम्हारी तनख्वाह तीस रूबल तय हुई थी। इस पर जूलिया ने दबे स्वर में कहा नहीं चालीस रूबल थी। लेखक ने कहा नहीं वह तो बच्चों की गवर्नेस को हमेशा तीस रूबल ही देता आया था। उसे यहाँ काम करते हुए दो महीने हुए थे।

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जूलिया ने कहा नहीं दो महीने पांच दिन हुए थे। लेखक ने जूलिया से कहा कि उसके दो महीने ही हुए थे। जिसके हिसाब से उसकी तनख्वाह साठ रूबल बनती थी लेकिन यह उसे तब मिलेगी यदि उसने महीने में कोई छड़ी नहीं की होगी। लेखक ने कुछ ही क्षणों में जूलिया से कहा कि उसने नौ रविवार तथा तीन छुट्टियां और की थी। कुल मिला कर बारह दिन उसने काम नही किया इसलिए उसके बारह रूबल कट गए। कोल्या चार दिन बीमार था।

उस ने मात्र वान्या को ही पढ़ाया। उसकी मालकिन ने उसे तीन दिन दोपहर के बाद छुट्टी दे दी थी। इस तरह बारह और सात मिलाकर कुल उन्नीस छुट्टी तुम्हारी हो चुकी थी। इतना सुनते ही जूलिया की आँखों में आँसू छलक आए। उसने एक शब्द भी नहीं बोला, बस धीरे से खांसते हुए उसने अपनी नाक साफ की। कुछ ही पल बाद लेखक ने जूलिया द्वारा तोड़ी गई प्लेट और प्याली के नुकसान की भरपाई के रूप में दो रूबल काटने की बात कही।

कोल्या की जैकेट फटने के दस रूबल तथा वान्या के जूते चोरी हो जाने की लापरवाही के पाँच रूबल काट लिए जाते हैं। दस जनवरी को जो दस रूबल मैंने तुम्हें दिए थे वे भी काट लिए जाते थे। जूलिया ने दबी आवाज़ में कहना चाहा कि उन्होंने उसे कोई रूबल नहीं दिए थे। मालिक के कहने पर कि उसने अपनी डायरी में लिख रखा था तो जूलिया मान गई कि जो वे कह रहे थे वह ठीक कह रहे थे। मालिक ने कठोरता भरे स्वरों में कहा कि सत्ताईस रूबल उसके बाकी बचे इकतालीस रूबल काट लिए जाएँ तो उसके हिसाब में मात्र चौदह रूबल बचते थे।

इतना सुनते ही जूलिया के नेत्र आँसुओं से भर गए। उसका सारा शरीर पसीने से तर – ब – तर हो गया। उसने कांपते हुए स्वरों में कहा कि उसे अभी तक उनकी पत्नी से मात्र तीन रूबल के आज तक और कोई पैसा नहीं मिला। मालिक ने कहा चलो चौदह रूबल में से ये तीन रूबल और कम कर दो तो ये ग्यारह रूबल तुम्हारी तनख्वाह बनती थी। जूलिया ने अपने कांपते हाथों में ग्यारह रूबल लिए और अपनी जेब टटोल कर उसमें उन्हें ढूंस लिए।

उसने बड़ी धीमी आवाज़ में मालिक का धन्यवाद किया। ‘धन्यवाद’ का स्वर सुनते ही मालिक को गुस्सा आ गया और वह क्रुद्ध स्वर में बोला “धन्यवाद किस बात का ?” जूलिया ने उत्तर देते हुए कहा कि जो आपने उसे पैसे दिए थे उसी के लिए यह धन्यवाद था। मालिक ने चिल्लाते हुए कहा कि मैंने तो तुम्हें ठगा है फिर भी तुम धन्यवाद दे रही हो ! जूलिया ने धीमे स्वर में कहा जहाँ – जहाँ उसने पहले काम किया है उन्होंने उसे कोई पैसा नहीं दिया।

आप तो कुछ दे ही रहे हैं। जूलिया की इस बात ने मालिक के क्रोध पर ठण्डा पानी मार दिया। उसने धीमे स्वर में जूलिया से कहा, “जूलिया, मुझे इस बात के लिए माफ कर देना कि मैंने तुम्हारे साथ एक छोटा – सा क्रूर मजाक किया।” यह तुम्हें सबक सिखाने के लिए किया था। तुम बहुत भोली हो।

तुम्हारा कोई पैसा नहीं काटा जाएगा। तुम्हारी पूरी तनख्वाह मिलेगी। लेकिन उससे पहले तुम्हें एक प्रश्न का उत्तर देना होगा – कि इन्सान भला कहलाने के लिए दब्बू, भीरू तथा बोदा बनता जाए। प्रत्येक अन्याय को चुपचाप सहता जाए, उसका विरोध न करे ?

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जूलिया इस तरह खामोश रहने से काम नहीं चलेगा। तुम्हें इस कठोर, निर्मम और हृदयहीन संसार से लड़ना होगा।

अन्याय के विरोध में कठिन शब्दों के अर्थ

  • गवर्नेस = बच्चों की देखभाल करने वाली।
  • तनख्वाह = महीने भर का मेहनताना।
  • खुद = स्वयं।
  • दबा स्वर = कम आवाज़।
  • नोट करना = लिखना।
  • अलावा = अतिरिक्त।
  • चेहरा पीला पड़ना = मायूस होना।
  • इतवार = रविवार,
  • बीवी = पत्नी।
  • आँसू छलकना = रोने को होना।
  • काम में ढील देना = लापरवाही करना।
  • यकीन = विश्वास।
  • खामोश = चुपचाप।
  • निर्मम = दयाहीन।
  • हृदयहीन = बिन दिल के, जो दयालु न हो।

अन्याय के विरोध में गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. कुछ दिन पहले की बात है। मैंने अपने बच्चों की गवर्नेस जूलिया को अपने पढ़ने के कमरे में बुलाया और कहा, “बैठो जूलिया। मैं तुम्हारी तनख्वाह का हिसाब करना चाहता हूँ। मेरे ख्याल से तुम्हें पैसों की ज़रूरत होगी और जितना मैं तुम्हें अब तक जान सका हूं, मुझे लगता है, तुम अपने आप कभी अपने पैसे नहीं मांगोगी। इसलिए मैं खुद ही तुम्हें पैसे देना चाहता हूं। हां, तो तुम्हारी तनख्वाह तीस रूबल महीना तय हुई थी न ?”

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘अन्याय के विरोध में से लिया गया है, जिसके लेखक एंतन चेखव हैं। लेखक ने यहाँ अन्याय को सहना कायरता बताया है तथा उसका विरोध करने की बात कही है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि कुछ दिन पहले उसने अपने बच्चों की देखभाल करने वाली गवर्नेस जूलिया की तनख्वाह का हिसाब करने के लिए उसे अपने पढ़ने वाले कमरे में बुलाया। जब जूलिया कमरे में आई तो लेखक ने उसे बैठने को कहते हुए कहा कि वह उसकी तनख्वाह का हिसाब करना चाहते हैं। जूलिया से लेखक कहता है कि जितना वह उसे जानता और समझता है उसके अनुसार वह उससे अपने कभी पैसे नहीं माँगेगी।

लेकिन मेरा अनुमान है कि तुम्हें पैसे की आवश्यकता होगी। इसलिए स्वयं ही सोचा कि तुम्हें पैसे क्यों न दे दिए जाएं। तब लेखक जूलिया से कहता है कि तुम्हारी तनख्वाह तीस रूबल प्रति महीना तय हुई थी। तुम सहमत हो।

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विशेष –

  • लेखक ने गवर्नेस जूलिया के भोलेपन का चित्रण किया है।
  • भाषा सरल, सहज है।

2. “हाँ, याद आया,” मैंने डायरी देखते हुए कहा, “पहली जनवरी को तुमने चाय की प्लेट और प्याली तोड़ी थी। प्याली बहुत कीमती थी। मगर मेरे भाग्य में तो हमेशा नुकसान उठाना ही बदा है। चलो, मैं उसके दो रूबल ही काढूँगा। अब देखो, उस दिन तुमने ध्यान नहीं रखा और तुम्हारी नज़र बचाकर कोल्या पेड़ पर चढ़ गया और वहाँ खरोंच लगकर उसकी जैकेट फट गई। दस रूबल उसके कट गए। इसी तरह तुम्हारी लापरवाही के कारण नौकरानी ने वान्या के नए जूते चुरा लिए अब देखो भाई, तुम्हारा काम बच्चों की देखभाल है। तुम्हें इसी के पैसे मिलते हैं। तुम अपने काम में ढील दोगी, तो पैसे कटेंगे या नहीं ? मैं ठीक कह रहा हूँ न ?”

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘अन्याय के विरोध में से लिया गया है जिसके लेखक एंतन चेखव हैं। लेखक ने यहाँ अन्याय को सहने वाली एक युवा लड़की का चित्रण किया है।

व्याख्या – लेखक अपनी डायरी को देखते हुए अपनी गवर्नेस जूलिया से कहता है कि उसे याद आ गया कि उसने पहली जनवरी को चाय की प्याली और प्लेट तोड़ी थी। वह प्याली बहुत कीमती थी। किन्तु क्या करूँ नुकसान सदैव तुम्हारे इस मालिक के हिस्से ही आता है चलो ज्यादा इसके दो रूबल तुम्हारी तनख्वाह से काट लेता हूँ।

लेखक जूलिया की लापरवाही बताते हुए कहता है कि एक दिन उसका पुत्र कोल्या किसी तरह उससे छुपछुपाकर पेड़ पर चढ़ गया था और वहाँ खरोंच लगने से उसकी जैकेट फट गई थी तो इसका नुकसान जूलिया तुम्हारे कारण ही हुआ अत: इसके दस रूबल काट लेता हूँ। जूलिया की और लापरवाही बताते हुए लेखक कहता है कि एक दिन नौकरानी ने वान्या के जूते चुरा लिए थे जिसका दण्ड उसे ही भरना होगा।

क्योंकि बच्चों की देखभाल करना ही उसका काम है। काम में किसी प्रकार की ढील का दण्ड तो उसे ही सहना होगा। इसके लिए उसके पैसे भी काटेंगे। वह जूलिया से कहता है कि वह ठीक कह रहा है न।

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विशेष –

  • लेखक ने जूलिया के भोलेपन का फायदा उठाते हुए उसे ठगने का चित्रण किया है।
  • भाषा सरल है।

3. “अच्छा!” मैंने स्वर में आश्चर्य भरकर कहा, “और इतनी बड़ी बात तुम्हारी मालकिन ने मुझे बताई तक नहीं। देखो, हो जाता न अनर्थ ! खैर, मैं इसे भी डायरी में नोट कर लेता हूँ। हाँ, तो चौदह में से तीन और घटा दो। बचते हैं ग्यारह रूबल। तो लो भाई, ये रही तुम्हारी तनख्वाह ये ग्यारह रूबल। देख लो, ठीक है न ?”

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित पाठ ‘अन्याय के विरोध में’ से लिया गया है जिसके लेखक एतन चेखव हैं। लेखक ने अपने इस पाठ में अन्याय को न सहने का संदेश दिया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि जब जूलिया ने उससे कहा कि बस एक बार उसकी मालकिन ने मात्र तीन रूबल दिए थे, उसके अतिरिक्त आज तक उसे कोई पैसा नहीं मिला तो लेखक ने आश्चर्य भरे स्वर में कहा कि इतनी बड़ी बात तुम्हारी मालकिन ने छुपाई। मुझे बताना तक ठीक नहीं समझा।

अच्छा हुआ तुमने बता दिया नहीं तो अभी बहुत बड़ा नुकसान हो जाता। खैर इन तीन रूबल को भी डायरी में लिख लेता हूँ। जूलिया अब बचे हुए चौदह रूबल में से ये तीन रूबल घटा दो तो ये ग्यारह रूबल बचते हैं। ये तुम्हारी तनख्वाह है ग्यारह रूबल इसे ठीक से ले लो।

विशेष –

  • लेखक ने समाज में जूलिया जैसे भोले – भाले लोगों को अन्याय सहते हुए दर्शाया है।
  • भाषा प्रवाहमयी है।

4. देखो जूलिया, मैं तुम्हारा एक पैसा भी नहीं मारूँगा। देखो, यह तुम्हारे अस्सी रूबल रखे हैं। मैं अभी इन्हें तुम्हें दूंगा। लेकिन उससे पहले मैं तुमसे कुछ पूछना चाहूंगा। जूलिया, क्या ज़रूरी है कि इन्सान भला कहलाए जाने के लिए इतना दब्बू, भीरू और बोदा बन जाए कि उसके साथ जो अन्याय हो रहा है, उसका विरोध तक न करे ? बस, खामोश रहे और सारी ज्यादतियां सहता जाए ? नहीं जूलिया, नहीं। इस तरह खामोश रहने से काम नहीं चलेगा। अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए तुम्हें इस कठोर, निर्मम और हृदयहीन संसार से लड़ना होगा। अपने दाँतों और पंजों के साथ लड़ना होगा – पूरी ताकत के साथ। मत भूलो जूलिया कि इस संसार में दब्बू और बोदे लोगों के लिए कोई जगह नहीं हैकोई जगह नहीं है-

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित पाठ ‘अन्याय के विरोध में’ से अवतरित है जिसके लेखक एंतन चेखव हैं। लेखक ने यहाँ बताया है कि हमें समाज में अन्याय का विरोध करना होगा। अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनना होगा।

व्याख्या – लेखक जूलिया को उसके भोलेपन से उभारते हुए उससे कहता है कि वह उसकी तनख्वाह का एक भी पैसा नहीं रखेगा। वह उसे अस्सी रूबल दिखाते हुए कहता है कि ये उसे वह अभी दे देगा लेकिन इससे पहले वह जूलिया से कुछ पूछना चाहता है। वह जूलिया से कहता है कि व्यक्ति समाज में भला बनने के लिए अन्याय को सहता रहे, उसका विरोध न करे और दब्बू, भीरू तथा बोदा बन जाए।

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बस अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों को चुपचाप सहन करता रहे। नहीं जूलिया यह ठीक नहीं है। चुप रहने से जीवन नहीं चलेगा। अपने आपको समाज में बनाए रखने के लिए तुम्हें इस दयाहीन, कठोर तथा पापी संसार से लड़ना होगा। तुम्हें अपनी पूरी क्षमता और ताकत से लड़ना होगा। तुम्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस संसार में दबकर तथा झुककर रहने वालों के लिए कोई स्थान नहीं है।

विशेष –

  • लेखक ने जूलिया को अन्याय का सामना करने की सलाह दी है।
  • भाषा सरल, सहज है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 16 कोई नहीं बेगाना (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB कोई नहीं बेगाना Textbook Questions and Answers

कोई नहीं बेगाना अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिन्दी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) भाई कन्हैया कौन था?
उत्तर :
भाई कन्हैया गुरु गोबिन्द सिंह जी का सच्चा सिक्ख था। वह युद्ध भूमि में सभी घायलों को पानी पिला रहा था।

(ख) वह घायलों की सेवा किस प्रकार करता था?
उत्तर :
भाई कन्हैया युद्ध में घायलों को पानी पिला कर उनकी सेवा करता था।

(ग) वह अपने और बेगाने का भेदभाव क्यों नहीं करता था?
उत्तर :
भाई कन्हैया सब में परमात्मा की झलक देखता था। इसलिए उसके मन में अपने और बेगाने में कोई भेद – भाव नहीं था।

(घ) विरोधियों ने दशमेश पिता से उसकी क्या शिकायत की?
उत्तर :
कुछ सिक्ख वीरों ने भाई कन्हैया की यह शिकायत की कि जिन्हें हम मुश्किल से मारते हैं, उन्हें यह पानी पिलाता है। लगता है यह दुश्मन से मिला हुआ है।

(ङ) भाई कन्हैया ने गुरु जी को शिकायत का क्या उत्तर दिया?
उत्तर :
भाई कन्हैया ने गुरु जी को शिकायत का उत्तर दिया कि हे गुरु महाराज! मैं सब में आपका रूप देखता हूँ।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

(च) गुरु जी ने भाई कन्हैया को मरहम क्यों दी?
उत्तर :
गुरु जी ने भाई कन्हैया को मरहम इसलिए दी कि युद्ध भूमि में हर घायल का इलाज किया जा सके।

4. इन काव्य-पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें :

“अव्वल अल्ला नूर वही है
कुदरत के सब बन्दे,
सब जग फैला नूर उसी का
कौन भले कौन मन्दे।”
उत्तर :
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य – पुस्तक में से संकलित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ से लिया गया है, जिसके कवि योगेन्द्र बख्शी हैं। कवि ने यहाँ श्री आनन्दपुर साहिब में सिक्खों और मुग़लों के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया है।

व्याख्या – कवि कहता है कि भाई कन्हैया गुरु जी से कहता है कि सभी परमात्मा के बनाए हुए इन्सान हैं। अव्वल अल्ला, ईश्वर का सब में तेज है। सारे संसार में उसी की शोभा फैली हुई है। फिर कौन भला है और कौन बुरा है ? यानि सभी अच्छे हैं।

5. अर्थ समझते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. घमसान
  2. उपहार
  3. समदृष्टि
  4. उपकार
  5. उपचार
  6. दुःख हरना
  7. जीवनदान देना
  8. जान बचाना

उत्तर :

  1. घमासान = ज़बरदस्त – घमासान युद्ध के बाद शत्रु ने हथियार डाल दिए।
  2. उपहार = भेंट – यह पुस्तक मुझे उपहार में मिली है।
  3. समदृष्टि = सब को समान देखना – सन्तों में समदृष्टि की भावना होती है।
  4. उपकार = भला – सब का उपकार करना मनुष्य का धर्म है।
  5. उपचार = इलाज – घायल का ठीक ढंग से उपचार करो।
  6. दुःख हरना = दुःख दूर करना – परमात्मा ही सभी के दुःख हरते हैं।
  7. जीवन दान देना = जीवन बचाना – डॉक्टर ने रोगी का समय पर उपचार कर उसे जीवनदान दे दिया।
  8. जान बचाना = जीवन की रक्षा करना – यदि जान बचानी है तो भाग चलो।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

6. ‘उप’ और ‘बे’ शब्दाँश लगाकर नये शब्द बनायें :

  1. उप + हार = उपहार
  2. उप + वास = ………………….
  3. उप + नयन = ………………….
  4. उप + हास = ………………….
  5. उप + कार = ………………….
  6. उप + चार = ………………….
  7. बे + रहम = ………………….
  8. बे + कायदा = ………………….
  9. बे + कसूर = ………………….
  10. बे + मेल = ………………….
  11. बे + रोक = ………………….
  12. बे + मिसाल = ………………….

उत्तर :

  1. उपहार
  2. उपवास
  3. उपनयन
  4. उपहास
  5. उपकार
  6. उपचार
  7. बेरहम
  8. बेकायदा
  9. बेकसूर
  10. बेमेल
  11. बेरोक
  12. बेमिसाल

7. ‘गुरु’ लगाकर नये शब्द बनायें जैसे-गुरुवाणी ,__________,__________,__________
उत्तर :
गुरुद्वारा, गुरुदेव, गुरुपदेश, गुरु नानक देव।

8. इन शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखें :

  1. शुत्र = _________, _________
  2. युद्ध = _________, _________
  3. धरती = _________, _________
  4. पानी = _________, _________
  5. गर्मी = _________, _________
  6. उपहार = _________, _________
  7. गुरु = _________, _________
  8. दुःख = _________, _________
  9. बेगाना = _________, _________
  10. कृपा = _________, _________
  11. हाथ = _________, _________

उत्तर :

  1. शत्रु = दुश्मन, रिपु
  2. युद्ध = जंग, लड़ाई
  3. धरती = धरा, भूमि
  4. पानी = जल, नीर
  5. गर्मी = ग्रीष्म, निदाघ
  6. उपहार = भेंट, तोहफ़ा
  7. गुरु = बड़ा, ज्ञानदाता, शिक्षक
  8. दुःख = पीड़ा, तकलीफ़
  9. बेगाना = पराया, अंजाना
  10. कृपा = दया, मेहर
  11. हाथ = हस्त, कर

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

9. विपरीत अर्थ वाले शब्द लिखें :

  1. शिकायत = ……………………..
  2. धरती = ……………………..
  3. दुःख = ……………………..
  4. शत्रु = ……………………..
  5. गुरु = ……………………..
  6. प्यास = ……………………..
  7. मुश्किल = ……………………..

उत्तर :

  1. शिकायत = सराहना
  2. धरती = आकाश
  3. दुःख = सुख
  4. शत्रु = मित्र
  5. गुरु = शिष्य
  6. प्यास = तृप्त
  7. मुश्किल = आसान।

10. इस कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है ? लिखें।
उत्तर :
‘कोई नहीं बेगाना’ नामक कविता भावनात्मक और मानवतावादी है। इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि कोई छोटा – बड़ा या ऊँच – नीच नहीं है। कोई अपना – पराया नहीं है। सब में ईश्वर का तेज़ समाया हुआ है। प्रत्येक व्यक्ति को ईश्वर ने रचा है – इसलिए कोई बुरा और अच्छा नहीं है। सब को समदृष्टि से देखो। शत्रु मित्र का भाव त्याग देना चाहिए। हमें सब में ईश्वर की ज्योति देखनी चाहिए।

11. भाई कन्हैया की जीवनी पढ़ें। वे निःस्वार्थ सेवा की प्रतिमूर्ति थे। ऐसे अन्य महान व्यक्तियों के नाम पता करें, जिन्होंने नि:स्वार्थ सेवा को अपनाकर अपने जीवन को सार्थक किया।
उत्तर :
मदर टेरेसा, महात्मा गाँधी, स्वामी दयानंद, बाबा आमटे, विनोबा भावे, विवेकानंद।

12. समाज सेविका मदर टेरेसा के बारे में पुस्तकालय से पुस्तक लेकर पढ़ें।
उत्तर :
छात्र समाज सेविका मदर टेरेसा के बारे में पुस्तकालय से पुस्तक लेकर स्वयं पढ़ें।

कोई नहीं बेगाना Summary in Hindi

कोई नहीं बेगाना कविता का सार

‘कोई नहीं बेगाना’ डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा एक भावनात्मक कविता है। इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि कोई भी छोटा – बड़ा या ऊँच – नीच नहीं है। कोई अपना पराया नहीं है। सब में ईश्वर का तेज समाया हुआ है। हमें सभी में ईश्वर की ज्योती देखनी चाहिए।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना 5

आनन्दपुर साहिब के बाहर सिक्खों एवं मुगलों में घमासान लड़ाई हुई। सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी का प्रत्येक सिक्ख हथेली पर जान रखकर लड़ा। तोपों की डरावनी गर्जना सत श्री अकाल के गीत और अल्ला हू अकबर के नारे कानों को बहरा कर रहे थे। युद्ध में शहीद होने वालों के शव धरती पर बिछ रहे थे। कई वीर गिरते – गिरते फिर उठ जाते थे और पानी – पानी चिल्ला रहे थे। गर्मी का महीना वीरों पर भारी पड़ रहा था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

युद्ध भूमि में दोपहर के समय में गुरु घर का एक सेवादार कंधे पर एक पानी से भरी मश्क रख कर सब को पानी भेंट कर रहा था। उसका नाम भाई कन्हैया था। भाई कन्हैया युद्ध भूमि में पानी बाँटता हुआ सब में गुरु महाराज का रूप देख रहा था। हर प्यासे को पानी पिला रहा था। वह दुश्मन और दोस्त को एक नज़र से देखता था। वह प्रत्येक घायल को पानी पिला कर उसकी जान बचा रहा था।

शाम के समय सिक्ख वीरों ने एक विरोधी आवाज़ उठाकर कहा कि जिन्हें वे मुश्किल से मारते हैं, उन्हे भाई कन्हैया पानी पिला कर जीवन दान दे रहा है। लगता है भाई कन्हैया का दुश्मन से सम्बन्ध है। सिक्ख वीरों की शिकायत पर गुरु गोबिन्द सिंह ने भाई कन्हैया से पूछा कि तुम्हारा क्या कहना है।

इस बारे में, तब भाई कन्हैया ने हाथ जोड़ कर गुरु जी के पाँव छुए और माथा झुका कर कहने लगा मुझे सभी मनुष्यों में आप ही दिखाई देते हैं, इसलिए मैं सबको पानी पिला रहा था। उसने कहा कि उसने गुरुवाणी का इतना ही अर्थ जाना है कि प्रत्येक जीव में ईश्वर का वास है। कोई बेगाना नहीं है।

कन्हैया की बात सुनकर गुरु गोबिन्द सिंह जी प्रसन्न हो उठे। कन्हैया को सच्चा सिक्ख कहते हुए गुरु जी ने कहा कि मरहम भी ले जाओ और सबका भला करो। प्रत्येक घायल में तुम परमात्मा को देखो और उनके घावों का इलाज करो।

कोई नहीं बेगाना काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. आनन्दपुर साहब के बाहर
जब हुआ युद्ध घमासान,
दशमेश गुरु का हर सिख
लड़ा हथेली पर रख जान।
तोपों की गर्जना भयंकर
‘सत श्री अकाल’ का गान,
अल्ला हू अकबर के नारे
बहरे कर देते थे कान।

शब्दार्थ :

  • युद्ध = लड़ाई।
  • घमासान = भयानक।
  • दशमेश गुरु = श्री गुरु गोबिन्द सिंह।
  • गर्जना = गर्जन।
  • भयंकर = डरावनी।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित ‘कोई नहीं बेगाना’ शीर्षक कविता में से लिया गया है। इस कविता में आनन्दपुर साहिब में सिक्खों और मुग़लों के बीच हुए युद्ध का वर्णन है।।

सरलार्थ – कवि कहता है कि आनन्दपुर साहिब के बाहर सिक्खों एवं मुग़लों में घमासान लड़ाई हुई। सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी का हर सिक्ख हथेली पर जान रखकर लड़ा। तोपों की डरावनी गर्जना ‘सत श्री अकाल’ के और ‘अल्ला हू अकबर’ के नारे कानों को बहरा कर रहे थे।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

विशेष –

  • कवि ने सिक्ख वीरों की वीरता का उल्लेख किया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

2. वीर बांकुरे डटकर लड़ते
धरती पर बिछ – बिछ जाते,
गिरते – गिरते फिर उठते
पानी – पानी चिल्लाते।
गर्मी का वह कठिन महीना
उन वीरों पर भारी था,
जलते तपते मैदानों में
युद्ध अभी तक जारी था।

शब्दार्थ :

  • बांकुरे = बहादुर।
  • कठिन = मुश्किल।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ में से लिया गया है। इन पंक्तियों में कवि ने आनन्दपुर साहिब में सिक्खों और मुग़लों के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया है।

सरलार्थ – आनन्दपुर साहिब के युद्ध का वर्णन करते हुए कवि कहता है – बहादुर और जवान योद्धा डटकर लड़ रहे थे। बलिदान होने वालों के शव धरती पर बिछ रहे थे। कई वीर गिरते – गिरते फिर उठ जाते थे और पानी – पानी चिल्ला रहे थे। वह गर्मी का मुश्किल महीना था। यह उन वीरों पर भारी पड़ रहा था। जलते और तपते हुए युद्ध के मैदानों में अभी तक युद्ध चल रहा था।

विशेष –

  • कवि ने भयंकर गर्मी में भीषण युद्ध का शब्द चित्र खींचा है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

3. जलती – तपती दोपहरी में
गुरुघर का इक सेवादार,
कन्धे पर इक मश्क उठाए
देता पानी का उपहार।
संगत की सेवा करता
भाई कन्हैया उसका नाम
गुरुवाणी का भक्त अनोखा
करता जन सेवा का काम।

शब्दार्थ :

  • तपती = तप रही।
  • दोपहरी = दोपहर का समय।
  • उपहार = भेंट।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ में से लिया गया है। इन पंक्तियों में कवि ने आनन्दपुर साहिब में सिक्खों और मुग़लों के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि युद्ध भूमि में दोपहर के समय में गुरु घर का एक सेवादार कन्धे पर एक पानी से भरी मश्क रखकर सब को पानी भेंट कर रहा था। वह संगत की सेवा करता था। उसका नाम भाई कन्हैया था। वह गुरुवाणी का अनोखा भक्त लोगों की सेवा का काम कर रहा था।

विशेष –

  • कवि ने भाई कन्हैया को सच्चे सेवादार के रूप में प्रकट किया है।
  • भाष सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

4. सब में गुरु का रूप देखता
सबकी सेवा करता था,
हर प्यासे की प्यास बुझाता
दुःख सभी के हरता था।
समदृष्टि थी शत्रु मित्र में,
दोनों उसको एक समान,
हर घायल को पानी देना
होता उसका पहला काम।

शब्दार्थ :

  • समदृष्टी = सब को एक नज़र से देखना।
  • समान = बराबर।।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी पाठ्य – पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित डॉ योगेन्द्र बख्शी द्वारा रचित कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ में से लिया गया है। इन पंक्तियों में कवि ने आनन्दपुर साहिब में सिक्खों और मुग़लों के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि भाई कन्हैया युद्ध भूमि में पानी बाँटता हुआ सब में गुरु महाराज का रूप देख रहा था। वह सब की सेवा कर रहा था। हर प्यासे को पानी पिला रहा था। इस प्रकार वह सब के दुःख हर रहा था। वह दुश्मन और दोस्त को एक नज़र से देखता था। वह दोनों को बराबर समझता था। उसका पहला काम यह होता था कि प्रत्येक घायल और प्यासे को पानी पिलाना।

विशेष –

  • कवि ने सभी जीवों में परमात्मा का रूप होने की बात स्वीकारी है।
  • भाषा भावानुकूल है।

5. हुई साँझ तो सिख वीरों ने
छेड़ी एक विरोधी तान,
जिनको मुश्किल से हम मारें
उनको देता जीवन दान।
लगता गुरुवर! भाई कन्हैया
का दुश्मन से नाता है,
घायल शत्रु को जल देता,
उसकी जान बचाता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

शब्दार्थ :

  • साँझ = सायं।
  • तान = स्वर।
  • जीवनदान = प्राणों का दान।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० योगेन्द्र बख्शी की कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ में से लिया गया है। इनमें गुरु गोबिन्द सिंह जी तथा मुग़लों के मध्य श्री आनन्दपुर साहिब में सिक्खों और मुग़लों के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया गया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि शाम का समय हो गया था। सिक्ख वीरों ने एक विरोधी आवाज उठाई कि जिन्हें हम मुश्किल से मारते हैं, उन्हें जीवन का दान पानी पिला कर दिया जा रहा है। हे गुरु महाराज! ऐसा लगता है कि भाई कन्हैया का दुश्मन से सम्बन्ध है। वह घायल शत्रु को पानी पिला रहा है और उसकी जान बचा रहा है।

विशेष –

  • कवि ने भाई कन्हैया के प्रति सिक्ख वीरों के तीखे तेवरों का दर्शाया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा विचारानुकूल है।

6. हंस कर बोले दशम पिता फिर
क्यों भाई क्या कहते हो,
ठीक शिकायत क्या सिखों की
सब की सेवा करते हो ?
हाथ जोड़ कर चरण छुए
नत मस्तक हो वचन कहे,
गुरुवर! सब को जल देता हूँ
मानों सब में आप रहे।

शब्दार्थ :

  • दशम पिता = श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी।
  • चरण = पाँव।
  • नतमस्तक = माथा झुका।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० योगेन्द्र बख्शी की कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ में से लिया गया है। इनमें गुरु गोबिन्द सिंह तथा मुग़लों के मध्य श्री आनन्दपुर साहिब में सिक्खों और मुग़लों के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया गया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि सिक्ख वीरों द्वारा भाई कन्हैया की शिकायत करने पर गुरु गोबिन्द सिंह जी बोले – क्यों भाई! इस बारे में तुम क्या कहते हो ? क्या सिक्खों की शिकायत ठीक है कि तुम सब की सेवा कर रहे हो? भाई कन्हैया ने हाथ जोड़ कर गुरु जी के पाँव छुए और माथा झुका कर कहने लगा हे गुरु महाराज! मैं सब को पानी देता हूँ। मुझे ऐसा लगता है कि सब में आप विराजमान हैं। मुझे सभी मनुष्यों में आप ही (परमात्मा ही) नज़र आते हैं।

विशेष –

  • कवि ने भाई कन्हैया को सच्चे सेवक के रूप में प्रतिपादित किया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

7. गुरुवाणी का मतलब मैंने
केवल बस इतना जाना
देखू हर प्राणी में प्रभुवर
कोई नहीं है बेगाना।
अव्वल अल्ला नूर वही है।
कुदरत के सब बन्दे,
सब जग फैला नूर उसी का
कौन भले कौन मन्दे।

शब्दार्थ :

  • केवल = सिर्फ।
  • प्राणी = जीव।
  • प्रभुवर = ईश्वर।
  • मन्दे = बुरे।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० योगेन्द्र बख्शी की कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ में से लिया गया है। इस कविता में गुरु गोबिन्द सिंह तथा मुग़लों के मध्य श्री आनन्दपुर साहिब में सिक्खों और मुगलों के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया गया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि भाई कन्हैया कहता है – मैंने गुरु वाणी का अर्थ सिर्फ इतना ही जाना कि हर जीव में ईश्वर का वास है। कोई बेगाना नहीं है। सब परमात्मा के बनाए हुए इन्सान हैं। अव्वल अल्ला (ईश्वर) का सब में तेज है। सारे संसार में उसी की शोभा फैली हुई है। फिर कौन भला है और कौन बुरा है ? यानि सभी अच्छे हैं।

विशेष –

  • कवि ने सभी जीवों में परमात्मा का वास बताते हुए सभी को अपना समझने के लिए कहा है।
  • भाषा भावानुकूल है।

8. दशम पिता गद्गद् हो बोले,
सच्चे सिख ! गुरु मेहर करे
भेद – भाव बिन सेवा रत जो
उसके सिर प्रभु हाथ धरे।
यह मरहम भी ले लो मुझ से
तुम सब का उपकार करो,
हर घायल में प्रभु को देखो
घावों पर उपचार करो।

शब्दार्थ :

  • गद्गद् = प्रसन्न।
  • मेहर = कृपा।
  • भेद – भाव = अच्छे – बुरे का भाव।
  • सेवारत = सेवा में लीन।
  • उपकार = भला।
  • उपचार = इलाज।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० योगेन्द्र बख्शी की कविता ‘कोई नहीं बेगाना’ में से लिया गया है। इस कविता में गुरु गोबिन्द सिंह जी तथा मुग़लों के मध्य श्री आनन्दपुर साहिब में सिक्खों और मुग़लों के बीच हुए युद्ध का वर्णन किया गया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि कन्हैया की बात सुनकर गुरु गोबिन्द सिंह जी प्रसन्न हो उठे और बोले – हे सच्चे सिक्ख ! गुरु कृपा करे। जो भेद – भाव के बिना सेवा में लीन है, परमात्मा उसके सिर पर अपनी दया का हाथ धरे। मुझ से तुम यह मरहम भी ले जाओ और सब का भला करो। प्रत्येक घायल में तुम परमात्मा को देखो और उनके घावों का इलाज करो।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 16 कोई नहीं बेगाना

विशेष –

  • कवि ने प्रत्येक मानव में परमात्मा होने की बात कही है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 15 धर्मशाला Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 15 धर्मशाला (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB धर्मशाला Textbook Questions and Answers

धर्मशाला अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिन्दी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) धर्मशाला किस पर्वतमाला की गोद में बसा है ?
उत्तर :
धर्मशाला धौलाधार पर्वतमाला की गोद में बसा है।

(ख) समुद्रतल से धर्मशाला की ऊँचाई कितनी है?
उत्तर :
समुद्र तल से धर्मशाला की ऊँचाई 4500 फुट है।

(ग) मक्लोडगंज में घूमते हुए लेखिका को ल्हासा की याद क्यों आ गयी?
उत्तर :
मक्लोडगंज में घूमते हुए लेखिका को ल्हासा की याद इसलिए आ गई क्योंकि वहाँ सभी दुकानें तिब्बतियों की थीं। अधिकतर दुकानें ऊनी वस्त्रों, स्वैटरों, सजावटी वस्तुओं तथा हस्तकला की थीं जैसी उसने कभी ल्हासा में देखी थीं।।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

(घ) मक्लोडगंज की मुख्य विशेषता क्या है ?
उत्तर :
मक्लोडगंज की मुख्य विशेषता मन्दिर में स्थापित महात्मा बुद्ध की विशाल प्रतिमा तथा बुद्ध पोथियों का संग्रहण है। तिब्बती शासक दलाई लामा का वह अस्थाई मुख्यालय है।

(ङ) भागसू नाग क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर :
भागसू नाग पत्थरों पर उकेरी गई नाग की मूर्तियों के कारण प्रसिद्ध है।

(च) वार मैमोरियल का भारतीय इतिहास में क्या महत्त्व है?
उत्तर :
वार मैमोरियल का हिंदी अर्थ युद्ध स्मारक है। इसका निर्माण उन वीर सैनिकों की याद में किया गया है जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। यह स्मारक कर्त्तव्य – पथ पर अपने जीवन का बलिदान करने वाले जवानों को नमन करता है।

(छ) चिन्मय तपोवन क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर :
चिन्मय तपोवन हनुमान जी की नौ मीटर ऊँची मूर्ति, राम मंदिर तथा अपने संस्थापक चिन्मयानन्द के कारण प्रसिद्ध है।

(ज) अंदरेटा में लेखिका को किन कलाकारों के चित्रों ने आकर्षित किया?
उत्तर :
अंदरेटा में लेखिका को श्रेष्ठ चित्रकार सोभा सिंह के चित्रों ने अपनी ओर आकर्षित किया।

(झ) पालमपुर के किन-किन वीर सैनिकों ने कारगिल युद्ध के दौरान अपनी शहादत दी?
उत्तर :
कारगिल युद्ध के दौरान जिन जवानों की शहादत से विजय प्राप्त हुई उनमें कैप्टन विक्रम बतरा, मेजर सुधीर वालिया तथा कैप्टन सौरभ कालिया पालमपुर के थे।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) मक्लोडगंज का ऐतिहासिक महत्त्व क्या है?
उत्तर :
मक्लोडगंज तिब्बती शासक दलाई लामा का अस्थाई मुख्यालय है। सन् 1959 ई० में जब चीन ने तिब्बत देश पर आक्रमण द्वारा कब्जा कर लिया था तब दलाई लामा सहित 85,000 निर्वासित बौद्ध तिब्बतियों को भारत ने धर्मशाला में मकलोडगंज में शरण दी थी। यहाँ मंदिर में महात्मा बुद्ध की विशाल प्रतिमा तथा बुद्ध पोथियाँ संग्रहित हैं। यह तिब्बत की राजधानी ल्हासा के समान देखने में लगता है।।

(ख) पर्वतीय स्थल हमें क्यों आकर्षित करते हैं?
उत्तर :
पर्वतीय स्थल प्राकृतिक सौंदर्य के दर्शनों के लिए जाने जाते हैं। यही इनके आकर्षण का केन्द्र भी है। पर्वतीय स्थलों पर पर्वत श्रृंखलाओं को देखना अपने आप में एक अद्भुत दृश्य है। यहाँ झील अपने अद्भुत सौन्दर्य के कारण पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। इसका जल शीतल तथा पीने योग्य है। यहाँ फलों तथा चाय के बागानों की सुगंध वातावरण को मोहक बना देती है। यहाँ झील में भ्रमण करने के लिए नौकाएँ उपलब्ध रहती हैं। पर्यटकों के रहने के लिए उचित व्यवस्थाएँ भी हैं। अपने इन्हीं प्राकृतिक दृश्यों से परिपूर्ण सौंदर्य के कारण पर्वतीय स्थल हमें अपनी ओर खींचते हैं।

5. इन शब्दों का वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. पर्वतीय
  2. हस्तकला
  3. अनगिनत
  4. निर्वासित
  5. शहादत

उत्तर :

  1. पर्वतीय – पर्वतीय स्थल पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं।
  2. हस्तकला – हिमाचल के बाजारों में अधिकतर दुकानें हस्तकला से जुड़ी वस्तुओं की हैं।
  3. अनगिनत – अनगिनत प्राणियों की देखभाल परमात्मा ही तो करते हैं।
  4. निर्वासित – निर्वासित बौद्ध तिब्बतियों को भारत ने शरण दी थी।
  5. शहादत – हमें अपने वीर सैनिकों की शहादत को कभी नहीं भूलना चाहिए।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

6. इन शब्दों को जोड़कर नया शब्द लिखें :

  1. सूर्य + उदय
  2. सूर्य + अस्त
  3. मुख्य + आलय
  4. स्वर्ण + अक्षर
  5. हिम + आच्छादित

उत्तर :

  1. सूर्य + उदय = सूर्योदय
  2. सूर्य + अस्त = सूर्यास्त
  3. मुख्य + आलय = मुख्यालय
  4. स्वर्ण + अक्षर = स्वर्णाक्षर
  5. हिम + आच्छादित = हिमाच्छादित

7. इन शब्दों और शब्दांशों को मिलाकर नया शब्द लिखें :

  1. पर्वत + ईय
  2. निर् + वास + इत
  3. प्र + शासन + इक
  4. प्रकृति + इक
  5. भारत + ईय
  6. अंक + इत

उत्तर :

  1. पर्वत + ईय = पर्वतीय
  2. निर् + वास + इत = निर्वासित
  3. प्र + शासन + इक = प्रशासनिक
  4. प्रकृति + इक = प्राकृतिक
  5. भारत + ईय = भारतीय
  6. अंक + इत = अंकित

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

प्रयोगात्मक व्याकरण

  • सामिषा अपने माता-पिता के साथ धर्मशाला गयी।
  • डल झील के चारों ओर देखो देवदार के पेड़ हैं।
  • घरों के सामने बाँस के अनगिनत वृक्ष हैं।
  • हम बागानों, मकानों और बंगलों के बीच से गुजरती सड़क से न्यूगल कैफेटेरिया पहुँचे।
  • कैफेटेरिया के पीछे न्यूगल खड्ड है।
  • हम खराब सड़क के कारण ट्रैकिंग स्थल त्रिपुंड नहीं जा सके।
  • मेरे सामने प्रकृति के अद्भुत दृश्य थे।

उपर्युक्त वाक्यों में के साथ, के चारों ओर, के सामने, के बीच, के पीछे, के कारण तथा सामने शब्द संज्ञा तथा सर्वनाम शब्दों के साथ आकर उनका संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ बता रहे हैं। अतः ये संबंध बोधक है।

अतएव जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ जुड़कर उनका संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से बताते हैं, उन्हें संबंध बोधक कहते हैं।

यदि इन संबंध बोधक अविकारी शब्दों को वाक्य में से निकाल दिया जाये तो वाक्य का अर्थ ही नहीं रहता।

अन्य संबंध बोधक शब्द : पहले, बाद, आगे, पीछे, बाहर, भीतर, ऊपर, नीचे, पास, अनुसार, तरह, समान, बिना, कारण, तक, भर, संग, साथ, के मारे, बगैर, रहित, सिवाय आदि।

संबंध बोधक का प्रयोग दो प्रकार से होता है :

  1. विभक्तियों के साथ
  2. विभक्तियों के बिना

1. विभक्तियों के साथ संबंध बोधक शब्द प्रमुख रूप से निम्नलिखित तरह से प्रयुक्त होते हैं:

  • हमने चिन्मय तपोवन की ओर प्रस्थान किया।
  • वीर सैनिकों ने देश की रक्षा के लिए प्राण न्योछावर कर दिये।
  • पालम की घाटी सुन्दरी की तरह प्रतीत होती है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

2. विभक्तियों के बिना संबंध बोधक शब्द इस प्रकार प्रयुक्त होते हैं:

  • मैं जीवन भर इस यात्रा को याद रखूगी
  • ज्ञान बिना जीवन बेकार है।
  • मुझे कई दिनों तक घर की याद नहीं आयी।
  • सड़क पर काली सफेद लकीर लगायी गयी है।

धर्मशाला Summary in Hindi

धर्मशाला पाठ का सार

‘धर्मशाला’ पाठ की लेखिका डॉ० मीनाक्षी वर्मा हैं। लेखिका इस पाठ के माध्यम से यह बताना चाहती है कि यात्राओं से मनोरंजन, ज्ञानवर्धन एवं अज्ञात स्थलों की जानकारी के साथ – साथ भाषा और संस्कृति का आदान – प्रदान भी होता है। इस लेख में भारत के हिमाचल राज्य के शहर धर्मशाला की यात्रा का वर्णन किया गया है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला 5

सामिषा अपने माता – पिता और भाई साराँश के साथ धर्मशाला पर्वतीय स्थान पर घूमने आई हुई है। यहाँ वे हिमाचल पर्यटन के होटल ‘धौलाधार’ में ठहरे हुए हैं। धौलाधार सदैव बर्फ से ढकी रहती है। वह पर्वतमाला की गोद में बसी है। सामिषा को डायरी लिखने का शौक है। वह प्रतिदिन जहाँ भी जाती है, रात को सोने से पहले अपनी डायरी में लिख देती 27 दिसम्बर, सन् 2011 सामिषा अपनी डायरी में लिखती है कि वे लोग सुबह होते ही अपनी कार में बैठ कर धर्मशाला घूमने निकल पड़े। धर्मशाला समुद्र तल से 4500 फुट की ऊँचाई पर था। धौलाधार पर्वत श्रेणी की तलहटी में बसा खूबसूरत शहर था।

धर्मशाला दो हिस्सों में बँटा हुआ था। लोअर धर्मशाला और अपर धर्मशाला। लोअर धर्मशाला में प्रशासनिक इकाइयाँ हैं तो अपर धर्मशाला में सैनिक छावनी, सेंट जोन चर्च तथा मक्लोडगंज में तिब्बती कालोनियाँ हैं। सामिषा और उसका परिवार सबसे पहले धर्मशाला से 10 कि०मी० दूर मक्लोडगंज घूमने गए। मार्ग में उसे प्रकृति के सुंदर – सुंदर दृश्य दिखाई दिए। वह हरी भरी घाटियों को बिना पलक झपकाए निहार रही थी।

ठीक दस बजे सामिषा परिवार सहित मक्लोडगंज पहुँच गई। यहाँ उनके सामने सुंदर पर्वत मालाएँ थीं। बाज़ार में घूमते हुए उन्होंने देखा कि यहाँ सभी दुकानें तिब्बतियों की हैं। हस्तकला तथा ऊनी वस्त्रों की दुकानों पर भरमार थी। सामिषा को घूमते हुए ऐसा लग रहा था मानो वे ल्हासा में घूम रही हो।

सामिषा ने यहाँ बौद्ध मंदिरों के दर्शन किए जिन पर बुद्ध की विशाल प्रतिमाएँ तथा बुद्ध पोथियाँ संग्रहित थी। मक्लोडगंज को तिब्बती शासक दलाई लामा का अस्थाई मुख्यालय माना जाता है। सन् 1959 ई० में चीन ने जब तिब्बत देश पर आक्रमण कर उसे अपने कब्जे में कर लिया था तब दलाईलामा सहित 85000 निर्वासित बौद्ध तिब्बतियों को भारत ने धर्मशाला में मक्लोडगंज में शरण दी थी।

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इसके बाद सामिषा ने यहाँ से 15 कि०मी० दूर भागसू में स्थित शिव मंदिर तथा जल प्रपात देखे तथा इसके बाद वे सीधे पवित्र डल झील गए जो एक पिकनिक स्थल भी है।

28 दिसम्बर, सन् 2011 सामिषा और उसका परिवार सुबह सवेरे तैयार होकर युद्ध स्मारक देखने चल पड़े। इसका निर्माण युद्धों में देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद जवानों की याद में किया गया था। शहीद हुए सैनिकों के नाम काले संगमरमर की तीन पट्टिकाओं पर लिखे हुए थे।

ये नाम आने वाली पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन का काम करने वाला था कि कर्त्तव्य पथ पर अपने जीवन का बलिदान करने से हमें पीछे नहीं हटना चाहिए। इसके कुणाल पत्थरी देखने गए तथा तत्पश्चात् यहाँ से दस कि०मी० दूर चिन्मय तपोवन की ओर चल पड़े। इस तपोवन की स्थापना चिन्मयानंद द्वारा की गई थी।

29 दिसम्बर, सन् 2011 सुबह सवेरे सामिषा और उसके परिवार ने धर्मशाला से 17 कि०मी० दूर त्रिपुंड जाने का मन बनाया लेकिन अधिक बर्फबारी के कारण वे वहाँ न जा सके, तब वे घूमने पालमपुर चले गए। पालमपुर काँगड़ा की मुख्य घाटी है। यहाँ घरों के सामने अनगिनत झुरमुट दिखाई देते हैं। यहां चाय के बागानों तथा बंगलों के बीच गुजरने वाली सड़क से होते हुए सामिषा और उसका परिवार न्यूगल कैफेटेरिया पहुंचे।

यहाँ न्यूगल नामक बहुत गहरी खड्ड है जिसमें पहाड़ से टूटी चट्टानों के टुकड़े हैं। खड्ड में बहने वाला साफ़ सुथरा पानी धौलाधार की बर्फ से पिघल कर आता है। इसके बाद वे सभी पालमपुर से 13 कि०मी० दूर अंदरेटा गाँव की ओर चल पड़े। अंदरेटा कई कलाकारों का निवास स्थान रहा है। जिनमें चित्रकार सोभा सिंह तथा नाटककार नोरा रिचर्डस का नाम प्रमुख है।

श्री गुरु नानक देव जी का चित्र जो सोभा सिंह द्वारा तैयार किया गया था प्रत्येक सिक्ख परिवार में है। पालमपुर का नाम कला प्रेमियों के साथ – साथ वीर सैनिकों से भी जुड़ा है। कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए कैप्टन विक्रम बतरा, मेजर सुधीर वालिया तथा कैप्टन सौरभ कालिया का सम्बन्ध पालमपुर से ही है।

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मेजर सुधीर वालिया को अशोक चक्र से तथा कैप्टन विक्रम बतरा को बहादुरी के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। अपनी यात्रा के अंत में सामिषा परिवार सहित बैजनाथ में भगवान शिव के दर्शन कर अपनी यात्रा की सुखद यादें और अनुपम प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द लेते घर वापिस आ गए।

धर्मशाला कठिन शब्दों के अर्थ

  • देवभूमि = देवताओं की भूमि।
  • पर्वत की तलहटी = पहाड़ का धरातल।
  • पर्वतीय स्थल = पहाड़ी क्षेत्र।
  • खूबसूरत = सुंदर।
  • लोअर = नीचे का।
  • अपर = ऊपर का।
  • प्रशासनिक = सरकारी दफ्तर जो प्रशासन से सम्बंधित हों।
  • भ्रमण = घूमना।
  • झुरमुट = समूह।
  • सीढ़ीनुमा = सीढ़ी के आकार का।
  • वेग से = तेज़ गति से।
  • अपलक = बिना पलक झपकाए।
  • निहारना = देखना।
  • प्रतिमा = मूर्ति।
  • हिमाच्छादित = बर्फ को छेदते हुए।
  • हस्तकला = हाथ की कला।
  • रेस्तराँ = खाने – पीने की जगह।
  • पोथियाँ = धार्मिक पुस्तकें।
  • लिप्त = शामिल।
  • जलाशय = तालाब।
  • जलप्रपात = झरने।
  • भागसू = जल।
  • पाषाण = पत्थर।
  • साँझ = शाम।
  • वार = लड़ाई।
  • पथ = रस्ता।
  • स्वर्णाक्षरों = सोने के अक्षरों से।
  • मनभावन = मन को भा जाने वाले।
  • खड़ = खाई।
  • पौ फटते ही = सूर्य की प्रथम किरण निकलते ही।
  • संग्रहालय = कृतियों एवं विशेष वस्तुओं को रखने का स्थान।
  • निर्मित = बनाया हुआ।
  • प्राचीन = पुराना।
  • शहादत = बलिदान।

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धर्मशाला गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. हम 10 बजे मक्लोडगंज पहुँच गए। सामने हिमाच्छादित पर्वतों को देखकर हमारे मन में उमंगें करवटें लेने लगीं। हमने यहाँ के बाज़ार में घूमते हुए देखा कि यहाँ सभी दुकानें तिब्बयों की हैं। अधिकतर दुकानें ऊनी वस्त्रों, स्वैटरों, सजावटी वस्तुओं तथा हस्तकला की हैं तो कुछ तिब्बती रेस्तराँ हैं। यहाँ हमें ऐसे प्रतीत हो रहा था मानों हम ल्हासा (तिब्बत की राजधानी ) में भ्रमण कर रहे हों। हमने यहाँ तिब्बतियों द्वारा स्थापित बौद्ध मन्दिर के भी दर्शन किए। मन्दिर में महात्मा बुद्ध की विशाल प्रतिमा तथा बुद्ध पोथियाँ संग्रहित हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘धर्मशाला’ नामक शीर्षक से उदधुत है जिसकी लेखिका डॉ० मीनाक्षी वर्मा हैं। लेखिका ने यहाँ धर्मशाला के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ – साथ वहाँ के बाजारों तथा वहाँ के निवासियों की धार्मिक आस्थाओं का सुंदर वर्णन किया है।

व्याख्या – लेखिका मक्लोडगंज की सुंदरता का वर्णन करते हुए कहती है कि वे अगले दिन दस बजे मक्लोडगंज पहुँच गए। सामने उसने चित्र देखा उसे वह शब्दों के माध्यम से नहीं बता सकती। बर्फ के बीच से पर्वतों को देखते हुए उनके मन में तरह – तरह की उमंगें करवट लेने लगीं। लेखिका ने वहाँ के बाज़ाराों में घूमते हुए देखा कि यहाँ अधिकतर दुकानें तिब्बतियों की हैं।

इन दुकानों में ऊनी वस्त्र, सजावटी वस्तुएँ तथा हस्तकला की वस्तुओं की भरमार थी। वहाँ एक रेस्तरां भी था जो तिब्बती था। सारे क्षेत्र को देखकर लेखिका को लग रहा था कि जैसे वह तिब्बत की राजधानी लहासा में घूम रही हो। उन्होंने मक्लोडगंज में तिब्बतियों द्वारा स्थापित किए बौद्ध मन्दिर में जाकर दर्शन किए। मन्दिर में भगवान महात्मा बुद्ध एक बहुत बड़ी मूर्ति थी। वहाँ भगवान बुद्ध से सम्बंधित अनेक पोथियाँ भी संग्रहित कर रखी थी।

विशेष –

  • लेखिका ने मक्लोडगंज के बाजारों की सुंदरता तथा वहाँ स्थापित बौद्ध मन्दिर का सुंदर अंकन किया है।
  • भाषा – शैली सरल तथा सहज है।

2. आज सुबह हम लोग तैयार होकर वार मैमोरियल (युद्ध स्मारक) देखने चल पड़े। इसका निर्माण उन वीर सैनिकों की याद में किया गया है जिन्होंने 1947 1948, 1962, 1965, 1971 के युद्धों में देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। काले संगमरमर की तीन पट्टिकाओं पर शहीद हुए सैनिकों के नाम अंकित हैं। यह स्मारक कर्तव्य पथ पर अपने जीवन का बलिदान करने वाले जवानों को नमन करता है तथा आने वाली पीढ़ी कोभी बताता है कि ये वे नाम हैं। जिन्हें भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है, कभी भुलाया नहीं जा सकता।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक के ‘धर्मशाला’ नामक यात्रा वृत्तांत से ली गई हैं। इसकी लेखिका डॉ मीनाक्षी वर्मा हैं। इस पाठ में उन्होंने धर्मशाला के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ – साथ वहाँ के निवासियों की धार्मिक आस्थाओं तथा वहाँ के युद्ध स्मारक का सजीव चित्रण किया है।

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व्याख्या – लेखिका युद्ध स्मारक का वर्णन करते हुए कहती है कि आज सुबह – सुबह वे लोग तैयार होकर युद्ध स्मारक देखने चल पड़े। इस युद्ध स्मारक का निर्माण सन् 1947, 1948, 1962, 1965 तथा 1971 के युद्धों में देश की रक्षा के लिए शहीद हुए उन वीर जवानों की याद में किया गया था जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया था। यहाँ शहीद हुए सैनिकों का नाम काले संगमरमर की तीन पटिकाओं पर लिखा हुआ है।

यह स्मारक हमें उन जवानों को नमन करने की याद दिलाता है जिन्होंने अपने कर्तव्य को निभाने के लिए अपने प्राणों को देश के लिए बलिदान कर दिया था। ये संगमरमर की पटिकाओं पर लिखे नाम हमें तथा आने वाली पीढ़ी को बताते हैं कि इन वीरों का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा है न तो इन वीरों को भुलाया जा सकता है न ही इनकी वीरता को कभी भी भुलाया जा सकेगा।

विशेष –

  • लेखिका ने युद्ध स्मारक तथा देश की रक्षा हेतु अपना बलिदान देने वाले शहीदों को नमन करने की बात कही।
  • भाषा शैली सरस और सुबोध है।

3. इसके उपरान्त हम पालमपुर से 13 कि०मी० दूर अंदरेटा गाँव की ओर रवाना हुए। अंदरेटा कई एकान्तप्रिय कलाकारों का निवास स्थान रहा है जिनमें चित्रकार सोभा सिंह तथा नाटककार नोरा रिचर्डस का नाम प्रमुख है। हमने पंजाब के श्रेष्ठ चित्रकार सोभा सिंह की कलाकृतियों का संग्रहालय देखा। सोभा सिंह का श्री गुरु नानक का चित्र हर सिक्ख परिवार में तथा सोहनी महीवाल का प्रसिद्ध चित्र उत्तरी भारत के हर कला प्रेमी के पास है। सोभा सिंह द्वारा निर्मित सुन्दरियों के चित्र, भारतीय चित्रकला में विशेष महत्त्व रखते हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में वर्णित यात्रा वृत्तांत ‘धर्मशाला’ नामक शीर्षक से लिया गया है। इसकी लेखिका डॉ० मीनाक्षी वर्मा हैं। इस पाठ में लेखिका ने धर्मशाला के प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ – साथ वहाँ के प्रसिद्ध व्यक्तियों एवं कलाओं का वर्णन किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि पालमपुर में घूमने के बाद वह सपरिवार पालमपुर से तेरह कि०मी० दूर अंदरेटा गाँव गए। अंदरेटा कला की दृष्टि से काफ़ी प्रसिद्ध स्थान है। यह कई एकांत चाहने वाले कलाकारों का घर रहा है। जिनमें मुख्य रूप से चित्रकार सोभा सिंह तथा प्रसिद्ध नाटककार नोरा रिचर्डस का नाम आता है।

यहाँ घूमते हुए लेखिका ने पंजाब के सुप्रसिद्ध श्रेष्ठ चित्रकार सोभा सिंह की कलाकृतियों का एक संग्रहालय देखा जिसमें उन्होंने अपनी बहुत – सी सुंदर चित्रकलाकृतियाँ रखी हुई थीं। सोभा सिंह के द्वारा बनाया गया गुरु नानक देव जी का चित्र आज सभी सिक्ख परिवारों में देखने को मिलता है।

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इसके साथ – साथ सोहनी महीवाल का चित्र उत्तरी भारत के प्रत्येक कला – प्रेमी के पास मिलता है। भारतीय चित्रकला में सोभा सिंह द्वारा बनाए गए सुंदर स्त्रियों के चित्र अपना एक विशेष स्थान एवं महत्त्व रखते हैं।

विशेष –

  • लेखिका ने श्रेष्ठ चित्रकार सोभा सिंह की सुंदर चित्रकला की विशेषताओं को प्रकट किया है।
  • भाषा प्रवाहमयी है।

4. पालमपुर का नाम केवल कला प्रेमियों से ही नहीं जुड़ा बल्कि देश के वीर सैनिकों से भी जुड़ा है। कारगिल युद्ध के दौरान जिन जवानों की शहादत से विजय प्राप्त हुई उनमें कैप्टन विक्रम बतरा, मेजर सुधीर वालिया तथा कैप्टन सौरभ कालिया का सम्बन्ध पालमपुर से ही है। इनमें कैप्टन विक्रम बतरा की बहादुरी के लिए सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार परमवीर चक्र तथा मेजर सुधीर वालिया को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया है।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में वर्णित यात्रा वृतांत ‘धर्मशाला’ नामक पाठ से लिया गया है, जिसकी लेखिका डॉ० मीनाक्षी वर्मा हैं। लेखिका ने इस पाठ में प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ – साथ वहाँ के वीर जवानों की वीरता का सुंदर चित्रण किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि पालमपुर पर्वतीय क्षेत्र का नाम मात्र कला प्रेमियों से ही नहीं जुड़ा है अपितु इसका नाम भारत देश के साहसी सैनिकों से भी जुड़ा है। कारगिल युद्ध में भारत को जिन वीर जवानों की शहादत से भारत को विजय प्राप्त हुई उनमें कैप्टन विक्रम बतरा, मेजर सुधीर वालिया तथा कैप्टन सौरभ कालिया पालमपुर के ही रहने वाले थे।

इन वीर जवानों में से कैप्टन विक्रम बतरा को वीरता के लिए भारतीय सेना का सबसे बड़ा पदक परमवीर चक्र मिला तथा मेजर सुधीर वालिया को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। भाव यह है कि पालमपुर कलाप्रेमियों के साथ – साथ वीर बाँकुरों का भी स्थान है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 15 धर्मशाला

विशेष –

  • लेखिका ने पालमपुर को कला तथा वीरता का अनूठा सामंजस्य स्थापित करने वाला क्षेत्र बताया है।
  • भाषा शैली अत्यंत सरल और सुबोध है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 14 गिल्लू Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 14 गिल्लू (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB गिल्लू Textbook Questions and Answers

गिल्लू अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) गिल्लू कौन था?
उत्तर :
गिल्लू गिलहरी जाति का एक छोटा – सा जीव था।

(ख) लेखिका ने उसे स्वस्थ करने के लिए क्या उपचार किया?
उत्तर :
लेखिका ने गिल्लू को ठीक करने के लिए रूई की पतली बत्ती दूध में भिगोकर उसके नन्हें मुँह में लगाई। तीसरे दिन वह पूर्णत: स्वस्थ हो गया।

(ग) गिल्लू का घर कैसा था?
उत्तर :
गिल्लू का घर एक हल्की डलिया में बिछा रूई का बिछौना था जो तार से खिड़की पर लटका था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

(घ) लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था ?
उत्तर :
जब लेखिका लिखने बैठती थी तो गिल्लू उसका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए पर्दे पर चढ़ जाता था और फिर तेजी से उतर जाता था।

(ङ) लेखिका ने गिल्लू को बाहर झाँकते देखकर क्या किया?
उत्तर :
गिल्लू को जाली के पास बैठकर अपनेपन से बाहर झांकते देखकर लेखिका को लगा कि इसे मुक्त कर देना चाहिए।

(च) गिल्लू लेखिका को चौंकाने के लिए क्या करता था?
उत्तर :
लेखिका को चौंकाने के लिए गिल्लू कभी फूलदान के फूलों में छिप जाता, कभी परदों की चुन्नर में और कभी सोनजुही की पत्तियों में।

(छ) लेखिका के अस्वस्थ होने पर गिल्लू ने क्या-क्या किया?
उत्तर :
लेखिका की अस्वस्थता में वह तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हें पंजों से लेखिका का सिर दबाता था। उसने अपना प्रिय खाद्य काजू खाना भी छोड़ दिया था।

(ज) गिल्लू के जीवन का अंत किस प्रकार हुआ?
उत्तर :
गिलहरी का जीवन दो वर्ष का होता है। अतः अपनी जीवन अवधि पूरी कर रात में अन्त की यातना में वह लेखिका की उंगली पकड़ कर हाथ से चिपक गया जिसे उसने मरणासन्न स्थिति में पकड़ा था।

4. इन वाक्यों के भाव स्पष्ट करें :

(क) ‘जातिवाचक संज्ञा को व्यक्तिवाचक का रूप दे दिया।’
उत्तर :
गिल्लू अब जातिवाचक संज्ञा नहीं रहा, क्योंकि गिल्लू गिलहरी के हर बच्चे को गिल्लू कहा जाता है परन्तु अब वह गिल्लू एक था।

(ख) ‘उसका हटना परिचारिका के हटने के समान लगता।’
उत्तर :
गिल्लू लेखिका के निकट से हटा तो ऐसा लगा मानो कोई सेवा करने वाली लेखिका से दूर हट गई है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

(ग) “किसी और जीवन में जागने के लिए सो गया।’
उत्तर :
गिल्लू का मरना एक प्रकार से किसी और जीवन में परिवर्तन था। वह सो गया किसी और जीवन में जागने के लिए।

5. इन शब्दों के अर्थ लिखते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. निश्चेष्ट __________ _______________________________
  2. कार्यकलाप __________ _______________________________
  3. विस्मित __________ _______________________________
  4. आश्वस्त __________ _______________________________
  5. स्निग्ध __________ _______________________________
  6. मरणासन्न __________ _______________________________

उत्तर :

  1. निश्चेष्ट = बिना हिले – जुले।
    वाक्य – कौवों की चोंचों के घाव से गिलहरी का बच्चा निश्चेष्ट – सा गमले से चिपका पड़ा था।
  2. कार्यकलाप = क्रियाएँ।
    वाक्य – गिल्लू के कार्यकलाप पर सभी को आश्चर्य होता था।
  3. विस्मित = चकित।
    वाक्य – सुबह उठने पर जब पता चला भारत मैच जीत गया तो मैं विस्मित रह गया।
  4. आश्वस्त = तसल्ली पाया हुआ।
    वाक्य – रमेश ने मुझे आश्वस्त किया है कि वो बुरे समय में मेरी सहायता करेगा।
  5. स्निग्ध = चिकने।
    वाक्य – मोहन के घर में लगा पत्थर बहुत ही स्निग्ध है।
  6. मरणासन्न = मरने के निकट।
    वाक्य – आग में बुरी तरह झुलस जाने कारण रोहित की स्थिति मरणासन्न की है।

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6. विपरीत शब्द लिखें :

  1. लघु = …………………….
  2. चंचल = …………………….
  3. सुलभ = …………………….
  4. मुक्ति = …………………….
  5. उष्णता = …………………….
  6. तीव्र = …………………….

उत्तर :

  1. लघु = गुरु
  2. मुक्ति = बंधन
  3. चंचल = शांत
  4. उष्णता = शीतलता
  5. सुलभ = दुर्लभ
  6. तीव्र = मंद

7. विशेषण बनायें :

  1. चमक = …………………….
  2. कठिनाई = …………………….
  3. स्वर्ण = …………………….
  4. ठंडक = …………………….
  5. चंचलता = …………………….
  6. उष्णता = …………………….
  7. बसंत = …………………….
  8. विश्वास = …………………….

उत्तर :

  1. चमक = चमकीला
  2. कठिनाई = कठिन
  3. स्वर्ण = स्वर्णिम
  4. ठण्डक = ठंडा
  5. चंचलता = चंचल
  6. उष्णता = उष्ण
  7. बसन्त = बासन्ती/बसन्ती
  8. विश्वास = विश्वसनीय

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8. ‘इत’ शब्दाँश लगाकर नये शब्द बनायें :

  1. विस्मय + इत = विस्मित
  2. सम्मान + इत = …………………….
  3. आकर्षण + इत = …………………….
  4. परिचय + इत = …………………….
  5. प्रकाश + इत = …………………….
  6. फल + इत = …………………….

उत्तर :

  1. विस्मय + इत = विस्मित
  2. सम्मान + इत = सम्मानित
  3. आकर्षण + इत = आकर्षित
  4. परिचय + इत = परिचित
  5. प्रकाश + इत = प्रकाशित
  6. फल + इत = फलित

9. निम्नलिखित मुहावरों को इस तरह वाक्य में प्रयोग करें ताकि उनका अर्थ स्पष्ट हो जाये।

  1. सिर से पैर तक दौड़ लगाना ____________________
  2. जीवन यात्रा का अंत होना ____________________

उत्तर :

  1. सिर से पैर तक दौड़ लगाना = खूब भाग – दौड़ करना।
    वाक्य – मुकेश ने नौकरी पाने के लिए सिर से पैर तक दौड़ लगा दी थी।
  2. जीवन यात्रा का अन्त होना = मृत्यु होना।
    वाक्य – बीमारी से लम्बे संघर्ष के बाद रोहन के दादा जी की जीवन यात्रा का अन्तः हो गया।

10. यदि आपको कुत्ते का पिल्ला या बिल्ली का बच्चा मिल जाये तो आप उसकी देखभाल कैसे करेंगे?
उत्तर :
यदि कभी मुझे कुत्ते का पिल्ला मिल गया तो मैं उसकी खुब देखभाल करूँगा। उसे अपने साथ घर पर ले आऊँगा। उसके खाने के लिए अलग से बर्तन का प्रबन्ध करूँगा। उसके गले में एक सुन्दर – सा पट्टा बाँधूंगा। उसे प्रतिदिन स्नान कराऊँगा। उसके रहने, खाने – पीने का उचित ध्यान रखूगा। उसके साथ अनेक खेल खेलूँगा। उसे अपने साथ घुमाने भी ले जाऊँगा। सर्दियों में उसके लिए गर्म स्थान का प्रबंध करूँगा। उसकी भूख प्यास का उचित ध्यान रखूगा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

प्रयोगात्मक व्याकरण

  • गिल्लू परदे पर चढ़ा और नीचे उतर गया।
  • गिल्लू अन्य खाने की चीजें लेना बन्द कर देता था या झूले से नीचे फेंक देता था।
  • उनका मुझसे लगाव कम नहीं है परन्तु उनमें से किसी को मेरे साथ मेरी थाली में खाने की हिम्मत नहीं हुई।
  • भूख लगने पर गिल्लू का चिक-चिक करना ऐसा लगा मानो मुझे अपने भूखे होने की सूचना देता हो।
  • सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू को समाधि दी गयी, क्योंकि उसे वह लता सबसे प्रिय थी।
  • गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती, अत: गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत आ ही गया।
  • गिल्लू को कौवे की चोंच से घाव हो गया था, इसलिए वह निश्चेष्ट-सा गमले से चिपका पड़ा था।

उपयुक्त वाक्यों में ‘और’, ‘या’, ‘परन्तु’, ‘मानो’, ‘क्योंकि’, ‘अतः’, तथा इसलिए’ शब्द दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ रहे हैं। इन शब्दों को योजक या समुच्चयबोधक शब्द कहते हैं।

अतएव दो शब्दों, वाक्य के अंशों और वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों को योजक या समुच्चयबोधक कहते हैं।

अन्य योजक शब्द : एवं, तथा, किंतु, चाहे, पर, इस कारण, यानि, कि यद्यपि—-तथापि, चाहे—- फिर भी आदि।

महादेवी वर्मा द्वारा रचित ‘मेरा परिवार’ से उनके पालतू पशु-पक्षी के शब्द चित्रों की जानकारी प्राप्त करें।

प्रस्तुत पाठ एक संस्मरण है। कविता, कहानी, लेख की भाँति यह भी साहित्य की एक विधा है। इसका अर्थ है-स्मृति के आधार पर किसी व्यक्ति विषय या पशु-पक्षी के संबंध में लिखित लेख। यह पाठ श्रीमती महादेवी वर्मा द्वारा लिखित है। इनकी कुछ रचनाएँ अपने पुस्तकालय से लेकर पढ़ें। इनके द्वारा लिखित अन्य संस्मरण हैं: घीसा, गौरा, नीलकंठ मोर, सोनाहिरणी, नीलू आदि। इन्हें पढ़ें और लेखिका के पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम तथा संवेदनशीलता को अनुभव करें।

गिल्लू Summary in Hindi

गिल्लू पाठ का सार

‘गिल्लू’ श्रीमती महादेवी वर्मा का जीव – मनोविज्ञान पर आधारित एक मार्मिक संस्मरण है। लेखिका सोन जही में लगी पीली कली को देख कर उस लघ प्राण गिल्ल की स्मतियों में डूब जाती है। वह कभी इसी लता की हरियाली में छिप कर बैठता था। गिल्लू अचानक लेखिका के कन्धे पर कूद कर उसे चौंका देता था। लेखिका पहले सोन जूही में कली की तलाश में रहती थी, परन्तु अब उसे गिल्लू की तलाश है, क्योंकि वह मिट्टी में मिल गया है।

लेखिका ने एक दिन देखा कि दो कौवे एक गमले के चारों ओर चोंचों से छुआ छुओवल जैसा खेल – खेल रहे हैं। अचानक लेखिका का ध्यान गमले के साथ सटे एक लघु प्राण गिलहरी के बच्चे की ओर गया। कौवे उसे अपना आहार बनाना चाहते थे। उन्होंने उसे अपनी चोंचों से घायल कर दिया था, जिस कारण वह मृतप्राय था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू 5

लेखिका ने उसे उठाया और उसका उपचार किया। उसे मरहम लगाई गई। मुँह में पानी की बूंद टपकाई, तीन दिन बाद वह लेखिका की उंगली पर बैठ कर इधर – उधर देखने लगा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

तीन – चार मास बीत जाने पर गिलहरी के बच्चे के स्निग्ध रोयें, झब्बेदार पूंछ और चंचल चमकीली आँखें सब को आकृष्ट करने लगीं। उसका नामकरण कर दिया गया। उसे ‘गिल्लू’ कह कर पुकारा जाने लगा। उसे फूलों की टोकरी में रूई बिछा कर खिड़की पर लटका दिया जाता। वही दो वर्ष गिल्लू का घर रहा। वह कांच के मनकों – सी आँखों से अन्दर और बाहर सब कुछ देखता रहता। उसकी समझदारी पर सब हैरान होते।

लेखिका लिखने बैठती तो गिल्लू उसके पैरों तक आ कर तेज़ी से खिड़की के परदे पर जा चढ़ता। कभी – कभी लेखिका उसे पकड़ कर एक लम्बे लिफाफे में रख देती। ऐसी स्थिति में वह घण्टों लेखिका की सारी गतिविधियां देखता रहता।

गिल्लू के जीवन का पहला बसन्त आया। नीम – चमेली की गन्ध कमरे में आने लगी। बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली में से उसे देखतीं। गिल्लू भी बाहर झांकता। लेखिका ने उसे मुक्त करना आवश्यक समझा। जाली का एक कोना खोल दिया। गिल्लू ने बाहर निकल कर सुख की सांस ली। इतने छोटे जीव को कुत्ते – बिल्लियों से बचाना भी एक समस्या थी। लेखिका के कॉलेज से लौटने पर जैसे ही कमरा खुलता गिल्लू जाली के द्वार से अन्दर जाकर दौड़ लगाने लगता।

लेखिका के पास अनेक पशु – पक्षी थे, परन्तु किसी को उसकी थाली में खाने का साहस न होता था परन्तु गिल्लू इनमें अपवाद था। लेखिका जैसे ही खाने के कमरे में पहुँचती गिल्लू तुरन्त बरामदा पार करके मेज़ पर पहुँच जाता। लेखिका ने उसे बड़ी कठिनाई से थाली के पास बैठना सिखाया। वह एक – एक चावल उठा कर बड़ी सफ़ाई से खाता रहता। काजू उसका प्रिय खाद्य था।

एक बार लेखिका मोटर – दुर्घटना में घायल हो गई। उसे अस्पताल में रहना पड़ा। जब लेखिका के कमरे का दरवाजा खुलता तो गिल्लू अपने झूले से उतर कर दौड़ता लेकिन फिर किसी दूसरे को देख कर झूले में जा छिपता। सब उसे काजू दे जाते। परन्तु वह उन्हें न खाता। यह लेखिका को तब पता चला जब वह अस्पताल से घर लौटी और झूले की सफ़ाई की।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

गिलहरी के जीवन की अवधि प्राय: दो साल से अधिक नहीं होती। गिल्लू के जीवन का अन्त निकट आ गया। उसने दिन भर न कुछ खाया और न बाहर ही गया। रात में वह झले से उतर कर लेखिका के बिस्तर पर आया और उंगली पकड़ कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन में मरणासन्न हालत में पकड़ा था। उसे बचाने का उपचार किया गया। परन्तु सुबह होते ही उसके जीवन का अन्त हो गया।

गिल्लू कठिन शब्दों के अर्थ

  • अनायास = अचानक।
  • स्मरण = याद।
  • हरीतिमा = हरियाली।
  • स्निग्ध = चिकने।
  • विस्मित = हैरान।
  • डलिया = टोकरी।
  • कार्यकलाप = गतिविधियों।
  • आकर्षित = आकृष्ट।
  • अतिरिक्त = अलावा।
  • अदभुत स्थिति = अनोखी हालत।
  • प्रथम = पहला।
  • अपवाद = निर्विवाद।
  • आहत = घायल।
  • खाद्य = खाने योग्य पदार्थ।
  • अस्वस्थता = बीमारी।
  • परिचारिका = सेवा करने वाली।
  • सर्वथा = बिल्कुल।
  • मरणासन्न = मौत के समीप।
  • उष्णता = गर्मी।
  • स्पर्श = छूना।
  • लता = बेल।
  • समाधि = ध्यानस्थ होना, चिर – निन्द्रा।
  • लघुगात = छोटे शरीर वाला।
  • पीताभ = पीली चमक।
  • लघुप्राण = छोटे प्राणों वाला।

गिल्लू गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. अचानक एक दिन सवेरे कमरे से बरामदे में आकर मैंने देखा, दौ कौवे एक गमले के चारों ओर चोंचों से छुआ – छुऔवल जैसा खेल खेल रहे हैं। गमले और दीवार की सन्धि में छिपे एक छोटे – से जीव पर मेरी दृष्टि रुक गई। निकट जाकर देखा, गिलहरी का एक छोटा – सा बच्चा है, जो सम्भवतः घोंसले से गिर पड़ा है और अब कौवे जिसमें सुलभ आहार खोज रहे हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘गिल्लू’ नामक शीर्षक से लिया गया है जो महादेवी वर्मा द्वारा रचित एक संस्मरण है। लेखिका ने यहाँ अपने पशु प्रेम को उजागर किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि एक दिन जब वह अपने कमरे से बरामदे में आई तो अचानक उसने देखा कि दो कौए एक गमले के चारों ओर अपनी चोंचों से कुछ छूने का खेल खेल रहे हैं। तभी लेखिका की दृष्टि गमले और दीवार के बीच खाली पड़ी जगह पर गई। जब उसने पास जाकर देखा तो वहाँ गिलहरी का एक छोटा – सा बच्चा था जिसे देख लगता था कि वह अपने घोंसले से गिर गया होगा। अब कौए उसे अपना भोजन बनाने के लिए ढूँढ़ रहे थे।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

विशेष –

  • लेखिका ने घायल गिलहरी के बच्चे की करुण दशा का चित्रण किया है।
  • भाषा प्रवाहमयी है।

2. वह मेरे पैर तक आकर सर से परदे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता। उसका यह दौड़ने का क्रम तब तक चलता, जब तक मैं उसे पकड़ने के लिए न उठती। – कभी मैं गिल्लू को पकड़कर एक लम्बे लिफ़ाफ़े में इस प्रकार रख देती कि उसके अगले दो पंजों और सिर के अतिरिक्त सारा लघु गात लिफ़ाफ़े के भीतर बन्द रहता। इस अद्भुत स्थिति में कभी – कभी घण्टों मेज़ पर दीवार के सहारे खड़ा रहकर वह अपनी चमकीली आँखों से मेरा कार्यकलाप देखा करता।

प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘गिल्लू’ नामक संस्मरण से अवतरित है जिसकी रचयिता महादेवी वर्मा हैं। लेखिका ने यहाँ गिल्लू की उछल – कूद का सजीव चित्रण किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि गिलहरी का बच्चा जिसका नाम उसने गिल्लू रखा हुआ था उसके पैर के पास आकर तेजी से परदे पर चढ़ जाता था फिर कुछ ही देर में उसी तेजी से उतर भी जाता था। लेखिका कहती है कि गिल्लू के दौड़ने – भागने का खेल तब तक चलता रहता था जब तक वह उसे पकड़ने के लिए खड़ी नहीं हो जाती थी। लेखिका बताती है कि कभी – कभी वह गिल्लू को एक लिफाफे में बंद कर देती थी।

उस लिफ़ाफ़े से बस उसके अगले दोनों पैर और सिर के अलावा कुछ नहीं दिखता था। उसका छोटा – सा शरीर लिफ़ाफ़े के अन्दर ही बन्द रहता था। लिफ़ाफ़े के अन्दर बन्द रहते हुए वह घण्टों दीवार के सहारे मेज़ पर खड़ा होकर लेखिका के कामकाज को देखता रहता था।

विशेष –

  • लेखिका ने गिल्लू की उछल – कूद को बड़े ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है।
  • भाषा सरल, सहज है।

3. वह मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता और इस प्रकार समीप भी रहता और ठण्डक में रहता। गिलहरियों के जीवन की अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं होती अत: गिल्लू की जीवन यात्रा का अन्त आ ही गया। दिनभर उसने न कुछ खाया, न बाहर गया। रात में अन्त की यातना में भी वह मेरी वही उंगली पकड़कर हाथ से चिपक गया, जिसे उसने अपने बचपन की भरणासन्न स्थिति में पकड़ा था।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘गिल्लू’ नामक संस्मरण से अवतरित है जिसकी लेखिका महादेवी वर्मा है। लेखिका ने यहाँ अपने पशु प्रेम को उजागर करते हुए गिलहरी के बच्चे की क्रियाकलाप एवं जीवन यात्रा का वर्णन किया

व्याख्या – लेखिका गिल्लू के क्रियाकलाप का वर्णन करते हुए कहती है कि कभी वह उसके पास रखी सुराही के पास लेट जाता था। इस प्रकार वह पास भी रहता था और ठण्डक में भी रहता था। लेखिका कहती है कि गिलहरियों का जीवन – काल दो साल से अधिक नहीं होता।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

इसलिए गिल्लू का अन्तिम समय आ गया था। आज दिन भर उसने कुछ भी नहीं खाया था। न ही वह बाहर गया था। अपने जीवन की अन्तिम रात में यातना सहते हुए गिल्लू लेखिका की वह उंगली पकड़ कर हाथ से चिपक गया था, जिसे उसने अपने बचपन में अपनी मरने वाली घायल स्थिति में पकड़ा था।

विशेष –

  • लेखिका ने गिल्लू की मृत्यु का करुण चित्र अंकित किया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

4. सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू को समाधि दी गयी है – इसलिए भी कि उसे वह लता सबसे अधिक प्रिय थी – इसलिए भी कि उस लघु गात का, किर्स बासन्ती दिन, जुही के पीताभ छोटे फूल में खिल जाने का विश्वास मुझे सन्तोष देत है।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘गिल्लू’ नामक संस्मरण से अवतरित है। इसकी लेखिका महादेवी वर्मा है। लेखिका ने यहाँ गिल्लू के समाधि देने का चित्रण किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि गिल्लू को सोनजुही की बेल के नीचे समाधि दी गई उसे सोनजुही की बेल अत्यधिक प्यारी थी। इसलिए गिल्लू को उसी के नीचे समाधि र्द गई। लेखिका कहती है कि उसे सोनजुही बेल के नीचे समाधि देने का एक बड़ा कारण यह भी था कि उसे पूर्ण विश्वास है कि किसी बसन्त ऋतु के दिन सोनजूही के छोटे खिले फूलों में उसके नन्हें शरीर वाले गिल्लू का फिर से जन्म होगा। भाव यह है कि गिल सोनजुही के खिले हुए फूलों के रूप में फिर से लौट कर आएगा।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 14 गिल्लू

विशेष –

  • लेखिका ने गिल्ल के प्रति अपने अगाध प्रेम को उजागर किया है।
  • भाषा शैली सरस है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 13 साक्षरता अभियान (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB साक्षरता अभियान Textbook Questions and Answers

साक्षरता अभियान अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) साक्षरता का क्या अर्थ है ?
उत्तर :
अक्षरों को पढकर ज्ञान अर्जित करना साक्षरता कहलाता है।

(ख) चिड़िया अपना घोंसला बनाने के लिए क्या करती है ?
उत्तर :
चिड़िया अपना घोंसला बनाने के लिए दूर जंगल से तिनका चुनकर लाती है और उन तिनको को जोड़कर अपना घोंसला बनाती है।

(ग) हम अपनी मंजिल को कैसे पा सकते हैं ?
उत्तर :
हम अपने अंदर हिम्मत और विश्वास जगाकर अपनी मंजिल को प्राप्त कर सकते हैं।

(घ) हम ज्ञानी कैसे बन सकते हैं ?
उत्तर :
हम प्रतिपल यदि अक्षरों को सीखें तथा दूसरों को सिखाएँ तो इससे हमारा शब्द ज्ञान बढ़ेगा और भाषा पर हमारा अधिकार स्थापित होगा तब हम ज्ञानी बन सकते हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) कवयित्री ने साक्षरता अभियान को समझाने के लिए कौन-कौन से उदाहरण दिये हैं ?
उत्तर :
कवयित्री ने साक्षरता को समझाने के लिए निम्नलिखित उदाहरण दिए हैं।

  • एक – एक बूंद से घड़ा भर जाता है।
  • एक – एक पैसा जोड़ने से काफ़ी धन जुड़ जाता है।
  • एक – एक तिनका जोड़ने से घोंसला बन जाता है।
  • एक – एक शब्द सीखने से व्यक्ति विद्वान् बन जाता है।

(ख) साक्षर बनने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर :
साक्षर बनने के लिए हमें एक – एक शब्द याद करना चाहिए जिससे हमारा शब्द भण्डार बढ़ जाएगा। इससे हमारे ज्ञान की वृद्धि होगी। तब सही अर्थों में हम साक्षर कहलाएँगे जब हम अपने ज्ञान का प्रसार करके औरों को ज्ञान बाँटेंगे।

5. अर्थ लिखते हुए वाक्य बनायें :

  1. राहगीर __________ ____________________________
  2. नीड़ __________ ____________________________
  3. मंजिल __________ ____________________________
  4. अभियान __________ ____________________________
  5. कृतार्थ __________ ____________________________

उत्तर :

  1. राहगीर = मुसाफिर
    वाक्य – राहगीर थककर पेड़ के नीचे बैठ गया।
  2. नीड़ = घोंसला
    वाक्य – चिड़िया एक – एक तिनका जोड़कर अपना नीड़ बनाती है।
  3. मंजिल = लक्ष्य, मुकाम
    वाक्य – दृढ़ निश्चय और साहस के साथ ही मंजिल पर पहुँचा जा सकता है।
  4. अभियान = आंदोलन
    वाक्य – साक्षरता अभियान में सभी को बढ़ – चढ़ कर भाग लेना चाहिए।
  5. कृतार्थ = धन्य
    वाक्य – महापुरुषों के दर्शन हर कर व्यक्ति स्वयं को कृतार्थ समझता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान

6. निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट करें :

  1. जल की छोटी-छोटी बूंदें
    टपक टपक घट भर देती
  2. रोज़ बचाएँ यदि इक पैसा
    धन एकत्रित कर सकते हैं।
  3. शब्द ज्ञान बढ़ाएँ अपना
    भाषा पर अधिकार जमाएँ।
  4. श्रम करना है धर्म हमारा
    कभी नहीं घबरायेंगे।

उत्तर :

  1. उक्त पंक्तियों के माध्यम से कवयित्री कहना चाहती है कि पानी की छोटी छोटी बूंदें टपक – टपक कर एक घड़ा भर देती हैं भाव यह है कि एक साक्षर व्यक्ति अपने प्रयास से अनेक अनपढ़ व्यक्तियों साक्षर बना सकता है। थोड़ा – थोड़ा पढ़कर ज्ञानवान बना जा सकता है।
  2. इन पंक्तियों से कवयित्री कहना चाहती है कि यदि हम लोग प्रतिदिन एक – एक पैसा बचाएँ तो धन इकट्ठा कर सकते हैं भाव यह है कि छोटी बचत से ही बड़ी बचत की जा सकती है।
  3. इन पंक्तियों में कवयित्री कहती है कि अपने शब्द ज्ञान को बढ़ाएँ और भाषा पर अधिकार जमाएँ। भाव यह है कि हर पल हमें कुछ न कुछ पढ़ना और सीखना चाहिए इससे हमारे शब्द ज्ञान में वृद्धि होगी और भाषा को अच्छी तरह पढ़ और सीख सकेंगे। अतः हम साक्षरता का अभियान चलाकर हम अच्छे विद्वान् बन सकते हैं।
  4. इन पंक्तियों के माध्यम से कवयित्री कहती है कि हमारा धर्म मेहनत करना है। मेहनत करने से हम कभी घबराएँगे नहीं। भाव यह है कि हम मेहनत से पढ़ लिखकर अपने ज्ञान – कौशल को बढ़ाएँगे।

7. पर्यायवाची शब्द लिखें :

  1. जंगल = ________, ________
  2. नीड़ = ________, ________
  3. पग = ________, ________
  4. घट = ________, ________
  5. राहगीर = ________, ________
  6. श्रम = ________, ________

उत्तर :

  1. जंगल = वन, कानन, विपिन
  2. नीड़ = घोंसला, घरौंदा, आश्रय
  3. पग = पाँव, पैर, चरण
  4. घट = शरीर, घड़ा, मिट्टी का कलसा
  5. राहगीर = मुसाफिर, पथिक, यात्री
  6. श्रम = मेहनत, परिश्रम, आयास

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान

8. बहुवचन रूप लिखें :

  1. चिड़िया = ______________
  2. पैसा = ______________
  3. तिनका = ______________
  4. भाषा = ______________
  5. बूंद = ______________
  6. मंज़िल = ______________

उत्तर :

  1. चिड़िया = चिड़ियाँ
  2. पैसा = पैसे
  3. तिनका = तिनके
  4. भाषा = भाषाएँ
  5. बूंद = बूंदें
  6. मंजिल = मंज़िलें

9. इन अक्षरों को जोड़कर शब्द लिखें :

  1. अक्षर = अ + क् + ष + र + अ
  2. —- = च् + इ + इ + य + आ
  3. —- = स्+ आ + क् + ष + र् + अ + त् + आ
  4. —- = अ + भ् + इ + य + आ + न् + अ

उत्तर :

  1. अक्षर
  2. चिड़िया
  3. साक्षरता
  4. अभियान

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान

10. देश को साक्षर बनाने के लिए आप क्या योगदान दे सकते हैं ? पाँच वाक्य लिखें।
उत्तर :
देश को साक्षर बनाने के लिए हम अग्रलिखित योगदान दे सकते हैं

  • देश में शिक्षा के लिए जन जागृति ला सकते हैं।
  • आपने आस – पड़ोस में अशिक्षित लोगों को शिक्षित कर सकते हैं।
  • अशिक्षित लोगों में शिक्षा के प्रति रुचि उत्पन्न कर सकते हैं।
  • देश के लोगों में सभ्यता और शिष्टाचार की भावना बढ़ा कर।
  • गरीब बच्चों का मुफ्त पढ़ाकर।

11. यदि देश के सभी नागरिक पढ़े-लिखे होंगे तो देश को क्या लाभ होगा?
उत्तर :
यदि देश के नागरिक पढ़े – लिखे होंगे तो देश का चहुँमुखी विकास हो सकेगा। देश दिन दुगुनी और रात चौगुनी उन्नति करेगा। देश में कोई भी व्यक्ति अनपढ़ता का शिकार नहीं होगा। सभी सभ्य और सामाजिक कहलाएँगे। किसी को किसी अन्य के ज्ञान पर आश्रित नहीं रहना पड़ेगा। एक अच्छी शिक्षा मानव में नैतिकता का संचार कर उसे एक अच्छा नागरिक बनाने में सहायक होती है। एक पढ़ा – लिखा व्यक्ति अपने देश के विकास में सदैव सहायक हो सकता है। वह देश की नीतियों को अच्छे से समाप्त कर उनका अनुपालन कर सकता है।

जानिये:-
1. हमें भविष्य के लिए सदैव कुछ धन बचाकर रखना चाहिए। प्रतिदिन बचाया गया थोड़ा-थोड़ा पैसा हमें जीवन में एकदम आने वाली कठिनाइयों से बचा सकता है।
2. यह भी याद रखें कि जीवन में पैसा बहुत कुछ है, पर सब कुछ नहीं। जीवन में बहुत कुछ ऐसा होता है, जिसे धन-दौलत देकर भी नहीं खरीदा जा सकता। हमें अच्छे व सच्चे मित्र, प्यार करने वाले माँ-बाप भाई बहन, और ऐसी बहुत सारी चीज़ों के मूल्यों को भी समझना चाहिए।
3. ज्ञान बढ़ाओ और बाँटो। इससे आप किसी के और कोई आपका मित्र बन जायेगा।

साक्षरता अभियान Summary in Hindi

साक्षरता अभियान कविता का सार

‘साक्षरता अभियान’ डॉ. कमलेश बंसल द्वारा रचित एक प्रसिद्ध कविता है। कवयित्री का मानना है कि स्वयं पढ़कर तथा अनपढ़ लोगों को पढ़ाकर अज्ञानता को दूर किया जा सकता है, जिससे देश उन्नति करेगा। साक्षर बनने के लिए हमें एक – एक शब्द याद करना चाहिए। अपना शब्द भण्डार बढ़ाना चाहिए।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान

कवयित्री ने अपनी इस कविता में साक्षरता अभियान के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि चिड़िया कहीं दूर जंगल से तिनका चुनकर लाती है और उन तिनकों को जोड़ जोड़ कर अपना एक छोटा – सा घोंसला बना लेती है। मुसाफ़िर एक – एक कदम बढ़ाकर अपने रास्ते पर चलते रहते हैं। वे अपने अन्दर हिम्मत और विश्वास जगाकर अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेते हैं। पानी की छोटी – छोटी बूंदें टपक – टपक कर घड़ा भर देती हैं।

यदि घड़े में छेद हो जाए तो पानी बूंद – बूंद कर के बह जाता है तथा घड़ा खाली हो जाता है। हम प्रतिदिन पढ़कर ज्ञानवान बन सकते हैं और इसी प्रकार एक – एक पैसा इकट्ठा कर के हम धन भी इकट्ठा कर सकते हैं। यदि हम हर पल अक्षरों को सीखें तथा दूसरों को सीखाएं तो हम पूर्ण ज्ञाता बन सकते हैं।

मेहनत से धन तथा यश की प्राप्ति होती है। हम सब भारत देश के बच्चे हैं। हम आगे ही आगे बढ़ते जाएंगे। मेहनत करना हमारा धर्म है। हम कभी घबराएंगे नहीं। हम पढ़ – लिख कर अपने ज्ञान का विस्तार करेंगे। हम सभी को साथ लेकर चलेंगे। हम समाज में ऊँच – नीच के भेद – भाव को समाप्त करके अपने जीवन को धन्य बनाएंगे।

साक्षरता अभियान काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. दूर कहीं जंगल से तिनका,
चिड़िया बीन – बीन कर लाती।
जोड़ – जोड़ इन तिनकों को
लघु अपना वह नीड़ रचाती।
राहगीर पग बढ़ा बढ़ा कर
निज पथ पर चलते रहते हैं।
हिम्मत और विश्वास जगा कर,
मंज़िल को पा जाते हैं।

शब्दार्थ :

  • बीन – बीन = इकट्ठा करना, चुन – चुन कर, चुगना।
  • लघु = छोटा।
  • नीड़ = घोंसला।
  • पग = कदम।
  • निज पथ = अपना रास्ता।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित डॉ० कमलेश बंसल की ‘साक्षरता अभियान’ शीर्षक कविता में से लिया गया है। इस कविता में कवयित्री ने साक्षरता अभियान एवं उसके महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

सरलार्थ – कवयित्री कहती है कि चिड़िया कहीं दूर जंगल से तिनका चुन कर लाती है और उन तिनकों को जोड़ – जोड़ कर अपना एक छोटा – सा घोंसला बना लेती है। मुसाफ़िर एक – एक कदम बढ़ाकर अपने रास्ते पर चलते रहते हैं। वे अपने अन्दर हिम्मत और विश्वास जगाकर अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेते हैं। भाव यह है कि लगातार प्रयत्न करने से सफलता प्राप्त हो जाती है।

विशेष –

  • कवयित्री ने प्रयास को सफलता की कुंजी माना है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

2. जल की छोटी – छोटी बूंदें
टपक – टपक घट भर देती।
छेद एक यदि उस में कर दें
बूंदें घट खाली कर देतीं।
थोड़ा – थोड़ा प्रतिदिन पढ़कर
हम ज्ञानी बन सकते हैं,
रोज बचाएं यदि एक पैसा,
धन एकत्रित कर सकते हैं।

शब्दार्थ :

  • घट = घड़ा।
  • छेद = सुराख।
  • प्रतिदिन = हर रोज़।
  • ज्ञानी = ज्ञानवान्।
  • एकत्रित = इकट्ठा।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० कमलेश बंसल की कविता ‘साक्षरता अभियान’ से लिया गया है। इस कविता में उन्होंने शिक्षा के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

सरलार्थ – कवयित्री कहती है कि पानी की छोटी – छोटी बूंदें टपक – टपक कर घड़ा भर देती हैं। यदि घड़े में छिद्र हो जाए तो पानी बूंद – बूंद कर बह जाता है और घड़ा खाली हो जाता है। हम हर रोज़ थोड़ा – थोड़ा पढ़ कर ज्ञानवान बन सकते हैं। यदि हम रोज़ एक एक पैसा बचाएँ तो धन इकट्ठा कर सकते हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान

विशेष –

  • कवयित्री ने प्रति दिन पढ़ने की आदत बनाने तथा धन संचय करने पर बल दिया है।
  • भाषा भावानुकूल है।

3. एक एक अक्षर भी हर पल
सीखें और सिखाते जाएँ।
शब्द ज्ञान बढ़ाएँ अपना
भाषा पर अधिकार जमाएँ।
रखें निरन्तर यह क्रम जारी,
मेहनत लाती है धन मान
साक्षरता अभियान चलाएँ
बन जाएँ भारी विद्वान्।

शब्दार्थ :

  • शब्द – ज्ञान = शब्दों का ज्ञान।
  • निरन्तर = लगातार।
  • क्रम – सिलसिला।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित डॉ० कमलेश बंसल की कविता साक्षरता अभियान’ से लिया गया है। इस कविता में उन्होंने शिक्षा के महत्त्व पर प्रकाश डाला है।

सरलार्थ – कवयित्री कहती है कि हम हर एक – एक अक्षर सीखें और दूसरों को सिखाते जाएँ। अपने शब्दों के ज्ञान बढ़ाएँ और भाषा पर अधिकार जमाएँ, भाषा के पूर्ण ज्ञाता बनें। यह क्रम लगातार जारी रखें। मेहनत से ही धन और यश प्राप्त होता है। हम साक्षरता का अभियान चलाएँ और अच्छे विद्वान् बन जाएँ।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 13 साक्षरता अभियान

विशेष –

  • कवयित्री ने सीखने और सिखाने की नीति पर बल दिया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

4. देश भारत के हम सब बालक,
आगे बढ़ते जाएँगे।
श्रम करना है धर्म हमान,
कभी नहीं घबराएँगे।
पढ़ लिख अपना ज्ञान बढ़ाएँ
लेकर सबको साथ चलेंगे।
ऊँच नीच का भेद मिटाकर,
जीवन अपना कृतार्थ करेंगे।

शब्दार्थ :

  • श्राम = मेहनत।
  • कृतार्थ = धन्य

प्रसंग – प्रस्तुत पांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलिन डॉ. कमलेश बंसल जी की किस अभियान से लिया गया है। इसविता में होने सि के महत्व पर प्रकाश टाला है।

सरलार्थ – कर्वायत्री कहती है कि हम सब भारत देश के बच्चे हैं। आगे ही आगे सदले जाही मेहनत करना हमारा धर्म है। हम कभी भी घबराएंगे नहीं। पढ़ लिख कर कम उप जान को बढ़ाएँगे। हम सबको साथ लेकर चलेंगे। ऊँच – नीच का भेद – भाव खत्म कर हम सबने गेसन को अन्य बनाएँगे।

विशेष –

  • कवयत्री ने शिक्षा के बल पर देश की उन्नति होने की बात कही है।
  • भाषा तत्सम, तद्भव शब्दों से युक्त है। 15 भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB अशोक का शस्त्र-त्याग Textbook Questions and Answers

अशोक का शस्त्र-त्याग अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

2. निहत्था नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन शब्दों/मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. मंत्रमुग्ध होना ____________ _____________________________
  2. लोहा लेना ____________ _____________________________
  3. सदा के लिए आँखें बंद कर लेना ____________ _____________________________
  4. पूर्णाहुति ____________ _____________________________
  5. तलवार फेंक देना ____________ _____________________________
  6. सिर काटना ____________ _____________________________
  7. सिर न झुकना ____________ _____________________________
  8. सदावर्त ____________ _____________________________
  9. साक्षात् चंडी-सी दिखाई देना ____________ _____________________________
  10. मृत्यु की गोद में सो जाना ____________ _____________________________
  11. मुख पर चिंता की छाया होना ____________ _____________________________

उत्तर :

  1. मन्त्रमुग्ध होना – पूरी तरह मुग्ध होना।
    वाक्य – सभी श्रोता गायक का गीत सुनकर मन्त्रमुग्ध हो गए।
  2. लोहा लेना – युद्ध करना, मुकाबला करना।
    वाक्य – भारतीय सेना किसी भी शत्र से लोहा लेने को तैयार है।
  3. सदा के लिए आँखें बन्द कर लेना मर जाना।
    वाक्य – वैभव के दादा जी नब्बे वर्ष के थे कि अचानक दिल का दौरा पड़ने से उन्होंने सदा के लिए अपनी आँखें बन्द कर लीं।
  4. पूर्णाहुति – यज्ञ की अन्तिम आहुति।
    वाक्य – कल यज्ञ की पूर्णाहुति पड़ेगी।
  5. तलवार फेंक देना – पराजय स्वीकार करना।
    वाक्य – महाराज अशोक ने तलवार फेंक दी और बौद्ध धर्म अपना लिया।
  6. सिर काटना – मार देना।
    वाक्य – भगवान कृष्ण ने अत्याचारी राक्षस का सिर काटना उचित समझा।
  7. सिर न झुकना – हार न मानना।
    वाक्य – रानी लक्ष्मी बाई ने अंग्रेज़ों के आगे सिर न झुकाया।
  8. सदावर्त – अखंड भोज।
    वाक्य – महेश्वर ने घर में सदावर्त लगा रखा है।
  9. साक्षात चण्डी – सी दिखाई देना–निश्चित मृत्यु प्रदान करने वाली वीरांगना।
    वाक्य – युद्ध में लक्ष्मीबाई साक्षात् चण्डी जैसी दिखाई देती थी।
  10. मृत्यु की गोद में सो जाना – मर जाना।
    वाक्य – वृद्ध रोगी मृत्यु की गोद में सो गया।
  11. मुख पर चिंता की छाया होना – परेशान होना।
    वाक्य – पुत्र की बीमारी के कारण पिता के मुख पर चिंता की छाया साफ दिख रही थी।

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4. सिर काटना सिर न झुकना सदावर्त साक्षात् चंडी-सी दिखाई देना मृत्यु की गोद में सो जाना मुख पर चिंता की छाया होना उपयुक्त शब्द से रिक्त स्थान भरें :

(क) अशोक ने स्वयं सेना का …………………………… करने का निश्चय किया। (नेतृत्व, संचालन, स्वामित्व)।
(ख) कलिंग से युद्ध …………………………… चलता रहा। (तीन, पाँच, चार वर्ष)
(ग) कलिंग के महाराजा के मरने का समाचार पाकर अशोक …………………………… हुए। (प्रसन्न, विस्मित, स्तब्ध)
(घ) कलिंग के फाटक बंद हैं, यह समाचार सुनकर अशोक …………………………… हुए। (लज्जित, दुःखी, उत्तेजित, क्रोधित)
(ङ) पद्मा के सम्मुख अशोक तलवार फेंक देता है क्योंकि वह ……………………………। (डर, निराश, नारी वध नहीं करना चाहता था, आत्मग्लानि)
उत्तर :
(क) संचालन
(ख) चार वर्ष
(ग) प्रसन्न
(घ) उत्तेजित
(ङ) नारी वध नहीं करना चाहता था।

5. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) अशोक अपने शिविर में परेशान क्यों है?
उत्तर :
भयंकर नरसंहार तथा कलिंग को न जीत पाने के कारण अशोक अपने शिविर में परेशान थे।

(ख) संवाददाता ने अशोक को क्या समाचार दिया?
उत्तर :
संवाददाता ने सम्राट अशोक को कलिंग के महाराजा का युद्ध में मारे जाने का समाचार सुनाया।

(ग) मगध की विजय हुई है, पूछने पर संवाददाता चुप क्यों रह जाता है?
उत्तर :
सम्राट अशोक के यह पूछने पर कि क्या मगध की विजय हई थी? संवाददाता इसलिए चुप हो जाता है क्योंकि कलिंग दुर्ग के फाटक अभी भी बन्द था। फिर किस मुँह से वह कहता कि कलिंग जीत लिया गया है।

(घ) अशोक ने सेना-संचालन का भार अपने ऊपर क्यों लिया?
उत्तर :
कलिंग दुर्ग के फाटक खुलवाने के लिए सम्राट अशोक ने सेना संचालन का भार अपने ऊपर ले लिया।

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(ङ) अशोक पद्मा के युद्ध के लिए ललकारने पर तलवार क्यों फेंक देता है ?
उत्तर :
पद्मा द्वारा युद्ध के लिए ललकारने पर भी अशोक तलवार इसलिए फेंक देता है। क्योंकि वह कहता है कि मैं स्त्री – वध नहीं करूँगा।

(च) बदला लेने का अवसर मिलने पर भी पद्मा अशोक को युद्धभूमि से सुरक्षित क्यों जाने देती है?
उत्तर :
सम्राट अशोक ने पदमा के समक्ष सिर झुका कर कहा कि काट दो इस सिर को। मैं अपराधी हूँ। पद्मा ने कहा जाइए महाराज ! स्त्रियाँ भी निहत्यों पर वार नहीं करेंगी।

6. इन प्रश्नों के उत्तर-चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म क्यों अपनाया?
उत्तर :
सम्राट अशोक ने कलिंग पर विजय प्राप्त करने के लिए उस पर आक्रमण कर दिया। भीषण युद्ध हुआ। लाखों लोग मारे गए। कलिंग के महाराजा भी मारे गए। फिर भी कलिंग के दुर्ग का फाटक बंद था। भीषण रक्तपात ने सम्राट अशोक के मन को बदल दिया। इस बदलाव के कारण सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया।

(ख) सम्राट अशोक ने बौद्ध भिक्षु के सामने क्या-क्या प्रतिज्ञाएँ की?
उत्तर :
सम्राट अशोक ने बौद्ध भिक्षु के सामने निम्नलिखित प्रतिज्ञाएँ की

  • जब तक मेरे शरीर में प्राण हैं, अहिंसा ही मेरा धर्म होगा।
  • मैं सबसे प्रेम करूँगा और मेरी करूणा का सदाव्रत आप सबको मिलेगा।
  • मैं आजीवन अपनी प्रजा की भलाई करूँगा।
  • सब धर्मों को समान दृष्टि
  • सब प्राणियों को सुख और शान्ति पहुँचाने का प्रयत्न करूँगा।

7. लिंग बदलें :

  1. सम्राट = सम्राज्ञी
  2. देवी = ………………………..
  3. महाराज = ………………………..
  4. परुष = ………………………..
  5. प्रति = ………………………..

उत्तर :

  1. सम्राट = सम्राज्ञी
  2. देवी = देवता
  3. महाराज = महारानी
  4. पुरुष = स्त्री
  5. पति = पत्नी।

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8. समुचित विराम चिह्नन लगायें :

यह कौन है क्या साक्षात् दुर्गा कलिंग की रक्षा करने के लिए युद्ध भूमि में उतर आई है शेष सैनिक भी सभी स्त्रियाँ हैं क्या स्त्रियों से युद्ध करना होगा क्या अशोक को स्त्रियों का भी वध करना होगा ना ना मैं स्त्री वध नहीं करूँगा मुझे विजय नहीं चाहिए मैं यह पाप नहीं करूंगा मैं शस्त्र नहीं चलाऊँगा।

चिन्तन
(1) बुद्धं शरणं गच्छामि।
अर्थात् बुद्ध की शरण में जाता हूँ।
(2) संघं शरणं गच्छामि।
अर्थात् संघ (संस्था) की शरण में जाता हूँ।
(3) धर्मं शरणं गच्छामि।
अर्थात् धर्म की शरण में जाता हूँ।

मनन : सर्वप्रथम गुरु की शरण, फिर संस्था, फिर धर्म। गुरु एक व्यक्ति है: व्यक्ति से बड़ी संस्था है, सब से ऊपर धर्म है। यहाँ संस्था का अर्थ संगठन, जमात, मत है। और धर्म का अर्थ मूल सिद्धांतसत्य, अहिंसा आदि हैं : जिसका स्थान सबसे ऊँचा है।

तुम प्रण करो कि जननी जन्मभूमि को पराधीन होते देखने से पहले तुम सदा के लिए अपनी आँखें बंद कर लोगी।

नारी (पदमा) की यह घोषणा देश प्रेम का ज्वलंत उदाहरण है। नारियों में वीरता, त्याग व बलिदान की भावना मनुष्यों से कम नहीं, उपरोक्त कथन पर मनन करें। देश प्रेम का व्रत लें। पद्मा जैसी हठव्रती, त्यागमयी, वीर नारी ने ही हिंसक अशोक को अहिंसक और करुणामय बना दिया। इतिहास को नयी दिशा दी।

उन नारियों के नाम पता करो जिन्होंने पद्मा के समान देश के लिए अपने-आप को पूर्ण रूप से समर्पण किया। ऐसी पुस्तकें पुस्तकालय से लेकर पढ़ें और उनकी जीवन से प्रेरणा लें।

प्रयोगात्मक व्याकरण

  • कलिंग के फाटक आज बंद हैं।
  • महाराज! आप यहाँ बैठिए।
  • सैनिक ने अपनी तलवार झटपट संभाल ली।
  • अधिक मत बोलो।

उपर्युक्त पहले वाक्य में ‘आज’ शब्द क्रिया के काल, दूसरे वाक्य में ‘यहाँ’ शब्द क्रिया के स्थान, तीसरे वाक्य में ‘झटपट’ शब्द क्रिया की रीति तथा चौथे वाक्य में ‘अधिक’ शब्द क्रिया की मात्रा संबंधी विशेषता बता रहे हैं अत: ये क्रिया विशेषण हैं।

अतएव क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्दों को क्रियाविशेषण कहते हैं।

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1. -मैं युद्ध कल करूंगा।
इस वाक्य में ‘कल’ शब्द से क्रिया के काल (समय) का पता लग रहा है। अतः यह कालवाचक क्रियाविशेषण है।

अतएव जो शब्द क्रिया के काल (समय) संबंधी विशेषता बताये, उसे कालवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं।

अन्य कालवाचक शब्द:-रोज़, प्रातः, परसों, अभी, सुबह, शाम, रात, कभी, अब, तब, आजकल आदि।

2. सब आश्चर्य से उधर देखने लगते हैं। इस वाक्य में ‘उधर’ शब्द से क्रिया के स्थान का पता चल रहा है। अत: यह स्थानवाचक क्रियाविशेषण है।

अतएव जो शब्द क्रिया की स्थान संबंधी विशेषता बताये, उसे स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।

अन्य स्थानवाचक क्रियाविशेषण : यहाँ, वहाँ, इधर, ऊपर, नीचे, भीतर, बाहर, दूर, आगे, पीछे, चारों तरफ आदि।

3. वह बहुत बोलता है।

इस वाक्य में बहुत’ शब्द से क्रिया की मात्रा या परिमाण का पता चल रहा है। अत: यह परिमाणवाचक क्रिया विशेषण है।

अतएव जो शब्द क्रिया की परिमाण संबंधी विशेषता बताये, उसे परिमाणवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं। अन्य परिमाणवाचक शब्द: थोड़ा, ज्यादा, कम, पर्याप्त, तनिक, इतना, उतना, न्यून, लगभग, काफी आदि।

4. संवाददाता महाराज से धीरे-से बोला।

इस वाक्य में ‘धीरे-से’ शब्द से क्रिया की रीति (ढंग) का पता चल रहा है अतः यह रीतिवाचक क्रिया विशेषण है।

अतएव जो शब्द क्रिया की रीति संबंधी विशेषता बताये, उसे रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।

अन्य रीतिवाचक क्रियाविशेषण : ऐसे, कैसे, जैसे, तैसे, वैसे, जल्दी-जल्दी, अकस्मात, अचानक, सहसा, सामान्यतः, साधारणतः आदि।

अशोक का शस्त्र-त्याग Summary in Hindi

अशोक का शस्त्र त्याग एकांकी का सार

इस एकांकी में सम्राट अशोक का शास्त्र त्याग तथा बौद्ध धर्म में दीक्षा लेने का वर्णन किया गया है।

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पिछले चार वर्ष से सम्राट अशोक की सेना कलिंग से लड़ रही थी। दोनों ओर के लाखों लोग मारे जा चुके थे, लाखों घायल हो चुके थे। फिर भी सम्राट अशोक कलिंग पर विजय नहीं पा सके थे। तभी संवाददाता खबर लाया कि कलिंग नरेश मारे गए। सम्राट अशोक ने समझा कि युद्ध में मेरी विजय हो गई पर पता चला है कि कलिंग दुर्ग के फाटक अभी भी बन्द थे। सम्राट अशोक ने उत्तेजित होकर निर्णय लिया कि कल वे स्वयं युद्ध का संचालन करेंगे या तो कलिंग जीत लेंगे या फिर मगध की सेना वापस चली जाएगी।

अगले दिन सम्राट अशोक ने सेना की कमान खुद सँभाली और अपने सैनिकों को उत्साहित करते हुए या तो कलिंग जीत लेने या फिर मौत के मुँह में सो जाने का आह्वान किया। तभी सहसा कलिंग के दुर्ग का फाटक खुला तथा कलिंग नरेश की लड़की पद्मा वीरांगना के वेश में स्त्रियों की सेना के साथ बाहर आई। उसने भी अपनी सेना को हत्यारे अशोक के विरुद्ध जी – जान से लड़ने का आह्वान किया।

स्त्रियों की सेना सम्मुख देख अशोक उन पर शस्त्र नहीं उठा सके। पद्मा ने पूछने पर बताया कि वह अपने पिता के हत्यारे अशोक से लड़ने आई थी। सम्राट अशोक अपराधी की भाँति पद्मा के सामने खड़ा हो गया कि वह स्त्रियों पर शस्त्र नहीं उठाएगा क्योंकि यह शास्त्र की आज्ञा थी। पद्मा ने पूछा कि निरपराधियों की हत्या करना किस शास्त्र में लिखा था? लज्जित होकर सम्राट अशोक सदा के लिए तलवार फेंक दी तथा पद्मा के सामने नतमस्तक होकर उससे अपना बदला चुका लेने के लिए कहा। पद्मा ने भी निहत्थे पर वार नहीं किया और वापिस दुर्ग में अपनी सेना के साथ चली गई।

सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया और आजीवन युद्ध न करने और अहिंसा का पालन करने की शपथ ली।

अशोक का शस्त्र-त्याग कठिन शब्दों के अर्थ

  • शिविर = छावनी।
  • पताका = झण्डा।
  • सम्राट् = राजा।
  • संध्या = सायं।
  • स्वतः = अपने आप।
  • असफल = सफल न होना।
  • संवाददाता = सन्देश लाने – ले जाने वाला।
  • प्रसन्नतापूर्वक = खुशी से।
  • विजय = जीत।
  • कलिंग दुर्ग = कलिंग का किला।
  • उत्तेजित = गुस्से में आना।
  • संचालन = चलाना।
  • शस्त्र सुज्जित = हथियारों से लैस।
  • आत्मसमर्पण = अपने आपको सौंपना।
  • शपथ = सौगन्ध।
  • अधिकार = हक।
  • सहसा = अचानक।
  • वीरांगना = बहादुर स्त्री।
  • चकित = हैरान।
  • हत्या = मारना।
  • जननी = माता।
  • पराधीन = परतन्त्र दूसरे के अधीन।
  • वध = हत्या।
  • द्वन्द्व युद्ध = अकेले से अकेले की लड़ाई।
  • भीषण = भयंकर।
  • पूर्णाहुति = अन्तिम आहुति।
  • आक्रमण = हमला।
  • अटल = न टलने वाली।
  • अहिंसा = हिंसा न करना।
  • करुणा = दया।

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अशोक का शस्त्र-त्याग गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. मेरे वीर सैनिको ! आज चार साल से युद्ध हो रहा है, फिर भी हम कलिंग को जीत नहीं पाये हैं। उसके किसी दुर्ग पर मगध की पताका नहीं फहरा रही है। कलिंग के महाराज मारे गये हैं। उनके सेनापति पहले ही कैद हो चुके हैं, फिर भी कलिंग आत्मसमर्पण नहीं कर रहा है। आओ, आज हम अपनी मातृभूमि की शपथ लेकर प्रण करें कि या तो हम कलिंग के दुर्ग पर अधिकार कर लेंगे या सदा के लिए मृत्यु की गोद में सो जायेंगे।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित एकांकी ‘अशोक का शस्त्र – त्याग’ से लिया गया है। लेखक ने यहाँ सम्राट अशोक के द्वारा कलिंग पर किए गए आक्रमण एवं उसके परिणाम का सजीव चित्रण किया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि कलिंग के दुर्ग पर अधिकार जमाने के लिए सम्राट अशोक अपने वीर सैनिकों से कहता है कि आज चार वर्ष से कलिंग से उनका युद्ध चल रहा है लेकिन अभी तक वे कलिंग को जीत नहीं पाए हैं। कलिंग के किसी भी किले पर मगध की विजय पताका नहीं फहरा रही है। कलिंग नरेश को तो हमने मार दिया है। उसके सेनापति को हमने पहले ही अपनी कैद में कर रखा है, लेकिन फिर भी जाने क्यों कलिंग की जनता एवं सैनिक आत्मसमर्पण नहीं कर रहे हैं। वे हथियार नहीं डाल रहे हैं। इसलिए ये मगध के वीर सैनिक आज हम अपनी मातृभूमि की कसम खाते हुए प्रतिज्ञा करते हैं कि या तो हम कलिंग के किले पर मगध की विजय पताका फहरा देंगे या फिर अपने प्राणों की आहुति दे देंगे।

विशेष –

  • सम्राट अशोक द्वारा अपने वीर सैनिकों का उत्साह बढ़ाने का चित्रण किया गया है।
  • भाषा शैली प्रवाहमयी है।

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2. सहसा दुर्ग का फाटक खुल जाता है। सब आश्चर्य से उधर देखने लगते हैं। उनकी तलवारें खिंची की खींची रह जाती हैं। शस्त्र – सज्जित स्त्रियों की विशाल सेना फाटक के बाहर निकलने लगती है। सेना के आगे पुरुष भेष में एक वीरांगना है, जो सैनिक भेष में साक्षात् चंडी – सी दिखाई देती है। यह कलिंग महाराज की लड़की पदमा है। स्त्रियों की सेना अशोक की सेना से कुछ दूरी पर रुक जाती है। अशोक के सिपाही मन्त्रमुग्ध से देखते रह जाते हैं। अशोक भी चकित रह जाते हैं।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित एकांकी ‘अशोक का शस्त्र – त्याग’ नामक शीर्षक से लिया गया है। लेखक ने यहाँ कलिंग युद्ध में हुए भीषण संहार का सजीव चित्रण किया है। यहाँ लेखक ने कलिंग नरेश पुत्री पद्मा को रणक्षेत्र में स्त्री सैनिकों के साथ रणक्षेत्र में आते हुए दिखाया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि सम्राट अशोक और उसकी सेना अभी कलिंग के किले पर अधिकार जमाने की सोच रहे थे कि अचानक कलिंग के किले का फाटक खुल जाता है। सभी मगध सैनिक हैरानी से इधर – उधर देखने लगते हैं। मगध सैनिकों की तलवारें उनकी मयानों से खींची की खींची रह जाती हैं। वे देखते हैं कि अस्त्र – शस्त्र लिए कलिंग की विशाल स्त्री – सेना किले के बाहर आ रही है।

सेना के आगे – आगे पुरुष का वेष धारण किए हए एक वीरांगना चल रही थी जो देखने में साक्षात माँ दुर्गा लग रही थी। वह वीरांगना कोई और न होकर कलिंग नरेश की पुत्री पद्मा थी। किले के द्वार से बाहर आकर पद्मा की स्त्री – सेना सम्राट अशोक की सेना से कुछ दूर पहले ही रुक जाती है। मगध के वीर सैनिक कलिंग की स्त्री सेना को मन्त्रमुग्ध से देखते रह जाते हैं। सम्राट अशोक भी इस प्रकार सुसज्जित स्त्री सेना को देखकर हैरान थे।

विशेष –

  • लेखक ने कलिंग के रणक्षेत्र में पद्मा तथा उसकी वीरांगनाओं का चित्रण किया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

3. बहनो ! तुम वीर कन्या, वीर – भगिनी, और वीर – पत्नी हो ! मुझे तुमसे कुछ नहीं कहना। जिस सेना ने तुम्हारे पिता, भाई, पुत्र और पति की हत्या की है, वह तुम्हारे सामने खड़ी है। आज उसी से तुम्हें लोहा लेना है। तुम प्रण करो कि जननी जन्म – भूमि को पराधीन होते देखने से पहले तुम सदा के लिए अपनी आँखें बंद कर लोगी।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित एकांकी ‘अशोक का शस्त्र त्याग’ से अवतरित है। लेखक ने यहाँ कलिंग नरेश पुत्री पद्मा द्वारा वीर कन्याओं को अपनी जन्म – भूमि के लिए न्योछावर हो जाने के लिए प्रेरित करते हुए दिखाया है। –

व्याख्या – लेखक कहता है कि कलिंग नरेश की पुत्री पदमा स्त्रियों के अन्दर उत्साह का संचार करते हुए कहती है कि हे बहनो ! तुम वीर पिता की पुत्री हो, वीर भाइयों की बहनें हो और पति की पत्नी हो। तुमसे तुम्हारी इस राजकुमारी पद्मा को ज्यादा कुछ नहीं कहना है। बस इतना ही कहना है कि जिस सेना ने तुम्हारे पिता, भाई, पत्र तथा पति की हत्या की है, वह सेना तुम्हारे सामने खड़ी है। आज तुम्हें उनसे मुकाबला करना है। तुम सभी प्रतिज्ञा करो कि अपनी मातृभूमि को दासता की जंजीरों में देखने से पहले तुम सभी अपने देश की रक्षा में अपने प्राणों को न्योछावर कर देगी।

विशेष –

  • लेखक ने राजकुमारी पद्मा के देश प्रेम तथा नेतृत्व करने की क्षमता को दर्शाया है।
  • वाक्य – विन्यास सटीक है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

4. मैं कलिंग महाराज की कन्या हूँ। मैं हत्यारे अशोक की सेना से लड़ने आई हूँ, जब तक मैं हूँ मेरी ये वीरागनाएँ हैं, कलिंग के भीतर कोई पैर नहीं रख सकता। कहाँ हैं अशोक, कहाँ हैं मेरे पिता का हत्यारा ? मैं द्वन्द्व – युद्ध करना चाहती हूँ।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित एकांकी ‘अशोक का शस्त्र त्याग’ से अवतरित है। लेखक ने अपने इस लेख में कलिंग युद्ध का चित्रण किया है। यहाँ लेखक ने वीरांगना पद्मा की वीरता एवं साहस को दर्शाया है।

व्याख्या – लेखक कलिंग नरेश की पुत्री पद्मा की वीरता एवं साहस का परिचय देते हुए कहता है कि राजकुमारी पद्मा पुरुष वेष में सम्राट अशोक सेना पर साक्षात् दुर्गा बनकर टूट पड़ती है वह अपना परिचय देते हुए कहती है कि वह कलिंग के महाराज की पुत्री पद्मा है। वह अपने पिता के हत्यारे अशोक और उसकी सेना से युद्ध करने के लिए आई है।

वह अशोक और उसकी सेवा को चुनौती देते हुए कहती है कि जब तक उसके प्राणों में प्राण हैं और कलिंग की वीरांगनाएं हैं तब तक मगध का कोई भी सैनिक कलिंग के अन्दर प्रवेश नहीं कर सकता। वह सम्राट अशोक पुकारती है और पूछती है कि उसके पिता कलिंग नरेश का हत्यारा अशोक कहाँ है। वह उसके साथ आमने – सामने का युद्ध करना चाहती है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 12 अशोक का शस्त्र-त्याग

विशेष –

  • लेखक ने राजकुमारी पद्मा की वीरता एवं अदम्य साहस का परिचय कराया है।
  • भाषा प्रवाहमयी है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 11 धीरा की होशियारी (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB धीरा की होशियारी Textbook Questions and Answers

धीरा की होशियारी अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) धीरा स्कूल के बाद कहाँ और क्या काम करता था?
उत्तर :
धीरा स्कूल के बाद एक सिनेमा हॉल के निकट बैठकर जूते पॉलिश – करने का काम करता था।

(ख) धीरा ने राहगीर से क्या सुना?
उत्तर :
धीरा ने राहगीर से सुना कि, “एक चोर जौहरी की दुकान से चोरी करके भाग गया है।”

(ग) ग्राहक की वेशभूषा कैसी थी?
उत्तर :
ग्राहक देखने में अमीर लग रहा था। उसने पतलून, कमीज़ तथा लाल टाई बाँध रखी थी।

(घ) धीरा को कौन-से पैर के जूते में से कुछ बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया?
उत्तर :
दाएँ पैर के जूते में से धीरा को कुछ बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया।

(ङ) धीरा ने चोर के जूतों के फीते कैसे बाँधे?
उत्तर :
जब ग्राहक धीरा को देने के लिए रेज़गारी निकाल रहा था, तब धीरा ने चुपके से उसके जूतों की फीते बाँध दिए।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

(च) चोर कौन था?
उत्तर :
जूते पर पॉलिश कराने वाला ग्राहक ही चोर था।

(छ) धीरा को किस-किसने इनाम दिया?
उत्तर :
धीरा को पुलिस और जौहरी दोनों ने इनाम दिया। उसके स्कूल ने भी उसकी होशियारी पर उसे एक पदक प्रदान किया।

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) धीरा ने चोर को कैसे पकडवाया? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर :
धीरा बहुत ही होशियार लड़का था। जब वह ग्राहक/चोर का दायाँ जूता पॉलिश कर रहा था, तब उसने ग्राहक/चोर के पैर में किसी चीज़ को देखा। ध्यान से देखने पर उसे पता चल गया कि वस्तु सोने का कण्ठा थी। उस समय उसने बड़ी चालाकी के साथ चोर के दोनों जूतों के फीते आपस में बाँध दिए और जल्दी ही पुलिस वालों को बुलाकर ले आया। चोर ने जब भागने की कोशिश की तो वह मुँह के बल ज़मीन पर गिर गया और पुलिस वालों ने उसे अपनी हिरासत में ले लिया। इस प्रकार चोर पकड़ा गया।

(ख) ‘धीरा एक मेहनती लड़का था।’ कहानी के आधार पर लिखें।
उत्तर :
धीरा एक गरीब परिवार का बेटा था। उसके सिर पर पिता का हाथ नहीं था। जब वह छोटा था तभी उसके पिता का देहांत हो गया था। अब उसके कंधों पर अपना और अपनी माँ तथा बहन का पेट पालने की जिम्मेवारी थी। वह स्कूल में पढ़ने के बाद जूते पॉलिश करने का काम करता था तथा अपनी आजीविका कमाता था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

5. इन शब्दों/मुहावरों के अर्थ लिखकर वाक्य बनायें :

  1. गुनगुनाना ________ _________________________
  2. मिज़ाज गरम होना ________ _________________________
  3. मुँह के बल गिरना ________ _________________________

उत्तर :

  1. गुनगुनाना = हल्की आवाज़ में कुछ गाना
    वाक्य – रमेश जब भी खाली होता है वह देशभक्ति के गीत गुनगुनाने लगता है।
  2. मिज़ाज गरम होना = गुस्से में होना
    वाक्य – राकेश जब देर शाम को खेल कर घर आया तो उसने देखा कि उसके पिता जी का मिजाज गरम है।
  3. मुँह के बल गिरना = चोट खाना
    वाक्य – जो लोग सड़क पर नीचे देखकर नहीं चलते वे अक्सर मुँह के बल ही गिरते हैं।

6. पर्यायवाची शब्द लिखें :

  1. स्वर्गवास = ……………………….
  2. राहगीर = ……………………….
  3. आदमी = ……………………….
  4. हिरासत = ……………………….

उत्तर :

  1. स्वर्गवास = देहांत, मृत्यु, मौत
  2. राहगीर = पथिक, यात्री, मुसाफिर
  3. आदमी = पुरुष, आदम, नर
  4. हिरासत = पकड़ना, बंदी बनाना

7. विपरीत अर्थ वाले शब्द लिखें :

  1. गर्मी = ……………………….
  2. दायाँ = ……………………….
  3. छाया = ……………………….
  4. नकली = ……………………….
  5. अमीर = ……………………….
  6. इनाम = ……………………….

उत्तर :

  1. गर्मी = सर्दी
  2. दायाँ = बायँ
  3. छाया = धूप
  4. नकली = असली
  5. अमीर = गरीब
  6. इनाम = दण्ड

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8. बहुवचन रूप लिखें :

  1. सिपाही = ……………………….
  2. आदमी = ……………………….
  3. झुग्गी = ……………………….
  4. चोरी = ……………………….
  5. जौहरी = ……………………….
  6. घड़ी = ……………………….

उत्तर :

  1. सिपाही = सिपाहियों
  2. आदमी = आदमियों
  3. झुग्गी = झुग्गियाँ
  4. चोरी = चोरियाँ
  5. जौहरी = जौहरियों
  6. घड़ी = घड़ियाँ

9. अन्तर समझें और वाक्यों में प्रयोग करें :

(क) धुन = गीत की लय _________________________
धुन = निश्चय, दृढ़ _________________________
(ख) सोना = एक धातु,जिसके गहने बनाये जाते हैं। _________________________
सोना – सोने की क्रिया, नींद में लेटकर सो जाना _________________________
(ग) ध्यान = तल्लीन होकर काम करना _________________________
ध्यान – परमात्मा की ओर मन लगाना _________________________
उत्तर :
(क) धुन = गीत की लय
वाक्य = आद्या देशभक्ति के गीतों की धुन पर नाच उठती है।

धुन = निश्चय, दृढ़
वाक्य = सुरेश ने परीक्षा में प्रथम आने की धुन ठान ली है।।

(ख) सोना = एक धातु जिसके गहने बनाये जाते हैं।
वाक्य = आजकल सोने के आभूषण बहुत महंगे हो गए हैं।

सोना = सोने की क्रिया, नींद में लेटकर सो जाना
वाक्य = आदर्श पाँच घण्टे सोने के बाद फिर से सो गया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

(ग) ध्यान = तल्लीन होकर काम करना
वाक्य = परीक्षा में अच्छे अंक पाने के लिए विद्यार्थी को खूब ध्यान लगाकर पढ़ना चाहिए।

ध्यान = परमात्मा की ओर मन लगाना
वाक्य = सीता माता अशोक वाटिका में भगवान श्री राम के ध्यान में बैठी रहती थी।

10. धीरा ने अपनी होशियारी से चोर को पकड़वाया। मान लो आप अपनी बहन/माँ के साथ बाजार जा रहे हैं। किसी ने आपकी बहन/माँ का पर्स छीन लिया। ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे? अपने विचार लिखें।
उत्तर :
ऐसी स्थिति में सबसे पहले उस चोर को पकड़ने का प्रयास करूँगा. जो पर्स छीन कर भागा था। चोर को पकड़ने के बाद कानून अपने हाथों में न लेकर उसे पुलिस के हवाले कर दूंगा, ताकि पुलिस कानून के हिसाब से उसे उसके अपराध का उचित दण्ड दे।

11. इन वाक्यों में क्रिया अकर्मक है अथवा सकर्मक है ? लिखें।

(क) धीरा जूते पॉलिश करता था। सकर्मक
(ख) धीरा घबरा गया। ______________
(ग) वह लपक कर सिपाहियों के पास पहुँचा। ______________
(घ) दो सिपाही आ रहे हैं। ______________
(ङ) वह एक लोकप्रिय धुन गुनगुना रहा था। ______________
(च) धीरा बहुत मेहनती लड़का था। ______________
(छ) धीरा ने चुपचाप उसके दोनों जूतों के फीते एक दूसरे से बाँध दिये। ______________
उत्तर :
(क) सकर्मक
(ख) अकर्मक
(ग) सकर्मक
(घ) अकर्मक
(ङ) सकर्मक
(च) अकर्मक
(छ) सकर्मक

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

प्रयोगात्मक व्याकरण

  • धीरा जूते पॉलिश करता था।
  • धीरा द्वारा जूते पॉलिश किये जाते थे।
  • धीरा से रहा नहीं गया।

उपर्युक्त पहले वाक्य में क्रिया कर्ता (धीरा) के अनुसार है, दूसरे वाक्य में क्रिया कर्म (जूते) के अनुसार है तथा तीसरे वाक्य में कर्म नहीं है अर्थात यहाँ भावों (रहा नहीं गया) की ही प्रधानता है।

अतएव क्रिया के जिस रूप से यह जाना जाये कि क्रिया कर्ता के अनुसार है या कर्म के अनुसार है या भाव के अनुसार है, उस रूपको वाच्य कहते हैं।

इस तरह वाच्य तीन प्रकार के होते हैं :

  • कर्तृवाच्य
  • कर्मवाच्य
  • भाववाच्य

(i) धीराधुन गुनगुना रहा था।
(ii) धीरा द्वारा धुन गुनगुनायी जा रही थी।

पहले वाक्य में कर्ता (धीरा) प्रधान है और क्रिया का लिंग, (गुनगुना रहा था) एवं वचन उसी कर्ता के अनुसार है।

अतएव क्रिया के जिस रूप में कर्ता प्रधान हो, उसे कर्तृवाच्य कहते हैं।

दुसरे वाक्य में क्रिया (गुनगुनायी जा रही थी) का लिंग एवं वचन कर्ता (धीरा) के अनुसार न होकर कर्म (धुन) के अनुसार है, यहाँ क्रिया कर्म वाच्य है। अतएव क्रिया के जिस रूप में कर्म प्रधान हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं।

(iii) धीरा से रहा नहीं गया। तीसरे वाक्य में रहा नहीं गया’ क्रिया का भाव ही मुख्य है। क्रिया अकर्मक है जो अन्य पुरुष, पुल्लिग, एकवचन में है।

अतएव क्रिया के जिस रूप में क्रिया के भाव की प्रधानता के कारण अकर्मक क्रिया का प्रयोग हो और जो सदैव अन्य पुरुष, पुल्लिग तथा एकवचन में हो, उसे भाव वाच्य कहते हैं।

धीरा की होशियारी Summary in Hindi

धीरा की होशियारी पाठ का सार

‘धीरा की होशियारी’ लेखक की एक श्रेष्ठ रचना है। यह एक शिक्षाप्रद कहानी है। लेखक इस कहानी के माध्यम से बच्चों तथा युवाओं के मन में ईमानदारी, साहस, वीरता परिश्रम, कर्त्तव्य परायणता आदि के गुणों का समावेश करना चाहता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी 5

धीरा एक गरीब परिवार का मेहनती लड़का था। जब वह बहुत छोटा था तो उसके पिता का स्वर्गवास हो गया था। अब वह अपनी माँ और बहन के साथ एक पुरानी झुग्गी में रह रहा था। अपना तथा अपने परिवार का पेट पालने के लिए वह स्कूल बंद होने के बाद एक सिनेमा हॉल के निकट बैठकर जूते पॉलिश करने का काम करता था। एक दिन धीरा पेड़ की छाया में बैठकर अपनी दिन भर की कमाई गिनते हुए एक लोकप्रिय धुन गुनगुना रहा था, तभी उसने एक राहगीर को कहते सुना – “एक चोर जौहरी की दुकान से चोरी करके भाग गया है” धीरा की उत्सुकता बढ़ी और उसने गिनती बंद कर उस व्यक्ति से घटना के बारे में जानना चाहा।

राहगीर ने धीरा को बताया कि चोर सोने का एक कण्ठा चुरा कर भागा है तथा उसकी दाढ़ी भी है। धीरा घटना की पूर्ण जानकारी लेने हेतु जौहरी की दुकान पर जाना चाहता था लेकिन उसी समय जूते पर पॉलिश करवाने के लिए एक ग्राहक आ गया। ग्राहक देखने में अमीर लग रहा था। उसने गले में लाल टाई बाँधी हुई थी तथा पतलून कमीज़ पहनी हुई थी। उसने धीरा से कहा उसे कोई जल्दी नहीं वह आराम से जूते पॉलिश करे।

धीरा जूता तो पॉलिश कर रहा था लेकिन उसका मन चोरी घटना की ओर ही लगा था। धीरा ने पहले ग्राहक के बाएँ जूते को पॉलिश करके चमका दिया। तभी धीरा ने कनखियों से दो सिपाहियों को अपनी ओर आते देखा, वह उनसे चोरी की घटना के बारे में पूछना चाहता था, लेकिन ग्राहक के गर्म मिजाज को देखकर रुक गया। उसे इस बात का भी भय था कि ये कोई बड़ा आदमी है कहीं वह उसकी शिकायत ही पुलिस वालों से न कर दे इसलिए वह पूरे मन से जूते पॉलिश करने में लग गया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

जब धीरा ने बायाँ जूता पॉलिश कर दिया तो उसने ग्राहक को दायाँ पैर आगे करने को कहा तो वह धीरा से बोला लड़के जल्दी कर। शो समाप्त होने में दो मिनट बाकी थे। धीरा सोचने लगा कैसा आदमी था – पहले इसे जल्दी नहीं थी पर अब इसे जल्दी है। तब धीरा ने जूते की धूल साफ करके उस पर पॉलिश लगाई और जूते चमकाने लगा। उसने जूते के अंदर से कुछ बाहर निकलते देखा। जब धीरा ने जूते में अच्छे से झाँक कर देखा तो वह हैरान रह गया।

उसके मुँह से जो शब्द निकले वे थे–’बाप रे…’ ग्राहक धीरा को जूते पॉलिश करने का मेहनताना देने के लिए अपने बटुए में से रेजगारी निकालने लगा। धीरा ने चुपके से ग्राहक के दोनों जूतों के फीते एक – दूसरे से बाँध दिए और उससे पैसे भी नहीं लिए। कुछ ही पल में धीरा सिपाहियों के पास जा पहुँचा। वह आदमी धीरा पर चिल्ला रहा था कि रुक बदमाश।

ही आदमी ने भागना चाहा वह मुँह के बल धड़ाम से गिर पड़ा, तभी धीरा सिपाहियों को लेकर आ गया। सिपाहियों ने उस व्यक्ति को पकड़ लिया। वह आदमी चोर था। धीरा ने उसके पैर में जो चीज़ देखी थी वह जौहरी की दुकान से चुराया हुआ सोने का कण्ठा था। पुलिस वालों ने उसकी जेब से नकली दाढ़ी तथा सोने का कण्ठा उसके जूते से निकाल लिया। सभी ने धीरा की होशियारी की खूब प्रशंसा की। पुलिस और जौहरी दोनों ने धीरा को ईनाम दिया। धीरा के विद्यालय ने भी उसकी होशियारी पर उसे एक पदक दिया।

धीरा की होशियारी कठिन शब्दों के अर्थ

  • स्वर्गवास = देहांत।
  • राहगीर = रास्ते पर चलने वाला।
  • रास्ता लिया = चला गया।
  • पतलन = पैंट।
  • कनखियों = तिरछी नज़रों से।
  • मिज़ाज = स्वभाव।
  • हुजूर = साहब।
  • बटुआ = पर्स।
  • रेजगारी = सिक्के।
  • लपक कर = झट से।
  • हिरासत में लेना = पकड़ना, हथकड़ी लगाना।

धीरा की होशियारी गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. ग्राहक ने अपनी कलाई घड़ी की ओर देखते हुए धीरा से कहा, “अरे लड़के, ज़रा जूता अच्छी तरह से पॉलिश कर दो। मुझे कोई जल्दी नहीं है।” ग्राहक ने पतलून – कमीज़ पहनी हुई थी और लाल टाई बाँध रखी थी। देखने में वह एक अमीर आदमी लगता था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘धीरा की होशियारी’ नामक कहानी से अवतरित है। इस कहानी में लेखक ने धीरा की होशियारी और बुद्धिमानी का चित्रण किया है। यहाँ लेखक ने धीरा के मेहनती स्वरूप को उजागर किया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि एक ग्राहक ने धीरा की ओर अपनी कलाई की घड़ी देखते हुए धीरा से कहा कि लड़के इस जूते को अच्छे ढंग से पॉलिश कर दो। उसे किसी प्रकार की कोई जल्दबाजी नहीं है। लेखक बताता है कि ग्राहक ने पैंट – कमीज पहनी हुई थी और गले में लाल टाई पहनी हुई थी। उसे देखने पर लगता था कि जैसे वह कोई अमीर आदमी हो।

विशेष –

  • लेखक ने ग्राहक के रूप में आए चोर की वेश – भूषा का चित्रण किया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

2. ग्राहक ने पहले बायाँ पैर स्टैंड पर रखा। पीला कपडा लेकर धीरा ने जते की धूल पोंछ फिर एक टिन खोलकर पॉलिश निकाली और ब्रुश से जूते पर फैला दी। फिर वह जल्दी – जल्दी उसे चमकाने लगा। थोड़ी देर में जूता चमक उठा।।

तभी धीरा ने कनखियों से देखा कि दो सिपाही आ रहे हैं। उनसे वह चोरी के बारे में पूछना चाहता था लेकिन ग्राहक का मिज़ाज गरम हो रहा था।

प्रसंग – प्रस्तुत अवतरण हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में संकलित धीरा की होशियारी’ नामक कहानी से लिया गया है। लेखक ने यहाँ धीरा के मेहनती स्वरूप का चित्रण करते हुए उसके मन में व्याप्त जिज्ञासा को दर्शाया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि ग्राहक ने अपने जूते पर पॉलिश करवाने के लिए सबसे पहले अपने बाएँ पाँव को स्टैण्ड पर रखा। तब धीरा ने एक पीले कपड़े के साथ जूते पर पड़ी धूल को पोंछा और एक टिन की डिब्बी खोलकर पॉलिश निकाली और ब्रुश के साथ उसे पूरे जूते पर फैला दिया।

इसके बाद धीरा जूते को अच्छे से चमकाने में लग गया। कुछ ही देर में ग्राहक का जूता अच्छे से चमक गया। उसी समय धीरा ने अपनी तिरछी नज़रों से दो – सिंपाहियों को अपनी ओर आते देखा। वह उनसे चोरी की घटना के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहता था। लेकिन ग्राहक के स्वभाव का गर्म देखते हुए उसकी हिम्मत पूछने की न हुई।

विशेष –

  • लेखक ने धीरा के मन में व्याप्त जिज्ञासा को प्रकट किया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 11 धीरा की होशियारी

3. वह लपक कर सिपाहियों के पास पहुँचा। पीछे से उसने आदमी को चिल्लाते सुना, “ओ बदमाश, जरा ठहर।” लेकिन आदमी ने जब चलना चाहा तो मुँह के बल गिर पड़ा। अभी वह उठने की कोशिश कर रहा था कि धीरा सिपाहियों को लेकर आ गया। उन्होंने उस आदमी को हिरासत में ले लिया।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘धीरा की होशियारी’ नामक कहानी से लिया गया है। लेखक ने इस कहानी में धीरा की होशियारी एवं ईमानदारी को दिखा कर समाज को शिक्षा दी है कि हमें धीरा के समान होशियार एवं ईमानदार बनना चाहिए।

व्याख्या – लेखक कहता है कि जब धीरा ने अपनी बुद्धिमानी एवं होशियारी से चोर का सारा सच जान लिया तो वह झट से पुलिस वालों के पास पहुँच गया। जब वह पुलिस वालों के पास जा रहा था तो उसने पीछे से ग्राहक के भेष में चोर को चिल्लाते सुना अरे! बदमाश रुक जा।

लेकिन जब उस आदमी ने अपने कदम आगे बढ़ाने चाहे तो वह मुँह के बल नीचे गिर गया। वह अभी उठने का प्रयास कर रहा था कि इतने में धीरा सिपाहियों को लेकर वहाँ पहुँच गया। उसी समय पुलिस वालों ने ग्राहक के वेश में छिपे चोर को अपने कब्जे में ले लिया।

विशेष –

  • लेखक ने धीरा की होशियारी का परिचय दिया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB बढ़े चलो, बढ़े चलो Textbook Questions and Answers

बढ़े चलो, बढ़े चलो अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें:

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें:

(क) कवि किन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है? कोष्ठक में दिए संकेतों पर निशान लगाइए। (बालकों को, युवाओं को, देशवासियों को, स्वतंत्रता सेनानियों को)
उत्तर :
स्वतन्त्रता सेनानियों को।

(ख) कवि अस्त्र-शस्त्र के बिना लड़ने का सुझाव क्यों देता है ?
उत्तर :
कवि गांधीवादी विचारों का समर्थक है। अत: वह बिना अस्त्र – शस्त्रों के लड़ने का सुझाव देता है। सत्य, अहिंसा और प्रेम गांधी जी के शस्त्र थे।

(ग) यह कविता देश के आजाद होने से पहले लिखी गयी थी अथवा बाद में ?
उत्तर :
‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’ कविता देश के आजाद होने से पहले लिखी गई थी।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें:

(क) कवि अपने पाठकों को मशाल बन कर जलने की प्रेरणा क्यों देता है?
उत्तर :
कवि स्वतन्त्रता सेनानियों को मशाल बनकर जलने की प्रेरणा इसलिए देता है ताकि आजादी के रास्ते का अन्धकार दूर हो सके। देश के अन्य लोग भी कदम से कदम मिला कर आगे बढ़ सकें। मशाल बन कर जलने वाला सबकी प्रेरणा का स्रोत बन जाता है।

(ख) जियो चलो, मरे चलो,-कवि जीवन और मृत्यु को साथ लेकर चलता है क्यों?
उत्तर :
स्वतन्त्रता प्राप्त करने का मार्ग बड़ा कठिन होता है। इस रास्ते पर जीवन भी है और मरण भी। आज़ादी प्राप्त होना जीवन है और आज़ादी के लिए कुर्बान हो जाना मरण है। संघर्ष मार्ग पर बढ़ता हुआ वीर जीवन – मरण की परवाह नहीं करता। वह जीता भी है, मरता भी है।

(ग) कविता का सार लिखें।
उत्तर :
‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’ कविता श्री सोहन लाल द्विवेदी की देश की स्वतन्त्रता से पूर्व की रचना है। यह कविता देश – भक्ति से ओत – प्रोत है। इसमें स्वतन्त्रता सेनानियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी गई है। कवि कहता है चाहे तुम्हारे पास कोई शस्त्र नहीं है और खाने को भी कुछ नहीं फिर भी आज़ादी के मार्ग पर बढ़ते चलो। तुम अपने मार्ग की बड़ी से – बड़ी बाधा को भी चीर कर आगे बढ़ो। झुकने का नाम न लो। इसके लिए तुम अपने रक्त की एक – एक बूंद बहा दो। युगों की परतन्त्रता को समाप्त कर दो। कभी भी भयभीत नहीं होना चाहिए। व्यक्ति को सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए।

5. इन शब्दों के अर्थ लिखते हुए वाक्यों में प्रयोग करें:

  1. समक्ष __________ _____________________________
  2. कालकूट __________ _____________________________
  3. सुधा __________ _____________________________
  4. फाग __________ _____________________________
  5. अशेष __________ _____________________________

उत्तर :

  1. समक्ष = सामने – व्यक्ति को हमेशा अपने समक्ष ऊँचा आदर्श रखना चाहिए।
  2. कालकूट = तेज़ ज़हर – आज़ादी पाने के लिए व्यक्ति को कालकूट भी पीना पड़ता है।
  3. सुधा = अमृत – स्वतन्त्रता सेनानी बलिदान को सुधा समझकर पी जाते हैं।
  4. फाग = होली – सैनिकों का काम ही रक्त से फाग खेलना है।
  5. अशेष = सम्पूर्ण – आज़ादी के लिए अपना अशेष रक्त अर्पित कर दो।

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6. विपरीतार्थक शब्द लि:

  1. स्वतंत्रता = _____________
  2. मरण = _____________
  3. कालकूट = _____________

उत्तर :

  1. स्वतन्त्रता = परतन्त्रता
  2. मरण = जीवन
  3. कालकूट = सुधा

7. संज्ञा शब्द बनायें:

  1. रुकना = _____________
  2. झुकना = _____________
  3. जलना = _____________
  4. निखरना = _____________
  5. बिखरना = _____________

उत्तर :

  1. रुकना = रुकावट
  2. झुकना = झुकाव
  3. जलना = जलन
  4. निखरना = निखार
  5. बिखरना = बिखराव

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो

8. इन शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखें:

  1. वस्त्र = _________, _________
  2. शिखर = _________, _________
  3. अटूट = _________, _________
  4. राग = _________, _________
  5. मशाल = _________, _________
  6. मिसाल = _________, _________
  7. नीर = _________, _________

उत्तर :

  1. वस्त्र = कपड़ा, चीर, पट,
  2. शिखर = चोटी, शृंग
  3. अटूट = मज़बूत, अभंगुर
  4. राग = सुर, प्रेम
  5. मशाल = मुराड़ा, लौ
  6. मिसाल = उदाहरण, नमूना
  7. नीर = जल, पानी, वारी

बढ़े चलो, बढ़े चलो Summary in Hindi

बढ़े चलो, बढ़े चलो कविता का सार

‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’ कविता श्री सोहन लाल द्विवेदी की देश की स्वतन्त्रता से पूर्व की रचना है। यह कविता देश – भक्ति से ओत – प्रोत है। इसमें स्वतन्त्रता सेनानियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी गई है। कवि कहता है चाहे तुम्हारे पास कोई शस्त्र नहीं है और खाने को भी कुछ नहीं फिर भी आज़ादी के मार्ग पर बढ़ते चलो। तुम अपने मार्ग की बड़ी – से बड़ी बाधा को भी चीर कर आगे बढ़ो। झुकने का नाम न लो। इसके लिए तुम अपने रक्त की एक – एक बूंद बहा दो। युगों की परतन्त्रता को समाप्त कर दो। कभी भी भयभीत नहीं होना चाहिए। व्यक्ति को सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए।

बढ़े चलो, बढ़े चलो काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. न हाथ एक शस्त्र हो,
न हाथ एक अस्त्र हो,
न अन्न नीर वस्त्र हो,
हटो नहीं, डटो वहीं।
बढ़े चलो, बढ़े चलो।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो

शब्दार्थ :

  • शस्त्र = हाथ में पकड़ा हुआ निकट से चलाया जाने वाला हथियार जैसे तलवार, भाला, डंडा आदि।
  • अस्त्र = दूर से चलाया जाने वाला हथियार जैसे – तीर, गोला, मिसाइल आदि।
  • अन्न = अनाज।
  • नीर = पानी।
  • वस्त्र = कपड़ा।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक में संकलित श्री सोहन लाल द्विवेदी द्वारा रचित ‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’ नामक कविता से लिया गया है। इस कविता में कवि ने देश की आज़ादी के लिए स्वतन्त्रता सेनानियों को पथ पर निरन्तर आगे बढ़ने का आह्वान किया है।

व्याख्या – कवि स्वतन्त्रता सेनानियों को सम्बोधित करते हुए कहता है – यदि तुम्हारे हाथ में एक भी अस्त्र – शस्त्र नहीं है और न ही तुम्हारे पास भोजन, जल और कपड़ा है। फिर भी तुम अपने रास्ते से न हटो। वहीं पर डट जाओ और आगे ही आगे बढ़ते चलो।

विशेष –

  • कवि ने देशवासियों को देश की आजादी के लिए आगे बढ़ने का आह्वान किया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

2. रहे समक्ष हिम शिखर,
तुम्हारा प्रण उठे निखर,
भले ही जाये तन बिखर,
रुको नहीं, झुको नहीं।
बढ़े चलो, बढ़े चलो।

शब्दार्थ :

  • समक्ष = सामने।
  • हिम शिखर = बर्फ की चोटी।
  • निखर = चमक।
  • तन = शरीर।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश सोहन लाल द्विवेदी द्वारा रचित कविता ‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’ से लिया गया है। इस कविता में कवि ने देश की आजादी के लिए स्वतन्त्रता सेनानियों को पथ पर निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या – कवि वीरों को स्वतन्त्रता की बलि वेदी पर अपना बलिदान देने की प्रेरणा देता हुआ कहता है – चाहे तुम्हारे रास्ते में बर्फ की चोटी भी आ जाए, तुम्हारे रास्ते में हिमालय भी आकर क्यों न खड़ा हो जाए, कितनी भी कठिनाइयों का सामना क्यों न करना पड़े फिर भी तुम्हें घबराना नहीं चाहिए।

तुम्हें साहस से काम लेना चाहिए। उसे देखकर तुम्हारी प्रतिज्ञा निखर उठे। चाहे तुम्हारा शरीर टुकड़े – टुकड़े हो जाए पर तुम्हें रुकना नहीं चाहिए और न ही झुकना चाहिए। तुम्हें निरन्तर बढ़ते रहना चाहिए।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो

विशेष :

  • कवि ने स्वतन्त्रता सेनानियों से मार्ग में आने वाली बाधाओं से न डरने का आह्वान किया है।
  • भाषा भावों के अनुरूप है।

3. घटा घिरी अटूट हो,
अधर पै कालकूट हो,
वही सुधा का चूंट हो,
जिये चलो मरे चलो।
बढ़े चलो, बढ़े चलो।

शब्दार्थ :

  • अटूट = बिना टूटे, लगातार।
  • अधर = होंठ।
  • कालकूट = ज़हर।
  • सुधा = अमृत।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश सोहन लाल द्विवेदी द्वारा रचित कविता ‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’ से लिया गया है। इस कविता में कवि ने देश की आजादी के लिए स्वतन्त्रता सेनानियों को. पथ पर निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या – कवि वीरों से कहता है कि चाहे तुम्हारे रास्ते पर दुःख की अखण्ड घटाएँ घिर आई हों, तुम्हारे होठों पर भयंकर विष लगा हो, परन्तु तुम्हें उसे अमृत का चूंट समझ कर पी लेना चाहिए। जीते हुए और मरते भी तुम आगे की तरफ बढ़ते जाओ।

विशेष –

  • कवि ने वीरों को बाधाओं का सामना करने का संदेश दिया है।
  • भाषा सरल, सहज तथा सरस है।

4. गगन उगलता आग हो,
छिड़ा मरण का राग हो,
लहू का अपना फाग हो,
अड़ो वहीं, गड़ो वहीं।
बढ़े चलो, बढ़े चलो।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो

शब्दार्थ :

  • गगन = आकाश।
  • लहू = खून।
  • फाग = होली का रंग खेलना।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश सोहन लाल द्विवेदी द्वारा रचित कविता ‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’ से लिया गया है। इस कविता में कवि ने देश की आज़ादी के लिए स्वतन्त्रता सेनानियों को पथ पर निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या – कवि वीरों से स्वतन्त्रता के पथ पर निरन्तर आगे बढ़ने का आह्वान करते हुए कहता है कि चाहे तुम्हारे रास्ते में आकाश आग उगल रहा हो या मृत्यु का गीत शुरू हो गया हो, मृत्यु तुम्हारे सामने खडी हो, फिर भी तुम्हें अपना लहू बहाते हए वहीं पर अड़ जाना चाहिए और बलिदान हो जाना चाहिए। अपने रास्ते पर आगे ही आगे बढ़ते चलो।

विशेष –

  • कवि ने देश की स्वतन्त्रता के लिए वीरों को बलिदान देने के लिए प्रेरित किया है।
  • भाषा भावानुकूल है।

5. चलो, नयी मिसाल हो,
जलो, नयी मशाल हो,
बढ़ो, नया कमाल हो,
झुको नहीं, रुको नहीं।
बढ़े चलो, बढ़े चलो।

शब्दार्थ :

  • मिसाल = नमूना, उदाहरण।
  • कमाल = चमत्कार।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश सोहन लाल द्विवेदी द्वारा रचित कविता ‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’ से लिया गया है। इस कविता में कवि ने निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या – कवि वीरों को कहता है कि हे वीरो! तुम आगे इस प्रकार बढ़ो कि एक नया उदाहरण कायम हो जाए और एक नई मशाल की तरह जलते हुए देश को रास्ता दिखाओ। तुम अपने पथ पर इस प्रकार आगे बढ़ो जिससे कि एक नया चमत्कार हो जाए। तुम शत्रु के सामने झुको नहीं और आगे बढ़ने से रुको नहीं बस आगे ही बढ़ते चलो।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 10 बढ़े चलो, बढ़े चलो

विशेष –

  • कवि ने वीरों से नया कीर्तिमान स्थापित करने के लिए कहा है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानकल है।

6. अशेष रक्त तोल दो,
स्वतन्त्रता का मोल दो,
कड़ी युगों की खोल दो,
डरो नहीं, मरो वहीं।
बढ़े चलो, बढ़े चलो।

शब्दार्थ :

  • अशेष रक्त = सारा खून।
  • स्वतन्त्रता = आज़ादी।
  • कड़ी = बन्धन।
  • युगों की = सदियों की।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश सोहन लाल द्विवेदी द्वारा रचित कविता ‘बढ़े चलो, बढ़े चलो’ से लिया गया है। इस कविता में कवि ने निरन्तर आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी है।

व्याख्या – कवि वीरों को स्वतन्त्रता की बलिवेदी पर अपने प्राण न्योछावर करने का आह्वान करते हुए कहता है – हे वीरो अपने शरीर का सारा रक्त तुम देश पर न्योछावर कर दो। इस प्रकार आज़ादी की कीमत चुका दो। तुम सदियों से पड़ी गुलामी की जंजीरों को तोड़ दो। तुम्हें डरना नहीं चाहिए और वहीं बलिदान हो जाओ। इस प्रकार तुम्हें आगे बढ़ते रहना चाहिए।

विशेष –

  • कवि ने देशवासियों से देश हित के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की बात कही है।
  • भाषा सरल, सहज तथा भावानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 9 स्वराज्य की नींव (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB स्वराज्य की नींव Textbook Questions and Answers

स्वराज्य की नींव अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिन्दी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) अंग्रेज़ों की नीति क्या थी?
उत्तर :
अंग्रेजों की नीति ‘फूट डालो और राज करो’ की थी।

(ख) जूही ने रानी को क्या समाचार सुनाया?
उत्तर :
जूही ने रानी को समाचार सुनाया कि अंग्रेजों ने झाँसी को अपने राज में मिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और यह भी सुना है कि वे आपको पाँच हज़ार रुपए पेंशन भी देंगे।

(ग) महारानी के सम्मुख कौन-सी दो मुख्य चुनौतियाँ थीं?
उत्तर :
महारानी के सम्मुख पहली समस्या अंग्रेजों का सामना करना था, जो उस समय पूरी ताकत में थे। दूसरी समस्या देशद्रोही और गद्दारों की थी जो अंग्रेजों से जा मिले थे।

(घ) जूही और मोतीबाई क्या-क्या कहकर रानी का हौसला बढ़ाती हैं ?
उत्तर :
जूही कहती है कि – अरे ! दुर्गा की अवतार हैं हम ! दुष्टों पर जब छायेगी, छटी का दूध याद करायेंगी। मोतीबाई भी रानी का हौसला बढ़ाते हुए कहती है कि प्रजा स्वराज्य चाहती है। वीर – वीरांगनाओं की भुजाएं अंग्रेजों से युद्ध को फड़फड़ा रही हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव

(ङ) रघुनाथ के पूछने पर कि क्या आप दुश्मन के बच्चों को पनाह देंगी तो रानी क्या उत्तर देती है ?
उत्तर :
रघुनाथ के प्रश्न का उत्तर देते हुए रानी कहती है कि हमारा युद्ध अंग्रेजों से है, निरपराध बच्चों और स्त्रियों से नहीं। शरणागत की रक्षा हमारी संस्कृति है।

(च) पाठ में आस्तीन के साँप किसे कहा गया है ?
उत्तर :
पाठ में आस्तीन के साँप देशद्रोहियों और स्वार्थी गद्दारों को कहा गया है।

(छ) रानी ने अपने सैनिकों से क्या कहा?
उत्तर :
रानी ने अपने सैनिकों से झलकारी और अन्य बहादुर शेरों के शहीद होने की बात बताते हुए कहा कि जब तक हमारी जान में जान है स्वराज्य के लिए लड़ेंगे। हमारा एक एक बहादुर सौ – सौ गोरों पर भारी पड़ रहा है। फिरंगी भयभीत हैं। हाँ ध्यान रहे अंग्रेज़ मेरी देह को छूने न पाएँ।

(ज) झलकारी स्वराज्य के लिए किस प्रकार समर्पण करना चाहती है?
उत्तर :
झलकारी रानी और अन्य सरदारों को सुरक्षा के साथ बाहर निकालने के लिए स्वयं रानी का वेश बनाकर अंग्रेजों को अटकाएगी यदि वह स्वराज्य के लिए भेट चढ़ गई तो स्वयं को धन्य समझेगी।।

(झ) घायल होने पर रानी अपने सिपाहियों से क्या कहती है ?
उत्तर :
घायल होने पर रानी अपने सिपाहियों से कहती है कि अंग्रेज़ सैनिक उसकी देह को न छू पाएँ।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव

(ञ) जब सिपाही रानी को संन्यासी की कुटिया में ले जाते हैं, तब संन्यासी ने क्या कहकर रानी को संबोधित किया?
उत्तर :
रानी को देखते हो संन्यासी ने कहा – मेरे अहो भाग्य साक्षात देवी के दर्शन हो गए।

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) आप कैसे कह सकते हैं कि महारानी लक्ष्मीबाई का बलिदान स्वराज्य की नींव बना?
उत्तर :
महारानी लक्ष्मीबाई एक वीरांगना थी। देश की रक्षा के लिए उन्होंने लड़ते – लड़ते अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। वह साक्षात् दुर्गा का अवतार थी। उसे शिवाजी की कहानियाँ जवानी याद थीं। राज्य की स्त्रियाँ रानी को अपना आदर्श मानती थीं। वे लक्ष्मीबाई के एक इशारे पर लड़ने मरने को तैयार थीं। अंग्रेजों के असमय आक्रमण करने पर रानी अपने वीर सैनिकों के साथ रण भूमि में आ गई। उसने वीरता से युद्ध करके अंग्रेजों को हरा दिया।

देश के सभी राजा महाराजा उसका आदर करते थे। दुबारा अंग्रेजों से युद्ध करते हुए रानी तेईस वर्ष की छोटी – सी आयु में स्वर्ग सिधार गई और रानी स्वराज्य रूपी नारी के रूप में हमें शिक्षा दे गई कि देश की रक्षा करते अपने प्राणों को भी न्योछावर कर दो। अत: कहा जा सकता है कि लक्ष्मी बाई का बलिदान स्वराज्य की नींव बना।

(ख) हमें किस घटना से पता चलता है कि रानी एक वीरांगना होते हुए भी ममतामयी माँ थी?
उत्तर :
हाँ महारानी लक्ष्मी बाई एक वीरांगना होते हुए एक ममतामयी माँ भी थी। उनके इस रूप का पता हमें तब चलता है जब गलमहम्मद रानी को बताता है कि विद्रोही सैनिकों ने अंग्रेज़ सैनिकों पर धावा बोल दिया है और अंग्रेज़ सैनिक अपने बाल – बच्चों के लिए शरण माँग रहे हैं। इस पर रानी ने तुरन्त अंग्रेज़ सैनिकों के बच्चों तथा स्त्रियों को शरण देने के लिए कहा जो रानी के ममतामयी माँ के स्वरूप का दर्शन कराता है।

5. इन मुहावरों को अर्थ लिखते हुए वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. आस्तीन का साँप = ____________________
  2. छठी का दूध याद आना = ____________________
  3. बाल भी बाँका न होने देना = ____________________

उत्तर :

  1. आस्तीन का साँप – कपटी मित्र
    वाक्य – उससे सावधान रहना। वह तो आस्तीन का साँप है।
  2. छटी का दूध याद आना – बहुत घबरा जाना
    वाक्य – भारतीय वायु सेना के आक्रमण ने पाकिस्तानियों को छटी का दूध याद दिला दिया।
  3. बाल भी बाँका न होना – तनिक भी चोट न पहुँचना
    वाक्य – जिसके ऊपर ईश्वर की कृपा है उसका कोई बाल भी बाँका नहीं कर सकता।

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6. नये शब्द बनायें :

  1. स्व + राज्य = स्वराज्य
  2. गुप्त + चर = _________________
  3. देश + द्रोही = _________________
  4. आक्रमण + कारी = _________________
  5. अ + समय = _________________

उत्तर :

  1. स्व + राज्य = स्वराज्य
  2. गुप्त + चर = गुप्तचर
  3. देश + द्रोही = देशद्रोही
  4. आक्रमण + कारी = आक्रमणकारी
  5. अ + समय = असमय

7. पर्यायवाची शब्द लिखें :

  1. तलवार = _________________
  2. हाथ = _________________
  3. रक्त = _________________
  4. स्वतंत्रता = _________________
  5. शहीद = _________________
  6. घोड़ा = _________________
  7. इमारत = _________________
  8. प्रणाम = _________________
  9. पत्थर = _________________

उत्तर :

  1. तलवार – खड्ग, कृपाण, करवाल।
  2. हाथ – हस्त, कर, पाणि।
  3. रक्त – खून, लहू, शोणित।
  4. स्वतंत्रता – आजादी, मुक्ति।
  5. शहीद – बलिदानी, हत, कुर्बान।
  6. घोड़ा – अश्व, तुरंग, हय।
  7. इमारत – भवन, मकान।
  8. प्रणाम – नमः, नमस्ते, नमस्कार।
  9. पत्थर – पाषाण, वज्र, शिला।

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8. लिंग जानें :

वीर = वीरांगना
साधु = साध्वी
दास = दासी
रानी = राजा
उत्तर :
विद्यार्थी पढ़कर समझने का प्रयास करें।

9. विपरीत शब्द लिखें :

  1. अचेत = _____________
  2. प्रातः = _____________
  3. स्वतंत्रता = _____________
  4. गुप्त = _____________
  5. अंधेरा = _____________
  6. युद्ध = _____________

उत्तर :

  1. अचेत = सचेत
  2. स्वतन्त्रता = पराधीनता
  3. अन्धेरा = उजाला
  4. प्रातः = सायं
  5. गुप्त = प्रकट
  6. युद्ध = शान्ति।

10. इन वाक्यों में आए सर्वनाम शब्द को रेखांकित करें तथा उसका भेद बतायें :

वाक्य – भेद
(क) उन्होंने शेरनी के मुँह में हाथ डालने की कोशिश की है। पुरुषवाचक सर्वनाम
(ख) मैं पेंशन नहीं लूँगी।
(ग) आपको पाँच हज़ार रुपये पेंशन दी जायेगी।
(घ) कोई भी बचने नहीं पाये।
(ङ) बेटा! कौन आया है?
(च) यह रानी का महल है।
उत्तर :
(ख) मैं – निजवाचक सर्वनाम
(ग) आपको – मध्यम पुरुष वाचक सर्वनाम
(घ) कोई – अनिश्चय वाचक सर्वनाम
(ङ) कौन – प्रश्नवाचक सर्वनाम
(च) यह – निश्चयवाचक सर्वनाम।

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11. (क) महारानी लक्ष्मीबाई की जीवनी पुस्तकालय से लेकर पढ़ें।
(ख) श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखित कविता ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी’ पढ़ें और याद करें।
(ग) जिस प्रकार महारानी लक्ष्मीबाई ने देश के लिए बलिदान दिया। इसी प्रकार अन्य बलिदान होने वाले वीर-वीरांगनाओं की सूची बनाओ।
(घ) ‘भारत के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम’ के बारे में जानकारी प्राप्त करो।
(ङ) वीरों के बलिदान से हमें स्वतंत्रता मिली है। इस स्वतंत्रता की रक्षा करना हम सबका कर्तव्य है। आप अपने देश की क्या सेवा कर सकते हैं ? सोचिये और लिखिये।
उत्तर :
(क) विद्यार्थी स्वयं पढ़ने का प्रयास करें।
(ख) विद्यार्थी स्वयं पढ़ कर याद करें।
(ग) जिस प्रकार महारानी लक्ष्मीबाई ने देश के लिए बलिदान दिया। इसी प्रकार अन्य बलिदान होने वाले वीर वीरांगनाओं की सूची निम्नलिखित प्रकार से है –

  • वीर – वीरांगनाएँ
  • नाना साहिब – जीजाबाई
  • वीर शिवाजी – रजिया सुलताना
  • ताँत्या टोपे – अहल्या बाई
  • नाना धुंधूपंत – कर्मवती।

(घ) भारत का प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम सन् 1857 में लड़ा गया था। उस समय सारा देश गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए तैयार था। अंग्रेज़ भारतीयों पर खूब अत्याचार कर रहे थे। जो भी देश में आजादी की लहर पैदा करने का प्रयास करता था उसे मौत के घाट उतार दिया जाता था। उस समय स्त्री, पुरुष, बच्चे और वृद्ध सभी अपने देश को स्वतन्त्र कराने के लिए आत्म बलिदान देने को तैयार थे।

अंग्रेजों ने फूट डालकर शासन करने की जो नीति अपनाई थी, उसका प्रभाव भी धीरे – धीरे कम होता जा रहा था। उस समय कुछ स्त्रियाँ भी देश के स्वाधीनता संग्राम में बढ़चढ़ कर भाग ले रही थीं। संग्राम को शुरू करने का श्रेय मंगल पाण्डे को जाता है लेकिन एकजुटता के अभाव तथा देश द्रोहियों एवं गद्दारों के कारण यह आन्दोलन पूरी तरह सफल न हो पाया था।

(ङ) प्रत्येक मनुष्य अपने देश को प्यार करता है। वह कहीं भी चला जाए। संसार भर की खुशियों के बीच में वह क्यों न विचरण कर रहा हो लेकिन उसे अपना देश, अपना स्थान ही प्रिय लगता है। ठीक उसी प्रकार मुझे भी अपना देश भारत अच्छा लगता है। प्रत्येक देशभक्त की भाँति मैं भी अपने देश भारत की उन्नति के बारे में सोचता हूँ।

आज जो कुछ हमने प्राप्त किया है तथा जो कुछ हम बन पाए हैं उन सबके लिए हम देश भक्त वीरों के ही ऋणी हैं। इन वीरों से प्रेरणा लेकर मैंने अपने देश की नि: स्वार्थ भाव से सेवा करने का प्रण लिया है तथा अपने देश की सभ्यता, संस्कृति, रीति – रिवाज, भाषा, धर्म तथा मान – मर्यादा की रक्षा करना तथा उसे बनाए रखना अपने जीवन का ध्येय बनाया है।

स्वराज्य की नींव Summary in Hindi

स्वराज्य की नींव पाठ का सार

‘स्वराज्य की नींव’ एक ऐतिहासिक एकांकी है। यह शिव शंकर द्वारा रचित एक श्रेष्ठ – एकांकी है। यह कृति चार दृश्यों में समाप्त होने वाली ऐतिहासिक कथा है। नाटककार शिव शंकर ने अपनी भावुकता और कल्पना के मिश्रण से इसे रसमय बना दिया है। ‘स्वराज्य की नींव’ चार दृश्यों का एकांकी है। इसका घटनास्थल भी बहुत कम है। एकांकी झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई के दरबार से शुरू होता है और उसकी मृत्यु पर समाप्त हो जाता है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव 6

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव

नाटककार ने लक्ष्मीबाई की सभा से लेकर उसके बलिदान तक का विवरण अत्यंत मनोरम एवं रोचक ढंग से किया है। रंग मंच की सुविधा की दृष्टि से समस्त कथा वस्तु को चार दृश्यों में विभाजित किया है। इस एकांकी के प्रमुख पात्रों के बारे में जानना आवश्यक है जो निम्न प्रकार से हैं –

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दृश्य एक
झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई अपने सभा सदों से अंग्रेज़ों की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति पर विचार कर रही थी कि तभी सभा में जूही का प्रवेश होता है। रानी जूही से पूछती है कि बताओ क्या समाचार है? जूही रानी से कहती है कि समाचार शुभ नहीं है। महारानी अंग्रेजों ने झाँसी को अपने अधिकार में लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। समाचार सुनते ही रानी ने कहा कि इन अंग्रेजों को इनके अंजाम तक पहुँचाना ही होगा।

जूही रानी को अंग्रेजों द्वारा दी जाने वाली पाँच हज़ार रुपए की पेंशन की भी बात बताती है, जिसे रानी तुरन्त मना कर देती है। रानी के सैनिक सरदार रघुनाथ जी रानी को धीरज से काम लेने की सलाह देते हैं। तात्या टोपे रानी को समझाते हुए कहते हैं कि वह शत्रु की शक्ति परख कर, अपनी गुप्त तैयारी करेंगे। रानी तात्या टोपे की बात से सहमत हो जाती है और जूही और मोती बाई को गुप्तचर बन अंग्रेज़ छावनी में जाने को कहती है।

दृश्य दो
इस दृश्य में मोतीबाई का प्रवेश रानी के महल में होता है जहाँ महारानी मोतीबाई से कहती है कि स्वराज्य संग्राम में सभी बराबर हैं। अत: महारानी न कहकर वह उन्हें सखी कहे। मोती बाई रानी से अंग्रेजों के अत्याचार की कहानी सुनाती है और बताती है कि प्रजा स्वराज्य चाहती है। राज्य के वीर – वीरांगनाओं की भुजाएँ दुश्मन से लोहा लेने के लिए तड़प रही हैं।

रानी मोती बाई से प्रजा में जोश भरने को कहती है ताकि समय आने पर शत्रु का सामना किया जा सके। उस समय तुम्हारी रानी लक्ष्मीबाई स्वयं स्वराज्य का झंडा लहराएगी। ताँत्या, जूही, रघुनाथ तथा गुलमुहम्मद भारतीय वीरांगनाओं पर गर्व जताते हुए अंग्रेजों को छटी का दूध याद दिलाने की बात कहते हैं।

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दृश्य तीन
दृश्य के प्रारम्भ में गुल का प्रवेश होता है। वह तात्या टोपे को बताता है कि विद्रोही सैनिक किले में प्रवेश कर गए हैं। उन्होंने अंग्रेज़ सैनिकों पर धावा बोल दिया है। अंग्रेज़ अपने बाल – बच्चों के लिए शरण मांग रहे हैं। रानी अंग्रेज़ सैनिकों के स्त्रियों और बच्चों को महल में शरण देने को कहती है। जब रघुनाथ इस बात पर आश्चर्य प्रकट करते हैं तो रानी कहती है कि उनका युद्ध अंग्रेजों से है; निरपराध बच्चों और स्त्रियों से नहीं।

शरणागत की रक्षा करना हमारी संस्कृति है। रानी ने युद्ध में अंग्रेजों को परास्त कर दिया, लेकिन कुछ ही समय बाद कुछ गद्दारों की सहायता से अंग्रेजों ने पुनः हमला कर दिया। रानी रघुनाथ से सेना को तैयार करने की बात कहती है। वह यह आदेश देती है कि यदि वह युद्ध में वीर गति को प्राप्त हो जाए तो शत्रु उसके शरीर को हाथ न लगाने पाएँ। रघुनाथ रानी से कालपी चलने को कहते हैं।

झलकारी अंग्रेजों का ध्यान बंटाने के लिए रानी का वेश धारण कर लेती है। तब रानी दोनों हाथों में तलवार लेकर चल पड़ती है। रानी अपने वीर सरदारों को एक शोक समाचार सुनाती है कि झलकार और उसकी सेना के कुछ अन्य बहादुर स्वराज्य के लिए शहीद हो गए हैं। रानी सेना में मनोबल भरते हुए कहती है कि अब भी हमारा एक – एक बहादुर सौ – सौ गोरों पर भारी पड़ रहा है।

रानी चण्डी. का रूप बनाए, मुँह में लगाम दबाए, दोनों हाथों से तलवार चलाती हुई दुश्मन को मारती जा रही थी कि तभी एक अंग्रेज़ सैनिक ने उनके शरीर में संगीन घोंप दी। रानी तब लड़ती ही रही। सहसा एक गोली रानी की जाँघ पर आ लगती है और रानी घोड़े से गिरने लगती है। रानी गिरते – गिरते अपनी देह गोरों के हाथ न लगने की बात कहती है। गुल मुहम्मद और रघुनाथ रानी को लेकर जंगल में भाग जाते हैं।

दृश्य चार
इस दृश्य में रानी के सैनिक रानी को लेकर एक संन्यासी की कुटिया में पहुँचते हैं जहाँ संन्यासी रानी के दर्शन पा कर कहता है कि अहो भाग्य उसके कि उसने देवी के दर्शन कर लिए। साधु रानी के मुँह में गंगा जल डालता है। रानी एक बार पुन: उसकी देह अंग्रेज़ों को न छूने देने के लिए कहती है। बाबा रानी से कहते हैं कि स्वराज्य अवश्य मिलेगा।

वह रानी से कहते हैं कि रानी का बलिदान स्वराज्य की नींव का पत्थर बनेगा रानी स्वराज्य कहते हुए अचेत हो जाती है। सैनिक रानी की मृत्यु पर कहते हैं कि घोर अन्धकार छा गया तब बाबा कहते हैं कि नहीं प्रात: कि किरण के साथ क्रान्ति रूपी सूर्य उदय होगा। तब स्वराज्य चमचमाएगा। इसके साथ परदा गिर जाता है और नाटक समाप्त हो जाता है।

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स्वराज्य की नींव गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या

1. महारानी धीरज से काम लें। एक तो अंग्रेज़ ताकत में हैं और दूसरे देशद्रोही उनके साथ हैं। ध्यान रहे मनुष्य के साहस और बुद्धि की परीक्षा विपरीत स्थिति में ही होती है।

तो क्या मैं उन फिरंगियों से हार मान लूँ ?

कदाचित नहीं …….. स्वराज्य की ज्वाला को सुलगने दो, अवसर आने पर विस्फोट करेंगे। अभी उनकी शक्ति परखते हैं और गुप्त तैयारी करेंगे।

ठीक है जूही तुम और मोतीबाई गुप्तचर बन अंग्रेज़ सिपाहियों से जानकारी हासिल करो।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित एकांकी ‘स्वराज्य की नींव’ से लिया गया है जिसके रचयिता शिव शंकर हैं। लेखक ने यहाँ अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ रही लक्ष्मीबाई की वीरता एवं साहसा का चित्रण किया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि महारानी लक्ष्मी को समझाते हुए रघुनाथ उनसे कहते हैं कि वे धैर्य से काम लें क्योंकि अंग्रेज़ अपनी पूरी ताकत में हैं और राज्य में विद्रोह करने वाले देशद्रोही उनके साथ हैं। रघुनाथ रानी से कहता है कि महारानी व्यक्ति के साहस और वुद्धि की वास्तविक परीक्षा कठिन समय आने पर ही होती है। रघुनाथ की बाते सुनने के बाद रानी कहती है कि क्या वह इन अंग्रेजों से हार मान ले।

तब ताँत्या टोपे रानी को बीच में टोकते हुए कहते हैं नहीं बिल्कुल नहीं हम अंग्रेजों से बदला लेंगे। लेकिन अभी स्वराज्य की आग को धीरे – धीरे सुलगने दो। समय आने पर हम विस्फोट करेंगे। अभी हम उनकी शक्ति को अच्छे जान और समझ लेते हैं और उसी के अनुसार हम अपनी खुफिया तैयारी करेंगे। तात्या टोपे की बात पर सहमती जताते हुए रानी लक्ष्मीबाई जूही और मोती – बाई को अंग्रेजों की छावनी में गुप्तचर बनकर जाने को कहती है।

विशेष –

  • लेखक ने महारानी लक्ष्मीबाई के सरदारों की सूझ – बूझ का चित्रण किया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव

2. वीर सरदारो! झलकारी व अन्य बहादुर शेर स्वराज्य के लिए शहीद हो गए। जब तक हमारी जान में जान है स्वराज्य के लिए लड़ेंगे। हमारा एक – एक बहादुर सौ – सौ गोरों पर भारी पड़ रहा है। फिरंगी भयभीत हैं। हाँ, ध्यान रहे अंग्रेज़ मेरी देह न छूने पायें।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित एकांकी ‘स्वराज्य की नींव’ से लिया गया है जिसके लेखक शिव शंकर हैं। लेखक ने यहाँ लक्ष्मीबाई की वीरता एवं साहस का परिचय दिया।

व्याख्या – लेखक कहता है कि महारानी लक्ष्मी बाई अपने बहादुर सरदारों को युद्ध में लड़ने के लिए उनका हौसला बढ़ाते हुए कहती है कि झलकारी और कुछ अन्य बहादुर शेर स्वराज्य की जंग में लड़ते हुए शहीद हो गए हैं। वीर बाँकुरो जब तक हमारे प्राणों में प्राण हैं तब तक हम देश के स्वराज्य के लिए इन अंग्रेजों से लड़ते रहेंगे। रानी अपने वीरों का उत्साह बढ़ाते हुए कहती है कि रानी का एक – एक वीर सिपाही सौ – सौ अंग्रेज़ सिपाहियों पर भारी पड़ रहा है। अंग्रेज़ पूरी तरह से डरे हुए हैं। लेकिन वीरो एक बात का ध्यान रखना, अगर युद्ध में तुम्हारी इस रानी को कुछ हो जाए तो अंग्रेज़ उसके शरीर को छूने न पाएँ।

विशेष –

  • लेखक ने महारानी लक्ष्मी बाई के अदम्य साहस एवं वीरता के साथ साथ एक नेतृत्व करने की क्षमता को उजागर किया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

3. चलो आक्रमण करो (रानी रणचण्डी बन जाती है। मुँह में लगाम दबाये दोनों हाथों से युद्ध करती है। सबकी तलवारें कहर बरसा रही हैं। तभी एक अंग्रेज़ रानी के संगीन घोंप देता है।)

(घाव की परवाह न करते हुए) शाबाश वीरो, शाबाश ! विजय हमारी है, हमारे खून का एक – एक कतरा। स्वराज्य की नींव का पत्थर होगा।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में ‘स्वराज्य की नींव’ नामक शीर्षक एकांकी से लिया गया है इसके लेखक शिव शंकर हैं। यहाँ लेखक ने लक्ष्मीबाई की वीरता का सजीव चित्रण किया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि लक्ष्मी बाई अपने बहादुर सैनिकों से कहती है कि चलो वीरो दुश्मन पर आक्रमण करो। महारानी लक्ष्मी बाई दुर्गा का रूप लिए, मुँह में अपने घोडे की लगाम दबाए अपने दोनों हाथों में तलवार लेकर यद्ध करती है। सभी की तलवारें चारों ओर मौत ही मौत बरसा रही थीं कि इसी बीच एक अंग्रेज़ ने रानी को अपनी संगीन से घायल कर दिया। रानी अपने घाव की तनिक भी परवाह न करते हुए लड़ती रही।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव

वह अपनी सेना का युद्ध भूमि में हौंसला बढ़ाती रही और कहती रही कि विजय उन्हीं की होगी। रानी ने यह भी कहा कि उनके खून की एक – एक बूंद स्वराज्य की नींव का पत्थर बनने में सहायक होगी। उनका खून अवश्य रंग लाएगा।

विशेष –

  • लेखक ने स्वराज्य हेतु रानी और उसके वीर सैनिकों को युद्ध में लड़ते हुए दिखाया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

4. स्वराज्य की देवी को मेरा शत – शत नमन।

बाबा स्वराज्य कब मिलेगा, कैसे…………… ?

बलिदान से। तुम्हारा बलिदान स्वराज्य की नींव का पत्थर है। इन वीर – वीरांगनाओं का रक्त इस नींव को पूरा करेगा। जिस पर स्वराज्य की इमारत चमचमाएगी। सच बाबा (फिर ) स्वराज्य की इमारत चमचमाएगी………स्वराज्य का परचम लहराएगा (रानी अचेत हो जाती है।)

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य पुस्तक में संकलित एकांकी ‘स्वराज्य की नींव’ से लिया गया है। इसके लेखक शिव शंकर हैं। लेखक ने यहाँ वीरांगना लक्ष्मी बाई के महान् त्याग और समर्पण को देश में लुटाते हुए दिखाया है।

व्याख्या – लेखक कहता है कि जब सैनिक घायल अवस्था में रानी लक्ष्मीबाई को लेकर एक संन्यासी की कुटिया में आए तो संन्यासी ने रानी को देखते ही कहा कि स्वराज्य की देवी को उनका सैंकड़ों बार नमस्कार। रानी ने बाबा से कहा कि बाबा स्वराज्य कब और कैसे मिलेगा। बाबा ने रानी के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि स्वराज्य बलिदान से मिलेगा। रानी तुम्हारा बलिदान इस स्वराज्य की नींव का पत्थर बनेगा।

तुम्हारे इन वीर वीरांगनाओं का रक्त इस नींव को सींच कर मज़बूत करेगा। जिस पर स्वराज्य की चमचमाती हुई इमारत तैयार होगी। बाबा की बाते सुनने की बाद रानी ने बुदबुदाते हुए स्वरों में कहा कि सच बाबा स्वराज्य आएगा। स्वराज्य का ध्वज लहराएगा आदि शब्द कहते हुए रानी सबको छोड़ कर स्वराज्य की वेदी पर शहीद हो जाती है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 9 स्वराज्य की नींव

विशेष –

  • लेखक ने रानी के अमर बलिदान की गाथा का वर्णन किया है।
  • भाषा विचारानुकूल है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

Punjab State Board PSEB 7th Class Hindi Book Solutions Chapter 8 विजय दिवस Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 7 Hindi Chapter 8 विजय दिवस (2nd Language)

Hindi Guide for Class 8 PSEB विजय दिवस Textbook Questions and Answers

विजय दिवस अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस 1
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस 2
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस 3
PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस 4
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

3. इन प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) हार्दिक अपनी माँ के साथ पूना से चंडीगढ़ क्यों जा रहा था?
उत्तर :
हार्दिक अपनी माँ के साथ पूना में अपने नाना जी के पास रहता था, लेकिन नाना जी की मृत्यु के बाद अब वह अपनी माँ के साथ पूना से चंडीगढ़ जा रहा था।

(ख) हार्दिक को चंडीगढ़ जाना अच्छा क्यों नहीं लग रहा था?
उत्तर :
हार्दिक को चंडीगढ़ जाना इसलिए अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि अब उसे अपना शहर पूना, स्कूल तथा अपने मित्र छोड़ने पड़ रहे थे।

(ग) ट्रेन से उतरते ही दादा जी को देखकर हार्दिक क्यों हैरान हो गया?
उत्तर :
ट्रेन से उतरते ही हार्दिक ने दादा जी को विभिन्न मैडलों से सजी वर्दी में कई पुलिस कर्मियों के साथ देखा तो वह हैरान रह गया। यह उसके लिए आश्चर्य ही था क्योंकि दादा जी पूना में हमेशा साधारण कपड़ों में एक आम आदमी की तरह ही आते थे।

(घ) कक्षा के सभी विद्यार्थी हार्दिक से क्यों तंग रहते थे?
उत्तर :
कक्षा के सभी विद्यार्थी हार्दिक से उसकी शरारतों तथा घमण्डी स्वभाव के कारण तंग थे।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

(ङ) विजय दिवस क्यों मनाया जाता है?
उत्तर :
विजय दिवस किसी व्यक्ति के पराक्रम, साहस, वीरता आदि के गुणों को याद करके उसके सम्मान में मनाया जाता है।

(च) स्कूल का नाम हार्दिक के पिता के नाम पर क्यों रखा गया?
उत्तर :
स्कूल का नाम हार्दिक के पिता के नाम पर इसलिए रखा गया था क्योंकि उन्होंने कारगिल युद्ध में देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। पूरे शहर और देश को उन पर गर्व था, इसलिए उनके नाम पर स्कूल का नाम रखा जा रहा था।

(छ) हार्दिक ग्लानि और पश्चाताप से क्यों भर गया?
उत्तर :
बलिदान और दादा जी की ईमानदारी के बीच स्वयं को कहीं पर भी खड़ा हुआ नहीं देख रहा था। वह स्वयं को बोना अनुभव कर रहा था। इसलिए उसका हृदय ग्लानि और पश्चाताप से भर गया।

4. इन प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) हार्दिक के हृदय में एकाएक परिवर्तन कैसे हो गया? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर :
हार्दिक जब चंडीगढ़ आया था तो अपने दादा जी के रौब और रुतबे के कारण उसमें घमण्ड का भाव आ गया था, लेकिन जब वह ‘विजय दिवस’ कार्यक्रम में पहुँचा और वहाँ अपने पिता शहीद कैप्टन शुक्ला की बहादुरी तथा अपने दादा जी की कर्त्तव्य परायणता, ईमानदारी और मेहनत की प्रशंसा सुनी तो उसके दिल में एक हलचल-सी होने लगी। यह हलचल तब और अधिक बढ़ गई जब मंच संचालक ने यह कहा कि-“अब भविष्य में इनके पोते हार्दिक शुक्ला से उम्मीद है कि वह अपने पिता जी और दादा जी के पदचिह्नों पर चलेगा और इस शहर और देश का नाम रोशन करेगा।” बात सुनकर हार्दिक के हृदय में एकाएक परिवर्तन हो गया।

(ख) ‘विजय दिवस’ पाठ के नाम की सार्थकता पर प्रकाश डालें।
उत्तर :
‘विजय दिवस’ पाठ शीर्षक से हम पूर्ण रूप से सहमत हैं। आज के युग में लोभ-मोह आदि को प्रधान शक्ति मानना ठीक नहीं है। समाज में अभी भी सच्चाई, ईमानदार, त्याग, बलिदान तथा सेवाभाव समाप्त नहीं हुई है। कैप्टन शुक्ला और उनके पिता जी इसका जीता जागता उदाहरण हैं। कैप्टन शुक्ला ने अपने अमर बलिदान से जहाँ कारगिल युद्ध विजय कर हमें विजय दिवस मनाने का अवसर दिया वहीं हार्दिक के दिल में भी विजय की एक झनकार बजी जिसने उसके जीवन को बदल दिया अत: ‘विजय दिवस’ शीर्षक सर्वथा उचित एवं सार्थक है।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

5. वाक्यों में प्रयोग करें :

  1. घमंड _________ – ___________________________
  2. रक्तदान _________ – ___________________________
  3. उद्घाटन _________ – ___________________________
  4. महान _________ – ___________________________
  5. नामकरण _________ – ___________________________
  6. अचरज _________ – ___________________________
  7. गर्व _________ – ___________________________
  8. पश्चाताप _________ – ___________________________
  9. सम्मानित _________ – ___________________________

उत्तर :

  1. घमंड-व्यक्ति को कभी घमंड नहीं करना चाहिए।
  2. रक्तदान-रक्तदान सभी दानों में सर्वश्रेष्ठ है।
  3. उद्घाटन-हार्दिक के दादा जी ने रक्तदान शिविर का उद्घाटन किया।
  4. महान-सरदार पटेल महान् स्वतंत्रता सेनानी थे।
  5. नामकरण-कल मेरी पुत्री का नामकरण है।
  6. अचरज-रमेश के पिता जी को जब एक सिपाही ने सैल्यूट मारा तो वह अचरज से उछल पड़ा।
  7. गर्व-मुझे अपने देश भारत पर गर्व है।
  8. पश्चाताप-पश्चाताप के आँसू हमारी बुराइयों को धो डालते हैं।
  9. सम्मानित-राकेश को उसकी बहादुरी के लिए कल विद्यालय में सम्मानित किया गया।

6. इन मुहावरों के वाक्य बनायें :

  1. छक्के छुड़ाना _________ – ___________________________
  2. जान देना _________ – ___________________________
  3. सिर ऊँचा करना _________ – ___________________________
  4. कान खड़े होना _________ – ___________________________
  5. नाम रोशन करना _________ – ___________________________
  6. सिर उठाना _________ – ___________________________
  7. दबदबा होना _________ – ___________________________

उत्तर :

  1. छक्के छुड़ाना – बुरी तरह पराजित करना।
    वाक्य – भारत – पाक युद्ध में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए।
  2. जान देना = देश के लिए मरना।
    वाक्य – शहीद भगत सिंह ने देश के लिए अपनी जान दे दी।
  3. सिर ऊँचा करना = यश एवं कीर्ति बढ़ाना।
    वाक्य – अपनी वीरता एवं साहस से भारतीय सैनिकों ने देश का सिर विश्व के सामने ऊँचा कर दिया है।
  4. कान खड़े होना = आश्चर्य से सुनने के लिए उत्सुक होना।
    वाक्य – नेता जी के मंच पर आते ही उनका भाषण सुनने के लिए सबके कान खड़े हो गए।
  5. नाम रोशन करना = सम्मान बढ़ाना।
    वाक्य – दसवीं की परीक्षा में प्रथम आकर सुरेश ने अपने माँ – बाप का नाम रोशन कर दिया।
  6. सिर उठाना = विरोध में उठना।
    वाक्य – डाकू शेरसिंह ने अपने साथियों को चेतावनी देते हुए कहा यदि किसी ने सिर उठाया तो उसे कुचल दूंगा।
  7. दबदबा होना = डर एवं दहशत जमाना।
    वाक्य – डाकू मंगल सिंह ने पूरे इलाके में अपने आतंक का दबदबा बना रखा था।

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7. विपरीत शब्द लिखें :

  1. साधारण = _____________________
  2. विश्वास = _____________________
  3. मित्र = _____________________
  4. जीवन = _____________________
  5. विजय = _____________________
  6. प्रशंसा = _____________________
  7. अपराधी = _____________________

उत्तर :

  1. साधारण = विशिष्ट
  2. विश्वास = अविश्वास
  3. मित्र = शत्रु
  4. जीवन = मृत्यु
  5. विजय = पराजय
  6. प्रशंसा = निंदा
  7. अपराधी = निरपराधी।

8. पर्यायवाची शब्द लिखें :

  1. युद्ध = ___________, __________
  2. कपड़ा = ___________, __________
  3. कान = ___________, __________
  4. बगीचा = ___________, __________
  5. दिन = ___________, __________
  6. घर = ___________, __________
  7. माँ = ___________, __________
  8. चरण = ___________, __________

उत्तर :

  1. युद्ध = संग्राम, लड़ाई, समर
  2. कपड़ा = वस्त्र, पट, परिधान
  3. कान = कर्ण, श्रोत्र, श्रवण
  4. बगीचा = बाग, उपवन, वाटिका
  5. दिन = दिवस, वार, वासर
  6. घर = गृह, भवन, सदन
  7. माँ = माता, मैया, जननी
  8. चरण = पैर, पाँव, पाद

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9. भाववाचक संज्ञा बनायें :

  1. वीर = _____________________
  2. मित्र  = _____________________
  3. ऊँचा  = _____________________
  4. लड़का = _____________________
  5. महान = _____________________
  6. अच्छा = _____________________

उत्तर :

  1. वीर = वीरता
  2. मित्र = मित्रता
  3. लड़का = लड़कपन
  4. ऊँचा = ऊँचाई
  5. महान् = महानता
  6. अच्छा = अच्छाई

10. शुद्ध करें:

  1. चढीगड़ = _____________________
  2. युध = _____________________
  3. सैलयूट = _____________________
  4. आप्रेरशन = _____________________
  5. प्रसंशा = _____________________
  6. मालुम = _____________________
  7. इमानदारी = _____________________
  8. प्रन = _____________________

उत्तर :

  1. चण्डीगड़ = चंडीगढ़
  2. युध = युद्ध
  3. सैलयूट = सैल्यूट
  4. आप्रेरशन = ऑपरेशन
  5. प्रसंशा = प्रशंसा
  6. मालुम = मालूम
  7. इमानदारी = ईमानदारी
  8. प्रन = प्रण

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11. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखें :

  1. देश के लिए प्राण न्यौछावर करना = _____________________
  2. चार रास्तों का समूह = _____________________
  3. जो अपराध न करे = _____________________
  4. खून दान करना = _____________________
  5. संकोच करने वाला = _____________________
  6. मन की स्थिति = _____________________

उत्तर :

  1. देश के लिए प्राण न्यौछावर करना = शहीद होना
  2. चार रास्तों का समूह = चौराहा
  3. जो अपराध न करे = निरपराधी
  4. खून दान करना = रक्तदान
  5. संकोच करने वाला = संकोची
  6. मन की स्थिति = मनःस्थिति/मनोस्थिति

विजय दिवस Summary in Hindi

विजय दिवस कहानी का सार

‘विजय दिवस’ डॉ० मीनाक्षी द्वारा रचित एक श्रेष्ठ कहानी है। लेखिका ने इस में देश के लिए अपना बलिदान देने वाले देश भक्त शहीद कैप्टन वैभव शुक्ला की प्रशंसा की है। इस रचना के माध्यम से लेखिका ने शहीद के पुत्र हार्दिक के मन में इस बात को डालना चाहा है कि एक नागरिक के रूप में जहाँ हमारे अधिकार हैं वहाँ कुछ कर्त्तव्य भी हैं।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस 5

हार्दिक जब दो वर्ष का था तब उसके पिता कैप्टन शुक्ला कारगिल युद्ध में देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए थे। तब से वह अपनी माँ के साथ पूना में नाना जी के पास ही रह रहा था। उसके दादा – दादी चंडीगढ़ में रहते थे, जो उससे मिलने साल में दो – तीन बार आ जाते थे। लेकिन हार्दिक कभी चंडीगढ़ नहीं गया था। नाना जी की मृत्यु के बाद हार्दिक के दादा – दादी ने हार्दिक और उसकी माँ को रहने के लिए बुला लिया था।

हार्दिक इस समय बारह वर्ष का था। उसे अपना स्कूल और मित्र छोड़ते हुए अच्छा नहीं लग रहा था। माँ ने पुत्र की मनोस्थिति समझते हुए उससे कहा था कि – “देखो हार्दिक, अब हम दोनों पूना में अकेले तो नहीं रह सकते थे…रही बात आपके स्कूल और मित्रों की….दादा जी ने चंडीगढ़ के बहुत अच्छे स्कूल में आपके दाखिले की बात कर ली है और अच्छे मित्र भी आपके बन ही जाएँगे।”

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

माँ ने सहसा हार्दिक को झकझोरते हुए कहा कि चलो बेटा, ट्रेन रुक गई, दादा जी उन्हें लेने आये होंगे। रेल से उतरते ही दादा जी को विभिन्न मैडलों से सजी वर्दी तथा उनके साथ कई पुलिस वालों को देखकर वह आश्चर्य चकित रह गया। उसे पता नहीं था कि उसके दादा जी का शहर में इतना रौब था।

सहसा वह दादा जी के चरण स्पर्श कर उन से लिपट गया। रास्ते में जब पुलिस वाले गाड़ी को देखकर सैल्यूट करते थे तो हार्दिक मारे खुशी के उछल पड़ता था। वह अपनी दादी से बड़े प्यार से मिला। उसे दादा जी का घर देखने की बड़ी उत्सुकता थी। वह जल्दी से सारा घर देख आया।

तब वह चुपके से अपनी माँ के कानों में आकर कहने लगा कि दादा जी का घर बहुत बड़ा था। माँ ने पुत्र को समझाते हुए कहा कि उसके दादा जी पुलिस विभाग में एस०एस०पी० थे। दो दिन के बाद दादा जी हार्दिक को लेकर एक स्कूल में दाखिला करवाने गए। हार्दिक दादा जी के साथ जाते हुए अपनी पुलिस – शान समझ रहा था। अब उसके मन में घमंड ने अपना स्थान कर लिया था।

उसकी इसी मनोवृत्ति के कारण कक्षा में उसका कोई मित्र नहीं बन सका। हार्दिक को स्कूल में आए हुए अभी दो ही महीने हुए थे, लेकिन सभी छात्र उससे परेशान थे। जो उसका रौब मानते थे वे उसकी शरारतों से बचे हुए थे और जो सिर उठाते थे उनका वह नुकसान कर देता था। एक दिन उसने रियाज़ की घड़ी तोड़ दी, उसी दिन पलाश की पुस्तक फाड़ दी। अनुराग के बैठने का बैंच खींच लिया तो वह बेचारा गिरते – गिरते बचा।

विजय दिवस गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. वह केवल दो वर्ष का था जब उसके पिता कैप्टन वैभव शुक्ला कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे तब से वह अपनी माँ के साथ पूना में नाना जी के पास ही रह रहा था। चंडीगढ़ से दादा – दादी साल भर में दो तीन बार उसे मिलने आ जाते थे किन्तु वह कभी भी चंडीगढ़ नहीं आया था। अब नाना जी की मृत्यु के बाद हार्दिक और उसके माता जी को दादा – दादी जी ने अपने पास रहने के लिए बुला लिया था लेकिन हार्दिक को पूना शहर, अपना स्कूल और मित्र छोड़ते हुए अच्छा नहीं लग रहा था।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में संकलित कहानी ‘विजय दिवस’ से अवतरित है जिसकी लेखिका मीनाक्षी वर्मा है। लेखिका ने इस पाठ में देश की रक्षा करने वाले कैप्टन वैभव शुक्ला की वीरता की प्रशंसा की है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि कैप्टन शुक्ला का बेटा अभी दो साल का ही था जब कैप्टन देश की रक्षा करते हुए कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे। उस समय से वह अपनी माँ के साथ नाना जी के घर पूना में रह रहा था। उसके दादा – दादी चंडीगढ़ में रहते थे जो साल में दो या तीन बार उससे मिलने आ जाते थे। लेकिन हार्दिक कभी चंडीगढ़ नहीं गया था। अब उसके नाना के देहांत के बाद हार्दिक और उसकी माँ को उसके दादा – दादी ने अपने पास चंडीगढ़ में रहने के लिए बुला लिया था। हार्दिक बचपन से पूना में रह रहा था। इसलिए उसे अपना शहर तथा मित्रों को छोड़ते हुए बड़ा ही कष्ट हो रहा था। उसे जाना अच्छा नहीं लग रहा था।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

विशेष –

  • लेखिका ने शहीद कैप्टन शुक्ला और उसके पूरे परिवार का परिचय दिया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।

2. उसे स्कूल में आए दो महीने हो गए थे हालाँकि किसी अध्यापक को उसकी पढ़ाई से शिकायत नहीं थी लेकिन कक्षा के सभी छात्र उससे तंग थे। उन सब पर हार्दिक का दबदबा था कोई जल्दी – जल्दी उससे उलझता नहीं था जो बच्चे उसका रौब मानते वे तो हार्दिक की शरारतों से बचे हुए थे जो ज़रा भी उसके सामने सिर उठाते वह उनका नुकसान कर देता। एक दिन उसने रियाज़ की घड़ी तोड़ दी….तो उसी दिन पलाश की किताब फाड़ दी……।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में वर्णित पाठ ‘विजय दिवस’ से लिया गया है। इसकी लेखिका डॉ० मीनाक्षी वर्मा है। लेखिका ने यहाँ हार्दिक की कक्षा में अन्य बालकों पर ज़ोर जबरदस्ती तथा उन्हें तंग करने का दृश्य वर्णित किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि हार्दिक को पूना से चंडीगढ़ के स्कूल में आए भी दो ही महीने हुए थे लेकिन कक्षा के सभी छात्र उससे परेशान थे। किसी अध्यापक को उसकी पढ़ाई से कोई परेशानी नहीं थी। कक्षा में हार्दिक ने सभी पर अपना रौब जमा रखा था। कक्षा का कोई भी छात्र जल्दी से उससे आमना – सामना नहीं करता था। जो बच्चे हार्दिक का रौब मान लेते थे वे उसकी शरारतों से बचे रहते थे जो उसके सामने अकड़ने या फिर विरोध के लिए उठ खड़े होते थे वह उनकी कोई न कोई हानि कर देता था। इसी प्रकार एक दिन हार्दिक ने अपने कक्षा के रियाज नामक लड़के की घड़ी को तोड़ डाला तथा उसी दिन उसने पलाश की पुस्तक भी फाड़ दी।

विशेष –

  • लेखिका ने कक्षा में हार्दिक की बढ़ती शरारतों तथा दादा जी के नाम के आड़े अपना रौब बनाने की बात कही है।
  • भाषा भावानुकूल है।

3. हार्दिक एक ओर अपने पिता के बलिदान और दूसरी ओर दादा जी की ईमानदारी के बीच स्वयं को तोल रहा था। वह इन दो आदर्शों में स्वयं को कहीं भी नहीं पा रहा था और खुद को बौना अनुभव कर रहा था। उसका हृदय ग्लानि और पश्चाताप से भर गया।।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में वर्णित ‘विजय दिवस’ नामक पाठ से अवतरित है जिसकी लेखिका डॉ० मीनाक्षी वर्मा है। लेखिका ने यहाँ हार्दिक को ग्लानि तथा पश्चाताप से भरा हुआ दिखाया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि विजय दिवस समारोह में मंच संचालक की बातों को सुनकर हार्दिक अपने आप को अपने शहीद पिता के बलिदान तथा दादा जी के ईमानदारी के बीच स्वयं को रखकर देख रहा था क्या वह इन दोनों महान् व्यक्तियों के बीच कहीं ठहर सकता है। हार्दिक अपने आपको दोनों के आदर्शों के बीच कहीं भी नहीं पाया। वह स्वयं को दोनों के समक्ष एकदम छोटा महसूस कर रहा था। इसी कारण हार्दिक का हृदय और ग्लानि और पश्चाताप से भर गया।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

विशेष –

  • लेखिका ने हार्दिक के हृदय में आए पश्चाताप को दर्शाया है।
  • भाषा विषयानुकूल है।

4. उसने वहीं बैठे – बैठे प्रण किया कि वह कल स्कूल जाकर कक्षा के सभी लड़कों से माफी माँगेगा और उन्हें अपना मित्र बनाएगा। अपनी पॉकेटमनी से कैंटीन वाले को कर्ज चुकाएगा। साथ ही पिता जी व दादा जी के आदर्शों पर चल कर जीवन में कुछ कर दिखलाएगा।

इसी दृढ़ निश्चय और विश्वास के साथ वह अगले दिन स्कूल जाने की प्रतीक्षा में था। आज सचमुच ही ‘विजय दिवस’ के अवसर पर हार्दिक ने अपने घमंड पर विजय प्राप्त कर ली थी।

प्रसंग – प्रस्तुत गद्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक में वर्णित ‘विजय दिवस’ नामक पाठ से अवतरित है जिसकी लेखिका डॉ० मीनाक्षी वर्मा है। लेखिका ने यहाँ हार्दिक के हृदय में आए परिवर्तन का उल्लेख किया है।

व्याख्या – लेखिका कहती है कि हार्दिक ने सभागार में बैठे – बैठे ही यह प्रतिज्ञा कर ली थी कि वह कल विद्यालय में जाकर कक्षा के सभी विद्यार्थियों से क्षमा माँग लेगा। वह उन सभी को अपना मित्र बनाने का प्रयास करेगा। उसने यह भी तय किया कि वह अपनी जेब खर्ची से कैंटीन वाले का भी कर्ज चुकाएगा जहाँ से उसने दादा जी के नाम की आड़ लेकर काफी कुछ मुफ्त में खाया था।

इसके साथ – साथ उसने यह भी प्रतिज्ञा ली कि वह अपने पुस्तकीय भाग शहीद पिता और ईमानदार दादा जी के पचिह्नों पर चलकर जीवन में कुछ बनकर दिखाएगा। इसी दृढ़ संकल्प और विश्वास के साथ हार्दिक अगले दिन विद्यालय जाने की प्रतीक्षा करने लगा। वास्तव में ‘विजय दिवस समारोह में हार्दिक ने सही अर्थों में अपने घमंड पर विजय पा ली थी।

PSEB 7th Class Hindi Solutions Chapter 8 विजय दिवस

विशेष –

  • लेखिका ने हार्दिक के हृदय में आए परिवर्तन का उल्लेख किया है।
  • भाषा सरल तथा सहज है।