PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 6 राष्ट्रीय ध्वज

Punjab State Board PSEB 6th Class Physical Education Book Solutions Chapter 6 राष्ट्रीय ध्वज Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Physical Education Chapter 6 राष्ट्रीय ध्वज

PSEB 6th Class Physical Education Guide राष्ट्रीय ध्वज Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय झण्डे में कौन-कौन से तीन रंग हैं ? इन तीनों रंगों के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
राष्ट्रीय झण्डे के रंग-हमारे राष्ट्रीय झण्डे के तीन रंग हैं-

  1. केसरिया
  2. सफ़ेद और
  3. हरा। सब से ऊपर केसरिया रंग होता है, मध्य में सफ़ेद और सबसे नीचे हरा रंग होता है।

तीनों रंगों का महत्त्व-
1. केसरिया रंग-केसरिया रंग आग से लिया गया है जीवन देना और नाश करना आग के गुण होते हैं। इसलिए केसरिया रंग वीरता और उत्साह का प्रतीक है। हमें यह दुःखियों, कमज़ोरों और ज़रूरतमन्दों की सहायता वीरता और उत्साह से करने की प्रेरणा देता है।

2. सफ़ेद रंग-सफ़ेद रंग अच्छाई, सच्चाई और शान्ति का चिह्न है। सारे राष्ट्र में ये गुण पर्याप्त मात्रा में होना चाहिएं। इस रंग पर अशोक चक्र अंकित होता है।

3. हरा रंग-हरा रंग हमारे देश की उपजाऊ भूमि और लहलहाते खेतों का प्रतीक है। हमारा देश कृषि प्रधान देश है। उन्नत खेती के कारण हमारा देश अमीर और खुशहाल है।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय झण्डे के आकार के बारे में नोट लिखिए।
उत्तर-
राष्ट्रीय झण्डे की लम्बाई और चौड़ाई का आपसी अनुपात 3 : 2 होता है। यह नीचे लिखे पांच आकारों का होता है।

  • 6.40 मीटर x 4.27 (21 फुट x 14 फुट)
  • 3.66 मीटर x 2.44 (12 फुट x 8 फुट)
  • 1.83 मीटर x 1.22 (6 फुट x 4 फुट)
  • 90 सेंटीमीटर x 60 सेंटीमीटर (3 फुट x 22 फुट)
  • 23 सैंटीमीटर x 15 सैंटीमीटर (9″ x 6″)।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 6 राष्ट्रीय ध्वज

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय झण्डा किस समय लहराया जा सकता है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय झण्डा लहराने के अवसर-राष्ट्रीय झण्डा निम्नलिखित अवसरों पर लहराया जाता है
1. गणतन्त्र दिवस (26 जनवरी)-प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भारत के राष्ट्रपति दिल्ली में राष्ट्रीय झण्डा लहराते हैं। देश के अन्य शहरों में भी इस दिन राष्ट्रीय झण्डा लहराया जाता है।

2. राष्ट्रीय सप्ताह (6 अप्रैल से 13 अप्रैल)-राष्ट्रीय सप्ताह जलियांवाला बाग के शहीदों की याद में मनाया जाता है। इस सप्ताह में भी राष्ट्रीय झण्डा लहराया जाता है।

3. स्वतन्त्रता दिवस (15 अगस्त)-15 अगस्त, 1947 को भारत शताब्दियों की गुलामी के बाद स्वतन्त्र हुआ। इसलिए प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त का दिन बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भारत के प्रधानमन्त्री दिल्ली में लाल किले पर राष्ट्रीय झण्डा लहराते हैं। देश के अन्य भागों में भी राष्ट्रीय झण्डा लहराया जाता है।

4. गांधी जयन्ती-महात्मा गांधी के जन्म दिन 2 अक्तूबर को भी राष्ट्रीय झण्डा लहराया जाता है।

5. राष्ट्रीय अधिवेशन-राष्ट्रीय अधिवेशन के समय भी राष्ट्रीय झण्डा लहराया जाता है।

6. अन्तर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताएं-अन्तर्राष्ट्रीय खेल मुकाबलों के समय भी अन्य देशों के झण्डों के साथ हमारा राष्ट्रीय ध्वज भी लहराया जाता है।।

7. प्रान्तीय दिवस-यदि कोई प्रान्त अपना दिवस मनाये तो उस दिन भी राष्ट्रीय झण्डा लहराया जाता है।

8. लोक सभा, राज्य सभा, सुप्रीम कोर्ट, उप-राष्ट्रपति, गवर्नरों और लेफ्टिनेंट गवर्नरों के सरकारी निवास स्थानों पर राष्ट्रीय झण्डा प्रतिदिन लहराया जाता है।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय ध्वज कैसे लहराया जाता है ?
उत्तर-

  1. राष्ट्रीय ध्वज लहराते समय केसरिया रंग सबसे ऊपर होना चाहिए।
  2. सभाओं में राष्ट्रीय ध्वज वक्ता के सिर से काफ़ी ऊंचा होना चाहिए।
  3. राष्ट्रीय ध्वज शेष सभी सजावटों में ऊंचा होना चाहिए।
  4. जुलूस में राष्ट्रीय ध्वज उठाने वाले के दाएं कन्धे पर होना चाहिए। यह बिल्कुल सीधा होना चाहिए।

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प्रश्न 5.
राष्ट्रीय झण्डा लहराते समय कौन-कौन सी सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
राष्ट्रीय झण्डा लहराते समय निम्नलिखित सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए –

  • केसरिया रंग सबसे ऊपर होना चाहिए।
  • सभाओं में राष्ट्रीय झण्डा वक्ता के पीछे उसके सिर और बाकी सजावटों आदि से ऊपर होना चाहिए।
  • जुलूस में झण्डा दायें कन्धे पर होना चाहिए।
  • जुलूस और उत्सवों के समय झण्डा स्टेज के आगे दाईं ओर लहराना चाहिए।
  • झण्डे को तेजी से चढ़ाना और धीरे-धीरे उतारना चाहिए।
  • झण्डा सूर्य निकलने से पहले चढ़ाना और सूर्य अस्त होने पर उतारना चाहिए।
  • राष्ट्रीय झण्डे से ऊपर यू० एन० ओ० का झण्डा ही लहराया जा सकता है।
  • किसी को सलामी (सेल्यूट) देते समय राष्ट्रीय झण्डा नीचे नहीं झुकाया जा सकता है।
  • एक पोल पर केवल एक ही झण्डा लहराया जा सकता है।
  • झण्डे को न ही पानी में गिरने देना चाहिए और न ही जमीन के साथ छूने देना चाहिए।
  • किसी चादर, थैले, रूमाल आदि पर राष्ट्रीय झण्डे की कढ़ाई नहीं करनी चाहिए।
  • विज्ञापन आदि में केवल सरकार ही राष्ट्रीय झण्डा दे सकती है।
  • फीके रंग वाले या फटे हुए झण्डे को नहीं लहराना चाहिए।
  • किसी बड़े व्यक्ति की मृत्यु पर राष्ट्रीय झण्डा आधी ऊंचाई तक लहराया जाता है।

प्रश्न 6.
नीचे लिखे शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थान भरेंराष्ट्रपति, गवर्नर, लैफ्टिनेंट गवर्नर, प्रधानमन्त्री।
(क) 15 अगस्त को लाल किले पर ………. झण्डा लहराते हैं।
(ख) 26 जनवरी को राजपथ पर ………. झण्डा लहराते हैं।
उत्तर-
(क) प्रधानमन्त्री
(ख) राष्ट्रपति।

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Physical Education Guide for Class 6 PSEB राष्ट्रीय ध्वज Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी भी देश का राष्ट्रीय झण्डा किन बातों का सूचक है ?
उत्तर-
सभ्याचार तथा सभ्यता।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय झण्डे के प्रति ज्ञान देने के बारे में सरकार ने कहां प्रबन्ध किया है ? …
उत्तर-
स्कूलों और कॉलेजों में।

प्रश्न 3.
हमारे राष्ट्रीय ध्वज में कौन-कौन से तीन रंग हैं?
उत्तर-
केसरी, सफ़ेद और हरा।

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प्रश्न 4.
हमारे संविधान द्वारा तरंगे ध्वज को कब मान्यता प्राप्त हुई ?
उत्तर-
15 अगस्त, 1947 की रात को।

प्रश्न 5.
हमारे राष्ट्रीय ध्वज का केसरी रंग किस बात का सूचक है ?
उत्तर-
वीरता और जोश को।।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय ध्वज में चक्र का निशान कहां से लिया गया ?
उत्तर-
अशोक के सारनाथ स्तम्भ से।

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प्रश्न 7.
राष्ट्रीय ध्वज कैसे कपड़े पर बनाया जाता है ?
उत्तर-
खद्दर के कपड़े का।

प्रश्न 8.
सब से छोटा ध्वज कहां लगाया जाता है ?
उत्तर-
कार पर।

प्रश्न 9.
भारत के प्रधानमन्त्री प्रतिवर्ष लाल किले पर किस दिन राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं ?
उत्तर-
15 अगस्त को।

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प्रश्न 10.
जुलूस में राष्ट्रीय ध्वज किस कन्धे पर होना चाहिए ?
उत्तर-
दाएं कन्धे पर।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
आप अपने राष्ट्रीय झण्डे के इतिहास के विषय में क्या जानते हैं ?
उत्तर-
1947 में हमारा देश शताब्दियों की पराधीनता के बाद आजाद हुआ। देश की आज़ादी के साथ इसके लिए एक नया झण्डा भी तैयार किया गया। 22 जुलाई, 1947 को हमारे तिरंगे झण्डे को संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त हुई, 14-15 अगस्त की रात को इसे लाल किले पर फहराया गया।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय झण्डे की बनावट के बारे में तीन-चार पंक्तियां लिखें।
उत्तर-
हमारा राष्ट्रीय झण्डा आयताकार है। इसमें तीन पृथक्-पृथक् रंग की बराबर पट्टियां होती हैं। इसलिए इसे तिरंगा झण्डा कहा जाता है। मध्य की पट्टी में गोल चक्कर का निशान होता है। राष्ट्रीय झण्डे में तीन रंग होते हैं-केसरी, सफ़ेद और हरा।

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प्रश्न 3.
राष्ट्रीय ध्वज से हमें क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय झण्डे से हमें निम्नलिखित प्रेरणा मिलती है –

  • वीर बहादुर बनना ।
  • तप तथा त्याग करना, सच्चाई तथा शान्ति स्थापित करना
  • प्रायः परिश्रम करते रहना
  • देश को उपजाऊ और समृद्ध बनाना।

प्रश्न 4.
हमारे राष्ट्रीय ध्वज के तीनों रंगों के महत्त्व लिखो।
उत्तर-
केसरी रंग त्याग और वीरता का प्रतीक है। सफ़ेद रंग अच्छाई, सच्चाई और शान्ति का प्रतीक है। हरा रंग हमारे देश की उपजाऊ भूमि और लहलहाते खेतों का प्रतीक है।

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रिक्त स्थानों की पूर्ति

प्रश्न-
निम्नलिखित रिक्त स्थानों को कोष्ठकों में दिए गए शब्दों में से उचित शब्द चुन कर भरो –

  1. राष्ट्रीय झण्डे को हमारे संविधान द्वारा ……….. को मान्यता प्राप्त हुई। (22 जुलाई, 1947, 15 अगस्त, 1947)
  2. राष्ट्रीय झण्डा सबसे पहले ………. की आधी रात को लहराया गया। (22 जुलाई, 1947, 14-15 अगस्त, 1947)
  3. 26 जनवरी को भारत के ……… राष्ट्रीय झण्डा लहराते हैं। (प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति)
  4. 15 अगस्त को भारत के प्रधानमन्त्री ……… पर राष्ट्रीय झण्डा लहराते हैं। (दिल्ली गेट, लाल किला)
  5. हमारे राष्ट्रीय झण्डे में सबसे ऊपर ……… रंग होता है। (हरा, केसरिया)
  6. हमारे राष्ट्रीय झण्डे के मध्य में ………. रंग होता है। (हरा, सफ़ेद)
  7. जुलूस में राष्ट्रीय झण्डा ………. कन्धे पर होना चाहिए। (बाएं, दाएं)
  8. विज्ञापन में राष्ट्रीय ध्वज ……… ही दे सकती है। (सुप्रीम कोर्ट, सरकार)
  9. किसी महान् व्यक्ति की मृत्यु पर राष्ट्रीय झण्डा ………. पर लहराया जाता है। (आधी ऊंचाई, पूरी ऊंचाई)
  10. राष्ट्रीय झण्डा तेजी से चढ़ाना और ………. उतारना चाहिए। (तेज़ी से, धीरे-धीरे)

उत्तर-

  1. 22 जुलाई, 1947
  2. 14-15 अगस्त, 1947
  3. राष्ट्रपति
  4. लाल किले
  5. केसरिया
  6. सफ़ेद
  7. दायें
  8. सरकार
  9. आधी ऊँचाई
  10. धीरेधीरे।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 5 सुरक्षा शिक्षा

Punjab State Board PSEB 6th Class Physical Education Book Solutions Chapter 5 सुरक्षा शिक्षा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Physical Education Chapter 5 सुरक्षा शिक्षा

PSEB 6th Class Physical Education Guide सुरक्षा शिक्षा Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
सुरक्षा शिक्षा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
सुरक्षा शिक्षा (Safety Education)-सुरक्षा शिक्षा वह विज्ञान है जिससे हमें प्रतिदिन जीवन में घटने वाली दुर्घटनाओं के बारे में पता चलता है। यदि हमें सुरक्षा के नियमों का ज्ञान न हो अथवा उन नियमों का हम पालन न करें तो हम दुर्घटनाओं का शिकार हो सकते हैं। सुरक्षा शिक्षा वह शिक्षा है जो हमें दुर्घटनाओं और टकराने से बचाती है। वर्तमान मशीनी युग में दुर्घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। समाचार-पत्रों में प्रतिदिन किसीन-किसी दुर्घटना का समाचार प्रकाशित होता रहता है। दुर्घटनाओं से बचने के लिए सुरक्षा शिक्षा की बहुत ही अधिक आवश्यकता है। इस शिक्षा के ज्ञान के द्वारा हम काफ़ी समय तक दुर्घटनाओं को कम कर सकते हैं। यदि हम सुरक्षा सम्बन्धी नियमों का पालन करें तो कोई कारण नहीं कि हम दुर्घटनाओं का शिकार बनें। इस प्रकार सुरक्षा शिक्षा हमें सुखी और लम्बा जीवन व्यतीत करने में बहुत सहायक हो सकती है।

प्रश्न 2.
सुरक्षा शिक्षा की क्या आवश्यकता है ?
उत्तर-
सुरक्षा शिक्षा की आवश्यकता (Need for Safety Education)-वर्तमान युग मशीनों का युग है। आजकल यातायात के साधन बहुत ही विकसित और तेज़ हैं।

सड़कों पर यातायात की भरमार होती है। इसलिए प्रतिदिन अनेक दुर्घटनाएं होती हैं। कोई ऐसा दिन नहीं जाता, जबकि समाचार-पत्रों में किसी दुर्घटना का समाचार प्रकाशित न हो। कहीं दो कारों की टक्कर होती है, कहीं कार ट्रक से टकराती है, कहीं बस किसी खड्डे में गिर जाती है और कहीं स्कूल जाता बच्चा कार अथवा ट्रक के नीचे आ जाता है। इस प्रकार की दुर्घटनाओं से बहुत-सी जानों और सम्पत्ति की क्षति होती है। इन दुर्घटनाओं से बचने का एकमात्र इलाज सुरक्षा शिक्षा है। सुरक्षा शिक्षा द्वारा हमें ऐसे नियमों की जानकारी हो जाएगी, जिनका पालन करके हम दुर्घटनाओं का शिकार नहीं हो सकते। इसलिए वर्तमान युग में सुरक्षा-शिक्षा की बहुत ही अधिक आवश्यकता है।

  1. सुरक्षा शिक्षा द्वारा प्रतिदिन घटने वाली दुर्घटनाओं पर नियन्त्रण करने का अवसर मिलता है।
  2. सुरक्षा शिक्षा हमें सरलता से सड़क पार करने में सहायता करती है।
  3. सुरक्षा शिक्षा के ज्ञान द्वारा हम चौराहे पर खड़े सिपाही के इशारों को समझ कर दुर्घटनाओं से बच सकते हैं।
  4. सुरक्षा के ज्ञान से ही हम हमेशा सड़क के बाएं हाथ चलते हैं। .
  5. सुरक्षा शिक्षा के नियमों का ज्ञान होते हुए हम अपने से आगे जाने वाले साइकिल, कार, स्कूटर, रिक्शा आदि को पार करते समय हम उस के दाएं तरफ से जाएंगे।

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प्रश्न 3.
घर में चोटें लगने के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
यह प्राय: देखने में आता है कि हमारे घरों और स्कूलों में दुर्घटनाएं होती रहती हैं। घर अथवा स्कूल में चोट लगने के अलग-अलग कारणों का विवरण इस प्रकार है

घर में चोटें लगने के कारण (Causes of injuries at Home)-घरों में अक्सर दुर्घटनाएं रसोई घर, गुसलखाने, रिहायशी कमरों, सीढ़ियों अथवा आंगन में होती हैं। इन स्थानों पर दुर्घटनाएं होने के कारण इस प्रकार हैं –

(क) रसोई घर में दुर्घटना के कारण (Causes of injuries at Kitchen)

  1. धुएं के निकास का उचित प्रबन्ध न होना।
  2. प्रकाश का उचित प्रबन्ध न होना।
  3. रसोई घर का फ़र्श अधिक फिसलन वाला होना।
  4. रसोई घर में बिजली की तारें नंगी होना।
  5. ज्वलनशील कपड़े पहन कर रसोई में कार्य करना।
  6. रसोई घर की भली प्रकार सफ़ाई न होना।
  7. चाकू, छुरियों आदि वस्तुओं का ठिकाने पर न पड़े होना।
  8. जलती हुई लकड़ियों और कोयलों के प्रति लापरवाही बरतना।
  9. मिट्टी के तेल आदि का उचित स्थान पर न पड़े होना।
  10. रसोई में साबुन, जूठे बर्तनों आदि का बिखरे होना।

(ख) गुसलखानों में दुर्घटनाओं के कारण (Causes of injuries at Bathroom)

  1. गुसलखाने के फ़र्श पर साबुन, तेल आदि बिखरा होना।
  2. गुसलखाने में स्थान तंग होना।
  3. गुसलखाने में पानी की टूटी अथवा फव्वारे का उचित ऊंचाई पर न होना।
  4. गुसलखाने में ब्लेड, सूई, पिन, तेल की टूटी शीशी पड़े होना।
  5. गुसलखाने में खूटियों का उचित स्थान पर लगे न होना।
  6. गुसलखाने में फर्श पर काई आदि का जमना।

(ग) रिहायशी कमरे में दुर्घटना के कारण (Causes of injuries at Living Room) –

  1. फ़र्श पर बच्चों के खिलौने बिखरे होना।
  2. फ़र्श फिसलन वाला होना।
  3. फ़र्श पर बिछी दरी और गलीचे का मुड़ा होना।
  4. फ़र्नीचर ठीक स्थान पर न पड़ा होना।
  5. सिगरेट-बीड़ी आदि के जलते टुकड़ों को इधर-उधर फर्श पर फेंकना।
  6. कमरे में रोशनी का उचित प्रबन्ध न होना।
  7. सर्दियों में जलती हुई अंगीठी रखकर सो जाना।
  8. चलने-फिरने में रुकावटों का होना।
  9. बन्दूक, पिस्तौल और तलवार का ठीक ठिकाने पर न पड़े होना।
  10. बिस्तरों में कैंची, चाक आदि पड़े होना।

(घ) सीढ़ियों पर दुर्घटना के कारण (Causes of injuries on stairs)

  1. सीढ़ियों पर प्रकाश का उचित प्रबन्ध न होना।
  2. सीढ़ियों का तंग होना।
  3. सीढ़ियों पर चढ़ते अथवा उतरते समय मज़बूत सहारे का न होना।
  4. अन्तिम अथवा पहली सीढ़ी की कोई विशेष निशानी न होना।
  5. सीढ़ियों पर चारपाई या साइकिल अथवा अन्य सामान रखना।

(ङ) आंगन में दुर्घटना के कारण (Causes of injuries at Lawn)

  1. आंगन का समतल न होना।
  2. आंगन में कूड़ा-कर्कट बिखरा होना।
  3. पशुओं का खूटा आंगन में गड़ा होना।
  4. बच्चों द्वारा खेलते समय आंगन में गड्ढे खोदना।
  5. पशुओं का चारा आदि आंगन में बिखरा होना।

स्कूल में दुर्घटना के कारण (Causes of injuries at School)-दुर्घटनाएं केवल घरों में ही नहीं होतीं बल्कि स्कूलों में भी हो जाती हैं। स्कूल में दुर्घटनाओं के निम्नलिखित कारण हैं –

  1. खेलों के मैदान साफ़-सुथरे और समतल न होना।
  2. खेलों के टूटे-फूटे सामान का इधर-उधर बिखरे पड़े होना।
  3. स्कूलों के फ़र्श गंदे अथवा फिसलन वाले होना।
  4. बच्चों द्वारा केले, संगतरे आदि के छिलके इधर-उधर फेंकना।
  5. स्कूल के मूत्रालय अथवा शौचालय में फिसलन का होना।
  6. खेलों में अनाड़ी खिलाड़ियों का भाग लेना।
  7. खेलों की ट्रेनिंग अनुभवी अध्यापकों द्वारा न देना।

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प्रश्न 4.
घर में बचाव के क्या-क्या तरीके हैं ?
उत्तर-
घर में बचाव की विधियां (Methods of Safety at Home)-घर में दुर्घटनाओं से बचाव की मुख्य विधियां निम्नलिखित हैं

  1. घर में रोशनी का उचित प्रबन्ध करना चाहिए।
  2. रसोई में से धुएं के निकास का उचित प्रबन्ध होना चाहिए।
  3. घर में बिजली की तारें नंगी नहीं रखनी चाहिएं।
  4. कमरों के फ़र्श की अच्छी तरह से सफ़ाई रखनी चाहिए।
  5. स्नानगृह (गुसलखाने) में काई (हरियाली) नहीं रहने देनी चाहिए।
  6. घर का सारा सामान उचित ढंग से रखना चाहिए।
  7. फ़र्श पर चाकू, कैंची आदि नहीं रखना चाहिए। इन्हें प्रयोग करने के बाद उचित स्थान पर रख देना चाहिए।
  8. रसोई में आग को भड़काने वाले कपड़े पहनकर काम नहीं करना चाहिए।
  9. सिगरेट और बीड़ियों के जलते हुए टुकड़ों को फ़र्श पर इधर-उधर नहीं फेंकना चाहिए।
  10. सर्दियों में जलती हुई अंगीठी कमरे में रख कर नहीं सोना चाहिए।
  11. सीढ़ियों पर चारपाइयां, साइकिल आदि सामान नहीं रखना चाहिए।
  12. सीढ़ियों पर चढ़ने और उतरने के लिए मज़बूत आश्रय (सहारे) होने चाहिएं।
  13. घर का आंगन साफ़-सुथरा और समतल होना चाहिए।
  14. पशुओं का चारा या अन्य सामान आंगन में बिखरा हुआ नहीं होना चाहिए।
  15. घर का सारा फर्नीचर यथा स्थान होना चाहिए।

प्रश्न 5.
सुरक्षा शिक्षा की ज़िम्मेवारी किस-किस की है ?
उत्तर-
सुरक्षा शिक्षा का दायित्व (Responsibility for Safety Education)सुरक्षा शिक्षा का दायित्व किसी एक व्यक्ति या संस्था का नहीं है। यह तो माता-पिता, अध्यापक, नगरपालिका, सरकार और समाज का सामूहिक उत्तरदायित्व है।

घर को प्राथमिक पाठशाला कहा जाता है। बच्चा अपना अधिक समय घर में ही व्यतीत करता है। इसलिए माता-पिता की ज़िम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को सुरक्षा सम्बन्धी ज्ञान दें। इससे बच्चे दुर्घटनाओं का शिकार नहीं होंगे। घर के पश्चात् स्कूल एक ऐसा स्थान है जहां बच्चा पांच-छ: घण्टे व्यतीत करता है। स्कूल में अध्यापकों का कर्त्तव्य है कि वे बच्चों को सुरक्षा की शिक्षा दें ताकि वे स्कूल आते-जाते या मैदान में खेलते समय किसी दुर्घटना का शिकार न हों। इसी प्रकार नगरपालिका और सरकार की भी जिम्मेवारी है कि वह लोगों को सुरक्षा सम्बन्धी जानकारी दे। इससे प्रतिदिन होने वाली दुर्घटनाओं में कमी आयेगी। लोग लम्बी आयु व्यतीत कर सकेंगे।

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प्रश्न 6.
सुरक्षा के लिए कौन-कौन सी संस्थाएं सहायक हो सकती हैं और कैसे ?
उत्तर-
सुरक्षा के लिए सहायक संस्थाएं-सुरक्षा के लिए निम्नलिखित संस्थाएं सहायता प्रदान कर सकती हैं –
1. स्कूल और कॉलेज (School and Colleges)-स्कूलों और कॉलेजों में ही अध्यापकों को सुरक्षा के नियमों के विषय में जानकारी देनी चाहिए। .

2. नगरपालिका (Municipal Committees)-नगरपालिका को भी सिनेमा, स्लाइडों और प्रदर्शनियों द्वारा सुरक्षा-सम्बन्धी नियमों का प्रचार करना चाहिए।

3. समाज (Society)-समाज भी सुरक्षा के लिए सहायक हो सकता है। समाज द्वारा लोगों को सुरक्षा सम्बन्धी जानकारी देनी चाहिए। लोगों को इस बात का ज्ञान होना चाहिए कि सड़कों, गलियों में छिलके आदि न फेंकें। यदि सड़क पर कोई रुकावट हो तो उसे हटाने का प्रयत्न करना चाहिए।

4. सरकार (Government) सरकार भी लोगों की सुरक्षा सम्बन्धी बहुत सहायता कर सकती है। सरकार को पैदल चलने वालों के लिए सड़क पर फुटपाथ बनाने चाहिएं। लोगों को ट्रेनिंग के नियमों के विषयों में जानकारी देनी चाहिए। यातायात को कण्ट्रोल में रखने के लिए प्रत्येक चौराहे (चौक) पर सिपाही या ट्रैफिक लाइटों का प्रबन्ध करना चाहिए।

Physical Education Guide for Class 6 PSEB सुरक्षा शिक्षा Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
जो शिक्षा हमें दुर्घटनाओं से बचाने की शिक्षा देती है उसे क्या कहते हैं ?
उत्तर-
सुरक्षा शिक्षा।

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प्रश्न 2.
कौन-सी शिक्षा द्वारा हम दुर्घटनाओं को कम कर सकते हैं?
उत्तर-
बचाव की शिक्षा।

प्रश्न 3.
रात को गाड़ी चलाते समय किस वस्तु का प्रयोग करना चाहिए ?
उत्तर-
डिपर का।

प्रश्न 4.
किस हालत में गाड़ी चलाना खतरनाक है ?
उत्तर-
शराब पी कर।

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प्रश्न 5.
सड़क पर पैदल चलने वालों के लिए किस वस्तु का प्रबन्ध किया जाता है ?
उत्तर-
फुटपाथ का।

प्रश्न 6.
चौराहे पर ट्रैफिक को नियंत्रण करने के लिए क्या करना चाहिए ?
उत्तर-
सिपाही अथवा ट्रैफिक लाइट्स का।

प्रश्न 7.
दुर्घटनाओं के बचाव के लिए लोगों को किस का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर-
ट्रैफिक के नियमों का।

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प्रश्न 8.
दुर्घटनाओं से बचने के लिए स्कूल का मैदान कैसा होना चाहिए ?
उत्तर-
समतल और साफ़-सुथरा।

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सड़क पर दुर्घटनाओं के कोई पांच कारण बताएं।
उत्तर-

  1. शराब पीकर गाड़ी चलाना।
  2. चौराहे पर खड़े सिपाही के इशारों की परवाह न करना।
  3. सड़क पर तेज़ रफ्तार से साइकिल, स्कूटर और कार चलाना।
  4. दूसरी गाड़ी के आगे जाने की कोशिश करना।
  5. मोड़ पार करते समय ठीक इशारा न करना।

प्रश्न 2.
रसोई घर में दुर्घटनाओं के पांच कारण लिखो।
उत्तर-

  1. रसोई घर का फ़र्श अधिक फिसलन वाला होना।
  2. रसोई में धुएं के निकास का उचित प्रबन्ध न होना।
  3. ज्वलनशील कपड़े पहन कर रसोई में कार्य करना।
  4. रसोई में साबुन, जूठे बर्तन आदि का बिखरे होना।
  5. रसोई में प्रकाश का उचित प्रबन्ध न होना।

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प्रश्न 3.
गुसलखाने में दुर्घटनाओं के पांच कारण लिखें।
उत्तर-

  1. गुसलखाने के फ़र्श पर साबुन, तेल आदि बिखरे होना।
  2. गुसलखाने में पानी की टूटी अथवा फव्वारे का उचित ऊंचाई पर न होना।
  3. गुसलखाने में फ़र्श पर काई आदि का जमना।
  4. गुसलखाने में स्थान तंग होना।
  5. गुसलखाने में ब्लेड, सूई, पिन, तेल की टूटी शीशी पड़े होना।

प्रश्न 4.
रिहायशी कमरों में दुर्घटना के पांच कारण लिखें।
उत्तर-

  1. फ़र्श फिसलने वाला होना।
  2. फ़र्नीचर ठीक स्थान पर न पड़ा होना।
  3. कमरे में रोशनी का उचित प्रबन्ध न होना।
  4. सर्दियों में जलती हुई अंगीठी रख कर सोना।
  5. बिस्तरों पर कैंची, चाक आदि पड़े होना।

प्रश्न 5.
स्कूल में बचाव के कौन-कौन से ढंग हैं ?
उत्तर-
स्कूल में बचाव के ढंग (Methods of Safety at School)-स्कूल में दुर्घटनाओं से बचाव के निम्नलिखित ढंग हैं-

  1. स्कूल का खेल का मैदान साफ़-सुथरा और समतल होना चाहिए।
  2. स्कूल के खेलों का टूटा-फूटा सामान एक बन्द कमरे में रखना चाहिए।
  3. कबड्डी, कुश्ती आदि खेलते समय बच्चों को अंगूठियां या अन्य कोई तीखी वस्तु नहीं पहनने देनी चाहिए।
  4. स्कूल के फर्श साफ़ होने चाहिएं।
  5. बच्चों को केले, संगतरे आदि के छिलके इधर-उधर नहीं फेंकने चाहिएं।
  6. खेल में अनाड़ी खिलाड़ियों को भाग नहीं लेने देना चाहिए।
  7. खेलों का अभ्यास अनुभवी कोचों द्वारा ही करवाना चाहिए।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 5 सुरक्षा शिक्षा

प्रश्न 6.
सड़क पर दुर्घटनाओं के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
सड़क पर दुर्घटनाओं के कारण (Causes of Road Accidents)-

  1. सुरक्षा नियमों की परवाह न करना।
  2. तीव्र गति से गाड़ी चलाना।
    PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 5 सुरक्षा शिक्षा 1
  3. शराब या अन्य नशीली वस्तुओं का सेवन करके वाहन चलाना।
  4. गाड़ियों की बत्तियों का ठीक प्रयोग न करना।
  5. मोड़ काटते समय ठीक संकेत का प्रयोग न करना।
  6. गाड़ियों, स्कूटरों, मोटरों आदि में अचानक किसी खराबी का आ जाना।
  7. सड़कों पर केले, संगतरे आदि के छिलके फेंकना।
  8. कम समय होने पर शीघ्र पहुंचने के लिए अन्य गाड़ियों से आगे निकलना।
  9. चौराहे पर खड़े सिपाही के संकेत की अवहेलना करना।
  10. ट्रैफिक के नियमों का ज्ञान न होना।
  11. सड़क के आस-पास की मिट्टी का नर्म होना या सड़क में गड्ढे आदि होना।
  12. चालक की दृष्टि कमज़ोर होना।
  13. लम्बी यात्रा के कारण ड्राइवरों का थका-मदा होना।
  14. किसी पशु या बच्चे आदि का अचानक सड़क पर आ जाना।
  15. बच्चों का सड़क पर खेलना।

प्रश्न 7.
जनसंख्या में वृद्धि के कारण अनेक दुर्घटनाएं होती हैं क्यों ?
उत्तर-
प्रतिदिन समाचार-पत्रों में कहीं-न-कहीं किसी-न-किसी दुर्घटना का समाचार पढ़ने को मिलता है। इन दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण जनसंख्या में वृद्धि है। जनसंख्या के बढ़ने से सड़कों पर चलने वाले लोगों की भीड़ बढ़ जाती है। इसी प्रकार सड़क पर चलने वाले वाहनों (मोटरों, कारों, मोटर साइकिलों, स्कूटरों, ट्रकों) आदि की संख्या में भी वृद्धि हुई है। भीड़ युक्त सड़कों पर वाहन चालक अपने-अपने वाहनों पर ठीक नियन्त्रण नहीं रख पाते। इसलिए अनेक दुर्घटनाएं हो जाती हैं। कभी ट्रक कार से टकरा जाता है, कभी मोटर साइकिल स्कूटर से टकरा जाता है तथा कभी कोई स्कूटर या मोटर साइकिल सवार किसी पैदल चलने वाले व्यक्ति को कुचल देता है। इस प्रकार जनसंख्या में वृद्धि अनेक दुर्घटनाओं को जन्म देती है। अतः दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए जनसंख्या में वृद्धि पर रोक लगाना आवश्यक है।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 5 सुरक्षा शिक्षा

रिक्त स्थानों की पूर्ति –

प्रश्न-
निम्नलिखित वाक्यों में खाली स्थानों को कोष्ठक में दिए गए शब्दों में से उचित शब्द चुन कर भरो

  1. जब हम दूसरी गाड़ी …………… की कोशिश करते हैं तो दुर्घटना हो जाती है। (पीछे होने, आगे निकलने)
  2. हमें सड़क पर सदा अपने…………. हाथ चलना चाहिए। (दायें, बायें)
  3. आग भड़काने वाले कपड़े पहन कर ………….. में काम नहीं करना चाहिए। (स्नानगृह, रसोई)
  4. हमारे घरों के फ़र्श ………….. होने चाहिएं। (फिसलने वाले, साफ़-सुथरे)
  5. दुर्घटनाओं से बचने के लिए घर में ………… का उचित प्रबन्ध होना चाहिए। (पानी, रोशनी)
  6. हमें घर में बिजली की तारों को …………. रखना चाहिए। (ढक कर, नंगा कर)
  7. घरों में आंगन ……………. होना चाहिए। (समतल, खुरदरा)

उत्तर-

  1. आगे निकलने
  2. बायें
  3. रसोई
  4. साफ़-सुथरे
  5. रोशनी
  6. ढक कर
  7. समतल।

PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके

Punjab State Board PSEB 6th Class Home Science Book Solutions Practical सिलाई के सादा टाँके Notes.

PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सादे टाँके का प्रयोग कब किया जाता है ?
उत्तर-
सादे टाँके का प्रयोग आमतौर पर दो कपड़ों को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2.
सादे टाँके करने का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
सादे टाँके लगाने से स्थायी अन्तिम सिलाई सरलता से और उत्तम होती है।

प्रश्न 3.
बारबर के सादे टाँके किस काम में लाए जाते हैं ?
उत्तर-
एक लाइन में कोट आदि का किनारा जमाने तथा कई लाइन में फ्रॉक, झबले आदि में स्मोकिंग का आधार बनाने के लिए।

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प्रश्न 4.
तिरछा सादा टाँका किस काम में लाया जाता है ?
उत्तर-
अस्तर आदि जोड़ने के।

प्रश्न 5.
‘बखिया’ किन कामों में प्रयोग किया जाता है ?
उत्तर-
फटे कपड़ों की मरम्मत में, आल्ट्रेशन के समय तथा जो हिस्से मशीन के पैर के नीचे नहीं दबाए जा सकते वहाँ।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
सिलाई का सादा टाँका क्या होता है ? इसे चित्र द्वारा समझायें।
उत्तर-
यह अस्थायी टाँका है। इस टाँके का उपयोग अधिकतर तह और अस्तर जमाने के लिए तथा ट्रायल के लिए सादी सिलाई के उद्देश्य से किया जाता है। सादे टाँके लगाने से स्थायी अन्तिम सिलाई सरलता से और उत्तम होती है। इसमें दूर-दूर सूई में थोड़ा कपड़ा लेकर शेष धागा छोड़ दिया जाता है। धागे को गाँठ देकर कपड़े को दाईं ओर से बाईं ओर सीया जाता है। यह टाँका 2 से० मी० से 1 से० मी० लम्बा हो सकता है।
PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके 1
चित्र 5.1.1. सादा टाँका (टैकिंग)

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प्रश्न 2.
टाँके कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-
टाँके तो बहुत प्रकार के होते हैं, परन्तु बहुत ही आवश्यक तथा सामान्य प्रकार के टाँके निम्नलिखित हैं

  1. सादा टाँका,
  2. बखिया या बैक टाँका,
  3. तुरपन पर हैमिंग टाँका।

प्रश्न 3.
वस्त्र पर सादा टाँका न लगाने से क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं ?
उत्तर-
वस्त्र पर सादा टाँका न लगाने से सिलाई टेढ़ी-मेढ़ी होती है तथा विशेषकर रेशमी कपड़ों में ढीलापन होता है जिससे सिलाई ठीक से नहीं होती है।

बड़े उत्तर वाले प्रश्

प्रश्न 1.
सादा टाँका कितने प्रकार का होता है ? इसका प्रयोग कहाँ-कहाँ किया जाता है ?
उत्तर-
सादा टाँका कई प्रकार का होता है-
1. बराबर का सादा टाँका (टाँका तथा जगह बराबर)
PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके 2
चित्र 5.1.2.
2. टाँका जगह से दुगना
PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके 3
चित्र 5.1.3.
3. जगह टाँके से दुगुनी
PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके 4
चित्र 5.1.4.
4. असमान सादा टाँका (छोटा बड़ा सादा)
5. छोटा सादा टाँका
PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके 5
चित्र 5.1.5.
चित्र 5.1.6.
6. तिरछा सादा टाँका
PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके 6
चित्र 5.1.7. सादा टाँका
सादे टाँकों का प्रयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए किया जाता है-

  1. आमतौर पर दो कपड़ों को आपस में जोड़ने के लिए।
  2. तह और अस्तर जमाने के लिए तथा ट्रायल के लिए कच्ची सिलाई के रूप में।
  3. कोट आदि का किनारा जमाने के लिए।
  4. फ्रॉक, झबले आदि में स्मोकिंग का आधार बनाने के लिए।

PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके

प्रश्न 2.
बखिया व तुरपन किस प्रकार की जाती है ?
उत्तर-
बखिया (बैक स्टिच)-यह स्थायी टाँका है। यह बहुत महीन होता है, इसलिए इसमें काफ़ी समय लगता है। यह दो भागों को स्थायी रूप से जोड़ने में काम आता है, जैसे-कंधों की सिलाई, पेटीकोट या सलवार के अलग-अलग भागों को आपस में जोड़ने के लिए। यह टाँका दाहिनी ओर से आरम्भ होता है। इन टाँकों के बीच में जगह बिलकुल नहीं छोड़ी जाती। इसमें सूई पर एक बार में एक टाँका और टाँके बराबर होने चाहिएं। सूई जहाँ से निकाली गई हो वहीं से एक बार पीछे की ओर डोरा निकालकर आगे बढ़ना चाहिए। यह बखिया से ही शुरू होता है तथा बखिया से ही समाप्त होता है। यह टाँका मशीन के द्वारा भी लगाया जा सकता है।
PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके 7
चित्र 5.1.8. बखिया (बैक टाँका) बड़ा
PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके 8
चित्र 5.1.9. बखिया (बैक टाँका) छोटा
तुरपन (तुरपाई या हैमिंग स्टिच)-किसी भी वस्त्र के घेरे पर, मोहरी के निचले बॉर्डर मोड़ने के लिए तथा महिलाओं, बच्चों के वस्त्रों में पट्टियों आदि की सफ़ाई सुन्दरता के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इसका प्रयोग तब भी किया जाता है जब कपड़े के धागे निकलने वाले किनारे को बन्द करना हो। यह वस्त्र की उल्टी ओर से लगाया जाता है। इस टॉक में यह ध्यान रखना आवश्यक होता है कि दूसरी ओर अर्थात् वस्त्र की सीधी ओर भी टाँके सम दरी पर छोटे और सुन्दर हों। तुरपाई के टाँके तीन तरह से लिए जाते हैं-सीधे, कम तिरछे और अधिक तिरछे। अधिकतर सूती तथा रेशमी वस्त्रों में कम तिरछे टाँके ही चलते हैं। सीधे टाँके कोटिंग आदि में मजबूती के लिए लगाए जाते हैं। अधिक तिरछे टाँके सस्ते व्यावसायिक कामों में उपयोग किए जाते हैं। खूबसूरत तुरपाई के लिए सूई में बहुत कम कपड़ा लेना चाहिए ताकि टाँके पिछली ओर से भी बड़े दिखाई न दें।
PSEB 6th Class Home Science Practical सिलाई के सादा टाँके 9
चित्र 5.1.10. तुरपाई (हैमिंग टाँका)
तुरपाई को शुरू करने के लिए सूई को कपड़े में से इस प्रकार निकालते हैं कि थोड़ासा धागा पीछे बचा रहे। इसी धागे को मोड़कर अन्दर दबाकर दाईं ओर से बाईं ओर को तुरपाई करते हैं। मोड़े हुए हिस्से को सदा ऊपर की ओर रखते हैं। टाँके सादे की तरह सीधे न होकर आगे व पीछे दोनों ओर तिरछे, छोटे व बराबर होने चाहिएं। तुरपाई को बन्द करते समय अन्तिम टाँके को दोहराते हैं। इस प्रकार यह टाँका अंग्रेजी अक्षर V के समान बन जाता है। फिर सूई को 1 या 2 सेंटीमीटर ऊपर निकालकर धागे को कैंची से काट देते हैं।

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सिलाई के सादा टाँके PSEB 6th Class Home Science Notes

  • वस्त्रों की सिलाई के लिए या उनका सौन्दर्य बढ़ाने के लिए टाँकों का इस्तेमाल करते हैं।
  • सिलाई कपड़े के दो टुकड़ों को जोड़ने के लिए या कपड़े के किनारों से धागों को बाहर निकलने से बचाने के लिए की जाती है।
  • कई टाँके सजावट के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, जैसे-चेन स्टिच, दसूती आदि।
  • सादा टाँका तुरपन, बखिया आदि सभी टाँकों से आसान होता है।
  • बखिया टाँका सादे और तुरपन वाले टाँके से अधिक मजबूत होता है।
  • तुरपाई टाँका किनारों से धागों को बाहर निकलने से रोकने के लिए किया जाता है।
  • चेन या संगली टाँका सजावट या नमूने के किनारे बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

Punjab State Board PSEB 6th Class Physical Education Book Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Physical Education Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

PSEB 6th Class Physical Education Guide पंजाब की लोक खेलें Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
बच्चों की कोई चार खेलों के नाम लिखो।
उत्तर-

  1. लुका-छिपी
  2. गुल्ली डंडा
  3. रस्सी कूदना
  4. कोटला छपाकी।

प्रश्न 2.
पुगने की कितनी विधियां होती हैं ? इनमें से किसी एक विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर–
पुगने के तीन तरीके होते हैं।
पहला तरीका-पहले तीन खिलाड़ी दायां हाथ एक दूसरे हाथ पर रखते हैं और एक समय हाथों को हवा में उछाल कर उल्टा देते हैं। तीन में से अगर दो खिलाड़ियों के हाथ उलेटे और तीसरे खिलाड़ी का हाथ सीधा हो तो वो पुग जाता है। इस तरह बारी-बारी एक को छोड़ कर सभी खिलाड़ी पुग जाते हैं।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

प्रश्न 3.
खेलों की महत्त्व पर नोट लिखिए।
उत्तर-

  1. खेलों की महत्ता-शारीरिक बल, फुर्ती, दिमागी चुस्ती आदि खेलों में आते हैं। उदाहरण के तौर पर जब खिलाड़ी ठीकरियों पर निशाना लगाने की खेल खेलता है तो उसको ध्यान एकाग्रता का प्रशिक्षण मिलता है। कोटला छपाकी’ खेल में चौकस रहने की शिक्षा मिलती है। कई खेलें राष्ट्रीय स्तर पर ही खेली जाती हैं। जैसे कुश्ती और कबड्डी।
  2. कुश्ती और कबड्डी के साथ शारीरिक ताकत आती है।
  3. खेलों के साथ दिमागी चुस्ती भी बढ़ती है।
  4. यह खेलें बच्चों में आपसी साथ को बढ़ाती हैं।
  5. हमारे विरासत और सभ्याचार को कायम रखने में सहायक होते हैं।

प्रश्न 4.
बन्दर किल्ला खेल की विधि के बारे में लिखिए।
उत्तर-
मुहल्ले के सभी बच्चे इकट्ठे होकर बन्दर किल्ला खेलने के लिए किल्ले के लिए जगह का चुनाव करते हैं। खेल शुरू करने से पहले बच्चे गाते हुए एक-दूसरे को कहते हैं –

जुत्तियां, चप्पलां दा,
कर लो वी हीला।
हुण असीं रल के,
खेलना बंदर किल्ला।

बन्दर किल्ला खेलने वाले बच्चे अपनी जूतियों और चप्पलों को उतार कर किल्ले के नज़दीक इकट्ठे कर लेते हैं। किल्ले की निचली तरफ 5-7 मी० की लम्बी रस्सी बांध लेते हैं। बांदर किल्ला खेलने वाले बच्चे बारी देने वाले बच्चे को पुगते हैं। चुनाव करने के बाद बारी देने वाला बच्चा बन्दर माना जाता है।
PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें 1

बन्दर बना बच्चा किल्ले के साथ बंधी रस्सी को पकड़कर सभी जूतियों और चप्पलों की रखवाली करता है। बन्दर बना बच्चा रस्सी को बिना छोड़े किसी दूसरे बच्चे को जो आपनी चप्पलें लेने आता है उसको पकड़ता है। दूसरे बच्चे अपनी जूतियां और चप्पलें उठाने की कोशिश करते हैं। अगर चप्पलें उठाते समय बन्दर बना बच्चा किसी दूसरे बच्चे को हाथ लगाये तो बारी उसी बच्चे की आ जाती है। यदि सभी बच्चे बिना पकड़े अपनी चप्पलें और जूतियां उठाने में कामयाब हो जाते हैं तो बारी देने वाला बन्दर बच्चा रस्सी को छोड़ दौड़ेगा और खास जगह पर हाथ लगायेगा। निश्चित जगह पर पहुंचने से पहले-पहले बाकी बच्चे बन्दर बच्चे को चप्पलों से मारते हैं। बन्दर के निश्चित जगह पर पहुंचने पर जूतियां मारनी बंद कर देते हैं। इसके बाद किसी और बच्चे की बन्दर बनने की बारी आ जाती है।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

प्रश्न 5.
आपको कौन-सा लोक खेल अच्छा लगता है ? उसे कैसे खेला जाता है ?
उत्तर-
हमारी मनोभावी खेल कोटला छपाकी’ है। इस खेल को खेलने के लिए बच्चों की गिनती नहीं होती। इस खेल का दूसरा नाम ‘काजी कोटले की मार’ भी है। इस खेल को खेलने के लिए 10-15 बच्चे खेलते हैं और खेलने से पहले किसी कपड़े को वट चढ़ा कर दोहरा करके कोटला बना लेते हैं। फिर बच्चा ज़मीन पर किसी तीखी चीज़ से लाइन लगा कर गोला बनाता है। बाकी सभी बच्चे चक्कर की खींची लाइन पर मुंह अन्दर करके बैठ जाते हैं। अब बारी देने वाला बच्चा कोटले को पकड़ कर चक्कर के आस-पास दौड़ता है। दौड़ते हुए यह गीत गाता है –

कोटला छपाकी जुम्मे रात आई जे,
जिहड़ा अग्गे, पिच्छे देखे, ओहदी शामत आई जे।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें 2

गोले में बैठे बच्चे गीत गाने वाले बच्चे के पीछे गीत गाते हैं। बारी देने वाला बच्चा ‘कोटला छपाकी जुम्मे रात आई जे’ और गोले का चक्कर लगाता है। इस खेल में कोई भी बच्चा पीछे नहीं देख सकता। सभी बच्चे ज़मीन की तरफ देखते हैं। यदि कोई चक्कर में बैठा बच्चा पीछे देखता है तो बारी देने वाला बच्चा उसके 4-5 कोटले मार देता है, बारी देने वाला बच्चा चक्कर पूरा करते ही किसी बच्चे के पीछे चुप करके कोटला रख देता है और चक्कर लगा कर उस बैठे बच्चे के पास आ जाता है। यदि बैठे बच्चे को कोटले का पता नहीं चलता तो बारी देने वाला बच्चा कोटला उठाकर उस बच्चे को मारना शुरू कर देता है। मार खाने वाला बच्चा मार से बचने के लिए चक्कर के आस-पास तेज़ी से दौड़ता है, जब तक वह बच्चा अपनी जगह पर दोबारा नहीं पहुंच जाता। तब तक बच्चे को कोटले की मार सहनी पड़ती है । यदि बैठे हुए खिलाड़ी को कोटला रखने के बारे में पता चल जाता है तो वह कोटला उठा कर बारी देने वाले खिलाड़ी को तब तक मारता है जब तक वह चक्कर लगाकर बैठने वाले की खाली जगह पर आकर बैठ नहीं जाता। इस तरह खेल चलती रहती है।

Physical Education Guide for Class 6 PSEB पंजाब की लोक खेलें Important Questions and Answers

बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
लोक खेलों के कोई दो नाम लिखो।
उत्तर-

  1. कीकली
  2. कोटला छपाकी।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

प्रश्न 2.
कोटला छपाकी का गीत लिखो।
उत्तर-
कोटला छपाकी जुम्मे रात आई जे, जिहड़ा अग्गे, पिच्छे देखे, ओहदी शामत आई जे।

प्रश्न 3.
बन्दर किल्ला की चार लाइनें लिखो।
उत्तर-
जुत्तियां, चप्पलां दा,
कर लो वी हीला।
हुण असीं रल के,
खेलना बांदर किल्ला।

प्रश्न 4.
पुगने के कितने तरीके हैं ?
उत्तर-
पुगने के तीन तरीके हैं।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

प्रश्न 5.
किसी मनपसंद लोक खेल का नाम लिखो।
उत्तर-
बन्दर किल्ला ।

प्रश्न 6.
स्वास्थ्य की दृष्टि से सबसे अच्छी खेल कौन-सी है ?
उत्तर-
रस्सी कूदना।

प्रश्न 7.
चुस्ती, फुर्ती और एकाग्रता किस खेल से आती है ?
उत्तर-
पिठू गर्म करने से।

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प्रश्न 8.
बड़ी और लोक खेलों का एक-एक नाम लिखो।
उत्तर-

  1. हॉकी
  2. कोटला छपाकी।

प्रश्न 9.
लोक खेलों की एक महत्ता लिखो।
उत्तर-
इस खेलों से शरीर स्वस्थ्य रहता है।

प्रश्न 10.
कीकली लोक खेल को कौन खेलता है ?
उत्तर-
यह लड़कियों का खेल है।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

छोटे उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खेल क्या है ?
उत्तर-
खेल वह क्रिया है जिसको मन बहलाने के लिए खेला जाता है और ऐसी क्रिया करने के साथ हमें खुशी मिलती है।

प्रश्न 2.
खेल किस उम्र के लोग खेलते हैं ?
उत्तर-
खेल हर उम्र के लोग खेलते हैं, बच्चे जवान और बुजुर्ग भी खेल खेलते हैं और लड़के, लड़कियां भी खेलते हैं।

प्रश्न 3.
खेलों की बांट किस तरह की जाती है ?
उत्तर-
हमारी लोकप्रिय खेलें जैसे क्रिकेट, हॉकी, वालीबॉल, फुटबॉल आदि।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

प्रश्न 4.
लोक खेलों में क्या नियम निश्चित होते हैं ?
उत्तर-
ऐसी खेलें खेलने के लिए कोई सामान या नियम निश्चित नहीं होते हैं।

प्रश्न 5.
बड़ी खेलों में क्या नियम होते हैं ?
उत्तर-
बड़ी खेलों में सामान, खेल का मैदान और नियम निश्चित होते हैं। ये खेलें नियम के अनुसार ही खेली जाती हैं।

प्रश्न 6.
लोक खेलें खेलने के लिए पारी पुगने की विधि लिखो।
उत्तर-
पहले तीन खिलाड़ी अपना दायां हाथ दूसरे के दायें हाथ पर रखते हैं और एक समय हाथों को हवा में घुमा कर उल्टा देते हैं। तीन में से यदि दो खिलाड़ियों के हाथ उल्टे और तीसरे खिलाड़ी का हाथ सीधा हो, तो वह पुग जाता है। इस तरह बारी-बारी एक को छोड़ कर सभी खिलाड़ी पुग जाते हैं।

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प्रश्न 7.
पुगने की दूसरी विधि का गीत लिखो।
उत्तर-
ईंगण, मींगण, तली तलींगण
काला, पीला, डकरा
गुड़ खावां, बेल बधावां,
मूली पत्तरा।
पत्ता वा, घोड़े आये,
हथ्थ कुताड़ी, पैर कुताड़ी
निक्के वालियां, तेरी वारी।

प्रश्न 8.
क्या लोक खेलों में टीमों की बांट की जाती है ?
उत्तर-
हां, कई खेलों में आपस में टीमों की बांट की जाती है जैसे- कबड्डी, गुल्ली डंडा, रस्सी कूदना।

प्रश्न 9.
लोक खेलों के कोई पाँच नाम लिखो।
उत्तर-

  1. बन्दर किल्ला
  2. कोटला छपाकी
  3. कीकली
  4. पिठू गर्म करना
  5. रस्सी कूदना।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

प्रश्न 10.
लोक खेलों में से किसी दो की महत्ता लिखो।
उत्तर-

  1. खेलों को खेलते हुए फुर्ती, शारीरिक बल और दिमागी चुस्ती आदि के गुण आते हैं।
  2. जब खिलाड़ी ठीकरियों के साथ निशाना लगाने की खेल खेलते हैं तो उनको एकाग्रता करने की सिखलाई मिलती है।

बड़े उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
खेलों की किस्में लिखो।
उत्तर-
खेलों की बांट कई तरह से की जा सकती है, जैसे कि शारीरिक खेलें, दिमागी खेलें आदि। ऐसी ही एक बांट है हमारी विरासती खेलें। क्रिकेट, हॉकी, वालीबॉल, फुटबॉल आदि ऐसी खेलें हैं जिनको खेलने के लिए विशेष सामान, निश्चित खेल मैदान और विशेष खेल नियम होते हैं। लोक खेलें इसके उल्ट कही जा सकती हैं।

प्रश्न 2.
रस्सी कूदना की महत्ता लिखो।
उत्तर-
यह खेल कसरत करने की बहुत ही बढ़िया खेल है। पुगने के बाद जो दो बच्चे पीछे रह जाते हैं वह एक-दूसरे के सामने खड़े होकर एक हाथ रस्सी. को ज़मीन के साथ छुआते हुए एक तरफ घुमाते हैं। बाकी बच्चे लाइन बनाकर एक-एक, दो-दो टप्पे लेते हैं। इस तरह यह खेल खेली जाती है।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

प्रश्न 3.
पिठू गर्म करना क्या है ?
उत्तर–
पिठू गर्म करना पंजाब के बच्चों के लिए बड़ी दिलचस्प खेल है। इस खेल में खेलने वाले बच्चे दो टोलियां बना लेते हैं और 10-15 फुट की दूरी पर गिटियां रखकर उस पर निशाना लगाते हैं। इस तरह यह खेल खेली जाती है।

प्रश्न 4.
कीकली की महत्ता लिखो।
उत्तर-
कीकली पंजाब की लड़कियों की बहुत ही प्रिय खेल है । कीकली खेल और गिद्दे का सुमेल है। इस खेल को लड़कियां चाव के साथ खेलती हैं। इस खेल में लड़कियां एक जगह पर इकट्ठी होकर आपस में जोड़े बना कर एक-दूसरे के हाथों में कंघियां डालकर घूमती हैं। उन्होंने एक-दूसरे का हाथ बायें हाथ से बायां हाथ और दाएं हाथ से दायां हाथ पकड़ा होता है। इस तरह यह खेल खेली जाती है।

प्रश्न 5.
कोटला छपाकी की महत्ता लिखो।
उत्तर-
कोटला छपाकी गांवों में खेली जाने वाली छोटी उम्र के लड़के-लड़कियों की खेल है। इस खेल को ‘काजी कोटले की मार’ के नाम से जाना जाता है।
कोटला छपाकी जुम्मे रात आई जे, जिहड़ा अग्गे, पिच्छे देखे, ओहदी शामत आई जे। गोल चक्कर में बैठे हुए बच्चे बारी देने वाले के पीछे-पीछे यह गीत गाते हैं।

PSEB 6th Class Physical Education Solutions Chapter 4 पंजाब की लोक खेलें

प्रश्न 6.
पुगने की दूसरी कोई विधि लिखो।
उत्तर-
पुगने की दूसरी विधि-सभी खिलाड़ी गोल चक्कर में खड़े हो जाते हैं।
उनके बीच में से एक खिलाड़ी बारी-बारी सभी खिलाड़ियों के कन्धे पर हाथ लगा कर यह गीत गाता है-

ईंगण, मींगण, तली तलींगण
काला, पीला, डकरा
गुड़ खावां, बेल बधावां,
मूली पत्तरा।
पत्ता वा, घोड़े आये,
हाथ कुताड़ी, पैर कुताड़ी
निक्के वालियां, तेरी वारी।

जिस खिलाड़ी को आखिरी शब्द पर हाथ लगता है वह पुग जाता है। इस तरह बारबार करते हुए अंत में रह जाने वाले की बारी तय हो जाती है। कई खेलें आपस में दो टीमें बनाकर खेली जाती हैं। जैसे कबड्डी, गुल्ली डंडा, रस्सा कशी और खो-खो आदि।

प्रश्न 7.
रस्सी कूदना और पिठू खेल के बारे में लिखो।
उत्तर-
रस्सी कूदना-यह खेल कसरत की तरह बहुत ही बढ़िया खेल है। पुगने के बाद जो दो बच्चे पीछे रह जाते हैं वह एक-दूसरे के सामने खड़े होकर हाथ रस्सी को ज़मीन के साथ छूते हुए एक साईड घुमाते हैं। बाकी बच्चे लाइन बना कर एक-एक, दोदो टप्पे लेते हैं। जिस बच्चे के पैरों को रस्सी लग जाये वह आऊट हो जाता है और रस्सी घुमाने की बारी देता है। यह खेल लड़कियों की प्रिय खेल रही है पर आजकल बहुत कम हो गई है।

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पिठू गर्म करना-यह बच्चों की बड़ी दिलचस्प खेल है, जिसमें बच्चों की गिनती निश्चित नहीं होती। इसमें दो टोलियां होती हैं, खेलने की जगह पर सात गीटियां एक-दूसरे के ऊपर रख लेते हैं। इन चुनी गीटियों के लगभग 12 फुट की दूरी पर एक लाइन खींच दी जाती है। फिर दोनों टीमें पुगने के बाद जो टीम पुग जाती है उस टीम का एक खिलाड़ी लाइन पर खड़ा होकर रबड़ की गेंद के साथ गीटियों पर निशाना लगाता है। एक खिलाड़ी को निशाना लगाने के तीन मौके दिये जाते हैं। तीन बार निशाना लगाने के बाद यदि ठीकरियों पर निशाना नहीं लगता तो वह खिलाड़ी आऊट हो जाता है। यदि बॉल को ठप्पा डाल कर सामने वाले खिलाड़ी पकड़ लेते हैं तो भी निशाना लगाने वाला खिलाड़ी आऊट हो जाता है। यदि निशाना लगाने वाला खिलाडी ठीकरियों पर ठीक निशाना लगा देता है तो ठीकरियां ज़मीन पर बिखर जाती हैं। निशाना लगाने वाला खिलाड़ी ज़मीन पर बिखरी ठीकरियों को जल्दी-जल्दी इकट्ठी करके एक-दूसरी पर रखता है तो विरोधी टीम के खिलाड़ी उन ठीकरियों को चुनने वाले खिलाड़ी को गेंद का निशाना बनाते हैं। यदि ठीकरियां चिनने वाले खिलाड़ी को गेंद लग जाती है तो वह आऊट हो जाता है। यदि ठीकरियां चुनने वाला खिलाड़ी गेंद लगने से पहले ठीकरियां इकट्ठी कर लेता है तो उसको और बारी दी जाती है, आऊट होने पर दूसरे खिलाड़ी की बारी आ जाती है। इस तरह खेल चलती रहती है।

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प्रश्न 8.
कीकली के बारे में लिखो।
उत्तर-
कीकली-पंजाब में कीकली लड़कियों की प्रिय खेल है। किलकिला का अर्थ है खुशी और चाव की आवाज़ करना। कीकली खेल और गिद्दे का जोड़ है। कीकली में लड़कियां एक-दूसरे के हाथों में कंघियां डाल कर घूमती हैं। वह एक-दूसरे का बायां हाथ बायें हाथ के साथ और दायां हाथ दायें हाथ के साथ पकड़ती हैं। दोनों लड़कियों की बाजू की शक्ल 8 अंक जैसा बन जाती है। घूमने पर लड़कियां कीकली के गीत गाती हैं-

कीकली. कलीर दी,
पग मेरे वीर दी,
दुपट्टा भरजाई दा,
फिट्टे मुंह जवाई दा।

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इस तरह आपस में जोड़ियों का मुकाबला होने लग पड़ता है। देशी खेलों में टूर्नामेंट नहीं कराया जा सकता है। कीकली डालते समय यदि जोड़ी में किसी एक लड़की का हाथ दूसरी लड़की के हाथ से छूट जाता है या किकली डालते हुए लड़की गिर जाये तो सब कुछ हंसी में भूल जाता है। इस तरह लड़कियां इस खेल का बहुत आनन्द लेती हैं।