PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 5 ईमानदार शंकर

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 5 ईमानदार शंकर Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 5 ईमानदार शंकर (2nd Language)

Hindi Guide for Class 6 PSEB ईमानदार शंकर Textbook Questions and Answers

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 5 ईमानदार शंकर

ईमानदार शंकर अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:

  • ਸ਼ੰਕਰ = शंकर
  • ਸੁਭਾਅ = स्वभाव
  • ਪਿਆਰ = प्यार
  • ਮਾਰਗ = मार्ग
  • ਮਿਹਨਤ = मेहनत
  • ਕੰਮ = काम
  • ਹਲਵਾਈ = हलवाई
  • ਗਰਮੀ = गर्मी
  • ਅਨੰਦ = आनंद
  • ਚਲਦੇ-ਚਲਦੇ = चलते-चलते
  • ਪੰਜ = पाँच
  • ਤਿਆਰ = तैयार

उत्तर :
विद्यार्थी देवनागरी में लिखे इन शब्दों को पढ़ें और अपनी अभ्यास पुस्तिका (कॉपी) में लिखने का अभ्यास करें।

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिन्दी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिन्दी शब्दों को लिखें :

  • ਮਿਹਨਤ = श्रम
  • ਖੁਸ਼ = प्रसन्न
  • ਦਾਖਲ = प्रवेश
  • ਰੋਸ਼ਨੀ = उजाला

3. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दें :

(क) कहानी में ईमानदार बालक का क्या नाम है?
उत्तर :
कहानी में ईमानदार बालक का नाम शंकर है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 5 ईमानदार शंकर

(ख) शंकर का कैसा स्वभाव था?
उत्तर :
शंकर का स्वभाव कड़ी मेहनत करना था।

(ग) शंकर धन कमाने के लिए गाँव से कहाँ गया?
उत्तर :
शंकर धन कमाने के लिए गाँव से नगर की ओर गया।

(घ) शंकर को दुकान के आगे से क्या मिला?
उत्तर :
शंकर को दुकान के आगे से पाँच रुपए का एक नोट मिला।

(ङ) लेखक ने कहानी में सुख की खान किसे कहा है?
उत्तर :
लेखक ने कहानी में ईमानदारी को सुख की खान कहा है।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो-तीन वाक्यों में दो :

(क) शंकर ने हलवाई को पाँच रुपये का नोट क्यों दे दिया?
उत्तर :
शंकर को पाँच रुपए का नोट हलवाई की दुकान के सामने से मिला था। उसने सोचा कि यह नोट उस हलवाई का ही है इसीलिए उसने यह नोट उसे दे दिया।

(ख) हलवाई ने शंकर को नौकरी क्यों दे दी?
उत्तर :
शंकर की ईमानदारी से हलवाई बड़ा प्रसन्न हुआ। शंकर उसे एक मेहनती बालक लगा। इसीलिए उसने शंकर को नौकरी दे दी।

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5. रेखांकित शब्दों के वचन बदलकर वाक्य दोबारा लिखें :

  1. उसने सोचा रात पानी पीकर ही बिता दूंगा।
  2. वह पैदल चलते-चलते थक गया था।
  3. उसने अपनी दुकान खोली।
  4. अब वह उस हलवाई की राह देखने लगा।
  5. वह बहुत ईमानदार था।
  6. वह थका हुआ भी था।
  7. हलवाई की दुकान के आगे तख्ता लगा दिखाई दिया।

उत्तर :

  1. उन्होंने सोचा रात पानी पीकर ही बिता देंगे।
  2. वे पैदल चलते-चलते थक गये थे।
  3. उन्होंने अपनी दुकानें खोली।
  4. अब वे उन हलवाइयों की राह देखने लगे।
  5. वे बहुत ईमानदार थे।
  6. वे थके हुए भी थे।
  7. हलवाइयों की दुकानों के आगे तख्ने लगे दिखाई दिये।

6. नीचे ‘मार्ग’ शब्द का समान अर्थ वाला शब्द दिया गया है। इसी तरह बाकी शब्दों के भी समान अर्थ वाले शब्द लिखें :

  1. मार्ग = राह
  2. आराम = _________________
  3. उजाला = _________________
  4. वृक्ष = _________________
  5. प्रसन्न = _________________
  6. मेहनत = _________________
  7. बेटा = _________________
  8. बालक = _________________

उत्तर :
समान अर्थ वाले शब्द

  1. मार्ग = राह।
  2. आराम = विश्राम।
  3. ईमानदार = विश्वसनीय।
  4. वृक्ष = पेड़।
  5. मेहनत = परिश्रम।
  6. प्रसन्न = खुश।
  7. बेटा = सुत।
  8. बालक = बच्चा।

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7. निम्नलिखित शब्दों को ध्यान से देखो। बच्चो! आपको इनके भीतर ही कम से कम दो और शब्द बने मिलेंगे। ढूँढ़िए और लिखिए :

मूल शब्द – शब्द में छिपे शब्द

  1. कमाना – कम, कमा, कमान, मान, माना
  2. आराम _________, _________
  3. हलवाई _________, _________
  4. ईमानदारी _________, _________
  5. समान _________, _________

उत्तर :

मूल शब्द – शब्द में छिपे शब्द

  1. कमाना – कम, कमा, कमान, मान, माना।
  2. आराम – आरा, राम, आम, मरा।
  3. हलवाई – हल, हलवा, वाह, हवा।
  4. ईमानदारी – ईमान, मान, मानद, दान।
  5. समान – सम, समा, मान, सन।

8. मिलान करो

  1. शंकर – उसे बहुत प्यार करते थे।
  2. गाँव वाले – भीख माँगना बुरा काम समझता था।
  3. शंकर की ईमानदारी – प्रसन्न दिख रहा था।
  4. वह – पर हलवाई बड़ा प्रसन्न हुआ।

उत्तर :

  1. शंकर भीख माँगना बुरा काम समझता था।
  2. गाँव वाले उसे बहुत प्यार करते थे।
  3. शंकर की ईमानदारी पर हलवाई बड़ा प्रसन्न हुआ।
  4. वह प्रसन्न दिख रहा था।

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9. पहले शब्द से आरम्भ करते हुए प्रत्येक शब्द के अंतिम अक्षर से नया व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्द बनायें :

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 5 ईमानदार शंकर 1
उत्तर :
अशोक, कमल, लोकेश, शमशेर, रजत, तरसेम, मनोज, जगत, तनवीर, राम, मीना, नादीश, शंकर, राजेन्द्र, रजनी, नीरज, जतिन, नलिन।

10. दिए गए बॉक्स में से विपरीत शब्द चुनकर लिखें :
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 5 ईमानदार शंकर 2

  1. गुण – अवगुण
  2. प्रवेश – _________
  3. प्रस्थान – _________
  4. पहले – _________
  5. सुख – _________
  6. सच – _________
  7. एक – _________
  8. गाँव – _________

उत्तर :
विपरीत शब्द

  1. गुण = अवगुण।
  2. प्रवेश = प्रस्थान।
  3. प्रसन्न = उदास।
  4. पहले = पश्चात्।
  5. सुख = दुःख।
  6. एक = अनेक।
  7. सच = झूठ।
  8. गाँव = शहर।

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11. सोचिए और लिखिए :

(i) यदि आप शंकर की जगह होते तो क्या आप भी शंकर की तरह ही रुपये हलवाई को दे देते ?
उत्तर :
यदि हम शंकर की जगह होते तो हम भी शंकर की तरह ही रुपए हलवाई को दे देते। क्योंकि हमें बचपन से ही हमारे माता – पिता और अध्यापकों ने यही सीख दी है कि ईमानदारी अच्छी नीति है।

(ii) यदि आपके जीवन में कोई ईमानदारी की घटना घटी हो तो उसे अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं अपने अनुभव लिखें।

प्रयोगात्मक व्याकरण
(क) शंकर सदा सच बोलता था।
(ख) वह बचपन से मेहनत करता था।
(ग) ईमानदारी सुख की खान है।
(घ) शंकर आनन्द से रहने लगा।

ऊपर के वाक्यों में ‘सच’, ‘मेहनत’, ‘ईमानदारी’, गुण के नाम हैं। ‘बचपन’, एक अवस्था का नाम है। ‘सुख’ एक दशा का नाम है तथा ‘आनंद’ एक भाव का नाम है। यहाँ ‘सच’, ‘मेहनत’, ‘ईमानदारी’, ‘बचपन’, ‘सुख’ तथा ‘आनंद’ ये किसी व्यक्ति, स्थान या वस्तु के नाम नहीं हैं अपितु उनके गुण, अवस्था, दशा तथा भाव को प्रकट कर रहे हैं। यहाँ ये भाववाचक संज्ञाएँ हैं।

अतः जो संज्ञा शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण, अवस्था, दशा, भाव आदि के नाम को प्रकट करे, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।

विशेष :- भाववाचक संज्ञा की सबसे बड़ी पहचान यह है कि उसका चित्र नहीं बन सकता। जैसे बच्चे (जातिवाचक संज्ञा) का चित्र बन सकता है, बचपन (भाववाचक संज्ञा) का नहीं। इसी प्रकार शंकर (व्यक्तिवाचक संज्ञा) का चित्र बन सकता है उसकी ईमानदारी (भाववाचक संज्ञा) का नहीं।

12. निम्नलिखित वाक्यों में से भाववाचक संज्ञाएँ छाँटिये :

(क) गर्मी का मौसम था।
(ख) शंकर गाँव वालों की मदद किया करता था।
(ग) गाँव वाले उसे बहुत प्यार करते थे।
(घ) वह मेहनत करके ही धन कमाना चाहता था।
(ङ) वह झूठ कभी नहीं बोलता था।
(च) वह भीख माँगना बुराई समझता था।
उत्तर :
(क) गर्मी
(ख) मदद
(ग) प्यार
(घ) मेहनत
(ङ) झूठ
(च) बुराई।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 5 ईमानदार शंकर

बूझो तो जानें

छ: अक्षर का है मेरा नाम
खाने के आता हूँ काम
फूल, फल और मिठाई कहलाता
सबके मुँह में मैं पानी लाता
उत्तर :
गुलाब जामुन।

बचपन में मैं होता हरा
बुढ़ापे में आकर हो जाता पीला
मुझे कहते सभी फलों का राजा
स्वाद है मेरा बड़ा रसीला
उत्तर :
आम।

चार अक्षर का मेरा नाम
मिठाइयाँ बनाना मेरा काम
दूसरा कटे तो हवाई बन जाऊँ
अंत कटे तो हलवा बन जाऊँ
उत्तर :
हलवाई।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
शंकर एक कैसा बालक था ?
(क) ईमानदार
(ख) बेईमान
(ग) चतुर
(घ) चंचल।
उत्तर :
(क) ईमानदार

प्रश्न 2.
शंकर का स्वभाव कैसा था ?
(क) असत्यवादी
(ख) सत्यवादी
(ग) अहंवादी
(घ) भाग्यवादी।
उत्तर :
(ख) सत्यवादी

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प्रश्न 3.
शंकर का स्वभाव क्या करना था ?
(क) मेहनत
(ख) आराम
(ग) हराम
(घ) सोना।
उत्तर :
(क) मेहनत

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से ‘गुण’ शब्द का विपरीत शब्द लिखें
(क) गुणवान
(ख) गुणहीन
(ग) अवगुण
(घ) गुणें।
उत्तर :
(ग) अवगुण

ईमानदार शंकर Summary in Hindi

ईमानदार शंकर पाठ का सार

शंकर नाम का बालक एक गाँव में रहता था। वह बहुत ही ईमानदार था। हमेशा सच बोलता था। मेहनत करना उसका स्वभाव था। वह मेहनत से ही धन कमाना चाहता था। एक दिन धन कमाने के लिए गाँव से शहर की ओर चल पड़ा। गर्मी के दिन थे। वह थक गया। उसने एक आम के पेड़ के नीचे कुछ देर आराम किया। शंकर शहर में पहुँच गया। वहाँ उसे कोई नहीं जानता था। उसे कोई भी नौकरी देने को तैयार न था। उसे एक हलवाई की दुकान के आगे तख्ता लगा दिखाई दिया। वह उस पर सो गया। जब सवेरा हुआ तो उसे तख्ते के पास पाँच रुपये का नोट पड़ा मिला। वह हलवाई की राह देखने लगा।

कुछ समय बाद हलवाई ने आकर अपनी दुकान खोली। शंकर ने आकर पाँच रुपए का नोट हलवाई के आगे रख दिया। हलवाई ने समझा कि बालक कुछ सौदा लेना चाहता है। उसने पूछा “क्या चाहिए ?” शंकर ने कहा, “यह नोट आपका है। शायद दुकान बन्द करते समय तख्ते पर रह गया था।” शंकर की ईमानदारी पर हलवाई बड़ा प्रसन्न हुआ। उसने उसे काम पर रख लिया। वह मिठाइयाँ बनाना भी सीख गया। अब वह सुख और आनन्द से रहने लगा।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 5 ईमानदार शंकर

ईमानदार शंकर कठिन शब्दों के अर्थ –

  • स्वभाव = आदत।
  • श्रम = मेहनत।
  • प्रवेश = दाखिल।
  • खुश = प्रसन्न।
  • सिद्ध = साबित।
  • भरोसा = विश्वास।
  • मार्ग = रास्ता।
  • नगर = शहर।
  • भीख = भिक्षा।
  • मुसकरा उठा = खिलखिला उठा।
  • आन्नद = प्रसन्न।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 4 इंद्रधनुष

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 4 इंद्रधनुष Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 4 इंद्रधनुष (2nd Language)

Hindi Guide for Class 6 PSEB इंद्रधनुष Textbook Questions and Answers

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 4 इंद्रधनुष

इंद्रधनुष अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:

  • ਰੰਗ = रंग
  • ਕਿਰਨਾਂ = किरणें
  • ਖੁਸ਼ੀ = खुशी

उत्तर :
विद्यार्थी इन हिन्दी शब्दों को अपनी अभ्यास पुस्तिका (कॉपी) में लिखने का अभ्यास करें।

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

  • ਬੱਦਲ = मेघ
  • ਸਤਰੰਗੀ ਪੀਂਘ = इन्द्रधनुष
  • ਅਕਾਸ਼ = नभ
  • ਧਰਤੀ = धरा
  • ਛੇਕ = छेद
  • ਵਿਹੜਾ = आँगन
  • ਵਰਖਾ, ਮੀਂਹਿ = वर्षा
  • ਕੁਦਰਤ = प्रकृति
  • ਅਚਾਨਕ = सहसा
  • ਝੂਲਾ = झूला

उत्तर :
विद्यार्थी दिए गए हिन्दी भाषा के शब्दों को अपनी अभ्यास – पुस्तिका (कापी) में लिखने का अभ्यास करें।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखें :

(क) कविता में बादलों का रंग कैसा बताया गया है?
उत्तर :
कविता में बादलों का रंग काला बताया गया है।

(ख) वर्षा के बाद प्रकृति कैसी दिखाई देती है?
उत्तर :
वर्षा के बाद प्रकृति हरी – भरी दिखाई देती है।

(ग) वर्षा के बाद सूर्य दिखाई देने पर नभ पर क्या दिखाई देता है?
उत्तर :
वर्षा के बाद सूर्य दिखाई देने पर नभ पर इन्द्रधनुष दिखाई देता है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 4 इंद्रधनुष

(घ) इन्द्रधनुष का आकार कैसा होता है?
उत्तर :
इन्द्रधनुष का आकार झूले जैसा होता है।

(ङ) कवि ने इन्द्रधनुष के लिए अन्य कौन-सा शब्द प्रयोग किया है?
उत्तर :
कवि ने इन्द्रधनुष के लिए ‘सतरंगा’ शब्द प्रयोग किया है।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखें :

(क) सावन के महीने में प्रकृति हरी-भरी क्यों दिखाई देती है?
उत्तर :
सावन के महीने में आकाश में बादल उमड़ – घुमड़ कर आते हैं और खूब वर्षा करते हैं जिससे सारी प्रकृति हरी – भरी दिखने लगती है।

(ख) इस माह की अन्य क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर :
सावन के महीने में आकाश घने काले बादलों से ढक जाता है। काले बादलों को देखकर बच्चे, बूढ़े तथा युवा सभी खुशियों से भर कर नाचने लगते हैं। उनके चेहरे खुशियों से खिल उठते हैं। गर्मी से राहत मिलती है। मोर नाचने लगता है, मेंढक टर्राने लगते हैं। सारी धरती हरी भरी हो उठती है और आकाश पर इन्द्रधनुष दिखने लगता है।

(ग) वर्षा ऋतु से हमें मुस्कराते रहने का क्या संदेश मिलता है?
उत्तर :
वर्षा ऋतु में उमड़ घुमड़ कर आए काले बादल हमें संदेश देते हैं कि हमेशा मुसकराते रहो और अपने चारों ओर खुशियाँ बाँटते चलो।

5. इन्द्रधनुष के चित्र को देखो और नीचे दिए गये शब्दों के पर्याय ढूँढ़कर लिखें :

  1. प्रभु = ____________, ____________
  2. मेघ = ____________, ____________
  3. नभ = ____________, ____________
  4. किरण = ____________, ____________

उत्तर :

  1. प्रभु, परमात्मा, ईश्वर।
  2. मेघ, जलद, बादल।
  3. नभ, आकाश, गगन।
  4. किरण, कर, मयूख।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 4 इंद्रधनुष

6. कविता की पंक्तियाँ पूरी करो

(क) वर्षा थमी धरा महकी,
________________________।
(ख) नभ पर रंगों का मेला,
________________________।
(ग) हृदय हार नभ रानी का,
________________________।
उत्तर :
(क) वर्षा थमी धरा महकी,
प्रकृति दिखती हरी भरी।
(ख) नभ पर रंगों का मेला,
अर्ध वृत्त जैसा फैला।
(ग) हृदय हार नभ रानी का,
मोहित मन हर प्राणी का।

7. पढ़ो, समझो और दो-दो नये शब्द लिखो :

  • र् + य = र्य = सूर्य,
  • र् + म = में = ______________
  • इ + च = र्च = ______________
  • र् + षा = र्षा = ______________
  • प + र = प्र = प्रकृति,
  • क् + र = क्र = ______________
  • द् + र = द्र = ______________
  • ब् + र = ब्र = ______________

उत्तर :

  • र् + य = र्य = सूर्य, धैर्य।
  • र + म = र्म = चर्म, गर्म।
  • र + च = र्च = चर्च, खर्च।
  • र् + षा = र्षा = वर्षा, हर्षा।
  • प् + र = प्र = प्रकृति, प्रकाश।
  • क + र = क्र = क्रय, विक्रय।
  • द् + र = द्र = दरिद्र, द्रविड़।
  • ब् + र = ब्र = ब्राज़ील, सब्र।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 4 इंद्रधनुष

अध्यापन निर्देश :
1. अध्यापक विद्यार्थियों को बताये कि हलन्त ‘र’ अर्थात् स्वर रहित ‘र’ अपने से अगले व्यंजन के ऊपर (‘) लगाया जाता है। इसे रेफ (‘) कहते हैं। जैसे – र् + य – र्य (सूर्य, कार्य आदि)। इसी तरह अध्यापक यह भी बताये कि ‘र’ से पहले हलन्त व्यंजन (अ रहित व्यंजन) हो तो ‘र’ उसके नीचे लिखा जाता है और उसका हलन्त हट जाता है जैसे – प् + र – प्र (प्रकृति, प्रभु आदि) ‘र’ के इस रूप को पदेन कहते हैं।

2. यदि ‘र’ के बाद मात्रा सहित व्यंजन आता है तो ‘र’ मात्रा के बाद लगता है जैसे – वर्षा में ‘र’ आ की मात्रा पर लगा है। इसी तरह ‘ई’ की मात्रा तथा ‘ओ’ की मात्रा के बाद ‘र’ का प्रयोग होता है। जैसे – ‘पूर्वी’ में तथा ‘धर्मों’ में क्रमशः ‘ई’ और ‘ओ’ की मात्रा के बाद ‘र’ का प्रयोग हुआ है।

8. सोचिए और लिखिए :

(i) इन्द्रधनुष का चित्र बनायें और उसमें अध्यापक की मदद से या स्वयं रंग भरें।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं प्रयास करें।

(ii) इन्द्रधनुष में कौन-कौन से रंग होते हैं?
उत्तर :
लाल, नीला, हरा, पीला, नारंगी, बैंगनी, जामुनी।

(iii) सावन के महीने का आनन्द लें। सावन के महीने की रोचक बातें अपनी अभ्यास-पुस्तिका में लिखें।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं प्रयास करें।

(iv) यदि वर्षा न हो तो क्या होगा?
उत्तर :
यदि वर्षा न हो तो सारी धरती प्यासी हो जाएगी। पेड़ – पौधे सब सड़ और मर जाएंगे। नदियों में पानी भी नहीं होगा। मनुष्य और प्रकृति सब त्राहि – त्राहि कर उठेंगे।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 4 इंद्रधनुष

(v) यदि वर्षा अधिक होगी तो क्या होगा?
उत्तर :
यदि वर्षा अधिक होगी तो नदी – नाले जल से लबालब भर जाएंगे। चारों ओर पानी ही पानी दिखाई देगा। बाढ़ आ जाएगी और लोग अपने सामान उठा कर भागते – छिपते दिखाई देंगे।

9. चित्र देखकर अपनी कल्पना से पाँच वाक्य लिखें :
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 4 इंद्रधनुष 1

  1. ____________________
  2. ____________________
  3. ____________________
  4. ____________________
  5. ____________________
  6. ____________________
  7. ____________________

उत्तर :

  1. वर्षा हो रही है।
  2. बच्चे वर्षा में भीग रहे हैं।
  3. लड़कियाँ सावन के झूले झूल रही हैं।
  4. पक्षी वर्षा से भीगने से बचने के लिए छिप रहे हैं।
  5. बच्चा वर्षा में नाच रहा है।
  6. चारों ओर पानी ही पानी है।
  7. आकाश से वर्षा की बूंदें धरती पर गिर रही हैं।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 4 इंद्रधनुष

अध्यापन निर्देश :
इन्द्रधनुष को अंग्रेजी में Rainbow कहते हैं।
इन्द्रधनुष के रंग (हिंदी में)
बैंगनी, जामुनी (गहरा नीला), नीला, हरा,
पीला, नारंगी (संतरी), लाल
इन्द्रधनुष के रंग (हिंदी में ) याद रखने
का संक्षिप्त रूप :
बैंजानीहपीनाला
इन्द्रधनुष के रंग (अंग्रेज़ी में)
Violet, Indigo, Blue, Green Yellow, Orange, Red
संक्षिप्त रूप : VIBGYOR

योग्यता विस्तार
वर्षा के दिनों में इन्द्रधनुष ऐसे समय बनता है जब सूरज पश्चिम में डूब रहा होता है। तब यह पूर्व की ओर बनता है। वैसे इसके बनने के लिए वर्षा के साथ-साथ साफ आकाश और सूरज की रोशनी का होना भी जरूरी है। हवा में मौजूद पानी की नन्ही-नन्ही बूंदों पर पड़ती सूर्य किरणों से हमें सात रंगों की छटा का बहुत ही सुंदर कुदरती घेरा दिखायी देता है।

सहायक क्रिया
1. रोशनी के आगे पारदर्शी पेन को सामने रखकर इन्द्रधनुष के सभी रंगों का अवलोकन करें।
2. विज्ञान की प्रयोगशाला से प्रिज्म लेकर (रोशनी में) इन्द्रधनुषी रंगों का अवलोकन करें।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
इन्द्रधनुष का आकार कैसा होता है ?
(क) झूले जैसा
(ख) फूले जैसा
(ग) फूल जैसा
(घ) धूल जैसा।
उत्तर :
(क) झूले जैसा

प्रश्न 2.
कवि ने इन्द्रधनुष के लिए किस शब्द का प्रयोग किया है ?
(क) इन्द्रा
(ख) इन्द्री
(ग) सतरंगा
(घ) सतरंगी।
उत्तर :
(ग) सतरंगा

प्रश्न 3.
इन्द्रधनुष में कितने रंग होते हैं ?
(क) पाँच
(ख) छह
(ग) सात
(घ) आठ।
उत्तर :
(ग) सात

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 4 इंद्रधनुष

प्रश्न 4.
इन्द्रधनुष में कौन-कौन से रंग होते हैं ?
(क) लाल-नीला
(ख) हरा-पीला
(ग) नारंगी, बैंगनी, जामुनी
(घ) ये सभी।
उत्तर :
(घ) ये सभी।

इंद्रधनुष Summary in Hindi

इंद्रधनुष कविता का सार

आकाश में घने काले बादल उमड़ आए। वे बरसे और ऐसा लगा जैसे आकाश में लाखों छेद हो गए हों। वर्षा रुकते ही हरी – भरी प्रकृति शोभा देने लगी। सूर्य के प्रकट होते ही सुनहरी किरणें फैली। सात रंगों का प्यारा इन्द्रधनुष प्रकट हो गया जिसने अपनी सुन्दरता से सभी का दिल जीत लिया। यह तो परमात्मा का झूला है। जब वर्षा ऋतु मुस्काती है तो वह सतरंगी हो जाती है।

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PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 4 इंद्रधनुष

पद्यांशों के सरलार्थ

1. उमड़े बरसे काले मेघ,
नभ में जैसे लाखों छेद।
वर्षा थमी धरा महकी,
प्रकृति दिखती हरी भरी।

कठिन शब्दों के अर्थ – उमड़े – घिर कर आना, फैल जाना। बरसे – बरसना। मेघ बादल। थमी – रुकी। महकी – सुगन्ध से भर गई। प्रकृति – कुदरत।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी की पाठ्यपुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ की कविता ‘इन्द्रधनुष’ से ली गई हैं। इसमें कवि ने इन्द्रधनुष की सुन्दरता का वर्णन किया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि उमड – घुमड कर काले बादल आकाश पर छा गए हैं। उनसे वर्षा ऐसे होने लगी जैसे आकाश में लाखों छेद एक साथ हो गए हों। वर्षा के रुक जाने पर सारी धरती से सौंधी – सी महक आने लगी और सारी कुदरत हरी – भरी दिखाई देने लगी।

भावार्थ – कवि ने वर्षा के बाद धरती की शोभा का वर्णन किया है।

2. सहसा सूर्यदेव आये,
सोने – सी किरणें लाये।
नभ पर रंगों का मेला,
अर्ध – वृत्त जैसा फैला।

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कठिन शब्दों के अर्थ – सहसा – अचानक। सूर्यदेव – सूरज देवता। नभ – आकाश। अर्ध – आधा। वृत्त – गोला।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी पाठ्यपुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ की कविता ‘इन्द्रधनुष’ से ली गई हैं। इसमें कवि ने इन्द्रधनुष की सुन्दरता का वर्णन किया है। इन पंक्तियों में कवि वर्षा के बाद का दृश्य बताते हुए कहता है

सरलार्थ – कवि कहता है कि वर्षा रुकते ही अचानक आकाश पर सूरज देवता आ गए और वह अपने साथ सोने जैसी सुनहरे रंग की किरणें लाए। चारों तरफ आकाश में सुन्दर किरणें, फैल गई। किरणों के फैलते ही आकाश में आधे गोलाकार में इन्द्रधनुष दिखने लगा और ऐसा लगने लगा जैसे आकाश में रंगों का मेला लग गया हो।

भावार्थ – बरसात के बाद सूर्य निकलते ही इन्द्र धनुष की सुन्दरता आकाश में बिखर गई।

3. यह है इन्द्रधनुष प्यारा,
सतरंगा न्यारा – न्यारा।
हृदय – हार नभ रानी का,
मोहित मन हर प्राणी का।

कठिन शब्दों के अर्थ – सतरंगा – सात रंगों का। न्यारा – निराला, अद्भुत। हृदय हार – गले का हार। नभ – रानी – आकाश की रानी। मोहित – आकर्षित। हर – सभी। प्राणी – जीव, लोग।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी पाठ्यपुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ की कविता ‘इन्द्रधनुष’ से ली गई हैं। इसमें कवि ने इन्द्रधनुष की सुन्दरता का वर्णन किया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि आकाश में सात रंगों से रंगा हुआ अद्भुत – सा दिखाई देने वाला रंग – बिरंगा यह इन्द्रधनुष है। यह इन्द्रधनुष इतना सुन्दर है कि लगता है जैसे आकाश की रानी के गले का सुन्दर हार हो। कवि कहता है कि यह इतना सुन्दर दृश्य है कि सभी लोगों के मन को मोह लेता है।

भावार्थ – इन्द्रधनुष की सुन्दरता मनभावन है।

4. सुन्दर यह प्रभु का झूला,
देख – देख कर मन फूला।
झूला प्रभु के आंगन में,
किरणें झूलें सावन में।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 4 इंद्रधनुष

कठिन शब्दों के अर्थ – फूला – प्रसन्न हुआ। प्रभु – ईश्वर।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिन्दी पाठ्यपुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ की कविता ‘इन्द्रधनुष’ से ली गई हैं। इसमें कवि ने वर्षा के पश्चात् आकाश में दिखने वाले इन्द्रधनुष की सुन्दरता का वर्णन किया है।

सरलार्थ – कवि कहता है कि इन्द्रधनुष की सुन्दरता को देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। ऐसा लगता है जैसे ईश्वर ने इस सुन्दर झूले को अपने आंगन में डाल रखा है और सावन के मौसम में सूर्य की सुन्दर किरणें इस पर झूला झूलती हैं।

भावार्थ – इन्द्रधनुष तो परमात्मा का झूला प्रतीत होता है।

5. वर्षा ऋतु मुस्काती है,
सतरंगी हो जाती है।
आओ हम भी मुस्काएँ,
रंग खुशी से बिखराएँ।

प्रसंग – यह पद्यांश हिन्दी की पाठ्यपुस्तक आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित ‘इन्द्रधनुष’। कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने वर्षा के पश्चात् आकाश में दिखने वाले इन्द्रधनुष : की सुन्दरता का वर्णन किया है। कवि कहता है

सरलार्थ – कवि कहता है कि इन्द्रधनुष को देखकर वर्षा ऋतु भी मानो मुसकाने लगती है और उसके रंगों से यह भी सतरंगी हो जाती है। कवि कहता है कि आओ हम भी इन्द्रधनुष के समान जीवन में मुसकाएँ और खुशियों के रंग बिखराएँ।

भावार्थ – कवि ने जीवन में मुसकान बिखेरने का आह्वान किया हैं।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 3 जय जवान! जय किसान!

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 3 जय जवान! जय किसान! Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 3 जय जवान! जय किसान! (2nd Language)

Hindi Guide for Class 6 PSEB जय जवान! जय किसान! Textbook Questions and Answers

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 3 जय जवान! जय किसान!

अभ्यास 

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:

  • ਜਨਮ = जन्म
  • ਯਾਤਰਾ = यात्रा
  • ਵਿਅਕਤੀ = व्यक्ति
  • ਪੁੱਤਰ = पुत्र
  • ਸ਼ਕਤੀ = शक्ति
  • ਪੁੱਤਰੀ = पुत्री
  • ਗੰਗਾ = गंगा
  • ਸਮਾਪਤ = समाप्त
  • ਸਮਾਂ = समय
  • ਲਿਖਤੀ = लिखित
  • ਅੱਖਾਂ = आँखों
  • ਪਰੀਖਿਆ = परीक्षा

उत्तर :
विद्यार्थी हिन्दी में दिए गए शब्दों को समझें और उन्हें अपनी उत्तर पुस्तिका (कॉपी) पर लिखने का अभ्यास करें।

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिन्दी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें :

  • ਇੱਜ਼ਤ = सम्मान
  • ਪੱਕਾ ਇਰਾਦਾ = दृढ़ निश्चय ग्ला
  • ਇੱਕ ਕਲਾਸ ਵਿੱਚ ਪੜ੍ਹਨ ਵਾਲੇ = सहपाठी
  • ਹਾਲਾਤਾਂ = परिस्थितियाँ
  • ਉੱਚੀ ਪਦਵੀ = उच्च पद
  • ਧੰਨ ਦੀ ਕਮੀ = आर्थिक तंगी
  • ਤਰਲੇ ਪਾਉਣਾ = गुहार लगाना
  • ਮੰਤਵ, ਉਦੇਸ਼ = उद्देश्य
  • ਮੁਸ਼ਕਿਲ = विकट
  • ਜਲ = कारावास

उत्तर :
विद्यार्थी हिन्दी में दिए गए शब्दों को ध्यान से पढ़ें और इन्हें अपनी अभ्यास पुस्तिका (कॉपी) पर लिखने का अभ्यास करें।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दें :

(क) ‘जय जवान ! जय किसान!’ का नारा किसने दिया?
उत्तर :
‘जय जवान ! जय किसान !’ का नारा श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने दिया था।

(ख) लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर :
श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्तूबर, सन् 1904 ई० को बनारस के कस्बे मुगलसराय में हुआ।

(ग) जेल से आने के बाद लाल बहादुर जी ने कौन-सी पढ़ाई पूरी की?
उत्तर :
जेल से आने के बाद लाल बहादुर जी ने शास्त्री की पढ़ाई पूरी की।

(घ) पुत्री के बीमार होने पर उन्हें कितने दिन के लिए रिहा किया गया?
उत्तर :
पुत्री के बीमार होने पर उन्हें पन्द्रह दिनों के लिए रिहा किया गया।

(ङ) शास्त्री जी का देहान्त कब हुआ?
उत्तर :
11 जनवरी, सन् 1966 ई० को शास्त्री जी का देहान्त हुआ।

(च) शास्त्री जी अपने सिद्धांतों से समझौता करने को क्या समझते थे?
उत्तर :
शास्त्री जी अपने सिद्धान्तों से समझौता करना आत्मघातक समझते थे।

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4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार वाक्यों में लिखें :

(क) शास्त्री जी अपने मित्रों से उधार क्यों नहीं माँगना चाहते थे?
उत्तर :
बचपन से ही अपने बनाए सिद्धान्तों पर चलने वाले शास्त्री जी अपने साथी से उधार मांगना अपने गौरव के विरुद्ध समझते थे इसीलिए वह अपने मित्रों से उधार नहीं मांगना चाहते थे।

(ख) लाल बहादुर शास्त्री जी ने लिखित शर्त पर जेल से छूटने से क्यों इन्कार किया?
उत्तर :
लाल बहादुर शास्त्री जी जेल में थे जब उन्हें अपनी बेटी के बीमार होने का समाचार मिला। सरकार ने उन्हें रिहा करने के लिए राजनैतिक आन्दोलन में भाग न लेने की लिखित शर्त रखी। इस पर इस देश के वीर सपूत ने लिखित शर्तों पर रिहा होने से इन्कार कर दिया।

(ग) मौत से जूझते पुत्र को छोड़ कर शास्त्री जी वापिस जेल क्यों चले गए?
उत्तर :
अंग्रेज़ सरकार ने शास्त्री जी को केवल एक सप्ताह के लिए ही जेल से रिहा किया था। टायफायड से ग्रस्त बेटे की सेवा करते हुए सप्ताह बीत गया। अब उन्हें जेल वापिस लौटना था अत: बेटे के लाख मना करने पर भी आज़ादी के मतवाले शास्त्री जी मौत से जूझते अपने पुत्र को छोड़कर वापिस जेल चले गए।

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(घ) लाल बहादुर शास्त्री जी में कौन-से ऐसे गुण थे जिससे वे उच्च पद को प्राप्त कर सके?
उत्तर :
साहसी तथा स्वभाव से विनम्र, दृढ़ निश्चयी, लगन के पक्के, सिद्धान्तवादी जैसे गुणों के बल पर ही लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमन्त्री जैसे उच्च पद को प्राप्त कर सके।

(ङ) लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर :
लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन से हमें प्रेरणा मिलती है कि अगर हमारा निश्चय पक्का है, संकल्प दृढ़ है, तो हम जीवन में कोई भी उच्च पद प्राप्त कर सकते हैं। जीवन में सफलता हमारे कदम चूमेगी।

5. नीचे दिये गये शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थान भरें :

निश्चय दूसरे एक पैसा टाइफाइड 11 जनवरी 1966 कारावास
(क) लाल बहादुर शास्त्री भारत के _______________ प्रधानमंत्री थे।
(ख) वे अपने _______________ पर दृढ़ रहने वाले व्यक्ति थे।
(ग) नाविक गंगा पार ले जाने का _______________ किराया लेता था।
(घ) नैनी _______________ के दौरान उन्हें अपनी पुत्री के बीमार होने का समाचार मिला।
(ङ) उनके पुत्र को _______________ हो गया था।
(च) उनका देहान्त _______________ को हुआ।
उत्तर :
(क) दूसरे,
(ख) निश्चय,
(ग) एक पैसा,
(घ) कारावास,
(ङ) टाइफाइड,
(च) 11 जनवरी, सन् 1966

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7. (क) विपरीत शब्दों का मिलान करें :
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 3 जय जवान! जय किसान! 1
उत्तर :
विपरीत शब्दों का सही मिलान

  • साधारण = विशेष।
  • बीमार = तन्दरुस्त।
  • सम्मान = अपमान।
  • परिश्रम = आलस्य।
  • साहसी = कायर।
  • गौरव = लाघव।
  • आग्रह = दुराग्रह।
  • जन्म = मृत्यु

(ख) नये शब्द बनाओ

  1. प्रधान + मंत्री = प्रधानमंत्री
  2. चिर + निद्रा = ___________________
  3. अन्न + दाता = ___________________
  4. सह + पाठी = ___________________
  5. राष्ट्र + प्रेम = ___________________
  6. आत्म + घातक = ___________________

उत्तर :

  1. प्रधान + मंत्री = प्रधानमंत्री।
  2. चिर + निद्रा = चिरनिद्रा।
  3. अन्न + दाता = अन्नदाता।
  4. सह + पाठी = सहपाठी।
  5. राष्ट्र + प्रेम = राष्ट्रप्रेम।
  6. आत्म + घातक = आत्मघातक।

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(ग) लिंग बदलो

  1. माता = _____________________
  2. अध्यापक = _____________________
  3. पुत्री = _____________________
  4. बहन = _____________________
  5. बाबू = _____________________

उत्तर :
लिंग बदलो

  1. माता = पिता।
  2. अध्यापक = अध्यापिका।
  3. पुत्री = पुत्र।
  4. बहन = भाई।
  5. बाबू = बबुआइन।

8. संयुक्त अक्षरों से नये शब्द बनाओ

  1. दृष्टि = कष्ट = _____________
  2. शास्त्री = स्त्र = _____________
  3. निश्चय = श्च = _____________
  4. आत्म = त्म = _____________
  5. आर्थिक = र्थ (र + थ) = _____________
  6. इच्छा = च्छ = _____________

उत्तर :
संयुक्त अक्षरों से नये शब्द

  1. दृष्टि = कष्ट, नष्ट।
  2. शास्त्री = स्त्र = स्त्री, मिस्त्री।
  3. निश्चय = श्च पश्चात्, पश्चाताप।
  4. आत्म त्म = खत्म, आत्मा।
  5. आर्थिक = र्थ (र् + थ) = दर्शनार्थ, अर्थ।
  6. आन्दोलन = नन्द, आनन्द।

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9. निम्नलिखित वाक्यों को ध्यानपूर्वक पढ़ें :

1. (क) पिता की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री पर भारी कष्ट आ पड़े। (साधारण तरीके से कही गई बात)
(ख) पिता की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री पर तो जैसे पहाड़ ही टूट पड़ा। (विशेष तरीके से कही गई बात)

2. (क) भारतीय जवान अपनी जान की परवाह न करके सीमा पर देश की रक्षा करते हैं। (साधारण तरीके से कही गई बात)
(ख) भारतीय जवान अपनी जान हथेली पर रखकर सीमा पर देश की रक्षा करते हैं। (विशेष तरीके से कही गई बात)

उपर्युक्त उदाहरणों में ‘क’ वाक्य साधारण तरीके से तथा ‘ख’ वाक्य विशेष तरीके से कहे गये हैं। इसी कारण ‘ख’ वाक्य ‘क’ वाक्यों की अपेक्षा अधिक सशक्त व प्रभावशाली हैं। इस प्रकार विशेष शब्द प्रयोग को मुहावरा कहते हैं। मुहावरे सीधी-साधी बात को अनोखे ढंग से प्रकट करते हैं। ये वाक्य के अंश होते हैं।

निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ दिए गए हैं, इनके वाक्य बनायें :

मुहावरा – अर्थ = वाक्य = _______________

  1. स्वर्ग सिधारना – मर जाना = _______________
  2. गुदड़ी का लाल – निर्धन परिवार में जन्मा गुणी व्यक्ति = _______________
  3. जिगर का टुकड़ा – बहुत प्यारा = _______________
  4. जीवन लीला समाप्त होना – मर जाना = _______________
  5. भरे मन से विदा लेना – दु:खी मन से जाना = _______________
  6. चिर निद्रा में सोना – मृत्यु को प्राप्त होना = _______________

उत्तर :

  1. स्वर्ग सिधारना – मर जाना – मोहन के पिता जी कल स्वर्ग सिधार गए।
  2. गुदड़ी का लाल – निर्धन परिवार में जन्मा गुणी व्यक्ति – लाल बहादुर शास्त्री वास्तव में गुदड़ी के लाल थे।
  3. जिगर का टुकड़ा – बहुत प्यारा – दिनेश ने अपने जिगर के टुकड़े को गले से लगा लिया।
  4. जीवन लीला समाप्त होना – मर जाना – गरीबी से तंग आकर भिखारिन ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
  5. भरे मन से विदा लेना – दुखी मन से जाना – हमने भारी मन से विदा ली और चल पड़े।
  6. चिर निद्रा में सोना – मृत्यु को प्राप्त होना – 11 जनवरी, सन् 1966 को शास्त्री जी चिर निद्रा में सो गए।

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प्रयोगात्मक व्याकरण
(क) (1) लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे।
(2) उनका जन्म बनारस में हुआ।
(3) वे मेला देखने गंगा पार गये।
उत्तर :
व्यक्तिवाचक संज्ञा –
(1) लाल बहादुर शास्त्री।
(2) लाल बहादुर शास्त्री, राम दुलारी, शारदा प्रसाद।
(3) नैनी।

ऊपर लिखे पहले वाक्य में ‘लाल बहादुर शास्त्री’ किसी विशेष व्यक्ति के नाम का बोध कराता है। ‘भारत’ शब्द से देश विशेष का ज्ञान होता है। दूसरे वाक्य में ‘बनारस’ कहने से एक विशेष स्थान का ही विचार मन में आता है। इसी प्रकार तीसरे वाक्य में ‘गंगा’ शब्द से एक विशेष नदी अर्थात् गंगा नदी का बोध होता है।

अतः जिस शब्द से किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु का बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।

नीचे लिखे वाक्यों में से व्यक्तिवाचक संज्ञा छाँटिये :

(1) लाल बहादुर शास्त्री एक महान नेता थे।
(2) लाल बहादुर शास्त्री की माता का नाम राम दुलारी व पिता का नाम शारदा प्रसाद था।
(3) वे एक बार नैनी जेल गये।

(ख) (1) लाल बहादुर शास्त्री का जन्म साधारण परिवार में हुआ था।
(2) शास्त्री जी की पुत्री बीमार थी।
(3) उनका स्कूल गंगा पार था।
(4) शास्त्री जी अनेक बार जेल गये।

ऊपर के प्रथम वाक्य में परिवार’, दूसरे में ‘पुत्री’ और तीसरे में स्कूल’ और चौथे में ‘जेल’ ऐसे शब्द हैं जो किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान को सूचित नहीं करते।

  • ‘परिवार’ किसी भी परिवार के लिए कहा जा सकता है।
  • हरेक ‘पुत्री’ के लिए ‘पुत्री’ शब्द का प्रयोग किया जाता है।
  • प्रत्येक ‘स्कूल’ को ‘स्कूल’ ही कहा जाता है।
  • हरेक ‘जेल’ के लिए ‘जेल’ शब्द का ही प्रयोग होता है।

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अर्थात ‘परिवार’ कहने से सभी परिवारों, ‘पुत्री’ कहने से सभी पुत्रियों, ‘स्कूल’ कहने से सभी स्कूलों तथा जेल कहने से सभी जेलों का बोध होता है, किसी एक का नहीं।

अतः ये शब्द किसी विशेष व्यक्ति, वस्तु या स्थान का बोध नहीं कराते अपितु ये शब्द पूरी जाति

(वर्ग) का ज्ञान कराते हैं। इसीलिए ये शब्द जातिवाचक संज्ञाएँ हैं।
अतः जिस शब्द से किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान की सम्पूर्ण जाति या वर्ग का बोध हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।

निम्नलिखित में से जातिवाचक संज्ञाएँ छाँटिये :
(1) लाल बहादुर शास्त्री निश्चय पर दृढ़ रहने वाले व्यक्ति थे।
(2) भारतीय सेना ने दुश्मन को धूल चाटने पर मजबूर कर दिया।
(3) अंत में सरकार को स्वयं ही झुकना पड़ा।
उत्तर :
जातिवाचक संज्ञा शब्द
(1) व्यक्ति।
(2) भारतीय सेना, दुश्मन।
(3) सरकार।

नीचे दिये गए शब्दों में बने बनाए शब्द मिलेंगे। शब्द में से कम से कम दो शब्द ढूंढ़िए और लिखिए :

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 3 जय जवान! जय किसान! 2 PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 3 जय जवान! जय किसान! 3

उत्तर :

  • प्रधानमंत्री – प्रधान, धान, मंत्र, मंत्री।
  • बनारस – बना, नार, रस।
  • सरकार – सर, सरक, सरका, कार।
  • लगातार – लग, लगा, लगाता, गात, तार।
  • उदाहरण – दाह, हर, हरण।
  • मतवाले – मत, तवा, वाले।
  • देखकर – दे, देख, कर।
  • विश्वास – विश्व, श्वास, वास।

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बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘जय जवान! जय किसान !’ का नारा किसने दिया ?
(क) लाल बहादुर शास्त्री ने
(ख) लाला लाजपतराय
(ग) बालगंगाधर तिलक
(घ) नेहरू।
उत्तर :
(क) लाल बहादुर शास्त्री

प्रश्न 2.
शास्त्री जी का जन्म कब हुआ ?
(क) 2 अक्तूबर, 1903 ई० को
(ख) 2 अक्तूबर, 1904 ई० को
(ग) 2 अक्तूबर, 1905 ई० को
(घ) 2 अक्तूबर, 1908 ई० को।
उत्तर :
(ख) 2 अक्तूबर, 1904 ई० को

प्रश्न 3.
शास्त्री जी को पढ़ने के लिए क्या पार करना पड़ता था ?
(क) गंगा
(ख) यमुना
(ग) सरस्वती
(घ) गोदावरी।
उत्तर :
(क) गंगा

प्रश्न 4.
शास्त्री जी को किस आंदोलन में जेल जाना पड़ा ?
(क) असहयोग आंदोलन
(ख) सविनय अवज्ञा आंदोलन
(ग) भारत छोड़ो
(घ) देश छोड़ो।
उत्तर :
(क) असहयोग आंदोलन

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प्रश्न 5.
शास्त्री जी की मृत्यु कब हुई ?
(क) 11 जनवरी, 1965 को
(ख) 11 जनवरी, 1966 को
(ग) 11 जनवरी, 1967 को
(घ) 11 जनवरी, 1968 को।
उत्तर :
(ख) 11 जनवरी 1966 को।

जय जवान ! जय किसान ! Summary in Hindi

जय जवान ! जय किसान ! पाठ का सार

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 3 जय जवान! जय किसान! 4

जय जवान! जय किसान! का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्तूबर, सन् 1904 ई० को बनारस के एक कस्बे मुग़लसराय में एक साधारण परिवार में हुआ। इनकी माता का नाम राम दुलारी था और इनके पिता शारदा प्रसाद जी एक अध्यापक थे। बचपन में ही इनके पिता स्वर्ग सिधार गए।

इतनी छोटी आयु में ही इन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा पर दृढ़ संकल्पी और साहसी इस वीर बालक ने मुश्किलों से हार न मानी। वे जीवन – पथ पर निरन्तर मुसीबतों से जूझते हुए आगे बढ़ते गए।

इनको पढ़ने के लिए गंगा – पार करके जाना पड़ता था। नाविक गंगा नदी को पार करवाने का एक पैसा किराया लेता था। इनके पास पैसा नहीं होता था तो वे रोज़ाना नदी को तैर कर ही पार कर लिया करते थे। कई बार इनके दोस्तों ने इनका किराया देना भी चाहा तो ये विनम्रता से उन्हें मना कर देते। उन्होंने अपने जीवन के कुछ सिद्धान्त बना लिए थे और उन्हीं सिद्धान्तों पर वे आजीवन चलते रहे।

सन् 1921 में जब असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ तो इन्होंने भी अपनी पढ़ाई छोड़ कर इस आन्दोलन में भाग लिया। इस कारण इन्हें जेल भी जाना पड़ा। जेल से रिहा होकर इन्होंने अपनी ‘शास्त्री’ की पढ़ाई पूरी की और तभी से इनके नाम के साथ शास्त्री शब्द भी जुड़ गया।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 3 जय जवान! जय किसान!

देश की स्वतन्त्रता के लिए अपने परिवार का भी बलिदान कर देने वाले यह एकमात्र देशभक्त थे। एक बार यह कारावास में थे कि इन्हें अपनी पुत्री के सख्त बीमार होने की खबर मिली। सभी ने इन्हें पैरोल पर रिहा होकर पुत्री की देखभाल करने की सलाह दी। सरकार इन्हें राजनैतिक आन्दोलन में भाग न लेने की लिखित शर्त पर रिहा करने को तैयार थी। इन्होंने यह पेशकश ठुकरा दी।

तत्पश्चात् सरकार ने इन्हें बिना शर्त 15 दिनों के लिए रिहा तो कर दिया लेकिन तब तक बहुत देरी हो चुकी थी। जब यह अपनी बेटी के पास पहुँचे तो वह मृत्यु को प्राप्त हो चुकी थी। ऐसा एक बार फिर हुआ। यह जेल में ही थे कि इनका बेटा टायफायड का शिकार हो गया। अंग्रेज़ सरकार ने रिहा होने के लिए शर्त लगा दी। इन्होंने कोई शर्त न मानी तो आखिर अंग्रेज़ सरकार ने एक सप्ताह के लिए इन्हें रिहा कर दिया।

जब यह बेटे के पास पहुंचे तो वह 106 डिग्री बुखार से तड़प रहा था, उसके होंठ भी सूज गए थे। बेटे की देखभाल करते – करते सप्ताह बीत गया। इन्हें अब वापिस जाना था। बेटे ने रो रो कर कहा कि बाबू जी अभी मत जाइए। लेकिन शास्त्री जी ने भरे मन से बेटे से हाथ जोड़कर विदा ली और मातृभूमि की रक्षा के लिए जेल की तरफ चल पड़े।

सच में, ऐसे थे वे दृढ़ संकल्पी, भारत देश के वीर सपूत, जिन्होंने कभी भी अपने सिद्धान्तों से समझौता नहीं किया। भारत का यह वीर जवान 11 जनवरी, सन् 1966 ई० को चिरनिद्रा में सो गया। समस्त भारतीयों ने अश्रुपूरित नेत्रों से उन्हें भावभीनी विदाई दी। उनका नाम भारतीय इतिहास में सदा अमर रहेगा।

जय जवान ! जय किसान ! कठिन शब्दों के अर्थ –

  • जान हथेली पर रखना = बलिदान को तैयार रहना, मरने की परवाह न करना।
  • परिश्रम = मेहनत।
  • अन्नदाता = अन्न देने वाले।
  • विकास = उन्नति, तरक्की, प्रगति।
  • सम्मान = इज्जत।
  • स्वर्ग सिधारना = मर जाना।
  • प्रबल = तेज़।
  • पहाड़ टूटना = मुश्किलें आना।
  • विनम्र = कोमल।
  • नाविक = नाव चलाने वाला, मल्लाह।
  • सहपाठियों = साथ पढ़ने वाले।
  • पाट = किनारा।
  • गौरव = बड़प्पन।
  • अडिग = स्थिर।
  • निराले = अद्भुत, सबसे अलग।
  • कारावास – जेल।
  • सिद्धान्तों = नियमों।
  • जीवन लीला समाप्त होना = मारे जाना।
  • डगमगाए = लड़खड़ाए।
  • विकट = जटिल, बड़ी मुश्किल।
  • जिगर का टुकड़ा = बेटा।
  • मौत से जूझना = मृत्यु से लड़ना।
  • आत्मघातक = अपनी हत्या आप करने वाला।
  • दृढ़ = पक्का। PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 3 जय जवान! जय किसान!
  • निश्चय = इरादा।
  • चिरनिद्रा में सोना = मर जाना।
  • प्रेरणा स्रोत = प्रेरणा देने वाले।
  • सदैव = हमेशा।

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सबसे बड़ा धन अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें:

  • ਉਪਾਅ = उपाय
  • ਲੱਖ = लाख
  • ਹੱਥ = हाथ
  • ਪ੍ਰਾਪਤ = प्राप्त
  • ਦੁੱਖੀ = दु:खी
  • ਘਬਰਾਇਆ = घबराया
  • पैमा = पैसा
  • ਮੂਰਖ = मूर्ख

उत्तर :
हिन्दी और पंजाबी शब्दों का अन्तर स्पष्ट है। विद्यार्थी इन्हें अपनी कॉपी पर लिखें।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 2 सबसे बड़ा धन

2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिन्दी शब्दों को लिखें

  • ਜਿਉਂਦਾ = जीवित
  • ਮੁੰਹ = मुख
  • ਨਿਰੋਗ = स्वस्थ
  • ਅਮੀਰ = धनवान
  • ਸਮਾਂ = समय
  • ਨੇੜੇ, ਕੋਲ = पास

उत्तर :
विद्यार्थी पंजाबी और हिन्दी भाषा के शब्दों के अन्तर को समझें और इन्हें अपनी उत्तर – पुस्तिका में लिखने का अभ्यास करें।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में दें :

(क) कपिल मुनि के आश्रम का क्या नाम था?
उत्तर :
कपिल मुनि के आश्रम का नाम मुक्तसर आश्रम था।

(ख) राहुल कैसा आदमी था?
उत्तर :
राहुल एक गरीब आदमी था।

(ग) मुनि ने राहुल से सबसे पहले क्या माँगा?
उत्तर :
मुनि ने सब से पहले राहुल से उसकी दोनों आँखें मांगी थीं।

(घ) कपिल मुनि ने राहुल से दस लाख रुपये के बदले में क्या माँगा?
उत्तर :
कपिल मुनि ने राहल से दस लाख रुपए के बदले में उसका मुख माँगा था।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार वाक्यों में लिखें :

(क) कपिल मुनि द्वारा राहुल से दोनों आँखें माँगने पर राहुल ने क्या जवाब दिया?
उत्तर :
कपिल मुनि द्वारा राहुल से दोनों आँखें माँगने पर राहुल ने जवाब दिया कि आँखें दे दूंगा तो फिर मैं देखूगा कैसे ? नहीं, आँखें तो मैं नहीं दे सकता।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 2 सबसे बड़ा धन

(ख) मुनि द्वारा दोनों हाथ माँगने पर राहुल सोच में क्यों पड़ गया?
उत्तर :
मुनि द्वारा राहुल से उसके दोनों हाथ माँगने पर वह इसलिए सोच में पड़ गया कि हाथ देकर तो वह कुछ भी नहीं कर सकेगा। अगर हाथ दे दूंगा तो फिर काम कैसे करूँगा।

(ग) जब मुनि ने राहुल से उसके दोनों पैर माँगे तो राहुल क्यों घबरा गया?
उत्तर :
जब मुनि ने राहुल से उसको दो लाख देने की बात करते हुए उससे उसके दोनों पैर मांग लिए तो वह यह सोचकर घबरा गया कि पैरों को दे देने से तो वह चल – फिर भी नहीं सकेगा। बिना पैरों के वह न तो कहीं आ सकेगा न जा सकेगा, इसलिए उसने सोचा कि वह पैर भी नहीं देगा।

(घ) मुनि द्वारा दस लाख रुपये का लालच देने पर भी राहुल ने अपना मुख उन्हें क्यों नहीं दिया?
उत्तर :
मुनि द्वारा मुख का मूल्य दस लाख दिए जाने पर भी राहुल ने मना करते हुए कहा कि “हे मुनिराज! यदि मैं आपको अपना मुख ही दे दूंगा तो मैं खाऊँगा कैसे ?, पीऊँगा कैसे ? खाये – पीये बिना मैं जीवित कैसे रहूँगा ? किसी से बात कैसे कर सकूँगा ?”

(च) मुनि ने सबसे बड़ा धन किसे कहा?
उत्तर :
मुनि ने राहुल को समझाते हुए कहा कि स्वस्थ शरीर ही सब से बड़ा धन है। इस शरीर से मेहनत कर और कमाकर खा। इससे ही तुम्हें जीवन भर सुख मिलेगा।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 2 सबसे बड़ा धन

(ङ) कपिल मुनि द्वारा दी गई सीख से राहुल के जीवन में क्या असर पड़ा?
उत्तर :
कपिल मुनि द्वारा दी गई सीख से राहुल शरीर का महत्त्व समझ गया और उसने मेहनत करनी शुरू कर दी जिससे वह देखते ही देखते अमीर बन गया।

5.
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 2 सबसे बड़ा धन 2
ऊपर दिए गए चित्रों के नीचे कुछ शब्द लिखे हुए हैं
बूढ़ा-जवान, मोटा-पतला, पूरा-आधा। ये शब्द एक दुसरे से उल्ट अर्थ दे रहे हैं अर्थात् एक दूसरे के विपरीत हैं। ऐसे शब्दों को ही विलोम शब्द कहते हैं।
उत्तर :
बूढ़ा – जवान, पूरा – आधा, मोटा – पतला। ये शब्द एक – दूसरे से उल्टा अर्थ दे रहे हैं। एक – दूसरे के विपरीत हैं। ऐसे शब्दों को ही विलोम शब्द कहते हैं।

6. विलोम शब्दों का मिलान करो :
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 2 सबसे बड़ा धन 1
उत्तर :
विलोम शब्द –

  • गरीब = अमीर।
  • जीवन मृत्यु।
  • पास
  • स्वस्थ रोगी।
  • बुद्धिमान = मूर्ख।
  • सुखी = दुखी।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 2 सबसे बड़ा धन

सोचिए और लिखिए
यदि आप राहुल की जगह होते तो क्या करते?
उत्तर :
यदि हम राहुल की जगह होते तो मुनि के पास जाने की अपेक्षा शुरू से ही मेहनत करके सफलता प्राप्त करने की कोशिश करते। अमीर बनने का सबसे बड़ा मूल मन्त्र है परिश्रम। इस मूल मन्त्र को ध्यान में रखकर हम परिश्रम करते और सफल होते।

प्रयोगात्मक व्याकरण

(क) कपिल मुनि मुक्तसर आश्रम में रहते थे।
(ख) क्या तुम्हारे पास कोई मकान है?
(ग) उनको राहुल पर गुस्सा आया।
(घ) राहुल ने मेहनत करने की ठान ली।

उपर्युक्त वाक्यों में ‘कपिल मुनि’, ‘राहुल’, व्यक्तियों के नाम हैं। ‘मुक्तसर स्थान का नाम है। ‘मकान’ वस्तु का नाम है। ‘गुस्सा’ भाव विशेष का तथा ‘मेहनत’ गुण विशेष का नाम है। अतएव कपिल मुनि, राहुल, मुक्तसर, मकान, गुस्सा तथा मेहनत किसी न किसी के नाम को प्रकट कर रहे हैं। ऐसे पद, जो किसी के नाम का बोध कराएँ, संज्ञा कहलाते हैं।

अतएव, किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं।

7. निम्नलिखित वाक्यों में से संज्ञा शब्द छाँटिए और बॉक्स में लिखिए :

(क) राहुल एक गरीब आदमी था। – [राहुल] [ ] [ ]
(ख) कपिल मुनि ने फिर पूछा, “कोई मकान, कोई खेत, कुछ तो होगा?” [ ] [ ] [ ]
(ग) कपिल मुनि ने उससे आँखें, हाथ, पैर, मुख तथा जीभ माँगी। [ ] [ ] [ ] [ ] [ ] [ ]
(घ) उसे बहुत दुःख हुआ। [ ]
(ङ) राहुल ने परिश्रम करना शुरू कर दिया। [ ] [ ]
उत्तर :
(क) [राहुल] [गरीब] [आदमी]
(ख) [कपिल] [मुनि] [मकान] [खेत]
(ग) [कपिल मुनि] [आँखें] [हाथ] [पैर] [मुख] [जीभ]
(घ) [दुःख]
(ङ) [राहुल] [परिश्रम]

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8. निम्नलिखित शब्दों में अक्षरों को उचित क्रम में रखकर सही शब्द बनाओ :

  • तेड़ागिगिड़ : गिड़गिड़ाते
  • जरामहा : _________________
  • राबघया : _________________
  • एइलिस : _________________
  • तेहचा : _________________
  • वानभग : _________________
  • लकपि : _________________
  • मारकक : _________________
  • कानम : _________________
  • हमेतन : _________________

उत्तर :

  • गिड़गिड़ाते।
  • महाराज।
  • घबराया।
  • इसलिए।
  • चाहते
  • भगवान।
  • कपिल।
  • कमाकर।
  • मकान।
  • मेहनत।

9. बूझो तो जानें

सफेद रंग की कटोरी में
अंडा देखो काला-काला
खोलो तो देखो सबको
बंद करो तो अंधियारा
उत्तर :
आँख।

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तिलक, तमाचा, ताली मुझसे
चित्रकला, लेखन सब मुझसे
ऐसे-ऐसे करतब मैं करता
सारा जग है अचरज करता।
उत्तर :
हाथ।

‘प’ अक्षर से मेरा नाम
चलते रहना मेरा काम
सोच समझ के बच्चो!
तुम बतलाओ मेरा नाम
उत्तर :
पैर।

बत्तीस हैं सिपाही जिसके
है ऐसा एक राजा
आगे लगा हुआ है उसके
महल-सा दरवाजा
उत्तर :
मुँह।

स्वाद तुम्हें मैं हूँ बतलाती
छिपकर मैं हूँ मुँह में रहती
मीठा बोलूँ तो नाम कमाऊँ
कड़वा बोलूँ तो मुँह की खाऊँ।
उत्तर :
जीभ।

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आदि कटे तो राम बन जाता
बीच कटे तो आम बन जाता
थक टूट कर जब घर आते
तब मैं सबको याद आता।
उत्तर :
आराम।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कपिल मुनि किस आश्रम में रहते थे ?
(क) मुक्तसर
(ख) अमृतसर
(ग) विरक्तपुर
(घ) आनंदपुर।
उत्तर :
(क) मुक्तसर

प्रश्न 2.
एक दिन गुरु जी के पास कौन आया ?
(क) मित्र
(ख) शिष्य
(ग) राहुल
(घ) गुरु।
उत्तर :
(ग) राहुल

प्रश्न 3.
गुरु के अनुसार कौन-सा धन सबसे बड़ा है ?
(क) स्वस्थ शरीर
(ख) सोना
(ग) चाँदी
(घ) तांबा।
उत्तर :
(क) स्वस्थ शरीर

प्रश्न 4.
राहुल नामक गरीब आदमी मेहनत से क्या बन गया?
(क) गरीब
(ख) अमीर
(ग) लालची
(घ) नकलची।
उत्तर :
(ख) अमीर

प्रश्न 5.
‘सबसे बड़ा धन’ पाठ के आधार पर बताएं कि कपिल मुनि ने राहुल से दस लाख रुपये के बदले क्या माँगा ?
(क) हाथ
(ख) आँख
(ग) पैर
(घ) मुख।
उत्तर :
(घ) मुख।

सबसे बड़ा धन पाठ का सार Summary in Hindi

बहुत समय पहले की बात है कि मुक्तसर आश्रम में कपिल मुनि रहते थे। एक दिन मनि के पास राहल नामक एक गरीब आदमी आया। उसने कहा, “बाबा जी! मझे ऐसा उपाय बताएँ, जिससे मैं इतना धन कमा लूँ कि मुझे जीवनभर धन की कोई कमी न रहे।” मुनि ने पूछा – “क्या तुम्हारे पास बिल्कुल ही धन नहीं है ?” उसने कहा मेरे पास एक पैसा भी नहीं है।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 2 सबसे बड़ा धन 3

कपिल मुनि बोले – “यदि तू अपनी दोनों आँखें मुझे दे दो तो मैं तुम्हें एक लाख रुपए दूंगा।” राहुल बोला कि फिर मैं देखूगा कैसे ? इसलिए मैं आँखें नहीं दे सकता। मुनि ने कहा “अच्छा तो अपने दोनों हाथ दे दो।” वह बोला, “हाथ देकर मैं कुछ भी नहीं कर सकूँगा।”

मुनि ने पैर माँगे, तो उसने कहा, “मैं चल – फिर नहीं सकूँगा।” मुनि ने क्रोध में कहा कि यदि तुम कुछ दे नहीं सकते तो मैं धन कैसे दे सकता हूँ। फिर उन्होंने कहा यदि तुम अपना मुख मुझे दे दो तो मैं तुम्हें दस लाख रुपए दे सकता हूँ। राहुल बोला कि यदि मैं अपना मुख दे दूं तो मैं खाऊँगा, पीऊँगा कैसे ?

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 2 सबसे बड़ा धन

मुनि बोले – “तुम ही बताओ कि तुम क्या दे सकते हो ?” वह हैरान हो गया और कुछ भी न बोला। मुनि ने कहा अच्छा तुम अपनी जीभ दे दो। राहुल ने कहा – नहीं, कभी नहीं।

कपिल मुनि मुस्करा कर बोले – “अरे मूर्ख ! तू तो कहता था तेरे पास कुछ भी नहीं है। भगवान् ने तुझे एक – एक अंग लाखों रुपयों का दे रखा है। स्वस्थ शरीर ही सब से बड़ा धन है। इससे मेहनत कर और कमा कर खा।” राहुल ने मेहनत करनी शुरू कर दी और वह अमीर बन गया।

कठिन शब्दों के अर्थ – आश्रम = साधु संतों की कुटी, तपोवन। उपाय = तरीका। जीवित = जिन्दा। बिल्कुल = जरा भी, थोड़ा – सा भी। धनवान् = धनी, अमीर। प्राप्त = हासिल। अंग = हिस्सा। मुनि राज = मुनियों में श्रेष्ठ। स्वस्थ = तन्दुरुस्त।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना

Punjab State Board PSEB 6th Class Hindi Book Solutions Chapter 1 प्रार्थना Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 6 Hindi Chapter 1 प्रार्थना (2nd Language)

Hindi Guide for Class 6 PSEB प्रार्थना Textbook Questions and Answers

प्रार्थना अभ्यास

1. नीचे गुरुमुखी और देवनागरी लिपि में दिये गये शब्दों को पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखने का अभ्यास करें –

  • ਬੱਚੇ = बच्चे
  • ਅੱਗੇ = आगे
  • ਦੁੱਖ = दु:ख
  • ਪਿੱਛੇ = पीछे
  • ਆਗਿਆ = आज्ञा
  • ਖੁਸ਼ਹਾਲੀ = खुशहाली
  • ਗੁਰੂ = गुरु
  • ਕੀਰਤੀ = कीर्ति

उत्तर :
विद्यार्थी देवनागरी लिपि में लिखे गए हिन्दी शब्दों को अपनी उत्तर पुस्तिका (कापी) में लिख कर अभ्यास करें।

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2. नीचे एक ही अर्थ के लिए पंजाबी और हिंदी भाषा में शब्द दिये गये हैं। इन्हें ध्यान से पढ़ें और हिंदी शब्दों को लिखें –

  • ਨਾਸਮਝ = नादान
  • ਮਿੱਤਰ = बलि-बलि जाएँ
  • ਸਦਾ = सखा
  • ਬੜਾਈ = शान
  • ਬਲਿਹਾਰੀ ਜਾਣਾ = हमेशा
  • ਸ਼ੋਭਾ = चहुँ ओर
  • ਚਹੁੰ ਪਾਸੇ = कीर्ति

उत्तर :
निर्देश विद्यार्थी हिन्दी भाषा में दिए शब्दों को ध्यान से पढ़ें और इन्हें अपनी उत्तर पुस्तिका (कॉपी) में लिखने का अभ्यास करें।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखें :

(क) बच्चों ने भगवान से कौन-कौन से सम्बन्ध जोड़े हैं?
उत्तर :
बच्चों ने भगवान् से अपने माता – पिता तथा भाई – बन्धु और सखा के संबंध जोड़े हैं।

(ख) बच्चे किनकी आहे मिटाना चाहते हैं?
उत्तर :
बच्चे दुखियों की आहे मिटाना चाहते हैं।

(ग) बच्चे कौन से अच्छे गुण अपने भीतर विकसित करना चाहते हैं?
उत्तर :
सबका भला करना, सबके दु:ख दूर करना, माता – पिता तथा गुरु का आदर करना जैसे अच्छे गुण बच्चे अपने भीतर विकसित करना चाहते हैं।

(घ) बच्चे पढ़-लिखकर किसकी शान बढ़ाना चाहते हैं?
उत्तर :
बच्चे पढ़ – लिखकर अपने देश की शान बढ़ाना चाहते हैं।

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(ङ) बच्चे देश के कैसे भविष्य की कामना करते हैं?
उत्तर :
बच्चे देश के लिए सुन्दर भविष्य की कामना करते हुए कहते हैं कि हमारे देश में चारों ओर हरियाली हो, हर घर में खुशहाली हो और हमारा देश आगे ही आगे बढ़ता जाए।

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार वाक्यों में लिखें :

(क) बच्चे दीन-दु:खियों की सहायता कैसे कर सकते हैं?
उत्तर :
दीन – दुखियों से प्रेम करते हुए उनके दुखों, कष्टों को दूर करते हुए और उनका भला करते हुए और उनकी रक्षा करते हुए बच्चे उनकी सहायता कर सकते हैं।

(ख) देश-प्रेम पर बलि-बलि जायें, से कवि का क्या आशय है?
उत्तर :
देश – प्रेम पर बलि – बलि जायें, से कवि का अभिप्राय है कि हमें अपने देश के प्रति प्रेम की भावना रखते हए यदि उसकी रक्षा की खातिर हमें अपने प्राणों की भी बलि देनी पड़े तो हम बलिदान देंगे।

(ग) ‘होकर बड़े हम कीर्ति पायें’ से बच्चों का क्या आशय है?
उत्तर :
‘होकर बड़े हम कीर्ति पाएँ’ से बच्चों का अभिप्राय है कि हम बड़े होकर अपने अच्छे कार्यों से लोगों में यश प्राप्त करें, लोगों में हमारा मान – सम्मान हो, हमारी इज्जत बढ़े।

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5. निम्नलिखित काव्य-पंक्तियों को कविता से देखकर पूरा करें :

(क) तुम्हीं हो ____________________ हमारे,
____________________ सखा हमारे।
(ख) ____________________ पर बलि-बलि जायें,
____________________ को सदा बचायें।
(ग) ____________________ हम खेलें खायें,
उत्तर :
भारत देश की शान बढ़ायें।
(क) तुम्ही हो माता – पिता हमारे,
भाई – बन्धु सखा हमारे।
(ख) देश – प्रेम पर बलि – बलि जायें,
दीन – दुखी को सदा बचायें।
(ग) पढ़े – लिखे हम खेलें खायें,
भारत देश की शान बढ़ायें।

ऊपर लिखित काव्य-पंक्तियों में माता-पिता, भाई-बन्धु, देश-प्रेम, दीन-दुःखी, पढ़े-लिखें शब्द युग्म (जोड़े) के रूप में प्रयोग हुये हैं। इन शब्द-युग्मों को उदाहरण के अनुसार लिखें: –

माता-पिता = माता और पिता
माइ-बन्धु = ____________________
देश-प्रेम = ____________________
दीन-दुःखी = ____________________
पढ़े-लिखें = ____________________
उत्तर :
(i) माता – पिता = माता और पिता।
(ii) भाई – बन्धु = भाई और बन्धु।
(iii) देश – प्रेम = देश और प्रेम।
(iv) दीन – दुखी = दीन और दुखी।
(v) पढ़े – लिखें = पढ़ें और लिखें।

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6. बहुवचन बनायें :

कदम = कदमों
दु:खी = दुखियों
घर = ____________________
भाई = ____________________
प्राण = ____________________
उत्तर :
(i) कदम = कदमों।
(ii) दुःखी = दुखियों।
(iii) घर = घरों।
(iv) प्राण = प्राणों।
(v) भाई = भाइयों।

7. समान तुक वाले शब्द ढूँढ़कर उपयुक्त स्थान पर लिखें :

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना 3

भगवान = नादान
मानें = ____________________
चाहें = ____________________
हरियाली = ____________________
खुशहाली = ____________________
बुराई = ____________________
लड़ाई = ____________________
उत्तर :
(i) भगवान = नादान।
(ii) माने = जानें।
(iii) चाहें = आहे।
(iv) हरियाली = खुशहाली।
(v) लड़ाई = बुराई।
(vi) जायें = पायें।

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8. ‘भलाई’ में मूल शब्द ‘भला’ है। इसी प्रकार मूल शब्द अलग करें :

दुःखी = ____________________
हरियाली = ____________________
लड़ाई = ____________________
खुशहाली = ____________________
बुराई = ____________________
आहे = ____________________
उत्तर :
शब्द मूल – शब्द
(i) दुःखी = दु:ख।
(ii) हरियाली = हरा।
(ii) लड़ाई = लड़।
(iv) खुशहाली = खुशहाल।
(v) बुराई = बुरा।
(vi) आहे = आह।

9. वाक्य बनाओ

प्रेम आहे बुराई शान खुशहाली
उत्तर :
(i) प्रेम – हमें सबसे प्रेम करना चाहिए।
(ii) आहे – हम दीन – दुखियों की आहे मिटायेंगे।
(iii) बुराई – हमें बुराई से दूर रहना चाहिए।
(iv) शान – – – – हम बच्चे देश की शान हैं।
(v) खुशहाली – – सब घरों में खुशहाली हो।

10. ‘ईश्वर’ को भगवान भी कहते हैं। परमेश्वर, प्रभु, परमपिता सब इसी के नाम हैं। नीचे लिखे शब्दों के लिए अन्य क्या-क्या नाम हो सकते हैं? सोचकर लिखें : –

माता = ____________________
पिता = ____________________
भाई = ____________________
सखा = ____________________
गुरु = ____________________
उत्तर :
(i) माता = जननी, माँ, मातृ
(ii) पिता = जनक, पितृ, बाप।
(iii) भाई = सहोदर, भ्रातृ, बन्धु।
(iv) सखा = मित्र, दोस्त, यार।
(v) दुःख = कष्ट, विपदा, पीड़ा।
(vi) गुरु = शिक्षक, ज्ञानदाता, अध्यापक।

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11. सोचिये और लिखिये

(क) बच्चे अपने देश की खुशहाली के लिए क्या-क्या कर सकते हैं?
उत्तर :
बच्चे देश के भावी कर्णधार हैं। वे देश का भविष्य हैं। अतः देश की उन्नति, प्रगति और विकास में उनका योगदान भी अपेक्षित है। बच्चे देश की खुशहाली के लिए अनेक प्रयास कर सकते हैं और कुछ नहीं तो वे अपने आस – पास के वातावरण को स्वच्छ रखने में अपना योगदान दे सकते हैं। गरीब बच्चों को अपने खिलौने दे सकते हैं, जिससे वे अब नहीं खेला करते। इससे गरीब बच्चों के चेहरों पर न केवल खुशी की लहर आ जाएगी बल्कि वे भी अपना बचपन अच्छी प्रकार से बच्चों के साथ ही बिता सकेंगे।

(ख) यह एक प्रार्थना गीत है। इसी प्रकार का एक अन्य प्रार्थना गीत लिखिये और प्रार्थना सभा में सुनायें।
उत्तर :
प्रार्थना –
हम बच्चे नादान हैं,
करते तेरा ध्यान हैं।
तू सर्वदा महान् है,
देता सबको ज्ञान है।
तेरा महान् तेज़ है
छाया हुआ सभी स्थान
सृष्टि की वस्तु – वस्तु में
तू हो रहा है दीप्यमान।

12. नये शब्द बनायें

संयुक्त व्यंजन – शब्द – नया शब्द
श्+ व = श्व = ईश्वर = ____________________
च् + च = च्च = बच्चे = ____________________
म् + ह = म्ह = तुम्हीं = ____________________
न् + ध = न्ध = बन्धु = ____________________
उत्तर :
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना 1

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना

ऊपर दिये शब्दों में खड़ी पाई (1) हटाकर संयुक्त शब्द बनाये गये हैं। आपकी पाठ्य-पुस्तक में वर्णमाला की पुनरावृत्ति करवायी गयी है। उसे दोबारा याद करो और नीचे खड़ी पाई वाले व्यंजन लिखो :
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना 4
उत्तर :
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना 2

अध्यापन निर्देश :

अध्यापक बच्चों को बताये कि आप पिछली कक्षाओं में पढ़ चुके हैं कि प्रत्येक व्यंजन में ‘अ’ स्वर मिला होता है। जब किसी व्यंजन को ‘अ’ रहित दिखाना हो तो उसके नीचे हलन्त चिहन () लगता है। जब किसी व्यंजन को किसी दूसरे व्यंजन से जोड़ दिया जाता है, तो संयुक्त व्यंजन बनता है। जैसे ऊपर दिये शब्दों ईश्वर, बच्चे, तुम्हीं, बन्धु में क्रमशः श्, च्, म्, न्, आधे व्यंजन हैं। इन सभी व्यंजनों के अन्त में खड़ी पाई (I) लगी है। खड़ी पाई हटाकर जब हम व्यंजन को अगले व्यंजन के साथ जोड़ते हैं, तब संयुक्त रूप बनता है।

जब एक ही व्यंजन दो बार प्रयोग में आता है तो उसे द्वित्व व्यंजन कहते हैं। जैसे ‘बच्चे’ शब्द में ‘च’ व्यंजन दो बार एक बार आधा और एक बार पूरा आया है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सब बच्चे कैसे हैं ?
(क) नादान
(ख) अरमान
(ग) परवान
(घ) होशियार।
उत्तर :
(क) नादान

प्रश्न 2.
बच्चों के भाई, बंधु, माता-पिता कौन हैं ?
(क) परिवार वाले
(ख) ईश्वर
(ग) सरस्वती माँ
(घ) ब्रह्मा।
उत्तर :
(ख) ईश्वर

प्रश्न 3.
बच्चों को किनका आदर करना चाहिए ?
(क) गुरु का
(ख) मित्र का
(ग) सखी का
(घ) पड़ोसी का।
उत्तर :
(क) गुरु का

प्रश्न 4.
बच्चे बड़े होकर क्या पाने की कामना करते हैं ?
(क) कीर्ति
(ख) फुर्ती
(ग) नीति
(घ) प्रीति।
उत्तर :
(क) कीर्ति

प्रश्न 5.
‘प्रार्थना’ कविता के आधार पर बताएं कि बच्चे पढ़-लिखकर किसकी शान
बढ़ाना चाहते हैं ?
(क) माता-पिता की
(ख) देश की
(ग) गुरु जनों की
(घ) दीन दुःखियों की।
उत्तर :
(ख) देश की

प्रार्थन Summary in Hindi

बच्चे ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि वे सब बच्चे तो नादान हैं। ईश्वर ही उनके माता – पिता, भाई – बन्धु और सखा हैं। हम सब दूसरों से प्रेम करते रहें। उन का भला करते रहें जिससे दुनिया के दुःख – दर्द मिट सकें। हम माता – पिता का कहना माने और गुरुओं का आदर करें। देश के प्रति अर्पित हो जाने की भावना हम में हो। हम सदा दीन – दुखियों की रक्षा करें। हम सदा आगे बढ़ते रहें पर कभी किसी से लड़ाई – झगड़ा न करें।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना 5

पद्यांशों के सरलार्थ-

1. हे ईश्वर, हे भगवान्।
हम सब बच्चे हैं, नादान।
तुम्ही हो माता – पिता हमारे,
भाई – बन्धु सखा हमारे।

शब्दार्थ :
नादान = नासमझ, अज्ञानी।
बन्धु = मित्र – सम्बन्धी।
सखा = मित्र।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ में संकलित ‘प्रार्थना’ नामक कविता में से लिया गया है। बच्चे भगवान् से प्रार्थना करते कह रहे हैं कि –

सरलार्थ – हे ईश्वर! हे भगवान्! हम सब छोटे – छोटे बच्चे नादान और नासमझ हैं। आप ही हमारे माता – पिता हो। हमारे भाई, सगे सम्बन्धी और मित्र भी आप ही हो।

भावार्थ – बच्चों ने ईश्वर को ही अपना सब कुछ माना है।

2. करें सभी से प्रेम सदा हम,
करें सभी के दुःख दूर हम।
सब का भला हमेशा चाहें।
मिटा सकें दुःखियों की आहे।

शब्दार्थ :
प्रेम = प्यार।
सदा = हमेशा।
दुःख = कष्ट, तकलीफ।
दुःखियों = दुखी लोगों।
आहे = दर्द, पीड़ाएँ।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक की कविता ‘प्रार्थना’ से लिया गया है। इसमें बच्चे भगवान् से प्रार्थना करते हुए कहते हैं –

सरलार्थ – हम भारत के बच्चे हमेशा सभी से प्यार करें। हम सभी के दुःख – दर्द दूर करें (अपना सहयोग देकर)। हम हमेशा सब का भला चाहें, किसी का बुरा न करें। हम दुखी लोगों के दर्द को मिटा सकें, यही हमारी इच्छा है।

भावार्थ – बच्चों ने सबके सुख की कामना करते हुए दीन – दुखियों के कष्टों को दूर करने की इच्छा प्रकट की है।

बंदर छ: कंगन कंघा आँख मंजन प्रात: सूंड बैंगन कंचन दुःख प्रातः बिंदु होंठ अतः खंभा सौंफ चिंगारी खंबी, दाँत साँप काँच मेंहदी बाँध टाँग

मानक हिन्दी वर्णमाला
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना 6

अनुस्वार : (अं)
अनुनासिक चिह्न :
विसर्ग : : (अ)
व्यंजन :
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना 7
हल चिह्न : ( , )
बनावट के आधार पर वर्गों की पहचान
PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना 8

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना

3. माता – पिता की आज्ञा मानें,
गुरु का आदर करना जानें।
देश – प्रेम पर बलि – बलि जाएँ,
दीन – दुखी को सदा बचाएँ।

शब्दार्थ :
आज्ञा = आदेश।
गुरु = शिक्षक, अध्यापक।
आदर = इज्जत।
देश – प्रेम = देश से प्यार।
बलि – बलि = बलिहारी।
दीन – दुखी = पीड़ित और दुखी।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक की कविता ‘प्रार्थना’ से लिया गया है। इसमें बच्चे भगवान से प्रार्थना करते हुए कहते हैं –

सरलार्थ – हम भारत के बालक अपने माँ – बाप के आदेशों का पालन करें। हम गुरुजनों की इज्जत करना सीखें। हम देश प्यार पर बलिहारी जाएँ। देश से प्यार करें या देश पर बलिदान होने वालों पर बलिहारी जाएँ। हम हमेशा दीन – दुखियों को दुःखों से बचाएँ।

भावार्थ – बच्चों ने सद्विचारों को पाने और दीनों पर दया करने की हिम्मत पाने की प्रार्थना की है।

4. आगे कदम बढ़ाते जाएँ,
कभी न पीछे हटने पाएँ।
करें किसी से नहीं लड़ाई,
करें किसी की नहीं बुराई।

शब्दार्थ :
कदम = पग, पाँव।
लड़ाई = झगड़ा।
बुराई = निन्दा।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ की कविता ‘प्रार्थना’ से लिया गया है। इसमें बच्चे भगवान् से प्रार्थना करते हुए कहते हैं –

सरलार्थ – हम भारत के बालक अपने कदम आगे बढ़ाते (उन्नति करते) जाएँ। हम कभी भी पीछे न हटने पाएँ। अपनी मंजिल से पीछे न हों। हम आपस में प्यार से रहें, किसी से लड़ाई – झगड़ा न करें। हम न ही किसी की निन्दा चुगली और बुराई करें।

भावार्थ – बच्चों ने लड़ाई – झगड़ों से बचकर सदा आगे बढ़ने की इच्छा व्यक्त की है।

5. पढ़े – लिखें – हम खेलें खाएँ,
भारत देश की शान बढ़ाएँ।
इसका मान न घटने पाए।
चाहे प्राण भले ही जाएँ।

शब्दार्थ :
पढ़े – लिखें = पढ़ाई – लिखाई करें।
शान = बड़प्पन, इज्जत।
मान = सम्मान। प्राण = जान।

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ की कविता ‘प्रार्थना’ से लिया गया है। इसमें बच्चे भगवान् से प्रार्थना करते हुए कहते हैं –

सरलार्थ – हम भारत के बालक खूब पढ़ाई – लिखाई करें। हम खूब खेलें – कूदें और खाएँ – पीएँ। हम अपने देश भारत की शान को बढ़ाएँ। हम ऐसे काम करें जिससे इसकी इज्जत घटने न पाए। इसके लिए भले ही हमारी जान क्यों न चली जाए।

भावार्थ – अपने देश की मान – मर्यादा को बढ़ाने की प्रार्थना की है।

6. फैले चहुँ ओर हरियाली,
सब के घर में हो खुशहाली
देश हमारा बढ़ता जाए,
होकर बड़े कीर्ति हम पाएँ।

शब्दार्थ :
चहुँ = चारों।
हरियाली = हरा – भरा होना।
खुशहाली = समृद्धि।
बढ़ता जाए = तरक्की करता जाए।
कीर्ति = यश।

PSEB 6th Class Hindi Solutions Chapter 1 प्रार्थना

प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य – पुस्तक ‘आओ हिन्दी सीखें’ की कविता ‘प्रार्थना’ से लिया गया है। इसमें बच्चे भगवान् से प्रार्थना करते हुए कहते हैं –

सरलार्थ – भारत के बालक भगवान् से प्रार्थना करते हैं कि देश में चारों ओर हरियाली फैल जाए। सब भारतवासियों के घरों में खुशहाली छा जाए। सभी धनवान् और सुखी हों। हमारा देश उन्नति करता जाए। हम भारत के बालक बड़े होकर यश प्राप्त करें।

भावार्थ – बच्चों ने देश की मान – मर्यादा और यश में वृद्धि की कामना की है।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ (1st Language)

Punjab State Board PSEB 6th Class Punjabi Book Solutions Punjabi Rachana Kahani Rachana ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ Exercise Questions and Answers.

PSEB 6th Class Hindi Punjabi Rachana ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ (1st Language)

1. ਤਿਹਾਇਆ ਕਾਂ
ਜਾਂ
ਸਿਆਣਾ ਕਾਂ

ਇਕ ਵਾਰੀ ਇਕ ਕਾਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਤੇਹ ਲੱਗੀ। ਉਹ ਪਾਣੀ ਦੀ ਭਾਲ ਵਿਚ ਇਧਰ – ਉਧਰ ਉੱਡਿਆ ਅੰਤ ਉਹ ਇਕ ਬਗੀਚੇ ਵਿਚ ਪੁੱਜਾ। ਉਸ ਨੇ ਪਾਣੀ ਦਾ ਇਕ ਘੜਾ ਦੇਖਿਆ। ਉਹ ਘੜੇ ਦੇ ਮੂੰਹ ਉੱਤੇ ਜਾ ਬੈਠਾ। ਉਸ ਨੇ ਦੇਖਿਆ ਕਿ ਘੜੇ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਥੋੜ੍ਹਾ ਹੈ। ਉਸ ਦੀ ਚੁੰਝ ਪਾਣੀ ਤਕ ਨਹੀਂ ਸੀ ਪਹੁੰਚਦੀ। ਉਸ ਨੇ ਘੜੇ ਨੂੰ ਉਲਟਾਉਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ, ਪਰ ਉਹ ਅਸਫਲ ਰਿਹਾ।

ਉਹ ਤਾਂ ਬਹੁਤ ਸਿਆਣਾ ਸੀ ! ਉਸ ਨੇ ਘੜੇ ਦੇ ਨੇੜੇ ਕੁੱਝ ਰੋੜੇ ਤੇ ਠੀਕਰੀਆਂ ਦੇਖੀਆਂ ਉਸ ਨੂੰ ਇਕ ਢੰਗ ਸੁੱਝਿਆ। ਉਸ ਨੇ ਠੀਕਰੀਆਂ ਤੇ ਰੋੜੇ ਚੁੱਕ ਕੇ ਘੜੇ ਵਿਚ ਪਾਉਣੇ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤੇ। ਹੌਲੀ – ਹੌਲੀ ਘੜਾ ਰੋੜਿਆਂ ਅਤੇ ਠੀਕਰੀਆਂ ਨਾਲ ਭਰਨ ਲੱਗਾ ਤੇ ਉਸ ਵਿਚਲਾ ਪਾਣੀ ਉੱਪਰ ਆ ਗਿਆ ! ਕਾਂ ਨੇ ਰੱਜ ਕੇ ਪਾਣੀ ਪੀਤਾ ਅਤੇ ਉੱਡ ਗਿਆ।

ਸਿੱਖਿਆ ਜਿੱਥੇ ਚਾਹ ਉੱਥੇ ਰਾਹ।

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2. ਕਾਂ ਅਤੇ ਲੂੰਬੜੀ
ਜਾਂ
ਚਲਾਕ ਲੂੰਬੜੀ

ਇਕ ਵਾਰੀ ਇਕ ਲੂੰਬੜੀ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਭੁੱਖ ਲੱਗੀ। ਉਹ ਕੋਈ ਖਾਣ ਵਾਲੀ ਚੀਜ਼ ਲੱਭਣ ਲਈ ਇਧਰ – ਉਧਰ ਘੁੰਮੀ, ਪਰ ਉਸ ਨੂੰ ਕੁੱਝ ਨਾ ਮਿਲਿਆ ! ਅੰਤ ਉਹ ਦਰੱਖਤਾਂ ਦੇ ਇਕ ਬੁੰਡ ਹੇਠ ਪਹੁੰਚੀ : ਉਹ ਬਹੁਤ ਥੱਕੀ ਹੋਈ ਸੀ ਤੇ ਉਹ ਦਰੱਖ਼ਤਾਂ ਦੀ ਸੰਘਣੀ ਛਾਂ ਹੇਠਾਂ ਲੰਮੀ ਪੈ ਗਈ।

ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਲੂੰਬੜੀ ਨੇ ਉੱਪਰ ਵਲ ਧਿਆਨ ਮਾਰਿਆ। ਦਰੱਖ਼ਤ ਦੀ ਇਕ ਟਹਿਣੀ ਉੱਤੇ ਉਸ ਨੇ ਇਕ ਕਾਂ ਦੇਖਿਆ, ਜਿਸ ਦੀ ਚੁੰਝ ਵਿਚ ਪਨੀਰ ਦਾ ਇਕ ਟੁਕੜਾ ਸੀ ! ਇਹ ਦੇਖ ਕੇ ਉਸ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਭਰ ਆਇਆ। ਉਸ ਨੇ ਕਾਂ ਕੋਲੋਂ ਪਨੀਰ ਦਾ ਟੁਕੜਾ ਖੋਹਣ ਦਾ ਇਕ ਢੰਗ ਕੱਢ ਲਿਆ। ਉਸ ਨੇ ਬੜੀ ਚਾਲਾਕੀ ਤੇ ਪਿਆਰ ਭਰੀ ਅਵਾਜ਼ ਨਾਲ ਕਾਂ ਨੂੰ ਕਿਹਾ, “ਤੂੰ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਨਮੋਹਣਾ ਪੰਛੀ ਹੈਂ। ਤੇਰੀ ਅਵਾਜ਼ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸੁਰੀਲੀ ਹੈ। ਮੇਰਾ ਜੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਤੇਰਾ ਇਕ ਮਿੱਠਾ ਗੀਤ ਸੁਣਾਂ : ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੈਨੂੰ ਗਾ ਕੇ ਸੁਣਾ।” ਕਾਂ ਲੂੰਬੜੀ ਦੀ ਖੁਸ਼ਾਮਦ ਵਿਚ ਆ ਕੇ ਖੁਸ਼ੀ ਨਾਲ ਫੁੱਲ ਗਿਆ ! ਜਿਉਂ ਹੀ ਉਸ ਨੇ ਗਾਉਣ ਲਈ ਮੂੰਹ ਖੋਲ੍ਹਿਆ, ਤਾਂ ਪਨੀਰ ਦਾ ਟੁਕੜਾ ਉਸ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚੋਂ ਹੇਠਾਂ ਡਿੱਗ ਪਿਆ। ਲੂੰਬੜੀ ਪਨੀਰ ਦੇ ਟੁਕੜੇ ਨੂੰ ਝੱਟ – ਪੱਟ ਖਾ ਕੇ ਆਪਣੇ ਰਾਹ ਤੁਰਦੀ ਬਣੀ ਤੇ ਕਾਂ ਉਸ ਵਲ ਦੇਖਦਾ ਹੀ ਰਹਿ ਗਿਆ !

ਸਿੱਖਿਆ – ਖੁਸ਼ਾਮਦ ਤੋਂ ਬਚੋ।

3. ਏਕਤਾ ਵਿਚ ਬਲ ਹੈ
ਜਾਂ
ਕਿਸਾਨ ਅਤੇ ਉਸ ਦੇ ਪੁੱਤਰ

ਇਕ ਵਾਰੀ ਦੀ ਗੱਲ ਹੈ ਕਿ ਕਿਸੇ ਥਾਂ ਇਕ ਬੁੱਢਾ ਕਿਸਾਨ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ। ਉਸ ਦੇ ਚਾਰ ਪੁੱਤਰ ਸਨ। ਉਹ ਹਮੇਸ਼ਾ ਆਪਸ ਵਿਚ ਲੜਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ ! ਕਿਸਾਨ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਵਾਰੀ ਸਮਝਾਇਆ ਸੀ ਕਿ ਉਹ ਪਿਆਰ ਅਤੇ ਏਕਤਾ ਨਾਲ ਰਿਹਾ ਕਰਨ, ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਉੱਪਰ ਪਿਤਾ ਦੀਆਂ ਨਸੀਹਤਾਂ ਦਾ ਕੋਈ ਅਸਰ ਨਹੀਂ ਸੀ ਹੁੰਦਾ।

ਇਕ ਵਾਰੀ ਉਹ ਬੁੱਢਾ ਕਿਸਾਨ ਬਿਮਾਰ ਹੋ ਗਿਆ। ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਲੜਾਈ – ਝਗੜੇ ਦਾ ਬਹੁਤ ਫ਼ਿਕਰ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ ! ਉਸ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਸਮਝਾਉਣ ਲਈ ਆਪਣੀ ਸਮਝ ਨਾਲ ਇਕ ਢੰਗ ਕੱਢਿਆ : ਉਸ ਨੇ ਪਤਲੀਆਂ – ਪਤਲੀਆਂ ਲੱਕੜਾਂ ਦਾ ਇਕ ਬੰਡਲ ਮੰਰਾਇਆ ਉਸ ਨੇ ਬੰਡਲ ਵਿਚੋਂ ਇਕ – ਇਕ ਸੋਟੀ ਕੱਢ ਕੇ ਆਪਣੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਨੂੰ ਦਿੱਤੀ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਤੋੜਨ ਲਈ ਕਿਹਾ ! ਚੌਹਾਂ ਪੁੱਤਰਾਂ ਨੇ ਇਕ – ਇਕ ਲੱਕੜੀ ਬੜੀ ਸੌਖ ਨਾਲ ਤੋੜ ਦਿੱਤੀ। ਫਿਰ ਕਿਸਾਨ ਨੇ ਸਾਰਾ ਬੰਡਲ ਘੁੱਟ ਕੇ ਬੰਨ੍ਹਿਆ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦੇ ਕੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਕੱਲਾ – ਇਕੱਲਾ ਇਸ ਸਾਰੇ ਬੰਡਲ ਨੂੰ ਤੋੜੇ। ਕੋਈ ਵੀ ਪੁੱਤਰ ਉਸ ਬੰਨ੍ਹੇ ਹੋਏ ਬੰਡਲ ਨੂੰ ਨਾ ਤੋੜ ਸਕਿਆ। ਕਿਸਾਨ ਨੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਨੂੰ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੱਤੀ ਕਿ ਉਹ ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਤਲੀਆਂ – ਪਤਲੀਆਂ ਲੱਕੜੀਆਂ ਤੋਂ ਸਿੱਖਿਆ ਲੈਣ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਲੜਾਈ – ਝਗੜਾ ਕਰ ਕੇ ਇਕੱਲੇ – ਇਕੱਲੇ ਰਹਿਣ ਦੀ ਥਾਂ ਮਿਲ ਕੇ ਰਹਿਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਤਾਕਤ ਬਹੁਤ ਹੋਵੇਗੀ ! ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਪੁੱਤਰਾਂ ਨੇ ਪਿਤਾ ਨੂੰ ਰਲ – ਮਿਲ ਕੇ ਰਹਿਣ ਦਾ ਵਚਨ ਦਿੱਤਾ।

ਸਿੱਖਿਆ – ਏਕਤਾ ਵਿਚ ਬਲ ਹੈ।

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4. ਲੇਲਾ ਤੇ ਬਘਿਆੜ

ਇਕ ਵਾਰੀ ਇਕ ਬਘਿਆੜ ਇਕ ਨਦੀ ਦੇ ਕੰਢੇ ਉੱਤੇ ਪਾਣੀ ਪੀ ਰਿਹਾ ਸੀ ! ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਨਿਵਾਣ ਵਲ ਉਸ ਨੇ ਇਕ ਲੇਲੇ ਨੂੰ ਪਾਣੀ ਪੀਂਦਿਆਂ ਦੇਖਿਆ ਉਸਦਾ ਦਿਲ ਕੀਤਾ ਕਿ ਉਹ ਲੇਲੇ ਨੂੰ ਮਾਰ ਕੇ ਖਾ ਲਵੇ। ਉਹ ਮਨ ਵਿਚ ਉਸ ਨੂੰ ਖਾਣ ਦੇ ਬਹਾਨੇ ਸੋਚਣ ਲੱਗਾ। ਉਸ ਨੇ ਲੇਲੇ ਨੂੰ ਗੁੱਸੇ ਨਾਲ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਉਸਦੇ ਪੀਣ ਵਾਲੇ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਗੰਧਲਾ ਕਿਉਂ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਲੇਲੇ ਨੇ ਡਰ ਕੇ ਨਿਮਰਤਾ ਨਾਲ ਕਿਹਾ, “ਮਹਾਰਾਜ ਪਾਣੀ ਤਾਂ ਤੁਹਾਡੇ ਵਲੋਂ ਮੇਰੀ ਵੱਲ ਆ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਤੁਹਾਡੇ ਪੀਣ ਵਾਲੇ ਪਾਣੀ ਨੂੰ ਗੰਧਲਾ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹਾਂ।”

ਬਘਿਆੜ ਨਿੱਠ ਜਿਹਾ ਹੋ ਗਿਆ ਪਰ ਉਹ ਲੇਲੇ ਨੂੰ ਹੱਥੋਂ ਨਹੀਂ ਸੀ ਜਾਣ ਦੇਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ। ਉਸ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਕਿਹਾ, “ਤੂੰ ਮੈਨੂੰ ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਗਾਲਾਂ ਕਿਉਂ ਕੱਢੀਆਂ ਸਨ ?” ਲੇਲੇ ਨੇ ਫਿਰ ਨਿਮਰਤਾ ਨਾਲ ਕਿਹਾ, “ਮਹਾਰਾਜ, ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਤਾਂ ਮੈਂ ਜੰਮਿਆਂ ਵੀ ਨਹੀਂ ਸੀ।” ਹੁਣ ਬਘਿਆੜ ਕੋਲ ਚਾਰਾ ਨਾ ਰਿਹਾ ਤੇ ਗੁੱਸੇ ਨਾਲ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਜੇਕਰ ਉਦੋਂ ਤੂੰ ਨਹੀਂ ਸੀ, ਤਾਂ ਤੇਰਾ ਪਿਓ – ਦਾਦਾ ਹੋਵੇਗਾ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਤੂੰ ਕਸੂਰਵਾਰ ਹੈਂ।’’ ਇਹ ਕਹਿ ਕੇ ਉਸ ਨੇ ਝਪੱਟਾ ਮਾਰਿਆ ਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਪਾੜ ਕੇ ਖਾ ਗਿਆ।

ਸਿੱਖਿਆ – ਡਾਢੇ ਦਾ ਸੱਤੀਂ ਵੀਹੀਂ ਸੌ।
ਜਾਂ
ਜ਼ੁਲਮ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਕੋਈ ਨਾ ਕੋਈ ਬਹਾਨਾ ਲੱਭ ਹੀ ਲੈਂਦਾ ਹੈ।

5. ਦਰਜ਼ੀ ਅਤੇ ਹਾਥੀ

ਇਕ ਰਾਜੇ ਕੋਲ ਇਕ ਹਾਥੀ ਸੀ। ਹਾਥੀ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਨਦੀ ਵਿਚ ਨਹਾਉਣ ਲਈ ਜਾਂਦਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ। ਦਰਿਆ ਦੇ ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਇਕ ਬਜ਼ਾਰ ਆਉਂਦਾ ਸੀ। ਬਜ਼ਾਰ ਵਿਚ ਇਕ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਦੁਕਾਨ ਸੀ। ਦਰਿਆ ਨੂੰ ਜਾਂਦਾ ਹੋਇਆ ਹਾਥੀ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਦੁਕਾਨ ਕੋਲ ਰੁਕ ਜਾਂਦਾ ਸੀ। ਦਰਜ਼ੀ ਇਕ ਨਰਮ ਦਿਲ ਆਦਮੀ ਸੀ। ਉਹ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਹਾਥੀ ਨੂੰ ਕੋਈ ਨਾ ਕੋਈ ਚੀਜ਼ ਖਾਣ ਨੂੰ ਦਿੰਦਾ ! ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਾਥੀ ਅਤੇ ਦਰਜ਼ੀ ਆਪਸ ਵਿਚ ਮਿੱਤਰ ਬਣ ਗਏ।

ਇਕ ਦਿਨ ਦਰਜ਼ੀ ਘਰੋਂ ਆਪਣੀ ਪਤਨੀ ਨਾਲ ਲੜ ਕੇ ਆਇਆ ਸੀ ! ਉਸ ਦਾ ਮਨ ਗੁੱਸੇ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ ! ਇਸੇ ਵੇਲੇ ਹਾਥੀ ਵੀ ਉੱਥੇ ਆ ਗਿਆ। ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਸੁੰਡ ਦੁਕਾਨ ਦੇ ਅੰਦਰ ਕੀਤੀ ! ਦਰਜ਼ੀ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਕੁੱਝ ਵੀ ਖਾਣ ਲਈ ਨਾ ਦਿੱਤਾ, ਸਗੋਂ ਉਸ ਦੀ ਸੁੰਡ ਵਿਚ ਸੂਈ ਚੋਭ ਦਿੱਤੀ। ਹਾਥੀ ਨੂੰ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਇਸ ਕਰਤੂਤ ‘ਤੇ ਬਹੁਤ ਗੁੱਸਾ ਆਇਆ। ਉਹ ਦਰਿਆ ‘ਤੇ ਪੁੱਜਾ। ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਸੁੰਡ ਵਿਚ ਚਿੱਕੜ ਵਾਲਾ ਪਾਣੀ ਭਰ ਲਿਆ ! ਵਾਪਸੀ ’ਤੇ ਉਸ ਨੇ ਸਾਰਾ ਚਿੱਕੜ ਲਿਆ ਕੇ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਦੁਕਾਨ ਵਿਚ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤਾ। ਦਰਜ਼ੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਕੱਪੜੇ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਗਏ। ਉਹ ਡਰਦਾ ਦੁਕਾਨ ਛੱਡ ਕੇ ਦੌੜ ਗਿਆ ! ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਾਥੀ ਨੇ ਆਪਣਾ ਬਦਲਾ ਲੈ ਲਿਆ।

ਸਿੱਟਾ – ਜਿਹਾ ਕਰੋਗੇ ਤਿਹਾ ਭਰੋਗੇ !

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6. ਆਜੜੀ ਅਤੇ ਬਘਿਆੜ

ਇਕ ਆਜੜੀ ਮੁੰਡਾ ਸੀ। ਉਹ ਆਪਣੇ ਪਿੰਡ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਜੰਗਲ ਵਿਚ ਭੇਡਾਂ ਚਾਰਨ ਜਾਂਦਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ। ਇਕ ਦਿਨ ਉਸ ਨੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਮਖੌਲ ਉਡਾਉਣਾ ਚਾਹਿਆ। ਉਹ ਇਕ ਉੱਚੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਗਿਆ ਅਤੇ ਉੱਚੀ – ਉੱਚੀ ਰੌਲਾ ਪਾਉਣ ਲੱਗਾ, ‘ਬਘਿਆੜ ! ਬਘਿਆੜ ! ਮੈਨੂੰ ਬਚਾਓ !” ਪਿੰਡ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਉਸ ਦੀਆਂ ਚੀਕਾਂ ਸੁਣੀਆਂ। ਉਹ ਆਪਣੇ ਕੰਮ – ਕਾਰ ਛੱਡ ਕੇ ਤੇ ਡਾਂਗਾਂ ਚੁੱਕ ਕੇ ਉਸ ਦੀ ਮੱਦਦ ਲਈ ਦੌੜੇ ਆਏ। ਜਦੋਂ ਉਹ ਉੱਥੇ ਪਹੁੰਚੇ, ਤਾਂ ਆਜੜੀ ਬਘਿਆੜ ਨਿੱਠ ਜਿਹਾ ਹੋ ਗਿਆ ਪਰ ਉਹ ਲੇਲੇ ਨੂੰ ਹੱਥੋਂ ਨਹੀਂ ਸੀ ਜਾਣ ਦੇਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ। ਉਸ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਕਿਹਾ, “ਤੂੰ ਮੈਨੂੰ ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਗਾਲਾਂ ਕਿਉਂ ਕੱਢੀਆਂ ਸਨ ?” ਲੇਲੇ ਨੇ ਫਿਰ ਨਿਮਰਤਾ ਨਾਲ ਕਿਹਾ, “ਮਹਾਰਾਜ, ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਤਾਂ ਮੈਂ ਜੰਮਿਆਂ ਵੀ ਨਹੀਂ ਸੀ। ਹੁਣ ਬਘਿਆੜ ਕੋਲ ਚਾਰਾ ਨਾ ਰਿਹਾ ਤੇ ਗੁੱਸੇ ਨਾਲ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਜੇਕਰ ਉਦੋਂ ਤੂੰ ਨਹੀਂ ਸੀ, ਤਾਂ ਤੇਰਾ ਪਿਓ – ਦਾਦਾ ਹੋਵੇਗਾ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਤੂੰ ਕਸੂਰਵਾਰ ਹੈਂ।’ ਇਹ ਕਹਿ ਕੇ ਉਸ ਨੇ ਝਪੱਟਾ ਮਾਰਿਆ ਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਪਾੜ ਕੇ ਖਾ ਗਿਆ।

ਸਿੱਖਿਆ – ਡਾਢੇ ਦਾ ਸੱਤੀਂ ਵੀਹੀਂ ਸੌ।
ਜਾਂ
ਜ਼ੁਲਮ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਕੋਈ ਨਾ ਕੋਈ ਬਹਾਨਾ ਲੱਭ ਹੀ ਲੈਂਦਾ ਹੈ।

5. ਦਰਜ਼ੀ ਅਤੇ ਹਾਥੀ

ਇਕ ਰਾਜੇ ਕੋਲ ਇਕ ਹਾਥੀ ਸੀ। ਹਾਥੀ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਨਦੀ ਵਿਚ ਨਹਾਉਣ ਲਈ ਜਾਂਦਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ। ਦਰਿਆ ਦੇ ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਇਕ ਬਜ਼ਾਰ ਆਉਂਦਾ ਸੀ। ਬਜ਼ਾਰ ਵਿਚ ਇਕ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਦੁਕਾਨ ਸੀ 1 ਦਰਿਆ ਨੂੰ ਜਾਂਦਾ ਹੋਇਆ ਹਾਥੀ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਦੁਕਾਨ ਕੋਲ ਰੁਕ ਜਾਂਦਾ ਸੀ। ਦਰਜ਼ੀ ਇਕ ਨਰਮ ਦਿਲ ਆਦਮੀ ਸੀ। ਉਹ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਹਾਥੀ ਨੂੰ ਕੋਈ ਨਾ ਕੋਈ ਚੀਜ਼ ਖਾਣ ਨੂੰ ਦਿੰਦਾ। ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਾਥੀ ਅਤੇ ਦਰਜ਼ੀ ਆਪਸ ਵਿਚ ਮਿੱਤਰ ਬਣ ਗਏ।

ਇਕ ਦਿਨ ਦਰਜ਼ੀ ਘਰੋਂ ਆਪਣੀ ਪਤਨੀ ਨਾਲ ਲੜ ਕੇ ਆਇਆ ਸੀ। ਉਸ ਦਾ ਮਨ ਗੁੱਸੇ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ। ਇਸੇ ਵੇਲੇ ਹਾਥੀ ਵੀ ਉੱਥੇ ਆ ਗਿਆ ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਸੁੰਡ ਦੁਕਾਨ ਦੇ ਅੰਦਰ ਕੀਤੀ। ਦਰਜ਼ੀ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਕੁੱਝ ਵੀ ਖਾਣ ਲਈ ਨਾ ਦਿੱਤਾ, ਸਗੋਂ ਉਸ ਦੀ ਸੁੰਡ ਵਿਚ ਸੂਈ ਚੋਭ ਦਿੱਤੀ। ਹਾਥੀ ਨੂੰ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਇਸ ਕਰਤੂਤ ‘ਤੇ ਬਹੁਤ ਗੁੱਸਾ ਆਇਆ। ਉਹ ਦਰਿਆ ‘ਤੇ ਪੁੱਜਾ। ਉਸ ਨੇ ਆਪਣੀ ਸੁੰਡ ਵਿਚ ਚਿੱਕੜ ਵਾਲਾ ਪਾਣੀ ਭਰ ਲਿਆ। ਵਾਪਸੀ ‘ਤੇ ਉਸ ਨੇ ਸਾਰਾ ਚਿੱਕੜ ਲਿਆ ਕੇ ਦਰਜ਼ੀ ਦੀ ਦੁਕਾਨ ਵਿਚ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤਾ ਦਰਜ਼ੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਕੱਪੜੇ ਖ਼ਰਾਬ ਹੋ ਗਏ। ਉਹ ਡਰਦਾ ਦੁਕਾਨ ਛੱਡ ਕੇ ਦੌੜ ਗਿਆ। ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਾਥੀ ਨੇ ਆਪਣਾ ਬਦਲਾ ਲੈ ਲਿਆ।

ਸਿੱਟਾ – ਜਿਹਾ ਕਰੋਗੇ ਤਿਹਾ ਭਰੋਗੇ।

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6. ਆਜੜੀ ਅਤੇ ਬਘਿਆੜ

ਇਕ ਆਜੜੀ ਮੁੰਡਾ ਸੀ। ਉਹ ਆਪਣੇ ਪਿੰਡ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਜੰਗਲ ਵਿਚ ਭੇਡਾਂ ਚਾਰਨ ਜਾਂਦਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ। ਇਕ ਦਿਨ ਉਸ ਨੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਮਖੌਲ ਉਡਾਉਣਾ ਚਾਹਿਆ। ਉਹ ਇਕ ਉੱਚੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਗਿਆ ਅਤੇ ਉੱਚੀ – ਉੱਚੀ ਰੌਲਾ ਪਾਉਣ ਲੱਗਾ, “ਬਘਿਆੜ ! ਬਘਿਆੜ ! ਮੈਨੂੰ ਬਚਾਓ ” ਪਿੰਡ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਉਸ ਦੀਆਂ ਚੀਕਾਂ ਸੁਣੀਆਂ। ਉਹ ਆਪਣੇ ਕੰਮ – ਕਾਰ ਛੱਡ ਕੇ ਤੇ ਡਾਂਗਾਂ ਚੁੱਕ ਕੇ ਉਸ ਦੀ ਮੱਦਦ ਲਈ ਦੌੜੇ ਆਏ। ਜਦੋਂ ਉਹ ਉੱਥੇ ਪਹੁੰਚੇ, ਤਾਂ ਆਜੜੀ ਮੁੰਡਾ ਅੱਗੋਂ ਹੱਸਣ ਲੱਗ ਪਿਆ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪੁੱਛਿਆ, “ਬਘਿਆੜ ਕਿੱਥੇ ਹੈ ?’ ਆਜੜੀ ਮੁੰਡੇ ਨੇ ਉੱਤਰ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਉਸ ਨੇ ਸਿਰਫ਼ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਮਖੌਲ ਹੀ ਕੀਤਾ ਹੈ, ਬਘਿਆੜ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ਆਇਆ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਉਸ ਦੀ ਇਸ ਗੱਲ ‘ਤੇ ਬੜਾ ਗੁੱਸਾ ਆਇਆ। ਉਹ ਭਰੇ – ਪੀਤੇ ਵਾਪਸ ਮੁੜ ਗਏ।

ਅਗਲੇ ਦਿਨ ਆਜੜੀ ਮੁੰਡਾ ਜਦੋਂ ਭੇਡਾਂ ਚਾਰ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਤਾਂ ਬਘਿਆੜ ਸੱਚ – ਮੁੱਚ ਹੀ ਆ ਗਿਆ। ਉਹ ਉਸ ਦੀਆਂ ਭੇਡਾਂ ਨੂੰ ਮਾਰ – ਮਾਰ ਕੇ ਖਾਣ ਲੱਗਾ। ਮੁੰਡੇ ਨੇ ਬਹੁਤ ਰੌਲਾ ਪਾਇਆ। ਪਿੰਡ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਉਸ ਦੀਆਂ ਚੀਕਾਂ ਸੁਣੀਆਂ, ਪਰ ਕੋਈ ਵੀ ਉਸ ਦੀ ਮੱਦਦ ਲਈ ਨਾ ਆਇਆ। ਬਘਿਆੜ ਨੇ ਮੁੰਡੇ ਉੱਤੇ ਝਪਟਾ ਮਾਰਿਆ ਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਵੀ ਮਾਰ ਕੇ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤਾ। ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਇਕ ਵਾਰ ਝੂਠ ਬੋਲਣ ਕਰਕੇ ਉਸ ਮੁੰਡੇ ਨੇ ਆਪਣੀ ਜਾਨ ਗੁਆ ਲਈ। ਸੱਚ ਹੈ, ਝੂਠੇ ‘ਤੇ ਕੋਈ ਇਤਬਾਰ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ। ਸਿੱਖਿਆ – ਝੂਠੇ ‘ਤੇ ਕੋਈ ਇਤਬਾਰ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ।

7. ਬਾਂਦਰ ਤੇ ਮਗਰਮੱਛ

ਇਕ ਦਰਿਆ ਦੇ ਕੰਢੇ ਉੱਤੇ ਇਕ ਭਾਰਾ ਜਾਮਣ ਦਾ ਦਰੱਖ਼ਤ ਸੀ। ਉਸ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਕਾਲੀਆਂ ਸ਼ਾਹ ਜਾਮਣਾਂ ਲੱਗੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਸਨ। ਉਸ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਇਕ ਬਾਂਦਰ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ, ਜੋ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਰੱਜ – ਰੱਜ ਜਾਮਣਾਂ ਖਾਂਦਾ ਸੀ। ਇਕ ਦਿਨ ਇਕ ਮਗਰਮੱਛ ਦਰਿਆ ਹੇਠ ਤੁਰਦਾ – ਤੁਰਦਾ ਜਾਮਣ ਦੇ ਰੁੱਖ ਹੇਠ ਆ ਗਿਆ ਤੇ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲ ਕੇ ਧੁੱਪ ਸੇਕਣ ਲੱਗਾ। ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਉਸ ਦੀ ਨਜ਼ਰ ਬਾਂਦਰ ਉੱਤੇ ਪਈ, ਜੋ ਕਿ ਜਾਮਣ ਦੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਜਾਮਣਾਂ ਖਾਂਦਾ ਤੇ ਟਪੂਸੀਆਂ ਮਾਰਦਾ ਸੀ। ਮਗਰਮੱਛ ਵੀ ਲਲਚਾਈਆਂ ਅੱਖਾਂ ਨਾਲ ਉਸ ਵਲ ਵੇਖਣ ਲੱਗ ਪਿਆ ਬਾਂਦਰ ਨੇ ਉਸ ਵਲ ਕੁੱਝ ਜਾਮਣਾਂ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤੀਆਂ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਖਾ ਕੇ ਉਹ ਬਹੁਤ ਖ਼ੁਸ਼ ਹੋਇਆ। ਉਸ ਨੇ ਕੁੱਝ ਜਾਮਣਾਂ ਆਪਣੀ ਘਰ ਵਾਲੀ ਲਈ ਵੀ ਰੱਖ ਲਈਆਂ।

ਬਾਂਦਰ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਕਰ ਕੇ ਉਹ ਜਾਮਣਾਂ ਲੈ ਕੇ ਘਰ ਵਲ ਚਲ ਪਿਆ ਘਰ ਪਹੁੰਚ ਕੇ ਉਸ ਨੇ ਮਗਰਮੱਛਣੀ ਨੂੰ ਜਾਮਣਾਂ ਖੁਆਈਆਂ ਤੇ ਉਹ ਬਹੁਤ ਖ਼ੁਸ਼ ਹੋਈ। ਹੁਣ ਮਗਰਮੱਛ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਜਾਮਣ ਦੇ ਰੁੱਖ ਹੇਠ ਆ ਜਾਂਦਾ ਤੇ ਬਾਂਦਰ ਉਸ ਦੇ ਖਾਣ ਲਈ ਜਾਮਣਾਂ ਸੁੱਟਦਾ। ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੋਹਾਂ ਦੀ ਖੂਬ ਦੋਸਤੀ ਪੈ ਗਈ।

ਮਗਰਮੱਛ ਕੁੱਝ ਜਾਮਣਾਂ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਲਿਜਾ ਕੇ ਆਪਣੀ ਘਰਵਾਲੀ ਨੂੰ ਦਿੰਦਾ ਸੀ ਤੇ ਉਹ ਖਾ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖ਼ੁਸ਼ ਹੁੰਦੀ ਸੀ। ਉਸਨੂੰ ਮਹਿਸੂਸ ਹੋਇਆ ਕਿ ਜਿਹੜਾ ਬਾਂਦਰ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਇੰਨੀਆਂ ਸੁਆਦੀ ਜਾਮਣਾਂ ਖਾਂਦਾ ਹੈ, ਉਸ ਦਾ ਕਲੇਜਾ ਵੀ ਜ਼ਰੂਰ ਬਹੁਤ ਸੁਆਦ ਹੋਵੇਗਾ। ਉਹ ਮਗਰਮੱਛ ਦੇ ਖਹਿੜੇ ਪਈ ਰਹਿੰਦੀ ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੇ ਦੋਸਤ ਨੂੰ ਘਰ ਲਿਆਵੇ, ਕਿਉਂਕਿ ਉਹ ਉਸ ਦਾ ਕਲੇਜਾ ਖਾਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਮਗਰਮੱਛ ਆਪਣੇ ਦੋਸਤ ਨਾਲ ਧੋਖਾ ਨਹੀਂ ਸੀ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਪਰ ਘਰਵਾਲੀ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਿੱਦ ਪਈ ਹੋਈ ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੇ ਦੋਸਤ ਨੂੰ ਘਰ ਲੈ ਕੇ ਆਵੇ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਹਾਰ ਕੇ ਮਗਰਮੱਛ ਨੇ ਬਾਂਦਰ ਨੂੰ ਘਰ ਲਿਆਉਣ ਦਾ ਇਰਾਦਾ ਕਰ ਲਿਆ।ਉਹ ਜਾਮਣ ਹੇਠ ਪੁੱਜਾ ਤੇ ਬਾਂਦਰ ਦੀਆਂ ਸੁੱਟੀਆਂ ਜਾਮਣਾਂ ਖਾਣ ਮਗਰੋਂ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਦੋਸਤਾਂ ਤੂੰ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਮੈਨੂੰ ਮਿੱਠੀਆਂ ਜਾਮਣਾਂ ਖੁਆਉਂਦਾ ਹੈਂ ਤੇ ਮੇਰੀ ਘਰਵਾਲੀ ਵੀ ਖਾਂਦੀ ਹੈ। ਉਹ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਮੇਰੇ ਨਾਲ ਘਰ ਚੱਲੇਂ, ਤਾਂ ਜੋ ਤੇਰਾ ਸ਼ੁਕਰੀਆ ਅਦਾ ਕੀਤਾ ਜਾ ਸਕੇ।

ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਬਾਂਦਰ ਝੱਟ ਤਿਆਰ ਹੋ ਗਿਆ। ਮਗਰਮੱਛ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਪਿੱਠ ਤੇ ਬਿਠਾ ਲਿਆ ਤੇ ਦਰਿਆ ਵਿਚ ਤਰਦਾ ਹੋਇਆ ਆਪਣੇ ਘਰ ਵਲ ਚਲ ਪਿਆ ਅੱਧ ਕੁ ਵਿਚ ਪਹੁੰਚ ਕੇ ਮਗਰਮੱਛ ਨੇ ਬਾਂਦਰ ਨੂੰ ਅਸਲ ਗੱਲ ਦੱਸੀ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਸ ਦੀ ਘਰ ਵਾਲੀ ਉਸ ਦਾ ਦਿਲ ਖਾਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਉਹ ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਘਰ ਲਿਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ।

ਬਾਂਦਰ ਬੜਾ ਹੁਸ਼ਿਆਰ ਸੀ। ਉਹ ਮਗਰਮੱਛ ਦੀ ਗੱਲ ਸੁਣ ਕੇ ਹੱਸਿਆ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਤੂੰ ਮੈਨੂੰ ਪਹਿਲਾਂ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਦੱਸਿਆ। ਮੈਨੂੰ ਤੇਰੀ ਗੱਲ ਸੁਣ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ੀ ਹੋਈ ਹੈ ਪਰ ਮੈਂ ਆਪਣਾ ਦਿਲ ਤਾਂ ਜਾਮਣ ਦੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਉੱਤੇ ਹੀ ਛੱਡ ਆਇਆ ਹਾਂ ! ਦਿਲ ਲੈਣ ਲਈ ਤਾਂ ਸਾਨੂੰ ਵਾਪਸ ਜਾਣਾ ਪਵੇਗਾ। ਜੇਕਰ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਦਿਲ ਹੀ ਨਹੀਂ ਹੋਵੇਗਾ ਤਾਂ ਭਾਬੀ ਖਾਵੇਗੀ ਕੀ।’ ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਮਗਰਮੱਛ ਮੁੜ ਉਸ ਨੂੰ ਜਾਮਣ ਦੇ ਦਰੱਖ਼ਤ ਕੋਲ ਲੈ ਆਇਆ। ਬਾਂਦਰ ਟਪੂਸੀ ਮਾਰ ਕੇ ਜਾਣ ਉੱਤੇ ਜਾ ਚੜਿਆ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਤੂੰ ਚੰਗਾ ਦੋਸਤ ਹੈਂ। ਜੋ ਮੇਰੀ ਜਾਨ ਲੈਣੀ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹੈਂ। ਤੇਰੇ ਵਰਗੇ ਦੋਸਤ ਤੋਂ ਤਾਂ ਰੱਬ ਬਚਾਵੇ।

ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਮਗਰਮੱਛ ਸ਼ਰਮਿੰਦਾ ਜਿਹਾ ਹੋ ਗਿਆ। ਉਹ ਆਪਣੀ ਘਰ ਵਾਲੀ ਦੀ ਗੱਲ ਮੰਨ ਕੇ ਪਛਤਾ ਰਿਹਾ ਸੀ।

ਸਿੱਖਿਆ – ਸੁਆਰਥੀ ਮਿੱਤਰਾਂ ਤੋਂ ਬਚੋ।

8. ਦੋ ਆਲਸੀ ਮਿੱਤਰ

ਇਕ ਪਿੰਡ ਵਿਚ ਦੋ ਨੌਜਵਾਨ ਮਿੱਤਰ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ। ਉਹ ਦੋਵੇਂ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸੁਸਤ ਤੇ ਆਲਸੀ ਸਨ। ਉਹ ਕੋਈ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਸਨ ਕਰਦੇ। ਇਕ ਦਿਨ ਉਹ ਕਿਸੇ ਕਾਰਨ ਸ਼ਹਿਰ ਨੂੰ ਤੁਰ ਪਏ। ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਧੁੱਪ ਬਹੁਤ ਸੀ ਅਤੇ ਉਹ ਇਕ ਸੰਘਣੀ ਛਾਂ ਵਾਲੀ ਬੇਰੀ ਹੇਠ ਲੰਮੇ ਪੈ ਗਏ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਲੰਮੇ ਪਿਆ ਦੇਖਿਆ ਕਿ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਲਾਲ – ਲਾਲ ਬੇਰ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਸਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਪਾਣੀ ਭਰ ਆਇਆ।

ਲੰਮਾ ਪਿਆ – ਪਿਆ ਇਕ ਮਿੱਤਰ ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਤੇ ਦੂਜਾ ਪਹਿਲੇ ਨੂੰ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਹ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਬੇਰ ਲਾਹਵੇ ਆਲਸੀ ਹੋਣ ਕਾਰਨ ਦੋਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕੋਈ ਵੀ ਨਾ ਉੱਠਿਆ ਤੇ ਉਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਪਏ ਰਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਆਪਣੇ – ਆਪਣੇ ਮੂੰਹ ਅੱਡੇ ਤੇ ਕਹਿਣ ਲੱਗੇ, ਲਾਲ – ਲਾਲ ਬੇਰੋ, ਸਾਨੂੰ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹਨਾ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦਾ, ਤੁਸੀਂ ਆਪ ਹੀ ਸਾਡੇ ਮੂੰਹਾਂ ਵਿਚ ਡਿਗ ਪਵੋ।” ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਮੂੰਹ ਅੱਡ ਕੇ ਪਏ ਰਹੇ।

ਕਹਾਣੀ – ਰਚਨਾ ਸ਼ਾਮ ਤਕ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਬੇਰ ਤਾਂ ਕੋਈ ਨਾ ਡਿਗਿਆ, ਪਰ ਪੰਛੀਆਂ ਦੀਆਂ ਵਿੱਠਾਂ ਜ਼ਰੂਰ ਡਿਗਦੀਆਂ ਰਹੀਆਂ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹ ਬਹੁਤ ਗੰਦੇ ਹੋ ਗਏ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮੂੰਹਾਂ ਉੱਤੇ ਮੱਖੀਆਂ ਬੈਠਣ ਲੱਗੀਆਂ ਪਰੰਤੂ ਉਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਉਡਾਉਣ ਦੀ ਹਿੰਮਤ ਨਹੀਂ ਸਨ ਕਰ ਰਹੇ। ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਇਕ ਘੋੜ – ਸਵਾਰ ਉਧਰੋਂ ਲੰਘਿਆ। ਉਹ ਘੋੜੇ ਤੋਂ ਉੱਤਰਿਆ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੁੱਛਿਆ ਕਿ ਉਹ ਮੁੰਹ ਅੱਡ ਕੇ ਕਿਉਂ ਪਏ ਹਨ। ਇਕ ਮਿੱਤਰ ਨੇ ਉੱਤਰ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਨਾਲ ਦਾ ਉਸਦਾ ਮਿੱਤਰ ਬਹੁਤ ਸੁਸਤ ਹੈ।ਉਹ ਉਸ ਲਈ ਬੇਰੀ ਤੋਂ ਬੇਰ ਲਾਹ ਕੇ ਨਹੀਂ ਲਿਆਉਂਦਾ। ਦੂਜਾ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਸ ਦੇ ਨਾਲ ਦਾ ਦੋਸਤ ਉਸ ਤੋਂ ਵੀ ਵਧੇਰੇ ਸੁਸਤ ਹੈ। ਉਹ ਉਸ ਦੇ ਮੂੰਹ ਤੋਂ ਮੱਖੀਆਂ ਨਹੀਂ ਉਡਾਉਂਦਾ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਕਹਾਣੀ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਘੋੜ – ਸਵਾਰ ਨੂੰ ਸਾਰੀ ਗੱਲ ਸਮਝ ਆ ਗਈ 1ਉਹ ਸਮਝ ਗਿਆ ਕਿ ਦੋਵੇਂ ਮਿੱਤਰ ਆਲਸੀ ਤੇ ਸੁਸਤ ਹਨ। ਉਸ ਨੇ ਦੋਹਾਂ ਨੂੰ ਖੂਬ ਕੁਟਾਪਾ ਚਾੜਿਆ ਤੇ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹਨ ਲਈ ਕਿਹਾ ਕੁੱਟ ਤੋਂ ਡਰਦੇ ਦੋਵੇਂ ਬੇਰੀ ਉੱਤੇ ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਤੇ ਆਪਣੇ ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਬੇਰ ਤੋੜ ਕੇ ਖਾਣ ਲੱਗੇ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਢਿੱਡ ਭਰ ਕੇ ਮਿੱਠੇ ਬੇਰ ਖਾਧੇ ਤੇ ਜਦੋਂ ਉਹ ਹੇਠਾਂ ਉੱਤਰੇ ਤਾਂ ਘੋੜ – ਸਵਾਰ ਜਾ ਚੁੱਕਾ ਸੀ।

ਸਿੱਖਿਆ – ਆਲਸ ਜਾਂ ਸੁਸਤੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਬਿਮਾਰੀ ਹੈ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

Punjab State Board PSEB 6th Class Punjabi Book Solutions Punjabi Rachana Chithi Patar ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ Exercise Questions and Answers.

PSEB 6th Class Hindi Punjabi Rachana ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  1.
ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸਾਲਾਨਾ ਇਮਤਿਹਾਨ ਵਿਚ ਪਾਸ ਹੋਣ ਦੀ ਖ਼ਬਰ ਦੇਣ ਲਈ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖੋ।
ਜਾਂ
ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਤੋਂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਅਤੇ ਕਾਪੀਆਂ ਖ਼ਰੀਦਣ ਲਈ ਪੈਸੇ ਮੰਗਵਾਉਣ ਲਈ ਚਿੱਠੀ। ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
……… ਸਕੂਲ,
………. ਸ਼ਹਿਰ।
5 ਅਪਰੈਲ, 20…..

ਸਤਿਕਾਰਯੋਗ ਪਿਤਾ ਜੀ,

ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ।
ਆਪ ਜੀ ਨੂੰ ਇਹ ਜਾਣ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ੀ ਹੋਵੇਗੀ ਕਿ ਮੈਂ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਦਾ ਇਮਤਿਹਾਨ ਪਾਸ ਕਰ ਲਿਆ ਹੈ। ਮੈਂ ਸਾਰੀ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਪਹਿਲੇ ਨੰਬਰ ‘ਤੇ ਰਿਹਾ ਹਾਂ। ਮੈਂ ਹੁਣ ਸੱਤਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚ ਦਾਖ਼ਲ ਹੋਣਾ ਹੈ ਤੇ ਨਵੀਆਂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਤੇ ਕਾਪੀਆਂ ਖ਼ਰੀਦਣੀਆਂ ਹਨ ਆਪ ਜਲਦੀ ਤੋਂ ਜਲਦੀ ਮੈਨੂੰ 1500 ਰੁਪਏ ਭੇਜ ਦੇਵੋ। 15 ਤਰੀਕ ਤੋਂ ਸਾਡੀ ਸੱਤਵੀਂ ਜਮਾਤ ਦੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਰਹੀ ਹੈ। ਮਾਤਾ ਜੀ, ਸੰਦੀਪ ਅਤੇ ਨਵਨੀਤ ਵਲੋਂ ਆਪ ਜੀ ਨੂੰ ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ।

ਆਪ ਦਾ ਸਪੁੱਤਰ,
ਅਰਸ਼ਦੀਪ

ਟਿਕਟ ਸ: ਹਰਨੇਕ ਸਿੰਘ, 2815, ਸੈਂਟਰਲ ਟਾਊਨ, ਜਲੰਧਰ !

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  2.
ਤੁਹਾਡੇ ਮਾਮਾ (ਚਾਚਾ) ਜੀ ਨੇ ਤੁਹਾਡੇ ਜਨਮ – ਦਿਨ ‘ਤੇ ਤੁਹਾਨੂੰ ਇਕ ਗੁੱਟ – ਘੜੀ ਭੇਜੀ ਹੈ। ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਰਾਹੀਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਕਰੋ !
ਉੱਤਰ :
ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
………. ਸਕੂਲ,
……… ਸ਼ਹਿਰ।
16 ਜਨਵਰੀ, 20……….

ਸਤਿਕਾਰਯੋਗ ਮਾਮਾ ਜੀ,

ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ
ਮੈਨੂੰ ਕਲ੍ਹ ਆਪਣੇ ਜਨਮ ਦਿਨ ‘ਤੇ ਤੁਹਾਡੀ ਭੇਜੀ ਹੋਈ ਗੁੱਟ – ਘੜੀ ਮਿਲ ਗਈ ਹੈ। ਇਹ ” ਬਹੁਤ ਹੀ ਸੋਹਣੀ ਹੈ। ਮੈਨੂੰ ਇਸ ਦੀ ਬਹੁਤ ਜ਼ਰੂਰਤ ਸੀ। ਮੇਰੇ ਮਿੱਤਰਾਂ ਨੇ ਇਸ ਦੀ ਬਹੁਤ ਪ੍ਰਸੰਸਾ ਕੀਤੀ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਮੇਰਾ ਜੀਵਨ ਨਿਯਮਬੱਧ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ ਤੇ ਮੈਂ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਲ ਵਧੇਰੇ ਧਿਆਨ ਦੇ ਸਕਾਂਗਾ। ਮੈਂ ਆਪ ਵਲੋਂ ਭੇਜੇ ਇਸ ਤੋਹਫ਼ੇ ਲਈ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦ ਕਰਦਾ ਹਾਂ।

ਆਪ ਦਾ ਭਾਣਜਾ,
ਸੁਰਜੀਤ ਸਿੰਘ॥ ਟਿਕਟ

ਟਿਕਟ ਸ: ਮਨਦੀਪ ਸਿੰਘ, 20, ਮਾਡਲ ਟਾਊਨ, ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  3.
ਆਪਣੇ ਜਨਮ – ਦਿਨ ਉੱਤੇ ਆਪਣੇ ਚਾਚੇ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਨੂੰ ਸੱਦਾ – ਪੱਤਰ ਭੇਜੋ।
ਉੱਤਰ :
28, ਸੈਂਟਰਲ ਟਾਊਨ,
ਸੋਨੀਪਤ !
8 ਜਨਵਰੀ, 20…..

ਪਿਆਰੇ ਸਤੀਸ਼,
ਤੈਨੂੰ ਇਹ ਜਾਣ ਕੇ ਬੜੀ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਹੋਵੇਗੀ ਕਿ 11 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਮੇਰਾ 11ਵਾਂ ਜਨਮਦਿਨ ਹੈ ਅਤੇ ਮੈਂ ਇਸ ਦਿਨ ਉੱਤੇ ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰਾਂ ਤੇ ਭਰਾਵਾਂ ਨੂੰ ਚਾਹ ਦੀ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਰਿਹਾ ਹਾਂ। ਇਸ ਲਈ ਮੈਂ ਤੈਨੂੰ ਇਸ ਦਿਨ ਆਪਣੇ ਜਨਮ – ਦਿਨ ਦੀ ਚਾਹ – ਪਾਰਟੀ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਲਈ ਸੱਦਾ ਦੇ ਰਿਹਾ ਹਾਂ। ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਛੋਟੇ ਭਰਾ ਨੂੰ ਨਾਲ ਲੈ ਕੇ 4 ਵਜੇ ਬਾਅਦ ਦੁਪਹਿਰ ਸਾਡੇ ਘਰ ਜ਼ਰੂਰ ਪੁੱਜ ਜਾਵੀਂ। ਆਸ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਮੈਨੂੰ ਨਿਰਾਸ਼ ਨਹੀਂ ਕਰੇਂਗਾ।. ਮੇਰੇ ਵਲੋਂ ਚਾਚਾ ਜੀ ਤੇ ਚਾਚੀ ਜੀ ਨੂੰ ਪ੍ਰਣਾਮ ! ਸ਼ੁੱਭ ਇੱਛਾਵਾਂ ਸਹਿਤ।

ਤੇਰਾ ਵੀਰ,
ਅਰੁਣ ਕੁਮਾਰ !

ਟਿਕਟ ਸਤੀਸ਼ ਕੁਮਾਰ, 9208, ਸੈਕਟਰ 26A, ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  4.
ਆਪਣੇ ਵੱਡੇ ਭਰਾ ਦੇ ਵਿਆਹ ਉੱਤੇ, ਬਰਾਤ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਲਈ, ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰ ਸਹੇਲੀ ਨੂੰ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
……… ਸਕੂਲ,
……… ਸ਼ਹਿਰ !
8 ਦਸੰਬਰ, 20…..

ਪਿਆਰੀ ਅਮਨਦੀਪ,

ਸ਼ੁੱਭ ਇੱਛਾਵਾਂ !
ਤੈਨੂੰ ਪਤਾ ਹੀ ਹੈ ਕਿ ਮੇਰੇ ਵੱਡੇ ਭਰਾ ਦਾ ਵਿਆਹ 18 ਦਸੰਬਰ, 20…. ਦਿਨ ਐਤਵਾਰ ਨੂੰ ਹੋਣਾ ਨਿਸਚਿਤ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਇਸ ਦਿਨ ਬਰਾਤ ਸਵੇਰੇ 6 ਵਜੇ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਲਈ ਤੁਰੇਗੀ।

ਮੈਂ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹਾਂ ਕਿ ਤੂੰ ਬਰਾਤ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਕੇ ਸਾਡੀਆਂ ਖ਼ੁਸ਼ੀਆਂ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਕਰੇਂ। ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਮੰਮੀ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਤੌਰ ਤੇ ਤੈਨੂੰ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖਣ ਲਈ ਕਿਹਾ ਹੈ। ਸੋ ਬਰਾਤ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣ ਲਈ ਤੂੰ ਇਕ ਰਾਤ ਪਹਿਲਾਂ ਸਾਡੇ ਕੋਲ ਪੁੱਜ ਜਾਵੇਂ, ਤਾਂ ਵਧੇਰੇ ਠੀਕ ਹੈ। ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਤੀਬਰਤਾ ਨਾਲ ਤੇਰੀ ਉਡੀਕ ਕਰਾਂਗੇ।

ਤੇਰੀ ਸਹੇਲੀ,
ਮਨਪ੍ਰੀਤ।

ਟਿਕਟ ਅਮਨਦੀਪ ਕੌਰ, 26/ਮਾਡਲ ਟਾਊਨ, ਲੁਧਿਆਣਾ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  5.
ਤੁਹਾਡਾ ਇਕ ਮਿੱਤਰ/ਸਹੇਲੀ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਫੇਲ੍ਹ ਹੋ ਗਿਆਗਈ ਹੈ ! ਉਸ ਨੂੰ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਰਾਹੀਂ ਹੌਸਲਾ ਦਿਓ।
ਉੱਤਰ :
ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
………. ਸਕੂਲ,
………. ਸ਼ਹਿਰ।
20 ਅਪ੍ਰੈਲ, 20….

ਪਿਆਰੇ ਬਰਜਿੰਦਰ,
ਮੈਨੂੰ ਇਹ ਜਾਣ ਕੇ ਬਹੁਤ ਦੁੱਖ ਹੋਇਆ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਫੇਲ੍ਹ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈਂ। ਮੈਂ ਸਮਝਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਇਸ ਵਿਚ ਤੇਰਾ ਕੋਈ ਕਸੂਰ ਨਹੀਂ। ਤੂੰ ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਦੋ ਮਹੀਨੇ ਬਿਮਾਰ ਰਿਹਾ ਸੀ ਤੇ ਸਕੂਲ ਨਹੀਂ ਸੀ ਜਾ ਸਕਿਆ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਤੇਰੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਬਹੁਤ ਪਛੜ ਗਈ ਸੀ। ਜੇਕਰ ਤੂੰ ਬਿਮਾਰ ਨਾ ਹੁੰਦਾ, ਤਾਂ ਤੂੰ ਕਦੇ ਵੀ ਫੇਲ੍ਹ ਨਾ ਹੁੰਦਾ। ਤੈਨੂੰ ਮੇਰੀ ਇਹੋ ਹੀ ਸਲਾਹ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਹੌਸਲਾ ਬਿਲਕੁਲ ਨਾ ਹਾਰ, ਸਗੋਂ ਆਪਣੀ ਸਿਹਤ ਦਾ ਪੂਰਾ – ਪੂਰਾ ਖ਼ਿਆਲ ਰੱਖਦਾ ਹੋਇਆ ਅੱਗੋਂ ਪੜ੍ਹਾਈ ਨੂੰ ਜਾਰੀ ਰੱਖ। ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਆਉਂਦੀ ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਵਿਚ ਤੂੰ ਜ਼ਰੂਰ ਹੀ ਪਾਸ ਹੋ ਜਾਵੇਂਗਾ।

ਤੇਰਾ ਮਿੱਤਰ,
ਹਰਜਿੰਦਰ।

ਟਿਕਟ : ਬਰਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ, ਸਪੁੱਤਰ ਸ: ਲਾਲ ਸਿੰਘ, 88, ਫਰੈਂਡਜ਼ ਕਾਲੋਨੀ, ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ।

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ  6.
ਤੁਹਾਡਾ ਮਿੱਤਰ/ਸਹੇਲੀ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਪਾਸ ਹੋ ਗਿਆ/ਗਈ ਹੈ। ਉਸ ਨੂੰ ਇਕ ਵਧਾਈ – ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
……….ਸਕੂਲ,
…….. ਸ਼ਹਿਰ !
28 ਅਪਰੈਲ, 20….

ਪਿਆਰੀ ਕੁਲਵਿੰਦਰ,
ਮੈਨੂੰ ਅੱਜ ਹੀ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦੀ ਚਿੱਠੀ ਮਿਲੀ। ਉਸ ਵਿਚੋਂ ਇਹ ਪੜ ਕੇ ਬਹੁਤ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਹੋਈ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਸਾਰੀ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਪਹਿਲੇ ਨੰਬਰ ‘ਤੇ ਰਹਿ ਕੇ ਛੇਵੀਂ ਦਾ ਇਮਤਿਹਾਨ ਪਾਸ ਕੀਤਾ ਹੈ। ਮੈਂ ਤੇਰੀ ਸਫਲਤਾ ਉੱਤੇ ਤੈਨੂੰ ਦਿਲੀ ਵਧਾਈ ਭੇਜਦੀ ਹਾਂ। ਆਪ ਦੇ ਮਾਤਾ – ਪਿਤਾ ਨੂੰ ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ।

ਤੇਰੀ ਸਹੇਲੀ,
ਹਰਜੀਤ।

ਟਿਕਟ ਕੁਲਵਿੰਦਰ ਕੌਰ, ਸਪੁੱਤਰੀ ਸ: ਮਹਿੰਦਰ ਸਿੰਘ, 823, ਹਰਨਾਮਦਾਸ ਪੁਰਾ, ਜਲੰਧਰ

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  7.
ਤੁਹਾਡਾ ਭਰਾ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਦਿਲਚਸਪੀ ਰੱਖਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਿਚ ਨਹੀਂ, ਉਸ ਨੂੰ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਰਾਹੀਂ ਪੜ੍ਹਾਈ ਕਰਨ ਦੀ ਪ੍ਰੇਰਨਾ ਦਿਓ।
ਉੱਤਰ :
ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
……..ਸਕੂਲ,
ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਤੋਂ
5 ਜਨਵਰੀ, 20….

ਪਿਆਰੇ ਜਸਵਿੰਦਰ,
ਸ਼ੁੱਭ ਇੱਛਾਵਾਂ। ਮੈਨੂੰ ਅੱਜ ਹੀ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦੀ ਚਿੱਠੀ ਮਿਲੀ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਮੈਨੂੰ ਲਿਖਿਆ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਹਰ ਵੇਲੇ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਹੀ ਮਸਤ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈਂ ਤੇ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਲ ਬਿਲਕੁਲ ਧਿਆਨ ਨਹੀਂ ਦਿੰਦਾ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਨੌਮਾਹੀ ਇਮਤਿਹਾਨਾਂ ਵਿਚ ਸਾਰੇ ਮਜ਼ਮੂਨਾਂ ਵਿਚੋਂ ਫੇਲ੍ਹ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈਂ। ਮੈਨੂੰ ਤੇਰੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਲੋਂ ਇਸ ਲਾਪਰਵਾਹੀ ਨੂੰ ਜਾਣ ਕੇ ਬਹੁਤ ਦੁੱਖ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਤੈਨੂੰ ਪਤਾ ਹੈ ਕਿ ਤੇਰਾ ਇਮਤਿਹਾਨ ਤੇਰੇ ਸਿਰ ‘ਤੇ ਆ ਗਿਆ ਹੈ। ਤੈਨੂੰ ਹੁਣ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚ ਸਮਾਂ ਖ਼ਰਾਬ ਨਹੀਂ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਮੈਂ ਇਸ ਗੱਲ ਤੋਂ ਇਨਕਾਰ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ਕਿ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਮਹਾਨਤਾ ਹੈ, ਪਰ ਇਹ ਖੇਡਾਂ ਤਾਸ਼ ਜਾਂ ਵੀ.ਡੀ.ਓ. ਗੇਮਾਂ ਨਹੀਂ ਬਲਕਿ ਹਾਕੀ, ਫੁੱਟਬਾਲ, ਵਾਲੀਵਾਲ ਜਾਂ ਕਬੱਡੀ ਆਦਿ ਹਨ, ਜੇਕਰ ਤੇਰਾ ਦਿਲ ਚਾਹੇ, ਤਾਂ ਤੂੰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਖੇਡਾਂ ਵਿਚੋਂ ਕਿਸੇ ਇਕ ਵਿਚ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਘੰਟਾ ਡੇਢ ਘੰਟਾ ਭਾਗ ਲੈ ਸਕਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਤੇਰੇ ਕਿਤਾਬੀ ਪੜਾਈ ਨਾਲ ਥੱਕੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਨੂੰ ਤਾਜ਼ਗੀ ਮਿਲੇਗੀ। ਤੈਨੂੰ ਯਾਦ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਦਾ ਨੁਕਸਾਨ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਕੋਈ ਕੰਮ ਨਹੀਂ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ। ਤੈਨੂੰ ਇਹ ਨਹੀਂ ਭੁੱਲਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਕਿ “ਖੇਡਾਂ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਲਈ ਹਨ, ਨਾ ਕਿ ਜੀਵਨ ਖੇਡਾਂ ਲਈ !’ ਇਸ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਲ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਧਿਆਨ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਤੇ ਖੇਡਣ ਲਈ ਉਸ ਸਮੇਂ ਹੀ ਜਾਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ, ਜਦੋਂ ਤੇਰਾ ਦਿਮਾਗ਼ ਪੜ੍ਹ – ਪੜ੍ਹ ਕੇ ਥੱਕ ਚੁੱਕਾ ਹੋਵੇ। ਇਸ ਨਾਲ ਤੇਰੀ ਸਿਹਤ ਵੀ ਠੀਕ ਰਹੇਗੀ ਤੇ ਤੇਰੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵੀ ਠੀਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਚਲਦੀ ਰਹੇਗੀ।

ਆਸ ਹੈ ਕਿ ਤੂੰ ਮੇਰੀਆਂ ਉਪਰੋਕਤ ਨਸੀਹਤਾਂ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਵਿਚ ਰੱਖੇਂਗਾ ਤੇ ਅੱਗੋਂ ਮੈਨੂੰ ਮਾਤਾ ਜੀ ਵਲੋਂ ਤੇਰੇ ਵਿਰੁੱਧ ਕੋਈ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਨਹੀਂ ਮਿਲੇਗੀ।

ਤੇਰਾ ਵੱਡਾ ਵੀਰ,
ਗੁਰਜੀਤ ਸਿੰਘ॥

ਟਿਕਟ ਜਸਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ, ਰੋਲ ਨੰ: 88 VII A, ਸਰਕਾਰੀ ਹਾਈ ਸਕੂਲ, ਕੋਹਾ, ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਜਲੰਧਰ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  8.
ਦੋਸਤ ਦੇ ਜਨਮ – ਦਿਨ ਉੱਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਵਧਾਈ ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
1213 ਚਹਾਰ ਬਾਗ,
ਜਲੰਧਰ
13 ਅਕਤੂਬਰ, 20….

ਪਿਆਰੇ ਗੁਰਪ੍ਰੀਤ,
ਅੱਜ ਤੇਰੇ 11ਵੇਂ ਜਨਮ ਦਿਨ ਉੱਤੇ ਤੈਨੂੰ ਤੇ ਤੇਰੇ ਮਾਤਾ – ਪਿਤਾ ਨੂੰ ਬਹੁਤ – ਬਹੁਤ ਵਧਾਈ ਹੋਵੇ। ਅੱਜ ਭਾਵੇਂ ਕਿਸੇ ਮਜ਼ਬੂਰੀ ਕਾਰਨ ਮੈਂ ਤੇਰੇ ਜਨਮ – ਦਿਨ ਦੀ ਪਾਰਟੀ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਿਆ, ਪਰੰਤੂ ਮੇਰਾ ਸਾਰਾ ਧਿਆਨ ਤੁਹਾਡੇ ਘਰ ਵਲ ਹੀ ਹੈ। ਆਸ ਹੈ ਕਿ ਤੁਸੀਂ ਸਾਰੇ ਖ਼ੁਸ਼ੀ – ਖੁਸ਼ੀ ਆਪਣੇ ਘਰ ਨੂੰ ਸਜਾ ਕੇ ਆਪਣੇ ਸੰਬੰਧੀਆਂ ਤੇ ਦੋਸਤਾਂ – ਮਿੱਤਰਾਂ ਨਾਲ ਕੇਕ ਕੱਟ ਕੇ, ਚਾਹ – ਪਾਰਟੀ ਦਾ ਆਨੰਦ ਮਾਣ ਰਹੇ ਹੋਵੋਗੇ। ਇਸ ਮੌਕੇ ਉੱਤੇ ਆਪ ਆਏ ਪ੍ਰਾਹੁਣਿਆਂ ਤੇ ਦੋਸਤਾਂ – ਮਿੱਤਰਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ੁੱਭ – ਇੱਛਾਵਾਂ ਤੇ ਤੋਹਫ਼ੇ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਕੇ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਨਾਲ ਖਿੜੇ ਹੋਏ ਹੋਵੋਗੇ। ਕਾਸ਼ ! ਇਸ ਮੌਕੇ ਉੱਤੇ ਮੈਂ ਵੀ ਤੇਰੇ ਕੋਲ ਹੁੰਦਾ।

ਸ਼ੁੱਭ – ਇੱਛਾਵਾਂ ਸਹਿਤ।
ਤੇਰਾ ਮਿੱਤਰ
ਹਰਨੇਕ॥

ਟਿਕਟ
ਪਤਾ …………….
…………….
…………….

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  9.
ਤੁਹਾਡੇ ਮੁਹੱਲੇ ਵਿਚ ਸਫ਼ਾਈ, ਰੌਸ਼ਨੀ ਤੇ ਗੰਦੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਨਿਕਾਸ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਠੀਕ ਨਹੀਂ। ਇਸ ਨੂੰ ਠੀਕ ਕਰਨ ਲਈ ਆਪਣੇ ਸ਼ਹਿਰ ਦੇ ਨਗਰ ਨਿਗਮ (ਮਿਊਂਸਿਪਲ ਕਾਰਪੋਰੇਸ਼ਨ) ਦੇ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਨੂੰ ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਭਵਨ,
……….ਸਕੂਲ,
………. ਸ਼ਹਿਰ॥
19 ਅਗਸਤ, 20…

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਸਾਹਿਬ,
ਨਗਰ ਨਿਗਮ,
……… ਸ਼ਹਿਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਅਸੀਂ ਆਪ ਦਾ ਧਿਆਨ ਆਪਣੇ ਮੁਹੱਲੇ ਸੈਂਟਰਲ ਟਾਊਨ ਵਲ ਦਿਵਾਉਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਾਂ। ਇੱਥੇ ਗੰਦਗੀ ਦੇ ਢੇਰ ਲੱਗੇ ਤੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਛੱਪੜ ਭਰੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਰਾਤ ਨੂੰ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਰੌਸ਼ਨੀ ਦਾ ਕੋਈ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨਹੀਂ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਇੱਥੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਰਹਿਣਾ ਬਹੁਤ ਔਖਾ ਹੋਇਆ ਪਿਆ ਹੈ।

ਇਸ ਮੁਹੱਲੇ ਦੀਆਂ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਥਾਂ – ਥਾਂ ਗੰਦਗੀ ਦੇ ਢੇਰ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਹਨ। ਲੋਕ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਪਸ਼ੂ ਬੰਨ੍ਹਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਹ ਗੋਹੇ ਨਾਲ ਭਰੀਆਂ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਲੋਕ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਨਾਲੀਆਂ ਵਿਚ ਹੀ ਟੱਟੀਆਂ ਫਿਰਾਉਂਦੇ ਹਨ ਸਾਡੇ ਮੁਹੱਲੇ ਦਾ ਕੁੱਝ ਭਾਗ ਕਾਫ਼ੀ ਨੀਵਾਂ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਥੋੜ੍ਹੀ ਜਿਹੀ ਬਰਸਾਤ ਹੋਣ ਨਾਲ ਇੱਥੇ ਪਾਣੀ ਖੜ੍ਹਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਸਫ਼ਾਈ ਸੇਵਕ ਬੜੀ ਬੇਪਰਵਾਹੀ ਨਾਲ ਸਫ਼ਾਈ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਸੀਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕਈ ਵਾਰ ਕਿਹਾ ਹੈ, ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੰਨਾਂ ‘ਤੇ ਜੂੰ ਨਹੀਂ ਸਰਕਦੀ।

ਕਈ ਵਾਰੀ ਸੀਵਰੇਜ ਬੰਦ ਹੋਣ ਮਗਰੋਂ ਗਲੀਆਂ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸੜਾਂਦ ਮਾਰਦੇ ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਭਰ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ ਪਾਣੀ ਦੇ ਨਿਕਾਸ ਦਾ ਕੋਈ ਯੋਗ ਪ੍ਰਬੰਧ ਨਹੀਂ ਮੱਛਰ ਤੇ ਮੱਖੀਆਂ ਬੜੇ ਮਜ਼ੇ ਨਾਲ ਪਲ ਰਹੇ ਹਨ। ਪਿਛਲੇ ਹਫ਼ਤੇ ਹੈਜ਼ੇ ਦੇ ਦੋ ਕੇਸ ਹੋ ਚੁੱਕੇ ਹਨ ਅਜਿਹੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਕਰਕੇ ਲੋਕਾਂ ਵਿਚ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਦਾ ਸਹਿਮ ਛਾਇਆ ਹੋਇਆ ਹੈ।

ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਮੁਹੱਲੇ ਦੀਆਂ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਬਲਬ ਟੁੱਟ ਚੁੱਕੇ ਹਨ ਤੇ ਕਈ ਫਿਊਜ਼ ਹੋ ਚੁੱਕੇ ਹਨ। ਪਿਛਲੇ ਛੇ ਮਹੀਨਿਆਂ ਤੋਂ ਇਸ ਪਾਸੇ ਵਲ ਕੋਈ ਕਰਮਚਾਰੀ ਰੌਸ਼ਨੀ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਠੀਕ ਕਰਨ ਨਹੀਂ ਆਇਆ ਹਾਲਾਂਕਿ ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਵਾਰ – ਵਾਰ ਸ਼ਿਕਾਇਤਾਂ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾ ਚੁੱਕੀਆਂ ਹਨ। ਨਗਰ ਨਿਗਮ ਦੇ ਕਰਮਚਾਰੀਆਂ ਦੀ ਇਸ ਮੁਹੱਲੇ ਵਲ ਅਣਗਹਿਲੀ ਦੇਖ ਕੇ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਾਪਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਸਾਡਾ ਮੁਹੱਲਾ ਨਗਰ ਨਿਗਮ ਦੇ ਨਕਸ਼ੇ ਵਿਚ ਹੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ।

ਅਸੀਂ ਆਸ ਕਰਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਆਪ ਸਾਡੀ ਬੇਨਤੀ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਵਿਚ ਰੱਖਦੇ ਹੋਏ ਮੁਹੱਲਾ ਨਿਵਾਸੀਆਂ ਨੂੰ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਕਿਸੇ ਛੂਤ ਦੇ ਰੋਗ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਇਸਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਦੇ ਨਾਲ – ਨਾਲ ਗੰਦੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਨਿਕਾਸ ਦਾ ਉੱਚਿਤ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰੋਗੇ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਰੌਸ਼ਨੀ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਠੀਕ ਕਰਨ ਵਲ ਵੀ ਧਿਆਨ ਦਿਓਗੇ।

ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ।

ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ – ਪਾਤਰ,
ਦਰਬਾਰਾ ਸਿੰਘ,
ਤੇ ਬਾਕੀ ਮੁਹੱਲਾ ਨਿਵਾਸੀ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  10.
ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰ ਜਾਂ ਸਹੇਲੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਗਣਤੰਤਰ ਦਿਵਸ ਮਨਾਏ ਜਾਣ ਸੰਬੰਧੀ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
……….ਸਕੂਲ,
ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ
28 ਜਨਵਰੀ, 20…

ਪਿਆਰੀ ਹਰਪ੍ਰੀਤ,
ਪਰਸੋਂ ਛੱਬੀ ਜਨਵਰੀ ਦਾ ਦਿਨ ਸੀ। ਤੈਨੂੰ ਪਤਾ ਹੀ ਹੈ ਇਸ ਦਿਨ 1950 ਵਿਚ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਸੰਵਿਧਾਨ ਲਾਗੂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ ਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਹਰ ਸਾਲ ਦੇਸ਼ ਭਰ ਵਿਚ ਗਣਤੰਤਰ ਦਿਵਸ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਹਰ ਸਾਲ ਵਾਂਗ ਐਤਕੀਂ ਵੀ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਇਹ ਦਿਨ ਬੜੇ ਉਤਸ਼ਾਹ ਨਾਲ ਮਨਾਇਆ ਗਿਆ ਸਵੇਰੇ ਸਾਢੇ 8 ਵਜੇ ਜ਼ਿਲਾ ਸਿੱਖਿਆ ਅਫ਼ਸਰ ਨੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਝੰਡਾ ਲਹਿਰਾਉਣ ਦੀ ਰਸਮ ਅਦਾ ਕੀਤੀ।

ਇਸਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਗੀਤ ‘ਜਨ ਗਨ ਮਨ……’ ਗਾਇਆ ਗਿਆ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਸਾਰਿਆਂ ਨੇ ਸਾਵਧਾਨ ਖੜੇ ਹੋ ਕੇ ਭਾਗ ਲਿਆ।। ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਸਾਰੇ ਅਧਿਆਪਕ ਮੁੱਖ ਮਹਿਮਾਨਾਂ ਸਮੇਤ ਕੁਰਸੀਆਂ ਉੱਤੇ ਬੈਠ ਗਏ ਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਸਾਹਮਣੇ ਦਰੀਆਂ ਉੱਪਰ। ਦੇਸ਼ ਦੀ ਗਣਤੰਤਰਤਾ ਦਿਵਸ ਤੇ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਸੰਬੰਧੀ ਕੁੱਝ ਭਾਸ਼ਨਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਤਰੱਕੀ ਸੰਬੰਧੀ ਵੀ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਦੱਸਿਆ ਗਿਆ। ਕੁੱਝ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੇ ਦੇਸ਼ ਭਗਤੀ ਦੇ ਗੀਤ ਗਾਏ।

ਕੁੜੀਆਂ ਨੇ ਗਿੱਧਾ ਤੇ ਮੁੰਡਿਆਂ ਨੇ ਭੰਗੜਾ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਇਸ ਸਮੇਂ ਵੱਖ – ਵੱਖ ਵਿਸ਼ਿਆਂ, ਖੇਡਾਂ ਤੇ ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਵਿਚ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਇਨਾਮ ਵੀ ਦਿੱਤੇ ਗਏ। ਅੰਤ ਵਿਚ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਮੁੱਖ ਮਹਿਮਾਨਾਂ ਦਾ ਧੰਨਵਾਦ ਕੀਤਾ।

ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿਚ ਸਕੂਲ ਵਲੋਂ ਸਾਰੇ ਮਹਿਮਾਨਾਂ, ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਵਿਚ ਲੱਡੂ ਵੰਡੇ ਗਏ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਵਿਚ ਦੇਸ਼ ਪਿਆਰ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਪੈਦਾ ਕੀਤੀ ਗਈ।

ਤੇਰੀ ਸਹੇਲੀ,
ਅੰਮ੍ਰਿਤਪਾਲ॥

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  11.
ਆਪਣੇ ਦੋਸਤ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦੀ ਮੌਤ ਤੇ ਅਫ਼ਸੋਸ ਦੀ ਇੱਕ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਖ਼ਾਲਸਾ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ,
ਪੰਡੋਰੀ ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਜਲੰਧਰ।
18 ਅਗਸਤ, 20…

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

ਪਿਆਰੇ ਮਨਜਿੰਦਰ,
ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ। ਕਲ਼ ਹੀ ਮੈਨੂੰ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦੀ ਚਿੱਠੀ ਤੋਂ ਪਤਾ ਲੱਗਾ ਕਿ ਤੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਅਚਾਨਕ ਸਾਨੂੰ ਸਦੀਵੀਂ ਵਿਛੋੜਾ ਦੇ ਗਏ ਹਨ। ਇਹ ਖ਼ਬਰ ਸੁਣ ਕੇ ਮੈਂ ਤਾਂ ਹੈਰਾਨ ਹੀ ਰਹਿ ਗਿਆ ਹਾਂ ਮੈਨੂੰ ਬਹੁਤ ਹੀ ਦੁੱਖ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਚਾਚਾ ਜੀ ਦੀ ਉਮਰ ਅਜੇ ਬਹੁਤੀ ਨਹੀਂ ਸੀ। ਅਜੇ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਅਗਲੇ ਦੋ ਸਾਲਾਂ ਤਕ ਰੀਟਾਇਰ ਹੋਣਾ ਸੀ ਅਸੀਂ ਕਦੇ ਸੋਚਿਆ ਵੀ ਨਹੀਂ ਸੀ ਕਿ ਉਹ ਇੰਨੀ ਜਲਦੀ ਇਸ ਸੰਸਾਰ ਤੋਂ ਚਲੇ ਜਾਣਗੇ ਅਸਲ ਵਿਚ ਸ਼ੂਗਰ ਦੀ ਬਿਮਾਰੀ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪੇਸ਼ ਨਹੀਂ ਜਾਣ ਦਿੱਤੀ ਪਰ ਸ਼ੂਗਰ ਦੇ ਰੋਗੀ ਵੀ ਕਈ ਸਾਲ ਜਿਊਂਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਮਾਤਾ ਜੀ ਨੇ ਲਿਖਿਆ ਹੈ ਕਿ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਹਾਰਟ ਅਟੈਕ ਹੋਇਆ ਤੇ ਉਹ ਹਸਪਤਾਲ ਦੇ ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਹੀ ਪ੍ਰਾਣ ਤਿਆਗ ਗਏ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਬਚਾਉਣ ਦਾ ਕੋਈ ਹੀਲਾ ਵੀ ਨਾ ਚਲ ਸਕਿਆ। ਇੱਥੇ ਆ ਕੇ ਬੰਦਾ ਬੇਵੱਸ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਦੇ ਭਾਣੇ ਅੱਗੇ ਸਿਰ ਝੁਕਾਉਣਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ। ਹੋਰ ਅਸੀਂ ਕਰ ਵੀ ਕੀ ਸਕਦੇ ਹਾਂ।

ਤੁਹਾਡੇ ਪਰਿਵਾਰ ਉੱਤੇ ਇਹ ਔਖਾ ਸਮਾਂ ਹੈ। ਤੁਹਾਨੂੰ ਸਭ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਹੌਸਲੇ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ। ਹੌਸਲੇ ਨਾਲ ਹੀ ਅਸੀਂ ਆਪਣੇ ਸਿਰ ਪਈਆਂ ਨਵੀਆਂ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਸੰਭਾਲ ਸਕਦੇ ਹਾਂ। ਮੇਰੀ ਪਰਮਾਤਮਾ ਅੱਗੇ ਇਹੋ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਤੁਹਾਨੂੰ ਸਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਇਸ ਦੁੱਖ ਦੀ ਘੜੀ ਵਿਚ ਚੜਦੀ ਕਲਾ ਵਿਚ ਰਹਿਣ ਦਾ ਬਲ ਬਖ਼ਸ਼ੇ ਅਤੇ ਅੱਗੋਂ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿਚ ਤੁਹਾਨੂੰ ਕਿਤੇ ਵੀ ਡੋਲਣ ਨਾ ਦੇਵੇ।

ਤੇਰਾ ਮਿੱਤਰ,
ੳ, ਅ, ੲ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  12.
ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰ ਨੂੰ ਵਿਆਹ ਦੀਆਂ ਰਸਮਾਂ ਦਾ ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠਾ ਹਾਲ ਦੱਸਣ ਲਈ ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਨੋਟ – ਇਹ ਪੱਤਰ ਲਿਖਣ ਲਈ ਵਾਲੇ ਭਾਗ ਵਿਚੋਂ “ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠੇ ਵਿਆਹ ਦਾ ਹਾਲ” ਲੇਖ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਲਵੋ।

13. ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਘਰ ਵਿਚ ਜ਼ਰੂਰੀ ਕੰਮ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਲੈਣ ਲਈ ਇਕ ਬੇਨਤੀ – ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ !
ਉੱਤਰ :
ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ,
……… ਸਕੂਲ,
ਪਿੰਡ …….
ਜ਼ਿਲਾ …..

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਨੂੰ ਘਰ ਵਿਚ ਇਕ ਜ਼ਰੂਰੀ ਕੰਮ ਪੈ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਅੱਜ ਸਕੂਲ ਨਹੀਂ ਆ ਸਕਦਾ। ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਮੈਨੂੰ ਇਕ ਦਿਨ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ। ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

ਪਿਆਰੇ ਮਨਜਿੰਦਰ,
ਸਤਿ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ। ਕਲ਼ ਹੀ ਮੈਨੂੰ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦੀ ਚਿੱਠੀ ਤੋਂ ਪਤਾ ਲੱਗਾ ਕਿ ਤੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਅਚਾਨਕ ਸਾਨੂੰ ਸਦੀਵੀਂ ਵਿਛੋੜਾ ਦੇ ਗਏ ਹਨ। ਇਹ ਖ਼ਬਰ ਸੁਣ ਕੇ ਮੈਂ ਤਾਂ ਹੈਰਾਨ ਹੀ ਰਹਿ ਗਿਆ ਹਾਂ। ਮੈਨੂੰ ਬਹੁਤ ਹੀ ਦੁੱਖ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਚਾਚਾ ਜੀ ਦੀ ਉਮਰ ਅਜੇ ਬਹੁਤੀ ਨਹੀਂ ਸੀ। ਅਜੇ ਤਾਂ ਉਨਾਂ ਨੇ ਅਗਲੇ ਦੋ ਸਾਲਾਂ ਤਕ ਰੀਟਾਇਰ ਹੋਣਾ ਸੀ। ਅਸੀਂ ਕਦੇ ਸੋਚਿਆ ਵੀ ਨਹੀਂ ਸੀ ਕਿ ਉਹ ਇੰਨੀ ਜਲਦੀ ਇਸ ਸੰਸਾਰ ਤੋਂ ਚਲੇ ਜਾਣਗੇ ਅਸਲ ਵਿਚ ਸ਼ੂਗਰ ਦੀ ਬਿਮਾਰੀ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪੇਸ਼ ਨਹੀਂ ਜਾਣ ਦਿੱਤੀ ਪਰ ਸ਼ੂਗਰ ਦੇ ਰੋਗੀ ਵੀ ਕਈ ਸਾਲ ਜਿਉਂਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਮਾਤਾ ਜੀ ਨੇ ਲਿਖਿਆ ਹੈ ਕਿ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਹਾਰਟ ਅਟੈਕ ਹੋਇਆ ਤੇ ਉਹ ਹਸਪਤਾਲ ਦੇ ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਹੀ ਪ੍ਰਾਣ ਤਿਆਗ ਗਏ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਬਚਾਉਣ ਦਾ ਕੋਈ ਹੀਲਾ ਵੀ ਨਾ ਚਲ ਸਕਿਆ। ਇੱਥੇ ਆ ਕੇ ਬੰਦਾ ਬੇਵੱਸ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਦੇ ਭਾਣੇ ਅੱਗੇ ਸਿਰ ਝੁਕਾਉਣਾ ਪੈਂਦਾ ਹੈ। ਹੋਰ ਅਸੀਂ ਕਰ ਵੀ ਕੀ ਸਕਦੇ ਹਾਂ।

ਤੁਹਾਡੇ ਪਰਿਵਾਰ ਉੱਤੇ ਇਹ ਔਖਾ ਸਮਾਂ ਹੈ। ਤੁਹਾਨੂੰ ਸਭ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਹੌਸਲੇ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ।ਹੌਸਲੇ ਨਾਲ ਹੀ ਅਸੀਂ ਆਪਣੇ ਸਿਰ ਪਈਆਂ ਨਵੀਆਂ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਸੰਭਾਲ ਸਕਦੇ ਹਾਂ। ਮੇਰੀ ਪਰਮਾਤਮਾ ਅੱਗੇ ਇਹੋ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਤੁਹਾਨੂੰ ਸਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਇਸ ਦੁੱਖ ਦੀ ਘੜੀ ਵਿਚ ਚੜ੍ਹਦੀ ਕਲਾ ਵਿਚ ਰਹਿਣ ਦਾ ਬਲ ਬਖ਼ਸ਼ੇ ਅਤੇ ਅੱਗੋਂ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿਚ ਤੁਹਾਨੂੰ ਕਿਤੇ ਵੀ ਡੋਲਣ ਨਾ ਦੇਵੇ।

ਤੇਰਾ ਮਿੱਤਰ,
ੳ, ਅ, ੲ।

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  12.
ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰ ਨੂੰ ਵਿਆਹ ਦੀਆਂ ਰਸਮਾਂ ਦਾ ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠਾ ਹਾਲ ਦੱਸਣ ਲਈ ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
(ਨੋਟ – ਇਹ ਪੱਤਰ ਲਿਖਣ ਲਈ ਵਾਲੇ ਭਾਗ ਵਿਚੋਂ ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠੇ ਵਿਆਹ ਦਾ ਹਾਲ ਲੇਖ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਲਵੋ॥

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  13.
ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਘਰ ਵਿਚ ਜ਼ਰੂਰੀ ਕੰਮ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਲੈਣ ਲਈ ਇਕ ਬੇਨਤੀ – ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ,
……… ਸਕੂਲ,
ਪਿੰਡ……….
ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ………

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਨੂੰ ਘਰ ਵਿਚ ਇਕ ਜ਼ਰੂਰੀ ਕੰਮ ਪੈ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਕਰਕੇ। ਮੈਂ ਅੱਜ ਸਕੂਲ ਨਹੀਂ ਆ ਸਕਦਾ। ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਮੈਨੂੰ ਇਕ ਦਿਨ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ। ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ।
ਉੱਤਰ :
ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
………….. ਸਿੰਘ,
ਰੋਲ ਨੰ: …………,
ਛੇਵੀਂ ‘ਏ।

ਮਿਤੀ : 23 ਜਨਵਰੀ, 20….

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  14.
ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਅੱਧੇ ਦਿਨ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਲੈਣ ਲਈ ਬਿਨੈ – ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ,
ਸਰਕਾਰੀ ਹਾਈ ਸਕੂਲ,
ਨਸਰਾਲਾ,
ਜ਼ਿਲਾ ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਘਰ ਦਾ ਬਿਜਲੀ ਦਾ ਬਿੱਲ ਜਮਾਂ ਕਰਾਉਣ ਜਾਣਾ ਹੈ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਨੂੰ ਅੱਧੇ ਦਿਨ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ। ਅੱਧੀ ਛੁੱਟੀ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਹਾਜ਼ਰ ਹੋ ਜਾਵਾਂਗਾ।

ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ।

ਆਪ ਦਾ ਅਗਿਆਕਾਰੀ,
………….. ਸਿੰਘ,
ਰੋਲ ਨੰ: ……..

ਮਿਤੀ : 23 ਜਨਵਰੀ, 20….

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ  15.
ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਵੱਡੀ ਭੈਣ ਜਾਂ ਵੱਡੇ ਭਰਾ ਦੇ ਵਿਆਹ ‘ਤੇ ਚਾਰ ਦਿਨ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਲੈਣ ਲਈ ਬੇਨਤੀ – ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
………………. ਸਕੂਲ,
………………. ਸ਼ਹਿਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੇਰੀ ਵੱਡੀ ਭੈਣ/ਭਰਾ ਦਾ ਵਿਆਹ 10 ਜਨਵਰੀ, 20… ਨੂੰ ਹੋਣਾ ਨਿਯਤ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਵਿਆਹ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਨ ਲਈ ਮੈਨੂੰ ਘਰ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਕੰਮ ਹੈ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਸਕੂਲ ਨਹੀਂ ਆ ਸਕਦਾ। ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੈਨੂੰ 8 ਤੋਂ 11 ਜਨਵਰੀ ਤਕ ਚਾਰ ਦਿਨ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ। ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
…….. ਸਿੰਘ,
ਰੋਲ ਨੰ: …………
ਛੇਵੀਂ ‘ਸੀ।

ਮਿਤੀ : 7 ਜਨਵਰੀ, 20.

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  16.
ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਬਿਮਾਰੀ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਲੈਣ ਲਈ ਬੇਨਤੀ – ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
………….. ਸਕੂਲ,
………….. ਸ਼ਹਿਰ।

ਸੀਮਾਨ ਜੀ.
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਬਿਮਾਰ ਹਾਂ, ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਅੱਜ ਸਕੂਲ ਨਹੀਂ ਆ ਸਕਦਾ।ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੈਨੂੰ ਦੋ ਦਿਨ ਦੀ ਛੁੱਟੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ। ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
………….. ਕੁਮਾਰ,
ਰੋਲ ਨੰ: …………..
ਛੇਵੀਂ ‘ਬੀ।

ਮਿਤੀ : 12 ਫ਼ਰਵਰੀ, 20…

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ  17.
ਸਕੂਲ ਛੱਡਣ ਦਾ ਸਰਟੀਫਿਕੇਟ ਅਤੇ ਚਰਿੱਤਰ ਸਰਟੀਫ਼ਿਕੇਟ ਲੈਣ ਲਈ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਬੇਨਤੀ – ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
………….. ਸਕੂਲ,
………….. ਸ਼ਹਿਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਆਪ ਦੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਦਾ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਹਾਂ। ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਜਨਰਲ ਪੋਸਟ ਆਫਿਸ, ਜਲੰਧਰ ਵਿਚ ਕਲਰਕ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਹਨ। ਪਿਛਲੇ ਮਹੀਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਬਦਲੀ ਲੁਧਿਆਣੇ ਦੀ ਹੋ ਗਈ ਸੀ। ਇਸ ਲਈ ਮੇਰਾ ਜਲੰਧਰ ਵਿਚ ਰਹਿਣਾ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ। ਹੁਣ ਮੈਂ ਲੁਧਿਆਣੇ ਜਾ ਕੇ ਹੀ ਪੜ੍ਹ ਸਕਾਂਗਾ। ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੈਨੂੰ ਸਕੂਲ ਛੱਡਣ ਦਾ ਸਰਟੀਫ਼ਿਕੇਟ ਤੇ ਚਰਿੱਤਰ ਸਰਟੀਫ਼ਿਕੇਟ ਦਿੱਤੇ ਜਾਣ। ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
………. ਚੰਦਰ,
ਰੋਲ ਨੰ……….,
ਛੇਵੀਂ ‘ਡੀ।

ਮਿਤੀ : 5 ਦਸੰਬਰ, 20….

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  18.
ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਡੀਸ ਮਾਫੀ ਲਈ ਪ੍ਰਾਰਥਨਾ – ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
………….. ਸਕੂਲ,
………….. ਪਿੰਡ,
ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ…………..।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਆਪ ਦੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਦਾ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਹਾਂ। ਮੈਂ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਦੀ ਸਾਲਾਨਾ ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਵਿਚ ਸਾਰੀ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਅੱਵਲ ਰਿਹਾ ਹਾਂ। ਮੇਰਾ ਪੜ੍ਹਨ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਦਿਲ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਇਕ ਕਾਰਖ਼ਾਨੇ ਵਿਚ ਚਪੜਾਸੀ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਤਨਖ਼ਾਹ ਬਹੁਤੀ ਨਹੀਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਤਨਖ਼ਾਹ ਨਾਲ ਸਾਡੇ ਘਰ ਦੇ ਪੰਜ ਜੀਆਂ ਦਾ ਗੁਜ਼ਾਰਾ ਬੜੀ ਮੁਸ਼ਕਲ ਨਾਲ ਚਲਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਗ਼ਰੀਬੀ ਕਰਕੇ ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਮੇਰੀ ਸਕੂਲ ਦੀ ਫ਼ੀਸ ਨਹੀਂ ਦੇ ਸਕਦੇ। ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੇਰੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਿਚ ਰੁਚੀ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਵਿਚ ਰੱਖਦੇ ਹੋਏ ਆਪ ਮੇਰੀ ਪੂਰੀ ਫ਼ੀਸ ਮਾਫ਼ ਕਰ ਦਿਓ। ਮੈਂ ਆਪ ਜੀ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
……….. ਕੁਮਾਰ,
ਰੋਲ ਨੰ: ………..
ਛੇਵੀਂ ਏ।

ਮਿਤੀ : 17 ਅਪਰੈਲ, 20.

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ਪ੍ਰਸ਼ਨ  19.
ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਜੁਰਮਾਨੇ ਦੀ ਮਾਫ਼ੀ ਲਈ ਬੇਨਤੀ – ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
……….. ਸਕੂਲ,
……….. ਸ਼ਹਿਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਆਪ ਜੀ ਦੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਦਾ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਹਾਂ। ਪਿਛਲੇ ਮਹੀਨੇ ਹੋਈ ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਵਿਚ ਹਿਸਾਬ ਦਾ ਪੇਪਰ ਨਾ ਦੇ ਸਕਣ ਕਰਕੇ ਮੈਨੂੰ ਪੰਜ ਰੁਪਏ ਜੁਰਮਾਨਾ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ਅਸਲ ਵਿਚ ਮੈਂ ਉਸ ਦਿਨ ਬਹੁਤ ਬਿਮਾਰ ਸਾਂ, ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਉਹ ਪੇਪਰ ਨਾ ਦੇ ਸਕਿਆ। ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦੀ ਆਮਦਨ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੈ। ਉਹ ਮੇਰੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਦਾ ਖ਼ਰਚ ਬੜੀ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਨਾਲ ਚਲਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਮੇਰਾ ਜ਼ੁਰਮਾਨਾ ਮਾਫ਼ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ। ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
………. ਸਿੰਘ,
ਰੋਲ ਨੰ: ………….,
ਛੇਵੀਂ ‘ਬੀ’

ਮਿਤੀ : 19 ਜਨਵਰੀ, 20…..

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  20.
ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜਾਂ ਪ੍ਰਿੰਸੀਪਲ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਸੈਕਸ਼ਨ ਬਦਲਣ ਲਈ ਬੇਨਤੀ – ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ,
………. ਸਕੂਲ,
ਪਿੰਡ……….
ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ………..।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਤੇ ਮੇਰਾ ਭਰਾ ਕੁਲਬੀਰ ਸਿੰਘ ਰੋਲ ਨੰ: 87 ਆਪ ਦੇ ਸਕੂਲ ਵਿਖੇ ਛੇਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚ ਪੜ੍ਹਦੇ ਹਾਂ। ਪਰ ਬੀਤੇ ਹਫ਼ਤੇ ਨਵੇਂ ਬਣੇ ਸੈਕਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ਮੇਰਾ ਰੋਲ ਨੰ: “ਏ ਸੈਕਸ਼ਨ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ਤੇ ਮੇਰੇ ਭਰਾ ਦਾ ਰੋਲ ਨੰਬਰ ‘ਬੀ’ ਸੈਕਸ਼ਨ ਵਿਚ ਚਲਾ ਗਿਆ ਹੈ। ਪਰ ਸਾਡੇ ਕੋਲ ਕੁੱਝ ਕਿਤਾਬਾਂ ਸਾਂਝੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਅਸੀਂ ਦੋਵੇਂ ਵੱਖ – ਵੱਖ ਸੈਕਸ਼ਨਾਂ ਵਿਚ ਨਹੀਂ ਪੜ੍ਹ ਸਕਦੇ ਤੇ ਗ਼ਰੀਬੀ ਕਾਰਨ ਸਾਡੇ ਘਰ ਦੇ ਸਾਨੂੰ ਵੱਖ – ਵੱਖ ਕਿਤਾਬਾਂ ਵੀ ਖ਼ਰੀਦ ਕੇ ਨਹੀਂ ਦੇ ਸਕਦੇ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਆਪ ਮੈਨੂੰ ਮੇਰੇ ਭਰਾ ਵਾਲੇ ਸੈਕਸ਼ਨ ਵਿਚ ਭੇਜ ਦੇਵੋ। ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰੀ,
ੳ, ਅ, ੲ,
ਰੋਲ ਨੰ: 88,
ਛੇਵੀਂ “ਏ”

ਮਿਤੀ : 16 ਅਪਰੈਲ, 20…..

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  21.
ਆਪਣੇ ਇਲਾਕੇ ਦੇ ਡਾਕੀਏ ਦੀ ਲਾਪਰਵਾਹੀ ਵਿਰੁੱਧ ਪੋਸਟ ਮਾਸਟਰ ਨੂੰ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਕਰੋ।
ਉੱਤਰ :
ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਪੋਸਟ ਮਾਸਟਰ ਸਾਹਿਬ,
ਜਨਰਲ ਪੋਸਟ ਆਫ਼ਿਸ,
……….. ਸ਼ਹਿਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਮੈਂ ਆਪ ਅੱਗੇ ਇਸ ਪ੍ਰਾਰਥਨਾ – ਪੱਤਰ ਰਾਹੀਂ ਆਪਣੇ ਮੁਹੱਲੇ ਦੇ ਡਾਕੀਏ ਰਾਮ ਨਾਥ ਦੀ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਕਰਨੀ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹਾਂ। ਮੈਂ ਉਸ ਨੂੰ ਮੂੰਹ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਵਾਰੀ ਕਿਹਾ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਿਭਾਵੇ, ਪਰ ਉਸ ਦੇ ਕੰਨਾਂ ’ਤੇ ਨੂੰ ਨਹੀਂ ਸਰਕਦੀ ਅੱਕ ਕੇ ਮੈਂ ਆਪ ਅੱਗੇ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹਾਂ। ਉਹ ਸਾਡੇ ਮੁਹੱਲੇ ਵਿਚ ਕਦੇ ਵੀ ਡਾਕ ਸਮੇਂ ਸਿਰ ਨਹੀਂ ਵੰਡਦਾ ਕਈ ਵਾਰ ਤਾਂ ਦੋ – ਦੋ ਦਿਨਾਂ ਦੀ ਡਾਕ ਇਕੱਠੀ ਹੀ ਵੰਡਦਾ ਹੈ। ਕਈ ਵਾਰ ਉਹ ਚਿੱਠੀਆਂ ਇਧਰ – ਉਧਰ ਗਲਤ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਦੇ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਬਣਦੀ ਹੈ। ਪਰਸੋਂ ਮੈਨੂੰ ਨੌਕਰੀ ਲਈ ਇੰਟਰਵਿਊ ਦੀ ਇਕ ਚਿੱਠੀ ਆਈ ਸੀ, ਜੋ ਕਿ ਮੈਨੂੰ ਦੋ ਦਿਨ ਲੇਟ ਮਿਲੀ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਆਪਣੀ ਇੰਟਰਵਿਊ ਨਾ ਦੇ ਸਕਿਆ। ਮੈਂ ਇਹ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਆਪਣੇ ਅਤੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਭਲੇ ਲਈ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹਾਂ। ਮੇਰਾ ਇਸ ਡਾਕੀਏ ਨਾਲ ਕੋਈ ਨਿੱਜੀ ਵੈਰ ਨਹੀਂ।

ਮੈਂ ਆਸ ਕਰਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਆਪ ਮੇਰੇ ਇਸ ਬੇਨਤੀ – ਪੱਤਰ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਵਿਚ ਰੱਖ ਕੇ ਇਸ ਡਾਕੀਏ ਨੂੰ ਤਾੜਨਾ ਕਰੋਗੇ ਕਿ ਉਹ ਧਿਆਨ ਨਾਲ ਪੜੇ ਪੜ੍ਹ ਕੇ ਡਾਕ ਦੀ ਵੰਡ ਸਮੇਂ ਸਿਰ ਕਰਿਆ ਕਰੇ।

ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ।
ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ – ਪਾਤਰ,
……… ਕੁਮਾਰ!

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  22.
ਤੁਹਾਡਾ ਸਾਈਕਲ ਗੁਆਚ ਗਿਆ ਹੈ। ਤੁਸੀਂ ਉਸ ਦੀ ਬਾਣੇ ਵਿਚ ਰਿਪੋਰਟ ਲਿਖਾਉਣ ਲਈ ਮੁੱਖ ਥਾਣਾ ਅਫ਼ਸਰ ਐੱਸ. ਐੱਚ. ਓ.) ਨੂੰ ਬੇਨਤੀ – ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਐੱਸ.ਐੱਚ.ਓ. ਸਾਹਿਬ,
ਚੌਕੀ ਨੰਬਰ 4,
……… ਸ਼ਹਿਰ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

ਸੀਮਾਨ ਜੀ.
ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਅੱਜ ਸਵੇਰੇ ਮੇਰਾ ਸਾਈਕਲ ਗੁੰਮ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ। ਉਸ ਦੀ ਭਾਲ ਕਰਨ ਵਿਚ ਆਪ ਆਪਣੇ ਕਰਮਚਾਰੀਆਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਦਿਓ। ਮੈਂ ਅੱਜ ਸਵੇਰੇ 11 ਵਜੇ ਪੰਜਾਬ ਨੈਸ਼ਨਲ ਬੈਂਕ ਵਿਚ ਰੁਪਏ ਕਢਵਾਉਣ ਲਈ ਗਿਆ ਅਤੇ ਸਾਈਕਲ ਨੂੰ ਜਿੰਦਰਾ ਲਾ ਕੇ ਬਾਹਰ ਖੜ੍ਹਾ ਕਰ ਗਿਆ ਸਾਂ। ਪਰ ਜਦੋਂ 11.30 ‘ਤੇ ਬਾਹਰ ਆਇਆ, ਤਾਂ ਉੱਥੇ ਸਾਈਕਲ ਨਾ ਦੇਖ ਕੇ ਮੈਂ ਹੈਰਾਨ ਰਹਿ ਗਿਆ। ਮੈਂ ਸਮਝ ਗਿਆ ਕਿ ਉਸ ਨੂੰ ਕੋਈ ਸਾਈਕਲ – ਚੋਰ ਚੁੱਕ ਕੇ ਲੈ ਗਿਆ ਹੈ !

ਮੇਰਾ ਸਾਈਕਲ ਰਾਬਨ – ਹੁੱਡ ਹੈ ਅਤੇ ਉਸ ਦਾ ਨੰਬਰ A-334060 ਹੈ। ਮੈਂ ਇਸ ਸਾਈਕਲ ਨੂੰ ਖ਼ਾਲਸਾ ਸਾਈਕਲ ਸਟੋਰ, ਜਲੰਧਰ ਤੋਂ ਮਾਰਚ, 2000 ਵਿਚ ਖ਼ਰੀਦਿਆ ਸੀ। ਉਸ ਦੀ ਰਸੀਦ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਹੈ। ਇਸ ਦੇ ਚੇਨ – ਕਵਰ ਉੱਤੇ ਮੇਰਾ ਨਾਂ ਲਿਖਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਇਸ ਦੀ ਉਚਾਈ 2 ਇੰਚ ਅਤੇ ਰੰਗ ਹਰਾ ਹੈ। ਮੈਂ ਸਾਈਕਲ ਦੀ ਸੂਹ ਦੇਣ ਵਾਲੇ ਨੂੰ 100 ਰੁਪਏ ਇਨਾਮ ਦੇਣ ਲਈ ਵੀ ਤਿਆਰ ਹਾਂ।

ਮੈਂ ਆਸ ਕਰਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਆਪ ਆਪਣੇ ਕਰਮਚਾਰੀਆਂ ਨੂੰ ਹੁਕਮ ਦੇ ਕੇ ਮੇਰਾ ਸਾਈਕਲ ਲਭਾਉਣ ਵਿਚ ਮੇਰੀ ਪੂਰੀ – ਪੂਰੀ ਮੱਦਦ ਕਰੋਗੇ !

ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ।

ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ – ਪਾਤਰ,
……….. ਸਿੰਘ,
ਮਾਡਲ ਟਾਊਨ,
…….. ਸ਼ਹਿਰ ਨੂੰ

ਮਿਤੀ : 10 ਦਸੰਬਰ, 20…..

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  23.
ਕਿਸੇ ਕਿਤਾਬਾਂ ਦੇ ਦੁਕਾਨਦਾਰ ਨੂੰ ਚਿੱਠੀ ਲਿਖੋ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਕੁੱਝ ਕਿਤਾਬਾਂ ਮੰਗਾਉਣ ਲਈ ਆਰਡਰ ਭੇਜੋ।
ਉੱਤਰ :
ਪੀਖਿਆ ਭਵਨ,
ਗੌਰਮਿੰਟ ਗਰਲਜ਼ ਹਾਈ ਸਕੂਲ,
ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਰੋਪੜ।
28 ਅਪਰੈਲ, 20……………

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੈਸਰਜ਼ ਮਲਹੋਤਰਾ ਬੁੱਕ ਡਿਪੋ,
ਐੱਮ. ਬੀ. ਡੀ. ਹਾਊਸ,
ਰੇਲਵੇ ਰੋਡ,
ਜਲੰਧਰ

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਮੈਨੂੰ ਹੇਠ ਲਿਖੀਆਂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਜਲਦੀ ਤੋਂ ਜਲਦੀ ਵੀ.ਪੀ.ਪੀ. ਕਰ ਕੇ ਭੇਜ ਦਿਓ। ਕਿਤਾਬਾਂ ਦਾ ਐਡੀਸ਼ਨ ਨਵਾਂ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਜਿਲਦਾਂ ਮਜ਼ਬੂਤ ਹੋਣੀਆਂ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ। ਛਪਾਈ ਸਾਫ਼ – ਸੁਥਰੀ ਹੋਵੇ। ਕੀਮਤ ਵੀ ਵਾਜਬ ਹੀ ਲੱਗਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਲੋੜੀਂਦਾ ਕਮਿਸ਼ਨ ਕੱਟ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ।

ਕਿਤਾਬਾਂ ਦੀ ਸੂਚੀ :
1. ਐੱਮ. ਬੀ. ਡੀ. ਪੰਜਾਬੀ ਗਾਈਡ (ਛੇਵੀਂ ਸ਼੍ਰੇਣੀ) 1 ਪੁਸਤਕ
2. ਐੱਮ. ਬੀ. ਡੀ. ਗਣਿਤ
3. ਐੱਮ. ਬੀ. ਡੀ. ਇੰਗਲਿਸ਼ ਟੈਸਟ ਪੇਪਰ ,, ,,
4. ਐੱਮ. ਬੀ. ਡੀ. ਹਿੰਦੀ ਗਾਈਡ ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ।

ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ – ਪਾਤਰ,
ਰੋਲ ਨੰ: ……..

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  24.
ਤੁਹਾਡੀ ਸ਼੍ਰੇਣੀ ਕੋਈ ਮੈਚ ਦੇਖਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਸੰਬੰਧ ਵਿਚ ਆਪਣੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ ਤੋਂ ਆਗਿਆ ਲੈਣ ਲਈ ਬਿਨੈ – ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ,
………..ਸਕੂਲ,
……….ਸ਼ਹਿਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਅੱਜ ਚੌਥੇ ਪੀਰੀਅਡ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਖ਼ਾਲਸਾ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ ਜੀ. ਟੀ. ਰੋਡ ਦੀ ਗਰਾਊਂਡ ਵਿਚ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਤੇ ਸਾਈਂ ਦਾਸ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ ਦੀਆਂ ਟੀਮਾਂ ਵਿਚਕਾਰ ਹਾਕੀ ਦਾ ਮੈਚ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ ਸਾਡੀ ਸਾਰੀ ਜਮਾਤ ਇਸ ਮੈਚ ਨੂੰ ਦੇਖਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਕਿਉਂਕਿ ਇਸ ਵਿਚ ਸਾਡੀ ਜਮਾਤ ਦੇ ਦੋ ਖਿਡਾਰੀ ਖੇਡ ਰਹੇ ਹਨ। ਜੇਕਰ ਆਪ ਸਾਡੀ ਸਾਰੀ ਜਮਾਤ ਨੂੰ ਇਹ ਮੈਚ ਦੇਖਣ ਦੀ ਆਗਿਆ ਦੇ ਦੇਵੋ, ਤਾਂ ਆਪ ਦੀ ਬਹੁਤ ਮਿਹਰਬਾਨੀ ਹੋਵੇਗੀ।

ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ – ਪਾਤਰ,
ਮਨਿੰਦਰ ਸਿੰਘ,
ਮਨੀਟਰ,
ਛੇਵੀਂ ‘ਏਂ।

ਮਿਤੀ : 10 ਨਵੰਬਰ, 20……

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  25.
ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਦੂਜੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਟੀਮ ਨਾਲ ਮੈਚ ਖੇਡਣ ਦੀ ਆਗਿਆ ਲੈਣ ਲਈ ਬੇਨਤੀ – ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
………ਸਕੂਲ,
………. ਸ਼ਹਿਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਅਸੀਂ ਖ਼ਾਲਸਾ ਹਾਈ ਸਕੂਲ, ਮੁਕੇਰੀਆਂ ਦੀ ਹਾਕੀ ਟੀਮ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਮੈਚ ਖੇਡਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਾਂ। ਸਾਨੂੰ ਉਮੀਦ ਹੈ ਕਿ ਅਸੀਂ ਇਹ ਮੈਚ ਜ਼ਰੂਰ ਜਿੱਤ ਜਾਵਾਂਗੇ। ਕਿਰਪਾ ਕਰ ਕੇ ਮੈਚ ਖੇਡਣ ਦੀ ਆਗਿਆ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰੀ,
ਸਿੰਘ, ਰੋਲ ਨੰ: …..,
ਛੇਵੀਂ ‘ਏ।

ਮਿਤੀ : ਨਵੰਬਰ, 20….

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  26.
ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਦਾਖ਼ਲਾ ਲੈਣ ਲਈ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਨੂੰ ਬਿਨੈ – ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ,
…………. ਸਕੂਲ,
…………. ਸ਼ਹਿਰ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਪੰਜਵੀਂ ਸਰਕਾਰੀ ਹਾਈ ਸਕੂਲ, ਮਾਡਲ ਟਾਊਨ, ਲੁਧਿਆਣਾ ਤੋਂ ਪਾਸ ਕੀਤੀ ਹੈ ਤੇ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦੀ ਜਲੰਧਰ ਬਦਲੀ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਮੈਂ ਵੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਜਲੰਧਰ ਆ ਗਿਆ ਹਾਂ। ਮੈਂ ਲੁਧਿਆਣੇ ਤੋਂ ਸਕੂਲ ਛੱਡਣ ਦਾ ਸਰਟੀਫ਼ਿਕੇਟ ਤੇ ਚਰਿੱਤਰ ਸਰਟੀਫ਼ਿਕੇਟ ਲੈ ਆਇਆ ਹਾਂ। ਮੈਂ ਪੰਜਵੀਂ ਦੇ ਇਮਤਿਹਾਨ ਵਿਚ ਆਪਣੀ ਜਮਾਤ ਵਿਚੋਂ ਫ਼ਸਟ ਰਿਹਾ ਹਾਂ। ਹੁਣ ਮੈਂ ਆਪ ਜੀ ਦੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਦਾਖ਼ਲ ਹੋਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹਾਂ। ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਮੈਨੂੰ ਛੇਵੀਂ ਕਲਾਸ ਵਿਚ ਦਾਖ਼ਲਾ ਦਿੱਤਾ ਜਾਵੇ ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ।

ਆਪ ਦਾ ਆਗਿਆਕਾਰ,
ਉ.ਅ.ਬ.

ਮਿਤੀ : 10 ਮਈ, 20 ……………….

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  27.
ਸਕੂਲ ਮੁਖੀ ਨੂੰ ਐੱਨ. ਸੀ. ਸੀ. /ਸਕਾਊਟ ਜਾਂ ਗਰਲ ਗਾਈਡ ਟੀਮ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਕਰਨ ਲਈ ਬਿਨੈ – ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਜੀ,
ਸਰਕਾਰੀ ਮਿਡਲ ਸਕੂਲ,
ਬੁਲੋਵਾਲ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਸਨਿਮਰ ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਐੱਨ.ਸੀ.ਸੀ. ਸਕਾਊਟ ਜਾਂ ਗਰਲ ਗਾਈਡ ਟੀਮ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋਣਾ ਚਾਹੁੰਦਾ/ਚਾਹੁੰਦੀ ਹਾਂ। ਕਿਰਪਾ ਕਰਕੇ ਮੈਨੂੰ ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਆਗਿਆ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇ, ਮੈਂ ਆਪ ਦਾ ਬਹੁਤ ਧੰਨਵਾਦੀ ਹੋਵਾਂਗਾ/ਹੋਵਾਂਗੀ।

ਆਪ ਦਾ/ਆਪਦੀ ਆਗਿਆਕਾਰ
ਉ.ਅ.ਬ.
ਕਲਾਸ ਛੇਵੀਂ ਸੀ।

ਮਿਤੀ : 18 ਸਤੰਬਰ, 20…..

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਚਿੱਠੀ-ਪੱਤਰ (1st Language)

ਪ੍ਰਸ਼ਨ  28.
ਸੰਪਾਦਕ, ਮੈਗਜ਼ੀਨ ਸੈਕਸ਼ਨ, ਪੰਜਾਬ ਸਕੂਲ ਸਿੱਖਿਆ ਬੋਰਡ ਵਲੋਂ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਲਈ ਛਪਦੇ ਰਸਾਲੇ ਮੰਗਵਾਉਣ ਲਈ ਇਕ ਬੇਨਤੀ ਪੱਤਰ ਲਿਖੋ।
ਉੱਤਰ :
2202 ਆਦਰਸ਼ ਨਗਰ,
ਜਲੰਧਰ
12 ਸਤੰਬਰ, 20……

ਸੇਵਾ ਵਿਖੇ
ਸੰਪਾਦਕ ਸਾਹਿਬ,
ਮੈਗਜ਼ੀਨ ਸੈਕਸ਼ਨ,
ਪੰਜਾਬ ਸਕੂਲ ਸਿੱਖਿਆ ਬੋਰਡ,
ਸਾਹਿਬਜ਼ਾਦਾ ਅਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨਗਰ।

ਸ੍ਰੀਮਾਨ ਜੀ,
ਬੇਨਤੀ ਹੈ ਕਿ ਆਪ ਵਲੋਂ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਲਈ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਿਤ ਕੀਤੇ ਜਾਂਦੇ ਰਸਾਲੇ ‘ਪੰਖੜੀਆਂ ਅਤੇ ‘ਪ੍ਰਾਇਮਰੀ ਸਿੱਖਿਆ’ ਨੂੰ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਵਿਚ ਨਿਯਮਿਤ ਤੌਰ ਤੇ ਪਦਾ ਹਾਂ। ਇਹ ਰਸਾਲੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰਨ, ਜਾਣਕਾਰੀ ਵਧਾਉਣ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਰਚਨਾਤਮਕ ਰੁਚੀਆਂ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਹਨ। ਮੈਂ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹਾਂ ਕਿ ਘਰ ਵਿਚ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮੇਰੇ ਹੋਰ ਭੈਣ – ਭਰਾ ਤੇ ਗੁਆਂਢੀ ਬੱਚੇ ਵੀ ਪੜ੍ਹਨ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਆਪ ਮੇਰੇ ਉੱਪਰ ਲਿਖੇ ਪਤੇ ਉੱਤੇ ਇਹ ਰਸਾਲੇ ਇਕ ਸਾਲ ਲਈ ਭੇਜਣੇ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿਓ। ਮੈਂ ਆਪ ਜੀ ਨੂੰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਚੰਦੇ ਦਾ ਬੈਂਕ ਡਰਾਫ਼ਟ ਨੰ: PQ 1628196 ਮਿਤੀ 12 ਸਤੰਬਰ, 20….. ਪੰਜਾਬ ਐਂਡ ਸਿੰਧ ਬੈਂਕ ਤੋਂ ਬਣਵਾ ਕੇ ਇਸ ਪੱਤਰ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਭੇਜ ਰਿਹਾ ਹਾਂ।

ਧੰਨਵਾਦ ਸਹਿਤ !

ਆਪ ਦਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ – ਪਾਤਰ,
ਮਨਪ੍ਰੀਤ ਸਿੰਘ

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

Punjab State Board PSEB 6th Class Punjabi Book Solutions Punjabi Rachana Lekha Rachana ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ Exercise Questions and Answers.

PSEB 6th Class Hindi Punjabi Rachana ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

1. ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ

ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਮੋਢੀ ਸਨ। ਆਪ ਦਾ ਜਨਮ 15 ਅਪਰੈਲ, 1469 ਈ: ਨੂੰ ਰਾਏ ਭੋਇ ਦੀ ਤਲਵੰਡੀ (ਅੱਜ – ਕਲ੍ਹ ਨਨਕਾਣਾ ਸਾਹਿਬ, ਪਾਕਿਸਤਾਨ) ਵਿਚ ਹੋਇਆ। ਉੱਬ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਚ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਰਵਾਇਤ ਅਨੁਸਾਰ ਆਪ ਦਾ ਜਨਮ ਕੱਤਕ ਦੀ ਪੂਰਨਮਾਸ਼ੀ ਨੂੰ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਆਪ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ ਮਹਿਤਾ ਕਾਲੂ ਅਤੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦਾ ਨਾਂ : ਤ੍ਰਿਪਤਾ ਸੀ।

ਜਿਸ ਸਮੇਂ ਆਪ ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਆਏ, ਉਸ ਸਮੇਂ ਹਰ ਪਾਸੇ ਜਬਰ – ਜ਼ੁਲਮ ਹੋ ਰਿਹਾ ਸੀ। ਹਰ ਪਾਸੇ ਪਾਖੰਡ ਤੇ ਅਨਿਆਂ ਪ੍ਰਧਾਨ ਸੀ। ਸੱਤ ਸਾਲ ਦੀ ਉਮਰ ਵਿਚ ਆਪ ਨੂੰ ਪਾਂਧੇ ਕੋਲ ਪੜ੍ਹਨ ਲਈ ਭੇਜਿਆ ਗਿਆ। ਆਪ ਨੇ ਆਪਣੇ ਵਿਚਾਰ ਦੱਸ ਕੇ ਪਾਂਧੇ ਨੂੰ ਨਿਹਾਲ ਕੀਤਾ।

ਜਵਾਨ ਹੋਣ ‘ਤੇ ਆਪ ਦਾ ਮਨ ਘਰ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿਚ ਨਾ ਲੱਗਾ। ਪਿਤਾ ਮਹਿਤਾ ਕਾਲੂ ਨੇ ਆਪ ਨੂੰ ਆਪ ਦੀ ਭੈਣ ਬੇਬੇ ਨਾਨਕੀ ਕੋਲ ਸੁਲਤਾਨਪੁਰ ਭੇਜ ਦਿੱਤਾ ! ਇੱਥੇ ਆਪ ਨੇ ਨਵਾਬ ਦੌਲਤ ਖਾਂ ਲੋਧੀ ਦਾ ਮੋਦੀਖ਼ਾਨਾ ਚਲਾਇਆ ! ਸੁਲਤਾਨਪੁਰ ਵਿਚ ਹੀ ਇਕ ਦਿਨ ਆਪ ਵੇਈਂ ਨਦੀ ਵਿਚ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰਨ ਗਏ ਤੇ ਤਿੰਨ ਦਿਨ ਅਲੋਪ ਰਹੇ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਆਪ ਨੂੰ ਨਿਰੰਕਾਰ ਵਲੋਂ ਸੰਸਾਰ ਦਾ ਕਲਿਆਣ ਕਰਨ ਦਾ ਸੁਨੇਹਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਇਆ।

ਇਸ ਤੋਂ ਪਿੱਛੋਂ ਆਪ ਨੇ ਸੰਸਾਰ ਨੂੰ ਤਾਰਨ ਲਈ ਪੂਰਬ, ਦੱਖਣ, ਉੱਤਰ ਤੇ ਪੱਛਮ ਦੀਆਂ ਚਾਰ ਉਦਾਸੀਆਂ ਕੀਤੀਆਂ ਤੇ ਸੰਸਾਰ ਨੂੰ ਸੱਚ ਦਾ ਉਪਦੇਸ਼ ਦਿੱਤਾ ਆਪ ਹਿੰਦੂਆਂ ਦੇ ਗੁਰੂ ਤੇ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਦੇ ਪੀਰ ਕਹਾਏ। ਆਪ ਨੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀ ਬਾਣੀ ਰਚੀ। ਆਪ ਨੇ ਆਪਣੀ ਗੱਦੀ ਦਾ ਵਾਰਸ ਭਾਈ ਲਹਿਣਾ ਜੀ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਅੰਗਦ ਦੇਵ ਨਾਂ ਨਾਲ ਸੁਸ਼ੋਭਿਤ ਕਰਕੇ ਚੁਣਿਆ। 22 ਸਤੰਬਰ, 1539 ਈ: ਨੂੰ ਆਪ ਕਰਤਾਰਪੁਰ ਵਿਚ ਜੋਤੀ – ਜੋਤ ਸਮਾ ਗਏ।

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2. ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ

ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਦਸਵੇਂ ਗੁਰੂ ਹੋਏ ਹਨ। ਆਪ ਦਾ ਜਨਮ 1666 ਈ: ਵਿਚ ਪਟਨਾ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਖੇ ਮਾਤਾ ਗੁਜਰੀ ਜੀ ਦੀ ਕੁੱਖੋਂ ਹੋਇਆ। ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਆਪ ਦੇ ਪਿਤਾ ਸਨ। ਬਚਪਨ ਵਿਚ ਆਪ ਆਪਣੇ ਹਾਣੀਆਂ ਨਾਲ ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਚੋਜ ਕਰਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਸਨ।

1672 ਈ: ਵਿਚ ਆਪ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਪਟਨੇ ਤੋਂ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਆ ਗਏ। ਇੱਥੇ ਆਪ ਨੇ ਸ਼ਸਤਰ ਵਿੱਦਿਆ ਤੇ ਧਾਰਮਿਕ ਵਿੱਦਿਆ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ।

ਮੁਗਲ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਨੇ ਹਿੰਦੂ ਧਰਮ ਨੂੰ ਖ਼ਤਮ ਕਰਨ ਲਈ ਅੱਤ ਚੁੱਕੀ ਹੋਈ ਸੀ। ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਪੰਡਤ ਦੁਖੀ ਹੋ ਕੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਸਾਹਿਬ ਕੋਲ ਸਹਾਇਤਾ ਲਈ ਫ਼ਰਿਆਦ ਲੈ ਕੇ ਆਏ। ਉਸ ਸਮੇਂ ਆਪ ਕੇਵਲ 9 ਸਾਲਾਂ ਦੇ ਸਨ। ਆਪ ਨੇ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੂੰ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੇ ਜ਼ੁਲਮਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਕੁਰਬਾਨੀ ਦੇਣ ਲਈ ਦਿੱਲੀ ਭੇਜਿਆ।

ਪਿਤਾ ਜੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਪਿੱਛੋਂ ਆਪ ਨੇ ਕੌਮ ਨੂੰ ਇਕ – ਮੁੱਠ ਕਰ ਕੇ ਸ਼ਸਤਰ ਵਿੱਦਿਆ ਦੇਣੀ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ। 1699 ਈ: ਵਿਚ ਵਿਸਾਖੀ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਆਪ ਨੇ ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਸਾਜਿਆ ਤੇ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਦੀ ਦਾਤ ਬਖ਼ਸ਼ੀ। ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਗੁਰੂ ਜੀ ਨੂੰ ਪਹਾੜੀ ਰਾਜਿਆਂ ਤੇ ਮੁਗ਼ਲ ਫ਼ੌਜਾਂ ਨਾਲ ਕਈ ਲੜਾਈਆਂ ਲੜਨੀਆਂ ਪਈਆਂ। ਆਪ ਦੇ ਦੁਸ਼ਮਣਾਂ ਨੂੰ ਹਰ ਥਾਂ ਹਾਰ ਦਾ ਮੂੰਹ ਦੇਖਣਾ ਪਿਆ। ਆਪ ਦੇ ਦੋ ਛੋਟੇ ਸਾਹਿਬਜ਼ਾਦਿਆਂ ਨੂੰ ਸਰਹੰਦ ਦੇ ਨਵਾਬ ਨੇ ਨੀਹਾਂ ਵਿਚ ਚਿਣਵਾ ਦਿੱਤਾ ! ਦੋ ਵੱਡੇ ਸਾਹਿਬਜ਼ਾਦੇ ਚਮਕੌਰ ਦੀ ਜੰਗ ਵਿਚ ਸ਼ਹੀਦ ਹੋ ਗਏ।

ਅੰਤ ਆਪ ਨੰਦੇੜ ਪੁੱਜੇ। 1708 ਈ: ਵਿਚ ਆਪ ਇੱਥੇ ਹੀ ਜੋਤੀ – ਜੋਤ ਸਮਾ ਗਏ

3. ਮਹਾਤਮਾ ਗਾਂਧੀ

ਮਹਾਤਮਾ ਗਾਂਧੀ ਭਾਰਤ ਦੇ ਰਾਸ਼ਟਰ – ਪਿਤਾ ਸਨ ਆਪ ਨੇ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਲਈ ਘੋਲ ਕੀਤਾ ਆਪ ਅਹਿੰਸਾ ਦੇ ਅਵਤਾਰ ਸਨ ਨੂੰ ਆਪ ਦਾ ਜਨਮ 2 ਅਕਤੂਬਰ, 1869 ਈ: ਨੂੰ ਪੋਰਬੰਦਰ (ਕਾਠੀਆਵਾੜ, ਗੁਜਰਾਤ ਵਿਚ ਹੋਇਆ ਆਪ ਦਾ ਪੂਰਾ ਨਾਂ ਮੋਹਨ ਦਾਸ ਕਰਮ ਚੰਦ ਗਾਂਧੀ ਸੀ ਆਪ ਸਦਾ ਸੱਚ ਬੋਲਦੇ ਸਨ ਤੇ ਮਾਤਾ – ਪਿਤਾ ਦੀ ਆਗਿਆ ਦਾ ਪਾਲਣ ਕਰਦੇ ਸਨ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਬੀ. ਏ. ਪਾਸ ਕਰ ਕੇ ਆਪ ਨੇ ਵਲਾਇਤ ਤੋਂ ਬੈਰਿਸਟਰੀ ਦੀ ਡਿਗਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ।

ਆਪ ਦੇ ਮਨ ਵਿਚ ਦੇਸ਼ – ਪਿਆਰ ਠਾਠਾਂ ਮਾਰ ਰਿਹਾ ਸੀ ਆਪ ਨੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਅਜ਼ਾਦ ਕਰਾਉਣ ਦਾ ਨਿਸਚਾ ਕਰ ਲਿਆ। ਆਪ ਨੇ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਦੀ ਵਾਗ – ਡੋਰ ਸੰਭਾਲ ਕੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਘੋਲ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ ਤੇ ਨਾ – ਮਿਲਵਰਤਨ ਲਹਿਰ ਤੇ ਹੋਰ ਲਹਿਰਾਂ ਚਲਾਈਆਂ। ਗਾਂਧੀ ਜੀ ਕਈ ਵਾਰ ਜੇਲ੍ਹ ਗਏ 1930 ਈ: ਵਿਚ ਆਪ ਨੇ ਲੂਣ ਦਾ ਸਤਿਆਗ੍ਰਹਿ ਕੀਤਾ। 1942 ਈ: ਵਿਚ ਆਪ ਨੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ‘ਭਾਰਤ ਛੱਡੋ’ ਲਹਿਰ ਚਲਾਈ। ਅੰਤ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੇ ਮਜਬੂਰ ਹੋ ਕੇ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਈ: ਨੂੰ ਹਥਿਆਰ ਸੁੱਟ ਦਿੱਤੇ ਅਤੇ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਅਜ਼ਾਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਵੰਡ ਕਾਰਨ ਹੋਏ ਫ਼ਿਰਕੂ ਫ਼ਸਾਦਾਂ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਆਪ ਬਹੁਤ ਦੁਖੀ ਹੋਏ।

ਆਪ ਅਛੂਤ – ਉਧਾਰ ਦੇ ਬਹੁਤ ਹਾਮੀ ਸਨ ਅਤੇ ਆਪ ਨੇ ਜਾਤ – ਪਾਤ ਤੇ ਛੂਤ ਛਾਤ ਦੇ ਭੇਦ – ਭਾਵ ਨੂੰ ਖ਼ਤਮ ਕਰਨ ਲਈ ਸਿਰ – ਤੋੜ ਯਤਨ ਕੀਤੇ।

30 ਜਨਵਰੀ, 1948 ਈ: ਨੂੰ ਹਤਿਆਰੇ ਨੱਥੂ ਰਾਮ ਗੌਡਸੇ ਨੇ ਗੋਲੀਆਂ ਮਾਰ ਕੇ ਆਪ ਨੂੰ ਸ਼ਹੀਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ।

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4. ਪੰਡਿਤ ਜਵਾਹਰ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ

ਪੰਡਿਤ ਜਵਾਹਰ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ ਦਾ ਜਨਮ 14 ਨਵੰਬਰ, 1889 ਈ: ਨੂੰ ਅਲਾਹਾਬਾਦ ਵਿਚ ਉੱਘੇ ਵਕੀਲ ਤੇ ਦੇਸ਼ – ਭਗਤ ਪੰਡਿਤ ਮੋਤੀ ਲਾਲ ਨਹਿਰੂ ਦੇ ਘਰ ਹੋਇਆ। ਆਪ ਨੇ ਇੰਗਲੈਂਡ ਤੋਂ ਬੈਰਿਸਟਰੀ ਦੀ ਡਿਗਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤੀ। ਇੰਗਲੈਂਡ ਤੋਂ ਵਾਪਸ ਪਰਤ ਕੇ ਆਪ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੀ ਲਹਿਰ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਲੈਣ ਲੱਗੇ।

1920 ਈ: ਵਿੱਚ ਜਦੋਂ ਗਾਂਧੀ ਜੀ ਨੇ ਨਾ – ਮਿਲਵਰਤਨ ਲਹਿਰ ਚਲਾਈ, ਤਾਂ ਨਹਿਰੂ ਜੀ ਨੇ ਪਰਿਵਾਰ ਸਮੇਤ ਇਸ ਲਹਿਰ ਵਿਚ ਹਿੱਸਾ ਲਿਆ 1930 ਈ: ਵਿਚ ਪੰਡਿਤ ਨਹਿਰੂ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਚੁਣੇ ਗਏ ਆਪ ਕਈ ਵਾਰ ਜੇਲ੍ਹ ਗਏ।

ਅੰਤ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਈ: ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਅਜ਼ਾਦ ਹੋ ਗਿਆ ਭਾਰਤ ਦੇ ਦੋ ਟੋਟੇ ਹੋ ਗਏ।

ਆਪ ਅਜ਼ਾਦ ਭਾਰਤ ਦੇ ਪਹਿਲੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਬਣੇ।

ਪੰਡਿਤ ਨਹਿਰੂ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਹੇਠ ਭਾਰਤ ਨੇ ਬਹੁਤ ਤਰੱਕੀ ਕੀਤੀ ਆਪ ਨੇ ਹਰ ਇਕ ਦੇਸ਼ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾ ਵਧਾਈ ਆਪ ਜੰਗ ਦੇ ਵਿਰੋਧੀ ਅਤੇ ਸ਼ਾਂਤੀ ਦੇ ਪੁਜਾਰੀ ਸਨ।

ਪੰਡਿਤ ਨਹਿਰੂ ਦੇ ਦਿਲ ਵਿਚ ਦੇਸ਼ – ਵਾਸੀਆਂ ਨਾਲ ਅਥਾਹ ਪਿਆਰ ਸੀ। ਬੱਚੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ “ਚਾਚਾ ਨਹਿਰੂ’ ਆਖ ਕੇ ਪੁਕਾਰਦੇ ਸਨ।

ਭਾਰਤ ਵਾਸੀਆਂ ਦਾ ਇਹ ਹਰਮਨ – ਪਿਆਰਾ ਨੇਤਾ 27 ਮਈ, ਲ ਦੀ ਧੜਕਣ ਬੰਦ ਹੋਣ ਨਾਲ ਅੱਖਾਂ ਮੀਟ ਗਿਆ।

5. ਸ਼ਹੀਦ ਸ: ਭਗਤ ਸਿੰਘ

ਸ: ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਦਾ ਸਿਰਲੱਥ ਯੋਧਾ ਸੀ। ਉਸ ਦਾ ਪਿਤਾ ਸ: ਕਿਸ਼ਨ ਸਿੰਘ ਕਾਂਗਰਸ ਦਾ ਉੱਘਾ ਲੀਡਰ ਸੀ ਸ: ਅਜੀਤ ਸਿੰਘ ਜਲਾਵਤਨ ਉਸ ਦਾ ਚਾਚਾ ਸੀ। ਉਸ ਦਾ ਜਨਮ 27 ਸਤੰਬਰ, 1907 ਈ: ਨੂੰ ਚੱਕ ਨੰਬਰ 105, ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਲਾਇਲਪੁਰ ਵਿਚ ਹੋਇਆ ਖਟਕੜ ਕਲਾਂ (ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ ਜਲੰਧਰ) ਉਸ ਦਾ ਜੱਦੀ ਪਿੰਡ ਸੀ। ਬਚਪਨ ਵਿਚ ਜਲਿਆਂ ਵਾਲੇ ਬਾਗ ਦੇ ਖੂਨੀ ਕਾਂਡ ਨੇ ਉਸ ਦੇ ਮਨ ਉੱਪਰ ਡੂੰਘਾ ਅਸਰ ਪਾਇਆ 1925 ਵਿਚ ਭਗਤ ਸਿੰਘ, ਸੁਖਦੇਵ, ਭਗਵਤੀ ਚਰਨ ਤੇ ਧਨਵੰਤੀ ਆਦਿ ਨੇ “ਨੌਜਵਾਨ ਭਾਰਤ ਸਭਾ ਬਣਾਈ ਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਘੋਲ ਆਰੰਭ ਕਰ ਦਿੱਤਾ।

ਸ: ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਤੇ ਉਸ ਦੇ ਸਾਥੀਆਂ ਨੇ ਲਾਲਾ ਲਾਜਪਤ ਰਾਏ ਦੇ ਕਤਲ ਦਾ ਬਦਲਾ ਲੈਣ ਲਈ ਸਾਂਡਰਸ ਨੂੰ ਮਾਰਿਆ ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ 8 ਅਪਰੈਲ, 1929 ਨੂੰ ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਤੇ ਬੀ. ਕੇ. ਦੱਤ ਨੇ ਧਮਾਕੇ ਵਾਲੇ ਦੋ ਬੰਬ ਅਸੈਂਬਲੀ ਹਾਲ ਵਿਚ ਸੁੱਟੇ ਤੇ ‘ਇਨਕਲਾਬ ਜ਼ਿੰਦਾਬਾਦ ਦੇ ਨਾਅਰੇ ਲਾਉਂਦਿਆਂ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰੀ ਦੇ ਦਿੱਤੀ। ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਮੁਕੱਦਮੇ ਦਾ ਡਰਾਮਾ ਰਚ ਕੇ ਬੰਬ ਸੁੱਟਣ ਦੇ ਦੋਸ਼ ਵਿਚ ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਤੇ ਬੀ. ਕੇ. ਦੱਤ ਨੂੰ ਉਮਰ ਕੈਦ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਦਿੱਤੀ। ਸਾਂਡਰਸ ਦੇ ਕਤਲ ਦੇ ਦੋਸ਼ ਵਿਚ ਅਦਾਲਤ ਨੇ 7 ਅਕਤੂਬਰ, 1930 ਨੂੰ ਭਗਤ ਸਿੰਘ, ਸੁਖਦੇਵ ਤੇ ਰਾਜਗੁਰੂ ਨੂੰ ਫਾਂਸੀ ਦੀ ਸਜ਼ਾ ਸੁਣਾਈ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਗਾਂਧੀ ਜੀ ਦਾ ਲੂਣ ਦਾ ਮੋਰਚਾ ਚਲ ਰਿਹਾ ਸੀ।

ਲੋਕ ਬੜੇ ਜੋਸ਼ ਵਿਚ ਸਨ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਡਰਦਿਆਂ 23 ਮਾਰਚ, 1931 ਨੂੰ ਰਾਤ ਵੇਲੇ ਹੀ ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਤੇ ਉਸ ਦੇ ਦੋਹਾਂ ਸਾਥੀਆਂ ਨੂੰ ਫਾਂਸੀ ਲਾਇਆ ਤੇ ਲੋਥਾਂ ਵਾਰਸਾਂ ਦੇ ਹਵਾਲੇ ਕਰਨ ਦੀ ਥਾਂ ਪਿਛਲੇ ਚੋਰ ਦਰਵਾਜ਼ੇ ਥਾਣੀ ਕੱਢ ਕੇ ਫ਼ਿਰੋਜ਼ਪੁਰ ਲੈ ਗਏ। ਤਿੰਨਾਂ ਦੀ ਇਕੱਠੀ ਚਿਖਾ ਬਣਾ ਕੇ ਤੇ ਮਿੱਟੀ ਦਾ ਤੇਲ ਪਾ ਕੇ ਅੱਗ ਲਾ ਦਿੱਤੀ।

ਅੱਧਸੜੀਆਂ ਲਾਸ਼ਾਂ ਪੁਲਿਸ ਨੇ ਦਰਿਆ ਸਤਲੁਜ ਵਿਚ ਰੋੜ੍ਹ ਦਿੱਤੀਆਂ ਭਗਤ ਸਿੰਘ ਤੇ ਉਸ ਦੇ ਸਾਥੀਆਂ ਦੀ ਇਸ ਕੁਰਬਾਨੀ ਨੇ ਸਾਰੇ ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਜਗਾ ਦਿੱਤਾ ਤੇ ਲੋਕ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢਣ ਲਈ ਹੋਰ ਵੀ ਜ਼ੋਰ ਨਾਲ ਘੋਲ ਕਰਨ ਲੱਗੇ। ਅੰਤ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਨੂੰ ਅਜਿਹੇ ਸਿਰਲੱਥ ਸੂਰਮਿਆਂ ਦੀਆਂ ਕੁਰਬਾਨੀਆਂ ਸਦਕਾ ਭਾਰਤ ਅਜ਼ਾਦ ਹੋ ਗਿਆ।

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6. ਦੀਵਾਲੀ

ਦੀਵਾਲੀ ਭਾਰਤ ਦਾ ਇਕ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ। ਇਹ ਹਰ ਸਾਲ ਕੱਤਕ ਦੀ ਮੱਸਿਆ ਨੂੰ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਕੁੱਝ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਘਰਾਂ ਦੀ ਸਫ਼ਾਈ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਆਪਣੇ ਮਕਾਨਾਂ ਨੂੰ ਸਫ਼ੈਦੀ ਤੇ ਰੰਗ – ਰੋਗਨ ਕਰਾਉਂਦੇ ਅਤੇ ਸ਼ਿੰਗਾਰਦੇ ਹਨ।

ਇਸ ਤਿਉਹਾਰ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਉਸ ਦਿਨ ਨਾਲ ਹੈ, ਜਦੋਂ ਸ੍ਰੀ ਰਾਮਚੰਦਰ ਜੀ 14 ਸਾਲਾਂ ਦਾ ਬਨਵਾਸ ਕੱਟ ਕੇ ਤੇ ਰਾਵਣ ਨੂੰ ਮਾਰ ਕੇ ਵਾਪਸ ਅਯੁੱਧਿਆ ਪਹੁੰਚੇ ਸਨ। ਉਸ ਦਿਨ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਵਿਚ ਦੀਪਮਾਲਾ ਕੀਤੀ ਸੀ। ਉਸੇ ਦਿਨ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿਚ ਅੱਜ ਵੀ ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਦਿਨ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਛੇਵੇਂ ਗੁਰੂ ਹਰਿਗੋਬਿੰਦ ਸਾਹਿਬ ਜਹਾਂਗੀਰ ਦੀ ਨਜ਼ਰਬੰਦੀ ਤੋਂ ਰਿਹਾ ਹੋ ਕੇ ਆਏ ਸਨ। ਪੰਜਾਬ ਵਿਚ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੀ ਦੀਵਾਲੀ ਦੇਖਣ ਯੋਗ ਹੁੰਦੀ ਹੈ।

ਦੀਵਾਲੀ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਲੋਕਾਂ ਵਿਚ ਬੜਾ ਚਾ ਤੇ ਉਮਾਹ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਲੋਕ ਪਟਾਕੇ, ਸਜਾਵਟ, ਪੂਜਾ ਦਾ ਸਮਾਨ ਤੇ ਮਠਿਆਈਆਂ ਖ਼ਰੀਦਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਇਕ ਦੂਜੇ ਨੂੰ ਮਠਿਆਈਆਂ ਤੇ ਤੋਹਫ਼ੇ ਦੇ ਕੇ ਦੀਵਾਲੀ ਦੀਆਂ ਸ਼ੁੱਭ – ਇੱਛਾਵਾਂ ਦਿੰਦੇ ਹਨ। ਹਨੇਰਾ ਹੋਣ ਤੇ ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਦੀਪਮਾਲਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਚਾਰੇ ਪਾਸਿਓਂ ਪਟਾਕੇ ਚੱਲਣ ਦੀਆਂ ਅਵਾਜ਼ਾਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ।

ਅਸਮਾਨ ਵਲ ਚੜ੍ਹ ਰਹੀਆਂ ਆਤਸ਼ਬਾਜ਼ੀਆਂ ਤੇ ਹਵਾਈਆਂ ਕੜਕਵੀਂ ਅਵਾਜ਼ ਨਾਲ ਫਟਦੀਆਂ ਤੇ ਅੱਗ ਦੇ ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਵਰਖਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਹੀ ਦਿਲ – ਖਿੱਚਵਾਂ ਬਣਾ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਲੋਕ ਰਾਤ ਭਰ ਲੱਛਮੀ ਦੀ ਪੂਜਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਤੇ ਦਰਵਾਜ਼ੇ ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਰੱਖਦੇ ਹਨ, ਤਾਂ ਜੋ ਲੱਛਮੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਘਰ ਫੇਰਾ ਪਾ ਸਕੇ।

ਦੀਵਾਲੀ ਦੀ ਰਾਤ ਨੂੰ ਕਈ ਲੋਕ ਸ਼ਰਾਬ ਪੀਂਦੇ, ਜੂਆ ਖੇਡਦੇ ਤੇ ਟੂਣੇ ਆਦਿ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਸਾਨੂੰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਬੁਰਾਈਆਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨ ਲਈ ਯਤਨ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਤੇ ਦੀਵਾਲੀ ਦੇ ਤਿਉਹਾਰ ਨੂੰ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਪਵਿੱਤਰ ਬਣਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।

7. ਦੁਸਹਿਰਾ

ਦੁਸਹਿਰਾ ਭਾਰਤ ਦਾ ਇਕ ਬਹੁਤ ਪੁਰਾਣਾ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ। ਇਹ ਦੀਵਾਲੀ ਤੋਂ 20 ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਦੁਸਹਿਰੇ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਉਸ ਦਿਨ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿਚ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਦੋਂ ਸ੍ਰੀ ਰਾਮ ਚੰਦਰ ਜੀ ਨੇ ਲੰਕਾ ਦੇ ਰਾਜੇ ਰਾਵਣ ਨੂੰ ਮਾਰ ਕੇ ਆਪਣੀ ਪਤਨੀ ਸੀਤਾ ਜੀ ਨੂੰ ਮੁੜ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਸੀ। ਦੁਸਹਿਰੇ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਨੌਂ ਨਰਾਤੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਰਾਤ ਨੂੰ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਵਿਚ ਥਾਂ – ਥਾਂ ਰਾਮ – ਲੀਲ੍ਹਾ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਲੋਕ ਬੜੇ ਉਮਾਹ ਤੇ ਸ਼ਰਧਾ ਨਾਲ ਰਾਮ – ਲੀਲਾ ਵੇਖਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਦਿਨ ਸਮੇਂ ਬਜ਼ਾਰਾਂ ਵਿਚ ਰਾਮ – ਲੀਲਾ ਦੀਆਂ ਝਾਕੀਆਂ ਵੀ ਨਿਕਲਦੀਆਂ ਹਨ।

ਦਸਵੀਂ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਕਿਸੇ ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਥਾਂ ਵਿਚ ਰਾਵਣ, ਮੇਘਨਾਦ ਅਤੇ ਕੁੰਭਕਰਨ ਦੇ ਕਾਗ਼ਜ਼ਾਂ ਤੇ ਬਾਂਸਾਂ ਦੇ ਬਣੇ ਪੁਤਲੇ ਗੱਡ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਦੂਰ – ਨੇੜੇ ਦੇ ਲੋਕ ਰਾਵਣ ਦੇ ਸਾੜਨ ਦਾ ਦਿਸ਼ ਦੇਖਣ ਲਈ ਟੁੱਟ ਪੈਂਦੇ ਹਨ। ਲੋਕ ਪੰਡਾਲ ਵਿਚ ਚਲ ਰਹੀ ਆਤਸ਼ਬਾਜ਼ੀ ਤੇ ਠਾਹ ਠਾਹ ਚਲਦੇ ਪਟਾਕਿਆਂ ਦਾ ਆਨੰਦ ਲੈਂਦੇ ਹਨ। ਰਾਮ – ਲੀਲਾ ਦੀ ਅੰਤਮ ਝਾਕੀ ਪੇਸ਼ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਰਾਵਣ, ਸ੍ਰੀ ਰਾਮਚੰਦਰ ਹੱਥੋਂ ਮਾਰਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਸੂਰਜ ਛਿਪਣ ਵਾਲਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

ਰਾਵਣ ਸਮੇਤ ਸਾਰੇ ਪੁਤਲਿਆਂ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲਾ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਲੋਕਾਂ ਵਿਚ ਹਫ਼ੜਾ – ਦਫੜੀ ਮਚ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਉਹ ਘਰਾਂ ਵਲ ਚਲ ਪੈਂਦੇ ਹਨ। ਕਈ ਲੋਕ ਰਾਵਣ ਦੇ ਪੁਤਲੇ ਦੇ ਅੱਧ – ਜਲੇ. ਬਾਂਸ ਵੀ ਚੁੱਕ ਕੇ ਨਾਲ ਲੈ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਵਾਪਸੀ ’ਤੇ ਲੋਕ ਬਜ਼ਾਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਲੰਘਦੇ ਹੋਏ ਮਠਿਆਈਆਂ ਦੀਆਂ ਦੁਕਾਨਾਂ ਦੁਆਲੇ ਭੀੜਾਂ ਪਾ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਮਨ – ਭਾਉਂਦੀਆਂ ਮਠਿਆਈਆਂ ਖ਼ਰੀਦ ਕੇ ਘਰਾਂ ਨੂੰ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਫਿਰ ਰਾਤੀਂ ਖਾ – ਪੀ ਕੇ ਸੌਂਦੇ ਹਨ।

ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੁਸਹਿਰਾ ਮਨ – ਪਰਚਾਵੇ ਦਾ ਇਕ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ। ਇਹ ਭਾਰਤੀ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਆਪਣੇ ਧਾਰਮਿਕ ਤੇ ਇਤਿਹਾਸਕ ਵਿਰਸੇ ਪ੍ਰਤੀ ਸਤਿਕਾਰ ਨੂੰ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਦਾ ਹੈ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

8. ਬਸੰਤ ਰੁੱਤ

ਭਾਰਤ ਰੁੱਤਾਂ ਦਾ ਦੇਸ਼ ਹੈ। ਸਾਰੀਆਂ ਰੁੱਤਾਂ ਵਿਚੋਂ ਬਸੰਤ ਸਭ ਤੋਂ ਹਰਮਨ – ਪਿਆਰੀ ਰੁੱਤ ਹੈ। ਇਹ ਖੁੱਲੀ ਤੇ ਨਿੱਘੀ ਰੁੱਤ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਸਰਦੀ ਦਾ ਅੰਤ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਦਾ ਆਰੰਭ ਬਸੰਤ – ਪੰਚਮੀ ਦੇ ਤਿਉਹਾਰ ਨਾਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

ਬਸੰਤ – ਪੰਚਮੀ ਦੇ ਦਿਨ ਥਾਂ – ਥਾਂ ਮੇਲੇ ਲਗਦੇ ਹਨ। ਖਿਡੌਣਿਆਂ ਤੇ ਮਠਿਆਈਆਂ ਦੀਆਂ ਦੁਕਾਨਾਂ ਸਜਦੀਆਂ ਹਨ। ਲੋਕ ਬਸੰਤੀ ਰੰਗ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਪਾਉਂਦੇ ਹਨ ਘਰ – ਘਰ ਬਸੰਤੀ ਹਲਵਾ, ਚਾਵਲ ਅਤੇ ਕੇਸਰੀ ਰੰਗ ਦੀ ਖੀਰ ਬਣਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਬੱਚੇ ਅਤੇ ਜਵਾਨ ਪਤੰਗਬਾਜ਼ੀਆਂ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਮੇਲਿਆਂ ਵਿਚ ਪਹਿਲਵਾਨਾਂ ਦੀਆਂ ਕੁਸ਼ਤੀਆਂ ਅਤੇ ਹੋਰ ਖੇਡਾਂ – ਤਮਾਸ਼ਿਆਂ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਦਿਨ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਬਾਲ ਹਕੀਕਤ ਰਾਏ ਧਰਮੀ ਦੀ ਸ਼ਹੀਦੀ ਨਾਲ ਵੀ ਹੈ।

ਇਸ ਦਿਨ ਉਸ ਵੀਰ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਧਰਮ ਵਿਚ ਪੱਕਾ ਰਹਿਣ ਕਰਕੇ ਮੌਤ ਦੇ ਘਾਟ ਉਤਾਰ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਸੀ। ਇਹ ਰੁੱਤ ਬਹੁਤ ਹੀ ਸੁਹਾਵਣੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਹ ਨਿੱਘੀ ਤੇ ਮਨ – ਭਾਉਣੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਜੀਵ – ਜੰਤੂਆਂ ਅਤੇ ਪੌਦਿਆਂ ਵਿਚ ਨਵੇਂ ਜੀਵਨ ਦਾ ਸੰਚਾਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਸਰੋਂ ਦੇ ਬਸੰਤੀ ਰੰਗ ਦੇ ਫੁੱਲਾਂ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਹੋਇਆ ਆਲਾ – ਦੁਆਲਾ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਲਗਦਾ ਹੈ, ਜਿਵੇਂ ਕੁਦਰਤ ਆਪ ਪੀਲੇ ਗਹਿਣੇ ਪਹਿਨ ਕੇ ਬਸੰਤ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਮਨਾ ਰਹੀਂ ਵੇ।

ਇਹ ਰੁੱਤ ਮਨੁੱਖ ਦੀ ਸਿਹਤ ਨੂੰ ਵਧਾਉਣ ਵਿਚ ਵੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਰੁੱਤ ਵਿਚ ਚੰਗੀ ਖੁਰਾਕ ਖਾਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਤੇ ਕਸਰਤ ਆਦਿ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ।

9. ਵਰਖਾ ਰੁੱਤ
ਜਾਂ
ਬਰਸਾਤ ਦੀ ਰੁੱਤ

ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਰੁੱਤਾਂ – ਪੰਜਾਬ ਇਕ ਬਹੁ – ਰੁੱਤਾ ਦੇਸ਼ ਹੈ। ਇੱਥੇ ਹਰ ਦੋ ਮਹੀਨਿਆਂ ਮਗਰੋਂ ਰੁੱਤ ਬਦਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਇੱਥੇ ਸਾਲ ਵਿਚ ਛੇ ਰੁੱਤਾਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਹ ਰੁੱਤਾਂ ਹਨ – ਬਸੰਤ ਰੁੱਤ, ਗਰਮ ਰੁੱਤ, ਵਰਖਾ ਰੁੱਤ, ਸਰਦ ਰੁੱਤ, ਪਤਝੜ ਰੁੱਤ ਤੇ ਸੀਤ ਰੁੱਤ। ਇਹ ਸਾਰੀਆਂ ਰੁੱਤਾਂ ਆਪੋ – ਆਪਣੀ ਥਾਂ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਹਨ ਪਰੰਤੂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਵਧੇਰੇ ਹਰਮਨ – ਪਿਆਰੀਆਂ ਰੁੱਤਾਂ ਬਸੰਤ ਰੁੱਤ ਤੇ ਵਰਖਾ ਰੁੱਤ ਹਨ।

ਵਰਖਾ ਰੁੱਤ ਦਾ ਵਾਤਾਵਰਨ – ਵਰਖਾ ਰੁੱਤ ਦਾ ਆਰੰਭ ਜੂਨ ਮਹੀਨੇ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿਚ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਦੋਂ ਗਰਮੀ ਦੀ ਰੁੱਤ ਆਪਣੇ ਸਿਖ਼ਰ ‘ਤੇ ਪੁੱਜ ਚੁੱਕੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਸੂਰਜ ਅਸਮਾਨ ਤੋਂ ਅੱਗ ਵਰ੍ਹਾ ਰਿਹਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਧਰਤੀ ਭੱਠੀ ਵਾਂਗ ਤਪ ਰਹੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਮਹੀਨੇ ਵਿਚ ਬੰਦੇ ਤਾਂ ਕੀ, ਸਗੋਂ ਧਰਤੀ ਦੇ ਸਾਰੇ ਜੀਵ ਤੇ ਪਸ਼ੂ – ਪੰਛੀ ਗਰਮੀ ਤੋਂ ਤੰਗ ਆਏ ਮੀਂਹ ਦੀ ਮੰਗ ਕਰ ਰਹੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਜੂਨ ਮਹੀਨੇ ਦੇ ਅੰਤ ਵਿਚ ਵਗਦੀ ਲੁ ਇਕ ਦਮ ਠੰਢੀ ਹਵਾ ਵਿਚ ਬਦਲ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਅਸਮਾਨ ਉੱਪਰ ਬੱਦਲ ਘਨਘੋਰਾਂ ਪਾਉਣ ਲੱਗ ਪੈਂਦੇ ਹਨ ਪਹਿਲਾਂ ਕਿਣਮਿਣ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਫਿਰ ਮੋਹਲੇਧਾਰ ਮੀਂਹ ਆਰੰਭ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਘੜੀਆਂ ਵਿਚ ਹੀ ਚਾਰੇ ਪਾਸੇ ਜਲ ਥਲ ਹੋਇਆ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ ਹੈ।

ਇਸ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਅਸਮਾਨ ਉੱਪਰ ਬੱਦਲ ਮੰਡਲਾਉਂਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ : ਦਿਨ ਨੂੰ ਸੂਰਜ ਤੇ ਰਾਤ ਨੂੰ ਚੰਦ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਲੁਕਣ – ਮੀਟੀ ਖੇਡਦਾ ਹੈ। ਮੀਂਹ ਦਾ ਕੋਈ ਵੇਲਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਮਾੜਾ ਜਿਹਾ ਹਿੱਸੜ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਬੱਸ ਕੁੱਝ ਪਲਾਂ ਮਗਰੋਂ ਹੀ ਬੱਦਲ ਗੜਗੜਾਹਟ ਪਾਉਣ ਲੱਗਦਾ ਹੈ। ਮੀਂਹ ਪੈਣ ਨਾਲ ਬਨਸਪਤੀ ਹਰੀ – ਭਰੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਅੰਬ ਤੇ ਜਾਮਨੂੰ ਰਸ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਕੋਇਲ ਦੀ ਕੂ – ਕੂ ਬੰਦ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਛੱਪੜਾਂ, ਟੋਭਿਆਂ ਦੇ ਕੰਢਿਆਂ ਉੱਪਰ ਡੱਡੂ ਗੁੜੈ – ਗੁੜੱ ਕਰਨ ਲਗਦੇ ਹਨ ਮੱਛਰਾਂ ਤੇ ਮੱਖੀਆਂ ਦੀ ਭਰਮਾਰ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ।

ਸੱਪ, ਅਲੂਏਂ ਤੇ ਹੋਰ ਅਨੇਕਾਂ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਕੀੜੇ – ਪਤੰਗੇ, ਘੁਮਿਆਰ ਤੇ ਚੀਚ – ਵਹੁਟੀਆਂ ਘੁੰਮਣ ਲਗਦੀਆਂ ਹਨ ਖੱਬਲ ਘਾਹ ਦੀਆਂ ਹਰੀਆਂ ਤਿੜਾਂ ਤੇ ਅਨੇਕਾਂ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਹੋਰ ਹਰੇ ਪੌਦਿਆਂ ਨਾਲ ਧਰਤੀ ਕੱਜੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਸਾਉਣ – ਭਾਦੋਂ ਦੇ ਦੋ ਮਹੀਨੇ ਅਜਿਹਾ ਲੁਭਾਉਣਾ ਵਾਤਾਵਰਨ ਪਸਰਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਕੁੜੀਆਂ ਬਾਗਾਂ ਵਿਚ ਪੀਂਘਾਂ ਝੂਟਦੀਆਂ ਹਨ, ਤੀਆਂ ਲਗਦੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਗਿੱਧੇ ਮਚਦੇ ਹਨ। ਪੰਜਾਬੀ ਸੱਭਿਆਚਾਰ ਤੇ ਇਸ ਕੁਦਰਤੀ ਵਾਤਾਵਰਨ ਦਾ ਚਿਤਰਨ ਧਨੀ ਰਾਮ ਚਾਤ੍ਰਿਕ ਨੇ ਆਪਣੀ ਕਵਿਤਾ ਵਿਚ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਅਨੁਸਾਰ ਕੀਤਾ ਹੈ –

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਸਾਉਣ ਮਾਹ ਝੜੀਆਂ ਗਰਮੀ ਝਾੜ ਸੁੱਟੀ,
ਧਰਤੀ ਪੁੰਗਰੀ ਟਹਿਕੀਆਂ ਡਾਲੀਆਂ ਨੇ।
ਰਾਹ ਰੋਕ ਲਏ ਛੱਪੜਾਂ ਟੋਭਿਆਂ ਨੇ,
ਨਦੀ ਨਾਲਿਆਂ ਜੂਹਾਂ ਹੰਘਾਲੀਆਂ ਨੇ।

ਵਰਖਾ ਧਰਤੀ ਲਈ ਪਰਮਾਤਮਾ ਦੀ ਇਕ ਮਹਾਨ ਬਖ਼ਸ਼ਿਸ਼ ਹੈ। ਇਹ ਸਭ ਜੀਵਾਂ ਤੇ ਬਨਸਪਤੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਅਧਾਰ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਇਆ ਪਾਣੀ ਜੀਵਾਂ ਤੇ ਬਨਸਪਤੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਮੁੱਖ ਅਧਾਰ ਬਣਦਾ ਹੈ। ਇਹੋ ਪਾਣੀ ਹੀ ਜ਼ਮੀਨ ਵਿਚ ਰਚ ਕੇ ਸਾਰਾ ਸਾਲ ਖੁਹਾਂ, ਨਲਕਿਆਂ ਤੇ ਟਿਊਬਵੈੱਲਾਂ ਰਾਹੀਂ ਖੇਤਾਂ, ਮਨੁੱਖਾਂ ਤੇ ਜੀਵਾਂ ਦੀ ਪਾਣੀ ਦੀ ਲੋੜ ਪੂਰੀ ਕਰਦਾ ਹੈ। ਜੇ ਵਰਖਾ ਨਾ ਹੋਵੇ, ਤਾਂ ਸੂਰਜ ਦੀ ਗਰਮੀ ਨਾਲ ਸਭ ਕੁੱਝ ਸੁੱਕ ਜਾਵੇ ਤੇ ਧਰਤੀ ਤੋਂ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਨਸ਼ਟ ਹੋ ਜਾਵੇ ਇਸ ਕਰਕੇ ਅੱਡੀਆਂ ਰਗੜ – ਰਗੜ ਕੇ ਮੀਂਹ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ –

ਰੱਬਾ ਰੱਬਾ ਮੀਂਹ ਵਰ੍ਹਾ, ਸਾਡੀ ਕੋਠੀ ਦਾਣੇ ਪਾ।

10. ਮੇਰਾ ਮਨ – ਭਾਉਂਦਾ ਅਧਿਆਪਕ
ਜਾਂ
ਸਾਡਾ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ

ਉਂਝ ਤਾਂ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਦੇ ਸਾਰੇ ਅਧਿਆਪਕ ਹੀ ਬੜੇ ਸਤਿਕਾਰਯੋਗ ਹਨ, ਪਰ ਮੇਰਾ ਮਨ – ਭਾਉਂਦਾ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਡਾ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਨਾਂ ਸ: ਹਰਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਐੱਮ. ਏ., ਬੀ. ਐੱਡ. ਤਕ ਵਿੱਦਿਆ ਹਾਸਲ ਕੀਤੀ ਹੋਈ ਹੈ। ਉਹ ਸਾਨੂੰ ਹਿਸਾਬ ਪੜ੍ਹਾਉਂਦੇ ਹਨ।

ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਪੜ੍ਹਾਉਣ ਦਾ ਢੰਗ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਇਕ – ਇਕ ਚੀਜ਼ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਯਾਦ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਉਹ ਔਖੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਤਰੀਕਿਆਂ ਨੂੰ ਸਮਝਾਉਣ ਲਈ ਬੜੇ ਸਰਲ ਅਤੇ ਸੌਖੇ ਢੰਗਾਂ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਕਰਦੇ ਹਨ।

ਉਹ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਕਿਸੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਨੂੰ ਕੋਈ ਚੀਜ਼ ਸਮਝ ਨਾ ਆਉਣ ‘ਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਮਾਰਦੇ – ਕੁੱਟਦੇ ਨਹੀਂ, ਸਗੋਂ ਪਿਆਰ ਤੇ ਹਮਦਰਦੀ ਨਾਲ ਵਾਰ – ਵਾਰ ਸਮਝਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਸਾਡੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਨੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਡਿਸਿਪਲਨ ਵਿਚ ਰਹਿਣ ਦੀ ਚੰਗੀ ਸਿੱਖਿਆ ਦਿੱਤੀ ਹੈ। ਉਹ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਦੀ ਮਹਾਨਤਾ ਨੂੰ ਵੀ ਸਪੱਸ਼ਟ ਕਰਦੇ ਹਨ ਉਹ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਸਿਖਾਉਂਦੇ ਹਨ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮਾਤਾ – ਪਿਤਾ ਤੇ ਅਧਿਆਪਕਾਂ ਦਾ ਸਤਿਕਾਰ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।

ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸਮੇਂ ਸਿਰ ਸਕੂਲ ਪੁੱਜਦੇ ਤੇ ਪ੍ਰਾਰਥਨਾ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਸਾਡੀ ਕਲਾਸ ਦੇ ਇੰਚਾਰਜ ਵੀ ਹਨ।ਉਹ ਚੰਗੇ ਤਕੜੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਮਾਲਕ ਹਨ। ਉਹ ਹਰ ਇਕ ਨਾਲ ਮਿੱਤਰਤਾ ਤੇ ਪਿਆਰ ਰੱਖਦੇ ਹਨ ਸਕੂਲ ਦੇ ਸਾਰੇ ਅਧਿਆਪਕ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਹੁਕਮਾਂ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਕਲਾਸਾਂ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਹਰ ਸਾਲ ਸ਼ਾਨਦਾਰ ਆਉਂਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਉਹ ਮੇਰੇ ਮਨ – ਭਾਉਂਦੇ ਅਧਿਆਪਕ ਹਨ।

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11. ਵਿਸਾਖੀ ਦਾ ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠਾ ਮੇਲਾ

ਵਿਸਾਖੀ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਹਰ ਸਾਲ 13 ਅਪਰੈਲ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਭਰ ਵਿਚ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਹਾੜ੍ਹੀ ਦੀ ਫ਼ਸਲ ਦੇ ਪੱਕਣ ਦੀ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਵਿਚ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਵਿਸਾਖੀ ਦੇ ਤਿਉਹਾਰ ਨੂੰ ਮਨਾਉਣ ਲਈ ਸਾਡੇ ਪਿੰਡ ਤੋਂ ਦੋ ਮੀਲ ਦੀ ਵਿੱਥ ‘ਤੇ ਭਾਰੀ ਮੇਲਾ ਲੱਗਦਾ ਹੈ। ਐਤਕੀਂ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨਾਲ ਵਿਸਾਖੀ ਦਾ ਇਹ ਮੇਲਾ ਵੇਖਣ ਲਈ ਗਿਆ।

ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਇਸ ਮਹਾਨ ਦਿਨ ਉੱਤੇ ਗੁਰੂ ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ ਨੇ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿਚ ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਦੀ ਸਾਜਨਾ ਕੀਤੀ ਸੀ। ਇਸੇ ਦਿਨ ਹੀ ਜ਼ਾਲਮ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਜਨਰਲ ਡਾਇਰ ਨੇ ਜਲ੍ਹਿਆਂ ਵਾਲੇ ਬਾਗ਼ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਵਿਚ ਨਿਹੱਥੇ ਲੋਕਾਂ ਉੱਪਰ ਗੋਲੀ ਚਲਾਈ ਸੀ।

ਹੁਣ ਅਸੀਂ ਮੇਲੇ ਵਿਚ ਪਹੁੰਚ ਗਏ। ਮੇਲੇ ਵਿਚ ਕਾਫ਼ੀ ਭੀੜ – ਭੜੱਕਾ ਅਤੇ ਰੌਲਾ – ਰੱਪਾ ਸੀ। ਆਲੇ – ਦੁਆਲੇ ਮਠਿਆਈਆਂ ਤੇ ਖਿਡੌਣਿਆਂ ਦੀਆਂ ਦੁਕਾਨਾਂ ਸਜੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਸਨ। ਇਧਰ ਉਧਰ ਖੇਡਾਂ – ਤਮਾਸ਼ਿਆਂ ਦੇ ਪੰਡਾਲ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਸਨ ਅਸੀਂ ਇਕ ਦੁਕਾਨ ‘ਤੇ ਬੈਠ ਕੇ ਤੱਤੀਆਂ – ਤੱਤੀਆਂ ਜਲੇਬੀਆਂ ਖਾਧੀਆਂ। ਫਿਰ ਅਸੀਂ ਇਕ ਥਾਂ ਚਾਟ ਖਾਧੀ ਤੇ ਫਿਰ ਕੁੱਝ ਦੇਰ ਮਗਰੋਂ ਮਾਈ ਬੁੱਢੀ ਦਾ ਝਾਟਾ ਤੇ ਫਿਰ ਆਈਸਕ੍ਰੀਮ। ਮੇਲੇ ਵਿਚ ਇਸਤਰੀਆਂ ਤੇ ਬੱਚੇ ਪੰਘੂੜੇ ਝੂਟ ਰਹੇ ਸਨ। ਮੈਂ ਵੀ ਪੰਘੂੜੇ ਵਿਚ ਝੂਟੇ ਲਏ ਤੇ ਫਿਰ ਜਾਦੂ ਦੇ ਖੇਲੁ ਦੇਖੇ। ਅਸੀਂ ਇਕ ਸਰਕਸ ਵੀ ਦੇਖੀ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਮਨੁੱਖਾਂ ਤੇ ਪਸ਼ੂਆਂ ਦੇ ਅਦਭੁਤ ਕਰਤੱਬ ਦਿਖਾਏ ਗਏ।

ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਸੂਰਜ ਛਿਪ ਰਿਹਾ ਸੀ। ਮੇਲੇ ਵਿਚ ਇਕ ਪਾਸੇ ਕੁੱਝ ਸ਼ਰਾਬੀ ਜੁੱਟਾਂ ਵਿਚ ਲੜਾਈ ਹੋ ਪਈ। ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਨਾਲ ਲੈ ਕੇ ਛੇਤੀ – ਛੇਤੀ ਪਿੰਡ ਦਾ ਰਸਤਾ ਫੜ ਲਿਆ। ਕਾਫ਼ੀ ਹਨੇਰੇ ਹੋਏ ਅਸੀਂ ਘਰ ਪਹੁੰਚੇ।

12. ਮੇਰਾ ਸਕੂਲ

ਮੇਰੇ ਸਕੂਲ ਦਾ ਨਾਂ ਖ਼ਾਲਸਾ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ ਹੈ। ਇਹ ਜਲੰਧਰ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ਨਕੋਦਰ ਰੋਡ ਉੱਤੇ ਸਥਿਤ ਹੈ। ਇਸ ਸਕੂਲ ਦੀ ਇਮਾਰਤ ਬਹੁਤ ਵੱਡੀ ਹੈ। ਇਸ ਦੇ 25 ਤੋਂ ਵੱਧ ਵੱਡੇ ਕਮਰੇ ਹਨ। ਇਕ ਵੱਡਾ ਹਾਲ ਹੈ। ਇਸ ਵਿਚ ਸਾਇੰਸ ਦੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਲਈ ਹਰ ਪੱਖ ਤੋਂ ਸੰਪੂਰਨ ਪ੍ਰਯੋਗਸ਼ਾਲਾਵਾਂ ਬਣੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਹਨ। ਇਸ ਵਿਚ ਇਕ ਵੱਡੀ ਲਾਇਬਰੇਰੀ ਵੀ ਹੈ। ਇਸ ਸਕੂਲ ਵਿਚ 800 ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਪੜ੍ਹਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹਾਉਣ ਲਈ 25 ਅਧਿਆਪਕ ਹਨ।

ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਬੜੇ ਲਾਇਕ ਤੇ ਤਜਰਬੇਕਾਰ ਹਨ ਇਸ ਸਕੂਲ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ ਇਸ ਵਿਚ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦੁਆਰਾ ਅਨੁਸ਼ਾਸਨ ਦੀ ਪਾਲਣਾ ਹੈ। ਅਧਿਆਪਕ ਅਤੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਸਮੇਂ ਸਿਰ ਸਕੂਲ ਪੁੱਜਦੇ ਹਨ ਅਧਿਆਪਕ ਪੂਰੀ ਮਿਹਨਤ ਨਾਲ ਪੜ੍ਹਾਉਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਉਹ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨਾਲ ਨਿੱਜੀ ਸੰਬੰਧ ਪੈਦਾ ਕਰ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਪੜ੍ਹਾਈ ਸੰਬੰਧੀ ਮੁਸ਼ਕਿਲਾਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਦੇ ਹਨ।

ਉਹ ਬੜੇ ਤਜਰਬੇਕਾਰ ਤੇ ਆਪਣੇ – ਆਪਣੇ ਵਿਸ਼ੇ ਵਿਚ ਨਿਪੁੰਨ ਹਨ। ਇਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਮਿਹਨਤ ਦਾ ਹੀ ਸਿੱਟਾ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਸਕੂਲ ਦੇ ਨਤੀਜੇ ਹਰ ਸਾਲ ਚੰਗੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ।

ਇਸ ਸਕੂਲ ਦਾ ਬਗੀਚਾ ਹਰਾ – ਭਰਾ ਤੇ ਫੁੱਲਾਂ ਨਾਲ ਲੱਦਿਆ ਪਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਸਕੂਲ ਦੀ ਬਿਲਡਿੰਗ ਨਵੀਂ ਹੈ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਕਮਰੇ ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਤੇ ਹਵਾਦਾਰ ਹਨ। ਇਸ ਸਕੂਲ ਕੋਲ ਹਾਕੀ, ਫੁੱਟਬਾਲ, ਬਾਸਕਟਬਾਲ ਤੇ ਕ੍ਰਿਕਟ ਖੇਡਣ ਲਈ ਖੁੱਲ੍ਹੀਆਂ ਤੇ ਪੱਧਰੀਆਂ ਗਰਾਉਂਡਾਂ ਹਨ ! ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਇਸ ਸਕੂਲ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਕਰਦਾ ਹਾਂ।

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13. ਮੇਰਾ ਮਿੱਤਰ

ਅਰਸ਼ਦੀਪ ਮੇਰਾ ਮਿੱਤਰ ਹੈ। ਉਹ ਮੇਰਾ ਸਹਿਪਾਠੀ ਹੈ ਅਸੀਂ ਦੋਵੇਂ ਸੱਤਵੀਂ ਜਮਾਤ ਵਿਚ ਪੜ੍ਹਦੇ ਹਾਂ ਅਸੀਂ ਦੋਵੇਂ ਇਕੋ ਡੈਸਕ ਉੱਤੇ ਬੈਠਦੇ ਹਾਂ ! ਅਸੀਂ ਦੋਵੇਂ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਸਮਾਂ ਇਕੱਠੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਾਂ। ਰਾਤ ਨੂੰ ਅਸੀਂ ਇਕੱਠੇ ਪੜ੍ਹਦੇ ਹਾਂ।

ਉਸ ਦੇ ਮਾਤਾ – ਪਿਤਾ ਬਹੁਤ ਨੇਕ ਵਿਅਕਤੀ ਹਨ ਉਸ ਦਾ ਪਿਤਾ ਇਕ ਡਾਕਟਰ ਹੈ। ਉਸ ਦੀ ਮਾਤਾ ਇਕ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਅਧਿਆਪਕਾ ਹੈ।

ਮੇਰਾ ਮਿੱਤਰ ਪੜ੍ਹਾਈ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਹੁਸ਼ਿਆਰ ਹੈ। ਉਹ ਹਰ ਸਾਲ ਕਲਾਸ ਵਿਚੋਂ ਅੱਵਲ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਇਨਾਮ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦਾ ਹੈ। ਉਹ ਹਿਸਾਬ ਅਤੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਹੀ ਹੁਸ਼ਿਆਰ ਹੈ। ਉਹ ਫ਼ਜ਼ੂਲ – ਖ਼ਰਚੀ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ। ਉਹ ਆਪਣੇ ਜੇਬ – ਖ਼ਰਚ ਵਿਚੋਂ ਬਚਾਏ ਪੈਸਿਆਂ ਨਾਲ ਗ਼ਰੀਬ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਦੀ ਮੱਦਦ ਕਰਦਾ ਹੈ।

ਸਕੂਲ ਤੋਂ ਘਰ ਆ ਕੇ ਉਹ ਪਹਿਲਾਂ ਸਕੂਲ ਦਾ ਸਾਰਾ ਕੰਮ ਮੁਕਾਉਂਦਾ ਹੈ। ਉਹ ਕਿਤਾਬੀ ਕੀੜਾ ਨਹੀਂ। ਉਹ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਫੁੱਟਬਾਲ ਖੇਡਣ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਉਹ ਇਕ ਨੇਕ ਤੇ ਵਫ਼ਾਦਾਰ ਮਿੱਤਰ ਹੈ। ਉਸ ਦਾ ਸਰੀਰ ਸੁੰਦਰ ਅਤੇ ਤਕੜਾ ਹੈ।ਉਹ ਹਰ ਸਮੇਂ ਮੇਰੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਨ ਲਈ ਤਿਆਰ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਸਕੂਲ ਦੇ ਸਾਰੇ ਅਧਿਆਪਕ ਅਤੇ ਮੁੱਖ ਅਧਿਆਪਕ ਸਾਹਿਬ ਉਸ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਮੈਨੂੰ ਆਪਣੇ ਇਸ ਮਿੱਤਰ ਉੱਤੇ ਬਹੁਤ ਮਾਣ ਹੈ।

4. ਸਵੇਰ ਦੀ ਸੈਰ

ਸਵੇਰ ਦੀ ਸੈਰ ਹਰ ਉਮਰ ਦੇ ਵਿਅਕਤੀ ਲਈ ਲਾਭਦਾਇਕ ਹੈ। ਇਹ ਇਕ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਹਲਕੀ ਕਸਰਤ ਹੈ, ਜਿਸ ਤੋਂ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਬਹੁਮੁੱਲਾ ਲਾਭ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਖੇਡਾਂ ਖੇਡਣ ਜਾਂ ਭਾਰੀ ਕਸਰਤ ਕਰਨ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਲਈ ਸੈਰ ਬੜੀ ਗੁਣਕਾਰੀ ਸਾਬਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਹ ਚੰਗੇ ਰਿਸ਼ਟ – ਪੁਸ਼ਟ ਵਿਅਕਤੀ ਦੇ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਵੀ ਭਾਰੀ ਮਹਾਨਤਾ ਰੱਖਦੀ ਹੈ। ਸਵੇਰ ਦੀ ਸੈਰ ਸੂਰਜ ਚੜ੍ਹਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਸਾਡੇ ਫੇਫੜਿਆਂ ਨੂੰ ਤਾਜ਼ੀ ਅਤੇ ਖੁੱਲ੍ਹੀ ਹਵਾ ਮਿਲਦੀ ਹੈ, ਜੋ ਸਾਡੀ ਸਰੀਰਕ ਅਤੇ ਮਾਨਸਿਕ ਅਰੋਗਤਾ ਲਈ ਬਹੁਤ ਹੀ ਲਾਭਦਾਇਕ ਸਿੱਧ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਸਾਡੇ ਸਰੀਰ ਦੇ ਹਰ ਇਕ ਅੰਗ ਨੂੰ ਲਾਭ ਪਹੁੰਚਦਾ ਹੈ।

ਇਸ ਨਾਲ ਸਰੀਰ ਵਿਚ ਚੁਸਤੀ ਤੇ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਿਚ ਫੁਰਤੀ ਪੈਦਾ ਹੁੰਦੀ ਅਤੇ ਅੱਖਾਂ ਦੀ ਰੌਸ਼ਨੀ ਤੇਜ਼ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਸਵੇਰ ਦੀ ਸੈਰ ਨਾਲ ਸਾਡੀ ਉਮਰ ਲੰਮੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਸਾਡਾ ਸਰੀਰ ਕਈ ਬਿਮਾਰੀਆਂ ਤੋਂ ਬਚਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਸਾਡੀ ਭੁੱਖ ਵਧਦੀ ਹੈ ਤੇ ਪਾਚਨ – ਸ਼ਕਤੀ ਤੇਜ਼ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਜਿਹੜੇ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸੈਰ ਨਹੀਂ ਕਰਦੇ, ਉਹ ਕਿਸੇ ਨਾ ਕਿਸੇ ਬਿਮਾਰੀ ਦੇ ਸਹਿਜੇ ਹੀ ਸ਼ਿਕਾਰ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਸੈਰ ਉੱਤੇ ਮਨੁੱਖ ਦਾ ਕੋਈ ਮੁੱਲ ਨਹੀਂ ਲਗਦਾ ਪਰ ਇਹ ਸਰੀਰ ਨੂੰ ਇੰਨੇ ਫ਼ਾਇਦੇ ਦਿੰਦੀ ਹੈ, ਜੋ ਕੀਮਤੀ ਤੋਂ ਕੀਮਤੀ ਖ਼ੁਰਾਕ ਜਾਂ ਦੁਆਈ ਵੀ ਨਹੀਂ ਦੇ ਸਕਦੀ।

ਵਿਦਿਆਰਥੀ, ਜੋ ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਕਿਤਾਬਾਂ ਨਾਲ ਮੱਥਾ ਮਾਰਦਾ ਹੈ, ਉਸ ਲਈ ਇਹ ਬਹੁਤ ਹੀ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੈ। ਇਹ ਉਸ ਦੇ ਦਿਮਾਗ ਦੀ ਥਕਾਵਟ ਲਾਹ ਕੇ ਉਸ ਨੂੰ ਤਾਜ਼ਗੀ ਬਖ਼ਸ਼ਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਉਸ ਦੀ ਬੁੱਧੀ ਤੇਜ਼ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਯਾਦ ਕਰਨ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਵਧਦੀ ਹੈ; ਇਸ ਕਰਕੇ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸੈਰ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ।

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15. ਲੋਹੜੀ

ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਜੀਵਨ ਮੇਲਿਆਂ ਅਤੇ ਤਿਉਹਾਰਾਂ ਨਾਲ ਭਰਪੂਰ ਹੈ। ਸਾਲ ਵਿਚ ਸ਼ਾਇਦ ਹੀ ਕੋਈ ਅਜਿਹਾ ਮਹੀਨਾ ਹੋਵੇਗਾ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਕੋਈ ਨਾ ਕੋਈ ਤਿਉਹਾਰ ਨਾ ਆਉਂਦਾ ਹੋਵੇ। ਲੋਹੜੀ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਇਕ ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਭਰਿਆ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ, ਜੋ ਜਨਵਰੀ ਮਹੀਨੇ ਵਿਚ ਮਾਘੀ ਤੋਂ ਇਕ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਲੋਹੜੀ ਦੇ ਤਿਉਹਾਰ ਦੀ ਪਰੰਪਰਾ ਬਹੁਤ ਪੁਰਾਣੀ ਹੈ। ਵੈਦਿਕ ਕਾਲ ਵਿਚ ਵੀ ਰਿਸ਼ੀ ਲੋਕ ਦੇਵਤਿਆਂ ਨੂੰ ਖ਼ੁਸ਼ ਕਰਨ ਲਈ ਹਵਨ ਰਕਦੇ ਸਨ।

ਇਸ ਧਾਰਮਿਕ ਕੰਮ ਵਿਚ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਬੰਦੇ ਹਵਨ ਵਿਚ ਘਿਓ, ਸ਼ਹਿਦ, ਤਿਲ ਅਤੇ ਗੁੜ ਆਦਿ ਪਾਉਂਦੇ ਸਨ। ਇਸ ਤਿਉਹਾਰ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਕਥਾਵਾਂ ਵੀ ਜੋੜੀਆਂ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਸ ਕਥਾ ਅਨੁਸਾਰ ਲੋਹੜੀ ਦੇਵੀ ਨੇ ਇਕ ਅੱਤਿਆਚਾਰੀ ਰਾਕਸ਼ ਨੂੰ ਮਾਰਿਆ ਤੇ ਉਸ ਦੇਵੀ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿਚ ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਤਿਉਹਾਰ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਪੌਰਾਣਿਕ ਕਥਾ ‘ਸਤੀ – ਦਹਿਨ ਨਾਲ ਵੀ ਜੋੜਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਇਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਇਸ ਨਾਲ ਇਕ ਹੋਰ ਲੋਕ – ਕਥਾ ਵੀ ਸੰਬੰਧਿਤ ਹੈ, ਜੋ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਹੈ। ਕਿਸੇ ਗਰੀਬ ਬਾਹਮਣ ਦੀ ਸੁੰਦਰੀ ਨਾਂ ਦੀ ਧੀ ਸੀ। ਬਾਹਮਣ ਨੇ ਉਸ ਦੀ ਕੁੜਮਾਈ ਇਕ ਥਾਂ ਪੱਕੀ ਕਰ ਦਿੱਤੀ, ਪਰੰਤੂ ਉੱਥੋਂ ਦੇ ਦੁਸ਼ਟ ਹਾਕਮ ਨੇ ਕੁੜੀ ਦੀ ਸੁੰਦਰਤਾ ਬਾਰੇ ਸੁਣ ਕੇ ਉਸ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨ ਦੀ ਠਾਣ ਲਈ। ਇਹ ਸੁਣ ਕੇ ਕੁੜੀ ਦੇ ਬਾਪ ਨੇ ਮੁੰਡੇ ਵਾਲਿਆਂ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਕੁੜੀ ਨੂੰ ਵਿਆਹ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਆਪਣੇ ਘਰ ਲੈ ਜਾਣ, ਪਰ ਮੁੰਡੇ ਵਾਲੇ ਡਰ ਗਏ।

ਜਦੋਂ ਕੁੜੀ ਦਾ ਬਾਪ ਨਿਰਾਸ਼ ਹੋ ਕੇ ਵਾਪਸ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਤਾਂ ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਉਸ ਨੂੰ ਦੁੱਲਾ ਭੱਟੀ ਡਾਕੂ ਮਿਲਿਆ। ਬ੍ਰਾਹਮਣ ਦੀ ਰਾਮ – ਕਹਾਣੀ ਸੁਣ ਕੇ ਉਸ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਮੱਦਦ ਕਰਨ ਤੇ ਉਸ ਦੀ ਧੀ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਧੀ ਬਣਾ ਕੇ ਵਿਹਾਉਣ ਦਾ ਭਰੋਸਾ ਦਿੱਤਾ। ਉਹ ਮੁੰਡੇ ਵਾਲਿਆਂ ਦੇ ਘਰ ਗਿਆ ਤੇ ਪਿੰਡ ਦੇ ਸਾਰਿਆਂ ਬੰਦਿਆਂ ਨੂੰ ਮਿਲ ਕੇ ਉਸ ਨੇ ਰਾਤ ਵੇਲੇ ਜੰਗਲ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲਾ ਕੇ ਕੁੜੀ ਦਾ ਵਿਆਹ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਗ਼ਰੀਬ ਬ੍ਰਾਹਮਣ ਦੀ ਧੀ ਦੇ ਕੱਪੜੇ ਵਿਆਹ ਸਮੇਂ ਵੀ ਫਟੇ – ਪੁਰਾਣੇ ਸਨ।

ਦੁੱਲੇ ਭੱਟੀ ਦੇ ਕੋਲ ਉਸ ਸਮੇਂ ਕੇਵਲ ਸ਼ੱਕਰ ਸੀ। ਉਸਨੇ ਉਹ ਸ਼ੱਕਰ ਹੀ ਕੁੜੀ ਦੀ ਝੋਲੀ ਵਿਚ ਸ਼ਗਨ ਵਜੋਂ ਪਾਈ ਮਗਰੋਂ ਇਸ ਘਟਨਾ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿਚ ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਅੱਗ ਬਾਲ ਕੇ ਮਨਾਇਆ ਜਾਣ ਲੱਗਾ ਲੋਹੜੀ ਦਾ ਦਿਨ ਆਉਣ ਤੋਂ ਕੁੱਝ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਹੀ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਮੁੰਡਿਆਂ – ਕੁੜੀਆਂ ਦੀਆਂ ਢਾਣੀਆਂ ਗੀਤ – ਗਾਉਂਦੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਲੋਹੜੀ ਮੰਗਦੀਆਂ ਫਿਰਦੀਆਂ ਹਨ। ਕੋਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦਾਣੇ ਦਿੰਦਾ ਹੈ, ਕੋਈ ਗੁੜ, ਕੋਈ ਪਾਥੀਆਂ ਅਤੇ ਕੋਈ ਪੈਸੇ 1 ਲੋਹੜੀ ਮੰਗਣ ਵਾਲੀਆਂ ਟੋਲੀਆਂ ਦੇ ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਗੀਤ ਗੂੰਜਦੇ ਹਨ –

ਸੁੰਦਰ ਮੁੰਦਰੀਏ ਹੋ,
ਤੇਰਾ ਕੌਣ ਵਿਚਾਰਾ ? ਹੋ।
ਦੁੱਲਾ ਭੱਟੀ ਵਾਲਾ, ਹੋ
ਦੁੱਲੇ ਦੀ ਧੀ ਵਿਆਹੀ, ਹੋ।
ਸੇਰ ਸ਼ੱਕਰ ਪਾਈ, ਹੋ।
ਕੁੜੀ ਦਾ ਬੋਝਾ ਪਾਟਾ, ਹੋ
ਜੀਵੇ ਕੁੜੀ ਦਾ ਚਾਚਾ, ਹੋ।
ਲੰਬੜਦਾਰ ਸਦਾਏ, ਹੋ।
ਗਿਣ ਗਿਣ ਪੌਲੇ ਲਾਏ, ਹੋ।
ਇਕ ਪੌਲਾ ਰਹਿ ਗਿਆ,
ਸਿਪਾਹੀ ਫੜ ਕੇ ਲੈ ਗਿਆ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਇਸ ਦਿਨ ਭਰਾ ਭੈਣ ਲਈ ਲੋਹੜੀ ਲੈ ਕੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਪਿੰਨੀਆਂ ਤੇ ਖਾਣ – ਪੀਣ ਦੇ ਹੋਰ ਸਮਾਨ ਸਹਿਤ ਕੋਈ ਹੋਰ ਸੁਗਾਤ ਵੀ ਭੈਣ ਦੇ ਘਰ ਪੁਚਾਉਂਦੇ ਹਨ।

ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਬੀਤੇ ਸਾਲ ਵਿਚ ਮੁੰਡੇ ਨੇ ਜਨਮ ਲਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਉਸ ਘਰ ਵਿਚ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਰੌਣਕਾਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਸ ਘਰ ਦੀਆਂ ਇਸਤਰੀਆਂ ਸਾਰੇ ਮੁਹੱਲੇ ਵਿਚ ਮੁੰਡੇ ਦੀ ਲੋਹੜੀ ਵੰਡਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਗੁੜ, ਮੂੰਗਫਲੀ ਤੇ ਰਿਉੜੀਆਂ ਆਦਿ ਸ਼ਾਮਲ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ ! ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਉਸ ਘਰ ਵਿਚ ਲੋਹੜੀ ਮੰਗਣ ਵਾਲੇ ਮੁੰਡਿਆਂ – ਕੁੜੀਆਂ ਦੇ ਗੀਤਾਂ ਦੀਆਂ ਰੌਣਕਾਂ ਲੱਗੀਆਂ ਰਹਿੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਰਾਤ ਵੇਲੇ ਵੱਡੇ ਵੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਰੌਣਕਾਂ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਲ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਨ। ਖੁੱਲ੍ਹੇ ਵਿਹੜੇ ਵਿਚ ਲੱਕੜਾਂ ਤੇ ਪਾਥੀਆਂ ਇਕੱਠੀਆਂ ਕਰ ਕੇ ਵੱਡੀ ਧੂਣੀ ਲਾਈ ਜਾਂਦੀ ਹੈ।

ਕਈ ਇਸਤਰੀਆਂ ਘਰ ਵਿਚ ਮੁੰਡਾ ਹੋਣ ਦੀ ਖੁਸ਼ੀ ਵਿਚ ਧੂਣੀ ਵਿਚ ਆਪਣਾ ਚਰਖਾ ਵੀ ਬਾਲ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਸਤਰੀਆਂ ਤੇ ਮਰਦ ਰਾਤ ਦੇਰ ਤਕ ਧੂਣੀ ਸੇਕਦੇ ਹੋਏ ਰਿਉੜੀਆਂ, ਮੰਗਫਲੀ, ਭੁੱਗਾ ਆਦਿ ਖਾਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਧਣੀ ਵਿਚ ਤਿਲਚੌਲੀ ਆਦਿ ਸੱਟਦੇ ਹਨ। ਅੱਧੀ ਰਾਤ ਤੋਂ ਪਿੱਛੋਂ ਧੂਣੀ ਦੀ ਅੱਗ ਦੇ ਠੰਢੀ ਪੈਣ ਤਕ ਇਹ ਮਹਿਫ਼ਲ ਲੱਗੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ।

16. ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠਾ ਮੈਚ
ਜਾਂ
ਫੁੱਟਬਾਲ ਦਾ ਮੈਚ

ਐਤਵਾਰ ਦਾ ਦਿਨ ਸੀ। ਪਿਛਲੇ ਦੋ ਦਿਨਾਂ ਤੋਂ ਲਾਇਲਪੁਰ ਖ਼ਾਲਸਾ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ, ਜਲੰਧਰ ਦੇ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਫੁੱਟਬਾਲ ਦੇ ਮੈਚ ਹੋ ਰਹੇ ਸਨ ਫਾਈਨਲ ਮੈਚ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਗੌਰਮਿੰਟ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ, ਟਾਊਨ ਹਾਲ, ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ) ਦੀ ਟੀਮ ਅਤੇ ਦੁਆਬਾ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ, ਜਲੰਧਰ ਦੀ ਟੀਮ ਵਿਚਕਾਰ ਖੇਡਿਆ ਜਾਣਾ ਸੀ।

ਸ਼ਾਮ ਦੇ ਚਾਰ ਵਜੇ ਖਿਡਾਰੀ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਆ ਗਏ। ਰੈਫ਼ਰੀ ਨੇ ਠੀਕ ਸਮੇਂ ‘ਤੇ ਵਿਸਲ ਵਜਾਈ ਅਤੇ ਦੋਵੇਂ ਟੀਮਾਂ ਮੈਚ ਖੇਡਣ ਲਈ ਤਿਆਰ ਹੋ ਗਈਆਂ ! ਸਾਡੀ ਟੀਮ ਦਾ ਕੈਪਟਨ ਸਰਦੂਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਦੁਆਬਾ ਸਕੂਲ ਦੀ ਟੀਮ ਦਾ ਕੈਪਟਨ ਕਰਮ ਚੰਦ ਸੀ। ਟਾਸ ਸਾਡੇ ਸਕੂਲ ਦੀ ਟੀਮ ਨੇ ਜਿੱਤਿਆ ਸਾਰੇ ਖਿਡਾਰੀ ਖੇਡ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਖਿੰਡ ਗਏ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀਆਂ ਪੁਜ਼ੀਸ਼ਨਾਂ ਸੰਭਾਲ ਲਈਆਂ। ਰੈਫ਼ਰੀ ਦੀ ਵਿਸਲ ਨਾਲ ਅੱਖ ਫ਼ਰਕਣ ਦੇ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਹੀ ਖੇਡ ਆਰੰਭ ਹੋ ਗਈ।

ਮੈਚ ਦੇਖਣ ਵਾਲਿਆਂ ਦੀ ਗਿਣਤੀ 5 ਹਜ਼ਾਰ ਤੋਂ ਵੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਸੀ ਪਹਿਲਾਂ ਤਾਂ 15 ਕੁ ਮਿੰਟ ਸਾਡੀ ਟੀਮ ਖੂਬ ਅੜੀ ਰਹੀ, ਪਰ ਦੁਆਬਾ ਹਾਈ ਸਕੂਲ ਦੇ ਫਾਰਵਰਡਾਂ ਨੇ ਬਾਲ ਨੂੰ ਸਾਡੇ ਗੋਲਾਂ ਵਲ ਹੀ ਰੱਖਿਆ ਸਾਡਾ ਬਿੱਲਾ ਰਾਈਟ – ਆਊਟ ਖੇਡਦਾ ਸੀ। ਜਦੋਂ ਬਾਲ ਉਸ ਕੋਲ ਆਇਆ, ਤਾਂ ਉਹ ਜਲਦੀ ਹੀ ਮੈਦਾਨ ਦੀ ਹੱਦ ਦੇ ਨਾਲ – ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਗੋਲਾਂ ਪਾਸ ਪੁੱਜ ਗਿਆ। ਉਸ ਨੇ ਬਾਲ ਕੈਪਟਨ ਸਰਦੂਲ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਦਿੱਤਾ ਹੀ ਸੀ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਫੁੱਲ – ਬੈਕਾਂ ਨੇ ਉਸ ਪਾਸੋਂ ਬਾਲ ਲੈ ਲਿਆ ਤੇ ਇੰਨੀ ਜ਼ੋਰ ਦੀ ਕਿੱਕ ਮਾਰੀ ਕਿ ਬਾਲ ਮੁੜ ਸਾਡੇ ਗੋਲਾਂ ਵਿਚ ਆ ਗਿਆ ! ਪਰ ਸਾਡਾ ਗੋਲਕੀਪਰ ਬਹੁਤ ਚੌਕੰਨਾ ਸੀ।

ਬਾਲ ਉਸ ਦੇ ਪਾਸ ਪੁੱਜਾ ਹੀ ਸੀ ਕਿ ਉਸ ਨੇ ਰੋਕ ਲਿਆ ! ਅਚਾਨਕ ਹੀ ਅੱਧੇ ਸਮੇਂ ਦੀ ਵਿਸਲ ਵੱਜ ਗਈ। ਕੁੱਝ ਮਿੰਟਾਂ ਮਗਰੋਂ ਖੇਡ ਦੂਜੀ ਵਾਰ ਆਰੰਭ ਹੋਈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਖੱਬੇ – ਆਉਟ ਨੇ ਅਜਿਹੀ ਕਿੱਕ ਮਾਰੀ ਕਿ ਬਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕੈਪਟਨ ਪਾਸ ਪੁੱਜ ਗਿਆ ਦਰਸ਼ਕਾਂ ਨੇ ਤਾੜੀਆਂ ਵਜਾਈਆਂ। ਅਚਾਨਕ ਹੀ ਬਾਲ ਸਾਡੇ ਫੁੱਲ – ਬੈਕ ਕੋਲੋਂ ਹੁੰਦਾ ਹੋਇਆ ਸਾਡੇ ਗੋਲਾਂ ਕੋਲ ਜਾ ਪੁੱਜਾ। ਗੋਲਚੀ ਦੇ ਬਹੁਤ ਯਤਨ ਕਰਨ ‘ਤੇ ਵੀ ਸਾਡੇ ਸਿਰ ਇਕ ਗੋਲ ਹੋ ਗਿਆ ਹੁਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਚੜ੍ਹ ਬਹੁਤ ਜ਼ਿਆਦਾ ਮਚ ਗਈ।

ਸਮਾਂ ਕੇਵਲ 10 ਮਿੰਟ ਹੀ ਰਹਿ ਗਿਆ। ਸਾਡੇ ਕੈਪਟਨ ਨੇ ਬਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦੋ ਖਿਡਾਰੀਆਂ ਵਿਚੋਂ ਕੱਢ ਕੇ ਰਾਈਟ – ਆਊਟ ਨੂੰ ਦਿੱਤਾ। ਉਸ ਨੇ ਨੁੱਕਰ ਉੱਤੇ ਜਾ ਕੇ ਅਜਿਹੀ ਕਿੱਕ ਮਾਰੀ ਕਿ ਗੋਲ ਉਤਾਰ ਦਿੱਤਾ ਇਸ ਵੇਲੇ ਖੇਡ ਬਹੁਤ ਗਰਮਜੋਸ਼ੀ ਨਾਲ ਖੇਡੀ ਜਾ ਰਹੀ ਸੀ ਅਚਾਨਕ ਬਾਲ ਸਾਡੇ ਗੋਲਾਂ ਵਿਚ ਪੁੱਜ ਗਿਆ ਜੇਕਰ ਸਾਡਾ ਗੋਲਚੀ ਚੁਸਤੀ ਨਾ ਦਿਖਾਉਂਦਾ, ਤਾਂ ਗੋਲ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਤੇ ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਸਾਡੇ ਕੈਪਟਨ ਨੇ ਸੈਂਟਰ ਵਿਚੋਂ ਅਜਿਹੀ ਕਿੱਕ, ਮਾਰੀ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਗੋਲਚੀ ਨੇ ਰੋਕ ਤਾਂ ਲਈ, ਪਰੰਤੁ ਬਾਲ ਖਿਸਕ ਕੇ ਗੋਲਾਂ ਵਿਚੋਂ ਲੰਘ ਗਿਆ।

ਰੈਫ਼ਰੀ ਨੇ ਵਿਸਲ ਮਾਰ ਕੇ ਗੋਲ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਇਕ ਮਿੰਟ ਮਗਰੋਂ ਹੀ ਖੇਡ ਸਮਾਪਤ ਹੋ ਗਈ। ਅਸੀਂ ਮੈਚ ਜਿੱਤ ਗਏ। ਇਹ ਮੈਚ ਜਿੱਤ ਕੇ ਅਸੀਂ ਜ਼ਿਲ੍ਹੇ ਵਿਚੋਂ ਪਹਿਲੇ ਨੰਬਰ ਤੇ ਰਹੇ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

17. ਸਿਨਮੇ ਦੇ ਲਾਭ ਤੇ ਹਾਨੀਆਂ

ਸਿਨਮਾ ਵਰਤਮਾਨ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵਨ ਦਾ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅੰਗ ਹੈ। ਉਂਝ ਹੁਣ ਘਰ ਘਰ ਟੈਲੀਵਿਯਨ ਦੇ ਆਉਣ ਨਾਲ ਇਸ ਦੀ ਲੋਕ – ਪ੍ਰਿਅਤਾ ਪਹਿਲਾਂ ਜਿੰਨੀ ਨਹੀਂ ਰਹੀ ਪਰ ਫਿਰ ਵੀ ਲੋਕ ਸਿਨਮਾ ਦੇਖਣ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲਾਭ ਵੀ ਹਨ ਤੇ ਨੁਕਸਾਨ ਵੀ। ਇਸ ਦੇ ਲਾਭ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ ਸਿਨਮੇ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਦਿਲ – ਪਰਚਾਵੇ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵਧੀਆ ਤੇ ਸਸਤਾ ਸਾਧਨ ਹੈ। ਦਿਨ ਭਰ ਦਾ ਕੰਮ ਨਾਲ ਥੱਕਿਆ – ਟੁੱਟਿਆ ਬੰਦਾ ਸਿਨਮੇ ਵਿਚ ਜਾ ਕੇ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਫ਼ਿਲਮਾਂ, ਨਾਚਾਂ, ਗਾਣਿਆਂ, ਹਸਾਉਣੇ ਤੇ ਰੁਆਉਣੇ ਦਿਸ਼ਾਂ, ਮਾਰ – ਕੁਟਾਈ ਤੇ ਕੁਦਰਤੀ ਦ੍ਰਿਸ਼ਾਂ ਨਾਲ ਆਪਣਾ ਮਨ ਪਰਚਾ ਲੈਂਦਾ ਹੈ।

ਸਿਨਮੇ ਦਾ ਦੂਜਾ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਰਾਹੀਂ ਅਸੀਂ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਾਂ। ਇਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਸਿਨਮੇ ਰਾਹੀਂ ਖੇਤੀਬਾੜੀ, ਸਿਹਤ, ਪਰਿਵਾਰ ਭਲਾਈ, ਸੁਰੱਖਿਆਂ ਤੇ ਵਿੱਦਿਆ ਦੇ ਮਹਿਕਮੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੰਦੇ ਹਨ।

ਸਿਨਮੇ ਦਾ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਵਿੱਦਿਅਕ ਉੱਨਤੀ ਵਿਚ ਕਾਫ਼ੀ ਹਿੱਸਾ ਹੈ। ਸਿਨਮੇ ਰਾਹੀਂ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਨੂੰ ਕਾਫ਼ੀ ਲਾਭ ਪੁਚਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ।

ਸਿਨਮੇ ਤੋਂ ਵਪਾਰੀ ਲੋਕ ਵੀ ਖੂਬ ਲਾਭ ਉਠਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਆਪਣੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਦੀ ਸਿਨਮੇ ਰਾਹੀਂ ਮਸ਼ਹੂਰੀ ਕਰ ਕੇ ਲਾਭ ਉਠਾਉਂਦੇ ਹਨ।

ਸਿਨਮੇਂ ਦਾ ਇਕ ਹੋਰ ਲਾਭ ਇਹ ਵੀ ਹੈ ਕਿ ਫ਼ਿਲਮ ਸਨਅਤ ਅਤੇ ਸਿਨਮਾਘਰਾਂ ਵਿਚ ਸੈਂਕੜੇ ਲੋਕ ਕੰਮ ਕਰ ਕੇ ਆਪਣੇ ਪੇਟ ਪਾਲ ਰਹੇ ਹਨ।

ਜਿੱਥੇ ਸਿਨਮੇ ਦੇ ਇੰਨੇ ਲਾਭ ਹਨ, ਉੱਥੇ ਇਸ ਦੀਆਂ ਹਾਨੀਆਂ ਵੀ ਹਨ ਇਸ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਨੁਕਸਾਨ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਅਸ਼ਲੀਲ ਫਿਲਮਾਂ ਦਾ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਦੇ ਆਚਰਨ ਉੱਪਰ ਬਹੁਤ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ। ਨੌਜਵਾਨ ਤੇ ਮੁਟਿਆਰਾਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਫੈਸ਼ਨਪ੍ਰਸਤੀ ਵਲ ਪੈ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਜੀਵਨ ਦੇ ਅਸਲ ਮੰਤਵ ਨੂੰ ਭੁੱਲ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਪਰ ਹੁਣ ਇਸ ਦੋਸ਼ ਵਿਚ ਟੀ. ਵੀ. ਸਿਨਮੇ ਨਾਲੋਂ ਅੱਗੇ ਨਿਕਲ ਗਿਆ ਹੈ। ਸਿਨਮੇ ਉੱਪਰ ਤਾਂ ਸੈਂਸਰ ਬੋਰਡ ਬੈਠਾ ਹੈ, ਪਰ ਟੀ.ਵੀ. ਦੀਆਂ ਲਗਾਮਾਂ ਵਧੇਰੇ ਖੁੱਲੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਉਹ ਦੇਖਿਆ ਵੀ ਘਰ ਘਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਬਹੁਤਾ ਸਿਨਮਾ ਵੇਖਣ ਨਾਲ ਟੀ.ਵੀ. ਸਕਰੀਨ ਵਾਂਗ ਹੀ ਸਿਨਮੇ ਦੇ ਪਰਦੇ ਉੱਪਰ ਪੈ ਰਹੀ ਤੇਜ਼ ਰੌਸ਼ਨੀ ਦਾ ਮਨੁੱਖੀ ਨਜ਼ਰ ਉੱਪਰ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪੈਂਦਾ ਹੈ। ਮੁੱਕਦੀ ਗੱਲ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਸਿਨਮਾ ਦਿਲ – ਪਰਚਾਵੇ ਦਾ ਵਧੀਆ ਤੇ ਸਸਤਾ ਸਾਧਨ ਹੈ, ਪਰ ”.

ਇਸ ਦੀਆਂ ਹਾਨੀਆਂ ਨੂੰ ਦੂਰ ਕਰਨ ਵਲ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਧਿਆਨ ਦੇਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।

18. ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਦੇ ਲਾਭ – ਹਾਨੀਆਂ

ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਵਰਤਮਾਨ ਜੀਵਨ ਦਾ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਅੰਗ ਹਨ ਆਦਮੀ ਨੂੰ ਸਵੇਰੇ ਉੱਠਦਿਆਂ ਹੀ ਇਹ ਆਪਣੇ ਰਸ ਵਿਚ ਕੀਲ ਲੈਂਦੀਆਂ ਹਨ। ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਤੋਂ ਸਾਨੂੰ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲਾਭ ਹਨ, ਜੋ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਦਾ ਸਾਨੂੰ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਸਵੇਰੇ ਉੱਠਦਿਆਂ ਹੀ ਸਾਨੂੰ ਦੁਨੀਆ ਭਰ ਦੀਆਂ ਖ਼ਬਰਾਂ ਲਿਆ ਦਿੰਦੀਆਂ ਹਨ ! ਅਸੀਂ ਘਰ ਬੈਠੇ – ਬਿਠਾਏ ਸੰਸਾਰ ਭਰ ਦੇ ਹਾਲਾਤਾਂ ਤੋਂ ਜਾਣੂ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਾਂ ਸਾਨੂੰ ਪਤਾ ਲਗ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਕਿੱਥੇ ਹੜਤਾਲ ਹੋਈ ਹੈ, ਕਿੱਥੇ ਪੁਲਿਸ ਨੇ ਲਾਠੀ – ਗੋਲੀ ਚਲਾਈ ਹੈ ਤੇ ਕਿੱਥੇ ਦੁਰਘਟਨਾਵਾਂ ਹੋਈਆਂ ਹਨ।

ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਾਂ। ਇਹ ਸੂਚਨਾ ਸੰਚਾਰ ਦਾ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਸਾਧਨ ਹੈ, ਜਿਸ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਖੇਤੀ – ਬਾੜੀ, ਵਿੱਦਿਆ, ਸਿਹਤ ਤੇ ਆਪਣੇ ਸੱਭਿਆਚਾਰ ਨੂੰ ਉੱਨਤ ਕਰਨ ਲਈ ਕਾਫ਼ੀ ਲਾਭ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਾਂ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹਨ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਗਿਆਨ ਵਿਚ ਬਹੁਪੱਖੀ ਵਾਧਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਵਿਚ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਅਦਾਰਿਆਂ ਵਲੋਂ ਆਪਣੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਤੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮਾਂ ਬਾਰੇ ਇਸ਼ਤਿਹਾਰ ਦਿੱਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਕਾਫ਼ੀ ਲਾਭ ਉਠਾ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ਅਸੀਂ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਲਈ ਖ਼ਾਲੀ ਥਾਂਵਾਂ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਵੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ! ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਦਿਲ – ਪਰਚਾਵੇ ਲਈ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਕੁੱਝ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

ਇਸ ਵਿਚ , ਸਾਹਿਤ, ਲੋਕ – ਸਾਹਿਤ, ਫ਼ਿਲਮਾਂ, ਚੁਟਕਲਿਆਂ, ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਵਿਸ਼ਿਆਂ ਸੰਬੰਧੀ ਗੰਭੀਰ ਲੇਖਾਂ ਤੇ ਜੀਵਨ ਦੇ ਹੋਰ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਪੱਖਾਂ ਬਾਰੇ ਅਗਵਾਈ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਬਹੁਮੁੱਲੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ! ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਅਸੀਂ ਦਿਲ – ਪਰਚਾਵੇ ਦੇ ਸਾਧਨਾਂ ਫਿਲਮਾਂ, ਰੇਡੀਓ ਤੇ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮਾਂ ਬਾਰੇ ਵੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਾਂ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਪੁਰਾਣੀਆਂ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਬੇਕਾਰ ਨਹੀਂ ਜਾਂਦੀਆਂ, ਸਗੋਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕਾਗਜ਼ ਨੂੰ ਰੱਦੀ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਵੇਚ ਕੇ ਪੈਸੇ ਵੱਟ ਲਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਇੰਨਾ ਲਾਭ ਪਹੁੰਚਾਉਣ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਕਈ ਵਾਰੂ ਸਮਾਜ ਨੂੰ ਨੁਕਸਾਨ ਵੀ ਪੁਚਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਸਭ ਤੋਂ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਗੱਲ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਭੜਕਾਉ ਖ਼ਬਰਾਂ ਦਾ ਛਪਣਾ ਹੈ ਕਈ ਵਾਰ ਖ਼ੁਦਗਰਜ਼ ਤੇ ਸਵਾਰਥੀ ਹੱਥਾਂ ਵਿਚ ਚਲ ਰਹੀਆਂ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਝੂਠੀਆਂ ਖ਼ਬਰਾਂ ‘ ਛਾਪ ਕੇ ਸਮਾਜਿਕ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਗੰਧਲਾ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ।

ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਵਿਚ ਅਸ਼ਲੀਲ ਫੋਟੋਆਂ ਤੇ ਮਨ – ਘੜਤ ਕਹਾਣੀਆਂ ਦਾ ਛਪਣਾ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਦੇ ਆਚਰਨ ‘ਤੇ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ !

ਅੰਤ ਵਿਚ ਅਸੀਂ ਕਹਿ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਅਖ਼ਬਾਰਾਂ ਕੁੱਝ ਹਾਨੀਆਂ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਲਈ ਬਹੁਤ ਲਾਭਦਾਇਕ ਹਨ।

19. ਵਿਗਿਆਨ ਦੇ ਚਮਤਕਾਰ

20 ਵੀਂ ਸਦੀ ਨੂੰ ਵਿਗਿਆਨ ਦਾ ਯੁਗ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਇਹ ਆਪਣੀਆਂ ਕਾਢਾਂ ਤੇ ਖੋਜਾਂ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਕ੍ਰਾਂਤੀਕਾਰੀ ਤਬਦੀਲੀਆਂ ਲਿਆਉਂਦਾ ਹੋਇਆ ਅੱਜ 21ਵੀਂ ਸਦੀ ਵਿਚ ਪ੍ਰਵੇਸ਼ ਕਰ ਚੁੱਕਾ ਹੈ। ਵਿਗਿਆਨ ਦੀਆਂ ਕਾਢਾਂ ਨੇ ਸਾਡੇ ਹਰ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਨਵਾਂ ਪਲਟਾ ਲੈ ਆਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਨੇ ਜਿੱਥੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਲਾਭਦਾਇਕ ਕਾਢਾਂ ਕੱਢ ਕੇ ਮਨੁੱਖ ਨੂੰ ਸੁਖ ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਉੱਥੇ ਇਸ ਨੇ ਐਟਮ ਤੇ ਹਾਈਡਰੋਜਨ ਬੰਬਾਂ ਜਿਹੇ ਭਿਆਨਕ ਹਥਿਆਰ ਬਣਾ ਕੇ ਤੇ ਵਾਤਾਵਰਨ ਨੂੰ ਪਲੀਤ ਕਰ ਕੇ ਧਰਤੀ ਉੱਤੇ ਮਨੁੱਖ ਸਮੇਤ ਸਮੁੱਚੇ ਜੀਵਾਂ ਤੇ ਬਨਸਪਤੀ ਦੀ ਹੋਂਦ ਲਈ ਖ਼ਤਰਾ ਪੈਦਾ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ !

ਵਿਗਿਆਨ ਦੀਆਂ ਮਾਰੂ ਕਾਢਾਂ ਤੇ ਦੇਣਾਂ ਦੇ ਉਲਟ ਉਸਾਰੂ ਕਾਢਾਂ ਨੇ ਸਾਡੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਜੀਵਨ ਨੂੰ ਬੜੇ ਸਖ, ਅਰਾਮ ਅਤੇ ਲਾਭ ਪਹੁੰਚਾ ਕੇ ਇਸ ਵਿਚ ਤੇਜ਼ੀ ਲੈ ਆਂਦੀ ਹੈ।

ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚੋਂ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਢ ਬਿਜਲੀ ਹੈ। ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਦੇ ਬਹੁਤੇ ਕੰਮ ਇਸੇ ਨਾਲ ਚਲਦੇ ਹਨ। ਇਹ ਸਾਡੇ ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਰੌਸ਼ਨੀ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਪੱਖੇ ਚਲਾਉਂਦੀ ਹੈ, ਖਾਣਾ ਬਣਾਉਣ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦੀ ਹੈ, ਕੱਪੜੇ ਪ੍ਰੈੱਸ ਕਰਨ ਵਿਚ ਮੱਦਦ ਦਿੰਦੀ ਹੈ। ਗਰਮੀਆਂ ਵਿਚ ਕਮਰਿਆਂ ਨੂੰ ਠੰਢੇ ਕਰਨ ਤੇ ਸਰਦੀਆਂ ਵਿਚ ਕਮਰਿਆਂ ਨੂੰ ਗਰਮ ਕਰਨ ਵਿਚ ਮੱਦਦ ਦਿੰਦੀ ਹੈ। ਇਹੋ ਹੀ ਕਾਰਖ਼ਾਨੇ ਚਲਾਉਂਦੀ ਹੈ, ਜਿੱਥੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰਾ ਉਤਪਾਦਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

ਇਹੋ ਹੀ ਕੰਪਿਊਟਰ, ਫੋਟੋ – ਸਟੇਟ ਤੇ ਰੋਬੋਟ ਆਦਿ ਚਲਾਉਂਦੀ ਹੈ। ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਦੂਜੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਢ ਆਵਾਜਾਈ ਦੇ ਮਸ਼ੀਨੀ ਸਾਧਨਾਂ ਦੀ ਹੈ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਸਕੂਟਰ, ਮੋਟਰ – ਸਾਈਕਲ, ਮੋਟਰਾਂ, ਕਾਰਾਂ, ਗੱਡੀਆਂ ਤੇ ਹਵਾਈ ਜਹਾਜ਼ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ। ਇਹ ਸਾਧਨ ਸਾਨੂੰ ਬਹੁਤ ਥੋੜੇ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਤੇ ਘੱਟ ਖ਼ਰਚ ਨਾਲ ਇਕ ਥਾਂ ਤੋਂ ਦੂਜੀ ਥਾਂ ‘ਤੇ ਪੁਚਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਸਾਡਾ ਵਰਤਮਾਨ ਜੀਵਨ ਇਕ ਘੜੀ ਵੀ ਨਹੀਂ ਚਲ ਸਕਦਾ ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਕਾਢ ਸੰਚਾਰ ਦੇ ਸਾਧਨਾਂ ਦੀ ਹੈ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਟੈਲੀਫ਼ੋਨ, ਤਾਰ, ਵਾਇਰਲੈਂਸ, ਟੈਲੀਪਿੰਟਰ, ਰੇਡੀਓ, ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ, ਰੇਜਰ, ਫ਼ੋਨ ਤੇ ਈ – ਮੇਲ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ।

ਇਨ੍ਹਾਂ ਰਾਹੀਂ ਅਸੀਂ ਘਰ ਬੈਠਿਆਂ ਹੀ ਦੂਰ – ਦੂਰ ਤਕ ਸੁਨੇਹੇ ਭੇਜ ਸਕਦੇ ਹਾਂ ? ਵਿਗਿਆਨ ਨੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਮਨ – ਪਰਚਾਵੇ ਦੇ ਸਾਧਨ ਵੀ ਵਿਕਸਿਤ ਕੀਤੇ; ਜਿਵੇਂ – ਰੇਡੀਓ, ਟਾਂਜ਼ਿਸਟਰ, ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ, ਸਿਨੇਮਾ, ਵੀ.ਡੀ.ਓ. ਗੇਮਾਂ, ਕੰਪਿਊਟਰ, ਸੀ.ਡੀ. ਪਲੇਅਰ, ਕੈਸਟ ਪਲੇਅਰ ਆਦਿ ਸ਼ਾਮਲ ਹਨ।

ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਕਾਢ ਕੰਪਿਉਟਰ ਨੇ ਅਜੋਕੇ ਯੁਗ ਵਿਚ ਇਨਕਲਾਬ ਲੈ ਆਂਦਾ ਹੈ। ਕੰਪਿਊਟਰ ਇਕ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦਾ ਮਨੁੱਖੀ ਦਿਮਾਗ ਹੈ, ਜੋ ਬਹੁਤ ਹੀ ਤੇਜ਼ੀ ਅਤੇ ਸੁਯੋਗਤਾ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖੀ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਾਲੇ ਸਾਰੇ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ। ਕੰਪਿਊਟਰ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਵੱਡੇ – ਵੱਡੇ ਉਤਪਾਦਨ ਕੇਂਦਰਾਂ, ਵਪਾਰਕ ਅਦਾਰਿਆਂ, ਦਫ਼ਤਰਾਂ ਤੇ ਘਰਾਂ, ਗੱਲ ਕੀ ਜੀਵਨ ਦੇ ਹਰ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਕੰਮ – ਕਾਰ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਤੇਜ਼ੀ ਆ ਗਈ ਹੈ। ਇਹ ਵਿਗਿਆਨੀਆਂ, ਡਾਕਟਰਾਂ ਤੇ ਕਲਾਕਾਰਾਂ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿਚ ਵੀ ਸ਼ਾਮਲ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

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ਇੰਟਰਨੈੱਟ ਰਾਹੀਂ ਇਸਨੇ ਸਾਰੀ ਦੁਨੀਆ ਲਈ ਗਿਆਨ, ਜਾਣਕਾਰੀ ਅਤੇ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਸੇਵਾਵਾਂ ਦੇ ਭੰਡਾਰ ਖੋਲਣ ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ ਬਹੁਪੱਖੀ ਆਪਸੀ ਸੰਚਾਰ ਵਿਚ ਭਾਰੀ ਤੇਜ਼ੀ ਲੈ ਆਂਦੀ ਹੈ ਕੰਪਿਊਟਰੀਕਿਤ ਰੋਬੋਟ ਮਨੁੱਖ ਵਾਂਗ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਔਖੇ ਤੇ ਜ਼ੋਖਮ ਭਰੇ ਕੰਮ ਲੰਮਾ ਸਮਾਂ ਬਿਨਾਂ ਅੱਕੇ – ਬੱਕੇ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ।

ਵਿਗਿਆਨ ਨੇ ਮਨੁੱਖੀ ਸਰੀਰ ਦੇ ਰੋਗਾਂ ਨੂੰ ਯੰਤਰਾਂ ਤੇ ਦਵਾਈਆਂ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਹੱਦ ਤਕ ਕਾਬੂ ਕਰ ਲਿਆ ਹੈ। ਵਿਗਿਆਨ ਨੇ ਖਾਦਾਂ ਤੇ ਕੀੜੇਮਾਰ ਦਵਾਈਆਂ ਨਾਲ ਫ਼ਸਲਾਂ ਦੀ ਉਪਜ ਵੀ ਵਧਾਈ ਹੈ। ਲਗਪਗ ਹਰ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਕੰਮ ਕਰਨ ਲਈ ਨਵੀਂ ਤਕਨੀਕ ਨਾਲ ਬਣੀਆਂ ਮਸ਼ੀਨਾਂ ਮਿਲ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ। ਇਸਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਇਸਨੇ ਮਨੁੱਖੀ ਜੀਵਨ ਵਿਚੋਂ ਅੰਧ – ਵਿਸ਼ਵਾਸਾਂ ਦਾ ਬਿਸਤਰਾ ਗੋਲ ਕਰ ਕੇ ਉਸਨੂੰ ਵਿਗਿਆਨਿਕ ਲੀਹਾਂ ਉੱਤੇ ਤੋਰ ਦਿੱਤਾ ਹੈ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀਆਂ ਕਾਢਾਂ ਦੀ ਸਾਡੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਮਹਾਨਤਾ ਹੈ ਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਾਡੇ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਤੇਜ਼ੀ, ਸੁਖ ਤੇ ਅਰਾਮ ਲਿਆਂਦਾ ਹੈ।

20. ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇ ਲਾਭ ਤੇ ਹਾਨੀਆਂ

ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੂਰਦਰਸ਼ਨ ਆਧੁਨਿਕ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਇਕ ਅਦਭੁਤ ਕਾਢ ਹੈ। ਇਸ ਵਿਚ ਰੇਡੀਓ ਅਤੇ ਸਿਨੇਮਾ ਦੋਹਾਂ ਦੇ ਗੁਣ ਸਮੋਏ ਪਏ ਹਨ ਤੇ ਇਸ ਦਾ ਵਰਤਮਾਨ ਦਿਲ – ਪਰਚਾਵੇ ਦੇ ਸਾਧਨਾਂ ਵਿਚ ਆਪਣਾ ਮੌਲਿਕ ਤੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਸਥਾਨ ਹੈ।

ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਇਕ ਨੁਮਾਇਸ਼ ਵਿਚ ਆਇਆ ਸੀ। ਅਕਤੂਬਰ, 1959 ਵਿਚ ਡਾ: ਰਜਿੰਦਰ ਪ੍ਰਸ਼ਾਦ ਨੇ ਦਿੱਲੀ ਵਿਖੇ ਆਕਾਸ਼ਵਾਣੀ ਦੇ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਵਿਭਾਗ ਦਾ ਉਦਘਾਟਨ ਕੀਤਾ। ਫਿਰ ਇਸ ਦਾ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਹੋਰਨਾਂ ਭਾਗਾਂ ਵਿਚ ਵਿਕਾਸ ਹੋਇਆ।

ਮਗਰੋਂ ਉਪ – ਗ੍ਰਹਿਆਂ ਦੀ ਮੱਦਦ ਨਾਲ ਭਾਰਤ ਦੇ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਪ੍ਰਸਾਰਨ ਨੂੰ ਦੂਰ – ਦੂਰ ਦੀਆਂ ਥਾਂਵਾਂ ਉੱਤੇ ਭੇਜਣਾ ਸੰਭਵ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ਤੇ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦਿਨੋ – ਦਿਨ ਵਿਕਸਿਤ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ ਅੱਜ – ਕੱਲ੍ਹ ਤਾਂ 80 – 90 ਦੇ ਲਗਪਗ ਕੇਬਲ ਟੀ.ਵੀ. ਪ੍ਰਸਾਰਨ ਵੀ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਚੁੱਕੇ ਹਨ।

ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇ ਵਰਤਮਾਨ ਮਨੁੱਖ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਲਾਭ ਹਨ, ਜੋ ਕਿ ਹੇਠ ਲਿਖੇ ਹਨ ਉੱਪਰ ਦੱਸੇ ਅਨੁਸਾਰ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਵਰਤਮਾਨ ਮਨੁੱਖ ਦੇ ਮਨੋਰੰਜਨ ਦਾ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਸਾਧਨ ਹੈ। ਘਰ ਬੈਠੇ ਹੀ ਅਸੀਂ ਨਵੀਆਂ – ਪੁਰਾਣੀਆਂ ਫ਼ਿਲਮਾਂ, ਨਾਟਕ, ਚਲ ਰਹੇ ਮੈਚ, ਭਾਸ਼ਨ, ਨਾਚ, ਗਾਣੇ ਦੇਖਦੇ ਤੇ ਸੁਣਦੇ ਹਾਂ ਤੇ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਆਪਣਾ ਮਨ ਪਰਚਾਉਂਦੇ ਹਾਂ। ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਉੱਤੇ ਹਰ ਉਮਰ, ਹਰ ਵਰਗ ਤੇ ਹਰ ਰੁਚੀ ਦੇ ਵਿਅਕਤੀ ਲਈ ਮਨੋਰੰਜਨ ਦੀ ਸਾਮਗਰੀ ਪੇਸ਼ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ।

ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦਾ ਅਗਲਾ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਸ ਰਾਹੀਂ ਸਾਨੂੰ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਵਿਸ਼ਿਆਂ ਤੇ ਮਸਲਿਆਂ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਇਹ ਰਾਹੀਂ ਸਾਨੂੰ ਗਿਆਨ – ਵਿਗਿਆਨ ਦੀਆਂ ਖੋਜਾਂ, ਇਤਿਹਾਸ, ਮਿਥਿਹਾਸ, ਵਣਜ – ਵਪਾਰ, ਵਿੱਦਿਆ, ਕਾਨੂੰਨ, ਚਿਕਿੱਤਸਾ – ਵਿਗਿਆਨ, ਸਿਹਤ – ਵਿਗਿਆਨ, ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਪਕਵਾਨ ਬਣਾਉਣ, ਫ਼ੈਸ਼ਨ, ਧਰਤੀ ਦੇ ਵੱਖ – ਵੱਖ ਖਿੱਤਿਆਂ ਵਿਚ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ ਲੋਕਾਂ, ਜੰਗਲੀ ਪਸ਼ੂਆਂ ਤੇ ਸਮੁੰਦਰੀ ਜੀਵਾਂ, ਗੁਪਤਚਰਾਂ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਤੇ ਪ੍ਰਾਪਤੀਆਂ ਅਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੀਆਂ ਹੋਰ ਅਣਦੇਖੀਆਂ ਤੇ ਅਚੰਭੇਪੁਰਨ ਕਾਢਾਂ, ਖੋਜਾਂ, ਸਥਾਨਾਂ ਤੇ ਹੋਂਦਾਂ ਬਾਰੇ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਦਿਲ – ਪਰਚਾਵੇ ਨਾਲ ਸਾਡਾ ਬੌਧਿਕ ਵਿਕਾਸ ਵੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦਾ ਤੀਜਾ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਵਪਾਰਕ ਅਦਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਹੈ। ਇਸ ਰਾਹੀਂ ਵਪਾਰੀ ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਮਾਲ ਦੀ ਮਸ਼ਹੂਰੀ ਕਰ ਕੇ ਲਾਭ ਕਮਾਉਂਦੇ ਹਨ।

ਇਸ ਦਾ ਚੌਥਾ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਤਾਜ਼ੀਆਂ ਵਾਪਰੀਆਂ ਘਟਨਾਵਾਂ ਦੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦੇਣਾ ਹੈ। ਇਸ ਸੰਬੰਧੀ ਤਾਂ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਚੈਨਲ ਰਾਤ – ਦਿਨ ਖ਼ਬਰਾਂ ਦਾ ਚਲ – ਚਿਤਰਾਂ ਰਾਹੀਂ ਪ੍ਰਸਾਰਨ ਕਰਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ।

ਇਸ ਦਾ ਅਗਲਾ ਵੱਡਾ ਲਾਭ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਸਟੇਸ਼ਨਾਂ ਉੱਤੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਮਿਲਦਾ ਹੈ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਕਲਾਕਾਰ ਧਨ ਨਾਲ ਮਾਲਾ – ਮਾਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ।

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ਜਿੱਥੇ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲਾਭ ਹਨ, ਉੱਥੇ ਇਸ ਦੀਆਂ ਕੁੱਝ ਹਾਨੀਆਂ ਵੀ ਹਨ। ਇਸ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਹਾਨੀ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਸੁਆਦਲੇ ਤੇ ਵੰਨ – ਸੁਵੰਨੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਪੇਸ਼ ਕਰ ਕੇ ਮਨੁੱਖ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸਾਰਾ ਸਮਾਂ ਨਸ਼ਟ ਕਰਦਾ ਹੈ। ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਨੇ ਗਲੀਆਂ – ਮੁਹੱਲਿਆਂ ਵਿਚ ਰੌਲੇ – ਰੱਪੇ ਨੂੰ ਵੀ ਵਧਾਇਆ ਹੈ। ਕੇਬਲ ਟੀ. ਵੀ. ਦੇ ਪਸਾਰ ਰਾਹੀਂ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਨੇ ਸਾਡੇ ਸੱਭਿਆਚਾਰ ਉੱਤੇ ਮਾਰੂ ਹਮਲਾ ਬੋਲਿਆ ਹੈ, ਫਲਸਰੂਪ ਇਸਦਾ ਤੇਜ਼ੀ ਨਾਲ ਪੱਛਮੀਕਰਨ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ।

ਵੱਖ – ਵੱਖ ਕੰਪਨੀਆਂ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਉੱਤੇ ਆਪਣੇ ਮਾਲ ਸੰਬੰਧੀ ਕੁੜ – ਪ੍ਰਚਾਰ ਤੇ ਇਸ਼ਤਿਹਾਰਬਾਜ਼ੀ ਕਰ ਕੇ ਜਿੱਥੇ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਪੈਸੇ ਬਟੋਰਦੀਆਂ ਹਨ, ਉੱਥੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਖਾਣ – ਪੀਣ ਤੇ ਰਹਿਣ – ਸਹਿਣ ਦੀਆਂ ਆਦਤਾਂ ਨੂੰ ਵੀ ਬਦਲ ਰਹੀਆਂ ਹਨ। ਕਈ ਵਾਰ ਫ਼ਿਲਮਾਂ ਤੇ ਲੜੀਵਾਰ ਨਾਟਕਾਂ ਵਿਚਲੇ ਦ੍ਰਿਸ਼ ਇੰਨੇ ਨੰਗੇਜ਼ਵਾਦੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਸਾਊ ਲੋਕ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵਿੱਚ ਬੈਠ ਕੇ ਦੇਖ ਨਹੀਂ ਸਕਦੇ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਸਕਰੀਨ ਦੀ ਤੇਜ਼ ਰੌਸ਼ਨੀ ਤੇ ਰੇਡਿਆਈ ਕਿਰਨਾਂ ਅੱਖਾਂ ਦੀ ਨਜ਼ਰ ਉੱਪਰ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ।

ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਨੇ ਲੋਕਾਂ ਦੇ ਸਮਾਜਿਕ ਜੀਵਨ ਉੱਪਰ ਬਹੁਤ ਬੁਰਾ ਅਸਰ ਪਾਇਆ ਹੈ। ਲੋਕ ਸ਼ਾਮ ਵੇਲੇ ਇਕ ਦੂਜੇ ਦੇ ਘਰ ਜਾਣਾ ਤੇ ਮਿਲਣਾ – ਗਿਲਣਾ ਛੱਡ ਕੇ ਆਪਣੇ ਘਰ ਵਿਚ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਦੇ ਮੋਹਰੇ ਬੈਠਣਾ ਵਧੇਰੇ ਪਸੰਦ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਜਦੋਂ ਮਿੱਤਰ ਜਾਂ ਗੁਆਂਢੀ ਦੂਸਰੇ ਦੇ ਘਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਸ ਨੂੰ ਰੰਗ ਵਿਚ ਭੰਗ ਪਾਉਣ ਵਾਲਾ ਸਮਝਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਉਪਰੋਕਤ ਸਾਰੀ ਚਰਚਾ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਇਸ ਸਿੱਟੇ ‘ਤੇ ਪੁੱਜਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਆਧੁਨਿਕ ਵਿਗਿਆਨ ਦੀ ਇਕ ਅਦਭੁਤ ਕਾਢ ਹੈ।

ਇਸ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਵਰਤਮਾਨ ਸੱਭਿਆਚਾਰ ਉੱਨਤੀ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦਾ। ਇਹ ਵਰਤਮਾਨ ਮਨੁੱਖਾਂ ਦੇ ਮਨ – ਪਰਚਾਵੇ ਤੇ ਜੀਵਨ ਦੀਆਂ ਹੋਰ ਲੋੜਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਕਰਨ ਦਾ ਜ਼ਰੂਰੀ ਸਾਧਨ ਹੈ। ਇਸ ਦੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਦਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਵਿਅਕਤੀਆਂ ਤੇ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਇਸ ਨੂੰ ਵੱਧ ਤੋਂ ਵੱਧ ਉਸਾਰੁ ਰੋਲ ਅਦਾ ਕਰਨ ਦੇ ਯੋਗ ਬਣਾਉਣ।

21. ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ

ਪ੍ਰੋ: ਮੋਹਨ ਸਿੰਘ ਨੇ ਸੱਚ ਕਿਹਾ ਹੈ –
ਮਾਂ ਵਰਗਾ ਘਣਛਾਵਾਂ ਬੂ ਨੂੰ ਨਜ਼ਰ ਨਾ ਆਏ।
ਲੈ ਕੇ ਇਸ ਤੋਂ ਛਾਂ ਉਧਾਰੀ, ਰੱਬ ਨੇ ਸੁਰਗ ਬਣਾਏ।
ਬਾਕੀ ਕੁੱਲ ਦੁਨੀਆਂ ਦੇ ਬੂਟੇ ਜੜ੍ਹ ਸੁੱਕਿਆਂ ਮੁਰਝਾਂਦੇ।
ਐਪਰ ਫੁੱਲਾਂ ਦੇ ਮੁਰਝਾਇਆਂ, ਇਹ ਬੂਟਾ ਸੁੱਕ ਜਾਏ।

ਸੰਸਾਰ ਭਰ ਦੇ ਚਿੰਤਕਾਂ ਨੇ ਮਾਂ ਦੀ ਮਹਿਮਾ ਗਈ ਹੈ ਮਾਂ ਦਾ ਰਿਸ਼ਤਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪਵਿੱਤਰ ਤੇ ਉੱਚਾ – ਸੁੱਚਾ ਹੈ। ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਬੰਦੇ ਦੀ ਮਾਂ ਦੇ ਬਰਾਬਰ ਹੋਰ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦਾ, ਜਿਹੜੀ ਕਿ ਉਸਨੂੰ ਜਨਮ ਦਿੰਦੀ ਹੈ, ਪਾਲਦੀ ਹੈ, ਤੁਰਨਾ ਤੇ ਬੋਲਣਾ ਸਿਖਾਉਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਜਿਉਣ ਦੇ ਯੋਗ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ :

ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਵੀ ਮੈਨੂੰ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਨਾਂ ਸ੍ਰੀਮਤੀ ਮਨਜੀਤ ਕੌਰ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਉਮਰ 35 ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਹੈ। ਉਹ ਬੀ. ਏ., ਬੀ. ਐੱਡ. ਪਾਸ ਹਨ ਅਤੇ ਉਹ ਇਕ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਅਧਿਆਪਕ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਹਨ। ਉਹ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਅਤੇ ਸੋਸ਼ਲ ਸਟੱਡੀ ਪੜ੍ਹਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਹੀ ਹਰਮਨ ਪਿਆਰੇ ਹਨ। ਉਹ ਸਵੇਰੇ ਉੱਠਦੇ ਹਨ ਤੇ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸਵੇਰੇ ‘ਜਪੁਜੀ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਪਾਠ ਕਰਦੇ ਹਨ ਤੇ ਸ਼ਾਮ ਵੇਲੇ ਉਹ ਰਹਿਰਾਸ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਪਾਠ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਸਦਾ ਸਾਫ਼ – ਸੁਥਰੇ ਕੱਪੜੇ ਪਹਿਨਦੇ ਹਨ।

ਉਹ ਚੰਗੇ ਖਾਣੇ ਬਣਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਘਰ ਦਾ ਸਾਰਾ ਕੰਮ ਆਪ ਕਰਦੇ ਹਨ ਉਹ ਸਦਾ ਕੰਮ ਵਿਚ ਜੁੱਟੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸੁਭਾ ਬਹੁਤ ਚੰਗਾ ਹੈ। ਉਹ ਸਦਾ ਖੁਸ਼ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਚਿਹਰੇ ਉੱਤੇ ਅਨੋਖੀ ਚਮਕ ਤੇ ਖਿੱਚ ਕਾਇਮ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ। ਉਹ ਸਾਨੂੰ ਸਭ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਸੀਂ ਸਭ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸਤਿਕਾਰ ਕਰਦੇ ਹਾਂ। ਗਲੀ – ਗੁਆਂਢ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸਤਿਕਾਰ ਹੈ। ਉਹ ਮੁਹੱਲੇ ਦੀ ਇਸਤਰੀ ਸਭਾ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਹਨ। ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਘਰਾਂ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਲਾਹ ਲੈਂਦੇ ਹਨ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਦਾ ਫੁੱਲਾਂ ਤੇ ਪੌਦਿਆਂ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਘਰ ਵਿਚ ਕਿਆਰੀਆਂ ਅਤੇ ਗਮਲਿਆਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਰੰਗ – ਬਰੰਗੇ ਪੱਤਿਆਂ ਤੇ ਫੁੱਲਾਂ ਦੇ ਬੂਟੇ ਲਾਏ ਹੋਏ ਹਨ। ਦੋ ਤਿੰਨ ਮਹੀਨਿਆਂ ਬਾਅਦ ਮੌਸਮੀ ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਪਨੀਰੀ ਆਪ ਤਿਆਰ ਕਰਕੇ ਪੌਦੇ ਤਿਆਰ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਆਪ ਪਾਣੀ ਦਿੰਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਇਸ ਲਗਨ ਸਦਕਾ ਸਾਡਾ ਘਰ ਫੁੱਲਾਂ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਫੁੱਲਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਉਹ ਕਿਆਰੀਆਂ ਵਿਚ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਵੀ ਲਾਉਂਦੇ ਹਨ ਸਾਡੇ ਘਰ ਦੀ ਰਸੋਈ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਹੱਥਾਂ ਦੀਆਂ ਪਾਲੀਆਂ ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਹੀ ਬਣਦੀਆਂ ਹਨ !

ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਮੈਨੂੰ ਤੇ ਮੇਰੀ ਛੋਟੀ ਭੈਣ ਦੀ ਸਿਹਤ ਤੇ ਪੜ੍ਹਾਈ ਦਾ ਬਹੁਤ ਖਿਆਲ ਰੱਖਦੇ ਹਨ।ਉਹ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨਾਲ ਕਦੇ ਕੌੜਾ ਨਹੀਂ ਬੋਲਦੇ ਤੇ ਨਾ ਹੀ ਹੋਰ ਕਿਸੇ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗੁੱਸਾ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਆਉਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਇਕ ਆਦਰਸ਼ ਇਸਤਰੀ ਹੈ।

22. ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ

ਸੰਸਾਰ ਭਰ ਦੇ ਚਿੰਤਕਾਂ ਨੇ ਮਾਂ ਦੀ ਮਹਿਮਾ ਗਾਈ ਹੈ। ਮਾਂ ਦਾ ਰਿਸ਼ਤਾ ਸਭ ਤੋਂ ਪਵਿੱਤਰ ਤੇ ਉੱਚਾ – ਸੱਚਾ ਹੈ। ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਬੰਦੇ ਦੀ ਮਾਂ ਦੇ ਬਰਾਬਰ ਹੋਰ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ਹੋ ਸਕਦਾ, ਜਿਹੜੀ ਕਿ ਉਸ ਨੂੰ ਜਨਮ ਦਿੰਦੀ ਹੈ, ਪਾਲਦੀ ਹੈ, ਤੁਰਨਾ ਤੇ ਬੋਲਣਾ ਸਿਖਾਉਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਸੰਸਾਰ ਵਿਚ ਜਿਉਣ ਦੇ ਯੋਗ ਬਣਾਉਂਦੀ ਹੈ।

ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਮੈਨੂੰ ਆਪਣੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਵਾਂਗ ਹੀ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਨਾਂ ਸ: ਗੁਰਬਖ਼ਸ਼ ਸਿੰਘ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਉਮਰ 35 ਸਾਲਾਂ ਦੀ ਹੈ ਉਹ ਬੀ. ਏ., ਬੀ. ਐੱਡ. ਪਾਸ ਹਨ ਅਤੇ ਉਹ ਇਕ ਸੀਨੀਅਰ ਸੈਕੰਡਰੀ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਅਧਿਆਪਕ ਲੱਗੇ ਹੋਏ ਹਨ। ਉਹ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਅਤੇ ਸੋਸ਼ਲ ਮਟੱਡੀ ਪੜ੍ਹਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਆਪਣੇ ਸਕੂਲ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਹੀ ਹਰਮਨ – ਪਿਆਰੇ ਹਨ।

ਉਹ ਸਵੇਰੇ ਉੱਠਦੇ ਹਨ ਤੇ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਇਸ਼ਨਾਨ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਹਰ ਰੋਜ਼ ਸਵੇਰੇ ‘ਜਪੁਜੀ ਸਾਹਿਬ’ ਦਾ ਪਾਠ ਕਰਦੇ ਹਨ ਸ਼ਾਮ ਵੇਲੇ ਉਹ ਰਹਿਰਾਸ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਪਾਠ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਸਦਾ ਸਾਫ਼ – ਸੁਥਰੇ ਕੱਪੜੇ ਪਹਿਨਦੇ ਹਨ।

ਜਿੱਥੇ ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਘਰ ਦੇ ਸਾਰੇ ਕੰਮ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਉੱਥੇ ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਘਰ ਦੀ ਆਮਦਨ ਵਧਾਉਣ ਲਈ ਟਿਊਸ਼ਨਾਂ ਪੜ੍ਹਾਉਣ ਦਾ ਕੰਮ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਸਕੂਲੋਂ ਆ ਕੇ ਇਕ ਘੰਟਾ ਅਰਾਮ ਕਰਨ ਮਗਰੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਟਿਊਸ਼ਨਾਂ ਪੜ੍ਹਾਉਣ ਦਾ ਕੰਮ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਸਲ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਪੜਾਉਣ ਦਾ ਢੰਗ ਹੀ ਅਜਿਹਾ ਹੈ ਕਿ ਵਿਦਿਆਰਥੀ ਅਤੇ ਉਨਾਂ ਦੇ ਮਾਪੇ ਟਿਊਸ਼ਨਾਂ ਲਈ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਮਗਰ ਪਏ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਸਦਾ ਕੰਮ ਵਿਚ ਜੁੱਟੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸੁਭਾ ਬਹੁਤ ਚੰਗਾ ਹੈ। ਉਹ ਸਦਾ ਖੁਸ਼ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਚਿਹਰੇ ਉੱਤੇ ਅਨੋਖੀ ਚਮਕ ਤੇ ਖਿੱਚ ਕਾਇਮ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ।

ਉਹ ਸਾਨੂੰ ਸਭ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਕਰਦੇ ਹਨ ਅਸੀਂ ਸਭ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸਤਿਕਾਰ ਕਰਦੇ ਹਾਂ। ਗਲੀ – ਗੁਆਂਢ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸਤਿਕਾਰ ਹੈ। ਉਹ ਮੁਹੱਲੇ ਦੀ ਸੁਧਾਰ ਸਭਾ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਹਨ। ਲੋਕ ਆਪਣੇ ਘਰਾਂ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਸਲਾਹ ਲੈਂਦੇ ਹਨ।

ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਦਾ ਫੁੱਲਾਂ ਤੇ ਪੌਦਿਆਂ ਨਾਲ ਬਹੁਤ ਪਿਆਰ ਹੈ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਘਰ ਵਿਚ ਕਿਮਾਰੀਆਂ ਅਤੇ ਗਮਲਿਆਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਰੰਗ – ਬਰੰਗੇ ਪੱਤਿਆਂ ਤੇ ਫੁੱਲਾਂ ਦੇ ਬੂਟੇ ਲਾਏ ਹੋਏ ਹਨ ਦੋ – ਤਿੰਨ ਮਹੀਨਿਆਂ ਬਾਅਦ ਮੌਸਮੀ ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਪਨੀਰੀ ਆਪ ਤਿਆਰ ਕਰਕੇ ਪੌਦੇ ਤਿਆਰ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਪੌਦਿਆਂ ਨੂੰ ਆਪ ਪਾਣੀ ਦਿੰਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਇਸ ਲਗਨ ਸਦਕਾ ਸਾਡਾ ਘਰ ਫੁੱਲਾਂ ਨਾਲ ਭਰਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਫੁੱਲਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਉਹ ਕਿਆਰੀਆਂ ਵਿਚ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਵੀ ਲਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਸਾਡੇ ਘਰ ਦੀ ਰਸੋਈ ਵਿਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਹੱਥਾਂ ਦੀਆਂ ਪਾਲੀਆਂ ਸਬਜ਼ੀਆਂ ਹੀ ਬਣਦੀਆਂ ਹਨ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਮੈਨੂੰ ਤੇ ਮੇਰੀ ਛੋਟੀ ਭੈਣ ਦੀ ਸਿਹਤ ਤੇ ਪੜ੍ਹਾਈ ਦਾ ਬਹੁਤ ਖ਼ਿਆਲ ਰੱਖਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਨਾਲ ਕਦੇ ਕੌੜਾ ਨਹੀਂ ਬੋਲਦੇ ਤੇ ਨਾ ਹੀ ਹੋਰ ਕਿਸੇ ਨਾਲ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗੁੱਸਾ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਆਉਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਮੇਰੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਇਕ ਆਦਰਸ਼ ਮਨੁੱਖ ਹਨ।

23. ਅਸੀਂ ਪਿਕਨਿਕ ‘ਤੇ ਗਏ

ਪਿਛਲੇ ਸ਼ਨਿਚਰਵਾਰ ਅਸੀਂ ਸਤਲੁਜ ਦਰਿਆ ਦੇ ਕੰਢੇ ਪਿਕਨਿਕ ਲਈ ਗਏ। ਇਸ ਵਿਚ ਸਾਡੀ ਕਲਾਸ ਦੇ ਦਸ ਮੁੰਡੇ ਸ਼ਾਮਲ ਸਨ। ਇਸ ਲਈ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਘਰੋਂ ਗੈਸ ਦਾ ਛੋਟਾ ਸਿਲੰਡਰ ਤੇ ਛੋਟਾ ਚੁੱਲਾ ਲੈ ਗਿਆ। ਮਨਜੀਤ ਨੇ ਪਤੀਲੀ, ਕੱਪ – ਪਲੇਟਾਂ ਤੇ ਚਾਹ ਬਣਾਉਣ ਦਾ ਸਮਾਨ ਲੈ ਲਿਆ ਗੁਰਜੀਤ ਦੀ ਮੰਮੀ ਨੇ ਸਾਨੂੰ ਪਕੌੜੇ ਬਣਾਉਣ ਲਈ ਤੱਲ, ਵੇਸਣ, ਪਾਲਕ – ਪਿਆਜ਼ ਤੇ ਲੂਣ – ਮਸਾਲਾ ਆਦਿ ਦੇ ਦਿੱਤਾ। ਅਸੀਂ ਕੁੱਝ ਪਲਾਸਟਿਕ ਦੇ ਕੱਪ ਤੇ ਪਲੇਟਾਂ ਲੈ ਲਈਆਂ। ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਬਿਸਕੁਟਾਂ ਦੇ ਕੁੱਝ ਪੈਕਟ ਵੀ ਲੈ ਲਏ।

ਸਤਲੁਜ ਦਰਿਆ ਸਾਡੇ ਪਿੰਡੋਂ ਪੰਦਰਾਂ ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਸੀ ! ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਉੱਤੇ ਸਮਾਨ ਰੱਖ ਕੇ ਚਲ ਪਏ। ਦਰਿਆ ਦੇ ਕੰਢੇ ਪਹੁੰਚ ਕੇ ਅਸੀਂ ਇਕ ਸਾਫ਼ – ਸੁਥਰੀ ਥਾਂ ਚੁਣ ਲਈ ਤੇ ਉੱਥੇ ਬੈਠ ਗਏ। ਸਾਡੇ ਵਿਚੋਂ ਸਭ ਨੂੰ ਤਰਨਾ ਆਉਂਦਾ ਸੀ ਅਸੀਂ ਸਭ ਨੇ ਕੱਪੜੇ ਲਾਹ ਕੇ ਕੰਢੇ ਉੱਤੇ ਰੱਖ ਦਿੱਤੇ ਤੇ ਇਕ ਘੰਟਾ – ਖੁਬ ਤਾਰੀਆਂ ਲਾਉਂਦੇ ਰਹੇ। ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਸਾਨੂੰ ਇਕ ਕਿਸ਼ਤੀ ਦਿਸ ਪਈ ਮਲਾਹ ਮੱਛੀਆਂ ਫੜ ਰਿਹਾ ਸੀ। ਅਸੀਂ ਉਸਨੂੰ ਬੇਨਤੀ ਕੀਤੀ ਤਾਂ ਉਹ ਸਾਡੇ ਵਿਚੋਂ ਤਿੰਨਾਂ – ਤਿੰਨਾਂ ਨੂੰ ਕਿਸ਼ਤੀ ਵਿਚ ਬਿਠਾ ਕੇ ਘੁੰਮਾਉਣਾ ਮੰਨ ਗਿਆ ਅਸੀਂ ਤਿੰਨ – ਤਿੰਨ ਗਰੁੱਪ ਬਣਾ ਕੇ ਪੰਦਰਾਂ – ਪੰਦਰਾਂ ਵਿਚ ਕਿਸ਼ਤੀ ਵਿਚ ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਦਰਿਆ ਦਾ ਆਨੰਦ ਮਾਣਿਆ।

ਸਾਡੇ ਵਿਚੋਂ ਕੁੱਝ ਨੇ ਆਪ ਚੁੱਪ ਚਲਾਏ ਤੇ ਇਕ ਦੋ ਨੇ ਮੱਛੀਆਂ ਲਈ ਕੰਡੀ ਵੀ ਲਾਈ : ਫਿਰ ਸਾਨੂੰ ਭੁੱਖ ਲੱਗ ਗਈ। ਦਰਿਆ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਆ ਕੇ ਮੈਂ ਨੇੜੇ ਦੇ ਗੈਸਟ ਹਾਊਸ ਵਿਚ ਜਾ ਕੇ ਪਾਣੀ ਦੀ ਬਾਲਟੀ ਲੈ ਆਂਦੀ ਤੇ ਮੈਂ ਗੈਸ ਦਾ ਚੁੱਲਾ ਬਾਲ ਦਿੱਤਾ ਗੁਰਜੀਤ ਨੇ ਕੜਾਹੀ ਉੱਤੇ ਰੱਖ ਕੇ ਤੇਲ ਗਰਮ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਬਲਵੀਰ ਨੇ ਕੁੱਝ ਵੇਸਣ ਵਿਚ ਪਾਲਕ ਤੇ ਕੁੱਝ ਵਿਚ ਪਿਆਜ਼ ਮਿਲਾ ਕੇ ਘੋਲ ਤਿਆਰ ਕਰ ਲਿਆ ਤੇ ਪਕੌੜੇ ਤਲਣ ਲੱਗਾ {ਉਹ ਗਰਮ – ਗਰਮ ਪਕੌੜੇ ਕੱਢ ਰਿਹਾ ਸੀ ਤੇ ਅਸੀਂ ਖਾ ਰਹੇ ਸੀ।

ਫਿਰ ਅਸੀਂ ਚਾਹ ਬਣਾਈ ਤੇ ਉਸ ਨਾਲ ਬਿਸਕੁਟ ਖਾਧੇ॥ ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਗੋਲ ਘੇਰਾ ਬਣਾ ਕੇ ਬੈਠ ਗਏ। ਰਾਕੇਸ਼ ਨੇ ਲਤੀਫ਼ੇ ਸੁਣਾ – ਸੁਣਾ ਕੇ ਸਾਨੂੰ ਖੂਬ ਹਸਾਇਆ। ਜੋਤੀ ਤੇ ਮਿੱਕੀ ਨੇ ਗੀਤ ਸੁਣਾਏ। ਹਰਦੀਪ ਨੇ ਕੁੱਝ ਮੰਤਰੀਆਂ ਤੇ ਐਕਟਰਾਂ ਦੀਆਂ ਨਕਲਾਂ ਲਾ ਕੇ ਖੂਬ ਹਸਾਇਆ।

ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਤਿੰਨ ਚਾਰ ਘੰਟੇ ਪਿਕਨਿਕ ਦਾ ਮਜ਼ਾ ਲੈਣ ਮਗਰੋਂ ਅਸੀਂ ਘਰ ਪਰਤ ਆਏ।

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24. ਮੇਰਾ ਪਿੰਡ

ਮੇਰੇ ਪਿੰਡ ਦਾ ਨਾਂ ਬੇਗ਼ਮਪੁਰ ਜੰਡਿਆਲਾ ਹੈ। ਇਹ ਜ਼ਿਲਾ ਹੁਸ਼ਿਆਰਪੁਰ ਵਿਚ ਸਥਿਤ ਹੈ। ਇਹ ਇਲਾਕੇ ਦਾ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਪਿੰਡ ਹੈ। ਪਿੰਡ ਦੇ ਪੁਰਾਣੇ ਮੁਸਲਮਾਨ ਚੌਧਰੀਆਂ ਦੇ ਚੁਬਾਰੇ ਤੇ ਦੋ ਉੱਚੀਆਂ ਖ਼ਜੂਰਾਂ ਕਈ ਮੀਲ ਦੂਰੋਂ ਹੀ ਦਿਖਾਈ ਦੇਣ ਲਗਦੀਆਂ ਹਨ। ਮੇਰਾ ਇਹ ਪਿੰਡ ਦੋ ਪਿੰਡਾਂ – ਬੇਗ਼ਮਪੁਰ ਅਤੇ ਜੰਡਿਆਲੇ ਦੇ ਸੁਮੇਲ ਤੋਂ ਬਣਿਆ ਹੈ, ਪਰੰਤੂ ਦੋਹਾਂ ਪਿੰਡਾਂ ਦੇ ਘਰ ਆਪਸ ਵਿਚ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਘੁਲੇ – ਮਿਲੇ ਹਨ ਕਿ ਦੋਹਾਂ ਪਿੰਡਾਂ ਦਾ ਨਿਖੇੜਾ ਕਰਨਾ ਔਖਾ ਹੋ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਉਂਵ ਵਰਤਮਾਨ ਸਿਆਸਤ ਦੀ ਵਟਾਣੀ – ਸੱਟ ਮੇਰੇ ਪਿੰਡ ਉੱਤੇ ਵੀ ਪਈ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਦੋਹਾਂ ਪਿੰਡਾਂ ਦਾ ਜੋੜ ਜ਼ਰਾ ਤਿੜਕਿਆ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ ਹੈ। ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਜਿੱਥੇ ਪਹਿਲਾਂ ਕਦੇ ਇਕ ਪੰਚਾਇਤ ਤੇ ਇਕ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਹੁੰਦਾ ਸੀ, ਹੁਣ ਇੱਥੇ ਦੋ ਪੰਚਾਇਤਾਂ ਤੇ ਦੋ ਗੁਰਦੁਆਰੇ ਹਨ।ਉਂਝ ਅਜੇ ਵੀ ਸਾਰੇ ਪਿੰਡ ਦੇ ਲੋਕ ਭਾਈਚਾਰਕ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਇਕ ਹਨ।ਉਹ ਵਿਆਹਾਂ – ਸ਼ਾਦੀਆਂ, ਅਖੰਡ – ਪਾਠਾਂ ਤੇ ਹੋਰ ਸਾਰੇ ਧਾਰਮਿਕ ਸਮਾਗਮ ਮਿਲ ਕੇ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਲਾਮਿਸਾਲ ਏਕਤਾ, ਮਿਲਵਰਤਨ ਤੇ ਪਿਆਰ ਹੈ। ਉਹ ਇਕ – ਦੂਜੇ ਦੇ ਦੁੱਖ – ਸੁਖ ਤੇ ਇੱਜ਼ਤ – ਆਬਰੂ ਦੇ ਸਾਂਝੀਦਾਰ ਹਨ।

ਮੇਰੇ ਇਸ ਪਿੰਡ ਦੀ ਵਸੋਂ 1500 ਦੇ ਕਰੀਬ ਹੈ। ਬਹੁਤੇ ਲੋਕ ਖੇਤੀ – ਬਾੜੀ ਕਰਦੇ ਹਨ ਕੁੱਝ ਤਰਖਾਣਾ – ਲੁਹਾਰਾ ਕੰਮ ਵੀ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਇੱਥੇ ਸਿੱਖ, ਹਿੰਦੂ, ਰਵਿਦਾਸੀਏ, ਬਾਲਮੀਕੀ ਤੇ ਈਸਾਈ ਆਦਿ ਸਭ ਧਰਮਾਂ ਨੂੰ ਮੰਨਣ ਵਾਲੇ ਤੇ ਵੱਖ – ਵੱਖ ਕਾਰੋਬਾਰ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਲੋਕ ਮਿਲਦੇ ਹਨ। ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਲੋਕ ਮਿਹਨਤੀ, ਤੰਦਰੁਸਤ ਤੇ ਲੋੜਵੰਦਾਂ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਹਨ। ਇੱਥੇ ਦੋ ਪ੍ਰਾਇਮਰੀ ਸਕੂਲ ਹਨ ਤੇ ਇਹ ਪਿੰਡ ਪੱਕੀ ਸੜਕ ਨਾਲ ਜੁੜਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ।

ਪਿੰਡ ਦੇ ਬਾਹਰ ਬਾਬੇ ਕੋਠੀ ਵਾਲੇ ਦਾ ਪਵਿੱਤਰ ਦਰਬਾਰ ਹੈ। ਇੱਥੇ ਆਲੇ – ਦੁਆਲੇ ਦੇ ਲੋਕ ਮੰਨਤਾਂ ਮੰਨਦੇ ਤੋਂ ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਦੇ ਹਨ।

ਮੇਰੇ ਪਿੰਡ ਦਾ ਆਲਾ – ਦੁਆਲਾ ਲਹਿ – ਲਹਿ ਕਰਦੀਆਂ ਫ਼ਸਲਾਂ ਨਾਲ ਭਰਪੂਰ ਹੈ। ਇੱਥੇ ਰੰਗ – ਬਿਰੰਗੇ ਪੰਛੀ ਚਹਿਚਹਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਦੂਰੋਂ ਸ਼ਿਵਾਲਕ ਦੀਆਂ ਪਹਾੜੀਆਂ ਦਾ ਸੁੰਦਰ ਨਜ਼ਾਰਾ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ ਹੈ।

ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਮੇਰਾ ਪਿੰਡ ਅਦਭੁਤ, ਪਿਆਰਾ ਤੇ ਹਿਰਦਾ ਠਾਰਨ ਵਾਲਾ ਹੈ।

25. ਬਾਬਾ ਬੁੱਢਾ ਜੀ

ਨੋਟ – ਇਸ ਵਿਸ਼ੇ ਉੱਤੇ ਲੇਖ ਲਿਖਣ ਲਈ ਪਿੱਛੇ ਦਿੱਤੇ “ਪੰਜਾਬੀ ਪਾਠ – ਪੁਸਤਕ ਦੇ ਪਾਠ ਨੰ: 6 ਦਾ ਸਾਰ ਹੀ ਲਿਖੋ।

26. ਭਾਈ ਕਨ੍ਹਈਆ

ਨੋਟ – ਇਸ ਵਿਸ਼ੇ ਉੱਤੇ ਲੇਖ ਲਿਖਣ ਲਈ ਪਿੱਛੇ ਦਿੱਤੇ ‘ਪੰਜਾਬੀ ਪਾਠ – ਪੁਸਤਕ ਦੇ ਪਾਠ ਨੰ: 24 (ਵੱਡੇ ਕੰਮ ਦੀ ਭਾਲ’) ਦਾ ਸਾਰ ਹੀ ਲਿਖੋ।

27. ਥਾਲ

(ਨੋਟ – ਇਸ ਵਿਸ਼ੇ ਉੱਤੇ ਲੇਖ ਲਿਖਣ ਲਈ ਪਿੱਛੇ ਦਿੱਤੇ ‘ਪੰਜਾਬੀ ਪਾਠ – ਪੁਸਤਕ ਦੇ ਪਾਠ ਨੰ: 9 ਦਾ ਸਾਰ ਹੀ ਲਿਖੋ॥

28. ਭਗਤ ਕਬੀਰ ਜੀ

ਨੋਟ – ਇਸ ਵਿਸ਼ੇ ਉੱਤੇ ਲੇਖ ਲਿਖਣ ਲਈ ਪਿੱਛੇ ਦਿੱਤੇ “ਪੰਜਾਬੀ ਪਾਠ – ਪੁਸਤਕਾਂ ਦੇ ਪਾਠ ਨੰ: 12 ਦਾ ਸਾਰ ਹੀ ਲਿਖੋ॥

29. ਦੁਰਘਟਨਾਵਾਂ ਤੋਂ ਬਚਾਓ

ਨੋਟ – ਇਸ ਵਿਸ਼ੇ ਉੱਤੇ ਲੇਖ ਲਿਖਣ ਲਈ ਪਿੱਛੇ ਦਿੱਤੇ “ਪੰਜਾਬੀ ਪਾਠ – ਪੁਸਤਕ ਦੇ ਪਾਠ ਨੰ: 18 ਦਾ ਸਾਰ ਹੀ ਲਿਖੋ।

30. ਹਾਕੀ ਖਿਡਾਰਨ : ਅਜਿੰਦਰ ਕੌਰ

ਨੋਟ – ਇਸ ਵਿਸ਼ੇ ਉੱਤੇ ਲੇਖ ਲਿਖਣ ਲਈ ਪਿੱਛੇ ਦਿੱਤੇ “ਪੰਜਾਬੀ ਪਾਠ – ਪੁਸਤਕ ਦੇ ਪਾਠ ਨੰ: 23 ਦਾ ਸਾਰ ਹੀ ਲਿਖੋ।

31. ਭਾਰਤ ਰਤਨ : ਡਾ: ਭੀਮ ਰਾਓ ਅੰਬੇਦਕਰ

ਨੋਟ – ਇਸ ਵਿਸ਼ੇ ਉੱਤੇ ਲੇਖ ਲਿਖਣ ਲਈ ਪਿੱਛੇ ਦਿੱਤੇ “ਪੰਜਾਬੀ ਪਾਠ – ਪੁਸਤਕਾਂ ਦੇ ਪਾਠ ਨੰ: 25 ਦਾ ਸਾਰ ਹੀ ਲਿਖੋ !

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32. ਡਾਕੀਆਂ

ਡਾਕੀਆ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਦੇ ਹਰ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਥਾਨ ਰੱਖਦਾ ਹੈ। ਉਸ ਦੀ ਹਰ ਘਰ, ਹਰ ਦਫ਼ਤਰ ਤੇ ਹਰ ਸਥਾਨ ਉੱਤੇ ਉਡੀਕ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ ਉਹ ਸਾਡੇ ਘਰਾਂ ਵਿਚ ਮਿੱਤਰਾਂ ਅਤੇ ਸੰਬੰਧੀਆਂ ਦੀਆਂ ਚਿੱਠੀਆਂ ਲੈ ਕੇ ਆਉਂਦਾ ਹੈ। ਉਹ ਘਰਾਂ ਤੇ ਦਫ਼ਤਰਾਂ ਵਿਚ ਨਿੱਜੀ, ਸਰਕਾਰੀ ਤੇ ਵਪਾਰਕ ਚਿੱਠੀਆਂ, ਰਜਿਸਟਰੀਆਂ, ਪਾਰਸਲ ਤੇ ਮਨੀਆਰਡਰ ਪੁਚਾਉਂਦਾ ਹੈ। ਉਸ ਦੀ ਹਰ ਥਾਂ ਉੱਤੇ ਤੀਬਰਤਾ ਨਾਲ ਉਡੀਕ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਉਸ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਆਮ ਕਰਕੇ ਹਰ ਇਕ ਦਾ ਚਿਹਰਾ ਖਿੜ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਇਕ ਥਾਂ ਤੋਂ ਦੂਜੀ ਥਾਂ ਸੁਨੇਹੋ ਪੁਚਾਉਣ ਦਾ ਕੰਮ ਤਾਂ ਬਹੁਤ ਪੁਰਾਣਾ ਹੈ। ਸੁਨੇਹਾ ਪੁਚਾਉਣ ਲਈ ਅੱਜ – ਕਲ੍ਹ ਟੈਲੀਫੋਨ, ਤਾਰ, ਟੈਲੀਟਰ, ਫੈਕਸ ਤੇ ਪੇਜਰ, ਮੋਬਾਈਲ ਫੋਨ ਤੇ ਇੰਟਰਨੈੱਟ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਵੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਰਾਹੀਂ ਸੁਨੇਹੇ ਝਟਪਟ ਪਹੁੰਚ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਪਰ ਸਾਡੇ ਹੱਥਾਂ ਨਾਲ ਲਿਖਿਆ ਸੁਨੇਹਾ ਕੇਵਲ ਡਾਕੀਆ ਹੀ ਦੂਜਿਆਂ ਤਕ ਪੁਚਾਉਂਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਡਾਕੀਏ ਦੀ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਵਿਚ ਭਾਰੀ ਤੇ ਸਦੀਵੀ ਮਹਾਨਤਾ ਹੈ।

ਡਾਕੀਆ ਸਰਕਾਰੀ ਮੁਲਾਜ਼ਮ ਹੈ ਉਹ ਖਾਕੀ ਵਰਦੀ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ। ਉਸ ਦੇ ਸਾਈਕਲ . ਦੀ ਟੋਕਰੀ ਵਿਚ ਚਿੱਠੀਆਂ ਤੇ ਰਜਿਸਟਰੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ !ਉਸ ਦੇ ਬੈਗ ਵਿਚ ਮਨੀਆਰਡਰਾਂ ਦੇ ਪੈਸੇ ਤੇ ਪਾਰਸਲ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਉਹ ਦੋ ਵਾਰੀ ਡਾਕ ਵੰਡਣ ਲਈ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਉਸ ਦੀ ਤਨਖ਼ਾਹ ਬਹੁਤੀ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ, ਪਰ ਉਹ ਇਕ ਈਮਾਨਦਾਰ ਆਦਮੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਉਹ ਹਰ ਅਮੀਰ – ਗ਼ਰੀਬ ਤੇ ਹਰ ਖ਼ੁਸ਼ੀ – ਗਮੀ ਵਿਚ ਘਿਰੇ ਬੰਦੇ ਦੀ ਆਸ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਉਹ ਹਰ ਥਾਂ ਹਰਮਨ – ਪਿਆਰਾ ਬਣਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ।

33. ਸਾਡਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੰਛੀ – ਮੋਰ

ਮੋਰ ਸਾਡਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੰਛੀ ਹੈ। ਇਹ ਸੁੰਦਰਤਾ, ਸ਼ਿਸ਼ਟਤਾ ਅਤੇ ਰਹੱਸ ਦਾ ਚਿੰਨ੍ਹ ਹੈ। ਇਹ ਭਾਰਤ ਵਿਚ 1972 ਵਿਚ ਇਕ ਐਕਟ ਰਾਹੀਂ ਇਸ ਨੂੰ ਮਾਰਨ ਜਾਂ ਕੈਦ ਕਰ ਕੇ ਰੱਖਣ ਉੱਤੇ ਪੂਰੀ ਪਾਬੰਦੀ ਲਾਈ ਗਈ ਹੈ।

ਮੋਰ ਬੜਾ ਸੁੰਦਰ ਪੰਛੀ ਹੈ। ਇਸ ਦੇ ਸਿਰ ਉੱਪਰ ਸੁੰਦਰ ਕਲਗੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਦੀ ਛੋਟੀ ਜਿਹੀ ਚੁੰਝ ਤੇ ਨੀਲੇ ਰੰਗ ਦੀ ਲੰਮੀ ਧੌਣ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਦੇ ਲੰਮੇ – ਲੰਮੇ ਪਰ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਪਰਾਂ ਦਾ ਚਮਕੀਲਾ ਰੰਗ, ਨੀਲਾ, ਕਾਲਾ ਤੇ ਸੁਨਹਿਰੀ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਹਰੇਕ ਪਰ ਦੇ ਸਿਰੇ ਉੱਤੇ ਇਨ੍ਹਾਂ ਹੀ ਮਿਲੇ – ਜੁਲੇ ਰੰਗਾਂ ਦਾ ਇਕ ਸੁੰਦਰ ਗੋਲ ਜਿਹਾ ਚੱਕਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ ਨੇ ਮੋਰ ਮੁਕਟ ਰਾਹੀਂ ਇਸ ਨੂੰ ਗੌਰਵ ਬਖ਼ਸ਼ਿਆ ਹੈ।

ਮੋਰ ਖੇਤਾਂ ਵਿਚ ਜਾਂ ਰੁੱਖਾਂ ਦੀ ਓਟ ਵਿਚ ਆਪਣੇ ਪਰ ਫੈਲਾ ਕੇ ਪੈਲ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ। ਉਸ ਦੇ ਪਰ ਪੱਖੇ ਵਰਗੇ ਲਗਦੇ ਹਨ। ਪੈਲ ਪਾਉਂਦਿਆਂ ਉਹ ਮਸਤੀ ਵਿਚ ਨੱਚਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਵਿਸ਼ ਬੜਾ ਲੁਭਾਉਣਾ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਜੇਕਰ ਪੈਲ ਪਾਉਂਦੇ ਮੋਰ ਦੇ ਕੋਲ ਜਾਵੋ, ਤਾਂ ਉਹ ਪੈਲ ਪਾਉਣੀ ਬੰਦ ਕਰ ਕੇ ਲੁਕ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਮੋਰ ਆਪਣੇ ਲੰਮੇ ਤੇ ਭਾਰੇ ਪਰਾਂ ਕਰਕੇ ਲੰਮੀ ਉਡਾਰੀ ਨਹੀਂ ਮਾਰ ਸਕਦਾ ਮੋਰਨੀ ਦੇ ਪਰ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ ਮੋਰ – ਮੋਰਨੀ ਨਾਲੋਂ ਇਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੀ ਵਧੇਰੇ ਸੁੰਦਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਕੁੱਕੜ ਕੁਕੜੀ ਨਾਲੋਂ 1 ਮੋਰ – ਮੋਰਨੀ ਕੁੱਕੜ – ਕੁਕੜੀ ਵਾਂਗ ਆਪਣੇ ਪਰਿਵਾਰ ਨਾਲ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ।

ਮੋਰ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਨਾਲ ਰਹਿਣਾ ਪਸੰਦ ਕਰਦਾ ਹੈ : ਪਿੰਜਰੇ ਜਾਂ ਕਮਰੇ ਵਿਚ ਕੈਦ ਕੀਤੇ ਜਾਣ ਨਾਲ ਉਹ ਕੁੱਝ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਹੀ ਮਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਉਸ ਦੀ ਡੀਲ – ਡੌਲ ਤੋਂ ਪਤਾ ਲਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਸ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸ਼ੈਮਾਨ ਦੀ ਬਹੁਤ ਸੂਝ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਆਪਣੇ ਭੱਦੇ ਪੈਰਾਂ ਵਲ ਵੇਖ ਕੇ ਝੂਰਦਾ ਹੈ। ਮੋਰ ਆਮ ਕਰਕੇ ਸੰਘਣੇ ਰੁੱਖਾਂ ਵਿਚ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਫ਼ਸਲਾਂ, ਘਾਹ ਦੇ ਮੈਦਾਨਾਂ ਤੇ ਨਹਿਰ ਦੇ ਕੰਢਿਆਂ ਦੇ ਨੇੜੇ ਤੁਰਨਾ – ਫਿਰਨਾ ਪਸੰਦ ਕਰਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਬੱਦਲਾਂ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਨੱਚਦਾ ਤੇ ਪੈਲਾਂ ਪਾਉਂਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਮੀਂਹ ਵਿਚ ਨੱਚ, ਟੱਪ ਅਤੇ ਨਹਾ ਕੇ ਬੜਾ ਖ਼ੁਸ਼ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਮੋਰ ਸਾਡਾ ਮਿੱਤਰ ਪੰਛੀ ਹੈ। ਇਹ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਕੀੜਿਆਂ ਨੂੰ ਖਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਸੱਪ ਦਾ ਬੜਾ ਵੈਰੀ ਹੈ ਤੇ ਉਸ ਨੂੰ ਮਾਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ। ਸੱਪ ਮੋਰ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਡਰਦਾ ਹੈ। ਮੋਰ ਦੀ ਅਵਾਜ਼ ਸੁਣ ਕੇ ਸੱਪ ਬਾਹਰ ਨਹੀਂ ਨਿਕਲਦਾ। ਮੋਰ ਦੇ ਖੰਭਾਂ ਦੇ ਚੌਰ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜੋ ਮੰਦਰਾਂ, ਗੁਰਦੁਆਰਿਆਂ ਤੇ ਪੁਜਾ – ਸਥਾਨਾਂ ਉੱਤੇ ਵਰਤੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਮੋਰ ਦੇ ਪਰਾਂ ਦੀ ਹਵਾ ਕਈ ਰੋਗਾਂ ਨੂੰ ਠੀਕ ਕਰਦੀ ਹੈ। ਜੋਗੀ ਮਾਂਦਰੀ ਲੋਕ ਚੌਰ ਦੀ ਵਰਤੋਂ ਨਾਲ ਰੋਗ ਨੂੰ ਝਾੜਦੇ ਹਨ।

ਕਈ ਚਿਰਾਂ ਵਿਚ ਰਾਜੇ – ਰਾਣੀਆਂ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦਾਸ – ਦਾਸੀਆਂ ਮੋਰਾਂ ਦੇ ਖੰਭਾਂ ਦੇ ਚੌਰ ਨਾਲ ਹਵਾ ਝੱਲ ਰਹੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ ਕਈ ਚਿਤਰਾਂ ਵਿਚ ਮੋਰ ਦੇ ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਸੱਪ ਹੁੰਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਮੋਰ ਦਾ ਸੰਬੰਧ ਜਨ – ਜੀਵਨ ਨਾਲ ਜੁੜਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਮੋਰ ਨੂੰ ਸਾਡਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਪੰਛੀ ਮੰਨਿਆ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਕਰਨ ਦੀ ਆਗਿਆ ਨਹੀਂ। ਸਾਨੂੰ ਇਸ ਉੱਤੇ ਮਾਣ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।

34, ਸਾਡਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਝੰਡਾ – ਤਿਰੰਗਾ

ਸਾਡਾ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਝੰਡਾ ਤਿਰੰਗਾ ਹੈ। ਇਸ ਨੂੰ ਇਸਦੀ ਵਰਤਮਾਨ ਸ਼ਕਲ ਵਿਚ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਅਜ਼ਾਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੋਣ ਤੋਂ 24 ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਭਾਰਤ ਵਿਚ 22 ਜੁਲਾਈ, 1947 ਨੂੰ ਸੰਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਦੀ ਹੋਈ ਐਡਹਾਕ ਮੀਟਿੰਗ ਵਿਚ ਪ੍ਰਵਾਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ। ਇਸ ਤੋਂ ਪਿੱਛੋਂ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ 26 ਜਨਵਰੀ, 1950 ਭਾਰਤ ਦੇ ਗਣਤੰਤਰਤਾ ਦਿਵਸ ਤਕ ਇਸ ਨੂੰ ਡੋਮੀਨੀਅਨ ਆਫ਼ ਇੰਡੀਆ ਦੇ ਕੌਮੀ ਝੰਡੇ ਵਜੋਂ ਅਪਣਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ। ਇਹ ਝੰਡਾ ਇੰਡੀਅਨ ਨੈਸ਼ਨਲ ਕਾਂਗਰਸ ਦੇ ਝੰਡੇ ਉੱਤੇ ਆਧਾਰਿਤ ਸੀ, ਜਿਸਦਾ ਡਿਜ਼ਾਈਨ ਪਿੰਗਾਲੀ ਵੈਨਕਾਇਆ ਨਾਂ ਦੇ ਇਕ ਵਿਦਵਾਨ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ। ਉਂਝ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਲਈ 1913 – 14 ਵਿਚ ਸੰਘਰਸ਼ ਕਰਨ ਵਾਲੀ ਗ਼ਦਰ ਪਾਰਟੀ ਦਾ ਝੰਡਾ ਵੀ ਤਿੰਨ ਰੰਗਾ ਹੀ ਸੀ।

ਇਸੇ ਝੰਡੇ ਦੇ ਤਿੰਨ ਰੰਗ ਹਨ – ਕੇਸਰੀ, ਚਿੱਟਾ ਤੇ ਹਰਾ। ਇਸਦਾ ਕੇਸਰੀ ਰੰਗ ਸਭ ਤੋਂ ਉੱਪਰ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਚਿੱਟਾ ਵਿਚਕਾਰ ਤੇ ਹਰਾ ਸਭ ਤੋਂ ਥੱਲੇ। ਚਿੱਟੇ ਦੇ ਵਿਚਕਾਰ ਉਸਦੀ ਚੌੜਾਈ ਦੇ ਨੇਵੀ ਬਲਿਉ ਰੰਗ ਅਸ਼ੋਕ ਚੱਕਰ ਦਾ ਚਿੰਨ੍ਹ ਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਜਿਸਨੂੰ ਸਾਰਨਾਥ ਵਿਚ ਬਣੇ ਅਸ਼ੋਕ ਦੇ ਥੰਮ ਤੋਂ ਲਿਆ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਸ ਵਿਚਲਾ ਕੇਸਰੀ ਰੰਗ ਕੁਰਬਾਨੀ ਦਾ, ਚਿੱਟਾ ਰੰਗ ਅਮਨ ਦਾ ਤੇ ਹਰਾ ਰੰਗ ਖ਼ੁਸ਼ਹਾਲੀ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀਕ ਹੈ ਅਸ਼ੋਕ ਚੱਕਰ ਵਿਕਾਸ ਤੇ ਤਰੱਕੀ ਦਾ ਚਿੰਨ ਹੈ। ਇਹ ਝੰਡਾ ਭਾਰਤ ਦੀਆਂ ਫ਼ੌਜਾਂ ਦਾ ਜੰਗੀ ਝੰਡਾ ਵੀ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਫ਼ੌਜੀ ਕੇਂਦਰਾਂ ਉੱਤੇ ਝੁਲਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਹੱਥ ਦੇ ਕੁੱਤੇ ਖੱਦਰ ਦਾ ਬਣਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।

26 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਗਣਤੰਤਰਤਾ ਦਿਵਸ ਉੱਤੇ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਇਸ ਨੂੰ ਬੁਲਾਉਂਦੇ ਹਨ ਤੇ ਤਿੰਨਾਂ ਫ਼ੌਜਾਂ ਦੇ ਯੂਨਿਟਾਂ ਵਲੋਂ ਇਸ ਨੂੰ ਸਲਾਮੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। 15 ਅਗਸਤ ਸੁਤੰਤਰਤਾ ਦਿਵਸ ਦੇ ਮੌਕੇ ‘ਤੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਇਸ ਨੂੰ ਲਾਲ ਕਿਲ੍ਹੇ ਉੱਤੇ ਝੁਲਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਝੰਡੇ ਨੂੰ ਝੁਲਾਉਣ ਮਗਰੋਂ ਭਾਰਤ ਦਾ ਕੌਮੀ ਗੀਤ ‘ਜਨ ਗਨ ਮਨ….’ ਗਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਤੇ ਸਭ ਸਾਵਧਾਨ ਹੋ ਕੇ ਖੜੇ ਹੋ ਜਾਂਦੇ ਹਨ। ਇੰਡੀਅਨ ਫਲੈਗ ਕੋਡ ਦੁਆਰਾ ਇਸ ਝੰਡੇ ਦੀ ਉਚਾਈ ਤੇ ਚੌੜਾਈ ਨਿਸਚਿਤ ਹੈ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਇਸ ਨੂੰ ਬੁਲਾਉਣ ਦੇ ਨਿਯਮ ਅਤੇ ਉਤਾਰਨ ਦੇ ਨਿਯਮ ਵੀ ਨਿਰਧਾਰਿਤ ਹਨ। ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਵੱਡੇ ਨੇਤਾ ਦੀ ਮੌਤ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ, ਤਾਂ ਇਸ ਨੂੰ ਝੁਕਾ ਦਿੱਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਤਿਰੰਗੇ ਝੰਡੇ ਦੇ ਸਤਿਕਾਰ ਤੇ ਮਹੱਤਤਾ ਨੂੰ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਨ ਲਈ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਕਵੀਆਂ ਨੇ ਗੀਤ ਲਿਖੇ ਹਨ ; ਜਿਵੇਂ –

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਝੰਡਿਆ ਤਿਰੰਗਿਆ ਨਿਰਾਲੀ ਤੇਰੀ ਸ਼ਾਨ ਏ !
ਸਾਰੇ ਦੇਸ਼ ਵਾਸੀਆਂ ਨੂੰ ਤੇਰੇ ਉੱਤੇ ਮਾਣ ਏ !
ਇਕ ਇਕ ਤਾਰ ਤੇਰੀ ਜਾਪੇ ਮੂੰਹੋਂ ਬੋਲਦੀ।
ਮੁੱਲ ਹੈ ਅਜ਼ਾਦੀ ਸਦਾ ਲਹੂਆਂ ਨਾਲ ਤੋਲਦੀ।
ਉੱਚਾ ਸਾਡਾ ਅੰਬਰਾਂ ‘ਤੇ ਝੂਲਦਾ ਨਿਸ਼ਾਨ ਏ।
ਝੰਡਿਆ ਤਿਰੰਗਿਆ ਨਿਰਾਲੀ ਤੇਰੀ ਸ਼ਾਨ ਏ।

ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਸਾਡਾ ਝੰਡਾ ਮਹਾਨ ਹੈ। ਇਹ ਸਦਾ ਉੱਚਾ ਰਹੇ। ਇਹ ਭਾਰਤ ਵਾਸੀਆਂ ਦੀ ਆਨ – ਸ਼ਾਨ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀਕ ਹੈ। ਸਾਨੂੰ ਇਸ ਉੱਪਰ ਮਾਣ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।

35. ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਸ਼ਹਿਰ – ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ

ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ, ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਇਕ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸ਼ਹਿਰ ਹੈ। ਇਸ ਸ਼ਹਿਰ ਬਾਰੇ ਕਿਹਾ ਗਿਆ ਹੈ –

“ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਸਿਫਤੀ ਦਾ ਘਰ। ਇਹ ਇਕ ਪੁਰਾਤਨ ਧਾਰਮਿਕ ਸ਼ਹਿਰ ਹੈ ਪਰ ਇਸਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਇਹ ਇਕ ਬਹੁਤ ਵੱਡਾ ਵਪਾਰਕ ਕੇਂਦਰ ਵੀ ਹੈ।

ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦਾ ਅਸਲ ਮਹੱਤਵ ਇੱਥੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੇ ਤੀਰਥ ਸ੍ਰੀ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਹੋਣਾ ਹੈ। ਇਹ ਸ਼ਹਿਰ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੀ ਸਰਹੱਦ ਤੋਂ ਕੇਵਲ 24 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਉਰੇ ਪੁਰਬ ਵਲ ਸਥਿਤ ਹੈ ਇਸ ਸ਼ਹਿਰ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸ ਕਾਫ਼ੀ ਪੁਰਾਣਾ ਹੈ। ਪਹਿਲਾ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਆਗਿਆ ਅਨੁਸਾਰ ਗੁਰੂ ਰਾਮਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਸੰਮਤ 1621 (1663 ਈ:) ਵਿਚ ਇਕ ਤਾਲ ਖ਼ੁਦਵਾਇਆ, ਜਿਸ ਨੂੰ ਮਗਰੋਂ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਸੰਪੂਰਨ ਸੰਮਤ 1645 ਵਿਚ ਸੰਪੂਰਨ ਕਰਕੇ ਇਸਦਾ ਨਾਂ ਸੰਤੋਖਸਰ ਰੱਖਿਆ।

ਸੰਮਤ 1631 (1573 ਈ:) ਵਿਚ ਗੁਰੂ ਅਮਰਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਆਗਿਆ ਅਨੁਸਾਰ ਹੀ ਇਕ ਪਿੰਡ ਬੰਨ੍ਹਿਆ ਗਿਆ ਤੇ ਆਪਣੇ ਰਹਿਣ ਲਈ ਮਕਾਨ ਬਣਵਾਏ, ਜੋ ‘ਗੁਰੂ ਕੇ ਮਹਿਲ ਨਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਹਨ।ਉਸਦੇ ਚੜਦੇ ਪਾਸੇ ਦੁਖ ਭੰਜਨੀ ਬੇਰੀ ਦੇ ਕੋਲ ਸੰਮਤ 1634 ਵਿਚ ਇਕ ਤਾਲ ਖ਼ੁਦਵਾਇਆ, ਜਿਸਨੂੰ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਸੰਪੂਰਨ ਕੀਤਾ ਤੇ ਚਾਰੇ ਪਾਸਿਓਂ ਵਪਾਰੀ ਤੇ ਕਿਰਤੀ ਲੋਕ ਵਸਾ ਕੇ ਇਸਦਾ ਨਾਂ ਰਾਮਦਾਸਪੁਰ ਰੱਖਿਆ।

ਸੰਮਤ 1643 ਵਿਚ ਸਰੋਵਰ ਨੂੰ ਪੱਕਾ ਕਰਨ ਦਾ ਕੰਮ ਆਰੰਭ ਹੋਇਆ ਤੇ ਇਸ ਸ਼ਹਿਰ ਦਾ ਨਾਂ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ। 1 ਮਾਘ, 1645 ਵਿਚ ਗੁਰੂ ਅਰਜਨ ਦੇਵ ਜੀ ਨੇ ਸ੍ਰੀ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਨੀਂਹ ਰੱਖੀ ਅਤੇ ਇਮਾਰਤ ਨੂੰ ਪੂਰੀ ਕਰਨ ਮਗਰੋਂ ਸੰਮਤ 1661 ਵਿਚ ਇੱਥੇ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਕੀਤਾ।

ਇਤਿਹਾਸਿਕ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਇਸ ਸ਼ਹਿਰ ਨੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਉਤਾਰ – ਚੜਾਅ ਅਤੇ ਦੁਖਾਂਤ ਦੇਖੇ ਹਨ, ਪਰੰਤੂ ਇਸਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਇੱਥੇ ਸ੍ਰੀ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਸਭ ਦੀ ਸ਼ਰਧਾ ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਹੈ ਅਤੇ ਇਹ ਘੁੱਗ ਵਸਦਾ ਹੈ। ਇੱਥੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਵਪਾਰੀ ਲੋਕ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ, ਜੋ ਕਿ ਕੱਪੜੇ ਅਤੇ ਸੋਨੇ ਚਾਂਦੀ ਦੇ ਗਹਿਣਿਆਂ ਦਾ ਵਪਾਰ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਇਹ ਸ਼ਹਿਰ ਭਿੰਨ – ਭਿੰਨ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਸੁਆਦਲੇ ਤੇ ਚਟਪਟੇ ਖਾਣਿਆਂ ਲਈ ਬਹੁਤ ਮਸ਼ਹੂਰ ਹੈ। ਇੱਥੋਂ ਦੇ ਪਾਪੜ – ਵੜੀਆਂ, ਕੁਲਚੇ ਅਤੇ ਲੱਸੀ ਬਹੁਤ ਮਸ਼ਹੁਰ ਹੈ।

ਇਸ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ਹਿੰਦੂਆਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਧਾਰਮਿਕ ਅਸਥਾਨ ਹਨ। ਸ੍ਰੀ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਇੱਥੋਂ ਦਾ ਹੀ ਨਹੀਂ, ਸਗੋਂ ਸੰਸਾਰ ਭਰ ਦਾ ਸਰਵਉੱਚ ਧਾਰਮਿਕ ਸਥਾਨ ਹੈ, ਜਿਸਦੀ ਇਮਾਰਤ ਉੱਤੇ ਸੋਨਾ ਚੜਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਅਕਾਲ ਤਖਤ ਮੀਰੀ – ਪੀਰੀ ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸੰਤੋਖਸਰ, ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਅਟੱਲ ਸਾਹਿਬ, ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸ਼ਹੀਦਾਂ, ਕੌਲਸਰ, ਗੁਰੂ ਕੇ ਮਹਿਲ ਤੇ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਥੜ੍ਹਾ ਸਾਹਿਬ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਧਰਮ ਅਸਥਾਨ ਹਨ ! ਦੁਰਗਿਆਣਾ ਮੰਦਰ ਤੇ ਸਤਿ ਨਰਾਇਣ ਦਾ ਮੰਦਰ ਹਿੰਦੂਆਂ ਦੇ ਧਰਮ ਅਸਥਾਨ ਹਨ। ਇੱਥੇ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਹਰਗੋਬਿੰਦ ਜੀ ਦਾ ਤਿਆਰ ਕਰਾਇਆ ਕਿਲ੍ਹਾ ਲੋਹਗੜ੍ਹ ਵੀ ਹੈ ਤੇ ਅਕਾਲੀ ਫੂਲਾ ਸਿੰਘ ਬੁੰਗੇ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਰਾਮਗੜ੍ਹੀਆ ਮਿਸਲ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਬੁੰਗੇ ਵੀ ਹਨ।

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ਇੱਥੇ ਹੀ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਜਲਿਆਂ ਵਾਲਾ ਬਾਗ਼ ਹੈ, ਜਿੱਥੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ ਜਨਰਲ ਡਾਇਰ ਨੇ 13 ਅਪਰੈਲ, 1919 ਨੂੰ ਨਿਹੱਥੇ ਦੇਸ਼ – ਭਗਤਾਂ ਦੇ ਖੂਨ ਦੀ ਹੋਲੀ ਖੇਡਦਿਆਂ ਸੈਂਕੜਿਆਂ ਨੂੰ ਗੋਲੀਆਂ ਨਾਲ ਭੁੰਨ ਦਿੱਤਾ। ਇੱਥੇ ਸ਼ਹੀਦਾਂ ਦੀ ਯਾਦ ਵਿਚ ਇਕ ਮੀਨਾਰ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ। ਅੰਮਿਤਸਰ ਬਹੁਤ ਵੱਡਾ ਵਿੱਦਿਅਕ ਕੇਂਦਰ ਵੀ ਹੈ। ਇੱਥੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਪੁਰਾਤਨ ਆਲੀਸ਼ਾਨ ਖ਼ਾਲਸਾ ਕਾਲਜ ਸਥਿਤ ਹੈ ਤੇ ਹੋਰ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਡਿਗਰੀ ਕਾਲਜ ਵੀ। ਇੱਥੇ ਇਕ ਮੈਡੀਕਲ ਕਾਲਜ ਵੀ ਹੈ ਤੇ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਵੀ।

ਇੱਥੇ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਸਮੇਂ ਦਾ ਕੰਪਨੀ ਬਾਗ਼ ਵੀ ਹੈ, ਜਿਸਦਾ ਅੱਜ – ਕਲ੍ਹ ਨਾਂ ਨਹਿਰੂ ਬਾਗ਼ ਹੈ। ਇੱਥੇ ਹੀ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਨਾਲ ਸੰਬੰਧਿਤ ਬਾਰਾਦਰੀ ਵੀ ਹੈ। ਇਹ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਬੇਸ਼ੱਕ ਪੁਰਾਤਨ ਸ਼ਹਿਰ ਹੈ, ਪਰ ਇਹ ਸਾਰੀਆਂ ਨਵੀਨਤਾਵਾਂ ਨਾਲ ਭਰਪੂਰ ਹੈ। ਇਹ ਲਾਹੌਰ ਦੇ ਨਾਲ ਮਾਝੀ ਉਪਭਾਸ਼ਾ ਦਾ ਕੇਂਦਰ ਹੈ ਤੇ ਇੱਥੋਂ ਦੀ ਬੋਲੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਟਕਸਾਲੀ ਭਾਸ਼ਾ ਦਾ ਧੁਰਾ ਹੈ।

ਸਮੁੱਚੇ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਇਤਿਹਾਸਿਕ, ਧਾਰਮਿਕ ਤੇ ਵਪਾਰਕ ਮਹੱਤਤਾ ਵਾਲਾ ਸ਼ਹਿਰ ਹੈ।

36. ਭਖਵੀਂ ਗਰਮੀ ਦਾ ਇਕ ਦਿਨ

ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਜੂਨ ਅਤੇ ਜੁਲਾਈ ਸਖ਼ਤ ਗਰਮੀ ਦੇ ਮਹੀਨੇ ਹੁੰਦੇ ਹਨ। ਉਂਝ ਤਾਂ ਇਹ ਦੋਵੇਂ ਮਹੀਨੇ ਖੂਬ ਤਪਦੇ ਹਨ, ਪਰ ਕਿਸੇ – ਕਿਸੇ ਦਿਨ ਤਾਂ ਗਰਮੀ ਦੀ ਅੱਤ ਹੀ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਇਹੋ ਜਿਹਾ ਅੱਤ ਗਰਮੀ ਦਾ ਦਿਨ ਬੀਤੇ ਸਾਲ 25 ਜੂਨ ਦਾ ਸੀ।

ਇਸ ਦਿਨ ਐਤਵਾਰ ਸੀ। ਮੈਨੂੰ ਸਵੇਰੇ ਉੱਠਦਿਆਂ ਹੀ ਗਰਮੀ ਕਾਰਨ ਬੜੀ ਬੇਚੈਨੀ ਮਹਿਸੂਸ ਹੋ ਰਹੀ ਸੀ। ਮੈਂ ਠੰਢੇ ਪਾਣੀ ਦੀਆਂ ਦੋ ਬਾਲਟੀਆਂ ਭਰੀਆਂ ਤੇ ਰੱਜ ਕੇ ਨਹਾਤਾ। ਮੈਂ ਪੱਖੇ ਦੀ ਹਵਾ ਵਿਚ ਬੈਠ ਕੇ ਨਾਸ਼ਤਾ ਕੀਤਾ ਤੇ ਫਿਰ ਇਕ ਕਿਤਾਬ ਫੜ੍ਹ ਕੇ ਪੜ੍ਹਨ ਲੱਗ ਪਿਆ। ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਤੇ ਛੋਟੀ ਭੈਣ ਵੀ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਪੱਖੇ ਹੇਠ ਆ ਬੈਠੇ। ਹੁਣ ਧੁੱਪ ਚੜ੍ਹ ਗਈ ਤੇ 11 ਕੁ ਵਜੇ ਨਾਲ ਗਰਮੀ ਕਾਫ਼ੀ ਤੇਜ਼ ਹੋ ਗਈ ! ਕਮਰਿਆਂ ਦਾ ਅੰਦਰ, ਬਾਹਰ, ਮੰਜੇ ਤੇ ਬਿਸਤਰੇ, ਸਭ ਕੁੱਝ ਤਪਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਗਿਆ।

ਬਾਹਰ ਤਪਦੀ ਧੁੱਪ ਪੈ ਰਹੀ ਸੀ ਤੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਸੜਕਾਂ ਤੇ ਆਉਣਾ – ਜਾਣਾ ਕਾਫ਼ੀ ਘਟ ਗਿਆ ਸੀ। ਗਲੀਆਂ ਵਿਚ ਕੁਲਫ਼ੀਆਂ ਤੇ ਆਈਸ ਕਰੀਮ ਵੇਚਣ ਵਾਲੇ ਹੋਕੇ ਦੇ ਰਹੇ ਸਨ। ਕਦੇ – ਕਦੇ ਸੜਕ ਤੋਂ ਕੋਈ ਸ਼ਕੰਜਵੀਂ ਜਾਂ ਸੋਡਾ ਵੇਚਣ ਵਾਲਾ ਹੋਕਾ ਦਿੰਦਾ ਹੋਇਆ ਲੰਘਦਾ ਸੀ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਬੱਚੇ ਤੇ ਆਦਮੀ – ਤੀਵੀਆਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਠੰਢੀਆਂ ਚੀਜ਼ਾਂ ਨੂੰ ਖ਼ਰੀਦ – ਖ਼ਰੀਦ ਕੇ ਖਾ ਰਹੇ ਸਨ। ਮੈਨੂੰ ਵੀ ਤੇਹ ਲੱਗ ਰਹੀ ਸੀ ਤੇ ਉਹ ਪਾਣੀ ਪੀ – ਪੀ ਕੇ ਵੀ ਨਹੀਂ ਸੀ ਮਿਟਦੀ।

ਸਾਢੇ ਕੁ ਬਾਰਾਂ ਵਜੇ ਗਰਮੀ ਵਿਚ ਹੋਰ ਵੀ ਤੇਜ਼ੀ ਆਉਣ ਲੱਗੀ ਤੇ ਰਹਿੰਦੀ ਕਸਰ ਬਿਜਲੀ ਦੇ ਬੰਦ ਹੋਣ ਨੇ ਪੂਰੀ ਕਰ ਦਿੱਤੀ। ਬਿਜਲੀ ਬੰਦ ਹੋਣ ਨਾਲ ਸਾਰੇ ਘਰਾਂ ਦੇ ਪੱਖਿਆਂ ਸਮੇਤ ਸਾਡਾ ਪੱਖਾ ਵੀ ਬੰਦ ਹੋ ਗਿਆ। ਬੱਸ ਫਿਰ ਕੀ ਸੀ, ਗਰਮੀ ਨਾਲ ਸਾਡੀਆਂ ਜਾਨਾਂ ਨਿਕਲਣ ਲੱਗੀਆਂ ਅਤੇ ਅਸੀਂ ਕਦੇ ਪੱਖੀਆਂ ਨਾਲ ਹਵਾ ਝਲਦੇ ਮਾਂ, ਕਦੇ ਗੱਤਿਆਂ ਨਾਲ ਪਸੀਨੇ ਦੇ ਹੜ ਵਗ ਰਹੇ ਸਨ।

ਲੋਕ ਤਾਰ – ਤਾਰ ਕਰ ਰਹੇ ਸਨ। ਛੋਟੇ ਬੱਚੇ ਰੋ ਰਹੇ ਸਨ। ਚਿੜੀਆਂ ਘਰਾਂ ਦੀਆਂ ਛੱਤਾਂ ਵਿਚ ਵੜੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਸਨ ਦੁਪਹਿਰ ਦੀ ਰੋਟੀ ਖਾ ਕੇ ਮੇਰੀਆਂ ਅੱਖਾਂ ਵਿਚ ਨੀਂਦ ਰੜਕਣ ਲੱਗੀ, ਪਰ ਮੁਕੇ ਤੇ ਗਰਮੀ ਵਿਚ ਨੀਂਦ ਕਿੱਥੋਂ ? ਤਿੰਨ ਵਜੇ ਬਿਜਲੀ ਵੀ ਆ ਗਈ। ਹੁਣ ਪੱਖਾ ਚੱਲਣ ਨਾਲ ਸਾਡੀ ਜਾਨ ਵਿਚ ਕੁੱਝ ਜਾਨ ਆਈ।

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ਪੰਜ ਕੁ ਵਜੇ ਭਾਵੇਂ ਧੁੱਪ ਤਾਂ ਮੱਠੀ ਪੈ ਗਈ ਸੀ, ਪਰ ਵੱਟ ਉਸੇ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੀ ਸੀ। ਇਸ ਵੇਲੇ ਲੋਕ ਘਰੋਂ ਆਪੋ ਆਪਣੇ ਕੰਮਾਂ ‘ਤੇ ਨਿਕਲ ਪਏ।

ਰਾਤ ਨੂੰ ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਮੰਜਿਆਂ ‘ਤੇ ਪਏ, ਤਾਂ ਠੰਢੀ – ਠੰਢੀ ਹਵਾ ਰੁਮਕਣ ਲੱਗੀ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਅਸੀਂ ਅਰਾਮ ਨਾਲ ਸੁੱਤੇ ! ਅਗਲੇ ਦਿਨ ਮੈਂ ਸਵੇਰੇ ਉੱਠ ਕੇ ਅਖ਼ਬਾਰ ਪੜੀ, ਤਾਂ ਉਸ ਵਿਚ ਬੀਤੇ ਦਿਨ ਦੀ ਗਰਮੀ ਬਾਰੇ ਮੋਟੇ ਅੱਖਰਾਂ ਵਿਚ ਲਿਖਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ ਕਿ ਇਸ ਦਿਨ ਦਾ ਤਾਪਮਾਨ 48.6° ਸੈਲਸੀਅਸ ਰਿਹਾ ਤੇ ਅਜਿਹੀ ਗਰਮੀ ਪਿਛਲੇ ਤੀਹ ਸਾਲਾਂ ਵਿਚ ਕਦੇ ਨਹੀਂ ਪਈ।

37. ਅੱਤ ਸਰਦੀ ਦਾ ਇਕ ਦਿਨ

ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਦਸੰਬਰ ਤੇ ਜਨਵਰੀ ਸਰਦੀ ਦੇ ਮਹੀਨੇ ਹਨ। ਉਂਝ ਤਾਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਮਹੀਨਿਆਂ ਵਿਚ ਲਗਾਤਾਰ ਖੂਬ ਸਰਦੀ ਪੈਂਦੀ ਹੈ, ਪਰ ਕਿਸੇ – ਕਿਸੇ ਦਿਨ ਤਾਂ ਸਾਰੀ ਦਿਹਾੜੀ ਠੰਢ ਨਾਲ ਕੰਬਦਿਆਂ ਹੀ ਬੀਤਦੀ ਹੈ। ਇਹੋ ਜਿਹਾ ਅੱਤ ਸਰਦੀ ਦਾ ਦਿਨ ਬੀਤੇ ਸਾਲ 30 ਦਸੰਬਰ ਦਾ ਸੀ।

ਇਸ ਦਿਨ ਸਵੇਰੇ – ਸਵੇਰੇ ਹੀ ਕਾਫ਼ੀ ਠੰਢ ਸੀ ਤੇ ਮੈਨੂੰ ਰਜ਼ਾਈ ਵਿਚ ਹੀ ਇਕ ਕੰਬਣੀ ਜਿਹੀ ਮਹਿਸੂਸ ਹੋ ਰਹੀ ਸੀ। ਕੁੱਝ ਸਮੇਂ ਪਿੱਛੋਂ ਦਿਨ ਚੜ੍ਹ ਗਿਆ। ਮੈਂ ਕੰਬਲ ਉੱਪਰ ਲੈ ਕੇ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲਿਆ, ਤਾਂ ਦੇਖਿਆ ਕਿ ਬਾਹਰ ਸੰਘਣੀ ਧੁੰਦ ਪਈ ਹੋਈ ਸੀ ਤੇ ਹਵਾ ਵਿਚਲੀ ਨਮੀ ਪਾਣੀ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਡਿਗ ਰਹੀ ਸੀ, ਜਿਵੇਂ ਮੀਂਹ ਪੈ ਰਿਹਾ ਹੋਵੇ। ਉਸ ਦਿਨ ਮੇਰਾ ਦਿਲ ਨਹਾਉਣ ਨੂੰ ਨਾ ਕੀਤਾ ਤੇ ਮੈਂ ਮੂੰਹ – ਹੱਥ ਧੋ ਕੇ ਅੰਗੀਠੀ ਕੋਲ ਆ ਬੈਠਾ।

ਮੇਰੇ ਮਾਤਾ ਜੀ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਇਕ ਸਵੈਟਰ, ਕਮੀਜ਼ ਦੇ ਹੋਂਠ ਤੇ ਇਕ ਉੱਪਰ ਪੁਆਇਆ ਅਤੇ ਉਸ ਤੋਂ ਉੱਪਰ ਕੋਟ ਪੁਆ ਕੇ ਉਸ ਦੇ ਬਟਨ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਬੰਦ ਕਰਵਾ ਕੇ ਸਕੂਲ ਤੋਰਿਆ। ਮੈਂ ਹੱਥਾਂ ਉੱਤੇ ਗਰਮ ਦਸਤਾਨੇ ਤੇ ਗਲ ਵਿਚ ਮਫ਼ਲਰ ਪਾਇਆ ਅਤੇ ਘਰੋਂ ਬਾਹਰ ਨਿਕਲਿਆ ਤੇ ਬਾਹਰ ਸੰਘਣੀ ਧੁੰਦ ਕਾਰਨ ਪੰਜ – ਛੇ ਫੁੱਟ ਤੋਂ ਅੱਗੇ ਰਸਤਾ ਨਹੀਂ ਸੀ ਦਿਖਾਈ ਦਿੰਦਾ। ਮੈਂ ਆਪਣਾ ਸਾਈਕਲ ਹੌਲੀ – ਹੌਲੀ ਚਲਾ ਰਿਹਾ ਸਾਂ।

ਮੈਂ ਦੇਖਿਆ ਕਿ ਸੜਕ ਉੱਤੇ ਲੋਕ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਸਨ ਤੇ ਲੰਘਣ ਵਾਲੀਆਂ ਕਾਰਾਂ, ਬੱਸਾਂ ਤੇ ਟਰੱਕਾਂ ਆਦਿ ਦੀਆਂ ਬੱਤੀਆਂ ਜਗ ਰਹੀਆਂ ਸਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਰਫ਼ਤਾਰ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਸੀ। ਮੈਂ ਅਸਮਾਨ ਵਲ ਝਾਤੀ ਮਾਰ ਕੇ ਦੇਖਿਆ, ਤਾਂ ਸੂਰਜ ਦਾ ਕਿਧਰੇ ਨਾਂ – ਨਿਸ਼ਾਨ ਵੀ ਨਹੀਂ ਸੀ ਦਿਖਾਈ ਦੇ ਰਿਹਾ। ਜਿਉਂ – ਜਿਉਂ ਦਿਨ ਚੜ੍ਹ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਧੁੰਦ ਸੰਘਣੀ ਹੁੰਦੀ ਜਾ ਰਹੀ ਸੀ ਨੂੰ ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਮੈਂ ਕਈ ਲੋਕ ਧੂਣੀਆਂ ਦੁਆਲੇ ਬੈਠੇ ਦੇਖੋ।

ਜਦੋਂ ਮੈਂ ਸਕੂਲ ਪੁੱਜਾ, ਤਾਂ ਦੇਖਿਆ ਕਿ ਹਾਜ਼ਰੀ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਸੀ ਕਲਾਸ਼ ਵਿਚ ਠੰਢ ਨਾਲ ਆਕੜੇ ਸਾਡੇ ਹੱਥਾਂ ਵਿਚ ਪੈੱਨ ਫੜ ਕੇ ਲਿਖਣ ਦੀ ਤਾਕਤ ਨਹੀਂ ਸੀ। ਸਾਰੀ ਦਿਹਾੜੀ ਅਸੀਂ ਧੁੰਦ ਦੇ ਘਟਣ ਦੀ ਉਡੀਕ ਕਰਦੇ ਰਹੇ, ਪਰ ਅਜਿਹਾ ਨਾ ਹੋਇਆ।

ਅੰਤ ਚਾਰ ਵਜੇ ਸਾਨੂੰ ਸਕੂਲੋਂ ਛੁੱਟੀ ਹੋਈ ਤੇ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਸਾਥੀਆਂ ਨਾਲ ਠਿਠਰਦਾ ਹੋਇਆ ਘਰ ਵਲ ਚਲ ਪਿਆ। ਮੈਂ ਸਿੱਧਾ ਰਸੋਈ ਵਿਚ ਪੁੱਜਾ ਤੇ ਅੰਗੀਠੀ ਕੋਲ ਬੈਠ ਕੇ ਅੱਗ ਸੇਕਣ ਲੱਗਾ ਮੈਂ ਰੋਟੀ ਖਾਧੀ ਤੇ ਫਿਰ ਗਰਮ – ਗਰਮ ਚਾਹ ਪੀਤੀ। ਇਸੇ ਸਮੇਂ ਹੀ ਅਸੀਂ ਮੁੰਗਫ਼ਲੀ, ਰਿਉੜੀਆਂ ਤੇ ਭੁੱਘਾ ਮੰਗਵਾਇਆ ਅਤੇ ਅੰਗੀਠੀ ਦੁਆਲੇ ਬੈਠ ਕੇ ਖਾਣ ਲੱਗੇ। ਹੁਣ ਹਨੇਰਾ ਹੋ ਚੁੱਕਾ ਸੀ ਤੇ ਧੁੰਦ ਪਹਿਲਾਂ ਨਾਲੋਂ ਵਧੇਰੇ ਸੰਘਣੀ ਹੋ ਚੁੱਕੀ ਸੀ। ਰਾਤ ਦੇ ਨੌਂ ਵਜੇ ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਸੌਂ ਗਏ।

ਜਦੋਂ ਅਸੀਂ ਸਵੇਰੇ ਉੱਠੇ, ਤਾਂ ਅਸਮਾਨ ਬੱਦਲਾਂ ਨਾਲ ਢੱਕਿਆ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਪਰ ਨਾ ਵਰਖਾ ਹੋ ਰਹੀ ਸੀ ਤੇ ਨਾ ਹੀ ਹਵਾ ਚੱਲ ਰਹੀ ਸੀ, ਇਸ ਕਰਕੇ ਪਹਿਲੇ ਦਿਨ ਨਾਲੋਂ ਸਰਦੀ ਕੁੱਝ ਘੱਟ ਸੀ। ਮੈਂ ਅਖ਼ਬਾਰ ਖ਼ਰੀਦੀ ਤੇ ਉਸ ਵਿਚ ਪੜਿਆ ਕਿ ਬੀਤੇ ਦਿਨ ਉੱਤਰੀ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਇੰਨੀ ਸਰਦੀ ਪਈ ਹੈ ਕਿ ਪਿਛਲੇ ਸਾਰੇ ਰਿਕਾਰਡ ਮਾਤ ਪੈ ਗਏ ਹਨ ਇਸ ਦਿਨ ਆਦਮਪੁਰ ਦਾ ਘੱਟੋ – ਘੱਟ ਤਾਪਮਾਨ 4.5° ਸੈਲਸੀਅਸ ਸੀ। ਸੜਕਾਂ ਤੇ ਸੌਣ ਵਾਲੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਮੰਗਤਿਆਂ ਦੇ ਮਰਨ ਦੀਆਂ ਖ਼ਬਰਾਂ ਵੀ ਸਨ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਬੀਤੇ ਸਾਲ 30 ਦਸੰਬਰ ਦਾ ਦਿਨ ਮੇਰੇ ਅਨੁਭਵ ਵਿਚ ਸਭ ਤੋਂ ਵਧੇਰੇ ਸਰਦੀ ਦਾ ਦਿਨ ਸੀ।

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38. ਕਿਸੇ ਕਾਮੇ ਦੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਇਕ ਦਿਨ

ਮੈਂ ਇਕ ਕਾਮਾ ਹਾਂ। ਮੈਨੂੰ ਮਜ਼ਦੂਰ ਵੀ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ। ਮੈਂ ਦਿਹਾੜੀ ਉੱਤੇ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹਾਂ। ਮੈਂ ਆਮ ਕਰਕੇ ਮਕਾਨ ਬਣਾਉਣ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿਚ ਸਹਾਇਤਾ ਕਰਦਾ ਹਾਂ। ਮੈਂ ਇੱਟਾਂ ਵੀ ਢੋਂਦਾ ਹਾਂ। ਸੀਮਿੰਟ ਅਤੇ ਰੇਤ ਮਿਲਾ ਕੇ ਮਸਾਲਾ ਵੀ ਬਣਾਉਂਦਾ ਹਾਂ। ਪਾਣੀ ਨਾਲ ਤਰਾਈ ਵੀ ਕਰਦਾ ਹਾਂ ਅਤੇ ਮਿੱਟੀ ਵੀ ਪੁੱਟਦਾ ਹਾਂ।

ਅੱਜ ਮੈਂ ਸਵੇਰੇ – ਸਵੇਰੇ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ਤੇ ਮਿਸਤਰੀਆਂ ਦੇ ਅੱਡੇ ਉੱਪਰ ਖੜਾ ਕਿਸੇ ਕੰਮ ਕਰਾਉਣ ਵਾਲੇ ਦੀ ਉਡੀਕ ਕਰ ਰਿਹਾ ਸਾਂ। ਇੰਨੇ ਨੂੰ ਇਕ ਬਾਬੂ ਆ ਗਿਆ। ਉਸ ਦੇ ਦੁਆਲੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ ਨੇ ਝੁਰਮੁਟ ਪਾ ਲਿਆ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਮੈਂ ਵੀ ਖੜ੍ਹਾ ਸਾਂ। ਮੈਂ ਪਿਛਲੇ ਤਿੰਨ ਦਿਨਾਂ ਤੋਂ ਵਿਹਲਾ ਸਾਂ। ਜੇਕਰ ਮੈਨੂੰ ਅੱਜ ਵੀ ਕੋਈ ਕੰਮ ਨਾ ਮਿਲਦਾ, ਤਾਂ ਅੱਜ ਰਾਤ ਨੂੰ ਮੇਰੇ ਘਰ ਰੋਟੀ ਪੱਕਣੀ ਔਖੀ ਹੋ ਜਾਣੀ ਸੀ। ਮੇਰੀ ਛੋਟੀ ਧੀ ਨੂੰ ਬੁਖ਼ਾਰ ਸੀ। ਮੈਂ ਉਸ ਲਈ ਦਵਾਈ ਵੀ ਲਿਆਉਣੀ ਸੀ। ਬਾਬੂ ਨੇ ਪੁੱਛਿਆ ਕਿ ਕਿੰਨੀ ਦਿਹਾੜੀ ਨਵੋਗੇ ? ਤਿੰਨ ਚਾਰ ਇਕੱਠੇ ਬੋਲ ਪਏ, 200 ਰੁਪਏ ਪ’ ਬਾਬ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਮੈਂ ਤਾਂ 180 ਹੀ ਦੇਵਾਂਗਾ, ਜਿਸ ਦੀ ਮਰਜ਼ੀ ਹੋਵੇ ਚਲ ਪਏ।”

ਮੈਂ 180 ਰੁਪਏ ਲੈਣੇ ਮਨਜ਼ੂਰ ਕਰ ਕੇ ਉਸ ਨਾਲ ਤੁਰ ਪਿਆ ਥੋੜੀ ਦੂਰ ਉਸ ਦੀ ਕੋਠੀ ਬਣ ਰਹੀ ਸੀ। ਮੈਨੂੰ ਉਸ ਨੇ ਰੋੜੀ ਕੁੱਟਣ ਦੇ ਕੰਮ ਉੱਤੇ ਲਾ ਦਿੱਤਾ। ਮੈਂ ਆਪਣੀਆਂ ਉਂਗਲੀਆਂ ਨੂੰ ਸੱਟਾਂ ਤੋਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਪੱਟੀਆਂ ਬੰਨ੍ਹ ਕੇ ਹਥੌੜੇ ਨਾਲ ਰੋੜੀ ਕੁੱਟਣ ਲੱਗ ਪਿਆ। ਥੋੜ੍ਹੀ ਦੇਰ ਮਗਰੋਂ ਉਹ ਬਾਬੂ ਆਇਆ ਤੇ ਬੜੇ ਗੁੱਸੇ ਨਾਲ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, “ਤੂੰ ਕੰਮ ਬੜਾ ਹੌਲੀ ਕਰਦਾ ਹੈਂ, ਪਰ ਰੁਪਏ 180 ਮੰਗਦਾ ਹੈਂ।’ ਮੈਂ ਕਿਹਾ, ” ਜੀ ਦਿਹਾੜੀ ਤਾਂ 180 ਹੀ ਲਵਾਂਗਾ।` ਇਹ ਗੱਲ ਕਰਦਿਆਂ ਹਥੌੜਾ ਮੇਰੀਆਂ ਉਂਗਲੀਆਂ ਉੱਤੇ ਜਾ ਵੱਜਾ ਤੇ ਇਕ ਉਂਗਲੀ ਵਿਚੋਂ ਖੂਨ ਵਹਿਣ ਲੱਗਾ। ਮੈਨੂੰ ਕਾਫ਼ੀ ਦਰਦ ਹੋ ਰਹੀ ਸੀ, ਪਰ ਉੱਥੇ ਸੁਣਨ ਵਾਲਾ ਕੌਣ ਸੀ ? ਮੈਂ ਪਾਣੀ ਪੀਤਾ ਤੇ ਫਿਰ ਪੱਟੀਆਂ ਬੰਨ੍ਹ ਕੇ ਰੋੜੀ ਕੁੱਟਦਾ ਰਿਹਾ।

ਇਕ ਵਾਰੀ ਫਿਰ ਬਾਬੂ ਨੇ ਮੇਰੇ ਕੰਮ ਹੌਲੀ ਕਰਨ ਦੀ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਕੀਤੀ। ਦੁਪਹਿਰੇ ਉਸ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਚੁਕੰਨਾ ਕੀਤਾ ਕਿ ਮੈਂ ਅੱਧੇ ਘੰਟੇ ਤੋਂ ਵੱਧ ਛੁੱਟੀ ਨਾ ਕਰਾਂ। ਸ਼ਾਮ ਤਕ ਮੇਰਾ ਮੂੰਹ ਸਿਰ ਘੱਟੇ ਨਾਲ ਤੇ ਹੱਥ ਸੱਟਾਂ ਨਾਲ ਭਰ ਗਏ ਸਨ। 5 ਵਜੇ ਬਾਬੂ ਨੇ ਮਸਾਂ – ਮਸਾਂ 180 ਰੁਪਏ ਦਿੱਤੇ ਤੇ ਮੈਂ ਸੁਖ ਦਾ ਸਾਹ ਲੈ ਕੇ ਘਰ ਪੁੱਜਾ ਤੇ ਇਸ ਸਮੇਂ ਮੇਰਾ ਸਰੀਰ ਥਕੇਵੇਂ ਤੇ ਸੱਟਾਂ ਨਾਲ ਦੁੱਖ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਪਰ ਬੱਚੀ ਦੇ ਬੁਖ਼ਾਰ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਸਭ ਕੁੱਝ ਭੁਲਾ ਦਿੱਤਾ।

39. ਅੱਖੀਂ ਡਿੱਠੇ ਵਿਆਹ ਦਾ ਹਾਲ

ਪਿਛਲੇ ਐਤਵਾਰ ਮੇਰੇ ਮਿੱਤਰ ਦੇ ਵੱਡੇ ਭਰਾ ਦਾ ਵਿਆਹ ਸੀ ਉਸ ਦੀ ਬਰਾਤ ਸਾਡੇ ਸ਼ਹਿਰ ਤੋਂ ਕੋਈ 20 ਕੁ ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਦੂਰ ਫਗਵਾੜੇ ਵਿਚ ਜਾਣੀ ਸੀ। ਮੈਂ ਵੀ ਉਸ ਬਰਾਤ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਸਾਂ। ਬਰਾਤ ਦੇ 50 ਕੁ ਆਦਮੀ ਸਨ ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਸਵੇਰ ਦੇ 10 ਕੁ ਵਜੇ ਬੱਸ ਵਿਚ ਸਵਾਰ ਹੋ ਕੇ ਚੱਲ ਪਏ। ਕੁੱਝ ਬਰਾਤੀ ਪੰਜ – ਛੇ ਕਾਰਾਂ ਵਿਚ ਸਵਾਰ ਸਨ। ਸਿਹਰਿਆਂ ਨਾਲ ਸਜੇ ਲਾੜੇ ਦੀ ਫੁੱਲਾਂ ਨਾਲ ਸ਼ਿੰਗਾਰੀ ਕਾਰ ਸਭ ਤੋਂ ਅੱਗੇ ਸੀ ! ਸਵੇਰ ਦੇ ਕੋਈ 11 ਕੁ ਵਜੇ ਅਸੀਂ ਮਿੱਥੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਅਨੁਸਾਰ ਫਗਵਾੜੇ ਪਹੁੰਚੇ ਤੇ ਸ਼ਹਿਰ ਦੇ ਅੰਦਰ ਇਕ ਥਾਂ ਬਣੇ ਮੈਰਿਜ ਪੈਲਿਸ ਦੇ ਅੱਗੇ ਜਾ ਰੁਕੇ।

ਸਾਰੇ ਬਰਾਤੀ ਬੱਸ ਤੇ ਕਾਰਾਂ ਵਿਚੋਂ ਉਤਰੇ ਤੇ ਮਿਲਣੀ ਲਈ ਖੜੇ ਹੋ ਗਏ। ਲੜਕੀ ਵਾਲਿਆਂ ਦੇ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰਾਂ ਤੇ ਸੰਬੰਧੀਆਂ ਨੇ ਸ਼ਬਦ ਪੜੇ ਤੇ ਅਰਦਾਸ ਕਰਨ ਪਿੱਛੋਂ ਮਿਲਣੀਆਂ ਹੋਈਆਂ ਪਹਿਲੀ ਮਿਲਣੀ ਸੁਰਿੰਦਰ ਦੇ ਪਿਤਾ ਅਤੇ ਲੜਕੀ ਦੇ ਪਿਤਾ ਦੀ ਸੀ। ਫਿਰ ਮਾਮਿਆਂ, ਚਾਚਿਆਂ ਤੇ ਭਰਾਵਾਂ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਹੋਰ ਸੰਬੰਧੀਆਂ ਦੀਆਂ ਮਿਲਣੀਆਂ ਹੋਈਆਂ। ਲੜਕੀ ਵਾਲਿਆਂ ਨੇ ਮਿਲਣੀ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਸੰਬੰਧੀਆਂ ਨੂੰ ਕੰਬਲ ਦਿੱਤੇ ਪਰ ਸੁਰਿੰਦਰ ਦੇ ਪਿਤਾ ਤੇ ਮਾਮੇ ਨੂੰ ਸੋਨੇ ਦੀਆਂ ਮੁੰਦਰੀਆਂ ਪਹਿਨਾਈਆਂ ਗਈਆਂ। ਵੀਡੀਓ ਕੈਮਰਾ ਨਾਲੋ – ਨਾਲ ਫ਼ਿਲਮ ਬਣਾ ਰਿਹਾ ਸੀ।

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ਮਿਲਣੀ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਕੁੜੀਆਂ ਮੈਰਿਜ ਪੈਲਿਸ ਦੇ ਮੁੱਖ ਦੁਆਰ ਨੂੰ ਰਿਬਨ ਬੰਨ੍ਹ ਕੇ ਰੋਕ ਕੇ ਖੜ੍ਹੀਆਂ ਹੋ ਗਈਆਂ ਕਾਫ਼ੀ ਹਾਸੇ – ਮਖੌਲ ਭਰੇ ਤਕਰਾਰ ਪਿੱਛੋਂ ਲਾੜੇ ਨੇ 1100 ਰੁਪਏ ਦਿੱਤੇ ਤੇ ਅੱਗੇ ਲੰਘਣ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਲਾੜੇ ਦੇ ਕੁੱਝ ਮਨਚਲੇ ਮਿੱਤਰਾਂ ਨੇ ਰਾਹ ਰੋਕ ਕੇ ‘ ਖੜੀਆਂ ਸਾਲੀਆਂ ਉੱਤੇ ਵੱਖ – ਵੱਖ ਸਪਰੇਆਂ ਦੀ ਬੁਛਾੜ ਕੀਤੀ, ਜਿਸਨੇ ਕਈਆਂ ਦਾ ਮੂੰਹ ਤੇ, ਕੱਪੜੇ ਝੱਗ ਨਾਲ ਭਰ ਦਿੱਤੇ ਤੇ ਕਈਆਂ ਨੂੰ ਕੱਚੇ ਜਿਹੇ ਰੱਸਿਆਂ ਵਿਚ ਲਪੇਟ ਦਿੱਤਾ। ਕੁੱਝ ਸਪਰੇ ਖ਼ੁਸ਼ਬੂ ਖਿਲਾਰਨ ਵਾਲੇ ਵੀ ਸਨ।

ਫਿਰ ਸਾਰੇ ਬਰਾਤੀ ਸਾਹਮਣੇ ਮੇਜ਼ਾਂ ਉੱਤੇ ਲੱਗੇ ਨਾਸ਼ਤੇ ਤੇ ਹੋਰ ਪਕਵਾਨਾਂ ਦੇ ਸਟਾਲਾਂ ਵਲ ਵਧੇ। ਹਰ ਕੋਈ ਪਲੇਟ ਚਮਚਾ ਚੁੱਕ ਕੇ ਆਪਣੇ ਮਨ ਭਾਉਂਦੇ ਪਕਵਾਨ ਖਾਣ ਲੱਗਾ ਇਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਕੁੱਝ ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਤੇ ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਸ਼ਾਮਿਲ ਸੀ। ਦਸ – ਬਾਰਾਂ ਸੁਨੈਕਸਾਂ ਦੇ ਸਟਾਲ ਸਨ। ਕਿਸੇ ਪਾਸੇ ਸਾਫ਼ਟ ਡਰਿੰਕ ਦੇ ਸਟਾਲ ਤੇ ਕਿਸੇ ਪਾਸੇ ਕਾਫ਼ੀ, ਚਾਹ ਤੇ ਕੇਸਰੀ ਦੁੱਧ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਮਠਿਆਈਆਂ, ਨੂਡਲਾਂ, ਗੋਲ – ਗੱਪਿਆਂ, ਚਾਟਾਂ ਤੇ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਜੂਸਾਂ ਦੇ ਸਟਾਲ ਸਨ। ਇਸ ਪਿੱਛੋਂ ਗੁਰਦੁਆਰੇ ਵਿਚ ਲਾਵਾਂ ਹੋਈਆਂ।

ਇਸ ਸਮੇਂ ਬਹੁਤੇ ਬਰਾਤੀ ਮੈਰਿਜ ਪੈਲਿਸ ਵਿਚ ਬੈਠੇ ਰਹੇ ਤੇ ਸਾਹਮਣੇ ਗਾਇਕ – ਟੋਲੀ ਵੱਲੋਂ ਪੇਸ਼ ਕੀਤੇ ਜਾ ਰਹੇ ਗਾਣਿਆਂ ਤੇ ਨੱਚਦੀਆਂ ਕੁੜੀਆਂ ਦੇ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਨੂੰ ਦੇਖਦੇ ਰਹੇ ਅਤੇ ਨਾਲ – ਨਾਲ ਖਾਂਦੇ – ਪੀਂਦੇ ਵੀ ਰਹੇ।

ਲਾਵਾਂ ਪਿੱਛੋਂ ਲਾੜੇ – ਲਾੜੀ ਨੂੰ ਲਿਆ ਕੇ ਸਭ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਸਟੇਜ ਦੇ ਇਕ ਪਾਸੇ ਲੱਗੀਆਂ ਸ਼ਾਹੀ ਕੁਰਸੀਆਂ ਉੱਤੇ ਬਿਠਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ। ਲੜਕੀ ਗਹਿਣਿਆਂ ਨਾਲ ਸਜੀ ਹੋਈ ਸੀ ਸਭ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰ ਵਾਰੋ – ਵਾਰੀ ਸ਼ਗਨ ਪਾਉਣ ਲੱਗੇ। ਵੀ.ਡੀ.ਓ. ਰਾਹੀਂ ਨਾਲੋ – ਨਾਲ ਫੋਟੋਗਾਫ਼ੀ ਹੋ ਰਹੀ ਸੀ ! ਉਧਰ ਕੁੱਝ ਬਰਾਤੀ ਵਰਤਾਈ ਜਾ ਰਹੀ ਸ਼ਰਾਬ ਪੀ – ਪੀ ਕੇ ਭੰਗੜਾ ਪਾਉਣ ਲੱਗ ਪਏ ਸਨ। ਕੁੱਝ ਕੁੜੀਆਂ ਵੀ ਇਸ ਨਾਚ ਵਿਚ ਸ਼ਾਮਿਲ ਹੋ ਗਈਆਂ।

ਫਿਰ ਦੁਪਹਿਰ ਤੋਂ ਪਿੱਛੋਂ ਦਾ ਖਾਣਾ ਆਰੰਭ ਹੋ ਗਿਆ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਬਹੁਤ ਕਿਸਮਾਂ ਦੇ ਸੁਪ, ਸ਼ਾਕਾਹਾਰੀ ਤੇ ਮਾਸਾਹਾਰੀ ਭੋਜਨ, ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੇ ਸਲਾਦ, ਆਈਸ ਕ੍ਰੀਮਾਂ ਤੇ ਮਠਿਆਈਆਂ ਸ਼ਾਮਿਲ ਸਨ।ਉੱਧਰ ਨਾਲ – ਨਾਲ ਭੰਗੜਾ ਪੈ ਰਿਹਾ ਸੀ ਤੇ ਵਾਰਨੇ ਹੋ ਰਹੇ ਸਨ। ਗਾਇਕ ਟੋਲੀ ਦਾ ਮੁਖੀ ਬਖ਼ਸ਼ੇ ਜਾ ਰਹੇ ਵੇਲਾਂ ਦੇ ਨੋਟ ਸੰਭਾਲੀ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ। ਇਕ ਦੋ ਸ਼ਰਾਬੀਆਂ ਨੇ ਨਿੱਕੀਆਂ – ਮੋਟੀਆਂ ਸ਼ਰਾਰਤਾਂ ਵੀ ਕੀਤੀਆਂ।

ਸਭ ਤੋਂ ਮਗਰੋਂ ਲਾੜੇ – ਲਾੜੀ ਸਮੇਤ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਜ਼ਦੀਕੀ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰਾਂ ਨੇ ਇਕ ਟੇਬਲ ਉੱਤੇ ਬੈਠ ਕੇ ਰੋਟੀ ਖਾਧੀ। ਖਾਣਾ ਖਾਣ ਮਗਰੋਂ ਸੁਰਿੰਦਰ ਦੇ ਪਿਤਾ ਨੇ ਵਰੀ ਦਾ ਕੀਮਤੀ ਸਮਾਨ ਦਿਖਾਇਆ ਤੇ ਫਿਰ ਕੁੜੀ ਵਾਲਿਆਂ ਨੇ ਦਾਜ ! ਅੰਤ ਕੁੜੀ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ।ਤੁਰਨ ਸਮੇਂ ਸੁਰਿੰਦਰ ਦੇ ਪਿਤਾ ਨੇ ਜੋੜੀ ਉੱਪਰੋਂ ਪੈਸੇ ਸੁੱਟੇ।

ਇਹ ਸਾਰਾ ਕੁੱਝ ਦੇਖ ਕੇ ਮੇਰਾ ਮਨ ਬੜਾ ਹੈਰਾਨ ਹੋ ਰਿਹਾ ਸੀ ਕਿ ਸਾਡਾ ਸਮਾਜ ਵਿਆਹਾਂ ਉੱਪਰ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਫ਼ਜ਼ੂਲ – ਖ਼ਰਚੀ ਕਰਦਾ ਹੈ ਤੇ ਰੁਪਏ ਨੂੰ ਉਸਾਰੂ ਕੰਮਾਂ ਵਿਚ ਲਾਉਣ ਦੀ ਬਜਾਏ ਅਜਿਹੀਆਂ ਰਸਮਾਂ ਉੱਪਰ ਰੋਦਾ ਹੈ। ਵਿਆਹਾਂ ਵਿਚ ਮਹਿੰਗੇ ਮੈਰਿਜ ਪੈਲਿਸਾਂ, ਹੋਟਲਾਂ ਤੇ ਨੱਚਣ – ਗਾਉਣ ਵਾਲਿਆਂ ਦੀ ਕੋਈ ਲੋੜ ਨਹੀਂ।

ਵਿਆਹ ਸਮੇਂ ਸ਼ਰਾਬ ਪੀਣ ਦੀ ਕੋਈ ਵੀ ਪ੍ਰਸੰਸਾ ਨਹੀਂ ਕਰ ਸਕਦਾ ਕਿਉਂਕਿ ਸ਼ਰਾਬੀ ਆਪਣੇ ਹੋਸ਼ – ਹਵਾਸ ਗੁਆ ਕੇ ਰੰਗ ਵਿਚ ਭੰਗ ਪਾ ਦਿੰਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਕਰਕੇ ਵਿਆਹ ਹਰ ਤਰ੍ਹਾਂ ਸਾਦੇ ਹੋਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਸ਼ਾਮੀਂ 7 ਵਜੇ ਅਸੀਂ ਵਾਪਸ ਘਰ ਪਹੁੰਚ ਗਏ ਵਹੁਟੀ ਨੂੰ ਕਾਰ ਵਿਚੋਂ ਉਤਾਰ ਕੇ ਘਰ ਲਿਆਂਦਾ ਗਿਆ। ਸੱਸ ਨੇ ਪਾਣੀ ਵਾਰ ਕੇ ਪੀਤਾ।ਵਹੁਟੀ ਤੇ ਲਾੜੇ ਦੇ ਘਰ ਪਹੁੰਚਣ ਮਗਰੋਂ ਸਾਰੇ ਜਾਂਦੀ ਤੇ ਹੋਰ ਪ੍ਰਾਹੁਣੇ ਆਪਣੇ – ਆਪਣੇ ਘਰਾਂ ਨੂੰ ਖਿਸਕਣ ਲੱਗੇ।

40. ਛੱਬੀ ਜਨਵਰੀ
ਜਾਂ
ਸਾਡਾ ਗਣਤੰਤਰਤਾ ਦਿਵਸ

26 ਜਨਵਰੀ ਦਾ ਦਿਨ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਤੇ ਅਜ਼ਾਦੀ ਮਿਲਣ ਤੋਂ ਪਿੱਛੋਂ ਦੇ ਇਤਿਹਾਸ ਵਿਚ ਮਹੱਤਵਪੂਰਨ ਸਥਾਨ ਰੱਖਦਾ ਹੈ। ਜਦੋਂ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦਾ ਅੰਦੋਲਨ ਚਲ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਤਾਂ 31 ਦਸੰਬਰ, 1929 ਈ: ਨੂੰ ਕਾਂਗਰਸ ਪਾਰਟੀ ਨੇ ਲਾਹੌਰ ਵਿਖੇ ਹੋਏ ਆਪਣੇ ਸਾਲਾਨਾ ਸਮਾਗਮ ਵਿਚ ਇਕ ਮਤੇ ਰਾਹੀਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਤੋਂ ਪੂਰਨ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਹਰ ਸਾਲ 26 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦੀ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦਾ ਦਿਨ ਮਨਾਉਣ ਦਾ ਫ਼ੈਸਲਾ ਕੀਤਾ ! ਉਸ ਦਿਨ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਭਾਰਤ ਦੇ ਅਜ਼ਾਦ ਹੋਣ ਤਕ ਇਹ ਦਿਨ ਪੂਰਨ ਅਜ਼ਾਦੀ ਦੀ ਮੰਗ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਰਿਹਾ ਅੰਤ 15 ਅਗਸਤ, 1947 ਈ: ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਅਜ਼ਾਦ ਹੋ ਗਿਆ।

ਫਿਰ ਸੁਤੰਤਰ ਭਾਰਤ ਦਾ ਸੰਵਿਧਾਨ ਬਣਾਉਣ ਦਾ ਕੰਮ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ। 26 ਜਨਵਰੀ, 1950 ਈ: ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦਾ ਸੰਵਿਧਾਨ ਲਾਗੂ ਹੋਇਆ, ਜਿਸ ਰਾਹੀਂ ਭਾਰਤ ਨੂੰ ਸੁਤੰਤਰ ਤੇ ਖ਼ੁਦਮੁਖ਼ਤਾਰ ਗਣਤੰਤਰ ਦਾ ਦਰਜਾ ਦਿੰਦਿਆਂ ਇੱਥੇ ਲੋਕ – ਰਾਜ ਕਾਇਮ ਕਰਨ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਅਤੇ ਭਾਰਤ – ਵਾਸੀਆਂ ਨੂੰ ਬੋਲਣ, ਲਿਖਣ, ਤੁਰਨ – ਫਿਰਨ, ਜਾਇਦਾਦ ਬਣਾਉਣ ਤੇ ਵੋਟਾਂ ਪਾਉਣ ਦੇ ਬੁਨਿਆਦੀ ਅਧਿਕਾਰ ਦਿੱਤੇ ਗਏ ਇਸ ਸੰਵਿਧਾਨ ਅਨੁਸਾਰ ਅੱਜ ਤਕ ਭਾਰਤ ਵਿਚ ਰਾਜ – ਕਾਜ ਚਲਾਇਆ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ।

ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ 26 ਜਨਵਰੀ ਦਾ ਦਿਨ ਭਾਰਤੀ ਲੋਕਾਂ ਲਈ ਬਹੁਤ ਹੀ ਮਹਾਨਤਾ ਭਰਿਆ ਦਿਨ ਹੈ। ਹਰ ਸਾਲ ਸਾਰੇ ਭਾਰਤੀ ਇਸ ਦਿਨ ਨੂੰ ਬੜੇ ਉਤਸ਼ਾਹ ਨਾਲ ਮਨਾਉਂਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਕ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਜੀ ਰੇਡੀਓ ਤੇ ਟੈਲੀਵਿਜ਼ਨ ਤੋਂ ਕੌਮ ਦੇ ਨਾਂ ਆਪਣਾ ਸੁਨੇਹਾ ਪ੍ਰਸਾਰਿਤ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਦਿਨ ਸਵੇਰੇ ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ ਵਿਚ ਰਾਸ਼ਟਰਪਤੀ ਜੀ ਵਿਜੈ ਚੌਂਕ ਵਿਖੇ ਝੰਡਾ ਲਹਿਰਾਉਣ ਮਗਰੋਂ ਤਿੰਨਾਂ ਫ਼ੌਜਾਂ ਦੇ ਯੂਨਿਟਾਂ ਤੋਂ ਸਲਾਮੀ ਲੈਂਦੇ ਹਨ।

ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਫ਼ੌਜੀ ਸ਼ਕਤੀ ਅਤੇ ਵਿਗਿਆਨਿਕ ਤੇ ਸੱਨਅਤੀ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿਚ ਤਰੱਕੀ ਦਾ ਭਾਰੀ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਲੋਕ ਦੂਰੋਂ – ਦੂਰੋਂ ਦਿੱਲੀ ਵਿਚ 26 ਜਨਵਰੀ ਦੀਆਂ ਰੌਣਕਾਂ ਦੇਖ ਆਉਂਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਫ਼ੌਜ, ਪੁਲਿਸ, ਸਕੂਲਾਂ – ਕਾਲਜਾਂ ਦੇ ਮੁੰਡਿਆਂ – ਕੁੜੀਆਂ ਅਤੇ ਸਕਾਊਟਾਂ ਵਲੋਂ ਸਾਰੇ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿਚ ਜਲੂਸ ਕੱਢਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਫ਼ੌਜ ਤੇ ਪੁਲਿਸ ਆਪਣੇ ਨਾਲ ਹਥਿਆਰ ਲੈ ਕੇ ਚਲਦੀ ਹੈ। ਜਲੂਸ ਤੇ ਆਲਾ – ਦੁਆਲਾ ਤਿਰੰਗੇ ਝੰਡਿਆਂ ਨਾਲ ਸਜਿਆ ਹੁੰਦਾ ਹੈ ਹਵਾਈ ਜਹਾਜ਼ ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਵਰਖਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਭਾਰਤ ਦੇ ਕੋਨੇ – ਕੋਨੇ ਵਿਚੋਂ ਲੋਕ – ਨਾਚ ਨੱਚਣ ਵਾਲੀਆਂ ਟੋਲੀਆਂ ਆਉਂਦੀਆਂ ਹਨ ਤੇ ਉਹ ਨੈਸ਼ਨਲ ਸਟੇਡੀਅਮ ਦੇ ਵਿਸ਼ਾਲ ਮੰਚ ਉੱਤੇ ਆਪਣੇ ਨਾਚ ਪੇਸ਼ ਕਰਦੀਆਂ ਹਨ। ਲੱਖਾਂ ਦਰਸ਼ਕ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨਾਚਾਂ ਦਾ ਆਨੰਦ ਮਾਣਦੇ ਹਨ। ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਰਾਜਧਾਨੀ ਵਿਚ ਚਹਿਲ – ਪਹਿਲ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ।

ਇਨ੍ਹਾਂ ਰੌਣਕਾਂ ਵਿਚ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਪ੍ਰਾਹੁਣੇ ਵੀ ਭਾਗ ਲੈਂਦੇ ਹਨ। ਰਾਤ ਨੂੰ ਆਤਸ਼ਬਾਜ਼ੀ ਤੇ ਪਟਾਕਿਆਂ ਨਾਲ ਇਸ ਦਿਨ ਦੀਆਂ ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਵਿਚ ਵਾਧਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

PSEB 6th Class Punjabi ਰਚਨਾ ਲੇਖ-ਰਚਨਾ (1st Language)

ਇਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਹੋਰ ਵੱਡੇ – ਵੱਡੇ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਤੇ ਦੇਸ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਰਾਜਧਾਨੀਆਂ ਵਿਚ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ, ਮੰਤਰੀ ਤੇ ਸਰਕਾਰੀ ਅਫ਼ਸਰ ਝੰਡਾ ਝੁਲਾਉਣ ਦੀ ਰਸਮ ਅਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਜਹਾਜ਼ ਫੁੱਲਾਂ ਦੀ ਵਰਖਾ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਸਮਾਗਮਾਂ ਵਿਚ ਲੋਕ ਬੜੇ ਉਤਸ਼ਾਹ ਨਾਲ ਪੁੱਜਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਵਜ਼ੀਰਾਂ, ਸਰਕਾਰੀ ਅਫ਼ਸਰਾਂ ਤੇ ਹੋਰਨਾਂ ਲੀਡਰਾਂ ਦੇ ਭਾਸ਼ਨ ਵੀ ਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਜੋ ਜਨਤਾ ਨੂੰ ਇਸ ਦਿਨ ਦੀ ਮਹਾਨਤਾ ਤੋਂ ਜਾਣੂ ਕਰਾ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਦੇਸ਼ – ਭਗਤੀ ਤੇ ਲੋਕ – ਰਾਜ ਪ੍ਰਤੀ ਸਤਿਕਾਰ ਦੀ ਭਾਵਨਾ ਪੈਦਾ ਕਰਦੇ ਹਨ। ਇਸ ਦਿਨ ਸ਼ਹਿਰਾਂ ਵਿਚ ਵੱਡੇ ਵੱਡੇ ਜਲੂਸ ਵੀ ਕੱਢੇ ਜਾਂਦੇ ਹਨ।

PSEB 6th Class Punjabi Vyakaran ਅਖਾਣ (1st Language)

Punjab State Board PSEB 6th Class Punjabi Book Solutions Punjabi Grammar Akhana ਅਖਾਣ Exercise Questions and Answers.

PSEB 6th Class Hindi Punjabi Grammar ਅਖਾਣ (1st Language)

1. ਉਹ ਕਿਹੜੀ ਗਲੀ ਜਿੱਥੇ ਭਾਗੋ ਨਹੀਂ ਖਲੀ (ਹਰ ਥਾਂ ਖੜਪੈਂਚ ਬਣਿਆ ਰਹਿਣ ਵਾਲਾ ਆਦਮੀ) – ‘ਉਹ ਕਿਹੜੀ ਗਲੀ ਜਿੱਥੇ ਭਾਗੋ ਨਹੀਂ ਖਲੀ ਦੇ ਕਹਿਣ ਅਨੁਸਾਰ ਰਾਮ ਸਿੰਘ ਪਿੰਡ ਦੇ ਹਰ ਮਸਲੇ ਵਿਚ ਪ੍ਰਧਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ – ਭਾਵੇਂ ਕੋਈ ਧਾਰਮਿਕ ਦੀਵਾਨ ਹੋਵੇ, ਭਾਵੇਂ ਕੋਈ ਪੰਚਾਇਤ ਦਾ ਮਸਲਾ, ਭਾਵੇਂ ਕਿਸੇ ਦਾ ਘਰੇਲੂ ਝਗੜਾ ਹੋਵੇ, ਭਾਵੇਂ ਵੋਟਾਂ ਮੰਗਣ ਵਾਲਿਆਂ ਨਾਲ ਘੁੰਮਣਾ ਹੋਵੇ, ਤੁਸੀਂ ਉਸ ਨੂੰ ਹਰ ਥਾਂ ਚੌਧਰੀ ਬਣਿਆ ਦੇਖ ਸਕਦੇ ਹੋ।

2. ਉਹ ਦਿਨ ਡੁੱਬਾ, ਜਦ ਘੋੜੀ ਚੜ੍ਹਿਆ ਕੁੱਬਾ (ਜਿਹੜਾ ਬੰਦਾ ਆਪਣੇ ਜੋਗਾ ਹੀ ਨਹੀਂ, ਉਸ ਨੇ ਹੋਰ ਕਿਸੇ ਦਾ ਕੰਮ ਕੀ ਸੰਵਾਰਨਾ) – ਜਦੋਂ ਕੁਲਜੀਤ ਨੇ ਮੈਨੂੰ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਪਿੰਡ ਦੇ ਸਰਪੰਚ ਨੇ ਕਿਹਾ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਉਸ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਐਂਡ ਸਿੰਧ ਬੈਂਕ ਵਿਚ ਨੌਕਰੀ ‘ਤੇ ਲੁਆ ਦੇਵੇਗਾ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਹੱਸ ਕੇ ਕਿਹਾ, “ਉਹ ਦਿਨ ਭੁੱਬਾ, ਜਦ ਘੋੜੀ ਚੜਿਆ ਕੁੱਬਾ। ਜੇਕਰ ਉਸ ਦੀ ਇੰਨੀ ਚਲਦੀ ਹੋਵੇ, ਤਾਂ ਉਸ ਦਾ ਆਪਣਾ ਪੁੱਤਰ ਬੀ. ਏ. ਪਾਸ ਕਰ ਕੇ ਕਿਉਂ ਵਿਹਲਾ ਫਿਰੇ ? ਉਹ ਬੱਸ ਗੱਲਾਂ ਕਰਨ ਜੋਗਾ ਹੀ ਹੈ, ਕਰਨ ਜੋਗਾ ਕੁੱਝ ਨਹੀਂ।

3. ਉਲਟੀ ਵਾੜ ਖੇਤ ਨੂੰ ਖਾਏ ਰਖਵਾਲੇ ਦਾ ਹੀ ਚੀਜ਼ ਨੂੰ ਨੁਕਸਾਨ ਪੁਚਾਉਣਾ) – ਗੁਰੁ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦੇ ਸਮੇਂ ਰਾਜੇ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਅਹਿਲਕਾਰ ਪਰਜਾ ਨੂੰ ਲੁੱਟ ਰਹੇ ਸਨ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਉੱਤੇ ਜ਼ੁਲਮ ਢਾਹ ਰਹੇ ਸਨ। ਇਹ ਗੱਲ ਤਾਂ ‘ਉਲਟੀ ਵਾੜ ਖੇਤ ਨੂੰ ਖਾਏਂ ਵਾਲੀ ਸੀ !

PSEB 6th Class Punjabi Vyakaran ਅਖਾਣ (1st Language)

4. ਅਕਲ ਦਾ ਅੰਨਾ ਤੇ ਗੰਢ ਦਾ ਪੂਰਾ (ਜਿਹੜਾ ਬੰਦਾ ਹੋਵੇ ਮੂਰਖ ਪਰ ਉਸ ਕੋਲ ਧਨ ਬਹੁਤਾ ਹੋਵੇ – ਸੁਦੇਸ਼ ਚਾਹੁੰਦੀ ਹੈ ਕਿ ਉਸ ਦਾ ਅਜਿਹੇ ਮੁੰਡੇ ਨਾਲ ਵਿਆਹ ਹੋਵੇ, ਜੋ “ਅਕਲ ਦਾ ਅੰਨਾ ਤੇ ਗੰਢ ਦਾ ਪੂਰਾ ਹੋਵੇ, ਤਾਂ ਜੋ ਉਹ ਉਸ ਦੇ ਪੈਸੇ ਉੱਤੇ ਐਸ਼ ਕਰੇ ਪਰ ਉਸ ਦੀ ਰੋਕ – ਟੋਕ ਕੋਈ ਨਾ ਹੋਵੇ !

5. ਇਕ ਇਕ ਤੇ ਦੋ ਗਿਆਰਾਂ ਏਕਤਾ ਨਾਲ ਤਾਕਤ ਵਧ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਪਹਿਲਾਂ ਮੈਂ ਜਦੋਂ ਇਕੱਲਾ ਸਾਂ, ਤਾਂ ਇਸ ਓਪਰੀ ਥਾਂ ਵਿਚ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਡਰਦਾ ਹੀ ਰਹਿੰਦਾ ਸੀ, ਪਰ ਜਦੋਂ ਤੋਂ ਮੇਰਾ ਮਿੱਤਰ ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਆ ਕੇ ਰਹਿਣ ਲੱਗਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਬੇਖੌਫ਼ ਹੋ ਗਿਆ ਹਾਂ। ਸੱਚ ਕਿਹਾ ਹੈ, “ਇਕ ਇਕ ਤੇ ਦੋ ਗਿਆਰਾਂ।

6. ਇਕ ਅਨਾਰ ਸੌ ਬਿਮਾਰ (ਚੀਜ਼ ਥੋੜ੍ਹੀ ਹੋਣੀ, ਪਰ ਲੋੜਵੰਦ ਬਹੁਤੇ ਹੋਣ) – ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਇਕ ਕੋਟ ਫ਼ਾਲਤੂ ਸੀ। ਮੇਰਾ ਛੋਟਾ ਭਰਾ ਕਹਿ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਮੈਨੂੰ ਦੇ ਦਿਓ ਤੇ ਵੱਡਾ ਕਹਿ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਮੈਨੂੰ ਦੇ ਦਿਓ। ਇਕ ਦਿਨ ਮੇਰੇ ਨੌਕਰ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਇਹ ਕੋਟ ਮੈਨੂੰ ਦੇ ਦਿਓ। ਮੈਂ ਠੰਢ ਨਾਲ ਮਰ ਰਿਹਾ ਹਾਂ।’ ਮੈਂ ਕਿਹਾ, ““ਇਹ ਤਾਂ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ, ਅਖੇ ‘ਇਕ ਅਨਾਰ ਸੌ ਬਿਮਾਰ।

7. ਈਦ ਪਿੱਛੋਂ ਤੰਬਾ ਫੂਕਣਾ (ਲੋੜ ਦਾ ਸਮਾਂ ਲੰਘ ਜਾਣ ਮਗਰੋਂ ਮਿਲੀ ਚੀਜ਼ ਦਾ ਕੋਈ ਫ਼ਾਇਦਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ) – ਜਦੋਂ ਆਪਣੀ ਧੀ ਦੇ ਵਿਆਹ ਉੱਤੇ ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਇਕ ਮਿੱਤਰ ਤੋਂ 50,000 ਰੁਪਏ ਉਧਾਰ ਮੰਗੇ, ਤਾਂ ਉਸਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਇਕ ਮਹੀਨੇ ਤਕ ਦੇਵੇਗਾ। ਮੈਂ ਉਸਨੂੰ ਕਿਹਾ, “ਵਿਆਹ ਤਾਂ ਦਸਾਂ ਦਿਨਾਂ ਨੂੰ ਹੈ। ਮੈਂ ‘ਈਦ ਪਿੱਛੋਂ ਤੰਬਾ ਫੂਕਣਾ ?” ਜੇਕਰ ਤੂੰ ਦੇ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਹੁਣੇ ਦੇਹ, ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਜਵਾਬ ਦੇ ਦੇਹ !”

8. ਸੱਦੀ ਨਾ ਬੁਲਾਈ, ਮੈਂ ਲਾੜੇ ਦੀ ਤਾਈ (ਬਦੋਬਦੀ ਕਿਸੇ ਦੇ ਕੰਮ ਵਿਚ ਦਖ਼ਲ ਦੇਣਾ ਜਦੋਂ ਮੈਂ ਉਸ ਨੂੰ ਖਾਹ – ਮਖ਼ਾਹ ਆਪਣੇ ਕੰਮ ਵਿਚ ਦਖ਼ਲ ਦਿੰਦਿਆਂ ਦੇਖਿਆ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਉਸ ਨੂੰ ਗੁੱਸੇ ਵਿਚ ਕਿਹਾ, ‘ਭਾਈ ਤੂੰ ਇੱਥੋਂ ਜਾਹ, ਤੂੰ ਐਵੇਂ ਸਾਡੇ ਕੰਮ ਵਿਚ ਰੁਕਾਵਟ ਪਾ ਰਿਹਾ ਹੈਂ ? ਅਖੇ ‘ਸੱਦੀ ਨਾ ਬੁਲਾਈ, ਮੈਂ ਲਾੜੇ ਦੀ ਤਾਈ।

9. ਗ਼ਰੀਬਾਂ ਰੱਖੇ ਰੋਜ਼ੇ ਦਿਨ ਵੱਡੇ ਆਏ ਜਦੋਂ ਕਿਸੇ ਗਰੀਬ ਦੇ ਕੰਮ ਵਿਚ ਵਾਰ ਵਾਰ ਵਿਘਨ ਪਵੇ, ਤਾਂ ਇਹ ਅਖਾਣ ਵਰਤਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ) – ਜਦੋਂ ਬੰਤਾ ਇਧਰੋਂ – ਉਧਰੋਂ ਪੈਸੇ ਇਕੱਠੇ ਕਰ ਕੇ ਮਕਾਨ ਬਣਾਉਣ ਲੱਗਾ, ਤਾਂ ਪਹਿਲਾਂ ਇੱਟਾਂ ਮਹਿੰਗੀਆਂ ਹੋ ਗਈਆਂ ਤੇ ਫਿਰ ਸੀਮਿੰਟ, ਫਿਰ ਸਰੀਏ ਨੂੰ ਅੱਗ ਲੱਗ ਗਈ। ਵਿਚਾਰਾ ਔਖਾ ਸੌਖਾ ਇਹ ਖ਼ਰਚ ਪੂਰੇ ਕਰ ਹੀ ਰਿਹਾ ਸੀ ਕਿ ਉਸਦੀ ਪਤਨੀ ਬਿਮਾਰ ਹੋ ਕੇ ਹਸਪਤਾਲ ਜਾ ਪਹੁੰਚੀ ! ਖ਼ਰਚੇ ਤੋਂ ਦੁਖੀ ਹੋਇਆ ਬੰਤਾ ਕਹਿਣ ਲੱਗਾ, ਗ਼ਰੀਬਾਂ ਰੱਖੇ ਰੋਜ਼ੇ, ਦਿਨ ਵੱਡੇ ਆਏ।

10. ਗਾਂ ਨਾ ਵੱਛੀ ਤੇ ਨੀਂਦਰ ਆਵੇ ਅੱਛੀ (ਜਿਸ ਦੇ ਸਿਰ ‘ਤੇ ਕੋਈ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਨਾ ਹੋਵੇ, ਉਹ ਸੁਖੀ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ) – ਯਾਰ, ਜੁਗਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਵਲ ਦੇਖ। ਵਿਚਾਰਾ 5 ਧੀਆਂ ਦੇ ਵਿਆਹ ਕਰਦਾ ਕਰਦਾ ਅੰਤਾਂ ਦਾ ਕਰਜ਼ਾਈ ਹੋ ਗਿਆ, ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਉਸ ਦੀ ਜ਼ਮੀਨ ਵੀ ਵਿਕ ਗਈ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਲਹਿਣੇਦਾਰ ਉਸਨੂੰ ਤੋੜ – ਤੋੜ ਖਾਣ ਲੱਗੇ ਅੱਜ ਉਹ ਬੇਹੱਦ ਪਰੇਸ਼ਾਨ ਤੇ ਦੁਖੀ ਹੈ, ਪਰ ਆਪਾਂ ਵਲ ਦੇਖ ਅਸੀਂ ਵਿਆਹ ਹੀ ਨਹੀਂ ਕਰਾਇਆ, ਨਾ ਘਰ, ਨਾ ਪਤਨੀ ਤੇ ਨਾ ਬੱਚੇ ਆਪਾਂ ਨੂੰ ਕੋਈ ਫ਼ਿਕਰ ਨਹੀਂ। ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, “ਗਾਂ ਨਾ ਵੱਛੀ, ਨੀਂਦਰ ਆਵੇ ਅੱਛੀ ਸਿਰਾਣੇ ਬਾਂਹ ਦੇ ਕੇ ਬੇਫ਼ਿਕਰ ਹੋ ਕੇ ਸੌਂਵੀਂਦਾ ਹੈ।

PSEB 6th Class Punjabi Vyakaran ਅਖਾਣ (1st Language)

11. ਡਿਗੀ ਖੋਤੇ ਤੋਂ ਗੁੱਸਾ ਘੁਮਿਆਰ ‘ਤੇ ਕਿਸੇ ਦਾ ਗੁੱਸਾ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ’ਤੇ ਕੱਢਣਾ – ਜਦੋਂ ਉਹ ਅਫ਼ਸਰ ਤੋਂ ਗਾਲਾਂ ਖਾ ਕੇ ਮੇਰੇ ਨਾਲ ਅਕਾਰਨ ਹੀ ਲੜਨ ਲੱਗ ਪਿਆ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਕਿਹਾ, ‘‘ਚੁੱਪ ਕਰ ਉਏ, ਡਿਗੀ ਖੋਤੇ ਤੋਂ ਗੁੱਸਾ ਘੁਮਿਆਰ ‘ਤੇ, ਜੇ ਬਹੁਤਾ ਬੋਲਿਆ, ਤਾਂ ਮੇਰੇ ਕੋਲੋਂ ਵੀ ਖਾ ਲਵੇਂਗਾ

12.ਦਾਲ ਵਿਚ ਕੁੱਝ ਕਾਲਾ ਹੋਣਾ (ਮਾਮਲੇ ਵਿਚ ਕੁੱਝ ਹੇਰਾ – ਫੇਰੀ ਹੋਣ ਦਾ ਸ਼ੱਕ ਹੋਣਾ) – ਜਦੋਂ ਸੰਤਾ ਸਿੰਘ ਆਪਣੇ ਘਰ ਚੋਰੀ ਹੋਣ ਦੀ ਖ਼ਬਰ ਦੇਣ ਥਾਣੇ ਗਿਆ ਤੇ ਨਾਲ ਹੀ ਇਸ ਵਿਚ ਗੁਆਂਢੀ ਦਾ ਹੱਥ ਹੋਣ ਬਾਰੇ ਦੱਸਣ ਲੱਗਾ, ਤਾਂ ਉਸ ਦੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਤੋਂ ਪੁਲਿਸ ਨੂੰ ‘ਦਾਲ ਵਿਚ ਕਾਲਾ ਹੋਣ ਦਾ ਸ਼ੱਕ ਪਿਆ ਪੁਲਿਸ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਹੀ ਥਾਣੇ ਬਿਠਾ ਕੇ ਜ਼ਰਾ ਸਖ਼ਤੀ ਨਾਲ ਪੁੱਛ ਗਿੱਛ ਕੀਤੀ, ਤਾਂ ਪਤਾ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਹ ਗੁਆਂਢੀ ਨੂੰ ਕਿਸੇ ਲਾਗਤਬਾਜ਼ੀ ਕਾਰਨ ਚੋਰੀ ਦੇ ਦੋਸ਼ ਵਿਚ ਝੂਠਾ ਫ਼ਸਾਉਣ ਲਈ ਰਿਪੋਰਟ ਲਿਖਾਉਣ ਗਿਆ ਸੀ।

13. ਘਰ ਦਾ ਭੇਤੀ ਲੰਕਾ ਢਾਵੇ (ਭੇਤੀ ਆਦਮੀ ਹਾਨੀਕਾਰਕ ਹੁੰਦਾ ਹੈ) – ਆਪਣੇ ਭਾਈਵਾਲ ਨਾਲ ਝਗੜਾ ਹੋਣ ਮਗਰੋਂ ਜਦੋਂ ਸਮਗਲਰ ਰਾਮੇ ਦੇ ਪਾਸੋਂ ਅਗਲੇ ਦਿਨ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਮਾਲ ਫੜਿਆ ਗਿਆ, ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਘਰ ਦਾ ਭੇਤੀ ਲੰਕਾ ਢਾਵੇ। ਇਹ ਸਾਰਾ ਕਾਰਾ ਮੇਰੇ ਭਾਈਵਾਲ ਦਾ ਹੈ, ਕਿਉਂਕਿ ਉਸ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਇਸ ਦਾ ਭੇਤ ਕਿਸੇ ਨੂੰ ਪਤਾ ਨਹੀਂ ’

14, ਘਰ ਦੀ ਮੁਰਗੀ ਦਾਲ ਬਰਾਬਰ ਘਰ ਦੀ ਬਣਾਈ ਮਹਿੰਗੀ ਚੀਜ਼ ਵੀ ਸਸਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ) – ਮਹਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਆਪਣੀ ਪਤਨੀ ਨੂੰ ਕਿਹਾ ਕਿ ਆਪਣੀ ਕੁੜੀ ਦੇ ਵਿਆਹ ਲਈ ਸਾਨੂੰ ਮਹਿੰਗੇ ਭਾਅ ਦਾ ਸੋਨਾ ਖ਼ਰੀਦਣ ਲਈ ਬਜ਼ਾਰ ਜਾਣ ਦੀ ਕੀ ਜ਼ਰੂਰਤ ਹੈ, ਸਗੋਂ ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਗਹਿਣਿਆਂ ਨਾਲ ਹੀ ਕੰਮ ਸਾਰ ਲੈ। ਅਖੇ, “ਘਰ ਦੀ ਮੁਰਗੀ ਦਾਲ

15. ਉੱਦਮ ਅੱਗੇ ਲੱਛਮੀ ਪੱਖੇ ਅੱਗੇ ਪੌਣ (ਜਦੋਂ ਇਹ ਦੱਸਣਾ ਹੋਵੇ ਕਿ ਉੱਦਮ ਤੇ ਮਿਹਨਤ ਕੀਤਿਆਂ ਧਨ ਤੇ ਸਫਲਤਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਉਦੋਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ) – ਭਾਈ ਜੇਕਰ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿਚ ਸਫਲ ਹੋਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹੋ ਤੇ ਧਨ ਵੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹੋ, ਤਾਂ ਰਾਤ ਦਿਨ ਮਿਹਨਤ ਕਰੋ। ਸਿਆਣੇ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, “ਉੱਦਮ ਅੱਗੇ ਲੱਛਮੀ ਪੱਖੇ ਅੱਗੇ ਪੌਣ।

16. ਅਸਮਾਨ ਤੋਂ ਡਿਗੀ ਖਜੂਰ ’ਤੇ ਅਟਕੀ ਇਕ ਮੁਸੀਬਤ ਤੋਂ ਛੁਟਕਾਰਾ ਪਾਉਂਦਾ ਹੋਇਆ ਜਦੋਂ ਕੋਈ ਵਿਅਕਤੀ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਮੁਸੀਬਤ ਵਿਚ ਫਸ ਜਾਏ, ਉਦੋਂ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਅਮਰੀਕ ਮਾਤਾ – ਪਿਤਾ ਦੇ ਵਿਰੋਧ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਬੀ. ਏ. ਦੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਨੂੰ ਛੱਡ ਬੈਠਾ ! ਫਿਰ ਉਹ ਏਜੰਟਾਂ ਦੇ ਚੱਕਰ ਵਿਚ ਫਸ ਕੇ ਬਾਹਰ ਜਾਣ ਦੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਕਰਨ ਲੱਗਾ।ਦੋ – ਤਿੰਨ ਵਾਰੀ ਉਹ ਏਜੰਟਾਂ ਨਾਲ ਮੁੰਬਈ ਤਕ ਜਾ ਕੇ ਮੁੜ ਆਇਆ ਹੈ ਪਰ ਵਿਦੇਸ਼ ਨਹੀਂ ਜਾ ਸਕਿਆ। ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਉਹ ਅਜੇ ਤਕ ਕਿਸੇ ਸਿਰੇ ਨਹੀਂ ਲੱਗਾ, ਸਗੋਂ ਉਸ ਦੀ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ, “ਅਸਮਾਨ ਤੋਂ ਡਿਗੀ ਖ਼ਜੂਰ ‘ਤੇ ਅਟਕੀ। ਪੜ੍ਹਾਈ ਕਰਦਾ ਰਹਿੰਦਾ, ਤਾਂ ਉਹ ਅੱਜ ਤਕ ਬੀ. ਏ. ਪਾਸ ਕਰ ਜਾਂਦਾ।

17. ਗਿੱਦੜ ਦਾਖ ਨਾ ਅੱਪੜੇ ਆਖੇ ਬੂਹ ਕੌੜੀ ਕੰਮ ਕਰਨ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ ਆਪਣੇ ਵਿਚ ਨਾਂ ਹੋਣੀ, ਪਰ ਦੋਸ਼ ਦੂਜਿਆਂ ਸਿਰ ਦੇਣਾ) – ਗੁਰਮੀਤ ਨੂੰ ਘਰੋਂ ਖ਼ਰਚਣ ਲਈ ਇਕ ਪੈਸਾ ਵੀ ਨਹੀਂ ਮਿਲਦਾ, ਪਰੰਤੂ ਉਹ ਫ਼ਿਲਮਾਂ ਦੇਖਣ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਕਰਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਜੇਕਰ ਉਸ ਕੋਲ ਪੈਸੇ ਹੋਣ, ਤਾਂ ਉਹ ਟਿਕਟ ਖ਼ਰੀਦੇ ਅਤੇ ਫ਼ਿਲਮ ਦੇਖੇ। ਉਸ ਦੀ ਤਾਂ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ, “ਅਖੇ, “ਗਿੱਦੜ ਦਾਖ ਨਾ ਅੱਪੜੇ, ਆਖੇ ਧੂਹ ਕੌੜੀ।

PSEB 6th Class Punjabi Vyakaran ਅਖਾਣ (1st Language)

18. ਕੁੱਛੜ ਕੁੜੀ, ਸ਼ਹਿਰ ਢੰਡੋਰਾ (ਕਿਸੇ ਬੌਦਲੇ ਹੋਏ ਦਾ ਆਪਣੇ ਕੋਲ ਜਾਂ ਘਰ ਵਿਚ ਪਈ ਚੀਜ਼ ਨੂੰ ਏਧਰ – ਓਧਰ ਲੱਭਣਾ – ਉਹ ਇਕ ਘੰਟੇ ਤੋਂ ਆਪਣਾ ਪੈਂਨ ਲੱਭ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਪਰ ਜਦੋਂ ਮੈਂ ਉਸ ਦੀ ਭਾਲ ਤੋਂ ਤੰਗ ਆ ਕੇ ਉਸ ਵਲ ਧਿਆਨ ਮਾਰਿਆ, ਤਾਂ ਮੈਨੂੰ ਪੈਂਨ ਉਸ ਦੀ ਜੇਬ ਨਾਲ ਹੀ ਦਿਸ ਪਿਆ। ਮੈਂ ਕਿਹਾ, ਤੇਰੀ ਤਾਂ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ, ਅਖੇ, “ਕੁੱਛੜ ਕੁੜੀ, ਸ਼ਹਿਰ ਢੰਡੋਰਾ।

19. ਚੋਰ ਚੋਰੀ ਤੋਂ ਜਾਏ, ਹੇਰਾ – ਫੇਰੀ ਤੋਂ ਨਾ ਜਾਏ (ਭੈੜਾ ਆਦਮੀ ਆਪਣੀ ਆਦਤ ਨਹੀਂ ਛੱਡ ਸਕਦਾ – ਇਹ ਠੱਗ ਭਾਵੇਂ ਅੱਜ – ਕਲ੍ਹ ਬੜਾ ਭਲਾਮਾਣਸ ਬਣਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ, ਪਰ ਇਸ ਦਾ ਵਿਸਾਹ ਨਾ ਕਰਿਓ। ਅਖੇ, “ਚੋਰ ਚੋਰੀ ਤੋਂ ਜਾਏ, ਹੇਰਾ – ਫੇਰੀ ਤੋਂ ਨਾ ਜਾਏ।

20. ਜਿੱਥੇ ਚਾਹ ਉੱਥੇ ਚਾਹ (ਕਿਸੇ ਚੀਜ਼ ਦੀ ਇੱਛਾ ਹੋਵੇ, ਤਾਂ ਉਸਦੀ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਲਈ ਰਾਹ ਲੱਭ ਹੀ ਪੈਂਦਾ ਹੈ) – ਜੇਕਰ ਤੁਸੀਂ ਇਸ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਕੰਮ ਨੂੰ ਨੇਪਰੇ ਚਾੜ੍ਹਨਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹੋ, ਤਾਂ ਲੱਕ ਬੰਨ੍ਹ ਕੇ ਇਸ ਨੂੰ ਕਰਨ ਵਿਚ ਜੁੱਟ ਜਾਵੋ। ਫਿਰ ਜਿਹੜੀਆਂ ਮੁਸ਼ਕਿਲਾਂ ਤੁਹਾਡੇ ਰਸਤੇ ਵਿਚ ਆਉਣਗੀਆਂ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਹੱਲ ਕਰਨ ਦਾ ਵੀ ਕੋਈ ਨਾ ਕੋਈ ਰਾਹ ਨਿਕਲ ਆਵੇਗਾ। ਸਿਆਣਿਆਂ ਕਿਹਾ ਹੈ, “ਜਿੱਥੇ ਚਾਹ ਉੱਥੇ ਰਾਹ।

21. ਨੌਂ ਸੌ ਚੂਹੇ ਖਾ ਕੇ ਬਿੱਲੀ ਹੱਜ ਨੂੰ ਚੱਲੀ (ਰੱਜਵੇਂ ਗੁਨਾਹ ਕਰਨ ਮਗਰੋਂ ਆਖ਼ਰੀ ਉਮਰ ਵਿਚ ਧਰਮਾਤਮਾ ਬਣਨਾ) – ਸਾਰੀ ਉਮਰ ਲੋਕਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਝੂਠੀਆਂ ਗਵਾਹੀਆਂ ਦੇ ਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮੁਕੱਦਮਿਆਂ ਵਿਚ ਫਸਾਉਣ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਧੀਆਂ ਦੇ ਉਧਾਲੇ ਕਰਾਉਣ ਵਾਲੇ ਜੀਉਣ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਜਦੋਂ ਮੈਂ ਬੁਢਾਪੇ ਵਿਚ ਧਰਮ – ਕਰਮ ਦੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਕਰਦਿਆਂ ਸੁਣਿਆ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਕਿਹਾ, ਇਸਦੀ ਤਾਂ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ ਕਿ “ਨੌ ਸੌ ਚੂਹੇ ਖਾ ਕੇ ਬਿੱਲੀ ਹੱਜ ਨੂੰ ਚੱਲੀ।

22. ਬੁੱਢੀ ਘੋੜੀ ਲਾਲ ਲਗਾਮ (ਬੁਢੇਪੇ ਵਿਚ ਵੀ ਸ਼ੁਕੀਨੀ ਕਰਨੀ) – ਜਦੋਂ ਇੰਗਲੈਂਡ ਤੋਂ ਆਏ ਪੋਤੇ ਨੇ ਆਪਣੀ ਬੁੱਢੀ ਦਾਦੀ ਨੂੰ ਚਮਕੀਲੇ ਤਿੱਲੇ ਦੀ ਕਢਾਈ ਵਾਲਾ ਇਕ ਸੂਟ ਦਿੱਤਾ, ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਕਿਹਾ, ਪੁੱਤਰ, ਹੁਣ ਮੈਨੂੰ ਇਹ ਸੂਟ ਪਾਇਆ ਚੰਗਾ ਨਹੀਂ ਲੱਗੇਗਾ ਜੇਕਰ ਮੈਂ ਇਹ ਸੂਟ ਪਾਵਾਂਗੀ, ਤਾਂ ਇਹ ਉਹ ਗੱਲ ਹੋਵੇਗੀ, ਅਖੇ, ਬੁੱਢੀ ਘੋੜੀ ਲਾਲ ਲਗਾਮ।

23. ਬਗ਼ਲ ਵਿਚ ਛੁਰੀ, ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਰਾਮ ਰਾਮ (ਬਾਹਰੋਂ ਭਲਾ ਅਤੇ ਅੰਦਰੋਂ ਕਪਟੀ ਹੋਣਾ – ਦੇਸੀ ਘਿਓ ਵੇਚਣ ਵਾਲਾ ਰਾਮ ਸਿੰਘ ਹੱਥ ਵਿਚ ਹਰ ਵੇਲੇ ਮਾਲਾ ਰੱਖਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਘਿਓ ਵਿਚ ਗਰੀਸ ਅਤੇ ਸੁਰਾਂ ਦੀ ਚਰਬੀ ਮਿਲਾ ਕੇ ਵੇਚਦਾ ਹੈ। ਉਸ ਦੀ ਤਾਂ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ, “ਬਗ਼ਲ ਵਿਚ ਛੁਰੀ, ਮੂੰਹ ਵਿਚ ਰਾਮ ਰਾਮ।

24. ਲਿਖੇ ਮੂਸਾ ਪੜੇ ਖੁਦਾ (ਲਿਖਾਈ ਦਾ ਸਾਫ਼ ਤੇ ਪੜ੍ਹਨ ਯੋਗ ਨਾ ਹੋਣਾ – ਜਦੋਂ ਉਸ ਦੀ ਲਿਖੀ ਚਿੱਠੀ ਉਸਦੀ ਲਿਖਤ ਠੀਕ ਨਾ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਮੈਥੋਂ ਪੜੀ ਨਾ ਗਈ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਕਿਹਾ, ਲਿਖੇ ਮੂਸਾ ਪੜੇ ਖ਼ੁਦਾ।

PSEB 6th Class Punjabi Vyakaran ਅਖਾਣ (1st Language)

25. ਲਾਗੀਆਂ ਤਾਂ ਲਾਗ ਲੈਣਾ, ਭਾਵੇਂ ਜਾਂਦੀ ਰੰਡੀ ਹੋ ਜਾਵੇ (ਮਿਹਨਤੀ ਨੇ ਤਾਂ ਮਿਹਨਤ ਦੇ ਪੈਸੇ ਲੈਣੇ ਹਨ, ਤਿਆਰ ਹੋਈ ਚੀਜ਼ ਭਾਵੇਂ ਕਿਸੇ ਦੇ ਕੰਮ ਆਵੇ ਜਾਂ ਨਾ – ਸੁਰਜੀਤ ਨੇ ਕਿਸ਼ਤਾਂ ਉੱਪਰ ਸਾਈਕਲ ਲਿਆ ਅਜੇ ਉਸ ਨੇ ਦੋ ਕਿਸ਼ਤਾਂ ਹੀ ਤਾਰੀਆਂ ਸਨ ਕਿ ਉਸ ਦਾ ਸਾਈਕਲ ਚੋਰੀ ਹੋ ਗਿਆ। ਜਦੋਂ ਉਸ ਨੇ ਕਿਸ਼ਤ ਲੈਣ ਆਏ ਦੁਕਾਨਦਾਰ ਨੂੰ ਅਗਲੀਆਂ ਕਿਸ਼ਤਾਂ ਦੇਣ ਤੋਂ ਨਾਂਹ – ਨੁੱਕਰ ਕੀਤੀ, ਤਾਂ ਦੁਕਾਨਦਾਰ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਲਾਗੀਆਂ ਤਾਂ ਲਾਗ ਲੈਣਾ, ਭਾਵੇਂ ਜਾਂਦੀ ਰੰਡੀ ਹੋ ਜਾਵੇ।

26. ਵੇਲੇ ਦੀ ਨਮਾਜ਼ ਤੇ ਕੁਵੇਲੇ ਦੀਆਂ ਟੱਕਰਾਂ (ਯੋਗ ਸਮਾਂ ਬੀਤਣ ਮਗਰੋਂ ਕੰਮ ਠੀਕ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ) – ਤੁਹਾਨੂੰ ਆਪਣਾ ਹਰ ਕੰਮ ਵੇਲੇ ਸਿਰ ਕਰ ਲੈਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ, ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਮਗਰੋਂ ਉਸ ਵਿਚ ਰੁਕਾਵਟਾਂ ਪੈ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ। ਤੁਹਾਨੂੰ ਹਮੇਸ਼ਾ ਯਾਦ ਰੱਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ ਕਿ “ਵੇਲੇ ਦੀ ਨਮਾਜ਼ ਤੇ ਕੁਵੇਲੇ ਦੀਆਂ ਟੱਕਰਾਂ।

27. ਵਿਹਲੀ ਜੱਟੀ ਉੱਨ ਵੇਲੇ (ਵਿਹਲੇ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਅਜਿਹਾ ਕੰਮ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨਾ, ਜਿਸ ਤੋਂ ਕੋਈ ਲਾਭ ਨਾ ਹੋਵੇ) – ਜਦੋਂ ਮੈਂ ਘਰ ਵਿਚ ਬੁੱਢੀ ਸੱਸ ਨੂੰ ਨੂੰਹ ਨਾਲ ਲੜਾਈ ਕਰਨ ਲਈ ਹਰ ਵੇਲੇ ਕੋਈ ਨਾ ਕੋਈ ਬਹਾਨਾ ਲੱਭਦੀ ਦੇਖਿਆ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਇਸ ਦੀ ਤਾਂ ਉਹ ਗੱਲ ਹੈ, “ਵਿਹਲੀ ਜੱਟੀ ਉੱਨ ਵੇਲੇ।

PSEB 6th Class Punjabi Vyakaran ਮੁਹਾਵਰੇ ਤੇ ਵਾਕ-ਅੰਸ਼ (1st Language)

Punjab State Board PSEB 6th Class Punjabi Book Solutions Punjabi Grammar Muhavare te Vikas ਮੁਹਾਵਰੇ ਤੇ ਵਾਕ-ਅੰਸ਼ Exercise Questions and Answers.

PSEB 6th Class Hindi Punjabi Grammar ਮੁਹਾਵਰੇ ਤੇ ਵਾਕ-ਅੰਸ਼ (1st Language)

1. ਉਂਗਲਾਂ ਤੇ ਨਚਾਉਣਾ ਵੱਸ ਵਿਚ ਕਰਨਾ) – ਗੀਤਾ ਇੰਨੀ ਚੁਸਤ – ਚਲਾਕ ਹੈ ਕਿ ਆਪਣੀ ` ਨੂੰ ਉਂਗਲਾਂ ਤੇ ਨਚਾਉਂਦੀ ਹੈ।
2. ਉਸਤਾਦੀ ਕਰਨੀ (ਚਲਾਕੀ ਕਰਨੀ) – ਮਹਿੰਦਰ ਬਹੁਤ ਚਲਾਕ ਮੁੰਡਾ ਹੈ। ਉਹ ਹਰ ਇਕ ਨਾਲ ਉਸਤਾਦੀ ਕਰ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।
3. ਉੱਲੂ ਸਿੱਧਾ ਕਰਨਾ ਆਪਣਾ ਸੁਆਰਥ ਪੂਰਾ ਕਰਨਾ) – ਅੱਜ – ਕਲ੍ਹ ਆਪੋ – ਧਾਪੀ ਦੇ ਜ਼ਮਾਨੇ ਵਿਚ ਹਰ ਕੋਈ ਆਪਣਾ ਹੀ ਉੱਲੂ ਸਿੱਧਾ ਕਰਦਾ ਹੈ।
4. ਉੱਨੀ ਇੱਕੀ ਦਾ ਫ਼ਰਕ ਬਹੁਤ ਥੋੜ੍ਹਾ ਜਿਹਾ ਫ਼ਰਕ) – ਦੋਹਾਂ ਭਰਾਵਾਂ ਦੀ ਸ਼ਕਲ ਵਿਚ ਉੱਨੀ ਇੱਕੀ ਦਾ ਹੀ ਫ਼ਰਕ ਹੈ। ਉਂਵ ਦੋਵੇਂ ਇੱਕੋ ਜਿਹੇ ਲਗਦੇ ਹਨ।
5. ਉੱਲੂ ਬੋਲਣੇ (ਸੰਨ – ਮਸਾਣ ਛਾ ਜਾਣੀ – ਜਦੋਂ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਬਣਿਆ, ਤਾਂ ਉਜਾੜ ਪੈਣ ਨਾਲ ਕਈ ਪਿੰਡਾਂ ਵਿਚ ਉੱਲੂ ਬੋਲਣ ਲੱਗ ਪਏ।
6. ਉੱਚਾ ਨੀਵਾਂ ਬੋਲਣਾ ਨਿਰਾਦਰ ਕਰਨਾ) – ਤੁਹਾਨੂੰ ਆਪਣੇ ਮਾਪਿਆਂ ਸਾਹਮਣੇ ਉੱਚਾ ਨੀਵਾਂ ਨਹੀਂ ਬੋਲਣਾ ਚਾਹੀਦਾ।
7. ਉੱਸਲਵੱਟੇ ਭੰਨਣੇ ਪਾਸੇ ਮਾਰਨਾ) – ਅੱਜ ਸਾਰੀ ਰਾਤ ਉੱਸਲਵੱਟੇ ਭੰਨਦਿਆਂ ਹੀ ਬੀਤੀ, ਰਤਾ ਨੀਂਦ ਨਹੀਂ ਆਈ।
8. ਅੱਖਾਂ ਵਿਚ ਰੜਕਣਾ (ਭੈੜਾ ਲਗਣਾ) – ਜਦੋਂ ਵੀ ਉਸ ਨੇ ਕਚਹਿਰੀ ਵਿਚ ਮੇਰੇ ਖ਼ਿਲਾਫ ਝੂਠੀ ਗੁਆਹੀ ਦਿੱਤੀ ਹੈ, ਉਹ ਮੇਰੀਆਂ ਅੱਖਾਂ ਵਿਚ ਰੜਕਦਾ ਹੈ।
9. ਅਸਮਾਨ ਸਿਰ ‘ਤੇ ਚੁੱਕਣਾ (ਇੰਨਾ ਰੌਲਾ ਪਾਉਣਾ ਕਿ ਕੁੱਝ ਸੁਣਾਈ ਹੀ ਨਾ ਦੇਵੇ) – ਤੁਸੀਂ ਤਾਂ ਆਪਣੀ ਕਾਵਾਂ – ਰੌਲੀ ਨਾਲ ਅਸਮਾਨ ਸਿਰ ‘ਤੇ ਚੁੱਕਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ, ਦੂਸਰੇ ਦੀ ਕੋਈ ਗੱਲ ਸੁਣਨ ਹੀ ਨਹੀਂ ਦਿੰਦੇ।
10. ਅੱਖਾਂ ਚੁਰਾਉਣਾ (ਸ਼ਰਮਿੰਦਗੀ ਮਹਿਸੂਸ ਕਰਨੀ – ਜਦੋਂ ਮੈਂ ਉਸ ਦੀਆਂ ਕਰਤੂਤਾਂ ਦਾ ਭਾਂਡਾ ਭੰਨ ਰਿਹਾ ਸਾਂ, ਤਾਂ ਉਹ ਵੀ ਉੱਥੇ ਨੀਵੀਂ ਪਾ ਕੇ ਬੈਠਾ ਸੀ, ਪਰ ਮੇਰੇ ਵਲ ਅੱਖਾਂ ਚੁਰਾ ਕੇ ਜ਼ਰੂਰ ਦੇਖ ਲੈਂਦਾ ਸੀ।

PSEB 6th Class Punjabi Vyakaran ਮੁਹਾਵਰੇ ਤੇ ਵਾਕ-ਅੰਸ਼ (1st Language)

11. ਅੱਖਾਂ ਉੱਤੇ ਬਿਠਾਉਣਾ ਆਦਰ – ਸਤਿਕਾਰ ਕਰਨਾ) – ਪੰਜਾਬੀ ਲੋਕ ਘਰ ਆਏ ਪ੍ਰਾਹੁਣੇ ਨੂੰ ਅੱਖਾਂ ਉੱਤੇ ਬਿਠਾ ਲੈਂਦੇ ਹਨ।
12. ਅੰਗੂਠਾ ਦਿਖਾਉਣਾ ਇਨਕਾਰ ਕਰਨਾ, ਸਾਥ ਛੱਡ ਦੇਣਾ) – ਮਤਲਬੀ ਮਿੱਤਰ ਔਖੇ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਅੰਗੁਠਾ ਦਿਖਾ ਜਾਂਦੇ ਹਨ।
13. ਅੰਗ ਪਾਲਣਾ ਸਾਥ ਦੇਣਾ) – ਸਾਨੂੰ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਸਮੇਂ ਆਪਣੇ ਮਿੱਤਰਾਂ ਦਾ ਅੰਗ ਪਾਲਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।
4. ਅਕਲ ਦਾ ਵੈਰੀ (ਮੂਰਖ – ਸੁਰਜੀਤ ਤਾਂ ਅਕਲ ਦਾ ਵੈਰੀ ਹੈ, ਕਦੇ ਕੋਈ ਸਮਝਦਾਰੀ ਦੀ ਗੱਲ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ।
15. ਅੱਖਾਂ ਮੀਟ ਜਾਣਾ ਮਰ ਜਾਣਾ) – ਕਲ਼ ਜਸਬੀਰ ਦੇ ਬਾਬਾ ਜੀ ਲੰਮੀ ਬਿਮਾਰੀ ਪਿੱਛੋਂ ਅੱਖਾਂ ਮੀਟ ਗਏ।
16. ਅੱਖਾਂ ਵਿਚ ਘੱਟਾ ਪਾਉਣਾ (ਧੋਖਾ ਦੇਣਾ – ਠੱਗਾਂ ਨੇ ਉਸ ਦੀਆਂ ਅੱਖਾਂ ਵਿਚ ਘੱਟਾ ਪਾ ਕੇ ਉਸ ਤੋਂ 50,000 ਰੁਪਏ ਠਗ ਲਏ।
17. ਅੱਖਾਂ ਫੇਰ ਲੈਣਾ ਮਿੱਤਰਤਾ ਛੱਡ ਦੇਣੀ) – ਤੂੰ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਬੰਦਿਆਂ ਨੂੰ ਅੱਜ ਆਪਣੇ ਸਮ ਬੈਠਾ ਹੈਂ, ਇਹ ਤੈਨੂੰ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਵਿਚ ਫਸਾ ਕੇ ਆਪ ਅੱਖਾਂ ਫੇਰ ਲੈਣਗੇ।
18. ਅੱਡੀ ਚੋਟੀ ਦਾ ਜ਼ੋਰ ਲਾਉਣਾ ਪੂਰਾ ਜ਼ੋਰ ਲਾਉਣਾ) – ਕੁਲਵਿੰਦਰ ਨੇ ਡੀ. ਐੱਸ. ਪੀ. ਭਰਤੀ ਹੋਣ ਲਈ ਅੱਡੀ ਚੋਟੀ ਦਾ ਜ਼ੋਰ ਲਾਇਆ, ਪਰ ਗੱਲ ਨਾ ਬਣੀ।
19. ਅਲਖ ਮੁਕਾਉਣੀ ਜਾਨੋ ਮਾਰ ਦੇਣਾ) – ਅਜੀਤ ਸਿੰਘ ਸੰਧਾਵਾਲੀਏ ਨੇ ਤਲਵਾਰ ਦੇ ਇੱਕੋ ਵਾਰ ਨਾਲ ਰਾਜੇ ਧਿਆਨ ਸਿੰਘ ਦੀ ਅਲਖ ਮੁਕਾ ਦਿੱਤੀ।
20. ਇਕ ਅੱਖ ਨਾਲ ਦੇਖਣਾ ਸਭ ਨੂੰ ਇੱਕੋ ਜਿਹਾ ਸਮਝਣਾ) – ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਹਿੰਦੂਆਂ, ਸਿੱਖਾਂ ਤੇ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਨੂੰ ਇਕ ਅੱਖ ਨਾਲ ਦੇਖਦਾ ਸੀ।
21. ਇੱਟ ਘੜੇ ਦਾ ਵੈਰ ਪੱਕਾ ਵੈਰ, ਬਹੁਤਾਂ ਵੈਰ) – ਪਹਿਲਾਂ ਇਨ੍ਹਾਂ ਗੁਆਂਢੀਆਂ ਵਿਚ ਬੜਾ ਪਿਆਰ ਸੀ, ਪਰ ਅੱਜ – ਕਲ੍ਹ ਇੱਟ ਘੜੇ ਦਾ ਵੈਰ ਹੈ।
22. ਈਨ ਮੰਨਣੀ ਹਾਰ ਮੰਨਣੀ – ਸ਼ਿਵਾ ਜੀ ਨੇ ਔਰੰਗਜ਼ੇਬ ਦੀ ਈਨ ਨਾ ਮੰਨੀ॥
23. ਇੱਟ ਨਾਲ ਇੱਟ ਖੜਕਾਉਣੀ ; ਇੱਟ ਇੱਟ ਕਰਨਾ (ਤਬਾਹ ਕਰ ਦੇਣਾ) – ਨਾਦਰਸ਼ਾਹ ਨੇ ਦਿੱਲੀ ਦੀ ਇੱਟ ਨਾਲ ਇੱਟ ਖੜਕਾ ਦਿੱਤੀ !
24. ਇਕ ਮੁੱਠ ਹੋਣਾ (ਏਕਤਾ ਹੋ ਜਾਣੀ – ਸਾਨੂੰ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਹਮਲੇ ਦਾ ਟਾਕਰਾ ਇਕ ਮੁੱਠ ਹੋ ਕੇ ਕਰਨਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।
25. ਈਦ ਦਾ ਚੰਦ ਹੋਣਾ ਬਹੁਤ ਦੇਰ ਬਾਅਦ ਮਿਲਣਾ) – ਜਦੋਂ ਉਹ ਮੈਨੂੰ ਬਹੁਤ ਦੇਰ ਬਾਅਦ ਮਿਲੀ, ਤਾਂ ਮੈਂ ਕਿਹਾ ‘‘ਤੂੰ ਤਾਂ ਈਦ ਦਾ ਚੰਦ ਹੋ ਗਈ ਹੈਂ, ਕਦੇ ਮਿਲੀ ਹੀ ਨਹੀਂ।’
26. ਸਿਰ ‘ਤੇ ਪੈਣੀ ਕੋਈ ਔਕੜ ਆ ਪੈਣੀ – ਰਮੇਸ਼ ਦੇ ਪਿਤਾ ਦੀ ਮੌਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਘਰ ਦੀ ਸਾਰੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਉਸ ਦੇ ਸਿਰ ‘ਤੇ ਪੈ ਗਈ।
27. ਸਿਰੋਂ ਪਾਣੀ ਲੰਘਣਾ ਹੱਦ ਹੋ ਜਾਣੀ – ਮੈਂ ਤੇਰੀਆਂ ਵਧੀਕੀਆਂ ਬਹੁਤ ਸਹੀਆਂ ਹਨ, ਪਰ ਹੁਣ ਸਿਰੋਂ ਪਾਣੀ ਲੰਘ ਚੁੱਕਾ ਹੈ, ਮੈਂ ਹੋਰ ਨਹੀਂ ਸਹਿ ਸਕਦਾ।
28. ਸਿਰ ਧੜ ਦੀ ਬਾਜ਼ੀ ਲਾਉਣਾ (ਮੌਤ ਦੀ ਪਰਵਾਹ ਨਾ ਕਰਨੀ) – ਸਭਰਾਵਾਂ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜ ਸਿਰ ਧੜ ਦੀ ਬਾਜ਼ੀ ਲਾ ਕੇ ਲੜੀ।
29. ਸੱਤੀਂ ਕੱਪੜੀਂ ਅੱਗ ਲਗਣੀ ਬਹੁਤ ਗੁੱਸੇ ਵਿਚ ਆਉਣਾ) – ਉਸ ਦੀ ਝੂਠੀ ਤੁਹਮਤ ਸੁਣ ਕੇ ਮੈਨੂੰ ਸੱਤੀਂ ਕੱਪੜੀਂ ਅੱਗ ਲੱਗ ਗਈ।
30. ਸਰ ਕਰਨਾ (ਜਿੱਤ ਲੈਣਾ – ਬਾਬਰ ਨੇ 1521 ਈ: ਵਿਚ ਪਾਣੀਪਤ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਨੂੰ ਸਰ ਕੀਤਾ ਸੀ।

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31. ਸਿਰ ਪੈਰ ਨਾ ਹੋਣਾ (ਗੱਲ ਦੀ ਸਮਝ ਨਾ ਪੈਣੀ – ਉਸ ਦੀਆਂ ਗੱਲਾਂ ਦਾ ਕੋਈ ਸਿਰ – ਪੈਰ ਨਹੀਂ ਸੀ, ਇਸ ਕਰਕੇ ਮੇਰੇ ਪੱਲੇ ਕੁੱਝ ਨਾ ਪਿਆ।
32. ਸਿਰ ਫੇਰਨਾ (ਇਨਕਾਰ ਕਰਨਾ) – ਜਦੋਂ ਮੈਂ ਉਸ ਤੋਂ ਪੰਜ ਸੌ ਰੁਪਏ ਉਧਾਰ ਮੰਗੇ, ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਸਿਰ ਫੇਰ ਦਿੱਤਾ।
33. ਹੱਥੀਂ ਛਾਂਵਾਂ ਕਰਨੀਆਂ ਆਓ – ਭਗਤ ਕਰਨੀ – ਪੰਜਾਬੀ ਲੋਕ ਘਰ ਆਏ ਪ੍ਰਾਹੁਣੇ ਨੂੰ ਹੱਥੀਂ ਛਾਂਵਾਂ ਕਰਦੇ ਹਨ।
34. ਹੱਥ ਤੰਗ ਹੋਣਾ (ਗਰੀਬੀ ਆ ਜਾਣੀ – ਮਹਿੰਗਾਈ ਦੇ ਜ਼ਮਾਨੇ ਵਿਚ ਹਰ ਨੌਕਰੀ ਪੇਸ਼ਾ ਆਦਮੀ ਦਾ ਹੱਥ ਤੰਗ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ਤੇ ਉਸ ਦਾ ਗੁਜ਼ਾਰਾ ਮੁਸ਼ਕਿਲ ਨਾਲ ਚਲਦਾ ਹੈ।
35. ਹੱਥ ਪੈਰ ਮਾਰਨਾ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕਰਨੀ) – ਉਸ ਨੇ ਵਿਦੇਸ਼ ਜਾਣ ਲਈ ਬਥੇਰੇ ਹੱਥ ਪੈਰ ਮਾਰੇ, ਪਰ ਗੱਲ ਨਾ ਬਣੀ।
36. ਹਰਨ ਹੋ ਜਾਣਾ ਦੌੜ ਜਾਣਾ) – ਸਕੂਲੋਂ ਛੁੱਟੀ ਹੁੰਦਿਆਂ ਹੀ ਬੱਚੇ ਘਰਾਂ ਨੂੰ ਹਰਨ ਹੋ ਗਏ।
37. ਹੱਥ ਅੱਡਣਾ ਮੰਗਣਾ) – ਪੰਜਾਬੀ ਮਿਹਨਤ ਦੀ ਕਮਾਈ ਖਾਂਦੇ ਹਨ, ਕਿਸੇ ਅੱਗੇ ਹੱਥ ਨਹੀਂ ਅੱਡਦੇ।
38. ਹੱਥ ਵਟਾਉਣਾ (ਮੱਦਦ ਕਰਨੀ – ਦਰਾਣੀ – ਜਠਾਣੀ ਘਰ ਦੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿਚ ਇਕ – ਦੂਜੇ ਦਾ ਖੂਬ ਹੱਥ ਵਟਾਉਂਦੀਆਂ ਹਨ।
39. ਹੱਥ ਪੀਲੇ ਕਰਨੇ ਵਿਆਹ ਕਰਨਾ) – 20 ਨਵੰਬਰ, 2010 ਨੂੰ ਦਲਜੀਤ ਦੇ ਪਿਤਾ ਜੀ ਨੇ ਉਸ ਦੇ ਹੱਥ ਪੀਲੇ ਕਰ ਦਿੱਤੇ।
40. ਕੰਨ ਕੁਤਰਨੇ ਠੱਗ ਲੈਣਾ – ਉਹ ਬਨਾਰਸੀ ਠੱਗ ਹੈ। ਉਸ ਤੋਂ ਬਚ ਕੇ ਰਹਿਣਾ। ਉਹ ਤਾਂ ਚੰਗੇ – ਭਲੇ ਸਿਆਣੇ ਦੇ ਕੰਨ ਕੁਤਰ ਲੈਂਦਾ ਹੈ।
41. ਕੰਨੀ ਕਤਰਾਉਣਾ ਪਰੇ – ਪਰੇ ਰਹਿਣਾ – ਜਸਵੰਤ ਔਖੇ ਕੰਮ ਤੋਂ ਬਹੁਤ ਕੰਨੀ ਕਤਰਾਉਂਦਾ ਹੈ।
42. ਕਲਮ ਦਾ ਧਨੀ ਪ੍ਰਭਾਵਸ਼ਾਲੀ ਲਿਖਾਰੀ – ਲਾਲਾ ਧਨੀ ਰਾਮ ਚਾਤ੍ਰਿਕ ਕਲਮ ਦਾ ਧਨੀ ਸੀ।
43. ਕੰਨਾਂ ਨੂੰ ਹੱਥ ਲਾਉਣਾ (ਤੋਬਾ ਕਰਨੀ – ਸ਼ਾਮ ਚੋਰੀ ਕਰਦਾ ਫੜਿਆ ਗਿਆ, ਤਾਂ ਪਿੰਡ ਵਾਲਿਆਂ ਤੋਂ ਉਹ ਕੰਨਾਂ ਨੂੰ ਹੱਥ ਲਾ ਕੇ ਛੁੱਟਾ।
44. ਕੰਨਾਂ ਦਾ ਕੱਚਾ ਹੋਣਾ (ਲਾਈ – ਲੱਗ ਹੋਣਾ) – ਆਦਮੀ ਨੂੰ ਕੰਨਾਂ ਦਾ ਕੱਚਾ ਨਹੀਂ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ, ਸਗੋਂ ਕਿਸੇ ਦੇ ਮੂੰਹੋਂ ਸੁਣੀ ਗੱਲ ਨੂੰ ਸੱਚ ਮੰਨਣ ਦੀ ਬਜਾਏ ਆਪ ਗੱਲ ਦੀ ਤਹਿ ਤਕ ਪੁੱਜ ਕੇ ਕੋਈ ਕਦਮ ਚੁੱਕਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।
45. ਕੰਨਾਂ ‘ਤੇ ਜੂੰ ਨਾ ਸਰਕਣੀ (ਕੋਈ ਅਸਰ ਨਾ ਕਰਨਾ) – ਮੇਰੀਆਂ ਨਸੀਹਤਾਂ ਨਾਲ ਉਸ ਦੇ ਕੰਨਾਂ ‘ਤੇ ਜੂੰ ਵੀ ਨਹੀਂ ਸਰਕੀ।
46. ਖਿਚੜੀ ਪਕਾਉਣਾ ਲੁਕ ਕੇ ਕਿਸੇ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਸਲਾਹ ਕਰਨੀ) – ਕਲ੍ਹ ਦੋਹਾਂ ਮਿੱਤਰਾਂ ਨੇ ਇਕੱਲੇ ਅੰਦਰ ਬਹਿ ਕੇ ਪਤਾ ਨਹੀਂ ਕੀ ਖਿਚੜੀ ਪਕਾਈ ਕਿ ਅੱਜ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਮਿਲ ਕੇ ਆਪਣੇ ਦੁਸ਼ਮਣ ਜੀਤੇ ਦਾ ਸਿਰ ਲਾਹ ਦਿੱਤਾ।
47. ਖੂਨ ਖੌਲਣਾ ਜੋਸ਼ ਆ ਜਾਣਾ) – ਮੁਗਲਾਂ ਦੇ ਜ਼ੁਲਮ ਦੇਖ ਕੇ ਸਿੱਖ ਕੌਮ ਦਾ ਖੂਨ ਖੋਲਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਗਿਆ।
48. ਖਿੱਲੀ ਉਡਾਉਣਾ ਮਖੌਲ ਉਡਾਉਣਾ) – ਕੁੱਝ ਮਨਚਲੇ ਨੌਜਵਾਨ ਇਕ ਲੰਝੜੇ ਦੀ ਖਿੱਲੀ ਉਡਾ ਰਹੇ ਸਨ।
49. ਖੰਡ ਖੀਰ ਹੋਣਾ (ਇਕਮਿਕ ਹੋਣਾ) – ਅਸੀਂ ਤਾਏ – ਚਾਚੇ ਦੇ ਸਾਰੇ ਪੁੱਤਰ ਖੰਡ – ਖੀਰ ਹੋ
ਕੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਾਂ।
50. ਖ਼ਾਰ ਖਾਣੀ (ਈਰਖਾ ਕਰਨੀ – ਮੇਰੇ ਕਾਰੋਬਾਰ ਦੀ ਤਰੱਕੀ ਦੇਖ ਕੇ ਉਹ ਮੇਰੇ ਨਾਲ ਬੜੀ ਖ਼ਾਰ ਖਾਂਦਾ ਹੈ।

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51. ਖੁੰਬ ਠੱਪਣੀ (ਆਕੜ ਭੰਨਣੀ – ਮੈਂ ਉਸ ਨੂੰ ਖ਼ਰੀਆਂ ਖ਼ਰੀਆਂ ਸੁਣਾ ਕੇ ਉਸ ਦੀ ਖੂਬ ਖੁੰਬ ਠੱਪੀ।
52. ਖੇਰੂੰ – ਖੇਰੂੰ ਹੋ ਜਾਣਾ ਆਪੋ ਵਿਚ ਪਾ ਕੇ ਤਬਾਹ ਹੋ ਜਾਣਾ) – ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਦੀ ਮੌਤ ਮਗਰੋਂ ਸਿੱਖ ਰਾਜ ਘਰੇਲੂ ਬੁਰਛਾਗਰਦੀ ਕਾਰਨ ਖੇਰੂੰ – ਖੇਰੂੰ ਹੋ ਗਿਆ।
53. ਗਲ ਪਿਆ ਢੋਲ ਵਜਾਉਣਾ ਕੋਈ ਐਸਾ ਕੰਮ ਕਰਨ ਲਈ ਮਜਬੂਰ ਹੋ ਜਾਣਾ, ਜੋ ਬੇਸੁਆਦਾ ਹੋਵੇ) – ਮੇਰਾ ਇਹ ਕੰਮ ਕਰਨ ਨੂੰ ਜੀ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ, ਐਵੇਂ ਗਲ ਪਿਆ ਢੋਲ ਵਜਾਉਣਾ ਪੈ ਰਿਹਾ ਹੈ।
54. ਗਲਾ ਭਰ ਆਉਣਾ ਰੋਣ ਆ ਜਾਣਾ) – ਜਦ ਮੇਰੇ ਵੱਡੇ ਵੀਰ ਜੀ ਵਿਦੇਸ਼ ਜਾਣ ਲਈ ਸਾਥੋਂ ਵਿਛੜਨ ਲੱਗੇ, ਤਾਂ ਮੇਰਾ ਗਲਾ ਭਰ ਆਇਆ।
55. ਗਲ ਪੈਣਾ ਲੜਨ ਨੂੰ ਤਿਆਰ ਹੋ ਜਾਣਾ) – ਮੈਂ ਸ਼ਾਮ ਨੂੰ ਕੁੱਝ ਵੀ ਨਹੀਂ ਸੀ ਕਿਹਾ, ਉਹ ਐਵੇਂ ਹੀ ਮੇਰੇ ਗਲ ਪੈ ਗਿਆ।
56. ਗੋਦੜੀ ਦਾ ਲਾਲ (ਗੁੱਝਾ ਗੁਣਵਾਨ – ਇਸ ਰਿਕਸ਼ੇ ਵਾਲੇ ਦਾ ਮੁੰਡਾ ਤਾਂ ਗੋਦੜੀ ਦਾ ਲਾਲ ਨਿਕਲਿਆ, ਜੋ ਆਈ. ਏ. ਐੱਸ. ਦੀ ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਪਾਸ ਕਰ ਗਿਆ
57. ਗੁੱਡੀ ਚੜ੍ਹਨਾ ਤੇਜ – ਪਰਤਾਪ ਬਹੁਤ ਵਧਣਾ) – ਦੂਜੀ ਸੰਸਾਰ ਜੰਗ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਸਾਮਰਾਜ ਦੀ ਗੁੱਡੀ ਬਹੁਤ ਚੜ੍ਹੀ ਹੋਈ ਸੀ।
58. ਘਿਓ ਦੇ ਦੀਵੇ ਬਾਲਣਾ (ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਮਨਾਉਣੀਆਂ – ਲਾਟਰੀ ਨਿਕਲਣ ਦੀ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਵਿਚ ਅਸਾਂ ਘਰ ਵਿਚ ਘਿਓ ਦੇ ਦੀਵੇ ਬਾਲੇ।
59, ਘੋੜੇ ਵੇਚ ਕੇ ਸੌਣਾ ਬੇਫ਼ਿਕਰ ਹੋਣਾ – ਦੇਖੋ, ਮਨਜੀਤ ਕਿਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਘੋੜੇ ਵੇਚ ਕੇ ਸੁੱਤਾ ਹੋਇਆ ਹੈ ! ਗਿਆਰਾਂ ਵੱਜ ਗਏ ਹਨ, ਅਜੇ ਤਕ ਉੱਠਿਆ ਨਹੀਂ।
60. ਘਰ ਕਰਨਾ (ਦਿਲ ਵਿਚ ਬੈਠ ਜਾਣਾ) – ਗੁਰੂ ਜੀ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਮੇਰੇ ਦਿਲ ਵਿਚ ਘਰ ਕਰ ਗਈ।
61. ਚਾਂਦੀ ਦੀ ਜੁੱਤੀ ਮਾਰਨੀ (ਵੱਢੀ ਦੇ ਕੇ ਕੰਮ ਕਰਾਉਣਾ) – ਅੱਜ – ਕਲ੍ਹ ਬਹੁਤੇ ਸਰਕਾਰੀ ਦਫ਼ਤਰਾਂ ਵਿਚ ਕਲਰਕਾਂ ਦੇ ਚਾਂਦੀ ਦੀ ਜੁੱਤੀ ਮਾਰ ਕੇ ਹੀ ਕੰਮ ਹੁੰਦੇ ਹਨ !
62. ਚਰਨ ਧੋ ਕੇ ਪੀਣਾ ਬਹੁਤ ਆਦਰ ਕਰਨਾ – ਸਤਿੰਦਰ ਆਪਣੀ ਚੰਗੀ ਸੱਸ ਦੇ ਚਰਨ ਧੋ ਕੇ ਪੀਂਦੀ ਹੈ।
63. ਛਕੇ ਛੁਡਾਉਣੇ (ਭਾਜੜ ਪਾ ਦੇਣੀ) – ਸਿੱਖ ਫ਼ੌਜਾਂ ਨੇ ਮੁਦਕੀ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਵਿਚ ਅੰਗਰੇਜ਼ਾਂ ਦੇ ਛੱਕੇ ਛੁਡਾ ਦਿੱਤੇ।
64. ਚਾਦਰ ਦੇਖ ਕੇ ਪੈਰ ਪਸਾਰਨੇ (ਆਮਦਨ ਅਨੁਸਾਰ ਖ਼ਰਚ ਕਰਨਾ) – ਤੁਹਾਨੂੰ ਬਜ਼ਾਰ ਵਿਚੋਂ ਸਮਾਨ ਖ਼ਰੀਦਦੇ ਸਮੇਂ ਚਾਦਰ ਦੇਖ ਕੇ ਪੈਰ ਪਸਾਰਨੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ ਤੇ ਫ਼ਜ਼ੂਲ ਖ਼ਰਚੀ ਤੋਂ ਬਚਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ !
65. ਛਾਤੀ ਨਾਲ ਲਾਉਣਾ (ਪਿਆਰ ਕਰਨਾ – ਕੁਲਦੀਪ ਨੂੰ ਪ੍ਰੀਖਿਆ ਵਿਚੋਂ ਫ਼ਸਟ ਰਿਹਾ ਜਾਣ ਕੇ ਮਾਂ ਨੇ ਉਸ ਨੂੰ ਛਾਤੀ ਨਾਲ ਲਾ ਲਿਆ।
66. ਛਿੱਲ ਲਾਹੁਣੀ ਲੁੱਟ ਲੈਣਾ) – ਅੱਜ – ਕਲ੍ਹ ਮਹਿੰਗਾਈ ਦੇ ਦਿਨਾਂ ਵਿਚ ਦੁਕਾਨਦਾਰ ਚੀਜ਼ਾਂ ਦੇ ਮਨ – ਮਰਜ਼ੀ ਦੇ ਭਾ ਲਾ ਕੇ ਗਾਹਕਾਂ ਦੀ ਚੰਗੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਛਿੱਲ ਲਾਹੁੰਦੇ ਹਨ।
67. ਜਾਨ ‘ਤੇ ਖੇਡਣਾ ਜਾਨ ਵਾਰ ਦੇਣੀ ਧਰਮ ਦੀ ਰਾਖੀ ਲਈ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਸਿੰਘ ਆਪਣੀ ਜਾਨ ‘ਤੇ ਖੇਡ ਗਏ।
68. ਜ਼ਬਾਨੇ ਦੇਣੀ (ਇਕਰਾਰ ਕਰਨਾ – ਮੈਂ ਜੋ ਜ਼ਬਾਨ ਦੇ ਦਿੱਤੀ ਹੈ, ਮੇਰੇ ਲਈ ਉਸ ਤੋਂ ਫਿਰਨਾ ਬਹੁਤ ਔਖਾ ਹੈ।
69. ਜ਼ਬਾਨ ਫੇਰ ਲੈਣੀ (ਮੁੱਕਰ ਜਾਣਾ) – ਤੂੰ ਝੱਟ – ਪੱਟ ਹੀ ਆਪਣੀ ਜ਼ਬਾਨ ਫੇਰ ਲੈਂਦਾ ਏਂ, ਇਸੇ ਕਰਕੇ ਹੀ ਤੂੰ ਮੇਰਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ – ਪਾਤਰ ਨਹੀਂ ਰਿਹਾ।
70. ਜਾਨ ਤਲੀ ‘ਤੇ ਧਰਨੀ ਜਾਨ ਨੂੰ ਖ਼ਤਰੇ ਵਿਚ ਪਾਉਣਾ) – ਸਿੰਘਾਂ ਨੇ ਜਾਨ ਤਲੀ ‘ਤੇ ਧਰ ਕੇ ਸ੍ਰੀ ਹਰਿਮੰਦਰ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕੀਤੀ।

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71. ਟਕੇ ਵਰਗਾ ਜਵਾਬ ਦੇਣਾ (ਸਿੱਧੀ ਨਾਂਹ ਕਰਨੀ) – ਜਦ ਮੈਂ ਸਤਵਿੰਦਰ ਤੋਂ ਉਸ ਦੀ ਕਿਤਾਬ ਮੰਗੀ, ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਟਕੇ ਵਰਗਾ ਜਵਾਬ ਦੇ ਦਿੱਤਾ
72. ਟੱਸ ਤੋਂ ਮੱਸ ਨਾ ਹੋਣਾ (ਰਤਾ ਪਰਵਾਹ ਨਾ ਕਰਨੀ) – ਮਾਂ – ਬਾਪ ਬੱਚਿਆਂ ਨੂੰ ਬਹੁਤ ਸਮਝਾਉਂਦੇ ਹਨ, ਪਰ ਉਹ ਟੱਸ ਤੋਂ ਮੱਸ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੇ।
73. ਟਾਲ – ਮਟੋਲ ਕਰਨਾ (ਬਹਾਨੇ ਬਣਾਉਣੇ) – ਰਾਮ ! ਜੇ ਤੂੰ ਕਿਤਾਬ ਦੇਣੀ ਹੈ, ਤਾਂ ਦੇਹ, ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਐਵੇਂ ਫ਼ਜ਼ੂਲ ਟਾਲ – ਮਟੋਲ ਨਾ ਕਰੋ।
74. ਠੰਢੀਆਂ ਛਾਵਾਂ ਮਾਣਨਾ (ਸੁਖ ਮਾਣਨਾ) – ਪਿਤਾ ਨੇ ਆਪਣੀ ਧੀ ਨੂੰ ਸਹੁਰੇ ਘਰ ਤੋਰਨ ਲੱਗਿਆਂ ਕਿਹਾ, “ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਘਰ ਠੰਢੀਆਂ ਛਾਵਾਂ ਮਾਣੇ।”
75. ਡਕਾਰ ਜਾਣਾ ਹਜ਼ਮ ਕਰ ਜਾਣਾ) – ਅੱਜ – ਕਲ੍ਹ ਸਿਆਸੀ ਲੀਡਰ ਤੇ ਠੇਕੇਦਾਰ ਮਿਲ ਕੇ ਕੌਮ ਦੇ ਕਰੋੜਾਂ ਰੁਪਏ ਡਕਾਰ ਜਾਂਦੇ ਹਨ।
76. ਢਿੱਡ ਵਿੱਚ ਚੂਹੇ ਨੱਚਣਾਂ ਬਹੁਤ ਭੁੱਖ ਲੱਗਣੀ – ਢਿੱਡ ਵਿੱਚ ਚੂਹੇ ਨੱਚਦੇ ਹੋਣ ਕਰਕੇ ਬੱਚੇ ਬੇਸਬਰੀ ਨਾਲ ਅੱਧੀ ਛੁੱਟੀ ਦੀ ਉਡੀਕ ਕਰਦੇ ਹਨ !
77. ਢੇਰੀ ਢਿੱਗੀ ਢਾਹੁਣੀ ਦਿਲ ਛੱਡ ਦੇਣਾ) – ਤੁਹਾਨੂੰ ਕਿਸੇ ਅਸਫਲਤਾ ਤੋਂ ਨਿਰਾਸ਼ ਹੋ ਕੇ ਢੇਰੀ ਢਿੱਗੀ ਨਹੀਂ ਢਾਹੁਣੀ ਚਾਹੀਦੀ।
78. ਤੱਤੀ ‘ਵਾ ਨਾ ਲੱਗਣੀ ਕੋਈ ਦੁੱਖ ਨਾ ਹੋਣਾ) – ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਿਰ ‘ਤੇ ਪਰਮਾਤਮਾ ਦਾ ਹੱਥ ਹੋਵੇ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਤੱਤੀ ‘ਵਾ ਨਹੀਂ ਲਗਦੀ।
79.ਤੀਰ ਹੋ ਜਾਣਾ (ਦੌੜ ਜਾਣਾ) – ਜਦ ਪੁਲਿਸ ਨੇ ਛਾਪਾ ਮਾਰਿਆ, ਤਾਂ ਸਭ ਜੁਆਰੀਏ ਤੀਰ ਹੋ ਗਏ, ਇਕ ਵੀ ਹੱਥ ਨਾ ਆਇਆ
80. ਤ੍ਰਾਹ ਨਿਕਲਣਾ (ਅਚਾਨਕ ਡਰ ਜਾਣਾ) – ਆਪਣੇ ਕਮਰੇ ਵਿਚ ਸੱਪ ਨੂੰ ਦੇਖ ਮੇਰਾ ਤ੍ਰਾਹ ਨਿਕਲ ਗਿਆ !
81. ਤਖ਼ਤਾ ਉਲਟਾਉਣਾ ਇਨਕਲਾਬ ਲਿਆਉਣਾ) – ਗ਼ਦਰ ਪਾਰਟੀ ਭਾਰਤ ਵਿਚੋਂ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਰਾਜ ਦਾ ਤਖ਼ਤਾ ਉਲਟਾਉਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਸੀ।
82. ਤੂਤੀ ਬੋਲਣੀ ਪ੍ਰਸਿੱਧੀ ਹੋਣੀ – ਅੱਜ – ਕਲ੍ਹ ਸਕੂਲਾਂ ਕਾਲਜਾਂ ਵਿਚ ਐੱਮ. ਬੀ. ਡੀ. ਪੁਸਤਕਾਂ ਦੀ ਤੂਤੀ ਬੋਲਦੀ ਹੈ।
83. ਬੁੱਕ ਕੇ ਚੱਟਣਾ ਕੀਤੇ ਇਕਰਾਰ ਤੋਂ ਮੁੱਕਰ ਜਾਣਾ) – ਬੁੱਕ ਕੇ ਚੱਟਣਾ ਇੱਜ਼ਤ ਵਾਲੇ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਕੰਮ ਨਹੀਂ। ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਬੰਦੇ ਦਾ ਇਤਬਾਰ ਜਾਂਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ।
84. ਥਰ – ਥਰ ਕੰਬਣਾ (ਬਹੁਤ ਡਰ ਜਾਣਾ) – ਪੁਲਿਸ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਜੁਆਰੀਏ ਥਰ – ਥਰ ਕੰਬਣ ਲੱਗ ਪਏ।
85. ਦਿਨ ਫਿਰਨੇ ਭਾਗ ਜਾਗਣੇ – ਉਸ ਦੇ ਘਰ ਵਿਚ ਬੜੀ ਗ਼ਰੀਬੀ ਸੀ, ਪਰ ਜਦੋਂ ਦਾ ਉਸ ਦਾ ਮੁੰਡਾ ਕੈਨੇਡਾ ਗਿਆ ਹੈ, ਉਦੋਂ ਤੋਂ ਹੀ ਉਸ ਦੇ ਦਿਨ ਫਿਰ ਗਏ ਹਨ।
86. ਦੰਦ ਪੀਹਣੇ ਗੁੱਸੇ ਵਿਚ ਆਉਣਾ) – ਜਦ ਉਸ ਨੇ ਸ਼ਾਮ ਨੂੰ ਗਾਲਾਂ ਕੱਢੀਆਂ, ਤਾਂ ਉਹ ਗੁੱਸੇ ਵਿਚ ਦੰਦ ਪੀਹਣ ਲੱਗ ਪਿਆ।
87. ਦੰਦ ਖੱਟੇ ਕਰਨੇ (ਹਰਾ ਦੇਣਾ) – ਭਾਰਤੀ ਸੈਨਾ ਨੇ ਪਾਕਿਸਤਾਨੀ ਸੈਨਾ ਦੇ ਦੰਦ ਖੱਟੇ ਕਰ ਦਿੱਤੇ।
88. ਧੱਕਾ ਕਰਨਾ (ਅਨਿਆਂ ਕਰਨਾ) – ਪੰਚਾਇਤ ਦਾ ਕੰਮ ਕਿਸੇ ਨਾਲ ਧੱਕਾ ਕਰਨਾ ਨਹੀਂ, ਸਗੋਂ ਸਭ ਨੂੰ ਨਿਆਂ ਦੇਣਾ ਹੈ।
89. ਧੌਲਿਆਂ ਦੀ ਲਾਜ ਰੱਖਣੀ (ਬਿਰਧ ਜਾਣ ਕੇ ਲਿਹਾਜ਼ ਕਰਨਾ – ਮਾਪਿਆਂ ਨੇ ਪੁੱਤਰ ਨੂੰ ਦੁਖੀ ਹੋ ਕੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹ ਭੈੜੇ ਕੰਮ ਛੱਡ ਦੇਵੇ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਧੌਲਿਆਂ ਦੀ ਲਾਜ ਰੱਖੇ !
90. ਨੱਕ ਚਾੜ੍ਹਨਾ (ਕਿਸੇ ਚੀਜ਼ ਨੂੰ ਪਸੰਦ ਨਾ ਕਰਨਾ) – ਬਲਵਿੰਦਰ ਨੇ ਨੱਕ ਚੜ੍ਹਾਉਂਦਿਆਂ ਕਿਹਾ, “ਇਸ ਖ਼ੀਰ ਵਿਚ ਮਿੱਠਾ ਬਹੁਤ ਘੱਟ ਹੈ।”

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91. ਨੱਕ ਰਗੜਨਾ (ਤਰਲੇ ਕਰਨਾ – ਕੁਲਵਿੰਦਰ ਨਕਲ ਮਾਰਦਾ ਫੜਿਆ ਗਿਆ ਤੇ ਉਹ ਸੁਪਚਿੰਡੈਂਟ ਅੱਗੇ ਨੱਕ ਰਗੜ ਕੇ ਛੁੱਟਾ।
92. ਪਿੱਠ ਠੋਕਣਾ ਹੱਲਾ – ਸ਼ੇਰੀ ਦੇਣਾ) – ਚੀਨ ਭਾਰਤ ਵਿਰੁੱਧ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦੀ ਹਰ ਵੇਲੇ ਪਿੱਠ ਠੋਕਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ।
93. ਪੁੱਠੀਆਂ ਛਾਲਾਂ ਮਾਰਨਾ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਹੋਣਾ) – ਉਸ ਦਾ ਅਮਰੀਕਾ ਦਾ ਵੀਜ਼ਾ ਲੱਗ ਗਿਆ ਤੇ ਉਹ ਪੁੱਠੀਆਂ ਛਾਲਾਂ ਮਾਰਨ ਲੱਗਾ
94. ਪਾਜ ਖੁੱਲ੍ਹ ਜਾਣਾ (ਭੇਦ ਖੁੱਲ੍ਹ ਜਾਣਾ) – ਕਿਰਾਏਦਾਰ ਨੇ ਮਾਲਕ ਮਕਾਨ ਦੇ ਘਰੇਲੂ ਝਗੜੇ ਦਾ ਪਾਜ ਖੋਲ੍ਹ ਦਿੱਤਾ।
95. ਪੈਰਾਂ ਹੇਠੋਂ ਜ਼ਮੀਨ ਖਿਸਕਣਾ (ਘਬਰਾ ਜਾਣਾ) – ਜਦੋਂ ਮੈਂ ਨਵ – ਵਿਆਹੀ ਸੀਤਾ ਦੇ ਪਤੀ ਦੀ ਮੌਤ ਦੀ ਖ਼ਬਰ ਸੁਣੀ, ਤਾਂ ਮੇਰੇ ਪੈਰਾਂ ਹੇਠੋਂ ਜ਼ਮੀਨ ਖਿਸਕ ਗਈ।
96. ਪਾਪੜ ਵੇਲਣਾ (ਵਾਹ ਲਾਉਣੀ) – ਜਸਬੀਰ ਨੂੰ ਅਜੇ ਤਕ ਨੌਕਰੀ ਨਹੀਂ ਮਿਲੀ ਤੇ ਉਹ ਰੋਟੀ ਕਮਾਉਣ ਲਈ ਕਈ ਪਾਪੜ ਵੇਲਦਾ ਹੈ।
97. ਫੁੱਲੇ ਨਾ ਸਮਾਉਣਾ ਬਹੁਤ ਖੁਸ਼ ਹੋਣਾ) – ਜਦੋਂ ਸੰਦੀਪ ਨੂੰ ਪਤਾ ਲੱਗਾ ਕਿ ਉਸ ਦੇ ਮਾਮਾ ਜੀ ਅੱਜ ਅਮਰੀਕਾ ਤੋਂ ਆ ਰਹੇ ਹਨ, ਤਾਂ ਉਹ ਖ਼ੁਸ਼ੀ ਵਿਚ ਫੁੱਲੀ ਨਾ ਸਮਾਈ।
98. ਫਿੱਕੇ ਪੈਣਾ (ਸ਼ਰਮਿੰਦੇ ਹੋਣਾ) – ਜਦੋਂ ਉਹ ਦੂਜੀ ਵਾਰੀ ਚੋਰੀ ਕਰਦਾ ਫੜਿਆ ਗਿਆ, ਤਾਂ ਉਹ ਸਾਰਿਆਂ ਸਾਹਮਣੇ ਫਿੱਕਾ ਪੈ ਗਿਆ।
99. ਫੁੱਟੀ ਅੱਖ ਨਾ ਭਾਉਣਾ ਬਿਲਕੁਲ ਹੀ ਚੰਗਾ ਨਾ ਲਗਣਾ) – ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨੂੰ ਭਾਰਤ ਦੀ ਤਰੱਕੀ ਫੁੱਟੀ ਅੱਖ ਨਹੀਂ ਭਾਉਂਦੀ।
100. ਬਾਂਹ ਭੱਜਣੀ (ਭਰਾ ਦਾ ਮਰ ਜਾਣਾ) – ਲੜਾਈ ਵਿਚ ਭਰਾ ਦੇ ਮਰਨ ਦੀ ਖ਼ਬਰ ਸੁਣ ਕੇ ਉਸ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਮੇਰੀ ਤਾਂ ਅੱਜ ਬਾਂਹ ਭੱਜ ਗਈ”
101. ਬੁੱਕਲ ਵਿਚ ਮੂੰਹ ਦੇਣਾ (ਸ਼ਰਮਿੰਦਾ ਹੋਣਾ – ਜਦੋਂ ਮੈਂ ਭਰੀ ਪੰਚਾਇਤ ਵਿਚ ਉਸ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਦੀਆਂ ਕਰਤੂਤਾਂ ਦਾ ਭਾਂਡਾ ਭੰਨਿਆ, ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਬੁੱਕਲ ਵਿਚ ਮੂੰਹ ਦੇ ਲਿਆ !
102. ਭੰਡੀ ਕਰਨੀ (ਬੁਰਾਈ ਕਰਨੀ – ਜੋਤੀ ਹਮੇਸ਼ਾ ਗਲੀ ਵਿਚ ਆਪਣੀ ਦਰਾਣੀ ਦੀ ਝੰਡੀ ਕਰਦੀ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ।
103. ਮੁੱਠੀ ਗਰਮ ਕਰਨੀ ਵਿੱਢੀ ਦੇਣੀ – ਇੱਥੇ ਤਾਂ ਛੋਟੇ ਤੋਂ ਛੋਟਾ ਕੰਮ ਕਰਾਉਣ ਲਈ ਸਰਕਾਰੀ ਕਲਰਕਾਂ ਦੀ ਮੁੱਠੀ ਗਰਮ ਕਰਨੀ ਪੈਂਦੀ ਹੈ।
104. ਮੈਦਾਨ ਮਾਰਨਾ (ਜਿੱਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਲੈਣੀ) – ਮਹਾਰਾਜੇ ਦੀ ਫ਼ੌਜ ਨੇ ਦੁਸ਼ਮਣ ਦੇ ਕਿਲ੍ਹੇ ਨੂੰ ਘੇਰ ਕੇ ਤਿੰਨ ਦਿਨ ਲਹੂ – ਵੀਟਵੀਂ ਲੜਾਈ ਕੀਤੀ ਤੇ ਆਖ਼ਰ ਮੈਦਾਨ ਮਾਰ ਹੀ ਲਿਆ !
105. ਮੂੰਹ ਦੀ ਖਾਣੀ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹਾਰ ਖਾਣੀ) – ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਨੇ ਜਦੋਂ ਵੀ ਭਾਰਤ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਕੀਤਾ ਹੈ, ਉਸ ਨੇ ਮੂੰਹ ਦੀ ਖਾਧੀ ਹੈ।
106. ਮੱਖਣ ਵਿਚੋਂ ਵਾਲ ਵਾਂਗੂ ਕੱਢਣਾ ਅਸਾਨੀ ਨਾਲ ਦੂਰ ਕਰ ਦੇਣਾ) – ਸਿਆਸੀ ਲੀਡਰ ਆਪਣੇ ਵਿਰੋਧੀਆਂ ਨੂੰ ਆਪਣੀ ਪਾਰਟੀ ਵਿਚੋਂ ਮੱਖਣ ਵਿਚੋਂ ਵਾਲ ਵਾਂਗੂੰ ਕੱਢ ਦਿੰਦੇ ਹਨ।
107. ਧੱਕੜ ਮਾਰਨੇ (ਗੱਪਾਂ ਮਾਰਨੀਆਂ) – ਬਲਜੀਤ ਸਾਰਾ ਦਿਨ ਵਿਹਲੜਾਂ ਦੀ ਢਾਣੀ ਵਿਚ ਬਹਿ ਕੇ ਧੱਕੜ ਮਾਰਦਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ।
108. ਰਾਈ ਦਾ ਪਹਾੜ ਬਣਾਉਣਾ (ਸਧਾਰਨ ਗੱਲ ਵਧਾ – ਚੜ੍ਹਾ ਕੇ ਕਰਨੀ – ਮੀਨਾ ਤਾਂ ਰਾਈ ਦਾ ਪਹਾੜ ਬਣਾ ਲੈਂਦੀ ਹੈ ਤੇ ਐਵੇਂ ਨਰਾਜ਼ ਹੋ ਜਾਂਦੀ ਹੈ।
109. ਰਫੂ ਚੱਕਰ ਹੋ ਜਾਣਾ (ਦੌੜ ਜਾਣਾ) – ਜੇਬ – ਕਤਰਾ ਉਸ ਦੀ ਜੇਬ ਕੱਟ ਕੇ ਰਫੂ ਚੱਕਰ ਹੋ ਗਿਆ।
110. ਲੜ ਫੜਨਾ ਸਹਾਰਾ ਦੇਣਾ) – ਦੁਖੀ ਹੋਏ ਕਸ਼ਮੀਰੀ ਪੰਡਤਾਂ ਨੇ ਗੁਰੂ ਤੇਗ਼ ਬਹਾਦਰ ਜੀ ਦਾ ਲੜ ਫੜਿਆ

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111. ਰੰਗ ਉੱਡ ਜਾਣਾ (ਘਬਰਾ ਜਾਣਾ) – ਪੁਲਿਸ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਚੋਰਾਂ ਦੇ ਰੰਗ ਉੱਡ ਗਏ।
112. ਲਹੂ ਪੰਘਰਨਾ (ਪਿਆਰ ਜਾਗ ਪੈਣਾ) – ਆਪਣੇ ਭਾਵੇਂ ਬੁਰਾ ਵੀ ਕਰਨ ਪਰੰਤੂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦੇਖ ਕੇ ਲਹੂ ਪੰਘਰ ਹੀ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।
113. ਲਹੂ ਸੁੱਕਣਾ (ਫ਼ਿਕਰ ਹੋਣਾ) – ਮੇਰਾ ਤਾਂ ਇਹ ਸੋਚ ਕੇ ਲਹੂ ਸੁੱਕਾ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ ਕਿਤੇ ਫੇਲ ਹੀ ਨਾ ਹੋ ਜਾਵਾਂ।
114. ਵਾਲ ਵਿੰਗਾ ਨਾ ਹੋਣਾ (ਕੁੱਝ ਨਾ ਵਿਗੜਨਾ) – ਜਿਸ ਉੱਪਰ ਰੱਬ ਦੀ ਮਿਹਰ ਹੋਵੇ, ਉਸ ਦਾ ਵਾਲ ਵਿੰਗਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ
115. ਵੇਲੇ ਨੂੰ ਰੋਣਾ ਸਮਾਂ ਗੁਆ ਕੇ ਪਛਤਾਉਣਾ) – ਮੈਂ ਤੈਨੂੰ ਕਹਿੰਦੀ ਹਾਂ ਕਿ ਕੰਮ ਦੀ ਇਹੋ ਹੀ ਉਮਰ ਹੈ, ਪਰ ਤੂੰ ਮੇਰੀ ਗੱਲ ਮੰਨਦਾ ਹੀ ਨਹੀਂ। ਯਾਦ ਰੱਖ, ਵੇਲੇ ਨੂੰ ਰੋਵੇਂਗਾ।