PSEB 11th Class Political Science Solutions Chapter 34 उच्च न्यायालय

Punjab State Board PSEB 11th Class Political Science Book Solutions Chapter 34 उच्च न्यायालय Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 11 Political Science Chapter 34 उच्च न्यायालय

प्रश्न 1.
राज्य के उच्च न्यायालय की रचना की व्याख्या करो।
(Discuss the composition of a State High Court.)
अथवा राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की योग्यताएं, कार्यकाल एवं वेतन बताओ।
(Explain the qualifications, appointment, tenure and salaries of the Judges of a State High Court.)
उत्तर-
संविधान द्वारा प्रत्येक राज्य में एक उच्च न्यायालय की व्यवस्था की गई है, परन्तु यह आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक राज्य का अपना अलग उच्च न्यायालय हो। संसद् दो या दो से अधिक राज्यों के लिए एक सामान्य उच्च न्यायालय की भी व्यवस्था कर सकती है। इस समय पंजाब और हरियाणा का एक ही उच्च न्यायालय है। उच्च न्यायालय राज्य का सबसे बड़ा न्यायालय होता है और राज्य के अन्य सभी न्यायालय इसके अधीन होते हैं। __ रचना (Composition)-राज्य के उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश तथा कुछ अन्य न्यायाधीश होते हैं। अन्य न्यायाधीशों की संख्या निश्चित नहीं है। उनकी संख्या समय-समय पर राष्ट्रपति निश्चित कर सकता है।

राष्ट्रपति नियमित न्यायाधीशों (Regular Judges) के अतिरिक्त उच्च न्यायालय में कुछ अतिरिक्त न्यायाधीश (Additional Judges) भी नियुक्त कर सकता है।

न्यायाधीशों की नियुक्ति (Appointment of the Judges)-उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय उसे सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करते समय सम्बन्धित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा सम्बन्धित राज्य के राज्यपाल से भी परामर्श लेना पड़ता है। मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति प्रायः वरिष्ठता (Seniority) के आधार पर की जाती है।

1974 को पंजाब तथा हरियाणा के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी० के० महाजन के रिटायर होने पर जस्टिस नरूला को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया जिस पर उनसे सीनियर प्रेमचन्द पण्डित ने अपना रोष प्रकट करते हुए न्यायाधीश पद से त्याग-पत्र दे दिया। मि० नरूला की नियुक्ति यद्यपि संवैधानिक थी, परन्तु इससे स्थापित परम्परा का उल्लंघन हुआ।

27 जनवरी, 1983 को केन्द्रीय सरकार ने यह घोषणा की कि देश के सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश राज्य के बाहर के होंगे। सरकार ने यह भी निर्णय लिया कि भविष्य में सब राज्यों के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश दूसरे राज्यों के उच्च न्यायालयों से वहां पर उनकी वरिष्ठता तथा योग्यता के आधार पर लिये जाएंगे। ऐसे वरिष्ठ न्यायाधीश को, जिसकी सेवा निवृत्ति में एक वर्ष या उससे कम रह गया हो और इस अवधि में यदि वह मुख्य न्यायाधीश बन सकता है, वरिष्ठता के आधार पर मुख्य न्यायाधीश बनाने का विचार किया जा सकता है।

न्यायाधीशों की नियुक्ति सम्बन्धी सर्वोच्च न्यायालय का फैसला (Decision of Supreme Court with regard to the Appointment of Judges)—सर्वोच्च न्यायालय ने 6 अक्तूबर, 1993 को एक महत्त्वपूर्ण निर्णय दिया कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति सम्बन्धी कार्यपालिका के मुकाबले सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह को प्रमुखता दी जाएगी। 28 अक्तूबर, 1998 को सर्वोच्च न्यायालय की नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने एक महत्त्वपूर्ण स्पष्टीकरण के तहत यह निर्धारित किया है कि उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में अपनी सिफ़ारिश देने से पूर्व सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को सर्वोच्च न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों से विचार-विमर्श करना चाहिए। संविधान पीठ ने स्पष्ट कहा है कि सलाहकार मण्डल की राय तथा मुख्य न्यायाधीश की राय जब तक एक न हो, तब तक सिफ़ारिश नहीं की जानी चाहिए। इस निर्णय से स्पष्ट है कि उच्च न्यायालय में किसी भी न्यायाधीश की नियुक्ति भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह के विरुद्ध नहीं हो सकती।

योग्यताएं (Qualifications) उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए संविधान द्वारा योग्यताएं निश्चित की गई हैं। केवल वही व्यक्ति इस पद को सुशोभित करता है जो-

  • भारत का नागरिक हो।
  • भारत में कम-से-कम 10 वर्षों तक किसी न्यायिक पद पर रह चुका हो।

अथवा

किसी भी राज्य के उच्च न्यायालय या एक से अधिक राज्यों के उच्च न्यायालयों में कम-से-कम 10 वर्ष तक अधिवक्ता (Advocate) रह चुका हो।

अवधि (Term) उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकते हैं। इससे पहले वे स्वयं त्याग-पत्र दे सकते हैं। कदाचार तथा अयोग्य (Misbehaviour and Incapacity) के आधार पर न्यायाधीशों को 62 वर्ष की आयु पूरी होने से पहले भी हटाया जा सकता है। संसद् के दोनों सदन 2/3 बहुमत से प्रस्ताव पास करके राष्ट्रपति को किसी न्यायाधीश को पद से हटाए जाने की प्रार्थना कर सकता है और ऐसी प्रार्थना प्राप्त होने पर राष्ट्रपति उस न्यायाधीश को अपने पद से हटा देगा।

वेतन और भत्ते (Salary and Allowances) उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का मासिक वेतन 2,50,000 रु० तथा अन्य न्यायाधीशों का वेतन 2,25,000 रु० है। वेतन के अतिरिक्त उन्हें कई प्रकार के भत्ते भी मिलते हैं और वे सेवानिवृत्त होने पर पैन्शन के अधिकारी होते हैं। उनके वेतन, भत्ते तथा सेवा की अन्य शर्ते संसद् द्वारा निश्चित की जाती हैं, परन्तु किसी न्यायाधीश के कार्यकाल में उन्हें घटाया नहीं जा सकता।

शपथ (Oath)—प्रत्येक न्यायाधीश को अपना पद ग्रहण करते समय राज्य के राज्यपाल या उसके द्वारा नियुक्त किसी अन्य पदाधिकारी के सम्मुख अपने पद की शपथ लेनी पड़ती है कि वह संविधान में आस्था रखेगा, अपने कर्त्तव्यों का ईमानदारी से पालन करेगा तथा संविधान व कानून की रक्षा करेगा।

उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों का स्थानान्तरण (Transfer of Judges)-राष्ट्रपति उच्च न्यायालय के किसी भी न्यायाधीश को दूसरे राज्य के उच्च न्यायालय में स्थानान्तरित कर सकता है। आन्तरिक आपात्काल के दौरान सात न्यायाधीशों को एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय में स्थानान्तरित किया गया। उदाहरण के लिए मई, 1976 में पंजाब व हरियाणा के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को तमिलनाडु राज्य के उच्च न्यायालय में स्थानान्तरित किया गया। 13 अप्रैल, 1994 को सरकार ने 16 उच्च न्यायालयों के 50 न्यायाधीशों को अन्य उच्च न्यायालयों में स्थानान्तरित कर दिया।

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प्रश्न 2.
राज्य के उच्च न्यायालय के प्रारम्भिक तथा अपीलीय अधिकार क्षेत्र की व्याख्या करो।
(Explain the original and appellate jurisdiction of a High Court.)
अथवा
राज्य के उच्च न्यायालय की विभिन्न शक्तियों का वर्णन करो।
(Mention briefly the various powers of a State High Court.)
अथवा
राज्य के उच्च न्यायालय की समूची स्थिति पर एक संक्षिप्त नोट लिखो।
(Write a brief note on the over all position of a State High Court.)
उत्तर-
राज्य के उच्च न्यायालय को कई प्रकार की शक्तियां प्राप्त हैं। इसकी शक्तियों और कार्यों को दो भागों में बांटा जा सकता है-न्यायिक शक्तियां (Judicial Powers) तथा प्रशासकीय शक्तियां (Administrative Powers)।
(क) न्यायिक शक्तियां (Judicial Powers)-उच्च न्यायालय की न्यायिक शक्तियों का क्षेत्र दो प्रकार का होता है-

1. प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार (Original Jurisdiction) उच्च न्यायालयों का प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार अधिक विस्तृत नहीं है।

(क) मौलिक अधिकारों से सम्बन्धित कोई भी मुकद्दमा सीधा उच्च न्यायालय में ले जाया जा सकता है। उच्च न्यायालयों को मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए पांच प्रकार के लेख (Writs) जारी करने का अधिकार है।
(ख) विवाह-विच्छेद (तलाक), वसीयत (Will), न्यायालय की मान-हानि (Contempt of Court), नव वैधिक मामलों (Admiralty Cases) तथा समप्रमाण मामलों (Probate Cases) में भी उच्च न्यायालयों को प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार प्राप्त है।
(ग) उच्च न्यायालयों को विभिन्न प्रकार के लेख (Writs) जारी करने का अधिकार केवल मौलिक अधिकारों सम्बन्धी मामलों में नहीं बल्कि अन्य सभी कार्यों के लिए है।
(घ) कोलकाता, चेन्नई और मुम्बई उच्च न्यायालयों को अपने नगर के कुछ अन्य दीवानी, फौजदारी तथा राजस्व सम्बन्धी मुकद्दमे प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार प्राप्त है।
(ङ) चुनाव सम्बन्धी याचिकाएं भी (Election Petitions) उच्च न्यायालयों द्वारा ही सुनी जाती हैं।

2. अपीलीय क्षेत्राधिकार (Appellate Jurisdiction)-उच्च न्यायालयों को अपील सम्बन्धी बहुत-से अधिकार प्राप्त हैं।

(क) उच्च न्यायालय ऐसे दीवानी मुकद्दमे की अपील सुन सकता है, जिसमें 5,000 रुपए की धन राशि या उसी मूल्य की सम्पत्ति का प्रश्न निहित हो।
(ख) उच्च न्यायालय में ऐसे फौजदारी मुकद्दमे की अपील की जा सकती है, जिसमें सैशन जज ने अभियुक्त को चार वर्ष का दण्ड दिया हो।
(ग) किसी अभियुक्त को फौजदारी मुकद्दमे में मृत्यु-दण्ड देने का अधिकार सैशन जज को है, परन्तु ऐसा दण्ड उच्च न्यायालय की अनुमति से ही दिया जा सकता है अर्थात् मृत्यु-दण्ड देने से पहले सैशन जज उच्च न्यायालय की अनुमति (Approval) अवश्य लेता है।
(घ) बहुत-से राजस्व (Revenue) सम्बन्धी मामलों में भी निचले न्यायालयों के विरुद्ध अपील की जा सकती है।
(ङ) कोई भी मुकद्दमा जिसमें संविधान की किसी धारा या कानून की व्याख्या का प्रश्न निहित हो, अपील की शक्ल में उच्च न्यायालय में ले जाया जा सकता है।

3. न्यायिक निरीक्षण (Judicial Review)-उच्च न्यायालय को न्यायिक निरीक्षण का अधिकार प्राप्त है। वह किसी भी कानून को जो संविधान तथा मौलिक अधिकार के विरुद्ध हो, असंवैधानिक तथा अवैध घोषित कर सकता है।

4. प्रमाण-पत्र देने का अधिकार (Right of Certification)-उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है, परन्तु ऐसी अपील प्रत्येक मुकद्दमे में नहीं की जा सकती है। अपील करने के लिए आवश्यक है कि सम्बन्धित उच्च न्यायालय अपील करने की आज्ञा दे अर्थात् प्रमाण-पत्र दे कि यह मुकद्दमा अपील करने के योग्य है। सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय की इच्छा के विरुद्ध भी किसी मुकद्दमे में अपील करने की आज्ञा दे सकता है।

5. अभिलेखों का न्यायालय (Court of Record) उच्च न्यायालय भी सर्वोच्च न्यायालय की तरह अभिलेख का न्यायालय है। इसके सभी निर्णय तथा कार्यवाही लिखित है और उसका रिकार्ड रखा जाता है। इसके निर्णय राज्य के अन्य सभी न्यायालयों द्वारा मान्य होते हैं। विभिन्न मुकद्दमो में इसके द्वारा दिए निर्णयों का हवाला दिया जा सकता है।

(ख) प्रशासनिक शक्तियां (Administrative Powers)-उच्च न्यायालय के प्रशासनीय कार्य निम्नलिखित हैं

  • उच्च न्यायालय का राज्य के अन्य सभी न्यायालयों तथा न्यायाधिकरणों (सैनिक न्यायालयों को छोड़कर) पर देख-रेख करने और उनका निरीक्षण करने का अधिकार है।
  • उच्च न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायालय की कार्यवाही के सम्बन्ध में नियम आदि बना सकता है और समयानुसार उसमें परिवर्तन कर सकता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय अधीनस्थ न्यायालयों को अपना रिकार्ड आदि रखने की विधि के बारे में आदेश दे सकता है।
  • वह किसी भी अन्य न्यायालयों से उसका कोई रिकार्ड, कागज़-पत्र या कोई अन्य वस्तु अपने निरीक्षण के लिए मंगवा सकता है।
  • यह देखना उच्च न्यायालय का कर्तव्य है कि कोई अधीनस्थ न्यायालय अपनी शक्ति सीमा का उल्लंघन तो नहीं करता तथा अपने कर्तव्यों का निश्चित विधि के अनुसार ही पालन करता है।
  • उच्च न्यायालय अपने अधीनस्थ किसी न्यायालय से किसी भी मुकद्दमे को अपने पास मंगवा सकता है और यदि आवश्यक समझे तो स्वयं भी उसका निर्णय कर सकता है। वह अधीनस्थ न्यायालय को उसका शीघ्र न्याय करने का आदेश भी दे सकता है।
  • उच्च न्यायालय यदि आवश्यक समझे तो किसी मुकद्दमे को एक न्यायालय से दूसरे न्यायालय को हस्तान्तरित कर सकता है।
  • उच्च न्यायालय अन्य न्यायालयों में काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और सेवा की शर्ते भी निश्चित करता है।
  • उच्च न्यायालय को अन्य न्यायालयों के न्यायाधीशों की पदोन्नति (Promotion), अवनति (Demotion), अवकाश, पैन्शन और भत्ते आदि के बारे में नियम बनाने का अधिकार है।
  • उच्च न्यायालय अपने अधीन काम करने वाले अधिकारियों तथा कर्मचारियों की नियुक्ति करता है और उनकी सेवा की शर्ते भी निश्चित करता है। यह कार्य मुख्य न्यायाधीश द्वारा किया जाता है।

उच्च न्यायालय की स्थिति (Position of the High Court)- सर्वोच्च न्यायालय की तरह राज्य के उच्च न्यायालय का भी अपने राज्य के प्रशासन में महत्त्वपूर्ण भाग है। यह राज्य का सबसे बड़ा न्यायालय है जिसके अधीन राज्य के सभी न्यायालय होते हैं। 42वें संशोधन के अन्तर्गत उच्च न्यायालय किसी अधीनस्थ न्यायालय के निर्णय पर आपत्ति नहीं कर सकता जब तक उसके पास अपील न की गई हो। इस पर राज्य सरकार का नियन्त्रण नहीं और राज्य सरकारें उनके संगठन तथा शक्तियों के बारे में कोई कानून नहीं बना सकतीं। उनके न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति और राज्यपाल दोनों मिलकर करते हैं और वे भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अधीन हैं। अपने इस विचित्र संगठन के कारण राज्य के उच्च न्यायालयों ने अपनी निष्पक्षता और स्वतन्त्रता का सराहनीय प्रमाण दिया है। संविधान और नागरिकों की स्वतन्त्रता की रक्षा करते हुए उच्च न्यायालयों ने भी राज्य सरकार तथा भारत सरकार दोनों के विरुद्ध निर्णय देते हुए कोई झिझक नहीं की है।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति किस प्रकार की जाती है ?
उत्तर-
न्यायाधीशों की नियुक्ति-उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते समय उसे सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करना पड़ता है और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करते समय सम्बन्धित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा सम्बन्धित राज्य के राज्यपाल से भी परामर्श लेना पड़ता है। मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति प्रायः वरिष्ठता (Senority) के आधार पर की जाती है। 6 अक्तूबर, 1993 को दिए गए एक फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रपति राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य व अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करते समय सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह को मान्यता देगा। 28 अक्तूबर, 1998 को सर्वोच्च न्यायालय की नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने यह निर्णय दिया कि उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में अपनी सिफ़ारिश देने से पूर्व मुख्य न्यायाधीश को सर्वोच्च न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीशों से विचार-विमर्श करना चाहिए। सलाहकार मण्डल की राय तथा मुख्य न्यायाधीश की राय जब तक एक न हो, तब तक सिफ़ारिश नहीं की जानी चाहिए। राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श पर ही उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति करता है।

प्रश्न 2.
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की योग्यताएं लिखें।
उत्तर-
योग्यताएं-उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए संविधान द्वारा योग्यताएं निश्चित की गई हैं। केवल वही व्यक्ति इस पद को सुशोभित करता है जो

  • भारत का नागरिक हो।
  • भारत में कम-से-कम 10 वर्षों तक किसी न्यायिक पद पर रह चुका हो।

अथवा

किसी भी राज्य के उच्च न्यायालय या एक से अधिक राज्यों के उच्च न्यायालयों में कम-से-कम 10 वर्ष तक अधिवक्ता (Advocate) रह चुका हो।

प्रश्न 3.
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल लिखे। उन्हें किस प्रकार हटाया जा सकता है ?
उत्तर-
अवधि-उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकते हैं। इससे पहले वे स्वयं त्याग-पत्र दे सकते हैं। कदाचार तथा अयोग्यता (Misbehaviour and Incapacity) के आधार पर न्यायाधीशों को 62 वर्ष की आयु पूरी होने से पहले भी हटाया जा सकता है। संसद् के दोनों सदन 2/3 बहुमत से प्रस्ताव पास करके राष्ट्रपति को किसी भी न्यायाधीश को पद से हटाए जाने की प्रार्थना कर सकते हैं और ऐसी प्रार्थना प्राप्त होने पर राष्ट्रपति उस न्यायाधीश को अपने पद से हटा देगा।

प्रश्न 4.
उच्च न्यायालय का प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार क्या है ?
उत्तर-
उच्च न्यायालय का प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार अधिक विस्तृत नहीं है-

(क) मौलिक अधिकारों से सम्बन्धित कोई भी मुकद्दमा सीधा उच्च न्यायालय में ले जाया जा सकता है। उच्च न्यायालयों को मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए पांच प्रकार के लेख (Writs) जारी करने का अधिकार है।
(ख) विवाह-विच्छेद (तलाक), वसीयत (Will), न्यायालय की मान-हानि (Contempt of Court), नव वैधिक मामलों (Admiralty Cases) तथा सम-प्रमाण मामलों (Probate Cases) में भी उच्च न्यायालयों को प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार प्राप्त है।
(ग) उच्च न्यायालयों को विभिन्न प्रकार के लेख (Writs) जारी करने का अधिकार केवल मौलिक अधिकारों सम्बन्धी मामलों में ही नहीं बल्कि अन्य सभी कार्यों के लिए है।
(घ) कोलकाता, चेन्नई और मुम्बई उच्च न्यायालयों को अपने नगर के कुछ अन्य दीवानी, फ़ौजदारी तथा राजस्व सम्बन्धी मुकद्दमे में प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार प्राप्त हैं।
(ङ) चुनाव सम्बन्धी याचिकाएं भी (Election Petitions) उच्च न्यायालयों द्वारा ही सुनी जाती हैं।

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प्रश्न 5.
उच्च न्यायालय के अपीलीय क्षेत्राधिकार क्या हैं ?
उत्तर-
उच्च न्यायालयों को अपील सम्बन्धी बहुत-से अधिकार प्राप्त हैं-

(क) उच्च न्यायालय ऐसे दीवानी मुकद्दमे की अपील सुन सकता है जिसमें 5,000 रुपये की धन राशि या उसी मूल्य की सम्पत्ति का प्रश्न निहित हो।
(ख) उच्च न्यायालय में ऐसे फ़ौजदारी मुकद्दमे की अपील की जा सकती है, जिनमें सैशन जज ने अभियुक्त को चार वर्ष का दण्ड दिया हो।
(ग) किसी अभियुक्त को फ़ौजदारी मुकद्दमे में मृत्यु-दण्ड देने का अधिकार सेशन जज को है, परन्तु ऐसा दण्ड उच्च न्यायालय की अनुमति से ही दिया जा सकता है अर्थात् मृत्यु-दण्ड देने से पहले सेशन जज उच्च न्यायालय की अनुमति (Approval) अवश्य लेता है।
(घ) बहुत-से राजस्व (Revenue) सम्बन्धी मामलों में भी निचले न्यायालयों के विरुद्ध अपील की जा सकती है।
(ङ) कोई भी मुकद्दमा जिसमें संविधान की किसी धारा या कानून की व्याख्या का प्रश्न निहित हो, अपील की शक्ल में उच्च न्यायालय में ले जाया जा सकता है।

प्रश्न 6.
राज्य की उच्च न्यायालय की रचना का वर्णन करो।
उत्तर-
राज्य की उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीश होते हैं। नियुक्ति समय-समय पर राष्ट्रपति करता है। सभी उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की संख्या बराबर नहीं होती। राष्ट्रपति नियमित न्यायाधीशों (Regular Judges) के अलावा उच्च न्यायालयों में कुछ अनुपूरक न्यायाधीशों (Additional Judges) को भी ज्यादा से ज्यादा दो सालों के लिए नियुक्त कर सकता है। सिक्किम उच्च न्यायालय में सबसे कम न्यायाधीश हैं।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की योग्यताएं लिखें।
उत्तर-

  1. भारत का नागरिक हो।
  2. भारत में कम-से-कम 10 वर्षों तक किसी न्यायिक पद पर रह चुका हो।

अथवा

किसी भी राज्य के उच्च न्यायालय या एक से अधिक राज्यों के उच्च न्यायालयों में कम-से-कम 10 वर्ष तक अधिवक्ता (Advocate) रह चुका हो।

प्रश्न 2.
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कार्यकाल लिखें। उन्हें किस प्रकार हटाया जा सकता है ?
उत्तर-
अवधि-उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर रह सकते हैं। इससे पहले वे स्वयं त्याग-पत्र दे सकते हैं। कदाचार तथा अयोग्यता (Misbehaviour and Incapacity) के आधार पर न्यायाधीशों को 62 वर्ष की आयु पूरी होने से पहले भी हटाया जा सकता है। संसद् के दोनों सदन 2/3 बहुमत से प्रस्ताव पास करके राष्ट्रपति को किसी भी न्यायाधीश को पद से हटाए जाने की प्रार्थना कर सकते हैं और ऐसी प्रार्थना प्राप्त होने पर राष्ट्रपति उस न्यायाधीश को अपने पद से हटा देगा।

प्रश्न 3.
राज्य की उच्च न्यायालय की रचना का वर्णन करो।
उत्तर-
राज्य की उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीश होते हैं। नियुक्ति समय-समय पर राष्ट्रपति करता है। सभी उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की संख्या बराबर नहीं होती।

प्रश्न 4.
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं अन्य न्यायाधीशों को कितना मासिक वेतन मिलता है ?
उत्तर-
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को 2, 50,000 रु० मासिक वेतन एवं अन्य न्यायाधीशों को 2,25,000 रु० मासिक वेतन मिलता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न I. एक शब्द/वाक्य वाले प्रश्न-उत्तर-

प्रश्न 1. सर्वोच्च न्यायालय का संगठन क्या है ?
उत्तर-सर्वोच्च न्यायालय का एक मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीश होते हैं। आजकल सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त 30 अन्य न्यायाधीश हैं।

प्रश्न 2. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश कितनी आयु में सेवानिवृत्त होते हैं ?
उत्तर-सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं।

प्रश्न 3. सर्वोच्च न्यायालय का अध्यक्ष कौन होता है ?
उत्तर-सर्वोच्च न्यायालय का अध्यक्ष मुख्य न्यायाधीश होता है।

प्रश्न 4. सर्वोच्च न्यायालय की व्यवस्था किस अनुच्छेद के अधीन की गई है ?
उत्तर-सर्वोच्च न्यायालय की व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 124 में की गई है।

प्रश्न 5. सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना कहां की गई है ?
उत्तर-सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना नई दिल्ली में की गई है।

प्रश्न 6. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या कौन निश्चित करती है ?
उत्तर-सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या संसद् निश्चित करती है।

प्रश्न 7. संविधान एवं मौलिक अधिकारों का संरक्षक किसे माना जाता है ?
उत्तर-संविधान एवं मौलिक अधिकारों का संरक्षक सर्वोच्च न्यायालय को माना जाता है।

प्रश्न 8. सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति किसके परामर्श से की जाती है ?
उत्तर-मुख्य न्यायाधीश के।

प्रश्न 9. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों के वेतन बताओ।
उत्तर-सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को 2,80,000 रु० मासिक तथा अन्य न्यायाधीशों को 2,50,000 रु० मासिक वेतन मिलता है।

प्रश्न 10. सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए कोई एक योग्यता लिखें।
उत्तर-सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए आवश्यक है कि वह भारत का नागरिक हो।

प्रश्न 11. क्या सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश सेवानिवृत्त होने के पश्चात् वकालत कर सकते हैं ?
उत्तर-सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश सेवानिवृत्त होने के पश्चात् वकालत नहीं कर सकते हैं।

प्रश्न 12. उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में कौन वृद्धि कर सकता है ?
उत्तर-उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में संसद् वृद्धि कर सकती है।

प्रश्न 13. उच्च न्यायालयों के जजों के रिटायर होने की आयु कितनी है ?
उत्तर-62 वर्ष।

प्रश्न 14. उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए कोई एक योग्यता लिखें।
उत्तर-उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए आवश्यक है कि वह व्यक्ति भारत का नागरिक हो।

प्रश्न 15. उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को कौन हटा सकता है ?
उत्तर-उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को संसद् की सिफ़ारिश पर राष्ट्रपति हटा सकता है।

प्रश्न 16. उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश की नियुक्ति कौन करता है ?
उत्तर-राष्ट्रपति।

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प्रश्न 17. उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को प्रति मास कितना वेतन मिलता है ?
उत्तर-2,25,000 रु०।।

प्रश्न 18. उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को प्रति मास कितना वेतन मिलता है ?
उत्तर-2,50,000 रु०।

प्रश्न II. खाली स्थान भरें-

1. सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में आरंभिक क्षेत्राधिकार,अपीलीय क्षेत्राधिकार तथा …………..
2. संविधान की व्याख्या तथा रक्षा करना ………….. का कार्य है।
3. सर्वोच्च न्यायालय संविधान के ……………… के अनुसार पांच प्रकार के लेख जारी कर सकता है।
4. सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना …………… में की गई है।
उत्तर-

  1. सलाहकारी क्षेत्राधिकार
  2. सर्वोच्च न्यायालय
  3. अनुच्छेद 32
  4. नई दिल्ली।

प्रश्न III. निम्नलिखित में से सही एवं ग़लत का चुनाव करें-

1. सर्वोच्च न्यायालय की व्याख्या संविधान के अनुच्छेद 51 में की गई है।
2. वर्तमान समय में सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त 30 न्यायाधीश हैं।
3. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राज्यपाल करता है।
4. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर रहते हैं।
5. संसद् सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को साधारण बहुमत से हटा सकती है।
उत्तर-

  1. ग़लत
  2. सही
  3. ग़लत
  4. सही
  5. ग़लत ।

प्रश्न IV. बहुविकल्पीय प्रश्न-

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से किसको संविधान का संरक्षक माना जाता है ?
(क) राष्ट्रपति
(ख) सर्वोच्च न्यायालय
(ग) उच्च न्यायालय
(घ) संसद् ।
उत्तर-
(ख) सर्वोच्च न्यायालय ।

प्रश्न 2.
सर्वोच्च न्यायालय को कौन-सा अधिकार क्षेत्र प्राप्त नहीं है-
(क) प्रारम्भिक अधिकार क्षेत्र
(ख) अपीलीय
(ग) सलाहकारी
(घ) राजनीतिक।
उत्तर-
(घ) राजनीतिक।।

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प्रश्न 3.
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को कौन हटा सकता है-
(क) राष्ट्रपति
(ख) राज्यपाल
(ग) संसद्
(घ) प्रधानमन्त्री।
उत्तर-
(ग) संसद्।

प्रश्न 4.
न्यायिक पुनर्निरीक्षण की शक्ति है-
(क) जिला न्यायालयों के पास
(ख) केवल उच्च न्यायालयों के पास
(ग) केवल सर्वोच्च न्यायालय के पास
(घ) सर्वोच्च व उच्च न्यायालय दोनों के पास।
उत्तर-
(घ) सर्वोच्च व उच्च न्यायालय दोनों के पास।

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