PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 7 वन्य समाज तथा बस्तीवाद

Punjab State Board PSEB 9th Class Social Science Book Solutions History Chapter 7 वन्य समाज तथा बस्तीवाद Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 7 वन्य समाज तथा बस्तीवाद

SST Guide for Class 9 PSEB वन्य समाज तथा बस्तीवाद Textbook Questions and Answers

(क) बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
औद्योगिक क्रांति किस महाद्वीप में आरंभ हुई ?
(क) एशिया
(ख) यूरोप
(ग) आस्ट्रेलिया
(घ) उत्तरी अमेरिका।
उत्तर-
(ख) यूरोप

प्रश्न 2.
इंपीरियल वन अनुसंधान संस्थान कहां स्थित है ?
(क) दिल्ली
(ख) मुंबई
(ग) देहरादून
(घ) अबोहर।
उत्तर-
(ग) देहरादून

प्रश्न 3.
भारत की आधुनिक बागवानी का जनक किसे कहा जाता है ?
(क) लार्ड डलहौजी
(ख) डाइट्रिच ब्रैडिस
(ग) कैप्टन वाटसन
(घ) लार्ड हार्डिंग।
उत्तर-
(ख) डाइट्रिच ब्रैडिस

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प्रश्न 4.
भारत में समुद्री जहाज़ों के लिए किस वृक्ष की लकड़ी सबसे अच्छी मानी जाती है?
(क) बबूल
(ख) ओक
(ग) नीम
(घ) सागवान
उत्तर-
(घ) सागवान

प्रश्न 5.
मुंडा आंदोलन क्रिस क्षेत्र में हुआ ?
(क) राजस्थान
(ख) छोटा नागपुर
(ग) मद्रास
(घ) पंजाब।
उत्तर-
(ख) छोटा नागपुर

(ख) रिक्त स्थान भरें :

  1. …………… और ……………… मनुष्य के लिए अति आवश्यक संसाधन हैं।
  2. कलोनियलइज्म लातीनी भाषा के शब्द ……………… से बना है।
  3. यूरोप में ………… के वृक्ष की लकड़ी से समुद्री जहाज़ बनाए जाते थे।
  4. विरसा मुण्डा को 8 अगस्त 1895 ई० को ………………. नामक स्थान से गिरफ्तार किया गया।
  5. परंपरागत कृषि को …………… कृषि भी कहा जाता था।

उत्तर-

  1. वन, जल
  2. कॉलोनिया
  3. ओक
  4. चलकट
  5. झुमी (स्थानांतरित)।

(ग) सही मिलान करो :

1. विरसा मुंडा – (अ) 2006
2. समुद्री जहाज़ – (आ) बबूल
3. जंड – (इ) धरती बाबा
4. वन अधिकार अधिनियम – (ई) खेजड़ी
5. नीलगिरि की पहाड़ियाँ – (उ) सागवान।
उत्तर-

  1. धरती बाबा
  2. सागवान
  3. खेजड़ी
  4. 2006
  5. बबूल।।

(घ) अंतर बताएं:

प्रश्न 1.
1. आरक्षित वन और सुरक्षित वन
2. वैज्ञानिक बागवानी और प्राकृतिक वन।
उत्तर-
1. आरक्षित वन और सुरक्षित वन-
आरक्षित वन-आरक्षित वन लकड़ी के व्यापारिक उत्पादन के लिए होते थे। इन वनों में पशु चराना व कृषि करना सख्त मना था।
सुरक्षित वन-सुरक्षित वनों में भी पशु चराने व खेती करने पर रोक थी। परंतु इन वनों के प्रयोग करने पर सरकार को कर देना पड़ता था।

2. वैज्ञानिक बागवानी और प्राकृतिक वन-
वैज्ञानिक बागवानी-वन विभाग के नियंत्रण में वृक्ष काटने की वह प्रणाली जिसमें पुराने वृक्ष काटे जाते हैं और नए वृक्ष उगाए जाते हैं।
प्राकृतिक वन-कई पेड़ पौधे जलवायु और मिट्टी की उर्वकता के कारण अपने आप उग आते हैं। फूल फूल कर यह बड़े हो जाते हैं। इन्हें प्राकृतिक वन कहते हैं। इनकी उगने में मानव का कोई योगदान नहीं होता।

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अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
वन समाज से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वन समाज से अभिप्राय लोगों के उस समूह से है जिसकी आजीविका वनों पर निर्भर है और वह वनों के आस-पास रहते हैं।

प्रश्न 2.
उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
एक राष्ट्र अथवा राज्य द्वारा किसी कमज़ोर देश की प्राकृतिक और मानवीय सम्पदा पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण तथा उसे अपने हितों के लिए उपयोग करना उपनिवेशवाद कहलाता है।

प्रश्न 3.
वनों की कटाई के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर-

  1. कृषि का विस्तार।
  2. व्यापारिक फसलों की कृषि।

प्रश्न 4.
भारतीय समुद्री जहाज़ किस वृक्ष की लकड़ी से बनाए जाते थे ?
उत्तर-
सागवान।

प्रश्न 5.
किस प्राचीन भारतीय सम्राट ने जीव-जंतुओं के वध पर प्रतिबंध लगा दिया था
उत्तर-
सम्राट अशोक।

प्रश्न 6.
नीलगिरी की पहाड़ियों पर कौन-कौन से वृक्ष लगाए गए ?
उत्तर-
बबूल (कीकर)।

प्रश्न 7.
चार व्यापारिक फसलों के नाम बताएं।
उत्तर-
कपास, पटसन, चाय, काफी, रबड़ आदि।

प्रश्न 8.
बिरसा मुंडा ने कौन-सा नारा दिया ?
उत्तर-
‘अबुआ देश में अबुआ राज’।

प्रश्न 9.
जोधपुर के राजा को किस समुदाय के लोगों ने बलिदान देकर वृक्षों की कटाई से रोका ?
उत्तर-
बिश्नोई संप्रदाय।

लघु उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
उपनिवेशवाद से क्या अभिप्राय है ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर-
एक राष्ट्र अथवा राज्य द्वारा किसी कमज़ोर देश की प्राकृतिक और मानवीय संपदा पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण और उसका अपने हितों के लिए उपयोग उपनिवेशवाद कहलाता है। स्वतंत्रता से पहले भारत पर ब्रिटिश सरकार का नियंत्रण इसका उदाहरण है।

प्रश्न 2.
वन व आजीविका में क्या संबंध है ?
उत्तर-
वन हमारे जीवन का आधार हैं । वनों से हमें फल, फूल, जड़ी-बूटियां, रबड़, इमारती लकड़ी तथा ईंधन के लिए लकड़ी आदि मिलती है। वन जंगली-जीवों आश्रय स्थल हैं। पशु-पालन पर निर्वाह करने वाले अधिकतर लोग वनों पर निर्भर हैं। इसके अतिरिक्त वन पर्यावरण को शुद्धता प्रदान करते हैं। वन वर्षा लाने में भी सहायक हैं। वर्षा की पुनरावृत्ति वनों में रहने वाले लोगों की कृषि, पशु-पालन आदि कार्यों में सहायक होती है।

प्रश्न 3.
रेलवे के विस्तार में वनों का प्रयोग कैसे किया गया ?
उत्तर-
औपनिवेशिक शासकों को रेलवे के विस्तार के लिए स्लीपरों की आवश्यकता थी जो कठोर लकड़ी से बनाए जाते थे। इसके अतिरिक्त भाप इंजनों को चलाने के लिए ईंधन भी चाहिए था। इसके लिए भी लकड़ी का प्रयोग किया जाता था। अत: बड़े पैमाने पर वनों को काटा जाने लगा। 1850 के दशक तक केवल मद्रास प्रेजीडेंसी में स्लीपरों के लिए प्रति वर्ष 35,000 वृक्ष काटे जाने लगे थे। इसके लिए लोगों को ठेके दिए जाते थे। ठेकेदार स्लीपरों की आपूर्ति के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई करते थे। फलस्वरूप रेलमार्गों के चारों ओर के वन तेज़ी से समाप्त होने लगे। 1882 में जावा से भी 2 लाख 80 हजार स्लीपरों का आयात किया गया।

प्रश्न 4.
1878 ई० के वन अधिनियम के अनुसार वनों के वर्गीकरण का उल्लेख करें।
उत्तर-
1878 में 1865 के वन अधिनियम में संशोधन किया गया। नये प्रावधानों के अनुसार-

  1. वनों को तीन श्रेणियों में बांटा गया : आरक्षित, सुरक्षित व ग्रामीण।
  2. सबसे अच्छे जंगलों को ‘आरक्षित वन’ कहा गया। गांव वाले इन जंगलों से अपने उपयोग के लिए कुछ भी नहीं ले सकते थे।
  3. घर बनाने या ईंधन के लिए गांववासी केवल सुरक्षित या ग्रामीण वनों से ही लकड़ी ले सकते थे।

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प्रश्न 5.
समकालीन भारत में वनों की क्या स्थिति है ?
उत्तर-
भारत राष्ट्र ऋषियों-मुनियों व भक्तों की धरती है। इन का वनों से गहरा संबंध रहा है। इसी कारण भारत में यहां वन तथा वन्य जीवों की सुरक्षा करने की परंपरा रही है। प्राचीन भारतीय सम्राट अशोक ने एक शिलालेख पर लिखवाया था उसके अनुसार जीव-जंतुओं को मारा नहीं जाएगा। तोता, मैना, अरुणा, कलहंस, नंदीमुख, सारस, बिना कांटे वाली मछलियां आदि जानवर जो उपयोगी व खाने के योग्य नहीं थे। इस के अतिरिक्त वनों को भी जलाया नहीं जाएगा।

प्रश्न 6.
झूम प्रथा (झूम कृषि) पर नोट लिखें।
उत्तर-
उपनिवेशवाद से पूर्व वनों में पारंपरिक कृषि की जाती थी, इसे झूम प्रथा अथवा झूमी कृषि (स्थानांतरित कृषि) कहा जाता था। कृषि की इस प्रथा के अनुसार जंगल के कुछ भाग के वृक्षों को काट कर आग लगा दी जाती थी। मानसून के बाद उस क्षेत्र में फसल बोई जाती थी, जिसको अक्तूबर-नवंबर में काट लिया जाता था। दो-तीन वर्ष लगातार इसी क्षेत्र में से फसल पैदा की जाती थी। जब उसकी उर्वरा शक्ति कम हो जाती थी, तो इस क्षेत्र में वृक्ष लगा दिए जाते थे, ताकि फिर से वन तैयार हो सके। ऐसे वन 17-18 वर्षों में पुनः तैयार हो जाते थे। वनवासी कृषि के लिए किसी अन्य स्थान को चुन लेते थे।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
वनों की कटाई के क्या कारण हैं ? वर्णन करें।
उत्तर-
औद्योगिक क्रांति से कच्चे माल और खाद्यपदार्थों की मांग बढ़ गई। इसके साथ ही विश्व में लकड़ी की मांग भी बढ़ गई, जंगलों की कटाई होने लगी और धीरे-धीरे लकड़ी कम मिलने लगी। इससे वन निवासियों का जीवन व पर्यावरण बुरी तरह प्रभावित हुआ। यूरोपीय देशों की आंख भारत सहित उन देशों पर टिक गई, जो वन-संपदा व अन्य प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न थे। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए डचों, पुर्तगालियों, फ्रांसीसियों और अंग्रेज़ों आदि ने वनों को काटना आरंभ कर दिया। संक्षेप उपनिवेशवाद के अधीन वनों की कटाई के कारण निम्नलिखित थे।

  1. रेलवे-औपनिवेशिक शासकों को रेलवे के विस्तार के लिए स्लीपरों की आवश्यकता थी जो कठोर लकड़ी से बनाए जाते थे। इसके अतिरिक्त भाप इंजनों को चलाने के लिए ईंधन भी चाहिए था। इसके लिए भी लकड़ी का प्रयोग किया जाता था। अत: बड़े पैमाने पर वनों को काटा जाने लगा। 1850 के दशक तक केवल मद्रास प्रेजीडेंसी में स्लीपरों के लिए प्रति वर्ष 35,000 वृक्ष काटे जाने लगे थे। इसके लिए लोगों को ठेके दिए जाते थे। ठेकेदार स्लीपरों की आपूर्ति के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई करते थे। फलस्वरूप रेलमार्गों के चारों ओर के वन तेज़ी से समाप्त होने लगे। 1882 में जावा से भी 2 लाख 80 हज़ार स्लीपरों का आयात किया गया।
  2. जहाज़ निर्माण-औपनिवेशिक शासकों को अपनी नौ-शक्ति बढ़ाने के लिए जहाज़ों की आवश्यकता थी। इसके लिए भारी मात्रा में लकड़ी चाहिए थी। अत: मज़बूत लकड़ी प्राप्त करने के लिए टीक और साल के पेड़ लगाए जाने लगे। अन्य सभी प्रकार के वृक्षों को साफ़ कर दिया गया। शीघ्र ही भारत से बड़े पैमाने पर लकड़ी इंग्लैंड भेजी जाने लगी।
  3. कृषि-विस्तार-1600 ई० में भारत का लगभग 1/6 भू-भाग कृषि के अधीन था। परंतु जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ खादानों की मांग बढ़ने लगी। अत: किसान कृषि क्षेत्र का विस्तार करने लगे। इसके लिए वनों को साफ करके नए खेत बनाए जाने लगे। इसके अतिरिक्त ब्रिटिश अधिकारी आरंभ में यह सोचते थे कि वन धरती की शोभा बिगाड़ते हैं। अतः इन्हें काटकर कृषि भूमि का विस्तार किया जाना चाहिए, ताकि यूरोप की शहरी जनसंख्या के लिए भोजन और कारखानों के लिए कच्चा माल प्राप्त किया जा सके। कृषि के विस्तार से सरकार की आय भी बढ़ सकती थी। फलस्वरूप 1880-1920 के बीच 67 लाख हेक्टेयर कृषि क्षेत्र का विस्तार हुआ। इसका सबसे बुरा प्रभाव वनों पर ही पड़ा।
  4. व्यावसायिक खेती-व्यावसायिक खेती से अभिप्राय नकदी फसलें उगाने से है। इन फसलों में जूट (पटसन), गन्ना, गेहूं तथा कपास आदि फ़सलें शामिल हैं। इन फसलों की मांग 19वीं शताब्दी में बढ़ी। ये फसलें उगाने के लिए भी वनों का विनाश करके नई भमियां प्राप्त की गईं।
  5. चाय-कॉफी के बागान-यूरोप में चाय तथा काफ़ी की मांग बढ़ती जा रही थी। अतः औपनिवेशिक शासकों ने वनों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया और वनों को काट कर विशाल भू-भाग बागान मालिकों को सस्ते दामों पर बेच दिया। इन भू-भागों पर चाय तथा काफ़ी के बागान लगाए गए।
  6. आदिवासी और किसान-आदिवासी तथा अन्य छोटे-छोटे किसान अपनी झोंपड़ियां बनाने तथा ईंधन के लिए पेड़ों को काटते थे। वे कुछ पेड़ों की जड़ों तथा कंदमूल आदि का प्रयोग भोजन के रूप में भी करते थे। इससे भी वनों का अत्यधिक विनाश हुआ।

प्रश्न 2.
उपनिवेशवाद के अंतर्गत बने वन-अधिनियमों का वन समाज पर क्या प्रभाव पड़ा ? वर्णन करें।
उत्तर-

1. झूम खेती करने वालों को-औपनिवेशिक शासकों ने झूम खेती पर रोक लगा दी और इस प्रकार की खेती करने वाले जन समुदायों को उनके घरों से ज़बरदस्ती विस्थापित कर दिया। परिणामस्वरूप कुछ किसानों को अपना व्यवसाय बदलना पड़ा और कुछ ने इसके विरोध में विद्रोह कर दिया।

2. घुमंतू और चरवाहा समुदायों को-वन प्रबंधन के नये कानून बनने से स्थानीय लोगों द्वारा वनों में पशु चराने तथा शिकार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। फलस्वरूप कई घुमंतू तथा चरवाहा समुदायों की रोज़ी छिन गई। ऐसा मुख्यत: मद्रास प्रेजीडेंसी के कोरावा, कराचा तथा येरुकुला समुदायों के साथ घटित हुआ। विवश होकर उन्हें कारखानों, खानों तथा बागानों में काम करना पड़ा। ऐसे कुछ समुदायों को ‘अपराधी कबीले’ भी कहा जाने लगा।

3. लकड़ी और वन उत्पादों का व्यापार करने वाली कंपनियों को-वनों पर वन-विभाग का नियंत्रण स्थापित हो जाने के पश्चात् वन उत्पादों (कठोर लकड़ी, रब आदि) के व्यापार को बल मिला। इस कार्य के लिए कई व्यापारिक कंपनियां स्थापित हो गईं। ये स्थानीय लोगों से महत्त्वपूर्ण वन उत्पाद खरीद कर उनका निर्यात करने लगीं और भारी
मुनाफा कमाने लगीं। भारत में ब्रिटिश सरकार ने कुछ विशेष क्षेत्रों में इस व्यापार के अधिकार बड़ी-बड़ी यूरोपीय कंपनियों को दे दिए। इस प्रकार वन उत्पादों के व्यापार पर अंग्रेजी सरकार का नियंत्रण स्थापित हो गया।

4. बागान मालिकों को-ब्रिटेन में चाय, कहवा, रबड़ आदि की बड़ी मांग थी। अतः भारत में इन उत्पादों के बड़ेबड़े बागान लगाए गए। इन बागानों के मालिक मुख्यतः अंग्रेज़ थे। वे मजदूरों का खूब शोषण करते थे और इन उत्पादों के निर्यात से खूब धन कमाते थे।
PSEB 9th Class SST Solutions History Chapter 7 वन्य समाज तथा बस्तीवाद (1)

5. शिकार खेलने वाले राजाओं और अंग्रेज़ अफसरों को-नये वन कानूनों द्वारा वनों में शिकार करने पर रोक लगा दी गई। जो कोई भी शिकार करते पकड़ा जाता था, उसे दंड दिया जाता था। अब हिंसक जानवरों का शिकार करना राजाओं तथा राजकुमारों के लिए एक खेल बन गया। मुगलकाल के कई चित्रों में सम्राटों तथा राजकुमारों को शिकार करते दिखाया गया है।
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ब्रिटिश काल में हिंसक जानवरों का शिकार बड़े पैमाने पर होने लगा। इसका कारण यह था कि अंग्रेज़ अफ़सर हिंसक जानवरों को मारना समाज के हित में समझते थे। उनका मानना था कि ये जानवर खेती करने वालों के लिए खतरा उत्पन्न करते हैं। अत: वे अधिक-से-अधिक बाघों, चीतों तथा भेड़ियों को मारने के लिए पुरस्कार देते थे। फलस्वरूप 1875-1925 ई० के बीच पुरस्कार पाने के लिए 80 हज़ार बाघों, 1 लाख 50 हज़ार चीतों तथा 2 लाख भेड़ियों को मार डाला गया। महाराजा सरगुजा ने अकेले 1157 बाघों तथा 2000 चीतों को शिकार बनाया। जार्ज यूल नामक एक ब्रिटिश शासक ने 400 बाघों को मारा।

प्रश्न 3.
मुंडा आंदोलन पर नोट लिखो।
उत्तर-
भूमि, जल तथा वन की रक्षा के लिए किए गए आंदोलनों में मुंडा आंदोलन का प्रमुख स्थान है। यह आंदोलन आदिवासी नेता बिरसा मुंडा के नेतृत्व में चलाया गया।
कारण-

  1. आदिवासी जंगलों को पिता और ज़मीन को माता की तरह पूजते थे। जंगलों से संबंधित बनाए गए कानूनों ने उनको इनसे दूर कर दिया।
  2. डॉ० नोटरेट नामक ईसाई पादरी ने मुंडा कबीले के लोगों तथा नेताओं को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया
    और उन्हें लालच दिया कि उनकी ज़मीनें उन्हें वापिस करवा दी जाएंगी। परंतु बाद में सरकार ने साफ इंकार कर दिया।
  3. बिरसा मुंडा ने अपने विचारों के माध्यम से आदिवासियों को संगठित किया। सबसे पहले उसने अपने आंदोलन में सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक पक्षों को मज़बूत बनाया। उसने लोगों को अंधविश्वासों से निकाल कर शिक्षा के साथ जोडने का प्रयत्न किया। जल-जंगल-ज़मीन की रक्षा और उन पर आदिवासियों के अधिकार की बात करके उसने आर्थिक पक्ष से लोगों को अपने साथ जोड़ लिया। इसके अतिरिक्त उसने धर्म और संस्कृति की रक्षा का नारा देकर अपनी संस्कृति बचाने की बात की।

आंदोलन का आरंभ तथा प्रगति-1895 ई० में वन संबंधी बकाए की माफी के लिए आंदोलन चला परंतु सरकार ने आंदोलनकारियों की मांगों को ठुकरा दिया। बिरसा मुंडा ने ‘अबुआ देश में अबुआ राज’ का नारा देकर अंग्रेज़ों के विरुद्ध संघर्ष का बिगुल बजा दिया। 8 अगस्त, 1895 ई० को ‘चलकट’ स्थान पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया और दो वर्ष के लिए जेल भेज दिया गया। 1897 ई० में उसकी रिहाई के बाद उस क्षेत्र में अकाल पड़ा। बिरसा मुंडा ने अपने साथियों को साथ लेकर लोगों की सेवा की और अपने विचारों से लोगों को जागृत किया। लोग उसे धरती बाबा के तौर पर पूजने लगे। परंतु सरकार उसके विरुद्ध होती गई। 1897 ई० में लगभग 400 मुंडा विद्रोहियों ने खंटी थाने पर हमला कर दिया। 1898 ई० में तांगा नदी के इलाके में विद्राहियों ने अंग्रेज़ी सेना को पीछे की ओर धकेल दिया, परंतु बाद में अंग्रेजी सेना ने सैकड़ों आदिवासियों को मौत के घाट उतार दिया।

बिरसा मुंडा की गिरफ्तारी, मृत्यु तथा आंदोलन का अंत-14 दिसंबर, 1899 ई० को बिरसा मुंडा ने अंग्रेज़ों के विरुद्ध युद्ध का ऐलान कर दिया, जोकि जनवरी 1900 ई० में सारे क्षेत्र में फैल गया। अंग्रेज़ों ने बिरसा मुंडा की गिरफ्तारी के लिए ईनाम का ऐलान कर दिया। कुछ स्थानीय लोगों ने लालच वश 3 फरवरी, 1900 ई० में बिरसा मुंडा को छल से पकड़वा दिया। उसे रांची जेल भेज दिया गया। वहां अंग्रेजों ने उसे धीरे-धीरे असर करने वाला विष दिया, जिसके कारण 9 जून, 1900 ई० को उसकी मृत्यु हो गई। परंतु उसकी मृत्यु का कारण हैज़ा बताया गया, ताकि मुंडा समुदाय के लोग भड़क न जाएं। उसकी पत्नी, बच्चों और साथियों पर मुकद्दमे चला कर भिन्न-भिन्न प्रकार की यातनाएं दी गईं।
सच तो यह है कि बिरसा मुंडा ने अपने कबीले के प्रति अपनी सेवाओं के कारण अल्प आयु में ही अपना नाम अमर कर लिया। लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागृत करने तथा अपने धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिए तैयार करने के कारण आज भी लोग बिरसा मुंडा को याद करते हैं।

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PSEB 9th Class Social Science Guide वन्य समाज तथा बस्तीवाद Important Questions and Answers

I. बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
तेंद्र के पत्तों का प्रयोग किस काम में किया जाता है ?
(क) बीड़ी बनाने में ।
(ख) चमड़ा रंगने में
(ग) चाकलेट बनाने में
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(क) बीड़ी बनाने में ।

प्रश्न 2.
चाकलेट में प्रयोग होने वाला तेल प्राप्त होता है
(क) टीक के बीजों से
(ख) शीशम के बीजों से
(ग) साल के बीजों से
(घ) कपास के बीजों से।
उत्तर-
(ग) साल के बीजों से

प्रश्न 3.
आज भारत की कुल भूमि का लगभग कितना भाग कृषि के अधीन है ?
(क) चौथा
(ख) आधा
(ग) एक तिहाई
(घ) दो तिहाई।
उत्तर-
(ख) आधा

प्रश्न 4.
इनमें से वाणिज्यिक अथवा नकदी फसल कौन-सी है ?
(क) जूट
(ख) कपास
(ग) गन्ना
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 5.
कृषि-भूमि के विस्तार का क्या बुरा परिणाम है ?
(क) वनों का विनाश
(ख) उद्योगों को बंद करना
(ग) कच्चे माल का विनाश
(घ) उत्पादन में कमी।
उत्तर-
(क) वनों का विनाश

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प्रश्न 6.
19वीं शताब्दी में इंग्लैंड की रॉयल नेवी के लिए जलयान निर्माण की समस्या उत्पन्न होने का कारण था
(क) शीशम के वनों में कमी
(ख) अनेक वनों की कमी
(ग) कीकर के वनों में कमी
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ख) अनेक वनों की कमी

प्रश्न 7.
1850 के दशक में रेलवे के स्लीपर बनाए जाते थे
(क) सीमेंट से
(ख) लोहे से
(ग) लकड़ी से
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) लकड़ी से

प्रश्न 8.
चाय और कॉफी के बागान लगाए गए
(क) वनों को साफ़ करके
(ख) वन लगाकर
(ग) कारखाने हटाकर
(घ) खनन को बंद करके।
उत्तर-
(क) वनों को साफ़ करके

प्रश्न 9.
अंग्रेज़ों के लिए भारत में रेलवे का विस्तार करना ज़रूरी था
(क) अपने औपनिवेशिक व्यापार के लिए
(ख) भारतीयों की सुविधा के लिए
(ग) अंग्रेज़ उच्च अधिकारियों की सुविधा के लिए
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) अपने औपनिवेशिक व्यापार के लिए

प्रश्न 10.
भारत में वनों का पहला इंस्पेक्टर-जनरल था
(क) फ्रांस का केल्विन
(ख) जर्मनी का डीट्रिख चैंडिस
(ग) इंग्लैंड का क्रिसफोर्ड
(घ) रूस का निकोलस।
उत्तर-
(ख) जर्मनी का डीट्रिख चैंडिस

प्रश्न 11.
भारतीय वन सेवा (Indian Forest Service) की स्थापना कब हुई ?
(क) 1850 में
(ख) 1853 में
(ग) 1860 में
(घ) 1864 में।
उत्तर-
(घ) 1864 में।

प्रश्न 12.
निम्न में से किस वर्ष भारतीय वन अधिनियम बना
(क) 1860 में
(ख) 1864 में
(ग) 1865 में
(घ) 1868 में।
उत्तर-
(ग) 1865 में

प्रश्न 13.
1906 में इंपीरियल फारेस्ट रिसर्च इंस्टीच्यूट (Imperial Forest Research Institute) की स्थापना
(क) देहरादून में
(ख) कोलकाता में
(ग) दिल्ली में
(घ) मुंबई में।
उत्तर-
(क) देहरादून में

प्रश्न 14.
देहरादून के इंपीरियल फारेस्ट इंस्टीच्यूट (स्कूल) में जिस वन्य प्रणाली का अध्ययन कराया जाता था, वह थी
(क) मूलभूत वानिकी
(ख) वैज्ञानिक वानिकी
(ग) बागान वानिकी
(घ) आरक्षित वानिकी।
उत्तर-
(ग) बागान वानिकी

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प्रश्न 15.
1865 के वन अधिनियम में संशोधन हुआ ?
(क) 1878 ई०
(ख) 1927 ई०
(ग) 1878 तथा 1927 ई० दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) 1878 तथा 1927 ई० दोनों

प्रश्न 16.
1878 के वन अधिनियम के अनुसार ग्रामीण मकान बनाने तथा ईंधन के लिए जिस वर्ग के वनों से लकड़ी नहीं ले सकते थे
(क) आरक्षित वन
(ख) सुरक्षित वन
(ग) ग्रामीण वन
(घ) सुरक्षित तथा ग्रामीण वन।
उत्तर-
(क) आरक्षित वन

प्रश्न 17.
सबसे अच्छे वन क्या कहलाते थे ?
(क) ग्रामीण वन
(ख) आरक्षित वन
(ग) दुर्गम वन
(घ) सुरक्षित वन।
उत्तर-
(ख) आरक्षित वन

प्रश्न 18.
कांटेदार छाल वाला वृक्ष है.
(क) साल
(ख) टीक
(ग) सेमूर
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ग) सेमूर

प्रश्न 19.
स्थानांतरी कृषि का एक अन्य नाम है
(क) झूम कृषि
(ख) रोपण कृषि
(ग) गहन कृषि
(घ) मिश्रित कृषि।
उत्तर-
(क) झूम कृषि

प्रश्न 20.
स्थानांतरी कृषि में किसी खेत पर अधिक-से-अधिक कितने समय के लिए कृषि होती है ?
(क) 5 वर्ष तक
(ख) 4 वर्ष तक
(ग) 6 वर्ष तक
(घ) 2 वर्ष तक।
उत्तर-
(घ) 2 वर्ष तक।

प्रश्न 21.
चाय के बागानों पर काम करने वाला समुदाय था
(क) मेरुकुला
(ख) कोरवा
(ग) संथाल
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ग) संथाल

प्रश्न 22.
संथाल परगनों में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह करने बाले वन समुदाय का नेता था
(क) बिरसा मुंडा
(ख) सिद्धू
(ग) अलूरी सीता राम राजू
(घ) गुंडा ध्रुव।
उत्तर-
(ख) सिद्धू

प्रश्न 23.
बिरसा मुंडा ने जिस क्षेत्र में वन समुदाय के विद्रोह का नेतृत्व किया
(क) तत्कालीन आंध्र प्रदेश
(ख) केरल
(ग) संथाल परगना
(घ) छोटा नागपुर।
उत्तर-
(घ) छोटा नागपुर।

प्रश्न 24.
बस्तर में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह का नेता कौन था ?
(क) गुंडा ध्रुव
(ख) बिरसा मुंडा
(ग) कनु
(घ) सिद्ध।
उत्तर-
(क) गुंडा ध्रुव

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प्रश्न 25.
जावा का कौन-सा समुदाय वन काटने में कुशल था ?
(क) संथाल
(ख) डच
(ग) कलांग
(घ) सामिन।
उत्तर-
(ग) कलांग

II. रिक्त स्थान भरो:

  1. 1850 के दशक में रेलवे …………. के स्लीपर बनाए जाते थे।
  2. जर्मनी का ……………. भारत में पहला इंस्पेक्टर जनरल था।
  3. भारतीय वन अधिनियम ……………….. ई० में बना।
  4. 1906 ई० में ………………. में इंपीरियल फारेस्ट रिसर्च इंस्टीच्यूट की स्थापना हुई।
  5. …………………वन सबसे अच्छे वन कहलाते हैं।

उत्तर-

  1. लकड़ी
  2. डीट्रिख ब्रैडिस
  3. 1865
  4. देहरादून
  5. आरक्षित।

III. सही मिलान करो :

(क) – (ख)
1. तेंदू के पत्ते – (i) छोटा नागपुर
2. भारतीय वन अधिनियम – (ii) बीड़ी बनाने
3. इंपीरियल फारेस्ट रिसर्च इंस्टीचूट – (iii) साल के बीज
4. चाकलेट – (iv) 1865
5. बिरसा मुंडा – (v) 1906
उत्तर-

  1. बॉडी बनाने
  2. 1865
  3. 1906
  4. साल के बीज
  5. छोटा नागपुर।

अति लघु उत्तरों वाले प्रश्न

उत्तर एक लाइन अथवा एक शब्द में :

प्रश्न 1.
वनोन्मूलन (Deforestation) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वनों का कटाव एवं सफ़ाई।

प्रश्न 2.
कृषि के विस्तारण का मुख्य कारण क्या था ?
उत्तर-
बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए भोजन की बढ़ती हुई मांग को पूरा करना।

प्रश्न 3.
वनों के विनाश का कोई एक कारण बताओ।
उत्तर-
कृषि का विस्तारण।

प्रश्न 4.
दो नकदी फसलों के नाम बताओ।
उत्तर-
जूट तथा कपास।

प्रश्न 5.
19वीं शताब्दी के आरंभ में औपनिवेशिक शासक वनों की सफ़ाई क्यों चाहते थे ? कोई एक कारण बताइए।
उत्तर-
वे वनों को ऊसर तथा बीहड़ स्थल समझते थे।

प्रश्न 6.
कृषि में विस्तार किस बात का प्रतीक माना जाता है ?
उत्तर-
प्रगति का।

प्रश्न 7.
आरंभ में अंग्रेज़ शासक वनों को साफ़ करके कृषि का विस्तार क्यों करना चाहते थे ? कोई एक कारण लिखिए।
उत्तर-
राज्य की आय बढ़ाने के लिए।

प्रश्न 8.
इंग्लैंड की सरकार ने भारत में वन संसाधनों का पता लगाने के लिए खोजी दंल कब भेजे ?
उत्तर-
1820 के दशक में।

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प्रश्न 9.
औपनिवेशिक शासकों को किन दो उद्देश्य की पूर्ति के लिए बड़े पैमाने पर मज़बूत लकड़ी की ज़रूरत थी ?
उत्तर-
रेलवे के विस्तार तथा नौ-सेना के लिए जलयान बनाने के लिए।

प्रश्न 10.
रेलवे के विस्तार का वनों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
बड़े पैमाने पर वनों का कटाव।

प्रश्न 11.
1864 में ‘भारतीय वन सेवा’ की स्थापना किसने की ?
उत्तर-
डीट्रिख चैंडिस (Dietrich Brandis) ने।

प्रश्न 12.
वैज्ञानिक वानिकी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
वन विभाग के नियंत्रण में वृक्ष (वन) काटने की वह प्रणाली जिसमें पुराने वृक्ष काटे जाते हैं और नये वृक्ष लगाए जाते हैं।

प्रश्न 13.
बागान का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
सीधी पंक्तियों में एक ही प्रजाति के वृक्ष उगाना।

प्रश्न 14.
1878 के वन अधिनियम द्वारा वनों को कौन-कौन से तीन वर्गों में बांटा गया ?
उत्तर-

  1. आरक्षित वन
  2. सुरक्षित वन
  3. ग्रामीण वन।

प्रश्न 15.
किस वर्ग के वनों से ग्रामीण कोई भी वन्य उत्पाद नहीं ले सकते थे ?
उत्तर-
आरक्षित वन।

प्रश्न 16.
मज़बूत लकड़ी के दो वृक्षों के नाम बताओ।
उत्तर-
टीक तथा साल।

प्रश्न 17.
दो वन्य उत्पादों के नाम बताओ जो पोषक गुणों से युक्त होते हैं।
उत्तर-
फल तथा कंदमूल।

प्रश्न 18.
जड़ी-बूटियां किस काम आती हैं ?
उत्तर-
औषधियां बनाने के।

प्रश्न 19.
महुआ के फल से क्या प्राप्त होता है ?
उत्तर-
खाना पकाने और जलाने के लिए तेल।

प्रश्न 20.
विश्व के किन भागों में स्थानांतरी (झूम) खेती की जाती है ?
उत्तर-
एशिया के कुछ भागों, अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका में।

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लघु उत्तरों वाले प्रश्न।

प्रश्न 1.
औपनिवेशिक काल में कृषि के तीव्र विस्तारीकरण के मुख्य कारण क्या थे ?
उत्तर-
औपनिवेशिक काल में कृषि के तीव्र विस्तारीकरण के मुख्य कारण निम्नलिखित थे-

  1. 19वीं शताब्दी में यूरोप में जूट (पटसन), गन्ना, कपास, गेहूं आदि वाणिज्यिक फसलों की मांग बढ़ गई। अनाज शहरी जनसंख्या को भोजन जुटाने के लिए चाहिए था तथा अन्य फसलों का उद्योगों में कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाना था। अत: अंग्रेज़ी शासकों ने ये फसलें उगाने के लिए कृषि क्षेत्र का तेजी से विस्तार किया।
  2. 19वीं शताब्दी के आरंभिक वर्षों में अंग्रेज़ शासक वन्य भूमि को ऊसर तथा बीहड़ मानते थे। वे इसे उपजाऊ बनाने के लिए वन साफ़ करके भूमि को कृषि के अधीन लाना चाहते थे। .
  3. अंग्रेज़ शासक यह भी सोचते थे कि कृषि के विस्तार से कृषि-उत्पादन में वृद्धि होगी। फलस्वरूप राज्य को अधिक राजस्व प्राप्त होगा और राज्य की आय में वृद्धि होगी।
    अतः 1880-1920 ई० के बीच कृषि क्षेत्र में 67 लाख हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी हुई।

प्रश्न 2.
1820 के बाद भारत में वनों को बड़े पैमाने पर काटा जाने लगा। इसके लिए कौन-कौन से कारक उत्तरदायी थे ?
उत्तर-
1820 के दशक में ब्रिटिश सरकार को मज़बूत लकड़ी की बहुत अधिक आवश्यकता पड़ी। इसे पूरा करने के लिए वनों को बड़े पैमाने पर काटा जाने लगा। लकड़ी की बढ़ती हुई आवश्यकता और वनों के कटाव के लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी थे-

  1. इंग्लैंड की रॉयल नेवी (शाही नौ-सेना) के लिए जलयान ओक के वृक्षों से बनाए जाते थे। परंतु इंग्लैंड के ओक वन समाप्त होते जा रहे थे और जलयान निर्माण में बाधा पड़ रही थी। अतः भारत के वन संसाधनों का पता लगाया गया और यहां के वृक्ष काट कर लकड़ी इंग्लैंड भेजी जाने लगी।
  2. 1850 के दशक में रेलवे का विस्तार आरंभ हुआ। इससे लकड़ी की आवश्यकता और अधिक बढ़ गई। इसका कारण यह था कि रेल पटरियों को सीधा रखने के लिए सीधे तथा मज़बूत स्लीपर चाहिए थे जो लकड़ी से बनाए जाते थे। फलस्वरूप वनों पर और अधिक बोझ बढ़ गया। 1850 के दशक तक केवल मद्रास प्रेजीडेंसी में स्लीपरों के लिए प्रतिवर्ष 35,000 वृक्ष काटे जाते थे।
  3. अंग्रेज़ी सरकार ने लकड़ी की आपूर्ति बनाये रखने के लिए निजी कंपनियों को वन काटने के ठेके दिये। इन कंपनियों ने वृक्षों को अंधाधुंध काट डाला।

प्रश्न 3.
वैज्ञानिक वानिकी के अंतर्गत वन-प्रबंधन के लिए क्या-क्या पग उठाए गए ?
उत्तर-
वैज्ञानिक वानिकी के अंतर्गत वन प्रबंधन के लिए कई महत्त्वपूर्ण पग उठाए गए-

  1. उन प्राकृतिक वनों को काट दिया गया जिनमें कई प्रकार की प्रजातियों के वृक्ष पाये जाते थे।
  2. काटे गए वनों के स्थान पर बागान व्यवस्था की गई। इसके अंतर्गत सीधी पंक्तियों में एक ही प्रजाति के वृक्ष लगाए गए।
  3. वन अधिकारियों ने वनों का सर्वेक्षण किया और विभिन्न प्रकार के वृक्षों के अधीन क्षेत्र का अनुमान लगाया। उन्होंने वनों के उचित प्रबंध के लिए कार्य योजनाएं भी तैयार की। .
  4. योजना के अनुसार यह निश्चित किया गया कि प्रतिवर्ष कितना वन आवरण काटा जाए। उसके स्थान पर नये वृक्ष लगाने की योजना भी बनाई गई ताकि कुछ वर्षों में नये पेड़ पनप जाएं।

प्रश्न 4.
वनों के बारे में औपनिवेशिक वन अधिकारियों तथा ग्रामीणों के हित परस्पर टकराते थे। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
वनों के संबंध में वन अधिकारियों तथा ग्रामीणों के हित परस्पर टकराते थे। ग्रामीणों को जलाऊ लकड़ी, चारा तथा पत्तियों आदि की आवश्यकता थी। अत: वे ऐसे वन चाहते थे जिनमें विभिन्न प्रजातियों की मिश्रित वनस्पति हो।
इसके विपरीत वन अधिकारी ऐसे वनों के पक्ष में थे जो उनकी जलयान निर्माण तथा रेलवे के प्रसार की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। इसलिए वे कठोर लकड़ी के वृक्ष लगाना चाहते थे जो सीधे और ऊंचे हों। अतः मिश्रित वनों का सफाया करके टीक और साल के वृक्ष लगाए गए।

प्रश्न 5.
वन अधिनियम ने ग्रामीणों अथवा स्थानीय समुदायों के लिए किस प्रकार कठिनाइयां उत्पन्न की ?
उत्तर-
वन अधिनियम से ग्रामीणों की रोजी-रोटी का साधन वन अर्थात् वन्य-उत्पाद ही थे। परंतु वन अधिनियम के बाद उनके द्वारा वनों से लकड़ी काटने, फल तथा जड़ें इकट्ठी करने और वनों में पशु चराने, शिकार एवं मछली पकड़ने पर रोक लगा दी गई। अतः लोग वनों से लकड़ी चोरी करने पर विवश हो गए। यदि वे पकड़े जाते थे, तो मुक्त होने के लिए उन्हें वन-रक्षकों को रिश्वत देनी पड़ती थी। ग्रामीण महिलाओं की चिंता तो और अधिक बढ़ गई। प्रायः पुलिस वाले तथा वन-रक्षक उनसे मुफ़्त भोजन की मांग करते रहते थे और उन्हें डराते-धमकाते रहते थे।

प्रश्न 6.
स्थानांतरी कृषि पर रोक क्यों लगाई गई ? इसका स्थानीय समुदायों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
स्थानांतरी कृषि पर मुख्य रूप से तीन कारणों से रोक लगाई गई–

  1. यूरोप के वन-अधिकारियों का विचार था कि इस प्रकार की कृषि वनों के लिए हानिकारक है। उनका विचार था कि जिस भूमि पर छोड़-छोड़ कर कृषि होती रहती है, वहां पर इमारती लकड़ी देने वाले वन नहीं उग सकते।
  2. जब भूमि को साफ़ करने के लिए किसी वन को जलाया जाता था, तो आस-पास अन्य मूल्यवान् वृक्षों को आग लग जाने का भय बना रहता था।
  3. स्थानांतरी कृषि से सरकार के लिए करों की गणना करना कठिन हो रहा था।
    प्रभाव-स्थानांतरी खेती पर रोक लगने से स्थानीय समुदायों को वनों से ज़बरदस्ती बाहर निकाल दिया गया। कुछ लोगों को अपना व्यवसाय बदलना पड़ा और कुछ ने विद्रोह कर दिया।

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प्रश्न 7.
1980 के दशक से वानिकी में क्या नये परिवर्तन आए हैं ?
उत्तर-
1980 के दशक से वानिकी का रूप बदल गया है। अब स्थानीय लोगों ने वनों से लकड़ी इकट्ठी करने के स्थान पर वन संरक्षण को अपना लक्ष्य बना लिया है। सरकार भी जान गई है कि वन संरक्षण के लिए इन लोगों की भागीदारी आवश्यक है। भारत में मिज़ोरम से लेकर केरल तक के घने वन इसलिए सुरक्षित हैं कि स्थानीय लोग इनकी रक्षा करना अपना पवित्र कर्त्तव्य समझते हैं। कुछ गांव अपने वनों की निगरानी स्वयं करते हैं। इसके लिए प्रत्येक परिवार बारी-बारी से पहरा देता है। अतः इन वनों में वन-रक्षकों की कोई भूमिका नहीं रही। अब स्थानीय समुदाय तथा पर्यावरणविद् वन प्रबंधन को कोई भिन्न रूप देने के बारे में सोच रहे हैं।

दीर्घ उत्तरों वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में वनों का प्रथम इंस्पेक्टर-जनरल कौन था ? वन प्रबंधन के विषय में उसके क्या विचार थे ? इसके लिए उसने क्या किया ?
उत्तर-
भारत में वनों का प्रथम इंस्पेक्टर-जनरल डीट्रिख बेंडीज़ (Dietrich Brandis) था। वह एक जर्मन विशेषज्ञ था। वन प्रबंधन के संबंध में उसके निम्नलिखित विचार थे-

  1. वनों के प्रबंध के लिए एक उचित प्रणाली अपनानी होगी और लोगों को वन-संरक्षण विज्ञान में प्रशिक्षित करना होगा।
  2. इस प्रणाली के अंतर्गत कानूनी प्रतिबंध लगाने होंगे।
  3. वन संसाधनों के संबंध में नियम बनाने होंगे।
  4. वनों को इमारती लकड़ी के उत्पादन के लिए संरक्षित करना होगा। इस उद्देश्य से वनों में वृक्ष काटने तथा पशु चराने को सीमित करना होगा।
  5. जो व्यक्ति नई प्रणाली की परवाह न करते हुए वृक्ष काटता है, उसे दंडित करना होगा।
    अपने विचारों को कार्य रूप देने के लिए बेंडीज़ ने 1864 में ‘भारतीय वन सेवा’ की स्थापना की और 1865 के ‘भारतीय वन अधिनियम’ पारित होने में सहायता पहुंचाई। 1906 में ‘देहरादून में ‘द इंपीरियल फारेस्ट रिसर्च इंस्टीच्यूट’ की स्थापना की गई। यहां वैज्ञानिक वानिकी का अध्ययन कराया जाता था। परंतु बाद में पता चला कि इस अध्ययन में विज्ञान जैसी कोई बात नहीं थी।

प्रश्न 2.
वन्य प्रदेशों अथवा वनों में रहने वाले लोग वन उत्पादों का विभिन्न प्रकार से उपयोग कैसे करते हैं ?
उत्तर-
वन्य प्रदेशों में रहने वाले लोग कंद-मूल-फल, पत्ते आदि वन-उत्पादों का विभिन्ने ज़रूरतों के लिए उपयोग करते हैं।

  1. फल और कंद बहुत पोषक खाद्य हैं, विशेषकर मानसून के दौरान जब फ़सल कट कर घर न आयी हो।
  2. जड़ी-बूटियों का दवाओं के लिए प्रयोग होता है।
  3. लकड़ी का प्रयोग हल जैसे खेती के औज़ार बनाने में किया जाता है।
  4. बांस से बढ़िया बाड़ें बनायी जा सकती हैं। इसका उपयोग छतरियां तथा टोकरियां बनाने के लिए भी किया जा सकता है।
  5. सूखे हुए कुम्हड़े के खोल का प्रयोग पानी की बोतल के रूप में किया जा सकता है।
  6. जंगलों में लगभग सब कुछ उपलब्ध है-
    • पत्तों को आपस में जोड़ कर ‘खाओ-फेंको’ किस्म के पत्तल और दोने बनाए जा सकते हैं।
    • सियादी (Bauhiria vahili) की लताओं से रस्सी बनायी जा सकती है।
    • सेमूर (सूती रेशम) की कांटेदार छाल पर सब्जियां छीली जा सकती है।
    • महुए के पेड़ से खाना पकाने और रोशनी के लिए तेल निकाला जा सकता है।

वन्य समाज तथा बस्तीवाद PSEB 9th Class History Notes

  • वनों का महत्त्व – वन मानव समाज के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण संसाधन हैं। वनों से हमें इमारती लकड़ी, ईंधन, फल, गोंद, शहद, कागज़ तथा अन्य कई उत्पाद प्राप्त होते हैं। ग्रामीणों के लिए वन आजीविका का महत्त्वपूर्ण साधन हैं।
  • वनोन्मूलन – वनोन्मूलन का अर्थ है-वनों की सफ़ाई। कृषि के विस्तार, रेलवे के विस्तार, जलयान निर्माण आदि कई कार्यों के लिए वनों को बड़े पैमाने पर काटा गया।
  • बागान – ऐसे बड़े-बड़े फार्म जहां एक सीधी पंक्ति में एक ही प्रजाति के वृक्ष लगाए जाते हैं, बागान कहलाते हैं।
  • इमारती लकड़ी के वृक्ष – इमारती लकड़ी मज़बूत तथा कठोर होती है। यह मुख्य साल तथा टीक के वृक्षों से मिलती है।
  • वनों पर नियंत्रण – वनों का महत्त्व ज्ञात होने के बाद औपनिवेशिक शासकों ने वन विभाग की स्थापना की और वन अधिनियम पारित करके वनों पर नियंत्रण कर लिया।
  • वन नियंत्रण के प्रभाव – वनों पर सरकार के नियंत्रण से वनों पर निर्भर रहने वाले आदिवासी कबीलों की रोजी-रोटी छिन गई और उनमें सरकार के विरुद्ध विद्रोह के भाव जाग उठे।
  • स्थानांतरी (झूम) खेती – इस प्रकार की खेती में वनों को साफ़ करके खेत प्राप्त किए जाते हैं। एक-दो वर्ष तक वहां पर कृषि करके उन्हें छोड़ दिया जाता है और किसी अन्य स्थान पर खेत बना लिए जाते हैं। वनों पर सरकारी नियंत्रण के पश्चात् इस प्रकार की कृषि पर रोक लगा दी गई।
  • वैज्ञानिक वानिकी – वन विभाग के नियंत्रण में वृक्ष काटने की वह प्रणली जिसमें पुराने वृक्ष काटे जाते हैं और नए वृक्ष उगाए जाते हैं।
  • बस्तर – बस्तर एक पठार पर स्थित है। वन नियंत्रण से प्रभावित यहां के आदिवासी कबीलों ने अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध विद्रोह किए। इन विद्रोहों का आरंभ ध्रुव कबीले द्वारा हुआ।
  • जावा – जावा इंडोनेशिया का एक प्रदेश है। यहां के डच शासकों ने यहां के वनों का खूब शोषण किया और वहां के स्थानीय लोगों को मज़दूर बनाकर रख दिया। फलस्वरूप उन्होंने विद्रोह कर दिया जिसे दबाने में तीन महीने लग गए।
  • 1855 ई० – – लार्ड डल्हौज़ी ने वनों की सुरक्षा के लिए कानून बनाए। इसकी अधीन मालाबार की पहाड़ियों में सागवान और नीलगिरि की पहाड़ियों में बबूल (कीकर) के वृक्ष लगाए गए।
  • 1864 ई० – वनों की रक्षा संबंधी कानूनों/नियमों की पालना हित भारतीय वन विभाग की स्थापना की गई। इसका मुख्य लक्ष्य व्यापारिक बाग़बानी को प्रोत्साहित करना था।
  • 1865 ई० – भारतीय वन अधिनियम 1865, वनों के प्रबंधन संबंधी कानून बनाने से संबंधित था।
  • 878 ई० – भारतीय वन अधिनियम 1878 इस अधिनियम के अंतर्गत वनों की तीन श्रेणियां बना दी गईं-
    • आरक्षित वन,
    • सुरक्षित वन,
    • ग्रामीण वन।
      इस कानून से जंगलों को निजी संपत्ति से सरकारी संपत्ति बनाने के अधिकार दिए गए और लोगों के जंगलों में जाने व
      उनका प्रयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
  • 1906 ई० –  इंपीरियल वन अनुसंधान केंद्र, देहरादून की स्थापना की गई।
  • 1927 ई० –  वनों से संबंधित कानूनों को मजबूत करने, जंगली लकड़ी का उत्पादन बढ़ाने, इमारती लकड़ी व अन्य वन्य उपजों पर कर लगाने के उद्देश्य से भारतीय वन अधिनियम 1927 लागू किया गया। इस कानून में उल्लंघन करने वालों को कारावास व भारी जुर्माने का प्रावधान था।

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