PSEB 9th Class Home Science Solutions Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव

Punjab State Board PSEB 9th Class Home Science Book Solutions Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Home Science Chapter 10 मनुष्य के विकास के पड़ाव

PSEB 9th Class Home Science Guide मनुष्य के विकास के पड़ाव Textbook Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
मनुष्य के विकास के कितने पड़ाव होते हैं? नाम बताओ।
उत्तर-
मानवीय विकास के निम्नलिखित पड़ाव हैं —

  1. बचपन
  2. किशोरावस्था
  3. बालिग
  4. बुढ़ापा।

प्रश्न 2.
बचपन को कितनी अवस्थाओं में बांटा जा सकता है?
उत्तर-बचपन को निम्नलिखित अवस्थाओं में बांटा जाता है–

  1. जन्म से दो वर्ष तक
  2. दो से तीन वर्ष तक
  3. तीन से छः वर्ष का बच्चा
  4. छ: से किशोरावस्था तक।

प्रश्न 3.
कितने महीने का बच्चा बिना सहारे खड़ा होने लगता है?
उत्तर-
9 माह का बच्चा बिना सहारे के खड़ा होने लगता है।

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प्रश्न 4.
किस उमर में बच्चे का शारीरिक विकास बहुत तेज़ गति से होता है?
उत्तर-
2 से 3 वर्ष के बच्चे की शारीरिक तौर पर वृद्धि तेज़ी से होती है। शारीरिक विकास के साथ ही उसका सामाजिक विकास इस समय बड़ी तेजी से होता है।

प्रश्न 5.
कितनी आयु का बच्चा कानूनी रूप से वयस्क समझा जाता है?
उत्तर-
पहले 21 वर्ष के बच्चे को बालिग समझा जाता था परन्तु अब 18 वर्ष के बच्चे को बालिग समझा जाता है जबकि 20 वर्ष की आयु तक उसका शारीरिक विकास होता रहता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 6.
किशोरावस्था के दौरान लड़कों में किस प्रकार के परिवर्तन आते हैं?
उत्तर-

  1. किशोरावस्था में लड़कों की दाड़ी तथा मूंछ फूटनी आरम्भ हो जाती है।
  2. उनकी टांगें-बांहें अधिक लम्बी हो जाती हैं तथा आवाज़ फटती है। उनके लिए यह अनोखी बात होती है।
  3. उनके गले की हड्डी बाहर को उभर आती है।
  4. लड़के स्वयं को बड़ा समझने लगते हैं तथा उनसे माता-पिता की ओर से लगाई गई पाबन्दियां बर्दाश्त नहीं होती।
  5. वह कभी बड़ों की तरह तथा कभी बच्चों की तरह बर्ताव करने लगते हैं।
  6. किशोरावस्था में लड़के अधिक भावुक हो जाते हैं।
  7. अपने शरीर में आए जिस्मानी परिवर्तनों के बारे उनमें जानने की इच्छा पैदा होती है।

प्रश्न 7.
किशोरावस्था के दौरान माता-पिता के उनके बच्चों के प्रति क्या कर्त्तव्य हैं?
उत्तर-

  1. बच्चों को लिंग शिक्षा सम्बन्धी पूरी जानकारी देनी चाहिए। बच्चों को एड्स जैसी जानलेवा बीमारी तथा नशों के बुरे परिणामों के बारे में भी जानकारी देनी चाहिए।
  2. किशोर बच्चों से माता-पिता के मित्रों वाले सम्बन्ध होने बहुत आवश्यक हैं ताकि बच्चा बिना परेशानी अपनी शारीरिक तथा मानसिक परेशानी उनके साथ साझी कर सके तथा मां-बाप द्वारा दिये सुझावों का पालन कर सके।
  3. मां-बाप तथा अध्यापकों को किशोरों से अपना व्यवहार एक जैसा रखना चाहिए। किसी हालत में उन्हें छोटा तथा कभी बड़ा कहकर उनके मन में उलझन पैदा नहीं करनी चाहिए। इस तरह उसे यह समझ नहीं आता कि वह वास्तव में बड़ा हो गया है या अभी छोटा ही है।
  4. माता-पिता को भी इस अवस्था में अपने बच्चे के प्रति पूर्ण विश्वास वाला तथा हिम्मत वाला व्यवहार करना चाहिए ताकि उनका सर्वपक्षीय विकास ठीक ढंग से हो सके।
    अपनी ऊर्जा (शक्ति) खर्च करने के लिए कई प्रकार की रुचियों में रुझाने के लिए समय मिलना चाहिए जैसे खेल-कूद, कहानी पढ़ना, गाना-बजाना आदि।

प्रश्न 8.
प्रौढ़ावस्था में मनुष्य के सामाजिक कर्त्तव्य क्या होते हैं?
उत्तर-

  1. मनुष्य इस आयु में सामाजिक रीति-रिवाजों के अनुसार अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वाह करता है।
  2. मनुष्य उचित व्यवसाय का चुनाव करता है तथा अपने जीवन साथी का चुनाव करके घर बसा लेता है।
  3. बच्चे पालता है, दुनियादारी निभाता है, माता-पिता, छोटे बहन-भाइयों तथा अन्य रिश्तेदारों की जिम्मेवारी सम्भालता है।

प्रश्न 9.
बच्चा और बूढ़ा एक समान क्यों कहा जाता है? संक्षेप में लिखो।
उत्तर-
वृद्धावस्था में मनुष्य का शरीर कमजोर हो जाता है। उसके लिए चलना, फिरना, उठना, बैठना कठिन हो जाता है। आँखों से दिखाई देना तथा कानों से सुनना कम हो जाता है। ज्ञानेन्द्रियां अपना कार्य करना बन्द कर देती हैं। कई रंगों की पहचान नहीं कर सकते तथा कइयों को अंधराता हो जाता है।
इस तरह वृद्धों को विशेष देखभाल की ज़रूरत पड़ती है। जैसे छोटे बच्चों को होती है। इसीलिए बच्चे तथा वृद्ध को एक जैसा कहा जाता है।

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प्रश्न 10.
स्कूल बच्चे के सामाजिक और मानसिक विकास में सहायक होता है। कैसे?
उत्तर-
स्कूल में बच्चे अपने साथियों से पढ़ना तथा खेलना तथा कई बार बोलना भी सीखते हैं। इस तरह उनमें सहयोग की भावना पैदा होती है। बच्चा जब अपने स्कूल का कार्य करता है तो उसमें ज़िम्मेदारी का बीज बो दिया जाता है। जब वह अध्यापक का कहना मानता है तो उसमें बड़ों के प्रति आदर की भावना पैदा होती है।
बच्चा स्कूल में अपने साथियों से कई नियम सीखता है तथा कई अच्छी आदतें सीखता है जो आगे चलकर उसके व्यक्तित्व को उभारने में सहायक हो सकती हैं।

प्रश्न 11.
किशोरावस्था में लड़के और लड़कियों में होने वाले परिवर्तनों का तुलनात्मक वर्णन करो।
उत्तर-

किशोर लड़के किशोर लड़कियां
(1) इस आयु में लड़कों की दाढ़ी तथा आने लगती हैं। (1) लड़कियों को माहवारी आने लगती मूंछे है।
(2) उनका शरीर बेढंगा (टांगें, बाजू लम्बी होने होना) हो जाता है तथा आवाज़ फटने लगती है। (2) इनके विभिन्न अंगों पर चर्बी जमा लगती है तथा कई आन्तरिक बदलाव जैसे दिल तथा फेफड़ों के आकार में वृद्धि होती है।
(3) इस आयु में लड़कों को खेल, पढ़ाई, कम्प्यूटर, समाज सेवा आदि सीखने पर जोर देना चाहिए। (3) लड़कियों को पढ़ाई, कढ़ाई, कम्प्यूटर, स्वैटर बुनना, संगीत, पेंटिंग आदि ज़ोर सीखने पर देना चाहिए।

प्रश्न 12.
प्रारम्भिक वर्षों में माता-पिता बच्चे के व्यक्तित्व के विकास में किस प्रकार योगदान डालते हैं?
उत्तर-
बच्चे के व्यक्तित्व को बनाने में माता-पिता का बड़ा योगदान होता है क्योंकि बच्चा जब अभी छोटा ही होता है तभी माता-पिता की भूमिका उसकी ज़िन्दगी में आरम्भ हो जाती है। बच्चे के प्रारम्भिक वर्षों में बच्चे को भरपूर प्यार देना, उस द्वारा किये प्रश्नों के उत्तर देना, बच्चे को कहानियां सुनाना आदि से बच्चे का व्यक्तित्व उभरता है तथा माता-पिता इसमें काफ़ी सहायक होते हैं।

प्रश्न 13.
बच्चों को टीके लगवाने क्यों ज़रूरी हैं ? बच्चों को कौन-से टीके किस आयु में लगवाने चाहिएं? और क्यों?
उत्तर-
बच्चों को कई खतरनाक जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए उन्हें टीके लगाये जाते हैं। इन टीकों का सिलसिला जन्म के पश्चात् आरम्भ हो जाता है। बच्चों को 2 वर्ष की आयु तक चेचक, डिप्थीरिया, खांसी, टिटनस, पोलियो, हेपेटाइटस, बी०सी०जी० तथा टी०बी० आदि के टीके लगवाये जाते हैं। छ: वर्ष में बच्चों को कई टीकों की बूस्टर डोज़ भी दी जाती है।

प्रश्न 14.
बच्चे में 3 से 6 वर्ष की आयु तक होने वाले विकास का वर्णन करो।
उत्तर-
इस आयु में बच्चे की शारीरिक वृद्धि तेजी से होती है तथा उसकी भूख कम हो जाती है। वह अपना कार्य स्वयं करना चाहता है।
बच्चे को रंगों तथा आकारों का ज्ञान हो जाता है तथा उसकी रुचि ड्राईंग, पेंटिंग, ब्लॉक्स से खेलने तथा कहानियां सुनने की ओर अधिक हो जाती है।
बच्चा इस आयु में प्रत्येक बात की नकल करने लग जाता है।

प्रश्न 15.
दो से तीन वर्ष के बच्चे में होने वाले भावनात्मक विकास सम्बन्धी जानकारी दो।
उत्तर-
इस आयु के दौरान बच्चा मां की सभी बातें नहीं मानना चाहता। ज़बरदस्ती करने पर वह ऊंची आवाज़ में रोता है, ज़मीन पर लोटता है, तथा हाथ-पैर मारने लगता है। कई बार वह खाना-पीना भी छोड़ देता है। माता-पिता को ऐसी हालत में चाहिए कि उसको न डांटें परन्तु जब वह शांत हो जाए तो उसे प्यार से समझाना चाहिए।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 16.
किशोरावस्था के दौरान लिंग शिक्षा देना क्यों ज़रूरी है?
उत्तर-
किशोरावस्था आने पर बच्चों के शरीर में कई तरह के परिवर्तन आते हैं। उनके प्रजनन अंगों का विकास होता है। लड़कियों को माहवारी आने लगती है। शरीर के विभिन्न अंगों पर चर्बी जमा होनी आरम्भ हो जाती है। किशोरावस्था में बच्चे में विरोधी लिंग के प्रति आकर्षण पैदा हो जाता है। बच्चों को इन सभी परिवर्तनों की जानकारी नहीं होती तथा वह यह जानकारी अपने दोस्तों-मित्रों से हासिल करने की कोशिश करते हैं अथवा ग़लत किताबें पढ़ते हैं तथा अपने मन में ग़लत धारणाएं बना लेते हैं। वैसे तो हमारे समाज में लड़केलड़कियों के मिलने के अवसर कम ही होते हैं परन्तु कई बार यदि उन्हें इकट्ठे रहने का मौका मिल जाये तो इसके ग़लत परिणाम भी निकल सकते हैं।
इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि किशोरों को माता-पिता तथा अध्यापक अच्छी तरह लिंग शिक्षा प्रदान करें। उनके साथ स्वयं मित्रों वाला व्यवहार करें तथा उनकी समस्याओं को समझें तथा सुलझाएं ताकि उन्हें ग़लत संगति में जाने से रोका जा सके। उन्हें एड्स जैसी भयानक बीमारी की भी जानकारी देनी चाहिए।

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प्रश्न 17.
बच्चों से मित्रतापूर्वक व्यवहार रखने से उनमें कौन-से सद्गुण विकसित होते हैं? विस्तारपूर्वक लिखो।
उत्तर-
बच्चे के व्यक्तित्व तथा भावनात्मक विकास में माता-पिता के प्यार तथा मित्रतापूर्वक व्यवहार की बड़ी महत्ता है। माता-पिता के प्यार से बच्चे को यह विश्वास हो जाता है कि उसकी प्राथमिक ज़रूरतें उसके माता-पिता पूरी करेंगे। माता-पिता की ओर से बच्चे द्वारा पूछे गये प्रश्नों के उत्तर देने पर बच्चे का दिमागी विकास होता है। उसे स्वयं पर विश्वास होने लगता है। माता-पिता द्वारा बच्चे को कहानियां सुनाने पर उसका मानसिक विकास होता है। कई बार बच्चा मां का कहना नहीं मानना चाहता तथा ज़बरदस्ती करने पर गुस्सा होता है। ऊँची आवाज़ में रोता है, हाथ-पैर मारता है तथा ज़मीन पर लोटने लग जाता है। ऐसी हालत में बच्चे को डांटना नहीं चाहिए तथा शांत होने पर उसे प्यार से माता-पिता द्वारा समझाया जाना चाहिए कि वह ऐसे ग़लत करता है। इस तरह बच्चे को पता चल जाता है कि माता-पिता उससे किस तरह के व्यवहार की उम्मीद करते हैं।

बच्चे से दोस्ताना व्यवहार रखने पर बच्चों को अपनी समस्याओं का हल ढूँढने के लिए ग़लत रास्तों पर नहीं चलना पड़ता अपितु उनमें यह विश्वास पैदा होता है कि माता-पिता उसे सही मार्ग बताएंगे।

वह ग़लत संगति से बच जाता है। उसमें अच्छी रुचियां जैसे ड्राईंग, पेंटिंग, संगीत. अच्छी किताबें पढ़ना आदि पैदा होती हैं। वह अपनी शक्ति का प्रयोग अच्छे कार्यों में करता है। इस तरह वह एक अच्छा व्यक्तित्व बन कर उभरता है।

प्रश्न 18.
वृद्धावस्था में पैसे के साथ प्यार क्यों बढ़ जाता है?
उत्तर-
वृद्धावस्था मनुष्य की ज़िन्दगी का अन्तिम पड़ाव होता है। इस पड़ाव पर पहुंच कर अलग-अलग मानवों पर अलग-अलग प्रभाव होता है। कई तो अभी भी ऐसे हँसमुख तथा स्वस्थ रहते हैं तथा कई हर समय यही सोचते हैं कि वह बूढ़े हो गये हैं, अब उन्हें और भी कई बीमारियां लग जाएंगी तथा वह और भी बूढ़े हो जाते हैं। इस उम्र में कमजोरी तो आती है जोकि मानसिक तथा शारीरिक दोनों तरह की होती है। कइयों की नेत्र ज्योति घट जाती है। कई बार ज्ञानेन्द्रियां कमजोर हो जाती हैं। दाँत टूट जाते हैं। शरीर काम नहीं कर सकता : कइयों की रंगों को पहचानने की शक्ति कम हो जाती है तथा कइयों को अंधराता हो जाता है। परन्तु ऐसी हालत में भी मनुष्य यह चाहता है कि वह आर्थिक पक्ष से रिश्तेदारों का मोहताज न हो, उसके पास अपने पैसे हों तथा उसकी स्वतन्त्रता को कोई फर्क न पड़े। धन तो अब वह कमा नहीं सकता इसलिए वह प्रत्येक पैसे को खर्च करते समय कई बार सोचता है। इस तरह वृद्धावस्था में धन के प्रति उसका मोह बढ़ जाता है। वृद्धावस्था में नींद भी कम आती है, कानों से कम सुनाई देता है। सांसारिक वस्तुओं से प्यार कम हो जाता है तथा परमात्मा की ओर ध्यान बढ़ जाता है।

Home Science Guide for Class 9 PSEB मनुष्य के विकास के पड़ाव Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

रिक्त स्थान भरें-

  1. प्रौढ़ावस्था के . ……………… पड़ाव हैं।
  2. महीने का बच्चा स्वयं खड़ा हो सकता है।
  3. ……………… वर्ष के बच्चे बालिग हो जाते हैं।
  4. छः वर्ष में बच्चों को …………………. डोज़ भी दी जाती है।
  5. ………………… वर्ष में बच्चा सीढ़ियां चढ़-उतर सकता है।

उत्तर-

  1. दो,
  2. 10,
  3. 18,
  4. टीकों की बूस्टर,
  5. दो।

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
कितने माह का बच्चा बिना सहारे के बैठ सकता है?
उत्तर-
9 माह का।

प्रश्न 2.
प्रौढ़ावस्था की पहली अवस्था कब तक होती है?
उत्तर-
40 वर्ष तक।

प्रश्न 3.
कितनी आयु में लड़कियों के फेफड़ों की वृद्धि पूर्ण हो जाती है?
उत्तर-
17 वर्ष।

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प्रश्न 4.
औरतों में माहवारी किस आयु में बंद हो जाती है?
उत्तर-
45 से 50 वर्ष।

ठीक/ग़लत बताएं

  1. 2 वर्ष में बच्चा सीढ़ियां चढ़-उतर सकता है।
  2. वृद्ध अवस्था का प्रभाव सभी पर एक जैसा होता है।
  3. स्कूल में बच्चे का मानसिक तथा सामाजिक विकास होता है।
  4. 9 महीने का बच्चा सहारे के बिना खड़ा हो सकता है।
  5. 6 वर्ष का होने पर बच्चे को कई टीकों के बूस्टर डोज़ दिए जाते हैं।
  6. किशोर अवस्था में लड़कों की दाड़ी तथा मूंछ निकलनी शुरू हो जाती है।

उत्तर-

  1. ठीक,
  2. ग़लत,
  3. ठीक,
  4. ठीक,
  5. ठीक,
  6. ठीक।

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कितनी देर का बच्चा स्वयं उठ कर खड़ा हो सकता है –
(A) 6 माह का
(B) 1 वर्ष का
(C) 3 महीने का
(D) 8 महीने का।
उत्तर-
(B) 1 वर्ष का

प्रश्न 2.
कानूनी रूप में बच्चा कितनी आयु में वयस्क हो जाता है –
(A) 15 वर्ष
(B) 20 वर्ष
(C) 18 वर्ष
(D) 25 वर्ष।
उत्तर-
(C) 18 वर्ष

प्रश्न 3.
कौन-सा तथ्य ठीक है –
(A) किशोरावस्था में लड़के अधिक भावुक हो जाते हैं।
(B) बच्चे तथा वृद्ध को एक समान कहा जाता है।
(C) किशोर अवस्था को तूफानी तथा दबाव वाली अवस्था माना गया है।
(D) सभी ठीक।
उत्तर-
(D) सभी ठीक।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जन्म से दो वर्ष तक के बच्चे में सामाजिक तथा भावनात्मक विकास के बारे में आप क्या जानते हो?
उत्तर-
इस आयु का बच्चा जिन आवाज़ों को सुनता है, उनका मतलब समझने की कोशिश करता है। वह प्यार तथा क्रोध की आवाज़ को समझता है। वह अपने आस-पास के लोगों को पहचानना आरम्भ कर देता है। जब बच्चे को अपने माता-पिता तथा परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा पूरा लाड़-प्यार मिलता है तथा उसकी प्राथमिक आवश्यकताएं पूरी की जाती हैं तो उसे विश्वास हो जाता है कि उसकी ज़रूरतें उसके माता-पिता पूरी करेंगे। उसका इस तरह भावनात्मक तथा सामाजिक विकास आरम्भ हो जाता है।

प्रश्न 2.
दो से तीन वर्ष के बच्चे के विकास बारे तम क्या जानते हो?
उत्तर-
शारीरिक विकास-2 से 3 वर्ष के बच्चे की शारीरिक तौर पर वृद्धि तेज़ी से होती है। शारीरिक विकास के साथ ही उसका सामाजिक विकास इस समय बड़ी तेजी से होता है। __मानसिक विकास-इस आयु का बच्चा नई चीजें सीखने की कोशिश करता है। वह पहले से अधिक बातें समझना आरम्भ कर देता है। वह अपने आस-पास के बारे में कई प्रकार के प्रश्न पूछता है। इस समय माता-पिता का कर्तव्य है कि वह बच्चे के प्रश्नों के उत्तर ज़रूर दें। बच्चे को प्यार से पास बिठा कर कहानियां सुनाने से उसका मानसिक विकास होता है।

सामाजिक विकास-इस आय में बच्चे को दूसरे बच्चों की मौजूदगी का अहसास होने लग जाता है। अपनी मां के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों से भी प्यार करने लगता है। अब वह अपने कार्य जैसे भोजन करना, कपड़े पहनना, नहाना, बुट पालिश करना आदि स्वयं ही करना चाहता है।
भावनात्मक विकास-इस आयु में बच्चा मां की सभी बातें नहीं मानना चाहता। ज़बरदस्ती करने पर वह ऊँची आवाज़ में रोता, हाथ-पैर मारता तथा ज़मीन पर लेटने लगता है। कई-कई बार खाना-पीना भी छोड़ देता है। गुस्से की अवस्था में बच्चे को डांटना नहीं चाहिए तथा जब वह शांत हो जाये तो प्यार से उसे समझाना चाहिए। इस तरह बच्चे में मातापिता के प्रति प्यार तथा विश्वास की भावना पैदा होती है तथा उसे यह अहसास होने लगता है कि उसके माता-पिता उससे किस तरह के व्यवहार की उम्मीद रखते हैं।

प्रश्न 3.
तीन से छः वर्ष के बच्चे के विकास के बारे में जानकारी दो।
उत्तर-
शारीरिक विकास- इस आयु में बच्चे की वृद्धि तेज़ी से होती है परन्तु उसको भूख कम लगती है। वह परिवार के बड़े सदस्यों के साथ बैठकर वही भोजन खाना चाहता है जो वे खाते हैं। बच्चे के शारीरिक विकास के लिए बच्चे की खुराक में दूध, अण्डा, पनीर तथा अन्य प्रोटीन वाले भोजन पदार्थ अधिक मात्रा में शामिल करने चाहिएं। बच्चा धीरे-धीरे अपना कार्य करने लगता है तथा उसे जहां तक हो सके अपने काम स्वयं करने देने चाहिएं। इस तरह वह आत्म-निर्भर बनता है।
मानसिक विकास- इस आयु के बच्चे में ड्राईंग, पेंटिंग, ब्लॉक्स से खेलना तथा कहानियां सुनने आदि में रुचि पैदा होती है। उसे रंगों तथा आकारों का भी ज्ञान हो जाता है।
सामाजिक तथा भावनात्मक विकास-बच्चा जब दूसरे बच्चों से मिलता-जुलता है उसमें सहयोग की भावना पैदा होती है। बच्चा इस आयु में प्रत्येक बात की नकल करता है इसलिए जहां तक हो सके उसके सामने कोई ऐसी बात न करो जिसका उसके मन पर बुरा प्रभाव पड़े जैसे सिग्रेट पीना।

प्रश्न 4.
किशोरावस्था में लड़कियों में आने वाले परिवर्तनों के बारे में बताओ।
उत्तर-

  1. इस आयु में लड़कियों को माहवारी आने लगती है। क्योंकि उन्हें इसके कारण का पता नहीं होता, कई बार वे घबरा जाती हैं।
  2. इस आयु में लड़कियां अधिक समझदार हो जाती हैं तथा कई बार पढ़ाई में भी तेज़ हो जाती हैं।
  3. इस आयु में लड़कियां जल्दी भावुक हो जाती हैं। कई बार छोटी-सी बात पर रोने लगती हैं। उदास तथा नाराज़ भी रहने लगती हैं।
  4. वह अपनी आलोचना नहीं सहन कर सकतीं तथा शीघ्र रुष्ट हो जाती हैं।
  5. इस आयु में जागते ही सपने देखना आरम्भ कर देती हैं।

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प्रश्न 5.
किशोरावस्था क्या है तथा इसमें होने वाले विकास के बारे में बताओ।
उत्तर-
जब लड़कों की मस फूटती है तथा लड़कियों को माहवारी आने लगती है, इसको किशोरावस्था कहते हैं। यह एक ऐसा पड़ाव है जब बच्चा न तो बच्चों में गिना जाता है न ही बालिगों में। उसमें शारीरिक परिवर्तन आने के साथ-साथ बच्चे की ज़िम्मेदारियां, फर्ज़ तथा दूसरों से रिश्तों में भी परिवर्तन आता है।
इसके दो भाग होते हैं-प्राथमिक तथा बाद की किशोरावस्था।

शारीरिक विकास-इस आयु में शारीरिक परिवर्तनों की गति कम हो जाती है तथा प्रजनन अंगों का विकास होता है। इस पड़ाव पर लड़कियां अपना कद पूरा कर लेती हैं तथा शरीर के विभिन्न अंगों पर चर्बी जमा होनी आरम्भ हो जाती है। बाह्य परिवर्तनों के साथ-साथ शरीर में कुछ आन्तरिक परिवर्तन भी होते हैं जैसे पाचन प्रणाली में पेट का आकार लम्बा हो जाता है तथा आंतों की लम्बाई तथा चौड़ाई भी बढ़ती है। पेट तथा आंतों की मांसपेशियां मज़बूत हो जाती हैं। जिगर का भार भी बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त किशोरावस्था में दिल की वृद्धि भी तेजी से होती है। 17,18 वर्ष की आयु तक इसका भार जन्म के भार से 12 गुणा बढ़ जाता है। श्वास प्रणाली में 17 वर्ष की आयु में लड़कियों के फेफड़ों की वृद्धि पूर्ण हो जाती है। इस आयु में प्रजनन अंगों तथा उनसे सम्बन्धित गलैंड्स का भी तेजी से विकास होता है तथा अपना कार्य करना आरम्भ कर देता हैं।

भावनात्मक तथा मानसिक विकास-कई मनोवैज्ञानिक किशोरावस्था को तूफानी तथा दबाव (Storm and Stress) वाली अवस्था मानते हैं। इसमें भावनाएं बड़ी तीव्र तथा बेकाबू हो जाती हैं परन्तु जैसे-जैसे आयु बढ़ती है भावनात्मक व्यवहार में परिवर्तन आता है। इस आयु में बच्चे को बच्चे की तरह समझने से भी वह गुस्सा मनाते हैं। वह अपना गुस्सा चुप रह कर अथवा ऊँची आवाज़ में नाराज़ करने वाली की आलोचना करते हैं। इसके अतिरिक्त जो बच्चे उससे पढ़ाई में अथवा व्यवहार के तौर पर बढ़िया हों उनके प्रति ईर्ष्यालु हो जाते हैं। परन्तु धीरे-धीरे इन सभी भावनाओं पर बच्चा काबू पाना सीखता है। वह सभी के सामने अपना क्रोध ज़ाहिर नहीं कर सकता। पूरे भावनात्मक विकास वाला बच्चा अपने व्यवहार को स्थिर रखता है। इस अवस्था के दौरान बच्चे की सामाजिक दिलचस्पी तथा व्यवहार पर हम उमर मित्रों का अधिक प्रभाव पड़ता है। इस अवस्था में बच्चे की मनोरंजक, शैक्षणिक, धार्मिक तथा फैशन प्रति नई रुचियां विकसित होती हैं । किशोरावस्था में बच्चे में विपरीत लिंग प्रति आकर्षण भी पैदा हो जाता है तथा वह इस कम्पनी में आनन्द महसूस करता है। इस अवस्था का एक अन्य महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि बच्चों का व पारिवारिक रिश्तों प्रति लगाव कम होना आरम्भ हो जाता है। बच्चा अपने व्यक्तित्व तथा अस्तित्व प्रति अधिक चेतन हो जाता है। सामाजिक वातावरण के अनुसार बच्चा अपने व्यक्तित्व के विकास तथा अस्तित्व जताने की कोशिश करता है परन्तु कई बार घर के हालात तथा आर्थिक कारण उसके उद्देश्यों की पूर्ति में रुकावट बन जाते हैं। इन परिस्थितियों में कई बार बच्चा हार जाने तथा घटियापन के अहसास का शिकार हो जाता है तथा बच्चे का व्यवहार साधारण नहीं रहता तथा व्यक्तित्व के विकास प्रक्रिया में बिगाड़ पैदा हो जाता है।

प्रश्न 6.
बुढ़ापे की क्या खास विशेषताएं हैं?
उत्तर-
बुढ़ापे की कुछ विशेषताएं हैं जो इसे मानवीय ज़िन्दगी की एक विलक्षण अवस्था बनाती हैं। इस आयु में शारीरिक तथा मानसिक कमज़ोरी आने लगती है इस आयु में बुजुर्गों की पाचन शक्ति, चलना-फिरना, बीमारियां सहने की शक्ति, सुनने तथा देखने की शक्ति घट जाती है। इसके साथ बालों का सफ़ेद होना, चमड़ी पर झुर्रियां पड़ जाती हैं। बुर्जुगों की शारीरिक तथा मानसिक परिवर्तन उनके सामाजिक तथा पारिवारिक जीवन (Adjustment) को प्रभावित करती हैं। इन परिवर्तनों का बुजुर्गों की बाह्य दिखावट, कपड़े पहनने, मनोरंजन, सामाजिक, आर्थिक तथा धार्मिक गतिविधियों पर प्रभाव पड़ता है।
इस आयु में मनुष्य सामाजिक ज़िम्मेदारी से धीरे-धीरे पीछे हटता जाता है तथा उसकी धार्मिक गतिविधियों में वृद्धि होती है। इस आयु में व्यक्ति को बहुत सारी बीमारियां भी आ घेरती हैं जिनसे छुटकारा पाने के लिए उसकी निर्भरता परिवार पर बढ़ जाती है । इस अवस्था में परिवार के सदस्यों का बुजुर्गों प्रति व्यवहार बुजुर्गों के लिए खुशी अथवा उदासी का कारण बनता है। बुजुर्गों में एकांकीपन, परिवार पर बोझ, सामाजिक सम्मान घटने का अहसास मानसिक परेशानी का कारण बन जाता है।
जीवन के अन्तिम पड़ाव पर पहुंचते हुए बुजुर्ग सभी प्राथमिक ज़रूरतों की पूर्ति के लिए एक छोटे बच्चे की तरह पूर्णतः परिवार पर निर्भर हो जाता है। इस अवस्था दौरान कई बार बुजुर्गों में बच्चों वाली आदतें उत्पन्न हो जाती हैं।

प्रश्न 7.
जन्म से दो वर्ष तक होने वाले शारीरिक विकास के पड़ावों का वर्णन करो।
उत्तर-
जन्म से दो वर्ष के दौरान होने वाले शारीरिक विकास निम्नलिखित अनुसार हैं

  1. 6 हफ्ते की आयु तक बच्चा मुस्कुराता है तथा किसी रंगीन वस्तु की ओर टिकटिकी लगाकर देखता है।
  2. 3 महीने की आयु तक बच्चा चलती-फिरती वस्तु से अपनी आँखों को घुमाने लगता है।
  3. 6 महीने का बच्चा सहारे से तथा 8 महीने का बच्चा बिना सहारे के बैठ सकता है। (4) 9 महीने का बच्चा सहारे के बिना खड़ा हो सकता है।
  4. 10 महीने का बच्चा स्वयं खड़ा हो सकता है तथा सरल, सीधे शब्द जैसे-काका, पापा, मामा, टाटा आदि बोल सकता है।
  5. 1 वर्ष का बच्चा स्वयं उठकर खड़ा हो सकता है तथा उंगली पकड़कर अथवा स्वयं चलने लगता है।
  6. 11 वर्ष का बच्चा बिना किसी सहारे के चल सकता है तथा 2 वर्ष में बच्चा सीढ़ियों पर चढ़ सकता है।

प्रश्न 8.
बच्चों को टीकों की बूस्टर दवा कब दिलाई जाती है?
उत्तर-
छ: वर्ष का होने पर बच्चे को कई टीकों के बूस्टर डोज़ दिए जाते हैं ताकि उन्हें कई जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सके।

मनुष्य के विकास के पड़ाव PSEB 9th Class Home Science Notes

  • मानवीय जीवन का आरम्भ बच्चे के मां के गर्भ में आने से होता है।
  • मानवीय विकास के विभिन्न पड़ाव होते हैं जैसे ; बचपन, किशोरावस्था, प्रौढ़ावस्था तथा वृद्धावस्था।
  • बच्चा जन्म से लेकर दो वर्ष तक बेचारा-सा तथा दूसरों पर निर्भर होता है।
  • 12 वर्ष का बच्चा स्वयं चल सकता है तथा 2 वर्ष में बच्चा सीढ़ियां चढ़-उतर सकता है।
  • दो वर्ष के बच्चों को कई प्रकार की बीमारियों से बचाने के लिए टीके लगाए जाते हैं।
  • दो से तीन वर्ष का बच्चा नई चीजें सीखने की कोशिश करता है।
  • छ: वर्ष तक बच्चे की,खाने, पीने, सोने, टट्टी-पेशाब तथा शारीरिक सफ़ाई की आदतें पक्की हो जाती हैं।
  • स्कूल में बच्चे का मानसिक तथा सामाजिक विकास होता है।
  • जब लड़कों की मस फूटती है तथा लड़कियों को माहवारी आने लग जाती है तो इस आयु को किशोसवस्था कहते हैं।
  • किशोरों के माता-पिता का यह कर्त्तव्य है कि वह अपने बच्चों को लिंग शिक्षा सही ढंग से दें।
  • इस आयु में बच्चे स्वयं को बालिग समझने लगते हैं।
  • पहले बच्चे कानूनी तौर पर 21 वर्ष की आयु पर बालिग हो जाते थे तथा अब 18 वर्ष की आयु के बच्चे को कानूनी तौर पर बालिग करार दे दिया जाता है।
  • प्रौढ़ावस्था के दो पड़ाव हैं। 40 वर्ष तक पहली तथा 40 से 60 वर्ष की पिछली प्रौढ़ावस्था।
  • 45 से 50 वर्ष की आयु में औरतों को माहवारी बन्द हो जाती है।
  • वृद्धावस्था के प्रत्येक व्यक्ति पर अलग-अलग प्रभाव होता है।
  • वृद्धावस्था में नींद कम आती है तथा दाँत खराब होने के कारण भोजन ठीक तरह नहीं खाया जा सकता।

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