PSEB 9th Class Hindi Vyakaran मुहावरे तथा लोकोक्तियाँ

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Hindi Grammar muhavare tatha lokoktiyan मुहावरे तथा लोकोक्तियाँ Exercise Questions and Answers, Notes.

PSEB 9th Class Hindi Grammar मुहावरे तथा लोकोक्तियाँ

नीचे दी गई लोकोक्तियों के अर्थ समझकर वाक्य बनाइए

1. अशर्फ़ियाँ लुटें और कोयलों पर मोहर (एक ओर लापरवाही से खर्च किया जाए और दूसरी ओर पैसे-पैसे का हिसाब रखा जाए)-वीर सिंह लाटरी पर हज़ारों रुपए खर्च कर देता है पर संतों से घर खर्च का पाई-पाई का हिसाब माँगता है इसी को कहते हैं अशर्फ़ियाँ लुटें और कोयलों पर मोहर’।

2. आगे कुआँ पीछे खाई (दोनों ओर संकट)-चोर पुलिस को अपना भेद बताए तो फंसता था और न बताए तो पुलिस से पिटता था इसलिए उसकी दशा आगे कुआँ पीछे खाई जैसी हो रही थी कि जिधर जाए उधर मुसीबत।

3. उल्टे बाँस बरेली को (विपरीत कार्य करना)-नागपुर के संतरे तो दुनियाँ में प्रसिद्ध हैं और तुम फिरोज़पुर से उन्हें नागपुर संतरे भेज रहे हो, यह तो उल्टे बाँस बरेली को जैसी बात कर रहे हो।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran मुहावरे तथा लोकोक्तियाँ

4. एक और एक ग्यारह होते हैं (एकता में बल है)-नेता जी ने कहा देश को आजादी दिलवाने के लिए सब एक हो जाओ क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं, तभी हम अंग्रेजों को देश से भगा सकेंगे।

5. एक अनार सौ बीमार (वस्तु थोड़ी, माँग ज्यादा )-बिजली विभाग में दस क्लर्कों की नौकरियाँ निकलीं तो दस हज़ार लोगों ने प्रार्थना पत्र दे दिए, इसे ही कहते हैं एक अनार सौ बीमार, दस पदों के लिए दस हज़ार तैयार।

6. ओस चाटे प्यास नहीं बुझती (कम वस्तु से तृप्ति नहीं होती)-पेटू राम को खाने के लिए एक केला देने से उसका काम नहीं बनेगा, उसे तो कम-से-कम एक दर्जन केले चाहिए भला कहीं ओस चाटे प्यास बुझती है जो एक केले से उसका पेट भर जाएगा।

7. कंगाली में आटा गीला (मुसीबत पर मुसीबत)-इधर मनिन्द्र के घर की छत गिरी उधर गाँव से उसके पिता की मृत्यु का समाचार मिला, उसकी दशा तो कंगाली में आटा गीला जैसी हो गई है।

8. कागज़ हो तो हर कोई बाँचे, भाग्य न बाँचा जाए (कागज़ पर लिखा पढ़ सकते हैं, पर भाग्य नहीं पढ़ा जा सकता)-किरपाल सिंह की भैंस मरी, फिर घर में आग लगी, अब पत्नी मर गई तो वह भागा-भागा ज्योतिषी जी के पास गया कि ये सब क्यों हो रहा है ज़रा कुंडली देखकर बताइए तो ज्योतिषी जी ने कहा किरपाले “कागज़ हो तो हर कोई बाँचे, भाग्य न बाँचा जाए” तेरी किस्मत में जो होगा तुझे भुगतना पड़ेगा।

9. खोदा पहाड़ निकली चुहिया (बहुत मेहनत करने पर कम फल की प्राप्ति होना)-हम अध्यापकों के साथ मोरनी हिल देखने गए तो वहाँ हिल के नाम पर एक टीला-सा देखकर हम कह उठे खोदा पहाड़ निकली चुहिया।

10. गंगा गए गंगादास, जमना गए जमनादास (सिद्धांतहीन व्यक्ति)-आजकल के नेता अपने स्वार्थ के लिए कभी ‘क’ दल में तो कभी ‘ख’ दल में चले जाते हैं, उनका हाल तो यह है कि गंगा गए तो गंगादास, जमना गए जमना दास।

11. घमंड का सिर नीचा (अहंकारी को सदा मुँह की खानी पड़ती है)-हरबंस को अपनी ताकत पर बहुत घमंड था पर जब उसे कुश्ती में मेहर ने हरा दिया तो उसका मुँह देखने वाला था सच है घमंड का सिर नीचा ही रहता है।

12. चोर के घर मोर (चालाक का उससे भी अधिक चालाक से सामना होना)-सुनीता अपने को बहुत चतुर और होशियार समझती थी पर जब हेमा उसे बेवकूफ बना कर उसका कीमती हार कम दामों में ले गई तो उसे पता चला कि चोर के घर मोर ने डाका डाल लिया है।

13. जाको राखे साइयाँ मार सके न कोय (जिसे परमात्मा रखे उसे कोई मार नहीं सकता)-भीषण बस दुर्घटना में सभी यात्री मारे गए थे पर एक तीन वर्षीय बच्चा बस के नीचे से जीवित निकाल लिया गया, इसी को कहते हैं जाको राखे साइयाँ मार सके न कोय।।

14. डूबते को तिनके का सहारा (मुसीबत में थोड़ी-सी मदद भी मायने रखती है)-पिंकी को अपने कारोबार में घाटा हो रहा था पर उसी समय उसे सुभाष से मिली कुछ आर्थिक मदद ने बचा लिया तो उसे लगा कि डूबते को तिनके का सहारा भी बहुत होता है।

15. दूर के ढोल सुहावने (दूर से सब अच्छा लगता है)-हमने सुना था कि मुंबई की जुहू बीच बहुत अच्छी होती है परन्तु वहाँ समुद्र के काले तेलीय पानी को देख कर लगा कि सिर्फ दूर के ढोल सुहावने होते हैं।

16. नीम हकीम खतरा जान (अधूरा ज्ञान हानिकारक होता है)-सुंदर कुछ दिन किसी डॉक्टर की दुकान पर सफाई का काम करके लोगों को डॉक्टर बन कर दवा दे रहा है ऐसे नीम हकीम खतरा जान लोगों से सतर्क रहना चाहिए।

17. प्यासा कुएँ के पास जाता है, कुआँ प्यासे के पास नहीं (जिसे सहायता लेनी हो वह स्वयं सहायता देने वाले के पास जाता है)-विनोद को कुछ प्रश्न समझ में नहीं आ रहे तो उसके पिता ने उसे अपने अध्यापक के पास जाकर समझने के लिए कहा क्योंकि प्यासा कुएँ के पास जाता है, कुआँ प्यासे के पास नहीं।

18. मन चंगा तो कठौती में गंगा (मन पवित्र हो तो घर ही तीर्थ समान हो जाता है)-मन में स्थिरता न हो तो मंदिर-मस्जिद जाने से भी कोई लाभ नहीं होता, स्थिर मन से घर में ही परमात्मा का चिंतन करने से भी परमात्मा मिल जाते हैं क्योंकि मन चंगा तो कठौती में गंगा कहा गया है।

19. साँप मरे लाठी न टूटे (हानि न हो पर काम हो जाए)-परीक्षा में नकल करते हुए पकड़े जाने का डर रहता है, इसलिए कुछ ऐसा उपाय करना चाहिए कि साँप भी मरे, लाठी न टूटे; परीक्षा में उत्तीर्ण भी हो जाएँ और नकल भी न करनी पड़े।

20. होनहार बिरवान के होत चीकने पात (महान् व्यक्ति की महानता के लक्षण उसके बचपन में ही दिखाई दे जाते हैं)-मुंशी प्रेमचंद छोटी आयु में ही कहानियाँ लिखने लंग गए थे और आगे चल कर विश्व प्रसिद्ध कथाकार बन गए, इसे कहते हैं होनहार बिरवान के होत चीकने पात।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran मुहावरे तथा लोकोक्तियाँ

परीक्षोपयोगी अन्य मुहावरे/लोकोक्तियाँ

(क) मुहावरे

  1. अकल का अन्धा होना (बेवकूफ होना)-उसे समझाने की कोशिश करना व्यर्थ है। वह तो पूरा अकल का अन्धा है।
  2. अंग-अंग ढीला होना (थक जाना)-दिनभर परिश्रम करने से मेरा अंग-अंग ढीला हो गया है।
  3. अन्धे को दीपक दिखाना (नासमझ को उपदेश देना)- भगवान कृष्ण दुर्योधन के धृष्टतापूर्ण व्यवहार से समझ गए थे कि उसे उपदेश देना अन्धे को दीपक दिखाना है।
  4. अपना उल्लू सीधा करना (अपना मतलब निकालना)-स्वार्थी मित्रों से बचकर रहना चाहिए। उन्हें तो अपना उल्लू सीधा करना आता है।
  5. अकल मारी जाना (घबरा जाना)-प्रश्न-पत्र देखते ही शांति की अकल मारी गई।
  6. अकल चरने जाना (सोच-समझकर काम न करना)-बना बनाया मकान तुड़वा रहे हो, इसे बनवाते समय क्या तुम्हारी अकल चरने गई थी।
  7. अपनी खिचड़ी अलग पकाना (सबसे अलग रहना)-अपनी खिचड़ी अलग पकाने से कोई लाभ नहीं होता इसलिए सबसे मिल-जुलकर रहना चाहिए।
  8. आँख उठाना (नुकसान पहुँचाना)–यदि तुमने मेरी ओर आँख उठा कर देखा तो मुझसे बुरा कोई न होगा।
  9. आँखें चार होना (आमने-सामने होना)-पुलिस से आँखें चार होते ही चोर घबरा गया।
  10. आँखें दिखाना (क्रोध करना)-कक्षा में शोर सुनकर जैसे ही अध्यापक ने आँखें दिखाई कि सब चुप हो गए।
  11. आँखें फेरना (प्रतिकूल होना)-मतलबी लोग अपना काम होते ही आँखें फेर लेते हैं।
  12. आँखों का तारा (बहुत प्यारा)-राम दशरथ की आँखों के तारे थे।
  13. आँखों में खटकना (बुरा लगना)-अनुशासनहीन बच्चे सबकी आँखों में खटकते हैं।
  14. आँच न आने देना (नुकसान न होने देना)-माँ अपनी सन्तान पर आँच नहीं आने देती।
  15. कान खा लेना (किसी बात को बार-बार कहना)-सुचित्रा ने सुबह से पिकनिक पर जाने की रट लगाकर
    अपनी माता के कान खा लिए।
  16. कान में पड़ना (सुनाई देना)-चिल्ला क्यों रहे हो, तुम्हारी बातें मेरे कान में पड़ रही हैं।
  17. कानों को हाथ लगाना (तौबा करना)-कानों को हाथ लगाकर कहती हूँ कि अब कभी झूठ नहीं बोलूँगी।
  18. गड़े मुर्दे उखाड़ना (बीती हुई बातों को कहना)-रवि वर्तमान की बात नहीं करता, हमेशा गड़े मुर्दे उखाड़ता रहता है।
  19. गागर में सागर भरना (बड़ी बात थोड़े से शब्दों से कहना)-बिहारी ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है।
  20. गुदड़ी का लाल (सामान्य परन्तु गुणी)-सतीश एक गरीब रिक्शेवाले का पुत्र था लेकिन उसने भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सिद्ध कर दिया है कि वह तो गुदड़ी का लाल है।
  21. घाव पर नमक छिड़कना (दु:खी को और दु:खी करना)-महँगाई के इस युग में निर्धन कर्मचारियों के भत्ते बन्द करना घाव पर नमक छिड़कना है।
  22. घी के दिये जलाना (बहुत प्रसन्न होना)-अपने सैनिकों की विजय का समाचार सुनकर भारतवासियों ने घी के दिये जलाए।
  23. चूड़ियाँ पहनना (कायर)-जो सैनिक युद्ध में जाने से डरते हैं, उन्हें घर में चूड़ियाँ पहन कर बैठना चाहिए।
  24. चोली-दामन का साथ (सदा साथ रहना)-राम शाम चाहे कितना झगड़ा कर लें फिर भी उनमें चोली दामन का साथ है क्योंकि वे एक-दूसरे के बिना रह नहीं सकते।
  25. छोटा मुँह बड़ी बात (अपनी हैसियत से बढ़कर बात करना)-चींटी ने कहा मैं हाथी को मार दूंगी। उसका ऐसा कहना तो छोटा मुँह बड़ी बात है।
  26. टस से मस न होना (परवाह नहीं करना)-शिव को कितना भी समझाओ कि बुरे लोगों का साथ न करो, परन्तु वह तो टस से मस नहीं होता और उन्हीं लोगों का साथ करता है।
  27. दिन फिरना (भाग्य बदलना)-कभी दुखी नहीं होना चाहिए क्योंकि सबके दिन फिरते हैं।
  28. निन्यानवे के फेर में पड़ना (असमंजस में पड़ना)-निन्यानवे के फेर में पड़कर मनुष्य का जीवन दुःखी हो जाता है।
  29. पाँचों उंगलियाँ घी में होना (बहुत लाभ होना)-वस्तुओं के भाव चढ़ जाने से व्यापारियों की पाँचों उंगलियाँ घी में होती हैं।
  30. श्री गणेश करना (प्रारम्भ करना)-परीक्षाओं के सिर पर आते ही रमन ने पढ़ने का श्रीगणेश कर दिया।

(ख) लोकोक्तियाँ

  1. अन्धा क्या जाने बसंत की बहार (असमर्थ व्यक्ति गुणों को नहीं पहचान सकता)-उस मूर्ख को गीता का उपदेश देना व्यर्थ है। उस पर तो ‘अन्धा क्या जाने बसंत की बहार’ वाली कहावत चरितार्थ होती है।
  2. अन्धी पीसे कुत्ता चाटे (नासमझ अथवा सीधे-सादे व्यक्ति के परिश्रम का लाभ दूसरे व्यक्ति उठाते हैं) दिनेश जो कुछ कमाता है, उसके मित्र उड़ा कर ले जाते हैं। यहाँ तो अन्धी पीसे कुत्ता चाटे वाली बात हो रही है।
  3. अन्धों में काना राजा (मूों में थोड़े ज्ञान वाला भी बड़ा मान लिया जाता है)-हमारे गाँव में किशोरी लाल ही थोड़ा-सा पढ़ा-लिखा व्यक्ति है। सभी उसकी इज्जत करते हैं। इसी को कहते हैं-अन्धों में काना राजा।
  4. अपनी-अपनी डफली अपना-अपना राग. (भिन्न-भिन्न मत होना)-इस सभा में कोई भी निर्णय नहीं हो सकता। सबकी अपनी-अपनी डफली अपना-अपना राग है।
  5. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता (बड़ा काम अकेला व्यक्ति नहीं कर सकता)-देश से भ्रष्टाचार एक व्यक्ति नहीं मिटा सकता। सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए क्योंकि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
  6. आँख के अन्धे गाँठ के पूरे (मूर्ख परन्तु धनी)-हरजीत के पास कोई डिग्री तो नहीं है परन्तु पैसा तो अच्छा कमा लेता है। वह आँख का अंधा तो है पर गाँठ का पूरा है।
  7. आँख का अंधा, नाम नैन सुख (नाम अच्छा काम बुरा)-करोड़ीमल भीख माँग कर अपना पेट भरता है। यह तो वही बात हुई कि आँख का अन्धा, नाम नैन सुख।
  8. एक और एक ग्यारह होना (एकता में बल)-अकेले की बजाए मिलकर काम करने से बहुत लाभ होता है क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं।
  9. एक तो चोरी दूसरे सीना ज़ोरी (काम बिगाड़ कर आँख दिखाना)-जतिन ने आयूष को पीटा और फिर जाकर अपनी माता से आयूष की शिकायत की, यह तो वही बात हुई कि एक तो चोरी दूसरे सीना जोरी।
  10. एक पंथ दो काज (एक उद्यम से दो कार्य होना)-प्रकाश कौर अस्पताल अपना चैकअप कराने गई थी और लौटते हुए फल-सब्जी भी ले आई। इस प्रकार एक पंथ दो काज हो गए।
  11. एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है (एक की बुराई से सब पर दोष लगता है)-दफ्तर में बड़े बाबू के रिश्वत लेने से सारे दफ़्तर की बदनामी हो रही है। सच है कि एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है।
  12. एक म्यान में दो तलवारें नहीं समा सकतीं (दो विरोधी एक स्थान पर एक साथ शासन नहीं कर सकते) शेर सिंह ने गब्बर सिंह को ललकारते हुए कहा कि इस इलाके में तुम रहोगे या मैं क्योंकि एक म्यान में दो तलवारें नहीं समा सकतीं।
  13. ओछे की प्रीत बालू की भीत (नीच की मित्रता)-दुर्योधन से मित्रता सबके विनाश का कारण बनी थी क्योंकि ओछे की प्रीत बालू की भीत होती है।
  14. और बात खोटी, सही दाल रोटी (सब धंधा दाल-रोटी का है)-भीम सिंह सारा दिन मेहनत करता है, उसे और कोई बात अच्छी नहीं लगती। उसका मानना है कि और बात खोटी, सही दाल रोटी।
  15. कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली (असम्भव बात)-अमर सिंह जैसे मेधावी छात्र के साथ निकम्मे बोध सिंह की कोई तुलना नहीं है क्योंकि कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली।
  16. कागज़ की नाव नहीं चलती (बेईमानी से काम नहीं होता)-वज़ीर सिंह ज्यादा हेरा-फेरी मत किया करो क्योंकि हमेशा कागज़ की नाव नहीं चलती।
  17. काम प्यारा है चाम नहीं (काम देखा जाता है)-सुरेन्द्र कौर की खूबसूरती का फैक्टरी के मालिक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि उसे तो काम प्यारा है चाम नहीं।
  18. का वर्षा जब कृषि सुखानी (मुसीबत टल जाने पर सहायता आना)-करोड़ों की सम्पत्ति जब जल कर राख हो गई तो आग बुझाने वाले आए। यह तो वही हुआ का वर्षा जब कृषि सुखानी।
  19. काला अक्षर भैंस बराबर (निरक्षर)-इन्द्रजीत कौर के बनाव-शृंगार पर मत जाओ, जब वह बोलेगी तो तुम्हें पता चल जाएगा कि वह तो काला अक्षर भैंस बराबर है।
  20. कुत्ते की दुम बारह वर्ष नली में रखी जाए फिर भी टेढ़ी की टेढ़ी (दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता) – शराबी लाख कसमें खााकर भी शराब पीना नहीं छोड़ता तभी तो कहा है कि कुत्ते की दुम बारह वर्ष नली में रखी जाए फिर भी टेढ़ी की टेढ़ी।

नीचे लिखे किन्हीं पाँच मुहावरों और लोकोक्तियों का वाक्यों में इस प्रकार प्रयोग करें कि अर्थ स्पष्ट हो जाएँ-
अकल चरने जाना, एक अनार सौ बीमार, अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत, कानों को हाथ लगाना, आँखों में खटकना, आँखें खुलना, कान खाना, अंत भले का भला, अधजल गगरी छलकत जाए, अंधों में काना राजा, एक और एक ग्यारह होते हैं, कान पर जूं न रेंगना, अंगूठा दिखाना, गड़े मुर्दे उखाड़ना, आँखें चुराना, अपना उल्लू सीधा करना, एक पंथ दो काज, उल्टे बांस बरेली को, अंधे की लाठी, आँच न आने देना, एक तो चोरी दूसरे सीना जोरी, अपनी खिचड़ी अलग पकाना, ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया, चादर से बाहर पैर पसारना, एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है, आम के आम गुठलियों के दाम, आँख उठाना, चूड़ियाँ पहनना, अंग-अंग ढीला होना, अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता, अंधी पीसे कुत्ता खाय, ऊँट के मुँह में जीरा, आँख से अंधे नाम नैन सुख, आँखों का तारा, गुदड़ी का लाल, अंधे को दीपक दिखाना, एक पंथ दो काज, अकलमारी जाना, आँखें दिखाना, अपनी-अपनी ढफली अपना-अपना राग, अँधा क्या जाने बसंत बहार, आँखें फेरना, आँखें चुराना, कान में पड़ना, घाव पर नमक छिड़कना, घी के दिए जलाना, आँख के अंधे गांठ के पूरे, गागर में सागर भरना, श्री गणेश करना, बगलें झाकना, लातों के भूत बातों से नहीं मानते, काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती, टका सा जवाब देना, मिट्टी का माधो, पगड़ी उछालना, न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी, काला अक्षर भैंस बराबर, लोहा लेना, घर की मुर्गी दाल बराबर, घर का भेदी लंका ढाहे, दिन फिरना, खोदा पहाड़ निकली चूहिया।

मुहावरा ऐसे वाक्यांश को कहते हैं जो किसी सामान्य अर्थ का बोध न कराकर विशेष अर्थ का बोध कराता है। वाक्य में इसका प्रयोग क्रिया के समान होता है, जैसे-‘आकाश-पाताल एक करना’। इस वाक्यांश का सामान्य अर्थ है ‘पृथ्वी और आकाश को परस्पर मिलाना’ लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सकता है। अत: मुहावरे के रूप में इसका विशेष अर्थ होगा-‘बहुत परिश्रम करना’ इसी प्रकार ‘अंगारे बरसना’ का अर्थ होगा-‘बहुत तेज धूप पड़ना’।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran मुहावरे तथा लोकोक्तियाँ

मुहावरों का सहज-स्वाभाविक प्रयोग करके अपनी मौखिक या लिखित भाषा को अधिक प्रभावपूर्ण, सशक्त और आकर्षक बनाया जा सकता है। साहित्यकार इनके प्रयोग से भाषा को साहित्यिकता का गुण प्रदान करते हैं, क्योंकि ये कम शब्दों में भावों को गहनता, सरसता और गंभीरता प्रदान करने की विशेषता रखते हैं। मुहावरे वाक्य को लाक्षणिकता का गुण प्रदान करते हैं।

मुहावरों का उचित प्रयोग करते समय निम्नलिखित बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए-
मुहावरे का अर्थ।
मुहावरे का वाक्य में सटीक प्रयोग।
वाक्य का अनिवार्य अंग।
मुहावरे का सामान्य नहीं अपितु विशेष अर्थ।
क्रिया, लिंग, वचन, कारक आदि के अनुसार मुहावरे में परिवर्तन।

लोकोक्तियाँ

‘लोकोक्ति’ शब्द दो शब्दों ‘लोक’ और ‘उक्ति’ के मेल से बना है जिसे कहावत भी कहा जाता है। भाषा को प्रभावशाली बनाने के लिए मुहावरों के समान लोकोक्तियों का प्रयोग किया जाता है। ‘लोक में प्रचलित उक्ति’ को लोकोक्ति कहते हैं। लोकोक्ति ऐसा वाक्य होता है जिसे कथन की पुष्टि के लिए प्रस्तुत किया जाता है। लोकोक्ति के पीछे मानव-समाज का अनुभव अथवा घटना विशेष रहती है। मुहावरे के समान इसका भी विशेष अर्थ ग्रहण किया जाता है, जैसे- “हाथ कंगन को आरसी क्या” इसका अर्थ होगा “प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती।” यहाँ लोक-जीवन का अनुभव प्रकट हो रहा है-यदि हाथ में कंगन पहना हो तो उसे देखने के लिए शीशे की आवश्यकता नहीं होती।

लोकोक्ति और मुहावरे में अंतर

मुहावरा लोकोक्ति
1. मुहावरा वाक्य में एक वाक्यांश की तरह प्रयुक्त किया जाता है। 1. लोकोक्ति अपने आप में एक स्वतंत्र वाक्य होती है।
2. मुहावरा स्वतंत्र रूप में अपने अर्थ को ठीक प्रकार से अभिव्यक्त नहीं कर पाता। 2. लोकोक्ति स्वतंत्र रूप में अपना अर्थ प्रयुक्त कर पाती है।
3. मुहावरे में लाक्षणिक अर्थ होता है। 3. लोकोक्ति में शाब्दिक और लाक्षणिक दोनों अर्थ विद्यमान होते हैं।
4. मुहावरे का प्रयोग भाषा को सौंदर्य और साहित्यिकता देने के लिए किया जाता है। 4. लोकोक्ति से किसी विशिष्ट घटना या प्रसंग को प्रकट किया जाता है।

कुछ प्रचलित मुहावरे : अर्थ और वाक्य में प्रयोग

(क) पाठ्य पुस्तक में दिए गए मुहावरे

  1. अंग-अंग मुसकाना (बहुत प्रसन्न होना)-संगीत प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त कर सिमरन का अंग-अंग मुसकरा उठा।
  2. अंगारे उगलना (कठोर बातें करना)-राम सिंह से प्यार से भी कुछ पूछो तो उसके मुँह से तो सदा अंगारे उगलते रहते हैं।
  3. अंधे की लकड़ी (एकमात्र सहारा)-शहनवाज़ अपने माता-पिता के लिए अंधे की लकड़ी है।
  4. अकल चकराना (कुछ समझ में न आना)-विज्ञान का प्रश्न-पत्र देखते ही राजबीर की अकल चकरा गई।
  5. अकल के घोड़े दौड़ाना (अनेक विचार करना)-अकल के घोड़े दौड़ा कर ही रहीम अपनी मुसीबतों से छुटकारा पा सका।
  6. अपने मुँह मियाँ मिठू बनना (अपनी तारीफ़ खुद करना)-अपनी पार्टी के गुण गिना कर नेता जी अपने मुँह मियाँ मिठू बन रहे थे।
  7. आँखें चुराना (छिपना)-जबसे सुरजीत की चोरी की आदत की पोल खुली है, वह सबसे आँखें चुराता फिर. रहा है।
  8. आँखों पर बिठाना (सम्मान करना)-जब हमारे विद्यालय की फुटबाल टीम ‘पंजाब केसरी’ पुरस्कार जीत कर आई तो सबने उसे आँखों पर बिठा लिया।
  9. आँखें खुलना (होश आना)-हरभजन जब अपनी सारी दौलत जुए में हार गया तो उसकी आँखें खुलीं।
  10. आँसू पी कर रह जाना (कठिनाई में भी न घबराना)-अपने खलियान को जलते देखकर भी रहमान आँसू पी कर रह गया।
  11. आग-बबूला होना (बहुत क्रोधित होना)-कक्षा में शोर सुन कर अध्यापक जी आग-बबूला हो गए।
  12. आग में पानी डालना (गुस्सा दूर करना, लड़ाई मिटाना)-शीला और लीला के आपसी झगड़े में बीच-बचाव कर प्रीतो ने आग में पानी डालने का काम किया।
  13. आसमान टूट पड़ना (भारी मुसीबत पड़ना)-पिता की अचानक मृत्यु होने से मनमोहन सिंह पर तो आसमान टूट पड़ा।
  14. आसमान सिर पर उठाना (बहुत शोर करना)-बच्चों ने आसमान सिर पर उठा कर माँ की नाक में दम कर दिया है।
  15. ईमान बेचना (बेईमानी करना)-राजा हरिश्चंद्र ने किसी भी कीमत पर अपना ईमान बेचा नहीं था।
  16. ईद का चाँद होना (बहुत समय बाद मिलना या दिखाई देना)-सांसद बनते ही ईश्वर सिंह जनता के लिए ईद का चाँद हो गया है।
  17. कलेजा ठंडा होना (संतोष होना)-निर्भया के अपराधियों को फाँसी की सजा मिलने पर उसके माता-पिता का कलेजा ठंडा हुआ।
  18. कलेजे पर साँप लोटना (ईर्ष्या होना)-महेश का नया तिमंजला मकान देख कर रमेश के कलेजे पर साँप लोटने लगा।
  19. कान का कच्चा (सुनकर विश्वास करना)-कान का कच्चा व्यक्ति जीवन में सदा धोखा खाता है।
  20. कान पर जूं तक न रेंगना (कोई असर न होना)-भजन सिंह ने हरपाल को शराब पीने से रोकने के लिए अनेक दुर्घटनाएँ सुनाईं पर उसके तो कान पर तक न रेंगी बल्कि वह और शराब पीने लगा।
  21. खटाई में पड़ना (काम लटक जाना)-बैंक से कर्जा न मिल सकने से गोपाल के मकान का काम खटाई में पड़ गया है।
  22. ख्याली पुलाव पकाना (कल्पना करते रहना)-गुरुदेव कुछ करता तो है नहीं बस अमीर बनने के ख्याली पुलाव पकाता रहता है।
  23. गिरगिट की तरह रंग बदलना (मौकापरस्त होना, सिद्धांतहीन व्यक्ति)-आजकल के नेता अपने स्वार्थ के लिए गिरगिट की तरह रंग बदल कर पार्टियाँ बदलते रहते हैं।
  24. गुड़ गोबर होना (काम बिगाड़ना)-आज हरप्रीत कौर के विवाह का समारोह था परन्तु तेज़ वर्षा ने सब गुड़ गोबर कर टैंट आदि उखाड़ दिए।
  25. घड़ों पानी पड़ना (लज्जित होना)-परीक्षा में नकल करते हुए पकड़े जाने पर रजनीश पर घड़ों पानी पड़ गया।
  26. चादर देख कर पैर पसारना (आय के अनुसार व्यय करना)-दमड़ी लाल एक-एक पैसा संभाल कर रखता है और चादर देखकर पैर पसारता है, इसलिए वह बहुत सुखी है।
  27. चेहरे से हवाइयाँ उड़ना (बहुत घबरा जाना)-जब परीक्षक ने शहनाज़ को परीक्षा में नकल करते हुए पकड़ा तो उसके चेहरे से हवाइयाँ उड़ने लगीं।
  28. छिपा रुस्तम (सामान्य पर गुणी)-लाल बहादुर शास्त्री जी देखने में तो छोटे-से थे, परन्तु प्रधानमंत्री के कार्य कुशलता पूर्वक करने में वे छिपे रुस्तम निकले।
  29. छोटा मुँह बड़ी बात (बढ़-चढ़ कर बातें करना)-यदि कुछ समझ नहीं आए तो किसी पर व्यर्थ ही आरोप लगाना छोटा मुँह बड़ी बात हो जाती है।
  30. ज़मीन आसमान एक करना (बहुत मेहनत/प्रयत्न करना)-परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए नवजोत ने ज़मीन आसमान एक कर दिया था।
  31. जान पर खेलना (जोखिम उठाना)-सुखबीर ने अपनी जान पर खेलकर तालाब में डूबते हुए रहमान को बचा . लिया।
  32. झख मारना (व्यर्थ में समय बर्बाद करना)-तेजा दिनभर इधर-उधर झख मारता रहता है और फिर कहता है कि उसे कोई काम ही नहीं मिलता।
  33. टेढ़ी उँगली से घी निकालना (बलपूर्वक काम करना)-जब मोहन ने सोहन को उसका उधार नहीं लौटाया तो उसने उसे स्पष्ट कह दिया कि कल तक मेरी रकम लौटा देना नहीं तो मैं टेढ़ी उँगली से घी निकालना भी जानता हूँ।
  34. ठगा-सा रह जाना (हैरान होना)-जादूगर ने जादू देखकर सभी ठगे से रह गए।
  35. डूबती नैया पार लगाना (कठिनाई से बचाना)-परमजीत के मकान की कुर्की होते देखकर प्रकाश सिंह ने उसकी आर्थिक मदद कर उसकी डूबती नैया पार लगा दी।
  36. ढोल की पोल (ऊपरी/बाहरी दिखावा)-आयकर विभाग के छापे से गुजराल की अमीरी की ढोल की पोल खुल गई।
  37. तलवे चाटना (खुशामद करना)-नेताओं के तलवे चाट कर ही महीपाल को सड़क बनाने का ठेका मिला
  38. ताँता बँधना (लगातार होना)-डेंगू की बीमारी से मरने वालों का ताँता बँधा हुआ है।
  39. थाली का बैंगन (सिद्धांतहीन अथवा अस्थिर विचारों वाला व्यक्ति)-थाली का बैंगन व्यक्ति सदा अपने स्वार्थ की सोचता है, वह किसी का सगा नहीं होता।
  40. दाँत काटी रोटी (पक्की मित्रता)-रवि और शशि में दाँत काटी रोटी है।
  41. दालभात में मूसलचंद (दो के बीच दखल देना)-शबाना और हैदर के प्रेम में अशफ़ाक दालभात में मूसलचंद बन कर रोड़े अटका रहा है।
  42. धज्जियाँ उड़ाना (नष्ट करना)-अखिलेश ने रमा के रेत के घरौंदे में लात मारकर उसकी धज्जियाँ उड़ा दीं।
  43. धुन का पक्का (मज़बूत इरादे वाला)-जो व्यक्ति अपनी धुन का पक्का होता है, वह जीवन में अवश्य सफल होता है।
  44. नाक भौं चढ़ाना (नखरे करना)-खाने में मूंग धुली दाल बनी देखकर रश्मि नाक भौं चढ़ाने लगी।
  45. नाक कटना (सम्मान नष्ट होना)-सीमा ने घर से भाग कर अपने परिवार की नाक कटा दी है।
  46. पत्थर पर लकीर (पक्की बात)-राजा हरिश्चन्द्र जो कह देते थे वह पत्थर पर लकीर बन जाती थी।
  47. फूंक-फूंक कर कदम रखना (सोच समझ कर कार्य करना)-कोई भी नया कार्य प्रारंभ करने से पहले फूंकफूंक कर कदम रखना चाहिए तभी सफलता मिलती है।
  48. फूला न समाना (बहुत प्रसन्न होना)-परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर चैतन्य फूला न समाया।
  49. बात का धनी (वायदे का पक्का)-राजा हरिश्चंद्र बात के धनी थे, वे जो कहते थे करके भी दिखाते थे।
  50. बीड़ा उठाना (संकल्प करना)-नल-नील ने सागर पर पुल बनाने का बीड़ा उठाया था।
  51. भरी थाली में लात मारना (लगा-लगाया काम छोड़ना)-जब तक कोई दूसरा अच्छा काम नहीं मिल जाता तब तक वर्तमान काम को छोड़ना भरी थाली में लात मारना होगा।
  52. मिजाज़ ठीक करना (अकड़ दूर करना)-अंगद ने रावण के दरबार में बड़े-बड़े राक्षसों के मिजाज़ ठीक कर दिए थे।
  53. रुपया उड़ाना (फिजूल खर्च करना)-पिता के मरने के बाद दोस्तों पर रुपये उड़ा कर बलकार सिंह आज दाने-दाने को तरस रहा है।
  54. लोहे के चने चबाना (बहुत कठिन कार्य करना)-अकबर को महाराणा प्रताप के साथ युद्ध करते हुए लोहे के चने चबाने पड़े थे।
  55. वीरगति को प्राप्त होना (मृत्यु होना)-कारगिल युद्ध में शत्रुसेना का मुकाबला करते हुए अनेक भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे। .
  56. शेखी बघारना (अपनी प्रशंसा-खुद करना)–नेता जी अपनी पार्टी की खुद ही शेखी बघारने लगे। .
  57. शैतान के कान कतरना (बहुत चालाक होना)-तुम बलबीर से दोस्ती तो कर रहे हो, पर उससे बच कर । रहना क्योंकि वह तो शैतान के कान कतरना भी जानता है।
  58. सिर-धड़ की बाजी लगाना (प्राणों की चिंता न करना)-वीर अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने सिरधड़ की बाजी लगाना भी नहीं भूलते हैं।
  59. हाथ धोकर पीछे पड़ना (काम करने की धुन लगना)-नकुल को जो काम दिया जाए, वह हाथ धोकर उसके पीछे पड़ जाता है और उसे पूरा करके ही दम लेता है।

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran मुहावरे तथा लोकोक्तियाँ

नीचे दिए गए मुहावरों के अर्थ समझकर वाक्य बनाइए

  1. अगूंठा दिखाना (देने से मना करना)-तृप्ता से जब मुक्ता ने उसकी कलम मांगी तो उसने उसे अगूंठा दिखा दिया।
  2. आड़े हाथों लेना (अच्छी तरह काबू करना)-बिना माँ की आज्ञा के फ़िल्म देख आने पर पवन को माँ ने आड़े हाथों लिया।
  3. ईमान बेचना (बेईमानी करना)-आजकल के नेता अपना ईमान बेचने के लिए सदा तैयार रहते हैं।
  4. उड़ती चिड़िया पहचानना (रहस्य जान लेना)-सुखचैन से बचकर रहना, वह तो उड़ती चिड़िया पहचान लेता
  5. ओखली में सिर देना (जानबूझ कर मुसीबत में फँसना)-लक्खे और सुक्खे को लड़ते देख मुन्ना उन्हें छुड़ाने लगा कि वे दोनों उसे ही धुनने लगे तो उसे लगा कि ओखली में सिर देकर उसने अच्छा नहीं किया।
  6. काया पलट देना (बिल्कुल बदल जाना)-सुरजीत सिंह की विधायक बनते ही काया पलट हो गई है।
  7. कलई खुलना (रहस्य खुलना)-आयकर विभाग के छापे में बंसल के घर से मिले काले धन से उसकी बेईमानी की कमाई की कलई खुल गई है।
  8. गले मढ़ाना (ज़बरदस्ती किसी को कोई काम सौंपना)-सुधा ने घर के कामकाज के साथ बच्चों की देखभाल का काम भी गले मढ़ दिया तो वह काम ही छोड़ कर चली गई।
  9. घास खोदना (फ़जूल समय बिताना)-कोई कमाई का काम करो, जिससे घर चल सके सिर्फ घास खोदने से कुछ नहीं होगा।
  10. टका-सा जवाब देना (कोरा उत्तर देना)-जब ममता ने अनीता से सौ रुपए मांगे तो उसने रुपये देने की बजाय उसे टका-सा जवाब देते हुए कह दिया कि नहीं दूंगी।
  11. दाँत खट्टे करना (बुरी तरह हराना)-भारतीय सैनिकों ने शत्रु सेना के दाँत खट्टे कर दिए।
  12. दाल में काला होना (गड़बड़ होना)-सुजान सिंह के घर सी०बी०आई० का छापा पड़ने से लगता है कि उसके कारोबार में अवश्य ही दाल में काला है।
  13. नाव पार लगाना (प्रयास सफल करना)-व्यापार में कृपाल की मदद करके उस्मान ने उसके डूबते व्यापार की नाव पार लगा दी।
  14. पेट पर लात मारना (रोजी-रोटी छीनना)-केवल सिंह ने रमन सिंह को नौकरी से निकाल कर उसके पेट पर लात मार दी है।
  15. फलना-फूलना (सुखी और संपन्न होना)-सोहन सिंह का व्यापार आज़कल खूब फल-फूल रहा है।
  16. बाजी मारना (सफल होना)-दस बच्चों की दौड़ में हार्दिक बाजी मारकर प्रथम आया है।
  17. भेड़ की खाल में भेड़िया (देखने में सीधा पर खतरनाक)-राहुल की सादगी पर मत जाओ, वह तो भेड़ की खाल में भेड़िया है।
  18. माथा ठनकना (संदेह होना)-इंदर सिंह की दो सालों में ही कमाई में हुई बेहद वृद्धि से पड़ौसियों का माथा ठनकने लगा कि कहीं वह कोई ग़लत काम तो नहीं कर रहा।
  19. रुपया ठीकरी कर देना (व्यर्थ में पैसा खर्च करना)-महेंद्र कौर ने बेटे को नया कारोबार करने के लिए दस लाख रुपए दिए पर उसने नशे में सारा रुपया ठीकरी कर दिया।
  20. हाथों के तोते उड़ना (दुःख से हैरान होना)-बेटे की दुर्घटना का समाचार सुनते ही माँ-बाप के हाथों के तोते उड़ गए।

कुछ प्रचलित लोकोक्तियाँ:

1. अंत भले का भला (भलाई करने वाले का भला होता है)-जसवंत सिंह सदा सबकी सेवा करता रहा जब उस पर मुसीबत आई तो सबने मिलकर उसकी जी जान से मदद की क्योंकि अंत भले का भला ही होता है।

2. अधजल गगरी छलकत जाए (कम गुणी दिखावा बहुत करता है)-सुमन को सुर-ताल का तो ज्ञान नहीं पर स्वयं को बड़ी संगीत विशारद कहती है, उसका तो वही हाल है कि अधजल गगरी छलकत जाए।

3. अब पछताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गई खेत (समय बीत जाने पर पछताने से क्या लाभ)-सरबजीत ने पहले तो ठीक से पढ़ाई नहीं की और अब फेल हो जाने पर रो रही है परन्तु अब पछताए होत क्या, जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत।

4. आँखों देखी मक्खी नहीं निगलते (जानबूझ कर बुरा या हानिकारक काम नहीं करते)- अमर को कई बार नशा न करने के लिए कहा पर वह अन्य नशेड़ियों की दुर्दशा देखकर भी नहीं संभला जबकि आँखों देखी मक्खी नहीं निगलते पर वह देख कर भी अनदेखा कर गया।

5. आँवले का खाया और बड़े का कहा बाद में सीख देता है (आँवला खाने में कसैला तथा बड़ों की शिक्षा सनने में कड़वी लगती है पर बाद में लाभ होता है)-माँ-बाप के समझाने पर भी भीम की समझ में कुछ नहीं आया वह उनकी सीख की अनदेखी कर व्यापार में घाटा खाकर पछता रहा है और सोचता है कि उनका कहा मान लेता क्योंकि आँवले का खाया और बड़े का कहा बाद में सीख देता है।

6. आम के आम गुठलियों के दाम (दुगुना लाभ)-अखबार पढ़ कर फेंकना मत क्योंकि इन दिनों अखबार की रद्दी अच्छे भाव पर बिक जाती है इसलिए इसे पढ़ कर संभाल कर रखो और बाद में बेच देना इस प्रकार आम के आम गुठलियों के दाम की बात हो जाएगी।

7. आग लगने पर कुआँ खोदना (मुसीबत पड़ने पर उससे छुटकारे का प्रयत्न करना)-जब परीक्षा सिर पर आ पड़ी तो प्रीतम को लगा कि उसने कुछ पढ़ा ही नहीं और वह टयूशन रखने के लिए इधर-उधर भटकता रहा पर उसे कहीं कोई अध्यापक नहीं मिला, सच है आग लगने पर कुआँ खोदने से आग नहीं बुझती।

8. ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया (सभी एक समान नहीं होते)-रामलाल का एक बेटा डॉक्टर बन गया है जबकि दूसरा पढ़ लिख कर भी भटक रहा है, सच है ईश्वर की माया कहीं धूप कहीं छाया।

9. ऊँची दुकान फीका पकवान (केवल ऊपरी दिखावा करना)-टैगोर इंटरनेशनल स्कूल नाम का ही इंटरनेशनल है क्योंकि उसमें सभी अध्यापक अप्रशिक्षित हैं, इसी को कहते हैं ऊँची दुकान फीका पकवान।

10. एक हाथ से ताली नहीं बजती (अकेला व्यक्ति झगड़े का कारण नहीं होता)-ऐसा कैसे हो सकता है कि भजनो ने कुछ किया ही न हो और माँ ने उसकी पिटाई कर दी हो क्योंकि एक हाथ से ताली नहीं बजती।.

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran मुहावरे तथा लोकोक्तियाँ

11. एक बार भूले से भूला कहाये, बार-बार भूले सो मूर्खानंद कहाये (एक बार ग़लती हो तो सावधान हो जाना चाहिए किंतु फिर वही गलती हो तो मूर्खता कहलाती है)– सुन्दर को कितना समझाओ, वह कुछ नहीं समझता और बार-बार एक ही भूल कर बैठता है। इसलिए सभी उसे मूर्खानंद कहते हैं क्योंकि एक बार भूले से भूला कहाये, बारबार भूले सो मूर्खानंद कहाये।

12. कमली ओढ़ने से फ़कीर नहीं होता (ऊपरी दिखावे/ढोंग से वास्तविकता नहीं आती)-इन्द्रजीत कौर की मक्कारी को सब जानते हैं इसलिए जब वह किसी से मीठी बातें करती है तो भी लोग उस पर विश्वास नहीं करते क्योंकि कमली ओढ़ने से कोई फ़कीर नहीं होता।

13. करे कोई भरे कोई (अपराध की सज़ा अपराधी के स्थान पर दूसरे को मिलना)-कक्षा में शोर रमेश कर रहा ‘था परन्तु सज़ा सुरेश को मिली इसी को कहते हैं करे कोई भरे कोई।

14. खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे (अपमान का बदला दूसरे से लेना)-कमला को जब परीक्षा में अच्छे अंक नहीं मिले तो वह अपनी माँ पर ही बरसने लगी कि वे उसे पढ़ने नहीं देती जबकि वह खुद ही नहीं पढ़ती थी, इसी को कहते हैं खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे।

15. घर की मुर्गी दाल बराबर (सरलता से उपलब्ध वस्तु का आदर नहीं होता)-जोगेंद्र के पिता की जूतों की दुकान है, इसलिए वह रोज़ नए से नए जूते पहन कर अपनी शान दिखाता है उसके लिए नित नया जूता पहनना घर की मुर्गी दाल बराबर के समान है।

16. जान है तो जहान है (जीवन रहने पर ही संसार है)-इतना अधिक काम मत करो कि बीमार पड़ जाओ, कुछ आराम भी कर लिया करो क्योंकि जान है तो जहान है।

17. जैसी करनी वैसी भरनी (जो जैसा करता है, वैसा ही फल पाता है)-जमाखोरी करने के कारण पुलिस ने समय सिंह को गिरफ्तार कर लिया है सच है जैसी करनी वैसी भरनी।

18. जाये की पीर माँ को होती है (जो जिसे पैदा करता है, उसके नुकसान की चिंता भी उसे ही होती है)-ओले पड़ने से बलकार की सारी फ़सल बर्बाद हो गई तो बेचारे का रो-रो कर बुरा हाल हो गया क्योंकि जाये की पीर माँ को ही होती है।

19. जिस के घर में माई उसकी राम बनाई (जिसकी माँ जीवित हो उसे कोई चिंता नहीं होती)-जब से रक्खे को व्यापार में घाटा हुआ है तब से सभी ने उससे किनारा कर लिया है, सच ही तो है जिसके घर में माई उसकी राम बनाई नहीं तो उसका कोई भी नहीं।

20. दूध का दूध, पानी का पानी (सच झूठ का सही फैसला)-अदले जहाँगीर को न्याय करने में निपुण माना जाता था क्योंकि वह दोषी को दंड देकर दूध का दूध, पानी का पानी कर देता था।

21. न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी (कारण के नष्ट होने पर कार्य का न होना)-परेशान मरीज़ को डॉक्टर ने कहा-‘तुम्हारी बीमारी का कारण कब्ज़ है, इसे दूर करो सब कुछ ठीक हो जाएगा क्योंकि इस प्रकार न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी।

22. नाच न जाने आँगन टेढ़ा (काम करना न आने पर बहाने बनाना)-स्वर्णा को खाना बनाना तो आता नहीं जब . भी उसे कुछ बनाने के लिए कहो तो टाल-मटोल करने लगती है, सच ही तो है कि नाच-न जाने आँगन टेढ़ा।

23. पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होती (सब एक जैसे नहीं होते)-सभी अधिकारियों को भ्रष्ट कहना उचित नहीं है क्योंकि पाँचों उँगलियाँ बराबर नहीं होती हैं।

24. बगल में छुरी मुँह में राम-राम (भीतर से शत्रुता और ऊपर से मीठी बातें)-तुम शकुंतला की बातों में मत आना क्योंकि उसकी तो बगल में छुरी और मुँह में राम-राम रहता है, वह ऊपर से जितनी मीठी है अंदर से उतनी ही खोटी है।

25. बार-बार चोर की, एक बार शाह की (चालाकी कभी-न-कभी पकड़ी जाती है)-हरभजन हर बार नकल करके पास हो जाता था. पर इस बार नकल करते हुए पकड़ा गया तथा परीक्षा देने से निकाल दिया गया, इसी को कहते हैं बार-बार चोर की, एक बार शाह की।

26. बिन माँगे मोती मिलें, माँगे मिले न भीख (माँगे बिना अच्छी वस्तु मिल जाती है और माँगने से साधारण भी नहीं मिलती)-प्रदीप से पिता ने पूछा कि जन्मदिन पर क्या लेना है, उसने कहा सिर्फ आपका आशीर्वाद और शाम को उसके पिता ने उसे नए स्कूटर की चाबी जन्मदिन के उपहार में दी तो उसके मुँह से निकल पड़ा बिना माँगे मोती मिलें माँगे मिले न भीख।

27. मन न मिले तो मिलना कैसा, मन मिल जाए तो तजना कैसा (जिससे मन न मिले उससे मिलने का क्या लाभ और जिससे मन मिल जाए उसे छोड़ना क्यों?)-राम की श्याम से खूब बनती है पर उसकी देवेश से बिल्कुल नहीं बनती क्योंकि कहा जाता है कि मन न मिले तो मिलना कैसा, मन मिल जाए तो तजना कैसा।

28. मान न मान मैं तेरा मेहमान (ज़बरदस्ती किसी का मेहमान बनना)-मेहरसिंह ने बिना बुलाए ही काहन सिंह के घर में डेरा जमा लिया है और वहाँ से जाता ही नहीं, इसी को कहते हैं मान न मान मैं तेरा मेहमान ।।

29. संभाल अपनी घोड़ी, मैंने नौकरी छोड़ी (स्वाभिमानी अपना अपमान नहीं सहता)-मिल मालिक ने जब नवीन को बुरी-बुरी गालियाँ दी तो उसका आत्म-सम्मान यह सहन न कर सका और वह उसे संभाल अपनी घोड़ी, मैंने नौकरी छोड़ी कह कर अपना त्याग पत्र देकर आ गया।

30. हाथों से नाखून कहाँ दूर हो सकते हैं (बहुत नज़दीकी रिश्ता नहीं जा सकता)-दो बहनों सुधा और मीना में बनती नहीं थी पर जब सुधा ने मीना की गंभीर बीमारी की बात सुनी तो उसकी देखभाल के लिए उसके पास जा पहुँची क्योंकि कभी हाथों से नाखून कहाँ दूर रह सकते हैं ?

PSEB 9th Class Hindi Vyakaran मुहावरे तथा लोकोक्तियाँ

31. हाथी को गन्ने ही सूझते हैं (स्वार्थी सदा अपना स्वार्थ सिद्ध करता है)-राम दयाल को जब उसके दल ने उसकी स्वार्थी मनोवृत्ति के कारण दल से निकाल दिया तो अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए वह दूसरे दल में शामिल हो गया क्योंकि हाथी को सदा गन्ने ही सूझते हैं।

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