PSEB 9th Class Hindi Solutions Chapter 14 महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 14 महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 9 Hindi Chapter 14 महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा

Hindi Guide for Class 9 PSEB महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
मदन लाल ढींगरा का जन्म कब हुआ ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा का जन्म सन् 1887 ई० को हुआ था।

प्रश्न 2.
मदन लाल ढींगरा को लाहौर कॉलेज की पढ़ाई क्यों छोड़नी पड़ी ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा को अपनी देशभक्ति की भावना और उग्र विचारों के कारण लाहौर कॉलेज की पढ़ाई छोड़नी पड़ी।

प्रश्न 3.
कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर उन्होंने अपना गुज़ारा कैसे किया ?
उत्तर:
कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर उन्होंने कारखाने में मजदूरी की। रिक्शा तथा तांगा चलाया।

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प्रश्न 4.
वे इंग्लैंड में कौन-सी पढ़ाई करने गए थे ?
उत्तर:
वे इंग्लैंड में यांत्रिकी अभियांत्रिकी (मकैनिकल इंजीनियरिंग) की पढ़ाई करने गए थे।

प्रश्न 5.
मदन लाल ढींगरा किस क्रांतिकारी संस्था के सदस्य थे ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा अभिनव भारत क्रांतिकारी संस्था के सदस्य बने।

प्रश्न 6.
कर्जन वायली कौन था ?
उत्तर:
कर्जन वायली स्टेट ऑफ इंडिया का सचिव सलाहकार था।

प्रश्न 7.
मदन लाल ढींगरा को फाँसी की सज़ा कब दी गयी ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा को 17 अगस्त, सन् 1909 ई० को फाँसी की सज़ा दी गई।

प्रश्न 8.
शहीद मदन लाल ढींगरा की अस्थियाँ भारतभूमि कब लायी गयीं ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा की अस्थियाँ 13 दिसम्बर, सन् 1976 ई० को भारतभूमि लाई गईं।

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2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
मदन लाल ढींगरा ने अंग्रेजों से बदला लेने की क्यों ठानी ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा ने अंग्रेज़ों से बदला लेने की इसलिए ठानी क्योंकि अग्रेज़ों ने खुदीराम बोस, कन्हैया लाल दत्त, सतिन्दरपाल और कांशीराम जैसे क्रांतिकारियों को मृत्युदंड दे दिया था।

प्रश्न 2.
कर्जन वायली को मदन लाल ढींगस ने क्यों मारा ?
उत्तर:
कर्जन वायली को मदन लाल ढींगरा ने इसलिए मारा क्योंकि उनका मानना था कि ऐसे अधिकारियों ने हज़ारों भारतीयों को गुलाम बनाया तथा बिना कारण के ही मार दिया।

प्रश्न 3.
मदन लाल ढींगरा की शहादत पर लाला हरदयाल ने क्या कहा था ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा की शहादत पर लाला हरदयाल ने कहा था कि ढींगरा की शहीदी उन राजपूतों और सिक्खों की कुर्बानियों का स्मृति पुंज है जिसके कारण शहादत अमर बन जाती है। अंग्रेज़ सोचते होंगे कि उन्होंने मदन लाल ढींगरा को फांसी देकर सदा के लिए स्वतंत्रता की आवाज़ को दबा दिया है परन्तु वास्तविकता यह है कि यही आवाज़ भारत को स्वतंत्र बनाएगी।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
शहीद मदन लाल ढींगरा एक सच्चे देशभक्त थे। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा एक साहसी एवं निडर देशभक्त थे। वे शुरू से ही स्वतंत्रता प्रेमी थे। देशभक्ति के कारण उन्होंने लाहौर कॉलेज छोड़ना पड़ा। लंदन में रहते हुए उन्होंने सावरकर तथा कृष्ण वर्मा जैसे देशभक्तों के संपर्क में आए। खुदीराम बोस, कन्हैया लाल दत्त तथा कांशीराम जैसे क्रांतिकारियों को शहादत के बदले भारतीय राष्ट्रीय संस्था के वार्षिक दिवस में कर्जन वायली को मार दिया। उन्होंने बंग-भंग आंदोलन के समय लंदन की गलियों में वंदे मातरम् गुंजाया। वे अपनी कमीज़ के ऊपर वंदे मातरम् लिखकर लंदन के बाजारों में घूमते थे। अपनी हर पुस्तक पर वे काम न लिखकर वंदे मातरम् लिखते थे। अंततः कर्जन वायली को गोली मारने पर उन्हें 17 अगस्त, सन् 1909 को मदन लाल ढींगरा को पेंटोविले की जेल में फांसी दी गई। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शहीद मदन लाल ढींगरा एक सच्चे देशभक्त थे।

प्रश्न 2.
आपको शहीद मदन लाल ढींगरा के जीवन से क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर:
शहीद मदन लाल ढींगरा के जीवन से यह प्रेरणा मिलती है कि हमें अपने देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देना चाहिए। हमें आत्मविश्वास, निडरता एवं साहस के साथ मुसीबतों का सामना करना चाहिए। देश की आजादी के लिए हर कीमत चुका देनी चाहिए। हमें अपने राष्ट्र की सच्ची पूजा करनी चाहिए।

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(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करके लिखें

अशुद्ध – शुद्ध
शरेय = ……………
देशभगती = ………………..
गोर्वान्वित = ………………..
सथापना = ………………..
आजादी = ………………..
लवारिस = ………………..
आतमविश्वास = ………………..
यांतरिकी = ………………..
परशिक्शण = ………………..
मृत्यूदंड = ………………..
मातरिभुमि = ………………..
अस्थीयाँ = ………………..
कालज = ………………..
अध्यन = ………………..
क्रांतीकारी = ………………..
हजार = ………………..
स्मरिति = ………………..
प्रापत = ………………..
उत्तर:
शरेय = श्रेय
देशभगती = देशभक्ति
गोर्वान्वित = गोवांन्वित
सथापना = स्थापना
आजादी = आज़ादी
मातरिभुमि = मातृभूमि
कालज = कॉलेज
क्रांतीकारी = क्रांतिकारी
स्मरिति = स्मृति
लवारिस = लावारिस
आतमविश्वास = आत्मविश्वास
यांतरिकी = यांत्रिकी
परशिक्शण = प्रशिक्षण
मृत्यूदंड = मृत्युदंड
अस्थीयाँ = अस्थियाँ
अध्यन = अध्ययन
हजार = हज़ार
प्रापत = प्राप्त

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2. निम्नलिखित मुहावरों के अर्थ समझकर उनका वाक्यों में प्रयोग करें

  • मुहावरा – अर्थ – वाक्य
  • तर्क के तराजू में तौलना सोच – समझकर फैसला लेना – …………….
  • रंग में रंगा जाना – प्रभाव पड़ना – …………….
  • मौत के घाट उतारना – मार डालना – ………………..
  • ढेर करना – मार गिराना, मार कर गिरा देना – ……………..
  • आवाज़ को दबाना – चुप कराना, डराना – ……………….

उत्तर:

  • मुहावरा – अर्थ – वाक्य
  • तर्क के तराजू में तौलना सोच – समझकर फैसला लेना – प्रत्येक व्यक्ति को तर्क के तराजू में तौल कर अपना-अपना कार्य करना चाहिए।
  • रंग में रंगा जाना – प्रभाव पड़ना-अरे – तुम्हें तो अब तक पूरी तरह से नेता जी के रंग में रंगा जाना चाहिए था।
  • मौत के घाट उतारना – मार डालना – वह देश के दुश्मनों को मौत के घाट उतारना कोई पाप नहीं समझता।
  • ढेर करना – मार गिराना, मार कर गिरा देना – सेना के वीर सैनिकों ने पलभर में आतंक वादियों को ढेर कर दिया था।
  • आवाज़ को दबाना – चुप कराना, डराना – साहसी व्यक्ति की आवाज़ को कोई नहीं दबा सकता।

(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
यदि आप मदन लाल ढींगरा के स्थान पर होते तो क्या परिवार वालों के विरोध के बावजूद स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़ते ?
उत्तर:
यदि मैं मदन लाल ढींगरा के स्थान पर होता तो परिवार वालों के विरोध के बावजूद भी स्वतंत्रता की लड़ाई में अवश्य कूद पड़ता। मैं लाख विरोध करने पर भी अपने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई में जाता क्योंकि देश परिवार से कहीं बढ़कर है। देश बचेगा तभी परिवार सुरक्षित रह सकेगा। देश हर नागरिक के लिए सर्वोपरि है। देश सेवा ही सबसे बड़ी सेवा है। अतः हमें हर पल देश पर मर मिटने के लिए तैयार रहना चाहिए।

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प्रश्न 2.
भारत की स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का काम मदन लाल ढींगरा की शहादत को जाता है। कैसे ?
उत्तर:
शहीद मदन लाल ढींगरा की शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का काम किया। उनकी शहादत से क्रांतिकारियों में आत्मविश्वास, साहस, निडरता एवं देश पर मर मिटने की भावना बढ़ने लगी। देशभक्तों में एक जोश पैदा होने लगा। वीरेन्द्र चट्टोपाध्याय ने उनकी स्मृति में मदन तलवार पत्रिका निकाली जो क्रांतिकारियों की आवाज़ बनी। 16 अगस्त, सन् 1909 के डेली न्यूज़ में मदन लाल ढींगरा का जोशभरा वक्तव्य छपा। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारतीय स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का काम मदन लाल ढींगरा की शहादत को जाता है।

(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
इस पाठ में आए अन्य क्रांतिकारियों जैसे विनायक दामोदर सावरकर, श्याम जी कृष्ण वर्मा, खुदीराम बोस, लाला हरदयाल आदि की जीवनियाँ पढ़ें।
उत्तर:
अध्यापक के सहयोग से करें।

प्रश्न 2.
मदन लाल ढींगरा की पुण्य तिथि पर इनके बारे में अपने विचार स्कूल की प्रार्थना सभा में प्रस्तुत करें।
उत्तर:
स्वयं कीजिए।

(ङ) ज्ञान-विस्तार

  • यांत्रिक अभियांत्रिकी ( मकैनिकल इंजीनियरिंग): यह भिन्न-भिन्न तरह की मशीनों की बनावट, निर्माण, चालन आदि का सैद्धान्तिक और व्यावहारिक ज्ञान है।
  • विनायक दामोदर सावरकर : (जन्म 28 मई, सन् 1883; मृत्यु 26 फरवरी, सन् 1966) : ये भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के प्रमुख सेनानी एवं प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। इन्हें प्रायः ‘वीर सावरकर’ नाम से सम्बोधित किया जाता है। ये स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता व दूरदर्शी राजनेता भी थे।
  • श्याम जी कृष्ण वर्मा : अनेक क्रांतिकारी गतिविधियों के द्वारा भारत की स्वतंत्रता के संकल्प को गतिशीलता प्रदान करने में इन्होंने मुख्य भूमिका निभायी। ऐसा कहा जाता है कि वे पहले ऐसे भारतीय थे जिन्हें ऑक्सफोर्डसे एम०ए० और बैरिस्टर की उपाधियाँ मिलीं। क्रांतिकारी मदन लाल ढींगरा उनके प्रिय शिष्यों में से एक थे।
  • अभिनव भारत : इसकी स्थापना स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर ने सन् 1904 में की थी। यह संगठन अंग्रेज़ी हकूमत से लड़ने के लिए बनाया गया था।
  • इंडिया हाउस : यह लंदन में स्थित एक अनौपचारिक भारतीय राष्ट्रवादी संस्था थी जिसकी स्थापना ब्रिटेन के भारतीय छात्रों में राष्ट्रवादी विचारों का प्रचार करने के लिए श्याम जी कृष्ण वर्मा के संरक्षण में की गयी।
  • खुदीराम बोस (जन्म-सन् 1889-मृत्यु- सन् 1908): इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिए 19 वर्ष की आय में फाँसी पर चढ़कर इतिहास रचा।
  • वंदे मातरम् : बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा रचित राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ स्वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत था।
  • एनी बेसेंट : अग्रणी थियोसोफिस्ट। महिला अधिकारों की समर्थक, लेखिका, वक्ता एवं भारत-प्रेमी महिला थीं। इनके पिता अंग्रेज़ थे किन्तु इन्होंने पाश्चात्य भौतिकवादी सभ्यता की कड़ी आलोचना की तथा प्राचीन हिंदू सभ्यता को श्रेष्ठ कहा। महिलाओं और शोषितों के लिए वह आजीवन संघर्ष करती रहीं।
  • आयरिश लोग : आयरलैंड के लोगों को आयरिश लोग कहा जाता है।
  • लाला हरदियाल : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान् क्रांतिकारी लाला हरदियाल ने विदेश में रहने वाले भारतीयों को देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। इसके लिए उन्होंने अमरीका में जाकर गदर पार्टी की स्थापना की। 4 मार्च, सन् 1939 को अमरीका से भारत आते समय रहस्यमयी परिस्थितियों में इनकी मृत्यु हो गयी।
  • वीरेन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय (सन् 1880 – सन् 1937) : ये भी एक स्वतंत्रता सेनानी थे और योरुप में भारतीय विद्यार्थियों को भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए प्रेरित करते थे। मदन लाल ढींगरा के जन्म के सम्बन्ध में मतभेद : कुछ विद्वान् इनकी जम्म तिथि 18 सितम्बर, सन् 1883 मानते हैं।

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PSEB 9th Class Hindi Guide महान राष्ट्रभक्त: मदन लाल ढींगरा Important Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
मदन लाल ढींगरा के पिता का क्या नाम था? ।
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा के पिता का नाम साहिब गुरदित्ता मल था।

प्रश्न 2.
मदन लाल ढींगरा के पिता व्यवसाय से क्या थे ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा के पिता व्यवसाय से गुरदासपुर में सिविल सर्जन थे।

प्रश्न 3.
मदन लाल बचपन से कैसे थे ?
उत्तर:
मदन लाल बचपन से ही स्वतंत्रता की प्राप्ति चाहने वाले थे।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बचपन की कौन-सी घटनाएँ मदन लाल ढींगरा के आत्मविश्वास को व्यक्त करती हैं ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा बचपन से ही स्वतंत्रता प्रेमी थे। वे बचपन से ही अपने देश को आजाद होते देखना चाहते थे। वे हर बात को तर्क की तराजू में तोल कर देखते थे। यही घटनाएँ उनके आत्मविश्वास को व्यक्त करती हैं।

प्रश्न 2.
लंदन में पढ़ते हुए मदन लाल ढींगरा की मदद किसने की ?
उत्तर:
लंदन में पढ़ते हुए मदन लाल ढींगरा की मदद उनके बड़े भाई ने की। उनकी सहायता के कारण ही वे इंग्लैण्ड गए और उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में दाखिला लिया। इसके साथ ही इंग्लैंड के कुछ राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं ने भी उनकी आर्थिक मदद की।

प्रश्न 3.
लंदन में रहते हुए मदन लाल किन राष्ट्रवादी नेताओं के संपर्क में आए ?
उत्तर:
लंदन में रहते हुए मदन लाल ढींगरा भारत के प्रखर राष्ट्रवादी नेता विनायक दामोदर सावरकर तथा श्याम जी कृष्ण वर्मा के संपर्क में आए। वे इनकी देशभक्ति से बहुत प्रभावित हुए।

प्रश्न 4.
मदन लाल ढींगरा का कर्जन वायली के संबंध में क्या मानना था ?
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा का कर्जन वायली के संबंध में मानना था कि ऐसे नीच अधिकारियों ने ही हज़ारों भारतीयों को गुलाम बनाया था। उन्हें बिना किसी कारण मौत के घाट उतारा था।

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3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः या सात पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
इस पाठ का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘महान् देशभक्त : मदन लाल ढींगरा’ निबंध में लेखक ने मदन लाल ढींगरा की सच्ची देशभक्ति, निडरता, आत्मविश्वास का वर्णन किया है। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का काम किया। कर्जन वायली को मारकर क्रांतिकारियों और देशभक्तों में आजादी की लहर पैदा की। इससे देशवासियों में आत्मविश्वास एवं निडरता की भावना ने जन्म लिया।

प्रश्न 2.
मदन लाल ढींगरा के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
मदन लाल ढींगरा के चरित्र की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. सच्चे देशभक्त-मदन लाल ढींगरा एक सच्चे देशभक्त थे। बचपन से ही स्वतंत्रता प्रेमी थे। इसी कारण उन्होंने लाहौर कॉलेज में अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी। उन्होंने अपने देश के लिए अपने को हँसते-हँसते कुर्बान कर दिया।
2. निडर-मदन लाल ढींगरा बहुत निडर थे। इसीलिए लंदन में रहते हुए भी वंदे मातरम् गलियों में गुंजाते थे। वे अपनी कमीज़ के ऊपर वंदे मातरम् लिखकर लंदन के बाजारों में घूमते थे। इतना ही नहीं उन्होंने कर्जन वायली को भरी सभा में गोलियों से भून दिया था।
3. आत्मविश्वासी-मदन लाल ढींगरा बहुत आत्मविश्वासी थे। उनमें आत्मविश्वास की भावना कूट-कूट कर भरी थी।
4. विवेकी-मदन लाल ढींगरा एक विवेकशील देशभक्त थे। वे बचपन से प्रत्येक बात को तर्क के तराजू पर तोल कर देखते थे।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘महान् राष्ट्रभक्त : मदनलाल ढींगरा’ पाठ के लेखक कौन हैं ?
उत्तर:
डॉ० हरमहेन्द्र सिंह बेदी।

प्रश्न 2.
मदनलाल ढींगरा के पिता कौन और क्या थे ?
उत्तर:
साहिब गुरदितामल, गुरदासपुर में सिविल सर्जन।

प्रश्न 3.
लाहौर कॉलेज में पढ़ते हुए मदनलाल ढींगरा ने कॉलेज क्यों छोड़ा ?
उत्तर:
देशभक्ति के कार्यों में भाग लेने के लिए।

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प्रश्न 4.
इंग्लैण्ड के किस कॉलेज में और किस विषय में मदनलाल ढींगरा ने प्रवेश लिया ?
उत्तर:
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में, मकैनिकल इंजीनियरिंग में।

प्रश्न 5.
लन्दन में मदनलाल ढींगरा किसके संपर्क में आए ?
उत्तर:
लन्दन में वे विनायक दामोदर सावरकर तथा श्याम जी कृष्ण वर्मा के संपर्क में आए।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
मदनलाल ढींगरा सन् 1906 ई० में इंग्लैण्ड शिक्षा प्राप्त करने गए।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
आयरिश लोगों ने मदनलाल ढींगरा की हिम्मत को नहीं सराहा।
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
1 जुलाई, 1909 को भारतीय राष्ट्रीय संस्था में उपस्थित कर्जन वायली पर पिस्टल से सात गोलियां चलाकर मार दिया था।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
घर में केवल उनकी माँ ही उनकी बात सुनती और समझती थी।
उत्तर:
गलत।

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रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
दुनिया के हर ………. को अपनी ……. स्वतंत्र कराने का ………. है।
उत्तर:
दुनिया के हर नागरिक को अपनी मातृभूमि स्वतंत्र कराने का अधिकार है।

प्रश्न 11.
……. राष्ट्र ……… का …….. है।
उत्तर:
गुलामी राष्ट्र देवता का अपमान है।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
शहीद मदनलाल ढींगरा की अस्थियाँ कब भारत लाई गईं ?
(क) 17 अगस्त, 1909 को
(ख) 22 जुलाई, 1909 को
(ग) 13 दिसम्बर, 1974 को ।
(घ) 13 दिसम्बर, 1976 को।
उत्तर:
(घ) 13 दिसम्बर, 1976 को।

प्रश्न 13.
मदनलाल ढींगरा को कब फांसी दी गई ?
(क) 17 अगस्त, 1919 को
(ख) 17 अगस्त, 1909 को
(ग) 17 अगस्त, 1921 को
(घ) 17 अगस्त, 1976 को।
उत्तर:
(ख) 17 अगस्त, 1909 को।

प्रश्न 14.
मदनलाल ढींगरा पर अभियोग कब चलाया गया ?
(क) 1 जुलाई, 1909 को
(ख) 17 अगस्त, 1909 को
(ग) 22 जुलाई, 1909 को |
(घ) 17 अगस्त, 1976 को
उत्तर:
(ग) 22 जुलाई, 1909 को

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प्रश्न 15.
मदनलाल ढींगरा को किस जेल में फाँसी दी गई ?
(क) अंडेमन
(ख) पेंटोविले
(ग) गोआ
(घ) तिहाड़।
उत्तर:
(ख) पेंटोविले।

प्रश्न 16.
मदनलाल ढींगरा वीर सावरकर की किस क्रांतिकारी संस्था के सदस्य थे ?
(क) भारतीय राष्ट्रीय संस्था
(ख) इंडिया हाउस
(ग) अभिनव भारत
(घ) मदन तलवार।
उत्तर:
(ग) अभिनव भारत।

प्रश्न 17.
“हमें देश की स्वतंत्रता के लिए अनेक मदनलालों की आवश्यकता है।” यह कथन किसका है ?
(क) ऐनी बेसेंट
(ख) वी० एस० बलंट
(ग) श्याम जी कृष्णवर्मा
(घ) वीर सावरकर।
उत्तर:
(क) ऐनी बेसेंट।

कठिन शब्दों के अर्थ

आत्मविश्वास = अपने ऊपर विश्वास। समेत = सहित। जोशभरा = जोश से युक्त। सम्पन्न = खुशहाल। अग्नि = आग। अध्ययन = पढ़ाई। गौरवान्वित = महिमा से युक्त। प्रशिक्षण = सिखलाई, ट्रेनिंग। साक्ष्य = सबूत। अनुपालन = रक्षण। स्वतंत्र = आजाद। अभियोग = मुकद्दमा। स्मृति पुंज = यादों का समूह। संवाहक = आगे ले जाने वाली। वक्तव्य = कथन। अनथक = बिना थके। अस्थियाँ = हड्डियाँ। राष्ट्रवादी = देशभक्त । नफ़रत = घृणा। अभियोग = मुकद्दमा। लावारिस = जिसका कोई वारिस न हो।

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महान् राष्ट्रभक्त : मदन लाल ढींगरा Summary

महान् राष्ट्रभक्त : मदन लाल ढींगरा जीवन-परिचय

जीवन परिचय-प्रो० हरमहेन्द्र सिंह बेदी का जन्म 12 मार्च, सन् 1950 ई० को पंजाब के मुकेरियां (होशियारपुर) में हुआ था। ये समकालीन हिन्दी-कविता के प्रसिद्ध कवि हैं। इन्होंने पंजाब के हिन्दी-साहित्य को राष्ट्रीय पहचान दिलाई है। इन्होंने हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए कनाडा, नार्वे तथा पाकिस्तान की यात्राएँ की हैं। इन्हें पंजाब के मध्यकालीन हिन्दी-साहित्य को गुरुमुखी लिपि में लाने का श्रेय प्राप्त है। इन्होंने एम०ए०, पीएच०डी० तथा डी०लिट की उच्च उपाधियाँ प्राप्त की है।
प्रमुख रचनाएँ-प्रो० हरमहेन्द्र सिंह बेदी ने हिन्दी एवं पंजाबी में छत्तीस ग्रंथों की रचना की है। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं-गर्म लोहा (सन् 1982 ई०), पहचान की यात्रा (सन् 1987 ई०), किसी और दिन (सन् 1999 ई०), फिर से फिर (सन् 2011 ई०) आदि।
साहित्यिक विशेषताएँ-प्रो० हरमहेन्द्र सिंह बेदी का पंजाब हिन्दी-साहित्य में विशेष स्थान है। इनकी रचनाओं में देशभक्ति की झलक दिखाई देती है। इन्होंने अपनी रचनाओं के द्वारा युवाओं को राष्ट्रभक्ति का सन्देश दिया है। प्रस्तुत निबंध में लेखक ने महान् देशभक्त मदनलाल ढींगरा की देशभक्ति एवं निडरता का परिचय दिया है। भारतीय स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का श्रेय मदनलाल ढींगरा को जाता है। लेखक ने इस देशभक्त की सच्ची देशभक्ति एवं साहस का परिचय दिया है। इनकी भाषा सरल, सहज एवं स्वाभाविक है। इनके साहित्य में तत्सम, तद्भव, अंग्रेज़ी एवं पंजाबी के शब्दों का अधिक प्रयोग हुआ है।

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महान् राष्ट्रभक्त : मदन लाल ढींगरा निबन्ध का सार

मदन लाल ढींगरा प्रो० हरमहेन्द्र सिंह बेदी द्वारा रचित एक प्रसिद्ध निबन्ध है। इसमें लेखक ने मदन लाल ढींगरा की सच्ची देशभक्ति साहस एवं निडरता का परिचय दिया है। लेखक ने बताया है कि भारतीय स्वतंत्रता की चिंगारी को आग में बदलने का श्रेय इसी सच्चे देशभक्त को जाता है। मदनलाल ढींगरा का जन्म सन् 1887 ई० में पंजाब के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। उनके पिता साहिब गुरुदित्ता मल गुरदासपुर में सिविल सर्जन थे। मदनलाल बचपन से ही स्वतंत्रता प्रेमी थे। वे हर बात को तराजू में तोलकर देखते थे। उनमें आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा था। उन्हें देशभक्ति के कारण लाहौर कॉलेज छोड़ना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने कारखाने की मज़दूरी की। अपने गुज़ारे के लिए रिक्शा तथा टांगा तक भी चलाया। उनके घर में केवल बड़े भाई ही उनकी बात समझते थे। उनके कारण ही वे उच्च शिक्षा के लिए सन् 1906 में इंग्लैंड चले गए। वहां उनके जीवन में एक नया मोड़ आया। लंदन में वे भारत के प्रमुख राष्ट्रवादी नेता विनायक दामोदर सावरकर तथा श्याम जी कृष्ण वर्मा के सम्पर्क में आए। इसके बाद वे अभिनव भारत नामक क्रान्तिकारी संस्था के सदस्य बन गए। यहाँ उन्होंने हथियार चलाने का प्रशिक्षण लिया। लंदन में श्याम जी कृष्ण वर्मा के संरक्षण में भारतीय छात्रों में देशभक्ति की भावना फैलाने के लिए इंडिया हाउस की स्थापना की। उन दिनों खुदीराम बोस तथा कांशीराम जैसे अनेक क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने मृत्यु दंड दे दिया था। इन घटनाओं ने मदन लाल ढींगरा और सावरकर जैसे देशभक्तिों के मन में अंग्रेजों के प्रति नफ़रत तथा बदले की भावना ने जन्म दिया।

1 जुलाई, सन् 1909 ई० को भारतीय राष्ट्रीय संस्था के सदस्य वार्षिक दिवस मनाने के लिए इकट्ठे हुए। इसमें कर्ज़न वायली सपरिवार आया। ढींगरा ऐसे लोगों से नफ़रत करते थे। इसी कारण उन्होंने कर्जन वायली को वहीं मार दिया। वे वहाँ से डरकर नहीं भागे बल्कि साहस और निडरतापूर्वक वहीं खड़े रहे। यह अंग्रेजों के लिए पहली चेतावनी थी। ढींगरा ने बंग-भंग आंदोलन के समय भी लंदन में वंदेमातरम के नारे लगाए थे। वे अपनी कमीज़ के ऊपर वंदे मातरम् लिखकर लंदन के बाजारों में घूमते थे। उन्होंने अपनी हर पुस्तक के ऊपर वंदे मातरम् लिखा था। कर्जन वायली की हत्या के आरोप में उन पर 22 जुलाई, सन् 1909 ई० को अभियोग चलाया। उन्होंने अदालत में गर्व से कहा था कि वह अपना जीवन भारत माँ को सौंप रहा है। 12 अगस्त, सन् 1909 ई० को उन्हें पेंटोविले (लंदन) की जेल में फांसी की सज़ा दी गई। आयरिश लोगों ने इनकी हिम्मत को सराहा था। लाला हरदयाल को भी उनकी शहादत पर गर्व हुआ। उन्हें विश्वास था कि मदनलाल ढींगरा की कुर्बानी भारत को आजाद कराएगी। श्रीमति ऐनी बेसेंट ने भी उनकी शहादत की सराहना की थी। 16 अगस्त, सन् 1909 के डेली न्यूज़ समाचार-पत्र में ढींगरा का जोशभरा भाषण छपा। ब्रिटिश सरकार ने मदन लाल ढींगरा के शरीर को लावारिस समझ कर दफना दिया। फिर सावरकर ने ढींगरा की देह को प्राप्त करने के अनेक प्रयास किए कितु वे सफल नहीं हुए। अनेक वर्षों बाद 13 दिसम्बर, सन् 1976 ई० को जब शहीद उधम सिंह की अस्थियां भारत लाई गईं तभी मदनलाल ढींगरा की अस्थियों को भी मातृभूमि का स्नेह मिला।

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