PSEB 8th Class Social Science Solutions Chapter 27 संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं

Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions Civics Chapter 27 संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 8 Social Science Civics Chapter 27 संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं

SST Guide for Class 8 PSEB संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं Textbook Questions and Answers

I. निम्नलिखित खाली स्थान भरो :

1. लोकसभा के सदस्यों की कुल गिनती …………. है।
2. राज्य सभा के सदस्यों की कुल गिनती …………. है।
3. पंजाब से लोकसभा के लिए …………. सदस्य चुने जाते हैं।
4. भारत का राष्ट्रपति बनने के लिए ………… आयु आवश्यक है।
5. संसदीय सरकार को …………. सरकार भी कहा जाता है।
6. केवल धन बिल ही ………… में पेश हो सकता है।
उत्तर-

  1. 545
  2. 250
  3. 13
  4. कम से कम 35 वर्ष
  5. उत्तरदायी
  6. लोकसभा।

II. निम्नलिखित वाक्यों में ठीक (✓) या ग़लत (✗) के निशान लगाओ :

1. राज्यसभा के 1/3 सदस्य हर दो साल बाद रिटायर होते हैं। – (✓)
2. संसदीय सरकार में कार्यपालिका और विधानपालिका में गहरा सम्बन्ध होता है। – (✗)
3. संसदीय सरकार में प्रधानमन्त्री नाममात्र का मुखिया होता है। – (✗)
4. संसद् द्वारा बनाये गए कानून सर्वोच्च होते हैं। – (✓)

III. विकल्प वाले प्रश्न :

प्रश्न 1.
राष्ट्रपति राज्य सभा में कितने सदस्य मनोनीत कर सकता है ?
(क) 08
(ख) 12
(ग) 02
(घ) 10.
उत्तर-
12

प्रश्न 2.
पंजाब राज्य में से राज्य सभा के लिए कितने सदस्य चुने जाते हैं ?
(क) 11
(ख)13
(ग) 07
(घ) 02.
उत्तर-
07

प्रश्न 3.
संसद् के दोनों सदनों के मतभेद कौन दूर करता है ?
(क) स्पीकर
(ख) प्रधानमन्त्री
(ग) राष्ट्रपति –
(घ) उप-राष्ट्रपति।
उत्तर-
राष्ट्रपति

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IV. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 1-15 शब्दों में दो :

प्रश्न 1.
संसद् के शाब्दिक अर्थ लिखो।
उत्तर-
संसद् अंग्रेजी शब्द पार्लियामैंट (Parliament) का अनुवाद है। यह अंग्रेज़ी शब्द फ्रांसीसी भाषा के शब्द पार्लर (Parler) से लिया गया है जिसका अर्थ है बातचीत करना। इस प्रकार संसद् एक ऐसी संस्था है जहां बैठकर लोग राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय विषयों पर बातचीत करते हैं।

प्रश्न 2.
सरकार संसद् के प्रति क्यों जवाबदेह है ?
उत्तर-
सरकार अपने सभी कार्यों तथा नीतियों के लिए संसद् के प्रति उत्तरदायी होती है। सरकार तभी तक अपने पद पर रह सकती है जब तक उसे संसद् (विधानमण्डल) का बहुमत प्राप्त रहता है।

प्रश्न 3.
संसद् में कानून कैसे बनता है ?
उत्तर-
साधारण बिल को संसद् के किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है। दोनों सदनों में पारित होने के पश्चात् बिल को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेज दिया जाता है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो जाने पर बिल कानून बन जाता है।

प्रश्न 4.
लोकसभा चुनाव के बाद सरकार कैसे बनती है ?
उत्तर-
लोकसभा के चुनाव के पश्चात् राष्ट्रपति के आमंत्रण पर बहुमत प्राप्त राजनीतिक दल सरकार बनाता है। यदि किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हो तो गठबन्धन सरकार अस्तित्व में आती है।

प्रश्न 5.
संसदीय सरकार के प्रमुख विशेषताएं लिखें।
उत्तर-

  • नाममात्र तथा वास्तविक कार्यपालिका में अन्तर
  • कार्यपालिका तथा विधान मण्डल में गहरा सम्बन्ध
  • उत्तरदायी सरकार
  • प्रधानमन्त्री की प्रधानता।
  • विरोधी दल को कानूनी मान्यता।
  • कार्यपालिका की अनिश्चित अवधि।

प्रश्न 6.
लटकती संसद् से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब संसद् में दो या दो से अधिक राजनीतिक दलों की आपस में मिलकर सरकार बनती है, तो उसे लटकती संसद् कहते हैं। इस प्रकार की सरकार अल्पमत सरकार कहलाती है।

V. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 50-60 शब्दों में लिखें :

प्रश्न 1.
भारतवर्ष में संसदीय शासन प्रणाली ही क्यों लागू की गई ?
उत्तर-
भारत में निम्नलिखित कारणों से संसदीय प्रणाली लागू की गई है-

  • लोगों को संसदीय प्रणाली का ज्ञान-भारतीय लोग संसदीय प्रणाली से परिचित हैं। इसे सर्वोत्तम सरकार माना गया है। देश में 1861, 1892, 1919 तथा 1935 के कानूनों द्वारा संसदीय सरकार ही स्थापित की गई थी।
  • संविधान सभा के सदस्यों द्वारा समर्थन-भारतीय संविधान निर्माताओं ने भी संसदीय शासन का समर्थन किया था। संविधान सभा की मसौदा कमेटी के प्रधान डॉ० बी० आर० अम्बेदकर ने कहा था कि इस प्रणाली में उत्तरदायित्व तथा स्थिरता दोनों गुण पाये जाते हैं। इसलिए संसदीय सरकार ही सबसे अच्छी सरकार है।
  • उत्तरदायित्व पर आधारित-भारत शताब्दियों तक परतन्त्र रहा है। इसलिए देश को ऐसी सरकार की आवश्यकता थी जो उत्तरदायित्व की भावना पर आधारित हो। इसी कारण संसदीय प्रणाली लागू की गई।
  • परिवर्तनशील सरकार-भारत ने लम्बे समय के पश्चात् स्वतन्त्रता प्राप्त की थी। इसलिए लोग ऐसी सरकार चाहते थे जो निरंकुश न बन सके। अतः संसदीय सरकार को चुना गया जिसे किसी भी समय बदला जा सकता है।
  • लोकतन्त्र की स्थापना-लोकतन्त्र की सही अर्थों में स्थापना वास्तव में संसदीय सरकार ही करती है। इसमें संसद् सर्वोच्च होती है। वह प्रश्न पूछ कर, आलोचना करके तथा कई अन्य तरीकों से सरकार (कार्यपालिका) पर नियन्त्रण बनाये रखती है।

प्रश्न 2.
संसदीय शासन प्रणाली में राष्ट्रपति तथा प्रधानमन्त्री की भूमिका का वर्णन करो।
उत्तर-
संसदीय प्रणाली में दो प्रकार की कार्यपालिका होती है-नाममात्र की कार्यपालिका तथा वास्तविक कार्यपालिका। राष्ट्रपति देश का संवैधानिक मुखिया है। उसे विधानिक, कार्यपालिका तथा न्यायिक शक्तियां प्राप्त हैं। परन्तु नाममात्र की कार्यपालिका होने के कारण राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रयोग अपनी इच्छा से नहीं कर सकता। इन सभी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री तथा उसका मन्त्रिमण्डल करता है, क्योंकि वह वास्तविक कार्यपालिका है। प्रधानमन्त्री तथा उसके मन्त्रिमण्डल की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। वैसे तो वह लोकसभा में बहुमत दल के नेता को ही प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है, परन्तु आज गठबन्धन सरकारें बनने के कारण इस काम में उसे काफ़ी सूझ-बूझ से काम लेना पड़ता है।

प्रश्न 3.
संसद् की स्थिति में गिरावट के लिए जिम्मेवार कारणों को लिखो।
उत्तर-
संसद् भारत में कानून बनाने वाली सर्वोच्च संस्था है। एक लम्बे समय तक यह एक मजबूत संस्था रही है पर दुःख की बात है कि आज इसकी स्थिति में लगातार गिरावट आ रही है। इसके निम्नलिखित मुख्य कारण हैं-

  • मिली-जुली सरकारें अथवा लटकती संसद् ।
  • सदन में सदस्यों की गैर हाजिरी।
  • सदन की बैठकों की कमी।
  • कमेटी प्रणाली का पतन।
  • स्पीकर की निष्पक्षता पर शक।
  • कानून को लागू करने के तरीकों में परिवर्तन।
  • संसद् की कार्यवाही में सदस्यों द्वारा बार-बार रुकावट।

प्रश्न 4.
संसद् की स्थिति को मज़बूत करने के लिए ज़रूरी सुझाव दो।
उत्तर-
संसद् की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं-

  • क्षेत्रीय दलों की बढ़ती हुई संख्या पर रोक लगाई जाए।
  • संसद् की कार्यवाही को सुनिश्चित बनाने के लिए कानून बनाए जाएं।
  • प्रधानमन्त्री की कमज़ोर होती स्थिति की मजबूती के लिए कदम उठाए जाएं।

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प्रश्न 5.
भारतीय संसद् की बनावट लिखें।
उत्तर-
गठन-संसद् के दो सदन हैं-लोकसभा तथा राज्यसभा।

  • लोकसभा-लोकसभा लोगों का सदन है। इसे निम्न सदन भी कहा जाता है। इस समय लोकसभा के सदस्यों की संख्या 545 है। इनमें से 543 सदस्य वयस्क नागरिकों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं। शेष दो सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करता है। लोकसभा में अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों के लिए स्थान आरक्षित हैं।
  • राज्यसभा-राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव राज्य विधानसभाओं तथा केन्द्र शासित प्रदेशों के विधानमण्डलों के चुने हुए सदस्यों द्वारा किया जाता है। इसके कुल 250 सदस्यों में से 238 सदस्य राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा चुने जाते हैं। शेष 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करता है। राज्यसभा एक स्थायी सदन है। परन्तु हर 2 साल के बाद इसके एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं। उनके स्थान पर नये सदस्यों का चुनाव कर लिया जाता है।

PSEB 8th Class Social Science Guide संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)

सही जोड़े बनाइए :

1. लोक सभा – विधानपालिका
2. राज्य सभा – भारत की कानून बनाने वाली सबसे बड़ी संस्था
3. संसद – लोगों का सदन
4. सरकार का एक मुख्य अंग स्थायी सदन।
उत्तर-

  1. लोगों का सदन,
  2. स्थायी सदन
  3. भारत की कानून बनाने वाली सबसे बड़ी संस्था,
  4. विधानपालिका।

अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत की लोकतन्त्रीय शासन प्रणाली किस प्रकार की है ?
अथवा
अप्रत्यक्ष लोकतन्त्रीय शासन प्रणाली की क्या विशेषता है ?
उत्तर-
भारत में अप्रत्यक्ष लोकतन्त्रीय शासन प्रणाली लागू की गई है। इस प्रकार की शासन प्रणाली में लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि प्रशासन चलाते हैं। वे अपने कार्यों के लिए जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं।

प्रश्न 2.
पंजाब से लोकसभा के लिए कितने सदस्य चने जाते हैं ?
उत्तर-
पंजाब से लोकसभा के लिए 13 सदस्य चुने जाते हैं।

प्रश्न 3.
आप कैसे कह सकते हैं कि राज्य सभा एक स्थायी सदन है ?
उत्तर-
राज्य सभा कभी भी पूरी तरह भंग नहीं होती। हर 2 साल के बाद इसके एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं। उनके स्थान पर नये सदस्यों का चुनाव कर लिया जाता है। इस प्रकार यह सदन सदा कार्यशील रहता है।

प्रश्न 4.
सरकार के कौन-कौन से तीन रूप (अंग) होते हैं ?
उत्तर-

  1. विधानमण्डल
  2. कार्यपालिका तथा
  3. न्यायपालिका।

प्रश्न 5.
राष्ट्रपति संसद् के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक (समागम) कब बुलाता है ?
उत्तर-
कभी-कभी किसी बिल पर दोनों सदनों में मतभेद पैदा हो जाता है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाता है, ताकि उत्पन्न मतभेदों को दूर किया जा सके।

प्रश्न 6.
कोई छः तरीके बताओ जिनके द्वारा सेंसद सरकार पर अपना नियन्त्रण बनाये रखती है।
उत्तर-

  1. मन्त्रियों से प्रश्न पूछना
  2. स्थगन प्रस्ताव
  3. निन्दा प्रस्ताव
  4. विश्वास प्रस्ताव
  5. अविश्वास प्रस्ताव
  6. ध्यानाकर्षण प्रस्ताव।

प्रश्न 7.
संसद् को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता क्यों है ?
उत्तर-
संसद् को सुदृढ़ बनाने की इसलिए आवश्यकता है, ताकि अच्छे कानून बनाये जा सकें। देश के प्रधानमन्त्री की स्थिति को मज़बूत बनाने के लिए भी सुदृढ़ संसद् की आवश्यकता है।

छोटे उत्तर वाले प्रश्न

प्रश्न 1.
संविधान के अनुसार प्रधानमन्त्री की क्या स्थिति है ? वर्तमान समय में उसकी स्थिति क्यों डगमगा गई है ?
उत्तर-
संविधान के अनुसार देश में प्रधानमन्त्री की स्थिति सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। वह मन्त्रिमण्डल, मन्त्रिपरिषद् तथा लोकसभा का नेता होता है। देश की सभी नीतियां तथा कानून उसी के परामर्श के अनुसार बनते हैं। अपने मन्त्रिमण्डल के लिए मन्त्रियों का चुनाव वही करता है। कोई भी मन्त्री उसकी इच्छा के बिना अपने पद पर नहीं रह सकता।

परन्तु वर्तमान समय में लोकसभा चुनावों में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाता। इससे त्रिशंकु संसद् अस्तित्व में आती है। इसी कारण वर्तमान समय में प्रधानमन्त्री की स्थिति डगमगा गई है।

प्रश्न 2.
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद तथा पं० जवाहर लाल नेहरू कौन थे ? मज़बूत केन्द्र के बारे में उनके क्या विचार थे ?
उत्तर-
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद स्वतन्त्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति तथा पं० जवाहर लाल नेहरू प्रथम प्रधानमन्त्री थे। ये. दोनों ही बड़े प्रभावशाली नेता थे। डॉ० राजेन्द्र प्रसाद के विचार-डॉ० राजेन्द्र प्रसाद राष्ट्रपति पद के लिए अधिक शक्तियां देने के पक्ष में थे। वह केन्द्र को मज़बूत बनाना चाहते थे, क्योंकि भारत को कई शताब्दियों के पश्चात् स्वतन्त्रता मिली थी।

पं० जवाहर लाल नेहरू के विचार-पं० नेहरू भी केन्द्र को सुदृढ़ बनाने के समर्थक थे। वह चाहते थे कि प्रधानमन्त्री तथा उसके मन्त्रिमण्डल को अधिक शक्तियां दी जाएं।

प्रश्न 3.
“किसी समय भारतीय संसद् एक बहुत ही सुदृढ़ संस्था थी। परन्तु अब इसका पतन हो रहा है।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
संसद् भारत में कानून बनाने वाली सबसे बड़ी संस्था है। पं० जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री तथा श्रीमती इन्दिरा गांधी के समय यह एक बहुत ही सुदृढ़ संस्था रही है, परन्तु अब दिन-प्रतिदिन इसका पतन हो रहा है। एक ही दिन में दस-दस कानून पारित हो जाते हैं। उन पर ठीक से बहस भी नहीं हो पाती। कानून को वास्तविक रूप प्रदान करने का ढंग भी बदल गया है। संसद् के पतन के लिए मुख्य रूप से निम्नलिखित कारण उत्तरदायी हैं

  • त्रिशंकु संसद् का बनना।
  • जिद्द की राजनीति।
  • सदन में सदस्यों की अनुपस्थिति।
  • सदन की बैठकों की संख्या में कमी।
  • कमेटी प्रणाली का कमज़ोर होना।
  • स्पीकर की निष्पक्षता के सम्बन्ध में सन्देह।

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प्रश्न 4.
संविधान के अनुसार प्रधानमन्त्री की क्या स्थिति है ? वर्तमान समय में उसकी स्थिति क्यों डगमगा गई है ?
उत्तर-
संविधान के अनुसार देश में प्रधानमन्त्री की स्थिति सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। वह मन्त्रिमण्डल, मन्त्रिपरिषद् तथा लोकसभा का नेता होता है। देश की सभी नीतियां तथा कानून उसी के परामर्श के अनुसार बनते हैं। अपने मन्त्रिमण्डल के लिए मन्त्रियों का चुनाव वही करता है। कोई भी मन्त्री उसकी इच्छा के बिना अपने पद पर नहीं रह सकता।
परन्तु वर्तमान समय में लोकसभा चुनावों में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाता। इससे त्रिशंकु संसद् अस्तित्व में आती है। इसी कारण वर्तमान समय में प्रधानमन्त्री की स्थिति डगमगा गई है।

प्रश्न 5.
विधानपालिका तथा कार्यपालिका के अर्थ तथा संगठन के बारे में लिखो।
उत्तर-
अर्थ-विधानपालिका तथा कार्यपालिका संसदीय सरकार के दो भाग हैं। विधानपालिका सरकार का वह अंग है जो कानून बनाता है। कार्यपालिका का कार्य विधानपालिका द्वारा बनाये गए कानूनों को लागू करना है। __ संगठन-विधानपालिका के दो सदन हैं-लोकसभा तथा राज्यसभा। लोकसभा को निम्न सदन कहा जाता है। यह एक अस्थायी सदन है। इसके विपरीत राज्यसभा एक स्थाई सदन है। इसे उच्च सदन कहा जाता है। लोकसभा के सदस्यों की संख्या 545 तथा राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 250 निश्चित की गई है।

कार्यपालिका में राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री तथा उसका मन्त्रिमण्डल शामिल है। राष्ट्रपति नाममात्र की तथा प्रधानमन्त्री और उसका मन्त्रिमण्डल वास्तविक कार्यपालिका है।

राष्ट्रपति की सभी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री तथा उसका मन्त्रिमण्डल करता है। इनकी नियुक्ति विधानपालिका में से की जाती है। राष्ट्रपति का अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव किया जाता है।

प्रश्न 6.
संसदीय प्रणाली में संसद् की स्थिति कैसी होती है ?
उत्तर-
संसदीय प्रणाली में संसद् सर्वोच्च होती है। कार्यपालिका (सरकार) अपने कार्यों के लिए संसद् के प्रति उत्तरदायी होती है। संसद् कई तरीकों से सरकार पर अपना नियन्त्रण रखती है, जैसे- मन्त्रियों से प्रश्न पूछना, बहस, जीरो आवर (Zero Hour), स्थगन प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव, निन्दा प्रस्ताव, ध्यान आकर्षण प्रस्ताव आदि।

प्रश्न 7.
भारत में संसदीय सरकार के अपनाने के कारण लिखें।
उत्तर-

  • संसदीय सरकार को सर्वोत्तम माना गया है।
  • संसदीय प्रणाली में उत्तरदायित्व और स्थिरता दोनों गुण पाये जाते ।
  • संसदीय सरकार कभी भी बदली जा सकती है। इसलिए यह निरंकुश नहीं बन पाती।
  • लोकतन्त्र को सही अर्थों में संसदीय सरकार ही स्थापित करती है।

संसद्-बनावट, भूमिका तथा विशेषताएं PSEB 8th Class Social Science Notes

  • भारत में संसदीय सरकार – भारत में संसदीय सरकार की व्यवस्था है। केन्द्रीय सरकार के तीन प्रमुख अंग हैं –
    कार्यपालिका, विधानपालिका तथा न्यायपालिका। राष्ट्रपति कार्यपालिका का मुखिया होता है। परन्तु वह नाममात्र का मुखिया है।
  • संसद् के सदन – संसद् के दो सदन हैं- लोकसभा और राज्यसभा। संसद् देश के लिए कानून बनाती है।
  • संसद् की सर्वोच्चता – संसद् की सर्वोच्चता से अभिप्राय यह है कि संसद् देश की सर्वोच्च संस्था है। इसमें जनता द्वारा निर्वाचित सदस्य होते हैं। अतः इसके द्वारा बनाए गए कानून वास्तव में | जनता स्वयं बनाती है। संसद् द्वारा पारित कानून पर राष्ट्रपति को हस्ताक्षर करने ही पड़ते हैं।
  • राष्ट्रपति और प्रधान मन्त्री के सम्बन्ध – भारत में प्रधानमन्त्री की स्थिति राष्ट्रपति से अधिक महत्त्वपूर्ण है। राष्ट्रपति कार्यकारी मुखिया है परन्तु उसकी सभी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री और उसका मन्त्रिपरिषद् करता है। राष्ट्रपति के लिए प्रधानमन्त्री की सलाह मानना अनिवार्य है। प्रधानमन्त्री समयसमय पर राष्ट्रपति को मन्त्रिपरिषद् में हुई बैठकों की सूचना देता है। इस प्रकार वह राष्ट्रपति तथा मन्त्रिपरिषद् के बीच कड़ी का काम करता है।

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