Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 15 1857 ई० का विद्रोह Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 15 1857 ई० का विद्रोह
SST Guide for Class 8 PSEB 1857 ई० का विद्रोह Textbook Questions and Answers
I. नीचे लिखे गए प्रश्नों के उत्तर लिखो :
प्रश्न 1.
1857 ई० के विद्रोह के कौन-से दो राजनीतिक कारण थे ?
उत्तर-
- लार्ड डल्हौज़ी ने पेशवा बाजीराव द्वितीय के उत्तराधिकारी नाना साहिब की पेन्शन बंद कर दी।
- डल्हौज़ी ने अवध के नवाव वाजिद अली शाह को गद्दी से हटा कर अवध को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया। इससे अवध में विद्रोह की भावना भड़क उठी।
प्रश्न 2.
बहादुरशाह ज़फ़र को क्या सज़ा दी गई थी ?
उत्तर-
बहादुरशाह ज़फ़र को बंदी बना कर रंगून भेज दिया गया। उसके पुत्रों को गोली मार दी गई।
प्रश्न 3.
1857 ई० के विद्रोह के तत्कालीन कारण क्या थे ?
उत्तर-
भारतीय सैनिक अंग्रेजी सरकार से प्रसन्न नहीं थे। वे अंग्रेजों से बदला लेना चाहते थे। 1857 ई० में अंग्रेजी सरकार ने राइफलों में नये किस्म के कारतूस का प्रयोग आरम्भ किया। इन कारतूसों पर गाय तथा सूअर की चर्बी लगी हुई थी और प्रयोग करने से पहले इन्हें मुंह से छीलना पड़ता था। ऐसा करने से हिन्दू तथा मुस्लिम सैनिकों की भावनाओं को चोट पहुंचती थी। इसलिए वे भड़क उठे। सबसे पहले मंगल पांडे नामक एक सैनिक ने 29 मार्च, 1857 ई० को इन कारतूसों का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया। क्रोध में आकर उसने एक अंग्रेज़ अधिकारी की हत्या भी कर दी। यही घटना 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण बनी।
प्रश्न 4.
1857 ई० के विद्रोह को और कौन-से दो नामों से जाना जाता है ?
उत्तर-
1857 ई० के विद्रोह को ‘भारत की स्वतन्त्रता का संग्राम’ तथा ‘सैनिक विद्रोह’ के नाम से भी जाना जाता है। कुछ इतिहासकारों ने इसे कुछ असन्तुष्ट शासकों तथा जागीरदारों का विद्रोह कहा है।
प्रश्न 5.
1857 ई० के विद्रोह के कोई दो आर्थिक कारणों के नाम लिखें।
उत्तर-
(1) भारतीय उद्योगों तथा व्यापार का विनाश। (2) ज़मींदारों की बुरी दशा।
प्रश्न 6.
1857 ई० के विद्रोह के कोई दो सामाजिक कारणों के नाम लिखें।
उत्तर-
(1) भारत के सामाजिक रीति-रिवाजों में अंग्रेजों का हस्तक्षेप। (2) भारतीयों से अपमानजनक व्यवहार।
प्रश्न 7.
1857 ई० के विद्रोह की कोई चार घटनाओं के नाम लिखें।
उत्तर-
(1) मंगल पांडे की शहीदी, (2) मेरठ की घटना, (3) दिल्ली की घटना, (4) लखनऊ की घटना।
प्रश्न 8.
1857 ई० के विद्रोह के तत्कालीन कारणों के बारे में संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
भारतीय सैनिक अंग्रेज़ी सरकार से प्रसन्न नहीं थे। वे अंग्रेजों से बदला लेना चाहते थे। 1857 ई० में अंग्रेज़ी सरकार ने राइफलों में नये किस्म के कारतूस का प्रयोग आरम्भ किया। इन कारतूसों पर गाय तथा सूअर की चर्बी लगी हुई थी और चलाने से पहले इन्हें मुंह से छीलना पड़ता था। ऐसा करने से हिन्दू तथा मुस्लिम सैनिकों की भावनाओं को चोट पहुंचती थी। इसलिए वे भड़क उठे। सबसे पहले मंगल पांडे नामक एक सैनिक ने 29 मार्च, 1857 ई० को इन कारतूसों का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया। क्रोध में आकर उसने एक अंग्रेज़ अधिकारी की हत्या भी कर दी। इसी घटना से 1857 का विद्रोह आरम्भ हो गया।
प्रश्न 9.
1857 ई० के विद्रोह के समय दिल्ली की घटना के बारे संक्षेप नोट लिखें।
उत्तर-
मेरठ की घटना के बाद 11 मई, 1857 को विद्रोही (क्रान्तिकारी) सैनिक दिल्ली पहुंचे। अंग्रेज़ सैनिक __ अधिकारियों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, परन्तु उन्होंने उन अधिकारियों को मार डाला और दिल्ली में प्रवेश किया। दिल्ली में अंग्रेजी सेना के अनेक भारतीय सिपाही क्रान्तिकारियों से मिल गए। उन्होंने मुग़ल सम्राट् बहादुरशाह ज़फ़र को भारत का सम्राट घोषित किया और स्वतन्त्र भारत की घोषणा कर दी। इस घटना के चार-पांच दिन बाद ही दिल्ली पर पूरी तरह क्रान्तिकारियों का अधिकार हो गया। परन्तु 14 सितम्बर को जनरल निकलसन ने दिल्ली पर फिर से अधिकार कर लिया। बहादुर शाह ज़फ़र को बन्दी बना कर रंगून भेज दिया गया। उसके दो पुत्रों को गोली मार दी गई।
प्रश्न 10.
1857 ई० के विद्रोह के सामाजिक कारणों के बारे में संक्षेप नोट लिखें।
उत्तर-
1857 ई० के सामाजिक कारणों का वर्णन इस प्रकार है-
1. सामाजिक तथा धार्मिक रीति-रिवाजों में हस्तक्षेप-अंग्रेज़ गवर्नर-जनरलों विलियम बैंटिंक तथा लॉर्ड डलहौज़ी ने भारतीय समाज में सुधार किए। उन्होंने सती प्रथा तथा कन्या वध को गैर-कानूनी घोषित कर दिया। विधवा विवाह की अनुमति दे दी गई। जाति-पाति तथा छुआछूत की मनाही कर दी गई। परन्तु इन सुधारों का भारतीयों पर विपरीत प्रभाव पड़ा। अतः वे अंग्रेजी साम्राज्य का अन्त करने की योजना बनाने लगे।
2. ईसाई धर्म का प्रचार-भारत में ईसाई पादरी लोगों को लालच देकर ईसाई बना रहे थे। इसके अतिरिक्त वे भारतीय धर्मों की निन्दा भी करते थे। इसलिए भारत के लोग अंग्रेजों के विरुद्ध हो गए।
3. भारतीयों से बुरा व्यवहार-अंग्रेज़ भारतीयों के साथ बुरा व्यवहार करते थे। उनके साथ होटलों, सिनेमाघरों तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भेदभाव किया जाता था। इसलिए भारतीयों में अंग्रेजों के विरुद्ध रोष था।
प्रश्न 11.
प्रादेशिक फोकस-अवध के बारे में नोट लिखें।
उत्तर-
अवध एक समृद्ध राज्य था। वहां का नवाब वाजिद अली शाह सदा अंग्रेज़ों का वफ़ादार रहा था। परन्तु अंग्रेज़ों ने उसके राज्य में हस्तक्षेप करना आरम्भ कर दिया। उसे अपने राज्य में अंग्रेजी सेना रखने के लिए विवश किया गया। कुछ समय पश्चात् वहां की सारी देशी सेना को हटा कर अंग्रेज़ी सेना रख दी गई। इस सेना के खर्चे का सारा बोझ नवाब पर ही था। सेना से हटाए गए अवध के सभी सैनिक बेकार हो गए। 1856 ई० में अंग्रेज़ों ने नवाब पर कुशासन का आरोप लगाकर उसके राज्य को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया। इसका परिणाम यह हुआ कि 1857 के विद्रोह में अवध के सैनिकों, किसानों तथा ताल्लुकेदारों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
1. कारतूसों पर गाय तथा ……….. के माँस की चर्बी लगी होती थी।
2. लार्ड ………… की लैप्स की नीति के अनुसार बहुत-से भारतीय राज्य अंग्रेज़ी साम्राज्य में शामिल कर लिए गए।
3. सबसे पहले यह विद्रोह …………. नामक स्थान पर शुरू हुआ।
4. नाना साहेब का प्रसिद्ध जरनैल ………….. था।
5. भारतीयों सैनिकों ने मुग़ल बादशाह ………… को अपना बादशाह (सम्राट) घोषित कर दिया।
उत्तर-
- सूअर
- डल्हौज़ी
- बैरकपुर
- तांत्या टोपे
- बहादुर शाह जफ़र।
III. प्रत्येक वाक्य के आगे ‘सही’ (✓) या ‘गलत’ (✗) का चिन्ह लगाओ :
1. अग्रेज़ी काल में भारतीयों को उच्च पदों पर नियुक्त किया जाता था। (✗)
2. भारतीय लोगों के साथ अच्छा व्यवहार किया जाता था। (✗)
3. अंग्रेज़ों ने बहुत-से सामाजिक सुधार किए। (✓)
4. भारतीय उद्योग एवं व्यापार धीरे-धीरे नष्ट होना शुरू हो गये। (✓)
5. अंग्रेजों ने ‘फूट डालो व राज करो’ की नीति अपनाई। (✓)
PSEB 8th Class Social Science Guide 1857 ई० का विद्रोह Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)
(क) सही विकल्प चुनिए :
प्रश्न 1.
बहादुरशाह ज़फ़र को बंदी बना कर रखा गया-
(i) अफगानिस्तान
(ii) पाकिस्तान
(iii) रंगून
(iv) भूटान।
उत्तर-
रंगून
प्रश्न 2.
भारत का पहला सशस्त्र विद्रोह हुआ
(i) 1834 ई०
(ii) 1857 ई०
(iii) 1757 ई०
(iv) 1889 ई०।
उत्तर-
1857 ई०
प्रश्न 3.
1857 ई० में विद्रोही (क्रांतिकारी) सैनिकों ने भारत का सम्राट् घोषित किया
(i) तांत्या टोपे .
(ii) रानी लक्ष्मीबाई
(iii) नाना साहिब
(iv) बहादुर शाह ज़फ़र।
उत्तर-
बहादुर शाह जफ़र
प्रश्न 4.
1857 ई० के विद्रोह का आरम्भ हुआ
(i) दिल्ली
(ii) लखनऊ
(iii) मेरठ
(iv) झांसी।
उत्तर-
मेरठ
प्रश्न 5.
लैप्स की नीति चलाई-
(i) लार्ड डलहौज़ी
(ii) निकलसन
(iii) लार्ड मैकाले
(iv) लार्ड वारेन हेस्टिंग्ज़।
उत्तर-
लार्ड डलहौज़ी
प्रश्न 6.
नाना साहिब की पेंशन किसने बंद की ?
(i) लार्ड डल्हौज़ी
(ii) लार्ड कार्नवालिस
(iii) लार्ड विलियम बैंटिंक
(iv) लार्ड वैलजेली।
उत्तर-
लार्ड डल्हौजी
प्रश्न 7.
चर्बी वाले कारतूसों को चलाने से इन्कार करने वाला सैनिक कौन था ?
(i) बहादुर शाह जफ़र
(ii) तोत्या टोपे
(iii) नाना साहिब
(iv) मंगल पांडे।
उत्तर-
मंगल पांडे
प्रश्न 8.
1857 ई० में पंजाब में अंग्रजों के खिलाफ़ किस स्थान पर सैनिक विद्रोह हुआ ?
(i) फिरोजपुर
(ii) पेशावर
(iii) जालंधर
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
उपरोक्त सभी।
(ख) सही जोड़े बनाइए :
1. नवाब वाजिद अली शाह – दिल्ली
2. नाना साहिब – अवध
3. बहादुर शाह ज़फ़र – कानपुर
4. सरदार अहमद – खान खरल
उत्तर-
- अवध
- कानपुर
- दिल्ली
- पंजाब।
अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
1857 ई० का विद्रोह सबसे पूर्व कहां शुरू हुआ तथा इसका पहला शहीद कौन था ?
उत्तर-
यह विद्रोह सबसे पहले बैरकपुर छावनी में शुरू हुआ था। इस विद्रोह का पहला शहीद मंगल पांडे था।
प्रश्न 2.
1857 ई० के विद्रोह के कोई दो धार्मिक कारण लिखें।
उत्तर-
(1) अंग्रेज़ भारत में लोगों को विभिन्न प्रकार के लालच देकर ईसाई बना रहे थे। (2) अंग्रेज़ों ने ईसाइयत के प्रसार के लिये धार्मिक अयोग्यता एक्ट (1856) पास किया।
प्रश्न 3.
1857 ई० के विद्रोह के प्रमुख नेताओं के नाम लिखें।
उत्तर-
इस विद्रोह के मुख्य नेताओं के नाम थे-मुग़ल बादशाह बहादुरशाह ज़फर, नाना साहिब, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई तथा कुंवर सिंह।
प्रश्न 4.
1857 ई० के विद्रोह के कौन-से मुख्य चार केन्द्र थे ?
उत्तर-
मेरठ, दिल्ली, कानपुर तथा लखनऊ।
प्रश्न 5.
झांसी की रानी ने 1857 ई० के विद्रोह में क्यों भाग लिया था ?
उत्तर-
1857 ई० के विद्रोह में झांसी की रानी द्वारा भाग लेने का कारण यह था कि अंग्रेजों ने उसके द्वारा गोद लिए गए पुत्र को झांसी का उत्तराधिकारी मानने से इन्कार कर दिया था।
छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
1857 ई० का विद्रोह सर्वप्रथम कहां और क्यों शुरू हुआ ?
उत्तर-
1857 ई० के विद्रोह का आरम्भ बंगाल की बैरकपुर छावनी से हुआ। वहां मंगल पांडे नामक एक सैनिक ने चर्बी वाले कारतूसों का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया और एक अंग्रेज़ अधिकारी मेजर हसन को गोली मार दी। इस अपराध के कारण उसे फांसी दे दी गई। इस घटना का समाचार सुनकर सारे भारत में विद्रोह की भावना भड़क उठी।
प्रश्न 2.
अवध के सैनिक अंग्रेज़ों के विरुद्ध क्यों हुए थे ?
उत्तर-
ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सबसे अच्छी सेना बंगाल की सेना थी। इस सेना में अधिकतर सैनिक अवध के रहने वाले थे। लॉर्ड डलहौज़ी ने अवध को अंग्रेज़ी राज्य में मिला लिया। यह बात अवध के सैनिकों को अच्छी न लगी
और वे अंग्रेजों के विरुद्ध हो गये। अंग्रेजों ने अवध के नवाब की सेना को भी भंग कर दिया जिसके कारण हज़ारों सैनिक बेकार हो गये। उन्होंने कम्पनी से बदला लेने का निश्चय कर लिया।
प्रश्न 3.
1857 ई० के विद्रोह के सैनिक परिणामों का वर्णन करें।
उत्तर-
1857 ई० के विद्रोह के सैनिक परिणाम निम्नलिखित थे
- कम्पनी की सेना की समाप्ति-विद्रोह से पहले दो प्रकार के सैनिक होते थे-कम्पनी द्वारा नियुक्त किये गए तथा ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त किये गए सैनिक। विद्रोह के पश्चात् दोनों सेनाओं का एकीकरण कर दिया गया।
- यूरोपियन सैनिकों की वृद्धि-सेना में यूरोपियन सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई। भारतीय सैनिकों की संख्या कम कर दी गई। परन्तु पंजाब के सिक्खों तथा नेपाल के गोरखों को अधिक संख्या में भर्ती किया जाने लगा।
- भारतीय सेना का पुनर्गठन-तोपखाने यूरोपियन सैनिकों के अधीन कर दिए गए। भारतीय सेना को निम्न कोटि के शस्त्र दिए जाने लगे।
बड़े उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
1857 ई० के विद्रोह की मुख्य घटनाओं का वर्णन करें।
अथवा
1857 ई० के विद्रोह की मुख्य घटनाओं का वर्णन करो।
उत्तर-
1857 ई० में भारतीयों ने पहली बार अंग्रेज़ों का विरोध किया। क्रान्ति की योजना तैयार हो चुकी थी। कमल के फूलों तथा रोटियों के संकेतों द्वारा सैनिकों और ग्रामीण जनता तक क्रान्ति का सन्देश पहुंचाया गया। क्रान्ति के लिए 31 मई, 1857 ई० का दिन निश्चित किया गया, परन्तु चर्बी वाले कारतूसों की घटना के कारण क्रान्ति समय से पहले ही आरम्भ हो गई। इस क्रान्ति की प्रमुख घटनाओं का वर्णन इस प्रकार है-
1. बैरकपुर-विद्रोह का आरम्भ बंगाल की बैरकपुर छावनी से हुआ। इसका नेतृत्व मंगल पांडे नामक एक सैनिक ने किया। 29 मार्च, 1857 ई० को मंगल पांडे ने चर्बी वाले कारतूसों का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया और उसने अपने साथियों को भी ऐसा करने के लिए उत्साहित किया। उसने क्रोध में आकर एक अंग्रेज़ अधिकारी मेजर हसन को गोली मार दी। मंगल पांडे को फांसी का दण्ड दिया गया। इस घटना से बैरकपुर छावनी के सभी सैनिक भड़क उठे।
2. मेरठ-10 मई, 1857 ई० को मेरठ में भी विद्रोह की आग भड़क उठी। वहां की जनता तथा सैनिकों ने अंग्रेजों के विरुद्ध खुला विद्रोह कर दिया। सारा नगर ‘मारो फिरंगी को’ के नारों से गूंज उठा। सैनिकों ने जेल के दरवाज़े तोड़ दिए और अपने बन्दी सैनिकों को मुक्त करवाया। यहां से वे दिल्ली की ओर चल पड़े।
3. दिल्ली-दिल्ली में अंग्रेजी अफसरों ने क्रान्तिकारियों को रोकने का प्रयत्न किया, परन्तु वे असफल रहे। विद्रोही सैनिकों ने बहादुरशाह ज़फर को अपना सम्राट घोषित कर दिया। उन्होंने चार-पांच दिन में दिल्ली पर अधिकार कर लिया परन्तु 14 सितम्बर, 1857 ई० को दिल्ली के क्रान्तिकारियों में फूट पड़ गई। इसका लाभ उठा कर अंग्रेज सेनापति निकलसन ने दिल्ली पर फिर से अपना अधिकार कर लिया। नागरिकों पर अनेक अत्याचार किए गए। बहादुरशाह को बन्दी बना कर रंगून भेज दिया गया। उसके दो पुत्रों को गोली मार दी गई।
4. कानपुर-कानपुर में नाना साहिब ने अपने प्रसिद्ध सेनापति तात्या टोपे की सहायता से वहां अपना अधिकार कर लिया। परन्तु 17 जुलाई, 1857 को कर्नल हैवलॉक ने नाना साहिब को पराजित करके कानपुर पर फिर से अधिकार कर लिया। तात्या टोपे ने वहां पुनः अपना अधिकार स्थापित करने का प्रयत्न किया, परन्तु वह सफल न हो सका।
इसी बीच नाना साहिब ने भाग कर नेपाल में शरण ली। तात्या टोपे भाग कर झांसी की रानी के पास चला गया।
5. लखनऊ-लखनऊ अवध की राजधानी थी। अंग्रेज सेनापति हैवलॉक ने एक विशाल सेना की सहायता से लखनऊ पर आक्रमण किया। 31 मार्च, 1858 ई० को यहां पर उनका अधिकार हो गया। कुछ समय पश्चात् अवध के ताल्लुकेदारों ने भी शस्त्र डाल दिए। इस प्रकार अवध में क्रान्ति की ज्वाला बुझ गई।
6. झांसी-झांसी में रानी लक्ष्मीबाई ने क्रान्ति का नेतृत्व किया। उसके आगे अंग्रेजों की एक न चली। जनवरी, 1858 ई० में सर ह्यूरोज़ ने झांसी को जीतना चाहा, परन्तु वह पराजित हुआ। अप्रैल, 1858 ई० में झांसी पर फिर आक्रमण किया गया। इस बार रानी के कुछ साथी अंग्रेजों से जा मिले; परन्तु रानी ने अन्तिम सांस तक अंग्रेज़ों की सेना का सामना किया। अन्त में वह वीरगति को प्राप्त हुई और झांसी के दुर्ग पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया। कुछ समय पश्चात् तांत्या टोपे पकड़ा गया। 1859 ई० में उसे फांसी दे दी गई।
7. पंजाब-भले ही पंजाब की रियासतों के कुछ शासकों ने विद्रोह में अंग्रेज़ों का साथ दिया था, फिर भी कई स्थानों पर अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह भी हुए। फिरोज़पुर, पेशावर, जालन्धर आदि स्थानों पर भारतीय सैनिकों ने विद्रोह किए। अंग्रेजों ने इन विद्रोहों को दबा दिया और बहुत से सैनिकों को मार डाला।
आधुनिक हरियाणा राज्य में रेवाड़ी, भिवानी, बल्लभगढ़, हांसी आदि स्थानों के नेताओं ने भी 1857 ई० के विद्रोह में अंग्रेज़ों से टक्कर ली। परन्तु अंग्रेजों ने उनका दमन कर दिया।
प्रश्न 2.
1857 ई० के विद्रोह के राजनीतिक, आर्थिक तथा सैनिक कारणों का वर्णन करें।
उत्तर-
1857 ई० में भारतीयों ने पहली बार अंग्रेजों का विरोध किया। वे उन्हें अपने देश से बाहर निकालना चाहते थे। इस संघर्ष को प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम का नाम दिया जाता है। इस संग्राम के राजनीतिक, आर्थिक तथा सैनिक कारण निम्नलिखित थे
I. राजनीतिक कारण
1. डलहौज़ी की लैप्स नीति-लॉर्ड डलहौज़ी भारत में ब्रिटिश राज्य का अधिक-से-अधिक विस्तार करना चाहता था। इसके लिए उसने लैप्स की नीति अपनाई। इसके अनुसार कोई भी पुत्रहीन राजा पुत्र को गोद लेकर उसे अपना उत्तराधिकारी नहीं बना सकता था। इस नीति के द्वारा उसने सतारा, नागपुर, सम्भलपुर, उदयपुर आदि राज्य ब्रिटिश राज्य में मिला लिए। इधर अंग्रेजों ने झांसी की विधवा रानी को पुत्र गोद लेने की अनुमति न दी जिसके कारण वह अंग्रेजों की कट्टर शत्रु बन गई।
2. नाना साहब के साथ अन्याय-नाना साहिब मराठों के अन्तिम पेशवा बाजीराव द्वितीय का गोद लिया हुआ पुत्र था। बाजीराव की मृत्यु के बाद अंग्रेजों ने उसकी वार्षिक पेन्शन नाना साहब को देने से इन्कार कर दिया जिससे वह अंग्रेजों के विरुद्ध हो गया।
3. बहादुरशाह का अपमान-1856 ई० में अंग्रेजों ने मुग़ल बादशाह बहादुर शाह को यह चेतावनी दी कि उसकी मृत्यु के बाद लाल किले पर अधिकार कर लिया जायेगा। बहादुर शाह ने इसे अपना अपमान समझा और भारत में अंग्रेज़ी राज्य को समाप्त करने का प्रण ले लिया। इस निर्णय से बादशाह की बेग़म ज़ीनत महल को इतना क्रोध आया कि वह ब्रिटिश शासन को उलटने की योजनाएं बनाने लगी। देश की मुस्लिम प्रजा भी अकबर और औरंगज़ेब के परिवार का ऐसा निरादर होता देखकर अंग्रेजों के विरुद्ध भड़क उठी।
4. अवध का अन्यायपूर्ण विलय-अवध का नवाब वाजिद अली शाह अंग्रेज़ों का वफ़ादार था। परंतु अंग्रेजों ने नवाब पर कुशासन का आरोप लगाकर अवध को ब्रिटिश राज्य में मिला लिया। इसलिए नवाब अंग्रेजों से बदला लेने की सोचने लगा।
II. आर्थिक कारण
1. भारतीय उद्योग तथा व्यापार की समाप्ति-अंग्रेज़ भारत में व्यापार करने के लिए आये थे। वे भारत से कपास, पटसन आदि कच्चा माल सस्ते दामों पर खरीद कर इंग्लैंड ले जाते थे और वहाँ के कारखानों का तैयार माल भारत लाकर महंगे दामों पर बेचते थे। इस प्रकार भारत का धन लगातार इंग्लैंड जाने लगा। उन्होंने भारत के उद्योगों पर भी कई पाबन्दियां लगा दी। इस प्रकार भारत के उद्योग तथा व्यापार नष्ट होने लगे। इससे भारतीयों में अंग्रेजों के विरुद्ध.रोष फैल गया।
2. नौकरियों में असमानता-अंग्रेज़ी शासन में पढ़े-लिखे भारतीयों को उच्च पद नहीं दिए जाते थे। दूसरे, भारतीय कर्मचारियों को अंग्रेज कर्मचारियों से कम वेतन दिया जाता था। इस असमानता के कारण भारतीय विद्रोह पर उतारू हो गये।
3. ज़मींदारों की दुर्दशा-ज़मींदारों तथा जागीरदारों को कुछ भूमियां बादशाह द्वारा इनाम में दी गई थीं। ये भूमियां कर मुक्त थीं। परन्तु लॉर्ड विलियम बैंटिंक ने इन भूमियों पर कर लगा दिया। लगान की दर भी बढ़ा दी गई। इसके अतिरिक्त सरकारी कर्मचारी लगान इकट्ठा करते समय ज़मींदारों का कई प्रकार से शोषण करते थे। इसलिए ज़मींदारों ने विद्रोह में बढ़-चढ़ कर भाग लिया।
III. सैनिक कारण
1. कम वेतन-भारतीय सैनिकों के वेतन बहुत कम थे। योग्य होने पर भी उन्हें उच्च पद नहीं दिया जाता था। उनके लिए पदोन्नति के अवसर भी बहुत कम थे।
2. बुरा व्यवहार-अंग्रेज़ी शासन में भारतीय सैनिकों को यूरोपीय सैनिकों से हीन समझा जाता था। अत: अंग्रेज़ अफसर भारतीय सैनिकों के साथ दुर्व्यवहार करते थे।
3. 1856 ई० का सैनिक कानून-1856 ई० में लॉर्ड केनिंग ने एक सैनिक कानून पास किया जिसके अनुसार । सैनिकों को समुद्र पार भेजा जा सकता था। परन्तु भारतीय सैनिक समुद्र पार जाना अपने धर्म के विरुद्ध समझते थे। सैनिकों के लिए यह आवश्यक कर दिया गया कि जहां भी उन्हें भेजा जाए, उन्हें जाना होगा, परिणामस्वरूप भारतीय सैनिकों में असन्तोष फैल गया।
4. अवध का विलय-बंगाल की अंग्रेज़ी सेना में अधिकतर सिपाही भारतीय थे। वे अवध को अंग्रेज़ी राज्य में मिलाए जाने के कारण अंग्रेज़ों से असन्तुष्ट थे।
5. चर्बी वाले कारतूस-1856 ई० में भारतीय सैनिकों को गाय और सूअर की चर्बी वाले कारतूस प्रयोग करने के लिए दिए गए। इनके कारण भारतीय सैनिकों में रोष बढ़ गया।
भारतीय सैनिकों में फैले इसी असन्तोष ने ही 1857 ई० में विद्रोह का रूप धारण कर लिया।
प्रश्न 3.
1857 ई० के विद्रोह के परिणामों का वर्णन करो।
उत्तर-
1857 ई० के विद्रोह के महत्त्वपूर्ण परिणाम निकले जिनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है
1. राजनीतिक परिणाम-
- भारत में ईस्ट इण्डिया कम्पनी का शासन समाप्त हो गया, अब भारत का शासन सीधे इंग्लैंड की सरकार के अधीन आ गया।
- भारत के गवर्नर-जनरल को वायसराय की नई उपाधि दी गई।
- भारत में मुग़ल सत्ता का अन्त हो गया।
- भारतीय राजाओं को पुत्र गोद लेने की अनुमति दे दी गई।
- अंग्रेजों ने भारत के देशी राज्यों को अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाने की नीति का त्याग कर दिया।
2. सामाजिक परिणाम-
- 1 नवम्बर, 1858 ई० को इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया ने एक घोषणा की। इसमें यह कहा गया कि भारत में धार्मिक सहनशीलता की नीति अपनाई जाएगी, भारतीयों को सरकारी नौकरियां योग्यता के आधार पर दी जायेंगी तथा उन्हें उच्च पद भी दिए जाएंगे।
- अंग्रेज़ों ने ‘फूट डालो और राज्य करो’ की नीति अपना ली। इस नीति के अनुसार अंग्रेजों ने हिन्दुओं तथा मुसलमानों को आपस में लड़ाना आरम्भ कर दिया, ताकि भारत में अंग्रेज़ी राज्य को कोई आंच न पहुंचे।
3. सैनिक परिणाम-
- विद्रोह के पश्चात् भारतीय सैनिकों की संख्या कम करके यूरोपीय सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई ताकि विद्रोह के खतरे को टाला जा सके।
- तोपखाने में केवल यूरोपीय सैनिकों को ही नियुक्त किया जाने लगा।
- जाति तथा धर्म के आधार पर सैनिकों की अलग-अलग टुकड़ियां बनाई गईं ताकि वे एक होकर अंग्रेज़ी सरकार के विरुद्ध विद्रोह न कर सकें।
- ऊंचे पदों तथा महत्त्वपूर्ण स्थानों पर यूरोपीय सैनिकों को नियुक्त किया गया। भारतीय सेना को कम महत्त्वपूर्ण कार्य सौंपे गए।
- कुछ इस प्रकार की व्यवस्था की गई जिससे कि भारतीय सैनिक तथा अधिकारी प्रत्येक स्तर पर यूरोपीय सेना की निगरानी में रहें।
- यूरोपीय सेना का खर्च भारतीय जनता पर डाल दिया गया।
4. आर्थिक परिणाम-इंग्लैंड की सरकार ने भारतीयों पर कई प्रकार के व्यापारिक प्रतिबन्ध लगा दिए। परिणामस्वरूप भारतीय व्यापार को बहुत अधिक क्षति पहुंची।
प्रश्न 4.
1857 ई० की क्रान्ति में भारतीय क्यों हारे ?
उत्तर-
प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम की असफलता के मुख्य कारण निम्नलिखित थे
- समय से पहले क्रान्ति का आरम्भ होना-बहरामपुर, बैरकपुर तथा मेरठ की घटनाओं के कारण क्रान्ति समय से पहले ही आरम्भ हो गई। इससे क्रान्तिकारियों की एकता भंग हो गई और अंग्रेजों को सम्भलने का अवसर मिल गया।
- एक उद्देश्य न होना-संग्राम में भाग लेने वाले नेता किसी एक उद्देश्य को लेकर नहीं लड़ रहे थे। कोई धर्म की रक्षा के लिए, कोई अपने राज्य की रक्षा के लिए तथा कोई देश की आजादी के लिए लड़ रहा था। इसलिए क्रान्ति का असफल होना स्वाभाविक ही था।
- संगठन का अभाव-क्रान्तिकारियों में ऐसा कोई योग्य नेता नहीं था जो सबको एकता के सूत्र में बांध सकता। अतः संगठन के अभाव में भारतीय हार गये।
- अप्रशिक्षित सैनिक-क्रान्तिकारियों के पास प्रशिक्षित सैनिकों की कमी थी तथा पर्याप्त युद्ध सामग्री नहीं थी। उनमें अधिकतर वे लोग थे जो सेना में से निकाले गए थे। इन सैनिकों में अनुभव की कमी थी। इसलिए क्रान्ति असफल हो गई।
- सीमित प्रदेश में फैलना–यह संग्राम केवल उत्तरी भारत तक सीमित रहा। दक्षिणी भारत के लोगों ने इसमें भाग नहीं लिया। यदि सारा भारत एक साथ अंग्रेजों के विरुद्ध उठ खड़ा होता, तो प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम असफल न होता।
- यातायात के साधनों पर अंग्रेजों का नियन्त्रण-रेल, डाक-तार और यातायात के साधनों पर अंग्रेजों का नियन्त्रण था। वे सैनिकों और युद्ध सामग्री को सरलतापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेज सकते थे।
- क्रान्तिकारियों पर अत्याचार–अंग्रेजों ने क्रान्तिकारियों पर बड़े अत्याचार किए। नगरों को लूटकर जला दिया गया। अनेक लोगों को फांसी का दण्ड दिया गया। इन अत्याचारों से जनता भयभीत हो गई और डर के मारे कई लोगों ने संग्राम में भाग नहीं लिया।
- आर्थिक कठिनाइयां-क्रान्तिकारियों के पास धन की कमी थी। इसलिए वे अच्छे अस्त्र-शस्त्र नहीं खरीद सकते थे। परिणामस्वरूप क्रान्तिकारी अपने उद्देश्य में असफल रहे।
1857 ई० का विद्रोह PSEB 8th Class Social Science Notes
- 1857 का विद्रोह – 1857 में भारतीय राजाओं, सैनिकों तथा जनता ने अंग्रेजों को देश से निकालने के लिए सशस्त्र विद्रोह किया। इस विद्रोह को प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम का नाम दिया जाता है।
- राजनीतिक कारण – अंग्रेज़ों की लैप्स तथा अन्य नीतियों के कारण भारतीय राजा (झांसी, नागपुर, सतारा, जयपुर, बिलासपुर) तथा ज़मींदार उनसे नाराज़ थेइसलिए उन्होंने मिलकर संघर्ष की योजना बनाई।
- सामाजिक तथा आर्थिक कारण – अंग्रेजों ने सती प्रथा का अन्त किया, विधवा विवाह की आज्ञा दी तथा भारतीय उद्योग-धन्धों को नष्ट किया। इस लिए समाज के रूढ़िवादी तथा गरीब लोग उनसे | छुटकारा पाने के लिए योजना बनाने लगे।
- सैनिक कारण – भारतीय सैनिकों को कम वेतन मिलता था तथा उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता था। चर्बी वाले कारतूसों का प्रचलन क्रान्ति का तात्कालिक कारण बना। सैनिकों ने इस पर विद्रोह किया और क्रान्ति आरम्भ हो गई।
- विद्रोह के केन्द्र – विद्रोह के मुख्य केन्द्र दिल्ली, कानपुर, झांसी; ग्वालियर, वाराणसी, लखनऊ आदि थे।
- विद्रोह के नेता – विद्रोह के प्रमुख नेता मुग़ल बादशाह बहादुरशाह जफर, रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहिब, तात्या टोपे आदि थे।
- भारतीयों की असफलता – भारतीय राजाओं में आपसी तालमेल नहीं था, प्रशिक्षित सैनिक नहीं थे, संचार के साधनों का अभाव था और उनके पास अंग्रेज़ों के समान साधन नहीं थे। इसलिए भारतीय असफल रहे।
- विद्रोह के प्रभाव – विद्रोह के कारण कम्पनी का शासन समाप्त हुआ, सेना में भारतीयों की संख्या घटी, भारतीय राजाओं के साथ अच्छे व्यवहार का दौर शुरू हुआ और हिन्दू तथा मुसलमानों में आपसी भेदभाव बढ़ गया।