Punjab State Board PSEB 8th Class Social Science Book Solutions History Chapter 10 भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 8 Social Science History Chapter 10 भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना
SST Guide for Class 8 PSEB भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना Textbook Questions and Answers
I. नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखें :
प्रश्न 1.
भारत में पहुंचने वाला प्रथम पुर्तगाली कौन था ?
उत्तर-
भारत में पहुंचने वाला प्रथम पुर्तगाली वास्को-डि-गामा था।
प्रश्न 2.
भारत में पुर्तगालियों की चार बस्तियों के नाम लिखें।
उत्तर-
गोआ, दमन, सालसेट तथा बसीन।
प्रश्न 3.
डच लोगों ने भारत में कहां-कहां बस्तियों की स्थापना की?
उत्तर-
डच लोगों ने भारत में अपनी बस्तियां कोचीन, सूरत, नागापट्टम, पुलिकट तथा चिन्सुरा में स्थापित की।
प्रश्न 4.
अंग्रेजों को बंगाल में बिना चुंगी-कर के व्यापार करने का अधिकार किस मुग़ल सम्राट से तथा कब मिला ?
उत्तर-
अंग्रेजों को बंगाल में बिना चुंगी कर के व्यापार करने का अधिकार मुग़ल सम्राट् फर्रुखसियर से 1717 ई० में मिला।
प्रश्न 5.
कर्नाटक का पहला युद्ध कौन-सी यूरोपीयन कम्पनियों के मध्य हुआ तथा इस युद्ध में किस की विजय हुई ?
उत्तर-
कर्नाटक का पहला युद्ध अंग्रेज़ों और फ्रांसीसियों के बीच हुआ। इस युद्ध में फ्रांसीसियों की विजय हुई।
प्रश्न 6.
प्लासी का युद्ध कब तथा किसके मध्य हुआ ?
उत्तर–
प्लासी का युद्ध 23 जून, 1757 ई० को अंग्रेजों तथा बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के मध्य हुआ।
प्रश्न 7.
बक्सर का युद्ध कब तथा किसके मध्य हुआ ?.
उत्तर-
बक्सर का युद्ध 1764 ई० में अंग्रेज़ों तथा बंगाल के नवाब मीर कासिम के मध्य हुआ। इस लड़ाई में अवध के नवाब शुजाउद्दौला तथा मुग़ल सम्राट शाह आलम द्वितीय ने मीर कासिम का साथ दिया।
प्रश्न 8.
कर्नाटक के तीसरे युद्ध पर नोट लिखो।
उत्तर-
कर्नाटक का तीसरा युद्ध 1756 ई० से 1763 ई० तक लड़ा गया। दूसरे युद्ध की भान्ति इस युद्ध में फ्रांसीसी पराजित हुए और अंग्रेज़ विजयी रहे।
कारण-1756 ई० में इंग्लैण्ड और फ्रांस के बीच यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध छिड़ गया। परिणाम यह हुआ कि भारत में भी फ्रांसीसियों और अंग्रेजों के बीच युद्ध आरम्भ हो गया
घटनाएं-फ्रांस की सरकार ने भारत में अंग्रेज़ी शक्ति को कुचलने के लिए काउंट डि कोर्ट लाली को भेजा। परन्तु वह असफल रहा। 1760 ई० में एक अंग्रेज़ सेनापति आयरकूट ने वंदिवाश की लड़ाई में भी फ्रांसीसियों को बुरी तरह हराया। 1763 ई० में पेरिस की सन्धि के अनुसार यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध बन्द हो गया। परिणामस्वरूप भारत में दोनों जातियों में युद्ध समाप्त हो गया।
परिणाम-
- फ्रांसीसियों की शक्ति लगभग नष्ट हो गई। उनके पास अब व्यापार के लिए केवल पाण्डिचेरी, माही तथा चन्द्रनगर के प्रदेश रह गये। उन्हें इन प्रदेशों की किलेबन्दी करने की अनुमति नहीं थी।
- अंग्रेज़ भारत की सबसे बड़ी शक्ति बन गए।
प्रश्न 8A.
अंग्रेजों द्वारा बंगाल की विजय का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
अंग्रेजों ने बंगाल पर अधिकार करने के लिए बंगाल के नवाब से दो युद्ध लड़े–प्लासी का युद्ध तथा बक्सर का युद्ध । प्लासी का युद्ध 1757 ई० में हुआ। उस समय बंगाल का नवाब सिराजुद्दौला था। अंग्रेज़ों ने षड्यन्त्र द्वारा उसके सेनापति मीर जाफ़र को अपनी ओर मिला लिया, जिसके कारण सिराजुद्दौला की हार हुई। इसके पश्चात् अंग्रेजों ने मीर जाफ़र को बंगाल का नवाब बना दिया। कुछ समय पश्चात् अंग्रेज़ों ने मीर जाफ़र को गद्दी से उतार दिया और मीर कासिम को नवाब बनाया, परन्तु थोड़े ही समय में अंग्रेज़ उसके भी विरुद्ध हो गए। बक्सर के स्थान पर मीर कासिम और अंग्रेजों में युद्ध हुआ। इस युद्ध में मीर कासिम हार गया और बंगाल अंग्रेजों के अधिकार में आ गया।
प्रश्न 9.
प्लासी के युद्ध पर नोट लिखो।
उत्तर-
प्लासी का युद्ध 23 जून, 1757 ई० को अंग्रेज़ी ईस्ट :ण्डिया कम्पनी तथा बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के मध्य लड़ा गया। नवाब कई कारणों से अंग्रेज़ों से नाराज़ था। उसने कासिम बाज़ार पर हमला करके अंग्रेज़ों को बड़ी हानि पहुंचाई। इसका बदला लेने के लिए क्लाइव ने षड्यन्त्र द्वारा बंगाल के सेनापति मीर जाफ़र को अपनी ओर मिला लिया। जब लड़ाई आरम्भ हुई तो मीर जाफ़र युद्ध के मैदान में एक ओर खड़ा रहा। इस विश्वासघात के कारण सिराजुद्दौला का साहस टूट गया और वह युद्ध भूमि से भाग गया। मीर जाफ़र के पुत्र मीरेन ने उसका पीछा किया और उसका वध कर दिया। ऐतिहासिक दृष्टि से यह युद्ध अंग्रेजों के लिए बड़ा महत्त्वपूर्ण सिद्ध हुआ। अंग्रेज़ बंगाल के वास्तविक शासक बन गए और उनके लिए भारत विजय के द्वार खुल गए।
प्रश्न 10.
बंगाल में दोहरी शासन प्रणाली पर नोट लिखो।
उत्तर-
क्लाइव ने बंगाल में शासन की एक नयी प्रणाली आरम्भ की। इसके अनुसार बंगाल का शासन दो भागों में बांट दिया गया। कर इकट्ठा करने का काम अंग्रेजों के हाथ में रहा, परन्तु शासन चलाने का कार्य नवाब को दे दिया गया। शासन चलाने के लिए उसे एक निश्चित धनराशि दी जाती थी। इस तरह बंगाल में दो प्रकार का शासन चलने लगा। इसी कारण यह प्रणाली दोहरी (द्वैध) शासन प्रणाली के नाम से प्रसिद्ध है। इस प्रणाली द्वारा बंगाल की वास्तविक शक्ति तो अंग्रेजों के हाथ में आ गई। परंतु उनकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं थी। दूसरी ओर नवाब के पास न तो कोई वास्तविक शक्ति थी और न ही आय का कोई साधन । परन्तु शासन की सारी ज़िम्मेदारी उसी की थी। इसलिए बंगाल के लोगों के लिए यह शासन प्रणाली मसीबत बन गई।
प्रश्न 11.
सहायक सन्धि से क्या भाव है ?
उत्तर-
सहायक सन्धि 1798 ई० में लॉर्ड वैलजली ने चलाई थी। वह भारत में कम्पनी राज्य का विस्तार करके कम्पनी को भारत की सबसे बड़ी शक्ति बनाना चाहता था। यह काम तभी हो सकता था, जब सभी देशी राजा तथा नवाब शक्तिहीन होते। उन्हें शक्तिहीन करने के लिए ही उसने सहायक सन्धि का सहारा लिया।
सन्धि की शर्ते-सहायक सन्धि कम्पनी और देशी राजा के बीच होती थी। कम्पनी सन्धि स्वीकार करने वाले राजा को आन्तरिक तथा बाहरी खतरे के समय सैनिक सहायता देने का वचन देती थी। इसके बदले में देशी राजा को निम्नलिखित शर्तों का पालन करना पड़ता था
- उसे कम्पनी को अपना स्वामी मानना पड़ता था। वह कम्पनी की आज्ञा के बिना कोई युद्ध अथवा सन्धि नहीं कर सकता था।
- उसे अपनी सहायता के लिए अपने राज्य में एक अंग्रेज़ सैनिक टुकड़ी रखनी पड़ती थी, जिसका व्यय उसे स्वयं देना पड़ता था।
- उसे अपने दरबार में एक अंग्रेज़ रेजीडेण्ट रखना पड़ता था।
प्रश्न 12.
लैप्स की नीति पर नोट लिखो।
उत्तर-
लैप्स की नीति लॉर्ड डलहौज़ी ने अपनायी। इसके अनुसार यदि कोई देशी राजा निःसन्तान मर जाता था, तो उसका राज्य अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया जाता था। वह अंग्रेज़ों की आज्ञा के बिना पुत्र गोद लेकर उसे अपना उत्तराधिकारी नहीं बना सकता था। डलहौज़ी के शासनकाल में पुत्र गोद लेने की स्वीकृति नहीं दी जाती थी। इस प्रकार बहुत-से देशी राज्य अंग्रेज़ी राज्य में मिला लिए गए।
लैप्स के सिद्धान्त का सतारा, सम्भलपुर, जैतपुर, उदयपुर, झांसी, नागपुर आदि राज्यों पर प्रभाव पड़ा। इन सभी राज्यों के शासक निःसन्तान मर गए और उनके राज्य को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया गया।
II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
1. अंग्रेज़ों, शुजाऊद्दौला एवं मुग़ल बादशाह आलम के मध्य………के युद्ध के पश्चात् 1765 ई० में इलाहाबाद की संधि हुई।
2. 1772 ई० में बंगाल में ………….. प्रणाली समाप्त कर दी गई।
3. लॉर्ड वैलज़ली ने अंग्रेज़ी साम्राज्य का विस्तार करने के लिए ……….. प्रणाली शुरू की।
उत्तर-
- बक्सर
- दोहरी शासन
- सहायक संधि।
III. प्रत्येक वाक्य के आगे ‘सही’ (✓) या ‘गलत’ (✗) का चिन्ह लगाएं :
- पुर्तगाली कप्तान वास्को-डि-गामा 27 मई, 1498 ई० को भारत में कालीकट नामक स्थान पर पहुंचा। – (✓)
- अंग्रेज़ों तथा फ्रांसीसियों के मध्य कर्नाटक के दो युद्ध लड़े गए। – (✗)
- अंग्रेजों के साथ प्लासी के युद्ध के समय बंगाल का नवाब मीर जाफ़र था। – (✓)
PSEB 8th Class Social Science Guide भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Multiple Choice Questions)
(क) सही उत्तर चुनिए:
प्रश्न 1.
लैप्स की नीति (लार्ड डल्हौज़ी) द्वारा अंग्रेज़ी राज्य में मिलाई गई रियासत थी
(i) झांसी
(ii) उदयपुर
(iii) सतारा
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
उपरोक्त सभी
प्रश्न 2.
अवध को अंग्रेज़ी राज्य में कब मिलाया गया ?
(i) 1828 ई०
(ii) 1843 ई०
(iii) 1846 ई०
(iv) 1849 ई०।
उत्तर-
1843 ई०
प्रश्न 3.
पंजाब को अंग्रेज़ी साम्राज्य में किसने मिलाया ?
(i) लार्ड हेस्टिग्ज़
(ii) लार्ड हार्डिंग
(iii) लार्ड डल्हौज़ी
(iv) लार्ड विलियम बैंटिंक।
उत्तर-
लार्ड डल्हौज़ी।
(ख) सही जोड़े बनाइए :
1. प्लासी का युद्ध – लार्ड हेस्टिंग्ज़
2. बक्सर का युद्ध – सिराजुद्दौला
3. अराकाट पर हमला – मीर कासिम
4. अंग्रेज़ गोरखा युद्ध – राबर्ट क्लाइव।
उत्तर-
- सिराजुद्दौला
- मीर कासिम
- राबर्ट क्लाइव
- लार्ड हेस्टिंग्ज़।
अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
यूरोप से भारत पहुंचने के नये समुद्री मार्ग की खोज किसने की ?
उत्तर-
यूरोप से भारत पहुंचने के नये समुद्री मार्ग की खोज पुर्तगाली नाविक (कप्तान) वास्को-डि-गामा ने की।
प्रश्न 2.
वास्को-डि-गामा भारत में कब और किस बन्दरगाह पर पहुंचा ?
उत्तर-
27 मई, 1498 ई० को कालीकट की बन्दरगाह पर।
प्रश्न 3.
अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
31 दिसम्बर, 1600 ई० को।
प्रश्न 4.
फ्रांसीसी ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
1664 ई० में।
प्रश्न 5.
भारत में दो फ्रांसीसी गवर्नरों के नाम बताओ जिनके अधीन फ्रांसीसी शक्ति का विस्तार हुआ।
उत्तर-
डूमा तथा डुप्ले।
प्रश्न 6.
अंग्रेज़ों ने व्यापार में रियायतें लेने के लिए मुग़ल बादशाह जहांगीर के दरबार में कौन-से दो प्रतिनिधि भेजे थे ?
उत्तर-
विलियम हाकिन्स तथा सर टामस रो।
प्रश्न 7.
चेन्नई (मद्रास) और कोलकाता (कलकत्ता) के नज़दीक फ्रांसीसी बस्तियों के नाम बतायें।
उत्तर-
चेन्नई के निकट पाण्डिचेरी तथा कोलकाता के नज़दीक चन्द्रनगर फ्रांसीसी बस्तियां थीं।
प्रश्न 8.
कर्नाटक का तीसरा युद्ध कौन-सी यूरोपियन कम्पनियों के मध्य हुआ ?
उत्तर-
यह युद्ध फ्रांस की ईस्ट इण्डिया कम्पनी तथा इंग्लैण्ड की ईस्ट इण्डिया कम्पनी के मध्य हुआ।.
प्रश्न 9.
कर्नाटक के प्रथम युद्ध (1746-48) का कोई एक कारण लिखो।
उत्तर-
यूरोप में ऑस्ट्रिया के उत्तराधिकार के प्रश्न पर इंग्लैण्ड और फ्रांस के मध्य युद्ध आरम्भ हो गया। इसके परिणामस्वरूप भारत में भी अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के मध्य युद्ध आरम्भ हो गया।
प्रश्न 10.
कर्नाटक का प्रथम युद्ध कब समाप्त हुआ ? इसका एक परिणाम लिखो।
उत्तर-
कर्नाटक का प्रथम युद्ध 1748 ई० में समाप्त हुआ। शान्ति सन्धि के अनुसार अंग्रेज़ों को मद्रास (वर्तमान चेन्नई) का प्रदेश वापस मिल गया।
प्रश्न 11.
कर्नाटक के दूसरे युद्ध का कोई एक कारण लिखो।
उत्तर-
फ्रांसीसियों ने हैदराबाद तथा कर्नाटक में अपने प्रभाव के उत्तराधिकारियों अर्थात् हैदराबाद में नासिर जंग को और कर्नाटक में चन्दा साहब को वहां का शासन सौंप दिया। अंग्रेज़ इसे सहन नहीं कर सके। उन्होंने विरोधी उत्तराधिकारियों को मान्यता देकर युद्ध आरम्भ कर दिया।
प्रश्न 12.
कर्नाटक के दूसरे युद्ध का क्या परिणाम निकला ?
उत्तर-
कर्नाटक के दूसरे युद्ध में फ्रांसीसी पराजित हुए। इससे भारत में अंग्रेज़ी शक्ति की धाक जम गई।
प्रश्न 13.
कर्नाटक के दूसरे युद्ध में कौन-सी भारतीय शक्तियां लपेट में आईं ?
उत्तर-
कर्नाटक के दूसरे युद्ध में अग्रलिखित शक्तियां लपेट में आईं
- कर्नाटक राज्य के उत्तराधिकारी।
- हैदराबाद राज्य के उत्तराधिकारी।
प्रश्न 14.
कर्नाटक के तीसरे युद्ध (1756-1763) का कोई एक कारण लिखो।
उत्तर-
1756 ई० में इंग्लैण्ड और फ्रांस के बीच सपावर्षीय युद्ध छिड़ गया। परिणामस्वरूप भारत में अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच युद्ध आरम्भ हो गया। यह कर्नाटक का दूसरा युद्ध था।
प्रश्न 15.
कर्नाटक का तीसरा युद्ध कब हुआ ? इसमें कौन पराजित हुआ ?
उत्तर-
कर्नाटक का तीसरा युद्ध 1756 ई० में आरम्भ हुआ। इसमें फ्रांसीसी पराजित हुए।
प्रश्न 16.
कर्नाटक के तीसरे युद्ध का क्या परिणाम निकला ?
उत्तर-
कर्नाटक के तीसरे युद्ध के परिणामस्वरूप भारत में फ्रांसीसी शक्ति का सूर्यास्त हो गया। अंग्रेज़ भारत की सबसे बड़ी शक्ति बन गए।
प्रश्न 17.
डुप्ले कौन था ? उसकी योजना क्या थी ?
उत्तर-
डुप्ले भारत में एक फ्रांसीसी गवर्नर था। उसने सारे दक्षिणी भारत पर फ्रांसीसी प्रभाव बढ़ाने की योजना बनाई।
प्रश्न 18.
डुप्ले को वापस क्यों बुलाया गया ?
उत्तर-
डुप्ले को इसलिए वापस बुलाया गया क्योंकि कर्नाटक के दूसरे युद्ध में फ्रांसीसियों की पराजय हुई थी।
प्रश्न 19.
राबर्ट क्लाइव कौन था ? उसने कर्नाटक के दूसरे युद्ध में क्या भूमिका निभाई ?
उत्तर-
राबर्ट क्लाइव बड़ा ही योग्य अंग्रेज़ सेनापति था। उसने कर्नाटक के दूसरे युद्ध में चन्दा साहब की राजधानी अर्काट पर अधिकार करके चन्दा साहिब को त्रिचनापल्ली छोड़ने के लिए विवश कर दिया। इसी के परिणामस्वरूप इस युद्ध में अंग्रेजों की विजय हुई।
प्रश्न 20.
पारस की सन्धि कब और किस-किस के बीच हुई ? भारत पर इस सन्धि का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-
पेरिस की सन्धि 1763 ई० में फ्रांस और इंग्लैण्ड के बीच हुई। इस सन्धि के परिणामस्वरूप भारत में अंग्रेज़ों तथा फ्रांसीसियों के बीच कर्नाटक का तीसरा युद्ध समाप्त हो गया।
प्रश्न 21.
कर्नाटक के युद्ध में फ्रांसीसियों के विरुद्ध अंग्रेज़ों की सफलता का कोई एक कारण लिखो।
उत्तर-
अंग्रेज़ों के पास एक शक्तिशाली समुद्री बेड़ा था। वे इस बेड़े की सहायता से अपनी सेना को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से पहुंचा सकते थे।
प्रश्न 22.
प्लासी का युद्ध किस-किस के मध्य में हुआ ?
उत्तर-
अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी तथा बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के मध्य। ।
प्रश्न 23.
प्लासी के युद्ध का कोई एक कारण बताओ।
उत्तर-
अंग्रेज़ अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए कलकत्ता (कोलकाता) की किलेबन्दी कर रहे थे। कलकत्ता (कोलकाता) नवाब के राज्य का एक भाग था। इसलिए अंग्रेजों और नवाब के बीच शत्रुता उत्पन्न हो गई।
प्रश्न 24.
प्लासी के युद्ध का कोई एक परिणाम लिखो।
उत्तर-
इस युद्ध में नवाब सिराजुद्दौला पराजित हुआ और मीर जाफर बंगाल का नया नवाब बना। मीर जाफ़र ने अंग्रेजों को बहुत-सा धन और 24 परगने का प्रदेश दिया।
प्रश्न 25.
प्लासी के युद्ध का अंग्रेजों के लिए क्या महत्त्व था ?
उत्तर-
इस युद्ध में अंग्रेजों की शक्ति और प्रतिष्ठा में बड़ी वृद्धि हुई। वे अब भारत के सबसे बड़े और धनी प्रान्त बंगाल के स्वामी बन गए। परिणामस्वरूप भारत विजय की कुंजी अंग्रेजों के हाथ में आ गई।
प्रश्न 26.
बक्सर के युद्ध का कोई एक कारण लिखो।
उत्तर-
अंग्रेजी कम्पनी को बंगाल में कर मुक्त व्यापार करने का अनुमति-पत्र मिला हुआ था। परन्तु कम्पनी के कर्मचारी इसकी आड़ में निजी व्यापार कर रहे थे। इससे बंगाल के नवाब को आर्थिक क्षति पहुंच रही थी।
प्रश्न 27.
“क्लाइव को भारत में अंग्रेज़ी राज्य का संस्थापक माना जाता है।” इसके पक्ष में एक तर्क दो।
उत्तर-
क्लाइव ने भारत में अंग्रेजों के लिए कर्नाटक का दूसरा युद्ध जीता और प्लासी की लड़ाई जीती। ये दोनों विजयें अंग्रेजी साम्राज्य की स्थापना के लिए आधारशिला सिद्ध हुईं।
प्रश्न 28.
मीर जाफ़र कौन था ? वह कब-से-कब तक बंगाल का नवाब रहा ?
उत्तर-
मीर जाफ़र बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला का विश्वासघाती सेनापति था। वह 1757 ई० से 1760 ई० तक बंगाल का नवाब रहा।
प्रश्न 29.
इलाहाबाद की सन्धि कब और किस-किस के बीच में हुई ?
उत्तर-
इलाहाबाद की सन्धि 3 मई, 1765 ई० को हुई। यह सन्धि क्लाइव (अंग्रेज़ों) और अवध के नवाब तथा मुग़ल सम्राट् शाह आलम के बीच में हुई।
प्रश्न 30.
इलाहाबाद की सन्धि की कोई एक शर्त लिखो।
उत्तर-
अंग्रेज़ी कम्पनी को मुग़ल सम्राट शाह आलम से बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी प्राप्त हुई। इस तरह अंग्रेज़ बंगाल के वास्तविक शासक बन गए।
प्रश्न 31.
“बक्सर ने प्लासी के काम को पूरा किया।” इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
बक्सर की लड़ाई के पश्चात् अंग्रेज़ बंगाल के वास्तविक शासक बन गए। अवध का नवाब शुजाउद्दौला और मुग़ल सम्राट शाह आलम भी पूरी तरह अंग्रेजों के अधीन हो गए। इसलिए यह कहा जाता है कि बक्सर ने प्लासी के काम को पूरा किया।
प्रश्न 32.
लॉर्ड वैलज़ली ने अपनी विस्तारवादी नीति के लिए किस सन्धि को लागू किया ?
उत्तर-
लॉर्ड वैलज़ली ने अपनी विस्तारवादी नीति के लिए सहायक सन्धि को लागू किया।
प्रश्न 33.
लैप्स सिद्धान्त के अधीन प्रभावित दो राज्यों के नाम बताओ।
उत्तर-
लैप्स सिद्धान्त से झांसी तथा नागपुर के राज्य प्रभावित हुए। इन्हें अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया गया।
प्रश्न 34.
अंग्रेजों ने अवध पर अधिकार कब किया ?
उत्तर-
अंग्रेजों ने अवध पर 1856 ई० में अधिकार किया।
प्रश्न 35.
सहायक सन्धि की एक शर्त लिखिए।
उत्तर-
सहायक सन्धि के अनुसार देशी राजा कम्पनी की अनुमति के बिना किसी बाहरी शक्ति अथवा अन्य देशी राजा से किसी प्रकार का राजनीतिक सम्बन्ध नहीं रख सकता था।
प्रश्न 36.
सहायक व्यवस्था के अन्तर्गत अंग्रेजी कम्पनी देशी राजाओं को क्या वचन देती थी ?
उत्तर-
सहायक व्यवस्था के अन्तर्गत अंग्रेजी कम्पनी देशी राजा को सुरक्षा प्रदान करने का वचन देती थी। उसने राज्य में आन्तरिक विद्रोह अथवा बाहरी आक्रमण के समय देशी राजा की रक्षा की जिम्मेदारी का वचन दिया।
प्रश्न 37.
सहायक-व्यवस्था से अंग्रेज़ी कम्पनी को क्या लाभ पहुंचा ? कोई एक लाभ लिखो।
उत्तर-
सहायक व्यवस्था के परिणामस्वरूप भारत में अंग्रेजी कम्पनी की राजनीतिक स्थिति काफ़ी मज़बूत हो गई।
प्रश्न 38.
सहायक व्यवस्था का देशी राज्यों पर क्या प्रभाव पड़ा ? कोई एक प्रभाव लिखो।
उत्तर-
देशी राजा आन्तरिक और बाहरी खतरों से निश्चिन्त होकर भोग-f:लास का जीवन व्यतीत करने लगे। उन्हें अपनी निर्धन जनता की कोई चिन्ता न रही।
प्रश्न 39.
बंगाल में दोहरी शासन प्रणाली कब समाप्त हुई ?
उत्तर-
1772 ई० में।
प्रश्न 40.
उन तीन गवर्नर-जनरलों के नाम बताओ जिनके अधीन अंग्रेज़ी साम्राज्य का सबसे अधिक विस्तार हुआ।
उत्तर-
लॉर्ड वैलज़ली, लॉर्ड हेस्टिंग्ज़ तथा लॉर्ड डलहौज़ी।
प्रश्न 41.
स्वतन्त्र मैसूर राज्य की स्थापना कब और किसने की ?
उत्तर-
स्वतन्त्र मैसूर राज्य की स्थापना 1761 ई० में हैदरअली ने की।
प्रश्न 42.
पहला मैसूर युद्ध कब हुआ ? इसमें किसकी विजय हुई ?
उत्तर-
पहला मैसूर युद्ध 1767-1769 ई० में हुआ। इसमें हैदरअली की विजय हुई।
प्रश्न 43.
हैदरअली की मृत्यु कब हुई ? उसके बाद मैसूर का सुल्तान कौन बना ?
उत्तर-
हैदरअली की मृत्यु 1782 में हुई। उसके बाद उसका पुत्र टीपू सुल्तान मैसूर का सुल्तान बना।
प्रश्न 44.
टीपू सुल्तान की मृत्यु कब और किस प्रकार हुई ?
उत्तर-
टीपू सुल्तान की मृत्यु 1799 ई० में हुई। वह मैसूर के चौथे युद्ध में अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ता हुआ मारा गया।
प्रश्न 45.
बसीन तथा देवगांव की सन्धियां कब-कब हुई ?
उत्तर-
क्रमशः 1802 ई० तथा 1803 ई० में।।
प्रश्न 46.
देवगांव की सन्धि किस-किस के बीच हुई ? इस सन्धि से अंग्रेजों को कौन-कौन से दो प्रदेश प्राप्त हुए ?
उत्तर-
देवगांव की सन्धि मराठा सरदार भौंसले तथा अंग्रेजों के बीच हुई। इस सन्धि से अंग्रेजों को कटक तथा बलासौर के प्रदेश प्राप्त हुए।
प्रश्न 47.
लॉर्ड हेस्टिंग्ज के समय राजस्थान की कितनी रियासतों ने अंग्रेज़ों की अधीनता स्वीकार की ? इनमें से चार मुख्य रियासतों के नाम बताओ।
उत्तर-
लॉर्ड हेस्टिंग्ज के समय राजस्थान की 19 रियासतों ने अंग्रेज़ों की अधीनता स्वीकार की। इनमें से चार मुख्य रियासतें जयपुर, जोधपुर, उदयपुर तथा बीकानेर थीं।
छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में यूरोप की व्यापारिक कम्पनियों के बीच टकराव क्यों हुआ और इसका क्या परिणाम निकला ?
उत्तर-
टकराव के कारण-भारत में कई यूरोपियन कम्पनियां व्यापार करने के लिए आई थीं। इन कम्पनियों के व्यापारी बड़े लालची, स्वार्थी और महत्त्वाकांक्षी थे। सभी कम्पनियां भारत के व्यापार पर पूरी तरह अपना अधिकार स्थापित करना चाहती थीं। अतः उनके हित आपस में टकराते थे, जिसके कारण उनमें भयंकर टकराव होने लगा।
टकराव और उनके परिणामः-सबसे पहले पुर्तगालियों को डचों ने हरा कर सारा व्यापार अपने हाथों में ले लिया। इसी बीच अंग्रेजों ने अपनी गतिविधियां तेज़ की। उन्होंने डचों को पराजित किया और व्यापार पर अपना अधिकार कर लिया। डेन्स स्वयं भारत छोड़ कर चले गए। इस तरह भारत में केवल अंग्रेज़ और फ्रांसीसी ही रह गए। इन दोनों जातियों के बीच एक लम्बा संघर्ष हुआ। इस संघर्ष में अंग्रेज़ विजयी रहे और भारत के व्यापार पर उनका एकाधिकार स्थामित हो गया। धीरे-धीरे उन्होंने भारत में अपनी राजनीतिक सत्ता भी स्थापित कर ली।
प्रश्न 2.
कर्नाटक के पहले युद्ध का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
यूरोप में 1740-48 के बीच में ऑस्ट्रिया क सिंहासन के लिए युद्ध आरम्भ हुआ। इस युद्ध में इंग्लैण्ड और फ्रांस एक-दूसरे के विरुद्ध लड़े। परिणामस्वरूप 1746 ई० में भारत में भी इन दोनों जातियों के बीच युद्ध आरम्भ हो गया। फ्रांसीसियों ने अंग्रेजों के व्यापारिक केन्द्र फोर्ट सेंट जॉर्ज (चेन्नई) को लूटा। कर्नाटक के नवाब ने जब उनके विरुद्ध अपनी सेना भेजी, तो उसे भी फ्रांसीसियों के हाथों पराजित होना पड़ा। उन दिनों डुप्ले फ्रांसीसियों का गवर्नर था। भारत में फ्रांसीसियों की प्रतिष्ठा को चार चांद लग गए। 1748 में यूरोप में फ्रांस और इंग्लैण्ड के बीच युद्ध बन्द हो गया। इसी वर्ष भारत में भी दोनों पक्षों में सन्धि हो गई। इस सन्धि के अनुसार फ्रांसीसियों ने मद्रास (चेन्नई) अंग्रेज़ों को लौटा दिया।
प्रश्न 3.
द्वितीय कर्नाटक युद्ध के क्या परिणाम निकले ?
उत्तर-
- चन्दा साहब मारा गया और अर्काट पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया।
- अंग्रेजों ने महम्मद अली को कर्नाटक का शासक घोषित किया।
- हैदराबाद में फ्रांसीसी प्रभाव बना रहा। वहां उन्हें राजस्व वसूल करने का अधिकार मिल गया और उन्होंने वहां अपनी सेना की टुकड़ी रख दी।
- इस युद्ध के परिणामस्वरूप क्लाइव नामक एक अंग्रेज़ उभर कर सामने आया। यही बाद में अंग्रेजी राज्य का संस्थापक बना।
प्रश्न 4.
कर्नाटक के तीसरे युद्ध के क्या परिणाम हुए ?
उत्तर-
कर्नाटक का तीसरा युद्ध 1756 ई० में आरम्भ हुआ और 1763 ई० में समाप्त हुआ। इसके निम्नलिखित परिणाम निकले
- फ्रांसीसियों के हाथों से हैदराबाद निकल गया और वहां अंग्रेज़ों का प्रभुत्व स्थापित हो गया।
- अंग्रेज़ों को उत्तरी सरकार का प्रदेश मिला।
- भारत में फ्रांसीसी शक्ति का अन्त हो गया और अब अंग्रेजों के लिए भारत को विजय करना सरल हो गया।
प्रश्न 5.
18वीं शताब्दी में अंग्रेज़ों और फ्रांसीसियों के मध्य शत्रुता के क्या कारण थे ?
उत्तर-
18वीं शताब्दी में दोनों जातियों के मध्य शत्रुता के तीन मुख्य कारण थे-
- इंग्लैण्ड और फ्रांस काफ़ी समय से एक-दूसरे के शत्रु बने हुए थे।
- भारत में दोनों जातियों के मध्य व्यापारिक प्रतियोगिता चल रही थी।
- दोनों जातियां भारत में राजनीतिक सत्ता स्थापित करना चाहती थीं।
वास्तव में जब कभी इंग्लैण्ड और फ्रांस का यूरोप में युद्ध आरम्भ होता था, तो भारत में भी दोनों जातियों का संघर्ष आरम्भ हो जाता था।
प्रश्न 6.
इलाहाबाद की संन्धि की क्या शर्ते थीं ?
उत्तर-
इलाहाबाद की सन्धि (1765 ई०) की शर्ते निम्नलिखित थीं-
- अंग्रेज़ों और अवध के नवाब ने युद्ध के समय एक-दूसरे की सहायता करने का वचन दिया।
- युद्ध की क्षति-पूर्ति के लिए बंगाल के नवाब ने अंग्रेजों को 50 लाख रुपये देने का वचन दिया।
- मुग़ल सम्राट् शाह आलम ने अंग्रेजों को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी सौंप दी। बदले में अंग्रेजों ने शाह आलम को 26 लाख रुपये वार्षिक पेन्शन देना स्वीकार कर लिया।.
- अवध के नवाब ने यह वचन दिया कि वह मीर कासिम को अपने राज्य में आश्रय नहीं देगा।
प्रश्न 7.
कर्नाटक के तीन युद्धों में सबसे महत्त्वपूर्ण युद्ध क्रौन-सा था और क्यों ?
उत्तर-
कर्नाटक के तीन युद्धों में दूसरा युद्ध सबसे महत्त्वपूर्ण था। यह युद्ध अंग्रेजों की कूटनीतिक विजय का प्रतीक
काफ़ी मज़बूत हो गई थी। कर्नाटक के दूसरे युद्ध में भी अंग्रेज़ पराजय की कगार पर थे। परन्तु रॉबर्ट क्लाइव ने अपनी चतुराई से युद्ध की स्थिति ही बदल दी। उसने फ्रांसीसियों की युद्ध योजना को पूरी तरह विफल बना दिया। इस युद्ध के बाद फ्रांसीसी शक्ति कभी भी पूरी तरह न उभर सकी। परिणामस्वरूप अंग्रेज़ों ने कर्नाटक के तीसरे युद्ध में फ्रांसीसियों को आसानी से हरा दिया। यदि अंग्रेज़ कर्नाटक के दूसरे युद्ध में हार जाते तो उन्हें न केवल भारतीय व्यापार से ही हाथ – धोना पड़ता, बल्कि पुर्तगालियों तथा डचों की भान्ति भारत छोड़कर भी भागना पड़ता।
प्रश्न 8.
प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला क्यों हारा ?
उत्तर-
प्लासी के युद्ध में सिराजुद्दौला की हार के निम्नलिखित कारण थे-
- क्लाइव का षड्यन्त्र-क्लाइव ने अपने षड्यन्त्र से सिराजुद्दौला की कमर तोड़ दी। उसने सेनापति मीर जाफ़र को अपने साथ मिलाकर सिराजुद्दौला को आसानी से हरा दिया।
- सिराजुद्दौला में दूरदर्शिता का अभाव-सिराजुद्दौला दूरदर्शी शासक नहीं था। यदि वह दूरदर्शी होता तो अंग्रेज़ों की गतिविधियों तथा विरोधियों पर पूरी नज़र रखता और षड्यन्त्र का पहले से ही पता लगा लेता। अत: उसकी अदूरदर्शिता भी उसकी पराजय का कारण बनी।
- सैनिक त्रुटियां-सिराजुद्दौला का सैनिक संगठन त्रुटिपूर्ण था। उसके सैनिक न तो अंग्रेज़ी सैनिकों जैसे प्रशिक्षित थे और न ही उनके पास अंग्रेज़ों जैसे आधुनिक शस्त्र थे। युद्ध में नवाब के सैनिक एक भीड़ की भान्ति लड़े। उनमें अनुशासन बिल्कुल भी नहीं था।
प्रश्न 9.
भारत में अंग्रेज़ों एवं फ्रांसीसियों के टकराव में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे ?
उत्तर-
भारत में फ्रांसीसियों के विरुद्ध अंग्रेजों की सफलता के मुख्य कारण निम्नलिखित थे
- अंग्रेजों की शक्तिशाली नौ सेना-अंग्रेज़ी नौ सेना फ्रांसीसी नौ सेना से अधिक शक्तिशाली थी। अंग्रेज़ों के पास एक शक्तिशाली समुद्री बेड़ा था। इसकी सहायता से वे आवश्यकता के समय इंग्लैण्ड से सैनिक और युद्ध का सामान मंगवा सकते थे।
- अच्छी आर्थिक दशा-अंग्रेजों की आर्थिक दशा काफ़ी अच्छी थी। वे युद्ध के समय भी अपना व्यापार जारी रखते थे। परन्तु फ्रांसीसी राजनीति में अधिक उलझे रहते थे जिसके कारण उनके पास धन का अभाव रहता था।
- अंग्रेजों की बंगाल विजय-बंगाल विजय के कारण भारत का एक धनी प्रान्त अंग्रेजों के हाथ आ गया। युद्ध जीतने के लिए धन की बड़ी आवश्यकता होती है। युद्ध के दिनों में अंग्रेज़ों का बंगाल में व्यापार चलता रहा। यहां से प्राप्त धन के कारण उन्हें दक्षिण के युद्धों में विजय मिली।
- अच्छी स्थल सेना और योग्य सेनानायक-अंग्रेजों की स्थल सेना फ्रांसीसी स्थल सेना से काफ़ी अच्छी थी। अंग्रेज़ों में क्लाइव, सर आयरकूट और मेजर लारेंस आदि अधिकारी बड़े योग्य थे। इसके विपरीत फ्रांसीसी सेनानायक डुप्ले, लाली और बुसे इतने योग्य नहीं थे। यह बात भी अंग्रेजों की विजय का कारण बनी।
प्रश्न 10.
सिराजुद्दौला की अंग्रेज़ों से (प्लासी की) लड़ाई के क्या कारण थे ?
उतर-
सिराजुद्दौला तथा अंग्रेजों के बीच टकराव (लड़ाई) के निम्नलिखित कारण थे-
- अंग्रेज़ों ने सिराजुद्दौला को बंगाल का नवाब बनने पर कोई भेंट नहीं दी थी। इस कारण वह अंग्रेजों से नाराज़ था।
- अंग्रेज़ों ने नवाब के एक विद्रोही अधिकारी को अपने यहां शरण दी। नवाब ने अंग्रेजों से मांग की कि वे इस देशद्रोही को वापस लौटा दें। परन्तु अंग्रेज़ों ने उसकी एक न सुनी।।
- अंग्रेजों ने कलकत्ते (कोलकाता) में किलेबन्दी आरम्भ कर दी। नवाब के मना करने पर भी वे किलेबन्दी करते रहे। इसलिए नवाब उनसे नाराज़ हो गया।
- नवाब के ढाका के खजाने से गबन हुआ था। नवाब का विचार था कि गबन की राशि अंग्रेजों के पास है। उसने अंग्रेजों से यह राशि वापस मांगी, परन्तु उन्होंने इसे लौटाने से इन्कार कर दिया।
प्रश्न 11.
भारतीय इतिहास में बक्सर की लड़ाई का क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
बक्सर की लड़ाई का भारत के इतिहास में प्लासी की लड़ाई से भी अधिक महत्त्व है। इस लड़ाई के कारण बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में अंग्रेजों की स्थिति मजबूत हो गई। यहां तक कि उनका प्रभाव दिल्ली तक पहुंच गया। अवध का नवाब शुजाउद्दौला और मुग़ल सम्राट् शाह आलम भी पूरी तरह अंग्रेजों के अधीन हो गये। इस प्रकार अंग्रेजों के लिए समस्त भारत पर अधिकार करने का रास्ता साफ हो गया।
प्रश्न 12.
बक्सर की लड़ाई के क्या कारण थे ?
उत्तर-
बक्सर के युद्ध के कारण निम्नलिखित हैं-
- अंग्रेजी कम्पनी के कर्मचारी अपनी व्यापारिक सुविधाओं का दुरुपयोग कर रहे थे, जिसके कारण बंगाल के नवाब की आय में कमी हो रही थी।
- मीर कासिम ने अपनी सेना को मज़बूत बनाया, शस्त्रों का कारखाना स्थापित किया और खज़ाना कलकत्ता (कोलकाता) से मुंगेर ले गया। अंग्रेजों को ये बातें पसन्द नहीं थीं।
- मीर कासिम ने अंग्रेज़ों के साथ-साथ भारतीय व्यापारियों को भी बिना कर दिए व्यापार करने की आज्ञा दे दी। परिणामस्वरूप अंग्रेज़ों तथा नवाब के बीच शत्रुता बढ़ गई।
प्रश्न 13.
टीपू सुल्तान कौन था ? उसके अंग्रेजों के साथ संघर्ष का वर्णन करो।
उत्तर-
टीपू सुल्तान मैसूर के शासक हैदर अली का पुत्र था। वह 1782 में हैदर अली की मृत्यु के बाद मैसूर का सुल्तान बना। उस समय मैसूर का दूसरा युद्ध चल रहा था। टीपू ने युद्ध को जारी रखा। आरम्भ में तो उसे कुछ सफलता मिली, परन्तु मैसूर के तीसरे युद्ध (1790-92 ई०) में वह पराजित हुआ। उसे अपने राज्य का काफ़ी सारा प्रदेश अंग्रेज़ों को देना पड़ा। इस पराजय का बदला लेने के लिए उसने अंग्रेज़ों से एक बार फिर यद किया। इस युद्ध (1799 ई०) में टीपू सुल्तान मारा गया और राज्य का बहुत-सा भाग अंग्रेजी राज्य में मिला लिया गया। राज्य का शेष भाग मैसूर के पुराने राजवंश के राजकुमार कृष्णराव को दे दिया गया!
प्रश्न 14.
अंग्रेज़-गोरखा युद्ध (1814-1816 ई०) पर एक नोट लिखो।
उत्तर-
नेपाल के गोरखों ने सीमावर्ती क्षेत्र में अंग्रेजों के कुछ प्रदेशों पर अधिकार कर लिया था। अतः लॉर्ड हेस्टिग्ज़ ने गोरखों की शक्ति को कुचलने के लिए एक विशाल सेना भेजी। इसका नेतृत्व अरन्तरलोनी ने किया। इस युद्ध में गोरखों की हार हुई। अतः उन्हें बहुत-से प्रदेश अंग्रेज़ों को देने पड़े। इसके अतिरिक्त नेपाली सरकार ने अपनी राजधानी काठमाण्डू में एक ब्रिटिश रेजीडेंट रखना स्वीकार कर लिया।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
व्यापारवाद तथा व्यापार युद्धों का संक्षिप्त वर्णन करो।
उत्तर-
भारत तथा यूरोप के बीच प्राचीनकाल से ही व्यापारिक सम्बन्ध थे। इस व्यापार के तीन मुख्य मार्ग थे-
- पहला उत्तरी मार्ग था। यह मार्ग अफगानिस्तान, कैस्पियन सागर तथा काला सागर से होकर जाता था।
- दूसरा मध्य मार्ग था जो ईरान, इराक तथा सीरिया से होकर जाता था।
- तीसरा दक्षिणी मार्ग था। यह मार्ग हिन्द महासागर, अरब सागर, लाल सागर तथा मित्र से होकर जाता था।
15वीं शताब्दी में पश्चिमी एशिया तथा दक्षिण-पूर्वी यूरोप के प्रदेशों पर तुर्कों का अधिकार हो गया। इससे भारत तथा यूरोप के बीच व्यापार के पुराने मार्ग बन्द हो गये। इसलिए यूरोपीय देशों ने भारत पहुंचने के लिए नए समुद्री मार्ग ढूंढ़ने आरम्भ कर दिए। सर्वप्रथम पुर्तगाली नाविक वास्को-डि-गामा 27 मई, 1498 को भारत की कालीकट बन्दरगाह पर पहुंचा। अत: पुर्तगालियों ने भारत के साथ व्यापार करना आरम्भ कर दिया। इस प्रतिमा को व्यापारवाद कहा जाता है जिसका उद्देश्य धन कमाना था।
व्यापार युद्ध-पुर्तगालियों को धन कमाते देख डचों, अंग्रेज़ों तथा फ्रांसीसियों ने भी भारत के साथ व्यापार सम्बन्ध स्थापित कर लिए। भारतीय व्यापार पर अपना अधिकार करने के लिए उनके बीच युद्ध आरम्भ हो गये। इन युद्धों को व्यापार युद्ध कहा जाता है। धीरे-धीरे उन्होंने भारत में अपनी बस्तियां स्थापित कर ली।
- भारत में पुर्तगालियों की प्रमुख बस्तियां गोआ, दमन, सालसेट, बसीन, बम्बई, सैंट-टोम तथा हुगली थीं।
- डचों की मुख्य बस्तियां कोचीन, सूरत, नागापट्टम, पुलिकट तथा चिनसुरा थीं।
- अंग्रेजों की मुख्य बस्तियां सूरत, अहमदाबाद, बलोच (भड़ौच), आगरा, बम्बई तथा कलकत्ता थीं।
- फ्रांसीसियों की मुख्य बस्तियां थीं-पांडिचेरी, चन्द्रनगर तथा कारीकल।
समय बीतने के साथ-साथ इन चारों यूरोपीय शक्तियों के बीच एक-दूसरे की बस्तियों पर अधिकार करने के लिए संघर्ष छिड़ गया। इस संघर्ष के परिणामस्वरूप 17वीं शताब्दी तक भारत में पुर्तगालियों तथा डचों का प्रभाव कम हो गया। अब भारत में केवल अंग्रेज़ और फ्रांसीसी ही रह गये। इनके बीच भी काफ़ी समय तक भारतीय व्यापार पर एकाधिकार के लिए संघर्ष होता रहा। इस संघर्ष में अंग्रेज़ों को अन्तिम विजय प्राप्त हुई।
प्रश्न 2.
अंग्रेज़ी ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना का वर्णन करो।
उत्तर-
कम्पनी की स्थापना-पुर्तगालियों और डचों के लाभदायक व्यापार को देखकर अंग्रेजों ने भी भारत के साथ व्यापार करने का निश्चय किया। 31 दिसम्बर, 1600 ई० को इंग्लैण्ड के व्यापारियों के मर्चेट एडवेंचर्स नामक एक समूह ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना की। इस कम्पनी को इंग्लैण्ड की महारानी ऐलिज़ाबेथ ने भारत के साथ 15 वर्षों तक व्यापार करने का एकाधिकार प्रदान किया। कम्पनी ने पहले पूर्वी द्वीप समूह के साथ व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित
ला।
करने चाहे। परन्तु पूर्वी द्वीप समूहों पर डचों का अधिकार था। डचों ने ब्रिटिश व्यापारियों का विरोध किया। इसलिए वे वहां अपने उद्देश्य में सफल न हो सके।मुग़ल सम्राट् से सुविधाएं-1607 ई० में अंग्रेज़ी कप्तान विलियम हाकिन्स ने मुग़ल सम्राट जहांगीर से व्यापारिक सुविधाएं प्राप्त करने का प्रयास किया, परन्तु वह असफल रहा। 1615 ई० में सर टामस रो इंग्लैण्ड के सम्राट जेम्स प्रथम का राजदूत बनकर जहांगीर के दरबार में आया। उसने जहांगीर से सूरत में कोठियां बनाने की अनुमति लेने के साथसाथ और भी कई प्रकार की सुविधाएं प्राप्त कर लीं। इस प्रकार सूरत अंग्रेजों का व्यापारिक केन्द्र बन गया। अंग्रेज़ों ने अहमदाबाद, भड़ौच तथा आगरा में भी अपनी बस्तियां स्थापित की।
कम्पनी की शक्ति का विकास-
- 1640 ई० में अंग्रेज़ों ने मद्रास (चेन्नई) के निकट कुछ भूमि मोल लेकर मद्रास (चेन्नई) नगर की स्थापना की और एक फैक्टरी का निर्माण किया।
- 1674 में सूरत के स्थान पर बम्बई (मुम्बई)को कम्पनी का मुख्य केन्द्र बना लिया गया।
- 1690 ई० में अंग्रेजों ने कलकत्ता (कोलकाता) में अपनी बस्ती स्थापित की और वहां फोर्ट विलियम नामक किले का निर्माण करवाया।
- 1717 ई० में ईस्ट इण्डिया कम्पनी को मुग़ल सम्राट फर्रुखसियर से 3000 रुपए वार्षिक के बदले बिहार, बंगाल तथा उड़ीसा में बिना चुंगी दिए व्यापार करने का अधिकार मिल गया।
अंग्रेज़ भारत में कलई, पारा, सिक्का तथा कपड़ा भेजते थे। बदले में वे भारत से सूती तथा रेशमी कपड़ा, गर्म मसाले, नील तथा अफ़ीम मंगवाते थे। धीरे-धीरे उन्होंने भारत के राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप करना आरम्भ कर दिया। इस तरह उन्होंने भारत में बहुत अधिक शक्ति पकड़ ली।
प्रश्न 3.
ऐंग्लो-फ्रांसीसी संघर्ष का वर्णन करो।
उत्तर-
अंग्रेजों तथा फ्रांसीसियों के बीच संघर्ष दक्षिण भारत में हुआ। यह संघर्ष कर्नाटक के युद्धों के नाम से विख्यात है। इस संघर्ष में अग्रलिखित पड़ाव आए कर्नाटक का पहला युद्ध-कर्नाटक का पहला युद्ध 1746 ई० से 1748 ई० तक हुआ। इस युद्ध का वर्णन इस प्रकार है
कारण-
- अंग्रेज़ और फ्रांसीसी भारत के सारे व्यापार पर अपना-अपना अधिकार करना चाहते थे। इसलिए उनमें शत्रुता बनी हुई थी।
- इसी बीच यूरोप में इंग्लैण्ड और फ्रांस के बीच युद्ध छिड़ गया। इसके परिणामस्वरूप भारत में अंग्रेजों और फ्रांसीसियों में लड़ाई शुरू हो गई।
घटनाएं-1746 ई० में फ्रांसीसियों ने अंग्रेजों पर आक्रमण करके मद्रास (वर्तमान चेन्नई) पर अधिकार कर लिया। क्योंकि मद्रास (चेन्नई) कर्नाटक राज्य में स्थित था, इसलिए अंग्रेजों ने कर्नाटक के नवाब से रक्षा की प्रार्थना की। नवाब ने दोनों पक्षों के युद्ध को रोकने के लिए 10 हजार सैनिक भेज दिए। इस सेना का सामना फ्रांसीसियों की एक छोटीसी सैनिक टुकड़ी से हुआ। फ्रांसीसी सेना ने नवाब की सेनाओं को बुरी तरह पराजित कर दिया। 1748 ई० में यूरोप में युद्ध बन्द हो गया। परिणामस्वरूप भारत में दोनों जातियों के बीच युद्ध समाप्त हो गया।
परिणाम-
- इस युद्ध में फ्रांसीसी विजयी रहे और भारत में उनकी शक्ति की धाक जम गई।
- शान्ति सन्धि के अनुसार चेन्नई (मद्रास) अंग्रेजों को वापस मिल गया।
कर्नाटक का दूसरा युद्ध-कर्नाटक का दूसरा युद्ध 1748 ई० से 1755 ई० तक हुआ।
कारण-कर्नाटक का दूसरा युद्ध हैदराबाद तथा कर्नाटक राज्यों की स्थिति के कारण हुआ। इन दोनों राज्यों में राजगद्दी के लिए दो-दो प्रतिद्वन्द्वी खड़े हो गये। हैदराबाद में नासिर जंग तथा मुजफ्फर जंग और कर्नाटक में अनवरुद्दीन तथा चन्दा माहिब । फ्रांसीसी सेना नायक डुप्ले ने मुजफ्फर जंग और चन्दा साहिब का साथ दिया और उन्हें राजगद्दी पर बिठा दिया। अीज़ भी शान्त न रहे। उन्होंने हैदराबाद में नासिर जंग तथा कर्नाटक में अनवरुद्दीन के पुत्र मुहम्मद अली का साथ दिया और युद्ध में उतर आए।
घटनाएं-युद्ध के आरम्भ में फ्रांसीसियों को सफलता मिली। चन्दा साहिब ने फ्रांसीसियों की सहायता से त्रिचनापल्ली में अपने शत्रुओं को घेर लिया। परन्तु अंग्रेज़ सेनापति रॉबर्ट क्लाइव ने युद्ध की स्थिति बदल दी। उसने चन्दा साहिब की राजधानी अर्काट पर घेरा डाल दिया। चन्दा साहिब अपनी राजधानी की रक्षा के लिए त्रिचनापल्ली से भाग गया। परन्तु न तो वह अपनी राजधानी को बचा पाया और न ही अपने आपको। इस प्रकार कर्नाटक पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया।
परिणाम-
- 1755 ई० में दोनों पक्षों में सन्धि हो गई। दोनों ने यह निर्णय किया कि वे देशी राजाओं के झगड़ों में भाग नहीं लेंगे।
- इस युद्ध से अंग्रेजों की साख बढ़ गई। कर्नाटक का तीसरा युद्ध-कर्नाटक का तीसरा युद्ध 1756 से 1763 ई० तक हुआ।
कारण-1756 ई० में यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में फ्रांस और इंग्लैण्ड एक-दूसरे के विरुद्ध लड़ रहे थे। अत: भारत में भी इन दोनों शक्तियों में युद्ध आरम्भ हो गया।
घटनाएं-फ्रांसीसी सरकार ने 1758 में काऊण्ट लाली को भारत में फ्रांसीसियों का गवर्नर-जनरल तथा सेनापति बना कर भेजा। फ्रांसीसी सरकार ने उसे आदेश दिया कि वह भारत के तटीय प्रदेशों को ही विजय करने का प्रयास करे। परन्तु वह असफल रहा। 1760 ई० में अंग्रेज सेनापति आयरकूट ने बंदिवाश के स्थान पर फ्रांसीसियों को बुरी तरह हराया। बुस्से को बन्दी बना लिया गया। 1761 ई० में अंग्रेजों ने पाण्डिचेरी पर भी अपना अधिकार कर लिया। 1763 ई० में पेरिस की सन्धि के अनुसार यूरोप में सप्तवर्षीय युद्ध बन्द हो गया। इसके साथ ही भारत में भी दोनों शक्तियों में युद्ध समाप्त हो गया।
परिणाम-हैदराबाद में फ्रांसीसियों के प्रभाव का अन्त हो गया। अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों को चन्द्रनगर, माही, पाण्डिचेरी और कुछ अन्य प्रदेश लौटा दिये। वे अब इन प्रदेशों में केवल व्यापार ही कर सकते थे। इस प्रकार भारत में राज्य स्थापित करने की उनकी सभी आशाओं पर पानी फिर गया।
प्रश्न 4.
लॉर्ड वैलज़ली के शासनकाल के समय अंग्रेजों के साम्राज्य विस्तार का वर्णन करें।
उत्तर-
लॉर्ड वैलज़ली 1798 ई० में गवर्नर-जनरल बनकर भारत आया। वह भारत में अंग्रेज़ी राज्य का विस्तार करना चाहता था। अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए उसने भिन्न-भिन्न साधन अपनाये और अनेक प्रदेशों को अपने राज्य में मिला लिया। संक्षेप में, उसने निम्नलिखित ढंग से भारत में अंग्रेजी राज्य का विस्तार किया-
1. युद्धों द्वारा-1799 ई० में वैलज़ली ने टीपू सुल्तान को मैसूर के चौथे युद्ध में हरा कर काफ़ी सारा क्षेत्र अंग्रेज़ी राज्य में मिला लिया। 1802 ई० में उसने मराठों को भी पराजित किया और दिल्ली, आगरा, कटक, बलासोर, भड़ौच, बुन्देलखण्ड आदि को अंग्रेजी राज्य में सम्मिलित कर लिया। वेलज़ली ने मराठा सरदार जसवंत राव होल्कर की राजधानी इंदौर पर भी अधिकार कर लिया।
2. सहायक सन्धि द्वारा-वैलज़ली ने अंग्रेजी राज्य का विस्तार करने के लिए अधीन मित्र राज्य अथवा सहायक सन्धि की नीति अपनाई। इस सन्धि को स्वीकार करने वाले राजा या नवाब के लिए यह आवश्यक था कि वह अपने आपको कम्पनी के अधीन समझे। वह अपने राज्य में अंग्रेजों की एक सैनिक टुकड़ी रखे और अंग्रेज़ों की आज्ञा के बिना किसी से युद्ध या सन्धि न करे। ये शर्ते मानने वाले देशी शासक की आन्तरिक तथा बाहरी खतरे से रक्षा की ज़िम्मेदारी
अंग्रेज़ों पर होती थी।
इस सन्धि को सबसे पहले 1798 ई० में निज़ाम हैदराबाद ने स्वीकार किया। उसने अपने कुछ प्रदेश भी अंग्रेजों को दे दिए। निज़ाम के बाद अवध के नवाब ने इस सन्धि को स्वीकार किया। सेना का खर्च चलाने के लिए उसने रुहेलखण्ड तथा गंगा-यमुना के दोआब का क्षेत्र कम्पनी को दे दिया।
3. पेंशनों द्वारा-1800 ई० में वैलज़ली ने सूरत के राजा को पेन्शन देकर सूरत को अंग्रेज़ी राज्य में सम्मिलित कर लिया। 1801 ई० में कर्नाटक के नवाब की मृत्यु हो गई। अंग्रेज़ों ने उसके पुत्र की भी पेन्शन निश्चित कर दी और उसके राज्य को अपने राज्य में मिला लिया।
इस प्रकार लॉर्ड वैलज़ली ने भारत में अंग्रेजी राज्य का खूब विस्तार किया।
प्रश्न 5.
लॉर्ड डलहौज़ी के शासनकाल के समय अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार का वर्णन करो।
उत्तर-
लॉर्ड डलहौजी ने भारत में निम्नलिखित चार तरीकों से अंग्रेज़ी साम्राज्य का विस्तार किया – 1. विजयों द्वारा 2. लैप्स की नीति द्वारा 3. कुशासन के आधार पर 4. पदवियां तथा पेन्शनें समाप्त करके
1. युद्धों अथवा विजयों द्वारा-
- 1848 में उसने पंजाब में मूलराज तथा चतर सिंह के विरोध का लाभ उठाकर लाहौर दरबार के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया। इसे दूसरा अंग्रेज़-सिक्ख युद्ध (1848-49 ई०) कहा जाता है। इसमें अंग्रेज़ों की विजय हुई। परिणामस्वरूप 29 मार्च, 1849 को पंजाब को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया गया।
- 1850 ई० में लॉर्ड डलहौजी ने सिक्किम पर आक्रमण करके वहां के शासक को पराजित किया। इस प्रकार सिक्किम को भी अंग्रेजी राज्य में शामिल कर लिया गया।
- सिक्किम के बाद बर्मा की बारी आई। 1852 ई० में दूसरे अंग्रेज़ बर्मा युद्ध में अंग्रेज़ विजयी रहे। अत: डलहौज़ी ने बर्मा के परोम तथा पेगू प्रदेश अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिये।
2. लैप्स की नीति-लॉर्ड डलहौज़ी ने भारतीय रियासतों को अंग्रेज़ी साम्राज्य में मिलाने के लिए लैप्स की नीति अपनाई। इसके अनुसार जिन भारतीय शासकों की कोई संतान नहीं थी, उन्हें पुत्र गोद लेने की अनुमति नहीं दी जाती थी। ऐसे शासकों की मृत्यु के बाद उनके राज्य को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया जाता था। इस नीति द्वारा लॉर्ड डलहौज़ी ने सतारा, सम्भलपुर, बघाट, उदयपुर, झांसी आदि कई रियासतों को अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिया।
3. कुशासन के आधार पर-1856 में लॉर्ड डलहौज़ी ने अवध के ना कशासन (ख़राब शासन) का आरोप लगाया और उसके राज्य को अंग्रेजी साम्राज्य में शामिल कर लिया। डलहौज़ा का यह कार्ग बिल्कुल अनुचित था।
4. पदवियां तथा पेंशनें समाप्त करके-लॉर्ड डलहौज़ी ने कर्नाटक, पूना, तंजौर तथा सूरत रियासतों के शासकों की पदवियां छीन ली और उनकी पेंशनें बन्द कर दीं। इन रियासतों को भी अंग्रेज़ी राज्य में मिला लिया गया।
प्रश्न 6.
1823 से 1848 ई० तक भारत में अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार का वर्णन करो।
उत्तर-
1823 से 1848 ई० तक अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार लॉर्ड एमहर्ट, लॉर्ड विलियम बैंटिंक, लॉर्ड ऑकलैण्ड, लॉर्ड एलनबरो तथा लॉर्ड हार्डिंग ने किया जिसका वर्णन इस प्रकार है-
- लॉर्ड एमहर्ट ने पहले अंग्रेज़-बर्मा युद्ध (1824-26 ई०) में विजय प्राप्त की और अराकान तथा असम के प्रदेश अंग्रेजी साम्राज्य में मिला लिये।
- इसके पश्चात् लॉर्ड विलियम बैंटिंक ने कच्छ, मैसूर तथा कुर्ग पर अधिकार कर लिया। 1832 में उसने सिन्ध के अमीरों के साथ एक व्यापारिक सन्धि की। इससे महाराजा रणजीत सिंह का इस दिशा में विस्तार रुक गया।
- लॉर्ड ऑकलैण्ड ने 1839 ई० में सिन्ध के अमीरों के साथ सहायक सन्धि करके अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार किया।
- लॉर्ड एलनबरो के समय में चार्ल्स नेपियर ने 1843 ई० में सिन्ध पर अधिकार कर लिया और इसे अंग्रेज़ी साम्राज्य में मिला लिया।
- लॉर्ड हार्डिंग ने पहले अंग्रेज़-सिक्ख युद्ध में सिखों को हराया। परिणामस्वरूप जालन्धर, कांगड़ा तथा कश्मीर के प्रदेशों पर अंग्रेज़ों का अधिकार हो गया।
प्रश्न 7.
मराठों के इलाकों को अंग्रेज़ों ने कैसे जीत लिया ?
उत्तर-
1772 ई० तक मराठों का मुखिया पेशवा शक्तिशाली रहा। उसके बाद मराठा सरदार नाना फड़नवीस ने मराठों की शक्ति को किसी-न-किसी प्रकार बनाए रखा। उस समय के बड़े-बड़े मराठा सरदार सिन्धिया, भौंसले, होल्कर तथा गायकवाड़ थे। अंग्रेजों ने बारी-बारी पेशवा तथा इन सरदारों की शक्ति को समाप्त किया।
1. पेशवा का पतन-1772 ई० में चौथे पेशवा माधव राव की मृत्यु पर उसका पुत्र नारायण राव पेशवा बना। परन्तु उसके चाचा राघोबा ने उसका वध करवा दिया। इस संकट की घड़ी में नाना फड़नवीस ने मराठों का नेतृत्व किया। उसने नारायण राव के शिशु पुत्र को पेशवा घोषित कर दिया और स्वयं उसका संरक्षक बन गया। उसने अंग्रेजों के साथ बड़े लम्बे समय तक युद्ध लड़ा, परन्तु सहायक सन्धि स्वीकार न की। उसकी मृत्यु के पश्चात् मराठा सरदारों में आपसी फूट पड़ गई। पेशवा, मराठा सरदार होल्कर से भयभीत था। इसलिए उसने 1802 ई० में अंग्रेजों की शरण ली और बसीन की सन्धि के अनुसार सहायक सन्धि स्वीकार कर ली।
2. सिन्धिया और भौंसले की शक्ति का अन्त-पेशवा द्वारा सहायक सन्धि स्वीकार करना सिन्धिया तथा भौंसले को अच्छा न लगा। उन्होंने इसे मराठा जाति का अपमान समझा। बदला लेने के लिए उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया। गायकवाड़ ने अंग्रेज़ों का साथ दिया। लॉर्ड लेक ने सिन्धिया को पराजित करके दिल्ली, आगरा और अलीगढ़ पर अधिकार कर लिया। इधर कटक तथा बालासोर के क्षेत्र भी अंग्रेजों के अधीन हो गए। सिंधिया तथा भौंसले ने सहायक सन्धि स्वीकार कर ली।
3. अन्य मराठा सरदारों की शक्ति का अन्त-पेशवा ने एक बार फिर मराठों में एकता स्थापित करने का प्रयत्न किया। 1817 ई० में लॉर्ड हेस्टिंग्ज़ ने पेशवा, भौंसले तथा होल्कर की सेनाओं को पराजित किया। पेशवा को पेंशन देकर उसका पद समाप्त कर दिया गया। उसका सारा क्षेत्र अंग्रेज़ी राज्य में शामिल कर लिया गया। इसके बाद मराठा सरदारों ने भी अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार कर ली। इस प्रकार अंग्रेजों ने मराठों के सभी इलाकों को जीत लिया।
प्रश्न 8.
अंग्रेज़-मैसूर युद्धों,का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मैसूर राज्य काफ़ी शक्तिशाली था। हैदर अली के अधीन यह राज्य काफ़ी समृद्ध बना और राज्य की सैनिक शक्ति बढ़ी। अंग्रेजों ने इस राज्य की शक्ति को कुचलने के लिए हैदर अली के शत्रुओं-मराठों तथा हैदराबाद के निजाम के साथ गठजोड़ कर लिया। हैदर अली इसे सहन न कर सका। इसलिए उसका अंग्रेजों के साथ युद्ध छिड़ गया।
1. मैसूर का पहला युद्ध–यह युद्ध हैदर अली तथा अंग्रेजों के बीच 1767 ई० से 1769 ई० तक हुआ। इस युद्ध में हैदर अली बढ़ता हुआ मद्रास (चेन्नई) तक जा पहुंचा। 1769 ई० में दोनों पक्षों में एक रक्षात्मक सन्धि हो गई। इसके अनुसार दोनों ने एक-दूसरे के जीते हुए प्रदेश वापिस कर दिए।
2. मैसूर का दूसरा युद्ध-मैसूर के दूसरे युद्ध (1780-84) में भी हैदर अली ने बड़ी वीरता दिखाई। परन्तु फ्रांसीसियों से अपेक्षित सहायता न मिलने के कारण वह पोर्टोनोवा के स्थान पर पराजित हुआ। 1782 ई० में हैदर अली की मृत्यु हो गई और टीपू सुल्तान ने युद्ध को जारी रखा। आखिर 1784 ई० में मंगलौर की सन्धि के अनुसार दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के जीते हुए प्रदेश लौटा दिए।
3. मैसूर का तीसरा युद्ध-मैसूर के तीसरे युद्ध (1790-92 ई०) में टीपू सुल्तान ने अंग्रेज़ी सेना पर करारे प्रहार किए। परन्तु अन्त में वह लॉर्ड कार्नवालिस के हाथों पराजित हुआ। श्रीरंगापट्टनम की सन्धि के अनुसार टीपू सुल्तान को अपना आधा राज्य और 3 करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में अंग्रेजों को देने पड़े।
4. मैसूर का चौथा युद्ध-मैसूर के चौथे युद्ध (1799 ई०) में टीपू सुल्तान अपनी राजधानी की रक्षा करते हुए मारा गया। उसकी मृत्यु के पश्चात् अंग्रेजों ने मैसूर राज्य का कुछ क्षेत्र वहां के पुराने राजवंश को तथा कुछ भाग हैदराबाद के निज़ाम को देकर शेष भाग अपने नियन्त्रण में ले लिया।
इस प्रकार अंग्रेज़ों ने हैदर अली और टीपू सुल्तान की शक्ति को पूरी तरह समाप्त कर दिया।
भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना PSEB 8th Class Social Science Notes
- नवीन मुद्री मार्ग की खोज – पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा ने 1498 ई० में यूरोप से भारत पहुंचने के लिए नये समुद्री मार्ग की खोज की।
- भारत में यूरोपीय जातियां – पुर्तगाली, अंग्रेज़, फ्रांसीसी, डच आदि जातियां भारत में व्यापार करने के लिए आईं।
- फैक्टरी – भारत में यूरोप की कम्पनियों के व्यापारिक केन्द्रों को फैक्टरी कहते थे।
- अंग्रेज़ी ईस्ट इण्डिया कम्पनी – अंग्रेजों ने 1600 ई० में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना की, भारत में व्यापारिक केन्द्र खोले और अन्य यूरोपीय जातियों के प्रसार को रोका।
- फ्रांसीसी ईस्ट इण्डिया कम्पनी – यद्यपि फ्रांसीसी ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना 1664 ई० में हुई, फिर भी इसने भारत में बहुत उन्नति की। डुप्ले फ्रांसीसियों का सबसे योग्य गवर्नर था।
- कर्नाटक के युद्ध -कर्नाटक के युद्ध अंग्रेज़ों और फ्रांसीसियों के बीच हुए। इनमें अंग्रेजों की विजय हुई।
- बंगाल विजय – अंग्रेज़ों ने 1757 ई० में प्लासी की लड़ाई और 1764 ई० में बक्सर की लड़ाई जीत कर बंगाल पर विजय पाई।
- दीवानी की प्राप्ति – बक्सर की लड़ाई के बाद इलाहाबाद की सन्धि हुई। इसके परिणामस्वरूप अंग्रेज़ों को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की दीवानी मिल गई। अब अंग्रेज़ वहां से भूमि कर इकट्ठा कर सकते थे।
- साम्राज्य विस्तार के साधन – अंग्रेजों ने अपने राज्य का विस्तार पांच साधनों द्वारा किया। सहायक सन्धि, लैप्स की नीति, युद्ध, कुशासन का आरोप तथा पेंशनों की समाप्ति।।
- मराठा शक्ति अंग्रेजों ने शक्तिशाली मराठा सरदारों को एक-एक करके पराजित किया और उन्हें सहायक सन्धि मानने के लिए विवश किया।
- मैसूर विजय – मैसूर पर विजय पाने के लिए अंग्रेज़ों ने हैदर अली और टीपू सुल्तान के साथ कुल मिलाकर चार लड़ाइयां लड़ीं। इनमें अंतिम विजय अंग्रेजों को मिली।
- सहायक सन्धि – यह सन्धि लॉर्ड वेलेजली ने अंग्रेज़ी साम्राज्य के विस्तार के लिए चलाई। इसे मानने वाली देशी सत्ता पूरी तरह अंग्रेजों की शरण में आ जाती थी।
- विलय (लैप्स की)नीति- यह नीति लॉर्ड डलहौज़ी ने चलाई। इसके अनुसार निःसन्तान मरने वाले देशी राजा काराज्य अंग्रेज़ी राज्य में मिला लिया जाता था। सतारा, नागपुर, झांसी आदि अनेक राज्य इसी प्रकार अंग्रेजी राज्य का अंग बने।
- पंजाब विजय -1849 ई० में अंग्रेज़ों ने सिक्खों को हरा कर पंजाब को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया।
इस प्रकार अंग्रेज़ लगभग पूरे भारत के स्वामी बन गए।