Punjab State Board PSEB 7th Class Agriculture Book Solutions Chapter 1 हरित क्रांति Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 7 Agriculture Chapter 1 हरित क्रांति
PSEB 7th Class Agriculture Guide हरित क्रांति Textbook Questions and Answers
(क) एक-दो शब्दों में उत्तर दें:
प्रश्न 1.
हरित क्रांति किस दशक में आई ?
उत्तर-
1960 के दशक दौरान।
प्रश्न 2.
हरित क्रांति के समय गेहूँ की फसल के कद में क्या परिवर्तन आया ?
उत्तर-
कद बौना हो गया।
प्रश्न 3.
किसानों को उन्नत बीज प्रदान करने के लिए स्थापित की गई संस्थाओं के नाम बताओ।
उत्तर-
पंजाब राज बीज निगम, राष्ट्रीय बीज निगम।।
प्रश्न 4.
हरित क्रांति के दौरान किस प्रकार के उर्वरकों का प्रयोग होने लगा ?
उत्तर-
रासायनिक उर्वरकों का।
प्रश्न 5.
हरित क्रांति के दौरान कौन-कौन सी फसलों की पैदावार में वृद्धि हुई ?
उत्तर-
गेहूँ तथा धान की पैदावार में।
प्रश्न 6.
हरित क्रांति में किस कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने प्रमुख योगदान दिया ?
उत्तर-
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय।
प्रश्न 7.
क्या धान पंजाब की परंपरागत फसल है ?
उत्तर-
जी नहीं।
प्रश्न 8.
हरित क्रांति कौन-कौन सी फसलों तक मुख्य रूप से सीमित रही ?
उत्तर-
गेहूँ, धान।
प्रश्न 9.
हरित क्रांति के प्रभावस्वरूप खेती विविधता घटी है या बढ़ी है ?
उत्तर-
कम हुई है।
प्रश्न 10.
केंद्रीय अन्न भंडार में कौन-सा राज्य सबसे अधिक योगदान देता है ?
उत्तर-
पंजाब।
(ख) एक-दो वाक्यों में उत्तर दें:
प्रश्न 1.
हरित क्रांति किन कारणों से संभव हो सकी ?’
उत्तर-
समुचित मंडीकरण, उन्नत किस्मों के बीज, सिंचाई सुविधाएं, रासायनिक उर्वरक, मेहनती किसान तथा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण सुविधाओं में हुई वृद्धि के कारण हरित क्रांति संभव हो सकी।
प्रश्न 2.
हरित क्रांति के दौरान वैज्ञानिकों ने किस तरह के बीज विकसित किए ?
उत्तर-
वैज्ञानिकों ने विश्व स्तरीय शोधकर्ताओं के साथ मिलकर नए उन्नत बीज विकसित किए।
प्रश्न 3.
हरित क्रांति के समय पंजाब की खेती के लिए सिंचाई सुविधाओं में क्या परिवर्तन आए ?
उत्तर-
हरित क्रांति के समय पंजाब में नहरी एवं ट्यूबवैल सिंचाई की सुविधाओं में वृद्धि हुई।
प्रश्न 4.
सरकार द्वारा अनाज के मंडीकरण के लिए क्या उपाय किए गए ?
उत्तर-
सरकार द्वारा बिक्री केंद्र तथा नियमित मंडियों का प्रबंध किया गया। केंद्रीय तथा राज्य गोदाम निगमों की स्थापना तथा अनाज के कम-से-कम समर्थन मूल्य की व्यवस्था की गई है।
प्रश्न 5.
किसान को कैसे ऋण अदा करने मुश्किल होते हैं ?
उत्तर-
कृषि लागत बढ़ने के कारण, किसान कई बार गैर-सरकारी स्रोतों से महंगे ब्याज पर ऋण को वापिस अदा नहीं कर पाते हैं। इसलिए ऐसे ऋण किसानों को अदा करने मुश्किल लगते हैं।
प्रश्न 6.
छोटे किसानों द्वारा कम पूंजी से शरू होने वाले व्यवसाय कौन-से हैं ?
उत्तर-
कम पूंजी से शुरू होने वाले व्यवसाय हैं-मशरूम की कृषि, मधुमक्खी पालन, बीज उत्पादन, फलों, सब्जियों की कृषि आदि।
प्रश्न 7.
वर्तमान समय में किसानों को कौन-कौन सी फसलों के लिए खेती अधीन क्षेत्र बढ़ाने की आवश्यकता है ?
उत्तर-
किसानों को गैर-अनाजी फसलों; जैसे-कपास, मक्की, दालें, तेल बीज, फल, सब्जियों आदि के अधीन क्षेत्रफल बढ़ाने की आवश्यकता है।
प्रश्न 8.
पंजाब के अनाज की केंद्रीय भंडार में निरंतर जरूरत क्यों कम हो रही
उत्तर-
अनाज की अधिक पैदावार के कारण केंद्रीय अनाज भंडार में पहले ही बहुत अनाज के भंडार लगे हुए हैं। इसलिए और अनाज की आवश्यकता कम हो रही है।
प्रश्न 9.
गेहूँ और धान के मंडीकरण के लिए कौन-सी नीतियाँ बनाई गईं ?
उत्तर-
इसके लिए बिक्री केंद्र तथा नियमित मंडियां बनाई गई हैं। केंद्रीय तथा राज्य गोदाम निगम बनाए गए तथा-फसलों के कम-से-कम समर्थन मूल्य की व्यवस्था की गई है। गेहूं तथा धान के मंडीकरण को यकीनी बनाया गया।
प्रश्न 10.
पंजाब में खेती की मानसून पर निर्भरता कैसे कम हुई ?
उत्तर-
हरित क्रांति के समय पंजाब में नहरी तथा ट्यूबवैल सिंचाई की सुविधाओं में वृद्धि हुई जिससे खेती की मानसून पर निर्भरता कम हो गई।
(ग) पाँच-छ: वाक्यों में उत्तर दें:
प्रश्न 1.
हरित क्रांति से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
देश आज़ाद होने के बाद लगभग 1960 के दशक तक देश में अनाज की कमी रहती थी तथा अनाज को अन्य देशों से आयात करना पड़ता था परंतु 1960 के दशक में गेहूँ तथा धान की पैदावार इतनी बढ़ गई कि अनाज को संभालना मुश्किल हो गया। खेती अनाज उत्पादन में हुई वृद्धि को हरित क्रांति का नाम दिया गया। हरित क्रांति के समय पंजाब देश का अग्रणी राज्य रहा। हरित क्रांति का पंजाब की खुशहाली में बहुत योगदान रहा।
प्रश्न 2.
हरित क्रांति के दौरान हुए नए बीजे की खोज के बारे में बताएं।
उत्तर-
हरित क्रांति के दौरान पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के वैज्ञानिकों ने विश्वस्तरीय शोधकर्ताओं से मिल कर नई प्रकार के उन्नत बीज विकसित किए। इन बीजों में गेहूँ, मक्की, बाजरा, धान आदि मुख्य हैं। इन उन्नत किस्मों के कारण प्रति एकड़ पैदावार में वृद्धि हुई। गेहूँ की नई उन्नत किस्मों का कद बौना तथा उत्पादन बढ़ गया। धान पंजाब की पारंपरिक फसल नहीं थी परंतु इसकी उन्नत किस्में होने के कारण इसकी कृषि अधिक क्षेत्रफल पर होने लगी।
प्रश्न 3.
हरित क्रांति के कारण पंजाब में किस प्रकार के परिवर्तन आए ?
उत्तर-
हरित क्रांति के कारण पंजाब में अनाज उत्पादन एकाएक बढ़ गया जिससे पंजाब में आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक स्तर पर परिवर्तन आए। ये परिवर्तन अच्छे तथा बुरे दोनों प्रकार के थे।
- किसानों में आर्थिक पक्ष से खुशहाली आई तथा उनका जीवन स्तर भी ऊंचा हुआ।
- अधिक भूमि वाले किसानों को छोटे किसानों से अधिक आर्थिक लाभ हुआ जिस कारण सामाजिक तथा आर्थिक भेद बढ़ गए।
- कृषि आधारित उद्योगों में उन्नति हुई तथा कृषि मज़दूरों पर बुरा प्रभाव पड़ा।
- पश्चिमी सभ्याचार के अच्छे-बुरे प्रभाव पंजाब में महसूस किए जाने लगे।
- कृषि विभिन्नता में कमी आई।
- कृषि पैदावार में कमी हुई है तथा लागत बढ़ी है। इससे किसानों की शुद्ध आय में कमी हुई है।
प्रश्न 4.
कृषि आधारित व्यवसाय क्या होते हैं तथा यह किसानों के लिए अपनाने क्यों आवश्यक हैं ?
उत्तर-
आज के समय में कृषि पैदावार की दर में कमी आ गई है तथा कृषि लागत बढ़ गई है जिससे किसानों की शुद्ध आय में कमी आई है। कई बार किसान गैर-सरकारी स्रोतों से ऋण ले लेते हैं जोकि महंगे ब्याज पर होते हैं तथा ऐसे ऋण किसान को अदा करने मुश्किल लगते हैं।
छोटे तथा मध्यम किसान की कम हो रही आय को रोकने के लिए कृषि आधारित व्यवसाय अपनाने चाहिएं। ये व्यवसाय कम पूंजी से शुरू किए जा सकते हैं; जैसे-मशरूम की कृषि, मधुमक्खी पालन, बीज उत्पादन, सब्जियों की काश्त आदि को आसानी से अपनाया जा सकता है परंतु इन व्यवसायों से अच्छी आय हो जाती है।
प्रश्न 5.
पंजाब में सदाबहार क्रांति लाने के लिए क्या कुछ करना चाहिए ? .
उत्तर-
पंजाब ने हरित क्रांति के दौरान देश में अनाज भंडार में भरपूर योगदान डाला। किसानों ने गेहूँ तथा धान के फ़सली चक्र में पड़ कर अनाज उत्पादन तो बहुत बढ़ा दिया परंतु इससे पंजाब की भूमि का स्वास्थ्य खराब होता जा रहा है तथा भूमिगत जल का स्तर भी और नीचे चला गया है। अब समय की मांग है कि गैर-अनाजी फसलों की काश्त की तरफ ध्यान दिया जाए। जैसे कि दालें, तेल बीज, मक्की, कपास, फल, सब्जियां आदि फसलों की कृषि के अधीन क्षेत्रफल बढ़ाना चाहिए। कई अन्य कृषि आधारित व्यवसाय अपनाने की भी आवश्यकता है। इसलिए राज्य को खुशहाल करने के लिए सदाबहार क्रांति लाने की आवश्यकता है। कृषि विभिन्नता लाने की आवश्यकता है। कम पूंजी वाले कृषि आधारित व्यवसाय अपनाने की भी आवश्यकता है।
Agriculture Guide for Class 7 PSEB हरित क्रांति Important Questions and Answers
बहुत छोटे उत्तरों वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
1960 दशक के दौरान कृषि क्षेत्र में अन्न उत्पादन में हुई वृद्धि को क्या नाम दिया गया ?
उत्तर-
हरित क्रांति।
प्रश्न 2.
वर्ष 1965-66 में पंजाब का कृषि उत्पादन कितना था ?
उत्तर-
34 लाख टन।
प्रश्न 3.
वर्ष 1971-72 में पंजाब का कृषि उत्पादन कितना हो गया ?
उत्तर-
119 लाख टन।।
प्रश्न 4.
पंजाब में अनाज उत्पादन बढ़ने का क्या कारण था ?
उत्तर-
गेहूँ, धान के उत्पादन में वृद्धि।
प्रश्न 5.
पंजाब में हरित क्रांति के कोई दो कारण बताओ।
उत्तर-
उपयुक्त मंडीकरण, सुधरी किस्मों के बीज।
प्रश्न 6.
वर्ष 1967-68 में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कितना था ?
उत्तर-
10 लाख टन।
प्रश्न 7.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना की स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
वर्ष 1962 में।
प्रश्न 8.
गैर-अनाजी फसलों का उदाहरण दें।
उत्तर-
कपास, दालें, तेल बीज फसलें आदि।
छोटे उत्तरों वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
हरित क्रांति के दौरान अनाज उत्पादन कितना बढ़ गया ?
उत्तर-
वर्ष 1965-66 में 34 लाख टन से 1971-72 में 119 लाख टन हो गया जो कि पांच वर्षों में तीन गुणा बढ़ गया।
प्रश्न 2.
वर्ष 1967-68 में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कितना था तथा बढ़ कर कितना हो गया ?
उत्तर-
वर्ष 1967-68 में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग 10 लाख टन था जोकि 20वीं शताब्दी के अंत तक 13 गुणा बढ़ गया।
प्रश्न 3.
हरित क्रांति के कारण सामाजिक तथा आर्थिक भेद क्यों बढ़ गया ?
उत्तर-
बड़े किसानों को हरित क्रांति के कारण अधिक लाभ हुआ तथा छोटे तथा मध्यम किसानों को कम लाभ हुआ जिससे सामाजिक तथा आर्थिक भेद बढ़ गया।
बड़े उत्तरों वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
हरित क्रांति के संबंध में सिंचाई सुविधाओं तथा उर्वरकों के बारे में बताओ।
उत्तर-
सिंचाई सुविधाएं-हरित क्रांति के दौरान कृषि पैदावार में सिंचाई की एक मुख्य भूमिका रही। इस समय पंजाब में नहरों तथा ट्यूबवैल सिंचाई की सुविधा में वृद्धि हुई। इस तरह कृषि की मानसून पर निर्भरता कम हो गई तथा कृषि के अधीन क्षेत्रफल में वृद्धि हुई।
उर्वरक-सिंचाई सुविधाओं में वृद्धि के कारण, कृषि के अधीन क्षेत्रफल बढ़ गया तथा अधिक पैदावार वाले बीज विकसित होने के कारण रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग बढ़ गया। जहां 1967-68 में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग 10 लाख टन था वो 20वीं शताब्दी के अन्त तक 13 गुणा हो गया। रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से भूमि में नाइट्रोजन तथा फास्फोरस की कमी को पूरा किया गया। इस प्रकार गेहूँ तथा अन्य फसलों की पैदावार में वृद्धि हुई।
प्रश्न 2.
हरित क्रांति के कारणों की चित्र द्वारा दर्शाएँ ।
उत्तर-
हरित क्रांति PSEB 7th Class Agriculture Notes
- पंजाब की आर्थिक समृद्धि में हरित क्रांति का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
- हरित क्रांति के समय पंजाब में नहरों द्वारा तथा ट्यूबवैल द्वारा सिंचाई की सुविधा में वृद्धि हुई।
- 1960 के दशक में कृषि क्षेत्र में अनाज उत्पादन की वृद्धि को हरित क्रांति का नाम दिया गया है।
- पंजाब में वर्ष 1965-66 में अनाज उत्पादन 34 लाख टन था जो बढ़कर वर्ष 1971-72 में 119 लाख टन हो गया।
- उत्पादन बढ़ने का मुख्य कारण गेहूं तथा धान के उत्पादन का अधिक होना था।
- पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के वैज्ञानिकों ने विश्व स्तरीय शोधकर्ताओं के साथ मिल कर कई उन्नत किस्म के बीज विकसित किए हैं।
- उन्नत बीजों के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादन में वृद्धि हुई है।
- धान की उन्नत किस्मों के कारण धान की कृषि के अधीन क्षेत्रफल बढ़ा है।
- कृषि पैदावार में सिंचाई का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
- वर्ष 1967-68 में रासायनिक खादों का प्रयोग 10 लाख टन था जोकि बढ़ कर बीसवीं शताब्दी के अन्त तक 13 गुणा हो गया था।
- रासायनिक उर्वरकों (खादों) ने पंजाब की भूमि में नाइट्रोजन तथा फास्फोरस की कमी को पूरा करने में बहुत योगदान दिया।
- हरित क्रांति में पंजाब के किसानों का तथा वैज्ञानिकों का भरपूर योगदान रहा।
- फसलों को कीटों तथा खरपतवार से बचाव के लिए रासायनिक विधियों को विकसित किया गया।
- पंजाब में आवश्यकता से अधिक अनाज पैदा होने के कारण, केन्द्रीय तथा राज्य गोदाम निगम स्थापित किए गए।
- सरकार द्वारा गेहूँ तथा धान की उपज के मण्डीकरण को यकीनी बनाया गया।
- पंजाब कृषि विश्वविद्यालय तथा कृषि विभाग द्वारा किसानों को कृषि की विकसित तकनीकों का प्रशिक्षण देने का प्रबंध किया जाता है।
- पंजाब राज बीज निगम, राष्ट्रीय बीज निगम तथा अन्य बीज संस्थानों की स्थापना की गई ताकि किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध करवाया जा सके।
- पंजाब में धान तथा गेहूँ की अधिक कृषि के कारण भूमि का स्वास्थ्य तथा भूमि के नीचे पानी का स्तर नीचे जा रहा है।
- पंजाब में गैर-अनाजी फसलों; जैसे-दालें, तेल बीज, फल, सब्जियां, कपास आदि की कृषि को बढ़ाने के प्रयत्न किए जा रहे हैं।
- नई तकनीकों, जैसे- बायोटैक्नॉलोजी, नैनोटेक्नॉलोजी, टिशु कल्चर आदि की नई किस्में विकसित करने के लिए प्रयोग किया जा रहा है।
- कम पूंजी से कृषि आधारित व्यवसाय, जैसे-मशरूम की कृषि, बीज-उत्पादन, ” सब्जियों की खेती आदि को आसानी से शुरू किया जा सकता है।