Punjab State Board PSEB 6th Class Home Science Book Solutions Chapter 1 मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताएँ Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 6 Home Science Chapter 1 मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताएँ
PSEB 6th Class Home Science Guide मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताएँ Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताओं के नाम लिखो।
उत्तर-
मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकता हवा, पानी, भोजन, घर और कपड़ा है।
प्रश्न 2.
पका हुआ भोजन कैसा होता है ?
उत्तर-
पका हुआ भोजन स्वादिष्ट, सुगन्धित तथा शीघ्र पाचनशील होता है।
प्रश्न 3.
हम स्वस्थ कैसे रह सकते हैं ?
उत्तर-
हम नियमित रूप से संतुलित भोजन खाकर स्वस्थ रह सकते हैं।
प्रश्न 4.
घर हमें शारीरिक सुरक्षा कैसे प्रदान करता है?
उत्तर-
घर हमें गर्मी, सर्दी, जंगली जानवरों, प्राकृतिक आपदाओं से बचाता है।
लघूत्तर प्रश्न
प्रश्न 1.
भोजन को जीवित जीव की प्राथमिक आवश्यकता क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
भोजन को जीवित जीव की प्राथमिक आवश्यकता इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह आवश्यकता जन्म से लेकर मृत्यु तक हमारे साथ जुड़ी रहती है।
प्रश्न 2.
पुराने तथा आज के मनुष्य के खाने में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
प्राचीन मानव कंद-मूल और फल-फूल खाकर अपने पेट की भूख को शान्त करता था। तब उसके लिए यही वस्तुएँ भोजन थीं। आज का मनुष्य भूख मिटाने के लिए कंद-मूल या कच्चा भोजन नहीं खाता, बल्कि उसे कई ढंगों से पकाकर. स्वादिष्ट तथा आकर्षक बनाकर खाता है।
प्रश्न 3.
हम घर क्यों बनाते हैं ?
उत्तर-
घर एक ऐसा स्थान है जहाँ हमें आराम मिलता है, जहाँ हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाते हैं और जहाँ हमें शारीरिक व भौतिक सुरक्षा मिलती है।
प्रश्न 4.
क्या पशु-पक्षियों को भी घर की आवश्यकता है ?
उत्तर-
हाँ, हमारे समान ही पशु-पक्षियों को घर की आवश्यकता होती है। पशु-पक्षी भी भोजन की तलाश में बाहर जाते हैं और शाम होते ही घर वापिस आ जाते हैं। जैसेखरगोश बिल बनाकर रहते हैं, पक्षी घोंसले बनाकर रहते हैं।
प्रश्न 5.
प्राचीन समय के घरों के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
प्राचीन मनुष्य गुफाओं में रहता था। धीरे-धीरे वह लकड़ी और पत्थरों के घरों में रहने लगा।
प्रश्न 6.
घर को ‘स्वर्ग’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
घर को स्वर्ग इसलिए कहा गया है कि घर हमें आराम व सुख प्रदान करता है। यह एक ऐसा सुखदायी स्थान है कि हम चाहे जहाँ भी घूमें और बाहर हमें कितने ही सुख क्यों न मिलें, घर वापस लौटने की लालसा स्वाभाविक रूप से बनी रहती है।
प्रश्न 7.
वस्त्र मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकता कैसे है ?
उत्तर-
वस्त्र को मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकता इसलिए कहा गया है क्योंकि भोजन के समान ही यह आवश्यकता जन्म से लेकर मृत्यु तक मनुष्य के साथ जुड़ी रहती है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताओं से आप क्या समझते हो ?
उत्तर-
वह आवश्यकता जो जन्म से लेकर अन्त तक हमारे साथ रहती है तथा जिसकी पूर्ति को प्राथमिकता दी जाती है, उसे प्राथमिक आवश्यकता कहते हैं। प्राथमिक आवश्यकताओं के अन्तर्गत भोजन, वस्त्र तथा घर या आश्रम मुख्य हैं। जन्म से लेकर मरने तक सभी मनुष्य, जीव-जन्तु अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संघर्ष करते रहते हैं। यह भी ध्यान योग्य है कि सभी प्राणियों का अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने का ढंग तथा कोशिशें भिन्न होती हैं।
ऐसी कोई भी वस्तु जिस के बिना जीवन में कुछ कमी लगती है, जिस के बिना रहना मुश्किल लगता है, वह आवश्यकता बन जाती है। आज के आधुनिक जीवन में तो अत्यधिक प्रकार की आवश्यकताएं पैदा हो गई हैं, अथवा पैदा कर ली गई हैं। गाड़ी, कार, वायुयान, मोबाइल फोन, इंटरनेट, कम्प्यूटर आदि ऐसा कई कुछ हैं जिन के बिना जीवन जीना कठिन प्रतीत होता है। आवश्यकताएं अधिक होने के बावजूद भी तीन मुख्य आवश्यकताएं जिन को यदि पूरा न किया जाए तो ऊपरलिखित सभी आवश्यकताएं गौन हो जाती हैं। यह तीन आवश्यकताएं हैं जो कि प्राथमिक हैं-रोटी, कपड़ा और मकान तथा इन सब में भी अत्यधिक आवश्यक भोजन है।
प्रश्न 2.
मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताओं के अन्तर्गत कौन-कौन सी आवश्यकताएँ आती हैं ?
उत्तर-
मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताओं के अन्तर्गत भोजन, वस्त्र तथा घर या आश्रम की आवश्यकताएँ आती हैं। जब से सृष्टि की रचना हुई है तथा इसमें प्राणी का आगमन हुआ है, वह अपने पेट की भूख को शांत करने के लिए भिन्न-भिन्न तरीकों का प्रयोग कर रहा है। जब मनुष्य अभी सभ्य नहीं हुआ था तब वह कंदमूल, फल-फूल खा कर पेट भरता था। अब सभ्य समाज में रह रहा इंसान भोजन को कई प्रकार से पका कर सुंदर, स्वादिष्ट तथा सुंगधित भोजन खाता है। भोजन की आवश्यकता के अग्रलिखित कारण हैं –
1. शरीर का विकास- भोजन हमारे शरीर के विकास के लिए अति आवश्यक है। प्रोटीन हमारे शरीर के तंतुओं का निर्माण करता है। कार्बोहाइड्रेट से हमें ऊर्जा मिलती है। यह तत्व हमें भोजन से प्राप्त होते हैं। इसी प्रकार अन्य आवश्यक तत्व जैसे वसा, विटामिन, खनिज आदि भी भोजन से मिलते हैं। यदि एक भी दिन हम भोजन न लें तो हम कमज़ोर महसूस करने लगते हैं। भोजन शरीर की क्रियाओं को भी नियन्त्रित करता है।
2. सामाजिक तथा धार्मिक महत्त्व-मिलजुल कर भोजन करने से तथा बनाने से एकता का भावना पैदा होती है। शादी, जन्मदिन आदि के अवसर पर हम संबंधियों तथा दोस्तों को प्रीती भोज तथा चाय पार्टी आदि के लिए बुलाते हैं। इस प्रकार भोजन का सामाजिक महत्त्व पता चलता है। धार्मिक अवसरों पर लंगर, प्रसाद आदि को मिल बांट कर ग्रहण करने से भाईचारे की भावना पैदा होती है।
3. मन की शांति-भोजन खाने से मन को तस्सली, शांति तथा आनंद का अनुभव होता है। यदि भोजन अच्छे ढंग से पका हुआ अच्छी प्रकार खुशनुमा वातावरण में परोसा जाए तो अत्यन्त हर्ष की प्राप्ति होती है।
प्रश्न 3.
घर की आवश्यकता किन कारणों से है ?
उत्तर-
घर की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से होती है –
1. गर्मी-सर्दी से बचाव-गर्मी-सर्दी से बचने के लिए घर ही ऐसा स्थान है जहाँ मनुष्य अपना सिर छिपा सकता है। घर गर्मियों में लू या धूप से बचाता है तथा सर्दियों में बर्फीली हवा से हमारी रक्षा करता है। इसके अतिरिक्त घर कई बार प्राकृतिक आपदाओं, जैसे-तूफान, ओले, आँधी आदि से भी बचाता है।
2. जंगली-पशुओं तथा चोरों से बचाव-घर में रहकर हम अपनी जान और माल को सुरक्षित करते हैं। जंगली पशुओं एवं चोरों का दीवार पार करके आना इतना सुगम नहीं जितना कि खुले स्थान पर। आजकल की दीवारों पर लोहे की तारें या शीशे आदि भी इसीलिए लगाएँ जाते हैं।
3. पारिवारिक भावना-जब हम एक चार-दीवारी में मिल-जुलकर बैठते हैं, तो मेल-जोल की भावना उत्पन्न होती है। घर केवल ईंटों की इमारत ही नहीं होता, घर तो वस्तुतः ऐसा स्थान है जहाँ मिल-जुलकर एक-दूसरे का दुःख-सुख बाँटते हैं तथा ज़िम्मेदारी को बाँटकर चलते हैं। इस तरह घर में हमारी प्रवृत्तियों को संतुष्टि मिलती है जैसे कि माँबाप का प्यार, बहन-भाई का प्यार, इकट्ठे रहने की प्रवृत्ति आदि।
प्रश्न 4.
वस्त्रों की आवश्यकता किन कारणों से है?
उत्तर-
कपड़ों की आवश्यकता निम्न कारणों से है –
1. गर्मी-सर्दी से बचाव-वस्त्र हमें गर्मियों में गर्मी और सर्दियों में ठण्ड से बचाते हैं। यही कारण है कि गर्मियों में वही वस्त्र पहने जाते हैं जो शरीर की गर्मी को बाहर निकालते हैं, जैसे-मलमल और रूबिया आदि। परन्तु सर्दियों में ऊनी वस्त्र पहने जाते हैं, क्योंकि ये ताप के कुचालक होते हैं तथा शरीर की गर्मी को बाहर नहीं निकलने देते। इसी कारण वस्त्र पहनते और खरीदते समय ऋतु का ध्यान रखा जाता है।
2. सौन्दर्य में वृद्धि-कपड़े मनुष्य के सौन्दर्य में वृद्धि करते हैं। प्राचीन समय में मनुष्य पशुओं की खालों से अपने शरीर को सजाता था। तब खाले ही वस्त्र थे। सुन्दरता की होड़ के कारण ही वस्त्रों के नए-नए डिज़ाइन बनते हैं। इनके सीने-पिरोने में ही परिवर्तन होता रहता है। सुन्दरता बढ़ाने के लिए वस्त्रों को रंगों तथा छापे से या कई बार फूल-बूटों की कढ़ाई करके सुन्दर तथा आकर्षक बनाया जाता है।
3. सभ्यता की प्रतीक-अच्छी तरह वस्त्र पहनकर तैयार होना सभ्य मनुष्य होने का प्रतीक है। वस्त्र पहनने की बात हमें पशु-पक्षियों से अलग करती है। आज यदि कभी यह सोच भी ले कि प्राचीन मनुष्य नंगा रहता था, तो बहुत ही अजीब लगता है। आज यदि कोई ठीक तरह वस्त्र न पहने तो उसको मूर्ख या असभ्य कहा जाता है। इसी कारण खेलने, तैरने, खाना बनाने के लिए अलग-अलग पहनावे प्रयुक्त किये जाते हैं। आज के ज़माने में कपड़े द्वारा सभ्य तथा असभ्य मनुष्य का अनुमान लगाया जाता है।
4. चोट लगने से बचाव-वस्त्र हमें चोट लगने से बचाकर हमारे शरीर की रक्षा करते हैं। कई बार गिरते समय वस्त्र फट जाता है तथा व्यक्ति चोट से बच जाता है।
5. कीड़े-मकौड़ों से बचाव-वातावरण में कई तरह के कीड़े-मकौड़े होते हैं, जैसे-बिच्छ्, भिंड, मच्छर आदि। अगर कपड़े के ऊपर से काटें तो कई बार चमड़ी तक डंक नहीं जाता। अगर ये नंगे शरीर पर काटें तो अधिक नुकसान हो सकता है।
Home Science Guide for Class 6 PSEB मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताएँ Important Questions and Answers
अति छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
संसार का हर जीवित प्राणी अपने पेट की आग को कैसे शान्त करता है?
उत्तर-
संसार का हर जीवित प्राणी अपने पेट की आग भोज्य वस्तु को खाकर शान्त करता है।
प्रश्न 2.
भोजन खाने से हमारे मन को कैसा लगता है ?
उत्तर-
भोजन खाने से मन को संतोष मिलता है।
प्रश्न 3.
पशु-पक्षी भोजन की तलाश में कहाँ जाते हैं ?
उत्तर-
पशु-पक्षी भोजन की तलाश में घर से बाहर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं।
प्रश्न 4.
घर किसका नाम है ?
उत्तर-
घर निजी स्वर्ग का नाम है।
प्रश्न 5.
प्राचीन काल में मनुष्य स्वयं को ढाँपने के लिए किस वस्तु का प्रयोग करता था ?
उत्तर-
प्राचीन काल में मनुष्य स्वयं को ढाँपने के लिए वृक्ष की छालों, पत्तों और खालों का प्रयोग करता था।
प्रश्न 6.
वस्त्रों के नए-नए डिज़ाइन क्यों बनते हैं ?
उत्तर-
सुन्दर दिखने की होड़ के कारण ही वस्त्रों के नए-नए डिज़ाइन बनते हैं।
प्रश्न 7.
कपड़े चोट लगने से कैसे बचाते हैं ?
उत्तर-
वस्त्र हमें चोट लगने से बचाकर हमारे शरीर की रक्षा करते हैं। कई बार गिरते समय वस्त्र फट जाता है तथा व्यक्ति चोट से बच जाता है।
छोटे उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
घर मनुष्य का गर्मी-सर्दी से कैसे बचाव करता है ?
उत्तर-
गर्मी-सर्दी से बचने के लिए घर ही प्रमुख स्थान है, घर गर्मियों में लू तथा धूप से बचाता है और सर्दियों में बर्फीली हवाओं से हमारी रक्षा करता है। इसके अतिरिक्त मकान कई बार प्राकृतिक आपदाओं, जैसे-तूफान, ओले, आँधी आदि से भी हमें बचाता है।
प्रश्न 2.
वस्त्र हमें कीड़े-मकौड़े से कैसे बचाते हैं ?
उत्तर-
वातावरण में कई प्रकार के कीड़े-मकौड़े होते हैं, जैसे-बिच्छू, भिंड, मच्छर आदि। अगर ये कपड़े के ऊपर से काटें तो कई बार चमड़ी तक डंक नहीं जाता है। अगर ये वस्त्रहीन शरीर पर काटें तो काफी नुकसान हो सकता है।
प्रश्न 3.
कपड़े हमारे सौंदर्य में कैसे वृद्धि करते हैं ?
उत्तर-
कपड़े मनुष्य के सौन्दर्य में वृद्धि करते हैं। प्राचीन समय में मनुष्य पशुओं की खालों से अपने शरीर को सजाता था। तब खाले ही वस्त्र थे। सुन्दरता की होड़ के कारण ही वस्त्रों के नए-नए डिज़ाइन बनते हैं। इनके सीने-पिरोने में ही परिवर्तन होता रहता है। सुन्दरता बढ़ाने के लिए वस्त्रों को रंगों तथा छापे से या कई बार फूल-बूटों की कढ़ाई करके सुन्दर तथा आकर्षक बनाया जाता है।
प्रश्न 4.
भोजन प्राप्ति का मन की शांति से क्या संबंध है ?
उत्तर-
भोजन खाने से मन को तस्सली, शांति तथा आनंद का अनुभव होता है। यदि भोजन अच्छे ढंग से पका हुआ अच्छी प्रकार खुशनुमा वातावरण में परोसा जाए तो अत्यंत हर्ष की प्राप्ति होती है।
बड़े उत्तर वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
भोजन की आवश्यकता किन कारणों से है ?
उत्तर-
जब से सृष्टि की रचना हुई है तथा इसमें प्राणी का आगमन हुआ है, वह अपने पेट की भूख को शांत करने के लिए भिन्न-भिन्न तरीकों का प्रयोग कर रहा है। जब मनुष्य अभी सभ्य नहीं हुआ था तब वह कंदमूल, फल-फूल खा कर पेट भरता था। अब सभ्य समाज में रह रहा इंसान भोजन पका कर कई प्रकार से इसे सुंदर, स्वादिष्ट तथा सुंगधित बनाकर खाता है। भोजन की आवश्यकता के अग्रलिखित कारण हैं –
1. शरीर का विकास-भोजन हमारे शरीर के विकास के लिए अति आवश्यक है। प्रोटीन हमारे शरीर के तंतुओं का निर्माण करता है। कार्बोहाइड्रेट से हमें ऊर्जा मिलती है। यह तत्व हमें भोजन से प्राप्त होते हैं। इसी प्रकार अन्य आवश्यक तत्व जैसे वसा, विटामिन, खनिज आदि भी भोजन से मिलते हैं। यदि एक भी दिन हम भोजन न लें तो हम कमजोर महसूस करने लगते हैं। भोजन शरीर की क्रियाओं को भी नियन्त्रित करता है।
2. सामाजिक तथा धार्मिक महत्त्व-मिलजुल कर भोजन करने से तथा बनाने से एकता की भावना पैदा होती है। शादी, जन्मदिन आदि के अवसर पर हम संबंधियों तथा दोस्तों को प्रीती भोज तथा चाय पार्टी आदि के लिए बुलाते हैं। इस प्रकार भोजन का सामाजिक महत्त्व पता चलता है। धार्मिक अवसरों पर लंगर, प्रसाद आदि को मिल बांट कर ग्रहण करने से भाईचारे की भावना पैदा होती है।
3. मन की शांति-भोजन खाने से मन को तस्सली, शांति तथा आनंद का अनुभव होता है। यदि भोजन अच्छे ढंग से पका हुआ अच्छी प्रकार खुशनुमा वातावरण में परोसा जाए तो अत्यन्त हर्ष की प्राप्ति होती है।
प्रश्न 2.
कपड़ों की आवश्यकता के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर-
कपड़ों की आवश्यकता के दो कारण निम्नलिखित हैं –
1. सभ्यता का प्रतीक-अच्छी तरह वस्त्र पहनकर तैयार होना सभ्य मनुष्य होने का प्रतीक है। वस्त्र पहनने की बात हमें पशु-पक्षियों से अलग करती है। आज यदि कभी यह सोच भी ले कि प्राचीन मनुष्य नंगा रहता था, तो बहुत ही अजीब लगता है। आज यदि कोई ठीक तरह वस्त्र न पहने तो उसको मूर्ख या असभ्य कहा जाता है। इसी कारण खेलने, तैरने, खाना बनाने के लिए अलग-अलग पहनावे प्रयुक्त किये जाते हैं। आज के ज़माने में कपड़े द्वारा सभ्य तथा असभ्य मनुष्य का अनुमान लगाया जाता है।
2. चोट लगने से बचाव-वस्त्र हमें चोट लगने से बचाकर हमारे शरीर की रक्षा करते हैं। कई बार गिरते समय वस्त्र फट जाता है तथा व्यक्ति चोट से बच जाता है।
एक शब्द में उत्तर दें
प्रश्न 1.
सबसे पहली प्राथमिक आवश्यकता क्या है ?
उत्तर-
भोजन।
प्रश्न 2.
कपड़े द्वारा कौन-सी प्राकृतिक आवश्यकता पूर्ण होती है ?
उत्तर-
तन ढकने की।
प्रश्न 3.
घर का खिंचाव …… ही रहता है।
उत्तर-
सदा।
प्रश्न 4.
पका भोजन ………. तथा सुगन्धित होता है।
उत्तर-
सुस्वाद।
प्रश्न 5.
सौंदर्य में वृद्धि के लिए हम …… पहनते हैं।
उत्तर-
कपड़े।
प्रश्न 6.
घर निजी ………. का नाम है।
उत्तर-
स्वर्ग।
प्रश्न 7.
प्राचीन मनुष्य कहां रहता था ?
उत्तर-
गुफा में।
प्रश्न 8.
कपड़े हमें ……. से बचाते हैं।
उत्तर-
कीड़े-मकौड़ों।
मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताएँ PSEB 6th Class Home Science Notes
- कोई भी वस्तु, जिसके बिना जीवन अधूरा लगता है, जिसके बिना हम रह नहीं सकते उसे आवश्यकता का नाम दिया जाता है।
- वह आवश्यकता, जो जन्म से लेकर अन्त तक हमारे साथ रहती है तथा जिसकी पूर्ति को प्राथमिकता दी जाती है, उसे हम प्राथमिक आवश्यकता कहते हैं। भोजन, वस्त्र तथा घर मुख्य प्राथमिक आवश्यकताएँ हैं।
- संसार का हर जीवित प्राणी जिस वस्तु को खाकर अपने पेट की आग को शान्त | | करता है, वह उसका भोजन है।
- भोजन की आवश्यकता के प्रमुख कारण हैं-1. शरीर का विकास, 2. सामाजिक तथा धार्मिक महत्त्व, 3. मानसिक सन्तोष।
- घर या आश्रय केवल मनुष्य की ही नहीं, बल्कि सभी जीवित प्राणियों की आवश्यकता है।
- पुरातन मनुष्य गुफाओं में रहकर अपने शरीर की रक्षा करता था।
- घर की आवश्यकता के प्रमुख कारण हैं-1. गर्मी, सर्दी व वर्षा से बचाव, 2. जंगली पशुओं तथा चोरों से बचाव, 3. पारिवारिक भावना।
- घर के प्यार से ही देश प्यार की नींव बनती है।
- घर निजी स्वर्ग का नाम है।
- समय का अर्थ है युग बदलने के अनुसार बदलाव।
- आजकल कई प्रकार से प्राकृतिक तथा बनावटी रेशों की सहायता से वस्त्र बनाये | | जाते हैं, जैसे–सूती, रेशमी, नायलॉन, रेयॉन, ज़री आदि।
- वस्त्रों की आवश्यकता के प्रमुख कारण हैं-1. गर्मी, सर्दी व वर्षा से बचाव, 2. सौन्दर्य में वृद्धि, 3. सभ्यता का प्रतीक, 4. चोट लगने से बचाव, 5. कीड़े – मकौड़ों से बचाव।
- आग बुझाने वाले ऐस्बेसटॉस के वस्त्र पहनते हैं, क्योंकि उनमें आग नहीं लगती।