Punjab State Board PSEB 12th Class Political Science Book Solutions Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 12 Political Science Chapter 2 तुलनात्मक राजनीति
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1.
तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं ? (What do you understand by Comparative Politics ?)
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति आधुनिक राजनीति विज्ञान की महत्त्वपूर्ण देन है। तुलनात्मक राजनीति वर्तमान में विश्वव्यापी स्तर पर राजनीति-शास्त्रियों व विचारकों के अध्ययन की प्रमुख विषय-वस्तु बन चुकी है। तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन यद्यपि ऐतिहासिक काल से चला आ रहा है तथापि इसका महत्त्व आधुनिक युग में ही बढ़ा है। इसका कारण यह है कि प्रत्येक विषय के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए तुलनात्मक अध्ययन अनिवार्य है और बिना तुलनात्मक अध्ययन के किसी भी विषय की वैज्ञानिक व्याख्या सम्भव नहीं है। यही बात राजनीति विज्ञान पर लागू होती है।
तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन आधुनिक राजनीति शास्त्र की इस बदलती हुई प्रवृत्ति का परिचायक है। यद्यपि तुलनात्मक राजनीति का सामान्य अर्थ विदेशी सरकारों का संवैधानिक अध्ययन (Constitutional study of foreign government) है किन्तु आधुनिक राजनीति शास्त्र सम्पूर्ण विश्व की राजनीतिक पद्धति की कल्पना करता है।
तुलनात्मक राजनीति का अर्थ तथा परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Comparative Politics)तुलनात्मक राजनीति का अर्थ किन्हीं दो देशों अथवा दो सरकारों की राजनीति की तुलना करना अथवा कुछ देशों के संविधानों की तुलना नहीं है। तुलनात्मक राजनीति से हमारा अभिप्राय राजनीतिक संस्थाओं के तुलनात्मक अध्ययन से है। राजनीतिक संस्थाएं सरकार अथवा शासन के विभिन्न अंगों को कहा जाता है। शासन राज्य की एक मुख्य संस्था है जिसके मुख्य तीन अंग होते हैं-कार्यपालिका, विधानपालिका तथा न्यायपालिका। स्तरों की दृष्टि से शासन में केन्द्रीय सरकार, प्रादेशिक सरकार तथा स्थानीय सरकारें होती हैं, शासकीय प्रशासन, वित्तीय प्रशासन, असैनिक सरकार तथा अन्य सामाजिक मूल्य भी शासन के महत्त्वपूर्ण अंग होते हैं। यह सभी अंग तथा अन्य शासकीय अंग राजनीतिक संस्थाएं कहलाती हैं। तुलनात्मक राजनीति का उद्देश्य विभिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं (Political Systems) अथवा शासन की राजनीतिक संस्थाओं (Political Institutions) का तुलनात्मक अध्ययन करना है। तुलनात्मक राजनीति के विद्वानों ने भिन्न-भिन्न परिभाषाएं दी हैं, जिनमें मुख्य परिभाषाएं निम्नलिखित हैं-
1. एडवर्ड ए० फ्रीमैन (Edward A. Freeman) के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति संस्थाओं तथा सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन तथा विश्लेषण है।”
2. जीन ब्लोण्डेल (Jean Blondel) के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति वर्तमान विश्व में राष्ट्रीय सरकारों के प्रतिमानों का अध्ययन है।”
3. राल्फ बराइबन्ती (Ralf Braibanti) के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था के उन तत्त्वों
की पहचान और व्याख्या है जो राजनीतिक कार्यों तथा उनके संस्थागत प्रकाशन को प्रभावित करते हैं।”
4. आर० सी० मैक्रीडीस (R. C. Macridis) के शब्दों में, “हैरोडोटस तथा अरस्तु के समय से ही राजनीतिक मूल्यों, विश्वासों, संस्थाओं, सरकारों और राजनीतिक व्यवस्थाओं में विविधताएं जीवन्त रही हैं और इन विविधताओं में समान तत्त्वों की छानबीन करने का जो पद्धतीय प्रयास है उसे तुलनात्मक राजनीति का विश्लेषण कहा जाना चाहिए।”
उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि तुलनात्मक राजनीति के अन्तर्गत केवल सरकारों का ही तुलनात्मक अध्ययन नहीं होता बल्कि इससे राजनीतिक व गैर-राजनीतिक, कानूनी व गैर-कानूनी, संवैधानिक व संविधानातिरिक्त, कबीलों की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक आदि तथ्यों का भी अध्ययन किया जाता है। इसमें सम्पूर्ण समाज के उन तथ्यों का अध्ययन जो किसी भी रूप में राजनीतिक प्रणाली को प्रभावित करते हैं तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन संस्थागत अथवा सैद्धान्तिक न होकर व्यावहारिक है।
प्रश्न 2.
तुलनात्मक राजनीति की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो। (Describe the main characteristics of Comparative Politics.)
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. मूल्य मुक्त धारणा (Value-free theory) तुलनात्मक सरकार के विद्वान् अपना अध्ययन कुछ मूल्यों को ध्यान में रखकर ही करते थे। इसलिए उन्होंने कुछ ही विषयों पर बार-बार लिखा। परन्तु तुलनात्मक राजनीति के विद्वान् मूल्य निरपेक्ष अध्ययन पर बल देते हैं।
2. अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण (Inter-Disciplinary Approach)-तुलनात्मक राजनीति एक अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण अथवा धारणा है। इसके विद्वान् अधिक-से-अधिक उन उपकरणों व शास्त्रीय अवधारणाओं का प्रयोग करते हैं जो वे समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, मानवशास्त्र, अर्थशास्त्र, जीव विज्ञान इत्यादि से ग्रहण करते हैं।
3. विश्लेषणात्मक व व्याख्यात्मक अध्ययन (Analytical and Explanatory Study)—आधुनिक दृष्टिकोण में परिकल्पनाएं की जाती हैं, परीक्षण किए जाते हैं तथा आंकड़ों को एकत्रित किया जाता है। विश्लेषणात्मक पद्धति से परिकल्पनाओं की जांच की जाती है और जांच के आधार पर उन परिकल्पनाओं का धारण, संशोधन अथवा खण्डन किया जाता है। तुलनात्मक राजनीति में विश्लेषणात्मक पद्धति का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
4. विकासशील देशों का अध्ययन (Study of Developing Countries) आधुनिक तुलनात्मक राजनीति में केवल पश्चिमी देशों का ही अध्ययन नहीं किया जाता है वरन एशिया, लैटिन अमेरिका तथा अफ्रीका के विकासशील देशों के अध्ययन की ओर भी ध्यान दिया जाता है।
5. वैज्ञानिक तथा व्यवस्थित अध्ययन (Scientific and Systematic Study) तुलनात्मक राजनीति में वैज्ञानिक तथा व्यवस्थित अध्ययन को अपनाया जाता है क्योंकि इसमें कार्य-करण और क्रिया-प्रतिक्रिया का सम्बन्ध स्थापित करने की कोशिश की जाती है।
6. व्यवस्थामूलक दृष्टिकोण (Systematic Approach)-तुलनात्मक राजनीति में संविधान के अध्ययन की अपेक्षा राजनीतिक व्यवस्था के अध्ययन को अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है और उसी के आधार पर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं तथा संस्थाओं का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है।
7. व्यवहारवादी अध्ययन सम्बन्धी दृष्टिकोण (Behavioural Approach of Study)—तुलनात्मक राजनीति के आधुनिक उपागम ‘व्यवहारवादी दृष्टिकोण’ पर आधारित हैं, जिसके अन्तर्गत राजनीतिक संस्थाओं के अध्ययन के साथ-साथ मानव स्वभाव, सामाजिक व राजनीतिक पर्यावरण का भी अध्ययन किया जाता है।।
8. संरचनात्मक व कार्यात्मक दृष्टिकोण (Structural and functional Approach)-आधुनिक दृष्टिकोण की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह संरचना तथा कार्य मूलक दृष्टिकोण है। आधुनिक युग में सभी विद्वान् इस बात पर सहमत हैं कि राजनीतिक व्यवस्थाओं तथा संस्थाओं की संरचना और कार्यों में बहुत ही घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। दोनों एक-दूसरे को प्रभावित ही नहीं करते, अपितु एक-दूसरे के नियामक भी होते हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1.
तुलनात्मक राजनीति से क्या भाव है ?
अथवा
तुलनात्मक राजनीति का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति का अर्थ किन्हीं दो देशों अथवा दो सरकारों की राजनीति की तुलना करना अथवा कुछ देशों के संविधानों की तुलना करना नहीं है। तुलनात्मक राजनीति से हमारा अभिप्राय राजनीतिक संस्थाओं के तुलनात्मक अध्ययन से है। अब यह प्रश्न उठता है कि राजनीतिक संस्थाएं क्या हैं। राजनीतिक संस्थाएं सरकार अथवा शासन के विभिन्न अंगों को कहा जाता है। शासन राज्य की एक मुख्य संस्था है, जिसके मुख्य तीन अंग होते हैं-कार्यपालिका, विधानपालिका तथा न्यायपालिका। स्तरों की दृष्टि से शासन में केन्द्रीय सरकार, प्रादेशिक सरकार तथा स्थानीय सरकारें होती हैं। शासकीय प्रशासन, वित्तीय व्यवस्था, असैनिक सरकार तथा अन्य सामाजिक मूल्य भी शासन के महत्त्वपूर्ण अंग होते हैं। ये सभी अंग तथा अनेक अन्य शासकीय अंग राजनीतिक संस्थाएं कहलाते हैं। तुलनात्मक राजनीति का उद्देश्य विभिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं (Political System) अथवा शासन की राजनीतिक संस्थाओं (Political Institutions) का तुलनात्मक अध्ययन करना है।
प्रश्न 2.
तुलनात्मक राजनीति की कोई तीन परिभाषाएं लिखें।
अथवा
तुलनात्मक राजनीति की कोई चार परिभाषाएं लिखें।
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति की तीन परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-
- एडवर्ड ए० फ्रीमैन के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीतिक संस्थाओं तथा सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन तथा विश्लेषण है।”
- जीन ब्लोण्डेल के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति वर्तमान विश्व में राष्ट्रीय सरकारों के प्रतिमानों का अध्ययन है।”
- एम० कर्टिस के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति राजनीतिक संस्थाओं की कार्यप्रणाली और राजनीतिक व्यवहार में पाई जाने वाली महत्त्वपूर्ण नियमितताओं, समानताओं और अन्तरों से सम्बन्धित है।”
- राल्फ बराइबत्ती के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था के उन तत्त्वों की पहचान और व्याख्या है जो राजनीतिक कार्यों तथा उनके संस्थागत प्रकाशन को प्रभावित करती है।”
प्रश्न 3.
तुलनात्मक राजनीति की कोई तीन विशेषताएं लिखें।
अथवा
तुलनात्मक राजनीति की कोई चार विशेषताएं लिखिए।
उत्तर-
- मूल्य मुक्त धारणा–तुलनात्मक सरकार के विद्वान् अपना अध्ययन कुछ मूल्यों को ध्यान में रखकर ही करते थे। इसलिए उन्होंने कुछ ही विषयों पर बार-बार लिखा। परन्तु तुलनात्मक राजनीति के विद्वान् मूल्य निरपेक्ष अध्ययन पर बल देते हैं।
- अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण—तुलनात्मक राजनीति एक अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण अथवा धारणा है। इसके विद्वान् अधिक-से-अधिक उन उपकरणों व शास्त्रीय अवधारणाओं का प्रयोग करते हैं जो वे समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, मानवशास्त्र, अर्थशास्त्र जीव विज्ञान इत्यादि से ग्रहण करते हैं।
- विश्लेषणात्मक व व्याख्यात्मक अध्ययन–आधुनिक दृष्टिकोण में परिकल्पनाएं की जाती हैं, परीक्षण किए जाते हैं तथा आंकड़ों को एकत्रित किया जाता है। विश्लेषणात्मक पद्धति से परिकल्पनाओं की जांच की जाती है और जांच के आधार पर उन परिकल्पनाओं का धारण, संशोधन अथवा खण्डन किया जाता है। तुलनात्मक राजनीति में विश्लेषणात्मक पद्धति का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
- वैज्ञानिक तथा व्यवस्थित अध्ययन-तुलनात्मक राजनीति में वैज्ञानिक तथा व्यवस्थित अध्ययन अपनाया जाता है।
प्रश्न 4.
तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन की क्या महत्ता है ?
उत्तर-
- तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन से राजनीतिक व्यवहार को समझने में सहायता मिलती है।
- तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन से भिन्न-भिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं की समानताओं तथा असमानताओं को समझा जा सकता है।
- तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन से विकासशील देशों की राजनीतिक व्यवस्थाओं को समझने में सहायता मिलती है।
- तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन राजनीति को एक वैज्ञानिक अध्ययन बनाता है।
प्रश्न 5.
तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अंतर लिखिए ?
उत्तर-
- विषय क्षेत्र सम्बन्धी अन्तर-तुलनात्मक सरकार का विषय क्षेत्र तुलनात्क राजनीति के क्षेत्र से सीमित
- जन्म सम्बन्धी अन्तर-तुलनात्मक सरकार का विषय लगभग उतना ही पुराना है जितना कि स्वयं राजनीति शास्त्र पुराना है। राजनीति शास्त्र के पितामह अरस्तु ने अपने समय की 158 सरकारों की तुलनात्मक अधययन करके तुलनात्मक विश्लेषण सम्बन्धी अपने विचार दिये थे। परन्तु तुलनात्मक सरकार की अपेक्षा राजनीति एक नया विषय है।
- उद्देश्य सम्बन्धी अन्तर-तुलनात्मक सरकार व तुलनात्मक राजनीति में मुख्य अन्तर उद्देश्य सम्बन्धी है। प्रत्येक विषय के अध्ययन का कोई-न-कोई उद्देश्य अवश्य होता है। तुलनात्मक सरकार के अध्ययन के बावजूद इसका उद्देश्य स्पष्ट नहीं होता जबकि तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन से इसका उद्देश्य सिद्धान्त निर्माण (Theory Building) स्पष्ट हो जाता है।
- तुलनात्मक शासन सैद्धान्तिक और संस्थागत अध्ययन है, जबकि तुलनात्मक राजनीति व्यावहारिक और वैज्ञानिक अध्ययन है।
प्रश्न 6.
तुलनात्मक राजनीति के रास्ते में आने वाली किन्हीं चार रुकावटों के बारे में लिखिए।
उत्तर-
- क्षेत्र सम्बन्धी रुकावट-तुलनात्मक राजनीति के रास्ते में पहली रुकावट यह आती है कि इसके क्षेत्र में क्या-क्या शामिल किया जाए ?
- दृष्टिकोण सम्बन्धी रुकावट-तुलनात्मक राजनीति के रास्ते में दूसरी रुकावट यह है कि इसके अध्ययन के लिए किन-किन दृष्टिकोणों का प्रयोग किया जाए ?
- विकासशील देशों की परिस्थितियां-तुलनात्मक राजनीति के रास्ते में विकासशील देशों की खराब आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियां रुकावट पैदा करती हैं।
- कठिन शब्दावली-तुलनात्मक राजनीति की शब्दावली कठिन है।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न 1.
तुलनात्मक राजनीति का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति से हमारा अभिप्राय राजनीतिक संस्थाओं के तुलनात्मक अध्ययन से है। अब यह प्रश्न उठता है कि राजनीतिक संस्थाएं क्या हैं। राजनीतिक संस्थाएं सरकार अथवा शासन के विभिन्न अंगों को कहा जाता है। तुलनात्मक राजनीति का उद्देश्य विभिन्न राजनीतिक व्यवस्थाओं (Political System) अथवा शासन की राजनीतिक संस्थाओं (Political Institutions) का तुलनात्मक अध्ययन करना है।
प्रश्न 2.
तुलनात्मक राजनीति की दो परिभाषाएं लिखें।
उत्तर-
- एडवर्ड ए० फ्रीमैन के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीतिक संस्थाओं तथा सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन तथा विश्लेषण है।”
- जीन ब्लोण्डेल के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति वर्तमान विश्व में राष्ट्रीय सरकारों के प्रतिमानों का अध्ययन है।”
प्रश्न 3.
तुलनात्मक राजनीति के अधीन कौन-से दो विषयों की तुलना की जा सकती है ?
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति के अधीन शासन एवं राजनीति की तुलना की जाती है अर्थात् इनके अधीन किन्हीं दो देशों के शासन एवं उनकी राजनीति की तुलना की जाती है।
प्रश्न 4.
तुलनात्मक राजनीति की दो विशेषताएं लिखिए।
उत्तर-
- मूल्य मुक्त धारणा–तुलनात्मक राजनीति के विद्वान् मूल्य निरपेक्ष अध्ययन पर बल देते हैं।
- अन्त: अनुशासनात्मक दृष्टिकोण—तुलनात्मक राजनीति एक अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण अथवा धारणा चारणा है
प्रश्न 5.
तुलनात्मक राजनीति के विषय क्षेत्र के कोई दो मुख्य विषय लिखिए।
उत्तर-
- तुलनात्मक राजनीति में विभिन्न राज्यों की सरकारी संरचनाओं का व्यापक विवरण मिलता है।
- तुलनात्मक राजनीति में राजनीतिक दलों के संगठन, कार्यक्रम तथा कार्यों का अध्ययन करता है।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न-
प्रश्न I. एक शब्द/वाक्य वाले प्रश्न-उत्तर
प्रश्न 1.
राजनीतिक शास्त्र में तुलनात्मक अध्ययन का प्रतिपादक किसे माना जाता है ?
उत्तर-
राजनीतिक शास्त्र में तुलनात्मक अध्ययन का प्रतिपादक अरस्तू को माना जाता है।
प्रश्न 2.
अरस्तू ने कितने संविधानों का तुलनात्मक अध्ययन किया था ?
उत्तर-
रस्तू ने लगभग 158 संविधानों का तुलनात्मक अध्ययन किया था।
प्रश्न 3.
तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
तुलनात्मक राजनीति से हमारा अभिप्राय राजनीति संस्थाओं के तुलनात्मक अध्ययन से है।
प्रश्न 4.
तुलनात्मक राजनीति की कोई एक परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
एडवर्ड ए० फ्रीमैन के अनुसार, “तुलनात्मक राजनीति संस्थाओं तथा सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन तथा विश्लेषण है।”
प्रश्न 5.
तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अन्तर बताएं।
उत्तर-
तुलनात्मक सरकार सैद्धान्तिक और संस्थागत अध्ययन है, जबकि तुलनात्मक राजनीति व्यावहारिक और वैज्ञानिक अध्ययन है।
प्रश्न 6.
तुलनात्मक राजनीति के विषय क्षेत्र का कोई एक मुख्य विषय लिखें।
उत्तर-
विभिन्न देशों की सरकारी संरचनाओं का अध्ययन।
प्रश्न 7.
तुलनात्मक राजनीति की कोई दो विशेषताएं लिखें।
अथवा
तुलनात्मक राजनीति की कोई एक विशेषता लिखिए।
उत्तर-
(1) मूल्य मुक्त धारणा।
(2) अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण।
प्रश्न 8.
तुलनात्मक शासन एवं राजनीति में किस पर अधिक बल दिया गया है ?
उत्तर-
अंत: अनुशासन अध्ययन पर अधिक बल दिया गया है।
प्रश्न 9.
तुलनात्मक राजनीति की कोई एक समस्या लिखिए।
उत्तर-
संयुक्त शब्दावली का अभाव।
प्रश्न 10.
किन विद्वानों ने परम्परावादी दृष्टिकोण का निर्जीव राजनीति विज्ञान कहकर खण्डन किया है?
उत्तर-
आधुनिक विद्वानों ने।
प्रश्न II. खाली स्थान भरें-
1. तुलनात्मक राजनीति से अभिप्राय राजनीतिक संस्थाओं के ………….. अध्ययन से है।
2. शासन राज्य की एक मुख्य संस्था है, जिसके मुख्य तीन अंग होते हैं :- कार्यपालिका, ……………. एवं न्यायपालिका।
3. …………… के अनुसार तुलनात्मक राजनीति संस्थाओं तथा सरकारों के विविध प्रकारों का एक तुलनात्मक विवेचन एवं विश्लेषण है।
4. ……………. के अनुसार, तुलनात्मक राजनीति वर्तमान विश्व में राष्ट्रीय सरकारों के प्रतिमानों का अध्ययन है।
उत्तर-
- तुलनात्मक
- विधानपालिका
- एडवर्ड ए० फ्रीमैन
- जीन ब्लोण्डेल।
प्रश्न III. निम्नलिखित वाक्यों में से सही एवं ग़लत का चुनाव करें-
1. तुलनात्मक राजनीति परम्परागत राजनीति विज्ञान की देन है।
2. तुलनात्मक राजनीति से अभिप्राय राजनीतिक संस्थाओं के तुलनात्मक अध्ययन से है।
3. तुलनात्मक राजनीति की एक विशेषता मूल्य मुक्त अध्ययन है।
4. तुलनात्मक राजनीति में अन्तः अनुशासनात्मक दृष्टिकोण पर बल नहीं दिया जाता।
5. मैक्रीडीस एवं वार्ड के अनुसार तुलनात्मक राजनीति एक ऐसा गाइड है, जो घर बैठे-बिठाए हमें देश-विदेश की सैर करा देता है।
उत्तर-
- ग़लत
- सही
- सही
- ग़लत
- सही।
प्रश्न IV. बहुविकल्पीय प्रश्न –
प्रश्न 1.
“राजनीति में मानव स्वभाव” नामक पुस्तक किसने लिखी?
(क) राबर्ट डहल
(ख) लुसियन पाई
(ग) डेविड एप्टर
(घ) ग्राम वालेस।
उत्तर-
(घ) ग्राम वालेस।
प्रश्न 2.
तुलनात्मक राजनीति का आरम्भ कब से माना जाता है?
(क) 19वीं शताब्दी से
(ख) 20वीं शताब्दी के प्रारंभ से
(ग) 18वीं शताब्दी से
(घ) 17वीं शताब्दी से।
उत्तर-
(ख) 20वीं शताब्दी के प्रारंभ से
प्रश्न 3.
तुलनात्मक सरकार एवं तुलनात्मक राजनीति में –
(क) कोई अन्तर नहीं
(ख) अन्तर है
(ग) उपरोक्त दोनों
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) अन्तर है
प्रश्न 4.
“तुलनात्मक राजनीति का अर्थ समकालीन विश्व में राष्ट्रीय सरकारों के ढांचे का अध्ययन है।” यह कथन किसका है ?
(क) एडवर्ड फ्रीमैन
(ख) अरस्तू
(ग) जीन ब्लोण्डेल
(घ) ज्यूफ्री के० राबर्टस।
उत्तर-
(ग) जीन ब्लोण्डेल
प्रश्न 5.
तुलनात्मक शासन एवं राजनीति में ज़ोर दिया जाता है-
(क) ऐतिहासिक अध्ययन पर
(ख) केवल संवैधानिक ढांचे पर
(ग) अन्तःअनुशासन अध्ययन पर
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(ग) अन्तःअनुशासन अध्ययन पर