PSEB 12th Class History Solutions Chapter 13 दल खालसा का उत्थान और इसकी युद्ध प्रणाली

Punjab State Board PSEB 12th Class History Book Solutions Chapter 13 दल खालसा का उत्थान और इसकी युद्ध प्रणाली Textbook Exercise Questions and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 History Chapter 13 दल खालसा का उत्थान और इसकी युद्ध प्रणाली

निबंधात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

दल खालसा के उत्थान के कारण तथा महत्त्व (Causes and Importance of the Rise of the Dal Khalsa)

प्रश्न 1.
किन परिस्थितियों में दल खालसा का उत्थान हुआ ? इसके संगठन, महत्त्व और युद्ध प्रणाली का परीक्षण कीजिए।
(Describe the circumstances leading to the rise of Dal Khalsa. Examine its organisation, importance and mode of fighting.)
अथवा
दल खालसा के उत्थान के कारण, संगठन, महत्त्व और युद्ध प्रणाली के बारे में बताएँ।
(Discuss about the reasons of the creation, organisation, importance and mode of fighting of Dal Khalsa.)
अथवा
दल खालसा की उत्पत्ति, मुख्य विशेषताएँ और महत्त्व का वर्णन करें।
(Discuss the origin, important, features and importance of the Dal Khalsa.)
अथवा
किन स्थितियों के कारण दल खालसा की स्थापना हुई ? इसका पंजाब के इतिहास में क्या महत्त्व है ?
(Discuss the circumstances leading to the establishment of Dal Khalsa. What is its significance in the History of Punjab ?)
अथवा
दल खालसा की स्थापना के क्या कारण थे ?
(What were the causes reponsible for the rise of Dal Khalsa ?)
अथवा
दल खालसा की उत्पत्ति, मुख्य विशेषताएँ तथा महत्त्व के बारे में आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about the organisation, main features and significance of the Dal Khalsa ?)
अथवा
दल खालसा के उत्थान की परिस्थितियों का वर्णन करें। इसके संगठन, युद्ध प्रणाली तथा महत्त्व की संक्षिप्त जानकारी दें।
(Describe the circumstances leading to the establishment of the Dal Khalsa. Give a brief account of its organisation, mode of fighting and importance.)
अथवा
दल खालसा की स्थापना के कारणों का अध्ययन करें। (Study the causes of the establishment of Dal Khalsa.)
अथवा
दल खालसा की स्थापना के क्या कारण थे ? इसका पंजाब के इतिहास में क्या महत्त्व है ?
(What were the reasons of the creation of Dal Khalsa ? What is its importance in the History of Punjab ?)
अथवा
दल खालसा के संगठन का वर्णन कीजिए और इसके महत्त्व का परीक्षण कीजिए।
(Give an account of the organisation of Dal Khalsa and examine its significance.)
अथवा
दल खालसा का पंजाब के इतिहास में क्या महत्त्व है ? (What is the significance of Dal Khalsa in the History of Punjab ?)
अथवा
दल खालसा की सैनिक प्रणाली की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए। (Describe the main features of the military system of Dal Khalsa.)
अथवा
दल खालसा की सैनिक प्रणाली की मुख्य विशेषताएँ क्या थी ? (What were the main features of the military system of the Dal Khalsa ?)
उत्तर-
1748 ई० में दल खालसा की स्थापना सिख इतिहास की एक महत्त्वपूर्ण घटना मानी जाती है। इसकी स्थापना ने सिख कौम में नवप्राण फूंके। इसने सिखों को पंजाब के मुग़ल और अफ़गान सूबेदारों के जुल्मों से टक्कर लेने के योग्य बनाया। दल खालसा के यत्नों के कारण ही सिख अंत में पंजाब में अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित करने में सफल हुए। निस्संदेह दल खालसा की स्थापना तो सिख इतिहास का एक मील पत्थर था।

I. दल खालसा की स्थापना के कारण (Causes of the Establishment of the Dal Khalsa)
1. सिखों पर अत्याचार (Persecution of the Sikhs)-1716 ई० में बंदा सिंह बहादुर की शहीदी के बाद पंजाब के मुग़ल सूबेदारों अब्दुस समद खाँ और जकरिया खाँ ने सिखों पर कठोर अत्याचार करने शुरू कर दिए। सिखों के सिरों पर इनाम घोषित किए गए। सिखों को गिरफ्तार कर लाहौर में शहीद किया जाने लगा। मजबूर हो कर सिखों को वनों और पहाड़ों में जा कर शरण लेनी पड़ी। यहाँ उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। मुग़ल सेनाएँ उनका पीछा करती रहती थीं। ऐसी स्थिति में उनको अपने-आप को जत्थों में संगठित करने की आवश्यकता अनुभव हुई। उन्होंने अपने छोटे-छोटे जत्थे बना लिए जो बाद में दल खालसा की स्थापना में सहायक सिद्ध हुए।

2. बुड्डा दल और तरुणा दल का गठन (Foundation of Buddha Dal and Taruna Dal)-1734 ई० में नवाब कपूर सिंह ने सारे छोटे-छोटे दलों को मिला कर दो मुख्य दलों में संगठित कर दिया। इनके नाम बुड्ढा दल तथा तरुणा दल थे। बुड्डा दल में 40 वर्ष की आयु से ऊपर के सिखों को शामिल किया गया था। इस दल का कार्य सिखों के पवित्र धार्मिक स्थानों की देख-भाल करना और सिख धर्म का प्रचार करना था। तरुणा दल में 40 साल से कम आयु के सिखों को शामिल किया गया था। इस दल का मुख्य कार्य दुश्मनों का मुकाबला करना था। तरुणा दल को आगे पाँच जत्थों में बाँटा गया था। प्रत्येक जत्थे को एक अलग जत्थेदार के अधीन रखा गया था। इन दलों की स्थापना ने सिखों का संगठन मज़बूत किया।

3. दलों का पुनर्गठन (Reorganisation of the Dals) जकरिया खाँ की मृत्यु के बाद पंजाब में अराजकता का दौर आरंभ हुआ। इस स्थिति का लाभ उठा कर सिखों ने 1745 ई० को दीवाली के अवसर पर अमृतसर में यह गुरमता पास किया कि सौ-सौ सिखों के 25 जत्थे बनाए जाएँ। इन जत्थों ने सरकार का सामना करने के लिए गुरिल्ला युद्ध नीति अपनाई। इन जत्थों ने बटाला, जालंधर, बजवाड़ा और फगवाड़ा आदि स्थानों पर भारी लूटमार की। धीरे-धीरे इन जत्थों की गिनती 25 से बढ़ कर 65 हो गई।

II. दल खालसा की स्थापना (Establishment of the Dal Khalsa)
29 मार्च, 1748 ई० को बैसाखी के दिन सिख अमृतसर में इकट्ठे हुए। इस अवसर पर नवाब कपूर सिंह ने यह सुझाव दिया कि पंथ को एकता और मज़बूती की ज़रूरत है। इस उद्देश्य को सामने रखते हुए उस दिन दल खालसा की स्थापना की गई। 65 सिख जत्थों को 12 मुख्य जत्थों में संगठित कर दिया गया। प्रत्येक जत्थे का अपना अलग नेता और झंडा था। सरदार जस्सा सिंह आहलूवालिया को दल खालसा का प्रधान सेनापति नियुक्त किया गया। दल खालसा में शामिल होने वाले सिखों से यह आशा की जाती थी कि वह घुड़सवारी और शस्त्र चलाने में निपुण हो। दल खालसा का प्रत्येक सदस्य किसी भी जत्थे में शामिल होने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र था। युद्ध के समय 12 जत्थों के सरदारों में से एक को दल खालसा का प्रधान चुन लिया जाता था। ‘सरबत खालसा’ की बैठक हर वर्ष वैसाखी और दीवाली के अवसर पर अमृतसर में बुलाई जाती थी। इस बैठक में महत्त्वपूर्ण मामलों संबंधी गुरमते पास किए जाते थे। इन गुरमतों का सारे सिख पालन करते थे।

III. दल खालसा की सैनिक-प्रणाली की विशेषताएँ
(Features of the Military System of the Dal Khalsa) दल खालसा की महत्त्वपूर्ण सैनिक विशेषताएँ निम्नलिखित थीं—
1. घुड़सवार सेना (Cavalry)-घुड़सवार सेना दल खालसा की सेना का महत्त्वपूर्ण अंग थी। वास्तव में इस काल में होने वाली लड़ाइयाँ ही ऐसी थीं जिनमें घुड़सवार सेना के बिना जीत प्राप्त करना असंभव था। सिखों के घोड़े बहुत कुशल थे। वे एक दिन में पचास से सौ मील तक का सफर तय करने की समर्था रखते थे।।

2. पैदल सेना (Infantry)-दल खालसा में पैदल सेना का काम केवल पहरा देना था। सिख इस सेना में भर्ती होने को अपना अपमान समझते थे।

3. शस्त्र (Arms)-लड़ाई के समय सिख तलवारों, बरछियों, खंडों, नेजों, तीर कमानों और बंदूकों का प्रयोग करते थे। बारूद की कमी के कारण बंदूकों का कम ही प्रयोग किया जाता था।

4. सेना में भर्ती और अनुशासन (Recruitment and Discipline)-दल खालसा में भर्ती होने के लिए कोई निश्चित नियम नहीं था। कोई भी सिख किसी भी जत्थे में शामिल हो सकता था। वह अपनी इच्छा के अनुसार जब चाहे जत्थे को छोड़कर दूसरे जत्थे में जा सकता था। सैनिकों के नामों, वेतन का भी कोई लिखित विवरण नहीं रखा जाता था। सैनिकों के प्रशिक्षण इत्यादि की भी कोई व्यवस्था नहीं थी। दल खालसा के सैनिक सदैव धार्मिक जोश के साथ लड़ते थे। वे अपने नेता की आज्ञा का पालन करना अपना कर्तव्य समझते थे। इस कारण दल खालसा में सदैव अनुशासन की भावना रहती थी।

5. वेतन (Salary)–दल खालसा में सिखों को कोई निश्चित वेतन नहीं मिलता था। उनको केवल लूट में से हिस्सा मिलता था। बाद में उन्हें जीते गए प्रदेश में से भी कुछ हिस्सा दिया जाने लगा।

6. युद्ध प्रणाली (Mode of Fighting)-दल खालसा की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता गुरिल्ला अथवा छापामार युद्ध प्रणाली थी। गुरदास नंगल की लड़ाई से सिखों ने यह पाठ लिया कि मुग़ल सेना से खुले युद्ध में टक्कर लेना हानिकारक सिद्ध हो सकता है। दूसरा, सिखों के साधन मुग़लों की अपेक्षा सीमित थे। गुरिल्ला युद्ध प्रणाली सिखों की शक्ति बढ़ाने में बड़ी उपयोगी सिद्ध हुई। इस प्रणाली के द्वारा सिख अपने शत्रुओं पर अचानक हमला करके उनको भारी हानि पहुँचाते थे। जितने समय में शत्रु संभलते सिख पुनः जंगलों और पहाड़ों की ओर चले जाते। सिख सैनिकों ने इस युद्ध प्रणाली के कारण मुग़लों और अफ़गानों की नाक में दम कर रखा था।

IV. दल खालसा का महत्त्व (Significance of the Dal Khalsa)
देल खालसा की स्थापना सिख इतिहास में एक मील पत्थर साबित हुई। इसने सिखों की बिखरी हुई शक्ति को एकता के सूत्र में बाँध दिया। इसने उनको धर्म के लिए हर प्रकार की कुर्बानी देने के लिए प्रेरित किया। इसके नेतृत्व में सिखों ने मुग़लों और अफ़गानों का डटकर मुकाबला किया। दल खालसा ने ही पंजाब में सिखों को राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने की प्रेरणा प्रदान की। इसके अतिरिक्त दल खालसा के यत्नों से ही सिख पंजाब में स्वतंत्र मिसलें स्थापित करने में सफल हुए। प्रसिद्ध इतिहासकार निहार रंजन रे का यह कहना बिल्कुल ठीक है,
“दल खालसा की स्थापना सिख इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ सिद्ध हुई।” 1

1. “ The organisation of the Dal Khalsa has been rightly characterised as landmark in the history of the Sikhs.” Nihar Ranjan Ray, The Sikh Gurus and the Sikh Society (Patiala : 1970)p: 160.

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प्रश्न 2.
दल खालसा की सैनिक प्रणाली की मुख्य विशेषताएँ क्या थी ? (What were the main features of the Military System of the Dal Khalsa ?)
उत्तर-
दल खालसा की सैनिक-प्रणाली की विशेषताएँ
(Features of the Military System of the Dal Khalsa) दल खालसा की महत्त्वपूर्ण सैनिक विशेषताएँ निम्नलिखित थीं—
1. घुड़सवार सेना (Cavalry)-घुड़सवार सेना दल खालसा की सेना का महत्त्वपूर्ण अंग थी। वास्तव में इस काल में होने वाली लड़ाइयाँ ही ऐसी थीं जिनमें घुड़सवार सेना के बिना जीत प्राप्त करना असंभव था। सिखों के घोड़े बहुत कुशल थे। वे एक दिन में पचास से सौ मील तक का सफर तय करने की समर्था रखते थे।।

2. पैदल सेना (Infantry)-दल खालसा में पैदल सेना का काम केवल पहरा देना था। सिख इस सेना में भर्ती होने को अपना अपमान समझते थे।

3. शस्त्र (Arms)-लड़ाई के समय सिख तलवारों, बरछियों, खंडों, नेजों, तीर कमानों और बंदूकों का प्रयोग करते थे। बारूद की कमी के कारण बंदूकों का कम ही प्रयोग किया जाता था।

4. सेना में भर्ती और अनुशासन (Recruitment and Discipline)-दल खालसा में भर्ती होने के लिए कोई निश्चित नियम नहीं था। कोई भी सिख किसी भी जत्थे में शामिल हो सकता था। वह अपनी इच्छा के अनुसार जब चाहे जत्थे को छोड़कर दूसरे जत्थे में जा सकता था। सैनिकों के नामों, वेतन का भी कोई लिखित विवरण नहीं रखा जाता था। सैनिकों के प्रशिक्षण इत्यादि की भी कोई व्यवस्था नहीं थी। दल खालसा के सैनिक सदैव धार्मिक जोश के साथ लड़ते थे। वे अपने नेता की आज्ञा का पालन करना अपना कर्तव्य समझते थे। इस कारण दल खालसा में सदैव अनुशासन की भावना रहती थी।

5. वेतन (Salary)–दल खालसा में सिखों को कोई निश्चित वेतन नहीं मिलता था। उनको केवल लूट में से हिस्सा मिलता था। बाद में उन्हें जीते गए प्रदेश में से भी कुछ हिस्सा दिया जाने लगा।

6. युद्ध प्रणाली (Mode of Fighting)-दल खालसा की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता गुरिल्ला अथवा छापामार युद्ध प्रणाली थी। गुरदास नंगल की लड़ाई से सिखों ने यह पाठ लिया कि मुग़ल सेना से खुले युद्ध में टक्कर लेना हानिकारक सिद्ध हो सकता है। दूसरा, सिखों के साधन मुग़लों की अपेक्षा सीमित थे। गुरिल्ला युद्ध प्रणाली सिखों की शक्ति बढ़ाने में बड़ी उपयोगी सिद्ध हुई। इस प्रणाली के द्वारा सिख अपने शत्रुओं पर अचानक हमला करके उनको भारी हानि पहुँचाते थे। जितने समय में शत्रु संभलते सिख पुनः जंगलों और पहाड़ों की ओर चले जाते। सिख सैनिकों ने इस युद्ध प्रणाली के कारण मुग़लों और अफ़गानों की नाक में दम कर रखा था।

संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
दल खालसा की स्थापना के मुख्य कारण क्या थे ? (What were the main causes of the foundation of Dal Khalsa ?)
अथवा
दल खालसा की उत्पत्ति के तीन कारणों की व्याख्या कीजिए।
(Discuss the three causes of the foundation of Dal Khalsa.)
उत्तर-
1716 ई० में बंदा सिंह बहादुर की शहीदी के बाद सिखों में नेतृत्व का अभाव उत्पन्न हो गया। परिणामस्वरूप सिख संगठित रूप में न रह सके। मुग़ल सेनाएँ उनका पीछा करती रहती थीं। अतः सिखों ने अपने छोटे-छोटे जत्थे बना लिए। 1734 ई० में नवाब कपूर सिंह ने बुड्वा दल तथा तरुणा दल की स्थापना की। यह दल खालसा की स्थापना की दिशा में उठाया गया एक ठोस कदम था। नवाब कपूर सिंह ने 29 मार्च, 1748 ई० को अमृतसर में दल खालसा की स्थापना की। इस प्रकार दल खालसा अस्तित्व में आया।

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प्रश्न 2.
दल खालसा के संगठन बारे आप क्या जानते हैं ?
(What do you know about the organisation of Dal Khalsa ?)
अथवा
दल खालसा के मुख्य सिद्धांत बताएँ।
(What are main principles of Dal Khalsa ?)
अथवा
दल खालसा की तीन मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
(Write the main three features of the Dal Khalsa.) ।
अथवा
दल खालसा की स्थापना कब हुई ? इसकी मुख्य विशेषताएँ बताएँ।
(When was Dal Khalsa founded ? Describe its main features.)
उत्तर-
नवाब कपूर सिंह ने 29 मार्च, 1748 ई० को अमृतसर में दल खालसा की स्थापना की। दल खालसा का प्रधान सेनापति सरदार जस्सा सिंह आहलूवालिया को नियुक्त किया गया। प्रत्येक सिख जिसका गुरु गोबिंद सिंह जी के नियमों पर विश्वास था, को दल खालसा का सदस्य समझा जाता था। दल खालसा में शामिल होने वाले सिखों से यह आशा की जाती थी कि वे घुड़सवारी और शस्त्र चलाने में निपुण हों। दल खालसा के सैनिक छापामार युद्ध प्रणाली द्वारा युद्ध करते थे।

प्रश्न 3.
दल खालसा की सैनिक प्रणाली की मुख्य विशेषताएँ लिखें। (Write the chief salient features of military administration of Dal Khalsa.)
उत्तर-

  1. दल खालसा में सिख अपनी इच्छानुसार भर्ती होते थे।
  2. सैनिकों के नामों, वेतन इत्यादि का कोई लिखित विवरण नहीं रखा जाता था।
  3. सैनिकों को प्रशिक्षण देने का भी कोई प्रबंध नहीं था
  4. सिख सैनिक छापामार युद्ध प्रणाली द्वारा युद्ध करते थे। वे अपने शत्रुओं पर अचानक आक्रमण करके उनको भारी हानि पहुँचाते थे।
  5. दल खालसा की सेना में पैदल सेना तथा तोपखाने का अभाव था।

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प्रश्न 4.
सिखों की गुरिल्ला युद्ध नीति पर एक नोट लिखिए।
(Write a note on guerilla mode of fighting of the Sikhs.)
अथवा
दल खालसा की युद्ध प्रणाली की मुख्य विशेषताएँ संक्षेप में बताएँ।
(Give a brief account of the main features of mode of fighting of Dal Khalsa.)
अथवा
दल खालसा की युद्ध प्रणाली की मुख्य विशेषताओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। (Make a brief mention of the main features of the mode of fighting of Dal Khalsa.)
उत्तर-
दल खालसा की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता छापामार युद्ध-नीति थी। इसका कारण सिखों के सीमित साधन थे। इस प्रणाली के द्वारा सिख अपने शत्रुओं पर अचानक हमला करके उन्हें भारी हानि पहुँचाते थे। शत्रु के संभलने से पहले ही वे पुनः जंगलों और पहाड़ों की ओर चले जाते। सिख सैनिक इस युद्ध प्रणाली के कारण ही . मुग़लों और अफ़गानों का मुकाबला करने में सफल हुए।

प्रश्न 5.
दल खालसा की कब और कहाँ स्थापना हुई ? सिख इतिहास में दल खालसा के महत्त्व का वर्णन करो।
(When and where was Dal Khalsa’ established ? What is its significance in Sikh History ?)
अथवा
दल खालसा के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
(Describe the importance of Dal Khalsa.)
उत्तर-
दल खालसा की स्थापना 29 मार्च, 1748 ई० में वैसाखी वाले दिन अमृतसर में हुई। इसने सिखों को पंजाब में मुग़ल और अफ़गान अत्याचारों का मुकाबला करने के योग्य बनाया। इसने सिखों को राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने की प्रेरणा प्रदान की। फलस्वरूप सिख पंजाब में अपनी स्वतंत्र मिसलों की स्थापना करने में सफल हुए। दल खालसा के कारण सिखों में एकता तथा अनुशासन आ गया। दल खालसा की स्थापना के कारण ही सिख एक गौरवमयी युग में प्रवेश कर पाए।

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

(i) एक शब्द से एक पंक्ति तक के उत्तर (Answer in One Word to One Sentence)

प्रश्न 1.
दल खालसा की उत्पत्ति के लिए जिम्मेदार कोई एक कारण बताएँ।
अथवा
‘दल खालसा की स्थापना का कोई एक कारण बताएँ।
उत्तर-
सिख अपनी शक्ति को संगठित करना चाहते थे।

प्रश्न 2.
बुड्डा दल तथा तरुणा दल की स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
1734 ई०।

प्रश्न 3.
बुड्डा दल में किन सिखों को सम्मिलित किया जाता था ?
उत्तर-
40 वर्ष से अधिक आयु के सिखों को।

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प्रश्न 4.
बुड्डा दल के नेता कौन थे ?
उत्तर-
नवाब कपूर सिंह।

प्रश्न 5.
तरुणा दल में किन सिखों को सम्मिलित किया जाता था ?
उत्तर-
नौजवान सिखों को।

प्रश्न 6.
तरुणा दल का मुख्य कार्य क्या था ?
उत्तर-
शत्रुओं का सामना करना।

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प्रश्न 7.
दल खालसा की स्थापना कब हुई ?
उत्तर-
29 मार्च, 1748 ई०।

प्रश्न 8.
दल खालसा की स्थापना किसने की थी ?
उत्तर-
नवाब कपूर सिंह।

प्रश्न 9.
दल खालसा की स्थापना कहाँ की गई ?
उत्तर-
अमृतसर।

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प्रश्न 10.
दल खालसा से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
सिखों का सैनिक संगठन।

प्रश्न 11.
दल खालसा के कितने जत्थे थे?
उत्तर-
12.

प्रश्न 12.
दल खालसा के किसी एक मुख्य जत्थे का नाम लिखें।
उत्तर-
शुकरचकिया जत्था।

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प्रश्न 13.
दल खालसा का प्रधान सेनापति कब नियुक्त किया गया ?
उत्तर-
1748 ई०।

प्रश्न 14.
दल खालसा का प्रधान सेनापति किसे नियुक्त किया गया था ?
अथवा
दल खालसा का प्रथम जत्थेदार कौन था ?
उत्तर-
जस्सा सिंह आहलूवालिया।

प्रश्न 15.
दल खालसा का प्रथम मुख्य जत्थेदार कौन था?
उत्तर-
जस्सा सिंह आहलूवालिया।

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प्रश्न 16.
जस्सा सिंह आहलूवालिया को किस उपाधि के साथ सम्मानित किया गया था ?
उत्तर-
सुल्तान-उल-कौम।

प्रश्न 17.
सरबत खालसा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
समूची सिख संगत।

प्रश्न 18.
दल खालसा की युद्ध विधि कैसी थी ?
उत्तर-
छापामार युद्ध।

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प्रश्न 19.
दल खालसा ने गुरिल्ला युद्ध प्रणाली क्यों अपनाई ?
उत्तर-
क्योंकि सिखों के साधन मुगलों की तुलना में बिल्कुल सीमित थे।

प्रश्न 20.
दल खालसा का क्या महत्त्व था ?
उत्तर-
इसने सिखों की बिखरी हुई शक्ति को एकता के सूत्र में बाँधा।

(ii) रिक्त स्थान भरें (Fill in the Blanks)

प्रश्न 1.
……..में बुड्ढा दल और तरुणा दल की स्थापना की गई।
उत्तर-
(1734 ई०)

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प्रश्न 2.
तरुणा दल और बुड्डा दल की स्थापना…….ने की थी।
उत्तर-
(नवाब कपूर सिंह)

प्रश्न 3.
दल खालसा की स्थापना……..में की गई थी।
उत्तर-
(1748 ई०)

प्रश्न 4.
दल खालसा की स्थापना……..में की गई थी।
उत्तर-
(अमृतसर)

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प्रश्न 5.
दल खालसा का प्रधान सेनापति ……………. को नियुक्त किया गया था।
उत्तर-
(सरदार जस्सा सिंह आहलूवालिया)

प्रश्न 6.
दल खालसा की सेना का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग……..था।
उत्तर-
(घुड़सवार सेना)

प्रश्न 7.
दल खालसा की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता……..युद्ध प्रणाली को अपनाना था।
उत्तर-
(छापामार)

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(ii) ठीक अथवा गलत (True or False)

नोट-निम्नलिखित में से ठीक अथवा गलत चुनें—

प्रश्न 1.
नवाब कपूर सिंह ने बुड्डा दल और तरुणा दल की स्थापना 1738 ई० में की थी।
उत्तर-
गलत

प्रश्न 2.
दल खालसा की स्थापना 1749 ई० में की गई थी।
उत्तर-
गलत

प्रश्न 3.
दल खालसा की स्थापना श्री आनंदपुर साहिब में की गई थी।
उत्तर-
गलत

प्रश्न 4.
दल खालसा का प्रधान सेनापति सरदार जस्सा सिंह रामगढ़िया को नियुक्त किया गया था।
उत्तर-
गलत

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प्रश्न 5.
दल खालसा की सेना का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग घुड़सवार सेना था।
उत्तर-
ठीक

प्रश्न 6.
दल खालसा ने गुरिल्ला युद्ध प्रणाली को अपनाया था।
उत्तर-
ठीक

(iv) बहु-विकल्पीय प्रश्न | (Multiple Choice Questions)

नोट-निम्नलिखित में से ठीक उत्तर का चयन कीजिए—

प्रश्न 1.
दल खालसा की स्थापना क्यों की गई थी ?
(i) सिख अपनी शक्ति को संगठित करना चाहते थे
(ii) नवाब कपूर सिंह पंथ में एकता स्थापित करना चाहते थे
(iii) सिख मुग़ल सरकार को सबक सिखाना चाहते थे
(iv) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(iv)

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प्रश्न 2.
दल खालसा की स्थापना कब की गई थी ?
(i) 1733 ई० में
(ii) 1734 ई० में
(iii) 1739 ई० में
(iv) 1748 ई० में।
उत्तर-
(iv)

प्रश्न 3.
दल खालसा की स्थापना किसने की थी ?
(i) नवाब कपूर सिंह ने
(ii) जस्सा सिंह आहलूवालिया ने
(iii) जस्सा सिंह रामगढ़िया ने
(iv) महाराजा रणजीत सिंह ने।
उत्तर-
(i)

प्रश्न 4.
दल खालसा की स्थापना कहाँ की गई थी ?
(i) दिल्ली में
(ii) जालंधर में
(iii) अमृतसर में
(iv) लुधियाना में।
उत्तर-
(iii)

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प्रश्न 5.
नवाब कपूर सिंह ने दल खालसा की स्थापना कहाँ की थी ?
(i) लाहौर
(ii) अमृतसर
(iii) तरनतारन
(iv) अटारी।
उत्तर-
(ii)

प्रश्न 6.
दल खालसा का प्रधान सेनापति कौन था ?
(i) जस्सा सिंह आहलूवालिया
(ii) जस्सा सिंह रामगढ़िया
(iii) नवाब कपूर सिंह
(iv) बाबा आला सिंह।
उत्तर-
(i)

प्रश्न 7.
दल खालसा ने किसको ‘सुल्तान-उल-कौम’ की उपाधि से सम्मानित किया था ?
(i) महाराजा रणजीत सिंह को
(ii) नवाब कपूर सिंह को
(iii) जस्सा सिंह आहलूवालिया को
(iv) जय सिंह को।
उत्तर-
(iii)

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प्रश्न 8.
सरबत खालसा की सभाएँ कहाँ बुलाई जाती थीं ?
(i) दिल्ली में
(ii) लाहौर में
(iii) अमृतसर में
(iv) खडूर साहिब में।
उत्तर-
(iii)

Long Answer Type Question

प्रश्न 1.
दल खालसा की स्थापना के मुख्य कारण क्या थे ? (What were the main causes of the foundation of Dal Khalsa ?)
अथवा
दल खालसा की उत्पत्ति के मुख्य कारणों की व्याख्या कीजिए। (Discuss the main causes of the foundation of Dal Khalsa.)
उत्तर-
1716 ई० में बंदा सिंह बहादुर की शहीदी के बाद सिख संगठित रूप से पंजाब में न रह सके। ऐसी स्थिति का लाभ उठाकर पंजाब के मुगल सूबेदारों अब्दुस समद खाँ तथा जकरिया खाँ ने सिखों पर घोर अत्याचार करने आरंभ कर दिए। सिखों के सिरों के लिए इनाम घोषित किये गये। बाध्य होकर सिखों को पहाड़ों एवं वनों में जाकर शरण लेनी पड़ी। मुग़ल सेनाएँ उनका पीछा करती रहती थीं। जहाँ कहीं वे अकेले नज़र आते शहीद कर दिए जाते। ऐसी स्थिति में सिखों ने अपने आप को जत्थों के रूप में संगठित करने की आवश्यकता अनुभव की। परिणामस्वरूप उन्होंने अपने छोटे-छोटे जत्थे बना लिए। 1734 ई० में नवाब कपूर सिंह ने एक बहुत प्रशंसनीय निर्णय किया। उसने सिखों को दो दलों-बड़ा दल तथा तरुणा दल-में गठित किया। यह दल खालसा की स्थापना की दिशा में उठाया गया एक ठोस कदम था। 1745 ई० में दीवाली के अवसर पर अमृतसर में 100-100 सिखों के 25 जत्थे बनाए गये। धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़कर 65 हो गई। मुग़लों के विरुद्ध अपनी कार्यवाही को तीव्र करने के उद्देश्य से नवाब कपूर सिंह ने 29 मार्च, 1748 ई० को अमृतसर में दल खालसा की स्थापना की।

PSEB 12th Class History Solutions Chapter 13 दल खालसा का उत्थान और इसकी युद्ध प्रणाली

प्रश्न 2.
दल खालसा के संगठन के बारे में आप क्या जानते हैं ? (What do you know about the organisation of Dal Khalsa ?)
अथवा
दल खालसा के मुख्य सिद्धांत बताओ। (What are the main principles of Dal Khalsa ?)
अथवा
दल खालसा की मुख्य विशेषताएँ लिखिए। (Write the main features of the Dal Khalsa.)
अथवा
दल खालसा की स्थापना कब हुई ? इसकी मुख्य विशेषताएँ लिखें। (When was Dal Khalsa founded ? Describe its main features.)
उत्तर-
नवाब कपूर सिंह के सुझाव पर सिख पंथ की एकता के लिए 29 मार्च, 1748 ई० को अमृतसर में दल खालसा की स्थापना की गई। सिखों के 65 जत्थों को 12 जत्थों में संगठित किया गया। प्रत्येक जत्थे का अलग नेता और झंडा था। सरदार जस्सा सिंह आहलूवालिया को दल खालसा का प्रधान सेनापति नियुक्त किया गया। प्रत्येक सिख जिसका गुरु गोबिंद सिंह जी के नियमों पर विश्वास था, को दल खालसा का सदस्य समझा जाता था। प्रत्येक सिख के लिए यह आवश्यक था कि वह पंथ के शत्रुओं का मुकाबला करने हेतु दल खालसा में शामिल हो। दल खालसा में शामिल होने वाले सिखों से यह आशा की जाती थी कि वे घुड़सवारी और शस्त्र चलाने में निपुण हों। दल खालसा का प्रत्येक सदस्य किसी भी जत्थे में शामिल होने के लिए स्वतंत्र था। लड़ाई के समय 12 जत्थों के सरदारों में से किसी एक को दल खालसा का प्रधान चुन लिया जाता था और शेष सरदार उसकी आज्ञा का पालन करते थे। घुड़सवार सेना दल खालसा की सेना का मुख्य अंग था। सिख छापामार युद्धों के द्वारा अपने शत्रुओं का मुकाबला करते थे।

प्रश्न 3.
दल खालसा की सैनिक प्रणाली की छः विशेषताएँ लिखें।
(Write the six features of military administration of Dal Khalsa.)
उत्तर-
दल खालसा की महत्त्वपूर्ण सैनिक विशेषताएँ निम्नलिखित थीं—
1. घुड़सवार सेना-घुड़सवार सेना दल खालसा की सेना का महत्त्वपूर्ण अंग थी। वास्तव में इस काल में होने वाली लड़ाइयाँ ही ऐसी थीं जिनमें घुड़सवार सेना के बिना जीत प्राप्त करना असंभव था। सिखों के घोड़े बहुत कुशल थे। वे एक दिन में पचास से सौ मील तक का सफर तय करने की समर्था रखते थे।

2. पैदल सेना-दल खालसा में पैदल सेना का काम केवल पहरा देना था। सिख इस सेना में भर्ती होने को अपना अपमान समझते थे।

3. शस्त्र-लड़ाई के समय सिख तलवारों, बरछियों, खंडों, नेजों, तीर-कमानों और बंदूकों का प्रयोग करते थे। बारूद की कमी के कारण बंदूकों का कम ही प्रयोग किया जाता था।

4. सेना में भर्ती और अनुशासन-दल खालसा में भर्ती होने के लिए किसी भी सिख को विवश नहीं किया जाता था। प्रत्येक सिख अपनी इच्छानुसार दल खालसा के किसी भी जत्थे में सम्मिलित हो सकता था, वह जब चाहे उस जत्थे को छोड़कर दूसरे जत्थे में जा सकता था। सैनिकों के नामों, वेतन इत्यादि का कोई लिखित विवरण नहीं रखा जाता था।

5. वेतन–दल खालसा में सिखों को कोई निश्चित वेतन नहीं मिलता था। उनको केवल लूट में से हिस्सा मिलता था। बाद में उन्हें जीते गए प्रदेश में से भी कुछ हिस्सा दिया जाने लगा।

6. युद्ध प्रणाली–दल खालसा की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता गुरिल्ला अथवा छापामार युद्ध प्रणाली थी। गुरिल्ला युद्ध प्रणाली सिखों की शक्ति बढ़ाने में बड़ी उपयोगी सिद्ध हुई। इस प्रणाली के द्वारा सिख अपने शत्रुओं पर अचानक हमला करके उनको भारी हानि पहुँचाते थे। जितने समय में शत्रु संभलते सिख पुनः जंगलों और पहाड़ों की ओर चले जाते। सिख सैनिकों ने इस युद्ध प्रणाली के कारण मुग़लों और अफ़गानों की नाक में दम कर रखा था।

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प्रश्न 4.
दल खालसा की गुरिल्ला युद्ध नीति पर एक नोट लिखिए। (Write a note on guerilla mode of fighting of the Dal Khalsa.)
अथवा
दल खालसा की युद्ध प्रणाली की मुख्य विशेषताएँ संक्षेप में बताएँ। . (Give a brief account of the main features of mode of fighting of Dal Khalsa.)
अथवा
दल खालसा की युद्ध प्रणाली की मुख्य विशेषताओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। (Make a brief mention of the main features of the mode of fighting of Dal Khalsa.)
उत्तर-
दल खालसा की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता गुरिल्ला अथवा छापामार युद्ध प्रणाली को अपनाना था। अनेक कारणों से सिखों को यह प्रणाली अपनाने के लिए विवश होना पड़ा। पहला, गुरदास नंगल की लड़ाई में बंदा सिंह बहादुर और सैंकड़ों अन्य सिखों को कैदी बना लिया गया था जिन्हें बाद में बड़ी निर्ममता के साथ कत्ल कर दिया गया। इससे सिखों ने यह पाठ सीखा कि मुग़ल सेना से खुले युद्ध में टक्कर लेना उनके लिए कितना हानिकारक सिद्ध हो सकता है। दूसरे, अब्दुस समद खाँ, जकरिया खाँ, याहिया खाँ और मीर मन्नू के भारी अत्याचारों का मुकाबला करने के लिए सिखों के पास कोई अन्य रास्ता नहीं था। इसका कारण यह था कि सिखों के साधन मुग़लों की अपेक्षा बहुत सीमित थे। गुरिल्ला युद्ध प्रणाली सिखों की शक्ति बढ़ाने में बड़ी उपयोगी सिद्ध हुई। इस प्रणाली के द्वारा सिख अपने शत्रुओं पर अचानक हमला करके उनको भारी हानि पहँचाते थे। जितने समय में शत्र संभलते सिख पुनः जंगलों और पहाड़ों की ओर चले जाते। सिख यह कार्यवाही बड़ी फुर्ती के साथ करते। सिख सैनिक इस युद्ध प्रणाली के कारण ही पहले मुग़लों और बाद में अफ़गानों का मुकाबला करने में सफल हुए।

प्रश्न 5.
दल खालसा की कब और कहाँ स्थापना हुई ? सिख इतिहास में दल खालसा के महत्त्व का वर्णन करो। (When and where was Dal Khalsa established ? What is its significance in Sikh History ?)
अथवा
दल खालसा का क्या महत्त्व है ? (What is the importance of Dal Khalsa ?)
उत्तर-
दल खालसा की स्थापना 29 मार्च, 1748 ई० में वैशाखी वाले दिन अमृतसर में की गई। दल खालसा की स्थापना सिख इतिहास में एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण घटना मानी जाती है। इसने सिख कौम में एक नए जीवन का संचार किया। इसने सिखों को एकता के सूत्र में बाँधा। इसने सिखों को पंजाब के मुग़ल और अफ़गान सूबेदारों के अत्याचारों का मुकाबला करने के योग्य बनाया। इसने पंजाब में सिखों को राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने की प्रेरणा प्रदान की। दल खालसा के प्रयत्नों के फलस्वरूप सिख पंजाब में अपनी स्वतंत्र मिसलों की स्थापना करने में सफल हुए। दल खालसा ने लोकतंत्रीय सिद्धांतों का प्रचलन किया। वास्तव में दल खालसा की स्थापना के कारण ही सिख अंधकारपूर्ण युग से एक गौरवमयी युग में दाखिल होने में सफल हुए। निस्संदेह दल खालसा ने सिखों को बहुपक्षीय देन दी।

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Source Based Questions

नोट-निम्नलिखित अनुच्छेदों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उनके अंत में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए।

1
जकरिया खाँ के सभी प्रयास जब सिखों की शक्ति को कुचलने में असफल रहे तो उसने 1733 ई० में सिंखों से समझौता कर लिया। इस कारण सिखों को अपनी शक्ति संगठित करने का सुनहरी मौका मिल गया। 1734 ई० में नवाब कपूर सिंह ने सारे छोटे-छोटे दलों को मिला कर मुख्य दल में संगठित कर दिया। इनके नाम बुड्डा दल तथा तरुणा दल थे। बुड्डा दल में 40 वर्ष की आयु से ऊपर के सिखों को शामिल किया गया था। इस दल का कार्य सिखों के पवित्र धार्मिक स्थानों की देख-भाल करना और सिख धर्म का प्रचार करना था। तरुणा दल में 40 साल से कम आयु के सिखों को शामिल किया गया था। इस दल का मुख्य कार्य अपनी कौम की रक्षा करना और दुश्मनों का मुकाबला करना था। तरुणा दल को आगे पाँच जत्थों में बाँटा गया था और प्रत्येक जत्थे को एक अलग अनुभवी सिख जत्थेदार के अधीन रखा गया था। प्रत्येक दल में 1300 से लेकर 2000 तक नौजवान थे। प्रत्येक जत्थे का अपना झंडा तथा नगाड़ा था। चाहे नवाब कपूर सिंह जी को बुड्डा दल का नेतृत्व सौंपा गया था, पर वह दोनों दलों में साझी कड़ी का कार्य भी करते थे। दो दलों में संगठित हो जाने के कारण सिख मुग़लों के विरुद्ध अपनी गतिविधियाँ तेज़ कर सके।

  1. जकरिया खाँ कौन था ?
  2. बुड्ढा दल तथा तरुणा दल का गठन कब किया गया था ?
  3. बुड्डा दल तथा तरुणा दल का गठन किसने किया था ?
    • बंदा सिंह बहादुर
    • नवाब कपूर सिंह।
    • गुरु गोबिंद सिंह
    • उपरोक्त में से कोई नहीं।
  4. तरुणा दल में कौन सम्मिलित थे ?
  5. बुड्डा दल का नेतृत्व किसने किया था ?

उत्तर-

  1. जकरिया खाँ लाहौर का सूबेदार था।
  2. बुड्ढा दल तथा तरुणा दल का गठन 1734 ई० में किया गया था।
  3. नवाब कपूर सिंह।
  4. तरुणा दल में 40 साल से कम आयु के नौजवान सम्मिलित थे।
  5. बुड्ढा दल का नेतृत्व नवाब कपूर सिंह ने किया था।

2
29 मार्च, 1748 ई० को बैसाखी के दिन सिख अमृतसर में इकट्ठे हुए। नवाब कपूर सिंह जी ने यह सुझाव दिया कि आने वाले समय को देखते हुए पंथ को एकता और मज़बूती की ज़रूरत है। इस उद्देश्य को सामने रखते हुए उस दिन दल खालसा की स्थापना की गई। 65 सिख जत्थों को 12 मुख्य जत्थों में संगठित कर दिया गया। प्रत्येक जत्थे का अपना अलग नेता और झंडा था। सरदार जस्सा सिंह आहलुवालिया को दल खालसा का प्रधान सेनापति नियुक्त किया गया। प्रत्येक सिख जिसको गुरु गोबिंद सिंह जी के असूलों पर विश्वास था, को दल खालसा का सदस्य समझा जाता था। प्रत्येक सिख के लिए यह ज़रूरी था कि वह पंथ के शत्रुओं का मुकाबला करने के लिए दल खालसा में शामिल हो। दल खालसा में शामिल होने वाले सिखों से यह आशा की जाती थी कि वह घुड़सवारी और शस्त्र चलाने में निपुण हों। दल खालसा का प्रत्येक सदस्य किसी भी जत्थे में शामिल होने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र था।

  1. दल खालसा की स्थापना किसने की थी ?
  2. दल खालसा की स्थापना कब की गई थी ?
    • 1733 ई०
    • 1734 ई०
    • 1738 ई०
    • 1748 ई०
  3. सरदार जस्सा सिंह आहलूवालिया कौन था ?
  4. दल खालसा में कौन शामिल हो सकता था ?
  5. दल खालसा की कोई एक विशेषता लिखें।

उत्तर-

  1. दल खालसा की स्थापना नवाब कपूर सिंह जी ने की थी।
  2. 1748 ई०।
  3. सरदार जस्सा सिंह आहलूवालिया दल खालसा के प्रधान सेनापति थे।
  4. दल खालसा में प्रत्येक वह सिख शामिल हो सकता था जो गुरु गोबिंद जी के नियमों में विश्वास रखता था।
  5. घुड़सवार सेना दल खालसा की सेना का मुख्य अंग थी।

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दल खालसा का उत्थान और इसकी युद्ध प्रणाली PSEB 12th Class History Notes

  • दल खालसा के उत्थान के कारण (Causes of the Rise of the Dal Khalsa)-बंदा सिंह बहादुर की शहीदी के बाद मुग़ल सूबेदारों ने सिखों पर कठोर अत्याचार आरंभ कर दिए थे—सिख शक्ति को संगठित करने के लिए 1734 ई० में नवाब कपूर सिंह ने उन्हें बुड्डा दल और तरुणा दल में संगठित कर दिया—पंजाब में फैली अशाँति से लाभ उठाते हुए 1745 ई० में अमृतसर में सौ-सौ सिखों के 25 जत्थों की स्थापना की गई—ये जत्थे दल खालसा की स्थापना का आधार बने।
  • दल खालसा की स्थापना (Establishment of the Dal Khalsa)–दल खालसा की स्थापना 29 मार्च, 1748 ई० को अमृतसर में हुई—इसकी स्थापना नवाब कपूर सिंह जी ने की-सिखों को 12 मुख्य जत्थों में संगठित कर दिया गया—प्रत्येक जत्थे का अपना अलग नेता और झंडा था—सरदार जस्सा सिंह आहलूवालिया को दल खालसा का प्रधान सेनापति नियुक्त किया गया।
  • दल खालसा की सैनिक विशेषताएँ (Military Features of the Dal Khalsa)-घुड़सवार सेना दल खालसा की सेना का मुख्य अंग थी—सेना में भर्ती होने के लिए किसी भी सिख को विवश नहीं किया जाता था—प्रत्येक सिख जब चाहे एक जत्थे को छोड़कर दूसरे जत्थे में जा सकता थासैनिक प्रशिक्षण और विधिवत् वेतन की कोई व्यवस्था न थी—दल खालसा के सैनिक गुरिल्ला युद्ध प्रणाली से लड़ते थे-लड़ाई के समय तलवारों, बरछियों, खंडों, तीर कमानों और बंदूकों का प्रयोग किया जाता था।
  • दल खालसा का महत्त्व (Significance of the Dal Khalsa)-दल खालसा ने सिखों की बिखरी हुई शक्ति को एकता के सूत्र में बाँध दिया-इसने सिखों को अनुशासन में रहना सिखाया—दल खालसा के प्रयासों से ही सिख पंजाब में अपनी स्वतंत्र मिसलें स्थापित करने में सफल हुए।

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