PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 28 बुनियादी ढांचा और ऊर्जा

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 28 बुनियादी ढांचा और ऊर्जा Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 28 बुनियादी ढांचा और ऊर्जा

PSEB 12th Class Economics बुनियादी ढांचा और ऊर्जा Textbook Questions, and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
बुनियादी ढांचा शब्द किस भाषा से लिया गया है?
(a) लैटिन
(b) ग्रीक
(c) फ्रैंच
(d) संस्कृत।
उत्तर-
(c) फ्रैंच।

प्रश्न 2.
बुनियादी ढांचे से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
किसी देश में आर्थिक तथा सामाजिक सेवाएं प्रदान करना बुनियादी ढांचा कहलाता है।

प्रश्न 3.
Infra शब्द का अर्थ नीचे का और Structure का अर्थ ढांचा होता है।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 4.
देश में शिक्षा संस्थान, अस्पताल, पार्क आदि के विकास को ……. बुनियादी ढांचा कहा जाता
उत्तर-
सामाजिक अथवा नरम बुनियादी ढांचा (Soft-Infrastructure)।

प्रश्न 5.
देश में सड़कें, रेलें, पुल, बिजली, पानी सहूलतों को ……. बुनियादी ढांचा कहा जाता है।
उत्तर-
सख्त (सथूल) बुनियादी ढांचा (Hard Infrastructure)।

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प्रश्न 6.
सामाजिक बुनियादी ढांचे का विकास देश में आर्थिक उत्पादन की वृद्धि के लिए सहायक होता है। (सही/गलत)
उत्तर-
सही।

प्रश्न 7.
आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचा एक दूसरे पर निर्भर करते हैं।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 8.
बुनियादी ढांचे के विकास का आर्थिक-विकास पर प्रभाव नहीं पड़ता।
उत्तर-
गलत।

प्रश्न 9.
मानव पूँजी का विकास …………… बुनियादी ढांचे का भाग है।
उत्तर-
सामाजिक।

प्रश्न 10.
आर्थिक बुनियादी ढांचे और सामाजिक बुनियादी ढांचे में कोई अन्तर नहीं है।
उत्तर-
गलत।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बुनियादी ढांचे से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
बुनियादी ढांचे का अर्थ उन आधारभूत सहूलतों से हैं जिन द्वारा देशवासियों को यातायात तथा जीवन स्तर के लिए सहूलते प्रदान की जा सकें। इनका उद्देश्य देश में कृषि, उद्योग, यातायात, संचार का विकास करके चिरकालीन आर्थिक विकास करना होता है। बुनियादी ढांचे में रेलों, सड़कों, सिंचाई, बिजली, पानी, सेहत, ऊर्जा आदि सुविधा प्रदान की जाती है।

प्रश्न 2.
आर्थिक बुनियादी ढांचे से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
आर्थिक बुनियादी ढांचा (Economic Infrastructure) देश के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान डालता है। इसमें यातायात, संचार, सड़कों, रेलों, बिजली पानी कौशल, तकनीक के विकास द्वारा कृषि और उद्योगों के उत्पादन में वृद्धि की जाती है। इस द्वारा देश में चिरकालीन विकास होता है।

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प्रश्न 3.
सामाजिक बुनियादी ढांचे से क्या अभिप्राय है?
उत्तर–
सामाजिक बुनियादी ढांचे (Social Infrastructure) से अभिप्राय उन सहूलतों से है जो लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए सहयोगी होती हैं। इन सहूलतों में शिक्षा, सेहत, घर निर्माण, पार्क, अस्पताल, सभ्याचारक केन्द्र सथापित करना होता है।

प्रश्न 4.
ऊर्जा के मुख्य स्त्रोत बताओ?
उत्तर-
ऊर्जा के मुख्य स्त्रोत इस प्रकार हैं-
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 28 बुनियादी ढांचा और ऊर्जा 1

प्रश्न 5.
परंपरागत ऊर्जा के किसी एक स्त्रोत का वर्णन करें।
उत्तर-
कोयला (Coal) कोयला ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण परंपरागत स्रोत है। भारत में कोयले के 326 बिलियन भंडार हैं। इस का वार्षिक उत्पादन 396 मिलियन टन किया जाता है। इसके भंडार, बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश और बंगाल में पाए जाते हैं।

प्रश्न 6.
किसी एक गैर पारम्परिक ऊर्जा के स्रोत का वर्णन करें।
उत्तर-
सूर्य ऊर्जा (Solar Energy)-यह ऊर्जा सूर्य की रोशनी द्वारा उत्पन्न होती है। फोटोवोल्टैनिक सैल, सूर्य की किरणों की ओर लगाए जाते हैं। इस द्वारा जो बिजली उत्पन्न होती है उस का प्रयोग घरेलू कामों के लिए किया जाता है। जैसे कि खाना बनाने, रोशनी और जल साफ़ करने आदि कामों के लिए किया जाता है।

III. लघु उत्तरीय प्रश्न | (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बुनियादी ढाचे का अर्थ बताएं, बुनियादी ढांचे का वर्गीकरण स्पष्ट करें।
उत्तर-
बुनियादी ढांचे का अर्थ (Meaning of Infrastructure)-बुनियादी ढांचे का अर्थ उन आधारभूत सहूलतों से है जिन के द्वारा अर्थव्यवस्थता के संचालन को चिरकालीन विकास के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसमें उन आधारभूत सहूलतों को शामिल किया जाता है जो आर्थिक विकास का आधार बनती हैं। बुनियादी ढांचे में सड़कों, रेलों, पुल, जल आपूर्ति, बिजली संचार, इंटरनैट आदि को शामिल किया जाता है।

बुनियादी ढांचे का वर्गीकरण (Classification of Infrastructure) बुनियादी ढांचे के वर्गीकरण को दो भागों में बांटा जा सकता है।

  1. स्थूल बुनियादी ढांचा (Hard Infrastructure)-इसको आर्थिक बुनियादी ढांचा भी कहा जाता है। इसमें भौतिक वस्तुओं को शामिल किया जाता है जैसे कि सड़कें, रेलवे, फ्लाईओवर, बिजली आदि का विकास शामिल किया जाता है।
  2. नरम बुनियादी ढांचा (Soft Infrastructure)-नरम बुनियादी ढांचे को सामाजिक ढांचा भी कहा जाता है। इसमें अस्पताल, शिक्षा संस्थान, पार्क, मनोरंजन सहूलतों को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 2.
आर्थिक बुनियादी ढांचे और सामाजिक बुनियादी ढांचे से क्या अभिप्राय है? ।
उत्तर-

  • आर्थिक बुनियादी ढांचा (Economic Infrastructure)-इस बुनियादी ढांचे में स्थूल वस्तुओं को शामिल किया जाता है जिसमें सड़कें, रेलवे, बिजली, कृषि विकास औद्योगिक सुविधाएं, ऊर्जा आदि शामिल होते हैं। इससे उत्पादन क्रियाओं में गति पैदा होती है और देश का आर्थिक विकास तेज़ हो जाता है। लोगों की आय और रोजगार में वृद्धि होती है।
  • सामाजिक बुनियादी ढांचा (Social Infrastructure)-सामाजिक बुनियादी ढांचे को नरम बुनियादी ढांचा भी कहा जाता है। इसमें सामाजिक सेवाएं शामिल होती हैं। जिनकी सहायता से उत्पादन शक्ति में वृद्धि होती है। सरकार द्वारा लोगों को शिक्षा, सेहत, तकनीकी शिक्षा, खेल के मैदान, पार्क आदि सहूलतें प्रदान की जाती हैं। इन सहूलतों के कारण लोगों की उत्पादन शक्ति में वृद्धि होती है और आर्थिक विकास पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 3.
बुनियादी ढांचे के महत्त्व को स्पष्ट करें।
उत्तर-
बुनियादी ढांचे का महत्त्व (Importance of Infrastructure) –

  1. आर्थिक विकास में वृद्धि-बुनियादी ढांचे द्वारा देश में आर्थिक विकास की गति तेज़ हो जाती है। आर्थिक विकास ही प्रत्येक देश का मुख्य उद्देश्य होता है इसके लिए बुनियादी ढांचा अति आवश्यक है।
  2. रोज़गार में वृद्धि-जब देश में आर्थिक ढांचे का निर्माण होता है जिस द्वारा सड़कें, नहरें, पुल आदि बनते हैं तो इसके निर्माण के समय रोज़गार में वृद्धि होती है और बनने के पश्चात् और बहुत से उद्योग स्थापित हो जाते हैं। इसलिए रोजगार में वृद्धि होने लगती है।
  3. उत्पाद शक्ति में वृद्धि-आधारभूत ढांचे के विकास से लोगों की उत्पादन शक्ति में वृद्धि होती है। उत्पादन शक्ति बढ़ने से न केवल देश के लोगों की आवश्यकताएं पूरी होती हैं बल्कि विदेशों में वस्तुओं का निर्यात बढ़ने से विदेशी मुद्रा के रूप में आय प्राप्त होती है।
  4. जीवन स्तर के लिए सहायक–देश में साफ सुथरा वातावरण, सेहत सहूलतों के बढ़ने से लोगों के काम करने की समर्था में वृद्धि होती है। उन की आय बढ़ जाती है और इस से राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है।

प्रश्न 4.
ऊर्जा के परम्परागत तथा गैर परम्परागत स्रोतों का वर्णन करें।
उत्तर-

  1. परम्परागत स्रोत (Conventional Sources)-इनको गैर-नवीनीकरण (Non-Renewable Source) भी कहा जाता है अर्थात इनका प्रयोग एक बार ही किया जा सकता है जितनी देर तक देश में इन स्रोतों के भंडार होते हैं तब तक ही यह प्रयोग में आ सकते हैं जैसे कि कोयला (Coal), पैट्रोल तथा गैस (Patrol and Gas) और बिजली (Electricity) आदि।
  2. गैर परम्परागत स्रोत (Non-Conventional Sources)-इनको नवीनीकरण स्रोत (Renewable Sources) कहा जाता है। यह प्रकृति की मुफ्त देन होती है जिसका प्रयोग हम बार बार कर सकते हैं। इन स्रोतों द्वारा ऊर्जा पैदा करना आसान होता है। जैसे कि सूर्य ऊर्जा (Solar Energy), वायु ऊर्जा (Wind Energy), बायो गैस ऊर्जा (BioGas Energy) आदि इसके महत्त्वपूर्ण रूप हैं। ये स्रोत प्रकृति द्वारा दिये जाते हैं और इनका अन्त नहीं होता। इन स्रोतों को विकसित करने की आवश्यकता है जिससे दीर्घकाल तक विकास किया जा सकता है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
बुनियादी ढांचे से क्या अभिप्राय है? बुनियादी ढांचे की किस्में बताएं। (What is meant by Infrastructure ? Explain the types of Infrastructure.)
उत्तर-
बुनियादी ढांचे का अर्थ (Meaning of Intrastructure)-बुनियादी ढांचे शब्द का प्रयोग सबसे पहले फ्रांस में 1880 में किया गया। यह फ्रेन्च भाषा के दो शब्दों को मिलाकर बनाया गया। Infra जिसका अर्थ है नीचे का (Below) और Structure का अर्थ है ढांचा (Building) बुनियादी ढांचा आधार होता है जिसके ऊपर अर्थव्यवस्था का ढांचा तैयार किया जाता है। 1987 में अमरीका की राष्ट्रीय खोज कौंसिल (National Reserach Council) ने सार्वजनिक ढांचे के रूप में इसका प्रयोग किया जिससे हाईवेज़, हवाई अड्डे, टैलीकमिनीकेशन और जल आपूर्ति के लिए इसका प्रयोग किया गया।

बुनियादी ढांचे से अभिप्राय उन सहूलतों से है जिन के द्वारा अर्थव्यवस्था का संचालन किया जाता है जिससे चिरकालीन विकास हो सके। बुनियादी ढांचे में सार्वजनिक अथवा निजी ढांचे को शामिल किया जाता है। इसमें सड़कें (Roads), रेलवे (Railways), पुल (Bridges) जल आपूर्ति (Water Supply), सीवरेज़ (Sewage), बिजली (Electricity), संचार (Telecommunication) और इन्टरनेट (Internet) आदि को शामिल किया जाता है। इसको परिभाषा देते हुए जैफ़री फलमर (Joffery Fulmer) ने कहा है, “बुनियादी ढांचा अन्तर सम्बन्धत प्रणाली को कहा जाता है जिस द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं की सुविधा प्रदान करके चिरकालीन विकास अथवा सामाजिक जीवन स्थितियाँ पैदा करके वातावरण को ठीक रखा जाता है।” (“Infrastructure is the physical components of inter-related system providing commodities and services essential to enable sustain or enhance social living conditions to maintain the surrounding or environment.” Jaffery Fulmer).

बुनियादी ढांचे का वर्गीकरण (Classification of Infrastructure) बुनियादी ढांचे को दो भागों में बांटा जा सकता है-

  1. सख्त और स्थूल बुनियादी ढांचा (Hard Infrastructure)-सख्त बुनियादी ढांचे में भौतिक काम (Physical Network) होते हैं। जिस के द्वारा उद्योगों (Industries) का संचालन किया जाता है। इनमें सड़कें, पुल, फ्लाईओवर, रेलें आदि का विकास शामिल होता है। इस को आर्थिक बुनियादी ढांचा (Economic Infrastructure) भी कहा जाता है।
  2. नरम बुनियादी ढांचा (Soft Infrastructure)-नरम बुनियादी ढांचे में वे संस्थाएं शामिल होती हैं जिन के द्वारा आर्थिक, सेहत, सामाजिक वातावरण और अस्पताल, पार्क, मनोरंजन सहूलतें, कानून व्यवस्था आदि सेवाओं को शामिल किया जाता है। इस को सामाजिक बुनियादी ढांचा भी कहा जाता है।

बुनियादी ढांचे की किस्में (Types of Infrastructure)-बुनियादी ढांचे की मुख्य किस्में इस प्रकार हैं-
1. आर्थिक बुनियादी ढांचा (Economic Infrastructure)-आर्थिक बुनियादी ढांचे में सड़कें, यातायात के साधन, जलापूर्ति, सीवरेज, कृषि का विकास, औद्योगिक विकास ऊर्जा आदि के विकास को शामिल किया जाता है। जिस से उत्पादन में वृद्धि होती है।

2. सामाजिक बुनियादी ढांचा (Social Infrastructure)-इसमें समाजिक सुविधाओं को शामिल किया जाता है जिनमें शिक्षा संस्थान, अस्पताल, पार्क आदि के विकास पर बल दिया जाता है। इसकी व्याख्या 1965 में प्रो. हैलसेन ने की थी।

3. निजी बुनियादी ढांचा (Personal Infrastructure)-निजी बुनियादी ढांचे में मानव पूँजी (Human Capital) को शामिल किया जाता है। जब लोग शिक्षा प्राप्त करके अपने कौशल का विकास करते हैं और उनकी सेहत अच्छी होती है तो उत्पादन शक्ति में वृद्धि होती है। इसको निजी बुनियादी ढांचा कहा जाता है।

4. भौतिक बुनियादी ढांचा (Material Infrastructure)-भौतिक बुनियादी ढांचे में अचल पूँजी (Immoveable Capital) को शामिल किया जाता है। इस में उद्योगों का विकास, कृषि की उत्पादन शक्ति में वृद्धि करके लोगों की आवश्यकता को पूरा किया जाता है।

5. ज़रूरी बुनियादी ढांचा (Core Infrastructure)-कुछ अर्थशास्त्रियों ने बुनियादी ढांचे क्षेत्रों में जरूरी बुनियादी ढांचे को शामिल किया है इसमें निवेश द्वारा आय में वृद्धि, मुद्रा स्फीति को काबू में रखना, उद्योगों का विकास, सड़कें, नहरें, बिजली आदि को शामिल किया जाता है।

6. आधारभूत बुनियादी ढांचा (Basic Infrastructure)-इसमें सड़कें, नहरें, रेलें, बंदरगाहों का विकास, भूमि की उपज में वृद्धि आदि को शामिल किया जाता है। यदि हम देखें तो बुनियादी ढांचे को दो किस्मों आर्थिक बुनियादी ढांचा और सामाजिक बुनियादी ढांचे को अलगअलग नाम दिये गए हैं।

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प्रश्न 2.
बुनियादी ढांचे से क्या अभिप्राय है? इसके महत्त्व को स्पष्ट करें। (What is meant by Infrastructure ? Discuss the importantce of Infrastructure)
उत्तर-
बुनियादी ढांचे का अर्थ (Meaning of Infrastructure)-बुनियादी ढांचे से अभिप्राय उन आधारभूत सुविधाओं से है जिन के द्वारा देश का आर्थिक विकास तेजी से किया जा सकता है। इन में कृषि पैदावार, औद्योगिक विकास, सड़कें, यातायात के साधन, रेलवे, बिजली, जलापूर्ति आदि सुविधाओं को शामिल किया जाता है।

बुनियादी ढांचे का महत्त्व (Importance of Infrastructure)-

  1. आर्थिक विकास में वृद्धि (Increase in Economic Development)-प्रत्येक देश का मुख्य उद्देश्य आर्थिक विकास प्राप्त करना होता है। इस के लिए बुनियादी ढांचे का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। देश में उत्पादन में वृद्धि होती है। मानव पूँजी का विकास होता है तो आर्थिक विकास तेजी से होता है।
  2. रोज़गार में वृद्धि (Increase in Employment)-बुनियादी ढांचे के विकास से देश में रोज़गार के नए अवसर पैदा होते हैं। जब देश में सड़कें, पुल, डैम आदि का निर्माण होता है तो रोज़गार में वृद्धि होती है। यह काम पूरा होते ही उद्योग स्थापित होते हैं, कृषि पैदावार बढ़ जाती है, होटल, बैंक, सुविधाएं अधिक हो जाती हैं तो रोज़गार में और वृद्धि होती है।
  3. उत्पादन शक्ति में वृद्धि (Increase in Productivity)-उत्पादन शक्ति में वृद्धि बुनियादी ढांचे पर निर्भर करती है। जब देश में आर्थिक तथा सामाजिक बुनियादी ढांचे का विकास होता है तो लोगों की उत्पादन शक्ति बढ़ जाती है जिस द्वारा न केवल देश के लोगों की आवश्यकताएं पूरी होती हैं बल्कि विदेशों की ज़रूरतों को पूरा किया जाता है।
  4. अर्थव्यवस्था के संचालन में सहायक (Helpful in Functioning of the Economy)-किसी देश के प्राकृतिक तथा मानव संसाधनों के उचित उपयोग के लिए भी बुनियादी ढांचा महत्त्वपूर्ण होता है। यातायात, संचार, बिजली, पानी, बैंकिंग आदि सहूलतें आर्थिक विकास के लिए अति आवश्यक होती हैं। इस से देश के साधनों का पूर्ण उपयोग संभव होता है।
  5. विदेशी काम के लिए सहायक (Helpful in Outsourcing)-जब विदेशी कंपनियां आपना काम दूसरे देशों में प्रारंभ करती हैं तो वहाँ के लोगों से सहयोग लिया जाता है। यदि लोगों को काम करने का ज्ञान है और वे आधुनिक, कम्पूयटर आदि को संचालन कर सकते हैं तो काल सैंटर (Call Center) खोल कर आय प्राप्त कर सकते हैं।
  6. जीवन स्तर के लिए सहायक (Helpful in Standard of Living)-जिस देश में बुनियादी ढांचा विकसित हो जाता है उस देश के लोगों को रोजगार प्राप्त होता है। उनकी आय बढ़ जाती है।

इससे रहन-सहन पर अच्छा प्रभाव पढ़ता है। लोग अपने बच्चों को शिक्षा और उच्च शिक्षा दिलवाने के काबिल हो जाते हैं। इससे लोगों की काम करने की शक्ति पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है और आर्थिक विकास होता है।

प्रश्न 3.
भारत में ऊर्जा के स्रोतों को वर्णन करो। Explain the sources of Energy in India.
उत्तर-
ऊर्जा आर्थिक विकास के लिए महत्त्वपूर्ण स्रोत है। इसको दो भागों में बांट कर स्पष्ट किया जा सकता है|
PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 28 बुनियादी ढांचा और ऊर्जा 2
(A) परम्परागत स्रोत (Conventional Source)-परम्परागत स्रोत को गैर नवीनीकरण स्रोत भी कहा जाता है। जैसे जैसे हम परम्परागत स्रोतों का प्रयोग करते हैं तो धीरे-धीरे इन के भंडार समाप्त हो जाते हैं। इस कारण इन को गैर नवीनीकरण स्रोत कहा जाता है।

परम्परागत स्रोत दो प्रकार के होते हैं।

  • व्यापारिक स्रोत (Conventional Source)
  • गैर-व्यापारिक स्त्रोत (Non-conventional Source) ।

व्यापारिक स्त्रोंतो में मुख्य स्रोत

  1. कोयला
  2. पैट्रोल और प्राकृतिक गैस
  3. बिजली होते है और गैर

व्यापारिक स्रोत

  • लकड़ी
  • कृषि कूड़ा करकट
  • सूखा गोबर (उपले)।

इस अध्याय में हम व्यापारिक परम्परागत स्रोतों का अध्ययन करेंगे-
1. कोयला (Coal)-भारत में व्यापारिक परम्परागत स्रोत कुल स्रोतों का 74% हैं जिनमे कोयले का भाग 44% हैं। 2020-21 में अनुमान लगाया गया है कि कोयले के भंडार 100 साल के पश्चात समाप्त हो जाएंगे। कोयला उत्पादन में भारत का विश्व में चौथा स्थान है। भारत में कोयला थर्मल प्लांटों, फैक्ट्रियों, रेलों आदि में प्रयोग किया जाता है। कोयले के भंडार उड़ीसा, बिहार, बंगाल तथा मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं। भारत में भूरे कोयले (Liginite) के भंडार भी हैं जो कि नवेली (Neyveli) में पाए जाते हैं। इस कोयले का भंडार लगभग 3300 मिलियन टन है।

2. पैट्रोल तथा प्राकृतिक गैस (Petrol & Natural Gas)-पैट्रोल भी ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्रोत है। इसका प्रयोग विश्व भर में किया जाता है। पैट्रोल का प्रयोग वाहनों (Automobiles) रेल गाड़ियों (Railway), हवाई जहाजों (Aeroplans) और समुद्री जहाजों (Ships) आदि के लिए किया जाता है। भारत में पैट्रोल आसाम, बाम्बे हाई और गुजरात में मिलता है। 2000-01 में अनुमान लगाया गया था कि भारत में 32 मिलियन टन पैट्रोल के भण्डार हैं यह देश की 25% आवश्यकताओं को पूरा करता है।

बाकी पैट्रोल खाड़ी देशों से आयात किया जाता है। भारत में तेल साफ करने की पहली रिफाइनरी आसाम में लगाई गई थी। इस के पश्चात भारत में 13 और रिफाइनरियाँ स्थापत की गई हैं जिन की तेल शोधक क्षमता 604 लाख टन है। यदि इस रफ्तार से पैट्रोल का प्रयोग भारत के पैट्रोल भण्डारों से किया गया तो 20-25 वर्ष में यह भंडार समाप्त हो जाएंगे। प्राकृतिक गैस भी ऊर्जा का स्रोत है। यह रासायनिक खाद और कैमीकल के उद्योगों में प्रयोग होती है। इस को खाना बनाने में भी प्रयोग किया जाता है।

3. बिजली (Electricity)-बिजली सब से अधिक प्रयोग किया जाने वाला और सब से अधिक प्रचलित ऊर्जा स्रोत है। इस का प्रयोग व्यापारिक कार्यों तथा घरेलू उद्देश्यों के लिए किया जाता है। इस का प्रयोग खाना बनाने, पंखे, ऐ०सी० फ्रिज, कपड़ा धोने की मशीनों आदि के लिए किया जाता है। इस को कृषि उपकरणों को चलाने, उद्योगों के संचालन, व्यापारिक संस्थानों तथा घरेलू उपयोग के लिए किया जाता है।

भारत में कुल बिजली का 25% भाग कृषि के लिए, 36% भाग उद्योगों के लिए 24% भाग घरेलू कामों के लिए तथा अन्य 15% भाग और कामों के लिए प्रयोग किया जाता है। भारत में बिजली पैदा करने के तीन स्रोत हैं।

  • थर्मल शक्ति (Thermal Power)
  • हाईड्रो इलैक्ट्रिक शक्ति (Hydro Electric Power)
  • अणु शक्ति (Neuclear Power)।

31 मार्च 2020 तक भारत में बिजली पैदा करने की क्षमता 356100 MW है। जिसमें 68% थर्मल प्लांटों द्वारा प्राप्त की जाती है जिसका हिस्सा अब कम हो रहा है।

गैर-परम्परागत स्रोत (Non-Conventional Source)-गैर-परम्परागत स्रोतों को नवीनीकरण स्रोत (Renewable Source) भी कहा जाता है। गैर-परम्परागत स्रोत निम्नलिखित अनुसार हैं-
1. सौर ऊर्जा (Solar Energy)-सौर ऊर्जा एक महत्त्वपूर्ण और ऊर्जा का मुफ्त स्रोत है। विश्व में जितनी कुल ऊर्जा की ज़रूरत है उससे 15000 गुणा अधिक सौर ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। एक वर्ग km में 20 MW प्लांट की स्थापना की जा सकती है। सौर ऊर्जा को तीन भागों में बांटा जा सकता है। कम तापमान वाले यंत्र (100°C), मध्य ताप यत्र (100°C से 300°C) और उच्च ताप यंत्र 300°C से अधिक ऊर्जा पैदा करने के लिए यंत्र। इन का प्रयोग होटलों में, डेयरी फार्मों में, कपड़ा उद्योगों में तथा घर के कामों के लिए किया जा सकता है।

2. वायु ऊर्जा (Wind Energy) वायु द्वारा भी ऊर्जा पैदा की जा सकती है। भू-मध्य रेखा पर अधिक गर्म जलवायु होती है। जैसे हम उत्तरी पोल तथा दक्षणी पोल की तरफ जाते हैं। गर्मी कम होती जाती है। जहां पर वायु 15 km/h (15 km प्रति घंटा) की रफ्तार से चलती है वहां पर वायु ऊर्जा यन्त्र लगाए जा सकते हैं। यदि वायु 25 km/ h से 30 km/h की रफ्तार से चलती है वहाँ पर ज्यादा ऊर्जा पैदा की जा सकती है। भारत में अनुमान है कि 20,000 MW ऊर्जा वायु ऊर्जा द्वारा पैदा की जा सकती है।

3. बायो-ऊर्जा (Bio-Energy)-बायो ऊर्जा भी ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत माना जाता है। यह लकड़ी उद्योग, कृषि तथा घरों से निकलने वाले कचरे के प्रयोग से ऊर्जा के निर्माण में सहायक होता है। पशुओं के गोबर से भी गैस प्राप्त की जा सकती है जिस का प्रयोग घर में खाना बनाने के लिये किया जा सकता है। कचरे द्वारा जो ऊर्जा पैदा की जाती है इस का दोहरा लाभ होता है। एक तो कचरे से पैदा होने वाला प्रदूषण समापत हो जाता है तथा इस के प्रयोग द्वारा जो बिजली उत्पन्न होती है उस का प्रयोग भी होता है। विकसित देशों में बायो ऊर्जा द्वारा भी ऊर्जा प्राप्त की जा रही है। आधुनिक युग में अनु ऊर्जा (Atomic Energy) के प्लांट भी स्थापित किये जा रहे हैं जिस द्वारा ऊर्जा पैदा करके देश की आवश्यकताओं को पूरा करने के यत्न किये जा रहे हैं।

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प्रश्न 4.
बुनियादी ढांचे से क्या अभिप्राय है? आर्थिक बुनियादी ढांचे के अंश बताएं।
(What do you mean by Infrastructure? Give brief account of components of economic Infrastructure?)
उत्तर-
बुनियादी ढांचे से अभिप्राय वह सुविधायें, काम अथवा सेवाएं हैं जो कि अर्थव्यवस्था के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों का विकास करने के लिए योगदान डालते हैं। देश का पूँजी भण्डार जो अर्थव्यवस्था के विकास के लिए आवश्यक सेवाएं प्रदान करता है उस को बुनियादी ढांचा कहा जाता है। (“Infrastructure means the services and facilities which are helpful in development of Primary secondary & teritary sectors of the economy.”)
आर्थिक बुनियादी ढांचे के अंश- (Components of Economic Infrastructure) आर्थिक बुनियादी ढांचे के तीन अंश होते हैं –
1. ऊर्जा (Energy)
2. यातायात (Transportation)
3. संचार (Communication)
1. ऊर्जा (Energy)-ऊर्जा के बगैर औद्योगिक विकास संभव नहीं होता। ऊर्जा दो प्रकार की होती है। व्यावहारिक ऊर्जा (Commercial Energy) जिसमें कोयला (Coal), पैट्रोल (Petrol) प्राकृतिक गैस (Natural Gas) और बिजली (Electricity) को शामिल किया जाता है। गैर परंपरागत ऊर्जा में लकड़ी, पशुओं तथा कृषि का कचरा शामिल किया जाता है।

व्यावहारिक ऊर्जा के स्रोत इस प्रकार हैं-

  • कोयला (Coal)-कोयला ऊर्जा का पुरातन तथा महत्त्वपूर्ण स्रोत है। भारत में कोयला काफी मात्रा में पाया जाता है। इस के भण्डार 100 वर्ष तक चलने की संभावना है।
  • पैट्रोल (Petrol)-पैट्रोल भी ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्रोत है। भारत में यह आसाम, बांबे हाई और गुजरात में पाया जाता है। इस के भण्डार देश की 25% आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
  • प्राकृतिक गैस (Natural Gas)-प्राकृतिक गैस भी बुनियादी ढांचे का अंश है। इस का प्रयोग घरों में खाना बनाने तथा खाद बनाने के लिए किया जाता हैं।
  • बिजली (Electricity)-बिजली भारत में थर्मल प्लांटों हाईड्रो इलैक्ट्रिक पावर और अणु शक्ति से प्राप्त की जाती है।

(A) गैर परंपरागत स्रोत (Non Conventional Sources)-

  • सूर्य ऊर्जा (Solar Energy)-भारत में यह महत्त्वपूर्ण स्रोत हो सकता है क्योंकि वर्ष के 365 दिनों में से 325 से 335 दिन तक सूर्य ऊर्जा उत्पादन की जा सकती है।
  • वायु ऊर्जा (Wind Energy)-भारत के पठारी इलाके में वायु ऊर्जा उत्पादन की जा सकती है।
  • बायो ऊर्जा (Bio-Energy)-यह पशुओं तथा कृषि के कचरे से पैदा की जा सकती है।

(B) यातायात (Transportation) यातायात भी बुनियादी ढांचे का महत्त्वपूर्ण अंश है। यातायात में रेलवे, सड़कें, जल यातायात, हवाई यातायात को शामिल किया जाता है।

  • रेल यातायात (Rail Transportation)-भारत में रेल यातायात सब से महत्त्वपूर्ण यातायात का स्रोत है। इस समय रेलों का जाल देश भर में फैला हुआ है। भारत में रेलवे ट्रैक 1,15,000 km है। यह एशिया में सब से अधिक और विश्व में दूसरे स्थान पर है। यह ट्रैक 67368 km क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • सड़क यातायात (Road Transportation)-भारत में मार्च 2019 तक 1,32,500 km राष्ट्रीय सड़क मार्ग तथा 1,76,166 km राज्य सड़क मार्ग से सड़कों द्वारा मुसाफिरों तथा माल का आवागमन होता है।
  • जल यातायात (Water Transportation)-जल यातायात भी बुनियादी ढांचे का महत्त्वपूर्ण साधन है। यह भारत में 14,500 km क्षेत्र में फैला हुआ है जिसमें से 5,685 km व्यापारिक वाहनों के लिये प्रयोग किया जाता है।
  • हवाई यातायात (Air Transportation)-हवाई यातायात से लोग एक स्थान से दूसरे स्थानों तक सफर करते हैं तथा माल भी दूसरे स्थानों पर भेजा जाता है। भारत में दो हवाई कंपनियां हैं। पहली Air India जिस द्वारा 28 अन्तर्राष्ट्रीय तथा 13 घरेलू उड़ानें भरी जाती हैं। दूसरी Indian Airlines जो देश में 58 स्थानों को आपस में जोड़ती है।

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(C) संचार (Communication)-संचार में डाक सेवाएं (Postal Services), टैलीफोन सेवाएं (Telephone Services) तथा टैलीग्राम सेवाएं (Telegraphic Services) को शामिल किया जाता है।

  1. डाक सेवाएं (Postal Services) भारत में डाक विभाग बहुत पुरातन संचार का साधन है। भारत में इस समय लगभग 1,56,000 डाकखाने हैं। जिन में से 1,39,000 डाकखाने गाँव में स्थित है। प्रत्येक डाकखाने को पिन कोड दिया गया है। यह डाकखाने E Post, Speed Post, Express Post, Satellite Post आदि सेवाएं प्रदान करते हैं।
  2. टैलीफोन सेवाएं (Telephone Services)-भारत में टैलीफोन भी संचार का साधन है। टैलीफोन सेवाओं में भारत एशिया भर में पहले स्थान पर है। STD की सुविधा 23000 से अधिक स्थान पर दी जाती है।
  3. टैलीग्राफ सेवाएं (Telegraph Services)-भारत में लगभग 45,000 टैलीग्राफ दफ्तर हैं। इनके द्वारा देश में लिखती संदेश भेजे जाते हैं। इन आर्थिक सेवाओं द्वारा देश के आर्थिक विकास में वृद्धि होती है। प्रत्येक बजट में आर्थिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए यत्न किये जा रहे हैं। इस द्वारा देश के आर्थिक विकास में तेजी से वृद्धि होने की संभावना है|

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