PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 26 आर्थिक विकास में मानव पूँजी का योगदान

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 26 आर्थिक विकास में मानव पूँजी का योगदान Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 26 आर्थिक विकास में मानव पूँजी का योगदान

PSEB 12th Class Economics आर्थिक विकास में मानव पूँजी का योगदान Textbook Questions, and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
मानव पूंजी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
मनुष्यों की कार्य कुशलता, ज्ञान और कौशल में वृद्धि को मानव पूँजी कहा जाता है।

प्रश्न 2.
मशीन, औज़ार और फैक्ट्रियां ही पूँजी निर्माण होते हैं ?
उत्तर-
गलत।

प्रश्न 3.
मनुष्य भी पूँजी निर्माण का महत्त्वपूर्ण स्रोत है ?
उत्तर-
सही।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
क्या जनसंख्या पूँजी निर्माण का स्रोत हो सकती है ?
उत्तर-
जनसंख्या का अधिक होना भी पूँजी निर्माण का स्रोत हो सकती है। इस बारे में प्रो० लुईस ने एक सिद्धान्त पेश किया है जिसमें वह कहते है कि बढ़ती जनसंख्या भी पूंजी निर्माण का साधन होती है ? चीन ने यह सिद्ध किया है कि अधिक जनसंख्या का अच्छी तरह प्रयोग करके उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है। आज चीन दुनिया की एक महत्त्वपूर्ण शक्ति बन चुका है। इसलिए जनसंख्या पूँजी निर्माण का स्रोत बन सकती है।

प्रश्न 2.
मानव पूँजी द्वारा आर्थिक विकास के दो स्रोत बताएं।
उत्तर-

  1. आर्थिक विकास के लिए मानव पूँजी योगदान पा सकती है। मानव पूँजी द्वारा उच्च शिक्षा, अच्छी सेहत और विज्ञान के प्रयोग से उत्पादन में वृद्धि करके आर्थिक विकास संभव हो सकता है।
  2. मानव पूँजी आर्थिक विकास के औज़ार के रूप में भी प्रयोग की जा सकती है। मानव पूँजी उत्पादन के नए ढंगों का प्रयोग करके आर्थिक विकास में तेजी ला सकती है।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 26 आर्थिक विकास में मानव पूँजी का योगदान

III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Question)

प्रश्न-
मानव पूँजी द्वारा आर्थिक विकास के औज़ार के रूप में कोई चार बिन्दु स्पष्ट करें।
उत्तर-
मानव पूँजी का अर्थ उच्च शिक्षा, अच्छी सेहत और खोज के नए ढंगों का प्रयोग करना होता है। इसलिए मानव पूँजी द्वारा आर्थिक विकास तेज़ी से किया जा सकता है –

  1. उत्पादन में वृद्धि-यदि अधिक जनसंख्या होती है तो ऋण की लागत कम होती है। विकसित देश उस देश में पूँजी निवेश करके ऋण का प्रयोग करते है तो उत्पादन में तेज़ी से वृद्धि होती है।
  2. उत्पादन शक्ति में वृद्धि-मानव पूँजी से न केवल उत्पादन में वृद्धि होती है और इसके साथ ही प्रति व्यक्ति उत्पादन बढ़ जाता है। इस प्रकार वस्तु की उत्पादन लागत कम हो जाती है और वस्तु कम कीमत पर आसानी से बेची जा सकती है। जिससे आर्थिक विकास में वृद्धि होती है।
  3. प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि-मानव पूँजी द्वारा प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है जो कि आर्थिक विकास का महत्त्वपूर्ण माप कहा जाता है। लोग अपने जीवन स्तर को ऊँचा करने का प्रत्यन करते हैं और बच्चे कम लिए जाते हैं।
  4. उच्च शिक्षा का प्रसार-लोग आपने बच्चों को अच्छी उच्च शिक्षा प्रदान करते हैं जिससे उनको जीवन में कभी भी मुश्किल का सामना न करना पड़े। इस प्रकार बच्चों की उत्पादन शक्ति बढ़ जाती है और आर्थिक विकास में वृद्धि होती है।

IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मानव पूँजी का आर्थिक विकास में योगदान स्पष्ट करें। (Explain the Role of Human Capital in Economic Development.)
उत्तर–
पुरातन समय में पूंजी का अर्थ केवल, मशीन, औज़ार, फैक्ट्रियाँ आदि भौतिक रूप में लिया जाता था। परन्तु रैंगवर वर्कस ने कहा कि भौतिक पूँजी के बिना मानव पूँजी भी आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान पा सकती है। जब मानव उच्च शिक्षा, अच्छी सेहत, ज्ञान में वृद्धि करके अपने कौशल का विकास करते हैं तो इसको मानव पूंजी कहा जाता है। प्रो० एफ० एच० हारबीसन के अनुसार, “मानव पूँजी निर्माण का अर्थ उस प्रक्रिया से है जिसमें उन मनुष्यों की संख्या में वृद्धि की जाती है जो अधिक शिक्षित, कुशलता और तजुर्बे वाले होते हैं और देश के विकास प्रति आर्थिक तथा राजनीतिक विकास को आलोचनात्मक दृष्टि से देखते हैं। मानव पूँजी का सम्बन्ध मनुष्य के निवेश बढ़ाने से है जिससे वह उत्पादन में नए ढंगों का निर्माण कर सकें।” (“The term Human Capital Formation refers to the process of acquiring and increasing the number of persons who have the skill, education and experience which are critical for economic and political development of the country.” F.H. Harbison) प्रो० शुल्ज़ (Schultz) ने मानव पूंजी विकास के पाँच माप दण्ड बताए हैं जिनके द्वारा मानव पूँजी का विकास किया जा सकता है –

  • सेहत सहूलतों में वृद्धि जिससे जीवन काल में वृद्धि हो। लोगों की काम करने की क्षमता बढ़ जाए और लोग हृष्ट-पुष्ट हों।
  • काम करने की ट्रेनिंग जो कि फैक्ट्रियों द्वारा दी जाती है।
  • शिक्षा प्रदान करना जो स्कूलों कालेजों और विश्वविद्यालयों में दी जाती है उसमें वृद्धि है।
  • कृषि के क्षेत्र में लोगों को आधुनिक ढंगों का ज्ञान प्रदान करना।
  • लोगों में गतिशीलता पैदा करना जिससे नए काम की खोज आसानी से की जा सके। इसमें विदेशी पूँजी और तकनीक को भी शामिल किया जा सकता है।

अधिक जनसंख्या होती है यह देश जनसंख्या को संसाधन का स्रोत बना सकते हैं जैसे कि चीन और भारत में विश्व की जनसंख्या का बहुत अधिक भाग है। चीन ने अपनी मानव शक्ति की सहायता से इतनी उन्नति की है कि अब विश्व की एक शक्ति बन गया है। अधिक जनसंख्या के कारण यूरोप और अमेरिका जैसे देशों ने पूंजी लगाकर सस्ते श्रम का लाभ उठाने का यत्न किया। फलस्वरूप जनसंख्या चीन के लिए पूंजी निर्माण का स्रोत बन गया। भारत भी अपनी जनसंख्या को पूंजी निर्माण का स्रोत बना सकता है।

इससे पता चता है कि कम विकसित देश इस कारण पिछड़े हुए नहीं हैं कि उनके पास साधनों की कमी है। बल्कि इस कारण पिछड़े हुए हैं कि उन देशों ने अपने साधनों का उचित प्रयोग नहीं किया। भारत के सम्बन्ध में ठीक कहा जाता है कि “भारत एक अमीर देश है इसमें रहने वाले लोग गरीब हैं।” “India is a rich country in habited by poor people.” भारत में प्राकृतिक साधन कोयला, लोहा, अच्छी उपजाऊ भूमि, दरिया आदि बहुत मात्रा में पाए जाते हैं। परन्तु इनका ठीक उपयोग न होने के कारण भारत पिछड़ा देश रह गया है। प्राकृतिक स्रोतों का उपयोग लोगों की कुशलता से बढ़ाया जा सकता है इसलिए मानव संसाधनों का अधिक योगदान हो सकता है।

मानव शक्ति के विकास के लिए तत्त्व (Factors to Improve quality of Human Power) – मानव शक्ति के विकास के लिए निम्नलिखित तत्त्व महत्त्वपूर्ण होते हैं-
1. शिक्षा (Education)-कम विकसित देशों के पिछड़ेपन का एक कारण वहां के लोगों का अशिक्षित होना है। शिक्षा से लोगों की विचारधारा विशाल होती है। वह उत्पादन के नए-नए स्रोत ढूंढ़ने लगते हैं। इस द्वारा राष्ट्रीय भावना उत्पन्न होती है। लोगों में मेहनत करने की भावना उत्पन्न होती है। देश का उत्पादन बढ़ जाता है। इस प्रकार लोगों की आय में भी वृद्धि होती है। देश के तीनों क्षेत्र प्राथमिक, गौण तथा टरशरी, सभी में विकास होना प्रारंभ हो जाता है। इस प्रकार शिक्षा द्वारा देश में आर्थिक विकास होने लगता है।

2. सेहत (Health)-ठीक कहा जाता है सेहतमंद शरीर में सेहतमंद दिमाग होता है। (A healthy body keeps a healthy mind) यदि देश के लोग स्वस्थ हैं तो उनमें काम करने की भावना उत्पन्न होती है। वर्ष 2021 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सबसे अधिक राशि स्वास्थ्य के लिए व्यय करने का प्रस्ताव रखा है। जब लोग सेहतमंद होते हैं तो काम करने की इच्छा अधिक होती है। इससे उनकी आय में वृद्धि होती है और जीवन स्तर उच्चा हो जाता है। अच्छा खाना पीना सेहत के लिए अच्छा होता है इससे उनकी आय में वृद्धि होती है। प्रति व्यक्ति आय बढ़ने से राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है।

3. कौशल विकास (Skill Development) भगवान प्रत्येक मनुष्य को कोई ना कोई कौशल देकर भेजता है। यदि लोगों के कौशल को विकसित किया जाए तो उनकी उत्पादन शक्ति में वृद्धि होती है। कौशल विकास से नई-नई वस्तुएं बनाने की रुचि उत्पन्न होती है। इस प्रकार लोगों को अलग-अलग प्रकार के कौशल की शिक्षा देकर उनकी उत्पादन शक्ति में वृद्धि की जा सकती है। स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ काम धन्धे के कौशल की सिखलाई दी जाए तो पढ़ाई समाप्त होते ही लोग नौकरी की तलाश की बजाय अपने काम चालू कर सकते हैं। इस प्रकार के लोग संसाधन का स्रोत बन सकते हैं।

PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 26 आर्थिक विकास में मानव पूँजी का योगदान

4. तकनीक (Technology)-तकनीक का ज्ञान भी लोगों को संसाधन का स्रोत बना देता है। प्रकृति ने भूमि के नीचे लोहा, कोयला, हीरे, मोती, पैट्रोल आदि खनिज पदार्थ दिए हैं। तकनीक का ज्ञान न हो तो उनकी खोज नहीं की जा सकती। इसलिए लोगों को संसाधन का स्रोत बनाने के लिए तकनीक का विकास भी आवश्यक है। तकनीक के विकास के कारण यूरोप के लोग अधिक विकसित हो सके हैं। इस प्रकार नई-नई तकनीकों का आविष्कार करके आर्थिक विकास किया जा सकता है। इस प्रकार शिक्षा, सेहत, कौशल और तकनीक के विकास से लोगों को संसाधन का स्रोत बनाया जा सकता है।

Leave a Comment