PSEB 12th Class Economics Solutions Chapter 12 अधिक तथा अभावी माँग की समस्याएँ

Punjab State Board PSEB 12th Class Economics Book Solutions Chapter 12 अधिक तथा अभावी माँग की समस्याएँ Textbook Exercise Questions, and Answers.

PSEB Solutions for Class 12 Economics Chapter 12 अधिक तथा अभावी माँग की समस्याएँ

PSEB 12th Class Economics अधिक तथा अभावी माँग की समस्याएँ Textbook Questions, and Answers

I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
अभावी मांग (Deficient Demand) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अभावी मांग (Deficient Demand) ऐसी स्थिति है, जोकि एक अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार के लिए, कुल मांग, कुल पूर्ति से कम होती है।

प्रश्न 2.
अस्फीति अन्तर (Deflationary Gap) से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
अभावी मांग की स्थिति कब उत्पन्न होती है ?
उत्तर-
अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन तथा पूर्ण रोज़गार की स्थिति के अन्तर को अस्फीति अन्तर कहा जाता है। इस को अभावी मांग भी कहते हैं।

प्रश्न 3.
एक अर्थव्यवस्था में अभावी मांग से क्या अभिप्राय है ? इसका रोज़गार तथा उत्पादन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
अभावी मांग वह स्थिति है, जिसमें कुल मांग, पूर्ण रोजगार की स्थिति से कम होती है। इससे निवेश पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए रोज़गार कम हो जाता है। जब रोज़गार कम होगा तो देश में उत्पादन कम हो जाता है।

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प्रश्न 4.
अधिक मांग से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
एक अर्थव्यवस्था में अधिक मांग (Excess Demand) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब कुल मांग, पूर्ण रोज़गार के स्तर से अधिक होती है तो इस स्थिति को अधिक मांग की स्थिति कहा जाता है।

प्रश्न 5.
स्फीतिक अन्तर (Inflationary Gap) का अर्थ बताओ।
उत्तर-
स्फीतिक अन्तर वह स्थिति है, जिसमें पूर्ण रोजगार के स्तर पर कुल मांग, कुल पूर्ति से अधिक होती है (AD > AS)। इस स्थिति को स्फीतिक अन्तर कहा जाता है, जोकि मुद्रा स्फीति (Inflation) को जन्म देती है।

प्रश्न 6.
स्फीतिक अन्तर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
स्फीतिक अन्तर वह स्थिति है, जिसमें पूर्ण रोज़गार प्राप्त करने के लिए अनिवार्य कुल मांग से कुल मांग (AD) अधिक होती है। इससे स्फीतिक अन्तर उत्पन्न होता है।

प्रश्न 7.
स्फीतिक अन्तर का उत्पादन और कीमतों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
इसके परिणामस्वरूप उत्पादन में वृद्धि नहीं होती बल्कि कीमतों में वृद्धि होती है।

प्रश्न 8.
‘से’ के बाज़ार नियम का सार दें।
उत्तर-
जे०बी०से० के अनुसार, “वस्तुओं की पूर्ति अपनी माँग स्वयं पैदा कर लेती हैं” प्रत्येक देश में पूर्ण रोज़गार एक साधारण स्थिति होती है।

प्रश्न 9.
अधिक मांग में ……
(क) AD = AS
(ख) AD > AS
(ग) AD < AS (घ) इनमें से कोई नहीं। उत्तर- (ख) AD > AS.

प्रश्न 10.
अभावी मांग में .
(क) AD = AS
(ख) AD > AS
(ग) AD < AS
(घ) उपरोकत सभी।
उत्तर-
(ग) AD < AS.

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प्रश्न 11.
‘पूर्ति अपनी मांग स्वयं पैदा कर लेती है’ नियम किसने दिया।
(क) एडम स्मिथ
(ख) रोबिन्ज
(ग) मार्शल
(घ) प्रो० जे० बी० ‘से’।
उत्तर-
(घ) प्रो० जे० बी० से।

प्रश्न 12.
पूर्ण रोज़गार की स्थिति में जब कुल मांग कुल पूर्ति से अधिक होती है तो इस स्थिति को कहते हैं ?
उत्तर-
अधिक मांग अथवा स्फीति अन्तर।

प्रश्न 13.
स्फीति अन्तर में उत्पादन, रोज़गार और कीमत ……… हो जाते हैं।
(क) कम
(ख) अधिक
(ग) सामान्य
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) कम।

प्रश्न 14.
जब स्फीति अन्तराल की स्थिति होती है तो उसको …………… कहते हैं ।
(क) पूर्ण रोजगार
(ख) अपूर्ण रोजगार
(ग) छुपी बेरोज़गारी
(घ) कोई भी नहीं।
उत्तर-
(ख) अपूर्ण रोजगार।

प्रश्न 15.
कम मांग की स्थिति में अर्थव्यवस्था में कम उत्पादन, कम आय और कम रोज़गार की स्थिति होती है। इस स्थिति को ………………. कहते हैं।
(क) स्फीतिक
(ख) तेजी
(ग) अस्फीतिक
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर-
(ग) अस्फीतिक।

प्रश्न 16.
कुल मांग से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कुल मांग = उपभोग व्यय + निजी निवेश + सरकारी व्यय + शुद्ध निर्यात।

प्रश्न 17.
कुल पूर्ति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कुल पूर्ति = उपभोग + बचत।

प्रश्न 18.
जब पूर्ण रोज़गार की स्थिति में कुल मांग कुल पूर्ति से अधिक होती है तो इस को स्फिति अन्तर कहा जाता है ।
उत्तर-
सही।

प्रश्न 19.
अधिक माँग की स्थिति को अस्फीति अन्तर भी कहा जाता है।
उत्तर-
ग़लत।

II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अभावी मांग (Deficient Demand) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
अभावी मांग (Deficient Demand) ऐसी स्थिति है, जोकि एक अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार के लिए, कुल मांग, कुल पूर्ति से कम होती है अर्थात् यदि कुल मांग पूर्ण रोज़गार के स्तर से कम होती है तो ऐसी स्थिति को अभावी मांग कहा जाता है।

प्रश्न 2.
अस्फीति अन्तर (Deflationary Gap) से क्या अभिप्राय है ?
अथवा
अभावी मांग की स्थिति कब उत्पन्न होती है ?
उत्तर-
अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन AS = AD द्वारा E बिन्दु पर स्थापित होता है, जोकि पूर्ण रोज़गार F की स्थिति से पहले की स्थिति है। इस स्थिति में FG, अस्फीति अन्तर कहा जाता है। जिसके परिणामस्वरूप आय तथा रोज़गार कम हो जाता है। अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन E की स्थिति को अभावी मांग की स्थिति कहा जाता है।
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III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अधिक मांग (Excess Demand) को रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करो।
अथवा
स्फीति अन्तर से क्या अभिप्राय है ? रेखाचित्र की सहायता से स्फीति अन्तर की धारणा को स्पष्ट करो।
उत्तर-
स्फीति अन्तर (Inflationary Gap) वह स्थिति होती है, जोकि एक अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार स्थापित करने के लिए अनिवार्य कुल मांग से अधिक मांग (Excess Demand) को प्रकट करती है।
रेखाचित्र 2 में कुल मांग तथा कुल पूर्ति द्वारा सन्तुलन F बिन्दु पर स्थापित होता है। इससे ON रोज़गार का स्तर है, जिसको पूर्ण रोज़गार की स्थिति कहा जाता है। यदि कुल मांग AD से बढ़कर AD1 हो जाती है तो कुल मांग में वृद्धि FG हो जाती है, इसको स्फीति अन्तर कहा जाता है।
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प्रश्न 2.
विस्फीति अन्तर (Deflationary Gap) से क्या अभिप्राय है ? रेखाचित्र की सहायता से विस्फीति अन्तर को स्पष्ट करो।
उत्तर-
जब उत्पादन के निश्चित स्तर पर कुल मांग पूर्ण रोज़गार के स्तर से कम होती है तो इस स्थिति को अभावी मांग कहा जाता है, जिस कारण अस्फीति अन्तर जन्म लेता है। इसके परिणामस्वरूप देश में उत्पादन तथा रोज़गार कम हो जाता है तथा अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। रेखाचित्र 3 में पूर्ण रोज़गार का स्तर F बिन्दु है, जहां उत्पादन अथवा रोजगार ON है। इस स्थिति में कुल मांग का है, जोकि AD1 पर G बिन्दु पर दिखाई गई है। इस स्थिति में FG को विस्फीति अन्तर कहा जाता
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प्रश्न 3.
अभावी मांग से क्या अभिप्राय है ? रेखाचित्र की सहायता से अभावी मांग की स्थिति को स्पष्ट करो।
उत्तर-
अभावी मांग की स्थिति उस स्थिति में होती है, जब पूर्ण रोज़गार के स्तर पर कुल मांग की कमी पाई जाती है। इस स्थिति को अभावी मांग (Deficit Demand) की स्थिति कहा जाता है। रेखाचित्र 4 में AS = AD द्वारा F बिन्दु पर सन्तुलन स्थापित होता है। इसको पूर्ण रोजगार की स्थिति कहा जाता है। पूर्ण रोजगार की स्थिति में उत्पादन ON है अथवा FN है। परन्तु कुल मांग GN है। इसलिए FN – GN = FG को अभावी मांग कहा जाता है। इसको विस्फीति अन्तर भी कहते हैं।
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प्रश्न 4.
कम मांग के प्रभावों की व्याख्या करें।
उत्तर-
कम शंग (Eyeficient Remand) से अभिप्राय ऐसी अवस्था से होता है जिसमें पूर्ण रोज़गार के स्तर पर कुल पूर्ति से कम होती है। इस स्थिति को अस्फीति अन्तर भी (Deflationary Gap) भी कहते हैं। कम मांग के प्रशाद –

  • देश में कीमतें तेजी से घटने लगती हैं।
  • आय तथा धन का अभाव हो जाता है।
  • कर अधिक होने के कारण लोगों की व्यय योग्य आय कम हो जाती है।
  • देश में साधनों का अल्प उपयोग होने लगता है।
  • देश में उत्पादकों के लाभ कम होने लगते हैं।
  • उत्पादन में कमी होने लगती है।
  • देश में बेरोज़गारी फैल जाती है।

प्रश्न 5.
अधिक मांग के प्रभात्रों की व्याख्या करें।
उत्तर-
अधिक मांग (Excess Demand) से अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें पूर्ण रोजगार के स्तर पर कुल मांग कुल पूर्ति से अधिक होती है इस स्थिति को स्फीति अन्तर (Inflationary Gap) कहा जाता है।

अधिक मांग के प्रभाव-

  • देश में कीमतें तेजी से बढ़ने लगती हैं।
  • आय तथा धन का असमान वितरण हो जाता है।
  • उधार देने वाले लोगों को हानि होती है।
  • नौकरी पेशा लोगों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं।
  • लोगों का विश्वास सरकार में कम हो जाता है।
  • देश में अनैतिकता की स्थिति फैल जाती है।

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IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
अधिक मांग तथा अभावी मांग से क्या अभिप्राय है ? रेखाचित्र द्वारा (a) अधिक मांग (b) अभावी मांग को स्पष्ट करो।।
[What is excess and deficient demand? Explain with the help of diagrams the situation of
(a) Excess demand
(b) Deficient Demand.]
अथवा
रेखाचित्र की सहायता से एक अर्थव्यवस्था में (a) अपूर्ण रोजगार सन्तुलन तथा (b) अधिक मांग सन्तुलन को स्पष्ट करो।
[Explain with the help of Diagrams the situation of (a) Under Employment Equilibrium and (b) Excess Demand in an Economy.]
अथवा
अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन की स्थिति को स्पष्ट करो। रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट करो कि अधिक निवेश से पूर्ण रोज़गार सन्तुलन स्थापित किया जा सकता है।
(Explain the concept of Under Employment Equilibrium with the help of a diagram. Show on the same diagram the additional investment expenditure required to reach Full Employment Equilibrium.)
अथवा
स्फीति अन्तर तथा विस्फीति अन्तर को रेखाचित्रों की सहायता से स्पष्ट करो। (Explain Inflation Gap and Deflationary Gap with the help of diagrams.)
उत्तर-
1. अधिक मांग का अर्थ (Meaning of Excess Demand)-अधिक मांग वह स्थिति होती है, जब एक अर्थव्यवस्था में पूर्ण रोजगार के स्तर से कुल मांग अधिक होती है। (Excess demand is a situation in which the aggregate demand is for a level of output is more their the full employment.) पूर्ण रोज़गार से सम्बन्धित कुल पूर्ति से जब कुल मांग अधिक होती है तो इसको अधिक मांग कहा जाता है।
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अधिक मांग (Excess Demand)-रेखाचित्र 5 में कुल पूर्ति (AS) तथा कुल मांग (AD) एक-दूसरे को F बिन्दु पर काटते हैं। इसको पूर्ण रोज़गार का बिन्दु कहा जाता है। यदि कुल मांग AD, हो जाती है तो नया सन्तुलन E बिन्दु पर स्थापित होता है। इस स्थिति में EF को अधिक मांग कहा जाता है।

स्फीति अन्तर (Inflationary Gap)-स्फीति अन्तराल, अधिक मांग का माप होता है। रेखाचित्र में EF को स्फीति अन्तर कहते हैं। पूर्ण रोज़गार स्थापित करने के लिए जितनी कुल मांग की आवश्यकता होती है तथा उस मांग से कुल मांग अधिक हो जाती है तो उस भाग को स्फीति अन्तर कहा जाता है।

इस स्थिति में

  • उत्पादन का स्तर समान रहता है।
  • कुल मांग अधिक होने के कारण वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमत बढ़ने लगती है।
  • इससे मुद्रा स्फीति की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

2. अभावी मांग का अर्थ (Meaning of Deficient Demand)-अभावी मांग वह स्थिति है जोकि पूर्ण रोज़गार की स्थिति में कुल मांग, कुल पूर्ति से कम होती है-
अथवा
कुल मांग, पूर्ण रोज़गार के उत्पादन स्तर से कम होती (Deficient Demand is a situation to which the aggregate demand is for a level of output, Less than the full employment level.) रेखाचित्र 6 में OX पर आय तथा रोजगार तथा OY पर कुल मांग तथा कुल पूर्ति को दिखाया गया है। पूर्ण रोज़गार की स्थिति F बिन्दु पर दिखाई गई है, जहां AS = AD है तथा OQ उत्पादन किया जाता है। यदि वास्तव में मांग AD, है तो सन्तुलन E बिन्दु पर स्थापित होता है। पूर्ण रोज़गार के स्तर पर कुल मांग QG है, जोकि पूर्ण रोजगार की मांग QF से कम है। इसलिए QF – QG = FG को अभावी मांग कहा जाता है।

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इसके परिणामस्वरूप

  • साधनों का कम प्रयोग किया जाता है।
  • उत्पादकों के स्टॉक में वृद्धि हो जाती है।
  • स्टॉक बढ़ने से नियोजित उत्पादन कम हो जाता है।
  • नियोजित उत्पादन घटने से आय तथा रोज़गार कम हो जाता है।

विस्फीतिक अन्तराल (Deflationary Gap)- किसी देश में पूर्ण रोजगार स्थापित करने के लिए जितनी कुल मांग की आवश्यकता होती है, यदि कुल मांग उस मांग से कम है तो इनके अन्तर को विस्फीतिक अन्तराल कहा जाता है। रेखाचित्र में अभावी मांग के माप को विस्फीतिक अन्तराल कहा जाता है, जिसको EG अभावी मांग = विस्फीतिक अन्तराल द्वारा दिखाया गया है।

अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन (Under Employment Equilibrium)-जब कुल मांग (AD) तथा कुल पूर्ति (AS) समान है तो सन्तुलन F बिन्दु पर स्थापित होता है, इसको पूर्ण रोजगार का बिन्दु कहा जाता है। यदि कुल मांग कम है, जिसको AD1, द्वारा दिखाया है, यह अभावी मांग को प्रकट करता है। इसके परिणामस्वरूप सन्तुलन F बिन्दु से E बिन्दु पर परिवर्तित हो जाएगा। इसी तरह अभावी मांग पूर्ण रोजगार की स्थिति से अपूर्ण रोजगार की स्थिति की ओर ले जाएगा। जब सन्तुलन E बिन्दु पर रेखाचित्र 6 स्थापित होता है तो AS = AD1, है। OU मजदूरों को रोजगार प्राप्त होता है, इसको अपूर्ण रोज़गार सन्तुलन कहा जाता है।
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अधिक मांग तथा अभावी मांग में अन्तर (Difference between Excess Demand and Deficient Demand) –

  1. कुल मांग-अभावी मांग की स्थिति में कुल मांग पूर्ण रोज़गार की स्थिति के लिए कुल मांग से कम होती है, जबकि अधिक मांग की स्थिति में कुल मांग पूर्ण रोजगार की स्थिति से अधिक होती है।
  2. स्फीतिक तथा विस्फीतिक अन्तराल अधिक मांग के कारण स्फीतिक अन्तराल तथा अभावी मांग के कारण विस्फीतिक अन्तराल उत्पन्न होता है।
  3. कीमतों में परिवर्तन-अधिक मांग की स्थिति में कीमतों में वृद्धि होती है, परन्तु अभावी मांग में कीमतों में कमी होती है।

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