Punjab State Board PSEB 11th Class Geography Book Solutions Chapter 3(v) समुद्र के अनावृत्तिकरण कार्य Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 11 Geography Chapter 3(v) समुद्र के अनावृत्तिकरण कार्य
PSEB 11th Class Geography Guide समुद्र के अनावृत्तिकरण कार्य Textbook Questions and Answers
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 1 या 2 शब्दों में दें-
प्रश्न (क)
लहरों के ऊँचे भाग को क्या कहते हैं ?
उत्तर-
क्रेस्ट (Crest)।
प्रश्न (ख)
भारत के समुद्री तट की लंबाई क्या है ?
उत्तर-
7516 कि०मी०।
प्रश्न (ग)
विश्व के दूसरे नंबर पर बड़ी बीच कौन-सी है ?
उत्तर-
मरीना बीच (चेन्नई)।
प्रश्न (घ)
जब दो स्पिट आपस में मिल जाते हैं, तो इसको क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
लूपड बार (Looped Bar)।
2. निम्नलिखित पर नोट लिखें-
(क) स्पिट (Spit)
(ख) समुद्री बीच (Sea Beach)
(ग) समुद्री गुफा (Sea Caves)
(घ) हाईड्रोलिक एक्शन (Hydrolic Action)।
उत्तर-
(क) स्पिट-रेत की वह श्रेणी जिसका एक सिरा तट से जुड़ा होता है और दूसरा सिरा समुद्र में डूबा होता है।
(ख) समुद्री बीच-तट के साथ मलबे से बनी श्रेणी को बीच कहते हैं।
(ग) समुद्री गुफा-सागर की लहरों के अपरदन से तट पर चट्टानें टूटकर गुफा का निर्माण करती हैं।
(घ) हाईड्रोलिक एक्शन-जब जल-दबाव के कारण चट्टानें टूटती हैं, तो उन्हें जल-दबाव क्रिया कहते हैं।
3. निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट करो-
(i) क्रेस्ट (Crest) और ट्रफ (Trough)
(ii) रेत बार (Sand Bar) और लैगून (lagoon)
उत्तर-
क्रेस्ट (Crest)-
(क) लहर के सबसे ऊँचे उठे हुए भाग को क्रेस्ट (Crest) कहते हैं।
(ख) हवा की शक्ति से लहरों का पानी ऊपर उठ जाता है।
ट्रफ (Trough)-
(क) लहर के सबसे नीचे दबे हुए भाग को ट्रफ (Trough) कहते हैं।
(ख) हवा की शक्ति कम होने से लहरों का पानी नीचे दब जाता है।
(ii) रेत बार (Sand Bar) – जब लहरें मलबे को तट के समानांतर एक श्रेणी के रूप में जमा कर देती हैं, तो इसे रेत बार कहते हैं।
लैगून (Lagoon) – कई तटों पर रेत की श्रेणियों के पीछे दलदले क्षेत्र बन जाते हैं, इनके मध्य पानी की एक झील बनती है, जिसे लैगून कहते हैं।
4. निम्नलिखित के उत्तर विस्तार सहित दो :
प्रश्न (क)
समुद्री जल की खुर्चन (अपघर्षण) की क्रिया (Erosional work) क्या है और इससे बनने वाली धरातलीय आकृतियों की व्याख्या करें।
उत्तर-
समुद्री तरंगों के अपरदन द्वारा उत्पन्न भू-आकृतियाँ (Landforms Produced by Sea Wave Erosion)-
समुद्री तरंगें अपरदन द्वारा तटों पर नीचे लिखी भू-आकृतियों की रचना करती हैं-
1. खड़ी चट्टान/समुद्री क्लिफ (Sea Cliffs)—समुद्री लहरें सबसे अधिक प्रभाव तट पर स्थित चट्टानों के निचले भाग पर डालती हैं। नीचे से चट्टानें कट जाती हैं और एक नोच (Notch) बन जाती है। तरंगों के निरंतर हमले के कारण नोच गहरी होती जाती है जिससे ऊपर का भाग आगे को झुका हुआ लगने लगता है। कुछ समय के बाद यह झुका हुआ भाग अपने ही भार के कारण टूटकर नीचे गिर जाता है। इसके फलस्वरूप नोच के ऊपरी भाग फिर से खड़ी ढलान वाले हो जाते हैं। तट पर ऐसी खड़ी ढलान को खड़ी चट्टान/समुद्री क्लिफ कहते हैं।
2. लहर-कटा चबूतरा (Wave-cut Platform or Bench)—कंधियों अथवा क्लिफों और नोचों (Notches) पर तरंगों के लगातार हमले के कारण वे कटकर स्थल की ओर पीछे को हटते रहते हैं। इसके परिणामस्वरूप अगले भाग में बनी एक नोच का विस्तार होता रहता है, जिसे लहर-कटा चबूतरा (Wave-cut Platform) कहते हैं।
3. समुद्री गुफाएँ (Sea Caves)-कमज़ोर चट्टानों वाली नोचों (Notches) में तरंगों के जल-दबाव (Hydraulic Pressure) के कारण उनमें दरारें उत्पन्न हो जाती हैं। तरंगें इन जोड़ों और दरारों के द्वारा प्रभाव डालकर उन्हें चौड़ा कर देती हैं। तरंगों के अपरदन के समय इन दरारों से भीतरी हवा दबाई जाती है और जब ये तरंगें समुद्र की ओर मुडती हैं तो जल के दबाव से मुक्त यह भीतरी हवा फैलती है और चट्टानों पर दबाव डालती है। इस क्रिया के निरंतर होते रहने से चट्टानें टूटती रहती हैं और कुछ समय के बाद गहरा खड्डा बन जाता है। धीरेधीरे यह खड्ड, गहरी गुफा का रूप धारण कर लेता है। दो पड़ोसी गुफाओं के बीच की दीवार टूट जाने पर
महराब (Arch) बन जाती है, जिसे प्राकृतिक पुल (Natural Bridge) कहते हैं।
4. समुद्री किनारे के सुराख (Spout Horns or Blow Holes)-तट पर हमले के समय तरंगें गुफाओं के मुँह को जल से बंद कर देती हैं, जिससे गुफाओं की अंदर की वायु अंदर ही बंद हो जाती है। यदि गुफा की छत कमज़ोर हो, तो वह वायु उसको फाड़कर ऊपर सुराख कर देती है। इसे समुद्री किनारे के सुराख कहते हैं। यदि तरंगों के हमले के समय वायु सीटी बजाती हुई इन सुराखों से निकलती है, तो गुफा में भरा जल भी वायु के साथ फव्वारे के समान बाहर निकलता है, इसीलिए इसे टोंटीदार सुराख (Spouting horn) कहकर भी पुकारते हैं।
5. खाड़ियाँ (Bays)–जब किसी तट पर कोमल और कठोर चट्टानें लंब रूप में स्थित हों, तो कोमल चट्टानें (Soft Rocks) अंदर की ओर अधिक कट जाती हैं। इस प्रकार कोमल चट्टानों में खाड़ियाँ (Bays) बन जाती हैं।
6. हैडलैंड या केप या अंतरीप (Headland or Cape)-तट की लंबवर्ती स्थिति में फैली एक कठोर चट्टान के दोनों तरफ से नर्म चट्टानों का अपरदन हो जाता है और वहाँ खाड़ियाँ बन जाती हैं और वह सख्त चट्टान समुद्र में बढ़ी हुई रह जाती है, जिसे अंतरीप कहते हैं।
7. स्टैक (Stack)-जब महराब की छत तरंगों द्वारा अपरदित हो जाती है अथवा किसी अन्य कारण से टूटकर नष्ट हो जाती है तो मेहराब का अगला भाग पिछले भाग से स्तंभ के रूप में अलग खड़ा रह जाता है। इस स्तंभ को स्टैक कहते हैं। स्कॉटलैंड के उत्तर में ओरकनीज़ (Orkneys) टापूओं में Old man of Hoai इसका सर्वोत्तम उदाहरण है।
Geography Guide for Class 11 PSEB समुद्र के अनावृत्तिकरण कार्य Important Questions and Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 2-4 शब्दों में दें-
प्रश्न 1.
समुद्री जल की गतियाँ बताएँ।
उत्तर-
लहरें, धाराएँ और ज्वारभाटा।
प्रश्न 2.
तट रेखा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जहाँ जल-मंडल, थल-मंडल और वायु-मंडल मिलते हों।
प्रश्न 3.
ब्रेकर से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
लहरों का वह भाग, जो तट से टकराता है।
प्रश्न 4.
सागरीय जल किन चट्टानों पर घुलनशील क्रिया करता है ?
उत्तर-
चूने का पत्थर, डोलोमाइट और चॉक।
प्रश्न 5.
क्लिफ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
तट पर खड़ी ढलान वाली चट्टान।
प्रश्न 6.
गुफ़ा से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
क्लिफ़ के नीचे बने कटाव।
प्रश्न 7.
गुफ़ा कैसे बनती है ?
उत्तर-
Notch के बड़ा हो जाने पर।
प्रश्न 8.
स्टैक कैसे बनते हैं ?
उत्तर-
कठोर चट्टानों के बचे-खुचे भाग।
प्रश्न 9.
भारत के पूर्वी तट पर किन्हीं दो लैगून झीलों के नाम बताएँ।
उत्तर-
चिलका झील और पुलीकट झील।
प्रश्न 10.
भारत के पश्चिमी तट पर किसी एक लैगून झील का नाम बताएँ।
उत्तर-
वेंबनाद झील।
अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 2-3 वाक्यों में दें-
प्रश्न 1.
सागरीय लहरों के तीन प्रकार बताएँ।
उत्तर-
- ब्रेकर
- स्वैश
- कवाश।
प्रश्न 2.
Under Tow से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
तट से टकराकर मुड़ती हुई लहर के नीचे के जल को Under Tow कहते हैं।
प्रश्न 3.
लहरों के अपरदन की क्रियाएँ बताएँ।
उत्तर-
- जलीय दबाव क्रिया
- घर्षण क्रिया
- सहघर्षण क्रिया
- घुलनशील क्रिया।
प्रश्न 4.
समुद्री क्लिफ (Cliff) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
समुद्र तट पर खड़े ढलान वाले खंड को Cliff कहते हैं।
प्रश्न 5.
सागरीय लहरों का अपरदन किन तत्त्वों पर निर्भर करता है ?
उत्तर-
- तरंग की ऊँचाई
- चट्टानों का झुकाव
- चट्टानों की रचना
- लहरों की दिशा।
प्रश्न 6.
समुद्री किनारे के सुराख (Blow-hole) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
तट के निकट गुफाओं की छत पर जल सुराख कर देता है, जिसमें से वायु गुज़रती है, उसे समुद्री किनारे के सुराख कहते हैं।
प्रश्न 7.
स्टैक से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
सागरीय तट पर कठोर चट्टानों के बचे-खुचे भाग को स्टैक कहते हैं।
प्रश्न 8.
बीच किसे कहते हैं ?
उत्तर-
तट के साथ-साथ मलबे के निक्षेप से बनी श्रेणियों को बीच कहते हैं।
प्रश्न 9.
रोधक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
तट के समानांतर रेत की श्रेणी, जो रोकने का काम करती है, रोधक कहलाती है।
प्रश्न 10.
लैगून से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
रोधक और तट के बीच बनी झील को लैगून कहते हैं।
प्रश्न 11.
स्पिट से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
स्पिट रेत की एक श्रेणी होती है, जिसका एक सिरा तट से जुड़ा होता है और दूसरा सिरा खुले सागर में होता है।
प्रश्न 12.
मेहराब कैसे बनती है ?
उत्तर-
दो गुफ़ाओं के मिलने से छत एक ढक्कन के समान खड़ी रहती है, जिसे मेहराब (Arch) कहते हैं।
प्रश्न 13.
तमबोलो से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
जब कोई रेत, रोधक तट को किसी वायु के साथ जोड़ती है, उसे तमबोलो कहते हैं।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न: (Short Answer Type Questions)
नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 60-80 शब्दों में दें-
प्रश्न 1.
लहरों के द्वारा अपरदन के अलग-अलग रूप बताएँ।
उत्तर-
अपरदन (Erosion)-तट पर तोड़-फोड़ का काम आमतौर पर सर्फ (Surf), लहरों या तूफ़ानी लहरों द्वारा ही होता है। समुद्री लहरों द्वारा अपरदन अधिक-से-अधिक 200 मीटर की गहराई तक होता है। यह अपरदन चार प्रकार से होता है-
- जल-दबाव क्रिया (Water Pressure)-सुराखों में जल के दबाव से चट्टानें टूटने और बिखरने लगती हैं।
- अपघर्षण (Abrasion)-बड़े-बड़े पत्थर चट्टानों से टकराकर उन्हें तोड़ते रहते हैं।
- टूट-फूट (Attrition)-पत्थरों के टुकड़े आपस में टकराकर टूटते रहते हैं।
- घुलनशील क्रिया (Solution)—समुद्री जल चूने वाली चट्टानों को घोलकर अलग कर देता है।
प्रश्न 2.
लहरों द्वारा अपरदन किन तत्त्वों पर निर्भर करता है ?
उत्तर-
लहरों द्वारा अपरदन कई तत्त्वों पर निर्भर करता है- .
- चट्टानों की प्रकृति (Nature of Rocks)—तट पर स्थित कठोर चट्टानों की तुलना में कमज़ोर चट्टानें जल्दी ही टूट जाती हैं।
- लहरों का वेग और ऊँचाई (Speed and Height of Waves)-बड़ी और ऊँची लहरें अधिक कटाव करती हैं।
- तट के सागर की ओर ढलान (Slope) और ऊँचाई-कम ढलान वाले मैदानी तटों पर कटाव कम होता है।
- चट्टानों में सुराख (holes) और दरारों (Faults) का होना- यदि तटों की चट्टानों में सुराख और दरारें हों, तो तट का कटाव आसानी से होता है।
- जल की गहराई (Depth of water)-लहरें 30 फुट की गहराई तक ही कटाव करती हैं।
प्रश्न 3.
समुद्री गुफाएँ कैसे बनती हैं ?
उत्तर-
समुद्री गुफाएँ (Sea Caves)-आधार की कोमल चट्टानों के टूटने या घुल जाने पर तट के पास खोखले स्थान बन जाते हैं। लहरों द्वारा हवा के बार-बार घूमने और निकलने की क्रिया से ये स्थान चौड़े हो जाते हैं और गुफाएँ बन जाती हैं। इन गुफाओं की ऊपरी छत कठोर चट्टानों से बनी होती है। दो पड़ोसी गुफ़ाओं के बीच की दीवार टूट जाने से मेहराब (Arch) बन जाती है। इसे प्राकृतिक पुल भी कहते हैं।
प्रश्न 4.
भू-जीभ (Spit) और भित्ती (Bar) में अंतर बताएँ।
उत्तर –
भू-जीभ (Spit)-
- मलबे के निक्षेप से बनी श्रेणी को भू-जीभ कहते हैं, जिसका एक सिरा तट से जुड़ा होता है और दूसरा सिरा खुले समुद्र में डूबा होता है।
- इसकी शक्ल एक जीभ के समान होती है।
- यह पानी में डूबी होती है और फिर से हुक (Hook) भी बन जाती है।
भित्ती (Bar)-
- लहरों द्वारा तट या खाड़ी के समानांतर निक्षेप से रेत की बनी ऊँची श्रेणी या रोक को भित्ती कहते हैं।
- यह रोक तट के समानांतर होती है।
- यह पानी से बाहर बनती है और इसके पीछे एक लैगून झील बन जाती है।
निबंधात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर 150-250 शब्दों में दें-
प्रश्न 1.
तरंगों के प्रकारों और उनके अपरदन कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर-
समुद्र का अपरदन, परिवहन और निक्षेपण कार्य, इसके जल में उत्पन्न होने वाली तीन गतियों – तरंगों या लहरों, ज्वारभाटा और जल-धाराओं द्वारा होता है। इनमें से तरंगें सबसे महत्त्वपूर्ण हैं।
समुद्री तरंगें (Sea Waves)- पवनों के प्रभाव से सागरीय जल के तल के ऊँचा-नीचा होने को तरंग (Waves) कहते हैं। तरंग में जल अपने मूल स्थान से आगे नहीं बढ़ता, बल्कि अपने स्थान पर ही ऊपर-नीचे होता रहता है। महासागरों में पवनें बड़ी तेज़ी से चलती हैं। इस कारण कई बार 5 से 10 मीटर तक ऊँची तरंगें उठती हैं।
समुद्री तरंगों द्वारा अपरदन को नियंत्रित करने वाले कारक (Factors controlling the Erosion by Sea Waves)-
तरंगों द्वारा अपरदन सभी तटों पर एक समान नहीं होता, क्योंकि इनकी परिस्थितियाँ अलग-अलग स्थानों पर भिन्नभिन्न होती हैं। तरंगों द्वारा अपरदन को नीचे लिखे कारक प्रभावित करते हैं-
1. तरंगों की ऊँचाई (Height of the Waves) तरंगों की ऊँचाई के अनुसार ही तट पर जल आता है। ऊँची तरंगें तट पर ही अधिक जल फेंकती हैं। यह जल अधिक मात्रा में कंकड़, रेत आदि को प्रभावित करता है और तटों से टकराकर अधिक अपरदन करता है।
2. तटीय चट्टानों का झुकाव (Inclination of Coastal Rocks)—जिन तटों पर चट्टानों की परतों का – झुकाव समुद्र की ओर होता है, उन परतों के जोड़ तरंगों के सामने होते हैं, जिसके कारण उनका अपरदन आसान हो जाता है।
3. तटीय चट्टानों की संरचना (Structure of Coastal Rocks) चट्टानों की संरचना अपरदन को बहुत प्रभावित करती है। नर्म चट्टानें जल्दी टूटती हैं। कार्स्ट तटों पर तरंगें तेज़ गति से अपरदन करती हैं।
4. तरंगों की दिशा (Direction of Waves)-तटीय चट्टानों पर सीधी आकर टकराने वाली तरंगें अधिक अपरदन करती हैं।
5. वनस्पति फैलाव (Vegetation Cover)-तटों पर उगे पेड़-पौधों की जड़ें चट्टानों को खोखला कर देती हैं, जिस कारण तरंगों द्वारा तटों पर अपरदन आसान हो जाता है।
6. तरंगों की गहराई (Depth of Waves) तरंगों का अधिक कटाव 10 मीटर की गहराई तक ही होता है।
समुद्री लहरें (Sea Waves)-
समुद्री लहरों का काम समुद्री तटों तक ही सीमित रहता है। हवा के प्रभाव से समुद्र के पानी में लहरें पैदा होती हैं। हवा की शक्ति से समुद्र के पानी का कुछ भाग ऊपर उठ आता है और कुछ भाग नीचे दब जाता है। सबसे ऊँचे उठे हुए भाग को Crest और सबसे नीचे दबे भाग को ट्रफ (Trough) कहते हैं। महासागरों में लहरों की ऊँचाई 10 मीटर तक होती है, पर तूफान के समय लहरों की ऊँचाई 20 मीटर तक ऊँची हो जाती है।
लहरों के प्रकार (Types of Waves) –
1. ब्रेकर (Breaker)-समुद्र तट पर लहरों का उच्च भाग टूटकर तट की ओर आगे बढ़ता है। इसे ब्रेकर या सर्फ (Surf) या स्वैश (Swash) कहते हैं।
2. बैकवॉश (Backwash)-तट से टकराकर पानी वापिस जाती हुई लहर के नीचे-नीचे चलता है। इस वापिस जाते हुए जल को (Under Tow) या उतार (backwash) कहते हैं।
समुद्री लहरों का कार्य (Work of Sea Waves)-दूसरे साधनों के समान लहरें भी अपरदन, परिवहन और निक्षेप का कार्य करती हैं।
अपरदन (Erosion)-तट पर तोड़-फोड़ का काम आमतौर पर सर्फ (Surf) लहरों या तूफानी लहरों द्वारा ही होता है। समुद्री लहरों द्वारा अपरदन अधिक-से-अधिक 200 मीटर की गहराई तक होता है। यह अपरदन चार प्रकार से होता है –
- जल-दबाव क्रिया (Water Pressure)-सुराखों में जल के दबाव से चट्टानें टूटने और बिखरने लगती हैं।
- अपघर्षण (Abrasion)-बड़े-बड़े पत्थर चट्टानों से टकराकर उन्हें तोड़ते रहते हैं।
- तोड़-फोड़ (Attrition)—पत्थरों के टुकड़े आपस में टकराकर टूटते रहते हैं।
- घुलनशील क्रिया (Solution)-समुद्री जल चूने वाली चट्टानों को घोलकर अलग कर देता है।
प्रश्न 2.
समुद्री लहरों के निक्षेप से बनने वाली भू-आकृतियों का वर्णन करें।
उत्तर-
समुद्री तरंगों के निक्षेप द्वारा उत्पन्न भू-आकृतियां (Landforms Produced by Deposition of Sea Waves) – समुद्री तरंगों के निक्षेप द्वारा नीचे लिखी भू-आकृतियों का निर्माण होता है-
1. तरंग-निर्मित चबूतरा (Wave-built Platform)-तटों का अपरदन करके तरंगें, जिन पदार्थों को प्राप्त करती हैं, उनमें से हल्के पदार्थों को दूर ले जाकर पानी में डूबे हुए ढलान वाले तट पर निक्षेप कर देती हैं, जिससे वह भाग एक समतल चबूतरे का रूप धारण कर लेता है। यहाँ निक्षेप के कारण सागर गहरा हो जाता है। कभी-कभी यह चबूतरा पानी से बाहर भी दिखाई देने लग जाता है। इस चबूतरे को तरंग-निर्मित चबूतरा कहते हैं।
2. बीच (Beach)—सागरीय तरंगों द्वारा अपरदन के भारी पदार्थों; जैसे-पत्थर, कंकड़ आदि को तट के पास ही अधिक मात्रा में ढेरी कर दिया जाता है, जिससे यह भाग थोड़ा ऊँचा और ढलान वाला हो जाता है। तट के इस क्षेत्र को बीच कहा जाता है। यहाँ पर ऊँची तरंगों के समय ही जल पहुँचता है। ये प्रदेश बड़े ज्वार (High Tides) और छोटे ज्वार (Low Tides) के मध्य में स्थित होते हैं। तट के पास ये ऊँचे प्रदेश खेलों के उत्तम स्थल बन जाते हैं, जैसे-मुंबई में जुहू बीच और चेन्नई में मरीना बीच।
3. अपतटीय रेत भित्तियाँ (Offshore Sand-bars) तरंगें तट से अपरदित किए पदार्थ विशेष रूप से रेत को तट के समानांतर पानी में डूबे भाग पर एक श्रेणी के रूप में ढेरी कर देती हैं। रेत की इस श्रेणी को अपतटीय रेत भित्ती कहते हैं। इसका ऊपरी भाग पानी के तल से भी ऊपर दिखाई देता है। ये रोधक का काम करती हैं।
4. भू-जीभ या स्पिट (Spits) – कभी-कभी तरंगों द्वारा बनाई किसी रेत भित्ती का एक सिरा स्थल से जुड़ा होता है और दूसरा समुद्र की ओर बढ़ा रहता है। उसे भू-जीभ या स्पिट कहते हैं। कभी-कभी इसका समुद्र की ओर का सिरा नुकीला हो जाता है, तो इसे कस्प (cusp) कहते हैं।
5. हुक (Hook)-स्पिट का सिरा कभी-कभी समुद्री धाराओं या फिर तिरछी तरंगों के प्रभाव के कारण तट की ओर मुड़ जाता है। इसे हुक (Hook) कहते हैं।
6. संयोजक भित्ती या तमबोलो (Connecting bar or Tombolo)—कभी-कभी स्पिट द्वारा दो द्वीप या मुख्य स्थल किसी टापू के साथ जुड़ जाते हैं। ऐसी भित्ती को संयोजक भित्ती कहते हैं । इटली में इन्हें तमबोलो का नाम दिया जाता है। यदि स्पिट का बाहरी सिरा संयोजक भित्ती का रूप ग्रहण करते-करते तट की ओर मुड़कर उसके साथ आकर जुड़ जाए तो उसे Looped bar के नाम से पुकारा जाता है।
7. लैगून झीलें (Lagoons)—कई तटों पर रेत की श्रेणियों के पीछे झीलें बन जाती हैं, जिन्हें लैगून कहते हैं। भारत के पूर्वी तट पर चिल्का (Chilka) और पुलीकट (Pulikat) तथा केरल के तट पर वेबनाद झील. इसके उदाहरण हैं।