Punjab State Board PSEB 11th Class English Book Solutions Chapter 5 A President Speaks Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 11 English Chapter 5 A President Speaks
Short Answer Type Questions
Question 1.
Who have come and invaded India in 3000 years of its history?
Answer:
In 3000 years of India’s history, people from all over the world have looted her. From Alexander onwards, many nations have invaded our country. They included the Greeks, the Turks, the Moguls, the Portuguese, the British, the French and the Dutch. They all came and looted us. They took over what was ours.
भारत के तीन हजार सालों के इतिहास में सारे संसार के लोगों ने आकर इसे लूटा है। सिकन्दर से लेकर अनेकों देशों ने हमारे देश पर आक्रमण किया है। उनमें यूनानी, तुर्क, मुग़ल, पुर्तगाली, अंग्रेज़, फ्रांसीसी और हालैण्डवासी शामिल हैं। उन सबने आकर हमें लूटा। उन्होंने उस पर अधिकार कर लिया जो हमारा था।
Question 2.
When, according to Kalam, did India get its first vision of Freedom ?
Answer:
According to Kalam, India got its first vision of Freedom in 1857 when the war of independence was started. The British had ruled India for a long period. But now Indian people wanted to get rid of their slavery. They wanted to free their land from the clutches of the British rule.
कलाम के अनुसार भारत को स्वतन्त्रता का पहला स्वप्न 1857 में आया था जब स्वतन्त्रता-संग्राम शुरू हुआ था। अंग्रेजों ने भारत पर बहुत लम्बे समय तक शासन किया था। परन्तु अब भारतवासी उनकी गुलामी से छुटकारा पाना चाहते थे। वे अंग्रेजी शासन के पंजों से अपने देश को आजाद करवाना चाहते थे।
Question 3.
What is Kalam’s second vision for India ?
Answer:
Kalam’s second vision for India is development. He wants India to be a developed nation. He says that we are among the 5 top nations of the world in terms of GDP. We have 10 percent growth rate in most areas. Our achievements are being globally recognized. Yet we don’t see ourselves as a developed nation. It is because we lack self-confidence.
भारत के लिए कलाम का दूसरा स्वप्न विकास का है। वह चाहता है कि भारत एक विकसित देश बने। वह कहता है कि सकल घरेलू उत्पाद की दृष्टि से हम संसार के पांच चोटी के देशों में हैं। अधिकतर क्षेत्रों में हमारी विकास दर दस प्रतिशत है। हमारी उपलब्धियों का पूरे विश्व में सम्मान हो रहा है। फिर भी हम स्वयं को एक विकसित राष्ट्र के रूप में नहीं देखते हैं। इसका कारण है – हममें आत्म-विश्वास की कमी।
Question 4.
Why does Kalam want India to be a strong military and economic power ?
Answer:
For fifty years, India has been a developing nation. Now Kalam wants to see India as a developed nation. Kalam believes that unless India stands up to the world, no one will respect us. That is why he wants India to be a strong military and economic power.
पचास वर्षों से भारत एक विकासशील देश रहा है। अब कलाम भारत को एक विकसित राष्ट्र के रूप में देखना चाहता है। कलाम का विश्वास है कि जब तक भारत संसार के मुकाबले में खड़ा नहीं होगा, कोई हमारा सम्मान नहीं करेगा। इसीलिए कलाम चाहता है कि भारत सैनिक शक्ति तथा आर्थिक शक्ति के रूप में मज़बूत बने।
Question 5.
What is India’s position regarding milk production and remote sensing satellites in the world?
Answer:
India is number one in milk production and remote sensing satellites in the world.
भारत दूध के उत्पादन तथा दूर-संवेदी उपग्रहों में संसार भर में नम्बर एक पर है।
Question 6.
What is India’s position in respect of the production of wheat and rice ?
Answer:
India is the second largest producer of wheat and rice.
भारत गेहूं तथा चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
Question 7.
How do we behave while in Singapore ?
Answer:
While we are in Singapore, we don’t litter the roads or eat standing in the stores. We behave there in a very civilized manner. We become very responsible and law-abiding.
जिस समय हम सिंगापुर में होते हैं, हम सड़कों पर कचरा नहीं फेंकते हैं, अथवा हम दुकानों में खड़े होकर नहीं खाते हैं। हम वहां बहुत सभ्य ढंग से व्यवहार करते हैं। हम बहुत जिम्मेदार और कानून का पालन करने वाले बन जाते हैं।
Question 8.
How do we behave while in Dubai ?
Answer:
While we are in Dubai, we don’t dare to eat in public during Ramadan. We become very responsible and law-abiding in our behaviour. We don’t dare to do anything that is not acceptable there.
जिस समय हम दुबई में होते हैं, हम रमजान के दौरान किसी सार्वजनिक जगह पर खाने की हिम्मत नहीं करते हैं। हम अपने व्यवहार में बहुत जिम्मेदार तथा कानून का पालन करने वाले बन जाते हैं। हम ऐसा कुछ भी करने की हिम्मत नहीं करते जिसकी वहां इजाजत न हो।
Question 9.
What did the ex-municipal commissioner of Bombay (Mumbai) tell Kalam ?
Answer:
He told Kalam that in India, rich people’s pets are taken out into the streets to leave their droppings all over the place. And then the same people blame the authorities for dirty pavements. In countries like America and Japan, every dog owner has to clean the droppings of his pet. “Will the Indian citizens do that here ?” he asked.
उसने कलाम को बताया कि भारत में अमीर लोगों के कुत्तों को बाहर गलियों में घुमाया जाता है, ताकि वे हर तरफ अपनी गन्दगी फैला सकें। और फिर वही लोग इन गंदी पटरियों के लिए अधिकारियों को दोषी ठहराते हैं। अमेरिका तथा जापान जैसे देशों में प्रत्येक कुत्ते के मालिक को अपने पालतू कुत्ते की गन्दगी को खुद साफ करना पड़ता है। “क्या भारतीय नागरिक यहां ऐसा करेंगे ?” उसने पूछा।
Question 10.
What has every dog owner in America and Japan to do ?
Answer:
In countries like America and Japan, every dog owner has to clean the droppings of his pet. The natives of these countries love cleanliness and they contribute in keeping their land clean and beautiful.
अमरीका तथा जापान जैसे देशों में प्रत्येक कुत्ते के मालिक को अपने पालतू कुत्ते की गन्दगी को खुद साफ करना पड़ता है। इन देशों में रहने वाले सफाई को बहुत पसंद करते है और वे अपने देश को साफ तथा सुन्दर बनाए रखने में अपना योगदान देते हैं।
Question 11.
What do we expect from railways and airlines ?
Answer:
We expect the railways to provide clean bathrooms. But we ourselves never learn the proper use of these bathrooms. We want airlines to provide the best of food and toiletries. But we ourselves don’t hesitate to pilfer at the least opportunity.
हम रेल विभाग से आशा करते हैं कि वह स्वच्छ शौचालय प्रदान करे। परन्तु हम स्वयं कभी इन शौचालयों का उचित ढंग से प्रयोग करना नहीं सीखते। हम चाहते हैं कि एयरलाइन्ज उत्तम भोजन और शृंगार प्रसाधन प्रदान करें। परन्तु हम स्वयं ज़रा-सा भी अवसर मिलने पर चोरी करने से नहीं झिझकते।
Question 12.
What is our attitude towards burning social issues ?
Answer:
We show great concern about burning social issues. Women, dowry, girl child, etc. are hot subjects for us. We make a show of loud protests in public. But in our own home, we do the reverse. Then we say that the whole system has to be changed.
हम ज्वलन्त सामाजिक विषयों के बारे में अपनी बड़ी भारी चिन्ता व्यक्त करते हैं। औरतें, दहेज, छोटी बच्चियां, आदि हमारे लिए रुचिकर विषय होते हैं। हम लोगों के सामने जोरदार विरोध-प्रदर्शन करते हैं। किन्तु स्वयं अपने घर में हम इसके बिल्कुल विपरीत करते हैं। फिर हम कहने लगते हैं कि पूरी प्रणाली को बदलना होगा।
Question 13.
How do we behave while in foreign countries?
Answer:
In a foreign country, we behave like a responsible and law-abiding citizen. If we are in Singapore, we don’t throw garbage on the road. In Dubai, we don’t dare to eat in public during Ramadan. In Washington, we don’t dare to speed beyond 55 mph. In foreign countries, we behave in a very civilized manner.
विदेश में हम एक ज़िम्मेदार तथा कानून का पालन करने वाले नागरिक की तरह व्यवहार करते हैं। यदि हम सिंगापुर में हों, तो हम सड़कों पर कूड़ा नहीं फेंकते। दुबई में हम रमजान के दौरान सार्वजनिक जगहों पर कुछ खाने की हिम्मत नहीं करते। वाशिंगटन में हम 55 मील प्रति घंटा से ज्यादा रफ्तार पर गाड़ी चलाने की हिम्मत नहीं करते। विदशों में हम बहुत सभ्य ढंग से व्यवहार करते हैं।
Question 14.
Why does Kalam say, “India must stand up to the world.” ?
Answer:
Kalam says that India must become strong. It must stand up to the world. Only then can we win respect. Kalam says that only strength respects strength. So we must be strong. We should be strong not only as a military power, but also as an economic power. Both must go hand-in-hand.
कलाम कहता है कि भारत को शक्तिशाली बनना ही चाहिए। इसे संसार के मुकाबले में अवश्य खड़ा होना चाहिए। केवल तभी हमें सम्मान प्राप्त हो सकता है। कलाम कहता है कि केवल ताकत ही ताकत का सम्मान करती है। इसलिए हमें अवश्य ताकतवर बनना चाहिए। हमें न केवल एक सैनिक शक्ति के रूप में ताकतवर बनना चाहिए, अपितु एक आर्थिक शक्ति के रूप में भी। दोनों को साथ-साथ चलना होगा।
Question 15.
According to Kalam, how do we behave when we are in Australia, New Zealand or Boston ?
Answer:
Kalam says that we behave very differently when we are in another country. For example, when we are in Australia or New Zealand, we would not throw our empty coconut shell on the beach. We don’t throw it anywhere other than the garbage pail. And in Boston, we shall never try to buy false certificates from an employee in the examination department. But in our own country, we shall do all these things without any fear or sense of shame.
कलाम कहता है कि जब हम किसी अन्य देश में होते हैं, तो हमारा व्यवहार बहुत भिन्न होता है। उदाहरण के लिए, जब हम आस्ट्रेलिया या न्यूजीलैण्ड में हों तो हम अपने नारियल के खाली खोल को समुद्र-तट पर नहीं फेंकते हैं। हम इसे कूड़े वाले ड्रम के अतिरिक्त और किसी अन्य जगह पर नहीं फेंकते हैं। तथा बोस्टन में हम परीक्षा विभाग के किसी कर्मचारी से नकली प्रमाण-पत्र खरीदने की कोशिश नहीं करेंगे। किन्तु अपने देश में हम यह सारे काम बिना किसी भय या लज्जा की भावना से करेंगे।
Question 16.
What is Kalam’s third vision for India ?
Answer:
Kalam’s third vision is to see India as a strong nation. He wants India to stand up to the world. No one will respect us unless we are strong. Only strength respects strength. Kalam says that we must be strong as a military power and also as an economic power.
कलाम का तीसरा स्वप्न भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में देखना है। वह चाहता है कि भारत संसार के सामने तन कर खड़ा हो जाए । हमारा कोई सम्मान नहीं करेगा यदि हम शक्तिशाली नहीं होंगे। केवल शक्ति ही शक्ति का सम्मान करती है। कलाम कहता है कि हमें एक सैनिक शक्ति के रूप में और एक आर्थिक शक्ति के रूप में भी ताकतवर होना चाहिए।
Question 17.
What does Kalam say about our obssession with foreign goods ? How does, according to him, self-respect come ?
Answer:
Kalam says that India has made wonderful success in many fields. Yet we run after foreign goods. He is unable to understand this obssession with everything imported. He says that selfrespect comes with self-reliance. We must become self-reliant instead of running after foreign goods.
कलाम कहता है कि भारत ने अनेक क्षेत्रों में शानदार सफलता प्राप्त की है। फिर भी हम विदेशी चीजों के पीछे भागते हैं। वह हर विदेशी चीज़ के लिए इस जुनून को समझ पाने में असमर्थ है। वह कहता है कि आत्म-सम्मान, आत्म-निर्भरता के आने से प्राप्त होता है। हमें विदेशी चीजों के पीछे भागने की बजाए आत्म-निर्भर बनना चाहिए।
Question 18.
How does Kalam react in despair at the end of this essay ?
Answer:
In great despair, Kalam says that everybody is out to abuse and rape the country. Nobody thinks of feeding the system. We have mortgaged our conscience to money. Kalam calls upon every Indian to do what the country needs from us.
बहुत निराश होकर कलाम कहता है कि हर कोई देश का ग़लत इस्तेमाल करने और इसका बलात्कार करने पर तुला हुआ है। कोई भी आदमी प्रणाली में अपना योगदान देने की बात नहीं सोचता। हमने अपनी आत्मा को पैसे के पास गिरवी रख दिया है। कलाम प्रत्येक भारतीय से आह्वान करता है कि वह देश के लिए वह काम करे जिसकी देश को हमसे जरूरत है।
Long Answer Type Questions
Question 1.
What is Kalam’s vision for India ?
Answer:
Kalam has three visions for India. His first vision is that of freedom. He says that India had its first vision of freedom in 1857. We must protect this freedom. Kalam’s second vision for India is of development. He wants India to be a developed nation.
He says that we are among the five top nations of the world in terms of GDP. Our achievements are being globally recognized. Yet we don’t see ourselves as a developed nation. It is because we lack self-confidence. We must have self-confidence.
Kalam’s third vision is to see India as a strong nation. He wants India to stand up to the world. He says that we must be strong as a military power and also as an economic power.
भारत के सम्बन्ध में कलाम के तीन स्वप्न हैं। उसका पहला स्वप्न स्वतन्त्रता का स्वप्न है। वह कहता है कि भारत को स्वतन्त्रता का पहला स्वप्न 1857 में आया था। हमें इस स्वतन्त्रता की रक्षा अवश्य करनी है। भारत के लिए कलाम का दूसरा स्वप्न विकास का है। वह चाहता है कि भारत एक विकसित देश बने।
वह कहता है कि सकल घरेलू उत्पाद की दृष्टि से हम संसार के पांच चोटी के देशों में हैं। हमारी उपलब्धियों का सम्मान पूरे विश्व में हो रहा है। फिर भी हम स्वयं को एक विकसित राष्ट्र के रूप में नहीं देखते हैं। इसका कारण है – हममें आत्म-विश्वास की कमी। हममें आत्म-विश्वास अवश्य होना चाहिए।
कलाम का तीसरा स्वप्न भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में देखना है। वह चाहता है कि भारत संसार के सामने तन कर खड़ा हो जाए। वह कहता है कि हमें एक सैनिक शक्ति के रूप में और एक आर्थिक शक्ति के रूप में भी ताकतवर होना चाहिए।
Question 2.
What does he say about our behaviour in a foreign country ?
Answer:
Kalam says that in a foreign country, we behave like a responsible and law-abiding citizen. We never do anything that is unlawful or unworthy. If we are in Singapore, we don’t litter on the road. In Dubai, we don’t dare to eat in public during Ramadan. In Jeddah, we don’t dare to go out with our head uncovered.
In London, we do not try to bribe an employee of the telephone exchange to bill our calls to someone else. In Washington, we don’t dare to speed beyond 55 mph. Similarly, in Australia or New Zealand, we don’t throw an empty coconut shell on the beach. And in Tokyo, we don’t spit paan on the streets. Kalam means to say that in a foreign country, we are at our international best.
कलाम कहता है कि किसी अन्य देश में हम एक ज़िम्मेदार और कानून का पालन करने वाले व्यक्ति के जैसा व्यवहार करते हैं। हम कभी कोई ऐसा काम नहीं करते जो गैर-कानूनी हो या अशोभनीय हो। यदि हम सिंगापुर में हों, तो हम सड़क पर कचरा नहीं फेंकते हैं। दुबई में हम रमज़ान के दौरान सार्वजनिक जगह पर खाने की हिम्मत नहीं करते सकते हैं। जैद्दा में हम नंगे-सिर बाहर जाने की हिम्मत नहीं करते हैं।
लंदन में हम टेलीफोन एक्सचेंज के किसी कर्मचारी को घूस देने की हिम्मत नहीं करेंगे कि वह हमारी काल किसी दूसरे के खाते में डाल दे। हम वाशिंगटन में 55 मील प्रति घण्टा से ज्यादा गति पर गाड़ी चलाने की हिम्मत नहीं करते हैं। इसी प्रकार ऑस्ट्रेलिया या न्यूज़ीलैंड में हम नारियल के खाली खोल को समुद्र-तट पर नहीं फेंकते हैं। और टोक्यो में हम सड़कों पर पान नहीं थूकते हैं। कलाम के कहने का भाव है कि विदेश में हम सर्वोत्तम अन्तर्राष्ट्रीय व्यवहार का नमूना बन जाते हैं।
Question 3.
What does he (Kalam) say about our behaviour in our own country ?
Answer:
Kalam says that we behave very differently when we are in another country. We become very responsible and law-abiding. We never do anything that is thought unlawful or unworthy there. But the moment we come back and step on the Indian soil, we start throwing paper and garbage on the road. We expect the railways to provide clean bathrooms.
But we ourselves never use these bathrooms properly. Kalam wonders why we can’t behave like a good citizen in India also. We willingly follow a foreign system, but don’t care a fig for our own.
कलाम कहता है कि जब हम किसी अन्य देश में होते हैं, तब हम बहुत भिन्न रूप से व्यवहार करते हैं। हम बहुत जिम्मेदार तथा कानून का पालन करने वाले बन जाते हैं। हम कभी कोई ऐसा काम नहीं करते जिसे वहां गैर कानूनी या अशोभनीय समझा जाता हो। परन्तु जैसे ही हम वापिस आते हैं और भारत की धरती पर पांव रखते हैं, हम सड़क पर कागज़ और कूड़ा फेंकने लगते हैं। हम रेल विभाग से उम्मीद करते हैं कि वह साफ़ शौचालय प्रदान करे।
परन्तु हम स्वयं उन शौचालयों का सही प्रयोग करने की परवाह नहीं करते। कलाम को हैरानी होती है कि हम भारत में भी एक अच्छे नागरिक के जैसा व्यवहार क्यों नहीं कर सकते। हम किसी विदेशी प्रणाली को तो स्वेच्छा से स्वीकार कर लेते हैं, किन्तु स्वयं अपनी प्रणाली की तनिक भी परवाह नहीं करते हैं।
Question 4.
Write, in brief, the idea conveyed in this lesson.
Answer:
The idea conveyed in this lesson is that we Indians are very strange people. We are full of praise for everything that is foreign. We are full of contempt for everything that is Indian. In a foreign country, we behave like a law-abiding citizen. But in our own country, we hardly ever care for any law. We blame the government for all ills.
We find fault with the law. We say that the system is rotten. But we very easily forget that we are also a part of the system. We go to the polls and choose a government. Then we sit back comfortably and expect the government to do everything for us. But we ourselves never fulfill our duties to the nation.
इस पाठ में प्रस्तुत किया गया विचार यही है कि हम भारतीय बहुत अजीब लोग हैं। हम हर उस चीज के लिए तारीफ से भरे होते हैं जो विदेशी हो। हम हर उस चीज के लिए घृणा से भरे होते हैं जो भारतीय हो। किसी अन्य देश में हम कानून का पालन करने वाले व्यक्ति के जैसा व्यवहार करते हैं। परन्तु अपने ही देश में हम मुश्किल से ही कभी किसी कानून की परवाह करते हैं। हम सभी बुराइयों के लिए सरकार को दोषी ठहराते हैं।
हम प्रणाली में दोष निकालते हैं। हम कहते हैं कि प्रणाली गल-सड़ गई है। परन्तु हम बड़ी आसानी से भूल जाते हैं कि हम स्वयं भी इसी प्रणाली का ही एक हिस्सा हैं। हम वोट डालने जाते हैं और सरकार चुनते हैं। फिर हम आराम से बैठ जाते हैं और सरकार से आशा करते हैं कि वह हमारे लिए सब काम करे। परन्तु हम स्वयं राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को कभी पूरा नहीं करते हैं।
Question 5.
Write a note on ‘Social Responsibility’.
Answer:
Social Responsibility’ means our responsibility as individuals towards the society in which we live. To maintain the peace and order in the society is not only our duty, but our responsibility also. So we should be law-abiding and disciplined.
We should never do anything that is unlawful and unworthy. We shouldn’t blame the government or the system for all the ills. Rather we should perform our duties towards the system because we are also a part of the system. We should be true patriots and noble sons of our motherland.
‘सामाजिक जिम्मेदारी’ का अर्थ है, व्यक्ति के रूप में उस समाज के प्रति हमारी ज़िम्मेदारी जिसमें हम रहते हैं। समाज में शांति तथा व्यवस्था बनाए रखना हमारा कर्तव्य ही नहीं, बल्कि हमारी ज़िम्मेदारी भी है। इसलिए हमें कानून का पालन करने वाले तथा अनुशासित होना चाहिए।
हमें कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहिए जो गैरकानूनी तथा अशोभनीय हो। हमें सभी बुराइयों के लिए सरकार तथा प्रणाली को दोषी नहीं ठहराना चाहिए। बल्कि हमें प्रणाली के प्रति अपने कर्तव्य निभाने चाहिएं क्योंकि हम स्वयं भी इसी प्रणाली का ही एक हिस्सा हैं। हमें सच्चे देशभक्त तथा अपनी मातृभूमि की नेक सन्तान बनना चाहिए।
Question 6.
What is it about the Indian people that Kalam doesn’t like ?
Or
“Everybody is out to abuse and rape the country.” What makes Kalam to say this about the Indian people ?
Answer:
Indians are very strange people. They are full of praise for everything that is foreign. They are full of contempt for everything that is Indian. They blame the government for all the ills. They say that the laws are bad. They say that the system is rotten. But they very easily forget that they are also a part of the system. They never think of their own duty to the system. Their own contribution to the system is totally negative.
Kalam gives some examples to show how we are responsible for corrupting the system. He says that we expect the railways to provide clean bathrooms. But we never learn the proper use of these bathrooms. We want the Airlines to provide the best food and toiletries.
But we don’t hesitate to pilfer at the least opportunity. We make loud protestations against social evils like dowry. But at our own home, we do the reverse. All this distresses Kalam very much. In deep disgust he says, “Everybody is out to abuse and rape the country. Nobody thinks of feeding the system. Our conscience is mortgaged to money.”
भारतीय लोग बहुत अजीब किस्म के लोग हैं। वे हर उस चीज़ के लिए तारीफ़ से भरे होते हैं जो विदेशी हो। वे हर उस चीज़ के प्रति घृणा से भरे होते हैं जो भारतीय हो। वे सभी बुराइयों के लिए सरकार को दोषी ठहराते हैं। वे कहते हैं कि कानून घटिया हैं। वे कहते हैं कि प्रणाली गल-सड़ गई है।
किन्तु वे बड़ी आसानी से भूल जाते हैं कि वे स्वयं भी इसी प्रणाली का ही एक हिस्सा हैं। वे प्रणाली के प्रति अपने स्वयं के कर्त्तव्यों के बारे में कभी नहीं सोचते। प्रणाली के प्रति उनका अपना योगदान पूरी तरह नकारात्मक होता है। कलाम यह बात स्पष्ट करने के लिए कुछ उदाहरण देता है कि प्रणाली को प्रदूषित करने के लिए किस तरह हम स्वयं जिम्मेदार हैं।
वह कहता है कि हम रेल विभाग से आशा करते हैं कि वह साफ़ शौचालय प्रदान करे। किन्तु इन शौचालयों
का सही इस्तेमाल हम कभी नहीं सीख पाते हैं। हम चाहते हैं कि एयरलाइन्ज़ उत्तम भोजन और श्रृंगार प्रसाधन जुटाए। किन्तु तनिक-सा भी अवसर मिलने पर भी हम चोरी करने से नहीं झिझकते।
हम दहेज जैसी सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध ज़ोरदार विरोध-प्रदर्शन करते हैं। किन्तु अपने घर के अन्दर हम बिल्कुल विपरीत काम करते हैं। यह सब देखकर कलाम को बहुत दुःख होता है। गहरी घृणा की भावना से वह कहता है, “हर कोई देश का शोषण करने और इसका बलात्कार करने पर तुला हुआ है। कोई भी प्रणाली के लिए कुछ योगदान देने की बात नहीं सोचता है। हमने अपनी आत्मा को पैसे के पास गिरवी रख दिया है।”
Objective Type Questions
Question 1.
Who wrote the chapter, ‘A President Speaks” ?
Answer:
Dr A.P.J. Abdul Kalam.
Question 2.
How many visions does Dr Kalam have for India ?
Answer:
Three visions – Freedom, Development and Strength.
Question 3.
What is Dr Kalam’s third vision for India ?
Answer:
India must stand up to the world.
Question 4.
When did India get its first vision of freedom ?
Answer:
In 1857 when the war of independence was started.
Question 5.
Dr Kalam got the opportunity to work with three great minds’. Give their names.
Answer:
Dr Vikram Sarabhai, Dr Brahm Prakash and Prof. Satish Dhawan.
Question 6.
What has every dog owner in America and Japan to do?
Answer:
They themselves have to clean the droppings of their pets.
Question 7.
What do we expect from the railways ?
Answer:
To provide us clean bathrooms.
Question 8.
Why do we run to the foreign countries ?
Answer:
To enjoy a secure and prosperous life.
Question 9.
Who said, “Our conscience is mortgaged to money.” ?
Answer:
Dr A.P.J. Abdul Kalam.
Question 10.
What does Dr Kalam say about self-respect ?
Answer:
He says that self-respect comes with self-reliance.
Question 11.
How do we behave when we are in another country?
Answer:
We become very responsible and law-abiding.
Vocabulary And Grammar
1. Match the words under A with their meanings under B.
А. — В
1. vision — craze, extreme liking
2. nurture — foreign, not native
3. remote — love or praise abnormally
4. obsession — voice of the soul
5. absolute — self-analysis
6. alien — complete
7. pamper — bring up
8. rescue — distant
9. conscience — dream picture
10. introspection — save
Answer:
1. vision = dream picture
2. nurture = bring up
3. remote = distant
4. obsession = craze, extreme liking
5. absolute = complete
6. alien = foreign, not native
7. pamper = love or praise abnormally
8. rescue = save
9. conscience = voice of the soul
10. introspection = self-analysis.
2. Form verbs from the following words.
Word — Verb
1. conquest — conquer
2. development — develop
3. growth — grow
4. achievement — achieve
5. strength — strengthen
6. success — succeed
7. production — produce
8. examination — examine
9. choice — choose
10. government — govern
3. Fill in each blank with a suitable modal.
1. A leader ………………. be ready to accept responsibilities and self-discipline. (should / may)
2. She ……………. not help me with my lessons. (could / ought)
3. Take an umbrella with you; it ………….. rain. (can / might)
4. …………… I come in, sir? (may / might)
5. ………… that I were a king! (should I would)
Answer:
1. should
2. could
3. might
4. May
5. Would.
4. Change the voice.
1. I cannot accept your offer.
2. The panel asked me technical questions.
3. Alas! We shall hear her voice no more.
4. When will you pay your fees?
5. Crafty men condemn studies.
Answer:
1. Your offer cannot be accepted by me.
2. I was asked technical questions by the panel.
3. Alas ! Her voice will be heard no more.
4. When will your fees be paid by you ?
5. Studies are condemned by crafty men.
5. Fill in the blanks with the correct form of the verbs given in the brackets.
1. Lions ………….. (not live) on fruits. (simple present tense)
2. A stitch in time ……………. (save) nine. (simple present tense)
3. My grandmother …………… (accept) her seclusion with resignation. (simple past tense)
4. Mohan does not have much money, so he …………… (not buy) a car yet. (present perfect tense)
5. The old man always ………………… (carry) an umbrella with him. (simple past tense)
Answer:
1. Lions do not live on fruits.
2. A stitch in time saves nine.
3. My grandmother accepted her seclusion with resignation.
4. Mohan does not have much money, so he has not bought a car yet.
5. The old man always carried an umbrella with him.
A President Speaks Summary & Translation in English
A President Speaks Summary in English:
In this essay, Kalam says that from Alexander onwards, many nations have invaded our country and looted us. They took over what was ours. Yet India has not done this to any other nation. We have not conquered anyone. We have not snatched their land, their culture, and their history. We have not tried to enforce our way of life on them. It was because we love freedom.
Then Kalam talks about his three visions for India. He says that his first vision for India is of freedom. India got its first vision of freedom in 1857 when the war of independence was started. It is this freedom that we must protect. We must nurture it and build future of India on it. If we are not free, no one will respect us. Kalam’s second vision for India is of development. For fifty, years we have been a developing nation.
It is time we saw ourselves as a developed nation. We are among top 5 nations of the world in terms of GDP. Our poverty levels are falling. Our achievements are being globally recognized today. Yet we lack the self-confidence to see ourselves as a developed and self-reliant nation. Kalam’s third vision for India is of strength.
Kalam says that India must become strong. It must stand up to the world. Only then can we win respect. Kalam says that only strength respects strength. So we must be strong. We should be strong not only as a military power, but also as an economic power.
Kalam refers to our obsession with foreign goods. He says that India has made wonderful success in many fields. Yet we run after foreign goods. We want foreign TVs, foreign shirts and foreign technology. Kalam is unable to understand this obsession with everything imported. He says that self-respect comes with self-reliance. We must realize this truth. We must become self-reliant and not run after imported things.
We are never tired of finding fault with our government, our laws, and all the things that are related with the government. But we never ask ourselves as to what we do about it. We behave very differently when we are in another country. There, we become very responsible and law-abiding in our behaviour. We don’t dare to do anything that is not acceptable there.
For example, in Dubai we would not dare to eat in public in Ramadan. In Jeddah, we would not dare to go out without covering our head. In London, we would not dare to bribe an employee of the telephone exchange to have our calls billed to someone else. When we are in Australia or New Zealand, we would not throw our empty coconut shell on the beach.
We don’t throw it anywhere other than the garbage pail. Similarly, we would never spit paan on the streets of Tokyo. And in Boston, we shall never try to buy false certificates from an employee in the examination department.
But in our own country, we shall do all these things without any fear or sense of shame. Kalam wonders why we can’t behave like a good citizen in India also. We willingly follow a foreign system, but don’t care a fig for our own. How strange !
We blame the government for everything and never care about our own duty. Often people take their dog for a walk on the road. The dog leaves its droppings all over the place. And then we blame the government for dirty pavements.
Kalam says that in countries like America and Japan, every dog owner has to clean the droppings of his pet. But the people in India would never do it. They will only blame the government.
We expect the government to do everything for us. We go to the polls and choose a government. Then we think that our responsibility is finished. We sit back comfortably and expect the government to do everything for us.
We expect the government to clean up the roads and streets. But we don’t stop throwing the garbage all over the place. We never stop to pick up a stray piece of paper and throw it into the bin. We expect the railways to provide clean bathrooms.
But we never care to make a proper use of them. We want Indian Airlines and Air India to provide the best of food and toiletries. But we shall not stop our habit of pilfering. Surely, we are the strangest of people.
Kalam says that we are in the habit of finding fault with the government. We find fault with our laws, and our system. We show great concern about burning social issues. Women, dowry, girl child, etc. are not subjects for us.
We make a show of loud protests in public. We blame the system but when it comes to us, we behave most selfishly. We begin to say, “How will it matter if I alone give up my son’s right to dowry ?” We fail to realize that we are also a part of the system.
How will the system change if we don’t change ourselves ? In great despair, Kalam says that everybody is out to abuse and rape the country. Nobody thinks of feeding the system. We have mortgaged our conscience to money. Kalam calls upon every Indian to do what the country needs from us.
A President Speaks Translation in English:
This inspiring speech was delivered by President A. P.J. Abdul Kalam (1931-2015), a scholar and scientist of world renown, in Hyderabad. He was a human being with a keen perception and sensitivity, to human want and suffering.
Various distinctions? and awards form the various milestones of his outstanding life. In 1997, he was awarded BHARAT RATNA, the highest civilian honour of the country. His stay in the Rashtrapati Bhawan was marked by a childlike indifference to conventions.
It is interesting to note that his site on the Internet is dedicated to mother, father, teacher, and Almighty. One can learn a great deaf from his other speeches too.
I have three visions for India. In 3000 years of our history, people from all over the world have come and invaded us, captured our lands, conquered our minds. From Alexander onwards, the Greeks, the Turks, the Moguls, the Portuguese, the British, the French, the Dutch, all of them came and looted us, took over what was ours.
Yet we have not done this to any other nation. We have not conquered anyone. We have not grabbed their land, their culture, and their history and tried to enforce our way of life on them. Why This is because we respect the freedom of others.
That is why my first vision is that of FREEDOM. I believe that India got its first vision of this in 1857 when we started the war of independence. It is this freedom that we must protect and nurture and build on. If we are not free, no one will respect us.
My second vision for India is of DEVELOPMENT. For fifty years we have been a developing nation. It is time we saw ourselves as a developed nation. We are among top 5 nations of the world in terms of GDP. We have 10 percent growth rate in most areas.
Our poverty levels are falling. Our achievements are being globally recognized today. Yet we lack the self-confidence to see ourselves as a developed nation, self-reliant and self-assured. Isn’t this incorrect ? I have a third vision.
India must STAND UP to the world. Because I believe that, unless India stands up to the world, no one will respect us. Only strength respects strength. We must be strong not only as a military power but also as an economic power. Both must go hand-in- hand.
My good fortune was to have worked with three great minds. Dr Vikram Sarabhai of the Deptt. of Space, Prof. Satish Dhawan, who succeeded him and Dr Brahm Prakash, the father of nuclear materials. I was lucky to have worked with all three of them closely and consider this the great opportunity of my life.
We have so many amazing success stories but we refuse to acknowledge them. Why ? We are the first in milk production. We are number one in remote sensing satellites. We are the second largest producer of wheat. We are the second largest producer of rice. Another question : why are we, as a nation so obsessed with foreign things ?
Why do we want foreign TVs ? Why do we want foreign shirts? Why do we want foreign technology? Why this obsession with everything imported? Do we not realize that self-respect comes with self-reliance ?
I was in Hyderabad giving this lecture, when a 14-year-old girl asked me for my autograph. I asked her what her goal in life was. She replied : ‘I want to live in a developed India.’ For her, you and I will have to build this developed India. You must proclaim: India is not an under developed nation; it is a highly developed nation. Do you have 10 minutes ? Allow me to take you with a vengeance.
Give 10 minutes for your country, and read on :
YOU say that our government is inefficient.
YOU say that our laws are too old.
YOU say that the municipality does not pick up the garbage’.
YOU say that the phones don’t work, the railways are a joke, the airline is the worst in the world.
YOU say that mails never reach their destination.
YOU say that our country has been fed to the dogs and is the absolute pits.
YOU say, say and say. What do YOU do about it ?
Take a person on his way to Singapore. Give him a name – YOURS. Give him a face – YOURS. YOU walk out of the airport and you are at your international best. In Singapore you don’t throw litter on the roads or eat in the stores. YOU are as proud.
of their underground links as they are. You pay $5 to drive through Orchard Road (equivalent of Mahim Causeway or Pedder Road) between 5 p.m. and 8 p.m.
YOU come back to the parking lot to punch your parking ticket if you have overstayed in a restaurant or a shopping mall irrespective of6 your status identity. In Singapore you don’t say anything, DO YOU ?
YOU wouldn’t dare to eat in public during Ramadan, in Dubai, YOU would not dare to go out without your head covered in Jeddah. YOU would not dare to buy an employee of the telephone exchange in London at 10 pounds a month to, “see to it that my STD and ISD calls are billed to someone else.”
YOU would not dare to speed beyond7 55 mph (88 km/h) in Washington and then tell the traffic cop, “Jaanta hai mai kaun boon ? (Do you know who I am ?) / am so and so’s son. Take your tivo bucks and get lost. ”
You wouldn’t chuck an empty coconut shell9 anywhere other than the garbage pail on the beaches in Australia and New Zealand. Why don’t YOU spit paan on the streets of Tokyo ? Why don’t YOU use examination jockeys or buy fake certificates in Boston ?
We are still talking of the same YOU. YOU who can respect and conform to a foreign system in other countries but cannot in your own. You who will throw papers and garbage on the road the moment you touch Indian ground.
If you can be an involved and appreciative citizen in an alien country, why cannot you be the same here in India ? Once in an interview, the famous ex-municipal commissioner of Bombay (Mumbai), Mr Tinaikar had a point to make.
“Rich people’s dogs are walked on the streets to leave their affluent droppings all over the place,” he said. “And then the same people turn around to criticize and blame the authorities for inefficiency and dirty pavements.
What do they expect the officers to do ? Go down with a broom every time their dog feels the pressure in his bowels. In America every dog owner has to clean up after his pet has done the job. Same in Japan. Will the Indian citizen do that here ?” He’s right. We go to the polls to choose a government and after that forfeit all responsibility.
We sit back wanting to be pampered and expect the government to do everything for us whilst our contribution is totally negative. We expect the government to clean up but we are not going to stop chucking garbage all over the place, nor are we going to stop to pick up a stray piece of paper and throw it in the bin.
We expect the railways to provide clean bathrooms but we are not going to learn the proper use of bathrooms. We want Indian Airlines and Air India to provide the best of food and toiletries but we are not going to stop pilfering at the least opportunity.
This applies even to the staff that is known not to pass on the service to the public. When it comes to burning social issues like those related to women, dowry, girl child and others, we make loud drawing-room protestations and continue to do the reverse at home. Our excuse ? “It’s the whole system
which has to change, how will it matter if I alone forego my son’s rights to a dowry ?” So who’s going to change the system ? What does a system consist of ? Very conveniently for us it consists of our neighbours, other households, other cities, other communities and the government.
But definitely not me and YOU ! When it comes to us actually making a positive contribution to the system we lock ourselves along with our families into a safe cocoon’ and look into the distance at countries far away and wait for a Mr Clean to come along and work miracles for us with a majestic sweep of his hand or we leave the country and run away.
Like lazy cowards hounded by our fears we run to America to bask in their glory and praise their system. When New York becomes insecure we run to England. When England experiences unemployment, we take the next flight out to the Gulf.
When Gulf is war-struck, we demand to be rescued and brought home by the Indian government. Everybody is out to abuse and rape the country. Nobody thinks of feeding the system. Our conscience is mortgaged to money.
Dear Indians, the article is highly thought inductive. It calls for a great deal of introspection and pricks one’s conscience too. I am echoing J.F. Kennedy’s words to his fellow Americans to relate to Indians. “Ask What We Can Do For India And Do What Has To Be Done To Make ”
A President Speaks Summary & Translation in Hindi
A President Speaks Summary in Hindi:
इस लेख में कलाम कहता है कि सिकन्दर से लेकर अनेक कौमों ने हमारे देश पर आक्रमण किया है और हमें लूटा है। उन्होंने उस पर अधिकार कर लिया जो हमारा था। फिर भी भारत ने ऐसा किसी अन्य राष्ट्र के साथ नहीं किया है। हमने किसी को नहीं जीता है। हमने उनकी जमीन, उनकी संस्कृति और उनके इतिहास को नहीं छीना है।
हमने उन पर अपनी जीवन-शैली को ठोंसने की कोशिश नहीं की है। ऐसा इसलिए था क्योंकि हम स्वतन्त्रता से प्रेम करते हैं।फिर कलाम भारत के बारे में अपने तीन स्वप्नों के बारे में बात करता है। वह कहता है कि भारत के बारे में उसका पहला स्वप्न स्वतन्त्रता संबंधी है।
भारत को अपना स्वतन्त्रता-सम्बन्धी पहला स्वप्न 1857 में प्राप्त हुआ जब स्वतन्त्रता संग्राम का आरम्भ हुआ था। यही स्वतन्त्रता है जिसकी रक्षा हमें करनी है। हमें इसका पोषण करना है और इसके ऊपर भारत के भविष्य का निर्माण करना है। यदि हम स्वतन्त्र नहीं होंगे तो कोई हमारा सम्मान नहीं करेगा। भारत के संबंध में कलाम का दूसरा स्वप्न विकास का है। पचास वर्ष तक हम एक विकासशील राष्ट्र बने रहे हैं।
अब समय आ गया है कि हम स्वयं को एक विकसित राष्ट्र के रूप में देखें। कुल राष्ट्रीय उत्पादन की दृष्टि से हम संसार के चोटी के पांच राष्ट्रों में से एक हैं। हमारा ग़रीबी का स्तर कम हो रहा है। हमारी उपलब्धियों को संसार भर में सराहा जा रहा है। फिर भी हममें आत्म-विश्वास की कमी है तथा हम स्वयं को एक विकसित और आत्म-निर्भर राष्ट्र के रूप में नहीं देखते हैं।
भारत के सम्बन्ध में कलाम का तीसरा स्वप्न ताकत का है। कलाम कहता है कि भारत को अवश्य ताकतवर बनना चाहिए। इसे संसार के मुकाबले में खड़ा होना चाहिए। केवल तभी हमें सम्मान प्राप्त हो सकता है। कलाम कहता है कि केवल ताकत ही ताकत का सम्मान करती है। इसलिए हमें अवश्य ताकतवर बनना चाहिए। हमें न केवल एक सैनिक शक्ति के रूप में ताकतवर बनना चाहिए, अपितु एक आर्थिक शक्ति के रूप में भी।
कलाम विदेशी चीज़ों के लिए हमारे जुनून की बात करता है। वह कहता है कि भारत ने अनेक क्षेत्रों में अद्भुत सफलता प्राप्त की है। फिर भी हम विदेशी चीजों के पीछे भागते हैं। हम विदेशी टी० वी०, विदेशी कमीजें और विदेशी टेक्नोलोजी चाहते हैं। कलाम हर विदेशी चीज़ के लिए इस जुनून को समझ नहीं पाता है। वह कहता है आत्म-सम्मान, आत्म-निर्भरता के आने से प्राप्त होता है। हमें इस तथ्य को समझना होगा। हमें आत्म-निर्भर बनना चाहिए और विदेशी चीजों के पीछे नहीं भागना चाहिए।
हम अपनी सरकार, अपने कानूनों और शासन से सम्बन्धित सभी चीज़ों के दोष निकालने में कभी थकते नहीं हैं। किन्तु हम स्वयं से कभी यह नहीं पूछते हैं कि हम इसके बारे में क्या करते हैं।
हम बहुत भिन्न रूप से व्यवहार करते हैं जब हम किसी अन्य देश में होते हैं। वहां हम अपने व्यवहार में बहुत ज़िम्मेदार और कानून का पालन करने वाले बन जाते हैं। हम कोई भी ऐसी चीज़ करने की हिम्मत नहीं करेंगे जिसकी वहां इजाज़त न हो। उदाहरण के रूप में, हम दुबई में रमज़ान के दौरान किसी सार्वजनिक जगह पर खाने की हिम्मत नहीं करेंगे।
जैद्दा में हम नंगे सिर बाहर जाने की हिम्मत नहीं करेंगे। लन्दन में हम टैलीफोन एक्सचेंज के किसी कर्मचारी को घूस देने की हिम्मत नहीं करेंगे कि वह हमारे कॉल किसी दूसरे के खाते में डाल दे। जब हम ऑस्ट्रेलिया या न्यूजीलैण्ड में हों तो हम अपने नारियल के खाली खोल को समुद्र-तट पर नहीं फेंकते हैं। हम इसे कूड़े वाले ढोल के अतिरिक्त और किसी अन्य जगह पर नहीं फेंकते हैं।
इसी तरह हम टोक्यो की सड़कों पर पान कभी नहीं थूकेंगे, तथा बोस्टन में हम परीक्षा विभाग के किसी कर्मचारी से नकली सर्टिफिकेट खरीदने की कोशिश नहीं करेंगे। किन्तु अपने देश में हम यह सब काम बिना किसी भय या लज्जा की भावना से करेंगे। कलाम को हैरानी होती है कि हम भारत में भी एक अच्छे नागरिक के जैसा व्यवहार क्यों नहीं कर सकते हैं।
हम किसी विदेशी प्रणाली को स्वेच्छा से स्वीकार करते हैं, किन्तु स्वयं अपनी प्रणाली की तनिक भी परवाह नहीं करते हैं। कितनी अजीब बात है ! हम हर बात के लिए सरकार को दोषी ठहराते हैं और अपने कर्तव्य की कभी परवाह नहीं करते हैं। प्रायः लोग अपने कुत्ते को सैर के लिए सड़क पर ले जाते हैं।
कुत्ता सभी जगह अपनी गन्दगी बिखेर देता है, और फिर हम गन्दी पटरियों के लिए सरकार को दोषी ठहराते हैं। कलाम कहता है कि अमरीका और जापान जैसे देशों में प्रत्येक कुत्ते के मालिक को अपने पालतू कुत्ते की गन्दगी को साफ करना होता है, किन्तु भारत में लोग ऐसा कभी नहीं करेंगे। वे केवल सरकार के दोष निकालेंगे।
हम सरकार से आशा करते हैं कि वह हमारे लिए सब काम करे। हम वोट देने जाते हैं और एक सरकार चुन लेते हैं। फिर हम समझते हैं कि हमारी ज़िम्मेदारी समाप्त हो गई है। हम आराम से हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाते हैं और आशा करते हैं कि सरकार हमारे लिए सब कुछ करे। हम आशा करते हैं कि सरकार गलियां और सड़कें साफ़ रखे।
किन्तु हम सभी जगह कूड़ा फेंकना बन्द नहीं करते। हम इधर-उधर पड़ा हुआ कोई कागज़ का टुकड़ा उठाने के लिए कभी नहीं रुकते हैं और इसे कूड़ादान में नहीं डालते हैं। हम रेल-विभाग से आशा करते हैं कि वह साफ़ शौचालय प्रदान करे। किन्तु हम उनका उपयुक्त इस्तेमाल करने की परवाह कभी नहीं करते हैं। हम चाहते हैं कि इण्डियन एयरलाइन्ज़ और एयर इण्डिया उत्तम भोजन और श्रृंगार प्रसाधन प्रदान करे।
किन्तु हम अपनी चोरी की आदत को रोकने के लिए तैयार नहीं होते। निश्चय ही हम बहुत अजीब किस्म के लोग हैं। कलाम कहता है कि हमें सरकार के दोष निकालने की आदत है। हम अपने कानूनों के दोष निकालते हैं और अपनी प्रणाली के दोष निकालते हैं। हम ज्वलन्त सामाजिक विषयों के बारे में अपनी बड़ी चिन्ता व्यक्त करते हैं।
औरतें, दहेज, छोटी बच्चियां, आदि हमारे लिए गर्म विषय होते हैं। हम लोगों के सामने ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन करते हैं। हम प्रणाली को दोष देते हैं, परन्तु जब हमारी बात आती है तो हम अत्यन्त स्वार्थी बन जाते हैं। फिर हम कहने लगते हैं, “इससे क्या अन्तर पड़ेगा यदि अकेला मैं अपने बेटे के दहेज के अधिकार को त्याग दूं ?” हम यह महसूस करने में चूक जाते हैं कि हम स्वयं भी प्रणाली का ही एक हिस्सा हैं।
प्रणाली कैसे बदलेगी यदि हम स्वयं को नहीं बदलेंगे? बहुत निराश होकर कलाम कहता है कि हर कोई देश का ग़लत इस्तेमाल करने और इसका बलात्कार करने पर तुला हुआ है। कोई भी आदमी प्रणाली में अपना योगदान देने की बात नहीं सोचता। हमने अपनी आत्मा को पैसे के पास गिरवी रख दिया है। कलाम प्रत्येक भारतीय से आह्वान करता है कि देश के लिए वह काम किया जाए जिसकी देश को हमसे जरूरत है।
A President Speaks Translation in Hindi:
यह प्रेरणादायक व्याख्यान राष्ट्रपति ए०पी०जे० अब्दुल कलाम (1931-2015), जो कि एक विद्वान तथा विश्व विख्यात वैज्ञानिक था, के द्वारा हैदराबाद में दिया गया था। वह तीक्ष्ण बुद्धि वाला तथा मानवों के अभावों तथा कष्टों के प्रति तीक्ष्ण संवेदनशीलता रखने वाला इंसान था। विभिन्न इनाम तथा पुरस्कार उसकी शानदार जिंदगी के विभिन्न मील के पत्थर हैं। वर्ष 1997 में उसे देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न, प्रदान किया गया।
उसके राष्ट्रपति भवन में निवास का समय रिवाजों के प्रति उसकी बाल-सुलभ उदासीनता से भरपूर था। यह जानना बहुत रोचक है कि इंटरनेट पर उसकी साइट उसके माता, पिता, अध्यापक, तथा ईश्वर को समर्पित है। उसके अन्य व्याख्यानों से भी हम बहुत-कुछ सीख सकते हैं। भारत के बारे में मेरे तीन स्वप्न हैं। इतिहास के तीन हज़ार वर्षों में पूरी दुनिया से लोगों ने आकर हमारे ऊपर आक्रमण किए, हमारी धरती को जीता, हमारे मनों के ऊपर अधिकार जमाया।
सिकंदर से लेकर यूनानियों, तुर्को, मुग़लों, पुर्तगालियों, अंग्रेज़ों, फ्रांसीसियों, हालैण्ड वासियों तक सभी ने हमें लूटा है, जो कुछ भी हमारा था उस पर कब्जा कर लिया। फिर भी हमने ऐसा किसी अन्य राष्ट्र के साथ नहीं किया है। हमने किसी को नहीं जीता है। हमने उनकी ज़मीन नहीं छीनी है, उनकी संस्कृतियों, तथा उनके इतिहास पर अधिकार नहीं किया है और अपनी जीवन-शैली को उनके ऊपर ठोंसने की कोशिश नहीं की है।
क्यों ?ऐसा इसलिए है क्योंकि हम दूसरों की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं। इसीलिए मेरा पहला स्वप्न स्वतंत्रता का स्वप्न है। मेरा मानना है कि भारत ने इसका पहला स्वप्न 1857 में देखा था जब हमने स्वतन्त्रता संग्राम शुरू किया। यही वह स्वतंत्रता है जिसकी हमें रक्षा करनी है तथा जिसे हमें पोषित करना है और सशक्त बनाना है। यदि हम स्वतंत्र नहीं होंगे, कोई भी हमारा सम्मान नहीं करेगा।
भारत के सम्बन्ध में मेरा दूसरा स्वप्न विकास का पचास वर्षों तक हम एक विकासशील देश बने रहे हैं। अब समय आ गया है कि हम स्वयं को एक विकसित राष्ट्र के रूप में देखें। हम कुल राष्ट्रीय उत्पादन की दृष्टि से दुनिया के पाँच चोटी के देशों में 10 per आते हैं। ज्यादातर क्षेत्रों में हमारी विकास दर दस प्रतिशत है।
हमारी गरीबी का स्तर कम हो रहा है। आज हमारी उपलब्धियों को विश्व भर में सराहा जा रहा है। फिर भी हममें आत्म-विश्वास की कमी है तथा हम स्वयं को एक विकसित, आत्म-निर्भर तथा आत्म-विश्वासी राष्ट्र के रूप में नहीं देखते हैं। क्या यह गलत बात नहीं है ?
मेरा एक तीसरा स्वप्न है। भारत को दुनिया के सामने सीना तान कर खड़ा हो जाना चाहिए। क्योंकि मेरा मानना है कि जब तक भारत दुनिया के मुकाबले में खड़ा नहीं होगा, कोई हमारा सम्मान नहीं करेगा। केवल ताकत ही ताकत का सम्मान करती है। हमें न केवल एक सैनिक शक्ति के रूप में ताकतवर बनना है, अपितु एक आर्थिक शक्ति के रूप में भी। दोनों को साथ-साथ चलना होगा।
मेरा अच्छा भाग्य था कि मैंने तीन महान् व्यक्तियों के साथ काम किया। अंतरिक्ष विभाग के डा० विक्रम साराभाई, प्रो० सतीश धवन, जो उनके उत्तराधिकारी बने तथा डा० ब्रह्म प्रकाश, जो कि नाभिकीय पदार्थों के पितामह थे। मैं भाग्यवान था कि मैने उन तीनों के बहुत नज़दीक रहकर काम किया और मैं इसे अपने जीवन का महान् अवसर समझता हूँ। हमारे पास बहुत सारी सफलता की कहानियां हैं, लेकिन हम उन्हें पहचानने से इन्कार कर देते हैं।
क्यों ? दूग्ध उत्पादन में हम पहले. नंबर पर हैं। दूर संवेदी उपग्रहों में हम पहले नंबर पर हैं। हम गेहूँ काम उत्पादन करने में दूसरे नंबर पर हैं। हम चावल के उत्पादन में दूसरे नंबर पर हैं। एक और प्रश्न : एक राष्ट्र के रूप में हमारे ऊपर विदेशी चीजों का भूत इतना सवार क्यों रहता है ?
हम विदेशी टी० वी० क्यों चाहते हैं ? हम विदेशी कमीजें क्यों चाहते हैं ? हम विदेशी तकनीक क्यों चाहते हैं ? हरेक आयातित चीज़ के लिए यह जुनून क्यों ? क्या हमें इस बात का एहसास नहीं है कि आत्म निर्भर होने से ही आत्म-सम्मान प्राप्त होता है ? मैं यह व्याख्यान हैदराबाद में दे रहा था, जब एक चौदह-वर्षीय लड़की ने मेरा हस्ताक्षर (आटोग्राफ) मांगा।
मैंने उससे पूछा कि जीवन में उसका लक्ष्य क्या था। उसने उत्तर दिया : ‘मैं एक विकसित भारत में रहना चाहती हूँ।’ उसके लिए आपको और मुझे इस विकसित भारत का निर्माण करना पड़ेगा। आपको घोषणा कर देनी होगी भारत एक अल्प-विकसित देश नहीं है; यह एक अति विकसित देश है।
क्या आपके पास दस मिनट हैं ? मुझे आज्ञा दीजिए कि मैं आपको पूरी तरह से अपने साथ शामिल कर लूं। अपने देश को दस मिनट दीजिए और पढ़ते जाइए : आप कहते हैं कि हमारी सरकार नालायक है। आप कहते हैं कि हमारे कानून बहुत पुराने हैं। आप कहते हैं कि नगरपालिका कूड़ा नहीं उठाती है।
आप कहते हैं कि फोन काम नहीं करते, रेलवे केवल एक मज़ाक है; हमारी हवाई सेवा दुनिया की सबसे घटिया हवाई सेवा है। आप कहते हैं हमारे डाक-पत्र अपने पते पर कभी भी नहीं पहुंचते हैं। आप कहते हैं कि हमारे देश को कुत्तों के हवाले कर दिया गया है तथा अब यह तबाही के कगार पर है।
आप कहते हैं, कहते चले जाते हैं और कहते ही रहते हैं। किन्तु आप इसके बारे में करते क्या हैं ? एक आदमी का उदाहरण लीजिए जोकि सिंगापुर जा रहा है। उसे नाम दे दीजिए – आपका। उसे एक चेहरा दे दीजिए – आपका। आप हवाई अड्डे से बाहर निकलते हैं और सर्वोत्तम अन्तर्राष्ट्रीय व्यवहार का नमूना बन जाते सिंगापुर में आप सड़कों पर गंदगी नहीं डालते हैं या दुकानों में खड़े होकर नहीं खाते हैं। हमें उनकी
अण्डरग्राउण्ड (भूमिगत) सड़कें और रेलमार्ग देखकर उतना ही गर्व होता है जितना उन लोगों को होता है। आप ऑरचर्ड रोड (जोकि माहिम कॉजवे (नदी का पुल) या पेडर रोड के जैसा ही है) पर शाम के 5 बजे से लेकर 8 बजे तक गाड़ी चलाने के लिए 5 डॉलर अदा करते हैं।
यदि आप अपनी पद प्रतिष्ठा के बारे में सोचे बगैर किसी रेस्तरां या शॉपिंग मॉल में ज्यादा समय तक रुकते हैं तो आप अपनी पार्किंग टिकट को फिर से पंच करवाने के लिए पार्किंग स्थल में जाते हैं। सिंगापुर में आप कुछ भी नहीं कहते हैं, कहते हैं क्या ? दुबई में रमजान के दिनों में आप लोगों के बीच खाने का साहस नहीं करते हैं।
आप जैदा में अपना सिर ढके बगैर बाहर जाने का साहस नहीं करते हैं। आप लंदन में टेलीफोन एक्सचेंज के कर्मचारी को दस पौंड में खरीदने का साहस नहीं करेंगे यह कहते हुए : “इस बात का ध्यान रखना कि मेरे एस० टी० डी० तथा आई० एस० डी० कालों का बिल किसी और के नाम पर चढ़ जाए।”
आप वॉशिंगटन में 55 मील प्रति घंटा (88 कि.मी/घंटा) से ज़्यादा की रफ्तार से गाड़ी चलाने का तथा ट्रैफिक पुलिस के सिपाही से यह कहने का साहस नहीं कर सकते, “जानता है मैं कौन हूं? मैं फलां-फलां का बेटा हूं। ये ले अपने दो टके और दफा हो जा।” ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूजीलैंड में आप समुन्दर के किनारे पर रखे कूड़ेदान के अलावा कहीं और नारियल का खाली खोल फेंकने का साहस नहीं करते हैं।
आप टोक्यो की सड़कों पर पान खाकर क्यों नहीं थूकते हैं? बोस्टन में आप परीक्षा में बाहर से सहायता करने वाले का इस्तेमाल क्यों नहीं करते हैं या जाली सर्टीफिकेट क्यों नहीं खरीदते हैं? अभी भी हम उसी ही ‘आप’ की बात कर रहे हैं। आप जो कि दूसरे देशों में विदेशी प्रणालियों का सम्मान कर सकते हैं तथा उनके अनुसार चल सकते हैं, लेकिन अपने देश में नहीं। आप सड़क पर कागज तथा कचरा will फेंक देते हैं जैसे ही आपके कदम भारत की जमीन को छूते हैं। यदि आप एक बेगाने देश में एक समर्पित तथा कदरदान नागरिक बन सकते हैं तो आप वैसे ही बनकर यहां भारत में क्यों नहीं रह सकते हैं ?
एक बार एक इंटरव्यू में बंबई (मुंबई) के प्रसिद्ध भूतपूर्व निगम आयुक्त मिस्टर तिनायकर ने एक भेंटवार्ता के दौरान एक खास बात कही थी। “अमीर लोगों के कुत्तों को सड़कों पर सैर करवाई जाती है ताकि वे अपनी अमीरी वाली लीद सभी जगह पर छोड़ सकें,” उसने कहा। “और फिर वही लोग मुंह घुमाकर अधिकारियों की आलोचना करते हैं तथा इस नालायकी के लिए तथा गन्दी पटरियों के लिए सरकार को दोषी ठहराते हैं।
वे अधिकारियों से क्या करने की आशा करते हैं ? क्या वह यह आशा करते हैं कि हर बार जब उनके कुत्ते के पेट में दबाव महसूस हो तो वे हाथ में झाड़ लिए उनके पीछे पीछे घूमें। अमरीका में हरेक कुत्ते के मालिक को स्वयं सफाई करनी पड़ती है जब उनका कुत्ता अपना काम खत्म कर चुका होता है। ऐसा ही जापान में है। क्या भारतीय नागरिक यहां भी वही काम करेंगे?” उसका कहना सही है।
हम सरकार चुनने के लिए मतदान करते हैं और उसके बाद सारी जिम्मेवारी त्याग देते हैं। हम चुपचाप बैठ जाते हैं प्यार-दुलार करवाने के लिए तथा सरकार से उम्मीद करते हैं कि वह हमारे लिए सब कुछ करे जबकि हमारा योगदान पूरी तरह नकारात्मक रहता है। हम चाहते हैं किसरकार सफाई का काम करे लेकिन हम सभी जगह कचरा फेंकने से बाज आने वाले नहीं हैं, न ही हम रुक कर इधर-उधर पड़े कागज के टुकड़ों को उठाकर कचरा
पेटी में डालने का कष्ट करने वाले हैं। हम रेल-विभाग से आशा करते हैं कि वह साफ सुथरे शौचालय उपलब्ध करवाए लेकिन हम शौचालय का उचित प्रयोग करना सीखने वाले नहीं हैं। हम इंडियन एयरलाइन्ज तथा एयर इंडिया से चाहते हैं कि वह उत्तम भोजन तथा श्रृंगार प्रसाधन का सामान (साबुन, स्पंज, टूथपेस्ट, इत्यादि) उपलब्ध करवाए लेकिन हम मौका मिलते ही चीजों पर हाथ साफ करने से बाज आने वाले नहीं हैं।
यह बात कर्मचारी वर्ग पर भी लागू होती है जोकि सेवाओं को जनता तक न पहुंचाने के लिए जाना जाता है। जब ज्वलंत सामाजिक मुद्दों की बात आती है जैसे कि स्त्रियों, दहेज, कन्याओं से संबंधित मुद्दे तथा अन्य मुद्दे, तो हम अपनी बैठक वाले कमरे में बैठे ऊंचे स्वर में बनावटी विरोध प्रदर्शन करते रहते हैं और अपने घर में उसके बिल्कुल विपरीत करते रहते हैं।
हमारा बहाना क्या होता है ? “पूरी की पूरी प्रणाली को बदलने की जरूरत है अगर मैं अकेला ही अपने बेटे के दहेज लेने के अधिकार को छोड़ दूं तो इससे क्या फर्क पड़ेगा?” तो फिर कौन ‘प्रणाली’ को बदलने वाला है ? प्रणाली किन चीज़ों से मिलकर बनती है ? हमारे लिए यह कहना बहुत आसान है कि यह हमारे पड़ोसियों, दूसरे घर-परिवारों, दूसरे शहरों, दूसरे समुदायों तथा सरकार से मिलकर बनती है।
लेकिन निश्चित तौर पर मुझसे और आपसे तो नहीं! जब हमारे द्वारा प्रणाली में कोई सकारात्मक योगदान देने की बात आती है तो हम खुद को अपने परिवारों के साथ एक सुरक्षित स्थान में बंद कर लेते हैं और दूर स्थित देशों की तरफ देखने लगते हैं और किसी मिस्टर क्लीन का इंतजार करते हैं कि वह आए और अपने हाथ के जादुई स्पर्श से हमारे लिए कोई चमत्कार कर दे या फिर हम देश छोड़कर भाग जाते हैं।
अपने डरों से घिरे निकम्मे कायरों की भांति उनके गौरव का आनन्द लेने के लिए हम अमरीका भाग जाते हैं और उनकी प्रणाली के कसीदे पढ़ते हैं। जब न्यूयार्क असुरक्षित हो जाता है तो हम इंग्लैंड भाग जाते हैं। जब इंग्लैंड बेरोजगारी का सामना करता है तो हम अगली उड़ान पकड़कर खाड़ी (दुबई, आदि) चले जाते हैं।
जब वह खाड़ी देश युद्ध-ग्रस्त हो जाता है तो हम भारत सरकार से विनती करते हैं कि हमें बचाया जाए और घर वापस लाया जाए। हर कोई देश का गलत इस्तेमाल करने तथा इसका बलात्कार करने में लगा हुआ है। प्रणाली को पोषित करने के बारे में कोई नहीं सोचता।
हमने अपनी अन्तरात्मा को पैसे के पास गिरवी रख दिया है। प्यारे भारतवासियो, यह लेख गंभीरतापूर्वक सोचने के लिए मजबूर कर देने वाला है। यह बहुत ज्यादा आत्मनिरीक्षण तथा अपनी अन्तरात्मा को झिंझोड़ने की मांग करता है………….. मैं इसका सम्बन्ध भारतीयों के साथ जोड़ने के लिए जे० एफ० कैनेडी द्वारा अपने अमरीकी साथियों से कहे गए शब्दों को दोहरा रहा हूं। “यह पूछो कि हम भारत के लिए क्या कर सकते देश आज हैं।” आइए, हम वह करें जो भारत हमसे चाहता है।