Punjab State Board PSEB 11th Class English Book Solutions Chapter 3 Of Studies Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 11 English Chapter 3 Of Studies
Short Answer Type Questions
Question 1.
What do studies serve for?
Answer:
Studies serve for three purposes. They serve for delight, for ornament and for ability. Books give us joy in our leisure. They enable a person to make his conversation polished and beautiful. They make him capable of managing the practical affairs of daily life.
अध्ययन तीन उद्देश्यों के लिए उपयोगी हैं। वे खुशी के लिए, सजावट के लिए तथा योग्यता के लिए उपयोगी होते हैं। पुस्तकें हमें हमारे अवकाश में प्रसन्नता देती हैं। वे एक व्यक्ति को अपना वार्तालाप शिष्ट तथा सुन्दर बनाने के योग्य बनाती हैं। वे उसे दैनिक जीवन के व्यावहारिक धंधों को सुव्यवस्थित करने के योग्य बनाती हैं।
Question 2.
What are the chief uses of studies ?
Answer:
Studies mould our character in a healthy manner. History makes us wise, as we learn lessons from past experiences. Poetry makes a person witty. The study of mathematics makes us subtle. We can understand difficult or deep ideas. Science makes us profound. Philosophy makes us serious and sober. Rhetoric sharpens our ability to argue and discuss.
पुस्तकों का अध्ययन हमारे चरित्र को श्रेष्ठ रूप से ढालता है। इतिहास हमें बुद्धिमान् बनाता है क्योंकि हम अतीत के अनुभवों से शिक्षा लेते हैं। कविता व्यक्ति को चतुर बनाती है। गणित का अध्ययन हमें सूक्ष्म बुद्धि वाला बनाता है। हम कठिन अथवा गहन विचार समझ पाते हैं। विज्ञान हमें गहन बनाता है। दर्शनशास्त्र हमें गंभीर और विनम्र बनाता है। व्याख्यान हमारी तर्क तथा वाद-विवाद करने की योग्यता को तीक्ष्ण बनाता है।
Question 3.
When do the studies become the humour of a scholar ?
Answer:
No doubt, studies have great importance in our life. But we cannot lead our life completely according to the rules given in the books. This is the reason that studies become the humour of a scholar when he starts judging things on the basis of rules given in the books. A scholar can judge everything according to bookish knowledge.
निस्सन्देह हमारे जीवन में अध्ययन का बहुत महत्व है। परन्तु हम अपना जीवन पूरी तरह से किताबों में दिए गए नियमों के अनुसार नहीं बिता सकते। यही कारण है कि अध्ययन एक विद्वान का मजाक बन जाता है जब वह चीजों का मूल्यांकन किताबों में दिए नियमों के अनुसार करने लगता है। एक विद्वान हर चीज का मूल्यांकन किताबी ज्ञान के आधार पर कर सकता है।
Question 4.
What do the crafty men, simple men and wise men do with the studies respectively ?
Answer:
The crafty men look down upon books. They think that cunningness will do for them; wisdom of books is of no use. Simple men admire books. They look at them with awe. But the wise men derive advantage out of books. With the help of studies, they prune their natural abilities and thus perfect their nature.
मक्कार लोग अध्ययन से घृणा करते हैं। उनके विचार से दुष्टता ही उनके लिए काफी रहेगी; पुस्तकों का ज्ञान किसी काम का नहीं है। साधारण लोग पुस्तकों की सराहना करते हैं। वे इनको प्रशंसा तथा अचम्भे से देखते हैं। परन्तु बुद्धिमान लोग पुस्तकों से लाभ प्राप्त करते हैं। पुस्तकों के अध्ययन की सहायता से वे अपनी स्वाभाविक योग्यताओं की काट-छांट करते हैं और इस प्रकार अपने स्वभाव को संपूर्ण बनाते हैं।
Question 5.
Why should we read ?
Answer:
Studies offer many advantages. Books give us delight when we study them at leisure. They enable us to make our conversation polished and beautiful. Books also give us the sense to manage the practical affairs of our daily life.
पुस्तकें पढ़ने के बहुत से लाभ हैं। पुस्तकें हमें अवकाश में पढ़ते समय खुशी देती हैं। वे हमें इस योग्य बनाती हैं कि हम अपने वार्तालाप को शिष्ट और सुन्दर बना लें। पुस्तकें हमें अपने दैनिक जीवन के व्यावहारिक धन्धों को सुव्यवस्थित करने की बुद्धिमत्ता भी देती हैं।
Question 6.
‘Some books are to be tasted.’ What does the author mean by this statement ?
Answer:
Some books are good in parts only. So we should taste them, study them in parts. Here the author means to say that some books don’t need thorough reading. They may be given cursory reading only. They don’t need deep and serious reading
कुछ पुस्तकों के कुछ भाग ही अच्छे होते हैं। हमें उनका स्वाद लेना चाहिए, उनको भागों में पढ़ना चाहिए। यहां लेखक के कहने का तात्पर्य यह है कि कुछ पुस्तकों को पूरी तरह से पढ़ने की जरूरत नहीं होती। उनका सिर्फ सतही अध्ययन किया जाना चाहिए। उनका गहन तथा गंभीर अध्ययन करने की कोई जरूरत नहीं होती।
Question 7.
What do reading, conference and writing make a man respectively?
Answer:
Reading develops the mental faculties of a man. Conversation and discussion make him a man with a ready wit. Writing makes a man very exact. He can quote exact facts and figures. He learns how to state everything clearly.
अध्ययन मनुष्य के मानसिक गुणों का विकास करता है। वार्तालाप तथा वाद-विवाद उसे हाजिर जवाबी वाला मनुष्य बना देता है। लिखना एक मनुष्य को परम शुद्ध बनाता है। वह बिल्कुल सही तथ्य व आंकड़े बता सकता है। वह सीख लेता है कि प्रत्येक चीज़ को स्पष्ट रूप से कैसे बतलाए।
Question 8.
How are different types of physical activities beneficial to us ?
Answer:
Different types of physical activities and exercises cure our physical ailments. Bowling is good for the stone and the kindneys. Shooting is good for the lungs and breast. Gentle walking is useful for the stomach and riding for the head.
भिन्न-भिन्न प्रकार की शारीरिक गतिविधियां तथा व्यायाम हमारे शरीर की बीमारियों को ठीक करते हैं। गेंद मार कर बोतलों को गिराना पथरी तथा गुर्दो के लिए अच्छा होता है। तीरन्दाजी फेफड़ों तथा छाती के लिए अच्छी होती है। आराम से चलना पेट के लिए तथा घुड़सवारी करना सिर के लिए लाभदायक है।
Question 9.
When should a man study mathematics?
Answer:
When a man wants to improve his concentration, he should study mathematics. Mathematics improves our concentration. The study of mathematics makes us subtle. We can understand difficult or deep ideas. It makes us intelligent.
जब कोई व्यक्ति अपनी एकाग्रता को सुधारना चाहे, तो उसे गणित का अध्ययन करना चाहिए। गणित हमारी एकाग्रता को सुधारता है। गणित का अध्ययन हमें सूक्ष्म बुद्धि वाला बनाता है। हम कठिन अथवा गहन विचार समझ पाते हैं। यह हमें बुद्धिमान बनाता है।
Question 10.
When should we study lawyers’ cases ?’
Answer:
When we lack reasoning and want to improve our intellect, we should study law and lawyers’ cases. It will make us apt to beat over matter. If we want to call up one thing to prove and illustrate another thing, we should study lawyers’ cases.
जब हम में तर्क की कमी हो और हम अपनी बुद्धि को सुधारना चाहें, तो हमें कानून तथा वकीलों के मुकदमों का अध्ययन करना चाहिए। यह हमें तेजी से निरीक्षण तथा विश्लेषण करने के योग्य बनाएगा। यदि हम किसी बात को साबित करने तथा उदाहरण सहित व्याख्या करने के उद्देश्य से किसी चीज को दिमाग में लाना चाहते हैं, तो हमें वकीलों के मुकदमों का अध्ययन करना चाहिए।
Question 11.
How are natural abilities like plants ?
Answer:
Natural abilities mean natural talents. These talents are like plants. Plants have a wild growth. They must be pruned and trimmed. Only then do they become orderly and beautiful. Same is the case with our abilities. These abilities need guidance in a right direction. Only then they become useful for society.
स्वाभाविक योग्यताओं का अर्थ है, स्वाभाविक प्रतिभाएं। ये प्रतिभाए पौधों के समान होते हैं। पौधे ऊटपटांग तरीके से उगते हैं। उनके अनावश्यक भागों को काट देना चाहिए तथा उनकी काट-छांट कर देनी चाहिए। केवल तभी वे सुव्यवस्थित तथा सुन्दर बन सकते हैं। ऐसा ही हमारी योग्यताओं के साथ होता है। इन योग्यताओं को उचित दिशा में मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। केवल तभी वे समाज के लिए उपयोगी बन सकेंगी।
Question 12.
What must books not be read for?
Answer:
Books should be read not to condemn or refute others. At the same time, we should not suspend our judgement, and believe whatever is written in books. Again, we should not study books merely to deliver talks and discourses.
पुस्तकों को दूसरों से घृणा करने या उनका खंडन करने के लिए नहीं पढ़ा जाना चाहिए। साथ ही, हमें अपनी परख को नहीं छोड़ना चाहिए तथा जो कुछ पुस्तकों में लिखा है उन पर अंधाधुन्ध विश्वास नहीं करना चाहिए। फिर हमें पुस्तकों का अध्ययन केवल व्याख्यान तथा उपदेश देने के लिए नहीं करना चाहिए।
Question 13.
The study of which subject can improve concentration if ‘one’s wits be wandering’ ? How?
Answer:
The study of mathematics is needed to improve our concentration. Solving mathematical problems, in fact, gives us a training in having undivided concentration. If while solving a mathematical sum, our attention wanders, we have to begin all over again. That’s a training in concentration.
गणित का अध्ययन हमारी एकाग्रता को सुधार सकता है। वास्तव में गणित की समस्याओं का समाधान हमें अविभाजित एकाग्रता प्राप्त करने का प्रशिक्षण देता है। यदि गणित का कोई प्रश्न हल करते हुए हमारा ध्यान भटक जाता है, तो हमें वह प्रश्न पुनः आरम्भ करना पड़ता है। यही एकाग्रता का प्रशिक्षण है।
Question 14.
Do you agree with Bacon that ‘studies pass into character’?
Answer:
We do agree with Bacon partly, not wholly. Studies mould man’s character in a healthy manner. Books do influence our mind. Different subjects teach us wisdom, concentration, sobriety, reasoning, etc. But other factors count too. The reader’s mind, too, should be open to the ideas presented in books. Otherwise those ideas won’t pass into character.
हम बेकन से थोड़ा सहमत हैं, पूरी तरह नहीं। अध्ययन व्यक्ति के चरित्र को एक स्वास्थ्यकर ढंग से ढालता है। पुस्तकें हमारे मस्तिष्क को अवश्य ही प्रभावित करती हैं। भिन्न-भिन्न विषय हमें बुद्धिमत्ता, एकाग्रता, गम्भीरता व तर्क, इत्यादि सिखाते हैं। परन्तु अन्य तत्त्वों का भी महत्त्व होता है। पाठक का मस्तिष्क भी पुस्तकों द्वारा प्रस्तुत किए गए विचारों के लिए खुला होना चाहिए। अन्यथा वे विचार हमारे चरित्र में नहीं उतर पायेंगे।
Question 15.
Do studies have a harmful effect, according to Bacon ?
Answer:
Yes, but only excessive studies. A person who spends too much time in studying books can become lazy. Making too much use of bookish knowledge in conversation will make it artificial. Similarly, judging everything according to bookish knowledge won’t be practical.
हाँ, परन्तु केवल अत्यधिक अध्ययन। एक व्यक्ति जो पुस्तकों के अध्ययन में अत्यधिक समय व्यतीत करता है, सुस्त बन सकता है। वार्तालाप में किताबी ज्ञान का अत्यधिक प्रयोग करने से यह कृत्रिम बन जायेगा। इसी प्रकार हर चीज़ को किताबी ज्ञान से परखना व्यावहारिक नहीं होगा।
Question 16.
Studies are to mind what exercises are to body. How ?
Answer:
Exercises cure physical ailments. Similarly, studies can cure mental ailments. Mathematics improves concentration. It makes a man subtle and he can understand a deep or difficult idea. If a man cannot find differences, he should study the philosophers of the Medieval times. To improve intellect, a man should study legal cases.
व्यायाम शारीरिक बीमारियों को ठीक करते हैं। इसी प्रकार अध्ययन मानसिक बीमारियों को दूर कर सकता है। गणित एकाग्रता सुधारता है। यह व्यक्ति को सूक्ष्म बुद्धि वाला बनाता है और वह गहन अथवा कठिन विचार को समझ सकता है। यदि कोई व्यक्ति (वस्तुओं में) अन्तर नहीं ढूंढ सकता है तो उसे मध्यकाल के दार्शनिकों का अध्ययन करना चाहिए। बुद्धि को सुधारने के लिए मनुष्य को कानूनी मुकदमों का अध्ययन करना चाहिए। .
Question 17.
Some books are to be tasted, others to be swallowed, and some few to be chewed and digested.’ Explain.
Answer:
The author talks about the books of different quality. Some books are good only in parts. So they should be tasted, that is, they should be read in parts. Some books are of a mediocre quality. Not much time should be wasted on them. They should be gone through hurriedly. But some few books are of a very high quality. Such books should be read with full concentration. They should be assimilated.
लेखक भिन्न-भिन्न गुणों वाली पुस्तकों की बात करता है। कुछ पुस्तकें भागों में ही अच्छी होती हैं। अतः उनका स्वाद ही लेना चाहिए, अर्थात उन्हें भागों में ही पढ़ना चाहिए। कुछ पुस्तकें मध्यम (साधारण) श्रेणी की होती हैं। उन पर अधिक समय नष्ट नहीं करना चाहिए। उनको जल्दी-जल्दी पढ़ लेना चाहिए। परन्तु कुछ थोड़ी-सी पुस्तकें उच्चतम व श्रेष्ठ होती हैं। ऐसी पुस्तकों को पूर्ण एकाग्रता से पढ़ना चाहिए। उनको आत्मसात कर लेना चाहिए।
Long Answer Type Questions
Question 1.
How do studies perfect man’s nature ?
Answer:
Studies mould man’s character in a healthy manner. They have great influence on his mind. Studies, in fact, pass into man’s character. Different subjects teach him wisdom, concentration, soboriety, reasoning, etc. History makes him wise as he learns lessons from past experiences.
Poetry makes him witry. The study of Mathematics makes him subtle and man can understand difficult or deep ideas. Science makes him profound. Philosophy makes him serious and sober. Rhetoric sharpens his ability to argue and discuss. Books enable man to make his conversation polished and beautiful. They enable man to manage the affairs of his day-to-day life most efficiently. Thus studies prune man’s natural abilities and perfect his nature.
पुस्तकों का अध्ययन मनुष्य के चरित्र को श्रेष्ठ रूप में ढालता है। उनका उसके दिमाग पर बहुत प्रभाव पड़ता है। पुस्तकों का अध्ययन वास्तव में मनुष्य के चरित्र का निर्माण करता है। विभिन्न विषय उसे बुद्धिमत्ता, एकाग्रता, गंभीरता तथा तर्क, इत्यादि सिखाते हैं। इतिहास उसे बुद्धिमान बनाता है क्योंकि वह अतीत के अनुभवों से शिक्षा लेता है।
कविता उसे चतुर बनाती है। गणित का अध्ययन उसे सूक्ष्म बुद्धि वाला बनाता है और मनुष्य कठिन अथवा गहन विचार समझ पाता है। विज्ञान मनुष्य को गहन बनाता है। दर्शन-शास्त्र उसे गम्भीर बनाता है। व्याख्यान उसमें तर्क तथा वाद-विवाद करने की योग्यता को तीक्ष्ण बनाता है। पुस्तकें मनुष्य के वार्तालाप को सुन्दर तथा शिष्ट बनाती हैं।
वे मनुष्य को इस योग्य बनाती हैं कि वह अपने दैनिक जीवन के काम-धन्धों को सकुशल रूप से व्यवस्थित कर सके। इस प्रकार पुस्तकों का अध्ययन मनुष्य की स्वाभाविक योग्यताओं की काट-छांट करता है और उसके स्वभाव को संपूर्णता प्रदान करता है।
Question 2.
How do different types of men make use of studies ?
Answer:
Different people have different attitudes towards studies. The wicked people don’t consider studies worthwhile. They look down upon books. They are full of cunningness and they think that their cunningness will do for them. According to them, wisdom of books is of no use.
Simple-minded people have respect for books. They know the value of books in man’s life. But they just admire books and look at them with awe. But the wise men, says the author, derive advantage out of books. With the help of studies, they make their conversation polished and beautiful.
Wisdom and knowledge gained from the books makes them capable of managing the practical affairs of daily life. With the help of studies, they prune their natural abilities and thus perfect their nature.
अध्ययन के प्रति भिन्न-भिन्न लोगों का भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण होता है। दुष्ट लोग पुस्तकों के अध्ययन को व्यर्थ मानते हैं। वे पुस्तकों से घृणा करते हैं। वे धूर्तता से भरे होते हैं और उनके विचार से दुष्टता ही उनके लिए काफी रहेगी। उनके अनुसार पुस्तकों की बुद्धिमत्ता किसी काम की नहीं होती है।
साधारण लोग पुस्तकों का सम्मान करते हैं। वे मनुष्य के जीवन में पुस्तकों के मूल्य को समझते हैं। परन्तु वे पुस्तकों की सिर्फ सराहना करते हैं और इनको प्रशंसा तथा अचम्भे से देखते हैं। परन्तु बुद्धिमान लोग, लेखक कहता है, पुस्तकों से लाभ प्राप्त करते हैं। पुस्तकों के अध्यययन की मदद से वे अपने वार्तालाप को शिष्ट तथा सुंदर बना लेते हैं।
पुस्तकों से प्राप्त हुआ ज्ञान तथा बुद्धिमत्ता उन्हें दैनिक जीवन के व्यावहारिक धंधों को सुव्यवस्थित करने के योग्य बनाता है। पुस्तकों के अध्ययन की सहायता से वे अपनी स्वाभाविक योग्यताओं की काट-छांट करते हैं और इस प्रकार अपने स्वभाव को संपूर्ण बनाते हैं।
Question 3.
What does the author say about different types of books ?
Answer:
The author talks about the books of different quality. He says that some books are good in parts only. So they should be tasted, that is they should be read in parts only. Then there are some books of mediocre quality. They don’t deserve a thoughtful study.
So not much time should be wasted on them. They should be swallowed. In other words, they should be gone through hurriedly. But there are some books which are really good. These books are of a high quality. Such books should be read thoroughly and with full concentration. They should be read seriously and deeply. In short, such books should be assimilated.
लेखक भिन्न-भिन्न गुणों वाली पुस्तकों की बात करता है। वह कहता है कि कुछ पुस्तकें सिर्फ भागों में ही अच्छी होती हैं। इसलिए उनका स्वाद ही लेना चाहिए, अर्थात् उन्हें भागों में ही पढ़ना चाहिए। फिर कुछ पुस्तकें होती हैं जो मध्यम (साधारण) श्रेणी की होती हैं। उन्हें गौर से नहीं पढ़ा जाना चाहिए।
इसलिए उन पर अधिक समय नष्ट नहीं करना चाहिए। उन्हें निगल जाना चाहिए। अन्य शब्दों में, उनको जल्दी जल्दी पढ़ लेना चाहिए। परन्तु कुछ पुस्तकें होती हैं जो वास्तव में बहुत अच्छी होती हैं। ऐसी पुस्तकें उच्चतम व श्रेष्ठ होती हैं। ऐसी पुस्तकों को अच्छी तरह तथा पूर्ण एकाग्रता से पढ़ना चाहिए। उनका अध्ययन गहनता से तथा गंभीरतापूर्वक करना चाहिए। संक्षेप में, ऐसी पुस्तकों को आत्मासात कर लेना चाहिए।
Question 4.
What must man have if he writes, confers or reads little ?
Answer:
The author says that there are some sort of qualities which a man should possess, if he writes or confers or reads little. He says that if a man writes little, he must have a great memory. With his good memory, he will be able to retain the things in his mind.
Then the author says that if a man confers little, he must have a present wit. According to the author, present wit would make him able to tackle the unexpected and unpleasant situations at times occurring in his life. And if a man reads little, says the author, he must have cunningness. It would make him look confident. Then he would seem to know that he does not know in fact.
लेखक कहता है कुछ किस्म के गुण हैं जो एक मनुष्य में होने चाहिएं यदि वह कम लिखता है, अथवा कम बातचीत करता है अथवा कम पढ़ता है। वह कहता है कि यदि कोई व्यक्ति कम लिखता हो, तो उसकी याद्दाश्त बहुत तेज़ होनी चाहिए। अपनी अच्छी याद्दाश्त की मदद से वह बातों को अपने दिमाग में याद रख सकेगा।
फिर लेखक कहता है कि यदि व्यक्ति कम वार्तालाप करता है, तो उसे हाज़िर-जवाब अवश्य होना चाहिए। लेखक के अनुसार, हाज़िर-जवाबी उसे जीवन में समय-समय पर होने वाली अप्रत्याशित तथा असुखद परिस्थितियों का सामना करने के काबिल बनाएगी। और यदि व्यक्ति कम पढ़ता है, तो लेखक कहता है, उसके अन्दर धूर्तता (चालाकी) अवश्य होनी चाहिए। इससे वह विश्वस्त दिखाई देगा। फिर ऐसा प्रतीत होगा कि वह सब जानता है जो कि वह वास्तव में नहीं जानता होगा।
Question 5.
How do studies pass into the character ?
Answer:
Studies have a great influence on human character. They remove mental deficiencies and improve our character. They enable us to make our conversation polished and beautiful. They make us capable of managing the practical affairs of daily life.
Studies indeed are of immense value in our life. Studies have a great influence on our mind as well. Different subjects teach us wisdom, concentration, sobriety, reasoning, etc. History makes us wise as we learn lessons from past experiences. Poetry makes us witty.
Mathematics makes us subtle. Science makes us profound. Philosophy makes us sober and serious. Rhetoric sharpens our ability to argue and discuss. Thus, studies pass into our character and mould it in a healthy manner.
अध्ययनों का मानव-चरित्र पर बड़ा प्रभाव होता है। ये मानसिक त्रुटियों को दूर करते हैं तथा हमारे चरित्र को सुधारते हैं। ये हमें अपना वार्तालाप शिष्ट तथा सुंदर बनाने योग्य बनाते हैं। वे हमें दैनिक जीवन के व्यावहारिक धंधों को व्यवस्थित करने के योग्य बनाते हैं। हमारे जीवन में अध्ययन की सचमुच बहुत महत्ता है।
अध्ययन का हमारे मस्तिष्क पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है। भिन्न-भिन्न विषय हमें बुद्धिमत्ता, एकाग्रता, गम्भीरता तथा तर्क, इत्यादि सिखाते हैं। इतिहास हमें बुद्धिमान बनाता है क्योंकि हम अतीत के अनुभवों से शिक्षा लेते हैं। कविता हमें हाज़िरजवाब बनाती है। गणित हमें सूक्ष्म बुद्धि वाला बनाता है।
विज्ञान हमें गहन बनाती है। दार्शनिकता हमें शांत तथा गम्भीर बनाती है। व्याख्यान हममें तर्क तथा वाद-विवाद करने की योग्यता को तीक्ष्ण बनाता है। इस प्रकार अध्ययन हमारे चरित्र का निर्माण करता है और इसे एक श्रेष्ठ रूप प्रदान करता है।
Question 6.
What are the different ways of reading books ?
Answer:
The author suggests different ways of reading books. As Bacon says : ‘Some books are to be tasted, others to be swallowed, and some few to be chewed and digested.’. It means there are different types of books, and a reader should have a different approach towards them.
Some books, for example, are good in parts only. So they should be tasted, that is, they should be read in parts only. Then, there are books that don’t deserve a thoughtful study. They should be swallowed. In other words, we should go through them hurriedly. But there are really good books too books of high quality. Such books should be thoroughly read and assimilated.
There are books of a fourth kind too. These books are of a very low quality. Such books should be read by proxy. They should not be read in original. They should be studied through notes, etc. These are the ways of reading different books.
लेखक पुस्तकें पढ़ने के भिन्न-भिन्न तरीके सुझाता है। जैसा कि बेकन कहता है, “कुछ पुस्तकों का स्वाद लेना चाहिए, कुछ पुस्तकों को निगल जाना चाहिए तथा कुछ थोड़ी-सी ऐसी होती हैं जिन्हें चबाया तथा हजम किया जाना चाहिए।” इसका अर्थ है कि पुस्तकें भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं तथा एक पाठक को उनके प्रति भिन्न-भिन्न व्यवहार रखना चाहिए।
उदाहरणतः कुछ पुस्तकों के केवल कुछ भाग ही अच्छे होते हैं। अतः उनका स्वाद लेना चाहिए, अर्थात् उनको भागों में ही पढ़ना चाहिए। तब कुछ ऐसी पुस्तकें होती हैं, जिनको गौर से नहीं पढ़ा जाना चाहिए। उनको निगल जाना चाहिए। दूसरे शब्दों में, हमें उन्हें शीघ्रता से पढ़ना चाहिए। परन्तु वास्तव में श्रेष्ठ पुस्तकें भी होती हैं – उच्च कोटि की पुस्तकें । इन पुस्तकों को पूर्णतः पढ़ना चाहिए तथा अपने अन्दर आत्मसात करना चाहिए।
पुस्तकों की एक चौथी किस्म भी होती है। ये पुस्तकें बड़े निम्न स्तर वाली होती हैं। ऐसी पुस्तकों को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किए गए रूपांतर में पढ़ना चाहिए। इन्हें इनके मूल रूप में नहीं पढ़ना चाहिए। इन्हे नोट्स, इत्यादि के जरिए पढ़ना चाहिए। ये भिन्न-भिन्न पुस्तकों को पढ़ने के तरीके हैं।
Question 7.
What are the advantages of studies ?
Answer:
Studies offer many advantages. Books give us delight when we study them at leisure. They enable us to make our conversation polished and beautiful. Books also give us the sense to manage the practical affairs of our daily life.
Studies mould our character in a healthy manner. History makes us wise, as we learn lessons from past experiences. Poetry makes a person witty. The study of mathematics makes us subtle. We can understand difficult or deep ideas. Science makes us profound. Philosophy makes us serious and sober. Rhetoric sharpens our ability to argue and discuss.
Books are useful in another way also. They serve as an effective cure for many mental ailments. Mathematics improves our concentration. The philosophers of the Middle Ages teach us to find differences. If we lack reasoning, we should study law and lawyers’ cases. Thus studies offer a variety of advantages.
पुस्तकें पढ़ने के बहुत से लाभ होते हैं। पुस्तकें हमें अवकाश में पढ़ते समय खुशी देती हैं। वे हमें इस योग्य बनाती हैं कि हम अपने वार्तालाप को सुन्दर बना लें। पुस्तकें हमें अपने दैनिक जीवन के व्यावहारिक धन्धों को सुव्यवस्थित करने की बुद्धिमत्ता भी देती हैं। पुस्तकों का अध्ययन हमारे चरित्र को श्रेष्ठ रूप से ढालता है।
इतिहास हमें बुद्धिमान् बनाता है क्योंकि हम अतीत के अनुभवों से शिक्षा लेते हैं। कविता व्यक्ति को चतुर बनाती है। गणित का अध्ययन हमें सूक्ष्म बुद्धि वाला बनाता है। हम कठिन अथवा गहन विचार समझ पाते हैं। विज्ञान हमें गहन बनाता है। दर्शनशास्त्र हमें गंभीर और विनम्र बनाता है। व्याख्यान हमारी तर्क तथा वाद-विवाद करने की योग्यता को तीक्ष्ण बनाता है। पुस्तकें एक और तरीके से भी लाभदायक होती हैं।
वे बहुत-सी मानसिक बीमारियों के प्रभावशाली उपचार का कार्य करती हैं। गणित हमारी एकाग्रता को सुधारता है। मध्यकाल के दार्शनिक हमें अन्तर करना सिखाते हैं। यदि हम में तर्क की कमी है तो हमें कानून तथा वकीलों के मुकदमों का अध्ययन करना चाहिए। अतः पुस्तकों के अध्ययन के बहुत से लाभ होते हैं।
Question 8.
Give the substance of the essay, ‘Of Studies’.
Answer:
Of Studies’ tells us the importance of studying books. Books are a source of delight and usefulness. They entertain us when we read them at leisure. They make our conversation polished and beautiful. Excessive studies, however, will make us lazy and pedant.
Studies do give us an insight into the working of human mind. But we should not read books to condemn or contradict others. Nor should we use our bookish knowledge for delivering talks and discourses. The real aim of studies is the acquisition of wisdom. Books are of different kinds. Some are to be studied in parts. There are books which we should go through hurriedly.
But really good books should be studied thoroughly, with full concentration. Studies have a great influence on human character. They remove mental deficiencies and improve our character. They, indeed, are of immense value.
‘Of Studies हमें पुस्तकों के अध्ययन की महत्ता बताता है। पुस्तकें खुशी तथा उपयोगिता का स्रोत हैं। जब हम अवकाश में इन्हें पढ़ते हैं, तो ये हमारा मनोरंजन करती हैं। ये हमारे वार्तालाप को शिष्ट और सुन्दर बनाती हैं। परन्तु पुस्तकों का अत्यधिक अध्ययन हमें सुस्त तथा विद्यागर्वी बना देता है।
पुस्तकों का अध्ययन हमें मानव-मस्तिष्क के कार्य के ढंग का अन्तर्ज्ञान देता है। हमें दूसरों की निन्दा अथवा उनकी बात काटने के लिए पुस्तकें नहीं पढ़नी चाहिएं। न ही हमें अपने किताबी ज्ञान का प्रयोग भाषण अथवा उपदेश देने के लिए करना चाहिए। अध्ययन का वास्तविक उद्देश्य ज्ञान की प्राप्ति है। पुस्तकें भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। कुछ को भागों में ही पढ़ना चाहिए। कुछ पुस्तकें ऐसी हैं जिन्हें हमें शीघ्रता से पढ़ लेना चाहिए।
परन्तु वास्तविक श्रेष्ठ पुस्तकों को पूर्ण एकाग्रता के साथ पूरी तरह पढ़ना चाहिए। अध्ययन का मानव-चरित्र पर बड़ा प्रभाव होता है। यह मानसिक त्रुटियों को दूर करता है तथा हमारे चरित्र को सुधारता है। सचमुच उनकी अत्यधिक महत्ता है।
Objective Type Questions
Question 1.
Who wrote the essay, ‘Of Studies’ ?
Answer:
Francis Bacon.
Question 2.
How many purposes does the study of books serve ?
Answer:
Three purposes.
Question 3.
When do the books give us joy ?
Answer:
When we study, When we study them in loneliness.
Question 4.
What is the harm of spending too much time in studies ?
Answer:
It makes us lazy and ease-loving.
Question 5.
What perfects the study of books ?
Answer:
Experience.
Question 6.
For what purpose should we read books ?
Answer:
To think deep and gain wisdom.
Question 7.
What sort of books should be read by proxy ?
Answer:
The books of lower quality.
Question 8.
What must a man have if he writes little ?
Answer:
A good memory.
Question 9.
What influence does writing poetry have on man?
Answer:
It makes a man creative.
Vocabulary And Grammar
1. Fill in the blanks in the following sentences with suitable words selected from the box below :
learned , extract, perfect ,crafty, chew, exact ,contradict
1. This gold …………. carries a purity of 95 percent.
2. Many a ………….. professor took part in the conference.
3. You must ……….. your food well.
4. ………….. persons are sometimes caught in their own nets.
5. This passage is an …………. from a speech by Nehru.
6. Your reply must be ………….. and to the point.
7. Practice makes a man ……………. .
8. I do not mean to …………….. what you are saying.
Answer:
1. ornament
2. learned
3. chew
4. Crafty
5. extract
6. exact
7. perfect
8. contradict.
2. Form nouns from the following words :
Word –Noun
1. consider — consideration
2. punish — punishment
3. believe — belief
4. opt — option
5. idle — idleness
6. weak — weakness
7. dictate — dictation
8. violent — violence
9. intelligent — intelligence
10. obey — obedience
3. Fill in each blank with a suitable preposition :
1. Her face was a criss-cross ……. wrinkles.
2. She used to get up …………. the morning and get me ready …………. school.
3. He rules ………… a vast empire.
4. I never bothered ……………… learn the prayer.
5. The driver jumped …………… the car.
Answer:
1. of
2. in; for
3. over
4. to
5. out of.
4. Change the voice :
1. Baron Hausberg buys all my pictures.
2. Will Pakistan build a nuclear breeder ?
3. His conduct amazed us.
4. Who is creating this mess?
5. He is said to be very rich.
Answer:
1. All my pictures are bought by Baron Hausberg.
2. Will a nuclear breeder be built by Pakistan ?
3. We were amazed at his conduct.
4. By whom is this mess being created ?
5. They say that he is very rich.
5. Change the form of narration :
1. My mother said to me, “You will miss the train.”
2. “Gandhiji believed in non-violence,” said the Prime Minister.
3. Rita said to me, “Trust in God and do the right.”
4. “Don’t run away, Hughie,” said he.
5. “What an amazing model !” shouted Trevor.
Answer:
1. My mother told me that I would miss the train.
2. The Prime Minister said that Gandhiji believed in non-violence.
3. Rita advised me to trust in God and do the right.
4. He asked Hughie not to run away.
5. Trevor shouted that it was an amazing model.
Of Studies Summary & Translation in English
Of Studies Summary in English:
According to Bacon, studying books serves three useful purposes. They are a source of entertainment for us in our leisure. They enable us to make our conversation polished and beautiful. They enable us to manage the affairs of our day-to-day life most efficiently. Thus studies give us profit as well as pleasure.
But excessive studies can prove harmful. Spending too much time on studies will make us lazy. Using bookish knowledge in conversation will make it artificial. Judging everybody and everything according to the bookish knowledge too is no good. The author calls it the mere whim of a scholar. There is nothing sensible about it.
Different people have different attitudes towards studies. The wicked people look down upon books. They think that cunningness will do for them; wisdom of books is of no use. Simple-minded people admire books. They look at them with awe.
But the wise men derive advantage out of books. A person, however, must have clear aims of studying books. We should not use bookish knowledge to contradict and condemn others. We should not have blind faith in books. We should not suspend our judgement and believe all that is written in books. Moreover, the aim of studies is not to indulge in talks and discourses.
The aim of studies, in fact, is the acquisition of wisdom. We must develop the wisdom to judge the actions, achievements and values of men and society.
According to Bacon, every book should not be read with the same interest and concentration. There are books and books in the world. There are good books and bad books – well-written books and badly-written books, as they say. There are books of high quality and books of low quality. Time on books should be spent according to their quality.
Bacon beautifully remarks : Some books are to be tasted, others to be swallowed, and some few to be chewed and digested.’ It means that some books should be read in parts – they are good in parts only. Some books should be swallowed. We should go through them hurriedly.
They don’t deserve our time and concentration. But some books are of a very high quality. We must read them with full concentration. We must digest them, assimilate them. But there are certain books which need not be read in original. Reading them through notes and extracts will be enough. Such books are read through proxy.
Bacon goes on to say : ‘Reading maketh a full man; conference a ready man; and writing an exact man. In other words, it means that reading develops the mental faculties of man; conversation and discussion make him quick-witted. Writing makes him an accurate man. He can quote exact facts and figures. Studies have a great influence on the human mind. History makes men wise. Poetry makes him witty and Mathematics, subtle. Science makes man profound and philosophy makes him sober and serious.
Books have curative powers too. Physical exercises cure physical ailments while studies cure a man of his mental deficiencies. Mathematics cures lack of concentration. If a man cannot find differences, he should study the philosophers of the Middle Ages. Similarly, if a man lacks reasoning, he should study law and lawyers’ cases. Thus, Bacon believes that every defect of the mind has a special remedy.
Of Studies Translation in English:
Francis Bacon (1561-1626), “the brightest, wisest and meanest? of mankind”, is known as the father of the English essay and the father of modem English prose. Eke was a voluminous writer. His essays mostly deal with the ethicall qualities of men or with matters pertaining to the government or the state. They are full of practical wisdom of life. His style is aphoristic ,formal, impersonal and informative.
In the present essay Bacon describes the advantages of studies. This is one of his most popular essays. Studies give pleasure, embellish our conversation and augment our practical abilities. Different men view studies differently.
Reading, writing and conversation are all necessary to perfect and develop the powers of a man. A study of different subjects carries with it different advantages. Studies cure mental ailments or defects just as certain sports and exercises cure specific physical ailments.
Studies serve for delight, for ornament, and for ability. Their chief use for delight, is in privateness and retiring, for ornament, is in discourse, and for ability, is in the judgement and disposition of business.
For expert men can execute, and perhaps judge of particulars, one by one, but the general counsels, and the plots and marshalling of affairs, come best from those that are learned. To spend too much time in studies is sloth; to use them too much for ornament is affectation; to make judgement wholly by their rules, is the humour of a scholar.
They perfect nature and are perfected by experience: for natural abilities are like natural plants that need pruning by study; and studies themselves do give forth directions too much at large, except they be bounded in by experience. Crafty men condemn studies; simple men admire them; and wise men use them for they teach not their own use; but that is a wisdom without them, and above them, won by observation.
Read not to contradict and confute, nor to believe and take for granted, nor to find talk and discourse; but to weigh and consider. Some books are to be tasted, others to be swallowed, and some few to be chewed and digested, that is, some books are to be read only in parts; others to be read but not curiously, and some to be read wholly and with diligence and action.
Some books also may be read by deputy, and extracts made of them by others, but that would be only in the less important arguments and the meaner sort of books, else distilled books are like common distilled waters, flashy things.
Reading maketh a full man; conference a ready man; and writing an exact man. And therefore if a man writes little; he had need have a great memory; if he confers little, he had need have a present wit, and if he reads little, he had need have much cunning, to seem to know that he doth not. Histories make men wise, poets witty; the mathematics subtle; natural philosophy deep; moral grave ; logic and rhetoric able to contend. About studia in mores (Studies pass into the character).
Nay there is no stand or impediment in the wit, but may be wrought out by fit studies: like as diseases of the body may have appropriate exercise. Bowling is good for the stone and reins shooting for the lungs and breast, gentle walking for the stomach; riding for the head, and the like.
So if a man’s wit be wandering, let him study the mathematics, for in demonstration if his wit be not apt to distinguish or find differences, let him study the schoolmen; for they are cymini sectores If he be not apt to beat over matters, and to call up one thing to prove and illustrate another, let him study the lawyers’ cases. So every defect of the mind may have a special
Of Studies Summary & Translation in Hindi
Of Studies Summary in Hindi:
लेख का विस्तृत सार बेकन के विचार में पुस्तकें पढ़ने के तीन लाभदायक उद्देश्य हैं। वे हमारे अवकाश में मनोरंजन का साधन हैं। वे हमारे वार्तालाप को शिष्ट तथा सुन्दर बनाती हैं। वे हमें इस योग्य बनाती हैं कि हम अपने दैनिक जीवन के धन्धों को सकुशल रूप से व्यवस्थित कर सकें। इस प्रकार पुस्तकें हमें लाभ तथा मनोरंजन दोनों ही प्रदान करती हैं। परन्तु अत्यधिक अध्ययन हानिकारक सिद्ध हो सकता है।
अध्ययन करने में अत्यधिक समय बिताना हमें सुस्त बना देगा। वार्तालाप में किताबी ज्ञान का प्रयोग इसको कृत्रिम बना देगा। प्रत्येक व्यक्ति तथा प्रत्येक वस्तु को किताबी ज्ञान के अनुसार परखना भी कोई अच्छी बात नहीं है। लेखक इसे एक विद्वान् के मन की लहर मात्र कहता है। इसमें कुछ भी बुद्धिमत्ता की बात नहीं है।
अध्ययन के प्रति भिन्न-भिन्न लोगों का भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण होता है। दुष्ट लोग अध्ययन से घृणा करते हैं। उनके विचार में दुष्टता ही उनके लिए काफी रहेगी। पुस्तकों का ज्ञान किसी काम का नहीं है। साधारण लोग पुस्तकों की सराहना करते हैं। वे इनको प्रशंसा व अचम्भे से देखते हैं। परन्तु बुद्धिमान लोग पुस्तकों से लाभ प्राप्त करते हैं। परन्तु एक व्यक्ति के पुस्तकों के अध्ययन के स्पष्ट उद्देश्य होने चाहिएं। हमें किताबी ज्ञान का प्रयोग दूसरों की बात काटने तथा निन्दा करने के लिए नहीं करना चाहिए। हमें पुस्तकों में अन्धविश्वास नहीं होना चाहिए।
हमें अपनी परख को रोक कर उन सब बातों पर विश्वास नहीं कर लेना चाहिए जोकि पुस्तकों में लिखी हुई हैं। इसके अतिरिक्त अध्ययन का उद्देश्य वार्तालाप तथा व्याख्यान करना नहीं है। वास्तव में अध्ययन का उद्देश्य ज्ञान की प्राप्ति है। हम में मनुष्यों तथा समाज के कार्यों, उपलब्धियों तथा महत्ताओं को परखने की बुद्धिमत्ता होनी चाहिए।
बेकन के विचार से प्रत्येक पुस्तक को सामान्य रुचि तथा एकाग्रता के साथ नहीं पढ़ना चाहिए। संसार में पुस्तकें ही पुस्तकें हैं। अच्छी पुस्तकें हैं तथा बुरी पुस्तकें हैं – ऐसा कहा जाता है कि अच्छी लिखी पुस्तकें तथा बुरी लिखी पुस्तकें होती हैं। उच्च श्रेणी की पुस्तकें होती हैं तथा घटिया श्रेणी की पुस्तकें होती हैं।
पुस्तकों पर समय उनके गुण के हिसाब से लगाना चाहिए। बेकन ने बड़े सुन्दर तरीके से कहा, “कुछ पुस्तकों का स्वाद चखना चाहिए, कुछ को निगल जाना चाहिए तथा कुछ थोड़ी-सी पुस्तकें ऐसी होती हैं जिनको चबाना तथा हज़म करना चाहिए।” इसका अर्थ यह है कि कुछ पुस्तकों को भागों में पढ़ना चाहिए – वे भागों में ही अच्छी होती हैं।
कुछ पुस्तकों को निगल जाना चाहिए। उन्हें शीघ्रता से पढ़ डालना चाहिए। वे हमारे समय तथा एकाग्रता की अधिकारी नहीं होती। परन्तु कुछ पुस्तकें श्रेष्ठ गुण वाली होती हैं। हमें उन्हें पूर्ण एकाग्रता के साथ पढ़ना चाहिए। हमें उन्हें हज़म करना चाहिए, रचा-बसा लेना चाहिए। परन्तु कुछ पुस्तकें ऐसी होती हैं जिन्हें मूल रूप से पढ़ने की आवश्यकता नहीं होती। इन पुस्तकों को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किए गए रूपान्तर में पढ़ना चाहिए!
बेकन आगे कहता है : “अध्ययन एक मनुष्य को पूर्ण बनाता है, वार्तालाप उसे तत्पर बनाता है तथा लिखने से वह परम शुद्ध बन जाता है।” दूसरे शब्दों में इसका अर्थ यह है कि अध्ययन मनुष्य की मानसिक योग्यताओं का विकास करता है; वार्तालाप तथा वाद-विवाद उसे चालाकी वाला बना देते हैं। लिखना उसे शुद्ध बनाता है।
वह शुद्ध तथ्य तथा आंकड़े लिख सकता है। मानव मस्तिष्क पर अध्ययन का बहुत बड़ा प्रभाव होता है। इतिहास मनुष्य को बुद्धिमान बनाता है। कविता उसे चतुर और गणित उसे सूक्ष्म बनाता है। विज्ञान उसे गहरा और दार्शनिकता उसे शांत तथा गम्भीर बनाती है। किताबों में आरोग्यकर शक्तियां होती हैं।
शारीरिक व्यायाम शारीरिक बीमारियों का इलाज करते हैं जबकि अध्ययन मानसिक त्रुटियों को दूर करता है। गणित विद्या एकाग्रता की कमी को दूर करती है। यदि कोई मनुष्य अन्तर नहीं ढूंढ सकता है तो उसे मध्यकाल के दार्शनिकों का अध्ययन करना चाहिए। इसी प्रकार यदि उसमें तर्कशक्ति नहीं है तो उसे कानून तथा वकीलों के मुकदमें पढ़ने चाहिएं। इस प्रकार बेकन विश्वास करता है कि मस्तिष्क की प्रत्येक त्रुटि का एक विशेष उपचार होता है।
Of Studies Translation in Hindi:
फ्रांसिस बेकन (1561-1626), जो कि मानवता में “सबसे अधिक होनहार, बुद्धिमान तथा घटिया” था, को अंग्रेज़ी लेख तथा आधुनिक अंग्रेज़ी गद्य के जन्मदाता के रूप में जाना जाता है। वह एक बहुत ज्यादा लिखने वाला लेखक था। उसके लेख ज़्यादातर लोगों के नैतिक गुणों से सम्बन्ध रखते हैं या सरकार अथवा राज्य से सम्बन्ध रखते हैं।
वे जीवन की व्यावहारिक बुद्धिमत्ता से भरपूरैं। उसकी शैली सूक्तिपूर्ण, औपचारिक, अवैयक्तिक तथा ज्ञान देने वाली है।
प्रस्तुत लेख में बेकन अध्ययन करने के लाभों का वर्णन करता है। यह उसके सबसे प्रसिद्ध लेखों में से एक है। अध्ययन हमें आनंद देता है, हमारे वार्तालाप को सुन्दर बनाता है तथा हमारी व्यावहारिक योग्यताओं में बढ़ोतरी करता है। भिन्न-भिन्न लोग अध्ययन को भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण से देखते हैं।
पढ़ना, लिखना तथा बातचीत करना व्यक्ति की शक्तियों को संपूर्ण बनाने तथा विकसित करने के लिए अति आवश्यक हैं। भिन्न-भिन्न विषयों के अध्ययन के भिन्न-भिन्न लाभ होते हैं। अध्ययन मानसिक बीमारियों या त्रुटियों को दूर करता है, बिल्कुल वैसे ही जैसे कुछ विशेष खेल तथा व्यायाम कुछ विशेष शारीरिक रोगों को दूर करते हैं।
अध्ययन आनंद, सुंदरता तथा योग्यता प्रदान करता है। आनंद से संबंधित उसका फायदा अकेलेपन तथा फुरसत के समय में ही लिया जा सकता है, सुन्दरता के सम्बन्ध में उसका फायदा बातचीत करने में ही लिया जा सकता है, तथा योग्यता के सम्बन्ध में उसका फायदा परख करने में अथवा दैनिक कार्यों की व्यवस्था करने में ही लिया जा सकता है।
क्योंकि विशेषज्ञ लोग काम कर सकते हैं, और शायद व्यक्तिगत मामलों की परख कर सकते हैं, एक एक करके, लेकिन आम सलाहें, तथा योजनाएं तथा चीज़ों की व्यवस्था सबसे उत्तम ढंग से उन लोगों के द्वारा की जाती है जो विद्वान होते हैं। अध्ययन में बहुत ज्यादा समय व्यतीत करना आलसी बना देता है; वार्तालाप को सुंदर बनाने के लिए उसका अत्यधिक प्रयोग बनावटीपन
लाता है। पूरी तरह से उसके नियमों के अनुसार फैसला करना विद्वानों के मन का वहम होता है। वह हमारे स्वभाव को संपूर्ण बनाता है तथा खुद भी अनुभव के द्वारा संपूर्ण बन जाता है : क्योंकि स्वाभाविक योग्यताएं प्राकृतिक पौधों की भांति होती हैं जिन्हें अध्ययन के मार्गदर्शन द्वारा काट-छांट की आवश्यकता होती है; तथा अध्ययन खुद भी आमतौर पर बहुत ज्यादा निर्देश देता है, सिवाए जब उसे अनुभव के द्वारा सीमित न कर दिया गया हो।
दुष्ट लोग अध्ययन से घृणा करते हैं; साधारण लोग उसकी प्रशंसा करते हैं; तथा बुद्धिमान लोग उसका प्रयोग करते हैं: क्योंकि वे (पुस्तकें) सिर्फ अपना प्रयोग करना नहीं सिखातीं; बल्कि वह समझदारी भी सिखाती हैं जो उनके बगैर भी होती है, तथा उनसे ऊपर भी होती है, जो
जिंदगी का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने से प्राप्त होती है। किसी की बात का खंडन करने के लिए तथा किसी को गलत साबित करने के लिए न पढ़ें, न ही बिना जांचे परखे किसी बात को स्वीकार करने के लिए पढ़ें (न ही अन्धविश्वास करने के लिए पढ़ें), न ही वार्तालाप तथा व्याख्यान की तलाश में पढ़ें; बल्कि इसलिए पढ़ें ताकि आप ध्यानपूर्वक आंकलन कर सकें तथा सोचने-समझने की शक्ति विकसित कर सकें।
कुछ पुस्तकों का स्वाद चखना चाहिए, अन्यों को निगलना चाहिए, तथा कुछ थोड़ी-सी पुस्तकें ऐसी होती हैं जिनको चबाना तथा हज़म करना चाहिए, यानि कि कुछ पुस्तकों के केवल भागों को ही पढ़ना चाहिए; दूसरी पुस्तकों को भी पढ़िए लेकिन उत्सुकतापूर्वक नहीं, तथा कुछ पुस्तकों को पूरी तरह पढ़ना चाहिए तथा बड़े ध्यान से और निरंतर प्रयास के साथ। कुछ पुस्तकों को किसी दूसरे व्यक्ति के द्वारा भी
पढ़ा जा सकता है। (यानि कि अगर किसी दूसरे व्यक्ति ने कोई पुस्तक पढ़ी है तो उसके साथ उस पुस्तक के बारे में बातचीत करके), तथा उनके अंशों को पढ़कर जो किसी और के द्वारा लिखे गए हैं, लेकिन वे पुस्तकें कम महत्त्वपूर्ण विषय-वस्तु वाली होंगी तथा घटिया दर्जे की होंगी, ऐसी पुस्तकें जिनमें मौलिक पुस्तक के सिर्फ अंश | ही हों, वे तो साधारण शुद्ध किए हुए पानी की भांति होती हैं स्वादहीन, खोखली चीजें।
अध्ययन मनुष्य को संपूर्ण बनाता है; वार्तालाप उसे तत्पर बनाता है; तथा लिखना उसे परम शुद्ध बना देता है। और इसलिए अगर कोई व्यक्ति कम लिखता है; तो उसे अत्यधिक याद्दाश्त की आवश्यकता है; अगर वह लोगों के साथ कम बातचीत करता है, तो उसे हाज़िर-जवाब होने की आवश्यकता है, और अगर वह कम पढ़ता है, तो उसे बहुत चतुराई की आवश्यकता है ताकि देखने में ऐसा प्रतीत हो कि उसके अंदर कोई कमी नहीं है।
सारे इतिहास लोगों को बुद्धिमान बनाते हैं, कवि लोगों को कल्पनाशील बनाते हैं; गणित उन्हें सूक्ष्म (तीव्र बुद्धि वाला) बनाता है; नैतिक दर्शन उन्हें गंभीर बनाता है; तर्क तथा प्रभावशाली तरीके से बोलने या लिखने की कला उन्हें वाद-विवाद करने की योग्यता प्रदान करते हैं।
स्वाद चरित्र बन जाते हैं (अध्ययन चरित्र में उतर जाता है)। नहीं, दिमाग़ में कोई अवरोध या रुकावट नहीं होती है लेकिन (अगर कोई हो तो) उसे अध्ययन के द्वारा दूर किया जा सकता है जिस तरह शरीर की बीमारियों को सही व्यायाम के द्वारा दूर किया जा सकता है। गेंद मार के बोतलों को गिराना पथरी तथा गुर्दो के लिए, तीरन्दाजी फेफड़ों तथा छाती के लिए; आराम से चलना पेट के लिए; घुड़सवारी सिर के लिए लाभदायक है तथा इसी तरह अन्य भी।
इसलिए अगर किसी व्यक्ति में एकाग्रता की कमी हो तो उसे गणित का अध्ययन करना चाहिए, अगर कोई व्यक्ति अन्तर नहीं ढूंढ सकता तो उसे मध्य काल के यूरोपीय दार्शनिकों तथा अध्यापकों का अध्ययन करना चाहिए : क्योंकि वे सब बाल की खाल निकालने वाले हैं। अगर वह तेजी से निरीक्षण तथा विश्लेषण नहीं कर सकता, तो किसी बात को साबित करने तथा उदाहरण सहित व्याख्या करने के उद्देश्य से किसी बात को दिमाग़ में लाने के लिए उसे वकीलों के मुकद्दमें पढ़ने चाहिएं। दिमाग़ की हरेक त्रुटि को दूर करने के लिए कोई न कोई नुस्खा या उपचार हो सकता है।