Punjab State Board PSEB 11th Class Economics Book Solutions Chapter 1 अर्थशास्त्र क्या है? Textbook Exercise Questions, and Answers.
PSEB Solutions for Class 11 Economics Chapter 1 अर्थशास्त्र क्या है?
PSEB 11th Class Economics अर्थशास्त्र क्या है? Textbook Questions and Answers
I. वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
प्रश्न 1.
एडम स्मिथ द्वारा दी गई अर्थशास्त्र की परिभाषा दो।
अथवा
अर्थशास्त्र की धन सम्बन्धी परिभाषा लिखो।
उत्तर-
एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का पितामह कहा जाता है। एडम स्मिथ के अनुसार, “अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है।” (“Economics is a Science of wealth.’Adam Smith)
प्रश्न 2.
मार्शल द्वारा दी गई अर्थशास्त्र की परिभाषा दें।
अथवा
अर्थशास्त्र की भौतिक कल्याण सम्बन्धी परिभाषा दें।
उत्तर-
डॉक्टर मार्शल के अनुसार, “अर्थशास्त्र जीवन के साधारण कारोबार में मानवीय जाति की क्रियाओं का अध्ययन है। यह इस बात की पूछताछ करता है कि वह अपनी आय कैसे प्राप्त करता है तथा कैसे खर्च करता है। ऐसे एक ओर तो यह धन का विज्ञान है तथा दूसरी ओर जो अधिक महत्त्वपूर्ण है यह मनुष्य के अध्ययन का विषय है।”
प्रश्न 3.
अर्थशास्त्र के पिता कौन है ?
(a) एडम स्मिथ
(b) मार्शल
(c) रोबिन्स
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(a) एडम स्मिथ।
प्रश्न 4.
अर्थशास्त्र शब्द किस भाषा में से लिया गया है ?
(a) फ्रैंच
(b) लैटिन
(c) ग्रीक
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) ग्रीक।
प्रश्न 5.
एडम स्मिथ की परिभाषा को ………… से सम्बन्धित परिभाषा कहा जाता है।
उत्तर-
धन।
प्रश्न 6.
मार्शल की परिभाषा धन से सम्बन्धित परिभाषा है।
उत्तर-
ग़लत।
प्रश्न 7.
रॉबिन्स की परिभाषा दुर्लभता सम्बन्धी परिभाषा है।
उत्तर-
सही।
प्रश्न 8.
अर्थशास्त्र के अध्ययन की वह विधि जिसका सम्बन्ध परिवार तथा फ़र्म की समस्याओं के साथ होता है को …………… अर्थशास्त्र कहा जाता है।
उत्तर-
व्यष्टि।
प्रश्न 9.
अर्थशास्त्र के अध्ययन की वह विधि जिसका सम्बन्ध सामूहिक समस्याओं से होता है को …. अर्थशास्त्र कहा जाता है।
उत्तर-
समष्टि।
प्रश्न 10.
अर्थशास्त्र ……………….
(a) विज्ञान
(b) कला
(c) विज्ञान और कला
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(c) विज्ञान और कला।
प्रश्न 11.
अर्थशास्त्र में उपभोग, उत्पादन, विनिमय और वितरण के अध्ययन को अर्थशास्त्र की ….. कहा जाता है।
उत्तर-
विषय सामग्री।
प्रश्न 12.
आर्थिक क्रिया वह क्रिया है जिसका सम्बन्ध सभी प्रकार की वस्तुओं के उत्पादन, उपभोग तथा निवेश से होता है जो सीमित साधनों द्वारा असीमित आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए की जाती है।
उत्तर-
सही।
प्रश्न 13.
व्यष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
व्यष्टि अर्थशास्त्र व्यक्तिगत अध्ययन से सम्बन्धित है।
प्रश्न 14.
समष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
राष्ट्र की समूची आर्थिक समस्याओं के अध्ययन को समष्टि अर्थशास्त्र कहते हैं।
प्रश्न 15.
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध केवल धन से सम्बन्धित समस्याओं से होता है।
उत्तर-
ग़लत।
प्रश्न 16.
अर्थशास्त्र का सम्बन्ध असीमित आवश्यकताओं और वैकलिप्क प्रयोग वाले सीमित साधनों से होता है।
उत्तर-
सही।
प्रश्न 17.
अर्थशास्त्र विज्ञान भी है और कला भी है।
उत्तर-
सही।
प्रश्न 18.
शुद्ध विज्ञान से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
शुद्ध विज्ञान में कारण तथा परिणाम का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 19.
आदर्शमयी विज्ञान से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
आदर्शमयी विज्ञान यह बताता है कि क्या होना चाहिए।
प्रश्न 20.
कला से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
कला से अभिप्राय सैद्धान्तिक ज्ञान को व्यावहारिक रूप देना होता है।
II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
व्यष्टिगत अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
व्यष्टिगत अर्थशास्त्र (Micro Economics)-व्यष्टिगत अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। जैसे व्यक्तिगत उपभोगी की मांग, उपभोगी का सन्तुलन, एक फ़र्म तथा उद्योग का सन्तुलन, एक वस्तु तथा साधन का मूल्य निर्धारण आदि समस्याओं का अध्ययन व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में किया जाता है। “Micro Economics deals with the parts of the problems.”
प्रश्न 2.
समष्टि अर्थशास्त्र से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
समष्टिगत अर्थशास्त्र (Macro Economics)-समष्टिगत अर्थशास्त्र में समूची अर्थ-व्यवस्था से सम्बन्धित आर्थिक क्रियाओं का सामूहिक रूप से अध्ययन किया जाता है। राष्ट्रीय आय, कुल रोज़गार, कुल उत्पादन को निर्धारित करने वाले तत्त्वों, कुल मांग, कुल पूर्ति, उपभोग, कुल बचत, कुल निवेश आदि का अध्ययन समष्टिगत अर्थशास्त्र में किया जाता है। “Macro Economics deals with the averages and aggregates of the problems.”
प्रश्न 3.
अर्थशास्त्र की धन सम्बन्धी परिभाषा लिखें।
उत्तर-
अठारहवीं शताब्दी से पहले अर्थशास्त्र का अध्ययन राजनीतिक अर्थव्यवस्था नामक विषय में होता था। एडम स्मिथ ने सर्वप्रथम ‘वैल्थ ऑफ नेशन्स’ नाम की पुस्तक में कहा कि अर्थशास्त्र धन का अध्ययन करता है। एडम स्मिथ ने कहा कि अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है। (Economics is a science of wealth.) इसलिए एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का पिता कहा जाता है।
प्रश्न 4.
मार्शल द्वारा दी गई अर्थशास्त्र की परिभाषा दें।
उत्तर-
अर्थशास्त्र को कटु आलोचनाओं से बचाने के लिए, मार्शल ने कहा कि अर्थशास्त्र के अध्ययन का विषय मनुष्य है न कि धन। मनुष्य प्रधान है तथा धन गौण । मार्शल ने अर्थशास्त्र की परिभाषा इस प्रकार दी, “अर्थशास्त्र जीवन के साधारण व्यवसाय के सम्बन्ध में मानव जाति का अध्ययन है। यह व्यक्तिगत तथा सामाजिक कार्यों के उस भाग का अध्ययन करता है जिसका घनिष्ठ सम्बन्ध कल्याण प्रदान करने वाले भौतिक पदार्थों की प्राप्ति तथा उनका उपयोग करने से है।”
प्रश्न 5.
रॉबिन्स द्वारा दी गई अर्थशास्त्र की परिभाषा दें।
उत्तर-
मार्शल की परिभाषा काफ़ी देर तक चलती रही परन्तु 1932 में प्रो० रॉबिन्स ने अपनी पुस्तक ‘Principles of Economics’ में मार्शल की परिभाषा की आलोचना करते हुए एक नई परिभाषा को जन्म दिया जो अग्रलिखित प्रकार से है – “अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो मानवीय व्यवहार का अध्ययन करता है जिसका सम्बन्ध असीम आवश्यकताओं तथा वैकल्पिक प्रयोग वाले सीमित साधनों से है।”
प्रश्न 6.
क्या अर्थशास्त्र विज्ञान है अथवा कला है ?
उत्तर-
1. अर्थशास्त्र विज्ञान है-विज्ञान किसी भी विषय के सिलसिलेवार अध्ययन को कहा जाता है। अर्थशास्त्र में हम उपभोग, उत्पादन, विनिमय तथा विभाजन का अध्ययन करते हैं जोकि एक सिलसिलेवार अध्ययन है इसलिए अर्थशास्त्र एक विज्ञान है। विज्ञान दो प्रकार का होता है
2. क्या अर्थशास्त्र कला है-कला का अर्थ है हम विज्ञान के नियमों को व्यावहारिक रूप दे सकें। अर्थशास्त्र के नियमों का प्रयोग जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए किया जा सकता है। इसलिए अर्थशास्त्र कला है।
III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र की विकास सम्बन्धी परिभाषा दो।
उत्तर-
प्रो० रॉबिन्स द्वारा दी गई परिभाषा को विज्ञान की उपाधि मिल गई थी इसलिए अर्थशास्त्र को विज्ञान कहा जाता है। किन्तु यह परिभाषा अर्थशास्त्र का स्वरूप प्रकट नहीं करती। इसलिए अर्थशास्त्र की परिभाषा में विकास सिद्धान्त, राष्ट्रीय आय और रोज़गार को प्रभावित करने वाले तत्त्वों की व्याख्या नहीं की गई। इसलिए बेनहम, जे० एम० केन्ज़ ने विकास से सम्बन्धित परिभाषा दी है। प्रो० जे० एम० केन्ज़ के अनुसार, “अर्थशास्त्र में दुर्लभ साधनों के प्रबन्ध के बारे में और रोज़गार व आय के निर्धारक तत्त्वों के सम्बन्ध में अध्ययन करते हैं।”
(“’In Economics we study.the administration of scarce resources and the determinants of employment and income.”—J.M. Keynes)
प्रश्न 2.
व्यष्टिगत अर्थशास्त्र तथा समष्टिगत अर्थशास्त्र पर नोट लिखें।
उत्तर-
आधुनिक अर्थशास्त्रियों ने अर्थशास्त्र के विषय-वस्तु से सम्बन्धित आर्थिक क्रियाओं को दो भागों में बांटा है-
- व्यष्टिगत अर्थशास्त्र (Micro Economics)-व्यष्टिगत अर्थशास्त्र में व्यक्तिगत आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। जैसे व्यक्तिगत उपभोगी की मांग, उपभोगी का सन्तुलन, एक फ़र्म तथा उद्योग का सन्तुलन, एक वस्तु तथा साधन का मूल्य निर्धारण आदि समस्याओं का अध्ययन व्यक्तिगत अर्थशास्त्र में किया जाता है।
- समष्टिगत अर्थशास्त्र (Macro Economics)-समष्टिगत अर्थशास्त्र में समूची अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित आर्थिक क्रियाओं का सामूहिक रूप से अध्ययन किया जाता है। राष्ट्रीय आय, कुल रोज़गार, कुल उत्पादन को निर्धारित करने वाले तत्त्वों, कुल मांग, कुल पूर्ति, उपभोग, कुल बचत, कुल निवेश आदि का अध्ययन समष्टिगत अर्थशास्त्र में किया जाता है।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र की धन सम्बन्धी परिभाषा की आलोचना सहित व्याख्या करें। (Critically examine wealth definition of Economics.)
उत्तर-
अठारहवीं शताब्दी से पहले अर्थशास्त्र का अध्ययन राजनीतिक अर्थव्यवस्था नामक विषय में होता था। एडम स्मिथ ने सर्वप्रथम वैल्थ ऑफ नेशन्स’ नाम की पुस्तक में कहा कि अर्थशास्त्र धन का अध्ययन करता है। एडम स्मिथ ने कहा कि अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है। (Economics is a science of wealth.) इसलिए एडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का पिता कहा जाता है।
मुख्य तत्त्व (Main Features)-
- धन अर्थशास्त्र का केन्द्र बिन्दु है।
- आर्थिक मनुष्य की कल्पना।
- धन की क्रियाओं से सम्बन्धित मनुष्य का अध्ययन।
- धन को प्रथम स्थान दिया गया।
आलोचना (Criticism)-इस परिभाषा की कटु आलोचना की गई। लोगों ने धन प्राप्ति को अपना उद्देश्य मान लिया और धन ही उसका माध्य हो गया। धन की प्रधानता के कारण मनुष्य का स्थान गौण हो गया। धन प्राप्त करना ही एकमात्र लक्ष्य हो गया तथा इसके परिणामस्वरूप सारे समाज में निराशा तथा असन्तोष फैलने लगा। कार्लाइल तथा रस्किन आदि विद्वानों ने अर्थशास्त्र की कटु आलोचना की और इसे निकृष्ट व दुखदायी विज्ञान, कुबेर विज्ञान और सामाजिक अहित का विज्ञान कहा।
प्रश्न 2.
मार्शल की परिभाषा की समीक्षा कीजिए। (Evaluate Marshalls definition of Economics.)
उत्तर-
अर्थशास्त्र को कटु आलोचनाओं से बचाने के लिए, मार्शल ने कहा कि अर्थशास्त्र के अध्ययन का विषय मनुष्य है न कि धन। मनुष्य प्रधान है तथा धन गौण। मार्शल ने अर्थशास्त्र की परिभाषा इस प्रकार दी, “अर्थशास्त्र जीवन के साधारण व्यवसाय के सम्बन्ध में मानव जाति का अध्ययन है। यह व्यक्तिगत तथा सामाजिक कार्यों के उस भाग का अध्ययन करता है जिसका घनिष्ठ सम्बन्ध कल्याण प्रदान करने वाले भौतिक पदार्थों की प्राप्ति तथा उनका उपयोग करने से है।” (“‘Economics is a study of making in the ordinary business of life, it examines that part of the individual and social action which is most closely connected with the attainment and with the use of material requisites of well being.”-Marshall)
मुख्य विशेषताएं (Main Features)
- मनुष्य के अध्ययन को महत्त्व।
- सामाजिक मनुष्य का अध्ययन।
- जीवन के साधारण व्यवसाय का सम्बन्ध मनुष्य के आर्थिक कार्यों से है।
- अर्थशास्त्र में केवल उन्हीं साधनों का अध्ययन किया जाता है जिनसे मनुष्य के कल्याण में वृद्धि होती है।
- अर्थशास्त्र में मनुष्य के भौतिक वस्तुओं से सम्बन्धित कार्यों का अध्ययन किया जाता है।
- अर्थशास्त्र विज्ञान तथा कला दोनों है।
- इस शास्त्र में सिर्फ वास्तविक मनुष्य का अध्ययन किया जाता है।
आलोचना (Criticism)-प्रो० रॉबिन्स ने भौतिक कल्याण सम्बन्धी परिभाषा की कड़ी आलोचना की, जैसे –
- अर्थशास्त्र एक शुद्ध विज्ञान है तथा कल्याण से कोई सम्बन्ध नहीं।
- अर्थशास्त्र मानव विज्ञान है केवल समाज में रहने वाले मनुष्यों का अध्ययन नहीं।
- कल्याण की धारणा अनिश्चित है।
- यह परिभाषा वर्गकारिणी तथा दोषपूर्ण है।
- इस परिभाषा ने अर्थशास्त्र का क्षेत्र सीमित कर दिया है।
प्रश्न 3.
रॉबिन्स की परिभाषा की आलोचनात्मक व्याख्या करें। (Critically discuss Robbins definition of Economics.)
उत्तर-
मार्शल की परिभाषा काफ़ी देर तक चलती रही परन्तु 1932 में प्रो० रॉबिन्स ने अपनी पुस्तक ‘Principles of Economics, में मार्शल की परिभाषा की आलोचना करते हुए एक नई परिभाषा को जन्म दिया जो निम्नलिखित प्रकार से है :
“अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो मानवीय व्यवहार का अध्ययन करता है जिसका सम्बन्ध असीम आवश्यकताओं तथा वैकल्पिक प्रयोग वाले सीमित साधनों से है।” (“Economics is a science which studies human behaviour as a relationship between ends and scarce means which have alternative uses.”-Robbins)
मुख्य विशेषताएं (Main Features)-
- असीमित आवश्यकताएं
- सीमित साधन
- साधनों के वैकल्पिक उपयोग
- निर्णय की समस्या।
यह परिभाषा वैज्ञानिक है। इससे अर्थशास्त्र का क्षेत्र व्यापक बन गया है। यह परिभाषा विश्लेषणात्मक मानी गई है। इस प्रकार रॉबिन्स की परिभाषा में बहुत गुण हैं।
आलोचना (Criticism)-
- अर्थशास्त्र साधनों के साथ-साथ उद्देश्य से भी सम्बन्धित है।
- अर्थशास्त्र केवल विज्ञान ही नहीं कला भी है।
- यह परिभाषा जटिल है।
- यह परिभाषा बेकारी, विकास, निर्धनता जैसी समस्याओं की ओर ध्यान नहीं देती।
- इस परिभाषा से अर्थशास्त्र का क्षेत्र अनिश्चित बन गया है।
- इसमें कल्याण तथा मानवीय तत्त्वों की कमी है।
प्रश्न 4.
अर्थशास्त्र के क्षेत्र को स्पष्ट करो। (Explain the scope of Economics.)
उत्तर-
अर्थशास्त्र के क्षेत्र को दो हिस्सों में बांट कर स्पष्ट किया जा सकता है:
(A) अर्थशास्त्र का विषय-वस्तु (Subject-Matter of Economics) – अर्थशास्त्र के विषय-वस्तु के बारे में अर्थशास्त्रियों के अलग-अलग विचार हैं। विचारधारा के मतभेद के आधार पर श्रीमती वूटन ने कहा है, “जहां छ: अर्थशास्त्री इकट्ठे होते हैं वहां सात विचारधाराएं होती हैं।” (“Whenever Six Economist gather, there are Seven opinion.”)
अर्थशास्त्र के विषय का अर्थ यह है कि इसके अध्ययन की सामग्री (Matter) क्या है? अर्थात् किन बातों का अध्ययन किया जाता है।
अर्थशास्त्र के पिता एडम स्मिथ (Adam Smith) के अनुसार, “अर्थशास्त्र का विषय-वस्तु धन से सम्बन्धित क्रियाओं से है।” अर्थात् धन की प्रकृति और कारणों की जांच से है।
डॉ० मार्शल (Dr. Marshall) और उनके समर्थकों के अनुसार अर्थशास्त्र में हम मनुष्य के भौतिक कल्याण (Material Welfare) का अध्ययन करते हैं। प्रो० रॉबिन्स (Prof. Robbins) के अनुसार, “हम अर्थशास्त्र में इस बात का अध्ययन करते हैं कि मनुष्य अपने सीमित साधनों से अपनी असीमित आवश्यकताओं को कैसे पूरा करता है।”
प्रो०-“बिन्स के अनुसार अर्थशास्त्र के विषय-वस्तु का सम्बन्ध मनुष्यों के उन यत्नों से है जो अपनी असीमित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए साधनों की प्राप्ति के लिए यत्न करते हैं। प्रो० चैपमैन के अनुसार, “अर्थशास्त्र का विषय वस्तु धन के उपभोग, उत्पादन, विनिमय और विभाजन का अध्ययन है।”
(“’Economics is that branch of knowledge which studies the consumption, production, exchange and distribution of wealth.”)
1. उपभोग (Consumption)-उपभोग का अर्थ आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रयोग से होता है। अर्थशास्त्र का वह भाग जिसमें आवश्यकताओं और उन्हें पूरा करने का यत्न किया जाता है, उपभोग कहलाता है। इसमें उपभोग और उससे सम्बन्धित नियमों का अध्ययन किया जाता है।
2. उत्पादन (Production)-उत्पादन का अर्थ वस्तु या सेवा में तुष्टिगुण या मूल्य को पैदा करना है। इस भाग में उत्पादन के साधनों, भूमि, श्रम, पूंजी, उद्यमी तथा उत्पादन के नियमों का अध्ययन किया जाता है।
3. विनिमय (Exchange)-विनिमय का अर्थ वस्तुओं तथा सेवाओं द्वारा विनिमय (Barter Exchange) या इसका मुद्रा द्वारा विनिमय (Money Exchange) से है। इस भाग में बाज़ार की किस्में, अलग-अलग बाजार स्थितियों में कीमत निर्धारण, मुद्रा, बैंकिंग, साख, व्यापार आदि विषयों का अध्ययन किया जाता है।
4. विभाजन (Distribution)-उत्पादन, विभिन्न उत्पादन के साधनों के सुमेल का परिणाम है। इस प्रकार विभाजन है राष्ट्रीय आय का उत्पादन के साधनों में सेवाओं के बदले में दिया गया इनाम। इस भाग में भूमि के किराए, मज़दूरों की मज़दूरी, पूंजी का ब्याज, उद्यमी के लाभ के निर्धारण से सम्बन्धित नियमों का अध्ययन किया जाता है।
(B) अर्थशास्त्र की प्रकृति (Nature of Economics) –
अर्थशास्त्र की प्रकृति को स्पष्ट करने के लिए इस बात का अध्ययन किया जाता है कि अर्थशास्त्र विज्ञान है अथवा कला?
1. अर्थशास्त्र विज्ञान है-विज्ञान किसी भी विषय के सिलसिलेवार अध्ययन को कहा जाता है। अर्थशास्त्र में हम उपभोग, उत्पादन, विनिमय तथा विभाजन का अध्ययन करते हैं जोकि एक सिलसिलेवार अध्ययन है इसलिए अर्थशास्त्र एक विज्ञान है। विज्ञान दो प्रकार का होता है
- वास्तविक विज्ञान (Positive Science)-अर्थशास्त्र के नियम शुद्ध विज्ञानों की तरह हैं जिनमें कारण तथा परिणाम का सम्बन्ध स्पष्ट किया जाता है जैसे किसी वस्तु की कीमत में वृद्धि होती है तो उसकी माँग कम हो जाती है, यह एक वैज्ञानिक नियम है। प्रो० रॉबिन्स के अनुसार, “अर्थशास्त्र का काम खोज करना और व्यवस्था करना है, समर्थन करना या आलोचना करना नहीं।”
- अर्थशास्त्र आदर्शमयी विज्ञान है-आदर्शमयी विज्ञान के अधीन इस बात का अध्ययन किया जाता है कि क्या होना चाहिए ? (What ought to be ?) अर्थशास्त्र में हम केवल बेरोज़गारी, ग़रीबी, कीमतों आदि समस्याओं का अध्ययन ही नहीं करते। इस बात का अध्ययन भी करते हैं कि इन समस्याओं को कैसे हल किया जाना चाहिए। 2. क्या अर्थशास्त्र कला है-कला का अर्थ है हम विज्ञान के नियमों को व्यावहारिक रूप दे सकें। अर्थशास्त्र के नियमों का प्रयोग जीवन की समस्याओं को हल करने के लिए किया जा सकता है। इसलिए अर्थशास्त्र कला है।
प्रश्न 5.
अर्थशास्त्र का महत्त्व स्पष्ट करें। (Explain the importance of Economics.)
उत्तर-
प्रत्येक व्यक्ति को आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ता है। सीमित साधनों द्वारा अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त करने के लिए अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों का पालन न केवल व्यक्ति कर के लिए एवं समाज के लिए भी लाभकारी होता है। अर्थशास्त्र से प्राप्त होने वाले लाभ इस प्रकार हैं –
1. उपभोगियों के लिए महत्त्व (Importance for Consumers)-प्रत्येक व्यक्ति वस्तुओं तथा सेवाओं की खरीद करते समय अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों का पालन करके अपनी सीमित आय द्वारा अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त कर सकता है। इसलिए अर्थशास्त्र का अध्ययन हर व्यक्ति तथा गृहस्थ के लिए ज़रूरी है।
2. उत्पादकों के लिए महत्त्व (Importance for Producers)-प्रत्येक उत्पादक अपने लाभ को अधिकतम करने की चेष्टा करता है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अर्थशास्त्र का ज्ञान आवश्यक है। अर्थशास्त्र के सिद्धान्त स्पष्ट करते हैं कि आय को अधिकतम करके तथा लागत को कैसे कम करके अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
3. व्यापार में महत्त्व (Importance in Trade)- अर्थशास्त्र का अध्ययन व्यापार के लिए भी महत्त्वपूर्ण होता है। अर्थशास्त्र के सिद्धान्त स्पष्ट करते हैं कि देश के अन्दर तथा विदेशों के साथ व्यापार करना किन हालतों में लाभदायक होता है। इस प्रकार अर्थशास्त्र विश्व के सारे देशों के लिए तुलनात्मक लागत लाभ के सिद्धान्त अनुसार उत्पादन करने के लिए प्रेरित करता है।
4. सरकार के लिए महत्त्व (Importance for the Government)-अर्थशास्त्र में ऐसे सिद्धान्त हैं जिन के द्वारा प्रत्येक देश की सरकार अपनी आय तथा व्यय को निर्धारण करती है। कर कैसे लगाए जाएं, करों से प्राप्त और किस प्रकार खर्च किया जाए जिस द्वारा सामाजिक कल्याण में वृद्धि हो। इस प्रकार अर्थशास्त्र देश की सरकार के लिए भी महत्त्वपूर्ण होता है।
5. कीमत निर्धारण में महत्त्व (Importance in Price Determination) – अर्थशास्त्र द्वारा प्रत्येक वस्तु की कीमत निर्धारण करने के लिए सिद्धान्त दिए गए हैं। वस्तु की माँग तथा पूर्ति द्वारा कीमत निर्धारण होती है। जब कभी वस्तु की माँग में वृद्धि होती है तो उस वस्तु की कीमत बढ़ जाती है। इस प्रकार वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमत निर्धारण में भी अर्थशास्त्र लाभकारी होता है।
6. अधिकतम कल्याण (Maximum Welfare) – अर्थशास्त्र का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति तथा समाज के कल्याण को अधिकतम करना होता है। प्रत्येक व्यक्ति तथा समाज सीमित साधनों का प्रयोग इस प्रकार करना चाहता है जिसके द्वारा अधिकतम सामाजिक कल्याण प्राप्त किया जा सके। इस प्रकार अर्थशास्त्र असीमित आवश्यकताओं को पूरा करने वाले, सीमित साधनों जिनके विभिन्न उपयोग होते हैं, के चुनाव का अध्ययन है।
7. विद्यार्थियों के लिए महत्त्व (Importance for Students)-अर्थशास्त्र विद्यार्थियों के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। एक अर्थव्यवस्था में बहुत-सी आर्थिक समस्याएँ होती हैं जैसा कि बेरोज़गारी, निर्धनता तथा ग्रामीण क्षेत्र की समस्याएँ होती हैं। इन समस्याओं को समझ कर अर्थशास्त्र के विद्यार्थी उनका उचित हल देने में सफल हो जाते हैं। अर्थशास्त्र का अध्ययन व्यावहारिक जीवन में प्रत्येक व्यक्ति के लिए महत्त्वपूर्ण है।