Punjab State Board PSEB 10th Class Hindi Book Solutions Chapter 5 गाता खग Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 10 Hindi Chapter 5 गाता खग
Hindi Guide for Class 10 PSEB गाता खग Textbook Questions and Answers
(क) विषय-बोध
I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए:
प्रश्न 1.
पक्षी प्रातः उठकर क्या गाता है?
उत्तर:
पक्षी प्रात: उठकर संसार के प्राणियों के सुखी तथा समृद्ध जीवन के गीत गाता है।
प्रश्न 2.
तारों की पंक्तियों की आँखों का अनुभव क्या है?
उत्तर:
तारों की पंक्तियों की आँखों को देखकर यह प्रतीत होता है, जैसे वे कह रही हों कि सारा जीवन करुणा और दुःख से भरा हुआ है।
प्रश्न 3.
फूल हमें क्या संदेश देते हैं?
उत्तर:
खिले हुए फूल मनुष्य को सदा मुस्कराते रहने का संदेश देते हैं।
प्रश्न 4.
लहरें किस उमंग में आगे बढ़ती जाती हैं?
उत्तर:
लहरें इस उमंग में आगे बढ़ती जाती हैं कि कभी न कभी तो उन्हें अपनी मंजिल मिल ही जाएगी।
प्रश्न 5.
बुलबुला विलीन होकर क्या पा जाता है?
उत्तर:
बुलबुला विलीन होकर अपने जीवन का अंतिम लक्ष्य पा लेता है।
II. निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए
(1) हँसमुख प्रसून सिखलाते
पल भर है, जो हँस पाओ,
अपने उर की सौरभ से
जग का आँगन भर जाओ।
उत्तर:
कवि कहता है कि प्रभातकाल में खिले हुए पुष्प अपनी कोमलता, मनोहरता और सौरभ से वातावरण को पूरी तरह भरते हुए मानव को यह प्रेरणा देते हैं कि इस नाशवान और छोटे-से जीवन को अनेक प्रकार की विषमताओं और समस्याओं ने नीरस और उदास बना रखा है। यदि हो सके तो संसार में अपना छोटा-सा जीवन प्रसन्नता और आनंद है।
(2) उठ-उठ लहरें कहतीं यह
हम कूल विलोक न पाएँ,
पर इस उमंग में बह-बह
नित आगे बढ़ती जाएँ।
उत्तर:
कवि कहता है कि अनंत आकाश में छाए हुए अंधकार में निरंतर चमकने वाली ताराओं की पंक्तियाँ देखकर प्रतीत हो रहा है जैसे वह कह रही हों कि संपूर्ण जीवन करुणा तथा दुःख से भरा हुआ है। जिस प्रकार निरंतर दुःख सहते हुए किसी की आँखों में से आँसू बह जाते हैं और आँसुओं से भरी आँखों को देखकर दूसरे में सहानुभूति के कारण करुणा का संचार हो जाता है, उसी प्रकार विश्वव्यापी दुःख, अवसाद, विपन्नता और विषमता को देखकर अपलक ताराओं की करुणा से भरी आँखों से आँसू छलक पड़ते हैं। आँखों की भाषा नीरव और मौन होती है। केवल आँसुओं के माध्यम से ही प्रकट होती है।
(ख) भाषा-बोध
I. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखें
खग = ————
प्रसून = ————
उर = ————
किनारा। = ————
उत्तर:
शब्द – पर्यायवाची
खग- पक्षी, नभचर, विहग, पतंग।
प्रसून – कुसुम, सुमन, पुष्प, फूल।
उर – हृदय, छाती, वक्षस्थल, चित्त।
किनारा – तट, तीर, कूल, पुलिन।
II. निम्नलिखित शब्दों की भाववाचक संज्ञा बनाएं
सुंदर = ————
अपना = ————
हँसना = ————
नीरव। = ————
उत्तर:
शब्द – भाववाचक संज्ञा
सुंदर = सुंदरता
अपना = अपनापन
हँसना = हँसी
नीरव = नीरवता।
(ग) पाठ्येतर सक्रियता
1. कविता कंठस्थ करके सस्वर वाचन करें।
2. सुमित्रानंदन पंत ने प्रकृति के विभिन्न चित्र अपनी कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत किए हैं। इस कविता में कवि ने लहरों, फूल, पक्षी, चमकते सितारों की पंक्तियाँ, नदी का किनारा आदि का वर्णन किया है। आप सुमित्रानंदन पंत की प्रकृति चित्रण से संबंधित कोई अन्य कविता याद कीजिए और कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
सुमित्रानंदन पंत की एक कविता “वर्षा गीत” यहां दी जा रही है:
नीलांजन नयना
उन्मद सिंधु सुता वर्षा यह
चातक प्रिय बयना!
नभ में श्यामल कुंतल छहरा
क्षिति में चल हरितांचल फहरा,
लेटी क्षितिज तले, अर्थोत्थित
शैल माल जघना!
इच्छाएँ करती उर मंथन
चिर अतृप्ति भरता गुरु गर्जन,
मुक्त विहँसती मत्त यौवना
स्फुरित तड़ित दशना !
रजत बिंदु चल नूपुर झंकृत
मंद भुरज रव नव धन घोषित
मुग्ध नृत्य करत बहँस्मित
कल बलाक रसना !
बकुल मुकुल से कबरी गुंफित
श्वास केतकी रज से सुरभित,
भू नभ को बाँहों में बांधे
इंद्रधनुष वसना!
(घ) ज्ञान-विस्तार
सुमित्रानंदन पंत की प्रकृति चित्रण से संबंधित कविताएँ निश्चित रूप से हिंदी साहित्य की अनमोल रचनाएँ हैं। उन्हीं के समान छायावाद के जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, राम कुमार वर्मा आदि ने भी प्रकृतिचित्रण से संबंधित अमर रचनाओं का प्रणयन किया है; जैसे-
‘मैं नीर भरी दुःख की बदली-
“रूपसि तेरा घन केश पास
नभ गंगा की रजत धार में धो लाई क्या इन्हें रात!”
PSEB 10th Class Hindi Guide गाता खग Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
संध्या के समय पक्षी क्या गाता है?
उत्तर:
संध्या के समय पक्षी मानव जीवन के कल्याण और मधुर जीवन के गीत गाता है।
प्रश्न 2.
तारों की पंक्तियाँ मानव के दुःख से दुःखी होकर कैसे आँसू बहाती हैं?
उत्तर:
तारों की पंक्तियाँ मानव के दुःख को देखकर ओस के रूप में आँसू बहाती हैं।
प्रश्न 3.
मानव जीवन में आशा और विश्वास का संदेश कौन भरते हैं?
उत्तर:
मानव जीवन में आशा और विश्वास का संदेश खिले हुए फूल भरते हैं।
प्रश्न 4.
मनुष्य को निरंतर आगे बढ़ते रहने का संदेश किन से मिलता है?
उत्तर:
मनुष्य को निरंतर आगे बढ़ते रहने का संदेश लहरों से मिलता है।
प्रश्न 5.
बुलबुले को अपना मकसद कब मिल जाता है ?
उत्तर:
जब बुलबुला पानी में समा जाता है तब उसे अपना मकसद मिल जाता है क्योंकि वह पहले पानी से अलग था परंतु पानी से मिलकर वह अपना स्थान प्राप्त कर लेता है।
प्रश्न 6.
कवि ने प्रकृति के माध्यम से क्या कामना की है ?
उत्तर:
कवि ने प्रकृति के माध्यम से मानवतावाद की स्थापना की कामना की है। उसने संसार के सभी लोगों के समृद्ध जीवन की इच्छा व्यक्त की है। वह चाहता है कि मानव सदा प्रसन्नता से भरा हुआ गाता रहे। मानव जीवन छोटा है इसीलिए वह संसार को सब प्रकार की खुशियाँ बाँट कर संसार के आंगन को खुशियों से भर दे।
प्रश्न 7.
‘गाता खग’ कविता की अंतिम पंक्तियों में कवि की क्या विशिष्टता दिखाई देती है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘गाता खग’ कविता की अंतिम पंक्तियों में रहस्यवाद की झलक दिखाई देती है। जिस प्रकार नदी या समुद्र की लहरों से हवा टकरा कर बुलबुले को जन्म देती है पर वह बुलबुला कोशिश करके भी कभी किनारे को प्राप्त नहीं कर पाता। वह लहरों में ही कहीं इधर-उधर भटक कर बिखर जाता है और उसी जल में समा जाता है। जीव भी उसी प्रकार जीवन भर भटकने के पश्चात् मृत्यु प्राप्त करके परमात्मा में ही विलीन हो जाता है।
एक पंक्ति में उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संध्या के समय पक्षियों का चहचहाना क्या व्यक्त करता है?
उत्तर:
संध्या के समय पक्षियों का चहचहाना संसार के जीवन के मंगलमय रूप माधुर्य को व्यक्त करता है।
प्रश्न 2.
तारों की पंक्तियाँ टिमटिमा कर क्या कहती हैं?
उत्तर:
तारों की पंक्तियाँ टिमटिमा कर मानव जीवन में व्याप्त अवसाद पर दुःख व्यक्त करती हैं।
प्रश्न 3.
मनुष्य को जीवन में सदा खुशियाँ बिखेरने का संदेश कौन देते हैं ?
उत्तर:
खिले हुए पुष्प मनुष्य को जीवन में खुशियाँ बिखेरने का संदेश देते हैं।
प्रश्न 4.
लहरें मनुष्य को क्या संदेश दे रही हैं ?
उत्तर:
लहरें मनुष्य को निरंतर गतिमान रहने का संदेश दे रही हैं।
बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तरनिम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक सही विकल्प चुनकर लिखें
प्रश्न 1.
सारा आशय कौन ‘विलीन’ होकर पा जाता है
(क) नदी
(ख) लहर
(ग) बुद् बुद्
(घ) कूल।
उत्तर:
(ग) बुद् बुद्
प्रश्न 2.
किनारे को कौन नहीं देख पाता
(क) नदी
(ख) लहर
(ग) बुद् बुद्
(घ) पक्षी।
उत्तर:
(ख) लहर
प्रश्न 3.
अपलक तारावलि किसका अनुभव कहती है
(क) आँख
(ख) कान
(ग) नाक
(घ) मुँह।
उत्तर:
(क) आँख
एक शब्द/हाँ-नहीं/सही-गलत/रिक्त स्थानों की पूर्ति के प्रश्न
प्रश्न 1.
सुंदर सुखमय जीवन के गीत प्रातः उठकर कौन गाता है? (एक शब्द में उत्तर दें)
उत्तर:
खग
प्रश्न 2.
फूल खिल कर संसार को रोना सिखाते हैं। (सही या गलत लिख कर उत्तर दें)
उत्तर:
गलत
प्रश्न 3.
तारावलि अपलक निहारती है। (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
सही
प्रश्न 4.
किनारा न देखकर भी लहरें आगे बढ़ती जाती हैं। (हाँ या नहीं में उत्तर दें)
उत्तर:
हाँ
प्रश्न 5.
मनुष्य को अपने सद्गुणों से संसार को सुखद नहीं बनाना चाहिए। (हाँ या नहीं में उत्तर दें)
उत्तर:
नहीं
प्रश्न 6.
गाता खग संध्या ………. पर मंगल, ………… जग जीवन।
उत्तर:
तट, मधुमय
प्रश्न 7.
अपने उर की ……….. से जग का ………. भर जाओ।
उत्तर:
सौरभ, आँगन
प्रश्न 8.
पर इस …………. में बह बह नित आगे ………… जाएँ।
उत्तर:
उमंग, बढ़ती।
गाता खग पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या
1. गाता खग प्रातः उठकर
सुंदर, सुखमय जग-जीवन !
गाता खग संध्या – तट पर
मंगल, मधुमय जग-जीवन।
शब्दार्थ:
खग = पक्षी। तट = किनारा। मंगल = कल्याण। मधुमय = आनंदपूर्ण।
प्रसंग:
यह काव्यांश ‘सुमित्रानंदन पंत’ द्वारा रचित ‘गाता खग’ से लिया गया है। इसमें कवि पक्षियों के माध्यम से मानव के सुखद, सुंदर तथा मंगलमय जीवन की कामना कर रहा है।
व्याख्या:
कवि कहता है कि प्रभातकाल में आकाश में स्वतंत्र उड़ने वाले पक्षियों का कलरव गान यही उपदेश देता है कि यह जीवन सौंदर्य और सुख का भंडार है। जिस प्रकार प्रभात वेला में संपूर्ण प्रकृति अपनी सुंदरता, सरसता तथा शीतव्रता से जड़-चेतन को जीवन प्रदान कर देती है, उसी प्रकार पक्षियों का चहचहाना संगीत को भी माधुर्य प्रदान करता है, जिससे संपूर्ण विश्व सुखमय प्रतीत होता है। संध्या के समय जब संपूर्ण संसार विश्राम की ओर अग्रसर होता है, उस समय किसी शून्य, एकांत नदी अथवा सरोवर के किनारों पर एकत्रित होकर पक्षी पुनः चहकते हुए एकत्रित हो जाते हैं। उस समय उनका चहचहाना जीवन के मंगलमय रूप माधुर्य को व्यक्त करता है। कवि को पक्षियों के स्वर में जीवनसंगीत सुनाई पड़ता है।
विशेष:
- कवि प्रभात तथा संध्या के समय होने वाले पक्षियों के कलरव को मानव जीवन के लिए समृद्धि एवं कल्याण का संदेश देने वाला मानता है।
- भाषा तत्सम प्रधान है। मानवीकरण तथा अनुप्रास अलंकार हैं।
2. कहती अपलक तारावलि
अपनी आँखों का अनुभव,
अवलोक आँख आँसू की
भर आती आँखें नीरव !
शब्दार्थ:
अपलक = एकटक। तारावलि = तारों की पंक्ति। अवलोक = देखकर। नीरव = मौन, खामोश, चुपचाप।
प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित कविता ‘गाता खग’ से ली गई हैं। कवि आकाश में चमकने वाले तारों के माध्यम से मानव जीवन में व्याप्त करुणा और संवेदना को व्यक्त कर रहा है।
व्याख्या:
कवि कहता है कि अनंत आकाश में छाए हुए अंधकार में निरंतर चमकने वाली ताराओं की पंक्तियाँ देखकर प्रतीत हो रहा है जैसे वह कह रही हों कि संपूर्ण जीवन करुणा तथा दुःख से भरा हुआ है। जिस प्रकार निरंतर दुःख सहते हुए किसी की आँखों में से आँसू बह जाते हैं और आँसुओं से भरी आँखों को देखकर दूसरे में सहानुभूति के कारण करुणा का संचार हो जाता है, उसी प्रकार विश्वव्यापी दुःख, अवसाद, विपन्नता और विषमता को देखकर अपलक ताराओं की करुणा से भरी आँखों से आँसू छलक पड़ते हैं। आँखों की भाषा नीरव और मौन होती है। केवल आँसुओं के माध्यम से ही प्रकट होती है।
विशेष:
- कवि का मानना है कि तारों की पंक्तियाँ टिमटिमाकर मानव के दुःख और आँसू देखकर ओस के रूप में स्वयं भी आँसू बहाती है।
- भाषा तत्सम प्रधान है। मानवीकरण तथा अनुप्रास अलंकार हैं।
3. हँसमुख प्रसून सिखलाते
पल भर है, जो हँस पाओ,
अपने उर की सौरभ से
जग का आँगन भर जाओ!
शब्दार्थ:
हँसमुख = प्रसन्न, खिले हुए। प्रसून = पुष्प, फूल। उर = हृदय। सौरभ = सुगंध। जग = संसार।
प्रसंग:
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित कविता ‘गाता खग’ से ली गई हैं। कवि मानव को सदा खिले हुए फूलों की तरह मुस्कराते रहने का संदेश दे रहा है।
व्याख्या:
कवि कहता है कि प्रभातकाल में खिले हुए पुष्प अपनी कोमलता, मनोहरता और सौरभ से वातावरण को पूरी तरह भरते हुए मानव को यह प्रेरणा देते हैं कि इस नाशवान और छोटे-से जीवन को अनेक प्रकार की विषमताओं और समस्याओं ने नीरस और उदास बना रखा है। यदि हो सके तो संसार में अपना छोटा-सा जीवन प्रसन्नता और आनंद है।
विशेष:
- कवि की मान्यता है कि लहरें आपस में टकरा कर अथवा किनारे से टकरा कर बिखर जाती हैं तथा किनारे से दूर चली जाती हैं परंतु उनमें से निकला हुआ बुलबुला जल में विलीन हो कर अपने जीवन का उद्देश्य प्राप्त कर लेता है।
- भाषा तत्सम प्रधान है। मानवीकरण तथा पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार हैं।
गाता खग Summary
गाता खग कवि परिचय
छायावादी हिंदी-काव्य के उन्नायकों में श्री सुमित्रानंदन पंत का नाम प्रमुख है। इनका बचपन का नाम गुसाई दत्त था। अल्मोड़ा के निकट कौसानी नामक ग्राम में 20 मई, सन् 1900 ई० को उत्पन्न पंत जी को अपनी माँ का प्रेम नहीं मिल पाया था क्योंकि इन्हें जन्म देते ही वह सदा के लिए इस संसार को छोड़ गई थी। इनका जीवन प्रकृति की गोद में बीता था। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल से ही प्राप्त की थी। केवल नौ वर्ष की आयु में ही संस्कृत का ज्ञान प्राप्त कर लेने के पश्चात् इन्होंने सन् 1919 में म्योर सेंट्रल कॉलेज, इलाहाबाद में शिक्षा प्राप्ति के दौरान अंग्रेजी और बंगला की काव्य-कृतियों से परिचय प्राप्त किया। अंग्रेज़ी के शैली, वर्ड्सवर्थ, टैनीसन, कॉलरिज तथा बंगला के रविंद्र नाथ टैगोर की सौंदर्यात्मक रचनाओं ने इन्हें बहुत प्रभावित किया।
सन् 1921 ई० में गाँधी जी के असहयोग आंदोलन के प्रभावस्वरूप इन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी लेकिन राजनीति में सक्रिय भाग न लेकर अपनी काव्य-साधना जारी रखी थी। सन् 1930 ई० में ये कलाकांकर के महाराज के स्नेहभाजन बन कर रहने के लिए उनके पास ही चले गए और दस वर्ष तक इन्होंने ‘रूपाभ’ नामक पत्रिका का प्रकाशन आरम्भ किया था पर किन्हीं कारणों से यह एक वर्ष से अधिक न चल सकी। कुछ वर्ष तक रेडियो से संबंधित रहने के पश्चात् इन्होंने स्वतंत्र रूप से लेखन कार्य किया। इन्होंने रूस, जर्मनी, फ्रांस आदि देशों की यात्राएँ भी कीं। इन्हें कार्ल मार्क्स, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गाँधी, अरविंद जैसी महान् विभूतियों के दर्शन ने अत्यन्त प्रभावित किया। सन् 1977 ई० में इनका देहांत हो गया था।
रचनाएँ-उच्छवास, ग्रंथि, वीणा, पल्लव, गुंजन, युगांत, युगवाणी, ग्राम्या, स्वर्ण-किरण, स्वर्ण-धूलि, युगपथ, उत्तरा, शिल्पी, वाणी, कला और बूढ़ा चांद, लोकायतन आदि। पंत जी के काल में प्रकृति-चित्रण के अतिरिक्त सौंदर्य-चित्रण, मानव प्रेम, शोषितों की पीड़ा, गांधीवादी विचारधारा आदि का प्रभाव भी दिखाई देता है। इसके काव्य में गीति-तत्व की प्रमुखता है। भाषा इनकी तत्सम प्रधान होते हुए भी तद्भव, देशज, विदेशी आदि शब्दों से युक्त है।
गाता खग कविता का सार
‘गाता खग’ कविता में सुमित्रानंदन पंत ने प्रकृति के माध्यम से मानव-जीवन, उसकी कामनाओं, कार्य-व्यापारों, नश्वरता आदि का वर्णन किया है। प्रभातकालीन आकाश में विचरण करते पक्षियों का कलरव, जीवन के सौंदर्य और सुख का संदेश देता है। अनंत आकाश में छाए अंधकार में टिमटिमाते तारे मानव जीवन की करुणा और दुःख का संदेश देते प्रतीत होते हैं। सुबह सवेरे खिले फूल वातावरण को सुगंधित करते हुए मानव को अपना जीवन प्रसन्नता और आनंद से व्यतीत करने की प्रेरणा देते हैं। सागर अथवा नदी में उठने वाली लहरों से मानव को निरंतर गतिमान रहते हुए साधना करने के लिए प्रेरित किया है। लहरों की सिहरन, किनारे से टकरा कर चूर-चूर हो कर सागर में समा जाना आसीम का असीम में समा जाना है।