Punjab State Board PSEB 10th Class Hindi Book Solutions Chapter 17 श्री गुरु नानक देव जी Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 10 Hindi Chapter 17 श्री गुरु नानक देव जी
Hindi Guide for Class 10 PSEB श्री गुरु नानक देव जी Textbook Questions and Answers
(क) विषय-बोध
I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
गुरु नानक देव जी का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा, सन् 1469 ई० को शेखूपुरा के तलवंडी गाँव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है।
प्रश्न 2.
गुरु नानक देव जी के माता और पिता का क्या नाम था?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी की माता का नाम तृप्ता देवी जी और पिता का नाम मेहता कालू जी था।
प्रश्न 3.
गुरु नानक देव जी ने छोटी आयु में ही कौन-कौन-सी भाषाओं का ज्ञान अर्जित कर लिया था ?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी ने छोटी-सी आयु में ही पंजाबी, फारसी, हिंदी और संस्कृत भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया था।
प्रश्न 4.
गुरु नानक देव जी को किस व्यक्ति ने दुनियावी तौर पर जीविकोपार्जन संबंधी कार्यों में लगाने का प्रयास किया था?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी को इनके पिता श्री मेहता कालू जी ने दुनियावी तौर पर जीविकोपार्जन कार्यों में लगाने का प्रयास किया था।
प्रश्न 5.
गुरु नानक देव जी को दुनियादारी में बांधने के लिए इनके पिता जी ने क्या किया?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी के पिता जी ने आप की शादी देवी सुलक्खनी से कर दी।
प्रश्न 6.
गुरु नानक देव जी के कितनी संतानें थीं और उनके नाम क्या थे?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी के दो संतानें थीं। एक का नाम लखमीदास और दूसरे का नाम श्रीचंद था।
प्रश्न 7.
इस्लामी देशों की यात्रा के दौरान आप ने किस धर्म की शिक्षा दी?
उत्तर:
मुस्लिम देशों की यात्रा के दौरान आप ने ‘सांझे धर्म’ की शिक्षा दी।
प्रश्न 8.
‘श्री गुरु ग्रंथ साहिब’ में गुरु नानक देव जी के कुल कितने पद और श्लोक हैं?
उत्तर:
श्री गुरु ग्रंथ साहिब में गुरु नानक देव जी के 974 पद और श्लोक हैं।
प्रश्न 9.
श्री गुरु ग्रंथ साहिब में मुख्य कितने राग हैं?
उत्तर:
श्री गुरु ग्रंथ साहिब में मुख्य 31 राग हैं।
प्रश्न 10.
गुरु नानक देव जी के जीवन के अंतिम वर्ष कहाँ बीते?
उत्तर:
श्री गुरु नानक देव जी के जीवन के अंतिम वर्ष करतारपुर में बीते थे जो अब पाकिस्तान में है।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
गुरु नानक देव जी के जन्म के संबंध में भाई गुरदास जी ने कौन-सी तुक लिखी?
उत्तर:
भाई गुरदास जी ने लिखा था
‘सुनी पुकार दातार प्रभु,
गुरु नानक जगि माहिं पठाया।’
प्रश्न 2.
गुरु नानक देव जी पढ़ने के लिए किन-किन के पास गए थे?
उत्तर:
सात वर्ष की आयु में गुरु नानक देव जी को पांडे के पास पढ़ने के लिए पाठशाला भेजा गया था। मौलवी सैय्यद हुसैन ने भी इन्हें पढ़ाया था। इन्होंने पंडित ब्रजनाथ से भी शिक्षा प्राप्त की थी। छोटी-सी आयु में ही इन्होंने पंजाबी, फारसी, हिंदी, संस्कृत आदि भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया था।
प्रश्न 3.
साधुओं की संगति में रहकर गुरु नानक देव जी ने कौन-कौन से ज्ञान प्राप्त किए?
उत्तर:
साधुओं की संगति में रह कर गुरु नानक देव जी ने भारतीय धर्म का ज्ञान प्राप्त किया। आपने साधुओं की संगति से भी विभिन्न संप्रदायों का ज्ञान प्राप्त किया। भारतीय धर्म ग्रंथों और शास्त्रों का ज्ञान भी आपको साधुओं की संगति से ही हुआ। राग विद्या भी आपने इन्हीं दिनों प्राप्त की थी।
प्रश्न 4.
गुरु नानक देव जी ने यात्राओं के दौरान कौन-कौन से महत्त्वपूर्ण शहरों की यात्रा की?
उत्तर:
अपनी यात्राओं में गुरु नानक देव जी ने आसाम, लंका, ताशकंद, मक्का-मदीना आदि शहरों की यात्रा की थी। आपने हिमालय पर स्थित योगियों के केंद्रों की यात्रा भी की। आपने उन्हें सही धर्म सिखाया। आपने हिंदू, मुसलमान सब को सही मार्ग दिखाया।
प्रश्न 5.
गुरु नानक देव जी ने तत्कालीन भारतीय जनता को किन बुराइयों से स्वतंत्र कराने का प्रयास किया?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी के समय में भारतीय हिंदू-मुस्लिम जनता धार्मिक आडंबरों से ग्रस्त थी। आपने उन्हें इन रूढ़ियों और आडंबरों से मुक्त कराने के लिए उन्हें सद्-उपदेश दिया। उन्हें सही रास्ता दिखाया। आपके उपदेश सहज और सरल थे।
प्रश्न 6.
गुरु नानक देव जी की रचनाओं के नाम लिखें।
उत्तर:
गुरु नानक देव जी की रचनाएँ जपुजी, आसा दी वार, सिद्ध गोसटि, पट्टी, दक्खनी ऊँकार, पहरे-तिथि, बारह माह, सुचज्जी-कुचज्जी, आरती आदि हैं। गुरु जी की इन रचनाओं के अतिरिक्त वाणी, श्लोक, पद, अष्टपदियां, सोहले, छन्द आदि के रूप में विद्यमान हैं।
III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह या सात वाक्यों में दीजिए
प्रश्न 1.
जिस समय गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ उस समय भारतीय समाज की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
जिस समय गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था उस समय भारतीय समाज अनेक बुराइयों से ग्रस्त था। वह अनेक जातियों, संप्रदायों और धर्मों में बंटा हुआ था। लोग रूढ़ियों में फंसे हुए थे। उनके विचार बहुत ही संकीर्ण थे। वे घृणा करने योग्य कार्यों में लगे रहते थे। धर्म के नाम पर दिखावे का बोल-बाला था। शासक वर्ग अत्याचारी था। आम जनता का अत्यधिक शोषण होता था। दलितों पर बहुत अत्याचार होते थे।
प्रश्न 2.
गुरु नानक देव जी ने अपनी यात्राओं के दौरान कहाँ-कहाँ और किन-किन लोगों को क्या-क्या उपदेश दिए?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी ने सन् 1499 से 1522 ई० के बीच पूर्व, पश्चिम, उत्तर तथा दक्षिण चारों दिशाओं में यात्राएं कीं। इन यात्राओं में आपने आसाम, लंका, ताशकंद, मक्का-मदीना आदि स्थानों की यात्रा की थी। आप ने कश्मीर के पंडितों से विचार-विमर्श किया। हिमालय के योगियों को सही धर्म सिखाया। हिंदू नेताओं को देश सेवा का उपदेश दिया। मौलवी और मुसलमानों को साझे धर्म की शिक्षा देकर उन्हें सही रास्ता दिखाया। आपने अनेक फ़कीरों, सूफ़ियों, सन्तों आदि से भी धार्मिक विचार-विमर्श किए।
प्रश्न 3.
गुरु नानक देव जी की वाणी की विशेषता अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
गुरु नानक देव जी की वाणी के 974 पद और श्लोक आदि ग्रंथ में संकलित हैं। आपकी वाणी में अनेक विषयों की चर्चा प्राप्त होती है। आपने सृष्टि, जीव और ब्रह्म के संबंध में चर्चा की थी। आपने अकाल पुरुष के स्वरूप और स्थान का भी वर्णन किया है। आपने माया से दूर रहने तथा माया के बंधन काटने और शुद्ध मन से प्रभु का नाम जपने की प्रेरणा दी है। आपकी वाणी, जो ‘जपुजी साहिब’ के नाम से जानी जाती है, में सिक्ख सिद्धांतों का सार है। आपकी वाणी की शैली बहुत अद्भुत और अनूठी है।
(ख) भाषा-बोध
I. निम्नलिखित का संधि-विच्छेद कीजिए
परमात्मा, पतनोन्मुखी, जीविकोपार्जन, संगीताचार्य, देवोपासना, परमेश्वर।
उत्तर:
परमात्मा = परम + आत्मा
पतनोन्मुखी = पतन + उन्मुखी
जीविकोपार्जन = जीविका + उपार्जन
संगीताचार्य = संगीत + आचार्य
देवोपासना = देव + उपासना
परमेश्वर = परम + ईश्वर।
II. निम्नलिखित शब्दों के विशेषण शब्द बनाइए:
समाज, धर्म, अर्थ, परस्पर, राजनीति, पंडित, सम्प्रदाय, भारत, अध्यात्म, पंजाब।
उत्तर:
शब्द – विशेषण
समाज – सामाजिक
धर्म – धार्मिक
अर्थ – आर्थिक
परस्पर – पारस्परिक
राजनीति – राजनैतिक
पंडित – पांडित्य
सम्प्रदाय – साम्प्रदायिक
भारत – भारतीय
अध्यात्म – आध्यात्मिक
पंजाब – पंजाबी
III. निम्नलिखित शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए:
महान्, सरल, सहज, हरा, समान, शांत।
उत्तर:
शब्द – भाववाचक संज्ञा
महान् – महानता
सरल – सरलता
सहज – सहजता
हरा – हरियाली
समान – समानता
शांत – शांति।
(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
गुरु नानक देव जी आपके लिए किस तरह प्रेरणा स्रोत हैं। अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
(घ) पाठ्येतर सक्रियता
1. सिक्ख धर्म के सभी गुरुओं के जीवन चरित की जानकारी जुटाइए।
2. हिंदू, सिक्ख, मुस्लिम, ईसाई, जैन और बौद्ध आदि धर्मों के चिह्न बनाइए।
3.विभिन्न धार्मिक स्थानों जैसे-स्वर्ण मंदिर, आनंदपुर साहिब, हरिद्वार, मथुरा, मक्का मदीना आदि की जानकारी एकत्रित कीजिए।
प्रश्न 4.
श्री गुरु नानक देव जी की यात्राओं से संबंधित स्थानों को विश्व मानचित्र पर दर्शाइए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 5.
सिक्ख धर्म के पाँच चिह्नों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं करें।
(ङ) ज्ञान-विस्तार
1. ननकाना साहिब-पाकिस्तान में स्थित पंजाब प्रांत का यह शहर गुरु नानक देव जी के नाम पर है। प्राचीन काल में इसका नाम ‘राय-भोई-दी-तलवंडी’ था। इतिहास से जुड़ा हुआ यह नगर सिख धर्म के लिए अति पवित्र तीर्थ है।
2. सुल्तानपुर लोधी-यह कपूरथला जिले का अत्यंत पुराना शहर है जहाँ गुरु नानक देव जी पहले रहते थे। इसी शहर में उनकी बहन बीबी नानकी और उनके पति भाई जयराम जी भी निवास करते थे।
3. मक्का -इस्लाम धर्म का यह सबसे अधिक पवित्र नगर है। प्रति वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं। इस्लामी पैगम्बर मोहम्मद के द्वारा इसी नगर में सातवीं शताब्दी में इस्लाम की घोषणा की गई। बाद में यह नगर साऊदी अरब के शासन के अधीन आ गया था। अब यह मक्काह प्रांत की राजधानी है।
4. ताशकन्द-यह उजबेकिस्तान और ताशकेंत की राजधानी है।
5. श्री लंका-यह दक्षिण एशिया का देश है जो हिन्द महासागर के उत्तर में विद्यमान है। भारत से इसकी दूरी केवल 31 कि०मी० है। सन् 1972 तक इसका नाम ‘सीलोन’ था लेकिन अब यह श्री लंका के नाम से जाना जाता है। इसका नगर कोलंबो समुद्री परिवहन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।
6. मदीना/अल-मदीना-इसे अति सम्मान के कारण ‘अल-मदीना-अल मुनवरा भी कहते हैं जिसका अर्थ हैचमकदार मदीना। यह इस्लाम धर्म का पवित्रतम दूसरा नगर है। इसी नगर में इस्लामी पैगम्बर मोहम्मद साहब की दफनगाह है। इस नगर का अपना ही विशेष ऐतिहासिक महत्त्व है।
7. श्री गुरु ग्रंथ साहिब-सिक्ख धर्म का परम पवित्र और प्रमुख ग्रंथ श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी हैं जिसमें सिख गुरुओं तथा हिंदु-मुस्लिम संतों/भक्तों की वाणी भी संकलित की गई है। इसका संपादन सिक्ख धर्म के पाँचवें गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी ने किया था। इसका पहला प्रकाश 16 अगस्त, सन् 1604 ई० को हरिमंदिर साहिब अमृतसर में हुआ था। सन् 1705 ई० में गुरु गोबिंद सिंह जी ने इसमें गुरु तेग बहादुर जी के 116 शब्द जोड़ कर इसे पूर्ण किया था। इस पवित्र ग्रंथ में कुल पृष्ठ संख्या 1430 है। इसमें सिख गुरुओं के अतिरिक्त 30 अन्य हिंदू और मुस्लिम-भक्तों की पवित्र वाणी को भी स्थान प्रदान किया गया है।
8. जपुजी साहिब-श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की मूलवाणी ‘जपुजी साहिब’ गुरु नानक देव जी के द्वारा उच्चरित की गई अति पवित्र वाणी है। इसमें ब्रह्मज्ञान का अलौकिक ज्ञान समाया हुआ है।
PSEB 10th Class Hindi Guide श्री गुरु नानक देव जी Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
गुरु नानक देव जी का बचपन किस शहर में बीता?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी का बचपन तलवंडी में बीता था।
प्रश्न 2.
गुरु नानक देव जी ने सच्चा सौदा कितने रुपयों में कैसे किया?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी ने सच्चा सौदा बीस रुपयों में भूखे साधुओं को खाना खिला कर किया।
प्रश्न 3.
गुरु नानक देव जी तीन दिन तक किस नदी में आलोप रहे?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी तीन दिन तक उई नदी में आलोप रहे।
प्रश्न 4.
गुरु नानक देव जी की कितनी उदासियाँ हैं?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी की चार उदासियाँ हैं।
प्रश्न 5.
प्रातःकालीन प्रार्थना के लिए गुरु जी की कौन-सी वाणी है?
उत्तर:
प्रात:कालीन प्रार्थना के लिए ‘जपुजी साहिब’ आपकी वाणी है।
प्रश्न 6.
भाई गुरदास जी ने आपकी उदासियों के सम्बन्ध में क्या कहा है?
उत्तर:
भाई गुरदास जी आपकी उदासियों के बारे में लिखते हैं-‘चढ़िआ सोधन धरत लुकाई।’ आपने सन् 1499 ई० से 1522 ई० तक पूर्व, पश्चिम, उत्तर तथा दक्षिण की चार उदासियाँ कीं। इसी समय आपने करतारपुर नगर बसाया था। इन यात्राओं में आपने भटके हुए लोगों को उचित उपदेश देकर सद्मार्ग दिखाया था।
प्रश्न 7.
सुल्तानपुर में रहते हुए आप ने क्या कुछ देखा था?
उत्तर;
सूबे की राजधानी होने के कारण सुल्तानपुर धार्मिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र था। यहाँ रहते हुए आपने हुकूमत की ज्यादतियाँ, मुल्ला, काज़ियों और हिंदुओं के धार्मिक आडंबर, कर्मकांड, अंधविश्वास आदि देखे थे। आपने आध्यात्मिक अवस्थाओं से गिरे हुए बनावटी जीवन को भी देखा था।
प्रश्न 8.
अन्य संतों की अपेक्षा गुरु नानक देव जी के उपदेश देने की शैली की क्या विशेषता थी?
उत्तर:
अन्य सन्त जब उपदेश देते थे तो उनके कटुतापूर्ण शब्द लोगों को बुरे लगते थे। वे अपने शुष्क व्यवहार से लोगों को नाराज़ कर देते थे। वे तर्क की छुरी चला कर सामाजिक बुराइयों की चीर-फाड़ कर लोगों के मन को आहत कर देते थे। परन्तु गुरु जी सामाजिक बुराइयों का खंडन कोमल भाषा में करते थे। जैसे शरद ऋतु की पूर्णिमा का चंद्रमा चारों ओर अपनी शीतलता बिखेरता है वैसे ही गुरु जी भी अपनी वाणी की शीतलता से सब को उपदेश देते थे। अन्य सन्तों के उपदेशों से आहत मन पर वे मरहम का लेप करते थे।
एक पंक्ति में उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जब गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ तब भारत की क्या दशा थी?
उत्तर:
जब गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ तब भारत अनेक प्रकार के कुसंस्कारों से ग्रस्त था।
प्रश्न 2.
गुरु नानक देव जी को किन्होंने शिक्षा दी थी?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी को मौलवी सैय्यद हुसैन और पंडित बृजनाथ ने शिक्षा दी थी।
प्रश्न 3.
गुरु नानक देव जी सन् 1499 ई० में किस नदी में स्नान करने गए थे?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी बेईं नदी में स्नान करने गए थे।
प्रश्न 4.
गुरु नानक देव जी ने प्रातःकालीन प्रार्थना के लिए किस ग्रंथ की रचना की थी?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी ने प्रात:कालीन प्रार्थना के लिए ‘जपुजी’ साहिब की रचना की थी।
बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तरनिम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक सही विकल्प चुनकर लिखें
प्रश्न 1.
श्री गुरु नानक देव जी ने कितने रुपयों से भूखे साधुओं को खाना खिला कर सच्चा सौदा किया?
(क) पाँच
(ख) दस
(ग) बीस
(घ) पच्चीस।
उत्तर:
(ग) बीस
प्रश्न 2.
‘चढ़िया सोधन धरत लुकाई’-किसका कथन है?
(क) भाई रामदास
(ख) भाई गुरदास
(ग) भाई प्रेमदास
(घ) भाई सुखदास।
उत्तर:
(ख) भाई गुरदास
प्रश्न 3.
श्री गुरु ग्रंथ साहिब में श्री गुरु नानक देव जी द्वारा रचित कितने पद और श्लोक हैं?
(क) 970
(ख) 972
(ग) 974
(घ) 976.
उत्तर:
(ग) 974
एक शब्द/हाँ-नहीं/सही-गलत/रिक्त स्थानों की पूर्ति के प्रश्न
प्रश्न 1.
श्री गुरु ग्रंथ साहिब में मुख्य कितने राग हैं? (एक शब्द में उत्तर दें)
उत्तर:
31
प्रश्न 2.
श्री गुरु नानक देव जी सन् 1539 में ज्योति-जोत समा गए। (हाँ या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
हाँ
प्रश्न 3.
भाई मरदाना श्री गुरु नानक देव जी के साथ कभी नहीं रहा। (हाँ या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
नहीं
प्रश्न 4.
‘न कोई हिन्दू न मुसलमान’-ये शब्द श्री गुरु नानक देव जी के हैं। (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
सही
प्रश्न 5.
गंगा नदी में प्रवेश कर श्री गुरु नानक देव जी तीन दिन अलोप रहे। (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
गलत
प्रश्न 6.
उस समय के ……………. शोषक का रूप …………. कर चुके थे।
उत्तर:
राजा, धारण
प्रश्न 7.
लगभग …………. वर्ष की आयु तक आप अनेक मतों के ……….. की संगति में रहे।
उत्तर:
अठारह, साधुओं
प्रश्न 8.
लगभग ……………. वर्ष आप घूम फिर कर …………. का प्रचार करते रहे।
उत्तर:
बाईस, धर्म।
श्री गुरु नानक देव जी कठिन शब्दों के अर्थ
कुसंस्कारों = बुरी आदतों। ग्रस्त = पकड़े हुए। विभाजित = बंटा हुआ। रूढ़ियाँ = गलत परंपरायें, गलत रीति-रिवाज। घृणित = घृणा करने योग्य, नफ़रत करने योग्य। आचार = व्यवहार, चालढाल, चालचलन। संकीर्णता = नीचता, संकरापन। तीव्र = तेज़। प्रहार = चोट । कटुता = कड़वाहट। शुष्कता = नीरसता, सूखापन। उक्त = उन। खण्डन = तोड़ने-फोड़ने का काम, किसी मत के खिलाफ़ बोलना। मृदु = कोमल। भाषी = बोलने वाला। शरत काल = शरद ऋतु । पूर्णचंद्र = पूरा चाँद, पूर्णिमा का चाँद । स्निग्धता = चिकनापन, चिकनाहट। निर्मलता = सफ़ाई, स्वच्छता, शुद्धता, पवित्रता। शीतलता = ठंडक। आलोकित = प्रकाशित, रोशनी से भर देना। उद्वेलित = छलछलाना। शल्यचिकित्सा = चीरफाड़ करना। विभूति = शक्ति, व्यक्ति। प्रवर्तक = शुरू करने वाला। पतनोन्मुखी = पतन की ओर जाने वाला। पथ-प्रदर्शक = रास्ता दिखाने वाला। प्रकृति = स्वभाव, आदत। भ्रमणशील = घूमते रहने वाले, घुमक्कड़। कर्म = कार्य। चतुर्दिक = चारों ओर, सब दिशाओं में। उदात्त = अच्छी, ऊँची। सागर = समुद्र।
आध्यात्मिक = आत्मा से संबंधित। पथ = रास्ता, मार्ग। अविचलित = अटल, स्थिर, जो विचलित न हो। पथिक = मुसाफिर। अल्प = कम, थोड़ी। पियासा = प्यास । प्रवृत्त = किसी काम में लगा हुआ, किसी काम में लगना। काल = समय। विरक्ति = वैराग्य। सरगर्मियाँ = गतिविधियाँ । हुकूमत = शासन। आडंबर = दिखावा। कर्मकांड = धर्म से संबंधित कार्य, यज्ञ, आदि करना। विचलित = अस्थिर, व्याकुल, डांवाडोल। उद्धार = कल्याण। सांझा धर्म = मानव धर्म। पांडित्य = विद्वता, ज्ञानी। संकीर्ण = छोटी सोच। शैली = तरीका। अलोप = गायब हो जाना, छिप जाना। सुरुचिपूर्ण = अच्छाइयों से भरा। दर्शाया = दिखाया। विचार-विमर्श = सलाह-मशवरा। तर्क-वितर्क = बहस करना। कुतर्कों = बुरी बहस। तत्कालीन = उस समय के। आडंबर = दिखावा। अनुग्रह = कृपा। करामात = चमत्कार। अहंकार = घमंड। प्रत्यक्ष = आँखों देखा। कुमार्ग = गलत रास्ता। सुमार्ग = सही रास्ता। शोचनीय = बहुत हीन, बहुत चिंताजनक। शोषण = शोषण करने वाला। जुल्म = अत्याचार। संगीताचार्य = संगीत के आचार्य, संगीत में निपुण। निर्विकार = विकारों से रहित, बुराइयों से रहित। अद्भुत = विचित्र। पारस्परिक = आपसी। दृष्टिकोण = देखने का नज़रिया।
श्री गुरु नानक देव जी Summary
श्री गुरु नानक देव जी लेखिका परिचय
डॉ० सुखविंदर कौर बाठ का जन्म सन् 1962 ई० में पंजाब के गुरदासपुर जिले के छिछरेवाला गाँव में हुआ था। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही प्राप्त की थी। इन्होंने अमृतसर से एम० ए०, एम० फिल०, पी-एच० डी० तथा डी० लिट की उपाधियाँ प्राप्त की। इनके पिता देश की सीमाओं के रक्षक थे इसलिए वे प्रायः बाहर ही रहते थे। इनकी शिक्षा और साहित्यिक रुचियों को जगाने वाली इनकी माता जी ही थीं। ‘गुरु तेग़ बहादुर जी की वाणी : संदर्भ और विश्लेषण’ इन का शोध-विषय था। इन्हें पंजाबी लोक-जीवन से विशेष लगाव रहा है। इसी कारण इन्होंने पंजाबी भाषा, संस्कृति, लोक-जीवन, लोक-गीतों आदि पर बहुत कार्य किया है। आप पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला के पत्राचार विभाग में प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं।
डॉ० सुखविन्दर कौर बाठ की प्रमुख रचनाएं ‘पंजाब के संस्कार गत लोक-गीतों का विश्लेषणात्मक अध्ययन’, ‘पंजाबी लोक रंग’, ‘गुरु तेग़ बहादुर की वाणी : संदर्भ और विश्लेषण’ आदि हैं। हिसार से प्रकाशित ‘पंजाबी संस्कृति’ की आप अतिथि संपादिका हैं। आपने शिव कुमार बटालवी की रचना ‘लूणा’ का देवनागरी में लिप्यंत्रण भी किया है। आपके निबंधों की भाषा सहज, सरल तथा बोधगम्य है।
श्री गुरु नानक देव जी पाठ का सार
डॉ० सुखविंदर कौर बाठ द्वारा रचित लेख ‘श्री गुरु नानक देव जी’ में लेखिका ने अवतारी महापुरुष श्री गुरु नानक देव जी के जीवन के विविध पक्षों पर प्रकाश डाला है। उन्होंने उनके उपदेशों को समस्त मानवता के लिए शुभ एवं हितकारी माना है।
श्री गुरु नानक देव जी के जन्म के समय देश की दशा बहुत खराब थी। लोग अनेक बुराइयों में फंस कर भिन्नभिन्न जातियों, धर्मों, सम्प्रदायों आदि में बंट गए थे। समाज रूढ़ियों तथा आडंबरों से ग्रस्त था। अनेक संतों ने अपने शुष्क तथा कट उपदेशों से लोगों को इन बुराइयों के लिए लताड़ कर अपने से नाराज़ कर दिया परंतु गुरु नानक देव जी ने अपनी कोमल वाणी से सब को अपने वश में करके समार्ग पर चलने की राह दिखायी।
पंजाब में भक्ति-आंदोलन को प्रारंभ करने वाले श्री गुरु नानक देव जी का जन्म शेखूपुरा जिले के तलवंडी गांव (पाकिस्तान) में सन् 1469 ई० को हुआ था। आपके पिता का नाम श्री मेहता कालू जी तथा माता का नाम तृप्ता देवी जी था। आप की एक बहन थी जिसका नामक नानकी था। सात वर्ष की आयु में आपको पाठशाला में पांडे जी से पढ़ने के लिए जाना पड़ा। इनके बाद आपने मौलवी सैय्यद हुसैन और पंडित ब्रजनाथ से भी शिक्षा प्राप्त की। छोटी-सी आयु में ही आपने पंजाबी, अरबी, फारसी, संस्कृत आदि भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया। आपके पिता ने आप को सांसारिक व्यापारों में लगाना चाहा लेकिन आप का मन उसमें नहीं लगा। आप अठारह वर्षों तक अनेक मतों को मानने वाले साधुओं की संगति में रहे। उनसे भारतीय धर्म शास्त्रों की शिक्षा प्राप्त की। इसी समय आपने बीस रुपए से भूखे साधुओं को खाना खिला कर सच्चा सौदा किया। आपको गृहस्थ में बांधने के लिए आपके पिता ने आपका विवाह माता सुलक्खनी जी से कर दिया। आप की दो सन्तानें लखमीदास और श्री चन्द थीं।।
सुल्तानपुर में रहते हुए आप को शासन के अत्याचारों, धार्मिक आडंबरों, कर्मकांडों, अंधविश्वासों आदि का पता चला तो बहुत व्याकुल हो गए। आप वेई नदी में प्रवेश कर के तीन दिन तक आलोप रहे। जब आप प्रकट हुए तो आप की वाणी ने उच्चारण किया ‘न कोई हिन्दू न मुसलमान।’
श्री गुरु नानक देव जी ने सन् 1499 ई० से 1522 ई० तक चार उदासियाँ अर्थात् चार यात्रायें चारों दिशाओं में आसाम, लंका, ताशकंद, मक्का-मदीना आदि तक की थीं। इन यात्राओं में आपने सद्मार्ग से भटके हुए सभी वर्ग के लोगों को सद्मार्ग पर चलने का उपदेश दिया था। योगियों, सिद्धों, नेताओं, हिंदुओं और मुसलमानों सब को आपने सहज, सरल और मीठी निरंकारी भाषा से सहज धर्म पालन करने का उपदेश दिया।
उस युग के लोग आडंबरों, करामातों, तंत्र-मंत्र, चमत्कारों आदि में बहुत विश्वास रखते थे। आपने भोली-भाली जनता को उपदेश देकर सही मार्ग दिखाया।
श्री गुरु नानक देव जी के समय में शासन की दशा बहुत दयनीय थी। शासक जनता का शोषण करते थे। उनके वज़ीर भी कुत्तों के समान जनता का शोषण कर रहे थे। इस कारण आप ने अपनी वाणी में कहा है-
‘राजे सीहं मुकदम कुत्ते जाए जगाइन बैठे सुत्ते।’
आपने ऐसे जुल्मी शासन में दलित लोगों की सहायता की। इसलिए भाई गुरदास ने इसी कारण लिखा है-‘सुनी पुकार दातार प्रभु, गुरु नानक जगि माहिं पठाइया।’
श्री गुरु नानक देव जी एक श्रेष्ठ कवि तथा संगीताचार्य भी थे। ‘आदिग्रंथ’ में आपके 974 पद तथा 2 श्लोक संकलित हैं। आप ने इसमें उन्नीस रागों का प्रयोग किया है। इन पदों में सृष्टि, जीव और ब्रह्म, अकाल पुरुष, नाम सिमरण आदि विषयों पर चर्चा की गई है। इन पदों के अतिरिक्त आपने ‘जपुजी’ की रचना की है जिसमें सिक्ख सिद्धांतों का सार मिलता है। आपकी अन्य रचनाएँ ‘आसा दी वार’, सिद्ध गोसटि, दक्खनी ऊँकार, बारहमाह, पहरे-तिथि, सुचज्जि कुचन्जि, आरती आदि हैं। इनकी वाणी श्लोक, पद, अष्टपदियाँ, सोहले, छंद आदि के रूप में हैं। इनकी वाणी शैली पक्ष से अनूठी है।
श्री गुरु नानक देव जी ने सांसारिक ईर्ष्या, द्वेष, वैर आदि को मिटाने तथा प्रेम, समानता, सरलता आदि अपनाने का संदेश दिया है। इस कारण आप युग निर्माता तथा समाज सुधारक भी माने जाते हैं। वास्तव में आप ने अपने उपदेशों के द्वारा एक ऐसे धर्म का बीज बो दिया जो आगे चलकर सिक्ख धर्म के रूप में विशाल वृक्ष बन कर प्रसिद्ध हुआ। जीवन के अंतिम वर्ष आपने करतारपुर में सद्-उपदेश देते हुए व्यतीत किए थे। सन् 1539 ई० में आप ज्योति-ज्योत समा गए थे। आप ने कर्मकांडों, बहुदेव पूजन आदि को नकारते हुए एक परमेश्वर की पूजा करने का उपदेश दिया था।