Punjab State Board PSEB 10th Class Hindi Book Solutions Chapter 10 नर्स Textbook Exercise Questions and Answers.
PSEB Solutions for Class 10 Hindi Chapter 10 नर्स
Hindi Guide for Class 10 PSEB नर्स Textbook Questions and Answers
(क) विषय-बोध
I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
महेश कितने साल का था?
उत्तर:
महेश छ: साल का था।
प्रश्न 2.
महेश कहाँ दाखिल था?
उत्तर:
महेश अस्पताल में दाखिल था।
प्रश्न 3.
अस्पताल में मुलाकातियों से मिलने का समय क्या था?
उत्तर:
अस्पताल में मुलाकातियों से मिलने का समय शाम चार से छः बजे तक का था।
प्रश्न 4.
वार्ड में कुल कितने बच्चे थे?
उत्तर:
वार्ड में कुल बारह बच्चे थे।
प्रश्न 5.
सात बजे कौन-सी दो नर्से वार्ड में आईं?
उत्तर:
सात बजे. मरीडा और मांजरेकर नाम की दो नर्से वार्ड में आई थीं।
प्रश्न 6.
महेश किस सिस्टर से घुल-मिल गया था?
‘उत्तर:
महेश सिस्टर सूसान से घुल-मिल गया था।
प्रश्न 7.
महेश को अस्पताल से कितने दिन बाद छुट्टी मिली?
उत्तर:
महेश को तेरह दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिली।
II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
सरस्वती की परेशानी का क्या कारण था?
उत्तर:
सरस्वती का बेटा अस्पताल में दाखिल था। उसका ऑप्रेशन हुआ था। सरस्वती उससे मिलने अस्पताल आई थी। उसका बेटा उससे लिपटकर रो रहा था। सरस्वती का बेटा उसे वहाँ से जाने नहीं दे रहा था। बेटा सरस्वती की कोई बात सुनने को तैयार नहीं हो रहा था। बेटे का इस प्रकार रोना और तड़पना सरस्वती की परेशानी का कारण था।
प्रश्न 2.
सरस्वती ने नौ नम्बर बैड वाले बच्चे से क्या मदद माँगी?
उत्तर:
सरस्वती को नौ नम्बर बैड वाला बच्चा ज्यादा समझदार और अक्लमंद लग रहा था। वह शायद दस वर्ष का था। सरस्वती ने उसे पास बुलाकर कहा कि वह उसके बेटे महेश को बातों में लगाए, उसे कोई कहानी आदि सुनाए ताकि वह वहाँ से बाहर जा सके। लड़के ने सरस्वती की बात मान ली और उसकी मदद को तैयार हो गया। वह महेश के पास जाकर बात करने लगा और इसी बीच सरस्वती वहाँ से निकल कर बाहर आ गई।
प्रश्न 3.
सिस्टर सूसान ने महेश को अपने बेटे के बारे में क्या बताया?
अथवा
‘नर्स’ कहानी में सिस्टर सूसान ने महेश को अपने बेटे के बारे में क्या बताया?
उत्तर:
जब सिस्टर सूसान ने महेश को रोते देखा था तो उसने महेश को बताया कि उसका बेटा भी उसी की भाँति रोता है। वह बहुत शैतान है। उसका नाम भी महेश है। वह अभी तीन महीने का है। बिल्कुल छोटा-सा है। उसने महेश को यह भी बताया कि आया उससे जब खेलती है या गाना गाती है तो वह खुशी से हाथ-पैर ऊपर-नीचे करने लगता है जैसे नाच रहा हो। महेश के पूछने पर वह उसे बताती है कि उसके बेटे को अभी बोलना नहीं आता। इसलिए वह . अभी अंगू-अंगू ……गू, गूं…. बोलता है।
प्रश्न 4.
दूसरे दिन महेश ने माँ को घर जाने की इजाजत खुशी-खुशी कैसे दे दी?
उत्तर:
महेश ने अपनी माँ को घर जाने की इजाज़त खुशी-खुशी दे दी थी क्योंकि सिस्टर सूसान के छोटे-से बच्चे की बातें सुनकर उसने अपनी माँ के बारे में सोचा था। उसे अपनी छोटी बहन मोना के रोने की चिंता की जिसे मम्मी पास वाले राजू के घर छोड़कर आई थी। वह नहीं चाहता था कि उसके रोने से माँ का कष्ट बड़े।
प्रश्न 5.
सरस्वती द्वारा सिस्टर सूसान को गुलदस्ता और उसके बबलू के लिए गिफ्ट पेश करने पर सिस्टर सूसान ने क्या कहा?
उत्तर:
सरस्वती द्वारा सिस्टर सूसान को गुलदस्ता और उसके बबलू के लिए गिफ्ट देने पर सिस्टर सूसान ने रंगबिरंगे फूलों वाला गुलदस्ता तो ले लिया पर अपने बबलू के लिए गिफ्ट नहीं लिया। उसकी न तो अभी शादी हुई थी और न ही उसकी कोई संतान थी। उसने तो महेश को बहलाने के लिए झूठ ही कहा था कि उसका छोटा-सा बबलू है।
III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह-सात पंक्तियों में दीजिए
प्रश्न 1.
सिस्टर सूसान का चरित्र-चित्रण अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
सिस्टर सूसान ‘नर्स’ कहानी की दूसरी प्रमुख पात्र है। आधी से ज्यादा कहानी उसी के इर्द-गिर्द घूमती है। वह एक नर्स है। एक नर्स होने के सभी गुण उसमें विद्यमान हैं। वह अपना कार्य बहुत ही मेहनत तथा ईमानदारी से करती है। सूसान सरल हृदय वाली नारी है। उसका चरित्र ममतामयी नारी का चरित्र है। कहानीकार ने उसे सरल हृदया, कर्मठ तथा विवेकशील नारी के रूप में चित्रित किया है। उसके चरित्र में सहजता तथा स्वाभाविकता है। वह अस्पताल के बच्चों को एक माँ के समान प्यार करती है। उसमें स्थितियों को समझने और उसके अनुसार स्वयं को ढालने की शक्ति है। वह महेश को रोता देख उसकी पीड़ा को समझकर उसकी मनोव्यथा को दूर करती है। वह बाल मनोविज्ञान को समझती है। अतः सूसान सही अर्थों में एक ममतामयी, सेवाभाव से युक्त तथा ममत्व से परिपूर्ण नारी है। वह ईमानदार है। यदि ऐसा न होता तो महेश की माँ से उपहार भी ले सकती थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।
प्रश्न 2.
‘नर्स’ कहानी का उद्देश्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
कहानीकार का उद्देश्य उसकी रचना में ही समाहित है। उसने अपने वर्ण्य चरित्र का गुणगान करते समय उसकी विशेषताओं पर प्रकाश डाला है कि किस प्रकार नर्स सूसान बच्चों को चिकित्सा के अतिरिक्त अपनी ममता, स्नेह, दुलार, सोहार्द तथा भावों से भरी बातचीत से कैसे बच्चों का दिल जीत लेती है। उनका इलाज करती है। माँ न होते हुए भी उन्हें माँ की कमी महसूस नहीं होने देती। लेखक का उद्देश्य नर्स के सेवाभाव और ममत्व को रोगी के हितों के लिए प्रस्तुत करना रहा है। इसके साथ कहानीकार ने एक बच्चे के मनोभावों तथा माँ के हृदय की पीड़ा को बड़े ही सशक्त शब्दों में प्रस्तुत किया है।
(ख) भाषा-बोध
I. निम्नलिखित पंजाबी गद्यांशों का हिंदी में अनुवाद कीजिए
प्रश्न 1.
ਅੱਠ ਵਜੇ ਸਿਸਟਰ ਸੂਸਾਨ ਦੇ ਵਾਰਡ ਵਿੱਚ ਆਉਂਦੇ ਹੀ ਕਈ ਬੱਚਿਆਂ ਦੇ ਚਿਹਰੇ ਤੇ ਮੁਸਕਾਨ ਛਾ ਗਈ । ਇਕ ਤੇ ਨੌ ਨੰਬਰ ਵਾਲੇ ਬੱਚੇ ਤਾਂ ਉਸਦੇ ਸੁਆਗਤ ਲਈ ਬਿਸਤਰ ਤੋਂ ਉੱਠ ਕੇ ਬੈਠ ਗਏ । ਸਿਸਟਰ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਵਲ ਹੱਥ ਹਿਲਾਇਆ !
उत्तर:
आठ बजे सिस्टर सूसान के वार्ड में आते ही कई बच्चों के चेहरे पर मुस्कान छा गई। एक से नौ नंबर वाले बच्चे तो उसका स्वागत करने के लिए बिस्तर से उठकर बैठ गए। सिस्टर ने उनकी तरफ हाथ हिलाया।
प्रश्न 2.
ਰੰਗ ਬਿਰੰਗੇ ਸੁੰਦਰ ਫੁੱਲਾਂ ਵਾਲਾ ਇਹ ਗੁਲਦਸਤਾ ਤਾਂ ਮੈਂ ਖੁਸ਼ੀ ਨਾਲ ਲੈ ਰਹੀ ਹਾਂ ਬਾਕੀ ਇਹ ਗਿਫਟ ਕਿਸੀ ਇਹੋ ਜਿਹੀ ਔਰਤ ਨੂੰ ਦੇ ਦੇਣਾ ਜਿਸਦਾ ਕੋਈ ਬਬਲੂ ਹੋਏ । ਮੇਰਾ ਤਾਂ ਕੋਈ ਬਬਲੂ ਹੈ ਹੀ ਨਹੀਂ । ਮੈਂ ਤਾਂ ਹਾਲੇ ਤਕ ਸ਼ਾਦੀ ਹੀ ठी वीठी वै ।
उत्तर:
रंग बिरंगे सुंदर फूलों वाला यह गुलदस्ता तो मैं खुशी से ले रही हूँ। शेष यह गिफ्ट किसी ऐसी औरत को देना जिसका कोई बबलू हो। मेरा तो कोई बबलू है ही नहीं। मैंने तो अभी तक शादी ही नहीं की है।
(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति
प्रश्न 1.
आप अपने जीवन में क्या बनना चाहेगे ? इस विषय पर कक्षा में सभी विद्यार्थी चर्चा कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य अनेक कल्पनाएँ करता है। वह अपने को ऊपर उठाने के लिए योजनाएँ बनाता है। कल्पना सबके लिए होती है लेकिन उस कल्पना को साकार करने की शक्ति किसी-किसी के पास होती है। सपनों में सब घूमते हैं। सभी अपने सामने कोई-न-कोई लक्ष्य रखकर चलते हैं। सभी महत्त्वाकांक्षा का मोती प्राप्त करना चाहते हैं।
विभिन्न व्यक्तियों के विभिन्न लक्ष्य होते हैं। कोई डॉक्टर बनकर रोगियों की सेवा करना चाहता है तो कोई इंजीनियर बनकर निर्माण करना चाहता है। कोई कर्मचारी बनना चाहता है तो कोई व्यापारी। कोई नेता बनना चाहता है तो कोई अभिनेता। मेरे मन में भी एक कल्पना है। मैं अध्यापक बनना चाहता हूँ। भले ही कुछ लोग इसे साधारण उद्देश्य समझें पर मेरे लिए यह गौरव की बात है। अध्यापक देश-सेवा और समाज-सेवा का सबसे बड़ा साधन होता है।
मैं व्यक्ति की अपेक्षा समाज और समाज की अपेक्षा राष्ट्र को अधिक महत्त्व देता हूँ। स्वार्थ की अपेक्षा परमार्थ को महत्त्व देता हूँ। मैं मानता हूँ कि जो ईंट नींव बनती है, महल उसी पर खड़ा होता है। मैं धन, कीर्ति और यश का भूखा नहीं। मेरे सामने तो राष्ट्र-कवि श्री मैथिलीशरण गुप्त का यह सिद्धांत रहता है ‘समष्टि के लिए समष्टि हों बलिदान’। विद्यार्थी देश की नींव हैं। मैं उस नींव को मज़बूत बनाना चाहता हूँ।
यदि मैं अध्यापक होता-अध्यापक बनने की मेरी इच्छा पूरी होगी अथवा नहीं इस विषय में मैं निश्चित रूप से पता नहीं कर सकता। यदि मैं अध्यापक होता तो क्या करता, यह बता देना मैं अपना कर्त्तव्य समझता हूँ। आज के अध्यापक को देखकर मेरा मन निराशा से भर जाता है। आज का अध्यापक अध्यापन को भी एक व्यवसाय समझता है। पैसे कमाने को ही वह अपना लक्ष्य समझ बैठा है। वह यह भूल गया है कि इस व्यवसाय में त्याग और बलिदान की ज़रूरत है। यदि मैं शिक्षक होता तो सबसे पूर्व अपने में उत्तम गुणों का विकास करता।
छात्रों को शिक्षा के महत्त्व से संचित कराकर उनमें शिक्षा के प्रति रुचि पैदा करता। आज बहुत से विद्यार्थी शिक्षा को बोझ समझते हैं। स्कूल से भाग जाना, काम से जी चुराना, अनुशासनहीनता का परिचय देना, बड़ों का अपमान करना उनके जीवन की साधारण घटनाएँ बन गई हैं। मैं उनमें अच्छे संस्कार पैदा कर उनकी बुराइयों को समाप्त करता।
मुझे जो भी विषय पढ़ाने के लिए दिया जाता उसे रोचक और सरल ढंग से पढ़ाता। शैक्षणिक भ्रमण की योजनाओं द्वारा इसमें ऐतिहासिक स्थानों के प्रति रुचि पैदा करता। उन्हें सच्चा भारतीय बनाता। मैं अपने विद्यार्थियों को अपने परिवार । के सदस्यों के समान समझता, उनकी कठिनाइयों को दूर करने की कोशिश करता। मैं यह कभी न भूलता कि यदि स्वामी दयानंद, विवेकानंद, शिवाजी जैसे महापुरुष पैदा करने हैं तो अपने व्यक्तित्व को भी ऊँचा उठाना पड़ेगा। आज भारत को आदर्श नागरिकों की आवश्यकता है। आदर्श शिक्षा द्वारा ही उच्चकोटि के व्यक्ति पैदा किए जा सकते है।
प्रश्न 2.
नर्सिंग क्षेत्र के अतिरिक्त और किस-किस क्षेत्र में मानव-सेवा के भाव जिंदा हैं? कक्षा में इसकी चर्चा कीजिए।
उत्तर:
नर्सिंग के अतिरिक्त आज के युग में अन्य बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ मानव-सेवा भाव जिंदा है जैसे-विभिन्न प्रकार के समाज सेवी कार्य, अध्यापन का कार्य आदि। विद्यार्थी अपने विवेक के आधार पर स्वयं कक्षा में चर्चा करें।
प्रश्न 3.
अस्पताल के किसी वार्ड का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मैंने सरकारी अस्पताल के सामान्य वार्ड को एक बार तब देखा था जब मैं अपने घर काम करने वाले माली के पिता को देखने अपने पापा के साथ गया था। उस सामान्य वार्ड में लगभग बीस रोगी लेटे हुए थे। सब तरफ गंदगी बिखरी हुई थी। वहाँ न तो कोई डॉक्टर था और न ही नर्स। हर रोगी के साथ दो-तीन लोग थे। वह स्थान रोगियों के लिए वार्ड नहीं लग रहा था। कुछ रोगी तड़प रहे थे तो कुछ लेटे हुए थे। गर्मी के कारण सबका बुरा हाल था।
प्रश्न 4.
‘नर्स होना चुनौतीपूर्ण वचनबद्धता है’-इस विषय पर अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर:
नर्स होना वास्तव में ही चुनौतीपूर्ण वचनबद्धता है। प्राय: सभी रोगी कष्ट की स्थिति में ही अस्पताल में भर्ती होते हैं। उनके साथ वहाँ आए लोग भी परेशान होते हैं। नर्स को रोगी की सहायता करनी होती है तो उसके साथ आए लोगों को समझाना पड़ता है। उसे सब से सभ्यतापूर्वक व्यवहार करना पड़ता है। उन्हें सांत्वना देनी होती है। साथ ही साथ सभी को समय पर दवाई देनी होती है, उनके आवश्यक टेस्ट कराने होते हैं। स्वयं कष्ट में होने पर भी सभी को मीठी भाषा में समझाना पड़ता है। निश्चित रूप से यह कार्य आसान नहीं है।
(घ) पाठ्येतर सक्रियता
- 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस और 1 जुलाई को डॉक्टर्स-डे पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। टी० वी० पर इन कार्यक्रमों को देखिए और समाचार-पत्रों से इसके बारे में जानकारी जुटाइए।
- विद्यालय में नर्सिंग सेवा भाव पर कोई नाट्य प्रस्तुति करें।
- सेवा भाव से दुनिया जीतने वाली मदर टेरेसा के चित्रों की एलबम तैयार कीजिए।
(ङ) ज्ञान-विस्तार
‘नर्सिंग’ शब्द नर्स से बना है। नर्स का अर्थ परिचारिका होता है, जो रोगियों की सेवा करती है। नर्सिंग का अर्थ रोगियों की सेवा करना है। प्रतिवर्ष 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्म दिवस पर मनाया जाता है। इनका जन्म 12 मई, सन् 1820 ई० में ब्रिटेन में हुआ था। इनका मन दीन-दुखियों तथा समाज-सेवा में बहुत लगता था। इन्होंने क्रीमिया के युद्ध में सक्रिय योगदान घायलों की सेवा करके दिया। इन्होंने अक्तूबर सन् 1854 ई० में 38 महिलाओं का दल तुर्की घायलों की सेवा के लिए भेजा था। वे स्वयं रात को भी लालटेन लेकर रोगियों की सेवा करती थीं, जिस कारण इन्हें लेडी विद दी लैम्प कहा गया। इसी प्रकार से मदर टेरेसा ने सन् 1950 में कोलकाता में मिशनरी ऑफ चैरिटी स्थापित कर बीमारों, गरीबों, असहायों की पैंतालीस वर्षों तक सेवा की। इनके कार्यों के लिए इन्हें भारत रत्न तथा नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला था।
PSEB 10th Class Hindi Guide नर्स Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
‘नर्स’ कहानी में लेखक ने क्या बताना चाहा है?
उत्तर:
‘नर्स’ कहानी में लेखक ने नर्स के सेवाभाव तथा ममत्व को रोगी के हितों में प्रस्तुत किया है।
प्रश्न 2.
सरस्वती कौन थी?
उत्तर:
सरस्वती नन्हें छ: साल के उस बच्चे की माँ थी जिसका नाम महेश था।
प्रश्न 3.
नौ नंबर बैड वाले बच्चे के बारे में सरस्वती की क्या राय थी ?
उत्तर:
सरस्वती नौ नंबर बैड वाले बच्चे को समझदार मानती थी। उसके अनुसार वह दस साल का था। वह स्थिति को समझता था।
प्रश्न 4.
ऑपरेशन के बाद महेश ने क्या किया था ?
उत्तर:
ऑपरेशन के बाद जब महेश होश में आया तो वह मम्मी-मम्मी पुकारते हुए चिल्ला रहा था।
प्रश्न 5.
सरस्वती चुपचाप चोरों की भाँति वार्ड से बाहर क्यों निकल गई ?
उत्तर:
सरस्वती अपने बेटे महेश से बहुत प्यार करती थी। महेश भी अपनी माँ से बहुत प्यार करता था। वह उसे छोड़ नहीं रहा था इसलिए वह चुपचाप चोरों की भाँति वार्ड से बाहर निकल गई।
प्रश्न 6.
पौने सात बजे वार्ड की क्या स्थिति थी ?
उत्तर:
पौने सात बजे सारे वार्ड में खामोशी छाई हुई थी। इस सारी खामोशी में महेश की हिचकी भरी मम्मी-मम्मी की रट सुनाई दे रही थी।
प्रश्न 7.
कौन-सा बैड सबसे सही जगह पर लगा हुआ था?
उत्तर:
चार नंबर का बैड सबसे सही जगह पर था क्योंकि वह खिड़की के पास था। वहाँ से बाहर का सारा दृश्य दिखता था।
प्रश्न 8.
‘नर्स’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कहानीकार ने अपनी कहानी का शीर्षक ‘नर्स’ एक दम सटीक रखा है। सारी कहानी नर्स पर ही केंद्रित है। कहानी में नर्स के सेवाभाव तथा समर्पण को दर्शाया गया है। पाठक जैसे-जैसे कहानी को पढ़ता है वह शीर्षक के प्रति अग्रसर होता जाता है। अत: कहानी का शीर्षक ‘नर्स’ अत्यंत रोचक तथा जिज्ञासावर्धक है।
प्रश्न 9.
कहानीकार कलाप्रकाश की कहानी ‘नर्स’ की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
आधुनिक हिंदी साहित्य में कहानीकार कला प्रकाश का अपना विशेष स्थान है। उनकी कहानी ‘नर्स’ की भाषा सरल तथा पात्रानुकूल है। आवश्यकतानुसार लेखिका ने अंग्रेज़ी के प्रचलित शब्दों का भी प्रयोग किया है। छोटेछोटे वाक्य देखते ही बनते हैं। मुहावरों का सटीक प्रयोग हुआ है। इनकी भाषा में भावना एवं कल्पना के साथ-साथ अलंकारों का भी प्रयोग हुआ है।
प्रश्न 10.
महेश अस्पताल में किसे और क्या पुकार कर रो रहा था ?
उत्तर:
महेश अस्पताल में अपनी माँ को देखकर उससे लिपट रहा था। वह माँ-माँ पुकारता हुआ खूब रो रहा था। वह अपने पास से अपनी माँ को दूर नहीं जाने दे रहा था। वह माँ की कोई बात नहीं सुनता था। वह तो बस उससे चिपटा रहना चाहता था किंतु जब माँ चली गई तब भी वह रोता रहा था। वह माँ-माँ पुकारता रहा था।
एक पंक्ति में उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
“चिल्लाओगे तो दर्द ज्यादा होगा”-महेश को यह किसने समझाया ?
उत्तर:
वार्ड में नौ नंबर वाले बच्चे ने महेश को यह समझाया।
प्रश्न 2.
किस नर्स के वार्ड में आते ही बच्चों के चेहरे पर मुस्कान छा जाती थी ?
उत्तर:
सिस्टर सूसान के वार्ड में आते ही बच्चों के चेहरे पर मुस्कान छा जाती थी।
प्रश्न 3.
दूसरे दिन सरस्वती जब घर जाने लगी तो महेश ने उससे क्या कहा ?
उत्तर:
महेश ने माँ को जल्दी घर जाने और राजू के घर से मोना को ले आने के लिए कहा।
प्रश्न 4.
सूसान ने सरस्वती से बबलू के लिए गिफ़्ट क्यों नहीं लिया ?
उत्तर:
सूसान की अभी शादी नहीं हुई थी और उसका कोई बबलू भी नहीं था।
बहुवैकल्पिक प्रश्नोत्तरनिम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक सही विकल्प चुनकर लिखें
प्रश्न 1.
अस्पताल के वार्ड से मुलाकातियों के जाने का समय क्या था?
(क) चार बजे
(ख) पाँच बजे
(ग) छह बजे
(घ) सात बजे।
उत्तर:
(ग) छह बजे
प्रश्न 2.
बच्चों के वार्ड में कितने पलंग थे?
(क) नौ
(ख) दस
(ग) ग्यारह
(घ) बारह।
उत्तर:
(घ) बारह
प्रश्न 3.
किस नंबर के बैड का बच्चा अपनी माँ को क्राइस्ट समझता होगा?
(क) तीन
(ख) पाँच
(ग) सात
(घ) नौ।
उत्तर:
(ख) पाँच
एक शब्द/हाँ-नहीं/सही-गलत/रिक्त स्थानों की पूर्ति के प्रश्न
प्रश्न 1.
सात बजे वार्ड में कितनी नर्से आईं? (एक शब्द में उत्तर दें)
उत्तर:
दो
प्रश्न 2.
मरीडा बोली-यहाँ तो मरने तक की फुर्सत नहीं, इन बच्चों के साथ किस वक़्त बैठकर बातें करें। (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
गलत
प्रश्न 3.
सिस्टर सूसान महेश के बिस्तर के ऊपर खिलौने बांध देती हैं। (सही या गलत लिखकर उत्तर दें)
उत्तर:
गलत
प्रश्न 4.
“अस्पताल में नर्स ही मम्मी होती है।” सूसान ने महेश को बताया। (हाँ या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
हाँ
प्रश्न 5.
सूसान ने कहा-‘पति बहुत ही ईर्ष्यालु होते हैं।’ (हाँ या नहीं में उत्तर लिखें)
उत्तर:
हाँ
प्रश्न 6.
सरस्वती की भी ……… छूट गई।
उत्तर:
हँसी
प्रश्न 7.
बच्चे ने …………. उठाकर आंखें पोंछीं।
उत्तर:
नैपकिन
प्रश्न 8.
कैसी होगी ………… नाम की सोनपरी।
उत्तर:
सूसान।
नर्स कठिन शब्दों के अर्थ
ऑप्रेशन = चीरफाड, शल्य प्रक्रिया। तंग करना = परेशान करना। मुलाकाती = परिचित। बाँह = बाजू। कायदा = नियम। संतोष = शांति। पसीना आना = घबराहट होना। बेखबर = अनजान। सिस्टर = नर्स। पायताने = पाँयता। वह दिशा जिधर पैर फैलाकर सोया जाए। प्लीज = कृपया, फुर्सत = अवकाश। दिलासा देना = सांत्वना देना। अनसुना = जो सुना न गया हो। निगाहें = नजरें, शुक्रगुज़ार = एहसान मानने वाला। ख़्याल आना = ध्यान आना। इजाजत = अनुमति, आज्ञा। पुकार = आवाज़। आँखें बहना = रोना, ईर्ष्या = जलन। खामोश = चुपचाप। तुशी = तीखापन। आँखें पोंछना = आँसू पोंछना। सैड = उदास। विचलित = चंचल, अस्थिर।
नर्स Summary
नर्स लेखिका परिचय
जीवन-परिचय-श्रीमती कला प्रकाश सिंधी की सुप्रसिद्ध लेखिका हैं। उन्होंने हिंदी-साहित्य के लेखन में भी अपनी कुशलता को अच्छी तरह से प्रकट किया है। उनका जन्म 2 जनवरी, सन् 1934 ई० में कराची (पाकिस्तान) में हुआ था। उन्होंने एम० ए० तक की शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् महाराष्ट्र के उल्हास नगर के महाविद्यालय में प्राध्यापिका का कार्य किया। बाद में दुबई के विद्यालय में प्रधानाचार्या का कार्यभार सफलतापूर्वक निभाया। सन् 1953 ई० से अब तक इन्होंने सिंधी-साहित्य को संपन्नता प्रदान करने में सफलता प्राप्त की है। इनकी पहली कहानी ‘दोही बेदोही’ मुंबई की एक पत्रिका ‘नई दुनिया’ में छपी थी। .
रचनाएँ-
श्रीमती कला प्रकाश के रचित साहित्य है-
उपन्यास-‘हिक दिल हजार अरमान’, ‘शीशे जो दिल’, ‘हिक सपनों सुखन जी’, ‘हयाली होतन री’, ‘वक्त विथियू बिछोटिषु’, ‘आरसी अ-आड़ो’, ‘प्यार’, ‘पखन जी प्रीत’, ‘समुद्र-ए-किनारे’, ‘औखा पंथ प्यार जा’।
कहानी संग्रह–’मुर्क ए ममता’, ‘वारन में गुल’, ‘इंतजार’। .
काव्य संग्रह-‘ममता जूं लहरूं (1963)’, ममता जूं लहरू (2006)।
यात्रा वृत्तांत—’जे-हिअन्रे हुटन’।
साहित्यिक विशेषताएं-श्रीमती कला प्रकाश के लेखन की मुख्य दिलचस्पी महिलाओं से संबंधित विभिन्न विषयों में है। स्वयं नारी होने के कारण इन्हें नारी-संबंधी विषयों को प्रस्तुत करने में अपेक्षाकृत अधिक सफलता प्राप्त हुई है। इन्हें ‘आरसी-अ-आडो’ उपन्यास पर साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया था। इनकी पुस्तक ‘ममता तू लहरूं’ को अखिल भारतीय सिंधी अकादमी ने ‘बेस्ट बुक ऑफ दा ईयर’ घोषित किया था। इनके पति भी लेखक हैं और इन दोनों पति-पत्नी को साहित्य अकादमी अवार्ड मिल चुका है।
कला प्रकाश का सारा साहित्य भावात्मक है। इनकी रचनाओं में जहाँ पाठक आत्म-विभोर होता है वहीं दूसरी ओर पाठकों का मनोरंजन भी होता है। उनके मन में समसामयिक समस्याओं के प्रति भावनाएँ भी उद्वेलित होती हैं। इन्होंने समाज के प्रत्येक वर्ग में व्याप्त विषमताओं को उजागर किया है। इन्होंने समाज में जागरूकता लाने का भी सफल प्रयास किया है। इनके साहित्य में भावात्मकता की प्रधानता है।
नर्स कहानी का सार
कला प्रकाश द्वारा रचित ‘नर्स’ एक श्रेष्ठ कहानी है। यह कहानी एक नर्स के सेवाभाव और ममत्व को रोगी के हितों में प्रस्तुत करती है। इसमें बाल मनोविज्ञान की तरफ भी संकेत किया गया है।।
महेश छः साल का छोटा बच्चा था। उसका आप्रेशन हुआ था इसलिए वह अस्पताल में भर्ती था। अस्पताल में मरीज से मिलने का समय छ: बजे तक का था। लेकिन महेश की माँ सरस्वती समय पूरा हो जाने पर भी महेश की जिद्द के कारण वहाँ रुकी हुई थी। वह चाहकर भी जा नहीं पा रही थी। महेश अपनी माँ को अपने पास रोकना चाहता था। सरस्वती वार्ड में इधर-उधर देखने लगी। सभी बच्चे महेश को ताक रहे थे। सरस्वती को याद आया कि कुछ देर पहले नौ नंबर बैड वाले ने उसे बताया था कि ऑप्रेशन के बाद महेश माँ-माँ करके रो रहा था।
तब सरस्वती उस नौ नंबर बैड वाले बालक को महेश पास छोड़ कर जल्दी से अस्पताल के गेट के पास आ गई। उसकी आँखों से आँसू छलछला रहे थे। वार्ड में नौ नंबर वाला बच्चा महेश को समझा रहा था किंतु महेश कुछ सुनने को तैयार नहीं था। वह तो बस माँ की रट लगाए हुए था। कुछ देर बाद वह बच्चा वापस अपने बैड पर चला गया। थोड़ी देर बाद चारों ओर खामोशी छा गई। इस खामोशी में भी महेश की मम्मी-मम्मी की हिचकी गूंज रही थी। सात बजे मरीडा और मांजरेकर नाम की दो नर्से वार्ड में आईं। वे दोनों आपस में बातें कर रही थीं। मरीजों को दवाई खिला रही थीं। उनका बिस्तर ठीक कर रही थीं। चार नंबर बैड पर पहुँच कर मरींडा बच्चे से बोली कि उसका बिस्तर खिड़की के पास है और उसे बाहर का दृश्य देखना चाहिए न कि चादर में मुँह छिपाकर रोना चाहिए। मरीडा में बच्चों के प्रति अत्यंत लगाव और प्यार था। वह मांजरेकर से बच्चों के पास समय बिताने और बातें करने को कहती है लेकिन मांजरेकर यह कहकर टाल देती है कि साँस लेने तक की फुर्सत तो है नहीं बातें कब करेंगे।
दोनों नौं के जाने के बाद फिर से वार्ड में खामोशी समा गई। सभी के बैड एक जैसे थे। उनकी चादर तथा कंबल भी एक ही रंग के थे। बैड के साइड में एक कबर्ड भी था। उसे साइड टेबल की तरह काम में लिया जाता था। आठ बजे नर्स सूसान वार्ड में आई। उसे देखकर सभी बच्चों के चेहरों पर मुस्कान छा गई। नौ नंबर बैड का बच्चा तो उसके स्वागत में उठकर बैठ गया। वह बच्चों को दवाई पिलाने लगी। उनका बुखार चैक करने लगी। अंत में वह महेश के पास पहुँची। उससे प्यार से बातें करने लगी। उसने उसको बताया कि उसका भी एक बेटा है जिसका नाम महेश है किंतु वह अभी छोटा है केवल तीन महीने का है। वह उसे बहुत परेशान करता है। सूसान महेश को बातें बताती हुई सूप और दवाई पिला रही थी।
अपने ममत्व से उसने महेश को चुप करा दिया उसे दवाई भी पिला दी। महेश से रहा न गया और वह सूसान के बेटे के बारे में और जानने को उत्सुक होने लगा। उसने पूछा वह और क्या करता है। सूसान ने कहा वह अभी बोल नहीं सकता। लेकिन अगं, अगूं… गू, गूं आदि स्वर निकालता रहता है। सूसान बबलू के समान मुँह फुलाकर आवाजें निकालकर महेश को दिखाने लगी। महेश हँस पड़ा। सूसान ने महेश को कहा अब उसे जाना है जब ज़रूरत हो वह उसे बुला सकता है। दूसरे दिन जब सरस्वती महेश से मिलने अस्पताल आई तो वह बहुत विचलित थी कि उसका बेटा कैसा होगा? मम्मी को देखते ही महेश ने उसे गले से लगा लिया। उसने माँ से अपनी बहन मोना के बारे में पूछा क्या वह उसके आने पर रो रही थी ? माँ ने उसे बताया नहीं वह मोना को राजू के पास छोड़कर आई है।
तब महेश ने माँ को बताया कि सिस्टर सूसान का बेटा उसके आने पर बहुत रोता है। वह बहुत शैतान है। माँ के दिल पर सूसान का नाम छप गया। उसने महेश को बड़ा प्यार और दुलार जो दिया था। बाद में जब माँ को सूसान से पता लगा कि वह तो अभी अविवाहित थी और उसने महेश को सहज बनाने के लिए झूठ ही अपने विवाह की बात कही थी तो माँ उसके स्वभाव और बालमनोविज्ञान की समझ पर मुग्ध हो उठी थी।