Punjab State Board PSEB 10th Class Physical Education Book Solutions ऐथलैटिक्स (Athletics) Game Rules.
ऐथलैटिक्स (Athletics) Game Rules – PSEB 10th Class Physical Education
खेल सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण जानकारी
- ऐथलैटिक्स प्रतियोगिताओं में कोई भी खिलाड़ी नशीली चीज़ों या दवाइयों का प्रयोग करके भाग नहीं ले सकता।
- जो खिलाड़ी अन्य खिलाड़ियों के लिए किसी प्रकार की बाधा प्रस्तुत करे, उसे अयोग्य घोषित किया जाता है। जो खिलाड़ी दौड़ते हुए अपनी इच्छा से ट्रैक को छोड़ता है, वह पुनः दौड़ जारी नहीं कर सकता।
- फील्ड इवेंट्स में दो तरह के इवेंट्स आते हैं-जम्पिंग इवेंट्स और थ्रो इवेंटस। ट्रैक इवेंट्स में वह दौड़ आती हैं जो ट्रैक में दौड़ी जाती हैं।
- 200 मीटर ट्रैक की लम्बाई 40 मीटर तथा चौड़ाई 38.18 मीटर होती है, 400 मीटर ट्रैक की लम्बाई 77 मीटर तथा चौड़ाई 67 मीटर होती है।
- जैवलिन थ्रो का भार 805 से 825 ग्राम होता है और लड़कियों के लिए चौड़ाई 605 से 620 ग्राम तक होता है। डिसक्स का भार लड़कों के लिए 2 कि० ग्राम होता है। गोला, हैमर या डिसक्स थ्रो के समय यह आवश्यक है कि 40° के सैक्टर में लैंड करे। गोला फेंकने का भार 7 किलोग्राम निश्चित किया गया है।
प्रश्न 1.
ऐथलैटिक्स प्रतियोगिता करवाने के लिए कौन-कौन से अधिकारियों की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
ऐथलैटिक्स प्रतियोगिता करवाने के लिए आगे लिखे अधिकारियों की आवश्यकता होती है—
ऐथलैटिक्स के लिए अधिकारी
(Officials for the meet)
- रैफ़री ट्रैक के लिए (Referee for Track Events)
- रैफ़री फील्ड इवेंट्स के लिए (Referee for Field Events)
- रैफ़री वाकिंग इवेंट्स (Referee for Walking Events)
- जज ट्रैक इवेंट्स (Judge for Track Events)
- जज फील्ड इवेंट्स (Judge for Field Events)
- जज वाकिंग इवेंट्स (Judge for Walking Events)
- अम्पायर (Umpire)
- टाइम कीपर (Time Keeper)
- स्टार्टर (Starter)
- सहायक स्टाटर (Asst. Starter)
- मार्क मैन (Markman)
- लैप स्कोरर (Lap Scorer)
- रिकॉर्डर (Recorder)
- मार्शल (Marshall)
दूसरे अधिकारी
(Additional Officials)
- अनाउंसर (Announcer)
- आफिशल सर्वेयर (Official Surveyer)
- डॉक्टर (Doctor)
- सटुअरडज (Stewards)
ट्रैक इवेंट्स पुरुषों के लिए
100 — मीटर रेस
200 — मीटर रेस
400 — मीटर रेस
800 — मीटर रेस
1500 — मीटर रेस
3,000 — मीटर दौड़
5,000 — मीटर दौड़
10,000 — मीटर दौड़
42,195 — मीटर या 26 मील दौड़
3,000 — मीटर स्टीपल चेज़
20,000 — मीटर वाकिंग
30,000 — मीटर वाकिंग
50,000 — मीटर वाकिंग
महिलाओं के लिए ट्रैक इवेंट्स
100 — मीटर रेस
200 — मीटर रेस
400 — मीटर रेस
800 — मीटर रेस
1500 — मीटर रेस
हरडल दौड़ें पुरुषों के लिए
110 — मीटर हर्डल दौड
200 — मीटर हर्डल दौड़
400 — मीटर हर्डल दौड़
महिलाओं के लिए हरडल दौड़
100 — मीटर हर्डल दौड़
200 — मीटर हर्डल दौड़
रीले दौड़ें पुरुषों के लिए
4 × 100 — मीटर
4 × 200 — मीटर
4 × 400 — मीटर
4 × 800 — मीटर
4 × 1500 — मीटर
महिलाओं के लिए रिले दौड़
4 × 100 — मीटर
4 × 200 — मीटर
4 × 400 — मीटर
मैडल रिले रेस
800 × 200 × 200 × 400
6. 110 मीटर हर्डल्ज़ लड़कों के लिए हर्डलों की ऊंचाई 1.06 मीटर होती है। जूनियर लड़कियों के लिए 1.00 मीटर हर्डल्ज़ की ऊंचाई, 0.76, मीटर और सीनियर लड़कियों के लिए 0.89 मीटर होती है।
प्रश्न 2.
ट्रैक इवेंट्स के लिए एथलीटों के लिए निर्धारित नियमों के बारे लिखें।
ऐथलैटिक्स
(Athletics)
ऐथलैटिक्स ऐसी खेलें हैं जिनमें दौड़ना (Running), कूदना (Jumping) और फेंकना (Throwing) आदि इवेंट्स (Events) सम्मिलित होते हैं। एथलीट ऐसा धावक है जो दौडने वाले, कदने वाले और फेंकने वाले इवेंट्स में भाग ले। (An athlete is one who takes part in running events, jumping events and throwing etc. or one who takes part in tracks and field events.)
प्रश्न 3.
ट्रैक इवेंट्स में कितने इवेंट्स होते हैं ?
उत्तर-
ऐथलैटिक्स दो प्रकार की होती है-Track Events और Field Events | भाव कुछ एथलीट Track Events में भाग लेते हैं और कुछ Field Events में। . ट्रैक इवेंट्स में छोटी दौड़ें (Sprint or Short Distance Races), मध्य दूरी वाली दौड़ें (Middle Distance Races) और लम्बी दौड़ें (Long Distance Races) आती हैं। फील्ड इवेंट्स में कूदने वाली इवेंट्स जैसे लम्बी छलांग (Long Jump), ऊंची छलांग (High Jump), पोल वाल्ट जम्प (Pole Vault Jump) और ट्रिपल्ल जम्प (Triple Jump) और फेंकने वाले इवेंट्स जैसे गोला फेंकना (Short put or Putting the Shot), पाथी फेंकना (Discuss Throw), भाला फेंकना (Javelin Throw) और हैमर फैंकना (Hammer Throw) आदि सम्मिलित हैं।
ट्रैक
(TRACK)
ट्रैक दो प्रकार के होते हैं- एक 400 मीटर वाला ट्रैक और दूसरा 200 मीटर का ट्रैक। Standard ट्रैक का नाम 400 मीटर वाले ट्रैक को ही दिया जा सकता है। इस ट्रैक में कमसे-कम 6 लेन (Lanes) और अधिक-से-अधिक 8 लेन (Lanes) होती हैं।
Track Events Races : Short Middle and Long
SPRINTING
स्प्रिंटिंग (Sprinting)–स्प्रिंट वह रेस होती है जो प्रायः पूरी शक्ति और पूरी गति से दौड़ी जाती है। इसमें 100 मीटर और 200 मीटर की दौड़ें आती हैं। आजकल तो 400 मीटर रेस को भी इसमें गिना जाने लगा है। इस प्रकार की दौड़ों में प्रतिक्रिया (Reaction), टाइम और गति (Speed) का बहुत महत्त्व है।
- स्टार्ट्स (Starts) कम दूरी की दौड़ों में प्रायः निम्नलिखित प्रकार के तीन स्टार्ट लिये जाते हैं
- बंच स्टार्ट (Bunch Start)
- मीडियम स्टार्ट (Medium Start)
- इलोंगेटेड स्टार्ट (Elongated Start)
बंच स्टार्ट (Bunch Start)-इस प्रकार के स्टार्ट के लिए ब्लाकों के बीच दूरी 8 इंच से 10 इंच के बीच होनी चाहिए और आगे वाला स्टार्ट स्टार्टिंग लाइन से लगभग 19 इंच के करीब होना चाहिए। एथलीट इस प्रकार ब्लाक में आगे को झुकता है कि पिछले पांव की टो और अगले पांव की एड़ी एक-दूसरे के समान स्थित हों। हाथ स्टार्टिंग लाइन पर ब्रिज बनाए हुए हों और स्टार्टिंग लाइन से पीछे हों। इस प्रकार के स्टार्ट में जब Set Position का आदेश होता है, Hips को ऊंचा ले जाया जाता है। यह स्टार्ट सबसे अधिक अस्थिर होता है।
मीडियम स्टार्ट (Medium Start)-इस प्रकार के स्टार्ट में ब्लाकों के बीच की दूरी 10 से 13 इंच के बीच होती है और स्टार्टिंग लाइन से पहले ब्लाक की दूरी लगभग 15 इंच के बीच होती है। प्रायः एथलीट इस प्रकार के स्टार्ट का प्रयोग करते हैं। इसमें पिछले पांव का घुटना और अगले पांव का बीच वाला भाग एक सीध में होते हैं और Set Position पर Hips तथा कंधे लगभग एक-सी ऊंचाई पर ही होते हैं।
इलोंगेटेड स्टार्ट (Elongated Start)-इस प्रकार का स्टार्ट बहुत कम लोग लेते हैं। इसमें ब्लाकों (Starting Block) के बीच की दूरी 25 से 28 इंच के बीच होती है। पिछले पांव का घुटना लगभग अगले पांव की एड़ी के सामने होता है।
स्टार्ट लेना (Start)-जब किसी भी रेस के लिए स्टार्ट लिया जाता है तो तीन प्रकार के आदेशों पर कार्य करना पड़ता है।
- आन यूअर मार्क (On Your Mark)
- सैट पोजीशन (Set Position)
- पिस्तौल की आवाज़ पर जाना (Go)
दौड़ का अन्त (Finish of the Race)-दौड़ का अन्त बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है। आमतौर पर खिलाड़ी तीन प्रकार से दौड़ को समाप्त करते हैं। ये इस प्रकार हैं—
- दौड़ कर सीधा आगे निकल जाना (Run Through)
- आगे को झुकना (Lunge)
- कन्धा आगे करना (The shoulders String)
मध्यम दरी की दौड़ें (Middle Distance Races)-ट्रैक इवेंटों में कुछ दौड़ें मध्यम दूरी की होती हैं। आमतौर पर उन दौड़ों को, जो 400 गज़ के ऊपर और 1000 गज़ से नीचे की होती हैं, इस श्रेणी में गिना जाता है। ये दौड़ें 400 मीटर और 800 मीटर की होती हैं। इन दौड़ों में गति और सहनशीलता दोनों की आवश्यकता होती है, और वही एथलीट इसमें सफल होता है जिसके पास ये दोनों चीजें हों। इस प्रकार की दौड़ों में आमतौर पर एक-जैसी गति बनाए रखी जाती है और अन्त में पूरा जोर लगा कर दौड़ को जीता जाता है। 400 मीटर का स्टार्ट तो स्प्रिंग की तरह ही लिया जाता है जबकि 800 मीटर का स्टार्ट केवल खड़े होकर ही लिया जा सकता है। जहां तक हो सके इस दौड़ में कदम (Strides) बड़े होने चाहिएं।
लम्बी दूरी की दौड़ें (Long Distance Races)-लम्बी दूरी की दौड़ों जैसे कि नाम से ही मालूम होता है, दूरी बहुत अधिक होती है और प्रायः ये दौड़ें एक मील से ऊपर की होती हैं। 1500 मीटर, 3000 मीटर और 5000 मीटर दूरी वाली दौड़ें लम्बी दूरी वाली रेसें हैं। इनमें एथलीट की सहनशीलता (Endurance) का अधिक योगदान है। लम्बी दूरी की दौड़ों में एथलीट को अपनी शक्ति और सामर्थ्य का प्रयोग एक योजनाबद्ध ढंग से करना होता है और जो एथलीट इस कला को प्राप्त कर जाते हैं वे लम्बी दूरी की दौड़ों में सफल हो जाते हैं।
इस प्रकार की दौड़ों में दौड़ के आरम्भ को छोड़ कर सारी दौड़ में एथलीट का शरीर सीधा और आगे की और कुछ झुका रहता है तथा सिर सीधा रखते हुए ध्यान ट्रैक की ओर रखा जाता है। बाजू ढीली सी आगे की ओर लटकी होती है जबकि कोहनियों के पास से बाजू मुड़े होते हैं और हाथ बिना किसी तनाव के थोड़े से बन्द होते हैं। बाजू और टांगों के एक्शन जहां तक हो सके बिना किसी अधिक शक्ति व प्रयत्न के होने चाहिएं। दौड़ते समय पांव का आगे वाला भाग धरती पर आना चाहिए और एड़ी भी मैदान को छूती है, परन्तु अधिक पुश (Push) टो से ही ली जाती है। इस प्रकार की दौड़ों में कदम (Strides) छोटे और अपने आप बिना अधिक बढ़ाए होने चाहिएं। सारी दौड़ में शरीर बहुत Relaxed होना चाहिए।
इस प्रकार की दौड़ को समाप्त करते समय शरीर में इतना बल (Stamina) और गति होनी चाहिए कि एथलीट अपनी रेस को लगभग फिनिश लाइन से पांच-सात गज़ आगे तक समाप्त करने का इरादा रखे तो ही अच्छे परिणामों की आशा की जा सकती है।
ट्रैक इवेंट्स
(TRACK EVENTS)
ट्रैक इवेंट्स में 100, 200, 400 तथा 800 मीटर तक की दौड़ आती है।
प्रश्न 4.
200 मीटर और 400 मीटर के ट्रैक की चित्र के साथ बनावट लिखें।
उत्तर-
200 मीटर के ट्रैक की बनावट
(Track for 200 Metre)
200 मीटर के ट्रैक की लम्बाई 94 मीटर तथा चौड़ाई 53 मीटर होती है। इसकी बनावट का विवरण नीचे दिया गया है—
ट्रैक की कुल दूरी = 200 मीटर
दिशाओं की लम्बाई = 40 मीटर
दिशाओं द्वारा रोकी गई दूरी = 40 × 2 = 80 मीटर
कोनों में रोकी जाने वाली दूरी = 120 मीटर
व्यास 120 मीटर ÷ 2r = 19.09 मीटर
दौड़ने वाली दूरी का व्यास = 19.09 मीटर
प्रतिफल मार्किंग व्यास. = 18.79 मीटर
1.22 मीटर (4 फुट) चौड़ी लाइनों के लिए स्टैगर्ज
लेन | मीटर |
पहली | 0.00 |
दूसरी | 3.52 |
तीसरी | 7.35 |
चौथी | 11.19 |
पांचवीं | 15.02 |
छठी | 18.86 |
सातवीं | 26.52 |
आठवीं | 26.52 |
400 मीटर ट्रैक की बनावट
कम-से-कम माप = 170.40 × 90.40 मीटर
ट्रैक की कुल दूरी = 600 मीटर
सीधी लम्बाई = 80 मीटर
दोनों दिशाओं की दूरी = 80 × 2 = 160 मीटर
वक्रों (Curves) की दूरी = 240 मीटर
व्यास 240 मीटर ÷ 2r = 38.18 मीटर
छोड़ने वाली दूरी का अर्द्धव्यास = 38.18 मीटर
मार्किंग अर्द्धव्यास = 37.88 मीटर
(i) 400 मीटर लेन [चौड़ाई 1.22 (4 फुट)] के लिए स्टैगर्ज
लेन | मीटर |
पहली | 0.00 |
दूसरी | 7.04 |
तीसरी | 14.71 |
चौथी | 22.38 |
पांचवीं | 30.05 |
छठी | 37.72 |
सातवीं | 45.39 |
आठवीं | 53.06 |
प्रश्न 5.
हर्डल दौड़ों के विषय में आप संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
100 मीटर बाधा महिला दौड़
(100 Metre Women Hurdle)
100 मी० बाधा दौड़ 1968 से प्रारम्भ की गई है। सामान्यत: महिला धाविका 13 मीटर दूर स्थित प्रथम बाधा तक की दूरी 8 डगों में पूरी कर लेती है। उछाल 1.95 मीटर से लेकर बाधा को पार कर 11 मीटर की दूरी पर उनके ये डग पूरे होते हैं। बाधा के बीच तीन डग पूरे करने पर पुन: उछाल 200 मी० की दूरी से लिया जाता है। इस प्रकार वे 8.50 मी० की दूरी तय करती है।
बाधा पार करते समय महिला धाविकाओं को अपने शरीर के ऊपरी भाग को आगे की ओर अधिक नहीं झुकाना चाहिए और न ही उछाल के समय अपने घुटने को अधिक ऊंचा उठाना चाहिए। बाधा को पार करने की विधि वही अपनानी चाहिए जो 400 मी० हर्डल में अपनायी जाती है।
भिन्न-भिन्न प्रतियोगिता के लिए हर्डल की गिनती, ऊंचाई और दूरी निम्नलिखित हैं—
110 मीटर बाधा दौड़
(110 Metre Hurdle Race)
सामान्यत: बाधा दौड़ के धावक (Runner) पहली बाधा तक पहुंचने में 8 कदम लेते हैं। प्रारम्भ स्थल (Starting Block) पर बैठते समय अधिक शक्ति वाले पैर (Take off Foot) को आगे रखा जाता है। धावक यदि लम्बा है और अधिक तेज़ दौड़ सकने की क्षमता रखता है तो उस स्थिति में यह दूरी उसके लिए कम पड़ सकती है। उस दशा में थोड़ा अन्तर होने पर प्रारम्भ स्थल की दूरी के बीच की दूरी कम करके तालमेल बैठाने का प्रयास होना चाहिए, किन्तु ऐसा करने पर यदि धावक असुविधा अनुभव करता है तो बाधा को मात्र कदमों में ही पार कर लेना चाहिए। ऐसी स्थिति में शक्तिशाली पैर पीछे के प्रशल (Block) पर रख कर धावक दौड़ेगा। अतः शक्तिशाली पैर बाधा से लगभग 2 मीटर पाछे आयेगा। आरम्भ में धावक को उसे 5 कदम तक अपनी दृष्टि नीचे रखनी चाहिए और बाद में हर्डिल पर ही दृष्टि केन्द्रित होनी चाहिए। आरम्भ से अन्त तक कदमों के बीच का अन्तर निरन्तर बढ़ता ही जायेगा। किन्तु अन्तिम कदम उछाल कदम से लगभग 6 इंच (10 सैं० मी०) छोटा ही रहेगा।
सामान्य दौड़ों की तुलना में बाधा दौड़ में दौड़ते समय धावक के घुटने अपेक्षाकृत अधिक ऊपर आयेंगे और ज़मीन पर पूरा पैर न रख कर केवल पैर के
बाधा को पार करते समय उछाल पैर को सीधा रखना चाहिए तथा आगे के पैर को घुटने से ऊपर उठाना चाहिए। पैर का पंजा ज़मीन की ओर नीचे की ओर झुका हुआ रखना चाहिए, आगे के पैर को एक साथ सीधा करते हुए बाधा के ऊपर से लाना चाहिए, और शरीर का ऊपर का भाग आगे की ओर झुका हुआ रखना चाहिए। हर्डिल को पार करते ही अगले पैर की जांघ को नीचे दबाते रहना चाहिए कि जिस से बाधा पार हो जाने के बाद पंजा बाधा से अधिक दूरी पर न पड़ कर उसके पास ही ज़मीन पर पड़े। इसके साथ ही पीछे के पैर को घुटने से झुका कर बाधा के ऊपर से ज़मीन के समानान्तर रख कर घुटने को सीने के पास से आगे लाना चाहिए। इस प्रकार पैर आगे आते ही धावक तेज़ दौड़ने के लिए तत्पर रहेगा।
बाधा पार करने के उपरान्त पहला डग (कदम) 1.55 से 1.60 मीटर की दूरी पर, दूसरा 2.10 मीटर का तथा तीसरा लगभग 2.20 मीटर के अन्तर पर पड़ना चाहिए। (13.72 मी०, 9.14 मी०, 14.20 मी०)
400 मीटर बाधा (पुरुष तथा महिला)
(400 Metres Hurdles Men and Women)
सामान्यतः धावक को इस दौड़ में सर्वाधिक असुविधा अपने डगों के बीच तालमेल बैठाने में होती है। प्रारम्भ में प्रथम बाधा के बीच की दूरी को लोग सामान्यत: 21 से 23 डगों में पूरा कर लेते हैं और बाधा के बीच में 13-15 अथवा 17 डग रखते हैं। कुछ धावक प्रारम्भ में 14 और बाद में 16 कदमों में इस दूरी को पूरा कर लेते हैं। दाहिने पैर से उछाल लेने से लाभ होने की अधिक सम्भावना होती है। सामान्यतः उछाल 2.00 मीटर से लिया जाता है और पहला डग बाधा को पार कर जो ज़मीन पर पड़ता है, वह 1.20 मीटर का होता है। इसकी तकनीक 110 व 100 मीटर बाधाओं की ही भान्ति होती है। 400 मीटर दौड़ के समय से (सैकण्ड) 2-5 से 3-5 से 400 मीटर बाधा का समय अधिक आता है। 200 मीटर तथा प्रथम (220-2-5 से) = 25-5 से हर्डिल का समय।
200 मीटर दूसरा भाग (24-5-3-0 से) = 27-5 से = 52-00 में 400 मीटर हिर्डिल का समय।
अभ्यास के समय प्रत्येक हर्डिल पर समय लेकर पूरी दौड़ का समय निकालने की विधि।
प्रश्न 6.
फील्ड इवेंट्स में कौन-कौन से इवेंट्स होते हैं ? संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
लम्बी कूद
(Long Jump)
- रनवे की लम्बाई = 40 मीटर से 45 मीटर
- रनवे की चौड़ाई = 1.22 मीटर
- पिट की लम्बाई = 10 मीटर
- पिट की चौड़ाई = 2.75 से 3 मीटर
- टेक ऑफ बोर्ड की लम्बाई = 1.22 मीटर
- टेक ऑफ बोर्ड की चौड़ाई = 20 सैंटी मीटर
- टेक ऑफ बोर्ड की गहराई = 10 सैंटी मीटर।
लम्बी कूद की विधि
(Method of Long Jump)
- कूदने वाले पैर को मालूम करने के लिए लम्बी कूद में उसी प्रकार से करेंगे जैसे ऊंची कूद में किया गया था।
सर्वप्रथम कूदने वाले पैर को आगे सीधा रखेंगे और स्वतन्त्र पैर को इसके पीछे। यदि आप का कूदने वाला पैर बायां है तो बाएं पैर को आगे और दायें पैर को पीछे रख कर दायें घुटने से झुका कर ऊपर की ओर ले जायेंगे। और इसके साथ ही दायें हाथ को कुहनी से झुका कर रखेंगे। विधि उसी प्रकार से होगी जैसे कि तेज़ दौड़ने वाले करते हैं।
इस क्रिया को पहले खड़े होकर और बाद में चार-पांच कदम चल कर करेंगे। जब यह क्रिया ठीक प्रकार से होने लगे तब थोड़ा दौड़ते हुए यही क्रिया करनी चाहिए। इस समय ऊपर जाते समय ज़मीन को छोड़ देना चाहिए।
Long Jump
- छ: या सात कदम दौड़ कर आगे आयेंगे और ऊपर जा कर कूदने वाले पैर पर ही नीचे जमीन पर आयेंगे। इसमें शरीर का भाग सीधा रहेगा जैसे कि ऊंची कूद में रहता है। अगले स्वतन्त्र पैर ज़मीन पर आयेंगे। इस क्रिया को कई बार दुहराने के बाद ज़मीन पर आते समय कूदने वाले पैर को भी स्वतन्त्र पैर के साथ ही ज़मीन पर ले आएंगे।
- ऊपर की क्रिया को कई बार करने के पश्चात् एक रूमाल लकड़ी में बांध कर कूदने वाले स्थान से थोड़ी ऊंचाई पर लगाएंगे और कूदने वाले बालकों को रूमाल को छूने को कहेंगे। ऐसा करने से एथलीट (Athlete) ऊपर जाना तथा शरीर के ऊपरी भाग को सीधा रखना सीख जाएगा।
अखाड़े में गिरने की विधि (लैंडिंग)
(Method of Landing)
- दोनों पैरों को एक साथ करके एथलीट पिट (Pit) के किनारे पर खड़े हो जाएंगे। भुजाओं को आगे-पीछे की ओर हिलाएंगे और (Swing) करेंगे। साथ में घुटने भी झुकाएंगे
और भुजाओं को एक साथ पीछे ले जाएंगे। इसके पश्चात् घुटने को थोड़ा अधिक झुका कर भुजाओं को तेजी के साथ आगे और ऊपर की ओर ले जाएंगे और दोनों पैरों के साथ अखाड़े (Pit) में जम्प करेंगे। इस समय इस बात का ध्यान रहे कि पैर गिरते समय जहां तक सम्भव हो, सीधे रखने चाहिएं और इसके साथ ही पुट्ठों को आगे धकेलना चाहिए जिससे कि शरीर में पीछे झुकाव (Arc) बन सके जो कि हैंग स्टाइल (Hang Style) के लिए बहुत ही आवश्यक है। - एथलीट्स (Athietes) को सात कदम कूदने को कहेंगे। कूदते समय स्वतन्त्र पैर के घुटने को हिप (Hip) के बराबर लाएंगे। जैसे ही एथलीट (Athlete) हवा में थोड़ी ऊंचाई लेगा, स्वतन्त्र पैर को पीछे की ओर तथा नीचे की ओर लाएंगे जिससे वह कूदने वाले पैर के साथ मिल सके। कूदने वाला पैर घुटने से जुड़ा होगा और शरीर का ऊपरी भाग सीधा होगा। दोनों भुजाओं को पीछे की और तथा ऊपर की ओर गोलाई में ले जाएंगे। जब खिलाड़ी हवा में ऊंचाई लेता है, उस समय उसके दोनों घुटनों से झुके हुए पैर जांघ की सीध में होंगे। दोनों भुजाएं सिर की बगल में ओर ऊपर की ओर होंगी। शरीर पीछे की ओर गिरती हुई दशा में होगा तथा जैसे ही एथलीट्स (Athletes) अखाड़े (Pit) में गिरने को होंगे, वे स्वतन्त्र पैर घुटने से झुका कर आगे को तथा ऊपर को ले जाएंगे, पेट के नीचे की ओर लाएंगे तथा पैरों को सीधा करके ऊपर की दशा में हवा में रोकने का प्रयास करेंगे।
हिच किक की विधि
(Method of Hitch Kick)
- जम्प करने के पश्चात् Split हवा में, पैरों को आगे-पीछे करके, स्वतन्त्र पैर पर लैंडिंग (Landing) करना, परन्तु ऊपरी भाग तथा सिर सीधा रहेगा, पीछे की ओर नहीं आएगा।
- इस बार हवा में स्वतन्त्र पैर को रखेंगे और कूदने वाले पैर को आगे ले जाकर लैंडिंग (Landing) करेंगे।
- अन्य सभी विधियां उसी प्रकार से होंगी जैसे कि ऊपर बताया गया है। केवल स्वतन्त्र पैर को लैंडिंग (Landing) करते समय टेक ऑफ पैर के साथ ले जाएंगे और दोनों पैरों पर एक साथ ज़मीन पर आएंगे। अन्य सभी शेष विधियां उसी प्रकार से होंगी जैसे कि हैंग (Hang) में दर्शाया गया है। एथलीट्स (Athletes) को दौड़ने का पथ (Approach . run) धीरे-धीरे बढ़ाते रहना चाहिए।
- ऊपर की क्रिया को कई बार करने के पश्चात् इस क्रिया को स्प्रिंग बोर्ड (Spring Board) की सहायता से करना चाहिए जैसा कि जिमनास्टिक (Gymnastic) वाले करते हैं। स्प्रिंग बोर्ड (Spring-Board) के अभाव में इस क्रिया को किसी अन्य ऊंचे स्थान से भी किया जा सकता है जिससे एथलीट्स को हवा में सही क्रिया विधि करने का अभ्यास हो जाए।
ट्रिपल जम्प
(Triple Jump)
अप्रोच रन (Approach Run)-लम्बी कूद की भान्ति इसमें भी अप्रोच रन लिया जाएगा, परन्तु स्पीड (Speed) न अधिक तेज़ और न अधिक धीमी होगी।
अप्रोच रन की लम्बाई (Length of Approach Run)-ट्रिपल जम्प में 18 से 22 कदम या 40 से 45 मीटर के लगभग अप्रोच रन लिया जाता है। यह कूदने वाले पर निर्भर करता है कि उसके दौड़ने की गति कैसी है। धीमी गति वाला लम्बा अप्रोच लेगा जबकि अधिक गति वाला छोटा अप्रोच लेगा। दोनों पैरों को एक साथ रखकर दौड़ना प्रारम्भ करेंगे तथा दौड़ने की गति को सामान्य रखेंगे। शरीर का ऊपरी भाग सीधा रहेगा।
- रनवे की लम्बाई । = 40 मी० से 45 मीटर
- रनवे की चौड़ाई = 1.22 मीटर
- पिट की लम्बाई = टेक आफ बोर्ड से पिट समेत 21 मीटर
- पिट की चौड़ाई = 2.75 मीटर से 3 मीटर
- टेक ऑफ बोर्ड से पिट तक लम्बाई = 11 मीटर से 13 मीटर
- टेक ऑफ बोर्ड की लम्बाई = 1.22 मीटर
- टेक ऑफ बोर्ड की चौड़ाई = 20 सैंटी मीटर
- टेक ऑफ बोर्ड की गहराई = 10 सैंटी मीटर।
TRIPLE JUMP
टेक ऑफ (Take off) लेते समय घुटना लम्बी कूद की अपेक्षा इसमें कम झुका होगा। शरीर का भार टेक ऑफ एवं होप स्टेप (Hop, Step) लेते समय पीछे रहेगा तथा दोनों बाजू भी पीछे रहेंगे। दूसरी टांग तेज़ी से हवा में आकर सप्लिट पोजीशन (Split Position) बनाएगी। ट्रिपल जम्प में मुख्यतया तीन प्रकार की तकनीक (Technique) प्रचलित है—
- फ्लैट तकनीक
- स्टीप तकनीक
- मिक्सड तकनीक।
ऊंची कूद
(High Jump)
- रनवे की लम्बाई = 15 मी० से 25 मी०
- तिकोनी क्रॉस बार की प्रत्येक भुजा = 130 मि०मी०
- क्रॉस बार की लम्बाई = 3.98 मी० से 4.02 मी०
- क्रॉस बार का वज़न = 2 कि० ग्राम०
- पिट की लम्बाई = 5 मी०
- पिट की चौड़ाई = 4 मी०
- पिट की ऊंचाई = 60 सैं०मी०
(1) समस्त प्रतियोगियों को पहले दोनों पैरों पर एक साथ अपने स्थान पर ही कूदने को कहेंगे। कुछ समय उपरान्त एक पैर पर कूदने के आदेश देंगे। ऊपर उछलते समय यह ध्यान रहे कि शरीर का ऊपरी भाग सीधा रहे एवं दस बार ही कूदा जाए। इस तरह जिस पैर पर कूदने पर आसानी प्रतीत हो उसी को उछाल (उठना) पैर (Take off foot) मान । कर प्रशिक्षक को निम्नलिखित दो भागों में बांट देना चाहिए—
- बायें पैर पर कूदने वाले तथा
- दायें पैर पर कूदने वाले।
(2) दो रेखाओं में प्रतियोगी अपने उछाल पैर (Take off Foot) को आगे रख कर दूसरे पैर को पीछे रखेंगे। दोनों भुजाओं को एक साथ पीछे से आगे, कुहनियों से मोड़ करके आगे, ऊपर की ओर तेज़ी से जाएंगे। इसके साथ ही पीछे रखे पैर को भी ऊपर किक (Kick) करेंगे, और ज़मीन से उछाल कर पुन: अपने स्थान पर वापस उसी पैर पर आएंगे।
इस समय उछाल पैर (Take off Foot) वाले पैर का घुटना भी ऊपर उठते समय थोड़ा मुड़ा होगा। परन्तु शरीर का ऊपरी भाग सीधा रहेगा, एवं आगे न जा कर ऊपर उठेगा तथा उसी स्थान पर वापस आयेगा। ऊपर जाते समय कमर तथा आगे का पैर सीधा रखने का प्रयास किया जाए।
(3) प्रतियोगियों को 45° पर बायें पैर वाले बाएं और दायें पैर से कूदने वाले दायीं ओर खड़े होकर क्रॉस छड़ (Cross bar) को लगभग दो फुट (60 सम) की ऊंचाई पर रख कर आगे चलते हुए ऊपर की भान्ति ही उछाल कर क्रॉस छड़ (Cross bar) को पार करेंगे और ऊपर जाकर नीचे आते समय उसी उछाल पैर (Take off Foot) पर वापिस आएंगे। केवल भिन्नता इतनी होगी कि अपने स्थान पर वापस न आकर आगे क्रॉस छड़ को पार करके गिरेंगे तथा दूसरा पैर पहले पैर के आने के उपरान्त आगे 10 या 12 इंच (25 सम) पर आएगा तथा आगे चलते जाएंगे, परन्तु यह ध्यान रखा जाए कि किक करते समय घुटना झुका हो। शरीर का ऊपरी भाग सीधा रखने का प्रयास किया जाए तथा दोनों भुजाओं को तेज़ी से ऊपर ले जाएंगे, परन्तु जब दोनों हाथ कंधों की सीध में पहुंचेंगे तो उसी स्थान पर वापिस गिरना होगा।
HIGH JUMP
MEASURE TO THE UPPER OF THE BAR
(4) क्रॉस बार (Cross Bar) की ऊंचाई को बढ़ाएंगे तथा प्रशिक्षकों को टेक ऑफ़ (take off) पर आते समय टेक ऑफ़ फुट (Take off Foot) को लम्बा करने को कहेंगे, परन्तु यह ध्यान में रखेंगे कि इस समय एड़ी पहले ज़मीन पर आये। दोनों भुजाएं कुहनियों से मुड़ी हुई हों।
कूदते समय ध्यान क्रॉस बार (Cross Bar) पर होगा। सिर शरीर से कुछ पीछे की ओर झुका होगा तथा पीछे के पैर को ऊपर करते समय पैर का पंजा ऊपर की ओर कर सीधा होगा।
इस समय क्रॉस बार (Cross Bar) को प्रशिक्षक के सिर से दो फुट (60 से०मी०) ऊंचा रखेंगे तथा प्रत्येक को ऊपर बताई गई क्रिया के अनुसार क्रॉस बार को अपनी फ्री लैग (Free Leg) से किक (Kick) करने को कहेंगे।
इसमें निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखेंगे—
- दोनों भुजाओं को एक साथ तेज़ी से ऊपर ले जाएगा।
- टेक ऑफ़ फुट (Take off Foot) उस समय ज़मीन छोड़ेगा जबकि फ्री लैग अपनी पूर्ण ऊंचाई तक पहुंच जाएगी।
- ऊपर बताई गई प्रक्रिया को जोगिंग (Jogging) के साथ भी किया जाएगा।
(5) क्रॉस बार (Cross bar) को दो फुट (60 सेमी०) के ऊपर रख कर खिलाड़ी को नं० 3 की भान्ति क्रॉस छड़ (Cross bar) पार करने को कहेंगे। केवल इतना अन्तर होगा कि क्रॉस बार पार करने के उपरान्त अखाड़े में आते समय हवा में 90 डिग्री पर घूमेंगे। बायें पैर से टेक ऑफ़ (Take off) लेने वाले बायीं तरफ घूमेंगे तथा दायें पैर पर टेक ऑफ़ (Take off) लेने वाले दायीं तरफ घूमेंगे।
इसमें निम्नलिखित दो बातों का विशेष ध्यान रखा जाएगा—
- खिलाड़ी उछाल (Take Off) लेते समय ही न घूमें तथा
- पूर्ण ऊंचाई प्राप्त करने से पहले घूमें।
स्ट्रैडल रोल
(Straddle Roll)
(6) टेक ऑफ़ फुट (Take off Foot) को आगे रख कर खड़े होंगे, पर यह ध्यान रहे कि शरीर का भार एड़ी पर होना चाहिए तथा फ्री लैग को पीछे रखेंगे। दोनों हाथों को एक साथ तेज़ी से आगे लायेंगे और फ्री लैग (Free Leg) को ऊपर की ओर किक (Kick) करेंगे जिससे शरीर का समस्त भाग ज़मीन से ऊपर उठ जाये।
(7) ज़मीन पर चूने की समानान्तर रेखा डालेंगे। एथलीट इस चूने की रेखा के दाहिनी ओर खड़े होकर उपर्युक्त प्रक्रिया को करेंगे। ऊपर हवा में पहुंचते ही बायीं ओर टेक ऑफ़ (Take off) को घुमायेंगे, चेहरा नीचे करेंगे तथा पिछले पैर को किक (Kick) पर उठायेंगे।
इसमें मुख्यतः यह ध्यान रखा जाए कि फ्री लैग (Free Leg) को सीधी किक (kick) किया जाए। टेक ऑफ़ लैग (Take off Leg) को सीधा किक करके घुटना मोड़ (Bend) पर ऊपर ले जायेंगे। खिलाड़ी क्रॉस बार (Cross bar) पार करने के उपरान्त अखाड़े में रोज़ अभ्यास कर सकते हैं क्योंकि टेक ऑफ़ किक (Take off Kick) तेज़ होने के कारण सन्तुलन भी बिगड़ सकता है।
(8) तीन कदम आगे आ कर जम्प करना (Jumping from Three Steps) क्रॉस बार के समानान्तर डेढ़ फुट से 2 फुट (45 सम से 60 सम) की दूरी पर रेखा खींचेंगे।
इस रेखा से 30° पर दोनों पैर रख कर खड़े होंगे तथा टेक ऑफ़ फुट (Take off Foot) को आगे निकालते हुए मध्यम गति से आगे को भागेंगे। जहां पर तीसरा पैर आये वहां निशान लगा दें और अब उस स्थान पर दोनों पैर रख कर क्रॉस बार (Cross bar) की ओर चलेंगे और ऊपर बताई गई प्रक्रिया को दोहरायेंगे। क्रॉस बार की ऊंचाई एथलीट की सुविधा के अनुसार बढ़ाते जायेंगे।
बांस कूद
(Pole Vault)
- रनवे की लम्बाई = 40 से 45 मीटर
- रनवे की चौड़ाई = 1.22 मीटर
- लैडिंग ऐरिया = 5 × 5 मी०
- तिकोनी क्रास बार की लम्बाई = 4.48 मीटर से 4.52 मीटर
- तिकोनी क्रास बार प्रत्येक भुजा = 3.14 मीटर
- क्रास बार का वजन = 2.25 किलो ग्राम
- लैडिंग एरिया की ऊचाई = 6 सैं०मी० से १ सैं०मी०
- बाक्स की लम्बाई = 1.08 मी०
- बाक्स की चौडाई रनवे की तरफ से = 60 सैं०मी०
ऐथलैटिक्स में बांस कूद (Pole Vault) बहुत ही उलझा हुआ इवेंट है। किसी भी इवेंट में टेक ऑफ़ (Take off) से अखाड़े में आते समय तक इतनी क्रियाओं की आवश्यकता नहीं होती, जितनी कि पोल वाल्ट में। इसलिए इस इवेंट को पढ़ाने तथा सिखाने दोनों में ही परेशानी होती है।
बांस कूद के लिए एथलीट का चयन
(Selection of Athlete for Pole Vault)
अच्छा बांस कूदक एक सर्वांग (आल राऊण्डर) खिलाड़ी ही हो सकता है। क्योंकि यह . ऐसी स्पर्धा (Event) है जोकि सभी प्रकार से शरीर की क्षमता को बनाये रखती है, जैसे कि गति (Speed), शक्ति (Strength), सहनशीलता (Endurance) तथा तालमेल (Coordination) । अच्छे बांस कूदक का एक अच्छा जिमनास्ट भी होना आवश्यक है। जिससे वह सभी क्रियाओं को एक साथ कर सके।
पोल की पकड़ तथा लेकर चलना
(Holding and Carrying the Pole)
बहुधा बायें हाथ से शरीर के सामने हथेली को जमीन की ओर रखते हुए पोल को पकड़ते हैं । दायां हाथ शरीर के पीछे पुढे (Hip) के पास दायीं ओर बांस (pole) के अन्तिम सिरे की ओर होता है।
बांस को पकड़ते समय बायां बाजू कुहनी से 100 अंश का कोण बनाता है तथा शरीर से दूर कलाई को सीधा रखते हुए बांस को पकड़ते हैं। दायां हाथ, जो कि बांस के अन्तिम सिरे की ओर होता है, बांस को अंगूठे के अन्दरूनी भाग और तर्जनी अंगुली के बीच में ऊपर से नीचे को दबाते हुए पकड़ते हैं। दोनों कुहनियां 100 अंश के कोण बनाए हुई होती हैं। हाथों के बीच की दूरी 24 इंच (60 सैं० मी०) से 36 इंच (80 सें. मी०) तक होती है। यह बांस कूदक के शरीर की बनावट पर और पोल को लेकर दौड़ते समय जिसमें उसको आराम अनुभव हो, उस पर निर्भर करता है।
पोल के साथ दौड़ने की विधियां
(Running with the Pole)
- बांस को सिर के ऊपर रख कर चलना (Walking with Pole keeping over head)—इसमें बांस को बाक्स के पास लाते समय अधिक समय लगता है। इसलिए यह विधि अधिक उपयुक्त नहीं है।
- बांस को सिर के बराबर रख कर चलना (Walking with pole keeping at the level of head) विश्व के अधिकतर बांस कूदक इसी विधि को अपनाते हैं। इसमें चलते समय बांस का सिरा सिर के बराबर और बायें कंधे की सीध में होता है।
दायें से बायें-इसमें कंधे तथा बाजू साधारण अवस्था में रहते हैं। - बांस को सिर से नीचे लेकर चलना (Walking with pole keeping below the head)-इस अवस्था में बाजुओं पर अधिक ताकत पड़ती है, जिसके कारण बाक्स तक आते समय शरीर थक जाता है। बहुत ही कम संख्या में लोग इसको काम में लाते हैं। अप्रोच रन (Approach run) एथलीट को अपने ऊपर विश्वास तब होता है जबकि उस का अप्रोच रन सही आना शुरू होता है। आगे की क्रिया पर इसके बाद ही विचार किया जा सकता है। इसके लिए सबसे अच्छी विधि (The best method) यह है कि एक चूने की लाइन लगा कर एथलीट को पोल के साथ लगभग 150 फुट (50 मी०) तक भागने को कहना। इस क्रिया को कई दिन तक करने से एथलीट का पैर एक स्थान पर ठीक आने लगेगा। उस समय आप उस दूरी को फीते से नाप लें, फिर बांस कूद के रन-वे (Runway) पर काम करें। पैरों को तेज़ी के साथ अप्रोच रन को भी घटाना बढ़ाना पड़ता है।
बांस कूद के अप्रोच रन में केवल एक ही चिह्न होना चाहिए। अधिक चिह्न होने से कूदने वाला अपने स्टाइल (Style) को न सोच कर चेक मार्क (Check Mark) को सोचता रहता है। अप्रोच रन (Approach Run) की लम्बाई 40 से 45 मी० के लगभग होनी चाहिए और अन्तिम 4 या 6 कदम में अधिक तेज़ी होनी चाहिए।
पोल प्लाण्ट
(Pole Plant)
यह सम्भव नहीं कि आप पूरी तेजी के साथ पोल (Pole) को प्लांट (Plant) कर सकें उसके लिए गति को सीमित करना पड़ता है। स्टील पोल (Steel Pole) में प्लांट जल्दी होना चाहिए तथा फाइबर ग्लास (Fibre Glass) में देरी से। स्टील पोल में प्लांट करते समय एथलीट को “एक और दो” गिनना चाहिए। एक के कहने पर बायां पैर आगे टेक ऑफ़ के लिए आयेगा और दायें पैर का घुटना ऊपर की ओर जायेगा। दो कहने पर शरीर की स्विग (Swing) शुरू हो जाती है। इस समय वाल्टर (Vaulter) को अपनी दायीं टांग को स्वतन्त्र छोड़ देना चाहिए जिससे कि वह बायीं टांग के साथ मिल सके। इस विधि से अच्छी स्विग लेने में सुविधा होती है।
टेक ऑफ़
(Take Off)
टेक ऑफ़ के समय दायां घुटना आगे आना चाहिए। इससे शरीर को ऊपर पोल की ओर ले जाते हैं तथा सीने को पोल की ओर खींचते हैं। पोल को सीने के सामने रखते हैं। स्विग (Swing) के समय दायीं टांग शरीर के आगे ऊपर की ओर उठेगी।
नोट-पोल करते समय एथलीट अपने हिप को ऊंचा ले जाते हैं, जबकि टांगों को ऊपर आना चाहिए व हिप को नीचे रखना चाहिए। पोल वाल्टरों को यह ध्यान रखना चाहिए कि जब तक पोल सीधा नहीं होता, उनको पोल के साथ ही रहना चाहिए। पोल छोड़ते समय नीचे का हाथ पहले छोड़ना चाहिए। यह देखा गया है कि बहुत ही नये पोल वाल्टर अपनी पीठ को क्रास बार के ऊपर से ले जाते हैं। यह केवल ऊपर के हाथ को पहले छोड़ने से होता है।
POLE VAULT
प्रश्न-थ्रो इवेंट्स कौन-कौन से होते हैं ? इनकी तकनीक और नियमों के बारे में लिखें।
उत्तर—
- गोले का भार = 7.260 कि०ग्राम ± 5 ग्राम पुरुषों के लिए 4 कि० ± 5 ग्राम स्त्रियों के लिए
- थरोईंग सैक्टर का कोना = 34.92°
- सर्कल का व्यास = 2.135 मी० ± 5 मि०मी०
- स्टॉप बोर्ड की लम्बाई = 1.21 मी० से 1.23 मी०
- स्टॉप बोर्ड की चौड़ाई = 112 मि०मी० से 200 मि०मी०
- स्टॉप बोर्ड की ऊँचाई = 98 मि०मी० से 102 मि०मी०
- गोले का व्यास = 110 मि०मी० से 130 मि०मी०
- गोले का व्यास स्त्रियों के लिए = 95 मि०मी० से 110 मि०मी०
शाट पुट-पैरी ओवरेइन विधि
(Shot Put-Peri Oberrain Method)
1. प्रारम्भिक स्थिति (Initial Position)-थ्रोअर गोला फेंकने की दशा में अपनी पीठ करके खड़ा होगा। शरीर का भार दायें पैर पर होगा। शरीर के ऊपरी भाग को नीचे
लाते समय दायें पैर की एडी ऊपर उठेगी तथा बाएं पैर को घुटने से मुडी दशा में पीछे ऊपर जाकर तुरन्त पैर के पास पुन: लायेंगे। दोनों पैर मुड़े होंगे तथा ऊपरी भाग आगे को झुका होगा।
2. ग्लाइड (Glide)-दायां पैर सीधा करेंगे तथा दायें पैर के पंजे बाईं एड़ी से पीछे आयेंगे। बायां पैर स्टॉप बोर्ड (Stop Board) की ओर तेजी से किक करेंगे। बैठी हुई अवस्था में पुट्ठों को पीछे व नीचे की ओर गिरायेंगे। दायां पैर ज़मीन से ऊपर उठेगा तथा शरीर के नीचे ला कर बायीं ओर को पंजा मोड़ कर रखेंगे। बायां पैर इसी के लगभग साथ ही स्टॉप बोर्ड (Stop Board) पर थोड़ा दायीं ओर ज़मीन पर लगेगा। दोनों पैरों के पंजों को ज़मीन पर गोली दोनों कन्धे पीछे की ओर झुके होंगे। शरीर का समस्त भार दायें पैर पर होगा।
3. अन्तिम चरण (Final Phase)-दायें पैर के पंजे एवं घुटने को एक साथ बायीं ओर घुमायेंगे तथा दोनों पैरों को सीधा करेंगे। पुट्ठों को भी आगे बढ़ायेंगे। शरीर का भार दोनों पैरों पर होगा। बायां कन्धा सामने को खुलेगा। दायां कन्धा दायीं तरफ को ऊपर उठेगा तथा घूमेगा। पेट की स्थिति धनुष के आकार की तरह पीछे को झुकी हुई होगी।
SHOT PUT
4. गोला फेंकना/थ्रो करना (Putting throwing the Shot)-दायां कन्धा एवं दायीं भुजा को गोले के आगे की ओर ले जायेंगे। बायां कन्धा आगे को बढ़ता रहेगा। शरीर का समस्त भार बायें पैर पर होगा जोकि पूर्ण रूप से सीधा होगा। जैसे ही दाहिने हाथ द्वारा गोले को आगे फेंका जायेगा, दोनों पैरों की स्थिति भी बदलेगी। बायां पैर पीछे आयेगा तथा दायां पैर आगे आयेगा। शरीर का भार दायें पैर पर होगा। ऊपरी भाग एवं दायां पैर दोनों आगे को झुके होंगे।
घूम कर गोला फेंकना या चक्के की भान्ति फेंकना
(Throwing the Shot by rotating or like a Discus)
1. प्रारम्भिक स्थिति (Initial Position)—प्रारम्भ करने के लिए गोले के दूसरे भाग पर गोला फेंकने की दशा में पीठ करके खड़े होंगे। बायां पैर मध्य रेखा पर तथा दायां भाग दायीं ओर होगा। दायां पैर लोहे की रिम (Rim) से 5 से 8 से०मी० पीछे रखेंगे जिससे कि वे घूमते समय फाउल (Foul) न हो। गोला गर्दन के नीचे भाग में होगा, कोहनी ऊपर उठी होगी। प्रारम्भ करने से पहले कन्धा, पेट, बायां बाजू, गोला सभी पहले बायीं तरफ को घूमेंगे तथा बाद में दायीं तरफ जायेगा। ऐसा करते समय दोनों घुटने झुके होंगे।
2. घूमना (Rotation)-दोनों पैरों पर शरीर का भार होगा तथा ऊपर की स्थिति से केवल एक स्विंग लेने के उपरान्त घूमना प्रारम्भ हो जायेगा। कन्धा एवं धड़ दायें को पूर्ण रूप से घूमते शरीर का भाग भी दायें पैर पर चला जायेगा। इस स्थिति में बायीं तरफ भुजा को ज़मीन के समानान्तर रखते हुए बायें पैर के पंजे पर शरीर का भार लाते हुए दोनों घुटने घूमेंगे। दायें पैर के पंजे पर भी 90 अंश तक घूमेंगे। दायें पैर को घुटने से झुकी हुई अवस्था में बायें पैर के टखने के ऊपर से गोले के बीच में पहुंचने पर लायेंगे।
बायें पैर पर घूमते समय चक्र समाप्त होने पर हवा में दोनों पैर होंगे तथा कमर को घुमाएंगे। दायां पैर केन्द्र में दाएं पैर के पंजे पर आएगा। दाएं पैर के पंजे की स्थिति उसी प्रकार से होगी जैसी कि घड़ी में 2 बजे की दशा में सुई होती है। बहादुर सिंह का पैर 10 बजे की स्थिति में आता है। वह हवा में ही कमर को मोड़ लेता है। 2 बजे की स्थिति में बायां पैर टो बोर्ड पर कुछ विलम्ब से आयेगा। परन्तु ऊपरी भाग को केन्द्र में रखा जा सकता है। 10 बजे की स्थिति में बायां पैर ज़मीन पर तेजी से आयेगा तथा अधिकतर यह सम्भावना रहती है कि शरीर का ऊपरी भाग शीघ्र ऊपर आ जाता है।
निम्नलिखित बातों का ध्यान रखेंगे—
- प्रारम्भ में सन्तुलन ठीक बनाकर चलेंगे, बायां पैर नीचे रखेंगे।
- दाएं पैर से पूरी ग्लाइड (Glide) लेंगे, जम्प नहीं करेंगे। शरीर के ऊपरी भाग को ऊपर नहीं उठायेंगे।
- दायां पैर केन्द्र में आते समय अन्दर को घूम जाएगा।
- बायें कन्धे एवं पुढे को जल्दी ऊपर नहीं लाना है।
- बायीं भुजा को शरीर के पास रखेंगे।
- बायां पैर ज़मीन पर न शीघ्र लगेगा और न अधिक विलम्ब से।
सामान्य नियम
(General Rules)
- पुरुष वर्ग में 7.26 कि०ग्रा०, महिला में 4.00 कि०ग्रा० । गोले के व्यास पुरुष वर्ग में 110 से 130 व महिलाओं में 95 से 110 पैंटीमीटर।
- गोला व तारगोला को 2.135 मीटर के चक्र से फेंका जाता है। अन्दर का भाग पक्का होगा, बाहरी मैदान से 25 मिलीमीटर नीचा होगा। स्टॉप बोर्ड (Stop Board) 1.22 मीटर लम्बा, 114 मिलीमीटर चौड़ा और 100 मिलीमीटर ऊंचा होगा।
- सैक्टर 40 अंश का गोला, तार गोला एवं चक्का होगा। केन्द्र से एक रेखा सीधी 20 मीटर की खींचेंगे। इस रेखा के 18.84 पर एक बिन्दु लगाएंगे, इस बिन्दु से दोनों ओर 6.84 की दूरी पर दो बिन्दु डाल देंगे तथा इन्हीं दो बिन्दुओं से सीधी रेखायें खींचने पर 40 अंश का कोण बनेगा।
गोला फेंकते समय शरीर का सन्तुलन होना चाहिए, गोला फेंक कर गोला जमीन पर गिरने के उपरान्त 75 सेंटीमीटर की दोनों रेखायें जो कि गोला फेंकने के क्षेत्र को दो भागों में विभाजित करती हैं, उसके पीछे के भाग से बाहर आयेंगे। गोला एक हाथ से फेंक दिया जाएगा। गोला कन्धे के पीछे नहीं आयेगा, केवल गर्दन के पास रहेगा। सही पुट उसी को मानेंगे जो कि सैक्टर के अन्दर हो। सैक्टर की रेखाओं को काटने पर फाऊल (Foul) माना जायेगा। यदि आठ प्रतियोगी (Competitors) हैं, तब सभी को 6 अवसर देंगे अन्यथा टाइ पड़ने पर 9 भी हो सकते हैं।
चक्का फेंकने का प्रारम्भ
(Initial Stance of Discus Throw)
- चक्के का वजन = 2 कि० ग्राम पुरुषों के लिए 1 कि० ग्राम स्त्रियों के लिए
- सर्कल का व्यास = 2.5 मी० + 5 मि०मी०
- थ्रोईंग सैक्टर का कोण = 34.92°
चक्के का ऊपर का व्यास = 219 मि०मी० से 2.21 मि० मी० पुरुषों के लिए
180 से 182 स्त्रियों के लिए चक्का फेंकने की दिशा के विरुद्ध पीठ करके छल्ले (Ring) के पास चक्र में खड़े होंगे। दायीं भुजा को घुमाते हुए एक या दो स्विग (Swing) भुजा तथा धड़ को भी साथ में घुमाते हुए लेंगे। ऐसा करते समय शरीर का भार भी एक पैर से दूसरे पैर पर जायेगा जिस से पैरों की एड़ियां मैदान के ऊपर उठेगी। जब चक्का दाईं ओर होगा तथा शरीर का ऊपरी भाग भी दाईं ओर मुड़ा होगा यहां से चक्र का प्रारम्भ होगा। चक्र का प्रारम्भ शरीर के नीचे के भाग से होगा, बायें पैर को बायीं ओर झुकाएंगे। शरीर का भार इसी के ऊपर आयेगा। दायां घुटना भी साथ ही घूमेगा, दायां पैर भी घूमेगा, साथ ही कमर, पेट भी घूमेगा जाकि दायीं बाजू एवं चक्के को भी साथ में लायेगा।
इस स्थिति में गोले को पार करने की क्रिया प्रारम्भ होगी। सबसे पहले बायां पैर जमीन को छोड़ेगा। इसके उपरान्त बायां पैर चक्का फेंकने की दशा में आगे बढ़ेगा। दायां पैर घुटने से मुड़ा हुआ अर्ध चक्र की दशा में बायीं से दायीं ओर आगे को चलेगा। घूमते समय दोनों पुढे कन्धों से आगे होंगे जिससे शरीर के ऊपरी भाग तथा नीचे के भाग में मोड़ उत्पन्न होगा। दायीं भुजा जिसमें चक्का होगा, सिर कोहनी से सीधा होगा, बायीं भुजा कोहनी से मुड़ी हुई सीने के सम्मुख होगी। सिर सीधा रहेगा। दायें पैर के पंजे पर ज़मीन से थोड़ा ऊपर रख कर गोले को पार करेंगे तथा दायें पैर के पंजे ज़मीन पर आयेंगे। यह पैर लगभग केन्द्र में आयेगा। पंजा बाईं ओर को मुड़ा होगा।
विधियां
(Methods)
DISCUS THROW
इसमें मुख्यत: निम्नलिखित तीन प्रकार की विधियां हैं—
- प्रारम्भ करते समय भी जो नये फेंकने वाले होते हैं वे अपना दायां पैर केन्द्र की रेखा पर एवं बायां पैर 10 से०मी० छल्ले (Ring) के पीछे रखते हैं।
- दूसरी विधि जिसमें सामान्य फेंकने वाले केन्द्रीय रेखा को दोनों पैरों के मध्य रखते हैं।
- तीसरे वे फेंकने वाले हैं जो बायें पैर को केन्द्रीय रेखा पर रखते हैं।
इसी प्रकार गोले के मध्य में आते समय तीन प्रकार से पैर को रखते हैं। पहले 3 बजे की स्थिति में, दूसरे 10 बजे की स्थिति में, तीसरे 12 बजे की स्थिति में, जिसमें 12 बजे की स्थिति सर्वोत्तम मानी गयी है क्योंकि इसमें दायें पैर पर कम घूमना पड़ता है तथा बायें कन्धे को खुलने से रोका जा सकता है।
दायां पैर ज़मीन पर आने के उपरान्त भी निरन्तर घूमता रहेगा और बायां पैर गोले के केन्द्र की रेखा से थोड़ा बायीं ओर पंजे एवं अन्दर के भाग को ज़मीन पर लगा देगा।
अन्तिम चरण (Last Step)
इस समय पैर जमीन पर होंगे, कमर घूमती हई दिशा में पीछे को झकी होगी, बायां पैर सीधा होगा, दायां पैर घुटने से मुड़ा हुआ, दायां घुटना एवं पुढे बायीं ओर घूमते हुए होंगे। बायीं भुजा ऊपर की ओर खुलेगी, दायीं भुजा को शरीर से दूर रखते हुए आगे एवं ऊपर की दशा में लायेंगे।
फेंकना (Throwing)
दोनों पैर जो कि घूम कर आगे आ रहे थे, इस समय घुटने से सीधे होंगे। पुढे आगे को बढ़ेंगे, कन्धे तथा धड़ अपना घूमना आगे की दशा में समाप्त कर चुके होंगे। बायीं भुजा तथा कन्धा आगे घूमना बन्द करके एक स्थान पर रुक जायेंगे। दायीं भुजा एवं कन्धा आगे तथा ऊपर बढ़ेगा। दोनों पैरों के पंजों पर शरीर का भार होगा तथा दोनों पैर सीधे होंगे। अन्त में बायां पैर पीछे आयेगा तथा दायां पैर आगे जा कर घुटने से मुड़ेगा। शरीर का ऊपरी भाग भी आगे को झुका होगा। ऐसा शरीर का सन्तुलन बनाये रखने के लिए किया जाता है।
साधारण नियम (General Rules)
चक्के (Discus) का भार पुरुष वर्ग हेतु 2 कि०ग्रा०, महिला वर्ग हेतु 1 कि०ग्रा० होता है। वृत्त का व्यास 2.50 होता है। वर्तमान समय के चक्के के गोले के बाहर लोहे की केज
LAY OUT OF DISCUS CIRCLE
(Cage) बनाई जाती है ताकि चक्के से किसी को चोट न पहुंचे। सम्मुख 6 मीटर, अन्य 7 मीटर अंग्रेजी के ‘E’ के आकार की होती है। इसकी ऊंचाई 3.35 मीटर होती है।
सैक्टर-40° का इसी प्रकार बनायेंगे जैसे गोले के लिए, अन्य समस्त नियम गोले की भान्ति ही इसमें काम आयेंगे।
प्रश्न-जैवलिन थ्रो के नियम लिखें।
उत्तर—
- जैवलिन का भार = 800 ग्राम पुरुषों के लिए 600 ग्राम स्त्रियों के लिए
- रनवे की लम्बाई = 30 मी० 36.5 मी०
- रनवे की चौड़ाई जैवलिन की लम्बाई = 4 मीटर – 250 सें०मी० से 270 सें०मी० पुरुषों के लिए 220 सें०मी० के 230 सें०मी० स्त्रियों के लिए
- जैवलिन के थ्रोईंग सैक्टर का कोण = 28.950
भाला फेंकना (Javelin Throw)
भाले की सिर के बराबर ऊंचाई पर कान के पास, भुजा को कोहनी से झुकी हुई,
कोहनी एवं जैवलिन दोनों का मुख सामने की ओर होगा। हाथ की हथेली का रुख ऊपर की ओर होगा–ज़मीन के समानान्तर । सम्पूर्ण लम्बाई 30 से 35 मी० होगी। 3/4 दौड़ पथ में सीधे दौड़ेंगे। 1/3 अन्तिम के पांच कदम के लगभग क्रॉस स्टैप (Cross Step) लेंगे। अन्तिम चरण में जब बायां पैर जांच चिह्न (Check Mark) पर आएगा दायां कन्धा धीमी
JAVELIN THROW
गति से दायीं ओर मुड़ना प्रारम्भ करेगा तथा दायीं भुजा भी पीछे आना प्रारम्भ करेगी। कदमों के बीच की दूरी बढ़ने लगेगी। दायां हाथ एवं कन्धा बराबर पीछे को आयेंगे एवं दाईं तरफ खुलते जायेंगे। कमर एवं शरीर का ऊपरी भाग पीछे को झुकता जायेगा। ऊपरी एवं नीचे के भाग में मोड़ उत्पन्न होगा, क्योंकि ऊपरी भाग दायीं ओर खुलेगा तथा नीचे का भाग सीधा आगे को चलेगा। आंखें आगे की ओर देखती हुई होंगी।
अन्त में दायां पैर घुटने से झुकी दशा में ज़मीन पर क्रॉस स्टैप (Cross Step) के अन्त में आयेगा। जैसे ही घुटना आगे बढ़ेगा, दायें पैर की एड़ी ज़मीन से ऊपर उठना प्रारम्भ हो जायेगी। इस प्रकार यह बायें पैर को अधिक दूरी पर जाने में सहायता करती है, जिससे कि दोनों पैरों के बीच अधिक-से-अधिक दूरी हो सके। बायां पैर थोड़ा बायीं ओर ज़मीन पर आएगा। कन्धे दायीं ओर को होंगे। भाला कन्धे की सीध में होगा। मुट्ठी बन्द तथा हथेली ऊपर की ओर, कलाई सीधी, कलाई नीचे की ओर होने से भाले का अन्तिम सिरा ज़मीन पर लगेगा। इस स्थिति के समय बाईं भुजा मुड़ी हुई सीने के ऊपर होगी।
अन्तिम फेस (Last Phase)-थ्रो करने की स्थिति में जब बायां पैर ज़मीन पर आयेगा, कूल्हा (Hip) आगे बढ़ना प्रारम्भ कर देगा। दायां पैर एवं घुटना अन्दर को घूमेगा तथा सीधा होकर टांग को सीधा करेगा। बायां कन्धा भी साथ में खुलेगा, दायीं कुहनी बाहर की ओर घूमेगी एवं ऊपर को भाला कन्धा एवं भुजा के ऊपर सीध में होगा। बायें पैर का रुकना, दायें पैर को अन्दर घुमाना तथा सीधा करना इन सबसे शरीर का ऊपरी भाग धनुष की भान्ति पीछे को झुकेगा तथा सीना एवं पेट की मांसपेशियों में तनाव उत्पन्न होगा।
फेंकने के बाद फाऊल (Foul) बचाने के लिए तथा शरीर के भार को नियन्त्रण में रखने के लिए कदमों में परिवर्तन लायेंगे। दायां पैर आगे आकर घुटने से मुड़ेगा तथा पंजा बायीं ओर को झुकेगा। शरीर का ऊपरी भाग दायें पैर पर आगे को झुक कर सन्तुलन बनाएगा। दायां पैर अपने स्थान से उठ कर कुछ आगे भी जा सकता है।
साधारण नियम (General Rules)
- पुरुष भाले की लम्बाई 2.60 मी० से 2.70 मी०, महिला 2.20 मी० से 2.30 मी०।
- भाला फेंकने के लिए कम-से-कम 30 मी०, अधिकतम 36.50 मी० लम्बा एवं 4 मी० चौड़ा मार्ग चाहिए। सामने 70 मि०मी० की चाप वक्राकार सफेद लोहे की पट्टी होगी जो कि दोनों ओर 75 सें.मी० निकली होगी। इसको सफेद लेन से भी बनाया जा सकता है। यह रेखा 8 मी० सेण्टर से खींची जा सकती है।
- भाले का सैक्टर 29° का होता है जहां वक्राकार रेखा मिलती है वहीं निशान लगा देते हैं। पूर्ण रूप से सही कोण के लिए 40 मी० की दूरी पर दोनों भुजाओं के बीच की दूरी 20 मीटर होगी, 60 मी० की दूरी पर 30 मी० होगी।
JAVELIN RUNWAY THROWING
- भाला केवल बीच में पकड़ने के स्थान (Grip) से ही पकड़ कर फेंकेंगे। भाले का अगला भाग ज़मीन पर पहले लगना चाहिए। शरीर के किसी भी भाग से 50 सें०मी० चौड़ी दोनों ओर की रेखाओं को या आगे 70 सें०मी० चौड़ी रेखा को स्पर्श करने को फाऊल थ्रो (Foul Throw) मानेंगे।
- प्रारम्भ करने से अन्त तक भाला फेंकने की दशा में रहेगा। भाले को चक्र काट कर नहीं फेंकेंगे, केवल कन्धे के ऊपर से फेंक सकते हैं।
- 3 + 3 गोला एवं चक्के की भान्ति अवसर मिलेंगे।
प्रश्न-रिले दौड़ों के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर—
रिले दौड़ें
(Relay Races)
पेडले रिले दौड़ (Medley Relay Race)—
800 × 200 × 200 × 400 मीटर
बैटन (Baton)—सभी वृत्ताकार रिले दौड़ों में बैटन को ले जाना होता है। बैटन एक खोखली नली का होना चाहिए और इसकी लम्बाई 30 सें०मी० से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसकी परिधि 12 सेंटीमीटर होनी चाहिए और भार 40 ग्राम होना चाहिए।
रिले धावन पथ (Relay. Race Track)-रिले धावन पथ पूरे चक्र के लिए, गलियारों में विभाजित या अंकित होना चाहिए। यदि ऐसा सम्भव नहीं है, तो कम-से-कम बैटन विनिमय क्षेत्र गलियारों में होना चाहिए।
रिले दौड़ का प्रारम्भ (Start of Relay-Race)-दौड़ के प्रारम्भ में बैटन का कोई भी भाग रेखा से आगे निकल सकता है, किन्तु बैटन रेखा या आगे की ज़मीन को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
बैटन लेना (Taking the Baton)-बैटन लेने के लिए भी क्षेत्र निर्धारित होता है। यह क्षेत्र दौड़ की निर्धारित दूरी रेखा के दोनों ओर 10 मीटर लम्बी प्रतिबन्ध रेखा खींच कर चिह्नित किया जाता है। 4 × 200 मीटर तक की रिले दौड़ों में पहले धावक के अतिरिक्त टीम के अन्य सदस्य बैटन लेने के लिए निर्धारित क्षेत्र के बाहर, किन्तु 10 मीटर से कम दूरी से दौड़ना आरम्भ करते हैं।
वैटन विनिमय (Exchange of Baters)—बैटन विनिमय निर्धारित क्षेत्र के अन्दर ही होना चाहिए। धकेलने या किसी प्रकार से सहायता करने की अनुमति नहीं है। धावक एक-दूसरे को बैटन नहीं फेंक सकते यदि बैटन गिर जाता है, तो गिराने वाला धावक ही उठाएगा।
PSEB 10th Class Physical Education Practical ऐथलैटिक्स (Athletics)
प्रश्न 1.
एथलैटिक्स संयोगों को मुख्य रूप से कितने भागों में बांट सकते हैं ?
उत्तर-
एथलैटिक्स संयोगों को हम अग्रलिखित दो भागों में बांट सकते हैं—
- ट्रैक संयोग-इनमें सभी दौड़ें आ जाती हैं।
- क्षेत्रीय संयोग (फील्ड इवेंट्स)-इसमें सब प्रकार की छलांगें और थ्रोज़ आ जाती
प्रश्न 2.
सीनियर लड़के और जूनियर लड़कों के कौन-कौन से इवेंट्स होते
उत्तर-
सीनियर लड़के—
- 100 मीटर
- 200 मीटर
- 400 मीटर
- 800 मीटर
- 1500 मीटर
- 5000 मीटर
- 110 मीटर हर्डल
- लम्बी छलांग
- तेहरी छलांग
- पोल वाल्ट
- शॉटपुट
- जैवलिन थ्रो
- डिस्कस थ्रो
- हैमर थ्रो
- ऊंची छलांग
- 4 × 100 मीटर रिले दौड़
- 4 × 400 मीटर रिले दौड़
जूनियर लड़के—
- 100 मीटर
- 400 मीटर
- 800 मीटर
- 3000 मीटर
- 100 मीटर
- ऊंची छलांग
- लम्बी छलांग
- शॉट पुट
- डिस्कस थ्रो
- जैवलिन थ्रो
- 4 × 100 मीटर रिले दौड़।
प्रश्न 3.
सीनियर लड़कियों और जूनियर लड़कियों के इवेंट्स के बारे में विस्तारपूर्वक लिखो।
उत्तर-
प्रश्न 4.
एथलैटिक्स इवेंट्स को हम कितने भागों में बांट सकते हैं ?
उत्तर-
दौड़ें-100, 200, 400, 800, 1500, 5000, 10,000 मीटर दौड़। 4 × 100, 4 × 400 मीटर रिले दौड़। थो-डिस्कस थ्रो, हैमर थ्रो, शॉट पुट, गोला फेंकना। उछलना-हाई जम्प, लम्बी छलांग, ट्रिपल जम्प, पोल वाल्ट।
प्रश्न 5.
स्परिट्स या तेज़ दौड़ें किसे कहते हैं ?
उत्तर-
स्परिट्स या तेज़ दौड़ें उन्हें कहते हैं जो दौड़ने वाला थोड़ी दूरी को बिजली की तेज़ी से पूरा कर ले। तेज़ दौड़ें इस प्रकार हैं-100, 200, 400, 4 x 100, 4 x 400 मीटर रिले दौड़ें इत्यादि।
प्रश्न 6.
मध्यम दर्जे की दौड़ें कौन-कौन सी होती हैं ?
उत्तर-
मध्यम दर्जे की दौड़ें (Middle Distance Races) उन्हें कहते हैं जिन में धावक तेज़ दौड़ सकता हो और पूरी दूरी के लिए स्पीड या गति को कायम रख सकता हो। जैसे 800, 1500 मीटर की दौड़ आदि।
प्रश्न 7.
रिले दौड़ें (Relay Races) किसे कहते हैं ?
उत्तर-
रिले दौड़ें (Relay Races)-रिले दौड़ें एक टीम का संयोग है जिनमें टीम का हर मैम्बर एक जैसी दूरी दौड़ता है। छोटी दूरी की रिले दौड़ों में धावकों को स्परिट की तरह दौड़ना पड़ता है। रिले दौड़ों में 4 मैम्बर होते हैं और बैटन (Baton) एक मैम्बर से दूसरे मैम्बर को पकड़ाया जाता है।
प्रश्न 8.
दौड़ों के मुख्य नियम कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
दौड़ों के लिए आम नियम-
- तेज़ दौड़ें (स्परिट्स) 4′ की चौड़ी लेनों में दौड़ी जाती हैं ताकि धावकों को दौड़ने में रुकावट न पड़े।
- लेन्ज़ का चुनाव पर्चियों द्वारा किया जाता है।
- स्टार्टर के स्थान लो की आज्ञा मिलने पर धावक अपनी-अपनी लेन की आरम्भिक रेखा के पीछे पोजीशन ले लेते हैं। तैयारी की आज्ञा मिलने पर वे तैयार हो जाते हैं। बन्दूक या पिस्तौल चलने के उपरान्त दौड़ पड़ते हैं। यदि कोई धावक बन्दूक की आवाज़ या पिस्तौल चलने से पहले दौड़ पड़ता है तो वह स्टार्ट रद्द कर दिया जाता है। पहले दौड़ने वाले धावक को ताड़ना कर दी जाती है। यदि वह ऐसी ग़लती फिर करता है तो उस धावक को उस दौड़ मुकाबले में भाग लेने के अयोग्य करार दिया जाता है।
- जो धावक अपनी लेन को छोड़ कर दूसरी लेन में चला जाता है, वह भी अयोग्य करार दिया जाता है।
- लम्बी दौड़ें 1500, 5000 मीटर दौड़ अलग-अलग लेनों में दौड़ी जाती हैं। यदि किसी एथलीट ने अपने से आगे दौड़ रहे धावक को काट कर आगे बढ़ना हो तो वह दाईं ओर से आगे बढ़ेगा।
प्रश्न 9.
थ्रो के लिए क्या-क्या नियम हैं ?
उत्तर-
थ्रो के लिए नियम-
- गोला, डिस्कस और हैमर थ्रो चक्करों में खड़े होकर फेंके जाते हैं।
- थ्री से पहले या बाद शरीर का कोई भाग चक्कर से बाहर नहीं स्पर्श करना चाहिए।
- थ्रो के बाद चक्कर के पिछले आधे भाग में से बाहर जाना आवश्यक है। अगले भाग में से बाहर जाना फाऊल माना जाता है।
- निश्चित किए गए सैक्टर में गिरे हुए थ्री ही ठीक माने जाते हैं।
- यदि मुकाबलों में भाग लेने वालों की संख्या मे 8 से अधिक है तो इनको तीनतीन चांस दिए जाते हैं। फिर उनमें से अधिक फेंकने वाले 8 एथलीट चुन लिए जाते हैं
और फिर दोबारा तीन चांस और दिए जाते हैं। जो एथलीट अधिक थ्रो फेंकेगा उसको पहला स्थान दिया जाएगा। - थ्री इवेंट्स में जब हम इम्पलीमैंट (Implement) को चक्कर के अन्दर ले जाते हैं तो उसको दोबारा बैक साइड पर नहीं फेंक सकते।
- गोला, हैमर या डिस्कस थ्रो के समय यह ज़रूरी है कि वह 40° के सैंटर में गिरे।
- हरेक थ्रो का माप गिरी हुई वस्तु की समीपता दूरी से चक्कर के अन्दर से सीधी रेखा द्वारा लिया जाता है।
- माप के समय अंगुलियों का प्रयोग नहीं किया जा सकता।
- जब तक गोले, डिस्कस या किसी और वस्तु ने भूमि को स्पर्श न कर लिया हो, खिलाड़ी चक्कर में से बाहर नहीं आ सकता।
प्रश्न 10.
दौड़ों में चैम्पियनशिप निकालने के लिए अंक कैसे लगाए जाते हैं ?
उत्तर-
दौड़ों के लिए निम्नलिखित ढंग से अंक लगाए जाते हैं—
पोजीशन | अंक |
(1) पहली पोजीशन | 5 |
(2) दूसरी पोजीशन | 3 |
(3) तीसरी पोजीशन | 1 |
यदि रिले दौड़ें हों तो इस प्रकार हैं | |
(1) पहली पोजीशन | 10 |
(2) दूसरी पोजीशन | 6 |
(3) तीसरी पोजीशन | 2 |
प्रश्न 11.
गोला, डिस्कस, हैमर थ्रो चक्कर के कोण कितने डिग्री के होते हैं ?
उत्तर-
गोला, डिस्कस, हैमर थ्रो चक्कर के कोण 40° के होते हैं।
प्रश्न 12.
100 मीटर, 200 मीटर, 400 मीटर दौड़ की लाइनों की चौड़ाई कितनी होती है ?
उत्तर-
लाइनों की दूरी 1.25 मीटर या 4’—1′ चौड़ाई होती है।
प्रश्न 13.
स्टैंडर्ड ट्रैक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
स्टैंडर्ड ट्रैक उसे कहते हैं जिसमें 8 लाइनें होती हैं, परन्तु आम तौर पर 6 लाइनों वाला ट्रैक ही प्रयोग में लाया जाता है।
प्रश्न 14.
स्टार्ट कैसे लिया जाता है ?
उत्तर-
स्टार्ट निम्नलिखित ढंग से लिया जाता है—
On Your marks.
Set
Whistle
प्रश्न 15.
ट्रैक इवेंट्स में कौन-कौन सी दौड़ें आती हैं ?
उत्तर-
ट्रैक इवेंट्स में 100, 200, 400, 800, 1500, 5000, 10000 मीटर की दौड़ें आ जाती हैं। (इसका चित्र सहित पूरा वर्णन खेलों वाले भाग में देखो)
प्रश्न 16.
100, 200, 400 मीटर की दौड़ दौड़ने वाले एथलीटों को कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-
कुछ ज़रूरी बातें (Some Important Tips)—
100, 200, 400 मीटर दौड़ दौड़ने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए’
- सांस प्राकृतिक ढंग से लेनी चाहिए।
- तैयार की आज्ञा मिलने पर अपने सांस को रोक लो और पिस्तौल की गोली चलने पर भागना शुरू करो।
- दौड़ समाप्त हो जाने के बाद बैठना या रुकना नहीं चाहिए।
- दौड़ आरम्भ होने की स्थिति में खिलाड़ी को अपनी स्पर्श स्थिति को ध्यान में रखना चाहिए ताकि वह पहले चार, पांच या छः कदम बिल्कुल सीधी रेखा में दौड सके।
- अभ्यास के लिए पहले दो-चार स्टार्ट धीरे-धीरे लेने चाहिएं।
- हर पारी आरम्भ होने से पहले 35 मीटर या 40 मीटर तक दौड़ने का अभ्यास करना चाहिए।
- स्टार्ट लेने के लिए प्रतिदिन 10-15 स्टार्ट लेने चाहिएं।
प्रश्न 17.
कितने फाऊल स्टार्ट के पश्चात् एथलीट को दौड़ से बाहर निकाला जा सकता है ?
उत्तर-
यदि कोई एथलीट दो फाऊल स्टार्ट ले ले तो उसको दौड़ से बाहर निकाल दिया जाता है। पटैथलोन और डिकैथलिन में तीन फाऊल स्टार्ट ले ले तो उसे बाहर निकाल दिया जाता
प्रश्न 18.
ट्रैक इवेंट्स के लिए खिलाड़ियों के लिए क्या-क्या नियम होने चाहिएं ?
उत्तर-
ट्रैक इवेंट्स के खिलाड़ियों के लिए निम्नलिखित नियम हैं—
- खिलाड़ी ऐसे वस्त्र पहने जो किसी प्रकार की आपत्ति योग्य न हों तथा वे साफ़ भी हों।
- एथलीट नंगे पांव या जूते पहन कर भाग ले सकता है।
- जो खिलाड़ी अन्य खिलाड़ियों के लिए किसी तरह की रुकावट पैदा करता है या प्रगति के मार्ग में रुकावट बनता है, उसको अयोग्य ठहराया जाता है।
- हरेक एथलीट अपने आगे और पीछे बड़े स्पष्ट रूप से अंक धारण करेगा।
- लेन्ज (Lanes) में दौड़ी जाने वाली दौड़ों में खिलाड़ी को शुरू से अन्त तक अपनी लेन में ही रहना होगा।
- यदि कोई खिलाड़ी जानबूझ कर अपनी लेन से बाहर दौड़ता है तो उसे अयोग्य ठहराया जाता है।
- यदि कोई एथलीट जानबूझ कर ट्रैक को छोड़ता है तो उसको दोबारा दौड़ जारी रखने का अधिकार नहीं होता।
- यदि ट्रैक और फील्ड के इवेंट्स एक बार शुरू हो चुके हों तो जज उसको अलगअलग ढंग से हिस्सा लेने की आज्ञा दे सकता है।
- खिलाड़ियों को दवाइयों और नशीली वस्तुओं के सेवन की आज्ञा नहीं है। न ही खेल के समय वह अपने पास रख सकता है। यदि कोई ऐसी वस्तुओं का प्रयोग करता है तो उसे अयोग्य करार दिया जाता है।
- 800 मीटर दौड़ (800 Meter Race) का स्टार्टर अपनी ही भाषा में कहेगा “On Your Marks” इस के बाद व्हिसल दे कर स्टार्ट दे दिया जाता है। .
- खिलाड़ी को “On Your Marks” की स्थिति में अपने सामने वाली ग्राऊंड को या आरम्भ रेखा (Start Line) को हाथ या पैर द्वारा स्पर्श नहीं करना चाहिए।
- दो बार फाऊल स्टार्ट होने पर एथलीट को दौड़ में भाग लेने की आज्ञा नहीं होती।
- एथलीट का फैसला पोजीशन की अन्तिम रेखा पर होता है। जिस खिलाड़ी के शरीर का हिस्सा अन्तिम रेखा को पहले स्पर्श कर जाए तो उसको पहले पहुंचा माना जाता है।
- हर्डल दौड़ में यदि कोई एथलीट जानबूझ कर हाथों या टांगों को फैलाकर हर्डल फेंकता है या रैफ़री के मतानुसार हर्डल को जानबूझ कर हाथों या पाँवों पर गिराता है तो उसे भी अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
- यदि Throw Events में भाग लेने वालों की संख्या अधिक हो जाए तो रैफ़री निर्धारित स्थान (Qualifying Marks) रख देता है और अन्त में चान्स दिए जाते हैं।
प्रश्न 19.
हर्डल दौड़ें कितने प्रकार की होती हैं ? संक्षेप में वर्णन करो।
उत्तर-
हर्डल दौड़ें निम्नलिखित प्रकार की होती हैं जो इस प्रकार हैं—
(1) 110 मीटर हर्डल (110 Metres Hurdle)
(2) 200 मीटर हर्डल (200 Metres Hurdle)
(3) 400 मीटर हर्डल (400 Metres Hurdle)
- 110 मीटर हर्डल (110 Metres Hurdle)-इसमें 10 हर्डलें होती हैं। पहली. हर्डल 10.72 मीटर दूरी पर होती हैं। बाकी हर्डलों की दूरी 9.14 और अन्तिम हर्डल 14.02 मीटर दूरी पर होती है। हर्डलों की ऊंचाई लड़कियों के लिए 1.06 सैं० मीटर होती है और सीनियर लड़कियों के लिए 100 मीटर हर्डलज़ की ऊंचाई 89 सैं० मीटर और जूनियर लड़कियों के लिए 76 सैं० मीटर होती है।
- 200 मीटर हर्डल (200 Metres Hurdle)-इसमें भी 10 हर्डलें होती हैं। स्टार्ट रेखा से पहली हर्डल 18.29 मीटर और अन्तिम हर्डल 17.10 मीटर होती है।
- 400 मीटर हर्डल (400 Metres Hurdle)—इसमें भी 10 हर्डल होती हैं। पहली हर्डल स्टार्ट रेखा से 45 मीटर और बाकी 35 मीटर और अन्तिम 40 मीटर होती है।
प्रश्न 20.
गोला फेंकना, हैमर थ्रो, डिस्कस थ्रो के चक्करों का माप बताओ।
उत्तर-
- गोले का चक्कर 2.135 M.
- हैमर थ्रो 2.135 M.
- डिस्कस थ्रो 2.50 M.M.
प्रश्न 21.
पटैथलोन और डिकेथलिन इवेंट्स का वर्णन करो।
उत्तर-
- पटैथलोन के इवेंट्स-
- लम्बी छलांग (Long Jump)
- जैवलिन थ्रो (Javelin Throw)
- 200 मीटर दौड़ (200 Metres Race)
- डिस्कस थ्रो (Discus Throw)
- 100 मीटर हर्डल (100 Metres Hurdle)
- डिकेथलिन इवेंट्स—
- 100 मीटर दौड़ (100 Metres Race)
- लम्बी छलांग (Long Jump)
- पुटिंग शाट (Putting Shot)
- ऊंची छलांग (High Jump)
- 400 मीटर दौड़ (400 Metres Race)
- 110 मीटर हर्डल (110 Metres Hurdle)
- डिस्कस थ्रो (Discus Throw)
- पोल वाल्ट (Pole Vault)
- जैवलिन थ्रो (Javelin Throw)
- 1500 मीटर दौड़ (1500 Metres Race)
प्रश्न 22.
लड़के और लड़कियों के लिए जैवलिन का भार और लम्बाई बताओ।
उत्तर-
- जैवलिन लड़कों के लिए 800 ग्राम। लड़कियों के लिए 605 से 625 ग्राम।
- लड़कों के लिए लम्बाई अधिक-से-अधिक 2.30 मीटर और कम-से-कम 2.60 मीटर।
- लड़कियों के लिए लम्बाई अधिक-से-अधिक 2.30 मीटर और कम-से-कम 2.20 मीटर होगी।
प्रश्न 23.
गोले का भार लड़कों और लड़कियों के लिए वर्णन करो।
उत्तर-
- गोले का भार लड़कों के लिए 6 किलोग्राम होगा।
- गोले का भार लड़कियों के लिए 4 किलोग्राम होगा।